परामश म िवशेष सरोकार Module 9

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Module 9
परामश म िवशेष सरोकार
शैि क मनोिव ान एवं िश ा आधार िवभाग
रा ीय ौि क अनुसंधान एवं िश ण प रषद्
माॅड्यूल के िवषय म
पवू म आप माॅड्यल
ू 2 का अ ययन कर चक
ु े ह जो िदन- ितिदन क शैि क,वैयि क-सामािजक सम याओ ं
से डील करने के िलए यि से यि संबंध पर आधा रत मागदशन क ि या और कौशल पर के ि त है ।
मागदशन और परामश क आव यकता येक को है, इस अवधारणा को आधार बनाते हए इस माॅड्यल
ू म
परामश क उन रणनीितय पर चचा क गई है िजनसे छोटे और बड़े समहू म अिधकतम िव ािथय तक परामश
उपल ध कराया जा सके । इस माड्यल
ू क इकाई 1 म परामश क उस रणनीित पर चचा क गई है िजसे समूह
परामश के नाम से जाना जाता है । यह िव ािथय के समहू क ता कािलक सामिू हक आव यकताओ ं और
सरोकार को परू ा करने के िलए लोकि य िचक सक य तकनीक के प म उभर कर आई है । परामशदाता के
कौशल इस पर िनभर करते ह िक वह समहू को अपने ससं ाधन का उपयोग करने म समथ बना सके ।
मागदशन को सामा यतः भावना मक और सामािजक कृित के मु और सरोकार से डील करने क िचिक सक य
रणनीितय के प म समझा जाता है । कॅ रयर परामश कॅ रयर संबंधी मु पर लाइटं को सहायता पहँचाने के
िलए िविश म य ेप के प म उभरा है । एक तेजी से िवकिसत होते और ितयोिगता मक जगत म इस कार
के म य ेप वयं के सुगमीकरण और यवसाियक जाग कता, अवसर क खोज, छानबीन, कॅ रयर योजना
कौशल िवकिसत करने और कॅ रयर के सबं धं म िनणय लेने आिद म सहायता कर सकते ह । इकाई 2 क रयर
परामश िव ािथय को कॅ रयर योजना िवकिसत करने और कॅ रयर यव थापन कौशल म सहायता करने
सबं िं धत मु /सरोकार को सबं ोिधत करती है।
िव ािथय क बड़ी सं या क परामश आव यकताओ ं को परू ा करने के िलए सीिमत समय और संसाधन तथा
पूण िशि त परामशदाताओ ं के अभाव को देखते हए दसू री यवहा रक रणनीित साथी समूह (पीयर पु ) को
कुछ मागदशन काय स प न करने के िलए िशि त करना है । इकाई 3 साथी परामश िव ालय म साथीसहायक को िशि त करने के िलए मागदश िब दु उपल ध कराती है ।
इकाई 4 वैकि पक उपचार एिशया के पवू देश क सं कृित से उ प न युग परु ाने आरो यकर अ यास , यवहार
पर अ तदि उपल ध कराती है जो आज भी सफलतापवू क यवहार म चिलत ह और िव ालय म उन
िव ािथय को परामश देने के िलए उपयोग क जा सकती ह िज ह ऐसी पर पराओ ं पर िव ास है।
इकाई 5 माॅड्यल
ू का िवशेष भाग है जो संकटपणू ि थितय म परामश पर आधा रत है य िक एक परामशदाता
को संकटपणू ि थितय म िघरे यि य से डील करने के िलए अित र कौशल क आव यकता होती है।
अिधकांश परामश क ि थितय म परामशदाता को सबसे पहले लाइटं के साथ संबंध िवकिसत करने पर
के ि त करना होता है, िक तु यहाँ सेकट से िनपटना परामशदाता का मख
ु काय हो जाता है तािक लाइटं को
वयं को या अ य यि य को हािन पहँुचाने से रोका जा सके । इस इकाई के चार भाग ह, कुछ ि थितय म
संकट का ोत बा होता है जैसे बाल-शोषण, एच आई.वी./एड्स । कुछ अ य ि थितय म ये ोत आंत रक
होते ह जैसे – आ मह या करना, मादक य सेवन आिद । येक भाग म दी गई िवषयव तु कुछ र ा मक और
पनु वास उपाय ततु करती है जो िक िव ालय तर के ारंभ से ही बताए जा सकते ह ।
2
िहंदी अनुवाद
हेमलता ितवारी
व ता
एस.सी.ई.आर.टी., उ तराख ड, देहरादनू
सद य (समी ा / सपं ादन कायशाला)
हेमलता ितवारी, व ता, एस.सी.ई.आर.टी., उ तराख ड, देहरादनू
राघवे पित ि पाठी, अ यापक परामशदाता, िश ा िनदेशालय, िद ली
शैलजा गौड़, ाथिमक िश क, राजक य ाथिमक िव ालय, धनपऊ, देहरादनू
सद य-सम वयक
भात कुमार िम , सहायक ोफे सर, शैि क मनोिव ान एवं िश ा आधार िवभाग, एन.सी.ई.आर.टी., नयी
िद ली
3
िवषय-सूची
मॉड्यूल के िवषय म
यिू नट 1 : समहू परामश
यूिनट 2 : कॅ रयर परामश
यूिनट 3 : साथी समहू परामश
यूिनट 4 : वैकि पक उपचार
यिू नट 5 : सक
ं ट परामश
भाग 1 : बाल शोषण क रोकथाम के िलए परामश
भाग 2 : मादक पदाथ दु पयोग राेकथाम परामश
भाग 3 : एच. आई. वी. / एड्स जाग कता हेतु परामश
भाग 4 : आ मह या रोकथाम हेतु परामश
4
1
़
समहू परामश
1.0
तावना
1.1
उेय
1.2
समूह परामश क मु य िवशेषताएँ
1.3
समूह ि याएँ
1.3.1 समहू मागदशन
1.3.2 समहू परामश
1.3.3 समहू मनोि िक सा
1.3.4 समहू नेतृ व
1.4
समहू के कार
1.4.1 समथन समहू
1.4.2 िश ा समहू
1.4.3 प रचचा समहू
1.4.4 िनयत काय समहू
1.4.5 िवकास और अनुभवज य समहू
1.4.6 िचिक सा समूह
1.4.7 व-सहायता समहू
1.5
समूह परामश ि या के चरण व कौशल
1.5.1 परामश ि या म समहू का िनयोजन
1.5.2 सद य का चयन
1.5.3 समहू ि या के तर
1.5.4 समहू परामश ि या का संचालन कै से
1.5.5 समहू परामश ि या का उदाहरण
1.6 सारांश
व-आकलन अ यास
6
व-आकलन अ यास हेतु उ तर- कुंजी
व-आकलन अ यास हेतु उ तर-कंु जी
संदभ
सुझावा मक पठन साम ी
7
1.0
तावना
माॅडयल
ू 2 म आपने परामश के िस ा त व ि याओ ं के िवषय म सीखा और यह सीखा िक स मख
ु ( य )
स पक क ि थितय म वैयि क तर पर परामश कै से िकया जाता है । समूह मागदशन क तकनीक क इकाई
(मॉड्यल
ू -1, इकाई-6) का ल य सामिू हक सरोकार और िव ािथय क सम याओ ं को स बोिधत करने के िलए
समहू ि या (ि यािविध ) क उपयोिगता बताने पर के ि त है ।
मागदशन एवं परामश काय के िलए सामिू हक ि याएं सभी कार क ि थितय – िव ालय , सं थाओ,ं
समदु ाय और िविश ट समूह – म मह वपूण िस हई ह । यह इकाई परामश के िस ा त एवं ि याओ ं को
समहू के िलए सामिू हक योग करने पर के ि त है ।
एक परामश , िश क या सहायक ोफे शनल के प म आप सामिू हक िके याओ ं को अनेक कारण से बहत
मू यवान पाएंगे । यह इकाई (यिू नट) आपको उन िविभ न तरीक को समझने म मदद करे गी, िजनम यह समूह
ि याएं मदद करती ह और िववाद के सल
ु झाने के िलए समूह म पार प रक साझा और उपचारी भाव उ प न
करती ह । इस इकाई म सम या समाधान म सहायता करने म समहू क देखभाल और स ब ध को चनु ने के मह व
पर चचा क गई है । समहू इसके सद य म िव वास और आ म-िव वास िवकिसत करने म मदद करते ह । यह
एक समय बचाने वाली ि या भी है योिक इसम समहू के दसू रे सद य क सम या -समाधान के दौरान अ य
बहत से सद य भी लाभ ा त कर लेते ह ।
यह इकाई िविभ न उ े य से समूह िनिमत करने और सामिू हक ि याओ ं म िनिहत ि याओ ं के िवषय म समझ
उ प न करे गी। साथ ही यह सामिू हक मागदशन, सामूिहक परामश और सामूिहक मनि िक सा म अ तर को भी
प ट करे गी ।
आप यह भी सीखग िक परामश के उ े य को ि गत रखते हए समहू िनमाण क योजना कै से िनिमत कर,
परामश के िविभ न चरण के िलए कायकारी योजना, िजसम समहू का वातावरण िनमाण करने के िलए आव यक
िनयम बनाना भी शािमल है ।
1.1
उेय
इस यिू नट के अ ययन के प चात आप स म ह गे –
• समहू परामश क िवशेषताएँ बता सकगे ।
• मागदशन, परामश एवं मनि िक सा के म य िवभेद का पाएगं े।
• उन िविभ न उ े य क या या कर सकगे िजनके िलए समहू बनाए जा सकते ह ।
• समहू परामश के चरण पर या या कर सकगे ।
• समहू परामश क ि या का फॉलो-अप (अनगु ामी काय म) कर सकगे ।
8
1.2
समहू परामश क े मु य िवशेषताएँ
समहू उपागम एक लाभ द उपागम है य िक यह िविवध ि कोण को तुत करने के अवसर उपल ध कराता
है और इसम स पणू समहू के संसाधन का उपयोग समूह क परे शािनय के समाधान या समहू सद य के िवकास
के िलए करते ह । यह तब होता है जब समहू के सद य अ य सद य के साथ सामिू हकता का अनभु व करते ह
और एकजुटता क अनुभिू त िवकिसत करते ह । जब एक नेता उ ह वा तिवक जीवन प रि थितय के अनुकरण
करने वाली ि थितय वाले खेल या गितिविधयाँ कराता है, वे कौशल का अ यास और ितपुि को साझा करते
ह, जैसे-जैसे समहू के सद य दसू र के यवहारगत प रवतन का अवलोकन करते हए नए कौशल को आ मसात्
करते ह, समहू के सद य के म य सबं धं बन जाते ह ।
तथािप समहू ि याएँ तब सवािधक सफल िस होती ह जबिक सद य क आव यकताएँ एक समान ह ।
उदाहरणाथ: यह उन ि थितय म उपयोगी है जहाँ कुछ सूचनाएं ा त करने क , अनभु वा मक सीखने क ,
अनसु मथन और अनुभव को य त करने व साझा करने क , आव यकताएँ एक समान ह । समहू परामशन
िवशेष तौर पर उन िव ािथय के , जो अनसु मथन के िलए एक आए ह, के म य गमजोशी भरे स ब ध को
ो सािहत करके िवरे चन और वैयि क वा य को दरु त करने के अवसर उपल ध कराता है । समहू िविधयाँ
िवशेष प से ऐसे िव ािथय के पुनवास व ितलाभ के िलए सहायक होती ह जो िक संकट क ि थितय या
सम याओ ं जैसे म पान, मादक- य, एकल या तलाकशदु ा अिभभावक, आपदा, रोग जैसे एच आई वी/ ऐडस्
और कै सर से जूझ रहे ह ।
समहू परामश के मह वपणू ल ण/िवशेषताएँ ह –
• समहू के सभी सद य एक दसू रे को वीकृ ित देते ह ।
• सद य के म य पार प रक भरोसा/िव वास होता है ।
• सद य एक दसू रे के ित आदर भाव रखते ह ।
• वैयि क िविभ नताओ ं के ित उदारता/सहनशीलता होती है ।
• एक जैसी सम याओ ं के समाधान के ित अ तर ि व िविवध प र े य होते ह ।
अ त:ि या / वातालाप क गणु व ता समहू के सद य को अपने सामािजक िदखावे और पीड़ाओ ं क ईमानदार
अिभ यि करने म मदद करती है । यह परामश को समहू के अ य सद य के साथ सचू नाओ ं के आदान
दान, अपनी सफलताओ ं और असफलताओ ं को साझा करने के िलए े रत करती ह । वे अपनी आ मो नित
के उ तरदािय व वीकारना सीखते ह । सं ेप म, समहू परामश के आगे बढ़ने पर परामश को िन न मह वपणू
अनभु व के अवसर िमलते ह :
• सरु ि त और तदानभु िू त के वातावरण म अिभ य त करने के ।
• अपनी पीड़ाओ ं के िलए एक से अिधक के तदानभु िू तक िति याएं ा त करने के ।
9
• अपनी ि थित क तल
ु ना दसू र से करने और दसू र को सनु ते हए अपनी सम याओ ं के कारण के िवषय म
सीखने के ,
• दसू र से सझु ाव और िवचार ा त करने के ,
• प रवतन लाने के िलए ल य क पहचान करने के ,
• ल य ा त करने के िलए रणनीित िनधा रत करने के ,
• प रवतन के वयं के ल य म दसू र को सा ी बनाने के ,
• सरु ि त और संरचना मक ढाँचे म कौशल के अ यास करने, दसू र ारा िकए गए प रवतन से े रत होने
के ,
• अपनी सफलता को बतलाने और सकारा मक यवहार के ित सु ढीकरण
ा त करने के ।
़
इस िके या म समहू ारा सम याओ ं का पनु रावलोकन और समाधान के िलए छानबीन सि मिलत है । यह एक
सि य/गितशील अ तरवैयि क ि या है िजसम समहू के सद य क ओर से सचेतन सोच –िवचार, योजना
िनमाण और ि याएं सि मिलत होती ह । यह ि या पार प रक िव वास, सुर ा, वीकृित और अनसु मथन
क आधारभतू ि थितय क रचना करने से ार भ होती है, जो ‘आप जैसे ह वैसे ही हम वीकाय ह ‘ वाले
यवहार के वातावरण पर आधा रत होती है । एक छोटे समूह म ये ि थितयाँ वैयि क सरोकार का दसू रे सद य
व परामश के साथ साझा करके रची व पोिषत क जाती ह । एक समहू िकयाओ ं म िशि त यि तदनुभूित
के दशन के ारा समहू क सहायता करता है और समहू के स मख
ु आई सम याओ ं /मुदद और सरोकार पर
प रचचा को सगु म बनाता है ।
1.3
समहू ि याएँ
समहू ि याओ ं का योग सामिू हक मागदशन, सामिू हक परामशन या सामिू हक मनि िक सा के िलए िकया जा
सकता है । अब आप देखग िक इन ि याओ ं म से येक दसू रे से ल य / उ े य , सद य ारा िनभाई जा रही
भूिमकाओ ं और यवहार म प रवतन के िनि त अपेि त प रणाम के प म िभ न है । आगे आप सीखग िक
एक समहू स कै से संचािलत िकया जाता है और एक समहू नेता के प म आपसे या अपेि त है ।
1.3.1 समूह मागदशन
समहू मागदशन सचू नाओ,ं िवचार , अिभमत और य ीकरण क साझा करते हए यवहार प रवतन को
ारंभ करने क िविध है । इसका उ े य सम याओ ं का िनराकरण / रोकथाम करना और शैि क, यावसाियक,
वैयि क व सामिू हक आव यकताओ ं को पूरा करने वाली सचू नाओ ं को तलाश कर उपल ध कराना है । इसका
ल य अपने सद य क वृि और िवकास करना है और यह मु य प से िनवारण ि याओ ं पर के ि त
होता है । समूह मागदशन के कुछ उदाहरण इस कार ह –
• वा य /िफट रहने क िश ा और परामश,
10
• िकशोराव था के सरोकार,
• जीवन कौशल िश ण,
• विृ (कॅ रयर) का चयन व योजना िनमाण,
• अ ययन कौशल का िवकास ।
समहू मागदशन का उपयोग िविवध ि थितय म एवं तरीक से िकया जा सकता है, जैसे –
• िव ालय ,
• कालेज ,
• नस , सामािजक कायकताओ ं और िश क के िश ण सं थान ,
• ौढ़ िश ा के ,
• ब च हेतु मागदशन के
म।
1.3.2 समूह परामश
समहू परामश का उपागम िचिक सक य है य िक इसका ल य भावनाओ ं को मु त करना, साझा करना और
उनका य ीकरण करना है । इसका उ े य पणू सल
ं नता के साथ अिभविृ य एवं यवहार को उ नत करने पर
बल देना है । यह ितभािगय को उनके वयं के िहत म प रवतन लाने के िलए ो साहन और ेरणा उपल ध
कराता है । यह परामश के िलए रोकथाम (सुर ा ) अिभमख
ु भी होता है, जो य िप समाज म ि या करने यो य
तो है िकंतु िवषम अनभु व के कारण सही कार से ि या नह कर पाता, िजसका परामश ारा समाधान िकया
जा सकता है । समहू परामश का उपयोग िन निलिखत से स बि धत सम याओ ं के समाधान हेतु िकया जा सकता
है • वयं के िवषय म अपया त समझ या व-जाग कता क कमी,
• वयं को हराने वाले िव वास और यवहार जैसे-गलत आदत के हािनकारक भाव के ित जाग कता
का अभाव,
• वैयि क अ छाई को बढ़ावा देने के िलए संकटाव था को यवि थत करना जैसे, िव ाम क तकनीक
का योग सीखना,
• स ब ध / र त क सम याओ ं का समाधान करना, जैसे – स ेषण कौशल को सीखना,
• सामािजक कौशल को सीखना जैसे पा रवा रक बधं न म सधु ार लाना,
• से स संबंधी सम याओ ं का समाधान जैसे – से स और से सअ
ु िलटी पर जानका रयाँ ा त करना,
• िव ोह, भ नाशा, रोष और दख
ु आिद क सार-संभाल करना,
11
• अ वीकृित या दरु ् यवहार से जझू ना ।
1.3.3 समूह मनोि िक सा
यह िके या अिधकतर उपचारा मक, सहयोगा मक और पुनसंरचना मक है । यह िकसी यि िवशेष के यि व
के अचेतन, अ चेतन और चेतन आयाम पर के ि त होता है । इसम ग भीर भावना मक सम याओ ं के साथ
साथ मानिसक सम या त से भी जूझा जाता है । इनम से बहत सी सम याओ ं का समाधान या उनम कमी के वल
दीघकालीन िचिक सा के ारा लाई जा सकती है । समहू मनि िक सा के िवषय म इस इकाई म िव तार से वणन
नह िकया जा सकता है ।
1.3.4 समूह नेतृ व
िकसी भी समूह म सवािधक मह वपणू भिू मका इसके नेता क होती है । समूह के नेता के प म परामश को
अ तर वैयि क कौशल से स ब कौशल म िशि त होना आव यक है, िजसम भावकारी समहू ि याओ ं
के िलए गमजोशी और तदनभु िू त यु त स ेषण कौशल सि मिलत ह । समहू के नेता म लचीलापन और समूह
के सद य के म य िविवधताओ ं जैसे सां कृितक या धािमक पृ ठभूिम के ित जाग क होना आव यक है । इस
मॉडयल
ू के यिू नट 3 म कुछ अ य कौशल पर चचा क गई है । ये ह :
• ांरिभक सा ा कार लेने के कौशल,
• यवहार पर यान देना और सि य सुनना,
• अवलोकन कौशल,
• खल
ु े और ब द न पछू ने के कौशल,
• या या करने, िच तन (व िति या ) करने और सं ेपीकरण के कौशल,
• अशाि दक संकेत के योग के कौशल, जैसे आँख म झांकना और विन का उतार-चढ़ाव,
• सद य के सं ेषण को समझना,
• स ब िव तार पर यान देना,
• भािवत करने या िवकास करने के कौशल, और
• सामाना/मुकाबला करने के कौशल
आप सहायक या परामशदाता के ारा वैयि क आमने-सामने क ि थितय म िव वास या स पक थािपत करने
के िलए योग िकए जाने वाले कौशल के िवषय म पहले ही पढ़ चक
ु े ह । समहू का नेता समूह के सभी सद य
के ित यान देने, सनु ने और गमजोशी व दो ती सं ेिषत करने के कौशल का योग करता ह, जैसा ऊपर विणत
िकया गया है । इस कार एक परामशदाता सकारा मक समहू वातावरण सिृ जत करता है जो समहू सद य को
खल
ु ने के िलए सल
ु भ वातावरण बनाता है और उनम वतं प से वयं को य त करने/साझा करने क इ छा
जगाता है । परामशदाता को इन कौशल के उपयोग म स म होना चािहए ।
12
व- जाँच अ यास -1
िन निलिखत िक िलए कौन-सी समहू ि याऍ ं सवािधक उपयु त ह (अपने उ तर के िलए संकेत योग कर GC
समहू मागदशन, GC समूह परामश, और G.P समहू मनि िक सा )
1. एक बडे़ समहू को ऐडस् के रोकथाम क जानकारी देना ।
(
)
2. ब च के ित दु यवहार क सम याओ ं पर प रचचा, जहाँ ब चे साथक कमजोर ल ण कट नह करते
ह।
(
)
3. ग भीर भावना मक तनाव, दबाव और सदम या संकट जो नायु संबंधी ल ण िदखाता है, के साथ
जू झ न ा । ( )
1.4
समूह के कार
ाय: िविवध उ े य से समहू का गठन िकया जाता है और ाय: परामशदाता उन समहू को मदद देता है । ये
समहू िवशेष प से सद य क भावना मक या मनोवै ािनक सम याओ ं से जझू ने के िलए ही नह बनाए जाते ह
बि क सभं वत: कभी कभी के वल इसके सद य क भलाई क ि से गिठत िकए जाते ह । आइए, िव ालय
म बनाए जाने वाले कुछ समूह के कार और येक कार के समहू म समूह के नेता प आपक भिू मका पर
ि पात कर । िव ालय म ाय: शैि क समहू , वातालाप समहू , िनयत काय समूह, िवकास और ायोिगक
समहू , उपचार (िचिक सा) समहू , और वयं -सहायता समहू मौजदू होते ह । येक समहू के अपने िविश ट
ल य, िनयत काय, समय-सीमा, कायसूची, अविध व ितभागी होते ह ।
ऊपर िदए गए येक समूह के िलए परामशदाता, नेतृ वकता और सुगमकता (फै सीिलटेर) के प म अपनी
भिू मका पर िवचार करते ह ।
1.4.1 समथन समूह
एक समथन समहू म ितभागी साथी सद य को अपने िवषय म अपने िवचार और अनभु िू तय का साझा करने
के े रत करते ह । वे िकसी सामिू हक मु े /सम या पर अपने िभ न-िभ न ि कोण क साझेदारी करते ह । समहू
म जब वे देखते ह िक अ य सद य भी समान सम याओ ं से जझू रह है और समान कार क भावनाओ ं क
अनभु िू त कर रहे ह और उनके िवचार और उ े य समान ह तो उनम एक समानता क भावना िवकिसत होती है।
एक समूह म भागीदार सद य क सं या चार से बारह के म य हो सकती है । कम सद य सं या वाले समहू
अ छी अ त:ि याओ ं और गोपनीयता बनाए रखने क ि से सदैव बेहतर होते ह । समथन समूह ाय:ऐसे
समहू के िलए िवशेष सहायक होते ह, जो िकसी ासदी के िशकार ह, जैसे – ऐसे ब चे जो टूट चक
ु े प रवार
से आते ह जो अपनी समायोजन क सम याएँ बताते ह, िविभ न कार क अ मताओ ं से त ब चे पर पर
अपनी अनभू िू तय और भय क साझेदारी करते ह, ाकृ ितक आपदा से बच गए ऐसे लोग िज ह ने अपने
पा रवा रक सद य को खो िदया है और ऐसे िकशोर ब चे िज ह अपने िम या पा रवा रक सद य के साथ
सं ेषण-गत सम याएँ ह । सामा यत: अ त: ि याएं वैयि क होती ह और समहू के सद य एक दसू रे से सीधे
बातचीत करते ह ।
13
समहू के नेता क भिू मका एक सगु मकता क होती है, जो सभी सद य को बोलने और अपने अनभु व क
साझेदारी करने के िलए े रत करता है । िक तु एक नेतृ वकता क भिू मका म आपको िव वास, साझेदारी,
वचनब ता और देखभाल का वातावरण सिृ जत करने क आव यकता है । एक ऐसे वातावरण का सजृ न करना
जहाँ सब सद य यह महससू कर सक िक उनके अपने िवचार और सरोकार क साझेदारी करना मह वपणू है ।
िकसी भी सद य को धान बनने या समाधान देने या दसू र को बचाने क अनमु ित नह होती ।
कुछ समथन समहू म सद य क आव यकताएं अलग अलग तर पर होती ह । यहाँ समूह के नेता पर एक
समझदारी भरे वातावरण को बनाने क िज मेदारी होती है ।
1.4.2 िश ा समहू
इस कार के समहू का उ े य उपभो ता को जानका रयाँ उपल ध कराना है जैसे िकसी िव ाथ समहू क
भावशाली सीखने /अ ययन आदत, मधमु ेह, दय रोग, से स िश ा और मादक य क लत जैसे िवषय
पर वा य संबंधी जानका रयाँ और िकशोर म जीवन कौशल क सम याओ ं जैसे समय यव थापन आिद के
संदभ म जानक रयाँ देना ।
एक नेता क भिू मका एक सगु मकता और एक ितभागी दोन ह । आपको समहू के सद य के म य सीखना
बढ़ाने के िलए अ त:ि याओ ं को सगु म बनाने के साथ-साथ समहू क समझ का तर बढ़ाने के िलए जानका रयाँ
भी उपल ध करानी होती ह । सद य को वयं भी जानका रयाँ एक करने और समहू म साझा करने के िलए भी
बल देना होता है । इस समहू क कृित शैि क होने के कारण आप पाते ह िक आपको प रचचा म ितभािगता
भी करनी होगी । सद य अपने िनणय व गितिविधय पर आपक ओर से अिधक द ता और िदशा पाने क
अपे ा भी कर सकते ह ।
1.4.3 प रचचा समूह
एक प रचचा समहू सामा य िच के े पर के ि त होता है और यह सामािजक राजनैितक सम याओ ं (मु )
पर जानका रय और िवचार पर प रचचा करने के िलए बनाया जाता है तथा इसके अ दर बेहतर अ तर ि और
समझ ा त करने के िलए ि कोण का साझा िकया जाता है । इस कार के समहू के कुछ मु े मू य िश ा, यु
क आंशका, मिहला और जे डर के मु े ह ।
आपक नेतृ वकारी भिू मका प रचचा को सगु म करने/सहायता करने क है । नेता के िलए यह भी मह वपणू है िक
उसे उस िवषय का भी कुछ ान होना चािहए िजस पर चचा हो रही है । कई बार समहू सद य क आव यकता
क जानका रयाँ नेता ारा एक क जा सकती ह, बाद म समूह के कुछ सद य भी ऐसा करने के िलए वयं सेवा
दे सकते ह और इसे समहू म साझा कर सकते ह । इसके साथ ही, एक सुगमकता के प म, परामशदाता को सभी
सद य को भागीदारी कर पाने के समान अवसर उपल ध कराने, यव था बनाए रखने, प रचचा का समय तय
करने और िवरोधी ि कोण म म य थता करने क आव यकता होगी ।
1.4.4 िनयत काय समूह (टा क समूह)
एक िनयत काय समहू बहत के ि त होता है और ाय: बहत िविश ट उ े य से िनिमत िकया जाता है । इसका
14
उ े य कुछ िविश ट काय को स पािदत करना है, जैसे : - िववाद को सल
ु झाना और नीितय तथा िनयम पर
मतै य तक पहँचना । इस कार का समहू के वल एक बार या शायद एकाध बार और िमल सकता है और काय
स पािदत हो जाने के उपरा त यह समहू भंग कर िदया जाता है । समहू का नेता काय के स पादन के िलए टाफ/
संकाय क बैठक करने, संगठना मक काय करने, स क योजना बनाने आिद काम करता है ।
यहाँ नेता क भिू मका एक समूह िनमाणकता क होती है । काय स पािदत करने म येक सद य को समान प
से भागीदारी करने के अवसर देकर नेता एक टीम भावना का िवकास करता है । नेता का दािय व समहू को बैठक
के मु य िबंदओ
ु ं पर के ि त रखना, प रचचा को सगु म बनाना, समहू को मु य सम या / मु े से भटकने न देना
और प रचचा के दौरान उ प न हो रहे िववाद का समाधान करना होता है । नेता को बाधाकारी सद य से भी
जझू ना होता है । िकसी समहू क सफलता तभी सिु नि त होती है जब सद य क अ तरि याएं ल य को ा त
करने, आतं रक सतं ोष पाने और सकारा मक प रणाम ा त करने क ओर के ि त होती ह।
1.4.5 वृि (िवकास) और अनुभवज य समूह
इस कार के समहू म सद य िकसी समहू म (का सद य) होने का अनुभव लेने क इ छा रखते ह और अपनी
अनभु िू तय क छानबीन के िलए े रत होते ह । वे अपने आ त रक जगत क छानबीन करने के अवसर
ा त करते ह और एक समहू क ि थित म रहते हए अपने वैयि क ल य िवकिसत करते ह । उनके ल य
ाय:जीवनशैली म प रवतन के सरोकार, अनभु िू तय के िवषय म जाग कता, अ तर-वैयि क सं ेषण म सधु ार
और मू य व आदश क साझेदारी के िलए हणशील होते ह और एक व थ (ईमानदार) वातावरण म सनु े
जाते ह । जाग कता पैदा (जागतृ ) करने वाले समहू , ोध िनयं ण समहू , व– जाग कता समहू और बॉंडी
–मवू मट समूह इस कार के समहू के उदाहरण ह ।
एक नेता क भूिमका म अवलोकन, वण (सनु ना) व सहायता करना सि मिलत है ।समूह के उ े य के अनु प
एक नेता को िविवध सम याओ ं / मु जैसे बाल अिधकार, से स, अिभभावक व (पेरिटग), धम आिद तथा
अ य े जैसे ोध यव थापन, दोष (अपराध) बोध, िच ता, व- यय आिद का ान होना चािहए । इसका
मु य उ े य आ मखोज के िलए मू य या अ तिनिहत भावनाओ ं को प ट प से समझना है । नेता प रचचा
को उन सम याओ/ं मु पर के ि त रखता है जो समहू के अिधकांश सद य के िलए उपयोगी हो, य िप सद य
क आव यकताएँ और अपे ाएँ िभ न –िभ न ह । कुछ सद य को वैयि क परामशन क आव यकता भी हो
सकती है जो समहू से पथृ क सघन स ारा िकया जाए ।
अनभु वज य समहू म नेता अनभु व देने वाली ऐसी गितिविधय का संचालन करता है जो प रचचा के दौरान कुछ
सद य क भावनाओ ं या िक ह सम याओ ं के संदभ म िवचार को गहनता दान कर सकता है । नेता कुछ
नए कौशल िसखाता है या बाहर क गितिविधय का संचालन सद य क सि य सहभािगता से करता है । यह
अपे ा क जाती है िक एक परामशदाता के पास िवचार , भावनाओ,ं अिभविृ व यवहार म प रवतन लाने
के आव यक कौशल ह । वह अपेि त यवहार को भिू मका िनवाह खेल या िलिखत अ यास आिद के ारा
दिशत कर सकता है ।
15
1.4.6 िचिक सा समहू
िचिक सा समहू म, िवकास और समथन समहू के समान, ल य यह होता है िक समहू का येक सद य वैयि क
सरोकार क साझेदारी और दसू र के सरोकार को सुनने के मा यम से अपनी वयं क वृि (िवकास) को बढ़ाने
का उ तरदािय व लेता है । य िप सद य क आव यकताओ ं और भागीदारी करने क शैली म बड़ा अ तर
होता है, नेता क भिू मका, ि यािविध क कृ ित के अनु प येक िचिक सा समूह के सै ाि तक आधार पर
िनभर करती है । यह मु य प से नेता के सै ाि तक अिभमुखीकरण ारा िनधा रत होता है। कुछ समहू को
अपने िवचार , सोच एवं य ीकरण को अिभ य त करने के अिधक अवसर ा त होते ह , जबिक अ य समूह
भावनाओ ं पर अिधक बल देते ह और कुछ अ य समहू इन दोन आयाम को यवहारगत प रवतन के साथ
सि मिलत करते ह । िचिक सा समहू का एक िविश ट उदाहरण है िजसम भावना मक आिध य , भ नाशा, िच ता
से त रोगी अपनी सम या के समाधान के िलए और अपनी वैयि क अिभवृि य , यवहार और भावनाओ ं
को प रवितत करने के िलए एक यावसाियक िचिक सक से िमलते ह । िचिक सा समहू ऐसे िव ािथय का
भी हो सकता है जो अवधान क कमी, स ब ध क सम याओ ं और माता-िपता व ब च के म य समायोजन
जैसी सम याओ ं से जझू रहा हो । वैवािहक और रोजगार संबंधी सम याएँ भी िचिक सा समूह ारा ली जाती ह ।
िचिक सा समहू का उ े य व थ करना, वैयि क वाय ता ा त करना और िव वास जगाना आिद भी होते ह ।
नेता क भिू मका सहयोगी और ो सािहत करने क होती है । सद य अपने मानिसक वा य के तर म िभ नता
रखते ह और नेता को िविभ न कार के िचिक सक य ह त ेप को अपनाना होता है ।
कुछ नेता िनि त सै ाि तक मॉडल का अनसु रण कर सकते ह जैसे CBT (कॉगनेिटव िबहेिवयरल थेरेपी )
RET (रे शनल इमोिटव थेरेपी), ांजे शनल एनािलिसस थेरेपी या साइको एनिलिटक (मनेिव लेषण) थेरेपी,
िजनका दसू री इकाई म पवू म ही वणन िकया जा चक
ु ा है । ारि भक तर से कायकारी तर तक के कुछ स
के प चात, नेता कुछ उपयु त मु /सम याओ ं या थीम पर प रचचा को ारंभ कर सकता है । य िक यह एक
व- कटीकरण क ि या है, अत: सद य म अपनी भावनाओ ं और अनभु व को अिभ य त करने क इ छा,
सि मिलत होती है । िक तु यिद समहू म िव वास का अभाव होता है तो समहू के वल सतही तर पर ि याएं
करता है । कभी – कभी नेता को समहू को आगे ले जाने, उनक हीन भावनाओ ं के पवू िनवारण, तथा िव वसंक
गित को रोकने के िलए स तावादी भूिमका भी िनभानी होती है । समहू म कभी कभी अ तरणा मक सम याएं
(नेता पर सल
ं नता या िनभरता) भी उ प न हो जाती ह । इन समूह म नेता के ित श तु ा भी असामा य नह है ।
िचिक सा समहू के नेता का िशि त होना व ािधकरण ारा मािणत होना अिधमानी है । बहत से देश म
िचिक सा समूह के नेता को िवशेष िश ण व माण प धारी होना और कभी कभी रा य ारा वैयि क
िचिक सक या समहू िचिक सक का लाइससधारी होना आव यक है । कुछ नेता िकसी भी परामशन िस ा त को
आधार के प म योग नह करते ह और समहू अ तरि याओ,ं साझेदारी, ितभािगता, अपनेपन को प रवतन
के मु य अिभकता के प म मह व देते ह । (Yalom,1985)
1.4.7 व-सहायता समूह
व- सहायता समहू ऐसे लोग का समहू है जो िकसी सामिू हक सम या के समाधान म िच रखते ह । बहत
से व-सहायता समूह लगभग यावसाियक समहू ( के लाभ ा त करते ह ) क ि थित ा त करते ह । इसका
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कोई थाई नेता नह होता । समहू इस कार क सम याओ ं को स बोिधत करने के िलए बनाए जाते ह, जैसे
– म पान, एच आई वी/ऐडस,् भोजन यसनी या मू पान छोड़ना आिद । इस कार के समहू के उदाहरण ह :
म पान आदी, भोजन भ , से स के आदी, मू पान आदी, सह-आि तता, और मिहला सश तीकरण आिद । ये
समहू बहत मददगार और उ पादक भी होते ह । िक तु, समूह कई बार अ य त असिु वधा म पड़ जाते ह जब समहू
के सद य आ मक हो जाते ह या गटु बना लेते ह, िक तु ाय: समूह के िकसी व र ठ सद य के ारा भावनाओ ं
को प ट करने और शाि त थापना के िलए कुछ िनधा रत िनयम या मू य या पर पराओ ं का पालन करते हए
िववाद को िनपटा िलया जाता है । व थ होने क ि या के दौरान उ प न सामुदाियक भावना बहत मह वपूण
होती है और समहू के सद य बैठक से बाहर भी एक दसू रे क वैयि क किठनाईय को दरू करने के िलए पर पर
समथन/सहायता देते ह ।
नेता क भिू मका ाय: च य म म िनधा रत क जाती है तािक बैठक को सगु म करने के िलए येक सद य
को बारी बारी एक-एक स के संचालन क अ य ता िमले, वे िदन के करण को ारंभ कर, बैठक को सुगम
कर िजसम साझेदारी करने और प रचचा के िनधा रत पैटन होते ह । कुछ नेता कुछ वैयि क सद य का
उ तरदािय व ले लेते ह और उ ह वैयि क परामश व मागदशन दान करते ह ।
गितिविध – 1
नीचे िदए गए त भ म तीन िविभ न सम याओ ं / मु को सचू ीब क िजए िज ह आप दी गई समहू ि थितय
म स बोिधत करे ग –
सम या समथन
समूह
प रचचा समहू
िचिक सा समहू
िनयत काय समहू
वृि एवं
अनभु वा मक समहू
1
2
3
1.5
समूह परामश ि या के चरण एवं कौशल
समहू परामश क ि या कुछ मब चरण का पालन करती है और इसके िलए कुछ िविश ट कौशल क
आव यकता होती है तािक ि या भावशाली हो सके । इस भाग म इनका िव तार िकया गया है ।
1.5.1 परामश ि या म समूह का िनयोजन
समहू क योजना बनाते हए आप िन निलिखत चरण का अनुसरण करते ह :
(i) उ े य : समहू ि या का योग करने के िलए सव थम चरण उ े य क पहचान और प टीकरण
है । यिद इसका मु य उ े य प ट प से प रभािषत न हो तो ाय: समूह के सद य और नेता भटक
सकते ह । ल य को समहू के अिधकतम सद य के िलए अिधकतम िचिक सक य मू य के अनु प
उपयु त होना चािहए ।
17
(ii) आकार: समहू का आकार उ े य, िजसे पणू करना है, येक स क अविध, उपल ध थान और
नेता के अनभु व के आधार पर िनधा रत िकया जाता है । एक बड़ा समहू इसके सद य क ितभािगता
को, समय क कमी व समहू के बड़े आकार के कारण, रोक सकता है । दसू री ओर, एक छोटा समूह
इसके सद य को दबाव महसूस करा सकता है, उस समय भी भागीदारी के िलए बा य करता है जबिक
वे त काल सहयोग के िलए राजी नही ह और इस कारण से नकारा मक शि याँ बल हो सकती ह ।
एक औसत समहू का आकार पाँच से आठ सद य तक का होता है । िश ा समहू का आकार 4-14
सद य वाला हो सकता है, और प रचचा समूह, वैयि क िवकास समहू और समथन समहू , 4-8
सद य वाले हो सकते ह । यनू तम आकार 3 और अिधकतम आकार 12 सद यीय हो सकता है ।
(iii) अविध एवं बार बारता : येक स क अविध भी िनधा रत क जाती है । यिद समहू स पया त
अविध के नह ह गे तो इसके सद य अपने सरोकार और अनभु व क साझेदारी करने म स म नह
हो पाएगं े, जो िचिक सक य (उपयोग का) िवरोधी होगा ।
िश ा, प रचचा और िनयत काय समहू के येक स क अविध एक से दो घंटा या इससे अिधक
समय तक भी िव ता रत क जा सकती है । ब च के समूह के िलए यह समयाविध छोटी (कम) 45
िमनट तक हो सकती है । िचिक सा, समथन और िवकास समूह क समयाविध डेढ़ घटं े से लेकर तीन
घटं े तक होती है । य िप, कभी-कभी समहू के सद य और नेता इसे अिधक समय तक जारी रखने क
योजना बना सकते ह । समथन समहू परू े स ताहातं तक भी जारी रख सकते ह ।
(iv) दैिनक समय : समहू गितिविधय म अबािधत, तनावमु त और पणू ितभािगता के िलए सद य को
अ य सभी िज मेदा रय , वचनब ताओ ं से मु त, तनावमु त और तरोताजा होना चािहए । समूह का
नेता समहू क बैठक म इस िवषय पर आम राय लेकर समय िनधा रत करता है ।
(v)
थान एवं यव थाएँ : बैठक का थान इसके सभी सद य के िलए सामी य के िहसाब से सिु वधाजनक
होनी चािहए । एक समहू स ऐसे क ा म आयोिजत करना सव तम होता है जहाँ िकसी कार क
बाधा न हो । यव थाओ ं के अ तगत सिु वधाजनक बैठक यव था, काश यव था, यनू तम शोर
और उपयु त वातावरण सि मिलत है । बैठक यव था इतनी आरामदेह भी नह होनी चािहए जो
सद य को सि य सहभािगता म बाधा बने और न ही इतनी असिु वधाजनक हो िक वह सद य क
ितभािगता को भंग करे । शैि क या िनयत काय समहू के िलए एक मेज के चार ओर बैठना उपयु त
हो सकता है िक तु िचिक सक य भाव को उ तम तर तक बढ़ाने के िलए सद य के म य िकसी
कार के यवधान नह होने चािहए । एक वृ ाकार बैठक यव था े ठ हो सकती है । िकंत,ु वृ ाकार
का िव तार सिु वधाजनक होना चािहए, बहत िनकटता भी नह होनी चािहए । दोषपणू बैठक यव था
के कारण समहू के िकसी भी सद य को दसू रे सद य ारा बािधत नह महसूस करना चािहए । येक
को भागीदारी के िलए सिु वधाजनक महससू करना चािहए ।
(vi) ब द एवं खल
ु े समहू : एक ब द समहू के एक बार िनिमत हो जाने के बाद िकसी भी नए सद य को
समहू म सि मिलत होने क अनमु ित नह होती । यह िवशेष प से िचिक सा और अनसु मथन समहू
18
के िलए उपयु त होता है य िक समहू क सफलता एक दसू रे के साथ सिु वधा महससू करने, िव वास
और देखभाल पर िनभर करती है । ब द समहू समयब और ल यो मख
ु होते ह । य िप, यिद कोई
नया यि सद य समूह क कायवाही को कुछ नया दे सकता है तो समूह उस नए सद य को अनमु ित
दे सकता है ।
एक खल
ु ा समहू सद य को जुड़ने या छोड़ देने क अनमु ित देता है और यह िवशेष प से अ पताल
जैसी यव थाओ ं म अिधक उपयोगी होता है, जब संब सामा य सम याओ ं पर प रचचा क जानी
हो । नेता नए सद य के प रचय और अिभमख
ु ीकरण म पया त समय लेता है । य िप, नए सद य को
समहू म प रिचत कराने से समहू क ि यािविधयाँ कम या घटनी नह चािहए।
व – जाँच अ यास -2
िदए गए त य के आगे ‘स य’ या ‘अस य’ िलख–
1- समहू परामशन स के उ े य या ल य ार भ म ही प ट प से प रभािषत होने चािहए ।
2-
परामशन को भावशाली बनाने के िलए समहू का आकार न तो बहत बड़ा और न ही बहत छोटा
होना चािहए ।
3-
ब च के िलए परामश स िचिक सक य या समथक समहू क तुलना म कम होना चािहए ।
4- परामश स के थान क भौितक यव थाओ ं का परामश क भावका रता पर कोई भाव नह
पड़ता ।
1.5.2 सद य का चयन
िकसी िनि त समहू के िलए ितभािगय का चयन ल य पर आधा रत होता है िजसे उसके ारा परू ा िकया
जाना है । समहू म कुछ लोग वयं को नामािं कत करते ह तो कुछ अ य सद य को चयिनत करना होता है। नेता
को समहू के काय के आधार पर सद य के नामाक
ं न के िलए कुछ मागदश िनदश को तय करना होता है ।
सद य क छानबीन /परखना भी एक मह वपूण काय है । समहू के नेता को तािवत समहू के िलए वाछंनीय
अिभवृि य को आव यक प म जाँच लेना चािहए । िन निलिखत आयाम पर िवचार करना चािहए –
वैि छक या अ- वैि छक सद यता– समहू क गितशीलता इसके सद य क ितभािगता करने क तैयारी
क कृ ित ारा भािवत होती है । एक आदश समहू वह होता है िजसम इसके सभी सद य वे छा से ितभाग
करते ह । य िप सामा यत: यह देखा गया है िक समहू के सभी सद य वैि छक ितभािगता नह करते । एक
नेता क मता एक समहू म होने क नकारा मक अिभवृि को समहू का तैयार सद य बनाने म पा त रत कर
सकती है । नेता सद य को समहू के उ े य व उस समहू म ितभािगता करने के लाभ को बताकर उ ह समहू
19
का सद य बनने को तैयार कर सकता है । नेता को ितभािगता न कर रहे सद य को उपेि त नह करना चािहए
और उनक अिभ ेरणा को बढ़ाने के िलए यास करने चािहए ।
सद य क तैयारी का तर – बहत से समहू कुछ सद य के ितरोध या बैर भाव के कारण भंग हो जाते ह ।
समहू के नेता को इसके सद य क स ावना या उनक त परता को ा त करना चािहए । सद य के अवलोकन
से, समहू का नेता इसके सद य क भावनाओ ं को और समहू ि याओ ं म उनक िच के दशन के बारे म
जानकारी ा त कर सकता है । त परता का पता लगाने के िलए सीधे न भी पछू े जाने संभव ह । िच लेने वाले
सद य क सरलता से पहचान क जा सकती है य िक वे चाहते ह िक उ मु त वातालाप से उनक उपि थित
महससू क जाए ।
सद य क वचनब ता /िज मेदारी का तर – यह समहू क कायवाही को ठीक से चलने का िव वास दान
करता है । गैर िज मेदार सद य कायवाही को भंग करते ह, ल यहीन बहस करते ह, कोई िच या आदर नह
िदखाते, माग से भटक जाते ह और असामंज य उ प न करते ह ।
िव वास का तर – समूह म सकारा मक रोगहर शि य का अनक
ु ू लतम वाह बना रहे, इसके िलए समहू के
नेता को यह सुिनि त करना होता है िक समहू के सद य पार प रक िव वासजनक संबंध क साझेदारी कर।
समहू क गित के साथ िव वास का तर बढ़ता या घटता है और यह सद य के एक-दसू रे से िति या करने
के तरीक से भािवत होता है ।
सम याएँ तब उ प न होती ह जब सद य के समहू से बाहर भी स ब ध होते ह । इसके िविश ट उदाहरण ह – एक
ही क ा के िव ाथ , पास-पड़ोस के लोग, काय थल और प रवार आिद । जब िकसी सद य ारा संवेदनशील
सम या पर नकारा मक व त व उ प न कर िदया जाता है तो िव वास का तर कम हो जाता है । नेता को यह
सिु नि त करना होता है िक येक नकारा मक िट पणी को प ट िकया जाए । नेतृ व के िलए संघष और
सद य क ओर से गटु बनाने क विृ , ोध या आ ामकता का दशन आिद को भी रोका जाना चािहए ।
नेता क वीकृित – ऐसे सद य िजनम समहू के नेता के ित नकारा मक भावनाएँ होती ह वे समूह क
सकारा मक गित को बाधा पहँचाते ह । नेता को समहू ि याएं ारंभ करने से पहले ही इस ि थित को सभं ालना
होता है ।
सद य क परख के िलए िन नांिकत िकयाएं अपनाई जा सकती ह –
सा ा कार : सद य क उपयु तता का िनधारण उनका सा ा कार लेकर, उनको जानका रयाँ देकर और
संभािवत ितभािगय से स पक थािपत करके िकया जा सकता है । नेता यि गत सद य को आव यकताओ ं
और ल य का मू यांकन करके शैि क समहू के िलए ान के तर या समथन समहू के िलए माइडं -सैट िनधा रत
कर सकता है ।
िलिखत ा प : जीवन सबं धं ी आक
ं डे जैसे – आय,ु से स, वैवािहक ि थित, िनदान, बीमारी क अविध आिद
नेता को मह वपूण िनवेश दान करते ह ।
सीधे
न करना – ऐसे न जैसे – “आप इस समहू म य आना चाहते ह ? या “समहू से आपक या
20
अपे ाएं ह ?” सद य काे समहू म चयिनत करने के िलए अ छे ारंिभक न ह ।
सद य के समूहीकरण क एक अ य िविध संदभ ोत से ा त जानका रयाँ ह ।
गितिविध -2
उपरो त अनुभाग के आधार पर एक प रचचा समहू के सद य क पहचान के मानक को सचू ीब क िजए ।
1.5.3 समहू ि याओ ं के तर
समहू ि याओ ं के तीन तर ह । ये ारंिभक तर, कायकारी तर व समापन तर ह । येक तर पर पथृ कपथृ क ि डािलए । िकंतु, याद रिखए िक सभी समहू को इन सभी तर से गजु रना होता है । य िप इसक गित
अलग अलग हो सकती है ।
ारंिभक तर – ारंिभक तर के दौरान प रचय िकए जाते ह, समूह के उ े य का खाका ख चा जाता है, ल य
/ उ े य िनधा रत िकये जाते ह, और करणीय व अकरणीय सबं धं ी िनयम प ट िकए जाते ह । सद य के सिु वधा
तर को वातालाप के मा यम से जाँचने व दसू रे सद य के सिु वधा तर को समझने म सहायता दी जाती है ।
शैि क प रचचा समहू म समहू के िलए कायवृ भी िनधा रत िकया जा सकता है ।
ारं िभक तर पर लगाए जाने वाले समय के िलए कोई मौिलक िनयम नह ह । इस तर पर सद य को वा तिवक
सम याओ ं / मु ाें क ओर अ सर करने के िलए सहज महसूस कराया जाता है । कभी कभी यह समयाविध
संि त होती है, जब मृ यु, आ मघात या ऐसे ही अ य मु पर प रचचा क जा रही हो । कुछ प रि थितय म
समहू अिधक समय ले सकता है । संभवत: आदान दान के वातावरण म काम करने के िलए िव वास उ प न
करने म कुछ अिधक स लग सकते ह । नेता समहू सद य को वयं के िवषय म बताने के िलए के िलए कुछ
अिधक समय दे सकता है या कुछ स तक एक साथ रहने के बाद उ ह पर पर प रचय बढ़ाने के अवसर दे सकता
है । एक नेता, जो अपया त सरं चना या अ प ट उ े य उपल ध कराता है, समहू को एक िव ता रत समयाविध
तक ारंिभक तर पर ही अटका हआ पा सकता है । कुछ समहू को ारंभ करने म समय क आव यकता नह
पड़ती है । वे वातालाप करने, साझा करने के िलए तैयार रहते ह, िक तु जब समहू के स मख
ु उ े य प ट नह
होते ह या स सुिनयोिजत नह होते ह तो ऐसे समहू एक खराब शु आत लेते ह ।
गितिविध-2
एक त परता बढ़ाने वाले अ यास पर िवचार क िजए और लगभग 200 श द म िलिखए िक आप इस अ यास
का योग क ा 10 के उस परामश समहू म कै से करगे जो कामकाजी अिभभावक के साथ समायोजन क
सम या पर प रचचा करने के िलए एक हए ह ।
कायकारी तर
यह तर समूह ि या का आधार है । सद य समहू के मु य उ े य पर के ि त होते ह । वे बहत से करण
पर चचा करते ह, िनयत काय पणू करते ह या वैयि क साझेदारी म संल न होते ह और रोगहर (िचिक सीय)
काय करते ह । यह तर एक सं मण काल से भी ारंभ हो सकता है जब अभी सद य उ च वैयि क तर
21
पर साझेदारी के िलए तैयार नह ह । सद य इस तर पर धके ल िदए जाने क याशा नह करते ह । वे बहत
वैयि क तर पर सहयोग करने से पवू जाँच – पड़ताल करने को वरीयता देते ह । नेता को अ त: ि याओ ं के
नमनू ा – व प क ओर और सद य के एक दसू रे व नेता के ित यवहार /रवैये क ओर यान देना होता है ।
यिद कोई स बहत अ त:ि या मक न रहा हो, तो मह वपणू यह है िक यह पहचान क जाए िक या गलितयाँ
हई और भावी स म अ त:ि याओ ं को बढ़ावा कै से िदया सकता है ।
सि य म याव था क योजना उस उ े य पर िनभर करती है िजसके िलए समहू एकि त हो रहा है । उदाहरणाथ
: एक िश ा समहू म, नेता कुछ िलिखत साम ी िवत रत कर सकता है और सद य ारा करण पर चचा ारंभ
करने से पवू िकसी िफ म का दशन कर सकता है । नेता समहू के एक होने के उ े य का पनु िनधारण कर
सकता है िक “समहू के िमलने का उ े य एक दसू रे को िव ालय म अ ययन के दौरान आ रही किठनाईय के
िवषय म अिभ य त करने का अवसर देना है । म आपसे उन सम याओ ं का साझा करने क अपे ा करता हँ
िजनका आप सामना कर रहे ह । कृपया अपनी अनभु िू तय क अिभ यि के िलए वतं महससू कर”। समूह
के सद य क वतं अिभ यि को बढ़ावा देने के िलए नेता को उस स ब ध म व-अनभु तू सम या को
उनके सम अिभ य त करके वाता को ारंभ करना चािहए । यह उ ह यह जाँचने का अवसर देगा िक या वे
ितभािगता करने के िलए अिभ े रत अनुभव कर रहे ह और सि य प से आदान- दान (साझा)कर रहे ह ।
समापन तर
समहू ि या का समापन तर वह है जब सद य यह साझा करते ह िक उ ह ने या सीखा या समहू से उ ह या
ा त हआ और जो कुछ उ ह ने सीखा, उसका वे कै से उपयोग करने योजना बना रहे ह । नेता को ा त प रणाम
का संि तीकरण भी करना चािहए । यह तर ाय: एक स का होता है । स क अविध समहू के एक साथ
काम करने के समय पर िनभर करती है । इस िबंदु पर सद य भावक
ु भी हो सकते ह य िक समहू ि याओ ं के
दौरान ाय: वे एक-दसू रे के समीप आ जाते ह य िक उनम से सभी लोग एक ही कार क सम या का सामना
कर रहे होते ह और वैयि क अनुभव के और भावनाओ ं क साझेदारी के कारण वे पर पर एक ब धन िवकिसत
कर लेते ह । यिद समहू काय का उ े य पणू हो चक
ु ा हो तो यह एक साधारण समापन स हो सकता है ।
अनवु त काय म: फॉलो-अप समहू गितिविध के कार और उ े य पर िनभर करता है । यह समहू के
सद य को पर पर स पक रखने म स म बनाता है और भावी आव यकताओ ं या भावी थेरेपी (िचिक सा) के
िलए उपचारा मक स आयोिजत करने के िलए भी फॉलो-अप क आव यकता होती है । यह समहू के नेता /
परामशदाता को समूह ि याओ ं के लाभ का आकलन/मू यांकन करने म सहायता करता है । इसके िलए योग
क जाने वाली िविध वैयि क प से सद य से ा त प च-पोषण हो सकती है जो िक एक मू यांकन उपकरण
जैसे नावली, एक कार का प , चैकिल ट आिद हो सकती है । समहू के सद य को उस ि या के बारे म
िजससे वे गजु रे ह, पनु : साझेदारी करने के िलए बल
ु ाया जा सकता है । एक अनगु ामी काय म क योजना समूह
परामशन क ि या के समापन से पवू समहू सद य के साथ प रचचा करके भी िनधा रत क जा सकती है ।
अगले पृ ठ पर समहू ि या के िविध तर और येक तर पर िन पािदत िकए जाने वाले काय को प ट
िकया गया है । उपलि ध सचू काक
ं उन तर क पहचान करने म सहायता करते ह िजसम समहू काय कर रहा है ।
22
समहू परामश के तर
समूह ि या के िविवध तर
उपलि ध सूचकांक
तर - I
( ारंिभक तर )
I.आइस िे कंग अ यास के ारा
ितभािगय का प रचय,
1
उ े य को तुत करना,
2
ल य व िनयम िनधारण
3
तर - II
(कायकारी तर )
II मु य उ े य पर के ि त करना
4
येक सद य सं ाना मक तर पर बोलता है
समहू का नेता भावना मक अिभ यि को ारंभ करता है
अ त:ि याओ ं का बढ़ना
5
6
7
तर - III
(समापन तर )
III अ त:ि याओ ं म साझेदारी से ि याँ
8
ा त िन कष को प ट करना
9
िन कष का उपयोग िनधा रत करना
10
तर - IV
(अनवु त तर)
सद य ारा व- रप ट, नावली
रिटग के ल, चैकिल ट ारा
िन कष पर पृ ठपोषण िदया जाता है,
अि तम िन कष को मािणत करना
23
1.5.4 समूह परामश स का आयोजन कै से कर
आप सि य सद य क एक कोर कमेटी गिठत कर सकते ह जो िक सद य सं या, थान, अविध एवं बैठक
क सं या के िवषय म िनणय करे । यह मह वपणू है िक इस सिमित म ऐसे सद य ह िजनक िचय या जीवन
अनुभव म कुछ समानता हो और यवु ा यि य के िलए आयु वग म समानता, समहू म एका मता (भाईचारा)
क भावना िवकिसत करने म सहायता करे गी । स बि धत ािधका रय , माता-िपता व प रवार क अनमु ित लेना
भी ज री है । वरीयता यह होनी चािहए िक समहू म िकसी िश क या बड़े को थान न िदया जाए जो वतं और
खुले संवाद म बाधा बन सकते ह ।
उदाहरणाथ : अ ययन को मजबतू ी दान करने व परी ा क तैयारी के अ यास के िलए आप तीस ब च को ले
सकते ह और उनके छ: छ: ब च वाले पाँच समहू बना सकते ह । ब च को आमिं त करने के िलए एक पो टर
तैयार क िजए िक वे एक दसू रे को जान सक और एक समथन समहू बनाइए तािक वे एक-दसू रे के ित अपनेपन
क भावना िवकिसत कर सक और अपने भय और िचंताओ ं को साझा कर सक । येक समहू को एक िश क
परामशदाता के नेतृ व म दे दीिजए । िश क को स को कोमल देखभाल और ढ़ता पवू क नेतृ व देने के िलए
पूव तैयारी कराइए ।
उ ह िन न मानदडं से अवगत कराइए –
येक सद य को साझेदारी के िलए समय दान क िजए । यिद कोई एक सद य अिधक समय लेता है तो समहू
का नेता िन न कार के कथन ारा िवक प ततु कर सकता है –
“ आप जो कुछ साझा कर रहे ह वह मह वपणू है; या आप इसे कुछ सं ेप म तुत कर सकते ह तािक अ य
सद य को भी अवसर िमल सके ? ” या “ यह एक मह वपूण साझेदारी है । या आप अपने समय म से कुछ
समय अ य सद य को दे सकते ह तािक वे अपनी साझेदारी क बात को पणू कर सक ?”
• एक ऐसा समूह िजसम सभी सद य ितभािगता करते ह, समूह के अ छे वातावरण का सक
ं े त है । य िप,
ऐसे सद य को जो चपु रहते ह, को जबरद ती साझा करने पर जोर न िदया जाए । वे चाह तो चपु रह सकते
ह । यिद यह खामोशी आगामी स म भी जारी रहती है तो उसक खामोशी के कारण - सक
ं ोच, शम,
अपया तता आिद के िवषय म पूछा जा सकता है ।
• यिद सम या अिधक ग भीर है तो अनुवत चरण के प म वैयि क परामशन का योग िकया जाना
चािहए।
• जहाँ तक संभव है समय का पालन कर, और यिद समयाविध िव तार क आव यकता तीत हो तो इसके
िलए समहू क वीकृ ित ा त कर ।
• समहू म पार प रक िव वास और यार बढ़ाने के िवषय म समहू के िवचार ा त कर ।
• “स के समापन के बाद आप कै सा महससू कर रहे ह ” ऐसा न है जो समूह म सामी य बढ़ाता है । आप
जोड़ सकते ह - “आपको सभी सम याओ ं को अभी तरु त हल करने क आव यकता नह है, आप कुछ
सम याओ ं को बाद म समाधान हेतु छोड़ सकते ह ” ।
24
• सभी के ित भ रह और येक के ित आदरपवू क यान द ।
• पार प रक तल
ु ना न कर और कुछ भी एसा न बोल जो िकसी भी ितभागी को शिमदा कर ।
• िकसी भी सद य क अनपु ि थित, या समहू ि याओ ं को भंग करने क ि थितय को ढ़ता पवू क और
यान से संभाले । “ या कारण है िक आप स म ितभािगता नह कर पा रहे ह, न ही कारण को बता पा
रहे ह ? हम इन जानका रय क आव यकता है ।”
• सकारा मक, आरामदेह और उ च वातावरण िनमाण के िलए िश क / सद य से क म आरामदायक
कुिसयाँ, गिदद् याँ, पो टरस और मधरु सगं ीत आिद लगाकर तैयार करवाएँ ।
समय का िन नवत् िवभािजत कर –
10 िमनट – िवचारो तेजन ि याओ ं के िलए, उदाहरणाथ:
(a) 5 िमनट म येक सद य से अपने जीवन के सबसे दख
ु द ण के िवषय
ु द ण और िफर सबसे सख
म बोलने को कह ।
(b) 3 िमनट समहू के सभी सद य को वतमान िज दगी क परे शानी बताने के िलए द ।
(c ) 2 िमनट समहू के सभी सद य क शंसा के िलए द ।
समहू के सद य को समयाविध, बैठक क आविृ , और करण जो वे साझेदारी के िलए लेना चाहते ह, पर
िमलजल
ु कर प रचचा करने के अवसर द ।
समहू के िलए िनयम
(a)
येक व ता को यान पूवक सनु ने और सकारा मक िति या देने क आव यकता है, यानपवू क
सनु ने और उन पर िवचार करते हए येक मत के ित आदर अिभ य त कर ।
(b) कोई भी सद य दसू रे के ित िनणायक नह बनेगा, न ही कोई नकारा मक िट पणी या अिभमत देगा ।
(c )
येक सद य को बोलने का अवसर िदया जाना आव यक है िकंतु िकसी पर भी बोलने के िलए दबाव
नह िदया जाएगा ।
(d) कभी –कभी समहू के िकसी सद य को अिधक समय देने क आव यकता होगी य िक वह कोई
िवशेष सम या का सामना कर रहा है । िक तु स के दौरान िकसी क भी सम या को िबना सहायता
के छोड़ने क आव यकता नह है ।
(e) सद य गोपनीयता क शपथ लेते ह, जैसे – समहू म िव वास बनाने के िलए समहू स से बाहर, इस
साझेदारी को िकसी को नह बताएगं े और न ही पर पर चचा करगे ।
(f) यिद कोई िकसी सद य क िति या से आहत महससू करता है तो इसे त काल उसी जगह पर प ट
कर लेना चािहए, बजाए इसके िक इसे भावी बैठक म ले जाया जाए । सद य अहमत अथवा असहमत
25
हो सकते ह िकंतु दोषारोपण व िनदं ा नह होनी चािहए । अहसमित को िन नवत् स बोिधत कर सकते
ह–
“ आप यह कहना चाहती ह िक आप चीज को दसू री तरह से देखती ह ”
“ आपक िट पणी से लगता है िक आप मेरे मत से असहमित रखते ह, या ऐसा है?”
(g) सम त सद य को सकारा मक सु ढ़ीकरण देना समहू के िव वास के तर को उ च करता है । यिद
सद य इस कार क िति याएं पाते ह तो सद य िवकिसत होते ह '' आपने वा तव म बहत अ छा काम िकया, '' म आपके यास क शंसा करती/करता हँ और
आपक सफलता क कामना करती हँ ।
“आपने जो पाया उसके िलए म आपक शंसा करती/करता हँ ।” “यह सरल नही था िकंत,ु आपने
यह िकया । आप इसे पनु : कर सकते ह।”
“आपके इस नए यवहार के ित म आभारी हँ और मझु े आपका उ साह पस द है ।”
(h)
येक स का समापन म सद य ारा िन नांिकत न के उ तर को ा त कर -“मैने इस स म समूह
से या ा त िकया ?”
1.5.5 समूह परामशन स के उदाहरण–
य िप इस मॉड्यल
ू म कई कार के समहू पर चचा क गई है । िकंतु य िक यह इकाई मु य प से समहू
परामशन पर चचा करती है, अत: उदाहरण के प म समहू परामशन क या या क जा रही है ।
ल य : यून उपलि ध वाले ब च क अकादिमक सम याओ ं को सभ
ं ालना ।
अकादिमक दशन म सुधार करने म सहायता पाने के िलए कुछ िव ाथ परामशदाता के पास पहँचे । परामशदाता
ने िव ािथय के िलए एक सूचना सा रत क । सचू ना िन न है–
क ा 7 के िन न िव ाथ 12th जनवरी को क सं या 10 म ात: 11:00 बजे एक ह वे (िनधा रत समय व
ितिथ पर )
समहू परामशदाता ने समूह का गमजोशी से वागत िकया और उ ह परामश क म ले गई । ारंिभक प रचय
और उ े य बताने के बाद एक वािमग अप अ यास (एक दसू रे को जानने समझने हेत)ु िकया गया । उसने इस
कार ारंभ िकया –
हम एक अ यास /गितिविध करने जा रहे ह । येक यि इस क म जहाँ चाहे, जाकर खड़ा हो जाए और
संकेत क ती ा करे । यह हमारे नेता ह , (उसने सगु मकता का प रचय िदया) हम सब इनके ारा िदए जा रहे
सक
ं े त और आदेश का पालन करगे। सबसे पहले हम ‘एक दसू रे को जानो’ गितिविध करगे ।
थम सक
ं े त पर, आप सब िकसी भी िदशा म जाना शु करगे । ि तीय सक
ं े त पर, आप क जाएगं े, पलटगे, और
अपने िनकटतम खड़े यि के साथ वातालाप ारंभ करगे, उ ह अपने िवषय म बताएंगे ।
26
इसके बाद नेता इन सबको पनु : एक करेगा और उनसे एक दसू रे का प रचय कराने के िलए कह सकता है । इस
गितिविध/अ यास ारा सद य से पर पर घिन ठ प रचय उ प न करने क अपे ा क जाती है ।
थम स से ही गोपनीयता सिु नि त करने के िलए सभी सद य से गोपनीयता क शपथ लेने को वरीयता दी
जाती है । दसू रे िदन और आगामी िदन म समहू के सद य को उन सम याओ/ं मु पर प रचचा करने के िलए
े रत िकया जाता है, िजसके िलए वे एक हए ह ।
दसू रे िदन, नेता समहू के येक सद य को अपने अनभु व और सबं धं ी िवचार को सं ेप म साझा करने के
अवसर देते ह और िफर यनू सं ाि के सबं धं म उनक अनभु िू तय /भावनाओ ं के बारे म साझा करने के अवसर
देते ह । ार भ म सम या सं ाना मक तीत होती है । उदाहरणाथ– सबसे पहले यनू सं ाि के कारण को
समझने हेतु यास िकए जाते ह, जैसे – अिभविृ /रवैया, िच, अ ययन आदत आिद । बाद म ितभागी अपने
यून या उ च सं ाि के संदभ म अपने भावना मक अनभु व या अनभु िू तय पर भी बात कर सकते ह ।
अगला चरण, साझेदारी के दौरान उ प न अिनयिमत कारक को रोकने के िलए िविवध िविधय को पहचानना
और उन रणनीितय का उपयोग करना है िजनसे उन किठनाईय पर िवजय पा सकते ह ।
अनवु त स म, कुछ समय िपछले िदन के अिधगम को सं ेप म दोहराने और उ े य के अनु प अगले स
के िलए काय सचू ी (एजड़ा) िनधा रत करने के िलए देना होगा।
सभी ा त (सहयोगी) सझु ाव का पूरे समहू ारा मू यांकन िकया जाएगा और कुछ िविधय के संबंध म (िजन
पर अिधकांश सद य सहमत ह ) िन कष िनकाले जाएंगे ।
ितभािगय से इन सझु ाव का अनुपालन करने के िलए कहा जाता है और एक, दो या तीन माह बाद अनुवत
अ यास के प म एक रप ट तैयार क जाएगी तािक यह देखा जा सके िक िलए गए िन कष वा तिवक थे और
इस प र े य म भी, िक ितभागी समहू के सद य ने इ ह अपनी यनू सं ाि संबंधी सम याओ ं के संदभ म
उपयोगी पाया ।
गितिविध 4
िव ालय छोड़ देने वाल के संदभ म अनवु त काय म के िलए पाँच न तैयार तैयार क िजए जो अ ययन और
परी ा संबंधी तनाव का सामना करने म सहायता देने के िलए समथन समहू क उपयोिगता के स ब ध म ह ।
1.6 सारांश
यह इकाई समान िच ताए/ं सरोकार रखने वाले यि य के समहू परामशन पर आधा रत है । य िप, इसक
ि या को मनि िक सा व मागदशन, जो िक समहू ि याएं ही ह, से िभ न िकया गया था । इस यिू नट म दसू रे
कार के समहू और ि थितय का वणन िकया गया है िजनके िलए समहू परामशन का उपयोग िकया जा सकता
है और समहू परामश ि या के िलए कौशल पर बात क गई है ।
इसम समहू परामश आयोिजत करने के चरण क या या क गई है, जैसे, एक स क योजना कै से बनाएँ,
एक समहू का गठन कै से िकया जाए, सद य का चयन कै से कर और समहू काय क तैयारी कै से कर तथा समहू
27
ि या के चरण आरंिभक चरण से कायकारी चरण, से समापन चरण से अनवु त चरण तक ।
यह इकाई समहू परामश स के संचालन क ि या और िविभ न िनयम िज ह समहू को पालन करना होता है,
का वणन करती है । और एक उदाहरण के साथ यह इकाई समा त होती है । अनुभव का साझा करने के िलए
समहू के सद य के बीच अ त:ि याओ ं को सुगम बनाने वाले संश त वातावरण सजृ न करने स ब धी समूह
नेता के कौशल पर भी चचा क गई ।
व-मू यांकन अ यास–
1- समहू परामश, समहू मागदशन और समहू मनि िक सा म अ तर बताइए ।
2- समहू परामश के तीन तर या ह ? येक का उ े य या है ?
3- वणन कर – (a) िविभ न कार के समहू और (b) येक म नेतृ वकता क भूिमका म अ तर
4- एक समहू परामश स क योजना के आव यक चरण बताइए ।
व-मू यांकन अ यास क उ तरकुंजी–
1- िन न िबंदओ
ु ं के आधार पर िव ततृ कर
• समहू परामश का उ े य शैि क, यावसाियक और वैयि क-सामािजक आव यकताओ ं के संबंध म
जानका रयाँ देकर सम याओ ं को रोकना है ।
• समहू परामश का उपागम िचिक सक य है । इसम िविभ न सम याओ ं जैसे व - जाग कता का अभाव,
वयं के िवषय म िनराशाजनक/पराजयजनक िव वास, र त म सम याए,ं सामािजक कौशल, भ नाशा,
रोष, दरु ् यवहार आिद के िवषय म साझेदारी करते हए भावना मक व य ीकरण अवमोचन पर बल िदया
जाता है ।
• समहू मनि िक सा उपचारा मक, अनसु मथनकारी और पुनिनमाणकारी है, य िके यह ग भीर भावना मक
सम याओ ं के साथ साथ मानिसक चनु ौितय के साथ काम करता है ।
2- िन न िबदं ओ
ु ं के आधार पर िव ततृ कर
• आरंिभक चरण – जहाँ प रचय िकया जाता है, समहू के उ े य बताए जाते ह, ल य िनधा रत िकए जाते
ह, िनयम प ट िकए जाते ह ।
• कायकारी चरण – यहाँ वतं अिभ यि पर के ि त िकया जाता है और सद य ारा अपनी किठनाईय
का साझा करते हए इन सम याओ ं का समाधान कै से िकया जाता है, पर के ि त िकया जाता है ।
• समापन चरण – जहाँ सद य एक दसू रे से या समहू से ा त सीख को साझा करते ह और उसका उपयोग
कै से कर, सीखते ह ।
28
3- िन न िबदं ओ
ु ं के आधार पर िव ततृ कर
a)
समथन समहू , िश ा समहू , प रचचा समहू , िनयत काय समूह, िवकास एवं अनभु वज य समूह,
िचिक सा समहू , व-सहायता समहू ।
b)
समथन समूह – नेता क भिू मका सगु मकता क होती है जो िव वास का माहौल बनाकर सब सद य
को वतं प से बोलने और अपनी सम याओ ं पर चचा करने के िलए े रत करता है । नेता प रचचा
म अपनी धानता नह रखता ।
िश ा समहू – नेता क भिू मका एक िश क क होती है जो जानका रयाँ उपल ध कराता है और िट पिणय को
काश म लाता है । नेता समूह का सि य ितभागी होता है ।
प रचचा समहू – नेता एक सगु मकता के प म होता है और ाय: िविवध कार के िवषय म, िजन पर चचा क
जाती है, म वीण होता है ।
िनयत काय समूह – नेता क भूिमका टीम (िब डर) बनाने वाले क होती है जो टीम भावना का िनमाण करता
है और उसे बनाए रखता है ।
िवकास एवं अनभु वज य समहू – नेता ाय: एक अवलोकनकता और सनु ने वाला होता है जो एक सुगमकता
का काय करता है ।
िचिक सा समहू – नेता िविभ न कार के िचिक सक य म य थता म सीधे सिमि लत रहता है और एक
समथनकता, ेरक तथा सगु मकता के प म काम करता है ।
4- िन न िबदं ओ
ु ं पर िव तार क िजए
• सद य क पहचान
• समहू का आकार, िव तार, आविृ , थान यव थाएं और स के िलए समय िनधारण
• समहू के ल य और उ े य को प ट करना।
व-आकलन अ यास क उ तर- कुंजी
व - आकलन अ यास 1
1. GG
2. GC
3. GP
व-आकलन अ यास 2
1. T
2. T
3.T
29
4. F
सदं भ
Yalom, I. D. 1985. The Theory and Practice of Group Psychotherapy (3rd ed.). Basic
Books, New York.
सझ
ु ावा मक पठन साम ी
Ohlson, M. M., Horne, A. M. and Lawe, C. F. 1988. Group Counselling. Holt, Rinehart
and Winston, Inc., New York.
Gazda, G. M. 1989. Group Counselling: A Developmental Approach. Allyn and Bacon,
London.
Jacobs, E. E., Harvill, R. L. and Masson, R. L. 1994. Group Counselling Strategies and
Skills. Brooks Cole Publishing Company, California.
30
2
कॅ रयर परामश
यिू नट–2
2.0
तावना
2.1
उेय
2.2
कॅ रयर परामश या है ?
2.2.1 यावसाियक मागदशन और कॅ रयर मागदशन
2.2.2 कॅ रयर मागदशन और कॅ रयर परामश
2.2.3 कॅ रयर िवकास
2.2.4 कॅ रयर िश ा
2.2.5 वैयि क-सामािजक परामश और कॅ रयर परामश
2.3
कॅ रयर परामश क आव यकता व मह व
2.4
कॅ रयर परामश कै से आयोिजत कर
2.4.1 जाँच-परख
2.4.2 प टीकरण तर/अव था
2.4.3 अनबु धं न
2.4.4 खोज-बीन
2.4.5 अ त ि िनमाण
2.4.6 िनणय लेना
2.4.7 ि या वयन तर
2.4.8 गित का पनु रावलोकन
2.4.9 समापन
2.4.10 अनवु त चरण
2.5
कॅ रयर परामश के उपकरण व तकनीक
2.5.1 गृहकाय द तकाय/असाइनमट
2.5.2 मनोवै ािनक परी ण और नाविलयाँ
2.5.3 मॉक-सा ा कार/भिू मका िनवाह
32
2.5.4 क यटू र सहाियत मागदशन णािलयाँ (सी.ए.जी.एस.)
2.5.5 यावसाियक जानका रयाँ
2.5.6 जीवन कॅ रयर थी स क पहचान एवं िव लेषण करना
2.5.7 कायकता क भिू मका
2.5.8 अिधगमकता क भिू मका
2.5.9 वैयि क भिू मका
2.6
जीवन कॅ रयर आकलन (एल.सी.ए.) / संरचना मक सा ा कार अनुसूची
2.6.1 यावसाियक काड सोट्स
2.7 सारांश
व – आकलन अ यास
व – आकलन अ यास हेतु उ तर कंु जी
व – आकलन अ यास हेतु उ तर कंु जी
सदं भ
सुझावा मक पाठ्य-साम ी
33
कॅ रयर परामश 2
2.0 तावना –
यह मॉड्यल
ू या या करता है िक परामश एक पणू तावादी संक पना (अवधारणा/सं यय) है जो एक यि
के जीवन के िविभ न आयाम को अनभु व क स पणू ता के प म देखता है । वैयि क, सामािजक, शैि क
और कॅ रयर संबंधी े म पार प रक िनभरता होती है । इस स पणू तावादी उपागम के अ तगत आव यकता
आधा रत कॅ रयर िवशेष पर के ण भिव य के कॅ रयर संबंधी अिभवृि य और कौशल को आकार देने म
सहायता करता है । िवकिसत और िवकासशील समाज म, जिटल सामािजक और आिथक संरचनाएं कॅ रयर
ािथय पर , जो उन िविभ न कार के कौशल , यो यताओ/ं मताओ,ं िचय व मू य से सि जत ह, जो उ ह
िविभ न कार के काय व काय ि थितय के िलए उपयु त बनाते ह, के िलए बहत सी चनु ौितयाँ ततु करती ह ।
साथ ही, यि व और सं ाना मक िवशेषताएं ( ेट) िवकासा मक प रघटना ह जो अिधकतम िवकास के िलए
पहचान, दशन (ए सपोजर) और सीखने म सहायक सिु वधाओ ं क माँग करती ह । चाहे हम कॅ रयर म वेश
को एक मैिचगं (िमलान) ि या के प म देख या िवकासा मक ि या के प म, यि और काय ि थितय ,
िजनम अ तत: उ ह वेश करना ह, उनम काय म ि थरता, सफलता और संतुि दान करने के िलए सकारा मक
संबंध क आव यकता होती है । कॅ रयर परामश, अपनी िवशेष िविधय और तकनीक से, िव ािथय क ऐसी
आव यकताओ ं का यान रखता है और उनम एक कायकता, नाग रक और घर बनाने वाले के प म अपने ित
एक समिु चत और समेिकत ि िवकिसत करने म मदद करता है । यह इकाई आपम कॅ रयर परामश क कृ ित
व ि या के िवषय म समझ िवकिसत करे गी ।
2.1
उ े य-
इस इकाई के अ ययन के उपरा त आप स म ह गे –
• कॅ रयर परामश के अथ और िविधय क समझ अिजत कर इनका उपयोग कॅ रयर संबंधी सम याओ/ं मु
के समाधान म कर सकगे ।
• कॅ रयर परामश क बढ़ती आव यकता एवं मह व को भिव य क योजना बनाने व कॅ रयर चयन के सदं भ
म ततु कर पाएगं े ।
• ऐसे यि , जो वयं को और काम-काज क दिु नया को जानना चाहते ह, क सहायता के िलए कॅ रयर
परामश के िविभ न तर पर िविवध उपकरण व िविधय का योग कर सकगे ।
• िव ािथय को उपयु त कॅ रयर चनु ने व उसम वेश करने म सहायता करने के िलए कॅ रयर परामश के
िविवध िदए गए मॉडल का योग कर सकगे ।
2.2
कॅ रयर परामश या है ?
आइए, पहले ‘कॅ रयर’ और ‘परामश’ श द के अथ समझ ल । ऑ सफोड िड शनरी म कॅ रयर को जीवन के
आर-पार गित क ि या के प म प रभािषत िकया गया है । इसे उन रोजगार संबंधी ि थितय , भिू मकाओ ं
34
व गितिविधय के म के प म समझा जाता है िजनका सामना यि को करना होता है । (आरनॉ ड 1997)
सदं भ सािह य म ऐसी कई प रभाषाएं उपल ध ह जो बताती है िक कॅ रयर यि के जीवन का एक दीघाविध
ल य होता है । यह जीवन पय त क शैि क व रोजगार संबंधी, दोन क समेिकत गितिविधय क योजना से
बना होता है । इस सं यय क नई समझ िकसी यि के एक ल बे समय के काय के इितहास फै लाव क ओर
इिं गत करती है । पर परागत प से इसके अथ आप या करते ह, पर के ि त थे; जैसे आपके काय जगत म
आपका पदनाम । जबिक नए अथ म यह इस ओर अिधक के ि त करता है िक आप या ह और एक कार क
काय ि थित से दसू री तक आप म िकस कार के कौशल िनिहत ह । कॅ रयर गितशील है और परू े जीवन तक
फै ला हआ है । इसम न के वल यावसाियक बि क यवसाय पूव व यवसाय के बाद के सरोकार भी शािमल
ह, साथ ही साथ यह काय को अ य भूिमकाओ ं के साथ समेिकत भी करता है जैसे प रवार, समुदाय और
अवकाश । अत: अब कॅ रयर श द को ‘जीवन कॅ रयर’ के प म बेहतर प रभािषत िकया जाता है ।
‘कॅ रयर परामश’वह परामश ि या है जो एक यि को कॅ रयर के िवक प और िवकास के आयाम पर
प रप वता हािसल करने और सवािधक उपयु और मब संयोिजत जीवन कॅ रयर के िनणय लेने और
समायोजन करने म सहायता करता है । इसके अ तगत यि को यवसाय चनु ने और उसके िलए तैयार करने
के साथ ही चनु े हए काय क कृित के अनु प वेश करने और भावकारी ढंग से काय करने म सहायता दान
क जाती है । सं ेप म, कॅ रयर परामश को सं ेषण कौशल, तकनीक और अिभविृ य के एक समूह के प म
प रभािषत िकया जा सकता है, जो यि य को कॅ रयर के चयन और उसम भावकारी प म समायोजन करने
म सहायता करने के िलए यु त होता है । िकसी यि के कॅ रयर म वेश करने और उसम समायोजन करने
क इस ि या को वयं क समझ को बढ़ाकर, मनोवै ािनक िविश टता और काय जगत क अिधक साथक
जानका रय से सबं िं धत करके सगु म िकया जाता है ।
‘कॅ रयर परामश’ के िलए अ य कई वैकि पक श द भी यु त िकए गए ह ।एक कॅ रयर परामशदाता को इन
श द से जुड़े िविश ट अथ को समझना बहत मह वपणू है तािक उसे अपने ारा स पािदत क जाने वाली
िविश ट भिू मकाओ ं क प टता हो सके । अब हम िनर तर योग िकए जाने वाले श द व अवधारणाओ ं
(सं यय) से अवगत ह गे ।
2.2.1 यावसाियक मागदशन और कॅ रयर मागदशन
मागदशन एक िवषय के प म, जब क पासन के यास से य.ू एस.ए. म कट हआ और बाद म (उ तरवत )
िवकिसत हआ (िविलयमसन, 1939, 1965), जब ‘ यवसाय’(पेशा) और ‘ यावसाियक’इन श द पर िनभर
था जो मश: कायजगत और यवसाियक अवसर काे अिभ य त करते थे । वष बाद, यि व के िस ा त
और सं यय के उभार के साथ, कॅ रयर िवक प त य क समझ िव ततृ हो गई और इसे ‘काम या नौकरी’ के
प म न लेकर ''काम/नौकरी क तलाश म यि '' के प म समझा जाने लगा । अत: श द ‘ यावसाियक
िवक प’ के थान पर कॅ रयर िवक प /िवकास यु त िकया जाने लगा तािक काय जीवन के कारक जैसे
जीवन भिू मकाओ,ं घटनाओ ं और ि थितय के ारा गित म मह वपणू वैयि क आयाम को सि मिलत िकया
जा सके । इस कार कॅ रयर मागदशन/परामश क अवधारणा को ‘ यि जो कॅ रयर म वेश कर रहा है’ न िक
‘ वयं कॅ रयर’ पर के ि त कर थािपत िकया गया ।
35
2.2.2 कॅ रयर मागदशन एवं कॅ रयन परामश –
य िप कॅ रयर मागदशन और कॅ रयर परामश को पर पर प रवितत करके योग िकया जाता रहा है, िक तु, दोन
का अथ एक समान नह है । यय ‘मागदशन’’ ‘परामश’ से िभ न अथ रखता है । कॅ रयर मागदशन म िकसी
यि को उसके कॅ रयर के चयन, वेश व गित क तैयारी म िनर तर सहयोग करना सि मिलत है । इस तैयारी
के दो आयाम ह– कॅ रयर म वेश के िलए आव यक शैि क यो यताएं ा त करने के साथ ही जॉब (काय)
संबंधी आव यक यो यताओ ं को हािसल करना । यि एक कॅ रयर को ा त करने के िलए आव यक िश ा,
िश ण, कौशल और अिभवृि याँ अिजत करता है । मागदशन के मा यम से यि को उस कॅ रयर म ि थत
होने म सहायता करने का ल य रखा जाता है िजसके िलए उसके पास अतं :शि है । ाय: मागदशन का अथ
यि को उसके शैि क िश ण और रोजगार क िदशा म िवक प चनु ने के िलए समथ बनाने म सहायता
दान करना है ।यह परामश क तल
ु ना म अिधक िव तृत अथ म योग िकया जाता है और गितिविधय क एक
िव तृत ेणी या ंख
ृ ला को आवृत करता है ; जैसे जानका रयाँ, कोिचंग, िश ण, आकलन और प धरता ।
वा तव म, परामश को ाय: मागदशन के उ े य को ा त करने के िलए यु त क जाने वाली एक गितिविध
के प म देखा गया है । ऐितहािसक प म मागदशन के यय को िव ालय के संदभ म ही पहचाना गया, न िक
सामुदाियक साधन, िनजी यवसायी या काय थल के साथ । जैसे ही कॅ रयर मागदशन क सेवाएँ, िव ालय
म अपने ाथिमक थान से गैर-शैि क िव यास क ओर बढ़ी, अब कॅ रयर परामश यय का आमतौर पर योग
िकया जाने लगा है ।
2.2.3 कॅ रयर िवकास यह अवधारणा सपु र (1957), एक सिु व यावसाियक मनोवै ािनक ारा तुत क गई । (मॉडयल
ू 4, ईकाई-2
देख ) । कॅ रयर िवकास को कॅ रयर म ‘गणु ा मक के साथ-साथ गितशील प रवतन के प म िनदिशत िकया
जाता है । यह कॅ रयर के अथ और मह व के िवषय म जाग कता अिजत करने से ारंभ होता है जो कॅ रयर के
माग म वेश करने, उस पर गित करने और कॅ रयर म यवि थत होने से िलया जाता है । इसम मनोवै ािनक,
सामािजक, शैि क, भौितक, आिथक और संभावना संबंधी कारक का िम ण शािमल है जो िक जीवन िव तार
म कॅ रयर को आकार दान करता है । चाहे कॅ रयर मागदशन या कॅ रयर परामश न भी हो तो भी कॅ रयर िवकास
अ सर होता है ।जैसे – कॅ रयर िवकास एक ह त ेप नह है , लेिकन जहाँ तक परामशदाता का उपभो ता के
साथ काय चलता है यह ह त ेप का िवषय और अिं तम ल य है ।
2.2.4 कॅ रयर िश ा कॅ रयर िश ा को अनभु व के एक समु य के प म देखा जाता है िजसके मा यम से यि वयं के तथा काय
के संबंध म उन ान एवं अिभवृि याँ एवं कौशल को अिजत करता है, िजनसे वह अपने काय और दसू रे जीवन
िवक प के िलए पहचान करते, चयिनत करते, योजना बनाते व तैयार होते ह । यह कॅ रयर संबंधी अनभु व को
िश ण संबंधी िवषयव तु और िविधय के साथ सि म ण क एक ि या है । इस इनपटु के ारा िकसी भी
अकादिमक िवषय व तु को िकसी भी कार के काय से या व-खोज से संबंिधत िकया/जोड़ा जा सकता है ।
यह िव ािथय को वैयि क िविश टताओ ं , शैि क अवसर और इनके काम के चयन और समायोजन के म य
36
सबं धं को समझने के िलए तैयार करती है । यह िव ािथय को िश ा और काय के म य सबं धं को समझने म
भी मदद करती है ।
2.2.5 वैयि क- सामािजक परामश और कॅ रयर परामश –
वैयि क-सामािजक परामश वह सहायता है जो प रवार, िव ालय या साथी समूह म िवकासा मक और आपदा
क ि थितय म उपल ध कराई जाती है । सम याएँ/मु े जैसे – सहोदर संबंध, माता-िपता के साथ समायोजन,
िम बनाना, अ ययन का सामना, परी ा क िचतं ा और िकशोराव था क सम याओ ं को वैयि क- सामािजक
परामश के अ तगत िलया जाता है । तथािप, वैयि क-सामािजक िवकास और कॅ रयर िवकास म पार प रक
िनभरता होती है और बहत से सरोकार म एक-दसू रे से िमलते ह । अत: इनका सामना करने हेतु भी परामश
रणनीितयाँ यु त क जाती ह ।
कॅ रयर िवकास जैसा िक आपने मॉड्यल
ू 4, यिू नट 1 और 2 म देखा, एक वैि क/पणू तावादी अवधारणा है।
ऐसा ही, कॅ रयर परामश भी है । कॅ रयर परामश को दसू रे िवकास आयाम जैसे- वैयि क, सामािजक और
भावाना मक से अलग आयोिजत करना न तो वांछनीय है और न ही संभव है । इन सम त े के म य सघन
अ तरसंबंध ह । कॅ रयर काउंिसिलंग का ल य यि को उनके ारा िजन िविभ न भिू मकाओ,ं घटनाओ,ं
ि थितय का सामना िकया जाता है, के िलए तैयार करना है, यह यान रखते हए िक कै से वे प रवतन और
आ दोलन आिथक और मनोसामािजक आयाम को भािवत करते ह । (मॉडयल
ू 4, यिू नट 1 व 2 का सदं भ
ल) कॅ रयर परामश म उपभो ता ( लाइटं ) के स पणू सदं भ को ि गत रखा जाता है िजसम वह पला- बढ़ा और
िशि त हआ है, िजसम पा रवा रक मू य, आकां ाएं और आिथक ससं ाधन आिद शािमल ह ।
व-आकलन अ यास िन नांिकत कथन के सम ‘स य’ /’अस य’ िलिखए –
1. कॅ रयर परामश म सामािजक सम याओ ं के साथ काम करना सि मिलत है ।
2. कॅ रयर परामश और कॅ रयर मागदशन एक समान गितिविधय के िलए सदं िभत िकए जाते ह ।
3. कॅ रयर िवकास गितशील आ दोलन का सझु ाव है ।
4. िव ालय म कॅ रयर िश ा, िश ा और काम के अ तराल को कम करती है ।
अगले भाग म आप वैयि क- सामािजक और कॅ रयर परामश क पार प रक िनभरता के िवषय म और अिधक
जानगे ।
2.3
कॅ रयर परामश क आव यकता व मह व -
कॅ रयर परामश को प रभािषत करते हए हमने देखा िक कै से िकसी यि को कॅ रयर के चनु ने, योजना बनाने
और उसम वेश करने को सुगम िकया जाता है । इसके मह व को आगे िदए गए कुछ वैयि क और सामािजक
आयाम के आधार पर समझा जा सकता है –
37
बेरोजगारी और असतं ोष को कम करना –
िकसी सामािजक संरचना म बेरोजगारी कॅ रयर ाथ को कॅ रयर अवसर क उपल धता, यवसाय के अभाव
(जहाँ िशि त कायकता अनपु ल ध ह), अिधशेष यवसाय (जहाँ िशि त कायकता उपल ध अवसर से
अिधक सं या म ह ) के िवषय म जानका रयाँ न दे पाने के कारण होती है । मागदशन क कमी बेरोजगारी क
ि थित को और बरु ा बना सकती है जो िव तीय और मनोवै ािनक सम याओ ं को बढ़ाती है ।यिद अिजत िश ा
और िश ण के होते लोग उपयु त थान नह ा त कर पाते और पणू त: अनपु यु त जॉब (काय)म वेश कर
लेते ह तो यह कंु ठा, असंतोष और सामािजक वा य संबंधी सम याओ ं को ज म देता है ।
भावी ितयोिगता का सामना करना –
21व शता दी के प र य म, रोजगार/जॉब उ ह यि य को उपल ध ह गे िजनके पास वैि क जॉब बाजार
म बने रहने के िलए िवशेष आव यक कौशल ह गे । िवशेष कौशल से यु त अ यिथय क माँग अिधक होगी
और यिद वे अपनी िनिहत यो यताओ,ं मताओ ं और जॉब हेतु आव यक कौशल को दिशत कर तो उपयु त
पा र िमक पा सकगे । कॅ रयर परामश से यह अपे ा है िक इसके ारा यि क अ तरशि और िचय क
पहचान कर उ ह उपयु त व िविश ट िश ा व िश ण ा त करने को सगु म िकया जा सके गा ।
आव यकताओ ं और जीवन ल य क तुि –
आधारभतू आव यकताओ ं क तिु के साथ ही, कॅ रयर परामश यि य को उनक अ त: शि और
आकां ाओ ं के अनसु ार उपयु त जॉब पाने के साथ अ य वैयि क- सामािजक आव यकताओ ं जैसे पहचान,
वीकृ ित, वािभमान, और व-आ मीकरण क भी तिु करता है ।
नए कॅ रयर माग को खोलना –
आज असं य कॅ रयर िवक प मौजदू ह । सचू ना ाि त ने बहत से े म कॅ रयर के नए अवसर खोल िदए ह,
िवशेष प से िव ापन, सचू ना तकनीक, इजं ीिनय रंग, फै शन टै नोलोजी, सं ेषण, बॉयो- टे नोलोजी, मनोरंजन
आिद । आज ाय: येक कॅ रयर उ च िवशेष ता यु त कौशल क माँग करता है, िजनम समय, धन एवं
शाि के िनवेश क आव यकता हो सकती है । कॅ रयर परामश एक अिधक िव तृत े से िवक प चनु ने म
स म बनाता है ।
मानव संसाधन का उपयोग –
कॅ रयर िश ा और कॅ रयर परामश मानव शि के उपयु त उपयोग म सहायता कर सकते ह । कॅ रयर मनोिव ान
के शोध बताते ह िक यावसाियक िशि त कािमक उपयु त पहचान व मागा तरण के ारा ब च एवं यवु ाओ ं
म िछपी ज मजात ितभा का पोषण कर सकते ह ।
काम एवं िश ा के म य अ तराल को कम करना –
कॅ रयर मागदशन/परामश को बहत से देश म गित पकड़नी है, य िक िव ालयी पाठ्यपु तक म अभी भी
कॅ रयर संबंधी ब ध का अभाव है । िश ा ारा सीखे गए को जीवन और काय के े म लागू होने यो य
38
होना चािहए । इसे ा त करने के िलए हम िश ा को काय क वा तिवकताओ ं और जीवन से स ब करने
क आव यकता है । कॅ रयर परामश के इनपटु को िव ालयी पाठ्य म के िविभ न तर पर मब प से
समेिकत िकया जा सकता है तािक काय के ित सही झान , जानका रयाँ व कौशल उनके मन म िबठाए जा
सक । इस कार के काय म को कॅ रयर िश ा कहा जाता है । इस कार कॅ रयर परामश क ि या, कॅ रयर
िश ा को भावशाली ढंग से लागू करने को सगु म बनाती है और िव ािथय को कॅ रयर म सफल वेश करने
के िलए आरंिभक अिभमख
ु ीकरण व योजना बनाने के िलए आव यक झान ा त करने म सहायता करती है ।
.................................................................................
गितिविध 1 :
याद कर और रकाड कर िक आपने अपने कॅ रयर क योजना कै से बनाई, कॅ रयर के िवषय म िकस कार
क जानका रयाँ आपको थ , अपने कॅ रयर म वेश व गित के दौरान आपको या किठनाइयाँ आई ं । इन
जानका रय को कोस के दौरान आयोिजत िकए जाने वाले सेमीनार म साझा कर । अपनी ि थित को उस ि थित
से जोड़ने का यास कर िक यिद आपको कॅ रयर परामश िमला होता तो ि थितयाँ कै से बेहतर होत ।
.................................................................................
2.4 कॅ रयर परामश को कै से आयोिजत कर अभी तक हमने कॅ रयर परामश के यय, इसक आव यकता और मह व के िवषय म चचा क । अब कॅ रयर
परामश कै से आयोिजत िकया जाता है ? इसक ि या या है ? इसे देखगे ।
मॉडयूल 4 म आपने देखा कॅ रयर िवकास कुछ िविश ट चरण से होकर आगे बढ़ता है । येक चरण यि य से
कुछ खास अपे ा रखता है और जब ये अपे ाएं पणू हो जाती ह तो ये अगले चरण के िलए अ दतू (पवू गामी)
क तरह काय करती ह । ि या मब कॅ रयर िवकास काय म वीणता ितिबि बत करती है । कॅ रयर
परामश एक यि को इन िवकासा मक काय म सफलतापवू क वीणता ा त करके अि तम प से उपयक
ु त
कॅ रयर म वेश करने म सहायता करता है ।
कॅ रयर मागदशन आ दोलन के ारंभ से ही यावसाियक/कॅ रयर मनोवै ािनक ने कई उपागम सुझाए/बताए ह।
िविलयमसन (1965) एक पर परागत मैिचंग (िमलान) उपागम का अनगु मन करते हए छ: चरण क रणनीित
बताते ह, िजसम िव लेषण, सं लेषण, िनदान का पवू ानमु ान,परामश और अनवु तन (फॉलो अप) सि मिलत
ह । बाद म ाइटस् (1981) ने कॅ रयर परामश क ि या को िनदान, सम या का प टीकरण, सम या का
िवशेष वणन ( पेिसिफके शन) और सम या समाधान के प म देखा । सपु र (1983) ने पर परागत मॉडल क
कमजो रय के िवरोध म, िवकासा मक आकलन मॉडल क अनश
ु सं ा क , जो पर परागत िविधय के साथ ही
कॅ रयर प रप वता पर के ि त करता है । (मॉडयल
ू 11, इकाई-1 देख ) बाद म गेसबस और मोरे (1987) ने मु य
चरण अ वत् बताए (i) उपभो ता के ल य क पहचान, प टीकरण और िविश टीकरण और (ii) उपभो ता के
ल य और सम या समाधान । मु य चरण म संबंध बनाना, जानका रयाँ एक करना, जानका रय को समझना,
िनदान करना, ि या करना और परामश के भाव का आकलन करना सि मिलत है ।
39
आगामी भाग म आप वयं को िव ततृ प से वीकृत े मवक के िविभ न चरण और कॅ रयर परामश के पद
से प रिचत करा पाएगं े ।
2.4.1 जाँच परख (
िनंग)
थम परामश स म या िकया जाएगा, इसक योजना बनाना बहत मह वपणू है य िक इसका परामश संबंध
पर गहन भाव पड़ता है । जाँच- परख वह ि या है जो परामशदाता और भावी लाइटं दोन को एक-दसू रे के
िवषय म और उपल ध कराई जाने वाली सेवाओ ं के िवषय म जानका रयाँ एक करने म स म बनाती है । ये
जानका रयाँ दोन को यह िनणय लेने म मदद करती है िक या आगे बढ़ा जा सकता है ? जाँच-परख कई कार
से क जा सकती है । आप कोई भी जाँच-परख क ि या अपनाए,ं उपभो ता ( लाइटं ) को उपल ध कराई गई
सचू नाए,ं होनी चािहए –
• परामशदाता क पृ ठभिू म और उसक िवशेषता, वैयि क परामश स म सामा यत: या िकया जाएगा,
िकन भिू मकाओ ं क अपे ा है और उपभो ता को उपल ध कराई जा सकने यो य परामश सेवाओ ं क
या या ।
• भावी उपभो ता के िलए एक प क तैयार क िजए िजसम यह उ लेख हो िक कॅ रयर परामश सेवाएँ या
उपल ध करा सकती ह और इसम परामशदाता क अपेि त भिू मका या है ?
• उपभो ता को परामश ि या क िव ततृ जानकारी उपल ध कराने के िलए टेिलफोन के मा यम से संपक
बनाइए और बताइए िक इससे या ा त होगा, उपभो ता के सरोकार (क िच ताएं) और न को िकसी
भी बैठक के िलए वचनब होने से पूव स बोिधत िकया जा सकता है ।
• एक या अनेक भावी उपभो ताओ ं के साथ एक य प रचया मक बैठक आयोिजत कर । ऐसी खल
ु ी बैठक
अिधक िकफायती, अिधक वैयि क तथा वा तिवक होती ह । स क योजना बनाने के िलए लायंट से
उसक पृ ठभिू म क जानकारी लेने के िलए एक नावली भरा सकते ह, िजसम उनका बायोडाटा, िश ा,
कॅ रयर सबं धं ी सचू नाए,ं हॉबी और उनक मजबिू तयाँ और कमजो रयाँ आिद भरने को कहा जा सकता है ।
जाँच परख ( िनंग) स के स प न हो जाने के बाद परामशदाता को उपभो ा के िनयिमत स के िलए ितिथ
िनधा रत करनी चािहए । आगामी सभी आठ चरण परामश स के दौरान ही ह गे ।
2.4.2 प टीकरण अव था
यह सबं धं बनाने वाली ि या से ार भ होता है िजसम परामश के सामा य कौशल का योग एक सगु म/सरल
और िम वत वातावरण बनाने के िलए िकया जाता है ।परामशदाता उपभो ता को उसके सरोकार / िच ताओ ं
तक पहँचने म सहायता करने क ि से तदनभु िू त और वीकृित दिशत करता है । (मॉड्यल
ू 2, यिू नट 3 देख )
व थ संबंध बनाने के अित र त मु , सम याओ,ं उपभो ता क पृ ठभिू म, उपलि धय व हताशाओ ं के संबंध
म जानका रयाँ एक क जाती ह । इस कार क जानका रय के आधार पर उपभो ता क पृ ठभिू म और उसक
आधारभतू जाग कता के सार और गहनता और िनि त कॅ रयर िनणय लेने क उसक तैयारी के संबंध म
कुछ आरंिभक िनणय िलए जाते ह । (देख- मॉडयूल 3, यिू नट 4) । अ यथ क कॅ रयर प रप वता उसक व40
जानकारी, जॉब का ान और िनणय लेने के उसके कौशल के िव तार और गहनता के ारा िनधा रत होती है ।
(देख मॉडयल
ू 11, यिू नट । )
अनुबंधन –
अनबु ंधन वह ि या है जहाँ उपभो ता और परामशदाता दोन ही काय करने क िविधय को और कॅ रयर
परामश म उसक भिू मका क समझ को प ट करते ह । परामश के संबंध म, िनणय लेने का उ तरदािय व वयं
लाइटं पर िनभर करता है । तथािप, वह इस उ तरदािय व को वीकार करने के िलए तैयार नह हो सकता है ।
अनबु धं म कई सबं िं धत मु को सबं ोिधत िकया जाता है जैसे धनरािश और उसे कौन अदा करे गा, गोपनीयता,
लाइटं व परामशदाता दोन क अपेि त भिू मकाए,ं बैठक क सं या, अविध व आविृ आिद । अनबु धं न
ि थित म यह बहत मह वपणू होता है िक कुछ उ े य िनधा रत कर िलए जाएँ जो परू ी ि या क एक सरं चना
ततु करते ह और मश: गित के पुनरावलोकन के िलए आधार दान करते ह । तथािप, िनधा रत िकए गए
उ े य लचीले होने चािहए । इसके अित र त उपभो ता का साइकोमेि क डाटा, यिद उपल ध हो, क छानबीन
भी अनुबंधन ि या के दौरान क जानी आव यक है । यह डाटा कुछ मनोवै ािनक परी ण क सहायता से
िच 2.1 म दशाए गए े पर एक िकए जा सकते ह ।
बिु
अिभ मता
मू य
यि व
अिभ िच
िच 2.1 ये े वांिछत अनुपात मे मनोवै ािनक परी ण ारा मापे जाने चािहए ।
2.4.4 खोज-बीन
खोज-बीन कॅ रयर िवकास के आरंिभक चरण का भाग है । उपभो ता अतीत म मु य चयन िब दओ
ु ं पर कै से
कॅ रयर िनणय लेता रहा है यह खोज करना परामशदाता को यह समझने म सहायता करता है िक लाइटं िकस
सीमा तक िनणय लेने का उ तरदािय व लेता है और या उपयु त कॅ रयर चयन सबं धं ी कोई माण उपल ध
है; जैसे– या अपने कॅ रयर क योजना बनाने म योजना बनाने के यवहार के कोई िच ह और या उसने
िनणय लेने के िविश ट कौशल अिजत िकए ह ? ऐसे िनणय का िव ालय म िवषय चयन, थम जॉब के चयन,
(आंिशक समय / पूण समय) या जॉब प रवितत करने संबंधी िनणय लेने म, यिद कोई ह, से जोड़ा जा
सकता है । लाइटं के बा याकाल या िकशोराव था म अपने भावी कॅ रयर के संबंध म या िवचार थे और
उनका या हआ, क खोजबीन करना मददगार हो सकता है । एक परामश के िलए यह भी बहत मह वपणू है
िक वह लाइटं िकसी काय के दौरान भावाना मक, झाना मक और यवहारा मक प से कै से जझू ता है, के
41
सबं धं म नोट्स लेता रहे । लाइटं इ ह सीधे-सीधे दिशत नह कर सकता है िक तु वे इ ह ाय: अपने यवहार
करने के तरीक म य त करते ह । उपभो ता इ ह कुछ- कुछ अपने यि व और सम याओ ं से जझू ने के तरीके
और अपने अनबु ंध बनाने और बनाए रखने के ारा भी कट करते ह ।
2.4.5 अ त ि िनमाण
इस तर पर उपभो ता को अपने उ े य और व क समझ और ि थितय के ित गहन अ त ि िवकिसत करने
म सहायता दान क जाती है ।इसका उ े य लाइटं को नए और अिधक रचना मक प र े य म स म बनाना
है जो िनणय लेने व ि या करने का आधार बन सकते ह ।
इस अव था म तीन मु य सरोकार पर बातचीत क जाती है –
• म कौन हँ ?
• म अपने जीवन म या ा त करना चाहता/चाहती हँ ।
• ऐसा या है जो मझु े इसे पाने से रोक रहा है ?
म कौन हँ ? उपभो ताओ ं को िन नांिकत े म वयं क समझ िवकिसत करने क आव यकता होती है –
• अिभविृ / झान (मेरी मताएं या ह या मझु म िकस कार क अ त:शि है ? )
• कौशल (मझु म िकस कार क द ताएँ ह ?)
• मू य (मेरे िलए या मह वपणू है ?)
• यावसाियक िचयाँ (मेरी कॅ रयर संबंधी िचयाँ या है ? )
• वैयि क िवशेषताएँ (मेरी वे कौन सी मजबूितयाँ या कमजो रयाँ ह जो मेरे काम को भािवत करती ह ?)
उपभो ता को वयं का यवि थत मब आकलन िलिखत आलेख (असाइनमट), मनोवै ािनक परी ण ,
िबना- परी ण क िविधय जैसे इ व ी और नाविलय के योग ारा, करने म सहायता क जा सकती है ।
इन उपकरण के ारा उपल ध कराई गई समृ जानका रयाँ लाइटं को वयं क बेहतर समझ हण करने और
भिव य के िवक प के िवषय म सोचने के िलए िविवध फलक उपल ध कराती ह ।
म या करना चाहता हँ ? यह बहत मह वपणू है िक उपभो ता अपने भिव य क योजना बनाने क ि या
म अपने यावसाियक और उससे संबंिधत मह वाकां ाओ ं और आकां ाओ ं के िवषय म जाग कता ा त
करे । इस चरण म उपभो ता को अपनी क पनाशि के योग को ो सािहत करना बहत मह वपणू होता है ।
तथािप, यह भी मह वपणू है िक वा तिवक जगत क उन बाधाओ ं , जीवन क व तुगत वा तिवकताओ ं और
यावहा रक सीमाओ ं क ओर भी उिचत यान िदया जाए िजनका वे सामना कर सकते ह ।
ऐसा या है जो मझ
ु े आगे बढ़ने से रोक रहा है ? इस चरण म, भिव य के िवषय म आकां ाएँ, आशावाद
और सकारा मक भावनाएँ ाय: अिनि तता और नकारा मक भावनाओ ं ारा रोक दी जाती ह । ाय: लाइटं
42
क विृ बाहरी बाधाओ ं को देखने क होती है । यहाँ यिद वे आ त रक बाधाओ ं जैसे यनू व- यय, उ च
िच ता, ोध, भ नाशा, वयं को हराने वाले िव वास और धै विृ ता को समझने लग तो वे उन पर िवजय पाने
म मदद पा सकते ह ।
2.4.6 िनणय लेना परामशदाता योजना म अ तराल और असंगित को पहचानने म सहायता करता है , जो धीरे-धीरे खोले जाते ह ।
िनणय लेने क ि या म येक कोण से या हो सकता है, या नह , क चचा क जाती है । व- जाग कता,
एक यावसाियक व- यय और काय जगत के ित अ त ि के आधार पर उपभो ता को उसके िवक प
को ाथिमकता के आधार पर रखने म सहायता क जाती है । समथन देने और सम या- समाधान तकनीक के
ारा परामशदाता लाइटं को उसक अ त:शि य के अनु प िवक प (को जाँचने) का आकलन करने और
ाथिमकताएं तय करने म मदद करता है । उपभो ता म वयं को उपल ध संभावनाओ ं और अवसर के ित
जाग कता का अभाव हो सकता है । जानका रय को बढ़ाने और व एवं काम क दिु नया के ित समझ म
सहायता अिधक जाग कता तथा अिधक सजृ ना मकता के साथ सोचने और भिव य क योजना बनाने म त पर
बनाती है ।
2.4.7 ि या वयन तर एक बार िनणय ले िलए जाने के उपरा त उपभो ता को उपयु त और यवि थत काय योजना िनिमत करने के
िलए ो सािहत िकया जाता है । इस काय योजना म अ यथ क मता, ेरणा तर के अनसु ार िन पािदत करने
के िलए (टा क) िनयत काय होते ह, जो छोटे-छोटे ा त िकए जा सकने यो य काय िब दओ
ु ं के प म ह गे
तािक गित क जा सके और आ मिव वास ा त िकया जा सके । काय योजना िनमाण म उ े य अिनवाय प
से SMART ह गे, अथात ऐसे उ े य जो –
• िविश ट
• मापनीय
• आकषक
• वा तिवक और
• समयब
ह और ये लाइटं को ता कािलक और दीघकालीन उ े य को ा त करने क िदशा म स म बनाने वाले ह ।
उपभो ता िनणय लेने के दौरान िच ता दिशत कर सकता है । वे इस बात को लेकर िचि तत हो सकते ह िक
उनके चयन को दसू र से साथक अनुमोदन ा त नह होगा या वे जॉब बाजार क ितयोिगता से डर रहे ह या
वे डर रहे ह िक यह काय योजना काम नह करे गी । उपभो ता ारा काय योजना को कायाि वत करने से पवू
परामश आव यक हो सकता है ।
43
2.4.8
गित का पनु रावलोकन
कॅ रयर परामश के अ त क ओर जाते हए गित का पुनरावलोकन करना उपभो ता और परामशदाता दोन को
यह देखने क स मता दान करता है िक या ा त हआ । इस कार क समी ा कई उ े य को परू ा करती
है • यह पार प रक संबंध को समा त करने क ओर ले जाती है और उपभो ता को िबना परामशदाता के चलते
रहने के िलए तैयार करती है ।
• यह गित को िविश टता देकर लाइटं के आ मिव वास को ढ़ता दान करता है ।
• यह उपभो ता क व-िवकास के ित उ तरदािय व को रे खांिकत करता है।
पनु रावलोकन क ि या परामशदाता को भी उसके काय के िवषय म उपयोगी ितपिु उपल ध कराती है । यह
उपभो ता को उन उ े य का पनु : मरण करने के िलए भी उपयोगी होती है िज ह लेकर उ ह ने कॅ रयर परामश
ार भ िकया था, य िप िविभ न चरण से गजु रते हए ये उ े य बदल भी सकते ह ।
2.4.9 समापन :
कॅ रयर परामश म लाइटं और परामशदाता के म य संबंध का समापन वैयि क परामश के समान बहत बड़ा
मु ा नह है । तथािप, समापन का लाइटं और परामशदाता दोन पर सकारा मक भाव होना चािहए । अि तम
प रणाम प रचचा के मु य िब दु और उपभो ता के तािवत काय का सारांश होना चािहए ।
2.4.10 अनुवत चरण :
परामशदाता के साथ अि तम स तक पहँचकर लाइटं ाय: यह महससू करते ह िक अब वे आगे बढ़ने क
ि थित म आ चक
ु े है । तथािप, िफर से पुराने पैटन पर लौट जाने का खतरा सदैव बना रहता है । उपभो ताओ ं को
अपनी काय योजना को यवहार म लाने के िलए े रत करने व समथन देने के िलए कई तकनीक का योग िकया
जा सकता है । इनम मरण-प , समथन नेटवक का िनमाण, अनवु त बैठक का आयोजन और गित िदखाई देने
पर पुर कृ त करना आिद सि मिलत ह ।
व-जाँच अ यास-2
कॅ रयर परामश के
2.5
येक चरण का सं ेप म वणन क िजए। (लगभग 5 पिं याँ येक के िलए )
कॅ रयर परामश के उपकरण एवं तकनीक
से शन 2.4 म, अाप कॅ रयर परामश के िविवध चरण से अवगत हए । इस ि या के दौरान कॅ रयर परामशदाता
ारा िविवध सामा य तथा ि या अिभमख
ु कौशल योग म लाए गए । जैसा आपने देखा िक ारंिभक चरण
44
जैसे छानबीन, प टीकरण और अनबु धं न सामा य सं ेषण कौशल पर िनभर करते ह , खोज-बीन, अ त ि
िनमाण, िनणय लेना आिद म वे ि याएं और ह त ेप (म य थता ) अिधक ह जो लाइटं को वयं को जानने,
परामश के ल य वयं तय करने और इन ल य को ा त करने क िदशा म काय करने क ओर ले जाती है ।
बहत सारी, न के वल साधारण बि क िवशेष तकनीक जैसे – गहृ काय असाइनमट (आलेख), परी ण, कॅ रयर
थीम क पहचान, यावसाियक काड सोट, जीवन कॅ रयर आकलन आिद िनदाना मक ल य को ा त करने
और परामश म गित करने म सहायता करते ह ।
आगामी अनु छे द म, आप उन तकनीक के िवषय म अिधक ग भीरता से देखगे जो आमतौर पर योग क
जाती ह ।
2.5.1 गहृ काय द त आलेख (होमवक असाइनमट)
इन द तकाय म वे तैयारी वाले काम शािमल होते ह जो उपभो ता को थम बैठक से पहले करने होते ह और
साथ ही वे काय भी जो िविभ न बैठक के म य मानिसक खोज-बीन और समझ के िलए िकए जाते ह । ये कई
उ े य को परू ा करते ह; जैसे, िविभ न बैठक के म य पल
ु क तरह काय करना, गहन व-खोज बीन के अवसर
के प म और उपभो ता पर वयं िनणय लेने का उ तरदािय व देते हए उसे एक सि य व भागीदारी यु त भिू मका
म रखना । उदाहरण के िलए– जब एक परामशदाता परामश क ि या के दौरान एक उपभो ता को उसके
छोटे या बड़े ल य तक पहँचने मे सहायता कर रहा होता है, िनणय लेने का अि तम दािय व वयं उपभो ता
का ही होता है । अ यास और द त आलेख म लोग से िमलना और उनक भिू मकाओ ं व उ तरदािय व को
समझना, कॅ रयर सािह य पढ़ना, व- जाग कता अ यास, जैसे – अपनी सपं दा का व-आकलन, सािथय व
बड़ से ितपुि और अ यास, म कौन हँ, मेरी मजबूितयाँ व कमजो रयाँ या ह ? आिद सि मिलत हो सकते ह।
संवेदनशीलता अ यास जैसे ऑख
ं बंद करके भावी कॅ रयर क क पना करना इन कॅ रयर से जड़ु ी भावनाओ ं के
ित जाग कता उ प न करे गा और यानपवू क िनणय लेने के िलए सा यता उपल ध कराएगा ।
2.5.2 मनोवै ािनक परी ण व
नाविलयाँ –
परी ण परामश ि या के अगं भतू भाग ह । मनोवै ािनक परी ण व नाविलय का उिचत समय पर
व सवं ेदनशील योग कॅ रयर परामश क ि या को साथक प से भािवत करते ह । नाविलयाँ और
चैकिल ट परामशदाता और लाइटं के म य सवं ाद क परे खा उपल ध कराती ह । लाइटं अपने अनेक
वैयि क गणु क जाँच ारा व- य ीकरण म स म होता है और व के िवषय म अिधक आ मिव वास
पणू कथन तुत करने म स म हो जाता है । परी ण के प रणाम भी लाइटं के भीतर नई अ त ि उ प न कर
सकते ह और सवािधक मह वपणू मब , यवि थत और िव ततृ परी ण से िविभ न साथक े म ा त
प रणाम का लाइटं को मदद करने म योग िकया जा सकता है िजससे वे िविभ न े म अपनी मजबिू तय
व कमजो रय का तल
ु ना मक अ ययन कर सक ।
तथािप, यह अिनवाय है िक िकसी भी परी ण तथा योग को िकए जाने से पवू उस परी ण के एवं उसके
प रणाम के सबं ंध म लाइटं के सम त िमथ,शक
ं ाओ ं और गलत धारणाओ ं को प ट कर िलया जाए (जैसा
िक िव तार से माडयल
ू 6 क यिू नट 3 म चचा क गई है ) यहाँ आप िविभ न कार के परी ण क एक झलक
देखगे ।
45
बिु परी ण– वैि क बिु मता का मापन, और कई आयाम और िविश ट द ताओ ं क मा ा का माप
उपल ध कराते ह ।
अिभविृ परी ण– िविश ट मता या झान के िवषय म पृथक आंकडे/ अंक उपल ध कराते ह । अिभवृि
परी ण ारा मापे जाने वाले िविश ट े म अमतू , वािचक, आिं कक, यांि क तकना (मेकेिनकल रीजिनंग),
िदक् संबंध ( पेस रलेशन), संगीितक अिभवृि , िलिपक गित व शु ता, भाषा योग आिद सि मिलत ह । िकसी
यि के परी ण आधा रत दशन क तुलना उसके ारा य त मजबिू तय व कमजो रय से क जाती है ।
अिभ िच, मू य एवं यि व सबं ध
ं ी
नाविलयाँ –
नाविलयाँ व-आक
ं लन हेतु अवसर उपल ध कराती ह । ये संरचना मक सा ा कार अनसु ूची के प म
भी काम आते ह । नाविलयाँ अ यथ को कुछ सू भी दे सकती ह िजनसे वे अपने कॅ रयर को आकार दे
सकते ह या वे िकस तरह के काम म पस द करते ह । कई कार क यावसाियक अिभ िच नाविलयाँ जो
िविभ न कॅ रयर िवक प िस ा त पर आधा रत ह, ा त ह; जैसे– हॉलड क िस स पसनेिलटी टाइपस् एंड
मॉडल एनवायरनमट क प रचचा कॅ रयर िवकास मॉडयल
ू 4 क यिू नट म क गई । इस कार क नाविलय
क वृि सामा यत: ासिमक (नॉरमेिटव) होती ह, अथात वे लाइटं के अंक क एक सामा य और िवशेष
जनसं या से तुलना करते ह । (अिभ िच, अिभवृि एवं यि व आकंलन पर चचा मॉडयल
ू 13 क यूिनट 1
म क गई है) ।
यि व या वैयि क गुण पर के ि त नाविलयाँ िविवध आयाम को स बोिधत करती ह; जैसे बिहमखता
ु
– अ तरमुखता, क पनाशील – यावहा रक अािद । यि व के गुण के आकलन हेतु परी ण जैसे कै टेल का
16 पी.एफ. टै ट, Eysenck क यि व प रसचू ी,मरे का ासंिगक बोध परी ण (TAT), आलपोट वनन का
मू य अ ययन आिद का भी योग िकया जा सकता है । (मॉडयल
ू 13 क इकाई-2 म विणत है )
य िप परी ण कॅ रयर परामश के िलए बहत मह वपणू सूचनाएं उपल ध कराते ह और पूव ि या
के अंगभतू प म होते ह, इनका योग अ य त सतकता-पूवक िकया जाना चािहए । परी ण
क या या पर अ यिधक जोर लाइटं म िनि यता को बढ़ाता है । साथ ही परी ण का चयन
भी अ य त सावधानीपवू क करना चािहए, ऐसा करते समय उनके मनोिमतीय गणु के साथ-साथ
लाइटं क आव यकताओ ं का भी यान रखा जाना चािहए । एक बार परी ण सचं ािलत कर लेने के बाद, उसके
उ च एवं िन न अंक को बताने म सावधानी रखनी चािहए । इसम परामशदाता के वैयि क प पात के िलए
कोई थान नह होना चािहए ।
................................................................................................
गितिविध -2
व- जाग कता पर न क एक प रसचू ी तैयार क िजए िजसका उ तर आपके ारा िदया जाना है । पाठ्यपु तक
या दसू रे सदं भ साम ी यिद कोई ह, तो इसक िवषय व तु क आव यकताओ ं सिहत ऐसी ही अ य प रसचू ी
से ॉस चैक (पनु :जाँच) कर ल ।तब अपने दशन को प रसचू ी के सदं भ म पाँच िब दु मापनी पर मू यािं कत
क िजए ।
46
2.5.3 मॉक (बनावटी) सा ा कार/भूिमका िनवहन –
यह एक शि शाली उपकरण है और यह तब उपयोगी होता है जब एक अ यथ सा ा कार क तैयारी करना
चाहता है या यह जानना चाहता है िक वह सा ा कार म असफल य हो रहा है । यह उपभो ता को इि छत
कार का (िसमलेटेड) अनुकरणीय अनभु व देने के िलए भी योग िकया जाता है । जैसे लोग के साथ काम
करना, सामािजक संकट से िनपटना आिद । अ यथ अित आ म िव वासी, कम आ मिव वासी या अपनी
मताओ ं को यून आकिलत/ अित आकिलत कर सकता है । भिू मका िनवाह उसे एक वा तिवक िच उपल ध
कराएगा ।
इस उपकरण क िवल ण िवशेषता यह है िक यह लाइटं को उन ि थितय को अनक
ु रणीरय ि थितय म वही
अनभु व उपल ध कराता है िजसका उसे सामना करना है । इस ि या म वह अपने वा तिवक यवहार को
परामश के सामने और खदु पर भी कट कर देता है । भूिमका िनवाह/मॉक सा ा कार के दौरान ृ य व वीिडयो
रकािडग भी क जाती है और इसका उपयोग लाइटं को ितपिु देने के िलए िकया जाता है ।
2.5.4 क यूटर सहाियत मागदशन णािलयाँ (CAGS)
एक क यटू र सहाियत मागदशन णाली (CAGS) क यटू र ारा पहँचाई जाने वाली गितिविधय का एक
समु य है, जो कॅ रयर योजना बनाने म सहायता करने के िलए िवकिसत िकया गया है । CAGS ारा (ऑफर,
1997) पू रत िकए जाने वाले िविवध काय म व-आकलन , यि य का यवसाय से िमलान, सचू नाओ ं क
पनु र ाि , खेल एवं अनुकरण, िनणय म सहायता, डेिडके टेड वड ोसेसर, क यूटर आधा रत िश ण और
मनोिमती परी ण ह । ऐसे क यटू र सहाियत मागदशन णाली के उदाहरण ह – कॅ रयर िब डर (य.ू के .) और
ो पे ट लानर । ये णािलयाँ मू य का यवसाय के संदभ म वग करण उपल ध कराती ह ।
CAGS उन ि थितय म िवशेष लाभ द है जब अ यथ वयं के िवषय म बोलने/बताने म किठनाई महससू
करते ह या अपनी आव यकताओ ं के ित अिनि त होते ह । या जब वे भिव य के िवषय म अवा तिवक
िवचार और काम क दिु नया के बारे म सीिमत जानकारी रखते ह । ऐसी णाली लाइटं को ि थितय के सापे
व तिु न ठ और यवि थत/ मब व-आकलन म सहायता देती है ।
2.5.5 यावसाियक जानका रयाँ अ छे कॅ रयर िनणय लेने के िलए लाइटं को िश ा व िश ण अवसर म िवक प संबंिधत कॅ रयर िवक प ,
जॉब के अवसर , संगठन म कॅ रयर के िवकास पथ, पर परागत कॅ रयर के िवक प आिद जानका रय क
आव यकता होती है; य िक येक उपल ध कोस के िवषय म जानना संभव नह है । कॅ रयर परामशदाता उ ह
िश ण व शैि क अवसर के कार से प रिचत करा सकता है । कई बार लाइटं को जानका रय के ाथिमक
ोत जैसे कामगार या िनयो ता के पास भेजने क ज रत होती है, जो लाइटं के पास पवू से ही िव मान ह ।
कॅ रयर सबं धं ी जानका रयाँ इ टरनेट से भी ा त क जा सकती ह । परामशदाता ऐसी जानका रय को अनेक
अ य ोत जैसे ि टं मीिडया, ऑिडयो/ वीिडयो िफ म , कॉ पे ट िडश, कै सेट आिद से भी ा त कर सकते
ह । िक तु जानका रय को अ तन करते रहना और उनका पनु रावलोकन समय- समय पर करते रहना होता है ।
कॅ रयर जानका रय पर दसू रे मॉड्यूल म कई इकाईयाँ इन िविधय क या या पर मौजदू ह ।
47
2.5.6 जीवन कॅ रयर थीम क पहचान व िव लेषण
कॅ रयर परामश क नई वृि याँ कॅ रयर िवकास के यय को कॅ रयर चयन ि या क ि से समझा जाने
लगा है । यह यय जीवन कॅ रयर िवकास पर आधा रत है जो पूरे जीवन िव तार म एक यि के जीवन क
िविभ न भिू मकाओ,ं ि थितय और घटनाओ ं के समावेश के ारा उसके वयं के िवकास को मह व देता है ।
कॅ रयर परामश क ि या िवकास के ि त होती है िजसम कॅ रयर परामशदाता न के वल एक यि को उपल ध
यवसाय से िमलाता है बि क यि ारा जीवन के काय का सामना करने के िलए अिजत िविभ न झान
और द ताओ ं को भी समझता है ।अत: यह आव यक है िक एक यि के व के िवषय म य ीकरण और
दिु नया व उससे संबंिधत जीवन संग (थीम), जो उसके कॅ रयर संबंधी िनणय लेने को भािवत करती ह, को भी
समझा जाए । यह िकसी यि के जीवन कॅ रयर सगं (थीम) क पहचान करने के ारा ही सभं व हो सकता है ।
‘ जीवन कॅ रयर सगं (थीम)’ वे ह जो लाइटं वयं से वयं के , दसू र के और अपनी दिु नया, िजसम वह रहता
है, के बारे म बताता है और वह भाषा िजसका चयन वह अपने ि कोण को बताने को करता है । जीवन कॅ रयर
संग परामशदाता के िलए लाइटं क जानका रय को समझने व या या करने के िलए िनणायक मा यम ह ।
ये संग उन बहत सी भिू मकाओ ं और काय से उ प न होते ह िज ह एक यि िन पािदत करने के िलए चयिनत
करता है । मॉड्यल
ू 4 क यिू नट 3 म जीवन कॅ रयर को िव तार से प रभािषत व सिच प ट िकया जा चक
ु ा
है । मु य संग क पहचान के िलए परामशदाता लाइटं के व- ितिब ब संबंधी अिभ यि य क या या
करके वरीयता/पसंदगी और कुछ कार के यवहार के प म दिशत करता है । एक संरचना (गे बस और मरे ,
1987) पहचान और जीवन म बनी भिू मकाओ ं क या या और मॉडल कॅ रयर थीम, जैसी एक लाइटं ारा
अिभ य त क गई, तािलका 2.1 म ततु क जा रही है; जो लाइटं ारा ततु क गई जानका रय क खोज
बीन व या या करने के िलए मागदशक के प म योग क जा सकती है ।
तािलका 2.1 सझ
ु ावा मक मॉडल (गे बस एवं मरे, 1987)
जीवन भूिमका
मॉडल
मजदरू /कायकता
आक
ं डे-िवचार – यि -व तएु ँ
यावसाियक यि व व काम का वातावरण/प रवेश
अिधगमकता
अिधगमकता क शैिलयाँ
सीखने क शैिलयाँ
वैयि क
जीवन- शैली
आस-पास क ि यािविध
48
इस परे खा क सिं त या या 6 मॉडल का उपयोग करती है और उ ह जीवन कॅ रयर सगं पर कै से लागू कर,
क या या कायकता भिू मका, अिधगमकता भिू मका और वैयि क भिू मका शीषक के अ तगत क गई है ।
2.5.7 कायकता भूिमका :
आकंडे-िवचार-लोग-व तुएँ : ि िडजर (Prediger) (1976) के अनसु ार – ‘वे आयाम िजनके आधार पर
एक लाइटं क कायकता क भूिमका क या या क जाती है, का सरोकार इससे है िक वह आंकडे या िवचार
या यि या चीज के साथ काम करने को ाथिमकता देता है । काम के ये आयाम आक
ं डे बनाम िवचार और
व तु बनाम यि यवसाय और िचय के िव लेषण के ाथिमक आयाम ह ।
अब हम इ ह कुछ अिधक समझने का यास करते ह ।
• आंकड़े – त य, अिभलेख, फाइल (प जात), समहू (नंबर) यि य ारा अिजत व तुओ/ं सेवाओ ं के
उपभोग के िलए यवि थत ि या ह । आंकड़ के काम के अ तगत त य का अिभलेखीकरण, स यापन,
संचारण ( ेषण) तथा संगठन सि मिलत है या व तुओ ं और सेवाओ ं का ितिनिध व करने वाले आकंडे
सि मिलत ह । इस कार के काय खरीद-फराे त एजट, एकाउ टे ट (लेखाकार), हवाई यातायात िनयं क
(एयर ैिफक कॉ ोलर) ारा िकए जाते ह ।
• िवचार – अमतू न, िस ा त, ान, अ त ि और िकसी चीज को य त करने के नए तरीके , उदाहरणाथ
श द म, समीकरण म या सगं ीत आिद, िवचार कहे जा सकते ह । िवचार वाले काय म अ त:वैयि क
ि याएं जैसे रचना करना, खोज करना, या या करना, सं लेषण और अमतू न या अमूतन काे यवहार म
कायाि वत करना सि मिलत ह । वै ािनक, सगं ीत और दाशिनक मु यत: िवचार के साथ काम करते ह ।
• यि – यि काय म सामा यत: अ तरवैयि क ि याएं यथा मानव यवहार म प रवतन लाने के
िलए सहायता करना, सेवा करना, सहमत करना, मनोरंजन करना, े रत करना और िनदेिशत करना आिद
सि मिलत ह । यवसाय जैसे िश क, िव े ता, नस आिद का काय मु यत: यि आधा रत है ।
• व तएु ँ – (मशीन, मेकेिन म (यं रचना), उपकरण, भौितक व जैिवक ि याएँ) ऐसे काय म वैयि क
ि याएं जैसे उ पादन करना, प रवहन करना, सेवा देना और मर मत करना आिद सि मिलत ह । राजगीर,
िकसान, अिभय ता (इजं ीिनयर) आिद मु यत: व तओ
ु ं से काम करते ह । िन नािं कत उदाहरण सगं
िव लेषण का अनु योग काय-टा क उपागम का योग दिशत करते ह ।
49
लाइटं का व त य
अंगभूत
वणन
संग कथन
मेरे सारे दो त सहायता के िलए
मेरे पास आते ह । म उनसे बात
करता हँ और उ ह े रत करता
हँ ।
यि
परामश देना और दसू र क सहायता करना; दसू र को
भािवत करना ।
म नए और अलग यि य से
िमलना पस द करता हँ ।
यि
यि के बारे म अिधकािधक जानना पस द करते ह,
सामािजकता पस द करते ह ।
म अपनी कार को सभं ाल सकता
हँ, उसका तेल बदल सकता हँ,
टायर बदल सकता हँ ।
व तऍु ं
(यािं क काय) भौितक चीज करना पस द करते ह ।
म चीज क मर मत घर पर
वयं कर लेता हँ ।
व तऍु ं
मर मत करना, भौितक काम संभालना पस द करते ह,
अपनी मताओ ं के ित जाग क ह ।
मझु े भाषाएँ, इितहास, भगू ोल
पस द ह जो मझु े जीवन के
िवषय म िचंतन देते ह, ऐसी
पु तक पढ़ना अ छा लगता है ।
िवचार
खोज करना पस द है, िच तक है, सौ दय बोध है ।
म अपने जीवन और घर म
यि य को कुशलतापवू क
यवि थत कर सकता हँ ।
यि
सबं धं / र त का आन द लेते ह, यि य क देख रे ख
करने क मता के ित जाग क ह ।
म अपने घर या अपने कमरे को
सजा सकता हँ ।
िवचार
ि थितय का योग वयं को अिभ य त करने के िलए
करता है ।
................................................................................................
50
गितिविध 3
अपने िव ािथय से पछू िक ाय: वे या करना पस द करते ह और िफर उनके कथन को आंकड़े, िवचार, यि
और व तु के प म वग कृ त कर ।
..............................................................................................
यावसाियक, यि व और काय का वातावरण :
संग िव लेषण क काय-टा क उपागम के िलए हॉलड (1985) क यावसाियक वग करण यि व का
वग करण और काय का वातावरण दसू री मह वपूण परे खा है जो िव तृत प से यु त होती है ।
हॉलड के श द म ''एक यवसाय का चयन एक अिभ यि परक काय है जो यि क ेरणा, ान, यि व
और मताओ ं को ितिवि बत करता है । यवसाय जीवन के तरीके और वातावरण का ितिनिध व करता
है । बजाए िक अलग अलग काय ि थित क ि याओ ं या कौशल के '' (मॉड्यल
ू 4 क यिू नट 2का संदभ भी ल )
हॉलड यि त व को 6 कार और वातावरण को 6 वातावरण म वग कृ त करता है । ये ह – वा तिवक/यथाथ
( R ) खोज सबं धं ी (I) कला मक (A) सामािजक (S) उ मी (E)पार प रक (C) । नीचे िदए गए िववरण म
येक कार का एक श दिच ख चा गया है । येक पर एक ि डािलए –
वा तिवक ( R ) कार वाले ाय: यांि क और िखलाड़ी होते ह, ये बाहर काम करना और उपकरण और
मशीन के साथ काम करना पस द करते ह । ‘R’ कार के लोग यि य के बजाए व तओ
ु ं के साथ काम
करने को ाथिमकता देते ह । ‘R’ टाइप को ाय: अनक
ु ू िलत, प टवादी, वा तिवक (िवशु ) , न (िवनीत),
शालीन, यावहा रक, वाभािवक, ढ़ और िमत ययी के प म विणत िकया जाता है ।
एक वा तिवक वातावरण वह है िजसम हाथ के योग और चीज म ह तकौशल म सफलता को ो सािहत व
परु कृ त िकया जाता है । यह एक मतू (वा तिवक) और पवू ानमु ान लगा पाने वाली दिु नया है, जो धन, वािम व
और शि को ितदान और मह व देती है ।
वा तिवक (यथाथ) कार के यि यथाथ कॅ रयर को ाथिमकता देते ह यथा – यांि क अिभय ता, उ पादन
योजनाकार, भवन िनरी क, सरु ा अिभय ता, समु ी सव णकता, इसके कुछ उदाहरण ह ।
खोजकता (I) कार म ाय: गिणतीय व वै ािनक मताओ ं क धानता/ बलता होती है । ये अके ले
काम करना, शोध करना व सम या समाधान करने म आन द लेते ह । I कार के लोग ाय: व तु या यि य
के बजाए िवचार के साथ काम करने को ाथिमकता देते ह । वे िव लेषणकता, िज ास,ु सु यवि थत, िववेक ,
सतक, वावल बी, सिु नि त, घु ने ( खे), जिटल, बौि क और शालीन होते ह ।
खोजी वातावरण वह है जहाँ बिु के योग और अमतू के साथ काम को ो साहन और ितदान/परु कार िदया
जाता है । यह एक अवलोकन करने, खोज-बीन करने व िस ा त ितपािदत करने वाली दिु नया है िजसम ित ठा
और वीकृ ित को मू य व मह व िदया जाता है ।
51
खोज-बीन कार के यि इसी कार के कॅ रयर को ाथिमकता देते ह यथा जीव रसायन , दतं सश
ं ोधक,
मानव िव ानी, अथशा ी, शोधकता और ब धन िव लेषक । (बॉयोके िम ट, आथ डोि ट ट, ए ोपोलोिज ट,
इकोनोिम ट, रसचर और मेनेजमट एनािल ट) ।
कला मक : (A) कार के लोग के पास कला मक कौशल होते ह । ये रचना मक ि या मक काय पस द करते
ह और क पनाशील होते ह । ए कार के लोग ाय: व तओ
ु ं क अपे ा िवचार पर काम करना पस द करते
ह । वे खल
ु े, क पनाशील, मौिलक, अ त ानी, भावक
ु , वावल बी, आदशवादी और अपर परागत होते ह ।
एक कला मक वातावरण वह है जो उपरो त विणत मू य को ो सािहत और परु कृत करता है ।यह अमतू ,
सु िचपणू और मौिलक जगत है । इसके ितदान ह– वीकृित, ित ठा और अपनी राह वयं बनाने क
उ तरो तर वतं ता।
कला मक यि कला मक कॅ रयर को ाथिमकता देते ह, यथा वा तक
ु ार, िव ापन लेखन, तकनीक स पादक,
कथा स पादक, संगीतकार (रचियता), मंच िनदेशक, आ त रक स जाकार, वािणि यक पकार (आिकटे ट,
कॉपी राइटर, टे नीकल एडीटर, टोरी एडीटर, क पोजर, टेज डायरे टर, इ टी रयर डेकोरे टर, कॉमिशयल
िडजाइनर)
सामािजक (S) कार म ाय: सामािजक कौशल िव मान होते ह । इनक िच मानव सबं धं क ओर होती
है और इ ह दसू र क सहायता करना और सम या सामाधान करना पस द होता है । (S) कार के लोग व तओ
ु ं
के बजाए यि य के साथ काम करना पस द करते ह । इस कार के यि य का वणन िव वसनीय, गमजोश,
सहयोगी, आदशवादी, िमलनसार (सामािजक) यवहार कुशल, िम तापणू , उदार,संवेदनशील, दयाल,ु धैयवान
और समझदार के प म िकया जाता है ।
सामािजक प रवेश वह है जो ऊपर विणत मू य को बढ़ावा देता है और सामािजक गितिविधय को बढ़ावा देने
क ओर अ सर होता है । यह यि य और संबंध क दिु नया है जो ाय: प रवितत होती रहती है, और यह
सामािजक कौशल और दसू रे म प रवतन लाने क मता काे मू य दान करती है । यह पहचान और सािथय
तथा उन लोग से िज ह पढ़ाया और सहायता क जा रही है , से अनमु ोदन को परु कृत करने को बढ़ावा देता है ।
सामािजक यि सामािजक कॅ रयर पस द करते ह जैसे – िश क, नैदािनक मनोवै ािनक, कािमक यव थापक,
काननू ी सहायक, वाणी िचिक सक आिद (टीचर, लीिनकल साइकलोिज ट, पस नेल मैनेजर, लीगल
अिससटे ट, पीच थॅरेिप ट)
उ मी (E) कार के लोग ाय: नेतृ व और भाषण मतायु त होते ह और आिथक और राजनीित म
िच रखते ह और भािवत करना पस द करते ह । इस कार के लोग व तुओ ं के बजाए यि और िवचार
के साथ काम करना पस द करते ह । (E) कार के लोग का वणन साहसी, ओज वी (कमठ), आशावादी,
समझौतावादी, बिहमखी,
ु लोकि य, सामािजक, आ मिव वासी और मह वाकां ी के प म िकया जाता है ।
उ मी माहौल वह है िजसम उपरो त विणत को ो सािहत और पुर कृत िकया जाता है । यह सतत प रवतनशील
नई चनु ौितय क दिु नया है िजन पर िवजय पाई जाती है । इसम शाि , ित ठा और धन को मह व िदया व
पुर कृत िकया जाता है ।
52
उ मी यि उ मशील कॅ रयर को ाथिमकता देते ह, जैसे– जन सपं क अिधकारी, िव तीय आयोजनाकार,
भिू म-भवन अिभकता, िव य ितिनिध, शेयर दलाल, अिधव ता आिद । (पि लक रलेशन ऑिफसर,
फाइनेिश यल लानर, रीयल टेट एजट, से स र ेजटेिटव, टॉक ोकर, एटॉन आिद)
पार प रक : (C) कार के लोग सं याओ ं व श द से साथ काय करना पस द करते ह । इस कार के
लोग का वणन अनक
ु ू लन करने वाले, यावहा रक, सावधान, आ ाकारी, िमत ययी, कायकुशल, अनुशािसत,
कत यिन ठ और ढ़/िज ी के प म िकया जाता है ।
पर परागत माहौल वह है जो आंकड़ और उसक या या क सु यवि थत सटीकता को ो सािहत करता
है । यह त य का जगत है जो यावहा रक और ससु गं िठत है, जहाँ िव वसनीयता और िव ततृ जानका रय पर
यान को परु कृत िकया जाता है । ये आिथक सफलता, सपं दा पर अिधकार से ित ठा और सािथय व व र ठ
से पहचान ा त करते ह ।
पर परागत यि पर परागत कॅ रयर को ाथिमकता देते ह जैसे एकाउंटट, बक टैलर, बजट िव लेषक, िबजनेस
ो ामर, लाइ े रयन और सेकेटरी ।
लाइटं के यि व का िनधारण करने के िलए हॉलड का वोके शनल ीफरे स इ वटरी (1977) नामक उपकरण
और सै फ डायरे टेड सच (1979) का उपयोग िकया जा सकता है । य िक बहत कम यि य को िकसी एक
कार म वग कृत िकया जा सकता है । अत: ये उपकरण एक तीन वण कोड दान करते ह, जो लाइटं क बल
कार के यि व को अिभ य त करते ह । एक यि िजसका कोड IES हो बताता है िक उसम है खोज कार
क सा यता अिधक है और उ मी और सामािजक कार कम मा ा म है ।
हॉलड ने, अनभु वज य अ ययन के आधार पर 6 कार/ वातावरण को एक षट्कोण पर थािपत िकया िजसे
RIASEC, िव यास से िदखाया, जहाँ एक दसू रे के सि नकट कार/वातावरण एक दसू रे से सवािधक िमलते
जुलते ह और कार/वातावरण जो एक दसू रे के सबसे कम समान ह ।
2.5.8 अिधगमकता क भिू मका :
अिधगमकता क शैिलयाँ – (कॉ ब)
लाइटं के जीवन म संग क तलाश के एक अ य िस ा त को उन तरीक से समझा जा सकता है िजनके
ारा यि सचू नाओ ं को समझते (का य ीकरण करते) ह और उन पर ि या करते ह । कॉ ब (1976) ने
ऐसी अिधगम शैिलय को समझने के िलए एक मॉडल िवकिसत िकया । इस मॉडल म को ब ने य ीकरण
और ि या दोन को सात य म, य ीकरण को मतू से लेकर अमतू अवधारणा िनमाण तक और ि या
को सि य योग (एि टव ए सपरीमटेशन) से िवचारपणू अवलोकन ( रफे ि टव ओबजरवेशन) तक दशाया ।
िदन ितिदन क िनणय लेने क ि या म अिधगम िविधय का योग होता है । ये एक आयाम म संवेदी या
भावना (सेसरी या फ िलंग) से िवचार करने (िथिकंग) तक िव तार पाती है और दसू रे आयाम म करने (डूइगं ) से
अवलोकन (वािचंग) तक िव तार पाती ह । को ब इन अिधगम शैिलय के साथ यि क िवशेषताओ ं का भी
वणन करता है । वह इन िवशेषताओ ं को चार क म रखता है, जो ह –
53
• समायोजी - आ मसाती
(एकोमोडेटर) – (एसीिमलेटर)
• अिभसा रत - अपसारी
(कनवजर) – (डाइवजर)
जैसा िक िच 2.2 म देखा जा सकता है, इनम से येक शैली, उदाहरणाथ, कनवजर, कम से कम एक कार
का य ीकरण (जैसे मतू अनभु व) और एक कार क ि या (जैसे सि य योग) का सयं ोजन (कॉि बनेशन)
रखता है, दोन ही एक दसू रे के सल
ं न है ।
अब हम इन सीखने क शैिलय से यु त यि य क िवशेषताओ ं को देखते ह ।
अिभसा रत बल अिधगम मताओ ं म अमतू अवधारणाओ ं का िनमाण (AC – ए स े ट कॉ स चल
ु ाइजेशन)
और सि य योग (AE – एकि टव ए सपे रमटेशन) शािमल ह । आिभसा रत बल यि य क मजबूती
िवचार का यावहा रक उपयोग करना है । उनक अिधगम शैली उनके ान आधार को संगिठत करने के िलए
इस कार पवू वतृ करती है जो प रक पना मक – िनगमना मक (हॉइपोथेिटक – िडडि टव) तक शि को
बढ़ाती है और उ ह सम या िवशेष पर के ि त करने म सहायता करती ह । अिभसा रत यि यावहा रक होते
ह, और यि य क अपे ा व तओ
ु ं के साथ काम करने को ाथिमकता देते ह । सीिमत िचयाँ रखते ह और
भौितक िव ान को पस द करते ह जैसे इ जीिनय रंग, टे नोलोजी और पेस रसच आिद । (अिभयािं क ,
तकनीक , अ त र शोध आिद )
अपसारी (डाइवजस) के सीखने क शि याँ मूत अनभु व (कं ट ए सीिप रएंस) (CE) और िच तनशील
अवलोकन ( रफलेि टव आ जबशन) (RO) ह । इनक मजबतू ी इनक क पनाशीलता और स पणू ता म
ि पात कर पाने क मता है । अपसारी इस प रि थित म अिधक सहज होते ह जहाँ िकसी सम या के समाधान
के िलए कई कार के िवचार को उ प न करने क आव यकता होती है । ये यि य के साथ रहना पस द
करते ह । और सजृ ना मक व भावक
ु होतेक ह । इनक िविवध िचयॉं होती ह और ाय: ये लोग कलाओ ं म
िविश टता ा त करते ह । परामशदाता, मानव ससं ाधन िवकास यव थापक और कािमक यव थापक इसी
कार क सीखने क शैिलय क िवशेषताओ ं से यु त होते ह ।
मतू अनुभव (संवेदीभावना
सि य योग (करना)
अिभसा रत (कनवजर)
िवचारशील अवलोकन
आ मसाती (एिसिमलेटर)
अमतू अवधारणा का िनमाण
(िवचार)
िच 2.2
54
आ मसाती (एिसिमलेटर) क सीखने क ाथिमक मताएं अमतू अवधारणा का िनमाण (AC) और
िवचारशील अवलोकन (RO) है । इ ह सै ाि तक मॉडल क रचना करने, िववेचना मक तक म और पर पर
असंब अवलोकन को अथपूण या या म बदलने म उ कृ टता ा त होती है । ये अमतू अवधारणाओ ं के
साथ अिधक सहज होते ह और इन िस ा त के यावहा रक योग के ित अिधक बल नह देते । इस कार
क अिधगम शैली वाले यि य का झान िव ान, गिणत, शोध और योजना जैसे िवभाग क ओर होता है ।
समायोजी (एकोमोडेटर) क मजबतू ी मतू अनभु व (CE) और सि य योग (AE) ह । ये योग करने, योजना
बनाने म बहत अ छे होते ह और नए अनभु व हण करने को तैयार रहते ह । ये जोिखम उठाने वाले होते ह और
तरु त उ प न प रि थितय को समझने/सामना करने क मता रखते ह । यिद कोई योजना या िस ा त त य के
अनक
ु ू ल नह होता तो उसे तरु त छोड़ देते ह । ये िकसी भी सम या का समाधान सहज ान या अ त ान, और
यास एवं िु ट िविध से करते ह । वे जानका रय के िलए दसू रे यि य पर िव वास करते ह और उनके बीच
रहना पस द करते ह । य िप कभी-कभी वे बहत आ ामक और मह वाकां ी तीत होते ह ।इस कार क
अिधगम शैली वाले यि ि या-उ मुख कार के काय जैसे माकिटंग और से स म होते ह ।
को ब (1976) ने व-वणना मक इ व ी िवकिसत क जो लिनग टाइल इ व ी (अिधगम शैली इ व ी)
कहलाती है, िजसका अिधगम शैिलय को मापने हेतु ऊपर विणत योग िकया जाता है ।
कॅ रयर परामश के िलए लाइटं क अिधगम शैली को समझने के िलए योग करने हेतु अ य मॉडल भी उपल ध
ह; जैसे– के न फ ड 1977, वू फ ए ड कॉ ब, 1980 ।
2.5.9 वैयि क भूिमका
जीवन-शैली (एडलर)
वैयि क भिू मका प र े य का योग जीवन शैली और यि व के कार उपागम का उपयोग बहत सारे
मनोवै ािनक ारा िकया गया है । एडलर का वैयि क मनोिव ान का सं यय भी सभी लोग जानते ह । जैसा
गे बस व मरे (1987) ने कहा है, जीवन शैली का िनमाण एक यि के उन िस ा त के आधार पर होता है जो
वे अपने वातावरण के ित ाथिमक िति या करते हए िवकिसत करते ह । ये ाथिमकताएँ ही सामा य िवकास
के दौरान आदत , िचय और कौशल म िवकिसत हो जाती ह । आ म समझ, जो िक अपनी वैयि क जीवन
शैली क समझ के प रणाम व प ा त होती है, अपनी कॅ रयर योजना बनाने और िनणय लेने म, और यि
के जीवन क अ य घटनाओ ं और संबंध का सामना करने म सहायक होती है । परे खा उन संग तक पहँचने
म मदद करती है िजसके अनसु ार हम अपना जीवन जीते ह; जैसे– हमारे िवचार, य ीकरण और हमारे काय ।
एडलर काय, समाज और से स को यि के जीवन के तीन मु य काय के प म सचू ीब करता है । सम याओ ं
का समाधान और जीवन के इन काय से िनपटना एक जीवन भर क ि या है । ये तीन आपस म जटु े हए ह
और इनम से िकसी भी एक े म सम या दसू रे अ य दो े म भी सम या उ प न कर देती है ।
इन जीवन काय क सम याओ ं के िलए यि कै से िति या करता है, यह इस बात पर िनभर करता है िक
वे या जीवन ि रखते ह और प रवेश म अपना थान बनाने के िलए या यास करते ह । एक यि क
जीवन क सम याओ ं के ित आधारभतू जीवन ि (ए ोच/उपागम) को समझना और अ दर मौजदू संगतता
55
के साथ- साथ िवरोध को देखने म सहायता करने से व-धारणा को प ट करने और व-समझ ा त करने म
सहायता िमलती है ।
एडलर का आधार वा य है िक प रवार समाज क सबसे छोटी इकाई होने के कारण समाज का एक लघ-ु ाडं
है । यह वह थान है, जहाँ एक यि का यि व िनमाण होता है । इस परे खा ( े मवक) म यि व का
मू यांकन यि के सामािजक वातावरण क या या ारा िकया जाता है, उसका प रवार कौन है ( या/कै सा)
और उसक इसके ित या ितिकया है । प रवार का येक सद य प रवार के अ य सद य पर भाव डालता
है और उनसे भािवत भी होता है । प रवार के सम त सद य अपने िलए एक पृथक थान बना लेते ह । वे एक
समान प रि थित को अलग-अलग तरह से महससू करते ह और अलग-अलग तरह से िति या य त करते
ह । येक सद य के प रवार के भीतर के ा त अनुभव प रवार के बाहर क दिु नया को महससू करने, या या
करने और आंकलन करने के िलए संदभ का ढाँचा तय करते ह । एक यि ारा प रवार के अ तगत अिजत
िकया गया ान, आदत और कौशल, बाहरी ि थितय से जूझने क मता को और सामना करने क मता
के योग क यं रचना का िनधारण करते ह । इसम सहयोग करने वाला मह वपणू कारक प रवार म ब चे क
ि थित है । प रवार म ब चे का ज म- म सामा य प से जीवन के ित यवहार का िनमाण करने म सहयोग
करता है । इस कार यि का अपने भाई-बिहन के प र े य म उसका म भी उसके यि व के आयाम को
तय करता है । उदाहरण के िलए, एकल ब चा प रवार म आकषण का के और मु य थान ा त करता है, या
वह प रवार म बड़ पर अित िनभर हो जाता है । बीच वाले ब चे के िलए उस ब चे के समान आने क चनु ौती
हो सकती है, जो दीघ अविध तक अके ला ब चा होने का यार पाता और लाभ उठाता रहा है । ज म म का
भाव कॅ रयर िनणय पर पड़ने के संबंध म शोध हो चक
ु े ह, उदाहरण के िलए, ाडले (1982), िजसने दोन के
म य धना मक सह-संबंध पाया । जीवन शैिलय को समझने का एक अ य तरीका (एक यि के काय करने,
िवचार करने और अनुभव करने के तरीके ) और इसिलए वे थीमस ( संग) िजनके आधार पर एक यि जीता
है, वे यि के यवहार के तरीके को देखना है । गे बर और मरे (1987) ने जीवन शैली क कुछ थीम ततु क
जैसे – गॅटर ( ा त करने वाला), क ोलर (िनयं क), िवि टम (पीिड़त), मािटयर (दख
ु ी) इनएिड वेट (अयो य)
आिद, जो लाइटं के यवहार के अवलोकन से ा त हो सकते ह और उस भाषा से भी िजसका योग वे परामश
के सा कार क ि थित म करते ह । अिधक िव तार के िलए कृ पया गे बस ए ड मरे (1987 & 1995) देख ।
................................................................................................
व-आकलन अ यास -3
1. ‘जीवन कॅ रयर थीम’ से आप या समझते है ?
...............................................................................
...............................................................................
2. एडलर के जीवन शैली उपागम का कॅ रयर परामश से य संबं ता है ?
.............................................................................
.............................................................................
................................................................................................
56
जीवन कॅ रयर आकलन (लाइफ कॅ रयर अससेमट’ LCA ) / सरं चना मक सा ा कार अनसु चू ी –
LCA एक संरचना मक सा ा कार तकनीक है जो लाइटं क सम त ि या णाली को िविभ न जीवन
भिू मकाओ ं जैसे – कायकता (मजदरू ), अिधगमकता, और यि गत भूिमका के साथ ही साथ वातावरण से
अपनी शैली म जानका रयाँ एक करने, और जीवन कॅ रयर थीम को उ प न करने को स पणू प से देखने के
िलए अिभकि पत (िडजाइन) क जाती ह । जीवन कॅ रयर थी स् क या या यि य ारा वंय के , दसू र के
तथा दिु नया के िवषय म अिभ य त िवचार , िव वास , झान और मू य के प म क गई थी । L.C.A.
लांइट के साथ एक भयमु त/आशंका मु त और िनणय देने वाली सकारा मक घिन ठता िवकिसत करने म
सहायता करता है ।
L.C.A. िवशद जानकारी सं हण तकनीक हो सकती है, जो लाइटं क मजबिू तय , किमय , ाथिमकताओ,ं
सामना क गई बाधाओ ं के साथ –साथ ल य को िनधा रत करने और उ ह ा त करने संबंधी सुझाव को
उपल ध कराने के िलए जानका रयाँ और कॅ रयर थीम तािवत कर सकती है । स पणू प से, यह लाइटं क
कॅ रयर योजना क मता को उनको अपनी जीवन थीम के बारे म बेहतर समझ ा त करने और अपने ल य के
िवषय म अ त ि बढ़ाकर सहायता करता है ।
लाइटं क जीवन कॅ रयर थीम एल.सी.ए. क सरं चना पर आधािरत सरं चना मक सा ा कार अनसु चू ी के योग
के दौरान उसके सवं ाद और अिभ यि य से (उठाई) ली जाती ह । ि थितय के ित पस दगी /ना-पस दगी,
शैि क पाठ्य म के कार, काय, यि , व तएु ं आिद पर आवत थीम लाइटं के अपने चार ओर प रवार,
िव ालय या काम के साथ सवं ाद करने के तरीक से उ प न होती ह ।
L.C.A. का एक सझु ावा मक ा प नीचे िदया गया है । तथािप, परामशदाता L.C.A को संचािलत करने के िलए
अपनी शैली म ा प िवकिसत कर सकता है । एक सामा य ा प म सि मिलत होता है – कॅ रयर आकलन,
एक िदन क िदनचया, मजबूितयाँ व बाधाएँ और सारांश । अनसु चू ी म मागदिशत चचा हेतु िन निलिखत सू
शािमल हो सकते ह । (1) शैि क उपलि धयाँ और काय के अनुभव (2) िनिहत कौशल और द ताओ ं का
आकलन (3) िचय , मू य और आकां ाओ ं का आकलन (4) लाइटं के व-जाग कता, काम क दिु नया,
अपने िनजी आिथक ससं ाधन के सबं धं म मत । सरं चना मक सा ा कार को यथाशि अथपणू बनाना वािं छत
है । न और जाँच के के म कूल/पाठ्य म, काय के अनभु व, मनोरंजन/शौक आिद के िविभ न ि कोण
और आयाम होने चािहए ।
आगे दी गई अनुसचू ी म जाँच गे बस और मरे (1987) ारा तािवत जाँच खाका और अ य िवचार को िदया
गया है ।
1- काय का अनभु व (अंशकािलक/पणू कािलक, सवैतिनक/अवैतिनक)
• अि तम जॉब
• सबसे पसंद है
• सबसे नापंसद है
}
पयवे ण के कार और तर, परु कार,
भौितक ि थितयाँ, काम क कृित
आिद के बारे म जाँच (खोज-बीन)
57
• अ य जॉब के ित ऐसी ही ि या, यिद हो
2- शैि क या िश ण गित व सरोकार
• सामा य मू य िनधारण – मह वपणू त या मक जानका रयाँ, शैि क/ िश ण पाठ्य म का कार या तर
• सबसे यादा पसदं है
• सबसे नापसदं है
• उपल ध कराई गई जानका रय के िविभ न तर व कार के िलए दोहराएँ ।
3- मनोरंजन
• अवकाश समय क गितिविधयाँ
- सामािजक जीवन (अवकाश समय के सदं भ )
• िम (अवकाश समय के सदं भ म)
तीक िदन / िविश ट िदन
1- िनभर – आ म िनभर
• दसू र पर भरोसा
- िनणय लेने के िलए िकसी और पर जोर डालना
2- सुिनयोिजत – वाभािवक
• ि थर िदनचया
- ढ़ एवं सतक
मजबिू तयाँ और बाधाएँ / अवरोध
1- दो मु य मजबूितयाँ
• संसाधन – व–संसाधन
- लाइटं के िलए या संसाधन ह
2- दो मु य अवरोध
• मजबिू तय से सबं िं घत
- थीम से सबं िं धत
सारांश
1- जीवन थीम पर सहमित
2- लाइटं के िनजी श द का योग कर
3- ल य िनधारण से सबं धं जोड़
58
चचा क िवषय व तु का उपयोग सामा य तौर पर जीवन शैली से सबं ंिधत मह वपणू थीम क पहचान करने के
साथ ही साथ कॅ रयर आकां ाएँ, पस द/नापसदं / ाथिमकताए,ं सीमाए,ं आ ाक
ं ाएँ, भय, मजबिू तयाँ, कमजो रयाँ
आिद को जानने के िलए िकया जाना चािहए । ल य का िनधारण इन थीम और ल य के आधार पर होना चािहए
और इन ल य को ा त करने क रणनीितयाँ इन वैयि क शैिलय से संबंिधत होगी ।
2.6.1. यावसाियक काड सोट :
लाइटं को अपनी जीवन कॅ रयर थीम के िवषय म िच तन और अिभ यि म सहायता करने का दसू रा तरीका
इन जानका रय को यावसाियक शीषक/ उपािधय के साथ काश म लाना है । इसम यवसाय के शीषक,
जॉब म उनके उ तरदािय व, आव यक शैि क यो यताओ ं का योग लाइटं क वयं के , दसू र के या दिु नया
के िवषय म अपनी थीम को छानबीन करने के िलए उ तेिजत करने के िलए िकया जाता है ।
आप एक आॅ यपू ेशनल काड सोट जैसे इ टेलीजट कॅ रयर काड सोट (पाकर, 2002) को खरीद सकते ह और
वयं िवकिसत कर सकते ह । यिद आप इसे वयं करने का िनणय लेते ह, तो ये काड या तो आव यक िश ा
के अनु प या यि व के िविभ न कार , िविभ न िवषय के संयोजन जैसे वािण य, िव ान, मानिवक आिद
के अनुसार िवकिसत िकए जा सकते ह । आप भौगोिलक या आिथक प रि थितय के आधार पर अ य चर
को भी शािमल कर सकते ह । काड सोट का मु य उ े य अपने लाइटं को थीम णाली क खोज /ए स लोर
करना है, न िक के वल जॉब चयन टूल के प म काम लाना । य िप कुछ लाइटं के िलए यह इस कार काम
म लाया जा सकता है । एक थान पर सि जत / यवि थत सभी काड समान ा प वाले होने चािहए। येक
काड म यवसाय सबं धं ी जानका रयाँ होनी चािहए ।
यि य के ‘ कार’, एक समान वातावरण म काम करते हए माने जाते ह और इसिलए इस उपागम म कॅ रयर
परामश एक यि को काय के वातावरण म वेश करने के िलए सव कृ ट सुगमीकरण उपल ध कराता
है । जॉब ोफाइल या जॉब के वणन/कॅ रयर / यवसाय उपल ध ह, जैसे यू एस म िवभाग क
यावसाियक िड शनरी । जॉब ोफाइल (क परेखा) को कुछ मानक ि याओ ं के योग ारा भी िवकिसत
िकया जा सकता है । अ य भी रा ीय तर के यवसाय का वग करण भी यिद उपल ध हो, का उपयोग अपने
देश म िकया जा सकता है ।
यावसाियक काड के सामने वाले पृ ठ पर यवसाय का शीषक जैसे “अथशा ी“ अिं कत होता है । काड के
िपछले भाग म आव यक शैि क यो यताएं और अपेि त िश ण के संबंध म जानका रयाँ जैसे- पी.एच.डी.
अथशा , या अथशा म नातको र उपािध, नातक अथशा आनॅस, आिद जानका रयाँ अंिकत
रहती ह । इसके साथ ही काय क कृित और कायकताओ ं के उ तरदािय व और कौशल, मताएँ व अ य
अपेि त गुण जैसे अ तरवैयि क कौशल, िव लेषण मता, यटू र िनपणु ता, लगन आिद जानका रयाँ भी
सं ेप म अिं कत रहती ह ।
यावसाियक काड सोट का योग
अापने चाहे वयं के काड सोट िवकिसत िकए ह या यावसाियक तौर पर उपल ध कोई काड सोट खरीदा हो,
उिचत यह रहता है िक आप सारे काड लाइटं को एक साथ न िदखाएँ । लाइटं क आव यकता का िनधारण
59
कर और तदनसु ार डैक म से काड चयिनत क िजए । एक लाइटं के िलए पचास से साठ काड पया त ह ।
लाइटं को काड देने से पवू इस पर िवशेष बल िदया जाए िक इस अ यास का मु य काम लाइटं क जीवन
कॅ रयर थीम को समझना है । लाइटं से काड को तीन समहू पस द, नापस द व अिनण त म बाँटने को कह
। ‘पस द’ समहू म वे काड रख िजन काड म वे शीषक ह िजनम आपक िच है, िजन काय को आप करना
चाहगे या जो आपको अपने िलए उपयु त तीत ह । इसी कार ‘नापस द’ समूह म उन यवसाय के शीषक
ह गे िजनम आपक िच नह है, जो आप करना नह चाहते या जो आपको अपने िलए उपयु त नह लगते ।
‘अिनण त’ समहू म वे यावसाियक शीषक आएंगे िज ह आप पस द –नापस द दोन करते ह या उनके बारे म
िनि त नह ह । यिद लाइटं ने अिनण त समहू म बहत अिधक काड रखे ह तो यह पहले दोन म से एक का िच
हो सकता है । यह अिधक आसान होता है िक पहले अपने नापस द यवसाय वाले काड अलग कर और तब
पस द वाले । दसू रा, यह इस बात का भी तीक है िक सभं वत: आपने उसे अनपु यु त समहू वाले काड दे िदए ह ।
अगला चरण िकसी िविश ट यवसाय को पस द या नापस द करने के कारण के िवषय म जाँच करना है । ाय:
यि अपने चयन के ित जाग क नह होते । सौ य जाँच-पडताल उ ह इन कारण /िवचार को पहचानने म
मदद करे गी । कॅ रयर थीम क पहचान करने के िलए िन नांिकत कार के न पूछे जा सकते ह –
इस यवसाय म आपको या आकषक लगता है ?
इसका कौन सा भाग आपको सवािधक पस द है ?
या आपको लोग के साथ काम करना पस द है ?
या आपको यवसायगत संरचना पस द है ?
कारण जैसे लोग क सहायता करना, अिधक धन, ित ठा, अ दर काम करना / बाहर काम करना या दीघ समय
तक काम करना आिद उ प न होग, जो लाइटं के िलए मह वपणू या गौण थीम को सझु ा सकते ह । आगे थीम
को थािपत करने के िलए इन ा त थीमस पर चचा उपयोगी हो सकती है ।
एक वकशीट तैयार रिखए, िजसम आप पस द व नापस द दोन को रख सक । पस द - नापस द को म देना,
लाइटं व आपको एक अ छा अनमु ान /िवचार देते ह िक लाइटं एक यवसाय म या चाहता है ? त प चात्
लाइटं को पसंद के समहू म रखे गए काड को म देने के िलए कह । येक यवसाियक शीषक के िलए
तीन अ र वाला हॉले ड कोड पढ़ कर बताएं । इस कार से ा त मब ता उसक वा तिवक वरीयता और
जीवनशैली थीम के यादा िनकट होगी।
यावसाियक वरीयता को ाथिमकता म िदए गए यावसाियक शीषक को हालड के 6 कार के तीक के िलए
अक
ू 4,
ं भार िदया जाता है और िफर तीन अ र का हॉलड काेड से उसका सार ा त होता है । ( इसे मॉड्यल
इकाई 3 म एक उदाहरण से प ट िकया गया है ) ।
कोड क एक िव ततृ या या अ त म तैयार क जा सकती है । इस वणन के आधार पर लाइटं को अपने व–
य ीकरण क जाँच पड़ताल करने के िलए े रत िकया जा सकता है ।
60
गितिविध 4
1-
िे जयर के आंकड – िवचार- यि -िवचार मॉडल के आधार पर अपनी काय भूिमका क पहचान
क िजए और बताइए िक आप िकस वग म सहज होते ह ।
2-
हॉलड यि व कार के आधार पर अपना आकलन क िजए ।
3-
हॉलड क व-िनदिशत खोज के िवषय म पिढ़ए, इसक एक ित ा त क िजए और इसे वयं पर
शािसत (लाग)ू क िजए । आपने वयं के िवषय म या अ त ि ा त क ?
2.7 सारांश
यह इकाई कॅ रयर परामश क अवधारणा पर गहन समझ और कॅ रयर संबंधी सम या समाधान के िलए यु त
िविभ न िविधय पर एक समझ उपल ध कराती है । कॅ रयर परामश क आव यकता और मह व तथा भावशाली
कॅ रयर परामश कै से िकया जाए, पर िव तार पर चचा क गई ।
एक परामशदाता ारा योग िकए जाने वाले मह वपणू उपकरण जैसे मनोवै ािनक परी ण, और इ वटरी,
गृहकाय आलेख, िलिखत अ यास, सरं चना मक सा ा कार अनसु चू ी, काड सोट आिद िदए गए ह । एक
परामशदाता लाइटं को उसक जीवन कॅ रयर थी स ( संग) क पहचान और िवशलेषण ारा, अिधगम शैली
ारा वैयि क भिू मका िनवहन, और लाइटं क जीवन-शैली ारा भावशाली परामश दे सकता है । िविभ न
तकनीक जैसे जीवन कॅ रयर आकलन, सा ा कार अनसु ूची, और यावसाियक काड सोट का भी वणन िकया
गया ।
व-मू यांकन अ यास
1-
आप ‘कॅ रयर-परामश’ यय का वणन कै से करगे ?
2-
कॅ रयर परामश, कॅ रयर िश ा और कॅ रयर िवकास के म य अ तर बताइए ।
3-
कॅ रयर परामश म जीवन-कॅ रयर आकलन तकनीक का वणन क िजए ।
व-आकलन अ यास क उ तर कुंजी
1-
कॅ रयर परामश यय का योग यि को उपयु त कॅ रयर के चयन और उसके िलए तैयार करने के
िलए परामश के प म विणत िकया जाता है ।
• यह यि को कॅ रयर चयन और िवकास के आयाम म तथा जीवन-कॅ रयर संबंधी िनणय लेने म सहायता
करने क ि या है ।
• कॅ रयर परामश ि या म िविश ट कौशल , उपकरण और तकनीक का उपयोग िकया जाता है ।
• म य क ि या म व क समझ, कॅ रयर जानका रयाँ और दोन के िमलान आधा रत िनणय लेना शािमल
है िजससे एक अि तम कॅ रयर िनणय िलया जा सके ।
61
2-
कॅ रयर मागदशन, कॅ रयर िश ा व कॅ रयर िवकास के
यय के म य अ तर बताइए ।
• कॅ रयर मागदशन यय एक िवशद यय है, जो एक यि को कॅ रयर के चयन, तैयारी, वेश करने और
गित करने म िनर तर सहायता उपल ध कराने के संदभ म योग िकया जाता है । यह गितिविधय क
िवशद ेणी को सि मिलत करता है, यथा-जानका रयाँ देना, िशि त करना और शैि क व कॅ रयर स ब धी
िनणय लेने म सश तीकरण आिद ।
• कॅ रयर िवकास यय एक यि के कॅ रयर पाथ म गितशील और गणु ा मक प रवतन क ख
ंृ ला को
सदं िभत है । यह उन मनोवै ािनक, सामािजक, शैि क, आिथक एवं अवसर के कारक को समािहत करता
है जो एक यि को उसके परू े –िव तार म उसके कॅ रयर को आकार दान करता है ।
• कॅ रयर िश ा उस ि या को संदिभत करती है िजसम शैि क िवषयव तु क जानका रय का कॅ रयर
िवकास क अवधारणा के साथ सि म ण िकया जाता है तािक िव ाथ अकादिमक जगत और काय जगत
के म य अ तराल को भर सक ।
3- िन न िब दओ
ु ं पर िव तार क िजए –
• L.C.A. एक सरं चना मक सा ा कार तकनीक है जो लाइटं क उन मजबिू तय , कमजो रय व बाधाओ ं
के िवषय म सूचना उपल ध कराती है िजनका सामना उ ह अपने कॅ रयर िवकास के दौरान करना
पड़ता है । यह परामशदाता को लाइटं क जीवन कॅ रयर थीम क पहचान करने म सहायता करता है और
लाइटं को वयं काय जगत के िवषय म अ य योजना बनाने म कौशल और जानका रय को संबंिधत
करने म सहायता करता है ।
अपने उ तर म यह भी शािमल क िजए िक अनुसचू ी म या होना चािहए।
व-जाँच अ यास क उ तर कुंजी
व-जाँच अ यास - ।
1. F
2. F
3.T
4.T
व-जाँच अ यास – 2
कॅ रयर परामश िन न िविश ट अव थाओ ं से आगे बढ़ती है ।
जाँच अव था – यह परामशदाता और लाइटं दोन को एक दसू रे के बारे म तथा उपल ध कराई जाने वाली
सेवाओ ं के िवषय म जानका रयाँ एक करने म स म बनाती है ।
प टीकरण – अव था इनम लाइटं के साथ घिन टता बढ़ाना, ासंिगक जानका रयाँ एक करना और उसक
कॅ रयर प रप ता शािमल ह ।
समझौता – इस अव था म परामशदाता व लाइटं दोन क ओर से काम करने के तरीक और दोन क
भिू मकाओ ं िवषय म प ट समझ बनाना सि मिलत है ।
62
खोज – लाइटं के कूल, जॉब, कॅ रयर आिद के िवषय म ारं िभक िवचार और ान या प रप वता शािमल है ।
अ त ि िनमाण – लाइटं को वयं क अिधक व तिु न ठ और अिधक सटीक समझ िवकिसत करने म
सहायता दी जाती है और ि थितय के ित गहन अ त ि िवकिसत क जाती है ।
िनणय लेना – अ तराल और असंगित क पहचान ।
ि याकारी अव था – लाइटं को उपयु त काय योजना बनाने के िलए े रत करना ।
गित क समी ा / पुनरावलोकन – पनु रावलोकन क ि या परामशदाता को अपने काय या उसके
प रणाम या क गई परामश ि या के भाव के बारे म उपयोगी ितपिु उपल ध कराती है।
समापन – समापन सदैव सकारा मक प म होना चािहए ।
अनवु त चरण – इसम लाइटं को सहारा देने के िलए मरण प , सहायक नेटवक बनाना, अनवु त बैठक
आयोिजत करना आिद सि मिलत ह ।
व जाँच अ यास – 3
1-
लाइटं वयं से या कहता है, वयं के िवषय म और अपने आस-पास के जगत के बारे म या कहता
है, कै सी भाषा योग करता है, के आधार पर जीवन कॅ रयर थीम क पहचान और िव लेषण करना ।
िफर परामश परामश ि या के दौरान इस जानकारी क लाइटं के िलए उसके यवहार क िविश ट
कार क य त थािमकता के आधार पर या या करता है । उदाहरण के िलए – यिद लाइटं कहता
है 'मेरे सारे िम सहायता के िलए मेरे पास आते ह, मझु े यह पस द है' । तो इसक या या होगी –
' लाइटं को दसू र को परामश देना और सहायता करना पस द है ।'
2-
एडलर ारा सुझाए गए वैयि क भिू मका और जीवन शैली प र े य यि को सामािजक वातावरण,
जो इस संदभ म प रवार है, म समझने के िलए ह । उदाहारण के िलए यि प रवार का थम ब चा
है या दसू रा या अि तम, इसका उसके यि व और झान के िवकास म या भाव पड़ेगा ।
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64
3
साथी समहू परामश
यिू नट–3
3.0
तावना
3.1
उेय
3.2
साथी समहू सुगमकताओ ं क आव यकता
3.3
साथी सगु मकता क अवधारणा का आिवभाव/उदय
3.4
साथी समहू परामश सेवाओ ं क भावका रता पर शोध
3.5
साथी समहू परामश ो ाम क थापना
3.5.1 साथी समहू परामशदाता का िश ण
3.6
साथी समहू सुगमकता काय म का आकलन
3.7
साराश
ं
व-आकलन अ यास
व-आकलन अ यास हेतु उ तर-कंु जी
व-आकलन अ यास हेतु उ तर-कंु जी
सदं भ
सझु ावा मक पठन साम ी
66
3.0
तावना
जैसा यिू नट 1 म पवू म ही चचा क जा चक
ु है, िव ालय म परामश सेवाओ ं क आव यकताएं बढ़ती जा रही
ह । ये नई माँग, तेजी से बदलती और अपूवानुमेय जीवन क बढ़ती हई किठनाईय और अिनि तता के कारण
उ प न हो रही ह । यि य को अपने जीवन क उन मह वपणू संकटपणू ि थितय म सहायता क आव यकता
होती है जब उनसे चयन करने और िनणय लेने को कहा जाता है और तब भी जब वे भ नाशा, िनराशा से िघरे ह
या ोिधत या िख न ह । आपने यिू नट 1 म यह भी पढ़ा िक परामश सदैव यो य व िशि त यि ारा िकया
जाता है जो यि य को वयं के िवषय म, अपनी अ त:शि और अवसर के स ब ध म गहन अ तदि अिजत
करने म सहायता करता है; तािक वैयि क स नता और सामािजक िहत म िनणय िलया जा सके । तथािप, बड़ी
सं या म उन लोग , िज ह सहायता क ज रत है, के अनुसार पया त मा ा म ये िशि त कािमक उपल ध
नह हो पाएंगे, िवशेषत:िव ालय तर पर । अत: इस आव यकता क पिू त के िलए अिधकािधक सहायक
आव यक ह । एक िव ालय के ढाँचे म, कुछ सीमित सहायता वाले काय करने के िलए सािथय का िश ण
एक यावहा रक और भावशाली रणनीित के प म पाया गया है ।
इस इकाई म, आपको साथी-सहायक या सुगमकता क अवधारणा से प रिचत कराया जाएगा, जो ोफे शनल
क तरह (सह यावसाियक) काम कर सकते ह । इस यिू नट म साथी-सहायक के िश ण के िलए अथ, मह व
व िविधय पर भी चचा क गई है । आरं भ म, जब पीयर सहायक क अवधारणा को मा यता दी गई थी, िपयर
परामश को योग िकया गया, िक तु साथी सहायक पणू िशि त परामशदाता नह थे और साथी परामशदाता
मा एक ा सोहन-कता या सुगमकता था, िजसे ''साथी-सुगमकता'' के प म बदल िदया गया । साथी
-सगु मकता होने के लाभ और काय म के मू यांकन के तरीक पर भी इस इकाई म चचा क गई है ।
3.1
उ े य – इस इकाई के अ ययन के प चात आप स म हो सकगे –
• साथी – सगु मकता क आव यकता क पहचान कर सकगे ।
• साथी – सगु मकता क अवधारणा क या या कर सकगे ।
• साथी – सगु मीकरण हेतु उपयु त सम या ि थितय क पहचान कर सकगे ।
• एक अ छे साथी – सगु मकता क िवशेषताओ ं को सचू ीब कर सकगे ।
• िव ालय म साथी – सगु मकता के होने के लाभ को सचू ीब कर सकगे ।
• िव ालय मागदशन काय म म साथी – सगु मकता का वणन कर सकगे, सचू ीब कर सकगे ।
• साथी – सगु मकताओ ं हेतु िश ण काय म क परे खा तैयार कर सकगे ।
3.2
साथी समूह सुगमकताओ ं क आव यकता
िव ालय म मागदशन क एक संगिठत सेवा के प म आव यकता हाल ही के वष म बहत मह वपणू हो चक
ु
है । मागदशन को जब िश ा के एक अगं भतू भाग के प म देखा जाता है, तो यह सभी ब च क आव यकता
बन जाता है । यह एक ऐसी सेवा है जो उन सब के िलए है जो िकसी सम या का सामना कर रहे ह । साथ ही
साथ यह उनके िलए भी है िज ह अपनी अ त:शि का और आगे िवकास करना है । िव ािथय को उनके ारा
सामना क जा रही बहत सी सम याओ ं म सहायता क आव यकता होती है । सामा यत: िजनका ाय: सामना
करना पड़ता है, उनम से कुछ ह –
67
• िवषय चयन
• भावपूण अ ययन कै से कर
• आ म –िव वास क कमी
• समय- ब धन
• सहपािठय के साथ स ब ध
• भिव य के िलए योजना िनमाण व ल य िनधारण
• बढ़ने (िकशोरवय) क सम याएं, िम बनाना
• एच.आई.वी./ए.आई.डी.एस. से संबंिधत सम याएं, स एवं मादक य सेवन, बाल उ पीड़न आिद
यिद िव ालय म एक यो य परामश या कुछ परामश ह भी, तो भी वे येक ब चे को सहायता करने के िलए
पया त नह हो सकते । अत: िव ालय म अ त:शि से भरपरू िव ािथय को सहायता करने वाल के प म
िशि त करने क अवधारणा जोर पकड़ रही है । इससे भी अिधक वे साथी समहू िनणय लेने क ि या को
अिधक मजबतू ी से भािवत कर सकता है, अिधक पहँच म होता है, और िव ालय के ब च के साथ सरलता
से घिन ठता बढ़ाने और दीघ अविध तक चलने वाले िनजी संबंध िवकिसत करने म सहज होता है ।
दसू र क सहायता करना एक सरल काम नही ह िक तु दसू री ओर अ य यि य तक पहँचना और उनक
सहायता करना सतं िु भी दे सकता है । सबसे अिधक, दसू र क सहायता करने के मा यम से साथी परामश को
वयं के िवषय म और अिधक जानने-समझने का अवसर िमल सकता है । यह उनक मू य णाली को प ट
करे गा, उनके आ म िव वास, सं ेषण कौशल को बढ़ाएगा और वैयि क और अकादिमक ि थितय म वयं
के समायोजन को बढाएगा
़ । सं ेप म, वे व- जाग कता के उ च तर तक पहँच सकगे और अिधक संतिु लत
यि व पा सकगे । इससे भी अिधक, बाद म भी वे अपने जीवन म परामश और िश ा को एक कॅ रयर के प
म अपना सकते ह और बेहतर परामशदाता या िश ािवद् िस हो सकते ह ।
3.3 साथी सगु मकता के सं यय का उ व
िपछले दशक से, मागदशन म समथन कािमक(सप ट पस नेल) के योग ने िवशेष यान ख चा है य िक ऐसे
ब च क सं या िनर तर बढ़ रही है िज ह क ा म सहायता क आव यकता है और घर व िव ालय यवु ाओ ं
को आव यक अनसु मथन उपल ध करा पाने म अ म ह । साथ ही, ऐसे बहत से िव ािथय , िज ह आव यक
मागदशन और परामश इसिलए नह िमल पाता य िके संसाधन सीिमत ह, को साथी सगु मकताओ ं ारा सहायता
उपल ध कराई जा सकती है । पीयर-परामश का उ व 1970 के ारंभ म हआ जब यह महससू िकया गया
िक साथी-समहू यावसाियक परामशदाता को सहायक के प म सेवा दान कर सकते ह(एलन, 1972) ।
साथी-समहू के साथ ही अ य यि जैसे िश क, सामािजक कायकता, िश क-अिभभावक संघ के सद य
और समुदाय के सद य को भी कुछ अनुसमथन काय के िलए िशि त िकया जा सकता है । ये सभी लोग
पैरा- ोफे शनल (सह- यावसाियक) के वग म आते ह । ये आंिशक िशि त ह और पूण िशि त ोफे शनल
के िनर तर पयवे ण म काम करते ह । यह इकाइ साथी-परामशदाता के िलए के वल िव ािथय के योग पर
के ि त है और िव ालय णाली के अ य यि य पर या माता-िपता और अिभभावक सघं को इस भिू मका पर
के ि त नह करती है ।
68
अब हम िव ालय णाली म साथी-परामशदाता क भिू मका को एक सह- यावसाियक ि से देखते हए, इस
पर चचा करगे । साथी परामशदाता कुछ ऐसे काय करते ह जो ाय: यावसाियक परामशदाता ारा िकए जाते
ह । साथी परामशदाता या सगु मकता के योग से ाय: िन निलिखत लाभ ा त होते हए देखे जा सकते ह –
• कम लागत म िव ता रत सेवाएँ ा त हो जाती ह य िक यावसाियक यि य को दसू रे काय से मिु
िमल जाती है ।
• साथी ( ोफे शनल) यावसाियक क िवल ण मताओ ं और कौशल ारा पर परागत मागदशन सेवाओ ं
म विृ हो जाती है ।
• यह काय म सेवा ा तकता समहू क आव यकताओ ं और सम याओ ं पर अ त ि
अवसर उपल ध करता है ।
ा त करने के
• यह यावसाियक अिभकता और (िजस समहू को वे सेवा दे रहे ह ) सेवा ा तकता समहू के म य अ तराल
को पाटने म पल
ु का काम करता है ।
• साथी समूह िविश ट मानवीय स ब ध के िश ण के लाभ ा त करता है और दसू र क सहायता करने
के अवसर ा त करता है जो उनक वयं क वैयि क विृ एवं िवकास म सहयोग करता है ।
साथी समह परामश/सुगमीकरण वह सं यय है जहाँ समान वय वग के ब चे दसू रे ब च को बेहतर वैयि क
एवं शैि क समायोजन म मदद करते ह । एक यावसाियक परामशदाता के समान, एक साथी-सुगमकता
सम या समाधान कता या सझु ाव दाता नह होता है । एक समहू सगु मकता के पास, िशि त परामशदाता के
समान उ नत तर, कौशल या िवशेष ताएं नह होती ह । साथी- परामशदाता एक संवेदनशील ोता है जो अपने
सं ेषण कौशल का उपयोग अ य समवय क क सहायता करने के िलए करता है । (माय रक एवं अन,1985)
एक साथी सगु मकता वयं क छानबीन करने और िनणय लेने को ो सािहत करता है । साथी सुगमकता ऐसी
सम याएं िजनम यवहारगत प रवतन क आव यकता है, को पणू पेण िशि त यि के पास स प देता ह
या उनक सहायता लेता है । एक िव ालय म साथी सगु मकता क पहचान िकसी भी आयु वग या क ा तर
से क जा सकती है, य िप यिद वे समान आयु वग से ह तो घिन ठता अिधक अ छी होती है । इसका उ े य
वैयि क विृ और िवकास को, संबंध म सहायता करने के ारा, ो सािहत करना है ।
साथी सगु मीकरण के प म साथी परामशन
साथी सुगमीकरण इस मा यता पर आधा रत है िक यवु ा यि य के पास जब कुछ कहने को हो, तो दसू रे युवा
यि उनक सनु गे । साथी परामशदाता या सुगमकता कुछ सीिमत काय स पािदत करने के िलए होते ह । ऐसे
कुछ काय नीचे िदए गए ह –
िव ालय म नवाग तुको का साथी परामशन- िव ालय म नव- वेिशय के िलए साथी परामशदाता िवशेष
प से सहायक होते ह । वे नव- वेिशय को िव ालय काय म, िनयम, सिु वधाओ ं से अवगत कराने और क ा
/िव ालय म कुछ िव ािथय के साथ िम ता िवकिसत करने म सहायता करते ह ।
िववाद समाधान म समूह परामश – िववाद के समाधान म भी साथी -परामश उपयोगी है । िव ाथ साथी
म य थता के िलए िशि त ह जो दसू रे िव ािथय को एक-दसू रे के साथ के िववाद के समाधान म एक ि या
69
के ारा सहायता करते ह । इससे पहले िक िव ाथ साथी म य थ के प म काय कर, उ ह इस ि कोण से
िश ण िदया जाता है िक वे अ य िव ािथय को अपने िववाद और जीवन क अ य सम याओ ं से अिधक
भावशाली ढ़ंग से सामना करने म सश त बना सक । कुछ िव ािथय क आव यकता के वल इतनी ही होती
है िक उनके ित देखभाल और िच ता का झान य त िकया जाए ।
अ ययन म साथी-सहायता – एक साथी परामशदाता /सगु मकता अकादिमक सहयोग के िलए ट्यूटर (िश क)
बनने का िवक प भी ले सकता है । ऐसे ट्यटू र का ऐसे ब चे के साथ समहू बनाया जा सकता है िजसे अित र त
अकादिमक सहायता क आव यकता है । ि थितयाँ जैसे- ल बे समय तक अनुपि थित, अिधगम अ मता, या
धीमी गित से सीखने क मता आिद को साथी परामशदाता के उपयोग से म य थता दी जा सकती है ।
इस कार, उपरो त चचा से यह िन कष िनकलता है िक साथी- परामशदाता वैयि क वृि और िवकास को
ो सािहत कर सकता है । साथी परामशदाता सेवाओ ं क भावका रता को दशाने वाले कुछ शोध नीचे िदए
गए ह ।
3.4
साथी परामश सेवाओ ं क भावका रता पर शोध
शोध ने यह दिशत िकया है िक िव ालय णाली म वैयि क और अकादिमक सम याओ ं से जझू ने म साथी
परामश /सुगमन भावशाली होता है । साथी परामशदाता क य संबंध म सहायता क बढ़ती वीकायता
सह- यावसाियक (पैरा- ोफे शनल) क भावका रता पर हए शोध पर आधा रत है ।
सव थम यू. एस. के कुछ भाग के मा यिमक िव ालय म सािथय का योग परामशदाता के प म िकया
गया । साथी परामशदाता अ य िव ािथय क वैयि क सम या समाधान म, सामािजक कौशल िसखाने, रोल
मॉडल (आदश) बतौर काय करने, िम ता बढ़ाने और वय क और िव ािथय के म य सं ेषण अ तराल को
पाटने म सहायता करने के िलए अपेि त थे । (हेमबग एडं वॉरनहॉर ् ट, 1971, 1972 ए ड वॅारनहॉर ् ट, 1973)
कुछ काय म ि याओ,ं जैसे– भिू मका िनवाह (रोल- ले) आयेािजत / संघािटत करने (लेबोि हस एडं रॉहड्स,
1974) और िव ािथय को मादक य सेवन से जझू ने म मदद करने (से यअ
ु लस ए ड से यअ
ु लस् 1975)पर
के ि त थे ।
एक अ ययन जो पनु वास परामशदाता और अिशि त परामशदाता क भावका रता के तुलना मक अ ययन पर
है, के प रणाम प ट करते ह िक लाइं ट म सवािधक उ नित तब होती है जब परामशदाता अके ले काय करता है,
जबिक जहाँ यावसाियक परामशदाता और सहायक ने साथ – साथ काम िकया तब सबसे कम उ नित हई
। ( ॅाअ स एंड िल टर,1990) । अपवंिचत िव ािथय के काय म िजसम पैरा- ोफे शनल (सह- यावसाियक)
का योग हआ, दशाता है िक पाँच साल के अ तराल म िव ािथय म बहत अिधक उ नित िदखाई दी । ( रसमैन
एंड गटनर, 1969), एक अ य अ ययन, म यम िव ु ध ब च के व- यय (से फ-ए टीम) म उ नित िदखाई
दी जब उ ह ने िशि त सह- यावसाियक के साथ अिधकतर समय िबताया और उन ब च म कुछ उ नित देखी
गई िज ह िश क सहायक क मदद िमली (वडर कॉलक, 1973) ।
साथी सगु मकताओ ं का उपयोग ट्यटू र के प म हाई कूल के अ य िव ािथय को मदद करने के िलए िकया गया
िज ह ने अपने सािथय क पढ़ाई म सधु ार म सहायता क । मैक लैर, 1971,शावर और नॉ न, 1971), गिणत
(के िडटज,् 1963) इगं िलश (लॉिबज, 1970) एवं िबजनेस एजक
ू े शन (वॉन वॉगनेन, 1969)
िनजी िश क का एक सुप रिचत अ ययन िमिशगन, यू. एस. का है, जहाँ छठी क ा के ब च ने चौथी क ा के
उन ब च का िनजी िश ण िकया िजनको पढ़ने म किठनाई थी । इसम यह देखा गया िक पढ़ने क किठनाइय
70
वाले िव िथय के साथ- साथ बड़े िव ािथय को भी लाभ ा त हआ । यह भी असामा य नह है िक िनजी
िश क िशि त िकए जा रहे यि को िशि त करने से साथक प म सीखता पाया गया है । (िलिपट एंड
लॉमैन, 1965, िलिपट एंड िलिपट, 1970) ।
व-जाँच अ यास
नीचे िदए गए कथन सही ह या गलत, बताइए1-
सह- यावसाियक क अवधारणा का उ व िश क िव ाथ और समदु ाय के सद य को मागदशन
कायकता के प म काय करने के िलए सीिमत कौशल उपल ध कराने के िलए हआ ।
2-
िव ालय म साथी समहू को िशि त वय क परामशदाता के समान ही भावशाली होने के िलए
िशि त िकया जा सकता है ।
3-
साथी- परामश सहायता दान करने का भावशाली साधन है य िक मा यता है िक ब च म वय क
क अपे ा अपने सािथय के ित अिधक हणशीलता होती है ।
4-
यह एक सामा य त य है िक अपने सािथय क सहायता करते हए साथी परामशदाता वयं भी साथक
प म ा त करते/सीखते ह ।
3.5 साथी परामश काय म (को थािपत करना) क थापनासाथी परामश काय म िव ालय जाने वाली बड़ी जनसं या क शैि क, वैयि क –सामािजक, और वृि
स ब धी आव यकताओ ं को पणू करने क िति या है । साथी परामश काय म एक परामशदाता को काय म
सचं ािलत करने म समथन देने के िलए काम कर सकता है ।
एक साथी परामश काय म को थािपत करने के िलए जो ारि भक चरण उठाए जा सकते ह, वे िन नवत ह –
चरणब / यवि थत आव यकताओ ं का आकलन करना – इसके ारा यह िनि त िकया जाता है िक
या साथी-परामश काय म एक उपयु त या करणीय (करने यो य ) म य थता /अ त: ेप है ।
वैि क ल य क अपे ा िविश ट ल य पर जोर – साथी सहायक क िनधा रत भूिमका, काय और
उ तरदािय व के तर का प ट प से उ लेख करना ।
साथी परामशदाताओ/ं सुगमकताओ ं का चयन – साथी परामशदाताओ ं के चयन का ल य ऐसे यि य
क पहचान करना है जो दसू र के ित तदनुभिू त य त कर सक, िजनके आ म िव वास का तर उ च हो और
िजनम दसू र के उन मू य को भी वीकार कर सकने क मता हो, जो उनके अपने मू य से िभ न ह ।
हम जानते ह िक एक औपचा रक परामश ि या म येक परामशदाता अपने िविश ट यि व को उपचारा मक
संबंध म यवहार म लाता है । ाय: इसम िवशेष सलाह समािहत होती है । इसम कुछ आधारभतू िवशेषताएं
/ ल ण और यवहार ह जो एक परमशदाता म होनी वांिछत ह और इनका वणन पूव म ही इकाई-2 म कर िदया
गया है । एक साथी सगु मकता दसू र को भी वयं अपने िवषय म सोचने को सगु म करता है (वैयि क खोजबीन
)। साथ ही साथ वे सं ेषण को बढ़ावा एवं ो साहन देते ह, जो दसू र को उन चीज को करने म स म बनाता
है, जो उ ह ल य क ओर जाने म सहायता करती ह । जब आप साथी सगु मकता क खोज कर रहे ह तब
आपको उनके कुछ अ य गणु जैसे- वण कौशल, गमजोशी, दसू र क सम याओ ं के ित संवेदनशीलता,
71
िव वास- पा ता, सहायता मता, हँसमख
ु वभाव आिद क ओर भी यान देना चािहए, जो िक दसू र को
समथन उपल ध कराने म सहायक िस हो सकते ह । साथ ही साथ साथी-सगु मकता के चयन के समय काय म
के उ े य और ल य को भी यान म रखना ज री होता है । उदाहरण के िलए, एक ऐसे साथी –सगु मकता,
िजसका चयन िनजी िश ण के िलए कर रहे ह , का अकादिमक अिभलेख अ छा होना चािहए और उसे आदर
यो य और वीकृ त भी होना चािहए ।
कुछ ऐसे आधारभतू गणु , िजनके आधार पर चयन िकया जा सकता है, नीचे िदए गए ह–
एक साथी सगु मकता म नीचे िदए गए गणु का उ च तर पाया जाना आव यक समझा जाता है ।
िम वत् और हँसमुख वभाव – िव ालय म कुछ िव ाथ अपने हँसमख
ु और िम तापूण यवहार के कारण
बहत लोकि य होते ह । वे सदैव दसू र क मदद के िलए तैयार रहते ह ।
वचनब ता – दसू र का क याण और जाित या समदु ाय आिद का िवचार िकए िबना िविवध कार के यि य
से संवाद थािपत कर पाने क मता ।
स मित /त परता – नैितक यवहार के मानक को वीकार करना, जैसे - सूचनाओ ं व जानका रय क गोपनीयता
को बनाए रखना ।
समानुभूित – दसू रे यि य के ि कोण क समझ ।
सगु मीकरण कौशल – साथी सुगमकता को अ छा ोता, दसू र क किठनाइय के ित संवेदनशील, दसू र को
वीकार करने, आदर देने और देख भाल करने वाला होने क आव यकता है । अ य कौशल का वणन मॉडयल
ू
2 क इकाई 3 के ‘परामश के आधारभतू सं ेषण कौशल ’ म िकया गया है ।
गितिविध 1
अपने िव ालय के िक ह दो िव ािथय के गुण को सचू ीब क िजए जो साथी –परामशदाता के प म भावी
हो सकते ह ।
3.5.1 साथी समूह परामशदाता का िश ण
सह यावसाियक क भावका रता क थापना के समाना तर िव ालय म ऐसे काय म क वीकृित और
ततु ीकरण बढ़ता जा रहा है । साथी परामशदाता को िव ालय म उनक भिू मका के िलए तैयार करने के िलए
िश ण काय म िवकिसत िकए गए । ये िश ण काय म अब अिधक संगिठत और चरणब / यवि थत ह ।
साथी- काय म म काम करने के िलए िश ण मै यअ
ु ल भी उपल ध है िजसम चरण दर चरण पाठ योजना और
गितिविधयाँ दी गई ह िजनके ारा साथी-परामशदाताओ ं को िशि त िकया जा सकता है । (कार एवं सॉ डस,
1981, रोजनेशल, सॉ डस एवं कार, 1992, राबटस, 1987, क ल, 1987) । साथी- परामश के िश ण
काय म क िवषयव तु को सिं त प म िन नवत् बताया जा सकता है –
• अ तर -वैयि क कौशल म िश ण िजसम आधारभतू सं ेषण कौशल ( वण, िति या देना, जाँच
संबंधी, भावानवु ाद और िच तन करना), टीम म काम करना, सम या समाधान और नेतृ व कौशल का
िश ण सि मिलत है ।
• नैितक और िविधक िस ातं के िवषय म अिभमख
ु ीकरण जैसे गोपनीयता और उन लोग क पहचान िज ह
72
यावसाियक सहायता क आव यकता है ।
• व क समझ – अपने वयं के मू य, आव यकताओ ं और ाथिमकताओ ं क पहचान ।
• चयिनत अ यािथय को कुछ ासंिगक करण पर जानका रयाँ उपल ध कराने क आव यकता होती है
जैसे मानव िवकास और विृ , पा रवा रक भिू मकाएं एवं स ब ध, िकशोराव था, जनन वा य, सािथय
के दबाव का सामना करना, शैि क, िश ण और वृि के अवसर, िनणय लेना और सम या समाधान,
कुछ सरोकार के त य जैसे एच. आई वी. / ए. आई. डी. एस. और मादक य के दु भाव आिद ।
एक िश ण स म िन नािं कत चरण सि मिलत होग –
i. कौशल क पहचान और उ ह यावहा रक श द म प रभािषत करना, इसे छोटे चरण म तोड़ना ।
ii. कौशल के भावशील व अ भावशील दोन के उदाहरण को दिशत करना और उनके आदश तुत
करना ।
iii. पयवे ण और ितपिु के साथ कौशल का अ यास करना जब तक िक यनू तम द ता ा त न कर ल
और
iv. पयवे ण म रहकर वा तिवक परामश ि थितय म कौशल का अ यास ।
साथी-परामश काय म के अ तगत िश क का िश ण भी िकया जा सकता है, िजसम साथी काउंिसलर
यावसाियक के पयवे ण म, िपरािमड़ उपागम का योग करते हए िश क के प म यवहार करता है । इस
िविध का लाभ यह है िक नए कौशल के अिधक अनभु व के अवसर ा त होते ह और नए िश क का भावी
साथी सहायता के ितमान का अवसर िमलता है ।
व-जाँच अ यास – 2
िन नांिकत का िमलान क िजए :–
1- साथी - परामश अ तराल को पाटता है
a. अपने िनजी मू य , आव यकताओ ं और
थािमकताओ ं म
2- एक साथी- परामशदाता को उ च होना
b.
चािहए
3- एक अ छा साथी परामशदाता प ट
यावसाियक और उस समहू के म य िजसको
वह सेवा दान करता है ।
c. तदनभु िू त, व-िनयं ण और दसू र के मू य
होता है
को वीकृ ित करने के िलए पया त लचीलापन म
73
3.6 साथी-सगु मकता काय म का मू यांकन
एक साथी – परामश काय म के मू यांकन क आव यकता िव ालय म इसक भावो पादकता जानने के िलए
होती है । साथी परामश काय म के मू यांकन का उ े य है –
(i) कािमक एवं साथय को काय िन पादन ितपिु उपल ध कराना ।
(ii) यह िनधा रत करना िक िश ण उ े य ा त हो गए ह ।
(iii) काय म को उ नत करने के आक
ं डा उपल ध करने के िलए ।
(iv) िव वसनीयता बढ़ाने और अिवरल समथन काय म को सिु नि त करने के िलए ।
आकलन ि या को आरंिभक िश ण अिभक पन (िडजाइन) म ही बनु ा होना चािहए । आकलन को साथी
परामशदाता पर, उस जनसं या पर िजसम वे सेवा दे रहे ह और िव ालय या अिभकरण के वातावरण पर भाव
को मापना चािहए । आकलन िविधय म कृ ि म/जिटल अनुसंधान िविधयाँ नह सि मिलत होनी चािहए । आगे
एक काय म को मू यािं कत करने सबं ंधी कुछ सझु ाव ततु ह–
पवू -प चात िविध – इसके अ तगत काय म से पवू व काय म के प चात् यवहारगत प रवतन को मापा
जाता है या यह देखने के िलए िकया जाता है िक या काय म म तय िकए गए माइल टोन को ा त िकया
जा सका है- काय म के म य म नह । उदाहरण के िलए– सािथय के व-अवधारणा या सं ेषण कौशल को
काय म से पवू व प चात जाँचना।
िनयिं त समूह िविध –इस िविध म काय म के भागीदार और भागीदारी न कर रहे यि य के म य तुलना क
जाती है, जैसे उन िव ािथय , जो िक काय म म ितभाग कर रहे ह, क उन िव ािथय से तल
ु ना करना िज ह ने
ऐसे काय म म ितभाग नह िकया ।
व-आ या िविध – यह िनधा रत करने के िलए िक काय म के उ े य कहाँ तक ा त िकए जा सके ह – चैक
िल ट, रिटग के ल या नाविलय का योग िकया जाता है । उदाहरण के िलए नावली म साथी-सहायक
से (काय म से) उनक संतुि , उपयोिगता, संल नता और िच को मू य/ ेणी देने को कहा जा सकता है ।
नावली यह जाँचने के िलए उपयोगी होनी चािहए िक काय म से िकस सीमा तक देखभाल और एक दसू रे क
सहायता क भावना को उ प न हई और िव ालय के वातावरण म अनक
ु ू लता उ प न कर पाई ।
िव ालय के वातावरण म काय म के भाव को ाय: ा त आक
ं ड़ को योग करके भी मापा जा सकता है,
यथा साथी-सगु मकता ारा देखे गए लांइट क सं या या िकतने ितभािगय को लाभ ा त हआ, उनक
सं या ारा । िश क , माता-िपता या ब धक का अनौपचा रक सा ा कार लेकर भी जानका रयाँ ली जा
सकती ह । मू यांकन के प रणाम क साझेदारी उन सम त लोग के साथ क जानी चािहए जो काय म म
सि मिलत रहे या जो काय म ारा भािवत हो रहे ह ।
गितिविध – 2
एक ऐसी नावली तैयार क िजए िजसम िव ालय म संचािलत साथी –परामश काय म के संबंध म सात ऐसे
व त य ह िजनसे िव ािथय क सतं िु तर को मापा जा सके ।
74
3.7
सारांश
यह इकाई सािथय के सुगमकता या सहायक क अवधारणा पर चचा करती है । यावसाियक परामश के
िलए यापक िश ण और अ यास अपेि त है और परामशदाता से ाय: बहत बड़ी सं या म लाइटं –
जैसे – माता-िपता, िश क, सबं धं ी और ब च के सािथय के साथ जझू ने के अपे ा क जाती है, अत: साथी
परामशदाता के यय /अवधारणा का उ व हआ ।
साथी परामश सेवाओ ं के इितहास एवं शोध पर सं ेप म चचा क गई । साथी-परामश के िश ण क िवषय
व तु के चयन और िश ण के प रणाम के मू याक
ं न पर चचा क गई । ऐसे कुछ उदाहरण भी िदए गए जहाँ
साथी-परामश अिधक भावकारी िस हो सकता है । साथी परामशदाता के उ तरदािय व को बहत िनयमिन ठ
प म विणत नह िकया गया, य िक वे एक लचीलेपन के साथ काम करते ह । साथी परामश के लाभ भी बताए
गए ।
व जाँच अ यास
1-
बताइए, यावसाियक ारा परामश, सािथय ारा परामश से िकस कार िभ न ह ?
2-
िकसी ऐसी घटना को याद क िजए जब आप िव ालय म थे और आपक िकसी वैयि क सम या के
समाधान म आपके िकसी सहपाठी ने मदद क थी । इसे सं ेप म बताइए ।
3-
साथी परामश काय म क योजना के तीन चरण या ह ?
4-
इकाई म िदए गए वणन के आधार पर साथी परामशदाता के पाँच मु य कत य /उ तरदािय व को
िलिखए ।
5-
एक साथी परामशदाता के चयन के िलए आप उनम कौन-कौन से वैयि क गणु देखगे ?
6-
एक साथी परामशदाता काय म क भावका रता का आकलन आप कै से करगे ?
व-आकलन अ यास हेतु उ तर-कुंजी
1- िन न िबंदओ
ु ं के आधार पर िव तार क िजए –
• साथी सगु मकता ारा परामश को यावसाियक परामशदाता क समथन णाली के प म काम म िलया
जाता है, जहाँ समान वय वग के िव ाथ सामा य वैयि क और अकादिमक सम याओ ं के समाधान म
एक दसू रे का सहयोग करते ह । वे के वल सहायक ह जबिक, पणू िशि त परामशदाता ऐसी ही सेवाओ ं
को अिधक यवि थत और वै ािनक प म दान करता है ।
• सािथय ारा परामश यावसाियक परामशदाता क तल
ु ना म यनू या िबना लागत के उपल ध हो जाता है ।
2-
3-
आपके ारा पहचान क गई सम या इस तरह क हो सकती है िक दीघ अ व थता के कारण आप
िव ालय से अनपु ि थत रहे और आपको अ ययन म सहायता क आव यकता है िजससे आप
अ ययन म हई हािन को साथी क सहायता और उसे सनु ने से दरू कर पाए ।
िन न िबदओ
ु ं पर िव तार क िजए –
75
• िव ालय म िव ािथय क सम याओ ं को कम करने के िलए साथी- परामश ि या उपयु त है अथवा नह ,
यह िनि त करने के िलए आकलन या आव यकता िव लेषण करना ।
• साथी-सहायक के प म काय करने के िलए अपेि त गणु वाले िव ािथय का चयन क िजए ।
• उ ह साथी सहायक के प म काय करने के िलए उनके काय व उ तरदािय व जैसे सनु ना, नवाग तक
ु क
सहायता करने, िनजी िश ण देने और म य थ के प म सेवा करने म िशि त करना ।
4- िन न के आधार पर िव तार दीिजए –
• िववाद समाधान म साथी- सहायता
• अ ययन म साथी- सहायता
• नवाग तुक क सहायता म साथी सहायता
• वयं क खोजबीन म साथी- सहायता
• सं ेषण को बढाने़ म साथी सहायता
5-
एक साथी परामशदाता म िम वत् और हँसमख
ु वभाव, वचनब ता, नैितक यवहार के मानक को
वीकृत करने क इ छा, े ठ वण कौशल, आिद गुण होने चािहए । साथ ही साथ, उसे संवेदनशील,
उ तरदायी और िव वास पा होना चािहए।
6- आप िन न णाली का योग करते हए आकलन कर सकते ह –
• पूव-प चात िविध जो काय म से पवू व प चात यवहार म प रवतन को मापती है ।
• िनयंि त समूह िविध जो काय म के ितभािगय व ितभाग न करने वाले ितभािगय क तुलना करती
है ।
• व-आ या िविध जो रे िटंग के ल, चैकिल ट या नावली आिद का योग कर यह िनधा रत करती है िक
काय म कहाँ तक अपने ल य को ा त कर सका ।
व-जाँच अ यास क उ तर माला –
व जाँच अ यास – 1
1. T
2.F
3. T
2. c
3. a
4.T
व जाँच अ यास – 1
1. b
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78
4
वैकि पक उपचार
यिू नट–4
4.0
तावना
4.1
उेय
4.2
पर परागत आरो यकर प ितय क ासंिगकता
4.3
सं कृित एवं वा य
4.4
आ याि मकता, वा य एवं क याण
4.5
वैकि पक उपचार
4.5.1 योग
4.5.1.1
योग के दशन का संि त प रचय
4.5.2 यान
4.5.2.1
एका यान
4.5.2.2
सचेत यान
4.5.3 रे क
4.5.4 ाणी ( ेिनक ) आरो यकर
4.5.5 ए यू ेशर एवं ए यूपंचर
4.5.6 अ य आरो यकर या उपचारा मक णािलयाँ
4.5.7 अिभ यि
ारा उपचार
4.6
वैकि पक उपचार म समानताएँ
4.7
सारांश
व-आकलन अ यास
व-आकलन अ यास क उ तर कंु जी
व-जाँच अ यास क आकलन कंु जी
संदभ
सझु ावा मक पठन–साम ी
वेबिलक
ं
80
4.0
तावना
मॉडयूल 2 म आपने कुछ परामश तकनीक के बारे म सीखा जो सं ाना मक अ त: ेप , आदतन यवहार
म प रवतन और पा रवा रक अ तरवैयि क संबंध क गितक तथा इनके यि के यवहार पर भाव को
रे खांिकत करती ह । आपने समहू परामश और साथी परामश के मह व के िवषय म भी अ ययन िकया जो
िविभ न प रि थितय के अनक
ु ू ल क जा सकती है । यह इकाई आपको उपचारा मक यवहार के अ य प से
प रिचत कराएगी जो एिशयन देश जैसे भारत, चीन, जापान, आिद म यापक प म चिलत ह । ये पर परागत
और देशज उपचारा मक णािलयाँ ह जो इन देश के िविभ न े व सजातीय म, आधिु नक औषिधय के
पहँचने से पहले ही, हजार साल से यु त होती आई ह । मा यता यह है िक परामश को अिधक भावशाली
बनाने के िलए चिलत आधिु नक परामश तकनीक जो मॉडयल
ू 2 म विणत ह, के साथ-साथ इस इकाई म दी
गई पर परागत प ितय का योग भी िकया जा सकता है ।
िव व क अिधकांश सं कृ ितय क िविश ट उपचार प ितयाँ ह । इस इकाई म िव व के िविभ न भाग म
यु त सम त वैकि पक उपचार के प को समािहत करने का थान नह ह । बि क, यह आपको एिशयाई
देश म चिलत लोकि य आरो यकर यवहार का एक संि त िववरण उपल ध कराएगा । इन उपचार के
यवसाियय ने बीमा रय को कम करने म और वा य संवधन तथा क याण म इनके भाव का परी ण
िकया है ।
आप इस ओर जाग क ह गे िक ये यवहार िनर तर अिधकािधक लोकि य होते जा रहे ह य िक लोग बहत
से रोग से मिु , सामा य आरो य और वा य एवं क याण सवं धन म इनके मह व को वीकृ ित देते ह । यह
जानना अ य त रोचक है िक इनम से सभी शरीर व मि त क के बीच घिन ठ स ब ध पर बल देते ह और इनम से
बहत सारे यि के आ त रक जगत, आ त रक िवचार और अनुभूितय क गहन समझ और ान पर आधा रत
ह।
आप यह खोज करगे िक ये पर परागत आरो यकर णािलयाँ कै से काम करती ह । वे पि तयाँ िजनका इस इकाई
म वणन िकया गया है, वे ह – योग, यान, रे क , ािणक आरो यकर, ए यू ेशर और ए यपू ंचर; िजनका आप
एक िश क परामशदाता बतौर, यापक िश ण के उपरा त भावशाली ढ़गं से योग कर सकगे । वतमान
इकाई आपको इन प ितय और उनके आधारभतू ान से प रिचत कराएगी ।
4.1
उेय
इस इकाई के अ ययन के बाद, आप स म हो जाएगं े –
• पवू देश म यापक प से चिलत िविभ न उपचारा मक और आरो यकर प ितय का वणन कर सकगे ।
• देशज और पर परागत आरो यकर प ितय और सं कृ ितय के म य सबं धं को पहचान पाएगं े ।
• इन वैकि पक उपचार के ाना मक आधार, िव वास , मा यताओ ं और आ याि मक पर पराओ ं का
परी ण कर सकगे ।
81
4.2
पर परागत आरो यकर प ितय क ासिं गकता
शारी रक व मानिसक बीमा रय के िलए देशज और पर परागत आरो यकर प ितयाँ येक समाज म बहत
समय पहले से ही अि त व म ह । आधिु नक औषिधयाँ जैसा पा चा य औषिधय व इससे संबंिधत िविधय का
टांत ह, तल
ु ना मक प से अिभनव ह, िक तु बीमा रय के उपचार के िलए स पणू िव व म मख
ु ता पा चक
ु ह।
वा तव म, ‘वैकि पक उपचार’ का िवचार यह मानता है िक मुख उपचारा मक परे खा आधुिनक औषिधयाँ
ह और पर परागत आरो यकर णािलयाँ वयं को वैकि पक के प म ततु करती ह । तथािप उपचार के
देशज प िव व के बड़े भाग म िनर तर यु त होते आ रहेे ह, िवशेषकर पर परागत समाज म । यह जानना भी
रोचक है िक पर परागत आरो यकर प ितय का पनु थान हो रहा है य िक लोग आधिु नक औषिधय क
सीमाओ ं को भी जानने लगे ह । आधिु नक िचिक सक य उपागम मनु य का इलाज यापक प से जैिवक और
रासायिनक णाली के प म करते ह और उनके भावना मक, सामािजक और आि मक आयाम क उपे ा
करते ह । वैकि पक उपचार मानव क अ व थता को सम ता म संबोिधत करते ह और इसिलए आधुिनक
औषध िव ान ने भी इन प ितय को अपनी इलाज क प ितय म समािव ट करना ांरभ कर िदया है ।
4.3
सं कृित एवं वा य
वैकि पक उपचार या आरो यकर णािलय को समझने से पवू , सं ेप म, सं कृ ित व वा य के म य संबंध
को जान ल ।
आप अपने ितिदन के वातालाप म बहधा सं कृ ित श द का योग करते ह । पर या कभी आपने इस श द का
अथ वयं से पछू ा है ? सं कृ ित एक अमूत त य नह है । यह उन सबका योग है जो हमारे ितिदन के जीवन को
संचािलत करता है । यह मानव समदु ाय के सामूिहक ान का समु य है जो उसके आधारभूत मू य , पर परागत
यवहार , अ तरवैयि क स ब ध के मानक िजसम प रवार समािहत ह, जीवन के सम त े क ि याप ित
/ रवाज और सव यापी शि िजसे ई वर कहा जाता है, के ित धारणा ारा य त िकया जाता है । यह हमारे
अपने अनभु व को समझने, या या करने, आकलन करने और िति या करने के तरीक को भािवत करती
है । इसका बड़ा गहन और अल य भाव पड़ता है और यह ज म के साथ ही ार भ हो जाता है । हम अपनी
सं कृ ित के ित तब अिधक जाग क हो जाते ह जब हम वयं से िभ न सं कृ ित के लोग के ित खल
ु ते ह ।
िजस कार सं कृ ित हमारे जीने के तरीके को भािवत करती है, उसी कार हमारे वा य व आरो यकर
णािलय के ित हमारी धारणाओ ं को भी भािवत करती है । जब हम आधिु नक औषध िव ान क ि से कुछ
पर परागत प ितय को देखते ह तो वे हम बहत िविच तीत होती ह । पर परागत आरो यकर प ितय ारा
उपचार के कई उदाहरण आधिु नक औषिध के तक को चुनौती देते ह/ का िवरोध करते ह । िचिक सा वै ािनक
भी अब यह वीकार करने लगे ह िक शरीर और मि त क का अ ययन पृथक-पृथक नह िकया जा सकता है,
दोन एक दसू रे को भािवत करते ह । उपचार के वैकि पक प म िच का पनु थान इसी समझ का प रणाम
है और वै ािनक इसके औिच य को खोजने का य न कर रहे ह ।
िविभ न सं कृ ितय म अपनी पर परागत आरो यकर प ितयाँ ह, जो उनके अपने मानक , मू य , िव वास और
अ तरवैयि क सबं धं पर आधा रत ह ।
82
आप कुछ रोग के चलन म भी सां कृितक िविवधता पाएगं े; जैसे – कािडयोव कुलर ( दय सबं धं ी) रोग या
िवशेष कार का कसर । के वल यही नह , िविभ न सं कृितय के म य के शोध भी सझु ाव देते ह िक मानिसक
िवकार के शु आत के तरीके , ल ण के समहू और अविध िविभ न सं कृितय म अलग-अलग होते ह । व ड
है थ आॅगनाइजेशन (WHO) (1979) ने नौ सं कृितय पर एक अ ययन िकया और पाया िक ऐसे मरीज िजनम
िसजो े िनया का िनदान पाया गया उनक ि थित पूव देश (भारत और नाइजी रया) म पि मी देश जैसे यू एस
ए और यरू ोप क अपे ा बहत बेहतर थी; जो मु यत: उनके आ याि मकता क गहरी पैठी जड के कारण थी ।
िकसी को भी इसके कारण को िदए गए समाज के िव वास और यवहार म खोजने क आव यकता है । इस
कार वा य और आरो यकर प ितयाँ सं कृित के अंगभतू अिनवाय भाग ह ।
उपचार क वैकि पक णािलयाँ जो इस मॉड्यल
ू म विणत क गई ह, उनक जड़ िवशेष प से एिशयाई देश
क आ याि मक पर पराओ ं पर आधा रत ह । इसे आगामी भाग म िव तार से विणत िकया जाएगा ।
व-जाँच अ यास–1
1-
अपनी सं कृित म चिलत कुछ पर परागत आरो यकर प ितय का वणन क िजए ।
2-
सं कृित का या अथ है ?
3-
सां कृितक िव वास और पर पराएं िकस कार वा य और आरो यकर प ित को भािवत करती
ह, वणन क िजए ।
गितिविध 1–
1-
अपने समुदाय म चिलत घरे लू उपचार के नु ख के िवषय म जानकारी एक क िजए ।
2-
आपके समदु ाय म मिहलाएं तथा पु ष अपनी सम याओ ं या सक
ं ट क ि थितय से जझू ने के या
उपाय अपनाते ह ? ऐसे समय म उ ह िकस कार क समथन णाली से सहयोग िमलता है ? इसी
कार का अवलोकन दसू रे समदु ाय व सं कृित के लोग का भी िकया जा सकता है ।
3-
वयं का, अपने प रवार का तथा दो त का उपरो त प रि थितय म अवलोकन क िजए और इन
प रि थितय म अपनाई जा रही िविभ न प ितय क भावका रता का परी ण क िजए ।
4.4
आ याि मकता, वा य एवं क याण
वा य का अथ शारी रक और मानिसक रोग क अनपु ि थित मा से कह बहत अिधक है । हमारे अि त व
(होने) के कई प ह – शारी रक, भावना मक, सामािजक, बौि क और आ याि मक । इन सब प क
सु यवि थत ि या णाली जो स पणू काय णाली कहलाती है, हमारी भािवता और क याण क वा तिवक
सचू क ह । यह जीवन के ित शाि तपणू , सकारा मक और व तुिन ठ यवहार / झान से उ प न होती है । एक
मह वपूण त य यह है िक कसर जैसे रोग से वा य लाभ पाने म मरीज क इ छा शि और सकारा मक
यवहार बहत अिधक भावकारी िस होता है । एक उदीयमान े साइको यूरो- इ यनू ोलॉजी (मनो- तंि का
िव ान ) का है जो भावनाओ,ं मि त क और ितर ा णाली के म य उन संबंध क खोज कर रहा है, जो
83
हमारे शरीर क सं मण से लड़ने क मता और दसू री बीमारी उ प न करने वाली ि थितय से लड़ने के तरीक
को भािवत करते ह । मानिसक वा य का करण मॉड्यल
ू 10 म बताया गया है । यहाँ पर हम सं ेप म
आ याि मकता और सवागीण वा य से इसके संबंध तथा क याण क भावना क भिू मका के िवषय म पढ़गे ।
िपछले दो दशको म (साइकोलॉजी) मनोिव ान को नए यय (श द) जैसे इमोशनल कोि येंट (EQ )
(भावना मक भागफल) और ि यअ
ु ल को यट (SQ) (आ याि मक भागफल) से य त िकया जाने लगा है ।
मनोवै ािनक क मा यता है िक इ टेलीजस को यट (IQ ) (बुि लि ध) या िवेवेकपणू िच तन के िलए िकसी
क भावनाओ ं के ित अ छी सार-संभाल आव यक है । भावनाएँ (इमोशन) आ याि मकता क मजबतू न व पर
िनभर करती ह , जो हमारी भावनाओ,ं िवचार और ि याओ ं को एक िव ततृ , गहन और समृ आधार दान
करती ह । आ याि मकता हमारे अि त व के सार त व का सक
ं े त है, हमारे होने क एक गहन वा तिवकता, जो
हमारे जीवन और हमारी दिु नया को अथव ता दान करती है । भारत क बहत-सी आ याि मक पर पराओ ं के
अनुसार (वेदा त, योग, बौ और जैन ) िव व क िव ततृ असाधारणता के पीछे एक एकता िनिहत है िजसम
हम सब भी सि मिलत ह । जीवन म अनुभतू सीमाओ ं और िनर तर दख
ु से मिु के िलए उसक पहचान करना,
उसे पहचानना अित आव यक है ।यह हम अपने अ दर के देव व के ित सचेत करेगा । इस त य को उपेि त
करना शाि त और स नता को समा त कर देगा।
कृित के येक रचना, छोटी से बड़ी तक, चाहे वह जीिवत हो अथवा िनज व, उ कृ ट और भ य है । येक
कृिम, पु प, वृ , प ी और करोड़ ऐसी अ य जाितयाँ अि तीय रचनाएं ह, िजनके पास अपने जीवन और
िनर तरता बनाए रखने क अि तीय ि या है । इन सबके होने का या कारण है ? हम इसे ‘ई वर’ कहते ह
य िके इस रह य क गहराई को पाना किठन है और हम इसक क पना मानव पी यय म करते ह और उस
रचनाकार को अपनी क पना से सोचते ह । पवू आ याि मक पर पराएं िज ासओ
ु ं क वश
ं ाविलय ारा हजार
वष तक इन मु के गहन िव लेषण और परी ण के प रणाम व प उ प न हई ं। वे घोषणा करते ह िक मानव
और उसके िव व के अि त व का गहनतम रह य या गहनतम स य उसके वयं के गहन आधार,जो आ मा या
ा ण कहलाती है, म िनिहत है जो सम त सिृ क गोचर और अगोचर रचनाओ ं म या है । वे अपने ान पर
अधं िव वास करने क माँग नह करते बि क उनके व त य क स यता क जाँच हमारी वयं क या ा, जो िक
अ तजगत क या ा है , के ारा करने का िनवेदन करते ह । वे हम इसके माग भी बताते ह । इन आ याि मक
पर पराओ ं से ा त ान और ा गहन तक ारा समिथत है । इससे भी अिधक ये मा अमतू अवधारणाएं,
िवचार या िस ा त भर नह ह, बि क ये हमे अपने जीवन को शाि त व आन दमय जीने म सहायता करती ह
और इसीिलए जीवन का िव ान कहलाती ह ।
आगामी भाग म आप िजन उपचार का अ ययन करगे उनक जड़ भारत, चीन और जापान क आ याि मक
पर पराओ ं म िनिहत ह जो बहत से एिशयाई देश म लोकि य ह । आधिु नक पा चा य िचिक सा यवसाई भी
धीरे -धीरे वा य और आरो यकर म इनक उपयोिगता को वीकार करने लगे ह । रोचक बात यह है िक ान के
बहत से े म एक मौन ाि त आ रही है, जहाँ िविभ न अनश
ु ासन के िच तनशील और िवचारशील मि त क,
िजसम िवशु िव ान जैसे िफिज स और बायोलॉजी शािमल ह, अपने े से िभ न अनुशासन (िवषय ) क
बात सनु ने क इ छा दिशत करने लगे ह । भले ही, वे उनके अपने े से मेल न खाते ह । वे आ याि मक
84
ान यव था जैसे वेदा त, योग, बौ और जैन क परेखाओ ं म अपनी धाराओ ं के सम वय के बढ़ते मह वपणू
सार क घटनाओ ं क अपार सभावनाएँ देख रहे ह ।
व-जाँच अ यास -2
िदए गए िवक प से चयन कर नीचे िदए गए वा य को परू ा क िजए ।
a.
मन, मि त क और ितर ण णाली
b.
वेदा त, योग, बौ व जैन
c.
शारी रक, भावना मक, बौि क व आ याि मक
1-
वा य ---------------------- आयाम क समि वत काय णाली है ।
2-
साइको- यरू ो-इ यनू ोलॉजी (मनो-तिं का िव ान) ------------------------- के म य सबं धं का
अ ययन करता है ।
3-
िवशु िव ान जैसे जीविव ान और भौितक िव ान अब मानव और ाकृितक जगत क या या
करने के िलए आ याि मक णाली के --------------------- से सहयोग ा त करने लगे ह ।
4.5
वैकि पक उपचार
आज यवु ाओ ं और ब च म बढ़ती हई अशाि त व असतं ोष के साथ यह माना जाने लगा है िक बा ि थितय
या सम याओ ं का समाधान हमारे भीतर िनिहत है । इसके िलए आ याि मकता के पोषण पर बल िदया जाने लगा
है । अत: िविभ न सं कृितय म पर परागत आरो यकर प ितय पर चिलत आधिु नक औषध णाली और
परामश तकनीक के साथ साथ बल िदया जाने/ मह व िदया जाने लगा है ।
आप िश क परामशदाता के प म, या िकसी भी पर परागत आरो यकर प ित म िशि त होने के उपरा त ,
इनका उपयोग आ याि मक झक
ु ाव या िवशेष िव ािथय के िलए कर सकते ह ।
4.5.1 योग
योग वा य एवं क याण क भावशीलता बढ़ाने के िलए स पणू िव व म सपु रिचत है । इस प ित का मल
ू
ोत ’पतंजिल योगसू ’ है, जो आज से लगभग 2500 वष परु ाना है । य िप ाय: योग को के वल शारी रक व
वसन अ यास के प म ले िलया जाता है, यह ान क एक गहन णाली है, जो जीवन और िव व स ब धी
अिधक बड़े न को समािहत करती है । ी योगे (1975) के श द म ‘योग शारी रक, मानिसक, नैितक और
आ यि मक जगत म व-सं कृ ित और व- िश ा क एक समि वत तकनीक है ---- इस अथ म योग मानव का
िव ान है’। योग एक स पणू णाली है जो आ त रक जगत क गहन खोज के िलए मागदशन उपल ध कराती
है िक मि त क, भावनाओ,ं िवचार और आदत को कै से डील (सामना) कर िजससे इस िनर तर प रवतनशील
जगत म एक यि अिधकतम उ पादकता और शाि त के साथ भावकारी जीवन जी सके । इसक िविश ट
85
तकनीक है िजसके ारा एक यि गहनतम आ याि मक तर जो ‘समािध’ कहलाती है, को ा त कर सकता
है । आगामी भाग म आप इसके सै ाि तक व यावहा रक आयाम के साथ – साथ आरो यकर और उपचार म
इसक साथकता के िवषय म भी जानगे ।
पतंजिल के ’योगसू ’ जो महिष पतजं िल ारा िलखा गया इस िवषय पर उ च मू य वाला सािह य उपल ध है,
जो आज से लगभग 2500 वष पहले िलखा गया है । यह मानव मि त क और इसक उन वृितय क गहन खोज
करता है जो जीवन म अशाि त, हताशा, दद और द:ु ख उ प न करती ह । यह शरीर, वास और मि त क को
अनुशािसत करने और शरीर तथा मन क काय णाली को संतुलन व सम वयन थािपत करने क तकनीक देता
है । यह हमारे अि त व क उन गहराईय तक भी पहँचता है जो हमारे शरीर और मन क सचेतनता से भी आगे
जाता है और इसक गिु थय को उनके िलए सल
ु झाता है जो इसके ारा सझु ाई गई जीवन शैली और आदश का
अ यास, अनगु मन और अनभु व लेते ह ।
4.5.1.1 योग के दशन का सिं त प रचय
हजार वष पहले भारतीय योिगय , महिषय ने यह खोज िलया था िक वा तिवक स नता बा जगत क
व तुओ ं म खोजना सदैव मगृ मरीिचका ही रहेगा य िक स नता व अ स नता का च कभी समा त नह हो
सकता है । अिधकांश यि छोटी-छोटी और अश
ं कािलक स नताओ ं तक ही सीिमत रहते ह । योगी कहते
ह िक आ याि मक िमक िवकास क कुछ अव थाओ ं म बहत से जीवन क तल
ु ना म सिं त और अ थाई
स नताओ ं से हम असंतु ट हो सकते ह और जीवन के गहरे अथ को जानने और दद व द:ु ख से मिु पाने क
अपनी या ा ारंभ कर देते ह । हमारा ल य आ त रक िवकास है और योग हम इस माग पर आगे बढ़ने के िलए
व-सं कार क तकनीक उपल ध कराता है । योिगय ने इसे ा त करने क िविधयाँ िवकिसत क ह । योग दशन
के अनसु ार, आ त रक िमक िवकास कृित का िनयम है ।
‘योग’ श द क उ पि सं कृ त के श द यजु से हई है िजसका अथ है ‘जड़ु ना’ । भारतीय दशन/ आ याि मक
पर पराओ ं क सव च अवधारणा के अनसु ार सम त य ( प ट) ा ड िजसम मनु य भी सि मिलत ह, के
पीछे कोई गहन वा तिवकता है । यह गहन वा तिवकता’ आ मा’ या बा ण कहलाती है । यि क चेतना को
इस गहन वा तिवकता से जोड़ना ही योग है । इस कार दो क चेतना का एक करण हो जाने क अव था, साथ
ही साथ, वह मानिसक ि या व अनुशासन िजसके ारा यह एक करण ा त होता है, दोन ही योग कहलाते
ह । इस उदा त अव था तक के वल व-सं कार व अनश
ु ासन ारा ही पहँचा जा सकता है । व-सं कार क इस
ि या के आठ आयाम है जो अ टांग-योग कहलाते ह । योग के ये आठ चरण शारी रक, नैितक,भावना मक
और मनो-आ याि मक, वा य को ा त करने के तािकक माग को दिशत करते ह । ये आठ चरण आ त रक
िमक िवकास क आठ अव थाओ ं को सि मिलत करते ह, जो िन नािं कत तािलका ारा प ट ह –
86
तािलका 4.1 मो हेतु अ टांग योग के आठ चरण
यम
यि के नैितक आधार-अिहंसा, स य, अ तेय,
िनयम
िन य अ यास- शौच, सतं ोष, तप, वा याय, ई वर ािवधान
ाणायाम
आसन
याहार
वास का िनयमन
वास शैली के साथ सम वयन करते हए शारी रक अ यास
बा जगत से िवषयासि को हटाना
धारणा
मानिसक एका ता
यान
ई वर व का यान
समािध
चय,अप र ह
वैयि क चेतना को (पराभौितक) लौिकक चेतना, आ याि मक मो से जोड़ना
योग के थम दो चरण ‘यम’ और ‘िनयम’ योिगक िश ण के िलए उपयु त नैितक आधार दान करने हेतु ह।
यम पाँच नैितक गणु का सक
ं े त करता है, जो ह– अिं हसा (िकसी भी कार क शारी रक या मानिसक अिहसं ा)
स य ( काय व िवचार म स यता), अ तेय (िकसी भी कार के गलत योग से बचना), चय (िकसी भी
कार क तृ णा या िवषयासि से मुि ), अप र ह( िकसी भी कार के व वबोध (यह मेरा है ) से
मु त झान । िनयम उन पाँच अ यास क ओर संकेत करता है िजनका येक को अपने जीवन म पालन
करना चािहए । ये ह – शौच (शु ता), संतोष (संतुि ) तप (कठोर िनयम) वा याय ( व-अ ययन) और ई वर
ािनधान(आ म –समपण) । शु ता शरीर व मन क शु ता क ओर संकेत करती है । साि वक भोजन, व छता
और सकारा मक िवचार और भावनाओ ं यु त मि त क । संतोष बा व आतं रक यवधान के म य मनमि त क के अ ु ध और धैय बनाए रखने का संकेत करता है । कठोर िनयम व–अनुशासन और धम थ या
यौिगक सािह य के वा याय क ओर सक
ं े त करता है और आ म – समपण का अथ वयं को सव च चेतना
के ित समािपत कर देना और वयं को अहं से मु त कर लेने से है । इनम से येक ‘यम’ और ‘िनयम’ क
गहन मनोवै ािनक साथकता है और शाि त, धैय और द:ु ख से मिु ा त करने एवं आन दपणू जीवन जीने
यो य बनाता है । यह यि म जीवन के उ चतम उ े य को ा त करने का आदत भी िवकिसत करते ह ।
आसन एवं ाणायाम – दोन ही शरीर और मन (मि त क) दोन के वा य क ओर संकेत करते ह ।
व थ जीवन के िलए कुछ शारी रक अ यास को वास के साथ समि वत करते हए िनयिमत अ यास
87
िकए जाते ह । इनका आ त रक पा तरण और चेतना के उ तम तर क ओर ले जाने म मह वपणू अथ है ।
‘ ाण’ का अथ नीचे समझाया गया है ।
ाण – यह एक व- फूितदायक शि है जो येक यि म या त है । साथ ही साथ, स पूण हमांड के सब
तर म भी या त है । यह शारी रक शि , मानिसक शि , बौि क शि , आ याि मक शि एवं ांडीय
शि के प म काय करता है ।यह सम त चरा-चर म या त है ।
ाण सम त कार क ऊजा का समु य है जो सम त ाडं म उजागर है । यह एक मह वपणू शि है । वास
ाण का बा य ीकरण है । इस बा वास पर िनयं ण के अ यास के ारा यि अपने अ तिनिहत ाण
को िनयिं त कर सकता है । ाण पर िनय णं मि त क पर िनयं ण को बढ़ाता है ।
धारणा, यान और समािध
आ त रक िवकास क इन तीन अव थाओ ं का ल य मि त क को एक िब दु पर के ि त करना है िजसम गहन
यान के साथ एक दीघ अविध तक रहा जा सके । इसम भी आ त रक पणू ता क साथकता क परत दर परत
होती ह, िजसम वैयि क चेतना का सव च चेतना के साथ िमलान करना शािमल है ।
उपरो त विणत कई चीज रह यवादी तीत हो सकती ह । तथािप वे मानव इितहास म हजार वष से योिगय
और साधओ
ु ं के वश
ं ारा यवहार म लाई और मािणत क जाती रही ह । यही नह , इस प ित पर कई शोध
अ ययन भी िकए जा चुके ह और इसके शारी रक व मानिसक वा य के मू य पर भी अ ययन िकया गया
है । योग यह िश ा देता है िक एक व थ यि वह है िजसका शरीर, मन और आ मा समरसता म ह । इसिलए
अ छे वा य के िलए साधारण, ाकृितक भोजन, ताजी हवा म यायाम, एक िनमल और शा त मि त क
और मनु य के गहनतम एवं उ चतम व का ई वर क आ मा के अश
ं होने क जाग कता क आव यकता है ।
व-जाँच अ यास -3
िदए गए िवक प से चयन कर वा य परू े क िजए :
a समािध
b यम, िनयम
c आसन
1-
अिं हसा और स य नैितक गणु --------- क ओर संकेत करते ह तथा शौच एवं संतोष का िनयिमत
अ यास ------------ क ओर संकेत करते ह ।
2-
--------------------शारी रक अ यास को वास के साथ समि वत करना है ।
3-
वैयि क चेतना का
ांडीय चेतना के साथ एक करण ------ क ि थित क ओर संकेत करती है ।
4.5.2 यान
योग म यान या िकसी एक िब दु पर यान के ण व-सं का रत करने का अिनवाय भाग है । साधारण श द
म प रभिषत िकया जाए, तो यह मि त क को शा त करने क ओर इशारा करता है । येक आ याि मक और
धािमक पर परा यान के मह व पर बहत जोर देती है और इसीिलए यान के अनेक व प का उ व हआ है ।
88
हजार वष से यान का मह व द:ु ख /क ट के शमन और आरो यकर को ो सािहत और यव त करने के िलए
िकया जाता रहा है और इस ि या म िविवध तकनीक का उ व हआ । तथािप, यान क सम त तकनीक
को दो आधारभतू वग म रख सकते ह : के ि त यान और सचेतन यान ।
4.5.2.1 के ि त यान
के ि त यान वह तकनीक है िजसम वास पर सावधान देख-रे ख के साथ िकसी छिव या विन या एक मं जैसे
पिव मं ो चार करने के ारा मि त क को शा त करने म मदद करने पर के ि त िकया जाता है, िजससे अिधक
जाग कता और प टता उ प न होती है । के ि त यान का सरलतम प यह है िक बस चपु चाप बैठ जाइए और
अपना सम त यान वास पर के ि त क िजए । वास और भावना मक अव थाओ ं के म य एक ाकृितक
सबं धं है । िचि तत, भयभीत, उ तेिजत, आ दोिलत या अनमन य मि त क उथली, ती और असामा य वास
के साथ जड़ु ा होता है ।जबिक शा त, के ि त और धैययु त मि त क धीमी, गहरी और िनयिमत वास के
ित प थािपत करता है । मि त क को िनयिमत अ त: वसन और बा वसन पर के ि त करना यान के िलए
ाकृितक व तु उपल ध कराता है । जैसे ही कोई यि अपनी वास क ओर जाग क हो जाता है, मि त क
वयं ही वास के अ त:– बा वसन क लय पर के ि त हो जाता है । प रणाम व प वसन गहरा और धीमा
हो जाता है और मि त क अिधक शा त और जाग क हो जाता है । इसी कार कुछ यि िकसी छिव, श द
या विन पर यान के ि त करना सहज पाते ह । यह िकसी वैयि क ई वर क छिव या एक सु दर ाकृितक य
हो सकता है । िकसी धम के पिव श द का उ चारण करना भी वैि क प से वीकृत शाि तकर शि है । ये
सम त तकनीक हमारे िबखरे हए और अनमन य मि त क को एक थान पर के ि त करने म सहायता करती ह
और धीरे-धीरे इसे अिधक से अिधक के ि त और यान शील बना देती ह । यह बहत आसान नह ह य िक
हमारे मि त क क विृ त शी याकुल हो जाने /िवकिषत हो जाने क है । आ त रक शाि त के कुछ तर तक
पहँचने के िलए ि थर और ग भीर अ यास क आव यकता होती है । एक शा त मि त क अ- िति यावादी
मि त क होता है जो िदन- ितिदन के उतार चढ़ाव से सरलता से भािवत नह होता ।
4.5.2.2 सचेतन यान
सचेतनता का अथ है अपने िवचार , ि याओ ं या ेरणाओ ं के ित जाग क होना । यान करने वाला यि
चपु चाप एक थान पर बैठ जाता है और अपने िदमाग म चल रहे िवचार को सा ी भाव से, िबना कोई िति या
िकए या उन िवचार , याद , द:ु ख या छिवय म संिल त हए, देखता है । अपने िवचार और भावनाओ ं के
साथ भागीदारी न करते हए वयं का अवलोकन करना सरल काम नह है । मानव मि त क के जीवन भर के
अहवं ादी तरीक पर िवजय पाने के तरीके िभ न ह और सा ीभाव का झान िवकिसत करने के िलए किठन/
दीघ अ यास क आव यकता होती है । इसका आशय है ‘म’ और ‘मेरे िवचार’ तथा ‘अनुभव ’ के म य भेद
करना – अवलोककता और अवलोिकत को अलग अलग कर देखना । इस िदशा म िकए गए अ य त गभं ीर
यास धीरे -धीरे आपको एक अवलोनकता के झान उ प न करने म मदद करते ह और आप अपने बदलते
िवचार , भावनाओ ं और िति याओ ं को सा ी भाव से देख पाते ह । धीरे -धीरे आप वयं के मन- मि त क क
िवषयव तु को व तुिन ठता से देखना सीख जाते ह और यह आपको मि त क क िवषयव तु को व तिु न ठता
से देखना सीख जाते ह और यह आपको मि त क क एक शा त, प ट और अ- िति या मक ि थित को ा त
करने म सहायता करता है ।
89
यान कै से काम करता है : शोध बताते ह िक यान न के वल हमारे मन-मि त क बि क हमारे शारी रक
क याण को भी भािवत करता है । यान िव ाि त क ि थित लाता है जो हमारे आरो यकर को बढ़ाता है ।
िनयिमत यान का अ यास करने वाले यि य पर बहत से अ ययन यान का भाव जानने के िलए िकए गए
ह । यह पाया गया िक यह िविभ न शारी रक और बायो-कै िमकल संकेत जैसे िदल क धड़कन दर, वसन दर,
ला मा कॉिटसोल (तनाव का मु य हारमोन), नाड़ी क दर म कमी, पैरािस पेथैिटक गितिविधय , चम क
ितरोधक मता, अ फा तंरग - मि त क के िव ाम से जुड़ी तंरगो म वृि ारा एक व थ ि थित क ओर
ले जाता है । जैसा िक िचिक सा े म हए िविभ न शोध बताते ह िक ये सम त प रवतन िव ाम /िशिथलता
क ि थित से संबंिधत होते ह । शोध से ा त शारी रक ि थित के िवकास म यान के भाव को देखते हए
िफजीिशयन (िचिक सक), मनोिचिक सक (साइकोथेरेिप ट ) और अ य इस तरह के यावसाियक, यान क
तकनीक का अिधकािधक योग करने लगे ह। इसका वणन नीचे िकया गया है ।
आर. कै थ. वाैलेस, य.ू सी. एल. ए. ारा िकया गया अती ीय यान पर शोध बताता है िक यान के दौरान शरीर
गहन िव ाम क अव था को ा त कर लेता है । ठीक इसी समय मि त क और मन िव ाम मु त चैत यता का
दशन करते हए अिधक चैत य हो जाते ह । महिष योगी के अती ीय यान ( TM ) पर एक योगशाला म
िकया गया शोध, जो बसन और वैलेस ने हावड मेिडकल कूल म 1960 के अ त म िकया, यान के साथ आए
बहत से मनोवै ािनक प रवतन के िवषय म िव तृत जानकारी उपल ध कराता है ।
कुछ यानकता िजनक उ स ह से इकतालीस के म य थी, ने के वल कुछ ह त तक यान िकया और अ य
ने कई वष तक । सभी म गहन िशिथलता से जड़ु े प रवतन रकॉड िकए गए । सवािधक यान आकिषत करने
वाली खोज मेटाबोिलक रे ट (चयापचपी दर) म कमी थी । यह यान ार भ करते ही कुछ ही समय म आॅ सीजन
उपभोग म नाटक य िगरावट ारा देखा गया । उपभोग समा य दर से बीस ितशत तक कम पाया गया, जो गहन
िन ा म अनभु तू दर से भी कम था । यान के दौरान ( लड ैशर) र तचाप िनचले तर पर ि थर रहे, िक तु िजन
यि य ने असामा य प से उ च तर पर यान ार भ िकया उनके र तचाप म ती िगरावट दज क गई ।
• यानकताओ ं क वचा- ितरोधक मता को एक िव तु करंट पर मापा गया । वचा क ितरोधक मता
म कमी िच ता और तनाव क ि थित क िवशेषता है । इसक वृि बढ़ी हई मांसपेशीय िव ाि त दशाती
है । इसके प रणाम थे िक किठन यान ाथिमक तौर पर एक िदमागीय तकनीक है । यह बहत शी साथक
प से उ नत मासं पेशीय िशिथलता लाती ह ।
• यान तंि का तं क ि या को कम करता है । पैरािसंपथेिटक शाखा म वैि छक और अ वैि छक तंि का
णाली मख
ु ता पाती है । यह वह शाखा है जो हम शा त रखने के िलए उ तरदायी है ।
• आशंका, िच ता और तनाव क अव था म र त म ले टेट का तर बढ़ जाता है । ले टेट वह व तु है
जो चयापचीय ि याओ ं के दौरान कंकाल क पेिशय म उ प न होता है । यान के दौरान र त म ले टेट
का तर चार गनु ा अिधक कम होता है । बजाय उस व त के जबिक यान न िकया जा रहा हो, पीठ के
बल िव ाम कर रहा हो या यानकता यान-पूव क अव था म िव ाम कर रहा हो । ले टेट मु य प से
अि थ-पेिशय के िट यू म उ प न होता है, यान के दौरान शरीर म र त सचं ार ती हो जाने से पेिशयो म
आ सीजन क मा ा बढ़ जाती है और ले टेट का उ पादन कम हो जाता है ।
90
• यान जिटल िति याएं उ प न करता है जो एक उ च िव ाम क ि थित क िनशानी है । इससे भी अिधक
यानकता म प रवतन के जो ा प उ ह ने अवलोिकत िकए वे समि वत िति याओ ं का सझु ाव देते ह,
के ीय तंि का तं ारा यान िकए जाने पर ।
इस कार यह कहा जा सकता है सभी कार का यान शारी रक और मनोवै ािनक क याण लाता है और इस
कार आरो यकर को बढ़ाता है ।
4.5.3 रेक
रे क का अिव कार डा. िमकॉय सईु , एक जापानी धमशा ी ारा िकया गया। इस उपचार म हाथ का योग
आरो यकर उपकरण के प म िकया जाता है । यह के वल रे क के अ यासकता ारा ही िकया जा सकता है
अथात् इस कला म सु िशि त यि के ारा ।
रे क एक जापानी श द है जो दो श द ‘रे ’ अथात हमा ड या सव यापी और ‘क ’ िजसका अथ है ‘जीवनशि ’
से िमलकर बना है । यह चीनी भाषा के ‘ची’ या सं कृत के ' ाण' के समान है । इस कार रे क का अथ है
‘सव यापी जीवन शि ’ । हम सब इस जीवन शि के साथ पैदा होते ह, इस अभौितक ऊजा के साथ जो
सम त जीिवत ािणय म या त है । जब तक कोई व तु जीिवत है, यह जीवन शि इसम और इसके चार ओर
वाहमान रहती है । जब यह मर जाती है तो यह जीवन शि भी दरू हो जाती है । यिद यह जीवन शि कम हो
जाती है या इसके वाह म कोई कावट आती है तो वह यि बीमा रय के ित अिधक असरु ि त हो जाएगा । जब
यह जीवन-शि उ च होती है और मु त वाहमान होती है तो यि के अ व थ होने क संभावनाएं कम होती
ह । हमारे येक काय म यह जीवन शि मह वपणू भूिमका िनभाती है । यह ब ांड क सव च शि है ।
रे क का योग/अ यास िन निलिखत प रणाम देता है –
• यह जीवन शि के मु त और समान वाह को बनाए रखता है ।
• यह अनाव यक िच ताओ ं और तनाव को मु त करता है ।
• यह शरीर क अ व थता क ि थित क जड़ पर वार करता है ।
• यह चैत यता को बढ़ाता है और आ त रक चेतना क विृ करता है ।
• यह शि म विृ करता है ।
• यि एक कार के आ त रक पा तरण क अनभु िू त करता है ।
रेक का योग करना –
रे क का योग करने वाले यि
वयं से यह संक प लेते ह –
• आज म कृत ता के झान म जीवन जीयँगू ा ।
• आज म ोध नह क ँ गा ।
91
• आज म कोई िचतं ा नह क ँ गा ।
• आज म येक काम ईमानदारी से क ँ गा ।
• आज म येक ाणी के ित यार और आदर दिशत क ँ गा ।
उपरो त के िलए जो तकनीक अपनाई जाती है, वह है– शा त होकर आँख ब द करके बैठ जाना और हाथ गोद
म रख लेना, हथेिलयाँ ऊपर क ओर खल
ु ी हई । िफर यि वयं से सक
ं प करता है – ‘ म अब अपना सम त
ोध यागता हँ । आिद -------‘ इस कार ोध को अपनी हथेिलय के माग से मु त कर देता है और तब तक
ि थर बैठा रहता है जब तक िक ऊजा का वाह कम न हो जाए । यह कुछ समय ले सकता है । इस ि या के
िनयिमत अ यास से एक यि सकारा मक प रणाम देख सकता है ।
रे क िचिक सा तीन या चार स क ेणी म होती है िजसम येक स लगभग एक घंटे तक का हो सकता है ।
ैि टसनर (अ यासकता) िकसी िनदान का दावा नह करते ह । एक रे क स के दौरान एक अ यासकता किथत
प से ऊजा ख चता है और अपने हाथ के मा यम से इसे के ि त करता है । इस कार वयं और बीमार के म य
संबंध (जोड़) बनाता है । कुछ रेक िश क इस जोड़ को ‘ कािशत करना’ भी कहते ह । अ यासकता के हाथ
बारह आधार ि थितयॉं हण करते ह और येक ि थित म लगभग पाँच िमनट तक रहते ह । हाथ क ि थित
तय करने म ैि टसनर अपने सहज ान का उपयोग करते ह । सम या मक े पर हथेली दो गनु ी अविध तक
रह सकती है । कुछ रे क का योग करने वाले अ यासकता दरू से भी रे क करने का दावा करते ह ।
मा यता यह है िक हम सभी लोग के पास रे क ऊजा है और कोई भी यि अपनी हथेिलयाँ दसू रे के ऊपर
रख सकता है और उनक आरो यकर ि या को इस ऊजा के थाना तरण ारा ती कर सकता है । यि
को ारंिभक ि या से गजु रने क ज रत होती है िजसे िव ाथ रे क क ाओ ं के िविभ न तर पर अनुभव
करते ह । यह दावा िकया जाता है िक एक यि अ यास ारा शरीर से ऊजा िति याओ ं को पकड़ सकता है
(पता लगा सकता है ) जो ाय: एक ऑरगेिनक सम या और इसक ग भीरता के संबंध म सू देते ह । एक रे क
अ यासकता के हई वाता नीचे दी गई है ।
क णा (प रवितत नाम), आयु 38 साल, िवगत दो वष से रे क का अ यास कर रही है । उससे अ यास स
के दौरान, वंय व दसू रे यि य के साथ हए, ारंिभक ( ायि त) ि या और आरो यकर ि या म ा त
अनुभव को बताने के िलए कहा गया । उसके अनुभव उसी के श द म –
न - ारंिभक ( ायि त) ि या के दौरान आपने या अनभवु िकया ?
उ तर – ारंिभक ि या के दौरान जब रे क िश क ने अपनी हथेली मेरे िसर पर रखी, मेरी ऑख
ं ेबदथ
और मने ब द आँख से ही महससू िकया जैसे एक सफे द काश मेरे अ दर िव ट हआ, िजसने मझु े सरोबार
कर िदया । मेरे शरीर के बड़े र (पोर ) से काली राख िनकालकर मेरे चार ओर पृ वी पर फै ल गई । कुछ देर
बाद, मने शरीर के उ ह र ो से सफे द रोशनी बाहर िनकलती देखी । यह एक िद य अनभु व था । म बहत ह का
व आन द महससू कर रही थी । म अपनी अनभु िू तय को वयं तक रोक नह सक और मने उनक साझेदारी एक
अ य मिहला के साथ क , जो रे क िश क को सहयोग कर रही थी ।
92
न - या आप अपनी या दसू र क आरो यकर ि या के कुछ अनभु व को साझा करगी ?
उ तर – जैसे िनदश थे, मैने रे क स को 40 िदन तक िनर तर िकया । इस दौरान जैसा िक मझु े पवू म चेतावनी
दे दी गई थी, मेरा पेट खराब हआ और मझु े वर आया । इसका कारण शरीर क सफाई था । मझु े पीठ म ती
दद रहा करता था, जो इस दौरान पूरी तरह समा हो गया । एक बार मेरे दाँये हाथ के अगं ठू े म बहत दद हआ ।
यहाँ तक तक म इस हाथ का उपयोग तक नह कर पा रही थी । मैने वयं अपने ऊपर रे क क और यह तीन िदन
म पणू त : ठीक हो गया जो एक चम कार ही था ।
एक बार म 27 वष य, बौि क प से चनु ौतीपणू लड़के , िजसे बहत-सी यवहारगत सम याएँ थ , क रे क कर
रही थी । जब मने अपने हाथ उसके कान पर रखे, मझु े बहत सी गम बाहर आती महससू हई । मने अपने रे क
िश क से इसका अथ जानना चाहा। उसने मझु े बताया िक यह उस यि को घर म ा त शाि दक दु यवहार
का ितिब ब है । इसी कार जब म अपनी ननद जो आ सेिसव क पलिसव िडसआडर क िशकार थी, पर रे क
कर रही थी और मने अपना हाथ उसके िसर पर रखा तो मने बहत उ क पन महसूस िकए ।
. – जब से आपने रे क करनी ांरभ क , आपने अपने भीतर भी कुछ प रवतन महससू िकए ?
उ तर – इससे मेरे अ दर अिधक ि थरता आई है और मेरे आवेश- पणू यवहार म कमी आई है । म अिधक
िव ाम म और अिधक ऊजा पणू महससू करती हँ । इसने मेरे परू े प रवार को सकारा मक प म भािवत िकया है ।
रेक सकारा मक प रणाम के साथ िव ततृ प से योग क जा रही है । यहाँ तक िक इसका सै ाि तक आधार
तथा किथत िव ान क परेखा से पथातंरण होने के बावजदू भी इसका योग िकया जा रहा है । एक िश क
परामशदाता बतौर आपको सम त कार के अनुभव के ित खल
ु ा िदमाग ( वीकृित) रखना चािहए और
उ ह समझने का यास भी करना चािहए, चाहे इसके िलए हम अपने सरु ि त पैराडाइम से बाहर ही िनकलना
पड़े। आ त रक जगत एक िव ततृ जिटल यय है । एक वा तिवक खोजी को सम त कार क चनु ौितय को
वीकार करना चािहए, चाहे इसका अथ अपने पुराने और प रिचत िवचार के प को छोड़ना ही य न हो ।
4.5.4
ािणंक आरो यकर
ािणक आरो यकर दो ाकृितक िनयम पर आध रत है जो पया त िनि त ह, िक तु अिधकतर लोग ारा ाय:
सबसे कम यान िदए या याद िकए जाते ह ।
• व- वा य लाभ का िनयम – ( व-पनु :लाभ का िनयम) सामा यत : शरीर वयं आरो यकर करने म स म
होता है । इसक एक िनि त दर होती है । यिद िकसी यि को कोई घाव हो जाए, शरीर अपने आप इसे
कुछ िदन या स ताह म ठीक कर लेता है । दसू रे श द म, आप िकसी कार के ए टीबॉयोिटक का योग
न भी कर, तो भी शरीर इसे वयं ठीक कर लेगा ।
• जीवन ऊजा का िस ा त : जीिवत रहने के िलए यह आव यक है िक शरीर म ' ाण' ‘ची’ या ‘जीवन ऊजा’
बनी रहे । ाण या शारी रक शि भौितक शरीर को जीिवत और व थ बनाए रखती है । भािवत भाग या
स पणू शरीर म जीवन ऊजा को बढाकर
़ आरो यकर ि या को ती िकया जा सकता है ।
93
ािणक आरो यकर के अनसु ार मानव शरीर य भौितक शरीर व अ य ऊजा शरीर या इथ रक शरीर से बनता
है, िजसे बायो लाि मक शरीर भी कहा जाता है । बायो लाि मक श द दो श द 'बायो', िजसका अथ है जीवन
और ला मा, जो य क चौथी अव था या प है, से बना है । य के थम तीन प ठोस, व और गैस
ह । ला मा आयनीकृत (आयोनाइ ड) गैस या धना मक और ऋणा मक चाज वाले कण से बना होता है ।
बायो लाि मक शरीर का अथ जीिवत शि शरीर से है, जो सू म अ य य से या ई वर से बना होता है । यह
ऊजा शरीर के ारा होता है िक ला मा या जीवन शि स पणू भौितक शरीर म अवशोिषत या िवत रत क
जाती है । बायो लाि मक शरीर को आमतौर पर ‘औरा’ कहा जाता है , जो भौितक शरीर म अ त: वेिशत होकर
शरीर से कुछ दरू तक िव ततृ होता है । य िक भौितक और ऊजा शरीर पर पर अ त: संबंिधत होते ह, अत:
ऊजा शरीर क सफाई और उसे ऊजायु त करना बायोके िमकल ि याओ ं क दर को बढाता़ है और भौितक
शरीर के आरो यकर को बढाने़ को सगु म बनाता है ।
एकमा वह उपकरण िजसे एक ािणक आरो यकता योग करता है वह है एक नमक-पानी का बरतन, िजसम
अ वा यकर या रोगी ऊजा को उ सिजत िकया जाता है । के िनंग (ऊजा शरीर क अनुभूितयाँ ), व छता और
ऊजा दान करने का काम हाथ के मा यम से िकया जाता है या कभी –कभी वाड ि ि टल क सहायता से
िकया जाता है । इस िकया म वे रोगी के शरीर को छूते नह है । भौितक स पक क आव यकता इस कारण
नह पड़ती य िके अ यासकता ऊजा शरीर या बॉयो लाि मक शरीर पर काम करता है, न िक सीधे भौितक
शरीर पर । एक सामा य आरो यकर स 10-15 िमनट से लेकर डेढ़ घंटे तक का हो सकता है, जो अ व थता
क गंभीरता पर िनभर करता है । ािणक आरो यकर का योग िकसी भी ाणी पर चाहे वह िव व के िकसी भी
कोने म हो, दरू से भी िकया जा सकता है ।
ािणक आरो यकर भौितक और भावना मक असतं ल
ु न को दरू करने के िलए पवू से ही उपल ध सयू , हवा और
पृ वी का योग करते ह । इसके िलए िकसी भी कार क औिषध, गेजेट या यहाँ तक िक स जे ट (रोगी यि )
के साथ भौितक संपक क भी आव यकता नह होती है । इसक भावका रता इस त य पर आधा रत है िक
बॉयो लाि मक और भौितक शरीर म आ मीय संबंध होता है। जैसे ही हम बॉयो लाि मक शरीर को रोगमु त
करते ह, यह नवीन और पूणत: सही ा प का िनमाण करता है, िजसका अनुगमन सहभागी भौितक शरीर करता
है । प रणाम व प आरो यकर (हीिलंग) ा त होता है । ािणक आरो यकर म िकसी यि क सम या से
मिु रोगी के अ य शरीर से रोगी ऊजा को सामा य प से बाहर िनकालकर और भािवत े म हाथ के
मा यम से ताजी जीवन ऊजा ( ाण) का थाना तरण करके क जाती है । यह शरीर क वयं आरो यकर करने
क नैसिगक मता को पनु जागतृ करने म उ ेरक का काम करता है । ािणक आरो यकर को स पणू िव ततृ
ेणी के शारी रक, भावना मक व मानिसक रोग को रोकने, कम करने और रोगमु त करने के िलए मह वपणू
पाया गया है ।
व-जाँच अ यास 4
1- रे क का उ व िकस देश म हआ ? रे क श द का या अथ है ?
2- ािणक आरो यकर के दो िनयम का सं ेप म वणन क िजए ।
94
4.5.5 ए यू ेशर एवं ए यपू च
ं र
परा परागत चीनी िचिक सा म यह माना जाता है िक शरीर म रोग ’ची’ ( ाण के समान) के शरीर के कुछ 14
मे रिडयन म अवरोिधत हो जाने से उ प न होते ह । मे रिडयन शरीर के ारा ‘ची’ या ‘ वी’ के वाहमान रहने
क यातायात ( ासपोटशन ) णाली है । ए यू ेशर व ए यपू ंचर दोन ही ऊजा के मु त वाह को पुन: ो सािहत
करते ह । ए यू ेशर म ेशर ( वांइट) िब दओ
ु ं पर अगं िु लय , अंगूठे व हथेिलय क सहायता से भािवत े पर
मािलश क जाती है । उदाहरणाथ– िनजलीकरण, िसरदद को दरू करने के िलए अंगठू े व तजनी के म य मािलश
क जाती है ।
ए यपू चं र का अथ है– सईु से छे दना । इसम िचिक सक य उपचार के िलए महीन सईु य को उ तेिजत करने
के िलए कुछ िविश ट एनाटोिमक िबदं ओ
ु ं पर (जो ए यू ंवाइट या ए यू ेशर वाइं ट कहलाते ह ) वचा म
चभु ाया जाता है । पंचर करने के सामा य िविधय िजसम वचा म महीन सईु याँ चभु ाने के साथ ही, ए यपू ंचर
का अ यासकता िव तु – चु बक य (इले ोमैगनेिटक) ऊ मा का योग ऊ मा, दबाव, घषण, चषू ण व आवेग
ारा िबंदओ
ु ं को उ तेिजत करने के िलए करता है । िपछले 40 वष म ए यपू ंचर बहत से देश म ात िचिक सा
प ित के प म थािपत हो चुका है । ए यपू ंचर के अ तगत ‘ वी’ या ‘ची’ ( ाण के समान) वाह को वा य
को पुन: ा त करने के िलए िनयिमत अथवा सही िकया जाता है । मे रिडयन णाली म 1000 से अिधक
ए यू ंवाइट (ए यपू ंचर िबंद)ु होते ह । ये मे रिडयन या चैनल’ची’या ‘ वी’ के वाह को बढाने के िलए उ तेिजत
िकए जा सकते ह । ए यपू ंचर का योग शरीर के मे रिडयन म अवरोध के कारण उ प न रोग के िनदान के िलए
िकया जाता है । वा य सबं ंधी बहत-सी सम याएँ जैसे– र त-दाब, गिठया (आथराइिटस) मे सरु ल सम याए,ं
पाचन सम याए,ं िसरदद, वास (दमा) और बहत-सी तिं का सबं धं ी ( यरू ोलॉिं जकल), दय सबं धं ी (वॅ कुलर)
सम याए,ं एलज आिद ए यपू चं र प ित के ित िति या य त करती ह । ड यू 0एच0 ओ0 (िव व
वा य संगठन) ने 100 ऐसी बीमा रय क पहचान क है जो ए यपू ंचर ारा कम क जा सकती ह ।
चीनी दशन के अनसु ार हमम तीन कार के खजाने ह – यूई या ची, शेन एवं िजंग । यईू ऊजा या जीवन ऊजा,
शेन आ मा और िजंग हमारा सार है । यईू जीवन शि (या जीिवत व त)ु और सम त व तओ
ु ं म वाहमान
संगिठत करने का िनयम और दोन क अ तिनभरता को थािपत करने वाली है । चीनी लोग यह मानते ह िक
येक जीिवत ाणी (मनु य व अ य ाणी) के पास ‘ यूई’ िव मान है । शरीर म ‘ यईू ’ दय एवं फे फड म
र त और आ सीजन के वाह म पाई जाती है । शेन वह खजाना है जो जीवन को चमक/ काश देता है और
चेतना मानिसक मताओ ं के िलए उ तरदायी है । कभी –कभी उसक तल
ु ना ‘आ म’ से भी क जाती है । ‘शेन’
यि व, िवचार, सवं ेदी य ीकरण और ‘ व’ के ित जाग कता के प म सु प ट होता है । ‘िजगं ’ िवकास
के िलए उ तरदायी होता है, िजसक तल
ु ना पा चा य अवधारणा म जैिवक उ तरािधकार से क जाती है ।चीनी
लोग यह मानते ह िक येक यि 'िजंग' क सीिमत मा ा के साथ उ प न होता है । जैसे-जैसे यि बड़ा होता
जाता है थोड़ी-थोड़ी मा ा म िजंग का उपभोग करता और इसे कम करता जाता है । यिद एक बार ‘िजंग’ समा त
हो जाए, तो हमेशा के िलए चली जाती है । यिद हम एक गलत या लापरवाह िज दगी जीते ह तो हम ‘िजंग’ को
सदैव के िलए खो देते ह । िक तु यिद हम एक संतुिलत जीवन जीते ह तो िजंग को सुरि त िकया जा सकता है
। ाचीन चीनी लोग इस बात पर िव वास रखते थे िक एक दीघ और उ पादक जीवन जीने के िलए जीवन के
95
येक े म सतं िु लत (मोडरे ट) जीवन जीना आव यक है । ए यपू चं र िजगं के कम होने को कम करता है । िजगं
क कमी के िलए बहत से त व योगदान करते ह । ऐसा माना जाता है िक बहत अिधकता म जीवन को जीना,
बहत अिधक मादक य सेवन, भावना मक अिभ यि य क अित, अ यिधक कठोर प र म, असाम य
से सअ
ु ल यवहार आिद के प रणाम व प िजंग म कमी आ जाती है । सभी चीज का संतुिलत मा ा म होना
अ छे वा य व अ छे जीवन क कंु जी मानी जाती है ।
ए यपू ंचर कै से काम करता है, इसे जानने के िलए चीनी दशन और ियन और यांग के िस ांत को समझना
आव यक है । समरसता और संतुलन का िवचार ियन और यांग का आधार है । इस िस ांत के अनुसार ांड
क येक व तु िवपरीत शि य के पार प रक ि या के कारण है जैसे उजाला और अधं ेरा, ठंडा और गरम
आिद । ियन और यागं मोमब ती क तरह होते ह । ियन मोमब ती के मोम को य त करता है । यागं इसक
वाला का तीक है । ियन (मोम) यांग ( वाला) को पोषण और सहारा देता है । वाला अपने अि त व के िलए
मोम पर िनभर करती है । यांग ियन का उपभोग करता है और इस ि या म वह उ वल काश देता है । जब
मोम (ियन) समा त हो जाता है, वाला भी समा त हो जाती है । इस कार आप देख सकते ह िक ियन और यांग
अपने अि त व के िलए एक-दसू रे पर िनभर ह । इस कार स पूण रचना ियन और यांग शि य के पार प रक
िति या के कारण है । शरीर, मि त क और भावनाएं भी ियन और यांग के भाव का िवषय ह ।जब पर पर
िवपरीत दो शि याँ संतल
ु न म होती ह तो हम अ छा महससू करते ह । िक त,ु जब एक शि दसू रे पर हावी होने
लगती है, तो यह एक असंतुलन पैदा कर देता है, िजसका प रणाम अ व थता के प म हो सकता है । ए यपू ंचर
का उ े य ियन और यांग म संतुलन को बनाए रखकर एक यि को बीमा रय से बचाना और वा य को
पनु : ा त करना है ।
ए यू ेशर ए यपू चं र क तल
ु ना म अिधक परु ाना, सरल और कम सू म है जैसा िक इसम यु त उपकरण महीन
ल बी सईु य क अपे ा अंगिु लय के समान चौड़ा होता है । इसके प चात भाव (साइड एफे ट) भी ए यपू ंचर
क तुलना म कम ह जहाँ टॉि सन के मु त हो जाने या मांसपेशीय समहू के realigning का खतरा रहता है ।
4.5.6 अ य आरो यकर या उपचारा मक प ितयाँ
अनेक अ य लोकि य उपचारा मक प ितयाँ है जो शरीर और मि त क के म य सबं धं को पया त मह व दान
करती ह । उदाहरणाथ भारत म आयवु द, यनू ानी, हो योपैथी और ाकृितक िचिक सा प ितयाँ शारी रक के
साथ-साथ मानिसक बीमा रय क िचिक सा के िलए बहत चिलत ह । इनम से येक का अपना सै ाि तक
आधार है और िचिक सा क एक स पणू तावादी णाली है । इनका िनदान और उपचार न के वल ल ण पर
आधा रत है बि क इसम यि क भोजन संबंधी ाथिमकताओ,ं न द के ा प, मडू और यवहार आिद को
भी सि मिलत िकया जाता है ।
उपरो त विणत सु ात उपचार के अित र त भी अ य कई प भी भारत म बहत लोकि य हो रहे ह जैसे आट
ऑफ िलिवंग कोस और बौ मं प ित । दोन ही सकारा मक सोच और दसू र के ित सहानुभिू त पूवक सोचने
के साथ ही शरीर व मन को व छ करने के अ य तरीक पर भी बल देते ह । आट ऑफ िलिवगं कोस के अ तगत
यु त सदु शन ि या लयब वसन क और लोग को उनके शारी रक व मानिसक सम याओ ं से पार पाने के
96
तरीके क शि शाली तकनीक के प म पाई गई है । इसके दिु नया भर म अनेक अनयु ायी ह और इसका ारंभ
यापक प से स मािनत िश क/सतं ी ी रिव शक
ं र ारा िकया गया । इसी कार अ य िस योग िश क
वामी रामदेव भी योग तकनीक िजसम ‘ ाणायाम’ भी शािमल है, को वा य विृ के िलए सा रत करने के
अनथक यास कर रहे ह ।
4.5.7 अिभ यि आधा रत उपचार – भावबोधक उपचार
भावबोधक उपचार भावना मक आरो यकर िविधय का एक अ य प है,जो मनोपचार के समान लोग क
शाि दक मताओ ं पर बहत अिधक िनभर नह है । जैसा िक श द/ यय से ही प ट है, यह रचना मक
अिभ यि य के अ य प , जैसे – कला, सगं ीत, नृ य /गित, नाटक,किवता/ रचना मक लेखन का योग वअिभ यि को सगु म करने और भावना मक आरो यकर के िलए करता है । इन उपचार का योग मनोपचार
के बहत से अ य तरीक के साथ भी िकया जाता है । िक तु ये के वल उन उपचार के प म ह िजनका उपयोग
के वल ब च , सं ाना मक प से चनु ौतीपणू लोग और िडमेि शया और अ जाइमर रोग से िसत यि य पर
ही उपयोग क जा सकती ह । यह व-अिभ यि , क पना, सि य भागीदारी और िदल-िदमाग म य थता के
अवसर उपल ध कराने का एक मा यम है । इस कार भावबोधक उपचार बहत से उपागम या प को समािहत
करता है, जैसा िक नीचे विणत है –
कला उपचार – मु य मा यता यह है िक कला क रचना मक ि या वा य और क याण को सगु म बनाती
है । यह भावना मक तनाव से जझू ने, िववाद के समाधान, अ त ि ा त करने, सम या मक यवहार को
कम करने और क याण का भाव बढ़ाने म सहायक है । यह य भाषा का एक प है िजसके मा यम से लोग
अपने िवचार और उन भावनाओ ं को, िज ह श द म अिभ य त नह कर पाते, को अिभ य त कर देते ह । यह
भावनाओ ं को अवमु त करने म मदद करता है । अत: इसक कृित रेचक है ।
संगीत उपचार– संगीत मानव समाज का अिवभा य अंग है । यह एक यि को अपनी संवेदनाओ ं क
अिभ यि का सवािधक बह उपयोगी प को उपल ध करता है । संगीत का अि त व सम त धािमक कमकाड
म िनिहत है । हम सैकड़ सामािजक उ सव म इसक अिभ यि याँ देख सकते ह, जैसे – िववाह, उ सव एवं
धािमक समागम (गेद रंग) के साथ ही यह सम त िव व के सभी समदु ाय म मनोरंजन का एक शि शाली प
है ।
इसका उपचार म उपयोग कई प म िकया जाता है । उदाहरण के िलए त काल तैयार करने म (इ ोवाइिजंग)
(समहू म या अके ले संगीत बनाना या त काल तैयार करना) पुन: रचना (पहले से ही क पोज िकए संगीत को
सि य प से िन पािदत करना या गाना) क पोिजंग (कोई िवशेष संगीत तैयार करना) अनुभव ा त करना
(संगीत सुनना और शाि दक या कला मक अनुभव के साथ जुड़ना) । संगीत उपचार के सैकड़ मु य उपागम
ह जैसा िक नीचे िदया गया है यवहारा मक सगं ीत उपचार – यह कुछ िविश ट यवहार को परु कृत करने के िलए सगं ीत का उपयोग
करता है । उदाहरण के िलए ब च म एक वािं छत यवहार को सकारा मक प से पनु बलन दान करने के
िलए ।
97
िवकासा मक सगं ीत उपचार – यह क याण, सफलता क भावना और ब च म अिभ ेरणा को ो सािहत
करने और धीमी िवकासा मक ि या वाले वय क के िलए उपयोग िकया जाता है । धीमी िवकासा मक
ि या वाले यि संगीत के ित आ चयजनक प से िति याएँ य त करते ह और ाय: पूरा िदन अपनी
पस द का संगीत सुनते हए िबता सकते ह । यह िव तृत े क एक ेणी क काय णाली को ो नत करता
है जैसे, मनोग या मक (साइकोमोटर) सं ाना मक (कॉगनेिटव) सं ेषण (कॉ यिू नके शन) भावा मक (एफे ि टव)
और सामािजक कौशल । यह यि से स पक थािपत करने का एक भावशाली मा यम उपल ध करता है ।
सगं ीत मनोपचार – यह उ च व-जाग कता ा त करने के िलए िकया जाता है । यह िववाद समाधान,
सवं ेदनाओ ं क अवमिु , व थ अतं रवैयि क सबं धं के िवकास, सं ाना मक पुनसरचना और आि मक
िवकास ा त करने म सहायता करता है । यहाँ सगं ीत का उपयोग मनोपचार म िकसी यि के वरीयता के तरीके
के साथ सयं ोिजत करके िकया जाता है, जैसे मनोिव लेषण, गे टा ट, आिद ।
सगं ीत िचिक सा उपचार – इसम संगीत का उपयोग व थ होने क अनुभूित और िव ाि त लाने के िलए
िकया जाता है ।
नृ य / मूवमट (गित) िचिक सा– इसे मु ा, गित (मूवमट) व नृ य का योग मनोपचार क ि या के प म
प रभािषत िकया जाता है जो यि के भावना मक, सं ाना मक, शारी रक व सामािजक एक करण को बढ़ाता
है । हम अपने श द को तो िछपा सकते ह िकंतु अपनी शारी रक मु ाओ ं / गितय को नह िछपा सकते, जो
हमारी भावनाओ ं और झान के तीक ह । उपचार के इस प म कई तकनीक का योग िकया जाता है और
ाय: वयं के चयिनत मनोपचार तरीक के साथ ही िकया जाता है । अ छे - से िवकिसत गितय /नृ य मु ाओ ं
के ोफाइल का उपयोग उपचारा मक म य थता के आकलन के िलए िकया जाता है ।
नाटक उपचार और मनो-नाट्य – यह एक यि को वयं से वयं को दरू कर लेने का अवसर उपल ध कराता
है और वयं म दसू रे च र को मान लेना है । यह वयं का तथा दसू र का अवलोकन करने क मता उपल ध
कराता है । यह अपरो प से दसू र क गहन संवेदनाओ ं को पकड़ने का अवसर उपल ध कराता है और इस
कार एक रे चक के प म काय करता है । मनो-नाट्य एक ऐसी तकनीक है िजसम उपचारकता िकसी यि क
आशक
ं ाओ/ं िच ताओ ं और िववाद को भिू मका िनवाह के मा यम से अिभ य त करने को सगु म बनाता है ।यह
भिू मका िनवाह सािथय या बड़े समहू के सम िकया जाता है और उन लोग से ितपिु ा त क जाती है ।
यह इस मा यता पर आधा रत है िक यि िजस भिू मका को वयं के िलए लेते ह उसम वे वयं को अिभ य त
करते ह और यह उ ह अपनी आवृत/ िदखावटी संवेदनाओ ं को अिभ यि के अवसर देता है । इसक कृ ित
उ च ेपण क है ।
भावबोधक उपचार का यह प कई कार से योग िकया जा सकता है, जो िकसी लाइटं , ि थितय और उसके
मनोपचारा मक अिभमख
ु ीकरण पर िनभर करता है ।
का य उपचार – एक किवता जो कर सकती है वह एक ग नह कर सकता । यह व-अिभ यि का एक
अनोखा मा यम है जहाँ वा तिवकताए,ं क पनाए,ं अथव ता क खोज, गहन अनभु िू तयाँ व आ त रक अशाि त
98
श द म ेिपत होती है, जो िक साधारण तािकक अिभ यि को चनु ौती देती ह । इिं लश श द पोय ी ीक
भाषा के पॉयिसस से बना है िजसका अथ उसे अि त व म लाना है जो आज से पवू अि त व म नह था ।
का य उपचार एक अ तरि या मक ि या है, िजसके तीन भाग ह – का य ,कथा या सािह य के अ य
प, िशि त सगु मकता और लाइटं । का य सािह य का चयन संवेदनाओ ं का आ ान करने क मता से
मागदिशत है । एक का य उपचार स चार अव थाओ ं से िवकिसत होता है –
मा यता/ वीकार करना – इस अव था म लाइटं का यान, िच और उसक क पनाओ ं को खोला जाता है ।
परी ण – इसम लाइटं अपनी अनभु िू तय , मृितय , छिवय और सबं धं क खोजबीन करता है ।
िनकटता – समूह के भीतर प रचचा को बढ़ावा िदया जाता है । यि के वैकि पक िवचार /आदश , संवेदनाओ,ं
अिभवृि य / झान , मू य क खोज करने को सगु म बनाना ।
वयं पर लागू करना– व-खोज क इस ि या से ा त अ त ि को यि क अपनी अनभु िू तय , िवचार ,
और यवहार के साथ समावेिशत करना इसम समािहत है और उपचारकता इस ि या को सगु म बनाता है ।
नाट्य उपचार – यह नाटक के ारा ब च के मनोपचार का िविश ट व प है । यह ब चे क अनभु िू तय
और अ यिधक कटु /अिभघातक अनभु व जैसे – तलाक, घरेलू िहसं ा, उपे ा और दु यवहार, तथा ब चे क
वाभािवक वृि और िवकास म सम या के कारण क सामा य और त काल अिभ यि य को कट करने
के अवसर देता है । इसम ाकृ ितक/सामा य ि थित म ब चे का अवलोकन एवं वातालाप करना वांिछत है ।
इसके प उपचारकता ारा उपल ध कराई गई संरचना एवं उसके सै ाि तक अिभमख
ु ीकरण के आधार पर
िभ न-िभ न हो सकते ह । इसका उ े य नाट्य – ि थितय म ब चे के े पण से उसक किठनाईय को समझना
है । यह यवहार करने के अिधक वीकृ त वैकि पक व प को सगु म बनाता है । ऐसा सामा यत: ब च के
माता-िपता व दसू रे पा रवा रक सद य से वातालाप करके िकया जाता है ।
भावबोधक उपचार के सभी तरीके लाइटं क सम याओ ं को समझने के िलए शाि दक अिभ यि क अपे ा
अिभ यि के दसू रे अ य तरीक का योग करते ह । यह रे चक के ारा आरो यकर ि या को सगु म बनाता है
और व- जाग कता को बढ़ाता है ।
व-जाँच अ यास 5 :
िदए गए िवक प से छाँट कर र त थान पू रत क िजए –
a. ब च क अिभ यि य
b. रचना मक अिभ यि य
c. एनाटॉिमक िब दओ
ु ं को उ तेिजत
d. वी या ची ( ाण)
e. मोम
f. वाला
1- ‘ियन’ तीक है ------------------------------2- ‘यागं ’ तीक है -----------------------------99
3- ए यपू चर पनु वा य लाभ के िलए -------- के वाह को िनयिमत करता है ।
4- ए यू ेशर उपचार करने क ि से -------- करता है ।
5- भावबोधक उपचार म आरो यकर क विृ के िलए --------- का उपयोग िकया जाता है ।
6- नाट्य उपचार भावनाओ ं क --------- पर बल देता है ।
4.6
वैकि पक उपचार म समानता
आपको यह जानने क उ सक
ु ता होगी िक मनोवै ािनक ि कोण से इन सब उपचार म या समानता है ।
संभवत: इस सम त उपचार म हम नीचे दी गई समानताएँ देख सकते ह –
• शरीर और मि त क के म य आ मीय संबंध ।
• मनु य शरीर और मि त क के सयं ोग से भी कह अिधक है । कोई ऐसी गहन वा तिवकता है जो मानव को
ाडं क सम त जीिवत व अजीिवत रचनाओ ं से जोड़े रखती है ।
• द:ु ख, बीमारी व वा य का ोत अ दर ही होता है । ाय: हमारे अपने अवलोकन और अनुभव पर
सोच-िवचार करने व या या करने पर आधा रत है ।
• व थ जीवन जीने के िलए आ म-संतोष क अपे ा आि मक अनुशासन अिधक मह वपणू है ।
•
येक यि को सकारा मक िचतं न क विृ त को बढ़ाना है और यह कुछ तकनीक के ारा िकया जा
सकता है ।
• िकसी क सम या का कोई जादईु उपचार नह है । यि को उपचार करने एवं सम याओ ं के समाधान के
िलए चैत य यास करने क आव यकता होती है ।
• हम सभी के अ दर आरो यकर शि याँ होती ह, उ ह सि य करने क आव यकता होती है । जाग कता
और वीकृित वे मह वपणू चरण ह िजनसे सकारा मक/अनक
ु ू लीय आ त रक प रवतन ा त िकए जा
सकते ह ।
• हमारा मि त क और शरीर इतना अिधक जिटल है िक िकसी एक आदशवादी परे खा या पैराडाइम से
या या नह क जा सकती है । स य –खोजी यि वयं को सोच-िवचार करने के िकसी एक परे खा
तक सीिमत नह कर सका है । आधारभतू मु ा यह समझने का है िक िकस कार वा य, आरो यकर और
क याण क भावना को उ नत िकया जा सकता है ।
इस कार, सार प म यह कहा जा सकता है िक अपनी भौितक प रि थितय म प रवतन या भौितक जगत
क व तओ
ु ं के आस -पास घमू ते रहने के थान पर एक यि को अपने आ त रक प क ओर देखना चािहए
य िक हमारे बा जगत क उ पि हमारे आ त रक जगत से ही होती है । कोई भी यि अपने आ त रक जगत
और ि कोण म पा तरण करके आ मो नित कर सकता है ।
100
4.7
सारांश
यह इकाई मह वपूण पर परागत आरो यकर यवहार , िवशेषत: कुछ एिशयाई देश म चिलत, पर जोर देती है
। ये ह योग, जो अपनी भावका रता के िलए स पूण िव व म िस है; यान, जो िक क ट से राहत पाने म
सहायता करता है और आरो यकर को बढ़ाता है; रे क , जो जीवनी शि के मु त और समान वाह को बढ़ाता
है; ािणक आरो यकर, जो यह मानता है िक भािवत भाग म जीवन शि को बढ़ाकर आरो यकर ि या
को तेज िकया जा सकता है; ए यू ेशर और ए यपू ंचर, जो परे शािनय को दरू करने के िलए दबाव िबंदओ
ु ं पर
मािलश को अपनाता है और आरो यकर के उ े य से शरीर के िविश ट एनॉटािमक िबदओ
ु ं म वचा के भीतर
महीन सुईय को चभु ाता है । बहत से भावबोधक अिभ यि उपचार जो सगं ीत, नृ य, नाटक और किवता आिद
का उपयोग करते ह, के सबं धं म भी चचा क गई ।
साथ ही वैयि क क याण क ि से मानव क याण म वृि के िलए सं कृ ित और आ याि मकता के मह व
पर भी बल िदया गया ।
व-आकलन अ यास
1- आ याि मकता वैयि क क याण से िकस कार सबं िं धत है ?
2- दो तरह के यान का सं ेप म वणन क िजए ।
3- ए यपू ंचर और ए यू ेशर के म य या अ तर है ?
4- िक ह दो भावबोधक उपचार का सं ेप म वणन क िजए ।
व-आकलन अ यास क उ तर कुंजी
1- आ याि मकता कोई अमतू अवधारणा, िवचार या िस ा त नह है, बि क यह शाि त और संतोष के साथ
जीवन जीने म सहायता करने म मदद करती है, जैसे िबंदओ
ु ं पर िव तार क िजए ।
• इसे अपने दैिनक जीवन का एक उदाहरण देकर प ट क िजए ।
2- िन न आधार पर िव तार क िजए –
• के ि त यान म चेतना को वास, छिव, या आवाज या िकसी मं ारा के ि त िकया जाता है जो हमारे
मि त क को शा त/चपु रहने क ओर अ सर करता है ।
• सचेतन यान म यि अपने मन म आते-जाते िवचार , भाव म संिल त हए बैगर सा ी भाव से उ ह
देखता है, उन पर न तो कोई िति या करता है न ही उनम संिल त होता है । इस कार वह अपने िवचार
पर व तिु न ठ प से देखने के तरीके िवकिसत करता है और शा त एवं पारदश होता जाता है ।
3- िन निलिखत िबदं ओ
ु ं पर िव तार क िजए –
• ए यू ेशर म परे शानी या बीमारी से मिु के िलए शरीर के दबाव िबदओ
ु ं पर मािलश क जाती है ।
101
ए यू ेशर करने वाला यि अपनी अगं िु लय , हथेिलय और कोहिनय का योग एक साथ दो िब दओ
ु ं
पर दबाव देने के िलए करता है ।
• ए यपू ंचर म वचा म बहत महीन, ल बी सुइयाँ दबाब िबंदओ
ु ं पर डाली जाती ह तािक ऊजा का मु त
वाह बढ़ाया जा सके ।
4- िक ह दो भावबोधक अिभ यि उपचार का वणन क िजए । यथा नाट्य व मनोनाट्य उपचार -जो िक हम
आ म अवलोकन तथा दसू र के अवलोकन के अवसर उपल ध करता है और इस कार हम अपनी गहन
सवं ेदनाओ ं से स पक के अवसर उपल ध करता है । इस कार यह अपनी सवं ेदनाओ ं को आवतृ कर अिभ य त
करने के ारा रे चक के प म काम करता है । इसम यि अपनी अिभ यि उस भिू मका के ारा करता है, िजसे
उसने वीकार िकया है । खेल (नाटक) उपचार – इसका उ े य ब च क किठनाईय को खेल क ि थितय
म ेपण के ारा ात करना है । यह ब च क अनुभूितय व आघात क ि थितय जैसे – दु यवहार, उपे ा,
िहसं ा, आिद जो उनके सामा य िवकास म बाधा पहँचाती ह, क ता कािलक अिभ यि ारा कराई जाती है ।
व-जाँच अ यास क आकलन कुंजी
व-जाँच अ यास 1
1-
कुछ पर परागत आरो यकर णािलयाँ – योग, यान, रे क , ािणक आरो यकर, ए यू ेशर और
ए यपू ंचर ह ।
2-
सं कृित मानव समाज क सामिू हक ा को अपने मू य , पर परागत यवहार , मानक , कमका ड
के साथ-साथ ई वर के ित अपनी धारणा के ारा कट करने से स बि धत है । \
3-
बहत से शोधकताओ ं ने कुछ िवशेष बीमा रय जैसे कॉिडयोव कुलर सम याएं या खास कार का
कसर आिद के होने म सां कृितक िविवधताएं पाई ह । इसी कार यह भी पाया िक कुछ िवशेष कार
क मानिसक बीमा रयाँ जैसे सीजो े िनया आिद के ठीक होने क ि थित पवू देश जैसे भारत, चीन,
जापान आिद म बेहतर है । इसका कारण िविभ न िव वास और यवहार ह ।
व-जाँच अ यास 2
1. c
2. a
3.b
2.c
3. a
व-जाँच अ यास 3
1.b
व-जाँच अ यास 4
12-
रे क का उ व जापान म हआ । यह जापानी श द है, जो दो श द ‘रे’ और ‘क ’ से बना है । िजनका
अथ मश- सावभािमक/वैि क और जीवन शि है ।
ािणक आरो य के दो ाकृितक िनयम है –
102
व-पनु लाभ का िनयम –यह िनयम बताता है िक शरीर एक िनि त दर पर िबना औषिध के आरो यकर करने
क मता रखता है ।
जीवनी शि का िनयम – यह िनयम बताता है रोग से भािवत े म जीवन शि का संचार करके आरो यकर
क मता को ती िकया जा सकता है ।
व-जाँच अ यास 5
1. e
2. f
3. d
4. c
5. b
6. a
संदभ
Shri, Yogendra. 1975. Facts About Yoga. The Yoga Institute. Bombay.
सझ
ु ावा मक पठन –साम ी
Chopra, D. 1989. Quantum Healing: Exploring the Frontiers of Mind/Body Medicine.
Bantam Books. New York.
Fowler, R. D. 1996. Basic behavioural science research for mental health: Vulnerability
and resilience. American Psychologist. 51.
Kakkar, S. 1980. Psychological Inquiry into India and its Healing Traditions. Alfred A
Knops. Inc., New York.
Malchiodi, C. A. (Ed.). 2005. Expressive Therapies. The Guilford Press. New York.
Moodley, R. and West, W. Ed. 2005. Integrating Traditional Healing into Counseling
and Psychotherapy. Sage Publications. Inc., California.
Shri Yogendra. 1978. Yoga Essays. The Yoga Institute, Bombay.
Weblinks
http://tcm.health-info.org/WHO-treatment-list.htm
103
5
भाग-I
बाल शोषण क रोकथाम के िलए परामश
यिू नट–5
5.0
तावना
5.1
उेय
5.2
बाल शोषण या है ?
5.3
बाल शोषण के कारण
5.4
शोषण के कार
5.4.1 उपे ा
5.4.2 शारी रक दु यवहार
5.4.3 लिगक दु यवहार
5.4.4 भावना मक दु यवहार
5.5
बाल दु यवहार संबंधी आँकड़े / सांि यक
5.5.1 बाल दु यवहार के दीघकालीन भाव
5.6
माता-िपता के िलए सलाह
5.7
परामशदाता या कर सकता है ?
5.8 सारांश
व- मू यांकन अ यास
व-मू याक
ं न क उ तरमाला
संदभ
सझु ावा मक पठन साम ी
वेबिलंक
105
5.0
तावना
सभी वय-वग, सजातीय समूह और सामािजक आिथक तर के बालक और बािलकाएँ बाल दु यवहार क उ च
तरीय चेतावनी यु त दर का अनभु व कर रहे ह, जो िविवध कार क भावना मक सम याओ ं के साथ जुड़ा
है । ऐसे ब चे जो पीटे, जलाए जाते ह, लिगक हार के िशकार ह या भोजन, व और आवास से वंिचत ह,
वे या तो बरबाद हो जाते ह या जीवन के िलए संघष करते रहते ह । िनर तर यािभचार के अिधकांश के स म,
लिगक दरु ् यवहार के िशकार आगे िफर दरु ् यवहार के िशकार होते रहते ह या यिद उनक लिगक गितिविधय
का खल
ु ासा हो जाता है तो वे याग िदए जाते ह । ऐसे यवहार उ ह ऐसी असा य ि थित म पहँचा देते ह जहाँ वे
िनर तर िचर थाई दु यवहार क ि थितय को चपु चाप सहते रहते ह या अपने प रवार से बिह कृ त होने/प रवार
खो देने के जोिखम को झेलते रहते ह ।
शोध एवं मीिडया क रपोट बताती ह िक दरु ् यवहार के िशकार ब चे भावना मक और यवहारा मक सम याओ ं
का सामना करते ह, जैसे – यून व- यय /आ म िव वास, भय, शम लापन या असामािजक यवहार
आिद । िव ालय म िश क और परामशदाता ऐसे ब च क पहचान कर सकते ह और ित को कम करने के
िलए आव यक समथन एवं सहायता कर सकते ह । यह इकाई इस सम या के िविभ न आयाम क जानका रयाँ
उपल ध करा कर उपयु त उपचारा मक व िनवारक उपाय अपनाने क स मता दान करती है ।
5.1
उेय
इस इकाई के अ ययन के उपरा त आप स म हो सकगे –
• बाल दु यवहार के अथ क या या कर सकगे ।
• बाल दु यवहार के कारण और कार का वणन कर सकगे ।
• िवकासशील देश म बाल- दरु ् यवहार से संबंिधत घटनाओ ं के त य को जान सकगे/समझ सकगे ।
• बाल दु यवहार के िच को पहचान सकगे ।
• िश क और परामशदाताओ ं के िलए सहायक सुझाव ा त कर सकगे ।
• दु यवहार के िशकार ब च को उनके बेहतर समायोजन म सहायता देने के िलए िकए जाने वाले काय को
यवहार म लाने पर काम कर सकगे ।
5.2
बाल दु यवहार या है ?
िव व वा य संगठन (WHO) के अनसु ार बाल दरु ् यवहार म सभी कार के शारी रक या भावना मक
दु यवहार, लिगक दरु ् यवहार, उपे ा या उपेि त यवहार या यावसाियक अथवा अ य शोषण सि मिलत
ह, िजनके प रणाम ब चे के वा य, जीवन (उ तरजीिवता), िवकास या ग रमा पर उ तरदािय व, िव वास या
शि सबं धं के सदं भ म वा तिवक हािन के प म कट होते ह ।
106
बाल दु यवहार रोकथाम एवं उपचार ए ट के अनसु ार, बाल दरु ् यवहार को िकसी भी ऐसे काय या मातािपता अथवा अिभभावक क ओर से िकसी काय क ऐसी असफलता के प म प रभािषत िकया जा सकता
है िजसका प रणाम ग भीर शारी रक या भावना मक हािन, लिगक दरु ् यवहार या शोषण या िकसी काय क
असफलता के प म ि गत होता है, िजसके कारण ग भीर हािन या मृ यु तक का आस न खतरा उ प न हो
सकता है ।
ऐसे ब चे, जो शारी रक या लिगक दरु ् यवहार के िशकार हो चक
ु े ह, वे मानिसक अशांित के बहत से ल ण का
दशन करते ह जैसे िचंता / याकुलता, आ ामक यवहार, आ महतं ा यवहार, यनू आ म- यय, भ नाशा,
मादक य का योग और व छंद यौन सबं धं ।
5.3
बाल दु यवहार के कारण
बाल दु यवहार के कई कारण ह । इनम से कुछ ह (a) शोिषत माता-िपता ाय : वयं भी शारी रक और लिगक दरु ् यवहार के िशकार रहे होते ह या दीघ
अविध तक िहसं ंक और ददनाक घरे लू जीवन को जी रहे / जी चक
ु े होते ह । प रणाम व प यह
आ ामकता को बढ़ावा देता है । इस कार, ऐसे अिभभावक, जो अपने प रवार म कटु शारी रक दडं
और ू र यवहार के साथ पले-बढ़े होते ह, वे इस दु यवहार क पर परा को अपने ब च म भी कायम
रखते ह । दसू री ि थित म, माता-िपता द डा मक िविधयाँ तो नह अपनाना चाहते ह िकंतु वे सामना
करने क ि या म समथ नह होते ह और इस कारण वे अपने अिभभावक के समान ही यवहार
करने लगते ह ।
(b) तनावपणू जीवन ि थितयाँ जैसे भीड़, िनधनता, माता-िपता का आ ामक यवहार, ब च के साथ
शारी रक दरु ् यवहार, सामािजक अलगाव, समथन णाली का अभाव, माता-िपता का आिथक
शोषण, बेरोजगारी, आवास सम याएँ, धनाभाव आिद अके ले या संयु त प से बाल दु यवहार को
बढ़ावा देते ह ।
(c ) माता-िपता या ब च के िनकट सपं क के वय क के मानिसक िवकार, उनके दबु ल िनणय या िवचार
ि या के कारण, अपने ब च को दु यवहार क ओर धके ल देते ह ।
(d) ब चे क कुछ िवशेषताएं भी कई बार उनके ित दरु ् यवहार क वणता को बढ़ाते ह । जब मातािपता को यह महससू होता है िक उनक स तित क जीवनी शि कम है या वे जी नह पाएँगे तो वे
उनक अनुकूलतम देखभाल भी नह करते और उिचत िनवेश म भी कमी कर देते ह ।
नीचे बाल दु यवहार के कारक/के स/कारण िदए जा रहे ह जो दु यवहार क वणता को बढ़ाते ह –
• पवू – प रप व ज म (नौ माह से पूव ज म) पूव -प रप व ज म लेने वाले ब चे सामािजक स पक के िलए
पया त बड़े नह होते और माता-िपता के ारा देखभाल और स पक से भी वंिचत कर िदए जाते ह ।
• बौि क अ मता ( यनू या अित यून बिु ), शारी रक अ मता (शरीर के अंग क यनू ता या अभाव)
107
- दु यवहार ािथमक प से शि व िनयं ण से े रत होता है । अ मता से यु त ब च के साथ हेर-फे र
करना या उ ह उपेि त करना बहत सामा य ि गत होता है ।
कुछ अ य िवशेषताएं है जो ब च के ित दु यवहार वतृ ह –
• िचड़िचड़े ब चे (जो रोते रहते ह या अितशय माँग रखने वाले/ सताने वाले होते ह )
• यनू अनश
ु ासन मता (अनश
ु ासन को सीखने /अ यास म लाने क यनू ता )
• अित-ि याशीलता (अकारण ही अ यिधक शारी रक गितशीलता )
(e) पु ष ाय: लैिगंक दरु ् यवहार करते ह । कई बार मिहलाएं भी उनका साथ देती ह । पु ष लगभग 95%
बािलकाओ ं और 80% बालक के ित लिगक दरु ् यवहार करते ह । ये दरु ् यवहार ाय:ब चे के
जानने वाले या पा रवा रक िम या र तेदार आिद के ारा ही िकए जाते ह ।
ऊपर िलिखत कारक या कारण बाल दरु ् यवहार के अवसर को बढ़ाते ह, जो ब च के मानिसक वा य को
भािवत करते ह । ब चे कई कार के दु यवहार के िशकार होते ह और दु यवहार से सबं िं धत सम याओ ं का
सामना करने के िलए यह आव यक है िक हम दु यवहार के कार के सबं धं म जानकारी हो ।
5.4
दु यवहार के कार
बाल दु यवहार को चार मु य ेिणय म रखा जा सकता है, ये ह –
1- उपे ा
3- लिगक शोषण
2- शारी रक शोषण
4- भावना मक शोषण
येक ेणी पर पथृ क– पथृ क यान द िकंतु, याद रख िक कई बार ब चा कई ेिणय म भी शोषण का िशकार
हो सकता है ।
5.4.1 उपे ा
उपे ा का अथ ब चे क आधारभतू आव यकताओ ं को पणू करने क असफलता से है । ये िन निलिखत हो
सकती ह –
• शारी रक जैसे, भोजन एवं आवास उपल ध न करा पाना ।
• िचिक सा जैसे, आव यक िचिक सा एवं मानिसक वा य हेतु उपचार उपल ध न करा पाना ।
• शैि क जैसे, ब चे को पढ़ाने म असमथता या ब चे क िवशेष शैि क आव यकताओ ं को पणू न कर
पाना ।
• भावना मक जैसे, ब चे क भावना मक आव यकताओ ं क ितपिू त न कर पाना या मनोवै ािनक सरु ा
उपल ध न करा पाना ।
108
य िप इन ि थितय के होने का अथ सदैव ही यह नह होता िक ब चा उपेि त है । कभी-कभी कई कारक जैसे
– सां कृितक मू य, समदु ाय के देखभाल के मानक और गरीबी जैसे सहायक कारक होते ह जो यह बताते है िक
प रवार को सहायता क आव यकता है ।
ब च म शारी रक शोषण के कारण होने वाली मृ यु क अपे ा उपे ा के कारण होने वाली मृ यु क सं या
अिधक होती है । अमे रकन ूमेन एसोिशएशन (1983) ारा िकए गए एक शोध के अनुसार उपे ा के कारण
56% ब च क मृ यु हो जाती है ।
5.4.2 शारी रक शोषण
शारी रक शोषण के अ तगत लात-घसूँ े चलाने, पीटने, काटने, छड़ी से पीटने या िकसी अ य व तु से मारने,
जलाने या िकसी अ य तरीके से ब चे को हािन पहँचाने, िजसके प रणाम व प शारी रक ित, छोटी-मोटी चोट
से लेकर ग भीर प से हड्डी टूटने या मृ यु तक हो सकती है, इस कार के ब चे को हािन पहँचाने वाले सम त
घाव दु यवहार/शोषण ह, चाहे यह माता-िपता अथवा संर क ारा िदए गए ह ।
खर च या चोट के िच , जो एक से तरीके के होते ह जैसे गाल पर चोट/मार के िनशान या िनतंब और जाँघ
आिद पर िनयिमत तरीके के घाव शारी रक शोषण के सदं हे ा पद िनशान ह । ये ब चे क िपटाई के कारण या
उसके शोषण के कारण हो सकते ह, िवशेषकर बािलकाओ ं म, ये उ ह नौकर क तरह काम कराने के कारण भी
हो सकते ह । कुछ ब चे खतरनाक काय ि थितय म िबना आव यक िव ाम और उिचत भोजन के अरि त
होते ह ।
खर च/चोट के िनशान िपटाई के िलए योग िकए जा रहे उपकरण जैसे बे ट, बकसुआ या र सी के आकार के
हो सकते ह । िसगरे ट से जलाए जाने के एक समान गोल िनशान और खेलते पानी से जलाए जाने के िनशान मोजे
या द ताने के से िदखाई देते ह । िविवध अि थ भंग या रीढ़ क हड्डी के टूटने, रे िटनल र त ाव आिद का
कारण ग भीर शारी रक आ ामकता हो सकती है ।
शारी रक शोषण के िशकार ब चे िनिल त (एकाक ) और भयभीत िदखाई दे सकते ह या आ ामक यवहार
दिशत करते ह । वे ाय: भ नाशा, यनू आ म- याशा और िच ता का दशन करते ह ।
वे वयं के शरीर को ढके रखने या घाव को िछपाने का यास करते ह और ाय: बदले के भय से शोषण को
कट करने क ओर वतृ भी नह होते । शोषण के िशकार ब चे िवकासा मक चरण (माइल टोनस) म धीमे
हो सकते ह, सािथय के साथ संबंध थािपत करने म किठनाई महससू करते ह और वयं को हािन पहँचाने या
आ मघाती यवहार म भी संिल त हो सकते ह ।
शारी रक शोषण के िशकार ब च के ल ण ह –
• वय क के ित सावधान, सजग, सतक और संदहे शील होना ।
• खेलने म असमथ और सहज न होना ।
• आ ामक या शोषक होना ।
109
• दसू रे ब च को डराना-धमकाना या दसू रे ब च से डराया-धमकाया जाना ।
• यान के ण म असमथ होना, िव ालय म यून उपलि धयाँ लाना और ऐसी गितिविधय से बचना िजनम
व उतारने पड़ते ह ।
• गु सैल व िचड़िचड़ा होना, झ लाना और िवचारहीन यवहार करना ।
• झठू बोलना, चोरी करना, िव ालय से अनपु ि थत रहना और पिु लस के पचड़े म पड़ जाना ।
• दसू र पर िव वास कर पाने और िम बनाने म किठनाई महससू करना ।
गितिविध – 1
िश क क ा को दो या तीन समहू म बाँट द । येक समूह शारी रक शोषण के प रणाम के िवषय म बोले/
भाषण दे ।
5.4.3 लिगक शोषण
साथी क सहमित या इ छा के िबना िकया गया लिगक स पक (से स) िजसके कारण साथी को शारी रक या
मानिसक चोट पहँचे, लिगक शोषण है । िव व वा य संगठन के अनुसार, िव व म हर चार म से एक लड़क
और हर सात म से एक लड़का लिगक शोषण के िशकार ह ।
लिगक शोषण न के वल प रवार के अ दर, बि क प रवार के बाहर भी िव ालय, डे के यर से टर (देखभाल
के ) छा ावास , रमाडं होम और े च आिद म भी होता है ।
शोषण ारि भक शैशवाव था से ार भ होकर िकशोराव था या वय क होने तक भी जारी रह सकता है । लिगक
शोषण के िशकार ब च क पहचान कर पाना किठन है । कुछ तो उनक भाषाई अयो यता के कारण और कुछ
उनक सं ाना मक अयो यताओ ं जैसे मडू बदलाव, संवेदना मक तनाव आिद के कारण ।
बहत सारे ब चे यािभचार के कारण लिगक शोषण से गजु रते ह । िपता-पु ी यािभचार सबसे यादा आम है,
िवशेष तौर पर उन घर म जहाँ माँ रोगी हो, जैसे मानिसक या शारा रक रोगी, उदासीन, अनपु ि थत या असहाय ह ।
कुछ ि थितय म जहाँ िपता शराबी हो, आिथक शोिषत हो, वे िपए होने क ि थित म अपने ब च का शोषण
करते ह । इसी कार सौतेले िपताओ,ं चाचाओ,ं बड़े भाई-बिहन ारा यािभचार भी बहत असामा य नह है ।
ब चे के िनकटतम या िव ततृ प रवार के वय क भी ब च के ित लिगक शोषण करने वाले यि को जानते
ह, जो ाय: पा रवा रक सद य का बहत िव वसनीय होता है या प रवार म आिधका रक ि थित या ब चे
क वैध पहँच म होता है । लिगक शोषण के अिधकांश के स इसके िशकार के अपरोधबोध, शम, उपे ा और
सहनशीलता या प रवार का स मान खो देने के भय से, कभी उजागर नह होते/ या उजागर नह होने िदए जाते ।
लैिगंक शोषण के िशकार ब चे –
• अचानक ही अजीबो-गरीब ढगं से यवहार करने लगते ह ।
110
• अपने िवषय म बरु ा/गलत सोचते ह ।
• अपनी उपे ा करते ह । अपनी देखभाल नह करते ।
• अपने खेल म से स के िवचार या उसके बारे म बात करते ह, जो आप ाय: कुछ बड़े ब च म देख सकते
ह।
• अपने आप म डूबे रहते ह या गोपनशील होते ह ।
• िव ालय म यून उपलि ध वाले होते ह ।
• िब तर गीला करने या वयं को गंदा करने लगते ह ।
• सो नह पाते ।
• बहत असहज बहकाने वाला या छे ड़छाड़ करने वाला यवहार करते ह ।
• शारी रक स पक के ित भयभीत या डरे हए होते ह ।
• अवसाद त होते ह और अ यिधक दवाओ ं का सेवन करते और वयं को हािन पहँचाते ह ।
• भाग जाते ह, वछंद /असंयमी हो जाते ह या वे याविृ करने लगते ह ।
• बहत अिधक पीते ह या ग का योग करने लगते ह।
• भोजन संबंधी िवकार िवकिसत हो जाते ह जैसे या तो भोजन के ित अ िच या अितशय भख
ू लगना ।
गितिविध 2
लिगक दु यवहार से िसत ब च के ल ण को सचू ीब क िजए ।
5.4.4 भावना मक शोषण
भावना मक प से शोिषत या उपेि त ब चे वे ह जो शाि दक प से तो तािड़त िकए ही जाते ह साथ ही साथ
अशाि दक प से, अपमािनत िकए जाते ह, डपटे जाते ह, छोटा या तु छ, अ वीकृत महसूस कराए जाते ह ।
ऐसे ब चे महससू करते ह िक न तो कोई उ ह यार करता है और न ही उनक कोई िच ता करता है, िवशेषतौर
पर उनके िवचार, इ छाएँ और आव यकताएँ न तो सुनी जाती ह, न ही उ ह आदर िदया जाता है ।ऐसे ब चे • चलना और बाेलना धीरे -धीरे सीखते ह ।
• अपनी भाषा के िवकास म अिधक समय लगाते ह ।
• बहत िनि य होते ह और सहज होने म स म नह होते ।
• उ ह दधू िपलाने म परे शानी होती है और बहत धीरे -धीरे िवकास करते ह ।
111
• िनकट सबं धं बनाने म किठनाई होती है ।
• अजनिबय से अित िम वत हो सकते ह ।
• समवय क ब च के साथ बुरा यवहार करते ह ।
• क पनाशीलता के साथ खेल करने म स म नह होते।
• अपने िवषय म बरु ा सोचते ह ।
• सरलता से अ यमन क हो जाते ह और अ छा काय िन पादन नह कर पाते ह ।
व-जाँच अ यास 1
सीधे िदए गए सक
ं े त का उपयोग करते हए नीचे दी गई पहेली को पणू क िजए –
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
बाएँ से दािहने –
3 - ऐसा दु यवहार िजसके कारण छोटी चोट से लेकर ग भीर हड्डी टूटने तक क चोट आ सकती ह । (7)
5-
एक ब चे को शाि दक या अशाि दक प से तािड़त करना ------------------------ दु यवहार
कहलाता है । (5)
7-
ऐसा यवहार िजससे िकसी ब चे को शारी रक, मानिसक या लिगक हािन पहँचे ----------- शोषण
कहलाता है । (3)
8-
कुछ ब चे शोषण के बाद बहत----------------हो जाते ह । (3)
9-
ब च को दु यवहार/शोषण से बचाने के िलए ----------- और परामशदाता सहायता कर सकते ह।
(3)
112
10 - एक ब चे म मानिसक ----------, शारी रक अ मता, अित सि यता आिद कुछ सामा य ल ण ह
जो उ ह शोषण के ित कमजोर बना देते ह । (3)
ऊपर से नीचे
1- अकारण या िकसी प ट कारण के िबना शारी रक अंग क अित गितशीलता ------ कहलाती है । (6)
2- शोषणकता ाय: कोई जानकार यि , पा रवा रक िम और ------------------- होते ह । (4)
4- सहयोगी क सहमित के िबना बनाया गया शारी रक संबंध ------------------ है । (3)
6- ब चे क आधारभतू आव यकताओ ं क पिू त कर पाने म असफल रहना ------ कहलाता है । (3)
नोट – को ठक म िदए गए अंक श द म िनिहत अ र क सं या को बताते ह ।
5.5
बाल दु यवहार सबं ंधी कुछ आँकड़े
एक ''िविश ट'' ब च के ित अपराधकता औसतन 117 ब च से छे ड़छाड़ करता/सताता है, िजनम से
अिधकतर इस अपराध क रप ट नह करते । इनम से लगभग 95% िशकार अपने अपराधकता जानते ह ।
1997 म कािशत सा ी वॉयलस इ टरवटशन से टर के एक अ ययन, जो नई िद ली, भारत क 350 कूल
जाने वाली छा ाओ ं पर िकया गया था, के अनुसार 63% लड़िकय को उ ह के पा रवा रक सद य के ारा
लिगक शोषण का िशकार बनाया गया था और लगभग एक –ितहाई लड़िकय ने कहा िक अपराधकता िपता,
दादा या प रवार का कोई पु ष िम था । 1999 म टाटा इ टीट्यटू ऑफ सोशियल साइ सेस ारा ततु
अ ययन रप ट, जो 1994 व 1995 म मु बई, भारत क 150 नाबािलक लड़िकय पर क गई थी, प ट करती
है िक सवि त 150 बािलकाओ ं म से 58 बािलकाएँ 10 वष क वय से पवू ही शोषण का िशकार हो चक
ु थ।
पचास ितशत बािलकाएँ पा रवा रक सद य या प रवा रक िम ारा ही शोिषत क गई थ ।
बाल दु यवहार पर नवीनतम अ ययन, 2007, जो मिहला एवं बाल िवकास मं ालय, भारत सरकार ारा
काय थल, रा त म या इ टीट्यूट म 2447 ब च , 2324 यवु ाओ ं पर िकया गया, म पाया गया िक 5-12
वय वग के अिधकांश ब चे िविभ न कार के दु यवहार और शोषण के िशकार ह ; 53.2% ब च ने लिगक
शोषण के एक या अिधक प का सामना करने क बात वीकारी; और 5.7% उ तरदाताओ ं ने लिगक हमले
क बात वीकार क ।
सड़क पर रह रहे ब चे, काम पर के ब चे और ब च क देखभाल वाले सं थान म ब चे लिगक हमल के
िलए सवािधक असुरि त होते ह । हर दसू रे ब चे ने यह वीकारा िक वे भावना मक शोषण को झेलते ह और
48.4% ब च से जो लड़िकयाँ थ , ने वीकारा िक वे चाहती ह िक काश वे लड़का होत । ऐसे ब चे जो िकसी
न िकसी कार के शोषण के िशकार रहे, ने बताया िक अिभभावक और वे लोग जो िव वास और दािय वपूण
ि थित म ह, ही उनके शोषणकता थे । अिधकांश ब च ने िकसी से भी व तु ि थित को नह बताया । भारत म
आ देश, आसाम, िबहार और िद ली अ य रा य क तुलना म सब कार के शोषण म आगे ह ।
113
य.ू एन. क रप ट (2006) दिु नया भर म ब चे कै से उ पीिड़त/शोिषत होते ह; कहती है –
• िव व वा य संगठन के अनसु ार ितवष 53,000 ब च क ह या कर दी जाती है ।
• 80 से 93 ितशत ब चे घर म शारी रक दंड का सामना करते ह, इनम से एक ितहाई हिथयार के योग
से दिं डत िकए जाते ह ।
• िव व वा य सगं ठन ने वष 2002 म आकलन िकया िक 18 वष से कम आयु के 150 िमिलयन बािलकाएं
और 73 िमिलयन बालक ने जबरद ती सभं ोग या िहसं ा के िकसी न िकसी प का अनभु व झेला है ।
• िव वभर म 218 िमिलयन ब चे मजदरू ी करते ह िजनम से 126 िमिलयन ब चे खतरनाक वातावरण म
काम करते ह ।
• 1.8 िमिलयन ब चे वे याविृ म संल न ह और 1.2 िमिलयन ब च का अवैध यापार होता है ।
• लगभग 275 िमिलयन ब चे ितवष घरे लू िहसं ा के सा ी बनते ह /झेलते ह ।
• िव वभर म 8 िमिलयन ब चे बाल सधु ार गहृ म रहते ह ।
• िव व म 250,000 ब चे बाल सैिनक ह ।
• एमने टी इ टरनेशनल के अनसु ार, डोमेि टक रपि लक ऑफं कांगो म 40% सैिनक ब चे ह । 11,000
ब च को अभी भी िन:श िकया जाना शेष है ।
• एक िबिलयन ब चे अभी उन देश म रहते ह, जहाँ िश य को पीटा जाना काननू िवरोधी नह है / काननू
स मत है ।
• ‘सेव द िच न’ के अनुसार िव व भर म एक िमिलयन ब चे जेल म है ।
शु आती बचपन म दरु ् यवहार या शोषण के प रणाम अपराधविृ ा, अपराधशीलता और िहसं क यवहार के
प म कट होते ह । इसका यि य म बहत अिधक भाव देखा गया है, िजनक अ यथा आिधका रक प
से अपराधशील यवहार म सल
ं न होने क सभं ावना कम होती है । यापक और िव व भर म फै ले इस बाल
दु यवहार का भाव, िवशेषत: बािलकाओ ं म यनू आ म-स मान, िव वास करने म अ मता और अकादिमक
असफलता के प म कट होता है ।
5.5.1 बाल दुर् यवहार के दीघकालीन भाव
बाल-दु यवहार कभी-कभी अितघातक भी हो सकता है और इसका ब च पर दीघकालीन भाव पड़ता है ।
ब च पर पड़ने वाले ये दीघकालीन भाव िदखाई दे जाने वाले व कट भाव से अिधक ग भीर होते ह । ब चे
इन सबको अपने मन म ही रखते ह और इस िवषय म वे अपने बड़ व िम को बताने म भी डरते ह । यह ब च
को बहत अिधक भािवत करता है और उनके शारी रक, मानिसक और मनोभावा मक िवकास पर अपणू नीय
ित पहँचाता है । इसका उन पर दीघकालीन यहाँ तक िक स पणू जीवन पर भाव पड़ता है । बाल दु यवहार
के कुछ अ य भाव इस कार ह –
114
• भय और िच ता
• भ नाशा और यून आ म –स मान
•
ोध और िव ेष /श तु ा
• असगं त लैिगक
ं यवहार/अिहसं ा
• िनकट सबं धं बनाने म किठनाई
• ऐसे सभी िशकार सदैव अपराध बोध से िसत रहते ह ।
• लैिगंक अ याचार अ य त गहराई से बाधा पहँचा सकते ह और िवकास के ारंिभक मह वपूण काल के
दौरान वयं के ित, यौिनकता और िव वासपणू संबंध / र त का बदल देते ह ।
दु यवहार के भाव और अिधक बढ़ जाते ह य िके दु यवहार क अिधकाँश घटनाएँ साझा नह क जाती ह ।
आइए देखते ह िक वे कौन से कारण ह िजनके कारण ऐसी घटनाएँ साझा नह क जाती ह । आइए, देखते ह िक
एेसी घटनाएँ और उनके दु भाव य नह कट िकए जाते ह ?
बाल शोषण के अिधकतर के स इसिलए अिभसिू चत नह िकए जाते ह िक काननू के अ तगत ऐसे अपराध के
ित वीकृित ही नह दी गई है । (िसवाय गोवा िच न ए ट) या िफर काननू ी ािवधान के न होने या उनक
अपया तता के कारण ऐसा होता है ।
• शोषण से पीिड़त ब चे इस िवषय म बता नह पाते य िके ऐसे शोिषत ब चे ारा कही जा रही बात पर
िव वास नह िकया जाता, जो गोपनीयता और न बताए जाने को ही बढ़ाता है ।
• ब चे इस िवषय म बताने म ाय: इस भय के कारण भी असफल रहते ह य िक उ ह लगता है िक बता
देने के प रणाम व प वे और बड़े / यादा दरु ् यवहार के िशकार बन सकते ह । िशकार को भय रहता है
िक कह उसके प रवार से बदला न िलया जाने लगे, शोषक ारा बदले क भावना के िलए वे वयं को
अपराधी महससू करते ह या िफर शोषक क संभािवत ितकारा मक गितिविधय से भयभीत हो सकते ह ।
• पीिड़त यि लि जत हो सकता है और इसिलए लिगक शोषण संबंधी न का उ र देने के इ छुक नह
होते ।
• पीिड़त यह महससू करते ह िक उनके साथ कुछ तो गलत हआ है और इसम उनक गलती है िक वे िशकार
बने ।
• प रवार से बाहर के अपराधी ाय: पीिड़त को भोजन, धन, काम िदलाने या िववाह आिद का लोभन देते
ह, जबिक भीतरी यि अथात प रवार के सद य आिद धमक , मार-पीट, न न करना आिद का योग
करते ह, तािक ब चे पर दबाव बनाया जा सके ।
115
• लिगक अपराधबोध के साथ-साथ बहत से अ य कार के अपराधबोध भी शोषण के साथ जड़ु जाते ह ।
इनम से कोई भी अपराध भावना पीिड़त को अिभयोिजत न करने का चयन करने को े रत करती है, िक तु
अपने शोषण के दद को गु त रखने को े रत करती है । इन भावनाओ ं म सि मिलत ह – सािथय से अलग/िभ न महससू करना ।
– शोषक के ित ितशोध के िवचार और ोध क भावना को पोिषत करना ।
– प रवार के ित िन ठाहीनता, िव वासघात और िवघटनकारी काम करना ।
एक नैदािनक मा यता है िक वे ब चे, जो लैिगंक दु यवहार को गु त रखने के िलए मजबरू महसूस करते ह,
मनोवै ािनक प से उन ब च क अपे ा अिधक िवपि जनक ि थित से गुजरते ह, जो अपने रह य को कट
कर देते ह और तब सहायता और समथन ा त कर लेते ह ।
पीिड़त क कटीकरण क सम या िजतने दीघ काल तक रहती है, उतना ही उसका भय, परे शािनयाँ और
मनोवै ािनक िवपि जनक ि थितयाँ, रह य क तरह पीिड़त के साथ रहती ह ।
बाल दु यवहार के िविभ न मानक के िवषय म प रचचा के बाद, आइए देख िक माता-िपता, िश क और
परामशदाता ब च को ऐसे मानिसक आघात से उबरने म या सहायता कर सकते ह ।
गितिविध – 3
मु य समाचारप म से अपने आस-पास घिटत बाल-शोषण के पाँच ितवेदन (Report) एक क िजए और
बाल दु यवहार के कारण का िव लेषण क िजए ।
सू : आप ‘द िहदं ’ू और ‘टाइ स ऑफं इिं डया’ या कोई अ य अपने शहर /गाँव के समाचार प क वेबसाइट
का संदभ ले सकते ह ।
5.6
माता-िपता के िलए सुझाव
यहाँ िदए गए िबंदओ
ु ं का उपयोग िश क पी. टी. ए. क बैठक के दौरान माता-िपता से वातालाप करने या
अिभभावक के िलए आयोिजत िविश ट काय म म कर सकते ह ।
माता-िपता को सलाह दी जा सकती है िक वे ब च को डराने-धमकाने के कौशल का योग न कर । उ ह प ट
कर िक अिधकाश
ं वय क ब च को कभी भी हािन पहँचाने का कोई काम नह कर सकते।
ब च को से स िश ा के िवषय म थोड़ा बहत िशि त क िजए, जैसे ‘शरीर के वे भाग िज ह नहाने क वेशभूषा
से आवतृ रखा जाता है, आपके अ य त िनजी ह ।‘ छे ड़छाड़ करने वाले यि वीकार करते ह िक ब चे क
मासूम उ सक
ु ता और/या उपे ा के कारण उ ह शोषण का िशकार बनाना सरल होता है । यह थािपत क िजए िक
वय क ारा िकसी भी कार क लैिगंक िनकटता थािपत करने के यास गलत होते ह और यह िविध स मत
नह ह । यह ब च म ऐसे वय क का, जो उनका शोषण करना चाहते ह, का िवरोध करने व ढ़ बने रहने का
साहस दान करता है । ब च को इस तरह के िनदश न द, 'चाचाजी को एक चु बन दो' या ‘चाची को आिं लगन
करो’ । ब च को अपने नेह क अिभ यि अपनी तरह से अपनी शत पर करने क अनमु ित दीिजए ।
116
सबसे उपयु त तो यह है िक माता-िपता अपने ब च के साथ सं ेषण के मजबतू पल
ु िवकिसत कर । उ ह उन सब
बात को उ मु त होकर साझा करने के अवसर द, जो उ ह परे शान कर रही या सता रही ह । इस बात पर पया त
बल द िक पर पर कोई भी बात गोपन नह रखी जानी चािहए, िवशेषत: िकसी भी अ य वय क के यवहार के
िवषय म ।
माता-िपता को अपने ब च के िम और उनके प रवार के बारे म जानने के िलए गंभीर यास करने चािहए ।
अपने ब च के साथ अिधक समय िबताने का संक प लीिजए । अके ले और यान पाने के भख
ू े ब चे सरल
िनशाना होते ह ।
गितिविध 4
बाल शोषण के कुछ ऐसे करण को सचू ीब क िजए िज ह पर आप माता-िपता / अिभभावक के साथ क
जाने वाली वाता म सि मिलत करना चाहते ह ।
5.7
परामशदाता या कर सकता है ?
िश क और परामशदाता ब च से िनयिमत प से िमलते ह और शोिषत या उपेि त ब चे तक पहँच पाने क
सगु म ि थित म होते ह । वे ब च क सरु ा व गित का अनु वण िदन- ितिदन कर सकते ह और वे ब च के
आ म-िव वास और सं ाना मक कौशल क विृ के िलए काय म िवकिसत कर सकते ह ।
• ऐसी ि थितय म जहाँ माता-िपता/अिभभावक ही शोषण म संल न ह, परामशदाता ब च को सरु ि त
थान और स ब ध उपल ध कराने का यास कर सकता है, जहाँ ब चे नए और सरु ि त दिु नया से
अनक
ु ू लन कर पाएं और िजसम ब च के अव िवकास मु त हो सके । य िप परामशदाता माता-िपता
के समान विृ और िवकास म सहायक ाकृितक बंधन तो नह उपल ध करा सकता, िकंतु वे वय क के
ित िव वासजनक संबंध के िवकास म ब चे को सहायता कर सकते ह ।
• इस बात का आकलन क िजए िक शोषण को कट कर िदए जाने पर ब चे को पनु : शारी रक या लिगक
शोषण के िशकार बन जाने के िकतने खतरे ह । यिद माता-िपता शोषण म शािमल नह ह, तो एक
परामशदाता िन निलिखत कदम उठा सकता है –
ब चे को एक सुरि त वातावरण दान करने का यास क िजए । यह बहत सरल नह होगा और हो
सकता है िक यह ब चे के यि व पर कुछ ितकूल भाव डाले, िजसे परामशदाता को अलग से
सं ान म लेना व काम करना होगा।
–
परामश ि या म माता-िपता क भागीदारी करने क त परता को सिु नि त करना होगा । मागदशन
या िचिक सा क आव यकता के वल उन ि थितय म होती है जहाँ माता-िपता म समथन या सहायता
देने क स मता नह होती है ।
–
घटनाओ ं के ित माता-िपता और दसू रे देखभाल करने वाले यि य क वीकृित के िलए काय
क िजए ।
117
–
माता-िपता के िलए ऐसे जाग कता के काय म िवकिसत क िजए जो िवशेष प से बाल शोषण के
प रणाम पर जोर देते ह । इस उ े य के िलए वाताओ,ं िफ म , कािशत सािह य का योग िकया
जा सकता है ।
–
िव ालय या समदु ाय के तर पर होने वाले शोषण से दरू रहने वाले कौशल को िसखाने के िलए
काय म आयोिजत क िजए।
शोषण के दौरान या शोषण के बाद, यह भी सभं व है िक ब च म शारी रक रोग के साथ साथ मनोवै ािनक
असमा यता भी िवकिसत हो जाए । उ ह उस िविश ट असामा यता के िलए ही उपचार िदया जाता है जैसे
िच ता, भ नाशा, आॅबेसेिसव क पलिसव िडसआडर आिद । आव यकता महससू होने पर उ ह िचिक सक
मनोवै ािनक या सायके ि ट के िलए सदं िभत िकया जाना चािहए।
भय, अपराध बोध और ल जा/शम क भावना जो इन ब च म िवकिसत हो जाती है उससे लड़ने के िलए
घिन ठता थािपत क जानी चािहए ।
शोिषत ब च क िचिक सा म बोलने व सनु ने के अित र त अ य कई तकनीक का योग िकया जाना चािहए।
उदाहरण के िलए, योजनाब या िबना योजना क खेल ि थितयाँ और कला के काय , सगं ीत और खेल जो
ब च को तनाव मु त होने और आ म अिभ यि म सहायता करती ह । कठपतु िलय का योग, कहानी वाचन
या भिू मका िनवाह म अिभनय करना आिद कुछ अ य तरीके ह िज ह ब चे सबं धं को िवकिसत करने के नए
उपागम क तरह योग कर सकते ह ।
बड़े ब च के िलए समूह परामश बहत उपयोगी हो सकता है य िक यह उनक शम और उपे ा क भावना को
कम करने म सहायक होता है और वयं को सरु ि त रखने /बचाव के तरीके सीखने म मदद करता है । (मैकफै डम,
1989)
िव ालयी परामशदाता ाय: बाल दरु ् यवहार के प रणाम / भाव को सबं ोिधत करते ह । क ा िश ण म
बाधा, खेल के मैदान म दु यवहार और डराना-घमकाना , क ा म असामािजक यवहार आिद सभी को क ा
म िश क ारा सभं ाला जाना चािहए और अिधक ग भीर के स म िव ालय परामशदाता ारा यह काम िकया
जाना चािहए ।
गितिविध 5
1-
बाल शोषण को रोकने के िलए आपके देश म रा य या के सरकार ारा उठाए गए कदम क जाँच
क िजए ।
2-
बाल दु यवहार / शोषण के िव
क िजए ।
3-
उपरो त के आधार पर एक अिभलेख तैयार क िजए और स पक काय म के दौरान इस पर प रचचा
क िजए ।
सचं ेतना फै लाने वाले िच , पो टर और ऐसे अ य साधन को एक
118
व-जाँच अ यास 2
नीचे िदए गए त य के स मख
ु सही/गलत अिं कत क िजए –
1-
बाल शोषण को रोकने म माता-िपता, िश क और परामशदाता बहत मह वपणू भिू मका िनभाते ह ।
2-
से स िश ा को िव ालय क पाठ्यचया का भाग बनाना ब च का शोषण से बचाव कर सकता है ।
3-
माता-िपता व ब च के म य सवं ाद क कमी का प रणाम ब चे ारा अपने ित दु यवहार को
गोपनीय रखने के प म िदखाई देता है ।
4-
माता-िपता क साइकोपैथोलॉजी (मनोदशाएँ) बाल-दु यवहार के जोिखम को बढ़ा देती ह ।
5.8 सारांश
बाल दु यवहार / शोषण िकसी भी ब चे के िलए एक अ य त दभु ा यपणू घटना है िजसका ब च के िवकास पर
हािनकारक प रणाम ि गत होता है । एक परामशदाता क भिू मका ब च को ऐसी घटनाओ ं से बचाव करने क
होती है । इस इकाई म बाल शोषण क समझ, इसके कारण और प रणाम पर चचा क गई । इसम बाल-शोषण
के िविभ न व प जैसे उपे ा, शारी रक, लिगक व भावना मक शोषण के बारे म बताया गया । चार कार के
शोषण से िसत ब च के िवशेष कार के यवहार पर भी प रचचा क गई ।
दु यवहार/शोषण के िशकार ब च क मदद के िलए एक परामशदाता क भिू मका पर चचा क गई ।
व-मू याक
ं न अ यास
1-
बाल-दु यवहार या है ?
2-
िकस कार के ब चे शोिषत िकए जाते होते ह ?
3-
जब कोई बाहरी यि ब च का शोषण करता है तो वे घर पर इसके िवषय म य नह बता पाते ह ?
4-
शोिषत ब चा कै सा यवहार करता है ?
5-
बाल शोषण के या कारण ह ?
6-
शारी रक शोषण के तीक / िच का वणन क िजए ।
7-
लिगक शोषणकता कौन ह ?
8-
बाल शोषण के दीघकािलक भाव या होते ह ?
व-जाँच अ यास के िलए उ तर कुंजी –
1-
ब च के ित िकसी भी कार का गलत या खराब यवहार या ब चे को शारी रक या मानिसक प
से तािड़त करने वाले काय या ऐसा कोई भी काय जो ब च के सामा य िवकास को रोकता है, बाल
शोषण कहलाता है ।
119
2-
िन निलिखत िवशेषताओ ं पर के ि त करके या या क िजए जो ब च को शोषण के ित अिधक
वृत कर देते ह –
• अप रप व ज म
• मानिसक म दता
• शारी रक अ मता
• किठन ब चे
• यनू अनश
ु ासन
• अित सि यता
3-
िन निलिखत िबदओ
ु ं पर िव तार क िजए
• शोषक क ओर से ितशोध का भय
• शोषण के बारे म बात करने/ न के उ तर देने म उलझन या घबराहट महससू करना और इस बात से डरना
िक बात खल
ु जाने पर प रणाम शोषण से भी यादा भयावह हो सकते ह ।
4- िन निलिखत िबदओ
ु ं पर िव तार कर –
• भय और िचंता
• भ नाशा और यनू आ म-िव वास
•
ोध और िव षे
• असामा य लिगक यवहार और िहसं ा
• अ तरंग र त / संबंध म किठनाई
• पीिड़त ारा अपराधबोध क अनुभिू त
5- िन निलिखत िबदओ
ु ं पर िव तार क िजए
• दु यवहार करने वाले माता-िपता ाय: वयं भी शारी रक या अ य कार के दु यवहार का िशकार हए होते
ह।
• जीवन क तनावपणू ि थितयाँ यथा बड़ा प रवार और िनधनता ।
• माता-िपता या प रवार के अ य वय क के मानिसक िवकार ।
• ब च म कुछ िविश ट कार क िवशेषताएँ जैसे अप रप व ज म, मानिसक म दता और शारी रक अ मता
उ ह शोषण के ित अिधक वृत बना देते ह । इससे अिधक किठन ब चे, अित सि य और अनश
ु ासनहीन
ब च म भी शोषण के िशकार होने के खतरे /जोिखम बढ़ जाते ह ।
6-
शोषण के शारी रक संकेतक चोट के िनशान ह जो िकसी कार क व तु के योग के हो सकते ह
120
जैसे – बे ट, बकल (ब सआ
ु ), िसगेरट से जलाए जाने या रीढ़ क चोट आिद हो सकते ह ।
7-
वय क, जो िनकट या िव तृत प रवार म, आिधका रक ि थित म होते ह ।
8-
िन निलिखत पर या या क िजए-
• मनोवै ािनक असामा याताएँ
• शारी रक यािधयाँ
व –जाँच अ यास क उ तर माला –
व जाँच अ यास – 1
बाँए से दाँए
3 शारी रक
5 भावना मक
7 शोषण
8 िहसं क
9 िश क
10 म दता
2 र तेदार
4 लिगक
ऊपर से नीचे
1 अित सि यता
6 उपे ा
व– जाँच अ यास 2
1. T
2. T
3.T
4.T
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122
5
eknd inkFkZ nq:i;ksx jksdFkke ijke’kZ
Hkkx 2
5-9
तावना
5-10 उ े य
5.11 मादक य दु पयोग का अथ
5.12 मादक य दु पयोग के कार
5.13 मादक य दु पयोग के कारण
5-13-1 मादक पदाथ सेवन के ल ण
5-14 िकशोराव थाथ म मादक य के उपयोग और दु पयोग का चलन
5.4.1 मादक य सेवन रोकथाम
5-14-1-1
5-14-1-2
िव ालय रोकथाम काय म
प रका रक रोकथाम काय म
5-15 मादक पदाथ सेवन हेतु काय म
5-15-1
सेवनकता/ यसनी को सहायता ा करने हेतु अिभ े रत करना
5-15-2
मादक पदाथ दु पयोग रोकथाम परामश
5-15-2-1
5-15-2-2
5-15-2-3
5-15-2-4
5-15-2-5
पहचान
ब च के साथ व थ संबंध थािपत करना
आकलन
िवशेष हेतु िनदिशत करना
फॉलो अप सिवस
5-16 परामशदाता हेतु िट स/सू
5-17 सारांश
व आकलन अ यास
व आकलन अ यास क उ तर कंु जी
व जाँच अ यास क उ तर कुंजी
संदभ
तािवत पठन साम ी
वेबिलं स
124
5-9
तावना
इस इकाई म आप िव ािथय ारा िव ालय म मादक या सेवन का अ यकयन करगे । आप िव ािथय ारा
मादक पदाथ / ग सेवन के कारण तथा प रणाम को देखने और समझने का यास करगे । अ त म, यह इकाई
कुछ उपयोगी िवचार को दान करेगी िक कै से आप रोकथाम तथा िनदान म भूिमका िनभा सकते ह ।
िव ालय प रसर म स क घसु पेठ, इनका दु पयोग और यसन वतमान वष म बढ़ चक
ु ा है । यहाँ तक िक
ाथिमक क ाओ ं म भी स अपना रा ता बना रहा है । इन सबका अथ है िक िश क तथा परामशदाताओ ं
के स मु ा ब च को िशि त करने व बुि मता पणू चयन म सहायता करने क भिू मका बहत मह वपणू है ।
यसन िकसी भी उ म हो सकता है पर तु िकशोराव था या युवा य काव था म अिधक सामा य होता है ।
िकशोर स तामकता को चनु ौती देना चाहते ह, वयं को िस करना चाहते ह और अपने वयं के चयन के िनणय
लेकर अपने अि त व को अिभ य त करना चाहते ह । संसार के ित उनका नैसिगक कौतहु ल योग क उनक
आव यकताओ ं को ईधन
ं देता है । बहत से िकशोरो के िलए ए कोहल तथा स का योग उनके हाई कूल के
अनभु व का मह वपणू भाग है । यह िव ािथय को स उपयोग क सं कृ ित म डुबाने क और ले जा सकता है
जो आगे चलकर इससे बाहर िनकलने म मुि कल पैदा करे गा ।
इसिलए अ यापक म िव ालय के ब च म मादक य सेवन के ित जाग कता बढ़ाना बहत आव यक
है । िशि का ब च से अनौपचा रक बातचीत कर सकती है और खल
ु े सवं ाद ारा ग दु पयोग के खतर व
प रणाम को इिं गत कर सकती है । इसके अलावा, िश क को िव ािथय क िचय को जानने, अनभु व को
साझा करने तथा िव ािथय ारा अनुभव क जा रही परेशािनय पर बातचीत करने का यास करना चािहए ।
उ ह ब च को परे शािनयाँ हल करने के िनदशन देने हेतु समथ होना चािहए ।
इस इकाई के उ े य हेतु मादक य श द का एक दसू रे के थान पर उपयोग हआ है और आप उन कुछ मादक
पदाथ / स के बारे म पढ़गे जो िव ालय क सामा य परे शािनयाँ ह ।
5.10 उ े य
इस इकाई को पढ़ने के उपरा त आप:
• मादक य सेवन को प रभािषत कर सकगे ।
• मादक य के कार क गणना कर सकगे ।
• मादक य सेवन के कारण को समझ सकगे ।
• मादक य सेवनकता के िच एवं ल ण को पहचान सकगे ।
• रोकथाम िविधय पर काय कर सकगे ।
• िव ालय म मादक य सेवन के पीिड़त ब च क सहायता हेतु परामशदाताओ ं एवं िश क को िदए गए
उपयोगी सझु ाव का उपयोग कर सकगे ।
125
5.11 मादक य दु पयोग का अथ –
लोग िविभ न तथा जिटल कारण से स, ए कोहल और तंबाकू जैसे पदाथ का सेवन करते ह । इन पदाथ के
सेवन का मि त क तथा नायु तं पर हािनकारक भाव पड़ता है जो सेवनकता के वा य तथा ितिदन क
गितिविधय को भािवत करता है ।
मादक य सेवन स या अ य रसायनाें मे अित संल नता या िनभरता है जो यि के शा र रक और मानिसक
वा थय पर या अ य के क याण पर हािनकारक भाव को बढ़ाते ह । (मौसबी का मेिडकल, निसग और
सहब वा य श दकोष, 1988)
इस असामा यता को दवाइय , अिचिक सीय प से िचि हत दवाइय या िवष का िनयिमत िचिक सक य
उपयोग के पैटन से िचिह्नत िकया जाता है िजसका प रणाम काय, प रवार या िव ालयी दािय व म िवफलता,
अ तवयि क संघष या काननू ी सम याएँ ह ।
5-12 मादक पदाथ दु पयोग क ेिणयाँ
समय के साथ मादक य सेवन लत या मादक पदाथ पर िनभरता बढ़ा सकता है । मादक य सेवन के बारे म
बात करते हए, इसे लत के साथ िमत नह िकया जाना चािहए, िवषेशकर जब वे िव ालय म ब च से यवहार
कर रहे ह । मादक य दु पयोग लती होने से िभ न ह िजसम नकारा मक प रणाम के बावजदू मादक पदाथ
के िनर तर योग क िववषता होती है, जबिक मादक य दु पयोग यि य , मादक य एवं समाज के म य
पार प रक ि याओ ं या भाव को दषाता है ।
िश क /परामषदाताओ ं ारा िव ालय म इस पर िवचार िवमष िकया जाना चािहए िक िकस कार स का
योग मादक य के दु पयोग और यसन को बढ़ावा देते ह और इनके रोकथाम म सहायता क जानी
चािहए । इसके यसन का समाधान िव ालय िनदषन िश क के े से बाहर है और ोफे षनल परामषदाता या
मेिडकल िवषेश क सहायता ली जानी चािहए । रोकथाम तथा भावषाली परामष क सुिनि चतता हेतु एक
परामषदाता को िव ािथय ारा उपयोग िकए जाने वाले स के कार को जानना चािहए िज ह िन न ेिणय
म बाँटा गया हैः
• ए कोहल तथा तंबाकू
• अवैध ग उपयोग
• िनधा रत स का योग
• सामा य घरे लू सामि य ारा मादक य दु पयोग
आज ए कोहल पीना समाज म लगभग वीकृ त हो चक
ु ा है, जब तक यह अ यिधक सेवन तक न पहँचे पीने के
संदभ म ाय: िव ाथ अपने अिभभावक और संबंिधय क नकल करते ह; िक तु ाय: वे अ यािधक सेवन
से पूव कने के सामािजक दबाव से िभ नह होते । ए कोहल का सेवन 7 या 8 वष के ब चे भी करते पाए जा
सकते ह; िकशोराव था म ए कोहल सेवन का कारण साथी-समहू का दबाव हो सकता है, िवशेष तौर पर दावत
126
(पािटय ) म िकशोर ारा अ कोहल सेवन का कारण ाय: आन द, म ती, तनाव से मिु , अ छा दशन आिद
बता िदए जाते ह । मू पान के साथ कई तरह क आपदाएँ जैसे दय रोग, फे फड़ का कसर और ए फ सेमा,
पेि टक अ सर और दयघात आिद जड़ु े ह । लीवर (यकृत) क खराबी का सबसे सामा य कारण अ कोहल
सेवन ही है । यह दय के बढ़ जाने, िसका, अ माशय व अमाशय के कसर का भी कारण है ।
िनधा रत ( े ाइ ड) दवाएँ मादक य क अगली े ाी का िनमाण करती ह िजनम कफ और को ड सीरप,
(खाँसी का िम सचर), आयोड स, िव स तथा आहार िचिक सा म योग हाेने वाली दवाओ ं जैसे रटेिलन,
को रिसिडन आिद का दु पयोग सि मिलत है । िच ता, िचड़िचड़ाहट व तनाव मु त करने वाली िड ेसट दवाओ ं
का भी दु पयोग िकया जाता है य िक इनका िवकाररिहत भाव होता है । िकशोर वय के ब चे, अपने
अिभभावक क जानकारी के िबना, उनक दवाइय का उपयोग अनभु व लेने के िलए या अपने सािथय ारा
बताए गए अनभु व को लेने के िलए कर लेते ह । िनधा रत दवाओ ं के दु पयोग का भाव एका ता और मिृ त
को ीण कर सकता है । अिधक मा ा म इनका उपयोग मिृ तलोप, संिव म और मित म, अवसाद और वास
लेने म परे शानी का कारण बन सकता है ।
अवैध स म मा रजआ
ु ना, हेरोइन, कोक न व अ य उ तेजक और उपशामक य का सेवन शािमल है ।
वे ब चे जो धू पान या म पान करते ह उनम बाद क अव थाओ ं म अवैध स के उपयोग क संभावनाएं
अिधक होती ह । मा रजआ
ु ना का उपयोग फे फड़ म जलन उतप न करता है । इसम त बाकू के धएु ँ क तुलना
म अिधक मा ा म कसर उतप न करने वाले रसायन होते ह । हेरोइन को सुई ारा भीतर डाला जाता है, अ सर
दिू षत सइु य ारा, िजसका दु पयोग वा य क जिटलताओ ं को आर भ कर सकता है िजसम दय वा व
को न ट होना, एच.आई.वी./एड्स सं मण, िटटेनस तथा बोटुिल म सि मिलत है । कोक न के कम अविध के
भाव म मित म, र त नािलकाओ ं का सक
ं ु चन िजससे दय का आघात या हािन हो, अिनयिमत धड़कन तथा
मृ यु सि मिलत है । कोक न का दीघाविध का योग दय, मि त क, फे फड़ तथा िकडनी क हािन से जड़ु ा है ।
इन ेिणय के अलावा चैथी ेणी म सामा य घरे लू उ पाद के दु पयोग वाले पदाथ सि मिलत ह जैसे पे ोल,
नेल पाॅिलश, िव डो लीनर, िफनाइल और वनीला ए स ै ट । बहत छोटी उ म ब चे उपयोग या दु पयोग
के ान के िबना लेट पिसल, पिसल लेड और याही आिद खाने के आिद होते ह । यवु ा ब चे, कम या पैसे
ना होने के कारण उ च या वैकि पक उ ेजनाओ ं के िलए क चे या उप र कृत घरे लू उ पाद का उपयोग करते
ह । सामा य घरे लू उ पाद के धएु ँ को सघंू ने ारा ऊँ ची अनभु िू त क खतरनाक आदत से हर वष एक हजार से
अिधक ब चे मृ यु को ा होते ह । अ य यवु ा लोग िजनम पहली बार उपभोग करने वाले भी शािमल ह को
गभं ीर वास सबं ंधी परे शािनयाँ या थायी मि त क ित हो जाती है ।
ग के उपयोग से अनेक नकारा मक प रणाम जड़ु े ह िजसम बाद के जीवन म गंभीर ग सेवन के बढ़ते खतरे ,
िव ालयी िवफलता, गलत िनणय लेना सि मिलत ह जो िकषोर को दघु टनाओ,ं िहसं ा, अिनयोिजत तथा
असुरि त से स तथा आ मह या के खतर म डालते ह ।
गितिविध 1
आपके े म िपछले एक दशक म िव ालय म िविभ न मादक पदाथ के बढ़ते दु पयोग को दशाने वाले
127
सरल रेखा ाफ का सं ह कर । '' स को ना कह'' अिभयान के िव ापन पो टर का भी सं ह कर । अपनी क ा
म इस िवषय पर िवचार िवमश कराएँ और िव ािथय के अवलोकन को िलख ल तथा सपं क काय म म इन
जानका रय को साझा कर ।
5.13 मादक य सेवन के कारण
मादक य सेवन एक जिटल प रघटना है िजसके िविभ न कारण ह । ये कारण, मनोवै ािनक, जैसे– तनाव और
िच ता से, सामािजक, जैसे– िन न सामािजक-आिथक ित ठा, जैिवक, जैसे– िविभ न परु ानी बीमा रयाँ यहाँ
तक िक सां कृितक, भौगोिलक, पार प रक जनजातीय मादक य सेवन आिद हो सकते ह । मादक य सेवन
सामा यत: िविभ न कारण के पार प रक भाव का प रणाम हो सकता है ।
मादक य सेवन के िवषय म सवािधक चिचत मत म से एक सं ाना मक यवहार संबंधी है । सं ाना मक
यवहारवादी िवचारक का िव वास है िक मादक य सेवन का ज म यि और उसके वातावरण क पार प रक
िति या के फल व प होता है । िकशोराव था के संबंध म, जब वे तनाव भरी प रि थितय (जैसे माता िपता
से बहस) का सामना करते ह, तो वे इन प रि थितय का सामना, संबंिधत सामना करने के कौशल के उपयोग
ारा ब धन से कर सकते ह । अिधकतर िकशोर व थ अनक
ु ू लन कौशल (जैसे इस िवषय म बात करना, शांत
हो जाना) को िविभ न ेिणय का िवकास तथा योग करते ह । पर तु अ य म कुछ सीिमत सामजं य यवहार
का समहू पाया जाता है । िजनम से कुछ अ व थ (उदाहरणाथ: मादक य का योग) कौशल से तनाव भरी
प रि थितय का ब धन करते ह (बरो-सचज, 2006)
मादक य सेवन के अनेक कारणा मक अनौपचा रक कारक हो सकते ह । कुछ ब च का यह िव वास होता
है िक स दद, िचंता और अवसाद को, कम से कम कुछ समय के िलए दरू कर सकता है और तनाव होने पर वे
त काल इसे ले लेते ह । िव ालय/कॉलेज परी ाएँ भी, उदाहरण के िलए, कुछ ब च के िलए तनाव का ोत
होती ह । दबाब (तनाव), परी ा क तैयारी, तैयारी म अ मता, असफलता क पनु राविृ त आिद अ य त तनाव
उ प न कर सकते ह और इसे बाहर िनकालने का आसान तरीका शांितदायक स क एक खरु ाक है (परीमु
1992) ।
मादक य सेवन के मत तथा कारणा मक कारक के अलावा कुछ अ य पहलू भी ह; जैसे– जोिखम और
सुर ा मक कारक का भाव जो ब च तथा िकशोर म मादक य सेवन के कारण का काय कर सकता
है । जोिखम कारक क प रभाषा है िक कुछ भी जो यि म स के योग क संभावना को बढ़ाता है, जोिखम
कारक है । जबिक कुछ भी जो यि के स के योग क संभावना से बचता है या कमी लाता है, सुर ा कारक
कहलाता है ( लेटन 1992) ।
जोिखम कारक
पदाथ का उपयोग या दु पयोग जैसे िसगरे ट, ए कोहल, और अवैध स लेना जो बचपन या िकशोराव था म
शु हआ हो, जोिखम कारक के कारण हआ होगा ।
• पा रवा रक कारक, िज ह ने ब चे क आरि भक िवकास को भािवत िकया हो, मादक य सेवन के बढ़ते
जोिखम से संबंध दशाते ह ।
128
»
अ यवि थत गहृ वातावरण
»
अ भावी पेरिटंग
»
पालन पोषण तथा अिभभावक म लगाव का अभाव
»
अिभभावक ारा मादक य सेवन
• प रवार से बाहर ब चे के सामाजीकरण से सबं िं धत कारक ग सेवन का जोिखम बढ़ा देते ह ।
»
क ा म अनिु चत आ ामक या शम ला यवहार
»
िन न सामािजक सामंज य कौशल
»
यून िव ालयी दशन
»
िवचिलत साथी समहू से जड़ु ाव
»
ग उपयोग करने के यवहार क वीकायता का बोध
इन कारक के अलावा ग उपयोग के कुछ अ य स दिभत कारक जैसे गरीबी, पड़ोस का वातावरण, स यता के
मानक आिद भी इनके सेवन के जोिखम कारक को बढ़ाते ह ।
सरु ा कारक
जैसा पहले कहा गया है, सरु ा कारक िकसी यि के स के योग या सम या के िवकास क संभावना को
घटाते ह । अिभभावक क मादक पदाथ संबंधी मनोविृ त िकशोर के स उपयोग संबंधी यवहार पर भाव
डालती है । एक प रवार के वे कारक जो िकसी ब चे को मादक पदाथ सेवन से बचाते ह िन न ह –
–
ब च एवं अिभभावक के म य सु ढ़ संबंध
–
ब चे के जीवन म अिभभावक का सि मलन और
–
प ट सीमाएँ तथा अनश
ु ासन का िनर तर योग
सरु ा कारक के अ य उदाहरण अ छा मानिसक वा य, बेहतर पालन के तरीक का ान (उदार नजर रखना,
और प ट सीमाएँ), अ छे िम से मेल, िव ालय म उ च दशन और सम या समाधान के बेहतर कौशल
ह । सुर ा कारक िकशोर ारा मादक पदाथ उपयोग या दु पयोग के तनाव को रोकने क मता को बढ़ाते ह ।
उपि थत सरु ा कारक क गणु व ता और सं या िजतनी उ च होगी, उतना ही ढ़ भाव उन पर िकशोराव था
म कम मादक पदाथ सेवन पर पड़ेगा । (बरो-स ज 2006) ।
वा तव म इ ह कारक के कारण मादक पदाथ सेवन िकया जाता है और जोिखम कारक का हटाने तथा सरु ा
कारक को दान िकए जाने के िलए िव ालय म िनदशन एवं परामश सेवा अ य त मह वपणू है । हालांिक
मादक पदाथ सेवन के प रणाम अ य त भीषण होते ह िफर भी अिधकतर िव ालय म सहायता हेतु कोई
ावधान नह है ।
129
व-जाँच अ यास – 1
िदये गए िवक प से र त थान क पूित क िजए ।
1.
जोिखम
2.
सरु ा
3.
मादक य सेवन
4.
मा रजआ
ु ना, कोक न तथा हेरोइन
1.
--------------------- स/कै िमकल का अ यािधक उपयोग करने को कहते ह, िजसका भाव
शारी रक और मानिसक वा य को ीण करता है ।
2.
स जैसे ---------------------, --------------------- और ------------------को अवैध स कहा
जाता है ।
3.
कुछ भी जो िकसी यि के स के उपयोग क संभावना को बढ़ाते ह, ------- कारक कहलाते ह ।
4.
ब च और अिभभावक के म य मजबूत जुड़ाव को --------------------- कारक कहते ह ।
5.13.1 मादक य सेवन के ल ण
सेवन िकए जाने वाले पदाथ क ेिणय और इससे जड़ु े िविभ न कारक क सपं णू समझ होने के प चात मादक
य सेवन के ल ण का ान अ य त आव यक है । यह परामशदाता या अिभभावक को स के उपयोग या
दु पयोग क परे शानी का सामना कर रहे ब च को पहचानने और इससे बाहर िनकालने म मदद करे गा । प रवार
और िम मादक य सेवन के ल ण को सव थम पहचानने वाल म से ह गे । आरि भक पहचान सफल िनदान
के मौके बढ़ा देती है । िदए गए यवहार ए कोहल या अ य ग उपयोग से जड़ु ी परे शािनय के चेतावनी िच /
ल णह।
शारी रक
• थकान
• बार बार वा य संबंधी िशकायत
• लू जैसे ल ण , छाती म दद, एलज के ल ण, पुराना कफ
• लाल और भावशू य आँख
• सामा य सं मण और थकान से लड़ने क ीण मता
•
ीण अ पाविध मरण शि
• वा य या बनावट म प रवतन
130
भावना मक
• यि व प रवतन
• अचानक मनोदशा प रवतन
• िचड़िचड़ापन, गु सा, शु ता
• लापरवाह यवहार
• िन न से फ ए टीम
• बरु ी िनणायक मता
• अके लापन, संिव म या अवसाद क भावना
• उदासीनता और सामा य िच का अभाव
• वैयि क मुखताओ ं म प रवतन
पा रवा रक संबंध
• प रवार एवं पा रवा रक गितिविधय म घटती िच
• िववाद आर भ करना
• नकारा मक ि कोण
• छोटे भाई बहन के साथ शाि दक या (शारी रक ) दु यवहार
• िनयम तोड़ना
• प रवार से िखंचे-िखंचे रहना
• रह यमयता
• गितिविधय के बारे म न करने पर िवशेष उ तर दे पाने म असफलता
• वैयि क समय पर यादा जोर
• झूठ बोलना व बेईमानी
• घर क व तुओ ं का अकारण गायब होना
• अिधक पैसे होना या पैसे कै से खच िकए का उिचत प टीकरण न देना
131
िव ालय गितिविधयाँ
• घटती िच
• नकारा मक ि कोण
• ेड म अकारण कमी
• अिनयिमत िव ालय अनपु ि थित
• िबना आ ा िव ालय से बाहर रहना
• अनुशासना मक सम याएँ
• िव ालय के प चात घर न लौटना
• खेल या होमवक जैसी पवू गितिविधयाँ छोड़ देना
सािथय से सबं ंध
• पुराने िम को छोड़ देना और नए िम समहू बनाना
• दो त को घर न लाना
• ऐसे नए िम बनाना जो बेकार िनणय लेते ह और िव ालय तथा पा रवा रक गितिविधय म िच न ल
• कपड़ तथा संगीत के अलग तरीके के बदलाव
• िबना अिभभावक क िनगरानी के पािटय म जाना
ऊपर िदए गए ल ण तब पाए जा सकते ह जब ब चे स के आदी हो जाते ह िजसके िलए त काल यान देने
क आव यकता है । जब स के आदी होने के ल ण िदखाई द तो त काल िचिक सा आव यक है और िकसी
यावसाियक परामशदाता/िचिक सक से परामश ल । स क लत के िन न ल ण ह :
• पेट क मोटाई का बढ़ना
• उदासी या अवसाद क बढ़ती भावना
• वयं या अ य को हािन पहँचाने का िवचार
• छाती म दद, दय क धड़कन का बढ़ना, वसन तथा िवचार एवं गितिविधय के िनयं ण म किठनाई होना
• ती पेट दद
•
म या बढ़ता मित म
• अ य त कंपन या दौरा पड़ना
132
• बोलने म किठनाई, सु नपन, कमजोरी, ती िसरदद, ि प रवतन या सतं ल
ु न बनाने म परेशानी
• इजं े शन वाले थान पर ती दद (इसके साथ लािलमा, सजू न, ाव और बख
ु ार)
• गाढ़ा कोला जैसे रंग का मू
एक लती यि ऊपर िदए गए िच म से कुछ के मेल दशा सकता है और सामा यत: उनके दैिनक जीवन म
ह त ेप रहता है । एक परामशदाता को िकसी िव ाथ क ग क लत क पिु करने से पवू यि के जीवन
के िविभ न पहलओ
ु ं पर यान देना होगा ।
व-जाँच अ यास – 2
नीचे िदये गए कथन क स यता क जाँच क िजए –
1.
ग सेवन करने वाला सामा यत: उन सहपािठय के अिधक करीब हो जाता है जो िव ालयी
गितिविधय म कम िच लेते ह ।
2.
गभं ीर कंपन और दौरे ग सेवन क आरंिभक अव था के चेतावनी िच ह
3.
सामािजक गितिविधय , खेल और शारी रक गितिविधय म विृ अ सर मादक य सेवन के ल ण
होते ह ।
5.14 िकशोराव था म मादक य उपयोग और दु पयोग का चलन
िव ाथ िविभ न तरीक से वैध एवं अवैध स लेने म सल
ं न होते ह । िकशोराव था म स के साथ योग
करना सामा य है । दभु ा य से, िकशोर आज के काय और कल के प रणाम के बीच अ सर सबं धं नह देख
पाते ।
िव ालय म ग सेवन इन कारण से होता है –
• खोज करना
• दद, अके लेपन और तनाव म कमी या छुटकारे हेतु
•
ग डीलर से आसान पहँच और ाि
जब ब चे ाथिमक िव ालय से मा यिमक िव ालय म पहँचते ह तो वे अ सर नई शैि क तथा सामािजक
ि थितयाँ पाते ह जैसे सहपािठय का बड़े समहू के साथ सीखना । यह वह अव था है – ारि भक िकशोराव था,
जब ब चे पहली बार स का सामना करते ह ।
िकशोर अित र त सामािजक, भावना मक और शैि क चुनौितय का सामना करते ह । इसी समय उनके
समाने स क अिधक उपल धता, स लेने वाले तथा स लेने से सबं िं धत सामािजक गितिविधयाँ हो सकती
ह । ये चनु ौितयाँ इस बात का जोिखम बढ़ा सकती ह िक वे ए कोहल, तंबाकू और अ य पदाथ का सेवन कर ।
133
स सटस ए यजू ए ड मटल है थ सिवस एडिमिन ेशन (SAMHSA) क रपोट के अनसु ार नेशनल सव ऑन
ग यजू ए ड हे थ (NSDUH) िजसे पवू म नेशनल हाउसहो ड सव ऑन ग ए यजू कहा जाता था, दशाते
ह िक कुछ ब चे 12 या 13 वष क आयु से ही मादक पदाथ का सेवन कर रहे ह । िजसका अथ है िक कुछ और
भी शी इसका आर भ कर लेते ह । यिद मादक पदाथ सेवन िकशोराव था के बाद के चरण म भी जारी रहता
है तो सेवनकता सामा यत: मारीजआ
ु ना और बाद म अ य स भी ए कोहल व तंबाकू के साथ जारी रखते ह ।
अत: िकशोराव था म मादक पदाथ के उपयोग को रोकने क रणनीितय का िवकास िव ालय म िकया जाना
चािहए य िक के वल िव ालय जाने क आयु म िकशोर इस आदत को अपनाते ह । मादक पदाथ सेवन के
यवु ाओ ं पर पड़ने वाले वैयि क एवं सामािजक हािनय के कारण िव ालय , प रवार और रा को रोकथाम
तथा उपचार हेतु नई रणनीितय के िवकास हेतु बा य होना पड़ेगा ।
5.14.1 मादक पदाथ सेवन रोकथाम
यह भाग िव ालय तथा घर म रोकथाम के तरीक पर काश डालेगा । रोकथाम के तरीके यादा जोिखम वाले
युवाओ ं म सुर ा कारक का तर बढ़ाने और ग सेवन क ती ता को रोकने के कौशल व सहायता दान करते
ह । ग िश ा एवं रोकथाम का उ े य ब च एवं िकशोर म रा ीय तर पर सेवन रोकने के बेहतर मौके दान
करना है ।
रोकथाम काय म सभी कार के मादक पदाथ के िलए होना चािहए । िजसम वैधािनक स (उदाहरण तबं ाकू
व ए कोहल) का कम उ म उपयोग, अवैधािनक स (उदाहरण मारीजआ
ु ना या हेरोइन) का उपयोग और
वैधािनक प से उपल ध पदाथ का गलत उपयोग (उदाहरण इ हेलटस) ि ि क शन मेडीके शन या ओवर द
काउ टर स सि मिलत ह ।
5.14.1.1 िव ालयी रोकथाम काय म
िव ालय म ग सेवन क रोकथाम क रणनीितय को िविभ न अव था के ब च से यवहार करते समय यास
म लाना चािहए और इनम िन न सि मिलत ह –
• सामा य जन हेतु जैसे िव ालय के सभी ब च के िलए एक सावभौिमक रणनीित तैयार क जानी चािहए ।
• िचि त समहू जैसे िव ालय के कम अक
ं ा त करने वाले या ग सेवन कताओ ं के ब च के िलए िवशेष
रणनीित हो ।
ाथिमक िव ालय के ब च के रोकथाम काय म का के शैि क एवं सामािजक – भावना मक अिधगम क
उ नित होना चािहए और यह िन न कौशल पर के ि त हो :
• व-िनय ण;
• भावना मक जाग कता;
• क यिू नके शन / संवाद;
134
• सामािजक सम या समाधान और
• शैि क सहायता, िवशेषकर पढ़ने म ।
मा यिमक या हाई कूल के िव ािथय के काय म ारा िन न कौशल के साथ शैि क तथा सामािजक द ता
को उ नत िकया जाए :
• अ ययन क आदत एवं शैि क सहायता;
• क यिू नके शन / संवाद;
• सहपािठय से संबंध;
• व- भावो पादकता और ढ़तापवू क कहना;
•
ग ितरोधी कौशल;
•
ग िवरोधी मनोविृ का पुनबलन और
•
ग सेवन के िव
यि गत ितब ता को मजबतू करना ।
अत: िव ालय हेतु िनयोिजत काय म लंबी अविध के और पनु राविृ त वाले होने चािहए । ाथिमक िव ालय
के छा को काय म से ा त लाभ का कोई लाभ नह होगा यिद हाई कूल के िव ािथय पर फॉलो-अप
काय म न िकए जाएँ ।
रोकथाम के तरीके सवािधक भावशाली ह गे जब संवाद-प रसंवाद के तरीके जैसे– सहपाठी िवमश समूह और
अिभभावक रोल ले आिद का योग हो, जो मादक पदाथ सेवन और पनु बलन कौशल के सीखने म सि य
ितभािगता के अवसर देता है ।
5.14.1.2 पा रवा रक रोकथाम काय म
प रवार आधा रत रोकथाम काय म ारा पा रवा रक बधं न को बढ़ाना चािहए । पा रवा रक बंधन अिभभावक
और ब च के म य सबं धं क आधारिशला ह । इस बधं न को ब च को अिभभावक का समथन/सहारे ,
अिभभावक-ब च के म य सवं ाद और अिभभावक म सहभािगता व सि मलन के कौशल िश ण ारा
मजबूती दी जा सकती है (नेशनल इ टीट्यटू ऑफ ग ए यूज, 2003) ।
•
ग सेवन रोकथाम म अिभभावक क िनगरानी तथा िनरी ण मह वपणू ह ।
• अिभभावक को ग संबंधी िश ा और जानकारी देना, जो ब च ारा स के हािनकारक भाव के
अिधगम को पनु बिलत करे गा और प रवार म मादक पदाथ के वैधािनक तथा अवैधािनक उपयोग पर
बहस के अवसर दान करे गा ।
इस कार िव ालय एवं प रवार म मादक पदाथ सेवन रोकथाम काय म हेतु अिभभावक और ब च के म य
संवाद का बढ़ावा िदए जाने क आव यकता है । यह ितरोधी कौशल को बढ़ाएगा; और ब च के िसगरे ट,
135
शराब तथा स और उनके उपयोग के प रणाम से सबं िं धत गलत अवधारणाओ ं को सही करे गा ।
5.15 मादक पदाथ सेवनकता हेतु काय म
5.15.1 सेवनकता को सहायता ा त करने हेतु अिभ े रत करना
कूल काय म ारा पवू म स के योग कर चक
ु े िव ािथय के िलए अपरो रणनीितयाँ योग क जानी
चािहए । एक सेवनकता को इसके उपयोग के दु प रणाम का अनभु व कराया जाना चािहए और उसे सहायता हेतु
आगे आने के िलए अिभ े रत िकया जाना चािहए । सेवनकताओ ं को मदद ाि क आव यकता हेतु अिभ े रत
करने के म यवत काय म म िन न गितिविधयाँ ह —
• अिभभावक /िश क और िम
ारा ग सेवन संबंधी घटनाओ ं और यवहार का िवशेष आँकड़ा/डाटा ।
• अिभभावक /िश क ारा सेवनकता को अिनणायक तरीके से उसके जीवन क घटनाओ ं को बताया
जाना।
• यिद सेवनकता िनदान के सभी िवक प को मना कर द तो प रवार इस न के उ तर हेतु जोर दे िक “ या
होगा यिद तमु इससे बाहर नह िनकल पाओगे?”
• यिद यि सहायता पाने के िलए त काल तैयार हो पाता है तो सहायता उपल ध होनी चािहए ।
िकशोर समहू के सेवनकताओ ं के काय म म वैकि पक गितिविधयॉं, ग संबंधी ान, मीिडया के भाव,
सामािजक कौशल िवकास, मू य का प टीकरण, वा य को बढ़ावा, जीवन कौशल का िवकास, सामुदाियक
सहभािगता और सामािजक-मनोवै ािनक समझ यािन इस बात क समझ िक लोग और समहू कै से सवं ाद
थािपत करते ह, आिद सि मिलत ह । यह तभी होगा जब सेवनकता को ेम से उसके यवहार के िवक प को
बताया जाएगा और तब वे आधारिशला को पश कर सकगे और मदद लगे । सेवनकताओ ं हेतु रणनीितयाँ तभी
बेहतर काय करती ह जब अिभभावक, िव ालय, परामशदाता और यावसाियक िवशेष िमलकर इस सम या
का सामना करने हेतु हाथ िमलाएँ ।
व-जाँच अ यास – 3
िदए गए िवक प क स यता एवं अस यता क जाँच क िजए ।
1.
कोई उपचारा मक कायवाही नह क जा सकती जब तक सेवनकता इस बात को वीकार न कर िक
कोई सम या है ।
2.
िव ािथय के सम याओ ं का सामना करने के कौशल क बेहतरी के िलए ाथिमक क ाओ ं के
रोकथाम काय म मा ही अपने म पया त ह ।
3.
अिभभावक , संर क एवं परामशदाताओ ं ारा अ त: ेप को भावशाली और िचर थायी बनाने के
िलए िमलकर अ त: ेप करना होगा ।
4.
पवू से ही ग सेवन करने वाले ब च के िलए सावभौिमक रणनीित बनानी चािहए ।
136
गितिविध – 2
यिद आपको मा यिमक िव ालय के ब च को िनदिशत करने हेतु ग जाग कता पै फे लेट/पुि तका तैयार
करनी हो तो आप िकन जानका रय को देना चाहगे ? यिद आपको जानकारी ब च के अिभभावक हेतु
िनदिशत करनी होगी तो या बदलाव करगे ?
5.15.2 मादक पदाथ दु पयोग रोकथाम परामश
िव ालय परामशदाता अ सर ए कोहल तथा ग रोकथाम काय म क सफलता क कंु जी होते ह य िक वे
इस ि या के सम वयक, सलाहकार और आकलनकता के प म काय करने हेतु िश ण एवं काय के कार
म े ठ ि थित म होते ह (पामर ए ड पेजले 1991) । िव ालय परामशकता िव ालय के ब च तक िनयिमत
पहँच के कारण रोकथाम, पहचान और ह त ेप संबंधी सेवाएँ दान करने हेतु अनुपम ि थित म होते ह (मैसन
1996) ।
एक भावशाली परामशदाता बनने के िलए, आपको मादक पदाथ का सेवन करने वाले िकशोर ारा सामना
क जाने वाली सम याओ ं क पया त समझ होने क आव यकता है और उनके िनदान के तरीक को जानना
चािहए । यह भाग आपको कुछ मल
ू े क अ त ि दान करता है िज ह परामशदाता ारा मादक पदाथ
सेवन क सम या वाले ब च से यवहार करते हए िवचार म रखा जाता है ।
5.15.2.1 पहचान
रोकथाम क अिधक भावशािलता/ भावका रता हेतु इससे पहले िक ए कोहल या स लेने वाले िव ािथय
से साथ भावना मक तर तक जुड़ जाए, शी ाितशी उनक पहचान क जानी चािहए । अिधक सं या म
िव ािथय को इस यसन क ओर बढ़ने से रोकने म सहायता हेतु समूह या वैयि क परामश िदया जा
सकता है । इस पहचान ि या म िश क को गहराई तक शािमल होने क आव यकता है ।
5.15.2.2 ब च के साथ व थ सबं ध
ं थािपत करना
मादक पदाथ का सेवन करने वाले िकशोर के साथ काय करने म आने वाली संभािवत किठनाई यह होती है िक
वे सामा यत: सेवन संबंधी बात को खुलकर कहने म अ िच िदखाते ह और कम बातचीत क वृित रखते ह ।
ब च के ितरोध को कम करने म िव वास तथा समझ क भावना का िनमाण मदद करता है । उ ह इस बात पर
भरोसा िदलाना िक िव वसनीयता बनी रहेगी, भी एक िवशेष रणनीित है ।
ितरोध कम करने हेतु परामशदाता ारा उपयोग क जाने वाली दसू री रणनीित िकशोर क कहािनय /बात को
तदानभु िू त/परानभु िू त के साथ सनु ना है । इन तकनीक का योग िकशोर को महससू कराएगा िक उसे परामशदाता
ने सनु ा और उसे अपनी सम याओ ं को और खल
ु कर कहने के िलए ो सािहत करे गा और सही आकलन क
ओर ले जाएगा ।
5.15.2.3 आकलन
परामशदाता ारा िकशोर के मादक पदाथ सेवन के इितहास का आकलन करते समय ारि भक अव था म
137
बताई गई जानकारी क वा तिवकता को सिु नि त िकया जाना चािहए य िक सेवनकता ारा इसे कम करके
बताया जा सकता है ।
परामशदाता ारा आकलन के िवशेष सचू ना े म िकशोर ारा उपयोग िकये जाने वाले स के कार , उनक
आविृ त और उपयोग िकये जाने के कारण आिद सि मिलत ह िजससे वा तिवक सम या का प ट िच ा त
हो सके । सम या के िव तार का सही आकलन परामशदाता को मादक पदाथ सेवन क गंभीरता तथा िनदान क
आव यकता के िनधारण म सहायता करे गा ।
5.15.2.4 िवशेष हेतु िनदिशत करना
लबं े समय से ग सेवन क सम या से त िव ाथ के िनदान (उदा: इ टिशव आउट पेशट, इ पेशट ीटमट)
क तल
ु ना म योग के तौर पर पदाथ का सेवन करने वाले िव ाथ को िन न तर के िनदान (उदा: मनोवै ािनक
िश ा, परामश के कुछ स आिद) क आव यकता होगी । बाद म बताए गए का िव ालय परामशदाता ारा
िनदान हो सकता है जबिक पवू वाले िव ािथय के िलए यावसाियक परामशदाता ारा यसन छुड़ाने वाले क
या िचिक सा िवशेष हेतु िनदिशत कर िदया जाता है ।
5.15.2.5 फॉलो अप सिवस
यह क पना करना सरु ि त नह है िक मादक य सेवन क सम या िचिक सा सेवा के ख म होने पर पणू तया
ठीक हो जाएगी और इन पदाथ को याग िदया जाएगा । िजन िव ािथय क िचिक सा हो चक
ु हो, उ ह
िव ालय से जोड़ने और पनु : इससे िसत होने से रोकने म मदद के िलए परामशदाता ारा फॉलो अप सेवा (जैसे
इन- कूल आफटर के यर ु स) दान क जानी चािहए ।
5.16 परामशदाता हेतु िट स / सू
एक परामशदाता िन न काय कर सकता है –
• िव ािथय तथा अिभभावक हेतु जाग कता तथा सचू ना काय म का िवकास ।
• मादक य सेवनकताओ ं को मा यता ा त िडटॉ स (नशा मिु ) के
और नामािं कत करना ।
से स पक करने हेतु ो सािहत
• मादक पदाथ सेवन करने वाल को िव ालय यव था म पुन वेश म मदद करना ।
• िव ाथ के आ मस मान और यि गत उ तरदािय व संचारण, िनणय लेने, सामािजक भाव का िवरोध
तथा अिधकार क मांग तथा स के उपयोग और प रणाम के ान म विृ क विृ त को भािवत करना ।
• भावना मक वा य तथा सामािजक कौशल के ो साहन पर के ि त होना ।
• िचंता और ोध क पहचान व सामना करने, आवेग के िनय ण तथा सामािजक, शैि क और सम या
समाधान कौशल के िवकास हेतु ब च के साथ बैठक करना ।
138
•
स लेने वाले अिभभावाक को पालन-पोषण कौशल म मदद करना तथा उनके ब च के प रणामवादी
सम याओ ं के खतर म कमी लाना ।
• ाथिमक िव ालय के ब च म आ ामकता और सम या मक यवहार म कमी पर के ि त होना और
क ा क शैि क ि या को उ नत करना ।
• िव ालयी दशन विृ , स के योग म कमी और मनोदशा एवं भावनाओ ं के ब धन कौशल को
सीखने के िलए हाई कूल के िव ािथय के िलए म यवत काय म आयोिजत करना ।
यवु ाओ ं म मादक य सेवन से जड़ु ी सम याएँ अ सर जिटल होती ह य िक अिभभावक तथा िव ालय को
इन बहआयामी सम याओ ं का सामना करना होता है अत: उ ह िव ालय परामशदाता सिहत सभी यि य क
ितब ता के साथ दीघ समय सीमा का िनयोजन करना चािहए ।
व-जाँच अ यास – 4
िदये गए िवक प से र त थान क पिू त कर ।
1्.
परानभु िू त
2.
िचिक सा िवशेष
3.
िव ालय परामशदाता
4.
पहचान
ग सेवन के मामले ------------------ के पास भेजने चािहए ।
------------------ पहला चरण है िजस पर परामशदाता स सेवन कताओ ं से यवहार करने पर
के ि त होता है ।
परामशदाता को ------------------ के साथ ग सेवन कता क कहािनयॉं सनु नी चािहए ।
एक ------------------- ारा फॉलो अप काय म आयोिजत िकया जाना चािहए ।
गितिविध – 3
परामशदाता समदु ाय के अ य यि य के साथ संवाद थािपत कर थानीय ग सेवन सम याओ ं क जानकारी
ले सकते ह और स पक बैठक म रोकथाम संबंधी उपाय को बता सकते है ।
5.17 सार
िव ालय का समय वतं ता ा त करने, योगवािदता और जोिखम लेने का समय होता है । िकशोराव था
म योगवािदता से जड़ु ा एक े ग सेवन है । सब कार के स के योग हेतु सवािधक संवेदनशील वे
िव ाथ होते ह िजनके पास जेब खच होता है, सािथय के दबाव म झक
ु जाते ह या िज ासु होते ह जो उनके
139
स के प रचर म सहायक होता है । िव ािथय ारा बेहतर दशन के दबाव का सामना िकया जाना इस ि थित
म सहायक होता है । ग सेवन क ि थित से बाहर िनकलने का एक मा तरीका इस इकाई म िवमश िकए
गए ल ण , कारण और परामश के िनदश आिद सभी के बारे म िश क तथा िनदशन परामशदाताओ ं क
जाग कता बढ़ा कर यि गत मामल क पहचान करना तीत होता है ।
हालािं क वष परु ानी कहावत िक रोकथाम इलाज से बेहतर है इस ि थित के िलए भी सही है । इस खतरे को
दरू करने के िलए अनेक रोकथाम के तरीके आव यक ह । रोकथाम और दखल के कुछ तरीके इससे लड़ने म
सहायता हेतु इस इकाई म िदए गए ह । इसके अलावा इस इकाई के अतं म परामशदाताओ ं के िलए कुछ िट स/
सझु ाव-सू भी िदए गए ह जो ग सेवनकता के साथ यवहार म त काल उपयोगी ह गे ।
व आकलन अ यास
1.
2.
मादक पदाथ सेवन या है और इस िवकार के या ल ण ह ?
स क ेिणयाँ और उनके लेने के दु प रणाम बताइए ।
3.
मादक पदाथ सेवन के दु प रणाम बताइए ।
4.
जोिखम तथा सुर ा कारक या ह ?
5.
मादक पदाथ सेवन के कुछ ल ण बताइए ।
6.
मादक पदाथ सेवनकता से यवहार करने के िलए परामशदाता ारा यान िदए जाने क आव यकता
वाले े का वणन क िजए ।
7.
रोकथाम हेतु योग िकए जा सकने वाले तरीक का अपने श द म िववरण दीिजए ।
व आकलन अ यास हेतु उ तर कुंिजका
1.
मादक पदाथ सेवन िकसी ग या रसायन का अ यिधक योग है िजसका िकसी यि के शारी रक
तथा मानिसक वा य पर बुरा भाव पड़ता है । दवाइय तथा अ य स को िनर तर योग से उ प न
िवकार का ल ण काय, प रवार तथा िव ालय के दािय व को िनभाने क िवफलता है ।
2.
स क चार ेिणय और मादक पदाथ सेवन के भाव तथा वा य दु प रणाम को जैसा िक
येक शीषक के अ तगत िदया गया है, िव तार से बताइए ।
3.
मादक पदाथ सेवन के िन न कारण को उदाहरण सिहत िव तार से बताइए : मनोवै ािनक, सामािजक,
जैिवक, सं ाना मक – यवहारा मक, सां कृितक एवं भौगोिलक ।
4.
वह कुछ भी, जो िकसी यि के स लेने क संभावना बढ़ाता है, जोिखम कारक है जबिक वह कुछ
भी, जो यि को ग लेने से रोकता है, सुर ा कारक होता है । इसे उदाहरण ारा प ट क िजए ।
5.
ग सेवनकता के ल ण के िलए, शारी रक, भावना मक, प रवार, िव ालय या सहपािठय के प
म वग कृ त ेिणय के चेतावनी िच या ल ण को िव तार से बताइए ।
140
6.
परामशदाता ारा यान िदए जाने वाले े म पहचान, ब च के साथ व थ सबं धं थािपत करना,
आकलन, िवशेष के पास भेजना और फॉलो अप आिद सि मिलत ह, इन े का िव तार से वणन
कर ।
7.
रोकथाम के उपाय:
• रोकथाम वा तव म सबसे शाि शाली तरीका है िजसके िलए अिभभावक , िश क और िव ािथय
म जाग कता क आव यकता है । इस जानकारी के सार हेतु कायशाला, पो टर , ले चर आिद क
आव यकता है । ये यवु ा िवकासशील िव ािथय म य कता और ढ़ अहम को पोिषत करे गा और वे
कभी भी स का िशकार नह ह गे ।
• िश क को िशि त करने का दािय व है य िक ग सेवन एक ऐसी प रि थित है जो परू ी पा रवा रक इकाई
को भािवत करती है । अत: कोई भी परामश या िश ा को प रवार के सदं भ म िदया जाना चािहए ।
व-जाँच अ यास उ तर कुंिजका
व-जाँच अ यास – 1
1. (iii) 2. (iv) 3. (i) 4. (ii)
व-जाँच अ यास – 2
1.
सय
2.
अस य
3.
अस य
2.
अस य
3.
सय
व-जाँच अ यास – 3
1.
सय
4.
अस य
व-जाँच अ यास – 4
1. (ii) 2. (iv) 3. (i) 4. (iii)
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142
5
भाग 3
एच. आई. वी. / एड्स जाग कता हेतु परामश
यिू नट–5
5.18
तावना
5.19 उ े य
5.20 एिशयाई देश म एच. आई. वी. / एड्स का सार
5.21 एच. आई. वी. या है ?
5.21.1 एच. आई. वी.का सचं ारण
5.21.2 एच. आई. वी. का संचारण िकस कार नह होता ?
5.21.3 एच. आई. वी. के चेतावनी संकेत
5.22 एड्स या है ?
5.22.1 एड्स का इितहास
5.22.2 एड्स के चेतावनी संकेत
5.23 एच. आई. वी./ एड्स क पुि
5.24 परामश क आव यकता
5.24.1 एच. आई. वी. उपचार योजना
5.25 िव ािथय हेतु जाग कता काय म
5.26 सार
व-आकलन अ यास
व-आकलन अ यास क उ तरकंु िजका
व-आकलन अ यास क उ तरकंु िजका
संदभ
तािवत पठन साम ी
वेबिलंक
144
एच. आई. वी. / एड्स जाग कता हेतु परामश
5.18
तावना
यह इकाई एक और मह वपणू सम या पर के ि त है िजसने संसार के सभी देश को भािवत िकया है । एच.
आई. वी. /एड्स भमू डल के चार ओर मनु य को क ट देने वाली सवािधक चितल और गभं ीर बीमा रय
म से एक है । इस रोग का कोई ात इलाज नह है । पर तु बीमारी के संचारण के तरीके भली भाँित ात
ह । अब तक रोग के संचारण तथा सं मण को कम करने क एक मा आशा मा लोग म जाग कता
उ प न करना है । यह इकाई भारतीय प र े य म एच. आई. वी./एड्स के िवषय म चचा हेतु सीिमत है । येक
सं कृ ित म एच. आई. वी. संचारण क सम या है िजसे उसी प र े य म थानीय तर पर देखने क आव यकता
है । सा ंकृितक संदभ के िबना िकसी भी सं या म जाग कता काय म काय नह करगे ।
एच. आई. वी. /एड्स स ब धी यह िवषय िव ालय िश क तथा िव ालय परामशदाताओ ं हेतु अ य त
मह वपूण है य िक यह ब च और िव ािथय को िशि त करने म मह वपणू भिू मका िनभाता है और उ ह
ारि भक आयु म यौनिल त होने के प रणाम के ित जाग क करता है । िजनके प रणाम व प भावा मक
एवं शारी रक थकान एवं िबमा रयाँ होती ह जो आगे चलकर शैि क दशन पर नकारा मक भाव डालती ह ।
आज बड़े शहर के िकशोर- िकशो रयाँ िज ासा के कारण असरु ि त यौन यवहार म म न ह । सवािधक
मह वपूण यह है िक आज ऐसे िवषय पर ब च को िशि त करने क िज मेदारी िव ालय पर है । यह इकाई
एच. आई. वी. /एड्स के अथ, िविभ न कारण और पहचान के िच तथा िश क क भूिमका को प ट करती
है िजसे वे रोकथाम हेतु िनभा सकते ह, य िक रोकथाम ही एक मा तरीका है, य िक इस बीमारी का कोई पूण
इलाज नह है ।
5.19 उ े य
इस इकाई के अ ययन के प चात आप
• एच. आई. वी. को पा रभािषत कर सकगे ।
• एच. आई. वी. का संचारण होने और न होने के कारण को प ट कर सकगे ।
• एड्स का अथ बता सकगे और इसके िच को पहचान सकगे ।
• एच. आई. वी. / एड्स के अ य त जोिखम वाले यवहार क या या कर सकगे ।
• िव ािथय के िलए एच. आई. वी. /एड्स जाग कता काय म का िवकास कर सकगे ।
• एच. आई. वी./एड्स वाले िव ािथय और प रवार हेतु परामश कौशल का याेग कर सकगे ।
5.20 एिशयाई देश म एच. आई. वी. / एड्स का सार
स.रा. िव व बक और यिू नसेफ जैसे अ तरा ीय सं थान ारा ततु क गई सांि यक रपोट एिशयाई देश म
एच. आई. वी. / एड्स क बढ़ती घटनाओ ं को दशाती ह । 1980 के अंत तक एिशयाई देश म एच. आई. वी.
145
का सार नह हआ था, पर तु 1990 के अतं तक यह पणू महामारी बन चक
ु थी । स. रा. के अनसु ार एच. आई.
वी. और एड्स िव व के िकसी भी थान से अिधक पवू एिशया म ती ता से फै ल रहा है ।
अनुमान लगाया गया है िक एिशया और शा त े के ब चे 15 वष क आयु से कम लगभग 31,000 ब च
म एच. आई. वी. और एड्स है, िजनम से लगभग 11,000 ब चे 2007 म नए सं िमत ह । इस बीमारी ने इन
े म लगभग 4,50,000 ब च को अनाथ िकया है । वष 2015 तक ब च म स मण क सं या 25,000
से अिधक हो सकती है और अनाथ क सं या 1.6 करोड़ से अिधक हो सकती है ।
लोबल ए शन फॉर िच ेन (ब च के िलए अ-सरकारी सं था, 2005) के अनसु ार
• भारत म लगभग 2.2 करोड़ ब चे एड्स से भािवत ह । (यूिनसेफ)
• भारत म एच. आई. वी./ एड्स अनाथ क सं या िव व म सबसे अिधक ह । (िव व बक )
• भारत म एड्स के 35 ितशत से अिधक के स 15 से 24 वष के ब च और यवु ाओ ं के म य ह (नेशनल
एड्स कं ोल सं था)
• भारत म एच. आई. वी./ एड्स के दो-ितहाई के स देश के 29 रा य म से छ: रा य : महारा , तिमलनाडु,
मणीपरु , आ देश, कनाटक और नागालै ड म ह । (स. रा.)
ऊपर िदये गए आक
ं डे ि थित क भयावता एच. आई. वी. /एड्स या है, स ब धी जाग कता फै लाने व इसके
िच और परामश तथा वहृ द पैमाने पर जाग कता जिनत काय म क आव यकता को दशाती है ।
5.21 एच. आई. वी. या है ?
एच. आई. वी. एक वायरस है जो मनु य के ितर ा तं म िवकार पैदा करता है
एच
मू न
आई
इ यनू ोडेिफिशय सी
वी
वाइरस
एच. आई. वी.रे ोवायरस नामक वायरस के प रवार से है । यह जीिवत होता है । यह बाल क मोटाई से हजार
गुना छोटा होता है और पूण प से िखले सूरजमख
ु ी के समान िदखता है ।
सं िमत लोग के र त, सीमन, सवाइकल और वेजाइनल ाव और कम मा ा म लार, आँस,ू माँ का दधू और
सेरे ो- पाइनल ाव म एच.आई.वी. पाया जाता है । एच.आई.वी का सं मण अिधकतर यौन ि या ारा या
सं िमत यि के सं िमत र त के अ य यि को चढ़ाए जाने से होता है ।
वायरस अपने आप कई गनु ा नह हो सकता है । वे ितर ा तं के भाग हो ट (मेजबान) कोिशका के जेने रक
पदाथ को िशकार बना कर ही जनन कर सकते ह । जनन के िलए एच.आई.वी. वयं को मनु य क सं िमत
वेत र त किणका के जेनेिटक पदाथ के भीतर डाल देता है। इसे िबना कोिशका को न ट िकए, शरीर या दवाइय
146
से ख म करना अ य त किठन है । इसीिलए अब तक एच.आई.वी. का इलाज िवकिसत करना अ य त किठन है,
य िक वायरस को न ट करने पर सं िमत कोिशका भी न ट हो जाती है । इसके प रणाम व प शरीर एच.आई.
वी. सं मण से सामा य ितर ा िति या ारा यास एवं लड़ाई जारी रखता है । परंत,ु ऐसा करने म और
अिधक वेत र त किणकाएँ सं िमत हो जाती ह । ऐसा तब तक होता है जब तक शरीर सं मण से लड़ने हेतु
पया त वेत र त किणकाएँ और नह बना पाता । यह धीरे धीरे एच.आई.वी. त यि क अ य सं मण से
लड़ने क मता ीण कर देता है और यि दबु ल हो जाता है ।
वायरस ारा ितर ा तं के न ट होने का ता पय है िक सं मणकारी जीवन िबना िकसी चनु ौती के शरीर म
वेश कर बहगिु णत हो और अिधक बीमारी उ प न करता है । अ सर इन अ य सं मण से एच.आई.वी. िसत
यि क मृ यु हो जाती है ।
5.21.1 एच. आई. वी.का संचारण
एच. आई. वी. वायरस के संचारण के अनेक माग ात ह । अिधकतर सं मण असरु ि त यौन सहवास के कारण
होता है । ग क सइु य का िमल कर योग करना, र त को आदान दान एच. आई. वी.सं मण हेतु उ तरदायी
है । िव व के अनेक थान म जहाँ र तदाता का िविभ न सं मण हेतु परी ण नह िकया जाता, एच. आई. वी.
आपरे शन या अ य इमज सी म दान िकये जाने वाले र त का अगं हो सकता है । एच. आई. वी. सचं ारण का
एक दख
ु द प रणाम सं िमत माता से नवजात िशशु म वायरस का सं मण है ।इस भाग म आप सं ेप म सभी
कार के सचं ारण माग का अ ययन करगे ।
सं िमत साथी के संग यौन सहवास : यह िव व के एच. आई. वी.सं मण के लगभग 80 ितशत हेतु
उ तरदायी होता है । यौन सं िमत रोग जैसे हरपीज, िसफिलस आिद क उपि थित के कारण संचारण क
संभावना बहत अिधक होती है ।
सं िमत यि ारा र त दान : मानव र त अपने पोषक मू य , पया त आ सीजन त व और उपयु त
तापमान के कारण एच. आई. वी. क विृ हेतु अ छा मा यम दान करता है । अत: जब सं िमत र त एक
यि से दसू रे यि म सचं ा रत िकया जाता है तो वायरस फलता-फूलता है और सं िमत र त के साथ चला
जाता है ।
सं िमत माँ से नवजात िशशु म, ज म से पूव, ज म के दौरान और ज म के प चात: ज म से पवू , ये
लेसटा ारा णू म, ज म के दौरान माँ के र त ारा और ज म के प चात माँ के दधू ारा संचा रत होते ह । ये
एच. आई. वी.के सचं ारण के िलए 30 ितशत उ तरदायी ह । कभी-कभी गलत चयन के कारण सं मण हो
सकता है । कुछ के िलए, सं मण के िलए, चयन या यवहार म से कोई भी कारण नह होता । नीचे िदया गया
परामशदाताओ ं के म य बातचीत का उदहारण एच. आई. वी. स मण के संभव कारण को प ट करता है ।
परामशदाता को एक बात प ट होनी चािहए िक यह मह वपणू नह है िक यि कै से सं िमत हआ, पर तु
वे एक गंभीर और जीवन हेतु खतरा उ प न करने वाली बीमारी से जझू ते ह। इसके िलए उ ह िवषयपरक और
सहानभु िू तपणू परामश सेवा क आव यकता है ।
147
नीचे कुछ यि य के उदाहरण िदए गए ह िजनम उनक कोई गलती न होने पर भी वे एच. आई. वी. त
हए । सं िमत सुई, सं िमत र त या अ य सं िमत यि य ारा ा त सं मण से वे एच. आई. वी./एड्स
त हए । इसी कार, ऐसे ब चे भी ह िजनका शारी रक या यौन उ पीड़न हआ और वे अपनी नह वरन दसू र
क गलती से इसका िशकार बने ।
िव ालय परामशदाता, रे बेका, सनु ील, एिलस जॉन और नताशा एक परामश के म अपनी िव ालय क एच.
आई. वी. स ब धी सचू नाओ ं को साझा करने और आगे या िकया जाना चािहए, इसके िवषय म िवचार हेतु
िमले । उनक बातचीत इस कार आर भ हई –
रे बका – सनु ील, तमु मेरी िम लीजा को जानते हो ? उसे एच. आई. वी.पॉिजिटव बताया गया है ।
सनु ील – यह तो बड़ा सदमा है । लीजा तो एक अ छी लड़क है ।
रे बेका – इसम उसक कोई गलती नह है । िपछले वष उसका ए सीडट हआ था । उसे र त िदया गया था । अब
अ पताल वाले कह रह ह शायद र त एच. आई. वी. संि मत था ।
सनु ील – बेचारी लीजा । वह िकसी और क गलती क सजा भगु त रही है ।
एिलस – हाँ । म तु ह एक लड़क का अ य उदाहरण बता सकती हँ िजसका काय े म बला कार हआ था,
जब वह के वल बीस वष क थी । और अब, िकतने वष बाद उसे एच. आई. वी. त बताया गया । वह िकसी
और क गलती क सजा भगु त रही है ।
जॉन – तुमने मझु े मेरी एक आटं ी क याद िदला दी जो अपने पित के िववाहे तर ेम संबध के कारण भगु त रही ह ।
परामशदाता ऐसे येक मामले को अलग अलग ल और इनम से येक के िलए परामश काय म तैयार कर ।
य िक येक एक पीिड़त है, चाहे गलती उनक है या िकसी अ य क । ऐसे काय म के िनयोजन हेतु सझु ाव
इकाई म आगे िदए गए ह ।
5.21.2 एच. आई. वी. का संचारण कै से नह होता
मनु य के बीच एच. आई. वी. संचारण आसान नह है । मानव शरीर के बाहर वायरस लंबी आयु नह जी सकता
और इसे बहत िवशेष प रि थितय जैसे र त या सीमेन क आव यकता होती है िजसम यह फल फूल सके । इसे
सं िमत शारी रक य से सीधे स पक और असं िमत यि के शरीर म सीधे वेश क आव यकता
होती है । औपचा रक स पक जैसे गले िमलना, हाथ िमलाना, औपचा रक चंबु न, खाँसना, छ कना या
तौिलए या बतन को िमलकर उपयोग करना आिद से एच. आई. वी. सं मण के कोई सा य नह िमले ह ।
क ाक , वीिमगं पल
ू आिद को एच. आई. वी. सं िमत यि के साथ साझा करने से िकसी को कोई खतरा
नह होता । उपकरण या मशीन के साथ काय करते हए अ य के सं िमत र त के सम वचा के कटे-फटे
या खल
ु े न होने क सावधानी रखनी चािहए । वा तव म औजार और मशीन के उिचत योग ारा िकसी भी
सहकम को खतरे से बाहर रखना चािहए । क ट जैसे म छर, खटमल आिद के काटने से एच. आई. वी. सं मण
नह होता (ह लो, चौधरी और च मौली, 1998) ।
148
र त दाताओ ं के मामले म िवशेष देखभाल और सावधानी आव यक है । अिधकतर लड बक ारा र त दान
हेतु कुछ िनयम बनाए गए ह और सभं ािवत दाताओ ं क न के वल एच. आई. वी. सं मण बि क सभी गभं ीर
संचा रत सं मण हेतु पूव जाँच अिनवाय है । र तदाताओ ं को जाँच करनी चािहए िक हर बार र त दान से पवू
नई साफ सइु य का योग हो । अ पताल को रोिगय को र त चढ़ाने से पवू उनक सरु ि त र त आपिू त क
गांरटी देनी चािहए ।
व-जाँच अ यास - 1
िदए गए िवक प से र त थान क पिू त करो –
(i) सं िमत र त
(ii) ितर ा तं
(iii) वेत र त किणकाएँ
(iv) र त या सीमेन
1-
एच. आई. वी. --------------- को न ट करता है िजसके प रणाम व प िविभ न कार के सं मण
होते ह ।
2-
एच. आई. वी. --------------- क ओर आकिषत होते ह जो सं मण क ि थित म शरीर के ितर ा
तं को िनयंि त करता है ।
3-
एच. आई. वी. सं मण का मु य कारण --------- है ।
4-
एच. आई. वी. वायरस को --------------- म पाई जाने वाली िवशेष प रि थितय क आव यकता
होती है ।
5.21.3 एच. आई. वी. के चेतावनी िच
एच. आई. वी. िसत अिधकतर यि 8-11 वष तक ल ण रिहत होते ह । हांलािक, शरीर को एच. आई. वी.
वायरस ारा सं मण क आरि भक िति या व प एंटीबॉडीज उ प न करने म के वल 3-12 ह ते लगते ह ।
परी ण करवाना यह जानने का एकमा सिु नि त रा ता है िक या आपको सं मण है । यह जानने के िलए िक
आप एच. आई. वी.से िसत है या नह , आप ल ण पर िनभर नह कर सकते ।
एच. आई. वी. क शरीर म गित का िच ा मक दशन आगे िदया गया है ।
एच. आई. वी.
-िक ह 4 माग से वायरस का शरीर म वेश
-6 ह त -6 महीने ( एंटीबाॅडीज का उ प न होना )
-5-10 वष तक कोई ल ण न िदखना
-िनयिमत डाय रया और बुखार, अकारण शरीर का
भार कम होना, सामा य कमजोरी, िल फ नोड्स का
बढ़ना, वचा सं मण और हािन द सं मण
िवड काल
साइलट सं मण
एड्स
िच 1.1 : शरीर म एच. आई. वी. क गित
149
एच. आई. वी. सं मण के िन न चेतावनी सक
ं ेतह:
• शारी रक भार म ती कमी
• सख
ू ा कफ
• बुखार क बार बारता और राि म अ यिधक पसीना आना
• अ यिधक तथा अकारण थकावट
• कांख, अ मल
ू तथा गले क िल फ नोड्स म सूजन
• एक ह ते से यादा डाय रया रहना
• जीभ, मुँह या मँहु के अदं र , नाक या पलक पर सफे द िनशान या असामा य ध बे
• यमू ोिनया
• मँहु , नाक या पलक के ऊपर या अंदर लाल, भरू े , गल
ु ाबी या बैगंनी ध बे
• मिृ त लोप, अवसाद और अ य यरू ोलािजकल िडसऑडर
हालािं क, यिद इनम से कुछ ल ण होने पर कोई भी क पना नह कर सकता है िक वे सं िमत ह । इनम से येक
ल ण अ य बीमा रय से स बि धत हो सकते ह । पनु : आपको सं मण है या नह , इसे जानने का एकमा
तरीका परी ण है ।
5.22 एड्स या है ?
वे सभी यि , जो एच. आई. वी.परी ण म पॉजीिटव पाए गए, आठ वष के भीतर एड्स के िशकार हो जाते ह,
पर तु कुछ म एड्स स ब धी जिटलताएँ ारि भक अव था म ही िवकिसत हो जाती ह । िचिक सक ारा एच.
आई. वी. िसत यि म पाए जाने वाले िच और सक
ं े त का वणन करने हेतु ARC नाम का भी उपयोग िकया
जाता है । इनम अकारण शारी रक भार म कमी, बार-बार बख
ु ार, फूली िल फ नाेडस,् हप ज, डाय रया आिद
ह, जो एड्स से कम गभं ीर ह और जो सामा यत: एक वष के भीतर एड्स म प रवितत हो जाते ह । ( रडफ ड,
राइट और ेमॉ ट 1986 )
A-
ए वायड : आनुवांिशक नह वरन िकसी अ य से ा त करते ह ।
ID-
इ यून डेिफिशये सी : शरीर के मु य र ा त अथात इ यनू िस टम म कमजोरी या अपया तता
S-
िस ोम :के वल एक रोग या ल ण नह वरन बीमा रय और ल ण के समहू क उपि थित ।
5.22.1 एड्स का इितहास
एड्स के थम रोगी के बारे म 1981 म ात हआ था । पवू म कई यि िबना िनदान के मृ यू को ा त हए थे ।
1983 म लक म टेनर ने ांस म वायरस को िवलग िकया था । 1985 म एलीसा नामक लड टे ट का िवकास
150
िकया गया । 1993 म एड्स के 3,40,000 से अिधक मामले दज िकए गए । इसी समय िव व वा य सगं ठन
(ड ल.ू एच.ओ.) ने परू े िव व म एड्स वाले 2.5 करोड़ वय क और 1 करोड़ ब च को एड्स और लगभग
10 करोड़ एच. आई. वी.सं िमत मामले बताए (कै लन, सैडाकॅ और ै ब, 1994)
5.22.2 एड्स के चेतावनी िच
एड्स िसत लोग क सामा य िशकायत गले और काँख आिद म दद रिहत सजू ी ि थय का पाया जाना है,
जो लगभग तीन महीने तक रहती ह । कुछ लोग म मँहु के छाले, वचा म चक ते या यौनागं ो म िनशान आिद
सं मण बार-बार होता है । कुछ को टयबू र यल
ू ोिसस भी हो जाता है ।
ब च म बीमारी का एक सामा य य ीकरण है- िवकास का क जाना, लंबा डाय रया और यमू ोिनया जो
इलाज म िति या नह देते ह ।
नेशनल एड्स कं ोल ऑरगेनाइजेशन (नाको) ने भारतीय संदभ म एड्स को इस कार प रभािषत िकया है,
''सेरोपॉजीटेव यि म ‘दो या दो से अिधक मु य ल ण और एक या यादा गौण ल ण का पाया जाना’ ।
अ- मु य ल ण
1. ात शारी रक भार म दस ितशत अनैि छक भार हािन
2. एक माह से अिधक समय तक अकारण ह का बख
ु ार
3. ोिनक डाय रया या डाय रया क पुनराविृ
4. ए टीमाइ ोिबयलस् के िलए कम िति या के साथ वसन सं मण क पनु राविृ
5. िडमिशया का बढ़ना
ब- गौण ल ण
1. मँहु म छाले
2. म टी-डरमेटोमल हप ज जो टर क पनु राविृ
3. वचा सं मण क पनु राविृ
4. ती सीबो रक डम टाइिटस
5. ओरल हेयरी यक
ू ो लेिकया
व-जाँच अ यास - 2
िदए गए कथन क स यता या अस यता क जाँच क िजए–
1. छूने या छ क के स पक म आने से एड्स होता है ।
151
2. एड्स के रोिगय क ददरिहत फूली हई ि थयाँ /िगि टयाँ होती ह जो तीन महीने तक रहती ह ।
3. ोिनक डाय रया एड्स का मु य ल ण है ।
4. एड्स आनुवांिशक रोग है ।
5.23 एच. आई. वी./ एड्स क सुिनि तता
एड्स या एच. आई. वी. परी ण हेतु परामशदाता ारा लोग को एलीसा या वे टन लॉट टॅ ट जैसे परी ण से
लैस के म भेजना चािहए ।
आकलन क दो तकनीक ''ए जाइम िलं ड इ यूनोसोरबट एसे'' (एलीसा) और ''वे टन लॉट एसे'' ह । जो लोग
एच. आई. वी. टे ट म पॉजीिटव होते ह उनम वायरस होते ह । इस त य को यान म रखना चािहए िक वायरस
इनके शरीर के भीतर ह और उनम दसू रे यि तक वायरस पहँचाने और एड्स त करने क मता होती है ।
स ं मण के प चात नेगेिटव एंटीबॉडी टे ट से पॉजीिटव एंटीबाडी टे ट होने म ल ण का िवकास 6-12 ह त
का समय लेता है । हालािं क कुछ दल
ु भ मामल म 6-12 महीने भी ले सकता है ।
नेगेिटव एच. आई. वी. टे ट वाले या तो एच. आई. वी. वायरस के स पक म नह होते और सं िमत नह होते
या एच. आई. वी. के स पक म तो थे पर तु अभी तक एंटीबाॅडीज का िवकास नह हआ । जो तब भी संभव हो
सकता है जब परी ण से पवू स पक म एक वष से कम समय लगा हो (कै लेन, सैडॉक ए ड ैब 1994)
5.24 परामश क आव यकता
एच. आई. वी. सं मण का ात होना वयं के साथ गहन भावना मक, सामािजक और िचिक सक य प रणाम
को लाता है । एच. आई. वी.के साथ सामजं य हेतु पा रवा रक जीवन, यौन तथा सामािजक सबं धं काय, िश ा,
आ याि मक आव यकता, ित ठा और वैधािनक अिधकार म िनर तर तनाव िनयोजन शािमल होता है ।
एच. आई. वी.के िशकार सामा यत: यह मानते ह िक यादा कुछ नह िकया जा सकता । इन यि य क मजबतू
सै फ इमेज के िवकास म मदद क जानी चािहए य िक अ छी से फ इमेज यि को जीवन क किठनाइय
का, खश
ु ी ढूंढने के गलत तरीक के ोत के िबना, सामना करने म मदद करती है और इस कार िशकार और
पीिड़त क भावना से लड़ने म मदद िमलती है ।
यि को इसके साथ जीना िसखाना चािहए और ि थित खराब होने या पणू एड्स होने से रोकने हेतु परामश देना
चािहए । िजससे शारी रक वा य क अ छी देखभाल, पया त न द, पोषक भो य पदाथ लेकर और तनाव,
िचतं ा, धू पान, अ यािधक थकान या अ य िकसी सं मण से बचकर व थ रह और लबं ा जीवन जीय ।
आर भ म जब यि य को एच. आई. वी. टे ट का पॉिजिटव प रणाम बताया जाता है जो वे अ य त दख
ु ी हो
जाते ह । ऐसे यि बदली हई जीवन क प रि थितय जैसे (1) छोटी जीवन अविध क संभावना को वीकारना,
(2) बीमारी से जड़ु े कलंक और दसू र क िति याओ ं का सामना करना (3) शारी रक तथा मानिसक वा य
को बनाए रखने हेतु रणनीितय का िवकास और अनपु ालन और (4) दसू र म एच. आई. वी. संचारण रोकने
हेतु यवहार म बदलाव ार भ करना आिद से सामंज य रखने म चुनौती का सामना करते ह । बहत से यि य
152
को जनन चयन, वा य के म वेश पाने, सभं ािवत रोजगार या आ य स ब धी भेदभाव का सामना
करने और यि गत स ब ध म प रवतन का सामना करने हेतु सहायता क आव यकता होगी । अत: एच.
आई. वी. िसत यि य हेतु वा य के म यवहार और मनोिव ान स बंधी सहायता अिभ न अंग ह ।
ऐसी सहायताएँ साइट पर भी उपल ध ह या एच. आई. वी. का पता चलने पर िनदिशत क जाती ह । इस े
म कायरत अनेक एजेि सय और सं थाओ ं ारा एच. आई. वी.सं िमत यि के खतर को कम करने हेतु
नवीनतम और सफल अ त: ेप िकए जाते ह । संदभ सचू ी म िदए गए संदभ से सं थाओ ं के बारे म जानकारी
ा त क जा सकती है ।
एच. आई. वी ात हाेना उ च जोिखम वाले यवहार के रोिगय के परामश हेतु मनोवै ािनक या परामशदाता
क आव यकता को पनु बलन देता है य िके ऐसे यवहार के प रणाम व प अित र त एस. टी. डी. होने या
एच. आई. वी. (या अ य एस.टी.डी.) अ य यि को सचं ा रत होने का खतरा हो सकता है ।
ात होने के आघात से गजु रने पर वह एच. आई. वी. से जुड़े परो या अपरो मु जैसे मृ यु, दद, रोजगार क
हािन, अके लापन, असहायता, शि क हािन का दख
ु , सामािजक प रणाम, भेदभाव, अिनि तता, िनराशावाद,
िनराशा, अवसाद, ोध, हताशा, अपराधबोध आिद के बारे म अ यिधक िचंितत हो सकता है । परामश से पवू
कुछ मु से स बिधत सचू नाएँ एक कर लेना चािहए। उदाहरण के िलए –
• तनाव सहने का पवू इितहास और
• उपल ध मनौवै ािनक सहायता तं
परामशदाता ऐसे िवचार का सार कर सकता है –
• सरु ि त सहवास अथात के वल एक यौन साथी या िववाह पवू से स न करना ।
• रोकथाम के तरीक जैसे कंडोम का योग करना ।
• वीकारने से पवू र त, सीमेन या अंगो का भली भांित परी ण करवाना ।
• उपयोग से पवू िस र ज काे क टाणमु ु त करना। यह अ यास िचिक सक व येक जो िस र ज का योग
करता है, के ारा िकया जाना चािहए।
• एच.आई.वी. या एडस् स ब धी ािं तयाँ और गलत फहिमय को दरू करना ।
जैिवक और सामािजक कारण से मिहलाएँ पु ष के मक
ु ाबले एच.आई.वी. से यादा असरु ि त होती ह । पु ष
से ी म संचारण ी से पु ष म संचारण के मक
ु ाबले 2-4 गनु ा ती होता है । मिहलाओ ं क समाज म कम
ित ठा उ ह उनके पित या अ य असरु ि त यौन साथी से एच.आई.वी. सं मण से बचाव करने क मता को
रोकती है ।
िजनम एड्स पणू िवकिसत हो चक
ु ा हो परामशदाता को उनके िलए उनक भावनाओ,ं ठे स या दद या अपराध
बोध के िलए अ य त संवेदनशील हाने क आव यकता होती है और उसे –
153
• एड्स पीिड़त के ित सकारा मक एवं सरु ा भरा ि कोण दशाना चािहए ।
• एड्स क खबर को आिह ता से एवं सकारा मकता के साथ बताना चािहए ।
• एच.आई.वी और एड्स संचारण स ब धी गलतफहिमय और ाि तय को दरू करना चािहए ।
• सं मण के अिधक सचं ारण को रोकने स ब धी िवचार पर लबं ा िवमश करना चािहए ।
• िनयिमत फॉलोअप क यि गत आव यकता जोर देना चािहए ।
• र त, सीमेन, अगं या पम दान के िव
सझु ाव देना चािहए ।
• िव वसनीयता के मह व पर जोर देना चािहए अथात रोगी को स बि धय , िम , िनयो ताओ ं या िकसी
अ य को यह खबर न देने हेतु सुझाव देना चािहए य िक उसका एच.आई.वी पाजीिटव या एड्स पीिड़त
होना उसके रोजगार, प रवार या सामािजक संबध को भािवत कर सकता है ।
• प रवार एवं जीवनसाथी को सिू चत करने हेतु उसे तैयार करना चािहए अ यथा दा प य जीवन खतरे म पड़
सकता है, यिद िव वास के उ लघं न या भरोसे या िव वसनीयता के अभाव म अ य साथी िव वासघात
अनुभव करे । यह खबर वा तव म यगु ल के र ते को एक-दसू रे के ित वचनब ता क कमी के कारण
िहला डालती है । यावसाियक िव ालय परमशदाता एच.आई.वी या एड्स संबंधी शैि क यास को
बढ़ावा दे सकता है । इस रोग क रोकथाम हेतु परामशदाता िव ािथय , अिभभावक , टॉफ और समदु ाय
के साथ िमलकर काय कर सकता है । परामशदाता के पास िव ािथय को सही वा य जानकारी देने
और उनम व थ ि कोण और आदत के िवकास म मदद करने के अवसर और उ तरदािय व होते ह ।
एच.आई.वी /एड्स क जानकारी और िश ा सभी यि य के िलए आव यक है ।
िव ािथय , टाफ और अिभभावक को परामश, सहारा और शैि क काय म दान करने हेतु परामशदाता
िचिक सक से भी सहयोग ले सकता है ।
िव ािथय और अिभभावक को एच.आई.वी /एड्स मु का सामना करने हेतु िव ालय परामशदाता
सहायता दान करने वाले उपल ध संसाधन क जानकारी भी दे सकता है । िव ालय िनदशन काय म के
एक भाग के प म परामशदाता एच.आई.वी /एड्स सबं धं ी जानकारी इन बात के साथ दे सकते ह • यवहार, जो लोग को एच.आई.वी /एड्स के खतरे म डालते ह ।
• एच.आई.वी /एड्स के संचारण के तरीके
• एच.आई.वी /एड्स संबधी वैधािनक अिधकार के मु े
• एच.आई.वी /एड्स क रोकथाम के यास और
• एच.आई.वी /एड्स स ब धी ाि तय को दरू करने हेतु सही जानकारी देना ।
154
5.24.1 एच. आई. वी. िनदान योजना
एच. आई. वी. के यौन संचारण को रोकने म यौन संचािलत बीमा रय (एस. टी. डी.) होने क संभावना को
रोकने का यान रखना, परी ण तथा िनदान, उपचार योजना मह वपूण भिू मका अदा कर सकते ह । परामशदाता
को िलिखत साम ी, बातचीत, िफ म आिद से एच. आई. वी. महामारी कहाँ से फै ली होगी, के ान और एच.
आई. वी.दर के बढ़ने क संभावना वाले थान का पवू ानमु ान बता कर जाग कता उ प न करने म भिू मका
िनभाने क आव यकता है । एच. आई. वी. और एस. टी. डी. दोन महामा रय को िनयंि त करने हेतु इन दोन
बीमा रय के रोकथाम के यास म बेहतर स ब ध क आव यकता है ।
एच. आई. वी. पॉजीिटव लोग म एच. आई. वी.सं मण क अव था के अनसु ार िविभ न कार क आव यकताएँ
होती ह । थम अव था, िजसम यि म कोई ल ण नह होते अथात जब उनम सं मण का कोई िच /ल ण
नह होता । जैसा िक िच 1.2 म दशाया गया है । इस अव था म उिचत देखभाल और िनदान योजना िजसम
पोषण एवं भोजन, आ याि मक परामश और परी ण, सं मण के अिधक फै लाव को रोकना और िकसी भी
कार के भेदभाव से बचाव आिद सि मिलत हो, आव यक है । ि तीय अव था वह है जब यि म एच. आई.
वी.के सं मण के ल ण उभर आते ह । इस अव था म पया त िचिक सक य िनदान क आवयकता है िजसम
यौन संचा रत सं मण के पोषक य िनदान क यव था और पर परागत िचिक सा और एच.आई.वी स बि धत
अ य सं मण क िचिक सा दान करना सि मिलत हो । तीसरी अव था बीमारी क आिखरी अव था, लोग
को सहारे , देखभाल और आराम से स बि धत है । इस अव था म लोग को मनोवै ािनक और आि मक वेदना
से राहत पहँचाने और अ त म ग रमा के साथ मृ यु ाि होने का यान रखना चािहए ।
भोजन और पोषण
अ याि मक सहारा
वालटंरी काउंसिलग
और टेि टगं (वी सी टी)
ल ण रिहत
अव था
ए टीरे ोवायरस स
ारा ीटमट
फॉलो अप काउसंिलग
आगे संचारण
से बचाव
कलंक और
भेदभाव से बचाव
यौन संचा रत सं मण
क िचिक सा
155
पोषणा मक
भाव का
िनयोजन
ल णा मक अव था
एच. आई. वी. संबधी
स मण का इलाज
पार प रक दवाइयाँ
साि क रोग का इलाज
प रवार तथा
अनाथ का सहारा
जीवन क अव थाओ ं
क समाि
मृ यु हेतु
तैयार करना
िच 1.2 एच.आई. वी िचिक सा तथा देखभाल के त व
5.25 िव ािथय हेतु जाग कता काय म
सामा य जन और िवशेषकर िव ािथय म जाग कता का िवकास अ यिधक आव यक है । िनर रता तथा यौन
सं मण संबधी रोग पर िवचार िवमश म अ िच व थ शैि क अिभयान के आधार म मु य अवरोधक ह ।
अत: यह आव यक है िक मास मीिडया जैसे टी.वी., रे िडयो, समाचारप , पि काओ ं और अ य पठन सामि य
ारा एच. आई. वी. और एड्स स ब धी इन जानका रय के सार म मदद िमले –
• ि थित क गभं ीरता को समझने तथा यथाथवादी और मानवीय िच ण क समझ म मदद ।
• िव ािथय को बताया जाना चािहए िक िकन तरीक से एच. आई. वी. / एड्स फै लता है और यौन
गितिविधयाँ इसके सं मण का सबसे सरल और ती माग है ।
• अिधकतर लोग को एड्स एक सुदर संभावना तीत होती है । अत: एच. आई. वी के त य को साथक
और वा तिवक बताना अ य त मह वपणू है । यह प ट िकया जाना चािहए िक िकसी को भी स ं मण का
खतरा हो सकता है ।
• इस बात पर जोर िदया जाना चािहए िक िववाह पवू तथा िववाहे तर यौन सबं धं से बचा जाए ।
• य िक मादक य पदाथ का सेवन िवशेष प से सी रंज या सुइय का योग, एच. आई. वी. क ओर
धके ल सकता है, अत: स को ना कह ।
• से स वकर हेतु िवशेष जाग कता काय म टेलीका ट िकए जाने चािहए य िक वे दोहरे खतरे म होते ह
। एक सं िमत होने का और दसू रा सं िमत करने का खतरा ।
156
• आप िव ािथय को एड्स सबं धं ी जानकारी मिु त साम ी, बातचीत, गे ट ले चर, िफ म आिद ारा दे
सकते ह । जाग कता उ प न करने हेतु दशनी / वाद-िववाद/ ि वज काय म आिद के साथ िवशेष एड्स
जाग कता िदवस का आयोजन िकया जा सकता है ।
• िव ालय, यिू नविसटी और समदु ाय तर पर एच. आई. वी. और एड्स के अ य त जोिखम वाले यि य
क पहचान परामशदाता कर सकते ह ।
गितिविध 1
यह ात करने हेतु िक या कोई यि एच. आई. वी. से पीिड़त है, एक सा ा कार काय म क तैयारी कर ।
5.26 सार
इस इकाई म एच. आई. वी. के साथ-साथ एड्स को पा रभािषत िकया गया है । एच. आई. वी. सं मण शरीर के
ितर ा तं पर आ मण करता है िजससे अ य कई बीमा रयाँ उ प न होती ह । इसम रोगी का वा य तेजी से
ीण होता है । एच. आई. वी. का सं मण सवं ाद, गले िमलना, खाँसना, छ कना आिद से नह बि क स ं िमत
यि के शारी रक य के स पक म आने से होता है । हालािं क एच. आई. वी. /एड्स अभी भी सामािजक
दाग माने जाते ह । एच. आई. वी. ितर ा तं को न ट करता है जबिक एड्स एच. आई. वी. के प रणाम व प
उ प न होने वाले ल ण या बीमा रय का समहू है । एच. आई. वी. /एड्स रोिगय के साथ-साथ अ य समाज
के सद य को भी इससे स बि धत मु के ित जाग क करने क आव यकता है । िकसी को भी दसू रे सं मण
का खतरा हो सकता है । अत: येक के िलए जाग कता आव यक है ।
नौजवान के िलए यह अिधक आव यक है य िक सचू ना और सिु वधा के अभाव के कारण ऐसे संकट म पड़ने
क उनक संभावना अिधक होती है ।िजन यि य को एच. आई. वी. पॉजीिटव होने का पता चलता है उ ह
िवशेष देखभाल क आव यकता होती है य िक उ ह मानिसक आघात पहँचता है। उ ह अ यिधक तनाव,
अवसाद या स ब ध म परे शानी हो सकती है । रोगी को इसके बारे म बताते हए परामशदाता को सावधान और
सवं ेदनशील होने क आव यकता है । इसी समय परामशदाता को रोगी ारा अपने िम और प रजन को सिू चत
करने हेतु परामश करने क भी आव यकता होती है । आरि भक परामश के प चात् रोगी को परामश क समाि
हेतु भी तैयार होना चािहए । परामशदाता के पास फॉलो-अप योजना भी होनी चािहए ।
व-आकलन अ यास
1.
एच.आई.वी. या है ?
2.
शरीर म तीन य ( ाव) ऐसे ह जो अ य के मक
ु ाबले एच.आई. वी. सं मण क उ च सां ता रखते
ह । वे कौन से य ह ?
3.
एच.आई.वी. का सामाना करना य किठन है ?
4.
एच.आई.वी. िकस कार शरीर के ितर ा तं को कमजोर करता है ?
157
5.
6.
िकसी यि के एच.आई.वी. लड टे ट पॉजीिटव आने से िकतने समय म एटं ीजन का पता चल
सकता है ? यिद िकसी यि का टे ट नेगेिटव हो तो या तब भी एच.आई.वी. हो सकता है ?
या यौन संचा रत सं मण एच.आई.वी. होने के खतरे को बढ़ाते ह ?
7.
एड्स के कुछ सामा य ल ण या ह ?
8.
एच.आई.वी. या एड्स के अिधक जोिखम वाले यि कौन ह ?
9.
वतमान पीढ़ी को हम एच.आई.वी या एड्स से कै से बचा सकते ह ?
10. एच.आई.वी. /एड्स पता लगाने वाले कुछ डाय नौि टक टे ट के नाम बताइए ।
व-आकलन अ यास क उ तर कुंिजका
1.
एच.आई.वी. एक वायरस है जो मनु य के ितर ा तं को ीण करता है और शरीर को िविभ न
सं मण हेतु णत करता है ।
2.
एच.आई.वी. र त, सीमेन, सवाइकल और यौनांग ाव म पाया जाता है ।
3.
वायरस वयं बहगिु णत नह हो सकता । वे मेजबान जानवर या पौधे क कोिशकाओ ं के अनुवांिशक
पदाथ के उपयोग मा से ही जनन कर सकते ह । कोिशका को न ट िकये िबना शरीर या दवा ारा
इसका सामना करना अ य त किठन होता है ।
4. एच.आई.वी. वेत र त किणकाओ ं पर आ मण करती है जो सं मण क अव था म शरीर क
ितर ा िति या को िनयिं त करती है । एच.आई.वी. सं मण के प चात् उ प न होने वाली
एंटीबाॅिडज इतनी भावशाली नह होती िक शरीर को िविभ न सं मण से बचा सके ।
5.
एटं ीबाॅिडज बनाकर शरीर ारा एच.आई.वी. क िति या म 3-12 ह ते लगते ह । यिद एक यि
का टे ट नकारा मक आता है तो या तो वह एच.आई.वी. वायरस ारा सं िमत नह हो सकता या यिद
परी ण से पूव एच.आई.वी./एड्स के स पक म आए एक वष से कम समय हआ हो और एंटीबॉडीज
िवकिसत न हए ह ।
6.
इसके पु ट माण िमले ह िक यौन सचं ा रत सं मण (एस. टी. डी.) से यि को एच.आई.वी. के
सचं ारण का अिधक खतरा होता है । यह ाय: एस. टी. डी. के कारण वचा या लेि मक िझ ली के
घाव या कटाव के कारण हो सकता है ।
7.
एड्स पीिड़त के ददरिहत फूली ि थयाँ सामा यत: गले और काँख म पाई जा सकती ह जो तीन माह
से अिधक समय तक रहती ह । कुछ यि य म महुँ के छाले, हप ज जा टर या यौनांग हप ज जैसे
सं मण बार बार होते ह । कुछ को ट्यबू र यल
ू ाॅिसस हो सकता है । ब च म पिु म कमी, लंबी अविध
का डाय रया और यूमोिनया आिद सामा यत: कट होने वाले ल ण है जो िनदान म िति या नह
देते ।
158
8.
अिधक जोिखम वाले यि
ाय: वे होते ह जो –
• िकसी एक असं िमत साथी से नह जड़ु ते या उनके अनेक यौन साथी होते ह ।
• ऐसे यि से सहवास करते ह िजसके िविभ न यौन साथी ह ।
• सं िमत सुई व सी रंज को साझा करना, परी ण न िकए गए र त का शरीर म चढ़ाया जाना ।
• असरु ि त यौन ि याएँ जैसे ओरल से स या ऐनल से स करना ।
• एस. टी. डी. पीिड़त यि से सहवास
9.
य िक इस बीमारी का कोई भी पणू उपचार नह है, अत: सावधानी ही एक मा बचाव है । यह
परामशदाताओ,ं िश क ारा ब च और सामा य जन म जाग कता बढ़ाकर िकया जा सकता है
और इसम मास मीिडया जैसे टी वी, रे िडयो, समाचार प , पि काओ ं आिद क भी सहायता ली जा
सकती है ।
10. जाँच क दो तकनीक, ए जाइम िलं ड इ यनू ोसोबट ऐसे (एलीसा) और वे टन लॉंट ऐसे का उपयोग
िकया जाता है ।
व-जाँच अ यास उ तर कुंिजका
व-जाँच अ यास – 1
1. (ii)
2. (iii)
3. (i)
4. (iv)
व-जॉ ंच अ यास – 2
1. स य
2. स य
3.स य
4. अस य
सदं भ
Hubley, J., Chowdhary, S. and Chandramauli, V. 1998. The AIDS Handbook: A Guide
to the Understanding of AIDS and HIV. Popular Prakashan. Mumbai.
Kaplan, H. I., Sadock, B. J. and Grebb, J. A. 1994. Synopsis of Psychiatry: Behavioural
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Redfield. R. R., Wright, D. C. and Tramont, E. C. 1986. The Walter Reed staging
classification for HTLV-III/LAV infection. The New England Journal of Medicine.
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159
तािवत पठन साम ी
Bartlett, J. G. and Finkbeiner, A. K. 1996. The Guide to Living with HIV Infection. (3rd
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Schools : A training package. National AIDS Control Organisation. New Delhi.
वेबिलं स
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http:// www.unicef.org/infobycountry/eapro_31815.htm/
http://www.globalaction for children.org/statics-facts-about-India-and-HIV-AIDS
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http://www/cdc/govt/STD/hiv/STD fact-STD & HIV/htm
http://www.dhfs.state.wivs-partner-couns.htm
http://www.schoolcounsellor.org/conent.asp?
Contented=19 /
160
5
भाग IV
आ मह या रोकथाम हेतु परामश
यिू नट–5
5.27
तावना
5.28 उ े य
5.29 आ मह या का अथ
5.30 आ मह या स ब धी त य
5.31 आ मह या के कारण
5.32 आ मह या स ब धी िमथक
5.33 आ मह या के खतरे के संकेत
5.34 आ मह या क रोकथाम हेतु परामश
5.35 उपचार तकनीक
5.36 सार
व-आकलन अ यास
व-आकलन अ यास उ तरकंु िजका
व-आकलन अ यास उ तरकंु िजका
संदभ
तािवत पठन साम ी
वेबिलक
ं
162
5.27 तावना
िकशोराव था अ य त म, योग और िफ का समय है । इसम समाज के अनु प होने, शैि क तर के दशन
और उ तरदािय व के साथ काय करने का दबाव रहता है । कुछ के िलए इन दबाव को संभालना और सम वय
करना बहत अिधक हो जाता है । कुछ चरम अव था वाली घटनाओ ं म एक िकशोर दबाव से परा त हो जाते ह
और आ मह या को परे शािनय से बाहर िनकलने के एकमा रा ते के प म देखने लगते है । वतमान समय म
आ मह या क घटनाओ ं म वृि हो रही है । बहत से िकशोर ारा अ ययन दबाव , यि गत असफलताओ ं
और स ब ध म सम याओ ं के कारण आ मह या िकए जाने क खबर दज है । य िक िकसी यि के जीवन
म िव ालय िनमाण इकाई के प म काय करते ह, अत: इस इकाई म आ मह या रोकने म परामशदाता या
िश क क वृहद भिू मका पर िवमश होगा । िश क तथा परामशदाता ब च म मू य यव था िनमाण, वीकाय
यि गत आकां ाओ ं के िनधारण, व-पहचान क सरु ि त खोज और ल य िनधारण यव था थािपत करने
म मदद कर सकते ह । िदन के बहत बड़े भाग म उनका ब च से संवाद होने के कारण, िश क आ मह या क
वृित वाल क पहचान कर सकते ह ।
5.28 उ े य
इस इकाई के प चात आप
• आ मह या तथा आ मह या के यास क या या कर सकगे।
• आ मह या स ब धी त य व आक
ं ड को समझ सकगे ।
• आ मह या के कारण क या या करने म समथ हो सकगे ।
• आ मह या स ब धी िमथक को प ट कर सकगे ।
• आ मह या के खतर के िच व ल ण को पहचान सकगे ।
• आ मह या क वृि वाल को समय पर सहायता देने म समथ हो सकगे ।
• आ मह या न करने के िलए िव ािथय म जाग कता उ प न करने क रणनीितय का िवकास कर सकगे ।
• खतरे वाले िव ािथय के सहयोग के िलए अिभवावक तथा िम के नेटवक को लागू करने क रणनीितय
को िवकिसत कर सकगे ।
• परामश योजना िवकिसत कर सकगे तथा आ मह या क िकसी घटना के घिटत हो जाने पर िव ालय म
आघात के प चात परामश दान कर सकगे ।
5.29 आ मह या का अथ
आ मह या मनोवै ािनक, जैिवक और सामािजक त य से जड़ु ी एक जिटल प रघटना है । सामा यत: आ मह या
वा तिवक या अनभु वज य किठन ि थितय से छुटकारा पाने क इ छा या िकसी यि को दख
ु पहँचाने या
163
आ मह या करने वाले यि के साथ हए अ याय के ितदान का प रणाम होती है । आ मह या को इस कार
प रभािषत िकया जा सकता है । ‘ व- े रत िवनाश क सचेतन ि या , िकसी ज रतमदं यि क बहआयामी
णता या बैचेनी ारा बेहतर समझी जा सकती है जो िकसी सम या का इस कार सीमांकन करता है िक िजसके
िलए यह काय (आ मह या ) े ठ समाधान के प म िलया जाता है । ’ ( नीडमैन, 1985)
आ मह या के यास को अतीत के आ मह या के यास का िवनाश क िवफलता के प रणाम के प म
देखना चािहए । शायद यह े ठ संकेत है िक यि आ मह या के बढ़ते जोिखम म है ।
आ मह या सभी िलगं , जाितय , सामािजक, आिथक तथा सां कृितक सीमाओ ं को भािवत करती है ।
आ मह या करने वाले लोग का एक मह वपणू ितशत मृ यु से पवू ठीक से काय करते तीत होते ह । वे लोग
जो िनराशा, असहायता और बेकार महससू करते ह, आ मह या के खतरे म यादा आते है । य िक वे िम
और स बि धय के ेम, सहारे , वीकायता को महससू नह कर पाते ह । पर तु जो अपने यास म सफल होते
ह, वे लोग होते ह जो अपनी पीड़ाओ ं को उनसे िछपा सकते ह जो उनक देखभाल करते ह और उनक मदद कर
सकते ह ।
5.30 आ मह या स ब धी त य
नीचे िदए गए त य दशाते ह िक आ मह या एक िव व यापी सम या है िजसक पि म म अिधकतम दर बजु गु
म और भारत तथा अ य िवकासशील देश म िकशोर के म य है ।
सामा यत: यह माना जाता है िक बचपन वह समय है जो आ मह या के यवहार के खतर के िलए ितर ा
दान करता है य िक बचपन सम याओ ं और तनाव से मु त होता है और ब च म आ मह या के िवचार के
िचतंन या काय करने क वय कता नह होती (पेफेर, 1993) । पर तु वतमान शोध से पता चलता है िक 8-9
वष के ब च म आ मह या क परू ी समझ होती है और छोटे ब चे वयं को मारने क धारणा को समझते ह ।
(िम ा 1999) ।
हाल ही म ब च और िकशोर के म य आ मह या क कई घटनाएँ घट । नेशनल ाइम रकाड यरू ो ारा
नवीनतम अ ययन म बताया गया है िक भारत म 2005 म 2555 िकशोर , िजनम 1328 लड़के और 1227
लड़िकयाँ, जो 14 वष तक के थे, ारा अपने जीवन का अंत िकया गया । भारत के लगभग 22% आ मह या के
िशकार वे िव ाथ होते ह जो सोचते है िक उ ह ने अपे ाएँ परू ी नह क ।
अ य दि ण-पवू एिशयन देश म, ीलंका उनम से एक है, जहाँ नौजवान ारा आ मह या क दर सवािधक
है । मु य कारण म परी ा म असफलता, अिभवावक का दबाव, िव ालय तथा कॉंलेज क ऊँची अपे ाएँ,
यार म िनराशा या संघष आिद है, (http:// www.searo.who.int) । हालांिक, ये कारण अ य देश के िलए
भी उपयु त ह ।
यनु ाइटेड टेट्स सटर फॉर िडजीज कं ोल, 1997 के आक
ं ड़े दशाते ह िक लड़क से अिधक लड़िकयाँ आ मह या
के िवचार का अनुभव करती ह, आ मह या क योजना बनाती और आ मह या करती ह । हालांिक लड़के
लड़िकय से यादा सफलतापवू क आ मह या करते ह ।
164
कै पलान तथा सैडॉक (1998) के अनसु ार सयं ु त रा म आ मह या मृ यु का 15 से 24 वष क आयु के
यि य म, दघु टनाओ ं और मानव ह या के बाद तीसरा बढ़ता हआ कारण है ।
आ मह या का यास संभावी आ मह या के अवसाद , मादक य सेवन इितहास या परी ा क िवफलता के
तनाव से अिधक ात सश त चेतावनी है । हालांिक तनाव आ मह या म बड़े प म योगदान कर सकता है ।
लगभग 80 ितशत नौजवान लोग जो आ मह या क सोचते ह, िकसी को वयं क जान लेने क इ छा के बारे
म ज र बताते ह जो सहायता क आव यकता क पुकार होती है ।
व-जाँच अ यास - 1
िन न िवक प ारा र त थान क पिू त कर –
(i) आ मह या का यास (ii) आ मिवनाश (iii) बजु ुग जनसं या, िकशोर
1.
आ मह या को व े रत ------------------- के चेतन यास के प म पा रभािषत िकया जा सकता
है ।
2.
पि मी देश म ----------------- और भारत म --------------------- के म य आ मह या क दर
सबसे अिधक है ।
3.
------------- अवसाद, मादक य सेवन इितहास या परी ा क िवफलता के तनाव से कह अिधक
संभावी आ मह या क सश त चेतावनी है ।
5.31 आ मह या के कारण
आ मह या अ सर अवसाद यु त यि क भावनाओ,ं िक जीवन इतना असहनीय है िक दद, भावा मक
अवरोध, लंबी बीमा रय और इस कार क अ य प रि थतय से िनकलने का एकमा रा ता मृ यु है, के
प रणाम व प क जाती ह । आ मह या करने वाला यि िनराशावादी तथा सहायता न िमलने के साथ
प रवतन या बेहतरी क संभावनाओ ं को न देख पाने का अनभु व करते ह ।
ायड (1917) के अनसु ार आ मह या िकसी यि क अचेतन श ुता है जो ोध को ज म देने वाले बा
यि या प रि थितय क अपे ा वयं अपनी ओर िनदिशत हो जाती है । आ मह या के िशकार अ सर दसू र
को मनोवै ािनक ताड़ना देते तीत होते ह िज ह ने उनको अ वीकार िकया हो या अ य कार से यि गत
हािन पहँचाई हो । िव ालय जाने वाले िकशोर म आ मह या के कुछ सामा य कारण िन न ह :
• तलाक या मृ यु के कारण मह वपणू यि क हािन;
• यौन उ पीड़न या बाल दु यवहार ;
• िव ालय म असफलता;
• स ब ध म असफलता, उदाहरण के िलए वाय े ड या गल े ड से स ब ध टूटना ;
165
• िम या स ब धी ारा हािलया आ मह या; और
• व पहचान तथा यौन पहचान स ब धी मु े ।
• आ मह याएँ मानिसक िवकार के कारण भी क जाती ह, जैसे–
— अवसाद – अवसाद तथा आ मह या के म य मजबतू र ता है । िकशोराव था के अिधकतम
आ मह या के यास अवसाद के मनोिवकार के कारण होते ह ।
— साइकोिसस –कुछ नौजवान अपने ित म या बहकावट के कारण आ मह या कर लेते ह य िक वे
ल ण से बचना चाहते ह ।
अ य कारण हो सकते ह –
• मादक य और शराब सेवन िजसम मै रजआ
ु ना, हेरोइन, ए फ टेमाइसं और ए कोहल सि मिलत ह ।
• पवू के आ मह या के यास या क पना ।
• आ मह या के साधन क उपल धता, जैसे– न द क गोिलय क अिधक मा ा म उपल धता ।
• िकशोर ारा आ मह या के िवचार कहना जैसे ‘म दरू जाना चाहता हँ ’ या िशकायत करना जैसे ‘ म हार
गया’ या ''मझु से नह होगा'' । हताशा क अिभ यि से कह यादा म यम अवसाद के संकेत ह ।
• िनराशावािदता या नैरा यपणू ता क या तता ।
• मजबतू सामािजक सहायता यव था क अनुपि थित ।
• आवेशा मक यवहार का इितहास ।
5.32 आ मह या स ब धी िमथक
नीचे हमारे समाज म आ मह या से स बि धत कुछ गलत िव वास या धारणाएँ चिलत ह, दी गई ह जो समय
पर सहायता करने पर अवरोध उ प न करती ह :
•
•
•
•
िमथक
तय
आ मह या क बात करने वाले आ मह या नह • आ मह या के बारे म कहना सहायता क पक
ु ार हो
करते ।
सकती है ।
आ मह या िबना चेतावनी के क जाती है ।
• चेतावनी के संकेत हमेशा िकए जाते ह । पर तु अ य
कुछ वग या धम के ही लेाग आ मह या करते ह ।
लोग चेतावनी के मह व से अनिभ होते ह और
आ मह या का उ े य आसानी से थािपत िकया
अिनि त होते ह िक या िकया जाना चािहए ।
जा सकता है ।
• सभी वग , न ल और सं कृ ितय म आ मह या
पाई जाती है ।
166
• आ मह या करने वाले सभी लोग अवसाद त
अके ले, साइकािटक या लंबी बीमारी से िसत होते
ह।
• ब ांडीय भाव जैसे सयू के िनशान, या च मा क
अव थाएँ आ मह या हेतु उ तरदायी ह ।
• कुछ लोग िकसी भी कार मरना चाहते ह ।
• आ मह या के बारे म सोचना बहत कम होता है ।
• िकसी यि से िवशेषकर अवसाद त यि से
आ मह या स ब धी िवचार पछू ना उसे आ मह या
क ओर धके ल देगा ।
• जो यि कम भयभीत होते ह, वे आ मह या क
इ छा नह रखते ।
• यवु ा लोग जो आ मह या क बात करते ह कभी
इसका यास नह करते या इस को पूण नह करते ।
वे मा यान आकिषत करना चाहते ह ।
• एक बार यिद कोई यि आ मह या का िन चय
कर लेता है तो उसे रोकने का कोई रा ता नह होता ।
• आ मह या करना आनवु ांिशक होता है ।
• िकसी संकट क अव था के बाद कोई मह वपणू एवं
आकि मक उ नित दशाती है िक आ मह या का
जोिखम ख म हो गया है ।
• कुछ आपस म स बि धत कारक होते ह िजनका
पहचानना कभी – कभी मिु कल होता है ।
• सभी म आ मह या क स भावना होती है । ऐसा
नह होता है िजनम पवू म उ ेाख ि थित न हो, वे
आ मह या नह करगे ।
• आ मह या परू े वष क िकसी भी अविध म हो
सकती है ।
• सभी म जीने का सहज बोध है ।
• दैिनक जीवन म बढ़ती किठनाइय तथा दबाव
के साथ िकशोरो म आ मह या के िवचार आना
असामा य नह है ।
• गहरी एवं मजबतू भावनाएँ या िव वास आ मह या
क वृि य के कारण हो सकते ह ।
• यथाथवादी, बिहमखी
ु यि व भी आ मह या कर
सकते ह ।
• कभी कभी यान देने क भी अव यकता होती है
और उन पर यान िदए जाने पर उनक जान बच
सकती है ।
• आ मह या को रोका जा सकता है । लोग मदद कर
सकते ह ।
• वातावरणीय दबाव भी आ मह या का कारण बन
सकते ह । इसके दोबारा होने क भी सभावनाएँ होती
ह।
ऊपर आ मह या के बारे म िदए गए िमथक अ सर उनको सहायता देने क राह म अवरोध डालते ह, जो खतरे
म होते ह । इन िमथक को हटाकर वे, जो ब च और यवु ाओ ं क देखभाल और िश ा हेतु उ तरदायी ह, उनके
ित अपने अिभवृि य को पहचानने तथा बदलने के िलए बेहतर अव था म होते ह जो उसके खतरे म ह और
इस कार ऐसी वृि य को उ प न करने के कारण को पहचानने म स म हो जाते ह और अाव यक सहायता
करते ह ।
5.33 आ मह या के खतर के संकेत
ब च म बढ़ते आ मह या के खतरे व वृि य के पाए जाने के असल कारक अ य आयु वग के खतर के समान
ही होते ह ।
इसके बहत से यावहा रक तथा शाि दक सक
ं े त जैसे भार म कमी, िन ा के पैटन म बदलाव, िन:सहायता क
भावनाओ ं क अिभ यि आिद से लेकर, ती तथा प ट संकेत जैसे िकशोर ारा जोर से मरने क इ छा कट
167
करना या बोलकर या िलिखत अिभ यि से भाई-बहन या िम को बताना आिद हो सकते ह ।
आ मह या का िवचार करने वाले िन न संकेत दशाते ह ।
• िच ता, अवसाद, थकान या ये तीन ।
• आ मह या क काय योजना उदाहरण के िलए आ मह या के तरीके देखना, जैसे– न द क दवाइयाँ या चहू े
मारने का जहर।
• पा रवा रक सद य पर अपनी आ मह या का भाव, जैसे– आ मह या का िवचार रखने वाले ब चे ारा
अपने माता-िपता, भाई बहन या िम के बारे म, और उनके भावा मक आघात, यिद वे आ मह या करते
ह, के बारे म सोचना ।
• सि नकट जीवन संकट, जैसे– िनकट स ब धी क मृ यु का शोक, सदमा या गहरा दख
ु ।
• भिव य के ित आशावाद या उ मीद का अभाव ।
अित र त चेतावनी सक
ं ेतआ मह या का अनुमान लगाना किठन है । यवहार म प रवतन, जो यि के सामा य यवहार से हटकर हो और
जो करीबी यि य को समझ न आए, एक चेतावनी संकेत हो सकता है ।
• पूव क मनोरंजक गितिविधय म िच ख म होना ।
• मू यवान व तओ
ु ं को दे देना।
• आ मह या करने के िवषय म िलखकर या बोलकर बताना ।
• आ मह या के बारे म गंभीरता से सोचने वाला यि सामा य यवहार से इतर इनम से कुछ बदलाव दशा
सकता है ।
• पहनावे म उदासीनता, या अचानक भार म कमी आना ।
• अचानक तथा यान ख चने वाले यि व के बदलाव, उदाहरण के िलए– पूव म कोई अ छा िव ाथ या
अ छा ब चा अचानक िव ोही, असहमत या अ यिधक शांत हो जाए ।
• दो त तथा सामािजक गितिविधय से दरू होना ।
• दघु टना क विृ म विृ होना ।
• व-घाती यवहार; वयं को अ सर घायल करना या चोट पहँचाना ।
• शम या लािन का अ यिधक बोध ।
• खाने या सोने क आदत म प रवतन ।
168
बहत से िकशोर, जो आ मह या का यास करते ह, वा तव म मरना नह चाहते, वे मदद हेतु पक
ु ार रहे होते ह ।
एक परामशदाता को सामा य िकशोर तथा आ मह या का िवचार रखने वाले के वा तिवक सक
ं े त म अतं र हेतु
बेहतर िशि त होना चािहए । आगे आ मह या क रोकथाम हेतु िनदशक िश क या परामशदाता क भिू मका
दी गई है ।
5.34 आ मह या क रोकथाम हेतु परामश
मागदशन िश क और परामशदाता िश क परामश और क ाक िनरी ण ारा आ मह या के खतरे वाले
िव ािथय को आसानी से पहचान सकते ह । अत: एक परामशदाता ब च के सामािजक कौशल और
मताओ ं के बारे म आसानी से जानकारी एक कर सकता है । यिद एक ब चा दो त को परो या अपरो
प से या कला ारा या िलिखत काय ारा आ मह या के िवचार का उ ाटन करता है तो आपको त काल
काय करना चािहए ।
संभािवत आ मह या को रोकने के िलए अपने और िव ाथ के म य गोपनीयता के स मान को सदैव िकनारे कर
देना चािहए । आपको यह जानने क आव यकता है िक यिद ब चा आ मह या के बारे म कह रहा है तो इसम
गोपनीयता नह रखनी चािहए। एक परामशदाता को िव ालय म और ब च म आ मह या को रोकने के िलए
भावशाली होने के िलए तीन रणनीितय क आधारभतू आव यकता है ।
• िव ािथय के िलए आ मह या क घटनाओ ं पर सामा य िवमश तथा जाग कता काय म कराना, जैसे–
ऐसा काय म जो ब च को िसखाए िक कै से अपनी या िम क मदद के िलए कह और जोिखम वाले
ब च क पहचान तथा मदद के ोत हेतु आव यक कौशल उपल ध कराना ।
• जोिखम वाले िव ाथ को आ मह या के यास से पूव पहचानने, पहँचने तथा परामश देने क योजना
अथात ाथिमक ह त ेप काय म जो आ मह या के जाने-पहचाने खतरे के संकेत को जानकर रोकथाम
कर ।
• आ मह या िकए जाने या यास के प चात के आघात हेतु परमाश देने क योजना, उदाहरण के िलए, लोग
जैसे– अिभभावक , िम , भाई-बहन के साथ जो िक उस काय के िलए दािय व ले सक । परामशदाता
को उ ह मृ य,ु आ मह या, दख
ु के अनभु व का सामना करने हेतु िशि त िकया जाना चािहए िजससे वे
अनाव यक प से वयं को अपराधी, शिम दा या कटा हआ न महसूस कर, िवशेषकर अिभवावक ।
िव ाथ को आ मह या के जोिखम म आकिलत िकए जाने पर परामशदाता ारा अितशी िव ाथ के
अिभभावक से स पक कर सचू ना दी जानी चािहए और सहायता क योजना पर िवचार करना चािहए और
िविभ न मानिसक सं थाओ ं के बारे जानकारी देनी चािहए आिद । इसके अलावा वह ऐसे ब चे के अिभभावक
के साथ न के वल शैि क उ नित या असफलता बि क स पणू ता म ब चे के यि व को सु ़ढ करने के तरीक
पर िवचार करने हेतु बैठक कर सकता है।
आ मह या के यास का भाव िव ततृ हो सकता है और एक परामशदाता को इसका अंत न के वल िव ाथ
बि क प रवार और िम के साथ लेकर िकया जाना चािहए । आ मह या का यास यि गत परे शानी या
169
प रवारजिनत हो सकता है । यह त य िक िव ाथ ने जीवन का अतं करने का यास िकया है, उसके स बि धय
के जीवन पर भाव डालेगा और इस पर यान देने क अाव यकता है । अत: आ मह या का यास करने वाला
ही नह वरन् अ य पा रवा रक सद य भी सकंट म होते ह ।
परामशदाता को प रवार क मदद करनी चािहए अ यथा सम या अिधक बढ़ सकती है । परामशदाता को
फ िजिशयन या िचिक साकम को िव ाथ के बारे म आव यक सूचना देने क ज रत है जो उनके मरीज के
िचिक सा इितहास के अलावा एक िव ततृ िच ण दान कर सहायक हो सकता है ।
इसके अलावा, आ मह या करने वाले यि क गोपनीयता के अिधकार का स मान करते हए चनु े हए िम ,
िचिक सक तथा सहकिमय के एक देखभाल समदु ाय के िवकास क आव यकता है जो न के वल आ मह या
के िच को देखे, बि क िजन पर आ मह या वतृ यि िव वास कर सके और िजनसे वह अपने भय व दद
साझा कर सके ।
सावधान रह िक आ मह या वतृ यवहार क पनु राविृ हो सकती है । इसिलए–
• सेवाथ को सनु और बोलने के िलए े रत कर ।
• दशाएँ िक आप उनके दैिनक जीवन क किठनाइय को गभं ीरता से ले रहे ह ।
• बताएँ और यि को महसूस कराएँ िक आप उसक िचंता करते ह ।
• उनके भय, हताशाओ ं और उदासी को वीकार कर ।
• आ वासन द पर तु सम या को खा रज न कर ।
• उनके शाि दक तथा अशाि दक अिभ यि य से समझने का यास कर, यिद वे, वयं को दख
ु पहँचाने या
मारने का िवचार कर रहे ह ।
• मादक पदाथ सेवन, जीवन क हताशाएँ, आ मह या के िलए मा यम क उपल धता आिद भेद क खोज
कर ।
• उनके ारा हाल ही म झेले गए संभािवत अपमान क जाँच कर जैसे िम
जाना ।
ारा रै िगंग या मजाक उड़ाया
• यि के साथ, आ मह या के प रणाम तथा िज ह वे अपने पीछे छोड़ जाएँगे, वे कै से भािवत ह गे, इस
पर चचा कर।
• यिद सभं व हो तो भािवत यि को िबना परामशदाता से स पक िकए ऐसा कुछ न करने के वादे पर सहमत
कराइए या आ मह या न करने के काॅ े ट पर ह ता र कराइए ।
• सिु नि त क िजए और यि के िनकट िम से पता लगाइए िक या उनक आ मघाती हिथयार या साधन
तक पहँच है ।
170
• यिद परामशदाता उ च आ मह या का खतरा पाता है तो उस यि क इ छा के िवपरीत ही सही, उसे
िचिक सालय म भत करा देना चािहए ।
• साथ ही साथ, परामशदाता को अ तिनिहत तनाव कारक पर काय करना चािहए और िव मान मनोवै ािनक
िवकार का त काल समाधान करना चािहए या िकसी मनोवै ािनक या साइके ि ट के पास भेजना चािहए ।
परामशदाता को िन निलिखत से बचना चािहए–
• सेवाथ को बोलते समय रोकना ।
• हड़बड़ाना ।
•
ोिधत होना
• िनणायक बनना या बहत अिधक सुझाव ततु करना ।
गितिविध – 1
• अपने समदु ाय म िविभ न मानिसक वा य एजेि सय के बारे म सचू ना एक कर जो आ मह या क
रोकथाम हेतु आव यक सहायता उपल ध कराती ह ।
आ मह या के ईदिगद एक मौन का षड्य रहता है । सव थम हम यह वीकार कर िक िकशोर िकशो रय म
आ मह या के िवचार होते ह और वे उन पर अमल कर सकते ह ।
ऊपर िदये गए िवमश के आधार पर यह िन कष िनकाला जा सकता है िक अिभवावक , िशि क , सािथय ,
िचिक सक तथा परामशदाताओ ं के सामंज य से िकशोर क आ मह या क बढ़ती वृि को रोका जा सकता
है ।
अगला भाग उन तकनीक के िवषय म ह िजनसे आ मह या के यास को रोकना सभं व है ।
5.35 उपचार क तकनीक
अनेक सं ाना मक तकनीक आ मह या क उ च विृ के िशकार लोग के उपचार हेतु भावकारी होती ह
(िन जल, पे ट्ज, मैकके नली और बन टीन, 1998) । उिचत िश ण के उपरा त ही िश क या परामशदाता
इन तकनीक का योग कर सकते ह । इन तकनीक को सं ेप म नीचे िदया गया है (कृपया अिधक िव ततृ
जानकारी हेतु माॅड्यल
ू 2 इकाई-6 म ‘ परामश म सं ाना मक ह त ेप’ देख)
171
सं ाना मक किमयाँ
ह त ेप
ि भािजत (स पणू या कुछ नह )
िववेकहीन िवचार और दोषपूण िवचार ि या से बाहर
िनकलने हेतु रै शनल इमोिटव थेरेपी का उपयोग कर
(माड्यल
ू -2 क इकाई-6 के ‘परामश म सं ाना मक
ह त ेप’ म चचा क गई है । )
सम या समाधान क अ मता
सहायता
– सम याओ ं को जीवन के सामा य अगं के प म
वीकार कर
– सम या को पा रभािषत कर
– िवक प तलाश
– समाधान लागू कर
िवचार क कठोरता / अप रवतनशीलता
रोल ले
रोल रवसल
वैकि पक समाधान को ढूँढना ़
िनराशावािदता
इसे एक ल ण मान । हताशा उ प न करने वाली
सम याओ ं क सचू ी बनाइए, आशावािदता दशाइए,
सामना करने के कौशल म िशि त कर ।
आ मह या को सम या समाधान के इि छत समाधान के मरने और जीने के कारण को काश म लाना, लाभ
प म देखना
और हािनयाें का वणन करना, सं ाना मक िवकृ ितय
को सही करना ।
आ मह या के जोिखम वाले िकशोर म मनोवै ािनक ह त ेप िकया जाना सकारा मक प रणाम िदखाता है ।
ऐसा एक अ ययन 264 िकशोर-िकशो रय पर िकया गया था, जो आ मह या के िवचार (आ मह या करने
का िवचार कर रहे थे ) क उपि थित, पवू म िकए गए आ मह या के यास और मादक य सेवन िवकार के
कारण जोिखम म थे । उ ह 2 ह त तक ितिदन 9 घ टे अ यवि थत तरीके से िचिक सालयी िचिक सा सिु वधा
दान क गई । उपचार म सम या समाधान, सामािजक द ता का िवकास, जीवन क सम याओ ं का अनक
ू ू लन
172
के साथ सामना करना और आ मह या के यास या िवचार को ज म देने वाली भावनाओ ं और जीवन के
अनभु व को पहचानना आिद सि मिलत ह । उपचार प चात दो वष तक सेवािथय से स पक रखा गया और
प रणाम के िवचार और यवहार म कमी तथा सम या समाधान मता म पया त सधु ार िदखाई िदया । इसके
अलावा प रणाम दशाते ह िक योगा मक उपचार अ यिधक खतरे क जद वाले यवु ाओ ं को काय म म बनाए
रखने म अ य त भावशाली िस हआ । इस कार सकारा मक प रणाम दशाते ह िक इस कार के ह त ेप
आ मह या क घटनाओ ं को कम कर सकते ह । (रड एट ऑल,1996)
व-जाँच अ यास 2
नीचे िदए गए कथन स य ह या अस य, बताइए –
1.
आ मह या करने वाले सभी यि अवसाद त होते ह ।
2.
िकसी संकट के प चात मानिसक वा य क बेहतर ि थित इस बात का संकेत ह िक आ मह या के
खतरे समा त हो गए ह ।
3.
सं ाना मक यवहार िचिक सा ब च और य क क आ मह या क विृ को ठीक करने का
भावशाली तरीका है ।
5.36 सार
आ मह या मानवजीवन क अपार हािन और आ मह या का िवफल यास और अिधक दभु ा यपणू है । आ मह या
सभी िलंग , जाितय , सामािजक, आिथक व सां कृितक सीमाओ ं म पाई जाती है । यह इकाई सामा य जनसं या
िवशेषकर िकशोरवय म आ मह या क घटनाओ ं व कारण के कारक के िवषय म है। उदाहरण के िलए उ पि
कारक जैसे िकसी यि क तलाक, मृ यु से हािन, बाल उ पीड़न, िव ालय या स ब ध म िवफलता आिद
आ मह या के कारण बन सकते ह । मानिसक िवकार जैसे अवसाद और साइकोिसस से भी आ मह याएँ क
जाती ह । आ मह या सबं धी िमथक के कारण भी इसके खतरे वाले यि य क सहायता के माग पर अवरोध
आते ह । िकशोर म आ मह या के बढ़ते खतर के कारण खतर के कारक जैसे िचतं ा, अवसाद, क मती स पि
दे देना, गितिविधय म िच न िदखाना, आकि मक यवहार प रवतन आिद को पहचानना, अ य त मह वपूण
है जो उ ह आ मह या वतृ करते ह । इस इकाई म आ मह या रोकथाम म गाइडस िश क या परामशदाता
क भिू मका पर भी िवमश िकया गया है । अिभवावक , िश क , सािथय , िचिक सक और परामशदाता
के सामंज य से आ मह या क बढ़ती घटनाएँ रोकना संभव है । िचिक सा तकनीक जैसे सम या समाधान,
सामािजक द ताओ ं का िवकास, अनक
ु ू लता के साथ सामना करना आिद यि के मि त क से आ मह या के
िवचार को दरू करने म मदद कर सकते ह ।
व-आकलन अ यास
1.
आ मह या क प रभाषा दीिजए । प ट क िजए िक िव ालय जाने वाली जनसं या म आ मह या के
या मु य कारण ह ?
2.
आ मह या संबंधी कोई पाँच िमथक बताइए ।
173
3.
सभं ािवत आ मह या के खतरे के चार सक
ं े त क सचू ी बनाइए।
4.
कोई छह चरण बताइए िज ह आप आ मह या के जोिखम वाले िव ाथ क पहचान के बाद सहायता
हेतु लेना चाहगे ।
व-आकलन अ यास क उ तरकुंिजका
1. इ ह िव तार दीिजए
• आ मह या को व े रत िवनाश क सचेतन ि या के प म प रभािषत िकया जा सकता है । कोई यि
अपने जीवन क िकसी सम या या किठनाई को इस तरीके से ले सकता है िक उसे आ मह या ही इसका
समाधान लगे ।
• ब च और वय क म आ मह या अ ययन हेतु दबाव, असफलता और संबध से जुड़ी परे शानी के
कारण क जा सकती है । इसके अलावा सम या िसत पा रवा रक वातावरण जैसे अके ले अिभवावक,
तलाकशदु ा अिभवावक, वैवािहक िववाद, बेरोजगार अिभवावक और कम आय वाले बड़े प रवार म
आ मह या क वृि हो सकती है ।
• मादक पदाथ का सेवन मानिसक िवकार और बाल उ पीड़न भी अ य कारक हो सकते ह ।
2. िक ही भी पाँच िमथक का िव तार से वणन कर जो–
• आ मह या िबना िकसी चेतावनी के क जाती है ।
•
ांडीय भाव जैसे सयू पर ध बे या च मा क दशाएँ आ मह या के िलए उ तरदायी ह ।
• आ मह या आनुवांिशक है ।
• आ मह या के िवचार दल
ु भह।
• कुछ िवशेष वग मा के लोग आ मह या करते ह ।
3. आ मह या के कुछ चेतावनी िच ह –
• यि के सामा य ेणी के यवहार म प रवतन होना िजसका कोई आ ाय नह होता ।
• िजनम यि पवू म आन द लेता हो ऐसी गितिविधय म िच ख म हो जाना ।
• मू यवान संपि दे देना ।
• िलिखत एवं मौिखक आ मह या क इ छा दशाना ।
4. इनको िव तार दीिजए –
174
• आ मह या वतृ यि हेतु िम , सहकिमय तथा िचिक सक का सरं ण समदु ाय का तं िवकिसत
करना ।
• अिभ यि या रे चन हेतु अवसर दान करना ।
• िबना िनणय िलए यि को सनु ना ।
•
ोध या हडबड़ाहट न करना ।
• बहत अिधक सलाह न देना ।
• यि से वादा लेना िक िबना िकसी को कहे वयं को हािन नह पहँचाएगा या आव यकता पड़ने पर िकसी
को सहायता के िलए कहेगा ।
व-जाँच अ यास उ तरकुंिजका
व-जाँच अ यास -1
1 (ii)
2 (iii)
3 (i)
व-जाँच अ यास -2
1 (अस य )
2 (अस य )
3 (स य )
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