त Ver 6.0 ष म सं ात् योगी भवाजुन वसुदेवसुतं(न्) दे वं(ङ् ), दे वकीपरमान ं (ङ् ), कृ रण कंसचाणूरमदनम्। ं(व्ँ) व े जगद् गु म् ॥ Learngeeta.com ~ ॐ ीपरमा ने नम: ीम गव ीता अथ नवमोऽ ाय: ीभगवानुवाच इदं (न्) तु ते गु तमं(म्), व ा नसूयवे। ानं(व्ँ) िव ानसिहतं(य्ँ), य ा ा मो राजिव ा पिव िमदमु मम्। राजगु ं(म्), ावगमं(न्) ध अ (म्), सुसुखं(ङ् ) कतुम धानाः (फ्) पु षा, धम अ ा सेऽशुभात्॥1॥ ा पर मां(न्) िनवत े, मृ ुसंसारव यम्॥2॥ प। िन॥ 3॥ मया ततिमदं (म्) सव(ञ्), जगद मूितना। म थािन सवभूतािन, न चाहं (न्) ते व थतः ॥4॥ न च म थािन भूतािन, प मे योगमै रम्। भूतभृ ा भूतभावनः ॥ 5॥ च भूत थो, ममा यथाकाश थतो िन ं(व्ँ), वायुः (स्) सव गो महान्। तथा सवािण Śrīmadbhagavadgītā - 9th Chapter - Rājavidyārājaguhyayoga भूतािन, geetapariwar.org म थानी ुपधारय॥ 6॥ ीम गव ीता - नवम अ ाय - राजिव ाराजगु योग सवभूतािन कौ ेय, कृितं(य्ँ) या क ये पुन कृितं(म्) ािन, क ामव मािमकाम्। ादौ िवसृजा , िवसृजािम पुनः (फ्) पुनः । भूत ामिममं(ङ् ) कृ म्, अवशं(म्) कृतेवशात्॥8॥ न च मां(न्) तािन कमािण, िनब ेण कृितः (स्), सूयते सचराचरम्। हे तुनानेन अवजान धन य। ं(न्) तेषु कमसु॥ 9॥ उदासीनवदासीनम्, अस मया हम्॥ 7॥ कौ ेय, जगि प रवतते॥10॥ मां(म्) मूढा, मानुषी(न् ं ) तनुमाि तम्। परं (म्) भावमजान मोघाशा मोघकमाणो, ो, मम भूतमहे रम्॥ 11॥ मोघ ाना िवचेतसः । महा ान ु मां(म्) पाथ, दै वी(म् ं ) कृितमाि ताः । भज न मनसो, ा ा भूतािदम यम्॥ 13॥ त Learngeeta.com रा सीमासुरी(ञ् ं ) चैव, कृितं(म्) मोिहनी(म् ं ) ि ताः ॥12॥ ो मां(य्ँ), यत ढ ताः । नम मां(म्) भ ा, िन यु ा उपासते॥14॥ ानय ेन चा े, यज मामुपासते। एक ेन पृथ ेन, ब धा अहं (ङ् ) तुरहं (य्ँ) य ः (स्), म ोऽहमहमेवा िपताहम म्, ो िव तोमुखम्॥ 15॥ धाहमहमौषधम्। तम्॥16॥ अहमि रहं (म्) जगतो, माता वे ं(म्) पिव मो ार, _ धाता िपतामहः । ाम यजुरेव च॥ 17॥ गितभता भुः (स्) सा ी, िनवासः (श्) शरणं(म्) सु त्। भवः (फ्) लयः (स्) तपा थानं(न्), िनधानं(म्) बीजम हमहं (व्ँ) वष(न्), िनगृ ा अमृतं(ञ्) चैव मृ ु , ात् योगी भवाजुन सततं(ङ् ) कीतय ु सदस यम्॥18॥ ृजािम च। ाहमजुन॥ 19॥ ैिव ा मां(म्) सोमपाः (फ्) पूतपापा, ते य ैर ा पु मासा अ th Śrīmadbhagavadgītā - 9 Chapter - Rājavidyārājaguhyayoga गितं(म्) ाथय े। सुरे लोकम्, िद geetapariwar.org ा िव दे वभोगान्॥ 20॥ ीम गव ीता - नवम अ ाय - राजिव ाराजगु योग ते तं(म्) भु ा गलोकं(व्ँ) िवशालं(ङ् ), ीणे पु े म लोकं(व्ँ) एवं(न्) ाि य कामकामा लभ े॥ 21॥ ो मां(म्), ये जनाः (फ्) पयुपासते। तेषां(न्) िन ािभयु येऽ । यीधममनु प ा, गतागतं(ङ् ) अन िवश ानां(य्ँ), योग ेमं(व्ँ) वहा दे वता भ ा, यज े या हम्॥22॥ ताः । तेऽिप मामेव कौ ेय, यज िविधपूवकम्॥ 23॥ अहं (म्) िह सवय ानां(म्), भो ाच न तु मामिभजान या दे व ता भूतािन या , त ेनात भुरेव च। व ते॥ 24॥ दे वान्, िपतॄ ा िपतृ ताः । ा, या म ािजनोऽिप माम्॥25॥ भूते ा य ित। तदहं (म्) यता नः ॥ 26॥ य भ ुप तम्, अ ािम रोिष यद ािस, य िस कौ ेय, त ु मदपणम्॥ 27॥ शुभाशुभफलैरेवं(म्), मो से कमब नैः । स ो मामुपै ासयोगयु ा ा, िवमु समोऽहं (म्) सवभूतेषु, न मे े ये भज अिप तु मां(म्) भ चे साधुरेव स म ि ा पाि ा ित। ः (फ्) ित॥ 31॥ , येऽिप ा, भ अिन मसुखं(ल्ँ) लोकम्, इमं(म्) ा मामेवै Śrīmadbhagavadgītā - 9th Chapter - Rājavidyārājaguhyayoga िस यु भाक्। ं(न्) िनग था शू ा:(स्), तेऽिप या ना भव म हम्॥29॥ विसतो िह सः ॥30॥ ा, श िकं(म्) पुन ा णाः (फ्) पु म न ि यः । मामन ितजानीिह, न मे भ मां(म्) िह पाथ यो वै भजते ः (स्), स ं(म्) भवित धमा कौ ेय ोऽ िस॥28॥ ा, मिय ते तेषु चा ुदु राचारो, ात् योगी भवाजुन य प ुहोिष ददािस यत्। त Learngeeta.com प ं(म्) पु ं(म्) फलं(न्) तोयं(य्ँ), यो मे भ ुः (फ्) पापयोनयः । परां(ङ् ) गितम्॥32॥ ा राजषय था। भज माम्॥33॥ ो, म ाजी मां(न्) नम ैवम्, आ geetapariwar.org ण ु । ानं(म्) म रायणः ॥34॥ ीम गव ीता - नवम अ ाय - राजिव ाराजगु योग ॐत िदित ीम गव ीतासु उपिनष ीकृ ु िव ायां(य्ँ) योगशा ाजुनसंवादे राजिव ाराजगु योगो नाम नवमोऽ े ाय:॥ AA ¬ Jho`ÿ".kkiZ.keLrqAA ● िवसग के उ ार जहाँ (ख्) अथवा (फ्) िलखे गय ह, वह ख् अथवा फ् नही ं होते, उनका उ ारण 'ख्' या 'फ्' के जैसा िकया जाता है । ● संयु वण (दो ंजन वण के संयोग) से पहले वाले अ र पर आघात (ह ा सा जोर) दे कर पढ़ना चािहये। '॥' का िच आघात को दशाने हे तु िदया गया है । ● कुछ थानो ं पर र के प ात् संयु दो बार आने से, तीन ंजनो ं के संयु वण होने पर भी अपवाद िनयम के कारण आघात नही ं िदये गये ह जैसे एक ही वण के होने से, रफार (उपर र् ) या हकार आने पर आिद। िजन थानो ं पर आघात का िच योगेशं(म्) स दान ं (व्ँ), वासुदेवं(व्ँ) धमसं थापकं(व्ँ) वीरं (ङ् ), कृ जि यम् ं(व्ँ) व े जगद् गु म् Learngeeta.com गीता प रवार सा ह य का उपयोग कसी अ य थान पर करने हेतु पूवा म त आव यक है। th Śrīmadbhagavadgītā - 9 Chapter - Rājavidyārājaguhyayoga geetapariwar.org ीम गव ीता - नवम अ ाय - राजिव ाराजगु योग