ायोिगक मागदशन मॉड्यूल – 8

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मॉड्यूल – 8
ायोिगक मागदशन
शैि क मनोिव ान एवं िश ा आधार िवभाग
रा ीय ौि क अनुसं ाान एवं िश ण प रषद्
मॉड्यूल के िवषय म
यह मॉड्यल
ू मागदशन क अवधारणाओ,ं िस ातं तथा णाली िव ान के योग से सबं ंिधत है िजसके िवषय
म मॉड्यल
ू -1 म पहले ही चचा क जा चक
ु है । जैसा िक आप जानते ह िक िव ालय म व थ वातावरण के
िनमाण म एक मागदशक / परामशदाता के ारा िनभाई जाने वाली भिू मका को बहत मह व िदया गया है । इस
मॉड्यूल क इकाई-1 उन कारक क या या करती है जो िव ालय म एक सकारा मक एवं व थ वातावरण
का िनमाण करने तथा िव ालय म यवहारा मक एवं अ य अनश
ु ासना मक सम याओ ं क रोकथाम करने एवं
सामना करने म िश क/परामशदाता क भिू मका को ससु ा य बना सकते ह । जैसा िक िव ािथय पर अनुशासन
लागू करने म परामश क कोई भिू मका नह होती है । इकाई-1 स पणू शैि क ल य क ाि के साथ ही
िव ािथय म आ म- अनुशासन क न व डालने के िलए योजनाओ ं को ततु करता है ।
एक िवशेष िशि त परामशदाता िव ािथय के अिधकतम शैि क, कॅ रयर तथा वैयि क, सामािजक िवकास
के िलए उनक िवकासा मक तथा प रि थितज य आव यकताओ ं के आधार पर मागदशन के एक यवि थत
ढगं से सिु नयोिजत काय म क योजना बनाता है एवं आयोिजत करता है । इकाई-2 इनम से येक े म
िव ािथय के िवकास को ससु ा य बनाने के िलए इनक योजनाओ,ं काय णाली तथा गितिविधय के ितदश/
उदाहरण क या या करती है ।
तथािप, एक सम मागदशन काय म म िव ालय के येक िव ाथ िजनम सामा य, वंिचत तथा शारी रक,
मानिसक एवं बौि क अश तता वाले िव ाथ शािमल ह, उन सभी क िविश ट आव यकताओ ं का यान
रखना है । इकाई-3 के तीन भाग म इन तीन समहू म से येक को मागदशन एवं परामश देने के िलए मागदशन
क आव यकताओ ं एवं रणनीितय के बारे म चचा क गई है ।
इकाई- 4 िव ालयी िश ा के एक आव यक भाग के प म मू याक
ं न क पहचान को थािपत करने के िलए
मागदशन गितिविधय के मू याक
ं न का मह व ततु करती है । मागदशन के उपभो ताओ ं जैसे – िव ािथय ,
िश क , शासक तथा अिभभावक ारा उपल ध कराए गए फ डबैक काय म के सतत् सुधार तथा िव ालयी
यव था म इसक भािवकता के ित ठापन म सहायता कर सकते ह ।
इस मॉड्यल
ू म भी पहले मॉड्यल
ू क ही तरह येक इकाई म आ म- िनरी ण अ यास एवं गितिविधयाँ दी गई
ह । इकाई के िवषय म एक िवहंगम य तुत करने के िलए इसके अंत म सारांश िदया गया है । संदभ पु तक
तथा अित र त पाठ्य- साम ी पाठक को सचू ना के अित र त ोत को उपल ध कराती ह ।
2
िहंदी अनुवाद
राघवे पित ि पाठी
अ यापक परामशदाता
िश ा िनदेशालय, िद ली
सद य (समी ा / सपं ादन कायशाला)
हेमलता ितवारी, व ता, एस.सी.ई.आर.टी., देहरादनू
राघवे पित ि पाठी, अ यापक परामशदाता, िश ा िनदेशालय, िद ली
शैलजा गौड़, ाथिमक िश क, राजक य ाथिमक िव ालय, धनपऊ, देहरादनू
कुमार सि चदान द, सहायक िश क, राजक यकृ त म य िव ालय जवाहर िव ापीठ, जयनगर, मधबु नी, िबहार
सद य-सम वयक
भात कुमार िम , सहायक ोफे सर, शैि क मनोिव ान एवं िश ा आधार िवभाग, एन.सी.ई.आर.टी., नई
िद ली
3
िवषय-सच
ू ी
माॅड्यूल के िवषय म
यूिनट – 1
आ म-अनुशासन को ो साहन देने हेतु मागदशन
यिू नट – 2
एक मागदशन काय म क योजना बनाना एवं आयोिजत करना
यूिनट – 3
िवशेष आव यकता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग-1 मानिसक प से िवकृ त/बौि क प से अश त ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग-2 अिधगम अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग-3 शारी रक अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
यूिनट – 4
मागदशन एवं परामश म मू यांकन
4
1
आ म – अनुशासन को ो साहन देने हेतु मागदशन
1.0
प रचय
1.1
उेय
1.2
अनुशासन या है ?
1.3
अनुशासन आव यक य ?
1.3.1 आ त रक और बा अनुशासन
1.3.2 आ म-अनश
ु ासन का मह व
1.4
अनुशासनहीनता के कारण
1.5
अनुशासन कायम रखने क तकनीक
1.5.1 बलन
1.5.1.1
परु कार के कार
1.5.2 ोध पर िनयं ण
1.5.3 योग और यान
1.5.4 समक सािथय से मदद
1.6
आ म – ब ध कौशल
1.6.1 आ म – अनदु श
े न
1.6.2 आ म – कटीकरण
1.6.3 आ म – आक
ं ड़े अथवा डायरी िवि
1.7
अनश
ु ासन को सध
ु ारने हेतु परामश उपागम
1.8
सारांश
आ म – मू यांकन अ यास
आ म – मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
आ म – िनरी ण अ यास के उ तरिबंदु
सदं भ पु तक
पठनीय पु तक
वेबसाइट्स
प रचय
मॉड्यूल – 1 म आपने क ा म सामूिहक प म योग िकए गए मागदशन तकनीक के िवषय म सीखा/
पढ़ा है । मागदशन और शैि क ि याकलाप को ब च के साथ भावशाली ढंग से करने के िलए आपको
उनके साथ घिन ठ स ब ध थािपत करना आव यक है । िव ािथय के साथ अ यो यि या म आपने
क ा म और बाहर भी अिनयिमतता, लापरवाही और यावहा रक सम याओ ं का सामना िकया होगा
जो िश ण एवं अिधगम क ि या म यवधान उ प न करते ह । इन सम याओ ं के समाधान हेतु आपने
कुछ रणनीितय का योग िकया होगा जो िक हमेशा पूणतया भावशाली नह थ । िश कगण ाय: इन
अनुशासनह नता क सम याओ ं क आवृित को यूनतम करने एवं इनका भावशाली ढंग से सामना करने
के तरीक को जानने के िवषय म इ छुक रहते ह । िव ाथ के दु यवहार के सधु ार हेतु अनुशासनह नता म
िल त िव ािथय को परामशदाता अथवा िश क परामशदाता के पास भेजा जाता है ।
यह इकाई आपको अनुशासनह नता का अथ, मह व और कारण के िवषय म जानकारी उपल ध कराने पर
आधा रत है । यह इकाई एक िश क या परामशदाता के प म आपको अनुशासनह नता क रोकथाम के तरीक
को सीखने म सहायता देगी। यह एक िस कहावत है िक अनश
ु ासनह नता क सम याओ ं को िनयंि त करने से
यादा अ छा अनुशासनह नता क रोकथाम करना है । अिधगम ि या म आ म – अनश
ु ासन और आरोिपत
अनश
ु ासन के बीच अ तर को समझना बहत आव यक है । िव ािथय म आ म – अनुशासन िश क अथवा
िव ाथ क देखरे ख म बनाई गई कुछ व- बोधन (Monitor) और व – िनयिमत करने वाली योजनाओ ं के
योग से उनके मन म आरोिपत िकया जा सकता है ।
1.1
उेय
इस इकाई के अ ययन के प चात् आप िन निलिखत िब दओ
ु ं को समझने म समथ ह गे –
• अनश
ु ासन के अथ एवं मह व क या या करने म ।
• क ा म और बाहर अनश
ु ासन-सबं धं ी सम याओ ं एवं इसके कारण क पहचान करने म ।
• आ म-अनुशासन और बा
प से आरोिपत अनश
ु ासन के बीच भेद करने म ।
• आ म – अनश
ु ासन के मह व के िवचार-िवमश म ।
• अनश
ु ासनह नता क रोकथाम और आ म – अनश
ु ासन के पालन एवं आरोपण हेतु योजनाओ ं के
योग म ।
1.2
अनश
ु ासन या है ?
अनश
ु ासन से ता पय मापद ड एवं िनयम के ित िन ठा रखना और उन िनधा रत मा यताओ ं को िबना न
उठाए या चनु ौती िदए पालन करना । िव ालय प रि थित म भी इसका ता पय िव ालय के िनयम का पालन
करना, अिधका रय के ित आ ाकारी होना, िश क के आदेश का पालन करना और क ा एवं िव ालय म
यव था को कायम रखना है । जो लोग मापद ड एवं िनयम को तोड़ते ह, वे सामा य तौर पर िव ालय एवं घर
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म दि डत िकए जाते ह जो उनके िलए दद, भय, चोट आिद का कारण बनता है । ाचीन काल से ही काननू तोड़ने
वाल अथवा अपरािधय को अपराध करने म उनक इ छाशि और मनोबल को कमजोर करने हेतु शारी रक
द ड िदया जाता रहा है । ब च को अनश
ु ािसत करने से स बि धत मु े तािक वे समाज के ारा िनधा रत
मापद ड एवं िनयम का वे छा से पालन कर, ये मु े िश क एवं अिभभावक को ाय: िकंक यिवमढ़ू कर
देते ह। अपने वा तिवक भाव म अनश
ु ासन ाकृ ितक वाभािवक प म आ म-िन ह और आ म-िनयं ण क
एक ि या है जो एक यव था म िवकास को समथन एवं ो साहन देती है चाहे यह एक शैि क यव था हो
अथवा कोई अ य यव था ।
1.3
अनुशासन आव यक य ?
एक िश क के प म आप जानते ह िक अिधगम एक सरं चनाब प रवेश म आगे बढ़ता है और यह सुिनि त
करता है िक िव ाथ अपने काय म बा ोत से अनवरत परु कार या द ड के िबना ही िकंिचत् गभं ीर एवं
वतं प से काय करने के िलए अनश
ु ािसत और आकृ ट ह । समाजीकरण के अिभकता के प म िश क
एवं अिभभावक िव ािथय से अनुशािसत एवं प रप व तथा िज मेदारीपणू यवहार क अपे ा रखते ह पर तु
कभी-कभी वे िव ािथय के यवहार- ब धन म मुि कल चनु ौितय का सामना करते ह । इस तरह के न क
िकतनी वतं ता दी जानी चािहए? िकस प म सीिमतताएँ या ितब ध आरोिपत होने चािहए ? ब च म िकस
तरह से सही और गलत के भाव थािपत करना है, यह ाय: वय क के िदमाग म उ प न होता है ।
कुछ सामा य सम याओ ं के उदाहरण नीचे तुत िकए जा रहे ह िजनका िश क सामा य तौर पर सामना करते
ह और इन प रि थितय से िनपटने के िलए उनके ारा यु त कुछ द डा मक योजनाओ ं का वणन िकया जा
रहा है ।
िन निलिखत ि थितय को पिढ़ए:
िनतीश िदए हए काय पर यान नह देता है । यिद वह करता है तो बेढ़ंगे तरीके से करता है । वह अ य िव ािथय
से लड़ाई करता है और िश ण के समय अपनी शरारत से परू ी क ा को अ त- य त कर देता है । अपने इस
यवहार के कारण वह ाय: िश क ारा पीटा जाता है और बहत बार उसे क ा से बाहर खड़ा कर िदया जाता
है ।
िदनेश तीन महीने से क ा म देरी से आता है, गृह काय क कॉपी नह लाता है और क ा म अ य िव ािथय के
साथ लड़ाई-झगड़ा करता रहता है । उसके दु यवहार क रपोट ाय: उसके माता-िपता के पास भेजी जाती है ।
क ा VIII के िव ािथय ने अपना गिणत का पी रयड समा त िकया है । उ ह अगले पी रयड म योग काय के
िलए िव ान योगशाला म जाने क आव यकता है । वे जाने म बहत समय लेते ह और इस समय शोर करते ह
तथा एक दसू रे को िचढ़ाने, ध का देने, लड़ने, धमकाने आिद म िल त रहते ह । इन सभी ब च को उठक-बैठक
करने या मगु ा बनने के िलए कहा जाता है ।
जैसा िक ऊपर क ि थितय म देखा गया है िक िश क ाय: शारी रक द ड का सहारा लेते ह । ब च ,
अिभभावक , िश क तथा मीिडया क रपोट के अनसु ार दि ण एिशया के देश जैसे भारत, बाँ लादेश, भटू ान,
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नेपाल, मालदीव आिद म िव ालय म शारी रक द ड देना एक सामा य था है । यह के वल ब च के शारी रक
और मनोवै ािनक िवकास को ही नह रोकता है बि क ब च के िव ालय छोड़ने म भी मह वपूण योगदान देता
है (UNICEF, 2001) । ( िन निलिखत को यानपवू क पिढ़ए । )
िव ालय म शारी रक द ड
परू े िव व क तरह दि ण एिशया म येक िदन िव ालय म अनुशासन के नाम पर ब च क िपटाई क जाती
है । शारी रक द ड से अिभ ाय शरीर पर द ड देने से है । इस कार क िहसं ा एक उ तेिजत िश क, अिभभावक,
वय क या एक बड़े ब चे क एक साधारण आवेगी िति या या जानबूझ कर िकए गए काय का द ड हो सकती
है । इससे मतलब नह है िक िहसं ा का व प या है, यह हमेशा ब च के आधारभतू मानव अिधकार का
उ लघं न है (हैमरबग, टी.ए ड नेवेल, पी. 2001 ) । य िप यादातर देश ने िव ालय म शारी रक द ड के
स ब ध म िनयम एवं मापद ड बनाए/िनधा रत िकए ह पर तु उन काननू को लागू करना ाय: कमजोर होता है ।
िव ालय म ब च को द ड देने के कुछ सामा य तरीके ह – ब च को बच पर खड़ा करना, हाथ ऊपर करना,
डंडे से मारना और चुभोना, परू ा िदन धपू म खड़े रखना, ितर कृ त करना, गाली देना और अपमािनत करना या
कुछ िदन के िलए उ ह िनलि बत करना, उपहास उड़ाना, लंच या छु ी के समय उ ह रोक लेना, उ ह एक अँधेरे
कमरे या भ डार-क म बंद करना, उ ह फ़श पर बैठाना, सफ़ाई करवाना, खेल म भाग लेने, पाठ्य-सहगामी
ि याकलाप आिद क अनुमित न देना । चरमसीमा के मामल म यह ब च को यातना देने, बाल यौन दरु ाचार,
िबजली का करंट लगाने से लेकर वह सभी काय िजसम ितर कार, अपमान, शारी रक एवं मानिसक चोट तथा
मृ यु तक के प म हो सकती है । आधारभतू अिधकार के अलावा ब चे क िपटाई करने से दद, चोट, अपमान,
िच ता, ोध और बदला लेने क भावना उ प न होती है िजसका दीघ अविध तक मनोवै ािनक भाव रहता
है । िविभ न अ ययन से यह भी पता चला है िक जीवन के शु आती वष म बाल दरु ाचार एवं शारी रक िहसं ा
ब च को िहसं क बनने म योगदान देते ह (कार एडं िवले, 1997) । शारी रक दरु ाचार ब चे क यो यता के भाव
को कम करता है और िनराशा के ित उनक असरु ा क भावना को बढ़ाता है (सइु डी., सइु डी. ड य.ू
एंड सइु एस. 2000) । लगातार िहसं ा से भािवत ब चे अपने एवं दसू र के ित खराब स ेषण, उ तेजक
यवहार जैसे दिु या मक यवहार का दशन करते ह । इसके अलावा यह अपराध क भावना, उ लंघन,
अपने ऊपर िनयं ण न रख पाना और िन न तरीय आ म-स मान को उ प न करते ह (एस सी एफ – वीडन
एंड इपीओसीएच, 1993) । शारी रक द ड के मु को उठाने से पहले िहसं ा के मूल कारण को अव य उठाया
जाना चािहए और ब च के अनक
ु ू ल, ब च पर आधा रत िश ण-अिधगम को ो सािहत िकया जाना चािहए।
–यिू नसेफ, 2001, दि ण एिशया के िव ालय म शारी रक द ड ।
िव ािथय के दु यवहार एवं अनश
ु ासन से सबं िं धत अ य सम याओ ं के िलए उपयु त िनरोधक एवं िनदाना मक
उपाय क योजना बनाने तथा आयोिजत करने के म म अनश
ु ासन के वा तिवक अथ एवं उ े य तथा इस
कार क सम याओ ं के कारण को समझना िनता त आव यक है ।
हम सव थम दो कार के अनश
ु ासन-बा और आंत रक के बीच अ तर प ट करना चािहए ।
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1.3.1 आ त रक और बा अनुशासन
बा और आ त रक अनश
ु ासन या है ? बा अनश
ु ासन बा अिधकारी या िश क के ारा इि छत यवहार
को ा त करने हेतु द ड/परु कार के योग के ारा आरोिपत िकया जाता है । आ त रक अनश
ु ासन के मामले म
यह यि के ारा अपने यवहार को िनयिमत करने के िलए अपने ऊपर संयम के ारा िकया जाता है ।
आप म से कुछ लोग बा प से आरोिपत थाओ ं जैसे ब चे को क ा से बाहर खड़ा रखना या िच लाने का
योग कर रहे होग । लेिकन हमम से बहत से लोग ने यह पता लगाकर िक ब चा उस तरीके से यवहार य कर
रहा था उसके मन म आ त रक अनुशासन बैठाने का यास िकया होगा और सामािजक प से इि छत यवहार
करने हेतु ब चे को े रत करने के िलए उस कारण को बताने का यास िकया होगा ।
सामा यत: समाजीकरण क ि या म ब चे सही या गलत के िवषय म ान अिजत करते ह । मनोवै ािनक ने
यह िन कष िनकाला है िक जब ब चे प रप व होते ह तब इसम प रवतन आता है । शु आती वष म सयं म क
यो यता अिभभावक/िश क/बड़े भाई-बहन के ारा िनधा रत सीमाओ ं और उनके ारा िदए गए मागदशन एवं
ान पर मु य प से आधा रत होती है । कुछ िस ांतवादी िव वास करते ह िक सामा य प से ब चा परु कार
और द ड के ित िति या करता है और सहमित ा त एवं पुर कृ त यवहार को अपनाता है तथा दि डत
यवहार का प रहार करता है । तथािप एक अ य मत के अनसु ार ब चा/ब ची अंत ि एवं तकशि का योग
करता/करती है जब वह अिजत यो यता से अनुशासन के िनयम को समझकर उन ि थितय म िति या करने म
प रप व हो जाता/जाती है । इसम अनुशासन कायम रखने के िलए कभी-कभी व-उ प न कारण के आधार पर
(आंत रक अनुशासन) और कभी दसू र के ारा िनधा रत िनयम एवं मापद ड के आधार पर (बा अनश
ु ासन)
को मानने क आव यकता को समझने से होता है । इसिलए मह वपूण यि य को ब च को उनके िवचार को
य त करने हेतु अवसर उपल ध कराने क आव यकता होती है और उन मु पर उनके िनणय लेना होता है जो
उनसे एवं उनके आस-पास रहने वाल से सबं िं धत ह ।
कौन सी था बेहतर था है ?
बहतसे मामल म द ड का योग आज भी िकया जाता है । िव ालय के िनयम को न मानने वाले िव ािथय
को िहसं क गितिविधय म िल त होने हेतु या दु यवहार हेतु उनक शि एवं मनोबल को कमजोर करने के िलए
शारी रक द ड िदया जाता है। यह उपागम िदमाग क मता को अनश
ु ािसत करने म मदद नह करता है बि क
ब च म भय और ोध क थापना कर सकता है । इसिलए इस कार से अनश
ु ािसत करने म अ थायी भाव
रहने क सभं ावना है । उदाहरण हेतु क ा से बाहर एक ब चा अपने मल
ू अवाछ
ं नीय यवहार से अलग यवहार
कर सकता है । वह बाहरी प से अनश
ु ािसत एवं िश ट तीत हो सकता है लेिकन जहाँ तक उसक अिभवृि
एवं यवहार का संबंध है, वह हमेशा अप रवितत रह सकता है ।
दसू रे उपागम म यि के िवषय म जानकारी अिजत करना और उसके गलत यवहार के कारण का पता लगाकर
उसके गलत यवहार को सधु ारना है और उसके प चात् उसके यवहार को िनयंि त करने के िलए उसे समथ
बनाना है तािक अनुशासनह नता क आवृि न हो । यह िदमाग, दय और काय का अनश
ु ासन है जो आंत रक
अनुशासन या आ म-अनश
ु ासन क तरफ ले जा सकता है ।
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1.3.2 आ म-अनुशासन का मह व
आ म-अनश
ु ासन सही और गलत क अवधारणा को अिजत करने क एक िमक ि या है । आपने यह
अवलोकन िकया होगा िक एक कम उ का ब चा बा अनश
ु ासन के ित सही िति या करता है । एक
ब चा/ब ची यह समझता और वीकार करता/करती है िक जब वह वैि छक प से िनयम को तोड़ता/तोड़ती
है तब उसका प रणाम सामने आता है । मश: वह यवहार के अनुमोिदत तरीक को समझना ारंभ कर देता/
देती है और अपनी सीमाएँ िनधा रत कर लेता/लेती है । अनुशासन कायम रखने के िलए तक या कारण के िवषय
म जानने का अवसर देने पर ब चे भी अपने पर िनयं ण और संयम लगाना सीख लेते ह । इस कार आ मअनश
ु ासन सामािजक प से वीकृ त एवं इि छत तरीके से काय या संयम रखने क यो यता है । एक ब चा
आ म-अनुशािसत हो सकता/ती है जब वह िन निलिखत तकनीक का योग करता/ती है :
• आ म-सयं म क आव यकता को समझता/ती है ।
• एक िवशेष तरीके से यवहार करने के िवषय म प टीकरण देने म स म है ।
• िनयम को बनाने म भी सहभािगता करता/ती है ।
• पुर कार या तु टीकरण को थिगत या िवल ब करने म स म है ।
जबिक आप समझ चक
ु े ह िक अनश
ु ासन या है, यह आव यक य है और बा एवं आ त रक या आ मअनश
ु ासन के बीच या अ तर है,ै अब हम यह चचा करगे िक अनश
ु ासना मक सम याओ ं का सामना करते
समय इस उपागम का योग िकस कार से िकया जा सकता है ।
आ म-िनरी ण अ यास -1
िन निलिखत कथन म सही और गलत बताइए –
सही
1.
अनश
ु ासन के वल बा अिधकारी या मह वपणू वय क ारा ही आरोिपत िकया जा सकता है
तथा वयं अिजत नह िकया जा सकता है ।
2.
एक ब चे म आ म-अनश
ु ासन का होना तभी कहा जा सकता है जब वह तु टीकरण म िवल ब
कर सकता/ती है ।
3.
शारी रक द ड आव यक होता है और ज दी या देरी से उसका योग होना है ।
4.
अनश
ु ासन क ि या म िव ािथय क सि य सहभािगता होनी चािहए ।
5.
एक वय क क तुलना म एक ब चे को अनश
ु ािसत करना अिधक आसान है ।
1.4
अनुशासनह नता के कारण
ग़लत
ब च के दु यवहार के िलए उ तरदायी िविवध कारण को िन निलिखत िव तृत ेिणय म वग कृ त िकया जा
सकता है :
10
घर या पा रवा रक कारक – घर का दिू षत वातावरण िजसम गाली-गलौज, माता-िपता के बीच लड़ाई जो
ब च के िलए गलत ितमान थािपत करता है, घर पर यवि थत िदनचया, िनयिमतता या देखभाल म कमी,
अिभभावक ारा ब च को िदए जाने वाले मू यवान समय क कमी, अ यिधक यार-दल
ु ार या ब च क माँग
को सदैव परू ा करना आिद ब च म अनश
ु ासनह नता उ प न कर सकते ह ।
िव ालय का ि कोण, िश क का यवहार, आिद – िव ालय के काय म, थाएँ, िनयम एवं मापद ड
िव ािथय क आव यकताओ ं से िकतना तालमेल रखते ह तथा उनके िवकास एवं सम उ नित हेतु िकतना
अवसर उपल ध करा रहे ह । इसके अलावा, िश क का यवहार िजसम कठोर या अिधकारपणू लहजा, क ा
को सँभालने म अ मता, यवहार ब धन हेतु द डा मक तरीक का योग, खराब िश ण तकनीक, िन न
तरीय ेरणा, आिद िव ालय से ब च क लापरवाही, अिभ िच म कमी एवं अनश
ु ासनह नता के िलए
जवाबदेह कारण पाए गए ह ।
ब चे का यि व – कभी-कभी ब चे म वयं क कमी अनश
ु ासन क सम याओ ं का कारण हो सकती
है, जैसे – एक ब चे का उ तेजक यवहार, अिति याशीलता को यिद सही ढंग से नह सँभाला जाता है तो
अनुशासन क सम या हो सकती है ।
दु यवहार के कारण क पहचान करने के प चात् हम अनश
ु ासन को कायम रखने के िलए इस सचू ना का
इ तेमाल िविभ न तकनीक म कर सकते ह । यिद अनश
ु ासनह नता के कारण को हटा िदया जाता है तो
अनुशासन का तािकक प रणाम हो सकता है ।
ि याकलाप – 1
िन निलिखत तीन प रि थितय को पिढ़ए और देिखए िक या आप सम या के मूल कारण का पता लगा सकते
ह।
पीटर को उसके पड़ोसी ने मारा और यु तर म पीटर ने भी अपने पड़ोसी को मारा । पड़ोसी बरु ी तरह से घायल
हो गया । पीटर दौड़कर घर आया और अपने िपता को बताया । पीटर के िपता ने के वल उसक बात सुनी और
शा त रहे । कुछ िदन के प चात् पीटर िव ालय म इस कार क घटना म शािमल हआ और वह इसके िलए
बरु ी तरह से दि डत िकया गया ।
राधा येक िवषय म एक अ छी छा ा थी । वह इसके िलए ाय: शंिसत एवं परु कृ त होती थी । अब जबिक
राधा को एक होनहार लड़क के प म वीकार कर िलया गया है, वह अब पुर कार एवं शंसा नह ा त कर
रही है । उसक एक िशि का मीरा उसक येक छोटी गलती के िलए उसे डांॅटती है । राधा क िच समा त होने
.0 अ य अ यापक के अनसु ार वह उनक क ा के सबसे अ छे िव ािथय म से एक है ।
क ा VIII के िव ािथय को उनके क ा अ यापक के ारा फुटबाॅल के मैदान म जाने को कहा जाता है ।
अ यापक िकसी तरह का िनदश नह देता है िक वे वहाँ या करगे, या खेल खेलगे और कौन उनका िनरी ण
करे गा । ब चे खेल के मैदान म जाते ह, कुछ खेलते ह और शेष ब चे लड़ाई करते, िचढ़ाते और दसू र को परे शान
करते देखे जाते ह ।
11
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•
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उपयु त उदाहरण के िलए या आप सिु नि त कर सकते ह िक दु यवहार का संभािवत कारण या हो सकता है
? पहली िववािदत प रि थित म घर एवं िव ालय के िनयम ब च के िदमाग म दिु वधा उ प न करने के संभािवत
कारण हो सकते ह । दसू री प रि थित म, िश क क अिभवृि िवसामा य यवहार का सबसे बल कारण हो
सकती है, तीसरी प रि थित म, िनयम क प टता म कमी शायद अनुशासनह नता को ज म दे रही है ।
अब हम पता लगाना है िक आप अपनी क ा म अनुशासन कायम करने के िलए या कर सकते ह ।
1.5
अनश
ु ासन कायम रखने क तकनीक
एक िश क परामशदाता के प म आप अनुशासनह नता को रोकने एवं अनश
ु ासन को कायम रखने म एक
मह वपणू भूिमका अदा कर सकते ह । अनश
ु ासनह नता क िविवध सम याओ ं के समाधान हेतु प रि थित/
यवहार क पहचान एवं िव लेषण करना मख
ु होता है । तथािप व थ िव ालयी वातावरण एवं िश ण
अिधगम िव ालय म अनुशासनह नता क रोकथाम म एक मह वपणू साधन हो सकता है ।
िन निलिखत या करना चािहए एवं या नह करना चािहए, कथन िश क एवं परामशदाताओ ं के िलए
सहायक हो सकते ह ।
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येक ब चे के ित स मान दिशत करना, िबना शत वीकार करना और यि व का स मान
करना ।
यं य/कटा का योग न करना बि क शंसा एवं ो साहन का योग करना ।
गु सा न करना और िवचार-िवमश के िलए ो सािहत करना तथा िनणय का स मान करना ।
लि जत न करना या िव ािथय को उनके िम के सामने शिम दा न करना, िकसी ब चे क पृ ठभिू म
या उपलि धय से अलग हटकर येक ब चे को स मान देना ।
अनक
ु ू ल, िन प और ढ़ रहना ।
िव ािथय को लगातार धमक न देना बि क िनयम का पालन करने क आव यकता के िवषय म
बताना ।
अिधगम हेतु पया त साम ी क योजना बनाना और अिधगम तथा अ य दसू रे ि याकलाप के िलए
तैयार रहना ।
छोटी-छोटी सम याओ ं को बड़े अिधका रय को न बताना बि क उ ह अपने तर पर समझना और
आपस म उनका समाधान करने क कोिशश करना ।
ब च के साथ अ छे संबंध िवकिसत करने के िलए पहल करना ।
येक ब चे को वीकार करना पर तु उसके बरु े यवहार को नह ।
स ेषण के समय संवाद म सु प टता रखना ।
12
ि याकलाप – 2
ीमान् ठाकुर क ा – VIII को इितहास पढ़ाते ह । वह हमेशा िबना तैयारी के आते ह और िव ािथय को
िबना कुछ िदए अपनी क ा को 10-15 िमनट पहले समा त कर देते ह । िव ाथ आपस म बातचीत करना
और दु यवहार करना शु कर देते ह । ीमान् ठाकुर हमेशा क तरह अपना धैय खो देते ह और िव ािथय पर
िच लाते ह । उ डं ब च के समूह म से वे दो-तीन ब च को पकड़ कर धानाचाय के पास ले जाते ह। यह
प रि थित लगातार दोहराई जाती है पर तु िव ािथय का दु यवहार ितिदन बढ़ रहा है । या आप उन त य को
पहचान सकते ह जो ीमान् ठाकुर के ारा योग िकए जा रहे ह और िजसे उ ह नह करना चािहए।
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हाँ, आप सही ह ! उन कई न करने यो य काय को िजनका आपने ऊपर उ लेख िकया है, ीमान् ठाकुर उनम से
अिधकतर काय को कर रहे ह । इसका प रणाम यह है िक ीमान् ठाकुर अनश
ु ासन कायम करने म स म नह ह ।
अब हम आगे अनश
ु ासन कायम रखने हेतु “िनयम” क अवधारणा को समझना है । हम ाय: िनयम बनाते ह
पर तु इनका पालन कभी-कभी ही होता है । िश क को ाय: यह कहते हए सनु ा जा सकता है ‘तुम िनयम का
पालन नह कर रहे हो’ या ‘तमु ने िनयम तोड़ िदया है’ । िश क को िव ािथय के साथ िच तन और िवचार
िवमश करना चािहए िक िनयम य बनाए जाते ह ? िनयम को लागू करने से पहले िन निलिखत बात को
िदमाग म रखा जा सकता है ।
1. िनयम बनाने के िलए उसके कारण क या या कर तािक िव ाथ जान िक ये िनयम उनको िकस
कार से लाभ पहँचाएंगे ।
2. िनयम बनाने म िव ािथय क सहभािगता ल ।
3. िव ालय स के ार भ म सभी के सम िनयम क या या कर ।
4. प ट िनयम बनाएं । उदाहरण के िलए, िव ािथय से न का उ तर देने के िलए कह ‘शा त रहना
मह वपूण य है’, इस न पर प रचचा से शा त रहने क आव यकता को समझने म सहायता
िमलेगी ।
5. आव यक होने पर िनयम को दोहराएं ।
6. सं मण काल जैसे एक ि याकलाप से दसू रे ि याकलाप के बीच के समय को िनयिं त करने के िलए
िनयम बनाएं ।
7. द ड एवं पुर कार का िनधारण सु प ट कर ।
13
िन निलिखत प रि थितय को देखकर हम यह पता लगाने क कोिशश करनी चािहए िक अनुशासनह नता का
कारण या है और एक िश क को अनश
ु ासन कायम करने के िलए या करना आव यक है । नीचे दो कार
क प रि थितय का वणन िकया गया है ।
•
ी डेिवड छठी क ा को अं ेजी पढ़ाते ह । वह परू े स म एक समान िश ण प ित का योग करते
हए अं ेजी पढ़ाते ह । पहले तीन महीने म सभी िव ाथ े रत होते ह और अ छा यवहार करते ह ।
धीरे -धीरे बातचीत करने, खराब गृहकाय और क ा म ठीक कार से यान न देना ार भ होता है ।
• सु ी बी एक गंभीर िशि का ह । वह नौव क ा को िव ान पढ़ाती ह । िव ाथ िवषय से संबंिधत
मामल म उनक ईमानदारी और गंभीरता क ंशसा करते ह लेिकन वह क ा म पणू तया शांित पसंद
करती ह । वह ब च को न करने, प रचचा करने या िकसी भी तरह के ह त ेप को ो साहन नह
देती ह । िव ाथ उनसे बहत डरते ह और वे उ ह तथा िव ान के पी रयड को पस द नह करते ह ।
पहली प रि थित म, अिधगम म िविवधता और नवीन णाली को लागू करने क आव यकता तथा दसू री
प रि थित म िव ािथय क अिधक सहभािगता और सि यता आिद िश ण म कुछ योजनाएं ह जो लाभदायक
िस हो सकती ह ।
नीचे कुछ अ य तकनीक के िवषय म बताया जा रहा है जो अिधगम ि याकलाप म िविवधता ला सकती ह एवं
िव ािथय म अिभ िच उ प न कर सकती ह । कुछ िव ान ने वे तरीके बताए ह जो क ा क यित मता का
सामना करने म लाभदायक हो सकते ह ।
• िश ण णाली म प रवतन – स ेषण के बह मा यम का योग करना जैसे य, य, पश
और इस तरह के अ य बहत से मा यम िविवधता लाने के िलए और क ा म अिधगम एवं जानकारी
के िविवध तर को अ छी तरह समझाने हेतु सहायक होते ह । इसी कार से कुछ िविधय जैसे
नो तरी, िवचार-िवमश, प रयोजना-काय, िनयत काय आिद का योग नवीनता एवं सृजना मकता
को ो सािहत करने म सहायक हो सकता है । एक िविध के अनवरत योग (जैसे बातचीत करना)
से एक पता हो सकती है, यिद ब च क अिभ िच समा त हो रही हो तो िश क चल रही प रचचा
के स यय क या या करने म दसू रे मा यम का सहारा ले सकता है, योजना या िवषय को बदल
सकता है ।
• समय लेना – अनश
ु ासनह न यवहार का सामना करने हेतु यह एक अद डा मक उपागम है । यिद
एक िव ाथ के ारा क ा म लगातार यवधान डाला जा रहा है तो उसे िवन तापवू क क ा को
छोड़ने के िलए कहा जा सकता है जब तक िक वह पढ़ने के िलए पनु : तैयार न हो ।
• िवरेचन (भावशांित) - यह यि के अ दर मौजदू उ तेजक शि को बाहर िनकालने क ि या
है । िजतने अिधक समय तक यह शि बनती रहेगी उतनी अिधक उ तेजना उस समय िदखाई देगी
जब यह िनकलेगी । इसके ारा ब च को अपने द:ु ख को बाहर िनकालने का अवसर उपल ध
कराना चािहए और उ ह अपने िम /समक के साथ अपनी सम याओ ं के बारे म बात करने क
14
अनुमित देनी चािहए । ब च को ऐसे िश क के पास जाना चािहए िजनम यापक प से समझने क
अिभवृि हो और आसानी से उपल ध हो सक ।
•
य अनबु ोधन/इशारा - क ा म ब च ारा उ प न क जा रही सम या को गैर-भाषीय सक
ं े त जैसे
घरू कर देखना या हाथ से इशारे का योग करके सम या मक यवहार को रोकना है । यह या यान
म िबना यवधान के गितशील गितिविध क सामा य गित को कायम रखता है और साथ-ही-साथ
परे शान करने वाले यवहार पर अंकुश लगाने म भी सहायता करता है । उदाहरण हेतु यिद एक िव ाथ
इधर-उधर देख रहा है अथवा लापरवाह है तो इसे िनयंि त करने का एक तरीका सामा य प से िकताब
क तरफ इशारा करके हो सकता है । िश क को िव ािथय के इशारे को समझने और िव ािथय को
अपना इशारा देने म स म होना चािहए । उदाहरण हेतु ीमती अरोड़ा क ा म यह देखती ह िक कुछ
िव ाथ बातचीत म संल न ह और पढ़ाई म यान नह दे रहे ह । वह उन िव ािथय के पास जाकर
खड़ी हो जाती ह और ोिधत िनगाह से देखती ह । इस तरह का इशारा इसे िकसी बड़ी सम या म न
जाने देकर िव ािथय क लापरवाही को यह समा त कर सकता है ।
िश क िव ािथय को यह जानने के िलए भी इशारा कर सकता है िक वे देख रहे ह िक या चल रहा है ? उपयु त
मामले म एक िशि का लापरवाह िव ािथय के पास जाकर ोिधत होकर उ ह देखती है । इस तरह के इशारे
िश ण म यवधान नह डालते ह और भावी होते ह ।
• प ट आदेश का भाव – यिद एक ब चा सम या उ प न कर रहा है तो िश क ारा ढ़ता का
योग करते हए प ट आदेश देकर उसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है िजसका अ य िव ािथय के
ऊपर लाभदायक भाव हो सकता है । यह इसिलए कहा गया है य िक एक िश क एवं उ डं िव ाथ
के बीच क ा म होने वाली अ यो यि या को अ य िव ाथ भी देखते ह । इसिलए एक िव ाथ के
साथ-साथ अ य िव ाथ भी िश क के सकारा मक या नकारा मक काय से भािवत होते ह ।
• फोकस पर िनयं ण – इस तकनीक म फोकस िश क एवं उ ंड िव ाथ के बीच संबंध पर के ि त
होता है िजसे दु यवहार को ठीक करने के िलए योग िकया जा सकता है ।
िन निलिखत उदाहरण पर िवचार क िजए :
मैडम शहनाज़ रीना से जो िक ाय: िवल ब से आती है, कहती ह, “म बहत िनराश हँ िक मेरे बार-बार समझाने के
बावजदू िक तमु िवल ब से मत आया करो, तमु िवल ब से िव ालय आ रही हो । एक समझदार एवं स माननीय
िव ाथ होने के कारण म सदैव तु हारे िवषय म सोचती हँ िक तमु कभी भी िनयम को नह तोड़ोगी और िश क
को परे शान नह करोगी तथा जो म कहती हँ उस पर यान दोगी” ।
उपयु त उदाहरण म िश क ने ‘अनमु ोदन फोकस’ का योग िकया है जहाँ पर िव ाथ को िश क क अपे ाओ ं
से प रिचत कराया गया है जो उसके अनुशासनह न यवहार को यनू तम करने म सहायता कर सकता है ।
अगली प रि थित ‘काय-के ि त उपागम’ का एक उदाहरण है । िश क काय पर के ि त होता है िजसे एक ब चे
को करने क आव यकता होती है, हो सकता है िक ब चा इसे ठीक कार से करने म स म न हो । इसको करते
समय ज रत से अिधक गभं ीर होने क आव यकता नह है ।
15
“तु ह क ा म यान लगाने क आव यकता है अ यथा तमु बाद म न के उ तर नह दे पाओगे । म इस पाठ
को नह दोहराऊँ गा।”
• शारी रक सामी य – िव ािथय के दु यवहार को ठीक करने के िलए 'शारी रक सामी य' के योग
के उदाहरण नीचे िदए गए ह । यिद एक िश क अपने एवं िव ाथ के बीच क दरू ी को कम करता है
और गलती करनेवाले के पास खड़ा होता है, यह ाय: देखा गया है िक छोटे-छोटे दु यवहार कते ह ।
• गहन िव लेषणा मक (Post Mortem) स – यह इसिलए कहा गया है य िक िशि का
ने िव ाथ के दु यवहार का िव तृत िव लेषण करने का िनणय िलया है, जैसे –असलम क ा म
दु यवहार करता है, िशि का सामा य प से उससे क ा के प चात् क ा म उसके बातचीत करने
क आदत के सदं भ म िवचार-िवमश हेतु िमलने के िलए कहती है । सनु ील अ य ब च को परे शान
करता है और उसका मन ाय: क ा म नह लगता । अनीता मैडम अपनी क ा म उसे अपने पास
िबठाती ह और सिु नि चत करती ह िक अ य पी रयड म भी वह अ यापक के पास बैठे । अनश
ु ासन
क कुछ अ य िविधयांॅ िजनक िव तृत प से चचा क गई है और सफलतापूवक अपनाई गई ह उ ह
अगले कुछ पैरा ाफ म बताया गया है ।
• ‘गलती करो – प रणाम भोगो’ – खेल के पी रयड के दौरान सही यवहार न करने वाले िव ािथय
या खेल साम ी को नुकसान पहँचाने वाले िव ािथय को दो स के िलए खेल म जाने क अनमु ित
नह दी गई है । कोई भी ब चा जो एक प रि थित म दु यवहार या गलत आचरण का दशन करता है
उसे उस तरह क या सबं िं धत प रि थित के लाभ से विं चत िकया जा सकता है ।
या आप सोचते ह िक िनयम का पालन न करने पर सिु वधा को खोने क यह तकनीक आपके िव ािथय के
िलए सफल हो सकती है ?
ि याकलाप – 3
इस कार क उन पाँच प रि थितय क सचू ी बनाइए िजसम आप उपयु त तकनीक का योग कर सकते ह ।
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आ म-िनरी ण अ यास – 2
नीचे िदए गए िवक प म से खाली थान को भर :
अ
य अनबु ोधन
ब
समय लेना
स
गलती करो –प रणाम भोगो
द
िवरे चन
1.
-------------------- क ा म अनश
ु ासनह नता का सामना करने के िलए एक अद डा मक उपागम है ।
2.
-------------------- एकि त भाव को बाहर िनकालने क ि या है ।
16
3.
क ा म गैर-भािषक संकेत का योग, जैसे सम या उ प न कर रहे िव ाथ को ोध से देखना या
हाथ से इशारा करने को -------------------- कहा जाता है ।
4.
-------------------- तकनीक म ब चे को सिु वधा न देकर या लाभ से विं चत कर के द ड िदया जाता
है ।
1.5.1
बलन
हम सभी जानते ह िक सकारा मक बलन एक समान प रि थितय म वांिछत यवहार क आवृि क संभावना
को बढ़ा देता है । बलन को परु कार के प म योग िकया जा सकता है । उपयु त उदाहरण म पुर कार िश क
का िव ािथय के िनरी ण म कमी तथा अ छे अक
ं ा त करने के िलए ेरणा है ।
ये िविभ न तरीके ह िजसम बलन उपल ध कराया जा सकता है । अ तराल के समय एवं आवृि को बलन
क सिू चय के प म संदिभत िकया जा सकता है ।
बलन क समय सूचीयाँ
िववरण
• अनवरत बलन समय-सचू ी
 यह येक समय घिटत होने पर यवहार म
बलता लाती है ।
• आंिशक बलन समय-सूची
 यह यवहार म कभी-कभी बलता लाती है,
हमेशा नह ।
 एक िनि त सं या म िति या के प चात् क
यवहार म बलता लाती है ।
• िनि त अनपु ात
• अनपु ात समय-सचू ी
 एक िनि त सं या के बजाय अिनि त सं या म
िति या के बाद बलन होता है ।
• िनि त अ तराल
 एक समय-सचू ी जो के वल एक िनि त समय
अविध के प चात् ही िति या के िलए बलन
उपल ध कराती है ।
• अि थर अ तराल समय-सचू ी
 एक समय-सचू ी िजसम बलन के बीच समय
अिनि त होता है ।
1.5.1.1
पुर कार के कार
अ ययन से पता चला है िक परु कार सकारा मक भावनाओ ं को उ प न करते ह और वे िकसी भी यवहार क
संभावना को बढ़ाते ह ।
17
परु कार को दो ेिणय म बाँटा जा सकता है : ाथिमक एवं ि तीयक । ाथिमक पुर कार वे ह जो कुछ जैिवक
आव यकताओ ं को सतं ु ट करते ह और पूव के अनुभव पर यान न देकर वाभािवक प से काय करते ह ।
वे यि क ता कािलक आव यकताओ ं से भी संबंिधत होते ह जैसे भोजन, पानी, आिद । ि तीयक पुर कार
वे ह जो ाथिमक बलक के साथ अपने सबं धं के कारण उ ीपक बन जाते ह, या तो ाथिमक परु कार क
बार बारता का संकेत करते ह या उनके साथ जुड़ जाते ह जैसे – शंसा, शाबाशी देना, मु कराना आिद । पुर कार
कई कार के हो सकते ह :
•
या मक पुर कार - या मक परु कार ब च के ारा पसंद िकए गए पदाथ एवं सामान ह, जैसे
– कंचे, गद, पतगं , चिू ड़याँ आिद ।
• सामािजक पुर कार – सामािजक परु कार ब च ारा पसंद िकए जाने वाले शंसा के श द या
इशारे ह, जैसे – अ छा, शाबाश, उ तम या गैर शाि दक जैसे – मु कराना, िसर िहलाकर सहमित
देना, गले लगाना आिद ।
• गितिविध पुर कार - गितिविध परु कार वे काय या यवहार ह िजनको करना ब चे पसंद करते ह
जैसे – संगीत सनु ना, टेलीिवजन देखना, िच बनाना, साइिकल चलाना, खेलना आिद ।
• सिु वधाएँ– िवशेष सिु वधा या िवशेष पद देना, जैसे एक ब चे को मॉनीटर, कै टन या समहू का नायक
बनाना आिद ।
• तीका मक पुर कार - तीका मक परु कार वे साम ी ह जो अपने प म मू यहीन ह पर तु अ य
चीज के साथ संबंिधत होकर मह व ा त करते ह । वांिछत यवहार का दशन करने पर उ ह ब च
को िदया जाता है, जैसे – दजा देना, बैज देना, सही का िनशान, काड या माण प , आिद ।
आप उपयु त परु कार म से िकसी एक का योग कर सकते ह पर तु याद रिखए आप को पहले यह पता करना
है िक आप िकस िलए ब चे को परु कृ त कर रहे ह । इसिलए यवहार को सधु ारने या बलन हेतु इसका योग
शु करने से पवू आपको यह जानने क आव यकता है िक िकसके िलए कौनसा परु कार योग िकया जाना
चािहए य िक अलग-अलग िव ािथय के िलए ये परु कार अलग-अलग कार का मह व रखते ह ।
कुछ िस ांत ह िजनका पुर कार का योग करते समय पालन करने क आव यकता होती है ।
• वािं छत यवहार के घिटत होने के तरु त बाद बलन उपल ध कराना चािहए ।
• ारि भक तर पर िनधा रत यवहार हेतु येक बार बलन दीिजए तथा बाद म परु कार हेतु ेरणा
को थिगत करना सीखने के िलए ब च को िश ा देने हेतु परु कार क आवृि को धीरे -धीरे कम
क रए ।
• िनधा रत यवहार को ा त करने के प चात् िवरामी बलन का योग क िजए ।
18
•
या मक परु कार हेतु सुिनि त आदत को कम करने के िलए या मक परु कार के साथ सामािजक
पुर कार या अ य ि तीयक परु कार को जोिड़ए ।
• धीरे -धीरे आ म बलन को लागू क िजए ।
एक उदाहरण के प म िन निलिखत प रि थितय म हम बलन देने का गहन प म अ ययन करना है ।
राधा एक प र मी छा ा है । वह हमेशा क ा म पढ़ाए जाने वाले पाठ को तैयार करती है एवं िनयिमत प से
क ा म उपि थत रहती है । जब कभी अ यापक क ा म न पछू ते ह या काय देते ह, राधा हमेशा अपना हाथ
उठाती है । अब जबिक अ यापक उस पर यान नह दे पाते ह या उससे उ तर देने को नह कहते ह उसने अपना
हाथ उठाना बंद कर िदया है और क ा म भाग लेने के िलए ेरणा नह महसूस करती है ।
हाॅं ! िबना उपयु त बलन के वांिछत यवहार कायम नह रह पाता है और नया यवहार सीखना संभव नह
होता है ।
सही यवहार को पुर कृ त करने क िविध के ारा इस कार के यवहार क आवृि को बढ़ाया जा सकता
है । मेहता सर ने घोषणा क , “सभी िव ाथ जो िबना एक बार भी के दौड़ को पूरा करते ह, एक खेल
िवषय पर िवशेष बैज ा त करगे । ” तीस िव ािथय ने दौड़ म भाग िलया और यादातार ने िबना के
दौड़ पूरा िकया । मेहता सर उन िव ािथय क पहचान नह कर पाए जो बीच म एक या अिधक बार के ।
वह िकसी को भी पुर कार नह दे पाए । या आप सोचते ह िक ये िव ाथ अगली बार मेहता सर के
िनदश का पालन करगे ? संभ वत: नह ! य िक वे सफल िव ािथय को पुर कार देने के अपने वादे को
पूरा नह कर पाए ।
ि याकलाप – 4
उन प रि थितय का चयन क िजए िजनम ाथिमक बलक जैसे भोजन एवं पानी सवािधक उपयु त ह गे ।
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19
आ म-िनरी ण अ यास – 3
िन निलिखत का िमलान क िजए –
1
वांिछत यवहार हेतु ता कािलक बलन
2. लि त यवहार
जाता है
3.
क
येक बार बिलत िकया ख
या मक परु कार के उदाहरण ह-
ग
ारंिभक चरण म
ब च ारा पसंद क जाने वाली सामि याँ
जैसे – पतंग, कंचे, गद, आिद ।
बलन देने का िस ांत ।
4. गितिविध परु कार वे काय या यवहार ह जो घ
िव ािथय के ारा पसदं िकए जाते ह जैसे -
एक ब चे को समहू का मॉनीटर बनाना,
आिद ।
5. िवशेष सुिवधा या िवशेष पद देने म इस कार ड
क चीज हो सकती ह
सगं ीत सनु ना, टेलीिवजन देखना, खेल
खेलना, आिद ।
या सभी प रि थितय म सुिनि त चीज को अनवरत उपल ध कराते रहना बिु मानी है ? नह , इसिलए
सिु नि त बलक को सामािजक बलक के साथ िमलाना अ य त आव यक है । यह धीरे -धीरे सुिनि त
बलक को कम करने म सहायक हो सकता है । छोटे ब च के मामले म सिु नि त परु कार बेहतर काय कर
सकते ह ।
1.5.2
ोध पर िनयं ण
हम िन निलिखत प रि थित का अवलोकन करना चािहए :
शमीम अहमद क ा – 8 म क ा यापक ह । वे लड़ाई-झगड़े एवं एक-दसू रे को परे शान करने वाले कुछ
िव ािथय क पहचान करते ह । वे िव ाथ तब ाय: दसू र के साथ िच लाने, मारने एवं ध का देने म िल त
रहते ह जब भी वे गु से म होते ह । शमीम अहमद ने इन िव ािथय को कुछ िशिथलन अ यास म िशि त
िकया और उनसे आँख एवं मँहु बंद करके िकसी अ छे िबंदु पर यान लगाने को कहा । एक महीने के बार-बार
अ यास के बाद िव ािथय का उ तेजक यवहार कम हो गया ।
उपयु त प रि थित म, ब चे के उ िवचार /भावनाओ ं को स नता वाले भावनाओ/ं िवचार के साथ बदलकर
उसक सहायता क गई है । यह िव ािथय को िसखाने म सहायता करता है िक वे अपने यवहार को िनयंि त
करने का यास कर सकते ह और प रि थित का भावशाली ढंग से सामना कर सकते ह । दसू रा उदाहरण
“रॉिबन, ि डर और डॉलिनक (1976) क “Turtle” (टटल) तकनीक है िजसम िश क उ तेिजत िव ािथय
से कछुए क ि थित क क पना करने को कहते ह जब वे िव ाथ अशांत होते ह । िव ाथ अपने िसर को
डे क (मेज) पर रखना, अपनी आँख ब द करना और मु ी को जोर से बंद करना सीखते ह । यह उनको ोध
उ प न करने वाली प रि थितय म ता कािलक िति या देता है और एक उपयु त यवहार म लगे रहने तथा
संरचना मक समाधान को सोचने यो य बनाता है । इसका मु य उ े य आवेगी िति या म िवल ब करने हेतु
िव ािथय को िशि त करना है, धीरे -धीरे जब वे िशिथल हो जाते ह तब उ ह संरचना मक िवक प के बारे
म सोचने के िलए कहा जाता है ।
20
1.5.3 योग और यान
योग एवं यान, एका ता तथा ोध िनयं ण म सधु ार के साथ-ही-साथ शरीर एवं िदमाग को अनश
ु ािसत करने
के िलए भी भावशाली माने गए ह । योग एवं यान भारतीय िव ालय क पाठ्यचया के एक आव यक िह से
के प म िनदिशत िकए गए ह लेिकन इनका योग इन तकनीक म सही कार से िशि त अ यापक के ारा
ही िकया जाना चािहए । इन तकनीक म अ छी तरह से िशि त यि य के ारा िव ालय म िव ािथय
हेतु योग एवं यान का िनयिमत काय म चलाया जा सकता है । योग एवं यान के िवषय म “माड्यूल -2” म
“वैकि पक िचिक सा” नामक इकाई म िव तार से चचा क गई है ।
1.5.4 समक सािथय से मदद
ब चे अपने सािथय से बहत कुछ सीखते ह । िव ािथय के अिधगम एवं यवहार म सधु ार हेतु “समक
सािथय से सीखना” एवं “समक सािथय से मदद” भावशाली िस हए ह । िश क नेतृ व गणु से यु त
िव ािथय क पहचान कर सकते ह जो दसू र क मदद करने के िलए इ छुक एवं े रत होते ह । यान से
सनु ने के कौशल म िश ण लेने के बाद वे अपने सहपािठय क िवषय से संबंिधत और अ य सामािजक या
यि गत सम याओ ं को सल
ु झाने म सहायता कर सकते ह । एक िशि त परामशदाता िव ािथय के िलए
“समक सािथय के िलए सहायक” अिभिव यास/ िश ण काय म आयोिजत करने म िश क क सहायता
कर सकता है ।
1.6
आ म- बं ान
यह सुिनि त है िक िव ािथय को आ म-िनयं ण या आ म- बंधन म िशि त िकए जाने क
आव यकता है । जब तक िव ाथ वयं अपने यवहार को बदलने के िलए सि य प से भाग नह लेते
ह और अनुशासन को कायम रखना नह सीखते ह तब तक कोई भी बा दबाव सफल नह होगा । इस
कार आ म-अनुशासन का ता पय एक अनुशािसत िदमाग एवं आदत का पालन करना है । एक आ म
अनुशािसत िव ाथ अपने तरीके से काय करने के िलए वयं को मु त समझ सकता/ती है लेिकन वह
िनि त सीमाओ ं के बाहर नह जाता/ती है । यह एक आ त रक मता है जो िकसी भी प रि थित म सही
कार से काय करने के िलए यि को े रत एवं ो सािहत करती है । अब हम कुछ आ म- बंधन/
आ म- बोधन (Monitoring) िविधय के िवषय म िवचार-िवमश करगे ।
ये िविधयाँ अिधक सफल हो सकती ह यिद सव थम िव ािथय को एक अनश
ु ािसत जीवन जीने के िलए िनयम
एवं अनदु श
े न का पालन करने एवं अिधक िनयोिजत एवं यवि थत होने के लाभ को समझने के िलए े रत िकया
जाये । यिद कोई सम या है तो उसम प रवतन लाने के िलए तैयार उसे करना है । एक बार जब ेरणा एवं इ छा का
अक
ं ु रण हो जाता है तब प रवतन ज दी होता है और दीघ अविध तक रहने क संभावना होती है । आ म- बंधन
म आ म-िनरी ण एवं आ म-सचू ना िनिहत होती है । ब चे को एक समय-सचू ी के अनसु ार आदत को िगनने
या िनयिमत करने के िलए िश ण िदया जाता है या िदशा िदखाई जाती है । इस तरह क योजनाएँ सफल रहती
ह य िक अपने यवहार को अ छी तरह से देखने क ि या म उ ह पता लग जाता है िक उ ह या प रवतन
करने क आव यकता है । िव ाथ सम या मक यवहार एवं इसके कारण को समझते एवं महसूस करते ह जो
21
उ ह उनके काय एवं िवचार म प रवतन लाने हेतु पहल करने म सहायक होता है । यह अ त ि िव ािथय को
उनके दैिनक जीवन के यवहार को देखने म मदद करती है ।
हम िन निलिखत उदाहरण का अ ययन करना चािहए ।
ल मण क ा – 7 का िव ाथ है । वह बार-बार िखड़क से बाहर देखता है और इस कार अपनी एका ता
खोता है । इसके प रणाम व प वह क ा म ासंिगक प रचचा का अवसर खो देता है ।
क ा – 8 का एक िव ाथ ह र क ा म अपनी डे क (मेज) पर बैठे साथी से सदैव बातचीत करता रहता है और
िश क उसे ऐसा करते हए पकड़ते ह, इस कार पाठ पढ़ाने म यवधान उपि थत हो जाता है और अ य िव ाथ
असहाय होकर देखते ह ।
ल मण और ह र समझ नह पाते ह िक िकस कार उनके यवहार से अ य िव ाथ परेशान हो रहे ह ।
उपयु त प रि थित म या आप अनमु ान लगा सकते ह िक एक िश क ल मण एवं ह र को अपने म सुधार करने
के िलए िकस कार से सहायता कर सकता है ?
यिद िश क ह र और ल मण को अपने यवहार के िनरी ण हेतु िदशा िदखाता है तब वह ह र से िजतनी बार
वह अपने सहयोगी से बात करता है, उसे डायरी िवि के िलए कहता है और उसका िनरी ण िकया जाता है
। इसी कार ल मण िजतनी बार िखड़क से बाहर क तरफ देखता है, उसे िलखने के िलए कहा जाता है । ह र
ने िलखा िक येक पी रयड म जब वह बात कर रहा था तब पाँच से सात बार िश क ने उसे देखा । ल मण ने
भी िलखा िक उसने कम-से-कम दस बार िखड़क से बाहर क तरफ देखा । उन दोन से अपने यवधान उ प न
करने वाले यवहार का रकाड रखने को कहा गया । तब उनसे िश क ारा िनरी ण करने क आवृि को
कम करने तथा अ ययन म अपने नंबर के सधु ार के िलए येक िदन यवधान उ प न करने वाले यवहार को
कम करने को कहा गया । िश क ने यान िदया िक ल मण एवं ह र ने अपने दु यवहार को कम कर िलया है
और क ा म उनक एका ता म सुधार हआ है ।
वे प रवतन जो ह र एवं ल मण के ारा अपने यवहार का िनरी ण करने के प चात् घिटत हए उसे आ मब धन के नाम से जाना जाता है ।
1.6.1 आ म – अनुदेशन
आ म – अनुदश
े न के ारा अपने िवचार पर िनयं ण करने क इस िविध को “जोर से/गहन प से सोचना”
(think aloud) कहा जाता है । आ म-शाि दक अिभ यि , वैकि पक िति या िवकिसत करना, कारण एवं
भाव को जानने म िव ािथय क सहायता करना, आिद वे िविधयाँ ह जो िव ािथय को आ म-संयम िवकिसत
करने म सहायता करती ह ।
एक िश क आ म-सयं म को िवकिसत करने या बढ़ाने के िलए िव ािथय से िन निलिखत कथन का िनयिमत
अ यास करने के िलए कह सकता है ।
22
• वयं पर िनयं ण कर सकता/सकती हँ ।
• िम बना सकता हँ ।
• ठीक हँ ।
•
•
•
िबना सहायता के सीख सकता हँ ।
समथ हो सकता हँ ।
सफल हो सकता हँ ।
इन सकारा मक िवचार के अनवरत अ यास के साथ िव ाथ अपने ल य को हािसल करने के िलए आव यक
याे यता अिजत कर सकते ह ।
1.6.2 आ म- कटीकरण
अपने आपकाे य त करने का अवसर दान करना आ म- कटीकरण कहलाता है । यह एक सरु ि त वातावरण
म अपने गुण , सीमाओ ं एवं सम याओ ं के िवषय म प रचचा करने म एक यि के िलए सहायक होता है ।
उदाहरण
िव ालय के धाना यापक फ़ादर थाॅमस हमेशा आ म-संयम म िव वास रखते ह । वे यि गत प से एवं समूह
म ब च क सम याओ ं के बारे म िवचार-िवमश हेतु बहत समय देते ह । उनका िम वत् यवहार िव ािथय को
अपनी अ छी एवं बरु ी आदत को उनके सामने कट करने म ो सािहत करता है । िव ाथ उनके साथ अपनी
बरु ी आदत से छुटकारा पाने के तरीक क जानकारी के िलए िवचार-िवमश हेतु भी उ सािहत होते ह ।
परामश के दौरान आ म- कटीकरण का यह ता पय है िक एक िश क या परामशदाता िवचार-िवमश क जा
रही सम या या मामले से संबंिधत अपने यि गत अनभु व को कट करता है िजसका एक िचिक सीय मह व
है और वांिछत यवहार हेतु एक ितमान के प म भी काय करता है ।
ि याकलाप – 5
िन निलिखत िविधय का योग करते हए अपनी क ा म अनश
ु ासन कायम करने के िलए येक म एक
गितिविध दीिजए िजसका आप योग करगे :
तकनीक
गितिविध
आ म- बोधन
टटल (Turtle) िति या
आ म-अनुदश
े न
योग एवं यान
आ म- कटीकरण
1.6.3 आ म-आँकड़े अथवा डायरी िवि
डायरी िवि एक अ य िविध है िजसका योग िकसी के यवहार के िवषय म जानकारी ा त करने हेतु िकया
जा सकता है । िव ािथय के दैिनक जीवन क सभी मह वपणू घटनाओ ं एवं प रि थितय को तथा अपने
23
यवहार के िवषय म जो कुछ वे अ छा महससू करते ह और उस यवहार को िजसम वे सुधार करना चाहते ह,
यह सब िलखने के िलए कह करके इस अ यास को लागू िकया जा सकता है । अगले कुछ महीन म उनसे उनक
िलखी हई डायरी एवं उस यवहार का रकाड िजसम वे सधु ार करना चाहते ह, उसे अ छी तरह से िनरी ण करने
के िलए कहा जा सकता है और यवहार म सधु ारीकरण हेतु िश क के साथ प रचचा करना है ।
ि याकलाप – 6
िव ािथय से कुछ यवहार क सचू ी बनाने के िलए किहए िजसे आ म-सधु ार हेतु वे अपनी डायरी म िलख
सकते ह ?
• आज 10 िमनट िवल ब से िव ालय पहँचा, म पनु : कभी भी िवल ब से नह पहँचँगू ा ।
• अपने साथी से कठोरता से बोला, आज से म िवन ता से बोलँगू ा ।
• ---------------------------------------------------------------------------------• ............................................................................................................
इस कार क बहत-सी बात हो सकती ह और सचू ी कभी भी समा त नह होगी । डायरी को िलखने/िवकिसत
करने क कोिशश क िजए ।
1.7
अनुशासन को सुधारने हेतु परामश उपागम
ब च के दु यवहार को ठीक करने म परामश को बहत सहायक माना गया है । परामशदाता इसक शु आत एक
गमजोशी एवं उ मु त वातावरण को उ प न करके कर सकता है जो ब चे के दु यवहार करने क आव यकता
को यूनतम करे गा एवं उसे अपनी नकारा मक भावनाओ ं को वतं प से य त करने के िलए अवसर दान
करे गा । परामश सबं धं का एक ितमान के प म योग के ारा िश क इसका उपयोग िव ािथय के साथ
अपने अ यो यि या क गणु व ता म सधु ार एवं दु यवहार हेतु उनके मनोबल को कम करने के िलए कर सकता
है । िश क परामशदाता दोषी को यि गत या समहू प रि थितय म अपनी िनकृ ट या नकारा मक भावनाओ ं
को य त करने के िलए अवसर उपल ध करगे । तक यह है िक दु यवहार िनकृ ट भावनाओ ं को दबाने से घिटत
होता है िजसे बाहर िनकालने क आव यकता होती है । यिद इ ह चेतना के तर पर लाया जाता है तब दु यवहार
क मूल वृि को कम िकया जा सकता है (िविलयमसन, 1955) ।
परामश स का योग ब चे के घर के वातावरण के व प (गमजोश, अशांित) को समझने के िलए िकया
जा सकता है। घर के वातावरण को अनुशासन हेतु अनक
ु ू ल बनाने म सधु ार के िलए माता-िपता को मागदशन
उपल ध करा कर िकया जा सकता है । अनश
ु ासन हेतु वातावरण के िनमाण म िव ालय का दशन, इसके िनयम
एवं थाएँ तथा अ यो यि या शैली का भी योगदान होता है । परामशदाता ब चे ारा सामना क जाने वाली
िव ालय से सबं िं धत किठनाइय क पहचान करके , ब च क आव यकताओ ं को परू ा करने वाली पाठ्यचया
के िनमाण म योगदान दे करके , सीखने वाल के िलए िव ालय को एक संतोषजनक थान के प म थािपत
करके उनक सहायता कर सकता है ।
24
अनसु ंधान अनुशािसत यवहार को ो सािहत करने के िलए अनुशासन क ि या म िव ािथय क सि य
सहभािगता का समथन करते ह (मफ , 1995, ॉफ , 1985) । अनुसधं ान यह भी सक
ं े त करते ह िक वा तव म
िव ािथय को उ तरदािय वपणू यवहार एवं आ म- बंधन का िश ण उ ह अनश
ु ािसत करने म मददगार हो
सकता है (गैलागर,1997, गॉट े डसन एडं हायबल,1993, शॉक एडं सेिवयर,1991, काइल 1991)। डोलाड,
ि टे सेन, को यूसी एडं इपेि चन (1996) ने खोज िकया िक िव ािथय को उनके यवहार के िवषय म यादा
िज मेदारी दान करना न के वल सामा य ब च म बि क िवशेष आव यकता वाले ब च के मामले म भी
मह वपणू पाया गया ।
अनश
ु ासनह नता को दरू करने म एक अ य कदम इसक रोकथाम हो सकती है । सम याओ ं के उ प न होने से
पहले उनक रोकथाम करना बहत मह वपणू है । रोकथाम क योजनाओ ं के िबना यि अ पकालीन समाधान
के अ तहीन च म फँ सकर रह जाता है । क ा के िनयम िनधा रत करना, उ तरदािय व िनधा रत करने क
ि या आिद शु आती कदम ह । दु यवहार के पल का सामना करने के िलए ायोिगक योजनाओ ं के साथ
तैयार रहना भी बहत मह वपणू है । यान ा त करने क इ छा, शि का अ यास, बदला, प रवजन, आवेग
तथा अ ेरक यवहार आिद का भावशाली ढगं से सामना करने के िलए िविभ न योजनाओ ं क आव यकता
होती है।
और भी, उिचत यवहार के चयन हेतु िव ािथय को आव यक समथन देना बहत मह वपणू है । अनश
ु ासन
क ि या म िज मेदारीपूण यवहार का िश ण, क ा म स ावपणू वातावरण क थापना एवं िव ािथय
क सि य सहभािगता ता कािलक प रि थित का सामना करने म मु य ह िजनक प रणित समाज के अनक
ु ूल
यवहार के प म होती है । कभी-कभी माता-िपता का सहयोग भी िवघटन म वैकि पक यवहार के चयन हेतु
आव यक होता है । इसके अित र त जब िव ािथय का िव ालय से सकारा मक सबं धं होता है तब िहसं ा को
रोका जा सकता है (फरल ग, मॉरीसन एंड पैवे क , 2000) । सकारा मक िश क-िव ाथ संबंध िव ालय के
ित िव ािथय के अनक
ु ू ल अिभवृि को ो सािहत करता है । यवहार पर वािं छत ितबंध ढ़ एवं उपयु त
िविधय के साथ-साथ ेम, समझ एवं गमजोशी को उपल ध कराकर िव ािथय म आ म-अनश
ु ासन को
िवकिसत करने क न व (आधारिशला) डाली जा सकती है।
1.8
सारांश
क ा के अदं र और बाहर का अनश
ु ासन िश क एवं मागदशक परामशदाताओ ं के िलए मु य िचंता का िवषय
है । क ा म अनश
ु ासन के िबना िश क को अिधगम का प रणाम ा त करने म मिु कल होगी । अनुशासन
के िबना िकसी भी िव ाथ को उसके ल य को हािसल करने म सहायता नह दी जा सकती है । िव ालय म
अनश
ु ासन को कायम रखने म मागदशक परामशदाता तथा अ यापक मह वपणू भिू मका अदा कर सकते ह ।
एक मागदशन एवं परामश उपागम बा प से आरोिपत अनश
ु ासन का बल िवरोध करता है । मागदशन
उपागम ब चे को समझने, अनश
ु ासन क सम या के कारण तथा अपने यवहार को िनयिं त करने हेतु यि
को सश त बनाने पर बल देता है ।
25
िववािदत िनयम, िनयम म प टता क कमी, अ िचकर गितिविधयाँ, असफलता का अनभु व, घर का अि य
वातावरण, िव ालय सगं ठन क गणु व ता और सामािजक-आिथक कारण, अनुशासनह नता क सम याओ ं के
कारण क पहचान करना एवं िव लेषण करना तथा रोगोपचारीय तरीक को अपनाना सहायक हो सकता है ।
एक व थ िश ण वातावरण के िनमाण हेतु अनुशासन बहत मह वपणू है । अनश
ु ासन कायम करने के िलए
यं य का योग, ोिधत होना, गलत िट पणी, िव ािथय को धमक देना, छोटे-छोटे मामल को अिधका रय
को बताना, आिद का योग नह करना चािहए । िनयम म प टता, भाषा एवं स ेषण, िनयिमतता एवं ढ़ता,
िव ािथय के मनोवै ािनक एवं शारी रक आव यकताओ ं क देखभाल करना, आिद कुछ अ य त व बीज ह
जो अनुशासन को कायम रखते ह । कुछ अ य भावशाली तरीके बीच-बीच म िश ण क िविधय म प रवतन,
खेल का इ तेमाल करना, नो तरी, हास-प रहास करना आिद ह ।
बलक वािं छत यवहार क आवृि को बढ़ाते ह । अिधगम को सरु ि त रखने के िलए सश त परु कृ त करने
वाले प रणाम को उपल ध कराने क आव यकता है । बलन क सहायता से आ म-अनश
ु ासन को बेहतर ढंग
से कायम िकया जा सकता है । बलन दान करने के िविभ न िस ांत भावशाली प रणाम दे सकते ह ।उ ,
िलंग, सं कृ ित एवं वैयि क वरीयताओ ं के आधार पर बलक का चयन िकया जा सकता है ।
इस इकाई म िव ािथय को अनुशािसत करने के िलए आ म-अवलोकन, आ म-अनुदेशन, आ म- कटीकरण,
डायरी िवि , योग एवं यान, समक सािथय से मदद आिद तकनीक तुत क गई ह ।
आ म-मू याक
ं न अ यास
1. क ा म अनुशासन कायम करने के िलए िक ह पाँच तरीक का उदाहरण के साथ वणन क िजए ।
2. िविवध कार के परु कार या ह िजनका िश क या अिभभावक ब च को अनुशािसत करने के
िलए योग कर सकते ह ?
3. बलन क िविवध समय-सूिचयाँ या ह िजनका क ा म योग िकया जा सकता है ? उदाहरण के
साथ या या क िजए ।
4. अपने िव ािथय के साथ आ म-अनुशासन क िक ह दो तकनीक क या या क िजए और उसके
प रणाम के िवषय म िलिखए ।
आ म – मू यांकन अ यास के उ तर िबंदु
1.
िन निलिखत क या या क िजए –
• अनश
ु ासन बा साधन जैसे िश क या अ य वय क के ारा बताकर या ब च को आ म-िनयं ण
या आ म- बधं न के िश ण के ारा कायम िकया जा सकता है ।
• िक ह पाँच बा तकनीक क उदाहरण के साथ या या करना ।
2.
िन निलिखत क या या क िजए –
26
•
या मक परु कार
• सामािजक परु कार
• गितिविध परु कार
• सिु वधाएँ
• तीका मक परु कार
3.
िन निलिखत समय-सिू चय क उदाहरण के साथ या या क िजए –
• अनवरत बलन समय-सचू ी
• अश
ं ीय बलन समय-सचू ी
• िनि त अनुपात
• अिनि त अनपु ात समय-सचू ी
• िनि त अ तराल
• अिनि त अ तराल समय-सचू ी
4. िक ह दो आ म-अनश
ु ासन क तकनीक जैसे आ म-अनुदेशन या आ म- कटीकरण क या या
क िजए और बताइए िक वे िकस कार से आपके िव ािथय के िलए लाभदायक ह ।
आ म-िनरी ण अ यास के उ तर िबंदु
आ म – िनरी
1
2
3
4
5
-
ण अ यास – 1
गलत
सही
गलत
सही
सही
आ म – िनरी
1
2
3
4
-
ण अ यास – 2
ब
द
अ
स
आ म – िनरी ण अ यास – 3
1
स
27
2
3
4
5
-
अ
ब
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30
2
एक मागदशन काय म क योजना बनाना एवं
आयोिजत करना - II
2.0 प रचय
2.1 उ े य
2.2 मागदशन काय म : मागदशन सेवाओ ं का काया वयन
2.3 एक मागदशन काय म क योजना बनाना
2.4 काय म बंधन को समझना
2.4.1 कमचारी, िव एवं सिु वधाओ ं का ब ध करना
2.4.2 सहायता करने वाली गितिविधय का ब ध करना
2.5 मागदशन काय म के काया वयन ितमान
2.6 एक यापक िव ालय मागदशन काय म
2.7 एक मागदशन काय म आयोिजत करना
2.7.1 ाथिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
2.7.2 मा यिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
2.7.3 उ चतर मा यिमक तथा व र ठ मा यिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
2.8 सारांश
आ म-मू याक
ं न अ यास
आ म-मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
आ म–िनरी ण अ यास के उ तरिबंदु
संदभ पु तक
पठनीय पु तक
वेबसाइट्स
32
2.0 प रचय
िव ालयी मागदशन को ब च एवं यवु ाओ ं के िलए एक शैि क दशन तथा स पूण िवकास हेतु काय म को
चलाने के प म देखा जा सकता है । आपको पता है िक एक दशनशा के प म मागदशन इस िव वास
पर कायम है िक येक यि मह वपणू एवं असाधारण है और उसे सहायता क आव यकता है । इसे एक
काय म के प म लागू करने के िलए आपको एक िवशेष मागदशन एवं परामश काय म क योजना बनाने
एवं आयोिजत करने क आव यकता होगी जो िव ािथय क सामािजक, संवेगा मक, शै िणक एवं कॅ रयर
आव यकताओ ं के अनु प हो और उ ह जीवन क आव यकताओ ं को हािसल करने हेतु तैयार कर सक ।
समय के साथ िव ालय मागदशन काय म क कृ ित म प रवतन आया है । पहले समय म िव ालय के
परामशदाता के वल कुछ सम या मक मामल क आव यकता पर यान देते थे पर तु अब वे मागदशन सेवाओ ं
के एक सम े को उपल ध करा रहे ह जो ाथिमक क ा से लेकर बारहव क ा तक के िव ािथय क
िवकासा मक आव यकताओ ं को यान म रखते हए तथा वैयि क उ े य िनधा रत करने, भावी योजनाओ ं के
िवकास एवं सम याओ ं को दरू करने म उनक सहायता करने के िलए क ा अ यो यि या, सही कार से योिजत
मागदशन काय म को ततु करने म लगे रहते ह ।
पहले क इकाई म िदए हए िविभ न मागदशन एवं परामश सेवाओ ं तथा गितिविधय से आप प रिचत ह गे । इस
इकाई म आपको इस बात से प रिचत कराया जाएगा िक एक परामशदाता के प म आपको इन काय म को
िकस कार योग म लाना है, वे कौन सी बात ह िजन पर यान देना बहत ज री है, आप िकसक और कहाँ से
सहायता लगे तथा आप िकस कार से संसाधन का संचालन करगे ।
यह इकाई तीन िव ालयी तर – ाथिमक, मा यिमक तथा उ चतर मा यिमक म से येक तर पर कुछ
िनदशना मक गितिविधय को उपल ध कराने के उ े य पर आधा रत है जो आपको आपके िव ालय के
ससं ाधन एवं आव यकताओ ं के अनसु ार मागदशन एवं परामश क योजना बनाने एवं ि या वयन म मागदशन
करे गा ।
2.1 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के प चात् आप िन निलिखत िबंदओ
ु ं को समझने म स म ह गे :• िव ालय म एक मागदशन काय म क योजना के चरण के नामिनदशन म,
• िव ालय के िविभ न तर पर मागदशन काय म के ारा िव ािथय म िविवध यो यता एवं मता
को िवकिसत करने क पहचान करने म,
• िव ालय के िविभ न तर पर िव ािथय म पहचान क गई मताओ ं को िवकिसत करने के िलए
उपयु त काय म के साथ मागदशन काय म क परे खा बनाने म ।
33
2.2 मागदशन काय म : मागदशन सेवाओ ं का काया वयन
एक मागदशन काय म म िव ािथय , अिभभावक , िश क तथा िव ालय शासन क सामिू हक सहभािगता
आव यक होती है जो यि गत प से िव ाथ क आव यकताओ ं के साथ-ही-साथ सं था क आव यकताओ ं
के अनु प होती है । माॅड्यल
ू 1 के इकाई 1 म पहले से ही चचा िकए जा चुके मागदशन के उ े य को संभवत:
ा त िकया जा सकता है यिद िव ालय का मागदशन काय म मागदशन क िविवध सेवाओ ं को िमि त करते
हए एक सम प म हो । एक मागदशन काय म म अिभिव यास, कॅ रयर सूचना, सलाह, अ ेषण, परामश
िनयोजन, फॉलो-अप तथा मू यांकन से स बि धत िनवेश क आव यकता होती है । मॉड्यल
ू 1 के इकाई 2 म
इन घटक म से येक के िलए मागदशन गितिविधय का वणन िकया गया है ।
य िप मागदशन एवं परामश को िव ालय काय म के उ े य को हािसल करने के िलए एक आव यक घटक
के प म माना गया है पर तु अभी भी इसे एक प ट पहचान नह िमली है । िकसी भी देश के िव ालय म
मागदशन एवं परामश को िविभ न तरीक से आयोिजत िकया जाता है । यह इकाई िव ालयी परामश काय म
क एक िव तृत परे खा ततु करती है । ASCA का रा ीय ितमान (ASCA,2003) इस सदं भ म कुछ
िनदश को ततु करता है । यह ितमान तीन मु य े – शै िणक उपलि ध, कॅ रयर योजना तथा वैयि क
– सामिजक िवकास हेतु साम य बढ़ाने के ो साहन के उ े य पर आध रत है । यह इस बात पर भी बल देता है
िक एक सम काय म को िव ालय के येक िव ाथ क आव यकताओ ं को यान म रखने क ज रत होती
है । इस कार ब चे का स पणू िवकास सबसे आगे होता है और यह परामशदाता तथा शैि क कमचा रय के
बीच पल
ु का काम करता है ।
यह काय म िव ािथय के िवषय म अ त ि ा त करने के िलए िश क , िचिक सा कमचा रय एवं टाफ
के अ य सद य का एक सामिू हक यास भी होता है । मागदशन काय म का एक अ य भाग अिभभावक ,
िश क एवं अ य बिु जीिवय को सलाह दान करना है तथा सामदु ाियक एजेि सय से स ब ध थािपत करना
है । इसी कार काय म का मू यांकन, आकंड़ का िव लेषण, फॉलो-अप और मागदशन संसाधन का अनवरत
िवकास एवं आधिु नक बनाना आिद अ य काय एक परामशदाता के ारा िकए जाते ह ।
लेिकन िकसी अ य शैि क काय म के समान मागदशन काय म क भी सावधानीपणू योजना बनाने क
आव यकता होती है । सीिमत संसाधन के मामल म आपको उन मागदशन आव यकताओ ं को पहचानने एवं
वरीयता देने क आव यकता होगी िज ह आप ि याि वत करना चाहते ह । यह इस बात को सिु नि त करे गा
िक िकस गितिविध को आप अपने काय म म अिधक मह व देना चाहते ह जो बदले म यह सुिनि त करे गा
िक मागदशन काय म सं था एवं िव ािथय क उन िविश ट आव यकताओ ं के ित जवाबदेह है िजनके िलए
इसका ब ध िकया गया है ।
2.3 एक मागदशन काय म क योजना बनाना
एक मागदशन काय म िवशेष प से उि लिखत िव ािथय के तीन े – वैयि क-सामािजक िवकास,
शैि क- शैि कवष िनमाण तथा कॅ रयर यावसाियक योजना के प रणाम क ाि म िवकासा मक, अानु िमक
एवं के ि त है । यिद मागदशन काय म को िव ािथय , िश क एवं अिभभावक पर आरोिपत िकया जाता है
34
तो वे इसे वीकार नह करगे और इस कार यह भावी नह होगा । मागदशन काय म को भावशाली एवं
वीकृ तयो य बनाने के िलए इसे येक िव ाथ को लाभ पहँचाने के उ े य पर आध रत होना चािहए । काय म
का ल य िव ालय के दशन एवं उ े य के समाना तर होना चािहए और शैि क उपलि ध, कॅ रयर योजना तथा
वैयि क –सामािजक िवकास को ससु ा य बनाने म सहायक होना चािहए ।
1- आव यकता का आकलन
थम चरण के प म आपको अपने िव ालय म परामश और मागदशन सेवाओ ं क आव यकता के आकलन
का बंध करना होगा । इसिलए एक मागदशन काय म क योजना म आव यकताओ ं का आकलन सबसे
मह वपणू गितिविध हो जाती है । आव यकता के आकलन का तीन कार से मह व है (भटनागर एंड गु ता,
1999)् ।
• यह एक मागदशन काय म के िवशेष उ े य पर यान के ि त करता है ।
• यह एक ‘शु आती िबंद’ु िनधा रत करता है तथा
• यह मागदशन काय म के योजना चरण म सहभािगय से स बंिधत मनोवै ािनक प से सश त
िस ात को िनयोिजत करता है । रमर एडं बट (1980) ने िव ालय परामशदाताओ ं के िलए योग पर
आधा रत चरण-दर-चरण आव यकता आकलन क योजना उपल ध कराई है ।
थम चरण : योजना सिमित का िनमाण
िव ालय म मागदशन काय म के ल य एवं उ े य को रे खांिकत करने के िलए पहला चरण अिभभावक ,
िव ािथय , िश क , िव ालय बंधन ितिनिधय आिद को िमलाकर एक योजना सिमित का गठन
करना है । िव ालय परामशदाता िव ालय मुख क सलाह से सिमित के सद य क पहचान कर सकता
है, िविभ न सद य क भूिमका एवं उ तरदािय व क परे खा तैयार कर सकता है और िव ालय स के
िलए काय क योजना बना सकता है ।
ि तीय चरण : मागदशन काय म के उ े य को प रभािषत करना
योजना सिमित के गठन के प चात् मागदशन काय म के िव तृत उ े य को प रभािषत करने का काय
िकया जाता है । ये उ े य िव ालय और िव ािथय क आव यकताओ ं से उ प न होते ह । उदाहरण
के िलए एक मागदशन काय म का उ े य िव ालय म बीच म पढ़ाई छोड़कर जाने वाले िव ािथय के
अनुपात को रोकने के िलए हो सकता है । इस कार का उ े य अनु ीण होने वाले या िन न तरीय उपलि ध
वाले िव ािथय को शैि क मागदशन या अिभभावक य मागदशन क आव यकता से िनकलकर आ
सकता है । इस कार के उ े य मागदशक अ यापक / परामशदाता को मागदशन काय म म गितिविधय
क योजना बनाने म सहायता दान करगे िजसम िव ालय छोड़ने वाल क पहचान करना, िव ािथय
क सम याओ ं एवं अ य गितिविधय के स ब ध म िश क को िदशा-िनदश देना शािमल हो सकता है
िजस पर इस इकाई म बाद म चचा क जाएगी । काय म के उ े य वा तिवक, ा त करने यो य तथा
िव ालयी यव था के दायरे के अंदर होने चािहए । वे िव ािथय क आव यकता के ित जवाबदेह होने
35
चािहए । यह बात हमेशा िदमाग म रखना चािहए िक वा तिवक आव यकताएँ हमेशा वैसी नह होती ह
जैसा िक उ ह समझा गया है । परामशदाताओ ं को यह देखना चािहए िक िव ाथ /िश क या शासक
वा तव म या चाहते ह, हो सकता है िक उ ह अपनी आव यकताओ ं के िवषय म ठीक कार से पता न
हो लेिकन जो कुछ वे चाहते ह उस िवषय म उनके िवचार सश त हो सकते ह ।
तृतीय चरण : आव यकताओ ं के आकलन हेतु तकनीक
आधारभतू आकलन क कई तकनीक ह । आपने मॉड्यल
ू 6 के इकाई 2 और 4 म इनम से कुछ के िवषय म
िव तृत प म पढ़ा है । इन तकनीक म से एक या कई िमि त या जैसा उपयु त हो वैसा योग क िजए—
•
य अवलोकन
• सिू चत यि य के साथ िवचार करना
• समहू प रचचा पर यान के ि त करना
• िव ािथय क सम याओ ं एवं आव यकताओ ं पर अ ययन का रकाड एवं रपोट तैयार करना
•
नो तरी क मदद से सव ण करना
• सा ा कार
• मनोवै ािनक परी ण /तािलकाएँ
उदाहरणाथ िव ािथय क उपलि ध म बाधक िवषय को लेकर िव ाथ ितिनिधय के साथ एक संकेि त
समहू प रचचा आयोिजत क जा सकती है । इस कार क प रचचा के आयोजन से आपको िव ािथय क
शैि क आव यकताओ ं को पहचानने म सहायता िमल सकती है । िव ािथय क आव यकताओ ं के िवषय म
सचू ना एकि त करने हेतु नो तरी एवं जाँच -सचू ी लोकि य िविधयाँ ह । मनू ी ने िव ािथय क सम याओ ं
को पहचानने के िलए सम या जाँच-सूची का िवकास िकया (मनू ी एंड गोडन, 1950) । रा.शै.अ.एवं .प. के
डी.ई.पी.एफ.ई. म मागदशन संसाधन के पर इस जाँच-सूची का भारतीय पा त रत अनुवाद है िजसम छ:
सम या मक े यथा- वा य, धन, सामािजक जीवन, घरे लू स ब ध, यवसाय, िव ालय काय से स बि धत
200 कथन ह ।
िव ािथय से उनके ारा सामना क जाने वाली सम याओ ं के सम ा सही का िच लगाने को कहा जाता है ।
कुछ कथन के नमनू े नीचे िदए गए ह –
1
बहत आसानी से थक जाता हँ ।
2
अपने िम क तल
ु ना म मेरे पास कम धन है ।
3
लोग के साथ घल
ु ने-िमलने म परे शानी होती है ।
4
घर म मेरे साथ एक ब चे के समान यवहार िकया जाता है ।
36
5
मझु े िच ता है िक म लोग को िकस कार से आकिषत क ँ ।
6
दसव क ा के प चात् आगे या करना चािहए, इस िवषय म सलाह चाहता हँ ।
7
िव ालय प रचचा म म बोलने म डरता हॅूँ ।
आप इसी कार के मानक कृ त नो तरी या जाँच-सचू ी जो उपल ध हो सकती है, उसका योग कर सकते ह
या आप अपने िव ालय म िव ािथय क सम याओ ं का आकलन करने के िलए इसी कार क नो तरी
तैयार कर सकते ह ।
चतुथ चरण : उपकरण /साधन का बंध करना
िव ालय परामशदाता यि गत स पक को सुिनि त करते हए चयिनत नमनू पर साधन का बंध करता है जो
िव ािथय , अिभभावक एवं िश क से गहन सचू ना उपल ध कराता है ।
पंचम चरण : प रणाम को ि याि वत करना
आकलन क आव यकता क ि या का यह चरण िव ािथय ारा य त आव यकताओ ं को यान म रखते
हए मागदशन काय म के ि या वयन हेतु उ े य के िनधारण तथा योजना एवं काय म सहायता करता है।
मागदशन काय म के िवकास के िवषय म अिधक जानकारी क इस इकाई के भाग 2.6 म चचा क गई है ।
छठा चरण : मू यांकन एवं फाॅलो-अप
मू यांकन एवं फाॅलो-अप मागदशन काय म ारा ल य िकए गए समहू क आव यकताओ ं को परू ा करने के
िवषय म जानकारी ा त करने के िलए िकया जाता है । िव ालय म काय म को लागू कर देने के प चात् फाॅलो
–अप िकया जाता है ।
2- िव ाथ के साम य क पहचान
योजना ि या के अगले चरण म एक िवशेष तर पर यो यता को िवकिसत करने क पहचान करना है । मताएँ
ान, अिभवृि या कौशल ह जो अवलोकनीय ह और एक अिधगम प रि थित से वा तिवक जीवन क
प रि थित म आनुपाितक प रणाम के साथ थानांत रत िकए जा सकते ह । एक मागदशन काय म का िनमाण
करते समय एक परामशदाता के िलए यह मु य के िबंदु होना चािहए ।
3- काय म क सूची िवकिसत करना
योजना ि या म एक मह वपणू चरण मागदशन सेवाओ ं को सही ढंग से लागू करने के िलए काय म क सचू ी
(calendar) का िवकास करना है । काय म क एक यवि थत सचू ी परामशदाता को समय का िव लेषण
करने म सहायता दान करती है जो काय म म योग िकया जाना है । काय म क यवि थत सूची ल य
िकए गए े के उ े य , ेड के तर , िदनांक एवं गितिविधय को पहचानने म सहायता करती है। परामशदाता
के सा तािहक एवं मािसक समय-सा रणी को दिशत करती हई काय म क सचू ी को कािशत कराके
िव ािथय , टाफ, अिभभावक एवं समदु ाय को िवत रत करना चािहए तािक िव ाथ आव यकता पड़ने पर
सही समय पर उन सिु वधाओ ं का लाभ उठा सक ।
37
4- िलिखत पाठ्यचया तैयार करना
एक सम मागदशन काय म का आतं रक एवं आव यक भाग एक िलिखत पाठ्यचया तैयार करना है । िलिखत
पाठ्यचया मागदशन एवं परामश सेवाओ ं को दान करने म एक मागदशक एवं मु य द तावेज के प म काय
करता है और एक सही ढंग से िनयोिजत काय म के िलए मापद ड िनधा रत करता है । मु य प से पाठ्यचया
का िनमाण िव ािथय को शैि क, कॅ रयर एवं वैयि क िवकास के े म साम य को ा त करने, िवकिसत
करने एवं दशन करने म सहायता देने के िलए िकया जाता है (ASCA ितमान, 2003), िजसक इस इकाई
के परवत भाग म चचा क गई है ।
5- सलाहकार प रषद् का िनमाण करना
योजना ि या म अगला चरण इन सेवाओ ं से लाभाि वत होने वाले समहू के ितिनिधय को शािमल करते
हए एक सलाहकार प रषद् का िनमाण करना है । इस कार के प रषद् का मु य काय समदु ाय के अ दर
िव ालय परामश काय म के िलए काय म के उ े य को िनधा रत करने, सहयोग उपल ध कराने, सलाह देने,
गितिविधय का पनु री ण और उस पर बहस करने म सहायता करना है । सिमित िव ालय और समुदाय के बीच
स ेषण क दोतरफा णाली को उपल ध कराएगी जो सभी शैि क काय म के िलए आव यक है । प रषद्
के सद यगण िव ािथय , अिभभावक , िश ण एवं गैर- िश ण टाफ, परामशदाता, धानाचाय एवं िव ालय
के अ य शासक के समदु ाय से स बि धत होने चािहए ।
2.4 काय म बंधन को समझना
एक बार जब सै ािं तक तर पर काय म क सक
ं पना कर ली जाती है अथात् ठीक कार से यह जानने के
प चात् िक या करना है, एक परामशदाता को इसके ि या वयन प को देखने क आव यकता होती है ।
बंधन क ि से काय के दो आधारभतू े क पहचान करना आव यक है । वे ह –
• पहला, वे े जो आधारभतू संसाधन जैसे- कमचारी, िव और सिु वधाओ ं का बंध करने से
स बंिधत ह ।
• दसू रा, वे े जो आयोजन करने एवं ससु ा य बनाने वाली गितिविधय जैसे सम वयन, स ेषण,
सहयोग, िनणय लेना एवं मू याक
ु ं पर िव तार से
ं न पर के ि त ह । आने वाले भाग म इन पहलओ
बताया जाएगा ।
2.4.1 कािमक, िव एवं सुिवधाओ ं का ब ध करना
कािमक –
जैसा िक आपको पहले से ही पता है िक मागदशन एक सामिू हक काय है । िकसी भी काय म के िलए पवू ापेि त
उन यि य क पहचान करना है जो मागदशन एवं परामश कमचारी के प म काय करगे ।
मागदशन एवं परामश काय म को आयोिजत करने के िलए एक सम वयक के प म आपक ारि भक
िज मेदारी उन यि य क पहचान करने से शु हो सकती है जो इस काय म से स बि धत ह गे । उन यि य
38
को िज मेदारी स पने से पूव आपको पणू प से िववेकशील रहने क आव यकता है । इस संदभ म िन निलिखत
िबदं ओ
ु ं पर यान देना चािहए –
• शैि क यो यता - य िप शैि क यो यता दशन के िलए एकमा मापद ड नह है िफर भी इसक
पूणतया अनदेखी नह क जा सकती है ।
• बहमख
ु ी ितभा – अलग – अलग पृ ठभिू म के कमचा रय क िनयिु से िविश ट कौशल का एक
िव तृत े उपल ध कराना चािहए ।
• अनक
ु ू लनशीलता – मागदशन एवं परामश उपल ध कराने के काय हेतु चयिनत यि य को
िव ािथय से स बि धत समदु ाय क िवशेषताओ ं जैसे – सामािजक –आिथक, सां कृ ितक एवं
भौगोिलक सरं चना के िवषय म जानकारी ा त करना मह वपणू होता है । चयिनत यि को समदु ाय
का सव ण करने तथा समदु ाय या े क आव यकताओ ं के अनसु ार काय म को अनक
ु ू ल बनाने
म समथ होना चािहए िजसके िवषय म आप मॉड्यल
ू 1 के इकाई 7 'मागदशन हेतु सामुदियक
संसाधन का उपयोग करना' म पढ़ चक
ु े ह।
• उ तरदािय व का िनधारण – येक सद य को िवशेष गितिविधय के िलए िनयु त करना चािहए
िजसके िलए वह पणू तया िज मेदार हो । उ रदािय व के िनधारण म आपको टाफ के सद य के
िवशेष कौशल , अनभु व एवं यि गत िवशेषताओ ं को यान म रखने क आव यकता है ।
िव –
काय म के आयोजन हेतु िव ीय उपल धता पर अिधक जोर नह िदया जा सकता है । एक परामशदाता /
िश क के प म आपको यह जानने क आव यकता है िक िव ीय सहायता कहाँ से ा त करना है । िव ीय
सहायता के मुख ोत यापा रक घराने, लब ह या अिभभावक के समहू म से जो काय म म अपना
सामािजक -िव ीय योगदान देने के इ छुक ह । येक बजट मद एक गितिविध से स बि धत होता है जो इसके
यु र म काय म के िवशेष उ े य से स बि धत होता है । यय हेतु कारण को समझना आपके िलए बहत
मह वपणू है । उदाहरणाथ —
गितिविध
:
आव यकताओ ं के आकलन हेतु आक
ं ड़े एकि त करना
बजट
:
1000 पये
िवशेष उ े य
:
एक मागदशन काय म को बनाने के िलए िव ािथय क आव यकताओ ं का
आकलन करना
या
गितिविध
:
कॅ रयर दशनी
बजट
:
5000 पये
िवशेष उ े य
:
कॅ रयर सचू नाओ ं का चार
39
सिु वधाएँ
मागदशन एवं परामश काय म को आयोिजत करने म आव यक सिु वधाओ ं को शािमल िकया जाना चािहए –
• उपयु तता
• सगु यता
उपयु तता उपल ध सिु वधाओ ं क सं या एवं उनक गणु व ता से स बि धत है । सुग यता से ता पय है िक यह
उनक पहँच म होना चािहए िजनसे यह स बि धत है ।
उस थान का आकार साज-सामान एवं सामा य सजावट वातावरण को िनधा रत करते ह जहाँ कोई काय करता
है या भाग लेता है । खश
ु नमु ा प रवेश का िनमाण करने के िलए कमरे को आरामदायक फन चर, पौध , फूल
आिद से सजाकर साफ-सफाई रखना चािहए । अिधकतर िवकासशील देश म िव ालय म बहत बड़ी सं या
म िव ािथय क देखभाल क जाती है और उसम थान क कमी हो सकती है । आदश प म एक मागदशन
अ यापक या परामशदाता के पास एक िवशेष कमरा उपल ध होना चािहए । एक मेज और कुछ कुिसय के
अलावा 2-3 आलमा रयाँ होनी चािहए और चाट्स, पो टर तथा दशन साम ी के िलए एक दशनी बोड/
रै क होना चािहए । एक मागदशन काय म हेतु उपल ध कराई गई सिु वधाएँ ाय: िव ालय शासन के ारा
काय म को िदए जाने वाले मह व/वरीयता को ितिबि बत करती ह ।
2.4.2
सहायता करने वाली गितिविधय का ब ध करना
इसम िन निलिखत िबदं ओ
ु ं को शािमल िकया जा सकता है –
सम वयन
यह मागदशन एवं परामश काय म म योिजत िविभ न गितिविधय के िविनयम या देखभाल करने से स बि धत
है तािक शांितपणू काय करने हेतु उपयु त योजक एवं एक करण हो । काय म के भावशाली ि या वयन
को ससु ा य बनाने के िलए सम वयन थािपत िकया जाता है । उदाहरणाथ – ब च के आक
ं ड़े एकि त करने,
कॅ रयर सचू ना एवं परामश म सही तालमेल होना चािहए और उ ह एक-दसू रे का परू क होना चािहए । मागदशन
हेतु िनधा रत ल य एवं उ े य को मतू प देने के िलए परामशदाता, समाज सेवी एवं िवशेष ब च के िलए
िनयु त िश क के ारा िकए जाने वाले काय म भी सम वयन होना चािहए ।
सहयोग
सामा य प से सहमित ा त ल य हेतु मागदशन काय म से स बि धत यि य म आपस म सहयोग क
भावना हेतु िकए जाने वाले यास को सहयोग कहते ह । मागदशन एवं परामश म शािमल िविभ न यि य को
एक समहू के प म साथ-साथ काय करना चािहए । एक यि के काय को अ य यि य के काय के ारा पू रत
िकया जाना चािहए । सभी गितिविधय को एक सामा य ल य को ा त करने क और िनदिशत करना चािहए ।
भावशाली स ेषण
स षे ण ाय: सिु नि त करता है िक काय म सही कार से संचािलत िकया जा रहा है िक नह । भावशाली
स षे ण हेतु इस बात पर यान देना है िक यि गत भाव समा त नह हआ है और ितपृ ठ ( feedback )
40
ा त िकया गया है । योिजत अ यो यि या जैसे िनर तर बैठक का आयोजन, मागदशन एवं परामश काय म
के सद य क आपस म अ यो यि या हेतु सामािजक मेल क यव था, आिद अवसर उपल ध होने चािहए ।
इस कार के अवसर उ ह आपस म योजनाओ,ं िवचार एवं अनुभ व के आदान- दान म सहायक होते ह ।
मू यांकन
मू याक
ं न काय म बधं न का एक मह वपणू घटक है । मागदशन और परामश काय म के येक गितिविध
का मू यांकन करना बहत मह वपणू है । सारे काय म को स पणू प से भी मू यांिकत करना चािहए ।
इस मॉड्यल
ू को इकाई 4 म इस िवषय म िव तृत चचा क गई है ।
ि याकलाप
एक परामशदाता के प म आपको ‘ब च को समझना’ िवषय पर िश क िश ण काय म आयोिजत करना
है ।
• आप िकसको शािमल करगे ?
• आप अपने बजट क कै से योजना बनाएंगे ?
• आप अिधका रय से कौनसी सिु वधाओ ं को उपल ध कराने को कहगे ?
इस कार काय म बंधन िवकिसत क गई गितिविधय को कुछ मब ता एवं संरचना उपल ध कराता है ।
अब जबिक आप एक मागदशन काय म के बंधन के िवषय म जान चक
ु े ह, अगला भाग आपको संगठना मक
पहलओ
ु ं से प रिचत कराएगा ।
2.5 मागदशन काय म के काया वयन ितमान
मागदशन एवं परामश काय म को ि याि वत करने के िलए िव ालय म िविवध कार के ितमान का योग
िकया जाता है । इ ह म से तीन ितमान के िवषय म यहाँ चचा क जा रही है ।
िवशेष
ितमान
िवशेष ितमान म मागदशन एवं परामश पणू कािलक िवशेष के ारा दान िकया जाता है जो िव ालयी
परामश म िशि त स यािपत/ अनु ािपत िश क होते ह और िजनके पास िव ािथय क िवकासा मक
आव यकताओ ं से स बि धत िविश ट यो यता एवं कौशल होता है (ASCA रा ीय ितमान, 2003) ।
अमे रका, कनाडा, आ ेिलया, यजू ीलड, ाँस, इं लड, आिद देश म जहाँ मागदशन एवं परामश सेवाएँ ठीक
कार से थािपत ह, वहाँ पर पूणकािलक परामशदाताओ ं के ारा एक िवशेष योजन हेतु काय म के प म
मागदशन एवं परामश सेवाओ ं को िदया जा रहा है । भारत और अ य िवकासशील देश म इस ितमान का
बहत सीिमत प म योग िकया जा रहा है य िक इसको दान करने वाले िशि त कमचा रय एवं आव यक
संसाधन क कमी है ।
41
एिशया के देश जैसे जापान, चीन एवं हांगकांग म मागदशन के ितमान काे लागू करना ये दशाते ह िक
िव ालय म कायरत िवशेष परामशदाताओ ं क बहत कमी है । मागदशन काय एवं गितिविधयाँ िश क के
सहयोग से लागू िकए जाते ह ।
कॅ रयर िश क ितमान
उन थान पर जहाँ ससं ाधन दल
ु भ ह और िवशेष उपल ध नह ह वहाँ मागदशन गितिविध को वय क के
ारा पूरा करने क क पना क जाती है जो युवाओ ं के साथ सहज एवं व थ स ब ध थािपत कर सकते ह और
उनके जीवन म िदशा एवं यो यता क भावना िवकिसत कर सकते ह । इसिलए यह कहा गया है िक मागदशन के
िस ांत एवं योग के िवषय म जानकारी रखने वाले िश क ब च को मागदशन देने म िनणायक भिू मका अदा
कर सकते ह । ब च के बहत नजदीक होने के कारण िश क एक गु एवं मागदशक के प म भिू मका अदा
करने के िलए आदश प म उपयु त होते ह ।
2 से 6 स ताह का अ प कािलक िश ण लेकर िश क कॅ रयर सचू ना और कॅ रयर िश ा से स बि धत
गितिविधय के प म मागदशन काय म आयोिजत करते ह पर तु वे अपने समय का अिधकतम भाग िश ण
काय म लगाते ह । यह ितमान भारतीय यव था म लागू िकया जाता है जहाँ संसाधन दल
ु भ ह । इसम सामा य
प म कॅ रयर सूचना/ कॅ रयर मागदशन और िनयोजन से स बि धत गितिविधयाँ सि मिलत क जाती ह । िफर
भी, हाल के वष म भारत म पणू कािलक परामशदाताओ ं के मह व को मा यता दी गई है ।
कुछ थान पर यह देखा गया है िक कॅ रयर सचू ना/कॅ रयर मागदशन उपल ध कराने वाले इन कॅ रयर िश क
के काय म रा य िश ा/ म िवभाग म लगे हए मागदशन कायकताओ/ं शासक एवं सामदु ाियक एजेि सय के
ारा सहयोग िदया जाता है ।
िश क परामशदाता ितमान
इस ितमान म िश क पणू कािलक परामशदाता का िश ण ा त करके एक-दसू रे के परू क िश ण काय एवं
मागदशन दोन करते ह । िश क- परामशदाता पूरी क ा के वैयि क –सामािजक आव यकताओ ं क देखभाल
करने हेतु सामा य प म समहू तकनीक जैसे समहू म कॅ रयर परामश या सामा य परामश या क ा मागदशन
गितिविध आयोिजत करने पर यान के ि त करते ह ।
मानव िवकास ि याओ ं म गहन अ त ि , मददगार एवं अ यो यि या मक कौशल िश क क इस भिू मका
को भावशाली ढंग से परू ा करने म िवशेष प से तैयार कर सकते ह । िविश ट सेवाएँ उपल ध कराने के
िलए िवशेष के साथ-ही-साथ िश क एवं शासक को िशि त करने हेतु बड़े तर पर यास करने क
आव यकता है । ये िशि त यि मागदशन / परामश के दशन एवं काय म को स पणू शैि क ि या म
एक कृ त कर सकते ह ।
42
आ म – िनरी ण अ यास - 1
िवशेष , कॅ रयर िश क एवं िश क परामशदाता ितमान के बीच अतं र के मु य िबदं ओ
ु का उ लेख क िजए ।
िवशेष परामशदाता
कॅ रयर िश क
िश क परामशदाता
2.6 एक यापक िव ालयी मागदशन काय म
िव ालय मागदशन काय म सभी िव ािथय के वैयि क, सामािजक, शैि क एवं कॅ रयर िवकास के िलए
आयोिजत िकया जाता है । इसम सामा यत: तीन के ि त घटक िनिहत होते ह —
• परामश एवं िवकासा मक सेवाएँ
• सचू ना एवं आकलन तथा
• िमलकर काय करना
काय म का परामश एवं िवकासा मक घटक यि गत परामश, छोटे समहू म परामश को शािमल करने के
साथ-ही-साथ बड़ी सं या म िव ािथय के सामिू हक काय जैसे कॅ रयर िश ा के िवषय म बताना, वकशाॅप
(कायशाला), समहू प रचचा एवं सलाह भी स बि धत होते ह । िव ालय परामशदाताओ ं म सव थम सीखने
वाल क आव यकताओ ं को पहचानने का कौशल होना चािहए त प चात् वैयि क एवं समहू काय आयोिजत
करना चािहए । परामश एवं िवकासा मक सेवाएँ यवु ा वग को उनक शैि क सम याओ ं के समाधान म, कॅ रयर
िवकास अनभु व को सुसा य बनाने म और संवेगा मक एवं सामािजक समायोजन क तरफ अ सर होने म
सहायता करती ह ।
सचू ना एवं आकलन िव ाथ के बारे म अ त ि िवकिसत करने म परामशदाता क सहायता करते ह । परी ण
एवं गैर – परी ण तकनीक वैयि क, सामािजक, शैि क उ नित एवं कॅ रयर के े म िव ाथ के िवकास म
उपयु त सचू ना उपल ध कराते ह । अपने िवषय म जानकारी िव ाथ को िव ालय म एवं िव ालय के बाहर
के शैि क अनभु व तथा उपल ध अवसर को बेहतर ढगं से योग करने म सहायता दान करते ह । कॅ रयर के
े म सचू ना िव ाथ को काय के संसार से स बि धत िनणय लेने म समथ बनाती है तािक उ ह सकारा मक
एवं संतोषजनक कॅ रयर उपल ध हो सके । यह एक यि के प म िव ाथ क उ नित एवं िवकास को भी
पोिषत करता है ।
समहू गितिविधय म सलाह, सहयोग एवं सम वयन िनिहत होता है । सलाह क भिू मका म परामशदाता अपनी
िवशेष ता का योग उनक सहायता करने म इ तेमाल करता है जो िव ािथय के साथ रहते एवं काय करते ह ।
सहयोग एवं सम वयन क समहू म काम करने के घटक के य काय म कम भिू मका होती है । इनम से येक
गितिविध समायोजन के िवशेष े म िव ािथय क सहायता के काय हेतु सभी के साथ सद् ााव एवं सहयोग
43
क अपे ा करते हए िव ालय के कमचा रय के अंत: स ब ध पर बल देती है । इस काय के मह वपणू पहलू
िव ालय के बाहर के ससं ाधन का उपयोग करना, िव ािथय क सहायता के िलए सामदु ाियक एजेि सय के
साथ सम वय करना तथा घर एवं िव ालय के बीच स बंध थािपत करना है ।
2.7 एक मागदशन काय म आयोिजत करना
मागदशन गितिविधय को िव ालय के लोग एवं यव था क आव यकताओ ं के अनु प होना चािहए । यह
ASCA के ारा बताए गए एक यापक मागदशन काय म क तरह है । िव ालय के सभी तर पर िव ािथय
को मागदशन सेवाएँ दान करने हेतु रा ीय मानक म चार घटक : मागदशन पाठ्यचया, वैयि क िव ाथ
योजना, िति याशील सेवाएँ और यव था म सहयोग का योग िकया गया है । मागदशन काय म के इन चार
घटक का वणन नीचे िकया जा रहा है ।
मागदशन पाठ्यचया
पाठ्यचया एक िलिखत द तावेज है जो पूण सि य, आकार म सम एवं िवकासा मक प म उपयु त
है । पाठ्यचया घटक एक णाली उपल ध कराता है िजसके ारा िव ाथ एक यवि थत तरीके से
मागदशन पाठ्यचया के ढाँचे को हण करते ह । पाठ्यचया के संदभ म एक परामशदाता के उ तरदािय व
म मागदशन पाठ्यचया क योजना, सू ब करना, ि याि वत करना एवं मू यांकन करना शािमल होता
है । मागदशन पाठ्यचया को क ा म िनदश, छोटे समूह म प रचचा, आिद के ारा दान िकया जाता
है । पाठ्यचया िव ािथय को शैि क उपलि ध, कॅ रयर िवकास एवं वैयि क उ नित के े म ान,
अिभवृि एवं कौशल को अिजत करने म सहायता करती है ।
वैयि क िव ाथ योजना
िव ाथ योजना घटक येक िव ाथ को अपने यि गत उ नित एवं िवकास पर िवचार करने हेतु एक
अवसर उपल ध कराता है । एक िव ाथ अपनी गितिविधय क योजना बनाने, समझने एवं िनरी ण करने हेतु
अिभभावक या िश क के साथ जड़ु कर काय कर सकता है । िव ाथ अपने वैयि क, शैि क एवं कॅ रयर
िवकास के संदभ म अगले चरण हेतु योजना बनाने म स म हो जाते ह । परामशदाता िव ािथय को अपने उ नित
के िवषय म योजना बनाने एवं िनरी ण करने म सहायता करते ह और इस कार उनक यो यताओ,ं कौशल ,
अिभ िचय एवं उपलि धय के िव लेषण एवं मू याक
ं न म उनके साथ काय करते ह । शैि क एवं भावी कॅ रयर
ल य को परू ा करने हेतु िविश ट योजना के िनमाण म येक िव ाथ क सहायता के िलए परामशदाता वतमान
गितिविधय एवं मागदशन काय म को िवकिसत करते ह । इस संदभ म मागदशन सेवा/सहायता वैयि क
परामश के आधार पर उपल ध कराई जाती है ।
िति याशील सेवाएँ
िति याशील सेवाओ ं म िव ािथय क ता कािलक आव यकताओ ं और मामल को परू ा करने क
गितिविधयाँ समािहत होती ह । इस कार क आव यकताओ ं और मामल म परामश, सलाह, अ ेषण एवं
समक सािथय ारा सहायता क आव यकता होती है । िव ािथय क आव यकताओ ं को परू ा करने के िलए
44
परामशदाता शु आती अंत: ेप से लेकर संकटकालीन िति या हेतु यापक े क सेवाएँ दान करते ह । वे
िव ािथय क सहायता करने के िलए माता-िपता / अिभभावक , िश क , िम , आिद के साथ िवचार-िवमश
करते ह । उपल ध कराई गई सेवाओ ं म यि गत या समहू परामश, सक
ं टकालीन ब धन उदाहरण के िलए नशे
क रोकथाम, आ मह या क रोकथाम, आिद शािमल होते ह ।
• वैयि क एवं छोटे समहू म परामश िव ािथय को उस समय उपल ध कराया जाता है जब वे
स ब ध , यि गत मामल , िवकासा मक काय , आिद का सामना करने म किठनाई महससू करते
ह । इस कार का परामश सामा यत: अ प कािलक होता है । िव ालय परामशदाता सामा य प
म िचिक सा दान नह ं करते ह । जहाँ आव यक होता है, उपयु त डॉ टर के पास उ ह अ ेिषत
िकया जाता है ।
• सक
ं टकालीन बंधन परामश रोकथाम, अतं : ेप एवं फाॅलो-अप उपल ध कराना है । परामश एवं
सहयोग आकि मक सक
ं ट का सामना कर रहे िव ािथय एवं उनके प रवार को उपल ध कराया
जाता है । इस कार का परामश सामा य प से अ पकािलक एवं अ थायी होता है ।
यव था म सहयोग
यव था म सहयोग िव ालयी मागदशन एवं परामश काय म को िविवध मागदशन काय म सहयोग
गितिविधय जैसे – टॉफ िनधा रत करना, काय म ब धन, रकाड का िव लेषण, पाठ्यचया का िवकास,
आिद और इस कार क अ य गितिविधय म सहयोग के ारा भावी बनाने म समथ बनाता है । एक यापक
एवं िवकासा मक मागदशन एवं परामश काय म को ततु करने के िलए परामशदाता गितिविधय को लागू
करने म सहयोग हेतु आव यक योजना एवं बधं काय को उपल ध कराते ह । परामशदाता रकाड एवं फाॅलोअप अ ययन का मू यांकन भी करते ह और मागदशन गितिविधय तथा संसाधन को अनवरत िवकिसत एवं
आधुिनक बनाते रहते ह ।
मागदशन सेवाओ ं को दान करने के मा यम के अलावा इसम लगने वाले समय पर भी मह व िदया गया है
िजसका एक परामशदाता को िव ालय के येक तर पर िविवध घटक हेतु पालन करना चािहए । एक िश क
परामशदाता ारा येक काय म घटक के िलए िदए गए िनधा रत समय म िव ालय के तर , िव ािथय क
िवकासा मक आव यकताओ,ं ससं ाधन के तर तथा काय म म सहयोग के अनुसार िविभ नता होती है ।
ASCA ितमान के ारा येक घटक के िलए िदया गया समय का ितशत िन निलिखत है ।
ाथिमक िव ालय
मागदशन पाठ्यचया
िव ाथ योजना
िति याशील सेवाएँ
यव था सहयोग
35% - 45%
5% - 10%
30% - 40%
10% - 15%
मा यिमक िव ालय
25%
15%
30%
10%
45
- 35%
- 25%
- 40%
- 15%
उ चतर मा यिमक
िव ालय
15% - 25%
25% - 35%
25% - 35%
15% - 20%
िव ालयी मागदशन गितिविधय क योजना एवं आयोजन शैि क तर ( ाथिमक, मा यिमक, उ चतर
मा यिमक या व र ठ मा यिमक) िजनके िलए काय करना है उनके अनसु ार अलग-अलग होती ह । अगले भाग
म िव ालय के िविभ न तर पर मागदशन क िवशेष गितिविधय क चचा क गई है । इनक शैि क, कॅ रयर
एवं वैयि क / सामािजक िवकास के प म चचा क गई है जैसा िक िन निलिखत िच म वणन िकया गया है ।
2.7.1 ाथिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
ाथिमक तर के िलए गिठत िकया गया मागदशन काय म आने वाले वष के िवकासा मक काय का सामना
करने म सफलता हेतु न व रखता है । ाथिमक तर म 5-13 वष के आयु वग म 1 से VIII तक क क ा को
िलया जाता है । ाथिमक वष वह समय है जब ब चे एक वैयि क प म िवकास करना ार भ कर देते ह । यह
वह अव था है जब वे जीवन के सकारा मक एवं नकारा मक पहलुओ ं के साथ बाहर क दिु नया से प रिचत होते
ह । अिधगम एवं शैि क उपलि धय म बाधा को दरू करने के िलए ब च क शैि क, वैयि क एवं सामािजक
आव यकताओ ं क शु आती दौर म पहचान एवं अतं : ेप आव यक है िजसके िलए परामशदाता क भिू मका
का बहत मह व है ।
ाथिमक तर पर काय म के आयोजन एवं िवकास म उपयु त उपागम के िनधारण हेतु आपको उस तर क
िवकासा मक िवशेषताओ ं एवं ज रत तथा मागदशन के उ े य पर िवचार करना है ।
नीचे कुछ गितिविधयाँ दी गई ह िजनका आप एक परामशदाता के प म योग कर सकते ह । ये गितिविधयाँ
उन उ े य के आधार पर िवकिसत क जा सकती ह िज ह आप योग करना चाहते ह तािक यह िव ािथय
के िलए लाभदायक हो सके । आपको यह यान रखना चािहए िक नीचे दी गई मागदशन गितिविधयाँ के वल
उदाहरणा मक ह । एक िश क/परामशदाता के प म आप इन गितिविधय को अपने पास उपल ध ससं ाधन
के अनसु ार सधु ार सकते ह या उसी प म अपना सकते ह ।
46
शैि क िवकास
साम य े /उ े य
िव ालय म िव ािथय का समायोजन
गितिविधयाँ
• समहू प रचचा के ारा िव ालय के
िनयम , काय म , नीितय , सेवाओ,ं
सुिवधाओ,ं आिद के बारे म अिभभावक
को प रिचत कराना ।
• िव ालय क िविवध गितिविधय
के िवषय म दशन / दिशत करना /
कठपतु ली/गाने/िथएटर आिद के ारा
िव ािथय को प रिचत कराना ।
िव ािथय के िलए लाभ
• घर से िव ालय म एक
सहज सं मण बनाना ।
• ब च को िव ालय
म क ा म दशन एवं
सफलता के बीच स ब ध
को समझाना ।
• ब च को अपने बहमू य सामान ,
आदत ,एकि त क गई सामि य
(िटकट, माला, िस के आिद ) को अपने
सािथय को िदखाकर उनम बाँटने के
िलए ो सािहत करके िव ालय और
घर के बीच क दरू ी को कम करना ।
आधारभतू शैि क कौशल को मन म • अिधगम म सहायक साम ी, उपकरण
थािपत करना/िवकिसत करना
एवं तकनीक का योग करना ।
•
मरणशि को बढ़ाने के िलए तकनीक
पर प रचचा करना ।
• आधारभूत कौशल के अिधगम म
किमय काे पहचानना ।
• यिद स भव हो तो अ ययन के िलए
प र िपत कला, संगीत, कहानी, आिद
को अ ययन के यास के साथ पूरक
करना ।
• ब च को समहू अ ययन म सहभािगता
के िलए ो सािहत करना ।
47
• शैि क सफलता हेतु
अ ययन कौशल का
योग करना सीखना ।
• स ेषण कौशल म
िशि त िकए जाते ह ।
•
वतं प से काय करने
के साथ-ही-साथ अ य
िव ािथय के साथ
सहयोगी प से काय करने
क यो यता का दशन
करना ।
• िव ाथ
काय एवं
उपलि ध म आ मािभमान
सीखते ह ।
परी ण लेने का कौशल
• गृह काय को एक सकारा मक अनभु व
बनाना ।
• छा को िम वत् तरीके से नो तर के
ारा उ ह परी ण के िलए अ ययन करने
को ो सािहत करना ।
• परी ण के समय िच ता को राकने/
कम करने के िलए अ ययन को दैिनक
बनाना ।
• िव ाथ शािं त महससू
करते ह और परी ा के
समय तैयार रहते ह ।
• समय और काय बंधन के
कौशल का योग करते
ह।
िश क-छा के स ब ध म सधु ार • अिभवृि एवं यवहार क पहचान
करना ।
करना जो सफल अिधगम क तरफ ले
जाते ह ।
• िव ािथय को महसूस
कराना िक िश क उनम
िच लेते ह ।
• ब च को क ा म उनके ि य यि य ,
शौक आिद के िवषय म बात करने क
अनमु ित देकर िश क-िव ाथ स ब ध
म सधु ार करना ।
• िव ाथ किठनाई के समय
िश क के पास जाने म
सहज महससू करगे ।
• ब च म एक सकारा मक आ म
-स यय के िवकास को सुसा य बनाने
म क ा के वातावरण को नेहयु त प
देने के मह व पर वाता,चचा, सेिमनार,
आिद के ारा िश क को प रिचत
कराना ।
वेश म वृि करना तथा कूल छोड़ने • ब च म िच लेकर उ ह िव ालय
वाले िव ािथय म कमी लाना
आने के िलए े रत करना । ायोिगक
गितिविध म संल न रखने हेतु येक
ब चे को े रत करने के िलए गृहकाय
पु तक तैयार करना ।
• िव ालय छोड़ने क सभं ािवत सम याओ ं
क पहचान करना (शैि क/ यि गत ) ।
• उन ब च क शैि क आव यकताओ ं
को परू ा करने के िलए अनौपचा रक या
मु त िव ालय णाली के िवषय म
सूचना उपल ध कराना जो औपचा रक
िव ालय म पढ़ने म असमथ ह ।
48
• अपनेपन क भावना और
समझाने तथा वीकृ त होने
क भावना बढ़ती है ।
• िव ालय म जाने के
िलए े रत होते ह और
यि गत स भा य को
ा त करते ह ।
• िव ालय क लचीली
समय-सा रणी एवं
सम याओ ं पर यान देना
िव ालय छोड़कर गए हए
ब च को िव ालय म
पनु : आने को ो सािहत
करता है ।
• िव ाथ वैकि पक तरीक
से अ ययन जारी रखने को
े रत होते ह ।
िनणय लेने क मता म सधु ार करना
• ब च को गृहकाय के कुछ िवक प
देकर उ ह अपनी पंसद के गृहकाय का
चयन करने के िलए कहना ।
• नये िवचार एवं तर के
अ वेषण हेतु ब च को
िच तन के िलए ो सािहत
करता है ।
िव ािथय क मता
• िव ािथय के साथ बचपन क कहािनय
पर प रचचा करना िजनम सही िनणय
के िलए मनपसदं परु कार एवं गलत
िनणय के िलए नकारा मक प रणाम के
उदाहरण ततु िकए गए ह ।
• िव ाथ िनणय लेना
सीखते ह और िश ाथ
के प म साम य एवं
आ मिव वास क भावना
को सु प ट करते ह ।
• शैि क ल य के िनधारण
म िव ाथ क सहायता
करता है ।
• ब चे अपने काय के िलए
िज मेदारी लेना सीखते ह ।
कॅ रयर िवकास
साम य े /उ े य
काय क िविवधता समझना
गितिविधयाँ
• अपने िवषय म ान के आधार पर कॅ रयर
िनणय लेने के िलए ब च को काय के
ससं ार के अ वेषण हेतु तैयार करना ।
• पड़ोस एवं समदु ाय के लोग तथा प रवार
के सद य के काय गितिविधय को
िलखना ।
लोग ारा िकए जाने वाले िविवध कार • िव ालय म काय गितिविधय के चयन
के काय एवं इनक आव यकताओ ं के
एवं भाग लेने म ब च क सहायता
िवषय म जाग कता उ प न करना
करना ।
• िनयोजनीयता के आधारभतू कौशल
(िनयिमतता, किठन प र म, समय
बंधन, आिद ) के बारे म जाग कता
ा त करने म ब च क मदद करते ह ।
49
िव ािथय को लाभ
• िव ािथय को अलग –
अलग कार के काय के
िवषय म (पर परागत और
गैर-पर परागत) जानकारी
ा त होती ह ।
• सभी कार के काय के
ित सकारा मक वृित का
िवकास होता है ।
• शैि क उपलि ध, कॅ रयर
सफलता एवं काय के
ससं ार के बीच अ तर को
समझना ।
सहयोग क भावना एवं काय क • िव ालय म समहू प रयोजनाओ ं म
अिभवृि के ित ब च को तैयार करना
िव ािथय को भागीदारी हेतु े रत
करना ।
• िव ाथ एक सहयोगी के
प म काय करना, और
सम या समाधान तथा
संगठना मक कौशल को
सीखते ह ।
• टीम के सद य के प म
काय करना सीखते ह ।
िनणय लेना
• काय क आदत के िवकास एवं
अपने साम य के अिधकतम इ तेमाल
हेतु िव ािथय को उनक अिभ िच
के अनुसार छोटे-छोटे काय एवं
प रयोजनाओ ं को चुनने के िलए समथ
बनाना ।
वैयि क एवं सामािजक िवकास
साम य े / उ े य
गितिविधयां
• यि गत
कौशल ,
अिभ िच, यो यता को
पहचानना तथा वतमान
कॅ रयर िनणय के साथ
उ ह स बि धत करना ।
िव ािथय को लाभ
• ब चे सकारा मक आ मितमान िवकिसत करना
सीखते ह ।
• सकारा मक आ म-स यय
िवकिसत करना ।
•
• सामािजक कौशल का िनमाण
करना ।
“मेरा बल प ”, “म कर सकता हँ”
• िव ाथ वयं एवं अ य
“म पसंद करता हँ,” “मुझे गव है,”
को समझना एवं स मान
“म आनदं उठाता हँ,” “म इस बारे म अ छा
करना सीखते ह ।
महससू करता हँ,
• भावनाओ ं को पहचानना
“इन सीिमतताओ ं को मझु े िविजत करना है”।
एवं य त करना सीखते
ह।
• जाित, पंथ, ाम, आिद से िनरपे
सभी िव ािथय के िलए शंसा
क भावना रखना ।
बल प को पहचानने के िलए समहू
गितिविधयाँ जैसे
• िनणय लेना एवं ल य
िनधा रत करना सीखते ह ।
• उपयु त एवं अनुपयु त
यवहार, शारी रक स पक
आिद के अ तर को
पहचानना ।
• मानवजातीय
एवं
सां कृ ितक िविवधता को
पहचानना, वीकार करना
एवं शंसा करना ।
50
िनणय लेना
• ब च के साथ सम या मक न
पर चचा करने के िलए िनणय लेने के
कौशल का योग करना तािक इसम
उपयु त प रणाम पर ितिब बन के
साथ प रचचा सकारा मक समाधान
क तरफ बढ़े ।
उदाहरण- एक अजनबी चाॅकलेट देता ह,
आप एक दशनी म खो गए ह, आिद ।
• ब च को यि गत एवं पा रवा रक
मामल म िनणय लेने म स म बनाना ।
• वैयि क साम य एवं गुण
को पहचानना है ।
• वैयि क सूचना क
जानकारी (टेलीफोन न0 घर
का पता, आपातकालीन
स पक, आिद ) का दशन
करता है ।
• समथ एवं स म महससू
करते हए िव ािथय के
आ म-बल को बढ़ाता है ।
उदाहरण- आप लाल या गल
ु ाबी म से
िकस रंग क कमीज पहनना पसंद करते
ह?
िदनचया पर प रचचा जैसे – सोने का
समय, सुबह क िदनचया, गृहकाय के
िलए समय ।
िहसं ा क रोकथाम, संघष का समाधान • िविवध े से स बंिधत घटनाओ ं –
एवं नशे क रोकथाम
लड़ाई, एक-दसू रे को परे शान करने से
ार भ होकर गोली चलाने तक के बारे
म प रचचा करना और ब च से उनक
राय मांगना ।
• उपचारा मकता के बजाय रोकथाम पर
यान के ि त करना ।
• िहसं ा क रोकथाम, नशा, समहू
गितिविधय पर काय म एवं वकशाप
आयोिजत करना ।
• नशे का योग, िहसं क काय , आिद पर
समहू प रचचा ।
मा यिमक िव ालय म सं मण हेतु • सं मण अविध (िम बनाना, वतं ता,
तैयार करना
आिद) म काय का सामना करने के
िलए पया त वैयि क एवं सामािजक
ससं ाधन तथा कौशल को उपल ध
कराना ।
51
• संघष समाधान कौशल
का योग करना सीखता
है ।
• समक
सािथय के
नकारा मक साथ से दरू
रहना सीखना ।
• िहसं ा एवं नशे के
नकारा मक पहलओ
ु ं के
िवषय म जाग कता ा त
करते ह एवं सरु ि त रहना
सीखते ह ।
• जीवन क
अगली
िवकासा मक अव था का
िव वास के साथ सामना
करना सीखता है ।
िवशेष आव यकता वाले ब च के सम • ब च क य – वण स बधं ी, िलखने,
िवकास म योगदान देना
बोलने या गणना करने म बोधा मक
कमी, यान देने म कमी, अितसि यता, मरणशि म कमी, आिद
को उपचारीय परी ण क सहायता
से या ब च का अवलोकन करके
पहचानना ।
• ब च एवं अिभभावक के साथ
परी ण , अवलोकन एवं सा ा कार
के ारा यो यता /िवशेष यो यता/कमी/
असमथता के तर का उपचार करना ।
• अपनी सीमाब ता का
सामना करना ।
• ब चे अपनी ताकत एवं
साम य का पणू योग
करना सीखते ह ।
• आ म-िव वास ा त करते
ह।
• अ म यि य के वा य लाभ के
िलए सामदु ाियक संसाधन , योजनाओ ं
एवं काय म का उपयोग करना ।
ाथिमक तर के ब च के िलए िश ा, रोकथाम, पूव पहचान एवं ह त ेप दान करते हए िव ालयी परामशदाता
बाद के वैयि क एवं सामािजक कॅ रयर एवं शैि क सफलता क न व डालते ह।
2.7.2 मा यिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
मा यिमक तर म 14 से 16 वष के ब चे जो IX एवं X क ाओ ं म पढ़ते ह, उ ह शािमल िकया जाता है । इस
अविध म ती गित से शारी रक िवकास एवं मनोवै ािनक प रवतन के कारण इसे सं मण क अव था कहा
जाता है । इस अविध म यि बहत से प रवतन िजनम यौवनारंभ से स बंिधत शारी रक प रवतन, प रवार एवं
सािथय के साथ स ब ध म प रवतन और सामािजक एवं शैि क प रवतन शािमल ह, इन सबका अनभु व करते
ह।
बा याव था से िकशोराव था म सं मण के समय िव ाथ िविवध अिभ िचय के अ वेषण क आव यकता
के ारा िवशेिषत होते ह । वे क ा म अपने अिधगम के ायोिगक प को अपने जीवन एवं काय से स बि धत
करके योग करना चाहते ह । वे अपने िलए ाय: िविश ट पहचान क तलाश म रहते ह और वे सलाह तथा
सहमित के िलए माता-िपता के बजाय यादातर सािथय के पास जाते ह । बहत-से युवा दसू रे लोग के ारा
क गई िट पिणय पर अ यंत संवेदनशीलता दिशत करते ह । अिधकतर िव ाथ आराम, समझ एवं सहमित
पाने के िलए मु य प से िम पर आि त रहते ह (ASCA, रा ीय ितमान 2003)। इस अव था म तािकक
कौशल और िनणय लेने क मता म भी वृि होती है लेिकन िव ािथय के अिधकतर खतरनाक यवहार म
लगे रहने क भी सभं ावना होती है ।
इस अव था के दौरान िव ाथ बहत सारे शैि क एवं सामािजक दबाव का सामना करते ह जो इस अविध को
तनावयु त बनाता है । यह समय अिधक वतं ता एवं िज मेदा रय क अाव यकता के साथ-ही-साथ यवहार
के वय क तरीक को अपनाने क इ छा से जाना जाता है । परामशदाता िव ालय वातावरण को सरु ि त बनाने
52
म एक मह वपणू भिू मका अदा कर सकते ह जहाँ िहसं ा, उ तेजक यवहार और अ य नकारा मक पहलओ
ु ं के
घिटत होने क यनू तम सभं ावना हो । यह िव ािथय के िलए मा यिमक तर के अनभु व को सफल बनाने
म सहायक होगी । इसे िव ालय म िव ािथय क आव यकताओ ं पर के ि त करके िव ालय के अनसु ार
मागदशन काय म बनाकर िकया जा सकता है ।
िन निलिखत उ े य एवं गितिविधयाँ कुछ उपयोगी सझु ाव ह जो एक परामशदाता को िव ािथय के लाभ हेतु
मा यिमक तर पर मागदशन काय म आयोिजत करने म सहायता दान करगे ।
शैि क िवकास
गितिविधयाँ
िव ािथय को सि य एवं ायोिगक
अिधगम, कायशाला का आयोजन
करना, प रयोजना, आिद म शािमल
करके अिधगम म सकारा मक
अिभ िच उ प न करना ।
मरणशि , आिद के िलए िविभ न
अिधगम शैिलय , तकनीक से पढ़ाना।
िव ािथय को वाता, अ ययन से
स बि धत िवषय पर दसू र से चचा
करना एवं सनु ने के िलए ो साहन हेतु
समहू मागदशन स का योग करना ।
िव ािथय को सृजना मक एवं िविश ट
ढंग से सम या समाधान के बारे म
िश ण देने हेतु एक भावशाली
उपागम ‘brain-storming’ का
योग करना ।
कायशाला के आयोजन के ारा
िव ािथय के आ म- ान, आ मवीकृ ित हेतु िश ण एवं आ मअनदु श
े न म वृि करना ।
िव ािथय के िलए लाभ
• शैि क सफलता के िलए
आव यक अ ययन कौशल
के योग को सीखते ह ।
• िम वत् प म नो तर िविध के ारा
िव ािथय को परी ण हेतु अ ययन
के िलए ो सािहत करना ।
• परी ण के समय एवं उससे पहले
िचंता को दरू करने के िलए अ ययन
क िदनचया बनाना ।
• लगातार अ ययन के बीच म
िव ािथय को आराम के िलए समय
देना ।
• िव ाथ काय एवं उपलि ध म
आ मािभमान महससू करना
सीखते ह ।
साम य े /उ े य
•
शैि क/अ ययन कौशल /आदत /
अिभवृि य , आिद का िवकास
•
•
•
•
परी ण लेने का कौशल
53
• िव ालयी
दशन को
सकारा मक ढंग से भावशाली
बनाने हेतु अिधगम शैिलय के
ान का योग करते ह ।
• िव ालय,अ ययन,
पाठ्यसहगामी गितिविधय
म संतुलन कायम करने क
यो यता का दशन करते ह ।
• िव ाथ परी ण के समय
पणू तया तैयार एवं शांित
महससू करते ह ।
आलोचना मक वैचा रक कौशल को • िव ािथय को िनयिमत प से तक
उ कृ ट बनाना
एवं वैचा रक अ यास दान करना ।
• प रि थितयाँ उ प न करके िव ािथय
को िनणय देने एवं िव लेषण करने के
िलए कहना ।
• आलोचना मक
वैचा रक
कौशल को सीखते एवं योग
करते ह ।
• एक घटना के िनरी ण म बहस
करना एवं िवचार य त करना
सीखते ह ।
• अ त ि /सहज ान िवकिसत
करते ह ।
िनणय लेना
• िव ालयी िवषय के साथ बाद क
शैि क योजनाओ ं को स बि धत
करके चनु ौतीपणू शैि क ल य के
िनमाण म िकशोर क सहायता करना।
• रोल ले के बाद उनसे रोल ले करने,
प रि थितयाँ उ प न करने एवं िनणय
क या या करने को कहना ।
• अपने काय क िज मेदारी
लेना सीखते ह ।
गितिविधयाँ
वा तिवक काय थान के िनरी ण,
पु कालय ोत , अखबार, इ टरनेट,
आिद के ारा िव ािथय को काय के
ससं ार से प रिचत कराना ।
इस कार के करण जैसे – ‘जीवन
हेतु आव यकता / कॅ रयर योजना’,
‘खाली समय का उपयोग’, शौक
िवकिसत करना, समय बं धन के िलए
कौशल, अ छे शारी रक वा य के
िलए आदत बनाना, आिद पर प रचचा
करना ।
िनयोजन त परता का िवकास करना ।
यावसाियक अ वेषण हेतु िवषय से
स बि धत े म प रयोजना काय या
नौकरी पर लगे यि य से सा ा कार
िनरी ण के ारा इस िवषय पर
िव ािथय को लाभ
• कॅ रयर योजना सचू ना ा त
करने के िलए िविवध ोत
का योग करना सीखते ह ।
• िव ािथय क यो यता,
साम य तथा आ मिव वास म
सधु ार होता है ।
कॅ रयर िवकास
साम य े /उ े य
•
कॅ रयर का अ वेषण
•
िविवधता अौर कॅ रयर िनणय
•
•
54
• िव ािथय को भावी कॅ रयर
ल य को ा त करने के िलए
योजनाओ ं से अवगत कराया
जाएगा ।
• िव ाथ पर परागत और गैरपर परागत यवसाय का
िव लेषण करना सीखते ह
और उ ह अपने कॅ रयर िनणय
से स बंिधत करते ह ।
अ ययन करके , दशन साम ी तैयार
करके या कॅ रयर मैगजीन, नौकरी
से स बि धत पो टस, चाट, कॅ रयर
दशनी के आयोजन, आिद अवसर
को उपल ध कराना ।
• अपने यवसाय म अ छी तरह से
थािपत यि य को आमंि त करके
िव ािथय के साथ उनके यवसाय /
जीवन शैिलय पर प रचचा करना ।
• काय के संसार क िविवधता
और इसक आव यकताओ ं
को समझते ह ।
काय के ससं ार के सदं भ म वयं को • िव ािथय को शैि क एवं उससे
समझना
स बंिधत े म अिभ िच का
िव लेषण करने म सहायता करना और
अपनी शैि क यो यता के आधार पर
कॅ रयर चयन हेतु पहचान करने एवं
योजना बनाने म सहायता करना ।
• मनोवै ािनक परी ण एवं गैर-परी ण
उपकरण का योग करते हए यो यता,
अिभ िच, वैयि क गणु को पहचानने
म सहायता करना ।
• शैि क एवं यावसाियक सचू ना को
उपल ध कराना ।
• शैि क उपलि ध एवं कॅ रयर
सफलता के बीच स ब ध को
समझना ।
वैयि क एवं सामािजक िवकास
साम य े /उ े य
च र िश ा
गितिविधयाँ
•
भावशाली जीवन के िलए यि व
िवशेषक / मू य को समझना एवं
पहचानना ।
• िविवध रोल मॉड स एवं कहािनय के
ारा अ छे िवशेषक को िवकिसत
करने के मह व को बताना ।
55
• कॅ रयर अिभ िच, साम य से
स बिं धत पाठ्यचया का चयन
करना ।
िव ािथय को लाभ
• सही तरीके से जीवन क
सम याओ ं का सामना करना
सीखते ह ।
• िव ािथय
म
अनुशासन को
करता है ।
आ मो सािहत
िकशोराव था क अपे ाओ ं का • ‘‘सािथय के दबाव’’ से आप या
सामना करने के िलए कौशल
समझते ह ‘?
सािथय के दबाव एवं इसका िशकार
बनने को कै से कम िकया जा सकता है?
आिद पर प रचचा स रखना । अ छे
स ेषण के कौशल को िसखाना ।
• दबाव एवं
को िनयंि त करने
के िलए तकनीक एवं यिु य को
िसखाना ।
• िव ािथय को लिगकता, िवपरीत
िलंग क तरफ आकषण जैसे मामल
को सामा य घटना के प म समझने
यो य बनाना ।
• अिभभावक , िम एवं अ य वय क
के साथ संतोषपणू स ब ध कायम
करने के िलए ‘brain – storming’
स का आयोजन करना ।
• वैयि क ताकत एवं गुण क
पहचान करते ह ।
• िवपरीत िलंग के िवषय म िचंता
को कम करते ह ।
• िलगं -स बधं ी सोच-िवचार पर
कम यान देकर व थ िम ता
रखते ह ।
• जीवन के ित सम
रखना सीखते ह ।
ि कोण
• सम याओ ं का सामना करने
वाले कौशल म सुधार करते
ह।
• वैकि पक िवचार का स मान
करना सीखते ह ।
• बोलना, सनु ना तथा गैरभािषक यवहार को अपनाते
हए स ेषण कौशल को
सीखते ह ।
िहसं ा क रोकथाम,
समाधान • िहंसा, आिद पर छोटे-छोटे समहू
एवं नशे क रोकथाम के िलए जीवन
म रोल ले करना । रोल ले के बाद
कौशल एवं योजनाएँ
िव ािथय को यह सुिनि त करना है
िक यह गितिविध उनके िलए ‘सरु ि त’
या ‘असरु ि त’ थी ।
• सािथय ारा म य थता समहू का
िनमाण करना ।
• स, शराब एवं धू पान आिद से
स बि धत मदु द पर प रचचा करना ।
• शांितपूण तरीके से
का
समाधान करना सीखते ह ।
वैयि क एवं सामािजक िवकास को • प रचचा एवं रोल ले के ारा
बढ़ाना
िव ािथय
को आ ामकता,
हठधिमता एवं शम लापन के बीच
अ तर को समझने म सहायता करना ।
• सािथय
के
सहयोग
क आव यकता वाली
प रि थितय एवं िवशेष से
मदद हेतु आव यकता वाली
प रि थितय के बीच अ तर
प ट करना सीखते ह ।
56
• सािथय के दबाव का सामना
करना सीखते ह ।
• नशीले पदाथ एवं इसके योग
के सांवेिगक एवं शारी रक
खतरे के बारे म सीखते ह ।
इस अव था के िव ािथय के िलए यह अपे ा क जाती है िक एक यापक मागदशन काय म िव ािथय को
शैि क सफलता ा त करने एवं बाद म कॅ िरयर एवं यि गत जीवन म सफलता हािसल करने म समथ बना
सकता है ।
2.7.3 उ चतर मा यिमक तथा व र ठ मा यिमक तर हेतु मागदशन गितिविधयाँ
िजन िव ालय म उ चतर मा यिमक तर पर िव ािथय के िलए मागदशन काय म उपल ध ह वहाँ मागदशन
काय म क अिधकतर गितिविधयाँ व र ठ मा यिमक तर तक जारी रहती ह । तथािप इन अिं तम क ाओ ं म
िवशेष प से आव यक कुछ गितिविधय का उ लेख करना आव यक है । इसम XI एवं XII क क ाएँ
शािमल होती ह और यह िकशोराव था से यवु ाव था म सं मण का अि तम चरण है जहाँ िव ाथ जीवन के
सभी पहलुओ ं के िवषय म जानकारी ा त करते ह । िव ािथय को वृहत् संसार म वेश करने के िलए िव ालय
छोड़ने को तैयार होना पड़ता है । यह अव था उनके शैि क एवं यावसाियक भिव य के बारे म अ यिधक
अिनि तताओ ं का ोतक होता है । शैि क एवं कॅ रयर अवसर के बहत सीिमत होने के कारण उ ह अपने
वरीयता के शैि क या कॅ रयर े म वेश क अिनि तता को लेकर अ यिधक िच ता रहती है । मागदशन
काय म का उ े य िव ािथय को वयं तथा यावसाियक अ वेषण हेतु अवसर को उपल ध कराकर उ ह
अपने वा तिवक तथा यावसाियक स यय को अिजत करने म सहायता करना है ।
येक अव था के िलए चचा क गई गितिविधय एवं उ े य को उदाहरण के प म तुत िकया गया है
िज ह अपने िव ालयी यव था क आव कताओ ं के अनुसार परामशदाताओ ं ारा अपनाया या सुधार िकया
जा सकता है ।
वैयि क एवं सामािजक िवकास
साम य े /उ े य
गितिविधयाँ
शैि क/अ ययन कौशल का िवकास • िव ािथय को िविवध ोतो से
शैि क सूचना को ा त करने,
सगं िठत करने एवं योग करने के िलए
िशि त करना ।
57
िव ािथय को लाभ
• िव ाथ सफल अिधगम
क तरफ जाने के िलए
अिभवृि य एवं यवहार
क पहचान करते ह ।
• िव ािथय को सि य एवं ायोिगक
अिधगम म शािमल करके , कायशाला,
प रयोजना काय, आिद के आयोजन
के ारा सकारा मक अिभ िच उ प न
करना ।
• मरणशि आिद के िलए िविभ न
अिधगम शैिलय एवं तकनीक को
िसखाना ।
• िव ािथय को आलोचना मक िवचार
उ प न करने वाले िवषय पर वाता,
चचा एवं दसू र के िवचार को सनु ने
के िलए ो सािहत करने हेतु समहू
मागदशन स का योग करना ।
• अतं : वैयि क कौशल का िवकास
करना ।
• आ म-िनदिशत एवं वत
िश ु हो जाते ह ।
मा यिमक के बाद शैि क योजना
• इ तेहार /ह तपुि तका देकर िविभ न
शैि क सं थाओ ं के बारे म प रचय
देना ।
िनणय लेना
• िव ािथय के िलए छोटे काय एवं
प रयोजनाओ ं क योजना बनाना एवं
काय देना तािक उनके साम य का
पणू तया उपयोग हो सके ।
• मा यिमक तर के बाद के
िवक प को अिभ िच,
अिभ मता,
अिभवृि
एवं यो यता के अनु प
पहचानते ह ।
• शैि क ल य क उ नित
का आकलन करने के िलए
सम या समाधान एवं िनणय
लेने के कौशल का योग
करते ह ।
• अपने काय के िलए
िज मेदारी लेना सीखते ह ।
• िकशोर को चनु ौतीपणू शैि क ल य
को थािपत करने म सहायता दान
करना ।
• िव ािथय को िनयिमत प से
तािकक अ यास को देना, जैसे brain
storming , नो तरी आिद ।
58
• िव ालय, अ ययन एवं
सहपाठ्यगामी गितिविधय
के बीच संतल
ु न क यो यता
दिशत करते ह ।
• वे स ेषण म बाेलना, सनु ना
एवं गैर-भाषीय यवहार को
समझते ह ।
• िव ािथय के साम य,
स मता और आ मिव वास
म सुधार होता है ।
अालोचना मक िवचार
• प रि थितयाँ दान करके िव ािथय
को िनणय देने एवं िव लेषण करने को
कहना ।
• आलोचना मक िवचार का
योग करना सीखते ह ।
• एक घटना के बारे म सही
ढंग से बहस करना, िवचार
करना एवं अवलोकन करना
सीखते ह ।
• अ त ि िवकिसत करना ।
• िव ािथय को च र िवशेषक ,
िकशोराव था से वय क अव था म
िनयोजना मक कौशल , आिद क
सं मण
आव यकता को समझने म सहायता
करना ।
• सं मण अविध का सामना
करने के िलए आव यक
जानका रयाँ देने के प चात्
िव ाथ बा पयावरण म
वेश करना आसान समझते
ह।
• िव ालय से काय /िव ालय
से उ च अ ययन म सं मण
हेतु सफलतापूवक तालमेल
कायम करना सीखते ह ।
कॅ रयर िवकास
साम य े /उ े य
कॅ रयर अ वेषण
गितिविधयाँ
िव ािथय को लाभ
• काय के संसार के िवषय म यापक
जानकारी देने के िलए कॅ रयर
मागदशन क ाएँ एवं कायशाला
आयोिजत करना ।
• काय थान म िज मेदारी,
िव वसनीयता, िनयिमतता,
स यिन ठा एवं यास के
मह व को समझना ।
• काय के िविवध े से यि य को
प रचचा के िलए आमंि त करना ।
• कॅ रयर अिभ िचय से
स बि धत पाठ्यचया का
चयन करना ।
• कॅ रयर पर दशनी एवं िफ म िदखाने
का आयोजन करना ।
• सामुदाियक एजेि सय , िनयोजक के
साथ सलाह/अ ेषण एवं िव ालय
छोड़ने वाल का फाॅलो-अप करना ।
59
कॅ रयर िनणय एवं योजना
• िनयोजन त परता का िवकास ।
• नौकरी से स बि धत सूचना उपल ध
करने के िलए सं थाओ/ं संगठन
के िवशेष के साथ कॅ रयर चचा/
कायशाला, कॅ रयर योजना स ताह
क दशनी आिद के ारा िविवध
िश ण पाठ्यचयाों एवं यवसाय
क आव यकताओ ं को वैयि क
कारक से स बि धत करना ।
• अिभ िच के े म साम य
का िवकास करते ह ।
• शैि क यो यता के अनुसार
कॅ रयर योजनाओ ं का
आकलन करते ह ।
• कॅ रयर प रप वता का
िवकास करना ।
• नौकरी तलाश करने से स बि धत
कौशल जैसे अपने िवषय म सार तैयार
करना, सा ा कार म कै से शािमल ह ,
आिद म िश ण देना ।
िविवधता एवं कॅ रयर िनणय
• नौकरी के े क आव यकताओ ं को
परू ा करने के िलए कौशल के अजन
हेतु तैयार करने म िव ािथय क
सहायता करना ।
• कॅ रयर सचू ना ा त करने के तरीक
का योग । नए एवं उभरते हए
यवसाय के िवषय म जानकारी देने
पर बल देना ।
• यापक े के कॅ रयर िनणय/
िवक प को जानने क आव यकता
के िवषय म िव ािथय से प रचचा
करना ।
वैयि क एवं सामािजक िवकास
साम य े /उ े य
आ म- ान को ससु ा य बनाना
गितिविधयाँ
• आकलन ि या का योग करके
िव ािथय क यो यता, अिभ मता,
यि व क िवशेषताओ,ं आिद को
समझना ।
60
• िकस कार से प रवतनशील
आिथक एवं सामािजक
आव यकताएँ िनयोजन
चलन एवं भावी िश ण
को भािवत करते ह, उसको
समझना।
• िव ािथय को काय थल
क प रवतनशील कृ ित को
समझने यो य बनाना िजसक
जीवनपयत अिधगम एवं
नौकरी के ज रत म
आव यकता होती है ।
िव ािथय को लाभ
• अ प कािलक एवं
दीघकािलक ल य क
योजना बनाने म समथ
होना ।
सामािजक कौशल
• समहू मागदशन गितिविधय जैसे
कायशाला, समहू प रचचा, आ मजाग कता एवं आ मिव वास बढ़ाने
के िलए आयोजन करना ।
• जीवन क घटनाओ ं को
िनयिं त करने के िलए
इनका सामना करने वाले
कौशल को सीखते ह ।
• सं ेषण कौशल को सधु ारने,
िन चया मकता के िलए िश ण
आिद के िवषय म काय म आयोिजत
करना । िविवध वैयि क एवं
सामािजक सम याओ ं के उपचार हेतु
समहू / यि गत परामश एवं सािथय
ारा परामश का योग करना ।
• िव ाथ
प रवतनशील
वैयि क सामािजक एवं
पा रवा रक भूिमकाओ ं को
पहचानना एवं प रचचा
करना सीखते ह ।
• ल य को हािसल करने के
िलए वैकि पक तरीक क
पहचान करते ह ।
• िनयम , काननू , सरु ा तथा
यि गत अिधकार क
सरु ा के बीच स बधं के
बारे म सीखते ह ।
िहसं ा क रोकथाम,
नशे क रोकथाम
समाधान एवं • िविवध कार के िहसं क यवहार पर
समहू प रचचा एवं अथापि िजसक
बड़ी क मत अदा करनी पड़ती है ।
• उ तेजना मक काय म िल त होने से
ा त प रणाम जो जीवन को बबाद
कर सकते ह, उन पर प रचचा ।
• नशे के िवषय म वाता का आयोजन
करना और इसके नकारा मक भाव
को जानने के िलए नशा –मुि के
पर जाना ।
• िव ािथय को सम याओ ं का सामना
करने क योजनाओ,ं तनाव तथा ोध
बधंन कौशल , आिद को सीखने म
सहायता देने हेतु प रचचा स का
आयोजन करना ।
61
• परे शान करने, लड़ने,
आ मह या, आिद के
नकारा मक प रणाम के बारे
म जाग कता ा त करते ह ।
• िव ालय म िव ािथय क
सरु ा क भावना, िहसं क
एवं गैर-िहंसक यवहार के
ित अिभवृि म प रवतन
आता है ।
•
के समाधान के िलए अिभभावक
के साथ मल
ु ाकात का बधं करना ।
• िबना लड़ाई के ोध को िनयंि त करने
के िलए brain storming का योग
करना।
• प रवार के साथ आनंददायक
अ यो यि या करने म समथ
होते ह ।
• रोल ले :- िव ािथय को एक िवशेष
कार क
समाधान क प रि थित
दीिजए िजसम एक यि लड़ना
चाहता है और दसू रा रोल ले म
शांितपणू समाधान करने क कोिशश
करता है । रोल ले के प चात् इस पर
प रचचा एवं िव लेषण क िजए ।
उ चतर मा यिमक अव था िवकास, संभावना, उ तेजना, िवि तता, िनराशा एवं आशा से भरी होती है ( ASCA
ितमान,2003) । इस अव था म िव ािथय को वैयि क एवं सामािजक ल य को ा त करने और उपयु त कॅ रयर
ल य क थापना करने और इस कार समदु ाय एवं समाज हेतु यापक तर पर उनके योगदान के िलए मागदशन
एवं परामश काय म अित आव यक ह ।
एक सम मागदशन काय म गितिविधय एवं सेवाओ ं को चरु मा ा म उपल ध कराता है िजसम आकलन,
सचू ना परामश, सलाह, अ ेषण, िनयोजन, फाॅलो-अप एवं मू यांकन शािमल ह। काय म िव ािथय के
साम य को के ि त करता है िजसका उ े य उनक किमय पर यान देने के बजाय उनक ताकत को बढ़ाना
होता है । जैसा िक मागदशन काय म सभी तर ( ाथिमक, मा यिमक एवं उ चतर मा यिमक ) पर जड़ु ा हआ
है इसिलए काय म क िनर तरता को कायम रखना है और िव ािथय क आव यकताओ ं पर समुिचत यान
देने क अपे ा क जाती है ।
आ म-िनरी ण अ यास 2
िन निलिखत का िमलान क िजए : 1 मागदशन पाठ्यचया
: 1 संकटकालीन परामश, अ ेषण, सलाह ।
2 वैयि क िव ाथ योजना
: 2 काय म बंधन, आंकड़ का िव लेषण, लेखन ।
3 िति याशील सेवाएँ
: 3 समी ा, सलाह देना, िनयोजन ।
4 यव था सहयोग
: 4 क ा-अनदु श
े न, छोटे समहू म प रचचा करना ।
2.8 सारांश
एक मागदशन काय म को िव ािथय के स पणू िवकास को सुसा य बनाने के िलए गितिविधय के तारामंडल
(समहू ) के प म िनिमत करना चािहए । इस कार के काय म को आयोिजत करने के िलए अनेक िबदं ओ
ु ं पर
62
िवचार करना आव यक होता है । ब च और समाज क ज रत /माँग क िवकासा मक आव यकताओ ं को
यान म रखते हए मागदशन गितिविधय को योिजत करना है । िव ािथय क सम याओ ं एवं आव यकताओ ं
का सव ण िकया जाना चािहए । यह अित आव यक है य िक काय म के ल य, उ े य, ि या वयन
योजनाएँ एवं मू याक
ं न तकनीक िनधा रत िकए गए समहू क आव यकताओ ं पर िनभर होते ह । िव ालयी
परामशदाताओ ं को आव यकता के आकलन क ि या से पूण प से प रिचत होना चािहए । उ ह िव ालय
म और िव ालय के बाहर उपल ध ोत का अपने काय म योग करने के संदभ म अपने तरीके से सव ण भी
करना चािहए ।
मागदशन काय म के िविवध ितमान ह । कुछ िव ालय म पणू कािलक परामशदाता ह जबिक कुछ म िश क
परामशदाता ह और इसम से अिधकतर िव ालय म के वल कॅ रयर िश क ह । मागदशन के मु य िनवेश े
ि याि वत िकए जा रहे ितमान के आधार पर अलग-अलग ह गे ।
आ म-मू याक
ं न अ यास
1. एक मागदशन काय म क आव यकताओ ं के आकलन म आपके ारा यान िदए जाने वाले चरण क
या या क िजए ।
2. एक यापक िव ालय मागदशन काय म के आव यक घटक या ह ?
3. शैि क िवकास के िलए िव ालय के उ चतर मा यिमक तर पर एक मागदशन काय म क गितिविधय
को उनके िवशेष उ े य के साथ रेखािं कत क िजए ।
आ म- मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
1-िन निलिखत चरण क िव तृत प से या या क िजए:
• एक योजना सिमित का गठन करना
• मागदशन काय म के उ े य क या या करना
• योग िकए जाने वाले उपकरण क पहचान करना
• उपकरण का ब ध करना
• प रणाम को ि याि वत करना
• फाॅलो अप
2-एक मागदशन काय म के िन निलिखत घटक क या या करना :
• मागदशन पाठ्यचया
• वैयि क िव ाथ योजना
63
• िति याशील सेवाएँ
• यव था म सहयोग
3- वैयि क एवं सामािजक िवकास
साम य े /
गितिविधयां
उेय
शैि क अ ययन कौशल
• िव ािथय को िविवध कार के ोत से शैि क सूचनाओ ं को ा त
करना, संगिठत करना एवं योग करने म िश ण देना ।
• िव ािथय को सि य एवं ायोिगक अिधगम म शािमल करके वकशाॅप,
प रयोजना, आिद के ारा सकारा मक अिभ िच उ प न करना ।
•
मरणशि आिद के िलए िविभ न अिधगम शैिलय एवं तकनीक को
िसखाना ।
• िव ािथय के िलए आलोचना मक िवचार एवं सम या समाधान उ प न
करने वाले िवषय पर वाता, चचा एवं दसू र के िवचार को सनु ने के िलए
ो सािहत करने हेतु समहू मागदशन स का योग करना ।
उ चतर मा यिमक के बाद क शैि क • इ तेहार / हडबुक देकर िविवध शैि क सं थान के िवषय म प रिचत
योजना
कराना ।
िनणय लेना
आलोचना मक िवचार
िव ाथ से वय क म सं मण
• िव ालयी िवषय एवं अ य गितिविधय तथा िव ालय के बाद शैि क
एवं कॅ रयर अवसर के बीच स ब ध थािपत करना ।
• िव ािथय को छोटे-छोटे काय एवं प रयोजनाओ ं को करने के िलए देना
तािक उनक मताओ ं का पणू तया उपयोग िकया जा सके ।
• िकशोर को चनु ौतीपणू शैि क ल य को थािपत करने म सहायता
करना ।
• िव ािथय को िनयिमत प से तािकक अ यास देना ।
• िव ािथय को िविवध कार क प रि थितय को दान करके उनसे
िनणय देने एवं िव लेषण करने के िलए कहना।
• च र एवं िनयोजना मकता कौशल के संदभ म समाज क
आव यकताओ ं को समझने म िव ािथय क सहायता करना ।
• िकशोर म वृि प रप वता का िवकास ।
64
आ म- िनरी ण अ यास के उ तरिबंदु –
आ म-िनरी ण अ यास -1
िवशेष परामशदाता
• एक यावसाियक प से िशि त यि
• पणू कािलक परामशदाता के प म कायरत
कॅ रयर िश क
• अ पकािलक िशि त एक िश क
• िव ािथय को कॅ रयर सचू ना उपल ध कराता है ।
िश क- परामशदाता
• मागदशन एवं परामश म िशि त िश क
• एक िव ालयी यव था म िश क एवं परामशदाता के प म काय करता है ।
आ म-िनरी ण अ यास -2
iv
2. iii
3. i
4. ii
सदं भ पु तक
• American School Counselor Association. 2003. The ASCA national model:
• A framework for school counseling programs. Professional School Counselling.
6 (3), 165-168.
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School Counsellor. Alexandria.
• Bhatnagar, A. and Gupta, N. (Eds.). 1999. Guidance and Counselling: A Practical
Approach. ( Vol.1). Vikas Publishing House. New Delhi.
• Mooney R.L. and Gordon L.V. 1950. Problem Checklist. Psychological
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• Rimmer, S. M. and Burt, M. A. 1980. Needs assessment: A step-by-step approach.
The School Counsellor. November, 59-62.
पठनीय पु तक
• Arizona Department of Education. 2007. Handbook of the Arizona Model: A
Framework for School Counselling Programs. Phoenix, AZ.
65
• Caroll, M. R. 1980. Standards for guidance and counselling programs. The
School Counsellor. November, 86-86.
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Guidance and Counselling. 22, 37-45.
• Iowa Department of Education. 2008. Iowa School Counselling – A Program
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• Massachusetts Department of Education. 2006. Massachusetts Model for
Comprehensive School Counselling Programs. Amherst.
• Kellett, M. and Nind, M. 2003. Implementing Intensive Interaction in Schools:
Guidance for Practitioners, Managers and Coordinators. David Fulton. London,
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• Scales, P. C. 2005. Developmental assets and the middle school counselor.
Professional School Counselling. 9(2), 104-110.
• Wigfield, A., Lutz, S. L. and Wagner, A. L. 2005. Early adolescents’ development
across the middle school years: Implications for school counselors. Professional
School Counseling. 9(2), 112-119.
वेबसाइट्स
• www.ade.az.gov
• www.iowaschoolcounselors.org
• www.mtschoolcounselor.org./MT_school_Counseling_Programme_Model/
Process_Model.html
• www.masca.org
• www.schoolcounselor.org
66
3
िवशेष आव यकता वाले ब च के िलए मागदशन
एवं परामश
भाग – I
मानिसक प से िवकृत/बौि क प से अश त ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग – II
अिधगम अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग – III
शारी रक अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
भाग – I मानिसक प से िवकृत/बौि क प से अश त ब च के िलए मागदशन एवं परामश
3.0
प रचय
3.1
उेय
3.2
बौि क प से अश त ब च के ल ण
3.3
बौि क प से अश त ब च क आव यकताओ ं को पहचानना
3.4
बौि क प से अश त ब च के िलए मागदशन
3.5
शैि क मागदशन के िलए सुझाव
3.6
सामािजक-सांवेिगक िवकास हेतु परामश
3.7
पयावरणीय ह त ेप
3.8
मानिसक प से िवकृ त ब च के माता-िपता के साथ काय करना
3.9
मानिसक प से िवकृ त ब च के िलए यावसाियक पनु वास
3.10 सारांश
आ म-मू याक
ं न अ यास
आ म-मू याक
ं न अ यास के उ तरिबदं ु
आ म-िनरी ण अ यास के उ तरिबदं ु
संदभ पु तक
68
3.0 प रचय
बौि क प से अश त या मानिसक प से िवकृ त श दावली का योग उन लोग के िवषय म बताने के िलए
िकया जाता है िजनक बिु लि ध (IQ) सामा य बिु तर से नीचे होती है । बौि क अश तता वतमान समय
म इसके िलए वरीयता वाली श दावली बन गई है िजसे पहले मानिसक प से मदं बिु के प म योग िकया
जाता था । मानवोिचत प से यि को संबोिधत करने के तरीके म प रवतन सीिमत बौि क मता वाले लोग
के ित समाज म सकारा मक अिभवृि को बढ़ाने म एक मह वपूण कदम है । यह कदम इस कार के लोग के
जीवन म एक बेहतर भाव डाल सकता है ।
िन निलिखत यि अ ययन (case) बौि क प से अश त एक ब चे का उदाहरण है ।
राजू अपने बड़े भाई रामू क तल
ु ना म बहत धीरे -धीरे िवकिसत हआ जो उसके माता-िपता के िलए िचतं ा का
कारण था । 6 वष क उ म उसक वाक् मता इतनी धीरे -धीरे िवकिसत हो रही थी िक उसके माता-िपता ने
सनु ने म कमी का संदहे िकया । तथािप ऑिडयोलाॅिज ट को राजू के सनु ने म कुछ भी कमी नह ं िमली और राजू
को एक मनोवै ािनक के पास अ ेिषत कर िदया िजसने राजू के कई कार के े ण िकए और एक मानक कृ त
बुि परी ण िकया । बिु लि ध (IQ) परी ण म परी ण ा तांक 60 का संकेत िदया जो बुि लि ध के
औसत ा तांक 100 से बहत नीचे था । य िप काल मानसु ार राजू अब 7 वष का है लेिकन वह 3-4 वष के
ब चे के समान काय करता है । उसने अपने उ के तर के िलए आ म-सहायक आव यक कौशल जैसे –कपड़े
पहनना, भोजन करना, यि गत वा य आिद को अिजत कर िलया है लेिकन कभी-कभी वह आ ामक हो
जाता है । राजू म यम प म बौि क अश तता से पीिड़त होने वाला एक ब चा है ।
उपयु त यि अ ययन उस क ट का िच ण करता है िजसे एक सीिमत बिु वाले ब चे को सहना पड़ता है ।
ाय: यह समझा जाता है िक सीिमत बौि क मता वाले ब च क बिु लि ध सामा य से नीचे होती है और
इस कार के ब चे सीखने या अपनी देखभाल करने म असमथ होते ह । य िप बौि क प से अश त ब च
क बिु लि ध (IQ) साथक प से कम होती है और दैिनक काय म बहत सम याओ ं का सामाना करना पड़ता
है लेिकन उनम से बहत लोग काफ हद तक सीख सकते ह और एक वय क के प म कम-से-कम आंिशक
प म वतं जीवन िबता सकते ह । यह इकाई बौि क प से अश त ब च के ल ण एवं दैिनक जीवन तथा
िव ालय म उसके सामने उपि थत होने वाली शारी रक, वैयि क एवं संवेगा मक सम याओ ं के बारे म चचा
करती है ।
य िप वरीयता क श दावली बौि क अश तता है िफर भी बौि क एवं िवकासा मक अ मता पर अमे रकन
एसोिसएशन (AAIDD, पहले AAMR) के ारा घोिषत अािधका रक प रभाषा एवं पवू धारणा वैसी ही है जैसा
िक मानिसक प से मंदबिु के प म पाई गई है ।
बौि क अश तता को एक मह वपणू उप-औसतीय बौि क काय- णाली के प म प रभािषत िकया गया है
जो अनुकूलन यवहार क कमी के समवत रहती है (अमे रकन मनोिचिक सक संघ 1994) । उप-औसतीय
बौि क अश तता काय- णाली बिु लि ध से संबंिधत है जो मानक कृ त बुि परी ण के अनसु ार 70 या
उससे कम होती है । 55 से 70 के बीच बिु लि ध ा तांक वाले यि य म म यम बौि क अश तता होती है
69
और 40 से 55 के बीच, 25 से 40 के बीच एवं 25 से नीचे बिु लि ध ा तांक वाले यि य म मश: म द,
ती , तथा ग भीर बौि क अश तता होती है । अनुकूलक यवहार म कमी एक यि क सीिमतता से सबं िं धत
है िजसम अपने दैिनक आव यकताओ ं का यान रखने के िलए उसे अ य लोग पर िनभर रहना पड़ता है ।
इसका यह ता पय नह है िक बौि क अश तता वाला एक यि अपनी आव यकताओ ं का यान रखने के
िलए कभी भी अपने आप म समथ नह ं हो सकता है । इस इकाई म इस िवषय पर चचा क जाएगी िक िकस
कार से सही सहयोग, िश ा एवं िश ण के ारा वे आिं शक प म वावल बी हो सकते ह । इस संदभ म,
अिभभावक, िश क एवं परामशदाता मानिसक प से िवकृ त ब च को बेहतर जीवन उपल ध कराने म एक
मख
ु भिू मका िनभा सकते ह और वे िश क के सहयोग से कुछ सीमा तक वावल बी बन सकते ह ।
3.1
उेय
इस इकाई के अ ययन के प चात् आप िनि निलिखत पहलओ
ु ं को समझने म स म ह गे :
• बौि क अश तता के अथ एवं िकस कार से वे अ य ब च से अलग होते ह, इसका वणन करने म ।
• इस समहू के िव ािथय एवं उनके अिभभावक के ारा सामना क जा रही सम याओ ं एवं िवशेष
आव यकताओ ं क या या करने म ।
• उनके बल प को पहचानना तथा उनके िवकास एवं बेहतर समायोजन को बढ़ाने के िलए मागदशन
एवं गितिविधय क योजना बनाना एवं आयोिजत करना ।
3.2 बौि क प से अश त ब च के ल ण
जैसा िक पहले उ लेख िकया जा चक
ु ा है, बौि क अश तता न , म यम, ती से चडं तर तक होती है ।
बौि क अश तता के मु य ल ण म शािमल ह –
• दैिनक ि याकलाप जैसे सावं ेिदक एवं चालक सम वयन, बोधा मक चालाक कौशल , वयं
के देखभाल करना, सामािजक कौशल , सं ेषण, आ म-िनदेशन, वा य एवं सरु ा, ि या मक
िश ण, आराम एवं काय, आिद के िलए अनुकूलन कौशल क यो यता म कमी ।
• पठन एवं गिणत के े म मह वपणू कमी के साथ िन न तरीय शैि क उपलि ध ।
• वाणी एवं भाषा के िवकास म िवल ब और सीिमत श दकोश ।
• िवि ताव था म िन न तरीय सहनशि ।
• यादा देर तक यान न दे पाना/एका ता म कमी ।
• स त एवं कठोर वातावरण का सामना करने म असमथ होना ।
• आ म-िव वंसक िवशेषक ।
70
• िकसी काय हेतु िन न तरीय ेरणा ।
• खराब आ म- ित प ।
3.3 बौि क प से अश त ब च क आव यकताओ ं को पहचानना
जैसे-जैसे वे बड़े होते ह और दैिनक जीवन क गितिविधय म िनपणु ता हािसल करना चाहते ह उ ह सामा य
ब च क तुलना म सहयोग क अिधक आव यकता होती है य िक वे भोजन करना, कपड़े पहनना, नहाना एवं
तैयार हाेने जैसे काय को अपने आप करने म बहत किठनाई महससू करते ह । चीज को इस कार क भाषा म
या या करने क आव यकता है िजसे वे समझ सक जैसे अिधगम के िलए बार-बार दोहराने एवं अ यास, मतू
पदाथ एवं उदाहरण के योग क आव यकता होती है ।
बौि क प से अश त येक ब चे के िवषय म िव तृत आकलन एवं काय योजना को यवि थत प से
रखना बहत आव यक है । इन ब च के िवकास को िवशेष िश क , अ यापक एवं परामशदाताओ ं के
ारा िनगरानी िकए जाने क भी आव यकता होती है । इसे ि या मक आकलन उपकरण के ारा िकया जा
सकता है । पूव- ाथिमक से लेकर पवू - यावसाियक तर तक के ब च के िलए िविवध कार के ि या मक
आकलन ह । िश ण के े को पाँच ेिणय म रखा गया है । वैयि क, सामािजक, शैि क, यावसाियक
एवं मनोरंजना मक ।
दि ण-पवू एिशयाई े (SEAR) के सद य देश म एक मु य सकारा मक िवकास यह है िक एक बड़े तर पर
न बौि क अश तता वाले ब च का सामा य िव ालयी यव था म अनौपचा रक या नैिमि क एक करण है ।
कुछ यास के साथ यह सिु नि त करना संभव है िक इस कार के ब च के िलए यि गत तर पर यान िदया
जा सकता है । इसे िश क को िश ण देकर एवं िशि त िश क को उपल ध कराकर िकया जा सकता है ।
सामा य िव ालयी यव था म एक मानिसक प से अश त ब चे को इस कार बहत-सी सम याओ ं का
सामना करना होगा जैसे – दसू रे ब चे उसके प-रंग, उनक तल
ु ना म कमजोर या धीमा होने का मजाक उड़ा
सकते ह । कुछ मुख सम याएँ नीचे दी गई ह िजनका एक ब चे को सामना करना पड़ सकता है:
• माता-िपता के ारा अित सरु ा जो उ ह अपने प रि थित क सामना करने म असमथता क तरफ ले
जाती है ।
• समक सािथय एवं दसू र के ारा उपेि त/अ वीकृ त िकए जाने क भावना ।
• बार-बार क असफलता के कारण वयं को बेकार समझने क भावना ।
• अपने ल य को ा त करने म असमथ होने पर िवि तता क भावना ।
• खराब आ म-स यय/िन न तरीय आ म- ित प/नकारा मक शरीर ित प ।
• अपने समवय सािथय क तल
ु ना म खेल म बहत कम अिभ िच होती है ।
• नये काय को करने म भय ।
71
• आ ामकता, सामान को तोड़ने म िल त होना या हा यजनक शोर करना, आिद ।
• अजनिबय के साथ बातचीत करने म सम या होती है ।
• अपनी ताकत या यो यता के िवषय म जानकारी नह होती है ।
• आसानी से हार मान लेते ह या यास ही नह करते या बहत कम यास करते ह ।
3.4 बौि क प से अश तता वाले ब च के िलए मागदशन
एक िश क-परामशदाता के प म आपके िलए मानिसक प से िवकृ त ब चे क ताकत एवं िवशेष यो यता,
अिभ िच, मह वाकां ा, पा रवा रक पृ ठभूिम एवं अ ययन क आव यकताओ ं को समझना बहत
मह वपूण है । बौि क अश तता वाले ब च के िलए मागदशन म िन निलिखत काय शािमल ह गे:
• ब चे क आधारभतू पाि का (profile) का आकलन ।
• अपनी किमय को वीकारने एवं समायोजन करने तथा सकारा मक प को मजबतू करने म सहायता
हेतु एक गमजोश और ो सािहत करने वाले वातावरण को उपल ध कराना ।
• खराब आ म-स यय/िन न तरीय आ मस मान के कारण क पहचान करना तथा दसू रे लोग को
जब भी संभव हो इनक शंसा करने के िलए ो सािहत करना ।
• सफलता क तरफ ले जाने वाले संरचना मक यास म लगे रहने, रोल ले के मा यम से जोिखम लेने
को ो सािहत करने तथा कठपतु ली, िच , गिु ड़या, आिद का खेल साम ी के प म योग करने म
सहायता करना ।
• िविभ न प रि थितय जैसे प रवार के िलए िलखना तथा दसू र से अपने बल प के बारे म बात करने
के सफल अनभु व को उपल ध करवा कर आशावादी िच तन का िवकास करना ।
• अिधगम स मता के तर के अनुसार उ ह उपयु त अिधगम अवसर को उपल ध कराना ।
• जीिवकोपाजन म उ ह समथ बनाने के िलए कुछ यावसाियक कौशल को सीखने म सहायता करना ।
• वयं के एवं दसू र के िलए अपनी मता के अनसु ार ब चे को छोटे-छोटे काय एवं क य को करने
के िलए ो सािहत करके उनक सकारा मक अिभवृि को िवकिसत करना और क ा म िश क एवं
सािथय के ारा तथा घर म माता-िपता एवं भाई-बहन के ारा उसके काय को परु कृ त करके उसे
सश त बनाना ।
• उसक कमजो रय एवं डर के कारण का पता लगाना और उसके आ मिव वास को बढ़ाने के िलए
इन े पर काय करना ।
• उसक यि गत किठनाइय एवं समायोजन सम याओ ं के ित सावधान रहना ।
• शिम दगी से बचने के िलए समझदारीपणू यास करना और अपने काय के िलए अनमु ोदन एवं शसं ा
करने म उनक सहायता करना ।
72
• सभं ािवत अवसर को उपल ध कराने के िलए ब चे क अिभवृि , संभा य अिभ िच, पा रवा रक
पृ ठभिू म एवं ससं ाधन के आधार पर एक यवसाय हेतु तैयार करना ।
• अपने एवं अ य के ित स पणू एवं सरं िचत अिभवृि का िवकास करने के िलए उसको ो सािहत
करना ।
• उनक आव यकताओ ं के अनु प एक कॅ रयर िश ा काय म क योजना बनाना एवं उ ह इसम
शािमल करना ।
• मानक कृ त यं , परी ण एवं उपकरण , माता-िपता एवं प रवार के अ य सद य के साथ सा ा कार
एवं े ण क सहायता से उनक अिभ िच, अिभ मता एवं अ य बल प के बारे म आकलन
करना ।
• यावसाियक िश ण के
पर काय अ ययन काय म के िलए अवसर उपल ध कराना ।
• बाद म आने वाली यावसाियक तथा सामा य समायोजन सम याओ ं क रोकथाम के िलए समूह
मागदशन गितिविधय , यि गत परामश, आिद के ारा कै प/अिभिव यास काय म का ब ध
करना ।
• सही यवहार को सीखने का अवसर उपल ध कराना तािक उ ह और उनके प रवार के सद य
को अनाव यक शिम दगी एवं िवि तता से न गजु रना पड़े। यह उ ह अश तता के बावजदू सफल
यि य के वा तिवक जीवन के उदाहरण को बताकर एवं उन यि य से बातचीत करा कर िकया
जा सकता है ।
• मानिसक प से िवकृ त ब च क सामािजक अ यो यि या के िवकास के िलए उनके प रवारजन
एवं अ य यि य को शािमल करके लब क थापना करना एवं गितिविधय का आयोजन
करना । िव ालय म माता-िपता को एक कायकता के प म शािमल करके काय म का
आयोजन करना एक अ छा िवचार है ।
• सामािजक अ यो यि या के िलए अवसर उपल ध कराना य िक उनका सामािजक वातावरण एवं
िच ता ाय: उ ह सचू ना का पता लगाने क कोिशश को रोकती है जो िवशेष प से उनके ारा
लिगकता के अनभु व का सामना करने के िवरोध म होती है । इस कार क सचू ना को बताना तािक
उनके न का समाधान हो सके ।
• िव ािथय क अपने स म शरीर वाले सािथय के समान होने क भावना पर िवचार करना और जब
यह नह हो पाता है तो उनम उदासीनता, िनराशा या ोध कट होता है इसिलए क ा म यादा-सेयादा गितिविधय का आयोजन करना चािहए जो मानिसक प से िवकृ त ब च के आ मिव वास
को बढ़ाने हेतु उनक िवशेष स मता को बाहर िनकलने म सहायता दान करती ह ।
• समहू या यि गत प रचचा के ारा इस कार के ब च क िच ताओ ं के समाधान म सहायता करना ।
73
• समहू गितिविधय के आयोजन एवं पहल करने हेतु उ ह पुर कृ त करके िनणय लेने एवं वयं-सहायता
हेतु िव ािथय को े रत करना ।
• सभी िव ािथय के साथ गमजोशी, वीकरणीय एवं भावशाली सबं धं का िवकास करना ।
• दैिनक काय को छोटे-छोटे काय म बाँट करके तथा औपचा रक एवं अनौपचा रक गितिविधय को
अदल-बदल करके मानिसक प से िवकृ त िव ािथय क िवशेष आव यकताओ ं के िलए अपे ाकृ त
स त वातावरण अपनाना।
उपयु त िदए गए त य से यह िन कष िनकाला जा सकता है िक इन ब च क यि गत किठनाइय एवं
समायोजन सम याओ ं के िवषय म सावधान रहना अ य त मह वपणू है । क ा के अ य ब च को िविवध
कार क समहू गितिविधय म इन ब च को शािमल करने के िलए े रत िकया जा सकता है । अिभभावक का
मागदशन एक अ य िज मेदारी है य िक अिभभावक को अपने ब च को अिधगम म होने वाली किठनाइय
क अनभु िू त को जानने िक आव यकता होती है । अपने ब च के पालन-पोषण म उपयु त सलाह ा त करने
के िलए अिभभावक को उसी कार क सम या का सामना करने वाले ब च के अिभभावक से बातचीत करने
क आव यकता होती है । बौि क प से अश त ब चा यि के ि त अंत: ेप एवं मतू अनुभव से अिधक
लाभाि वत होता है । वह शंसा से े रत हो सकता है । िश क/परामशदाता को िव ािथय क वा तिवक
अिधगम मताओ ं के ित जाग क रहने क आव यकता है ।
3.5 शैि क मागदशन के िलए सझ
ु ाव
य िप ये ब चे अिधगम म धीमे ह पर तु यह सविविदत त य है िक सही कार क शैि क तकनीक के योग
के ारा िश क क तरफ से थोड़ा-सा यास करने/होने पर बौि क प से अश त ब च को पढ़ने, िलखने एवं
गिणत के आधारभतू कौशल के िवषय म जानकारी देना संभव है िजसक या या िन निलिखत है :
• िव ािथय के िवकास के आकलन हेतु संपक रपोट बनाने के िलए उनसे समय-समय पर िमलना ।
• इस कार क तकनीक जैसे - उ ह नई चीज को िसखाने के िलए मतू से अमतू क तरफ ले जाना, रंगिबरंगी पाठ्यपु तक का योग करना, यवहार म सधु ार करने वाली तकनीक - बलन, द ड के साथसाथ खेल साम ी, आिद का योग करना । यह िवशेष प से छोटे ब च के िलए भावी होता है ।
• अश त िव ािथय के िलए आव यकता पर आधा रत काय म के सुझाव हेतु उनक अिभ िचय ,
ितभा, आव यकताओ ं एवं कॅ रयर ल य को पहचानना एवं मा यता देना ।
• उ चतर मा यिमक िव ालयी वष के समय यावसाियक गितिविधयाँ या काय अ ययन काय म
क योजना बनाना चािहए जो अश त िव ािथय के िलए उपयोगी हो सकता है । उ ह काय के संसार
क वा तिवकता क जानकारी दान करना िजसम उनके ारा िकए गये काय के िलए उ ह परु कृ त
करके समझाना है िक परु कार िदए गए काय को परू ा करने एवं उ पादकता के सदं भ म दान िकया
जाता है ।
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• आधारभतू एवं िनदाना मक िश ा उपल ध कराने के िलए शैि क ल य एवं यव था के बारे म उ ह
पुन: जानकारी देने के िलए िवशेष प से िशि त िश क का सहयोग लेना ।
• समदु ाय म उपल ध िनरोधक सेवाओ ं म प रवार को िशि त करके उनक सहायता करना जो अश त
िव ािथय को अ य सहायक अनु प सम याओ ं से बचा सकता है ।
िश क के िलए कुछ अ य सुझाव :
• िदखाना, दशन करना एवं ितमान ।
• बहसांवेिगक अिधगम का उपयोग करना ।
• जानका रय को छोटे-छोटे टुकड़ म िवभ त करना ।
• समवय सािथय से सीखना एवं सहयोगा मक अिधगम का उपयोग करना ।
• िवकासा मक प से उपयु त उपागम का योग करना ।
• सचू नाओ ं को िजतना सभं व हो सके , मतू प म दान कर ।
• अनदु श
े न के छोटे समहू उपल ध कराना ।
• िव ािथय के परी ण साम ी का अ ययन क िजए ।
• पता लगाइए िक िव ाथ िकस प म सबसे बेहतर ढंग से सीखता है और इस अिधगम के तरीके का
उपयोग क िजए ।
• अनवरत सफलता हेतु अवसर उपल ध कराना ।
• नए कौशल को िसखाते समय अनक
ु ू ल श दावली का योग करना ।
• सभी िव ािथय को सहयोगा मक प से काय करने एवं सम या का समाधान वे िजस तर पर ा त
कर सकते ह उसके िलए समय देना एवं ो सािहत करना चािहए ।
• िव ािथय को िविभ न तरीक से अपने िवचार को य त करने एवं उिचत ठहराने के िलए अवसर
दान करना ।
• सम या उ प न करने वाले काय एवं open-ended न का अ यिधक योग करना ।
• िव ािथय क तकशि हेतु अपे ाओ ं को बढ़ाना एवं बहिविध समाधाना मक योजनाओ ं को
ो सािहत करना ।
• िव ािथय के आपसी सवं ाद एवं सहयोग पर अिधक बल देना ।
• िश क िनदिशत अनुदश
े न का कम योग करना ।
75
आ म-िनरी ण अ यास – 1
िन निलिखत कथन को पढ़ कर सही या गलत का िच ह् लगाइए ।
सही
गलत
1. बौि क अश तता उप-औसतीय बौि क काय- णाली से सबं िं धत होती है ।
2. म यम बौि क अश तता 20 से नीचे के बिु लि ध तर से संबंिधत होती है ।
3. माता-िपता के ारा अित सरु ा से एक मानिसक प से अश त ब चे क सम याओ ं का सामना करने
क यो यता म सधु ार होता है ।
4. बौि क प से अश त ब चा यि -के ि त अतं : ेप से अिधक लाभ ा त करता है ।
ि याकलाप – 1
उस िव ालय के संदभ म िजससे आप संबंिधत ह, नीचे उ लेख िकए गए े से संबंिधत कारक क पहचान
क िजए जो मानिसक प से अश त ब च क िश ा म बाधक ह तथा त भ अ म उनक सूची बनाइए । त भ
ब म उन अंत: ेप को िलिखए जो उन बाधाओ ं को दरू करने के िलए आव यक हो सकते ह ।
तािवत े
त भअ
त भब
पाठ्य पु तक
िश ण/अिधगम
ि या
क ा यव थापन
मू याक
ं न
3.6 सामािजक-सांवेिगक िवकास हेतु परामश
ारंिभक तर पर उपयु त अिभभावक य परामश बहत आव यक है । डॉ टस, मनोवै ािनक एवं सामािजक
कायकता उपल ध उपचार हेतु दशा एवं िवक प के बारे म अिभभावक को सही कार से समझाकर तथा साथही-साथ उनके संदहे का प टीकरण करके अिधक अंतर ला सकते ह । अिभभावक य परामश म संवेगा मक
सहयोग एवं मागदशन उपल ध कराना तथा मनोबल को मजबूत करना भी शािमल होता है । एक बार जब
अिभभावक प रि थित को समझ लेते ह तब उ ह ब चे के िववेचन एवं िश ण हेतु उपयु त तरीक को सीखने
क आव यकता होती है । अिभभावक को इस कार क सहायता, मागदशन एवं सहयोग क जैसे-जैसे ब चा
बड़ा होता है िवशेष प से िकशोराव था के समय, ारि भक वय क अव था एवं संकटकालीन समय म
अनवरत आव यकता होती है ।
िवकासशील देश म अित र त कारक जैसे धम, अंधिव वास, सामािजक अिभवृि , आिद प रि थित को
अिधक जिटल बना देते ह । इससे भी आगे यह दावा कर सकते ह िक कुछ िनि त दवाइयाँ एवं जड़ी-बटू ी बुि
को सधु ार सकते ह ।
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यह सुिनि त करना बहत मह वपणू है िक अिभभावक अपने धन एवं मू यवान समय को उस कार के उपचार
म न लगाएँ जो सदं हे ा पद है या िजसका कोई मह व नह है ।
एक पेशेवर परामशदाता एवं मनोवै ािनक के ारा वैयि क परामश स एक या दो अ यो यि या स से लेकर
स क एक ख
ंृ ला तक जो एक लंबे समय तक चल सकती है, के प म हो सकते ह । यह े ण िकया गया
है िक –
• अित सरु ा ब च को दसू र के ऊपर आि त रहने क तरफ ले जाती है जो यि क अश तता
क वा तिवकताओ ं से बहत अलग होती है । इसिलए उनको वावल बी होने के िलए ो सािहत
करना चािहए । इसके अित र त आव यक सहयोग एवं वतं ता के ो साहन के बीच एक सही एवं
वा तिवक योजना बनानी चािहए य िक अित मानिसक प से अश त के ित अिभवृि को तुत
करता है लेिकन वतं ता के िलए अिधक ो साहन कभी-कभी खतरनाक या किठन िस हो सकता
है ।
• मानिसक प से अश त िव ािथय को बेहतर ढंग से समझने और अ य िव ािथय क सहायता
के िलए सलाह-िवशेष क भूिमका अदा करना चािहए । मानिसक प से अश त िव ािथय को
उपयु त ढंग से िति या हेतु िव ालय के वातावरण को अिधक अनक
ु ू ल प से िवकिसत करना
चािहए ।
बड़े ब च एवं अिभभावक ारा सामना िकए जाने वाले िनभरता/ वतं ता के मु े और अ य सामािजकसांवेिगक मु को सल
ु झाने म यि गत परामश सहायक हो सकते ह । पा रवा रक परामश म ब चे एवं उसक
किठनाइय के बारे म चचा करने एवं पा रवा रक सबं ंध को सधु ारने म सहायता करने तथा घर पर अ तवयि क
दबाव को कम करने के िलए प रवार को एक साथ लाया जा सकता है ।
अश त िव ािथय के िलए सफल परामश तकनीक वही ह िजनका योग दसू र के िलए िकया जाता है िफर
ब चे क अिधकतम वीकृ ित के िलए अिभभावक को परामश देने के िलए िवशेष कौशल क आव यकता
हो सकती है ।
परामश ारा मानिसक प से अश त ब चे को एक तर तक वतं होने के िलए मदद एवं ो साहन िदया
जाना चािहए जो वातावरणीय कावट एवं आ त रक बलक क िनभरता के बावजदू उनक सभं ावनाओ ं के
अनक
ु ू ल हो ।
परामश उपागम के वल तभी भावशाली हो सकते ह यिद ब चे क ताकत एवं सीमाओ ं को यान म रखा जाए
और परामश उपागम ब चे क आव यकताओ ं के अनक
ु ूल ह ।
3.7
पयावरणीय ह त ेप
िविवध कार के पयावरणीय खतरे होते ह िजनका एक मानिसक प से अश त ब चे को सामना करना पड़ता
है जैसे – वचं न, दाग, शारी रक एवं लिगक दु यवहार तथा िवकास के सीिमत अवसर जो बौि क अश तता
77
से संबंिधत ा िपक िवचार या इसका सामना करने म उनक अस मता के कारण होता है ( यूरे, 1994,
थ र जर, होटन एंड माइिलया, 1990) ।
मानिसक प से अश त ब चे सं थान के िलए भी गंभीर खतरा होते ह िवशेष प से गंभीर एवं चंड ेणी
के अश त ब चे ( ो ले एडं लेचर, 1991; रॉउजी, लेचर एडं हैनमैन, 1990) और भी, सं थान म ब चे
िविवध पयावरणीय खतर जैसे – वसन रोग (ओ. ायन, टेट एडं जै रया, 1991) तथा दु यवहार एवं उपे ा
( यरू े , िनसेन एडं ाचं , 1994) के कारण गभं ीर खतरे म रहते ह ।
इस कार एक अनुपयु त पयावरण इस कार के ब च के िवकास म और भी िवल ब करता है इसिलए यह
बहत मह वपणू है िक:
• ब चे के पयावरण के उन पहलओ
ु ं क पहचान करना जो प रवार म किठनाई उ प न कर रहे ह जैसे
िव तीय सीमाएँ नौकरी करने वाले अिभभावक क सम याएं, आिद जो मानिसक प से अश त
ब चे के िलए बाधाओ ं का िनमाण कर रहे ह और उनके िलए सहयोग क यव था करना ।
• अश त ब चे को समझने एवं वीकार करने के िलए िव ालय के सहयोगी कमचा रय को जानकारी
दान करना ।
• धानाचाय और िवशेष जैसे िवशेष प से िशि त िश क तथा अ य संबंिधत अ यापक को
शािमल करके संगिठत यास का आंरभ करना, िश क एवं अ य कमचा रय क अिभवृि म
प रवतन लाना, समूह के िलए सामािजक एवं मनोरंजना मक गितिविधय को आयोिजत करना ।
• िव ालय क भौितक सिु वधाओ ं के सधु ार हेतु वकालत करना िजसम वा तिु श पीय बाधाओ ं का
िन कासन तथा अश त ब च के िलए सहयोगी सिु वधाओ ं का िनमाण करना ।
• मानिसक प से अश त िव ािथय के िलए आ य या पोषण गृह , छा ावास , िव ाम गृह एवं डे
के यर (Day care) के क पहचान करना ।
• िश ण म अ तविशक क ाओ ं के िलए सहयोग उपल ध कराकर सभी िव ािथय , िनदाना मक
क ाओ,ं गितिविधय एवं अवसर क मता के साथक मू याक
ं न का बधं करना जो अश त ब च
क आव यकताओ ं एवं मताओ ं के अनक
ु ूल ह ।
3.8
मानिसक प से िवकृत ब च के माता-िपता के साथ काय करना
बौि क प से अश त ब च के माता-िपता के साथ काय करना अ यिधक मह वपणू है य िक वे बहिवध
चनु ौितय का सामना करते ह । इन अिभभावक ारा सामना क जा रही चनु ौितय म से एक सामािजक अलगाव
है । िम गण एवं प रवार के सद य बौि क प से अश त ब चे क िवशेष आव यकताओ ं को नह समझ
सकते ह और इस कार ा िपक छोटे ब च के प रवार के िलए उपल ध ब च क देखभाल के सहयोग को
उपल ध कराने म ाय: समथ नह ं हो पाते ह ।
78
एक दसू री चनु ौती जो बार-बार बताई जाती है िक बौि क प से अश त ब च के माता-िपता लांछन के िशकार
हो जाते ह। अिधकतर समदु ाय या पास-पड़ोस के सद य को बौि क प से अश त ब च के यवहार िवषय
म जानकारी नह है या िशि त नह ह । आगे, सामा य जनता के पास िनधा रत यवहार से बाहर के दायरे म
यवहार के िलए बहत कम सहनशीलता है । बौि क प से अश त ब च के प रवारजन सावजिनक थान
पर अपने प रवार के ित नकारा मक अवधान को लेकर ाय: संवेदनशील रहते ह ।
तीसरा, बौि क प से अश त ब च के माता-िपता बौि क प से अश त ब च क आव यकताओ ं के
साथ उसके भाई-बहन क आव यकताओ ं के बीच संतुलन के संदभ म ाय: िच ता य त करते ह । अनुशासन
क तकनीक को बौि क प से अश त ब च के अनुकूल बनाने क आव यकता होती है । शैि क एवं अ य
सं थागत यव थाओ ं के सहयोग से माता-िपता को सहायता ा त हो सकती है ।
एक िश क/परामशदाता के प म आपको ब च को अपनी अश तता को वीकार करने के िलए िदशा
िदखाना है और अश तता के ित अपनी अिभवृि म प रवतन हेतु सहायता के िलए गैर-अश त ब च के
माता-िपता एवं अ य लोग को भी जानकारी दान करना है ।
आप उन अिभभावक का उदाहरण दे सकते ह िज ह ने अपने ब चे क सीिमतताओ ं को वीकार िकया है
तािक इस कार के ब च के माता-िपता ब च क अश तता को वीकार कर सक, एकजुट होकर एक संघ क
थापना कर सक । अिभभावक को यह महससू कराया जा सकता है िक अश तता का यिद पणू प से इलाज
नह ं हो सकता है तो िफर भी इसको िविजत िकया जा सकता है ।
3.9
मानिसक प से िवकृत ब च के िलए यावसाियक पनु वास
ब चे क मताओ ं को अिधकतम करना तथा अनक
ु ू ल तर क काय मता को ा त करना जो मानिसक प
से अश त ब च के साम य एवं अवसर के अिधक अनु प है । इस िवषय म आप िन निलिखत काय कर
सकते ह —
• काय क आदत एवं अिभवृि य के िवकास म सहायता करना ।
• उपचार एवं मू याक
ं न म सहायता करना ।
• अिधक आ म-अनुदश
े न उपल ध कराना ।
• दैिनक जीवन के कौशल तथा जीवन क अ य प रि थितय का सामना करने के िलए ारि भक
िश ण को सुसा य बनाना ।
• उपयु त शैि क, सामािजक, यावसाियक एवं अतं :वैयि क ल य के सबं ंध म िव ािथय क
यो यताओ ं के बेहतर उपयोग म सहायता करना ।
• ब चे के िवषय म एक पुनवास योजना तैयार करने के िलए उसके वरीयता के काय के िवषय म
जानकारी तलाश करना और इसके ि या वयन म सहायता करना ।
79
• अश त के िलए उपकरण एवं कौशल को उपल ध कराना िजसक उ ह अपने जीवन को बेहतर
बनाने म आव यकता होती है ।
• ब च को उ पादक एवं आ म-समथ बना करके उ ह रा ीय एवं सामािजक उ े य म योगदान देने
म सहायता करना ।
माता-िपता क भूिमका
कोई भी एक अपािहज ब चे का अिभभावक/माता-िपता होने के िलए तैयार नह होता है । अिभभावक अपने
पा रवा रक जीवन के अनभु व से ाथिमक प म अपने ब चे के बारे म सीखते ह इसिलए इन अिभभावक के
साथ काय करने वाले पेशेवर को इनके अनभु व पर यान के ि त करना चािहए जो येक यि के मामले म
िविश ट होते ह । य िप अिभभावक सामा य सम याओ ं एवं िति याओ ं को बता सकते ह लेिकन सभं ािवत
िति याओ ं का संयोजन, िति याओ ं क ती ता और िति याओ ं क अविध कुछ ऐसे कारक ह िजसका
येक प रवार के िलए यि गत प म िवचार करने क आव यकता है ।
अिभभावक य समायोजन म िन निलिखत अव थाओ ं म से एक या सभी िनिहत हो सकते ह • सम या क जानकारी
• सम या को पहचानना
• कारण क खोज
• उपचार के िलए तलाश, तथा
• ब चे को वीकारना ।
अिभभावक को िन निलिखत िबदं ु ओ ं को यान म रखना चािहए –
• ब चे म वािभमान क भावना िवकिसत करना ।
• अ य भाई-बहन के साथ ब चे के दशन क तल
ु ना न करना ।
• सभी ब च म शि एवं मता होती है और इन बल प को पहचानना एवं बिलत िकया जाना
चािहए ।
• आशा का संचार करने वाले अिभभावक ब च को बाधाओ ं को िविजत करने म सहायता देने के िलए
एक मख
ु शि उपल ध कराते ह तथा लचीले हो जाते ह ।
• अिभभावक ब च म अपने प रवार के ित उ तरदािय व एवं सहयोग क भावना िवकिसत करने म
सहायता कर सकते ह ।
• अिभभावक अपने ब च के िलए चयन एवं िनणय लेने तथा आ म-अनश
ु ासन को ो सािहत करने
के िलए अवसर उपल ध करा सकते ह ।
80
• अिभभावक ब च को उनक गलितय एवं असफलताओ ं का भावी ढंग से सामना करने म सहायता
कर सकते ह ।
• यिद सभं व हो तो अिभभावक को समदु ाय के साथ-साथ िश ण काय म म उपि थत होना
चािहए ।
आ म-मू यांकन अ यास – 2
िन निलिखत िवक प से खाली थान को भ रए ।
अ
ब
स
द
-
सामािजक
आ मिनभर
वािभमान
पयावरणीय
1. एक मानिसक प से अश त ब चे को -------- होने के िलए ो सािहत करना चािहए ।
2. वंचन, दाग, शारी रक एवं लिगक दु यवहार ----------- खतरे ह िज ह एक मानिसक प से अश त
ब चे को सामना करना होता है ।
3. ----------- अलगाव अिभभावक ारा सामना क जा रही चनु ौितय म से एक है ।
4. अिभभावक को अपने अश त ब चे म ---------- क भावना िवकिसत करनी चािहए ।
ि याकलाप 2
अपने िव ालय या समदु ाय के बौि क प से अश त ब च के अिभभावक क एक मीिटंग (बैठक)
आयोिजत क िजए और उ ह अपने अश त ब च क आव यकताओ ं क देखभाल के िलए एक सघं बनाने के
िलए ो सािहत क िजए ।
3.10 सारांश
यह इकाई बौि क प से अश त ब च के स यय के िवषय म एक िव तृत जानकारी दान करती है । इसके
ल ण , आव यकताओ ं एवं न बौि क अश तता वाले ब च के सामा य िव ालयी यव था म एक करण/
सघं टन का उ लेख िकया गया है ।
उनके बल प एवं यो यताओ ं क पहचान करने के िलए िश क क भिू मका को कािशत िकया गया है और
शैि क मागदशन हेतु िविवध सुझाव को िव तृत प म िदया गया है ।
आगे भी, आव यक परामश को उपल ध कराने म परामशदाता क भिू मका जैसे – ब चे क अश तता को
वीकार करने म अिभभावक क सहायता करना तथा सांवेिगक सहयोग उपल ध कराने का भी उ लेख िकया
गया है ।
81
यह इकाई मानिसक प से अश त ब च के यावसाियक पनु वास क परे खा/मागदशक योजना भी उपल ध
कराती है ।
आ म-मू याक
ं न अ यास
1. एक एक कृ त यव था म बौि क प से अश त ब चे ारा सामना क जाने वाली सम याओ ं क
संि त म या या क िजए ।
2. मानिसक प से अश त ब च के अिभभावक के िलए परामश के मह व क या या क िजए ।
3. एक मानिसक प से अश त ब चे के िलए सभं ािवत िविवध पयावरणीय खतरे या ह ?
आ म-मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
1. सामा य िव ालयी यव था म एक बौि क प से अश त ब चा बहत सारी सम याओ ं जो उसके
अलग शारी रक बनावट के िलए अ य ब च ारा उपहास उड़ाए जाने से लेकर उसके िन न तरीय
शैि क ा तांक तक का सामना करे गा ।
2. िन न िबदं ओ
ु ं को िव ता रत करना है : मानिसक प से अश त ब च के अिभभावक को परामश देने से उ ह अपने ब चे क अश तता
को वीकार करने तथा ब चे के पोषण एवं िश ण के िलए उपयु त तरीक को सीखने म सहायता
िमलेगी।
3. एक मानिसक प से अश त ब चे के ारा सामना िकए जाने वाले िविवध पयावरणीय खतरे वंचन,
दाग, शारी रक एवं लिगक दु यवहार उपे ा और िविवध कार के शारी रक रोग का खतरा हो सकता है ।
आ म-िनरी ण अ यास के उ तरिबंदु
1
2
3
4
-
सही
गलत
गलत
सही
आ म-िनरी ण अ यास -2
1
2
3
4
-
ब
द
अ
स
82
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******
84
3
भाग- II
अिधगम अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
3.11 प रचय
3.12 उ े य
3.13 अिधगम अश तता क अवधारणा
3.14 अ य मानिसक िवकार से अिधगम अश तता क पहचान करना
3.14.1 बौि क अश तता
3.14.2 वाचाघात
3.14.3 िन न-िन पादन (उपलि ध ा त करने वाले)
3.14.4 अवधान म कमी अितसि या मक यि
म (िवकार)
3.15 अिधगम अश तता के कारण
3.16 अिधगम अश तता वाले ब च के ल ण (िवशेषताएँ)
3.16.1 अिधगम िवशेषताएँ
3.16.2 यावहा रक िवशेषताएँ
3.16.3 सामािजक िवशेषताएँ
3.16.4 शैि क सम याएँ
3.17 अिधगम अश तता वाले िकशोर क िवशेषताएँ
31.8 अिधगम अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
3.18.1 माता-िपता के िलए सझु ाव
3.19 सारांश
आ म-मू यांकन अ यास
आ म-मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
आ म–िनरी ण अ यास के उ तरिबदं ु
संदभ पु तक
86
3.11 प रचय
अब तक आप मानिसक प से अश त ब च के ारा दैिनक काय को स प न करने हेतु आव यकताओ ं
के िवषय म प रिचत हो चक
ु े ह । इस भाग म हम उन ब च के बारे म चचा करगे जो बिु मान तीत होते ह
(िजनका बुि लि ध ( IQ) तर औसत या उससे उपर होता है ) लेिकन ेड तर पर पढ़ना, िलखना या िवचार
को य त करना नह सीख पाते ह । िजनक उनसे अपे ा क जाती है, इस बात का कोई मायने नह रहता है िक
आपने कौन-सी अनुदेशन िविध का योग िकया है । इस कार क प रि थित उलझन पैदा करती है यिद आप
महससू कर सकते ह िक एक िव ाथ का खराब दशन आव यक प से आल य के कारण नह है । वा तव
म, असफल होने वाले इन िव ािथय म से बहत-से क ा के सबसे प र मी िव ािथय म से हो सकते ह ।
उनक असफलता को िु टपणू बिु पर नह आरोिपत िकया जा सकता है । िवशेष प से ये ‘ न पढ़ने वाले ’
ाय: मौिखक अिभ यि म शानदार दशन करते ह । अपने सबसे अ छे अिधगम यास के बावजदू ये ब चे
पढ़ने, िलखने एवं अक
ं गिणत म अपने ेड तर क वीणता तक पहँचने म असफल रहते ह ।
इस कार के ब चे अिधगम-अश त के प म पहचाने जाते ह । अनुसंधान से पता चलता है िक 10 से 16
ितशत िव ाथ अ छी मानिसक यो यता, आरामदायक आिथक तर या क ा के अ दर अनुदेशन यास के
बावजूद भाषा के िच ह ् / तीक को समझने म असमथता अनुभव करते ह । अिधगम म अश त ब चे िव व
क लगभग सभी क ाओ ं म िजनम हमारे सवािधक लाभ ा त क ाएँ ह, म पाए जाते ह । दो या तीन िव ाथ
ाय: सभी ा िपक क ाओ ं म पाए जा सकते ह जो अंकगिणत, पढ़ना एवं िलखने के आधारभूत कौशल को
सीखने के िलए आव यक योजनाब अपेि त यास को कायम रखने म समथ नह हो पाते ह ।
अिधकतर अिधगम म अश त ब च के िलए असफलता क घटना शी ता से जीवन का एक तरीका बन जाता
है और इस कार इस तरह के ब च ारा िव ालय छोड़ने क दर गंभीर खतरे का सूचक है । वह ब चा जो
िनि त शैि क काय को परू ा करने म असमथ होता है वह शैि क काय से िश क के यान को िवचिलत करने
के िलए दनु क
ु ू लक यवहार के योग का आ य लेगा । इस कार सम या क ारि भक तर पर खोज एवं
उपचार बहत आव यक हो जाता है ।
3.12 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात् आप िन निलिखत पहलओ
ु ं को जानने म समथ ह गे –
• ‘अिधगम म अश तता’ के अथ का वणन करने म ।
• अिधगम अश तता वाले ब च क िवशेषताओ ं क या या करने म ।
• क ा म अिधगम म अश तता वाले ब च को पहचानने म ।
• अिधगम म अश तता के कारण क सचू ी बनाने म ।
• अिधगम म अश त ब च क सहायता हेतु परामशदाता क भिू मका क या या करने म ।
87
3.13 अिधगम-अश तता क अवधारणा
अिधगम-अश तता के िलए रा ीय सयं ु त सिमित (NJCLD) ने प रभािषत िकया है – "अिधगम अश तता
सामा य श दावली म िवकार / यि य के िवजातीय समहू के सदं भ म होता है जो हण / दशन करने म तथा
सनु ने, बोलने, पढ़ने, िलखने, तक या गिणतीय यो यता के योग म मह वपणू किठनाइय गलितय /िवल ब के
ारा प ट होते ह" (हैिमल, लेई, मैकनट एंड लासेन, 1981) । यह तंि का िव ानीय कारण से होना अनुमािनत
िकया जाता है जो भािषक एवं गैर-भािषक यो यताओ ं के िवकास, एक करण तथा दशन म चयना मक प
से ह त ेप करता है । य िप अिधगम-अश तता अ य अस म ि थितय या पयावरणीय भाव के साथ
सहगामी प म घिटत हो सकती ह लेिकन यह उन प रि थितय या भाव का य प रणाम नह ं है । ये ब चे
िन निलिखत शैि क े म से एक या अिधक म किठनाई का अनुभव करते ह –
1. मौिखक अिभ यि
2. िलिखत अिभ यि
3. सनु ने क समझ
4. आधारभतू पठन कौशल
5. गिणतीय यो यता
6. गिणतीय तक
7. वणिव यास
8. भाषा
अिधगम-अश तता मि त क क के ीय ससं ाधन णाली म दिु या के प रणाम के प म उ प न होती है
िजसक प रणित हण करने, िव लेषण करने, जोड़ने तथा सचू ना के तीका मक योग म कमी या यित म
के प म होती है ।
ारि भक बा याव था म ये सम याएँ िविभ न प जैसे – खराब सम वयन, बोधा मक यित म, अवधान म
कमी, अवधारणाओ ं क वीणता म कमी, भाषा के िवकास म देरी या यवहारा मक सम याएँ जैसे अितसि यता
और अ यमन कता के प म तीत होती ह । माता-िपता इस िवषय को लेकर परेशान हो जाते ह िक उनका
ब चा बेहतर दशन य नह कर रहा है । ये ब चे ाथिमक क ाओ ं म नह पहचाने जा पाते ह । अ य िव ाथ
उ ह अप रप व पाते ह या मानिसक प से धीमा या मंद के प म नाम दे सकते ह ।
3.14 अ य मानिसक िवकार से अिधगम-अश तता क पहचान करना
अिधगम-अश तता एक तंि काजैिवक यित म है । अिधगम-अश तता वाले यि य म िदमाग होता है जो
मि त क क संरचना और/या काय म अलग होने के कारण अलग कार से सीखते ह । यिद एक यि
य
या य िवकार , बौि क अश तता, सांवेिगक यवधान या सां कृ ितक अथवा आिथक कमी के कारण अलग
कार से सीखता है तब इसे अिधगम-अश तता नह कहा जाता है ।
88
लेिकन बहत-से िव ाथ जो िव ालय म अ छा दशन नह करते ह उ ह अिधगम-अश तता के प म लेबेल
िकया जा सकता है य िप उनक असफलता के कारण अलग होते ह । अिधगम-अश तता वाले ब च म से
कुछ को मानिसक प से िवकृ त/बौि क प से अश त या वाचाघात (नीचे या या क गई है) या िन न
-उपलि ध ा त करने वाले या अवधान म कमी अितसि या मक यित म (ADHA) से पीिड़त के प म
बताया जा सकता है । इस कार ये श दाविलयाँ यहाँ पर अलग-अलग प म योग क गई ह ।
3.14.1 बौि क-अश तता
70 से कम बुि लि ध (IQ) ा तांक वाले ब च को ाय: बौि क अश तता या मानिसक प से कमी के
प म िवशेिषत िकया जाता है और उ ह अिधगम-अश तता क प रभाषा के अ दर शािमल नह िकया जाता है
य िक उनके अिधगम म किठनाइयाँ य प से उनके बुि लि ध (IQ) के म ा ताक
ं से स बि धत ह न
िक उनक अिधगम-अश तता से िजसके िवषय म भाग 1.2 म उ लेख िकया गया है । आप पहले ही मानिसक/
बौि क प से अश त ब च क िवशेषताओ ं के बारे म पहली इकाई म पढ़ चक
ु े ह।
3.14.2 वाचाघात
अिधगम म अश त एक ब चा बोलने एवं सनु ने के आधार पर अपनी मातृभाषा से अ छी तरह से प रिचत होता
है लेिकन वह तीक को काय प म योग नह कर सकता है जो भाषा के िविश ट त व के प म होते ह ।
इसक तल
ु ना म वाचाघात अपने आप भाषा क संरचना का सामना करने म समथ न होने क एक अव था है ।
इस कार का यि िजस भाषा को वह सनु ता एवं बोलता है उसके याकरण को (वा य-िव लेषण ) नह समझ
सकता है य िप वह उसके तीक पर िनपणु ता हािसल कर सकता है । वह नह समझ सकता है िकस कार से
भाषा का स पणू प म उपयु त तरीके से योग िकया जाता है और अपने िवचार को साथक वा य के मा यम
से स ेिषत करने म किठनाई का अनुभव करता है ।
3.14.3 िन न-िन पादन (उपलि ध ा त करने) वाले
एक ब चा िजसके वा तिवक शैि क दशन क तुलना म उसक बौि क मता साथक प से काफ यादा
होती है उसे िन न िन पादक/उपलि ध ा त करने वाला माना जाता है । िन न उपलि ध ा त करने के मामले
म ब चे का खराब दशन अनेक कारण जैसे – सािथय ारा दबाव, घर पर सावं ेिगक सवं ेदनशीलता या ब चे
क िकसी और े म अिभ िच के कारण जो िव ालय पाठ्यचया का एक िह सा नह होता है, आिद के कारण
हो सकता है । यिद साम य एवं उपलि ध के बीच यह िवसगं ित आ त रक कारण जैसे – तां ि क य णाली म
सम या , सचू ना को आगे बढ़ाने म किठनाई के कारण है तब िन न-उपलि ध ा त करने को अिधगम-अश तता
के प म देखा जा सकता है ।
3.14.4 अवधाना मक कमी अितसि यता यित म (ADHD)
अवधाना मक कमी अितसि यता यित म का ाय: अिधगम-अश तता के स ब ध म अ ययन िकया जाता
है लेिकन इसे वा तिवक प म अिधगम-अश तता क मानक प रभाषाओ ं म शािमल नह िकया गया है ।
अवधाना मक कमी अितसि यता यित म से पीिड़त एक यि को अिधगम म किठनाई हो सकती है लेिकन
89
एक बार इसका उपचार हो जाने के प चात् वह ाय: उपयु त तरीके से सीखता है । इस अ तर को समझने के
िलए क पना क िजए िक अिधगम-अश तता से पीिड़त कोई यि के वल एक या कुछ े म भािवत होता
है जबिक अवधाना मक कमी अितसि यता यित म से पीिड़त यि अिधगम के सभी े म भािवत होता
है ।
अिधगम-अश तता वाले ब च क आव यकताओ ं को परू ा करने के िलए के वल अ य कार क अश तता से
अिधगम-अश तता के अ तर को पहचानना ही पया त नह है । भावशाली मागदशन क सिु वधा दान करने
के िलए अिधगम-अश तता के कारण को पहचानना आव यक है ।
आ म-िनरी ण अ यास - 1
अ- बौि क अश तता, ब- वाचाघात, स- अिधगम-अश तता
द –अवधाना मक कमी अितसि यता यित म, क- िन न- उपलि ध ।
1. यिद एक ब चे का शैि क दशन उसके बौि क साम य से कम होता तब इसे --------------- कहा
जाता है ।
2. -------- यह एक कार का यित म है िजसके अ तगत एक ब चे को एक या कुछ े म अिधगम
म किठनाई हो सकती है ।
3. --------- एक तंि काजैिवक यित म है ।
4. यिद एक ब चा भाषा क संरचना को समझने म किठनाई का अनभु व करता है तो इसे ----- कहा जाता
है ।
5. िजन ब च क बिु लि ध (IQ) का ा ताक
ं 70 से कम होता है उ ह -------------- के प म
िवशेिषत िकया जाता है ।
3.15 अिधगम-अ ा तता के कारण
1980 के बाद के वष म प र कृ त तकनीक के िवकास के साथ मि त क क अितिव पता / अिनयिमतता क
खोज अिधक आसान हो गई है । पेशेवर इस बात को वीकार करने लगे थे िक अिधगम-अश तता मि त क
संरचना या काय म कुछ िविभ नता के कारण होती है और अिधगम-अश तता का मु य कारण पयावरणीय के
बजाय तंि का िव ानीय है ।
यादातर लोग म भाषा के दशन एवं समझ के िलए बायाँ गोला दाएँ गोला क तल
ु ना म अिधक मह वपणू
होता है जबिक अिधगम म अश त लोग भाषा के िलए इस ा िपक वाम –गोलाध के भु व का दशन नह
करते ह ।
िवशेष प से पढ़ने एवं भाषा पर आधा रत अिधगम यित म के िलए बहत से (शव – परी ण) यि िनरी ण
करने के बाद यह पाया गया है िक इस कार के यि का मि त क वाम-गोला म कोिशक य अिनयिमतताओ ं
से िवशेिषत था िजसम मह वपणू भाषा के होता है (गैलबुरड़ा, शरमन, रोजेन एंड गेचिवंड, 1985 ) ।
90
• कुछ अ य मह वपणू कारक जो अिधगम-अश तता के िलए संभािवत सहयोगी के प म ह –
वश
ं ानगु त कारक, िट ैटोजेिनक कारक, िचिक सीय कारक एवं पयावरणीय कारक ।
• अिधगम-अश तता के बहत-से मामल म वश
ं ानगु तता एक मह वपणू भिू मका अदा करती
है । अनुसंधािनक ने खोज िकया है िक थम तर के अिधगम-अश तता वाले लगभग 35%
से 45% ब च म पठन-अश तता है । बोलने एवं भाषा यित म के मामले म (बीचमैन, हड
एंड इ गिलस,1992) तथा वणिव यास-अश तता ( यू ट-कोरने, डीमेल, मुलर, गुटेन नू र एंड
रे सिमट,1996) म भी यही है ।
• गभवती मिहला के ारा शराब एवं कोक न के प म िट ैटोजेिनक एज ट्स का योग गभ हेतु तंि का
िव ानीय ित का कारण हो सकता है जो ब च म अिधगम-अश तता उ प न कर सकता है । ब च
के ज म से पवू एवं बाद म भी उसके स पक म आने से वे खतरे म होते ह ।
• िचिक सीय कारक जैसे असामियक ज म, ब च म शु आत म ही डायिबटीज (मधमु ेह), तािनका
शोध (Menigitis) दयाघात एवं बाल िचिक सा एड्स भी अिधगम-अश तता के साथ जुड़े हए ह ।
• भोजन म आव यक िवटािमन एवं खिनज त व क कमी, उदाहरण के िलए िवटािमन डी क कमी,
आयोडीन क कमी मि त क के िवकास को भािवत करती ह और अिधगम-अश तता क तरफ
ले जा सकती ह । इसिलए दैिनक आहार कारक जैसे कुपोषण एवं िवटािमन क कमी कुछ ब च म
अिधगम अश तता का कारण हो सकते ह । कुपोषण ब च क अिधगम क यो यता को भािवत
करता है जो लोग कुपोिषत बचपन से गजु रे होते ह वे अिधगम-अश तता के अिधकतर िशकार हो
सकते ह ।
• कई पयावरणीय कारक जैसे – गरीबी, माता-िपता क िनर रता, घर के पयावरण म सा रता कौशल
के दशन म कमी और अनदु श
े न के मा यम पर वीणता म कमी ब चे क अिधगम यो यता को
भािवत कर सकते ह । लेिकन यह मरण रखना चािहए िक सां कृ ितक िविभ नता या खराब िश ण
जैसे पयावरणीय कारक अिधगम-अश तता के िलए उ रदायी नह ह ।
3.16 अिधगम-अश तता वाले ब च के ल ण (िवशेषताएँ)
अिधगम-अश तता वाले ब चे बहत िनराश हो जाते ह और सीखने म उनक असमथता उनके जीवन पर
नकारा मक भाव डालते ह । वे अपने को समाज से अलग कर सकते ह य िक वे अपने िवषय म महससू कर
सकते ह :
• खराब सा रता कौशल , अवधान या मरणशि / याद करने म किठनाइयाँ जैसी सम याओ ं का
सामना करने के कारण शिमदगी महससू करना।
• असफलता, आलोचना, उपहास या अ वीकर ा का डर ।
• भेदभाव का डर ।
91
• इस बात का डर िक अ य लोग उ ह मख
ू या अ म समझते ह ।
• समझ क कमी के कारण दैिनक प रचचा से अलग कर िदए जाने क भावना ।
• अिधगम-अश तता वाले ब चे एक बह-िवजातीय समूह बना लेते ह । अिधगम-अश तता क पहचान
करने के िलए योग िकए गए ल ण म िन निलिखत म से एक या अिधक शािमल हो सकते ह ।
3.16.1 अिधगम िवशेषताएँ
• औसत या औसत से ऊपर बिु
• एक या अिधक े म िनर तर शैि क किठनाइयाँ
• िव ाथ क मता एवं वा तिवक दशन के बीच िवसंगित
• पढ़ने (ब चे श द को पहचानने या अथ को समझने म किठनाई का अनुभव कर सकते ह ) या भाषा
को िलखने (उ ह िलखने के िलए वण-िव यास, लेखन या िवचार को संघिटत करने म परे शानी हो
सकती है ) दोन म किठनाइयाँ ।
• मौिखक अिभ यि , सनु ने एवं समझने, गिणतीय दशन, गणना करने, तक, याददा त/ मरणशि
एवं Meta-cognition एक यि के ान से स बंिधत उसके अपने तरह से सोचने का ढंग या कोई
भी चीज जो उनसे स बि धत है ) म किठनाइयाँ ।
• बोधा मक यित म िजसम भेदभाव, पहचान, स बंध, आनु िमक म, य-बोध एवं िव लेषणा मक
िवचार क किठनाइयाँ स बि धत होती ह जो स पणू स ब ध से एक भाग क पहचान करते ह ।
3.16.2
यावहा रक िवशेषताएँ
• अिधक समय तक अपनी सीट पर बैठे रहने म असमथता क सम या के साथ अितसि यता ।
• आ ामक या िनि य यवहार ।
• अ पसि यता (गितिविध को कम कर देना) ।
• सम वयन म कमी ( य, वाक् एवं ि या मक सम वयन म कमी ) ।
• अ यवसाय िदखाना जैसा िक हतो सािहत िकए जाने पर भी अ ययन म लगे रहते ह ।
• अित-अवधान या अवधान-िनधारण ।
3.16.3 सामािजक िवशेषताएँ
• सामािजक सक
ं े त क गलत या या करना ।
• िनि त प रि थितयाें म अनपु यु त, सामािजक प से अ वीकृ त यवहार का दशन करना ।
92
• यवहार के प रणाम के बारे म भिव यवाणी करने या दसू र के यवहार का पूवानमान लगाने म
असमथ होना ।
• अपने यवहार को बदलने या अनक
ु ू ल बनाने म किठनाई ।
• खराब मौिखक एवं गैर-मौिखक कौशल ।
• िन न तरीय आ मिव वास ।
• िवक प म से िनणय लेने /चयन करने म किठनाई ।
3.16.4 शैि क सम याएँ
• िगनती म किठनाई ।
• एका ता म कमी या घर पर या िव ालय म वातावरण के ारा आसानी से यान भंग हो जाना ।
• क ा म शां ितपवू क बैठने म किठनाई ।
• बोले गए श द को सही-सही िलखने म असमथता ।
• बाएँ और दाएँ के बीच उलझन ।
• मौिखक अनदु श
े न को याद करने म अितशय किठनाई ।
• चीज को याद करने म सामा य किठनाई ।
• अ यिधक बेचैनी जो िविभ ा काय को समय से परू ा करने के िलए साथक प से ह त ेप करती है ।
• पढ़ते समय अ र या तीक को बहत ज दी-ज दी उ टा करता है उदाहरण के िलए बी (b ) को डी
( d ), saw को was, आिद ।
• पढ़ते या िलखते समय सं याओ ं को बार-बार उ टा करता है, उदाहरणाथ-31 को 13 के प म, 6
को 9 के प म, आिद ।
• गिणतीय गणना म कमजोर ।
• देखने क मता सामा य होने पर भी सामा य ोत जैसे पु तक या यामप से िवशु
म सम याएँ ।
प म िलखने
• अ र या श द को या तो बहत नजदीक या बहत दरू -दरू िलखता है (उपयु त थान छोड़ने क
सम या ) ।
• ब चा संतोषजनक प म समझता हआ तीत होता है पर तु न के उतर देने म स म नह ं हो पाता
है ।
93
सच
ू ना
1. यिद उपयु त कथन म से िक ह 3 से 5 के उ तर सकारा मक ह तो ब चे को शु आती जाँच एवं अि म
सझु ाव के िलए एक िशि त मनोवै ािनक / बालिचिक सक या एक िवशेष िशि त िश क के ारा
यानपवू क िनरी ण िकया जाना चािहए ।
2. अिधगम-अ ा तता वाले ब च क एक मु य िवशेषता है िक उनका मौिखक कौशल उनके िलिखत
कौशल से ाय: बहत अ छा होता है । इसिलए उनक अश तता को यापक प म प ट करने के िलए
औपचा रक प से परी ण िकया जाना चािहए ।
ि याकलाप -1
उपयु त उि लिखत सम याओ ं म से कुछ सम याओ ं का अनभु व करने वाले अपनी क ा के िव ािथय क
पहचान क िजए ।
3.17 अिधगम-अश तता वाले िकशोर क िवशेषताएँ
इस अव था म होने वाले मनोवै ािनक प रवतन के प रणाम व प िकशोर ारा सामना क जाने वाली मुख
सम याएँ हो सकती ह : • प रवार से अपवतन – जैसा िक िकशोर काय प म वतं एवं आने-जाने म समथ हो जाते ह, घर
एवं िव ालय से बाहर िनकलते ह, समक सािथय के समहू से भािवत होकर प रवार से दरू हो जाते
ह और सामािजक दबाव के सामने बहत ज दी झक
ु जाते ह । तथािप अिधगम-अश तता के मामले म
प रवार म वय क सद य के सहयोग के िबना रहने क यो यता और भी कम हो जाती है ।
• पहचान का संकट –िकशोर अनवरत प से अपनी एक पहचान थािपत करने क कोिशश करते
ह । लिगक िवकास का ार भ सम याओ ं को लेकर आता है एवं काय को िनधा रत करता है जो
लड़िकय एवं लड़क के िलए अलग-अलग होते ह । इसी के अनसु ार उनसे लोग क अपे ाओ ं म भी
प रवतन होता है । वतं ताक आव यकता एवं स ता के ित िव ोह इसे ा त करने हेतु उनके रा ते
म आते ह । अिधगम-अश तता एक अ य कारक है जो उनक पहचान िनधारण ि या को किठन
बनाता है जो आगे चलकर िवकास के िविभ न े म सम याओ ं को उ प न करता है ।अपने प रवेश
म उनक िति या के कारण उनके अननमु ये एवं अभयभावी होने के प म देखा जा सकता है ।
• आ म –सम यय- जैसा िक एक अिधगम-अश तता वाले िव ाथ का दशन िविभ न े म
अिनयिमत होता है इसिलए दसू र के िलए यह समझना किठन होता है िक वह बुि मान है या नह है
और वह िकन े म अ छा है । यह दसू र से अिनयिमत शंसा एवं आलोचना को उ प न करता है
और िकशोर आ मसश
ं यी एवं उलझन म पड़ जाता है । इस कार वह नकारा मक आ म-सम यय
एवं िन न तरीय वािभमान िवकिसत कर सकता है ।
• सीिमत सामा यीकरण – सामा यीकरण पया त सं या म िनयिमत अनभु व पर आधा रत होता है ।
94
तथािप, अिधगम-अश तता वाले ब च के मामले म सीिमत मा ा म िनयिमत अनभु व के कारण
इस कार क बात घिटत नह हो पाती ह । इस कार िनयम के थापन म बहत समय लगता है और
सामा यीकरण बनाना मिु कल हो जाता है ।
• िदवा व न देखना- वय: संिध के ार भ के साथ अपने एवं दसू र के वतमान एवं भिव य के बारे
म अपे ाएँ, इ छाएँ, अिभलाषाएँ बढ़ती ह । यिद उनक अपे ाएँ नह पूरी होती ह तो जीवन म
िवि तता उ ह जीवन के िविभ न पहलुओ ं म का पिनक सफल अनभु व क तरफ ले जाती है और
यह िदवा व न क तरह अ सर होता है ।
• गंभीर िन न- उपलि ध – जैसा िक िकशोर का ि कोण ती प से भािवत होता है , यह सभी
े म उनक शैि क उपलि ध को भािवत करता है । इसके अलावा उनम अवधान क कमी होती
है जो परी ा म याद करते समय उन पर भाव डालती है । उनके पास अ छी बौि क साम यता होने
के बावजदू भी सभी िवषय म उनक उपलि ध िन न तरीय हो सकती है । यह अनवरत असफलता
उनम िवि तता का संचार करती है ।
• िन न तरीय सम यय िनमाण – सामा य प से जैसे – जैसे ब चा बौि क प से िवकास
करता है उसक अमतू िच तन मताएँ बढ़ती ह । वह एक प रि थित को अलग-अलग तरीके से
समझ सकता है । वह अमतू िनयम एवं सामा यीकरण के ारा सम याओ ं को समझता है, यिु से
काम लेता है, िवचार करता है तथा सामना करता है । वह पर अिधगम-अश तता वाले िकशोर म
अिधगम सम याएँ उलझन का कारण बनती ह । एक िव ाथ जो अ छी तरह से पढ़ नह सकता है
लेिकन एक औपचा रक तर पर सोच सकता है वह आधारभतू सम याओ ं पर आवरण चढ़ा लेता
है, जैसा िक पढ़ने क सम या से बचने के िलए बहाना बनाना- वह थका हआ है, तिबयत ठीक नह
है, बाद म पढ़ँगा, आिद ।
• सांवेिगक सम याएँ - िकशोर सामा य प से समक समूह के िनयम के अनसु ार चलना पसंद
करते ह िवशेष प से यवहार एवं प रधान म समक समहू के अनसु ार चलने एवं िफर भी अपनी
यि गत पहचान थािपत करने के यास म उनका यवहार उ ेजक एवं िु टपणू हो सकता है ।
वांिछत िदशाओ ं म उनके अवधान को के ि त करना किठन हो जाता है । अिधगम-अश त के मामले
म शैि क े म िनयिमत असफलता एवं येक यि के ारा बार-बार फटकारा जाना िकशोर म
िच ता एवं िवि तता उ प न कर सकता है जो उ ह आ ामकता क तरफ ले जाता है । धैय क कमी,
िजसके साथ वतं ता एवं समानु पता क आव यकता जड़ु ी होती है , उसक प रणित अ वीकृ त
यो य सामािजक यवहार के प म होती है ।
• समायोजन सम या - ती गामी शारी रक एवं सहगामी मनोवै ािनक प रवतन क आव यकता
िकसी भी िव ाथ के िलए समायोजन सम या उ प न करती है । यह सम या तब अिधक गंभीर
हो जाती है जब िकशोर म अिधगम अ ा तता होती है । िकसी अ य िकशोर के समान अिधगमअ ा तता वाले िकशोर भी उपयु त उि लिखत िवशेषताओ ं को दिशत करते ह य िक उनके
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अिधगम म अश त होने के प रणाम व प उनक िकशोराव था क सम याएँ अिधक बढ़ जाती ह ।
वे अपने सािथय के ारा अ यिधक भािवत होते ह । प रवार से सहयोग म कमी के साथ िव ालय
म िनर तर असफलता उनम अके लेपन क भावना उ प न कर सकती है । इस कार उनम समायोजन
सम या क सभं ावना होती है य िक वे शैि क े म उ कृ ट दशन क अपने माता-िपता क
अपे ाओ ं को परू ा करने म असमथ होते ह । िव ालय क िविभ न गितिविधय म अपने िन न तरीय
दशन के कारण वे िन न तरीय वािभमान का अनुभव करते ह ।
ि याकलाप -2
अपनी क ा/पास-पड़ोस म अिधगम-अश तता वाले िकशोर का े ण एवं पहचान क िजए । िव ाथ का
सा ा कार लीिजए तथा इस कार के िव ाथ क शैि क, सामािजक एवं सवं ेगा मक सम याओ ं क कृ ित
का आकलन क िजए ।
31.8 अिधगम-अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
एक मागदशन परामशदाता/िश क परामशदाता अिधगम-अश तता से स बंिधत सम याओ ं क पहचान करके
उनका सामना कर सकता है –
• अपनी किठनाइय के िवषय म ब चे का ि कोण ।
• अपने ित अिभवृि का िवकास तथा अपने आस-पास के अ य मह वपणू लोग के ित भी यवहार
एवं अिभवृि का िवकास ।
• अिनयिमत आ म-सम यय, िन न तरीय शैि क उपलि ध ।
• िनणय लेना, सम या -समाधान आिद म असमथता ।
अिधगम-अश तता वाले ब च का सामना करने से पवू एक िश क / परामशदाता को अिधगम-अश तता
वाले ब चे क ताकत एवं कमजोरी के े के िवषय म जानकारी ा त करना चािहए । कुछ ब चे िश ण
के य मा यम के ारा बेहतर दशन कर सकते ह जबिक कुछ वण-स ब धी कौशल म अ छे ह तथा
अ य लोग भी ह िज ह यिद गितबोधक मा यम से िश ण दान िकया जाय तो बेहतर ढंग से सीख सकते ह ।
िन निलिखत सा रणी अिधगम-अश तता वाले ब च क िविभ न आव यकताओ ं का िच ततु करती है
(कटर, एडं बेनिडि टस, 2008) ।
य िश ु
• ससं ार/ प रवेश को ितमान
या िच के प म देखते ह
य िश ु
• वे एक अ छे सनु ने वाले
होते ह
96
गितबोधक िश ु
• वे शरीर क गित एवं पश
के ारा सूचनाओ ं को हण
करते ह
• पर परागत क ा म बेहतर
दशन करते ह य िक
अिधकतर साम ी य प
म ततु क जाती है एवं
परी ण िलया जाता है
• उ ह सीखने के िलए देखने
क आव यकता होती है
• वे िच बनाना, िलखना
पसदं करते ह एवं अ छे
सयं ोजक होते ह
• उपल ध िकए जाने वाले
उपकरण : पु तक, वीिडयो,
क यटू र, पो टस
• या यान शैली पर आधा रत
अिधगम पयावरण म अ छा
दशन करते ह और क ा
प रचचा म सि य रहते ह ।
• क ा म ि थर होकर बैठने म
किठनाई होती है । सीखने के
म म उ ह पश, खोज एवं
िनमाण क ज रत होती है ।
• पढ़ने म िच, िच देखना,
लोग को देखना तथा
अ यो यि या एवं मौिखक
पनु रावृि पर िनभर होना
• मरण गित से स बंिधत
होती है
• खेल , नाटक एवं नृ य
म सफल होते ह
• उपकरण : वाता, प रचचा,
वाद-िववाद
• उपकरण:- हसन, Note
taking (मु य बात का
अंकन), कला
अिधगम-अश तता वाले ब च के साम य को अिधकतम तर तक पहँचाने के िलए परामशदाता/िश क
को इस कार के ब च क ताकत के बारे मे जानना चािहए । जब परामश यास को अिधगम अश तता वाले
ब च क ताकत पर के ि त िकया जाता है तब यह ब च म अपनी साम य के िवषय म सकारा मक अिभवृि
का िनमाण कर सकता है ।
कौशल क पहचान एवं आकलन
िश क/परामशदाता पहचान कर सकते ह िक ब चा िकस कार का काय कर सकता है और उसक कौन-सी
इिं याँ सही कार से काय करती ह । अपनी सही इिं य के योग के ारा बहत-से ब चे आव यक कौशल
का िवकास कर सकते ह । ये बल प वैकि पक तरीक को दान करते ह िजनसे ब चा सीख सकता
है । परामशदाता ारि भक अव था म िव ाथ क अिधगम-अश तता को पहचान कर उसक सहायता कर
सकता है । एक ब चे क सम याओ ं के उपयु त आकलन के ारा िवशेष कमी वाले े जैसे – िन न तरीय
वािभमान या अनपु यु त शैि क कौशल या शैि क दशन को भािवत करने वाले यवहार , आिद क
पहचान के ारा ब चे क सहायता क जा सकती है ।
कौशल का िनमाण
ब चे क ताकत एवं कमजो रय के आकलन के प चात् मागदशन िश क/ परामशदाता एक यि के ि त
शैि क काय म (IEP) का िनमाण कर सकता है ( यिू वथ, 1993) । यि के ि त शैि क काय म म ब चे
के िवकास के िलए आव यक िविश ट कौशल क योजना बनानी चािहए साथ-ही-साथ उसके बल प के
97
आधार पर उपयु त अिधगम गितिविधय का िनमाण करना चािहए । बहत-सी भावी अिधगम गितिविधय म
अनेक कौशल एवं भाव िनिहत होते ह । उदाहरणाथ – श द को पहचानने एवं उ चारण करने के अिधगम म
िव ाथ को देखने, कहने, िलखने एवं येक नए श द को उ चारण करने के िलए कहा जा सकता है । िव ाथ
उन श द को रे त पर िलख सकते ह जो पश के भाव को उ प न करता है । बहत-से िवशेष िव वास करते ह
िक एक कौशल के अिधगम म ब चे िजतना अिधक इि य का इ तेमाल करे ग उतना अिधक इन कौशल के
थायी रहने क संभावना होती है । इसे बह-सांवेिदक अिधगम के प म भी जाना जाता है ।
परामश (Referral)
कभी –कभी अिधगम अश तता वाले ब च के िलए आव यक सही कार क िश ण- णाली या देखभाल
िजनक उ ह बहत आव यकता होती है, वह उपल ध नह क जा सकती है । समय-समय पर अिधगमअश तता वाले ब च का यवहार तथा अवधान यित म अपने समक सािथय के साथ मै ी स ब ध
थािपत करने म किठनाइय के कारण बहत िहसं क हो सकता है । वाक् तथा भाषा या उ चारण यित म से
स बंिधत ब चे भी होते ह िजनके िलए य कौशल या कुछ वाक् विनय के अ यास क आव यकता होती
है । ऐसे उदाहरण म पेशेवर क सहायता के िबना उ रो र बढ़ती हई प रि थित पर िनयं ण नह िकया जा सकता
है । इसिलए जब िव ालय का मागदशन िश क अिधगम-अश तता वाले ब चे को सँभालने म समथ नह होता
है, उस समय यिद ब चे को एक पेशेवर परामशदाता या एक िवशेष िशि त िश क के पास परामश हेतु भेजा
जाता है तो इसके बेहतर प रणाम ह ग ।
आप अिधगम-अश तता वाले ब च क िन निलिखत तरीके से सहायता कर सकते ह –
• घर एवं िव ालय दोन जगह अ छे काय हेतु तरु त परु कार ा त करने पर ब चे अपने काय पर
िनयं ण करना सीख लेते ह । एक िव ालय परामशदाता यवहार संशोधन एवं अ य तकनीक का
योग कर सकता है (जैसा िक माॅड्यल
ू 11 क इकाई- 6 म ‘परामश म यावहा रक अंत: ेप’ म
चचा क गई है ) और ब च के िलए उपयु त परु कार के िनधारण म अिभभावक एवं िश क क
सहायता करता है ।
• िश क/ परामशदाता इस बात का पता लगा सकता है िक िकस कार से ब चा सबसे बेहतर ढंग से
सीखता है और उसे उनके िवशेष कौशल , यो यताओ ं एवं अिभ िचय के िवषय म जानकारी होनी
चािहए । यह ब चे को सीखने के िलए े रत करने एवं िवकिसत करने म परामशदाता क सहायता
कर सकती है । िश क/ परामशदाता को उपयु त उि लिखत बह-सांवेिदक अिधगम का योग करने
के िलए ो सािहत करना ।
• ब च को अपनी िवशेष यो यता के े म काय करने के िलए ो सािहत करना । जब वे िकसी े
म वा तव म अ छा दशन करते ह तब उ ह सफलता का अनभु व होता है ।
• ब चे को अपनी सम याओ ं को समझने म सहायता करना तथा उन पर बात करना/सम या का सामना
करने वाले कौशल पर फोकस करना ।
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• दशनिविध का योग करते हए उदाहरण के ारा उनक गलितय एवं दोष को सही करने म
सहायता दान करना ।
• क ा म शैि क एवं यवहार के िवषय म अिभभावक से बात करना तथा गृहकाय क योजनाओ ं
पर प रचचा कर सकते ह ।
िश क क ा म पढ़ाते समय इन ब च क सहायताके िलए िन निलिखत तरीक का योग कर सकते
ह।
• क ा अतं : ेप ा िपक प से इस कार के पयावरणा मक सश
ं ोधन पर के ि त रहता है जैसे –
ब चे को िवषयेतर यवधान से हटाने के िलए उसे क ा म सामने क तरफ बैठाना, पढ़ने म किठनाई
का अनभु व करने वाले ब च को िलिखत सचू ना उपल ध कराना या ततु क गई सचू ना को वण
मा यम से देना, अनुदेशन देने म सहायता हेतु क ा म सहायक साम ी उपल ध कराना, जब सूचना
देने के पा मकता म एक म कमी हो जाय तब ब चे को सचू ना हण करने म सहायता के िलए
बह-सांवेिदक अिधगम ि याओ ं का योग करना ।
• अिधगम-अश तता के कारण िन न- तरीय उपलि ध ा त करने वाले ब च के िलए लगभग हमेशा
बार-बार दोहराने एवं अ यास क आव यकता होती है ।
•
य एवं पठन स बधं ी सम याओ ं के मामले म पु तक , पेपस, वकशीट या अ य सामि य के बड़ेबड़े ि टं उपल ध कराना जो अिधगम-अश तता वाले ब चे के िलए काय को अिधक सगु म बना
देते ह ।
• ब चे क अिधगम यो यता का येक बार आकलन तािक ब चे क आव यकताओ ं के अनुसार
िश ण के तरीक म संशोधन िकया जा सके ।
• क ा म मौिखक अनदु श
े न को आसान बनाना (उदाहरण के िलए तीन के थान पर दो आदेश, बोलने
क गित धीमी रखना एवं यवधान को कम करना ) ।
• उनके साथ आन द दान करने वाली कहािनय को पढ़ना । उ ह न पूछने, कहानी पर चचा करने,
कहानी सुनाने एवं कहानी पढ़ने के िलए ो सािहत करना ।
• उनके पयावरण के यवधान उ प न करने वाले पहलओ
ु ं को िजतना अिधक संभव हो सके उसे कम
करके एका ता के िलए उनक यो यता को बढ़ाना (उ ह काय करने, अ ययन करने एवं खेलने के िलए
थान उपल ध कराना ) ।
• िफ म, टेप रकाॅडर, लैश काड या छोटे समहू म काय के ारा पाठ क नवीनता को बढ़ाना ।
• समझाना, दशन एवं ितमान ततु करना ।
• सचू ना को छोटे –छोटे भाग म िवभािजत करना ।
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• समक सािथय ारा िश ण एवं सहयोगा मक अिधगम का उपयोग करना ।
• िश क िनदिशत अिधगम का यनू तम योग तथा सहभािगता उपागम का योग करना ।
• िवकासा मक प से उपयु त उपागम का योग करना जैसे – िव ािथय क आयु एवं ेड (क ा )
के तर के अनु प िश ण िविधय एवं सामाि य का योग करना ।
• नए कौशल के िश ण के समय िनयिमत श दकोश का योग करना ।
• उ ह अपनी गित के अनसु ार सीखने के िलए ो सािहत करना ।
• िव ािथय के तक म आ मिव वास िदखाना तथा िव ािथय के बीच प रचचा एवं सहयोगा मक
यास के ारा बहिवघ समाधान योजनाओ ं को ो सािहत करना ।
इस कार, परामशदाता/ िश क िवशेष समहू के ब च क िविश ट आव यकताओ ं के िवषय म अपनी समझ
एवं अंत ि के कारण अिधगम-अश तता वाले ब च के साम य को िवकिसत करने म मख
ु भिू मका अदा
कर सकते ह ।
आ म- िनरी ण अ यास -2
अ – िट ैटोजेिनक
ब- य
स- गितबोधक
द– य
1. ................... िश ु सचू ना को शारी रक गित एवं पश के ारा हण करते ह ।
2.
.................. िश ु को अिधगम के िलए पु तक, वीिडयो, पो टस आिद उपकरण के प म दान
िकया जाता है ।
3. गभवती मिहला ारा .................. एजे ट के योग से गभ को तिं कािव ानी खतरा उ प न हो सकता
है ।
4. --------- िश ु या यान पर आधा रत अिधगम पयावरण म बेहतर दशन करते ह ।
3.18.1 माता-िपता के िलए सुझाव
येक ब चे को सयु ो य एवं यार िकए जाने क भावना के साथ बड़ा होना आव यक है । जब ब चे म अिधगमअश तता होती है तब माता-िपता को अपने ब च म वािभमान एवं स ब ध िनमाण कौशल को िवकिसत
करने के िलए अिधक प र म क आव यकता होती है ।
यिद अिभभावक सोचते ह िक उनके ब चे म अिधगम-अश तता हो सकती है तब उ ह अपने ब चे के िलए
सहायता ा त करने म िवल ब नह करना चािहए । अिभभावक का सव थम काय ब चे के िव ालय म स पक
करना है और िव ालय के अिधका रय से परी ण एवं मू यांकन क यव था करने के िलए अनुरोध करना
है । वे इस िवषय म िव ालय के अ यापक या परामशदाता से बात कर सकते ह तथा उन तरीक के बारे
म िवचार-िवमश कर सकते ह जो ब चे क आव यकताओ ं के अनक
ु ू ल हो सकती ह । परामशदाता/िश क
अिभभावक को सहयोग दान कर सकते ह तथा अिभभावक को िन निलिखत प म अनदु श
े न दे सकते ह –
100
• ब चे को िबना शत ेम एवं सहयोग देना ।
• ब चे को समझाना िक गलितयाँ असफलता क तरह नह होती ह और उ ह िदखाइए िक गलितयाँ
उपयोगी हो सकती ह और समाधान क तरफ ले जा सकती ह ।
• अिधगम-अश तता वाले ब च के अिभभावक के िलए सहयोग समहू म शािमल होना । एक
सहयोगी समहू अिभभावक के अके लेपन क भावना को कम करने म सहायता कर सकता है, दसू रे
अिभभावक से सूचनाएँ ा त होती ह एवं योजनाएँ सीखने को िमलती ह ।
• ब चे के िश क/ परामशदाता के साथ नजदीक बनाए रखना । आगे, अिभभावक को िन न जानकारी
दान करनी चािहए ।
• ब चे म वािभमान क भावना का िवकास करने के िलए उनक ताकत को पहचानना एवं पोिषत
करना ।
• अ य भाई-बहन के साथ ब च के दशन क तल
ु ना न करना ।
• असहाय क भावना को िविजत करने के िलए ब चे क ताकत एवं साम य को पहचानना ।
• ब चे के अनु प कर सकने वाले काय को देकर उनम प रवार के ित उ तरदािय व एवं सहयोग क
भावना का िवकास करना ।
• ब चे को चयन एवं िनणय लेने तथा आ म –अनुशासन अिजत करने के िलए अवसर उपल ध
कराना ।
• ब चे को अपनी गलितय एवं असफलताओ ं को िविजत करने के िलए सहायता दान करना ।
3.19 सारांश
इस इकाई म अिधगम-अश तता वाले ब च ारा सामना क जा रही सम याओ,ं कारण एवं िवशेषताओ ं /
ल ण क या या करने का यास िकया गया है । एक िव ाथ क यो यता तथा वा तिवक दशन के बीच
अ तर अिधगम-अश तता वाले ब च क िवशेषताओ ं के बारे म चचा क गई है िजसम बोधा मक अश तता,
भाषा या उ चारण यित म तथा अ पतम मि त क दिु या के कारण पढ़ने एवं िलखने म अ य अश तता
जैसी प रि थितयाँ शािमल ह । अिधगम-अश तता वाले ब च क आव यकताएँ बौि क प से अश त,
वाचाघात या िन न तरीय उपलि ध वाले ब च से अलग ह । इस कार अिधगम-अश तता वाले ब च
क िवशेष आव यकताओ ं तथा अिधगम-अश तता म सहयोग देने वाले कारण को पहचानना आव यक
है । अिधगम-अश तता वाले ब च क िवशेषताओ ं का आकलन करना आव यक है एवं उनक िकशोराव था
सम याओ ं का भी तािक अिधगम-अश तता के भाव को िविजत करने के िलए उनका मागदशन िकया जा
सके । अिधगम-अश तता वाले ब चे क शैि क आव यकताओ ं के पोषण के िलए िश क /परामशदाताओ ं
को यह पहचानना बहत आव यक है िक िव ाथ क िवशेष अश तताएँ कौन-सी ह । वे अिधगम-अश तता
वाले ब चे क सम याओ ं को अिभभावक को समझा सकते ह । िश क/परामशदाता अिधगम-अश तता वाले
101
ब च को उनक साम य को वा तिवक प म बताकर उनक सहायता कर सकते ह । िश क /परामशदाताओ ं
एवं अिभभावक क सहायता से अिधगम-अश तता वाले ब च के यास को बढ़ाना सभं व है ।
आ म-मू याक
ं न अ यास 1. ब च म बौि क अश तता तथा अिधगम-अश तता के बीच अ तर प ट क िजए ।
2. अिधगम-अश तता के कारण क सं ेप म या या क िजए ।
3. एक अिधगम अश तता वाले िकशोर के ारा सामना क जा सकने वाली मख
ु सम याओ ं म से कुछ
क सिं त प म या या क िजए ।
आ म-मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु –
1. बौि क अश तता एक ब चे क उप-औसतीय बौि क काय मता (18 वष क उ से पहले
बुि लि ध (IQ) 70 या उससे नीचे) के साथ-साथ स ेषण, सामािजक, शैि क एवं संवेदीचालक
कौशल , आ म सहायक कौशल तथा यावसाियक कौशल से स बि धत कमी के संदभ म होता
है । अिधगम-अश तता वाले ब च का बिु लि ध (IQ) तर औसत या औसत से ऊपर होता है । वे
सनु ने, बोलने, पढ़ने, िलखने, तक और गिणत म एक या एक से अिधक सम याओ ं का अनभु व करते ह ।
2. िन निलिखत को िव तार से िलिखए –
1- वंशानगु त कारक
2- गभवती मिहला के ारा िट ैटोजेिनक एजे ट जैसे शराब तथा कोक न का याेग करना ।
- िचिक सीय कारक जैसे – असामियक ज म, ारंभ म ही ब चे को मधमु ेह होना, तािनका-शोध,
दयाघात एवं बाल एड्स ।
- पयावरणीय कारक जैसे – िन न तरीय सामािजक-आिथक तर, अ य त गरीबी अव था म पालन-पोषण
एवं िश ण ।
3. िन निलिखत को िव तार से िलिखए –
• समक सािथय तथा सामािजक दबाव
• पहचान का सक
ं ट
• िन न तरीय आ म-सम यय
• सीिमत प म िनयिमत अनभु व के कारण सीिमत सामा यीकरण
• िन न तरीय उपलि ध
• िन न तरीय स यय िनमाण
102
• ेरणा क कमी एवं यवहार बंधन क सम या
• समायोजन सम याएँ
आ म- िनरी ण अ यास के उ तरिबंदु
आ म- िनरी ण अ यास -1
1-क
2-द
3-स
4-ब
3-अ
4-ब
5-अ
आ म- िनरी ण अ यास -2
1- स
2-द
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104
3
िवशेष आव यकता वाले ब च के िलए मागदशन एवं
परामश
भाग – III
शारी रक अश तता वाले ब च के िलए मागदशन एवं परामश
3.20 प रचय
3.21 उ े य
3.22 शारी रक प से अश त ब चा
3.23 िवकलांगीय ित
3.23.1
आ ेपा मक यित म
3.23.2
िवकलागं ीय ित वाले ब च के िलए मागदशन
3.24 वाक् यित म
3.25
3.26
3.24.1
वाक् से संबंिधत यित म
3.24.2
वाक् यित म वाले ब च के िलए मागदशन
य ित
3.25.1
य ित का तर
3.25.2
य ित वाल के िलए पहचान िनरी ण सूची (Checklist)
3.25.3
य ित वाले ब च के िलए मागदशन
य ित ( ि हीनता)
3.26.1
य प से ित त ि हीन ब च क िवशेषताएँ (ल ण) एवं आव यकताएँ
3.26.2
य ित वाले ि हीन ब च के िलए मागदशन
3.27 शारी रक प से अश त िव ािथय क सहायता करने के िलए कुछ सामा य योजनाएँ
3.28 सारांश
आ म-मू यांकन अ यास
आ म-मू यांकन अ यास के उ तरिबंदु
आ म-िनरी ण अ यास के उ तरिबदं ु
संदभ पु तक
पठनीय पु तक
वेबसाइट्स
106
प रचय
आपने इस भाग के ार भ म ही िवशेष आव यकता वाले ब च क िभ न-िभ न कार क आव यकताओ ं
के बारे म पढ़ा है । आप इस त य से भी प रिचत ह िक यिद िवशेष आव यकता वाले ब च को ार भ म ही
उपयु त मागदशन सहायता ा त होती है तब ये ब चे आ म-िनभर एवं समाज के वीकृ त सद य बन सकते ह ।
पहले क दो इकाइय म आपने मानिसक प से िवकृ त एवं अिधगम-अश त के िलए मागदशन के िवषय म पढ़ा
है । इस इकाई म आप शारी रक प से अश त ब च के िवषय म तथा िव ालय के िविभ न तर पर उपयु त
चयन एवं सामंज य के िलए उनके िलए आव यक शैि क, सामािजक, मनोवै ािनक तथा कॅ रयर मागदशन एवं
सहायता के मह व के िवषय म पढ़गे ।
3.21 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात् आप िन निलिखत पहलओ
ु ं को जानने म समथ ह गे –
• िविवध कार क शारी रक अश तता का वणन करने म ।
• शारी रक अश तता वाले ब च को पहचानने एवं उनके अि म आकलन तथा सहायता के िलए उ ह
िवशेष सिु वधा वाली एजेि सय म परामश हेतु ेिषत करने म ।
• शारी रक प से अश त ब च एवं उनके प रवार को मागदशन एवं परामश सेवाओ ं को उपल ध
कराने म ।
3.22 शारी रक प से अश त ब चा
शारी रक प से अश त ब च क ेणी म वे ब चे आते ह िजनके शारी रक यित म ( ित) उनके चलनेिफरने, सम वयन, स ेषण, अिधगम या वैयि क समायोजन म ह त ेप करते ह ।
बहत-सी प रि थितयाँ हो सकती ह िजनक प रणित शारी रक अश तता के प म होती ह जैसे –मि त क के
े ित के कारण गित और मन: ि थित का यित म । आपने ‘ मि त क य प ाघात’ के बारे म सनु ा होगा ।
यह बहत-सी शारी रक अश तताओ ं म से एक है जो 6 वष क उ से पहले ब च म आती है । बहत-से ब चे
िकशोराव था गिठया संिधशोथ से पीिड़त ह िजससे उनके अंग म जकड़न एवं िवकृ ित हो जाती है । एक ऐसा
ब चा भी हो सकता है िजसके अगं दघु टना म खो गए ह । इसके अित र त भगा होना, रंगा धी एवं अंधापन
जैसी सम याएँ भी ह । कुछ ब चे िश क से जो कुछ कहा जा रहा है उसे दोहराने के िलए कह सकते ह और कुछ
ब चे आवाज क िदशा का पीछा करते हए अपने कान को खजु ला सकते ह या बार-बार अपने िसर को उस
तरफ घमु ाते ह । या आपने कभी साक
ं े ितक भाषा म लोग को एक-दसू रे से बात करते हए देखा है ? अश तता
वाले ब च म य एवं वण-सबं धं ी सावं ेिदक ित हो सकती ह । उपयु त विणत शारी रक ितय म से कुछ
आपके िव ालय म प ट प से हो सकती ह और इसिलए सावं ेिगक एवं मानिसक िवकास पर पड़ने वाले उनके
भाव पर यान देना आव यक है ।
शारी रक ित एक यि क सामा य वृि एवं िवकास म बा ा के प म काय करती है या उसको सीिमत
करती है चाहे यह मनोवै ािनक, सामािजक, सांवेिगक या मानिसक हो ।
107
अब हम शारी रक प से अश त लोग क ेिणय को देखगे ।
शारी रक प से अश त लोग को िन निलिखत ेिणय म वग कृ त िकया जा सकता है –
• िवकलांगीय ित
• आ ेपा मक यित म
• सांवेिदक ित ( य एवं वण-संबंधी)
• स ेषण यित म
3.23 िवकलांगीय ित
िवकलागं ीय ित मुख प से संचलन के यित म ह जो एक हड्डी या मांसपेशी संिधय म कमी/खराबी के
कारण उ प न होते ह । इसके प रणाम व प अंग क गित तथा काय मता ितबि धत हो जाती है जो संचलन
म किठनाई का कारण बन सकती है । उदाहरणाथ – म यम िवकलांगीय ित वाला ब चा हाथ-बरमा (छड़ी)
और बैसाखी (सहारा) के साथ चलता है या एक walker के साथ चलता है । िवकलांगीय ित को चलने क
अश तता के संदभ म ेणीब िकया जा सकता है ।
Ambulation (गितशीलता, चलना) एक ब चे क थान बदलते रहने क यो यता से सबं ंिधत होता है । चलने
म अश तता ब चे क तेजि वता को भािवत करती है, इसका ता पय ब चे के वा य एवं अपने जीवन को
संपोिषत करने क यो यता से है । शारी रक चनु ौितयाँ जो इसे ब चे के िलए बहत किठन बना देती ह – भवन
म वेश करना, एक कमरे से दसू रे कमरे म तथा एक मंिजल पर आसानी से आना-जाना, या भीड़भाड़ वाले
थान म या ा करना, या शौचालय सुिवधाओ ं का इ तेमाल करना, ये सभी गंभीर सम या उ प न करते ह । यह
इस कार क ित है जो शारी रक प से अश त ब च को िवशेष िव ालय एवं पा त रत आ म-िनयंि त
क ाओ ं तक सीिमत कर देती है ।
अब हम सं ेप म दो कार क गितशीलता (Ambulation) अश तता के बारे म वणन करगे – मल
ू म
मि त क य (Cerebral in origion), मल
ू म अ मि त क य (Non-cerebral in origion) ।
(अ) गितशीलता अश तता (मूल प म मि त क य) गितशीलता अश तता जो मल
ू प म मि त क य होती है जो मि त क म ज म के पवू /समय या बाद म ित
के कारण उ प न होती है उसे मि त क य प ाघात कहते ह । यह ित त चालक सम वयन के ारा िवशेिषत
होती है । यह एक अिवकासा मक यित म है य िक मि त क क खराबी उ के साथ िबगड़ती नह है और
अश तता म वृि नह होती है । यह श दावली सामा य ेणी क चालक किमय के िलए योग क जाती
है (कठोरता, स तिं भता, क पन) । ब चा ाय: िशिथल एवं बेढ़गं ा होता है, अपने िसर को पकड़ने या घमु ाने
म धीमा होता है, खाने म किठनाई होती है, िचड़िचड़ा होता है, बोलना शु करने म धीमा होता है, अशा त
यवहार का दशन करता है तथा शरीर को िनयंि त करने एवं संतल
ु न बनाने म किठनाई होती है । इन ब च को
शारी रक एवं यावसाियक वाक्-िचिक सा क आव यकता हो सकती है। कुछ ब च को अपने स पणू साम य
108
के िवकास के िलए अ प मा ा म अित र त अवधान क जबिक दसू रे ब च को अिधक मा ा म सहायता क
आव यकता होगी ।
(ब)
गितशीलता अश तता (मल
ू प म अ मि त क य) -
अ य अश तताएँ जो मांसपेशी के िनयं ण एवं िवकास को भािवत करती ह वे चलने – िफरने म अवरोध का
कारण बनती ह । िन निलिखत अश तताओ ं को िव ालयी ब च म ाय: देखा जाता है –
• पेशीय दिु वकास वैि छक पेिशय को उ तरो तर कमजोर करता है एवं उ प न होने से रोकता है ।
पेशीय दिु वकास सामा य प से ज म से ही यित म का एक समूह है िजसम अि थ-पजं र पेिशयाँ
िमक प से घटती जाती ह, इसम कोई तिं का-िव ानीय तथा सावं ेिदक कमी नह होती है और
यह मु य प से आनवु िं शक वृि के कारण होता है ।
• मे द डीय पेशीय ीणता मे र जु को भािवत करती है और चालक तंि का कोिशकाओ ं के िमक
िवकार के प म होती है जो शारी रक गितिविधय के सम वयन म सम याओ ं क तरफ ले जाती
है । जो मांसपेिशयाँ बहत किठनाई से ख ची जाती ह या असमान प से संतुिलत होती ह वे मे द ड
म झुकाव उ प न कर सकती ह िजसे पा कु जता कहते ह ।
• पोिलयो (िशश-ु प ाघात) एक वायरल (Viral) सं मण है जो मे र जु क कोिशकाओ ं को भािवत
या ख म करता है । जब इन तिं का कोिशकाओ ं को न ट कर िदया जाता है तब वे मासं पेिशयाँ िजनक
ये कोिशकाएँ सहायता करती ह अ ततोग वा िनज व या प ाघात से भािवत हो जाती ह । प ाघात
स पणू शरीर या शरीर के कुछ िह स को भािवत कर सकता है । पोिलयो से िसत बहत-से लोग
श या त हो जाते ह, हील चेयर पर सीिमत हो जाते ह या गितशीलता के िलए छड़ी या बैसाखी पर
िनभर हो जाते ह ।
• पॉविफर (Clubfoot) वह यित म है िजसम ब चे एक या दोन पैर क असमा य ि थित के साथ
पैदा होते ह ।
• अगं छे द का अथ अगं के न होने से है । यह या तो अगं के ारि भक णू ीय िवकास म िवघटन के
प रणाम व प या दघु टना के कारण तथा कभी-कभी जीवन के िलए खतरनाक शारी रक यित म
एवं बीमा रय के कारण होता है । यह आंिशक या संपणू प म हो सकता है ।
3.23.1 आ ेपा मक यित म
मि त क म अिनयंि त तंि का िव ािनक (Electrical discharges) दौरा या शरीर अकड़ जाने के कारण हो
सकते ह िजनक प रणित ऐठं न (Convulsions) के प म होती है । इसे िमरगी या अप मार कहा जाता है ।
िमरगी का एक िवशेष वा य सम या के प म उपचार िकया जाता है य िक यह ब चे क फूित, तेजि वता
एवं मानिसक वा य को इस ढगं से एवं इस तर तक भािवत करता है िक यह एक िनयिमत िव ालय
प रि थित म उसके काय करने क यो यता को गभं ीर प से कम कर सकता है । दौरे के तीन ाथिमक कार
ह – महािमग (Grand Mal), पेटीमाल िमग (Pelit Mal) तथा मनोचालक (साइकोमोटर) िमग ।
109
महािमग (Grand Mal): इसम स पूण शरीर शािमल होता है िजसके अ तगत पेिशय म स ती, पेिशय म ती
संकुचन एवं मूिछत होना सि मिलत है ।
पेटीमाल िमग (Pelit Mal): पणू तया सधु -बधु खो देना, शू य म टकटक लगाकर देखना तथा िदवा व न देखते
तीत होना या ति भत हो जाना । ये दौरे ब च म ाय: आते ह ।
मनोचालक िमग : ये दौरे िमि त चालक एवं सांवेिदक ि या के ारा पहचाने जाते ह । यि ति भत एवं
िवि त तीत होता है – बीच-बीच म चलना, बदु बदु ाना, िसर को घमु ाना या कपड़ को ख चना के ारा ेि त
िकया जा सकता है ।
िमग से िसत एक ब चा िन निलिखत ल ण का दशन कर सकता है –
• ती गित से िहलाता है ।
• मिू छत हो जाता है ।
• हाथ एवं पैर को ती गित से िगराता एवं घमु ाता है ।
• पलक म सावं ेिदक अनभु िू त ।
• दौरे क अनवरत आवृि के कारण पीला पड़ जाता है ।
आ म-िनरी ण अ यास – 1
िन निलिखत िवक प से खाली थान को भ रए –
अस
-
गितशीलता यित म,
ब
-
पोिलयो,
ऐठं न
द
-
संचलन
1. मि त क य प ाघात वाले ब चे ---------- सामना करते ह ।
2. िवकलांगीय ित ------------ का यित म है ।
3. ----------- एक वायरल सं मण है जो मे र जा क कोिशकाओ ं को भािवत और न ट करता है ।
4. मि त क म अंिनयंि त तंि का –िव ािनक क प रणित --------- प म होती है ।
3.23.2
िवकलांगीय ित वाले ब च के िलए मागदशन
अब, जबिक आप िवकलांगीय ित वाले ब च क िवशेषताओ ं के बारे म जानते ह, हम देखना है िक ये ब चे
िव ालय म िकस कार क सम याओ ं का सामना करते ह और उनक सहायता के िलए या िकया जा सकता
है ।
िन निलिखत े म मागदशन क आव यकता होगी –
110
• िव ालय म उपि थित
• दद एवं परु ानी बीमा रयाँ
• यानपवू क बैठने म किठनाइयाँ
• शैि क सम याएँ
• सामािजक एवं सांवेिगक सम याएँ
शारी रक प से अश त कुछ िव ािथय के िलए िव ालय म जाना एक मख
ु सम या है । उदाहरणाथ शारी रक एवं यावसाियक िचिक सा स म जाने के कारण उनके िव ालय जाने म यवधान हो सकता है ।
दद, बैठने म किठनाई एवं अ य वा य-संबंधी परे शािनय के कारण एक िव ाथ परू े समय के िलए िव ालय
म उपि थत रहने म समथ नह हो पाता है तथा िव ालय के समय के अनुसार यवधान हो जाता है । कभीकभी उपचार के कारण वे दीघ अविध के िलए िव ालय नह ं जाते ह । इस कार के िव ािथय को सीखने
के बहत कम अवसर िमलते ह तथा शैि क िवषय-व तु छूट जाती है जो शैि क सम याओ ं एवं िन न तरीय
उपलि ध क तरफ ले जाती है । सामािजक-सांवेिगक सम याओ ं को िविजत करने म सहायता दान करने के
िलए मागदशन िश क को इस कार के ब च के गृह काय, अ य लोग के साथ गितिविध एवं स ेषण को
ससु ा य बनाने म सहायता क आव यकता होती है ।
वे इन िव ािथय के िलए अित र त सहायता उपल ध कराने हेतु ट्यश
ू न या समक सािथय से सहायता आिद
के बंध के ारा यास कर सकते ह । वे एक सहयोगा मक अिधगम वातावरण भी तैयार कर सकते ह जहाँ पर
ब चे छोटे- छोटे समूह म सीखते ह । येक सद य उ तरदायी होता है और सहयोगा मक कौशल का योग
करते हए एक दसू रे क सहायता करता है । मागदशन िश क नेतृ व के िलए अवसर को उपल ध कराता है तथा
सभी से ऊँची अपे ाएँ रखता है । वह प रचचा, रोल ले, िफ म , आिद के मा यम से इन ब च क किठनाइय
के बारे म सामा य ेणी के ब च म जाग कता उ प न करता है । अपनी शारी रक अश तता, लापरवाह
माता-िपता या अपने पास-पड़ोस के मह वपणू यि य के ित ोध के कारण िवि तता को य त करने के
िलए आव यकता हो सकती है । इन अश तताओ ं वाले ब चे िकसी खेल गितिविध या शारी रक गितिविध म
शािमल न िकए जाने के कारण ाय: िवि त महससू करते ह । माता-िपता एवं अ य देखभाल करने के साथही-साथ िश क तथा िव ािथय क िति याएँ िव ालय म उनके ारा दिशत सामािजक एवं सावं ेिगक
यवहार को भी भािवत करती ह । सीिमत चालक कौशल , वयं सहायता तथा वयं क देखभाल करने क
मता हेतु कौशल िव ािथय क सामािजक अ यो यि या के दायरे को सीिमत कर सकते ह । तथािप वे उ च
तरीय साम य को ा त कर सकते ह यिद उनक मानिसक यो यताएँ ित त नह ं हई ह । इन ब च के ारा
सामना क जा रही मख
ु सम या शारी रक अश तता के ित अ य लोग क अिभवृि है । इसिलए एक स न
अिभवृि को िवकिसत करने म उनक सहायता करना आव यक है । उ ह अ य लोग के साथ अ यो यि या
का अवसर उपल ध कराने, सामा य काय म शािमल करना िज ह वे कर सकते ह, यह सब उनके वािभमान का
िनमाण करने एवं वैयि क एवं शैि क वतं ता म सहायता करता है (जु का, 2007) ।
111
इन ब च को सामा य िव ालय म शािमल करने के िलए वा त-ु िश पीय बाधाओ ं को हटाने क आव यकता
होगी य िक कभी-कभी भवन का अिभिव यास बहत-सी सम याओ,ं ितबधं एवं िवि तताओ ं का कारण
हो सकता है । साधारण रै प (ढलान वाला रा ता), हाथ के सहारे के िलए रेिलगं , चौड़े दरवाजे, शौचालय क
उपयु त यव था एवं बैठने क यव था का बधं करना आव यक है । सहयोगा मक ौ ोिगक का योग,
आकलन ि याओ ं म संशोधन, पु तक, िव ालयी सामि य को संभालने म सहायता दान करने के िलए
समक सािथय का सहयोग समहू िनमाण करना, आिद को उपल ध कराने क आव यकता है ।
अनिगनत अ ययन इस बात क पिु करते ह िक शारी रक अश तता वाले यि सामा य यि य क तल
ु ना
म ाय: कम अनुकूल होते ह । इस कार क अिभवृि को प रवितत करने क आव यकता है य िक वे के वल
सीिमत प म अश त होते ह और वे अ य े या अिभ िचय म आ चयजनक दशन कर सकते ह ।
परामशदाता के ाथिमक उ े य म से एक शारी रक अश तता वाले ब च को िनभरता से आ मिनभरता/
वतं ता क तरफ ले जाना है । शारी रक प से अश त लोग म कुछ िनि त कौशल एवं मताएँ होती ह
िज ह अविश ट काय णाली के प म सबं ोिधत िकया जाता है िजसका योग उ ह अिधक आ मिनभर बनने
म सहायता दान करने के िलए करना चािहए । अविश ट काय णाली के योग करने का अथ है िक शारी रक
प से अश त ब चे उस काय पर के ि त कर िजसे वे कर सकते ह न िक उस काय पर िजसे वे नह कर सकते
ह उदाहरणाथ – शरीर के िनचले िह से म प ाघात से िसत यि हील चेयर म बैठने के िलए अपने हाथ
का योग करता है ।
परामशदाता इन ब च के अ दर संभवत: उ प न होने वाली िवि तता को कम करने के िलए उ ह अपनी
अश तता को वीकार करने एवं सहनशीलता को बढ़ाने म सहायता दान करके कर सकते ह । परामशदाता को
क ा म शारी रक प से अश त िव ािथय क वीकृ त के िलए एक वातावरण का िनमाण करना होगा और
ब चे को अिधगम गितिविधय म अपने सािथय के साथ एक समान सहभागी के प म शािमल करना
होगा । आपसी स मान, खल
ु े िदल से सहारा देने एवं आपसी सहयोग के आधार पर सािथय म अ यो यि या
को ो साहन देने क आव यकता है । इसे अ य ब च को शारी रक अश तता के अथ के िवषय म सूिचत
जानकारी दान करके ससु ा य िकया जा सकता है । परामशदाता को उनके ारा इ तेमाल िकए जाने वाले
सहयोगा मक /िन चया मक उपकरण एवं गैजेट के सामंज य म उनक सहायता करनी चािहए ।
ि याकलाप - 1
एक शारी रक प से अश त यि से उनके दैिनक जीवन म ‘शारी रक प से अश त यि य के ित
अिभवृि ’ िवषय पर बातचीत क िजए । इस अिभवृि को प रवितत करने के िलए या िकया जा सकता है, इस
पर करीब 200 श द म सिं त म एक लेख तैयार क िजए ।
3.24 वाक् यित म
अब हम स ेषण यित म वाले ब च के िवषय म प रचचा करगे । सं ेषण यित म श दावली का योग
भाषा के यवहार का वणन करने के िलए िकया गया है जो एक ब चे क काल िमक उ के स बंध म
अपेि त अ य ब च से अलग है ।
112
3.24.1 वाक् से स बि धत यित म
• उ चारण यित म को वाक् विनय क असामा य उ पि के प म प रभािषत िकया गया है ।
उदाहरण के िलए silly (िसली) के िलए thilly (िथली) या wed (वेड ) का Red ( रे ड) के थान
पर उ चारण करना ।
• आवाज यित म को वािचक गुण, तार व वरमान, बलता, अनवु ाद तथा अविध क अनपु ि थित
या असामा य उ पि ’ आवाज यित म वाले यि कभी -कभी बहत ककश आवाज िनकालते ह
या बहत जोर से बोलते ह या बहत ऊँ चे या बहत नीचे तार व म बोलते ह ।
• वाह यित म को मौिखक अिभ यि के असामा य वाह के प म प रभािषत िकया गया है
जो ितयु त दर एवं लय से िवशेिषत होती है जो ा मक यवहार के साथ हो सकती है और जो
अनपु यु त िहचिकचाहट, िवराम एवं दोहराना, विनयोें अ र , श द या वा याश
ं के दीघ करण
अिन छा से शांितपणू िवराम या कावट तथा विनय को उ प न करने म यि क असमथता के
कारण वाक् के ाकृ ितक िनबाध बहाव म यवधान से स बि धत है ।
वाक् यित म वाले ब च क िवशेषताएँ या यवहार को िन निलिखत प म सं ेिपत िकया गया है ।
• वाक् अवयव क े णीय िवकृ ित ।
• वाक् अवयव के वा याश
ं को बोलते समय ाकृ ितक ( वाभािवक) प से कावट होती है ।
• िश क के ारा सधु ारा मक यास के बावजदू बार –बार गलत उ चारण करना ।
3.24.2 वाक् यित म वाले ब च के िलए मागदशन
िजन लोग को बोलने म परे शानी होती है अ य लाेग उनके ित अलग कार का यवहार करते ह । इस वजह
से सावं ेिगक सम याएँ जैसे- सामािजक प रि थितय से दरू ी बनाना, अ वीकरण क भावना तथा वािभमान म
कमी उ प न हो सकती ह ।
तुतलाने एवं हकलाने जैसी वाक् सम याओ ं वाला ब चा शिम दगी तथा सांवेिगक प से असुरि त महससू
कर सकता है । वह एकाि तक हो सकता है , बोलने से मना कर सकता है तथा िवशेष प से उ तेजना के समय
अपने िवचार को नह य त कर सकता/ती है ।
िश क/ परामशदाता
उ प न करने वाली प रि थित के तनाव को हटाने के िलए परामश कौशल एवं
तकनीक का योग करते हए ब चे से बातचीत के ारा सावं ेिगक असरु ा के कारण का पता लगाने म उसक
सहायता कर सकता है और वािं छत प रवतन को लाने म मदद करता है ।
परामशदाता िन निलिखत प से सहायता कर सकता है• इन ब च के अिधगम को संसा य बनाने के िलए इस कार क िवशेष सामि य जैसे – ह तिलिखत
वणमाला, सांकेितक भाषा- णाली तथा मौिखक / ह तिलिखत सं ेषण गितिविधय ‘ काटना ’,
113
‘ख चना ’, ‘ रंग ’, रंगना ’, ‘ फाड़ना ’ मोड़ना, ‘ बनाना ’ को एकल श द के उ चारण के अ यास
हेतु योग िकया जा सकता है । यह ब चे को िवशेष श द को बार-बार दोहराने के ारा सीखने म मदद
करे गी तथा बाद म अ यो यि या म सहभािगता के समय इन श द के योग क आव यकता होगी ।
• उपयु त भाषण के िलए अ छे रोल मॉड स (व ताओ)ं को उपल ध कराना, जैसे धीरे-धीरे एवं प ट
तरीके से बोलना, अ छा उ चारण अिजत करना, आिद ।
• ब चे को लगातार बोलने म समथ बनाने के िलए बोलने का अ यास देना न िक अ छा बोलने पर
बल देना ।
• सकारा मक गणु क तरफ इशारा करना और उनके सश त प को बाहर िनकालने के िलए िव ािथय
को उनके सश त प से स बि धत गितिविधय म शािमल करना ।
• ब चे के पयावरण के अ य सद य को बोलने के ारा ामािणक काय क शंसा करने के िलए न
िक उपलि ध के िलए शंसा करने के स ब ध म िदशा- िनदश देना ।
• वाक् यित म वाले एक यि क किठनाइय एवं सफलता को दिशत करने के िलए अिभनय या
रोल ले करना ।
ि याकलाप -2
अपनी क ा के ब च के सहयोग से वाक् सम याओ ं वाले ब च ारा अनभु व क जा रही सम याओ ं को
दिशत करने के िलए एक रोल ले या एक नाटक तैयार क िजए ।
3.25
य – ित
य वह मु य सांवेिदक रा ता है िजसके ारा वाक् एवं मौिखक स ेषण िवकिसत होते ह । जैसा िक य
अिधगम एवं प रप वन के अ य पहलओ
ु ं को भािवत करता है इसिलए भाषा के सामा य िवकास म य ित
एक बड़ी बाधा बन सकती है ।
य - ित एक एका मक समहू नह ं है य िक इसम अलग-अलग तर क य- ित होती है (न , म यम,
ती , चंड या गंभीर ) । य हािन या ित को सनु ने क मता के संदभ म य हािन का तर , वह अव था
िजसम ित उ प न होती है तथा ित के कार को समझने क आव यकता होती है ।
3.25.1
य ित के तर
वेब टर (1986) ने
े णी
सामा य
य ित के चार तर को िन निलिखत प म ततु िकया है ।
ित – डेिसबल म
25 डेिसबल तक
िश ु
वय क म अ प मा ा म
114
न
20-40 डेिसबल तक
शोर क ि थित म सनु ने म किठनाइयाँ जैसे क ा म
म यम
41-55 डेिसबल तक
शांत पयावरण म सामा य प से सनु ने म किठनाई
ती
59-90 डेिसबल तक
सुनने के िलए अवधन क आव यकता
गंभीर
90 डेिसबल से ऊपर
सुनने के सहायक यं के साथ भी सीिमत एवं िवकृ त
प म सनु ना
तथािप कुछ सामा य िवशेषताएँ इसम शािमल ह –
• स ेषण िवशेषताएँ – भाषा के योग एवं दसू र ारा योग क गई भाषा को समझने म बाधाएँ ।
• सामािजक िवशेषताएँ –जैसा िक ये ब चे दिु नया को देखने के िलए अपने कान से अिधक अपनी
आँख का योग करते ह, उ ह दसू रे लोग को उनके ारा बोले गए श द को समझने के िलए उ ह
बहत यान से देखना होता है, स ेषण के िलए हाथ एवं शरीर का योग करते ह , इस कार उनका
यवहार कभी-2 लोग को आ चयजनक एवं स त तीत होता है ।
शैि क िवशेषताएँ
भाषा क किठनाई के कारण ठीक कार से न सुन पाने वाले िव ाथ पढ़ने एवं गिणत दोन म िन न तरीय
उपलि ध ा त करने वाले होते ह । पढ़ने म सम याएँ तीन सामा य े म हो सकती ह – श द-सं ह, वा यरचना तथा तीका मक भाषा िजसम मुहावरे शािमल ह ।
श द - सं ह – श द के अथ का ान ।
वा य – रचना – वह तरीका िजसम अथ क इकाइयाँ एक-दसू रे के साथ संयोिजत क जाती ह ।
तीका मक भाषा – जब अ र को एक भौितक संरचना दी जाती है । जब आप पदाथ को देखते ह तब उनके
शारी रक उपि थित के िवषय म सूचना ा त करते ह तथा एक मानिसक छिव या आरेख बनाते ह जो आपको
उन पदाथ को पहचानने म सहायक होते ह जब आप उ ह पनु : देखते ह ।
3.25.2
य – ित वाल के िलए पहचान िनरी ण सच
ू ी
ारि भक अतं : ेप से इस कार के ब चे भाषा को ही समझने, पढ़ने और आस-पड़ोस के िवषय म सूचना
ा त करने म समथ हो जाते ह ।
एक मागदशन िश क के प म आप िव ाथ को वण िव ान के िवशेष के पास परामश हेतु भेज सकते ह ।
आपको य ित वाले िव ाथ के कुछ सामा य तीक /ल ण को देखना चािहए और सुधार के िलए िजतना
शी हो सके उसे परामश भेजना चािहए । िन निलिखत सामा य ल ण य ित के सक
ं े त हो सकते ह –
115
• िव ालय म यान देने म किठनाई ।
• सनु ने के उ े य के िलए एक कान क सहायता लेना ।
• पीछे क तरफ से बोली जाने वाली बात को सनु ने म किठनाई ।
• बहत जोर से या बहत कोमल आवाज म बोलना ।
• गलत उ चारण के कारण आवाज क सम याओ ं का दशन करना ।
• रे िडयो / टेलीिवजन बहत ऊँ ची आवाज म चलाना ।
• अस बि धत न के उ तर देना ।
• अपने हमउ सािथय से दरू रहना ।
• कई बार दोहराने के बाद ही बात को समझना ।
• व ता के सनु ने एवं समझने के िलए बोलने वाले के चेहरे पर यान के ि त करना ।
• िश क के ारा दी जा रही सूचनाओ ं को िलखने के िलए अ य िव ािथय से सहायता लेना ।
• बार-बार कान म दद या कान बहने क िशकायत करना ।
• बार-बार कान को खजु लाना ।
• कान का िवकार ट य होता है ।
आ म- िनरी ण अ यास -2
िन निलिखत त भ का िमलान क िजए –
1. भाषा – वाह यित म
अ मानिसक आरे ख
2.
ब सीिमत एवं िवकारयु त वाक् विनयाँ
य – ित क म यम ेणी
3. तीका मक भाषा
स ं ा मक यवहार
4.
द अथ क िमि त / संयोिजत इकाइयाँ
य – ित क गंभीर ेणी
5. वा य –रचना
3.25.3
क 41-55 डेिसबल
य- ित वाले ब च के िलए मागदशन
िजन ब च म ती य ित है उ ह िवशेष िव ालय म पढ़ने तथा अलग कार क पाठ्यचया का अनुपालन
करने क आव यकता होती है य िक वे सामा य िव ालय क पाठ्यचया के साथ चलने म समथ नह हो
सकते ह । इसी कार से न या म यम प से य- ित वाला एक ब चा एक िनयिमत िव ालय म तभी
116
िमलेगा जब िव ालय म िवशेष िव ािथय क आव यकताओ ं क देखभाल के िलए िदशा-िनदश देने एवं
सिु वधा दान करने का ावधान हो । उदाहरणाथ– िव ालय म एक मागदशन अ यापक या संसाधन िश क
तथा अ य सिु वधाएँ होनी चािहए िजनक नीचे प रचचा क गई है । य ित क ती ता के आधार पर एक
मागदशक िश क के ारा पाठ्यचया एवं िश ण िविधय क अनुकूलता के िलए सुझाव िदया जाना चािहए ।
बिधर िव ािथय के िलए तीक भाषा का िश ण मह वपूण है । भाषा तीक म स पणू श द या वा य को
बनाने के िलए हाथ , अँगुिलय एवं भजु ाओ ं का योग करना शािमल है ।
सनु ने म किठनाई का अनभु व करने वाले ब चे के िलए अ य ावधान उसे सामने क तरफ बैठाना है िवशेष प
से बीच से थोड़ा िखड़क क तरफ जहाँ से वह बेहतर तरीके से सुनने एवं बोलने वाले के होठ को पढ़ने म समथ
हो सके । काश िश क के चेहरे क तरफ होना चािहए तथा ब चे क आँख से अलग होना चािहए ।
यिद य- ित के वल एक कान म है या ित दूसरे कान क तुलना म एक म बहत अिधक है तो ब चे
को सामने क तरफ कोने वाली सीट पर बैठाना चािहए तािक उसका सनु ने वाले बेहतर कान िश क क तरफ
हो । ब चे को िश क के चेहरे को देखने के िलए ो सािहत करना चािहए जब िश क ब चे से बात कर रहा
हो । िश क के िलए िजतना भी सभं व हो सके ब चे से आँख िमलाकर बात करना चािहए । िश क को य
ित वाले ब चे के िसर क मु ा पर भी यान देना चािहए य िक बेहतर ढंग से सुनने के िलए िसर को आगे क
तरफ बढ़ाना या गदन को घमु ाना यह ढ़तापवू क ि थर हो सकता है । सनु ने म किठनाई का अनभु व करने वाले
ब चे से बोलते समय िश क को जोर से बोलना नह चािहए या होठ क गितशीलता काे बढ़ा-चढ़ाकर योग
नह करना चािहए ।
य- ित वाले ब च को य स बंधी िश ण के िलए य िव ानी के पास भेजना चािहए । िश क य
ित वाले ब चे को किवता पाठ करने वाले ब च के चेहर को यानपवू क देखने के िलए ोसािहत करके
उनक सहायता कर सकता है । संगीत म अिभ िच तथा कंठ संगीत म सहभािगता के िलए इन ब च को
ो सािहत करना चािहए । ब च को खेल एवं अ य सभी गितिविधय म भाग लेने के िलए ो सािहत करना
चािहए िजसम बोलना आव यक होता है ।
िश क को य- ित वाले ब चे क िकसी भी बीमारी के िवषय म सावधानी पूव क देख भाल करनी
चािहए । सद , इ फ यु ए जा ( ित याय), गले एवं नाक का सं मण, तुि डका-शोध ( Tonsillitis )
और अ य बीमा रय का िजतना ज दी संभ व हो उपचार कराना चािहए य िक इनसे कान म सं मण हो
सकता है और सुनने म और भी हािन हो सकती है ।
ि याकलाप -3
अपने शहर म य– ित वाले िव ािथय का यान रखने वाले िकसी िव ालय या गैर-सरकारी सं था
(NGO) म जाइए । इन ब च क सहायता के िलए िकए जा रहे िक ह दस गितिविधय क सचू ी बनाइए एवं
वणन क िजए ।
117
3.26 य- ित / ि हीनता
आँख का य काय पयावरण से य सचू ना को एकि त करना एवं मि त क म स ेिषत करना है । बाहर क
दिु नया के िवषय म करीब 80-90 % तक सचू नाएँ हमारी आँख के ारा एकि त क जाती ह । य प से
ित त लोग इस िनवेश से वंिचत ह ।
ि हीनता/ य - ित को देखने क यो यता म कमी के प म प रभािषत िकया गया है (िन सेन, 2002) ।
य- ित का वणन करने के िलए आंिशक प से देखने, वैध प से अ धा, िन न- तरीय य मता, तथा
पूणतया अंधा श दावली का सामा य प से योग िकया जाता है ।
य प से ित त ब चे वे ह जो य ती णता, य के े तथा य म वीणता के सदं भ म किठनाई का
सामना कर रहे ह । य- ित एक अव था है िजसम एक िव ाथ क य मता इस सीमा तक कम होती है
िक यह सामा य काय- णाली को भािवत करती है । य- ित का सबसे ती भाव पणू तया अधं ापन है ।
तथािप, अिधक मा ा म य प म ित त ब चे अंधे नह होते ह य िक अनुमानत: सभी य प से
ित त ब च म करीब दो-ितहाई ब च म य-स बंधी कुछ मता होती है । िविभ न देश म अलग-अलग
तरीक से अंधा, िन न तरीय य मता तथा आंिशक प से देखने क वैधता जैसे श द को पा रभािषत िकया
गया है । इन दो श दाविलय को समझने के िलए आपको अपने देश क वैध प रभाषाओ ं को अव य देखना
चािहए । यहाँ पर दी गई प रभाषा भारतीय प र े य म है । अंधेपन के अिधकतर मामले या तो रोके जा सकते ह
या उपचार यो य ह । य- ित के कारण क ा म पु तक पढ़ने या यामपटृ पर िलखे हए को देखने म किठनाई
होती है िजससे अिधगम म कई कार क सम याएँ उ प न होती ह ।
य – स ब धी मख
ु सम याओ ं को दो ेिणय म िवभािजत िकया जा सकता है –
अ- अंधापन
ब- िन न तरीय य मता
भारत म अंधेपन के िनयं ण हेतु रा ीय काय म म 6 मीटर या 20 फ ट क दरू ी से अँगिु लयाँ को िगनने म एक
यि क अयो यता के वणन के प म अधं ेपन क एक सामा य प रभाषा दी गई है । धारा, 1995 (समान
अवसर , समान अिधकार तथा पणू सहभािगता ) म अश तता वाले यि यों के स ब ध म देखने म असमथता
को दो भाग म िवभ त िकया गया है –
अधं ापन उस अव था से स बि धत है िजसम यि िन निलिखत अव थाओ ं म से िकसी एक से पीिड़त होता
है –
i.
य क पणू तया अनपु ि थित या
ii. य ती णता िजसम य ि क प टता सही लस के साथ बेहतर आँख म 6160 या 201200
नेलेन (मानक ि ) से अिधक नह होती है या
iii. ि के े क सीमा 20 िड ी के कोण या उससे खराब अंत रत होती है ।
118
'अधं ा' श द का योग सामा य प से उन िव ािथय के िलए िकया जाता है िज ह िब कुल िदखाई
नह ं देता है या बहत सीिमत प म काश का बोध होता है । य प से ित त कुछ ब चे ेल
िलिप से पढ़ सकते ह जो अधं े लोग के िलए ि टं के प म बनाई गई है ।
िन न तरीय ि वाले यि य से ता पय उपचार के प चात् या मानक अपवतक सधु ार के बावजदू भी एक
यि क ि काय- णाली क ित तता से है जो उपयु त सहयोगा मक उपकरण के साथ एक काय क
योजना बनाने या ि याि वत करने हेतु ि का योग करता है या ि का योग करने म संभा य प म स म
है ।
िन न तरीय ि उन यि य का वणन करती है जो सामा य प से ि ंट को पढ़ सकते ह य़ िप वे इस कार
क ि सहायक जैसे – आवधक लस या ि टं के आकार को बढ़ाने वाले अ य साधन पर िनभर रहते ह ।
3.26.1 य प से ित त ि हीन लोग क िवशेषताएँ एवं आव यकताएँ
य ित त सामा य प से (1) ती णता तथा (2) े ीय कमी (एक ब चे ारा िदखाई दे सकने वाला े
जब वह अपने सामने सीधा देख रहा है ) के ारा मापा जाता है जो ब चे के िविवध अनभु व के अनावरण
को भािवत करते ह । ि -अश तता वाले िव ािथय क जनसं या बहत िवषम है । तथािप ये कुछ सामा य
िवशेषताएँ एवं आव यकताएँ है िजनम शािमल ह –
• आकि मक अिधगम हेतु सीिमत अवसर ।
• अनभु व के े एवं िविवधता म सीमाएँ ।
• बाहर घमू ने एवं पयावरण के साथ अ यो यि या क यो यता म सीिमतताएँ ।
• िश ा एवं स ेषण म सीिमतताएँ ।
• आ मिव वास के अजन म सीिमतताएँ ।
िविभ न प रि थितय म एक ब चे के काय करने के तर के ि या मक आकलन एवं अाँख से स बि धत िकसी
सम या के िलए ज री इन आव यकताओ ं क पहचान के िलए ब चे का गहन े ण आव यक हो सकता
है । ब चा ल बी अविध के िलए आँख ब द करके काय करने म स म नह हो सकता है और िव ालय के
वातावरण म उसे घमू ने के िवषय म सीखने क आव यकता हो सकती है । उसे िचिक सीय सहायता क भी
ज रत हो सकती है । कभी – कभी इनके ारा योग िकए जाने वाले ि सहायक के कारण दसू र के ारा इन
ब च का मजाक उड़ाया जा सकता है । इस कार वे िन न तरीय वािभमान या नकारा मक आ म –स यय
िवकिसत कर सकते ह । नीचे क गई पहचान िनरी ण सचू ी उनके ारा सामना क जा रही कई अ य किठनाइय
का संकेत करती है –
• आँख म ट य कमी ।
• आँख का बार-बार लाल होना ।
• आँख को अ यिधक रगड़ना ।
119
• आँख के बहत नजदीक पु तक या पदाथ को पकड़ना ।
• एक आँख को ढक
ं ना तथा िसर को आगे क तरफ झक
ु ाना ।
• आँख को बार-बार झपकाना ।
• क ा म काले / सफे द बोड से िलखते समय अ य ब च से सहायता माँगना ।
• आँख से बहत यानपवू क काय करने म िसरदद क िशकायत करना।
• आँख म पानी आना ।
• पुतिलय के आकार म िविभ नता ।
• काश के ित संवेदनशीलता ।
• अ यमन कता ।
• दरू क चीज / पदाथ क पहचान करने क कोिशश करते समय तनाव महससू करना ।
• चलते समय गलत तरीके से चलना ।
यिद एक ब चा इन यवहार म से कुछ का दशन करता है तब िश क उसे आँख के िनरी ण के िलए या
िचिक सीय उपचार के िलए जन वा य के या हाॅि पटल म परामश हेतु भेज सकते ह ।
3.26.2 य ित वाले ( ि हीन) ब च के िलए मागदशन
ि हीनता का सामना य ा मक, यवहारा मक, िवचारा मक एवं सांवेिगक तर पर करना पड़ता है य िक
ये सब आपस म अ यो याि त ह । उदाहरणाथ- ि हीनता के कारण ब चा अपने को िकस कार से देखता है?
िकस कार का यवहार दिशत करता है? या वह आ ामक है या र ा मक? सामा य प से िकस कार
के िवचार एवं भावानाएँ य त क जाती ह, आिद आव यकताओ ं को देखना चािहए । उन लोग म िच ता
एवं िनराशा जैसी सांवेिगक आव यकताएँ सामा य ह िज ह ने अभी हाल ही म ि हीनता को अनभु व िकया
है । इस कार य ित वाले बहत-से िव ाथ िनराशावादी होते ह , अपने भिव य के िवषय म िनराशाजनक
भिव यवाणी करते ह और इस कार वािभमान क कमी से पीिड़त होते ह ।
ि हीन/ य ित वाले ब चे अपने उन सािथय से िजनक य मता िब कुल सही है िव ालयी उपलि ध
म काफ पीछे रहते ह । िश क/परामशदाता से िजतना भी संभव हो सके इन ब च को सवािधक उपयु त
शैि क पयावरण म रखना चािहए जो उनके अिधगम को सरल बनाएगा । अगला िबंदु पाठ्यचया पर िवचार
करना है जो उनक आव यकताओ ं के सवािधक अनक
ु ू ल हो ।
• अिभभावक को उनके य ित वाले ब चे के बल प एवं यो यताओ ं के िवषय म प रिचत कराने
क आव यकता होती है । उ ह यह सचू ना देना बहत आव यक है िक थोड़े-से यास एवं िश ण से
ब चे को अपने दैिनक जीवन के काय को करने म आ म िनभर बनाया जा सकता है ।
120
य- ित वाले ब च क शैि क उपलि ध म सुधार हेतु परामशदाता िन निलिखत कुछ िदशा-िनदश को देख
सकते ह • ि हीन ब च को सामने बैठाना तािक वे िबना अिधक किठनाई के काले/ सफे द बोड से पढ़ने म
समथ हो सक ।
• सफे द बोड पर मोटे एवं प ट अ र म िलिखए और जो कुछ आप िलख उसे जोर से पिढ़ए ।
• ि हीन क आव यकताओ ं को परू ा करने के िलए बड़े अ र वाले ि ंट क पु तक उपल ध कराइए
(18 न बर से अिधक म मिु त ) ।
• शारी रक शैि क खेल म सहभािगता के िलए अवसर उपल ध कराना ।
• अपने े के पनु वास के / अ पताल से उन ब च के िलए हाथ ारा देखा जाने वाला लस,
आवधक लस मँगाइए िजनक ि हीनता च मे के लस से परे होती है ।
• अनपु रू क सहायक सामि य जैसे घमू ने के िलए छड़ी, सं या क अवधारणा को सीखने के िलए ेल
िगनतारा (abacus), पढ़ने एवं िलखने के िलए ेल लेट एवं शलाका तथा क ा म तु लेख लेने क
गित का सामना करने के िलए ेलमेट (Braillemate)
•
य-कौशल म िश ण देना ।
मागदशन का चरम ल य इन ब च को अपनी स पणू मताओ ं को समझने के यो य बनाना है तािक उनका
समाज म एक स मािनत थान ित ठािपत हो सके और िजतना भी संभव हो एक खश
ु हाल एवं समृ जीवन
िबता सक ।
ि याकलाप – 4
अपनी आँख पर पटृी बाधं कर एक िदन के िलए आप ि हीन होने का अ यास क िजए और अपने ारा सामना
क गई किठनाइय एवं सम याओ ं को िलिखए ।
3.27 शारी रक प से अश त िव ािथय क सहायता करने के िलए कुछ सामा य योजनाएँ
एक शारी रक प से अश त ब चे के िलए मागदशन अश तता क शु आत एवं पहचान के समय उसक उ
के आधार पर सिु नि त िकया जाएगा । परामशदाता िन निलिखत कुछ अतं : ेप को देख सकते ह जो एक सीमा
तक सामंज य थािपत करने म ब चे क सहायता कर सकते ह ।
परामशदाता को िन निलिखत मह वपणू मामल को देखने क आव यकता है ।
आ म िनभरता िवकिसत करना
जैसा िक पहले ही िवचार िवमश िकया जा चक
ु ा है िक िकसी भी कार क शारी रक अश तता वाले िव ािथय
को िव तृत प म वैयि क एवं सामािजक सम याओ ं का सामना करना पड़ता है िजसके िलए उ ह अ य लोग
पर िनभर रहना होता है । इस कार िनभरता क भावना उनम हीनता या अपराध का भाव उ प न कर सकती
121
ह एवं एक िन न तरीय आ म-स यय िवकिसत करती ह । परामशदाता को इन िव ािथय के िलए ऐसी
गितिविधय क योजना बनानी चािहए जो उ ह समाजीकरण एवं स ेषण कौशल को सीखने म समथ बना
सक िजसक आ मिनभरता तथा िनभरता या अित िनभरता के बीच यथाथा मक सतं ल
ु न को िवकिसत करने
हेतु आव यकता है । िव ालय म िनयिमत तथा िवशेष िव ािथय के बीच समाजीकरण को ो साहन देने के
िलए समहू गितिविधय को आयोिजत िकया जा सकता है । िव ािथय क आव यकताओ ं के अनुसार सेवाएँ
उपल ध कराके भी आ मिनभरता िवकिसत करने म सहायता क जा सकती है । उदाहरणाथ िश क एक ब चे
को हील चेयर का योग करना िसखाता है । शारी रक प से अश त ब चे को अनदु श
े ना मक सामि य एवं
क ा के उपकरण / साज-सामान का योग करने म भी किठनाइयाँ हो सकती ह जैसे एक िव ाथ पु तक को
पकड़ने या पृ को पलटने म, क ा के टेप- रकाॅडर के योग म स म नह हो सकता है । इस कार के मामले
म िकताब को रखने के िलए पु तक टड, पृ ठ को सरु ि त रखने के िलए खल
ु ी हई पु तक के िलए दोन तरफ
लचीला फ ता या रबर बड या बड़ा पेपर ि लप योग िकया जा सकता है ।
अिभविृ क (मनोविृ क) बाधाओ ं को हटाना
िकसी भी पयावरण म शारी रक प से अश त ब च क सफलता म सबसे बड़ा अवराेध उनके ित िश क
एवं समदु ाय के अ य लोग क नकारा मक अिभवृि रही है । इस अवरोध को मास मीिडया के ारा लोग को
संवेदनशील बनाकर, िदशा-िनदश काय म , शारी रक प से अश त यि य क सफलता क कहािनय तथा
मिु त सािह य िवत रत करके और परामश के ारा हटाया या कम िकया जा सकता है । वे अश त यि जो
बहत सफल ह उ ह एक रोल मॉडल के प म सामुदाियक जाग कता काय म म शािमल िकया जा सकता
है । इस कार क गितिविधय जैसे – िव ालय म अश तता िदवस का आयोजन करना, समदु ाय से लोग को
भाषण के िलए आमिं त करना, सभी ब च के िलए ितयोिगता रखना िजसम शारी रक प से अश त ब चे
शािमल ह , अ य रणनीितयाँ / योजनाएँ हो सकती ह ।
सश तीकरण
शारी रक प से अश त यि य के सश तीकरण हेतु कुछ अ य सुझाव िन निलिखत ह –
• उनक िच ताओ ं को य त करने के िलए मा यम उपल ध कराना तथा ित/असमानता को वीकार
करने म सहायता करना ।
• अ य ब च को योजना बनाने एवं िनणय लेने म शािमल करके शारी रक प से अश त ब च क
आव यकताओ ं के ित उ ह संवेदनशील बनाना ।
• शारी रक अश तता के िवषय म माता-िपता को िशि त कराना तािक वे ज म से ही अपने ब चे को
पूरा सहयोग उपल ध करा सक ।
• शारी रक प से अश त ब च को उपयु त िनयोजन ा त करने म समथ बनाने के िलए उ ह शैि क
काय म , िनयोजन एवं िश ण अवसर के िवषय म पणू जानकारी उपल ध कराना ।
122
•
यात यि य क सफल कहािनय , जीविनय /आ मकथाओ ं क सहायता से उनके अ दर
आ मिव वास पैदा करने क िश ा दान करना ।
अिभभावक य आवे टन
अिभभावक के िलए अिभिव यास काय म म उ ह िदशािनदश देना चािहए तािक वे ब च म आ म-िनभरता
एवं आ मिव वास क भावना का िवकास करने के िलए उ ह येक काय को वयं करने क अनमु ित दान
कर । अिभभावक को संवेदनशील बनाना चािहए तािक वे अपने ब च के शैि क, सामािजक एवं अ य
गितिविधय के िलए पया त मा ा म समय एवं सहयोग उपल ध कराएँ । उ ह पेशेवर एवं िव ालय टाफ से
सहयोग ा त करने के िलए ो सािहत करना चािहए यिद उ ह अपने ब चे के लाभ के िलए िकसी भी समय
िकसी भी कार क सहायता आव यक हो । अिभभावक को अपने ब चे के िवषय म शिमदा न होने के िलए
भी सवं ेदनशील बनाना चािहए । पड़ोिसय , िम एवं र तेदार क बात पर यान देने क ज रत नह है जब वे
आपके ब चे के िवषय म अपमानजनक एवं ल जायु त बात कह रहे ह । अिभभावक को सभी प रि थितय
म ब चे को अ य लोग के साथ घल
ु ने-िमलने क अनुमित देनी चािहए । उ ह िकसी चम कार के न घटने क
अपे ा करने के िवषय म जाग क करने क आव यकता है । जैसा िक इस बीमारी के उपचार क कोई संभावना
नह भी हो सकती है तथा उ ह इस वा तिवकता को वीकार करने और अपने ब चे जैसे भी ह उनके ित अपने
ेम को दिशत करने म सहायता क जा सकती है ।
3.28 सारांश
इस इकाई म हमने शारी रक अश तता के कारण उ प न होने वाली िवशेष आव यकताओ ं के बारे म िवचारिवमश िकया है । शारी रक अश तता ब च क सामा य वृि एवं िवकास चाहे यह शारी रक, सामािजक,
सांवेिगक या मानिसक हो, एक बाधा के प म काय करती है ।
िविविध कार क शारी रक अश तता जैसे िवकलांगीय ित, आ ेपा मक यित म , वाक्, य एवं य
यित म के िवषय म चचा क गई है । और भी, िश क एवं परामशदाताओ ं के िलए िविवध शारी रक
अश तताओ ं के िलए पहचान िनरी ण सूची उपल ध कराई गई है जो शारी रक प से अश त ब चे को समय
से पहचानने के िलए एवं काय म तथा गितिविधय क योजना बनाने के िलए दान क गई है ।
शारी रक प से अश त ब च के िलए ारि भक अतं : ेप िवशेष प से मह वपणू है । वा तिवक अपे ाओ ं
को परू ा करने के िलए अिधगम के समय िजतना भी सभं व हो उ ह आ मिनभरता को परू ा िवकिसत करने क
आव यकता है तथा आव यकता पड़ने पर ही सहायता वीकार करना है ।
परामशदाताओ ं को अिभभावक एवं जन सामा य ारा शारी रक प से अश त ब च को वीकार करने के
िलए तथा इस संदभ म जाग कता उ प न करने तथा इन िव ािथय को िजतना संभव हो सके आ म िनभर एवं
सामािजक प से वीकृ त यो य बनने म सहायता दान करने के िलए अथक यास करने क आव यकता है ।
परामश का मल
ू त व शारी रक प से अश त ब च के प रवार के साथ सहयोग णाली का िनमाण
करना है । सम याओ ं का सामना करने के िलए तथा हर सभं व तरीके से ब चे के क याण को ो सािहत करने
के िलए अिभभावक क सहायता हेतु आ मीय स ब ध के िनमाण क आव यकता है ।
123
आ म– मू यांकन अ यास
1. िवकलागं ीय ित वाले ब चे िव ालय म िकस कार क सम याओ ं का सामना करते ह और उनक
सहायता के िलए या िकया जा सका है, इसका सं ेप म वणन क िजए ।
2. वाक् – ित वाले ब च के िलए मागदशन म एक परामशदाता क भिू मका का सं ेप म वणन क िजए ।
3.
य ित वाले ब च क िवशेषताओ ं /ल ण का सं ेप म वणन क िजए ।
आ म-मू याक
ं न अ यास के उ तरिबदं ु
– िव ालय म उपि थित
– दद, काल िमक बीमा रयाँ
– सही ढ़ंग से बैठने म किठनाइयाँ
– शैि क सम याएँ
– सामािजक एवं सांवेिगक सम याएँ
सहायता हेतु योजनाओ ं म अित र त सहयोग जैसे – अित र त िश ण या सािथय ारा िश ण का बंध करना,
सहयोगा मक अिधगम पयावरण का िनमाण करना, सभी से उ च अपे ाएँ रखना, नेतृ व कौशल के अवसर को
उपल ध कराना, प रचचाओ,ं रोल ले, िफ म, आिद के ारा जाग कता उ प न करना, वा तिु श पीय बाधाओ ं
को दरू करना, सहयोगा मक ौ ोिगक का योग करना, आकलन ि याओ ं का योग करना, समक
सािथय के ारा सहयोग समूह का िनमाण करना, उ ह काय म शािमल करना, आिद उपल ध कराने पर यान
के ि त करना चािहए िजससे वे अपने वािभमान का िनमाण कर सक ।
2- परामशदाता इस कार क िवशेष सामि य का योग कर सकता है जैसे- ह त-िलिखत वणमाला, सांकेितक
भाषा- णाली, आिद और उपयु त भाषण, वाक् अ यास दान करने, सकारा मक गणु पर यान देते हए नाटक
या रोल ले का योग, वाक् यित म वाले ब च क सहायता के िलए पास-पड़ोस के अ य सद य को
जानकारी दान करने के िलए अ छे रोल मॉड स उपल ध करा सकता है ।
3- िन निलिखत िबदं ओ
ु ं को िव तार से िलखना है आ म-िनरी ण अ यास -1
1–
अ
2- द
3-ब
4-स
आ म - िनरी ण अ यास -2
1–
स
2- क
3-अ
4-ब
124
5-द
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126
4
मागदशन एवं परामश म मू याक
ं न
4.0
प रचय
4.1
उेय
4.2
मू यांकन या है ?
4.2.1 मू यांकन का अथ
4.2.2 मू यांकन का उ े य
4.2.3 मू याक
ं न के िस ा त
4.3
मू यांकन के िलए मापद ड
4.4
मू यांकन के कार
4.5
मू यांकन के चरण
4.5.1 मू याक
ं न क ि या
4.5.2 मू यांकन के ितमान
4.6
मू यांकन क िविधयाँ
4.6.1 सव ण िविध
4.6.2 यि अ ययन िविध
4.6.3 ायोिगक िविध
4.7
सारांश
आ म- मू याक
ं न अ यास
आ म-मू याक
ं न अ यास के उ तरिब दु
आ म-िनरी ण अ यास के उ तरिब दु
संदभ पु तक
पठनीय पु तक
128
4.0 प रचय
इस मॉड्यूल म आपने िव़ ालय म एक परामशदाता या िश क परामशदाता के प म आयोिजत क जाने
वाली िविभ न गितिविधय एवं काय म के िवषय म सीखा है । लेिकन आपको यह भी देखने क आव यकता
है िक आपके ारा आयोिजत काय म िकतना भावी रहा है । आयोिजत क गई गितिविधय क भािवकता
को सिु नि त करने के िलए या उसके मह व का पता लगाने के िलए अथवा यह देखने के िलए िक या इन
गितिविधय का वांिछत प रणाम हािसल हआ है, इन सबके मू यांकन के िलए वै ािनक िविध क आव यकता
होती है । यह इकाई मू यांकन क िविध एवं आव यकता क या या करती है । मू यांकन िकसी ि याकलाप
या व तु क यो यता, गणु या मह व के िवषय म िनणय लेने क एक ि या है । मागदशन एवं परामश म
मू याक
ं न एक मागदशन या परामश काय म क भािवकता का पता लगाने के िलए िकए गए मापद ड से
सबं िं धत है । िव ालयी परामश सेवाओ ं क भािवकता का आकलन करने म िव ालयी परामशदाता क
सहायता के अलावा मू याक
ं न का िव ालय के परामश काय म को भावशाली बनाने तथा िव ालयी
परामशदाताओ ं के पेशेवर िवकास म भी मह वपणू भिू मका है ।
इस इकाई म आप पढ़गे िक मू यांकन या है, मू यांकन के िविवध कार एवं िविधयाँ या ह, मू यांकन के
िलए िकस कार का मापद ड सिु न त करना है और वे किठनाइयाँ या हो सकती ह िजनका मू यांकन के समय
सामना करना पड़ सकता है ।
4.1
उेय
इस इकाई को पढ़ने के प चात् आप िन निलिखत पहलुओ ं को समझने म स म ह गे –
• मागदशन एवं परामश म मू यांकन के मह व का वणन करने म ।
• मू यांकन के उ े य एवं िस ांत क गणना करने म ।
• एक मागदशन एवं परामश काय म का मू याक
ं न करने के मापद ड सिु नि त करने म ।
• मू यांकन के एक उपयु त ितमान तथा मू यांकन करते समय उसम शािमल चरणब ि याओ ं को
पहचानने म ।
• मू यांकन म शािमल िविधय , उपकरण एवं तकनीक के अ वेषण म ।
4.2 मू यांकन या है ?
4.2.1 अथ –
मू यांकन का अथ एक काय म क सफलता या असफलता को इसके पवू -िनधा रत य या उ े य के संदभ
म मापना है । परामश काय म मू यांकन परामशदाताओ ं ारा मू यांकन िस ांत के सतत् योग के आधार
पर उनके काय म एवं सेवाओ ं क भािवकता एवं थािय व म सधु ार करने एवं िनधारण करने से संबंिधत है
(ए मोिवच, कॉकर एंड हॉि कंस, 2005) ।
129
मू यांकन िव ािथय पर परामश काय म के पड़ने वाले सकारा मक भाव क सीमा को सुिनि त करने म
ही के वल िव ालयी परामशदाताओ ं क सहायता नह करता है बि क यह उन बाधाओ ं को पहचानने म भी
उनक सहायता करता है जो िव ािथय क सफलता को कम करते ह और इस कार उन िव ािथय के िलए
भावशाली काय म को बनाने म उ ह िदशा-िनदश देते ह । इस कार मू याक
ं न काय म के ल य एवं उ े य
को ा त करने म सहायता करता है ।
4.2.1 मू यांकन का उ े य –
अब हम आगे मू यांकन करने क आव यकता पर िवचार-िवमश करना चािहए । मू यांकन िन निलिखत
कारण के िलए िकया जा सकता है :
• एक काय म क उपयु तता, आव यकता एवं साथकता का पता लगाने के िलए ।
• एक काय म क सीमाएँ या बल प को जानने के िलए ।
• िव ािथय को दी जा रही सेवाओ ं के संदभ म उनक संतिु का पता लगाने के िलए ।
• अ त: ेप के कार का िव लेषण करने के िलए जो िव ािथय के िलए सहायक ह ।
• मागदशन एवं परामश काय म क मदद से िव ािथय के िवकास का िनरी ण करना ।
• उपचारा मक काय के िलए आधार योजना बनाना तथा परवत यास म सधु ार करना ।
• संसाधन के उिचत योग के िनधारण म शासक/िश क/परामशदाता क सहायता करना ।
सं ेप म, मू यांकन का उ े य यह जानकारी ा त करना है िक िकस कार से ता कािलक सेवाओ ं का उपयोग
िकया जा रहा है और उन े को सुिनि त करना है िजनम अिधक यान देने क आव यकता है (वैस, राइन
एडं पोइिडवट, 1993)। मू याक
ं न काय म क कृ ित के िवषय म िनणय लेने या भिव य के िलए इसम सश
ं ोधन
करने के म म िविवध गितिविधय एवं उपयोग िकए जा रहे ससं ाधन के मह व को िनधा रत करने के िलए िकया
जाता है । मू याक
ं न एक सतत् ि या हो सकती है जो एक मागदशन काय म म सतत् सधु ार को सिु नि त करने
के िलए सचू ना उपल ध कराती है । इस कार यह एक िवशेष काय म म आव यक प रवतन के िलए िनदशन
उपल ध कराता है तथा िन निलिखत पहलओ
ु ं म सहायता करता है –
• िनरथक नवीनता क अनदेखी करना तथा उन अ यास को जारी रखना जो िव ािथय के अनक
ु ूलह।
• अ त ि बढ़ाना िजसके ारा एक परामशदाता के ान म अिधक वृि हो सकती है और िव ािथय
के बारे म एवं उनको भािवत करने वाले कारक तथा उनके सामने उपि थत हो सकने वाले सभं ािवत
प रणाम के िवषय म बेहतर जानकारी हो सकती है ।
• िनणय लेने क मता को सधु ारने के िलए सभी िव ािथय क आव यकताओ ं के अनु प उसे
काय म म शािमल करना चािहए ।
•
येक यि के िलए एक िनि त िज मेदारी देना और सफलता के िलए स ाी के ारा अपना हक
जमाने और असफलता क िज मेदारी िकसी के भी ारा न लेने क संभावना को कम करना ।
130
4.2.3 मू यांकन के िस ांत
मागदशन एवं परामश सेवाओ ं को सामा यत: स पणू काय म का अवलोकन करने के प चात् सहायता ा त
करने वाले िव ािथय क सं या, िव ािथय को दान क जा रही सेवाओ ं के कार तथा िव ािथय क सतं िु
के तर के आधार पर मू यांिकत िकया जाता है । िव ािथय क आव यकताओ ं को अिधक भावी बनाने तथा
परामश काय म क सफलता का अिधक वै ािनक ढंग से मू यांकन करने के म म उन िस ांत को समझना
ज री है जो मू यांकन ि या का मागदशन करगे ।
एक भावशाली मू यांकन म आव यक त व ह –
• पूव िनधा रत ल य या उ े य क थापना िजसके िलए काय म का मू याक
ं न िकया जा सकता है ।
• वैध मापद ड को िनधा रत करना जो मू यांकन को अिधक साथक बना सकता है ।
• मू यांकन मापद ड क ासंिगकता जो उपयु त उपकरण एवं तकनीक के योग को आव यक
मानता है ।
• परामश काय म से जड़ु े हए सभी लोग क सहभािगता जैसे, िव ािथय , समक सािथय ,
अिभभावक , िव ालय के अ य िवभाग के सद यगण, िव ालय शासक, आिद ।
• उपयु त फ डबैक एवं फाॅलो ू जो काय म के सधु ार एवं िवकास म सहायता करता है ।
• सतत् मू यांकन जैसा िक मू यांकन एक सतत् ि या होनी चािहए जो काय म क किमय को
सधु ारने म सहायक होगा ।
• वैधता एवं िव वसनीयता क थापना तािक िव ाथ , अिभभावक एवं समक ी साथी सूचना को
बताने के िलए इ छुक ह ।
..............................................................................................................
ि याकलाप - 1
मागदशन एवं परामश काय म के मू यांकन पर लेख पढ़ने के िलए वेबसाइट्स/पु तकालय म जाइए । एक लेख
का चयन क िजए और इसम पालन िकए गए मू यांकन के िस ांत क वैधता का िनरी ण क िजए ।
सक
ं े त – आप www.schoolcounselor.org को देख सकते ह; यिद आप पु तकालय जा रहे ह तो आप
कॉउ सलर/ ोफे शनल कूल कॉउ सिलगं /जनल ऑफ कॉउ सिलगं एडं डेवलपमे ट लेख के िलए देख सकते
ह।
.............................................................................................................
4.3 मू यांकन के िलए मापद ड :
मागदशन एवं परामश काय म क भािवकता को सिु नि त िकया जा सकता है यिद मू यांकन के िलए मापद ड
131
को सही कार से थािपत िकया गया है । मापद ड िस ा त , मानक या माप का एक समहू है जो िकसी व तु
का आकलन करने म सहायक होता है । मागदशन एवं परामश के सदं भ म मापद ड यह आकलन करने म
सहायता करता है िक िजन उ े य के आधार पर परामश सेवाएं दी जा रही ह वे उन उ े य का अनपु ालन कर
रही ह या नह ं । उदाहरणाथ – यिद मागदशन काय म का उ े य क ा म िव ािथय क उपलि ध को बढ़ाना है
तब मू यांकन मापद ड म ेड एवं क ा गितिविधय म सधु ार, सािथय एवं िश क के साथ संबंध, िव ालयी
उपि थित तथा अ ययन के ित अिभवृि , आिद शािमल ह गे । यि गत परामश के मामले म यिद परामश का
उ े य िव ाथ को नशीले पदाथ से बचाना है तब इस संबंध म िन निलिखत मापद ड हो सकता है –
• िव ािथय क सम याओ ं का सामना करने वाले कौशल म सधु ार (किठनाई के बावजूद अिधक
ढ़ता, किठन प र म, सकारा मक अिभवृि के ारा सु प ट होता है) ।
• सबं धं म सधु ार (दसू र के साथ अिधक समय िबताने, दसू रे लोग क सहायता करने म इ छुक इसके
सक
ं े तक हो सकते ह )
- प रवार के सद य के साथ
- िव ालय म सािथय के साथ
- अास-पड़ोस म अ य सद य के साथ
•
ग (नशीले पदाथ ) के सेवन, आिद के िवषय म अिधक सचू ना एवं जाग कता ।
िनधा रत मापद ड पा रवा रक सद य , िश क , िम तथा अ य लोग के िलए एक िनरी ण सचू ी/सा ा कार/
िनधा रत पैमाना या नावली का योग करते हए मू यांिकत िकया जा सकता है । एकि त िकए गए आंकड़
का मागदशन एवं परामश गितिविधय के उ े य के काया वयन के आधार पर िव लेषण एवं या या िकया
जा सकता है । कभी-कभी उ े य के िलए िनधा रत मापद ड य प से े णीय तथा मापने यो य होते ह ।
उदाहरणाथ – शैि क दशन म सुधार को िदखाने के िलए बेहतर अंक या ेड ा त करना । शैि क उपलि ध
म सधु ार मानक कृ त परी ण या िश क ारा बनाए गए परी ण के ारा भी आकिलत िकया जा सकता है ।
मू याक
ं न क यह णाली अिधक सरल तथा आसान भी है य िक परी ण के दशन का आसानी से आकलन
िकया जा सकता है ।
सम याएं उस समय उ प न होती ह जब ा त िकए जाने वाले उ े य का आकलन करना आसान नह होता है ।
उदाहरणाथ – यिद परामश के प रणाम के प म िव ाथ ारा अनुभव क जा रही सकारा मक भावना के तर
को सिु नि त करना है । इस कार के मामले म मू यांकन का मापद ड िव ाथ ारा अनुभव क गई सकारा मक
भावना म वृि होगी तथा िव ाथ के समीप रहने वाले अ य लोग के अनभु व भी ह गे । इस कार के मामल
म योग िकए जाने वाले उपकरण एवं तकनीक के संदभ म रकाड एकि त करना किठन हो जाता है ।
इस कार उन थािपत मापद ड के आधार पर मागदशन एवं परामश के प ट उ े य को मू यािं कत िकया जा
सकता है । मापद ड को थािपत करते समय यान देने क आव यकता है तािक प रवतन का े ण हो सके या
132
इसे आसानी से मापा जा सके । अलग-अलग िनधा रत ल य के िलए अलग-अलग मापद ड थािपत िकया
जाना चािहए य िक यह आव यक नह ं है िक येक मागदशन गितिविध म वही मापद ड उपयोगी होगा ।
परामशदाता को एक ऐसा मापद ड बनाना चािहए जो सामा यत: परामश काय म सेवाओ ं को ा त करने वाले
सभी िव ािथय के िलए ायोिगक हो लेिकन वह यह प ट करने म स म हो िक इस िवशेष काय म से या
हािसल करने का यास िकया जा रहा है (लेिवस, 1993) ।
4.4 मू यांकन के कार –
मू यांकन एक अव था है जो सफलता को सिु नि त करने के िलए भिव य हेतु प रवतन क अनुशंसा करने म
आपको समथ बनाता है । मू यांकन के ारा आप या ा त करना चाहते ह इसे यापक प म तीन कार म
णे ीब िकया जा सकता है जैसे –
–
–
रचना मक मू यांकन
उपचारा मक मू यांकन
–
संकलना मक मू यांकन
तीन कार के मू यांकन क नीचे चचा क गई है । तािलका 4.1 रचना मक, उपचारा मक तथा संकलना मक
मू यांकन का एक तल
ु ना मक अ ययन ततु करती है ।
.................................................................................................................
तािलका 4.1 मू याक
ं न के कार क तुलना
रचना मक मू यांकन
• रचना मक मू यांकन बीचबीच म िकया जाता है, जैसे –
काय म के बीच म, अंत: ेप
के समापन से पहले और इसको
ार भ करने के बाद कभी भी ।
• रचना मक मू याक
ं न काय म
के िवकास या सुधार के समय
ा िपक प म िकया जाता है
और जैसे-जैसे काय म आगे
बढ़ता है उसम सधु ार को यान
म रखते हए यह बार-बार िकया
जाता है ।
संकलना मक मू यांकन
• सक
ं लना मक मू यांकन काय क समाि
पर िकया जाता है । यह मू यांकन करता
है िक या ारंिभक उ े य को पूरा
िकया गया है । यह स पूण काय म
क भावो पादकता का मू यांकन कर
सकता है ।
• इसी कार के उदाहरण म संकलना मक
मू याक
ं न तब घिटत होता है जब िव ािथय
के साथ समहू परामश स के बाद मू यांकन
िकया जाता है ।
133
उपचारा मक मू यांकन
• उपचारा मक
मू यांकन िकसी
भी समय िकया
जा सकता है यिद
काय म म कोई
कमी है तो यह उस
तरफ इशारा करता
है । उपचारा मक
मू यांकन काय म
क भावो पादकता
बढ़ाने हेतु इसक
अविध म प रवतन
के िलए उपयोगी है ।
• उदाहरणाथ – यिद समहू
परामश के िलए काय म
चाट तैयार िकया गया था,
उसक िवषय-व तु एवं योग
के मा यम का िनरी ण
रचना मक मू यांकन के ारा
िकया जा सकता है ।
• यह काय म म अि म संशोधन
के िलए तुर त फ डबैक देगा ।
• रचना मक मू यांकन काय म
के िवकास क ारि भक
अव था म सहायक होता है ।
• यह काय म के प चात् काय म क
उपयोिगता के िवषय म जानकारी दान
करता है ।
• सक
ं लना मक मू यांकन काय म क
समाि पर उसक यो यता को जाँचने के
िलए लाभदायक है ।
• इसी उदाहरण
म उपचारा मक
मू यांकन उस समय
िकया जा सकता है
यिद समूह परामश
स के दौरान यह
तीत हो िक कुछ
गलत हो रहा है ।
• यह परामश म
उपि थत सम या को
दरू करने म सहायता
करे गा िजससे उस
स क किमय
को सधु ारने म मदद
िमलेगी ।
• उपचारा मक
मू याक
ं न
संकटकालीन
अव था म
आव यक होता है
जब काय म को
थािय व देना होता
है ।
इस कार ये तीन कार के मू यांकन एक काय म के िनमाण के समय से लेकर ि या वयन क अव था तक
और उसके बाद भी काय म क उपयोिगता का पता लगाने के प म आव यक ह । एक परामशदाता इन तीन
मू याक
ं न का जब, जहाँ और िजस प म आव यक हो, योग कर सकता है ।
...................................................................................................................
आ म- िनरी ण अ यास -1
िन निलिखत िवक प से खाली थान भ रए –
अ. रचना मक
ब. मू याक
ं न
स. मापद ड
द. सक
ं लना मक
134
क. उपचारा मक
1. ............. पवू िनधा रत ल य या उ े य के आधार पर एक काय म क सफलता या असफलता
मापने का वै ािनक तरीका है ।
2. उस समय िकया जाने वाला मू यांकन जब काय म म गलती हो रही है उसे .........मू यांकन कहते ह ।
3. एक परामश काय म के उ े य को एक भावी ढंग से मू यांिकत िकया जा सकता है यिद मू यांकन
के .............को पहले से िनधा रत िकया गया है ।
4. .........मू याक
ं न काय म क समाि के बाद उसक उपयोिगता को जानने के िलए िकया जाता है ।
5. .........मू यांकन काय म के अि म संशोधन के िवषय म ता कािलक फ डबैक दान करता है ।
..............................................................................................................
ि याकलाप –
येक म दो प रि थितयाँ दीिजए जहाँ आप अलग- अलग कार के मू यांकन का योग करगे ।
रचना मक मू यांकन
संकलना मक मू यांकन
उपचारा मक मू यांकन
1. ....................
..........................
...........................
2. ....................
..........................
...........................
..........................................................................
5. फाॅलो अप
1. ल य/उ े य क पहचान
2. योजना बनाना
4. ितिबंबन करना
3. िव लेषण करना
.......................................................................
िच 4.1 – मू यांकन ि या
4.5 मू यांकन के चरण –
4.5.1 ि या –
मू याक
ं न एक च य ि या के प म देखा जा सकता है िजसम िदखाए गए पाँच चरण को शािमल िकया
गया है ।
135
उ े य क पहचान :
यह थम चरण है िजसम यि मागदशन एवं परामश काय म के उ े य को पहचानता है और इसका भी
आकलन करता है िक या मू यािं कत िकया जाना है । इसका के स पणू परामश काय म या इसका एक
िवशेष भाग भी हो सकता है । काय म के उ े य को प ट, संि त एवं मापने यो य श द म िलखना
चािहए । उदाहरणाथ – िव ािथय के ेरणा तर म विृ तथा कॅ रयर योजना म सामजं य जैसे उ े य क
थापना किठन है । सामा य उ े य जैसे एक महीने म िव ािथय के िलए कॅ रयर योजना क सं या को आसानी
से मापा जा सकता है ।
योजना बनाना
एक बार जब काय म के मू यांकन क योजना बना ली जाती है तब अगले चरण म मू यांकन हेतु सम योजना
बनानी होती है । योग िकए जाने वाले मू यांकन के कार (रचना मक, संकलना मक एवं उपचारा मक) को
सिु नि त करना चािहए और िनणय लेने के िलए मापद ड तथा िव ािथय क उ नित के बारे म सचू ना एकि त
करने के िलए एक उपयु त आकलन क रणनीित क योजना भी इस तर पर बनानी चािहए । मू यांकन रणनीित/
तकनीक एवं उपकरण का चयन मागदशन एवं परामश काय म के ल य एवं उ े य पर िनभर होता है ।
इस अव था म िश क / परामशदाताओ ं को रणनीितय /तकनीक (सव ण/ यि अ ययन/ ायोिगक) को
पहचानना चािहए एवं उपकरण (परी ण/तािलका) का िनमाण करना चािहए तथा एकि त िकए जाने वाले
आँकड़ के व प एवं इ ह एकि त करने के तरीक का भी उ लेख करना चािहए । इस कार मू यांकन क
सम योजना को इस तर पर सही तरीके से िवकिसत करना है ।
िव लेषण
यह एक काय म क वह अव था है िजसम सफलता को िनधा रत करने, कमजोरी या ताकत का परी ण करने
के िलए एकि त आक
ं ड़ का िव लेषण िकया जाता है और यह परामशदाता को भिव य के िलए प रवतन क
सं तुित देने म समथ बनाता है । िव लेषण एक सम मागदशन काय म का एक आव यक पहलू है । भावशाली
काय म के वल परामशदाताओ ं एवं िश क के अ त ान, वरीयताओ ं तथा इ छा ारा ही मागदिशत नह ं होते
ह बि क वे िव ािथय क आकिलत आव यकताओ,ं मू यांकन के िलए िनधा रत मापद ड और उपल ध
कराई गई सेवाओ ं के मापे गए प रणाम के आधार पर होते ह ।
ितिबंबन
मू यांकन अव था का कोई भी मह व नह ं होता यिद िव लेषण के प रणाम पर आ म-िच तन नह िकया
जाता है । इस अव था म, िव लेषण के प रणाम पर िवचार करने क आव यकता होती है और इसे परामश
एवं मागदशन काय म क िदशा के साथ सह-संबंिधत करना होता है । यह अनुवत फॉलोअप के िलए
रा ता तैयार करे गा तथा भिव य म काय म म सुधार करने म सहायता करे गा ।
136
फॉलोअप
यह अव था काय म के नए चरण के वा तिवक ि या वयन से सबं िं धत है िजसे िव लेषण एवं िच तन के
आधार पर सश
ं ोिधत िकया गया है । मू याक
ं न क ि या का मह व बहत कम होगा यिद फॉलाेअप नह ं िकया
गया है । फॉलाेअप एक परामशदाता क काय म म क गई ुिटय को सधु ारने म तथा काय म के िनमाण म
सहायता करता है जो िव ािथय के िलए भावशाली एवं लाभदायक होता है ।
4.5.2 मू यांकन के ितमान
परामश काय म के मू यांकन के िलए िविवध ितमान जैसे – उ े य ाि मापक ितमान ( लीके न, 1978),
िवसगं ित मू याक
ं न ितमान (पाइन, 1975), उ तरदािय व ि ज ितमान (ए ामोिवच, कॉकर एडं हॉि कंस,
2007) आिद का योग िकया गया है । इस इकाई म इस कार के एक ितमान उ तरदािय व ि ज ितमान
मू याक
ं न क उदाहरण के प म या या क गई है ।
इस ितमान के अ तगत जैसा िक िच 4.2 म विणत िकया गया है, मू यांकन के दो आवतक च ह- काय म
मू यांकन च तथा संग मू यांकन च । काय म मू यांकन च म चार चरण- योजना, ि या वयन, िनरी ण
एवं आकलन शािमल ह ।
योजना चरण म, परामश काय म एवं सेवाओ ं क योजना बनाई जाती है तथा आव यक अंत: ेप के कार
एवं ि या वयन हेतु आव यक ससं ाधन क भी योजना बनाई जाती है । ि या वयन चरण म, परामश काय म
को िनधा रत योजना के आधार पर वा तव म ि याि वत िकया जाता है । काय म म िकसी भी तरह क कमी
को रचना मक मू याक
ं न के ारा सधु ारा जाता है जो ासिं गक मू याक
ं न च से ा त फ डबैक क सहायता
से िकया जाता है । िनरी ण एवं शिु करण चरण म काय म का अ छी तरह से िनरी ण िकया जाता है यह
पता लगाने के िलए िक या उ ह िकसी कार के समायोजन क आव यकता है । प रणाम आकलन चरण म
परामशदाता काय म के प रणाम या िव ािथय को उपल ध कराए गए अंत: ेप का िनणायक आकलन करते
ह।
ऊपर उि लिखत सभी पहलू मू यांकन क ि या के एक भाग के प म ल बे समय से चले आ रहे ह । इस
ितमान म नया पहलू उ तरदािय व का िनवहन है जो मागदशन एवं परामश क ि या म शािमल िविभ न
दावेदार को काय म मू याक
ं न के प रणाम को स ेिषत करता है । दावेदार म िव ालय के अ य परामशदाता,
िव ाथ , अिभभावक, िव ालय के अिधकारी, िश क आिद शािमल हो सकते ह िज ह परामश काय म को
भावशाली बनाने म मख
ु भिू मका अदा करनी होती है । प रणाम का स ेषण कई प रपोट्स, सारांश,
तुतीकरण एवं प रचचा के प म हो सकता है ।
ि तीय च , ासंिगक मू यांकन च है, िजसम चार चरण शािमल ह –
दावेदार से फ डबैक लेना, रणनीितक योजना, आव यकताओ ं का आकलन और सेवा का उ े य । दावेदार से
फ डबैक चरण म प रणाम को दावेदार के पास स ेिषत िकया जाता है और उनसे फ डबैक के िलए िनवेदन
िकया जाता है । अगला चरण रणनीितक योजना अव था है िजसम िव ालयी परामशदाता रणनीितक योजना म
137
लगे रहते ह तथा िजसम स पणू िव ालयी परामश काय म के संभािवत संशोधन का अ छी तरह से परी ण
तथा प र य ल य एवं उ े य शािमल हो सकता है । आव यकताओ ं के आकलन क अव था िव ािथय तथा
अिभभावक के अलावा िविभ न ोत से आव यकताओ ं को इक ा करना है जो स पणू परामश काय म के
पनिनमाण
एवं पनु : ितपादन म सहायता करगे । सेवा का उ े य चरण पहले के सभी चरण के प रणाम को
ु
समािहत करता है और प रणाम के आधार पर फ डबैक तथा आव यकताओ ं का आकलन, अंत: ेप के िलए
रणनीितयाँ िनिमत क जाती ह । सेवा के उ े य क थापना के प चात् काय म मू यांकन च के योजना चरण
म पहँचकर ासंिगक मू यांकन च से ा त फ डबैक के ारा मू यांकन च पनु : ार भ हो जाता है।
इस कार उ तरदािय व ि ज ितमान िविभ न दावेदार के िवचार के मह व का संकेत करते हए मू यांकन का
एक भावशाली ितमान हो सकता है । यह काय म के प रणाम के भाव का िव लेषण करने के मह व को
भी दिशत करता है ।
......................................................................................................
आ म-िनरी ण अ यास-2
िन निलिखत कथन म सही या गलत बताइए ।
सही
गलत
1. मू याक
ं न क ि या म िव लेषण अव था योजना अव था से पहले आती है ।
2. यिद प रणाम का फॉलोअप नह िकया जाता है तो मू याक
ं न क ि या का कोई भी मह व नह ं होगा ।
3. मू यांकन के उ तरदािय व ि ज ितमान म मू यांकन के तीन च शािमल ह ।
4. मू यांकन के उ तरदािय व ि ज ितमान का मु य पहलू यह है िक काय म के प रणाम को दावेदार
के पास स ेिषत िकया जाता है ।
...................................................................................................................
4.6 मू यांकन क िविधयाँ –
एक भावशाली मू यांकन हेतु मख
ु आव यकताएं ह –
• मागदशन काय म के ल य एवं उ े य को अ छी तरह से प रभािषत करना चािहए । उ े य े ण
यो य एवं मापने यो य होने चािहए ।
• मू यांकन क िविध वैध होनी चािहए ।
• मू यांकन के िलए योग क गई ि या िव वसनीय होनी चािहए ।
• मू यांकन करने वाले यि के पास आव यक िवशेष ता होनी चािहए ।
एक काय म क भािवकता का िनणय करने म आक
ं ड़ को एकि त करने के िलए िन निलिखत िविधय का
योग िकया जाता है ।
138
4.6.1 सव ण िविध – इसम एक मागदशन काय म म ितभािगय के नमनू े क पहचान शािमल होती है । ये
ितभागी अिभभावक , िश क , िव ािथय एवं शासक म से िलए जाते ह । ितभािगय से एक सा ा कार
स या िलिखत नावली के मा यम से उनक राय या फ डबैक को देने के िलए कहा जाता है । उसके प चात्
काय म क भािवकता का िनणय करने के िलए फ डबैक का संकलन एवं िव लेषण िकया जाता है । यह
एक मह वपूण िविध है िजसम मागदशन एवं परामश काय म के िवषय म िश क /अिभभावक / शासक के
अवबोधन को नावली/पैमाना मापक/ सा ा कार, आिद के ारा िलया जा सकता है ।
इस ि या म शािमल चरण ह –
1. यादश के आकार एवं यि य क पहचान करना ।
2. यादश का सव ण करना ।
3. आक
ं ड़ को सक
ं िलत तथा िव लेिषत करना (गणु ा मक/सं या मक जैसा िक सािं यक इकाई म चचा
क गई है) ।
4. प रणाम का सामा यीकरण करना ।
5. सं तुितय को ितपािदत करना ।
इस िविध क एक मुख कमी यह है िक एक सही यादश उपल ध नह ं होता है । यह िवशेष प से उन मामल
म होता है जहाँ िव ािथय ने िव ालय छोड़ िदया है । आप उ ह भरने के िलए एक नावली दे सकते ह
लेिकन ाय: वे इसे वापस नह ं करते ह और कभी- कभी जब वापस करते ह तब यह अपणू हो सकती है । एक
मख
ु िच ता का िवषय सहभािगय क िति याओ ं क िव वसनीयता भी है । इसे दरू िकया जा सकता है यिद
नावली को बनाते समय यह यान िदया जाय िक यह बहत बड़ी न हो तथा सचू ना ा त करने के िवशेष उ े य
के िलए इसम यु त भाषा बहत प ट हो ।
यि अ ययन िविधजैसा िक नाम से ही िविदत होता है यह काय म म सहभािगता के प चात् वांिछत प रवतन ा त करने म
एक यि के ारा क गई उ नित का अ ययन है । य िप यह यि वादी है और इसम बहत समय लगता है
लेिकन इसम गहन अ ययन िकया जाता है तथा यह िव वसनीय है । तथािप सामा य प से अिधक लोग पर
(Nomothetics) न होकर एक यि पर आधा रत (Idiographic) होने के कारण इसे वै ािनक ि से
कम समझा जाता है । अिधक सं या म आंकड़ /प रणाम का सामा यीकरण स भव नह है लेिकन इसका योग
िवशेष समहू एवं िवशेष ेिणय के िलए िकया जा सकता है । एक यि अ ययन म िन निलिखत कार क
सचू नाएँ एकि त क जाती ह ।
• ाथिमक सचू ना
• नाम, आय,ु िलगं , यवसाय, आय, अिभभावक क िश ा
• जीवन से संबंिधत कुछ पहलू िजनम शािमल ह –
139
ज म-संबंधी जानकारी, ब चे का ज म- म, शारी रक, मानिसक, सांवेिगक एवं सामािजक िवकास आिद के
सदं भ म ज म के प चात् उसका िवकास । सामािजक-आिथक पृ ठभिू म, माता-िपता, भाई-बहन, िम या अ य
लोग के साथ सबं धं , पवू अिजत िव ालयी उपलि ध (पाठ्यगामी/ सहपाठ्यगामी) का रकाड भी एकि त
िकया जाता है तािक वा तिवक परामश ि या के दौरान िकए गए उपाय क तल
ु ना क जा सके । यह परामश
काय म के मू यांकन को सुसा य बनाता है तथा अतीत के संदभ म िव ािथय को समझने म सहायता करता
है ।
• वतमान अव था
घर का वातावरण, िव ालय का वातावरण, उपलि ध तर, यो यताएँ, िवशेष अिभ मताएँ,
अिभ िचयाँ, सािथय , अिधका रय , सहायक के साथ अ यो यि या, अिभवृि याँ, यवहा रक
िवशेषताएँ, ेरणा का तर, यि व क िवशेषताएँ ।
एक यि अ ययन िविध म उपयु त उि लिखत िववरण का एक ीकरण सेवाथ क पृ ठभिू म के
िवषय म जानकारी तथा वतमान अव था के तुलना मक मू यांकन म परामशदाता क सहायता करता
है ।
4.6.3 ायोिगक ितमान यह मू याक
ं न का सव े ठ वै ािनक तरीका है । यह समािव ट कर सकता है –
• एक समहू योजना (पूव-परी ण/उ तर-परी ण योजना)
• दो समहू योजना ( ायोिगक/िनयंि त योजना)
एकल (एक-समूह) योजना –
इसम के वल एक समहू होता है िजस पर मागदशन अतं : ेप सचं ािलत िकया जाता है । एक पणू -परी ण का
( नावली,अिभवृि पैमाना, मापक पैमाना) कुछ िनि त अवधारणाओ ं या यवहार के बारे म समहू क
ारि भक तर क उपलि ध, अिभवृि एवं समझ(जानकारी) का पता लगाने के िलए ब ध िकया जाता है ।
अगले चरण म अतं : ेप (मागदशन काय म) आयोिजत िकया जाता है । तीसरे चरण म उपलि ध के तर का
पता लगाने के िलए उ र परी ण शिमल होता है । यिद उपलि ध के तर म वृि पाई जाती है तो यह िन कष
िनकाला जा सकता है िक मागदशन अंत: ेप सफल रहा है ।
संि त प म इसका इस प म वणन िकया जा सकता है –
पवू -परी ण "अतं : ेप" उ तर-परी ण
(परी ण 1) (मागदशन काय म) (परी ण 2)
परी ण 2 > परी ण 1 (काय म क सफलता का संकेत करता है )
140
परी ण 2 < परी ण 1 (काय म सफल नह हआ है, काय म को सश त बनाने के िलए कायवाही करना
चािहए )
यु म (दो-समूह) योजना –
जैसा िक नाम से ही िविदत होता है इसम दो समूह चयिनत िकए जाते ह । इस िवषय पर यान देने क आव यकता
है िक चयिनत समहू िवशेष मापद ड के अ तगत मू यांकन के साथ-ही-साथ वैयि क – सामािजक िवशेषताओ ं
जैसे आयु, शैि क उपलि ध, आिद म ( ारि भक तर पर) अिजत उनके ा तांक तुलनीय ह । एक समहू
िनयंि त समहू होता है तथा दसू रा समहू ायोिगक समूह होता है । िनयंि त समूह को अंत: ेप म सहभािगता नह
करना होता है (उनके िलए कोई भी मागदशन एवं परामश काय म आयोिजत नह िकया जाता है ) । ायोिगक
समहू म अतं : ेप िकया जाता है । अतं : ेप के प चात् दोन समहू पर िनधा रत मापद ड के आधार पर यह
पता लगाने के िलए उ तर-परी ण िकया जाता है िक या दोन समहू के ारा ा त िकए गए ा ताक
ं म कोई
िभ नता है । यिद ायोिगक समहू के ारा ा त ा ताक
ं अपे ाकृ त प से अिधक होते ह तब काय म को
सफल माना जाता है ।
संि त प म इसको िन न कार से तुत िकया जा सकता है –
...................................
..............................................
ायोिगक समहू परी ण
िनयिं त समहू परी ण
योग 1
अंत: ेप
िनयं ण 1 परी ण योग 1
कोई अतं : ेप नह परी ण िनयं ण 1
परी ण योग 2
परी ण िनयं ण 2
...................................
..................................................
यिद परी ण > परी ण है तब अतं : ेप सफल माना जाता है ।
योग 2
िनयं ण 2
उदाहरण के प म समिझए िक क ा 7 म दो ख ड 7 अ और 7 ब ह । हम काय के संसार के िवषय म उनक
ारि भक जानकारी का पता लगाने के िलए एक नावली तैयार करते ह । क ा 7 अ और 7 ब ारा ा त
िकया गया औसत ा तांक मश: परी ण योग 1 और परी ण िनयं ण 1 ारा ितिनिध व िकया जाता है।
ये दोन ा तांक तुलनीय ह य िक वे एक-दसू रे से साथक प म अलग नह ह । हम अपने ायोिगक समहू 7
अ के साथ कॅ रयर मागदशन काय म आयोिजत करते ह । िनयिं त समहू 7 ब को मागदशन काय म के बारे म
कुछ भी नह बताया जाता है । अतं : ेप के प चात् हम काय के ससं ार के िवषय म दोन क ाओ ं के जाग कता
के तर का पता लगाने के िलए नावली का ब ध करते ह । दसू री नावली म क ा 7 अ के ारा ा त िकए
गए औसत ा तांक को परी ण योग 2 तथा क ा 7 ब के ारा ा त औसत ा तांक को परी ण िनयं ण
141
2 समिझए । अब, यिद क ा 7 अ (जो िक परी ण योग 2 है ) के ारा ा त औसत ा तांक क ा 7 ब (जो
परी ण िनयं ण 2 है ) के ारा ा त औसत ा ताक
ु ना म अिधक है तब यह िन कष िनकाला जा सकता
ं क तल
है िक मागदशन काय म सफल रहा है । यिद परी ण योग 2 परी ण िनयं ण 2 क तल
ु ना म अिधक नह है
तब यह िन कष िनकाला जा सकता है िक ायोिगक समहू के िलए आयोिजत िकया गया मागदशन काय म
भावशाली नह है और काय म को भावी बनाने के िलए गंभीर फाॅलोअप एवं संशोधन क आव यकता है ।
इन िविधय के अलावा अ य िविधयाँ भी ह िजनका मागदशन एवं परामश काय म का मू यांकन करने के िलए
उपयोग िकया जा सकता है तथा िजनका आगे वणन िकया गया है (फे यरचाइ ड एंड सीले, 1995) ।
आव यकता का आकलन
इस िविध के अ तगत िव ािथय क आव यकताओ ं का आकलन िकया जाता है । इस कार क आव यकताओ ं
को पहचानने के िलए िव ािथय , िश क , अिभभावक , आिद से मापक पैमाने के ारा िनवेश/सचू नाओ ं का
सं ह िकया जाता है । उदाहरणाथ, इस कार के सभी समहू से िव ािथय के िलए आव यक सेवाएं या मागदशन
का कार या आव यक सहयोग से संबंिधत सचू ी एकि त क जा सकती है िजसके िवषय म वे अिधक यान
देना आव यक समझते ह (जैसे अके लापन, आ म- ितमान/ व प, सािथय ारा दबाव, अ ययन कौशल ,
तनाव का सामना करना, िकशोराव था के सांवेिगक पहलुओ ं का सामना करना आिद मु को उठाना पड़ता
है) । इस कार के आकलन के ारा परामशदाता मू यांकन कर सकता है िक उनके ारा आयोिजत िकया गया
काय म िव ािथय क आव यकताओ ं के अनु प है िक नह है ।
सारणीयन :
यह मू यांकन का सबसे यादा योग िकया जाने वाला तरीका है जो सहज ढंग से लागू एवं आसानी से
मू यांिकत िकया जा सकता है । इस िविध के अ तगत उपल ध कराई जाने वाली हर कार क परामश सेवाओ/ं
काय म तथा आयोिजत िकए जाने वाले स क सं या का सारणीयन िकया जाता है । उदाहरणाथ आयोिजत
िकए गए परामश स क सं या, अिभभावक य िश ा क क ाओ,ं क ा मागदशन के िलए उपल ध कराई
गई गितिविधयाँ, आयोिजत िकए गए अिभभावक स मेलन, आिद क िनयिमत आधार पर सारणी बनाई जाती
है । यह िविध परामशदाता को िव ािथय के िलए तुत िकए गए परामश सेवाओ ं का एक व रत पनु रावलोकन
उपल ध कराती है । उदाहरणाथ – यिद एक परामश काय म का उ े य कॅ रयर सबं िं धत मामल म मागदशन
वृि करना है और मािसक सारणीयन साराश
ं फाॅम के पनु रावलोकन से पता चलता है िक इस े म बहत कम
या िबलकुल ही गितिविध नह हई है तब परामशदाता इस उ े य को परू ा करने के िलए े रत होता है । इस कार
यह िविध व रत मू यांकन एवं फाॅलो-अप उपल ध कराती है ।
एक परामशदाता िकसी काय म का मू यांकन करने के िलए िजस भी िविध का योग करता है उसे सं ह िकए
जाने वाले आंकड़ के िवषय म आक
ं ड़ का सं ह करने वाले उपकरण के िवषय म पूण प से जानकारी होनी
चािहए जो उपल ध ह तािक मू यांकन को िजतना भी संभव हो अिधक-से-अिधक भावी बनाया जा सके ।
सं ह िकए गए आंकड़ को तीन कार- गणना मक, ि या तथा प रणाम के प म णे ीब िकया जा सकता
है । गणना मक आंकड़े म िविवध सेवाओ ं के ावधान हेतु दी गई समय-सीमा का अिभलेखन या िजस कार से
142
िविवध गितिविधयाँ घिटत होती ह उनक आवृि का यान रखना (जैसे परामश स क सं या, समूह
मागदशन म िदया गया समय या पैरेि टंग (parenting) क ाओ ं क सं या) शािमल ह । ि या आंकड़े म
परामशदाता क यि गत िवशेषताओ ं तथा पेशेवर कौशल (जैसे – स ेषण कौशल, काय-आदत, समय
बंधन तथा फाॅलाे- ू) के िवषय म सूचनाएँ शािमल होती ह । प रणाम आँकड़े यावहा रक प रवतन के
संदभ म सूचना उपल ध कराते ह जो परामशदाता के सहयोग जैसे – िव ाथ का िवकास, तनाव बंधन
के बेहतर कौशल , िव ािथय के संशोिधत ेड, िव ािथय के वािभमान म वृि एवं परामश काय म
के प रणाम के प म घिटत होते ह । इसी कार आंकड़ के सं ह के िलए सारणीयन, मानक पैमाना,
नावली, समय-िव लेषण, सा ा कार, यि अ ययन, िनरी ण, सािथय ारा पुनरावलोकन, आिद
जैसी अनेक कार क िविधयाँ ह । तथािप, परामशदाता को उपकरण के योग म बहत सावधानी रखनी
पड़ती है य िक ा त क जाने वाली सूचनाओ ं के आधार पर इनम से येक का अपना वयं का सही
योग है तथा येक के अपने लाभ और हािन ह ।
परामशदाता उपयु त िविधय म से िकसी एक िविध का या कई िविधय के सयं ोजन का योग िव ालय म िकए
जाने वाले काय म एवं गितिविधय क सफलता के मू याक
ं न के सदं भ म कर सकता है ।
.........................................................................................................
ि याकलाप-3
कुछ मू याक
ु े ह, एक कॅ रयर परामश
ं न िविधय एवं उपकरण का योग करते हए िजनसे आप प रिचत हो चक
काय म के िलए एक मू याक
ं न ितमान बनाइए । मू याक
ं न क िविधय एवं उपकरण तथा उनके योग के
िवषय म अिधक प टीकरण के िलए आप या तो इ टरनेट ोत का योग कर सकते ह या पु तकालय म जा
सकते ह ।
.......................................................................................................
सारांश
मागदशन एवं परामश काय म का मू याक
ं न बहत आव यक है जो िक परामशदाता तथा िव ािथय क
सफलता के साथ आतं रक प से जड़ु ा हआ है । मू यांकन के िस ा त के बारे म अ तन समझ तथा मू याक
ं न
के कार के बारे म ान एक परामशदाता को काय म के मू यांकन क रणनीितय को भावी ढंग से बनाने म
समथ बनाएगा । मू यांकन को िव ालयी मागदशन एवं परामश काय म का दैिनक अ यास एवं एक आ त रक
भाग बनाने के म म एक िव ालयी परामशदाता को मू यांकन के िलए उपल ध िविधय एवं उपकरण को
समझने क आव यकता होती है । इस इकाई म इस कार क कई िविधय िवशेष प से एक िविध िजसे
मू यांकन क उ तरदािय व ि ज ितमान के नाम से जाना जाता है, उसक चचा क गई है । परामशदाताओ ं को
मागदशन के उ े य को ा त करने के िलए अपने म सधु ार तथा बेहतर योजनाओ ं के अ वेषण हेतु अपने काय
के मू यांकन के िलए हर संभव यास करना चािहए । उ ह उपयु त मापद ड को पहचानने क आव यकता है
जो े णीय एवं मापनीय ह तािक वे ा त िकए गए प रणाम के िवषय म अिधक िव व त हो सक ।
........................................................................................................
143
आ म- मू यांकन अ यास
1. एक मागदशन एवं परामश काय म का मू याक
ं न करने का या उ े य है ?
2. मू यांकन को भावी बनाने के िलए िकन िस ा त का पालन िकया जा सकता है ?
3. तीन कार के मू यांकन पर संि त म िलिखए ।
4. मू याक
ं न के उ तरदािय व ि ज ितमान क सिं त म या या क िजए ।
5. मू यांकन क कुछ उपल ध िविधय का उ लेख क िजए ।
...................................................................................................................
आ म- मू यांकन अ यास के उ तरिब दु –
1. मू यांकन के िन निलिखत उ े य को िव तार से िलिखए –
• िनरथक नवीनता से बचने म उपयोगी
• िव ािथय म सधु ार को मापने म उपयोगी
• उन कारक के िवषय म जानकारी ा त करने म परामशदाता क सहायता करता है जो िव ािथय के
िवकास एवं प रणाम के मह व को भािवत करते ह
• िनणय लेने, आिद म सहायता करता है, आिद
2. िन निलिखत िस ा त भावी मू यांकन म सहायता करते ह • उ े य क थापना एवं मापद ड का िनधारण
• मू यांकन मापद ड का सही योग
• परामश काय म म िविभ न दावेदार को शािमल करना
• उपयु त उपकरण एवं िविधय का योग
• वैधता एवं िव वसनीयता कायम रखना
3. तीन कार के मू यांकन ह– रचना मक, संकलना मक एवं उपचारा मक । रचना मक मू यांकन वह है जो
काय म के बीच म िकया जाता है और जो ता कािलक फ डबैक दान करता है । सक
ं लना मक मू याक
ं न
काय म के अतं म स पणू काय म क उपयोिगता का पता लगाने के िलए िकया जाता है । उपचारा मक
मू याक
ं न काय म क िकसी भी अव था म उस समय िकया जाता है जब काय म के ि या वयन म कमी
देखी जाती है । यह काय म क भावो पादकता म वृि करता है । येक कार के मू यांकन के िलए
उदाहरण का भी उ लेख करना चािहए ।
144
4. िन निलिखत िब दओ
ु ं को एक आरे ख के साथ ितमान के बारे म संि त प से बताते हए िलिखए –
• मू याक
ं न के दो च – काय म मू यांकन च एवं ासंिगक मू यांकन च शािमल होते ह, इनम
येक म चार अव थाएँ होती ह ।
• काय म मू याक
ं न च क चार अव थाएँ ह – योजना बनाना, ि या वयन, िनरी ण तथा प रणाम
का आकलन । ासंिगक मू यांकन च क चार अव थाएँ ह : दावेदार से फ डबैक, आव यकताओ ं
का आकलन, रणनीितक योजना बनाना तथा सेवाओ ं का उ े य ।
• काय म मू यांकन च के प रणाम को ासंिगक मू यांकन च के पास स ेिषत िकया जाता है ।
िविभ न दावेदार के फ डबैक पर कायवाही क जाती है । यह िविभ न अव थाओ ं से गुजरता है और
काय म मू यांकन च पर पुन: कट होता है ।
• यह ितमान मागदशन एवं परामश काय म का भावी ढगं से मू याक
ं न कर सकता है और परामशदाता
के पेशेगत िवकास एवं काय म के सधु ारीकरण म भी सहायता करता है ।
6. मू यांकन क कुछ उपल ध िविधयाँ ह – सव ण िविध, यि अ ययन िविध, ायोिगक िविध एवं अ य
िविधयाँ जैसे – सारणीयन, आव यकताओ ं का आकलन, आिद ।
......................................................................................................
आ म- िनरी ण अ यास के उ तरिब दु –
आ म- िनरी ण अ यास – 1
1. ब 2. क
3. स 4. द
5. अ
आ म- िनरी ण अ यास – 2
1. गलत
2. सही
3. गलत 4. सही
.....................................................................................................
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