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Ancient and Medieval India by Poonam Dalal[001-300] (1)

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ाचीन और म यकालीन भारत
यूपीएससी और रा य स वल सेवा परी ा
के लए
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ाचीन और म यकालीन भारत
यूपीएससी और रा य स वल सेवा परी ा
के लए
पूनम दलाल द हया
मैक ा हल एजुके शन इं डया
ाइवेट ल मटे ड
चे ई
मैक ा हल श ा कायालय
चे ई यूयॉक सट लुइस सैन
ां स को ऑकलड बोगोटा काराकास कु आलालंपुर ल बन
लंदन मै ड मे सको सट मलान मॉ
यल सैन जुआ न स टयागो सगापुर सडनी टो यो
टोरंटो
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मैक ा हल एजुके शन इं डया
मैक ा हल एजुके शन इं डया
अलाप कम पो र चे ई
ाइवेट ल मटे ड
ाइवेट ल मटे ड
ी एकं बरा नायकर इंड
यल ए टे ट
ारा का शत।
ाचीन और म यकालीन भारत
कॉपीराइट ©
मैक ा हल एजुके शन इं डया
ाइवेट ल मटे ड।
काशक क पूव ल खत अनुम त के बना इस काशन का कोई भी ह सा कसी भी
प म या कसी भी मा यम से इले
ॉ नक यां क फोटोकॉपी रकॉ डग या अ यथा पुन
तुत या वत रत नह कया जा सकता है या कसी डेटाबेस या पुन ा त णाली म सं हीत नह कया जा सकता है। ो ाम ल टग य द कोई हो को कं यूटर स टम म दज
सं हीत और न पा दत कया जा सकता है ले कन उ ह काशन के लए पुन
यह सं करण भारत से के वल काशक मैक ा हल एजुके शन इं डया
तुत नह कया जा सकता है।
ाइवेट ल मटे ड ारा नयात
कया जा सकता है।
आईएसबीएन
आईएसबीएन
इस काय म न हत जानकारी व सनीय माने जाने वाले
ोत से मैक ा हल एजुके शन इं डया
ारा ा त क गई है। हालां क न तो मैक ा हल एजुके शन इं डया और
न ही इसके लेख क यहां का शत कसी भी जानकारी क सट कता या पूण ता क गारंट दे ते ह और न ही मैक ा हल एजुके शन इं डया और न ही इसके लेख क कसी भी
ु ट चूक या इसके उपयोग से उ प होने वाली
त के लए ज मेदार ह गे। यह जानकारी। यह काम इस समझ के साथ का शत कया गया है क मैक ा हल एजुके शन
इं डया और इसके लेख क जानकारी दान कर रहे ह ले कन इंज ी नय रग या अ य पेशेवर सेवाएं दान करने का यास नह कर रहे ह। य द ऐसी सेवा
है तो उपयु
पेशेवर क सहायता लेनी चा हए।
ईबुक नमाण वसटाइल ीमी डया स वसेज पी ल मटे ड
कवर डजाइनर राजेश पांडेय
हम यहां दे ख www.mheducation.co.in
क आव यकता
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मेरे दवंगत पता
ी को सम पत। रंधावा सह दलाल ज ह ने मुझ े बड़े सपने
दे ख ना सखाया।
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तावना
यूपीएससी और रा य सेवा परी ा
और म यकालीन इ तहास इस पा
के लए सामा य अ ययन का पा
म कृ त म काफ संपूण है और ाचीन
म के मह वपूण घटक म से एक के
प म उभरा है। कई उ मीदवार को
इ तहास एक उबाऊ त या मक वषय लगता है जसे रटना पड़ता है और सीखने म मज़ा नह आता है। कसी भी नए
उ मीदवार के लए कम समय म इसे
ापक
प से कवर करना वा तव म क ठन है। इस पु तक को लखने का
उ े य इस मथक को तोड़ना और इ तहास के अ ययन को एक आनंददायक
इस पु तक म ाचीन और म यकालीन इ तहास के अ ययन के
त ब कु ल नया
या बनाना है।
कोण है। यह इ तहास क श ा
को सरल और रोचक बनाने का यास करता है और आपके इ तहास क सभी ज रत के लए एक टॉप समाधान
दान करता है। पु तक इस तरह से संर चत है क यह पा
म के
येक वषय के साथ तालमेल बठाती है।
इ तहास के साथ सहज बनाने के लए जानकारी एक रोचक ा प म द गई है।
इस कताब क खास बात .
यूपीएससी रा य सेवा
पा
मक
और अ य
त
ध के लए ाचीन और म यकालीन इ तहास से संबं धत संपूण
ापक कवरेज क मांग क गई
परी ा।
.
सीखने क
या को सरल बनाने के लए ाचीन और म यकालीन इ तहास से संबं धत दो
ापक वयो य
व रत संशोधन चाट शा मल करना।
.
येक अ याय म मु य श द को हाइलाइट कया गया है ता क पाठक के लए मह वपूण ब
का व रत
संदभ बनाना आसान हो जाए।
.
.
.
ऐ तहा सक घटना
ह।
के बारे म वैचा रक
ता दान करने के लए अ याय म पया त आरेख शा मल कए गए
पछले वष के
ारं भक और मु य दोन के भंडार के साथ
येक अ याय के लए अ यास
कए जाते ह ता क छा
को वशेष वषय का अ यास आकलन और उस पर महारत हा सल हो सके ।
व भ पृ भू म के छा
क आव यकता
दान
को पूरा करने के लए सरल और सुबोध भाषा का योग। अं तम
अ याय एक उपसंहार से अ धक है और नोट् स के
प म दान कया गया है य क यह कु छ मह वपूण ारं भक
आधु नक भारत के वषय को पूरा करता है जो आमतौर पर परी ा म पूछे जाते ह।
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मुझ े पूरी उ मीद है क पु तक के सभी पाठक इसक साम ी क सराहना करगे और इससे लाभा वत ह गे और इसे
अपनी तैयारी के लए उपयोगी पाएंगे।
साम ी और इसक समृ
म सुधार क दशा म कसी भी ट पणी सफा रश का वागत कया जाएगा और बेस ी से
ती ा क जाएगी। आपके ब मू य सुझ ाव भ व य म इस पु तक को बढ़ाने म सहायक ह गे। आप लेख क से
poonamrandhawasingh@gmail.com पर संपक कर सकते ह
सब बेहतर रहे
पूनम दलाल द हया
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आभार
म उन तमाम लोग को ध यवाद दे ना चाहता ं जनका जीवन कसी न कसी
इस पु तक को लखने के लए े रत कया। सव थम म अपने
यपत
करना चा ंगी जब से म उ ह जानती ं और ज ह ने मेरी शखा
ेरणा और ो साहन के
प म मेरे जीवन से जुड़ा रहा और मुझ े
ी असीम द हया के
त दय से आभार
और घा टय को करीब से दे ख ा है वे नरंतर
ोत रहे ह। संघष मुझ े कभी हार न मानने के लए े रत करते ए। उनके बेधड़क समथन के
बना म इस चुनौतीपूण काय को या जीवन म कु छ और पूरा नह कर पाता। उ ह ने मेरे बेटे व मा द य के साथ मेरे
जीवन को एक नया अथ और उ े य दया है जसम म खुद को समाज म वापस लौटने के लए बा य पाता ं जो मने
इससे ा त कया है।
म अपने भाइय अ मत और अजय के
परी ा
त भी आभार
करता ं ज ह ने हमेशा मुझ पर व ास कया और व भ
क तैयारी के दौरान वष से लखे गए अपने नोट् स को इस काय म वक सत करने के लए मुझ े े रत कया।
म अपने पूरे प रवार वशेष
प से मेरे ससुराल वाल मेरी मां श क सहयो गय और दो त को भी ध यवाद दे ना
चाहता ं ज ह ने अपने अनूठे तरीक से मुझ े इस पु तक म व णत व भ मु
पर अपना वचार बनाने म मदद क है
और उनके समथन के बना मेरे लए इस पु तक पर शोध करना और लखना संभव नह था।
म अपने हर उस श क का भी ऋणी ं ज ह ने न के वल इस यास म मेरा नरंतर मागदशन कया है ब क मेरी खुद
क यूपीएससी क तैयारी के दौरान वशेष
और र व के क मदद क है।
IAS टडी सटर के । म
प से पवन सर पवन कु मार आईएएस अकादमी के
वीण बंसल सर अ भमनु IAS टडी ुप के
रव न सर वजीराम
अ नल न ला सर अ नल न ला के
ी डीएस म ा आईएएस डॉ. दनेश अरोड़ा आईएएस
ी महे र दयाल आईपीएस डॉ.
अजय च कारा आईआरएस का भी तहे दल से शु गुज ार ं ज ह ने मेरी इस या ा म हमेशा मेरा साथ दया है और
मुझ े ो सा हत कया है और उनक मदद क है। इस काम को समय पर पूरा करने के अपने तरीके ।
म मैक ा हल एजुके शन भारत और उनक पूरी ट म के लए भी अपनी स
पु तक के नमाण और सं करण म लगातार समथन दया और मेरी मदद क ।
सु ी गाग भ ाचाय और
ी अंकु र को मेरा वशेष ध यवाद
ी शंसा
करना चाहता ं ज ह ने
ी त मय रॉय चौधरी सु ी शु
मुख ज
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उ म के मा यम से उनके नरंतर समथन के लए शंक रत।
मुझ े अंत म उ मीद है क यह पु तक पाठक को भारत के
ाचीन और म यकालीन इ तहास क बेहतर वैचा रक
समझ म मदद करेगी और उन सभी स वल सेवा उ मीदवार क मदद करेगी जनक आँख म आग है और जो सपने
दे ख ने क ह मत रखते ह।
पूनम दलाल द हया
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अंतव तु
तावना
वीकृ तयाँ
.
ाचीन भारत पूव
इ तहास चरण पुरापाषाण
युग शकारी और खा सं ाहक
मेसो ल थक युग शकारी और चरवाहे
नवपाषाण युग खा
चालको ल थक युग
उ पादन चरण
ता पाषाण युग सी।
ईसा पूव
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. हड़ पा स यता सी.
हड़ पा चरण क
ईसा पूव कां य युग क स यता प रप व
सामा य वशेषताएं टाउन ला नग सोसायट अथ व
हड़ पा आयात धम
कृ ष
हड़ पा के
स
ल का पतन
ा
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. वै दक युग ऋग वै दक और बाद के वै दक
ऋग वै दक सं कृ त सी.
ईसा पूव
वै दक सा ह य ऋग
वै दक आय का सामा जक जीवन ऋग
वै दक अथ व
ा ऋ वै दक
धम बाद क वै दक सं कृ त
और स यता सी.
ई.पू.
बाद म वै दक समाज बाद म
वै दक युग अथ व
ा बाद म वै दक युग धम
सी।
ारं भक वै दक स यता
ईसा पूव
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. सधु गंगा के मैदान के महाजनपद सी.
ईसा पूव
राजनी तक संघष और मगध क
धानता
हयक राजवंश मगध
शशुनाग राजवंश लगभग
नंद वंश
थम गैर
मौय वंश
उ रप
ईसा पूव
य वंश
ईसा पूव
म भारत
और मैसेडो नयन आ मण
भारत पर फारसी भाव
सकं दर का आ मण
−
ईसा पूव
सकं दर के आ मण का भाव
महाजनपद के युग म सामा जक और भौ तक जीवन
शास नक
व
ा
कानूनी और सामा जक णाली
ई.
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. बौ
धम और जैन धम गौतम बु
और
बौ धम क उ प
के कारण
ारं भक बौ
सा ह य
बु
का जीवन
बौ
धम के स ांत
बौ
धम और ा णवाद
बौ
धम के
बौ
धम के पतन के कारण
बौ
प रषद
बौ
धम के व भ
सार और लोक यता के कारण
कू ल
वधमान महावीर और जैन धम
ारं भक जैन सा ह य
वधमान महावीर का जीवन
जैन धम के स ांत
बौ
धम और जैन धम
जैन धम का सार और भाव
जैन धम के व भ सं दाय
जैन प रषद
आजी वका
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. मौय सा ा य सी.
कौ ट य का अथशा
मेग नीज क इं डका
ई.पू.
मौय राजवंश
अशोक के शलालेख और अशोक का ध म
अशोक क वरासत
मौय शासन
मौय समाज
मौय कला और मू तकला
मौय का पतन
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. सी के दौरान राजनी तक और सां कृ तक वकास।
ईसा पूव
सीई उ र भारत का
राजनी तक इ तहास
इंडो ीक
बै
यन यूनानी
शक सी थयन
काइथो पा थयन शाका पहलावा
कु षाण
प
मी भारत के शक
प
म य ए शया के साथ संपक का भाव और योगदान
सातवाहन
सातवाहन के मह वपूण पहलू
द ण भारत का ारं भक ऐ तहा सक काल महापाषाण काल से लेक र चेरा चोल और पां
राज व ा तक
तीन ारं भक सा ा य म शासन और सामा जक जीवन
सामा जक संरचना और संगठन
मौय काल के बाद के श प
ापार और नगर
क
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. गु त और वाकाटक सी.
सीई
गु त का पतन द खन के
वाकाटक गु त और वाकाटक के अधीन
जीवन के व भ पहलू
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. ारं भक म यकालीन भारत
े ीय व यास का युग सी।
सीई
सी.
सीई से अव ध उ री भारत
हष द मै क के तहत थानेसर शासन
क पु यभू तयाँ c.
से मौखरी
पे रयन द
णी
भारत
डे कन
सु र द
ण
सी.
सीई से अव ध उ री भारत
तहार राजवंश
बंगाल के पलास इन तीन
सा ा य के दौरान रा कू ट
के जीवन का सामा य
अवलोकन
सीई
ापार और वा ण य असम का सलमा राजवंश सी.
उड़ीसा काल के पूव गंगा सी से।
सीई द णी भारत
चोल का चोल
शासन चोल ाम शासन चोल समाज
और अथ व
ा चोल कला और सा ह य
द ण पूव ए शया और चीन के साथ
संपक।
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. सी से अव ध।
से
सीई उ री भारत
राजपूत कबीले
चाहमान चौहान बुंदेलखंड के चंदेल ह।
मालवा के परमार गुज रात के
चालु य सोलंक राजपूत तोमर क ौज के गढ़वाल क मीर और
उ रप म
कक टा राजवंश उ पल राजवंश यश कर
राजवंश ह शाही राजवंश
पुरी के चे द बंगाल क
सेनाएँ उड़ीसा के गंगा
चोडगंगा क याणी के प
प
मी चालु य बाद म
मी चालु य कला और वा तुक ला म वकास और व ान और
ौ ो गक धा मक आंदोलन और दशन म व ास और वकास भारतीय दशन के वषमपंथी
कू ल उ र क इ लामी वजय भारत और गंगा के मैदान इ लाम का उदय और सार इ लाम
का एक सं
त इ तहास संघष का युग सी.
सीई
ग़ज़नवी और ग़ज़नी का महमूद घु रद राजवंश और मुह मद
गोरी
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. द ली स तनत
गुलाम वंश इलबारी मामेलुक सु तान सी.
खलजी वंश सी.
सीई
ई.
अलाउ न खलजी का शासन
तुगलक वंश सी.
ई. करौना राजवंश तुक सै यद वंश सी.
वंश सी.
ई.
स तनत काल के तहत शासन
सु तान
क य शासन
ांतीय सरकार
अथ व
सामा जक
ा
व
कला और वा तुक ला
संगीत
सा ह य
ा
लोद
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. म यकालीन भारत के
द कन और द
ांतीय रा य
णी भारत वजयनगर और बहमनी रा य वजयनगर सा ा य
सी.
सीई
संगम वंश वजयनगर
सा ा य का शासन सेना और सै य संगठन सामा जक
जीवन अथ व
वजयनगर
ा सां कृ तक योगदान
सा ा य और
बहमनी स तनत बहमनी शासन
के बीच संघष
प
मी भारत गुज रात मालवा और मेवाड़
गुज रात
मालवा
मेवाड़
उ र भारत क मीर
पूव भारत जौनपुर बंगाल असम और उड़ीसा
जौनपुर
बंगाल
असम
उड़ीसा ओ डशा
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. मुगल सी.
अफगान इंटर यूड
सीई
सुर इंटररे नम सी।
अकबर के अधीन शास नक
व
सीई
ा सरकार का
संगठन के य शासन ांतीय शासन
भू राज व शासन मनसबदारी
व
ा जागीरदारी
व
ा धा मक
नी त अकबर के बाद अकबर के नवर न
मुगल राजवंश उसके
शासनकाल के दौरान कला
और ाप यः मुह ल
के अधीन आ थक और
सामा जक जीवन
ापार का वकास
शासन का वकासः मनसबदारी
सेना।
व
ा और मुगल
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. बाद के मुगल मराठा और अ य ांतीय रा य बाद के मुगल मुगल का पतन मुगल
शासन े ीय
राजनी त और रा य
का उदय मराठा शवाजी
और मराठ का उदय
को हापुर के शाही घराने पेशवा का
कायालय
सी.
सीई
मराठा संघ शवाजी का
शासन बंगाल अवध पंज ाब
राजपूत
द ण
भारत
ावणकोर
रा य मैसूर का
उदय
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.भ
आंदोलन
उ र भारत म भ
भ
आंदोलन
आंदोलन के
महारा म भ
मुख नेता
आंदोलन
गैर सां दा यक भ
आंदोलन
वै णव आंदोलन
च ती सल सला
सुहरावद सल सला
न
बंद सल सला
कादरी सल सला
सूफ वाद का भाव
सूफ वाद
सख आंदोलन
भ
आंदोलन का मह व
भ
आंदोलन म म हलाएं
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. यूरो पय का आना पोटु यूज डच
द इं लश द डेन
डेनमाक से
ांसीसी एं लो
च
त ं ता थम कनाटक यु
कारण मह वपूण यु
का
और थम यु
से
संबं धत सं ध।
तीय कनाटक यु
और
यु
भारत म
तीय यु
के कारण मह वपूण यु
से संबं धत सं ध तृतीय कनाटक यु
से संबं धत सं ध
टश वजय लासी का यु
सी.
सीई
मराठ के साथ मैसूर
टश संघष क
लासी वजय क पृ भू म पृ भू म
एं लो सख यु
सध का वलय सी.
अनुल नक के कारण
सीई
के कारण मह वपूण यु
और तृतीय
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चाट
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ाचीन भारत
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पूव इ तहास चरण
अं ेज ी श द इ तहास
ीक ह टो रया से आया है जसका अथ है जांच जांच ारा ा त ान । यह
अतीत के अ ययन से मेल खाता है और मह व क व भ
पछली घटना
पर काश डालता है जसने
मानव अनुभव को आकार और वक सत कया। इ तहास को पूव इ तहास आ
म वभा जत कया गया है। लेख न के आ व कार से पहले होने वाली घटना
माना जाता है
जसे आमतौर पर तीन पाषाण युग
इ तहास और इ तहास
को पूव इ तहास का
े
ारा दशाया जाता है।
ोटो इ तहास को प रभा षत करना क ठन है य क इसके अलग अलग अथ ह। आम तौर पर यह
ा ग तहास और इ तहास के बीच क अव ध को संद भत करता है
जसके दौरान एक सं कृ त या स यता
ने अभी तक लेख न वक सत नह कया है ले कन एक समकालीन सा र स यता के ल खत अ भलेख म
इसका उ लेख कया गया है। उदाहरण के लए हड़ पा स यता क ल प अभी तक पढ़ नह जा सक है
हालाँ क मेसोपोटा मया के लेख न म इसके अ त व का उ लेख कया गया है इसे ोटो इ तहास का एक
ह सा माना जाता है।
इसी कार सी से वै दक स यता।
ईसा पूव म एक मौ खक सा ह यक परंपरा थी हालां क
उ ह ने सा ह यक लेख न को नह अपनाया इस कार उ ह ोटो इ तहास का एक ह सा भी माना जा
सकता है। पुरात व वद नवपाषाण और चालको ल थक सं कृ तय को आ
इ तहास का ह सा मानते ह।
लेख न के आ व कार के बाद के अतीत का अ ययन और ल खत और पुराता वक
ोत के आधार पर
सा र समाज का अ ययन इ तहास का गठन करता है।
भारत म मानव ब तय का इ तहास और पहचान ागै तहा सक काल तक जाती है। भारतीय पूव इ तहास
का ारं भक
ापक अ ययन करने का
ेय रॉबट ूस फू टे को जाता है ज ह ने भारत म खोजे गए
संभवत पहले पुरापाषाण उपकरण प लवरम ह तकु ठार क खोज क थी। बाद म उ ह ने द
म बड़ी सं या म पूव ऐ तहा सक
है जतना क उनके
ण भारत
ल क खोज क । सर मो टमर हीलर का योगदान उतना ही मह वपूण
यास ने हमारे ान म ब त योगदान दया
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भारत क पूव ऐ तहा सक सं कृ तयाँ और उनका
म। भूवै ा नक युग के आधार पर प
तकनीक और नवाह आधार भारतीय पाषाण युग को मु य
पाषाण युग
र के औजार के
कार और
प से तीन कार म वग कृ त कया गया है भारतीय
पुराना पाषाण युग पुरापाषाण युग
ईसा पूव
•
• देर से पाषाण युग मेसो ल थक युग
• नया पाषाण युग नवपाषाण युग
ईसा पूव
ईसा पूव
एक सामा य समय सीमा न द क गई है य क व भ साइट के लए त थय म काफ भ ता है।
पुरापाषाण युग शकारी और भोजन
जमाकता
पुरापाषाण युग पाषाण युग का ारं भक काल है जो ली टोसीन काल या हम युग म वक सत आ था। यह सधु और
गंगा के जलोढ़ मैदान को छोड़कर
के पुरापाषाणकालीन
ावहा रक
प से भारत के सभी ह स म फै ला आ था । कहा जाता है क भारत
ने टो जा त के थे और गुफ ा
और शैला य म रहते थे। वे भोजन इक ा करने वाले लोग
थे जो शकार और जंगली फल और स जयां इक ा करते थे। उ ह कृ ष गृह नमाण म
का ान नह था। बाद क अव
बना खुर रे प
े पस। चूं क प
भारत म
ा
म ही उ ह अ न का ान आ। इस अव ध के दौरान मनु य ने बना पॉ लश कए
र के औजार का इ तेमाल कया मु य
र के औजार
के बतन या कसी भी धातु
प से हाथ क कु हाड़ी वदारक चॉपस लेड ब रन और
वाटजाइट नामक एक कठोर च ान से बने थे इस लए पुरापाषाण काल के पु ष को
वाटजाइट पु ष भी कहा जाता है।
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पुरापाषाण उपकरण
पुरापाषाण युग को यु
प
र के औजार क
ज द या कम
पुरापाषाण
म य
मु य
गु
कृ त के अनुसार तीन चरण म वभा जत कया गया है। वे ह
लेट या अपर
पुरापाषाण
पुरापाषाण
प से काटने खोदने
े से बने प
और खाल नकालने के लए हाथ
के औजार का
क कु हा ड़य
उपयोग मु य
चॉपस और
लीवर का उपयोग ।
से
र
समानांतर प ीय लेड ब रन
और ह ी के औजार के
प
कु छ उदाहरण।
े पस बोरस
पॉइंट्स और
लेड जैसे उपकरण।
सोन और
सोन म मला
सोहन नद घाट अब
नमदा व
पा क तान म
तुंगभ ा नद घा टयाँ
क मीर थार म
ल
आं म मला
दे श कनाटक
महारा
द
म य म य दे श
णी यूपी और
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डीडवाना राज
ान
पोतवार पठार
सधु
और झेलम के बीच
हरन घाट गुज रात के आ य
ल
संघो गुफ ा पेशावर
भीमबेटका एमपी और
के पास पा क तान ।
छोटानागपुर पठार।
ह ी के उपकरण के वल आं
दे श
म कु रनूल और मु तला चताम ण
गवी के गुफ ा
ल पर पाए गए
बेलन घाट मजापुर
ऊपर
ईसा पूव
ईसा पूव
ईसा पूव
हमयुग के बड़े ह से को कवर
करता है।
ईसा पूव
ईसा पूव
ईसा पूव
एचडी ारा
म ही
ा पत कया गया था
सांक लया और नेवासा
महारा
क साइट के
बाद इसका नाम नेवासन
उ ोग रखा गया।
मेसो ल थक युग शकारी और चरवाहे
वभ
कार के प
र के उपकरण
इस चरण के अंत म होमो
से पय स पहली बार दखाई
दए। हम युग के अं तम चरण
के साथ संयोग आ जब जलवायु
तुलना मक प से गम
और कम आ हो गई।
Machine Translated by Google
मेसो ल थक युग पाषाण युग सं कृ त म म यवत चरण का
त न ध व करता है। मेसो ल थक और
नयो ल थक दोन सं कृ तयाँ होलोसीन युग से संबं धत ह जो लगभग
साल पहले लेइ टो सन
युग म सफल ई थी । म य पाषाण काल के मनु य शकार मछली पकड़ने भोजन एक करने और बाद
के चरण म पालतू जानवर पर भी नभर थे। म यपाषाण युग के
मुख पहलु
म से एक अ
तरह से
ा पत उपकरण कार के आकार म कमी थी।
इस युग के व श उपकरण माइ ो लथ थे लघु प
स लका कै सेडनी या चट दोन
टो
टलीय
या मतीय और गैर या मतीय आकृ तय से बने होते ह । उनका
उपयोग न के वल अपने आप म उपकरण के
लटकाने के बाद म
र के उपकरण आमतौर पर
प म कया जाता था ब क उ ह लकड़ी या ह ी के ह
े पर
त उपकरण भाले के सर तीर के सर और दरांती बनाने के लए भी उपयोग कया
जाता था। मेसो ल थक युग के कु छ अ य पहलू ह
•
•
•
अ धकांश मेसो ल थक
ल पर म
और मजापुर यूपी के कै मूर
के बतन नह मलते ह ले कन यह गुज रात के लंघनाज
े म मौजूद ह ।
इस युग के अं तम चरण म पौध क खेती क शु आत दे ख ी गई।
मेसो ल थक युग ने पूव इ तहास म रॉक कला क शु आत क ।
ह स यूपी म भारत म पहली शैल च
गुफ ा
म सोहागीघाट कै मूर
क खोज क गई थी। अब म य भारत म भीमबेटका
खरवार जावरा और कथो टया एमपी सुंदरगढ़ और संबलपुर उड़ीसा एझुथु गुहा
के रल जैसे म य भारत म
से अ धक मेसो ल थक रॉक कला
अ धकांश मेसो ल थक रॉक कला
ल क खोज क गई है।
ल पर जानवर का दबदबा है । हालां क मेसो ल थक
प ट स म सांप को च त नह कया गया है ।
Machine Translated by Google
भीमबेटका गुफ ा च कारी
दफनाने और शैल च हम धा मक था
आधार पर
के वकास के बारे म वचार दे ते ह और लग के
म वभाजन को भी दशाते ह।
मह वपूण मेसो ल थक ल ह कोठारी
•
नद पर बागोर राज ान भारत म सबसे बड़े और सबसे अ े ले खत मेसो ल थक ल म
से एक है।
•
छोटानागपुर े म य भारत। आदमगढ़ म य दे श और बागोर दोन ही कृ णा नद के
•
•
•
•
द ण म त मलनाडु म त ेवेली प
राय
इलाहाबाद के पास
तापगढ़
म बंगाल म बीरभानपुर इलाहाबाद के पास सराय नाहर
े महादहा यूपी म जानवर को पालतू
बनाने के सबसे पुराने सा य दान
करते ह जहां ह ी क कलाकृ तयां पाई जाती ह जनम तीर के सरे
और तीर के नशान भी शा मल ह। ह ी के गहने।
नवपाषाण युग खा
उ री भारत म नवपाषाण युग लगभग c.
−
उ पादन चरण
ईसा पूव उभरा।
Machine Translated by Google
द
ण और पूव भारत म कु छ
ान पर यह
ईसा पूव तक का है। पूव इ तहास म इसके मह व का
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है क वी. गॉडन चाइ
ने नवपाषाण चरण को नवपाषाण
क सं ा द थी। इसने ब त सारे नवाचार पेश कए जैसे
नवपाषाण उपकरण
ां त
Machine Translated by Google
खा उ पादन का आगमन नवपाषाण काल के मनु य ने भू म पर खेती क और रागी और
ए
कु लथी जैसे फल और म का उगाए ।
उ ह ने मवे शय भेड़ और बक रय को पालतू बनाया। बी
ौ ो गक म नवाचार नवपाषाण युग के लोग ने प
र के औजार के उ पादन म नवाचार
कया जैसे पॉ लश पे ड और ाउं ड टोन टू स का उ पादन कया। वे उपकरण बनाने के
लए वाटजाइट के अलावा पॉ लश कए गए प
र पर नभर थे। से ट् स का उपयोग वशेष
प से जमीन और पॉ लश कए गए हडै स के लए मह वपूण था। यु
कार के आधार पर नवपाषाण ब तय के तीन मह वपूण
े
कु हा ड़य के
क पहचान क जा सकती
है i
उ रप
म घुमावदार काटने वाले कनारे के साथ आयताकार कु हा ड़य ।
उ र पूव आयताकार बट के साथ पॉ लश प
वाली कु दाल होती ह।
iii
म
द
णी अंडाकार प
तीय
र क कु हा ड़याँ कभी कभार कं ध
और नुक ले बट के साथ कु हाड़ी। सी
के बतन का आ व कार नवपाषाण युग के समुदाय ने पहले हाथ से और फर कु हार के
चाक क मदद से म
के बतन बनाए। उनके म
के बतन म काले जले ए बतन भूरे रंग
के बतन और चटाई से भा वत बतन शा मल थे। अतः यह कहा जा सकता है क इस काल म
मृदभांड का बड़े पैमाने पर उदय आ। डी
आ म नभर ामीण समुदाय का उदय नवपाषाण युग के बाद के चरण म लोग ने अ धक
व
त जीवन
तीत कया। वे म
और ईख के बने गोलाकार और आयताकार घर म
रहते थे।
वे यह भी जानते थे क नाव कै से बनाई जाती है और वे कपास और ऊन कातते थे और कपड़ा
बुनते थे। इ
लग और आयु के आधार पर
म का वभाजन जैसे जैसे समाज ग त कर रहा था अ त र
म क आव यकता को पहचाना गया और इस कार अ य गैर प रजन समूह से भी
म
ा त कया गया।
उ ख नत कए गए कु छ मह वपूण नवपाषाण
अ तीय आयताकार चॉपर क
ल उनके अ तीय पहलु
के साथ इस कार ह बुज होम
म अपने
मा लक के साथ दफन कए गए घरेलू कु े और ज मू और क मीर म गुफ ाल ग
प
र के औजार और क
मा क
तान के लए
स
म रहने
प रवार
गरी पक लहल मवेशी चराने का माण बु दहाल सामुदा यक भोजन तैयार
करना और दावत दे ना और टे क कलकोटा
Machine Translated by Google
कनाटक
त मलनाडु म पैयमप ली और आं
दे श म उ नूर
मेघालय म गारो ह स बहार म चरांड ह ी के उपकरण का काफ उपयोग वशेष
से स ग से बने उपकरण
सरायखोला पोतवार पठार पर त
मेहरगढ़
ारं भक नवपाषाण
टोकरी के
को
शला के नकट आमरी कोटद जी और
ल जसे पा क तान के एक ांत बलू च तान क रोट क
प म जाना जाता है
हवा बेलन घाट म तीन गुना नवपाषाण ता पाषाण और लौह युग क ब तय क
उप
को
प
त के मामले म अ तीय
हवा और महागरा इलाहाबाद के द
गोलाकार झोप ड़य के कई तर
म
णम क
े हाथ से बने म
के बतन के साथ
नया म चावल क खेती का सबसे पुराना सबूत
चोपानी
मंडो बेलन घाट
के बतन के उपयोग का सबसे पुराना माण
बेलन घाट
व य के उ री छोर पर और नमदा घाट के म य भाग पै लयो ल थक ब ती के तीन चरण के सा य
उसके बाद मेसो ल थक और
नवपाषाण ब तयाँ
चालको ल थक युग
−
ता पाषाण युग सी।
ईसा पूव
चालको ल थक युग ने प
र के औजार के साथ धातु के उपयोग के उ व को च त कया। इ तेमाल
क जाने वाली पहली धातु तांबा थी हालां क वे कभी कभी कां य का भी इ तेमाल करते थे। तकनीक
प से ता पाषाण चरण काफ हद तक पूव हड़ पा क ब तय पर लागू होता है ले कन दे श के
वभ
ह स म यह कां य हड़ पा सं कृ त के अंत के बाद दखाई दे ता है। कु छ चालको ल थक
सं कृ तयाँ हड़ पा सं कृ त और कु छ पूव हड़ पा सं कृ तय क समकालीन ह हालां क यह कहना
संभव है क अ धकांश ता पाषाण सं कृ तयाँ हड़ पा के बाद क ह। पूव हड़ पा कालको ल थक सं कृ त
के कु छ मुख
ल ह गणे र राज
ान के खेतड़ी खान के पास राज
ान म कालीबंगन ह रयाणा
म बनावली सध पा क तान म कोट द जी।
चालको ल थक लोग ने गाय भेड़ बक रय सूअ र और भस को पालतू बनाया और हरण का शकार
कया। उ ह ने गोमांस खाया ले कन सूअ र का मांस पसंद नह कया और थे
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घोड़ से भी प र चत नह । यह यान रखना दलच
है क पालतू जानवर को भोजन के लए काटा
जाता था और डेयरी उ पाद के लए ध नह दया जाता था यह था अभी भी ब तर के ग ड लोग
के बीच जारी है । कई दाल जैसे मसूर काला चना हरा चना और घास मटर जब क पूव
े
म रहने
वाले लोग मछली और चावल पर रहते थे। वे लैश बन या झूम खेती का अ धक अ यास करते थे।
हालाँ क न तो हल और न ही कु दाल यहाँ पाए गए ह इस अव ध क कोई भी साइट।
वे तरह तरह के म
के बतन का इ तेमाल करते थे जनम काले और लाल म
के बतन सबसे लोक य
थे। यह कु हार के चाक का उपयोग करके बनाया गया था और इसे सफे द रेख ा के डजाइन के साथ च त
कया गया था। समान
प से दलच
त य यह है क म हला कु हार ने कु हार के चाक का उपयोग नह
कया के वल पु ष ने कया।
चालको ल थक युग म लोग क अ य व श
वे पक
वशेषताएं इस कार ह
ट से प र चत नह थे और आम तौर पर म
थे। वहां क अथ व
ा गांव आधा रत अथ व
क
ट से बने फू स के घर म रहते
ा थी।
ता पाषाण युग के लोग लेख न का उपयोग नह जानते थे।
उनके गाँव छोटे छोटे थे जनक झोप ड़याँ एक सरे से सट
ईथ।
ता पाषाण युग के लोग अपना भोजन पकाते थे।
ता पाषाण
ल से पृ वी दे वी क छोट म
क मू तयाँ मली ह। इस कार यह कहा जा
सकता है क वे दे वी मां क वंदना करते थे।
ता पाषाण युग के लोग गहन और साज स
ा के शौक न थे।
आभूषण पहनती थ और अपने बाल म बारीक काम क
याँ खोल और ह ी के
ई कं घी रखती थ ।
बैल शायद उनके धा मक पंथ का तीक था मालवा और राज
टे राकोटा पर आधा रत ।
चालको ल थक लोग वशेष ता पा थे। वे ताँबा गलाने क कला जानते थे और प
वे अध क मती प
नमाण करते थे।
र जैसे कान लयन सेलखड़ी और वाटज
वे सूत कातना और बुनना जानते थे।
ता पाषा णक ब तयाँ द ण पूव राज
ही अ य म पाई गई ह
ान प
मी म य दे श प
ान के शैलीब
र के अ
बैल
े कारीगर भी थे।
टल के मो तय का
मी महारा और साथ
Machine Translated by Google
द
णी और पूव भारत के कु छ ह से। उ पा दत और उपभोग कए गए अनाज म
के नमाण आ द के मामले म न
उ पादन होता था जब क प
को उ र द
त
के बतन
े ीय अंतर ह। उदाहरण के लए पूव भारत म चावल का
मी भारत म जौ और गे ं क खेती होती थी। महारा म मृतक
ण दशा म दफनाया जाता था जब क द
ण भारत म उ ह पूव प
म दशा म
दफनाया जाता था। पूव भारत म आं शक दफन का अ यास कया गया था।
चालको ल थक लोग म शशु मृ यु दर ब त अ धक थी जैसा क प
सं या म ब
को दफनाने से
मी महारा म बड़ी
होता है।
चालको ल थक समाज म सामा जक असमानता
क शु आत को नोट कया जा सकता
है य क आयताकार घर म रहने वाले मु खया गोल झोप ड़य म रहने वाले अ य लोग पर
हावी थे।
उ खनन कए गए कु छ मह वपूण ता पाषाण
बनास घाट राज
ल उनके अनूठे पहलु
ान म आहर गलाने और धातु व ान प
ट का कभी कभी उपयोग
के साथ इस कार ह
र के घर और गलुंड जली
Machine Translated by Google
आहर
ल राज
ान से मले अवशेष ता पाषाण
नेवासा जोव गैर हड़ पा सं कृ त नवदाटोली लगभग सभी खा ा
गोदावरी घाट म सबसे बड़ा जोव सं कृ त
ल कां य व तु
सोनगाँव इनामगाँव ओवन और गोलाकार ग े वाले बड़े म
महारा
चरांड बहार म सोनपुर प
फश म
सबसे समृ
एमपी गैर हड़ पा सं कृ त
ता
हड़ पा
ा त के लए
स
के घर घर और ना सक
म बंगाल म म हषदल कायथा क चड़ से पला आ
के बतन म पूव हड़ पा त व
ता पाषाण चीनी म
क
क खेती दै माबाद
मालवा
क चीज़ धुरी कोड़े गैर हड़ पा सं कृ त एरण
Machine Translated by Google
मु य
प से ामीण
मु य
प से शहरी
कां य का योग कया
यादातर तांबे का
इ तेमाल कया
सधु घाट म बाढ़ के मैदान से उपज के आधार पर शहरीकरण ा त कया
पहाड़ी भू म या न दय के पास
रहते थे
पछले साल क मे स से
भारत क मेसो ल थक रॉक कट वा तुक ला न के वल उस समय के सां कृ तक जीवन को दशाती है ब क आधु नक च कला
क तुलना म एक बेहतरीन स दय बोध भी है। इस ट पणी का समालोचना मक मू यांक न क जए।
अ यास
.
ारं भक
न न ल खत को मलाएं
कॉलम ए
कॉलम बी
म। पुरापाषाण काल ii. नवपाषाण
A. कॉपर B. आग
युग iii। चालको ल थक युग iv।
क खोज C. माइ ो ल स
मेसो ल थक युग ए
बी
सी
डी
D. फसल क कटाई के लए उपकरण
.
म। ए
तीय। सी
तृतीय। डी
iv. बी
म। सी
तीय। ए
तृतीय। डी
iv. बी
म। बी
तीय। डी
तृतीय। ए
iv. सी
म। डी
तीय। सी
तृतीय। ए
iv. बी
न न ल खत कथन पर वचार कर और पहचान क कौन से नवपाषाण काल के लए व श ह। म।
पशु
तीय।
को पालतू बनाना और फसल क जंगली क म को उगाना
लोग ताँबे और काँसे का योग ब त से औज़ार बनाने म करते थे
Machine Translated by Google
तृतीय।
परतदार प
र
द के वल
ारा वशेष उपकरण बनाना जो एक सरे पर नुक ले थे अ के वल
ब
स के वल
ऐ तहा सक काल
एवं पुराता वक
ल से मेल खाते
ह।
.
अव ध
साइट
म। पुरापाषाण
ए भीमबेटका
तीय। म य पाषाण
.
बी बेलन
तृतीय। नओ ल थक
सी नवदाटोली
iv. ता
D. मेहरगढ़ iii. डी
ii सी
ए
म। ए
बी
म। सी
तीय। ए
तृतीय। डी
iv. बी
सी
म। बी
तीय। ए
तृतीय। डी
iv. सी
डी
म। डी
तीय। सी
तृतीय। ए
iv. बी
चतुथ बी
न न ल खत म से कौन सी नवपाषाण युग क वशेषता है म।
ब त महीन परत वाले छोटे प
तीय।
तृतीय।
र के मल लेड और ब रन का उपयोग
मवे शय घोड़ और अ य कृ ष पशु
म
को पालना
के बतन को रंगना और सजाना a i ii iii के वल
b के वल i ii c ii iii
के वल
उपरो
.
म से कोई नह डी
न न ल खत कथन पर वचार कर और उपयु
का चयन कर
एक।
म।
तकनीक
प से चालको ल थक चरण पूव को संद भत करता है
हड़ पाई ले कन दे श के व भ
तीय।
ह स म यह कां य हड़ पा सं कृ त के अंत के बाद कट होता है
सभी ता पाषाण सं कृ तयाँ आव यक
अ नवाय
प से ह
प से पूव हड़ पा सं कृ तयाँ नह ह ले कन सभी पूव हड़ पा सं कृ तयाँ
Machine Translated by Google
चालको ल थक सं कृ तयां
तृतीय।
सभी चालको ल थक सं कृ तयाँ आव यक
आव यक
प से पूव हड़ पा सं कृ तयाँ ह ले कन पूव हड़ पा सं कृ तयाँ
प से ता पाषाण सं कृ तयाँ नह ह
a के वल i b
के वल i iii c i ii
iii d i ii के वल
पूव ऐ तहा सक कला
.
के संबंध म न न ल खत म से कौन सा कथन सही है
ए
पुरापाषाण और म यपाषाण काल के लोग च कला का अ यास करते थे ख
भीमबेटका गुफ ा
म पूव ऐ तहा सक कला दखाई नह दे ती सी
सौर मंडल के संबंध म कई च
च त कए गए थे डी
च लोग के धा मक व ास को दशाते ह मनु य ने सबसे पहले कस धातु का योग कया
.
था
ए
कॉपर बी
चांद सी
कां य डी
लोहा
.
न न ल खत म से कस अव ध के साथ हम माइ ो लथ औजार को जोड़ते ह
पुरापाषाण बी
चालको ल थक सी
नवपाषाण डी
म य पाषाण काल
.
हम महापाषाण को कस काल से जोड़ते ह
ए
लेइ टो सन बी
नवपाषाण चा को ल थक सी
मेसो ल थक
उपरो
म से कोई नह डी
सबसे पुराना धातु का औजार कस काम म लया जाता था
ए
बतन बनाना
.
ए
Machine Translated by Google
बी
हाउस ब
ग सी
समाशोधन जंगल डी
प हए बनाना
.
पाषाण युग के दौरान सबसे पहले पालतू जानवर थे ए
कु े बकरी भेड़ बी
कु े घोड़े बकरी सी
घोड़े भेड़ बकरी डी
भेड़ हाथी कु ा खानाबदोश
आदमी ने बसना शु
कया
. क
पुरापाषाण युग बी
मेसो ल थक युग सी
नवपाषाण युग डी
चालको ल थक आयु
.
मनु य भोजन सं ह से खा
उ पादन क ओर बढ़ा a
पुरापाषाण युग बी
मेसो ल थक युग सी
चालको ल थक युग डी
नवपाषाण युग
पुरापाषाण युग म मनु य का सबसे बड़ा आ व कार
वष था। a
धातु के औजार बी
कु हार का प हया सी
आग क खोज डी
कताई और बुनाई
.
चालको ल थक युग के दौरान मनु य को ात एकमा धातु थी ए
आयरन
बी
सोना
सी कॉपर डी
स वर
न न ल खत म से कौन सा कथन सही नह है
भारत म ता पाषाण मानव प क
बी
. क
ट से प र चत था
पुरापाषाण काल के मनु य बाद के चरण म आग के बारे म जानते थे
Machine Translated by Google
भीमबेटका गुफ ाएं पूव ऐ तहा सक च
सी
का खजाना ह डी
नवपाषाण युग म मनु य कृ ष करने आया था।
.
साइट
आयु ए
म। अहर और गलुंद
चालको ल थक
तीय। मोहनजोदड़ो iii.
B. हड़ पा C.
बुज होम
नयो ल थक
iv. बागोर a i
डी मेसो ल थक
A b i
ii सी
iii बी
चतुथ डी
C c i A
ii ए
iii डी
चतुथ बी
d i D
ii बी
iii सी
चतुथ डी
ii सी
तृतीय ए
चतुथ बी
.
नवपाषाण काल क अथ व
ा के संबंध म न न ल खत कथन पर वचार कर i.
ारं भक नवपाषाण सं कृ तय क अथ व
ा कृ ष और पशुपालन पर आधा रत थी। नवपाषाण काल के मनु य
लोहे के बारे म जानते थे
तीय।
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही है ह
ए
के वल म
बी
म और
तीय सी दोन
के वल ii डी
उपरो
म से कोई नह
.
चालको ल थक लोग के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर i.
ता पाषाण समुदाय ने अ य समकालीन समुदाय के साथ साम य का
ापार और आदान दान कया। अहर
गलुंड नवदटोली एरण रंगपुर दै माबाद और इनामगाँव जैसी बड़ी
तीय।
ब तयाँ
ताँबे के
ापार और व नमय के
मुख क
के
प म काय करती थ ।
ोत के पास बसे अहार लोग मालवा और गुज रात म अ य समकालीन समुदाय को ताँबे के औजार और
व तुए ँ दान करते थे
Machine Translated by Google
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही है ह
ए
के वल i
b i और ii c
ii और iii उपरो
सभी d
. चालको ल थक काल के दौरान ौ ो गक क
त के संबंध म न न ल खत कथन पर वचार कर i.
ता पाषाण काल के लोग वशेष ता कार थे और उ ह ने धातु ौ ो गक म काफ
च त म
के बतन अ
ग त क थी।
तरह से बनाए गए थे।
तीय।
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही है ह
ए
के वल म बी
म और
तीय सी
के वल ii
डी उपरो
म से कोई नह
.
भारत म चालको ल थक सं कृ तय के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर
म।
कु छ ता पाषाण सं कृ तयाँ हड़ पा सं कृ त के समकालीन थ और अ य हड़ पा सं कृ त के बाद क
थ ता पाषाण सं कृ त च त म
तीय।
के बतन क वशेषता है आमतौर पर लाल
और काले रंग क यह ामीण हड़ पा सं कृ त क तुलना म शहरी थी। न न ल खत कथन सही है ह
ए
के वल म बी
म और
तीय सी म
और III डी
उपरो
सभी
.
न न ल खत म से कौन सा यु म गलत सुमे लत है म।
न न पुरापाषाण हडै स और लीवर उ ोग
तीय।
तृतीय।
म य पुरापाषाण काल श क पर बने उपकरण
ऊपरी पुरापाषाण काल
के वल म
लेड और ब रन पर बने उपकरण। ए
Machine Translated by Google
बी
के वल म और
तीय सी
उपरो
सभी डी
उपरो
म से कोई नह
.
म य पुरापाषाण सं कृ त के औजार और ौ ो गक के संबंध म न न ल खत कथन पर वचार कर
म।
तीय।
म य पुरापाषाण काल क वशेषता मूल
औजार म व भ
उपरो
कार के
प से कं कड़ या कं कड़ से उ ह मारकर ा त गु
े से होती है
े पस बोरस और चाकू शा मल थे
म से कौन सा से कथन सही है ह
ए
के वल म बी
म और
तीय सी
के वल ii डी
कोई नह
.
न न ल खत म से कस पुराता वक
ए
बेलन घाट बी
भीमबेटका ग
नेवासा डी
पु कर
जवाब
.
सी
.
ए
.
सी
.
ए
.
ए
.
ए
.
ए
.
डी
.
बी
ल म पुरापाषाण म यपाषाण और नवपाषाण अवशेष मले ह
Machine Translated by Google
.
सी
।
ए
.
सी
.
डी
.
सी
.
सी
.
ए
.
सी
.
ए
.
डी
.
बी
.
बी
.
डी
.
बी
ए
.
अ यास
.
पाषाण युग के व भ चरण क
.
नवपाषाण युग मानव जा त के वकास म एक अ तीय
.
तकनीक
ा या कर उनक व श
मु य
वशेषता
और
येक से संबं धत मुख
ान य रखता है पांच उदाहरण के साथ व तार कर।
प से चालको ल थक चरण पूव हड़ पा सं कृ तय को संद भत करता है ले कन दे श के व भ
सं कृ त के अंत के बाद कट होता है।
ल का उ लेख कर।
या इस कथन म कोई ामा णकता है कारण स हत न द कर।
ह स म ता पाषाण चरण कां य हड़ पा
Machine Translated by Google
Machine Translated by Google
हड़ पा स यता सी।
ईसा पूव कां य युग क स यता
Machine Translated by Google
हड़ पा स यता द
। उपयु
ण ए शया क पहली शहरी स यता थी जो मेसोपोटा मया और म
तीन स यता
म से हड़ पा स यता ने अ धकांश
े
लगभग
क स यता
के समकालीन थी
वग कमी पर क जा कर लया।
पहले के इ तहासकार ने इस स यता को सधु घाट स यता कहा था ले कन तब से घ घर हाकरा बे ट म मुख ब तय
क खुदाई क गई है जो सधु
े से ब त आगे तक फै ली ई है। हड़ पा खोजे जाने वाले पहले पुराता वक
म इस लए पूरी स यता को इसका नाम दया गया है । यह भारत के
संबं धत है। जब क इसे एक ऐसी स यता के
ल के
प
ोटो इ तहास का एक ह सा है और कां य युग से
प म वग कृ त कया गया है जो चालको ल थक स यता
से पुरानी है कई
मायन म यह चालको ल थक युग म ब तय क तुलना म कह अ धक वक सत थी। हड़ पा स यता को तीन चरण म
वग कृ त कया जा सकता है
i
ारं भक पूव हड़ पा चरण सी.
तीय
iii
प रप व हड़ पा चरण सी.
उ र हड़ पा चरण सी.
−
−
−
ईसा पूव
ईसा पूव
ईसा पूव
एक सामा य समय सीमा न द क गई है य क व भ चरण के लए त थय म काफ भ ता है।
हड़ पा स यता के सभी चरण म एक न ववाद सां कृ तक नरंतरता मौजूद है फर भी वे एक सरे से थोड़ा भ ह।
ारं भक हड़ पा चरण जसे
े ीयकरण युग के
प म जाना जाता है हड़ पा स यता का ारं भक आ
था । यह ब तय के हाकरा चरण से संबं धत है और इस अव ध म ब तय को उनके कलेबंद
के काम मनके बनाने और धातु
गया है। और
ा टं ग प हया प रवहन के उपयोग म काफ उ
ापार नेटवक का अ त व। जेड को छोड़कर अ धकांश क
शहरी चरण
वशेष श प जैसे प
र
तर क वशेष ता ारा च त कया
े माल जो ारं भक हड़ पा ब तय म नह
पाए गए ह प रप व हड़ पा चरण म उपयोग कए जाने वाले समान ह। हालां क इसम प रप व हड़ पा चरण को प रभा षत
करने वाले बड़े शहर नह थे न ही इसम उतनी वशेष ता थी
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श प वशेष ता। ारं भक हड़ पा पुराता वक
क
म धोलावीरा प
ल म से कु छ गुज रात म पादरी राज
ान म कालीबंगन
म पंज ाब म हड़ पा ह रयाणा म बालाकोट आमरी और भराना कोट द जी और
गुमला ह। यह जोड़ना उ लेख नीय है क स
य सधु मैदान म कोई ारं भक हड़ पा
ल नह ह।
प रप व हड़ पा चरण या एक करण युग हड़ पा स यता का शहरी चरण था जो एक पूण वक सत स यता
क वशेषता
मु य
को दशाता है। यह यान रखना उ चत है क अयो य श द हड़ पा सं कृ त या हड़ पा स यता
प से इस प रप व शहरी चरण को संद भत करता है। इस त य को समझना भी उतना ही मह वपूण है
क सभी उ ख नत
अ य सभी
ल के लए हड़ पा सं कृ त या हड़ पा स यता श द के
ल हड़ पा के समान ह। यह के वल इस त य से संबं धत है क अ य
का एक ही मूल समूह है जैसे क व श लाल और काले म
मानक कृ त ट आकार और
योग का अथ यह नह है क
ल म हड़ पा भौ तक गुण
के बतन टे राकोटा मू तयां
अनुपात म
ज द।
हड़ पा स यता का अं तम चरण कहने के लए उ र हड़ पा चरण या
ानीयकरण युग शहर म गरावट से
प रभा षत शहरी के बाद का चरण था । यह हड़ पा स यता क अं तम अव ध है और एक करण युग क सं कृ त
के वखंडन को संद भत करता है। उ र हड़ पा चरण म पाँच भौगो लक
अलग अलग चरण ह प
म पंज ाब चरण क
े शा मल ह जनम से
येक के
तान एच सं कृ त पूव पंज ाब चरण झूक र चरण रंगपुर
चरण और गंगा यमुना दोआब चरण। उ र हड़ पा ब तयाँ प रप व हड़ पा क तुलना म छोट थ । प रप व
अव
ा से सं मण इस तरह से कोई अचानक व
सी मत लेख न घन भार क आवृ
े दन नह दखाता है ले कन मुहर
म
के बतन के
और इसी तरह धीरे धीरे प रवतन होता है। उ र हड़ पा क ब तयाँ भी
सं या म अ धक थ ले कन वे छोट और अ धक ामीण थ हालां क एक व वध कृ ष आधार ारा च त
कया गया था।
मह वपूण झूक र
ल झूक र च दड़ो और आमरी ह। रंगपुर चरण
म ह।
क सामा य वशेषताएं
लक
सौरा और मु य भू म गुज रात
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प रप व हड़ पा चरण
पुराता वक सा य से हड़ पा स यता के बारे म ब त कु छ पता चलता है जो सां कृ तक एक पता और
व वधता दोन से च त है। हड़ पा सं कृ त क उ प
पर अभी भी कोई पूरी तरह से वीकृ त स ांत
नह है ले कन आम तौर पर यह माना जाता है क यह या तो पूव हड़ पा वदे शी ामीण सं कृ त जो
अ धक उ चत
कोण हो सकता है से उभरा है या जैसा क सारवाद स ांतकार
गया है इसके कारण मेसोपोटा मया स यता क उ प
कोणीय था और तीन ाचीन शहरी स यता
। हड़ पा स यता के क जे वाला
म सबसे बड़ा था अ य दो ाचीन म
वतमान इराक थे। यह मोटे तौर पर आधु नक राज
ारा तक दया
े आकार म
और मेसोपोटा मया
ान पंज ाब ह रयाणा गुज रात और पा क तान को
कवर करता है।
नगर नयोजन
हड़ पा स यता अपने शहरी
कोण और नाग रक योजना और संगठन के प र कृ त अथ के लए जानी
जाती है। यादातर मामल म हड़ पा शहर को दो भाग म वभा जत कया गया था गढ़ उठा आ ह सा
यह ह सा एक छोटे से
े म फै ला आ
त था। यहाँ नगर के शासक नवास करते थे। इसम
• था और अ सर शहर के प म म
सावज नक भवन अ भंडार और मह वपूण कायशालाएँ भी थ ।
•
नचला ह सा शहर के इस ह से म आम नाग रक रहते थे और अपने पेशेवर जीवन को आगे
बढ़ाते थे।
शहर क योजना मोटे तौर पर एक
ड पैटन का पालन करती थी और सड़क उ र से चलती थ
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और समकोण पर काट। हड़ पा नगर योजना के व श पहलू इस कार ह सड़क चौड़ी थ मु य
सड़क दस मीटर चौड़ी थी और
शहर को आयताकार और चौकोर लॉक म वभा जत करती थी।
अंतराल पर लप पो ट थे। उ ह ने अ
गुण व ा क पक
ट क अनूठ वशेषता यह थी क सभी हड़ पा संरचना
म
का समान अनुपात था। समान
थी घर के लए
उनके पास एक उ कृ
ई ट का इ तेमाल कया और इस
म मोटाई चौड़ाई लंबाई के संदभ
प से हड़ताली ट के औसत आकार म एक पता
सेमी और शहर क द वार के लए
सेमी ।
जल नकासी णाली थी ना लयां मोटार चूने और ज सम से बनी थ
और आसान सफाई के लए बड़े ट लैब से ढक
ईथ।
घर ाय दो या दो से अ धक मं जल के होते थे हालां क आकार म भ ले कन काफ
नीरस। सड़क के सामने कोई खड़क नह थी और घर म टाइल वाले बाथ म थे। कु छ घर
म अपने कु एँ थे।
समाज
हड़ पा समाज एक शहरी समाज था जसम यादातर म यम वग शा मल थे। उ खनन कए गए घर
कम से कम तीन अलग अलग सामा जक समूह का सुझ ाव दे ते ह शा सत अमीर
ापारी और गरीब
मज र जो शहर के नचले ह से म रहते थे। हालाँ क हड़ पा समाज म वरासत क
कृ त के बारे म
इ तहासकार के बीच अभी भी कोई
वचार नह है। हड़ पा समाज क अ य व श
वशेषताएं थ
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•
हड़ पावासी कु हार के चाक के उपयोग म बड़े वशेष थे ले कन प
गरीब थे। मु य
प से लाल काले म
र के कला मक काय म
के बतन काले रंग के डजाइन वाले लाल बतन आमतौर
पर पेड़ और घेरे के बने लोक य थे। इनम से कु छ बतन का उपयोग अनाज या पानी के भंडारण
के लए कया जाता था जब क कु छ छ त बतन का उपयोग संभवतः क वत मादक पेय
बनाने के लए कया जाता था।
•
कई
ल पर ढे र सारे टे राकोटा मले ह जनम बैल भस कु े बंदर खलौना गाड़ी और इंसान
जैसे जानवर क मू तयाँ शा मल ह। टे राकोटा क चू ड़याँ भी मली ह। यह यान रखना मह वपूण
है क पु ष मू तय क तुलना म अ धक म हला मू तय को उजागर कया गया है।
•
हड़ पावा सय ने मनके बनाने क कला को प र कृ त कया और खुदाई म ा त आभूषण म हार
कं गन पडट झुमके
ोच स हत सोने और चांद के आभूषण शा मल ह। अ लाद नो कराची के
नकट म सोने चांद कान लयन और अ
क मती प
र से बने ब त सारे हार पाए गए ह।
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•
•
ताँबा काँसा चाँद और सोना ऐसी धातुए ँ थ ज ह हड़ पावासी जानते और इ तेमाल करते थे
ले कन लोहा नह था।
वे धातु व ान और म
धातु
के उ पादन म भी अ
े थे। श पकार शु
तांबे के साथ साथ
कां य जैसे भाले चाकू छोट तलवार दपण कु हाड़ी सुई अंगू ठयां और चू ड़याँ दोन से
कलाकृ तयाँ बनाते थे। यह ब क दलच
है क शु
तांबे क कलाकृ तय क सं या म
त
कां य क तुलना म कह अ धक थी ले कन इसका मतलब तकनीक पछड़ापन नह है ब क
सभी संभावना म सां कृ तक वरीयता क ओर इशारा करता है।
•
•
•
हड़ पा के लोग आमतौर पर सूती ऊन के कपड़े पहनते थे।
हड़ पावासी मांसाहारी भोजन पसंद करते थे। मछली खाना आम था। ध और दही का भी सेवन
कया।
सध और पंज ाब के हड़ पा समाज बड़े पैमाने पर गे ं और जौ का सेवन करते थे जब क रंगपुर
और सुरकोटडा के लोग चावल और बाजरा का सेवन करते थे।
•
हड़ पा ल प च ा मक और लोगो सले बक थी
येक तीक एक श द श दांश के लए खड़ा
था । हड़ पाकालीन लेख न बौ ोफे डन था यानी दाएँ से बाएँ और बाएँ से दाएँ बारी बारी से।
हड़ पा ल प को अभी तक पढ़ा नह जा सका है। हालाँ क एक सामा य ल प का माण महान
सां कृ तक एक करण क ओर इशारा करता है और
ई.पू. तक इसका आभासी
प से
गायब हो जाना लेख न के पया त नीचे क ओर आने क कमी का संके त दे ता है।
अथ व
हड़ पा अथ व
फलते फू लते
ा
ा के बारे म न कष इसके समकालीन मेसोपोटा मया और फारसी स यता
ापार संबंध से ा त ए ह। मेसोपोटा मया के लोग सधु दे श को मेलुहा कहते थे।
मेसोपोटा मया के
ंथ दलमुन शायद फारस क खाड़ी पर बहरीन माकन शायद मकरान तट ओमान
और मेलुहा नामक तीन म यवत
मह व है ।
के साथ
येक
ापा रक टे शन क बात करते ह। हड़ पा के संदभ म मुहर का वशेष
ापारी के पास शायद एक मुहर होती थी जस पर एक तीक होता था अ सर एक
धा मक च र और एक तरफ एक नाम सं
बनी एक वगाकार आयताकार प का थी। य
त ववरण होता था। मानक हड़ पा मुहर सेलखड़ी प
प इसका ाथ मक उ े य है
र से
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संप
के वा म व को च त करने के लए अनुमान लगाया गया है वे ताबीज के
सकते ह। हड़ पा
ापार नेटवक और अथ व
उ ह ने आंत रक और बाहरी
व नमय के मा यम से
ा के
प म भी काम कर
मुख पहलू इस कार ह
ापार कया। संचलन म कोई धातु धन नह था और व तु
ापार कया जाता था। अंतदशीय प रवहन म मु य
प से बैलगा ड़य
का इ तेमाल होता था।
जवान
सूसा और उर जैसे मेसोपोटा मया के शहर म हड़ पा क मुहर मली ह । न पुर म हड़ पा
ल प और एक यू नकॉन वाली एक मुहर मली है । हाल ही म फारस क खाड़ी के कु छ
ाचीन
ल जैसे फे लका और बहरीन से भी हड़ पा क मुहर मली ह।
मोहनजोदड़ो म मेसोपोटा मया कार क तीन सलडर मुहर पाई गई ह जो उनके
ापा रक
संबंध को रेख ां कत करती ह।
लोथल म बटन सील मली है।
च दड़ो और लोथल म मनके बनाने के कारखाने थे ।
इन कारखान के उ पाद नयात क व तुए ँ थ ।
लोथल म एक डॉकयाड क खुदाई क गई है और रंगपुर सोमनाथ और बालाकोट म समु
बंदरगाह पाए गए ह ।
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हड़ पा सं कृ त का एक उ लेख नीय पहलू वजन और माप के संदभ म इसका मानक करण और सट कता था। भार
कम मू यवग म एक
आधारी णाली का अनुसरण करता है
गुण क जैसे
बाट चट चूना प
लंबाई के माप फु ट
से
और फर
के दशमलव
और इसी तरह।
र और सेलखड़ी के बने होते थे और सामा यतः घनाकार होते थे ।
. सेमी हाथ
. से
. सेमी पर आधा रत थे। मोहनजोदड़ो म शंख का पैमाना मला
है सौरा म संभवत कोण को मापने के लए इ तेमाल क जाने वाली शंख क व तु मली है और लोथल म
हाथीदांत का पैमाना मला है ।
हड़ पा आयात
धातु
ोत
सोना
अफगा न तान ईरान कोलार द
ताँबा
खेतड़ी राज
टन
अफगा न तान ईरान
लापीस लाजुली
अफ़ग़ा न तान
जेड
पामीर
फ़रोज़ा
खुरासान
साबुन का प
बटु मन
नेतृ व करना
र
ान बलू च तान
तापी छाया ईरान
बलू च तान मेसोपोटा मया
द
ण भारत
े
ण भारत
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सधु घाट के
ापार माग
धम
हड़ पा स यता को एक धम नरपे
नह मली है। प व धा मक
समाज माना जाता है य क मं दर के
प म यो य एक भी संरचना
ल म मोहनजो दड़ो का वशाल नानागार शा मल है जहां सं ांत वग के
लोग ने आनु ा नक ग त व धय को अंज ाम दया जसम आनु ा नक नान भी शा मल था।
मू तपूज ा च लत थी। हड़ पा के लोग आम तौर पर पूज ा करते थे दे वी माँ पशुप त महादे व या
•
ोटो शव यादातर
•
एक उ वग
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वरीयता मुहर उसे एक यौ गक मु ा म दशाती ह
पशुप त शव
•
लगम लगम और योनी पूज ा
जनन
मता
Machine Translated by Google
•
•
•
•
उवरता दे वी
पीपल का
पेड़ कू बड़ वाला
बैल प ी कबूतर और कबूतर
एक स ग वाला गडा वा तव म गडा हो सकता है
हड़ पा क धा मक था
वेद पाई
के बारे म अ य मुख न कष इस कार ह कालीबंगन और लोथल म अ न
गई ह।
पशुप त महादे व क मुहर एक हाथी एक बाघ एक गडे एक भस और एक हरण से घरी ई
है और संभावना है क इन जानवर क भी पूज ा क जाती थी।
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शव को उ र द
ण दशा म रखा जाता था और आम तौर पर उनके साथ भोजन म
के
बतन आभूषण और उपकरण जैसी व तुए ं होती थ । ये व तुए ं समकालीन मेसोपोटा मया या
म
क सं कृ तय क तुलना म उतनी महंगी नह थ ।
दफनाने के तीन तरीक का इ तेमाल कया
•
पूण समा ध
•
आं शक दफन जहां ह य को इक ा कया गया था और शरीर को प
य और
जानवर के संपक म आने के बाद दफनाया गया था
•
दाह सं कार के बाद राख को दफन कर दया जाता है
हड़ पा म शव से भरे ताबूत मले ह।
कालीबंगन म बड़े कलश और म
अलावा एक
के बतन वाले छोटे गोलाकार ग े पाए गए ह। इसके
कोणीय टे राकोटा के क क खोज क गई है जसम एक तरफ एक स ग वाले
दे वता ह और एक जानवर को एक र सी के अंत म एक मानव ारा ख चा जा रहा है जो
सभी संभावना म पशु ब ल क ओर इशारा करता है ।
लोथल म नर और मादा कं काल का जोड़ा एक साथ खोजा गया है।
कृ ष
हड़ पा स यता कपास का उ पादन करने वाली सबसे पहली ात स यता थी। यूना नय
म सधन के
ारा सध के
प
प म जाना जाता है । सधु के मैदान म लोग ने नवंबर म बाढ़ के मैदान म बीज बोए जब
बाढ़ का पानी घट गया और अगली बाढ़ आने से पहले अ ैल म उनक गे ं और जौ क फसल काट ।
उ ह ने अपने पेट भरने के लए पया त खा ा का उ पादन कया और अ धशेष खा ा को कोठार म
जमा कर दया गया। हड़ पावा सय क कृ ष प
हड़ पावासी गे ं वशेषकर मेहरगढ़ म
महद मेहंद
तय से संबं धत व श
वशेषताएं नीचे उ ल खत ह
जौ कु लथी मटर खरबूज े तरबूज तल खजूर बाजरा अंगूर
लहसुन उगाते थे। सरस चावल लोथल ।
•
•
जहां भी संभव आ उ ह ने नद और समु
मोल क गुज रात के लोग के तट य
संसाधन का भी दोहन कया। उदाहरण के लए
ल म एक मह वपूण ोट न यु
खा त व थे।
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•
•
हड़ पावासी बड़े पैमाने पर जानवर को पालते थे । मवे शय बैल भस बकरी कू बड़ वाले बैल भेड़
सूअ र गधे ऊँ ट के अलावा ब लय और कु
घोड़े का नय मत
को भी पालतू बनाया गया था।
प से उपयोग नह कया जाता था ले कन हड़ पावासी हाथी और गडे से अ
प र चत थे। यह यान रखना उ चत है क हड़ पा सं कृ त अ
•
मू तय म अ सर बाघ का
वभ
•
म
के बतन के च
तरह
क त नह थी।
त न ध व कया जाता था ले कन त ए लभ थे।
पर खरगोश मोर ब ख कबूतर जंगली प ी और बंदर आसानी से दे ख े
जा सकते ह।
कालीबंगन म संभवतः लकड़ी के हल क सहायता से जोते गए खेत क खोज क गई है। हल के टे राकोटा
मॉडल बनावली और बहावलपुर म पाए गए ह ।
•
सुरकोटदा म घोड़ के अवशेष और रोपड़ म क
म कु
के अवशेष मले ह।
पतन
हड़ पा स यता का पतन मोटे तौर पर
प से डी शहरीकरण के लए
ईसा पूव के आसपास आ है ले कन कोई भी पुराता वक सा य सट क
ीकरण दान नह करता है। प रप व चरण के बाद उ र हड़ पा चरण आया।
हड़ पा स यता के पतन के संभा वत स ांत इस कार ह
कारण
आय आ मण
पा र
तक गड़बड़ी
नद के माग म प रवतन
कम वषा
इ तहासकार
हीलर गॉडन
फे यरचाइ
डे स एमएस व स एच.ट
लै
बीर पीने के लये म
क
का याला
बाढ़
मैके एसआर राव डीपी
घाघर का सूख ना और बढ़ना
अ वाल और सूद
शु कता
भूकं प
ाकृ तक आपदाएं
राई स और डे स
के एआर कै नेडी
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स
हड़ पा
साइट
हड़ पा
ल
रा य
पा क तान
नद
रव
खोदक मशीन
दयाराम
सा हनी
पंज ाब
ेश लट
क दो पं
याँ
छह अ भंडार
ताबूत दफनाने और
क
तान के सा य
एच सं कृ त
सगल
म बैरक
एक नाचती ई लड़क
क दो लाल
प
र क मू तयाँ
और न न
पु ष म हला
जननांग
का ब ट।
य
ापार का
सा य
इंटरै
न
साथ
मेसोपोटा मया।
डाक
दाह सं कार
अ धक समा ध
ब त।
मोहन
जोदड़ो
पा क तान
सध
सधु
तृतीय
म ट
बनज
मृतक का ट ला
पलर
ई. माके
असबली हॉल ेट बाथ
काशीनाथ
सावज नक
द
त सर
जॉन
पुज ा रय का
माशल
कॉलेज ।
ल
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बड़ा अ भंडार
का टु क ड़ा
बुना आ कपास
कपड़ा
का सतही माण
घोड़ा
पीतल
नृ य करती ई लड़क
कु छ नवा सय क
हसक मौत
एक साथ मानव
कं काल क खोज
नाकाबंद करना
का
तनधव
मां
दे वी
पशुप त दाढ़
वाला आदमी
और एक
ीक बल
द
जाएगी।
जहाज बड़ी नाव
के सा य म
के
गोद क
लोथल
गुज रात
भोगव व
एसआर राव
चू ड़याँ
अहमदाबाद
साबरमती
जला क खाड़ी
नद
मह वपूण समु
ापार क और
के सर पर
संगम हे
मनके बनाने
का
कै बे
कारखाना
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नगर म
वभा जत नह है
दो से टर
शहर छह म
बांटा गया है
से टर और
से
येक
न
अ तीय ट के
एक व तृत मंच पर
बनाया गया
था
चावल क भूसी के
अवशेष
साथ मकान
वेश चालू है
मु य सड़क
अ य सभी साइट
के घर म साइड
एं
थी
एक जार पर
च कारी जो
चालाक लोमड़ी
क कहानी से
मलती जुलती है
पंचतं
दोहरे दफ़नाने के
सा य पु ष और
म हला एक
साथ ।
ट से बना टक
जैसा
संरचना
से सील
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मेसोपोटा मया यहाँ
पाया जाता है
यहाँ हाथीदांत
का पैमाना मला है
टे रकोटा
जहाज का मॉडल
मला है
शहर के नचले
ह से म
चारद वारी है
अ न वेद
कालीबंगा
काला
चू ड़याँ
राज
ान Rajasthan
घ गर
अमलानंद घोष
गंगानगर
जुता आ खेत
अ न वेद
डॉ. बी.बी
लाल और बी.
के . थापर
ब लदान के
पंथ क था को
दशाती है
बड़े पैमाने पर ट
के अवशेष
दोन गढ़ के चार
ओर द वार
और नचला
क बा
ऊँ ट क ह याँ
के
पमअ
तरह से नयो जत और
संग ठत नह है
मोहन
दारो म जल नकासी
क
व
नह थी
ा तक
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गोलाकार
और आयताकार
क
म अं ये
का माण दे ता
है
पूव
खुदाई के नचले
तर पर हड़ पा स यता
और प रप व
खुदाई क ऊपरी परत
पर हड़ पा
सजावट
म यु
ट
के वल इस साइट पर
फश
च
जोदड़ो
पा क तान
सध
मोहन
जोदड़ो
नकट
सधु
एनजी
इसम से शेष
मजूमदार
पूव हड़ पा
और ई. माके
और प रप व हड़ पा
सं कृ त
दोन ।
मनका कारखाने साइट
के
प म ब त सारे
मोती मुहर
गहने
पता लगाया
रहने वाले
अ
े कारीगर थे।
कोई ढ़ नह
संरचना
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के वल
हड़ पा शहर बना ए
गढ़
के सबूत
इंसान
याग करना
चार का म
मॉडल
का
हीलर
छत वाले रथ का
कां य मॉडल
रंगपुर
गुज रात
इसम से शेष
मदार नद एमएस व स
पास म
एसआर राव
लोथल
पूव हड़ पा
और प रप व हड़ पा
सं कृ त
दोन पूव
हड़ पा के
लोग के
पीले और भूरे रंग
के गु
बनावली
हसार
हरयाणा
रंगोई
आरएस ब
े।
पूव हड़ पा प रप व
हड़ पा और
साथ ही
उ र का क
हड़ पा स यता
उ
गुण व ा वाली
जौ
चीनी म
क चीज़
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सेलखड़ी क मुहर
अ न वेद
हल का म
का
मॉडल
मुहर के वल नचले
नगर म पाई जाती
ह ग म नह
आलमगीरपुर मेरठ यूपी हडन
वाई.डी.
दे र
शमा
हड़ पा सं कृ त
एक ोणी पर कपड़े
क छाप
म
के बतन और
माला
को ट द जी
सध
सध
घुरे
पूव
हड़ पा
पा क तान
फजल
प
ल
र का बना घर
अहमद
बल
ारा न शहर
अमरी
सध
सध
घुरे
पूव हड़ पा ब ती
फजल
सं मणकालीन
अहमद
सं कृ त
पा क तान
ी और पो ट के
बीच
हड़ पा सं कृ त
गडे के
वा त वक
अवशेष नशान
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झांगर
सं कृ त म
दे र
हड़ पा और अ न
वेद ।
रोपड़
पंज ाब
सतलुज
भारत
वाई.डी.
क
तान सील
शमा
म
का बतन।
मु य
प से
प र और
म क
इमारत।
मानव के नीचे कु े
को दफनाने के
सा य
जेपी जोशी
सुरकोटदा गुज रात
घोड़े क
ह याँ और
भुज
क
सू गदर सध
पा क तान
बलू च तान
तान।
द त दशक
ए टन
राख भरा आ
नद
जॉज
डे स
बतन तांबे क
कु हाड़ी म
क
चू ड़याँ और म
के बतन
मूल
प से एक
बंदरगाह था ले कन
बाद म तट य उ
ान
के कारण समु
से कट गया और
बेबीलोन के साथ
ापा रक संबंध
थे।
धोलावीरा
गुज रात
जेपी जोशी
वशाल जल भंडार
अ तीय जल संचयन
आकार के
Machine Translated by Google
च होते हएच
एक समान
ट
टोआ
साइनबोड डी।
एच अ पन
सी अ टु र ई के
सभी तीन चरण
दखाता है।
लाज एससी
एलेयूज ऑफ
सड टोनअलोन
वथमड क के .
राखीगढ़
हरयाणा
नई खोज के
पास म
साथ
हसार
अ धक
भरराना
दो
फतेहगढ़
अतर
हे टे यर से
ट ले
इसे सबसे
बड़ा आई इंडस
वैली सी
इ वलाइजेशन
साइट और टू
नांथेव
डी बनाते ह।
हड़ पा
सं कृ त के तीन
चरण को दशाता
है।
Machine Translated by Google
भरराना म एक
मोट मजबूत
लाल मृदभांड क
खं डत कलाकृ त
मली है जसम एक
उके री ई
म हला आकृ त है
जसम कां य
के समान एक मु ा
है।
मोहन
जोदड़ो
नृ य करती ई
लड़क ।
हड़ पा
म
शतरंज बोड णाली उ कृ
जल नकासी
व
मेसोपोटा मया
क ब म बेतरतीब वृ
दखाई दे ती है।
ा के साथ
नयो जत शहर।
हड़ पा के सभी शहर म ट से बने
बाथ म और कु
के साथ साथ
ऐसा नगर नयोजन अनुप
त है।
उनक सीढ़ वाले आयताकार घर
पाए जाते ह।
अपने व श
म
के बतन
ऐसा कोई अनूठा पहलू नह ।
और मुहर का नमाण कया।
अपनी व श
ल प का
मेसोपोटा मया म यू नफॉम ल प है और म
आ व कार कया जो म और
मेसोपोटा मया क ल पय से कोई
ल प को च ल प के
ल पय को पढ़ लया गया है जो हम स यता
समानता नह रखती।
बारे म ब त कु छ बताती ह।
क
प म जाना जाता है। दोन
के
Machine Translated by Google
मेसोपोटा मया के लोग ने नम म
ल प यादातर मुहर पर है।
अ र को दबाया जब क म
क गो लय पर
के लोग ने नरकट से
बनी पपीरस शीट पर लखा।
ईसा पूव के बाद भी अ त व म रहा।
ईसा पूव के बाद अ त व के
कोई संके त नह ।
ापक
े म फै ला आ है।
हड़ पा क तुलना म कम
हड़ पा सं कृ त का उ र शहरी चरण उ र हड़ पा चरण सी.
ई.पू.
े ।
ई.पू.
प रप व हड़ पा चरण के बाद उ र हड़ पा चरण आया जसे शहरी जीवन क गरावट और कृ ष के
व वधीकरण ारा च त कया गया था। हड़ पा स यता क शैलीगत एक पता लु त हो गई और हड़ पा के
बाद के चरण म ती ण शैलीगत व वधता दखाई द । प रवतन और नरंतरता का एक ज टल पर
नगरवाद के त व जैसे मुहर व श
तरह से गायब नह
श प शहर लंबी री का
ए। उ र हड़ पा म बचे कु छ शहरी क
र
या थी।
ापार और इसी तरह कम हो गए ले कन पूरी
म चो ल तान म कु दवाला गुज रात म बेट ारका
और दै माबाद थे। इस चरण म एक मुख वकास दोहरी फसल क शु आत थी गे ं और जौ को स दय क
फसल के
प म और चावल बाजरा और वार को ग मय क फसल के
प म उगाया जाता था। इस अव ध
क अ य मुख वशेषताएं थ इस चरण म गरावट वाली सं कृ त को उप सधु सं कृ त भी कहा जाता है।
इस चरण क
ामीण ब तयाँ मु य
प से ता पाषा णक ह
कृ त।
उ र शहरी हड़ पावासी गांव म रहते थे कृ ष टॉक
ापना शकार और मछली पकड़ने पर
नवाह करते थे।
इस अव ध म च त हड़ पा म
के बतन को कम ज टल डजाइन और च त े वेयर
पीजीड यू से बदल दया गया है। सभी उ र हड़ पा
प रप व हड़ पा म
ल म मानव मू तय का अभाव है।
के बतन क तुलना म उ र हड़ पा चरण म म
के बतन कम चमक ले थे।
बतन अ धक मोटे और मजबूत थे और कई व श हड़ पा आकार जैसे छ त जार एस आकार के
जार गायब हो गए।
Machine Translated by Google
लंबाई मापने के लए कोई व तु नजर नह आती ।
यह अव ध प
म ए शयाई क
के साथ हड़ पा
ापार के अंत का तीक है
लाजुली चट कान लयन मोती तांबे और कां य के बतन या तो अनुप
व तु
के
य क लै पस
त ह या
ापा रक
प म लभ ह।
इस चरण से संबं धत मह वपूण
ान भास पाटन सोमनाथ रंगपुर गुज रात
वात घाट
ज मू म मांडा पंज ाब म संघोल ह रयाणा म दौलतपुर आलमगीरपुर यूपी म लास ह।
नवीनतम वकास IIT खड़गपुर
एक।
और भारतीय पुरात व सव ण ASI के वै ा नक ने सबूत का खुलासा कया है
क सधु घाट स यता कम से कम
पुरानी म
BCE
मेसोपोटा मया
बी।
साल
BCE से पहले जड़ जमा चुक ह । और
ईसा पूव
ईसा पूव स यताएँ। या अ धक है
शोधकता
को एक पूव हड़ पा स यता के
कम
वष तक मौजूद थे।
माण मले ह जो इससे पहले कम से
स यता पा क तान म हड़ पा और मोहनजोदड़ो और भारत म लोथल धोलावीरा
और कालीबंगन के
जैसे अ य भारतीय
सी।
साल पुरानी है न क
ात
ान के अलावा ह रयाणा म भरराना और राखीगढ़
ल तक फै ली ई है।
वै ा नक का मानना है क वे यह भी जानते ह क लगभग
साल पहले
स यता य समा त ई जलवायु प रवतन। सधु घाट के लोग ब त ढ़ और
लचीले थे और गरते मानसून के बावजूद भी वक सत होते रहे। लोग ने सघन
मॉनसून के आरं भक भाग म गे ँ और जौ जैसे बड़े दान वाले अनाज से बाद के
भाग म चावल जैसी सूख ा
तरोधी जा तय के लए अपने फसल पैटन को
ानांत रत कर दया। जैसे जैसे उपज कम होती गई प रप व हड़ पा काल क
संग ठत बड़ी भंडारण णाली ने रा ता दया
Machine Translated by Google
वे कहते ह क अ धक
गत घरेलू आधा रत फसल सं करण और भंडारण णा लयां
स यता के शहरीकरण के लए एक उ ेरक के
प म काय करती ह न क अचानक पतन
के लए।
या आप जानते ह
एक।
प क
ट हड़ पा सूख ी ट म
पक
हड़ पा स यता के समय सध और राज
ई ट मेसोपोटा मया सुमे रया
ान आज क तरह
बी।
रे ग तानी इलाके नह थे।
सी।
मोहनजोदड़ो के वशाल नानागार म अनु ा नक नान कया जाता था।
डी।
समकालीन सुमे रयन शहर ने भी हड़ पा के समान खा ा का उ पादन कया और उ ह
जानवर को पालतू बनाया ले कन गुज रात म हड़ पा के लोग ने चावल और पालतू हा थय
का उ पादन कया जो मेसोपोटा मया के शहर के लोग के मामले म नह था।
इ।
एफ।
हड़ पा नवासी चाक का उपयोग करना जानते थे ले कन तीली वाले प हए का नह ।
हड़ पा म कोई मं दर या धा मक संरचना महान नानागार को छोड़कर नह मली है। ब त
संभावना है क हड़ पा म कसी भी पुज ारी का शासन नह था जैसा क उ ह ने मेसोपोटा मया
म कया था।
घ
हड़ पावा सय के पास ह थयार नह थे।
सधु
दे वता
े के नवासी पेड़ जानवर और मनु य के
प म दे वता
को मं दर म नह रखा जाता था जैसा क ाचीन म
क पूज ा करते थे ले कन
और मेसोपोटा मया म कया
जाता था।
म।
टे राकोटा आग से पक
ई म
क म
से बनी मू तय को संद भत करता है। हड़ पा के
मामले म म हला टे राकोटा मू तय क सं या पु ष मू तय से अ धक है।
जे।
हालां क हड़ पा सं कृ त कां य युग क सं कृ त थी फर भी उ ह ने सी मत पैमाने पर और
बड़े पैमाने पर कां य का इ तेमाल कया
Machine Translated by Google
प
क।
र के औजार का योग करते रहे।
उ र भारत म हड़ पा के कसी भी
ल से रागी या रागी नह मले ह।
एल
शोतुघई अफगा न तान म हड़ पाकालीन
ापा रक चौक है।
एम।
पूव हड़ पा चरण कोट डगी आमरी हड़ पा कालीबंगन बनवाली प रप व चरण हड़ पा
मोहनजो दारो च दड़ो कालीबंगन
पछले साल के
.
ी ल स से
न न ल खत म से कौन सा सधु घाट स यता के लोग क वशेषता ल ण है म।
उनके पास बड़े महल और मं दर थे। वे पु ष और म हला दोन दे वता
तीय।
क पूज ा करते थे।
वे यु
म घोड़
ारा ख चे जाने वाले रथ का योग करते थे। तृतीय।
नीचे दए गए कू ट का योग कर सही कथन कथन का चयन कर।
a के वल ii b के वल
c i ii और
iii d
ऊपर दए गए कथन म से कोई भी सही नह है।
.
सधु घाट स यता के संबंध म न न ल खत पर वचार क जए
बयान
म।
तीय।
यह मु य
प से एक धम नरपे
इस काल म व
स यता थी और धा मक त व हालां क मौजूद थे
नमाण के लए कपास का योग कया जाता था
य पर हावी नह थे।
Machine Translated by Google
भारत म। ऊपर दए गए कथन म से कौन सा से सही है ह
म और
ए के वल म बी के वल ii सी
तीय दोन डी
न तो म और न ही ii
.
सूची I को सूची II से सुमे लत क जए और नीचे दए गए कू ट का योग कर सही उ र चु नए
ाचीन जगह
ए लोथल
म खोज रहा
ँ। जुता आ खेत ii.
बी कालीबंगन
डॉकयाड iii. हल क
सी धोलावीरा
टे राकोटा
डी बनावली
ल प के दस बड़े आकार के च ह।
तकृ त iv. एक शलालेख जसम हड़ पा
कोड् स
ए
ऐ बी
ए
तीय सी iii डी iv बी
तीय
सी iv डी iii सी
ऐ बी ii सी iv डी iii डी
ए
.
तीय
सी iii D iv हड़ पा
मू तकला क मुहर और टे राकोटा कला म न न ल खत म से कस जानवर का
ए
गाय
बी
हाथी ग
गडा डी
चीता
जवाब
.
बी
.
सी
त न ध व नह कया गया था
Machine Translated by Google
.
बी
.
०ए
पछले साल क मे स से
.
भारतीय उपमहा प क
ाचीन स यता म
क इसक सं कृ त और परंपरा
.
मेसोपोटा मया और यूनान क स यता
को आज तक बना कसी टू ट फू ट के संर
सधु घाट स यता म नगर नयोजन क
मुख वशेषता
अ यास
.
के बारे म ल खए।
ारं भक
जहाज का टे राकोटा मॉडल पाया जाता है a
लोथल ब
हड़ पा सी
मोहनजो दड़ो डी
आलमगीरपुर
.
त रखा गया है। ट पणी।
सधु घाट स यता क शहरी योजना और सं कृ त ने कस हद तक वतमान शहरीकरण को इनपुट दान कया है
चचा करना।
.
से इस मायने म भ थी
एक प
ए
र को काट कर बनाए गए जलाशय क खोज क गई है
सुरकोटदा बी
कालीबंगा
Machine Translated by Google
सी
धोलावीरा डी
हड़ पा
.
न न ल खत का मलान कर A.
हड़ पा B. दै माबाद
म। तांबे का हाथी ii. कां य नृ य
करने वाली लड़क iii। ग के बाहर अ
C. मोहनजोदड़ो D. कालीबंगा
भंडार iv. अ न वेद
a
ए ii बीआई सी iii डी iv बी
ऐ बी ii सी iii डी iv सी
ए iv बी iii सी ii डीआई डी
A iii Bi C ii D iv न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
मानव न मत पहला बंदरगाह हड़ पा म पाया गया था।
म।
तीय।
स ु घाट स यता क मु य फ़सल गे ँ और जौ थ । तृतीय।
भारत म सबसे बड़ी हड़ पा ब ती ह रयाणा म राखीगढ़ है।
iv.
सबसे अ धक ब तयाँ घ घर हकर घाट म ह। ए म और
उपरो
तीय बी
सभी सी ii iii
और iv डी
उपरो
.
म से कोई भी
न न ल खत से मेल नह खाता A.
मोहनजो दारो B. च
दारो
म। दया राम साहनी ii. एसआर
राव
C. हड़ पा D. लोथल
तृतीय। आरडी बनज iv.
एमजी मजूमदार
ए
ए iii बी iv सीआई डी ii बी
ए iii बीआई सी iv डी ii सी
ऐ बी ii सी iii डी iv
Machine Translated by Google
डी
.
ऐ बी ii सी iv डी iii न न ल खत
का मलान कर i। घ गर ii. र व
A. मोहनजोदड़ो B.
कालीबंगा C. लोथल
तृतीय। सधु
डी हड़ पा
iv. भोगव अ
ऐ बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी iv सीआई डी ii सी
ए iii बीआई सी iv डी ii डी
A ii B iii C iv Di न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
लोथल और रंगपुर से चावल क भूसी मली है।
म।
तीय।
कालीबंगन म फश म यु
अलंकृ त ट के सा य मले ह। तृतीय।
बनावली से हल का एक म
iv.
का मॉडल मला है।
मोहनजो दारो से एक दाढ़ वाले आदमी क सेलखड़ी आकृ त बरामद क गई है। ए
उपरो
सभी बी ii और
iii सी
उपरो
म से कोई नह डी i
ii और iii न न ल खत
.
से मेल खाते ह i.मोहनजो दारो
ii.चा
दड़ो
ए महान नान
बी। बना गढ़ के
iii.लोथल
सी. डॉकयाड डी.
iv.हड़ पा
बलुआ प
ए
र से बनी नतक
ऐ बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बीआई सी ii डी iv सी
A ii B iii C iv Di d
ऐ बी iv सी iii डी iii
.
न न ल खत कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
Machine Translated by Google
सही।
च
म।
तीय।
दड़ो म टू टे ए हाथी दाँत को तराजू के
दफनाने के दौरान शव को उ र द
प म योग कया जाता था।
ण दशा म रखा जाता था। iii.
मोहनजोदड़ो का वशाल नानागार a i ii और iii b ii
और iii c ii और iv
d
उपरो
सभी न न ल खत
कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
म।
तीय।
. सही है।
उवरता दे वी उवरता पंथ म लोग के व ास को दशाती है।
हड़ पा स यता के क जे वाला
े
कोणीय आकार का था। तृतीय।
सुरकोटड़ा से घोड़े के अवशेष मले ह।
iv.
लोथल म पंचतं क चालाक लोमड़ी क कहानी से मलती जुलती एक जार पर प टग मली है।
ए म और चतुथ बी
उपरो
सभी सी
उपरो
म से कोई नह d iii
के वल न न ल खत
कथन पर वचार कर और उपयु
म।
तीय।
. वक प का चयन कर।
हड़ पा ल प को च ा मक माना जाता है।
ल प बू ोफे डोन थी जसे वैक पक पं
य म बाएं से दाएं और दाएं से बाएं लखा जाता था। तृतीय।
हड़ पा स यता क ल प अभी तक पढ़ नह जा सक है। ए म ii iii बी ii iii के वल सी
म iii के वल डी
उपयु
म से कोई भी हड़ पा
ल के बारे म न न ल खत कथन पर वचार न कर और
. उपयु
चुन।
Machine Translated by Google
हड़ पावासी घोड़ के बारे म जानते थे ले कन यह घोड़ा क त नह था।
म।
अ भंडार और गढ़ के बीच गोलाकार चबूतरे क एक
तीय।
ृंख ला पाई गई है जसका उपयोग अनाज को पीटने
के लए कया जाता था। तृतीय।
ग और चबूतरा भीड़ भाड़ वाले एक कमरे के आवास थे जो गुलाम के नवास का सुझ ाव दे ते ह। फश ज सम
और मोटार के साथ ट से बना है a i ii iii के वल b ii iii
iv.
iv के वल c i ii के वल iv d i ii iii iv के वल न न ल खत साइट और उनके सं
मलान कर
ापक का
. i. च ंदरो
एएसआर राव
बीएनजी मजूमदार सीए घोष
तीय। कालीबंगन iii.
लोथल
iv. बनवाली
डीआरएस व
ए i सी ii ए iii डी iv बी बी म ए
ii बी iii सी iv डी सी म बी ii सी iii
ए iv डी डी म B ii A iii C iv B
न न ल खत कथन पर वचार क जए और
उपयु
म।
उ र चु नए
हड़ पा के म
. हड़ पाकालीन म
के बतन के बारे म।
के बतन गहरे लाल या चमक ले लाल रंग के होते ह और अ
तरह से पके
ए और समान
प से मजबूत होते ह।
तीय।
हड़ पा के म
के बतन मु य
प से चाक से बने होते ह जनम च त और सादे बतन दोन होते ह सादे
क म अ धक सामा य होते ह। तृतीय।
हड़ पा के मृदभांड च र म कम उपयो गतावाद थे। a के वल i ii iii b ii iii
के वल c i ii के वल d
इनम से कोई नह
क धा मक था
सधु घाट स यता.
के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर।
Machine Translated by Google
सधु के लोग पेड़ और जानवर के
म।
तीय।
प म दे वता
क पूज ा करते थे।
लोग बुरी ताकत म व ास करते थे और उनके खलाफ सुर ा के
प म ताबीज का इ तेमाल
करते थे। तृतीय।
मुहर म पशुप त को योग मु ा म बैठे ए दखाया गया है।
iv.
लग पूज ा के
चलन के पया त माण ह। a के वल i ii iv b के वल ii iii iv c के वल i
iii d i ii
iii iv के वल सधु घाट
के बारे म न न ल खत
कथन पर वचार
क जए
.
स यता।
स ु घाट के एक भाग से जौ ा त आ है
स यता ल
म।
तीय।
सधु घाट स यता के लोग म
के बतन बनाते थे। तृतीय।
सधु घाट स यता के लोग अ य दे श के साथ
कथन सधु घाट स यता के बारे म स य है ह
ापार करते थे उपरो कथन म से कौन सा से
a के वल i b के वल ii c i ii और iii d
के वल iii सधु घाट के बारे म
न न ल खत
म से कौन सा
कथन गलत है
.
स यता
ए
सधु घाट स यता के लोग धातु व ान का अ यास करते थे। बी
ह रयाणा
े म इस स यता का कोई
ल नह मला है। सी
सधु घाट स यता के लोग के लए जाने जाने वाले जानवर म कू बड़ वाला बैल गडा हाथी घोड़ा
शा मल ह। डी
उपरो
सभी
.
हड़ पा स यता का सबसे बड़ा
ल कौन सा है
Machine Translated by Google
ए
राखीगढ़ बी
हड़ पा ग
लोथल डी
धोलावीरा
.
सधु घाट स यता के संबंध म न न ल खत म से कौन सा कथन स य नह है
ए
हड़ पा क खुदाई का
ेय आरबी दया राम साहनी को दया जाता है
सधु घाट के लोग कताई और बुनाई क कला से प र चत नह थे c
बी
आम तौर पर घर म एक खुला आंगन और कु आं होता था d
मोहनजोदड़ो म कांसे क नृ यांगना क खोज क गई सधु घाट स यता क मु य वशेषता
टाउन ला नग ेनेज
म।
स टम
तीय।
तृतीय।
अ
ए म और
तरह से बनी सड़क
तीय बी म
के वल सी
म ii iii डी
उपरो
म से कोई भी चावल
क खेती और गोद बाड़ा हड़ पा
ए
. के
ल से जुड़ा नह है
कालीबंगा ख
हड़ पा ग
रोपड़ डी
लोथल
.
सधु घाट के लोग कसका उपयोग जानते थे a
सोना तांबा कां य ले कन लोहा नह बी
चांद लोहा सोना ले कन कां य नह सी
चांद सीसा लोहा ले कन तांबा नह d
सोना टन कां य ले कन चांद नह
.
थी।
Machine Translated by Google
साइट
अथ
मृतक का ट ला
म। मोहनजोदड़ो ii.
कालीबंगन ए
म
क चू ड़याँ
दोन सही सुमे लत ह बी
के वल म सही ं सी
के वल ii सही है डी
इनम से कोई भी सही सुमे लत नह है।
.
धातु
ोत
i खेतड़ी ii
ए लापीस लाजुली
बी जेड
अफगा न तान iii
सी कॉपर डी
कोलार iv
गो
पामीर
ए
ऐ बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बीआई सी ii डी iv सी
ए ii बी iv सीआई डी iii डी
ऐ बी iv सी iii डी iii
भारत म न न ल खत हड़ पा
।
ल म से ह ए
मोहनजो दारो और हड़ पा बी
बनवाली और च
दारो ग
लोथल और कालीबंगन डी
लोथल और कोटद जी सधु
ए
घाट स यता काल के दौरान वजन और माप के लए इ तेमाल क जाने वाली भावी सं या
बी
सी
जवाब
डी
थी
Machine Translated by Google
.
ए
.
सी
.
डी
.
सी
.
ए
.
सी
.
ए
.
ए
.
डी
.
बी
ए
.
ए
सी
सी
सी
.
.
. डी
.
.
. बी
.
. ए
डी सी
ए
बी
.
. ए
.
सी
.
.
.
सी
डी
।
अ यास
.
सामा जक आ थक कृ ष
मे स
ापार और वा ण य धा मक सभी पहलु
म हड़ पा के लोग क जीवन शैली न के वल पछले पाषाण युग
क सं कृ तय पर उ त क आभा ारा च त क गई थी ब क इसने अपनी समकालीन स यता
को भी ढक लया था।
Machine Translated by Google
उपयु
.
.
.
उदाहरण के साथ व तार कर।
व भ मह वपूण हड़ पा
ल और उनके मह व को पहचान।
हड़ पा युग म
ापार उतना ही ासं गक था जतना आज है। हड़ पा अथ व
व भ पहलु
जैसे मुहर बाट व भ हड़ पा आयात के बारे म
कर।
हड़ पा स यता के पतन के संभा वत कारण या थे हड़ पा काल के बाद क
का भी उ लेख क जए।
ा से संबं धत
मुख वशेषता
Machine Translated by Google
Machine Translated by Google
वै दक युग ऋग वै दक और बाद के वै दक
ईसा पूव
सी।
Machine Translated by Google
हड़ पा सं कृ त के बाद एक और महान स यता और सं कृ त आई जसे वै दक सं कृ त के
युग कहा जाता है य क इसका पुन नमाण मु य
हालां क पुराता वक
ोत ने भी ंथ को पूरक बनाया है हालां क
रच यता माना जाता है। इंडो आयन श द मूल
ईरानी शाखा के एक उप समूह के व ा
जातीय श द
ुप
प से वै दक ंथ को
शा ीय
ापक
प म उपयोग करने पर आधा रत है ।
प से नह । इंडो आयन को वै दक ंथ का
प से एक भाषाई श द है और भाषा
के इंडो यूरो पयन प रवार क इंडो
को संद भत करता है। ऋ वेद के संगीतकार खुद को आय बताते ह एक सां कृ तक
प से अर से लया गया है जसका अथ खेती करना है जसका शा दक अथ है र तेदार या
साथी सं कृ त म इसका अथ है अनुकू ल
प से नए आने वाले और बाद म इसने अ
आय के मूल घर पर अभी भी कोई आम सहम त नह है और व भ
रखते ह। व भ
ोत के
प म जाना जाता है। इसे वै दक
े प रवार के पु ष को कु लीन कहा ।
स ांत को पो ट कया गया है जो आगे बहस जारी
स ांत इस कार ह
अ भधारणाएं
यूरोप का
ारा सम थत
सर व लयम
स ांत महा प यूरोपीय स ांत आय क मातृभू म है।
जो स
ीक लै टन जमन गॉ थक से टक और सं कृ त भाषा
के इंडो
यूरोपीय प रवार क तुलना मक भाषा व ान के आधार पर हम कु छ
संरचना मक समानताएं और सजातीय समान संबं धत
श द पाते ह। उदाहरण के लए सं कृ त श द मातृ और पतृ
लै टन मेटर और पटर के समान ह । इसी कार ह ी तुक भाषा
का इनार वेद के इ
के समान है। क साइट मेसोपोटा मया के
शलालेख के सूय और मा तश वै दक सूय और म त के समक
ह।
जाइ स
हंगरी
ोएडर
ांस पी.
नेह रग
एस.
स
मॉगन प
साइबे रया
इंडो आयन भारत से आए थे
टे पीज़
मी
Machine Translated by Google
यूरे शया वे अध खानाबदोश लोग थे और पूव यूरोप के मैदानी
इलाक से आए थे वशेष
प से काला सागर के उ र म
े ।
क य
म य ए शया आय क मातृभू म है।
मै स मुलर
म य ए शया
ए शयाई
ल खत
अवे ता ईरानी पाठ और वेद के तुलना मक अ ययन के साथ
ई मेयर
कोई न के वल श द ब क अवधारणा
हजफे
के बीच भी उनके बीच
भाषाई संबंध पाता है।
ह और स के बीच व नमेयता और इस प रवतन म हे टा ह
स त सधु अ रा असुर हाओमा सोमा दाहा दसा के
म अ व सनीय
कला मक
े
प
रता दावे को और पु करती है।
होमलड उ री आक टक
े है
य क वेद
डॉ. बाल
महीने लंबे दन
और लंबी रात के बारे म बात करते ह जो के वल आक टक
ल खत
होता है।
त बत
वेद और अ य आय के संदभ म त बत आय का मूल घर है
े म
ल खत
गंगाधर तलक
वामी
दयानंद
सर वती
ंथ ।
भारतीय
उपमहा प के लए वदे शी।
ल खत
संपूण ानंद वेद म न
डॉ।
त सा ह यक माण ह क आय ने स त और एसी दास सधु को अपना
मूल घर माना था।
स त सधु सं कृ त
कसी भी अ य यूरोपीय
े क भाषा से अ धक गंगानाथ झा मूल इंडो यूरोपीय
वोके बल क सबसे बड़ी सं या है। इसका था
संपक भाषा
ऋ ष का दे सा क मूल भाषा के साथ अ धक
म कसी भी अ य यूरोपीय क तुलना म आय को
त करना। वै दक आय
के ब लदान अनु ान गंगा उनके भारतीय मूल क ओर इशारा करते ह। और ऋग म पाए गए
भौगो लक डेटा वेद यमुना
Machine Translated by Google
पंज ाब और पड़ोसी
े
ऋ वेद म नद के भजन म इस
उ लेख है। उ ल खत वन
हमालयी
द
त और जीव यादातर
क मीर
आरबी पांडे म य
दे श
कोण यह है क आय आ मण के बजाय इंडो आयन आ वासन क
ृंख ला थी और वे अ वा सय के
णी साइबे रया म
े क न दय के नाम का
े के समान ह।
मुख और अ धकतर वीकृ त
एक
एलडी कला
के भूगोल के साथ फट ।
प म उप महा प म आए। पलायन का पुराता वक सा य
त एं ोनोवो सं कृ त के
प म जाना जाता है। यह सं कृ त सरी सह ा द
ईसा पूव म फली फू ली।
यहाँ से लोग ह कु श के उ र बै
या मा जयाना पुरात व प रसर के
म चले गए और यहाँ से उ ह ने भारत म वेश कया।
प म जाना जाने वाला
ईसा पूव और
े
ईसा पूव के बीच क
अव ध के दौरान घोड़ ती लय वाले प हय अ न पंथ और दाह सं कार जो भारत म आय जीवन के
मह वपूण ह से थे के सा य इन
े
चीज़ भी म य ए शयाई
ण ए शयाई
े से द
म पाए गए थे। इनके अलावा कलाकृ तयाँ और चीनी म
े म लोग क आवाजाही का सुझ ाव दे ती ह।
क
Machine Translated by Google
वै दक युग मान च
ाचीनतम आय स त सधु
सधु आय क उ कृ
नद है क भू म म रहते थे और संभवत उनके
घोड़े के रथ और बेहतर सै य तकनीक के उपयोग के कारण वे इस
ा पत कर सके । इस
अथात् झेलम व त ता
े म अपना राजनी तक भु व
े को सात न दय अथात् सधु सधु और इसक पांच सहायक न दय
यास वपासा
चनाब अ कनी रावी पु षनी सतलुज सुतु
ारा
नकाला गया था। और सर वती आधु नक घ गर हाकरा जो यादातर पूव अफगा न तान पंज ाब
और प
मी यूपी के कनारे के
े
को कवर करती है यमुना नद दो बार और गंगा के वल एक बार
का लभ उ लेख इस त य क ओर इशारा करता है क ऋ वै दक आय ने अभी तक उस
नह कया था।
ऋ वै दक सं कृ त सी.
ईसा पूव
ज द
े म नवास
Machine Translated by Google
वै दक स यता
वै दक कोष को आम तौर पर ारं भक वै दक और बाद के वै दक ंथ म वभा जत कया गया है। हालाँ क
हाल ही म आंत रक काल म के आधार पर अ धक ज टल वग करण को अपनाया गया है जो वै दक
सा ह य को इस कार वभा जत करता है
ईसा पूव इसम
एक।
ारं भक वै दक सा ह य
ऋ वै दक सं कृ त सी।
ऋ वेद सं हता और अ य ंथ शा मल ह । प रवार।
उ ह पा रवा रक पु तक कहा जाता है य क उनक रचना व ा म
और भार ाज जैसे कु छ
बी।
गृ समदा व श
ा क वय के प रवार के लए ज मेदार है।
उ र वै दक सा ह य उ र वै दक सं कृ त सी.
और
अ
ई.पू. इसम ऋ वेद सं हता क
पु तक साम वेद क सं हताएं यजुर और अथव वेद और ा ण आर यक
शा मल ह । और उप नषद चार वेद से जुड़े ए ह।
वेद श द क उ प
वद् धातु से ई है जसका अथ है जानना जानना। वे
त रखते ह और कई स दय से मौ खक
पुरानी जी वत पांडु ल प
सं हता
ु त जो सुनी गई है क
प से सा रत होते रहे ह। बाद म उ ह लखा गया और सबसे
व शता द क है। चार वेद ह और हर वेद के आम तौर पर चार भाग होते ह
ा ण आर यक और उप नषद। चार वेद ह
Machine Translated by Google
वेद
•
ऋ वेद
• साम वेद
•
यजुवद
• अथववेद
वै दक सा ह य
ऋ वेद
ऋ वेद
सू
का सं ह है जो
मंडल पु तक म वभा जत है । वे ारं भक रचनाएँ ह और
इस लए वे भारत म ारं भक वै दक लोग के जीवन का च ण करती ह। हाल ही म ऋ वेद को यूने को ारा
व
मानव वरासत को दशाने वाले सा ह य क सूची म शा मल कया गया है।
•
•
•
ाचीनतम मंडल यानी II से VII को पा रवा रक पु तक कहा जाता है य क उ ह संत ऋ षय के वशेष
प रवार के लए ज मेदार ठहराया जाता है।
मंडल आठवाँ अ धकतर क व के प रवार से संबंध रखते ह।
मंडल IX सोम सू का संक लन।
• मंडल I और X बाद के जोड़ ह और इसम शा मल ह
Machine Translated by Google
•
•
पु षाशु
जो चार वण क
ा या करता है।
ऋ वेद से संबं धत पुज ारी कोटरी या मो ी ह और ऋ वेद का उपवेद आयुवद है।
ऋ वेद का एकमा जी वत पाठ शाकल शाखा है।
साम वेद
सामवेद यादातर ऋ वेद से लए गए छं द का सं ह है ले कन गायन क सु वधा के लए एक का ा मक
पम
व
त कया गया है । यह
धुन का सं ह है और इसम
स
ुपद राग भी शा मल है
जसे बाद म तानसेन ने गाया था । सामवेद का उपवेद गंधव वेद है । कौथुमा जै मनीय तलवकारा और
रानय नया सामवेद क शाखाएँ ह।
यजुवद
यजुर वेद ब लदान के
एक।
दशन क
शु ल यजुर वेद
या से संबं धत है। ंथ को आगे वभा जत कया गया है
ेत यजुर वेद वाजसनेय के वल मं
से यु
इसम म यं दना और क व पाठ
शा मल ह।
बी।
कृ ण यजुर वेद
काला यजुर वेद मं और ग
ा या भा य दोन शा मल ह ।
इसम कथक मै ायणी तै रीय और क प ल के पाठ शा मल ह। यजुवद का उपवेद धनुवद है ।
अथववेद
अथववेद बुरी आ मा
और बीमा रय को र भगाने के लए जा मं और आकषण का सं ह है।
यह अं तम वेद है और इसे
भजन के साथ
माना जाता है। इसम गोपथ ा ण शा मल है।
शौनक और पै पलद अथववेद के पाठ ह ।
अथववेद का उपवेद श पवेद है।
कांड पु तक म वभा जत एक गैर आय काय
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ा ण
ा ण ने य अनु ान के न पादन के नयम का वणन कया है। हालाँ क वे वेद के मं
क
ढ़वाद
तरीके से ा या करते ह। येक वेद के साथ कई ा ण जुड़े ए ह। सबसे मह वपूण ा ण शतपथ
ा ण है जो यजुवद से जुड़ा आ है और सबसे व तृत है। यह एक सौ प व माग क सफा रश करता
है।
आर यक
उ ह वन पु तक कहा जाता है य क वे मु य
स या सय
प से अपने श य के लए जंगल म रहने वाले
ारा लखी गई थ । वे रह यवाद और दशन से नपटते ह और ब लदान का वरोध करते ह।
वे यान पर जोर दे ते ह और उ ह ा ण का अं तम भाग माना जाता है और कमकांड क दाश नक
तरीके से
ा या करते ह।
उप नषद
उप नषद का शा दक अथ है कसी के पास बैठना । उप नषद क सं या
मुख ह। उप नषद आ मान और
है
पर यान क त करते ह और जीवन
ब लदान आ द के दशन पर ब त अ धक यान क त करते ह।
जनम से
सबसे
ांड वयं शरीर
के साथ आ मा को ठ क से समझना
चा हए।
•
•
मांडू योप नषद स यमेव जयते उप नषद ।
छांदो य उप नषद
•
कार मु य
प से पहले तीन आ म को संद भत करता है और ववाह के
प से दो पर चचा करता है।
अनुलोम ववाह
कसी
का अपने वण म या उससे नीचे के वण म ववाह । यह समाज
म ववाह का सबसे वीकृ त और सामा य
•
सबसे बड़ा है
प है।
तलोम ववाह एक लड़क म हला का अपने से नीचे के वण म ववाह
है और वेद
ारा वीकृ त नह है।
लभ माना जाता
Machine Translated by Google
उप नषद
वेदा त
वेदांत का शा दक अथ वेद का अंत है
य क वे वेद के अं तम उ े य को कट करते ह। वे ब लदान और
समारोह क नदा करते ह और वै दक काल के अं तम चरण को न
पत करते ह।
वेदांग
वेदांग श द का अथ है वेद के अंग । वे पूरक ंथ ह जो वेद के उ चत पाठ और समझ म सहायता करते ह।
हालाँ क ये
ु त के
और इ ह सू के
को
प म यो य नह ह य क इ ह मानव उ प
प म लखा गया है । सू ब त सं
दे वता
त संघ नत कथन ह जनका उपयोग व भ
करने के लए कया जाता है। छह सू ह । वे ह श ा फोने ट स
.
.
क प कमकांड व ान ।
.
यो तष खगोल व ान
ाकरण
.
.
न
.
छं दा मै
ाकरण
ुप
व ान
स
ारा कट नह माना जाता है
वचार
Machine Translated by Google
क पसू को आगे वभा जत कया गया है
एक।
वै दक य
बी।
गृ सू
ौतसू
से संबं धत जसम तीन या अ धक आग क आव यकता होती है।
तुलना मक
प से सरल घरेलू ब लदान से संबं धत है जसके लए के वल एक
अ न क आव यकता होती है। इसम मह वपूण जीवन चरण सं कार से संबं धत अनु ान
शा मल ह जैसे क उपनयन द
सी।
धमसू
ा
ववाह ववाह और अं ये
अं ये
थाएं ।
कमकांड के धम से संबं धत।
पुराण
पुराण श द का शा दक अथ है पुराना । वे बाद के समय लगभग ठ
सां दा यक सा ह य थे ले कन पछली परंपरा
क एक अ
ा णवाद सामा जक और धा मक मू य को
तरह से प रभा षत धारणा है। वे
त ब बत करते ह और ह धा मक था
वकास पर भी काश डालते ह। पुराण आम तौर पर चार युग स य
अव ध म पांच वषय पर चचा करते ह
सग
ापर और क ल के समय
.
.
म वंतर व भ मनु क अव ध
वंश दे वता
ेता
के उ व और
.
नया के नमाण से संबं धत
तसग मनोरंज न
ठ शता द के धा मक
.
और ऋ षय क वंशावली
.
वंशानुच रत शाही राजवंश से संबं धत ंथ दोन सूयवंशी ज ह ने सूय से अपने वंश का
दावा कया था और चं वंशी ज ह ने चं मा से अपने वंश का दावा कया था ।
•
परंपरागत
प से पुराण को
ास ारा र चत माना जाता है और आमतौर पर यह वीकार
कया जाता है क चार युग एक महायुग बनाते ह
और
•
येक क प आगे
क
म वंतर म वभा जत होता है
महायुग एक क प बनाते ह
जसक अ य ता एक व श
मनु ारा क जाती है। .
येक युग समय समय पर न हो जाता है और फर से च
गरावट और धम के पुन
ार के साथ
पुराण को आगे
नारद भागवत प
य
नया का पुन नमाण होता है।
महापुराण म वभा जत कया गया है महान पुराण जैसे
ग ड़ वराह म य कू म लग शव कं द अ न
ा व णु
Machine Translated by Google
•
वामन आ द और कई उपपुराण मा य मक पुराण ।
कु छ पुराण जैसे
ा म य ह रवंश व णु
ा ड और वायु ऐ तहा सक राजवंश हयका
शशुनाग नंद मौय शुंग गु त तक पर उपयोगी जानकारी दान करते ह। इनम ऐ तहा सक
भूगोल जैसे पहाड़ न दयाँ आ द का व तृत ववरण भी होता है।
धमशा
वे वशेष
प से धम से संबं धत सं कृ त ंथ ह आचार सं हता जो वैचा रक
प से एक धम नै तक
कानून का तीक है जो सावभौ मक ाकृ तक कानून के अनु प है । धम पु षाथ जीवन ल य जैसे
धम धा मक आचरण अथ भौ तक क याण काम कामुक आनंद और मो
च
से मु
क पू त को भी संद भत करता है । धमशा
पूव के दौरान र चत और मृ तय
वे धम के तीन
ईसा पूव
ोत को पहचानते ह अथात् वेद
श चर स य सुसं कृ त लोग के अ
े तरीके और
को आगे धमसू
जीवन और मृ यु के
ईसा पूव
सीई के दौरान र चत म वभा जत कया गया है।
ुत
मृ त जसे याद कया जाता है
वहार । एक
त
य और वै य
ज माना जाता था दो बार ज म लेने के कारण उ ह सरे ज म के समान प व धागा समारोह का
अ धकार था जब क शू कई नाग रक अ मता
एक
ंथ और
का धम लग वैवा हक
वण और आ म जैसे कई कारक पर नभर था। चार वण म से तीन वण यानी ा ण
को
ईसा
के बोझ तले दबे ए थे। .
ज पु ष के जीवन को वभा जत करने वाले चार आ म थे
चय
चय व ा
एक।
बी।
गृह
घरेलू कायवाहक
सी।
वान
आं शक याग
डी।
स यास पूण याग
यह यान दया जाना चा हए क व भ आ म अव
कया गया था और यह म हला
या शू
ा
का सभी ारा आलंक ा रक
पर भी लागू नह था।
प से पालन नह
Machine Translated by Google
महाका
दो सं कृ त महाका
महाभारत और रामायण मौ खक और ल खत पारंप रक इ तहास दोन का
ह सा ह। पुराण और महाका
के बीच क कड़ी यह है क नायक और वंश जो महाका
ह मनु क संतान के वंशज ह। दोन महाका
एक सरे के बारे म
म अ भनेता
प से जानते थे य क
महाभारत म रामोपा यान नामक एक खंड है जसम राम क कहानी का ववरण है और रामायण म
कौरव और ह तनापुर का उ लेख है ले कन महाभारत यु का उ लेख नह है।
Machine Translated by Google
महाभारत यु
और रामायण
महाभारत
ए
बी
रामायण मोटे
मोटे तौर पर सी के बीच र चत।
ई.पू.−
ई.पू
ए
महाभारत को वेद
बी
ास ारा र चत
कहा जाता है और इसम
पव
पु तक ह और इसम लगभग
लाख छं द ह। यह है
तौर पर सी के बीच र चत।
ई.पू.−
ई.पू.
रामायण को माना जाता है
आ द का
पहली सचेत क वता
वा मी क ारा र चत और इसम लगभग
के साथ सात कांड पु तक शा मल
ह
Machine Translated by Google
छं द। बाद म जोड़े जाने के बावजूद यह
रामायण से काफ लंबा है।
महाभारत से ब त छोटा है।
सी
परंपरागत
प से यु
ापर युग
म आ माना जाता है । ले कन
परंपरागत प से यह माना जाता है क
राम ेता म रहते थे
इ तहासकार मानते ह
युग अथात् महाभारत से पहले।
महाभारत क घटनाएँ और सामा जक
सी
ले कन चूं क रामायण क
ापना पूव
क ओर म य गंगा घाट म
ानांत रत हो
च र रामायण क तुलना म
गई थी और रामायण क भाषा अ धक
वकास के एक पुराने चरण के अनु प
प र कृ त है और इसक अवधारणाएं बाद के
ह
समाज से अ धक नकटता से संबं धत ह
य क महाभारत क
ापना इंडो
गंगा के वभाजन और ऊपरी
इ तहासकार इसे महाभारत क तुलना म बाद के
गंगा घाट से संबं धत है।
चरण के
प म मानते ह।
ऋग वै दक आय का सामा जक जीवन
ऋग वै दक समाज एक आ दवासी समाज था और इसके लोग अध खानाबदोश जीवन
आय जनजा तय को जनस कहा जाता था। उनके
तीत करते थे।
मुख राजन को गोप त या गोपा गाय के र क के
प म जाना जाता था और मु य रानी को म हषी कहा जाता था। जन का अ सर प णय के साथ संघष
होता था जो जंगल म आय के मवे शय को छपाते थे और इस कार उ ह आय का
था। अपने मवे शय को वापस पाने के लए वै दक भगवान इं
मन माना जाता
का आ ान कया गया था और आय और
प णय के बीच ग व ी गवेषणा गोशु या ग त गाय क खोज के लए के
प म जाने जाने वाली कई
लड़ाईयां लड़ी ग ।
समाज क राजनी तक संरचना कु छ हद तक राजशाही के समान थी ले कन गोप त का कायालय वंशानुगत
नह था और उ ह कबीले के पु ष म चुना गया था। समाज जा त के आधार पर वभा जत नह था और यहां
तक क राजन पुरो हत कारीगर आ द भी कबीले नेटवक का ह सा थे।
था। एक प रवार के सद य व भ
संके त मलता है
वसाय ज म पर आधा रत नह
वसाय को अपना सकते ह। यह ऋ वेद के न न ल खत
म एक क व ं मेरे पता एक वै ह और मेरे
ोक से
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माँ प
र पर अनाज पीसती है। धन के लए यास करते ए व भ योजना
तरह अपनी इ
ा
के साथ हम मवे शय क
का पालन करते ह।
हालाँ क इस अव ध के दौरान कु छ अंतर मौजूद थे। वण या रंग वै दक और गैर वै दक लोग के बीच
ारं भक भेदभाव का आधार था । वै दक लोग गोरे थे जब क गैर वै दक वदे शी लोग रंग म काले थे और
एक अलग भाषा बोलते थे। ऋ वेद के लेख क ने खुद को अ य समूह से अलग कया ज ह वे द यु या
दास कहते थे। दास को अ त जो दे वता
ब लदान नह करते ह के
के नयम का पालन नह करते और एक
तु जो
प म भी जाना जाता था ।
इस कार भले ही एक सामा जक
प से संग ठत वण
व
ा
च लत नह थी और आ दवासी त व
समाज म मजबूत थे फर भी ऋ वै दक समाज को अभी भी पूरी तरह से समतावाद समाज नह माना जा
सकता है य क सामा जक तरीकरण
म और लग के वभाजन पर आधा रत था। चार वण का एकमा
उ लेख ऋ वेद के दसव मंडल के पु षसू म पाया गया है जससे यह न कष नकलता है क वण
व ा संभवत ऋ वै दक युग के अंत म शु क गई थी और यह क सामा जक ग तशीलता थी और
सामा जक ग तशीलता का अभाव था। स त सामा जक पदानु म।
हालाँ क ऋ वे दक लोग गुलामी से प र चत थे।
सभी सामा जक इकाइयाँ भाईचारे पर आधा रत थ । कु ला प रवार बु नयाद सामा जक इकाई थी और
कु लपा प रवार का मु खया था। बड़े पैमाने पर ऋ वै दक युग म संयु
व
प रवार थे जो पतृस ा मक
ा का पालन करते थे। प रवार एक बड़े समूह का ह सा था जसे वस या कबीले कहा जाता था।
एक या एक से अ धक गो
से जन या कबीला बनता है। जन सबसे बड़ी सामा जक इकाई थी ।
ऋ वेद म बे टय के लए कोई इ
ा
नह क गई है हालां क ब
म एक आवत वषय है। समाज कृ त म पतृस ा मक था हालां क श
क समाज म मह वपूण
और मवे शय क इ
ा भजन
त होने के बाद से म हला
त थी और वधानसभा म उनक प ंच थी।
उ ह ने भजन क रचना क और उपनयन ा त कया। वदथ क सभा
म म हला
ने भाग लया ।
लड़ कय को अपना जीवन साथी चुनने क आज़ाद थी।
ऋ वेद म बाल ववाह सती या पदा के कोई उदाहरण नह ह । ले वरेट प त क मृ यु पर प त के छोटे भाई
से शाद करना और वधवा पुन ववाह के कु छ उदाहरण थे ।
ववाह आमतौर पर एक ववाही होता था हालां क कु छ संदभ
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ऋ वेद म ब ववाह और ब प त व भी पाए जाते ह।
याय करने के लए कसी अ धकारी का उ लेख नह है ले कन ऋग वै दक समाज एक आदश समाज नह था
य क वहाँ चोरी और सधमारी के मामले थे। सै य तकनीक ब त उ त थी य क उनके पास घोड़
जाने वाले रथ थे। आय दो कार क लड़ाइय म लगे थे
ारा चलाए
. .
पूव आय के साथ शायद उ ह दास द यु कहा जाता है।
आपस म इस कार के दो यु
एक।
बी।
का उ लेख मलता है
एक भरत राजा दवोदास वजेता और दास शासक शंभरा के बीच यु
दस राजा
सुदास और
क लड़ाई
स
आ।
दशरजना यह एक तरफ दवोदास वजेता के पोते भरत मुख
पाँच जनजा तय पंच जन अथात् य
बीच लड़ा गया था। तुवशा पु
अनु और
स हत दस अ य जनजा तय के
। बाद म भरत ने कु
जनजा त बनाने के लए
पु से हाथ मलाया।
ऋग वै दक समाज के कु छ मह वपूण पदा धकारी थे
•
पुरो हत पुज ारी
•
सेनानी एक सेना के नेता
•
ा मणी एक गांव के नेता
इस काल क कु छ मह वपूण जनजातीय सभाएँ थ
ऋग वै दक अथ व
ा
चूँ क ऋ वै दक समाज एक पशुपालक समाज था इस लए पशुपालन उनक
माप मवेशी था और एक धनी
को गोमत के
मुख ग त व ध थी। धन का मु य
प म जाना जाता था जसका कहना है क जसके पास कई
मवेशी ह। बड़ी सं या म श द गौ श द से बने ह जसका अथ है गाय।
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ापार और वा ण य के सा य ब त कम ह और भू म के वा म व पर आधा रत नजी संप
अवधारणा नह थी। संपूण
क कोई
प से कबीले को संसाधन पर अ धकार ा त था। मु ा क इकाई न ा थी
जो सोने क बनी होती थी। व तु व नमय व नमय का मॉडल था और गाय मू य क एक मह वपूण इकाई
थी । कोई नय मत राज व णाली नह थी और रा य को वषय क वै
बनाए रखा जाता था और इनाम यु
क
ांज ल बाली
ारा
म जीता जाता था।
ऋग वै दक समाज म उपहार व नमय और पुन वतरण क एक मह वपूण आ थक भू मका थी। इस तरह
के आदान दान ज ह
ी टे शन के
कए गए थे। आ थक व तु
प म जाना जाता है
गत तर पर नह ब क समूह तर पर
के अलावा इसम अ य चीज का आदान दान भी शा मल था जैसे म हला
श ाचार आ त य और सै य सहायता। पुज ा रय ने अपनी कमकांड सेवा
द
णा ब लदान
ा त कया।
के लए दान उपहार और
ानांत रत कृ ष का अ यास कया गया था और जंगल के आवरण को
जलाने के लए आग का इ तेमाल कया गया था और इस कार साफ क गई भू म के टु क ड़े को बोया गया
था।
यव या जौ के अ त र
कसी अ य अनाज का उ लेख नह है। ऋग वै दक लोग लकड़ी के हल फला
लंगला और सरा का इ तेमाल करते थे। वै दक दे वता इं को उवरजीत उपजाऊ
प म भी व णत कया गया है और
े प त कृ ष
े
े
के वजेता के
के संर क दे वता के संदभ भी ह।
वे लोहे क तकनीक का इ तेमाल नह करते थे ले कन तांबे से प र चत थे। साथ ही धातु कम संबंधी
ग त व धय का ब त कम उ लेख मलता है । ब त से अ य श प जैसे गाड़ी बनाना बढ़ईगीरी कमाना
सलाई और बुनाई का उ लेख मलता है हालां क रथ नमाता को ऋ वै दक समाज म एक वशेष दजा
ा त था। रथ दौड़ और पासा जुआ लोक य शगल थे।
ऋग वै दक धम
ारं भक वै दक युग म न तो मं दर था और न ही मू त पूज ा । ऋ वेद कृ तवाद ब दे ववाद आ दम
जीववाद के समान को दशाता है य क उ ह ने ाकृ तक श
य जैसे हवा बा रश पानी गड़गड़ाहट
आ द क पूज ा क ।
ब त कम मं दर के दे वता
क पूज ा क जाती थी। वे सामा यतः खुली हवा म य
के मा यम से पूज ा
करते थे। वै दक ंथ म मांस खाने और गाय को छोड़कर जानवर क ब ल दे ने का भी उ लेख है
अघ या नह मारा जाना माना जाता था। Henotheism का एक अजीबोगरीब मामला या
जसे
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कै थेनो थ म ऋग वै दक धम म पाया जाता है जसम एक वशेष भजन म दे वता को सव
है। ऋग वै दक लोग
•
•
•
दे वता माना जाता
ारा पूज े जाने वाले कु छ दे वता इस कार थे इं
आय के सबसे महान दे वता
तु तय का
ेय उ ह दया जाता है
पुरंधर कल को तोड़ने वाला माघवन बेशुमार और कहा जाता है
वृ हन वृ का नाश करने वाला अराजकता
अ न
•
•
सरा सबसे मह वपूण दे वता अ न के दे वता
का
भजन
ेय उ ह दया जाता है
• पृ वी और वग का पु
•
दे वता और पु ष के बीच म य
व ण
•
•
•
सोम
•
•
•
•
यम
•
•
•
•
सूय
ऋ वै दक दे वता
म सव
पौध के दे वता दे वता
है।
के राजा
ा ण के वशेष दे वता
मंडल के सभी तो उ ह स पे गए ह
आय लोग हमालय मुंज ावत को सोम पौधे के
क वय को सू
ोत के
प म जानते थे
क रचना करने के लए े रत करने वाले बु
मान दे वता माने जाते ह
• यम दे वता
•
पूशा
तीसरा सबसे मह वपूण दे वता मानवकृ त जल के दे वता ने रीता या लौ कक
व ा क दे ख भाल नै तक प से क जो सभी
अमोरल तीरंदाज भगवान जनके तीर रोग लाए थे
पहाड़ म रहते थे और जड़ी बू टय के उपचार के संर क थे
यूनानी दे वता अपोलो जैसा दखता था और ोटो सवा के
प म पहचाना जाता था
जंगल के रा त चरवाह और मवे शय के दे वता
दन से रात और इसके वपरीत प रवतन म सहायता क
ौस के पु
जो अंधकार को र भगाते ह और काश फै लाते ह
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सा व ी सौर दे वता ज ह तीसरे मंडल म
स
गाय ी मं का
ेय दया जाता है
ऋ वेद का
अ द त नाम का अथ अनंत काल क दे वी और दे वता
क माँ बुराई हा न और बीमारी से मु
लए आ ान है।
पृ वी पृ वी दे वी
व णु परोपकारी दे वता ले कन ऋग म ब त कम उ लेख कया गया है
वेद
मा तस
के पु
ज ह ने तूफ ान को
कया
वायु वायु के दे वता
अ
न यु
और उवरता के जुड़वां दे वता
उषा भोर क दे वी और ऋग म लगभग
बार उ लेख कया गया है
वेद तो
स नवाली संतान दान करने वाली
डेमी दे वता
.
गंधव द
संगीतकार
अ सरा दे वता
.
क वा मनी
व दे व म यवत दे वता
.
.
आयमान कॉ ै ट और ववाह के संर क
ऋ वै दक युग म यु
गोधू ल संगवा b
ग ुतग
ह ी डी ई
श दa
अथ
समय का माप साँझ सुबह
री का पैमाना
गाय हने वाली बेट
गो
र तेदारी इकाइयाँ
जी
वष
कबीले सामा य
एच
गण
वंशावली
एफ
एक कार क नाट घास
म
जे
प से लोग
गाँव
गौरी गवला
भस
गो जत
गाय
वैप
बोना
नायक का वजेता
पाने के
Machine Translated by Google
दरांती
ी नवास
के
े
जुताई का मैदान
एल एम
उवरा एन ओ
उपजाऊ खेत
पी
धय
अनाज
घृत
म खन
सोमा सूरा
मादक
गोघना
अ त थ जो मवे शय को खलाता हो
यू
बाद क वै दक सं कृ त और स यता
सी.
ईसा पूव
बाद के वै दक युग को सामा जक राजनी तक और आ थक जीवन म अ धक ज टलता
राजनी तक संदभ म वै दक काल क छोट जनजातीय ब तय को तुलना मक
त
ा पत कया गया जब क शाही श
अफगा न तान पंज ाब और प
कु
रा
पंचाल
म वृ
क वशेषता है।
प से मजबूत रा य
ई। ऋग वै दक ंथ का मु य भौगो लक
ारा
े पूव
मी यूपी से मेल खाता है जब क बाद के वै दक ंथ का मु य भौगो लक
े
े से मेल खाता है जसम भारत गंगा वभाजन और ऊपरी गंगा घाट शा मल है।
श द का योग सव थम इसी काल म आ। यु
थे । ारं भक वै दक काल का मु य
अब गाय के लए नह
ब क दे श के लए लड़े जाते
प से दे हाती समाज कृ ष धान हो गया था । मुख आ दवासी कसान
क क मत पर बढ़े और उन पुज ा रय को पुर कृ त कया ज ह ने उनके अ धकार को बनाए रखने म उनक मदद
क । यह यान दया जाना चा हए क बाद के वै दक काल म भी राजा के पास एक
यु
ायी सेना नह थी और
के समय म जनजातीय इकाइयाँ जुटाई जाती थ । मुख या राजा के चुनाव के नशान उ र वै दक ंथ म
दखाई दे ते ह ले कन वंशानुगत राजशाही उभर रही थी। राजसूय जो शाही अ भषेक था और राजा को सव
श
दान क गई थी वाजपेय शा दक अथ
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श
का पेय इसम एक रथ दौड़ थी जसम शाही रथ को सभी र तेदार के खलाफ जीतने के लए बनाया
गया था और अ मेध एक
े पर न ववाद नयं ण जसम शाही घोड़ा नबाध
प से दौड़ता था । यह
धीरे धीरे अपने बाद के चरण म जन के बजाय जनपद के युग म बदल रहा था।
राजा आमतौर पर
अलग अलग
े
य होता था और स ाट का पद लगभग वंशानुगत बना दया जाता था। राजा को
म अलग अलग नाम से संबो धत कया जाता था।
बाद म वै दक समाज
ऋग वै दक समाज से सबसे मह वपूण प रवतन म से एक वण
व
ा के
प म सामा जक भेदभाव का
उदय और वकास था।
बाद के वै दक समाज को
प से चार वण म वभा जत कया गया था
वै य और शू । एक और मह वपूण सं
ा जसने आकार लेना शु
ा ण राज य या
कया वह आ म या जीवन के व भ
चरण थे। वण के साथ बाद के वै दक समाज को वण आ म धम समाज के
ऊपरी तीन वग ज ह
ज दो बार ज म के
भेदभाव करते थे। जा त ब ह ववाह
ापक
प म जाना जाता है शू
सी मत थी और म हला
प म जाना जाने लगा ।
और चांडाल दोन के साथ
प से च लत था और एक कठोर सामा जक पदानु म
वक सत आ जसने पहले क अव ध क सामा जक ग तशीलता को
बढ़ते ए पंथ ने ा ण क श
य
म अ य धक वृ
तबं धत कर दया। ब लदान के
क । श ा काफ हद तक
के बावजूद अलंक रण समारोह उपनयन के साथ शु
ज जा तय तक ही
ई
Machine Translated by Google
समय समय पर शु
को अब सभा
भी कए गए। सभा
म तब रईस का वच व था और संप पु ष और म हला
म भाग लेने क अनुम त नह थी । सभा और स म तयां ऋ वै दक युग क तरह नह
हालां क जमीन पर टक रह
ले कन वदथ पूरी तरह से गायब हो गया।
बाद म वै दक जा त छ व
बाद का वै दक प रवार इतना बड़ा हो गया क उसे संयु
प रवार कहा जाने लगा जसम तीन या चार
पी ढ़याँ एक साथ रहती थ । अतरंज ीखेड़ा और अ ह
दोन प
क पं
याँ बताती ह क ये सामू हक भोजन या बड़े प रवार के भोजन को पकाने के लए थे। प रवार म
एक पतृस ा मक पता का अ धकार
अधीन
णाली वक सत ई और म हलाएं आमतौर पर घर के काम और
पद तक ही सी मत थ । ऋ वै दक युग क तुलना म म हला
सती और बाल ववाह के
साथ
मी उ र दे श म म खोजे गए चू ह
लभ उदाहरण का उ लेख कया गया है । एक
य को भी पाप गना गया है। एक अ य
गो क सं
म पु ी को सम त
ा उ र वै दक सं कृ त म कट ई। सचमुच यह
ने समाज म मह व खो दया और
म पासे और शराब के साथ
ख का कारण बताया गया है।
Machine Translated by Google
का अथ है गाय का बाड़ा या वह
ान जहाँ पूरे कबीले के मवेशी रखे जाते ह ले कन समय के साथ
इसका मतलब एक सामा य पूवज से होता है।
एक ही गो के
य के बीच ववाह व जत था। क यप व श
व ा म और अग य जैसे महान संत थे जनके नाम पर गो
भृगु गौतम भार ाज अ
का नाम रखा गया था ।
वै य ने ा ण के प रवार के समान गो नाम लए जो पारंप रक
थे। एक ही गो क म हला
य और
प से अपने घरेलू अनु ान करते
से ववाह करने वाले पु ष के लए चं यान तप या का उ लेख है ।
आ म या जीवन के चार चरण नधा रत कए गए थे ले कन धा मक
प से उनका पालन नह कया
गया था।
उ र वै दक युग क अथ व
ा
बाद क वै दक सं कृ त को पीजीड यू लौह चरण सं कृ त भी कहा जाता है
दौरान एक वशेष कार के म
के बतन
य क उस चरण के
च त े वेयर का उपयोग कया जाता था। बाद के वै दक
काल के दौरान आयन सं कृ त के व तार का मु य कारक लोहे के उपयोग क शु आत थी जसे
लगभग
ईसा पूव पेश कया गया था और कृ ण अयास
याम अयास के
प म उ लेख कया
गया है। ऋग वै दक लोग एक धातु के बारे म जानते थे जसे अयस कहा जाता था जो या तो तांबा या
कां य था।
Machine Translated by Google
च त े वेयर
समाज काफ हद तक ामीण था। हालां क अव ध के अंत क ओर शहरीकरण क शु आत के नशान
ह जैसा क एक शहर के अथ म नगर का उ लेख तै रीय आर यक म कया गया है । कृ ष बाद के
वै दक लोग क आजी वका के
मुख साधन के
प म उभरी। पेड़ को जलाकर जंगल को साफ कया
गया था जसका उ लेख शतपथ ा ण शासक वदे ह माधव ने सर वती नद से सेदानीरा या गंडक
नद के बीच के जंगल को जलाकर कया था म भी मलता है। हल से खेती होती थी। म
पालन के साथ खेती उ र वै दक लोग के
मुख
वसाय म से एक थी। भू म
त खेती
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अभी भी सा दा यक
प से वा म व म था जस पर वश
कबीले के कई भागीदारी अ धकार थे ले कन इसे संप
मा यता द गई थी और घर के मु खया जसके पास भू म थी उसे गृहप त कहा जाता था। चावल
के
पम
ीही और गे ँ गोधुमा लोग
का मु य आहार बन गया और दाल भी उगाई जाने लगी। साथ ही खा उ पादन क शु आत के साथ अनु ान म कृ ष उपज क
पेशकश क जाने लगी। दाना और द
कया जाने वाला वन
त खा
णा क साम ी म पके
ए चावल शा मल थे। तला जससे पहले
ापक
प से इ तेमाल
तेल तेज ी से ा त आ अनु ान म उपयोग कया जाने लगा।
उ र वै दक काल म व वध कला
और श प का अ यास कया जाता था। टन सीसा चांद
बाद के वै दक लोग के लए जाने जाते थे। संभवतः वहां अ
लोहा सोना कां य और तांबा
े लोहार और गालक थे य क पीजीड यू साइट पर ब त सारी
तांबे क व तुए ं पाई गई ह। लोग ने कांच नमाण का ान भी ा त कर लया था।
े
न
ापा रय के समूह या संगठन को इं गत
करते ह । व नमय अभी भी व तु व नमय के मा यम से होता था ले कन न का का उपयोग मू य क एक सु वधाजनक इकाई के
प म कया जाता था हालां क एक व श मु ा के
बैल
प म नह ।
ारा ख चे जाने वाले वैगन शायद प रवहन का सबसे अ धक इ तेमाल कया जाने वाला साधन था।
बाद के वै दक लोग चार कार के म
के बतन से प र चत थे च त े वेयर लैक एंड रेड वेयर लैक
ल ड वेयर रेड
वेयर
एक।
बी।
सी।
डी।
ऋ वै दक युग के वपरीत जहां के वल वै
के वै दक युग म कर और
उतना ही दलच
क साद लया जाता था और वा तव म कोई राज व सं ह नह कया जाता था बाद
ांज ल का सं ह अ नवाय कर दया गया था और संगृही ी ारा कया गया था। यह यान रखना भी
है क वै य बाद के वै दक काल म के वल
ांज ल दे ने वाले तीत होते ह ।
बाद म वै दक युग धम
बाद क वै दक सं कृ त ब लदान के पंथ क क यता पर क त थी। ब लदान अ धक मह वपूण और व तृत हो गया और इसने
सावज नक और घरेलू दोन व प हण कर लया। य
जानवर क ह या और पशु धन का वनाश शा मल था ।
क आवृ
और सं या म वृ
ई
जसम आम तौर पर बड़े पैमाने पर
Machine Translated by Google
यह संभवतः ा ण के एक वग के बढ़ते मह व और बदलते समाज म अपना वच व बनाए रखने के उनके
यास का प रणाम था। इन य
से उ ह दान और द
णा के
मह वपूण य थे अ मेध वाजपेय राजसूय आ द। इन य
पर मुख के अ धकार को
प म बड़ी मा ा म धन ा त आ । कु छ
का उ े य दोहरा था । सबसे पहले इसने लोग
ा पत कया और सरी बात इसने राजनी त के
े ीय पहलू को मजबूत कया
य क इन ब लदान के लए पूरे रा य के लोग को आमं त कया गया था।
भौ तक जीवन म प रवतन के प रणाम व प वाभा वक
प से दे वी दे वता
के
त उनके
कोण म भी
प रवतन आया। दो सबसे मह वपूण ऋ वै दक दे वता इं और अ न ने अपना मह व खो दया और उनके
बजाय जाप त नमाता सव
और र क के
बन गए । कु छ अ य छोटे दे वता मुख हो गए जैसे व णु लोग के संर क
प म क पना क गई और
जानवर के दे वता । मू तपूज ा दे र से वै दक चरण म दखाई
दे ती है और जैसे समाज बाद के वै दक चरण म सामा जक वग के संदभ म वभा जत था उसी तरह कु छ
सामा जक
व
ा
ने भी अपने दे वता
दे ख भाल करनी थी को शू
को अपनाया। उदाहरण के लए पूषन जसे मवे शय क
का दे वता माना जाने लगा।
हालाँ क बाद के वै दक युग के अंत म पुरो हत वच व के खलाफ सं दाय और ब लदान के खलाफ
वशेष
प से पंचाल और वदे ह क भू म म जहां लगभग
गया था के खलाफ एक मजबूत
त
ईसा पूव उप नषद को संक लत कया
या उभरने लगी।
ोत
मह वपूण अवधारणाएं
क
गो
ख
पु षाशु
अथववेद
तो
समाज का चार गुना वभाजन
ऋ वेद दसव
मंडला
सी
पहले तीन आ म
चय
उप नषद
गृह य वान
डी
चार आ म
वान
इ
छांदो य
चय गृह
जाबाला उप नषद
सं यास
संसार आ मा का
ाना तरण
बृहदारण य
उप नषद
Machine Translated by Google
एफ
सभा और स म त क जुड़वां बे टय के
अथववेद
पम
जाप त
जी
स यमेव जयते
मांडू य
उप नषद
एच
मू त का स ांत
मै ायणी
उप नषद
म
जे
के
महान बाढ़ का उ लेख
ा ण पर
पूव तथा प
य क
मी समु
शतपथ
ा ण
धानता
आ ेय ा ण
का उ लेख क जए
शतपथ
ा ण
ांड क उ प
एल
ऋ वेद दसव
मंडला
या आप जानते ह ए
ु त ंथ वेद के वपरीत
मृ त याद कए गए
रामायण महाभारत वेदांग नी तशा
बी
और धमशा
माना जाता है क क लयुग महाभारत के लगभग
मृ यु के दन से शु
ंथ म पुराण महाका
जैसे
शा मल ह।
साल बाद भगवान कृ ण क
आ था
यु ।
सी
रामायण के कई सं करण ह। अलग अलग सं करण के अलग अलग आरंभ और
अंत होते ह जैसे i
ाकृ त म वमलसुरी का पौमाचारी एक जैन सं करण है जसम रावण को
ल मण ारा मारा जाता है न क राम ारा राम के
होने के नाते अ हसा का तीक है।
ii
पाली म दशरथ जातक एक बौ
सं करण iii
त मल म इरामावतारम क बन ारा iv
हद म रामच रतमानस तुलसीदास ारा ।
प म एक स
े जैन
Machine Translated by Google
या आप जानते ह ए
भारत म बोली जाने वाली भाषा
के मु यतः चार प रवार ह
इंडो यूरो पयन लगभग
म
मराठ उ
ारा बोली जाने वाली इसम हद बंगाली
गुज राती उ ड़या पंज ाबी अस मया सधी नेपाली क मीरी आ द
शा मल ह।
ii
व ड़यन लगभग
ारा बोली जाने वाली इसम तेलुगु त मल क ड़
मलयालम और तुलु शा मल ह।
ग डी म य भारत
ा ई बलू च तान पा क तान और मा टो राजमहल
ह स पूव भारत को छोड़कर द
ण भारत म बड़े पैमाने पर बोली जाती है।
iii
ऑ ो ए शया टक लगभग
ारा बोली जाने वाली इसम खासी संथाली
मुंडारी हो सवारा खा रया आ द शा मल ह। iv
त बती बम ज़ लगभग
ारा बोली जाने वाली इसम म णपुरी बोडो
पुरी गारो लुशाई सेमा काब एओ आ द न सी आ द शा मल ह।
बी
शा ीय सं कृ त उस भाषा को संद भत करता है जसके नयम को
ने अपने
स
ंथ अ ा यायी म सं हताब
सी
पतंज ल का महाभा य सं कृ त
डे
Tolkappiyam सबसे पुराना जी वत त मल
वड़ भाषा
एफ
ाकरण वद पा ण न
कया था।
ाकरण का एक अ य मह वपूण
है।
ाकरण है।
म त मल म सबसे पुराना सा ह य है जसके बाद क ड़ है।
पाली और ाकृ त दोन सं कृ त क तरह इंडो यूरोपीय प रवार क इंडो ईरानी शाखा
से संबं धत ह।
जी
सबसे पुराना जी वत ाकृ त
ाकरण वर च का ाकृ त काश है।
एच
मगथी और शौरसेनी ाकृ त क बो लयाँ ह।
Machine Translated by Google
पछले साल के
ारं भक
धम
.
और ऋत
ाचीन के एक क य वचार को दशाते ह
भारत क वै दक स यता इस संदभ म न न ल खत पर वचार कर
बयान
धम दा य व क और वयं के
थी।
म।
तीय।
रीता
त और सर के
त अपने कत
के नवहन क अवधारणा
ांड के कामकाज को नयं त करने वाला मौ लक नै तक नयम था और इसम न हत
सब कु छ था।
ऊपर दए गए कथन म से कौन सा से सही है ह
ए
म के वल
ख
के वल
सी
I और II दोन डी
तीय
ए और बी दोन नह
.
ारं भक वै दक आय का धम मु य
भ
प से था ए
ख
छ व पूज ा और य
सी
कृ त क पूज ा और य
डी
कृ त क पूज ा और भ
.
भारत के
तीक के नीचे अं कत भारत का रा ीय आदश वा य स यमेव जयते से लया गया है
Machine Translated by Google
कथा उप नषद बी
ए
छांदो य उप नषद सी
ऐतरेय उप नषद डी
मांडू य उप नषद
जवाब
.
सी
.
सी
.
डी
अ यास
.
वै दक के
स यता
ोत के संबंध म न न ल खत कथन पर वचार कर
वै दक स यता का सबसे मह वपूण
म।
वेद न तो कोई
तीय।
ारं भक
ोत वेद ह।
गत धा मक काय है और न ही कसी वशेष समय म संक लत न
त
सं या म पु तक का सं ह है।
है
महाभारत और रामायण महान महाका
ह
ह। III म से कौन सा। न न ल खत कथन सही
ए
के वल म
ख
म और
तीय सी
II और III
ये सभी डी
.
सधु घाट स यता और वै दक स यता म मु य अंतर या था
ए
सधु घाट स यता शहरी थी जब क वै दक स यता ामीण थी।
बी
सधु घाट स यता अ हसा म व ास करती थी जब क वै दक स यता ब लदान म।
Machine Translated by Google
स ु घाट स यता म मु य बल
डी
.
ापार पर था c
ापार पर जब क वै दक काल म यह धम पर था।
इनमे से कोई भी नह
संसार ई र है और ई र मेरी आ मा है यह दशन न न ल खत म न हत है
ए
उप वेद बी
पुराण सी
ा ण डी
उप नषद ऋ वेद म
.
न हत गाय ी मं
कस दे वता को सम पत है
ए
अ न ख
सा व ी ग
सूय डी
व ण ऋ वेद
.
को दस पु तक मंडल म वभा जत कया गया है। न न ल खत म से कौन सी पु तक पु तक सबसे पुरानी है ह
ए
म
.
ख
आठव
सी
II VII
डी
III IX
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही नह है ह
ए
ऋग वै दक लोग आ दम जीववाद म व ास करते थे। बी
ऋग वै दक म हला
का अ य धक स मान कया जाता था और अ धकांश धा मक अनु ान तब तक अधूरे
माने जाते थे जब तक क प नयाँ अपने प तय से नह जुड़त । सी
बाद के वै दक लोग च त धूसर बतन का उपयोग करते थे। डी
ऋ वै दक आय कु ल मलाकर शहरी लोग थे।
.
न न ल खत का मलान कर A.
ऋ वेद B. सामवेद
म। मेलो डक वसज
तीय। मं और आकषण iii. सबसे
C. अथववेद
पुराना वेद
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iv. शाकला और कृ ण।
D. यजुर वेद क
ए ii बी आई सी iii डी iv बी
A i B ii C iii D iv c
A iv B iii C ii D i d
A iii B i C ii D iv न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो है
सही।
इं दे वता ने रीता
म।
ांडीय
के दे वता थे और उ ह दे वता
तीय।
व
ा को दशाया अ न अ न दे वता घर
और पु ष के बीच म य
माना जाता था III।
सोमा पौध और जड़ी बू टय से जुड़ा था।
पूषन सड़क चरवाह और मवे शय के दे वता थे IV। ए
म और
तीय बी
ये सभी सी
II III और IV डी
इनम से कोई नह
.
न न ल खत कथन पर वचार कर और सही कथन न के उ र म से उपयु
रंग वण आय म वग वभेद का आधार था।
म।
Boustrophedon ल प एक पं
तीय।
म दाएँ से बाएँ और फर अगली पं
थी।
तृतीय।
ऋ वै दक आय का प रवार मातृस ा मक था।
ये सभी ए
बी
तीय और तृतीय
सी
म और तृतीय
डी
म के वल
क धा मक था
के बारे म न न ल खत कथन पर वचार करता ँ।
बाद क वै दक सं कृ त।
म।
तीय।
वक प का चयन कर।
व णु और
जो ऋ वेद म छोटे दे वता थे अ यंत मह वपूण हो गए।
लोग मू तपूज ा म व ास नह करते थे।
म बाएँ से दाएँ लखी जाती
Machine Translated by Google
तृतीय।
लोग पेड़ और जानवर के
प म दे वता
क पूज ा करते थे।
चतुथ।
कु छ मह वपूण य थे अ मेध वाजपेय राजसूय आ द। उपरो
कथन म से कौन से स य ह
ए
म
तीय और चतुथ बी
II III और IV सी
म और चतुथ डी
ये सभी
न न ल खत कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
है।
सही।
पुराण म जीवन और
म।
तीय।
के रह य पर वचार ह।
ऋ वै दक स यता क मु य फसल जौ थी।
ऋ वेद III क मा यता
ए
ांड पौरा णक कथा
म और
और था
पर काश नह डालता है। अनाय।
तीय बी
के वल III
सी इनम से सभी इनम
से कोई नह डी
के
वै दक रा य और
. उनके
े के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर उ र वै दक थम चरण
दौरान रा श द मह वपूण
हो गया।
तीय।
दस राजा
क लड़ाई हम उन दस राजा
लया था और इसम पु
य
के नाम दे ती है ज ह ने सुदास के खलाफ यु
तुवस अनु और
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही है ह
के रा य शा मल थे।
ए
के वल म
ख
के वल
सी
दोन बयान डी
तीय
कोई भी कथन
.
ऋग वै दक भारत क राजनी तक संरचना का सही आरोही
म कौन सा है
म भाग
Machine Translated by Google
ए
ाम
कु ल
वस
रा
जन बी
कु ल
ाम
वस
जन
रा
रा
जन
जन
ाम
ाम
कु ल
कु ल
वस
ग
वस डी
रा
.
भारतीय इ तहास पर वै दक सं कृ त का मु य भाव दशन क
अ य सांसा रक
जा त
व
ग त था ए
बी
कोण का उदय सी
ा का समेक न डी
सं कृ त का वकास पुराण म
कस वषय क चचा नह है
. क
अंक ग णत बी
दे वता
क वंशावली सी
ाथ मक नमाण डी
तीयक रचना
.
न न ल खत का मलान कर A.
ग ु त B. गोप त
i
मुख
C. गोधुली
ii अ त थ
iii
री का माप iv समय का माप
डी गोघना ए
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी iv सी आई डी ii सी
ए iii बी आई सी iv डी ii डी
ए ii बी iii सी iv डी आई
।
उ र वै दक स यता के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर
म।
तीय।
सा
ब लदान का मह व बढ़ गया।
उ र वै दक स यता के लोग धूसर बतन को च त करते थे।
राज व के बावजूद राजा के पास कोई
से कथन स य है ह
ए
म के वल
ायी सेना नह थी। III. सं ह कया गया। उपरो
म से कौन
Machine Translated by Google
बी
के वल
सी
ये सभी डी
तीय
तृतीय के वल
। बाद के वै दक लोग क मु य वशेषताएं थ I.
नगर नयोजन और उ कृ
तीय।
तृतीय।
ए
जल नकासी
व
ा जाप त क पूज ा करते थे और
मू तपूज ा म व ास करते थे।
वण
व
ा म ढ़ व ास रखते थे ।
म और
तीय बी
म के वल
सी
डी
तीय और तृतीय
ये सभी
.
ऋ वेद काल के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर I.
घोड़ का
तीय।
ापक उपयोग था।
कृ ष मुख आ थक ग त व ध थी। उपरो
म से कौन सा से कथन सही है ह
म के वल
ख
के वल
सी
I और II दोन डी
तीय
न तो I और न ही II ऋ वेद
सं हता का नौवां मंडल पूरी तरह से
व ण और लौ कक
को सम पत है। ए
म बी
सोम और भगवान जो पेय के नाम पर ह सी
उवशी और वग डी
इं और उनका हाथी
जवाब
.
डी
.
ए
.
डी
.
बी
.
सी
ए
Machine Translated by Google
.
डी
.
डी
.
सी
.
डी
.
सी
।
ए
.
सी
.
बी
.
सी
.
ए
.
सी
.
सी
.
सी
.
ए
बी
.
अ यास
.
सामा जक राजनी तक आ थक और धा मक पहलु
मु य
पर जोर दे ते ए ऋ वै दक और बाद के वै दक काल के व भ पहलु
का तुलना मक व
कर।
.
ऋग वै दक लोग के जीवन म गौ श द का कस हद तक मह व था । उपयु
.
सधु घाट स यता क तुलना म वै दक युग ऋग वै दक और बाद के वै दक दोन के कु छ पहलु
व
ेषण कर।
उदाहरण दे ते ए
क जए।
पर चचा कर। या वे समान या भ ह उपयु
ेषण
Machine Translated by Google
Machine Translated by Google
भारत गंगा के मैदान के महाजनपद सी.
ई.पू.
Machine Translated by Google
छठ शता द ईसा पूव को भारतीय उपमहा प म
तीय शहरीकरण के युग के
प म जाना जाता है ।
हड़ पा नगर के पतन के बाद और लगभग एक हजार वष से अ धक के अंतराल के बाद शहरी क
का
फर से उदय आ ले कन सधु के मैदान म नह । आ थक और राजनी तक ग त व ध का क उ र प
पंज ाब ह रयाणा और प
मी यूपी से पूव यूपी और बहार गंगा बे सन म
न के वल बेहतर वषा और नद
म
ानांत रत हो गया। यह
णा लय के कारण उपजाऊ था ब क लौह उ पादन क
े
के करीब भी
था। जैसा क पछले अ याय म व तार से बताया जा चुक ा है उ र वै दक काल म लोग ने कृ ष करना
शु
कर दया था जससे वे एक वशेष
ान पर बस गए। नए लोहे के कृ ष उपकरण और उपकरण जैसे
क फालशेयर ने लोग को घने जंगल को साफ करने और इस
े क कठोर म
पर खेती करने म स म
बनाया। साथ ही लोहे के ह थयार ने यो ा वग को और अ धक मह वपूण बना दया और धीरे धीरे लोग
ने जन या जनजा त के बजाय अपने
े के
त एक मजबूत न ा ा त क । इन
राजा के नयं ण म जनपद या ादे शक रा य क
इ तेमाल से कु छ
ायी ब तय के कारण
ापना ई। बेहतर लोहे के औजार और ह थयार के
े ीय रा य ब त बड़े हो गए और उ ह उ र भारत म महाजनपद बड़े
कहा जाने लगा शहर और रा य कु छ स दय बाद द
े ीय रा य
ण भारत म दखाई दे ने लगे । अ धकांश महाजनपद
व य के उ र म पूव म बहार से लेक र उपमहा प के उ र प
म सीमा तक
त थे। सी से।
पूव भारत का राजनी तक इ तहास वच व के लए इन रा य के बीच संघष का इ तहास है। बौ
अनुसार अंगु र नकाय हमालय और नमदा के बीच क भू म को
वभा जत कया गया था
ईसा
ंथ के
वतं रा य महाजनपद म
Machine Translated by Google
महाजनपद
रा य
राजधानी
राजा अ य संबं धत अ तीय
पहलू
अंगा आधु नक
गंगा के चंपा मुंगेर और
भागलपुर बहार के संगम पर
त जले और
कोसल
है
वाराणसी आधु नक
अंततः काशी कोशल ारा
बनारस
क जा कर लया गया था।
सरयू नद ने रा य
राजा
सेन जत
बु
के समकालीन
दो भाग म
जसम अयो या और
शा य का
आ दवासी गणतं
ण पूव ए शया के लए
जहाज़ से जाते थे।
को वभा जत कया
पूव उ र दे श
यहाँ से सुवणभू म
द
चंपा न दयाँ
काशी
चंपा ापार माग पर एक मह वपूण
वा ण यक क था और ापारी
े शा मल
उ री भाग क
आ दवासी गणरा य
राजधानी
क पलव तु के शा य म लुं बनी
ाव ती और
शा मल थी जो
Machine Translated by Google
द
क पलव तु
व
तर त के वभाजन म गंगा
णी भाग क
राजधानी कु शावती
गौतम बु
है ।
वैशाली
राजा चेतक
उ र बहार म
आधु नक बसाढ़
के उ र म
व
शला
के भाई महावीर क मां और
चेलना के पता मगध राजा ब बसार
व राजधानी
राजधानी म थला जन का
कुं डापुर म
ान
क प नी ।
आठ या नौ कु ल का
संघ जसम ल
वैशाली वदे ह
का ज म
महावीर ाता क वंश के थे ।
त और
ी राजधानी वैशाली
अजातश ु ने व
य को परा जत
कर मगध सा ा य म मला
मह वपूण थे।
लया।
म ल
कु शीनारा और
कु शीनारा और पावा बौ
धम
पावा
के इ तहास म ब त मह वपूण
ह य क बु ने अपना अं तम
भोजन कया और पावा म बीमार हो
गए और कु सीनारा म अपने
महाप र नवाण म चले गए।
चेती या चे द
शु
पूव भाग
सो
मती वा
वतीनगर
राजा शशुपाल कु छ
पुराण के अनुसार उ ह मगध
बुंदेलखंड म
के जरासंध और कु
म य भारत
सहयोगी माना जाता है। वह वासुदेव
कृ ण के
के
य धन का
त ं
थे जो उनके चाचा के पु थे। वह
राजसूय के दौरान वासुदेव कृ ण
ारा मारा गया था
Machine Translated by Google
पांडव राजा यु ध र का ब लदान
वस
कौशांबी के संगम पर
नद के तट पर
तीन सं कृ त नाटक के नायक थे
यमुना
गंगा व
व स अपने महीन सूती व
जाने जाते थे
राजा उदयन उदयन
के लए
भास के व वासवद
यमुना पास
इलाहाबाद
यद शका और हष के र नावली
।
कवदं तयाँ उदयन और अवंती के
ोत के बीच
त ं ता का
वणन करती ह और उदयन
और वासवद
ोत क
बेट के बीच ेम संबंध का
उ लेख करती ह।
कु
प
मी यूपी इं
महाका
क वता
महाभारत कु वंश क दो
शाखा के बीच संघष के
बारे म बताती है।
पंचला प
मी यूपी
गंगा नद ने रा य
को वभा जत कया
दो भाग म
उ री भाग के
राजधानी
अह
आधु नक बरेली यूपी
और
द
णी भाग क
राजधानी कां प य
आधु नक
फ खाबाद यूपी
क ौज का
स
पांचाल के रा य म
शहर
त था।
Machine Translated by Google
सं
म य जयपुर
वराटनगर
राज
आधु नक बैराट
ान के अलवर और भरतपुर
ापक वराट
े
मथुरा कनारे
शूरारेना
राजा बु
के अवंतीपुरा श य
पर
यमुना
अवंती म य
मालवा
ारा वभा जत कया गया
व यउ र
अवंती उ
द
राजा उदयन का
ोत
ससुर।
ैन व
ण अवंती
मा ह मती
गांधार आधु नक
त
शला त
पेशावर व
शला
ापार और श ा का
रावल पडी पा क तान और क मीर
मुख क
राजा पु करसरीन का मगध के साथ
सौहादपूण संबंध था और अवंती
के खलाफ एक सफल यु
छे ड़ा।
एके मे नड स ाट डे रयस के बे ह टु न
शलालेख म उ लेख है क
घाट
व
शता द ईसा पूव के बाद के
भाग म फार सय
ारा गांधार पर
वजय ा त क गई थी।
पुंछ
क बोज
का बोज ाचीन काल म घोड़
राजौरी और हाजरा
क उ कृ
क मीर और उ र
प
मम
के लए
वे ट ं टयर
न ल और उ रपथ या उ र
त उ लेख नीय घुड़सवार
स
थे।
पा क तान ांत
अशवका असाका
तट पर
त है
पोटाली
आधु नक बोधन गोदावरी
नद का न दय के बीच का जला
यह व य रज के द
म
द
नजामाबाद व
गोदावरी और आ दलाबाद के कु छ ह से
ण
त एकमा महाजनपद था और
णापथ म था।
Machine Translated by Google
मंज ीरा
तेलंगाना म
मगध
राजगृह या
आधु नक पटना व
हयक राजवंश
गर ज
गया
यह यान दया जाना चा हए क छठ शता द म सबसे श
थे और दो महाजनपद व
शाली रा य मगध कोसल व स और अवंती
ी और म ल गण संघ थे । गण संघ शा दक अथ गण क सभा जो समान
त का दावा करते ह रा य के लए एक वैक पक राजनी त थे। उन रा य के वपरीत जहां उनके
पास एक ही वंशानुगत स ाट था गण संघ क सरकार वधानसभा ारा थी और इस सभा के भीतर भी
उनके पास एक कु लीनतं था। कु छ गण एक ही गो के थे जैसे शा य और म ल जब क अ य कई
कु ल के संघ थे जैसे व
ी।
गण संघ सरदार और कु लीन वग क मु य कायालय वंशानुगत
नह था और इसे गणप त या गणराज के
प म जाना जाता था।
श एक कु लीन प रषद म न हत थी जसम मुख
प रवार के मुख शा मल थे और गण क ा धकरण
य
संरचना म जनजातीय संगठन के अ धक त व थे ।
रा य a रा य
ने राजा के साथ
एक क कृ त
सरकार को
सं भु के
प म पंज ीकृ त कया
और सारी श
उसके और
शासक प रवार म न हत थी।
शासक प रवार वंशानुगत
उ रा धकार के साथ एक
राजवंश बन गया और
यादातर
ये ा धकार के बाद। ख
मुख सा ा य ने आम तौर
पर गंगा घाट के
ख अ धकांश गण पूव भारत म हमालय क तलहट म या
उपजाऊ जलोढ़ इलाक पर
उसके नकट
क जा कर लया था।
संभवत उनक
त थे
जससे यह भी पता चलता है क
ापना रा य के सं मण से पहले ई
थी य क जंगली नचली पहा ड़य को साफ करना
दलदली क तुलना म अपे ाकृ त आसान था।
Machine Translated by Google
मैदान के जंगल। ग सरकार
का कॉप रेट पहलू गण संघ क एक मुख वशेषता थी । वे छोटे
भौगो लक
े
म
त थे और उनक अ धक
थी। चचा के मामल को सभा के सम
त न ध सरकार
रखा गया जो संथागारा
नामक एक हॉल म मले। गण पूरक ज मेदार प रषद
और सभा थी। मुख के लए आव यक कोरम सु न
त करने
ग राजनी तक श राजा
म क त थी जसे मं य
सलाहकार प रषद जैसे
परामश और सहायता दान
क जाती थी
के लए हालां क वचार वमश के उ व के साथ।
प रषद ने मु
पर चचा क और उन पर बहस क और उ ह वोट दया गया अगर राजा क द ता
क अवधारणा और अ धक एक सवस मत नणय पर नह प ंचा जा सका।
मतदान लकड़ी के टु क ड़ के साथ कया जाता था पुरो हत पर जोर दया जाता था ज ह सलकस और
सलका गाहपाक अनु ान वोट क क यता कले टर के
लोक य न प ता सु न
प म जाना जाता था ने ईमानदारी और
त क । वधानसभाएं कम कर द ग ।
d गण संघ के के वल दो तर थे
य राजकु ल शासक प रवार
और दास कमकार गुलाम और मज र ।
घ रा य म कबीले
क वफादारी कमजोर
ई और अ धक यान जा त
क वफादारी और राजा के
त वफादारी पर था। ङ
ा णवाद राजनी तक
ई गण संघ अपरंपरागत वचार को सहन करने के लए अ धक
सामा जक और धा मक
तैयार थे और रा य क तुलना म
स ांत कह अ धक गहराई
वाद या वतं
राय के लए अ धक खुले थे। यह स ह णुता मुख कारण था क
वधम सं दाय के दो सबसे स मा नत गु
जैन धम व
ी संघ से संबं धत थे और बु
तक समाया आ था
यानी महावीर
बौ
धम शा य वंश
के थे अपने दशन को अ धक अ तबं धत तरीके से चा रत
करने म स म थे। गण संघ म रा य क तुलना म।
सा ा य।
Machine Translated by Google
राजनी तक संघष और
के पूव उ कृ ता
मगध
महाजनपद के बीच राजनी तक संघष ने अंततः मगध को सबसे श
सा ा य के क के
शाली रा य और एक वशाल
प म उभारा । मगध का राजनी तक भु व ब बसार के साथ शु
राजवंश से संबं धत थे और उ ह ने
यह कहा गया है क
से
ईसा पूव तक
वष क आयु म उनके पता ारा राजा के
जससे पता चलता है क वे अपने वंश के सं
ापक नह थे। वह बु
आ जो हयका
वष तक शासन कया। महावंश म
प म उनका अ भषेक कया गया था
और महावीर दोन के समकालीन थे
और उ ह समान स मान दे ते थे। ब बसार ने अपनी वजय और कू टनी त से मगध को सव
श
बना
दया। उ ह ने सा ा य के व तार के लए वैवा हक गठबंधन मजबूत शासक के साथ दो ती और कमजोर
पड़ो सय पर वजय क तीन नी त अपनाई।
हयक राजवंश मगध
सं
ापक शायद ब बसार के दादा
ब बसार ारा वा त वक न व
बु
ईसा पूव
ईसा पूव
और महावीर के समकालीन।
राजगृह ग र ज म राजधानी जो एक भावशाली शहर था और पाँच पहा ड़य से
घरा होने के कारण लगभग अभे था
जसके उ ाटन सभी तरफ प
र क द वार
से बंद थे।
पहले अवंती के राजा
ोत के साथ त ं ता थी ले कन बाद म दो त बन
गए और ब बसार ने अपने शाही च क सक जीवक को भी उ ैन द णापथ
से अवंती तक भेज ा जब
ोत को पी लया हो गया था।
उसके शासक
वशेष
द
को हराकर अंग पूव बहार पर वजय ा त क । अंग और
प से इसक राजधानी चंपा
Machine Translated by Google
अंतदशीय और समु
तीन वैवा हक गठबंधन
ापार के लए मह वपूण थे।
ारा अपनी
त को मजबूत कया ।
व भ रयासत के साथ ववाह संबंध ने अ य धक राजन यक त ा द
और मगध के प म और उ र क ओर व तार का माग श त कया।
उसने तीन प नयाँ ल
•
उनक पहली प नी महाकौशल
दहेज म काशी के
े म लाई थी जससे
स क का राज व ा त
आ था।
•
अजातश ु को ज म दे ने वाली वैशाली क ल
वंश पंज ाब के
•
अजातश ु
सेनजीत क बहन नाम क कोशल से थी जो
वी राजकु मारी चे लाना । म
मुख क
बेट ।
ईसा पूव
ईसा पूव
माना जाता है क मगध पर शासन करने के लए अधीर होने के कारण ब बसार के पु
ने अपने पता को मार डाला और सहासन पर क जा कर लया।
हयक वंश का सबसे श शाली और आ ामक शासक और सै य वजय के
मा यम से अपने पता क व तारवाद नी त का पालन कया।
कोसल
सेनजीत ारा शा सत पर क जा कर लया। सबसे पहले उनका अपने मामा
सेन जत से ववाद आ जो ब बसार के साथ कए गए
वहार से
थत थे। उ ह ने
अजातश ु से काशी का रा य वापस करने को कहा जो उनक मां को दहेज म दया
गया था। अजातश ु ने मना कर दया और एक भयंक र यु
के बाद ही सेन जत मगध
के साथ काशी छोड़ने के लए सहमत ए। इसी तरह उ ह ने वैशाली के
नाना चेतक के साथ यु
कया और
वष के यु
मुख अपने
के बाद अजातश ु वैशाली क
ताकत को तोड़ने म सफल रहे। इस लए उसने न के वल काशी को अपने पास रखा ब क
वैशाली को भी मगध म मला लया।
दो नवीन सै य ह थयार का इ तेमाल कया
•
•
यु
इंज न जो उन प
र जैसे कै टापो ट् स महा शलाकं टक के लए इ तेमाल
कया गया था।
सामू हक संहार के लए गदा यु
अवंती के शासक जसने पहले
रथ रथमुसला ।
Machine Translated by Google
कौशा बी के व स को हराया।
बु
क मृ यु उनके शासनकाल म ई थी।
थम बौ
उदयभ
उदा यन
संगी त क
ईसा पूव
व
ाक ।
ईसा पूव
गंगा और सोन न दय के संगम पर
क
त पाट लपु
आधु नक पटना म नई राजधानी
ापना क ।
पाट लपु का एक ब त ही रणनी तक
ान था य क यह मगध सा ा य के क म
त था जो तब उ र म हमालय से लेक र द
ण म छोटानागपुर पहा ड़य तक फै ला
आ था।
संभवतः अवंती के राजा पलक के उकसाने पर उसक ह या कर द गई थी।
शशुनाग राजवंश लगभग
ईसा पूव
ईसा पूव
शशुनाग
शशुनाग पहले वाराणसी बनारस म एक वायसराय अमा य उ
पद
अ धकारी थे
और यह माना जाता है क मगध के लोग उदयन के उ रा धका रय के
प र याग से नाराज होकर शशुनाग को राजा नयु
राजधानी को अ
ायी
प से वैशाली
करते थे।
ानांत रत कया गया ।
शशुनाग क सबसे मह वपूण उपल
अवंती
ोत वंश को परा जत करना और
इसे मगध का ह सा बनाना था। इससे मगध और अवंती के बीच
त ं ता का अंत हो गया।
कलसोका
शशुनाग का पु और उ रा धकारी।
ककरवण पुराण के अनुसार के
तीय बौ
नंद वंश
संगी त वैशाली म आयो जत ई ।
थम गैर
मक
य वंश
प म भी जाना जाता है।
साल पुरानी
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ईसा पूव
महाप
ईसा पूव
नंदा
उसक वशाल सेना के कारण उसे पा ल ंथ म उ सेन भी कहा गया है ।
ा ण ंथ के अनुसार वह एक न न जा त या कम से कम एक गैर
य जा त
का था जब क पुराण के अनुसार वह एक शू म हला ारा शशुनाग वंश के एक
राजा का पु था और इस कार नंद को अधा मक माना जाता था। जो धम के
नयम का पालन नह करते ह । बौ
के के
ंथ म नंद का वणन अ तकु ला अ ात वंश
प म कया गया है।
भारत का पहला सा ा य नमाता और इकरात होने का दावा कया एकमा सं भु
जसने अ य सभी शासक राजकु मार को न कर दया और सव
ांतक
य
को उखाड़ फका।
क लग को मगध म शा मल कया और वजय ाफ के
प म जन क छ व लायी
।
कोशल को भी अ ध हत कर लया जसने पूरी तरह से उसके खलाफ व ोह कर दया
था।
नय मत
प से अ धका रय क नयु
करके कर का
व
त सं ह कया। उ ह ने
नहर भी बनवा और सचाई के ब त काम कए।
धनानंद नंद वंश के
अं तम मह वपूण राजा थे।
ीक शा ीय लेख क के ए ै स या ए सं ामेस के साथ पहचाना गया ।
एक वशाल सेना के साथ ेय ऐसा माना जाता है क सकं दर ने अपने
शासनकाल के दौरान पंज ाब पर हमला कया था ले कन उसक वशाल सेना ने
उ ह मगध क ओर बढ़ने से रोक दया था।
नंदोप मणी एक वशेष मापक मानक के आ व कार का
ेय ।
ऐसा माना जाता है क वह एक अहंक ारी और दमनकारी शासक था जसने आम
आदमी पर भारी कर लगाया था । उनके लालच और शोषण ने उ ह जनता के बीच
काफ अलोक य बना दया और अंततः चं गु त मौय को स म बना दया
Machine Translated by Google
कौ ट य के मागदशन म इस जन आ ोश का लाभ उठाया और नंद शासन को उखाड़
फका और मौय सा ा य क
मौय वंश
ापना क ।
ईसा पूव
मगध क सफलता के कारण
मगध कई कारक के कारण धीरे धीरे अ य सभी महाजनपद पर अपना भु व
पहले मगध ने एक लाभ द भौगो लक
त का आनंद लया। सबसे समृ
ा पत कर सका। सबसे
लोहे के भंडार द
ण बहार
के आसपास पाए जाने वाले पर इसक नकटता और नयं ण के कारण मगध के ह थयार कह बेहतर
और भावी थे । साथ ही इसक दोन राजधा नयाँ राजगृह और पाट लपु
रणनी तक ब
थ । ग र ज या राजगृह पांच पहा ड़य से घरा आ था जसने इसे ाकृ तक कलेबंद
पर
दान करने म
मदद क और लगभग अभे था। इसी तरह पाट लपु पानी के कले क तरह अ धक था
सोन और गंगा न दय के संगम पर
उपजाऊ जलोढ़ म
त
त था। सरे मगध म य गंगा के मैदान के क म
य क यह
त था जसम
थी और भारी वषा होती थी। इस कार बना अ धक सचाई के भी इस
े को
अ धक उ पादक बनाया जा सकता है। इन उपजाऊ नद के मैदान ने भारी मा ा म कृ ष अ धशेष दान
कया जो एक वशाल
ायी सेना क
ापना के लए आव यक था। इसके अलावा द
णी
े
म
जंगल ने इसे लकड़ी और हाथी दान कया जसने मगध को एक वशेष सै य लाभ दया य क अ य
सभी महाजनपद ने यु
म घोड़ और रथ का भावी ढं ग से उपयोग कया।
मगध अपने पड़ो सय के खलाफ बड़े पैमाने पर हा थय का इ तेमाल करने वाला पहला रा य था। हा थय
का इ तेमाल कले पर धावा बोलने और सड़क या संचार के अ य साधन क कमी वाले
े
म माच करने
म कया जा सकता है।
तीसरा मगध न
त
प से ब बसार अजातश ु और महाप
नंद जैसे कई स म और मह वाकां ी
शासक से लाभा वत आ। उ ह ने अपने रा य का व तार करने के लए सभी उ चत और गलत तरीक
का इ तेमाल कया। चौथा
राजा
के खजाने म जुड़ गए
ापार क ब और धातु के पैसे के उदय के कारण लगाए गए टोल भी मगध
जससे उ ह फर से वशाल सेना बनाए रखने म मदद मली। अंत म मगध
समाज का अपरंपरागत च र इसम और अ धक घुस गया
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कसी भी अ य रा य क तुलना म व तार के लए उ साह।
उ रप
म भारत
और मैसेडो नयन
आ मण
उ र पूव भारत म मगध एक जय श
इसम वलय हो गया। उ र प
के
मी भारत क
प म उभरा और धीरे धीरे छोट रयासत और गणरा य का
त ने इस तरह के समेक न क अनुम त नह द ।
क बोज म और गांधार के महाजनपद लगातार आपस म लड़ रहे थे । इस कार उ र प
मगध जैसा श
म सीमांत म
शाली रा य उभर नह सका। इस राजनी तक एकता का लाभ उठाते ए ईसा पूव छठ
शता द म फारसी ईरानी सा ा य ने उ र प
मी भारत म वेश कया । एके मे नड राजा साइरस
ईसा पूव उपमहा प पर आ मण करने वाला पहला शासक था । उ ह ने एक सै य अ भयान
का नेतृ व कया जसने क पशा शहर ह कु श पहाड़ के द
का बोज और गांधार के लोग से
पंज ाब सधु के प
के जनक के
और सबसे समृ
ण पूव म
त को न कर दया और
ांज ल ा त क । बाद म फारसी राजा डे रयस ने
म और सध पर क जा कर लया। ीक इ तहासकार हेरोडोटस प
प म माने जाते ह ने गांधार के बारे म उ लेख कया है क यह
प
नह था के वल अ य सभी
ांत था और सोने क
तभा
का
ईसा पूव म
मी इ तहास लेख न
े फारसी सा ा य का बीसवां
ांज ल अ पत करता था जो क
ांत से अ धक ब क ईरान के ए शयाई ांत से कु ल राज व का लगभग एक
तहाई भी था। भारतीय ांत ने व शता द ईसा पूव म यूना नय के खलाफ लड़ने वाली फ़ारसी सेना
के लए भाड़े के सै नक को दान कया । वा तव म ज़ेर सस डे रयस के उ रा धकारी क सेना म गांधार
के सै नक शा मल थे। ऐसा तीत होता है क भारत पर सकं दर के आ मण लगभग
उपमहा प का उ र प
मी भाग फारसी शासन के अधीन था।
भारत पर फारसी भाव
ईसा पूव तक
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वष के भारत फारसी संपक के प रणाम व प न के वल राजनी तक भाव आ ब क सामा जक
आ थक सं कृ त भी भा वत ई। भारत फारसी
इसके प रणाम व प सां कृ तक संबंध
ापार और वा ण य को ग त दान करने के साथ साथ
ा पत ए। खरो ी ल प का प रचय जो उ र प
मी भारत म
अरामाईक फारसी सा ा य क आ धका रक ल प अरबी क तरह दाएं से बाएं लखा गया से लया गया
था फारसी भाव को उजागर करने वाला एक अ
ा उदाहरण है। उ र प
मी भारत म अशोक के कु छ
शलालेख इस ल प म लखे गए ह। फारसी सगलोई कार के स क क भारत म नकल क जाती थी।
यह संभव है क तीसरी शता द ईसा पूव म अशोक ारा उपयोग कए गए शलालेख फारसी राजा डे रयस
से े रत थे ।
अशोक के समय के मारक
वशेष
प से घंट के आकार क राजधा नय और अशोक के शलालेख क
तावना पर ईरानी भाव ब त अ धक है।
सकं दर का आ मण
सकं दर
ईसा पूव मैसेडो नया
−
ईसा पूव
ीस के फ लप का पु था जसने
ईसा पूव म भारत
पर आ मण कया था। ऐसा माना जाता है क चौथी शता द म यूना नय और फार सय ने
सव
नया क
ता के लए संघष कया था।
डे रयस के नेतृ व वाली फारसी सेना को नणायक
प से परा जत करने के बाद फारसी सा ा य के पार
मैसेडो नयाई वजेता ने भारतीय ांत म वेश कया। सकं दर न के वल भारत क ओर आक षत था
ब क भौगो लक जांच और ाकृ तक इ तहास का एक भावुक छा होने के कारण वह महासागर क
सम या को भी हल करना चाहता था जसक सीमा ीक भूगोलवे ा
के लए एक पहेली थी। उ र
प
य क उस समय यह
मी भारत क राजनी तक
छोटे वतं रा य जैसे त
त उनक योजना
के अनुकू ल थी
े कई
शला पंज ाब पोरस का सा ा य गांधार आ द म वभा जत था और कोई
बड़ा एकजुट और मजबूत नह था। सकं दर का वरोध कया गया। सकं दर ने
ईसा पूव म खैबर दर से
भारत म वेश कया था । पोरस को छोड़कर
स
अ य सभी राजा
जसने हाइड
ने न ता से अधीनता नभाई। त
ेस झेलम पर क
शला के राजा अ
कया था । जब सकं दर यास प ंचा तो उसके सै नक ने यु
से थके
लड़ाई लड़ी थी
ी ने सबसे पहले आ मसमपण
ए गृह
और रोग
त होने के
कारण आगे जाने से इनकार कर दया। इस लए मजबूरन उ ह पीछे हटना पड़ा। अपनी उ त के सबसे र
के ब को च हत करने के लए उसने यास के उ री कनारे पर प
वह अंदर रहा
रक
वशाल वे दयाँ बनवा ।
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महीन के लए भारत और घर वापस आने पर मालोई मालव जैसे गण संघ के साथ सै य मुठभेड़
ई। बाबुल म उनक मृ यु हो गई
व
ईसा पूव म । चूँ क उसके पास भारत म अपनी वजय को
त करने का समय नह था अ धकांश व जत रा य को उनके शासक को बहाल कर दया गया
था ज ह ने उसके अ धकार को स प दया था और उसक
कया गया था
े ीय संप
येक को एक ीक गवनर के अधीन रखा गया था।
सकं दर का भारत पर आ मण
को तीन भाग म वभा जत
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सकं दर के आ मण का भाव
सकं दर का आ मण पहला अवसर था जब ाचीन यूरोप ाचीन भारत के नकट संपक म आया और
इसने मह वपूण प रणाम उ प
कए। आ मण के सबसे मह वपूण प रणाम म से एक व भ
े
म
भारत और ीस के बीच सीधे संपक क
ापना थी। सकं दर के इ तहासकार ने ाचीन भारतीय इ तहास
के मू यवान भौगो लक और ऐ तहा सक कालानु मक ववरण छोड़े ह । सकं दर के अ भयान के
प से दनां कत ववरण ने हम एक न
त आधार पर बाद क घटना
के लए भारतीय काल म का
नमाण करने म स म बनाया। इन या ा वृ ांत म द गई मह वपूण सामा जक आ थक जानकारी हम
वभ
ाचीन सामा जक था
जैसे
वाय
नगर संभवत गण संघ क ओर इशारा करते ए
सती था गरीब माता पता ारा लड़ कय को बाजार म बेचने जुमाना आ द को जानने और समझने म
मदद करती है उ र प
मी भारत म बैल क न ल वा तव म यह कहा जाता है क सकं दर ने
लाख
बैल को मैसेडो नया भेज ने का आदे श दया था और इसी तरह। सकं दर के अ भयान के अ य द घका लक
भाव म से एक यह था क उसने संचार क चार अलग अलग लाइन खोलकर भारत को यूरोप के सामने
उजागर कया तीन जमीन से और एक समु से जैसा क सकं दर ने अपने एड मरल नयरचुस को
समु
बीच
माग से ईरान भेज ा था । इसने यूनानी
ापार
ापा रय और श पकार के लए भारत और यूना नय के
ा पत करने का माग श त कया । एक और मह वपूण सां कृ तक वकास गांधार म कला
के एक महानगरीय कू ल क
ापना थी। सकं दर के आ मण का एक अ य
चं गु त मौय के तहत उ र भारत के एक करण का माग श त कया
भाव यह था क इसने
य क सकं दर ारा उ र प
म
के छोटे रा य और रयासत के वनाश ने न के वल मौय सा ा य के आसान व तार म मदद क ब क
मौय सा ा य के आसान व तार को भी े रत कया। मौय का मानना था क उ र प
करना संभव है और यह एक उप म के लायक प रयोजना है।
सामा जक और साम ी
के युग म जीवन
महाजनपद
मी सीमा पर क जा
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पुराता वक
प से छठ शता द ईसा पूव को NBPW चरण क शु आत और भारत म सरे शहरीकरण
हड़ पा स यता के बाद
ारा च त कया गया है । यह शु आती बौ
पाली ंथ सं कृ त सू सा ह य
और ारं भक एनबीपीड यू साइट से पुराता वक सा य क सा ह यक गवाही के आधार पर ा त कया
गया है। NBPW उ री काले पॉ लश वाले बतन को संद भत करता है जो एक चमकदार चमकदार कार
के म
के बतन थे जो ब त महीन कपड़े से बने होते थे और शायद अमीर
उपयोग कए जाते थे। यह यान रखना दलच
ारा टे बलवेयर के
पम
है क NBPW हमेशा काला नह होता है जैसा क यह
अ य रंग और रंग म भी पाया जाता है द
णी भारत म भी पाया जाता है आं
पहचाना जाता है हालां क उ री भारत म
ल क सघनता है और ज री नह क हमेशा पॉ लश कया
गया हो हालां क यह अ
तरह से जलाया आ है प हया न मत डील स म
दे श म अमरावती म
के बतन एक चमकदार
सतह है । NBPW आमतौर पर अ का शत होता है ले कन पीले और ह के स र म च त लहराती
रेख ा
संक त और
त
े द वृ
बड
ब
आ द जैसे डजाइन के कु छ उदाहरण ह। एनबीपीड यू
चरण उपमहा प म धन के उपयोग क शु आत को भी च त करता है
पंच च हत स क क
साथ साथ पक
ारं भक
ृंख ला क खुदाई क गई है। NBPW चरण के म य म धातु मु ा के
ई ट और कु एँ भी दखाई दए।
NBPW म
ईसा पूव
य क एनबीपीड यू साइट से
के बतन क छ व
ईसा पूव के दौरान गंगा घाट म गाँव क ब तय क ब और जनसं या वृ
क
सं या और आकार म मह वपूण व तार आ था । पाली और सं कृ त ंथ म कई गांव और क ब का
उ लेख है। क ब के मामले म काफ हद तक भ ता थी। पुरा या नगर का अथ एक गढ़वाले शहर से है
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या शहर नगम एक बाजार शहर को संद भत करता है जो ाम और नगर के बीच एक म यवत तर पर
था राजधानी शहर को संद भत राजधानी नागरका एक छोटा शहर था और महानगर एक बड़ा शहर था।
कु छ मुख शहर महानगर काशी कौशा बी राजगृह पाट लपु
ाव ती अयो या वैशाली चंपा और
क पलव तु थे।
ये शहर न के वल सरकार के क थे ब क वे
थे और कई कारीगर और
उ
तरीय
ापा रय
वसायी था जो
ापारी सड़क के
के
प म जाने जाने वाले न
ापारी दोन शहर म वेसा
त इलाक म रहते थे। आमतौर पर श प वंशानुगत होते
ापार सीखता था।
जाते थे। सभी मुख शहर नद के कनारे और
ापार माग पर
ापा रय
ारा र र तक नयात कए
त थे और एक सरे से जुड़े ए थे। उस
े ीय माग को उ रपथ उ री भारत का उ र प
म से भारत गंगा के मैदानी
इलाक म बंगाल क खाड़ी पर ता ल त के बंदरगाह शहर तक फै ला आ और द
भारत का के
प
प म भी काम करते
ारा बसे ए थे जो उनके संबं धत संघ म संग ठत थे। सेठ एक
उ पाद हाथी दांत के उ पाद बतन आ द जैसे श प उ पाद
समय के दो मुख ांस
मुख क
ापार और सा कार से जुड़ा था। कारीगर और
थे और बेटा अपने पता से पा रवा रक
व
ापार और वा ण य के
प म जाना जाता था। मगध म पाट लपु से गोदावरी पर
मी तट पर बंदरगाह से जुड़ा आ है ।
णापथ द
णी
त ान तक फै ला आ है और
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आंत रक
प
ापार माग बाहरी
ापार माग म शा मल हो गए और पूव बंगाल के साथ यांमार और
मी अफगा न तान ईरान और मेसोपोटा मया के साथ त
फलते फू लते
ापार के
माण ह। आयात क
मुख व तु
शला दोन
म क मती प
े
म उपमहा प के
र जैसे सोना लापीस
लाजुली जेड चांद आ द शा मल थे जब क तैयार श प कपड़ा सामान चंदन और मोती नयात क
मुख व तुए ँ थ । पा ल ंथ म समु
या ा और
क मक और टोल अ धका रय शौ लक
जीवन और संप
ापार का भी उ लेख मलता है। क टम अ धका रय
शु का य
ने माल पर कर लगाया और या य के
क सुर ा के लए राजभ नामक वशेष शाही अ धका रय को नयु
ापार ारा सु वधा दान क गई थी
कया गया।
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न का और सतमन नामक धन का उपयोग । सबसे पुराने स के आहत ह ऐसा इस लए कहा जाता है
य क धातु
के टु क ड़ को पहाड़ी पेड़ बैल मछली
े सट हाथी आ द जैसे कु छ नशान से छे दा जाता
है और चांद से बने होते ह हालां क कु छ तांबे के स के भी पाए जाते ह। पा ल ंथ धन के भरपूर उपयोग
और मज री और क मत का भुगतान करने के लए इसके उपयोग का उ लेख करते ह।
पा ण न क अ ा यायी म वेतन वेटन और वैता नका वैता नका का भी उ लेख है।
क ब और गाँव दोन ने पर
गाँव म रहने वाले कृ षक
र एक सरे का समथन कया य क शहर म रहने वाले गैर कृ षक को
ारा खलाया जाता था और बदले म शहर म रहने वाले कारीगर और
ने ामीण लोग को उपकरण कपड़ा आ द उपल
कार के गांव
कराया। पाली ंथ वशेष
ापा रय
प से वनय पटक तीन
ाम का सुझ ाव दे ते ह ए
व श गाँव व भ जा तय समुदाय
ारा बसे ए और ामभोजक
नामक एक मु खया के नेतृ व म। अ धकांश गाँव इसी
मह व ा त था और राजा
ा मणी या ामक
ेण ी के थे। गाँव के मु खया को काफ
के साथ उसका सीधा संबंध था। उ ह ने न के वल ामीण से कर
वसूल कया ब क अपने इलाके म कानून
उपनगरीय गाँव जो श प गाँव क
व
ा भी बनाए रखी। बी
कृ त के थे ।
उदाहरण के लए बढ़ई के गाँव वधाक
ाम रीडमेक स के गाँव नलकारा ाम नमक
बनाने वाल के गाँव लोनकारा ाम और रथ बनाने वाल के गाँव का उ लेख काल के
ंथ
म मलता है। इन गांव ने अ य गांव के लए बाजार का काम कया और क ब को ामीण
इलाक से जोड़ा। सी
सीमावत गाँव अरा मका ाम जो ामीण इलाक क प र ध पर
वलीन हो गए थे। इन गांव म रहने वाले लोग मु य
त थे और जंगल म
प से शकारी और बहे लए थे जो
यादातर आ दम नवाह व धय जैसे भोजन सं ह पर रहते थे।
गाँव क ज़मीन को खेती यो य भूख ंड म वभा जत कया गया था और उ ह प रवार के अनुसार आवं टत
कया गया था हालाँ क जोत का आकार अलग अलग था। भूख ंड क खेती प रवार ारा वयं के साथ
साथ कराए के खे तहर मज र दास कामकारा के साथ क जाती थी। धनी कसान गहप त कहलाते
थे ।
क दे ख रेख म सामू हक
प से सचाई ना लय क खुदाई क गई
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ाम धान. उपज का एक छठा
एजट
ारा एक
ह सा कर के
प म कसान
ारा दया जाता था
कया जाता था। आमतौर पर कसान और रा य के बीच कोई म य
कु छ गांव ा ण
दे य और बड़े
जसे शाही
नह था हालां क
ापा रय को उनके वयं के उपयोग के लए दए गए थे। यह यान
दया जाना चा हए क लाभा थय को के वल इन भू मय का राज व दान कया गया था न क शास नक
अ धकार। नजी संप
समान
क धारणा का उदय आ
य क भू म के उपहार और ब
प से उ लेख नीय है क इस काल म लोहे के फाल के
योग और जलोढ़ म
के संदभ ह। यह भी
क अ
उवरता
के कारण कृ ष म काफ
ग त ई। शायद पहली बार भू म और कृ ष का व तार आ जसने एक उ त
खा उ पादक अथ व
ा के उ व म सहायता क । चावल धान अनाज था और धान क रोपाई
ापक
प से क जाती थी । चावल के साथ साथ जौ दाल बाजरा कपास और ग ा भी पैदा कया जाता था।
अतरंज ीखेड़ा एटा यूपी का उ खनन
ल ामीण से शहरी जीवन म सं मण के बारे म ब मू य जानकारी
दान करता है।
शास नक
राजा को सव
व
ा
आ धका रक दजा ा त था और वह अ धका रय क मदद से शासन करता था। उ
अ धकारी ज ह महामा
अमा य कहा जाता था जनके पास संभवतः कायकारी या यक और सै य काय
थे जैसे क यायाधीश मु य लेख ाकार शाही घराने के मु खया मं ी म ीन और सेनाप त सेनानायक
और उ ह आयु
ारा सहायता दान क जाती थी। ऐसा तीत होता है क उ
अ धका रय और मं य
को बड़े पैमाने पर ा ण के पुरो हत वग से भत कया गया था और उ ह काफ अ धकार ा त थे। बौ
महाप र न बन सु म मगध के वा कर नाम के एक भावशाली मं ी का उ लेख है
अजातश ु को वैशाली के ल
वय के रक म भावी ढं ग से असंतोष पैदा करके व
को जीतने म स म बनाया। एक बड़ी पेशेवर सेना के गठन से रा य क श
ज ह ने
य के गण संघ
म वा त वक वृ
का संके त
मलता है। इतनी बड़ी सेना को बनाए रखने के लए एक मजबूत व ीय णाली क आव यकता थी।
बाली वै दक काल म आ दवा सय
ारा अपने मुख को दया जाने वाला एक वै
क भुगतान एक
अ नवाय भुगतान बन गया और इसे एक करने के लए ब लसाधक नामक वशेष अ धका रय को नयु
कया गया। जैसा क पहले उ लेख कया गया है यह
था
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उ पादन करना। लेख न के आगमन ने कर के नधारण और सं ह म मदद क हो सकती है। कर के अलावा
कसान कारीगर और
ापा रय को शाही उ े य के लए जबरन
स म त जैसी लोक य सभाएँ लगभग लु त हो ग
कहा जाता है जसम वशेष
म के अधीन कया गया। सभा और
और इसके बजाय एक छोटा नकाय जसे प रषद
प से ा ण शा मल थे राजा के लए एक सलाहकार प रषद के
पम
काय करते थे।
कानूनी और सामा जक णाली
यह अव ध भारतीय कानूनी और यायपा लका णा लय क उ प
का तीक है।
पहले लोग आ दवासी कानून ारा शा सत थे जो कसी भी वग भेद को मा यता नह दे ता था ले कन अब
चूं क जा त समूह और वण
व
ा भी आं शक
पर आधा रत थे । उ
व
प से उ
ा सामा जक जीवन म मजबूती से
वण क ओर झुक
वण को शु
अपे ा क जाती थी। शू
ई थी। द वानी और फौजदारी कानून वण वभाजन
माना जाता था और उ
पर सभी अ मता
ा पत हो गई थी इस लए कानूनी
वण से नै तक आचरण के उ
को लगाया गया था । उ ह न के वल समाज के नचले पद
पर धके ल दया गया ब क धा मक और कानूनी अ धकार से भी वं चत कर दया गया। शू
और अ य लोग के खलाफ कए गए अपराध को कड़ी सजा द जाती थी जब क शू
गए अपराध को ह का दं ड दया जाता था । स वल और आपरा धक कानून शाही एजट
कया गया था जो
मक
ारा ा ण
के खलाफ कए
ारा शा सत
तशोधी कानून का पालन करते थे आपरा धक अपराध बदला लेने के वचार से
शा सत होते थे यानी दांत के बदले दांत और आंख के बदले आंख ।
सामा जक आ थक वषमता
के उभरने के बावजूद र तेदारी के बंधन अ यंत मह वपूण बने रहे और
अंततः जा त पदानु म म शा मल कए गए। व ता रत नातेदारी समूह को नाट और नाट कु लानी कहा
जाता था । कु ला ने पतृस ा मक प रवार का व तार कया जब क नाटक म माता और पता दोन प
के र तेदार शा मल थे। नातेदारी के बंधन के मह व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है क य प
बौ भ ु को पा रवा रक बंधन का प र याग करना माना जाता था मठ के नयम उनके लए अनुम त
दे ने के लए झुके ए थे। घर म पतृस ा मक नयं ण के मजबूत होने से म हला
ई। म हला
माना जाता था
क कामुक ता पर स त नयं ण न के वल संप
क अधीनता म वृ
के पतृस ा मक संचरण के लए आव यक
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ब क अंत ववाही जा त
वभ
ा णवाद बौ
व
ा को बनाए रखने और बनाए रखने के लए भी।
और जैन ंथ म हला
क नन
आदश आचार सं हता नधा रत करते ह और उनक अपे
त क ओर इशारा करते ह। वे म हला
त भू मका
को प रभा षत करते ह। प रवार के बढ़ते
पतृस ा मक व प को दे ख ते ए यह आ य क बात नह है क बे टय पर बेट क
नरंतरता और पता और पूवज के अं ये
नकाय म बु
सं कार के
ने उससे कहा
पम
तुत कया गया है जो एक बेट के ज म
चता मत करो वह एक पु ष संतान से बेहतर सा बत हो सकती है। वह बु
और गुण ी हो सकती है। वह अपनी सास का स मान करेगी और अपने प त के
ज म दे सकती है वह महान काय कर सकता है। ये श द नारी व से जुड़ी अपे
समाज
प से चार वण म वभा जत था
ा ण
व
ा का गठन करते थे कसान और करदाता
करते थे उ ह शू कहा जाता था। उ
त भू मका
को
का योग करते ह।
येक वण के काय को
य कहा जाता था पुज ारी और श क
क संग त से परहेज कया ब क उनके साथ
वैवा हक संबंध म वेश करने से भी इनकार कर दया। एक शू को कसी भी उ
पद पर नयु
नह थी और इसका मतलब के वल दास कारीगर और खे तहर मज र के
ज
पम
ा ण
सेवा करना था।
.
ारं भक
न न ल खत का मलान कर A.
महामा
बी ब लसाधक
C. गहप त D. सेठ
म। कर सं ाहक
तीय। धनी जम दार iii. उ
पद
प से
को वै य कहा जाता था और जो सभी वग क सेवा
वण के सद य ने न के वल शू
अ यास
मान
त वफादार रहेगी। वह जस लड़के को
य वै य और शू ।
नधा रत कया गया था। इस णाली के अनुसार शासक और यो ा
ा णवाद
ाथ मकता बनी रही। वंश क
दशन के लए पु को आव यक माना जाता था। संयु ा
को सेनजीत कोशल के राजा को सां वना दे ने के
पर परेशान थे। बु
के लए एक
अ धकारी iv. धनी
ापारी
करने क अनुम त
य और वै य क
Machine Translated by Google
ए
ए ii बी आई सी iii डी iv बी
ए आई बी ii सी iii डी iv सी
ए iv बी iii सी ii डी आई डी
A iii B i C ii D iv
.
न न ल खत कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
पहले स के आहत चाँद और ताँबे के स के थे। i
ii
महाजनपद के युग क मु य फ़सल गे ँ और जौ थ । iii
पीजीड यू चरण के बाद एनबीपीड यू चरण आया। iv
सेनानायक ारा कर वसूल कया जाता था । ए म और III बी
ये सभी सी ii
iii और iv डी
इनम से कोई भी
.
न न ल खत से मेल नह खाता
म। चंपा
A. मगध B. अंग C.
तीय। वाराणसी
कोसल
तृतीय। राजगृह
डी. काशी
ए
चतुथ।
ाव ती
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी iv सी आई डी ii सी
ए iii बी आई सी iv डी ii डी
A ii B iii C iv D i NBPW
.
चरण के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर और सही वक प को च त कर।
चावल NBPW चरण का मु य आहार था। i
ii
कसान को धान क बजाई क जानकारी थी। iii
NBPW चरण ने सरे शहरीकरण क शु आत को च त कया।
iv
NBPW चरण म पक
इन सब
ई ट और रग कु
का उपयोग कया गया था। ए
Machine Translated by Google
बी
तीय और तृतीय सी
इनम से कोई नह d i
ii और iii न न ल खत
.
का मलान कर A. ब बसार
म। वैवा हक गठबंधन
B. अजातश ु C. उद यन
तीय। आ ामक नी त iii। पाट लपु
म कले का नमाण iv. राजधानी को वैशाली म
D. शशुनाग a
ानांत रत कया
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
A i B iv C iii D iii न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और चुन क या यह फारसी भाव का प रणाम था
अशोक के शला संपादन क बेल के आकार क राजधानी।
म
iii
खरो ी ल प एक पं
म दाएँ से बाएँ लखी जाती है और ii फर अगली पं
म बाएँ से दाएँ लखी जाती है।
मौयकालीन मू तकला पर भाव। ए
ये सभी b ii और
iii c i और iii d
इनम से कोई भी
.
महाजनपद के लोग क धा मक था
लोग पेड़ और जानवर के
तीय
प म दे वता
आम तौर पर लोग ा णवाद
समाज
और सती iv
चतुथ
के बारे म न न ल खत कथन पर वचार न कर। म
व
क पूज ा करते थे।
ा म व ास करते थे और शू
का सभी ारा शोषण कया जाता था।
प से चार वण म वभा जत था। iii
था के
चलन और गरीब माता पता ारा लड़ कय क ब
के पया त माण ह। ए म
तीय
Machine Translated by Google
बी ii iii और iv सी म
और iii डी
इन सभी म सकं दर
.
के आ मण और रा य के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर जो सही ह।
फार सय के मा यम से यूना नय को भारत क महान संप
म
तीय
सकं दर ने
त
के बारे म पता चला।
ईसा पूव के आसपास भारत पर आ मण कया । iii
शला के शासक पोरस ने सकं दर के साथ बहा री से लड़ाई क जब क राजा अ
ी ने सकं दर के सामने न तापूवक
समपण कया। iv
सकं दर ने मगध पर वजय ा त क । ए म ii और iv बी
ii iii और iv सी म और
ii डी
इन सभी म फारसी
.
आ मण और रा य के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर जो सही ह।
यूना नय
म
तीय
ारा भारत पर आ मण करने से पहले भारत फारसी संपक लगभग
वष तक चला।
साइरस भारत पर आ मण करने वाला पहला शासक था। iii
गांधार का उ र प
मी ांत फारसी सा ा य का
वां
प था। iv
भारतीय वषय को भी फारसी सेना म नामां कत कया गया था। ए म ii और iv बी ii iii और iv
सी म और iii डी
ये सभी न न ल खत
से मेल खाते ह
.
ए ब बसार
म। हयक राजवंश।
B. अजातश ु C. अशोक
वैशाली
तीय। राजधानी को
ाना त रत कया। तृतीय। मौय राजवंश iv.
शायद अपने पता को मार डाला।
डी शशुनाग
Machine Translated by Google
ए
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
ए आई बी iv सी iii डी ii
।
न न ल खत का मलान कर i. बु
एक।
का ज म
ान लुं बनी
त है।
कोशल
बी।
तीय। बु
का दे हावसान कु सीनारा म आ जो इस रा य का एक भाग है। तृतीय। महावीर कु ल के इस
म ल
संघ से संबं धत
सी।
थे।
व
स
डी.
iv. राजा उदयन इसी
ान के ह जो तीन मुख नाटक के नायक ह।
वस
ए
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
ए आई बी iv सी iii डी ii
.
न न ल खत का मलान कर A.
पाट लपु B. राजगृह C.
म। कोशल क राजधानी ii. पानी
उ
का कला
ैन D.
ाव ती
तृतीय। अभे
ए
जैसा क पाँच पहा ड़य से घरा आ है iv. अवंती क राजधानी
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
ए आई बी iv सी iii डी ii
।
न न ल खत कथन पर वचार क जए और जो वक प गलत है उसे च हत क जए।
लोहे के औजार और ौ ो गक ने i बड़े रा य के वकास म सहायता क ।
चार सबसे श
शाली महाजनपद मगध के थे ii
कोशल व स और अव त।
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iii महाजनपद अ धकतर व य के उ र म
लोग क अब जन के बजाय जनपद के
त थे। iv
त न ा थी ।
ए म और III बी
ये सभी सी ii
iii और iv डी
इनम से कोई नह
न न ल खत कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
है।
सही।
म
हयक वंश के सं
ापक राजा ब सार या ब बसार थे।
तीय
अजातश ु ने वैशाली को अपने रा य म मला लया। iii
शशुनाग क सबसे बड़ी उपल
महाप
अवंती क श
का वनाश थी। iv
नंदा ने एकरात क उपा ध धारण क । ए म और III
बी
ये सभी सी ii
iii और iv डी
इनम से कोई नह
के
न न ल खत कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
. मगध क सफलता
पीछे के कारण को सही ठहराता है i
गंगा बे सन के उपजाऊ मैदान के कारण मगध क उ
आय थी।
तीय
मगध क पहली राजधानी राजगृह एक जल कला था। iii
सरी राजधानी पाट लपु
गंगा और सोन के संगम पर एक रणनी तक
तम
त
थी। iv
मगध के लोग के अपरंपरागत च र ने भी रा य के गौरव म वृ
बी
ये सभी सी ii
iii और iv
क । ए म iii और iv
Machine Translated by Google
डी
इनम से कोई भी
न न ल खत से मेल नह खाता
.
ए न का
म। स का
बी वेसास
तीय। रा य अ धकारी
सी. ा मणी
D. आयु
तृतीय। ाम धान iv.
ापारी ग लयां
क
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
A i B iv C iii D ii न न ल खत
का मलान कर
.
ए चेट
म। शशुपाल
B. मगध C. त
ब सार
शला
तृतीय। अ
डी अवंती
ए
तीय।
iv.
ी
ोत
ए आई बी ii सी iii डी iv बी
ए iii बी आई सी ii डी iv सी
ए ii बी iii सी iv डी आई डी
A i B iv C iii D ii
न न ल खत कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
म
शशुनाग के बाद हयका
ने शासन कया।
अजातश ु ने सकं दर से यु
शशुनाग क सबसे बड़ी उपल
महाप
. गलत है।
तीय
कया iii
अवंती क श
नंदा ने क लग को ा त कया। ए म और
का वनाश थी। iv
तीय बी
ये सभी सी ii iii
और iv डी
इनम से कोई नह
न न ल खत कथन पर वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
सही।
है।
Machine Translated by Google
ब बसार ने पी लया से पी ड़त अवंती के राजा क मदद के लए अपने शाही च क सक जीवक को
म
उ
ैन भेज ा।
तीय
अजातश ु ने वैशाली के खलाफ अपनी लड़ाई म दो नए सै य ह थयार का इ तेमाल कया। iii
बड़े पैमाने पर हा थय का इ तेमाल सबसे पहले मगधवा सय ने कया था। iv
महाप
नंदा ने उद यन को हराया। ए म ii और iii बी
ये सभी सी ii
iii और iv डी
इनम से कोई नह
वष से पूव के सामा जक जीवन के बारे म न न ल खत कथन पर वचार कर।
मौय काल और जो वक प सही है उस पर नशान लगाओ। म
कानूनी और सामा जक
तीय
म हला
व
ा शू
के खलाफ आं शक
प से प पाती थी।
का अ य धक स मान कया जाता था और उ ह काफ वतं ता ा त थी।
iii सभा और स म त क लोक य सभा
ने अपना मह व खो दया। iv
गण संघ क राजनी त और सामा जक जीवन रा य क तरह कठोर नह था। ए म और iii बी म
iii और iv सी ii iii और iv डी
इनम से कोई नह
जवाब
.
डी
.
ए
.
सी
.
ए
.
ए
.
सी
Machine Translated by Google
.
बी
.
सी
.
डी
.
डी
।
ए
.
सी
.
डी
.
सी
.
ए
.
डी
.
ए
ए
.
ए
बी
.
.
अ यास
.
मे स
छठ शता द ईसा पूव म महाजनपद कहे जाने वाले बड़े
महाजनपद कौन से थे और उनम से कौन सबसे श
े ीय रा य का उदय आ। इतने बड़े रा य के उदय के
शाली बनकर उभरा उपयु
उदाहरण दे ते ए
भारत पर फारसी और मैसेडो नयन आ मण के
.
शासक क भू मका को रेख ां कत कर।
.
मौय पूव काल के सामा जक राजनी तक और शास नक जीवन का वणन क जए। या सरे शहरीकरण म
.
भाव का वणन कर मगध क सफलता के कारण क चचा कर वशेष
ापारी कन मुख माग का अनुसरण करते थे और सामा य
गण संघ रा य से कस कार भ थे
कर।
ापा रक व तुए ँ या थ
मुख
क जए।
.
य द हाँ तो
या कारण थे
प से इसके
मुख
ापार एक मुख कारक था
इन सभी मु
को अपने उ र म हल कर।
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बौ
धम और जैन धम
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छठ शता द ईसा पूव महान धा मक उथल पुथल का काल था। चीन म क यू शयस ईरान म जरथु टर और ीस म परमेनाइड् स
जैसे महान श क ने
ा पत सामा जक धा मक मानदं ड पर सवाल उठाया और नै तक और नै तक मू य पर अ धक यान क त
कया। भारत म प र य अलग नह था। भारत ने दो महान वैक पक धम का वकास दे ख ा बौ
इस बात पर जोर दया क स
अ
ा सुख भौ तक समृ
या कमकांड के
े सामा जक आचरण म है। इन दो मह वपूण और श
धम और जैन धम। इन धम ने
दशन म नह है ब क अ हसा दान मत
शाली धा मक सुधार आंदोलन क उ प
यता और
और लोक यता के लए
व भ कारण को ज मेदार ठहराया जाता है।
उप
एक।
के कारण
ा ण के वच व के खलाफ
ा ण
सरे
य वै य और शू ।
य क
त
या उ र वै दक समाज
य ज ह ने शासक और यो ा
कया
प म काय कया वण पदानु म म
ान पर थे। उ ह ने ा ण के कमकांड के वच व और पुरो हत वग ारा ा त व भ
उपहार ा त करना और कराधान और दं ड से छू ट के खलाफ कड़ी
क बु
के
प से चार वण म वभा जत था
और महावीर बौ
धम और जैन धम के
य वण के थे। समान
प से दलच
मुख नेता दोन
त य यह है क बौ
ा णवाद दावे को खा रज करते ह और ा ण के रक के
त
या
वशेषा धकार जैसे
क । यह आ यजनक नह है
ज ह ने ा ण के अ धकार का कड़ा वरोध
पाली ंथ अ सर ज मजात
म को उलट दे ते ह इस कार
े ता के
य को ा ण से
ऊपर रखते ह ।
बी।
नई कृ ष अथ व
उ लेख कया है
ा का उदय जसने पशुपालन क मांग क छठ शता द ईसा पूव म जैसा क हमने पहले
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आ थक और राजनी तक ग त व ध का क ह रयाणा और प
मी यूपी से पूव यूपी और बहार म
ानांत रत हो गया जहां अ धक वषा और अ धक उपजाऊ भू म थी। चूं क अब बहार और आस
पास के े के लौह अय क संसाधन का दोहन करना आसान हो गया था इस लए लोग ने घने
जंगल को साफ करने और अब तक अनछु ए
े
म खेती करने के लए लोहे के औज़ार और हल
के फाल का अ धक से अ धक उपयोग करना शु कर दया। लोहे के फाल पर आधा रत कृ ष
अथ व ा को बैल के उपयोग क आव यकता थी और इस कार के वल पशुपालन से ही फल
फू ल सकता था। ले कन पशु ब ल क वै दक था के प रणाम व प मवे शय क अंधाधुंध ह या
ई और नई कृ ष अथ व
क
रता और समृ
ाक
ग त के रा ते म खड़ी ई। इस कार नई कृ ष अथ व
के लए पशु
के इस वध को रोकना पड़ा। चूँ क बौ
ा
धम और जैन धम
दोन ने अ हसा क वकालत क और कसी भी कार के ब लदान के स त खलाफ थे वे कसान
जनता के लए आशाजनक पाए गए।
सी।
वै य और अ य
ापा रक समूह
ारा बौ
धम और जैन धम का संर ण जो बेहतर सामा जक
त और शां त का शासन चाहते थे जैसा क हम अ
तरह से जानते ह छठ शता द ईसा
पूव को भारतीय उपमहा प म सरे शहरीकरण के युग के
प म जाना जाता है ।
कृ ष के व तार के प रणाम व प खा आपू त म सुधार आ और श प उ पादन
शहरी क
के वकास म मदद मली। मु ाशा
पीएमसी क खोज म
ापार का वकास प रल
वाराणसी वैशाली चंपा कौशा बी और उ
और
य
ापार और
ारा हजार चाँद और ताँबे के आहत स क
त होता है । पाट लपु
राजगृह
ाव ती
ैनी जैसे साठ से अ धक क ब और शहर का वकास
ईसा पूव के बीच आ।
ये शहर श प उ पादन और
ापार के क बन गए और बड़ी सं या म कारीगर और
ापा रय
ारा बसे ए थे।
इस सामा य आ थक ग त के कारण वै य और अ य
ा ण क तुलना म बेहतर सामा जक
वण
व
ापा रक समूह का उदय आ जो
त चाहते थे । चूं क बौ
ा को कोई मह व नह दया इस लए बौ
धम और जैन धम ने मौजूदा
धम और जैन धम जैसे गैर वै दक धम को
पया त दान के मा यम से संर ण दे ना पसंद कया। भी
Machine Translated by Google
बौ
धम और जैन धम दोन ने अ हसा के स ांत का चार कया जो व भ रा य के
बीच यु
को समा त कर सकता था और प रणाम व प
ापार और वा ण य को बढ़ावा दे
सकता था जो इस आ थक वग के लए फायदे मंद था।
डी।
बौ
और जैन धम के सरल तप वी शां त के
वीकार करना कृ ष म सुधार और
त स ांत को सामा य जन लोक य
ारा
ापार धन और शहरीकरण के वकास का भाव समाज
पर भी पड़ा। इन प रवतन के कारण पारंप रक समानता और भाईचारे ने असमानता और
सामा जक संघष को ज म दया। लोग हसा
सामा जक सम या
ू रता चोरी घृण ा और झूठ जैसी बढ़ती
से कसी कार क राहत चाहते थे । सामा य लोग सरल आ दम और
नमल जीवन क ओर लौटने के लए तरस रहे थे। इस लए जब बौ
और जैन धम जैसे नए
धम ने शां त और सामा जक समानता सरल और शु तावाद तप वी जीवन क अवधारणा
का चार कया तो लोग ने इसका वागत कया।
गौतम बु
बौ
और
धम
ारं भक बौ
गौतम बु
और बौ
सा ह य
धम के व भ अ य पहलु
से ली गई है। ारं भक बौ
के बारे म हमारी समझ यादातर ारं भक बौ
सा ह य आम तौर पर व हत और गैर व हत ंथ म वभा जत है। ामा णक
ंथ वे ंथ ह जो कसी न कसी
प म सीधे गौतम बु
से जुड़े ए ह। हालाँ क व भ बौ
म मतभेद मौजूद ह क कौन से ंथ ामा णक ह। उ ह के वल उन पु तक के
जो बौ
सा ह य
व ालय
प म समझा जा सकता है
धम के मूल स ांत और स ांत को नधा रत करती ह जैसे क त पटक तीन पटक ज ह
पाली स ांत भी कहा जाता है । गैर व हत ंथ या अध व हत ंथ ऐसे ंथ ह जो बु
ले कन व हत ंथ पर ट प णयां और अवलोकन धम ध मपद पर ंथ
के कथन नह ह
Machine Translated by Google
पाली त बती चीनी और अ य पूव ए शयाई भाषा
म ऐ तहा सक जानकारी उ रण प रभाषाएं
ाकरण और अ य लेख । कु छ मह वपूण गैर व हत ंथ म लदप हो पाली म लखे गए ह इसम इंडो ीक
राजा म लडा मेनडर और भ ु नागसेन के बीच व भ दाश नक मु
मागदशन क पु तक जो एक जुड़ा आ ववरण दे ता है बु
क श ाएँ
माग बु घोष ारा ल खत अनुशासन क शु ता से नवाण
नदानकथा बु
ह बु
पर एक संवाद शा मल है ने तपाकरण
वशु
म गा प व ता का
ानोदय तक के वकास से संबं धत है
क पहली जुड़ी ई जीवन कहानी द पवंश और महावंश पाली म ल खत दोन म शा मल
के जीवन बौ
प रषद अशोक और
लेख ाजोखा और महाव तु म
ीलंक ा म बौ
धम के आगमन का ऐ तहा सक सह पौरा णक
त सं कृ त ाकृ त म लखा गया है यह बु
क प व जीवनी यानी बु
क जीवनी बताता है।
पटक पाली म और
मूल
प से लखी गई बौ
पटक सं कृ त म का अथ है तीन टोक रयाँ सं ह लंबी संक री प
श ा
के शु आती संक लन म से एक है । बौ
भ ु
को तीन टोक रय म लखा और वग कृ त कया जससे तीन टोक रयाँ नाम क उ प
सभी शाखा
म
पारंप रक श ण
एक।
पटक उनके मूल शा
वनय अनुशासना मक सं हता
सु पटक सू
के
के ह से के
ने बु
क श ा
ई। बौ
धम क
प म है जसम तीन पु तक शा मल ह सु
और अ भध म नै तक मनो व ान ।
वचन क टोकरी इसम संवाद के
प म व भ सै ां तक मु
पर बु
वचन शा मल ह। इन ंथ को बु वाचन या बु के श द के प म भी जाना जाता है
य क यह उन ंथ को संद भत करता है जनम बु ने वयं कहा था। कु छ सू के अपवाद
के साथ इस पाठ के अ धकार को सभी बौ
व ालय
वचन को उनके दए जाने के तरीके के आधार पर
बी।
य पर
वनय पटक अनुशासन टोकरी इसम मठवासी
व
व
ारा वीकार कया जाता है। इन
त कया गया था।
ा संघ के भ ु
और नन के लए
नयम शा मल ह। इसम पा तमो का शा मल है मठवासी अनुशासन और इनके लए ाय
के खलाफ अपराध क एक सूची। मठवासी नयम के अलावा वनय ंथ म सै ां तक
ा याएं अनु ान ंथ
त
Machine Translated by Google
जीवनी संबंधी कहा नयाँ और जातक या ज म कथाएँ के कु छ त व।
अ भध म पटक उ
सी।
मा यम से सु
श ा
पटक क श ा
क टोकरी इसम सारांश
का गहन अ ययन और
और उ र सू चय आ द के
व
तकरण शा मल है।
तीन पटक को नकाय पु तक म वभा जत कया गया है । उदाहरण के लए सु
होते ह द घा नकाय लंबे वचन का सं ह म झमा नकाय म यम लंबाई के
नकाय स ब
त कथन का सं ह अंगु र नकाय
पटक म पाँच नकाय
वचन का सं ह संयु ा
वचन का सं ह सं या और खु क नकाय छोटा
सं ह । खु क नकाय को आगे पं ह पु तक म वभा जत कया गया है उनम से मुख ह जातक बु
पछले ज म क कहा नयाँ ध मपद नै तक कथन से संबं धत छं द
इ तहास प तस
बु
दा व
का जीवन
नदे सा
ेषणा मक ान थेरगाथा और थेरीगाथा बौ
दशन बु वंश बु
भ ु
के
का
और भ ु णय के गीत ।
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बु
क जीवनी प व जीवनी को सु और वनय पटक म सं
बु च रत महाव तु और नदानकथा के
परंपरा के अनुसार गौतम बु
त कया गया है
जसे बाद म
ंथ म अ धक व तृत और जुड़े ए तरीके से समझाया गया है।
ज ह शा यमु न
तथागत के नाम से भी जाना जाता है का ज म
ईसा पूव म वैशाख पू णमा के दन लुं बनी क पलव तु नेपाल के पास म स ाथ के
गणतं शा य कबीले के
प म सुधोधन
मुख ज ह ने कोसल सा ा य म क पलव तु से शासन कया था के यहाँ आ
था। . उनक माता महामाया कोशल वंश क राजकु मारी ने ज म दया और उनके ज म के सात दन बाद
उनक मृ यु हो गई।
इस कार स ाथ का पालन पोषण उनक सौतेली माँ गौतमी ने कया। ऐसा माना जाता है क उनके ज म
के तुरंत बाद कु छ ा ण ने उनके शरीर पर एक महापु ष महापु ष के
क क या तो वे व
वजेता ह गे या व
नशान दे ख े और भ व यवाणी
यागी ह गे। उनके पता उ ह याग के माग से र रखना चाहते
थे इस लए उ ह ने उ ह सभी ख से बचा लया और उ ह वला सता और आराम म पाला।
बु
वष क अ पायु म उनका ववाह यशोधरा से आ और रा ल नाम का एक पु
क आयु म एक बूढ़े
एक बीमार
आ। हालाँ क
वष
एक लाश और एक स यासी को दे ख कर उ ह ने एक
प थक बनने का फै सला कया और अपने सारथी च ा और अपने पसंद दा घोड़े के साथ अपना महल छोड़
दया
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कं थक स य क खोज म महा भ न
के
मण महान याग और छह साल तक भटकते रहे। उ ह ने उस युग
ा पत श क के साथ यान कया पहले अलारा कलाम के साथ और फर उ क रामपु के साथ
ले कन उनके नदश से आ त नह थे क मनु य मान सक अनुशासन और ान से ही ःख से मु
ात
कर सकता है। बाद म पांच घुमंतू तप वय क ड ा भ या व पा महानामा और असाजी के साथ
उ ह ने तब तक घोर तप या क जब तक क उनका शरीर लगभग
क तप या से स
ीण नह हो गया। यह महसूस करते ए
नह हो सकती उ ह ने उ ह याग दया। उनके पांच तप वी साथी उनक
तीत होने
वाली वफलता से नराश होकर उ ह छोड़कर सारनाथ के लए रवाना हो गए। फर वह सेनानी गाँव क
ओर चला गया जहाँ उसे एक नचली जा त क गाँव क लड़क सुज ाता ने ध चावल का कटोरा दया ।
एक घास काटने वाले से चटाई के लए कु श घास का उपहार वीकार करते ए वह पूव क ओर मुख
करके एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया ।
यहां उ ह ने संक प लया क जब तक ान क
ा त नह हो जाती तब तक वे दोबारा नह उठगे।
यहाँ इस आसन पर मेरा शरीर मुरझा सकता है मेरी वचा
मेरी ह याँ मेरा मांस वलीन हो सकता है ले कन मेरा शरीर
इस आसन से तब तक नह हलेगा जब तक मुझ े आ म ान
ा त नह हो जाता है जो क कई क प के दौरान
ा त करना क ठन है ।
जैसे ही गौतम गहरे यान म बैठे
म के दे वता मारा ने यह महसूस कया क उनक श
उ ह उनके उ े य से वच लत करने के लए दौड़ पड़े। गौतम ने पृ वी को
अन गनत ज म का गवाह बनने के लए कहा जसने उसे ान के इस
गई तो गौतम के श द क स यता क पु
इसके बाद होने वाले महाका
यु
श कया और उसे पु य के
ान तक प ँचाया। जब पृ वी हल
करते ए मारा ने रा स क अपनी सेना को खोल दया।
म गौतम का ान
म से टू ट गया और उनक क णा क श
रा स के ह थयार को फू ल म बदल दया। मारा और उसक सारी सेना अ व
कार
ने
ा म भाग गई। इस
वष क आयु म उ ह ने अंततः गया मगध बहार म नरंज ना नद के तट पर उ वेला म एक
पीपल के पेड़ के नीचे नवाण
के पेड़ को
टू टने वाली थी
स
बो ध वृ
के
ान ा त कया और बु
बु
के
प म जाना जाने लगा । पीपल
प म जाना जाता था। ऐसा माना जाता है क अशोक क रानी तसार खा
पेड़ से ई या करती थी और रानी बनने के तीन साल बाद यानी अशोक के शासन के उ ीसव वष म
उसने मांडू के कांट के मा यम से पेड़ को मार डाला। हालाँ क पेड़ फर से बढ़ गया।
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सरी शता द ईसा पूव म राजा पु य म शुंग ारा और
सीई म राजा शशांक ारा पेड़ को फर से
काट दया गया था । हर बार जब पेड़ न हो जाता था उसी
और बोधगया म यह पेड़ अभी भी बौ
बु
ान पर एक नया पेड़ लगाया जाता था
ारा पूज नीय है।
ने सारनाथ के एक हरण पाक म अपने पांच पूव सा थय को पीड़ा से मु
दया। इस घटना को ध मच का पव न के
पर अपना पहला उपदे श
प म जाना जाता है जसका अथ है धम का प हया
घुमाना । उनके पांच श य ने ज द ही वयं स य को जान लया और अहत बन गए। बु
भटकते रहे चार दशक से अ धक समय तक अपने स ांत क श ा दे ते रहे और भ ु
भ ु णय के एक संघ क
ापना क जसे संघ के
आयु म कु सीनारा म ल म
श द थे
बु
सभी म
त चीज
प म जाना जाता है। उ ह ने अंततः
इधर उधर
और
वष क
त म प र नवाण ा त कया। ऐसा माना जाता है क उनके अं तम
य होती ह लगन से यास कर ।
को पांच प म दशाया गया है कमल और
• बैल ज म घोड़ा याग बो ध
• वृ
महाबो ध ध मच
वतन
•
•
थम उपदे श पद च
नवाण
•
बौ
बु
धम के स ांत
के स ांत का मूल अ रया स
नी चार महान स य अ ां गका माग आठ गुना पथ म य माग
सामा जक आचार सं हता और नवाण नवाण क
बु
ा तम
कया गया है।
बताते ह क उनक श ाएँ एक बेड़ा क तरह ह जो जीवन और पीड़ा क अशांत नद को पार करने
म मदद करती ह। एक बार पार हो जाने के बाद हम अपने साथ नाव चलाने क आव यकता नह है।
सरे श द म बु
आ ह करते ह क
को अपनी श ा
स हत कसी भी चीज़ से आस
नह
होना चा हए । उपदे श के वल उपाय कु शल साधन या समीचीन उपकरण ह और इस कार हठध मता
नह ह
यह चं मा क ओर इशारा कर रही उं ग लयां ह और कसी को चं मा के लए उं गली को
नह करना चा हए।
उनक श ा म तीन मह वपूण तंभ ह बु
• श क ध म श ाएँ
•
सं
ापक
मत
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• संघ बौ
भ ु
न नय का
काय करते ह और बु
के स ांत के
आ म ान के लए संघष करते ए बु
श ा
म जो ध म उपासक या उपासक के मशाल वाहक के
पम
सार म एक मुख कारक ह
ने ध म चार महान स य क खोज क थी जो बौ
धम क क य
का नमाण करते ह। चार आय स य ह
बु
ख का स य
एक।
कसी
के चार आय स य
ख बु
ने सखाया क सब कु छ ख है स बम
ारा अनुभव कए गए वा त वक दद और ख को संद भत करता है ब क इन
चीज को अनुभव करने क
बी।
सी।
मता को भी दशाता है।
ख के कारण का स य समुदाय
इ
खम । यह न के वल
ा तृ णा
ख जीवन का ह सा है और इसके पीछे एक कारण है।
ख का मु य कारण है।
ख के अंत का स य नरोध
नवाण नबाण ा त करके इस पीड़ा को समा त कया जा
सकता है ।
डी।
ख के अंत क ओर ले जाने वाले माग का स य अ ां गक माग एक ऐसा माग है जो ख
के अंत क ओर ले जाता है।
बु
ने लोग से इन चार आय स य म से
येक को पूरी तरह से समझने और शां त और खुशी क ओर ले
जाने वाले माग पर बने रहने के तरीक का अ ययन करने यान करने सोचने और काय करने का आ ह
कया। वरोधाभासी
प से आठ गुना पथ सीखने के बजाय सीखने के बारे म अ धक है यानी सीखने
और उजागर करने के लए सीखना। इस पथ म आठ आपस म जुड़ी ई ग त व धयाँ ह और यह एक
है
या
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को उन सशत
त
या
से परे जाने म मदद करता है जो उसके वा त वक व प को अ
करती ह। अ ां गका माग म
न न ल खत शा मल ह
.
सही
या समझ स मा द ी यह वा त वकता क
कृ त और प रवतन के माग क सही
या समझ का
तीक है।
.
सही वचार या
कोण स मा संक पा यह भावना मक बु
म ा और ेम और क णा से अ भनय करने का
तीक है।
.
सही या संपूण भाषण सममा वाका यह
.
स यक् या सम
स
ा उ
ान और गैर हा नकारक संचार का तीक है।
या स मा कमंत यह वयं और सर के गैर शोषण के स ांत के आधार पर जीवन क एक
नै तक न व का तीक है। इसम द फाइव
लोकध मय के सद य के
से ट् स
श ण नयम शा मल ह जो मठवासी
व
ा और
वहार को नयं त करने वाली एक नै तक आचार सं हता क तरह ह। न न ल खत
पाँच उपदे श ह
एक।
हसा न कर
ा णय क जान लेने से बचने के लए
पर लागू होता है न क के वल मनु य पर
श ण लेने के लए यह उपदे श सभी जी वत ा णय
य क सभी ा णय को अपने जीवन का अ धकार है और उस
अ धकार का स मान कया जाना चा हए।
बी।
सर क स
का लोभ न करना नह द
ई व तु को लेने से बचने का
श ण लेना यह शील है
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के वल चोरी करने से कह आगे जाता है
य क यह उपदे श दे ता है क कसी को कु छ भी लेने से तब
तक बचना चा हए जब तक क कसी को पूरी तरह से यक न न हो क यह के वल उसके लए है।
सी।
था
या कामुक
वहार म ल त न ह कामुक राचार से बचने के लए
श ण लेने के
लए यह नयम कसी भी कामुक सुख जैसे लोलुपता या यौन कृ त के कदाचार म अ तभोग को
शा मल करता है। लोकध मय के लए
डी।
चय का
झूठ न बोल झूठे भाषण से वरत रहने का
ान प व ता ने ले लया।
श ण लेने के लए इस शील म नदा झूठ छल और
भाषण जो सर के क याण के लए फायदे मंद नह है को शा मल कया गया है।
इ।
मादक
का सेवन न कर नशे और माद उ प करने वाले पदाथ से र रहने का
के लए यह शील एक वशेष
श ण लेने
ेण ी म आता है य क यह वयं शराब म कसी भी आंत रक बुराई
का अनुमान नह करता है ले कन इस तरह के पदाथ म ल त होने का व ास करता है अ य चार
उपदे श को तोड़ने का कारण हो सकता है।
इनके अलावा भ ु
और भ ु णय को तीन अ त र
नयम का कड़ाई से पालन करना था जो ह म या के बाद
खाने से बचना i.
नाचने गाने गाने बजाने आ द से र रहना ii. मनोरंज न साथ ही कसी
सुशो भत करने के लए इ तेमाल कए जाने वाले इ
उ
गहने और अ य व तु
को सजाने या
का उपयोग करने से बचना
या शानदार ब तर का उपयोग करने से और सोने और चांद धन स हत से नपटने से
तृतीय।
.
सही आजी वका या उ चत आजी वका स मा अजीवा यह सही कारवाई और गैर शोषण के नै तक स ांत
पर आधा रत आजी वका का तीक है। बु
.
सही यास या ऊजा जीवन श
के अनुसार इसने एक आदश समाज का आधार तैयार कया।
सम वायमा यह सचेत
प से हमारी जीवन ऊजा को रचना मक और
उपचारा मक कारवाई के प रवतनकारी पथ पर नद शत करता है जो पूण ता को बढ़ावा दे ता है इस कार
सचेत वकास क ओर बढ़ रहा है।
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सही दमागीपन या पूण पूण जाग कता स मा सती यह वयं के बारे म जाग कता
.
वक सत करने और वयं के
य द आप अपने आप को
वहार को उ सुक ता से दे ख ने का तीक है। बु
य मानते ह तो अपने आप को अ
सही एका ता या यान स मा समा ध यह आ म ान या बु
.
तीक है। समा ध का शा दक अथ है एक ब पर
और आगे जाता है और
जाग कता के व भ
बु
ापना का
तरह दे ख ।
व के अथ म समा ध का
र लीन या
अथ का पहला तर एका ता है जब मन एक ही व तु पर
ा पत होना इस कार
र होता है। अथ का सरा तर
त न ध व करता है न के वल मन का ब क चेतना और
तर या तरीक म संपूण अ त व का भी।
ारा सखाए गए माग को अ सर म य माग अ य धक भोग और चरम तप के बीच का माग के
म संद भत कया जाता है। यह यान दया जाना चा हए क यहां सही का अथ उ चत
अभ
कहते ह क
है।
संपूण
प
पूण
पूण और प रपूण । यह ज री नह क गलत के वपरीत सही हो। उदाहरण के लए
सही जाग कता के वपरीत गलत जाग कता ज री नह है। यह के वल अपूण हो सकता है। बु
ने इस बात पर जोर दया था क य द कोई
इस आठ गुना पथ का पालन करता है तो वह पुज ा रय
क सा जश के बना नवाण नवाण ा त करने के अपने गंत
नवाण नवाण बु
क श ा
तक प ंच जाएगा।
का अं तम ल य है। पाली श द न बान न और वन से मलकर बना
है । नी एक नकारा मक कण है और वन का अथ है वासना या तृ णा। तृ णा या वासना से वदा होने के
कारण इसे नवाण कहा जाता है। न बान का शा दक अथ है अनास
है ब क यह इ
ा आस
वलु त होने का तीक है। बौ
या है कोई भी श द पया त
। इसका अथ शारी रक मृ यु नह
लोभ अ ान घृण ा और यहाँ तक क अहंक ार क भावना के मरने या
के लए नवाण न तो शू यता है और न ही वनाश क
प से
त ले कन यह
नह कर सकता। न बान एक ऐसा ध म है जो अज मा
अ न मत अनुपचा रत और अ न मत है। इस लए यह शा त धुवा वांछनीय सुभा और सुख ी सुख ा
है। न बान म पीड़ा के अलावा कु छ भी शा त नह है और न ही कु छ भी वलो पत है। न बान कसी
भी
ान पर
त नह है न ही यह एक कार का वग है जहाँ एक पारलौ कक अहंक ार नवास करता
है। यह एक अलौ कक अव
ा और एक उपल
है
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ध म जो इस वतमान जीवन म भी सभी क प ंच के भीतर है।
बौ
धम यह नह कहता है क इस अं तम ल य को के वल परे के जीवन म ही प ँचा जा सकता है। यहाँ
न बान क बौ
अवधारणा और शा त वग क गैर बौ
मृ यु के बाद ा य है या बाद के जीवन म ई र या द
अवधारणा के बीच मु य अंतर है जो के वल
सार के साथ मलन है। जब शरीर शेष रहते ए इस
जीवन म नवाण क अनुभू त होती है तो इसे सोप दसेसा नवाण धातु कहा जाता है। जब एक अहत
प र नवाण ा त करता है पूण या अं तम मरणास के वल बु जैसे बु
ा णय क मृ यु के लए
उपयोग कया जाता है उसके शरीर के वघटन के बाद भौ तक अ त व के कसी भी अवशेष के बना
इसे अनुप दस न बान धातु कहा जाता है ।
यह यान दया जाना चा हए क बौ
धम
ाना तरण और न रता को वीकार करता है ले कन ई र
और आ मा आ मान के वचार को अ वीकार करता है ।
बु
के अनुसार आ मा एक मथक है। बौ
ाणी ह उनम से कसी एक के
ांड म कई
जगत और कई अलग अलग कार के
प म ज म लया जा सकता है। परंपरागत
लोक के अ त व क श ा दे ता है । शीष पर बु
लए एक बु
े
प से बौ
ह और पैमाना इस कार है बो धस व बु
ले कन जानबूझ कर सर को सखाने के लए पृ वी पर शेष
दम पर एक बु
ावक बु
लड़ने वाली आ माएँ जानवर
प से आस और पर
अ य सभी नौ अव
का
य
शय
ाएँ ह नरक से बु
येक बु
पु ष नारक य ाणी । ये दस
अपने
े
पर
येक म शेष नौ लोक ह । उदाहरण के लए मनु य के
र
े म
व तक । मनु य एक ही समय म वा त वक वाथ के लए स म
है अपने वयं के नरक का नमाण कर रहा है या वा तव म दयालु है बु
धम कहता है क मनु य को चा र क
होने के
वग य ाणी अलौ कक वग त मनु य असुर
ीता भूख े भूत और
र समावेशी ह
धम होने के दस
क क णा को दशाता है । बौ
प से दस चरण के म य ब पर रखा गया है वह या तो खुद को
अचानक या धीरे धीरे नरक म गरा सकता है या अनुशासन साधना और व ास के जागरण के मा यम से
बु
क
बु
अव
ा तक प ँच सकता है । व भ जीवन के बीच संबंध कम ारा
ा णवाद परंपरा के कमकांड के वपरीत बौ
से अ धक इरादे पर नभर करता है । बौ
परंपरा म कम एक
ा पत होता है।
या का प रणाम है जो वयं
धम अपराध और पुट क भावना
को कम करता है
या
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मन पर ब त जोर । बु
इस बात पर बल दे ते ह क यह मान सक वेदना है जैसे क प ाताप चता
ला न आ द जससे शांत और शां तपूण मन क खेती करने से बचा जा सकता है। पुनज म कसी वशेष
जीवन के कम के संचयी प रणाम
ारा नयं त होता है । यह यान रखना दलच
है क भले ही बौ
धम अ हसा अ हसा पर जोर दे ता है फर भी यह ज री नह क शाकाहार हो और भ ु
को मांस
खाने क मनाही नह थी।
बौ
धम और ा णवाद
ा ण के वपरीत बौ
भ ु
ने वण को
या के आधार पर माना
ज ह ने इसे ज म के आधार पर
लोग को वभा जत करते ए एक दै वीय वीकृ त दान क । अंगु र नकाय म यह उ लेख कया गया है
क जब कोई
संघ म शा मल होता है तो वह वेव यंती वण के बना बन जाता है। संघ म सभी
जा तय के सद य थे जैसे महाक सप सा रपु
मुख
महामो गलन
य भ ु उपाली एक नाई चुंडा लोहार ज ह ने बु
था . पाली कै नन भी रक के
भले ही बौ
धम न
पर सामा जक
व
त
म को उलट दे ता है और
मुख ा ण भ ु बु
को अपना अं तम भोजन खलाया
य वण को ा ण से ऊपर रखता है ।
प से ा णवाद परंपरा से अ धक समावेशी था फर भी इसने वग के आधार
ा का समथन कया और सामा जक मतभेद को ख म करने का ल य नह रखा। बौ
परंपरा के कु छ नयम ने यथा
त बनाए रखने क को शश क । उदाहरण के लए
थ जैसे दे नदार दास और सै नक के अपने वामी क अनुम त के बना वेश पर
वाभा वक
प से इन सामा जक ॉपआउट् स के खलाफ प पाती था। इसी तरह
धम दोन ने पा रवा रक दा य व को नभाने नजी संप
करने के गुण पर जोर दया। दोन उ पादन म
य
भ ा पर नभर रहते थे।
के
बु
धम
आनंद अ न
सार और लोक यता के कारण
वेश के लए कई शत
तबंध। यह
ा णवाद और बौ
क र ा करने और राजनी तक स ा का स मान
प से भाग नह लेते थे और समाज ारा द गई
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बौ
धम ने भारत के इ तहास पर एक
ायी छाप छोड़ी और यह धीरे धीरे मगध और दे श के अ य ह स म लोक य हो गया।
स ाट अशोक के समथन से इसने अपने पंख म य ए शया प
म ए शया और
ीलंक ा तक फै लाए धीरे धीरे एक व
धम म
प रव तत हो गया।
इसके
सार के लए व भ कारण को ज मेदार ठहराया जाता है
एक।
बौ
धम ने आम आदमी को आक षत कया
लोकतां क था। चूं क इसने वण
व
य क ा णवाद के वपरीत यह कह अ धक उदार और
ा पर हमला कया इसने वशेष
। यह सभी जा तय के लोग के लए खुला था यहाँ तक क म हला
प से न न वग का समथन हा सल कया
को भी संघ म वेश दया जाता था। समाज
के इस वग को न तो जनेऊ दया जाता था और न ही वेद पढ़ने क अनुम त द जाती थी इस लए बौ
प रवतन ने उ ह हीनता के नशान से मु
कुं वारी म
ा ण
बी।
बु
भी मली । मगध के लोग ने आसानी से बौ
ारा हेय
के
कर दया। बौ
पम
पांतरण के लए एक
धम को वीकार कर लया य क वे पहले
ढ़वाद
से दे ख े जाते थे जो मगध को प व आयावत से बाहर मानते थे।
व और उनके तक स ांत ने बौ
और मन क उप
धम को गैर वै दक लोग के
धम म
त से और क ठन प र
धम क लोक यता म अ य धक मदद क । उ ह ने अपनी बु
तय म श ता और शां त बनाए रखते ए वरो धय पर जीत हा सल
करने क को शश क ।
सी।
ा णवाद के वपरीत जसके
ंथ सं कृ त म थे और इस लए के वल कु छ ा ण के लए ही सुलभ थे। बु
श ाएं पाली आम आदमी क भाषा म थ
डी।
जसने बौ
धम के
क
सार म और सहायता क ।
मगध कोशल कौशा बी और कई अ य गण संघ और उनके लोग के राजतं
ारा संर ण ने इसक और
लोक यता म योगदान दया।
इ।
बौ
धम ने छठ शता द ईसा पूव के नए भौ तक जीवन से उ प बुराइय को कम करने का यास कया। चूँ क
बौ
को सम या
चता
सामा जक और आ थक असमानता
का अ भनव समाधान
लतनह
तुत कया। बौ
के बारे म गहरी जानकारी थी इस लए उ ह ने इन
धम ने लोग से कहा क वे धन संचय न कर
ऐसे वचार जनका लोग ने वागत कया।
ू रता या हसा म
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बौ
धम के पतन के कारण
यह वडंबना ही है क
व शता द के
ारंभ से ही बौ
धम अपनी ज म भू म से वलु त होने लगा। इसके
लए व भ कारण ज मेदार ह
एक।
बौ
धम उ ह कमकांड और हठध मता के आगे झुक गया जसक उसने मूल
प से नदा क
थी। ारंभ म यह सुधार क भावना से े रत था। ले कन धीरे धीरे यह ा णवाद क उ ह
बुराइय का शकार हो गया जनसे इसने पहले लड़ाई लड़ी थी। यह समय क अव ध म बदतर
के लए बदल गया। बौ
भ ु
ने लोग क भाषा पाली को याग दया और कु छ बु
जी वय
क भाषा सं कृ त को अपना लया।
बी।
बाद म पहली शता द सीई से उ ह ने बड़े पैमाने पर मू त पूज ा भी क और भ
से कई साद
ा त कए।
इसका प रणाम बौ
भ ु
के तप वी जीवन म
ाचार के
प म सामने आया। बु
नधा रत स ांत को आसानी से भुला दया गया और इस तरह बौ
उपदे श का पतन शु
सी।
भ ु
और उनके
हो गया।
कु छ ा ण शासक जैसे पु य म शुंग
शैव शशांक ने बड़े पैमाने पर बौ
इसके अलावा कु छ समृ
ण राजा म हरकु ल शव के उपासक और गौड़ के
को सताया। मठ के उदार दान म धीरे धीरे गरावट आई।
मठ को वशेष
प से तुक और अ य आ मणका रय
ारा ल
कया गया था ।
मु य श द
अवधारणा
अथ
a चै य b
भ ु
वहार c
मठ
या
के
उ े य
ाथना क
कसी
के घर से बेघर होने और उसके जाने को च त
करने के लए समारोह
एक उपदे शक के अधीन एक नौ स खया बनना।
सर मुंडवाना और गे आ व
d उपसंपदा
ारा
धारण करना शा मल था।
सम वय समारोह जब नौ स खए इसका पूण सद य बन
जाता है
त
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मठवासी समुदाय।
ई उपोसथ
पू णमा और अमाव या को आयो जत समारोह
चं मा।
च पर जका
शा दक अथ हार इसम संघ से न कासन संभोग जो नह
दया गया है उसे लेना कसी क ह या करना और आ या मक
ा त का झूठा दावा करना से जुड़े चार सबसे गंभीर अपराध
शा मल थे ।
छ पवाराना
पवराना एक बौ
जाता है। यह
पव
दन है जो आ
न पू णमा को मनाया
बरसात के मौसम के अंत का तीक है जसे कभी
कभी बौ लट कहा जाता है। इस दन येक भ ु को
भ ु
के समुदाय संघ के सामने आना चा हए और
वासा वषा ऋतु के दौरान कए गए अपराध का ाय
त
करना चा हए।
ज उपासक
पु ष अनुयायी ज ह ने बु
ले कन ज ह ने मठवासी
i उपा सकाएँ
त ा नह ली है।
म हला अनुयायी ज ह ने बु
ले कन ज ह ने मठवासी
जे बो धस व
ध म और संघ क शरण ली है
बु
ध म और संघ क शरण ली है
त ा नह ली है।
ाणी ज ह ने अपने वयं के उ ार को याग दया है
और सर को ान ा त करने म मदद करने के लए वग
म वेश करना बंद कर दया है। वे इस
नया म पी ड़त
ा णय को बचाने के लए अपनी सारी श
करते ह। क णा के दे वता
के
प म बो धस व को आम
तौर पर क मती आभूषण सु चपूण व
सुंदर मु ा
k भ खु संघ l भ खुनी
भ ु
संघ
संघ
के साथ दशाया जाता है।
का संघ नन का
और ऊजा सम पत
और
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एम थेरगाथा एन
बुज ुग भ ु
थेरीगाथा ओ
ए
मण
के छं द
र नन के छं द
जो स य को जानने का यास करता है।
समाना पी
रमता जोगी
प र बाजका प र ाजक q शकरा
भगवान इं
बौ
बौ
प रषद
समय
ान
शासक
अ य
वशेषता
प रषद
पहला
ईसा पूव राजगृह अजातश ु महाकस पा बु
क मृ यु के तुरंत बाद आयो जत कया गया
था यह इस प रषद
म था क बु क
श ा को तीन
े णय
या
बा के ट पटका
म वभा जत
कया गया था
वचन
अनुशासन
और उ
ान।
वनय पटक
के नयम
म
उपाली ारा सुनाई गई।
सु पटक बु
के
उपदे श का महान सं ह
ारा
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आनंद।
तीय
ईसा पूव वैशाली कालासोका स बाकामी
उ े य एक तय करना था
वशेष
प
प से
मी भारत म बौ
क कु छ था
भ ु
पर
बहस
वभाजन
ा वरवा दन व
महासां घक जो समूह के थे
वे खुद को बुज ुग थेरा
पाली कहते थे।
उ ह लगा क वे बु
श ा
क
क मूल भावना के
अनु प ह।
सरे समूह द
ेट क यु नट
सं कृ त म
महासां घका ने बु
क श ा
क अ धक
उदारतापूवक
क ले कन एक
तरह से जो उ ह
लगा
ा या
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उसके इराद के
लए सच है।
ये दो समूह अंततः
थेरवाद और महायान
बौ
धम म
वक सत ह गे।
तीसरा
ईसा पूव पाट लपु अशोक
मोगलीपु
प रषद का उ े य
ट सा
अवसरवाद गुट से बौ
आंदोलन को शु
करना था।
थेरवाद कू ल
क उप ।
प टका को पाली भाषा म
कू टब
कया गया है।
बौ
मशन रय को सरे
दे श म भेज ा।
चौथी
क मीर क न क वसु म
शतक
सीई
बौ
धम म
वभा जत
महायान सं दाय और
हीनयान सं दाय
कु छ का मानना है क
चौथा
बौ
प रषद दो का नाम है
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अलग बौ
प रषद क
बैठक।
राजा व ागमनी
अबया के समय म
थेरवाद क
पहली
शता द ईसा पूव म
ता बपनी यानी
ीलंक ा
म अलोका लीना अब
अलु
वहार म चौथी
बौ प रषद थी
।
सरा
थम शता द के
आसपास क मीर म
सवा तवाड़ा
कू ल ारा
आयो जत कया गया
था
सीई।
बौ
धम के व भ
कू ल
मह वपूण बौ
लेख क क अ घोष
सं कृ त म बु च रत के लेख क ।
क न क के समकालीन । वह एक क व नाटककार संगीतकार व ान और वाद ववादकता
थे। b नागाजुन उ ह
महायान बौ
धम के म यमक कू ल का सं
ापक माना जाता है। के म और समकालीन थे
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आं के सातवाहन राजा गौतमीपु । ग असंग और वसुबंधु दो
भाई जो चौथी शता द सीई म पंज ाब
े म फले फू ले। असंग अपने गु मै ेयनाथ ारा
ा पत
योगाचार या व ानवाद कू ल के सबसे मह वपूण श क थे । वसुबंधु का सबसे बड़ा काम
अ भधमकोश अभी भी बौ
धम का एक मह वपूण व कोश माना जाता है। घ बु घोष वह पाँचव
शता द म रहते थे और एक महान पाली व ान थे। उनका सबसे
माग है जो बु
के मु
पथ क थेरवाद समझ का एक
ङ दननाग पांचव शता द के अं तम श
शाली बु
स
काम वशु
ापक सारांश और व
जीवी ज ह बौ
तकशा
म गा शु
का
ेषण है।
के सं
ापक के
प म भी जाना जाता है। च धमक त वह सातव शता द ई वी म रहते थे और एक अ य
महान बौ
तकशा ी एक सू म दाश नक वचारक और ं ा मक थे।
हनायान
महायान
व यान
थेरवाद क
शा दक अथ
है द
शा दक अथ है बड़ा
शा दक अथ है व
कम पथ
पथ । महायान कू ल
या हीरा वाहन को मं यान तं यान तां क
या गूढ़ बौ धम भी कहा जाता है । भारतीय व यान
और
थेरवाद
तीक
का स ांत
ारा महायान और
हीनयान श द दए गए
थे ।
बौ
का वाहन । व यान
धम क अव ध को भारत म बौ
अव ध के
धम क अं तम
प म वग कृ त कया गया है। यह महायान
स ा वचार से
गत जीवन म बौ
वचार के
अ ध नयमन के सं मण को च त करता है ।
बड़ ।
व
श द का योग मनु य म ब कु ल
वा त वक और अ वनाशी को दशाने के लए कया
जाता है य क एक
अपने और अपनी
कृ त के बारे म मनोरंज न करता है याना
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अंततः मू यवान और अ वनाशी क आ या मक
खोज है।
बी इसे
ढ़वाद कू ल
माना जाता है और
यह है
यह बौ
के वषमल गक
पूव भारत म कट आ था और अंततः
कू ल
बौ
म गौतम बु
इसक उ प
के लए स
ा
होना चा हए।
प था जो आठव शता द म
व
शता द म त बत म व म शला के महान
महायान क तुलना
क श ा
धम का एक
दशन।
व यान मठ से भेज े गए एक मशन के
हीनयान
के बाद ई।
प रणाम व प
ा पत आ था। दो स य स ांत
व यान अ यास पथ क क य अवधारणा है और इसके
तरीक के लए दाश नक आधार दे ता है। दो सच क
इसके दो मु य दाश नक
पहचान है
कू ल ह द
थेरवाद
म य मका और
बौ
योगाचार।
दशन
पारंप रक और परम स य।
का मूल
परंपरागत स य सवस मत वा त वकता का स य है
व ालय था ।
और या है और या नह है क सामा य ान क
धारणा है । परम स य वा त वकता है जैसा क एक जागृत
या बु
c
इसके
इसके
ंथ
पाली म ह
जस भाषा म बु
ने श ा द थी।
ंथ सं कृ त म ह जो
मन ारा दे ख ा जाता है।
अ धकांश श द तां क भारतीय बौ
धम क सं कृ त
भारतीय व ान क
भाषा म उ प
भाषा है।
से संबं धत है व यान ंथ अ य धक तीका मक
ए ह ले कन चूं क यह आंत रक अनुभव
भाषा सां य भाषा या गोधू ल भाषा का उपयोग
करते ह जसका उ े य इसके वषय के अनुया यय क
मदद करना है। अपने भीतर अनुभव जगाने के
लए जो मनु य के लए सबसे मू यवान उपल
माना
जाता है।
व यान इस कार ऐ तहा सक बु
के
को पुनः ा त करने का यास करता है।
ानोदय के अनुभव
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d बौ
धम का
एक कू ल जो बु
का एक कू ल
यह बौ
बौ
व तार है जो वयं को बु ता के लए एक तेज अ धक
को एक इंसान से
यादा कु छ नह
धम जो
वहार करता है
बु
भगवान के
वचार और अ यास का एक गूढ़
भावी माग के
पम
प म दे ख ता है। इसके
अनुया यय का मानना था क जा ई श
ा त करके
कहते ह। जैसा
मानता है।
और मू तय क पूज ा
मो
मू त पूज ा म व ास
करते ह
क महायान बौ
नह करता
बु
बो धस व क भू मका पर जोर दे ता है ले कन परंपरा
है और आ म
बो धस व
उ दे वता
अनुशासन और
बु
जाता है । व यान अनु ान और भ
यान के
मा यम से
मो
और
कृ त का
तीक।
गत
ा त करने का
यास करता है।
ा त कया जा सकता है
सू
जसे वे व
धम के साथ होता है व यान
को पसंद करती है ज ह तारा के
मंडल मान च और
म मं
प म जाना
गूढ़ मौ खक
य अ यास म उपयोग
महायान
कए जाने वाले च
सावभौ मक मु
सरणी होती है। व यान म गु क भू मका पर ब त
म व ास
जोर दया गया है ये धा मक श क ह ज ह ने दाश नक
करते ह
और अनु ान परंपरा म महारत हा सल क है।
सभी ा णय के लए
गु का त बती अनुवाद लामा है और व यान के
क इस लए
महान वाहन ।
वभ
इस कार हीनयान महायान का अं तम
का अं तम ल य
नवाण
उ े य आ या मक
है।
यह मो
दे ता है
उ
ान है।
क अनुम त
होना
वैक पक
ात
प से
क कृ पा से
अ मताभ
व ास के मा यम
से बु
और भ
बु
का यान। यह व ास
करता है
और अ य अनु ान क एक ज टल
त बती कू ल गु
क लंबी वंशावली
का पता लगाते ह जो धा मक और राजनी तक दोन नेता
के
प म सेवा करते ह दलाई लामा त बत के लामा
सबसे
स
ह।
म
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मं ।
ई
वतमान म
यह पूव भारत वशेष
वतमान म
महायान बौ
लोक य हो गया और त बत नेपाल भूटान और
थेरवाद
धम जापान चीन और
मंगो लया के हमालयी दे श म भी मुख है।
बौ
धम
ीलंक ा
प से बंगाल और बहार म
अ य ए शयाई
म पाया जाता है
दे श म पाया जाना है
इसका मु य गढ़
।
और इसम
क न क ने
भी
संर ण दया
यांमार
महायान और बाद म
थाईलड और
हष
के अ य भाग
वधन
द
इसका समथन भी
कया।
ण पूव
ए शया।
अशोक ने
हीनयान का
संर ण कया।
वधमान महावीर
और जैन धम
ारं भक जैन सा ह य
जैन श ा
को पहले एक मौ खक परंपरा के
प म संर
त कया गया था ले कन बाद म उ ह संक लत और
रकॉड कया गया। पुराने समय म भ ु जैन धम के पाँच महा त का कड़ाई से पालन करते थे। यहां तक क धा मक
शा
को भी संप
माना जाता था और इस लए धम के
ान को कभी भी ले खत नह कया गया था। बाद म जैन
श क ने महसूस कया क अतीत और वतमान के कई व ान
ारा संक लत पूरे जैन सा ह य को याद रखना बेहद
मु कल था। वा तव म मह वपूण ान पहले ही खो चुक ा था और शेष संशोधन और ु टय से
षत हो गया था।
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इस लए उ ह ने जैन सा ह य को उनके
प म ात करने का नणय लया।
जैन प व लेख न के लए कै नन श द तेज ी से अपया त महसूस कया जा रहा है
य क इसका ता पय
एक क य ा धकरण ारा वीकृ त ंथ के अप रवतनीय नकाय से है। जै नय क प व पु तक को
स ांत या आगम
हमारे पास या आया है या परंपरा के
प म जाना जाता है और ये ारं भक ंथ
ाकृ त क एक पूव बोली म ह ज ह अध मगधी के नाम से जाना जाता है । काफ हद तक स ांत और
आगम क अवधारणाएं व समूह को दशाती ह जो प रवतन के लए खुले ह। माना जाता है क पूरे कै नन
क ज टलता गुज रात म व लभी म आयो जत दे व
छठ शता द सीई म ई थी। अचरंग सू
मा मण क अ य ता म एक प रषद म पांचव या
सू कृ तंग और क पसू जैसे संक लन ारं भक ंथ माने जाते ह
। तीसरी शता द सीई के आसपास जैन धम दो मुख सं दाय म वभा जत हो गया
पहने या न न और
ेतांबर
ेत व
पहने ए।
भगवान महावीर के त काल श य को गणधर के
जना है और उनके
के वल
दगंबर आकाश
प म जाना जाता था ये श य भ ुक थे जैसा क
ानोदय से पहले से उनका अनुसरण कर रहे ह । सभी गणधर के पास पूण ान
ान था। उ ह ने भगवान महावीर के
य
उपदे श को मौ खक
संक लत कया। इन ंथ को अंग अंग या मु य ंथ के
ंथ ह और जैन सा ह य क रीढ़ ह। जन भ ु
प से
मु य ंथ सू
म
प म जाना जाता है और ये सबसे पुराने धा मक
को कम से कम दस पूव का ान था जसका अथ है
ारं भक या पछले ंथ ज ह जन क मूल श ा माना जाता है को
ुत के वली के
प म जाना
जाता था ।
ुत के व लय ने अंग म प रभा षत वषय व तु का व तार करते ए कई ंथ सू
से इन ंथ को अंगबा
उपांग शा
अथात् अंग के बाहर कहा जाता है।
जो अंग क और
ा या दान करते ह
व वध वषय का वणन करते ह छह चेदा सू
है और आम लोग के लए नह यह भ ु
लखे। सामू हक
ेतांबर कै नन म
ा कण शा
अंग शा मल ह
जो जैन धम के वतं या
इनम व णत वषय के वल भ ु
और भ ु णय के आचरण और
और भ ु णय के लए
वहार से संबं धत है और
यह भी बताता है क वे अपने पाप और गल तय के लए कै से प ाताप कर सकते ह चार मूल सू
जो भ ु
और भ ु णय के लए उनके भ ु व के
प
ंथ
ारं भक चरण म अ ययन करने के लए आव यक
ह और कई अलग अलग ंथ जैसे नंद सू और अनुयोग ारा। व ास है क सभी
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मूल अंग स दय से खो गए ह दगंबर का एक अलग कै नन है
स ांत के
प म जाना जाता है । यह
यान दया जाना चा हए क त वाथ सू म जैन धम के मु य स ांत शा मल ह हालां क दो मु य
सं दाय के सं करण और रचना त थयाँ थोड़ी भ ह।
जै नय का मानना है क
येक जीना समाज क ज रत और जस युग म वह पैदा आ है उसके अनुसार
एक ही आव यक स य को कट करता है। जब वह सव ता तक प ँच जाता है तो वह द
व न बना सकता है
जसके मा यम से वह अपनी श ा
तक प ँचाता है। दगंबर और
दगंबर इसे एक अ
सकती है। जब क
आ या मक
ेतांबर सं दाय द
को सभी संवेदनशील ा णय समवसरण
व न क धारणा क अलग अलग
ा या करते ह ।
व न मानते ह जो मोनोटोन है और इसक तुलना ओम क व न से क जा
ेतांबर इसे द
कहते ह य क सभी ाणी इसे सुन सकते ह जनम समझ और
मता वाले पांच इं य वाले जानवर भी शा मल ह । यह एक मानव भाषा मानी जाती है जो
अध मागधी ाकृ त का
प लेती है।
गैर व हत कै नो नकल पर ट प णयां जैन काय आं शक
आं शक
वन द
प से ाकृ त बो लय जैसे महारा ी और
प से सं कृ त म ह।
जैन पुराण
ेतांबर ारा च रत कहा जाता है जैन संत तीथकर शा दक अथ फोड नमाता जो
लोग को पीड़ा के सागर के पार मदद करने वाले जंगल का नमाण करते ह क आ मकथाएँ ह।
व शता द म संक लत आ द पुराण जैन सं
ापक ऋषभ आ दनाथ क जीवनी है। व शता द के
ह रवंश पुराण म कृ ण बलराम पांडव और कौरव क कहा नय का जैन सं करण दया गया है। व
शता द के जनसेना और गुण भ ने
राजा
श ला ण महापुराण लखा
जसम न के वल व भ जैन संत
और नायक क जीवन कथाएँ शा मल ह ब क इसम सपन क
एक राजा और यो ा के कत
ा या जीवन च
आ द जैसे वषय पर चचा भी शा मल है। हेमचं
ारा
अनु ान
व शता द का
प र श पवण राजनी तक इ तहास के बारे म ववरण दे ता है और जैन श क का सबसे पुराना ववरण
दान करता है। जैन ंथ म ाकृ त सं कृ त अप ंश और क ड़ जैसी व भ भाषा
म गीता मक
क वता भजन और कथा उपदे शा मक कहानी का वशाल सं ह शा मल है। ये ंथ न के वल उस युग के
सां कृ तक इ तहास क झलक
त ं
तुत करते ह ब क हम जैन धम के इ तहास और स ांत उसके
व ालय संघ के जीवन आ द के बारे म भी ब त कु छ बताते ह। यह भा यपूण है क जैन ंथ
का अ ययन नह कया गया है।
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बड़े पैमाने पर बौ
ंथ के
प म।
वधमान महावीर का जीवन
वधमान को
वां और अं तम तीथकर या जन माना जाता है जसका अथ है वजेता जसने अनंत ान
ा त कया है और अब सर को पुनज म के च
उ ह महावीर महान नायक के
से मु
पाने म मदद कर सकता है अथात मो
प म जाना जाने लगा । उ ह जत य अपनी आंत रक इ
ा
।
पर
वजय ा त करने वाला और अ रहंत यो य के नाम से भी जाना जाता था । उनके पास अव ध ान
अलौ कक अंत
और अनुभू त था।
महावीर
परंपरा के अनुसार वह बु
के समकालीन थे और सी म पैदा ए थे।
राजधानी के पास कुं डा ाम नामक गाँव म । बु
पता
ईसा पूव वैशाली वदे ह क
क तरह उनका ज म एक
य कु ल म आ था। उनके
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स ाथ
ा झ रया वंश के
मुख थे और उनक माता
शला ल
उनका प रवार मगध के शाही प रवार से जुड़ा आ था
के हयक वंश से आ था। ारंभ म उ ह ने एक गृह
उनक
य क चेतक क बेट का ववाह ब बसार मगध
जीवन
यदशना नाम क एक बेट थी। ले कन उ ह ने
याग दया और एक तप वी बन गए। उ ह ने
वी के राजा चेतक क बहन थ ।
तीत कया यशोदा से ववाह कया और
साल क उ म स य क खोज म
नया को
वष तक घोर तप या उपवास और यान कया ।
वष
क आयु म यह माना जाता है क रजुपा लका नद के तट पर जृं भका ाम शहर के बाहर और समागा
नामक एक गृह
के खेत म उ ह ने के वल ान सव ता या अनंत ान
गया और सी म
वष क आयु म स
पटना के पास पावापुरी म
पूरी तरह से मु
ा त कया । उनका नधन हो
हो गए।
ईसा पूव ।
जैन धम के स ांत
जैन स ांत बौ
कु ल
धम से ब त पुराना है और यह वीकार कया जाता है क समय के
तीथकर होते ह। यह यान रखना दलच
मामले म ग तशील उ स प नस और
ापक तीथकर ऋषभदे व
हमारे अवस पणी के वतमान आधे च
तगामी आधा च
क ऐ तहा सकता
माना जाता है और
।
तीक बैल
यानी
अवस प नस के अंतहीन अनु म म
कला
चरण म वभा जत कया गया है।
जसका संदभ ऋ वेद और वायु पुराण म भी मलता है
तगामी सुख क अव ध से संबं धत है। सभी तीथकर
ा पत करना आसान नह है। सौरा
गुज रात से संबं धत ने मनाथ को
वां तीथकर
व तीथकर को पा नाथ बनारस का माना जाता है जनके पास सांप का तीक है
व तीथकर महावीर थे
जनके पास शेर का च ह था ।
जैन स ांत का मूल अनेक ांतवाद वा त वकता क कई गुना कृ त का स ांत
भ व यवाणी का स ांत नयावाद आं शक
महान त के स ांत म
वरोधी
म
है क समय क जैन अवधारणा खुशी क ड ी के
वभा जत है । समय क इन वशाल अव धय को आगे
थम सं
येक आधे च
कया गया है।
कोण का स ांत
यादवाद वातानुकू लत
र न तीन र न पंच महा त पांच
और अ हसा अ हसा का स ांत । एकांत के दशन के
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एकतरफा या एकाक गुण अनेक ांतवाद का जैन स ांत व तुतः गैर एकप ीयता या ब
पता या गैर
नरपे ता का स ांत है । यह जैन धम के मूल स ांत म से एक है जो सापे वाद और ब लवाद क
वीकृ त को ो सा हत करता है। इस स ांत के अनुसार स य और वा त वकता को अलग अलग
से अलग अलग माना जाता है और कोई भी
करने के सभी यास क तुलना अ जनयः
एक आदमी ने सूंड को महसूस कया
कोण पूण स य नह होता है। जैन पूण स य क घोषणा
अंधे पु ष और हाथी क सू
से करते ह। इस कहानी म
सरे ने कान को महसूस कया जब क तीसरे ने पूंछ को महसूस
कया। सभी अंधे लोग ने हाथी के वा त वक व प क
कोण के कारण आं शक
कोण
ा या करने का दावा कया ले कन अपने संक ण
प से ही सफल हो सके । जैन स ांत म कहा गया है क व तु
और गुण के अनंत तरीके ह इस लए उ ह सभी पहलु
और अ भ
के अ त व
य म पूरी तरह से मानव धारणा
ारा समझा नह जा सकता है।
के वल के व लन सव
ाणी सभी पहलु
और अ भ
य म व तु
सभी के वल आं शक ान के लए स म ह। यादवाद का स ांत
को समझ सकते ह जब क अ य
हो सकता है का स ांत सभी ान क
सापे ता पर जोर दे ता है। इस स ांत के अनुसार सभी नणय सशत होते ह के वल कु छ
पर
तय या इं य म अ
े होते ह । जो कु छ भी संभव है वह कसी भी वा त वकता के बारे म आं शक
प से स य बयान क सं या है ले कन पूरी वा त वकता न
वा त वकता के बारे म
का स ांत व भ
त
प से नधा रत नह क जा सकती है।
येक कथन को यात अथात् हो सकता है के साथ जोड़ा जाना चा हए । नयावाद
कोण से वा त वकता का वणन करने क
नया को आं शक
तय
प से स य कथन के
सकते। नया को एक वशेष राय के
तैयार कया गया है एक
णाली को दशाता है ।
प म समझा जा सकता है ले कन वे पूण वैधता का दावा नह कर
प म भी प रभा षत कया जा सकता है जसे एक
कोण जो अ य व भ
कोण के साथ
कोण से इंक ार नह करता है और इस लए कसी
व तु के बारे म आं शक स य का अ भ ंज क है जैसा क मनोरंज न करता है। एक जानने वाला एजट।
आ मा क मु
लोक य
एक।
ा त करने के लए एक जैन को जैन नै तकता के तीन र न का पालन करना चा हए ज ह
प से
र न कहा जाता है। वे ह स यक व ास स यग
दशन इसका मतलब यह नह है क आपको जो बताया गया है उस पर व ास कर ब क
इसका मतलब है क चीज को ठ क से दे ख ना सुनना महसूस करना आ द और
दे ख ने के रा ते म आने वाली पूव धारणा
बी।
स यक्
और अंध व ास से बचना।
ान संयग ान इसका अथ है एक होना
प से
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वा त वक
ांड का सट क और पया त ान इसके लए
नौ स य के स
ांड के पांच या छह पदाथ और
े ान क आव यकता होती है और उस ान को सही मान सक
कोण के
साथ रखना।
सी।
सही आचरण स यग च र
इसका अथ है जैन नै तक नयम के अनुसार अपना जीवन जीना
जी वत चीज को नुक सान प ंचाने से बचने के लए और वयं को आस
वृ य और वचार से मु
और अ य अशु
करना।
र न ा त करने म मदद करने के लए पंच महा त पांच महान त का पालन करना चा हए अ हसा
अ हसा इन पांच
म।
त ा
म अ हसा अ हसा जैन धम का मु य स ांत है और इस लए इसे आधार शला के
प म जाना जाता है। जैन धम का। अ हसा सव
धम अ हसा परमो धम है। जैन धम के
अनुसार सभी जी वत ाणी उनके आकार आकार या व भ आ या मक वकास के बावजूद
समान ह। कसी भी जी वत ाणी को जानवर क ड़ और पौध स हत कसी अ य जी वत ाणी
को नुक सान प ँचाने घायल करने या मारने का अ धकार नह है। जैन धम अ त व के चार
को मा यता दे ता है दे वता
दे व मनु य मनु य नरक ा णय नारक
पौध
तयच जो आगे क छोट उप
एके
य
है जो गु
प
और जानवर और
े णय म भावना के संक ाय के आधार पर वभा जत ह
एकल इं य नकाय और नगोदास एके
य म सबसे नीचे के वल
श क भावना
म पैदा होते ह और जनका जीवन के वल एक सेकं ड का अंश होता है ।
जैन धम का पालन करने वाले सामा य जनमानस को दो या दो से अ धक इं य वाले ा णय को
नुक सान प ंचाने से बचना चा हए ले कन भ ु
सं या सय को एक य और त व नकाय
ावरा जो नगोड़ा से थोड़ा अ धक है को भी नुक सान प ंचाने से बचना चा हए। य द उ
प एक से अ धक इं य के साथ के जीवन को मार दया जाए तो यह अ धक ददनाक है।
चूँ क सभी मांसाहारी भोजन दो या दो से अ धक इं य वाले जीव क ह या करके बनाए जाते ह
जैन धम स त शाकाहार का चार करता है और मांसाहारी भोजन का नषेध करता है। जैन धम
म नुक सान प ँचाने क मंशा क णा का अभाव अन भ ता और अ ानता ही कसी
हसक बनाती है। हसा को वा त वक
प से प रभा षत नह कया जाता है
या को
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नुक सान इसके लए अनजाने म हो सकता है। हसक वचार के बना कोई हसक काय नह
हो सकता। अ हसा को कम वाणी और वचार म दे ख ा जाना चा हए। कसी को हसक नह
होना चा हए
सर को ऐसा करने के लए कहना चा हए या ऐसी ग त व ध का अनुमोदन नह
करना चा हए। जैन धम ने अपने अनुया यय के लए यु
पर भी रोक लगा द । अंततः जै नय ने खुद को
और यहाँ तक क कृ ष के अ यास
ापार और
ापा रक ग त व धय तक सी मत
कर लया।
तीय।
स य स य जैन धम इस बात पर जोर दे ता है क
को न के वल अस य से बचना चा हए
ब क हमेशा स य बोलना चा हए जो हतकारी और सुख द होना चा हए। य द स य कसी जीव
को पीड़ा चोट
ोध या मृ यु का कारण बनता है तो चुप रहना चा हए।
ोध लोभ भय और उपहास अस य के ज म
ल ह। सच बोलने के लए नै तक साहस क
आव यकता होती है। स य वही कह सकता है जसने लोभ भय
तु
तृतीय।
ोध ई या अहंक ार और
ता को जीत लया हो। वाणी मन और कम म स य का पालन करना चा हए।
अचोरी अचौय या अ तेय चोरी म सरे क संप
को उसक सहम त के बना या अ यायपूण
या अनै तक तरीक से लेना शा मल है। यह कसी को ऐसी चीज ले जाने का अ धकार नह दे ता
है जो अ ा य या लावा रस पड़ी हो। इस त का पालन बड़ी कठोरता से करना चा हए और
ऐसी
थ व तु को भी नह छू ना चा हए जो उसक नह है। भ ा सहायता या सहायता
वीकार करते समय यूनतम आव यकता से अ धक नह लेना चा हए। आव यकता से अ धक
लेना भी जैन धम म चोरी माना गया है।
iv.
चय प व ता
चय महावीर ारा जोड़ा गया
के आनंद से पूण संयम को
कामुक आनंद और सभी पांच इं य
चय कहा जाता है। कामुक सुख एक मोहक श
है जो भोग
के समय सभी गुण और तक को अलग कर दे ता है। कामुक ता को नयं त करने का यह त
अपने सू म
प म पालन करना ब त क ठन है। कोई शारी रक भोग से बच सकता है ले कन
फर भी कामुक सुख के बारे म सोच सकता है जो जैन धम म न ष
है। भ ु
को इस त
का स ती से और पूरी तरह से पालन करना आव यक है। उ ह कामुक सुख और सभी पांच
इं य के आनंद का आनंद नह लेना चा हए। वहाँ कई ह
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गृह
के लए इस त को करने के नयम बताए गए ह। उ ह अपने वयं के जीवनसाथी के
अलावा कसी भी शारी रक संबंध म शा मल नह होना चा हए और वह भी सी मत कृ त का।
वी
अनास
गैर आ धप य अप र ह सांसा रक व तु
ज म और मृ यु के च
उसे उन सभी आस
के
त लगाव के प रणाम व प
का बंधन होता है। इस लए जो आ या मक मु
क इ
ा रखता है
य से र हो जाना चा हए जो पाँच इं य म से कसी एक को स
करती ह। जैन धम का मानना है क कसी
होती है उतनी ही अ धक संप
के पास जतनी अ धक सांसा रक संप
हा सल करने और उसे बनाए रखने के लए पाप करने क
संभावना होती है और लंबे समय म वह खी हो सकता है। सांसा रक धन मोह पैदा करता है
जसका प रणाम नरंतर लोभ ई या वाथ अहंक ार घृण ा हसा आ द होता है। महावीर ने
कहा है क चाह और इ
ा
का कोई अंत नह है और के वल आकाश ही उनक सीमा है ।
यह यान दया जाना चा हए क य द इन त या
उ ह महा त के
त ा
का ब त स ती से पालन कया जाता है तो
प म जाना जाता है अथात महान या पूण त और आम तौर पर ये तप वय के लए
होते ह। आम आदमी हालां क इतनी स ती से संवर का पालन नह कर सकते ह और इस लए जहां तक
उनक शत अनुम त दे ती ह उ ह उनका अ यास करने क अनुम त है। एक ही त या त जब आं शक
प से मनाया जाता है को अणु त कहा जाता है अथात छोटे या आं शक त। कसी
ा त मृ यु का उ
बौ
बौ
तम
ारा
प चाहे वह साधु हो या आम आदमी यान और उपवास से मृ यु शा मल है।
धम और जैन धम
धम और जैन धम दोन क श ा
म कु छ समानताएँ थ ।
उदाहरण के लए दोन ने वेद के अ धकार को खा रज कर दया मो
याग और मानव यास पर जोर दया और पु ष और म हला
ापना क । बौ
धम क तरह जैन धम मूल
ा त करने के साधन के
दोन के लए एक मठवासी
प से ना तक है य
प यह दे वता
पम
व
ाक
के अ त व को
मा यता दे ता है फर भी यह वषय क सावभौ मक योजना म उ ह मह व दे ने से इनकार करता है और
दे वता
को जन वजेता से नीचे रखता है। बौ
उनक पशु ब ल क
जैन धम और बौ
ंथ क तरह जैन ंथ ा ण क आलोचना करते ह
था और ा ण को वरीयता दे ने वाले अनु ान ा धकरण।
धम दोन ही
यक
े ता पर यान क त करते ह
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ा ण स हत अ य सभी वण पर वण । उन दोन ने ा ण के अथ को एक नया अथ दे ने का यास कया
एक न द
त से जोर को अ
योग एक बु
मान
े कम से ा त करने के लए
ानांत रत कर दया। वे
को वीकार करने के अथ म करते ह जो स
अनुक रणीय जीवन जीता है। बौ
धम क मठ
व
ा ण श द का
ा ान रखता है और एक
ा क तरह जैन धम म सभी जा तय और सामा जक
पृ भू म के लोग का वागत कया गया । चांडाल प रवार से ता लुक रखने वाले ह रके शया नाम के एक
व ान जैन मु न का बार बार उ लेख मलता है ।
ा ण वण का
त न ध व भ बा
दवाकर जनसेन और ह रभ ने कया था। इसी तरह जैन धम ने
अपने दरवाजे उन म हला भ ुक के लए खोल दए ज ह आ यका या सा वी कहकर संबो धत कया जाता
था ।
जैन धम का सार और भाव
जैन धम धीरे धीरे प
मी भारत म फै ल गया जहां ा णवाद धम कमजोर था। ारं भक जैन ने अपने
स ांत का चार करने के लए आम लोग क
जो मु य
प से ा ण
ारा संर
ाकृ त भाषा को अपनाया और सं कृ त भाषा को याग दया
त थी । इसने जैन धम के अनुयायी आधार को
ापक बनाने म ब त
मदद क । और चं गु त मौय वे वयं एक जैन स यासी बने और कनाटक म अपने अं तम वष बताए जैसे
जैन धम को ब त संर ण दे ने वाले राजा
महावीर क मृ यु के
के समथन से यह द
ण भारत म भी लोक य हो गया।
साल बाद मगध म आए महान अकाल ने भी द
योगदान दया। परंपरा के अनुसार अकाल लगभग
जो बाद म दगंबर के
ण भारत म इसके
सार म
वष तक चला और अपनी र ा के लए भ बा
प म जाने गए के नेतृ व म कई जैन अनुयायी द
ण गए और वहां जैन धम का
सार कया। चौथी शता द ईसा पूव के आसपास यह क लग म भी फै ल गया और इसके राजा खारवेल
ारा ब त लोक य आ । लगभग सरी और पहली शता द ईसा पूव म यह त मलनाडु के द
तक प ंच गया। बाद म यह मालवा गुज रात और राज
क भले ही जैन धम को बौ
ान म वेश कर गया। यह यान रखना दलच
धम जतना रा य संर ण नह मला था और शु आती समय म बौ
प म तेज ी से फै लने वाला नह था फर भी इसने भारतीय उपमहा प के कई
रखी जब क बौ
धम अपने ज म क भू म से
णी जल
ावहा रक
े
प से गायब हो गया है।
है
धम के
म अपनी पकड़ बनाए
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जैन धम के व भ सं दाय
ेतांबर
दगंबर a का
दगंबर न नता के अ यास पर जोर दे ते ह जो भ ुक के माग और
शा दक अथ है ेत व
धारण करने वाला । ेतांबर का दावा
मो
है क मु
शा दक अथ है आसमान पहने ।
क
ा त के लए एक पूण पूव आव यकता है ।
पाने के लए
पूण न नता का अ यास
आव यक नह है।
ख परंपरा के अनुसार
स
मगध अकाल के दौरान महावीर क
अकाल ह वे ह जो भ बा के नेतृ व म द
से
स
मृ यु के
साल बाद वे मगध
ण क ओर पलायन कर चुके ह । और पारंप रक तरीके
लबा के पुराने नेतृ व म रहते थे। मगध म के थे । जब द
ण म वास करने वाले जैन लौटे तो उ ह ने इस
समूह पर जैन धम के नयम का उ लंघन करने का आरोप लगाया
सफे द व
ग म हला
क मु
के ब पर दगंबर परंपरा का
मानना है क एक म हला म शरीर क कमी होती है और
मो
यानी मु
ा त करने के लए कठोर इ
ाश
आव यक होती है इस लए ऐसी ा त संभव होने से पहले
उसे एक पु ष के प म पुनज म लेना पड़ता है। उदाहरण
के लए त
े ांबर परंपरा के
व तीथकर को उनके ारा
म हला के प म वीकार नह कया गया है ब क
एक राजकु मार के
प म एक शाही प रवार म पैदा ए
म लनाथ नाम के एक पु ष के
प म जो दगंबर भ ु क
त ा लेने के बाद अंततः तीथकर बन गए।
जब क
धारण करना।
ेतांबर म हला
क जन ड
ा त करने क संभावना
को वीकार करते ह और यह बनाए
रखते ह क म हलाएं पु ष के समान
आ या मक उपल
य के वतमान
जीवनकाल म स म ह। उदाहरण
के लए
ेतांबर परंपरा म
व तीथकर म ली नाम क एक म हला
ह जो एकमा म हला तीथकर ह।
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सव सामा य अ त व क ज रत जैसे भूख यास न द
जब क ेतांबर परंपरा का मानना
है क सव को भी भोजन क
बीमारी या भय से मु
आव यकता होती है।
d दगंबर परंपरा के अनुसार
ान ा त करने पर एक
हो जाता है। ई महावीर
क जीवनी के संबंध म दोन काफ हद तक भ ह।
उदाहरण के लए
महावीर के
ूण के संबंध म दगंबर परंपरा
ेतांबर के
दावे को खा रज करती है और पूरे करण को अ व सनीय
और बेतुक ा कहकर खा रज कर दे ती है।
ेतांबर का मानना है क महावीर का
ज म एक
य म हला
शला से
आ था हालां क गभाधान एक
ा ण म हला दे वानंद के गभ म
आ था।
माना जाता है क
कया गया है
ूण का प रवतन
गभाधान के बाद अ सीव दन
भगवान इं
च महावीर के ववाह के संबंध म दगंबर परंपरा
का मानना है क महावीर ने अपने माता पता के जी वत रहते
ए कभी शाद नह क और संसार को याग दया।
ारा भा वत।
ेतांबर का मानना है क महावीर ने
काफ कम उ म राजकु मारी
यशोदा से शाद क थी और
उनक
यदशना नाम क एक बेट थी
और महावीर ने तीस साल क उ
तक एक पूण गृह जीवन
कया। अपने माता पता
तीत
क मृ यु के बाद ही वह एक स यासी
बन गया था।
छ तीथकर क मू तय के संबंध म दगंबर परंपरा
जब क
तीथकर क मू तय को न न अलंकृ त और नीची आंख के
मू तय को लंगोट पहने र न से
साथ चतनशील मूड म दशाती है।
ेतांबर परंपरा म तीथकर क
वभू षत और संगमरमर म डाली गई
कांच क आंख के
है।
प म दशाया गया
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ज
जब क
ामा णक सा ह य के संबंध म दगंबर मानते
व हत सा ह य क वैधता और
ह क मूल और वा त वक ंथ ब त पहले खो गए थे।
दगंबर भी आचाय
ेतांबर
ूलभ के नेतृ व म ई पहली प रषद
प व ता म व ास करते ह जो क
अंग और सू ह जैसा क वे अब मौजूद
क उपल य को वीकार करने से इनकार करते ह और
इसके प रणाम व प अंग का पुनगठन होता है । i दगंबर
ह।
संत पुराण के लए पुराण श द का योग करते ह ।
जब क
ेतांबर
च रत श द का योग करते ह ।
वह
j तप वय के भोजन के संबंध म दगंबर मु न
खड़े होकर और उठ
ेतांबर मु न अलग अलग घर से
अपना भोजन इक ा करते ह।
ई हथे लय क मदद से और एक ही
घर म भोजन करते ह जहां उनका संक प पूवक पत
वचार पूरा होता है। k तप वय क संप
दगंबर तप वी को कपड़े स हत सभी संप
चा हए और के वल दो संप
के संबंध म
का याग करना
क अनुम त द जाती है रजोहरण
क ड़ को र भगाने के लए एक छोटा मोर पंख वाला
झा
और एक कमंडलु शौचालय व
ता के लए एक
लकड़ी का पानी का बतन .
जब क
ेतांबर तप वी को चौदह संप
रखने क अनुम त है जसम कमर
कपड़ा कं धे कपड़ा आ द
शा मल ह।
जैन प रषद
प रषद वष
उपल
ान
पाट लपु
ईसा पूव
अ य
सथुलभा ा
अंगो का संक लन
पूवास को बदलने के लए
दगंबर ारा अ वीकृ त
व लभी
या
गुज रात
अंग और
संक लन
उपांग का अं तम
द र धगंज
Machine Translated by Google
सीई
चाबी
अथ
उ े य
श द अवधारणा a
जैन मठ क
बसद स b
अवधीजनन सुपर
ापना
मन कॉ नशन c गणधर महावीर के मु य
अनुशासन d स
पूरी तरह से मु
f गुना g
e
पदाथ
पयाय h
गुण व ा
जीव i ईव j
तरीका
पु ल
आ मा
वा तव म
परमाणु
का समु
य जसम
प रंग वाद और गंध होती है और
जसे छु आ और महसूस कया जा सकता है
k चैत य चेतना l वीय
ऊजा एम
मोह नया
म के कारण कम एन असरवा ओ नजरा पी
वाह
घस जा रहा है
गुण
शु
ान
के चरण
यू अहत जसने के वल ान के चरण म वेश कया है । r तीथकर अरहत ज ह ने पहले से
ही स ांत सखाने क
मता हा सल कर ली है
आजी वका
के वल बौ
इस काल म
धम और जैन धम ही ऐसे धम नह थे ज ह ने ा णवाद
भु व को चुनौती द । बौ
से अ धक सं दाय और दशन फले फू ले। इन सं दाय म से एक
सू
के अनुसार
Machine Translated by Google
आजीवक या जीवन के माग के अनुयायी के
महावीर के समय शु
अजी वका क
आ और
प म जाना जाता है एक तप वी
म था जो बु
और
व शता द तक चला।
ापना म खली गोशाला ने क थी। तीसरी शता द ईसा पूव म मगध म आजीवक ब त
लोक य थे और मौय राजा
ने अजी वका भ ु
के स मान म कई गुफ ाएँ दान क थ । परंपरा के
अनुसार यह माना जाता है क कु छ छह वष के लए महावीर क क ठनाई को गोशाला ने साझा कया
था ले कन अंततः दोन म झगड़ा आ और गोशाला ने महावीर को अजी वक पूव नधारणवाद या
नय त
और जैन
के सं दाय को खोजने के लए छोड़ दया। उनके स ांत और उनके अनुया यय को के वल बौ
ोत से ही जाना जाता है जसम कहा गया है क वह नीच थे और बु
क मृ यु के कु छ समय
पहले महावीर के साथ झगड़े के बाद उनक मृ यु हो गई थी।
अजी वक जो कठोर नय तवाद और नधारक थे माना जाता है क पूरे
सं कृ त म अथ शासन या भा य
के भा य स हत सभी घटना
नामक एक
ांड के मामल को नय त
ांडीय बल ारा आदे शत कया गया था जो कसी
को नधा रत करता था। अं तम ववरण और जसने कसी के
आ या मक भा य क ओर सुधार को बदलने या उसम तेज ी लाने के
कसी मानवीय यास का नय त के व
गत यास पर रोक लगा द ।
कोई भाव नह हो सकता और इस लए कम एक
म है।
नवाण के वल असं य जीवन जीने के बाद ही ा त आ था जो एक अजी वका भ ु के
प म पछले
जीवन म धागे क एक गद के खुलने क तरह वचा लत
त के इस
और उदासीन
प से आगे बढ़ा था। मानवीय
र
कोण के प रणाम व प अजी वक ने कसी उ े यपूण ल य का पीछा करने के बजाय
तप या क । कु छ बाद के अजी वक ने गोशाला को एक दे व व के
इस स ांत म वक सत आ क सभी प रवतन
प म पूज ा क और नय त का स ांत
ामक थे और यह क सब कु छ शा त
पछले साल के
ारं भक
प से
र था।
Machine Translated by Google
.
भारत के धा मक इ तहास के संदभ म न न ल खत कथन पर वचार क जये i.
बो धस व क अवधारणा बौ
तीय।
धम के हीनयान सं दाय के क म है।
बो धस व आ म ान के माग पर दयालु
ह। तृतीय।
बो धस व सभी स व को उनके माग पर चलने म मदद करने के लए अपने वयं के उ ार को
ा त करने म दे री करता है।
ऊपर दए गए कथन म से कौन सा से सही है ह
a के वल i b के वल ii
और iii c
के वल ii d i ii और
iii भारत के
सां कृ तक इ तहास
.
के संदभ म इ तहास राजवंशीय इ तहास और महाका
अगले
कथा
को याद करना कसका पेशा था
ए
मण बी
प र ाजक ग
अ हा रका डी
मगध
.
न न ल खत म से कौन से सा ा य बु
के जीवन से जुड़े थे
अवंती
म।
तीय।
तृतीय।
गांधार
कोशल
iv. मगध नीचे
दए गए कू ट का योग कर सही उ र चु नए। a i ii और iii b ii और iv
c के वल iii और iv
Machine Translated by Google
डी म iii और iv
.
न न ल खत म से कौन सा कथन जैन स ांत पर लागू होता है ह
कम को न करने का न
म।
त तरीका तप या करना है।
येक व तु यहाँ तक क छोटे से छोटे कण म भी आ मा होती है।
तीय।
कम आ मा का अ भशाप है और इसे समा त कया जाना चा हए। iii चुन।
नीचे दए गए कू ट का योग कर सही उ र द। a के वल i b के वल ii
और iii c
के वल i और iii d i ii
और iii
.
कु छ बौ
रॉक कट गुफ ा
को चै य कहा जाता है जब क अ य को वहार कहा जाता है। दोन के बीच या
अंतर है
ए
वहार पूज ा का
चै य पूज ा का
चै य गुफ ा के
डी
.
ान है जब क चै य भ ु
का नवास
ान है बी
ान है जब क वहार भ ु
का नवास
ान है
र छोर पर
त तूप है जब क वहार c हॉल अ ीय है
दोन के बीच कोई भौ तक अंतर नह है न न म से कौन बौ
अवधारणा का सबसे अ
इ
ा वणन करता है
ए
ा क लौ का वलु त होना बी
वयं का पूण वनाश सी
आनंद और व ाम क
त डी
सभी समझ से परे एक मान सक अव
ा
धम म नवाण क
Machine Translated by Google
.
ाचीन भारत के इ तहास के संदभ म न न ल खत म से कौन सा से बौ
तप या और भोग क चरम सीमा से बचाव वेद के अ धकार के
धम और जैन धम दोन म समान था थे म।
त उदासीनता iii।
तीय।
अनु ान क
भावका रता का खंडन नीचे दए गए
कू ट का उपयोग करके सही उ र चुन a के वल i b के वल ii और iii c के वल i और iii d i
ii और iii
.
भगवान बु
क छ व को कभी कभी हाथ के इशारे से दखाया जाता है जसे भू म
श मु ा कहा जाता है। यह तीक है
ए
मारा पर नजर रखने और मारा को अपने यान म व न डालने से रोकने के लए बु
मारा के
लोभन के बावजूद अपनी प व ता और प व ता का गवाह बनने के लए बु
अपने अनुया यय को बु
इस कार यह जीवन
णभंगुर है डी
जैन दशन का मानना है क व
सावभौ मक कानून बी
सावभौ मक स य सी
सावभौ मक व ास डी
यू नवसल सोल
का पृ वी का आ ान c
का मरण क वे सभी पृ वी से उ प होते ह और अंत म पृ वी म वलीन हो जाते ह और
इस संदभ म दोन कथन ए और बी सही ह
.
का पृ वी का आ ान बी
का नमाण और रखरखाव कसके
ारा कया जाता है a
Machine Translated by Google
.
न न ल खत म से कौन अ य तीन का समकालीन नह था
ए
ब बसार ख
गौतम बु
सी
म लडा डी
सेनजीत
।
ाचीन जैन धम के संदभ म न न ल खत म से कौन सा एक कथन सही है
ए
बी
लबा के नेतृ व म जैन धम द
ण भारत म फै ला था।
भ बा के नेतृ व म रहने वाले जैन को प रषद आयो जत होने के बाद
ेतांबर कहा जाता था
पाट लपु ।
पहली शता द ईसा पूव म जैन धम को क लग राजा खारवेल सी के संर ण का आनंद मला। डी
जैन धम के
.
ारं भक चरण म जैन बौ
के वपरीत छ वय क पूज ा करते थे।
न न ल खत कथन पर वचार कर i.
वधमान महावीर क माता ल
तीय।
गौतम बु
वी मुख चेतक क पु ी थ ।
क माता कोसलन राजवंश क राजकु मारी थ ।
व तीथकर पा नाथ बनारस के थे। तृतीय।
न न ल खत म से कौन सा से कथन सही है ह
के वल म
बी
के वल ii
c ii और iii d
i ii और iii
ए
Machine Translated by Google
ाचीन भारतीय बौ
मठ म एक समारोह जसे
कहा जाता था।
पवराला का आयोजन होता था। यह था
ए
संघप रनायक और दो व ा
के चुनाव का अवसर एक ध म पर और सरा वनय पर। बी
बरसात के मौसम म मठ म रहने के दौरान कए गए अपने अपराध के भ ु
नए
को बौ
संघ म द
ा दे ने क र म जसम सर मुंडाया जाता है और पीले व
चार आषाढ़ के अगले दन पू णमा डी के दन बौ
महीन के लए एक न
.
त नवास
भ ु
। सी
चढ़ाए जाते ह।
का जमावड़ा जब वे बा रश के मौसम के अगले
ान लेते ह।
न न ल खत म से कसने क मीर म क न क के शासनकाल म आयो जत बौ
पा
ारा वीकारो
संगी त क अ य ता क थी
ख
नागाजुन सी
सुदारका डी
वसु म
.
दावा ए अ हसा पर जैन धम के जोर ने कृ षक को जैन धम अपनाने से रोका।
कारण आर खेती म क ड़े और क ट क ह या शा मल है।
य द कथन और कारण दोन स य ह और कारण बताते ह ए
बल दे क र कहना।
बी
य द अ भकथन और कारण दोन स य ह ले कन कारण अ भकथन क
य द अ भकथन स य है और कारण स य नह है
ा या नह कर सकता है। सी
ए
Machine Translated by Google
डी
य द कथन स य नह है और कारण स य है।
आठ गुना पथ क अवधारणा न न ल खत का वषय बनाती है
. ए
द पवंश बी
द ावदान ग
महाप र नवाण सु
धम च
डी
वतन सु
म ल दप हो राजा के म य संवाद के
मेनडर और बौ
प म है
.
भ ु
नागसेना बी
ए
नागाजुन ग
नागभ
डी
कु मारीभ
न न ल खत म से कौन सा बौ
धम और
दोन म समान था।
जैन धम
तप और भोग क पराका ा से बचना।
म।
वेद के अ धकार के
तीय।
कमकांड क
iv.
त उदासीनता iii.
भावका रता का खंडन पशु
जीवन को नुक सान न प ंचाना नीचे दए
गए कोड का उपयोग करके सही उ र चुन ए i ii iii और iv b ii iii और iv c
i iii और iv डी म और
तीय
Machine Translated by Google
न न ल खत म से कौन सा ारं भक जैन सा ह य का ह सा नह है
थेरीगाथा बी
अचरंगसू
सी
सू कृ तंग डी
बृह क पसू
.
अणु त क अवधारणा का समथन कया था a
महायान बौ
धम बी
हीनयान बौ
धम सी
जैन धम डी
लोकायु
जवाब
.
बी
.
डी
.
डी
.
डी
.
बी
.
ए
.
बी
.
बी
.
ए
.
सी
.
सी
.
सी
.
बी
.
डी
.
ए
.
डी
.
ए
।
बी
व ालय
. क
Machine Translated by Google
.
.
एसी
पछले साल के
मे स
.
यह कहना कहाँ तक सही है क उ र वै दक अथ व
को ज म दया
.
बु
ा म ए प रवतन ने भारत म नए धा मक आ दोलन
इ तहास वैक पक
क श ाएँ काफ हद तक आज के समाज क सम या
को समझने और उनके समाधान म सहायक
हो सकती ह।
आलोचना मक व
.
ेषण क जए।
इ तहास वैक पक
जैन स ांत के मह व और मानवता के लए उनक
ासं गकता का आकलन कर।
इ तहास
वैक पक
अ यास
.
ारं भक
न न ल खत को मलाएं
म। तं
ए आठ गुना पथ
तीय। जैन धम
बी व यान
.
सी दगंबर
तृतीय। बु
डी बु
iv. सारनाथ
का पहला उपदे श ए
ए
ii बी
i सी
iii डी
iv बी
ए
i बी
ii सी
iii डी
iv सी
ए
iv बी
iii सी
ii डी
आई डी
ए
iii बी
आई सी
ii डी
iv
न न ल खत कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
म।
बौ
संघ म म हला
को वेश नह दया जाता था।
धम
Machine Translated by Google
तीय।
iv.
म यम माग बु
ारा
तपा दत कया गया था। तृतीय।
बु
का ज म लुं बनी म आ था।
बु
के अनुसार इ
ा ही सभी बुराइय का मूल कारण है।
ए म और ii
ii
उपरो
सभी बी
सी
iii और iv डी
इनमे से कोई भी नह
.
न न ल खत कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
महावीर बु
म।
थम बौ
तीय।
तृतीय।
बौ
के समकालीन थे।
संगी त स ाट अशोक के शासनकाल म ई थी।
धम ने ा ण क
े ता को वीकार कया। a i और ii b के वल ii c
ii और iii d
के वल i
न न ल खत कथन
पर वचार
.
क जए और उस वक प को च हत क जए जो
सही।
जैन ई र के अ त व म व ास करते थे ले कन इसे अपने जन के नीचे रखते थे।
म
तीय
बौ
ई र क अवधारणा म व ास करते ह ले कन आ मा आ मा म व ास नह करते ।
दोन सच ह
के वल म ही स य है
के वल ii स य है
इनमे से कोई भी नह
.
न न ल खत कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
म।
तीय।
बौ
और जैन दोन धम
महायान बौ
य
ारा बनाए गए थे।
धम मू त पूज ा म व ास करता है जब क हीनयान नह ।
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ेतांबर न न ह जब क दगंबर सफे द ह iii. पहने ए।
a i और ii b
के वल ii c ii और
iii d के वल म
जवाब
.
डी
.
सी
.
डी
.
बी
.
ए
अ यास
मे स
.
बौ
.
छठ शता द ईसा पूव म नए धम के उदय के कारण पर चचा कर
.
बौ
धम और ा णवाद के बीच समानता और असमानता दोन ब
धम का पतन य
कर।
क पहचान कर।
आ जब क जैन धम अ य भाग म फै ल गया जैन धम और बौ
धम दोन म मूल समान स ांत या ह
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मौय सा ा य सी.
ई.पू.
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मौय वंश का न
भारतीय उपमहा प के
उपमहा प सा ा य क
ा
ारं भक इ तहास म मौय काल एक उ लेख नीय काल है। यह न के वल पहले
ापना का तीक है ब क नवीन और तुलना मक
प से
र शासन
रणनी तय के वकास का भी तीक है। के रल त मलनाडु और उ र पूव भारत के कु छ ह स को
छोड़कर मौय ने पूरे उपमहा प पर शासन कया। मौय काल के
काल क तुलना म अ धक ामा णक माने जाते ह। के लए
ोत अ धक व वध ह और पहले के
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अब पहली बार हमारे पास कई
इं डका और
ोत ह सा ह यक
इ तहास पर
ेय दे ता है
नीज का
और अशोक ारा जारी कए गए शलालेख इस अव ध के
काश डालते ह। इस अव ध के अ य मुख सा ह यक
जैन धम के साथ चं गु त के संबंध
चं गु त के श ु
ा पत करना
ोत म हेमचं का प र श पवन
व शता द का वशाखद
का मु ारा स चाण य
क चतुर चाल का वणन करने वाला एक ऐ तहा सक नाटक दं डन का दशकु मारच रत
बाणभ क कादं बरी बौ
ंथ क
अथात् महावंश म लदप हो और महाभा य बौ
मू त जो हम चं गु त के जीवन का लेख ा जोखा दे ती है
द पवंश अशोकवदना द ावदान ये तीन ंथ साथ
ही साथ महावमसा हम अशोक का लेख ा जोखा दे ते ह व स
कथा पर
मेग
दामन I का जूनागढ़ शलालेख जो चं गु त के शासनकाल के दौरान एक सुदशन झील
के नमाण क शु आत का
के व
ोत जैसे कौ ट य का अथशा
व शता दसंक
दभएक ट पणी
ापक सनी चाण य और चं गु त क
साथ ही मामुलानार का मौय के द
संगम काल के इस त मल क व के अनुसार मौय का उ री कनाटक म
ण क ओर व तार का
त एक द
णी श
के साथ
गठबंधन था जसे कोशर कहा जाता था और मौय ने मामल और राजनी त म लगातार ह त ेप कया
द
ण का । ये
कौ ट य का अथशा
मौय के जीवन और शासन को समझने म हमारी ब त मदद करते ह। पा
और मेग
ोत म
नीज का इं डका वशेष मह व रखता है।
कौ ट य का अथशा
यह भारत म अब तक न मत सबसे प र कृ त और व तृत ंथ म से एक माना जाता है। शीषक अथशा
एक सं कृ त श द है जसका शा दक अथ है भौ तक भलाई का व ान हालां क इसे राजक य कला के
व ान के
प म भी वीकार कया जाता है। यह यान रखना दलच
है क अथशा
के अनुसार
अथ यानी भौ तक भलाई धम आ या मक क याण और काम कामुक आनंद दोन से बेहतर है। इसम
पु तक अ धकरण शा मल ह
अगले आठ पु तक के साथ
जनम से पहले पांच तं
आंत रक शासन से संबं धत ह और
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अवापा अंतररा यीय संबंध । अं तम दो पु तक अ य व वध वषय से संबं धत ह। अथशा
के मु यमं ी कौ ट य के राजनी तक वचार को सं ेप म
नाम से भी जाना जाता है
चं गु त मौय
तुत करता है ज ह चाण य या व णुगु त के
जनक तुलना अ सर इतालवी पुनजागरण लेख क नकोलो मै कयावेली द
स के लेख क से क जाती है। यह पु तक कई स दय तक खोई रही जब तक क इसक एक
के प
पर लखी ई आर. शमाशा ी ारा c.
त ताड़
CE म भारत म फर से खोजी नह गई। यह
सं करण कौ ट य के समय के कई स दय बाद लगभग
ई वी पूव का है ले कन आमतौर पर यह
वीकार कया जाता है क इस पु तक के मु य वचार काफ हद तक वयं कौ ट य के ह। पु तक म
वश
वषय के बारे म व तृत जानकारी है जो एक भावी सरकार चलाने क इ
के लए ासं गक ह । कू टनी त और यु
ा रखने वाले शासक
सै य रणनी त स हत सबसे अ धक व तार से
जाने वाले दो ब ह ले कन काम म कानून जेल कराधान सचाई कृ ष खनन कलेबंद
नमाण
अथशा
ापार
वहार कए
स का
शासन और जासूस क सफा रश भी शा मल ह।
म कौ ट य ारा
कए गए वचार पूरी तरह से
ावहा रक और असंवेदनशील ह। कौ ट य
ह या प रवार के सद य को कब मारना है गु त एजट को कै से बं धत करना है कब सं धय का उ लंघन
करना उपयोगी है और मं य क जासूसी कब करनी है जैसे ववादा
हालाँ क वह राजा के नै तक कत
य क वह एक शासक के कत
द वषय पर खुलकर लखते ह ।
के बारे म भी लखता है और पतृस ा मक नरंकु शता पर जोर दे ता है
को सं ेप म कहता है
जा क खुशी राजा क खुशी है उनका क याण
उसी का है। उसका अपना सुख उसका भला नह है ब क उसक
जा का सुख उसका भला है।
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चाण य
मेगा
नीज क इं डका
इं डका एक ीक राज त मेग
नीज ारा छोड़ा गया एक खाता है
जसे से यूक स नके टर ने चं गु त
मौय के दरबार म भेज ा था जो पाट लपु क मौय राजधानी म रहते थे। यह पु तक बची नह है
ले कन इसके टु क ड़े डयोडोरस इ तहासकार जो सकं दर के भारतीय अ भयान का वणन करता है और
भारत का सामा य ववरण दान करता है
भूगोल से संबं धत ह
मेग
लनी के बाद के
ै बो भूगोलवे ा जसक पु तक भारत और फारस के
ीक और लै टन काय म संर
त ह। रोमन व ान जो
नीज क ट प णय का हवाला दे ते ह और ए रयन राजनेता और सै नक जो हम सकं दर के
अ भयान का लेख ा जोखा दान करते ह और एड मरल नयरचस क बेबीलोन क या ा का भी ववरण
दे ते ह । इं डका उपमहा प को इसके आकार और आकार के संदभ म व णत करता है भारत एक
चतुभुज के आकार का दे श है जो द
णी और पूव तरफ समु से घरा है
म
पौध जानवर हा थय हा थय के लंबे ववरण शा मल ह घोड़ और बंदर के
होता है क यूना नय को भारतीय जानवर
ारा वशेष
जलवायु न दय
प म ऐसा तीत
प से मो हत कया गया था उ पादन
शासन समाज कवदं तयाँ और लोककथाएँ। यूना नय ने भारतीय क भगवान कृ ण क पूज ा का
उ लेख कया और उ ह डायो नसस और हेरा लेस
हर यू लस के
प म संबो धत कया। वे
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भारतीय को ईमानदार चूं क चोरी लभ थी और महान च र और नै तक मू य वाले के
कया। मेग
नीज लोग क संतु
और समृ
से इतना भा वत आ क उसने
पम च त
ापक ट पणी क क
अकाल कभी भारत म नह आया और पौ क भोजन क आपू त म कभी भी सामा य कमी नह
यहां तक क यु
के समय भी भारतीय कभी भी खेती क म
ारा कया गया था ले कन अपनी लड़ाई लड़गे कृ ष
े
ई और
को न नह करगे जैसा क अ य दे श
से र म
के जोतने वाल को तब भी खेती
करने क अनुम त दगे जब लड़ाई उ थी।
मेग
नीज के काम के
मुख दोष ववरण म गल तयाँ थ भारतीय लोककथा
वीकृ त और यूनानी दशन के मानक
लए मेग
क आलोचना मक
ारा भारतीय सं कृ त को आदश बनाने क
नीज पेशेवर मानदं ड के आधार पर म
वृ
थी। उदाहरण के
के समाज के सात वग म हेरोडोटस के वग करण से
भा वत होकर भारत म भी सात जा तय के अ त व का उ लेख कया अथात दाश नक उ
म रखे गए और ा ण और
मण
कसान चरवाह से मलकर
सै नक ओवर सयर और राजा के परामशदाता जो
स मान
और शकारी कारीगर और
प से समाज के व भ वग क
ापारी
ावसा यक
ग त व धय के संदभ म एक वभाजन था और जा त
व
ा के पारंप रक चार गुना वभाजन के वपरीत
था। च लत। हालाँ क मेग
व
ा के दो सबसे मह वपूण पहलु
क
नीज ने भारतीय जा त
अंत ववाह और वंशानुगत
वसाय।
क पहचान
ै बो भी गलत तरीके से कहता है क भारतीय लखने और
गलाने से अन भ थे और ब लदान के अलावा कभी शराब नह पीते थे। इन दोष के बावजूद कौ ट य के
अथशा
के साथ मेग
नीज क इं डका उस समय के सबसे श
मौय वंश पर मू यवान अंत
शाली और मुख राजवंश म से एक
दान करती है।
मौय राजवंश
मौय वंश के सं
ापक चं गु त मौय
ईसा पूव को नंद क एक बड़ी सेना वरासत म
मली थी जसका इ तेमाल उ ह ने लगभग पूरे उ र उ र प
म और ाय पीय भारत के एक बड़े ह से
पर वजय ा त करने के लए कया था। मूल और जा त के बारे म ब त अ
ता है
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मौय प रवार के और वे पाठ से पाठ म भ होते ह। बौ
ंथ जैसे द घा नकाय महावंश और
द ावदान मौय के बारे म बताते ह क वे शा य से जुड़े
थे शायद प रवार को एक उ
ह संभवतः इस लए क
य मो रया वंश क एक शाखा से संबं धत
दजा दे ने के लए ले कन ा णवाद
ोत उ ह शू और वधम मानते
येक राजा एक वधम सं दाय का बल संर क था।
प रवार को नंद से भी जुड़ा आ माना जाता है
य क व णु पुराण के अनुसार चं गु त गु त नंद राजा सवाथ स
के पु मौय
के सबसे बड़े पु थे जो एक शकारी वृषला क बेट मुरा ारा थे।
चं गु त मौय
ईसा पूव
मौय वंश क
ापना चं गु त मौय ने अपने गु चाण य कौ ट य क मदद से क थी।
चं गु त ने सभी संभावना म पहले खुद को पंज ाब म
ओर तब तक चले गए जब तक क उ ह ने मगध
ा पत कया और फर पूव क
े पर नयं ण हा सल नह कर लया।
पारंप रक मा यता के अनुसार चं गु त ने इस रणनी त को एक उदाहरण से नकाले गए
नै तक आधार पर अपनाया जहां उ ह ने एक म हला को अपने ब े को एक डश के
क से खाने के लए डांटते ए दे ख ा य क यह प क तुलना म गम होना तय है।
ीक व ान
ीक
ारा स ोकोटस कहा जाता है
व लयम जो स ारा पहचाना गया ।
ोत यहां तक क चं गु त और सकं दर जसने
उ रप
ईसा पूव के दौरान
म भारत पर आ मण कया था के बीच एक बैठक का सुझ ाव दे ते ह। वे
चं गु त मौय और से यूक स नके टर जो सकं दर के सेनाप तय म से एक थे और
उनक मृ यु के बाद और अ धकांश पूव ए शयाई ांत पर नयं ण पाने म सफल
रहे के बीच संघष के लए भी ज मेदार ह । चं गु त ने उसे
आसपास हरा दया और से यूक स को अराको सया द
कं धार
े
गे ो सया द
ण पूव अफगा न तान का
ण बलू च तान और परपो मसदाई अफगा न तान और
भारतीय उप महा प के बीच का
मजबूर कया गया। उसे
ईसा पूव के
े
जैसे काबुल हेरात गांधार को छोड़ने के लए
हा थय के बदले म।
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से यूक स ने मौय दरबार मेग
नीज जसने इं डका लखी थी को अपना राज त
भेज ा।
वह मौय सा ा य का मु य वा तुक ार था और उसने एक वशाल सा ा य का नमाण
कया जसम बहार नेपाल प
मी और उ र प
मी भारत और द कन शा मल
थे।
जैन ंथ और परंपरा के अनुसार चं गु त ने जैन धम को अपनाया और भ बा के साथ
वण बेलागोला मैसूर के पास क पहा ड़य पर गए और स लेख ना धीमी भुख मरी से
मौत क ।
ब सार
ईसा पूव
यूनानी लेख क उ ह अ म ोचेट्स श ु
का नाश करने वाला के
करते ह जब क महाभा य उ ह अ म घाट
करता है। यह अजीब है क बौ
मन का ह यारा के
प म संबो धत
प म संद भत
ोत ब सार पर चुप ह। हालाँ क अजी वका
सं दाय क कहा नय म एक भा य वधाता का उ लेख है जसने ब सार को अपने
बेटे अशोक क भ व य क महानता के बारे म भ व यवाणी क थी।
दो समु
के बीच क भू म अथात अरब सागर और बंगाल क खाड़ी पर वजय
ा त क । त बती भ ु तारानाथ ज ह ने भारतीय बौ
धम का
व शता द का
इ तहास लखा था कहते ह क ब सार के महान शासक म से एक चाण य ने
शहर के रईस और राजा
बीच के सभी
यूनानी
े
मी राजा
ै बो के अनुसार एं टओकस सी रयाई राजा ने ब सार के दरबार म
के राजा टॉलेमी
राज त के
के
के साथ उसके राजन यक संबंध का भी उ लेख
डायमेक स को एक राज त के
क म
मी समु
का वामी बना दया।
ोत म प
मलता है।
को न कर दया और उ ह पूव और प
प म भेज ा था। इसी तरह
लनी ने उ लेख कया है
तीय फलाडे फ़स ने एक डायो न सयस को भारत म
प म भेज ा था।
द ावदान म संभवतः उनके शासनकाल के दौरान उनके पु अशोक का उ लेख
है
ज ह ने त
शला म
मं य के खलाफ व ोह को दबा दया था।
माना जाता है क वे आ ज वका सं दाय म शा मल हो गए थे।
उनके शासन के तहत लगभग पूरा उपमहा प कनाटक के
आ धप य के अधीन था।
पमद
ण तक मौय
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अशोक के सा ा य का न
अशोक
ा
ईसा पूव
ईसा पूव म ब सार क मृ यु के बाद चार साल का उ रा धकार संघष आ।
द ावदान के अनुसार
ब सार चाहता था क उसका पु सुसीमा उसका उ रा धकारी
बने और अशोक ब सार के मं य क पसंद था। बाद म राधागु त नाम के एक मं ी
क मदद से और
भाइय क ह या करने के बाद अशोक ने आ खरकार मगध
सहासन हा सल कर लया और इस तरह चार साल बाद उसका औपचा रक अ भषेक
आ।
के शासनकाल के दौरान उ ह त
शला और उ
ग त व धय को संभाला का वाइसराय नयु
ैन दोन शहर ने वा ण यक
कया गया था
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ब सार।
सभी समय के महानतम राजा
म से एक के
प म माना जाता है और संभवतः
अपने शलालेख के मा यम से अपने लोग के साथ सीधा संपक बनाए रखने वाला
पहला शासक था। स ाट के व भ नाम म शा मल ह बु शा य और अशोक
मा क शलालेख म
दे वता
के
धमसोका सारनाथ शलालेख दे वानाम पया अथात्
य और पयाद सी मनभावन उप
त का अथ
ीलंक ाई बौ
काल म द पव सा म दए गए ह । महावंश ।
बौ
अशोकवदान के अनुसार अशोक क माता चंपा के एक ा ण सुभ ांगी क
पु ी थी। व ास के अनुसार अशोक को अपना नाम शा दक अथ बना ःख के
इस त य से मला क उसके ज म के प रणाम व प उसके माता और पता का पुन मलन
आ जो अ यथा एक महल क सा ज़श के कारण अलग हो गए थे। यह उसके उ ार से
है
म अब बना ःख के
ँ
द पवंश और महावंश जैसे बौ
क बालक अशोक को उसका नाम मला।
ंथ उनक रा नय का व तृत ववरण दान करते
ह। कवदं ती के अनुसार अशोक ने अपनी प नी महादे वी व दशा के एक
क बेट जो बाद म मह
ापारी
म हदा और संघ म ा संघ म ा क मां बनी अशोक क
स संतान थ ज ह ने बौ धम के चार म मदद क के साथ ेम ववाह कया
था। . इन दो ंथ म रा नय असं ध म प ावती त सार खता ज ह ने बो ध वृ
को काटने क को शश क
और क वाक
रानी के शलालेख इलाहाबाद कोसम
तंभ शलालेख म उ ले खत होने वाली एकमा रानी का उ लेख कया गया है जहां
उ ह रानी क मां के
प म व णत कया गया है। राजकु मार तवारा अशोक के
इकलौते पु का शलालेख म नाम से उ लेख कया गया है ।
उसके सा ा य ने ह कु श से लेक र बंगाल तक पूरे
े को कवर कया और
अफगा न तान बलू च तान और पूरे भारत म क मीर और नेपाल क घा टय
ऐसा
करने वाला पहला सा ा य तक फै ला आ था सु र द
े को
छोड़कर जो रॉक ए डट के अनुसार
ण म एक छोटे से
Machine Translated by Google
चोल और पां
और सतीपु
ारा बसे ए थे और रॉक शलालेख
के अनुसार के रलपु
ारा ।
उनके हेले न टक समकालीन सी रया के एं टओ चयस II
म
के टॉलेमी II
मैसेडो नया के एंट गोनस साइरे नका ली बया के मैगास और ए परस के सकं दर
थे जैसा क अशोक के शलालेख म व णत है। अशोक ने उनके साथ राजन यक
और अ य दोन तरह के मशन का आदान दान कया। धम ारा वजय यहाँ
सीमा
पर और यहाँ तक क छह सौ योजन
कमी
र जहाँ
यूनानी राजा एं टओ चयस शासन करता है वहाँ से परे जहाँ टॉलेमी एंट गोनस मैगस
और अले जडर नाम के चार राजा शासन करते ह जीते गए ह। इसी तरह द
चोल पां
और ता पण
बौ
बल समथक थे । परंपरा के अनुसार और जैसा क महावंश और
धम के
ीलंक ा तक
णम
वां शलालेख कहता है ।
द पवंश म उ लेख कया गया है वह अपने भतीजे न ोध जो
भ ु बन गया था
ारा बौ
धम म प रव तत हो गया था।
द ावदान के अनुसार समु
एक
उसके शासनकाल म पहली बार बौ
और पु ी संघ म ा को सीलोन
म हला
ापारी सं यासी ने उसे प रव तत कर दया।
धम भारत से बाहर गया । उसने अपने पु मह
ीलंक ा भेज ा।
स हत व भ सामा जक समूह के बीच अपने शासनकाल के
म धम चार के लए धम महामत क नयु
पाट लपु
कया
वष क उ म एक
अपने शासनकाल के
जसके बाद उसने बौ
पशु ब ल पर
का ज म
क ।
व वष म म तीसरी बौ
संगी त का आयोजन
मशन रय को सीलोन और सुवणभू म भेज ा।
अपने सरे धमया ा दौरे अपने शासनकाल के
लु बनी बु
व वष
व वष म के दौरान उ ह ने
ान का दौरा कया।
तबंध लगा दया भोजन के लए पशु
और अपने पूरे रा य म धमशाला
अ
के वध को नयं त कया
ताल और सराय क
ापना क ।
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बृह थ
अशोक के बाद मौय सा ा य का तेज ी से पतन आ और बाद के राजा
का शासन काल ब त छोटा रहा।
सा ा य कमजोर और खं डत हो गया और मौय वंश का अंत हो गया जब अं तम राजा बृह थ को उसके
सेनाप त पु य म शुंग ने
शुंग वंश
धम
ईसा पूव म मार डाला।
ईसा पूव
अशोक के शलालेख और अशोक के
अशोक के इ तहास का पुन नमाण उसके शलालेख के आधार पर कया गया है।
ये शलालेख न के वल अशोक के शासनकाल पर काश डालते ह ब क उनक बाहरी और घरेलू
नी तय ध म के बारे म उनके वचार और उनके सा ा य क सीमा को भी कट करते ह। उनक
गत चता
के बयान के
प म वे उ लेख नीय द तावेज ह जो उनके समय के प रवेश का वशद
वणन करते ह।
कु ल
शलालेख ह और मु य
प से मुख रॉक ए ड ट् स माइनर रॉक ए ड ट् स अलग रॉक ए ड ट् स
मेज र पलर ए ड ट् स और माइनर पलर ए ड ट् स म वग कृ त ह । उनके शासनकाल के पूवा
आसानी से
त च ानी सतह पर अं कत कए गए थे और पूरे सा ा य म
गए थे वशेष
प से सावज नक ब तय के
े
ापक
के शलालेख
प से वत रत कए
म जहां लोग आसानी से इन शलालेख को पढ़ सकते
ह और इस कार उ ह माइनर और मेज र रॉक कहा जाता है। फरमान। सरी ओर तंभ लेख यादातर
उसके शासनकाल के बाद के ह स म खुदे ए थे और च ान के बजाय अ
बलुआ प
र के अखंड तंभ वाराणसी के पास चुनार के
तरह से पॉ लश कए गए
ल से उ खनन पर थे
येक एक सू म
प से गढ़ गई पशु राजधानी के साथ था। काटने और उ क णन म महान तकनीक वशेष ता शा मल
थी और वे काफ हद तक गंगा के मैदान तक ही सी मत थे
उनके शलालेख म ा ी खरो ी
CE म
श ा
ाकृ त अरामाईक और ीक भाषा
ा या का उपयोग कया गया है। दलच
का कोई संदभ नह है
य क उ ह नद
यादातर उ र प
ारा ले जाया गया था ।
जे स
सेप ारा c.
प से ीक और अरामी सं करण म बु
मी सीमा
क
के आसपास पाए जाते ह जैसे क
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शार ए कु ना ीक अरामाईक शलालेख । समान
प से आकषक त य यह है क इन आदे श म कु छ
अवधारणाएँ उस भाषा के दाश नक वचन से ली गई ह। उदाहरण के लए कु छ पारसी अवधारणा
के
संदभ म पढ़ने पर अरामी भाषा के शलालेख को बेहतर ढं ग से समझा जा सकता है।
साथ ही यह भी सच है क अशोक के शलालेख म बु
क श ा
से जुड़े कु छ मुख वचार नह ह
जैसे क अ ांग माग चार आय स य और नवाण का ल य। फर भी उनके ध म क त शलालेख म
न
त
प से बौ
मूल वचारधारा है।
अशोक के अ धकांश शलालेख ध म के बारे म ह धम का ाकृ त
कानून या धा मकता या सामा जक और धा मक
अथात् आम लोग के लए बु
का ध म श ा
व
ा है और यह
प से बौ
उपासक ध म
क श ा से े रत था ले कन यह उसक दपण छ व नह थी। अशोक
का एक समूह था जसे के वल संक ण सां दा यक व ास के साथ नह पहचाना जा
सकता था ब क इसम एक सामा जक और बौ
कई पहलु
प जसका शा दक अथ सावभौ मक
क आचार सं हता शा मल थी जो सामा जक जीवन के
को भा वत करती थी और उससे भी ब त कु छ। इसने अ हसा और व भ सं दाय और
व ास के लोग के बीच आपसी स मान और समझ पर जोर दया। अशोक ने ध म को धमपरायणता के
प म नह दे ख ा जो औपचा रक धा मक व ास से े रत अ
े काय से उ प
सामा जक नै तकता के अनु प था। उनके ध म का उ े य नै तक
वहार क
क ग रमा क मा यता के साथ मन का एक
नौकर के
और र तेदार के
धानता और मानव जीवन
कोण बनाना था । उ ह ने बार बार लोग से दास और
त स मान वचार क णा और स ह णुता श क के
आ ाका रता म
आ ब क एक
त उदारता
ा ण और
त स मान माता पता के
मण के
त
त स मान और दान सभी
जी वत ा णय के लए चता और जीवन को न करने से परहेज । उनक ध म क नी त म लोग के
क याण के लए रा य क चता शा मल थी। यह
आदश सामा जक
नया के सभी धम के लए सामा य आचार सं हता या
वहार था जसका पालन करने के लए उ ह ने अपनी जा से अपील क । अशोक के
शलालेख पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है क ध म के मूल गुण म क णा दया दान दाना
स यता प व ता और स
नता शा मल है ।
चौदह मुख शलालेख और उनके संबं धत संदेश
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पहला फरमान पशु ब ल पर
तबंध लगाने क घोषणा
सरा फरमान मानव और पशु
का च क सा उपचार लाभकारी औषधीय जड़ी बू टयाँ और जड़ फल लगाना और कु एँ
खोदना
तीसरा शलालेख
ादे शक राजुक और यु
का उ लेख है और उनके अ य कत
के ह से के
प म हर पांच साल म
नरी ण के दौर पर जाने क ज रत है ध म का चार करना और उदार रवैया अपनाना भी
ा ण और
मण
चार शलालेख भेरी घोष यु
ढोल के
ान पर ध म घोषा और राजा अशोक ने इस कत
को सबसे अ धक मह व दया।
पांचवां शलालेख रा य के भीतर ध म फै लाने के लए स पे गए अ धका रय के एक
वशेष कै डर ध म महाम
क नयु
। छठा शलालेख मं ी प रषद और जैसे अ धकारी पु लसानी और प तवेदक संवाददाता
सातवाँ शलालेख सभी सं दाय के बीच धा मक स ह णुता और न के वल अपने रा य म ब क चोल पां
और उ र प
म
म एं टओकस के पड़ोसी रा य म भी जनता के लए क याणकारी उपाय।
आठवां सं करण ध म पयटन ध म या ा
ारा
त
ा पत शाही आनंद पयटन वहार या ाएं । अशोक वयं बोधगया म
संबो ध गया था।
नौवां सं करण
व भ समारोह क
करने के लए सव
थता क आलोचना इसके बजाय ध म और नै तक आचरण पर जोर दे ती है अनुसरण
म नी त है।
ध म म बड़ का स मान करना और दास के
बारहवां शलालेख इ थ जका महाम
तअ
ा
म हला
वहार शा मल था।
के क याण के
भारी महाम
का उ लेख और
सं दाय के बीच न के वल स ह णुता क अपील करता है ब क लोग से सर के ध म को स मान दे ने
और समझने के लए भी कहता है तेरहवां शलालेख क लग यु
आ अशोक के अ भषेक के एक वष बाद ने अपना
उपासक था बौ
धम क ओर मुड़ गया। द वजय थे
ईसा पूव नौव म
कोण बदल दया और अशोक जो शव का
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ध म वजय ारा
त
ा पत तलवार को ध म ारा
कानून ध म घोषा बन गया । उनके ध म म
त
ा पत कया गया यु
नया के सभी धम का सार अ
म भेरी घोषा
े गुण समा हत था।
राजा ध म ारा वजय को सव प र वजय मानते थे एं टओकस जैसे हेले न टक पड़ो सय और चोल
और पां
जैसे अ य लोग पर ध म ारा जीत का उ लेख । ले कन इस शलालेख म ही वह वन
जनजा तय को कसी भी हठध मता के खलाफ कड़ी चेतावनी दे ता है।
चौदहवाँ शलालेख
शलालेख का उ े य
तंभ शलालेख और उनके संगत संदेश
राजसी वतं
प से खड़े अशोक के तंभ शायद
नया क धुरी धुरी मुंडी को दशाते ह जो वग और
पृ वी को अलग करती है। लौ रया अराराज लौ रया नंदनगढ़ रामपुरवा नगली सागर सारनाथ टोपरा
और मेरठ म तंभ शलालेख पाए गए ह । यह यान रखना दलच
सरा मेरठ से फरोज शाह तुगलक ारा द ली म
है क दो तंभ एक टोपरा से और
ानांत रत कर दया गया था । शलालेख के बना
तंभ ह जैसे क रामपुरवा म बैल शीष तंभ वैशाली म सह शीष वाला तंभ और कोलम तंभ
जसका कोई शीष नह है।
अशोक के तंभ म न न ल खत वशेषताएं ह
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वैशाली म अशोक तंभ
एक।
बी।
अ धकतर खंभे
प और आयाम म समान ह और चुनार से नकले बलुआ प
यादातर मोनो लथ यानी प
र से बने ह।
र के एक टु क ड़े से उके रे गए और एक चमकदार पॉ लश सतह होती है जसका कोई
आधार नह होता है और सादा चकना बेलनाकार शा ट
सी।
मीटर क ऊं चाई तक थोड़ा ऊपर क ओर होता है। एक बेलनाकार बो ट शा ट के शीष को राजधानी से जोड़ता है और
एक बेल कै पटल उ टे कमल के आकार म खुद
डी।
ई एक प
बेल कै पटल के शीष पर एक मंच अबैक स होता है
चौकोर और सादा है
र है।
जसका उ े य मुकु ट वाले जानवर को सहारा दे ना होता है। अबेक स
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पहले के खंभ म और बाद के खंभ म गोलाकार और घुमावदार। त
के सभी भाग को
चार ओर से उके रा गया है अथात गोलाकार संभवतः चार ओर से दे ख ने के लए बनाया गया
है।
अशोक के तंभ से जुड़े
पांक न म कई च लत भारतीय धा मक परंपरा
व वध तीकवाद है। उदाहरण के लए सबसे अ धक पाए जाने वाले
परंपरा म तीक शु ता और उवरता
परंपरा के अनुसार बौ
ोक हील धमच
और घोड़ा
धम म ासं गक बु
का
ने सफे द हाथी के
और
पांक न कमल के थे भारतीय
शेर एक सौर तीक है और बु
य क उ ह शा य सह कहा जाता है यानी शा य म शेर बैल
के साथ एक समृ
जनन
का भी
त न ध व करता है
मता का तीक
हाथी बौ
प म अपनी मां के गभ म वेश कया
त न ध व करता है यानी धम का प हया और सं भुता से भी जुड़ा आ है
स ाथ के अपने घर से
ान का तीक है । कु छ मह वपूण तंभ शलालेख म न न ल खत
वशेषताएं ह
रामपुरा क बुल राजधानी
पहला तंभ शलालेख सामा जक सं हता
सरा तंभ शलालेख ध म का वणन कम से कम पाप पु य कम करने क णा प व ता और
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स
ाई
तीसरा तंभ शलालेख आ मा और पाप चौथा तंभ शलालेख राजुक स पांचवां
तंभ शलालेख लोक य
प से द ली टोपरा तंभ शलालेख के
ह या के संबंध म नषेध है।
द ली टोपरा तंभ
छठा तंभ शलालेख लोग का क याण
सातवां तंभ शलालेख ध म महाम
अ य ासं गक शलालेख और मह वपूण शलालेख
प म जाना जाता है इसम पशु
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.
इलाहाबाद कोसम रानी का शलालेख
कौशांबी या श म शलालेख
अशोक संघ के सद य को रक म वभाजन पैदा करने के खलाफ चेतावनी
दे ता है
इस शलालेख पर ही समु गु त का शलालेख है
जहाँगीर संभवतः इलाहाबाद के कले को हटाने के लए ज मेदार था
.
दामन का ठयावाड़ का गरनार शलालेख
चं गु त मौय के शासनकाल के दौरान सौरा के एक रा ीय मतलब ांतीय गवनर
पु यगु त ारा न मत सुदशन झील का उ लेख
.
कं धार शलालेख
भाषी ीक अरामी शलालेख
.
नगली सागर शलालेख नेपाल
तूप के पहले व तार उनके अ भषेक के
साइट पर या ा उनके अ भषेक के
.
साल बाद और बाद म अशोक क
साल बाद को रकॉड करने के लए
मनदे ई शलालेख नेपाल
बु
के ज म
ान को मनाने के लए अशोक ने लुं बनी का दौरा कया यहां पूज ा
क और ामीण को कर रयायत द । यह रकॉड करता है क लु बनी गाँव को बाली
से छू ट द गई थी और उसे भागा का के वल आठवां ह सा दे ना था।
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मनदे ई तंभ
.
स त शलालेख कनाटक
सभी
मुख शलालेख के साथ साथ दो अलग अलग क लग शलालेख क साइट।
.
क लग शलालेख भौली और जौगड़ा उ लेख सभी पु ष मेरे ब
.
सौगौरा कॉपर लेट शलालेख और महा
ान चं गु त मौय का शलालेख मगध म अकाल
के दौरान अपनाए गए राहत उपाय का उ लेख
लघु शलालेख
आ
.
इं गत करता है क अशोक धीरे धीरे बौ
साल स ा म रहने के बाद और अचानक नह
लघु शलालेख
क सफा रश करता है
धम क ओर मुड़ा लगभग .
.
अशोक संघ का अ भवादन करता है बु
ा का दावा करता है और भ ु
ेह
ध म और संघ म अपनी गहरी
भ ु णय और आम लोग के लए छह बौ
.
खरो ी ल प म लखे शाहबाज़गढ़ और मनसेहरा के अ भलेख
ग र लघु शलालेख I और II
.
ानीय शासन के बारे म बात करते ह
ंथ
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अशोक क वरासत
अशोक न के वल ाचीन भारत के इ तहास म ब क व
नवीन उपल
याँ ह जैसे दे श का राजनी तक एक करण उ ह ने न के वल क लग को मौय वंश से जोड़ा ब क पूरे दे श को एक
ध म एक भाषा और
एक।
के भी एक महान मशनरी शासक थे। उनके पास महान और पथ वतक
ावहा रक
प से ा ी क एक ल प
से जोड़ा। जसका योग उनके अ धकांश शलालेख म कया गया है ।
अशोक का कनगनह ली टोन पो ट
बी।
स ह णुता और स मान का सार उसने न के वल धा मक
अपनी जा पर बौ
े म स ह णुता को अपनाया और उसका चार कया
धम को थोपने क को शश नह क और गैर बौ
सं दाय को भी उपहार दया जैसे क
अजी वका तप वय को बारबरा गुफ ाएं दान करना ले कन ल पय के मामले म
खरो ी अरामाईक और ीक जैसी अ य ल पय और भाषा
सी।
सां कृ तक संपक को बढ़ावा वह न के वल नवीनता लाए
ीक
ा ी के अलावा उ ह ने
ाकृ त और सं कृ त का भी स मान कया।
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शास नक प रवतन ले कन भारतीय रा य के बीच और भारत और बाहरी
नया के बीच
सां कृ तक संपक को भी बढ़ावा दया । अशोक को भारत का पहला वै क सां कृ तक त
माना जाए तो अ तशयो
डी।
नह होगी ।
शां त और अना मण क नी त अशोक इ तहास म शां त अ वजय और अना मण क
अपनी नी त के लए
स
है। इस लहाज से वह अपने समय और पीढ़ से काफ आगे थे।
मौय शासन
मौय काल को अ भनव शास नक प रवतन और एक व तृत शासन ारा च त कया गया था।
आमतौर पर यह माना जाता है क मौय का एक वशाल और अ य धक क कृ त नौकरशाही शासन था
जसम राजा सभी श
य का
ोत था हालां क यह दावा कया जाता है क मौय राजा
वशेष
प से
अशोक ने दै वीय शासन के बजाय पैतृक नरंकु शता का दावा कया था।
अशोक का सा ा य संभवतः ांत म वभा जत था और
म कौ ल
स तांग रा य क अवधारणा को नोट करते ह
येक ांत म एक वायसराय होता था । अथशा
जसके अनुसार एक रा य म सात अंतर
संबं धत और इंटरलॉ ड अंग या कृ त त व शा मल ह
.
वा मन राजा सभी सात त व क आ मा। कौ ट य के अनुसार राजा धम वतक था
सामा जक आदे श का वतक
और पोराना प
य क उसने राजससन जारी कया था यानी शाही वधान
यानी ाचीन नयम और री त रवाज बनाए रखा था ।
भले ही उनके दै नक मामल म उ ह एक मं प रषद ारा सहायता दान क जाती थी फर
भी राजा वयं राज व कानून और
व
ा यु
या शासन से संबं धत कसी भी अ य
मामले के बारे म सभी अं तम नणय लेता था । उनसे हर समय चु त और अपने अ धका रय
के लए सुलभ होने क उ मीद क जाती थी। मेग
नीज के अनुसार च गु त एक ब त ही
प र मी अ धकारी था।
वे दन भर दरबार म रहे दन म नह सोए और यहां तक क जब वे अपने शरीर क मा लश
करवाते थे या अपने बाल म कं घी करते थे और कपड़े पहनते थे तब भी वे सावज नक मामल
म भाग लेते थे और अपने राज त को दशन दे ते थे। अपने एक शलालेख म अशोक ने घोषणा
क थी क आम लोग भी उससे मल सकते ह
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कसी भी समय। उ ह ने यह भी घोषणा क क उनक सभी जा उनके ब
वह इस और सरी
को असहाय ब
नया म उनक खुशी चाहते ह। अथशा
बूढ़
नःसंतान म हला
क तरह ह और
यह भी दावा करता है क राजा
और अ य नरा
त और कमजोर लोग को
बनाए रखना चा हए । राजा ने सड़क के कनारे पेड़ लगाकर कु एं खोदकर और लोग और
जानवर दोन के लए च क सा दे ख भाल दान करके लोग के क याण को सु न
का भी यास कया। मौय काल म राजा को भी अपने जीवन और
बड़ी सतकता बरतनी पड़ती थी। अथशा
त करने
त क र ा के लए
म कई गु त आपातकालीन नकास और महल
प रसर के अंदर और बाहर जाने वाली सभी चीज क जांच करने के लए नयो जत व भ
परी ा तकनीक के बारे म एक व तृत ववरण है। दलच
बात यह है क राजा क म हला
नजी अंगर क का भी उ लेख है जो तीरंदाजी म कु शल थ । कौ ट य ने ह या के खतर का
भी उ लेख कया है और इस कार राजा को जहर आग और सांप से बचाने के उपाय सुझ ाए
ह और जासूस क एक भावी मंडली जुटाना जो राज ोह क थोड़ी सी भी सूंघ सकता है
जैसे क सं
ा या
र जासूस जो कसी वशेष
े म
ायी
या आवारा जासूस जो गु त जानकारी एक करने के लए एक
प से तैनात थे और संचार
ान से सरे
थे । चं गु त ने जासूस के एक नकाय को बनाए रखा जसे ओवसस
ए प कोपोई या
घटना
ान पर भटकते
दओडोरस का
ै बो और ए रयन का एफ़ोरी कहा जाता था जो पूरे दे श म होने वाली
पर नज़र रखता था और नय मत
है क एफ़ोरी को सबसे वफादार
प से राजा को सूचना दे ता था।
य म से नयु
ै बो का कहना
कया गया था। प तवेदक और पु लसानी
का भी उ लेख मलता है जो राजा के वशेष रपोटर के
प म काय करते थे और उ ह जनता
क राय से अवगत कराते थे।
.
अमा य सभी उ
अ धकारी परामशदाता और वभाग
राजा ने मं प रषद नामक दन
एक प रषद नयु
त दन के
मं य के कायकारी मुख
शासन म उनक सहायता के लए मं य क
क मं प रषद क तुलना म एक बड़ा नकाय जो एक छोटा था मं य
का सलाहकार नकाय । मेग
नीज और बाद के
ीक लेख क जैसे डयोडोरस टारबो
ए रयन आ द के अनुसार म ीप रषद ब त भावशाली था। के मामल म राजा को सलाह दे ने
के अलावा
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शासन इसने रा यपाल वायसराय ड ट गवनर कोषा य
यायाधीश मु य म ज े ट और अ य उ
मं प रषद क बैठक म महामं य या उ
जहाँ म
य को
त वष वेतन के
वष के वल
नकाय
अ धका रय क नयु
श
मं य ने भी भाग लया । यह इस त य से पता चलता है क
पम
पण ा त होते थे वह म ीप रषद के सद य को
त अ धकारी के नकाय भी थे जो
त
े के सामा य मामल क दे ख भाल करते थे। अथशा
पदा धका रय को अठारह तीथ के
प म संद भत करता है उनम से मुख मं न
मु यमं ी पुरो हत महायाजक युवराज वा रस
अ य अ धकारी थे जो मह वपूण वभाग के
शास नक और या यक नयु
अधी क ज ह मेग
यां भर
और सेनाप त सेनाप त इन चीफ थे। कई
भारी थे। इन अ धका रय को अमा य ज ह ने उ
महाम
नीज ने अ तनोमोई
और अ य
के
तम
प म जाना जाता था। अ य
या
ै बो के म ज े ट कहा जाता है तीथ के बगल म उ
अ धकारी थे जो यादातर आ थक काय और कु छ सै य कत
अ य
म ब त भाव डाला।
पण ा त होते थे।
क म सव
पद
जनरल एड मरल
क एक सूची दान करता है जो कृ ष खनन बुनाई
से संबं धत थे। अथशा
ापार आ द जैसे व भ आ थक वभाग
को चलाने के लए ज मेदार थे। उदाहरण के लए क ब और शहर क दे ख भाल करने वाले म ज े ट को
नगरा य
कहा जाता था और सेना क दे ख भाल करने वाल को बुलाया जाता था। बालअ य ।
आ यजनक
प से सरकारी अ धका रय क उ
भारी अंतर था। उदाहरण के लए
अनुपात
तम और न नतम
ेण ी के बीच वेतन के मामले म
लक सै नक के वेतन का सेना के मु यमं ी कमांडर के वेतन से
प रक लत होता है।
सभी कायकारी अ धका रय म सामहार ी राज व का मु य सं हकता सबसे मह वपूण था और उसक
ज मेदारी म खात को बनाए रखना और सभी कार के
ोत से कर का सं ह शा मल था।
ऊपर उ ल खत अ धकांश अधी क ने उनके आदे श पर काय कया।
स नधा ी कोषा य
का कायालय भी था जो शाही भंडार अ पाताल अ भलेख सह लेख ापरी ा
कायालय और दौव रका महल प रचारक के
मुख के
भारी भी थे । यह यान रखना दलच
कौ ट य ने उपयु ता नधा रत करने के लए कु छ व श परी ण नधा रत कए
है क
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अलग अलग अमा य के
पम
य क नयु
और के वल वे जनके च र को सभी कार के
लोभन के तहत परी ण कया गया था न क के वल एक कार के को राजा के सलाहकार के उ
पद
पर पदो त कया जाना था।
उदाहरण के लए इस मामले म क द वानी और आपरा धक याय के
का याय करने के लए पया त
ारा शु
प से धा मक च
भारी अमा य न प
वाले हो सकते ह उ ह धा मक परी ण धम पादसुधा
कया जाना था। इसी तरह राजकोष के चांसलर समाहता के
धन परी ण अथ पाधासुधा
परी ण कामोपादसुधा
ारा शु
ारा शु
प से मामल
प म नयु
कया जाना था आनंद उ ान के लए नयु
कए जाने वाल को
लोग को एक ेम
कया जाना था और जन लोग को ऐसे काम म नयो जत कया जाना
था जनके लए साह सक और त काल कदम उठाने क आव यकता थी उ ह एक भय परी ण
भायोपधसुधा
.
ारा शु
जनपद
कया जाना था।
े और जनसं या पाट लपु म अपनी राजधानी के साथ मगध के अलावा मौय
सा ा य को त
शला उ र प
मी भारत सुवण गरी द
णी भारत तोसली पूव भारत
और राजधा नय के साथ चार अ य ांत म वभा जत कया गया था। उ
ैन प
मी भारत ।
अशोक के शासनकाल के दौरान क लग का पांचवां ांत जोड़ा गया था। ांतीय शासन का
मुख वायसराय था जो कानून और
व
ा का भारी था और क के लए कर का सं ह
करता था । वह आम तौर पर शाही प रवार कु मार या आयपु
महाम
से एक राजकु मार था और उसे
और मं य क एक प रषद ारा सहायता दान क जाती थी। शाही ांत के अलावा
ऐसे कई दे श थे ज ह कु छ हद तक वाय ता ा त थी।
राजधानी
पूरा करना
उ रापथ
त
द
सुवण गरी
णापथ
शला
पूव भारत
तोसली
अवंतीरथ
उ
क लग
तसली धौली
ैन
ांत को आगे दे शक क अ य ता वाले डवीजन म वभा जत कया गया था जनके पास कोई
सलाहकार प रषद नह थी। डवीजन को राजुक नामक अ धका रय के अधीन जल म वभा जत कया
गया था र
ू से लया गया जसका अथ है
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र सी और शायद र सय का उपयोग करके भू म क माप का ज
।
उ ह लेख ांक न स चवीय और अ य व वध काय म यु
ारा सहायता दान क गई थी। बदले म जल को
या
ल पक
गांव के समूह म वभा जत कया गया था जनका नेतृ व
जो उ चत रकॉड और खाते बनाए रखते थे
ामीण
ा नका जो कर एक करते थे करते थे और गोप
ारा सहायता दान क जाती थी। ाम वृ
गांव के बुज ुग के परामश पर
ा मका क अ य ता म सबसे कम शास नक इकाई गांव थी। मौय शासन इस कार संरचना मक
परा मड क
कृ त म था जसम सबसे नीचे ा मणी और शीष पर राजा था। हालाँ क यह सु न
प से एक
त नह है क पूरे भारतीय
उपमहा प म समान कार का शासन था या नह । ऐसा लगता है क मगध का क य ांत जहां राजा क स त नगरानी
म था वह अ य र दराज के
े
म अलग अलग तर का शास नक नयं ण रहा होगा।
ा नय ोण मुख खरव तका सं ाहण
गाँव क
शास नक इकाई
गाँव
गाँव
गाँव मौय क राजधानी पाट लपु का नगरपा लका
शासन एक
अ तीय च र का था। मेग
वाली छह स म तय
और मृ यु पंज ीकरण
नीज के अनुसार पाट लपु का नगर शासन और अथशा
ारा संचा लत कया गया था ।
येक स म त को अलग अलग वषय जैसे उ ोग वदे शय ज म
ापार और बाजार के नयम और कर सं ह को दे ख ने के लए स पा गया था।
स म त बोड
उ ोग
समारोह
इस स म त को व तु
के उ पादन क दे ख भाल करनी थी
क गुण व ा पर नजर रखनी थी उ पा दत व तु
था और तैयार व तु
के
वदे शी
ारा अनुमो दत पांच सद य
यु
क
े माल
का उ चत मू य तय करना
को वपणन के लए उनक उपयु ता के
माण
प म मुहर लगानी थी ।
ै बो और डयोडोरस दोन का कहना है क मौय सरकार वदे शय का वशेष यान
रखती थी।
इस बोड का कत
यह दे ख ना था क कसी वदे शी के साथ अ याय
न हो। बोड भेज ता था
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च क सक को कसी भी वदे शी क दे ख भाल करने और
उसक दे ख भाल करने के लए जो ठ क से नह रख रहा था और य द
वह मर गया तो उ ह ने उसे दफन कर दया और संप
को उसके प रवार
को पीछे छोड़ दया।
मह वपूण आँक ड़े
ज म और मृ यु
पंज ीकरण
यह बोड इस बात क जांच करेगा क मृ यु कब और कै से ई और हर
ज म और मृ यु को दज कया जाएगा ता क न के वल कर लगाया जा सके
ब क यह भी क उ
और न न दोन के बीच ज म और मृ यु सरकार
के सं ान से बच न सके ।
ापार
वा ण य और बाजार
यह बाट और माप पर नजर रखता था और यह सु न त करता था क
व तु क गुण व ा खराब होने से पहले ही बक जाए। इसने यह भी
नयम
सु न
त कया क मौसमी उ पाद को सावज नक नो टस ारा बेचा
गया और कसी को भी एक से अ धक व तु म सौदा करने क अनुम त
नह थी हालां क कोई भी ऐसा कर सकता है जो व तु क सं या
के अनुसार दोगुना या तीन गुना कर का भुगतान कर सकता है । कौ ट य
ने यह भी सुझ ाव दया क अनाज के
बकाया रा श को बफर टॉक के
प म वसूल क जाने वाली
प म रखा जाना चा हए जसका
उपयोग भोजन क कमी के समय कया जा सके ।
न मत लेख
पांचव बोड ने नरी ण कया क न मत व तु
क ब
के लए
सावज नक नो टस दया गया था। यह बोड स त नगरानी रखता था क
नए न मत लेख पुराने टॉक के साथ म
त या ढे र न
ह ।
कर सं ह छठा बोड कर के
प म बेची गई व तु
या उ पाद क क मत का दसवां ह सा एक
करने का भारी था । इस कर के भुगतान म कोई भी धोखाधड़ी मौत क
सजा के साथ दं डनीय थी।
.
गा गढ़वाली राजधानी मौय के पास एक वशाल सेना थी। ीक लेख क ज टन के अनुसार
चं गु त के पास
हालाँ क यह एक अ तशयो
पैदल
घुड़सवार
पूण आंक ड़ा लगता है ले कन
हाथी और
रथ थे।
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मौय
उ
ारा एक बड़ी सेना के क जे पर संदेह नह कया जा सकता है। अंत महाम
नामक
अ धकारी सीमावत कल क सुर ा के लए ज मेदार थे । कौ ट य ने राजधानी
शहर म मु य कले के नमाण के लए व तृत नदश दए। वह अनुशंसा करता है क
सै नक को कले के
कोण के साथ तैनात कया जाना चा हए और कले क द वार को
कमल और मगरम
से भरे एक नह ब क तीन खंदक से घरा होना चा हए। वह यह भी
सुझ ाव दे ता है क कले को घेराबंद से नपटने के लए भरपूर आपू त दान क जानी
चा हए और कई गु त नकास माग होने चा हए। कौ ट य ढ़ता से एक
अनुमोदन करते ह जसे रा य ारा पया त
प से
श
ायी सेना का
त और बनाए रखने के लए
सभी चार वण से भत कया जाना चा हए था।
सेनाप त और नायक मह वपूण सै य अ धकारी थे जनके अधीन सेना के व भ अंग और
इकाइय के कई अ य
शाखा
का शासन
अधी क होते थे। मेग
नीज क रपोट है क सेना क व भ
सद य वाले एक यु
कायालय के मा यम से कया जाता था
जा हर तौर पर सै य कला और व ान क व भ शाखा
के वशेष । इसे पांच सद य
के छह बोड म वभा जत कया गया था
म
नौवाहन मंडल नौसेना के
भारी हालां क दलच
नौसेना का उ लेख नह कया है।
तीय
पैदल सेना बोड पदा या
iii के नेतृ व म
अ ारोही मंडल अ ा य
iv के नेतृ व म
यु
क अ य ता म यु
रथ का बोड रथा य
ह या य
v
बात यह है क कौ ट य ने
के हा थय का बोड
vi क अ य ता म
बोड ऑफ ांसपोट एंड सुपर वजन ऑफ इ वपमट इनके अलावा मौला
वंशानुगत यो ा भारतीयक भाड़े के सै नक और वन जनजा त सै नक और सहयो गय
ारा
म
तुत जैसे सै नक क आव धक लेवी का भी उ लेख है।
.
कोष कोषागार जैसा क ऊपर चचा क गई है मौय ने एक वशाल
और बड़ी सं या म रा य के अ धका रय को नयु
ायी सेना रखी
कया। चूं क इन सै नक और
अ धका रय को नकद भुगतान कया जाता था इस लए रा य के कर को रा य क सभी
ज रत को पूरा करने के लए पया त नह माना जाता था। इस लए इसे शु
व नय मत करना पड़ा
करना और
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अ धक से अ धक संसाधन उ प करने के लए कई आ थक ग त व धयाँ। नकद और व तु
दोन म कर लगाया जाता था । इस काल म अथ व ा का मु य आधार कृ ष था पशुपालन
और
ापार अ य मु य
वसाय थे और भू राज व आय का मु य
ोत था । मुख फ़सल
चावल जौ बाजरा गे ँ ग ा और अ धकांश दाल मटर और तलहन क व भ
े क नजी संप
क धारणा जमीन जसे कु छ नयम के तहत बेचा जा सकता है इस
समय के दौरान उभरी और
ा पत ई।
े का भू म वामी को उपसव
अलग कया गया था । भू म ववाद के मामले म जहां कोई भी प
कर सका संप
क मथ।
करायेदार से
अपना दावा सा बत नह
राजा के पास चली गई।
कसान उपज का छठा ह सा भागा और अ त र
कर बाली के
प म दे ते थे। बाली भू म
कर या भू म के े पर कर राज व क मु य व तु थी और उपज के छठे ह से क दर से
लगाया जाता था। कसान को कई अ य कर का भुगतान करना पड़ता था जैसे पडकारा
गाँव के समूह पर मू यांक न
हर य के वल नकद म भुगतान कड़ा फल और फू ल के
बागान पर लगाया गया आ द ले कन उन सभी क सही कृ त अभी भी ब त अ धक नह
है साफ़। भू म कर अ ानोमोई मेगा
नीज ारा नामक अ धका रय के एक वग ारा एक
कया गया था ।
सचाई के मह व को पूरी तरह से महसूस कया गया था और कसान को स चत भू म पर अ धक कर दे ना
पड़ता था जसे उड़का भागा पानी क दर और आम तौर पर उ पादन के पांचव से एक तहाई पर लगाया
जाता था के
प म जाना जाता था। मेग
नीज अ धका रय के व भ अ य वग को संद भत करता है
जो न दय का नरी ण करते थे भू म को मापते थे और लुइस का नरी ण करते थे जससे मु य नहर
से उनक शाखा
म पानी छोड़ा जाता था ता क सभी को इसक समान आपू त हो सके । संसाधन आधार
को बढ़ाने के लए मौय रा य ने कुं वारी भू म को खेती के तहत लाने के लए नई कृ ष ब तय क
क शू य नवेश । खेत म काम करने के लए अ धक आबाद वाले
े
गुलाम और यु
के कै दय के
लोग को इन नई ब तय म लाया गया था। ये गाँव राजा के थे और इनक दे ख भाल सीता य
अधी क कहे जाने वाले सरकारी अ धका रय
कृ ष
ारा क जाती थी। रा य के वा म व वाली और नजी
वा म व वाली भू म दोन पर शेयर फसल मौजूद थी। कौ ट य व भ
करते ह
ापना
कार के बंटाईदार का उ लेख
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रा य के वा म व वाली भू म पर काम कर रहे ह जैसे क अध स टकस उ पादन का आधा ह सा और
व वय प ज वस उ पाद का एक चौथाई या पांचवां ह सा रखते ह । यह यान दया जाना चा हए क
कसी भी पाठ म कर का भुगतान न करने क
कौ ट य ने कु छ आपातकालीन कर
त म कसान क भू म लेने का कोई संदभ नह है।
ाणय या अ त र
शु क का भी उ लेख कया है जो क राजकोष
के खाली होने पर रा य लगा सकता है । इनम कसान पर एक कर उनक भू म क गुण व ा के आधार
पर उपज का एक चौथाई से लेक र एक तहाई तक
गायक और वे या
ापा रय पर एक अ त र
लेवी और अ भनेता
क आय पर कर शा मल थे।
ापार और शहरी अथ व
ा को मौय के अधीन ब त ो साहन मला और इसने सा ा य के लगभग
सभी ह स को भा वत कया। कपड़ा नमाण के मु य क वाराणसी मथुरा बंगाल गांधार और उ
थे । रा य ने उ मी के
प म भी काम कया और रा य ारा संचा लत कपड़ा कायशाला
के तहत और रथ कायशाला
को एक रथा य
कौ ट य वन चरागाह और खान को राजक य संप
बताते ह।
कहा जाता था।
ापार भू म और नद माग के मा यम
से कया जाता था। पाट लपु उपमहा प के सभी भाग के साथ व भ
मम
ापार का मु य क त
आ था। पूव म ता ल त प
ापार माग से भी जुड़ा आ
शला था जो आगे चलकर म य ए शयाई बाजार से जुड़ा
म बंगाल म तमलुक और प
ग त व धयाँ भी रा य के राज व का एक मुख
व तु के
को सू ा या
के तहत रखा गया । खनन और धातु व ान एक अ य
मह वपूण आ थक ग त व ध थी और खान अ धकारी को आकारा य
था। उ र प
ैन
म म भड़ौच मह वपूण बंदरगाह थे। श प
ोत थ । शहर म रहने वाले कारीगर को या तो नकद या
प म कर दे ना पड़ता था या राजा के लए मु त म काम करना पड़ता था व ी यानी जबरन
म । अथशा
म उजरती
म करमकारा बंधुआ मज री और दास
म दास और अ हताक यानी
जो ऋण का अनुबंध करते समय लेनदार के पास गरवी रखे जाते ह का उ लेख है।
कारीगर को उनके अ धकार क र ा के लए
े णस या ग
ापा रय और
या पुगा नामक कॉप रेट संघ म संग ठत
कया गया था । दो षय का नेतृ व जे क कर रहे थे। मौय उपमहा प के व भ भाग म बड़े पैमाने पर
लोहे क शु आत के लए ज मेदार थे। उ ह ने लोहे के उ पादन पर एका धकार बनाए रखा जसक सेना
उ ोग और कृ ष म ब त माँग थी। यह लोहा अ य
शहरी कर म शु का आया तत और नया तत व तु
शु क शा मल थे।
नामक अ धकारी के मा यम से कया जाता था ।
पर शु क और
ानीय व नमाता
पर उ पाद
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कु छ मह वपूण अ धकारी थे पंचायता
ापार मू य नधारण और रा य ारा संचा लत नमाण इकाइय
एक।
बी।
सी।
डी।
ब
के
सं
ाना य
ारा उ पा दत व तु
भारी अ धकारी
पदश
बाजार अधी क
स क का नरी क
पौतव य
मानक कृ त बाट और माप के
राज व का एक बड़ा ह सा सेना यु
के घोड़ यु
भारी
के हा थय और यु
के रथ के रखरखाव के लए खच
कया गया था। कारीगर को शाही खजाने से रखरखाव भी मलता था। जंगली जानवर और प
भू म को साफ करने के लए चरवाह को उनके
दाश नक अथात्
ा ण और
ऐसी भू म को लाभा थय
रानी क वाक
क
य क
म के लए शाही अ भंडार से अनाज दया जाता था।
मण को अ यु
भू म शाही उपहार के
प म ा त ई थी ले कन
ारा बेचा या गरवी नह रखा जा सकता था। उदाहरण के लए तंभ शलालेख
ारा आम के बाग बगीच और भ ा गृह के उपहार को संद भत करता है जब क
बराबर और नागाजुनी पहा ड़य के शलालेख म राजा अशोक और उनके उ रा धकारी दशरथ ारा
अजी वका तप वय को गुफ ा
ब
के उपहार के बारे म बताया गया है । ा ण और वकलांग लोग के
को कर का भुगतान करने से छू ट द गई थी। सड़क भवन
मर मत आ द पर चं गु त के शासन के दौरान
य का एक अ
ब कग णाली का कोई माण नह मला है ले कन सूदखोरी उ
अ सर उ लेख कया जाता है हालां क वडंबना यह है क मेग
कल का नमाण मौजूदा नमाण क
ा ह सा दावा कया गया था। कसी भी
याज दर पर पैसा उधार दे ना का
नीज ने दावा कया क मौय को धन
उधार दे ने के बारे म नह पता था। पंच च हत चांद के स के जन पर मोर पहाड़ी और रीजट का तीक
था मौय क शाही मु ा का गठन करते थे।
इस कार अथ व
ा म न के वल
ापक रा य क भागीदारी थी ब क रा य ने अथ व
ा पर बड़े
नयमन और नयं ण का भी योग कया। .
डंडा बाला याय या बल जहां तक या यक शासन का संबंध है राजा सव
था। उ ह ने
गत
प से उनके सामने आने वाले मामल का याय कया । मामल को
दे ख ते ए उनका अ धकांश समय अदालत म
कभी भी ती ा म नह रखगे। उ ह ने
कया ज ह ने
अ धकारी
तीत होता था। वह अपने या चकाकता
को
प से अपने मं ी कौ ट य के उपदे श का पालन
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अपने अथशा
म दे ख ा क जब अदालत म वह राजा कभी भी अपने या चकाकता
को दरवाजे पर इंतजार नह करवाएगा
य क जब कोई राजा खुद को लोग के लए गम
बनाता है और अपने त काल अ धका रय को अपना काम स पता है तो वह न
है।
ापार म
म पैदा करने के लए और उसके
लए और खुद अपने श ु
यायाधीश को धम
त हो सकता
ारा सावज नक असंतोष पैदा करने के
का शकार बनने के लए।
कहा जाता था हालाँ क अशोक के शलालेख म नगर महाम
का उ लेख है ज ह
या यक काय भी दए गए थे और दे श ी अपरा धय के दमन के लए ज मेदार अ धकारी थे । गांव से
लेक र ांत तक ानीय तर पर व भ द वानी और फौजदारी अदालत काम करती थ । ऐसा लगता है क
अ धकांश मामल का नपटारा गाँव के बुज ग
ु
ारा गाँव के तर पर कया गया था। पु लस मु यालय सभी
मुख क
म मौजूद थे और बंधननगर का मतलब उ चत जेल था जब क चरक पु लस लॉक अप को
संद भत करता है । शा ीय
ोत से हम यह
ा पत कर सकते ह क यायाधीश ने भी उन मामल म
अ य धक सावधानी के साथ फै सला कया जनम वदे शय का संबंध था और उन लोग पर स ती से
उतरगे ज ह ने उनका अनु चत लाभ उठाया था। अदालत ारा दोषी ठहराए गए
कठोर थे। सर काटना अंग का व
सजा क
कृ त कृ त गंभीरता प र
आम तौर पर
शलालेख
ज उ
य को दं ड ब त
े दन जुमाना और ज़ ती उस समय च लत व भ
कार के दं ड थे।
तय और अपराधी और वाद के वण पर भी नभर करती थी ।
वण को नचले लोग क तुलना म ह क सजा द जाती थी हालां क तंभ
म अशोक का दावा है क उसने या यक
या
म समता न प ता पेश क थी। वही
फतवा उन लोग के लए तीन दन क राहत को संद भत करता है ज ह मौत क सजा द गई थी नणय
क अपील करने के लए जो इं गत करता है क मृ युदंड अशोक के समय म भी मौजूद था।
कौ ट य ने व ध के चार सू
.
का उ लेख कया है
म ा सहयोगी
चचा करते ह और
व जगीषु भावी वजेता के
कोण से कौ ट य अंतरा यीय नी त पर
Machine Translated by Google
सभी संभा वत प र
पर
एक।
तय को यान म रखते ए। वह षड गुण छह नी तयाँ सूचीब
करता है जनका राजा को इन
तय म पालन करना चा हए
सं ध क नी त शां त सं ध य द कोई श ु से कमजोर है तो व ह श ुता क नी त य द कोई श ु से अ धक मजबूत है
आसन क
बी।
सी।
नी त चुप रहना य द कसी क श
श ु के बराबर है यान क नी त एक सै य अ भयान पर माच करना य द कोई
मन क तुलना म ब त मजबूत है तो सम य क नी त
सरे राजा या कले म शरण लेना य द कोई ब त कमजोर है
तो ै धभाव क दोहरी
डी।
नी त एक राजा के साथ सं ध और सरे के साथ व ह
य द कोई सहयोगी क मदद से
मन से लड़ सकता है।
इ।
एफ।
मौय के व भ हेले न टक सा ा य और यहां तक क द
ण ए शयाई दे श के साथ भी महान राजन यक संबंध थे। संभवत इसके लए
उनके पास वदे शी मामल का एक पूण वक सत वभाग था । अथशा
म न न ल खत के कु छ राजन यक पद का उ लेख है
मौय समाज
जहां तक समाज का संबंध है बौ
धम और जैन धम ारा द गई चुनौती के बावजूद वण
सामा जक पदानु म पर भु व रहा। हालाँ क अ धक
व
ा बनी रही और ा ण और
ापार और वा ण य के प रणाम व प इसम सुधार आ था
य का
Machine Translated by Google
वै य या
ापा रक समुदाय और शू
क सामा जक
त । अब शू
को कृ ष और कारीगर ग त व धय
म शा मल कया जा सकता था।
इस अव ध म अ
ज ह अंतवस
ृ य क सं या म भी वृ
दे ख ी गई अथात चांडाल और
पाक कु े के
शा दक अथ अंत म रहने वाला भी कहा जाता है। आ यजनक
जनक
प से अशोक के
शलालेख म वण या सती का कोई उ लेख नह है।
भले ही मेग
नीज भारतीय समाज क
शंसा करता है क उसके पास कोई गुलाम नह था फर भी
वडंबना यह है क उस समय भारत म गुलामी मौजूद थी ।
यह अथशा
ारा वहन कया जाता है जो कहता है क
कम नह कया जा सकता । अशोक के शलालेख म दास
क सं
कसी भी आय या वतं
को गुलामी म
गुलाम के संदभ भी मौय भारत म गुलामी
ा के अ त व क गवाही दे ते ह। अशोक के आदे श ध म पर चचा करते ए दास और भ क
भृतक सेवक के
के लए व भ
त वन
वहार क मांग करते ह। कौ ट य ने पु ष और म हला दा सय के उपचार
नयम और दं ड य द नयम को तोड़ा जाता है क सूची बनाई है। उदाहरण के लए एक
गभवती म हला गुलाम को उसके
सू त क
व
ा कए बना बेचने या गरवी रखने के लए दं ड नधा रत
कया गया था। पैसे के भुगतान पर दास के वध का भी संदभ है। गुलामी से मु
जब एक दासी ने अपने वामी को एक पु
दया और ब
के ऐसे उदाहरण भी थे
े को पता क वैध संतान भी माना गया।
मौय कला और मू तकला
मारक य प
र क मू तय और संरचना
म भी उदार मौय श
दखाई दे रही थी। रॉक कट और तूप
वा तुक ला म मह वपूण शु आत क गई । मौय काल म पाषाण सं कृ त नाटक य
के
मुख मा यम के
प म उभरी। मौय कला उस समय क राजनी तक और धा मक वचारधारा से ढ़ता
से जुड़ी ई थी। मौय राजा
के प
र ड कप
प से भारतीय कला
वशेष
प से अशोक ने व भ कला
प जैसे प
र क मू तयां अंगूठ
र टे राकोटा मू तय और तूप वा तुक ला का अ य धक संर ण कया। अशोक ने तूप
पंथ को लोक य बनाने म मुख भू मका नभाई । उसने न के वल बु
के अवशेष को हर मह वपूण शहर
म पुन वत रत कया ब क उन पर तूप के नमाण का भी आदे श दया। मोटे तौर पर अनुमान है क उसने
लगभग
तूप बनवाए। अशोक का सबसे बड़ा नवाचार का
त
ापन था
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लकड़ी और ट के लए प
र । रामपुरवा लौ रया नंदनगढ़ और सारनाथ म अशोक के तंभ इस अव ध
म वक सत प
र क मू तय के उ कृ
उदाहरण
तुत करते ह। ये सभी तंभ वृ ाकार और अखंड ह
और बलुआ प
र से बने ह जो यूपी म मजापुर के पास चुनार म पाए गए ह। मौय काल म रॉक कट
वा तुक ला क शु आत भी दे ख ी गई थी। गया के पास बारबरा पहा ड़य म लोमशा रसी गुफ ा क रॉक कट
वा तुक ला और राजसी धौली गुफ ाएं भुवने र के पास ओ डशा जसम एक हाथी के सामने के ह से क
च ान क मू त शा मल है शानदार है। बोधगया के महाबो ध मं दर म स व ासन यान का सहासन
शायद इसी काल का था। इस अव ध क कई प
दे वता
और आ मा
के म हला समक
क पॉ लश प
के
य
र और टे राकोटा क मू तय म द दारगंज य
णय को आमतौर पर उवरता दे वता
प म जाना जाता है जो दे वता से जुड़े थे के
के
प म जाना जाता है और य
प म जानी जाने वाली एक म हला
र क मू त है। पानी पेड़ जंगल जंगल और उवरता सबसे
पॉ लश कया आ चुनार बलुआ प
स
है। एक अ य मह वपूण
र क मू त पटना के लोहानीपुर म पाए गए एक न न पु ष आकृ त के
धड़ क है। कनगनह ली कनाटक के स ती के पास म पाया गया अशोक का प
है। त
शला उ
के क पसू का
ैन और वाराणसी के व
व ालय श ा के
स
र का च भी शानदार
क थे। सा ह य के
े म भ बा
ेय मौयकाल को जाता है।
गया क लोमशा ऋ ष और सुदामा गुफ ाएं लकड़ी क
पटना त
णी डेमी
ाप य वरासत के अ य महान उदाहरण ह। द ली
शला मथुरा वैशाली और कौशा बी जैसे उ री भारत के व भ
ल पर बड़ी सं या म
न काशीदार रग टोन और ड क टोन पाए गए ह जनका संभवतः धा मक और कमकांडीय मह व था।
उनके पास दो या दो से अ धक संक त वृ
और या मतीय पैटन ह।
म अलग अलग न का शयां ह और अलग अलग डज़ाइन
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साँची का तूप
धौली गुफ ा हाथी
Machine Translated by Google
द दारगंज य
णी
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लोमश ऋ ष गुफ ा
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नई द ली म पुराना कला म खुदाई के दौरान मौय काल का एक छ ला कु आं मला
मौय काल म गंगा के मैदान म भौ तक सं कृ त का तेज ी से वकास आ। गंगा के बे सन क नई भौ तक
सं कृ त लोहे और लोहे के औजार जैसे सॉके टे ड कु हा ड़य दरांती हल और तीली वाले प हये के गहन
उपयोग पर आधा रत थी लेख न का चलन पंच च हत स क का उपयोग NBPW म
क कलाकृ तयाँ का प रचय नमाण म पक
ट और इमारती लकड़ी जैसा क मेग
के बतन
नीज ने पाट लपु
क मौय राजधानी म लकड़ी के ढांचे के बारे म अपने लेख न म बताया है और रग वेल जो घरेलू उपयोग
के लए लोग को पानी क आपू त करते थे और भीड़भाड़ वाली ब तय म सो ता ग
करते थे ।
के
प म भी काम
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बां लादे श बोगरा जला ओ डशा शसुपालगढ़ आं
अमरावती और कनाटक के कु छ ह स म
शलालेख कभी कभार एनबीपीड यू के बतन और पंचमाक स क का अ त व इन प रधीय
भी भौ तक सं कृ त के
म
सार क ओर इशारा करता है। हमारा रा ीय तीक बनारस के पास सारनाथ म
अशोक तंभ के चार सह शीष से अपनाया गया है । मेग
वणन कया है। पटना के पास कु हरार म
मौय कारीगर
े
ारा ा त उ
नीज ने पाट लपु म मौय महल क भ ता का
खंभ वाले हॉल स हत इस महल के कु छ अवशेष मले ह ।
तकनीक कौशल प
र के खंभ क पॉ लश म
है जो उ री काले
पॉ लश वाले बतन एनबीपीड यू के समान चमकदार है।
सारनाथ म लायन कै पटल
माना जाता है क मौय कला म एके मे नड फारसी भाव है य क अशोक के तंभ शलालेख फारसी राजा
डे रयस के शलालेख के
प और शैली म ब त समान ह। वा तव म ल प और द पी श द भी अशोक
और दारायस दोन के शलालेख म पाए जाते ह और दोन राजा
होते ह और फर पहले
एक और समानता
के शलालेख तीसरे
म शु
म चले जाते ह। अशोक के तंभ क पॉ लश क गई सतह और पशु शीष
तुत करते ह। हालाँ क मौय और फ़ारसी तंभ के बीच भी अंतर ह य क फ़ारसी
तंभ आधार पर खड़े ह
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या तो एक घंट के आकार का यानी उलटा कमल या एक सादा आयताकार या गोलाकार खंड जब क मौय
तंभ के मामले म आधार अनुप
त है और उलटा कमल शा ट के शीष पर दखाई दे ता है। मौय कमल
व श उभार का आकार और अलंक रण भी फारसी कमल से भ है उभार अनुप
त है । अ धकांश
फ़ारसी तंभ क सतह नुक ली होती है जब क मौय तंभ चकने होते ह । मौय कार के अबेक स और गोल
मुकु ट म उके रे गए वतं जानवर फारसी संदभ म अनुप
त ह । इस कार मौय ने कला और वा तुक ला म
उ लेख नीय योगदान दया।
मौय का पतन
ईसा पूव के आसपास अशोक क मृ यु के तुरंत बाद मौय सा ा य का वघटन शु
कमजोर शासक क एक
ृंख ला ारा सफल आ आ यजनक
हो गया । अशोक
प से अशोक के बाद बाद के मौय म से
के वल एक यानी राजा दशरथ ने शलालेख जारी कए जाने के लए जाना जाता है । कई कारक को च त
कया जा सकता है जो मौय सा ा य के पतन और पतन के लए लाए जैसे
ा णवाद
त
या बौ
धम
के ब लदान वरोधी रवैया और अशोक ारा कए गए अनाव यक अनु ान का उपहास करने से आय और
आजी वका को नुक सान आ होगा ।
एक।
ा ण के वक प जो उ ह दए गए व भ उपहार पर जी वत रहते थे। साथ ही ध म महाम
क नयु
सामा जक नै तकता और
म आई होगी । इसने वाभा वक
व
ा के संर क के
प से ा ण को मौय के
पम ा ण क
त ा के वरोध
त श ुतापूण बना दया होगा। वे
ऐसा शासक चाहते थे जो उनके मौजूदा हत और वशेषा धकार को बरकरार रखे। यह यान
रखना दलच है क मौय सा ा य के खंडहर पर उभरे कु छ नए रा य पर ा ण का शासन
था जैसे म य भारत म शुंग और क व और द कन म सातवाहन ।
अशोक क शां तवाद नी त के प रणाम व प सेना क तैया रय म भी कमी आई और ीक
आ मण क सफलता के लए ज मेदार एक कारक हो सकता है। हर साद शा ी भी पु
ह
करते
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यह
कोण और अशोक क बौ
समथक और शां तवाद शां त नी त को ा ण को परेशान करने और
मौय सा ा य के पतन के लए ज मेदार मानता है।
बी।
ांत म दमनकारी शासन
अ धका रय
के उदाहरण ह । ब सार के शासनकाल म
के नवारण के लए त
शला के वाइसराय के
ारा कु शासन के संबंध म कु छ ांत के नाग रक
ामा य
ारा शकायत
नौकरशाह के खलाफ नाग रक क शकायत
प म अशोक क नयु
एक अ
ा उदाहरण है। इसी तरह
क लग शलालेख भी इस त य क ओर इशारा करते ह क अशोक ांत म उ पीड़न के बारे म ब त च तत
था और इस लए अपने महाम
को सलाह दे ता है क वे शहरवा सय को बना कारण के यातना न द।
परेशान करने वाला और अपमानजनक त य यह है क अं तम मौय राजा बृह थ क सेना के नरी ण के
दौरान उसके सेनाप त ारा ह या कर द गई थी और ह या पर शायद यादा शोर शराबा नह था आगे इस
दावे क पु
सी।
करता है क बाद के मौय ब त लोक य नह थे जनता के साथ।
व ीय संक ट इतनी बड़ी सेना और नौकरशाही के रखरखाव पर भारी खच ने मौय सा ा य के लए व ीय
संक ट पैदा कर दया होगा। नई साफ क गई जमीन पर ब तयां
पर दबाव डाला होगा
कोशांबी इस
ा पत करने क लागत ने भी राजकोष
य क इन जमीन पर बसने वाले लोग को शु
म कर से छू ट द गई थी । डीडी
कोण का समथन करते ह और महसूस करते ह क एक वशाल सेना और नौकरशाही के
कारण भारी आ थक दबाव के कारण संक ट पैदा हो सकता है।
डी।
बाहरी
े
म भौ तक सं कृ त और नवीन ान का सार एक बार लोहे के औजार और ह थयार का नया
ान प रधीय
े
म फै ल गया मगध ने अपना वशेष लाभ खो दया। मगध से ा त भौ तक सं कृ त के
आधार पर म य भारत म शुंग और क व क लग म चेती और द कन म सातवाहन जैसे नए रा य क
ापना और वकास आ।
इ।
उ रप
म सीमांत क उपे ा और चीन क महान द वार जैसी सीमा संरचना क अनुप
सीमांत पर माग क सुर ा क उपे ा मौय को महंगी पड़ी। तीसरी शता द ईसा पूव म ए
त उ रप
म
Machine Translated by Google
कई म य ए शयाई घुमंतू जनजा तयाँ जैसे क सी थयन वाह क
त म थ और नए इलाक क
तलाश म चीन और भारत के बसे ए सा ा य क ओर बढ़ । चीनी शासक शह आंग ट
ईसा पूव ने लगभग
ईसा पूव म स थयन हमले के खलाफ अपने सा ा य क र ा के लए
चीन क महान द वार का नमाण कया। चूं क भारत के उ र प
मी सीमांत पर अशोक ारा इस
तरह के उपाय नह कए गए थे इस लए सी थयन पा थयन शक और यूना नय को बचने के लए
भारत क ओर बढ़ने के लए मजबूर होना पड़ा। यूना नय ने सबसे पहले
आ मण कया था और उ ह ने उ री अफगा न तान म बै
ईसा पूव म भारत पर
या नामक अपना रा य
ा पत कया
था ।
पछले साल के
ारं भक
.
न न ल खत म से कसने स ाट अशोक के शलालेख को सबसे पहले पढ़ा था
ए
जॉज बुहलर बी
जे स
सेप सी
मै स मुलर डी
व लयम जो स
.
भारत के कला और पुराता वक इ तहास के संदभ म न न ल खत म से सबसे पहले कसका नमाण
कया गया था
ए
भुवने र म लगराज मं दर बी
धौली म रॉक कट हाथी सी
महाबलीपुरम म रॉक कट मारक डी
उदय ग र म वराह क छ व
Machine Translated by Google
.
वशाखद
के
ाचीन भारतीय नाटक मु ारा स का वषय है ए
ाचीन ह
व ा के दे वता
और रा स के बीच संघष बी एक
आयन राजकु मार
और एक आ दवासी म हला क रोमां टक कहानी सी दो आय के बीच श
संघष क कहानी चं गु त मौय के समय कबील
क अदालत क सा ज़श डी
.
संगम सा ा य के बारे म बताने वाले अशोक के
मुख अ भलेख म शलालेख शा मल ह क
म और ए स
बी
म और यारहव सी
तीय और तेरहव डी
तीय और XIV
.
न न ल खत ाचीन भारतीय अ भलेख म से कौन सा दे श म संक ट के दौरान उपयोग कए जाने वाले खा ा
सबसे पुराना शाही आदे श है
ए
सौगौरा कॉपर लेट अशोक का
शलालेख बी
मनदे ई तंभ
सी
याग श त डी
चं का महरौली तंभ शलालेख
.
न न ल खत म से कस अ भलेख म अशोक के
ए
ख
कालसी
मनदे ई ग
वशेष क लग शलालेख
गत नाम का उ लेख है
को संर
त करने का
Machine Translated by Google
डी
.
म क
ाचीन भारत क न न ल खत म से कौन सी लपी दाएँ से बाएँ लखी जाती थी
ए
ा ी बी
नंदना गरी ग
शारदा डी
खरो ी
.
अशोक के प
र के तंभ के बारे म न न ल खत म से कौन सा कथन गलत है
ये अ य धक पॉ लश कए ए ह। बी
ये अखंड ह। सी
खंभ के शा ट का आकार पतला होता है। डी
ये वा तु संरचना
.
के ह से ह।
अशोक के अ भलेख म सामा यतः जस नाम का उ लेख कया गया है वह है a
च वत ख
धमदे व ग
धमक त डी
पयाद सी
जवाब
.
बी
.
बी
.
डी
.
सी
ए
Machine Translated by Google
.
ए
.
डी
.
डी
.
डी
.
डी
पछले साल के
मे स
.
मौय काल के दौरान प
मी ए शया और भूम यसागरीय
नया के साथ भारत के संपक क
कृ त और भाव को च त कर।
इ तहास वैक पक
.
अशोक के ध म क
सा ा य को सै य
.
कृ त के बारे म इ तहासकार क व भ
प से कमजोर बना दया था
मौय शासन म अ य
ा या
क चचा क जए। या उनके ध म वजय के स ांत ने मौय
इ तहास वैक पक
क भू मका का परी ण क जए।
इ तहास वैक पक
.
ारं भक भारतीय अथ व
ा के वकास म संघ और
अ यास
.
ारं भक
न न ल खत अशोक के अ भलेख म से कस एक म क लग यु
ए
तंभ शलालेख
बी
शलालेख
सी
शलालेख
डी
तंभ शलालेख
.
ापा रक संगठन क भू मका का आकलन क जए। इ तहास वैक पक
अशोक
के बारे म न न ल खत म से कौन से कथन स य ह
का उ लेख है
Machine Translated by Google
राजा बनने से पहले वह त
म
शला का वाइसराय था।
ईसा पूव म लड़े गए क लग यु
iii
ने हसा के
अपने शलालेख म उ ह यादातर अशोक के
उसने अपने पु म हदा को बौ
उपरो
धम के
तीय
त उनके
कोण को बदल दया।
प म जाना जाता है न क पयाद सी के
चार के लए चीन भेज ा। ए म और
प म। iv
तीय बी
सभी सी ii iii
और iv डी
उपरो
.
म से कोई नह
न न ल खत कथन पर वचार कर और सही वक प को च हत कर।
म
मौय काल म गुलामी का अ त व नह था।
तीय
मौय के पास एक व तृत शास नक ढांचा था। iii
आमतौर पर शाही राजकु मार को वाइसराय के
प म नयु
कया जाता था। iv
व भ नौक रय के लए अ धका रय क उपयु ता का परी ण करने के लए कु छ परी ण कए गए।
और उपरो
सभी ए
iii सी उपरो
बी ii
म
से कोई नह डी i ii और iii
न न ल खत से मेल
.
खाते ह i महाम
ii अ य
iii अंत महाम ा iv
ए
ा मका क
बी मं य
ाम धान
उ
अ धका रय
सी अधी क
डी सीमांत
.
ए
i बी
ii सी
iii डी
iv बी
ए
iii बी
i सी
ii डी
iv सी
ए
iv बी
i सी
ii डी
iii डी
ए
i बी
iv सी
iii डी
े
iii न न ल खत का
मलान कर i ध म
ए जला तर के अ धकारी
के
भारी
Machine Translated by Google
महाम ा
ii अ पाताल
बी ध म चार अ धका रय के वशेष संवग
iii राजुक ास सी लेख ापरी ा और अ भलेख कायालय iv यु
ए
i बी
ए
iii बी
ए
ii बी
ii सी
iii डी
iv बी
i सी
ii डी
iv सी
iii सी
iv डी
आई डी
डी
लक ए
A i B iv C iii D iii न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और गलत वक प को च त कर।
म
चाण य ने इं डका और अथशा
मौय के पास एक वशाल
लखा।
तीय
ायी सेना थी और सभी वण के लोग को सेना म भत कया जाता था। iii
कर का भुगतान नकद म ही कया जाता था। iv
वेतन व तु के
उपरो
प म दया जाता था। ए
सभी बी ii और
iii सी
उपरो
म से कोई नह डी i
iii और iv न न ल खत
.
कथन पर वचार कर और जो वक प है उसे च हत कर
सही।
कौ ट य ने शासन का स तांग स ांत
तपा दत कया। i
ii
अशोक नरंकु श शासन म व ास करता था न क पैतृक नरंकु शता म। iii
ब सार को बीच क भू म के वजेता के
प म भी जाना जाता है
दो समु ।
iv
इं डका टु क ड़ म बची ई है और हम मौय तरीक और जीवन के बारे म बताती है। ए
उपरो
सभी बी म iii
और iv सी
उपरो
ii और iii
म से कोई नह d i
Machine Translated by Google
.
न न ल खत का मलान कर i
ब सार ii अशोक
ए अ मतराघाट
iii चं गु त मौय
बी दे वानाम पयाद सी
iv चाण य a
सी स ोकु स
द व णुगु त
ए
i बी
ए
iii बी
ए
ii बी
ii सी
iii डी
iv बी
i सी
ii डी
iv सी
iii सी
iv डी
आई डी
A i B iv C iii D iii न न ल खत
.
का मलान कर i ब सार A
सीलोन म बौ
धम का चार कया ii अशोक ने B जैन धम म प रवतन कया iii
चं गु त मौय C महान
राजनेता iv चाण य D आ ज वका सं दाय म शा मल ए a
ए
i बी
ए
iii बी
ए
ii बी
ii सी
iii डी
iv बी
i सी
ii डी
iv सी
iii सी
iv डी
आई डी
A i B iv C iii D iii न न ल खत
कथन पर वचार कर और उस वक प को च त कर जो
है।
सही।
म
अशोक के शलालेख पाली और ाकृ त म ही लखे गए थे।
तीय
गरनार शलालेख चं गु त के शासनकाल के एक ांतीय गवनर पु य म शुंग से संबं धत है। iii
मनदे ई अ भलेख म अशोक के लु बनी आगमन का उ लेख मलता है।
नगली सागर शलालेख म तूप के व तार का उ लेख है। iv
iii
उपरो
सभी a
b i
और iv c iii और iv
d i ii और iii
न न ल खत कथन पर
वचार कर और उस वक प को च हत कर जो
. गलत है।
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दशरथ अं तम मौय राजा थे जनक ह या पु य म शुंग ने क थी।
म
तीय
सौरा का गरनार शलालेख चं गु त के शासनकाल के एक ांतीय गवनर पु यगु त से
संबं धत है। iii
चं गु त ने से यूक स नके टर को हराया था। iv
अशोक ने अ हसा का उपदे श दया और अपनी सेना को भंग कर दया।
उपरो
ii
सभी a
b
और iii c iii
और iv d i ii
और iii
जवाब
.
बी
ए
बी
बी
.
. सी
.
. डी
.
. ए
सी
.
. ए
.
. सी
बी
अ यास
मे स
.
मौय सा ा य के पतन के संभा वत कारण या थे
.
कला और
ाप य के
का वणन कर।
कर।
े म मौय के योगदान और भारत के इ तहास म मौय सा ा य के मह व
Machine Translated by Google
.
अशोक का ध म ा णवाद धम या बौ
ध म से अलग था। या आप इस कथन से सहमत ह
अपने उ र के कारण द जए।
.
कौ ट य के स तांग स ांत से संदभ दे ते ए मौय सा ा य क
कर।
शास नक संरचना क
ा या
Machine Translated by Google
Machine Translated by Google
राजनी तक और सां कृ तक
सी के दौरान वकास।
ईसा पूव
सीई
Machine Translated by Google
लगभग
ई.पू.
ई. के बीच क अव ध म मौय जैसे बड़े सा ा य का उदय नह
कई अ य ऐ तहा सक राजनी तक और सां कृ तक उपल
को मगध से उ र प
आ मण क एक
य के लए उ लेख नीय अव ध है। इस अव ध
मी भारत म राजनी तक फोकस म बदलाव के
ृंख ला और कई
शासन जैसे शासन क नई परंपरा
शहरी सं कृ त ने एक न
शासन और अधीन
का उदय दे ख ा । यह वह समय भी है जब शहर का व तार आ और
श प म वृ
ई और
ापार तं
का
ा ने मु ा के बढ़ते उपयोग को दे ख ा। इसके अलावा यह नई सं कृ तय
के म ण और भाव जीवंत सै ां तक बहस छ वय क भ
सं
प म च त कया गया है। इसने
े ीय सा ा य के उदय के साथ साथ संयु
त भु व ा त कया। व श
उ लेख नीय व तार आ। अथ व
आ ले कन यह
पूज ा म वृ
और धा मक ग त व धय के
ागतकरण ारा प रभा षत अव ध थी। इस अव ध म प र कृ त मू तकला और
ाप य शैली का उदय
भी दे ख ा गया ।
इस अव ध ने सं ेप म उपमहा प क समृ
और ब मुख ी वरासत म ब त योगदान दया जैसा क हम
आज जानते ह।
का राजनी तक इ तहास
उ र भारत
जैसा क हम पहले चचा कर चुके ह अं तम मौय राजा बृहदाथ क
ईसा पूव म उसके ही सेनाप त
पु य म शुंग ारा ह या कर द गई थी जब वह अपने सै नक का नरी ण कर रहा था। इस कार मौय
शासन समा त हो गया और मगध के शासक के
प म शुंग वंश क
ापना ई। यह यान रखना उ चत
है क पु य म का सा ा य त कालीन मौय सा ा य के के वल एक ह से तक फै ला आ था जसम
पाट लपु
अयो या व दशा और आधु नक पंज ाब के कु छ ह से शा मल थे जैसे जालंधर और सकला
या सयालकोट जैसा क अब जाना जाता है । शुंग को उनक जा त के मूल म ा ण माना जाता है और
उनका उ लेख बौ
और ा णवाद दोन
ंथ जैसे हषच रत
Machine Translated by Google
बृहदार यक उप नषद पा ण न क अ ा यायी का लदास क माल वका न म म द ावदान और
तर ा एक बौ
व ान का ववरण। दस शुंग राजा
शुंग वंश
ईसा पूव
ने कु ल मलाकर
वष तक शासन कया।
ईसा पूव
बृह थ अं तम मौय शासक
पु य म शुंग शुंग वंश के सं
ापक बृह थ को मार डाला
पूव म मौय सेना के सेनाप त।
उ ह ने दो अ मेध य
व णत है।
उनका भु व द
कए जैसा क राजा धाना के अयो या शलालेख म
ण म नमदा नद तक फै ला आ था और इसम पाट लपु
अयो या
और व दशा जैसे शहर शा मल थे। नाटक माल वका न म म वदभ पूव महारा
के
राजा पु य म और य सेन के बीच संघष और उन पर सुंग क जीत का उ लेख करता
है।
उसने बै
रचना
यन ीक राजा डेमे यस को हराया। इस मुठभेड़ का उ लेख पतंज ल क
म मलता है जो यवन को संद भत करता है अथात् प
म से वदे शी
अयो या और च ौड़ तक आते ह और साथ ही कै लदास के माल वका न म म जो
यवन
ारा पु य म के अ मेध घोड़े को चुनौती दे ने क घटना का वणन करता है जो
अ न म के पु राजकु मार वसु म और यवन सेना के बीच एक सै य मुठभेड़ ई ।
पतंज ल महाभा य लखने वाले उ लेख नीय
द ावदान बौ
के
ाकरण वद पु य म शुंग के समकालीन थे ।
त पु य म क
ू रता और बौ
धम के
त उसक घृण ा का
लेख ा जोखा दे ता है ।
अ नम
का लदास के माल वका न म म के नायक इस नाटक म व दशा के वायसराय
के
भागभ
प म व णत ह।
भागवत
संभवत पाँचवाँ राजा कसीपुता भागभ
या नौवाँ
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राजा भागवत जैसा क हे लयोडोरस के उ लेख नीय बेसनगर तंभ शलालेख से
संके त मलता है। हे लयोडोरस त शला के इंडो यूनानी शासक अ तल कता
एंट अल कदास के ीक राज त थे जो शायद सुंगा के दरबार म रहे थे। इस शलालेख
म उ ह ने खुद को भागवत के
प म व णत कया है जो क भगवान कृ ण और ग ड़
व णु का वाहन का उपासक है और घोषणा करता है क उ ह ने इस दे वता के
स मान म इस तंभ क
ापना क थी।
व दशा म हे लयोडोरस तंभ
दे वभू त
दे वभू म के
प म भी जाना जाता है और का अं तम शासक था
शुंग राजवंश।
हषच रत के अनुसार उसक ह या उसके
ारा क गई थी
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ा ण मं ी वासुदेव क व ज ह ने क व वंश क
ापना क । म य भारत के कु छ
ह स म शुंग सा ा य के अवशेष को सातवाहन ारा
त
ा पत कया गया था।
क व वंश वासुदेव
ऋ ष क व के वंशज माने जाते ह और पाट लपु से शासन करते ह।
हम क व के बारे म व तुत कु छ भी नह जानते ह सवाय इसके क बाद के
ंथ म उनके
बारे म सरसरी तौर पर उ लेख कया गया है।
इसे सुंगभृ य शा दक अथ सुंग के सेवक
के
प म भी व णत कया गया है ।
उ ह ने सी म म ा के लए रा ता बनाया ।
ईसा पूव ज ह अंततः मगध म शक
ारा हटा दया गया था।
कु छ व ान के अनुसार अं तम क व शासक सुशमन को सातवाहन वंश के समुक के उ रा धकारी ने उखाड़ फका था ।
लगभग उसी समय यानी
समूह
ईसा पूव हम म य ए शया और प
मी चीन म
ारा आ मण दे ख ते ह। ये इंडो ीक सी थयन या शक पा थयन या पहलव और कु षाण थे ।
इन आ मण ने न के वल उ र प
म य ए शयाई
म भारत क राजनी तक संरचना को बदल दया ब क भारत और
े दोन के सां कृ तक त व के
इंडो ीक
बै
सारण और प रवतन म भी सहायता क ।
यन यूनानी
ईसा पूव म सकं दर क मृ यु के बाद कई यूनानी भारत क उ र प
वतमान म अफगा न तान का उ री भाग ओ सस नद के द
प
त लोग के व भ
मम
हेले न टक
त
े
के साथ बसने के लए आए। कु श पवत । बै
ीक वंश के कारण बै
के से यू सड सा ा य के
डयोडोटस I बै
वतं बै
त
पर बै
या
े और ह के उ र
या के शासक को उनके
यन यूनानी कहा जाने लगा य क वे मूल
प अधीन
प से प
म ए शया
शासक थे। तीसरी शता द ईसा पूव के आसपास
या के गवनर ने एं टओकस से यू सड राजा के खलाफ व ोह कया और एक
यन ीक सा ा य क
दबाव के कारण
णम
मी सीमा
ापना क । बाद म लगभग
ईसा पूव सी थयन के बढ़ते
Machine Translated by Google
जनजा तय बै
प
यन यूना नय ने बै
या पर अपनी पकड़ खो द ले कन उप महा प के उ र
मी भाग पर कु छ दशक तक शासन करना जारी रखा।
ये बै
यन ीक ज ह ने सरी शता द ईसा पूव और पहली शता द ईसा पूव के बीच उ र प
के कु छ ह स पर शासन कया था उ ह इंडो यूना नय के
म भारत
प म जाना जाता है ।
जैसा क हमने पछले अ याय म चचा क है चीनी द वार के नमाण के साथ सी थयन को चीन से पीछे धके ल दया गया और
उ ह ने अपना यान पड़ोसी यूना नय और पा थयन क ओर लगाया।
इस कार खानाबदोश सी थयन जनजा तय के कोप से बचने के लए बै यन यूना नय को भारत पर
आ मण करने के लए मजबूर होना पड़ा। चूं क अशोक के उ रा धकारी जमीन पर टके रहने के लए
ब त कमजोर थे इस लए भारत क उ र प
शता द ईसा पूव क शु आत म इंडो
प
मी सीमा पर आ मण क एक
ृंख ला शु
ीक भारत पर आ मण करने वाले पहले
हो गई। सरी
थे । उ ह ने उ र
मी भारत के एक बड़े ह से पर क जा कर लया जो क सकं दर ारा जीते गए ह से से ब त बड़ा
था और यह माना जाता है क उ ह ने अयो या और पाट लपु तक आगे बढ़ाया। वे सोने के स के जारी
करने वाले पहले
थे और उनक अ धकांश वंशावली उ ख नत स क के आधार पर नधा रत क
जाती है जसम चांद तांबे और नकल के स के भी शा मल ह। यह यान रखना दलच
ीक राजा
राजा
म से
है क
इंडो
के बारे म के वल उनके स क के मा यम से जाना जाता है। ब त कम समय म
क बड़ी सं या से पता चलता है क उनम से कु छ ने समवत शासन कया और इस कार यह
संभव है क दो यूनानी राजवंश ने उ र प
डेमे यस बै
मी भारत पर एक साथ समानांतर रेख ा पर शासन कया।
या के राजा
ईसा पूव के आसपास भारत पर आ मण कया और संभवतः पु य म शुंग के
साथ भी संघष कया।
उ र प मी भारत म मौय सा ा य के काफ ह से पर वजय ा त क और ह
कु श के द ण म बै यन शासन का व तार कया।
मेनडर
म लडा
मने ा
ईसा पूव
ईसा पूव
सबसे स इंडो ीक शासक जसने न के वल इंडो ीक श को
र
कया ब क भारत म अपने सा ा य क सीमा का व तार भी कया।
उनका सा ा य बै
या और उ र प
ऐसा तीत होता है क इसम द
मी भारत दोन के ह स म फै ला आ था और
णी भी शा मल है
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अफगा न तान और गांधार सधु नद के प
म का
े ।
सकला आधु नक सयालकोट पंज ाब म उनक राजधानी थी और यह माना जाता है क
उ ह ने गंगा यमुना दोआब पर भी आ मण कया और वजय ा त क ले कन इसे लंबे
समय तक बनाए रखने म वफल रहे।
नागसेन ारा उ ह बौ
बौ
धम म प रव तत कर दया गया था उनक पहचान
पाठ म लदप हो म लडा का
जसम दाश नक
स
म व णत राजा म लद के साथ क गई है
ह जो म लद ने नागसेन पाठ के बौ
का दावा है क उ र से भा वत होकर राजा ने बौ
लेख क से पूछे थे। पाठ
धम को अपने धम के
पम
वीकार कर लया।
उनक पहचान बाजौर वतमान म पा क तान के उ र प
म सीमांत ांत म म एक
ताबूत म पाए गए एक खं डत खरो ी शलालेख म व णत राजा मने ा के साथ भी
क जाती है जो बु
के अवशेष को शायद एक तूप म रखने के दौरान संद भत
करता है। शासन।
ह मयस इस वंश का अं तम शासक
वह सरी शता द ईसा पूव क अं तम तमाही के आसपास पा थयन
हो गया जसके कारण बै
समा त हो गया।
या और ह कु श के द
ह मयस का एक स का
णम
ारा परा जत
े म यूनानी शासन
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हालाँ क यह यान दया जाना चा हए क इंडो ीक शासन उ र प
शायद मेनडर I क रा नय म से एक और उनके बेटे
मी भारत म कु छ और समय तक जारी रहा। रानी अगाथोक लया
ै टो का उ लेख है
जनके संयु
स के मले ह। यह उ र प
म गांधार
े
भी समय के साथ पा थयन और शक से हार गया।
बाद म पहली शता द ईसा पूव के अंत म या पहली शता द सीई क शु आत म उनके
पूव का
े भी
े का अं तम शेष ह सा यानी झेलम के
प शासक राजुवला को स प दया गया था।
इंडो ीक शासन का भाव
एक।
भारत म सव थम स के जारी करने वाले शासक इंडो ीक थे
सोना चांद तांबा और नकल जो न
त
प से कसी भी राजवंश के लए ज मेदार ठहराया जा सकता है और
भारत म सोने के स के जारी करने वाले पहले भी थे जो कु षाण के तहत सं या म वृ
है क शक पा थयन और
बु नयाद वशेषता
प के स क ने
बात यह
ल प कवदं तय स हत इंडो ीक स के क
का पालन कया। इंडो ीक स के सट क आ थक मू य के स दय उ कृ ता के लघु च थे और
उभरते ए धा मक सं दाय और पंथ
थे जो उस
भाषी और
ई थी । दलच
वशेष
प से शैव और भागवत सं दाय पर उपयोगी जानकारी दान करते
े म मुख थे। स का नमाण को भी
े और आव यकता के अनुसार समायो जत कया गया था।
उदाहरण के लए
इंडो ीक स के जो के उ र म प रचा लत थे
इंडो ीक स के जो के द
ह कु श
ण म प रचा लत थे
ह कु श
ए सोने चांद तांबे और नकल से बने थे बी अटारी
चांद और तांबे से बने थे और अ सर आकार म वगाकार
वजन मानक का पालन करते थे
थे
और ीक कवदं तयां थ ।
कभी ा ी म और एक भारतीय वजन मानक का
ीक और खरो ी म
भाषी शलालेख थे शायद ही
पालन करते थे।
ग अ भाग पर शाही च थे और ीक दे वता
जैसे ज़ीउस अपोलो और
शाही च सामने क ओर होता है ले कन पीछे क
ओर धा मक
पांक न म शा मल होता है
Machine Translated by Google
एथेना राजा के नाम और शीषक के साथ रवस
तीक जो ेरणा म ीक के बजाय भारतीय
थे।
पर।
बी।
उ ह ने हेले न टक कला और सा ह य क नई वशेषता
सीमांत म गांधार कला क शु आत क जो वशु
भारतीय और म य ए शयाई दोन संपक के पर
जैसे भारत के उ र प
म
प से ीक नह थी ब क यह
र भाव और भाव का प रणाम थी।
इस म ण का एक उ लेख नीय उदाहरण हे लयोडोरस का बेसनगर तंभ शलालेख है।
उपमहा प म ीक श दावली के
भाव वाले नए श द का योग होने लगा। उदाहरण के
लए सं कृ त म यो तष के लए यु
गया है।
होरशा
श द ीक श द होरो कोप से लया
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बु
सी।
हेले न टक यूना नय को उनक वशाल इमारत और उनक छोट सू मता से तैयार क गई
व तु
के लए भी जाना जाता है। त
कोकचा के संगम पर
एक महान
डी।
क गांधार छ व
त एं टओक और सरकाप के शहर क खुदाई से शहरी नयोजन क
तभा का पता चलता है।
इंडो यूना नय ने सै य शासन क
था ।
शला म ऐ खानौम ऑ सस और आधु नक ब ख के
था भी शु
क रा यपाल को रणनी तकार
प कहा जाता
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इंडो सी थयन कगडम
शक सी थयन
शका भारतीय श द है जसका योग सी थयन कहे जाने वाले लोग के लए कया जाता है जो मूल
से म य ए शया के थे। दलच
शु
शू
म ब त बड़े
ह
कहा है। शक
प
बात यह है क पतंज ल ने अपने महाभा य म शक को अ नवा सता
ारा यूना नय का भारत म पीछा कया गया और उ ह ने यूना नय क तुलना
े को नयं त कया। सरी शता द ईसा पूव के अंत म जैसा क हम पहले चचा कर चुके
ीक सा ा य का पतन
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से यू सड सा ा य उ र प
खाता है यानी सुंग नू
म म म य ए शया के खानाबदोश आ दवासी लोग
ारा बै
या पर हमले के साथ मेल
जओन नू वू सन और यूह चस आ दवासी टॉक जसम कु षाण भी शा मल थे
जाता है क पहली शता द ईसा पूव म अ य धक हमपात और उनके पड़ो सय
ारा लगातार छापे मारने के कारण
सयांग नू को अकाल का सामना करना पड़ा था । इसके कारण उनका वास और यूह चस का व
उनक सबसे अ
शाखा
भू म से खदे ड़ दया गया और उ ह र के
. ऐसा माना
ापन आ ज ह
ान क ओर पलायन करना पड़ा। यूह चस को आगे दो
म वभा जत कया गया था ल टल यूह चस जो उ री त बत म बस गए थे और ेट यूह चस जो अरल सागर
के तट और सीर द रया जकात के मैदानी इलाक म आगे प
सी थयन शक को व
ा पत करना । शक बै
जो अंततः भारत और अफगा न तान के व भ
अगह न तान म बस गई। इस शाखा के
म म गए थे।
उस
े के मूल नवा सय
अथात्
या पा थया और सधु के मैदान म आगे बढ़े । शक क पाँच शाखाएँ थ
ह स म स ा क अपनी सीट के साथ बस ग
मुख शासक वोनो स और
शक क एक शाखा
ा ल रस थे।
एक।
बी।
सी।
सरी शाखा त
शला को अपनी राजधानी बनाकर पंज ाब म बस गई। मौस एक मुख शासक था।
तीसरी शाखा मथुरा म बसी जहाँ इसने लगभग दो शता दय तक शासन कया । एज़ी लस एक मुख
शासक था।
डी।
चौथी शाखा ने प
मी भारत पर अपना आ धप य
शासन कया। उ ह ने गुज रात म समु
ा पत कया जहाँ उ ह ने चौथी शता द ई वी तक
ापार पर आधा रत एक समृ
अथ व
ा के कारण अ धकतम
अव ध तक शासन कया और इस कार बड़ी सं या म चांद के स के जारी कए। मुख शासक म से एक
दामन थम था जो प
इ।
मी भारतीय वंश के शक
शक क पांचव शाखा ने ऊपरी द कन म अपनी स ा
प से संबं धत था ।
ा पत क ।
म य ए शया से लोग के इन ज टल वासन और आंदोलन का भारतीय उपमहा प क राजनी त म एक लहरदार भाव
पड़ा।
सयुंग नू यूएह चस द ेट यूह चस शक पा थयन शाका शासन का इ तहास शलालेख और स क के मा यम से
काफ हद तक जाना जाता है। स क के आधार पर कु छ न
त राजा जो हो सकते ह
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पहचाने गए वोनो स पूव ईरान के सबसे पहले वतं पा थयन शासक
और एज़ेस II ह। कु छ स के संयु
ै ल रस एज़ेस I ए ज़ लस
नयम के अ यास का भी सुझ ाव दे ते ह । उदाहरण के लए
ै लराइज और एज़ेस I शायद सह शासक थे जैसा क एज़ेज़ I और ए ज़लीज़ थे। कु छ मुख शक
राजा ह मौएस मोगा मोआ सी.
ई.पू.
भारत म संभवत पहला शक राजा जसने गांधार म स ा
त
ा पत क ।
शला म मले शलालेख म एक शक राजा मोगा और उनके
प
प
रा यपाल प का का उ लेख है। कई तांबे और चांद के स क पर भी उनका
नाम अं कत है। उनके स क पर अ भषेक ल मी जैसे आम तौर पर भारतीय दे वता
क आकृ तयाँ थ ।
एजेस
ने इंडो ीक राजा ह पो े टोस के अं तम उ री भारत के
े पर सफलतापूवक
क जा कर लया ।
उह
ईसा पूव के व म संवत युग से भी जुड़ा आ माना जाता है
जसका उपयोग
एज़ेस के प र हण को च त करने के लए कया जाता है। इस युग क शु आत शक
पर व मा द य नाम के एक उ
ैन राजा क जीत से ई थी। ऐसा माना जाता है क
व मा द य ने शक के खलाफ भावी ढं ग से लड़ाई लड़ी थी जब अ य सभी भारतीय
शासक ने उनके सामने आ मसमपण कर दया था
उ ह और उस समय से व मा द य रोमन के लए सीज़र क तरह ही एक
त त उपा ध बन गई ।
शक और सथो पा थयन ने
प रा यपाल या महा
प अधीन
शासक के मा यम से शासन
कया ज ह ने सा ा य के व तार म ब त सहायता क । उदाहरण के लए सथो पा थयन शासक
अज़ी लस के शासनकाल के दौरान एक
सहायता क । बाद म उ ह ने महा
प राजुवुला ने अपने सा ा य के पूव व तार म ब त
प क उपा ध धारण क और मथुरा
े के एक वतं शासक के
प
म काय कया और मथुरा के सहासन के लए उनके पु सोडाशा ारा सफल ए। यह यान रखना उ चत
है क इन
प क एक शास नक गवनर के लए सामा य
त क तुलना म अ धक वतं
त थी
य क उ ह ने न के वल अपने वयं के शलालेख जारी कए थे जस भी युग म वे नरी ण करना चाहते
थे ब क उ ह अपने वयं के स के ढालने क भी अनुम त थी। एक अ य आ धका रक शीषक मे रडाक
था
Machine Translated by Google
एक न द
े के
भारी अ धकारी के लए उपयोग कया जाता है ।
काइथो पा थयन शाका पहलावा
पहली शता द सीई के म य म उ र प
म भारत म शक का वच व पा थयन के बाद था हालां क
यूना नय और शक क तुलना म उ ह ने उ र प
मी भारत के एक ब त छोटे ह से पर क जा कर लया
था । कई ाचीन सं कृ त ंथ म उ ह शक पहलव के
प म एक साथ उ लेख कया गया है। दलच
बात यह है क कु छ समय तक दोन ने साथ साथ शासन कया।
आम तौर पर शक पहलवा
कथो पा थयन श द का योग उन आ मणका रय के व भ समूह के
लए कया जाता है जो पहली शता द सीई म पा थया से उ र प
म भारत म आए थे । मूल
प से
पा थयन ईरान म रहते थे और उ ह ने ईसाई युग क शु आत म भारत पर आ मण कया। ग डोफनस
गुडुवारा पेशावर के पास मदन से बरामद त त ए बही म पाए गए
कया गया है सबसे
स
सीई के एक शलालेख म उ लेख
और मह वपूण पा थयन राजा था और यह उनके शासनकाल के दौरान था क
सट थॉमस ईसाई धम का चार करने के लए भारत आए थे । उसके स क पर उसके भतीजे अ दगसेस
उसके शासक सपादन और सताव
उसके सै य शासक असपवमन और सासा का भी उ लेख मलता
है । समय के साथ साथ पा थयन शक क तरह भारतीय समाज म आ मसात हो गए और इसका एक
अ भ अंग बन गए। कु षाण ने अंततः उ र प
मी भारत से ग डोफनस के उ रा धका रय को बाहर कर
दया ।
कु षाण
कु षाण को यूह चस मून जनजा त या तोचा रयन भी कहा जाता था जो पांच कु ल
यूई शांग म से
एक थे जसम यू ची जनजा त वभा जत थी। वे खानाबदोश आ दवासी लोग थे जो मूल
ए शया के मैदान से थे। कु षाण ने सबसे पहले बै
उ ह ने शक को व
प से उ र म य
या या उ र अफगा न तान पर क जा कया जहां
ा पत कया और धीरे धीरे गांधार पर क जा कर लया इन
े
म यूना नय और
पा थयन के शासन क जगह ले ली। अंतत उ ह ने नचले सधु बे सन और गंगा के बे सन के बड़े ह से
पर अपना अ धकार जमा लया।
उनका सा ा य ऑ सस नद से गंगा नद तक फै ला आ था
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म य ए शया म खुरासान से उ र दे श म वाराणसी तक लगभग नौ आधु नक दे श का
कु जुला कड फसेस कड फसेस I
CE
े ।
CE
उसने यू ची जनजा त के पांच कु ल को समामे लत कया और एक एक कृ त कु षाण
सा ा य क न व रखी।
उसने तांबे के स के ढाले और माना जाता है क उसने
लए रोमन ऑरेई
ापार को सु वधाजनक बनाने के
कार के स क क नकल क ।
उनके स के ह कु श के द
ण म पाए गए ह जो बताते ह क उनके शासनकाल के
दौरान कु षाण ने संभवतः भारतीय उप महा प क ओर अपना आंदोलन शु
था।
उनके स के भी बौ
कया
धम के साथ जुड़ाव का सुझ ाव दे ते ह ।
उ ह ने धमा थदा और स
वमा कड फसेस वेमा कड फसेस II
ाधम थदा उपा धय को अपनाया ।
ई वी
ई वी
वह कड फसेस थम का पु था और उसने कु छ समय के लए अपने पता के साथ एक सह
शासक के
प म शु आत क ले कन बाद म वतं
प से शासन भी कया।
उसने पा थयन से गांधार पर वजय ा त क और सधु के पूव म मथुरा
े तक रा य
का व तार कया। क न क के शासन का राजनी तक मह व इस त य म न हत है क
उसने म य ए शया को उ र भारत के साथ एक एकल सा ा य के ह से के
पम
एक कृ त कया। इसका प रणाम व भ सं कृ तय के आपस म मलने और अंतर
ापा रक ग त व धय म वृ
के
े ीय
प म आ।
उसने बड़ी सं या म सोने के स के जारी कए।
वह शव का प का भ
था।
था और अपने स क पर खुद को म ह र घो षत करता
उनके सभी स क सोने और तांबे दोन म उनके
शूल वाले बैल के साथ शव का
अचूक च है।
कनक
ई.
ई.
वह कड फसेस II का पु था और शायद सबसे
स
कु षाण राजा है जसके
शासनकाल म कु षाण सा ा य अपने चरम पर प ंच गया था। यह म य ए शया से
अफ़ग़ा न तान और उ र प
ओर मालवा
मी भारत तक आगे पूव म गंगा घाट म और द
णक
े तक फै ला आ था और इसम उ र म वाराणसी कौशा बी और
ाव ती शा मल थे।
Machine Translated by Google
दे श और म य दे श म सांची। इस वशाल सा ा य का क बै
क क न क के स क और शलालेख म बै
स
यन भाषा के
या था जैसा
योग से
रबातक शलालेख आधु नक बाघरान ांत अफगा न तान म क न क पर
ब मू य जानकारी
दे वपु
तुत करता है।
क उपा ध धारण क
तथा कु छ स क पर चोट का टोप धारण कये ए
दखाया गया है ।
क न क स का
क न क क दो राजधा नयाँ थ
•
है ।
पु षपुर वतमान पेशावर
उसने एक वशाल भवन का नमाण कया
Machine Translated by Google
पु षपुरा शहर म बु
के अवशेष को रखने के लए तूप । इमारत अभी भी अपनी सभी भ ता के
साथ बरकरार थी जब चीनी तीथया ी फा हयान ने पांचव शता द सीई क शु आत म इस
े का
दौरा कया था ।
•
•
मथुरा को दो
मुख कारण से याद कया जाता है शक संवत
CE क शु आत क
जसे उनके शासनकाल क शु आत के
प म वीकार कया जाता है और जसे अब भारत सरकार
ारा अपने कै लडर के लए उपयोग कया जाता है। शक संवत् नाम कु षाण युग य नह इसक
संभा वत
ा या शायद इस व ास म न हत है क या तो क न क को गलती से शक मान लया गया
था या यह क प
मी भारत के शक
प के शासनकाल के दौरान इस युग का नरंतर उपयोग कया
जाता था ज ह ने शक युग को वीकार कया था । कु षाण का आ धप य।
•
वसु म क अ य ता म कुं डलवन ज मू और क मीर म
आयोजन कया । क न क बौ
ीनगर के पास म चौथी बौ
धम का एक महान संर क था। इस प रषद म ही बौ
हीनयान और महायान म वभा जत हो गया था । कवदं तय के अनुसार यह एक बौ
था जसने क न क को शु
चतुथ बौ
भ ु पासा
संगी त।
अ घोष एक बौ
सं कृ त का
बी।
धम दो सं दाय
करने क सलाह द थी
उ ह ने उस युग के महान व ान और
एक।
संगी त का
यात
व ान ज ह ने बु च रत बु
व का संर ण कया जैसे
क प व जीवनी को लखा और स दयानंद
क रचना क ।
चरक उ ह आयुवद के पता के प म जाना जाता है ज ह ने चरकसं हता
नामक च क सा पर एक पु तक लखी थी
स ुत भी लखा ।
सी।
वसु म
एक
यात दाश नक ज ह ने महा वभास नामक बौ
दशन के व कोश को लखा था ।
Machine Translated by Google
डी।
नागाजुन उ ह अ सर एक भारतीय आइं ट न कहा जाता है
सू के
प म सापे ता के स ांत का
भी थे और उ ह ने म यमक
ज ह ने अपने समय म
ा प रमाता
ताव रखा था। वह महायान स ांत के एक महान
जसे सु यवाद कू ल के
प म भी जाना जाता है को
जो शू यता या शू यता मथारा पर क त है वह एक मं ी थे जो अपनी असामा य बु
तपादक
तपा दत कया
म ा के लए
व यात थे।
इ।
एफ।
एजे सलॉस एक यूनानी इंज ी नयर जसके मागदशन म यह माना जाता है पु षपुरा का महान तूप
बनाया गया था।
क न क ने मू तकला के गांधार और मथुरा कू ल का भी संर ण कया । मथुरा म क न क क बना सर
वाली एक यो ा के
उसने म य ए शया म
प म उनक मू त मली है।
स
रेशम माग को नयं त कया।
Machine Translated by Google
क न क बना सर वाली छ व मथुरा
चीन म य ए शया अफगा न तान ईरान प
क न क के
व का एक और उ लेख नीय पहलू धा मक स ह णुता का उनका
था य क राजा के स के व भ
दशाते ह भारतीय
मी ए शया रोमन सा ा य का ह सा
शव और बु
कार क धा मक परंपरा
के
पांक न
ीक
हे लयोस एक सूय दे वता और सेलेन चं मा दे वी और प
दे वता
अताश अ न दे वता और म ा सूय दे वता के
से लए गए
ीक दे वता
के
पांक न को
पांक न जैसे
म ए शयाई जैसे फारसी
पांक न ।
कोण
Machine Translated by Google
अपने लंबे शासनकाल के अंत म ऐसा तीत होता है क उसने ची नय के खलाफ म य ए शया म एक असफल सै य
अ भयान का नेतृ व कया और जनरल पान चाओ ारा परा जत कया गया और चीनी स ाट हो ट को
ांज ल दे ने
के लए मजबूर कया गया।
वासुदेव
तीय अं तम कु षाण स ाट
क न क के त काल उ रा धकारी थे व श क
थी
व क क न क II ज ह ने कै सर क उपा ध धारण क
और वासुदेव थम ज ह ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग सरी शता द ई.पू. इस समय
कु षाण पूरी तरह से भारतीयकृ त थे। इसके अलावा यह उनके शासनकाल के दौरान था क सा ा य का
पतन शु
हो गया था। इन शासक और व भ
और ंज ा नद के बीच
कु षाण श
प और महा
प के नाम ंज ा काराकोरम राजमाग
त म एक वशाल च ान पर कई खरो ी शलालेख पर पाए जाते ह।
का धीरे धीरे तीसरी शता द ई वी पूव से पतन हो गया । अफगा न तान म कु षाण सा ा य और सधु के प
े म तीसरी शता द के म य म ससै नयन श
ईरान क
हालाँ क कु षाण के कु छ अवशेष काबुल घाट क पसा और बै
उ र भारत के व भ
और शलालेख से
ारा दबा दया गया था ।
या म चौथी शता द तक बने रहे। कु षाण के पतन के कारण
ह स म राजशाही और गण दोन क कई राज व
है ज ह उनके
ारा अ
ायी
म के
ा
का पुन
ान आ जैसा क स क मुहर
प से वश म कर लया गया था जैसे प
मी और गण म शक
पम य
भारत।
एक।
बी।
भरतपुर और अलवर
सी।
पंज ाब म मालव और नकटवत राज
डी।
पूव पंज ाब और उ र दे श और राज
इ।
प ावती
े म अजुनयान ।
ान के कु छ भाग ।
ान के आसपास के
े
म यौधेय गण ।
े म और उसके आसपास के नागा राजा आधु नक वा लयर जले म य दे श म पवाया के साथ
पहचाने जाते ह ।
Machine Translated by Google
प
मी भारत के शक
प
जैसा क पहले चचा क गई थी स थो पा थयन अपने
प वायसराय और महा
शासक के मा यम से शासन करते थे। ारं भक शता दय सीई म
पं याँ थ
हरात और कदमक
ह स पर अ धकार बना रहा ।
प अधीन
प शासक क दो मह वपूण
जनका कु षाण काल के दौरान और बाद म प
मी भारत के कु छ
हरात
इस राजवंश से संबं धत मुख शासक म शा मल ह
भूमका लगभग c.
मूल
CE
प से क न क के
त न ा थी।
ा ी और खरो ी म कवदं तय के साथ उनके स के मालवा अजमेर
े और
तट य गुज रात म पाए गए ह।
नहपाना सी.
− सीई
।
प से महा
प और अंततः राजन राजा तक अपने क रयर म ग त क
उनके रा य क राजधानी शायद मननगर उ
ैन और ोच के बीच
त आधु नक
दोहा म थी और इसम मालवा गुज रात सौरा
उ री महारा और राज
ान के
कु छ ह से और नचली सधु घाट शा मल थी। उनके एक अमा य का आयमान
नामक शलालेख पुण े जले म पाया गया है।
उसके स के अजमेर राज
ान और ना सक महारा म मले ह। उनके कु छ
दाना मक शलालेख ना सक और महारा क काल गुफ ा
म पाए गए ह ।
ऐसा माना जाता है क शक
प द खन पर आ धप य को लेक र सातवाहन के साथ
लगातार संघष म शा मल थे और प मी बंदरगाह े पर नयं ण अ सर हाथ म
बदल जाता था। उदाहरण के लए ऐसा तीत होता है क ना सक और पुण े के
को या तो नहपान या सातवाहन के उनके पूवव तय ने जीत लया था।
माना जाता है क बाद म लगभग
गौतमीपु सातकण ने मार डाला था
सीई म नहपान को सातवाहन शासक
े
Machine Translated by Google
नहपान के स क को न के वल पुन
ा पत कया ब क ना सक और पुण े जल म
अपने शलालेख म नहपान पर अपनी जीत का भी उ लेख कया। इस वजय का
उ लेख उनक माता गौतमी बाला ी के शलालेख म भी मलता है।
एक शलालेख म उ लेख है क उषावदता नहपान के दामाद
भोजन उपल
कराने के लए एक
े
ारा बौ
भ ु
को
दान कया गया था।
कदमक
कदमक शक
प क एक और पं
ह ज ह ने
हरात वंश के अंत के बाद प
कया। इस राजवंश से संबं धत मुख शासक म शा मल ह च ाना लगभग
कदमक वंश का सं
ापक । मूल
प से सध
े म कु षाण के अधीन
संभवतः नहपान के समय कु षाण सा ा य के द
कदमक म व र
महा
प और क न
णप
मी ांत के
प शासक क
के जीवनकाल म उनके पु जयदामन और बाद म उनके पोते
उनके वंश के सबसे
उ रा धकार कया।
दामन थम सी.
सीई
सभी शक
स
मी भारत पर शासन
ई.पू.
के
प म शासन कया और
प थे।
था थी। उदाहरण के लए च न महा
दामन थम
शासक और उनके पोते
प
प थे ।
दामन थम ने उनका
सीई
प शासक म सबसे
स
ज ह ने सरी शता द सीई के म य म
शासन कया था ।
उनका सा ा य लगभग पूरे प
मी भारत म फै ला आ था जसम ना सक और पुण े
े
को छोड़कर सध गुज रात क कण नमदा घाट मालवा और का ठयावाड़ शा मल थे।
का ठयावाड़ के अध शु क
े म
त चं गु त मौय के शासनकाल से सुदशन झील
को सुधारने के लए कए गए मर मत के कारण वह इ तहास म
काय
स
है। यानी
जूनागढ़ या गरनार शलालेख शाका वष
सीई ।
यह अ भलेख थम प व सं कृ त राजक य है
स
है और यह
म दनां कत म व णत
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ारं भक भारत के शलालेख जब अ य सभी आमतौर पर ाकृ त म लखे गए थे।
इस शलालेख के मा यम से उनक अ य उपल
शलालेख म उ लेख है क उसने द
य का भी वणन कया गया है।
णापथ के वामी गौतमीपु सातकण को दो
बार हराया ले कन उसे न नह कया य क वह एक करीबी र तेदार था।
दामन क पु ी का ववाह गौतमीपु सातकण के पु व श
व सेन अं तम
पुलुम व से आ था ।
प शासक ज ह ने तीसरी शता द ईसा पूव के अंत म शासन
कया था और च ताना वंश के थे
दामन का जूनागढ़ शलालेख
म य ए शया के साथ संपक का भाव और योगदान
शक कु षाण चरण ने
बतन
ापार और कृ ष
शास नक संगठन कला और सा ह य मू तकला और म
व ान और ौ ो गक और भारतीय समाज म कई नए त व को पेश कया।
के
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अ या धक। वा तव म म य ए शयाई भाव लगभग सभी
कया गया था। उदाहरण के लए म
एक।
और सामा जक जीवन के पहलु
ट और फश और छत दोन के लए टाइल का उपयोग
कया । अव ध ट क द वार के नमाण से च त है। लाल म
म य ए शया म
ापक
म महसूस
के बतन और
वा तुक ला उ ह ने फश के लए प क
शु
े
के बतन क तकनीक जो
प से उपयोग क जाती थी को भारतीय उपमहा प म भी दोहराया गया।
इस काल के व श मृदभांड म यम से महीन कपड़े के साथ सादे और पॉ लश कए ए लाल बतन
थे। इस अव ध के व श बतन
बी।
कलर और ट ट दार चैनल ह।
ापार और कृ ष म य ए शया और भारत के बीच घ न संपक
के बीच
ा पत होने के कारण दोन
ापार भी फला फू ला। भारत ने म य ए शया के अ ताई पहाड़ से अ
े
मा ा म सोने का
आयात कया। स क ट पर कु षाण के ापक नयं ण के कारण कु षाण क अथ व ा क
भरपाई ापा रय से वसूले जाने वाले टोल से ई और इस आय से एक बड़े समृ सा ा य के
नमाण म मदद मली।
यह यान दे ना उ चत है क भले ही भारत म सोने के स क क शु आत इंडो यूना नय ने क
थी यह कु षाण ही थे जो भारत म इतने बड़े पैमाने पर सोने के स के जारी करने वाले पहले
शासक थे। कु षाण ने भी कृ ष को बढ़ावा दया। ऐसा माना जाता है क कु षाण बड़े पैमाने पर
सचाई के तहत
सी।
े
को शु
सै य ान और उपकरण
करने और व ता रत करने म अ णी थे ।
वयं उ कृ
घुड़सवार होने के नाते शक और कु षाण ने बेहतर घुड़सवार
सेना का प रचय दया और बड़े पैमाने पर घोड़ क सवारी के उपयोग को लोक य बनाया । उ ह ने
र सी से बनी लगाम काठ और पैर क अंगुली के रकाब का उपयोग सामा य बना दया
सवार क आवाजाही म आसानी ई। वे यो ा
जससे
ारा इ तेमाल क जाने वाली टोपी हेलमेट और
जूते भी लाए । शक और कु षाण ने पगड़ी अंगरखा पतलून भारी लंबे कोट और लंबे जूते जैसी
नई पोशाक शै लय क शु आत क
वग
थी।
ज ह न के वल यो ा वग
ारा भी अपनाया गया। चमड़े के जूते बनाने क
ारा ब क समाज के कु छ अ य
था भारत म इसी अव ध के दौरान शु
ई
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डी।
शास नक संगठन म य ए शयाई वजेता
इंडो यूना नय ने सै य शासन क
ने शासन म नई शै लय क शु आत क । उदाहरण के लए
था क शु आत क
जसम उ ह ने सै य गवनर नयु
रणनी तकार कहा जाता था जब क कु षाण ने सरकार क
सा ा य को कई
गया था।
वजेता
प म वभा जत कया गया था और
इ।
येक
णाली क शु आत क
जसके तहत
पय को एक के शासन के तहत रखा
प। इन णा लय ने एक सामंती संगठन के वकास का नेतृ व कया जसम इन म य ए शयाई
ने कई छोटे राजकु मार पर अपना वच व
थे। शक और कु षाण ने राज व क दै वीय उ प
ई र के पु
प
कए ज ह
ा पत कया जो उ ह नय मत
प से
ांज ल दे ते
के वचार को मजबूत कया । उ ह ने दे वीपु
अथात
क उपा ध धारण क ।
भारतीय समाज म य ए शयाई वजेता
के बारे म एक उ लेख नीय पहलू यह था क उ ह ने न के वल
भारतीय समाज के साथ आ मसात कया ब क उ ह ने भारतीय सं कृ त म नई साम ी भी जोड़ी और इसे
अ य धक समृ
कया। उ ह ने पूरी तरह से भारतीय सं कृ त के साथ अपनी पहचान बनाई। चूं क उनक
अपनी ल प ल खत भाषा या कोई संग ठत धम नह था इस लए उ ह ने सं कृ त के इन घटक को भारत
से अपनाया। यह कहना गलत नह होगा क ाचीन इ तहास के कसी भी अ य काल म वदे शी भारतीय
समाज म इतने बड़े पैमाने पर आ मसात नह
उनम से अ धकांश वजेता के
ए थे जतने क मौय काल के बाद के काल म ए थे। चूं क
प म आए थे इस लए वे
मनु मृ त म भी शक और पा थयन को मनु ारा ा य
कया गया है जो ब ल अनु ान के अपने कत
य के
य
प म समा हत हो गए।
तीय
ेण ी के
य के
से वच लत हो गए थे और इस कार
प म व णत
त म गर गए
थे।
शासक ने न के वल भारतीय सामा जक मानदं ड को अपनाया ब क उस समय के लोक य धम को भी अपनाया ।
उदाहरण के लए उनम से कु छ वै णववाद व णु क पूज ा म प रव तत हो गए जैसा क ीक राज त हे लयोडोरस के
मामले म था ज ह ने वासुदेव के स मान म एक तंभ
क ीक शासक मेनडर के मामले म आ जो बौ
इन दोन क छ वय क पूज ा क
ा पत कया था । कु छ अ य लोग ने बौ
धम को अपनाया जैसा
बन गए। इसी कार कु षाण शासक ने शव और बु
दोन क और
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कु षाण स क पर दे वता कट ए।
महायान बौ धम क उ प म य ए शयाई भाव के लए ब त अ धक है । भ ु और नन ापा रय और
कारीगर के बढ़ते शरीर से नकद दान खोने का जो खम नह उठा सकते थे और इस तरह अब सोना और
चांद वीकार करना शु
कर दया मांसाहारी भोजन करना शु
क बड़ी सं या म स क क खोज से मा णत आ आं
संघ का अनुशा सत जीवन भी कु छ लोग
गया था और पहले बु
ारा अपने गृह
से जुड़ी चीज ज ह उनके
तीक के
कर दया और व तृत व
पहने जैसा
दे श म नागाजुनक डा के मठवासी
जीवन को फर से शु
े
म ।
करने के लए छोड़ दया
प म पूज ा जाता था उनक छ वय के साथ
बदल द गई थ ।
बौ
धम का यह नया
प जो बो धस व क छ वय क पूज ा और पूज ा करता था महायान बौ
कहलाया और क न क बौ
धम के इस
धम
प के एक महान संर क थे ज ह ने न के वल चौथी बौ
संगी त
का आयोजन कया ब क उनक मृ त को बनाए रखने के लए कई अ य तूप भी बनवाए। बु । महायान
और हीनयान कू ल के बीच मूलभूत अंतर को न न ल खत बॉ स म दे ख ा जा सकता है।
हीनयान यह
महायान
मानता है क मानव
यह नवाण क
जीवन का सव
ल य नवाण
अनुसार बो धस व के माग का पालन करना और बु
नवाण ा त
ा त को एक छोटा ल य मानता है ब क इसके
व ा त करना उ
ल य है।
करना और
एक अहत बनना होना
चा हए।
उनके अनुसार एक
उनके अनुसार बो धस व वह है जसने महान ान ा त कर लया है
अहत वह है जो नवाण
ा त करने के बाद
ले कन अपने नवाण को
के च
है
संसार।
से गायब हो जाता
करने का फै सला करता है।
बो धस व म दान उदारता
गत करने और सर को बु
शला अ
े आचरण
यान
बनने म मदद
ां त रोगी
सहनशीलता वीय मान सक श
यान
उपायकौश य साधन म कु शलता
णधान साधन म
नपुण ता के दस गुण होने चा हए। ढ़ संक प बाला
श
और
जना
ान
Machine Translated by Google
ान
हीनयान म बु
एक महापु ष
को
ान ।
महायान ने अहत और बु
बनने के बीच क खाई को बढ़ा
दया । इसने पारलौ कक बु और बो धस व के वचार का प रचय दया
जो नवाण और संसार के बीच म खड़े थे। इसने कई बु और बो धस व
े पु ष माना
जाता है अ तम
जैसे मै ेय अवलो कते र और मंज ु ी क क पना क
श क समानता जो
सभी ने अपने अपने बु
बु
े
म सर को मु
जनम से
दलाने म मदद क ।
हो गए थे और
एक अहत बन
गए थे।
एफ।
कला और सा ह य मौय काल के बाद क कला मु य
प से धा मक थी। इस काल क कला
और वा तुक ला से संबं धत दो सबसे मह वपूण वशेषताएं तूप का नमाण और मू तकला के
े ीय व ालय का वकास ह।
बौ
तूप एक तूप एक बड़ा गोला गुंबद है जसम i. क य क जसम बु या कसी
भ ु के अवशेष एक छोटे से ताबूत म रखे जाते ह। आधार द णा घड़ी क दशा म
प र मा के लए एक माग से घरा आ था जो लकड़ी क रे लग से घरा आ था
जसे बाद म प
र म बनाया गया था। इस काल के तीन मुख तूप भर त म ह जो
सरी शता द ई . तीन म से सबसे बड़ा जो मूल
गया था
प से स ाट अशोक ारा बनाया
सरी शता द ईसा पूव म कसी समय इसके आकार से दोगुना हो गया था
और अमरावती और नागाजुनक डा दोन आं
दे श म । इस अव ध के दौरान द
ण
भारत म कई तूप का नमाण भी कया गया था ले कन कोई भी अपनी संपूण ता म
नह बचा है।
तीय।
मू तकला कला के कू ल बु
क मू तय को तराशा जाता था
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इस अव ध म पहली बार बाहर। म य ए शयाई शासक भारतीय कला और सा ह य के
उ साही संर क बन गए और उ ह ने कला के नए व ालय क
ापना म ब त उ साह
दखाया। मू तकला कला के तीन मुख कू ल थे जो इस अव ध म वक सत ए। ये थे
गांधार कला व ालय मथुरा कला व ालय और अमरावती कला व ालय।
कु षाण सा ा य व भ रा ीयता
से संबं धत व भ कला
को एक साथ लाया जसने व वध सं कृ तय को और समृ
भारतीय और म य ए शयाई दोन त व का सं
प म
श
कया। बु
त राज म
क नई छ वय म
ानीय
ेषण था ।
भारतीय श पकार म य ए शयाइय यूना नय और रोमन के संपक म आए वशेष
के उ र प
ी और कारीगर
प से गांधार म भारत
मी सीमांत म।
इसने कला के एक नए कार के
प को ज म दया जसे गांधार कू ल ऑफ आट के
है जसम मू तय का वषय मु य
प से बौ
प म जाना जाता
है ले कन उनक शैली ीक है। गांधार कू ल ऑफ आट क
मु य वशेषताएं शरीर क व श मांसपे शय के साथ मानव आकृ तय के सुंदर च ण म न हत ह। बु
को ेक ो रोमन फै शन म लपट एक पोशाक और ब त घुंघराले बाल के साथ च त कया गया है। बु
क इन सुंदर छ वय को बरामद क गई मू तय के सव े टु क ड़ म
ान दया गया है। बु
क मू तय को बनाने के लए इ तेमाल कया जाने वाला प
प से नीले भूरे रंग का व ान था।
गांधार कला का भाव मथुरा तक भी फै ला जो मु य
प से एक वदे शी कला व ालय का क था ।
मथुरा के कलाकार ने च बनाने के लए काले ध ब वाले
म पूज ा क व तु
दे वता
को रखने के लए अयागपत या प
र मु य
ानीय लाल प
र क शला
ा णवाद दे वता
मथुरा ने न के वल बु
क कई मू तयां उके री ग
और महावीर क सुंदर प
बना सर वाली खड़ी मू त के लए भी
ब त सारी प
स
र का इ तेमाल कया। मथुरा
के अलावा बड़ी सं या म जैन
क मू तयां भी मली ह । मथुरा के कला व ालय पर ा णवाद
के दौरान
और बो धस व
भाव भी
है। कु षाण काल
जनम का तके य व णु कु बेर शा मल थे।
र क छ वय का नमाण कया ब क यह क न क क
है। कला के गांधार और मथुरा दोन व ालय से संबं धत
र क मू तयाँ कु षाण काल म न मत क गई थ और भारत क महान सां कृ तक वरासत
का एक ह सा थ । प
र क मू तय के साथ साथ सुंदर
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महारा और आं
दे श म च ान से बौ
सांची भर त और अमरावती म बु
गुफ ा
का नमाण भी कया गया था। नागाजुनक डा गया
से जुड़ी व भ कहा नय को दशाने वाले कई शला पटल पाए गए ह
।
कृ णा और गोदावरी न दय क नचली घा टय के बीच आं
आ । इस कला
दे श म कला के अमरावती कू ल का वकास
प के मु य संर क सातवाहन थे ले कन बाद म भी उनके उ रा धकारी इ वाकु शासक
के संर ण म यह जारी रहा । कहा जाता है क कला का यह कू ल
फला फू ला । इस कू ल क मू तयां मु य
वषयगत न पण म बु
प से रे लग
ईसा पूव और
सीई के बीच
लथ और तूप के अ य ह स पर पाई जाती ह।
के जीवन क कहा नयाँ शा मल ह । अमरावती कू ल क एक मह वपूण वशेषता
कथा कला है। पदक को इस तरह से उके रा गया था क वे एक घटना को ाकृ तक तरीके से च त
करते ह । उदाहरण के लए एक पदक बु
ारा एक हाथी को वश म करने क पूरी कहानी को दशाता
है । अमरावती कला क एक अ य मह वपूण वशेषता मू तय को तराशने के लए सफे द संगमरमर जैसे
प
र का उपयोग है। कृ त से ख ची गई आकृ तय क तुलना म मानव आकृ तय क
धानता है ।
म य ए शयाई शासक ने भी सं कृ त सा ह य के वकास म मदद क और संर ण दया। का
सबसे पहला नमूना और वह भी शु
सं कृ त म
शैली का
दामन थम के जूनागढ़ अ भलेख म मलता है।
अ घोष जैसे कु छ महान रचना मक लेख क ने कु षाण के संर ण का आनंद लया। महाव तु और
द ावदान जैसे कु छ मह वपूण बौ
क रचना क
ंथ इसी काल के थे। महायान बौ
धम क
जनका उ े य महायान सं दाय को लोक य बनाना था और बौ
ग त ने कई अवदान
संक र सं कृ त म रचे गए
थे। यूना नय ने पद के उपयोग क शु आत करके भारतीय रंगमंच के वकास म योगदान दया
यव नका कहा जाता था। से स और ेम करने पर शु आती कामुक रचना
समय वा यायन ारा र चत था जो इस अव ध के धम नरपे
जी।
व ान और ौ ो गक मौय
म से एक कामसू
सा ह य का सबसे अ
जसे
इस
ा उदाहरण है।
र भारतीय खगोल व ान और यो तष पर एक वशाल यूनानी
भाव है। सं कृ त म यो तष के लए यु
श द होराशा
ीक श द से लया गया है
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रा शफल । ीक स के जो ठ क से आकार और मु ां कत थे आहत स क पर एक महान
सुधार थे।
कु षाण ने सवा धक तांबे के स के जारी कए। इस अव ध के दौरान कांच बनाने का काम
वशेष
प से वदे शी था
से भा वत था और ाचीन भारत म कसी भी अ य काल म
कांच बनाने म इतनी ग त नह
ई जतनी क इस अव ध के दौरान ई।
सातवाहन
जैसा क हम पहले चचा कर चुके ह क मौय शासन के बाद उ र म सुंग और क व का शासन रहा।
हालाँ क द कन और म य भारत म सातवाहन ने लगभग
दलाई । कई
ानीय शासक के स के जैसे क
ानीय शासक जैसे गोभ
वष के अंतराल के बाद मौय को सफलता
पुरी म पाए गए कु रा शासक के स के अ य
समीगोपा चमुक कामवाय और नाराणा के स के व भ
ान पर पाए
गए क खोज के आधार पर यह आम तौर पर वीकार कया जाता है क बाद म मौय के पतन और
सातवाहन के आगमन से पहले कई छोट राजनी तक रयासत रही ह गी जो द खन के व भ
ह स म
शासन कर रही थ । संभवतः अशोक के शलालेख म व णत र थका और भो जकाएँ धीरे धीरे पूव
सातवाहन काल के महार थय और महाभोज म वक सत
सातवाहन को पुराण के आं
।
के समान माना जाता है। हालां क दलच
बात यह है क न तो आं
का नाम सातवाहन शलालेख म दखाई दे ता है और न ही पुराण म सातवाहन क बात होती है के वल
आं का उ लेख है । कु छ पुराण के अनुसार औरंगाबाद जले म गोदावरी पर
म अपनी राजधानी के साथ आं ने
त ान आधु नक पैठण
वष तक शासन कया । यह सातवाहन राजवंश के लए न द
अव ध भी है। सबसे पहला सातवाहन शलालेख पहली शता द ईसा पूव का है जब उ ह ने क व को
हराया और म य भारत के कु छ ह स पर अपना शासन
शु आती सातवाहन राजा आं म नह ब क उ री महारा
ा पत कया। यह भी यान दे ने यो य है क
ऊपरी गोदावरी घाट के उपजाऊ बे सन म
दखाई दए जहाँ उनके शु आती स के और शलालेख पाए गए ह। धीरे धीरे वे
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कनाटक और आं पर अपनी स ा का व तार कया। उनके सबसे बड़े
ऊपरी द कन और प
मी भारत म
ा पत कया था। भृगुक
तयोगी प
मी भारत के शक
प थे
ज ह ने खुद को
भड़ौच क याण और सुपारक सोपारा जैसे मुख बंदरगाह का
नयं ण इन दोन के बीच ववाद का कारण रहा होगा।
दो।
सातवाहन ने ा ण वंश का दावा कया और वै दक अनु ान का दशन कया और कृ ण वासुदेव
जैसे दे वता
म
क पूज ा क जैसा क नाग नका पहली शता द ईसा पूव के नानेघाट गुफ ा शलालेख
है जसम सतकण
थम ारा कए गए महान ब लदान का उ लेख है। यह राजवंश यह था
क वे गौतमीपु और व श पु जैसे मातृभाषा
का उपयोग करते थे हालां क वे कसी भी अथ म
मातृस ा मक या मातृस ा मक नह थे। सातवाहन ने द
णापथप त द
णापथ के भगवान क
उपा ध धारण क ।
सातवाहन को इ तहास म ा ण और बौ
भ ु
को भू म के शाही अनुदान दे ने क
था शु
करने के लए भी जाना जाता है जनम कर छू ट से जुड़े लोग भी शा मल ह। गौतमीपु सातकण के
एक शलालेख म उ लेख कया गया है क ा ण को उपहार म द गई भू म म वेश नह करना था
या शाही सै नक
ारा परेशान नह कया जाना था नमक के लए खोदा नह जाना था रा य के
अ धका रय के नयं ण से मु
भ ु
को भू म दे क र बौ
था और था सभी कार के प रहार
तर ा का आनंद ल। उ ह ने
धम का भी चार कया।
समुक ा
सातवाहन राजवंश के सं
जैन और बौ
गौतमीपु सातकण सी.
ापक और अशोक क मृ यु के तुरंत बाद स
य थे।
मं दर का नमाण कया।
सीई
ऐसा तीत होता है क शु
मप
मी भारत के शक
पप
मी और म य
े से
सातवाहन को हटाने म सफल रहे ले कन बाद म सातवाहन के भा य को इसके सबसे
स
शासक गौतमीपु सातकण ने पुनज वत कया । उसने न के वल शक को
परा जत कया ब क सातवाहन क श
और
त ा को भी अ धक ऊँ चाइय तक
प ँचाया।
उ ह के शासन काल म सा ा य अपने चरमो कष पर था।
उ ह ने
हता वंश को न करने का दावा कया
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जो उसके वरोधी नहपान का था और नहपान के
स क को अपने नाम से ढाला ।
से अ धक चाँद के
उसने मालवा और का ठयावाड़ को भी शक से छ न लया।
उनका सा ा य उ र म मालवा से लेक र द
ण म कनाटक तक फै ला आ था जसका
वतमान आं
े पर सामा य अ धकार था।
उनक उपल
य का वणन और उनक मृ यु के बाद उनके पु पुलुमयी
शासनकाल के दौरान उनक माँ गौतमी बाला ी
तीय के
ाकृ त म ल खत के ना सक
शलालेख म कया गया है। इस शलालेख म उ ह शक पहलव और यवन के
व वंसक के
प म व णत कया गया है जो
के गौरव को बहाल करने वाले के
हरत को उखाड़ने वाले और सातवाहन
प म व णत ह।
ना सक शलालेख म उ ह एकब हन एक अ तीय ा ण और ख टया दपा
मनमदा
य के अहंक ार और गव को न करने वाला के
प म भी व णत
कया गया है।
उ ह ने काल म बौ
भ ु
महासां घक को भू म दान क
काल शलालेख म
आधु नक पुण े महारा के पास कर जका गांव के अनुदान का उ लेख है और
ना सक म जैसा क गौतमीपु के शासनकाल के
व वष म ना सक शलालेख म
है जसम उ लेख है क भू म का यह टु क ड़ा पहले नहपान के दामाद उषावदता
के क जे म था ।
उ ह ने राजराजा और महाराजा क उपा ध धारण क ।
अपने शासनकाल के बाद क अव ध म उ ह ने संभवतः प
क कदमका रेख ा के लए व जत
ारता दे श म से कु छ को खो दया जैसा क
दामन थम के जूनागढ़ शलालेख म
व श पु पुलुमयी सी.
मी भारत के शक
है।
सीई
उसके स के आं के व भ भाग म पाए जाते ह।
प
कु छ
मी भारत के शक
े
प ने संभवतः पूव म उसक
को पुनः ा त कर लया ।
जूनागढ़ अ भलेख के अनुसार उसने ववाह कया था
तता
के कारण अपने
प
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दमन थम क पु ी
व स पु
य
ी पुलम व के सीसे के स के पर जहाज
ी सतकण सी।
बाद के राजा
ा त कया ।
सीई
म से एक जसने शक शासक से उ री क कण और मालवा को पुनः
ापार और नौप रवहन का ेमी जैसा क उसके स क पर जहाज क आकृ त से
होता है।
य
ी सातकण के उ रा धका रय म गौतमीपु
शातकण चंदा सातकण व श पु
वजया शा मल थे
वजया सातकण पुलुमावी और हला शायद पं
राजा एक महान क व भी ह ज ह ने गाथा स साई को लखा है जो
है
कामुक क वता
म
व
का सं ह
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महारा ी ाकृ त बोली म । तीसरी शता द के म य म सातवाहन वंश का अंत हो गया और उनके
पर व भ सेनाएँ स ा म आ
इ वाकु मु य शासक के
ान
द कन म वाकाटक मैसूर म कदं ब महारा म आभीर और आं म
प म उभरे। .
सातवाहन के मह वपूण पहलू
राजनी त और शासन
सातवाहन राजा को धम के धारक के
प म दशाया गया था और वह आम तौर पर धमशा
म नधा रत
शाही और दै वीय आदश के लए यासरत था। राज व म दे व व का गुण गान करने के लए अ धकांश
राजा
को अलौ कक श
धारक के
पम
य और पौरा णक नायक जैसे राम अजुन भीम और इसी तरह के गुण के
तुत कया गया था। सातवाहन ने अशोक के समय क कु छ शास नक इकाइय को
बनाए रखा । रा य को उप वभाजन म वभा जत कया गया था ज ह अहार या रा कहा जाता था
जसका अथ है जले। अमा य महामा नामक अ धकारी भी थे जो शायद राजा के मं ी या सलाहकार थे।
ले कन मौय काल के वपरीत सातवाहन के
शासन म कु छ सै य और सामंती वशेषताएँ पाई जाती ह।
उदाहरण के लए सेनाप त को ांतीय गवनर नयु
कया गया था । यह संभवतः उन जनजातीय लोग को
रखने के लए कया गया था जो मजबूत सै य नयं ण के तहत पूरी तरह से ा णीकृ त नह थे। शासन
का सबसे नचला तर एक ाम गाँव था जो एक गौ मका ाम धान के अधीन था जो नौ रथ नौ
हा थय
घोड़ और
पैदल सै नक वाली एक सै य रे जमट का मुख भी था। सातवाहन का सै य
च र उनके शलालेख म कटक और कं धवार जैसे श द के उपयोग से भी
राजा से जुड़े सै य श वर और ब तय को दशाता है और शास नक क
होता है जो एक वशेष
के
प म भी काय करता है।
सातवाहन सा ा य म सामंत के तीन वग थे राजा जनके पास स क पर हार करने का अ धकार था
एक।
बी।
सी।
महाभोज सेनाप त
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राज व नकद और व तु दोन
और ा ण को कर मु
प म एक
कया जाता था। धा मक यो यता हा सल करने के लए बौ
भू म अनुदान दे ने वाले भारतीय इ तहास म सातवाहन राजा पहले थे । यह था
बाद के काल म और अ धक मुख हो गई।
भौ तक सं कृ त
जस कार सातवाहन ने उ र और द
भौ तक सं कृ त
ण भारत के बीच एक सेतु का काम कया उसी कार उनक
ानीय द कन त व के साथ साथ उ री अवयव का भी म ण थी। उ र के साथ
संपक के मा यम से द कन के लोग ने स क प क
सीखा। आग से पक
ट
रग वेल लखने क कला आ द का उपयोग
ट का नय मत उपयोग और सपाट छ त छत टाइल का उपयोग होता था जो
नमाण क लंबी उ म सहायता करते थे। उदाहरण के लए करीमनगर म ट क
ना लयां ढक
ई थ और अप श जल को सो ता ग
द वार मली ह।
म ले जाने के लए भू मगत भी थ । वे लोहे और
कृ ष के उपयोग से भी भलीभां त प र चत थे। उ ह ने संभवतः द कन के समृ ख नज संसाधन जैसे
करीमनगर और वारंगल से लौह अय क और कोलार े से सोने का दोहन कया। कु षाण के सोने के
स क के वपरीत उ ह ने तांबे और कां य के स क के अलावा यादातर सीसे के स के जो वे शायद
रोमन से आयात कए थे जारी कए । द कन ने एक ब त उ त ामीण अथ व
धान क रोपाई क कला और वशेष
प से कृ णा और न दय के संगम पर
त
ा वक सत क । लोग
े के बारे म जानते थे
गोदावरी ने चावल का एक बड़ा कटोरा बनाया। सातवाहन भी कपास का उ पादन करते थे और व भ
वदे शी खात म आं अपने कपास उ पाद के लए
स
था।
सामा जक संगठन
चूँ क आ
क पहचान ारं भक सातवाहन से क जाती है वे संभवतः एक
जो धीरे धीरे ा णीकृ त हो गए थे। सातवाहन राजा
कया और वण
व
जैसे गौतमीपु सातकण ने ा ण होने का दावा
ा को बनाए रखना अपना ाथ मक कत
सामा जक संरचना का चार गुना वभाजन। राजा
ानीय द कन जनजा त थे
माना यानी जा त ारा नधा रत
और रा नय ने वै दक य
कए और पूज ा क
Machine Translated by Google
कृ ण और वासुदेव जैसे वै णव दे वता। य
बौ
आं
भ ु
वशेष
प से महायान बौ
प उ ह ने ा ण को उदारतापूवक य शु क दया उ ह ने
को भू म दे क र बौ
धम को बढ़ावा दया ।
दे श म नागाजुनक डा और अमरावती और महारा के ना सक और जुनार
उनके उ रा धकारी इ वाकु
वा ण य के कारण
के अधीन मह वपूण बौ
े सातवाहन और
ल बन गए । फलते फू लते
ापार और
ापा रय और कारीगर ने एक मह वपूण सामा जक तर का गठन कया।
आमतौर पर अपना नाम उन शहर के नाम पर रखते थे जनसे वे संबं धत थे। कारीगर और
दोन ने बौ
ापारी
ापा रय
धम के लए उदार दान दया।
नागाजुनक डा बु
उपदे श
य
वा तुक ला
सातवाहन चरण के दौरान उ र प
मी डे कन या महारा म बड़ी सट कता और कौशल के साथ कई
चै य प व मं दर और वहार मठ को ठोस च ान से काटकर बनाया गया था। प
मी द कन म
काल चै य इसी युग से संबं धत है । नाहपाना और गौतमीपु सातकण के ना सक शलालेख जो तीन
वहार क द वार पर ह इस अव ध से संबं धत एक अ य मह वपूण
ाप य
ल है। सातवाहन क
आ धका रक भाषा ाकृ त थी हालाँ क ल प ा ी थी । एक स
ाकृ त पाठ गाथास सई को
हल नामक एक सातवाहन राजा के लए ज मेदार ठहराया गया है जसम ाकृ त म लखे गए सभी
छं द शा मल ह।
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चै य एट काल
क लग का ारं भक रा य
यह सव व दत है क द खन और साथ ही पूव भारत अशोक के सा ा य के ह से थे। उसने एक हसक
यु
के मा यम से क लग पर वजय ा त क थी जसम भारी जन और संप
अशोक के बाद क लग चे द वंश के राजा
का नुक सान आ था।
के अधीन मुख हो गया ।
भा य से खारवेल को छोड़कर राजवंश के राजा
के बारे म अ धक जानकारी उपल
नह है जो
शायद पहली शता द ईसा पूव म रहते थे ।
उनक उपल
य को उड़ीसा म भुवने र के पास उदय गरी पहा ड़य म
कया गया है
जसे हाथीगु
ा शलालेख के
त एक शलालेख म दज
प म जाना जाता है।
राजा खारवेल सी। पहली शता द ईसा पूव
संभवतः क लग के महामेघवाहन के थे।
ऐसा तीत होता है क क लग को मौय से छ न लया और राजा
वतं पं
क लग के चे डस चेतीस क
ापना क ।
क एक
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