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Mann Ki Shakti (Psycho Cybernetics) Hindi LifeFeeling

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Hindi translation of
The New Psycho-Cybernatics by Maxwell Maltz, M.D., F.I.C.S
All rights reserved including the right of reproduction
in whole or in part in any form.
This edition published by arrangement with Prentice Hall Press ,
a member of Penguin Group (USA) Inc.
First published in Great Britain 2002 by Souvenir Press Ltd.,
43 Great Russell Street, London WClB 3PD
The right of Maxwell Maltz to be identified as the author of this work has been
asserted by him in accordance with the Copyright,
Designs and Patents Act 1988.
The New Psycho-Cybernetics; the original science of self-improvement
and success that has changed the lives of 30 million people/
by Maxwell Maltz; edited and updated by Dan S. Kennedy
and the Psycho-Cybernatics Foundations, Inc.
This edition first published in 2014
Third impression 2016
ISBN 978-81-8322-388-1
Translation by Dr. Sudhir Dixit
All rights reserved. No part of this publication may be reproduced, stored in or
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(electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise) without the prior
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and civil claims for damages.
आप जीवन म जो भी चाहते ह, अगर आप उन सारी चीज़ को हा सल नह
कर पा रहे ह, तो शायद इसक एक वजह है। वजह यह है िक आपके ल य
आपक आ म—छिव तक सही तरीक़े से पहुँच नह रहे ह या आपक आ म
—छिव उसे वीकार नह कर रही है, और आपके सव —मेकेिन म का
उपयोग कम हो रहा है या वह िन य है। *
डॉ. मै सवेल मॉ ज़ का देहांत 1975 म ही हो गया था, लेिकन वे 2001 म
लखी इस पु तक के मूल लेखक ह। इसम उनका योगदान बहुत सि य
और जीवंत है। उ ह ने मूल साइको साइबरनेिट स लखी थी, जस पर यह
नया सं करण आधा रत है। इसके अलावा, उ ह ने यापक शोध और
लेखन काय िकया। अपनी मृ यु तक वे एक दजन से अ धक पु तक लख
चुके थे और साइको साइबरनेिट स के िव भ पहलुओ ं पर अ ययन के
तीन पूण पा
म तैयार कर चुके थे। उनक मृ यु के समय उनके पास
परामश स के नो स, सा ा कार , भाषण , रे डयो सारण आिद के
हज़ार अ का शत प े रखे थे। यह सारी साम ी एक कं यट
ू र म सुर त
थी, जसे सावधानी से यव थत िकया गया था, तािक डॉ. मॉ ज़ आज
भी नई पु तक म योगदान दे सक। हालाँिक इस पु तक म ी कैनेडी का
योगदान भी है जो दिु वधा और शोर-शराबे से बचने के लए है, लेिकन इस
पु तक क हर बात एक ही यि क आवाज़ म ह - डॉ. मॉ ज़ क । इसे
पढ़कर ऐसा लगता है, मानो डॉ. मॉ ज़ ने इसे आज ही लखा हो, शु से
आ ख़र तक। हम यक़ न है िक यिद डॉ. मॉ ज़ जीिवत होते, तो उ ह इस
पु तक पर गव होता और आपको भी इससे अ य धक लाभ होगा।
* हो सकता है िक यह कथन आपको बकवास या जिटल लगे। बहरहाल,
इस पु तक को बस एक बार पढ़ने के बाद ही आप पूरी तरह समझ जाएँ गे
िक इस कथन म ही समूची यि गत सफलता क “मा टर चाबी” छपी
हुई है, जससे आप जीवन के िकसी भी े - यि गत, वा य, संबध
ं ,
क रयर/िबज़नेस या आ थक - म मनचाहे प रणाम ा कर सकते ह और
अपने दशन म सुधार कर सकते ह।
िवषय–सूची
तावना
अ याय एक
आ म–छिव : सीमारिहत जीवन क कंु जी
अ याय दो
अपने भीतर के वच लत सफलता मेकेिन म को कैसे जा त कर
अ याय तीन
क पना : आपके वच लत सफलता मेकेिन म को चालू करने वाली चाबी
अ याय चार
झूठे िव ास के स मोहन को कैसे तोड़
अ याय पाँच
ता कक सोच क शि
के सहारे कैसे सफल ह
अ याय छह
िकस तरह शांत बने रह और अपने वच लत सफलता मेकेिन म को अपने
लए काय करने द
अ याय सात
आप ख़ुशी क आदत डाल सकते ह
अ याय आठ
“सफल” यि
व के गुण और उ ह कैसे हा सल िकया जाए
अ याय नौ
अपने वच लत असफलता मेकेिन म को संयोगवश सि य करने से कैसे
बच
अ याय दस
भावना मक िनशान कैसे हटाएँ और भावना मक सुंदरता कैसे पाएँ
अ याय यारह
अपने स े यि
व का ताला कैसे खोल
अ याय बारह
वयं-आज़माकर-देखने वाले ऐसे तनावनाशक, जो मान सक शां त लाते ह
अ याय तेरह
संकट को सृजना मक अवसर म कैसे बदल
अ याय चोदह
“उस िवजेता भावना” को कैसे पाएँ और क़ायम रख
अ याय पं ह
जीवन म अ धक वष और वष म अ धक जीवन
अ याय सोलह
साइको साइबरनेिट स के इ तेमाल से बदली ज़दिगय क स ी कहािनयाँ
श दावली
लेखक के बारे म
आभार
साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के सं थापक व बोड के सद य :
िव लयम ु स
मैट ई ी
जेफ़ पॉल
फ़ाउं डेशन के प र मी लटररी एजट जेफ़ हमन तथा िटस हॉल ेस क
यूजीन ि सी और एलन ाइड कोलमैन, ज ह ने डॉ. मॉ ज़ क पु तक
को “नवचेतना” दान करने म उ साहपूवक सतत समथन िदया।
तावना
मॉ ज़ क मूल साइको साइबरनेिट स के काशन क
व ष40व2000वषगाँम डॉ.
ठ थी। िव भ सं करण म इस पु तक क 3 करोड़ से भी
अ धक तयाँ पूरे संसार म िबक चुक ह। इस पु तक के आधार पर
यि य , कंपिनय , से स संगठन , यहाँ तक िक खेल जगत क टीम के
लए भी कई ऑ डयो ो ा स तैयार िकए गए ह। िमसाल के तौर पर, 2000
के ओ लिप स म अमे रक अ ारोही टीम क कोच ने साइको
साइबरनेिट स तकनीक का इ तेमाल िकया, जैसा िक वे कई वष से
दस
ू री टीम के साथ करती आ रही थ ।
कई मायन म, साइको साइबरनेिट स ही आ म-सुधार का मूल
िव ान है। म यह बात तीन ख़ास कारण से कहता हूँ :
पहला कारण, डॉ. मॉ ज़ ही वे पहले शोधकता और लेखक थे,
ज ह ने इस बात को समझा और समझाया िक आ म-छिव (अवचेतन मन
के भीतर क िन त ि याओं के लए उ ह ने इस श द का इ तेमाल
िकया तथा इसे लोकि य िकया) इंसान के िकसी ल य को पाने या न पाने
क यो यता पर कैसे पूरा िनयं ण रखती है।
दस
ू रा कारण, इस पु तक के काशन के बाद से आ म-सुधार के बारे
म लखी, कही, रकॉड क हुई या सखाई गई हर चीज़ पर इस पु तक का
भाव पड़ा है। 1960 के बाद से आज तक लखी गई सफलता या आ मसुधार क कोई भी पु तक उठाकर देख ल। हर पु तक म आपको आ मछिव का िज़ िमलेगा या इसे बेहतर बनाने या इसका बंधन करने क
तकनीक शािमल ह गी - ख़ास तौर पर मान सक त वीर बनाना, मान सक
अ यास और िव ाम। इससे आपको एहसास हो जाएगा िक मॉ ज़ क
पु तक आज भी िकतनी मह वपूण है। खेल मनोिव ान का “िव ान”
तुलना मक प से नया है, जस पर पेशेवर गो फ़ खलाड़ी, खेल
फ़चाइज़ी, कोच और ओ लिपयंस बहुत िव ास करते ह। खेल मनोिव ान
दरअसल साइको साइबरनेिट स का बहुत ऋणी है और कभी-कभार इसे
वीकार भी िकया जाता है।
तीसरा कारण, साइको साइबरनेिट स सफलता के बारे म कोरा
दाशिनक चतन नह है। दरअसल यह वै ािनक है : यह करने के लए
( सफ़ सोचने के लए ही नह ) यावहा रक तकनीक सुझाता है, जनसे मापे
जा सकने वाले प रणाम िमलते ह। साइको साइबरनेिट स के बारे म अनूठी
बात यह है िक इसक तकनीक मु कल काय को आसान बना देती ह।
सं ेप म, चाहे आप वज़न कम करना या कम ही रखना चाहते ह ,
अपने गो फ़ के कोर को बेहतर बनाना चाहते ह , िब ी म अपनी आमदनी
दोगुनी करना चाहते ह , आ मिव ास से भरे सावजिनक व ा बनना चाहते
ह , महान उप यास लखना चाहते ह या कोई भी अ य ल य हा सल
करना चाहते ह , सफल होने के लए आपको साइको साइबरनेिट स
तकनीक का इ तेमाल करना होगा, या तो सीधे डॉ. मॉ ज़ क पु तक
से या उनके काय ारा भािवत िकसी अ य ोत से। अगर आप इस
पु तक को पढ़ते ह, तो यह जान ल िक आप थम और अब भी अ णी
ोत से यह ान हा सल कर रहे ह।
मह वपूण बात यह है िक मूल साइको साइबरनेिट स पु तक का बहुत
कम चार या माक टग हुई, लेिकन इसके बावजूद यह इतनी लंबी अव ध
तक सफल हुई और अपने े म ा सक पु तक का दजा हा सल कर
चुक है। दस, बीस या तीस साल पहले क तरह ही आज भी से स मैनेजर
नए सद य से, कोच खलािड़य से और परामशदाता ाएं स से कहते ह :
जाकर यह पु तक पढ़ो।
अब म इस कालजयी पु तक को अपडेट करने का द:ु साहस कर रहा
हूँ। इसम मेरा ाथिमक उ े य यह रहा है िक अ धका धक मूल साम ी को
सुर त रखा जाए। दरअसल, अ धकतर जानकारी बदली भी नह है। इसे
वतमान यगु के अनु प बनाने के लए भाषा या उदाहरण के संदभ म कुछ
छुटपुट बदलाव िकए गए ह। डॉ. मॉ ज़ क अ य पु तक के साथ इसे
एक कृत करने के लए मने इसम अपने अवलोकन और सबक़ जोड़ िदए ह,
जो साइको साइबरनेिट स तकनीक को लंबे समय तक सखाने के दौरान
मुझे िमले। इसके अलावा, इन तकनीक के वणन म दस
ू री पु तक म तथा
अ या सय ारा बताए गए उदाहरण व कहािनय का समावेश भी िकया
गया है। इस पूरी ि या म मने मॉ ज़ क मूल आवाज़ को क़ायम रखने
क को शश क है। 1960 के बाद के वष म डॉ. मॉ ज़ और उनका
अनुसरण करने वाल ने साइको साइबरनेिट स के स ांत व
अवधारणाओं को वा तिवक, यावहा रक “मान सक श ण अ यास ” म
बदलने पर ज़ोर िदया था तथा मने इनम से कई को शािमल िकया है। कुल
िमलाकर देखा जाए, तो यह आज तक का शत होने वाली सवा धक
पूण साइको साइबरनेिट स पु तक है।
* * *
साइको साइबरनेिट स के साथ मेरे अनुभव बचपन म शु हुए, जब
मने इसका इ तेमाल करके हकलाने क हठी, थोड़ी गंभीर सम या को
जीता। बाद म मने पेशेवर व ा के प म 20 वष के क रयर का आनंद
लया। हा लया वष म मने 35,000 ोताओं को एक साथ संबो धत िकया
है। कुल िमलाकर, साल भर म म दो लाख लोग को संबो धत करता हूँ।
वय क जीवन म मने इन तकनीक का बार-बार इ तेमाल िकया, तािक
अपनी िब ी, परामश और यावसा यक ग तिव धय म मदद िमले तथा मेरे
लेखन काय म भी - नौ का शत पु तक, एक मा सक यूज़लेटर, 50 से
अ धक ऑ डयो ो ा स और िव ापन कॉपीराइटर के प म, जो मेरा मूल
पेशा है।
िमसाल के तौर पर, साइको साइबरनेिट स का इ तेमाल करते हुए म
रात को सोने या झपक लेने से पहले अपने अवचेतन मन को कुछ िन त
िनदश दे देता हूँ, तािक यह िकसी लेखन काय म जुट जाए। जागने पर म
अपनी अँगु लयाँ क बोड पर रखता हूँ और मेरे सोने के दौरान अवचेतन ने
जो लखा था, उसे “डाउनलोड” कर लेता हूँ या उसे काग़ज़ पर उतार
लेता हूँ। कुछ समय पहले म एक घोड़ागाड़ी पर चढ़ा और हारनेस रे सग
डाइवर बन गया (46 वष क उ म)। ज़ािहर है, इसम मने साइको
साइबरनेिट स का बहुत इ तेमाल िकया।
अपने कारोबारी जीवन म मने कई करोड़प त-अरबप त उ िमय के
साथ काय िकया है। इनम से कुछ ग़रीबी से ऊपर उठे थे या उ ह ने
आ थक िवप य से उबरे थे या शू य से शु आत करके सा ा य बनाए
थे। उनम से अ धकतर इन तकनीक का इ तेमाल करते ह। कई इसके
लए सीधे डॉ. मॉ ज़ को ेय देते ह, जैसा िक म भी देता हूँ।
1980 के दशक के अंत म मने लेखक, संपादक और काशक के प
म साइको साइबरनेिट स के साथ सीधे काय करना शु िकया। उस व त
म डॉ. मॉ ज़ क प नी ऐन मॉ ज़ और उनसे संब एक िव िव ालय
के साथ काय कर रहा था, तािक डॉ. मॉ ज़ के या यान , रे डयो
सारण और सा ा कार के आधार पर ऑ डयो टे स का एक सं ह तैयार
कर सकँू । इसके बाद म साइको साइबरनेिट स पर से सपीपल के लए
लखी पहली पु तक से सीधे जुड़ा, जसका शीषक है ज़ीरो रिज़ टस
से लग । इसके अलावा, एक ऑ डयो ो ाम द यू साइको साइबरनेिट स,
बुक-ऑन-टेप ो ाम, 12 स ाह का होम टडी कोस और एक मा सक
यज़
ू लेटर। साथ ही, कुछ पेश , उ ोग , कपिनय और अंतरा ीय अनुवाद
के लए मने इन काय म के िवशेष सं करण भी तैयार िकए।
मु े क बात यह है िक म जीवन भर साइको साइबरनेिट स से जुड़ा
रहा हूँ, मने इसक तकनीक को हमेशा आज़माया है और उनसे लाभ
उठाया है। एक बार ऐन मॉ ज़ ने मुझे बताया था िक साइको
साइबरनेिट स पर मेरी लखी बात और उनके वग य प त क लखी
बात म अंतर पहचानने म उ ह काफ़ मु कल आई। यह एक बहुत बड़ी
शंसा है। काश उनक बात सही हो और मूल पु तक का िव तृत तथा
बेहतर सं करण आप तक एक ही आवाज़ - डॉ. मॉ ज़ क - म पहुँचे,
मानो इसे उ ह ने ख़ुद तैयार िकया हो।
यिद आप िट प णयाँ करना चाह, तो 602-269-3113 पर फ़ै स कर
या The Psycho-Cybernetics Foundation, 5818 N. 7 th Street,
Suite #103, Phoenix, AZ 85014 पर डाक से प भेज। अगर आप
फ़ाउं डेशन के यूज़लेटस के िपछले अंक पढ़ना चाह, तो आप
www.psycho-cybernetics.com पर ऐसा कर सकते ह।
मुझे सचमुच यक़ न है िक इस व त आपके हाथ म आ मसुधार और
ल य हा सल करने के सबसे शि शाली औज़ार म से एक है, जो कह भी,
कभी भी, िकसी भी क़ मत पर उपल ध रहा है। यह मेरा सौभा य है िक इसे
आप तक पहुँचाने म मने अपनी छोटी सी भूिमका िनभाई।
डैन एस. कैनेडी
अ याय एक
आ म–छिव : सीमारिहत जीवन क
कंु जी
उन लोग क सवा िकसी ने भी कभी कोई बेहतरीन चीज़ हा सल नह क ,
ज ह ने यह िव ास करने क िह मत क िक उनक भीतर क कोई चीज़
प र थ तय से े थी।
- ूस बाटन
े दशक के उ राध म मनोिव ान म एक ां त शु हुई,
1960 कजसका
िव फोट 1970 के दशक म हुआ। जब मने 1960 म
साइबरनेिट स का पहला सं करण लखा था, उस व त म मनोिव ान,
मनोिव ेषण और चिक सा के े म एक िवराट प रवतन के दौरान सबसे
आगे क क़तार म था। रोग-िवषयक मनोवै ािनक, अ यासी मनोिव ेषक
और यहाँ तक िक मेरे जैसे तथाक थत “ ला टक सज स” के काय और
खोज से “से फ़” संबध
ं ी नए स ांत तथा अवधारणाएँ सामने आ रही थ ।
इन खोज से िवक सत हुई नई िव धय के फल व प यि व, वा य
और बुिनयादी यो यताओं व गुण म भी नाटक य प रवतन हुए। जो लोग
लंबे समय से असफल होते आ रहे थे, वे सफल होने लगे। श क क
अ त र मदद के िबना ही “एफ़” ेड वाले िव ाथ “ए” ेड वाले बन गए।
संकोची, एकांति य और अंतमुखी लोग ख़ुश तथा बिहमुखी बन गए। उस
व त कॉ मोपॉ लटन मै ज़ीन के जनवरी 1959 अंक म मेरा उ रण िदया
गया, जसम टी. एफ़. जे स ने िव भ मनोवै ािनक और एमडी ारा
हा सल प रणाम का सार इस तरह िदया :
से फ़ या वा तिवक व प के मनोिव ान को समझने से जीवन म
सफलता और असफलता, ेम और नफ़रत, कटु ता और ख़ुशी के बीच का
फ़क़ पड़ सकता है। स े व प को खोजने से टू टता वैवािहक जीवन बच
सकता है, गड़बड़ाता क रयर द ु त हो सकता है और “ यि व क
असफलताओं” के शकार लोग का कायाक प हो सकता है। यिद आप
अपने स े व प को खोज लेते ह, तो एक अ य धरातल पर,
और वतं ता के बीच फ़क़ पड़ सकता है।
िढ़वािदता
बाद के चार दशक म जो सामने आया, यह उसक सफ़ छोटी सी
झलक थी।
जब साइको साइबरनेिट स पहली बार का शत हुई थी, तब के
हालात पर ग़ौर कर। अगर आप इस पु तक को ख़रीदने के लए बुक टोर
जाते, तो यह आपको िकसी ग़ुमनाम शे फ़ पर रखी िमलती, जस पर यही
कोई एक दजन तथाक थत “से फ़-हे प” पु तक रखी होत । ज़ािहर है,
आज “से फ़-हे प” का खंड पूरे बुक टोर के सबसे बड़े खंड म से एक
होता है। मनोवै ािनक , मनोिव ेषक और मनो चिक सक क सं या म
भारी बढ़ोतरी हुई है। खेल मनोवै ािनक और कॉप रेट दशन से जुड़े कोच
जैसे नए िवशेष सामने आए ह। और इस संबध
ं म मदद खोजने का कलंक
अब इस हद तक ग़ायब हो गया है िक कुछ दायर म तो ऐसा करना
फ़ैशनेबल तक माना जाता है। से फ़-हे प मनोिव ान इतना लोकि य हो
चुका है िक इसे टेलीिवज़न के सूचना िव ापन म भी जगह िमल गई है!
कभी मु कल, अब आसान!
म कृत हूँ िक िवचार , जानकारी और लोग का यह आधुिनक िव फोट
साइको साइबरनेिट स पर आधा रत नज़र आता है, जसक सहायता से
आप िकसी भी े म सफलता पा सकते ह, चाहे यह टालमटोल क आदत
पर िवजय पाना हो या अपने गो फ़ कोर को बेहतर बनाना हो। आप कह
सकते ह िक मेरा मूल काय अपने समय से आगे था या आप यह कह सकते
ह िक यह अ छी तरह से लंबी अव ध तक सफल हुआ है। आप इनम से
चाहे जस नतीजे पर पहुँच, आपके लए यि गत प से सबसे मह वपूण
बात यह है िक साइको साइबरनेिट स का बुिनयादी वादा िबना िकसी शक
या बहस के स य सािबत हुआ है - यह वादा है, “कभी मु कल, अब
आसान।” इस व त आपके लए जो भी मु कल है, यह पु तक पढ़ने के
लए आप जस भी वजह से े रत हुए ह , उसे मु कल से आसान काय म
बदला जा सकता है। इसके लए बस इतना ज़ री है िक कुछ पु ता
मनोवै ािनक अवधारणाओं का इ तेमाल िकया जाए, कुछ मान सक
श ण तकनीक का सहारा लया जाए, ज ह समझना व जनम िनपुण
बनना आसान होता है और कुछ यावहा रक क़दम उठाए जाएँ ।
ो
ी
आपका गोपनीय लू ट
मेरा दावा है िक आ म-छिव क खोज आधुिनक समय क सबसे मह वपूण
मनोवै ािनक खोज है। अपनी आ म-छिव को समझकर और अपने ल य
के अनुसार इसम बदलाव करना सीखकर आप अिव सनीय आ मिव ास
तथा शि हा सल कर लेते ह।
चाहे आपको इस बात का एहसास हो या न हो, हमम से येक के
भीतर ख़ुद का एक मान सक लू ट या त वीर रहती है। हो सकता है िक
यह हमारी चेतन िनगाह के सामने धुँधली और बुरी तरह प रभािषत हो।
दरअसल, यह भी हो सकता है िक हम इसे चेतन प से पहचानते ही न ह ।
लेिकन यह वहाँ हमेशा रहती है, जसम छोटे से छोटा िववरण भी शािमल
होता है। यह आ म-छिव हमारी अवधारणा है, “म िकस तरह का इंसान
हूँ?” यह ख़ुद के बारे म हमारे िव ास से बनती है। अपने बारे म हमारे जो
िव ास होते ह, उनम से अ धकतर हमारे िपछले अनुभव , अपनी
सफलताओं और असफलताओं, अपने अपमान, अपनी िवजय के आधार
पर बनते ह। और हम पर लोग क ति या के आधार पर भी, ख़ास तौर
पर हमारे बचपन म। इन सारी चीज़ से हम अपने मन म व प (या इसक
त वीर) का िनमाण कर लेते ह। एक बार जब हमारे बारे म कोई िवचार या
िव ास इस त वीर म शािमल हो जाता है, तो यह हमारे लए “स य” बन
जाता है। हम इसक वैधता पर सवाल नह करते ह, ब क इस सच
मानकर काय करते ह।
िफर आ म-छिव इसे िनयंि त करती है िक आप या हा सल कर सकते ह
और या नह , आपके लए या मु कल है और या सरल, यहाँ तक िक
आप पर दस
ू र क ति या भी इसके िनयं ण म होती है। यह उतनी ही
िन तता और वै ािनक तरीक़े से यह काय करती है, जस तरह थमॉ टेट
आपके घर के तापमान को िनयंि त करता है।
ख़ास तौर पर, आपके सारे काय, भावनाएँ , यवहार, यहाँ तक िक
आपक यो यताएँ भी हमेशा इस आ म-छिव के अनु प होती ह। “हमेशा”
श द पर ग़ौर कर। सं ेप म, आप ख़ुद को जैसा इंसान मानते ह, आप उसी
इंसान “क तरह काय करते ह।” इससे भी अ धक मह वपूण यह है िक
आप अपने तमाम सचेतन यास या इ छाशि के बावजूद इसके िवपरीत
काय नह कर सकते। (इसी लए दाँत भ चकर िकसी मु कल चीज़ को
हा सल करने का यास हारा हुआ यु होता है। इ छाशि
आ म-छिव का बंधन जवाब है।)
जवाब नह है।
पलटकर लौटने का भाव
जस यि क आ म-छिव “मोटी” होती है - जसक आ म-छिव दावा
करती है िक इसे “मीठे से ेम” है, िक यह “जंक फ़ूड” का तरोध कर ही
नह सकता, जो यायाम करने के लए समय िनकाल ही नह सकता उसका वज़न कम नह हो पाएगा और अगर िकसी तरह कम हो भी जाए, तो
वह उसे कम बनाए नह रख पाएगा, चाहे वह इस आ म-छिव के िवरोध म
चेतन प से िकतनी ही को शश य न कर ले। आप अपनी आ म-छिव से
लंबे समय तक पलायन नह कर सकते, इससे भ
दशन नह कर
सकते। अगर आप कुछ समय के लए बच भी जाएँ , तो आपको “दोबारा
ख च लया जाएगा,” उस रबर बड क तरह, जो दो अँगु लय के बीच तना
रहता है और िफर एक ओर से छूटकर ढीला हो जाता है।
जो यि ख़ुद को “असफल िक़ म का इंसान” मानता है, वह अपने
तमाम अ छे इराद और इ छाशि के बावजूद असफल होने का कोई न
कोई तरीक़ा खोज ही लेगा, भले ही अवसर आकर उसक गोद म टपक
जाए। जो यि ख़ुद को अ याय का शकार मानता है, जसका “ज म ही
क उठाने के लए हुआ है,” वह हमेशा अपनी राय को स य मा णत करने
वाली प र थ तयाँ खोज लेगा।
आप कोई भी िवषय ले सकते ह : अपना गो फ़ कोर, से स क रयर,
सावजिनक संभाषण, मोटापा, संबध
ं । हर िवषय पर आपक आ म-छिव का
िनयं ण पूण और यापक होता है। पलटकर लौटने का भाव शा त है।
आ म-छिव मूल “आधार” है। यह वह आधार है, वह न व है, जस पर
आपका पूरा यि व, आपका यवहार और यहाँ तक िक आपक
प र थ तयाँ भी बनती ह। फल व प हमारे अनुभव हमारी आ म-छिवय
को स य मा णत करते ह और इस तरह उ ह सश बनाते ह। इस तरह
से हमारी आ म-छिव के अनु प लाभकारी या हािनकारक च का िनमाण
हो जाता है, जो चलता रहता है।
िमसाल के तौर पर, जो िव ाथ ख़ुद को “एफ़” िक़ म के िव ाथ के
प म देखता है या जो ख़ुद को “ग णत म बु ”ू मानता है, यह बात उसके
रपोट काड म हमेशा स य सािबत होगी। तब उसके पास “सबूत” आ जाता
है। इसी तरह से, एक से स ोफेशनल या उ मी हमेशा पाएगा िक उसके
वा तिवक अनुभव उसक आ म-छिव को सही “सािबत” करते ह। आपके
लए जो भी मु कल है, जीवन म आपको जो भी कंु ठाएँ िमली ह, वे उन
चीज़ को “सािबत” करती ह और शि शाली बनाती ह, जो आपक आ मछिव म उसी तरह गहराई म समाई ह, जैसे िक रकॉड म खचे खाँचे।
इस िन प “सबूत” के कारण हम यह शायद ही कभी लगता है िक
हमारी सम या का कारण हमारी आ म-छिव म िनिहत है या हमारे ख़ुद के
मू यांकन म है। िव ाथ को यह बताकर देख िक यह सफ़ उसक “सोच”
है िक वह अंकग णत म मािहर नह हो सकता। नतीजा : वह आपक
िदमाग़ी हालत पर शक करने लगेगा। उसने को शश क है, बार-बार को शश
क है, लेिकन इसके बावजूद उसका रपोट काड वही पुरानी कहानी बताता
है। से स एजट को बताकर देख िक यह सफ़ एक िवचार है िक वह एक
िन त रा श से यादा नह कमा सकता। नतीजा : वह अपनी ऑडर बुक
िदखाकर आपको ग़लत सािबत कर सकता है। वह अ छी तरह जानता है
िक उसने िकतनी कड़ी को शश क है, लेिकन नाकाम रहा है। बहरहाल,
जैसा हम देखगे, िव ा थय के े स और से सपीपल क आमदनी म
लगभग चम कारी प रवतन हुए ह - जब उ ह अपनी आ म-छिवय को
बदलने के लए े रत िकया गया।
प
प से, यह कहना पया नह है िक “यह सब आपके िदमाग़ म
है।” वा तव म, यह अपमानजनक है। यह समझाना अ धक लाभकारी है
िक यह कुछ अंद नी, संभवतः िवचार के छपे हुए न श पर आधा रत है।
अगर इन न श को बदल िदया जाए, तो आप अपनी मता का अ धक
दोहन करने और बहुत अलग प रणाम हा सल करने के लए वतं हो
जाएँ गे। यह आ म-छिव के बारे म एक ऐसी स ाई बताता है, जो मेरे लए
सबसे मह वपूण है : इसे बदला जा सकता है ।
बहुत सी केस िह टीज़ ने दशाया है िक आ म-छिव िकसी भी उ म
बदली जा सकती है। यह काय बचपन से बुढ़ापे तक कभी भी िकया जा
सकता है। आप िकसी भी समय एक नया, आ यजनक प से भ जीवन
जीना शु कर सकते ह।
संपादक क िट पणी : आ म-छिव कैसे काय करती है, उसका यह एक और
उदाहरण है। एक च बनाएँ िक हम दो बॉ सेस के भीतर रह रहे ह। सबसे
बाहर क लाइन, ठोस लाइन, वा तिवक या यथाथवादी सीमाओं का
तिन ध व करती है। बदओ
ु ं वाली लाइन, जो पहली डॉइंग म व प को
कसकर जकड़े है, ख़ुद क लादी सीमाएँ दशाती है। इन दोन के बीच
आपका वह े है, जसक मता या संभावना का दोहन हो सकता है, पर
नह हुआ। जब आप अपनी आ म-छिव को मु और सश करने के
साधन खोजते ह, तो आप बदओ
ु ं वाली लाइन को ठोस लाइन के क़रीब
खसका देते ह और अपनी स ी मता के अ धक इ तेमाल क अनुम त
देते ह।
बाहर से अंदर नह ,
अंदर से बाहर है सफलता
आदत, यि व या जीवनशैली बदलना िकसी इंसान को मु कल लगता
है, इसका एक कारण यह रहा है िक प रवतन के लगभग सारे यास व प
के क के बजाय इसक प र ध पर िकए जाते ह।
बहुत से मरीज़ ने मुझे इस तरह क बात बताई ह : “अगर आप
“सकारा मक सोच” के बारे म बोल रहे ह, तो म इसे पहले भी आज़मा चुका
हूँ और यह मेरे लए कारगर ही नह है।” बहरहाल, थोड़े से सवाल के बाद
हमेशा यह पता चलता है िक इन लोग ने सकारा मक सोच को या तो
िव श बाहरी प र थ तय पर या िकसी ख़ास आदत या िन त चा रि क
दोष पर (“म वह नौकरी पा लगा।” “म भिव य म अ धक शांत और
तनावरिहत रहूँगा।” “यह यावसा यक उप म मेरे लए सही रहेगा।”
आिद।) लागू िकया या लागू करने का यास िकया। लेिकन उ ह ने व प
संबध
ं ी अपनी सोच बदलने के बारे म कभी सोचा भी नह , जसे ये चीज़
हा सल करनी थ ।
ईसा मसीह ने हम चेतावनी दी थी िक हम िकसी पुराने व म नए व
का टु कड़ा लगाने या पुरानी बोतल म नई शराब रखने क मूखता न कर।
“सकारा मक सोच” को भी पुरानी आ म-छिव के पैबद
ं के प म इ तेमाल
नह िकया जा सकता, कम से कम भावकारी ढंग से। वा तव म, जब तक
आप अपने बारे म नकारा मक अवधारणाएँ रखते ह, तब तक िकसी ख़ास
थ त के बारे म सकारा मक तरीक़े से सोचना असंभव है। बहुत से योग
ने दशाया है िक एक बार जब व प क अवधारणा बदल जाती है, तो
व प क नई अवधारणा के अनु प दस
ू री चीज़ आसानी से और िबना
परेशानी के हा सल हो जाती ह।
िवचार का तं
वग य े कॉट लेक आ म-छिव मनोिव ान के वतक म से एक थे।
उ ह ने एक योग िकया था, जो इस िदशा म सबसे शु आती और िव ास
िदलाने वाले योग म से एक था। लेक ने यि व को िवचार क तं के
प म देखा, जसके सभी िवचार एक-दस
ू रे के साथ सुसंगत होने चािहए।
जो िवचार तं के तालमेल म नह होते, वे अ वीकार कर िदए जाते ह, उन
पर “िव ास नह िकया जाता,” और उन पर काय भी नह िकया जाता। तं
के तालमेल म रहने वाले िवचार को वीकार िकया जाता है। िवचार के
इस तं के क म - वह मु य शला या न व जस पर बाक़ सब बनता है यि क आ म-छिव या अपने बारे म उसक मा यताएँ रहती ह।
लेक एक कूल म श क थे और उनके पास अपनी अवधारणा क
जाँच हज़ार िव ा थय पर करने का अवसर था। उ ह ने अनुमान लगाया
िक अगर िकसी िव ाथ को कोई ख़ास िवषय सीखने म मु कल आती थी,
तो इसका कारण यह हो सकता था िक िव ाथ के ि कोण से इसे
सीखना उसक आ म-छिव के मान से असंगत होगा। बहरहाल, लेक का
मानना था िक अगर िव ाथ को अपनी आ म-प रभाषा बदलने के लए
े रत िकया जा सके, तो उसक सीखने क यो यता भी बदल सकती है।
और यही मा णत भी हुआ। एक िव ाथ ने 100 म से 55 श द क
पे लग ग़लत लखी थी। वह इतने सारे िवषय म अनु ीण हुआ था िक
उसे अनु ीण घोिषत कर िदया गया। लेिकन अगले साल या हुआ? अगले
साल उसने 91 का सामा य औसत बनाया और कूल के सव े पेलस
म से एक बन गया। इसी तरह, ख़राब ेड के कारण एक लड़क को िकसी
कॉलेज से िनकाल िदया गया, जसके बाद वह कोलंिबया म दा ख़ल हुई
और सभी िवषय म “ए” ेड वाली िव ाथ बन गई। एक लड़के को एक
टे टग यूरो ने बताया था िक उसम अँ ेज़ी क कोई यो यता नह थी।
बहरहाल, अगले साल उसने एक सािह यक पुर कार म स मानजनक
उ ेख हा सल कर लया।
इन िव ा थय के साथ सम या यह नह थी िक वे मूख थे या उनम
बुिनयादी यो यताओं का अभाव था। सम या थी अ मता क आ म-छिव
(“मुझम ग णत वाला िदमाग़ नह है”; मेरी पे लग तो थायी प से खराब
है”)। उ ह ने अपनी ग़ल तय और असफलताओं के साथ ख़ुद को “जोड़
लया।” “म इस टे ट म असफल हो गया” (त या मक और वणना मक)
यह कहने के बजाय उ ह ने कहा “म असफल हूँ।” (जो लोग लेक के काय
के संबध
ं म अ धक जानना चाहते ह, वे उनक पु तक : से फ़
क स टसी, अ योरी ऑफ़ पसनै लटी पढ़ सकते ह।)
लेक ने िव ा थय क नाख़ून कुतरने और हकलाने जैसी आदत के
उपचार के लए भी इसी तरीक़े का इ तेमाल िकया।
मेरी ख़ुद क फ़ाइल भी इतनी ही िव सनीय केस िह टीज़ बताती ह।
जो मिहला कभी अजनिबय से इतना डरती थी िक घर से बाहर ही नह
िनकलती थी, वह अब सावजिनक व ा के प म आजीिवका कमाती है।
जस से समैन ने यह सोचकर यागप तैयार कर लया था िक वह
“से लग के लए नह बना था,” छह महीने बाद वह सौ से सपीपल के समूह
म नंबर वन से समैन बन गया। जो पादरी रटायरमट के बारे म सोच रहा
था, य िक हर स ाह एक वचन तैयार करने का दबाव उसे परेशान कर
रहा था, अब वह हर स ाह अपने सा ािहक वचन के अलावा औसतन
तीन “बाहरी या यान” देता है और जानता ही नह है िक उसके शरीर म
कोई नव (नाड़ी) है भी या नह ।
इस िवषय पर डॉ. लेक क ां तकारी सोच उनके अवलोकन से
उ प हुई। मेरे ख़ुद के अवलोकन और िवचार इस पु तक के शु आती
सं करण म य हुए। इसके बाद बहुत सारे प र कृत वै ािनक शोध हुए
और माण िमले ह, जनक बदौलत शै णक मनोवै ािनक समुदाय के
अ धकतर लोग िनयं णकारी आ म-छिव को वीकार करने लगे ह।
िकस कार एक ला टक सजन
आ म-छिव के मनोिव ान म
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िदलच पी लेता है : मेरी कहानी
पहली नज़र म सजरी और मनोिव ान म कोई संबध
ं नज़र नह आता, या
बहुत कम नज़र आता है। बहरहाल, यह एक ला टक सजन ही था,
जसके काय ने सबसे पहले आ म-छिव के अ त व का संकेत िदया और
कुछ
उठाए, जो मह वपूण मनोवै ािनक ान क ओर ले गए।
जब मने कई वष पहले ला टक सजरी का अ यास शु िकया, तो म
चेहरे के िकसी दोष को सुधारने के बाद उस यि के च र और यि व
म होने वाले नाटक य व आक मक प रवतन से हैरान रह जाता था। कई
मामल म शारी रक छिव मंल बदलाव का प रणाम यह होता था िक उस
यि का पूरा यि व ही बदल जाता था और वह एक िबलकुल ही नया
यि नज़र आने लगता था। एक के बाद एक बहुत से करण म मेरे हाथ
क छुरी जाद ू क ऐसी छड़ी बन गई, जो न सफ़ रोिगय के हु लए, ब क
उनके पूरे जीवन का कायाक प कर देती थी। संकोची और गुमसुम रहने
वाले यि साहसी तथा बिहमुखी बन गए। एक “मूख” लड़का चौकस,
तभाशाली िकशोर बन गया और आगे चलकर एक शीष कंपनी म
ए ज़ी यूिटव बना। वह से समैन, जो असफल होने लगा था और जसका
ख़ुद पर से िव ास उठ चुका था, अचानक ही आ मिव ास का मॉडल बन
गया। और शायद सबसे आ यजनक करण उस आदतन “कठोर”
अपराधी का था, जो कभी न सुधरने वाले अपराधी से - जसने बदलने क
कोई इ छा कभी नह िदखाई थी - लगभग रातोरात एक आदश क़ैदी बन
गया, जसने ज़मानत हा सल क और बाद म समाज म िज़ मेदार भूिमका
िनभाई।
लगभग साठ साल पहले मने अपनी पु तक यू फ़सेस - यू यच
ू स
पु तक म कई ऐसी केस िह टीज़ लख । यह पु तक मने आम लोग के
बजाय अपने सा थय के लए लखी थी। इसके और अ णी पि काओं म
ऐसे ही लेख के काशन के बाद अपराध-िवशेष , मनोवै ािनक ,
समाजिव ािनय और मनोिव ेषक ने मुझ पर सवाल क बमबारी कर
दी। उ ह ने ऐसे-ऐसे सवाल पूछे, जनका म जवाब नह दे पाया, लेिकन
उ ह ने मुझसे खोज शु करवा दी। अजीब बात यह है िक मने अपनी
सफलताओं के मुक़ाबले अपनी असफलताओं से भी उतना ही या शायद
अ धक सीखा।
सफलताओं क या या आसान थी। बहुत बड़े कान वाला एक
लड़का था, जसे बताया गया था िक वह एक टै सी जैसा िदखता है,
जसके दोन दरवाज़े खुले ह । जीवन भर उसक ख ी उड़ाई गई थी अ सर ू रता से। दस
ू र के साथ संपक का मतलब था अपमान और दद।
वह सामा जक संपक से य नह बचेगा? वह लोग से य नह डरेगा और
अपने भीतर के खोल म य नह दबु केगा? अपनी बात कहने म बुरी तरह
डरने क वजह से उसे “मूख” माना गया। जब उसके कान के दोष को सही
कर िदया गया, तो यह सब बदल गया। अब चूँिक उसक शम और अपमान
का कारण हटा िदया गया था, इस लए यह वाभािवक ही था िक अब वह
जीवन म एक सामा य भूिमका िनभाए, जैसा िक उसने िकया भी।
या उस से समैन को ल, जो एक कार दघ
ु टना क वजह से चेहरे क
िवकृ त से परेशान था। हर सुबह दाढ़ी बनाते समय वह अपने गाल के
भयंकर िनशान और अपने मुँह क िवकृत ऐंठन को देखता था। जीवन म
पहली बार वह बुरी तरह संकोची हो गया। उसे ख़ुद पर शम आने लगी और
यह महसूस हुआ िक उसका हु लया दस
ू र को घनौना लग रहा होगा। वह
िनशान उसका जुनून बन गया। वह दस
ू रे लोग से “अलग” था। वह
अटकल लगाने लगा िक दस
ू रे उसके बारे म या सोच रहे ह गे। ज द ही
उसक आ म-छिव उसके चेहरे से यादा िवकृत हो गई। उसका ख़ुद पर से
िव ास कम होने लगा। वह कटु और श ुतापूण हो गया। ज द ही उसका
लगभग सारा यान ख़ुद पर कि त हो गया। अब उसका ाथिमक ल य
अपने अहं क र ा करना था। अब उसका ल य ऐसी थ तय से बचना
था, जो उसका अपमान करा सकती थ । यह समझना आसान है िक उसके
चेहरे क िवकृ त को सही करने और “सामा य” चेहरे के दोबारा लौटने से
इस आदमी का पूरा रवैया व ि कोण रातोरात कैसे बदल गया। उसक
ख़ुद के बारे म भावनाएँ भी तुरत
ं ही बदल , जससे उसे अपने काय म
अ धक सफलता िमली।
रह य ने मुझे े रत िकया : अगर मेरी छुरी म जाद ू था, तो जन लोग ने नए
चेहरे हा सल िकए थे, उनम से कुछ का पुराना यि व य नह बदला?
उन अपवाद के बारे म या, वे लोग जो नह बदले? उस डचेस के बारे
म या, जो अपनी नाक पर एक बड़े उभार क वजह से जीवन भर बहुत
शम ली और संकोची रही थी? हालाँिक सजरी ने उसे एक आदश नाक और
सुंदर चेहरा दे िदया, लेिकन इसके बावजूद वह बतख़ के बदसूरत ब े क
तथा उस अवां छत बहन क भूिमका य िनभाती रही, जो िकसी दस
ू रे
इंसान से नज़र नह िमला पाती थी। अगर चिक सक क छुरी म जाद ू था,
तो यह जाद ू डचेस पर य नह चला?
या उन सारे लोग के बारे म या, ज ह ने नए चेहरे तो हा सल िकए,
लेिकन इसके बावजूद यि व पुराना ही रहा? उन लोग क ति या क
या या कैसे क जाए, जो ज़ोर देते ह िक सजरी से उनका हु लया ज़रा भी
नह बदला ? हर ला टक सजन को यह अनुभव होता है और शायद
इससे वह भी उतना ही चकराता होगा, जतना िक म चकराया था। चाहे
हु लए म प रवतन िकतने ही बड़े य न ह , कुछ मरीज़ ज़ोर देकर कहगे िक
“म पहले जैसा ही हूँ - आपने र ी भर भी प रवतन नह िकया।” दे खए,
दरअसल ला टक सजरी के बाद िम , यहाँ तक िक प रवार वाल को भी
उसे पहचानने म मु कल आती होगी, वे उस यि क नई हा सल क गई
“सुंदरता” पर उ सािहत ह गे, लेिकन मरीज़ ख़ुद ज़ोर देकर कहता है िक
वह अपने म कोई सुधार नह देख रहा है या ह का सा ही सुधार देख रहा
है। यह भी हो सकता है िक वह साफ़ इंकार कर दे िक कोई प रवतन हुआ
है। पहले और बाद के फ़ोटो क तुलना से यादा फ़ायदा नह होता, उ टे
इससे श ुता भी उ प हो सकती है। िकसी अजीबोग़रीब मान सक
ग तिव ध क वजह से मरीज़ ता कक अंदाज़ म कहेगा : “ज़ािहर है, म देख
सकता हूँ िक अब मेरी नाक पर उभार नह है - लेिकन मेरी नाक अब भी
वैसी ही िदखती है।” या, “हो सकता है िक दाग़ अब िदख नह रहा हो,
लेिकन वह अब भी वहाँ है।”
िनशान जो शम के बजाय
गव का एहसास कराते ह
मायावी आ म-छिव क तलाश म एक और संकेत यह त य है िक सभी
िनशान या िवकृ तय से शम और अपमान क भावना उ प नह होती।
जब म जमनी म यव
ु ा मे डकल िव ाथ था, तो मने एक िव ाथ को गव से
अपने “तलवार के िनशान” िदखाते हुए देखा था, जैसे िकसी अमे रक ने
स मानजनक तमगा पहन रखा हो। ं यु लड़ने वाले यव
ु क कॉलेज
सोसायटी के उ वग म माने जाते थे, इस लए उसके चेहरे का िनशान एक
तमगा था, जो सािबत करता था िक आप इसके स मािनत सद य ह। इन
लड़क के लए गाल पर एक भयंकर िनशान लगने का कमोबेश वही
मनोवै ािनक असर होता था, जो मेरे से समैन मरीज़ के गाल से िनशान
हटाने का हुआ था। मुझे समझ म आने लगा िक जादईु शि याँ चाकू म नह
थ । एक इंसान पर यह िनशान बना सकता है और दस
ू रे पर िनशान िमटा
सकता है, हालाँिक दोन ही के मनोवै ािनक प रणाम समान रह सकते ह।
का पिनक बदसूरती का रह य
अगर कोई यि िकसी वा तिवक ज मजात दोष का शकार हो, अगर
कोई यि दघ
ु टना क वजह से चेहरे क वा तिवक िवकृ त के कारण क
उठा रहा हो, तो उसके लए ला टक सजरी सचमुच चम कार कर सकती
है। ऐसे संग से यह आसान अवधारणा बनाई जा सकती है िक सारे
मनोरोग , दख
ु , असफलता, डर, तनाव और आ मिव ास के अभाव का
अचूक उपचार यही है िक सारे शारी रक दोष को हटाने के लए पूरे शरीर
क ला टक सजरी करा ली जाए। बहरहाल, अगर यह अवधारणा सही है,
तो िफर सामा य या वीकार करने यो य चेहरे वाले लोग को सारी
मनोवै ािनक कमज़ो रय से मु रहना चािहए। उ ह ख़ुशिमजाज,
स च , आ मिव ासी, तनावरिहत व चतारिहत रहना चािहए।
बहरहाल, हम सभी अ छी तरह जानते ह िक यह सच नह है।
न ही इस अवधारणा से उन लोग क बात प होती ह, जो
कॉ मेिटक सजन के
िनक म आकर माँग करते ह िक िकसी का पिनक
बदसूरती का इलाज करने के लए उनक ला टक सजरी कर दी जाए।
िमसाल के तौर पर, 35 से 45 वष य कुछ मिहलाओं को यह यक़ न हो चुका
है िक वे “बूढ़ी” िदखती ह, हालाँिक उनका हु लया पूरी तरह सामा य और
कई मामल म तो असाधारण प से आकषक भी होता है।
कुछ यव
ु तय को यह यक़ न होता है िक वे बदसूरत ह, सफ़ इस लए,
य िक उनका मुँह, नाक या छाती का नाप वतमान हॉलीवुड सुंदरी, टीन
पॉप टार या उनके कूल क सबसे लोकि य लड़क जैसा नह है। इसी
तरह कुछ पु ष को यह यक़ न होता है िक उनके कान बहुत बड़े ह या नाक
बहुत लंबी है।
इस कार क का पिनक बदसूरती बड़ी ही आम धारणा है। िकशोर
और कॉलेज के िव ा थय से लेकर प रप व ी-पु ष तक के सव बताते
ह िक 70 तशत, 80 तशत, यहाँ तक िक 90 तशत लोग िकसी न
िकसी मायने म अपने हु लए से असंतु ह। अगर “सामा य” या “औसत”
श द का कोई अथ है, तो यह प है िक हमारी 90 तशत जनसं या
हु लए म “असामा य” या “ भ ” या “दोषपूण” नह हो सकती। बहरहाल,
सव ण बताते ह िक हमारी जनसं या का कमोबेश यही
शरीर पर शम करने का कोई कारण खोज लेता है।
तशत अपने
ज़ािहर है, कुछ मामल म, यह असंतुि सृजना मक बन जाती है,
जससे इंसान अपना वज़न कम करने के यास करता है या यायाम करने
के व थ तरीक़ क ओर े रत होता है। कई अ य मौक़ पर आ म-छिव
पर आधा रत बल तबंध क वजह से इस असंतुि से या तो वज़न कम
करने और िफ़टनेस के यास असफल हो जाते ह या िफर लोग बेहद दख
ु ी
हो जाते ह।
ये लोग उसी तरह से ति या करते ह, मानो वे सचमुच िवकृ त के
शकार ह । वे उसी शम को महसूस करते ह। वे वही डर और चताएँ पाल
लेते ह। पूरी तरह “जीने” क उनक मता पर उसी तरह के मनोवै ािनक
अवरोध होते ह, जो उनका रा ता रोक देते ह। उनके “िनशान”, हालाँिक
शारी रक के बजाय मान सक और भावना मक होते ह, लेिकन वे उतने ही
परेशान करने वाले होते ह।
अमीर और शि शाली लोग दख
ु ी य ह?
हॉलीवुड के लोकि य, सफल, दौलतमंद “सुंदर लोग”, करोड़ डॉलर के
अनुबध
ं करने वाले खलाड़ी और बेहद भावशाली व शि शाली यवसायी
या नेता, शराब या नशे के वशीभूत होकर दख
ु द और आ म-िवनाशकारी
काय य करते ह या सावजिनक प से अपमानजनक तथा िवनाशकारी
यवहार य करते ह? आप हर िदन इस तरह क ख़बर पढ़ते ह गे।
“उ ह ने बीएमड यू ख़रीद ली है और उनके पास 30 लाख डॉलर का
िमल वैली हाउस है। लेिकन वे अब भी सुबह जागकर कहते ह, ‘म अपने
बारे म अ छा महसूस नह करता।’” यह डॉ. टीवन गो डबाट नामक
मनोवै ािनक का कथन है, ज ह ने स लकॉन वैली के कई डॉट कॉम और
टेक इंड टी िम लयनेअस का उपचार िकया है, जो “अपा दौलत के
ल ण ” से पीिड़त थे।
दौलत, सफलता, शि और शोहरत ख़ुशी और मान सक शां त क
गारंटी नह ह। ठीक उसी तरह, जस तरह हु लए के िकसी दोष को सजरी
से सुधारना ख़ुशी और मान सक शां त क गारंटी नह है।
आ म—छिव — वा तिवक रह य
आ म-छिव क खोज उन सारी िवसंग तय को प कर देती है, जन पर
हम बातचीत कर रहे ह। यह सामा य घटक है - हमारी सारी केस िह टीज़
म िनधारक त व , असफलताओं का भी और सफलताओं का भी।
रह य यह है : सचमुच जीने के लए, यानी जीवन को ता कक प से
संतुि दायक मानने के लए आपके पास एक यथो चत और यथाथवादी
आ म-छिव होनी चािहए, जसके अनु प आप जी सक। ऐसा होना चािहए
िक आप अपने व प को वीकार कर सक। आपके पास व थ
आ मस मान होना चािहए। आपके पास एक ऐसा व प होना चािहए,
जस पर आप भरोसा कर सक। आपके पास एक ऐसा व प होना चािहए,
जस पर आप श मदा न ह , और जसे छुपाने या ढँ कने के बजाय आप उसे
सृजना मक प से य करने के लए वतं महसूस कर सक। आपको
वयं जान लेना चािहए - अपनी शि य को भी और अपनी कमज़ो रय को
भी - और दोन के संबध
ं म अपने साथ ईमानदार रहना चािहए। आपक
आ म-छिव “ वयं” का ता कक सा य होना चािहए, जो आप वा तव म
ह, न उससे कम, न यादा।
जब यह आ म-छिव पूण और सुर त होती है, तो आप अ छा महसूस
करते ह। जब इस पर जो खम होता है, तो आप तनावपूण और असुर त
महसूस करते ह। जब यह यथो चत होती है, जस पर आप गव कर सकते
ह , तो आप आ मिव ासी महसूस करते ह। आप अपने वा तिवक व प
म रहने और आ म-अ भ यि के लए वतं महसूस करते ह। आप अपने
चरम या शखर पर काय करते ह। जब आ म-छिव शम क व तु होती है,
तो आप इसे य करने के बजाय छुपाने क को शश करते ह। सृजना मक
अ भ यि बा धत हो जाती है। आप श ुतापूण हो जाते ह और आपके
साथ रहना मु कल हो जाता है।
अगर चेहरे के िनशान से आ म-छिव बढ़ती है (जैसा हमने ं यु
करने वाले जमन यव
ु क के मामले म देखा था), तो आ मस मान और
आ मिव ास भी बढ़ जाता है। अगर चेहरे के िनशान से आ म-छिव घटती
है (से समैन के मामले म), तो आ मस मान और आ मिव ास भी घट
जाता है।
मान ल, आप चेहरे क िकसी िवकृ त को ला टक सजरी से ठीक
करवा लेते ह। लेिकन नाटक य मनोवै ािनक प रवतन तभी देखने को
िमलगे, जब िवकृत आ म-छिव म भी उसी के अनु प प रवतन हो। कई बार
सफल सजरी के बाद भी इंसान अपने व प क िवकृत त वीर ही देखता
रहता है, जस तरह शरीर से हाथ या पैर कटने के बरस बाद भी “छाया
अंग” म दद महसूस िकया जा सकता है।
मने एक नया क रयर शु िकया
ये अवलोकन मुझे एक नए क रयर क ओर ले गए। 1945 के आस-पास
मुझे प ा िव ास हो गया िक जो लोग ला टक सजन से परामश लेते ह,
उनम से कुछ को दरअसल सजरी क ज़रा भी ज़ रत नह है और बाक़
को सजरी के अलावा िकसी दस
ू री चीज़ क भी ज़ रत होती है। अगर म
इन लोग को सफ़ नाक, कान, मुँह, हाथ या पैर मानने के बजाय उनका
उपचार पूरे इंसान क तरह करता, तो मुझे ज़ रत होती िक म उ ह कुछ
अ धक देने क थ त म रहूँ। मुझे उ ह यह िदखाने म समथ बनना था िक
चेहरे क मनोवै ािनक, भावना मक और आ या मक सजरी कैसे क
जाए, कैसे भावना मक िनशान को हटाया जाए, कैसे उनके नज़ रय और
िवचार को नई िदशा दी जाए, साथ ही उनके शारी रक हु लए को बदला
जाए।
यह संक प मुझे आगे ले गया। म ती ण अवलोकन करता रहा, अपनी
ख़ुद क केस िह टीज़ लखता रहा, सा थय तथा जनता के सामने
या यान देता रहा और िफर मने यह पु तक लखी, जो 1960 म का शत
हुई। इस पु तक ने जनता क क पना को एक ख़ास तरीक़े से जकड़
लया। इसके अंश रीडस डाइजे ट और कॉ मोपॉ लटन जैसी लोकि य
पि काओं म का शत हुए, ज ह हज़ार क सं या म कंपिनय ने अपने
से सपीपल और अ य कमचा रय के लए ख़रीदा। शीष खलािड़य , कोच
और टीम ने भी इसे अपनाया, जनम ीन बे पैकस के कोच िव स
लो बाड शािमल थे। इसक सफलता क वजह से कई या यान ,
सेिमनार टू र, रे डयो व टेलीिवज़न इंटर यू, यहाँ तक िक मेरे ख़ुद के रे डयो
ो ाम का ताँता लग गया। चच, कॉलेज और कंपिनय ने मुझे अपनी खोज
के बारे म या यान देने के लए आमंि त िकया। अंततः मने इस पु तक
का िव तार करते हुए कई अ य पु तक भी लख , जनम द मै जक पॉवर
ऑफ़ से फ़-इमेज शािमल है। अपने जीवन के अं तम चरण म, इसके थम
काशन के तीन दशक बाद म यह जानकर संतु था िक साइको
साइबरनेिट स क लाख तयाँ हर साल िबकती ह, जो लगभग पूरी तरह
मौ खक चार के मा यम से तथा ेरक नई या याओं से संभव हुआ।
साल गुज़रते गए। म आ म-छिव क शि के बारे म सखाता रहा,
परामश देता रहा और इस जानकारी से लोग को िमलने वाले प रणाम क
िनगरानी करता रहा। जब मुझे अ धक अनुभव िमला, तो मुझे पहले से
यादा भरोसा हो गया िक हमम से येक िदल क गहराई म जो चाहता है,
वह है जीवन - एक ऐसी चीज़ जसे म जीवतंता कहता हूँ; आ म-छिव ारा
लादी, कृि म सीमाओं से रिहत जीवन जीने का अनुभव। ख़ुशी, सफलता,
मान सक शां त - परम िहत क आपक अवधारणा जो भी हो - का अनुभव
सारांश म अ धक जीवन के
प म िकया जाता है। जब हम ख़ुशी,
आ मिव ास और सफलता के यापक भाव का अनुभव करते ह, तो हम
जीवन का अ धक आनंद लेते ह। और जस हद तक हम अपनी यो यताओं
को रोकते ह, अपने ई र- द गुण को कंु िठत करते ह तथा तनाव, डर,
आ म- नदा और आ म-घृणा से ख़ुद को क उठाने क अनुम त देते ह,
उस हद तक हम ख़ुद के लए उपल ध जीवन शि का श दशः गला घ ट
देते ह और उस उपहार क ओर पीठ कर लेते ह, जो हमारे रच यता ने हम
िदया है। जस हद तक हम जीवन के उपहार से इंकार करते ह, उस हद
तक हम मौत का आ लगन करते ह।
उ मु
जीवन के लए आपक नई योजना
मेरी राय म मनोिव ान और मनोिव ेषण के पेशे वाले लोग थोड़े पूवा ह से
त होते ह। वे ायः लोग के ख़ुद जीवन बदलने क , यहाँ तक िक
महानता क संभावना के बारे म भी बहुत िनराशावादी होते ह। चूँिक
मनोिव ािनक और मनोिव ेषक का पाला तथाक थत “असामा य”
लोग से पड़ता है, इस लए उनका सािह य लगभग हमेशा भ - भ
असामा यताओं से भरा रहता है, जसम कुछ लोग क वृ याँ आ मिवनाश क ओर होती ह। मुझे डर है िक कई लोग ने इस कार के ि कोण
के बारे म इतना यादा पढ़ा है िक वे नफ़रत, िवनाशकारी सहज बोध,
अपराध बोध, आ म- नदा, और बाक़ सारी नकारा मक बात को सामा य
मानवीय यवहार मानने लगे ह। आम आदमी बेहद कमज़ोर और अ म
महसूस करता है, जब वह सेहत और ख़ुशी पाने के लए अपनी बौनी इ छा
को मानव कृ त क इन नकारा मक शि य के ख़लाफ़ एकजुट करने क
संभावना पर िवचार करता है। अगर यह मानव कृ त और मानव थ त
क सही त वीर होती, तो आ म-सुधार काफ़ िनरथक चीज़ होती।
बहरहाल, मेरा मानना है - और मेरे कई रोिगय के अनुभव इस त य
क पुि करते ह - िक आपको यह काय अकेले नह करना है। हमम से
येक के भीतर एक जीवन वृ त है, जो हमेशा सेहत के लए काय कर
रही है, ख़ुशी के लए और हर उस चीज़ के लए काय कर रही है, जससे
यि को अ धक बेहतर जीवन िमल सके। यह जीवन वृ आपके लए
भी उस मेकेिन म के मा यम से काय करती है जसे म सृजना मक
मेकेिन म कहता हूँ। जब सही तरीक़े से इ तेमाल िकया जाए, तो हर इंसान
के भीतर बना यह मेकेिन म वच लत सफलता मेकेिन म के प म काय
करता है।
इस पु तक म म आपक आ म-छिव को मु करने के लए बहुत
यावहा रक िवचार और िनदश देने का यास क ँ गा, जनसे आपके अंदर
का वच लत सफलता मेकेिन म पूरी तरह सि य हो जाए। मुझे िव ास है
िक यिद आप उ चत अवसर दगे, तो िमलने वाले सकारा मक प रवतन को
देखकर आपको सुखद आ य होगा।
अवचेतन मन संबध
ं ी नया वै ािनक ान
मानव मन क वा तिवक, तं ा मक बनावट के बारे म अ सर बातचीत
होती रहती है। आकाशगंगा म जतने तारे ह, आपके म त क म उससे
कह अ धक यूरॉ स ह, सैकड़ -हज़ार अरब - एक अक पनीय सं या।
इनम से हर यूरॉन लाख अ य यूरॉ स से जानकारी ा करता है और
लाख अ य यूरॉ स को संदेश भेजता है। इस तरह कुल िमलाकर, एक
िम लयन-िब लयन कने श स से अ धक हो जाते ह। म त क के बारे म
अपनी पु तक ाइट एयर , ि लएं ट फ़ायर म यूरोसाइंिट ट जेर ड
एडलमन ने अनुमान लगाया था िक अगर आप एक सेकंड म एक कड़ी को
िगन, तो िगनती पूरी होने म 3.2 करोड़ वष लग जाएँ गे।
यह काय एक तरह से अपने कं यूटर पर “नए ई-मेल” के िनशान पर
ि क करने और 10-20 हज़ार ई-मेल संदेश पाने क तरह है, ज ह छाँटने,
ाथिमकता देने, संगिठत करने और जवाब देने क ज़ रत है। अपने िदन
के पहले आसान काय, जैसे जूते के फ ते बाँधने के लए भी आपको ऐसे ही
सटीक यास क ज़ रत होती है। आप इस संभावना पर “काँप उठगे,”
लेिकन आपका म त क नैनोसेकं स म यह काय साहस के साथ सँभाल
लेता है।
इंसान के म त क का वज़न लगभग तीन पाउं ड होता है, लेिकन यह
कं यूटर स कट से भरी िवशाल इमारत से भरे कई शहर के बराबर होता
है। यह सबसे जिटल और आ यजनक चीज़ है, जसे खोजा गया है। और
यह अब भी एक सरहद है, य िक शोध मानव म त क क काय णाली के
बारे म नई-नई जानका रयाँ खोजता जा रहा है।
“यांि क ” से जुड़े पहलुओ ं के अलावा कई अ य पहलू भी ह।
मनोवै ािनक और आ या मक मसले भी ह। म त क आ मा का माग है,
यह मु ा भी है। िफर चेतन मन और अवचेतन मन का िवभाजन। ॉइड को
आईडी क अवधारणा। दो के बजाय तीन ऑपरे टग स ट स (रे ट लयन,
ल बक और सेरे ल) का िवचार। बाएँ और दाएँ म त क क अवधारणा।
इस सब पर मेरे िन कष को कुछ लोग एकतरफ़ा कहकर आलोचना
करते ह। संभवत: मेरे संसार से जाने के बाद शोध अंततः यह िदखा देगा
िक म कुछ हद तक सही था। इसके अलावा, कुछ हद तक यह मुझे ग़लत
सािबत करेगा और यावहा रक आ म-सुधार म बेहतर ान देगा। अगर
ऐसा होता है, तो म उसका वागत क ँ गा। लेिकन हाल-िफ़लहाल मुझे
कहने द िक आपके लए यह मह वपूण नह है िक जस िवषय पर हम
बातचीत कर रहे ह, उसे बहुत सी डि य वाला मनोिव ान का कोई
ोफ़ेसर अ त सतही मानता है। आप और म तो उस सबसे मह वपूण बद ु
पर यान कि त करते ह, जो कारगर है। और म आपको आ त कर
सकता हूँ िक हम यहाँ जो बात कर रहे ह, वे हज़ार लोग के लए कारगर हो
चुक ह और आपके लए भी ह गी। “कारगर” से मेरा मतलब है िक आप
जीवन से जो चाहते ह, इनक बदौलत आप म उससे अ धक पाने क शि
आ जाएगी।
साइबरनेिट स के िव ान क मेरी पड़ताल ने मुझे िव ास िदला िदया
िक तथाक थत “अवचेतन मन” मन नह है। यह तो म त क और तंि का
तं से बना ल य हा सल करने वाला सव -मेकिन म है, जसका मन
इ तेमाल करता है और िदशा देता है। सबसे उपयोगी अवधारणा यह है िक
इंसान के पास दो मन नह होते ह। मन (या चेतना) तो सफ़ एक ही है, जो
एक वच लत, ल य का पीछा करने वाली मशीन को चलाती है। यह
वच लत, ल य का पीछा करने वाली मशीन काफ़ हद तक इले टॉिनक
सव -मेकेिन म क तरह काय करती है, लेिकन यह इंसान ारा बनाए या
सोचे िकसी भी इले टॉिनक म त क, कं यूटर या गाइडेड िमसाइल से
अ धक भ य, अ धक जिटल है।
आपके भीतर का सृजना मक मेकेिन म अ यि गत है। सफलता और
ख़ुशी के ल य ह या दख
ु और असफलता के, यह मेकेिन म वच लत
प से और अ यि गत प से उ ह हा सल करने का काय करेगा। सब
कुछ इस बात पर िनभर करता है िक आपने इसके लए कौन से ल य तय
िकए ह। इसे “सफलता के ल य” दगे, तो यह “सफलता के मेकेिन म” क
तरह काय करने लगेगा। इसे नकारा मक ल य दगे, तो यह उतने ही
अ यि गत प से और उतनी ही िन ा से “असफलता के मेकेिन म” क
तरह काय करने लगेगा। िकसी अ य सव -मेकेिन म क तरह ही इसके
पास भी एक प ल य, उ े य या सम या होनी चािहए, जस पर यह
काय कर सके।
सं ेप म, आप इस मेकेिन म तक जन ल य को पहुँचाने क को शश
करते ह, वे आ म-छिव क छलनी से होकर गुज़रते ह और यिद वे ल य
आपक आ म-छिव के अनु प न ह , तो उ ह अ वीकार कर िदया जाता है
या बदल िदया जाता है। अपनी आ म-छिव को कैसे बदला जाए, यह
खोजकर आप अपने ल य के साथ इसके संघष ख़ म कर सकते ह। िफर
अगर आप अपने ल य को सीधे अपने सृजना मक मेकेिन म तक पहुँचा
द, तो यह उ ह हा सल करने के लए आव यक सारी चीज़े कर देगा।
िकसी अ य सव -मेकेिन म क तरह हमारा सृजना मक मेकेिन म भी
उस जानकारी और डेटा का इ तेमाल करता है, जसक ख़ुराक़ हम इसे
देते ह (हमारे िवचार, िव ास, या याएँ )। अपने नज़ रय और थ तय क
या याओं के मा यम से हम उस सम या का वणन करते ह, जस पर काय
िकया जाना है।
अगर हम अपने सृजना मक मेकेिन म म इस तरह क जानकारी और
डेटा डालते ह िक हम अयो य, हीन, अन धकारी, अ म ह (नकारा मक
आ म-छिव), तो इस डेटा को ोसेस िकया जाता है और िकसी भी अ य
डेटा क तरह उस पर काय िकया जाता है, तािक हम बाहरी अनुभव के प
म वैसा ही “जवाब” िमल जाए। जब हमारी जान-पहचान का कोई यि
इस तरह काय करता है - या जब हम ख़ुद इस तरह यवहार करते ह, जो
भयंकर प से “ग़लत” हो और सोचते ह िक य , तो जवाब बुिनयादी तौर
पर यही होता है िक सव -मेकेिन म के साथ ग़लत संवाद हो गया है; सव मेकेिन म तो आदश तरीक़े से काय कर रहा है, िद क़त यह है िक यह एक
भारी ग़लतफ़हमी पर काय कर रहा है।
उ कृ पु तक बैट लग द इनर डमी (आइडी) - द ज़ीनस ऑफ़
अपेरटली नॉमल पीपल म डेिवड वायनर और डॉं. िगलबट है टर कहते ह,
“यह प है िक हमम से सबसे स य लोग के भीतर भी एक अंद नी
पागलपन होता है, अता ककता क संभावना होती है, जसके साथ हम
जूझना होता है।” जब कं यूटर म कोई गड़बड़ आ जाती है, तो कं यूटर
िवशेष आम तौर पर अपने कंधे उचकाकर तकनीक श दावली म कहते
ह, गीगो (GIGO)- गारबेज इन, गारबेज आउट (कचरा अंदर, कचरा
बाहर)। दस
ू रे श द म, अगर यूरॉन चैन स पया “कचरे” को ोसेस
करते ह और एक ख़ास तरह से उ ह जोड़ देते ह, तो प रणाम “कचरा
यवहार” होता है।
वतमान सम याओं को सुलझाने और वतमान थ तय पर ति या
करने के लए िकसी अ य सव -मेकेिन म क तरह ही हमारा सृजना मक
मेकेिन म भी सं हीत जानकारी या “ मृ त” का इ तेमाल करता है। कई
बार तो स य या उपयोिगता के ख़ म होने के बाद भी यह “सं हीत
जानकारी” हावी रह सकती है। बैट लग द इनर डमी के उदाहरण के
अनुसार :
हो सकता है, हम दस साल क उ म कूल क एक ग णत वज़ म नाकाम रहे ह
और हमारे िपता ने हमसे कहा हो, “तुम िबलकुल अ छे नह हो, तुम कभी कुछ नह बन
पाओगे।” यह इस तरह का कथन है, जो हमारी आईडी, हमारी इनर डमी के भीतर एक
ल बक मेमरी बन सकता है और हमारे साथ जीवन भर नह , तो बरस बना रह सकता
है…”
यह हमारे साथ रहेगा और बतख़ क पीठ से पानी क तरह नह
छटकेगा, इसका कारण वह है, जसे वे ल बक मेमरी कहते ह या जसे म
आ म-छिव क छाप के प म थोड़े भ तरीक़ से देखता हूँ। तीन घटक
इस पर सवा धक िनयं ण करते ह : आ धका रक ोत, गहनता और
दोहराव। जब हम कोई बात िकसी ऐसे ोत से सुनते ह, जसे हम
आ धका रक मानते ह - जैसे वह िपता जसे हम सवशि मान के प म
देखते ह, जससे हम बचपन म वीकृ त चाहते ह - को कह अ धक वज़न
िदया जाता है, बजाय उस थ त के अगर वही सुना गया कथन कोई ऐसा
यि बोले, जो उस व त हमारे लए कम िव सनीय ोत हो। जब हम
गहनता से देखते, सुनते या अनुभव करते ह - जैसे जब िपता हम पर
च ाता है, दस
ू र के सामने हमारा अपमान करता है - तो उस बात का
वज़न बढ़ जाता है। और हम बार-बार आ धका रक ोत से जो सुनते ह,
उसका वज़न और भी अ धक होता है। जब यह “ ो ा मग” बंद हो जाती है,
तो उसके बरस बाद भी यह हमारे सभी तरह के यवहार को शा सत कर
सकती है, य िक सव -मेकेिन म इसी पर काय करता रहता है।
अ धक वतं जीवन क योजना बनाने के लए आपको सबसे पहले
इस सृजना मक मेकेिन म या अपने भीतर के वच लत मागदशन तं के
बारे म कुछ सीखना होगा। इस ि या म आप सीखगे िक इसका इ तेमाल
असफलता के बजाय सफलता के मेकेिन म म कैसे करना है। दस
ू री बात,
आप अपने मनचाहे यि व और जीवन अनुभव क सचमुच “ ो ा मग”,
“री ो ा मग,” या “इंजीिनय रग” करगे।
यह बात यादा लोग को मालूम नह है लेिकन िववादा पद डॉं.
िटमोथी लयरी, जो 1960 के दशक के िह पी आइकॉन होने के साथ ही
वै ािनक भी थे, वे भी मेरी तरह मानव म त क क कायिव ध और
मेकैिनकल साइबरनेिट स के बीच क कड़ी से उतने ही मं मु ध थे। 1992
के एक इंटर यू म लयरी ने कहा था, “म त क को टटोलना आनुवं शक
के लहाज़ से अिनवाय है। य िक यह वहाँ है। अगर आप अपने म त क
म 100 अरब मेनफ़े म कं यूटर लेकर घूम रहे ह, तो आपको बस वहाँ अंदर
जाना और उ ह चलाना सीख लेना चािहए।” म सोचता हूँ िक यह यि गत
प से आपके लए अिनवाय है िक आप अपने मन क शि ( जसम
आपक आ म-छिव क शि भी शािमल है) को बेहतर समझने और
उसका इ तेमाल करने के लए आव यक अ ययन, समय और ऊजा का
िनवेश कर।
उ ह ने यह भी कहा था, “हम अपने बनाए बाहरी यांि क या टेलीलॉ जकल मॉड स के संदभ म ही अपनी अंद नी कायिव ध को समझ
सकते ह।” आपके हाथ म इस व त जो योजना है, वह यही है : गाइडेड
िमसाइल और कं यट
ू र टे नोलॉजी जैसे टेली-लॉ जकल मॉड स पर
आधा रत अपने ख़ुद के िदमाग़ क अ धक यापक समझ का माग।
इस िव ध म सोचने, क पना करने, याद करने और काय करने क नई
आदत सीखना, उनका अ यास और अनुभव करना शािमल है, तािक 1.
यथो चत और यथाथवादी आ म-छिव िवक सत हो सके और 2. ख़ास
ल य हा सल करने के लए, सफलता और ख़ुशी िदलाने के लए अपने
सृजना मक मेकेिन म का उपयोग िकया जाए। मानव म त क अंतहीन
प से जिटल कृ त है, इस लए हो सकता है िक आप यूरोसाइंिट स क
लखी सैकड़ पु तक पढ़ ल, लेिकन इसके बावजूद आप अपने म त क
का बेहतर इ तेमाल न कर पाएँ । बहरहाल, साइको साइबरनेिट स के
इ तेमाल से जो आ म-सुधार होता है, वह काफ़ आसान होता है और
ती ता से प रणाम देता है।
यिद आप याद कर सकते ह, चता कर सकते ह या जूते के फ ते बाँध
सकते ह, तो आप साइको साइबरनेिट स के इ तेमाल म सफल हो सकते
ह!
जैसा आप बाद म देखगे, जस िव ध का इ तेमाल करना है, उसम
सृजना मक मान सक त वीर बनाना, अपनी क पना के ज़ रए सृजना मक
अनुभव करना और “काय करना” तथा “ऐसे अ भनय करना मानो” ारा
नई वच लत ति या आदत का िनमाण शािमल है। हो सकता है िक
आपने ऐसी तकनीक के बारे म पहले से ही काफ़ कुछ पढ़ या सुन रखा
हो, लेिकन उ ह आज़माने पर आपको िमले-जुले या िनराशाजनक प रणाम
िमले ह । अगर ऐसा है, तो यह ज़ री नह है िक आपने उनका अनु चत
प से इ तेमाल िकया, न ही इसका मतलब यह है िक आप उनका उपयोग
सफलतापूवक नह कर सकते। संभवतः इसका मतलब यह है िक आपने
अपनी आ म-छिव के िवरोध वाली तकनीक को लागू करने क को शश
क । एक बार जब आप उनका उपयोग अपनी आ म-छिव को बदलने,
उसका बंधन करने और शि शाली बनाने के तालमेल म करते ह, तो
आपको सकारा मक प रणाम िदख जाएँ गे।
मने अ सर अपने रोिगय को बताया है िक “यिद आप याद कर सकते
ह, चता कर सकते ह या जूते के फ ते बाँध सकते ह, तो आपको इस िव ध
पर अमल करने म कोई िद क़त नह होगी।” आपसे जो चीज़ करने को
कही गई ह, वे सरल ह, लेिकन आपको अ यास और “अनुभव” करना
होगा। त वीर देखना - सृजना मक मान सक च देखना - उतना ही
आसान है, जतना अतीत के िकसी य को याद करना या भिव य को
लेकर चता करना। काय क नई आदत पर अमल करना हर सुबह नए
और अलग अंदाज़ म अपने जूते बाँधने का “िनणय लेने” तथा िफर उस पर
अमल करने से अ धक मु कल नह है, बजाय इसके िक आप िबना सोचिवचार या िनणय के उ ह अपनी पुरानी आदत के िहसाब से बाँधते रह।
वे सभी ज ह साइको साइबरनेिट स से लाभ हुआ है
इस पु तक म आगे बढ़ने पर आपको उन लोग क व रत सूची बनाने के
लए ो सािहत िकया जा सकता है, जो इन िव धय का ठीक वैसा ही
इ तेमाल करते ह, जैसा म वणन करने जा रहा हूँ।
खलाड़ी
साइको साइबरनेिट स से खलािड़य का जुड़ाव लंबे समय से रहा है।
1967 म अखबार ने लखा था िक “ ीन बे पैकस के साथ जो बड़ी चीज़
हुई है, वह है साइको साइबरनेिट स।” यह िव स लो बाड के ज़माने क
पैकस टीम थी। इसके कोच लो बाड और मशहूर खलाड़ी जेरी े मर तथा
बाट टार इस पु तक क तयाँ अपने साथ रखते थे और अपनी टीम के
सा थय को पढ़ने को देते थे। जुलाई 1968 म यय
ू ॉक टाइ स म एक लेख
छपा, जसम बताया गया िक जब यक के महान खलाड़ी िमक मटल ने
जम बाउटन क साइको साइबरनेिट स क त खोली, तो उ ह उसम
हा शए पर हाथ से लखे ढेर सारे नो स िमले।
जैक िनकलॉस, पेन टु अट और कई अ य शीष गो फ़ खलािड़य ने
“गो फ़ के मान सक पहलू” पर िनभरता के बारे म बहुत प ता से कहा है।
माइंड ओवर गो फ़ पु तक क
तावना म, जसम 1989 पीजीए
चिपयन श स और 1991 म य.ू एस. ओपन म उनक िवजय का उ ेख है,
पेन टु अट ने लखा था, “म नह सोचता िक अपनी पुरानी मान सकता से
म उनम से िकसी भी बड़ी चिपयन शप को जीत सकता था। लेिकन अपनी
नई मान सक नी त से म अपने खेल को सव े तर पर पहुँचाने म समथ
हुआ, जब मुझे ऐसा करने क ज़ रत थी।” (माइंड ओवर गो फ़ डॉ. रचड
कूप ने लखी है, जो यूिनव सटी ऑफ़ नॉथ कैरोलाइना म श ा मनोिव ान
के ोफ़ेसर ह, गो फ़ मै ज़ीन के सहयोगी संपादक ह और कई गो फ़
खलािड़य के कोच भी ह। यिद गो फ़ आपका मनोरंजन या पेशा हो, तो म
अपनी पु तक के साथ-साथ इस पु तक को पढ़ने क सलाह भी देता हूँ।)
इस पु तक म आपको रो डयो राइडस, ओ लिपक खलाड़ी, फ़ुटबॉल
खलाड़ी और कई श क का िज़ िमलेगा, जो सफलता पाने के लए
साइको साइबरनेिट स क रणनी तय पर या तो सामा य या िफर प
प से िनभर ह।
कोच
1997 म द साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन को लडा टाइलर रॉ ल स
का प िमला, जो नॉथ टै सस यिू नव सटी म शै णक मामल क
अ स टट ऐथलेिटक डायरे टर थ । उ ह ने लखा था िक वे बरस से
साइको साइबरनेिट स क तकनीक का इ तेमाल कर रही ह। अंदर आने
वाले छा वृ
ा खलािड़य के एक पा
म म “यएू नटी म अपने
शै णक तथा खेल क रयर के दौरान उ ह जस श दावली क आदत
डाली जाती है, उसक बुिनयाद वे अवधारणाएँ ह, ज ह डॉ. मॉ ज़ ने तब
पेश िकया था, जब ये िव ाथ पैदा भी नह हुए थे!”
बॉ टन क मनोवै ािनक डॉ. लो रया पटै नी, जो अब पेशेवर
गो फ़ खलािड़य को को चग दे रही ह और जनके बारे म गो फ मै ज़ीन म
छप चुका है, कहती ह : “मेरे आकलन से आम गो फ़ खलाड़ी अपना 86
तशत समय िकसी दस
ू री चीज़ म नह , ब क अपने िवचार और
भावनाओं से जूझने म लगाता है। वह घटनाओं के बारे म एक या दस
ू रे
तरीक़े से महसूस कर रहा है, आनंद या ोध महसूस कर रहा है, एका
रहने के लए जूझ रहा है, जो हो चुका है या जो आगे होगा, उस बारे म चता
कर रहा है।” यह तकपूण लगता है िक अगर खेल खेलने म लगा 86
तशत समय शारी रक काय नह , ब क िवचार और भावना ारा शा सत
होता है, तो 86 तशत सफलता या असफलता भी खेल-कौशल या शि
से नह , ब क िवचार और भावनाओं के बंधन से तय होती है। यह बात
हर खेल म सच है, इस लए अ धका धक कोच मान सक तैयारी और
मनोवै ािनक उ ेरण म यादा समय और ऊजा दे रहे ह। कई शीष
श क ने इन िवषय पर अपनी पु तक लखी ह, जनम पैट राइली और
एनबीए के िफ़ल जै सन उ ेखनीय प से शािमल ह। ऑरलै डो मै जक
और डेटॉइट िप ट स म चक डैली के साथ पूव सहायक हेड कोच े डन
सर साइको साइबरनेिट स के शंसक ह। साइको साइबरनेिट स के बारे
म एक वी डयो ो ाम म े डन ने बताया था िक उ ह ने खेल के िव भ
पहलुओ ं से जूझ रहे खलािड़य को नई “मान सक त वीर।” सुझाने म इन
स ांत का उपयोग िकया था।
उ मी और यवसायी
िम कशेक मशीन बेचने वाले रे ॉक के बारे म सोच, ज ह ने मैकडॉन ड
बंधुओ ं के छोटे से हैमबगर टड को देखते ही एक आ यजनक व न देख
लया। मैकडॉन स क हैमबगर क दक
ु ान जब हर जगह पहुँच गई, उसके
काफ़ बाद ॉक से एक इंटर यू म पूछा गया िक जब त पध फ़ा ट फूड
रे तरां चे स मैकडॉन स के हर नए िवचार, ॉड ट या चार क इतनी
ज दी नक़ल करने क आदत रखती ह, तो उ ह कैसा महसूस होता है।
उ ह ने जवाब िदया था, “वे जतनी तेज़ी से नक़ल कर सकती ह, हम
उससे यादा तेज़ी से नई चीज़ का आिव कार कर सकते ह।” वे आ मछिव का एक कथन कह रहे थे - आ मिव ास, नेतृ व और शि का
संक प - वह भी ऐसी प र थ तय के संदभ म, जनके बारे म कई लोग
शकायत करते या जो खम महसूस करते। हर कारोबारी व न ा और
लीडर क “आने दो!” वाली ऐसी ही नी त होती है, जसक म साइको
साइबरनेिट स के ि कोण से शंसा करता हूँ।
म आपको ज दी से जो पॉ लश नामक एक उ ेखनीय यव
ु ा कारोबारी
लीडर क कहानी बता देता हूँ। वे पेशे से एक कारपेट नर ह। बहरहाल,
उ ह ने माक टग और चार के कुछ भावी, लेिकन अपारंप रक तरीक़े
खोजे। इनक बुिनयाद पर उ ह ने एक कंपनी खड़ी क , जो दस
ू रे कारपेट
नस को माक टग के गुर सखाती है और उनक मदद करती है। उनके
संगठन म अब तक पूरे अमे रका और कई अ य देश के लगभग 4,000
कारपेट नस सद य बन चुके ह, जनक
नग सेवाओं और ॉड स
क स म लत िब ी 80 करोड़ डॉलर त वष से अ धक है! इन कारपेट
नग िबज़नेस मा लक म से सैकड़ मा लक जो के “टेलीफ़ोन को चग
ो ाम” से भी जुड़े हुए ह। जो बहुत ही मु कल पा रवा रक पृ भूिम से
ऊपर उठे ह। उ ह कॉलेज क श ा नह िमल पाई और माक टग म भी
कोई औपचा रक श ा नह िमली, लेिकन इसके बावजूद वे पूरे उ ोग क
अ णी ह ती बन गए। दरअसल, उ ह उनके उ ोग के नंबर वन यापार-प
ने पसन ऑफ़ द ईयर भी घोिषत िकया। जो कहते ह िक उ ह ने साइको
साइबरनेिट स क पु तक क अपनी त पढ़-पढ़कर घस डाली है और वे
अपने सभी सद य को भी इसे पढ़ने क सलाह देते ह। उ ह ने अपने
सद य के लए साइको साइबरनेिट स पर आधा रत एक ख़ास सेिमनार
आयो जत िकया था, जसम इस पु तक के संपादक को अ त थ व ा के
प म आमंि त िकया गया। कारण? जैसा जो कहते ह, “अगर आपके पास
सबसे अ छे ॉड स, सबसे िकफ़ायती दाम और बेहतरीन योजना ह ,
साथ ही संसार का सारा यावसा यक और माक टग ान तथा तकनीक
यो यताएँ ह , िफर भी वे सब उतने मू यवान नह ह, अगर आपके पास
उनका इ तेमाल करने के लए आव यक आं त रक िव ास न हो।”
जो कहते ह, “एक चीज़ जो हम सखाते ह, वह यह है िक कैसे सामान
को अपने त पध से ऊँचे दाम पर बेचा जाए। इस बात का यवसाय के
मा लक क यि गत आ म-छिव से जतना सरोकार है, उतना िकसी
दस
ू री चीज़ से नह है।”
से स ोफ़ेशन स
द साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के संचालक मंडल के सं थापक
सद य िबल ु स ने अमे रका के िद गज कॉप रेश स क से स टीम के
लए जिटल और आधुिनक से स टे नग स टम तैयार िकए ह। उनके अ त
भावकारी से स स टम पर कई बहुत अ छी पु तक लखी गई ह, जनम
यू आर व कग टू हाड टु मेक अ ल वग शािमल है। िबल से समैन के प म
यि गत प से सफल हो चुके ह और उ ह ने हज़ार अ य लोग क भी
सहायता क है। हालाँिक वे कायिव ध पर बहुत एका ह, लेिकन वे खुलकर
वीकार करते ह िक बेचने का सबसे आधुिनक, सबसे आदश तं भी उन
से सपीपल के हाथ म प रणाम उ प नह कर सकता, जो अपनी आ मछिवय के साथ संघषरत ह और उनसे जूझ रहे ह।
िज़ग िज़ लर संभवतः अमे रका के सबसे मशहूर ेरक व ा और से स
श क ह। उनक पु तक सी स ऑफ़ ोिज़ग द सेल क 2.5 लाख से
अ धक तयाँ िबक चुक ह। इस पु तक म िज़ लर लखते ह, “से समैन
क आ म-छिव का उसक से स सफलता पर सीधा भाव पड़ता है…
जब आपक आ म-छिव ठोस होती है, तो आप एक संभािवत ाहक से
दस
ू रे तक जा सकते ह और सामने वाले का यवहार आपके लए मायने
नह रखता है। से सपसन के प म यह समझने से आपको बहुत मदद
िमलेगी िक इस संसार म कोई भी आपक इजाज़त के िबना आपको हीन
महसूस नह करा सकता। एक बार जब आप अपनी आ म-छिव को सही
कर लेते ह, तो आपका िब ी जगत और आपका यि गत जगत दोन
बेहतर हो जाएँ गे। साइको साइबरनेिट स के लेखक डॉ. मै सवेल मॉ ज़
ने कहा है िक समूची मनो चिक सा का उ े य आ मस मान, यानी रोगी क
छिव को बनाना है… आपक आ म-छिव मह वपूण है, इस लए एक अ छी
आ म-छिव बनाएँ और आप अपने से स क रयर को यादा बड़ा, बेहतर
और तेज़ बनाने म समथ हो पाएँ गे।”
•••
इस पु तक म आपको कुछ से स ोफ़ेशन स क केस िह टीज़ बताई
जाएँ गी, जनम यादा बड़ी नाक और यादा बड़े कान वाले यि शािमल
ह। आप देखगे िक साइको साइबरनेिट स सारे पेश , श ा या थ त क
सीमाओं के पार जाकर उतनी ही िव सनीयता और अचूकता से काय
करती है, जतनी िक गु वाकषण शि करती है! (िट पणी : इस पु तक
के अ याय 16 म साइको साइबरनेिट स के संदभ म लोग क सफलताओं
क पाँच आ यजनक कहािनयाँ बताई गई ह।)
लेिकन आनुवं शक या
“कुदरती यो यता” के बारे म या?
आनुवं शक से तक़दीर तय होने का तक लचर है। बकवास।
अपनी उ कृ पु तक ोफ़ाइ स ऑफ़ पॉवर एं ड स सेस म डॉ. जीन
लंडम ने चौदह असाधारण प से सफल व न ाओं और यि य का
गहरा िव ेषणा मक, मनोवै ािनक अ ययन िकया। उनका सीधा िन कष
यह है िक कृ त नह , प रवेश ही सफलता क बुिनयाद है। “इन
व न ाओं का पा रवा रक इ तहास ऐसा था िक िवरासत का उनक
सफलता से कोई लेना-देना नह था या बहुत कम था।” इसके बजाय
उ ह ने कुछ िन त गुण को अलग िकया, जनके साथ इन लोग क
“ ो ा मग” हुई थी और उ ह ने “अपनी ो ा मग ख़ुद क थी।”
अगर िवरासत म िमली यो यता सफलता क राह म अवरोध होती, तो
आप इसे पार नह कर सकते थे या अगर यह उपल ध के पीछे का अं तम
रह य होता, तो आप उ मीद करते िक वॉ ट ड नी असाधारण
रचना मक और उ मी सफलता वाले प रवार म पैदा हुए ह गे। हक़ क़त तो
यह है िक वॉ ट ड नी के िपता पाँच अलग-अलग कारोबार म नाकाम रहे,
जनम लॉ रडा का मोटेल भी शािमल था। मा टर आ कटे ट क लॉयड
राइट के िपता बेरोज़गार, घुम ड़ पादरी थे, जो इतने अकायकुशल थे िक
कभी एक साल से अ धक तक एक नौकरी नह कर पाए। िपकासो के िपता
एक सामा य कलाकार थे। नह , यह घोड़ या शो डॉ स के जनन जैसा
नह है।
बहुत से माण ह िक कंडीश ड, ो ा ड, पोिषत और िनद शत आ मछिव सफलता को िनयंि त करती है। यह मा णत हो चुका है िक सफलता
कोई आनुवं शक य ह तांतरण का मामला नह है, जस पर आपका कोई
िनयं ण नह होता। आप अपने माता-िपता को नह चुन सकते, लेिकन
साइको साइबरनेिट स का इ तेमाल करके आप अपनी आ म-छिव को
हमेशा चुन सकते ह।
कोई यि माइकल जॉडन या टाइगर वु स क ओर इशारा करके
इस बात पर बहस कर सकता है। हालाँिक यह सच है िक उन दोन म ही
असाधारण शारी रक कौशल है, लेिकन यह यो यता िन त प से बबाद
हो जाती, अगर बहुत से भाव से उनक आ म-छिव व थ नह बनती,
जनम टाइगर के िपता या माइकल के कॉलेज कोच डीन मथ जैसे
“आ धका रक ोत” शािमल ह। और हर जॉडन के बदले म म “औसत”
शारी रक यो यता से संप समझे जाने वाले खलाड़ी क ओर इशारा कर
सकता हूँ, जो अपने खेल के शखर तक पहुँच जाता है। बेसबॉल म टाई
कॉब और पीट रोज़ िदमाग़ म आते ह। फ़ुटबॉल म इसके उदाहरण ह फ़ैन
टाक टन या डग ू टी, ज ह िवशेष ने ग़लती से खेल के लहाज़ से
“बहुत छोटा” क़रार िदया था।
एक िमनट के लए भी इस िवचार को सहन न कर िक आप ज मजात
यो यता या गुण के अभाव के कारण िकसी उपल ध से वं चत ह। यह
सबसे बड़ा झूठ है, सबसे दख
ु द िक़ म का बहाना है।
नु ख़ा
ै पबुक बनाना शु कर, जो
अतीत या वतमान के उन लोग क
आपके मनचाहे चा रि क गुण , यि व और उपल धय को द शत
करते ह । हर गुण, हर इ छा के लए एक अलग तिन ध श स चुन
ल। उनक जीवनी, उनक आ मकथा पढ़। उनके बारे म लेख पढ़,
उनके भाषण सुन। दस
ू र ने उनके बारे म जो िव ेषण िकया है (जैसा
डॉ. लंडम, नेपो लयन िहल और अ य लेखक क पु तक म पाया जा
सकता है), वह पढ़। उनका अ धका धक पूण अ ययन करके इन
लोग के जीवन के िवशेष बन जाएँ । यह खोज िक उ ह ने जो
यि व िवक सत िकया और जीवन म जो सफलता पाई, उसके लए
उनम ारं भक वृ
का (आनुवं शक का और ाय: उनके
शु आती प रवेश व परव रश का) लगभग शा त अभाव था। उन
शि य , िवचार और भाव को खोज िनकाल, ज ह ने उ ह सचमुच
आकार िदया। अगर आप इसे अपना शौक़ बना लेते ह, तो आपक
क पनाशि को मू यवान क ी साम ी क खुराक़ िमल जाएगी,
जसका इ तेमाल करके यह अ धक मज़बूत, अ धक ल य-कि त
आ म-छिव का िनमाण कर सकती है, जसक ज़ रत आपको अपने
जीवन क आकां ाओं को हा सल करने के लए है।
माइंड आोवर गो फ़ म कूप गो फ़ खलािड़य को बताते ह :
अगर आपने पीजीए या एलपीजीए के टू र काय म को देखा है और अगली बार खेलने
पर यह पाया है िक आपके ख़ुद के खेल क लय तथा ग त सामा य से अ धक हो गई है,
तो यह कोई संयोग नह था। टू र पेशेवर को सही ग त से ब घुमाते देखकर आपने
उनके कुछ गुण को आ मसात कर लया था और यह आपके खेल म उतर आया था।
यो यता के हर तर के खलािड़य के लए यह आम बात है। सबसे लयहीन गो फ़
खलाड़ी भी माक ओ’मीयरा, जीन लटलर या नै सी लोपेज़ जैसे लयब खलािड़य
को देखने के बाद लयब िदखने लगता है। सम या यह है िक यह लयब ता यादा
लंबे समय तक क़ायम नह रहती, जब तक िक आप िनयिमत प से टू र पेशेवर को
देखकर अपनी मान सक क पना को बलवान न बनाते रह।
म आपको ठीक यही करने का सुझाव दे रहा हूँ : हर उपल ध मा यम
और ोत से अ ययन करके उन लोग को “देख,” जो उन गुण क
सव े िमसाल ह , ज ह आप मज़बूत बनाना चाहते ह और जो उस तरह
जी रहे ह , जस तरह आप जीना चाहते ह।
मान सक
श ण अ यास
एक महीने तक पूण अ ययन के लए िकसी शीष थ यि को
चुन। आपको इस बारे म पूरी जानकारी हा सल करनी है िक वह िकस
तरीक़े से सोचता या सोचती है, तािक आप बैठकर उसके साथ
बातचीत कर सक और क पना जगत म सलाह तथा को चग हा सल
कर सक।
अ याय दो
अपने भीतर के वच लत सफलता
मेकेिन म को कैसे जा त कर
यिद कोई मनु य िव ास से अपने सपन क िदशा म बढ़ता है और अपनी
क पना क अनु प जीवन जीने क को शश करता है, तो उसे ऐसी
सफलता िमलेगी, जसक सामा य समय म आशा नह क जा सकती।
-हेनरी डेिवड थोरो
पहलेपहल म त क क आं त रक कायिव धय के बारे म
ज बगंभमने
ीरता से सोचा, तो साइंिटिफ़क मंथली के जून 1946 के अंक म
आर. ड यू. जेराड का एक लेख पढ़कर मुझे कौतुक हुआ। यह लेख
म त क और क पना पर था। इसम उ ह ने लखा था िक दख
ु द स य यह
है िक म त क क हमारी अ धकतर समझ उतनी ही वैध और उपयोगी
रहेगी, जतनी िक तब होती अगर खोपड़ी म ई भरी होती।
ज़ािहर है, यह काफ़ पुरानी बात है। इस दौरान मानव म त क क
काय णाली क समझ म भारी बढ़ोतरी हुई है। इसका काफ़ ेय कं यूटर
उ ोग को जाता है। जब मनु य एक “इले टक ेन” बनाने िनकला और
कं यूटर के भीतर ल य-आकां ी मेकेिन म को बनाने लगा, तो हम कुछ
बुिनयादी स ांत को खोजना और उनका उपयोग करना था । उ ह
खोजने के बाद वै ािनक ख़ुद से पूछने लगे : या मानव म त क भी इसी
तरीक़े से काय करता है? या यह हो सकता है िक इंसान को बनाते समय
हमारे रच यता ने हम भी एक सव -मेकेिन म िदया है, जो मानव-िन मत
िकसी भी इले टॉिनक ेन या मागदशन तं से अ धक अ भुत और
आ यजनक है, लेिकन उ ह बुिनयादी स ांत क अनु प काय करता है
? डॉ. नॉरबट वायनर, डॉ. जॉन वॉन यूमन
ै और अ य मशहूर साइबरनेिटक
वै ािनक क राय म जवाब है “हाँ।”
आपका आं त रक मागदशन तं
हर जीिवत ाणी म आं त रक मागदशन तं या ल य-आकां ी उपकरण
होता है, जसे रच यता ने ल य हा सल करने म उसक मदद के लए िदया
है - जो यापक अथ म “जीना” है। जीवन के अ धक सरल प म ल य
केवल ाणी और उसक जा त दोन का शारी रक बचाव होता है। पशुओ ं
के आं त रक मेकेिन म का ल य है भोजन और िनवास क जगह खोजना,
श ुओ ं व ख़तर से बचना या उबरना और जा त के बचाव को सुिन त
करने के लए जनन करना।
इंसान क बात अलग है। यहाँ जीने का ल य सफ़ शारी रक बचाव से
बढ़कर होता है। इंसान क कुछ भावना मक और आ या मक
आव यकताएँ होती ह, जो पशुओ ं म नह होत । इस लए उनके लए
“जीने” का अथ सफ़ शारी रक बचाव और जा त के लए जनन करने
से कह अ धक होता है। इसम िन त भावना मक और आ या मक
संतुि य क आव यकता भी होती है। मनु य के आं त रक सफलता
मेकेिन म का दायरा िकसी पशु के सफलता मेकेिन म से कह अ धक
यापक भी होता है। इसम ख़तरे से बचने या उबरने या “यौन वृ त” के
ल य तो होते ही ह, जनसे जा त को जीिवत रखने म मदद िमलती है।
बहरहाल, मानव सफलता मेकेिन म सम याओं के जवाब खोजने,
आिव कार करने, किवता लखने, कंपनी चलाने, सामान बेचने िव ान के
नए के नए
तज क पड़ताल करने, अ धक मान सक शां त हा सल
करने, बेहतर यि व िवक सत करने या िकसी भी अ य ग तिव ध म
सफलता हा सल करने म भी मदद कर सकता है, जो “जीने” से अंतरंग
प से जुड़ी हो या जो अ धक पूण जीवन बनाती हो।
यह वीकार करना मह वपूण है िक आपके पास ऐसा सफलता
मेकेिन म है।
सफलता क सि य “ वृ ”
िगलहरी को यह नह सखाना पड़ता िक वह भोजन कैसे इक ा करे। न ही
उसे यह सीखने क ज़ रत पड़ती है िक उसे जाड़े के लए भोजन बचाकर
रखना चािहए। वसंत म पैदा हुई िगलहरी ने कभी जाड़े का अनुभव नह
िकया होता। लेिकन उस साल पतझड़ म इसे जाड़े के महीन के लए
भोजन इक ा करते देखा जा सकता है, जब कोई भोजन उपल ध नह
होता। घ सला बनाने के संबध
ं म िकसी प ी को सबक़ लेने क ज़ रत
नह होती, न ही उसे नािवक िव ा के पा
म का अ ययन करने क
ज़ रत होती है। इसके बावजूद प ी हज़ार मील क या ा कर लेते ह, कई
बार तो खुले समु के ऊपर। उनके पास कोई अख़बार या टीवी नह होते,
जो उ ह मौसम क ख़बर द। खो जय या अ ज प य ारा लखी कोई
पु तक नह होत , जो उ ह पृ वी के गम इलाक़ का न शा द। बहरहाल,
प ी “को पता होता है” िक ठंडा मौसम कब आने वाला है और वह गम
जलवायु का सटीक पता-िठकाना जानता है, भले ही यह हज़ार मील दरू
हो।
ऐसी चीज़ को प करने क को शश म हम आम तौर पर कहते ह िक
जानवर म कुछ “सहज वृ याँ” होती ह, जो उनका मागदशन करती ह।
इन सारी सहज वृ य का िव ेषण करने पर आप पाएँ गे िक वे प रवेश से
सफलतापूवक जूझने म पशुओ ं क मदद करती ह। सं ेप म, पशुओ ं म
“सफलता मेकेिन म” होता है।
हम अ सर इस त य को नज़रअंदाज़ करते ह िक इंसान म भी
सफलता क एक सहज वृ होती है, जो िकसी भी जानवर से कह
अ धक चम कारी और जिटल होती है। हमारे रच यता ने इसे हम देने म
कोई कमी नह क है। उ टे, इस संदभ म तो हम ख़ास वरदान िमला है।
पशु अपने ल य नह चुन सकते। एक तरह से उनके ल य (आ म-र ा
और जनन) पहले से ही तय होते ह। दस
ू री ओर, इंसान के पास एक ऐसी
चीज़ होती है, जो पशुओ ं के पास नह होती : सृजना मक क पनाशीलता।
इस तरह देखने पर इंसान सभी ा णय म सव े है। वह सृजनकार भी है।
क पनाशीलता क मदद से वह बहुत से ल य बना सकता है। क पना या
क पना करने क यो यता का उपयोग करके सफ़ वही अपने सफलता
मेकेिन म को िदशा दे सकता है।
आप कह सकते ह िक पशुओ ं म हाडवेयर होता है। लेिकन हम
सॉ टवेयर के अनु प काय करते ह और अपने आउटपुट को लगातार
बदल सकते ह।
इस तरह एक फ़ॉमूला उ प होता है :
आप, अपने जीवन अनुभव के सृजनकार के प म
1. चेतन म त क का िनणय + 2. क पनाशीलता ल य को पहुँचाती है
3. आ म-छिव तक = 4. तथा “काय आदेश” के िनदश को सव -मेकेिन म
तक।
अ सर हम सोचते ह िक सृजना मक क पनाशीलता किवय ,
आिव कारक आिद के ही पास होती है। लेिकन क पनाशीलता हमारे हर
काय म सृजना मक होती है। सभी यगु के गंभीर चतक तथा यावहा रक
मनु य ने इस त य को पहचाना है और इसका इ तेमाल िकया है, हालाँिक
वे यह नह समझ पाए िक क पनाशीलता य या कैसे हमारे सृजना मक
मेकेिन म को सि य कर देती है। नेपो लयन ने कहा था, “क पना संसार
पर शासन करती है।” मशहूर कॉिटश दाशिनक ूगो ड टु अट ने कहा
था, “क पना क यो यता मानव ग तिव ध का महान सोता और मानव
सुधार का मु य ोत है… इस यो यता को न कर दगे, तो मनु य क
थ त उतनी ही ग तहीन हो जाएगी, जतनी िक पशुओ ं क होती है।”
उ ोगप त हेनरी जे. कायज़र ने कहा था, “आप अपने भिव य क
क पना कर सकते ह।” उ ह ने यह भी बताया है िक सृजना मक
क पनाशीलता के सकारा मक, रचना मक इ तेमाल क वजह से ही उ ह
यवसाय म अ धकतर सफलताएँ िमली थ ।
ह:
वतमान उ ोगप त भी क पना के मह व और शि
को वीकार करते
टारब स कॉफ़ के उ ेखनीय उ थान म क पना क भूिमका पर
िवचार कर। अपनी पु तक पोर योर हाट इ टु इट : हाउ टारब स िब ट
अ कपंनी वन कप एट अ टाइम म इसके सीईओ हॉवड शु ज़ बताते ह िक
जब वे इतालवी क़ ब क सड़क पर टहल रहे थे, तो उ ह ने फ़ुटपाथ के
पास बने छोटे कॉफ़ या ए ेसो बास को देखा। वे लोग बड़े ख़ुश िदख रहे
थे, वहाँ का माहौल ऊजा, यहाँ तक िक रोमांस से भरा था। यह देखकर
उनक क पनाशि जा त हो गई। शु ज़ ने एक सामा य पेय - कॉफ़ को दोबारा खोजने का अवसर देखा। उ ह ने कहा : “अगर यह आपक
क पना को जकड़ सकती है, तो यह दस
ू र को भी ख च सकती है। ”
आप आज जस टारब स शॉप म जाते ह, वह शु ज़ क क पना
के यास का ही प रणाम है। उ ह ने इतालवी लोग तथा उनक ए स
े ो
बास के रोमांिटक, ख़ुशी भरे अनुभव को आपके शहर के शॉ पग सटर म
दोबारा रच िदया है।
शु ज़ लखते ह : “ टारब स के हर टोर म पूरी सावधानी रखी
जाती है, तािक हर उस चीज़ क गुणव ा को अ धकतम कर िदया जाए, जो
ाहक देखते ह, पश करते ह, सुनते ह, सूँघते ह या वाद लेते ह… जब
आप िकसी टारब स टोर म पहुँचते ह, तो आप सबसे पहले िकस चीज़
पर ग़ौर करते ह? लगभग हमेशा सुगध
ं पर। सुगध
ं िकसी भी अ य इंि य के
बजाय अ धक बलता से मृ तय को े रत करती है और यह प
प से
लोग को हमारे टोस म आक षत करने म बड़ी मह वपूण भूिमका िनभाती
है। कॉफ़ क सुगध
ं को शु रखना कोई आसान काय नह है।” वे वणन
करते ह िक शु सुगध
ं क ख़ा तर उ ह ने धू पान पर कैसे पाबंदी लगा दी
थी, हालाँिक उस ज़माने म उसक ज़ रत नह थी। िकस कार उ ह ने
सुगध
ं क शु ता क ख़ा तर कुछ खा पदाथ नह बेचे। िकस कार वे
सावधानीपूवक केवल कुछ ख़ास िक़ म के बैक ाउं ड यूिज़क को ही चुनते
ह, जनके साथ ए ेसो मशीन और ताज़ी बी स को िनकालने वाली धातु
क च मच क आवाज़ सुनी जा सके आिद-आिद। हर छोटी-छोटी चीज़ पर
इतना गहन यान देने के लए क पना क आव यकता होती है!
हॉवड शु ज़ के टारब स अनुभव का “सृजन” वॉ ट ड नी क
याद िदलाता है, ज ह ने क पनाशि -से-वा तिवकता का ज़बद त
दशन िकया। ड नी के िकसी भी आकषण को ले ल और ग़ौर से देख।
आप देखगे िक क पना से ज मे हर छोटे-छोटे िववरण पर आ यजनक
यान िदया गया है। ड नी के पूव िव त और ऐपल कं यूटर तथा जीई
जैसी कंपिनय के सृजना मक सोच परामशदाता माइक वै स अपनी पु तक
थकं आउटसाइड द बॉ स म ड नीलड के भीतर लू बायू रे तरां के
सृजन के बारे म यह जानकारी देते ह, जसे बाद म ड नी व ड म दोहराया
गया :
यिद आप यू ऑरल स थीम के साथ द लू बायू रे तरां डज़ाइन कर रहे होते, तो
आपके िदमाग़ म या त वीर आती? लू सयाना बायू कंटी? याह दलदल? और या?
कोई भी याह, रह यमय दलदल, जुगनुओ ं के इधर-उधर उड़े िबना पूरा नह होता…
ओ ड यू ऑरल स क हवा म तैरती ख़ुशबुओ ं के बारे म? चकोरी के साथ कॉफ़ को
भूनने से फ़च वाटर का जाना-पहचाना प रवेश बनता है। ताज़ी कॉफ़ - चकोरी क
ख़ुशबू रे तरां के एयर कंडीशनर ारा वािहत क जाती थी… पृ भूिम म बजते
ड सीलड बड के संगीत, झ गुर क प आवाज़ और एक बजो, जो दरू एक अलसाई
हुई धुन िनकाल रहा हो।
माइक कहते ह िक शायद आप इनम से येक िववरण को न पहचान
पाएँ , लेिकन िमलकर ये सारी चीज़ आपको एक अलग ही जगह और समय
म पहुँचा देती ह।
जो भी इंसान बचपन म या बड़े होने पर ड नीलड या ड नीव ड
गया है, वह ाय: एक बार से अ धक वहाँ आता है : 100 तशत ाहक
िन ा! यह कोई सुखद संयोग नह है। यह तो क पनाशि
यावहा रक उपयोग है : कंपनी के लाभ के लए।
का बेहद
ज़ािहर है, कई लोग अपनी अ धकतर क पनाशि को बबाद कर देते
ह। वे इसे िन े य िदवा व न और फंता सय म छतरा देते ह। वे
दरअसल यह समझते ही नह ह िक अगर इसका उ े यपूण इ तेमाल
िकया जाए, तो यह या कर सकती है।
सूरज क िकरण को अगर छतरा द, तो सफ़ ह क गम िमलती है।
लेिकन जब एक ख़ास तरीक़े से मैि फ़ाइंग लस के मा यम से इसे एक जगह
कि त िकया जाता है, तो इससे आग जल उठती है।
ल यरिहत क पना सुखद माहौल दान कर सकती है। बहरहाल,
यिद इसका उ े यपूण इ तेमाल िकया जाए, तो यह भावी ढंग से आपक
आ म-छिव क ो ा मग कर सकती है और बदले म आपके चुने हुए ल य
हा सल करने के लए आपके वच लत सफलता मेकेिन म क भी
ो ा मग कर सकती है।
आपका वच लत सफलता मेकेिन म
कैसे काय करता है
आप एक मशीन नह ह, आप कं यट
ू र भी नह ह।
बहुत वा तिवक संदभ म आपके पास एक बेहद शि शाली कं यट
ू र
जैसी सफलता मशीन है, जसका आप इ तेमाल कर सकते ह। आपका
म त क और तंि का तं िमलकर एक सव -मेकेिन म बनाते ह, जसका
आप इ तेमाल कर सकते ह। यह काफ़ हद तक कं यूटर क तरह काय
करता है, जो ल य-आकां ी मेकेिन म है। आपका म त क और तंि का
तं िमलकर एक ल य-आकां ी मेकेिन म बनाते ह, जो िकसी िन त
ल य को हा सल करने के लए अपने आप काय करता है, काफ़ हद तक
उसी तरह जस तरह वयं िनशाना खोजने वाला टॉरपीडो या िमसाइल
अपने ल य को खोजती है और उसक ओर राह बनाती है। आपका
आं त रक सव -मेकेिन म दो तरह से काय करता है। यह “मागदशन तं ”
के प म काय करता है, जो आपको िन त ल य हा सल करने या प रवेश
पर सही ति या करने के लए अपने आप सही िदशा म ले जाता है। यह
एक “इले टॉिनक ेन” क तरह भी काय करता है, जो सम याओं को
सुलझाने, ज़ रत के जवाब देने और नए िवचार या ेरणा लाने के लए
अपने आप काय करता है।
साइबरनेिट स श द एक ीक श द से आया है, जसका शा दक अथ
है, “ टयसमैन” (प रचालक)। सव -मेकेिन म को इस तरह बनाया जाता
है िक वे अपने आप िकसी ल य या “जवाब” क “िदशा म चल सक।”
1948 म भौ तकशा ी डॉ. नॉमन वायनर ने पशुओ,ं इंसान और मशीन म
िनयं ण व सं ेषण के अ ययन के े के लए “साइबरनेिट स” श द का
इ तेमाल शु िकया। साइको साइबरनेिट स म हम अपने भीतर के सव मेकेिन म को यादा अ छी तरह िनयंि त करने के लए आ म-छिव के
साथ और इसके मा यम से अ धक भावी सं ेषण करना सीख रहे ह।
आपका सव -मेकेिन म वच लत सफलता मेकेिन म भी बन सकता
है और वच लत असफलता मेकेिन म भी। यह इस बात पर िनभर करता
है िक आपक आ म-छिव के मा यम से इसे कैसा आदेश या ो ा मग
िमलती है।
जब हम मानव मन और तंि का तं क सव -मेकेिन म के प म
क पना करते ह, जो साइबरनेिटक स ांत के तादा य म काय कर रहा
है, तो हम मानव यवहार के य और िकस लए के बारे म नई जानकारी
हा सल होती है।
मने इस नई अवधारणा का नामकरण “साइको साइबरनेिट स” करने
का िनणय लया : साइबरनेिट स के स ांत को मानव म त क पर लागू
करना।
मुझे दोहराना होगा। साइको साइबरनेिट स यह नह कहता िक इंसान
एक कं यूटर है। इसके बजाय, यह कहता है िक हमारे पास एक कं यूटर है,
जसका हम इ तेमाल करते ह। आइए, कं यूटस जैसे यांि क सव मेकेिन म तथा मानव म त क के बीच क कुछ समानताओं क जाँच
करते ह।
सव -मेकेिन म के
दो सामा य कार को समझना
सव -मेकेिन म को दो सामा य कार म िवभा जत िकया जा सकता है :
1. जहाँ ल य या “जवाब” मालूम हो और उ े य हो उस तक पहुँचना या
उसे हा सल करना; 2. जहाँ ल य या “जवाब” मालूम नह हो और उ े य
हो उसका पता लगाना या खोजना। मानव म त क और तंि का तं इन
दोन ही तरीक़ से काय करते ह।
पहले कार का उदाहरण है आ म-िनद शत टॉरपीडो या इंटरसे टर
िमसाइल। ल य मालूम है - श ु का जहाज़ या िवमान। उ े य इस तक
पहुँचना है। ऐसी मशीन को वह ल य “मालूम” होना चािहए, जस पर उ ह
िनशाना लगाना है। उनके पास िकसी तरह का आगे बढ़ाने वाला मेकेिन म
होना चािहए, जो उ ह ल य क सामा य िदशा म आगे ले जाए। उ ह
“संवेदी अंग ” (राडार, सोनार, ऊ मा अनुभव मेकेिन म आिद) से लैस
होना चािहए, जो ल य से जानकारी ा कर। ये “संवेदी अंग” मशीन को
जानकारी देते रहते ह िक यह कब सही िदशा म है (सकारा मक फ़ डबैक)
और कब यह ग़लती कर रहा है तथा िदशा से दरू जा रहा है (नकारा मक
फ़ डबैक)। मशीन सकारा मक फ़ डबैक पर ति या नह करती है। यह
पहले ही सही चीज़ कर रही है, इस लए यह उसी काय को आगे करती
रहती है।
बहरहाल, नकारा मक फ़ डबैक पर ति या करने के लए िकसी
तरह के सुधारा मक मेकेिन म क ज़ रत होती है। जब नकारा मक
फ़ डबैक मेकेिन म को जानकारी देता है िक यह िदशा से भटक गया है िमसाल के तौर पर, यह दाई ं ओर यादा आगे चला गया है - तो
सुधारा मक मेकेिन म अपने आप रडर को इस तरह िहला देता है, तािक
यह मशीन को दोबारा बाई ं ओर ले आए। अगर सुधार आव यकता से
अ धक हो जाता है और मशीन बाई ं ओर यादा िनकल जाती है, तो यह
ग़लती भी नकारा मक फ़ डबैक ारा पता चल जाती है। यह पता चलने पर
सुधारा मक मेकेिन म रडर को सि य कर देता है, तािक यह मशीन को
दाई ं ओर ले जाए। टॉरपीडो आगे बढ़कर, ग़ल तयाँ करके और उ ह
लगातार सुधारकर अपने ल य तक पहुँचता है। टेढ़ी-मेढ़ी ग तिव धय क
ख
ृं ला के ज़ रए यह ल य तक पहुँचने का रा ता श दशः “टटोलता” है।
डॉ. नॉरबट वायनर ने ि तीय िव यु म ल य-आकां ी मेकेिन म के
िवकास का माग श त िकया था। उनका मानना है िक इसी से बहुत
िमलती-जुलती कोई चीज़ मानवीय तंि का तं म होती है, जब भी आप
कोई उ े यपूण ग तिव ध करते ह, भले ही यह टेबल से प सल उठाने जैसी
सामा य ल य–आकां ी थ त हो।
प सल उठाने का ल य “इ छाशि ” या चेतन िवचार के ज़ रए ही
हा सल नह होता। यह तो वच लत मेकेिन म के कारण हा सल होता है।
चेतन िवचार सफ़ यह करता है िक ल य को चुनता है, इ छा के मा यम से
इसे काय करने के लए े रत करता है और वच लत मेकेिन म को
जानकारी देता है, तािक यह लगातार इसक िदशा सुधारे।
डॉ. वायनर ने कहा था िक सफ़ देह संरचना का कोई िवशेष ही यह
जान सकता है िक प सल उठाने म िकतनी मांसपे शय के इ तेमाल क
ज़ रत पड़ती है। और अगर आपको यह बात पता भी हो, तब भी आप
चेतन प से ख़ुद से नह कहते, “मुझे अपनी बाँह उठाने के लए अपने कधे
क मांसपे शय को सकोड़ना होगा, अब मुझे अपनी बाँह आगे करने के
लए अपनी टाइसे स को सकोड़ना होगा, आिद।” आप बस आगे बढ़ते ह
और प सल उठा लेते ह। आप चेतन होकर अलग-अलग मांसपे शय को
आदेश जारी नह करते ह, न ही यह िहसाब लगाते ह िक उ ह िकतना
सकोड़ने क ज़ रत है।
जब “आप” ल य चुन लेते ह और इसे कम के लए े रत करते ह, तो
एक वच लत मेकेिन म बागडोर थाम लेता है। पहली बात, आपने पहले
भी प सल या ऐसी ही दस
ू री चीज़ उठाई है। आपका वच लत मेकेिन म
सीख चुका है िक आव यक सही ति या या होगी। इसके बाद आपका
वच लत मेकेिन म आपक आँ ख ारा म त क को िदए फ़ डबैक डेटा
का इ तेमाल करता है, जो इसे बताता है िक “िकस हद तक प सल ऊपर
नह उठाई गई है।” यह फ़ डबैक डेटा वच लत मेकेिन म को समथ
बनाता है िक यह लगातार आपके हाथ क िदशा सही करे, जब तक िक यह
प सल तक न पहुँच जाए।
शायद प सल उठाना बहुत रोमांचक काय नह है।
लेिकन यह बहुत रोमांचक होना चािहए य िक जस छोटी ि या का
अभी-अभी वणन िकया गया है, वह बहुत मह वपूण है। जस ि या का
इ तेमाल हम प सल उठाने या िकसी अ य सामा य, चुनौतीहीन काय को
करने के लए करते ह, ठीक उसी ि या का इ तेमाल हम कह अ धक
जिटल और चुनौतीपूण िदखने वाले ल य को हा सल करने के लए कर
सकते ह। रोमांचक बात यह है िक आप इस ि या के “ वामी” ह और
इसका लगातार इ तेमाल करते ह। ल य- ाि क िकसी नई मता क
आव यकता नह है और िकसी मता का अभाव भी नह है।
दस
ू रे श द म, अगर आप प सल उठा सकते ह, तो इसका मतलब है िक
आप बड़े ोतासमूह के सामने िव ासपूवक और अ छी तरह बोल सकते
ह या रोचक िव ापन लख सकते ह या कारोबार शु कर सकते ह या
गो फ़ खेल सकते ह या - कोई भी दस
ू रा काय कर सकते ह। आप पहले हो
“ ि या” के “ वामी” बन चुके ह, ि या को पूरी तरह सीख चुके ह।
िकसी शशु का उदाहरण देख। जो शशु अभी अपनी मांसपे शय का
इ तेमाल करना सीख रहा है, वह जब झुनझुने क ओर हाथ बढ़ाता है, तो
उसम सुधार बहुत प होता है। ब े के पास इस बारे म बहुत कम पुरानी
जानकारी होती है, जसका वह लाभ ले सके। उसका हाथ आगे-पीछे ,
इधर-उधर होता है और यह प
प से टटोलते हुए झुनझुने तक पहुँचता
है। जब सीखने क ि या घिटत होती है, तो सुधार अ धक प र कृत हो
जाता है। हम इसे उस कार चलाना सीखने वाले यि म देखते ह, जो
ज़ रत से यादा सुधार कर लेता है और नतीजा यह होता है िक वह
सड़क पर इधर से उधर टेढ़ी-मेढ़ी ग तिव धयाँ करता है।
बहरहाल, एक बार जब सही या सफल ति या सीख ली जाती है,
तो इसे भावी इ तेमाल के लए याद रखा जाता है। िफर वच लत
मेकेिन म भावी अवसर पर इस सफल ति या क नक़ल करता है।
इसने सीख लया है िक सफलतापूवक ति या कैसे करनी है। यह अपनी
सफलताओं को याद रखता है, असफलताओं को भूल जाता है और सफल
काय क आदत डालकर उसे दोहराता है।
इसी लए अलग-अलग े के सबसे कुशल, सबसे सफल लोग इतने
यासरिहत तरीक़े से सफल होते नज़र आते ह। बेहतरीन दशन करने
वाले से स ोफ़ेशनल संभािवत ाहक क आप य या चताओं पर िबना
शकन के ति या करते ह, सही समय पर सही बात कह देते ह। उनक
ति याएँ आदत बन चुक ह - एक तरह से वच लत हो गई ह।
आप इस बद ु पर पहले ही पहुँच चुके ह, य िक आप कई तरह क
चीज़ पहले से ही अ छी तरह कर लेते ह। चूँिक आप ऐसा कर चुके ह,
इस लए यह त य इस बात क गारंटी है िक आप इसे दोबारा कर सकते ह,
चाहे आपका चुना हुआ उ े य कोई भी हो।
आपका म त क सम याओं के जवाब
कैसे खोजता है
आइए, हम “ ि या” क जाँच क ओर लौटते ह। अब हम मान लेते ह िक
कमरे म अँधेरा है, इस लए आप प सल को नह देख सकते। आप जानते ह
या आशा करते ह िक टेबल पर कई अ य व तुओ ं के साथ एक प सल भी
रखी है। सहज बोध से, आपका हाथ इधर से उधर टटोलता है, टेढ़ी-मेढ़ी
ग तिव धयाँ (या “ कै नग”) करता है, एक के बाद दस
ू री व तु को
अ वीकार करता है, जब तक िक प सल को खोज और “पहचान” नह
लया जाता। यह दस
ू रे कार के सव -मेकेिन म का उदाहरण है। अ थायी
तौर पर भूले हुए नाम को याद करना भी इसी का उदाहरण है। आपके
म त क म एक “ कैनर” आपक सं हीत मृ तय म तब तक दौड़ता है,
जब तक िक सही नाम नह िमल जाता।
इले टॉिनक म त क भी काफ़ कुछ इसी तरह सम याओं को
सुलझाता है। सबसे पहले, मशीन म बहुत सारा डेटा डाला जाता है। यह
सं हीत या दज जानकारी मशीन क “ मृ त” होती है। मशीन के सामने
एक सम या पेश क जाती है। यह अपनी मृ त को कैन करती है, जब
तक िक यह उस अकेले जवाब को नह खोज लेती, जो सम या क सारी
शत को पूरा करता हो और उसे सुलझाने म स म हो। सम या और जवाब
दोन से िमलकर एक “पूण” थ त या तं बनता है। जब थ त या तं
(सम या) का एक िह सा मशीन को िदया जाता है, तो यह तं को पूरा
बनाने के लए “खोए िह से” या सही आकार क ई ंट को खोजने लगती है।
आप इंटरनेट के सच इंजन और कं यूटर क सच ि या म इस ि या
को पहचान सकते ह। शु आती सच इंजन तुलना मक प से धीमे, अटपटे
और अकायकुशल थे। आज के सं करण तुलना मक प से बेहद तेज़ ह,
लेिकन अगर उनक तुलना आपके अपने िदमाग़ के “सच इंजन” से क
जाए, तो कं यूटर के सच इंजन अब भी दायरे और शि म बहुत सीिमत ह।
जो लोग साइको साइबरनेिट स के बहुत सम पत अ यासी बन चुके ह, वे
अपने आं त रक सच इंजन के उपयोग म बहुत ही िनपुण होते ह। िमसाल के
तौर पर, कई लेखक और व ाओं ने मुझे बताया है िक भाषण या
रचना मक लेखन के लए वे अपने अवचेतन को िकसी अ छे रोचक संग,
कहानी, चुटकुले या िकसी कहानी के खोए िववरण क अपनी आव यकता
संबध
ं ी िनदश देकर एक झपक लेते ह, और जब वे जागते ह, तो उनक
मनचाही साम ी उनके “िदमाग़ म” होती है।
वच लत मेकेिन म को कायिव ध पर एक िनगाह
हम इंटरसे टर िमसाइ स क ज़बद त कुशलता पर अचरज करते ह, जो
पलक झपकते ही िकसी दस
ू री िमसाइल के आने के बद ु का अनुमान लगा
सकती ह और सही पल पर संपक करने के लए वहाँ पहुँच जाती ह। हमने
डेज़ट टॉम अ भयान के दौरान जो “ माट बम” देखे थे, उनम इसी तरह
क ौ ोिगक का इ तेमाल िकया गया था। ि तीय िव यु म पनडु बय
को गाइडेड टॉरपीडो से तबाह िकया गया था, लेिकन आज क ौ ोिगक
उससे कह े है। अब तो यह भी संभव लगता है िक रा प त रीगन ने
तथाक थत टार वॉस डफ़स स टम क जो िहमायत क थी, वह अंततः
वा तिवकता म बदल सकता है।
लेिकन या हम इतनी ही अ त
ु चीज़ उस व त नह देखते ह, जब
हम िकसी सटर फ़ डर को लाई बॉल पकड़ते देखते ह? बॉल कहाँ िगरेगी
या क ग त, या उसके “पकड़े” जाने का बद”ु कहाँ होगा, इसका अनुमान
लगाने के लए उसे गद क ग त, इसके िगरने के कोण, इसक िदशा, हवा
क ग त, शु आती वेग और वेग म िमक ास क दर क गणना करनी
होती है। उसे यह अनुमान भी लगाना होता है िक उसे िकतनी तेज़ और
िकस िदशा म भागना चािहए, तािक गद के आने के समय या उससे पहले
वह गद आने के बद ु पर पहुँच जाए। सटर फ़ डर इस सबके बारे म सोचता
तक नह है। उसका अंद नी ल य-आकां ी मेकेिन म उसक आँ ख और
कान के मा यम से िमले हुए डेटा के अनुसार अपने आप इसक गणना कर
देता है। उसके म त क का कं यट
ू र इस जानकारी क तुलना सं हीत डेटा
( लाई बॉ स को पकड़ने म िमली अ य सफलताओं और असफलताओं
क मृ तय ) से करता है। सारी आव यक गणनाएँ बस पल भर म हो जाती
ह, उसके पैर क मांसपे शय को आदेश जारी कर िदए जाते ह और वह
“बस दौड़ पड़ता है।”
िव ान कं यट
ू र तो बना सकता है,
लेिकन कं यट
ू र ऑपरेटर नह
डॉ. वायनर ने कहा था िक िनकट भिव य म वै ािनक ऐसा इले टॉिनक
म त क कभी नह बना पाएँ गे, जसक मानव म त क से तुलना क जा
सके। “म सोचता हूँ िक उपकरण के
त जाग क जनता ने मानव
म त क क तुलना म इले टॉिनक मशीनरी के ख़ास लाभ और ख़ास
हािनय के त जाग कता का अभाव दशाया है,” वे कहते ह। “मानव
म त क म व चग उपकरण क सं या अब तक बनी या िनमाणाधीन
िकसी भी कं यू टग मशीन से बहुत अ धक होती है।”
उनक भिव यवाणी यह लखे जाने तक सच रही है। यक़ नन, जब डॉ.
वायनर ने पहलेपहल साइबरनेिट स म हाथ आज़माए थे, उसके बाद से
कं यट
ू र जैसी कई चम कारी मशीन और उपकरण हमारे जीवन म आए ह।
कभी जसम कई कमर के बराबर जगह लगती थी, वह अब एक हाड डाइव
म आ जाता है, जो आपके डे कटॉप म रहती है। िफर भी क पना, आ मछिव और सव -मेकेिन म वाले आपके तं क आज भी कोई तुलना नह
है।
लेिकन अगर ऐसा कं यूटर बना भी लया जाए, तब भी इसके ो ामर
का अभाव रहेगा। कं यूटर ख़ुद के सामने सम याएँ पेश नह कर सकता।
इसम कोई क पनाशीलता नह होती और यह अपने लए ल य िनधा रत
नह कर सकता। यह इस बात को तय नह कर सकता िक कौन से ल य
साथक ह और कौन से नह ह। इसम कोई भावनाएँ नह होत । यह महसूस
नह कर सकता। यह िकसी ऑपरेटर ारा िदए गए नए डेटा पर ही काय
करता है। फ़ डबैक के डेटा और पुरानी सं हीत जानकारी से यह अपनी
“इंि य ” को जा त करता है।
या आप िवचार , ान और शि के
असीम भंडार से जुड़े हुए ह?
सभी यगु म कई महान चतक मानते आए ह िक इंसान क “सं हीत
जानकारी” अतीत के अनुभव और सीखे गए त य क यि गत याद
तक ही सीिमत नह है। इमसन ने हमारे यि गत म त क क तुलना
शा त म त क के महासागर क ओर आने वाली खािड़य से करते हुए
कहा था, “सभी इंसान म एक म त क साझा है।”
थॉमस ए डसन का मानना था िक उ ह कुछ िवचार अपने से बाहर के
िकसी ोत से िमलते थे। एक बार जब िकसी रचना मक िवचार के लए
उ ह बधाई दी गई, तो उ ह ने ेय लेने से इंकार करते हुए कहा िक “िवचार
तो हवा म मौजूद रहते ह,” और अगर उ ह ने उस चीज़ को नह खोजा
होता, तो कोई दस
ू रा खोज लेता।
ूक यूिनव सटी क पैरासाइकोलॉजी लैबोरेटरी के मुख डॉ. जे. बी.
राइन ने योग से सािबत कर िदया है िक लोग क उस ान, त य और
िवचार तक पहुँच होती है, जो श ा या अनुभव से सं हीत जानकारी या
यि गत याद से परे होता है। टेलीपैथी, अती य ि , और पूवाभास
योगशाला म हुए असं य वै ािनक योग ारा थािपत िकए जा चुके ह।
अमे रका, स और कई अ य देश क सरकार ने इस े के शोध म
िवशाल धनरा श और कई वष के समय का िनवेश िकया है।
हा लया वष म ये िवषय जनता तक िव ान के प म कम, मनोरंजन
के प म अ धक पहुँचे ह, जैसे यूरी गेलर या िफर द अमे ज़ग े कन।
जादगू र और मान सक करामा तय के मंचीय दशन म टेलीपैथी के नाम
पर जो होता है, वह चालबाज़ी से अ धक कुछ नह है। बहरहाल, गेलर और
े कन दोन म ऐसी ज़बद त यो यताएँ थ , जनका दशन उ ह ने
योगशालाओं म भी िकया। े कन ने ख़ुद ज़ोर देकर कहा है िक हर
यि म उसके जैसी यो यताएँ होती ह, फ़क़ सफ़ उनके िवकास और
इ तेमाल का है।
इस मामले म मेरी च े कन के बजाय थॉमस ए डसन क सोच म
अ धक है, लेिकन अगर आप 1920 के दशक से लेकर आज तक के पूरे
शोध और ासंिगक लेखन पर नज़र डाल, तो आप अपने लए बहुत
अ धक संभािवत उपयोग का एक साझा धागा पाएँ गे, जो सीधे साइको
साइबरनेिट स से संब है :
आप अपने सव -मेकेिन म को सम या सुलझाने या िवचार खोजने का
काय स प सकते ह, इसे खोज म लगाकर अपने दस
ू रे काय िनबटा सकते
ह, यहाँ तक िक सो सकते ह। बाद म आप देखगे िक यह उपयोगी साम ी
लेकर आ जाएगा, जसके बारे म आपको मालूम भी नह था िक आप उसे
जानते ह और यह साम ी ऐसी होगी, जसे आप चेतन िवचार या चता के
मा यम से कभी हा सल नह कर सकते थे।
यह एक साझा अनुभव बन जाता है और यह उन लोग के लए बहुत
लाभकारी होता है, जो िनयिमत प से साइको साइबरनेिट स पर िनभर
होते ह। ऐसा इस लए होता है, य िक चेतन मन के बजाय सव -मेकेिन म
जानकारी के अ धक िव तृत भंडार तक पहुँच सकता है।
मशहूर संगीत शूबट ने एक िम को बताया था िक उनक रचना मक
ि या “उस धुन को याद करने” म िनिहत थी, जसके बारे म उ ह ने या
िकसी दस
ू रे ने पहले कभी सोचा तक नह है। कई रचना मक कलाकार
और मनोवै ािनक ने सृजना मक ि या का अ ययन िकया है। वे सभी
सृजना मक ेरणा, अक मात रह यो ाटन या सहज बोध और सामा य
मानव मृ त के बीच क समानता से भािवत हुए ह।
िकसी नए िवचार या िकसी सम या के जवाब क तलाश वा तव म
उस नाम को याद करने के बहुत समान है, जसे आप भूल गए ह। आप
जानते ह िक नाम “वहाँ” पर है, वरना आप खोज ही नह करते। आपके
म त क का कैनर सं हीत मृ तय को कैन करता है, जब तक िक
मनचाहा नाम “पहचान” या “खोज” नह लया जाता।
जवाब अब मौजूद है
काफ़ कुछ इसी तरह, जब हम िकसी नए िवचार या सम या का जवाब
खोजने िनकलते ह, तो हम यह मान लेना चािहए िक जवाब पहले से ही
कह न कह मौजूद है और हम इसे बस खोजना भर है। डॉ. नॉरबट वायनर
ने कहा है, “जब कोई वै ािनक िकसी सम या पर आ मण करता है,
जसके बारे म वह जानता है िक उसका कोई जवाब है, तो उसका पूरा
नज़ रया ही बदल जाता है। इसी से जवाब क िदशा म उसका पचास
तशत रा ता तय हो जाता है।” (नॉरबट वायनर, द म
ू ऑफ़
ू न यज़
म
ू न बीइ स )।
जब आप कोई सृजना मक काय करने िनकलते ह - चाहे यह िब ी म
हो, कारोबार सँभालने म हो, किवता लखने म हो, मानवीय संबध
ं बेहतर
बनाने म हो या जो भी हो - तो आप मन म एक ल य लेकर शु आत करते
ह, जसे हा सल करना है। अब बस एक “टागट” जवाब रह जाता है, जो
हालाँिक शायद थोड़ा अ प है, लेिकन जब यह सामने आएगा, तो इसे
“पहचान” लया जाएगा। अगर आप इस बारे म सचमुच गंभीर ह, आप म
उ कट इ छा है और आप सम या के सभी पहलुओ ं के बारे म गहराई से
सोचने लगते ह, तो आपका सृजना मक मेकेिन म काय शु कर देता है
और जस कैनर के बारे म हमने बात क है, वह सं हीत जानकारी को
कैन करता है या जवाब को टटोलता है। एक िवचार यहाँ से, एक त य
वहाँ से उठाया जाता है। यह कुछ पुराने अनुभव को भी चुनकर उ ह एक
कर देता है - या उ ह िमलाकर एक अथपूण िन कष म बदल देता है, जो
आपक थ त के अधूरे िह से को भर देगा, आपके समीकरण को पूरा कर
देगा या आपक सम या को सुलझा देगा। जब यह समाधान आपक चेतना
को िदया जाता है - अ सर िकसी अक मात पल म जब आप िकसी दस
ू री
चीज़ के बारे म सोच रहे ह या शायद सपने के प म भी, जब आपक
चेतना सोई होती है - कोई चीज़ ि क करती है और आप तुरत
ं पहचान
जाते ह िक यही वह जवाब है, जसक आपको तलाश थी।
इस ि या म, या आपका सृजना मक मेकेिन म शा त म त क म
सं हीत जानकारी तक पहुँच सकता है? सृजना मक लोग के बहुत से
अनुभव बताते ह िक ऐसा ही होता है। अ यथा आप लुई अगासी के इस
अनुभव को कैसे प कर सकते ह, जो उनक प नी ने बताया था?
प थर क एक च ान म एक मछली के जीवा म क थोड़ी अ प छाप िमली थी और वो
इसे प करने क को शश कर रहे थे। काफ़ को शश के बाद वे थक गए और चकरा
गए। आ ख़रकार उ ह ने अपने काय को परे रख िदया और इसे अपने िदमाग़ से दरू
रखने क को शश क । इसके कुछ समय बाद एक रात को वे जागे और उ ह यक़ न था
िक उ ह ने सपने म अपनी मछली को देखा था, जसके सभी खोए हुए अंग आदश प म
िदख रहे थे।
वे ज द ही जारदां दे लॉ स गए और उ ह ने सोचा िक नए सरे से अ प छाप देखने
से उ ह सपने म देखी छिव याद आ जाएगी। इससे कोई फ़ायदा नह हुआ - धुध
ं ली छाप
पहले क तरह ही धुध
ं ली रही। अगली रात उ ह वह मछली दोबारा िदखी, लेिकन जागने
पर यह उनक मृ त से पहले क तरह ही गायब हो गई। यही अनुभव एक बार िफर
दोहराया जा सकता है, इस उ मीद म तीसरी रात को उ ह ने सोने जाने से पहले अपने
िब तर के बग़ल म एक प सल और काग़ज़ रख लया।
सुबह के क़रीब मछली एक बार िफर उनके सपने म कट हुई, पहले तो धुध
ं ले प म,
लेिकन आ ख़रकार इतनी प ता के साथ िक उ ह इसक जीववै ािनक आकृ त के
बारे म कोई शंका नह थी। आधे सपने और पूरे अँधेरे म उ ह ने िब तर के बग़ल म रखे
कागज़ पर वह आकृ त ख च दी।
सुबह वे यह देखकर हैरान हुए िक रात के अँधेरे म उ ह ने जो आकृ त ख ची थी, उसे
देखकर यह असंभव लग रहा था िक जीवा म इसे कट करेगा। वे तुरत
ं जारदां दे
लॉ स पहुँचे और डॉइंग के मागदशन के सहारे प थर क सतह खुरची, जसके नीचे
मछली के बाक़ िह से छपे हुए थे। जब जीवा म पूरी तरह से कट हुआ, तो यह उनके
सपने क आकृ त और डॉइंग के अनु प था तथा वे आसानी से इसका वग करण करने
म सफल हो गए।
आप आइं टाइन नह ह
जब कोई ब ा ग णत को समझ नह पाता है, तो माता-िपता या श क
कंु िठत होकर आलोचना या िनदा म यह नकारा मक वा य कहते ह, “वह
कोई आइं टाइन नह है।” िफर वे िनराशा और कुठा म दरू चले जाते ह।
दे खए, दरअसल आइं टाइन भी आइं टाइन जैसे नह थे! पा स ऑफ़
जीिनयस पु तक म शोधकता और लेखक रॉबट तथा िमशेल ट-बन टीन
बताते ह िक आइं टाइन के साथी जानते थे िक वे ग णत म तुलना मक प
से कमज़ोर थे तथा उ ह अपने िवचार को आगे बढ़ाने वाले “िव तृत काय”
करने के लए ग णत
क मदद क अ सर ज़ रत पड़ती थी।
आइं टाइन ने एक ऐसे ही यि को लखा था, “ग णत म अपनी मु कल
क चता न कर। म आपको आ त कर सकता हूँ िक मेरी मु कल आपसे
कह यादा ह।”
आइं टाइन क अ धकतर सफलता उनक क पना क उपज है, जो
बहुत ही “अवै ािनक” तरीक़े से संभव हुई। उ ह ने एक बार एक योग का
वणन िकया, जसम उ ह ने क पना क थी िक वे एक फ़ोटॉन ( काश के
धना मक अणु) ह और काश क ग त से घूम रहे ह। उ ह ने क पना क
िक फ़ोटॉन के प म वे या देखते और महसूस करते थे । िफर उ ह ने यह
क पना क िक वे दस
ू रे फ़ोटॉन बनकर पहले फ़ोटॉन का पीछा कर रहे ह।
यह कैसा वै ािनक योग है? वह लैकबोड कहाँ गया, जो चॉक से लखे
लॉगै र स (लघुगणक ) और फ़ॉमूल से भरा है, जनका संबध
ं हम
आइं टाइन के साथ आम तौर पर जोडते ह?
मने ऐ बट आइं टाइन के बारे म जो भी पढ़ा है, उसका िव ेषण यह
है िक वे साइको साइबरनेिट स के बहुत बड़े अ यासी थे। वे इस तरह काय
करते थे, मानो सै ां तक िवचार कोई त या मक िन कष था। इसके बाद वे
“पता लगाने” का काय अपने सव -मेकेिन म तथा दस
ू रे “लोग ” को स प
देते थे। मुझे िव ास है िक क पनाशि के ज़ रए वे अपने ख़ुद के सं हीत
डेटा से परे के संसार क
ा से जुड़ जाते थे। वे कमाल के ल य-िनमाता
थे। उनक उपल धयाँ इस बात का माण ह िक इंसान के पास
क पनाशि के मा यम से अपने ख़ुद के सं हीत ान, श ा, अनुभव या
यो यता से परे और ऊपर उठने का अवसर होता है। आप भी ऐसा कर
सकते ह।
तो वा तव म साइको साइबरनेिट स या है?
आप यह मान सकते ह िक साइको साइबरनेिट स जानका रय , स ांत
और यावहा रक िव धय का समूह है, जो आपको िन न काय करने म
समथ बनाता है :
1. अपनी आ म-छिव क साम ी क सटीक जाँच और िव ेषण
करना।
2. अपनी आ म-छिव म िनिहत ग़लत व बंधनकारी ो ा मग को
पहचानना और अपने उ े य के िहसाब से इसे सुिनयो जत तरीक़े
से बदलना।
3. अपनी आ म-छिव क दोबारा ो ा मग और बंधन के लए अपनी
क पना का इ तेमाल करना।
4. अपने सव -मेकेिन म के साथ भावी संचार के लए अपनी आ मछिव के तालमेल म क पना का योग करना, तािक यह वच लत
सफलता मेकेिन म के प म काय करे, आपको अपने ल य क
ओर िनरंतर आगे ले जाए, जसम बाधाएँ सामने आने पर सही रा ते
पर वापस लौटाना शािमल है।
5. अपने सव -मेकेिन म का िकसी वृहद सच इंजन क तरह भावी
इ तेमाल करना, तािक यह िकसी ख़ास उ े य के लए आपक
ज़ रत का िवचार, जानकारी या समाधान दान करे - यहाँ तक िक
इसे हा सल करने के लए आपके ख़ुद के सं हीत डेटा से परे जाए।
एक तरह से, साइको साइबरनेिट स ऐसा संचार तं है, जसम आप
ख़ुद के साथ भावी ढंग से संवाद कर सकते ह।
अपनी एक नई मान सक त वीर बनाएँ
यिद यि व दख
ु द, असफल िक़ म का हो, तो यह िवशु इ छा शि या
संक प के सहारे नई आ म-छिव िवक सत नह कर सकता। यह िनणय
करने के लए कोई आधार, कोई तक, कोई कारण होना चािहए िक आपके
व प क पुरानी त वीर ग़लत है और नई त वीर सही है। आप एक नई
आ म-छिव क क पना तब तक नह कर सकते, जब तक िक आप यह
महसूस न कर िक यह स ाई पर आधा रत है। अनुभव दशाता है िक जब
लोग अपनी आ म-छिव बदल लेते ह, तो उनम यह भावना होती है िक
िकसी कारण से उ ह अपने बारे म स ाई “िदख” जाती है या उ ह उसका
एहसास हो जाता है।
इस अ याय म बताई गई स ाई आपको आपक पुरानी अ म आ मछिव से मु कर सकती है - बशत आप इसे बार-बार पढ़, इसके भाव के
बारे म गहराई से सोच और इसम बताए गए स य को “हथौड़ा मारकर”
अपने भीतर घुसा ल।
अपनी पु तक रवॉ यश
ु न ॉम िविदन : अ बुक ऑफ़ सेलफ़-ए टीम
म ले खका लो रया टाइनहाइम हालम के रॉयल नाइ स क कहानी
बताती ह। यह एक पुर कार-िवजेता, चिपयन शप कूल चेस ब था।
िदलच प बात यह थी िक इसे पेिनश हालम के एक दजन “स त” ब
को लेकर बनाया गया था। ब म शािमल होने से पहले ये ब े सड़क पर
आवारागद करते थे, छुटपुट अपराध और हसा म संल थे, उनका एक
पैर अपराध के दलदल म डू बा था तथा वे नशीली दवाओं का इ तेमाल भी
करते थे। उ ह देखने वाले अ धकतर लोग तुरत
ं इस िन कष पर पहुँच जाते
िक वे बेकार थे, िनराशाजनक थे, खतरनाक थे, जेल क सज़ा के अलावा
कुछ हा सल नह कर सकते थे और उनम िकसी तरह के िनवेश का कोई
फ़ायदा नह था। लेिकन िबल हॉल नामक “सामा य” कूल टीचर ने इन
ब म वह संभावना देखी, जसे कोई दस
ू रा नह देख पाया था। चेस ब
क ग तिव ध के मा यम से उ ह ने एक माहौल और अनुभव क ख
ृं ला
दान क , जसका नतीजा यह हुआ िक इन ब का ख़ुद को देखने का
ि कोण ही बदल गया।
अ सर ऐसा होता है िक लोग िकसी के बारे म कहते ह िक उसके
सफल होने क संभावना नह है और वह ख़ुद भी यही मानता है। बहरहाल,
सौभा य से उसे कोई िमल जाता है, जो उसम ऐसी संभावना देख लेता है,
जसे िकसी दस
ू रे ने नह देखा, उसम इतना यक़ न करता है, जतना िक
वह वयं भी नह करता। श दश: संक पवान भाव के मा यम से वह
पारखी उस यि क आ म-छिव को सीधे बदल देता है। बहरहाल,
आपको िकसी दस
ू रे का इंतज़ार करने क ज़ रत नह है, जो आपके लए
यह काय करे। आप साइको साइबरनेिट स क मदद से ख़ुद ही ऐसा कर
सकते ह। जैसा आपको इस पु तक म पता चलेगा, यह काय हज़ार लोग
ने िकया है।
साइको साइबरनेिट स का बुिनयादी संदेश यह है िक ई र ने हर
इंसान को श दशः “सफल होने के लए बनाया” है। हर इंसान म यह शि
है िक वह अपने से बड़ी शि तक पहुँच सकता है। और वो ह आप ।
अगर आपको सफलता और ख़ुशी के लए बनाया गया है, तो आपक
अपने बारे म देखी पुरानी त वीर ग़लत होगी, जसम आप ख़ुद को ख़ुशी
का हक़दार नह समझते या जीवन के िकसी ख़ास पहलू म उ कृ बनने म
असमथ महसूस करते ह - या ख़ुद को ऐसा इंसान मानते ह, जो असफल
होने के लए “पैदा” हुआ था।
नु ख़ा
पहले 21 िदन तक हर स ाह कम से कम तीन बार इस अ याय को
पूरा पढ़। इसका अ ययन कर और इसे पचा ल। उदाहरण क तलाश
अपने और िम के उन अनुभव म कर, जो सृजना मक मेकेिन म
क कायिव ध को चि त करते ह । ख़ुद को सीिमत करने वाले
िवचार के संबध
ं म सोच, जो आपक आ म-छिव म ढ़ता से जमे हो
सकते ह और उन “प रणाम ” के “कारण” हो सकते ह, ज ह आप
अब नह चाहते।
मान सक
श ण अ यास
नीचे िदए बुिनयादी स ांत को याद कर ल, जनके ज़ रए आपका
सफलता मेकेिन म काय करता है। आपको अपने ख़ुद के सव मेकेिन म को चलाने के लए कं यूटर जीिनयस या यूरोिफ़िज़ स ट
बनने क ज़ रत नह है, जस तरह िक आपको अपने कमरे क ब ी
जलाने के लए इले टकल इंजीिनयर होने या कार चलाने के लए
इंजीिनयर होने क ज़ रत नह है। हालाँिक, आपको िन न स ांत
से प र चत होने क ज़ रत है, य िक उ ह याद करने के बाद ही वे
आगे आने वाली बात पर “नई रोशनी” डालगे :
1. ल य बनाएँ । आपके आं त रक सफलता मेकेिन म का एक ल य
या “टागट” होना चािहए। इस ल य या टागट क क पना इस
तरह कर, जैसे यह “पहले से ही अ त व” म ही, या तो
वा तिवक प म या संभािवत प म। यह दो तरीक़ से हो
सकता है : 1. या तो पहले से मौजूद ल य क ओर ख़ुद को ले
जाकर या 2. िकसी पहले से मौजूद चीज़ को “खोजकर।”
2. िव ास रख। वच लत मेकेिन म दरू दश होता है, यानी यह
“अं तम प रणाम ” पर काय करता है, या इसे ऐसा करना चािहए।
इस बात से हताश न ह िक साधन प नह ह। जब आप ल य
दान कर देते ह, तो साधन दान करना वच लत मेकेिन म का
काय है। अं तम प रणाम के बारे म सोच, साधन अमूमन अपनी
परवाह वयं कर लेते ह।
3. बेिफ़ रह। ग़ल तयाँ करने या अ थायी असफलताओं से न
घबराएँ । सभी सव -मेकेिन म नकारा मक फ़ डबैक या ग़ल तयाँ
करके और िदशा म तुरत
ं सुधार करके ल य हा सल करते ह।
वच लत िदशा सुधार साइको साइबरनेिट स के कई लाभ म से
एक है।
4. सीख। को शश और ग़ल तय के मा यम से ही हर तरह क
यो यता सीखी जाती है। ग़लती के बाद अपने ल य क िदशा म
मान सक सुधार करते रह, जब तक िक आप “सफल” ग तिव ध,
ि या या दशन को हा सल न कर ल। इसके बाद आगे क
सीखने और सतत सफलता क ि या तब हा सल होती है, जब
आप पुरानी ग़ल तय को भूल जाते ह और सफल ति या को
याद रखते ह , तािक इसक “नक़ल” क जा सके।
5. यह कर। आपको अपने सृजना मक मेकेिन म पर िव ास होना
चािहए िक यह अपना काय करेगा। आपको इस बारे म बहुत चता
करने या तनाव पालने क ज़ रत नह है िक यह काय करेगा या
नह । आपको बहुत यादा चेतन यास से इसे मजबूर करने क
ज़ रत भी नह है, वरना आप इसे “अटका” दगे। आपको इससे
काय नह कराना है; आपको तो इसे अपना काय ख़ुद करने देना
है। यह िव ास इस लए ज़ री है, य िक आपका सृजना मक
मेकेिन म चेतना के तर के नीचे काय करता है और आप िकसी
तरह यह नह “जान” सकते िक सतह के नीचे या हो रहा है।
यही नह , इसक कृ त ही ऐसी होती है िक यह वतमान
आव यकता के अनु प सहज प से काय करता है। इस लए
आपके पास िकसी तरह क कोई गारंटी नह होती। यह तब
सि य होता है, जब आप काय करते ह और जब आप अपने
काय ारा इससे िकसी तरह क माँग करते ह। आपको काय
करने के लए तब तक इंतज़ार नह करना है, जब तक िक आपके
पास सबूत न हो। आपको तो इस तरह काय करना चािहए, मानो
यह वहाँ पर मौजूद हो और यह सही समय पर ख़ुदबख़ुद आ
जाएगा। इमसन ने कहा था, “काम शु कर दो; आप म शि आ
जाएगी।”
इस सबको िदमाग़ म रखते हुए एक “ल य” चुन - चाहे यह छरहरे
होने, व थ होने, अ धक आ मिव ासी बनने, अ धक संवादिनपुण
बनने का हो, सतत चता से मु होने का हो, टालमटोल से रिहत
से स ोफ़ेशनल बनने का हो — जो हर िदन सु यव थत कायसूची
से अपना िदन शु करता है और रात तक इसे पूरा िनबटा लेता है, या
ऐसा गो फ़ खलाड़ी बनने का हो, जो आदश ढंग से खेलता है। हर
िदन बस दस-पं ह िमनट का समय द, जसम आप एक अ प िवचार
क मान सक त वीर बनाकर उसे अ छे केच म बदल द और िफर
अ छी तरह िव तृत, रंगारंग, पूण व न म बदल द। यह यान रहे िक
हर बार याद करने पर आपक आँ ख के सामने यही व न आना
चािहए। यिद काग़ज़ पर वणन लखने या च बनाने या पि काओं से
ासंिगक त वीर इक ी करने से मदद िमलती हो, तो ऐसा कर ल।
बस दस-पं ह िमनट का समय िनकाल। िफर बाहरी जगत से आँ ख
मूद
ं ल और उस च के िनरंतर िवकास के लए ही वे आँ ख खोल।
इस छोटे से योग को 21 िदन तक आज़माएँ और देख िक या होता
है।
सश
और मज़बूत वच लत सफलता मेकेिन म
अपने वच लत सफलता मेकेिन म को प , िव तृत, सजीव क पना
और आदश ढंग से बताए गए “ल य” देकर आप यि गत िवकास और
ल य उपल ध क ग त को तेज़ कर सकते ह। जब यह ल य अ धक प
होता है, तो वच लत सफलता मेकेिन म ति या म अपने काय को
अ धक कायकुशलता से करता है।
अ याय तीन
क पना : आपके वच लत
सफलता मेकेिन म को
चालू करने वाली चाबी
िकसी सफल कारोबार को चलानो को लए इसान को पास क पना होनी
चािहए। उस चीज़ को व न क प म देखना चािहए, पूण चीज़ क व न
म।
-चा स एम. ॉब, उ ोगप त
से अ धकतर लोग को इस बात का एहसास नह होता िक क पना
ह मम
हमारे जीवन म िकतनी अ धक मह वपूण भूिमका िनभाती है।
मने इसे अपने पेशे म कई बार मा णत होते देखा है। एक ख़ास तौर
पर यादगार संग है, जसम एक मरीज़ के प रवार वाल ने उसे मेरे ऑिफ़स
म आने के लए िववश कर िदया था। उस यि क उ 40 के लगभग थी,
वह अिववािहत था, वह िदन म एक सामा य नौकरी करता था और काय
ख म होने के बाद अपने अपाटमट म अकेला रहता था, कभी कह नह
जाता था, कभी कुछ नह करता था। वह ऐसी कई नौक रयाँ कर चुका था
और कभी लंबे समय तक िकसी जगह पर िटक नह पाता था।
उसक सम या यह थी िक उसक नाक और कान ज़रा बड़े थे, जो
सामा य से थोड़ा अ धक बाहर िनकले हुए थे। वह क पना करता था िक
उसके “अजीब” िदखने क वजह से उसके संपक म आने वाले लोग पीठ
पीछे उस पर हँस रहे ह और उसक बुराई कर रहे ह। उसक क पना बढ़तेबढ़ते इतनी बल हो गई िक वह कारोबारी जगत म जाने और लोग से
संपक करने म सचमुच घबराने लगा। वह अपने ख़ुद के घर म भी मु कल
से “सुर त” महसूस करता था। वह बेचारा यि यह क पना भी करता
था िक उसके प रवार वाल को उस पर शम आती है, य िक वह “अजीब
िदखता है” या “दस
ू रे लोग ” जैसा नह िदखता।
वा तव म, उसके चेहरे क किमयाँ गंभीर नह थ । उसक नाक
ा सकल रोमन जैसी थी और कान हालाँिक थोड़े बड़े थे, लेिकन वैसे ही
कान हज़ार लोग के थे, जो यादा यान आक षत नह करते थे। हताशा
म उसके प रवार वाले उसे मेरे पास ले आए और पूछा िक या म उसक
मदद कर सकता हूँ। मने देखा िक उसे सजरी क ज़ रत नह है। उसे तो
बस इस त य को समझने क ज़ रत थी िक उसक क पना शि ने
उसक आ म-छिव के साथ इतनी तबाही मचा दी है िक स ाई उसक
नज़र से ओझल हो गई है। वह सचमुच बदसूरत नह था। उसके हु लए के
कारण लोग उसे अजीब नह समझते थे और न ही उसक पीठ पीछे उस
पर हँसते थे। दरअसल, उसक क पना ही उसके दख
ु के लए िज़ मेदार
थी। उसक क पना ने उसके भीतर एक वच लत, नकारा मक
असफलता मेकेिन म बना िदया था और यह पूरी तेज़ी से काय कर रहा
था। यही उसका दभ
ु ा य था। सौभा य से, उसके साथ कई स के बाद और
उसके प रवार क मदद से उसे धीरे-धीरे यह एहसास हो गया िक उसक
क पना क शि ही उसक ददु शा के लए िज़ मेदार है। इसके बाद वह
एक स ी आ म-छिव बनाने म कामयाब हुआ और उसने िवनाशकारी
क पना के बजाय सृजना मक क पना के इ तेमाल से दोबारा
आ मिव ास हा सल कर लया।
आप कह सकते ह िक उसे िकसी वा तिवक छुरी से शारी रक सजरी
क नह , ब क भावना मक सजरी क ज़ रत थी।
सजरी के कई वष के अनुभव के बाद म इस काय म इतना चतुर हो
गया िक सजरी क आव यकता को ही ख म कर देता था!
यह हज़ार लोग के अनुभव का एक उदाहरण है, जसम िकसी न
िकसी तरह आप भी शािमल हो सकते ह। हो सकता है िक आपको अपनी
नाक, कान या िकसी अ य अंग पर शम न आती हो और हो सकता है िक
आप एकांति य न ह । लेिकन कई लोग मानते ह िक उनम ऐसा कुछ है,
जसक वजह से दस
ू रे कोई ऐसी चीज़ जो उ ह कई मायन म ग त करने
से रोकती है।
म एक बहुत ही चतुर, सफल और चुर िवचार वाले यि को जानता
हूँ। वह िव ापन के े म है और उसके जीवन भर का पैटन यह रहा है िक
जब उसक आमदनी यादा हो जाती है, तो अचानक ऐसी प र थ तयाँ
बन जाती ह, जो “उसके पैर तले के क़ालीन को ख च लेती ह,” इस लए
उसे अपनी त ा और संप को शु से, शू य से, दोबारा बनाना पड़ता
है। एक महीने वह िकसी महल म रह रहा था, दस
ू रे महीने मोटेल म। उसने
मेरे ओर दस
ू र के सामने वीकार िकया है िक उसने अपना पूरा जीवन उस
फ़ौलादी शकजे से बचने क को शश म िबताया है, जसे वह “पुरातन
कचराघर” कहता है और गॉडफ़ादर िफ़ म म जैसा अल पचीनो कहता हैजैसे ही वह बाहर िनकलता है, का अ त व भौ तक संसार म नह है; यह
तो सफ़ उसक आ म-छिव म है। यह तो उसक “बदसूरत नाक और बड़े
कान” के बारे म है। आपके मामले म यह या है?
िवसंग त क बात यह है िक हालाँिक उसका पूरा कारोबार “क पना
जगत” पर आधा रत है, लेिकन वह अब तक नह जान पाया है िक
भावना मक सजरी म क पना का इ तेमाल छुरी के प म कैसे करे, अपनी
“बड़ी नाक” क आ म-छिव से बाहर कैसे िनकले।
सृजना मक क पनाशीलता कोई ऐसी चीज़ नह है, जो सफ़ किवय ,
दाशिनक , आिव कारक आिद के लए सुर त हो। यह हमारे येक काय
म शािमल होती है। क पना ल य क त वीर तय करती है और हमारा
वच लत मेकेिन म इसी त वीर पर काय करता है। हम अगर िकसी काय
को करने म सफल या असफल ह, तो यह इ छाशि के कारण नह होता,
जैसा िक आम तौर पर माना जाता है; यह तो क पनाशि के कारण होता
है।
इस पूरी पु तक म अगर आप िकसी सवा धक मह वपूण कथन क
तलाश कर रहे ह , तो वह यह है :
इंसान हमेशा उसी अनु प काय करता है, महसूस करता है और दशन
करता है, जसे वह अपने तथा अपने प रवेश के बारे म सच मानने क
क पना करता है।
आप इस त वीर से लंबे समय तक बच नह सकते। आप इस त वीर
से आगे जाकर दशन नह कर सकते।
आप इसक चीरफाड़ कर सकते ह, इसका िव ेषण कर सकते ह,
इसम आपके बारे म जो सच न हो, उसे खोज सकते ह और इसे बदल
सकते ह। आप अतीत क खुदाई िकए िबना ही इसे बदल सकते ह।
लेिकन आप इससे बच नह सकते। अपने और अपने प रवेश के बारे
म आप जसे सच मानते ह, आप हमेशा उसी अनु प काय और दशन
करगे - और आपको उसी के अनु प प रणाम ही िमलते रहगे। यह
म त क का बुिनयादी और आधारभूत िनयम है। हम इसी तरह बनाया गया
है।
जब हम म त क के इस िनयम को िकसी स मोिहत यि म
नाटक य प से द शत होते देखते ह, तो हम अमूमन यह सोचते ह िक
यहाँ कोई अ य या असाधारण शि काय कर रही है। या िफर हम इसे
मंच का छलावा कहकर इसक अहिमयत कम कर देते ह। वा तव म, ये
मानव म त क और तंि का तं क सामा य कायकारी ि याएँ ह,
जनके हम य दश होते ह।
िमसाल के तौर पर, अगर िकसी अ छी तरह स मोिहत होने वाले
यि को बताया जाए िक वह उ री ुव पर है, तो वह न सफ़ काँपने
लगेगी और ठंड से परेशान नज़र आएगी, ब क उसका शरीर भी ठीक उसी
तरह ति या करेगा, मानो वह ठंडी हो। उसके र गटे खड़े हो जाएँ गे। यही
ल ण कॉलेज के पूरी तरह जा त िव ा थय म भी नज़र आया, जब उनसे
यह क पना करने को कहा गया िक उनका एक हाथ ठंडे पानी म डू बा हुआ
है। थमामीटर से नापने पर पता चला िक “उस” हाथ का तापमान सचमुच
कम हो गया था। िकसी स मोिहत यि को बताएँ िक आपक अँगुली
दरअसल गम से दहक रही है, तो इसके बाद वह न सफ़ आपके छूने पर
दद से मुँह बना लेता है, ब क उसक दयवािहनी और लसीका तं ठीक
उसी तरह ति या करगे, मानो उसक अँगुली दहक रही हो। इससे
उनक वचा लाल हो जाएगी और शायद उस पर फफोले भी पड़ जाएँ । एक
योग म जब पूरी तरह जा त कॉलेज िव ा थय को यह क पना करने को
कहा गया िक उनके माथे पर एक थान गम था, तो तापमान लेने पर पता
चला िक वहाँ पर वचा का तापमान सचमुच बढ़ गया था।
ये ारं भक योग ब के ू र और सामा य खेल से बस एक क़दम दरू
रहते ह, जसम अ सर कूल म शरारती मज़ाक़ िकए जाते ह - और कई
बार तो ऑिफ़स म वय क भी यही करते ह। इस शरारत म कोई समूह
गोपनीय प से एक यि को चुन लेता है। यह यि ल य बने यि से
बातचीत करते हुए पूछता है, “ या तु हारी तिबयत ख़राब है, बॉब?”
“तु हारा चेहरा तो िबलकुल सफ़ेद िदख रहा है।” “बॉब, तुम बीमार तो नह
हो गए?” यह सुनकर बेचारा बॉब रे ट म क तरफ़ भागता है और शीशे म
अपने चेहरे को देखने लगता है। ज द ही बॉब बेचन
ै ी और कमज़ोरी महसूस
करने लगता है। हो सकता है िक बॉब सचमुच इतना बीमार हो जाए िक उसे
लेटना पड़े या घर जाना पड़े।
संभवत: आपका तंि का तं िकसी का पिनक अनुभव और
“वा तिवक” अनुभव म फ़फ़ नह बता सकता। आपका तंि का तं ठीक
वैसी ही ति या करता है, जसे आप सच मानते ह या जसके सच होने
क आप क पना करती ह।
यह ल ण शरारती मज़ाक या मंच पर मनोरंजन करने वाले
स मोहनकता ारा भी उ प िकया जाता है। यह दरअसल उस बुिनयादी
ि या के अनु प होता है या उसका दशन करता है, जो हमारे यवहार
को शा सत करती है। इसे सीखा जा सकता है और लाभ के लए उसका
जान-बूझकर इ तेमाल िकया जा सकता है।
नकारा मक क पना क स मोहक शि
िकस कार एक घातक रोग बन सकती है
जब मने 1936 म यि व पर ला टक सजरी के भाव के बारे म
डॉ टर के लए अपनी पु तक यू फ़ेसेस, यू यच
ू स लखी थी, तो मने
इसम सट लुई के एक अखबार के लेख को पुनः का शत िकया, जसका
शीषक था :
लंबी नाक से उ प “होन ं थ” कॉलेज िव ाथ को
आ मह या के लए े रत करती है।
इस लेख म वॉ शगटन यूिनव सटी के एक 24 वष य िव ाथ क
आ मह या का उ ेख था, जसका नाम थयोडोर हॉफ़मैन था। िवसंग त
यह थी िक उसे जानने वाले लोग उसे लोकि य मानते थे। इस यव
ु क का
आ मह या का प यह है :
संसार के लए :
बचपन म दस
ू रे ब े मेरा अपमान करते थे और मेरे साथ द ु यवहार करते थे, य िक म
उनसे यादा कमज़ोर तथा बदसूरत था। म एक संवेदनशील, संकोची लड़का था और
मेरे चेहरे तथा लंबी नाक के कारण मेरा मज़ाक उड़ाया जाता था। मुझे लोग से डर लगने
लगा। म जानता था िक उनम से कई ऐसी चीज़ के लए मुझे चढ़ाते थे, जनके लए म
िज़ मेदार नह था - अपने भावुक वभाव और हु लए के लए। म िकसी से भी बात नह
कर पाता था। मेरा आ मिव ास चला गया था। एक श क ने मेरे नाम म दो “एफ़” लख
िदए, हालाँिक इसम सफ एक ही “एफ़” लगता था। बहरहाल, म इतना संकोची था िक
मने उ ह यह ग़लती बताकर नह सुधरवाई। नतीजा यह हुआ िक पूरे कूल क रयर म
मने अपना नाम दो “एफ़” के साथ लखा। ई र इसके लए हर एक को मा करे। मुझे
संसार से डर लगता है, लेिकन मरने से डर नह लगता।
उस व त यूिनव सटी के एक ोफ़ेसर ने इसे हीन ं थ का बेहद गंभीर
करण माना। बकवास। मेरा यक़ न मान, यव
ु क क जस हताशा ने पहले
उसक आ म-छिव का गला दबाया और िफर उसे अपनी जान लेने के लए
िववश िकया, वह हज़ार -लाख लोग को भािवत करने वाली हताशा का
ही त बब है - जसके मह व को उनके आस-पास के लोग या तो पूरी
तरह नज़रअंदाज़ कर देते ह या िफर कम ऑकते ह। दरअसल, हाल के वष
म िकशोर म आ मह या क सम या बहुत िवकराल हो गई है, हालाँिक इस
पर मी डया म शायद ही कभी चचा होती है।
एनोरे सया नकारा मक क पना क स मोहक शि का एक और
भयावह उदाहरण है। बैट लग द इनर डमी म लेखक डेिवड वायनर और डॉ.
िग बट है टर एक 15 वष य लड़क एलेन के साथ बातचीत का वणन
करते ह, जसे 1998 म 48 आवस नामक सीबीएस टेलीिवज़न ो ाम म
िदखाया गया। एलेन का वज़न सफ 82 पाउं ड था और वह बहुत बीमार,
कमज़ोर िदख रही थी, लेिकन उसका ढ़ िव ास था िक वह मोटी है।
फल व प वह भोजन करने से कतराती थी, खाना नह खाती थी और
खाने के बाद जबरन उ टी तक कर देती थी। ब के हॉ पटल म म
उसका इंटर यू लेने वाली टेलीिवज़न रपोटर ने उसे एक आदमकद आईने
के सामने खड़ा करके पूछा िक या उसे यह नह िदख रहा है िक वह
िकतनी दबु ली और कमज़ोर है। एलेन ने इस बात पर ज़ोर िदया, “म
सोचती हूँ िक म मोटी िदखती हूँ।” तब रपोटर ने इस त य को आज़माया,
“लेिकन तु हारा वज़न तो सफ़ 82 पाउं ड है। या तुम सोचती हो िक
िकसी मोटे यि का वज़न इतना हो सकता है?” एलेन ने समझदारी भरा
जवाब िदया, “नह ।” लेिकन िफर एलेन ने तुरत
ं कहा िक वह मोटी है और
अगर उसने कुछ खाया, तो वह और यादा मोटी हो जाएगी। उसका न
खाने का संक प इतना ढ़ था िक क़रीबी िनगरानी न होने पर एलेन नस
म लगी पोषक सुइय को भी िनकाल देती थी।
अ भभावक , श क , परामशदाताओं और श क के लए यह
चेतावनी क घंटी होनी चािहए। इससे उ ह याद आना चािहए िक उस यव
ु क
(या यव
ु ती) के त हमेशा सतक रहने क ज़ रत है, जसक आ म-छिव
इतने नाटक य प से सकुड़ रही हो िक वह भिव य म ख़ुद को शारी रक
नुक़सान पहुँचा सकता है।
सभी के लए यह क पना क अिव सनीय शि का प उदाहरण
है। कोई यि अपनी ख़ुद क नकारा मक क पनाशि
ारा िकसी दोष
को इतना बढ़ा-चढ़ाकर देख सकता है, उस दोष पर िव क ति या के
मह व को इतना बढ़ा-चढ़ाकर देख सकता है िक हो सकता है िक वह
आ मह या कर ले! इसी तरह कोई यि अपनी सकारा मक क पना ारा
अपनी शि य तथा अवसर क अनुभू तय को इतना “रंग” सकता है िक
वह सबसे आ यजनक चीज़ हा सल कर ले।
“स मोहक शि ” का रह य
1950 के दशक म डॉ. थयोडोर ज़ेनोफ़ोन बाबर ने स मोहन पर गहन शोध
िकया। जब वे वॉ शगटन, डी.सी. म अमे रकन यूिनव सटी के मनोिव ान
िवभाग म थे, तब भी और हावड म लैबोरेटरी ऑफ़ सोशल रलेश स से
जुड़ने के बाद भी। साइस डाइज ट म उ ह ने लखा था :
हमने पाया है िक स मोहन के वश म लोग आ यजनक चीज़ करने म तभी स म होते
ह, जब उ ह िव ास हो िक स मोहन करने वाले के श द स य ह… जब स मोहन करने
वाले ने स मोिहत यि को इस बद ु तक मागदशन िदया है, जहाँ उसे िव ास हो िक
स मोहन करने वाले के श द स य कथन ह, तो वह यि अलग तरह से यवहार करने
लगता है, य िक वह अलग तरह से सोचता और यक़ न करता है।
स मोहन हमेशा से रह यमय रहा है, य िक यह समझना हमेशा मु कल रहा है िक
सफ़ िव ास इस तरह का असामा य यवहार कैसे उ प कर सकता है। हमेशा से ऐसा
लगता था िक कोई अ य चीज़ काय करती है, कोई अबूझ शि काय करती है।
बहरहाल, सरल स ाई यह है िक जब स मोिहत होने वाले यि को िव ास हो जाता है
िक वह बहरा है, तो वह ऐसा यवहार करता है मानो वह बहरा हो। जब उसे िव ास हो
जाता है िक उसे दद महसूस नह हो सकता, तो वह िबना एन थी शया के ऑपरेशन
करा सकता है। रह यमय शि का कोई अ त व ही नह होता। (“कुड यू बी
िह नोटाइ ड?” साइंस डाइज ट , जनवरी 1958)।
ग़ौर कर िक उनक िट प णयाँ 1958 म का शत हुई थ । आज
स मोहन को चिक सा के साधन के प म काफ़ वीकार और इ तेमाल
िकया जाता है। स मोहन और आ म-स मोहन वज़न कम करने म कई
लोग क मदद करते ह और लपोस शन क तुरत-फुरत सजरी को
अनाव यक बना देते ह, जो भावना मक बनाम वा तिवक ऑपरेशन के मेरे
उदाहरण क आदश उपमा है। इन मामल म स मोहन ही छुरी है।
दंत चिक सा म स मोहन का इ तेमाल लगभग अिनयंि त और अ त
भयभीत मरीज़ के उपचार के लए िकया जाता है। कई मायन म, यह
एन थी शया के सम याकारी समाधान का पूणतः सफल िवक प सािबत
होता है।
बचपन क ो ा मग, अतीत के अनुभव और समक क ो ा मग
एक तरफ़ ह तथा क पना, आ म-छिव और सव -मेकेिन म दस
ू री तरफ़।
इन दोन के बीच क किड़य के बारे म मेरा िन कष यह है िक लोग अपनी
आ म-छिव से लगभग स मोिहत हो जाते ह। वा तव म, कई लोग तो िबना
पहचाने िकसी स मोहक सुझाव तले जीवन भर लगभग “न द म चलते”
रहते ह। विटन रेन स क पु तक इ
श
ू न : योर सी ट पॉवर म एक
स मोहक का कथन िदया गया था : “रोगी इस उ मीद म मेरे पास आते ह
िक म उ ह स मोिहत करके उनके जीवन को सही कर दँगू ा। वा तव म
उनम से कई तो पहले से स मोहन म जी रहे ह और उ ह वा तिवकता क
खुराक़ क ज़ रत होती है।”
अगर आप बचपन म िकसी अँधेरी ल ट म कई घंट तक फंसे रहे ह
और बुरी तरह डर रहे ह , तो आपका यह डर हावी हो जाएगा। इसके बाद
आप ल ट से डरने लगगे। चालीस साल बाद भी आप ल ट म घुस नह
पाएँ गे, भले ही सुर ा के आँ कड़े जो भी ह , वा तिवक जानकारी, दशन,
ल ट का इ तेमाल करने वाले हज़ार लोग के अवलोकन जो भी ह या
दजन सीिढ़याँ चढ़ने क चुनौती िकतनी भी किठन य न ह । आप अब
भी चालीस साल पहले क स मोहक तं ा म ह!
िफर भी, थोड़ा सा मनन करने पर आपको पता चलेगा िक यह हमारे
लए बहुत अ छी चीज़ है िक हम जसे सच मानते ह या जसक हम सच
के प म क पना करते ह, हम उसी के अनु प महसूस करते ह और काय
करते ह। इस सबका यह मतलब नह है िक यह स टम अपने आप म
“बुरा” है। इसके लए तो सफ़ यह सीखना ज़ री है िक “ स टम” का
बेहतर इ तेमाल कैसे िकया जाए।
स य कम और यवहार को तय करता है
मानव म त क और तंि का तं इस तरह बनाया गया है, तािक प रवेश क
सम याओं और चुनौ तय पर अपने आप उ चत ति या कर सके।
िमसाल के तौर पर, जंगल म जब िकसी इंसान के सामने अचानक एक
डरावना भालू आ जाता है, तो उसे ककर यह सोचने क ज़ रत नह
होती िक जान बचाने के लए या करना होगा। उसे डरने का िनणय लेने
क ज़ रत नह होती। डर क ति या वच लत और सही है। सबसे
पहले तो इसक वजह से वह भागना चाहता है। डर उसके शरीर के
मेकेिन म को े रत कर देता है, जो उसक मांसपे शय क “शि बढ़ा”
देते ह, तािक वह पहले से भी यादा तेज़ी से भाग सके। उसके िदल क
धड़कन तेज़ हो जाती है। एडीन लन नामक शि शाली मांसपेशी उ ीपक
र धारा म पहुँच जाता है। दौड़ने के लए जन शारी रक कायाँ क
आव यकता नह है, वे सब बंद कर िदए जाते ह। पेट काय करना बंद कर
देता है और सारा उपल ध र मांसपे शय तक पहुँच जाता है। साँस
यादा तेज़ हो जाती है और मांसपे शय तक पहुँचने वाली ऑ सीजन क
आपू त कई गुना बढ़ जाती है।
ज़ािहर है, यह सब िबलकुल भी नया नह है। हमम से अ धकतर को
यह बात हाई कूल म ही पता चल गई थी। बहरहाल, हम यह इतनी ज दी
नह समझ पाए िक जो म त क और तंि का तं प रवेश के
त
वच लत ति या करते ह, ये वही म त क और तंि का तं ह, जो हम
बताते ह िक प रवेश या है। भालू के सामने आने पर मनु य क
ति याओं को आम तौर पर िवचार के बजाय “भावना” के कारण माना
जाता है। बहरहाल, यह बाहरी जगत से ा और म त क ारा मू यांिकत
िवचार-जानकारी थी, जसने तथाक थत “भावना मक ति याओं” को
चगारी दी थी। इस तरह देखा जाए, तो बुिनयादी तौर पर भावना नह ,
ब क िवचार या िव ास ही वा तिवक कारण था, जो प रणाम के प म
िमला। सं ेप म, पीछा करने वाले यि ने उसी तरह ति या क , जस
तरह वह प रवेश को देखता था, उसके होने पर यक़ न करता था, उसक
क पना करता था। प रवेश से हम तक आने वाले संदेश िव भ इंि य के
नायु आवेग होते ह। इन नायु आवेग को म त क म पढ़ा जाता है। वहाँ
इनक या या और मू यांकन िकया जाता है। इसके बाद िवचार या
मान सक छिवय के प म हम जानकारी दी जाती है। अं तम िव ेषण म
हम मान सक छिवय पर ही ति या करते ह।
ग़ौर कर िक मने िवचार िकया, िव ास िकया और क पना क
श दाव लय का इ तेमाल पयायवाची के प म िकया है। आपके पूरे तं
को भािवत करने के मामले म वे एक ही ह।
चीज़ सचमुच जैसी होती ह, उसके अनुसार आप काय नह करते और
न ही महसूस करते ह। आप तो मान सक छिव के अनुसार काय करते और
महसूस करते ह, जो बताती है िक थ तयाँ कैसी ह। आपके िदमाग़ म
अपनी, अपने संसार और अपने आस-पास के लोग क कुछ मान सक
छिवयाँ होती ह और आप उन छिवय को सच, वा तिवक मानकर यवहार
करते ह। आप वा तिवकता के नह , ब क वा तिवक मानी गई छिवय के
अनु प यवहार करते ह।
िमसाल के तौर पर, मान ल िक जंगल म जाने वाले आदमी को असली
का भालू नह िमलता, ब क भालू के वेश म कोई िफ़ म अ भनेता िमलता।
तब या होता? दे खए, अगर वह उस अ भनेता को भालू मान लेता और
इस बात पर िव ास कर लेता, तो उसक भावना मक और तंि का तं क
ति याएँ हूबहू वही होत । या मान ल िक उसे कोई बड़ा झबरीला कु ा
िमलता, जसे वह अपनी डर से भरी क पना के चलते ग़लती से भालू मान
लेता। एक बार िफर, वह अपने आप उसी पर ति या करता, जसे वह
ख़ुद के और अपने प रवेश के संबध
ं म सच मानता है।
इससे यह पता चलता है िक अगर ख़ुद के बारे म हमारे िवचार और
मान सक छिवयाँ िवकृत या अयथाथवादी ह, तो हमारे प रवेश पर हमारी
ति या भी उतनी ही अनु चत होगी।
या ये कारण उ प करने वाले घटक बदल सकते ह?
िन त प से। जा तवादी लोग ारा जान-बूझकर अलग-थलग िकए
हुए प रवेश म पले ब े के बारे म सोच। ब ा ेत े ता के िहमायती प रवार
म पैदा हो सकता है, जसका ढ़ िव ास है िक अ ेत “गंदे,” बुरे और उनके
िहत के लहाज़ से खतरनाक लोग होते ह। या िफर वह ब ा अ ेत प रवार
का हो सकता है, जो ेत लोग से इतनी ही नफ़रत करता हो। दोन म से
चाहे जो भी थ त हो, ब े क ो ा मग कुछ िव ास से हो जाती है, जो
उसके यवहार को िनयंि त करगे। अपनी क पना म वह कुछ स य का
िनमाण कर लेता है, ज ह बड़े होने पर बदलना बहुत मु कल होगा। कुछ
लोग अपने जीवन म िकसी बद ु पर अपनी मा यताओं और यवहार म 180
ड ी का प रवतन कर लेते ह। इन िदन यह मुठभेड़नुमा डे टाइम टीवी
टॉक शो का एक लोकि य िह सा भी बन चुका है। इंसान कैसे बदलता है?
अपनी पा रवा रक परव रश से अ धक यापक और अ धक भ जीवन के
अनुभव ारा। समाज के दबाव ारा। जस जा त से नफ़रत क ो ा मग है,
उसके लोग क िम ता ारा। चाहे इनम से कोई भी कारण हो, वह इस
मा यता को चुनौती देता है िक जसे उसने सच माना था, वह एक म पर
आधा रत था और उस स य क जगह पर वह दस
ू रे स य को रख देता है।
अब उस ब े के बारे म सोच, जो ग़रीब प रवार म पला है, जसम रहने
वाले लोग गहराई से यक़ न करते ह िक उनक दख
ु द प र थ तयाँ बुरे
अमीर लोग और
सरकार का दोष ह। मान ल, ये लोग ब े क ो ा मग
वगसंघष के िवचार से लगातार करते ह और ज़ोर देते ह िक वे चाहे कुछ
कर ल, िज़दगी म आगे नह बढ़ सकते। यह स ाई उस ब े क शै णक
उपल धय के रा ते का रोड़ा बन सकती है, उसे कॉलेज से दरू रख
सकती है, उसे फ़ै टी या कोयले क खदान के क रयर म अपने िपता का
अंधानुकरण करने के लए े रत कर सकती है। (दे खए, मुझे लगता है िक
“कोयले क खदान” कहने वाली बात से आपको मेरी उ समझ आ रही
होगी।) आज भी ग़रीबी को “त य” के प म वीकार करने का बुिनयादी
रा ता कई लोग म च लत है। लेिकन िमसाल के तौर पर, कोई यि
ऐसी पृ भूिम से िनकलकर बेहद सफल उ मी कैसे बनता है? उन पु तक
से ज ह वह पढ़ता है, उन लोग से ज ह वह टेलीिवज़न पर देखता है,
िकसी मागदशक के भाव से, जीवन अनुभव से, जो एक या दस
ू री तरह से
उसक मानी हुई स ाई को चुनौती देते ह, यह खोजने से िक उसक पुरानी
मा यता म पर आधा रत थी और उस स ाई क जगह पर दस
ू री स ाई
को रखकर।
मने पहले नाइ स ऑफ़ पैिनश हालम का िज़ िकया था, जो सड़क
के आवारा ब से चेस चिपयन म बदल गए। वे संभािवत अपरा धय से
आदश नाग रक बन गए। आज वे डॉ टर , वक ल और यवसा यय के
वय क क रयर म ह। इसी तरह आप भी अपनी आ म-छिव बदलकर, इसे
नई स ाई दान करके िकसी भी चीज़ से िकसी भी चीज़ म बदल सकते
ह।
मोटे और थुलथुल से िफ़ट व मज़बूत। संकोची और शम ले से
आ मिव ासी तथा दबंग। फूहड़ और लापरवाह से स म तथा मनोहारी।
नए माण आ म-छिव को िव ास िदलाते ह - चाहे ये वा तिवक,
अनुभवज य माण ह और/या सजीव क पना, कृि म माण और/या दस
ू रे
ामा णक भावकताओं क दी जानकारी हो। बदले म यह आपके सव मेकेिन म को उ चत नए आदेश सा रत करता है और एक नया स य
अ त व म आ जाता है, एक नई वा तिवकता का िनमाण होता है।
ख़ुद क क पना सफल यि
के प म य न कर?
हमारे काय, भावनाएँ और यवहार हमारी ख़ुद क छिवय और िव ास का
प रणाम ह, इस एहसास के बाद हम वह साधन िमल जाता है, जसक
ज रत मनोिव ान को यि व बदलने के लए हमेशा होती है।
इससे द ता, सफलता और ख़ुशी हा सल करने का एक शि शाली
मनोवै ािनक ार खुल जाता है।
मान सक त वीर हम नए गुण और नज़ रय का अ यास करने का
अवसर दान करती ह, जो हम उनके िबना नह कर सकते थे। यह इस लए
संभव है, य िक एक बार िफर आपका तंि का तं िकसी वा तिवक
अनुभव और प का पिनक अनुभव के बीच के फ़क़ को नह समझ
सकता।
अगर हम िकसी िन त तरीक़े से अपने दशन करने क त वीर मन
म बनाते ह, तो यह लगभग वा तिवक दशन जैसी ही होती है। मान सक
अ यास भी वा तिवक अ यास जतना ही शि शाली होता है।
जब मने पहलेपहल यह कथन कहा, और जब दस
ू र ने इसे कहना शु
िकया, उस व त यह एक ां तकारी िवचार था : िक आप अपनी क पना
म अ यास कर सकते ह और कमोबेश वा तिवक शारी रक अ यास जतने
ही प रणाम हा सल कर सकते ह। आज इसे यापक तौर पर माना जाता है,
य िक यह असं य योग म सािबत हो चुका है। हर तरह के खलाड़ी
का पिनक या मान सक अ यास पर समान प से भरोसा करते ह।
िमसाल के तौर पर, डॉ. रचड कूप क गो फ़ खलािड़य को दी गई सलाह
पर ग़ौर कर, जो आगे दी गई है (इटै ल स म लखे श द मेरे ह) :
कोई भी शॉट खेलने से पहले आपको एक मान सक त वीर रखनी ज़ री है िक जब
आप गद पर अपने ब ( टक) का सरा मारते ह, तो आप गद से कैसी ति या
चाहते ह। आपको इस सटीक, सकारा मक त वीर क ज़ रत है िक आपका शॉट
कैसा िदखेगा। त वीर को ेप पथ, िदशा, वह जगह बतानी चािहए, जहाँ आप गद को
ेप-पथ क त वीर देखना आपके लए
िगराना चाहते ह और यह भी िक शॉट के
मु कल है, तो िकसी सड़क क त वीर क क पना करने क को शश कर, जो उसी
तरीक़े से घूमती हो, जस तरीक़े से आप अपनी गद क या ा कराना चाहते ह। इस
क पना म आपके चुनाव केवल आपक सोच के कारण सीिमत होते ह। आप घासदार
मैदान को एक िपन कुशन के प म देख सकते ह, जो आपके शॉट को वीकार करने के
लए तैयार हो… प त वीर चुन, जो आपके लए काय करती ह । मान सक त वीर
देखना गो फ़ के मनोिव ान के सबसे यि गत पहलुओ ं म से एक है।
जैक िनकलॉस ने कहा है, “िदमाग़ म प त वीर के िबना मने एक भी
गो फ़ शॉट नह लगाया। सबसे पहले तो म उस जगह को ‘देखता हूँ,’ जहाँ
म गद को पहुँचाना चाहता हूँ। िफर म इसे वहाँ जाते हुए ‘देखता’ हूँ, इसका
ेप पथ और िगरना। अगला ‘ य’ मुझे शॉट मारते हुए िदखाता है, जो
पुरानी त वीर को वा तिवकता म बदल देगा।” द गो डन िबयर ने जो
बताया है िक वे करते ह, डॉ. कूप के िनदश और इस पु तक के िनदश क
प समानताओं पर ग़ौर कर।
यह समझना मह वपूण है िक क पना के अ यास का आपके गो फ़ या
टेिनस के खेल तक सीिमत रहना ज़ री नह है। मान सक अ यास के यही
स ांत लगभग िकसी भी चीज़ पर लागू िकए जा सकते ह, जनम अ धक
यापक यवहार शािमल ह, जैसे आ मिव ास से भाषण देने के लए खड़े
होना, कारोबारी बैठक म अपनी राय को खुलकर कट करना, बजाय
इसके िक आप भयभीत और खामोश रह (और इस पर बाद म पछताएँ ), या
संभािवत ाहक से ऑडर माँगना, बजाय इसके िक से स तु तय को
कमज़ोर, अ प अंत पर “लटकाकर छोड़ िदया जाए।” और इसी तरह क
अ य बात।
मने क पना के या मान सक अ यास के लए एक बहुत ख़ास िनयम
तैयार िकया है। इसके लए म म त क के थएटर का इ तेमाल करता हूँ,
जसे म बाद म बताऊँगा। डॉ. कूप कुछ “मान सक िफ़ म तकनीक ” का
वणन भी करते ह। मने पहलेपहल 1950 के दशक के उ राध म पढ़ाना
शु िकया था और इस पु तक के मूल सं करण म इस बारे म लखा था।
जैक िनकलॉस “सीन” श द का इ तेमाल करते ह। वे अपने सफल शॉट
को एक छोटी मान सक िफ़ म म खेल रहे ह, वा तिवक खेल म क़दम रख
रहे ह और िफ़ म देखने के लए मान सक सनेमाघर म जा रहे ह, िफर
पूवानुभव भाव का अनुभव करने के लए पीछे हट रहे ह। गलफ़ मै ज़ीन
(जुलाई 2000) म का शत एक लेख म जैक िनकलॉस ने कहा था, “म
जसे िफ़ म -म-जाने का अनुशासन कहता हूँ, उसे आप जतना अ धक
समािहत कर लेते ह, उससे आप अपना मनचाहा शॉट मारने म उतने ही
अ धक सफल ह गे।” उनक चार क़दम क ि या म से चौथे क़दम म वे
यहाँ तक कहते ह, “वही टक चुनो, जो पूरी ‘िफ़ म’ के अनुसार सही
होती है।”
उ ेखनीय बात यह है िक जैक िनकलॉस मान सक थएटर क उ ह
तकनीक तक पहुँच गए, ज ह म सखाता हूँ, यहाँ तक िक सही टक के
चुनाव के उलझन भरे िववरण को भी उ ह ने सचेतन चुनाव के यास के
बजाय अपने वच लत सफलता मेकेिन म के हवाले कर िदया। म
“उ ेखनीय” इस लए कहता हूँ, य िक जहाँ तक म जानता हूँ, िनकलॉस
ने कभी यह पु तक नह पढ़ी, हालाँिक हो सकता है िक वे इस पु तक को
पढ़ने वाले दस
ू रे गो फ़ खलािड़य और गो फ़ श क से भािवत हुए
ह । बहरहाल, यह दरअसल उतना उ ेखनीय नह है, य िक ऐसा लगता
है िक लगभग सभी शखर दशक िकसी न िकसी तरह इस तरीक़े तक
पहुँच ही जाते ह।
कुछ पल म, हम इन मान सक िफ़ म के सुिन त वणन के बारे म
अ धक बात करगे। आइए, पहले म आपको वह वै ािनक ल खत माण
बता दँ,ू जो क पना के अ यास के इस पूरे िवचार का समथन करता है। मने
जस शु आती िनयंि त योग के बारे म पढ़ा, उसम मनोवै ािनक आर. ए.
वै डल ने सािबत िकया था िक िकसी िनशाने पर तीर चलाने का मान सक
अ यास भी वा तिवक अ यास जतना ही कारगर होता है। इसम यि हर
िदन एक िन त अव ध के लए ल य के सामने बैठता है और उस पर तीर
चलाने क क पना करता है। इस मान सक अ यास से उसका िनशाना
उतना ही सुधरता है, जतना िक वा तव म तीर फकने पर सुधरता।
रसच वॉटरली ने स कग बा केटबॉल के फ़ ो म यो यता को
बेहतर बनाने के मान सक अ यास के भाव पर एक योग के बारे म
बताया है। िव ा थय का एक समूह 20 िदन तक हर िदन बॉल फकने का
गहन अ यास करता था। पहले तथा आ ख़री िदन इस पहले समूह के
कोर लए गए। दस
ू रे समूह के कोर भी पहले तथा आ ख़री िदन लए गए,
लेिकन इस दौरान उ ह ने िकसी भी तरह का अ यास नह िकया। तीसरे
समूह का भी पहले िदन कोर लया गया, िफर यह समूह हर िदन बीस
िमनट तक यह क पना करता रहा िक यह बॉल को ल य क ओर फक रहा
है। जब वे चूक जाते थे, तो वे क पना करते थे िक वे अपने ल य को उसी
अनु प सुधारते थे।
पहला समूह, जसने हर िदन 20 िमनट का वा तिवक अ यास िकया
था, उसका कोर 24 तशत बेहतर हुआ।
दस
ू रा समूह, जसने िकसी तरह का कोई अ यास नह िकया, उसम
कोई सुधार नह िदखा।
तीसरा समूह, जसने केवल अपनी क पना म अ यास िकया, उसका
कोर 23 तशत बेहतर हो गया!
इस ख़ास योग क चचा यापकता से हुई और इसका संदभ भी िदया
गया। बाद के वष म इसे कई िव िव ालय म भी दोहराया गया है। ज़ािहर
है, इसम से कोई भी अचूक नह है। आ ख़र, फ़ाउल शॉ स के साथ शैक
क सम या अब भी एक रह य बनी हुई है! हालाँिक यह सटीक िव ान नह
है, लेिकन क पना के अ यास का इ तेमाल एक भावी िव ान है। यह
यवहार बदलने म िनिहत “स य ” को बदलने या यो यताओं का बेहतर
बनाने का एक आज़माया हुआ और यावहा रक साधन है।
मान सक त वीर शि शाली दवा ह
द मटल एथलीट : इनर टेिनग फ़ॉर पीक परफ़ॉरमस के लेखक के पोटर,
पीएच.डी. और जूडी फ़ॉ टर ने चोट से ठीक होने क ि या तेज़ करने
और दद म राहत देने के लए एक बेहतरीन, िव तृत उपचार दान िकया
था। टेिनस व ड मै ज़ीन म का शत एक लेख म उ ह ने बताया, “ वउपचार म एक मह वपूण त व वह मान सक त वीर है, जो एक सकारा मक
भावी प रणाम का च रखती है। यह च ण आपके िदमाग़ और शरीर को
े रत कर देता है तथा ठीक होने के इरादे को उ प करता है…. मान सक
त वीर के ज़ रए शरीर क वच लत दैिहक ति याओं को बदलना संभव
है। जब आप क पना, मान सक त वीर और सुझाव का इ तेमाल करते
ह, तो आप अपने शरीर से सं ेषण कर सकते ह और इससे ति या करा
सकते ह।”
इसे समझने म कोई ग़लती न कर : यह कोई मनगढ़ंत बात या
कपोलक पना नह है; यह तो चिक सक य, वै ािनक स य है। अगर
शारी रक वा यलाभ कर रहे हर यि और अ पताल के हर मरीज को
साइको साइबरनेिट स क एक त दे दी जाए, तो उनक दशा काफ़
बेहतर होगी। यिद आपका कोई प रजन या िम ऐसी प र थ त म है, तो
इस बात का यान रख।
यह लेख इतना ानवधक और उपयोगी है िक हमने साइको
साइबरनेिट स
फ़ाउं डेशन
क
वेबसाइट
www.psychocybernetics.com पर इसके अ धक िव तृत अंश उपल ध करा िदए ह,
अगर आप उसे पढ़ना चाह या िकसी िम से पढ़ाना चाह। (आपको इस
वेबसाइट के एक िवशेष खंड म अ य लेख, पु तक समी ाएँ और इस
पु तक से सीधे संब पु तक अंश भी िमलगे।)
मान सक त वीर अ धक ऊँचे तर पर
िब ी करने म आपक मदद करती ह
अपनी पु तक हाउ टु मेक $25,000 अ इयर स लग म चा स बी. रॉथ ने
बताया था िक डेटॉइट म से सपीपल के एक समूह ने नए िवचार को
आज़माकर िकस तरह अपनी िब ी सौ तशत बढ़ा ली। यू यॉक के एक
और समूह ने अपनी िब ी 150 तशत बढ़ा ली। और इसी िवचार का
इ तेमाल करके यि गत से सपीपल ने अपनी िब ी 400 तशत तक
बढ़ा ली। और यह जादईु िवचार या है, जसक बदौलत से सपीपल
इतना अ धक हा सल कर पाए? रॉथ क पु तक के इस अंश को पढ़ :
इसे भूिमका िनभाना कहा जाता है और आपको इसके बारे म पता होना चािहए, य िक
यिद आप इसे अनुम त दगे, तो यह आपक िब ी दोगुनी करने म आपक मदद कर
सकता है।
भूिमका िनभाना या है?
दे खए, यह बस िव भ िब ी क थ तय म अपनी क पना करना है, िफर अपने
िदमाग़ म उ ह सुलझाना है, जब तक िक आप यह न जान जाएँ िक असली िज़दगी म
वही थ त आने पर आपको या कहना और या करना है।
यह इतना अ धक इस लए हा सल करता है, य िक िब ी तो बस
है।
थ तय का मामला
जब भी आप िकसी ाहक से बात करते ह, तो एक थ त उ प होती है। वह कुछ
कहता है या कोई सवाल पूछता है या कोई आप उठाता है। अगर आपको हमेशा पता
हो िक वह जो भी कहता या पूछता है, उससे कैसे िनबटा जाए, उसके सवाल का कैसे
जवाब िदया जाए या आप को कैसे सँभाला जाए, तो िब ी हो जाती है…
भूिमका िनभाने वाला से समैन जब रात को अकेला होता है, तो वह इन थ तय को
अपने मन म उ प कर लेगा। वह क पना करेगा िक संभािवत ाहक उसक ओर सबसे
बुरे िक़ म के सवाल उछाल रहा है। िफर वह उनके सव े जवाब खोजने क मेहनत
करेगा….
चाहे आपक थ त जो भी हो, आप पहले से इसक तैयारी कर सकते ह, बशत आप
अपने संभािवत ाहक क क पना कर ल, जब वह आप याँ उठा रहा हो और
सम याएँ खड़ी कर रहा हो तथा आप उ ह अ छी तरह सँभाल रहे ह ।
मुझे लगता है िक रॉथ क पु तक अब आउट ऑफ़ ट है। इसके
शीषक म जो “$25,ooo” िदया गया है, उसी से पता चल जाता है िक यह
पु तक िकतनी पुरानी होगी। लेिकन इसके बाद असं य से स पु तक ,
से स श ण काय म और पेशेवर से स श क ने इस िवचार को
अपनी िव धय तथा से स ोफ़ेशन स को दी जाने वाली सलाह म शािमल
कर लया है। वा तव म, यिद आप से स के े म ह, तो आपने िन संदेह
ास म, सेिमनार म या से स मी टग म वा तिवक भूिमका िनभाने म
शरकत क होगी और िकसी सहकम या जीवनसाथी के साथ इसका
अ यास भी िकया होगा। हो सकता है आपको यह एहसास न हो िक
सेिमनार म म भूिमका िनभाने के बजाय मान सक थएटर तक पहुँचना भी
उतना ही भावी हो सकता है, और शायद अ धक भावी भी, य िक आप
अटपटी फूहड़ता तथा अिन तता से ग त करके “पूणता” व सफलता
तक पहुँच सकते ह। िफर आप उसी नाटक क रहसल बार-बार तब तक
कर सकते ह, जब तक िक यह “आदत” न बन जाए और आपके वा तिवक
िब ी अनुभव आपक क पना के आदश अ यास के इतने क़रीब न आ
जाएँ िक वे पूवानुभव लगने लग।
यिद आप “सौदेबाज़ी” क उ - तरीय िब ी के प म देखते ह, तो
यह कहानी इसका अ छा दशन करती है। यह प मुझे एक पेशेवर ने
लखा था। एक कंपनी ने इस पेशेवर यि क मदद माँगी थी और कहा था
िक यह इसका तिन ध व एक बहुत जिटल और चुनौतीपूण सौदेबाज़ी म
करे, जसम लाख डॉलर दाँव पर लगे थे। सौदेबाज़ी एक सावजिनक कंपनी
के सीईओ से करनी थी, जसक बड़ी कठोर छिव थी। हालाँिक म नाम
उजागर नह कर सकता, लेिकन म आपको आ त करता हूँ िक वह प
मेरे पास मौजूद है। यहाँ पर इसके अंश देख :
ि य डॉ. मॉ
ज़,
… चूँिक बंद दरवाज़ के पीछे होने वाली हमारी पहली मुलाक़ात क तैयारी के
लए मेरे पास कई स ाह क अव ध क िवला सता थी, इस लए मने ख़ुद को तैयारी म
झ क िदया। म उस यि के बारे म जतनी भी जानकारी हा सल कर सकता था, उस
सबका अ ययन करने लगा। मने उसक लखी एक पु तक पढ़ी। उस पर पु तक और
लेख पढ़े। टीवी नेटव स तथा ो ा स म उसके िदए सा ा कार के वी डयो टेप देखे।
उसक जीवनी का िव ेषण िकया और अंततः अपने िदमाग़ म उसका चलता-िफरता,
बोलता त प बना लया, तािक म उससे बातचीत कर सकूं। मेरे पास वा तिवक
भूिमका के नाटक म इस यि का अ भनय करने वाला कोई यि नह था, जैसा िक
नेता लोग वाद-िववाद क तैयारी करते समय इ तेमाल करते ह, इस लए मने एक
का पिनक त प गढ़ लया।
सच कहूँ, तो मने अपने िकसी सहयोगी को यादा भनक नह लगने दी िक म या
कर रहा था। मुझे डर था िक कह वे मुझे पागल समझकर मनो चिक सक न बुला ल! हो
सकता है िक मेरे ाहक का िव ास डगमगा जाता िक वह इतनी बड़ी सौदेबाज़ी का
िज़ मा उस यि को न स पे, जसके िदमाग़ म एक “का पिनक आदमी” था, जससे
वह हर िदन घंट बात कर रहा था।
मने अपनी नी त क ेरणा के लए आपक पु तक साइको साइबरनिट स म िदए
िनदश पर अमल िकया। इस का पिनक यि को गढ़ने के बाद मने िफर घंट उस
काय म िबताए, जसे आप “मान सक थएटर” कहते ह। मने मुलाक़ात म हमारे बीच
होने वाले संवाद का अ भनय िकया। म ही पटकथा लेखक, िनदशक, मुख अ भनेता
और दशक था। यह काय पहलेपहल तो मुझे मु कल लगा, लेिकन जब म इसे करता
रहा, तो यह कम मु कल बन गया। ज द ही मने पाया िक मेरा का पिनक त प
सि यता से मु े, सवाल और तक पेश करने लगा है। एक बार मुझे याद है िक म अपनी
आराम कुस पर बैठा था, आँ ख बंद थ और इस का पिनक मुलाक़ात म डू बा हुआ था।
तब मने पाया िक मने अपना आपा खो िदया था और अपना मु ा कुस के ह थे पर
मारने लगा था!
जब यह सफल प रणाम वाली “मान सक िफ़ म” म िवक सत हुआ, तो म उसी
िफ़ म को लगातार देखता रहा। म इतना आगे तक बढ़ा िक कई बार देखने के बाद मने
इसे श द दर श द लखा, मानी कोई अदालती कायवाही लखने वाला हमारी बातचीत
श द दर श द सटीकता से रकॉड करने के लए वहाँ पर मौजूद हो।
उ ेखनीय बात यह रही : जब वा तिवक मुलाक़ात हुई, तो यह न सफ़ म और
वाह म मेरी पटकथा के अनु प रही और न सफ़ मने चीज़ को वैसे ही कहा, जैसा िक
म मान सक िफ़ म म कई बार कह चुका था, ब क उसने भी वैसा ही दशन िकया,
मानो वह भी उसी पटकथा के िहसाब से चल रहा हो!
इस प म वे बताते ह िक उ ह बहुत सफल प रणाम िमला, जसक
उ ह तगड़ी फ़ स िमली।
वैसे यह प मुझे 1974 म िमला था, मेरी पु तक के पहले काशन के
14 साल बाद। उसने इसके कॉपीराइट का िज़ िकया और पहले तो
सवाल िकया िक इतनी “पुरानी” तकनीक ासंिगक और लाभकारी कैसे हो
सकती ह। हो सकता है िक आप यह पु तक इसका पहला सं करण
का शत होने के 30-40 साल बाद पढ़ रहे ह । इससे कोई फ़क़ नह
पड़ता। इन तकनीक का इ तेमाल हर े के शीष ोफ़ेशन स तब भी
करगे, जब भारी-भरकम कं यूटर सकुड़कर हाथघड़ी जैसे हो जाएँ गे और
आप उ ह अपने हाथ पर पहन सकगे।
ोफ़ेशनल से सपीपल के लए साइको साइबरनेिट स पर आधा रत
एक नई पु तक ख़ास तौर पर का शत हुई है : ज़ीरो रिज़ टस स लग ,
जसे ेिटस-हॉल ने का शत िकया है और जो बुक टोस, ऑनलाइन
बुकसेलस या www.psycho-cybernetics.com पर उपल ध है।
बेहतर नौकरी हा सल करने के लए
मान सक त वीर का इ तेमाल कर
मशहूर मनोवै ािनक वग य िव लयम मो टन मा टन के पास जब कोई
नौकरी म तर क बात लेकर आता था, तो वे उसे “ रहसल” करने क
सलाह देते थे। अगर कोई मह वपूण सा ा कार होने वाला है, जैसे िकसी
नौकरी के लए आवेदन िदया हो, तो उनक सलाह थी : इंटर यू क योजना
पहले से बना ल। अपने िदमाग़ म वे सारे सवाल सोच ल, जनके पूछे जाने
क संभावना हो। उन जवाब के बारे म सोच, जो आप देने वाले ह । िफर
इंटर यू क रहसल अपने िदमाग़ म कर ल। आपने जन सवाल क
रहसल क है, भले ही वे न पूछे जाएँ , लेिकन रहसल करने से इसके
बावजूद चम कार हो जाएगा। इससे आपको आ मिव ास िमलेगा। और
हालाँिक असली िज़दगी म कोई िन त पंि याँ नह होत , ज ह मंच पर
होने वाले नाटक क तरह दोहराया जाए, लेिकन िफर भी रहसल क
तकनीक आपको िबना तैयारी के बोलने और व रत ति या करने म
मदद करेगी, चाहे आप ख़ुद को िकसी भी थ त म पाएँ , य िक आपने
व रत ति या करने का अ यास िकया है।
मने से स ोफ़ेशन स के लए मान सक रहसल के बारे म अभी-अभी
जो कहा है, इस लए आपको इस बात से हैरानी नह होनी चािहए : नौकरी
के इंटर यू म आप ख़ुद को बेच रहे ह। आप ही ॉड ट ह और आप ही
इसके से स र ज़टेिटव ह। सौदा करने वाले क तरह हो सकता है िक
आपके पास समय क िवला सता भी हो - कई स ाह, शायद कई माह,
जसम आप िकसी नए या बेहतर पद क तलाश कर सक, तैयारी कर सक
और योजना बना सक। यिद ऐसा है, तो नौकरी के “आदश” इंटर यू को
बनाने और रहसल करने के लए अपनी क पना का उपयोग करके इस
बात का लाभ उठाएँ , तािक वा तिवक इंटर यू म आप तनावरिहत,
आ मिव ासी और आरामदेह रह।
एक क सट िपयानोवादक
“अपने िदमाग़ म” अ यास करता है
संसार भर म संगीत समारोह के मशहूर िपयानोवादक आथर ाबेल ने
सफ़ सात साल तक िपयानो सीखा। वे अ यास से चढ़ते थे और सचमुच
के िपयानो क बोड पर शायद ही लंबे समय तक अ यास करते थे। जब
दस
ू रे िपयानोवादक क तुलना म उनके कम अ यास के बारे म उनसे पूछा
गया, तो उनका जवाब था, “म अपने िदमाग़ म अ यास करता हूँ।”
हॉलड के सी. जी. कॉप िपयानो के नामी श क ह। उनक सलाह
थी िक सभी िपयानो वादक “अपने िदमाग़ म अ यास कर।” वे कहते ह,
कोई भी नई रचना पहले िदमाग़ म दोहराई जानी चािहए। क बोड पर
अँगु लयाँ छूने से पहले इसे याद कर लेना चािहए और िदमाग़ म बजाना
चािहए।
“िदमाग़ म अ यास करना” वा तव म काफ़ हद तक आधुिनक
िपयानो श ण का आधार बन गया है। संगीतकार, दशक और श क
पैटी कालसन ने “हाउ टु ले िपयानो ओवरनाइट” वी डयो ो ाम से काफ़
शोहरत हा सल क । इसम वे लोग को सखाती ह िक शीट यूिज़क पढ़ना
सीखने और नीरस अ यास करते रहने के बजाय संगीत को “महसूस” कैसे
िकया जाए।
कलपना का अ यास
आपके गो फ़ कोर को
बेहतर बना सकता है
गो फ़ एक बेहद लोकि य मनोरंजन का साधन बन चुका है और गो फ़
तथा साइको साइबरनेिट स के बीच लंबा संबध
ं है। िमसाल के तौर पर, म
पहले ही महान जैक िनकलॉस क मान सक रहसल का िज़ कर चुका हूँ।
टाइम मै ज़ीन म बताया गया था िक जब बेन होगन िकसी टू नामट म
खेल रहे थे, तो हर शॉट मारने से पहले उ ह ने उसक मान सक रहसल
क । उ ह ने शॉट को अपनी क पना म आदश बना लया : टक के सरे
से उसी तरह गद मारते महसूस िकया, जस तरह मारी जानी चािहए, अपने
आदश फ़ॉलो- ू को महसूस िकया - और िफर वे गद के पास पहुँचे और
जस तरह उ ह ने क पना क थी, उसी तरह शॉट मारने के लए उ ह ने
अपनी “मांसपेशीय मृ त” पर भरोसा िकया।
बेन होगन आधुिनक गो फ़ मनोिव ान से आगे थे, जो अपने आप म
एक उ ोग बन चुका है और यह काफ़ हद तक मान सक त वीर देखने
तथा तनावरिहत होने क तकनीक पर आधा रत है।
जब म इस पु तक का पहला सं करण लख रहा था, उस व त
ऐले स मॉ रसन शायद सबसे मशहूर गो फ़- श क थे। उ ह ने दरअसल
गो फ़ कोर को बेहतर बनाने के लए मान सक अ यास का एक तं
ईजाद िकया था, जसम आपको बस आराम कुस पर बैठकर उनक बताई
सात मॉ रसन तकनीक का मान सक अ यास करना था। मॉ रसन के
अनुसार, गो फ़ का मान सक पहलू खेल का 90 तशत तिन ध व
करता है, शारी रक पहलू 8 तशत और यांि क पहलू 2 तशत। अपनी
पु तक बेटर गो फ़ िवदाउट ै टस मंक मॉ रसन ने बताया था िक उ ह ने
िबना िकसी वा तिवक अ यास के लेव लअर को पहली बार 90 का
आँ कड़ा तोड़ना कैसे सखाया!
मॉ रसन ने लअर को अपने ल वग म क आराम कुस पर बैठाया
और तनावरिहत होने को कहा, जब उ ह ने उसके सामने सही वग का
दशन िकया और मॉ रसन तकनीक पर एक सं
भाषण िदया। लअर
से कहा गया िक वे गो फ़ के मैदान पर कोई वा तिवक अ यास न कर,
ब क हर िदन पाँच िमनट अपनी आराम कुस पर तनावरिहत होकर बैठ
जाएँ और तकनीक को सही तरीक़े से करते हुए अपनी त वीर देखते रह।
मॉ रसन ने बताया िक कुछ िदन बाद, िबना िकसी शारी रक तैयारी के
लअर अपनी िनयिमत चौकड़ी म शािमल हुए और 36 म से 9 हो स शूट
करके आदश दशन से उ ह चिकत कर िदया।
मॉ रसन तं क बुिनयाद है, “िकसी भी चीज़ को सफलतापूवक करने
के लए आपके पास सही चीज़ क प मान सक त वीर होनी चािहए।”
इस िव ध का इ तेमाल करके मॉ रसन ने कई मशहूर ह तय के कोर से
10 से लेकर 12 टो स तक कम कराए।
प ता से ल य देख और
बाक चीज क परवाह अपने
वच लत सफलता मेकेिन म को करने द
मशहूर पेशेवर गो फ़ खलाड़ी जॉनी बुला ने एक लेख लखा। इसम उ ह ने
बताया िक गो फ़ म फ़ॉम यादा मह वपूण नह है। इससे यादा मह वपूण
यह है िक आपके पास एक प मान सक त वीर हो िक आप गद को कहाँ
पहुँचाना चाहते ह और आप इससे या कराना चाहते ह। बुला का कहना
था िक अ धकतर पेशेवर के फ़ॉम म एक-दो गंभीर दोष होते ह, लेिकन
इसके बावजूद वे अ छा गो फ़ खेल लेते ह। बुला का स ांत यह था िक
अगर आप अं तम प रणाम क त वीर देख लेते ह, बॉल को वहाँ जाते देख
लेते ह, जहाँ आप इसे पहुँचाना चाहते ह और आपके पास यह जानने का
आ मिव ास होता है िक यह वही करने जा रही है, जो आप इससे चाहते ह,
तो आपका अवचेतन कमान सँभाल लेगा और आपक मांसपे शय को सही
िनदश दे देगा। अगर आपक पकड़ ग़लत थी और आपके खड़े होने क मु ा
सबसे अ छे प म नह थी, तब भी आपका अवचेतन मन इसे सँभाल
लेगा। फ़ॉम क ग़लती क भरपाई करने के लए यह आपक मांसपे शय को
हर आव यक चीज़ करने का िनदश देगा।
यह इन साइको साइबरनेिट स तकनीक म मािहर बनने के लाभ बताता है
: िक आप कायकुशलता के उस बद ु पर पहुँच जाते ह, जहाँ आप आसानी
से, फटाफट अपने सव —मेकेिन म को वां छत प रणाम क एक प
त वीर थमा देते ह और इसे प रणाम उ प करने के यांि क िववरण क
परवाह ख़ुद करने क िज़ मेदारी स पते ह।
इन तकनीक के लए गो फ़ एक उ कृ
योगशाला है, य िक कई
अ य खेल के िवपरीत यह दरअसल ख़ुद से ही शु
त पधा है।
लअर को मॉ रसन ने मान सक अ यास के ज़ रए को चग दी थी।
उसके कई साल बाद द इनर गेम आॉफ़ टेिनस के लेखक िटम गॉलवे ने एक
योग क चुनौती वीकार क थी - यह देखने के लए िक टेिनस खेलने
और को चग म उ ह ने जो आं त रक खेल (मान सक) यो यताएँ िवक सत
क थ , सफ़ उ ह ढालकर वे िकतना गो फ़ सीख सकते ह। उ ह ने 80
का कोर तोड़ने का ल य तय िकया, जबिक वे स ाह म बस एक बार खेल
रहे थे, उ ह ने कोई तकनीक िनदश नह लया और इसके बजाय एक
साल या इससे कम समय म अपनी क पना म िकए गए अ यास पर िनभर
रहे। उस व त, वे एक साल म केवल कुछ ही बार खेल रहे थे और उनका
कोर 95 से 105 के बीच था। उस योग क डायरी उनक पु तक द इनर
गेम ऑफ़ गो फ़ म शािमल क गई है। चाहे आपक गो फ़ म च हो या न
हो, उनक पु तक पढ़ने लायक़ है, य िक यह यांि क या तकनीक
जानकारी पर म त क क िवजय क िव तृत केस िह टी है - वा तव म
साइको साइबरनेिट स क िवजय है।
इतने बरस म मुझे कई शीष गो फ़ खलािड़य तथा गो फ़ िनदशक
के साथ काय करने का आनंद िमला है, हालाँिक पेशेवर सावधानी का
तकाज़ा है िक म उनम से अ धकतर के लए गोपनीयता क़ायम रख। कुछ ने
इस पु तक क मदद से ही अपने दशन को सुधार लया और मुझसे कोई
अ य सहायता नह ली। डेव टॉकटन 1974 म ो टू र पर बचे रहने के
लए संघष कर रहे थे। “कुल िमलाकर, म अ छा खेल रहा था, लेिकन गद
पर हार घिटया तरीक़े से कर रहा था,” टॉकटन ने एल.ए. टाइ स के
रपोटर को बताया। “मेरे िपता एक रटायड ो थे और उ ह ने ज़ोर देकर
कहा िक गद पर हार करने संबध
ं ी मेरी सम याएँ शारी रक नह , मान सक
थ । उ ह ने मुझे पढ़ने के लए साइको साइबरनिट स क एक त दी। मने
पीजीए टू नामट के बस एक स ाह पहले इसे पढ़ा और िफर जब म टू नामट
म गया, तो म जानता था िक म जीतने वाला हूँ।” डेव टॉकटन ने उस
टू नामट म अरनॉ ड पा मर को हरा िदया और बाद म एक लंबे व सफल
क रयर का आनंद लया। वा तव म वे गद पर हार करने क यो यता के
लए मशहूर हो गए! और 22 साल बाद डेव ने 1996 का य.ू एस. सीिनयर
ओपन भी जीत लया।
मान सक च ण का असल रह य
यगु -यगु से सफल ी-पु ष सफलता हा सल करने के लए मान सक
त वीर और रहसल का उपयोग करते आ रहे ह। िमसाल के तौर पर,
नेपो लयन ने वा तिवक यु भूिम पर क़दम रखने के कई साल पहले से
अपनी क पना म सैिनक बनने का अ यास िकया। वेब और मॉगन अपनी
पु तक मे कग द मो ट ऑफ़ योर लाइफ़ म हम बताते ह िक “अ ययन के
इन वष के दौरान नेपो लयन ने जो नो स लए थे, वे छपने के बाद चार सौ
पेज के थे। उसने अपनी क पना सेनाप त के प म क थी और को सका
के टापू के न शे ख चे थे, जनम सटीकता से िदखाया गया था िक वे
ग णतीय सटीकता से अपने अनुमान कहाँ रखगे।”
कॉनरेड िह टन ने अपना पहला होटल ख़रीदने से बहुत पहले अपनी
क पना म ख़ुद को होटल चलाते देखा था। बचपन म वे खेला करते थे िक
वे एक होटल संचालक ह। शु आत म वे जीण-शीण, “उजड़ी” जायदाद
खरीदकर उनका जीण ार करने म सफल हुए और उ ह आला दज के
होटल म बदल िदया। उ ह ने कहा था िक जब वे हा सल करने के लए
कोई जीण-शीण जायदाद देखते थे, तो वे इसक वा तिवक थ त देखना
छोड़ देते थे। इसके बजाय उस होटल क त वीर अपने िदमाग़ म प
प
से देखते थे, जो यह जीण ार के बाद बनेगा। जो होने वाला है, उसे
देखकर उ ह ने वह मू य देख लया, जो दस
ू र के लए अ य था।
बल मान सक त वीर आपको
सफलता क ओर खीच सकती है,
भले ही आपके पास इसके लए कोई तक न हो
जेन सवोई अमे रका क बहुत स मािनत अ ारोही कोच ह। सन् 2000 म
उ ह ने सडनी म त पधा करने वाली अमे रक ऑ लिपक अ ारोही
टीम को श ण िदया। वे एक घटना का वणन करती ह, जसम क पना
संभावनाओं से बेहतर हो गई :
िमसाल के तौर पर, 1989 म नॉथ अमे रकन चिपयन श स म
ी नग टाय स के मेरे
अनुभव को ही ल। मेरे पास ढेर सारे त य थे, जो इस संभावना को रेखांिकत कर रहे थे
िक म
ी नग टाय स म अ छा दशन नह कर पाऊँगी। मेरे पास एक बेहतरीन घोड़ा
था, जसका नाम ज़ैपाटेरो था। लेिकन बाक़ त य उतने अ छे नह थे। पहली बात,
ज़ैपाटेरो मेरे लए नया था और हम ठोस संबध
ं तथा असल संवाद िवक सत करने का
समय नह िमल पाया था; दस
ू रे, वह छोटा था और आव यक काय को करने के लए
पया शि शाली नह हुआ था….
इन त य क वजह से आदश परी ण क क पना करना मु कल हो गया। इस लए मने
इसके बजाय पुर कार समारोह का मान सक च देखा। िदन भर म कई बार म एक शांत
जगह खोज लेती थी, अपनी आँ ख बंद कर लेती थी, तनावरिहत हो जाती थी और
अं तम राउं ड म आगे रहने का मान सक च देखती थी। इस ि या म मने “त य ” के
बारे म सोचना छोड़ िदया और इस तरह शंकाओं व असुर ाओं को अंदर आने से रोक
िदया। जब प रणाम सामने आए, तो ज़ैपाटेरो और म दरअसल स मान ाि के राउं ड
का नेतृ व कर रहे थे।
यह अिव सनीय लगता है और म तैयारी तथा कड़ी मेहनत क आव यकता को िकसी
तरह कमतर सािबत नह कर रही हूँ। लेिकन मनचाहे प रणाम पर मान सक प से
यान कि त करना मानो वे पहले से ही िमल चुके ह , हमारी अं तम सफलता म एक
मह वपूण घटक था। िकसी अं तम िन कष के प म िकसी सकारा मक प रणाम पर
यान कि त करना मह वपूण था, वरना क पना असफलता क त वीर प ता से
देखने लगती। इस सूरत म मेरा म त क (सव -मेकेिन म) मुझे अपना ल य हा सल
करने का साधन दान कर सकता था, जससे म कुशल और भावी ढंग से घुड़सवारी
कर सकूं।
ज़ािहर है, संदेहवादी लोग इस घटना को संयोग या िक मत का नाम
देना चाहगे। लेिकन जेन सैवोई साइको साइबरनेिट स क सुयो य अ यासी
ह, जनके पास अपने िव ास के समथन म कई माण देने वाली घटनाएँ
ह। वा तव म, उ ह ने कई वष तक चिपयन घुड़सवार के िनदशक और
कोच के प म साइको साइबरनेिट स का उपयोग िकया है, हाल ही म
ऑ लिपक टीम के साथ।
सफल उपल ध क एक अकेली, आसान, प
प से देखी गई
का पिनक त वीर भी पया है। यह एक त वीर ही तमाम शंकाओं, डर,
असुर ाओं और चताओं को बाहर रोक सकती है तथा सफलता के
मेकेिन म को मनचाहे ल य क िदशा म मोड़ सकती है। पूरी मान सक
रहसल तो और भी अ धक शि शाली होती है।
चाहे आप पेशेवर या वीकएं ड एथलीट ह , से स ोफ़ेशनल ह , उ मी
ह , ए ज़ी यूिटव ह , कूल टीचर ह , डॉ टर ह या चाहे जो ह , अपनी
दैिनक िदनचया म मान सक रहसल को शािमल करना ज़ री है। इसके
ख़लाफ़ कोई भी समझदारी भरा तक नह िदया जा सकता। माण बताता
है िक आपको िव भ लाभकारी ल य क ाि के लए इस औज़ार का
इ तेमाल करना सीखना चािहए और इसके बाद िनयिमत प से इसे करना
चािहए। म ज़ोर देकर कहना चाहूँगा िक यिद आप इस नी त का इ तेमाल
नह कर रहे ह, तो आप ख़ुद को एक बहुत बड़े लाभ से वं चत रख रहे ह।
आप ख़ुद को सफलता के एक बुिनयादी, शा त, सबसे िव सनीय
मनोवै ािनक औज़ार से वं चत रख रहे ह। यह तो वैसा ही है, जैसे कोई
कारपटर िबजली से चलने वाले उपकरण के िबना काय करने का चुनाव
करे। आप ऐसा कर तो सकते ह, लेिकन य कर?
मान सक च ण इतना
शि शाली य होता है
साइबरनेिट स का िव ान हम बताता है िक मान सक च ण से इतने गज़ब
के प रणाम य िमलते ह। मने पाया है िक लोग इस बात को जतना यादा
समझते ह िक यह इतनी अ छी तरह काय य करता है, उनके इसके
इ तेमाल क उतनी ही यादा संभावना होती है।
आपके भीतर का वच लत सफलता मेकेिन म एक बेहद जिटल
वच लत ल य-आकां ी मशीन क तरह है, जो फ़ डबैक म िमले डेटा और
सं हीत जानकारी का इ तेमाल करके िकसी ल य क ओर रा ता बनाती
है। यह मेकेिन म आव यकता पड़ने पर वयं ही िदशा म सुधार कर लेता
है। लेिकन इस मेकेिन म को चलाने के लए एक ही चीज़ क ज़ रत होती
है। आपके पास कोई ल य होना चािहए, जस पर यह िनशाना साध सके।
जैसा मशहूर गो फ़ श क ऐले स मॉ रसन ने कहा था, आपको िकसी
चीज़ को अपने मन म पहले प ता से देखना चािहए, तभी आप उस चीज़
को कर सकते ह। (जैसा पहले बताया गया था, इस नई अवधारणा का यह
मतलब नह है िक आप एक मशीन ह, लेिकन आपके मान सक और
शारी रक काय एक मशीन करती है, जसे आप चलाते ह।)
जब आप िकसी चीज़ को प ता से अपने िदमाग़ म देख लेते ह, तो आपके
भीतर का सृजना मक “सफलता मेकेिन म” कमान थाम लेता है। ऐसी
थ त म काय उससे बेहतर होता है, जतना सचेतन यास या इ छाशि
ारा करने पर होता।
फ़ौलादी इ छाशि के ज़ रए कुछ करने का चेतन यास न कर।
चता करने और मन म बुरी त वीर देखने म न लगे रह िक सब कुछ गड़बड़
हो सकता है। इसके बजाय आप तनावमु हो जाएँ । आप दबाव और
यास से “इस चीज़ को करने” क को शश छोड़ द। आप मन म उस ल य
को देखते ह, जस पर आप सचमुच िनशाना लगाना चाहते ह और िफर
अपने सृजना मक सफलता मेकेिन म को कमान थामने देते ह। ऐसा नह
है िक उसके बाद आपको यास और काय नह करना पड़ता। ल य क
ओर आगे बढ़ाने के लए मेकेिन म आपके यास का इ तेमाल करेगा।
लेिकन इस थ त म आप उस िनरथक मान सक संघष से बच जाते ह, जो
तब उ प होता है, जब आप चाहते तो कोई और चीज़ ह, लेिकन मन म
िकसी दस
ू री चीज़ क त वीर बनाते ह।
अपने सव े
व प को खोज
आपके भीतर का यही सृजना मक मेकेिन म आपको अपने सव े
संभािवत व प को हा सल करने म आपक मदद कर सकता है, अगर
आप अपनी क पना म उस व प क त वीर बनाएँ , जो आप बनना
चाहते ह और ख़ुद को नई भूिमका म देख। यह यि व के कायाक प क
आव यक शत है, चाहे इसम िकसी भी थेरप
े ी का इ तेमाल िकया गया हो।
आप बदल सक, इससे पहले िकसी न िकसी तरह आपको ख़ुद को एक नई
भूिमका म “देखना” होगा।
म ख़ुद यि व कायाक प के वा तिवक चम कार का गवाह रहा हूँ
और मने लोग को उनक आ म-छिव बदलते देखा है। बहरहाल, आज हम
जो िदख रहा है, वह मानव क पना से उ प होने वाली संभािवत
सृजना मक शि क झलक भर है, ख़ास तौर पर ख़ुद से संबं धत त वीर
के बारे म। िमसाल के तौर पर, आगे दी गई यूज़ रलीज़ के िनिहताथ पर
ग़ौर कर, जो एसो सएटेड ेस डेटलाइन के तहत 1958 म का शत हुई :
क पना कर िक आप समझदार ह
सैन ां स को । लॉस ऐंज लस म वेटर स एडिमिन टेशन से जुड़े दो मनोवै ािनक ने
दावा िकया है िक कुछ मान सक रोगी अपनी थ त को बेहतर बना सकते ह और शायद
अ पताल म कने क अव ध को कम कर सकते ह, बशत वे अपने सामा य होने क
क पना कर ल।
डॉ. हैरी एम. ेसन और डॉ. लयोनाड बी. ओ लगर ने अमे रकन साइकोलॉ जकल
एसो सएशन को बताया िक उ ह ने इस िवचार का परी ण मनोरोिगय के प म भत
45 लोग पर िकया।
पहले तो रोिगय के सामा य यि व परी ण िकए गए। िफर उनसे दस
ू री बार परी ण
के लए कहा गया और उ ह बताया गया िक वे सवाल का जवाब इस तरह द, मानो वे
“बाहर से सामा य, अ छी तरह संतु लत इंसान” ह ।
मनोवै ािनक ने बताया िक उनम से तीन चौथाई के परी ण दशन सुधर गए और कुछ
प रवतन तो नाटक य थे।
“बाहर से सामा य, अ छी तरह संतु लत इंसान” के प म इन सवाल का जवाब देने के
लए इन रोिगय को यह क पना करनी पड़ी िक एक सामा य, अ छी तरह संतु लत
यि िकस तरह काय करेगा। उ ह अ छी तरह संतु लत यि क भूिमका म अपने
होने क क पना करनी पड़ी। और इतना ही काफ़ था। इसक वजह से वे एक अ छी
तरह संतु लत यि क तरह “काय” कर पाए और “महसूस” कर पाए।
मुझे प ा नह पता िक इन अ छे डॉ टर और उनके नवाचारी योग
का आगे या प रणाम हुआ। बहरहाल, हम जानते ह िक आज आ म-छिव
मनोिव ान का हर पहलू, आ म-छिव के कणधार का िवचार और संब
तकनीक जैसे “यह मानकर काय कर” का च ण यापक प से वीकृत
ह। इन तकनीक का इ तेमाल मान सक रोिगय , अपािहज , नशे के आदी
लोग और पुन ार से जुड़े कैिदय क मदद के लए िकया जाता है।
ज़ािहर है, आप मान सक प से पागल या मादक य के आदी नह
ह गे। आप तो संभवतः एक सफल इंसान ह, जो यह उ मीद कर रहे ह िक
साइको साइबरनेिट स आपके जीवन के िकसी पहलू को बेहतर बनाने या
अ छा दशन करने म आपक मदद करेगी। आपके सामने जो भावना मक
और मनोवै ािनक मु कल मौजूद ह, ये तकनीक उनसे गंभीर लोग क
चिक सा प तय का िह सा रही ह, यह जानने से आपको यह िव ास हो
सकता है िक चूँिक आपका शु आती बद ु यादा सकारा मक है, इस लए
आपको अ धक शि शाली, ती और भावी लाभ होगा।
अपने बारे म स ाई का पता लगाएँ
आ म-छिव के मनोिव ान का ल य एक का पिनक व प का िनमाण
नह है, जो ख़ुद को सवशि मान, अहंकारी, दंभी या सबसे मह वपूण
मानता हो। ऐसी छिव भी उतनी ही अनु चत और अयथाथवादी है, जतनी
िक ख़ुद क हीन छिव। हमारा ल य तो वा तिवक व प को खोजना है।
मनोवै ािनक जानते ह िक हमम से अ धकतर ख़ुद को कम आँ कते ह,
अपनी क़ मत कम मापते ह और ख़ुद को स ते म बेच देते ह। वा तव म,
सुपी रयॉ रटी कॉ ले स जैसी कोई चीज़ होती ही नह है। जो लोग ऐसे
िदखते ह, वे दरअसल हीनता क भावनाओं से परेशान ह; उनका “ े ”
व प एक का पिनक कहानी है, एक नक़ाब है, तािक वे अपनी हीनता
और असुर ा क गहरी भावनाओं को ख़ुद से तथा दस
ू र से छपा सक।
आप अपने बारे म स ाई का पता कैसे लगा सकते ह? आप अपना
स ा मू यांकन कैसे कर सकते ह? मुझे ऐसा लगता है िक यहाँ मनोिव ान
को धम क िदशा म मुड़ना होगा। बाइबल हम बताती है िक ई र ने इंसान
को “देवदत
ू से थोड़ा कम” बनाया था और “उसे भु व िदया था”; िक
ई र ने इंसान को अपनी ख़ुद क छिव म गढ़ा था। अगर हम सचमुच िकसी
सव-बु मान, सव-शि शाली, सव- ेमी सृजनकार म यक़ न करते ह, तो
हम उसके बारे म कुछ तािकक िन कष िनकाल सकते ह, जसे उसने गढ़ा
था - इंसान। पहली बात तो यह है िक कोई सव-बु मान, सव-शि शाली
सृजनकार घिटया चीज़ नह बनाएगा, ठीक उसी तरह जस तरह महान
च कार घिटया च नह बनाते ह। ऐसा सृजनकार जान-बूझकर असफल
होने के लए कोई ॉड ट नह बनाएगा, जस तरह िक कोई िनमाता जानबूझकर िकसी कार म असफल करने वाले ॉड ट नह लगाता है।
िढ़वादी हम बताते ह िक इंसान के जीवन का मु य उ े य और
कारण “ई र को मिहमामं डत करना” है। मानवतावादी हम बताते ह िक
इंसान का ाथिमक उ े य “ वयं को पूण प से य करना है।”
तो यिद हम इसे आधार बनाते ह िक ई र एक ेमपूण सृजनकार है
और उसक सृि म वही च है, जो सांसा रक िपता क अपने ब म
होती है, तो मेरे याल से िढ़वादी और मानवतावादी एक ही बात कह रहे
ह। िकसी िपता को मिहमामं डत होने का एहसास, गव और संतुि भला
िकस बात से िमलती है? सबसे यादा इसी बात से िक उसक संतान
अ छी तरह रह, सफल ह और अपनी यो यताओं तथा गुण को पूरी तरह
अ भ य कर। या आप कभी िकसी मैच म िकसी फ़ुटबॉल टार के िपता
के पास बैठे ह? ईसा मसीह ने यही िवचार य िकया था, जब उ ह ने
हमसे कहा था िक हम “अपनी रोशनी िकसी बोझ के नीचे न छपाएँ , ब क
हमारी रोशनी को चमकने द, तािक तु हारे िपता मिहमामं डत हो सक।”
मुझे नह लगता िक इससे ई र क कोई “मिहमा” बढ़ती है, जब उसके ब े
म रयल कु े जैसे भाव लेकर घूम, दख
ु ी ह , अपना सर उठाने म घबराते
ह और कुछ बनने से डरते ह ।
मेरी इस पु तक के पहले काशन के बाद के वष म मुझे कई कार के
चच म बोलने के लए आमंि त िकया गया है, जसम ईवजे लकल
ि
यन, बैपिट ट, एिप कोपल चच के अलावा तथाक थत “ यू थॉट”
और “साइंस ऑफ़ माइंड” भी शािमल ह। पाद रय , पुजा रय , ज़ेन
सं या सय , संदेहवािदय , यहाँ तक िक ना तक से भी मेरी साइको
साइबरनेिट स पर गहरी चचाएँ हुई ह। मुझे इन अलग-अलग निदय म नाव
चलाने म कोई मु कल नह आती है। हम इस बुिनयादी आधारवा य म
हमेशा साझी ज़मीन िमल जाती है िक इंसान को उसक ख़ुद क अंद नी,
अ सर अचेतन आ म- हसा से मु करना है। यह बुिनयादी उप स ांत भी
साझा रहता है िक इंसान को सफल होने के लए बनाया गया है, न िक
असफल होने के लए।
डॉ. नॉमन िव सट पील ने साइको साइबरनेिट स के बारे म काफ़
अ छी बात कही थ । मेरी उनके साथ कई अ छी चचाएँ हुई, हालाँिक मने
कभी-कभार इस तरह क िट पणी क थी िक सफ़ “सकारा मक सोच,”
जैसा िक अ धकतर लोग इसके बारे म सोचते ह, ाय: िनराश ही करती है।
कारण यह है िक यह हमारी बुिनयाद क दोबारा ो ा मग करने पर कि त
नह होती, ब क मु े को हमारे अ त व क प र ध तक पहुँचने पर मजबूर
करती है।
म नह सोचता िक आपक साइको साइबरनेिट स के साथ कोई वैध
धा मक या आ या मक असहम त हो सकती है।
क पना के अ यास पर आ ख़री श द
इससे कोई फ़फ़ नह पड़ता िक आप िकस धा मक, आ या मक या
दाशिनक पृ भूिम या ि कोण से आए ह। इससे कोई फ़फ़ नह पड़ता िक
आप इसका कैसा वणन करते ह : क पना का अ यास, च ण, मान सक
त वीर बनाना या मेरी श दावली म कह, तो आपका मान सक थएटर।
मह वपूण यह है िक आप इसे कर! यिद आप इसे लागू करने के लए एक
ल य चुन ल और इसे आज़माने का 21 िदन का ठोस, ईमानदार मौक़ा द,
तो िमलने वाले प रणाम से आप इतने संतु ह गे िक आप बाक़ जीवन इस
औज़ार का इ तेमाल जारी रखने का िन त प से चुनाव करगे और ऐसा
करने से आपको बहुत लाभ होगा, जैसा आपसे पहले असं य खलािड़य ,
मनोरंजनकताओं, डॉ टर , वक ल , यवसा यय और अ य लोग को हो
चुका है। शु करने के लए कुछ अ यास ये ह :
मान सक
श ण अ यास
आपक वतमान आ म-छिव आपके बारे म ख़ुद क पुरानी क पना क
त वीर से बनी थी, जो आपके अनुभव क या याओं और
मू यांकन से बनी थ । अब एक सश आ म-छिव बनाने के लए भी
आपको उसी िव ध का इ तेमाल करना है, जसका इ तेमाल पहले
आपने कमज़ोर आ म-छिव बनाने के लए िकया था।
हर िदन 30 िमनट का समय अलग िनकाल द, जसम आप अकेले रह
सक और कोई आपको िवच लत न करे। तनावरिहत ह और ख़ुद को
यथासंभव आरामदेह बना ल। अब अपनी आँ ख बंद कर ल और
क पना का अ यास कर।
कई लोग ने बताया है िक उ ह तब बेहतर प रणाम िमलते ह, जब वे
एक बड़ी मोशन िप चर
ीन के सामने बैठकर अपनी ख़ुद क
मोशन िप चर देखने क क पना करते ह। मह वपूण बात है इन
त वीर को अ धका धक सजीव और िव तृत बनाना। आप चाहते ह
िक आपक मान सक त वीर वा तिवक अनुभव के यथासंभव क़रीब
ह । इसे करने का तरीक़ा है अपने का पिनक प रवेश िक छोटे-छोटे
िववरण , य , विनय और व तुओ ं पर यान देना। का पिनक
प रवेश के िव तृत िववरण इस अ यास म अ यंत मह वपूण ह,
य िक सभी यावहा रक उ े य से आप इस अ यास से एक अनुभव
बना रहे ह। यिद आपक क पना पया सजीव और िव तृत है, तो
जहाँ तक आपके तंि का तं का संबध
ं है, आपक क पना का
अ यास वा तिवक अनुभव जैसा ही है।
अगली मह वपूण बात यह याद रखना है िक इन 30 िमनट के दौरान
आप ख़ुद को सही, सफल, आदश तरीक़े से ि या और ति या
करते देख। इससे कोई फ़क नह पड़ता िक आपने कल कैसा यवहार
िकया था। आपको इस बात पर िव ास करने क कोई ज़ रत नह है
िक आप आने वाले कल म आदश तरीक़े से काय करगे। आपका
तंि का तं समय के साथ उसक परवाह कर लेगा - बशत आप
अ यास जारी रख। ख़ुद को वैसे काय करते, महसूस करते, रहते
देख, जैसे आप बनना चाहते ह। ख़ुद से यह न कह, “म कल इस तरह
से काय करने वाला हूँ।” बस ख़ुद से इतना ही कह, “म अब इस तरह
से काय करते हुए ख़ुद क क पना करने जा रहा हूँ - आज 30 िमनट
के लए।” क पना कर िक आपको कैसा महसूस होगा, अगर आपका
सचमुच वैसा ही यि व हो, जैसा आप चाहते ह । यिद आप संकोची
और कातर ह, तो ख़ुद को लोग के बीच आराम व शां त से घूमते देख
और इसक वजह से अ छा महसूस कर। यिद आप कुछ थ तय म
डर और तनाव महसूस करते रहे ह , तो ख़ुद को शां त से जान-
बूझकर काय करते देख, िव ास तथा साहस के साथ काय करते देख
और आ मिव ासी तथा वृहद महसूस कर, य िक आप सचमुच ऐसे
ही ह।
यह अ यास आपके म त क के म य और क ीय तंि का तं म नई
“याद” या सं हीत जानकारी बना देता है। यह आपके व प क एक
नई छिव बना देता है। कुछ समय तक इसका अ यास करने के बाद
आप ख़ुद को “अलग तरह से काय करते” देखकर हैरान रह जाएँ गे,
कमोबेश वच लत तरीक़े से और सहजता से, िबना को शश के। और
यही होना चािहए। आपको अ भावी महसूस करने और अ मता से
काय करने के लए इस व त कोई यास करने या िवचार करने क
ज़ रत नह होती है। आपक वतमान अ म भावना और कम
वच लत तथा सहज ह। ऐसा उन का पिनक और वा तिवक याद
के कारण है, जो आपने वच लत मेकेिन म म अतीत म बना दी ह।
आप पाएँ गे िक यह मेकेिन म सकारा मक िवचार और अनुभव पर
भी उतने ही वच लत तरीक़े से काय करेगा, जतना िक नकारा मक
पर करता था।
पहला क़दम : एक पेन और नोटपैड लेकर एक सं
परेखा या
वणन लख िक आप मान सक थएटर म िकस तरह क मान सक
िफ़ म बनाने जा रहे ह, उस पर योग करने जा रहे ह, उसे िवक सत
करने और देखने जा रहे ह।
दस
ू रा क़दम : हर िदन 30 िमनट अलग िनकाल ल, बेहतर होगा िक
हर िदन एक ही समय। एक शांत, िनजी थान खोज, तनावरिहत ह ,
अपनी आँ ख बद कर ल, अपने थएटर म दा ख़ल ह और अपनी
िफ़ म को चलाना, सपािदत करना, चलाना शु कर द।
तीसरा क़दम : धीरे-धीरे अपनी िफ़ म को “सशो धत” कर, तािक
इसका “ टार” (आप) ठीक उसी तरह दशन करता हो, जैसा आप
चाहते ह और आपको मनचाहे अनुभव तथा प रणाम हा सल करता
हो। पहले 10 िदन म इस बद ु पर पहुँचने का यास कर।
चौथा क़दम : बचे हुए 11 िदन म उस िफ़ म को बार-बार िबना िकसी
बदलाव क देख और आनद ल।
अ याय चार
झूठे िव ास के स मोहन को कैसे तोड़
मा यताएँ झूठ को मुक़ाबले स य क अ धक ख़तरनाक श ु ह।
-फ़े ड रक िव हेम नी शे
साइबरनेिट स के बारे म एक सवाल मुझसे कई बार
स ◌ा इको
पूछा गया है। सवाल यह है यह है िक “मानकर चल” क
क पना “नाटक करना है, जब तक िक आप वैसा करने न लग” या यह
शु फंतासी है। कोई भी चीज़ स य से इससे यादा दरू नह हो सकती।
“नाटक करना, जब तक िक आप वैसा न करने लग” बाहरी है, सतही है
और अवा तिवक है। कई बार यह तकनीक से सपीपल को सखाई जाती
है, जससे उ ह आ थक और भावना मक त होती है।
इसके बजाय, साइको साइबरनेिट स म तो मानकर-चल क क पना
का अ यास करना होता है। यह धोखा देना नह है, ब क एक छपी हुई
स ाई को खोजना है। यह अपने स े व प को उजागर करने के लए
हािनकारक िवचार को सृजना मक तरीक़े से चुनौती देना है। इन
हािनकारक िवचार को आपक आ म-छिव आपके बारे म “स ाई” या
त य के प म वीकार करती है। सवाल यह नह है िक वे कभी उ चत थे
या नह थे, मूल बात तो यह है िक आज या आने वाले कल वे उ चत नह
रहगे। मेरी मूल पु तक क यह कहानी इसका उदाहरण है :
मेरे िम डॉ. ऐ फ़े ड एडलर को बचपन म एक अनुभव हुआ। यह
बताता है िक िव ास यवहार और यो यता पर िकतना शि शाली भाव
डाल सकता है। उ ह अंकग णत म बुरी शु आत िमली और उनके टीचर
को िव ास हो गया िक वे “ग णत म बु ”ू ह। िफर टीचर ने उनके
अ भभावक को यह “त य” बताते हुए कहा िक वे उस लड़के से यादा
उ मीद न रख। उ ह भी िव ास हो गया । एडलर ने िन यता से इन लोग
के मू यांकन को वीकार िकया और अंकग णत म उ ह जो ेड िमला,
उससे यह सािबत हो गया िक उन लोग क बात सही है। बहरहाल, एक
िदन उनक मा यता बदल गई। टीचर ने बोड पर एक सम या लखी थी,
उसे हल करने का तरीक़ा िकसी सहपाठी को समझ नह आ रहा था,
लेिकन एडलर के मन म अचानक ान क क ध आ गई और वे सम या को
हल करने का तरीक़ा समझ गए। उ ह ने टीचर के सामने यह घोषणा कर
दी। टीचर और पूरी ास हँसने लगी, जस पर उ ह ोध आ गया और
उ ह ने लैकबोड तक जाकर सम या को सुलझा िदया - जससे सभी ठगे
रह गए। इसके बाद उ ह एहसास हुआ िक वे अंकग णत समझ सकते ह।
उ ह अपनी यो यता म एक नया िव ास महसूस हुआ और बाद म वे ग णत
के अ छे िव ाथ बने।
डॉ. एडलर का अनुभव काफ़ हद तक कुछ वष पूव मेरे एक रोगी के
अनुभव से िमलता-जुलता है। वह एक यवसायी था, जो लोक संभाषण म
उ कृ बनना चाहता था। कारण यह था िक वह एक मु कल े म अपनी
उ कृ सफलता के बारे म एक अ याव यक संदेश देना चाहता था। उसक
आवाज़ अ छी थी और िवषय मह वपूण था, लेिकन वह अजनिबय के
सामने खड़े होकर अपना संदेश देने म अ म था। उसे िकस चीज़ ने पीछे
रोक रखा था? उसके इस िव ास ने िक वह एक अ छा भाषण नह दे
सकता और वह अपने ोताओं को भािवत नह कर पाएगा, य िक उसके
पास रोबदार हु लया नह था… और वह “सफल ए ज़ी यूिटव जैसा नह
िदखता था।” यह िव ास उसके भीतर इतनी गहराई म जम गया था िक
जब भी वह लोग के समूह के सामने खड़े होकर भाषण देता था, तो यह हर
बार एक अवरोधक खड़ा कर देता था। उसने ग़लती से यह िन कष िनकाला
िक अगर वह अपने हु लए को बेहतर बनाने के लए ऑपरेशन करा ले, तो
उसे वह आ मिव ास िमल जाएगा, जसक उसे ज़ रत थी। ऑपरेशन से
यह काय हो भी सकता था और नह भी। दस
ू रे रोिगय के साथ मेरा अनुभव
बताता था िक शारी रक प रवतन हमेशा यि व प रवतन क गारंटी नह
होते ह। इस इंसान के मामले म समाधान तब िमला, जब उसे िव ास हो
गया िक उसका नकारा मक िव ास उसे अपने पास मौजूद अ याव यक
जानकारी देने से रोक रहा था। वह उस नकारा मक िव ास क जगह एक
सकारा मक िव ास रखने म सफल हुआ िक उसके पास बेहद मह वपूण
संदेश है, जसे सफ वही पहुँचा सकता था, चाहे वह कैसा भी िदखता हो।
समय के साथ वह कारोबार जगत म बेहद लोकि य व ा बन गया। जो
एकमा प रवतन हुआ था, वह उसके िव ास और आ म-छिव म हुआ था।
अब म जो मु े क बात कहना चाहता हूँ, उस पर ग़ौर कर : एडलर
अपने बारे म एक झूठे िव ास से स मोिहत हो गए थे - सफ़ आलंका रक
प से नह , ब क सचमुच, वा तव म स मोिहत हो गए थे। वह बात याद
रख, जो हमने िपछले अ याय म कही थी िक स मोहन क शि िव ास क
शि है। मुझे स मोहन क शि के बारे म डॉ. बाबर के प ीकरण को
दोहराने द : “हमने पाया है िक स मोहन के वश म लोग आ यजनक चीज़
करने म तभी स म होते ह, जब उ ह िव ास हो िक स मोहन करने वाले के
श द स य ह…. जब स मोहन करने वाले ने स मोिहत यि को इस बद ु
तक मागदशन िदया है, जहाँ उसे िव ास हो िक स मोहन करने वाले के
श द स य कथन ह, तो वह यि अलग तरह से यवहार करने लगता है,
य िक वह अलग तरह से सोचता और यक़ न करता है ।”
आपके लए मह वपूण बात यह याद रखना है िक इससे र ी भर भी
फ़क़ नह पड़ता िक आपको वह िवचार कैसे िमला या वह कहाँ से आया।
हो सकता है िक आप कभी िकसी पेशेवर स मोहनकता से िमले तक न ह ।
हो सकता है िक आपको कभी िव धवत स मोिहत न िकया गया हो। लेिकन
अगर आप िकसी िवचार को - ख़ुद के, अपने श क के, अपने माता-िपता
के, िम के, िव ापन के या िकसी भी अ य ोत के - वीकार कर चुके
ह, और इससे भी आगे, अगर आपको प ा िव ास है िक वह िवचार सच है,
तो उस िवचार क आप पर उतनी ही शि होती है, जतनी िक स मोिहत
करने वाले के श द क स मोिहत होने वाले यि पर होती है।
वै ािनक शोध ने दशाया है िक डॉ. एडलर का अनुभव लाख म एक
नह है, ब क यावहा रक प से सभी ख़राब ेड पाने वाले िव ा थय का
है। अ याय एक म हमने बताया था िक े कॉट लेक िकस तरह कूल के
ब के ेड म लगभग चम का रक प रवतन ले आए, जब उ ह ने उ ह
उनक आ म-छिव बदलने का तरीक़ा बताया। हज़ार योग और कई वष
के शोध के बाद लेक इस नतीजे पर पहुँचे िक कूल म ख़राब ेड लगभग
हर मामले म कुछ हद तक िव ा थय क आ म-अवधारणा और आ मप रभाषा क वजह से आते ह। इन िव ा थय को दरअसल इस तरह के
िवचार से स मोिहत िकया गया था, जैसे “म मूख हूँ,” “म अंकग णत म
कमज़ोर हूँ,” “मेरी पे लग तो थायी प से ख़राब है,” “मुझम यांि क
िक़ म का िदमाग़ नह है,” आिद। अब जब आ म-प रभाषाएँ ऐसी थ , तो
िव ा थय को अपने त स ा रहने के लए ख़राब ेड लाने पड़े। अचेतन
प से, ख़राब ेड लाना उनके लए एक नै तक मु ा बन गया। उनके
ि कोण से अ छे ेड लाना ग़लत होता, य िक यह उनक आ म-छिव के
िवपरीत होता। अगर उ ह ख़ुद को ईमानदार िदखाना था, तो अपनी आ मछिव के अनु प यवहार करना ही था।
याद रख, ोत के आ धका रक होने से, दोहराव के ज़ रए और
गहनता के मा यम से यह स मोहक ो ा मग थायी हो जाती है।
डी ो ा मग और री ो ा मग म भी आपसे इ ह घटक को दान करने क
अपे ा क जाती है। डॉ. एडलर के बचपन के अनुभव म आ धका रक ोत
शािमल थे - उनके अ भभावक और श क, इसे बार-बार सुनना और गहन
अपमानजनक अनुभव ारा इसे बलवान बनाया जाना। उनक मुि एक
और गहन अनुभव तथा भावना मक ति या से शु हुई, जससे वे उस
िव ास पर सवाल करने और उसे चुनौती देने के लए मु तथा े रत हुए।
स मोिहत से सपसन का संग
सी स ऑफ़ स सेसफ़ुल स लग पु तक म जॉन डी. मफ़ बताते ह िक
िकस कार मशहूर से स िवशेष ए मर वीलर ने एक से सपसन क
आमदनी बढ़ाने के लए लेक क अवधारणा का इ तेमाल िकया :
ए मर वीलर को एक कंपनी ने से स क स टट के प म बुलाया। से स मैनेजर ने
उनका यान एक बहुत ही उ ेखनीय करण क ओर आक षत िकया। एक िन त
से समैन हर साल लगभग 5,000 डॉलर क कमाई करता था, चाहे उसे कोई भी इलाक़ा
िदया जाए या िकतने ही तशत कमीशन िदया जाए।
चूँिक इस से समैन ने एक थोड़े छोटे इलाक़े म अ छा दशन िकया था, इस लए उसे
इनाम के बतौर यादा बड़ा और बेहतर इलाक़ा िदया गया। लेिकन अगले साल उसका
कमीशन लगभग उतना ही आया, जतना िक उसने छोटे इलाक़े म कमाया था : 5,000
डॉलर। अगले साल कंपनी ने सभी से समैन को िदए जाने वाले कमीशन को बढ़ा िदया,
लेिकन इस से समैन ने इसके बावजूद सफ 5,000 डॉलर ही कमाए। िफर उसे कंपनी
के सबसे ख़राब इलाक़े म भेजा गया - लेिकन वहाँ भी उसने अपने सामा य 5,000
डॉलर कमा लए।
वीलर ने इस से समैन से बात क और उसे पता चला िक सम या इलाक़े म नह थी,
ब क से समैन के ख़ुद के आकलन म थी। वह ख़ुद को 5,000 डॉलर त वष क
आमदनी वाला यि मानता और जब तक वह अपने बारे म यह अवधारणा रखता था,
बाहरी प र थ तयाँ यादा मायने नह रखती थ ।
जब उसे कमज़ोर इलाक़ा िदया गया, तो उसने 5,000 डॉलर कमाने के लए कड़ी मेहनत
क । जब उसे अ छा इलाक़ा िदया गया, तो 5,000 डॉलर का आँ कड़ा नज़र आते ही वह
तमाम तरह के बहाने बनाने लगा। एक बार ल य ा होने पर वह बीमार पड़ गया और
उस साल आगे काय नह कर पाया, हालाँिक डॉ टर को उसके साथ कोई गड़बड़ नज़र
नह आई और वह अगले साल क पहली तारीख़ को चम का रक प से ठीक हो गया।
प
प से यह एक पुराना संग है, जो 5,000 डॉलर क आमदनी के
आँ कड़े से पता चलता है। जब यह संग इस पु तक के पहले सं करण म
का शत हुआ, तो मुझे कई से स मैनेजस के प िमले, जनम से येक म
इसी तरह क कहानी थी। वे सभी कहते थे िक उनके संगठन म भी ठीक
इसी जैसा एक यि है, जसके साथ वे पूरी तरह कंु िठत हो चुके ह। एक
से स मैनेजर ने लखा था, “ऐसा लगता है, मानी हॉवड के िदमाग़ म
आमदनी क कोई पहले से तय सीमा हो, जसके पार वह नह जाएगा, चाहे
अवसर या प र थ तयाँ कैसी भी ह ।” और यह िबलकुल ठीक बात है; यह
सीमा उसक आ म-छिव म गहराई से “तय” है। जब तक िक इसे दोबारा
तय नह िकया जाएगा, वह इसके पार नह जा पाएगा।
िकस कार एक झूठे िव ास ने
एक यि को 20 साल उ दराज़ कर िदया
मेरी िपछली पु तक एडवचस इन टेइगं यंग म मने एक िव तृत केस िह टी
बताई थी िक एक झूठे िवचार क वजह से रसल नामक यि क उ
लगभग रातोरात 20 साल िकस कार बढ़ गई थी, लेिकन जब उसने स ाई
को वीकार कर लया, तो उसक जवानी भी लगभग उतनी ही ज दी
वापस लौट आई।
सं ेप म कहानी यह है : मने रसल के िनचले ह ठ का कॉ मेिटक
ऑपरेशन बहुत कम फ़ स म िकया। शत यह थी िक उसे अपनी गलफ़ड को
यह बताना होगा िक इस ऑपरेशन म उसक जीवन भर क कमाई लग गई
थी। उसक गलफ़ड को इस बात म कोई आप नह थी िक वह अपना
पैसा गलफ़ड पर ख़च करे। वह ज़ोर देकर कहती थी िक वह उससे यार तो
करती है, लेिकन साथ ही यह भी कहती थी िक उसके बहुत यादा बड़े
िनचले ह ठ के कारण वह उससे कभी शादी नह कर सकती। बहरहाल,
जब उसने अपनी गलफ़ड को ऑपरेशन म सारी जमापूँजी लगाने क बात
बताई और गव के साथ अपना नया िनचला ह ठ िदखाया, तो उस लड़क
क ति या ठीक वैसी ही थी, जैसी िक मुझे आशा थी, लेिकन जसक
रसल को क़तई उ मीद नह थी। वह बुरी तरह नाराज़ हो गई। उसने कहा
िक रसल मूख है, जसने अपना सारा पैसा फ़ालतू म ख़च कर डाला। अंत
म उसने रसल को िबलकुल प श द म बता िदया िक वह उससे यार न
तो कभी करती थी, न ही कभी करेगी। वह तो उसे बस मूख बना रही थी,
जब तक िक उसके पास ख़च करने के लए पैसे थे। वह लड़क मेरी उ मीद
से आगे चली गई। ोध और नफ़रत म उसने यह भी घोषणा क िक वह
रसल को एक ‘वूडू शाप” दे रही है। रसल और उसक गल ड दोन ही
वे ट इंडीज़ के एक टापू पर पैदा हुए थे, जहाँ अ ानी व अंधिव ासी लोग
वूडू नामक काले जाद ू म िव ास करते थे और उसका इ तेमाल करते थे।
रसल का प रवार काफ़ सं ांत था। उसक पृ भूिम सुसं कृत थी और वह
एक कॉलेज नातक था।
जब ोध क गम म उसक गलफ़ड ने उसे ‘शाप” िदया, तो वह थोड़ा
असहज महसूस करने लगा, लेिकन इस बारे म उसने यादा नह सोचा।
बहरहाल, उसे यह बात याद आई, जब कुछ समय बाद उसे अपने ह ठ
के भीतर एक अजीब सी गठान महसूस हुई। वूडू जाद ू के बारे म जानने वाले
एक िम ने ज़ोर देकर उसे डॉ. मथ से िमलने को कहा। डॉ. मथ ने
तुरत
ं उसे बता िदया िक उसके मुँह के भीतर क गठान एक भयावह
अफ़ीकन बीमारी है, जो धीरे-धीरे उसक सारी फू त और शि को कुतर
लेगी। रसल चता करने लगा और कमज़ोरी के संकेत क तलाश करने
लगा। और उनके िमलने म यादा समय नह लगा। उसक भूख ग़ायब हो
गई और न द भी उड़ गई।
यह बात मुझे रसल ने तब बताई, जब वह इलाज के कुछ स ाह बाद
मेरे ऑिफ़स लौटा। मेरी नस उसे पहचान नह पाई और इसम कोई ता ुब
क बात नह थी। जब रसल पहली बार मुझसे िमलने आया था, तब वह
एक बहुत भावशाली यि था, हालाँिक उसका ह ठ थोड़ा यादा बड़ा
था। उसका क़द छह फ़ुट चार इंच था। एक बड़ा आदमी, जसका शरीर
खलािड़य जैसा था। उसका अंदाज़ एक आं त रक ग रमा बयाँ करता था
और उसे चुंबक य यि व दान करता था। उसक वचा के रोम-रोम से
फू त वािहत होती नज़र आती थी।
अब जो रसल मेरी डे क के सामने बैठा था, वह कम से कम 20 साल
बूढ़ा िदख रहा था। उसके हाथ बुढ़ापे के शकार यि क तरह काँप रहे
थे। उसक आँ ख और गाल धँस गए थे। उसका वज़न शायद 30 पाउं ड कम
हो गया था। उसके हु लए म हुए प रवतन उस ि या के ल ण थे, जसे
चिक सा िव ान बेहतर नाम के अभाव म बुढ़ापा कहता है।
उसके मुँह क व रत जाँच करने के बाद मने रसल को आ त िकया
िक म 30 िमनट से भी कम समय म इस भयंकर अफ़ीकन बीमारी से उसे
छुटकारा िदला सकता हूँ, जो मने कर भी िदया। जस गठान ने यह सारी
सम या खड़ी क थी, वह उसके ऑपरेशन का बस छोटा सा िनशान ऊतक
थी। मने उसे िनकालकर अपने हाथ पर रखा और उसे िदखा भी िदया।
मह वपूण बात यह थी िक उसने स ाई देख ली और उस पर यक़ न कर
लया। उसने राहत क साँस ली और ऐसा लग रहा था, मानो उसके हावभाव और मु ा म तुरत
ं प रवतन हो गया था।
कई स ाह बाद मुझे रसल का एक अ छा प िमला, जसम नई द ु हन
के साथ उसक त वीर भी थी। वह अपने घर लौट गया था और वहाँ उसने
अपने बचपन क ेयसी से शादी कर ली थी। उस त वीर म जो यि था,
वह पहले वाला रसल था। रसल रातोरात दोबारा यव
ु ा हो गया था। एक झूठे
िव ास के कारण उसक उ 20 साल बढ़ गई थी। स ाई ने न सफ़
उसका डर दरू कर िदया था और उसका आ मिव ास लौटा िदया था,
ब क इसने दरअसल बुढ़ापे क ि या को भी उलट िदया था।
अगर आप पहले और बाद के रसल को देख सकते, जस तरह मने
देखा था, तो आपको कभी इस बारे म कोई शंका नह होती िक िव ास क
शि िकतनी बल होती है या िकसी भी ोत से सच मान लया गया
िवचार स मोहन जतना ही शि शाली होता है।
या हर यि
स मोिहत है?
यह कहना अ तशयोि नह है िक सभी इंसान िकसी न िकसी हद तक
स मोिहत ह, या तो दस
ू र के उन िवचार ारा ज ह उ ह ने िबना िवरोध
के वीकार कर लया है या िफर अपने उन िवचार ारा, ज ह उ ह ने ख़ुद
के सामने दोहराया है और ख़ुद को उनके स य होने का िव ास िदला िदया
है। इन नकारा मक िवचार का हमारे यवहार पर ठीक वैसा ही भाव होता
है, जैसा िक िकसी पेशेवर स मोहक ारा स मोिहत यि के िदमाग़ म
डाले गए नकारा मक िवचार का होता है। या आपने कभी बहुत अ छे
स मोहन का दशन देखा है? अगर नह देखा, तो आइए म कुछ अ धक
सरल ल ण का वणन करता हूँ, जो स मोिहत करने वाले यि के सुझाव
पर िदखाई देते ह। स मोिहत करने वाला यि एक शि शाली फ़ुटबॉल
खलाड़ी को बताता है िक उसका हाथ मेज़ से चपक गया है और वह इसे
नह उठा सकता। यह फ़ुटबॉल खलाड़ी के “को शश न करने” का सवाल
नह है। वह ऐसा कर ही नह सकता। वह दबाव डालता है और जूझता है,
जब तक िक उसक बाँह और हाथ क मांसपे शयाँ धाग क तरह बाहर
नह िनकल आत । लेिकन उसका हाथ मेज़ पर पूरी तरह जड़ बना रहता
है। स मोिहत करने वाला यि एक चिपयन वेट ल टर को बताता है िक
वह डे क से प सल नह उठा सकता। हालाँिक वह चिपयन खलाड़ी
अमूमन 400 पाउं ड का वज़न सर के ऊपर उठा सकता है, लेिकन अब वह
प सल भी नह उठा सकता।
अजीब बात यह है िक इन मामल म स मोहन खलािड़य को कमज़ोर
नह करता है। मता क ि से वे पहले जतने ही शि शाली रहते ह।
लेिकन चेतन प से उ ह पता नह होता िक वे ख़ुद के ख़लाफ़ काय कर
रहे ह। एक ओर तो वे अपने हाथ को या प सल को उठाने का वै छक
यास करते ह और सही मांसपे शय को वाक़ई संकु चत करते ह। लेिकन
दस
ू री ओर, “आप यह नह कर सकते” का िवचार उनक इ छा के िबना
िवरोधी मांसपे शय को सकोड़ देता है। नकारा मक िवचार क वजह से वे
ख़ुद को हरा देते ह; वे उपल ध वा तिवक शि को य नह कर सकते
या सामने नह ला सकते।
एक और खलाड़ी क पकड़ क शि का परी ण डायनैमोमीटर पर
िकया गया और यह 100 पाउं ड िनकली। सारे यास और तनाव के
बावजूद वह सुई को 100 पाउं ड के पार नह ले जा पाया। अब उसे
स मोिहत िकया जाता है और कहा जाता है, “तुम बहुत ही शि शाली हो।
इतने यादा शि शाली हो, जतने जीवन म पहले कभी नह रहे। बहुत ही
शि शाली। तुम िकतने शि शाली हो, यह पता चलने पर तुम हैरान हो
जाओगे।” एक बार िफर उसके हाथ क पकड़ क शि का परी ण िकया
जाता है। इस बार वह आसानी से सुई को 125 पाउं ड के पार ले जाता है।
और अजीब बात यह है िक स मोहन ने उसक वा तिवक शि को
नह बढ़ाया था। स मोहक सुझाव ने तो उस नकारा मक िवचार से उबरने
म उसक मदद क थी, जो पहले उसे अपनी पूरी शि य करने से रोक
रहा था। दस
ू रे श द म, उस खलाड़ी ने अपनी सामा य जा त अव था म
अपनी शि पर एक सीमा लगा दी थी और यह नकारा मक िव ास कर
लया था िक वह सफ़ 100 पाउं ड क पकड़ ही रख सकता है। स मोहक ने
सफ़ यह मान सक अवरोध हटा िदया था और उसे अपनी स ी शि को
य करने िदया था। स मोहन ने ख़ुद के बारे म उसक सीिमत करने वाली
धारणाओं से उसे कुछ समय के लए ‘स मोहन से जगा” िदया था।
जैसा डॉ. बाबर ने कहा है, जब आप िकसी स मोहन स के दौरान
थोड़ी चम कारी चीज़ होते देखते ह, तो यह मानना बेहद आसान है िक
स मोहनकता म कोई जादईु शि होती है। कातर, शम ला, एकांति य
यि बिहमुखी, संतु लत बन जाता है और एक ओज वी भाषण दे डालता
है। एक और यि जो चेतन अव था म प सल और कागज़ पर िहसाब
लगाने म ख़ास अ छा नह होता, अपने िदमाग़ म तीन अंक क दो
सं याओं का गुणा कर लेता है। यह सब इस लए होता है, य िक स मोिहत
करने वाला यि उनसे कहता है िक वे यह काय कर सकते ह और उ ह
आगे बढ़कर इसे करने का िनदश देता है। देखने वाल को ऐसा लगता है,
मानो स मोिहत करने वाले यि के श द म जादईु शि है। बहरहाल,
मामला यह नह है। इन चीज़ को करने क शि , बुिनयादी यो यता उन
लोग म हर समय िनिहत थी। यह तो उनम स मोिहत करने वाले यि से
िमलने से पहले भी थी। बहरहाल, ये लोग उस शि का इ तेमाल करने म
असमथ थे, य िक वे ख़ुद ही नह जानते थे िक यह वहाँ थी। अपने
नकारा मक िव ास के कारण उ ह ने इसे बोतल म बंद कर िदया था और
इसका गला दबा िदया था। उ ह इस बात का एहसास नह था, लेिकन
उ ह ने ख़ुद को स मोिहत करके यह िव ास िदला िदया था िक वे ये चीज़े
नह कर सकते। और यह कहना यादा सच होगा िक स मोिहत करने वाले
यि ने उ ह स मोिहत करने के बजाय उनके पुराने स मोहन को तोड़
िदया था।
चाहे आप कोई भी ह , आपके भीतर वह सब करने क यो यता और
शि है, जसक ज़ रत आपको सुखी और सफल बनने के लए है।
आपके भीतर इसी समय वे चीज़े करने क शि है, ज ह आपने सपने म
भी संभव नह माना था। यह शि आपको तुरत
ं िमल सकती है, बशत आप
अपने िव ास को बदल ल। जतनी ज दी आप इन िवचार से अपने
स मोहन को तोड़ सक जैसे “ म नह कर सकता ” “ म इस लायक़ नह हूँ
” “म इसका हक़दार नह हूँ,” और ख़ुद को सीिमत करने वाले अ य
िवचार।
आप अपनी हीन ं थ का इलाज कर सकते ह
कम से कम 95 तशत लोग का जीवन िकसी न िकसी हद तक हीनता
क भावनाओं से त रहा है और करोड़ लोग के लए यह हीनता क
भावना सफलता और सुख क राह म गंभीर बाधा है।
धरती पर रहने वाला हर यि कुछ लोग से हीन है। म जानता हूँ िक
म गो फ़ के मैदान म जैक िनकलॉस को नह हरा सकता, एनएफ़एल के ो
वाटरबैक जतनी सीधी और दरू तक फ़ुटबॉल को नह फक सकता…
सूची अनंत है। हालाँिक म बहुत से ोताओं को संबो धत कर चुका हूँ,
लेिकन म बहुत से लोग को जानता हूँ, जो मंच पर मुझसे अ धक प र कृत,
सु चपूण और चम कारी ह। म यह बात जानता हूँ, लेिकन इससे मेरे भीतर
हीनता क भावनाएँ उ प नह होत और इनसे मेरा जीवन मुरझाता नह
है। सफ़ इस लए य िक म उनके साथ अपनी नकारा मक तुलना नह
करता हूँ और यह महसूस नह करता हूँ िक म इस लए अ छा नह हूँ,
य िक म कुछ चीज़ उनके जतनी अ छी तरह या उतनी यो यता से नह
कर सकता। म यह भी जानता हूँ िक मुझसे िमलने वाला हर यि - नु ड़
के यूज़बॉय से बक के े सडट तक - कुछ े म, कुछ मायन म मुझसे
े है। लेिकन इनम से कोई भी यि चेहरे के दाग़ ठीक नह कर सकता
या कुछ अ य चीज़े उतनी अ छी तरह नह कर सकता, जतनी अ छी
तरह म कर सकता हूँ। और मुझे यक़ न है िक इसक वजह से वे हीन
महसूस नह करते ह गे।
हीनता क भावनाएँ त य या अनुभव से उतनी उ प नह होत ,
जतनी िक त य के संबध
ं म अपने िन कष और अनुभव के हमारे
मू यांकन से उ प होती ह। िमसाल के तौर पर, यह सच है िक म जैक
िनकलॉस या अरनॉ ड पा मर से कमतर गो फ़ खलाड़ी हूँ। लेिकन इससे
म हीन यि नह बन जाता। अरनॉ ड पा मर सजरी नह कर सकता,
इस वजह से वह एक हीन सजन तो हो सकता है, लेिकन हीन यि नह ।
यह सब इस बात पर िनभर करता है िक हम िकसके और िकन मानदंड पर
ख़ुद को तौलते ह।
यो यता या बु के संदभ म वा तिवक हीनता का ान नह है,
जससे हमम हीन ं थ आती है और हमारे जीवन म परेशािनयाँ उ प
होती ह। यह सब तो हीनता क भावना क वजह से होता है।
और यह हीनता क भावना सफ़ एक कारण से उ प होती है : हम
अपना मू यांकन और नापतौल अपने ख़ुद के नह , ब क िकसी दस
ू रे
यि के मापदंड पर करते ह। जब हम ऐसा करते ह, तो हमेशा िबना िकसी
अपवाद के हम दस
ू रे नंबर पर आते ह। लेिकन चूँिक हम यह सोचते, यक़ न
करते और मानते ह िक हम िकसी दस
ू रे यि के मापदंड पर खरे उतरना
चािहए , इस लए हम दख
ु ी व दस
ू रे दज का महसूस करते ह और इस नतीजे
पर पहुँचते ह िक हमारे साथ कुछ गड़बड़ है। इस बेतुक तक ि या म
अगला ता कक िन कष इस नतीजे पर पहुँचना है िक हम “लायक़” नह ह,
िक हम सफलता व ख़ुशी के हक़दार नह ह, िक िबना मायाचना या
अपराधबोध महसूस िकए अपनी यो यताओं और गुण को पूरी तरह य
करना सही नह रहेगा, चाहे वे जो भी ह ।
यह सब इस लए होता है, य िक हमने एक पूरी तरह ग़लत िवचार से
ख़ुद को स मोिहत होने क अनुम त दे दी िक “मुझे अमुक-अमुक जैसा
बनना चािहए” या ‘मुझे हर दस
ू रे यि जैसा बनना चािहए।” िव ेषण
करने पर दस
ं समझ आ जाता है, य िक स य
ू रे िवचार का झूठा तक तुरत
यह है िक हर यि के कोई िन त पैमाने नह ह, जो सबम समान ह । “हर
दस
ू रे यि ” म बहुत से लोग ह, जनम से कोई भी दो समान नह ह।
न तो नई नाक, न ही नए जूते
सफलता क गारंटी देते ह
माइकल जॉडन के मशहूर िव ापन अ भयान पर ग़ौर कर, जसका चार
—वा य है “म माइक जैसा बनना चाहता हूँ।” ज़ािहर स ाई यह है िक
बहुत कम यव
ु ाओं म माइकल जॉडन जैसा दशन करने क शारी रक
यो यता है, भले ही वे उसके उ ेखनीय अनुशासन, समपण, काय नै तकता
और त पध भाव क नक़ल कर ल। यिद यह िव ापन अ भयान
हािनरिहत तरीक़े से जूते और पोट डेस बेचता है, तो इसम कोई िद क़त
नह है। कुछ लोग को यह को शश करने क सकारा मक ेरणा देने का
काय करेगा और यह सृजना मक है। अ य लोग के लए यह दख
ु द प से
एक असंभव आदश खड़ा कर देगा, जससे वे तुलना करने लगगे। या इससे
भी बुरी बात, यह यव
ु ाओं को उनके अ त व के क से दरू ले जाएगा और
उनक िन त िनराशा का कारण बनेगा, जब वे पाएँ गे िक नए जूत म उससे
अ धक जाद ू नह है, जतना िक मेरी छुरी से दी नई नाक म होता है।
इसके िवपरीत, माइकल और इस िव ापन अ भयान को देखने वाला
अ धक प रप व, समझदार दशक इससे स मोिहत न होने का चुनाव कर
सकता है। वह ेरणा ले सकता है और इसके पार जाकर अ धक
िवचारपूवक उन गुण और यवहार (िनिहत गुण के अ त र , असाधारण
शारी रक कौशल) तक पहुँच सकता है, ज ह ने माइकल जॉडन क
सफलता म अ धकतम योगदान िदया है, जो ख़ुद म खोजे जा सकते ह,
सश बनाए जा सकते ह, यहाँ तक िक उनका अनुकरण भी िकया जा
सकता है। यह भी सच है िक जॉडन से शारी रक ि से कम िनिहत
यो यता वाला बा केटबॉल खलाड़ी खेल म उसक सफलता को दोहरा
सकता है या उससे आगे तक जा सकता है और यह जॉडन क
बदौलत आं शक प से ऐसा कर सकता है।
ेरणा क
हीन ं थ वाला यि ग़लती को दरू करने के लए े ता का यास
करता है और इस तरह हमेशा उसे कई गुना कर लेता है। उसक भावनाएँ
इस झूठे आधारवा य से उ प होती ह िक वह हीन है। इस झूठे
आधारवा य से “तकपूण िवचार” और भावना का एक पूरा ढाँचा बनकर
खड़ा हो जाता है। अगर वह इस लए बुरा महसूस करता है य िक वह हीन
है, तो इलाज हर दस
ू रे यि जतना अ छा बनना है और सचमुच अ छा
महसूस करने का तरीक़ा ख़ुद को े बनाना है। े ता का यह यास उसे
अ धक मु कल म डाल देता है, अ धक कंु ठा उ प करता है और कई बार
तो मनोरोग भी उ प कर देता है, जो पहले नह था। वह पहले से भी
अ धक दख
ु ी हो जाता है और “वह जतनी यादा को शश करता है,”
उतना ही यादा दख
ु ी हो जाता है।
हीनता और े ता एक ही स े के दो िवपरीत पहलू ह। इलाज यह
पहचानने म िनिहत है िक यह स ा ही खोटा है।
आपके बारे म स ाई यह है :
आप “हीन” नह ह।
आप “ े ” नह ह।
आप बस ‘आप” ह।
यि व के प म “आप” क िकसी अ य यि से कोई त पधा
नह है, य िक इस संसार म आप जैसा या आपक ख़ा सयत वाला कोई
दस
ू रा यि नह है। आप अपने जैसे अकेले ह। आप अनूठे ह। आप िकसी
अ य यि “जैसे” नह ह और कभी िकसी अ य यि “जैसे” बन भी
नह सकते। आपको िकसी अ य यि जैसा नह बनना चािहए और िकसी
दस
ू रे को भी आप जैसा नह बनना चािहए।
ई र ने कोई मानक यि नह बनाया था और उस यि पर यह
लेबल नह लगाया था, “यही आदश यि है।” उ ह ने हर इंसान को
अकेला और अनूठा बनाया था, जस तरह िक उ ह ने हर िहमकण को
अकेला और अनूठा बनाया था।
ई र ने नाटे लोग बनाए और लंबे भी। बड़े भी, छोटे भी। दबु ले भी, मोटे
भी। काले, पीले, लाल और ेत भी। उ ह ने कभी िकसी एक आकार, क़द
या रंग के त पसंदगी का कोई संकेत नह िदया। अ ाहम लकन ने एक
बार कहा था, “ई र आम लोग से ेम करता है, इसी लए उसने ऐसे लोग
इतने सारे बनाए ह।” उनक बात ग़लत थी। कोई “आम आदमी” नह है कोई मानक, कोई साँचा नह है। लकन स य के अ धक क़रीब होते, अगर
वे यह कहते, “ई र असाधारण लोग से ेम करता है, य िक उसने ऐसे
लोग इतने सारे बनाए ह।”
हीनता क ं थ और इसक वजह से दशन म होने वाली िगरावट
मनोवै ािनक योगशाला म कभी भी उ प क जा सकती है। आपको तो
बस एक “मानक” या “औसत” खड़ा करने क ज़ रत है और िफर सामने
वाले को यह िव ास िदलाना है िक वह तुलना म खरा नह उतरता है।
अपनी मूल पु तक म मने एक मनोवै ािनक के बारे म बताया था, जो यह
पता लगाना चाहता था िक हीनता क भावनाएँ सम याएँ सुलझाने क
यो यता पर कैसा भाव डालती ह। उ ह ने अपने िव ा थय को सामा य
टे ट िदए। “लेिकन िफर उ ह ने गंभीरता से घोषणा क िक सामा य यि
इस टे ट को इतने समय म कर सकता है। िदलच प बात यह थी िक
उ ह ने सामा य से पाँच गुना कम समय बताया था। जब टे ट के दौरान
घंटी बजी, जसने संकेत िकया िक ‘आम आदमी’ का समय ख़ म हो गया
है, तो कुछ सबसे हो शयार िव ाथ बहुत बेचन
ै तथा अयो य बन गए और
ख़ुद को िनपट मूख समझने लगे।” (“वॉ ज़ ऑन योर माइंड?”, साइंस
डाइजे ट, फ़रवरी 1952)
क पना कर, आपको स ाई पता नह है और आपको पहली बार
गो फ़ कोस पर ले जाकर खेल क बुिनयादी बात सखाने के बाद यह
बताया जाता है िक आम तौर पर नया खलाड़ी 80 का कोर कर लेता है।
अगर आपको इस बात पर िव ास हो जाता है िक यह सच है, तो गो फ़ का
पहला राउं ड ख़ म होने पर आप कैसा महसूस करगे?
या क पना कर, आपको स ाई पता नह है और आप इस िव ास के
साथ बीमा कारोबार म क़दम रखते िक एक आम नया एजट तुरत
ं ही
20,000 डॉलर त माह कमीशन कमाने लगता है। आप पहले महीने के
ख़ म होने पर कैसा महसूस करगे? दस
ू रे महीने के ख़ म होने पर?
सेब क संतरे से प पाती तुलना पर ख़ुद को तौलने के ख़तर पर भी
िवचार कर। िमसाल के तौर पर, यिद म लेखक के प म अपनी यो यता क
तुलना इस बात से क ं िक उप यासकार टॉम ै सी या टीवन कग क
िकतनी तयाँ िबकती ह, तो म सेब क तुलना संतरे से कर रहा हूँ।
ख़ुद को “उनके” मापदंड पर तौलना बंद कर। आप “वे” नह ह और
कभी उनक बराबरी नह कर सकते। न ही “वे” आपक बराबरी कर सकते
ह - और उ ह करनी भी नह चािहए।
जब आप अपनी आ म-छिव से संवाद करने के लए साइको
साइबरनेिट स का इ तेमाल करते ह, तो आपका उ े य दस
ू र से े
महसूस करना नह होना चािहए, न ही दस
ू र के मुक़ाबले हीनता क अपनी
भावनाओं को जारी रखने क अनुम त देनी चािहए। आपका उ े य अपने
अनूठे यि व और उपल धय को िवक सत करना है।
ख़ुद को स मोहन से जगाने के लए
िव ाम का इ तेमाल केसे कर
शारी रक श थलता स मोहन से जागने क ि या म मह वपूण भूिमका
िनभाती है। हमारे वतमान िव ास, चाहे वे अ छे ह या बुर,े स े ह या झूठे,
िबना िकसी को शश के बने थे, िबना िकसी तनाव के, िबना इ छाशि के
इ तेमाल के। चाहे अ छी ह या बुरी, हमारी आदत भी इसी तरह बनी थ ।
इससे यह िन कष िनकलता है िक नए िव ास या नई आदत डालने के लए
हम इसी ि या यानी िक िव ाम क अव था का इ तेमाल करना चािहए।
अगर िव ाम का दैिनक अ यास िकया जाए, तो यह अपने साथ
“मान सक आराम ” और “तनावरिहत नज़ रया” लाती है, जसक बदौलत
हम अपने वच लत मेकेिन म को सचेतन प से बेहतर िनयंि त कर
सकते ह। शारी रक आराम नकारा मक नज़ रय और ति या के साँच
के स मोहन से ख़ुद को जगाने म बहुत शि शाली भाव डालता है।
मान सक
श ण अ यास
(हर िदन कम से कम 30 िमनट तक अ यास कर)
िकसी आराम कुस पर आराम से बैठ जाएँ या पीठ के बल लेट जाएँ ।
िबना यादा को शश िकए मांसपे शय को चेतन प से “ढीला छोड़
द।” बस चेतन प से अपने शरीर के िव भ अंग पर यान द और
उ ह थोड़ा ढीला छोड़ द। आप पाएँ गे िक आप वे छा से हमेशा कुछ
हद तक तनावरिहत हो सकते ह। आप भ ह तानना छोड़ सकते ह
और अपने माथे को तनावरिहत बना सकते ह। आप अपने जबड़ के
तनाव को थोड़ा कम कर सकते ह। आप अपने हाथ , अपनी बाँह ,
अपने कध , अपने पैर को इस व त से थोड़ा अ धक तनावरिहत कर
सकते ह। इसम लगभग पाँच िमनट का समय लगाएँ और िफर अपनी
मांसपे शय पर यान देना छोड़ द। चेतन िनयं ण ारा आप यह तक
को शश करने जा रहे ह। यहाँ के बाद अपने सृजना मक मेकेिन म का
इ तेमाल करके आप अ धका धक तनावरिहत ह गे, तािक यह अपने
आप एक तनावरिहत अव था ले आए। सं ेप म, आप “ल य
त वीर ” का इ तेमाल करने जा रहे ह, जो आपक क पना म ह और
आप अपने वच लत मेकेिन म को अपने लए वे ल य हा सल करने
क अनुम त दे रहे ह।
मान सक त वीर 1
अपने मन म आप ख़ुद को िब तर पर लेटा देखते ह। अपने पैर क
ऐसी त वीर बनाएँ , जैसे वे प थर से बने िदख रहे ह । ख़ुद को बहुत
भारी प थर वाले पैर के साथ वहाँ लेटा देख। इन बहुत भारी प थर
वाले पैर के वज़न के कारण ग े को काफ़ नीचे धँसता देख। अब च
देख िक आपके हाथ और बाँह भी प थर क बनी ह। वे बहुत भारी ह
और िब तर म धँसी जा रही ह तथा िब तर पर ज़बद त दबाव डाल
रही ह। अपने मन क आँ ख से देख िक एक िम कमरे म आता है और
आपके भारी प थर वाले पैर उठाने क को शश करता है। वह आपके
पैर थामता है और उ ह उठाने क को शश करता है। लेिकन वे उसके
लहाज़ से बहुत यादा भारी होते ह। वह यह काय नह कर पाता।
इस ि या को अपनी बाँह , गदन आिद के साथ दोहराएँ ।
मान सक त वीर 2
आपका शरीर एक बड़ी गुिड़या जैसा है। आपके हाथ धाग से
कलाइय पर ढीले बँधे ह। आपक अ बाहु ढीले धागे से ऊपरी बाँह से
जुड़ी है। आपक ऊपरी बाँह बहुत ढीले धागे से कंधे से बँधी है।
आपके पैर, पड लयाँ, जाँघ भी एक धागे से एक साथ बँधे ह। आपक
गदन म एक बहुत ढीला धागा है। जो धागे आपके जबड़े को िनयंि त
करते ह और आपके ह ठ को जोड़े रखते ह, वे इतने ढीले हो गए ह,
इतने फैल गए ह िक आपक ठु ी नीचे लटककर आपके सीने तक आ
गई है। आपके शरीर के िव भ अंग को जोड़ने वाले सारे धागे ढीले
और श थल ह तथा आपका शरीर िब तर पर ढीलेपन से बस पसरा
हुआ है।
मान सक त वीर 3
कई लोग इसे सबसे तनावरिहत पाएँ गे। बस मृ त म जाकर अतीत के
िकसी तनावरिहत और सुखद य को याद कर। हर एक के जीवन म
हमेशा कोई न कोई समय होता है, जब वह तनावरिहत, आरामदेह
और संसार के साथ शां तमय महसूस करता था। अपने अतीत से
अपनी ख़ुद क तनावरिहत त वीर चुन और िव तृत मृ त त वीर
का आ ान कर। आपक त वीर िकसी पहाड़ी झील के शांत य क
हो सकती है, जहाँ आप मछली पकड़ने गए थे। यिद ऐसा है, तो आप
आस—पास के माहौल क छोटी-छोटी चीज़ पर ख़ास यान द।
पानी क ह क -ह क लहर क याद कर। कौन सी आवाज़ ही रही
थ ? या आपने प य क ह क सरसराहट सुनी थी? शायद
आपको याद हो िक आप बहुत पहले खुली अँगीठी के सामने पूरी तरह
तनावरिहत बैठे थे और उन दे हो गए थे। या ल े कड़कड़ाए थे और
उनसे चगारी िनकली थी? और कौन से य या विनयाँ मौजूद थ ?
शायद आप िकसी समु तट पर धूप म तनावरिहत लेटने क याद
करने का चुनाव कर सकते ह। रेत आपके शरीर पर कैसी महसूस हुई
थी? या आप अपने शरीर पर गम तनावरिहत धूप का पश महसूस
कर सकते ह? या हवा चल रही थी? या समु तट पर समु ी प ी
थे? आप अपने मन म जतने अ धक िव तृत िववरण याद कर सक
और उनक त वीर बना सक, आप उतने ही यादा सफल ह गे।
दैिनक अ यास इन मान सक त वीर या मृ तय को यादा प
कर देगा। सीखने का भाव संचयी होगा। अ यास मान सक त वीर
और शारी रक अनुभू त के बीच के बंधन को मजबूत कर देगा। आप
तनावरिहत होने म अ धका धक सफलता पाएँ गे और यह आपको
भावी अ यास स म ”याद” रहेगा।
अ याय पाँच
ता कक सोच क शि के सहारे
कैसे सफल ह
म त य एकि त करता हूँ, म धैयपूवक उनका अ ययन करता हूँ, म
क पना का इ तेमाल करता हूँ।
-बरनाड ब च
मरीज़ प
प से िनराश हो जाते ह, जब म उ ह बताता
म ◌े रेहूँ कई
िक उनके नकारा मक िव ास और यवहार को बदलने का
तरीक़ा बहुत ही सरल है : इसके लए तो बस उ ह अपनी ई र द तक
शि का इ तेमाल भर करना है। कुछ लोग इसे बहुत नादानी भरा और
अवै ािनक समझते ह। लेिकन इसका एक लाभ ज़ र है : यह कारगर है।
और जैसा हम बाद म देखगे, यह ठोस वै ािनक िन कष पर आधा रत है।
यह बड़ी ही यापक ग़लतफ़हमी है िक ता कक, तकपूण और चेतन
िवचार से आप अचेतन ि याओं तथा मेकेिन म पर कोई िनयं ण नह
कर सकते, कोई भाव नह डाल सकते। इस ग़लतफ़हमी के शकार लोग
मानते ह िक अगर आप नकारा मक िव ास , भावनाओं या यवहार को
बदलना चाहते ह, तो इसके लए आपको आव यक प से गहराई तक
खोदना पड़ेगा और “अचेतन” से साम ी खोदकर िनकालना होगा।
आपका वच लत मेकेिन म पूणत: अ यि गत है। यह िकसी मशीन
क तरह काय करता है और इसक अपनी कोई इ छाशि नह होती। यह
हमेशा प रवेश संबध
ं ी आपके वतमान िव ास और या याओं पर उ चत
ति या करने क को शश करता है। यह हमेशा आपको उ चत भावनाएँ
देने क को शश करता है। यह आपको उन ल य को हा सल करने क
ओर ले जाता है, ज ह आप चेतन प से तय करते ह। यह केवल उसी
जानकारी पर काय करता है, जो आप िवचार , िव ास , या याओं,
सलाह के प म इसे देते ह।
चेतन सोच ही आपक अचेतन मशीन का “िनयं ण बटन” है। हालाँिक
यह शायद अता कक और अयथाथवादी लगता है, लेिकन सच यही है िक
चेतन िवचार के ज़ रए ही अचेतन मशीन ने अपने नकारा मक और अनु चत
ति या साँचे िवक सत िकए ह। इसी वजह से सफ़ चेतन ता कक िवचार
के ज़ रए ही वच लत ति या साँचे को बदला जा सकता है।
आप सकारा मक प रणाम इसी समय पा सकते ह!
िफ़ म और टेलीिवज़न काय म म “थेरप
े ी” को आम तौर पर इस तरह
दशाया जाता है िक एक मनोिव ेषक िकसी मरीज़ से बचपन क याद क
खुदाई करवा रहा है। फल व प यह धारणा लोकि य हो गई है िक अगर
आप एक बार मनो चिक सा कराने जाते ह, तो आप थायी प से
मनो चिक सा म पहुँच जाते ह।
मुझे याद है, एक ए ज़ी यूिटव ने मुझे बताया था िक कई मु े थे, जन
पर वह काय करना चाहता था और अपना यवहार बदलना चाहता था,
लेिकन वह हर स ाह िकसी मनोिव ेषक के ऑिफ़स म बैठकर अपने
बचपन क अंतहीन खुदाई करने को तैयार नह था। मनोिव ेषक के त
उ चत स मान के साथ म कहना चाहूँगा िक व थ आ म-छिव तक पहुँचने
का उनका माग ही एकमा माग नह है और िन प ता से कहा जाए, तो
मनोिव ेषण का यह िवचार सभी डॉ टर क िव धय को सटीकता से नह
दशाता है।
चाहे जो हो, मने उससे पूछा िक या वह सचमुच कुछ प रवतन करना
पसंद करेगा, अगर इसम उसे अपने बचपन क दोबारा या ा न करनी पड़े।
जब उसने हाँ कहा, तो मने उसे इस अ याय म बताए गए िवचार क
जानकारी दी। मने उसे बताया िक आ म-छिव को बदलने के लए वतमान
ता कक िवचार का क पना के साथ उपयोग कैसे िकया जाए।
यिद आपको पहले बताया गया फ़ॉमूला याद है, तो हम बस उसम एक
पूव-वा यांश जोड़गे, जससे यह बन जाता है :
आप अपने ख़ुद के जीवन अनुभव के िनमाता के प म
ता कक सोच ले जाती है 1. चेतन मान सक िनणय + 2. क पना सं ेिषत
ल य से
3. आ म-छिव क ओर = 4. सव -मेकेिन म को “काय संबध
ं ी” िनदश
सरल भाषा म, गाइडेड िमसाइल क साइको साइबरनेिट स क
क ीय उपमा के अनु प हम “ल य“ चुनने के लए इरादतन, ता कक
चेतन िवचार का इ तेमाल करते ह, िफर हम आ म-छिव तक “ल य” को
पहुँचाने के लए क पना का इस तरह उपयोग करते ह िक वह इसे वीकार
कर ले और इसके अनु प काय करे।
िकस तरह ता कक सोच से ख़ुद क थोपी
सीमाओं क जाँच करने से आप हैरान हो सकते ह
एक बहुत ही सामा य थ त पर िवचार कर : भोजन क पसंदगी और
नापसंदगी। मेरा एक िम था, जो हमेशा ीन बी स और बेकन खाने से
इंकार कर देता था। यह साइड डश मुझे बेहद पसंद थी, अ सर अ छे
टीक के साथ। कई बार मने को शश क िक वह इसका वाद चख ले,
लेिकन उसने बार-बार ज़ोर देकर कहा िक वह बी स से नफ़रत करता है।
आ ख़र, मने बार-बार पूछकर उसे परेशान कर डाला और एक शाम को
उसने हार मान ली। जस रे तरां म हम भोजन कर रहे थे, वहाँ वह मन
मारकर “मेरी बकवास बी स” चखने के लए तैयार हो गया, “ सफ़ इस लए
तािक म उसका पीछा छोड़ दँ।ू ”
पहला कौर चखने के बाद वह बुदबुदाया, “हूँहूँहूँ।” उसने एक और कौर
खाया। और िफर तीसरा। उसने कहा, “ये काफ़ वािद ह।”
कुछ महीने बाद, जब हम दोबारा एक साथ भोजन कर रहे थे, तो उसने
बेकन के साथ ीन बी स का ऑडर िदया!
अब, कोई न कोई कारण तो ज़ र रहा होगा, जसक वजह से वह इस
बात को सच मानता था िक उसे ीन बी स का वाद पसंद नह था। मुझे
कारण नह पता और म सोचता हूँ िक उसे भी पता नह होगा। इस लए,
य िक उसने कभी इसे िव तार से नह बताया। लेिकन उसे बचपन के
अनुभव को रोशनी म लाने के लए अपने बचपन क खुदाई क ज़ रत
नह पड़ी, उसे उन वय क बातचीत को बताने क ज़ रत नह पड़ी, जो
उसने चुपके से सीिढ़य पर सुनी थी, तािक वह अपने िव ास को चुनौती दे
और अपने वय क जीवन म, वतमान पल म इसक जाँच करे।
ज़ािहर है, बहुत कम मनोवै ािनक मु े ीन बी स और बेकन को पसंद
करने या न करने जतने छोटे होते ह। लेिकन कई मायन म जनम आप
बेहतर बनने या ख़ुद के साथ शां त से रहने क इ छा करते ह, वे दरअसल
बी स के आपके वाद से यादा जिटल भी नह ह।
हालाँिक मनो चिक सक पेशे के सद य इस बात से भ राय रख
सकते ह, लेिकन मेरा मानना है िक दरअसल अ धकतर लोग ख़ुद को क
पहुँचा रहे आ म-िवनाश को साइको साइबरनेिट स और आ म-सुधार के
इससे संब तौर-तरीक़ क मदद से सुलझा सकते ह; इसके लए उ ह
जीवन क सारी पुरानी घटनाओं का गहन िव ेषण करना ज़ री नह है।
पुरानी घटनाओं को न छे ड़ना हो ठीक रहता है
अचेतन म अतीत क असफलताओं, अि य और दद भरे अनुभव क याद
दफ़न ह, इस त य का यह मतलब नह है िक यि व म प रवतन करने के
लए उ ह “खोदकर बाहर िनकालना” होगा या उनक जाँच करनी होगी।
जैसा हमने पहले संकेत िकया है, यो यता ग़लती करके, को शश करके,
िनशाने से चूककर, ग़लती क ड ी को चेतन प से याद रखकर और
अगली को शश म सुधार करके सीखी जाती है - जब तक िक आ ख़रकार
‘िनशाना लग नह जाता,” या सफल यास पूण नह हो जाता। इसके बाद
सफल ति या का पैटन याद िकया जाता है या याद रखा जाता है और
भावी अवसर पर उसका गो फ़ खेलने, दस
ू रे इंसान के साथ सामा जक
संपक म या िकसी भी अ य यो यता को सीखने म सच होता है। इस तरह,
सभी सव -मेकेिन म क कृ त ही ऐसी होती है िक उनम अतीत क भूल ,
असफलताओं, दद भरे और नकारा मक अनुभव क “ मृ तयाँ” शािमल
होती ह। ये नकारा मक अनुभव सीखने क ि या म बाधा नह डालते ह,
ब क उ टे योगदान देते ह, बशत नकारा मक फ़ डबैक डेटा के प म
उनका उ चत इ तेमाल हो और उ ह वां छत सकारा मक ल य से भटकाव
के प म देखा जाए।
बहरहाल, जैसे ही ग़लती को पहचान लया जाता है और िदशा म
सुधार कर लया जाता है, तो मह वपूण यह है िक ग़लती को चेतन प से
भुला िदया जाए और सफल यास को याद रखा जाए और सफल यास
को याद रखा जाये।
अतीत क असफलताओं क याद कोई नुक़सान नह करती ह, जब
तक िक हमारा चेतन िवचार और यान उस सकारा मक ल य पर कि त
हो, जसे हा सल करना है। इस लए, गड़े मुद को गड़े रहने देना ही सबसे
अ छा है।
हमारी भूल, ग़ल तयाँ, असफलताएँ और कई बार तो हमारा अपमान
भी सीखने क ि या के आव यक क़दम ह। बहरहाल, वे िकसी सा य को
पाने के साधन होने चािहए, वयं सा य नह होने चािहए। जब उनका काय
पूरा हो जाए, तो उ ह भुला देना चािहए। यिद हम चेतन प से भूल पर
अटके रह या ग़लती को लेकर अपराधी महसूस कर और उसक वजह से
ख़ुद को बार-बार कोसते रह, तो - अनजाने म - हम उस भूल या ग़लती को
ही “ल य” बना लेते ह, जो क पना और मृ त म चेतन प से रखी जाती
है। सबसे दख
ु द लोग वे ह, जो क पना म अतीत को जीने पर बार-बार ज़ोर
देते ह, िपछली ग़ल तय के लए लगातार अपनी आलोचना करते रहते ह,
पुराने पाप के लए ख़ुद क लगातार नदा करते रहते ह।
समाधान-कि त मनो चिक सा एक नई श दावली है, जसम मूल
कारण को खोजने के लए अतीत क जाँच करने क कोई ज़ रत नह है।
इसम बताया गया है िक इसके िबना भी आप अपनी भावनाओं और आ मछिव क बागडोर थाम सकते ह। अगर आप इस िवषय पर िकसी वतमान
पु तक म च रखते ह , तो म िबल ओ ‘है लन क पु तक डू वन थग
डफ़रट क अनुशस
ं ा करता हूँ।
“भूलने” क शि
वलड ाउ स के महान वाटरबैक ऑटो ाहम से एक बार पूछा गया िक
फ़ुटबॉल म सचमुच महान पास रवीसर का सबसे मह वपूण गुण या होता
है। उनका जवाब था, “बहुत कम याद रहना।” खलािड़य और श क ने
मुझे बार—बार बताया है और हर साल मी डया इंटर यूज़ म भी इसक गूँज
सुनाई देती है। इसका मतलब यह है िक रसीवर क सबसे मह वपूण
यो यता यह है िक वह तुरत
ं भूल जाए िक उसने पकड़े जा सकने वाले पास
को शमनाक ढंग से िगरा िदया था और “ल य” पर यान कि त करे उसक िदशा म फंके जाने वाले अगले पास को सफलतापूवक पकड़ना।
मने टेलीिवज़न पर कई फ़ुटबॉल मैच देखे ह। मैच म फ़ ड गोल
िककर एक ख़राब िकक लगाता है और 20-30 गज़ के फ़ ड गोल को चूक
जाता है। लेिकन बाद म जब पूरा मैच दाँव पर लगा होता है, तो वह यादा
लंबा, यादा मु कल फ़ ड गोल दाग देता है। भूलने और दोबारा यान
कि त करने क िककर क यो यता उसक शारी रक शि और िक कग क
ि या से ज़रा भी कम मह वपूण नह है।
पुरानी ग़ल तय और भूल - चाहे वे बरस पहले क ह या कुछ िमनट
पहले क - के लए ख़ुद क लगातार आलोचना करने से कोई मदद नह
िमलती। इसका तो उ टा असर होता है। अ सर इससे वही यवहार जारी
रहता है, जसे आप बदलना चाहते ह। पुरानी असफलताओं क याद
वतमान दशन पर िवपरीत भाव डाल सकती ह, अगर हम उ ह पर
कि त रह और इस मूखतापूण िन कष पर पहुँच : “म कल असफल हुआ
था; इस लए म आज िफर असफल हो जाऊँगा।” लेिकन इससे यह
“सािबत” नह होता िक अचेतन ति या पैट स म ख़ुद को दोहराने क
कोई शि होती है या िक असफलता क सारी दफ़न याद को िमटाने के
बाद ही यवहार को बदला जा सकता है। अगर हम शोिषत या पीिड़त ह, तो
अचेतन मन क वजह से नह ह; हम शोिषत या पीिड़त तो अपने चेतन,
सोचने वाले मन के कारण ह। दे खए, हमारे यि व के इस सोचने वाले
िह से से ही हम िन कष िनकालते ह। इसी से ही हम ल य क त वीर को
चुनते ह, जन पर हम एका बनगे। जस िमनट हम अपना मन बदल लेते ह
और अतीत को शि शाली बनाना छोड़ देते ह, अतीत क सारी ग़ल तय
क शि
ीण हो जाती है।
पुरानी असफलताओं को नज़रअंदाज़ कर और आगे
बढ़
जब स मोहन म िकसी संकोची, कातर, सामा जक प से अलग-थलग
रहने वाले को बताया जाता है और उसे यक़ न हो जाता है या वह सोचता है
िक वह एक साहसी, आ मिव ासी व ा है, तो उसक ति या क आदत
तुरत
ं बदल जाती ह। वह वतमान म उसी तरह काय करता है, जैसा उसे
वतमान म यक़ न होता है। उसका पूरा यान सकारा मक वां छत ल य पर
कि त हो जाता है और अतीत क असफलताओं के बारे म ज़रा भी सोचा
नह जाता है या ग़ौर नह िकया जाता है।
डोरो थया बड अपनी आकषक पु तक वेक अप एं ड लव म बताती ह
िक िकस तरह एक िवचार ने उ ह ले खका के प म अ धक उ पादक और
सफल बनाया। इसी िवचार ने उ ह उन यो यताओं व गुण का लाभ लेने म
समथ बनाया, जनके बारे म उ ह पता ही नह था िक वे उनम ह।
दरअसल, एक बार उ ह ने स मोहन का एक दशन देखा। इससे वे
आ यचिकत हो गई और उनक ज ासा जाग गई। िफर उ ह ने
मनोवै ािनक एफ़. एम. एच. मायस का लखा एक वा य पढ़ा। वे कहती ह
िक उस एक वा य ने उनक ज़दगी बदल दी। मायस के उस वा य से यह
प हुआ िक स मोिहत यि य ारा द शत यो यताएँ व गुण स मोहन
क अव था म पुरानी असफलताओं क “ मृ त िमटने” के कारण द शत
हुए। डोरो थया बड ने ख़ुद से पूछा, “यिद यह स मोहन म संभव था - अगर
सामा य लोग के भीतर ऐसे गुण, यो यताएँ और शि याँ थ , ज ह सफ़
पुरानी असफलताओं क याद क वजह से रोका जाता था और उनका
इ तेमाल नह िकया जाता था - तो स मोहन के िबना कोई यि पुरानी
असफलताओं को नज़रअंदाज़ करके इ ह शि य का इ तेमाल य नह
कर सकता। वह “इस तरह काय य नह कर सकता मानो असफल होना
असंभव हो?” उ ह ने इसे आज़माने का संक प लया। उ ह ने ठान लया
िक आधे—अधूरे मन से को शश करना छोड़ दगी। उ ह ने इस मा यता पर
काय करने का िन य िकया, मानी शि याँ और यो यताएँ वहाँ ह और वे
उनका इ तेमाल कर सकती थ , अगर वे बस आगे बढ़ जाएँ और काय कर
द। एक साल के भीतर ही ले खका के प म उनका उ पादन कई गुना बढ़
गया। और उनक िब ी भी। उ ह एक आ यजनक प रणाम भी िमला।
उ ह पता चला िक उनम सावजिनक भाषण क अ छी यो यता है। व ा के
प म उनक काफ़ माँग होने लगी और उ ह इसम मज़ा आने लगा
हालाँिक इससे पहले उ ह ने भाषण देने क िकसी तरह क यो यता द शत
नह क थी; उ टे वे इसे स त नापसंद करती थ ।
इस पु तक के कई अ याय म साइको साइबरनेिट स अ यास बताए
गए ह। इसके अलावा, म साइको साइबरनेिट स पर अपने बारह-स ाह के
कोस म अ धक वृहद और आधुिनक मान सक श ण अ यास भी बताता
हूँ। इन सभी अ यास म म एक चीज़ क को शश करता हूँ। म आपको
अपनी क पना के भीतर “इस तरह काय कर जैसे” के तरीक़ से लैस
करना चाहता हूँ। म आपको ऐसा बारंबार और सृजना मक तरीक़े से करने
के लए ो सािहत करता हूँ।
बरटड रसल क िव ध
अपनी पु तक द कॉ वे ट ऑफ़ है पीनस म बरटड रसल ने लखा था :
म पैदाइशी सुखी इंसान नह था। बचपन म मेरा ि य गीत था : “धरती से हारा हुआ
और अपने पाप से लदा हुआ।” … िकशोराव था म म ज़दगी से नफ़रत करता था और
समय-समय पर आ मह या क कगार पर रहता था। बहरहाल, मने आ मह या इस लए
नह क , य िक मेरे मन म यादा ग णत जानने क इ छा थी। अब इसके िवपरीत, म
जीवन का आनंद लेता हूँ। म तो यहाँ तक कह सकता हूँ िक हर साल गुज़रने पर म
इसका पहले से अ धक आनंद लेता हूँ… काफ़ हद तक इस लए य िक यह मेरे लए
एक घटती चता है। जन लोग को अ त धमिन यू रटन श ा िमली है, उनक ही
तरह मुझम भी अपने पाप , मूखताओं और किमय पर मनन करने क आदत थी। म
ख़ुद को - िन संदेह ता कक प से - एक दख
ु द नमूना नज़र आता था। धीरे-धीरे मने
अपने और अपनी किमय के त उदासीन होना सीख लया। म अपने यान को बाहरी
व तुओ ं पर यादा कि त करने लगा : संसार क दशा, ान क िव भ शाखाएँ , वे
यि जनके लए म नेह महसूस करता था।
इसी पु तक म वे झूठे िव ास पर आधा रत वच लत
पैट स को बदलने क अपनी िव ध का वणन भी करते ह :
ति या
अचेतन के बचकाने सुझाव से उबरना संभव है। यहाँ तक िक अचेतन क साम ी को
बदलना भी संभव है, बशत इसके लए सही िक म क तकनीक का इ तेमाल िकया
जाए। जब भी आप िकसी काय के लए प ाताप महसूस करना शु करते ह, जसके
बारे म आपका तक बताता है िक यह बुरा नह है, तो अपनी प ाताप क भावना के
कारण क जाँच कर और उनक मूखता के बारे म िव तार से ख़ुद को िव ास िदलाएँ ।
अपने चेतन िव ास को इतना प और बल बनाएँ िक वे आपके अचेतन पर इतनी
शि शाली छाप छोड़, जो आपक शैशव अव था म आपक नस या आपक माँ क
छोड़ी गई छाप से जूझ सक। ता ककता के पल और अता ककता के पल के बीच क
अदला-बदली से संतु न रह। अता ककता को ग़ौर से देख और यह संक प ल िक आप
इसका स मान नह करगे तथा इसे ख़ुद पर हावी नह होने दगे। जब भी यह मूखतापूण
िवचार या भावनाओं को आपके चेतन मन म उड़ेले, तो उ ह जड़ से उखाड़ फक,
उनक जाँच कर और उ ह अ वीकार कर द। ख़ुद को ढु लमुल ाणी न बनाएँ , जो आधा
तक से संचा लत हो और आधा बचकानी मूखता से…
लेिकन यिद िव ोह को सफल होना है, जससे यि गत ख़ुशी भी िमल जाए और इंसान
एक पैमाने के अनु प सतत जीवन जी सके, दो के बीच झूलता न रहे, तो यह आव यक
है िक उसे उस बारे म गहराई से सोचना और महसूस करना चािहए, जो उसका तक उसे
बताता है। अ धकतर इंसान सतही तौर पर अपने बचपन के अंधिव ास को उखाड़
फकते ह और िफर सोचते ह िक इसके अलावा कुछ और करने क ज़ रत नह है। उ ह
एहसास ही नह होता िक वे अंधिव ास अब भी मौजूद ह, लेिकन ज़मीन के नीचे छपे
हुए ह। जब िकसी ता कक िव ास पर पहुँच, तो इस पर यान लगाए रह, इसके प रणाम
तक पहुँच और अपने भीतर यह तलाश कर िक इस नए िव ास के िवरोध म काय करने
वाले कौन से पुराने िवचार मौजूद हो सकते ह…
म सुझाव देता हूँ िक इंसान को बलता से अपना मन बना लेना चािहए िक वह तकपूण
प से िकस म यक़ न करता है। िफर उसे कभी इसके िवपरीत अता कक िव ास को
िबना चुनौती िदए नह गुज़रने देना चािहए या उ ह ख़ुद पर हावी नह होने देना चािहए,
चाहे यह िकतने भी कम समय के लए य न हो। जब भी उसके सामने बचकाना बनने
का लोभन आए, तो ऐसे पल म उसे ख़ुद के साथ तक कर लेना चािहए, लेिकन पया
सबल होने के लए तक बहुत सं
हो सकता है।
िवचार “इ छाशि ” से नह ,
ब क दस
ू रे िवचार से बदले जाते ह
यह देखा जा सकता है िक िकसी गहरे िव ास के िवपरीत िवचार क
तलाश करने क बरटड रसल क तकनीक मूलतः वही है, जस िव ध को
े कॉट लेक ने िनक म इतनी ग़ज़ब क सफलता के साथ जाँचा है।
लेक क िव ध म स मोिहत यि य को यह “देखने” के लए े रत करना
होता था िक उनक कोई नकारा मक अवधारणा िकसी अ य गहरे िव ास
के असामंज य म है। लेक का मानना था िक यह “मन” क कृ त म
िनिहत है िक सम “ यि व” को बनाने वाले सभी िवचार और
अवधारणाओं को एक-दस
ू रे के साथ सामंज य म नज़र आना चािहए। अगर
िकसी िवचार क असामंज यता चेतन प से पहचान ली जाती है, तो उसे
ठु कराना अिनवाय होता है ।
अपनी मूल पु तक म मने एक से सपसन के साथ अपनी मुलाक़ात
बताई थी, जसम मने हािनकारक िव ास से छुटकारा पाने के लए दो
िवरोधी िव ास पर काश डालने क इसी तकनीक का इ तेमाल िकया
था।
मेरा एक रोगी से सपसन था, जो “िद गज लोग ” से िमलने जाते व त
“ऐसे घबराता था, मानो मौत के मुँह म जा रहा हो।” उसका डर और
घबराहट सफ़ एक ही परामश स म ख़ म हो गए, जस दौरान मने उससे
पूछा, “ या आप अपने हाथ-पैर के बल उस यि के ऑिफ़स म रगकर
जाएँ गे और उसे े यि मानकर उसके सामने दंडवत लेट जाएँ गे?”
“नह !” उसने आवेश म कहा।
“तो िफर आप मान सक प से सहमते और रगते य ह?”
दस
ू रा सवाल : “ या आप िकसी यि के ऑिफ़स म अपने हाथ
भखारी क तरह फैलाकर जाएँ गे और एक कप कॉफ़ के लए एक स े क
भीख माँगगे?”
“िन त प से नह ।”
“ या आपको नज़र नह आता िक दरअसल, आप बुिनयादी तौर पर
ऐसा ही कर रहे ह, जब आप इस बारे म अ त च तत होते ह िक वह आपको
पसंद करगे या नह ? या आप देख नह सकते िक आपने अपना हाथ
बाहर िनकाल रखा है और इंसान के प म अपने अनुमोदन और वीकृ त
क दरअसल भीख माँग रहे ह?”
दो मनोवै ािनक औज़ार,
जनका इ तेमाल करके आप अपने रा ते के
िकसी भी “पहाड़” को हटा सकते ह
लेक ने पाया िक िव ास और अवधारणाओं को बदलने के दो शि शाली
औज़ार थे। ये सामा य िव ास होते ह, जो लगभग हर यि म बलता से
होते ह। ये ह 1. यह भावना या िव ास िक आप अपने िह से का काय करने
म स म ह, ल े का अपना सरा थामे हुए ह, िन त मा ा म वतं ता का
इ तेमाल कर रहे ह, और 2. यह िव ास िक आपके भीतर “कोई चीज़” है,
जसे अपमान झेलने क अनुम त नह दी जानी चािहए।
रोचक बात यह है िक एनएलपी ( यूरो- ल व टक ो ा मग), जो डॉ.
ि डलर और डॉ. बडलर के वृहद काय पर आधा रत है तथा जसे टोनी
रॉिब स ने लोकि य िकया है, दो चीज़ क टू ल-िकट का सुझाव देता है :
दद और उपल ध।
दद और गहराई से बैठा यह िव ास िक आपको बड़े अपमान नह
सहने चािहए, ऐसे कारक ह, जो सबसे ज दी, सबसे आसानी से और
िन त प से लोग को कम के लए े रत करते ह। यह जानते हुए आप
इसका इ तेमाल ख़ुद को सकारा मक कम क िदशा म े रत करने के लए
कर सकते ह।
म आपको एक यि के बारे म बताता हूँ, जो इसी तरह े रत हुआ
था। आज द साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के संचालक मंडल के
सद य और साइको साइबरनेिट स पु तक ज़ीरो रिज़ टस से लग के सह
—लेखक जेफ़ पॉल कभी मा णत िव ीय लानर थे। वैसे तो वे काफ़
सफल थे, लेिकन अपने काय म बुरी तरह से दख
ु ी थे। वे या ा करके
ऑिफ़स तक आने—जाने, सूट—टाई पहनने, टेलीफ़ोन पर या आमने—
सामने बेचने और अपने काय क दोहराव भरी कृ त को नापसंद करते थे।
एक िदन, उनके मन म ता कक िवचार क धा िक उ ह अपनी आजीिवका
िकसी ऐसे काय को करके कमाने क ज़ रत नह थी, जसे करना वे बुरी
तरह नापसंद करते थे। उ ह ने सही तरीक़े से, चेतन प से वीकार िकया
िक कई दस
ू रे तरीक़े होने चािहए, जनसे वे अपने आ थक ल य पूरे कर
सकते थे।
आप जानते ह, बहुत सारे लोग इस सरल एहसास को कभी गंभीरता से
नह लेते।
तब जेफ़ ने वह करना शु िकया, जसे हम अब पीछे क और ल य—
िनधारण करना कहते ह। उ ह ने मन म उन चीज़ क सूची बनाई, ज ह वे
क़तई नह करना चाहते थे। उनक सूची म सूट और टाई पहनना, टाफ़
को सँभालना आिद शािमल था। कुल िमलाकर सूची म लगभग बारह बात
थ । िफर उ ह ने अपनी क पना का उपयोग करते हुए दस
ू रे क रयर और
कारोबार के बारे म िवचार को “जाँचा-परखा,” जनके त उनम कुछ
आकषण हो, लेिकन उनम उ ह कभी वे चीज़ न करनी पड़, जो उनक ‘म
ये चीज़ दोबारा कभी नह करना चाहता” वाली सूची म थ ।
काफ़ सोच-िवचार के बाद उ ह ने मेल-ऑडर िबज़नेस करने का
िनणय लया। उ ह ने भाँप लया िक बहुत सारे िव ीय लानर उन िव धय
से लाभ उठा सकते थे, ज ह उ ह ने सफलतापूवक ाहक को आक षत
करने के लए आदश बनाया था। उ ह ने एक ऐसे कारोबार का सपना देखा,
जसम वे उस जानकारी को पु तक , मैनुअल और रकॉ डग के प म
का शत कर रहे ह और िव ापन तथा डायरे ट-मेल के मा यम से अपने
पेशे के सद य को वे ॉड स बेच रहे ह। उ ह ने अपने मन क आँ ख से
देख लया िक वे अपने घर के ऑिफ़स से यह काय कर सकते ह और
ऑडर लेने, टग तथा श पग के काय के लए बाहरी कॉ टै टर क
मदद ले सकते ह। उ ह ने अपनी आ म-छिव को िव ास िदला िदया िक वे
ऐसा कर सकते ह, बशत वे अपनी शि य पर यान कि त कर, जैसे
उनके सा थय क इ छाओं और कंु ठाओं क समझ, बेचने संबध
ं ी उनका
उपयोगी ान, मेल-ऑडर म उनक बढ़ती च और सीखने क इ छा।
हालाँिक उनके शु आती यास उ ेखनीय प से असफल रहे, लेिकन
उ ह ने कई बार “िदशा म सुधार िकया” और अंततः असाधारण सफलता
हा सल क , जसका म यहाँ सं ेप म उ ेख क ँ गा :
सबसे पहले, जेफ़ ने एक मेल-ऑडर काशन कारोबार खड़ा िकया,
जो िव ीय लानर और बीमा एजट को सामान बेचता था। इससे उ ह हर
महीने एक छोटे से घरेलू ऑिफ़स से एक लाख डॉलर से अ धक क
मा सक आमदनी होती थी। दस
ू रे, जेफ़ ने एक होम टडी कोस, सेिमनार
और अ य साम ी तैयार क , जो उनके मेल-ऑडर िबज़नेस मॉडल को
दस
ू र को सखाने म सहायक थे े रत िकया। उ ह ने अपने कोस का
चार करने के लए एक पु तक लखी थी, जसक एक लाख से अ धक
तयाँ िबक चुक ह। इस पु तक का शीषक था, हाउ टु मेक $4,000.00
अ डे स टग एट योर िकचन टेबल इन योर अंडरिवयर । तीसरे, उ ह ने
माक टग और से स लेटर कॉपीराइ टग क इतनी उ - तरीय यो यताएँ
िवक सत क िक उनक माँग होने लगी और वे अ छे पा र िमक वाले
परामशदाता बन गए। शायद सबसे मह वपूण बात, उ ह ने अपने कारोबार
और दौलत ऐसे तरीक़े से बनाए, जो उनक म ये चीज़ दोबारा कभी नह
करना चाहता सूची के िवरोध म नह थ ।
जेफ़ साइको साइबरनेिट स तकनीक के इ तेमाल को ेय देते ह,
लेिकन वे सबसे मह वपूण शु आती बद ु के प म उस पर भी ज़ोर देते ह,
जसे वे “सटीक सोच” कहते ह और जसे म “ता कक सोच” कहता हूँ।
अपने िव ास क जाँच और पुनमू यांकन कर
ता कक सोच क शि को पहचाना नह जाता है, इसका एक कारण यह है
िक इसका बहुत ही कम इ तेमाल िकया जाता है। आपके नकारा मक
यवहार के पीछे जो िव ास है, उसे खोज, चाहे वह िव ास अपने बारे म हो,
संसार के बारे म हो या दस
ू रे लोग के बारे म हो। या कोई न कोई चीज़
हमेशा हो जाती है, जसक वजह से आप चूक जाते ह, जबिक सफलता
आपक मु ी म नज़र आती थी? शायद आप गोपनीय प से वयं को
सफलता के लए अपा महसूस करते ह या िफर यह सोचते ह िक आप
इसके हक़दार नह ह। या आप दस
ू रे लोग के सामने असहज होते ह?
शायद आप मानते ह िक आप उनसे हीन ह या दस
ू रे लोग श ुतापूण और
ग़ैर-दो ताना ह। या आप िबना िकसी अ छे कारण के तनावपूण और
भयभीत हो जाते ह, वह भी ऐसी थ त म जो तुलना मक प से सुर त
है? शायद आप मानते ह िक आप जस संसार म रहते ह, वह एक
श ुतापूण, ग़ैर-दो ताना, खतरनाक जगह है या आप दंड के हक़दार ह।
आपको या लगता है, िकतने लोग जेफ़ जैसी आदश जीवनशैली के
कारोबार शु करना पसंद करगे? बहरहाल, यिद इस बारे म पूछा जाए, तो
वे तुरत
ं बहुत सारे कारण िगना दगे िक वे वह काय य नह कर सकते, जो
जेफ़ ने िकया है। ये ‘कारण” वतमान ता कक िवचार पर क़तई आधा रत
नह ह। वे बस िव ास ह, जो बदल सकते ह।
याद रख िक भावना और यवहार दोन ही िव ास से उ प होते ह।
अपनी भावना और यवहार के लए िज़ मेदार िव ास को जड़ से उखाड़ने
के लए ख़ुद से पूछे िक य ? या कोई ऐसा काय है जसे आप करना
चाहगे, कोई मा यम है जसके ज़ रए आप ख़ुद को य करना पसंद करगे,
लेिकन आप यह एहसास करके पीछे क जाते ह िक “म नह कर
सकता।”? ख़ुद से पूछे, य ?
“मुझे यह िव ास य है िक म नह कर सकता?”
िफर ख़ुद से पूछे, “ या यह िव ास िकसी वा तिवक त य पर
आधा रत है या िकसी अनुमान पर - या झूठे िन कष पर?”
िफर ख़ुद से ये चार सवाल पूछे :
1. या ऐसे िव ास का कोई ता कक कारण है?
2. या ऐसा हो सकता है िक मेरा यह िव ास ग़लत हो?
3. या ऐसी ही
पर पहुँचँूगा?
थ त म म िकसी दस
ू रे यि
के बारे म इसी िन कष
4. अगर इस पर यक़ न करने का कोई अ छा कारण नह है, तो मुझे
इसे सच मानकर काय करना और महसूस य करना चािहए?
इन
को बे यानी म ही न पढ़ जाएँ । उनके साथ जूझ। उन पर
गहराई से सोच। उनके बारे म भावना मक बन। या आप देख सकते ह िक
आपने ख़ुद के साथ धोखा िकया है और अपने को कम म बेचा है, वह भी
िकसी “त य” के कारण नह , ब क िकसी अता कक और ग़लत िव ास
के कारण? अगर ऐसा है, तो थोड़े रोष या ोध को भी भड़काने क को शश
कर। रोष और ोध कई बार झूठे िवचार से छुटकारा िदलाने का काय कर
सकते ह। ऐ फ़ड ऐडलर ख़ुद पर और अपने श क पर “ग़ु से से पगला
गए थे”, जससे वे अपने बारे म एक नकारा मक प रभाषा को दरू फकने म
समथ हुए। यह अनुभव असामा य नह है।
एक बूढ़े िकसान ने कहा था िक उसने सगरेट एक ही िदन म हमेशा के
लए छोड़ दी, जब उसे पता चला िक वह अपना तंबाखू घर पर छोड़ आया
था और उसे लाने के लए वह दोबारा मुड़कर दो मील दरू क या ा करने
लगा। रा ते म सोचने पर उसे समझ म आया िक एक आदत अपमानजनक
प से उसका “इ तेमाल” कर रही है। वह ग़ु से से पगला गया, मुड़ा,
दोबारा खेत तक गया और िफर कभी सगरेट नह पी।
मशहूर वक ल े रस डैरो ने कहा था िक उनक सफलता उस िदन
शु हुई, जब वे घर खरीदने के लए 2,000 डॉलर का होम लोन लेने क
को शश म ग़ु से म आ गए थे। जब सौदा पूरा होने ही वाला था, तभी क़ज़
देने वाले क प नी ने कहा, “मूख मत बनो। वह कभी इतने पैसे नह कमा
पाएगा िक इसे चुका दे।” डैरो को भी इसी चीज़ के बारे म गंभीर शंकाएँ थ ।
लेिकन जब उसने उस मिहला क िट पणी सुनी, तो “कोई चीज़ घिटत
हुई।” वह ग़ु सा हो गया, उस मिहला पर भी और ख़ुद पर भी। उसी पल
उसने तय कर लया िक वह सफल होकर िदखाएगा।
वॉ ट ड नी ने कहा था िक वे िवचार को टटोल रहे थे। जब
अ यूज़मट पाक के मा लक के समूह ने ड नीलड के लए उनक
योजनाओं पर हँसी उड़ाई तथा उनक आलोचना क , तो ग़ु से म आकर
उ ह ने उन िवचार को सफल बनाने का संक प ले लया।
मेरे एक कारोबारी िम का अनुभव भी इससे िमलता-जुलता ही था।
वह 40 क उ म असफल हो गया था और लगातार चता करता था िक
प र थ तयाँ न जाने कैसी ह गी। वह अपनी अयो यताओं से परेशान था
और यही शंका करता रहता था िक वह हर कारोबारी अ भयान को पूरा
करने म समथ हो पाएगा या नह । भयभीत और च तत मनोदशा म वह
मशीन उधार ख़रीदने क को शश कर रहा था, लेिकन उसक प नी ने इस
पर आप जताई। उस मिहला को यक़ न नह था िक वह कभी उधार
चुका पाएगा। पहले तो उसक आशाएँ चूर-चूर हो गई। लेिकन िफर वह
ो धत हो गया। या उसक कोई पहचान नह थी, जो उसे इस तरह
धकाया जा रहा था? वह कौन था, जो संसार म छप रहा था, लगातार
असफलता से डर रहा था? इस अनुभव ने उसके भीतर क “िकसी चीज़”
को - िकसी “नए व प” को - जा त कर िदया और तुरत
ं ही उसने देखा
िक उस मिहला क िट पणी, साथ ही ख़ुद के बारे म उसक राय, उसके
भीतर क उस “िकसी चीज़” के लए िनरादर थे। उसके पास पैसा नह था,
उधार लेने क यो यता नह थी और अपनी मनचाही चीज़ हा सल करने का
कोई तरीक़ा नह िदख रहा था। लेिकन उसने राह खोज ली और तीन साल
म इतना यादा सफल हो गया, जतना उसने सपने म भी नह सोचा था वह भी एक कारोबार म नह , ब क तीन कारोबार म। -
ती इ छा क शि
ता कक िवचार को यिद िव ास तथा यवहार बदलने म कारगर होना है, तो
इसका गहरी भावना और इ छा से जुड़ा होना ज़ री है।
ख़ुद के सामने त वीर बनाएँ िक आप या बनना और पाना पसंद
करगे। पल भर के लए क पना कर िक ये सारी चीज़े संभव हो सकती ह।
इन चीज़ के लए गहरी इ छा जगाएँ । उनके बारे म उ साही बन। उन पर
यान लगाए रह और मन म उन पर िवचार करते रह। यह न भूल िक आपके
वतमान नकारा मक िव ास भी तो िवचार और भावनाओं दोन के ही
कारण बने थे। पया भाव या गहरी भावना उ प करगे, तो आपके नए
िवचार उ ह िनर त कर दगे।
इसका िव ेषण करने पर आप पाएँ गे िक आप उस ि या का
इ तेमाल कर रहे ह, जसका आप पहले भी अ सर इ तेमाल कर चुके ह :
चता! एकमा फ़क़ यह है िक अब आपके ल य नकारा मक नह ,
सकारा मक ह। जब आप चता करते ह, तो आप अपनी क पना म एक
अनचाहे भावी प रणाम या ल य क बहुत सजीव त वीर बनाते ह। इसके
लए आप िकसी यास या इ छाशि का इ तेमाल नह करते ह। लेिकन
आप अं तम प रणाम पर यान लगाए रहते ह। आप इसके बारे म सोचते
रहते ह - इस पर यान कि त िकए रहते ह - अपने सामने संभावना के प
म इसका च देखते रहते ह। आप इस िवचार को सच मान लेते ह िक यह
हो सकता है।
इस तरह लगातार दोहराने और संभावनाओं के संदभ म सोचने का
नतीजा यह होता है िक अं तम प रणाम आपके सामने अ धका धक
वा तिवक नज़र आने लगता है। कुछ समय के बाद संबं धत भाव - डर,
चता, हताशा - अपने आप उ प हो जाते ह। ये सभी भाव उन अनचाहे
प रणाम के अनुकूल होते ह, जसे लेकर आप च तत ह। अब ल य क
त वीर को बदलकर सकारा मक कर द - और आप पाएँ गे िक आप उतनी
ही आसानी से “अ छी” भावनाओं को भी उ प कर सकते ह। िकसी
मनचाहे अं तम प रणाम क लगातार त वीर देखने और यान लगाए रहने
से वह संभावना भी अ धक वा तिवक िदखने लगेगी। इसके बाद उ साह,
ख़ुशिमज़ाजी, ो साहन और ख़ुशी के उ चत भाव अपने आप उ प हो
जाएँ गे।
ता कक िवचार या कर सकता है और
या नह कर सकता
याद रख िक आपका वच लत मेकेिन म जतनी आसानी से असफलता
मेकेिन म के प म काय कर सकता है, उतनी ही आसानी से सफलता
मेकेिन म के प म भी काय कर सकता है। सब कुछ इस बात पर िनभर
करता है िक आप इसे मागदशन के लए कौन सी जानकारी देते ह और
इसके लए या ल य तय करते ह। यह बुिनयादी तौर पर एक ल य—
आकां ी मेकेिन म है। यह िकन ल य पर काय करे, यह आप पर िनभर
करता है। हमम से कई अचेतन प से और अनजाने म मन म नकारा मक
नज़ रए रखकर और क पना म असफलता क आदतन त वीर रखकर
असफलता के ल य तय कर लेते ह।
यह भी याद रख िक आप अपने वच लत मेकेिन म को जो जानकारी
देते ह, यह उस पर सवाल नह करता या तक नह करता। यह सफ़ उसके
िहसाब से चलता है और उ चत ति या करता है।
जब िकसी से लोग के सामने भाषण देने के लए कहा जाता है, तो मंच
का डर रोचक होता है। कई सव ण के अनुसार यह सभी वय क के सबसे
बड़े तीन—चार डर म से एक है। इसका पंगु बनाने वाला भाव होता है।
बहरहाल, ता कक प से सोचगे, तो आप समझ सकते ह िक ख़राब भाषण
देने के कारण िकसी को भी लंबे समय से फाँसी पर नह लटकाया गया है,
कम से कम अमे रका म तो नह । अगर आप थोड़े घबराए हुए िदखते ह,
कुछ बद ु भूल जाते ह या कोई लचर मज़ाक़ सुनाते ह, तो अ धकतर
मामल म कोई गंभीर प रणाम नह होते। जो डर महसूस िकया जाता है, वह
ग़ल तयाँ करने क संभािवत सज़ा क तुलना म बहुत अ धक होता है।
यह बहुत मह वपूण है िक प रवेश के बारे म वच लत मेकेिन म को
सही त य िदए जाएँ । यह चेतन ता कक िवचार का काय है : स ाई जानना,
सही आकलन, अनुमान, राय बनाना। इस संदभ म हमम से अ धकतर लोग
ख़ुद को कम आँ कते ह और अपने सामने खड़ी मु कल क कृ त को
अ धक आँ कने के आदी होते ह।
“मने उस चेतन यास के आम कारण को खोजने के लए वृहद योग
िकए ह, जो सोचने वाले म त क को बफ़ क तरह जमा देते ह,”
मनोवै ािनक डैिनयल ड यू. जोस लन ने लखा था। “ यावहा रक प से
यह हमेशा इस लए होता है, य िक आप म मु कल और मान सक म के
मह व को बढ़ा-चढ़ाकर देखने क वृ होती है, आप उ ह ज़ रत से
यादा गंभीरता से लेते ह और इस बात से डरते ह िक कह आप कमतर
सािबत न ह ।” (डैिनयल ड य.ू जोस लन, वाय बी टायड ?)
यह सफ़ एक खेल है
अपनी पु तक गो ज़ मटल हैज़ा स : ओवरकम देम एं ड पुट एन एं ड टु द
से फ़ ड ट टव राउं ड म डॉ. ऐलन शेिपरो छह मान सक जो खम बताते
ह, जनम से पहले चार इस चचा के लए सीधे ासंिगक ह और गो फ़ के
खेल के आगे तक उनका इ तेमाल िकया जा सकता है। सं ेप म उनका
वणन इस कार है :
जो खम 1 : डर का डर। जो गो फ़ खलाड़ी इस जो खम के
शकार होते ह, वे िकसी राउं ड से पहले आशंका त रहते ह,
खेल क शु आत म तनावपूण रहते ह और अ त मह वपूण पल
म “कंु द” हो जाते ह।
जो खम 2 : अपना संतुलन खोना। यह वह गो फ़ खलाड़ी है,
जो अपनी टक को ज़मीन पर दे मारता है, उसे पानी म फक
देता है या उसे िकसी पेड़ पर मार देता है।
जो खम 3 : बहुत ऊपर या बहुत नीचे होना। ये गो फ़ खलाड़ी
तुरत
ति या करते ह। जब वे कोई मु कल शॉट मार लेते ह,
ं
तो अ त उ ास म आ जाते ह और खराब शॉट मारने पर गहरी
िनराशा म डू ब जाते ह। ये गो फ़ खलाड़ी गो फ़ के एक राउं ड के
बाद कई िदन तक उ ास या िनराशा म डू बे रह सकते ह।
जो खम 4 : इस बारे म चता करना िक दस
ू रे या सोचते ह। ये
लोग गो फ़ के मैदान पर श मदगी से घबराते ह, हीन भावना के
आदी होते ह, मखौल के
त अ त संवेदनशील होते ह और
महसूस करते ह िक दस
ू रे हर पल उ ह ग़ौर से देख रहे ह तथा
उनका मू यांकन कर रहे ह।
ज़ािहर है, इनम से कोई एक भी सव -मेकेिन म को कंु द करने के लए
पया है। िव ेषण करने पर आप पाते ह िक ये सभी जो खम अता कक ह।
जो खम 3 जीवन क घटनाओं पर अ त- ति या क अ छी िमसाल है।
ज़ािहर है, इनम से अ धकतर घटनाएँ कुछ िदन या ह त बाद कभी उतनी
मह वपूण नह होती ह, जतनी िक घिटत होने के तुरत
ं बाद िदखती ह।
अ त- ति या क आदत के शकार लोग मनोरोगी होने के बहुत क़रीब
होते ह। वे अपने कम से कम आधे जीवन म अनाव यक प से बहुत दख
ु ी
रहगे। वे अपनी आ म-छिव को धीरे-धीरे िव ास िदला दगे िक उनम कोई
आ म-िनयं ण नह है। यही नह , वे ऐसी प र थ तयाँ बना दगे, तािक दस
ू रे
उनके साथ संबध
ं जोड़ने से बच। और जो खम 3 बाक़ जो खम को भी
बदतर बना देता है।
गो फ़ क एक बेहतरीन कहानी है। स ाहांत म खेलने वाला
नौ स खया घर पर बुरी तरह िनराश लौटा और पूरे घर म मुँह फुलाए,
उदासी म घूमता रहा। आ ख़रकार उसक प नी ने कहा, “ि य, याद रखो,
यह बस एक खेल है।” उसने ग़ु से से जवाब िदया, “तुम गो फ़ के बारे म
र ी भर भी नह जानती हो!”
लेिकन यह सचमुच बस एक खेल है। और आज बस आज है। एक
ग़लती बस एक ग़लती है। हम सही ि कोण हा सल करने के लए, इन पंगु
बनाने वाले मान सक जो खम के ऊपर उठने के लए ता कक सोच का
इ तेमाल करना चािहए। बहरहाल, ता कक िवचार जब इ छाशि के प
म य िकया जाता है - म अपना संतुलन नह खोऊँगा, म अ त ति या
नह क ं गा - तो यह एक हारने वाला सौदा होता है। जीतने वाली ि या
वह है, जसम ता कक िवचार का सृजना मक इ तेमाल िकया जाता है।
जसम क पना म िबलकुल नई मान सक त वीर बनाने, आ म-छिव को
ग तशील नया माण देने और सव -मेकेिन म को एक नया ल य देने म
ता कक िवचार का उपयोग िकया जाता है।
ऐसा होना ज़ री नह है!
यह ता कक, चेतन िवचार का काय है िक यह अंदर आने वाले संदेश क
जाँच और िव ेषण करे, जो सच ह उ ह वीकार करे और जो सच न ह ,
उ ह अ वीकार कर दे। कई लोग िकसी िम क सहज िट पणी से परेशान
हो जाते ह : “तुम आज यादा अ छे नह िदख रहे हो।” अगर कोई उ ह
अ वीकार कर देता है या झड़क देता है, तो वे िबना सोचे-समझे इसका यह
मतलब िनकाल लेते ह िक वे हीन यि ह। हमम से अ धकतर लोग पर
हर िदन नकारा मक सुझाव क बा रश होती है। यिद हमारा चेतन मन काय
कर रहा है और अ छी तरह कर रहा है, तो हम इन सुझाव को अंध क
तरह वीकार नह करते ह। “ऐसा होना ज़ री नह है!” एक अ छा
सू वा य है।
बैट लग द इनर डमी पु तक म लेखक इसका वणन “ ल बक
हाइजै कग” के प म करते ह। यानी वच लत असफलता मेकेिन म का
एक तरह से अचानक आगमन, जो हमेशा आपके ता कक सोच और
वच लत सफलता मेकेिन म दोन से िनयं ण छीनने क ताक म रहता है,
इंतज़ार म रहता है। ही स े के दो पहलू ह, जनके बीच एक बहुत पतली
रेखा है। उ ह ने लखा था : ‘… मेरे एक टेिनस पाटनर ने मुझसे कहा,
‘अरे, तु हारा तो वज़न बढ़ गया है।‘ कुछ ही घंट म मुझ पर मोटे िदखने का
अता कक डर हावी हो गया और म ै श डाइट करने लगा। वज़न क मशीन
ने मुझे बताया िक मेरा वज़न सफ तीन पाउं ड बढ़ा था, लेिकन डर
वा तिवकता से नह , ब क मोटे िदखने क अनुभू त से उ प हुआ था।
आज, जब कोई मुझसे इस तरह क बात करता है, तो म बाथ म म जाता
हूँ, दरवाज़ा बंद करता हूँ और अपने अंदर बैठे यि व से च ाकर कहता
हूँ : ‘उस असंवेदनशील िट पणी पर यान मत दो। िवच लत होने क कोई
ज़ रत नह है। या तुम मेरी बात सुन रहे हो? तो ठीक है, आज रात हम
तले हुए आलू और ेवी को छोड़ दगे, लेिकन बस इतना ही।”
ख़ुद के साथ “ता कक सोच को चग स ” के लए समय िनकालना
भावी हो सकता है। यह ता कक िवचार पर आधा रत मान सक त वीर
को भरने का तरीक़ा है, ज ह पल भर म याद िकया जा सकता है और अ त
ति या के उसी ह त ेप को हा सल िकया जा सकता है।
जस सम या को सुलझाया नह जा सकता,
उसे सुलझाया नह जाएगा
ता कक और सही िन कष पर पहुँचना चेतन ता कक मन का काय है। “म
अतीत म एक बार असफल हुआ था, इस लए म शायद भिव य म भी
असफल हो जाऊँगा।” न तो यायसंगत है, न ही ता कक। िबना को शश
िकए और िकसी िवपरीत माण के अभाव म पहले से ही “म नह कर
सकता” के नतीजे पर पहुँचना ता कक नह है। हम उस इंसान क तरह
बनना चािहए, जससे पूछा गया था िक या वह िपयानो बजा सकता है।
उसने कहा था, “म नह जानता।” सामने वाले ने पूछा, “आपका या
मतलब है िक आप नह जानते?” उसने जवाब िदया, ‘मने कभी इसक
को शश ही नह क ।”
ड नी यूिनव सटी के पूव डीन, थक आउटसाइड द बॉ स पु तक के
लेखक और सृजना मक सोच के िवशेष माइकल वै स एक कॉप रेट
ए ज़ी यूिटव के बारे म बताते ह, जससे उ ह ने कपनी क सबसे बड़ी
सम या पूछी। जब उस ए ज़ी यूिटव ने पूरे िव तार और गंभीरता से उस
सम या का वणन कर िदया, तो वै स ने पूछा, “उसे सुलझाने का काय कौन
कर रहा है?” ए ज़ी यूिटव ने जवाब िदया, “कोई नह ।” वै स ने पूछा,
“ य नह ?” ए ज़ी यूिटव का जवाब था, “ य िक उसे सुलझाया ही नह
जा सकता।”
म क पना कर सकता हूँ िक “ य िक उसे सुलझाया ही नह जा
सकता।” वा य ए ज़ी यिू टव ने चड़ चड़े, अधीर अंदाज़ म कहा होगा।
साथ ही उसने सोचा होगा िक वै स िकतना मूख है, जो इस सरल और
प स ाई को समझ नह पा रहा है।
बहुत सारे लोग अपनी पूरी ज़दगी इसी ए ज़ी यूिटव क तरह जीते ह
और यक़ न करते ह िक उनक प र थ तयाँ बेहतर नह बन सकत ,
उनक सम याएँ सुलझाई नह जा सकत , यहाँ तक िक िकसी तरह वे
अपने क रयर म सफलता, दौलत या ख़ुशी हा सल करने म अ म ह, ज ह
दस
ू रे सामा य प से हा सल कर लेते ह। फलत: वे वच लत असफलता
मेकेिन म को सि य करने के “मान सक जो खम” के उतने ही क़रीब होते
ह, जतना िक हीमोफ़ लया का मरीज़ छोटे घाव के घातक होने का
अनुमान लगाने के क़रीब होता है।
िनणय ल िक आप या चाहते ह —
बजाय इसके िक आप या नह चाहते
यह िनणय लेना चेतन ता कक िवचार का काय है िक आप या चाहते ह।
जन ल य को आप हा सल करना चाहते ह, उ ह चुनना भी चेतन ता कक
िवचार का ही काय है। आप जसे नह चाहते, उसके बजाय चाही गई चीज़
पर यान कि त करना भी चेतन ता कक िवचार का ही काय है। एक बार
जब आप समझ जाते ह िक आप या चाहते ह, तो िफर आप जसे नह
चाहते ह, उस पर समय तथा यास कि त करना तकसंगत नह है। जब
रा प त आइज़नहॉवर ि तीय िव यु म जनरल आइज़नहॉवर थे, तो
उनसे पूछा गया िक अगर आ ामक द त को इटली के तट से समु म
फक िदया जाता, तो िम देश पर या भाव पड़ता? उ ह ने कहा, “यह
बहुत बुरा होता, लेिकन म कभी अपने िदमाग़ को इस तरह सोचने क
अनुम त नह देता।”
आप अपने िदमाग़ को या सोचने क अनुम त देते ह?
अ धकतर लोग रोज़मरा क ज़दगी म अपने िदमाग़ म आने वाली - या
िकसी ारा डाली गई - चीज़ पर िकसी तरह के िनयं ण का इ तेमाल नह
कोई आलोचना मक िट पणी, यहाँ तक िक िव ापन का साइनबोड भी
उनका िनयं ण अपने हाथ म ले लेता है। एक भारी—भरकम लेिकन
ानवधक अ यास यह है िक आप एक नोटपैड या बाउं ड नोटबुक को िदन
भर अपने पास रख और अपने मन म आने वाले हर िवचार को उसम लख
ल। रात को इस डायरी पर नज़र डाल और देख िक आपने जतना सोचा
था, उसम से िकतने कम का आपने चेतन प से चयन िकया था! हम
अ सर लेटकर टीवी देखने वाले उस यि जैसे होते ह, जसके टीवी
रमोट कंटोल क बैटरी ख़ म हो गई है, लेिकन वह इतना आलसी है िक
नई बैटरी नह लगाता है और बैठकर सारी शाम वही चैनल देखता रहता है,
जस पर वह अटका हुआ है!
या आप इससे बेहतर नह कर सकते?
अपनी िनगाह गद पर रख
आपके चेतन मन का काय है िक जो भी आप कर रहे ह और जो भी आपके
आस—पास हो रहा हो, उस पर यानी हाथ के काय पर पूरा यान द, तािक
अंदर आने वाले संवेदक संदेश आपके वच लत मेकेिन म को प रवेश क
ताज़ा जानकारी दे सक और यह सटीक, व रत ति या कर सके।
बेसबॉल क श दावली म, आपको “अपनी िनगाह गद पर रखनी है।”
बहरहाल, हाथ के काय को करना आपके चेतन ता कक मन का काय
नह है। हम मु कल म पड़ जाते ह, जब हम चेतन सोच का उस तरह
इ तेमाल नह करते ह, जस तरह करना चािहए। हम तब भी मु कल म
पड़ जाते ह, जब हम इसका इस तरह इ तेमाल करने क को शश करते ह,
जस तरह इसका इ तेमाल नह करना चािहए। हम चेतन यास करके
सृजना मक मेकेिन म से रचना मक िवचार को बाहर नह िनकाल सकते।
हम तनावपूण चेतन यास करके काय को नह कर सकते। और चूँिक हम
को शश के बाद भी नह कर पाते ह इसी लए हम च तत तनावपूण कंु िठत
हो जाते ह। वच लत मेकेिन म अचेतन होता है। हम पिहय को घूमते नह
देख सकते। हम नह जान सकते िक सतह के नीचे या हो रहा है। और
चूँिक वतमान आव यकताओं पर ति या करने के लए यह िबना पूव
तैयारी के सहजता से काय करता है, इस लए हमारे पास पहले से कोई
जानकारी या िन त गारंटी नह होती िक यह जवाब खोज लेगा। हम
िव ास क अव था म रहने के लए मजबूर ह। और सफ़ िव ास करके
और काय करके ही हम संकेत और चम कार ा होते ह। सं ेप म, चेतन
ता कक िवचार ल य चुनता है, जानकारी एकि त पिहय को ग त म लाता
है। बहरहाल, यह प रणाम के लए िज़ मेदार नह होता। हम अपना काय
करना सीखना चािहए, सव े उपल ध अनुमान के िहसाब से काय करना
चािहए और प रणाम को उनक हाल पर छोड़ देना चािहए ।
मान सक
श ण अ यास
1. ख़ुद से िदल खोलकर बात कर और ईमानदारी से आकलन कर
िक कह आपके पास ऐसी सम याएँ तो नह ह, ज ह आप सफ़
इस लए सुलझाने क को शश नह कर रहे ह, य िक आपने उ ह
“सच” मान लया है िक उ ह सुलझाया नह जा सकता, चाहे आप
अपने जीवन म असंतोषजनक या अपमानजनक प र थ तय म रह
रहे ह । दोबारा सोचकर देख! इन िव ास को चुनौती देने के लए
वतमान तकपूण िवचार को लागू कर और िफर “जाँच” क रने के लए
अपनी क पना का उपयोग कर तथा नई व भ संभावनाओं क
तलाश कर।
अपनी िदल खोलकर क गई चचा म आप जो “त य” पाते ह, उनम
से येक के बारे म इस अ याय म मेरे सुझाए
पर िवचार कर :
“मुझे यह िव ास य है िक म नह कर सकता?”
िफर ख़ुद से पूछे, “ या यह िव ास िकसी वा तिवक त य पर
आधा रत है या िकसी अनुमान पर - या झूठे िन कष पर?”
“ या ऐसे िव ास का कोई ता कक कारण है?”
“ या ऐसा हो सकता है िक मेरा यह िव ास ग़लत हो?”
“ या ऐसी ही
पर पहुँचँूगा?”
थ त म म िकसी दस
ू रे यि
के बारे म इसी िन कष
“अगर इस पर यक़ न करने का कोई अ छा कारण नह है, तो मुझे
इसे सच मानकर काय करना और महसूस य करना चािहए?”
2. इस ता कक िवचार से आप एक नया ल य पहचानकर उसे अपने
वच लत सफलता मेकेिन म को स प सकते ह। अगर ऐसा होता है,
तो शु आत करने के साधन के प म पुराने हर अ याय के अंत म
िदए गए अ यास क समी ा कर।
ता कक िवचार के उपयोग क सं ेप जाँचसूची
1. यह ता कक, चेतन िवचार का काय है िक यह अंदर आने वाले
संदेश क जाँच और िव ेषण करे, जो सच ह उ ह वीकार करे
और जो सच न ह उ ह अ वीकार करे।
2. ता कक और सही िन कष पर पहुँचना चेतन ता कक मन का काय
है।
3. यह िनणय लेना चेतन ता कक िवचार का काय है िक आप या
चाहते ह। जन ल य को आप हा सल करना चाहते ह, उ ह चुनना
भी चेतन ता कक िवचार का ही काय है। और आप जसे नह
चाहते, उसके बजाय चाही गई चीज़ पर यान कि त करना भी
चेतन ता कक िवचार का ही काय है।
4. आपके चेतन मन का काय है जो भी आप कर रहे ह और जो भी
आपके आस-पास हो रहा हो, यानी िक हाथ के काय पर पूरा यान
देना, तािक ये अंदर आने वाले संवेदक संदेश आपके वच लत
मेकेिन म को प रवेश के बारे म ताज़ा जानकारी दे सक और इसे
व रत ति या करने क अनुम त द।
अ याय छह
िकस तरह शांत बने रह और
अपने वच लत सफलता मेकेिन म को
अपने लए काय करने द
ठान ल िक कोई काय िकया जा सकता है और िकया जाएगा; इसक बाद
हम तरीक़ा अपने आप िमल जाएगा।
—अ ाहम लकन
हमारी भाषा म आजकल एक लोकि य श द बन गया है। हम
“ त नाव
इसे तनाव क सदी कहते ह। हम जस संसार म रहते ह, चता,
तनाव, अिन ा, पेट के अ सर उस संसार के आव यक िह से के
वीकार िकए जा चुके ह।” मने यह 1960 म लखा था।
पम
और िदलच प बात यह है िक 1960 म हम जानते ही नह थे िक
तनाव दरअसल या था!
तब हमारे पास सेल फ़ोन क लगातार बजने वाली घंिटयाँ नह थ ।
तब हमारे पास बीपस, ई-मेल और दस
ू री मशीन का सतत शोरगुल नह
था, जससे हम लगातार एक-दस
ू रे के संपक म रहते ह, िनरंतर संवाद करते
ह, लगातार तुरत
ति या करने के दबाव म रहते ह। हम अ धकतर
ं
कपिनय म म यम तर के बंधन के व त होने को भी नह भाँप सकते
ह, जसम हर यि तीन लोग का काय करने के लए िववश है। तब यह
भी आम नह था िक प रवार म प त-प नी दोन ही नौकरी करते ह ।
आज आम आदमी के पास फ़ुरसत का समय कम है, “सही हालत म
लौटने का” िनजी समय कम है। आज ऑिफ़स जाने क या ा अ धक लंबी
और अ धक भीड़ भरी हो गई है। आज अ धक तेज़ तथा अ धक मा ा म
जानकारी का वाह है। इसके अलावा, आज जूझने के लए एक अ धक
जिटल प रवेश भी है।
आज तनाव और चता को जीतना तथा अपने जीवन पर िनयं ण
करना उस व त के मुक़ाबले कह अ धक ज़ री है, जब मने पहली बार
तनाव बंधन के लए साइको साइबरनेिट स क िहमायत क थी।
मुझे अब भी िव ास है िक यह ज़ री नह है िक जीवन का मतलब
िनरंतर दबाव और तनाव ही हो।
हम ढेर सारी चता, तनाव और दबाव से ख़ुद को राहत दे सकते ह,
बशत हम बस इस सरल स ाई को पहचान ल िक हमारे रच यता ने ऐसी
पया यव था क है िक हम अपने अंदर बने सृजना मक मेकेिन म क
मदद से इस या िकसी अ य यगु म सफलतापूवक जी सकते ह। समाज या
टे नोलॉजी म होने वाले प रवतन को असीम मताओं वाला हमारा सव
—मेकेिन म आसानी से सँभाल सकता है। वा तव म, इसे अ धक काय या
तनाव का मतलब ही नह समझ आता है, य िक इसक मता असीिमत
है।
िद क़त यह है िक हम वच लत सृजना मक मेकेिन म को
नज़रअंदाज़ कर देते ह और हर चीज़ ख़ुद करने क को शश करते ह, हम
अपनी सारी सम याओं को चेतन िवचार या इ छाशि के ज़ रए सुलझाने
का यास करते ह। सम याओं क भाँपना और पहचानना चेतन म त क
का काय है, लेिकन दरअसल इसे सम याएँ सुलझाने के लए बनाया ही
नह गया है। इस को शश म आप तनाव पाल लेते ह। आपका तनाव कम हो
सकता है, बशत आप अपनी छोड़ना सीख सक।
बहुत यादा सावधान न बन
इस पु तक म मने पहले एक उदाहरण िदया था। इसम डॉ. वायनर ने हमारे
सामने द शत िकया था िक इंसान चेतन िवचार या इ छाशि के ज़ रए
टेबल से प सल उठाने जतना सरल काय भी नह कर सकता।
जब कोई यि लगभग पूरी तरह चेतन िवचार और इ छाशि पर
िनभर होता है, तो वह अ त सावधान हो जाता है, अ त चतातुर हो जाता है
और प रणाम को लेकर अ त भयभीत हो जाता है। ऐसे म वह ईसा मसीह
क सलाह को भूल जाता है, “कल के बारे म ज़रा भी मत सोचो।” या सट
पॉल क सलाह “िकसी चीज़ क परवाह नह ” को अ यावहा रक बकवास
मान लेता है।
लेिकन दरअसल यही सलाह अमे रक मनोवै ािनक के डीन
िव लयम जे स ने बरस पहले दी थी। अफ़सोस, हमने उनक बात सुनी ही
नह ! अपने छोटे िनबंध “द गॉ पेल ऑफ़ रलै सेशन” म उ ह ने कहा था
िक आधुिनक इंसान बहुत यादा तनावपूण है, प रणाम को लेकर ज़ रत
से यादा च तत है, बहुत यादा चतातुर है (यह 1899 क बात थी), और
इससे बेहतर तथा यादा आसान तरीक़ा मौजूद है। “जब एक बार कोई
िनणय ले लया जाए और अमल करने क बारी आए, तो प रणाम के बारे म
सारी िज़ मेदारी और परवाह को छोड़ द । अपनी बौ क तथा यावहा रक
मशीनरी को ढीला कर द और इसे मु बहने द; िफर यह आपक जो सेवा
करेगी वह दोगुनी बेहतर होगी।”
वैसे यह सहज बोध से अलग है। म अ छी तरह जानता हूँ िक बहुत
सारे लोग इस िवचार से ब़गावत कर दगे िक मह वपूण िनणय और
िज़ मेदा रय के मामले म सहज बोध जैसी अत ि य चीज़ पर भरोसा िकया
जाए। म आपको याद िदलाना चाहूँगा िक हम जस बारे म बात कर रहे ह,
वह एक यावहा रक फ़ॉमूला है। यह चेतन, ता कक िवचार से शु होता है,
िफर इसे क पना के मा यम से आ म-छिव के संयोग म बेहद शि शाली
“सच इंजन” और सव -मेकेिन म को स प िदया जाता है, जो िकसी भी
सम या को आपके लए सुलझा देगा और इस ि या म ज़रा भी तनाव
नह होगा।
सृजना मक सोच और
सृजना मक कम का रह य
हम जो कह रहे ह, वह सच है, इसका सबूत लेखक , आिव कारक और
अ य सृजना मक लोग के अनुभव म देखा जा सकता है। हमेशा वे हम
बताते ह िक सृजना मक िवचार चेतन सोच ारा चेतन अव था म नह
सोचे जाते ह, ब क अपने आप, सहज बोध से आते ह। एक तरह से वे
आसमान क िबजली क तरह अचानक आते ह, जब चेतन मन ने सम या
को छोड़ िदया था और िकसी दस
ू री चीज़ के बारे म सोचने म मशगूल था।
ये रचना मक िवचार उस सम या के बारे म शु आती चेतन िवचार के िबना
अनायास ही नह आते ह। सारे माण संकेत करते ह िक “ ेरणा” या
“आभास” पाने के लए इंसान को सबसे पहले तो िकसी ख़ास सम या को
सुलझाने या जवाब खोजने म गहरी च लेनी होगी। उसे इसके बारे म
चेतन प से सोचना होगा, उस िवषय पर उपल ध सारी जानकारी एकि त
करनी होगी, कम क सभी संभािवत िदशाओं पर िवचार करना होगा। और
सबसे बढ़कर, सम या को सुलझाने क वलंत इ छा रखनी होगी। लेिकन
सम या को प रभािषत करने के बाद, मनचाहे अं तम प रणाम को क पना
म देखने के बाद, सारी जानकारी और त य एकि त करने के बाद अ त र
संघष, चता और तनाव से कोई मदद नह िमलती है, उ टे समाधान म
बाधा पेश आती है।
अपनी कालजयी, बे टसे लग पु तक थक एं ड ो रच म नेपो लयन
िहल बताते ह िक उनके काशक ने उन पर दबाव डाला था। उ ह ने कहा
था िक िहल सफ़ 24 घंट म अपनी पु तक के लए कोई उ चत शीषक
खोज। िहल महीन से शीषक के बारे म ही सोच रहे थे, लेिकन जब उ ह ने
अपनी पांडु लिप पूरी करके काशक को दी, तब तक कोई अ छा शीषक
उनके िदमाग़ म नह आया। “ काशन के एक िदन पहले” उनके संपादक ने
उनसे कहा िक उनके पास अ छा िवचार सोचने के लए सफ़ 24 घंटे का
समय था, वरना पु तक का शीषक वही होगा, जो संपादक का सव े
िवचार था, यज़
ू योर नूडल टु गेट द बूडल । िहल ने इस शीषक के भड़क ले
और सनसनीख़ेज़ होने का िवरोध िकया तथा कहा िक इससे वे बबाद हो
जाएँ गे और उनक बात को गंभीरता से कभी नह लया जाएगा। उनके
काशक ने कहा, “24 घंटे!”
यही दबाव है! सं ेप म िहल ने चेतन प से शीषक सोचने क को शश
क , लेिकन ज द ही यह को शश छोड़ दी। आ ख़र, वे महीन से इसक
असफल को शश कर रहे थे। इसके बजाय उ ह ने िनणय लया िक वे इस
पूरे मसले को अपने अवचेतन मन के हवाले कर दगे और िफर देखगे िक
या होता है। िफर जब वे एक झपक से जागे, तो शीषक उनके िदमाग़ म
था। क़रीबी जाँच करने पर हम आसानी से देख सकते ह िक उनके
वच लत सफलता मेकेिन म ने तो “बुर”े शीषक को दोबारा लखा भर
था। “नूडल” बदलकर “ थक” हो गया और “बूडल” बदलकर “ रच” हो
गया।
म मानता हूँ िक हर लेखक को इसी तरह का अनुभव होता है। हमम से
कुछ इसे जानते-बूझते हुए और बार-बार अपने लए कराते ह। हम अ सर
अपने सव -मेकेिन म से अपने लए पूरे अ याय या भाषण लखवाते ह,
जबिक हम झपक लेते ह या अपने नाती-पोत के साथ खेलते ह या मछली
पकड़ने का डंडा हाथ म लेकर नाव म बैठते ह। इस पु तक के संपादक और
द साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के े सडट डैन कैनेडी ने नौ पु तक
और असं य लेख लखे ह। वे एक मा सक यूज़लेटर लखते ह, दजन
ऑ डयो कैसेट ो ाम तैयार करते ह और य त िव ापन कॉपीराइटर भी
ह। इस उ े य के लए उ ह ने साइको साइबरनेिट स के अमल म मािहर
बनने का ल य बनाया था, तािक वे रात को सोने जाएँ और िफर जागते ही
अपने कं यूटर पर बैठकर उस सारे लेखन काय को “टाइप कर सक” जो
उनके सोते समय “उनक ख़ा तर” िकया गया था। दस
ू रे लोग कहते ह िक
लखना बहुत यादा तनावपूण और मु कल होता है, लेिकन उनके लए
यह िबलकुल तनावरिहत होता है।
डैन कैनेडी कहते ह िक इस योग क ेरणा उ ह इस पु तक के मूल
सं करण से िमली थी, जसम मने बरटड रसल का अनुभव बताया था।
बरटड रसल ने कहा था :
िमसाल के तौर पर, मने पाया है िक अगर मुझे िकसी मु कल िवषय पर लखना होता
है, तो सबसे अ छी योजना यह है िक म कुछ घंट या िदन तक उसके बारे म बहुत
गहराई से सोचता हूँ - सबसे अ धक गहराई तक जसम म स म हूँ। इसके बाद म
आदेश देता हूँ िक इसके बाद का काय भूिमगत प से आगे बढ़े। कुछ महीन बाद म
चेतन प से िवषय पर लौटता हूँ और पाता हूँ िक काय पूरा हो गया है। इस तकनीक
को खोजने से पहले म बीच के महीने चता म िबताया करता था, य िक कोई ग त ही
नह हो रही थी। बहरहाल, चता क वजह से म समाधान तक ज दी नह पहुँच पाता
था और बीच के महीने भी बबाद हो जाते थे, जबिक अब म उनम दस
ू रे काय कर सकता
हूँ।” (बरटड रसल, द कॉ वे ट ऑफ़ है पीनस )
जो चीज़ लेखक के लए काय करती है, वह आपके लए भी काय कर
सकती है। सृजन यानी सम या सुलझाने का काय (वे दोन एक ही ह)
सव -मेकेिन म को स पना एक ऐसी ि या है, जस पर कोई भी अमल
कर सकता है।
लेनॉ स राइली लॉर नेशनल ॉडका टग कपनी के े सडट थे। एक
बार उ ह ने एक लेख लखा था, जसम उ ह ने बताया था िक कारोबार म
सहायक िवचार उनके मन म कैसे आए। “मने पाया है िक िवचार सबसे
ज दी तब आते ह, जब आप कोई ऐसी चीज़ कर रहे ह , जो िदमाग़ को तो
चौकस रखे, लेिकन उस पर बहुत यादा दबाव न डाले। िमसाल के तौर
पर, दाढ़ी बनाना, कार चलाना, ल े को आरी से काटना, मछली पकड़ना
या शकार करना। या िकसी िम के साथ ेरक बातचीत करना। मेरे िदमाग़
म कुछ सबसे अ छे िवचार तब आए थे, जब म कोई दस
ू री चीज़ कर रहा
था, जसका मेरे काय से कोई संबध
ं नह था।” (“एनीवन कैन बी एन
आइ डया मैन,” अमे रकन मै ज़ीन , माच 1940)
जनरल इले टक के शोध मुख सी. जी. यू स ने कहा था िक शोध
योगशालाओं म हुई लगभग सारी खोज आराम करने क अव ध म
आभास के प म आई थ , जबिक गहन सोच और त य एकि त करने क
ि या पूरी हो चुक थी।
दस
ू रे श द म, जब चेतन िवचार ारा जवाब खोजने क को शश का
दबाव हट जाता है, तो सव -मेकेिन म वच लत सफलता मेकेिन म के
प म काय करने के लए वतं हो जाता है और अ सर यह ऐसा कर भी
देता है।
आप एक “सृजनकम ” ह
हम यह मानने क ग़लती कर बैठते ह िक यह “अचेतन म त क ि या”
सफ़ लेखक
च कार आिव कारक और अ य तथाक थत
सृजनक मय ” के लए सुर त है। दे खए, हम सभी सृजनकम ह, चाहे हम
िकचन म काय करने वाले कुक ह , कूल टीचर ह , िव ाथ ह , से स
ोफ़ेशनल ह या उ मी ह । हम। सबके भीतर वही सफलता मेकेिन म है
और यह जस तरह कहानी लखने या िकसी ॉड ट के आिव कार के
लए काय करता है, उसी तरह यि गत सम याओं को सुलझाने, कारोबार
चलाने या सामान बेचने के लए भी काय करेगा। बरटड रसल ने अनुशस
ं ा
क थी िक अपने लेखन म उ ह ने जस उपाय का इ तेमाल िकया था,
उसका इ तेमाल उनके पाठक अपनी रोज़मरा क यि गत सम याओं को
सुलझाने म कर। ूक यूिनव सटी के डॉ. जे. बी. राइन ने कहा था िक हम
जसे “जीिनयस” कहते ह, वह एक ि या है - एक नैस गक तरीक़ा,
जससे इंसान का मन िकसी सम या को सुलझाने के लए काय करता है लेिकन हम ग़लती से “जीिनयस” श दावली का इ तेमाल तभी करते ह,
जब इस ि या का इ तेमाल पु तक लखने या च बनाने के लए िकया
जाता है।
माइकल जे. गे ब क मनोहारी पु तक हाउ टु थक लाइक लयोनाड
द वची इस आधारवा य पर आधा रत है िक जीिनयस पैदाइशी तभा
कम, ि या यादा है।
वा तव म जीिनयस हमम से येक के भीतर होता है, जो अ धकतर
मामल म जा त िकए जाने, मु िकए जाने, ऊजावान बनाए जाने और
इ तेमाल िकए जाने का इंतज़ार कर रहा है। हो सकता है िक आज
जीिनयस होना आपक आ म-छिव का िह सा न हो, लेिकन मुझे उ मीद है
िक ज द ही यह होगा, य िक यह इस िव तृत िवचार पर आधा रत होगा
िक जीिनयस दरअसल या है और यह कैसे काय करता है।
“नैस गक” यवहार और यो यता का रह य
आपके भीतर का सफलता मेकेिन म सृजना मक कम उ प करने के लए
भी इसी तरह काय कर सकता है, जस तरह िक यह सृजना मक िवचार
उ प करने के लए करता है।
चाहे यह खेल म ही, िपयानो बजाने म ही, बातचीत म हो या सामान
बेचने म ही, िकसी भी े म यो यता का संबध
ं चेतन प से यह सोचने म
नह है िक हर ग तिव ध को कैसे करना है। यो यता तो तनावरिहत होकर
अपने मा यम से उस काय को होने देने म है। सृजना मक दशन िबना पूव
तैयारी के और वाभािवक होता है, जबिक इसका िवपरीत दशन संकोची
और अ ययन-आधा रत होता है। संसार क सबसे यो य िपयानोवादक भी
सबसे सरल संगीत रचना तक नह बजा सकती, अगर वह चेतन प से यह
सोचने क को शश करे िक िपयानो बजाते समय कौन सी अँगुली िकस
कंु जी पर पड़नी चािहए। उसने इस मसले पर पहले चेतन यान िदया है
(सीखते समय) और अ यास िकया है, जब तक िक उसक ग तिव धयाँ
वच लत और आदतन नह हो गई ं। वह केवल तभी शानदार संगीतकार
बन पाई, जब वह उस बद ु पर पहुँच गई, जहाँ वह चेतन यास छोड़ सके
और संगीत बजाने का काय अचेतन आदत मेकेिन म को स प सके, जो
सफलता मेकेिन म का िह सा है।
हो सकता है आपने सीखने के चार क़दम या तर क पृ भूिम म
इसके बारे म कह और पढ़ा हो :
1. अचेतन अ मता
2. चेतन अ मता
3. चेतन स मता
4. अचेतन स मता
पहले तर पर आप यह भी नह जानते िक आप नह जानते। जब
आप दस
ु द जानकारी िमलती है िक
ू रे तर पर पहुँचते ह, तो आपको दख
आपके लए या मु कल है। तीसरे तर पर, आप उस चीज़ को करने म
समथ बन जाते ह, लेिकन आप अब भी इसे मु कल तरीक़े से कर रहे ह,
चेतन िवचार पर िनभर कर रहे ह, शायद इ छाशि पर भी। चौथे तर पर
आने के बाद जो मु कल था, वह वच लत बन जाता है। यह सीखने के हर
अनुभव का ता कक प से सटीक वणन है, चाहे यह िकसी ब े के जूते के
फ ते बाँधना हो या वय क के प म कं यट
ू र चलाना हो।
बहुत मह वपूण और रोमांचक यह है िक साइको साइबरनेिट स के
ज़ रए आप इस चार पायदान वाली सीढ़ी पर अपनी ग त िकतनी बढ़ा
सकते ह और इससे िकतना यादा तनाव कम कर सकते ह। बस इसके
लए आपको वा तिवक, शारी रक यास के बजाय उसके साथ मान सक
थएटर क तकनीक का इ तेमाल करना होगा।
अपनी सृजना मक मशीन को कंु द न कर
चेतन यास वच लत सृजना मक मेकेिन म को अटका देता है और कुद
कर देता है। कुछ लोग सामा जक थ तय म इतने संकोची और फूहड़
इस लए होते ह, य िक वे चेतन प से ज़ रत से यादा च तत होते ह,
सही चीज़ करने के लए ज़ रत से यादा य रहते ह और ग़लत चीज़
कहने या करने से बहुत यादा डरते ह। वे जो भी ग तिव ध करते ह, उसके
बारे म बहुत संकोची होते ह। हर काय बहुत सोच-समझकर करते ह। हर
श द के भाव को अ छी-तरह नाप-तौलकर बोलते ह। हम ऐसे इंसान को
संकोची कहते ह और यह सही भी है। लेिकन यह कहना यादा सच होगा
िक वह “इंसान” संकोची नह है, ब क उस इंसान ने सृजना मक
मेकेिन म को “अटका” िदया है। अगर ये लोग ढीला छोड़ सक, को शश
करना छोड़ सक, परवाह करना छोड़ सक और अपने यवहार के मसले पर
कोई यान न द, तो वे सृजना मक, वत: फूत तरीक़े से काय कर सकते
ह और “अपने असल वभाव” म रह सकते ह।
खेल जगत म कहा जाता है, “आप न हारने के लए खेलकर जीत नह
सकते।” जीवन म, यहाँ तक िक रोज़मरा क थ तय म भी, हम यही कह
सकते ह। दरअसल, न हारने के लए खेलने से तनाव उ प होता और
बढ़ता है, इस लए ग़ल तयाँ करने क आशंका भी बढ़ जाती है।
अपनी सृजना मक मशीन को
वतं करने के पाँच नु ख़े
1. एक बार जब िनणय ले लया जाए, तो शंका करने के बजाय इसका
समथन करने पर यान कि त कर।
मूल पु तक म मने एक िबज़नेस ए ज़ी यूिटव के बारे म बताया था, जसे
लेट पर जुआ खेलने का शौक़ था। उसी ने मुझे यह िवचार िदया था :
“अपनी सारी चता च घूमने क बाद नह , दाँव लगाने से पहले कर ल।”
मने उसे िव लयम जे स क सलाह बताई थी, जो म आपको पहले ही
बता चुका हूँ। उसका सार यह था िक योजना बनाने और कम क िदशा तय
करने म चता क जगह होती है, लेिकन “जब एक बार कोई िनणय ले लया
जाता है और अमल करने क बारी आती है, तो प रणाम के बारे म सारी
िज़ मेदारी और परवाह को छोड़ द। अपनी बौ क तथा यावहा रक
मशीनरी को ढीला कर द और इसे मु बहने द।”
कुछ स ाह बाद वह मेरे ऑिफ़स म धड़धड़ाता हुआ आया और उसने
कहा, “लास वेगास क या ा के दौरान यह अचानक मुझ पर बम क तरह
िगरी। म इसे आज़मा रहा हूँ और यह काय करती है।”
“बम क तरह या िगरी और या काय करती है?” मने पूछा।
िव लयम जे स क सलाह। जब आपने मुझे इसके बारे म बताया था, तब इसका मुझ पर
यादा असर नह हुआ था, लेिकन लेट खेलते समय यह दोबारा मेरे िदमाग़ म आई।
मने ग़ौर िकया िक बहुत से लोग थे, जो अपना दाँव लगाने से पहले ज़रा भी च तत नज़र
नह आ रहे थे। ज़ािहर है, उनके लए यह मायने नह रखता था िक उनके दाँव का
सफल होना िकतना मु कल था। लेिकन एक बार जब च घूमने लगता था, तो वे बफ़
क तरह जम जाते थे और चता करने लगते थे िक उनका चुना हुआ नंबर आएगा या
नह । मने सोचा, िकतना मूखतापूण। अगर वे चता करना चाहते थे या संभावनाओं का
आकलन करना चाहते थे, तो यह करने का सही समय दाँव लगाने का िनणय लेने से
पहल था। इस बारे म सोचकर तब आप कुछ कर सकते थे। आप सव े संभावनाओं
का अनुमान लगा सकते थे या जो खम न लेने का िनणय ले सकते थे। लेिकन जब दाँव
लग चुका है और च घूमने लगा है, तो आप आरामदेह हो सकते ह और इसका आनंद
ले सकते ह। इस बारे म सोचने से र ी भर भी फ़ायदा नह होने वाला और इससे
ख़ाम वाह ऊजा बबाद होगी।
िफर म यह सोचने लगा िक म अपने कारोबार और िनजी जीवन म िबलकुल यही कर रहा
था। म अ सर िबना पया तैयारी, सारे शािमल जो खम पर िवचार िकए िबना और
सव े संभव िवक प तय िकए िबना ही िनणय ले लेता था या काय क िदशा तय कर
लेता था। लेिकन जब म आलंका रक भाषा म च घुमा देता था, तो म लगातार चता
करता रहता था िक इसका प रणाम या होगा, िक मने सही चीज़ क थी या नह । मने
तभी यह िनणय ले लया िक भिव य म म अपनी सारी चता, अपनी सारी सचेतन सोच
िनणय लेने से पहले क ं गा और िनणय लेने तथा च के घूमने के बाद म “सारी परवाह
या प रणाम क िज़ मेदारी िदमाग़ से िनकाल दँगू ा।” यक़ न मान या न मान, यह कारगर
है। म न सफ़ बेहतर महसूस करता हूँ, बेहतर सोता हूँ और बेहतर काय करता हूँ, ब क
मेरा कारोबार भी अब यादा अ छी तरह चल रहा है।
मुझे यह भी पता चला िक यह स ांत सैकड़ छोटे-छोटे यि गत मामल म भी काय
करता है। िमसाल के तौर पर, म डेिट ट के यहाँ और अ य अि य काय के लए जाने म
चता और ग़ु सा करता रहता था। िफर मने ख़ुद से कहा, “यह मूखतापूण है। जाने का
िनणय लेने से पहले ही आप जानते ह िक उसम िकतनी अि यता शािमल है। अगर
अि यता इतनी ही मह वपूण है, जसक वजह से इतनी चता हो रही है और यह मामला
चता करने लायक़ मह वपूण नह है, तो आप वहाँ न जाने का िनणय ले सकते ह।
लेिकन अगर िनणय यह है िक वहाँ जाना उस थोड़ी अि यता से यादा मह वपूण है
और जाने का एक िन त िनणय ले लया गया है - तो इस बारे म भूल जाएँ । पिहए के
घूमने से पहले जो खम पर िवचार कर।” मुझे जब संचालक मंडल क बैठक म भाषण
देना होता था, उसके एक रात पहले म चता िकया करता था। िफर मने ख़ुद से कहा, “म
या तो भाषण देने वाला हूँ या नह देने वाला। अगर िनणय इसे देने का है, तो न देने के
बारे म सोचने - या उससे मान सक प से दरू भागने क को शश करने - क कोई
ज़ रत ही नह है।” मने पाया है िक बहुत सारी घबराहट और चता तो इस कारण होती
है िक आपने जो काय शारी रक प से करने का िनणय लया है, आप उससे मान सक
प से बचने या दरू भागने क को शश करते ह। यिद िनणय उसे करने का है - शारी रक
प से दरू भागने का नह है - तो मान सक प से पलायन के बारे म सोचने या उ मीद
करने म या तुक है। म सामा जक काय म म जाने से चढ़ता था और अपनी प नी को
ख़ुश करने या यावसा यक कारण से ही जाता था। म जाता तो था, लेिकन मान सक
प से म इसका तरोध करता था और आम तौर पर काफ़ तुनकिमज़ाज व गुमसुम
रहता था। िफर मने िनणय लया िक अगर िनणय शारी रक प से जाने का था, तो
मान सक प से भी वहाँ मौजूद रहना और तरोध के सारे िवचार हटाना भी अ छा
रहेगा। िपछली रात म एक काय म म गया, जसे म पहले मूखतापूण सामा जक
काय म कहता और मुझे यह पाकर हैरानी हुई िक म उसका भरपूर आनंद ले रहा था।
साइको साइबरनेिट स के काशन के बाद कारोबार के लीडर से मेरी
बातचीत इस कहानी पर कि त रहती थी। म मेटोपॉ लटन लाइफ़ नाम क
एक बड़ी बीमा कपनी के लए एक सेिमनार आयो जत कर रहा था। ेक के
दौरान एक शीष ए ज़ी यूिटव ने उस यि क कहानी का िज़ िकया, जो
अपने िनणय लेने के बाद बहुत यादा चता िकया करता था। इस
ए ज़ी यूिटव ने कुछ ऐसा कहा, जो मुझे बेहद मुि दायक लगा :
“डॉ. मॉ ज़, स ाई यह है िक बहुत कम िनणय अपने आप म सही
या ग़लत होते ह। इसके बजाय हम िनणय लेते ह, िफर हम उ ह सही बनाते
ह। नेतृ व इसी का नाम है।”
िव क सबसे बड़ी िव ापन एजसी मैकैन-ए र सन क चेयरमैन नीना
डसेसा को फ़ॉचून मै ज़ीन ने सन् 2000 म अमे रक यवसाय जगत क 50
सवा धक शि शाली मिहलाओं म चुना था। वे कहती ह, “आप िकसी
ख़राब िनणय को हमेशा सुधार सकते ह, लेिकन अगर आप कुछ नह करते
ह, तो आप कभी उस समय क वापस नह पा सकते।”
नु ख़ा
छोटे-छोटे मामल म यादा से यादा अं तम िनणय लेने क को शश
कर, तािक आप अपनी आ म-छिव को नए माण िदखा सक िक आप
उस तरह के इंसान ह, जो एक ढ़ िनणय लेता है और िफर उसके बारे
म चता करना छोड़ देता है। अगर आप िकसी रे तरां म िम के साथ
जाते ह, तो ऐसे इंसान न बन, जो िवक प को लेकर परेशान होता है,
ऑडर देने के बाद अपना मन बदलता हो। मे यू म से कोई चीज़ चुन
और िफर मे यू को बंद कर द। अगर ख़रीदारी कर रहे ह , तो चुन और
ख़रीद ल।
मान सक
श ण अ यास
चाहे कोई मह वपूण कारोबारी िनणय हो या गो फ़ ब चुनने, अपनी
पो स जैकेट के साथ पहनने के लए टाई चुनने जैसा यि गत
िनणय हो, िनणय पर पहुँचने के तुरत
ं बाद एक छोटी सी उपयोगी
मान सक त वीर या मान सक िफ़ म बनाने के बारे म सोच। सन्
2000 के रा प त चुनाव म एक भ पृ भूिम म उपरा प त अल गोर
मशहूर हो गए, य िक उ ह ने “लॉक बॉ स” श द का बहुत इ तेमाल
िकया। टेलीिवज़न कॉमेडी काय म और नक़ल चय ने कई ह त
तक इसे लेकर उनका मज़ाक़ उड़ाया। आपके लए भी “लॉक बॉ स”
एक अ छा च है : जैसे ही िकसी िनणय पर पहुँच, यह च देख िक
आप सारी जानकारी, चताओं, और उसके बारे म सोचे गए
नकारा मक तथा सकारा मक पहलुओ ं का एक बड़ा ढेर बना रहे ह,
टोरेज म म ले जा रहे ह और उस सबको एक बड़े बॉ स म रखकर
उसका ताला लगा रहे ह। िफर देख िक आप उस कागज़ को उठा रहे
ह, जस पर िनणय लखा है, उसे सील करके एक लफ़ाफ़े म रख रहे
ह, आज क तारीख़ व फ़ाइल कैिबनेट डॉअर म रख रहे ह और उस
पर भी ताला लगा रहे ह। आ ख़रकार ख़ुद को उसी तरह हाथ मसलते
देख जस तरह आप संतोषजनक शारी रक मेहनत का काय पूरा
करने के बाद िकसी इंसान को हाथ मसलते देखते ह। टोरेज म क
लाइट बंद कर द और अँधेरे कमरे से िनकलकर धूप म आ जाएँ , जस
तरह सै वडोर डाली ारा मुझे दी गई त वीर म जहाज़ अंधकार से
िनकलकर काश म आता है। इस िफ़ म को कुछ बार देखने के बाद,
ग त बढ़ाने के लए आप इसे अचल च या लाइ स म िवभ कर
सकते ह और उ ह ज दी-ज दी देख सकते ह - ि क, ि क, ि क,
ि क।
2. यहाँ और अभी पर यान कि त करने का रह य।
ल य पर चेतन प से िवचार करने, ग त का आकलन करने और
योजनाएँ बनाने क ज़ रत है, लेिकन इस तरह क सोच उ चत िनयत
समय और जगह पर ही करनी चािहए। बाक़ समय, चेतन प से वतमान
पल पर अपना पूरा यान द और “कल क चता न करने” क आदत का
अ यास कर। आपका सृजना मक मेकेिन म कल - या अब से एक िमनट
बाद भी - काय नह कर सकता। यह सफ़ इसी समय काय कर सकता है।
यह केवल वतमान - आज, वतमान पल म - काय कर सकता है। कल क
योजनाएँ बनाएँ । लेिकन आने वाले कल या अतीत म जीने क को शश न
कर। सृजना मक जीवन का मतलब है प रवेश पर िबना पूव तैयारी के सहज
ति या करना । आपका सृजना मक मेकेिन म वतमान प रवेश पर
उ चत और सफलतापूवक ति या तभी कर सकता है, जब आप अपना
पूरा यान वतमान प रवेश पर लगाएँ और इसे यह जानकारी द िक अभी
या हो रहा है। आप जतना चाह, भिव य क योजना बनाएँ । उसक तैयारी
कर। लेिकन इस बारे म चता न कर िक आप आने वाले कल म या पाँच
िमनट बाद भी कैसे ति या करगे। आपका सृजना मक मेकेिन म
वतमान म उ चत प से ति या करेगा, बशत आप उस पर यान लगाएँ ,
जो अभी हो रहा है। यह कल भी ऐसा ही करेगा। आगे या हो सकता है, यह
उस पर सफलतापूवक ति या नह कर सकता। यह तो केवल उसी पर
ति या कर सकता है, जो इस व त हो रहा है।
एक बार मने एक बहुत महँगे, अ छे रे तरां म एक बड़े कॉप रेशन के
े सडट के साथ डनर िकया। उ ह ने अपना खाना फटाफट खा लया
और इसके बाद भी भोजन क एक लेट बच गई। जब मने उनसे इस बारे म
पूछा, तो वे बोले, “म कभी भोजन का वाद नह लेता। म दस
ू री, अ धक
मह वपूण चीज़ के बारे म सोचने म यादा य त रहता हूँ।” दे खए, इससे
तो अ छा था िक वे पोषक त व क गो लयाँ ले लेते। म सोचता हूँ िक
शायद उनके जीवन म ऐसा िदन ज़ र आएगा। लेिकन इस अ त- य त
यि क नी त के बारे म दो परेशान करने वाली बात ह : पहली, वे अ छे
भोजन के बेहतरीन आनंद से ख़ुद को वं चत रख रहे ह। वे वाइन क
चु कय के आनंद और हर कौर का वाद लेने से ख़ुद को मह म रख रहे
ह। वे ख़ुद को इस आनंद से वं चत रख रहे ह िक मीट क िकतने आदश ढंग
से तैयार िकया गया है और टमाटर िकतना कड़क व ताज़ा है। यह माना जा
सकता है िक इसी तरह वे जीवन के कई अ य ऐंि क आनंद से ख़ुद को
वं चत रख रहे ह गे। दस
ू री बात, उनक य तता एक ढ ग है। यह े
समपण, ए ज़ी यूिटव अनुशासन, उ मी उ साह या समय बचाने का
वा तिवक दशन नह है। लोग अपने सव े
तर पर काय नह कर
सकते, अगर वे बीच-बीच म िबना के या ठहरे सारे समय सबसे तेज़ संभव
ग त से चल रहे ह । यह मानना सुर त रहेगा िक वे शायद ही कभी वतमान
पल म रहते ह। वे शायद ही कभी िकसी एक चीज़ या एक यि पर पूरी
तरह एका होते ह। नतीजा यह होगा िक हालाँिक दस
ू रे उनक य तता से
भािवत हो सकते ह, लेिकन इससे उनक बु मानी और मता का
सवा धक उपयोग नह हो पाएगा। अगली सुबह, अपने िन कष के आधार
पर मने अपने ोकर को फ़ोन िकया और उस यि क कपनी के शेयर बेच
िदए, जो मने पहले ख़रीदे थे।
आपका जीवन कह अ धक आनंददायक होगा और आप कह अ धक
भावी ह गे, अगर आप अपने अनुभव का आनंद लेने के लए मान सक
प से पया धीमे होना सीख ल।
मान सक
श ण अ यास
जब आप िकसी जगह से बाहर िनकल, जैसे िकसी रे तरां या दक
ु ान
से, तो ठहरकर याद कर िक आप वहाँ के छोटे-छोटे िकतने सारे
िववरण का वणन कर सकते ह। इस चुनौती क ख़ा तर आपको अपने
अवलोकन क शि य को पैना करना होगा और आप अपने आप
ख़ुद को धीमा कर लगे तथा “वहाँ” पर अ धक रहगे (चाहे आप जहाँ
भी ह )।
यिद आपने का पिनक (लेिकन त य पर आधा रत) जासूस शरलॉक हो स क
कहािनयाँ पढ़ी ह, तो आप जानते ह गे िक उ ह ने अवलोकन क उ ेखनीय शि य का
दशन िकया था और वे छोटे-छोटे िववरण याद रखने तथा उनका िव ेषण करने म मािहर
थे। उनक एक कहानी म लेखक आथर कॉनन डॉयल ने डॉ. वाटसन के च र के मुँह से
हो स से कहलवाया था : “यह प नज़र आता है िक आपक अवलोकन शि और िन कष
िनकालने क अनूठी यो यता आपके ख़ुद के सुिनयो जत श ण के कारण है।” डॉयल
जानते थे िक उ ह ने हो स का पा ए डनबरा यूिनव सटी के अपने पैथोलॉजी ोफ़ेसर को
देखकर रचा था, जो अवलोकन क असाधारण शि य के लए िव यात थे और उ ह ने
अपने म त क को श त करने पर बहुत मेहनत क थी िक यह िकसी य, िकसी
अनुभव या िकसी इंसान के बारे म सभी सू म िववरण पकड़ ले।
े
ो
3. एक समय म सफ़ एक चीज़ करने क को शश कर।
दिु वधा, साथ ही इसक वजह से उ प घबराहट, ज दबाज़ी तथा चता
क भावनाओं का एक और कारण यह है िक हमम एक ही समय म कई चीज़े
करने क मूखतापूण को शश क आदत होती है। िव ाथ पढ़ने के साथसाथ टीवी भी देखता है। यवसायी िकसी प “को लखाते समय” उसी
पर पूरा यान कि त करने के बजाय अपने िदमाग़ के िपछले िह से म उन
सारी चीज़ के बारे म सोच रहा है, जो उसे आज, या इस स ाह, हा सल
करनी चािहए और अचेतन प से उन सभी को एक साथ हा सल करने क
मान सक को शश कर रहा है।
यह आदत ख़ास तौर पर घातक इस लए है, य िक इसक अस लयत
शायद ही कभी पहचानी जाती है। जब हमारे सामने बहुत सारा काय पड़ा
होता है और हम उसके बारे म सोच-सोचकर आशंिकत, च तत या
तनावपूण महसूस करते ह, तो तनाव क भावनाएँ काय के कारण नह ,
ब क हमारे मान सक नज़ रए के कारण होती ह, जो यह होता है, “मुझे यह
सब तुरत
ं करने म समथ होना चािहए।” हम इस लए घबरा जाते ह, य िक
हम एक असंभव चीज़ करने क को शश कर रहे ह और इसक वजह से
िनरथकता तथा कंु ठा को अप रहाय बना रहे ह। स ाई यह है िक हम एक
समय म सफ़ एक ही चीज़ कर सकते ह। जब हम यह एहसास हो जाता है,
जब हम ख़ुद को इस सरल और प स ाई का यक़ न िदला देते ह, तो हम
समथ बन जाते ह िक हम मान सक प से वे चीज़े करने क को शश छोड़
द, जो बाद म आने वाली ह और अपनी सारी जाग कता, अपनी सारी
ति या उस एक चीज़ पर कि त कर ल, जो हम इस व त कर रहे ह।
जब हम इस नज़ रए से काय करते ह, तो हम तनावरिहत होते ह, हम
ज दबाज़ी तथा चता क भावनाओं से मु हो जाते ह और हम एका होने
तथा अपना सव े सोच-िवचार करने म समथ होते ह।
अगर आप टेलीिवज़न पर अ सर फ़ुटबॉल देखते ह, तो आपने देखा
होगा िक कई बार रसीवस गद को िगरा देते ह जब यह उनके हाथ के बीच
से गुज़रती है। तब कमटेटर बताते ह िक “वह गद के आने से पहले ही
दौड़ने लगा था” या “उसने िवरोधी खलाड़ी के क़दम क आहट सुनी
होगी।” दस
ू रे श द म, गद पकड़ने पर पूरा यान कि त करने के बजाय वह
इस बारे म चता करने लगता है िक दस
ू रे खलाड़ी उससे गद छीनने आ रहे
ह, वह गद लेने के बाद कहाँ जाएगा, यह सोचकर समय से पहले ही अपने
शरीर को गद से दरू ले जाता है।
यावसा यक संसार म इसके लए तुलना मक प से एक नया श द है
- “म टीटा कग” - और अ धकतर लोग के मामले म, अ धकतर समय,
यह एक खोखला दंभ है। सावधान रह िक आप िकसका अनुकरण करना
चाहते ह - झुड
ं का या लीडर का। हर े के शीष थ लोग म टीटा कग
के बजाय एका ता पर िव ास करते ह। हालाँिक कई सामा य से स
ोफ़ेशन स टैिफ़क म गाड़ी चलाते समय या िकसी य त, शोरगुल वाली
सड़क पर पैदल चलते व अपने सेल फ़ोन पर ाहक से बातचीत करते
ह, लेिकन आप कभी शीष थ से स ोफ़ेशनल को ऐसा करते नह देखगे।
आप पाएँ गे िक जब उसे ऐसी कॉल करनी होती है, तो वह ऐसी जगह और
समय पर यह करता है, जहाँ वह उस पर अपना 100 तशत यान दे
सके। हालाँिक कई सामा य ए ज़ी यूिट ज़ िकसी से मुलाक़ात करते समय
या मह वपूण जानकारी क समी ा करते समय फ़ोन, इंटरकॉम या दस
ू रे
लोग के अंदर आने जैसी सतत बाधाओं क अनुम त देते ह, लेिकन म जन
सबसे सफल ए ज़ी यूिट ज़ को जानता हूँ, वे ऐसी अ य था को ह गज़
बदा त नह करते।
रेत—घडी का सबक
1944 म डॉ. जे स गॉडन िग क ने एक या यान िदया, जसका शीषक
था, “गे नग इमोशनल पॉइज़।” यह रीडस डाइजे ट म का शत हुआ और
लगभग रातोरात ा सक बन गया। कई वष के परामश के बाद उ ह ने यह
पाया था िक नवस ेकडाउन, चता और सभी तरह क अ य यि गत
सम याओं का एक मु य कारण यह महसूस करने क बुरी मान सक आदत
थी िक आपको इसी समय कई चीज़े करनी चािहए। अपनी डे क पर रखी
रेत-घड़ी को देखकर उ ह अचानक एक ेरणा िमली। जस तरह एक समय
म रेत-घड़ी म से रेत का सफ़ एक ही कण गुज़र सकता है, उसी तरह हम
भी एक समय म एक ही चीज़ कर सकते ह। सम या काय क वजह से नह
होती; सम या तो उस काय के बारे म हमारे सोचने के तरीक़े से होती है।
डॉ. िग क ने कहा िक हमम से अ धकतर लोग ज दबाज़ी, हड़बड़ी
और िज़ मेदा रय क एक झूठी मान सक त वीर बना लेते ह। िकसी भी
पल हम पर एक दजन अलग—अलग चीज़ दबाव डालती नज़र आती ह;
करने के लए एक दजन अलग-अलग काम; सुलझाने के लए एक दजन
अलग-अलग सम याएँ ; सहने के लए एक दजन अलग-अलग तनाव। डॉ.
िग क कहते ह, हमारी िज़दगी चाहे िकतनी ही भागमभाग भरी या हैरान-
परेशान हो, यह मान सक त वीर सरासर झूठी है। य ततम िदन म भी
य त घंटे हमारी ओर एक समय म एक-एक पल करके आते ह। चाहे हमारे
सामने िकतनी ही सम याएँ , काय या दबाव य न ह , वे हमेशा एक-एक
करके हमारी ओर आते ह, य िक इसी तरीक़े से वे आ सकते ह। स ी
मान सक त वीर पाने के लए उ ह ने रेत-घड़ी क त वीर देखने का
सुझाव िदया, जसम रेत के बहुत से कण होते ह, लेिकन वे एक-एक करके
ही िगरते ह। इस मान सक त वीर से आपको भावना मक संतुलन िमलेगा,
जस तरह झूठी मान सक त वीर से भावना मक बेचन
ै ी िमलती है।
ऐसा ही एक और मान सक उपाय है, जसे मने अपने रोिगय के लए
बहुत मददगार पाया है और म उ ह यह बता देता हूँ :
आपका सफलता मेकेिन म िकसी काय को करने या िकसी सम या को सुलझाने म
आपक मदद कर सकता है। इस तरह सोच िक आप अपने सफलता मेकेिन म म उसी
तरह काय और सम याएँ “डाल” रहे ह, जस तरह वै ािनक िकसी सम या को
क यूटर के म त क म “डालता” है। आपके सफलता मेकेिन म क “काय-कंु जी” एक
समय म केवल एक ही काय को सँभाल सकती है। अगर तीन अलग-अलग सम याएँ
िमला दी जाएँ और एक ही समय उसम डाली जाएँ , तो क यूटर का म त क सही
जवाब नह दे सकता। इसी तरह, आपका सफलता मेकेिन म भी ऐसा नह कर सकता।
इसके दबाव को कम कर द। मशीन म एक बार म एक काय से अ धक भरने क को शश
छोड़ द।
नु ख़ा
एक रेत घड़ी ख़रीद और इसे वहाँ रख द जहाँ आप अ धकतर समय
काय करते ह या जहाँ इस पर आपक िनगाह अ सर पड़ती है। इस
पर या इसके बगल म एक छोटा सा साइनबोड रख द, जस पर लखा
हो, “एक बार म एक कण।”
4. इस पर सो जाएँ ।
अगर आप िकसी सम या के साथ िदन भर कु ती लड़ रहे ह , लेिकन ज़रा
भी ग त नज़र न आ रही हो, तो इसे अपने िदमाग से िनकालने क को शश
कर और िनणय लेने को तब तक टाल द, जब तक िक आपको “इस पर
सोने” का मौक़ा न िमल जाए। याद रख, आपका सृजना मक मेकेिन म
सबसे अ छी तरह तब काय करता है, जब आपके चेतन “म” का बहुत
यादा ह त ेप नह होता। न द म चेतन ह त ेप नह होता है, इस लए
सृजना मक मेकेिन म को वतं
प से काय करने का आदश अवसर
होता है, बशत आपने पहले ही च घुमाना शु कर िदया हो।
मोची और प रय क परीकथा याद है? मोची ने पाया िक अगर वह
सोने से पहले चमड़े को काट देता था और साँचे बना देता था, तो उसके
सोते समय प रयाँ आकर उसके लए जूते बना देती थ ।
कई सृजनकार ने इससे बहुत िमलती-जुलती तकनीक का इ तेमाल
िकया है। थॉमस ए. ए डसन क प नी ने कहा था िक हर शाम उनके प त
अपने िदमाग म उन चीज़ को दोहराते थे, ज ह वे अगले िदन हा सल
करना चाहते थे। कई बार वे उन काय क सूची बनाते थे, ज ह वे करना
चाहते थे और उन सम याओं को भी लख लेते थे, ज ह वे सुलझाना
चाहते थे।
ए डसन क मशहूर “झपिकयाँ” सफ़ थकान से राहत ही नह देती थ ,
वे इससे भी बड़ा काय करती थ । साइकोलॉजी ऑफ़ इ वशन म जोसफ़
रॉसमैन कहते ह, “जब वे िकसी चीज़ से हार जाते थे, तो वे अपनी वकशॉप
म लेट जाते थे और आधी न द म उनके व न म म त क एक िवचार देता
था, जो उ ह मु कल के पार ले जाता था।”
एक बार हेनरी वॉड बीचर ने 18 महीन तक हर िदन भाषण िदया।
उनका तरीक़ा? वे कई िवचार “सोचते” रहते थे और हर रात सोने से पहले
एक “िवशेष उभरे िवचार” को लेते थे तथा इसके बारे म गहनता से सोचकर
उसे “उभार” देते थे। अगली सुबह यह अपने आप एक उपदेश म तैयार हो
जाता था।
5. जब आप काय कर, तो शां त से कर।
मान सक
श ण अ यास
अ याय चार म आपने सीखा है िक आराम करते समय शारी रक और
मान सक शां त कैसे लाई जाए। शां त का दैिनक अ यास जारी रख
और आप अ धक कुशल हो जाएँ गे। इस दौरान, आप उस शांत भाव
और शांत नज़ रए को अपनी दैिनक ग तिव धय म भी भर सकते ह,
बशत आप मान सक प से उस अ छी शांत भावना को याद करने
क आदत डाल ल। िदन के दौरान कभी-कभार क - इसम बस एक
पल क ज़ रत होती है - और िव तार से शां त क अनुभू तय को
याद कर । याद रख िक आपक बाँह, आपके पैर, आपक पीठ, गदन,
चेहरे कैसे महसूस हुए थे? कई बार पलंग पर ख़ुद के लेटे होने, शांत
बैठे होने या आरामकुस म श थल होने क मान सक त वीर बनाने
से ही शांत अनुभू तय को याद करने म मदद िमलती है। “म
अ धका धक शांत महसूस करता हूँ,” यह वा य मन ही मन ख़ुद के
सामने कई बार दोहराने से भी मदद िमलती है। हर िदन कई बार
िन ापूवक इसे याद करने क आदत डाल। आप यह देखकर हैरान रह
जाएँ गे िक इससे थकान िकतनी यादा कम हो जाती है और आप
थ तय को सँभालने म िकतनी अ छी तरह स म होते ह। शांत
होकर और शांत नज़ रया बनाए रखकर आप चता, तनाव और
परेशानी क उन अ तवादी अव थाओं को हटा देते ह, जो आपके
सृजना मक मेकेिन म के कुशल संचालन म बाधा डालती ह। समय
के साथ आपका शांत नज़ रया एक आदत बन जाएगा और आपको
इसका चेतन अ यास करने क ज़ रत नह रह जाएगी।
तनावरिहत सफलता
तनाव के िबना सफलता एक तरह से उतना ही मूखतापूण िवचार है, जतना
िक भूखे रहे िबना वज़न कम करना। बहरहाल, “दद नह , तो लाभ नह ” क
लोकि य कहावत भी उतनी ही मूखतापूण कही जा सकती है। दे खए,
आपको इस तरह नह बनाया गया था िक जीवन म हर उपल ध या संतुि
के लए आपको बुरी तरह क उठाना पड़े और जूझना पड़े, मानो आप
िकसी बड़ी च ान को िकसी सीधी चढ़ाई वाले पहाड़ पर चढ़ा रहे ह । इसे
सच या नै तक अिनवायता मानना ठीक नह है। यह गंभीरता से सीिमत
करने वाला िव ास है और ऐसी राय है, जो दख
ु क गारंटी देती है।
इस पूरे अ याय और इस पु तक म मने “सृजना मक मेकेिन म,”
“ वच लत सृजना मक मेकेिन म,” और “सव -मेकेिन म” का समानाथ
इ तेमाल िकया है। म इ ह प करने के लए एक पल लेना चाहता हूँ। इस
मेकेिन म म वह यादातर काय करने क यो यता है, जसे आप भ ह
तानकर, दाँत भ चकर, चता करके, चेतन िवचार करके और िहसाबिकताब करके इ छाशि के मा यम से करने के लए जूझते ह। और यह
शू य तनाव के साथ आपके लए ऐसा कर सकता है। आपको तो इसे िदशा
देना, इस पर िव ास करना, इसे काय स पना और िफर छोड़ देना सीखना
है।
जनरल जॉज एस. पैटन ने कहा था, “कभी लोग को यह न बताएँ िक
चीज़े कैसे करनी ह। उ ह तो बस इतना बता द िक या करना है और वे
अपनी उपायकुशलता से आपको हैरान कर दगे।” यही नेतृ व स ांत
आपके सृजना मक मेकेिन म पर भी लागू होता है। इसे बता द िक या
करना है; यह अपनी उपायकुशलता से आपको सुखद प से हैरान कर
देगा!
दो ए ज़ी यिू टव शै लय के संदभ म इस पर िवचार कर :
मै ोमैनेजमट (वृह - बंधन) और माइ ोमैनेजमट (सू म- बंधन)। मने
नौकरी म जन ए ज़ी यूिट ज़ को ज दी बूढ़ा होते देखा है, वे
माइ ोमैनेजस होते ह। हालाँिक उनके पास स म कमचा रय क पूरी
फ़ौज होती है, जसक वे मदद ले सकते ह, लेिकन वे कभी ऑिफ़स
स लाइज़ खरीदने जैसे छोटे काय को भी िकसी दस
ू रे को नह स प सकते
ह, िबना हर िव तृत िववरण को माइ ोमैनेज िकए और उस काय के भारी
यि का पूवानुमान लगाए। जो ए ज़ी यूिट ज़ ज दी सफ़ेद बाल िकए
िबना और बग़ैर झुके (शारी रक, मान सक और भावना मक प से) बड़ी
िज़ मेदारी उठा सकते ह, वे दस
ू र को काय स पना और चैन से बैठना सीख
लेते ह। वे अपने इराद और ल य को बेहद सटीकता से य करने क
को शश करते ह। इसके बाद वे अ छी तरह चुने गए सहयोगी पर भरोसा
करते ह िक वह उनके व न या आदेश को अंजाम तक पहुँचा देगा।
माइ ोमैनेजर अ सर संगठन के िवकास और समृ
को रोकता है;
मै ोमैनेजर ायः इसे बढ़ा देता है।
इसी तरह, आपको भी सलाह दी जाती है िक आप अपने सव मेकेिन म का सू म- बंधन न कर। हर िववरण क चता करना आव यक
नह है और अ सर यह हािनकारक भी होता है। आपका काय अपने ल य
को सबसे सटीकता से सं ेिषत करना है। वह सं ेषण तय करता है िक
आपका सव -मेकेिन म वच लत सफलता मेकेिन म के प म काय
करता है या वच लत असफलता मेकेिन म के प म। इसे अपना काय
करने द। कोई कारण नह है िक आप दोन ही उसी माग पर चल।
मुझे अपनी प नी ऐन क एक आदत अजीब लगती है िक बुधवार को
जब सफ़ाई करने वाली आती है, तो उससे पहले वह ख़ुद घर क सफ़ाई
करती है। मुझे बताया गया है िक बहुत सी मिहलाओं क यही आदत होती
है। इसे अजीब कहने क वजह यह है िक एक ही काय को दो लोग कर रहे
ह। यह तो ऐसा हो गया िक म मैनहटन क सँकरी सड़क के पार ले जाने के
लए एक डाइवर को नौकरी दँ ू और िफर उसे पैसजर सीट पर बैठाकर ख़ुद
कार चलाऊँ। आप ख़ुद अपने मकान क सफ़ाई य करते ह, िफर जसे
आपने अभी-अभी साफ़ िकया है, उस चीज़ क सफ़ाई करने के लए िकसी
को नौकरी पर य रखते ह? मेरा आ ह है िक आप िकसी आदेश पर काय
करने के लए अपने सव -मेकेिन म क “सेवाएँ ” तो ल, लेिकन इसके काय
करने से पहले, दौरान और बाद म इसका काय करने क को शश म भागदौड़कर इसक राह म न आते रह।
अ याय सात
आप ख़ुशी क आदत डाल सकते ह
ससार म अ धकतर लोग शांत ह और इसम इतनी अ यमन कता से रहते
ह, मानो यह उनका ख़ुद का न हो।
-ई. एल. डॉ टरो
पूछा जाता है िक जीवन म उनका या ल य है, तो एक
ज बसामालोगय सेजवाब
सुनने को िमलता है, “म बस खुश रहना चाहता हूँ।”
अ धकतर यह बस एक बहाना होता है। दरअसल, उ ह ने ल य पर कभी
गंभीरता से सोचा ही नह है! वे िव श और मापने यो य ल य के बजाय
अ प और अप रभािषत ल य बताकर व तु थ त से पलायन करना
चाहते ह। लेिकन ख़ुशी क एक यावहा रक नी त होती है।
इस अ याय म म ख़ुशी के िवषय पर दाशिनक नह , ब क
चिक सक य ि कोण से चचा क ं गा। डॉ. जॉन ए. शडलर ने ख़ुशी क
प रभाषा इस तरह दी है, “एक मान सक अव था, जसम हमारी सोच
अ धकतर समय सुखद होती है।” मुझे लगता है िक चिक सक य ि कोण
से, और नै तक ि कोण से भी, इस सरल प रभाषा को बेहतर नह बनाया
जा सकता। हम इस अ याय म इसी के बारे म बात करने जा रहे ह।
ख़ुशी अ छी दवा है
ख़ुशी इंसान के मन और इसक शारी रक मशीन के लए सहज है। जब हम
खुश होते ह, तो हम बेहतर सोचते ह, बेहतर दशन करते ह, बेहतर महसूस
करते ह और अ धक व थ होते ह। यहाँ तक िक हमारे शरीर क इंि याँ
भी बेहतर काय करती ह। सुखद और दख
ु द िवचार सोचने वाले लोग पर
सी मनोवै ािनक के. केकचेयेव ने एक परी ण िकया। उ ह ने पाया िक
सुखद िवचार सोचते समय वे यादा अ छी तरह देख सकते थे, वाद ले
सकते थे, सूंघ सकते थे, सुन सकते थे और पश के सू म अंतर को भाँप
सकते थे। डॉ. िव लयम बे स ने सािबत िकया िक जब कोई यि सुखद
िवचार सोचता है या सुखद य का मान सक च देखता है, तो उसक
ि तुरत
ं बेहतर हो जाती है। मनोदैिहक चिक सा ने सािबत कर िदया है
िक जब हम खुश होते ह, तो हमारा पेट, लवर, दय और हमारे सभी
आत रक अंग बेहतर काय करते ह।
पारंप रक चिक सक पहले तो बेहतर मान सक अव था और रोग का
इलाज करने के बीच सीधे संबध
ं को वीकार नह करते थे। लेिकन जब
सैटरडे ईव नग पो ट के काशक नॉमन किज़ स ने कसर से मशहूर यु
िकया, तो डॉ टर का दय-प रवतन हो गया। किज़ स ने अपने वउपचार के लए “हा य चिक सा स ” का इ तेमाल िकया था। वे अपने
अ पताल के कमरे म द ी टू जेस और ब टर क टन के वी डयो टेप भी
देखते रहते थे। किज़ स के उ ेखनीय और ानवधक अनुभव उनक
पु तक एनाटॉमी ऑफ़ एन इलनस म िव तार से बताए गए ह। डॉ. बन
सीगल ने स ता चिक सा के े म उ ेखनीय काय िकया है और यिद
संभव हो, तो म उनक पु तक को पढ़ने या उनके भाषण सुनने का सुझाव
देता हूँ।
डॉ. शडलर ने कहा है िक दख
ु ही सभी मनोदैिहक रोग का एकमा
कारण है और ख़ुशी ही एकमा उपचार है। “ डसीज़” श द का अथ ही दख
ु
क अव था है — “ डस-ईज़” (आराम से न रहना)।
ख़ुशी के बारे म आम ग़लत धारणाएँ
ख़ुशी कोई ऐसी चीज़ नह है, जसे अ जत िकया जाता है या जसका पा
बना जाता है। ख़ुशी कोई नै तक मु ा नह है, जस तरह िक र का संचार
कोई नै तक मु ा नह है। दोन ही वा य के लए आव यक ह। ख़ुशी तो
बस “एक मान सक अव था है, जसम हमारी सोच अ धकतर समय सुखद
होती है।” यिद आप तब तक इंतज़ार कर, जब तक िक आप सुखद िवचार
सोचने के “पा ” ह , तो इस बात क संभावना है िक आप अपनी ख़ुशी के
पा न होने के बारे म दख
ु द िवचार सोचने लगगे। पनोज़ा ने कहा था,
“ख़ुशी स ण
ु का पुर कार नह है, न स ण
ु ही है। न ही हम ख़ुशी म इस लए
आनंद लेते ह, य िक हम अपनी वासनाओं को रोकते ह; ब क इसके
िवपरीत, चूँिक हम इसम आनंद लेते ह, इस लए हम वासनाओं को रोकने म
समथ होते ह।”
ख़ुशी क तलाश वाथपूण नह है
कई भले लोग ख़ुशी क तलाश करने से ख़ुद को इस लए रोक लेते ह,
य िक उ ह यह “ वाथपूण” या “गलत” लगता है। िन: वाथता ख़ुशी के
लए माग बनाती है, य िक यह न सफ़ हमारे मन को हमसे तथा हमारे
आ म-अवलोकन, हमारे दोष , पाप , मु कल (अि य िवचार ) या अपनी
“अ छाई” पर घमंड से दरू ले जाती है, ब क यह हम सृजना मक तरीक़े
से ख़ुद को य करने और दस
ू र क मदद करने म संतुि का अवसर भी
देती है। िकसी इंसान के लए एक बहुत सुखद िवचार यह होता है िक
उसक ज़ रत है, िक वह इतना मह वपूण और स म है िक िकसी दस
ू रे
इंसान क ख़ुशी म मदद कर सकता है या उसे बढ़ा सकता है। बहरहाल,
अगर हम ख़ुशी को नै तक मु ा बना ल और इसे िन: वाथ होने के पुर कार
के प म सोच, जसे अ जत करना पड़ता है, तो हम ख़ुशी चाहने के बारे म
अपराधी महसूस करने लगगे। ख़ुशी “लाभ” या पुर कार के प म नह
आती है; यह तो िन: वाथ होने और काय करने से इस लए िमलती है,
य िक यह होने और करने क वाभािवक सहचरी है। यिद हम िन: वाथ
होने के लए ख़ुशी का पुर कार िमलता हो, तो अगला ता कक क़दम यह
मानना है िक हम जतने अ धक आ म—वं चत और दख
ु ी रहगे, हम उतने
ही यादा खुश रहगे। यह आधारवा य इस मूखतापूण िन कष क ओर ले
जाता है िक खुश रहने का एकमा तरीक़ा दख
ु ी रहना है।
एक पंि है : गरीब क मदद करने का जो सबसे अ छा तरीका म
जानता हूँ, वह है उनम से एक न होना । चाहे यह सबसे अ छा तरीक़ा हो
या न हो, यह देखना मु कल है िक आप अपनी सफलता या जीवनशैली म
कटौती करके गरीबी म रहने वाले लोग क मदद कैसे कर सकते ह, जब
तक िक आप इस गलतफ़हमी म न ह िक संसार म असीिमत चुरता के
बजाय भरपाई के संतुलन काय करते ह । इसी तरह आप दख
ु ी लोग म
शािमल होकर दख
ु ी लोग क मदद नह कर सकते।
एक मिहला ने मुझसे एक बार कहा था, “मेरे सहकम अपने काय म
इतने दख
प से नाखुश ह, िक मुझे
ु ी और कंु िठत ह, नौकरी म इतने प
अपना काय करने और वहाँ रहने का आनंद लेने पर बुरा महसूस होता है। म
चीज़ को ख़ुशी-ख़ुशी करने क अपनी वृ से जूझती हूँ, तािक वे चढ़ न
जाएँ या अ धक बुरा न महसूस करने लग।”
ख़ुशी भरपाई के िहसाब से नह दी जाती। ऐसा नह है िक ख़ुशी
सीिमत है और वह खुश रहकर उपल ध सीिमत ख़ुशी क अनु चत और
वाथपूण मा ा का उपभोग कर रही है। ऐसा नह है िक उसक वजह से
उसके सहकम अपने िह से से वं चत हो रहे ह । अपनी ख़ुशी को चेतन
प से दबाकर और कम करके वह ख़ुशी क नई आपू त उपल ध नह
कराती है, जो अपने आप उसके सहक मय के पास पहुँच जाए। ख़ुशी (या
समृ ) िकसी रेिग तानी टापू पर बची आ खरी कडी बार जैसी ख म होने
वाली नह है, जसम बस तीन लोग रहते ह । या िकसी बंद कमरे म
ऑ सीजन के आ खरी घंटे क तरह, जसम कई लोग बंद ह ।
ख़ुशी भिव य म नह , वतमान म होती है
दाशिनक पा कल ने कहा था, “हम कभी नह जी पाते ह, ब क जीने क
सफ़ आशा करते रहते ह। हम हमेशा खुश होने क राह देखते रहते ह,
इस लए यह अव यंभावी है िक हम कभी खुश नह होते ह।”
मने पाया है िक मेरे रोिगय म दख
ु का एक बहुत आम कारण यह है िक
वे अपना जीवन िवलंिबत भुगतान योजना पर जीने क को शश कर रहे ह।
वे इस पल म नह जीते ह, जीवन का आनंद नह लेते ह, ब क िकसी भावी
घटना या प र थ त का इंतज़ार कर रहे होते ह। वे तब खुश ह गे, जब
उनक शादी हो जाएगी, जब उ ह बेहतर नौकरी िमल जाएगी, जब उनके
घर का लोन पट जाएगा, जब उनके ब क कॉलेज क पढ़ाई पूरी हो
जाएगी, जब वे कोई काय पूरा कर लगे या कोई िवजय हा सल कर लगे।
नतीजा यह होता है िक वे हमेशा िनराश होते ह। ख़ुशी एक मान सक आदत
है, एक मान सक नज़ रया है और अगर इसे वतमान म नह सीखा जाता,
वतमान म इसका अ यास नह िकया जाता, तो इसका कभी अनुभव नह
होता है। ख़ुशी िकसी बाहरी सम या को सुलझाने पर िनभर नह रहती है,
य िक जैसे ही एक सम या सुलझती है, तो उसक जगह पर दस
ू री आ
जाती है। जीवन सम याओं क ख
ृं ला है। अगर आपको खुश होना है, तो
आपको खुश रहना चािहए — बात ख़ म! — िकसी कारण क वजह से
नह ।
ख़ुशी एक मान सक आदत है,
जसे िवक सत िकया जा सकता है
अ ाहम लकन ने कहा था, “अ धकतर लोग लगभग उतने ही खुश होते ह,
जतना खुश रहने का वे मन बनाते ह।”
मनोवै ािनक डॉ. मै यू एन. चैपल ने कहा था, “ख़ुशी पूरी तरह
आं त रक होती है। यह व तुओ ं से नह , ब क िवचार और नज़ रय से
उ प होती है, ज ह कैसे भी प रवेश म इंसान क ख़ुद क ग तिव धय
ारा िवक सत और िन मत िकया जा सकता है।”
संत को छोड़ िदया जाए, तो कोई भी 100 तशत समय खुश नह
रह सकता। और जैसा जॉज बरनाड श ने मज़ाक़ िकया था, अगर हम
हमेशा खुश रह, तो हम शायद दख
ु ी हो जाएँ गे। लेिकन िवचार करके और
एक आसान िनणय लेकर हम खुश रह सकते ह। तब हम दैिनक जीवन क
असं य छोटी-छोटी घटनाओं और प र थ तय के बारे म अ धकतर
समय सुखद िवचार सोच सकते ह, जो इस व हम दख
ु ी बनाती ह। काफ़
हद तक आदत के कारण हम छोटी-छोटी चढ़, कंु ठाओं और ऐसी ही चीज़
पर चड़ चड़ेपन, असंतोष, ेष तथा गु से से ति या करते ह। हमने इस
तरह से ति या करने का बहुत लंबे समय तक अ यास िकया है ,
इस लए हम इसक आदत पड़ गई है। आदतन दख
ु क अ धकतर
ति या इस लए हुई, य िक हमने िकसी घटना क या या अपने
आ मस मान पर आघात के
प म क । कोई डाइवर हमारे पीछे से
अनाव यक हॉन बजाता है; कोई बीच म हमारी बात काट देता है और हमारे
श द पर यान नह देता; कोई हमारी खा तर वह नह करता, जो हम
सोचते ह िक उसे करना चािहए। यहाँ तक िक अ यि गत घटनाओं क भी
ऐसी ही या या क जा सकती है और हो सकता है िक हम उन पर वैसी ही
ति या कर, मानो वे हमारे आ मस मान को चोट पहुँचा रही ह । हम जो
बस पकड़ना चाहते थे, उसे ही देर से आना था। जब हमने गो फ़ खेलने क
योजना बनाई थी, तभी बा रश होनी थी। जब हम िवमान पकड़ना था, तभी
टैिफ़क को कछुए क ग त से रगना था। हम ोध से, ेष से, आ म-क णा
से या दस
ु से ति या करते ह।
ू रे श द म दख
दख
ु का एक मुख कारण चीज़ को यि गत
वे ज़रा भी यि गत नह होत ।
प से लेना है, जबिक
चीज़ को ख़ुद पर दबाव न डालने द
इस तरह क चीज़ का जो सबसे अ छा इलाज मने पाया है, वह है दख
ु के
ह थयार का इ तेमाल करना — आ मस मान। “ या आपने कभी टीवी शो
म दशक म बैठकर देखा है िक काय म का संयोजक िकस तरह दशक का
इ तेमाल चालाक से करता है?” मने एक रोगी से पूछा। ‘वह एक त ती
िदखाता है, जस पर लखा होता है, ‘ता लयाँ,’ और हर कोई ताली बजाने
लगता है। वह एक और त ती बाहर िनकालता है जस पर लखा होता है,
‘हँसी,’ और हर कोई हँसने लगता है। ये लोग भेड़ क तरह काय करते ह,
मानो वे गुलाम ह और कातरता से उसी तरह ति या करते ह, जस
तरह उनसे कहा जाता है। आप भी इसी तरह से काय कर रहे ह। आप
बाहरी घटनाओं और दस
ू रे लोग के आदेश को मान रहे ह िक आप कैसा
महसूस करगे और कैसी ति या करगे। आप िकसी आ ाकारी गुलाम क
तरह ि या और ति या कर रहे ह, जब प र थ त आपक ओर संकेत
करती है : “गु सा हो जाएँ ।” “िवच लत हो जाएँ ।” “अब दख
ु ी महसूस करने
का समय है।”
ख़ुशी क आदत सीखने पर आप गुलाम के बजाय मा लक बन जाते ह,
या जैसा रॉबट लुई टीवे सन ने कहा था, “खुश होने क आदत इंसान को
बाहरी प र थ तय के आ धप य से मु करती है या काफ़ कुछ मु होने
म समथ बनाती है।”
आपक राय दख
ु द घटनाओं म
वृ कर सकती है
चाहे प र थ तयाँ दख
ु द ह , चाहे प रवेश बेहद िवपरीत हो, हम काफ़ कुछ
खुश रह सकते ह, भले ही पूरी तरह खुश न ह । बस इसके लए आपको
इतना यान रखना है िक अपने दभ
ु ा य म आ म-क णा, ेष और अपने
िवपरीत नज़ रय को न जोड़।
“म खुश कैसे रह सकती हूँ?” एक शराबी प त क प नी ने मुझसे पूछा।
मने कहा, “म नह जानता, लेिकन अगर आप अपने दभ
ु ा य के साथ ेष
और आ म-क णा को न जोड़ने का संक प ल, तो आप यादा खुश रह
सकती ह।” ‘
“म खुश कैसे रह सकता हूँ?” एक यवसायी ने पूछा। “मुझे अभी-अभी
शेयर बाज़ार म 2 लाख डॉलर का नुकसान हुआ है। म तबाह हो गया,
अपमािनत हो गया।”
मने कहा, “आप त य म अगर अपनी राय न जोड़, तो अ धक खुश
रह सकते ह। यह एक त य है िक आपको 2 लाख डॉलर का नुक़सान
हुआ। यह आपक राय है िक आप तबाह हो गए और मुँह िदखाने के क़ािबल
नह रहे।”
िफर मने सुझाव िदया िक वह एिप टीटस क एक कहावत को याद
कर ले, जो हमेशा से मुझे ि य है। उस महान बु मान यि ने कहा था,
“मनु य होने वाली चीज़ से िवच लत नह होते, ब क होने वाली चीज़ के
बारे म अपनी राय से िवच लत होते ह।”
ख़ुशी बनाम दख
ु = त य बनाम नज़ रया
जब मने घोषणा क िक म डॉ टर बनना चाहता हूँ, तो मुझे बताया गया िक
यह िकसी तरह नह हो सकता, य िक मेरे अ भभावक के पास पैसे नह
थे। यह एक त य था िक मेरी माँ के पास पैसे नह थे। यह सफ राय थी िक
म कभी डॉ टर नह बन सकता। बाद म, लोग ने मुझसे कहा िक म जमनी
म नातको र पा
म कभी नह कर सकता। िफर यह बताया िक यह
असंभव था िक कोई यव
ु ा ला टक सजन िबना िकसी समथन के यू यॉक
म अपना कारोबार शु कर दे। मने ये सारे काय िकए और इनम बस एक
चीज़ ने मेरी मदद क । म ख़ुद को याद िदलाता रहा िक ये सारी
“असंभावनाएँ ” त य नह , राय थ । म न सफ़ अपने ल य तक पहुँचने म
कामयाब हुआ, ब क इस ि या म म खुश भी था, तब भी जब मुझे
मे डकल क पु तक खरीदने के लए अपना ओवरकोट िगरवी रखना पड़ा
और शव खरीदने के लए अपने लंच क क़ुबानी देनी पड़ी। मुझे एक सुंदर
लड़क से यार हो गया। उसने िकसी और से शादी कर ली। ये त य थे।
लेिकन म बार-बार ख़ुद को याद िदलाता रहा िक यह सफ़ मेरी राय थी िक
यह एक “तबाही” थी और जीवन जीने लायक़ नह था। म न सफ़ उससे
उबर गया, ब क बाद म पता चला िक यह मेरे साथ होने वाली सबसे
ख़ुशिक़ मत चीज़ म से एक थी।
मूल साइको साइबरनेिट स पु तक लखने के बाद कई साल गुज़र
चुके ह। इस दौरान मुझसे इंटर यू लेने वाले लोग या दशक ने अ सर पूछा
है िक या म साइको साइबरनेिट स को सं ेप म िकसी एक कथन या एक
यो यता म समेट सकता हूँ, जो सफल बनाम असफल जीवन म “करो या
मरो” वाली बात हो। जब मुझसे यह पहली बार पूछा गया, तो मने पाया िक
म इसे यि गत प से ले रहा हूँ और इससे थोड़ा चढ़ गया हूँ। उनक
इतनी िह मत िक वे मेरे इतने भारी काय को तु छ समझ रहे ह और यह
सुझाव दे रहे ह िक इसे एक वा य म सं ेप म बताया जा सकता है? ज़ािहर
है, म इस बात क ग़लत या या कर रहा था। लोग म जिटल बात के
सरलीकरण क वाभािवक इ छा होती है, इस लए यि गत प से इसम
मेरे या मेरे काय के
त कोई अस मान नह था। सौभा य से, म जो
सखाता हूँ उसका ख़ुद भी अ यास करता हूँ, इस लए मने ता कक िवचार
का इ तेमाल िकया और इसे अपनी आ म-छिव का खन
ू िनकालने वाली
सुई बनने से रोक िदया। इससे म “एक बड़ी चीज” वाले सवाल के जवाब
पर आ जाता हूँ :
साइको साइबरनेिट स का सार यह है िक त य के क पना से, त य के
राय से, वा तिवक प र थ त के बढ़ा-चढ़ाकर देखी गई बाधा से सटीक,
शां तपूण और अंतत : वच लत अलगाव है, तािक हमारी ि याएँ और
ति याएँ हमारी ख़ुद क या दस
ू र क राय पर आधा रत होने के बजाय
ठोस प से स य पर आधा रत ह ।
नज़ रया जो ख़ुशी लाता है
यह पहले बताया जा चुका है िक चूँिक इंसान ल य का पीछा करने वाले
ाणी होते ह, इस लए जब वे िकसी सकारा मक ल य क िदशा म होते ह
और िकसी मनचाहे ल य क ओर बढ़ रहे होते ह, तो वे वाभािवक और
सामा य प से काय करते ह। ख़ुशी सामा य, वाभािवक कायिव ध का
एक ल ण है और जब इंसान ल य का पीछा करने वाल के प म काय
कर रहे होते ह, तो उनम काफ़ खुश महसूस करने क वृ होती है, चाहे
प र थ तयाँ कैसी भी ह । मेरा यव
ु ा िबज़नेस ए ज़ी यूिटव िम काफ़
दख
ु ी था, य िक उसके 2 लाख डॉलर चले गए थे। थॉमस ए. ए डसन क
लाख डॉलर क िबना बीमे क एक योगशाला आग के कारण वाहा हो
गई थी। िकसी ने पूछा, “अब आप या करगे?” ए डसन का जवाब था,
“हम कल सुबह से दोबारा बनाना शु करगे।” उ ह ने अपने आ ामक
नज़ रए को बनाए रखा। दभ
ु ा य के बावजूद वे अब भी ल य-कि त थे। और
चूँिक उ ह ने आ ामक ल य—कि त नज़ रया बनाए रखा, इस लए यह
संभावना है िक वे अपने नुक़सान को लेकर कभी बहुत दख
ु ी नह रहे।
अपने जीवन को पलटकर देखने पर मुझे नज़र आता है िक मेरे कुछ
सबसे सुखी वष वे थे, जब म एक जुझा मे डकल िव ाथ था और
ै टस के अपने शु आती िदन म बहुत कड़क म जी रहा था। कई बार म
भूखा रह जाता था। मुझे जाड़ा सताता था और कपड़े भी कम थे। म हर
िदन कम से कम 12 घंटे कड़ी मेहनत करता था। कई महीन म तो म यह
तक नह जानता था िक िकराया चुकाने का पैसा कहाँ से आएगा। लेिकन
मेरे पास एक ल य था। और मेरे पास उस तक पहुँचने क बल इ छा और
एक संक पवान लगन थी, जसने मुझे उस ल य क िदशा म काय करने के
लए े रत िकया।
मने ये सारी बात यव
ु ा िबज़नेस ए ज़ी यूिटव को बताई ं। िफर मने
उससे कहा िक उसक दख
ु क भावना का असल कारण यह नह था िक
उसने 2 लाख डॉलर गँवा िदए ह। असल कारण तो यह था िक उसने अपना
ल य खो िदया था, उसने अपना आ ामक नज़ रया खो िदया था और वह
आ ामक प से ति या करने के बजाय िन य प से घुटने टेक रहा
था।
उसने मुझसे बाद म कहा, “म पागल था, जो आपक बात पर िव ास
कर लया िक पैसे गवाने क वजह से म दख
ु ी नह था, लेिकन मुझे बहुत
ख़ुशी है िक आपने यह िव ास िदलाया।” उसने अपने दभ
ु ा य के बारे म
दख
ु ी होना छोड़ िदया, अपना चेहरा घुमाया, ख़ुद के लए एक और ल य
तैयार िकया तथा उसक िदशा म काय शु कर िदया। पाँच साल के भीतर
उसके पास इतना पैसा आ गया, जतना जीवन म पहले कभी नह रहा था।
यही नह , पहली बार वह एक ऐसे कारोबार म था, जसम उसे मज़ा आता
था।
नु ख़ा
जो खम और सम याओं के त सकारा मक व आ ामक ति या
क आदत डाल। सारे समय ल य-कि त रहने क आदत डाल, चाहे
आपके आस-पास जो भी हो। वा तिवक रोज़मरा क थ तय म भी
और अपनी क पना म भी सकारा मक आ ामक नज़ रए का अ यास
करके यह कर। क पना म ख़ुद को िकसी सम या को सुलझाने या
िकसी ल य तक पहुँचने के लए सकारा मक, बु म ा भरा काय
करते देख। जो खम पर भागने या उनसे कतराने क ति या करते
हुए ख़ुद को देखने के बजाय यह देख िक आप उनका सामना कर रहे
ह, उनसे िनबट रहे ह और एक आ ामक तथा बु म ा भरे अंदाज़
म उनसे जूझ रहे ह। अँ ेज़ उप यासकार बु वर- लटन ने कहा था,
“अ धकतर लोग केवल उ ह खतर म बहादरु होते ह, जनके वे ख़ुद
को आदी बना लेते ह, या तो क पना म या िफर वा तव म।”
अपनी खश
ु ी क िज़ मेदारी ल
मेरे कई रोिगय को यह िवचार थोड़ा अिव सनीय, थोड़ा बकवास लगता है,
जब म उ ह पहलेपहल सुझाता हूँ िक ख़ुशी या अपने िवचार को अ धकतर
समय सुखद रखना एक सुिनयो जत तरीक़े से िवक सत िकया जा सकता
है। बस इसके लए कमोबेश होशोहवास वाले अंदाज़ म अ यास करना
आव यक होता है। अनुभव न सफ़ यह दशाता है िक ऐसा िकया जा सकता
है, ब क यह भी दशाता है िक यही एकमा तरीक़ा है, जससे ख़ुशी क
आदत डाली जा सकती है। पहली बात, ख़ुशी कोई ऐसी घटना नह है जो
आपके साथ होती है। यह तो ऐसी चीज़ है, जसे आप ख़ुद तय करते ह।
यिद आप ख़ुशी के अपने पास आने या दस
ू र ारा लाए जाने का इंतज़ार
करते ह, तो संभवतः आपको लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा। आपके सवा कोई
भी यह िनणय नह ले सकता िक आपके िवचार या ह गे। यिद आप तब
तक इंतज़ार करते ह, जब तक िक प र थ तयाँ आपके सुखद िवचार
सोचने को तकसंगत सािबत कर, तो संभवतः आप हमेशा-हमेशा के लए
इंतज़ार ही करते रहगे। हर िदन अ छाई और बुराई का िम ण होता है।
कोई भी िदन या प र थ त पूरे 100 तशत “अ छी” नह होती। संसार
के त य और हमारे यि गत जीवन के त य व त व सारे समय
िनराशावादी या चड़ चड़े नज़ रए को तकसंगत सािबत कर सकते ह या
िफर आशावादी और खुश नज़ रए को, जो हमारे चयन पर िनभर करता है।
यह काफ़ हद तक चयन, यान और िनणय का मामला है। यह बौ क
ईमानदारी या बेईमानी का मामला नह है। अ छाई भी उतनी ही
“वा तिवक” है, जतनी िक बुराई। मामला सफ़ यह है िक हम िकस पर
अपना मूल यान देने का चयन करते ह — और अपने मन म कौन से
िवचार रखते ह।
2001 म रलीज़ हुई डेिवड मैमट क मनोहारी िफ़ म टेट एं ड मेन म
खुश नज़ रए वाली एक यव
ु ा मिहला बड़े शहर के एक लेखक के साथ
बातचीत कर रही है, जो उस यव
ु ती के छोटे क़ बे वाले जीवन को देखकर
थोड़ा हत भ है। वह पूछता है, “आप लोग अपना आनंद ख़ुद बनाते ह?”
यव
ु ती धैयपूवक समझाती है, “आनंद तो ख़ुद ही बनाना पड़ता है। अगर
कोई दस
ू रा आपके लए यह करता है, तो इसे मनोरंजन कहा जाता है।”
इसी तरह, हम अपनी ख़ुद क ख़ुशी का िनमाण कर सकते ह, य िक हम
अपने ख़ुद के िवचार चुन सकते ह और अपनी आ म-छिव भी चुन सकते
ह। कोई दस
ू रा हमारी ख़ा तर यह करे, इस पर िनभर रहने के बजाय बेहतर
यही रहेगा िक यह काय हम ख़ुद ही कर ल।
े
ै
े
े
एक से समैन, जसे नाक के बजाय
अपने िवचार को सजरी क आव यकता थी
अपने साथी चिक सक के लए 1936 म मने एक पु तक का शत क
थी, जसका शीषक था यू फ़ेसेस — यू यच
ू स। इसम मने आथर
िव लय स नामक एक से समैन क केस िह टी शािमल क थी, जो यू
इं लड के अपने िब ी के इलाके म या ा कर रहा था और उसक कार
दघ
ु टना त हो गई। एक देहाती डॉ टर ने उसका इलाज िकया और
उसक बुरी तरह त-िव त नाक को जोड़ा। जब बडेज हटाई गई, तो पता
चला िक उसक नाक बहुत ही िवकृत हो चुक है। यह ऊपर उभरी हुई थी,
बीच म दबी हुई थी और एक तरफ़ झुक हुई थी। जब िव लय स ने दोबारा
से समैन का काय शु िकया, तो उ ह ज दी ही एहसास हो गया िक
ख़रीदार क िनगाह उनक िवकृ त पर कि त थी, जससे उन दोन को ही
उलझन हो रही थी। ाहक उनसे मी टग ज दी से ख़ म करने के लए
उतावले िदखते थे। उनक िब ी क सं या तेज़ी से कम होती गई। इसके
कुछ महीने बाद िव लय स ने तय िकया िक उ ह इस सम या को सही
करने क ज़ रत है और मने उनक नाक का ऑपरेशन कर िदया। मने
सफलतापूवक ला टक सजरी कर दी, जससे दघ
ु टना के पहले का
उनका हु लया वापस लौट आया। इसम कोई हैरानी नह होनी चािहए िक
उनका आ मिव ास लौट आया और जस तरह रात के बाद िदन आता है,
उसी तरह उनक िब ी भी तेज़ी से ऊपर चढ़ गई।
आथर िव लय स को वैध शारी रक िवकृ त थी, जसे उनक ख़ुद क
नकारा मक क पना ने बढ़ाया-चढ़ाया नह था। उ ह ने इस पर दस
ू र क
ति याओं का सटीकता से आकलन िकया और इसी के अनु प
कॉ मेिटक सजरी का िनणय लया।
बहरहाल, हर आथर िव लय स के मुक़ाबले सौ अ य ी-पु ष होते
ह, जो इसी तरह क उठाते ह, लेिकन दस
ू र क वा तिवक ति याओं
क वजह से नह , ब क ख़ुद क नकारा मक क पनाओं क वजह से।
रॉबट बजािमन ने ख़ुद को आथर िव लय स क सम या दे दी, िकसी कार
दघ
ु टना म नह , ब क अपनी आ म-छिव के भीतर।
यव
ु ा से समैन बजािमन ने जब अपनी नाक के ऑपरेशन के बारे म
मुझसे परामश लया, तब उसने अपना काय छोड़ने का मन बना लया था।
उसक नाक सामा य से थोड़ी यादा बड़ी थी, लेिकन िन त प से
“ घनौनी” नह थी, जैसा िक उसका दावा था। उसे महसूस होता था िक
संभािवत ाहक उसक नाक क िव च ता पर गोपनीय प से हँस रहे थे
या िबदक रहे थे। दे खए, यह एक त य था िक उसक नाक बड़ी थी। यह
एक त य था िक तीन ाहक ने उसके बदतमीज़ी भरे और श ुतापूण
यवहार क शकायत करने के लए कपनी म फ़ोन िकए थे। यह एक त य
था िक उसके बॉस ने उसे प रवी ा पर रख िदया था और यह भी एक त य
था िक दो स ाह म वह एक भी िब ी नह कर पाया था। उसक नाक का
ऑपरेशन करने के बजाय मने सुझाव िदया िक वह अपनी सोच का
ऑपरेशन ख़ुद करे। 21 िदन तक उसे सारे नकारा मक िवचार को छोड़ना
था। उसे अपनी थ त के सारे नकारा मक और अि य त य को पूरी
तरह नज़रअंदाज़ करना था तथा जान-बूझकर अपना यान सुखद िवचार
पर कि त करना था। हम िव श त वीर देखने और संक प के मामले म
सहमत हो गए।
सच कहूँ, तो म जानता हूँ िक वह जब यह योग करने के लए सहमत
हुआ, तो उसे बहुत कम प रवतन क उ मीद थी। वह तो अपना मनचाहा
ऑपरेशन करने के लए मुझे तस ी दे रहा था। यह रोचक है िक साइको
साइबरनेिट स क अवधारणाओं के परी ण और उ ह उपयोगी पाए जाने
के लए यह ज़ री नह है िक कोई इंसान इसके भाव पर िव ास करता
हो। इ स िदन के अंत म बजािमन न सफ़ बेहतर महसूस कर रहा था,
ब क उसने पाया िक संभािवत ाहक और मौजूदा ाहक कह अ धक
दो ताना बन गए थे, उसक िब ी लगातार बढ़ रही थी और उसके बॉस ने
एक से स मी टग म उसे सावजिनक प से बधाई दी थी। उसने अपने
ऑपरेशन को “मु तवी” करने का िनणय लया।
प त म ह त ेप
अपनी पु तक स सेस इज़ एन इनसाइड जॉब म ेरक व ा ली िम टयर
ने यह रोचक तकनीक बताई है :
जब आपके काय या दशन आपक उ मीद के मुतािबक़ न ह , तो नकारा मक आ मचचा से ख़ुद को नीचा न िदखाएँ … आपको अपनी उन त वीर को बदलना होगा, जो
आपके जीवन म मू य नह उ प करत और ज ह आप जारी नह रखना चाहते।
िमसाल के तौर पर, िकतनी बार आपने ख़ुद को यह कहते सुना है - म हमेशा देर से
पहुँचता हूँ । अब इस बारे म सोच िक आप अपने भीतर िकस चीज़ क ो ा मग कर रहे
ह - देर से पहुँचने क !
भिव य म इस अनचाही आदत को बलवान बनाने के बजाय ख़ुद से कह : िनर त करो।
यह मेरे अनु प नह है। अगली बार म…
िफर आप िकसी नए ो ाम क छाप छोड़ने के लए कथन से तुरत
ं
आगे क कायवाही कर सकते ह। इस करण म : देर से पहुँचना तो मेरी
आदत नह है। म हमेशा दस िमनट पहले िनकल आता हूँ और म हमेशा
समय पर हुँचता हूँ।
ली के अनुसार यह कोई तुरत-फुरत “समाधान” नह है। हम अनचाहे
या हािनकारक यवहार के आदतन संक प को खोजने और िनर त करने
क ज़ रत है। हम िवचार क असहयोगी प तय म ह त ेप करने क
ज़ रत है, जैसा करने के लए मने बजािमन को राज़ी और े रत िकया।
यिद आप अ सर और पया बार िकसी ो ा मग के ख़ास िह से को
िनर त करते ह, तो वच लत असफलता मेकेिन म इसे सतह पर भेजना
ही छोड़ देगा। आपक आ म-छिव को यह संदेश िमल जाएगा : इस
जानकारी को अब आग भेजने म कोई तुक नह है, वह हर बार हम च ाकर
“िनर त!” कर देता है। आओ कुछ और कर। आपने देखा, हम हमेशा
अपनी आ म-छिव के साथ चलते संवाद के अंत वाह म संल रहते ह।
प तय म ह त ेप तकनीक के इ तेमाल और बल, सकारा मक
संक प को हर बार दोहराने पर आप वयं अपने आ धका रक ोत बन
जाते ह, जो आ म-छिव क ो ा मग करते हो। (याद रख : आ धका रक
ोत, दोहराव और गहनता इस ो ा मग क कु जयाँ ह।)
यिद ख़ुशी अंततः हमारे िवचार क आदत का प रणाम है, तो िकसी
ख़ास आदत को बदलने क यो यता बहुत उपयोगी है। ली िम टयर
“आदत तोड़ने” पर वाता देने के लए सैकड़ रे डयो टॉक शो म अ त थ
िवशेष के प म आ चुक ह। इस िवषय पर उनके साइको साइबरनेिट स
आधा रत ऑ डयो कैसेट ो ाम है, जसका लाभ आप उठा सकते ह।
नकारा मक िवचार को
िनर त करने के लए अ यास
माशल आ स मूवी टार ूस ली नकारा मक िवचार से मु रहने के लए
एक अ यास करते थे : वे क पना करते थे िक वे उ ह एक काग़ज़ पर लख
रहे ह, काग़ज़ को गुड़ी—मुड़ी कर रहे ह, उसम आग लगा रहे ह और िफर
उसे राख बनते देख रहे ह।
अ भनेता और उ मी चक नॉ रस, जो ूस ली के क़रीबी िम थे, ली
के अ यास को और आगे तक ले जाते ह। अपनी पु तक द सी ट पॉवर
िविदन यू म नॉ रस ने लखा था, “मेरे मन म जो भी नकारा मक िवचार होते
ह, उ ह म सचमुच एक कागज़ पर लख लेता हूँ और िफर उ ह जला देता
हूँ। जब म राख फक देता हूँ, तो वे िवचार भी मेरे िदमाग से हट जाते ह।”
म कहूँगा िक ये लोग - ली िम टयर, जो एक सफल उ मी थ , चक
नॉ रस, जो माशल आ स के अ यासी और बहुत सफल अ भनेता, िनमाता
और यवसायी थे — “आसमान म उड़ने वाले” लोग नह थे, न ही
बचकाने या मूख थे। वे सव
ेणी के यावहा रक लोग थे, ज ह ने करने
के लए सरल, यावहा रक चीज़ खोज ल और एक उ े यपूण तरीक़े से
अपने िवचार को िनय त कर लया।
खश
ु रहने के लए हम याग करना होगा
याग? हाँ, आपको शंका, िनराशावाद, पुरानी आदत और िव ास का
याग करने क ज़ रत हो सकती है, जो हालाँिक आपका फ़ायदा नह
कराते ह, लेिकन िफर भी “आरामदेह” ह।
डेिनयल डफ़ो के अमर उप यास रॉिब सन ू सो म ू सो जहाज़
दघ
ु टना का शकार होकर एक वीरान टापू पर पहुँच जाता है। वह जस
जगह िकनारे लगता है, वह अपना कप बना लेता है। लेिकन जब वह पूरा
टापू घूमता है, तो उसे ज दी ही समझ आ जाता है िक सारे यावहा रक
उ े य से उसने टापू के ग़लत छोर पर कप लगा लया है। िवपरीत छोर पर
भोजन क बेहतर आपू त है, वहाँ आवास बनाना यादा आसान है आिद।
हालाँिक ू सो को यह स ाई िदख रही थी, लेिकन इसके बावजूद वह
िहलने का इ छुक नह था!
हम “िहलने क अपनी अिन छा” को अपनी आ म-छिव और सव मेकेिन म को कैद नह करने दे सकते! जब हमारा तािकक िवचार हम
बताता है िक कोई चीज़ हमारे लए काय नह कर रही है, तो हम िकसी
दस
ू री चीज़ को आज़माकर आगे बढ़ना चािहए। एक लोकि य सूि
‘पागलपन” क प रभाषा बताते हुए कहती है िक वही चीज़ बार-बार करने
पर ज़ोर देना और भ प रणाम क आशा करना। मेरे िम , आप कोई वृ
नह ह, जो िकसी एक मनोवै ािनक या यवहारवादी जगह पर गहराई से
जड़ जमा चुके ह और िकसी यादा सुखद जगह पर न जा सकते ह । हो
सकता है िक ू सो क ही तरह आप भी अपनी जड़ दस
ू री जगह जमाने के
इ छुक न ह , लेिकन आप ऐसा कर सकते ह!
एक वै ािनक ख़ुशी क अवधारणा क जाँच करता है
और
दख
ु से अपनी जड़ उखाड़ लेता है
डॉ. ए वुड वॉरसे टर ने अपनी पु तक बॉडी, माइंड एं ड
िव िव यात वै ािनक क घोषणा बताई है :
प रट म एक
अपने पचासव साल तक म एक दख
ु ी, अ भावशाली यि था। जन पु तक पर मेरी
त ा बनी है, उनम से कोई भी तब का शत नह हुई थी… म उदासी और असफलता
के सतत एहसास म जीता था। शायद मेरा सबसे ददनाक ल ण भयंकर सरदद था, जो
आम तौर पर स ाह म दो िदन होता था, जस दौरान म कुछ नह कर सकता था।
मने यू थॉट का थोड़ा सािह य पढ़ा, जो उस व झूठा और अ वीकारणीय नज़र आ
रहा था। मने िव लयम जे स का कथन भी पढ़ा, जसम बताया गया था िक अपना यान
अ छी चीज़ क ओर मोड़ और बाक़ सबको नज़रअंदाज़ कर द। उनक एक कहावत
मेरे िदमाग म अटक गई, “हो सकता है िक हम अपनी बुराई के दशन का याग करना
पड़े, लेिकन अ छाई का जीवन हा सल करने क तुलना म यह या है?” या ऐसे ही
श द, जनका यही मतलब िनकलता हो। अब तक ये स ांत मुझे सफ रह यमयी
अवधारणाएँ लगे थे, लेिकन यह एहसास करते हुए िक मेरी आ मा बीमार है और हालात
बदतर होते जा रहे ह ओर मेरा जीवन असहनीय है, मने उ ह आज़माने का संक प
लया…मने िनणय लया िक म चेतन यास क इस अव ध को एक महीने तक सीिमत
क ं गा, य िक मेरे िवचार से यह इसके मू य और मेरे लए इसक साथकता को
आज़माने के लए पया लंबा समय था। इस महीने के दौरान मने अपने िवचार पर कुछ
सीमाएँ लगाने का संक प लया। अगर म अतीत के बारे म सोचूंगा, तो को शश क ं गा
िक मन को केवल इसक खुश, सुखद घटनाओं, अपने बचपन के उजले िदन , अपने
श क क ेरणा और मेरे जीवन भर के काय क सुखद झलिकय पर ही कि त क ं ।
वतमान के बारे म सोचते समय म जान-बूझकर अपना यान इसके वतमान त व क
ओर मोड़ू ँगा, जैसे मेरा घर, मेरा एकांत जो मुझे काय करने का अवसर देता है आिद। मने
संक प लया िक म इन अवसर का अ धकतम इ तेमाल क ँ गा और इस त य को
नज़रअंदाज़ कर दँगू ा िक वे िकसी चीज़ क ओर ले जाते नज़र नह आ रहे थे। भिव य के
बारे म सोचते समय मने हर साथक और संभव मह वाकां ा को अपने लए संभव मानने
का संक प लया। हालाँिक तब से अब तक जो हुआ है, उसके बाद यह मूखतापूण लग
रहा था, लेिकन म देखता हूँ िक मेरी योजना का एकमा दोष यह था िक मने बहुत नीचा
ल य बनाया था और उसम पया चीज़ को शािमल नह िकया था।
िफर वे बताते ह िक िकस कार उनका सरदद एक स ाह के भीतर
ख़ म हो गया और वे जीवन म पहले से यादा खुश तथा बेहतर महसूस
करने लगे। लेिकन वे आगे कहते ह :
मेरे िवचार बदलने के फल व प मेरे जीवन के बाहरी प रवतन ने मुझे आं त रक
प रवतन से यादा हैरान िकया है। बहरहाल, वे आं त रक प रवतन का ही प रणाम ह।
िमसाल के तौर पर, कुछ शीष थ लोग थे, जनक मा यता म गहराई से चाहता था।
उनम से अ णी यि ने मुझे अचानक प लखा और अपना अ स टट बनने के लए
मुझे आमंि त िकया। मेरी सारी पु तक का शत हो चुक ह और भिव य म मेरे ारा
लखी जाने वाली पु तक को का शत करने के लए एक फ़ाउं डेशन बन चुका है। जन
लोग के साथ मने काय िकया है, वे मु यत: मेरे बदले हुए वभाव क वजह से मेरे त
मददगार और सहयोगी रहे ह। पहले उ ह ने मुझे सहन नह िकया होता… जब म इन
सारे प रवतन को पलटकर देखता हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है िक िकसी अंधे क तरह म
जीवन क राह पर लड़खड़ाते हुए पहुँच गया और उन शि य को अपने प म कर
लया, जो पहले मेरे खलाफ़ काय कर रही थ ।
मुझे यक़ न है िक डॉ. वॉरसे टर क पु तक अब काफ़ समय से
आउट ऑफ़ ट हो चुक होगी। उनक कहानी अब भी मह वपूण है,
य िक उ ह ने जन िवचार के साथ योग िकए, उनके बारे म उ ह भारी
संदेह था, लेिकन इसके बावजूद अंततः वे वतं हो गए। हालाँिक अ यास
म मने कई बार िकसी को साइको साइबरनेिट स का नु ख़ा िदया है। म
कहता हूँ िक वे सफ़ तीस िदन के लए एक मनोवै ािनक योग करके
देख। साथ ही म वादा करता हूँ िक अगर वे योग करने के बाद भी
कॉ मेिटक सजरी कराना चाहते ह गे, तो म कर दँगू ा। इन मामल म, इन
लोग ने अ सर मेरे िनदश का अनमने ढंग से और संदेह से अनुसरण
िकया। शु आत म तो उनका इरादा मुझे संतु करने का था, तािक उ ह
वह िमल सके, जो वे चाहते थे; िकसी तरह क शारी रक िवकृ त को हटाना
या बदलवाना, जो उनक क पना म दै याकार बन गई थी।
राह म संदेह होने के बावजूद इन तकनीक के उ ेखनीय प रणाम
िमले। कई बार तो उ ह ने अपने तथा अपनी सोच के बारे म जो खोज क ,
वे वॉरसे टर या पहले बताए बजािमन के िक से जतनी ही प थ और
तीस िदन के बाद उनके मन म सजरी कराने क कोई इ छा ही नह बची
थी।
िकस कार एक आिव कारक ने
“सुखद िवचार ” का इ तेमाल िकया
मथसोिनयन इं ट श
ू न के ोफ़ेसर ए मर गे स अमे रका के सबसे
सफल आिव कारक म से एक और माने हुए जीिनयस थे। उ ह ने ‘सुखद
िवचार और याद के आ ान” का दैिनक अ यास िकया। उनका मानना था
िक इसने उनके काय म उनक मदद क । उनका कहना था, अगर कोई
यि ख़ुद को बेहतर बनाना चाहता है, तो “उसे दयालुता और उपयोिगता
क उन अ छी भावनाओं का आ ान करने द, जनका सफ़ कभी-कभार
ही आ ान िकया जाता है। उसे इसका डंबल उठाने जैसा िनयिमत अ यास
करने द। उसे इस मनोवै ािनक जमना ट स म लगाए समय को मश:
बढ़ाने द और महीने के अंत म वह ख़ुद म आ यजनक प रवतन पाएगा। यह
प रवतन उसके काय और िवचार म प िदखेगा। नै तक प से कहा
जाए, तो वह यि अपने पूव व प से बहुत बेहतर बन जाएगा।”
गे स ने “मनोवै ािनक जमना ट स” श दावली का इ तेमाल
िकया। यह मूल पु तक, इस पु तक, मेरी अ य पु तक और मेरे बारह
स ाह के होम टडी कोस म पेश िकए गए िव भ अ यास व तकनीक को
“मान सक श ण अ यास” के
प म पहचानने क ओर ले गया।
हालाँिक आ म-छिव क तुलना मांसपेशी से करना िबलकुल सटीक नह है,
लेिकन कुछ तकनीक - जैसे मान सक थएटर म सकारा मक मान सक
िफ़ म बनाना और चलाना, िव ाम आिद - का इरादतन िनयिमत अ यास
आपक आ म-छिव को शि शाली बनाता है और अंततः इन थ तय पर
सचमुच वच लत साइको साइबरनेिट स ति याओं क ओर ले जाता
है।
वतमान यगु म पया शारी रक यायाम का अथ है तीस िमनट के स ,
स ाह म कम से कम तीन िदन। म आपको िव ास िदलाता हूँ : समय का
इतना ही यूनतम िनवेश साइको साइबरनेिट स “ जमना ट स” को दगे,
तो आप िन त प से अपना जीवन बदल दगे।
खश
ु ी क आदत को “ थािपत” कैसे कर
हमारी आ म-छिव और हमारी आदत एक साथ चलती ह। एक को बदल
और दस
ू री अपने आप बदल जाती है। “आदत” श द का मूल अथ व
था। हम अब भी घुड़सवारी क आदत और पोशाक के बारे म बोलते ह।
इससे हम आदत क स ी कृ त का ान िमलता है। हमारी आदत
व तुतः वे व ह, जो हमारे यि व ारा पहने जाते ह। वे संयोग या
अक मात होने वाली चीज़े नह ह। वे हमम इस लए ह, य िक वे हम िफ़ट
आती ह । वे हमारी आ म-छिव और पूरे यि व के साँचे के तालमेल म ह।
जब हम चेतन प से और जान-बूझकर नई तथा बेहतर आदत िवक सत
करते ह, तो हमारी आ म-छिव पुरानी आदत से आगे तक जाकर िवक सत
होती है और नए साँचे म िवक सत हो जाती है।
मने कई रोिगय को दबु कते देखा है, जब म काय करने क आदत को
बदलने या यवहार के नए साँच पर काय करने का िज़ करता हूँ, जब तक
िक वे वच लत न हो जाएँ । वे “आदत” को “लत” मान बैठते ह। लत कोई
ऐसी चीज़ है, जसे महसूस करने के लए आप मजबूर महसूस करते ह,
कोई ऐसी चीज़ जसके हटने के गंभीर ल ण होते ह। लत का उपचार इस
पु तक के दायरे से परे है। अगर आप शारी रक, रासायिनक या िफर
भावना मक लत से पीिड़त ह, तो आपक आ म-छिव के संबध
ं म म आपसे
जो सबसे मह वपूण बात कह सकता हूँ वह यह है िक मदद माँगने का िनणय
और काय कमज़ोरी नह , ब क एक खास, साहसी िक म क शि का
ल ण है।
दस
ू री ओर, आदत सफ़ ति याएँ होती ह, ज ह हम सोचे या
िनणय लए बगैर वच लत प से करना सीख लेते ह। वे हमारे सव मेकेिन म ारा क जाती ह।
हमारे यवहार, भावनाओं और ति याओं का पूरा 95 तशत
िह सा आदतन होता है। िपयानोवादक यह “िनणय” नह लेता िक कौन सी
कंु जयाँ दबाना है। डा सर यह “िनणय” नह लेती है िक िकस पैर को कहाँ
ले जाना है। ति या वच लत और िबना सोचे-समझे होती है। काफ़
कुछ इसी तरह हमारे नज़ रय , भावनाओं और िव ास म आदतन बनने क
वृ होती है। अतीत म हमने “सीखा था” िक कुछ िन त नज़ रए,
महसूस करने तथा सोचने के तरीक़े िन त थ तय म “उ चत” थे। अब
जब भी हमारा सामना िकसी ऐसी थ त से होता है, जो हम वैसी ही लगती
है, तो हमम उसी तरह सोचने, महसूस करने और काय करने क वृ
होती है।
लंबे समय से साथ रह रहे जीवनसा थय या कारोबारी साझेदार के
बीच बहस करने के साँचे बन जाते ह। आप मुझसे यह कहते ह, म आपसे
यह कहता हूँ और इसी तरह बहस चलती रहती है। लगभग वही पटकथा
दोबारा मं चत होती है। समान प र थ त पर उसी तरीक़े से ति या क
जाती है।
हम यह समझने क ज़ रत है िक लत के िवपरीत इन आदत को
संशो धत िकया जा सकता है या बदला जा सकता है, बशत हम एक चेतन
िनणय लेने क ज़हमत उठाएँ और िफर नई ति या या यवहार का
अ यास कर या उस पर कम कर। िपयानोवादक चेतन प से एक अलग
कंु जी दबाने का िनणय ले सकता है, बशत वह इसका चुनाव करे। डा सर
चेतन प से एक नया टेप सीखने का “िनणय” ले सकती है - और इसके
बारे म कोई दख
ु द बात नह होती। जीवनसाथी इस साँचे को तोड़ने का
िनणय ले सकता है और क पना म एक चर-प र चत बहस के भ
प रणाम को बना सकता है। इसम सतत सतकता और अ यास क ज़ रत
होती है, जब तक िक यवहार का नया साँचा पूरी तरह नह सीख लया
जाता, लेिकन िन त प से इसे हा सल िकया जा सकता है।
मान सक
श ण अ यास
आदतन, आप पहले अपना दायाँ या बायाँ जूता पहनते ह। आदतन,
आप अपने जूते के दाएँ हाथ के फ ते को बाएँ हाथ के फ ते क तरफ़
ले जाते ह या इसका िवपरीत करते ह। कल सुबह तय कर िक आप
कौन सा जूता पहले पहनते ह और अपने जूते कैसे बाँधते ह। अब
चेतन होकर िनणय ल िक अगले तीस िदन तक आप दस
ू रे जूते को
पहले पहनकर और अपने फ ते अलग तरह से बाँधकर एक नई आदत
डालने जा रहे ह। अब, हर सुबह जब आप अपने जूत को एक िन त
तरीक़े से पहनने का िनणय लेते ह, तो इस सरल काय को याद कर
िक आपको उस एक पूरे िदन म सोचने, काय करने और महसूस करने
के दस
ू रे आदतन तरीक़ को बदलना है। अपने जूते बाँधते समय ख़ुद
से कह, “म एक नए और बेहतर तरीक़े से िदन शु कर रहा हूँ।” िफर
चेतन प से पूरे िदन के लए ये िनणय ल :
1. म अ धक से अ धक ख़ुशनुमा रहूँगा।
2. म दस
ू रे लोग के
त थोड़ा अ धक दो ताना रहूँगा।
3. म थोड़ी कम आलोचना क ँ गा और दस
ू रे लोग , उनक ग़ल तय ,
उनक असफलताओं तथा उनके दोष के
त थोड़ा अ धक
सिह णु रहूँगा। म उनके काय क सव े संभव या या क ँ गा।
4. जहाँ तक संभव है, म इस तरह काय करने वाला हूँ जैसे सफलता
अव यंभावी हो और म पहले से ही उस तरह का यि बन गया हूँ,
जैसा म बनना चाहता हूँ। म इस नए यि व जैसा काय करने और
महसूस करने का अ यास क ं गा।
5. म अपनी ख़ुद क राय को त य म िनराशावादी या नकारा मक रंग
नह भरने दँगू ा।
6. म िदन म कम से कम तीन बार मु कुराने का अ यास क ँ गा।
7. चाहे जो भी प र थ त या घटना हो, म यथासंभव अ धक शां त
और बु मानी से ति या क ँ गा।
8. म उन िनराशावादी और नकारा मक “त य ” के त अपने िदमाग़
को पूरी तरह बंद कर लूँगा और उ ह नज़रअंदाज कर दँगू ा, ज ह
बदलने के लए म कुछ नह कर सकता।
सरल? हाँ। लेिकन काय करने, महसूस करने और सोचने के इन
आदतन तरीक़ म से येक का आपक आ म-छिव पर लाभकारी
और सृजना मक भाव पड़ता है। इन पर तीस िदन काय करके देख।
इनका अनुभव कर और िफर देख िक या चता, अपराधबोध, श ुता
कम हो गई ह और आ मिव ास बढ़ गया है!
अ याय आठ
“सफल” यि व के गुण और
उ ह कैसे हा सल िकया जाए
आप आज वहाँ ह, जहाँ आपके िवचार आपको लाए ह। आप कल भी वह
ह गे, जहाँ आपके िवचार आपको ले जाएँ गे।
-जे स ऐलन
: सफलता अव यंभावी है! जस तरह कोई डॉ टर कुछ
न ि◌ दान
ल ण के आधार पर बीमारी का पता लगाना सीख सकता है,
उसी तरह असफलता और सफलता का िनदान भी िकया जा सकता है।
कारण यह है िक लोग अनायास ही सफलता नह पा लेते ह या असफलता
तक नह पहुँच जाते ह। वे अपने यि व और च र म इनके बीज लेकर
चलते ह। वे िवचार और कम क अपनी आदत से उ ह बोते ह।
स म या “सफल” यि व हा सल करने म लोग क मदद का मने
एक बहुत भावी तरीक़ा यह खोजा है िक सबसे पहले उ ह इसक एक
प त वीर द िक सफल यि व िदखता कैसा है। याद रख, आपके
भीतर का सृजना मक मागदशन मेकेिन म एक ल य-आकां ी मेकेिन म है
और इसका इ तेमाल करने क पहली शत है एक प ल य का होना।
बहुत सारे लोग ख़ुद को बेहतर बनाना चाहते ह और बेहतर यि व क
हसरत रखते ह, लेिकन उनके पास उस िदशा का प िवचार नह होता,
जसम बेहतरी िनिहत है, न ही इसका िक अ छा यि व िकन चीज़ से
बनता है। अ छा यि व वह है, जो आपको प रवेश और वा तिवकता के
साथ भावी तथा उ चत ढंग से यवहार करने म समथ बनाता है। अ छा
यि व वह है, जो उन ल य तक पहुँचने क संतुि हा सल करने म
समथ बनाता है, जो आपके लए मह वपूण ह।
बार-बार मने दिु वधापूण और दख
ु ी लोग को ठीक होते देखा है, जब
उ ह एक ल य िदया गया जस पर वे िनशाना लगा सक, जब उ ह
अनुसरण करने के लए एक सीधा माग िदया गया। िमसाल के तौर पर,
िव ापन के े म काय करने वाले यि को ही ल, जो चालीस पार कर
चुका था। जब उसे एक मह वपूण मोशन िमला, तो उसके ठीक बाद वह
अजीब तरीक़े से असुर त और असंतु महसूस करने लगा।
नई भूिमकाओं के लए
नई आ म–छिवय क आव यकता होती है
उसने कहा, “इसम समझदारी नह िदखती है। मने इसके लए मेहनत क है
और इसके सपने देखे ह। यह वही है, जो म हमेशा से चाहता था। म जानता
हूँ िक म यह काय कर सकता हूँ। लेिकन िफर भी, िकसी कारण मेरा
आ मिव ास डगमगा गया है। म अचानक जैसे िकसी सपने से जाग जाता हूँ
और ख़ुद से पूछता हूँ, “संसार म आ ख़र मेरे जैसा छोटा आदमी यह काय
कैसे कर रहा है?” वह अपने हु लए के बारे म अ त संवेदनशील बन गया।
उसने सोचा िक शायद उसक “कमज़ोर ठु ी” परेशानी का कारण हो
सकती है। उसने कहा, “म िकसी िबज़नेस ए ज़ी यूिटव जैसा नह िदखता
हूँ।” उसे महसूस हो रहा था िक ला टक सजरी उसक सम या का
समाधान हो सकती है।
एक औरत प नी भी थी और माँ भी, जसके ब े “उसे पगलाए दे” रहे
थे और जसके प त से उसे इतनी चढ़ होती थी िक वह स ाह म कम से
कम एक बार ख़ाम वाह उस पर ज़ोर-ज़ोर से च ाने लगती थी। “मेरे साथ
या गड़बड़ है?” उसने पूछा। “मेरे ब े सचमुच अ छे ह और मुझे उन पर
गव होना चािहए। मेरा प त वाक़ई अ छा इंसान है और बुरा-भला कहने के
बाद मुझे हमेशा ख़ुद पर शम आती है।” उसे महसूस हुआ िक चेहरे क
ला टक सजरी कराने से उसे नया आ मिव ास िमल सकता है और
इसके बाद उसका प रवार “उसक अ धक क़ ” कर सकता है।
इन लोग के और इन जैसे बहुत से अ य लोग के साथ मु कल
शारी रक हु लए क नह , ब क उनक आ म-छिव क है। वे ख़ुद को एक
नई भूिमका म पाते ह और उ ह प ा पता नह होता िक उस भूिमका को
िनभाने के लए उ ह िकस तरह का इंसान बनना पड़ेगा। या उ ह ने िकसी
भी भूिमका म अपनी प आ म-छिव कभी िवक सत ही नह क है।
सफलता क त वीर
इस अ याय म म आपको वही “नु ख़ा” देने जा रहा हूँ, जो म आपको
अपने िनक म आने पर देता। मने पाया है िक सफल यि व क याद
रखने म आसान त वीर “स सेस” श द के अ र म ही िनिहत है।
“सफल” यि व इन चीज़ से बनता है :
S ense of
direction
िदशा का
एहसास
U nderstanding
समझ
C ourage
साहस
C harity
उदारता
(क णा)
E steem
स मान
S elf-confidence
आ मिव ास
S elf-acceptance
आ मवीकृ त
िदशा का एहसास
उस िव ापन ए ज़ी यूिटव ने कुछ ही समय म ख़ुद को सही कर लया
और अपना आ मिव ास दोबारा पा लया, जब उसने प ता से देख लया
िक कई वष से वह शि शाली यि गत ल य से े रत था, ज ह वह
हा सल करना चाहता था और जनम उसका वतमान पद शािमल था। ये
ल य उसके लए मह वपूण थे और इनक वजह से वह पटरी पर बना रहा।
बहरहाल, एक बार जब उसे मोशन िमल गया, तो उसने इस संदभ म
सोचना छोड़ िदया िक वह या चाहता था। इसके बजाय वह इस संदभ म
सोचने लगा िक दस
ू रे उससे या अपे ा रखते थे या यह िक या वह दस
ू रे
लोग के ल य और मापदंड पर खरा उतर रहा है। वह उस पवतारोही क
तरह था, जसे जब तक ऊपर का शखर िदखता रहा जस पर वह चढ़ना
चाहता था, तब तक वह साहस महसूस करता रहा और िह मत के साथ
काय करता रहा। लेिकन जब वह शखर पर पहुँच गया, तो नीचे देखने पर
उसे डर महसूस होने लगा। अब वह र ा मक मु ा म आ गया था, अपने
वतमान पद क र ा कर रहा था। अब वह उस ल य का पीछा करने वाले
क तरह काय नह कर रहा था, जो अपना ल य हा सल करने के लए
आ ामक मु ा म था। उसने दोबारा िनयं ण हा सल कर लया, जब उसने
ख़ुद के लए नए ल य तय िकए और इस संदभ म सोचने लगा, “म इस पद
से या चाहता हूँ? म या हा सल करना चाहता हूँ? म कहाँ जाना चाहता
हूँ?”
साइको साइबरनेिट स संबध
ं ी एक टेलीिवज़न काय म म हमने
मेज़बान को एक साइकल पर बैठाया और उसे िनदश िदया िक वह पैडल
पर अपने दोन पैर ऊपर रखकर एक ही जगह पर थर बना रहे। इसे ख़ुद
आज़माकर देख, यह िकया ही नह जा सकता। यावहा रक ि से इंसान
भी कुछ हद तक साइकल जैसा ही होता है। साइकल अपना संतुलन तभी
तक क़ायम रख सकती है, जब तक यह िकसी चीज़ क ओर आगे बढ़ रही
हो। इसी तरह, हम ल य का पीछा करने वाले मेकेिन म के प म बनाया
गया है। हम प रवेश को जीतने, सम याओं को सुलझाने, ल य को हा सल
करने के लए बनाया गया है। हम जीवन म कोई स ी संतुि या सुख तब
तक नह िमलता, जब तक िक जीतने के लए बाधाएँ न ह और हा सल
करने के लए ल य न ह । जो लोग कहते ह िक जीवन जीने लायक़ नह है,
वे दरअसल यह कह रहे ह िक उनके पास कोई साथक यि गत ल य नह
है।
नु ख़ा
इस पु तक म पहले हमने आपक क पना को सि य करने, एका
होने के लए कोई नया या अ धक प ल य बनाने और उसे अपने
वच लत सफलता मेकेिन म को स पने के कई तरीक़े बताए ह। यह
इस काय को करने का अ छा समय है। ख़ुद के लए एक ल य तय
कर, जसक िदशा म काय करना साथक हो। इससे भी बेहतर है िक
ख़ुद के लए कोई ोजे ट बनाएँ । िनणय ल िक आप िकसी थ त से
या चाहते ह। हमेशा आपके आगे कोई ऐसी चीज़ होनी चािहए,
जसक ओर आप उ सुकता से देख सक - जसके लए आप काय
कर सक, जसक आप उ मीद कर सक। पीछे क नह , आगे क ओर
देख। अतीत के बजाय “भिव य का मोह” िवक सत कर। भिव य का
मोह आपको यव
ु ा बनाए रखेगा। जब आप ल य का पीछा करना छोड़
देते ह और आपके पास आगे देखने के लए कुछ नह रहता है, तो
आपका शरीर भी अ छी तरह काय नह करता है। यही कारण है िक
अ सर इंसान रटायरमट के बाद ज दी ही मर जाता है। जब आप
ल य क िदशा म नह बढ़ रहे ह, आगे क ओर नह देख रहे ह, तो
आप दरअसल जी नह रहे ह। िवशु िनजी ल य के अ त र कम
से कम एक अ यि गत ल य या उ े य भी रख, जसके साथ आप
जुड़ाव महसूस कर सक। अपने साथी इंसान क मदद करने के लए
िकसी ोजे ट म िदलच पी ल; सफ़ कत य के एहसास से नह ,
ब क इस लए य िक आप वह काय करना चाहते ह।
समझ
समझ अ छे सं ेषण पर िनभर करती है। सं ेषण िकसी भी मागदशन तं
या क यूटर के लए अ याव यक है। आप जस सूचना पर काय करते ह,
अगर वह दोषपूण हो या उसे ग़लत समझ लया गया हो, तो आप सही
ति या नह कर सकते। कई डॉ टर का मानना है िक “दिु वधा” मनोरोग
का बुिनयादी त व है। िकसी सम या से भावी ढंग से िनबटने के लए
आपको इसक स ी कृ त क थोड़ी समझ होनी चािहए। मानव संबध
ं म
हमारी अ धकतर असफलताएँ ग़लतफ़हिमय के कारण होती ह।
हम उ मीद करते ह िक त य या प र थ तय के सामने लोग भी
उसी तरह क ति या कर और उ ह िन कष पर पहुँच, जस तरह क
ति या हम करते ह या जन िन कष पर हम पहुँचते ह। हम वह बात याद
रखनी चािहए, जो हमने एक पुराने अ याय म कही थी : लोग अपनी
मान सक त वीर पर ति या करते ह, उन चीज़ पर नह जैसी वे ह।
अ धकतर समय दस
ति याएँ या यवहार हम क पहुँचाने के
ू र क
लए, कठोर या दभ
ु ावनापूण होने के लए नह होता है। यह तो इस लए
होता है, य िक वे थ त को हमसे भ तरीक़े से “समझते” ह और
उसक भ या या करते ह। थ त के बारे म उ ह जो सच नज़र आता
है, वे उस पर सफ़ उ चत ति या कर रहे ह। दस
ू र को ईमानदार होने
का ेय द, भले ही वे ग़लत ह । यह न सोच िक वे दरु ा ही और ेषपूण ह।
अगर आप यह करते ह, तो आप मानव संबध
ं को सुचा बनाने के लए
बहुत बड़ा काय कर सकते ह और इससे लोग के बीच बेहतर समझ
िवक सत हो जाएगी। ख़ुद से पूछे, “यह सामने वाले को कैसा नज़र आता
है?” “इस थ त क वह कैसे या या करती है?” “वह इस बारे म कैसा
महसूस करता है?” यह समझने क को शश कर िक वह उस तरह काय
य कर रहा है, जैसा िक वह कर रहा है।
त य बनाम रायI कई बार जब हम त य म अपनी ख़ुद क राय को
जोड़ देते ह और ग़लत िन कष पर पहुँच जाते ह, तो इससे दिु वधा उ प हो
जाती है। त य : एक प त अपनी अँगु लयाँ चटकाता है। राय : प नी इस
नतीजे पर पहुँचती है, “वह ऐसा इस लए करता है, य िक उसे लगता है िक
इससे म चढ़ जाऊँगी।” त य : प त खाने के बाद अपने दाँत चूसता है।
राय : प नी इस नतीजे पर पहुँचती है, “अगर वह मेरी ज़रा भी परवाह
करता, तो श ाचार से पेश आता।” त य : आपके कमरे म जाते समय दो
िम फुसफुसाकर बातचीत कर रहे ह। अचानक वे बात करना बंद कर देते
ह और थोड़े अचकचा जाते ह। राय : वे मेरी बुराई कर रहे ह गे।
प नी अगर यह समझ लेती िक उसके प त क चढ़ाने वाली हरकत
प त ने इ छा से और जान-बूझकर नह क थ , अगर वह इस तरह
ति या करना छोड़ देती मानो उसका यि गत प से अपमान हुआ
था, तो वह ठहर सकती है, थ त का िव ेषण कर सकती है और एक
उ चत, यहाँ तक िक लाभकारी ति या भी चुन सकती है।
स य देखने के इ छुक रह। अ सर हम इंि य के ज़ रए अंदर आने
वाली जानकारी को अपने डर, चताओं या इ छाओं से रंग देते ह। लेिकन
प रवेश के साथ भावी ढंग से िनबटने के लए हम इसके बारे म स ाई
वीकार करने का इ छुक रहना होगा। जब हम समझ जाते ह िक यह या
है, तभी हम उ चत प से ति या कर सकते ह। स ाई चाहे अ छी हो
या बुरी, हम उसे देखना और वीकार करना चािहए। बरटड रसल ने कहा
था िक िहटलर ि तीय िव यु म हार गया, उसका एक कारण यह था िक
वह पूरी तरह से थ त को समझता ही नह था। बुरी ख़बर लाने वाल को
दं डत िकया जाता था। ज द ही ऐसी थ त आ गई िक कोई उसे स ाई
बताने क िह मत नह करता था। स ाई न जानने के कारण वह उ चत
ति या नह कर सकता था। हम इस बात पर ख़ुश हो सकते ह िक उसके
साथ ऐसा हुआ।
बुरी ख़बर लाने वाले को गोली मार दो, इस मान सकता ने बहुत से
सेनाप तय , कारोबार जगत के लीडस, श क और अ भभावक क
ै भी ऐसा ही करता
असफलता तय कर दी है। कहा जाता है िक स ाम हुसन
था और उसका अंजाम भी काफ़ कुछ िहटलर जैसा हुआ। बुरी ख़बर लाने
वाल को सचमुच गोली मार देना अपने आप म एक भयानक बात है, लेिकन
सटीक सूचना के साथ ता कक यवहार करने के बजाय ख़ुद को गोली मार
देना शायद उससे भी भयानक है!
हम ख़ुद के सामने अपनी भूल, ग़ल तयाँ या किमयाँ वीकार करना
पसंद नह होता। न ही हम यह वीकार करना पसंद करते ह िक हम ग़
ग़लती कर रहे ह। हम यह वीकार नह करना चाहते ह िक थ त वैसी
नह है, जैसी हम इसे पसंद करगे। इस लए हम ख़ुद को बहलाते ह। और
चूँिक हम स ाई को देख ही नह रहे ह, इस लए हम उ चत तरीक़े से काय
नह कर सकते। िकसी ने कहा है िक ख़ुद के बारे म एक ददनाक स ाई को
हर िदन वीकार करना एक अ छा अ यास है। सफल यि व दस
ू रे लोग
को धोखा नह देता है या झूठ नह बोलता है, और वह ख़ुद के साथ
ईमानदार होना भी सीख लेता है। हम जसे “ईमानदार” कहते ह, वह अपने
आप म आ म-समझ और आ म-ईमानदारी पर आधा रत है। य िक आप
तब ईमानदार नह हो सकते, जब आप वयं को तकपूण स करके या
“ता कक झूठ” बोलकर ख़ुद से झूठ बोल रहे ह ।
आप यह काय कर सकते ह, बशत आप अपनी आ म-छिव को
सुर त रखने और सश बनाने के लए साइको साइबरनेिट स के एक
और बुिनयादी आधारवा य को वीकार कर ल : आप अपनी ग़ल तयाँ नह
ह। आपका बुरा शॉट और ग़लत तरीक़ा आपको “गो फ़ के नाम पर
कलंक” नह बनाते ह, न ही यह आपको बुरा, अकुशल, या असफल इंसान
बनाती ह। यह तो सफ़ एक यांि क य और मान सक ग़लती है, जसे
सुधारा जा सकता है।
एक शीष थ कंपनी के सीईओ ने मुझे एक बार बताया था, “कुछ बहुत
उ ेखनीय कुशल िनणय क बदौलत म थोड़ा मशहूर हो गया हूँ। लेिकन
मने बहुत से बुरे िनणय भी लए ह। म न तो अपना सबसे अ छा िनणय हूँ,
न ही सबसे बुरा िनणय। म एक सफल, स म ए ज़ी यूिटव हूँ, जो अपने
िह से क ग़ल तयाँ करता है और कुल िमलाकर बात यही है।”
जब आप पूरी तरह वीकार करते ह िक आप अपनी ग़ल तयाँ नह ह,
तो आप वतं हो जाते ह। तब आप उ ह वीकार कर सकते ह, उनसे
सीख सकते ह, उ ह दरिकनार कर सकते ह और उनके दलदल म फँसे
िबना उनसे दरू बढ़ सकते ह।
नु ख़ा
अपने, अपनी सम याओं, दस
ू रे लोग या थ त के बारे म स ी
जानकारी क तलाश कर, चाहे ख़बर अ छी हो या बुरी। इस
सू वा य को अपना ल, “इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक कौन सही
है; फ़क़ तो इससे पड़ता है िक या सही है।” वच लत मागदशन तं
नकारा मक फ़ डबैक डेटा से अपनी िदशा म सुधार करता है। यह
सुधार करने और सही िदशा म बने रहने के लए ग़ल तय को वीकार
करता है। ऐसा ही आपको भी करना चािहए। अपनी ग़ल तय और
भूल को वीकार कर, लेिकन उन पर रोने या पछताने क ज़ रत
नह है। उ ह सुधार और आगे बढ़ जाएँ । दस
ू रे लोग के साथ यवहार
करते समय थ त को अपने साथ-साथ सामने वाले के ि कोण से
भी देखने क को शश कर।
साहस
सफ़ ल य होना और थ त को समझना ही काफ़ नह है। आप म काय
करने का साहस भी होना चािहए, य िक सफ़ कम से ही ल य, इ छाएँ
और िव ास हक़ क़त म बदले जा सकते ह।
एडिमरल िव लयम एफ़. है सी का यि गत सू वा य ने सन का एक
उ रण था, “कोई क ान बहुत ग़लती नह कर सकता, अगर वह अपना
जहाज़ द ु मन के जहाज़ के बग़ल म ले जाकर िटका दे।” है सी कहते ह,
“यह एक माना हुआ सै य स ांत है िक बल आ मण ही सव े र ा है।
लेिकन इसके उपयोग यु के अलावा भी बहुत यापक ह। सभी सम याएँ ,
चाहे वे यि गत ह , रा ीय ह या सै य ह , अ धक छोटी बन जाती ह, जब
आप उनसे बचते नह ह, ब क उनका मुक़ाबला करते ह।“
आप अ धक साहस के साथ कैसे जी सकते ह? इस सवाल का जवाब
साइको साइबरनेिट स अ छी तरह देती है। जब आप सुिनयो जत तरीक़े
से अपनी आ म-छिव को मज़बूत करते ह और समझ लेते ह िक आप
अपनी ग़ल तयाँ नह ह, तो जो खम लेने का काय बहुत ही आसान नज़र
आता है। तब आपको इस बारे म नाहक चता नह सताती िक अगर आप
लड़खड़ा गए, तो दस
ू रे या सोचगे या कह वे आपको मूख तो नह मानगे।
आप ऑिफ़स म अपने िवचार क पैरवी करते समय अ धक ढ़ और
सश कैसे बन सकते ह? आप िकसी से स तु त के अंत म ऑडर को
अ धक प ता और ढ़ अंदाज़ म कैसे माँग सकते ह? आप डा स लोर
पर कैसे जा सकते ह, भले ही आपको बहुत समय से यक़ न रहा हो िक
“आपके दो बाएँ पैर ह।” आप िकसी िबलकुल नए क रयर या उप यवसाय
को जीवन म देर से कैसे शु कर सकते ह, जबिक सूि कहती है, “बूढ़े
कु े के लए नए करतब सीखना मु कल होता है?” आप गंभीर िवप से
टकराकर कैसे सँभल सकते ह? ये सभी साह सक तरीक़े से जीने के
उदाहरण ह और इन सभी म दबाव झेल सकने वाली एक अभे आ मछिव क ज़ रत होती है।
ख़ुद पर दाँव य न लगाएँ ?
इस संसार म कोई भी चीज़ पूरी तरह िन त या तयशुदा नह होती।
अ सर सफल और असफल इंसान के बीच फ़क़ बेहतर यो यताओं या
िवचार का नह होता। फ़क़ तो उस साहस का होता है, जससे इंसान
अपने िवचार पर दाँव लगाता है, अनुमािनत जो खम लेता है और काय
करता है।
हम जब भी साहस के बारे म सोचते ह, तो अ सर यु के मैदान,
जहाज़ डू बने या संकट के दौरान िकए गए वीरतापूण काय के संदभ म
सोचते ह। लेिकन रोज़मरा के जीवन म भी साहस क ज़ रत होती है।
थर खड़े रहने — काय करने म असफल रहने — से िकसी सम या
का सामना करने वाले लोग घबरा जाते ह, बाधा त या फँसे हुए महसूस
करते ह। इससे बहुत सारे शारी रक ल ण उ प हो सकते ह।
म ऐसे लोग से कहता हूँ :
थ त का पूरी तरह अ ययन कर, क पना म अपने सामने संभव काय क कई
िदशाओं का िव ेषण कर और प रणाम का भी, जो हर िदशा म काय करने से आपको
िमल सकते ह। उस िदशा को चुन, जसम सबसे अ धक अवसर नज़र आते ह — और
आगे बढ़ जाएँ । अगर हम तब तक इंतज़ार करते ह, जब तक िक हम काय करने से पहले
पूरी तरह यक़ न और प ा न हो जाए, तो हम कभी कुछ नह कर पाएँ गे। जब आप काय
करते ह, तो आप िकसी भी समय ग़लत हो सकते ह। जो भी िनणय आप लेते ह, वह
ग़लत सािबत हो सकता है। लेिकन इस वजह से हम अपने मनचाहे ल य का पीछा
करने म हतो सािहत नह होना चािहए। आप म ग़ल तयाँ करने, असफलता का जो खम
लेने, अपमािनत होने का जो खम लेने का साहस हर िदन होना ही चािहए। ग़लत िदशा
म एक क़दम उठाना भी िज़दगी भर “एक ही जगह” खड़े रहने से बेहतर है। एक बार जब
आप आगे बढ़ जाते ह, तो आप चलते-चलते अपनी िदशा द ु त कर सकते ह। आपका
वच लत मागदशन तं आपका मागदशन तब नह कर सकता, जब आप थर खड़े
ह , एक ही जगह पर के ह ।
ली आयाकोका ने कहा है िक िनणायकता वह नंबर एक गुण है,
जसक वे अपने आस-पास के मुख लोग म तलाश करते ह, जन पर वे
िनभर रह सक। जनरल नॉमन ाज़कोफ़ ने कहा है िक नेतृ व के लए
िनणय लेना आव यक होता है।
अ धकतर लीडस सहमत ह िक सफलता िनणायकता और िदशा
सुधार से िमलती है। यह दोषरिहत चुनाव करने क को शश म लंबे िवलंब
और टालमटोल से कभी नह िमलती। बहुत कम सफलताएँ सीधी लाइन
म, ए पॉइंट से बी पॉइंट तक, िवचार से लेकर फल िमलने तक हा सल क
जाती ह। अ धकतर सफलताएँ टेढ़े-मेढ़े अंदाज़ म हा सल होती ह।
नु ख़ा
आप जो चाहते ह, उसे पाने के लए कुछ ग़ल तयाँ करने, थोड़ा दद
सहने के इ छुक रह। ख़ुद को कम दाम पर न बेच। सेना के मनोरोग
चिक सा और तंि का िव ान परामश भाग के मुख जनरल आर.
ई. चबस ने कहा है, “अ धकतर लोग जानते ही नह ह िक वे वा तव
म िकतने बहादरु ह। वा तव म, कई संभािवत नायक, ी भी और
पु ष भी, अपना जीवन आ म-शंका म जीते ह। अगर वे बस यह जान
लेते िक उनम ये संसाधन ह, तो इससे उ ह अ धकतर सम याओं से
उबरने का आ मिव ास आ जाता, बड़े संकट म भी।” आपके पास
संसाधन तो ह, मगर आप कभी नह जान पाते ह िक वे आपके पास
ह, जब तक िक आप काय नह करते ह — और उ ह अपनी ख़ा तर
काय करने का मौक़ा नह देते ह।
एक और मददगार सुझाव है “छोटी चीज़ ” के संदभ म साहस के साथ
काय करने का अ यास करना। तब तक इंतज़ार न कर, जब तक िक आप
िकसी गंभीर संकट म बड़े हीरो न बन सकते ह । रोज़मरा के जीवन म भी
साहस क आव यकता होती है। छोटी चीज़ म साहस का अ यास करके
हम अ धक मह वपूण मसल म साहस के साथ काय करने क शि और
यो यता िवक सत कर लेते ह।
परोपकार
मने एक या यान िदया था, जसका शीषक था, “अस मानजनक संसार म
आ मस मान कैसे रख।” जस तरह तेज़ी से बढ़ते तनाव का संसार मने
1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक म देखा था, वह आज क
तूफ़ानी ग त क तुलना म बहुत कम था। 1960 और 1970 के दशक म मने
श ाचार और स मान के बढ़ते अभाव पर जो ग़ौर िकया था, वह आज के
संसार क सफ़ एक िवन झलक थी। दैिनक जीवन आ मस मान पर एक
तरह का आ मण है, य िक कंपिनयाँ हमारे साथ क यट
ू र के आँ कड़ क
तरह यवहार कर रही ह। दक
ु ानदार, टोर कमचारी, वेटर जैसे सभी लोग
अ सर बहुत ज दी म रहते ह, परेशान रहते ह, खा यवहार करते ह,
अपने काय म दख
ु ी होते ह और इस सबक भड़ास ाहक पर िनकालते ह।
अ सर हम टेलीफ़ोन से िकसी इंसान तक भी नह पहुँच पाते! हर जगह
जैसे-जैसे ग त तेज़ होती है, श ाचार क क़ुबानी दी जा रही है।
इस सबके चलते मेरी मूल िट प णयाँ और भी अ धक मह वपूण हो
जाती ह। मेरे भाषण म मने कहा था िक अस मानजनक संसार इसके हर
यि गत तभागी के लए हर िमनट बेहतर या बदतर होता जा रहा है, एक
ऐसे दपण म जो दो चीज़ का त बब िदखाता है : यि क ख़ुद क
आ म-छिव और दस
ू र के त स मान।
सफल यि य म दस
ू रे लोग के त च और स मान होता है।
उनम दस
ू र क सम याओं और आव यकताओं के त स मान होता है।
वे मानव यि व क ग रमा का स मान करते ह और दस
ू रे लोग से इस
तरह यवहार करते ह, मानो वे इंसान ह , उनके खेल के यादे न ह । वे
पहचानते ह िक हर यि ई र क संतान है और उसके पास एक अनूठा
यि व है, जो कुछ ग रमा और स मान का हक़दार है।
यह एक मनोवै ािनक त य है िक अपने बारे म हमारी भावनाएँ अमूमन
उसी अनु प होती ह, जैसी क दस
ू रे लोग के त होती ह। जब कोई
यि दस
ू र के त उदारता महसूस करना शु करता है, तो वह हमेशा
ख़ुद के त भी अ धक उदारता महसूस करने लगता है। जो लोग महसूस
करते ह िक दस
ू रे लोग मह वपूण नह ह, उनम अपने त भी स मान और
परवाह यादा नह हो सकती। अपराधबोध क भावना से उबरने का एक
बहुत अ छा तरीक़ा यह है िक आप अपने मन म दस
ू रे लोग क नदा करना
छोड़ द — उनक आलोचना करना छोड़ द, उ ह दोष देना छोड़ द और
उनक ग़ल तय के लए उनसे नफ़रत करना छोड़ द। जब आप यह
महसूस करने लगते ह िक दस
ू रे लोग अ धक माननीय ह, तो आप एक
बेहतर और अ धक यो य आ म-छिव िवक सत कर लगे।
दस
ू रे लोग के त उदारता सफल यि व का ल ण है, और इसका
मतलब है िक वह यि ईमानदारी से पेश आ रहा है। लोग मह वपूण ह।
यि गत ल य हा सल करने के लए लोग के साथ जानवर , मशीन या
मोहर जैसा यवहार लंबे समय तक नह िकया जा सकता।
हर एक के साथ स मान से पेश आना उदारता है, य िक यह हमेशा,
तुरत
ं , यि गत प से वापस नह लौटता है। आप इसे सौदे के प म नह
देख सकते। इसके बजाय आपको बड़ी त वीर देखनी चािहए और अपनी
आ म-छिव तथा समाज म अपने योगदान को सश करने के साधन के
प म इस तरह काय करना चािहए।
नु ख़ा
उदारता का नु ख़ा ि आयामी है : 1. लोग के बारे म स ाई का
एहसास करके उनक स ी क़ करने क को शश कर; वे ई र क
संतान ह, अनूठे ह, सृजना मक ाणी ह। 2. ठहरकर दस
ू र क
भावनाओं, ि कोण , इ छाओं और आव यकताओं के बारे म सोचने
क ज़हमत उठाएँ । इस बारे म अ धक सोच िक सामने वाला या
चाहता है और उसे कैसा महसूस हो रहा होगा। मेरे एक िम क प नी
जब उससे पूछती है, “ या तुम मुझसे यार करते हो?” तो वह उससे
मज़ाक़ म कहता है, ‘हाँ, जब म ठहरकर इस बारे म सोचता हूँ।” इसम
बहुत स ाई है। हम दस
ू रे लोग के बारे म कुछ महसूस नह कर
सकते, जब तक िक हम उनके बारे म “ठहरकर न सोच।” 3. इस तरह
काय कर, जैसे दस
ू रे लोग मह वपूण ह और उनके साथ ऐसा ही
यवहार कर।
स मान
कई साल पहले मने िदस वीक मै ज़ीन के “व स टु लव बाय” फ़ चर म
लखा। यह कालाइल के श द पर आधा रत था, “ओह! वयं म अिव ास
बड़ा ही भयावह अिव ास होता है।” उस व मने कहा था, “जीवन के सारे
फंद और आ मघाती ग म ख़ुद के त अस मान सबसे घातक है और
इससे उबरना सबसे मु कल है; य िक इस ग े क क पना हम ख़ुद
अपने मन म करते ह और इसे अपने हाथ से खोदते ह, जसका सार इस
वा य म रखा जा सकता है, ‘इसका कोई फ़ायदा नह है — म यह नह कर
सकता।’ ”
इससे परा जत होने क सज़ा भारी होती है, यि के लए भी और
समाज के लए भी। यि अपने भौ तक पुर कार खो देता है और समाज
को भी लाभ नह हो पाता तथा कोई ग त नह हो पाती।
डॉ टर के प म म यह इशारा भी कर सकता हूँ िक पराजयवाद का
एक और पहलू है, एक अजीब पहलू है, जसे शायद ही कभी पहचाना जाता
है। यह संभव है िक ऊपर जो कथन िदया है, वह कालाइल अपने बारे म ही
वीकार कर रहे ह । शायद वे अपनी च ानी ढ़ता, अपने तूफ़ानी ोध,
चड़ चड़ी आवाज़ और अपनी भयानक घरेलू तानाशाही का राज़ बता रहे
थे।
ज़ािहर है, कालाइल एक अ तवादी उदाहरण थे। लेिकन या ऐसा नह
है िक जब हम “भयावह अिव ास” के सबसे अ धक शकार होते ह, जब
हम ख़ुद पर सबसे यादा शंका करते ह और अपना काय करने म अ म
महसूस करते ह, या सटीकता से तभी ऐसा नह होता िक हमसे यवहार
करने म लोग को सबसे यादा मु कल आती है?
हम बस अपने िदमाग़ म िकसी तरह यह बात घुसा लेनी चािहए िक
अपने बारे म कमतर राय रखना कोई स ण
ु है। िमसाल
ु नह , ब क दगु ण
के तौर पर, ई यां, जसके कारण बहुत से िववाह असफल हो गए ह, लगभग
हमेशा आ म-शंका क वजह से उ प होती है। पया आ मस मान वाले
लोग दस
ू र के त श ुतापूण महसूस नह करते। वे कुछ सािबत करने क
िफ़राक़ म नह रहते ह। वे त य को अ धक प ता से देख सकते ह और
दस
ू रे लोग पर अपने दावे म उतनी अ धक माँग करने वाले नह होते ह।
आ म-शंका घातक है और आ म-छिव को उसी तरह कुतरती है, जस
तरह कसर शरीर के अंग को िनगल लेता है।
ख़ुशी के चोर (अंद नी आलोचक) से सावधान रह। अपनी उ कृ
पु तक लबरे टग एवरीडे जीिनयस म डॉ. मैरी-एलेन जेकबसन लखती ह,
“झूठा व प बड़ा शि शाली श ु है, जसक पैनी ज़ुबान क भ सना
आ म-शंका क हर. थ त म सुनी जा सकती है। यह एक ऐसा द ु मन है,
जो हम अपने स े व प से दरू रखता है और कई बार तो हम दस
ू र से भी
दरू कर देता है।” वे यह भी लखती ह, “चम का रक यह है िक जब भीतर
कोई श ु नह होता, तो बाहर भी बहुत कम श ु होते ह।” अगर साइको
साइबरनेिट स और वयं पर काय करने म समय और ऊजा के िनवेश के
लए कोई महान ेरक कथन लखा गया था, तो वह यही कथन है!
आगामी अ याय म म एक बार िफर अंद नी आलोचक को िनयंि त
करने पर बातचीत क ँ गा, जो वा तव म ख़ुशी, आ म- वीकृ त,
आ मस मान और मान सक शां त का चोर है। जो हमारे आस-पास के
आलोचक से कह अ धक भावशाली है।
जस तरह िकसी कंपनी क बु मान े सडट सीखती है िक आगे
बढ़ने के लए उसे दस
ू र क राय सुननी चािहए, उसी तरह वह यह भी
सीखती है िक उसे सावधानी तथा िववेक के साथ यह िनणय लेना होगा िक
वह िकसक राय सुने और वे िकस बुिनयाद पर आधा रत ह। हम अपनी
अंद नी आवाज़ को सुनना तो चािहए, लेिकन यह काय सावधानी से
करना चािहए!
जब अंद नी आलोचक हम नीचा और छोटा िदखाने लगे, तो हम
च ाकर “ को!” कहने म नह झझकना चािहए। हम इसे इसके अँधेरे
कोने म भेज देना चािहए और हम पर शंका करने के लए इसे उ चत सज़ा
देनी चािहए।
मने इस पु तक का मूल सं करण 65 साल क उ म लखा था,
का शत िकया था और यह लोकि य हो गया था। जब मुझसे एक बार एक
रे डयो इंटर यू म पूछा गया था िक या उस व त मने यह नह सोचा था :
आपको ऐसा य लगता है िक लोग मानव मन क कायिव धय पर एक बूढ़े
ला टक सजन के िवचार क परवाह करगे, जसका क रयर अब ढल रहा
है? मने जवाब िदया िक ईमानदारी से कहूँ, तो यह बात मेरे िदमाग़ म आई
ही नह थी। ऐसा अहंकार के कारण नह हुआ था, ब क इस लए हुआ था
य िक यह मेरे लए कोई आवेगपूण नया काय नह था, ब क एक पूरी
ि या का अगला िमक क़दम था। वा तिवकता म इसे करने से पहले म
अपनी क पना म अगले क़दम कई बार उठा चुका था। लेिकन मने कहा िक
अगर मेरा अंद नी आलोचक इतने बकवास नकारा मक सवाल को
उठाता, तो म उसे चुप कर देता और दरू भगा देता।
बेचारा इंटर यू लेने वाला यक़ नन यह सोचते हुए घर गया होगा िक
या वह सही पेशे म है, देर रात को एक बूढ़े मूख का सा ा कार ले रहा है,
जसके मन म का पिनक पा थे और वह उनसे बहस करता था। अगर
उसने पु तक पढ़ी होती, तो उसे समझने म मदद िमल सकती थी।
बहरहाल, जैसा सा ा कार देने वाला हर लेखक अ छी तरह जानता है,
ऐसा ाय: नह होता है। चाहे जो हो, म ज़रा भी श मदा नह हूँ िक म अपने
साथ ऐसी बातचीत करता हूँ और आपको भी नह होना चािहए। म मानता
हूँ िक इन श ु-िवचार को “आलोचक” के प म “ यि गत” बनाना एक
उपयोगी क पना अ यास है। इस तरह आप उस िवचार को हरा सकते ह,
जो आपके सामने बैठा है और आपको नीचा िदखाता है। आप उसे हराने के
लए तक तुत कर सकते ह िक आप य सफल ह गे।
नु ख़ा
इस तरह क मान सक त वीर रखना छोड़ द िक आप दस
ू र से कम
समथ ह, य िक इसम आप सेब क तुलना संतरे से करने जतनी
प पाती बात कर रहे ह। अपनी छोटी-बड़ी जीत का ज मनाएँ ,
अपनी शि य को पहचान और बढ़ाएँ तथा समय-समय पर ख़ुद को
याद िदलाते रह िक आप अपनी ग़ल तयाँ नह ह।
“स मान” श द का वा तिवक मतलब है मू य क सराहना करना।
ऐसा कैसे है िक मनु य तार , चं मा, समु क िवराटता, फूल या
सूया त क सुंदरता के त
ािम त आनंद म रहता है, लेिकन
इसके बावजूद ख़ुद को नीचा समझता है? जस रच यता ने यह भ य
कृ त बनाई थी, या उसी ने हम नह बनाया है? या इंसान सबसे
अ त
ु ाणी नह है? अपनी मह ा क यह शंसा अहंकार नह है,
जब तक िक आप यह न मान ल िक आप ही ने ख़ुद को बनाया है और
इस लए आपको इसका कुछ ेय िमलना चािहए। िकसी उ पाद का
दजा इस बात से कम न कर, य िक आपने इसका सही इ तेमाल
नह िकया। अपनी ग़ल तय के लए उ पाद को उस कूली ब े क
तरह दोष न द, जसने कहा था, “यह टाइपराइटर सही पे लग नह
लख सकता।”
आ मस मान का सबसे बड़ा रह य यह है : दस
ू रे लोग क अ धक
क़ करना शु कर; िकसी भी यि के त स मान सफ़ इस लए
िदखाएँ य िक वह ई र क संतान है और इस लए मू यवान है। जब
आप दस
ू रे लोग के साथ यवहार कर रहे ह , तो ठहरकर सोच। आप
ई र के अनूठे ा णय के साथ यवहार कर रहे ह। दस
ू रे लोग के
साथ ऐसा यवहार करने का अ यास कर, मानो वे मू यवान ह । ऐसा
करने पर आ यजनक प से आपका भी आ मस मान ऊपर हो
जाएगा। य िक वा तिवक आ मस मान आपके ारा क गई, आपके
वािम व क महान चीज़ से नह िमलता है, यह आपके योगदान से
भी नह िमलता है, ब क आप जो ह — ई र क संतान — उसक
क़ करने से िमलता है। बहरहाल, जब आप इस िन कष पर पहुँचते
ह, तो आप हमेशा इस नतीजे पर भी पहुँचगे िक आपको इसी कारण
से दस
ू रे लोग क भी क़ करनी चािहए।
आ मिवशवास
आ मिव ास सफलता के अनुभव से आता है। जब हम पहलेपहल कोई
काय शु करते ह, तो इस बात क संभावना है िक हमम कम आ मिव ास
होगा, य िक हमने अनुभव से यह नह सीखा है िक हम सफल हो सकते
ह। यह साइकल चलाने, जनता के सामने भाषण देने या ऑपरेशन करना
सीखने के बारे म सही है। यह श दश: सच है िक सफलता ही सफलता को
उ प करती है। छोटी सी सफलता का इ तेमाल भी यादा बड़ी सफलता
क पायदान के प म िकया जा सकता है। बॉ सग खलािड़य के मैनेजर
सावधानी से उनका मुक़ाबला इस तरह के त प धय से कराते ह, तािक
उ ह सफल अनुभव क ख
ृं ला िमल सके। हम भी इसी तकनीक का
इ तेमाल कर सकते ह, हम मशः शु करते ह और पहले सफलता का
छोटे पैमाने पर अनुभव करते ह।
एक और मह वपूण तकनीक है अतीत क सफलताओं को याद रखने
और असफलताओं को भूलने क आदत। यही वह तरीक़ा है, जससे
क यूटर और मानव मन काय करते ह। बा केटबॉल, गो फ़, हॉसशू िप चग
या से समैन शप म यो यता और सफलता अ यास से बढ़ती है, लेिकन
इस लए नह य िक दोहराव मह वपूण होता है। अगर ऐसा होता, तो हम
अपनी सफलताओं के बजाय अपनी भूल को सीख जाते। िमसाल के तौर
पर, हॉसशू िपच करना सीखने वाला यि जतनी बार िहट करेगा, उससे
यादा बार िनशाने को चूक जाएगा। अगर सफ़ दोहराव ही बेहतर यो यता
का जवाब होता, तो इस अ यास से उसे िनशाना चूकने म अ धक िवशेष
बनना चािहए था, य िक उसने इसी का सबसे अ धक अ यास िकया था।
हालाँिक उसक चूक दस और सफलता एक होती ह, लेिकन अ यास के
साथ उसक चूक धीरे-धीरे कम हो जाती ह और वह अ धक से अ धक िहट
करने लगता है। ऐसा इस लए है, य िक उसके िदमाग़ का कं यूटर उसके
सफल यास को याद रखता है और उ ह बलवान बनाता है, और चूक
को भूल जाता है।
कं यूटर और हमारा सफलता मेकेिन म भी सफल होना इसी तरीक़े
से सीखते ह।
लेिकन हमम से अ धकतर लोग या करते ह? हम अतीत क सारी
असफलताओं को याद करके और अतीत क सारी सफलताओं को
भूलकर अपना आ मिव ास न कर लेते ह। हम न सफ़ अपनी
असफलताओं को याद करते ह, ब क बल भावना से उनक छाप अपने
मन पर भी छोड़ देते ह। हम अपनी नदा करते ह। हम शम और प ाताप
(दोन ही अहं से जुड़े, आ मकि त भाव ह) से ख़ुद पर कोड़े बरसाते ह।
और आ मिव ास ग़ायब हो जाता है।
इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक आप अतीत म िकतनी बार असफल
हो चुके ह। मायने तो सफल यास रखता है, जसे याद रखा जाना चािहए,
बलवान बनाना चािहए और इसी को याद करते रहना चािहए। महान
आिव कारक और उ ोगप त चा स केट रग ने कहा था िक जो यि
वै ािनक बनना चाहता है, उसे एक बार सफलता पाने से पहले 99 बार
असफल होने का इ छुक होना चािहए और इसक वजह से अपने स मान
को न नह होने देना चािहए । यह यास के िकसी भी े के बारे म कहा
जा सकता है। इसका यह मतलब नह है िक आपको इसी अनुपात पर काय
करना होगा, लेिकन आव यकता पड़ने पर आपको इसके लए तैयार रहना
होगा और जैसा उ ह ने सुझाव िदया था, ऐसा करते समय आपक आ मछिव को कोई त नह होनी चािहए।
जब हम दस
ू र क सफलताओं को देखते ह, तो हम अ सर यह नह
देख पाते ह या इस पर ग़ौर नह करते ह िक सफल होने के लए उ ह
िकतने टेढ़े-मेढ़े रा त से गुज़रना पड़ा। जब कोई मशहूर हॉलीवुड अ भने ी
ऑ कर को हाथ म थामती है और अपना ध यवाद भाषण देती है, तो हम
भूल जाते ह िक उसक िकतनी सारी िफ़ म लॉप रही थ , जनक
आलोचक ने हँसी उड़ाई थी और ज ह जनता ने ठु करा िदया था। जब
बे टसे लग लेखक क पु तक रे डयो पर चचा का क बनती है और
धड़ाधड़ िबकती है, तो हम क पना भी नह करते ह िक इससे पहले उसके
घर पर एक ब सा था, जो अ वीकृ त प से लबालब भरा था या उसके
घर म असंतोषजनक डा स, पुनलखन और अ धक पुनलखन के फटे
हुए काग़ज़ का पहाड़ लगा था, जो इस पु तक के शे फ़ पर आने से पहले
क बात थी। लगभग हर चमचमाती सफलता क एक छाया होती है, जसम
िनराशाओं, कंु ठाओं और अपमान क लंबी सूची होती है। आप और
उ मीद भी या कर सकते ह? सफल यि
म शािमल कर लेते ह।
व इन चीज़ को अपनी ग त
नु ख़ा
ग़ल तय और भूल का उपयोग सीखने के लए कर, िफर उ ह िदमाग़
से बाहर िनकाल द। अतीत क सफलताओं को जान-बूझकर याद कर
और उनक त वीर बनाएँ । हर यि िकसी न िकसी चीज़ म, कभी न
कभी सफल हुआ है। ख़ास तौर पर कोई नया काय करते समय उन
भावनाओं को याद कर, जनका अनुभव आपने अतीत क िकसी
सफलता के समय िकया था, चाहे यह िकतनी भी छोटी य न हो।
आ म- वीकृ त
द टैलटेड िम. रपली नामक पु तक पर एक लोकि य िफ़ म बन चुक है।
इसम मु य पा एक उ पीिड़त और हीन भावना से त यव
ु क है। वह ख़ुद
को लेकर इतना दख
ु ी है, ख़ुद को वीकार करने का इतना अिन छुक है
और दस
ु क क ह या
ू र के त इतना ई यालु है िक वह एक दौलतमंद यव
कर देता है तथा जीवन म उसक जगह लेने क को शश करता है, यहाँ तक
िक मृत यि क ेिमका और प रवार के साथ संबध
ं म भी उसक जगह
लेने क को शश करता है। सौभा य से, बहुत कम लोग आ म- वीकृ त के
अभाव म ऐसे हसक और असामा जक काय करते ह। अ धकतर यह होता
है िक ऐसा यि अक मात नह , धीरे-धीरे ख़ुद क ह या करे — कई बार
शराब या मादक य ारा, तो कई बार िमक आ म-िवनाश के कम प
प म। जैसा थोरो ने कहा था, कई लोग अपना जीवन “शांत हताशा” म
जीते ह।
कोई भी वा तिवक सफलता या वा तिवक ख़ुशी तब तक संभव नह
है, जब तक िक कोई इंसान थोड़ी-बहुत आ म- वीकृ त हा सल न कर ले।
संसार के सबसे दख
ु ी और संत लोग वे ह, जो ख़ुद को तथा दस
ू र को यह
िव ास िदलाने के लए लगातार परेशान और तनाव त रहते ह िक वे
बुिनयादी तौर पर जो ह, उससे भ कुछ और ह। और जब आप
आ ख़रकार अपने सारे नक़ाब और नाटक को छोड़ देते ह, जब आप
अपने वा तिवक व प म रहने के इ छुक होते ह, तो आपको जो राहत
और संतुि िमलती है, उतनी िकसी दस
ू री चीज़ से नह िमलती। सफलता
आ म-अ भ यि से िमलती है और यह अ सर आपको तब नह िमलती
है, जब आप “कुछ बनने” क को शश करते ह। यह तो अ सर अपने आप
तब आती है, जब आप आराम से अपने असली व प म रहने के इ छुक
बन जाते ह।
आ म-छिव को बदलने का मतलब अपने व प को बदलना नह है।
इसका मतलब तो उस व प के बारे म अपनी मान सक त वीर, अपने
आकलन, अपनी अवधारणा और उसके सा ा कार को बदलना है। अ छी
और यथाथवादी आ म-छिव िवक सत करने से जो आ यजनक प रणाम
िमलते ह, वे ख़ुद के कायाक प क वजह से नह , ब क आ म-सा ा कार
और आ म- कटीकरण क वजह से िमलते ह। आपका व प इस व त
वही है, जो यह हमेशा से रहा है और जो यह कभी हो सकता है। आपने इसे
नह बनाया था। इस लए आप इसे बदल भी नह सकते। बहरहाल, आप
इसका सा ा कार कर सकते ह और अपने वा तिवक व प क स ी
मान सक त वीर हा सल करके इसका अ धकतम इ तेमाल कर सकते ह।
िकसी दस
ू रे जैसा बनने क को शश करने से कोई फ़ायदा नह है। आप वही
ह, जो आप अभी ह। आप कुछ ह, तो इस लए नह य िक आपने बहुत सा
धन कमा लया है या अपने मोह े म सबसे बड़ी कार आप ही के पास है या
आप ि ज नामक खेल म जीतते ह। आप कुछ इस लए ह, य िक ई र ने
आपको अपनी छिव म गढ़ा है।
हमम से अ धकतर इस समय भी उससे बेहतर, अ धक बु मान,
अ धक शि शाली, अ धक स म ह, जतना हम एहसास है। बेहतर आ मछिव बनाने से नई यो यताएँ , गुण, शि याँ उ प नह होती ह; यह तो उ ह
मु करती है और उनका इ तेमाल करती है।
हम अपने यि व को तो बदल सकते ह, लेिकन अपने बुिनयादी
व प को नह बदल सकते। यि व उस व प का एक औज़ार है,
िनकास है, क ीय बद ु है, जसका इ तेमाल हम संसार के साथ पेश आने
म करते ह। यह हमारी सारी आदत , नज़ रय और सीखी हुई यो यताओं
का महायोग है जसका इ तेमाल हम आ म-अ भ यि के लए करते ह।
आप अपनी ग़ल तयाँ नह ह। आ म- वीकृ त का मतलब है िक अपनी
वतमान अव था को वीकार करना और उसके साथ सही तालमेल
बैठाना। इसम हम अपने सारे दोष , कमज़ो रय , किमय और ग़ल तय के
साथ-साथ अपनी शि य और ख़ूिबय को भी वीकार करते ह। बहरहाल,
आ म- वीकृ त अ धक आसान तब होती है, जब हम यह एहसास हो जाता
है िक ये नकारा मक चीज़ हमारी भले ही ह , लेिकन वे हमारा असल
व प नह ह। कई लोग व थ आ म- वीकृ त से दरू इस लए भागते ह,
य िक वे ख़ुद को अपनी ग़ल तय के साथ जोड़ लेते ह। हो सकता है
आपने कोई ग़लती कर दी हो, लेिकन इसका यह मतलब नह है िक आप
एक ग़लती ह। हो सकता है िक आप उ चत तरीक़े से और पूरी तरह ख़ुद
को य न कर पा रहे ह , लेिकन इसका यह मतलब नह है िक आप
“अ छे नह ” ह।
हम अपनी ग़ल तय और किमय को सुधार सक, इससे पहले हम उ ह
पहचानना होता है।
ान हा सल करने क िदशा म पहला क़दम उन े को पहचानना है,
जहाँ आप अ ानी ह। अ धक शि शाली बनने क िदशा म पहला क़दम
यह पहचानना है िक आप कमज़ोर ह। और सभी धम सखाते ह िक मो
क िदशा म पहला क़दम यह आ म- वीकृ त है िक आप एक पापी ह।
आदश आ म-अ भ यि के ल य क या ा म िदशा सही करने के लए हम
नकारा मक फ़ डबैक डेटा का इ तेमाल करना होगा, जैसा िक हर ल यआकां ी थ त म करना होता है।
इसके लए अपने सामने यह मानने — और इस त य को वीकार
करने — क ज़ रत होती है िक हमारा यि व, हमारा “अ भ य
व प” या जसे कुछ मनोवै ािनक हमारा “वा तिवक व प” कहते ह,
हमेशा दोषपूण और आदश से कमतर होता है।
वा तिवक व प म जतनी संभावनाएँ होती ह, उ ह कोई भी यि
अपने जीवन काल म कभी पूरी तरह य करने या साकार करने म सफल
नह होता। हमारे वतमान व प म हम कभी भी वा तिवक व प क
सारी संभावनाओं और शि य को य नह कर पाते। हम हमेशा यादा
सीख सकते ह, बेहतर दशन कर सकते ह, बेहतर यवहार कर सकते ह।
वा तिवक व प हमेशा अपूण होता है। जीवन भर यह िकसी आदश ल य
क ओर हमेशा बढ़ता रहता है, लेिकन कभी उस तक पहुँचता नह है।
वा तिवक व प कोई थर नह , ब क ग तशील चीज़ है। यह कभी
पूण और अं तम नह होता, ब क हमेशा िवकास क अव था म रहता है।
यह मह वपूण है िक हम इस वा तिवक व प को इसक सारी
अपूणताओं के साथ वीकार करना सीख ल, य िक हमारे पास यही
एकमा वाहन है। मनोरोगी वा तिवक व प को अ वीकार कर देते ह
और इससे नफ़रत करते ह, य िक यह अपूण है। इसके थान पर वे एक
का पिनक आदश व प गढ़ने क को शश करते ह, जो पहले से ही आदश
है, पहले से ही “सफल” है। पाखंड और क पना को क़ायम रखने क
को शश करना न सफ़ एक ज़बद त मान सक तनाव है, ब क यह
लगातार िनराशा और कंु ठा क ओर ले जाता है, य िक इसक वजह से
लोग का पिनक व प के साथ वा तिवक संसार म काय करने क
को शश करते ह।
नु ख़ा
आप जैसे ह, उसे वीकार कर और वह से शु आत कर। भावना मक
प से ख़ुद म अपूणताओं को सहन करना सीख। अपनी किमय को
बौ क प से पहचानना आव यक तो है, लेिकन उनक वजह से
ख़ुद से नफ़रत करना घातक है। अपने व प और अपने यवहार म
फ़क़ कर। आपने कोई ग़लती कर दी है या आप िदशा से भटक गए ह,
इसका मतलब यह नह है िक आप बबाद हो गए या आप बेकार ह,
जस तरह ग़लती करने पर कं यूटर बेकार नह हो जाता या कोई
ग़लत सुर िनकालने पर वाय लन बेकार नह हो जाता। आप आदश
नह ह, इस वजह से ख़ुद से नफ़रत न कर। बहुत सारे लोग आप ही
क तरह अपूण ह। कोई दस
ू रा भी यि आदश नह है और जो लोग
इसका नाटक करने क को शश करते ह, वे परेशानी म क़ैद हो जाते
ह।
आ म— वीकृ त बनाम आ म—अ वीकृ त
कई लोग मानते ह िक वे दस
ू र क अ वीकृ त बदा त नह कर सकते।
िमसाल के तौर पर, हो सकता है िक कुछ से स ोफ़ेशन स दीगर मामल
म तो समथ ह , लेिकन िब ी करने क अ धकतर थ तय म िनिहत
स ाई को अगर वे भावना मक प से नह सँभाल सकते, तो उनका
क रयर अटक जाएगा। िब ी क स ाई यह है — आपको हाँ से यादा ना
सुनने को िमलता है, वीकृ त के बजाय अ वीकृ त अ धक िमलती है।
लेखक, नाटककार, अ भनेता, खलाड़ी, श क सभी जनता या मी डया
क आलोचना और अ वीकृ त के बोझ तले दबकर चूर-चूर हो गए ह।
लेिकन इस अ वीकृ त का भाव उसक तुलना म कुछ भी नह है, जो
आ म-अ वीकृ त क िवनाशकारी शि म है।
लोग कई मायन म ख़ुद को अ वीकार करते ह और बौना कर लेते ह।
मिहलाएँ ख़ुद को ायः इस लए अ वीकार कर देती ह, य िक वे देहयि
के वतमान फ़ैशन या मानक के अनु प नह होत । 1920 के दशक म कई
मिहलाओं को ख़ुद पर इस लए शम आती थी, य िक उनके तन बड़े थे।
उस ज़माने म लड़क जैसा िफ़गर फैशन म था और बड़े तन शमनाक होते
थे। िफर फ़ैशन बदला और अब कई यव
ु तय को इस वजह से तनाव होता
है, य िक उनके तन 40 इंच के नह ह। 1920 के दशक म मिहलाएँ मेरे
पास आती थ और कुल िमलाकर यह कहती थ , “मेरे तन का आकार
घटाकर मुझे कुछ बना द।” 1960 के दशक म आ ह यह था, “मेरे तन
का आकार बढ़ाकर मुझे कुछ बना द।” “कुछ बनने” क यह चाह शा त है,
लेिकन जब हम इसे दस
ू रे लोग के अनुमोदन से या सबके जैसे बनकर
हा सल करना चाहते ह, तो हम ग़लती करते ह। इस ग़लती के बहुत गंभीर
प रणाम हो सकते ह। िमसाल के तौर पर, छरहरे आदश क वजह से
मिहलाएँ एनोरे सया क शकार हो जाती ह और इस वजह से उनक मौत
भी हो सकती है, जैसा िक कुशल गा यका कैरेन कारपटर के च चत मामले
म हुआ था।
यह सफ़ एक उदाहरण है। लोग बहुत सारे कृि म पैमान पर अपनी
तुलना करके ख़ुद को अ वीकार करते और नीचा िदखाते ह। वे िकसी
सहकम , र तेदार या पड़ोसी क फटाफट बराबरी करने क को शश म
गहरे क़ज़ म डू ब जाते ह, जसे वे उतार नह सकते। कई लोग दरअसल
ख़ुद से कहते ह, “चूँिक म दबु ला, मोटा, नाटा, बहुत लंबा आिद हूँ, इस लए
म कुछ नह हूँ।” या, “चूँिक म उसके जतनी दबु ली या अमीर नह हूँ,
इस लए म शू य हूँ।” मेरे याल से डचेस ऑफ़ यॉक ने यह कहा था, “आप
कभी भी ज़ रत से यादा छरहरी या अमीर नह हो सकत ।” लेिकन जो
मिहलाएँ एनोरे सया नामक शारी रक रोग क शकार ह, जो आ म-छिव
ारा कट होता है, वे इससे भ राय य करगी!
ख़ुद को अ वीकृत करने के बजाय आपको ख़ुद को वीकार करने क
को शश करनी चािहए। इसका मतलब यह वीकार करना है िक आप अनूठे
ह, अपनी िक़ म के इकलौते इंसान ह, जो शि य व कमज़ो रय , ान
और अ ान, अनुभव और नादानी, उपल ध और छपी संभावना के
अि तीय माण ह तथा इस संसार का हर यि भी ऐसा ही है। आप जस
भी यि से ई या करते ह और जसक तुलना म ख़ुद को हीन मानते ह ,
उसके जीवन क परत को सावधानी से हटाएँ । आपको वहाँ अपने से भ
दोष और कंु ठाओं का समूह िमलेगा, जो कमोबेश आपके समूह के बराबर
ही होगा। डॉना ड ट प के पास रयल ए टेट के े म पारस प थर है,
लेिकन आज तक वे यि गत संबध
ं क़ायम नह रख पाए। संभवत: आपके
ि य खेल का वतमान हीरो इस व त लोकि यता क धूप सक रहा हो,
लेिकन हो सकता है िक उसे तीस के दशक म ख़ म होने वाले क रयर के
साथ तालमेल बैठाना असंभव लगता हो। जबिक हो सकता है िक आपका
क रयर उस व त परवान चढ़ रहा हो। हम सभी को अपने-अपने तरीक़े से
आ म- वीकृ त के लए को शश करनी चािहए, भले ही केवल कुछ ही लोग
इसे हा सल कर पाएँ ।
ख़ुद को वीकार कर। बेशक आ म-िनद शत, वैध आ म-सुधार करने
म जुट। लेिकन अपने असल व प म भी रह। आप अपने अनूठे और
ख़ास व प म िनिहत संभावनाओं व मताओं को पूरी तरह साकार नह
कर सकते, अगर आप इसक ओर पीठ घुमाते रह, इसक वजह से शम
महसूस करते रह, इससे नफ़रत करते रह, झूठे आदश से इसक अनु चत
तुलना करते रह और इसे अपनी सबसे बड़ी संप तथा समथक के प म
पहचानने से इंकार करते रह।
ए यू — एडव सटी वोशंट (िवप
रह य
अनुपात) का
कई वष तक आई यू श ा जगत और िवचार का क रहा। माना जाता था
िक यह पहले से ही भिव यवाणी कर सकता है िक कोई इंसान जीवन म
िकतनी दरू तक जा सकता है। अब हम िन त प से जानते ह िक आई
यू यह नह बताता है िक इंसान म िकतनी संभावनाएँ ह। यह काय आ मछिव करती है। (हम यह भी जानते ह िक आई यू वय क होने के बाद भी
बेहतर िकया जा सकता है।)
म जसे आ म-छिव का िह सा कहता हूँ या आ म-छिव का
तिन ध व कहता हूँ, उसे वै ािनक प से नापा जा सकता है। डॉ. पॉल
टॉ ज़ नामक बंधन परामशदाता 1967 से यह अ ययन कर रहे ह िक
लोग िवप पर कैसे ति या करते ह। 100 से अ धक कंपिनय के साथ
अपने वृह काय म उ ह ने एक लाख से अ धक लोग के एडव सटी
वोशंट का आकलन िकया है। एडव सटी वोशंट (ए यू) इस बात का
पैमाना है िक लोग चुनौ तय को कैसे देखते ह और उनसे िकतनी अ छी
तरह िनबटते ह।
डॉ. टॉ ज़ कहते ह िक उ ए यू का होना अ धक मह वपूण होता
जा रहा है, य िक संसार म काय करना अ धका धक मु कल होता जा
रहा है। वे सामा य प से अपने ाहक का सव करते ह और उन िवपरीत
घटनाओं क सं या पूछते ह, जनका वे हर िदन सामना करते ह — चाहे
यह हवाई या ा म देर होना हो, लाइट का र होना हो या िकसी मुख
ाहक का िकसी त पध के पास पहुँचना हो। वे कहते ह िक दस साल
पहले औसत सं या 7 थी; पाँच साल पहले 13 यानी लगभग दोगुनी;
जबिक 1999 म यह सं या 23 हो गई।
डॉ. टॉ
करते ह :
ज़ उ
ए यू वाले लोग को तीन
े णय म िवभा जत
1. जो अपने सामने आई िवप य या झटक के लए दस
ू र को दोष
नह देते।
2. जो ख़ुद को भी दोष नह देते ह, जो यह नह देखते ह िक आने वाले
झटके उनके यि व क ख़राबी के कारण आए।
3. जो मानते ह िक वे जन सम याओं का सामना करते ह, वे आकार
और अव ध म सीिमत ह तथा उनसे िनबटा जा सकता है।
हमने सफल यि व के वच लत सफलता मेकेिन म के िटगर के
प म अभी-अभी जो चचा क है, यिद उससे इन गुण क तुलना क जाए,
तो आप मेरे िवचार और डॉ. टॉ ज़ के िन कष म समानता देख सकते
ह।
या आप अपने ए यू को बढ़ा सकते ह? िन त प से। कंपनी के
तर पर डॉ. टॉ ज़ का पूरा कारोबार उन श ण काय म को दान
करने पर कि त है, जो पूरे संगठन के कमचा रय के ए यू तर को बढ़ा
देते ह। उनक नी त यह है िक असहायता, आ म-शंका, सम याओं क
अजेयता और दोष या अपराधबोध जैसी कम ए यू मा यताओं वाले लोग
का बोझ ह का कर द। यह काफ़ कुछ आ म-छिव को द ु त करने या
शि शाली बनाने जैसा ही है। “बोझ ह का करना” या “मु करना” ही
“शि शाली करना” है। ज़ री नह है िक आप कुछ जोड़कर ही शि शाली
बन; आप घटाकर भी शि शाली बन सकते ह।
यह हर उस चीज़ के पूरी तरह सामंज य म है, जो मने बहुत गंभीर रोग
से उबरे लोग म देखा है। कुछ लोग आसानी से यह वीकार कर लेते ह िक
उनक सम या इतनी िवराट है िक वे असहाय ह। वे शम और अपराधबोध
महसूस करते ह। वे कमज़ोर होने के लए ख़ुद को दोष देते ह और वे अपनी
थ त के लए दस
ू र , ई र या िक़ मत को दोष देते ह। अ य लोग का
सामना जब उसी दबु ल करने वाली बीमारी से होता है, तो वे उ ए यू
वाले तीन गुण क पुि करते ह। वे हर तरह से अपने रोग का आ ामकता
से सामना करते ह। वे सि य शोध करते ह, सीखते ह, अपने इलाज म
शािमल होते ह, साथक और संतुि दायक ग तिव ध जारी रखने के तरीक़े
खोजते ह। िमसाल के तौर पर, म मानता हूँ िक ए लज़ाबेथ टेलर और
ि टोफ़र रीव के ए यू ऊँचे ह। मौत के साथ ए लज़ाबेथ टेलर क कई
बार मुठभेड़ हो चुक है, उनके कई ऑपरेशन हो चुके ह, जनम िहप
र लेसमट सजरी शािमल ह, वे दो बार बैटी फ़ोड िनक म मादक य
उपचार के लए जा चुक ह और दस
ू री बार म सफल रही ह। बहरहाल, वे
अपनी सुंदरता, शालीनता और हा य बोध को क़ायम रखने के लए जमकर
लड़ी ह। वे मनोरंजन उ ोग म सि य बनी रही ह (उ ह ने आ ख़री बार
सन् 2000 म एक टीवी िफ़ म बनाई थी), कारोबार उ ोग म भी (एक
सफल पर यूम लाइन के साथ), और परोपकारी काय म भी (ए स शोध के
लए पहली बड़ी दान ाही सं था क थापना करके)। घुड़सवारी दघ
ु टना
म ि टोफ़र रीव क रीढ़ म चोट लग गई थी, जससे उ ह लकवा हो गया।
वे अब भी ेमपूण प त और िपता, लेखक, पेशेवर व ा तथा िफ़ म
डायरे टर के प म सफल और साथक जीवन जी रहे ह, हालाँिक उ ह
िब तर से बाहर िनकलने और कपड़े पहनने के लए ही भारी यास, घंट
के समय और नस के सहयोग क आव यकता होती है।
नारक य िफ शग िटप
म कई िम के साथ लंच कर रहा था, जो कुछ समय पहले ही एक
िफ़ शग िटप से इक े लौटे थे। जब मने या ा के बारे म पूछा, तो उन सभी ने
एक के बाद एक िवप का वणन िकया, जनसे पूरी या ा भरी रही थी —
ख़राब मौसम, उनका सामान से भरा कूलर नदी म बह गया, एक यि का
पेट ख़राब हो गया आिद-आिद। िफर मने पूछा, “और आप इस िटप को
कौन सी रे टग दगे?”
एक यि
ने कहा, “सबसे अ छी िटप। हम बड़ा मज़ा आया।”
इस या ा के दौरान उ ह ने उ ए यू क अव था म काय िकया और
िवप त भरी घटनाओं क ख
ं ला क सफलता म बदल िदया। अगर वे
रोज़मरा के 365 िदन के जीवन को भी उसी तरह जी सक, जस तरह
उ ह ने 5 िदन क िफ़ शग िटप म जीवन जया था, तो वे सभी अ धक ख़ुश
और अ धक सफल हो जाएँ गे। हम सभी हो जाएँ गे। ज़ािहर है, रोज़मरा के
मामले नदी या जंगल म स ाहांत क ग़ल तय क हा य द घटनाओं से
यादा मह वपूण हो सकते ह। िन त प से, जीवन क ासिदयाँ जैसे
गंभीर चोट या बीमारी, ेम क त आिद कह अ धक मह वपूण होती ह।
िफर भी अ धकतर सफलता का संबध
ं उ मीद और ति या से होता है।
अगर दस
ू र के साथ प पातपूण तुलना या आदश बनने पर ज़ोर िदया जाए,
अगर जीवन के आरामदेह होने क क पना क जाए या हर चीज़ के त
पूणतः असंतोषजनक “काली या सफ़ेद” ति याओं क अता कक
अपे ाएँ रखी जाएँ , तो हम ख़ुद पर भारी बोझ लाद लेते ह, जनके वज़न
तले हम ख़ुद को कुचल लगे।
बोझ कम करने क नी तकथा
म यह अ याय एक नी तकथा से ख़ म करने जा रहा हूँ, जसे मने कई
अलग-अलग तरीक़ से सुना है। इस बारे म सोच िक यह आपके सफल
यि व क वतं ता से कैसे संबं धत है।
यह कहानी एक प
प से थके या ी के बारे म है, जो एक धूल भरी
सड़क पर पैदल जा रहा था। उसके एक कंधे पर एक बड़ा प थर था,
उसक पीठ पर ई ंट से भरा एक थैला था, एक बड़ा सा क ू उसके सर पर
ख़तरनाक तरीक़े से संतु लत था और उसके पैर के चार ओर मज़बूत बेल
तथा खरपतवार का घ सला था, जसक वजह से वह बस छोटे-छोटे,
लगड़ाते हुए क़दम उठा सकता था। जैसी आप क पना कर सकते ह, यह
इंसान ट ू क तरह लगड़ाकर चल रहा था, परेशानी म झुका हुआ था,
उसक ग त धीमी और किठन थी, उसका शारी रक संघष बहुत अ धक
था।
सड़क िकनारे बैठे एक आदमी ने उससे कहा, “अरे मुसािफ़र, तुम
अपने कंधे पर इतने बड़े, भारी प थर का बोझ य लादे हो?”
मुसािफ़र ने हैरानी से कहा, “ओह। दे खए, मने कभी ग़ौर ही नह िकया
था िक यह िकतना भारी है। जब तक आपने नह बताया, तब तक मने
सोचा ही नह था िक म इसे अपने साथ य ले जा रहा हूँ।” कुछ िमनट
तक सोचने के उपरांत मुसािफ़र ने प थर को नीचे रख िदया, इसे सड़क
िकनारे छोड़ िदया और थोड़ा अ धक तनकर, थोड़ी अ धक तेज़ी से चलने
लगा।
थोड़ी दरू चलने के बाद उसे एक और आदमी िमला, जसने उससे
ई ंट से भरे थैले के बारे म पूछा। मुसािफ़र बोला, “ओह, मुझे ख़ुशी है िक
आपने इसका िज़ कर िदया। मने दरअसल यान ही नह िदया था िक
थैले म या है।” उसने सारी ई ंट बाहर िनकाल द और उ ह सड़क िकनारे
छोड़कर आगे बढ़ गया।
वह थोड़ी और आगे गया, जहाँ एक ज ासु ब ा सड़क िकनारे खेल
रहा था और उसने उससे पूछा, “अरे महाशय, आपने अपने पैर के आसपास यह खरपतवार य लपेट रखी है?”
मुसािफ़र ने अपनी जेब से चाकू िनकाला और खरपतवार को काट
डाला।
एक-एक करके पास खड़े लोग ने मुसािफ़र को उसके अनाव यक
बोझ के बारे म जाग क बनाया। इस लए एक-एक करके उसने नई
जाग कता को वीकार िकया, पुराने बोझ को अ वीकार िकया और उ ह
सड़क िकनारे छोड़ िदया। आ ख़रकार, वह सचमुच वतं हो गया तथा
िकसी आदमी क तरह सीधा और तनकर चलने लगा।
या उसक सम याएँ च ान या ई ंट या खरपतवार थी? नह , िबलकुल
नह । जो एकमा सम या थी, वह उनके बारे म जाग कता का अभाव था।
मान सक
श ण अ यास
आप जो ई ंट और प थर उठाकर घूम रहे ह, उनक एक सं
सूची
बनाएँ । सचमुच क ई ंट ले आएँ और एक माकर पेन से हर ईट पर एक
भावना मक बोझ का नाम लख द। सारी ई ंट उठाकर िकसी थैले या
कपड़े के बैग म डाल द और उसे अपनी कार के पीछे वाली सीट पर
रख द। जब आप हर सुबह अपने घर से िनकल, तो उस बैग को बाहर
िनकालकर उसे कुछ बार झुलाएँ और ख़ुद से कह, “आज म अपनी
ई ंट कार म छोड़ रहा हूँ। म िदन भर इन भारी ई ंट के िबना रहूँगा।”
जब आप शाम को घर लौट, तो अपने ीफ़केस और दस
ू रे सामान
कार से िनकाल, लेिकन ई ंट से भरे बैग को वह छोड़ द और ख़ुद से
कह, “म अपनी ई ंट पीछे छोड़कर शाम को चैन से रहूँगा और इसका
आनंद लगा।”
अ याय नौ
अपने वच लत असफलता मेकेिन म
को
संयोगवश सि य करने से केसे बच
जो यि ख़ुद पर शंका करता है, वह उस यि क तरह
है, जो अपने द ु मन क जमात म शािमल हो जाता है और
ख़ुद क ख़लाफ़ ह थयार उठा लता है।
-एल ज़डर डू मा
के उबलने के अलग-अलग बद ु या वथनांक होते ह। मेरे
इ ◌ं सान
ज़माने म कई कपिनयाँ और फ़ै टयाँ टीम बॉइलस को गम
करते थे, जो बम क तरह फटने से दरअसल बस एक क़दम दरू ही रहते थे।
सही तरीक़े से िनयंि त करने पर वे िकफ़ायती दाम पर आव यक गम
दान करते थे। लेिकन उनम िवनाश क आशंका भी जुड़ी रहती थी। इन
बॉइलस म दबाव बताने वाले पैमाने होते थे, जो बताते थे िक दबाव कब
ख़तरे के बद ु पर पहुँच गया है। संभािवत ख़तरे को पहचानकर थ त
सुधारने का काय िकया जा सकता था और सुर ा सुिन त क जा सकती
थी। इसी तरह से, आज हमारे पास यूि यर पॉवर लां स ह। यहाँ भी
क यूटर और इंसान क सावधान िनगरानी और िनयमन क ज़ रत होती
है, तािक “ वथनांक” क वैसी दघ
ु टना को रोका जा सके, जो चन बल म
हुई थी।
मुझे बताया गया है िक एक बहुत बुरी यूि यर पॉवर लांट तबाही
लगभग होते-होते रह गई। ी माइल आईलड क इस दघ
ु टना को समय
रहते रोक लया गया, वह एक कमचारी क वजह से शु हुई थी, जसने
एक कप कॉफ़ छलका दी थी।
शि म हमेशा ख़तरे समािहत होते ह। अतीत का अनुभव आपको जो
यक़ न िदलाता है, आपका सव -मेकेिन म उससे कह अ धक शि शाली
है। आप इसके बारे म जतना अ धक सीखते ह ओर इसका जतना अ धक
इ तेमाल करते ह, आप इसक मताओं को देखकर उतने ही अ धक
हैरान ह गे। बहरहाल, जस शि का इ तेमाल आपका वच लत सफलता
मेकेिन म (ए एस एम) सृजना मक और उ पादक ढंग से करता है, उसका
इ तेमाल वच लत असफलता मेकेिन म (ए एफ़ एम) िवनाशकारी ढंग से
कर सकता है। हम अपने भीतर क इस शि को िनयंि त करना होगा,
हमेशा ख़तरे के लाल िनशान के त सतक रहना होगा िक कह इसक सुई
ए एफ़ एम के इलाक़े म तो नह जा रही है।
नकारा मक भाव चेतावनी क घंटी बजा देते ह। कंु ठा, ोध, अ त
चता, अटल अवसाद, ई यां, ेष, आलस, कुछ नह के बदले म कुछ
माँगना, असिह णुता, अस मान और ज़ािहर है, आ म-अ वीकृ त - ये सभी
इस बात के संकेत ह िक सव -मेकेिन म क सुई लाल इलाक़े म है।
इंसान का शरीर भी लाल ब ी के संकेत और ख़तरे के िनशान बताता
है, ज ह डॉ टर ल ण कहते ह। रोगी क आदत है िक वह इन ल ण को
बुरा मानता है। उसे लगता है िक बुखार, दद आिद चीज़े “बुरी” होती ह।
वा तव म, ये नकारा मक संकेत रोिगय के िहत म होते ह, बशत वे उनक
अस लयत पहचान ल और सुधारवादी कायवाही कर ल। रोग के ल ण
दरअसल दबाव नापने के पैमाने और लाल ब याँ ह, जो शरीर को व थ
रखने म मदद करते ह। अप डसाइिटस का दद रोगी को बुरा लग सकता है,
लेिकन वा तव म यह रोगी के बचाव के लए काय करता है। अगर उसे दद
महसूस नह होता, तो वह अप ड स को हटवाने के लए कोई काय ही नह
करता।
ए एफ़ एम को जब संयोगवश जा त और सि य कर िदया जाता है, तो
इसके भी ल ण होते ह। हम अपने भीतर इन ल ण को पहचानने म समथ
होना चािहए, तािक हम उनके बारे म कुछ कर सक। जब हम यि व के
कुछ ख़ास गुण को असफलता के िदशासूचक के प म पहचानना सीख
लेते ह, तो िफर ये ल ण अपने आप नकारा मक फ़ डबैक के प म काय
करते ह और हम सृजना मक उपल ध क राह पर आगे जाने का मागदशन
देते ह। बहरहाल, हम उनके बारे म सफ़ जाग क होने क ही ज़ रत नह
है, य िक हर कोई उ ह “महसूस” करता है। हम तो उ ह अवां छत मानने
क ज़ रत है, उन चीज़ क तरह ज ह हम नह चाहते और सबसे अहम
बात, हम ख़ुद को गहराई से और सचमुच िव ास िदला देना चािहए िक
ख़ुशी इन चीज़ से नह िमलती है।
कोई भी इन नकारा मक भावनाओं और नज़ रय से मु नह है।
सफल से सफल यि भी समय-समय पर उनका अनुभव करते ह।
मह वपूण बात यह है िक उनक अस लयत पहचान ली जाए और िदशा को
सही करने के लए सकारा मक काय िकया जाए।
असफलता क त वीर
मने पाया है िक रोगी इन नकारा मक फ़ डबैक संकेत या असफलता
मेकेिन म को याद कर सकते ह, जब वे उ ह उन अ र के साथ जोड़कर
देखते ह, जनसे “फ़े यर” (असफलता) श द बनता है। वे ह :
F rustration, hopelessness,
futility
कंु ठा, िनराशा, िनरथकता
A ggressiveness (misdirected) आ ामकता (ग़लत िदशा म)
I nsecurity
असुर ा
L oneliness (lack of
“oneness”)
अकेलापन (“एक व” का
अभाव)
U ncertainty
अिन तता
R esentment
E mptiness
ेष
खोखलापन
कोई भी बैठकर, जान-बूझकर, दभ
ु ावनावश पहले से िवचार करके या
सफ़ जान-बूझकर ग़लत यवहार करने के लए इन नकारा मक गुण को
िवक सत करने का िनणय नह लेता है। ये गुण अपने आप नह हो जाते ह।
न ही वे मानव वभाव के दोषपूण होने का संकेत होते ह। इनम से हर
नकारा मक बात मूलतः िकसी मु कल या िकसी सम या को सुलझाने के
तरीक़े के प म अपनाई गई थी। हम उ ह इस लए अपनाते ह, य िक हम
ग़लती से यह मान लेते ह िक उनके ज़ रए हम िकसी मु कल से बाहर
िनकल सकते ह। हालाँिक वे ग़लत आधारवा य पर आधा रत ह, लेिकन
उनम अथ और उ े य होता है। वे हमारे लए जीने का तरीक़ा बन जाते ह।
याद रख, मानव वभाव क एक बल ेरणा यह होती है िक वह उ चत
तरीक़े से ति या करे। हम इन असफलता के ल ण का इलाज
इ छाशि से नह , समझ से कर सकते ह। इनके इलाज के लए हम यह
देखना होगा िक ये तरीक़े काय नह करते ह और वे अनु चत ह।
स य हम उनसे मु कर सकता है। और जब हम स ाई को देख लेते
ह, तो सहज बोध क यही शि याँ, जनक वजह से हमने उ ह पहले
अपनाया था, उ ह दरू करने म हमारी मदद करगी।
िमसाल के तौर पर, शहीद ं थ या शकार ं थ के बारे म सोच। आप
िन त प से िकसी न िकसी ऐसे यि को जानते ह गे, जो ख़ुद को
लगातार दख
ु ी बचपन, िबखरे हुए प रवार, अपया श ा, अ यायी
िनयो ाओं, षड् यं कारी सहक मय , धोखेबाज ेिमय , सभी कार क
बीमा रय और आ थक दभ
ु ा य के शकार के प म पेश करता है। यह
यि ज़ोर देकर कहता है िक सारा जीवन उसके ख़लाफ़ एक
ष मेकेिन म है। यह यि इससे भी आगे तक जाकर रोता-झ कता है,
आह भरता है और शहीद क तरह बार-बार कहता है, “नह , नह , तुम लोग
आज रात को नाटक देखने जाओ और मज़े करो। मेरी चता मत करो, िक
म नह जा सकती। मेरे बारे म सोची भी मत। मुझे तो इस बात क आदत है
िक लोग मुझे पीछे छोड़ जाते ह।” अगर हम बाहर से देख, जैसे मछली के
टक म मछली क ओर देख, तो हम इस यि के यवहार पर अिव ास या
ोध महसूस कर सकते ह, जो इतने अता कक प से ख़ुद को और अपने
आस-पास के हर यि को दख
ु ी करने पर आमादा है। लेिकन इसे समझने
म कोई ग़लती न कर, इस यि ने ये आदत सुिनयो जत रणनी त बनाकर
नह डाली ह जससे उसे और दस
ु हो। िबलकुल
ू रे लोग को अ धकतम दख
नह ! इसके बजाय, उसने इस तरीक़े को इस लए जकड़ लया है, तािक
िन त कंु ठाएँ सुलझ सक, तािक उसे दस
ू र का यान और क णा िमल
सके, जो वह चाहती है या उसे वह मा यता िमल जाए, जो वह िकसी दस
ू रे
तरीक़े से नह पाती है।
बाहर से अंदर क ओर काय करते समय इस सबको दोबारा सही
करना काफ़ मु कल है, इस लए आप अपने जीवन म मौजूद िकसी दस
ू रे
यि क यादा मदद नह कर सकते। लेिकन आप अपनी आ म-छिव के
भारी बन सकते ह और अपनी आ म-छिव को दोबारा बना सकते ह तथा
इस तरह अपने यवहार को बदल सकते ह।
तो आइए, वच लत असफलता मेकेिन म क चेतावनी के संकेत पर
िवचार कर िक यह कब िनयं ण थाम रहा है।
कंु ठा
कंु ठा एक भावना मक भाव है। यह भाव तब िवक सत होता है, जब हम
िकसी मह वपूण ल य को हा सल नह कर सकते ह या जब हमारी कोई
बल इ छा पूरी नह होती है। हम सभी को थोड़ी-बहुत कंु ठा झेलनी ही
पड़ती है, य िक हम इंसान ह और इस लए अपूण या अधूरे ह। जब हम बड़े
होते ह, तो हम यह सीख लेना चािहए िक सारी इ छाएँ तुरत
ं संतु नह हो
सकत । हम यह भी सीखते ह िक हमारे “काय” कभी भी हमारे इराद
जतने अ छे नह होते ह। हम इस त य को वीकार करना भी सीखते ह
िक पूणता न तो आव यक है, न ही अपे त है और पूणता के आस-पास
रहना भी तमाम यावहा रक उ े य से पया अ छा है। हम इस बारे म
िवच लत हुए िबना कुछ कंु ठाओं को सहन करना सीखते ह।
जब कंु ठाजनक अनुभव गहरी असंतुि और िनरथकता क अ य धक
गहरी भावनाओं को लाता है, तब यह असफलता का ल ण बन जाता है।
दीघकालीन कंु ठा का आम तौर पर यह मतलब होता है िक हमने ख़ुद
के लए जो ल य तय िकए ह, वे अयथाथवादी ह या हमारी जो छिव अपने
मन म है वह अयो यता क छिव है या दोन ही बात ह।
यावहा रक ल य बनाम पूणतावादी ल य। अपने िम
क नज़र म
जम एस. काफ़ सफल था। वह अपनी कपनी म टॉक क से वाइसे सडट के पद तक उठा था। उसके गो फ़ का कोर 85 से कम था।
उसक एक सुंदर प नी और दो ब े थे, जो उससे यार करते थे। बहरहाल,
वह दीघकालीन कंु ठा महसूस करता था, य िक इनम से कोई भी उसके
अयथाथवादी ऊँचे ल य के अनु प नह था। वह हर मायने म आदश नह
था, लेिकन वह मानता था िक उसे आदश होना चािहए। उसे अब तक
संचालक मंडल का चेयरमैन बन जाना चािहए था। उसका कोर 75 से कम
होना चािहए था। उसे इतना आदश प त होना चािहए था िक उसक प नी
को कभी उससे असहमत होने का कारण नह िमलता। उसे इतना आदश
िपता होना चािहए था िक उसके ब े कभी द ु यवहार नह करते। सफ़
िनशाने पर वार करना ही पया अ छा नह था। उसे तो िनशाने के ठीक
बीचोबीच मौजूद छोटे से कण पर वार करना था। मने उससे कहा, “आपको
अपने तमाम मसल म उसी तकनीक का इ तेमाल करना चािहए, जसका
सुझाव पेशेवर गो फ़ खलाड़ी जैक बक ने िदया था। यानी िक यह महसूस
न कर िक आपको एक लंबा हार करके गद को सीधे कप के पास पहुँचाना
है। इसके बजाय आपको वॉशटब के आकार वाले इलाक़े का ल य बनाना
चािहए। इससे दबाव कम हो जाता है और आप राहत महसूस करते ह।
नतीजा यह होता है िक आप बेहतर दशन करने म समथ होते ह। अगर
यह पेशेवर के लए पया अ छा है, तो यह आपके लए भी पया अ छा
होना चािहए।”
उसक वयं पूरी होने वाली भिव यवाणी ने असफलता तय कर
दी। हैरी एन. थोड़ा अलग था। वह सफलता का एक भी बाहरी तीक
हा सल नह कर पाया था। हालाँिक उसे कई अवसर अव य िमले थे, और
सभी को उसने बबाद कर िदया। तीन बार वह उस नौकरी को पाने क
कगार पर था, जसे वह पाना चाहता था, लेिकन हर बार “कुछ हो गया
था।” जब सफलता उसक पकड़ के भीतर नज़र आती थी, तो कोई न कोई
चीज़ उसे हमेशा हरा देती थी। ेम संग म भी उसे दो बार िनराशा िमल
चुक थी।
उसक आ म-छिव यह थी िक वह एक अपा , अ म, हीन यि था,
जसे जीवन म सफल होने या बेहतर चीज़ का आनंद लेने का कोई हक़
नह था। अनजाने म ही वह इस आ म-छिव को सच सािबत करने क
को शश करता था। उसे महसूस होता था िक वह सफल लोग जैसा नह है,
वह िकसी तरह सफल नह हो सकता, इस लए वह हमेशा कुछ न कुछ ऐसा
कर देता था, तािक यह वयं पूरी होने वाली भिव यवाणी सच हो जाए।
कंु ठा सम याओं को सुलझाने का कारगर तरीक़ा नह है। कंु ठा,
असंतोष या असंतुि क भावनाएँ सम याओं को सुलझाने के वे तरीक़े ह,
ज ह हम सभी ने शशु के प म सीखा था। भूखा शशु रोकर अपने
असंतोष को य करता है। उसक आवाज़ सुनकर एक गम, कोमल हाथ
जाद ू क तरह अचानक कह से आता है और दध
ू ले आता है। अगर उसे
तकलीफ़ होती है, तो वह यथा थ त से अपने असंतोष को एक बार िफर
य कर देता है और वही गम हाथ अचानक जाद ू से एक बार िफर आते ह
तथा उसक सम या सुलझाकर उसे आरामदेह बना देते ह। कई ब े इसी
तरह सफ़ कंु ठा क भावनाओं का इज़हार करके अपना काय कराते रहते ह
और उनसे लाड़ करने वाले माता-िपता उनक सम याएँ सुलझाते रहते ह।
ब को तो बस कंु िठत व असंतु महसूस करना होता है और सम या
सुलझ जाती है। यह जीवन का तरीक़ा शशु और कुछ छोटे ब के लए
“कारगर होता है।” बहरहाल, हमम से कई इसे बाद म भी आज़माना जारी
रखते ह। हम जीवन के ख़लाफ़ अपनी शकायत को य हम थ त के
बारे म पया बुरा महसूस कर, तो जीवन हम पर दया करेगा - तुरत
ं हमारी
सम या को सुलझा देगा।
जम एस. अचेतन प से इस बचकाना तकनीक का इ तेमाल इस
उ मीद से कर रहा था िक िकसी जाद ू से वह पूणता आ जाएगी, जसक
उसे चाहत थी। हैरी एन. ने कंु िठत और परा जत महसूस करने का इतना
“अ यास” िकया था िक पराजय क भावनाएँ थायी बन गई थ । उसने
उ ह भिव य पर भी आरोिपत कर िदया और उसे आशंका थी िक वह
असफल हो जाएगा। आदतन पराजयवादी भावनाओं के चलते उसने
परा जत यि के प अपनी त वीर बना ली। िवचार और भावनाएँ साथसाथ चलते ह। भावनाओं क भूिम पर ही िवचार उगते ह। यही कारण है िक
इस पूरी पु तक म आपको यह क पना करने का सुझाव िदया जाता है िक
अगर आप सफल होते तो कैसा महसूस करते - और िफर इस व त वैसा
ही महसूस करने क सलाह दी जाती है।
शशु जैसा यवहार वय क जीवन म अनु चत है और आपको ल य
तय करके तथा उनक िदशा म काय करके इससे ऊपर उठना होगा। जब
आप िकसी तरह से िदशा से इधर-उधर होते ह, तो आप िनराशा म लेटकर
िकसी ब े क तरह रो नह सकते और इंतज़ार नह कर सकते िक कोई गम
हाथ आएँ गे, आपको नम से झाड़-प छ दगे तथा आपको दोबारा सही िदशा
म अपने माग पर लौटा लाएँ गे। आपको आ म-छिव क शि , ख़ुद को
उठाने के संक प, अपनी िदशा का न शा बनाने और अपने चुने हुए ल य
क ओर क अपनी या ा दोबारा शु करनी होगी। आपको आ म- वीकृ त
का दशन करना होगा, तािक आप वीकार कर िक आपसे ग़ल तयाँ हुई ह
- आप एक तरफ़ चले गए, जबिक आपको दस
ू री तरफ़ जाना चािहए था लेिकन ऐसी आ म-अ वीकृ त से बच, जसम दोष देने के वांग क ज़ रत
होती है। आपको इसक अनुम त नह देनी है िक कोहरे का ढेर आकर
आपके ल य के आकाशदीप क रोशनी को िमटा जाए।
आ ामकता
अ य धक और ग़लत िदशा म िनद शत आ ामकता कंु ठा के पीछे उसी
तरह आती है, जस तरह िदन के बाद रात आती है।
अ ज़ाइमस वतमान यगु क एक भयंकर बीमारी है। इसम िकसी इंसान
क शारी रक सेहत अ छी हो सकती है, लेिकन इसके बावजूद यह अंदेशा
रहता है िक वह अपनी याददा त और पहचान गँवा दे, जो लगातार कम
होती जाए। इस रोग के शकार लोग म यह आम है िक कभी-कभार, िबना
िकसी चेतावनी के वे परवाह करने वाल या ि यजन के त हसक हो
सकते ह। मुझे यक़ न है िक यह आ ामकता इन लोग क अक पनीय
कंु ठा का सीधा प रणाम है। ये ये लोग इस लए कंु िठत महसूस करते ह,
य िक उनक पहचान ही उनक मृ त से िमट चुक है।
जब अ ज़ाइमस के शकार न हुए लोग हसक या दस
ू र के त द ु
होते ह, तो अ सर इसका सीधा कारण यह होता है िक उनके स े व प
को कुचला गया है, यह यातना म है या अ व थ आ म-छिव के िकसी प
म क़ैद है।
मेरी प नी ऐन क एक पुरानी सहेली एक सफल क रयर वाली मिहला
है। उसने एक थोड़ी कम उ के, कम सफल यि से शादी कर ली। वह
इस िज़ मेदारी से काफ़ संतु िदख रही थी और घर क लगभग पूरी
आमदनी कमा रही थी तथा उदारता से अपने प त का समथन कर रही थी।
पहले तो वह भी संतु था। लेिकन दस
ू र क मौन नापसंदगी, िम के
मज़ाक़, प नी के प रवार क आलोचना ने िमलकर उस पर कंु ठा का बोझ
लाद िदया। उस यि ने कई यावसा यक कारोबार शु िकए, जनका
उसम िबलकुल भी ान नह था। उसने िबना अ छी तरह सोचे-िवचारे
िनवेश िकए। इस तरह एक ऐसा सल सला शु हुआ, जससे उसक कंु ठा
और बढ़ गई। इसी तरह, उस मिहला पर भी िम और प रवार ने दबाव
डाला, जससे वह असंतु , िफर आलोचना मक बन गई। जब उस यि
क सारी कंु ठा इस अ त गम माहौल म उबलने के बद ु तक पहुँच गई, तो
एक बहस के दौरान वह हसक हो गया और उसने अपनी प नी क जमकर
िपटाई कर दी। अंततः इसका प रणाम यह हुआ िक पु लस म रपोट हुई
और साइरन बजाती हुई पु लस क कार उनके घर पर आई। यह घटना
ठंडी नह हुई, जैसी िक इस तरह क चीज़े शायद ही कभी होती ह। यह
िववाह के अंत क शु आत सािबत हुई।
िकसी आदमी ारा िकसी औरत को या िकसी औरत ारा िकसी
आदमी को पीटने का कोई जायज़ बहाना नह है। लेिकन इस घटना का
कारण आसानी से समझा जा सकता है। कारण यही है िक अिनयंि त कंु ठा
आ ामकता को उ प करती है।
बहरहाल, ऊपर बताए अि य उदाहरण म, आ ामकता अपने आप म
असामा य यवहार क ोतक नह है, जैसा कुछ मनोिव ेषक कभी मानते
थे। आ ामकता और भावना मक ज़ोर िकसी ल य तक पहुँचने के लए
बहुत आव यक ह। हम जो चीज़ चाहते ह, हम उसका पीछा र ा मक या
अनमने अंदाज़ के बजाय आ ामक तरीक़े से करना चािहए। हम
आ ामकता से सम याओं से जूझना चािहए। अगर हमारे पास कोई
मह वपूण ल य है, तो इतना ही काफ़ है िक यह हमारे बॉइलर म
भावना मक भाप पैदा कर दे और आ ामक वृ य को सामने ले आए।
सम या तब खड़ी होती है, जब हम अपने ल य को हा सल करने से रोका
जाता है या कंु िठत िकया जाता है। तब भावना मक भाप अंदर ही क़ैद हो
जाती है और िनकलने का ज़ रया चाहती है। ग़लत िदशा म होने पर या
उपयोग म न आने पर यह एक िवनाशकारी शि बन जाती है। जो कमचारी
अपने बॉस क नाक पर मु ा जमाना चाहता है, लेिकन इसक िह मत नह
कर पाता, वह घर पहुँचकर अपनी प नी तथा ब पर च ाता है या िब ी
को लात मार देता है। या वह अपनी आ ामकता को ख़ुद क ओर उसी
तरह मोड़ सकता है, जस तरह द ण अमे रका म एक िब छू ग़ु से म ख़ुद
को काट लेता है और अपने ही ज़हर से मर जाता है।
अंधाधुध
ं
हार न कर - अपनी आग को कि त कर। वच लत
असफलता मेकेिन म आ ामकता को िकसी साथक ल य क उपल ध
क ओर िनद शत नह करता है। इसके बजाय यह अ सर, उ र चाप,
चता, अ धक म पान या अ तशय कामकाज के आ म-िवनाशकारी
मा यम म इसका इ तेमाल करता है। या यह चढ़, बदतमीज़ी, आलोचना,
तंग करने, दोष खोजने या हसा के प म दस
ू रे यि य पर भी िनकल
सकता है।
आ ामकता का समाधान इसे िमटाना नह है, ब क इसे समझना है।
इसका समाधान इसक अ भ यि के उ चत तथा सही माग दान करना
है। जब हम यह पहचान लेते ह िक आ ामकता अपना सर उठा रही है, तो
हम इसे कंु ठा के मूल कारण क ओर मोड़ना चािहए और कंु ठा को सुलझाने
के लए इस सारी ऊजा का उ पादक काय म इ तेमाल करना चािहए।
ान आपको शि
देता है। यिद आप काय करने वाले मेकेिन म को
समझ लेते ह, तो इसी से कंु ठा-आ ामकता के च से िनबटने म मदद
िमलती है। ग़लत िदशा म िनद शत आ ामकता वैसी ही बात है, जैसे आप
एक ल य (मूल ल य) पर िनशाना लगाने क को शश कर, लेिकन बहुत
सारी िदशाओं म बहुत सारे ल य पर हार करते रह। यह कारगर नह
होता। ब के काटू न को याद कर, जसम ए मर फ़ड चालाक ख़रगोश का
शकार करने क को शश करता है। उस पर कई बार िनशाना लगाने और
कई बार चूकने के बाद फ़ड दजन भ - भ िदशाओं म अंधाधुध
ं िनशाने
लगाता है। मुझे लगता है िक बतख़ का शकार करने वाले कुछ लोग का
मन भी कई बार इसी लोभन म आता होगा!
आप िकसी दस
ू री सम या को उ प करके पहली सम या को नह
सुलझा सकते। अगर आपका िकसी पर झ ाने का मन हो, तो ठहरकर ख़ुद
से पूछे, “ या यह सफ़ मेरी कंु ठा है, जो सर उठा रही है? म िकस चीज़ क
वजह से कंु िठत हूँ?” “ या म दजन भर अलग-अलग िदशाओं म गोली चला
रहा हूँ?” जब आप देखते ह िक आपक ति या अनु चत है, तो आप इसे
िनयंि त करने क िदशा म काफ़ आगे तक पहुँच जाते ह। जब कोई आपके
त खा होता है, तो इसका भाव काफ़ कम हो जाता है, य िक इससे
आपको यह एहसास हो जाता है िक यह शायद दरु ा ह भरा काय नह है,
ब क वच लत मेकेिन म क सि यता है। सामने वाला यि अपनी
भाप िनकाल रहा है, जसका इ तेमाल वह िकसी ल य को हा सल करने म
नह कर सकता।
कई कार दघ
ु टनाएँ कंु ठा-आ ामकता मेकेिन म ारा उ प होती ह।
आज, इसे वाहनचालक- ोध का नाम िदया जाता है। इसी तरह एयरलाइन
या ी का ोध भी है। ये नाम सफ़ अिनयंि त कंु ठा का प रणाम ह, जनसे
आ ामकता उ प होती है। अगली बार जब कोई टैिफ़क म आपके साथ
ग़लत ढंग से पेश आए, तो इसे आज़माएँ : आ ामक होने के बजाय ख़ुद से
कह, “बेचारा यि गत प से मेरे ख़लाफ़ नह है। शायद आज सुबह
उसक प नी ने उसका टो ट जला िदया होगा, वह िकराया नह चुका पाया
होगा या उसके बॉस ने उसे क ा चबा िदया होगा।”
भावना मक भाप के लए से टी वै व। जब आप िकसी मह वपूण
ल य को हा सल करने म बा धत हो जाते ह, तो आप उस भाप के इंजन
जैसे हो जाते ह, जसम भाप तो लबालब है, लेिकन उसके िनकलने के लए
कोई जगह नह है। आपको अपनी अ य धक भावना मक भाप के लए एक
से टी वै व क ज़ रत है। आ ामकता को ख़ म करने के लए सभी
कार के शारी रक यायाम उ कृ ह। लंबी दरू ी तक तेज़ पैदल चलना, पुश
अ स, डंबल के यायाम अ छे ह। इससे भी यादा अ छे वे खेल ह, जनम
आप िकसी चीज़ को मारते ह - गो फ़, टेिनस, बो लग, बैग पर मु े मारना।
एक और अ छी नी त यह है िक आप लखकर अपना ज़हर उगल द। जस
यि ने आपको कंु िठत या नाराज़ िकया है, उसे एक प लख। उसम
अपनी सारी कटु भावनाएँ बे झझक िनकाल द। क पना के लए कुछ भी न
छोड़। िफर उस प को जला द।
आ ामकता का सबसे अ छा माग इसका उसी तरह इ तेमाल करना
है, जस तरह िक िकया जाना चािहए - िकसी ल य क िदशा म काय करने
म। काय सव े चिक साओं म से एक है और परेशान यि के लए
सबसे अ छे शांतक म से भी एक है।
असुर ा
असुर ा का भाव अंद नी अयो यता क अवधारणा या िव ास पर
आधा रत है। अगर आप महसूस करते ह िक आप आव यकता क कसौटी
पर खरे नह उतरते ह, तो आप असुर त महसूस करते ह। बहुत सारी
असुर ा इस कारण नह होती है िक आपके आं त रक संसाधन सचमुच
अपया ह, ब क इस त य के कारण होती है िक हम तुलना के ग़लत
पैमाने का इ तेमाल कर लेते ह। हम अपनी वा तिवक यो यताओं क
तुलना िकसी का पिनक आदश या पूण व प से करते ह। े तम के
मुक़ाबले अपने बारे म सोचने से असुर ा उ प होती है।
असुर त यि महसूस करता है िक उसे अ छा होना चािहए - पूरी
तरह। उसे सफल होना चािहए - पूरी तरह। उसे ख़ुश, यो य, संतु लत होना
चािहए - पूरी तरह। ये सभी अ छे ल य ह। लेिकन उनके बारे म, या कम से
कम पूरी तरह के संदभ म, “चािहए” के बजाय यह सोचना चािहए िक इन
ल य तक पहुँचने क को शश क जाए।
मेरा एक िम एक बड़ी बंधन परामशदा ी कपनी का मु खया है।
उसने एक बार मुझसे एक लोकि य यवसाय पु तक के बारे म बातचीत
क , जसका शीषक था द पीटर सपल । इसम यह अवधारणा दी गई थी
िक कारोबार म अफ़सरशाही हमेशा यह ग़लती करती है िक यह लोग को
तर क़ देकर अंततः उनक अयो यता के तर पर पहुँचा देती है, जसके
िवनाशकारी प रणाम होते ह। मने ख़ुद यह कई बार होते देखा है : एक
अ छा और सफल डॉ टर अपने काय म ख़ुश था। अ पताल वाल ने उसे
तर क़ देकर िवभाग मुख बना िदया। वह एक बुरा मैनेजर सािबत हुआ।
अ पताल ने एक बेहतरीन डॉ टर खो िदया और एक अ म शासक पा
लया। मेरे िम ने इस बात को हमेशा सही मानने से इंकार िकया। उसने
कहा, “इसम कोई शक नह िक तथाक थत पीटर सपल ऐसी थ तय
को प करता है या कम से कम इसके लए आरामदेह, सं
लेबल
दान करता है, लेिकन इसके बावजूद यह नह बता एक पाता िक ठीक
ऐसी ही थ त का भ प रणाम भी य िनकल सकता है। उस यि के
बारे म या, जसका मोशन उसके अनुभव, ान, तैयारी या आ मिव ास
के तर से काफ़ परे हो जाता है और उसके आस-पास के लोग उसके
असफल होने क उ मीद करते ह, लेिकन वह इस अवसर के लायक़ बन
जाता है तथा सफल हो जाता है?” जब हमने इस मु े पर आगे बातचीत
क , तो मुझे एहसास हुआ िक यह काफ़ कुछ उन शु आती अवलोकन
और
जैसा ही था, जो मुझे साइको साइबरनेिट स क ओर ले गए थे।
दो दख
ु ी लोग, जनके शारी रक दोष लगभग समान थे और उनक क पना
म उनका मह व कई गुना था, उ ह लगभग समान कॉ मेिटक सजरी दी
जाती है, लेिकन इसके बाद उनम से एक उस तरह यवहार करता है, जैसी
आप और म उ मीद करते, लेिकन दस
ू रा अपने बारे म वही सारी
नकारा मक भावनाएँ क़ायम रखता है, मानो िनशान अब भी मौजूद हो।
य?
सजरी ओर तर क़ दोन ही संग म प रणाम क भ ता यि य
क आ म-छिव म छपी हुई है। यह उनके चेहर या उनके बायोडेटा म नह
देखी जा सकती।
जो यि पहले से ही असुर त है, जसक आ म-छिव कमज़ोर है
और जो इ छाशि के बूते पर ख़ुद को दशन के िकनारे तक जाने के लए
िववश कर रहा है, अगर उसक तर क़ हो जाती है, तो वह ति या उस
मोशन को व णम अवसर मानकर नह करेगा, ब क “उस तनके क
तरह करेगा, जसने ऊँट क पीठ तोड़ दी।”
दोबारा िदशा सुधार क जादईु शि । असुर ाओं से ख़ुद को मु करने
क कई नी तयाँ ह, जनसे आप हर अवसर के तर तक ऊपर उठ सकते
ह। एक नी त तो यह है िक थ त, दस
ू रे शािमल लोग और ख़ुद के बारे म
ता कक प से सोचा जाए। दस
ू री नी त है आ म-छिव आ त और
सशि करण। इसम आप मान सक थएटर म उसक क पना करते ह,
जसे आपको स मता से करना है। साथ ही, आप िवचार तथा आव यक
जवाब पाने के लए अपने वच लत सफलता मेकेिन म को नए खोज
अ भयान पर भेज देते ह। एक और नी त यह है िक उ चत नए ल य पर
अपनी नज़र को त काल दोबारा कि त िकया जाए।
दोबारा िदशा सुधार इतना मह वपूण य है, इसका कारण देख।
यू यॉक के एक मशहूर खेल लेखक ने एक बार मुझे यह उदाहरण
िदया :
कॉलेज फ़ुटबॉल के दो बहुत सफल कोच थे, ज ह एन एफ़ एल म मु य कोच के पद
िमले। उ ह दरअसल त पधा के एक िबलकुल नए तर पर तर क़ िमली थी।
हम खेल लेखक तुरत
ं सवाल करने लगते ह िक उनम इस तर पर सफल होने क
यो यता है या नह । एक तरह से हम पीटर सपल को उनके माथे पर चपका देते
ह। अंततः उनम से एक कोच कॉलेज को चग क ओर दोबारा लौट जाता है - उस
िपटे हुए िप े क तरह, जो अपनी दम
ु पैर के बीच दबाकर लौटता है। जबिक दस
ू रा
कोच अपनी टीम को सुपर बोल क तरफ़ ले जाता है। उनके बीच िन त प से
यो यता, संभागीय िवरो धय क कठोरता, शे ूल आिद कई भ ताएँ हो सकती ह।
लेिकन दोन
श क म जो सबसे बड़ी भ ता है, वह है नए पद पर उनक
ति या। दोन ने ही एनएफ़एल तक तर क़ क उ मीद क है। लेिकन एक इसे
इस तरह देखता है, जैसे उसका ल य पूरा हो गया। और वह इस तरह यवहार करने
लगता है, मानो वह नया-नया राजा बना हो। वह अपनी असुर ाओं और आ म-शंका
को तानाशाही भरे, यहाँ तक िक बड़बोले यवहार के पीछे छुपाता है। वह ज द ही
मी डया, खलािड़य और दस
ं बना लेता है।
ू रे श क के साथ श ुतापूण संबध
उसके खलाड़ी अख़बार पढ़कर भाँप लेते ह िक वह बफ़ क पतली परत पर चल
रहा है, इस लए वे कोई ति या नह करते। ज द ही वह बुरी तरह कंु िठत हो जाता
है। उसक असुर ाएँ असफलता के डर क ओर मुड़ जाती ह, उसक कंु ठा
आ ामकता म बदल जाती है और वह उन यो यताओं का इ तेमाल नह कर पाता
है, जो वह अपने साथ लाया था। दस
ू रा नई तर क़ पाने वाला कोच एक िबलकुल
अलग नी त अपनाता है। उसके लए, को चग के इस काय क तर क़ उसक
आजीवन उपल ध क िदशा म उठाया गया बस एक और क़दम है। वह तुरत
ं एक
िबलकुल नए ल य-समूह पर यान कि त करता है, टीम का मनोबल बेहतर बनाने
के लए एक िव
तरीय टाफ़ क यव था करता है, टीम के भीतर छपी हुई
यो यताओं को बाहर िनकालता है और दो सीज़ स म अपनी टीम को सुपर बोल तक
ले जाता है। उसक सारी ऊजा अनुमािनत और उ पादक प से कि त है। उसके
ल य लाइटहाउस जैसे ह, जो उसे टकराकर न होने से रोकते ह। लोग उस पर
अलग तरह से ति या करते ह और उसे भ प रणाम िमलते ह।
मेरे खेल–लेखक िम ने इन
थ तयो का िव ेषण साइको
साइबरनेिट स के अंदाज़ म िकया है! चूँिक इंसान ल य-आकां ी
मेकेिन म होते ह, इस लए इसका व प अपना पूण सा ा कार तभी कर
पाता है, जब इंसान िकसी चीज़ क िदशा म आगे बढ़ रहा हो। िपछले
अ याय म साइकल से इंसान क तुलना याद है? लोग अपना संतुलन और
सुर ा का एहसास तभी पाते ह, जब वे आगे बढ़ते ह या िकसी चीज़ का
पीछा करते ह। जब आप इस तरह सोचते ह जैसे आपने ल य हा सल कर
लया है, तो आप थर बन जाते ह। ऐसे म आप उस सुर ा और संतुलन
को गँवा देते ह, जो आप म िकसी चीज़ क ओर बढ़ते समय था। यिद
आपको िव ास है िक आप पूरी तरह अ छे ह, तो आपके पास न सफ़
बेहतर करने का कोई ो साहन नह है, ब क आप असुर त महसूस
करते ह, य िक आपको अपने ढ ग और नाटक क र ा भी करनी होगी।
एक बड़ी कपनी के े सडट ने मुझे हाल ही म बताया, “जो यि सोचता है
िक वह ‘मंिज़ल पर पहुँच गया’ है, उसने हमारे लए अपनी उपयोिगता को
लगभग ख़ म कर िदया है।” जब िकसी ने ईसा मसीह को अ छा कहा था,
तो उ ह ने उसे झड़क िदया था, “मुझे अ छा य कहते हो? अ छा सफ़
एक ही है और वह है ई र।” सट पॉल को आम तौर पर एक अ छा इंसान
माना जाता है, लेिकन उनका ख़ुद का नज़ रया यह था, “म ख़ुद को उनम
नह िगनता, जो हा सल कर चुके ह … ब क म ल य क िदशा म दबाव
बनाए हुए हूँ।”
अपने पैर ठोस ज़मीन पर रख। िकसी पवत के शखर पर खड़े होने क
को शश करना असुर त है। मान सक प से अपने ऊँचे घोड़े से नीचे
उतर जाएँ । इससे आप अ धक सुर त महसूस करगे।
इसके बहुत यावाह रक उपयोग ह। यह खेल जगत म पराजय के
मनोिव ान को प करता है। जब कोई चिपयन टीम ख़ुद को चिपयन
मानने लगती है, तो उसके पास िकसी ल य क खा तर जूझने के लए कोई
चीज़ ही नह होती, उ टे उसके पास एक त ा होती है जसक उसे र ा
करनी होती है। चिपय स िकसी चीज़ क र ा करने क को शश कर रहे ह,
कुछ सािबत करने क को शश कर रहे ह। परा जत टीम िकसी चीज़ को
हा सल करने के लए जूझ रही ह, इसी वजह से वे अ सर बड़ी टीम को
हरा देती ह।
म एक बॉ सर को जानता था, जो तब तक अ छी तरह लड़ता था,
जब तक िक वह चिपयन शप न जीत ले। लेिकन इसके बाद अगले मुक़ाबले
म ही वह चिपयन शप हार जाता था और इसम उसक हालत बहुत खराब
िदखती थी। टाइटल खोने के बाद वह दोबारा अ छी तरह लड़ने लगता था
और दोबारा चिपयन बन जाता था। एक समझदार मैनेजर ने उससे कहा,
“तुम एक चिपयन के प म भी उतनी ही अ छी तरह लड़ सकते हो,
जतना िक इसके दावेदार के प म लड़ते हो। बस इसके लए तु ह एक
चीज़ याद रखनी होगी। यह सोच लो िक जब तुम रग म क़दम रखते हो, तो
तुम चिपयन शप क र ा नह कर रहे हो - तुम तो इसक ख़ा तर जूझ रहे
हो। तु हारे पास चिपयन का खताब नह है - उसे तो तुम बाहर रखकर रग
तक आए थे।”
असुर ा उ प करने वाला मान सक नज़ रया एक तरीक़ा है। यह
वा तिवकता क जगह पर ढ ग और नाटक करने का तरीक़ा है। यह अपने
और दस
ू र के सामने अपनी े ता सािबत करने का तरीक़ा है। लेिकन यह
ख़ुद को परा जत करने वाली चीज़ है। अगर आप वाक़ई आदश और े
ह, तो आपको लड़ने, जूझने और को शश करने क कोई ज़ रत नह है।
वा तव म, अगर आपको सचमुच कड़ी को शश करते पकड़ा जाता है, तो
इसे इस बात का माण माना जा सकता है िक आप े नह ह। इस लए
को शश न कर। इसस आप यु हार जाते ह और जीतने क अपनी इ छा
भी।
कारोबार जगत म सुर त लीडस अपने इद-िगद ऐसे लोग क टीम
रखने क को शश करते ह, जो उनसे यादा समझदार, यादा स म और
अ सर यादा उ के तथा यादा अनुभवी ह । दस
ू री ओर, असुर त
लीडस ख़ुद को हाँ-करने वाल और चापलूस से घेरे रखते ह। य ?
य िक सुर त लीडर आगे बढ़ने क को शश म जुटा हुआ है और इस
व त उसे आव यक काय करने क जतनी चता है, उतनी िकसी दस
ू री
चीज़ क नह है। असुर त लीडर िदखावे के त यादा च तत रहता है।
उसे डर रहता है िक िकसी को उसम कमज़ोरी या अ मता का कोई संकेत
न िदख जाए।
अगर आप ख़ुद को इस तरह यवहार करते पकड़, जैसे आपके
वच लत असफलता मेकेिन म ने आपको असुर ाओं के दलदल म पटक
िदया है और िफर आपने इसके गंदे क चड़ से वयं को बाहर िनकाला है,
तो आपको वीकार करना चािहए िक “िकसी चीज़ से बदबू आ रही है और
यह मेरा ख़ुद का यवहार है!” िफर नहाने और साफ़-सुथरे होने के लए
आव यक उपाय कर। दोबारा िदशा सुधार, ल य-िनधारण एक अ छा
साबुन है, जससे आप नान कर सकते ह।
अकेलापन
हम सभी कई बार अकेले होते ह। एक बार िफर, यह इंसान होने क
वाभािवक सज़ा है, जो हम िमलती है। लेिकन वच लत असफलता
मेकेिन म का काय है अकेलेपन क अ तशय और दीघकालीन भावना दस
ू रे लोग से कटे होने और अलग-थलग होने क भावना।
अकेलेपन का यह कार जीवन से अलगाव क वजह से उ प होता
है। यह आपके स े व प से दरू होना है। जो लोग अपने वा तिवक
व प से जुदा ह, उ ह ने ख़ुद को जीवन के बुिनयादी और आधारभूत
संपक से काट लया है। एकाक लोग अ सर एक द ु च
थािपत कर लेते
ह। वा तिवक व प से अलगाव क भावना के कारण मानव संपक बहुत
संतोषजनक नह होते ह और वे सामा जक बैरागी बन जाते ह। ऐसा करने म
वे ख़ुद को खोजने के एक माग से दरू हट जाते ह। यह माग है दस
ू रे लोग के
साथ सामा जक ग तिव धय म ख़ुद को खोना। दस
ू रे लोग के साथ रहने,
काय करने और आनंद लेने से हम ख़ुद को भूलने म मदद िमलती है। ेरक
बातचीत, नाचते-गाते समय या िमलकर खेलते समय या िकसी ल य के
लए िमलकर काय करते समय हम अपना ढ ग और नाटक क़ायम रखने के
अलावा िकसी दस
ू री चीज़ म च लेते ह। जब हम सामने वाले क जान
जाते ह, तो हम ढ ग क कम आव यकता महसूस होती है। हम िपघल जाते
ह और यादा वाभािवक बन जाते ह। हम यह जतना यादा करते ह, हम
उतना ही अ धक महसूस होता है िक हम ढ ग और नाटक से पीछा छुड़ा
सकते ह तथा अपने असली व प म अ धक आरामदेह महसूस कर
सकते ह।
अकेलापन एक ऐसा तरीक़ा है, जो काय नह करता। अकेलापन
आ मर ा का एक तरीक़ा है। दस
ू रे लोग के साथ संवाद - और ख़ास तौर
पर िकसी भी कार के भावना मक जुड़ाव - के तार काट िदए जाते ह। यह
िकसी भी कार क असुर ा, चोट, अपमान से अपने आदश कृत व प
क र ा करने का तरीक़ा है। एकाक यि दस
ू रे लोग से डरते ह। एकाक
यि अ सर शकायत करते ह िक उनका कोई िम या ऐसे लोग नह ह,
जनके साथ वे घुल-िमल सक। अ धकतर मामल म, वे अनजाने म ही
अपने िन य नज़ रए के कारण इस तरह चीज़ क ख़ुद यव था कर देते
ह िक दस
ू रे लोग उनके पास आएँ , दस
ू रे लोग पहल कर और यह सुिन त
कर िक उनका मनोरंजन हो। यह उ ह सूझता ही नह है िक िकसी
सामा जक थ त म उ ह भी कुछ योगदान देना चािहए।
अपनी भावनाओं से परे जाएँ । ख़ुद को दस
ू रे लोग से घुलने-िमलने के
लए िववश कर। पहले ठंडी डु बक के बाद आप ख़ुद को गम होता पाएँ गे
और अगर आप जुटे रहे, तो इसका आनंद लेने लगगे। कोई ऐसी सामा जक
यो यता िवक सत कर, जससे दस
ू रे लोग क ख़ुशी बढ़े : जैसे डा स
करना, ि ज खेलना, िपयानो बजाना, टेिनस, बातचीत। एक पुराना
मनोवै ािनक सू वा य है, जससे आपको डर लगता है, उसे लगातार
करने से िमलने वाली िनरंतर असुर ा आपका डर दरू कर देती है। जब
एकाक यि ख़ुद को दस
ं बनाने के लए
ू रे लोग के साथ सामा जक संबध
मज़बूत कर देते ह - िन य तरीक़े से नह , ब क सि य योगदान देने
वाल के प म - तो वे धीरे-धीरे पाते ह िक अ धकतर लोग दो ताना ह
और यह भी िक दस
ू रे लोग उ ह वीकार करते ह। उनका संकोच और
कातरता ग़ायब होने लगती है। वे दस
ू रे लोग के सामने और उनके साथ
अ धक आरामदेह महसूस करने लगते ह। उनक वीकृ त का अनुभव उ ह
ख़ुद को वीकार करने म समथ बनाता है।
जो शीष ए ज़ी यूिटव ख़ुद को अपने हवाई िकले म एकाक रखता है,
वह ज द ही पाएगा िक उसके ऑिफ़स म रखा िनजी सामान उसक कार म
पहुँच गया है, उसके हाथ म तन वाह का आ ख़री चेक है और वह कपनी
के बाहर हो चुका है। अकेलापन उ और शि शाली लोग को धराशायी
कर देता है। जो यि संबध
ं के जो खम से ऑिफ़स म ख़ुद को एकाक
बना लेता है, वह एक िदन इस सदमे भरे त य के साथ जागेगा िक काय
करने का कोई कारण ही नह है!
अलगाव और अकेलापन वे शि याँ ह, जो “सामा य इंसान ” क तरह
ही राजाओं और रा प तय को भी न कर देती ह। रा प त िन सन के
वाइट हाउस के बारे म कहा गया था िक जब वॉटरगेट कांड का ख़ुलासा
हुआ, तो उन पर एक “बंकर मान सकता” हावी हो गई। उ ह ने अपने
अकेलेपन को बढ़ाकर उसम सुर ा खोजनी चाही। उनके यवहार क
तुलना ाइसलर के शखर पर मौजूद ली आयाकोका से करके देख। उनके
जहाज़ म बहुत सारे छे द थे और यह आ थक समु म डू बने के आस
ख़तरे से जूझ रहा था। अकेलेपन म शरण लेने के बजाय, एक अँधेरे कमरे म
अपने गहराते संकट के साथ अकेले जीने के बजाय वे जनता के सामने इस
तरह आए, जस तरह पहले कभी नह आए थे। उ ह ने वॉल टीट,
वॉ शगटन और ख़रीदने वाली जनता क ख़ुशामद क , सौदे िकए, बेचा और
संगिठत िकया तथा इस तरह कपनी का नाटक य कायाक प कर िदया।
जब आपके मन म अकेलेपन का लोभन आए, तो आपको इसक
जगह जीवंतता रख देनी चािहए। उस अ त
ु प टग के बारे म सोच, जो
सा वैडोर डाली ने मुझे उपहार म दी थी। इस प टग म उ ह ने साइको
साइबरनेिट स को एक अ डग जहाज़ के प म चि त िकया है, जो अँधेरे
लेिकन अ धक सुर त बंदरगाह म रहने के बजाय काश क ओर तैरने का
चुनाव कर रहा है। हालाँिक यह बात सच है िक अँधेरे म थर खड़े रहने से
आपके अँगूठे को चोट नह लगेगी, लेिकन यह भी सच है िक एक ही जगह
खड़े रहकर आप िकसी जलती हुई इमारत से बचकर बाहर नह िनकल
सकते, िफ़ज से तरोताज़ा करने वाला पानी नह ला सकते। कुल िमलाकर,
सुर त खड़े रहकर और अँधेरे म थर रहकर आप कुछ भी हा सल नह
कर सकते। हम जुड़कर अकेलेपन से ऊपर उठना होगा। हम अकेलेपन से
संल ता क ओर जाना होगा। यहाँ तक िक अवसर और बेहतरीन क
चाहत के लए हम आलोचना और मुठभेड़ का जो खम भी लेना होगा।
अिन तता
दाशिनक ए बट हबड ने कहा था, “इंसान सबसे बड़ी ग़लती यही करता है
िक वह कोई ग़लती करने से घबराता है।”
अिन तता ग़ल तय और िज़ मेदारी से बचने का एक तरीक़ा है। यह
इस झूठे आधारवा य पर आधा रत है िक अगर कोई िनणय नह लया
जाता है, तो कुछ भी ग़लत नह हो सकता। ग़लत होना उस यि के लए
अ य धक सं ास का कारण है, जो ख़ुद को आदश मानने क को शश
करता है। वह मानता है िक वह कभी ग़लत नह होता और सारी चीज़ म
आदश होता है। अगर वह ग़लत हुआ, तो आदश, सव-शि मान व प क
उसक त वीर ढह जाएगी। इस लए िनणय लेना जीवन-मरण का मामला हो
जाता है।
एक तरीक़ा तो यह है िक अ धकतर िनणय से यथासंभव बच और
उ ह जतना संभव हो, उतने लंबे समय तक ख च। एक और तरीक़ा है दोष
के लए िकसी उपयोगी ब ल का बकरा क़रीब रख। इस कार का यि
िनणय तो लेता है, लेिकन वह उ ह ज दबाज़ी म, समय से पूव लेता है और
आधी बा द के साथ चलने के लए मशहूर होता है। िनणय लेने म उसे
कोई सम या नह आती है। आ खर वह ख़ुद को आदश समझता है। िकसी
भी मामले म उससे ग़लती होना असंभव है। इसी लए, त य या प रणाम
पर िवचार करने क या ज़ रत है? जब उसके िनणय ग़लत सािबत हो
जाते ह, तो यह यि अपनी क पना का सहारा लेता है और ख़ुद को
िव ास िदला देता है िक यह िकसी दस
ू रे का दोष था।
यह देखना आसान है िक ये दोन ही कार के लोग य असफल हो
जाते ह। एक आवेगपूण और िवचारहीन काय के कारण मु कल म फंसता
है; दस
ू रा इस लए परेशान होता है, य िक वह काय करने के लए तैयार ही
नह होता। दस
ू रे श द म सही होने का “अिन तता का तरीक़ा” काय नह
करता।
ो
ो
कोई भी यि
हर समय सही नह होता। यह मान ल िक यह
आव यक नह है िक कोई यि हर समय 100 तशत सही हो। यह तो
चीज़ क कृ त म है िक हम काय करके, ग़ल तयाँ करके और िदशा
ेपा )
सुधारकर ग त करते ह। एक टॉरपीडो ( वच लत िव फोटक
अपने ल य पर पहुँचने क ि या म बहुत सारी ग़ल तयाँ करता है और
लगातार अपनी िदशा सुधारती रहती है। बहरहाल, अगर आप थर खड़े
ह , तो आप अपनी िदशा नह सुधार सकते। आप “कुछ नह ” बदल सकते,
कुछ नह सुधार सकते। आपको िकसी थ त म ात त य पर िवचार
करना होगा, काय क िव भ िदशाओं के संभािवत प रणाम क क पना
करनी होगी, अनुमािनत सव े समाधान वाली िकसी एक िदशा को चुनना
होगा और उस पर दाँव लगाना होगा। जब आप चलना शु कर द, तो रा ते
म आप अपनी िदशा सुधार सकते ह।
आज के कुछ सबसे सफल अ भनेताओं पर ग़ौर कर। केिवन
कॉ टनर। या आपको वॉटरव ड िफ़ म याद है? टॉम ह स वाली जो एड
द वॉ कनो िफ़ म। हम इस सूची को बढ़ा सकते ह। हर ऑ कर-िवजेता,
हॉलीवुड क हर ह ती के बायोडेटा म ऐसी एक न एक भारी ग़लती होती है।
अ धक मह वपूण बात, उन सारे साह सक काय पर िवचार कर,
जनम सबसे सफल तभागी जतने “सही” होते ह, उससे यादा ग़लत
होते ह।
िकसी फ़ुटबॉल मैच म को चग करना, यूह रचना या वाटर बैक
खेलना और रणनी तय पर अमल करना : अ धकतर मैच म िवजेता
ने सफल से अ धक असफल रणनी तय का इ तेमाल िकया है।
िकसी िनवेश पोटफ़ो लयो का बंधन करना : आम तौर पर,
“बा केट” के जतने शेयस ऊपर जाते ह, उससे कह अ धक शेयस
नीचे आते ह, लेिकन जो शेयर ऊपर जाते ह, वे पया मुनाफ़ा करा देते
ह।
तेल के लए खुदाई करना।
िव ापन तैयार करना।
अ धकतर प रवेश म िवजेता हर बार सही नह होते! अ सर वे आधी दफ़ा
भी सही नह होते।
म एक बहुत सफल उ मी से िमला था। उसने कुछ ही वष म बाज़ार
म 18 बहुत सफल नए उ पाद उतारे थे और 38 साल क उ तक अपनी
कपनी को शू य से 200 िम लयन डॉलर से अ धक के कारोबार तक पहुँचा
िदया था। उसने कहा था िक बहुत कम लोग इस बात पर ग़ौर करते ह िक
इतने ही समय म उसने बाज़ार म 100 अ य उ पाद भी उतारे थे, लेिकन
िकसी ने भी उन पर ग़ौर नह िकया और वे बुरी तरह असफल हो गए। वह
अपनी सफलता के रह य का वणन इस तरह करता है : म असफल होकर
यादा तेज़ी से आगे बढ़ता हूँ।
मेल ऑडर के संसार म दो कवदं तयाँ ह : टेड िनकोलस और जोसफ़
शुगरमैन। टेड िनकोलस शायद उस पूरे पृ के िव ापन के लए सबसे
अ छी तरह जाने जाते ह, जसने उनक व- का शत पु तक हाउ टु फ़ॉम
योर आोन कॉप रेशन िवदाउट अ लॉयर को िम लयन-कॉपी बे टसेलर
बनाया था। कई साल तक यह हाल था िक आप कोई भी यावसा यक या
आ थक काशन खोल, यहाँ तक िक कोई एयरलाइन पि का भी, तो उसम
टेड क अ य पु तक और ॉड स के िव ापन देखने से नह बच सकते
थे। बहरहाल, टेड खुलकर वीकार करते ह िक उ ह ने जतने लाभकारी
िव ापन िदए, उनके मुक़ाबले आठ-नौ गुना िव ापन नाकाम रहे।
जोसेफ़ शुगरमैन पहले मेल-ऑडर उ मी थे, ज ह ने फ़ोन से े डट
काड ऑडर वीकार िकए और टोल-फ़ी 800 नंबर का इ तेमाल िकया।
उ ह ने पूरे प े के िव ापन से इले टॉिनक उपकरण बेचकर शु आती
दौलत कमाई और वे मेल-ऑडर से पॉकेट कैलकुलेटर बेचने वाले पहले
यि थे। हाल ही म, वे लू- लॉकस के धूप के च मे बेचकर भारी प से
सफल हुए ह। जब शुगरमैन भाषण देते ह, तो वे ख़ुशी-ख़ुशी अपनी बड़ी
ग़ल तय क कहानी एक के बाद एक सुनाते ह, वे उ पाद जनम उ ह ने
िनवेश िकया, लेिकन वे नह िबके, वे िव ापन जो उ ह ने तैयार िकए और
बड़ी उ मीद से िदए, लेिकन उ ह उनम कामयाबी नह िमली। अपने
कारोबार म ये यि अिन तता को जीवनशैली का िह सा बना लेते ह और उ ह अ धकतर समय सही होने क आव यकता महसूस ही नह
होती।
केवल “छोटे आदमी” हो ख़ुद को “कभी ग़लत” नह मानते।
अिन तता से उबरने के लए यह एहसास भी सहायक होता है िक
आ मस मान और आ मस मान क र ा इस अिनणायकता म या भूिमका
िनभाते ह। कई लोग इस लए अिनणायक होते ह, य िक ग़लत सािबत होने
पर वे आ मस मान क त से डरते ह। अपने आ मस मान का इ तेमाल
अपने िवरोध म करने के बजाय अपने समथन म कर और ख़ुद को इस
स ाई का िव ास िदलाएँ : बड़े लोग ग़ल तयाँ करते ह और उ ह वीकार
करते ह। यह तो छोटा आदमी होता है, जो अपनी ग़लती वीकार करने से
डरता है। (ज़ािहर है, यह मिहलाओं पर भी उतना ही लागू होता है।)
उ मूलन क
ि या ारा सफलता। मुझे आथर कॉनन डॉयल के
महान जासूस शरलॉक हो स क कहािनयाँ बेहद पसंद ह। हो स के
िव सनीय सहायक डॉ. वाटसन म कई अ छे गुण ह, लेिकन उनम
क पनाशि क भारी कमी है। वे अ सर हैरत म पड़ जाते ह और चकरा
जाते ह, जब हो स “अपनी क पना म ग़ायब हो जाते ह” और सबसे
रह यमय अपराध के समाधान के साथ कट होते ह। अपनी क पना म
हो स उ मूलन क लगनशील ि या म संल होते ह और अंततः उस
सव े िन कष पर पहुँचते ह, जसका वे उ मूलन नह कर सकते। िफर
यह उनका ल य बन जाता है और वे अपने वच लत सफलता मेकेिन म
क सारी शि य को उसे सच सािबत करने वाले संकेत, त य और माण
खोजने म लगा देते ह; यानी, वे ल य पर पहुँच जाते ह। इसक जगह अगर
कोई कमतर जासूस होता, तो वह काय क मु कल और दिु वधापूण, यहाँ
तक िक िवपरीत सा य म उलझकर रह जाता और अपने वच लत
सफलता मेकेिन म के बजाय अपने वच लत असफलता मेकेिन म को
सि य कर देता।
यह भी ग़ौरतलब है िक हो स ग़लत होने के लए तैयार रहते थे और
जब उनके पहले यास और अनुमान िदशा से भटकते सािबत होते थे, तो
वे शम या अपमान का शकार होकर ढह नह जाते थे या कंु ठा और
आ ामकता को िनयं ण नह थमा देते थे, न ही अकेलेपन म समटकर रह
जाते थे। वे अपनी ग़ल तय पर एक तरह से कंधे उचका देते थे और ज दी
से दोबारा यान कि त करते थे तथा कभी इधर, कभी उधर होते हुए अपने
अं तम उ े य क ओर बढ़ते थे।
थॉमस ए डसन क प नी ने एक बार कहा था िक, “ए डसन िकसी
सम या पर उ मूलन क िव ध का इ तेमाल करते हुए अंतहीन तरीक़े से
काय करते थे। अगर कोई यि उनसे पूछता था िक या वे हताश हो गए
ह य िक उनके इतने सारे यास असफल सािबत हुए ह, तो वे कहते थे
िक, “नह , म हताश नह हूँ, य िक हर ग़लत यास आगे क ओर बढ़ाने
वाला एक और क़दम है।‘”
अगर प रणाम पहले से ही िन त और तय हो, तो कोई भी खलाड़ी
मैच नह खेलेगा, न ही हज़ार दशक टेलीिवज़न पर मैच देखगे।
हम खेल क अ पकालीन अिन तताओं को गले लगाना सीखना
होगा, जबिक हम अपने चुने हुए ल य से जुड़े रहना होगा और िव ास
करना होगा िक हम अपने बड़े उ े य को हा सल कर लगे, भले ही हम ऐसा
सीधी लक र म न कर पाएँ , ब क कभी इधर, कभी उधर जाकर वहाँ तक
पहुँच।
ख़ुद को आ त कर िक आप अपनी ग़ल तयाँ नह ह, तािक आप
खुलकर उ ह वीकार कर सक, उनम िनिहत उपयोगी जानकारी को
िनकाल सक, िदशा सही कर सक और आगे बढ़ना जारी रख सक।
ेष
जब वच लत असफलता मेकेिन म असफलता के लए िकसी ब ल के
बकरे या बहाने क तलाश करता है, तो यह अ सर समाज, “ स टम,”
जीवन, “अवसर,” िक मत, बॉस, जीवनसाथी, यहाँ तक िक ाहक का
नाम भी पेश कर देता है! वच लत असफलता मेकेिन म क मज़बूत
िगर त म फंसे लोग दस
ू र क सफलता और ख़ुशी से ेष करते ह, य िक
वे इस बात का सबूत ह िक जीवन उ ह कम दे रहा है और उनके साथ
भेदभावपूण यवहार कर रहा है। ेष का मतलब यह है िक आप अपनी
असफलता को िनगलने लायक़ बनाने क को शश कर रहे ह। इसका
मतलब यह है िक आप इसे प पातपूण यवहार या अ याय के संदभ म
प करने क को शश कर रहे ह। लेिकन असफलता के मरहम के प म
ेष एक ऐसा उपचार है, जो रोग से भी बदतर है। यह आ मा के लए एक
घातक ज़हर है, जो ख़ुशी को असंभव बना देता है और उस ज़बद त ऊजा
का इ तेमाल करता है, जो सफलता क िदशा म लगाई जा सकती थी।
अ सर, जब लोग मेरे
िनक म आते थे और अपने चेहरे के
मह वहीन दोष का ऑपरेशन करने का आ ह करते थे, तो मुझे लगता था
िक इन दोष को उनक क पना बड़ा-चढ़ाकर िदखा रही थी। उनके साथ
बातचीत करने पर मुझे एक एहसास होता था - जब वे शीशे म देखते थे, तो
त बब उ ह नापसंद आता था और इस नापसंदगी का संबध
ं
त बब क
वा तिवकता से नह था, ब क उनके जीवन और जीवन क प र थ तय
म लगभग हर एक के त भरे हुए ेष क वजह से था।
े
े
ो
ै
ेष का तरीक़ा हमेशा असफल होता है। ेष हम मह वपूण महसूस
कराने का तरीक़ा भी है। कई लोग को अ याय महसूस करने से एक िव च
संतोष िमलता है। अ याय के शकार, जनके साथ प पातपूण यवहार
हुआ है, वे अ याय करने वाले लोग क तुलना म ख़ुद को नै तक प से
े मानते ह।
े उस वा तिवक या का पिनक अ याय अथवा प पात को िमटाने
ष
का एक तरीक़ा या यास भी है, जो पहले ही हो चुका है। ेषपूण यि एक
कार से जीवन क अदालत के सामने “एक मुकदमा सािबत करने” क
को शश कर रहा है। अगर वह पया ेषपूण महसूस कर सके और इस तरह
से अ याय को “सािबत” कर सके, तो कोई जादईु ि या उसे पुर कृत
करते हुए ेष उ प करने वाली उस घटना या प र थ त को “ऐसी नह ”
घोिषत कर देगी। इस अथ म ेष िकसी पहले ही हो चुक चीज़ क
अ वीकृ त है, उसके त मान सक तरोध है। रज़ेटमट ( ेष) लैिटन के
दो श द से िमलकर बना है : र, यानी दोबारा और से टायर , यानी महसूस
करना। ेष अतीत क िकसी घटना को भावना मक प से दोबारा महसूस
करना या उससे दोबारा लड़ना है। क को शश कर रहे ह - अतीत को
बदलना।
ेष एक हीन आ म-छिव उ प करता है। जब ेष वा तिवक अ याय
या प पात पर आधा रत हो, तब भी यह जीतने का तरीक़ा नह है। यह
ज द ही एक भावना मक आदत बन जाता है। जब आप हमेशा ही ख़ुद को
अ याय का शकार महसूस करते रहते ह, तो आप अपनी त वीर एक
शोिषत इंसान क भूिमका म देखने लगते ह। आप अपने अंदर यह भावना
लेकर चलते ह और इसे लटकाने के लए िकसी बाहरी खट
ूं ी क तलाश
करते रहते ह। ऐसे म, सबसे मासूम िट पणी या तट थ प र थ त म भी
अ याय का “ माण” देखना आसान होता है या यह क पना करना आसान
होता है िक आपके साथ प पात हुआ है।
थायी ेष हमेशा आ म-क णा क ओर ले जाता है, जो इंसान क
डाली हुई सबसे बुरी भावना मक आदत है। जब ये आदत ढ़ता से
थािपत हो जाती ह, तो कोई यि इनके न रहने पर “सही” या
“ वाभािवक” महसूस नह करता। िफर वह श दशः “अ याय ” को खोजने
लगता है और उनक तलाश शु कर देता है। िकसी ने कहा है िक ऐसे
लोग को अ छा तभी महसूस होता है, जब वे दख
ु ीह।
े और आ म-क णा क भावना मक आदत एक अ भावी, हीन
ष
आ म-छिव के साथ भी आती ह। आप अपनी त वीर एक दीन-हीन इंसान,
एक शकार के प म देखने लगते ह, जसका दख
ु ी होना तय था।
ेष का असल कारण। याद रख िक आपका ेष दस
ू रे यि य , घटनाओं
या प र थ तय के कारण उ प नह हुआ है। यह तो आपक भावना मक
ति या, आपके रवैये से उ प हुआ है। इसके ऊपर सफ़ आप ही का
िनयं ण है और आप ही इसे िनयंि त कर सकते ह, बशत आप ख़ुद को
ढ़ता से िव ास िदला द िक ेष और आ म-क णा ख़ुशी व सफलता पाने
के नह , ब क पराजय और दख
ु पाने के तरीक़े ह।
जब तक आप ेष पाले रखते ह, तब तक यह असंभव है िक आप
अपनी त वीर एक आ म-िनभर, वतं , आ म-िनणायक यि के प म
देख, जो “अपनी आ मा का क ान, अपनी तक़दीर का वामी है।” ेषपूण
यि अपने जीवन क बागडोर दस
ू रे लोग के हाथ म थमा देता है। वह
उ ह यह आदेश देने क इजाज़त दे देता है िक वह कैसा महसूस करे, वह
कैसे काय करे। िकसी भखारी क तरह ही वह भी पूरी तरह दस
ू रे लोग पर
िनभर होता है। वह दस
ू रे लोग से अता कक माँग करता है, अता कक दावे
करता है। अगर आप मानते ह िक हर यि को आपको ख़ुशी देनी चािहए,
तो ऐसा नह होने पर आप झट से ेषपूण हो जाएँ गे। अगर आप महसूस
करते ह िक दस
त अनंत काल तक ऋणी होना
ू रे लोग को आपके
चािहए, सराहना करनी चािहए या आपके बेहतरीन सामा जक मू य क
सतत शंसा करनी चािहए, तो ऐसा न होने पर आप ेषपूण महसूस करते
ह। अगर आप मानते ह िक संसार को आपको जीिवका देनी ही चािहए, तो
ऐसा नह होने पर आप ेषपूण बन जाते ह।
इसी लए ेष सृजना मक ल य-आकां ा के तालमेल म नह होता।
सृजना मक ल य-आकां ा म आप िन य ा कता नह , सृजनकार होते
ह। आप अपने ल य तय करते ह। कोई भी आपका देनदार नह है। आप
अपने ल य का पीछा ख़ुद करते ह। अपनी सफलता और ख़ुशी क
िज़ मेदारी आप ख़ुद लेते ह। ेष इस त वीर म कह भी िफ़ट नह होता है
और चूँिक यह िफ़ट नह होता है, इस लए यह एक असफलता मेकेिन म
है।
एक तरह से देखा जाए तो संसार म याय नह है, लेिकन हम अपने
लए यायपूण प रणाम ख़ुद बना सकते ह। यह एक स ाई है िक ज म होते
ही एक यि के साथ अ याय होता है और उसे िकसी ग़रीब इलाक़े म
कठोर जीवन शु करने के लए बा य होना पड़ता है, जहाँ अपराध का
बोलबाला है। दस
ू री ओर, दस
ू रा यि उसी पल शहर के दस
ू रे इलाक़े के
एक अ पताल म पैदा होता है और वह अपना जीवन एक सुर त उपनगर
म शु करता है। एक जजर कूल म पढ़ने जाएगा, दस
ू रा हर आधुिनक
लाभ वाले कूल म जाएगा। इसी तरह यह भी एक त य है िक कई से स
ऑिफ़स म से स मैनेजर अपने “चहेत ” के साथ प पात करते हुए अ छे
संभािवत ाहक के नाम-नंबर देगा और अपने “अनचाहे” लोग को खराब
नाम-नंबर देगा। यह भी एक त य है िक कंपिनय म मोशन ाय: शु
यो यता के आधार पर नह , ब क दस
ू रे कारण से िदए जाते ह। हम इस
तरह आगे भी उदाहरण दे सकते ह। दे खए, इस बात से कोई इंकार नह है
िक अ याय होता है। लेिकन यह भी त य है िक अगर आप यायपूण
यवहार को सफल और सुखी जीवन क शत बना देते ह, तो आप इस
जीवन काल म कभी सुखी नह रह पाएँ गे, कम से कम इस ह पर तो नह ।
कुछ समय पहले म यू यॉक शहर के घर से िनकला। मने रैपर से
िनकालकर एक िबलकुल नया, सुंदर सूट पहली बार पहना था। म एक
मह वपूण भोज काय म म जा रहा था, लेिकन तभी एक टै सी क चड़ भरे
ग े से होकर गुज़री और मेरी पट पर गंदा पानी उछाल िदया। मुझे लगा िक
यादा यायपूण तो यह रहता िक टै सी उन लोग पर पानी उछालती, जो
पुराने कामकाजी कपड़े पहने थे और जो पहले से ही गंदे थे, वह भी तब जब
वे घर लौट रहे होते, तािक उ ह कपड़े बदलने म कोई असुिवधा नह होती।
शायद मुझे ऐसा क़ानून बनाने के लए मेयर पर दबाव बनाना होगा!
ज़ािहर है, म चाहे जो कर लेता, इस अ यायपूण घटना को पलट नह
सकता था। न ही म शहर म आम तौर पर होने वाले इस अ याय को जड़
से िमटाने के लए कुछ कर सकता था। िन त प से म भिव य म अ धक
सावधान रह सकता था, लेिकन उससे मेरी वतमान थ त म कोई फ़ायदा
नह होना था। मेरे सामने ता का लक चुनाव यह था िक अपना बाक़ िदन
कंु िठत, नाराज़, कटु और ेषपूण होकर गुज़ा ं या िफर िदशा सुधार कर लूँ
और एक आनंददायक व उ पादक मी टग क िदशा म पटरी पर बने रहने के
लए यथासंभव सृजना मक काय क ं ।
म वीकार करता हूँ िक टै सी, पानी और गंदी पट जैसे छोटे अ याय
पर इस तरह क ति या यादा आसान है। समाज के जातीय अ याय
या आपके क रयर म होने वाले अफ़सरशाही के अ याय कह अ धक गंभीर
मसले ह। बहरहाल, प रणाम वही रहता है। बुिनयादी चुनाव वही रहते ह।
और आप अपने वच लत सफलता मेकेिन म क शि य का आनंद तभी
ले सकते ह, जब आप अ याय के ऊपर उठने का चुनाव कर, चाहे वह
अ याय छोटा हो या बड़ा।
बरस से साइको साइबरनेिट स पु तक जेल म रहने वाले क़ैिदय के
बहुत सारे परामश काय म , क ाओं, हाफ़वे हाउस ासेस आिद म
शािमल हो चुक है। मुझे लगता है िक मेरी पु तक क हज़ार तयाँ जेल
और क़ैिदय को दान दी गई ह। आज भी, साइको साइबरनेिट स
फ़ाउं डेशन इस पु तक के लए क़ैिदय के संजीदा आ ह को नह ठु कराता
है। नतीजा यह हुआ है िक मुझे इस माहौल म काय कर रहे वॉडन ,
परामशदाताओं, पाद रय और अ य लोग से कई बार बातचीत करने का
अवसर िमला है। ज़ािहर है, बातचीत के दौरान दोबारा अपराध करने का
िवषय सामने आ ही जाता है। यि य , प रवार और समाज के लए बहुत
बड़ी लागत अ धकतर वे क़ैदी होते ह, जो जेल म सज़ा काटने के बाद रहा
होते ह, लेिकन वे ठीक नह रह पाते और दोबारा जेल पहुँच जाते ह। एक
बार िफर। मुझे यक़ न है िक दोबारा अपराध करना ेष से अ धक कुछ नह
है। यिद कोई यि जेल से रहा होकर समाज म आ जाता है, लेिकन
उसका ेष जस का तस रहता है - उसक परव रश और पृ भूिम के त
ेष, उसके वक ल और जेलर के त ेष, उसके वतमान संसाधन के
अभाव के त ेष, दस
ू र क वीकृ त और िव ास हा सल करने म आने
वाली मु कल के त ेष - तब तक यह लगभग तय है िक वह एक बार
िफर अपराध करेगा और दोबारा ख़ुद को जेल ले जाएगा। वह इंसान ही
दल
ु भ है, जो इन ेष से अपनी सफ़ाई करने और दोबारा िदशा सुधार करने
म कामयाब होता है तथा दोबारा सही िदशा म रह पाता है। इसी तरह, जो
यि
ेष को अपने िवचार पर िनयं ण करने देता है, वह ख़ुद को और
अपनी संभावना को वयं क बनाई जेल म क़ैद कर लेता है। वह वयं
अपना फाँसी देने वाला जज, िनदयी जूरी और जेलर होता है।
खोखलापन
यह अ याय पढ़ते समय शायद आपके िदमाग़ म कोई आ गया होगा, जो
कंु ठा, ग़लत िदशा क आ ामकता, ेष आिद के बावजूद “सफल” हुआ
था। लेिकन ज़रा सोच ल! आप इतने यक़ न से कैसे कह सकते ह? दे खए,
कई लोग सफलता के बाहरी तीक तो हा सल कर लेते ह, लेिकन जब वे
लंबे समय से चाहे गए ख़ज़ाने क तजोरी खोलने जाते ह, तो वह उ ह
ख़ाली िमलती है। ऐसा लगता है, जसके लए उ ह ने इतनी कड़ी मेहनत
क है, मानो वह उनके हाथ म आते ही नक़ली मु ा म बदल गया हो। रा ते
म कह पर उ ह ने इसका आनंद लेने क मता खो दी थी । और जब आप
आनंद लेने क मता खो देते ह, तो दौलत या िकसी दस
ू री चीज़ क
िकतनी भी मा ा सफलता या ख़ुशी नह दे सकती। ये लोग सफलता क
मुँगफली को जीत तो लेते ह, लेिकन इसे छीलने पर यह ख़ाली िमलती है।
जन लोग के भीतर आनंद लेने क मता जीिवत होती है, वे जीवन
क कई साधारण और सरल चीज़ म भी आनंद खोज लेते ह। उ ह ने
भौ तक ि से जो सफलता हा सल क है, उसका भी वे आनंद लेते ह।
जनम आनंद लेने क मता मर चुक है, उ ह िकसी चीज़ म आनंद नह
िमल सकता, चाहे यह एक डॉलर क आइस ीम हो या एक िम लयन
डॉलर का महल। कोई भी ल य इतना साथक नह है, जसक ख़ा तर
काय िकया जाए। जीवन भयानक बो रयत का दस
ू रा नाम बन जाता है।
कोई चीज़ साथक नह रह जाती। आप ऐसे लोग को हज़ार क तादाद म
हर रात नाइट ब म जाते हुए देख सकते ह, जो ख़ुद को यक़ न िदलाने
क को शश कर रहे ह िक उ ह इसम मज़ा आ रहा है। वे इस जगह से उस
जगह तक या ा करते ह, पा टय क धूमधाम म ख़ुद को उलझा देते ह,
आनंद पाने क उ मीद करते ह, लेिकन हमेशा उ ह ख़ाली छलका ही
िमलता है। स ाई यह है िक ख़ुशी सृजना मक काय क , सृजना मक ल य
का पीछा करने क साथी है। नकली “सफलता” जीतना संभव है, लेिकन
जब आप ऐसा करते ह, तो आपको खोखली ख़ुशी क सज़ा भी िमलती है।
जीवन तब साथक बनता है, जब आपके पास साथक ल य ह । यह
अपने वच लत असफलता मेकेिन म को सुर त प से सुलाए रखने का
साइको और साइबरनेिट स रह य है, जसम आप इसे कोई काय स पकर
क नह देते ह यह अपने म के प रणाम देकर आपको क नह देता है।
जीवन तभी साथक होता है, जब आप साथक ल य पर
ढ़ता से िनगाह जमाए रखते ह।
खोखलापन इस बात का ल ण है िक आप सृजना मक तरीक़े से नह
जी रहे ह। आपके पास या तो कोई ल य नह है, जो आपके लए पया
मह वपूण हो या िफर आप िकसी मह वपूण ल य क िदशा म अपने गुण
और यास का उपयोग नह कर रहे ह। जस यि का अपना कोई उ े य
नह होता, वह िनराशावादी बनकर इस नतीजे पर पहुँचता है, “जीवन का
कोई उ े य नह है।” जस यि का कोई काय करने लायक़ ल य नह
होता, वह इस नतीजे पर पहुँचता है, “जीवन साथक नह है।” जस यि
के पास कोई मह वपूण काय नह होता, वह शकायत करता है, “करने के
लए कुछ नह है।” जो यि सि यता से िकसी मह वपूण ल य या ल य
क िदशा म बढ़ रहा है, वह कभी भी अपने या पूरे जीवन क िनरथकता या
अथहीनता के बारे म िनराशावादी बात नह करता।
यहाँ तक िक अ धकतर बुज़ुग भी ल य-आकां ी, आशावादी लोग क
तरह काय कर सकते ह - और करते ह। एक अ त
ु वृ यह देखने म आ
रही है िक रटायर हो चुके लोग छोटे कॉलेज वाले क़ ब क ओर जा रहे ह।
यहाँ वे सीखने, श ा, रोचक िवषय म महारत हा सल करने, कोई यो यता
सीखने के लए जा रहे ह, जसे सीखने का उ ह पहले समय नह िमला।
कई तो इससे भी आगे तक जाते ह और दस
ू र को मागदशन देने का काय
करते ह। इस पु तक म पहले मने सीखने क ि या के चार क़दम का
वणन िकया है : जीवंतता लगातार नए ल य तय करने पर आधा रत है और
उनका भावी ढंग से पीछा करने के लए सीखने के चार पायदान वाली
उस सीढ़ी पर ऊपर चढ़ना है।
खोखलापन ऐसा तरीक़ा नह है, जो जीत सके। यिद एक बार
खोखलेपन का अनुभव कर लया जाए, तो यह यास, काय और
िज़ मेदारी से बचने का तरीक़ा बन सकता है। यह ग़ैर-सृजना मक जीवन
जीने या उसे तकसंगत सािबत करने का बहाना बन जाता है। अगर सब
कुछ िनरथक है, अगर इस संसार म कोई नई चीज़ है ही नह , अगर कोई
ख़ुशी िमल ही नह सकती, तो िफर क य उठाना? को शश य करना?
अगर जीवन एक नीरस च है, अगर हम हर िदन आठ घंटे काय करते ह,
तािक हम सोने के लए एक घर का खच उठा सक, तािक हम दस
ू रे िदन के
काय के लए आठ घंटे आराम क न द सो सक, तो इस बारे म रोमां चत
य होना? िफर ये सारे बौ क “तक” ग़ायब हो जाते ह, और हम ख़ुशी
तथा संतुि का अनुभव करते ह, जब हम एक बार च से नीचे उतर आते
ह, गोल-गोल घूमना बंद कर देते ह और पीछा करने के लए एक ल य चुन
लेते ह - और उसका पीछा करने लगते ह।
खोखलापन और अयो य आ म-छिव साथ-साथ चलते ह।
खोखलापन अयो य आ म-छिव का ल ण भी हो सकता है। उस चीज़ को
मनोवै ािनक ि से वीकार करना असंभव है, जसके बारे म आप
महसूस करते ह िक वह आपक नह है या आपके व प के सामंज य म
नह है। जन लोग क आ म-छिव अयो य और अपा यि क है, वे
अपनी नकारा मक वृ य को वा तिवक सफलता हा सल करने तक तो
िनयंि त कर सकते ह, लेिकन इसके बाद वे मनोवै ािनक प से इसे
वीकार नह कर पाते, इसका आनंद नह ले पाते। हो सकता है वे इसके
बारे म अपराधी भी महसूस करने लग, मानो उ ह ने इसे चुराया हो। उनक
नकारा मक आ म-छिव अ त-भरपाई के मशहूर स ांत के ज़ रए उ ह
सफलता क ओर ले जा सकती है। लेिकन म इस अवधारणा को नह
मानता िक िकसी को हीन ं थ पर गव होना चािहए या इसके
त
शु गुज़ार होना चािहए, य िक यह कई बार सफलता के बाहरी तीक क
ओर ले जाती है। इसक वजह यह है िक जब आ ख़रकार “सफलता”
िमलती है, तब भी ऐसे लोग को संतुि या उपल ध का बहुत कम एहसास
होता है। वे मन ही मन अपनी उपल धय का ेय लेने म असमथ रहते ह।
संसार क नज़र म वे सफल होते ह। लेिकन ख़ुद क नज़र म वे अब भी
हीन और अपा महसूस करते ह, मानो वे चोर ह और उ ह ने त ा के
तीक चुरा लए ह , ज ह वे मह वपूण मानते थे। वे सोचते ह, “काश! मेरे
िम और सहयोिगय को यह पता न चल जाए िक म दरअसल िकतना
पाखंडी हूँ।”
यह ति या इतनी आम है िक मनोिव ेषक ने इसे “सफलता
अ वीकृ त ल ण” का नाम दे िदया है। ये ल ण उस सफल यि म होते
ह, जो सफलता पाने के बाद अपराधी, असुर त और च तत महसूस
करता है।
व थ तरीक़ा यही है िक आप उन ल य का ही पीछा कर जो आपके
लए मह वपूण ह। ल य का पीछा त ा के तीक क ख़ा तर न कर,
ब क इस कारण कर य िक वे आपक गहरी आत रक इ छाओं के
तालमेल म ह। असली सफलता क खोज करने - सृजना मक उपल ध
ारा सफलता पाने - से एक गहरी आं त रक संतुि िमलती है। दस
ू र को
ख़ुश करने के लए नक़ली सफलता क को शश करने से संतुि भी नक़ली
ही िमलती है।
मान सक
श ण अ यास
जाग कता और वीकृ त मह वपूण ह। जब सुषु वच लत असफलता मेकेिन म जाग जाए
और आपको F-A-I-L-U-R-E से भटकाने क को शश करे, तो उस पर व रत ति या
करना मह वपूण है।
नकारा मक पर नज़र डाल,
लेिकन सकारा मक पर यान कि त कर
कार म डाइवर के सामने कई “नकारा मक संकेत” लगे होते ह, जो आपको बताते ह िक
बैटरी कब चाज नह हो रही है, कब इंजन ज़ रत से यादा गम हो रहा है, कब तेल का दबाव
ज़ रत से कम हो रहा है आिद। इन नकारा मक सूचनाओं को नज़रअंदाज़ करने से आपक
कार बबाद हो सकती है। बहरहाल, अगर कोई नकारा मक सूचक चमकने लगे, तो आपको
अनाव यक िवच लत होने क कोई ज़ रत नह है। आप तो बस िकसी स वस टेशन या
गैराज पर कते ह और सम या को सही करने के लए सकारा मक कम करते ह।
नकारा मक संकेत का यह मतलब नह है िक कार ज़रा भी अ छी नह है। सभी कार कई
मौक़ पर यादा गम हो सकती ह।
बहरहाल, कार चलाने वाला नकारा मक संकेत के चमकने के इंतज़ार म लगातार कटोल
पैनल क ओर नह देखता है। ऐसा करना िवनाशकारी हो सकता है। उसे अपना यान बाहर
क ओर रखना होता है, उसे यह देखना होता है िक वह कहाँ जा रहा है और उसे अपना
ाथिमक यान अपने ल य पर रखना होता है - वह कहाँ जाना चाहता है । वह तो
नकारा मक सूचक पर बस समय-समय पर नज़र डालता रहता है। ऐसा करते समय वह
उनक ओर लगातार नह देखता रहता है या उनके बारे म लगातार नह सोचता है। वह तुरत
ं
ही अपनी ि दोबारा आगे क ओर कर लेता है और उस सकारा मक ल य पर यान एका
करता है, जहाँ वह जाना चाहता है।
नकारा मक सोच का इ तेमाल केसे कर
हम अपने नकारा मक ल ण के बारे म भी ऐसा ही नज़ रया रखना चािहए। म “नकारा मक
सोच” म ढ़ िव ास करता हूँ, बशत इसका सही इ तेमाल िकया जाए। हम नकारा मक
चीज़ के बारे म जाग क रहना चािहए, तािक हम उनसे बचकर िनकल सक। गो फ़ के
खलाड़ी को यह जानने क ज़ रत होती है िक गो फ़ के मैदान के ख़तरे कहाँ ह, लेिकन वह
लगातार खतर के बारे म नह सोचता है - जहाँ वह नह जाना चाहता। उसका मन खतर पर
िनगाह ज़ र डालता है, लेिकन हरे मैदान पर कि त रहता है। सही तरीक़े से उपयोग करने
पर इस तरह क नकारा मक सोच हम सफलता क ओर ले जा सकती है, बशत :
1. हम नकारा मक के
सके।
त इस हद तक संवेदनशील ह िक यह हम ख़तरे के
त आगाह कर
2. हम नकारा मक क अस लयत क पहचान ल - अनचाही चीज़, वह चीज़ जसे हम नह
चाहते, वह चीज़ जो वा तिवक ख़ुशी नह लाती है।
3. हम तुरत
ं सुधारवादी काय कर और सफलता मेकेिन म के अनुकूल उसका िवपरीत
सकारा मक घटक रख ल। यह अ यास समय के साथ एक तरह क वच लत इंि य बना
देता है, जो हमारे आं त रक मागदशन तं का िह सा बन जाती है। नकारा मक फ़ डबैक एक
तरह के वच लत िनयं ण के प म काय करेगा और असफलता से बचने तथा सफलता क
ओर ले जाने म हमारी मदद करेगा।
हर िदन ऑिफ़स ख़ म होने के बाद या दोपहर म या शाम को, जब भी आप कर सक, कुछ
िमनट का समय िनकाल। एक शांत जगह खोज, अपनी आँ ख बंद कर, अपनी क पना म
क़दम रख, तािक आप िदन क घटनाओं और अपने यवहार को दोहरा सक। वच लत
सफलता मेकेिन म के सारे इंि यगत काय पर ख़ुद को बधाई द, लेिकन वच लत
असफलता मेकेिन म के डैशबोड पर धीरे-धीरे चमकती ब तय पर भी ग़ौर कर! ख़ुद को
बताएँ िक वच लत असफलता मेकेिन म का यवहार “आप” नह ह और इसे बदा त नह
िकया जा सकता। यिद िकसी हो चुक घटना के बारे म सुधार संभव हो, तो उसे अव य कर।
बड़े आदमी बन, उस यि को फ़ोन कर या िमल, जो आपक मायाचना, आपक कृत ता
या बधाई का वा तव म हक़दार हो।
िदन के अपने िवचार और कायाँ का िव ेषण कर। यान द िक आपके ल य को हा सल
करने म उ ह ने िकतना योगदान िदया। यहाँ तक िक अपने वच लत सफलता मेकेिन म
और वच लत असफलता मेकेिन म से संचा लत ग तिव धय के अनुपात को भी माप। िफर
इस अनुपात को बेहतर बनाने का संक प कर।
आ म-िव ेषण से न घबराएँ । आ म- श ण से चपके रह; आ म-घृणा से बच। िदन के
िनजी मू यांकन के अंत म उन सकारा मक चीज़ को पहचान, जन पर आप ग त कर
सकते ह और अपने ल य व आदश के त दोबारा संक पवान ह ।
अ याय दस
भावना मक िनशान कैसे हटाएँ और
भावना मक सुद
ं रता कैसे पाएँ
ोध दरअसल िनराश हो चुक आशा है।
-ए रका जॉ ग
च ◌े
हरे को सुंदर बनाने का कारोबार उछाल पर है। कॉ मेिटक
सजरी पेशे क आमदनी िपछले कुछ साल से हर वष दो अंक
के तशत म बढ़ रही है। टेलीिवज़न िव ापन म मनचाहे उपाय का हर
संभव तालमेल पेश िकया जाता है — नाक, कान, गला, पूरे चेहरे का
कायाक प, बड़े तन, बेहतर कू हे, टमी टक - िन त आसान ि त म,
कुछ उसी तरह जस तरह से कार को िक़ त म ख़रीदा जाता है! लेिकन
इसके बाद या होगा? ऑपरेशन क छुरी से भावना मक मुि और संतुि
चाहने वाले कई लोग को नया चेहरा या तराशा हुआ बदन तो िमल जाएगा,
लेिकन जब वे जागगे, तो िनराशा और कंु ठा वही पुरानी होगी।
मने और कई अ य लोग ने िपछले पचास से अ धक वष म साइको
साइबरनेिट स के बारे म बहुत कुछ सीखा है। शु आत म मने दो बाहरी
और आं त रक िनशान के आपसी संबध
ं पर ग़ौर िकया था। मने देखा िक
मेरे ऑिफ़स म जो लोग अपनी बाहरी छिव म िनशान सही कराना चाहते थे,
उनक आांत रक छिव या आ म-छिव पर भी छपे हुए “िनशान ” का
अ त व होता था। मेरी यह बुिनयादी उपमा आज भी उतनी ही वैध है,
जतनी तब थी, जब इसे पहली बार खोजा और पहचाना गया था।
मे डकल डॉ टर और सजन होने के नाते, मने चेहरे के पुन नमाण और
कॉ मेिटक सजरी संबध
ं ी असं य ऑपरेशन िकए ह। मुझे पूरे संसार म
चिक सक य तकनीक पर भाषण देने का सौभा य िमला है। िफर भी म
मानव शरीर म बने चम कारी तं के बारे म सीखने म कभी थकता नह हूँ।
िमसाल के तौर पर, जब आपको कोई शारी रक चोट लग जाती है, जैसे
चेहरे पर घाव हो जाता है, तो आपका शरीर अपने आप उस जगह पर
िनशान ऊतक बना लेता है, जो मूल मांस से अ धक कठोर और मोटा होता
है। िनशान ऊतक का उ े य यह होता है िक उस जगह के ऊपर एक
र ा मक परत बन जाए। इस तरह कृ त यह सुिन त करती है िक उसी
जगह पर दस
ू री चोट न लग जाए। अगर कोई कसा हुआ जूता आपके पैर के
िकसी संवेदनशील िह से से बार-बार टकराता है, तो पहला प रणाम दद
और संवेदनशीलता का होता है। लेिकन एक बार िफर कृ त एक कठोर या
र ा मक खोल बनाकर भावी दद और चोट से इसक र ा करती है।
जब भी हम कोई भावना मक चोट पहुँचती है, तब हम भी काफ़ कुछ
यही करते ह। जब कोई हम चोट पहुँचाता है या ग़लत तरह से यवहार
करता है, तो हम आ म-र ा के लए भावना मक या मान सक िनशान बना
लेते ह। ऐसे म हम अपने दय को कठोर कर लेते ह, संसार के त कठोर
हो जाते ह और हमम िकसी न िकसी कार के सुर ा मक भावना मक
खोल के भीतर छुपने क वृ होती है।
हम या सीख सकते ह,
जब कृ त को सहायता क ज़ रत हो
िनशान ऊतक बनाकर कृ त हमारी मदद करना चाहती है। हमारे
आधुिनक समाज म िनशान ऊतक, ख़ास तौर पर चेहरे पर, हमारे लए
अ छे होने के बजाय बुरे हो सकते ह। िमसाल के तौर पर, होनहार यव
ु ा
वक ल जॉज टी. का संग ही देख। िमलनसार और आकषक जॉज एक
सफल क रयर क राह पर अ छी तरह जा रहा था िक तभी उसक कार
दघ
ु टना हो गई, जससे उसके बाएँ गाल के बीच से मुँह के कोने तक एक
भयानक िनशान बन गया। एक और घाव उसक दाई आँ ख के ठीक ऊपर
हो गया। उपचार के व त इस घाव ने उसक ऊपरी पलक को कसकर
ऊपर ख च लया, जससे उसका हु लया वीभ स और “ ोधी” िदखने
वाला हो गया। जब भी वह बाथ म म लगे आईने म अपनी छिव देखता था,
तो हर बार उसे एक वीभ स छिव िदखाई देती थी। उसके गाल के िनशान
क वजह से उसके चेहरे पर एक थायी कुिटलता िदखाई देती थी, जसे
वह “बुरी नज़र” कहता था। अ पताल छोड़ने के बाद वह अदालत म
अपना पहला मुकदमा हार गया। उसे यक़ न था िक उसके बुरे और वीभ स
हु लए ने ही जूरी को उसके ख़लाफ़ भािवत िकया था। उसे यह भी
महसूस हुआ िक उसके हु लए से उसके पुराने दो त िवक षत हो गए थे
और उससे कतराने लगे थे। या यह सफ़ उसक क पना थी िक जब वह
अपनी प नी को चूमता था, तब वह भी थोड़ी सी चहुँक जाती थी?
जॉज टी. मुकदम को अ वीकार करने लगा। वह िदन म भी शराब पीने
लगा। वह चड़ चड़ा, श ुतापूण और एक तरह से ग़ैर-सामा जक बन गया।
उसके चेहरे के िनशान ऊतक ने भावी कार दघ
ु टनाओं के ख़लाफ़ एक
कठोर सुर ा दान कर दी थी। लेिकन जस समाज म जॉज रहता था, वहाँ
चेहरे क शारी रक चोट ाथिमक खतरा नह थ । वह तो सामा जक घाव ,
चोट और आघात के त पहले से अ धक संवेदनशील था। उसके िनशान
अ छे के बजाय बुरे बन गए थे।
यिद जॉज आिदम यगु म रह रहा होता और रीछ या शेर से मुठभेड़ म
उसके चेहरे पर िनशान बनते, तो इन िनशान क बदौलत वह अपने
सा थय म शायद अ धक लोकि य बन जाता। आधुिनक समय म भी पुराने
सैिनक गव से यु म आई चोट के िनशान िदखाते थे। मुझे लगता है िक
यही शहर के अपराधी इलाक़ म यव
ु ाओं के गग के बारे म सच है।
जॉज के मामले म कृ त के इरादे तो अ छे थे, लेिकन कृ त को
सहयोग क ज़ रत थी। मने ला टक सजरी करके जॉज को उसका
पुराना चेहरा लौटा िदया। मने उसका िनशान ऊतक हटा िदया और उसके
नैन-न श को पुराने जैसा कर िदया।
ऑपरेशन के बाद उसके यि व म जो प रवतन हुआ, वह उ ेखनीय
था। वह एक बार िफर अ छे वभाव का और आ मिव ासी बन गया। उसने
शराब पीना छोड़ िदया। उसने अपना एकाक भेिड़ये वाला नज़ रया छोड़
िदया, समाज म दोबारा लौटा और एक बार िफर मानव जा त का सद य
बन गया। उसे श दशः नई ज़दगी िमल गई।
यह नया जीवन उसे शारी रक ऊतक क ला टक सजरी से
अ य
प से िमला था। असली उपचारक बात थी भावना मक िनशान
का हटना, सामा जक घाव के ख़लाफ़ सुर ा, भावना मक घाव और
आघात का उपचार, समाज के वीकारणीय सद य के प म उसक
आ म-छिव का दोबारा लौटना, जो सजरी से संभव हुआ था।
अ धकतर लोग अपनी आ म-छिवय पर बहुत सारे िनशान ऊतक
बना लेते ह, जसका वा तिवक शारी रक िवकृ त से कोई भी संबध
ं नह
होता। कुशल सजन शारी रक िवकृ तय को तो अपनी छुरी से ठीक कर
सकता है, लेिकन आ म-छिव के बारे म वह या कर सकता है?
भावना मक िनशान आपको
जीवन से िकस तरह दरू ले जाते ह
कई लोग के शरीर पर कोई घाव नह हुआ, लेिकन इसके बावजूद उनके
अंदर भावना मक िनशान होते ह। यि व पर प रणाम वही रहता है।
अतीत म िकसी ने इन लोग को चोट पहुँचाई थी या घाव िदया था। उस
ोत से आगे चोट न पहुँचे, इस लए अपने अहं क र ा करने के लए वे
अपने अंदर एक मान सक कठोर परत, एक भावना मक िनशान बना लेते
ह। बहरहाल, यह िनशान ऊतक सफ़ उस यि से ही “र ा” नह करता
है, जसने मूलतः उसे चोट पहुँचाई थी; यह बाक़ इंसान से भी र ा करता
है। इस तरह एक भावना मक दीवार बन जाती है, जसे कोई भी पार नह
कर सकता, चाहे वह िम हो या श ु।
िज़ग िज़ लर एक िब ी के बारे म एक मज़ेदार कहानी बताते ह, जो
मासूिमयत से चलकर गैस टोव के पास पहुँची और बनर पर बैठ गई, जो
हाल ही म बंद होने के कारण गम था। ज़ोर से चीख़ते हुए िब ी बनर से उठी
और अपने कोमल पंज को सहलाने के लए भुनभुनाकर चली गई। िज़ग
कहते ह िक वह िब ी न तो उस बनर पर दोबारा कभी चढ़ेगी और न कभी
िकचन म जाएगी!
आ म-छिव पर बने भावना मक िनशान ऊतक लोग को उसी तरह
भािवत करते ह, जस तरह जले हुए पंज ने उस िब ी को भािवत िकया
था। िकसी अि य, शमनाक या कंु ठाजनक “िनशान वाले” अनुभव के बारबार होने के बाद इंसान न सफ़ उस िवशेष थ त से बचता है, ब क उस
आम े से भी कतराने लगता है, जसम वह अनुभव हो सकता है। िमसाल
के तौर पर, मने एक बार एक बहुत स म ए ज़ी यूिटव को परामश िदया
था। वह एक बड़े कॉप रेशन म ऊँचे दज पर तर क़ करता जा रहा था।
उसके मागदशक और बॉस ने उसे बार-बार फटकारा था िक वह हर मी टग
म चच के चूहे जैसा खामोश य बैठा रहता था और बातचीत म शािमल
होने के बजाय सफ़ दशक क भूिमका य िनभाता था। इस यि के
िदमाग़ म कुछ बहुत अ छे िवचार तथा सलाह थ , जो वह मी टग म दे
सकता था। वह ाय: िनजी तौर पर बॉस को अपने िवचार बताता था,
इस लए उसे िकसी भी तरह का ेय नह िमल पाता था। वा तव म, उसके
अ धकतर सहकम उसे “मुदा कमचारी” समझते थे और हैरान होते थे िक
बॉस ने उसे नौकरी से अब तक हटाया य नह ।
शायद इस बद ु पर आप ख़ुद अंदाज़ा लगा सकते ह गे और संभवतः
आपका अनुमान सही होगा। इस यि ने अपने जूिनयर और सीिनयर हाई
कूल के वष म बड़ी मान सक यं णा झेली थी। जब ास म उससे कुछ
पूछा जाता था, तो वह घबराहट म हकलाने लगता था। दस
ू रे िव ाथ
उसका मज़ाक़ उड़ाते थे। नतीजा यह हुआ िक वह ास म सि य
सहभािगता से कतराने लगा और हर समय “अ य” रहने क अपनी
सव े को शश करने लगा। इसे आ म-छिव के िनशान ऊतक क पहली
परत कह ल। अब हम उसके िववाह पर आते ह। उसक पूव-प नी और
पूव-सास का यि व दबंग था, शायद अपमानजनक भी था। दोन ही इस
यि के िवचार क लगातार आलोचना करती रहती थ , चाहे वह कपड़
का चयन हो, राजनी तक राय हो या िकसी पु तक अथवा टीवी ो ाम के
बारे म राय हो। इस िववाह क शु आत म ही उसने अपने-िवचार-ख़ुदतक-रख का नज़ रया अपना लया। यह िनशान ऊतक क दस
ू री परत बन
गई।
कुछ समय पहले क बात पर ग़ौर कर। जब वह अपने सामुदा यक
संगठन म सि य हुआ, तो उसने पाया िक एक मु े पर वह एक बहुत
भावी, अहंकारी, समझौता न करने वाले, डराने-धमकाने वाले और
अ धक वाकपटु पड़ोसी के िवरोध म था। यह यि जस भी िवचार का
ताव रखता था, पड़ोसी पूरी िनममता और आ ामकता के साथ उस पर
आ मण कर देता था। उसने दस
ू रे लोग को भी इस यि के ख़लाफ़
इतना भर िदया िक उसे उसके पहले साल क अव ध के अंत म सभा से
वोट देकर हटा िदया गया। परत नबर तीन।
इससे कोई फ़क नह पड़ता था िक अब वह कूली ब ,
अपमानजनक सास या पड़ो सय के साथ यवहार नह कर रहा था, िक
वह एक बहुत अलग प रवेश म था, िक उसके पास एक शि शाली
मागदशक और बॉस का पूरा समथन था, िक उसके सुझाव स मान के साथ
सुने जाते और यह िक बाक़ समय क तुलना म इस व त बलता से
अपनी बात रखना उसके लए कह अ धक मह वपूण था। इससे कोई फ़क
नह पड़ता था िक यह थ त बाक़ थ तय से बहुत भ थी। जस तरह
िब ी टोव टॉप बनर के साथ-साथ िकचन म जाने से भी कतराती है, उसी
तरह यह यि भी अ भ यि से कतराने लगा, य िक अ भ यि उसक
आ म-छिव के
त जो खम पेश करती थी। प रणाम यह हुआ िक वह
माट, स म और होनहार ए ज़ी यूिटव होने क आ म-छिव के बजाय इन
प र थ तय म “डरी हुई िब ी” क आ म-छिव का प रचय देने लगा।
ला टर नह , पु ी
या यह यि इन तमाम िनशान ऊतक को साफ़ कर सकता है और
अपनी आ म-छिव को वतं कर सकता है? िन त प से, हमने साइको
साइबरनेिट स के जन औज़ार पर बात क है, उनका इ तेमाल करके वह
ऐसा कर सकता है - जाग कता, ता कक िवचार, इरादतन िनणय (जैसे,
ल य थािपत करना), क पना का उ े यपूण उपयोग, जसम मान सक
थएटर क मान सक रहसल तकनीक शािमल ह।
अपनी बेहतरीन पु तक ोफ़ाइ स ऑफ़ स सेस एड पॉवर म डॉ.
जीन लंडम ने लखा है, “आ म-छिव ला टर म नह , पु ी म बनी होती
है।”
म एक ला टक सजन के प म लोकि य हूँ, लेिकन कई वष से एक
शौिक़या मू तकार भी हूँ। म छुरी से िम ी तराशना पसंद करता हूँ और मने
अ सर िकसी चेहरे को िम ी से तब तक गढ़ा है, िमटाया है, दोबारा गढ़ा है,
जब तक िक वह हूबहू वैसा नह बन जाता, जैसी मने क पना क थी। िम ी
या पु ी जैसे सामान नम और लचीले बने रहते ह, जससे यह काय कई बार
िकया जा सकता है। अपनी असीम बु मानी से ई र ने आ म-छिव को भी
ऐसी ही साम ी से बनाया था, इस लए यह जीवन भर लचीली बनी रहती
है। कोई भी इतना बूढ़ा, इतना ांत, इतना भयभीत, इतना सं त नह
होता िक कभी “िम ी गीली” न कर सके और अपनी क पना क मनचाही
आ म-छिव न बना सके।
वयं को अ त र ा न कर
चेहरे के िनशान के मामले म घाव के मौ लक ोत के ख़लाफ़ अ य धक
सुर ा क चाह म हम अ धक असुर त हो जाते ह। इससे हम दस
ू रे े म
और अ धक नुक़सान पहुँच सकता है। हम सुर ा के लए िकसी एक यि
या थ त के ख़लाफ़ जो भावना मक दीवार बनाते ह, वह हम बाक़ सभी
इंसान , कई अवसर , यहाँ तक िक हमारे स े व प से भी दरू कर देती है।
जैसा हम पहले ही संकेत कर चुके ह, जो यि “अकेलापन” महसूस
करता है या दस
ू रे यि य के पश से दरू ी महसूस करता है, वह अपने
वा तिवक व प और जीवन से भी दरू ी महसूस करता है।
साइको साइबरनेिट स क ये सभी सूचीब तकनीक आपके हाथ म
एक बहुत शि शाली, जादईु भावना मक छुरी थमा देती ह। ये आपके हाथ
म िव तरीय भावना मक सजन क ग तशील यो यता और मता भर
देती है, जससे आप उन भावना मक िनशान को हटा सकते ह, जो इस
समय आपक आ म-छिव को हीन बनाते ह। लेिकन ऐसा करने के लए
आपको एक जो खम लेना होगा। आपको “राह म आने वाले झटक ”,
हताशा, अ वीकृ त और ग़ल तय का जो खम लेना होगा। आपको यह
जो खम इस िन त ान के साथ लेना होगा िक जो खम आएँ गे तो सही,
लेिकन आपको अपने अ धक यापक व े ल य तक पहुँचने से नह
रोक पाएँ गे।
भावना मक िनशान क शि
को कम न आँ के
एक के ऊपर एक अंद नी भावना मक िनशान आ म-छिव के लए एक
जो खम और असुर त थ त बनाते ह। जब भी िकसी ऐसी थ त से
सामना होता है, जसके बारे म आ म-छिव को लगता है िक यह उसी तरह
से इसका नुक़सान कर सकती है, जस तरह िक अतीत क िनशान छोड़ने
वाली घटनाओं ने िकया था, तो आ म-छिव सव -मेकेिन म के “बचाव
अव था वाले यवहार” को े रत कर देती है - भाग या लड़, डर या लड़ाकू
आ ामकता।
एं ज़ाइटी डसऑडस एं ड फ़ोिबयाज़ पु तक म लेखक 1 , जनम एक
सं ाना मक चिक सक शािमल था, ने कहा है िक, “… जो उपकरण
िकसी यि को शारी रक ख़तरे म जो खम लेने से रोकता है, वही उपकरण
उसे मनोवै ािनक ख़तरे म जो खम लेने से भी रोकता है।” दस
ू रे श द म,
हो सकता है िक सव -मेकेिन म खतर क तुलना सटीकता से न कर पाए।
िमसाल के तौर पर, मान लेते ह िक आप िकसी डनर पाट म बातचीत को
ढंग से नह कर पा रहे ह। हालाँिक आप िकसी शारी रक ख़तरे म नह ह,
लेिकन मनोवै ािनक जो खम मौजूद है। शायद आप बाक़ अ त थय से
कम पैसे बनाते ह, इस लए आप हीन महसूस करते ह तथा अपनी नौकरी
या िनवेश के बारे म पूछे जाने से घबराते ह। यह थ त वैसी ही चता और
अवरोध को े रत कर सकती है, जैसे िक अँधेरी गली म िकसी लुटेरे से
सामना हो जाए। लुटेरे के मामले म तो अपना पस िनकालकर उसक ओर
फकना और पूरी तेज़ी से िवपरीत िदशा म दौड़ना उ चत हो सकता है।
लेिकन डनर पाट म सुखद शाम के सारे अवसर को गँवाना और मौन या
इ ा-द ु ा श द के जवाब देकर भागना सरासर अनु चत है य िक इसके
ठीक वही प रणाम िमल सकते ह ज ह लेकर आप च तत ह - मेज़बान
और दस
ू रे मेहमान, दोन ही इसे अ छा नह मानगे। हालाँिक सामा जक
थ त इस बचाव ति या को े रत कर सकती है। यह संभावना तब बढ़
जाती है, जब यह उन थ तय के क़रीबी तालमेल म हो, ज ह ने पहले
िनशान ऊतक छोड़ा है।
म एक बात कहना चाहूँगा, जो मने इस पु तक म पहले बताई है : अगर
आपको अपनी िनशान वाली आ म-छिव को बचाववादी यवहार से, जहाँ
यह अनु चत या हािनकारक हो, मु करने के लए अपनी भावना मक
सजरी करनी है, तो यह ज़ री नह है िक आपको उसके ोत क तलाश
म हर दख
ु द घटना और भाव को याद करने के लए बचपन तक जाना
पड़े। आप अपनी नई ो ा मग कर सकते ह। आप सफलता क याद ,
मान सक िफ म , मान सक रहसल और साइको साइबरनेिट स क अ य
तकनीक का इ तेमाल कर सकते ह। आ म-छिव ारा नए को वीकार कर
लया जाएगा, तो पुराने िनशान अपने आप हट जाएँ गे। “समाधान-कि त
चिक सा” या इससे भी बेहतर, “इसे ख़ुद कर समाधान-कि त चिक सा”
श दावली को याद तथा इ तेमाल कर और 30 साल तक मनोिव ेषक से
सा ािहक मुलाक़ात करने से बच।
भावना मक िनशान
िकशोर अपराधी बनाने म मदद करते ह
मनो चिक सक बरनाड हॉलड ने संकेत िकया है िक हालाँिक िकशोर
अपराधी बहुत वतं नज़र आते ह और उनक बड़बोले बनने क त ा
होती है, ख़ास तौर पर यह िक वे हर स ाधारी यि से नफ़रत करते ह
तथा बहुत यादा तरोध करते ह। डॉ. हॉलड कहते ह िक इस कठोर
बाहरी खोल के नीचे “एक कोमल, असुर त अंद नी इंसान होता है, जो
दस
ू र पर िनभर बनना चाहता है।” वे िकसी के भी क़रीब नह आ सकते,
य िक वे िकसी पर भी भरोसा नह करते ह। अतीत म कभी उनके जीवन
के िकसी मह वपूण यि ने उ ह चोट पहुँचा दी थी और वे दोबारा वैसी
चोट बदा त नह कर सकते। इस लए वे हमेशा अपने र ाकवच ऊपर
रखते ह। भावी अ वीकृ त और दद से बचने के लए वे पहले वार कर देते
ह। इस तरह वे उ ह लोग को दरू भगा देते ह, जो उनसे ेम करते ह और
अगर उ ह आधा भी मौक़ा िदया जाए, तो उनक मदद कर सकते ह।
आजकल डेटाइम टेलीिवज़न टॉक शो का एक लोकि य मु ा ऐसा
थीम शो होता है, जसम “अिनयंि त िकशोर ” को िदखाया जाता है। इसम
िकशोर क गा लयाँ, माता-िपता को अपश द, कूल से भागना, शराब
पीना, मादक य का सेवन, व छं द से स म संल होना, यहाँ तक िक
दक
ु ान से सामान चुराना और कार क चोरी करना िदखाया जाता है। शो
के मेज़बान और माता-िपता इन अिनयंि त िकशोर को सेना जैसे “िकशोर
बूट कप” लीडस के हवाले कर देते ह, जो उ ह टेज से घसीटकर “बूट
कप” म ले जाते ह। कई स ाह बाद वे लौटते ह और उनम से कई नाटक य
प से बदल जाते ह। यह सब िववादा पद है, िफर भी ाय: इसके
सकारा मक होने और इससे थायी प रणाम िमलने का काफ़ माण है।
जब यह काय करता है, तो यह य काय करता है? छोटी उ म भी इन
यव
ु ाओं ने परत दर परत िनशान ऊतक इक े कर लए ह, जससे उनक
आ म-छिव ने अपनी बागडोर नकारा मक, वच लत असफलता मेकेिन म
के भाव को पूरी तरह से थमा दी है, जनम अ तशय आ ामकता शािमल
है। बेशक आपने यह कहावत सुनी होगी, “हताश प र थ तयाँ हताश
क़दम क माँग करती ह।” बूट कप के ये ह त ेप हताश, अं तम चारे वाले
क़दम ह - एक अथ म, अिव सनीय प से पैनी भावना मक छु रयाँ ह। इन
आ म-छिवय के सुर ा मक और कठोर िनशान ऊतक को पूरा हटाने के
लए इन स त, मुक़ाबला करने वाली तकनीक क ज़ रत होती है।
िन कष : अ धकतर अपराध गंभीर भावना मक िनशान , बहुत
अ व थ आ म-छिव और वे छाचारी व अिनयंि त वच लत असफलता
मेकेिन म के ल ण ह।
अपने सभी आदतन या दोहराए जाने वाले यवहार पर सावधानी से
ग़ौर कर। या आप अंतरंग र त म एक के बाद एक िनराशा से गुज़रते ह?
या आप सहक मय के एक के बाद एक हर समूह को अि य पाते ह? या
आपके सभी ाहक कंजूस या “मु कल” होते ह? आिद। चाहे यह कतराना
हो या आ मण, आ म-छिव के िनशान हमेशा उसम शािमल रहते ह।
या हम भिव य के भावना मक िनशान को रोक
सकते ह?
एक काउबॉय कहावत है, जो इस पु तक के संपादक को ि य है : “िकसी
ग े से बाहर िनकलने का पहला क़दम खुदाई करना छोड़ना है।” इसी तरह
हम भी कह सकते ह िक िनशान वाली आ म-छिव से मु होने क िदशा म
पहला क़दम िनशान ऊतक के अ धक ढेर बनाना छोड़ना है। या हम ऐसा
कर सकते ह? िन त प से। आप जस तरह से िवशेष उ ेजनाओं पर
ति या करते ह, वैसा य करते ह, इस बारे म नया ान, ता कक सोच
पर यादा ज़ोर और प रप वता आपक मदद कर सकते ह। जस तरह
आप अपने शारी रक तर ा तं को मज़बूत करने के लए अपने िनयं ण
के दायरे के भीतर क कुछ चीज़ समझदारी से कर सकते ह, जैसे कुछ
ख़ास आहार लेना और और कुछ ख़ास आहार से बचना, एं टीऑ सीडट
िवटािमन स लीमट् स लेना, िनयिमत कुछ यायाम करना, उसी तरह आप
अपने भावना मक तर ा तं को मज़बूत बनाने के लए भी कई चीज़े कर
सकते ह।
भावना मक चोट से सुर त रहने के तीन नु ख
इतने बड़े बन िक जो खम हो महसूस न हो
कई लोग छोटी-छोटी सुइय से या जसे हम सामा जक अनादर कहते ह,
उससे बुरी तरह “चोट” महसूस करते ह। हमम से हर यि प रवार,
ऑिफ़स या िम के दायरे म िकसी न िकसी को जानता होगा, जो इतनी
पतली चमड़ी का और संवेदनशील होता है िक दस
ू र को लगातार फँू कफँू ककर क़दम रखना होता है, वरना वह िकसी सामा य श द या काय का
भी बुरा मान जाएगा।
यह एक माना हुआ मनोवै ािनक त य है िक जो लोग सबसे ज दी
बुरा मानते ह, उनम आ मस मान सबसे कम होता है। हम ऐसी चीज़ से
आहत होते ह, ज ह हम अपने अहं या आ मस मान के लए जो खम
मानते ह। का पिनक भावना मक ध े , जन पर व थ आ मस मान वाले
लोग ग़ौर भी नह करते ह, इन लोग को बुरी तरह घायल कर देते ह। यहाँ
तक िक वा तिवक मज़ाक़ और यं य, जो कम आ मस मान वाले यि के
अहं को भयानक चोट पहुँचाते ह, वे अपने बारे म अ छा सोचने वाले लोग
के अहं म खर च तक नह लगा पाते ह। जो यि अपा महसूस करता है,
जो अपनी मताओं पर शंका करता है और जसक ख़ुद के बारे म ख़राब
राय होती है, वह पलक झपकते ही ई यालु हो जाता है। जो यि मन ही
मन अपने मू य या मह व पर शंका करता है और अपने भीतर असुर त
महसूस करता है, जो अपने अहं के लए वहाँ भी जो खम देखता है, जहाँ
कोई जो खम नह होता, वह वा तिवक जो खम से हो सकने वाले नुक़सान
को बढ़ा-चढ़ाकर देखता है और उसका अ त-आकलन कर लेता है।
हम सभी को अहं के वा तिवक और का पिनक जो खम से अपनी
र ा करने के लए भावना मक कठोरता तथा अहं क सुर ा क िन त
मा ा क ज़ रत होती है। अगर हमारा शरीर पूरी तरह से कछुए जैसे कठोर
खोल से ढंका रहता, तो यह अ छी बात नह होती। हम पश के सारे
आनंद से वं चत रह जाते। लेिकन हमारे शरीर म बाहरी वचा क एक
एिपड मस नामक परत होती है, जसका उ े य बै टी रया, छोटे झटक ,
चोट और छोटी-मोटी चुभन के आ मण से हमारी र ा करना है।
एिपड मस इतनी मोटी और कठोर होती है िक छोटे घाव से बचा सके,
लेिकन इतनी मोटी या कठोर भी नह होती िक पश क भावना के साथ
ह त ेप करे। कई लोग के अहं के ऊपर बा वचा होती ही नह है। उनके
पास बस पतली, संवेदनशील आं त रक वचा भर होती है। उ ह अ धक
मोटी वचा, भावना मक प से अ धक कठोरता क आव यकता है, तािक
वे छोटी-मोटी चोट या अहं के ह के-फु के जो खम को नज़रअंदाज़ कर
सक।
इसके अलावा, उ ह अपने आ मस मान का िनमाण करने और अपनी
अ धक यो य तथा बेहतर आ म-छिव पाने क ज़ रत है, तािक वे
संयोगवश क गई िट पणी या साधारण काय से जो खम महसूस न कर। एक
बड़ा शि शाली यि िकसी छोटे जो खम से ख़तरा महसूस नह करता है;
छोटा, कमज़ोर आदमी करता है। इसी तरह एक व थ प से शि शाली
आ म-छिव हर मासूम या अनायास िट पणी से जो खम महसूस नह
करती।
ऐसा लगता है िक कुछ लोग इस तरह जीवन जीते ह, मानो बुरा मानने
का इंतज़ार कर रहे ह । वे शायद ही कभी िनराश होते ह!
व थ आ म-छिवयाँ आसानी से चोिटल नह होती
ह
जो यि महसूस करता है िक उसका आ म-मू य िकसी नीचा िदखाने
वाली िट पणी से जो खम म आ जाता है, उसका अहं छोटा और कमज़ोर
होता है तथा उसम आ मस मान क बहुत कम मा ा होती है। वह
आ मकि त, आ म च तत, पेश-आने-म-मु कल होता है। हम उसे
अहंकारी कहते ह। लेिकन बीमार या कमज़ोर अहं का उपचार करने के लए
हम अपने अहं को पीटते नह ह, इसे दबु ल नह बनाते ह, आ म-वंचना या
िन: वाथ बनने क को शश करके हम इसे और भी कमज़ोर नह बनाते ह।
आ मस मान आ मा के लए उतना ही आव यक है, जतना िक भोजन
शरीर के लए। आ म-कि तता, आ म- चता, “अहंकार” और इसके साथ
आने वाली सारी बुराइय का इलाज यही है िक आ मस मान बढ़ाकर
व थ, शि शाली अहं का िवकास िकया जाए। जब िकसी यि म पया
आ मस मान होता है, तो छोटे-छोटे अनादर ज़रा भी जो खम नह लगते ह;
उ ह तो नज़रअंदाज़ और अनदेखा कर िदया जाता है। अ धक गहरे
भावना मक घाव के भी अ धक तेज़ और साफ़-सुथरे ढंग से इलाज होने
क संभावना होती है। िकसी बहते नासूर का जो खम नह रहता, जो जीवन
म ज़हर घोल दे और ख़ुशी को बबाद कर दे।
चीज़ को बहुत यि गत प से न ल
मुझे याद है िक जब पो लश चुटकुले अपने चरम पर थे, तब एक रयल
ए टेट एजट ने मुझे बताया िक उसके ऑिफ़स के सहकम िकसी कारण
उसे नापसंद करते थे और हर मौक पर उसका मज़ाक उड़ाते थे। जब मने
माण के बारे म पूछा, तो उसने बताया िक वे पो लश चुटकुले सुनाते थे।
यह मिहला िववािहत थी और अपने कँु वारेपन के नाम का इ तेमाल नह
करती थी, जो प
प से उसक पो लश पहचान को उजागर करता था।
म तो यह जानता भी नह था िक वह पो लश है, जब तक िक उसने मुझे यह
बात नह बताई।
म एक िबज़नेसमैन के साथ कभी-कभार डाइ वग रज म जाता था। वह
मुझे डॉ टर पर चुटकुले सुनाकर आनंिदत होता था। वे मुझे भी रोचक
लगते थे और यह बात मेरे मन म आई ही नह िक वह गोपनीय प से मेरे
िदल को ठे स पहुँचाने क को शश कर रहा था। दोन थ तयाँ बहुत भ
नह थ , लेिकन दोन आ म-छिवयाँ िन त प से भ थ ।
जब आप आदतन हर अनादर, हर सुनी हुई बातचीत, यहाँ तक िक
मी डया म पढ़ी या सुनी ख़बर को भी यि गत मान लेते ह, तो आप सबसे
कमज़ोर सुर ा वाली बहुत पतली वचा क आ म-छिव को उजागर कर
देते ह।
ऐसी चीज़ से यादा बड़े बन। जैसी कहावत है, यादा बड़ी मछ लयाँ
पकड़ने क को शश कर। जो यि साथक, पुर कारदायक ल य क ती
खोज म लगा होता है, जसका कैलडर िकए जाने वाले मह वपूण काय से
भरा रहता है, उसके पास ऐसे छोटे अनादर और अपमान से त होने का
बहुत कम समय होता है। अ धकतर मूखतापूण, असंवेदनशील िट प णयाँ
दरअसल मूखतापूण, असंवेदनशील िट प णयाँ ही होती ह; उनका कोई
छपा हुआ अथ नह होता और इसक तलाश करना - िन त प से इससे
चढ़ना - समय क पूरी बबादी है।
स ते पा ा य सािह य के लोकि य लेखक लुइस लामूर से एक बार
एक इंटर यू म पूछा गया िक वे इस त य के पीछे छपा हुआ अथ बताएँ िक
उनक सैकड़ पु तक म से िकसी म भी खलनायक कभी भी पहली गोली
से नह मरा। इंटर यू करने वाले ने सोचा था िक इसके पीछे कोई बहुत बड़ी
बात होगी। उप यासकार का जवाब था, “ य िक उन िदन हम श द के
िहसाब से पैसे िमलते थे।” चूँिक मुझे श द के िहसाब से पैसे नह िमलते ह,
इस लए म आगे बढ़ता हूँ!
मान सक
श ण अ यास
सुपरमाकट जाएँ । दो आलू ख़रीद, एक सबसे छोटा, सबसे बौना और दस
ू रा सबसे बड़ा। उ ह
अपनी डे क पर या िकसी ऐसी जगह पर पास-पास रख द, जहाँ आप िदन म अ सर उ ह
देखते रह। हो सकता है िक आप उ ह अगल-बग़ल म रखकर उनका पोलरॉइड फ़ोटो भी ले
ल और उसे अपनी कार के डैशबोड पर लगा द, अपने ीफ़केस के भीतर रख ल, िकसी ऐसी
जगह जहाँ आप इसे देख सक। इससे आपको इस िवचार क ेरणा िमलेगी िक आपक
आ म-छिव िकसी छोटे, बौने आलू से कह अ धक बड़ी है। समय-समय पर आपको ख़ुद से
पूछना चािहए िक आज आप बड़े आलू क तरह काय कर रहे ह या िफर सकुड़े हुए आलू क
तरह!
आ मिनभर ज मेदार नज़ रया आपको
कम असुर त बनाता है
जैसा डॉ. हॉलड ने संकेत िकया है, स त बाहरी खोल वाले िकशोर
अपराधी के भीतर एक कोमल, असुर त आं त रक इंसान होता है, जो
दस
ू र पर िनभर होना चाहता है और दस
ू र का यार पाना चाहता है।
से स ोफ़ेशन स मुझे बताते ह िक जो ाहक शु आत म सबसे
यादा िब ी तरोध िदखाते ह, उ ह बेचना अ सर “आसान” होता है,
बशत आप एक बार उनके र ातं के पार िनकल जाएँ । जो लोग “िकसी
से समेन को अनुम त नह ” के साइनबोड लगाते ह, वे इस लए लगाते ह,
य िक वे जानते ह िक उनका िदल कोमल है और उ ह र ा क ज़ रत है।
कठोर, खे बाहरी िह से वाला यि आम तौर पर इसे इस लए
िवक सत करता है, य िक सहज बोध से वह जानता है िक वह अंदर से
इतना नम है िक उसे र ा क ज़ रत है।
जस यि म बहुत कम आ मिनभरता होती है या िबलकुल भी नह
होती, जो भावना मक प से दस
ू र पर िनभर महसूस करता है, वह ख़ुद
को भावना मक चोट के त सबसे यादा असुर त बना देता है। हर
यि
ेम व नेह चाहता है और उसे इसक ज़ रत होती है। लेिकन
सृजना मक, आ मिनभर यि
ेम देने क ज़ रत भी महसूस करता है।
उसका ज़ोर पाने पर जतना है, उतना ही देने पर है, शायद उससे अ धक
है। वह यह उ मीद नह करता है िक ेम उसे चाँदी क थाली म परोसकर
िदया जाएगा। न ही उसे इस बात क कोई बा यकारी ज़ रत महसूस होती
है िक “हर यि ” उससे ेम करे या उसे पसंद करे।
िन य-िनभर यि अपना सब कुछ दस
ू रे लोग , प र थ तय और
िक़ मत के हवाले कर देता है। संसार को उसे आजीिवका देनी चािहए और
दस
ू रे लोग को उसका यान रखना चािहए, उसे शंसा, ेम, ख़ुशी देनी
चािहए। वह अता कक माँग करता है और दस
ू रे लोग पर दावा करता है
और जब उसके मनचाहे ढंग से दस
ू रे काय नह करते ह, तो उसे लगता है
िक उसके साथ धोखा या ग़लत िकया गया है, उसे चोट पहुँचाई गई है।
चूँिक जीवन इस तरह से नह बना है, इस लए वह असंभव क उ मीद कर
रहा है और ख़ुद को भावना मक चोट तथा घाव के
त “काफ़
असुर त” बना रहा है।
एक बार से स से जुड़े लोग के एक बड़े स मेलन म बोलते समय म
एक और पेशेवर व ा से िमला, जसके बारे म मने काफ़ सुन रखा था। वह
बहुत सफल था और से स जगत म उसक काफ़ माँग थी। उसने मुझे
बताया िक उसे बहुत कम फ़ैन मेल आते थे और उसक
तु तयाँ ख़ म
होने पर शायद ही कभी िदल से ता लयाँ बजती थ । और अजीब बात यह
थी िक उसे इस बात पर गव था। जब मने उससे इसके बारे म पूछा, तो
उसने प िकया, “ऐसा इस लए है य िक म उ ह पगला देता हूँ।” वह
बाद म हैरी टू मैन का कोटेशन बताने लगा, “उ ह नक दे दो,” टमैन ने कहा
था, “म उ ह नक नह देता हूँ। म उ ह स ाई बताता हूँ और वे सोचते ह िक
यह नक है।” या ऐसी ही कोई बात। चाहे जो हो, यह यि सबसे य त,
सबसे ऊँचे भुगतान वाले, सबसे कम ि य व ाओं म से एक था - और उसे
इस बात पर गव था! उसक कपनी के ाहक उसे फ़ स देते थे और जब वह
उनके से सपीपल क खाल ख चता था, तो यह उ ह बड़ा पसंद आता था।
अ सर, उसके अपमान क ख़ुराक़ के बाद िब ी दशन तुरत
ं बढ़ जाता
था, य िक कई से सपीपल “उस घिटया आदमी को कुछ िदखाने पर
आमादा हो जाते थे।” यह तो वैसा ही है, जैसे फ़ुटबॉल कोच अखबार क
ि पग को लॉकर- म म लगाते ह, जनम अगली िवरोधी टीम के खलाड़ी
उ ह “अपमािनत” कर रहे ह। म खुलकर वीकार क ं गा िक व ा के प
म यह ऐसी भूिमका नह है, जसे म चाहूँगा या जसका म आनंद लूँगा।
लेिकन यह रोचक है िक उसक आ म-छिव िकतनी आ मिनभर है, हॉल म
ेम के अभाव के बावजूद िकतनी सुर त है!
यह आप पर है िक आप एक अ धक आ मिनभर नज़ रया िवक सत
कर। अपने जीवन और भावना मक आव यकताओं क िज़ मेदारी ल।
हमारी एक कहावत है, “ख़ुद ही ख़ुद को गो ड टार द।” जब हम बचपन म
भावना मक प से अप रप व थे, तो हम माता-िपता और टीचस से गो ड
टास क चाहत रखते थे। कोई त वीर बनाई या उसम रंग भरा, तुरत
ं उसे
लेकर माँ के पास दौड़कर गए, जसने उस पर वाह-वाह क और गव से उसे
चुंबक से िफ़ज के दरवाज़े पर चपका िदया। वय क के प म आपको ऐसी
अ याव यक ज़ रत से ऊपर उठ जाना चािहए। आपको अपने काय क
शंसा ख़ुद करने म स म होना चािहए और अपनी ख़ुद क उपल धय
को पहचानना भी आना चािहए।
यह अ याय 8 म आपके ए यू के बारे म हुई चचा क ओर ले जाता है।
जब हम अपने भाव से परे क िकसी सम या को वीकार करने या उसके
लए दस
ू र या ख़ुद को दोष देने से इंकार कर देते ह, तो इससे हम िवप
म लचीलापन िमलता है।
भावना मक चोट को तनावरिहत कर
एक बार मेरे एक रोगी ने मुझसे पूछा था, “अगर िनशान ऊतक का बनना
इतनी वाभािवक और वच लत चीज़ है, तो िफर ला टक सजन के
चीरा लगाने के बाद िनशान ऊतक य नह बनता?”
जवाब यह है िक अगर आपके चेहरे पर खर च लग जाती है और यह
वाभािवक प से ठीक होती है, तो िनशान ऊतक बन जाएगा, य िक
घाव म और घाव के ठीक नीचे तनाव क एक िन त मा ा घाव क दोबारा
वचा के ऊपर ख चती है, जससे एक खाई बन जाती है, जो िनशान ऊतक
से भरती है। ला टक सजन जब ऑपरेशन करता है, तो वह न केवल
टाँके लगाकर वचा को कसता है, ब क वचा के नीचे का थोड़ा सा मांस
भी बाहर िनकाल देता है, तािक कोई तनाव मौजूद न रहे। यह घाव सुचा
प से, समान प से ठीक होता है और िवकृत करने वाला कोई सतही
िनशान नह रह जाता। यह देखना उ ेखनीय है िक यही चीज़ भावना मक
घाव के मामले म होती है। अगर कोई तनाव मौजूद न हो, तो िवकृत करने
वाला कोई भावना मक िनशान भी बाक़ नह रहता है।
या आपने कभी ग़ौर िकया है िक जब आप कंु ठा, डर, ोध या
अवसाद से उ प तनाव का शकार होते ह, तो आपक भावनाओं को
चोट लगना या बुरा मानना िकतना आसान होता है?
िकसी िवपरीत अनुभव के कारण हम िनराश या परेशान महसूस करते
हुए काय पर जाते ह या हमारा आ मिव ास डगमगाया हुआ होता है। एक
िम हमसे मज़ाक म कोई बात कहता है। दस म से नौ बार हम उसक बात
पर हँसते, उसे मज़ेदार मानते, “उसके बारे म कुछ नह सोचते,” और बदले
म एक अ छा सा मज़ािकया जवाब देते। लेिकन आज नह ।
आज हम आ म-शंका, असुर ा, चता के तनाव झेल रहे ह। हम
िट पणी को ग़लत प म ले लेते ह, चढ़ जाते ह, हम चोट पहुँचती है और
एक भावना मक िनशान बनने लगता है।
यह सरल, रोज़मरा का अनुभव बहुत अ छी तरह से इस स ांत को
दशाता है िक दस
ू रे लोग से या उनके कुछ कहने या न कहने से हम चोट
नह पहुँचती है या भावना मक ठे स नह लगती है। यह तो हम अपने ख़ुद के
नज़ रए और अपनी ख़ुद क ति या से लगती है।
आरामदेह अव था भावना मक आघात से र ा
करती है
जब हम चोट महसूस होती है या हम चढ़ जाते ह, तो यह भावना पूरी तरह
हमारी ही ति या का मसला है। वा तव म, भावना ही हमारी ति या
है।
यह दस
ू र क नह , हमारी ति याएँ ह, जनके बारे म हम च तत
होना चािहए। हम तनाव म आ सकते ह, नाराज़, च तत या ेषपूण हो
सकते ह और चोट महसूस कर सकते ह। दस
ू री तरफ़, यह भी हो सकता है
िक हम कोई ति या न कर, आराम से रह और कोई चोट महसूस न कर।
वै ािनक योग ने दशाया है िक जब शरीर क मांसपे शयाँ पूरी तरह
आरामदेह रहती ह, तो डर, ोध, चता या िकसी भी तरह के नकारा मक
भाव को महसूस करना पूरी तरह असंभव होता है। डर, ोध, चता महसूस
करने के लए हम कुछ करना होता है। डायो जनीस ने कहा था, “िकसी
मनु य को ख़ुद के अलावा िकसी से चोट नह पहुँचती।”
सट बरनाड ने कहा था, “ सवा मेरे कोई भी मुझे नुक़सान नह पहुँचा
सकता। जो नुक़सान मुझे होता है, म उसे अपने साथ ले जाता हूँ और सफ़
अपनी ग़लती से ही वा तिवक क उठाता हूँ।”
आप ही ह, जो अपनी ति याओं के लए पूरी तरह िज़ मेदार ह।
आपको ज़रा भी ति या नह करनी होती है। आप आरामदेह और चोट
से मु रह सकते ह।
नु ख़ा
हर िदन इन तीन स ांत पर अमल करने का समय िनकाल। आरामदेह और तनावरिहत
होने के लए समय िनकाल। अपने ल य क िदशा म आप जो ग त और उपल धयाँ
हा सल करते ह, उनके नो स बनाएँ । “सफलता क डायरी” लखना अ धक शि शाली
आ म-छिव बनाने वाला बहुत सरल औज़ार है। जब आपक आ म-छिव पर अ यायपूण
आलोचना, ‘ ेषपूण’ िट पणी या दस
ू रे आ मण ह , तो एक मान सक क पना, एक मान सक
च बनाकर उसक मदद ल। मेरे एक रोगी ने मुझे बताया था िक वह सुपरमैन के शरीर पर
अपने सर क काटू न जैसी त वीर याद करता है, जो ा सक सुपरमैन मु ा म खड़ा हुआ है,
सीना बाहर िनकला हुआ है, गो लयाँ उससे टकराकर छटक रही ह, लबादा हवा म उड़ रहा
है।
पुराने भावना मक िनशान कैसे हटाएँ
हम इन तीन िनयम का अ यास करके भावना मक िनशान को रोक सकते
ह और उनसे अपनी र ा कर सकते ह। लेिकन अतीत म बने भावना मक
िनशान का या - पुरानी चोट, श ुता, जीवन के ख़लाफ़ शकायत, ेष।
एक बार जब कोई भावना मक िनशान बन जाता है, तो िफर एक ही
काय बचता है। जस तरह शारी रक िनशान को हटाने के लए सजरी क
जाती है, उसी तरह इसे भी सजरी करके हटा द।
ख़ुद को आ या मक स दय दान कर
पुराने भावना मक िनशान को हटाने वाला ऑपरेशन केवल आप ही कर
सकते ह। आपको वयं अपना ला टक सजन बनना होगा और ख़ुद को
आ या मक स दय देना होगा। प रणाम ह गे नया जीवन, नई फू त, नई
मान सक शां त और सुख।
भावना मक स दय क बात करना और मान सक सजरी का इ तेमाल
करना तुलना करने से कह अ धक है।
पुराने भावना मक िनशान को लेकर आप िकसी डॉ टर के पास नह
जा सकते। आप उनका इलाज दवाओं से नह कर सकते। उ ह तो पूरी
तरह से “काटकर बाहर िनकालना” होगा, जड़ से उखाड़ना होगा। कई लोग
पुराने भावना मक घाव पर कई कार का मरहम लगाते ह, लेिकन कोई
असर ही नह होता। हो सकता है िक वे सदाचारी अंदाज़ म खुला और
शारी रक तशोध न ल, लेिकन “बदला लेने” के कई सू म तरीक़े भी हो
सकते ह। एक उदाहरण उस प नी का है, जसे अपने प त क बेवफ़ाई का
पता चल गया। अपने पादरी और/या मनो चिक सक क सलाह पर वह
सहमत हो जाती है िक उसे प त को माफ़ कर देना चािहए। नतीजा यह
होता है िक वह उसे गोली नह मारती है। वह उसे छोड़कर नह जाती है।
बाहरी यवहार क ि से देखने पर वह एक कत यपूण प नी है। वह घर
को साफ़ रखती है, वह अ छा खाना बनाती है आिद। लेिकन अपने दय
के ठंडेपन और अपनी नै तक े ता का दशन करके वह कई सू म
तरीक़ से प त के जीवन को नक बना देती है। जब प त शकायत करता है,
तो प नी का जवाब होता है, “देखो ि य, मने तु ह माफ़ कर िदया था लेिकन म भूल तो नह सकती।” उसक “ मा” ही प त के िदल का काँटा
बन जाती है, य िक वह मिहला इस त य के त चेतन है िक यह उसक
नै तक े ता का माण है। वह उसके त कह अ धक दयालु होती और
ख़ुद भी कह अ धक ख़ुश होती, अगर उसने इस तरह क मा से इंकार
कर िदया होता और उसे छोड़कर चली गई होती।
मा भावना मक िनशान हटाने वाली छुरी है
हेनरी वॉड बीचर ने कहा था, “म मा कर सकता हूँ, लेिकन भूल नह
सकता,” यह कहने का मतलब है, “म मा नह क ं गा।’‘ मा िनर त
चेक क तरह होनी चािहए - इसे दो िह स म फाड़ द, जला द, तािक इसे
िकसी को भी िदखाया न जा सके।”
मा जब स ी, वा तिवक और पूण होती है तथा भुला दी जाती है तो यह वह छुरी है, जो पुराने भावना मक घाव के मवाद को हटा सकती है,
उ ह ठीक कर सकती है और िनशान ऊतक को हटा सकती है।
जो मा आधी-अधूरी हो या आधे-अधूरे िदल से दी जाए, वह वैसी ही
होती है, जैसा िक चेहरे का आधा-अधूरा ऑपरेशन। मा का नाटक, जसे
कत य क तरह िकया जाए, िकसी नक़ली चेहरे क सजरी से अ धक
कारगर नह होता।
आपको यह भूल जाना चािहए िक आपने िकसी को मा कर िदया है।
साथ ही आपको उस ग़लती को भी भूल जाना चािहए, जसके लए आपने
मा िकया है। जो मा याद रखी जाती है, जसका िज़ िकया जाता है,
वह उस घाव को दोबारा ताज़ा कर देती है, जसे आप भरने क को शश कर
रहे ह। अगर आपको अपनी मा पर बहुत यादा गव है या आप इसे बहुत
यादा याद करते ह, तो आपको यह एहसास होता रहेगा िक सामने वाला
उसे मा करने के लए िकसी तरह आपका क़ज़दार है। आप उसका एक
क़ज़ तो माफ़ कर देते ह, लेिकन ऐसा करने म उस पर दस
ू रा क़ज़ चढ़ा देते
ह। यह काफ़ कुछ छोटी लोन कंपिनय के मा लक क तरह है, जो एक
नोट को र करते ह और हर दो स ाह म दस
ू रा नोट तैयार कर लेते ह।
मा कोई ह थयार नह है
मा के बारे म कई आम ां तयाँ ह और इसके चिक सक य मू य को
अ धक नह पहचाना गया है, इसका एक कारण यह है िक स ी मा को
बहुत कम आज़माया गया है। िमसाल के तौर पर, कई लेखक ने हम बताया
है िक हम ख़ुद “अ छा” बनने के लए मा करना चािहए। हम सुखी रहने
के लए मा करने क सलाह बहुत कम बार दी गई ं है। एक ओर ां त यह
है िक मा क बदौलत हम े
थ त म आ जाते ह या अपने श ु पर
िवजय पा लेते ह। यह िवचार कई आकषक वा यांश म कट हुआ है, जैसे
“बदला” लेने क को शश ही न कर - अपने श ु को मा कर और उससे
“आगे” िनकल जाएँ ।” कटरबरी के पूव धान पादरी िट लॉटसन कहते ह,
“िकसी यि पर इससे अ धक शानदार िवजय हा सल नह क जा सकती
िक चोट उसक तरफ़ से शु हो और दयालुता हमारी तरफ़ से।” इसका
मतलब है िक मा का इ तेमाल तशोध के भावी ह थयार के प म
िकया जा सकता है, जो सच भी है। यह याद रख िक तशोध वाली मा
चिक सक य मा नह है।
चिक सक य मा िकसी ग़लती को काटकर बाहर िनकालती है, जड़
से उखाड़ती है, िनर त करती है और ग़लती को ऎसा कर देती है, मानो वह
कभी हुई ही न हो। चिक सक य मा सजरी जैसी होती है।
शकवे- शकायत को ग ीन से
याग द
त बाँह क तरह
सबसे पहले तो यह जान ल िक ग़लती - और ख़ास तौर पर इसके बारे म
नदा क अपनी ख़ुद क भावना - को वांछनीय के बजाय अवांछनीय चीज़
के प म देखा जाना चािहए। कोई अपना ग ीन से त एक हाथ कटवाने
के लए सहमत हो, इससे पहले उसे यह देखना छोड़ना होगा िक बाँह एक
वांछनीय चीज़ है जसे रखना होगा। उसे तो यह देखना होगा िक उसक
बाँह अब एक अवांछनीय, िवनाशकारी और जो खम भरी चीज़ है, जसका
याग कर देना चािहए।
चेहरे क सजरी म कोई आं शक, ह के या आधे-अधूरे क़दम नह
होते। िनशान ऊतक काटकर बाहर िनकाल िदए जाते ह, पूरी तरह, समूचे।
घाव को सफ़ाई से भरने क अनुम त दी जाती है। और पूरी सावधानी बर ी
जाती है िक चेहरे का हु लया हर तरह से ठीक वैसा हो जाए, जैसा िक वह
चोट से पहले था। कुल िमलाकर, यह ऐसा िदखे, मानो चोट कभी लगी ही
नह थी।
आप मा कर सकते ह - यिद आप करना चाह
चिक सक य मा मु कल नह होती। एकमा मु कल अपनी ख़ुद क
इ छा को जा त करना है िक यह याग कर दे और आपके नदा के एहसास
के िबना करे (क़ज़ को िनर त करने क आपक इ छुकता) कोई मान सक
शत के साथ नह ।
मा करना हम मु कल इस लए लगता है, य िक हम नदा या
आलोचना के एहसास को पसंद करते ह। हम अपने घाव को बनाए रखने म
एक अजीब और अ व थ आनंद िमलता है। अगर हम दस
ू र को दोष दे
सक, तो हम उनसे े महसूस कर सकते ह। कोई भी इस बात से इंकार
नह कर सकता िक ख़ुद के लए दख
ु ी महसूस करना भी संतुि का एक
िवकृत एहसास है।
मा के आपके कारण मह वपूण ह
चिक सक य मा म हम सामने वाले के क़ज़ को िनर त करते ह, इस लए
नह , य िक हमने उदार बनने या एहसान करने का िनणय लया है या हम
नै तक ि से े इंसान ह। हम क़ज़ को िनर त करते ह, इस पर “ख़ म
और ख़ा रज” लखते ह, तो इस लए नह , य िक हमने ग़लती के लए
सामने वाले से पया “भुगतान” ले लया है, ब क इस लए य िक हम यह
पहचान चुके ह िक क़ज़ अपने आप म वैध नह है। स ी मा केवल तब
आती है, जब हम यह देखने म समथ होते ह और भावना मक प से
वीकार करते ह िक मा करने के लए हमारे पास कुछ है ही नह , न कभी
था। हम सामने वाले क नदा या उससे नफ़रत करनी ही नह चािहए थी।
कुछ ही समय पहले म एक औपचा रक म या ह भोज म गया, जहाँ
पुरोिहत वग के कई लोग भी थे। मा का िवषय सामा य तौर पर उठा और
िफर उस य भचारी मिहला का मामला, जसे ईसा मसीह ने ख़ास तौर पर
मा िकया था। मने इस बारे म बहुत ानवधक चचा सुनी िक ईसा मसीह
ने उस तरह उनके ज़माने के चच के लोग के लए झड़क थी, जो उसे
प थर मारने को तैयार थे आिद, आिद।
ईसा मसीह ने उस य भचारी मिहला को
“ मा” नह िकया था
मने इन स न को सदमा पहुँचाने के लोभन का तरोध िकया और यह
संकेत नह िकया िक दरअसल ◌इसा मसीह ने उस मिहला को कभी मा
िकया ही नह था। यू टे टामट म उस संग म कह भी “ मा” श द का
इ तेमाल नह हुआ है, न ही उसका संकेत िकया गया है। न ही यह कहानी
म िदए त य से ता कक प से िनिहत हो सकता है। हम सफ़ इतना
बताया गया है िक उसे दोष देने वाल के जाने के बाद ईसा मसीह ने उस
मिहला से पूछा था, “ या िकसी यि ने तु ह दं डत िकया है?” जब उसने
“नह ” कहा, तो वे बोले, “न ही म तु ह दं डत करता हूँ। जाओ और अब
पाप मत करना।”
आप दस
ू र को तब तक मा नह कर सकते, जब तक िक आप पहले
उ ह दं डत न कर द। ईसा मसीह ने उस मिहला को कभी दं डत ही नह
िकया था, इस लए उनके मा करने के लए कुछ था ही नह । उ ह ने उस
औरत के पाप या उसक ग़लती को पहचान लया था, लेिकन इसके लए
उससे नफ़रत करने का िवचार उनके िदल म आया ही नह । वे घटना होने
से पहले देखने म समथ थे, जसे चिक सक य मा का अ यास करने म
आपको और मुझे त य के बाद देखना चािहए : िक हम ख़ुद ग़लती करते ह,
जब हम दस
ू र क ग़ल तय के कारण उनसे नफ़रत करते ह, जब हम उ ह
दं डत करते ह या जब हम उ ह िन त कार के लोग म वग कृत करते ह,
यि व और यवहार म भेद करते ह या जब मान सक प से एक क़ज़
तय करते ह, जसे दस
ू र को “चुकाना” होगा, तभी हम उनके त दोबारा
अ छी धारणा रखगे और भावना मक प से उ ह वीकार करगे।
या आपको यह करना चािहए, या आपको ऐसा करना चािहए या
या आपसे ऐसा करने क ता कक प से उ मीद क जा सकती है, यह
इस पु तक और मेरे े के दायरे से बाहर का मामला है। म तो आपको
डॉ टर के प म बस यही बता सकता हूँ िक अगर आप ऐसा करगे, तो
आप कह अ धक ख़ुश तथा व थ रहगे और आप अ धक मान सक शां त
हा सल करगे। म यह संकेत करना चाहूँगा िक यही चिक सक य मा है
और यह इस कार क एकमा मा है, जो सचमुच काय करती है। अगर
मा इससे ज़रा भी कम है, तो हम इसके बारे म बात करना छोड़ सकते ह।
दस
ू र के साथ-साथ ख़ुद को भी मा करना
न सफ़ हम दस
ू र से भावना मक घाव हण करते ह, ब क हमम से
अ धकतर उ ह ख़ुद पर ख़ुद ही लगाते ह।
हम आ म- नदा, प ाताप और अफ़सोस के साथ अपना सर धुनते ह।
हम आ म-शंका से ख़ुद को अधमरा कर देते ह। हम अ य धक अपराधबोध
के साथ ख़ुद को काट लेते ह।
प ाताप और अफ़सोस भावना मक प से अतीत म जीने के यास
ह। अ य धक अपराधबोध उसे सही करने का यास है, जो अतीत म हमने
ग़लत िकया था या ग़लत सोचा था।
भावनाओं का सही और उ चत इ तेमाल तब होता है, जब वे वतमान
प रवेश म वा तिवकता पर उ चत ति या करने म हमारी मदद करती ह।
चूँिक हम अतीत म नह रह सकते, इस लए हम अतीत पर उ चत
भावना मक ति या नह कर सकते। जहाँ तक हमारी भावना मक
ति याओं का संबध
ं है, हम अतीत को तो बस िनर त कर देना चािहए,
ख़ म कर देना चािहए, भुला देना चािहए। हम उन माग के बारे म एक या
दस
ू रे तरीक़े से “भावना मक मोच” बनाने क ज़ रत नह है, ज ह ने हम
अतीत म िदशा से भटकाया था। मह वपूण बात हमारी वतमान िदशा और
हमारा वतमान ल य है।
हम अपने यास को ग़लती के प म पहचानने क ज़ रत है। वरना
हम अपनी िदशा म सुधार नह कर सकते। “ टय रग” या “मागदशन”
असंभव होगा। लेिकन अपनी ग़ल तय के लए ख़ुद से नफ़रत करना या
अपनी नदा करना िनरथक और घातक होता है। केस वे टन रज़व
यूिनव सटी म अपराधबोध पर एक अ ययन आयो जत िकया गया, जसक
रपोट रीडस डाइज ट के सतंबर 1997 अंक म छपी। इसम पाया गया िक
आम आदमी अपराधबोध महसूस करने म हर िदन दो घटे का समय
िबताता है! इसका काफ़ िह सा वतमान पल का अपराधबोध है : वह
कामकाजी मिहला जो ऑिफ़स म इस लए अपराधबोध महसूस करती है,
य िक वह घर पर अपने ब के साथ नह है। िफर अगर वह दोपहर म
अपने ब के साथ है, तो इस बात पर अपराधबोध महसूस करती है िक
वह ऑिफ़स का काय जी-जान से नह कर रही है। िकसी बूढ़े, कमज़ोर
अ भभावक का थका हुआ बेटा या बेटी, जो थोड़ा चड़ चड़ा महसूस करने
क वजह से अपराधबोध से
त हो जाता है। या ा करने वाला वह
ए ज़ी यूिटव जो कूल म अपनी बेटी के काय म म न जा पाने के कारण
अपराधबोध महसूस करता है।
अगर आप अपने अतीत और वतमान को दयालु आँ ख से नह देख
पाते, तो आप आशावादी िनगाह से अपना भिव य भी नह देख सकते।
इसका मतलब यह सुझाव देना नह है िक आप हर मोड़ पर ख़ुद को
दोषरिहत मान। िज़ मेदारी मह वपूण है। लेिकन जसे म आं त रक
आलोचक कहता हूँ, वह अ य आलोचक से इतना अ धक शि शाली
होता है िक हम इसे अपनी आ म-छिव को तहस-नहस नह करने देना
चािहए।
एक बार ओ ाहोमा जेल म क़ैिदय के एक बड़े समूह के सामने भाषण
देने के बाद मुझे एक बात का एहसास हुआ : यहाँ म डाकुओं, ह यार और
ऐसे लोग के साथ था, ज ह ने जघ य ग़ल तयाँ क थ , कई मामल म तो
बार-बार, लेिकन उनम से अ धकतर ख़ुद को उतना दोष या सज़ा नह देते
थे, जतना िक बाहर के कई लोग ख़ुद को देते थे, जनक ग़ल तयाँ या भूल
इन लोग से बहुत कम थ ओर आम तौर पर उनका 99 तशत यवहार
ईमानदार व नै तक रहता था। जेल के क़ैिदय के लए यह आम है िक वे
जेल के भीतर अपने अ धकार के लए संघष कर, जबिक कई अ छे
नाग रक ख़ुशी का पीछा करने के अपने बुिनयादी व ज मजात अ धकार से
ख़ुद को वं चत रखते ह, अपनी अ य धक आ म-आलोचना करते ह और
आ म-दंड दान करते ह। जब हम जेल क िवशाल दीवार से बाहर
िनकले, जसम दीवार के ऊपर काँटेदार तार लगे थे और बुज म
ह थयारबंद सैिनक थे, तो मने मन ही मन सोचा िक कई लोग तो इनसे भी
भयानक क़ैद ख़ुद बना लेते ह और िफर उसम ख़ुद को बंद कर लेते ह, वह
भी अतीत के िकसी “पाप” के कारण। म पाप म बहुत यक़ न नह करता,
लेिकन अगर पाप है, तो जो लोग अपनी क हुई ग़ल तय के लए ख़ुद को
सज़ा देकर अपना जीवन बबाद कर रहे ह, उन लोग के लए पाप का
मतलब वे ग़ल तयाँ ह, जो सफ़ ◌इसानी ह।
आप ग़ल तयाँ करते ह —
ग़ल तयाँ “आपके साथ” नह होती ह
अपनी और दस
ू र क ग़ल तय के बारे म सोचते समय यह मददगार और
यथाथवादी है िक हम उनके बारे म इस संदभ म सोच िक हमने या िकया
या या नह िकया। हम इस संदभ म नह सोचना चािहए िक उन ग़ल तय
ने हम या बना िदया।
हम एक बहुत बड़ी ग़लती यह कर सकते ह िक अपने यवहार और
अपने व प म दिु वधा बना ल। या इस नतीजे पर पहुँच जाएँ िक चूँिक
हमने एक ख़ास काय िकया, इस लए हम एक ख़ास तरह के इंसान बन गए।
दे खए, ग़ल तयाँ ऐसी चीज़ ह, जो हम करते ह : उनका संबध
ं काय से है।
यथाथवादी बनने के लए हम इनके लए ि या का इ तेमाल करना चािहए,
न िक अ त व क अव था को बताने वाली सं ा का।
िमसाल के तौर पर, “मेरा यह काय असफल हुआ” (ि या प) है।
यह िकसी भूल को पहचानता है और िकसी भावी सफलता क ओर ले जा
सकता है।
लेिकन “म असफल हूँ” (सं ा प) यह कहने से यह पता नह चलता
िक आपने या िकया था। उ टे, यह तो बताता है िक आपके िहसाब से
ग़लती ने आपको या बना िदया। इससे सीखने म कोई योगदान नह
िमलता, ब क ग़लती के जड़ पकड़ने और इसके थायी बनने क वृ
होती है। मनोवै ािनक योग म यह बार-बार सािबत हो चुका है।
हम समझ चुके ह िक सभी ब े चलना सीखते समय कभी-कभार
िगरगे। हम कहते ह िक वह “िगर गया” या वह “लड़खड़ाया।” हम यह नह
कहते, “वह तो िगरा हुआ है” या “वह तो लड़खड़ाता है।”
कई अ भभावक यह समझने म असफल रहते ह िक बोलना सीखते
समय भी सभी ब े ग़ल तयाँ करते ह - झझक, अटकाव, िह और श द
का दोहराव। िकसी च तत, परेशान अ भभावक के लए यह िन कष
िनकालना आम अनुभव है, “वह हकला है।” ऐसा नज़ रया या िन कष (ब े
के काय का नह , ब क ब े का) ब े तक पहुँच जाता है और वह ख़ुद को
हकला इंसान मानने लगता है। उसक छिव िन त हो चुक है और उसक
हकलाहट थायी बन सकती है।
जब मने इस पु तक का मूल सं करण लखा था, तो हकलाने के े
के अ णी अमे रक िवशेष डॉ. वडेल जॉनसन के अनुसार, हकलाने का
कारण यही होता था। उ ह ने पाया िक न हकलाने वाले ब के अ भभावक
आम तौर पर कहते थे (“वह नह बोला”), जबिक हकलाने वाले ब के
माता-िपता आलोचना मक श दावली का इ तेमाल करते थे (“वह नह
बोल सकता”)। सैटरडे इविनग पो ट (जनवरी 5, 1957) म लखते हुए डॉ.
जॉनसन ने कहा था, “धीरे-धीरे नज़रअंदाज़ िकया गया था। एक के बाद
एक करण सामने आए, जब सामा य भाषा िवकास के त य से अप र चत
अ त- च तत यि य ने हकलाने का िनदान िकया। ऐसा लग रहा था, जैसे
ब े के बजाय अ भभावक, व ा के बजाय ोता को समझ और श ा क
सबसे यादा ज़ रत थी।”
डॉ. नाइट डनलप ने आदत , उनके बनने, उनके छूटने और सीखने के
बारे म बीस वष तक अ ययन िकया। उ ह ने पता लगाया िक यही स ांत
लगभग सारी “बुरी आदत ” पर लागू होते थे, जनम बुरी भावना मक
आदत शािमल थ । उ ह ने कहा िक उपचार के लए यह अिनवाय था िक
रोगी ख़ुद को दोष देना, ख़ुद क नदा करना और अपनी आदत पर
अफ़सोस करना छोड़ द। उ ह ने कहा िक रोगी जो काय कर चुका था या
जो कर रहा था, उनके बारे म जब वह िन कष िनकालता है, “म बबाद हो
गया,” या “म बेकार हूँ,” तो यह ख़ास तौर पर हािनकारक होता है।
तो याद रख िक ग़ल तयाँ आप करते ह। ग़ल तयाँ आपको कुछ नह
बनाती ह - कुछ भी नह !
आप या करते ह, उससे यह प रभािषत नह होना चािहए िक आप
या ह या आप या करगे!
आप अपनी ग़ल तयाँ नह ह।
घ घा कोन बनना चाहता है?
भावना मक चोट को रोकने और हटाने के बारे म एक आ खरी श द।
सृजना मक प से जीने के लए हम थोड़ा असुर त बनने का इ छुक
रहना होगा। यिद आव यक हो तो हम सृजना मक जीवन म इस बात के
लए तैयार रहना होगा िक थोड़ी बहुत चोट लग सकती है। बहुत से लोग
क भावना मक वचा जतनी मोटी है, उ ह उससे अ धक मोटी और कठोर
वचा क ज़ रत है। लेिकन उ ह खोल क ज़ रत नह है। बस थोड़ी
यादा कठोर भावना मक वचा या बा
वचा क ज़ रत है। िव ास
करना, ेम करना, दस
ू रे लोग के साथ भावना मक सं ेषण के लए ख़ुद को
खोलने म चोट पहुँचने का जो खम रहता है। अगर हम एक बार चोट पहुँच
जाती है, तो हम दो म से एक चीज़ कर सकते ह। हम एक मोटा र ा मक
खोल या िनशान ऊतक बना सकते ह, तािक दोबारा चोट पहुँचने से बच
सक, घ घे क तरह रह सक और हर आघात से बचे रह।
या िफर हम “दस
ू रा गाल आगे” कर सकते ह, असुर त बने रह सकते
ह और सृजना मक जीवन जारी रख सकते ह।
घ घे को कभी चोट नह पहुँचती है। इसका खोल मोटा होता है, जो हर
चीज़ से इसक र ा करता है। यह एकाक होता है। घ घा सुर त तो होता
है, लेिकन सृजना मक नह होता। यह जो चाहता है, उसका पीछा नह कर
सकता। उसे तो उस चीज़ के अपने क़रीब आने का इंतज़ार करना होता है।
घ घा प रवेश के साथ भावना मक सं ेषण क चोट के बारे म कुछ नह
जानता है, लेिकन वह इसक ख़ु शय को भी नह जान सकता है।
भावना मक सजरी करने से आप अ धक
यव
ु ा िदख सकते ह और महसूस कर सकते ह
जब यह सं करण लखा जा रहा है, तो तथाक थत “बेबी बूमर” पीढ़ी
50 वष क उ के आँ कड़े को छू रही है और घड़ी को रोकने के लए इतनी
अ धक लाला यत है, यहाँ तक िक घड़ी को पीछे करने के लए भी, जतनी
िक कोई पीढ़ी पहले नह रही। कॉ मेिटक सजरी, लपोस शन, िफ़टनेस
जम और उपकरण , यि गत श क , लोशन और दवाओं, ोथ हॉमन
इंजे श स आिद पर भारी पैसे खच िकए जा रहे ह।
मेरे पास एक भ नु ख़ा है! ख़ुद को आ या मक स दय देने क
को शश कर। यह श द क बाज़ीगरी नह है। इससे तो जीवन के दारा
खुल जाते ह, अ धक फू त ा होती है, जो यौवन क िनशानी है। आप
अ धक यव
ु ा महसूस करगे। दरअसल आप अ धक यव
ु ा िदखगे। कई बार
मने देखा है िक पुराने भावना मक िनशान हटने के बाद कोई आदमी या
औरत पाँच-दस साल कम उ का िदखने लगा। अपने आस-पास देख।
आपक जान-पहचान के कौन से लोग यव
ु ा िदखते ह और उनक उ
चालीस के पार है? चड़ चड़े? देषपूण? िनराशावादी? जनका िदल संसार
के त ख ा हो चुका है? या िफर वे लोग, जो ख़ुशनुमा, आशावादी और
अ छे वभाव वाले ह?
याद रख, म एक डॉ टर हूँ, एक ला टक सजन हूँ। म बहुत गंभीरता
और संजीदगी से आपको बता रहा हूँ िक भावना मक सजरी करने और
साइको साइबरनेिट स से अपनी आ म-छिव को मज़बूत करने क बदौलत
आप वा य और फू त के मान से कई वष अ धक यव
ु ा महसूस कर
सकते ह, चेहरे और मु ा के मान से कई साल कम के िदख सकते ह।
िकसी यि या जीवन के ख़लाफ़ शकायत रखने से बुढ़ापे जैसी
कमर झुक जाती है, मानो आपके कंध पर भारी वज़न रखा हो, जसे आप
उठा रहे ह। भावना मक िनशान , शकायत आिद के साथ लोग अतीत म
जी रहे ह, जो बूढ़े लोग का ल ण है। यव
ु ा नज़ रया और यव
ु ा भाव, जो
आ मा और चेहरे से झु रय को िमटा देता है तथा आँ ख म चमक ले आता
है, भिव य क ओर देखता है और इसके पास भारी उ मीद होती है,
जसक यह राह देखता है।
तो य न ख़ुद को स दय दान कर? आपक वयं-आज़माकर-देखने
क िकट म िनशान रोकने के लए नकारा मक तनाव का श थलीकरण,
पुराने िनशान हटाने के लए चिक सक य मा शािमल है, जससे आप
ख़ुद को खोल नह , एक कठोर (लेिकन बहुत कठोर नह ) वचा दान
करगे। इस िकट म सृजना मक जीवन, थोड़े असुर त बनने क इ छा और
अतीत के बजाय भिव य का मोह शािमल है।
मान सक
श ण अ यास
इस पु तक म जतने भी अ यास सुझाए गए ह, उनम मा संबध
ं ी
अ यास अब तक का सबसे चुनौतीपूण और पुर कारदायक अ यास
है। एक या दो यि य को चुन, जनके त अतीत के अनादर क
वजह से आपने लंबे समय से ेष पाल रखा है। अपने िदल म उ ह
सचमुच, पूरी तरह मा करने का तरीक़ा खोज। कुछ भी बचाकर न
रख और अंततः आप अपने काय से भी उनके त ऐसा कर। इसके
साथ ही अतीत क िकसी भूल या थ त को पहचान, जसम आप
अपने ख़लाफ़ कोई शकायत पाले ह और ख़ुद को मा कर द तथा
आ ख़रकार हमेशा-हमेशा के लए इसे अपने िवचार से दरू कर द। हो
सकता है िक इसके लए आपक क पना क फै टी को काफ़ काय
करने क ज़ रत पड़े। 21 िदन तक लगातार हर िदन 30 िमनट तक
शांत मनन कर। एकांत म ख़ुद पर काय कर।
साइको साइबरनेिट स के ज़ रए आ म-छिव के
िनशान हटाने के लए वयं-आज़माकर-देख वाली
भावना मक सजरी के मु य िवचार
ऐरन टी. बैक, एम.डी. और गैरी एमरी, पीएच.डी., एवं थ एल. ीनबग,
पीएच.डी. ( यू यॉक : बे सक बु स, 1990 पुनः का शत सं करण)
1
अ याय यारह
अपने स े यि
व का ताला केसे खोल
आलोचना से बचने क लए कुछ न कर, कुछ न कह, कुछ न बन।
-ए बट हबड
व वह चुंबक य और रह यमयी चीज़ है, जसे पहचानना तो
व् य िआसान
है, लेिकन प रभािषत करना मु कल। यह बाहर से उतना
हा सल नह िकया जाता, जतना िक भीतर से
फुिटत होता है।
जसे हम “ यि व” कहते ह, वह उस अनूठे और यि गत
सृजना मक व प का बाहरी माण है, जो ई र क छिव म बना है। इसे
हमारे भीतर मौजूद देव व क चगारी या अपने स े व प क मु और
पूण अ भ यि कहा जा सकता है।
हर यि के भीतर का वा तिवक व प आकषक होता है। यह
चुंबक य होता है। इसका दस
ू रे लोग पर एक शि शाली भाव होता है।
इसके सामने रहने पर हमम यह भावना उ प होती है िक हम िकसी
वा तिवक और बुिनयादी चीज़ के संपक म ह तथा इसका हम पर कुछ
असर हो रहा है। दस
ू री ओर नक़ली या कृि म व प को शा त प से
नापसंद िकया जाता है और उससे नफ़रत क जाती है।
हर कोई शशुओ ं से यार य करता है? िन त प से उनक मता
या ान या उनक भौ तक संप य क वजह से नह । उनसे तो सफ़
उसके लए यार िकया जाता है, जो वे ह। शशुओ ं म “स ा यि व”
होता है। वहाँ कोई सतहीपन, कोई नकलीपन, कोई पाखंड नह होता।
अपनी ख़ुद क भाषा म, जो अ धकतर या तो रोने या िफर िकलकारी भरने
तक सीिमत होती है, वे अपनी असली भावनाओं को उजागर कर देते ह। वे
“वही कहते ह, जो उनका मतलब होता है।” कोई छल नह होता। शशु
भावना मक ि से ईमानदार होते ह। वे “ वयं क तरह रह” मनोवै ािनक
उि क िमसाल होते ह। ख़ुद को य करने को लेकर उनके मन म कोई
आशंका नह होती। वे ज़रा से भी संकोची नह होते।
शशु इस बात का सबूत होते ह िक सारा संकोच सीखा जाता है।
संकोच आ म-छिव का पैदाइशी गुण नह है, यह तो इसे सखाया जाता है।
े
ी
ि
ो
ै
हर एक के पास एक ग तशील यि
जो उसके भीतर बंद है
व होता है,
हर इंसान के पास वह रह यमयी चीज़ होती है, जसे यि
है।
व कहा जाता
जब हम कहते ह िक लोग के पास एक “अ छा यि व” है, तो
दरअसल हमारा मतलब यह होता है िक उ ह ने अपने भीतर क
सृजना मक संभावना को मु और वतं कर िदया है तथा वे अपने स े
व प को य करने म समथ ह।
“ख़राब यि व” और “संकोची यि व” एक ही चीज़ ह। “ख़राब
यि व” वाले लोग अपने भीतर के सृजना मक व प को य नह कर
पाते ह। उ ह ने इस पर बंधन लगाए ह, हथकिड़याँ लगाई ह, इसे ताले म
बंद िकया है और चाबी दरू फक दी है। “संकोच” श द का अथ है रोकना,
रोकथाम करना, तबं धत करना, बंधन म रखना। संकोची यि ने
वा तिवक व प क अ भ यि पर अंकुश लगा िदया है। एक या दस
ू रे
कारण से वह यि ख़ुद को य करने से डरता है, वह अपने स े व प
म रहने से डरता है और उसने अपने वा तिवक व प को एक अंद नी
कारागार म क़ैद कर रखा है। संकोच के ल ण कई और िविवध ह :
शम लापन, कातरता, श ुता, अ य धक अपराध बोध क भावनाएँ ,
अिन ा, घबराहट, चड़ चड़ापन, दस
ु र के साथ िमलकर चलने क
अ मता।
कंु ठा संकोची यि व के लगभग हर े और ग तिव ध क
प रचायक है। स ी और बुिनयादी कंु ठा “ वयं जैसा” होने क असफलता
है। यह ख़ुद को पया अ छी तरह य करने क असफलता है। लेिकन
इस बात क संभावना है िक यह बुिनयादी कुठा उसके हर काय पर असर
डालेगी और उसम वािहत हो जाएगी।
अ य धक नकारा मक फ़ डबैक संकोच के समान है
साइबरने ट स का िव ान हम संकोची यि व के बारे म नई जानकारी
देता है। यह हम संकोच को दरू करने और वतं होने का माग िदखाता है।
यह बताता है िक हम अपनी आ मा को ख़ुद क बनाई क़ैद से आज़ाद कैसे
कर सकते ह।
िकसी सव -मेकेिन म म नकारा मक फ़ डबैक आलोचना के समतु य
होता है। नकारा मक फ़ डबैक वा तव म कहता है, “आप ग़लत ह, आप
िदशा से भटक चुके ह, आपको सही िदशा म दोबारा लौटने के लए
सुधारवादी काय करने क ज़ रत है।”
यह जान ल िक नकारा मक फ़ डबैक का उ े य ति या म संशोधन
करना और भावी काय क िदशा को बदलना होता है, उसे पूरी तरह बंद
करना नह होता।
यिद नकारा मक फ़ डबैक सही तरीक़े से काय कर रहा है, तो
िमसाइल या टॉरपीडो “आलोचना” पर बस इतनी ति या करता है िक
यह अपनी िदशा म सुधार कर ले और ल य क िदशा म आगे बढ़ता रहे।
जैसा हम पहले ही प कर चुके ह, यह िदशा टेढ़ी-मेढ़ी ग तिव धय क
ख
ं ला होती है।
अगर मेकेिन म नकारा मक फ़ डबैक के
त ज़ रत से यादा
संवेदनशील है, तो सव -मेकेिन म ज़ रत से यादा सुधार कर देता है।
ल य क िदशा म ग त करने के बजाय यह बहुत यादा तरछा चलेगा या
िफर आगे क तरफ़ होने वाली ग त को पूरी तरह ख़ म कर देगा।
हमारा अंद नी सव -मेकेिन म भी इसी तरह से काय करता है।
उ े यपूण तरीक़े से काय करने के लए हम नकारा मक फ़ डबैक क
ज़ रत होती है, तािक हम अपनी िदशा सही रख सक या िकसी ल य क
ओर मागदशन ा कर सक।
नकारा मक फ़ डबैक एक तरह से हमेशा कहता है, “तुम जो कर रहे
हो, उसे रोक दो या तुम इसे जस तरह से कर रहे हो, उसे छोड़ दी। इसके
बजाय कुछ और करो।” इसका उ े य ति या को संशो धत करना या
भावी काय के अंश को बदलना होता है, सारे काय को रोकना नह होता।
नकारा मक फ़ डबैक यह नह कहता, “ क जाओ - बात ख़ म!” इसके
बजाय यह कहता है, “आप जो कर रहे ह, वह ग़लत है,” लैिकन यह नह
कहता है, “कुछ भी करना ग़लत है।” जहाँ नकारा मक फ़ डबैक अ य धक
होता है या जहाँ हमारा ख़ुद का मेकेिन म नकारा मक फ़ डबैक के त
ज़ रत से यादा संवेदनशील होता है, वहाँ ति या म सुधार नह होता
है, ब क ति या पूरी तरह ठहर जाती है।
संकोच और अ य धक नकारा मक फ़ डबैक एक ही बात ह। जब हम
नकारा मक फ़ डबैक या आलोचना पर अ त ति या करते ह, तो हमारे
इस नतीजे पर पहुँचने क आशंका रहती है िक न सफ़ हमारी वतमान
िदशा थोड़ी सी ग़लत या भटक हुई है, ब क हमारे लए तो आगे जाने क
इ छा करना भी ग़लत है।
कोई हाइ कग करने वाला या शकारी अ सर जब कार छोड़कर जाता
है, तो इसके लए वह कार के पास मौजूद ज़मीन के िकसी ऊँचे संकेत
च ह को चुन लेता है, जैसे कोई ख़ास ऊँचा पेड़, जसे मील दरू से देखा
जा सकता हो। कार क ओर लौटते समय हाइ कग करने वाला उस पेड़
(या ल य) को देखता है और उसक ओर चलने लगता है। समय-समय पर
पेड़ उसक िनगाह से ओझल हो सकता है, लेिकन पेड़ के िठकाने से अपनी
िदशा क तुलना करके वह अपनी िदशा क जाँच कर सकता है। यिद िदशा
पेड़ के बाई ं ओर 15 ड ी है, तो हाइ कग करने वाला जो कर रहा है, वह
“ग़लत” है। वह तुरत
ं अपनी िदशा म सुधार कर लेता है और एक बार िफर
सीधे पेड़ क िदशा म चलने लगता है। लिकन वह इस नतीज पर नह
पहुँचता िक उसक लए चलना ही ग़लत है।
िफर भी हमम से कई लोग इतने ही मूखतापूण िन कष पर पहुँचने के
दोषी होते ह। जब यह हमारे यान म आता है िक हमारी अ भ यि का
अंदाज़ िदशा से भटका हुआ है, सही नह है या “ग़लत” है, तो हम इस
नतीजे पर पहुँचते ह िक आ म-अ भ यि ही ग़लत है या हमारे लए
सफलता पाना (अपने ल य वाले पेड़ तक पहुँचना) ग़लत है।
यह यान म रख िक अ य धक नकारा मक फ़ डबैक का भाव
उ चत ति या म ह त ेप कर सकता है या इसे पूरी तरह रोक भी
सकता है।
हकलाना संकोच का उदाहरण है
हकलाना इस बात का अ छा उदाहरण है िक अ य धक नकारा मक
फ़ डबैक िकस कार संकोच लाता है और उ चत ति या के साथ
ह त ेप करता है।
हालाँिक हमम से अ धकतर इस त य के त चेतन प से जाग क
नह होते ह, लेिकन सच यही है िक हम अपनी आवाज़ सुनकर या
“िनगरानी” करके अपने कान से नकारा मक फ़ डबैक डेटा ा करते ह।
इसी कारण पूरी तरह बहरे लोग शायद ही कभी अ छी तरह बोलते ह।
उनके पास यह जानने का कोई तरीक़ा नह होता िक या उनक आवाज़
चीख़, च ाहट या अ प अ फुट वर म िनकल रही है। इसी कारण
पैदाइशी बहरे लोग बोलना नह सीख पाते, सफ़ ख़ास श ण से ही
सीख सकते ह। अगर आप गाते ह, तो शायद आपको यह जानकर हैरानी
होगी िक जब सद के कारण आप अ थायी या आं शक बहरेपन के शकार
होते ह, तो आप सही ताल पर या दस
ू र के साथ एक सुर म नह गा सकते।
इस तरह देख तो नकारा मक फ़ डबैक अपने आप म भाषा के लए
कोई बंधन या बाधा नह है। इसके िवपरीत, यह हम बोलने और सही
तरीक़े से बोलने म समथ बनाता है । आवाज़ के श क सलाह देते ह िक
हम टेप रकॉडर पर अपनी आवाज़ रकॉड कर और उसे सुन, तािक
उ ारण, लहज़े आिद को बेहतर बनाया जा सके। ऐसा करने पर हम भाषा
क उन ग़ल तय के बारे म जाग क होते ह, जन पर हमने पहले कभी ग़ौर
ही नह िकया था। हम प ता से सुन पाते ह िक हम कहाँ “ग़लती” कर रहे
थे और हम उसे कैसे सुधार सकते ह।
नकारा मक फ़ डबैक बेहतर बोलने म हमारी मदद भावी ढंग से करे,
तो इसके लए : 1. इसे कमोबेश वच लत या अवचेतन होना चािहए, 2.
इसे वत: या हमारे बोलते समय िनकलना चािहए, और 3. फ़ डबैक क
ति या इतनी संवेदनशील नह होनी चािहए िक इसका प रणाम संकोच
या ठहराव हो।
अगर हम सहज ति या करने के बजाय अपनी भाषा के त चेतन
प से अ त-आलोचना मक ह या अगर हम ग़ल तय से बचने क को शश
म पहले से ही अ त सावधान ह, तो संभवत: इसके फल व प हम
हकलाने लगगे।
यिद हकले यि के अ य धक फ़ डबैक को कम िकया जा सके या
अगर इसे पूवाभासी के बजाय सहज- वाभािवक बनाया जा सके, तो भाषा
म तुरत
ं सुधार हो जाएगा।
जो अपने संवाद भाव को बेहतर बनाना चाहते ह, वी डयो टेप उनके
लए एक बहुत मू यवान साधन है। काइरो ै टस और दंत चिक सक
अपने रोिगय के सामने वी डयो पर अपने केस ेज़ टेशन का रोल- ले
करते ह, जसम परामशदाता संदेहवादी रोिगय के प म अ भनय करते ह
तथा िफर वी डयो री ले का अ ययन करते ह। से स ोफ़ेशन स भी यही
करते ह। व ा, सेिमनार लीडस, नेता और उनके भाषण कोच भी यही
करते ह। यिद गो फ़ खलािड़य क मु ाओं का वी डयो बना लया जाए,
तो उसका बेहतर िव ेषण िकया जा सकता है और उ ह बेहतर को चग दी
जा सकती है। फुटबॉल खलाड़ी “िफ़ म का अ ययन” करते ह। यह
पया
प से व थ आ म-छिव वाले यि के लए ही बहुत मू यवान है
िक वह हर िदखने वाली ग़लती या चूक को िदल पर न ले और अवलोकन
दारा “िदशा सुधार” पर यान कि त करने म समथ हो।
क◌इ यि और श क ऐसे फ़ डबैक को पूरी तरह नह समझ
पाते ह, जसके सावधानीपूवक अवलोकन और िव ेषण के लए दशन
को टेप पर उतारा जाता है। दरअसल यह उतना ही मह वपूण और अ सर
यादा उपयोगी है िक “नकारा मक” के बजाय “सकारा मक” बात को
पहचाना जाए, उन पर यान कि त िकया जाए और मन पर उनक छाप
छोड़ी जाए।
इस बात का याल रखा जाना चािहए िक दशन म िकसी ग़लती पर
यादा ज़ोर न िदया जाए, जससे सव -मेकेिन म इस ग़लती को कह भूल
से “ल य” न मान बैठे। आप मन क पुरानी चाल के संदभ म इसे सोच
सकते ह : लोग से कह िक वे 60 सेकंड तक अपनी आँ ख बंद कर ल और
िकसी भी चीज़ के बारे म सोच। बस उ ह नाचने वाले गुलाबी हाथी के बारे
म नह सोचना है, जो लाल बॉ सर शॉ स पहने है और रोलर के स पर
है। हमेशा कौन सी मान सक त वीर हावी होती है? सावधान रह िक आप
अपने लए “गुलाबी” हाथी न बनाएँ , न ही अपने श क को अपने लए
ऐसा करने क अनुम त द।
चेतन आ म-आलोचना से
आपका दशन यादा खराब होता है
लंदन के डॉ. ई. कॉ लन चेरी ने इसे सािबत कर िदया है। ि िटश साइंस
पि का नेचर म लखते हुए डॉ. चेरी ने अपने इस िव ास को य िकया
िक हकलाहट “अ य धक िनगरानी” क वजह से उ प होती है। इस
अवधारणा क जाँच के लए उ ह ने 25 बुरी तरह हकलाने वाल को
ईयरफ़ोन िदए, जसम एक तेज़ विन ने उनक ख़ुद क आवाज़ क विन
को दबा िदया। जब उनसे इन थ तय म, जहाँ आ म-आलोचना ख़ म हो
गई ं थी, एक तैयार वा य-समूह ज़ोर से पढ़ने को कहा गया, तो सुधार
“उ ेखनीय” था। गंभीर हकलाने वाले लोग के एक और समूह को “शैडोटॉक” का श ण िदया गया - लखे वा य-समूह को पढ़ते यि या
रे डयो या टीवी क िकसी आवाज़ क बात को पूरी तरह समझने और
उससे “बातचीत” करने का यास। कुछ समय के अ यास के बाद
हकलाने वाल ने शैडो-टॉक आसानी से सीख ली और उनम से अ धकतर
इन प र थ तय म सामा यत: और सही तरह से बोलने म समथ थे,
य िक इसम अि म आलोचना ख़ म हो गई ं थी और उ ह बोलने तथा
“सुधार करने” के तालमेल दारा वा तव म सहज- वाभािवक तरीक़े से
बोलने के लए िववश िकया गया था। शैडो-टॉक म अ त र अ यास ने
इन हकलाने वाल को यह “सीखने” म समथ बनाया िक सही तरीक़े से
कैसे बोला जाता है। इससे आ म-छिव के सामने यह सािबत हो गया िक
इसने पहले जस पुराने िव ास को “स य” मान लया था (“म हकला हूँ”),
वह ग़लत था।
जब अ य धक नकारा मक फ़ डबैक या आ म-आलोचना ख़ म कर
दी गई ं, तो संकोच ग़ायब हो गया और दशन बेहतर हो गया। जब चता के
लए कोई समय नह था या पहले से अ त सावधानी का मतलब नह था,
तब अ भ यि तुरत
ं बेहतर हो गई ं। इससे यह मू यवान संकेत िमलता है
िक हम िकस कार एक ताले म बंद यि व का संकोच दरू कर सकते ह
या इससे मु हो सकते ह और दस
ू रे े म कैसे बेहतर दशन कर सकते
ह।
डेल कारनेगी ो ाम, टो टमा टस इंटरनेशनल और
नेटवक माक टग या एमएलएम कंपिनयाँ “िदशा
सुधार”
फ़ डबैक का सही संतुलन कैसे दान करती ह
असं य यवसा यय ने डेल कारनेगी ो ाम म शािमल होकर उसे
पूरा िकया है, जनम ली आयाकोका का नाम उ ेखनीय है, ज ह ने हज़ार
अ य लोग को इसे करने के लए े रत िकया। कई शीष पेशेवर व ा,
असं य से स ोफ़ेशन स, ए ज़ी यिू ट ज़, पादरी और सामुदा यक
लीडस टो टमा टस म सहभािगता करके सफल हुए ह। शु आत म वे
अजीब, घबराए हुए, संकोची और अटकने वाले व ा थे, लेिकन इसके बाद
वे आ मिव ासी और भावी व ा बन गए। जब कोई संकोची यि
नेटवक माक टग के संसार म क़दम रखता है, तो उसके लए यह मानना
और ज़ोर देना लगभग सामा य है िक वह बेच “नह सकता।” या लोग के
सामने बोल “नह सकता।” वह आम तौर पर यहाँ से शु करता है और
अंततः ग तशील, िव ासी से सपसन म पु पत, प िवत व पांत रत हो
जाता है। अंतत: वह मंच पर इतना “ज़बद त” बन जाता है िक उसक
अँगु लय से माइक छीनना मु कल हो जाता है!
इन प रवेश म यह इतनी िनयिमतता के साथ और अ धक बार य
तथा कैसे होता है?
इन प रवेश म यि के अनुभव उसे वह दान करते ह, जसे आप
कोमल िदशा-सुधार फ़ डबैक कह सकते ह, जससे लोग को अपने सीिमत
करने वाले िव ास को परखने और चुनौती देने का एक सुर त,
ो साहक अवसर िमल जाता है। उ ह अपने दिमत यि व को धीरे-धीरे
करके रोशनी म लाने का अवसर िमल जाता है। उ ह अपने स े व प को
खोजने और अंततः अपनी आ म-छिव को अपनी अ धक बड़ी यो यताओं
का सबूत िदखाने का मौक़ा िमलता है। इस तरह वे अपनी वयं क लादी
हुई सीमाओं से मु हो जाते ह और सृजना मक आ म-अ भ यि के लए
ख़ुद को यादा जगह देते ह।
इन प रवेश म यि को आ म-अ भ यि के लए िववश करने के
बजाय मनाया अ धक जाता है, िफर आगे बढ़ाए गए हर छोटे क़दम, हर
छोटी िवजय के लए अ सर उसक शंसा क जाती है और बधाई दी
जाती है। िदशा-सुधार फ़ डबैक दशन के सकारा मक पहलुओ ं को
पहचानने से अ छी तरह संतु लत होता है। जब वे ग़लती करते ह, तो
सयार का झुड
ं उन पर टू टकर चीख़ने नह लगता िक, “मने तु ह बताया
था ना - तुम यह नह कर सकते!” इसके िवपरीत, जो लोग मंच पर जाकर
अटकते ह, मन म सोची बात भूल जाते ह, जनका चेहरा चुकदंर क तरह
लाल पड़ जाता है, उ ह भी ता लयाँ और ो साहन िमलेगा। इस सुर त
प रवेश म वे अलग-थलग रहने के बजाय बेहतरी को चुनने का जो खम ले
सकते ह। अ सर ज दी ही उ ह पता चलता है िक “म नह कर सकता”
के उनके िव ास क वा तिवक सीमाएँ नह थ , ब क सफ़ ख़ुद क लादी
हुई सीमाएँ थ ।
ऐसी खोज के असाधारण प रणाम हो सकते ह।
एक से स मैनेजर अपनी ही
से सपसन के साथ “चाल” चलता है
एक डायरे ट से स फ़ोस के मैनेजर ने मुझे एक बार बताया िक उसने
अपनी एक से सपसन का दशन सुधारने के लए उसके साथ एक
“चाल” चली। हालाँिक म इस रणनी त क सफ़ा रश नह कर सकता,
लेिकन इसके प रणाम आकषक और िवचारो ेजक थे। यह से सपसन
गहरी मंदी म थी। वह एक के बाद एक अपॉइंटमट पर जाती थी, लेिकन हर
रात ख़ाली हाथ लौटती थी। उसक आ म-छिव तेज़ी से सकुड़कर छोटे
आलू के आकार क हो गई ं थी और मैनेजर को एहसास हुआ िक उसे कोई
शि शाली, तेज़ असर वाली दवा का इ तेमाल करना होगा - वरना न
चाहते हुए भी उसे हटाना पड़ेगा।
अगली रात उ ह ने उस से सपसन के दो अपॉइंटमट लगातार
रखवाए, जो “चालाक से संचा लत” थे। उ ह ने उस सेलसपसन को
अपने िम के घर भेजा। उस दोपहर मैनेजर ने अपने िम को रहसल
करा दी और उ ह सामान खरीदने के लए पैसे भी दे िदए, तािक वा तिवक
िब ी हो सके और कमीशन का भुगतान हो सके। जब वह से सपसन
पहले घर म पहुँची, तो उसने थोड़े सकुचाते हुए अपनी तु त शु क ,
लेिकन उसे बेहद सकारा मक और ति याशील ाहक िमले। उनके
सकारा मक फ़ डबैक के कारण वह से सपसन अपने काय के
त
उ े जत हो गई ं और तु त ख़ म करने तक वह गुनगुना रही थी। उसने
सेल ोज़ कर दी और साइन िकए हुए ऑडर तथा 300 डॉलर के चेक के
साथ लौटी। दस
ू रा अपॉइंटमट भी लखी गई ं पटकथा के अनु प चला
और उसके ाहक आदश तरीक़े से यवहार कर रहे थे। 300 डॉलर का
एक और चेक।
अगली चार रात म आठ अपॉइंटमट से उसने छह िबि याँ कर ल ।
महीने के अंत तक उसने पूरे महीने क 70 तशत से अ धक िब ी कर
डाली। उसने महीने क अपनी सबसे बड़ी आमदनी क (हालाँिक इसका
थोड़ा िह सा गोपनीय प से उसके से स मैनेजर के पस म से आया था!)
और उसने कंपनी क से स कॉ टे ट म “गेटअवे वीकएं ड” पुर कार भी
जीत लया। जैसा मैनेजर ने कहा था, “एक टार दोबारा पैदा हो गया।”
हम ऐसे अवसर और प रवेश खोजने ह गे, जहाँ हम डर या संकोच के
िबना काय कर सक, हमारी आ म-छिवय के सामने अपनी स मता
सािबत कर सक। िफर हम अपने सव -मेकेिन म पर भरोसा कर सकते ह
िक जब हम अ धक तूफ़ानी समु म जाएँ गे, तो यह शखर दशन करेगा।
अ य धक “सावधानी” संकोच और
चता क ओर ले जाती है
या आपने कभी सुई म धागा डालने क को शश क है? अगर ऐसा है और
अगर आपको ठीक से नह आता है, तो आपने ग़ौर िकया होगा िक आप
धागे को िकसी प थर क तरह थर थामे रहते ह, जब तक िक धागा सुई
क आँ ख के क़रीब नह आ जाता और आप इसे बहुत छोटे से छे द म
डालने क को शश नह करते। जब भी आप उस छोटे से छे द म धागा
डालने क को शश करते ह, तो हर बार आपका हाथ अकारण ही िहल
जाता है और धागा सही जगह पर नह पहुँच पाता है।
िकसी बहुत छोटी गदन वाली बोतल के मुँह म व भरने क को शश
का प रणाम भी अ सर ऐसा ही होता है। आप तब तक अपने हाथ को पूरी
तरह थर रख सकते ह, जब तक िक आप अपना उ े य हा सल करने
क को शश न कर, िफर न जाने य आपका हाथ काँपने और थरथराने
लगता है।
चिक सा के े म हम इसे “उ े य से कँपकँपी” कहते ह।
जब लोग िकसी उ े य को हा सल करने के लए बहुत यादा को शश
करते ह या इस बारे म “अ त” सावधान रहते ह िक कह कोई ग़लती न हो
जाए, तब ऐसा होता है। िन त रोग म, जैसे म त क के ख़ास िह स म
चोट लगने पर उ े य से कँपकँपी बहुत सु प हो सकती है। िमसाल के
तौर पर, कोई रोगी अपना हाथ उतनी देर तक थर रख सकता है, जब
तक िक वह कुछ हा सल करने क को शश न कर रहा हो। लेिकन अगर
उससे कहा जाए िक वह दरवाज़े के ताले म चाबी डाले, तो उसका हाथ 6
से 10 इंच तक इधर-उधर िहलने लगता है। वह िकसी पेन को तब तक
थर पकड़े रख सकता है, जब तक िक उससे ह ता र करने को नह
कहा जाता। िफर उसके हाथ क कँपकँपी अिनयंि त हो जाती है। अगर
वह इस पर श मदा होता है और अजनिबय के सामने कोई भी ग़लती न
करने के बारे म ओर भी अ धक “सावधान” हो जाता है, तो हो सकता है
िक वह ह ता र ही न कर पाए।
इन लोग क मदद क जा सकती है और अ सर उ ेखनीय तरीक
से, अगर उ ह िव ाम तकनीक का श ण दे िदया जाए, जहाँ वे
अ य धक यास और “उ े य” से िव ाम करना सीखते ह। वे सीखते ह
िक ग़ल तय या असफलताओं से बचने क को शश म अ त सावधानी नह
रखनी है।
अ य धक सावधानी या ग़लती न करने के बारे म अ त च तत होना
अ य धक नकारा मक फ़ डबैक का प है। जैसा हकलाने के मामले म
हमने देखा था, जो भी यि संभािवत ग़ल तय को पहले से सोचने क
को शश करता है और उ ह न करने के बारे म अ त सावधान रहता है, वह
संकोच का शकार हो जाता है और उसके दशन म कमी आ जाती है।
अ य धक सावधानी और चता िनकट संबध
ं ी ह। दोन का ही संबध
ं
संभािवत असफलता और ग़लत चीज़ करने क बहुत यादा चता करने से
है। दोन का ही संबध
ं सही चीज़ करने के लए बहुत यादा चेतन यास
करने से है।
हेनरी वॉड बीचर ने कहा था, “म इन ठंडे, सटीक, आदश लोग को
पसंद नह करता, जो ग़लत बोलने के डर से कभी बोलते ही नह ह और
ग़लत काय न हो जाए, इस वजह से कुछ करते ही नह ह।”
प
प से, जनता “स ी ग़लती” क “मजबूरी के संकोच” से
अ धक पसंद करती है। िमसाल के तौर पर, अमे रका के बेहद लोकि य
रा प त रोना ड रीगन को ही देख ल, ज ह संवाद म बेहद िनपुण माना
जाता है। अगर भाषा और
तु त िवशेष क टीम िबना जाने उनके
संवाद क िफ़ म देखकर समी ा करती, तो उनके कई दोष के लए
उनक काफ़ आलोचना होती। िमसाल के तौर पर, “अ छा,” से एक के
बाद एक वा य शु करने क आदत पेशेवर भाषण क ि से अ छी नह
है। इसी तरह, सबसे लंबे चलने वाले टेलीिवज़न शो “द टु नाइट शो” के
कई मेज़बान रहे ह - जैक पार, जॉनी कासन, जे लेनो - जो दशन के कई
तथाक थत िनयम का उ ंघन करते ह और शायद इससे भी अ धक
मह वपूण बात यह है िक वे चुटकुल के धराशायी होने या ग़ल तय से भी
िवच लत नह होते। इस शो म हँसी का टेप नह चलता है, जससे यह
नाटक हो सके िक कोई चीज़ कारगर हो रही है, जबिक सचमुच ऐसा नह
होता। मने बार-बार ग़ौर िकया है िक सावजिनक भाषण, मनोरंजन और
राजनी त के े म जो यि अ य धक सावधान रहता है और िकसी
“आदश” पैमाने या आदश क बराबरी करने क को शश करता है, वह
शायद ही सफल होता है।
अपने बारे म यादा सोचना दरअसल
दस
ू र क राय के बारे म सोचना है
अ य धक नकारा मक फ़ डबैक और संकोच के बीच कारण और प रणाम
का संबध
ं आसानी से देखा जा सकता है।
िकसी भी तरह के सामा जक संबध
ं म हम दस
ू रे लोग से नकारा मक
फ़ डबैक डेटा िमलता है। एक मु कान, एक योरी, अनुमोदन या ग़ैरअनुमोदन के सैकड़ सू म संकेत, च या च का अभाव, लगातार हम
बताते रहते ह िक “हम कैसा कर रहे ह,” िक या हमारी बात पहुँच पा रही
है, िक हम िनशाने पर ह या िनशाने से चूक रहे ह। िकसी भी तरह क
सामा जक थ त म व ा और ोता, अ भनेता और दशक के बीच एक
सतत आपसी संबध
ं होता है। और इस सतत आपसी सं ेषण के िबना
मानव संबध
ं और सामा जक ग तिव धयाँ लगभग असंभव हो जाएँ गी। और
अगर असंभव न भी ह , तो भी िन त प से बो झल, नीरस, अ ेरक िबना “ चगा रय ” के तो हो ही जाएँ गी।
अ छे अ भनेता, अ भनेि याँ और सावजिनक व ा ोताओं के इस
संवाद को भाँप सकते ह तथा इससे उ ह बेहतर दशन करने म मदद
िमलती है। “अ छे यि व” वाले जो लोग सामा जक थ तय म
लोकि य और चुंबक य होते ह, वे दस
ू र के इस संवाद को भाँप सकते ह
और वतः तथा सहज अंदाज़ म सृजना मक तरीक़े से इस पर ति या
करते ह। दस
ू रे लोग के संवाद का इ तेमाल नकारा मक फ़ डबैक के प
म िकया जाता है और इससे मनु य को सामा जक तर पर बेहतर दशन
करने म मदद िमलती है। जब तक िक कोई यि दस
ू रे लोग के इस तरह
के संवाद पर ति या न कर सके, वह “ठंडी मछली” जैसा ही रहेगा, वह
“संकोची” यि व, जो दस
ू रे लोग के त गमजोशी नह रखता। इस
तरह के संवाद के िबना आप सामा जक ि से असफल हो जाते ह,
जानने-म-मु कल कार के यि बन जाते ह, जसम िकसी क भी
िदलच पी नह होती।
भावी बनने के लए इस कार के नकारा मक फ़ डबैक को
सृजना मक होना चािहए। यानी िक यह कमोबेश अवचेतन, वच लत और
सहज होना चािहए। इसे चेतन प से िनयो जत या बहुत सोच-िवचार के
बाद नह िकया जाना चािहए।
दस
ू रे या सोचते ह, इस चता से
संकोच उ प होता है
जब आप इस बारे म चेतन प से बहुत यादा च तत हो जाते ह िक
दस
ू रे या सोचते ह, जब आप चेतन होकर दस
ू रे लोग को ख़ुश करने क
को शश म अ त सावधान बन जाते ह, जब आप दस
ू रे लोग क वा तिवक
या का पिनक नापसंदगी के त बहुत यादा संवेदनशील हो जाते ह, तो
आपको अ य धक नकारा मक फ़ डबैक, संकोच और कमज़ोर दशन
िमलता है।
जब भी आप अपने हर काय, श द या अंदाज़ क लगातार और चेतन
प से िनगरानी करते ह, तो आप एक बार िफर संकोची हो जाते ह।
आप एक अ छी छाप छोड़ने के लए अ त सावधान हो जाते ह और
ऐसा करते समय अपने सृजना मक व प का गला दबाते ह उसे रोकते ह
उसका दमन करते ह और अंततः इसक वजह से काफ़ ख़राब छाप
छूटती है।
दस
ू रे लोग पर अ छी छाप छोड़ने का सबसे अ छा तरीक़ा यह है :
कभी भी चेतन प से उन पर अ छी छाप छोड़ने क को शश न कर। कभी
भी िवशु चेतन प से िनयो जत भाव क ख़ा तर काय न कर या काय
करने म असफल न ह । कभी भी चेतन प से यह न सोच िक दस
ू रे आपके
बारे म या सोच रहे ह या वे आपका कैसा मू यांकन कर रहे ह।
िकस कार एक से समैन ने
संकोच का उपचार िकया
मशहूर से समैन, लेखक और व ा जे स मै गन ने कहा िक जब वे
पहली बार घर से िनकले, तो वे दख
ु द प से संकोची थे, ख़ास तौर पर
जब वे िकसी उ वग य होटल के डाइ नग म म भोजन करते थे। जब वे
डाइ नग म म क़दम रखते थे, तो उ ह महसूस होता था िक हर िनगाह
उ ह पर िटक हुई है, उनका मू यांकन कर रही है, उनक आलोचना कर
रही है। वे अपनी हर ग तिव ध, हर हरकत और हर काय के बारे म दख
ु द
प से चेतन थे, जस तरह वे चलते थे, जस तरह वे बैठते थे, उनके टेबल
मैनस और जस तरह वे खाना खाते थे। और ये सारी चीज़ उ ह बेकार व
अजीब लगती थ । वे सोचते थे िक वे इतने असहज य ह? वे जानते थे
िक उनके टेबल मैनस अ छे ह और उनम पया सामा जक श ाचार है।
जब वे िकचन म अपने माता-िपता के साथ भोजन करते थे, तब उ ह कभी
संकोच और असहजता महसूस य नह हुई?
उ ह ने िनणय लया िक ऐसा इस लए था, य िक जब वे अपने मातािपता के साथ भोजन करते थे, तब कभी सोचते ही नह थे या कभी इस
बारे म परेशान ही नह रहते थे िक वे कैसे काय कर रहे ह। तब वे न तो
सावधान थे, न ही आ म-आलोचक। वे भाव उ प करने के बारे म
च तत नह थे। वे शांत, तनावरिहत महसूस करते थे और सब कुछ सही
करते थे।
जे स मै गन ने अपने संकोच का उपचार यह याद करके िकया िक
उ ह तब कैसा महसूस होता था और वे तब कैसे काय करते थे, जब वे
“िकचन म अपने माता-िपता के साथ भोजन करने के लए जाते थे।” िफर,
जब वे िकसी उ वग य डाइ नग म म जाते थे, तो वे क पना या नाटक
करते थे िक वे “अपने माता-िपता के साथ भोजन करने जा रहे ह” और
उसी तरह काय करते थे।
आ मिव ास तब आता है,
जब आप अ य धक नकारा मक फ़ डबैक को
नज़रअंदाज़ करते ह
मै गन ने यह भी पाया िक वे अपने मंच के डर और संकोच से भी इसी
तरह उबर सकते ह, जब वे बड़े िद गज से िमलने जाते ह या िकसी अ य
सामा जक थ त म ख़ुद को पाते ह। तरीक़ा अपनी क पना म यही याद
करना था, “म अपने माता-िपता के साथ भोजन करने जा रहा हूँ।” िफर वे
क पना करते थे िक वे उस व़ कैसा महसूस करते थे और कैसे काय
करते थे। इसके बाद वे “उसी तरह काय कर देते थे।” अपनी पु तक द
नैक ऑफ़ स लग योरस फ़ म मै गन से सपीपल को भी इसी तकनीक का
इ तेमाल करने क सलाह देते ह, “म घर पर अपने माता-िपता के साथ
भोजन करने जा रहा हूँ! म हज़ार बार इससे गुज़र चुका हूँ, यहाँ कोई नई
चीज़ नह हो सकती।”
अजनबी यि य या
अ ात या अ या शत क
आ मिव ास कहा जाता
प र थ तय से उ प होने
करने का नाम है।
थ तय से अ भािवत रहने का नज़ रया,
पूण अवमानना का एक नाम है। इसे
है। आ मिव ास नई और अिनयंि त
वाले सभी डर को जान-बूझकर दरिकनार
आपको ख़ुद के बारे म अ धक चेतन होना चािहए
वग य डॉ. अ बट एडवड िवगम मशहूर श ािव , मनोवै ािनक और
व ा थे। उ ह ने बताया था िक अपने शु आती जीवन म वे इतने यादा
संकोची थे िक कूल म कुछ पढ़कर सुनाना उनके लए लगभग असंभव
था। वे दस
ू रे लोग से बचते थे और िकसी से बात करते समय अपना सर
लटका लेते थे। वे लगातार अपने संकोच से लड़े और उससे उबरने क
कड़ी को शश क , लेिकन उससे कोई फ़ायदा नह हुआ। िफर एक िदन
उनके मन म एक नया िवचार आया। उनक मु कल यह नह थी िक वे
संकोची थे। वे तो दरअसल दस
ू र क चेतना के बारे म अ य धक चेतन थे।
उनक कही या क गई ं हर चीज़ के बारे म दस
ू रे या सोचते ह, इस बारे म
वे बेहद संवेदनशील थे। इससे उनके पेट म बल पड़ जाते थे, प ता से
नह सोच पाते थे और कहने के लए कुछ भी नह सोच पाते थे। जब वे
ख़ुद के साथ अकेले होते थे, तो इस तरह से कभी महसूस नह करते थे।
अकेले म वे पूरी तरह से शांत, तनावरिहत, आरामदेह, संतु लत रहते थे
और कहने के लए बहुत से रोचक िवचार तथा बात सोच सकते थे। और वे
अपने व प के बारे म आरामदेह तथा पूरी तरह जाग क भी रहते थे।
िफर उ ह ने अपने संकोच से लड़ना और उसे जीतने क को शश
करना छोड़ िदया। इसके बजाय उ ह ने अपने व प के बारे म अ धक
चेतन होने पर यान कि त िकया : उसी तरह महसूस करना, काय करना,
यवहार करना, सोचना, जैसा वे अकेले म करते थे। इस बारे म िबलकुल
नह सोचना िक कोई दस
ू रा यि उनके बारे म या सोच रहा होगा या
उनका कैसा मू यांकन कर रहा होगा। दस
ू रे लोग क राय और आलोचना
को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने का प रणाम यह नह हुआ िक वे कठोर,
दंभी या दस
त िबलकुल असंवेदनशील बन गए। दे खए,
ू र के
नकारा मक फ़ डबैक कभी भी पूरी तरह ख़ म नह िकया जा सकता, चाहे
आप िकतनी ही को शश कर ल। लेिकन िवपरीत िदशा म िकए गए इस
यास ने उनके अ त संवेदनशील फ़ डबैक मेकेिन म को संयत कर िदया।
वे दस
ू रे लोग के साथ बेहतर पेश आने लगे। आगे चलकर उ ह ने लोग को
परामश देकर आजीिवका कमाई और वे बड़े समूह के सामने सावजिनक
भाषण देने लगे, “र ी भर भी चता िकए बग़ैर।”
दस
ू रे लोग या सोचते ह, इस बारे म बेपरवाही या “उपे ा” सबसे
मुि दायक िवचार होता है। मशहूर मेल-ऑडर संयोजक और उ मी जे.
पीटरमैन ने अपनी आ मकथा पीटरमैन राइ स अगेन म लखा था, “एक
बार जब आपको एहसास हो जाता है िक अ धकतर लोग िदखावा कर रहे ह
और नाटक कर रहे ह, तो उनका अनुमोदन कम मह वपूण बन जाता है।”
दस
ू रे लोग या सोचते ह, इस बारे म अ य धक चता करने से यि व
जतना संकोची होता है, उतना िकसी दस
ू री चीज़ से नह होता।
सच कहा जाए, तो हम यह मान बैठते ह िक दस
ू रे लोग हमारे बारे म
बहुत यादा सोचते ह, जबिक वे दरअसल ऐसा बहुत कम करते ह।
लोकि य टीवी सटकॉम (हा य धारावािहक) “फ़े िज़यर” एक
मनोवै ािनक के बारे म है। मु य पा डॉ. फ़े िज़यर लाइफ़टाइम एचीवमट
अवाड ा कर रहे ह। इस मौक़े पर उ ह उनके पुराने कॉलेज ोफ़ेसर क
तरफ़ से एक गुलद ता और बधाई संदेश िमलता है। संदेश म लखा हुआ
है, “बधाई। आपको बहुत गव हो रहा होगा।” पहले तो फ़े िज़यर अपने पुराने
मागदशक से बधाई पाकर ख़ुश होते ह। लेिकन िफर वे इसके छपे हुए अथ
का िव ेषण शु कर देते ह। इसम यह य नह लखा था, “मुझे तुम पर
बहुत गव है।” यह य लखा था, “आपको बहुत गव हो रहा होगा,” आिद।
ज द ही वे ोफ़ेसर के ऑिफ़स म जाते ह और उनसे आमना-सामना करते
ह। वे बहुत सारे सवाल और या याएँ करते ह िक इस सं
िट पणी के
पीछे ोफ़ेसर का या आशय रहा होगा। जब फ़े िज़यर का ग़ुबार िनकल
जाता है ओर ोफ़ेसर को कुछ कहने का मौक़ा िमलता है, तो वे श मदगी के
भाव से फ़े िज़यर को बताते ह, “वा तव म, मने तो अपनी से े टरी से सफ़
फूल और काड भेजने को कहा था। िट पणी उसने अपनी तरफ़ से लख दी
थी।”
आप भी यही करते ह। म भी। एक शाम को हम एक िम के यहाँ पाट
मनाने के बाद घर लौट रहे थे। कार चलाते समय म एक िट पणी पर
उधेड़बुन म था, जो िकसी ने मेरे बारे म अनायास कर दी थी। म इसके छपे
हुए अथ को समझने क को शश कर रहा था और मने अपनी प नी ऐन से
पूछा, “ या तुम सोचती हो िक उसका मतलब सचमुच यही था? या िफर
उसका यह मतलब था? वह मेरे बारे म ऐसा य सोचेगा?”
ऐन ने आ ख़रकार कहा, “मै स, वह तु हारे बारे म कुछ भी नह सोच
रहा था। वह तो नशे म धुत था।”
िकतनी ही बार आप िकसी क िट पणी - या उसक िनगाह - को
लेकर परेशान हुए ह िक न जाने इसका या मतलब है और यही सोचने म
घंट लगा िदए ह? जब आप लगातार अपने िदमाग़ म िकसी चीज़ पर सोचते
रहते ह, तब दस
ू रा यि इस मामले को कुछ ही पल म भूल जाता है और
अ य लोग , थान तथा व तुओ ं क ओर बढ़ जाता है।
मु
आ म-छिव पर आधा रत
एक खलाड़ी क वापसी
उनका नाम जेिनफ़र कैि याती है। कभी यह 14 साल क लड़क टेिनस
जगत क अ त
ु घटना थी। वे वय क त पधा के दबाव तले मी डया क
अ य धक चकाच ध म बड़ी हो रही थ । क रयर के पहले दौर म यानी
1990 और 1993 के बीच वे तीन ड लैम सेमीफ़ाइन स म पहुँची थ
और उ ह ने बास लोना म 1992 का ऑ लिपक गो ड मेडल भी जीत
लया। लेिकन इसके बाद उनका क रयर और आ मिव ास इतने नाटक य
ढंग से नीचे आया िक उ ह ने दो साल के लए टू र करना छोड़ िदया तथा
टेिनस को पूरी तरह छोड़ने के बारे म गंभीरता से सोचने लग । 1994 म
उनक नशीली दवाओं के संबध
ं म िगर तारी और दक
ु ान से सामान चुराने
क घटना के बारे म ख़बर छप । हालाँिक उ ह ने 1992 म ऑ लिपक म
गो ड मेडल जीता था, लेिकन वे बताती ह िक उनक कंु ठा और मोहभंग
क जड़ एक साल पहले क घटना म थ , जब वे मोिनका सेलेस से ड
लैम सेमीफ़ाइनल हार गई ं थ । यह एक क़रीबी मैच था, जसम शु आत
म कैि याती िनयं ण म थ । “उसके बाद म कभी अ छा नह खेली,
सवाय ऑ लिपक के।”
दो वष के अंतराल के बाद कैि याती वापस लौट और शीष तर पर
त पधा करने लग । इस बार वे असहनीय दबाव से दबी िदखने के बजाय
मान सक शां त का तक िदख रही थ । उनक वापसी के बारे म एक
प कार ने यएू सए टु डे म लखा था, “कैि याती के पुनजागरण के दो मु य
कारण िदखते ह - इस नतीजे पर पहुँचना िक इससे कोई फ़क़ नह पड़ता
था िक लोग उनके बारे म या सोचते थे और अपने बारे म बुरी बात पर
यक़ न करना छोड़ना।”
2001 म उ ह ने ऑ टे लयन ओपन के फ़ाइनल म मा टना हिगस
को हरा िदया और अपना पहला ड लैम टू नामट जीत लया।
आप भी अपने कंध पर भावना मक वज़न उठाने का अनुभव कर
सकते ह, जो इस यव
ु ा टेिनस टार के कंध पर था। आपको तो बस
ता कक प से इस िन कष पर पहुँचना है िक आपके बारे म दस
ू र क राय
- वा तिवक या क पना से बढ़ा-चढ़ाकर देखी गई ं राय - आपक ख़ुद के
बारे म राय से कह कम मह वपूण है!
आप य सोचते ह िक आप कुछ कर सकते ह?
4 नवंबर, 1998 को लंबे समय के पेशेवर राजनेता तथा िमनेसोटा के
अटॉन जनरल “ कप” ह फ़ी ( ब
ू ट ह फ़ी के बेटे) और सट पॉल के
मेयर नॉमन कोलमैन को सदमा लगा, जब उनके िवरोधी जेस “द बॉडी”
वचुरा ने उ ह चुनाव म हरा िदया और रा यपाल के महल पर अपना दावा
पेश कर िदया। तीसरे दल का यह उ मीदवार अपने िदमाग़ी काय के बजाय
पेशेवर म यो ा के प म अपनी च काने वाली पोशाक और हरकत के
लए अ धक जाना जाता था। उसने बहुत कम संसाधन से चुनाव
अ भयान िकया था, लेिकन इसके बावजूद उसे 37 तशत वोट िमल गए जो तीन उ मीदवार के बीच हो रहे कड़े ि कोणीय मुक़ाबले म जताने के
लए काफ़ थे। आ ख़र जेस वचुरा ने यह क पना कैसे कर ली िक वह दो
पा टय के िव सनीय और अनुभवी उ मीदवार को सचमुच हरा सकता
था?
अगर आपसे कभी पूछा गया है, “आप य सोचते ह िक आप यह कर
सकते ह?” तो आपको जेस वचुरा क िद गज पर अ या शत,
आ यजनक िवजय से थोड़ी संतुि िमल सकती है। अ सर यह सवाल
हमसे ऐसे लोग पूछते ह, ज ह हमारे प म खड़े होना चािहए, हमारा
िव ास बढ़ाना चािहए। अ सर वे यह सवाल हमारे क याण क संजीदा
चता के साथ, कई बार तो अपने लए अ धक चता के साथ पू ते ह,
लेिकन इससे फोई फ़क़ नह पड़ता : िवपरीत भाव समान प से पड़ता
है।
म याद कर सकता हूँ िक मेरी माँ को छोड़कर हर जान-पहचान वाला
मुझसे बार-बार पूछता था िक म यह य सोचता हूँ िक म ाइवेट ै टस
म सीधे छलाँग लगा सकता हूँ और सफल हो सकता हूँ? या यह बेहतर
नह रहेगा िक म िनचले पायदान पर िकसी पद से शु आत क ं या िकसी
दस
ू रे क ै टस या िकसी अ पताल म काय क ं ? भगवान उनका भला
करे, मेरी माँ ने कभी ऐसी शंका नह उठाई, ब क अपने अटल िव ास को
ही य िकया िक म जो भी ठान लूँ, वह सब कुछ कर सकता हूँ। अगर
उनके मन म गोपनीय, खामोश शंकाएँ या चताएँ ह , तो मुझे उसक
जानकारी नह है। और मुझे ख़ुशी है िक मुझे उसक जानकारी नह है।
आपसे यह सवाल (आप य सोचते ह…) हर बार तब पूछा जाएगा,
जब आप कोई मह वपूण काय करने क को शश करते ह। सौभा य से,
दस
ू र क शंकाएँ चाहे जो भी ह , आप सफल हो सकते ह, बशत आप
उनसे िनयंि त न ह । आपक जो बल आ म-छिव आपको बताती है िक
आप जो ठान ल, वह हर चीज़ कर सकते ह, इस मामले म आपक बेहद
मह वपूण समथक है। कई लोग ने एक के ो साहन के दम पर उ ेखनीय
चीज़ हा सल करके आलोचक को अवाक कर िदया है, संदेहवािदय को
चकरा िदया है, यहाँ तक िक क़रीबी िम व प रवार के लोग को भी चिकत
कर िदया है। जब आपक ो साहन मंडली म उस एक स े िव ास करने
वाले का अभाव होता है, जो सबसे मह वपूण होता है - आप ख़ुद - तो आप
सचमुच संकट म होते ह।
आपक राय सबसे यादा मायने रखती है
1994 म अपनी पु तक स स िपलस ऑफ़ सलफ़-ए टीम म डॉ.
नैथेिनयल ैडन आ मस मान क प रभाषा इस तरह देते ह, “वह त ा,
जो हम अपने बारे म हा सल करते ह।”
कूल म आइं टाइन क त ा िदवा व न देखने वाले और मंदबु
क थी। अगर ऐसा आज होता, तो शायद कहा जाता िक उ ह ए डी डी रोग
है और उ ह इसक दवा दी जाती। उनके वय क सहक मय के मन म
उनक त ा यह थी िक वे ग णत म “अनाड़ी” थे! लेिकन यह त ा
उनक सफलता म बाधा नह बनी।
उस पूव-अपराधी के बारे म या, जो नई िज़दंगी शु करने, अ छा
काय हा सल करने और एक सृजना मक जीवन जीने क को शश करता
है? वह जहाँ भी जाता है, उसक त ा उससे पहले ही वहाँ पहुँच जाती
है। िन त प से कुछ समय के लए यह त ा उसके लए बहुत
वा तिवक बाधा होगी, लेिकन अंततः सबसे यादा मायने यही रखेगा िक
उसक ख़ुद के बारे म या राय है, य िक इसी से यह तय होगा िक वह
लगन से इस ल य म लगा रहता है या नह । दोबारा अपराध करने वाल
क दर दभ
ु ा य से ऊँची है, लेिकन सौभा य से 100 तशत नह है। लोग
अपराध और जेल म काटी सज़ा के अतीत से बाहर िनकल आते ह तथा
साथक जीवन का िनमाण करते ह। िन त प से, आप अतीत क ई ंट से
बनाई ख़ुद क िकसी भी जेल से अपनी आ म-छिव को आज़ाद कर सकते
ह और अ धक संतुि दायक जीवन जी सकते ह!
दस
ू र के साथ आपक त ा अतीत क ग़ल तय को दरू नह फक
सकती। यह अ सर ग़ल तय को वज़न देती है, जबिक कई अ य
उपल धय व गुण को नज़रअंदाज़ िकया जाता है। यह तो िनणय लेने
वाले लोग के पूवा ह म भी रंग भर सकती ह। समय और दशन के
सवाय इसे नह बदला जा सकता। लेिकन आपको िन त प से उसी
त ा को वीकार करने क ज़ रत नह है। आप बेहतर जानते ह।
आपके पास सारे त य ह। और सफ़ आप ही िन त आदश के त
समपण के वतमान तर को जान सकते ह। तय कर िक अपने मन म
आपक त ा आने वाले कल म कैसी रहेगी और आज ही इसके अनु प
जएँ , जैसी िक कहावत है, “एक बार म एक िदन।”
“अंत:करण (िववेक) हम सभी को कायर बना देता
है”
यह शे सिपयर ने कहा था। और यही आधुिनक यगु के मनोिव ेषक
और बु पादरी कहते ह।
अंतःकरण ख़ुद एक सीखा हुआ नकारा मक फ़ डबैक मेकेिन म है,
जसका संबध
ं नै तकता से है। अगर सीखा हुआ और सं हीत डेटा सही है
(इस बारे म िक “सही” या है और “ग़लत” या है) और अगर फ़ डबैक
मेकेिन म अ त संवेदनशील नह , ब क यथाथवादी है, तो प रणाम (िकसी
भी अ य ल य-आकां ी थ त क तरह ही) यह होता है िक हम इस बारे
म लगातार “िनणय” लेने के बोझ से राहत िमल जाती है िक सही या है
और ग़लत या है। अंत:करण हम िदशा या मागदशन देता है। जहाँ तक
नै तकता का संबध
ं है, यह हम “सीधे और सँकरे” तरीक़े से उ चत, सही
और यथाथवादी यवहार के ल य क ओर ले जाता है। िकसी भी अ य
फ़ डबैक स टम क तरह ही अंत:करण भी अपने आप और अचेतन प
से काय करता है।
डॉ. हैरी एमसन फ़ॅ डक कहते ह, “आपका अंतःकरण आपको मूख
बना सकता है।” आपका अंत:करण अपने आप म ग़लत हो सकता है। यह
सब सही और ग़लत के बारे म आपके बुिनयादी िव ास पर िनभर करता
है। अगर आपके बुिनयादी िव ास स ,े यथाथवादी और समझदारीपूण ह,
तो अंत:करण असल संसार से िनबटते और नै तक समु म तैरते समय
एक मू यवान समथक बन जाता है। यह एक क पास क तरह काय करता
है, जो आपको मु कल से बचाता है, जस तरह जहाज़ी का क पास
जहाज़ को च ान से दरू रखता है। लेिकन अगर आपके बुिनयादी िव ास
ही ग़लत, झूठे, अयथाथवादी या अता कक ह, तो ये आपके क पास को
गड़बड़ा देते ह और इसे स ी उ र िदशा से दरू कर देते ह। नतीजा यह
होता है िक जहाज़ को मु कल से दरू जाने के बजाय उनम फँसने का
मागदशन िदया जाता है।
अंत:करण अलग-अलग लोग के लए अलग-अलग हो सकता है।
अगर आप इस तरह क परव रश के साथ बड़े हुए ह, जैसे िक कुछ और
लोग हुए ह, िक अपने कपड़ के बटन खुले रखना पाप है, तो जब भी आप
ऐसा करगे, आपका अंत:करण आपको क देगा। अगर आपक परव रश
यह यक़ न करने के लए हुई है िक िकसी इंसान का सर काटना और
उसम मसाला भरकर अपनी दीवार पर लटकाना सही है, उ चत है और
मद होने क िनशानी है, तो िकसी का सर नह लटकाने पर आप अपराधी,
अयो य और अपा महसूस करगे। (दीवार पर दस
ू र के सर लटकाने वाले
जंगली लोग कहगे िक यह न करना पाप क ेणी म आता है।)
अंत:करण का काय आपको दख
ु ी नह , सुखी बनाना
है
अंत:करण का उ े य दख
ु ी या ग़ैर-उ पादक बनाना नह है। इसका उ े य
तो हम सुखी और उ पादक बनाना है। लेिकन अगर हम अपने अंत:करण
को अपना मागदशक बनाना है, तो हमारा अंत:करण स य पर आधा रत
होना चािहए। इसे उ र िदशा क ओर संकेत करना चािहए। वरना, अंध
क तरह अंत:करण क आ ा मानने से हम मु कल से बचने के बजाय
मु कल म फँस जाएँ गे और आगे चलकर दख
ु ी तथा िन फल बन जाएँ गे।
आ म-अ भ यि
कोई नै तक मु ा नह है
ऐसे मसल पर “नै तक” ि कोण अपनाने से काफ़ हािन होती है, जो
बुिनयादी तौर पर नै तक मु े ह ही नह ।
िमसाल के तौर पर, आ म-अ भ यि या इसका अभाव बुिनयादी तौर
पर नै तक
नह है, इस त य के अलावा िक हमारे सृजनकार ने हम जो
गुण िदए ह, उनका इ तेमाल करना हमारा कत य है।
जहाँ तक आपके अंत:करण का संबध
ं है, आ म-अ भ यि नै तक
प से ग़लत हो सकती है, बशत आप कुचले हुए ह, श मदा ह, अपमािनत
ह या शायद बचपन म बोलने के लए, अपने िवचार य करने, “िदखावा”
करने के लए आपको सज़ा िमली थी। ऐसा ब ा सीखता है िक ख़ुद को
य करना, िकसी भी तरह के साथक िवचार रखने के लए ख़ुद को आगे
करना या शायद बोलना भी ग़लत है।
अगर िकसी ब े को ोध कट करने के लए सज़ा दी जाती है या डर
िदखाने के लए बहुत यादा जलील िकया जाता है या ेम िदखाने के लए
उसक हँसी उड़ाई जाती है, तो वह सीख जाता है िक अपनी स ी
भावनाओं का इज़हार करना ग़लत है। कुछ ब े सीख लेते ह िक सफ़
“बुरी भावनाओं” - ोध और डर - क अ भ यि ही पापपूण या ग़लत है।
लेिकन यह न भूल िक जब आप बुरी भावनाओं को दिमत करते ह, तो आप
अ छी भावनाओं क अ भ यि को भी दिमत करते ह। और भावनाओं के
मू यांकन का मापदंड “अ छाई” या “बुराई” जैसी चीज़ नह है, ब क
उ चतता और अनु चतता है। यह उस यि के लए उ चत है, जो पगडंडी
पर रीछ को देखकर डर का अनुभव करता है। अगर सफ़ शि और
िवनाश दारा िकसी बाधा को हटाने क वैध आव यकता है, तो ोध
अनुभव करना उ चत होता है। उ चत प से िनद शत और िनयंि त होने
पर ोध साहस का एक मह वपूण त व है।
जब भी कोई ब ा कोई राय य करता है, और अगर हर बार उसे
कुचल िदया जाता है और उसक औकात बता दी जाती है, तो वह सीख
जाता है िक कुछ होना उसके लए “सही” नह है और कुछ बनने क इ छा
रखना ग़लत है।
इस तरह का िवकृत और अवा तिवक अंत:करण वा तव म हम सभी
को कायर बना देता है। हम अ त संवेदनशील हो जाते ह और इस बारे म
बहुत यादा चता करते ह िक या हम िकसी साथक यास म सफल होने
का अ धकार है। हम इस बारे म बहुत यादा सावधान और च तत होते ह
िक “म इसका हक़दार हूँ” या नह हूँ। कई लोग ग़लत कार के अंत:करण
से दिमत होकर िकसी भी यास म अटके रहते ह या पीछे वाली सीट पर
बैठे रहते ह - चच क ग तिव धय म भी। वे मन ही मन महसूस करते ह िक
उनके लए ख़ुद को लीडर के प म पेश करना या कुछ होने का िदखावा
करना सही नह रहेगा या वे इस बारे म अ त चता करते ह िक दस
ू रे लोग
कह यह तो नह सोच रहे ह िक वे िदखावा कर रहे ह।
मंच पर खड़े होकर बोलने का डर एक आम ल ण है। यह समझ म
आता है, य िक “िदशा से भटका अंत:करण” आने वाले अ य धक
नकारा मक फ़ डबैक से भय खाता है। मंच पर बोलने म डर क बात यह
होती है िक हम बोलने, अपनी राय य करने, कुछ होने का िदखावा करने
या इतराने के लए सज़ा दी जाएगी - जनके बारे म बचपन म हमम से
अ धकतर लोग ने सीखा था िक वे “ग़लत” ह और सज़ा पाने यो य ह। मंच
का डर यह द शत करता है िक आ म-अ भ यि का दमन और संकोच
िकतना सव यापी है।
संकोच छोड़ना –
िवपरीत िदशा म एक लंबा क़दम
यिद आप उन करोड़ लोग म से ह, जो संकोच क वजह से दख
ु और
असफलता झेलते ह, तो आपको संकोच छोड़ने का जान-बूझकर अ यास
करने क ज़ रत है। आपको कम सावधान रहने, कम च तत होने का
अ यास करने क ज़ रत है। आपको बोलने से पहले सोचने के बजाय
सोचने से पहले बोलने का अ यास करने क ज़ रत है। आपको काय
करने से पहले सावधानीपूवक सोचने के बजाय सोचने से पहले काय करने
क ज़ रत है।
आम तौर पर, जब म िकसी रोगी को संकोच छोड़ने का अ यास करने
क सलाह देता हूँ (और सबसे संकोच वाली व तु के त सबसे यादा),
तो मुझे इस जैसा कोई जवाब िमलता है : “लेिकन िन त प से आप
ऐसा तो नह सोचते ह न िक हम िबलकुल भी सावधानी बरतने क ज़ रत
नह है, प रणाम के बारे म कोई चता करने क ज़ रत नह है। मुझे ऐसा
लगता है िक संसार को संकोच क एक िन त मा ा क ज़ रत है, वरना
हम जंग लय जैसे िज़दंगी जएँ गे और स य समाज ढह जाएगा। अगर हम
िबना िकसी सीमा के ख़ुद को य करते ह, खुलकर हमारी भावनाओं का
इज़हार करते ह, तो हम अपने से असहमत होने वाले लोग क नाक पर
मु े मारने लगगे।”
म कहता हूँ, “हाँ, आप सही कहते ह। संसार को संकोच क एक
िन त मा ा क ज़ रत है, लेिकन आपको नह । मु य श द ह “एक
िन त मा ा।” आप म इतना यादा संकोच है, िक आप 108 ड ी के
बुखार वाले रोगी क तरह ह, जो कहता है, “लेिकन िन त प से शरीर
क गम वा य के लए आव यक है। मनु य गम ख़ून वाला ाणी है और
तापमान क िन त मा ा के िबना वह जी नह सकता। हम सभी को
तापमान क ज़ रत होती है, लेिकन आप मुझे बता रहे ह िक मुझे अपने
तापमान को कम करने पर पूरा यान कि त करना चािहए और तापमान न
होने के ख़तरे को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर देना चािहए।”
नै तक तनाव , अ य धक नकारा मक फ़ डबैक, आ मआलोचना मक िव ेषण और संकोच से भरा हुआ हकलाने वाला यि
ढंग से बातचीत नह कर सकता। वह भी इसी तरह के तक देगा, अगर
उससे कहा जाए िक वह नकारा मक फ़ डबैक और आ म-आलोचना को
पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दे। वह आपको बहुत सारी सूि याँ या कहावत
बता देगा, जनसे वह सािबत करना चाहेगा िक इंसान को बोलने से पहले
सोचना चािहए, िक आलसी तथा लापरवाह ज़बान आपको मु कल म
डाल देती है और इंसान को इस बात से बहुत सावधान रहना चािहए िक
वह या कहता है या इसे कैसे कहता है, य िक “अ छी भाषा मह वपूण
है” और “कहे गए श द को लौटाया नह जा सकता।” वह दरअसल यह
कह रहा है िक नकारा मक फ़ डबैक एक उपयोगी और लाभकारी चीज़ है।
लेिकन उसक लए नह । जब िकसी तेज़ विन से उसे बहरा कर िदया
जाता है या शैडो टॉक के ज़ रए भािवत होकर नकारा मक फ़ डबैक को
पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर िदया जाता है, तो वह सही तरीक़े से बोलता है।
संकोच और िन संकोच के बीच का
सोधा व सॅकरा माग
िकसी ने कहा है िक संकोची, चता के बोझ से दबा, च तत यि
तरह हकलाता है।”
व “पूरी
संतुलन और तालमेल क ज़ रत है। जब तापमान बहुत यादा ऊँचा
हो जाता है, तो डॉ टर उसे कम करने क को शश करता है। जब यह बहुत
कम हो जाता है, तो वह इसे ऊपर लाने क को शश करता है। जब कोई
यि पया न द नह ले पाता, तो उसे अ धक न द लाने वाली दवा दी
जाती है। जब कोई यि बहुत यादा सोता है, तो उसे जगाए रखने के
लए दवा दी जाती है।
इस बात का नह है िक इनम से या सव े है
- गम या ठंडा तापमान, या जा त या न द क अव था। इलाज िवपरीत
िदशा म एक लंबा क़दम उठाने म िनिहत है। यहाँ साइबरनेिट स का
स ांत एक बार िफर त वीर म दा ख़ल होता है। हमारा ल य एक यो य,
आ म-संतु , रचना मक यि व बनाना है। उस ल य का माग बहुत
यादा संकोच और बहुत कम संकोच के बीच का माग है। जब यह बहुत
यादा होता है, तो हम संकोच को नज़रअंदाज़ करके ओर अ धक
िन संकोचता का अ यास करके िदशा म सुधार करते ह।
यह केसे पता कर िक आपको
िन संकोच होने क ज रत है या नह
यहाँ पर कुछ “फ़ डबैक” संकेत ह, जो आपको बता सकते ह िक या
आप बहुत यादा या बहुत कम संकोच क वजह से िदशा से भटक गए ह :
यिद आप अ त आ मिव ास क वजह से ख़ुद को लगातार मु कल म
पाते ह यिद आप आदतन “वहाँ दौड़ जाते ह जहाँ देवदत
ू जाने से घबराते
ह,” अगर आप आवेगपूण, ग़लत सोचे गए काय क वजह से ख़ुद को ाय:
मु कल म पाते ह, अगर आपके ोजे स के िवपरीत प रणाम िमलते ह,
य िक आप हमेशा पहले काय करते ह और सवाल बाद म करते ह, अगर
आप कभी वीकार नह कर सकते िक आप ग़लत ह, अगर आप ज़ोर से
बोलते ह या बड़बोले ह, तो आप म शायद बहुत कम संकोच है। इस मामले
म आपको काय करने से पहले प रणाम के बारे म अ धक सोचने क
ज़ रत है। आपको चीनी िम ी के बतन वाली दक
ु ान म बैल क तरह घूमने
से ख़ुद को रोकने क ज़ रत है। आपको अपनी ग तिव धय क योजना
अ धक सावधानी से बनाने क ज़ रत है।
बहरहाल, अ धकतर लोग इस ेणी म नह आते ह। अगर आप
अजनिबय के आस-पास रहते समय शम ले ह, अगर आप नई और अजीब
थ तय से भय खाते ह, अगर आप अयो य महसूस करते ह, बहुत चता
करते ह, बहुत तनावपूण रहते ह अ त च तत रहते ह घबराहट और संकोच
महसूस करते ह, अगर आपको चेहरे के खचाव, अनाव यक प से पलक
झपकाने, कँपकँपी या सोने म मु कल जैसे घबराहट के ल ण महसूस होते
ह, अगर आप सामा जक थ तय म असहज महसूस करते ह, अगर आप
ख़ुद को पीछे रोककर रखते ह और लगातार पीछे वाली सीट पर बैठते ह,
तो ये सभी ल ण िदखाते ह िक आप म बहुत यादा संकोच है। आप हर
चीज़ म ज़ रत से यादा सावधान रहते ह। आप बहुत यादा योजना
बनाते ह। आपको एफ़ शय स को दी गई ं सट पॉल क सलाह पर अमल
करने क ज़ रत है : “िकसी चीज़ म सावधान मत रही…”
मान सक
श ण अ यास
1. इस बारे म पहले से चता न कर िक आप या कहगे। बस अपना मुँह खोल और बोल द।
बोलते-बोलते तैयारी कर। (ईसा मसीह सलाह देते ह िक अगर सभा के सामने हम कुछ
कहना हो, तो उस पर िवचार न कर, य िक आ मा हम ख़ुद सलाह दे देगी िक उस व़
या कहना है।)
2. योजना न बनाएँ (कल के बारे म न सोच)। काय करने से पहले न सोच। काय कर और
रा ते म चलते-चलते अपने काय को सुधार। यह सलाह ां तकारी लग सकती है,
लेिकन दरअसल यही वह तरीक़ा है, जससे सभी सव -मेकेिन म काय करते ह। टॉरपीडो
पहले से ही अपनी सारी ग़ल तय को “नह सोचता।” है। वह पहले से ही उ ह सही करने
क को शश नह करता है। उसे पहले काय करना होता है - ल य क िदशा म चलना शु
करना होता है - और िफर अगर ग़ल तयाँ होती ह, तो उ ह सुधारना होता है।
3. अपनी आलोचना करना छोड़ द। संकोची यि लगातार आ म-आलोचना मक िव ेषण
म संल रहता है। हर काय के बाद, चाहे वह िकतना ही सरल य न हो, वह ख़ुद से
कहता है, “म सोचता हूँ िक मुझे यह करना चािहए था।” जब वह पया साहस बटोरकर
कह कुछ कह देता है, तो वह तुरत
ं मन ही मन सोचने लगता है, “शायद मुझे यह नह
कहना चािहए था। शायद सामने वाला इसका ग़लत मतलब िनकाल लेगा।” ख़ुद क
चीरफाड़ करना छोड़। उपयोगी और लाभकारी फ़ डबैक अचेतन प से, सहजवाभािवक प से और वच लत प से काय करता है। चेतन आ म-आलोचना, आ मिव ेषण और आ मावलोकन अ छा और उपयोगी है, बशत इसे साल म एक बार िकया
जाए। लेिकन लगातार, पल दर पल, िदन दर िदन, एक तरह से दोबारा सोचना - या अपने
अतीत के काय के बारे म सोमवार क सुबह के वाटरबैक बन जाना - परा जत करने
वाला काय है। इस आ म-आलोचना पर िनगाह रख, ख़ुद को सँभाल और इसे छोड़ द।
4. सामा य से यादा तेज़ वर म बोलने क आदत डाल। संकोची लोग बहुत धीमा बोलने के
लए कु यात होते ह। अपनी आवाज़ क ती ता को बढ़ा द। आपको लोग पर च ाने या
गु से वाले सुर का उपयोग करने क ज़ रत नह है। बस चेतन होकर सामा य से यादा
ऊँचे वर म बोलने का अ यास कर। ज़ोर से बोलना अपने आप म ही संकोच तोड़ने
वाला एक शि शाली उपाय है। योग म दशाया गया है िक जब आप वज़न उठाते समय
ज़ोर से च ाते ह, हुक
ं ार भरते ह या चीख़ते ह, तो इससे आप 15 तशत अ धक शि
का इ तेमाल कर सकते ह और यादा वज़न उठा सकते ह। इसका कारण यह है िक यह
तेज़ च ाहट संकोच को तोड़ती है और आपको अपनी सारी शि के इ तेमाल क
अनुम त देती है, जसम वह शि भी शािमल है, जो संकोच ने रोक रखी थी या जो इससे
बँधी थी।
5. जब आप लोग को पसंद कर, तो उ ह बता द। संकोची यि व “अ छी” भावनाओं का
इज़हार करने म भी उतना ही डरता है, जतना िक “बुरी” भावनाओं का। अगर वह ेम का
इज़हार करता है, तो उसे डर होता है िक उसे ज बाती न समझ लया जाए। अगर वह
िम ता का इज़हार करता है, तो उसे डर होता है िक इसे चापलूसी या चाबी भरना समझा
जाएगा। अगर वह िकसी क शंसा म कुछ कहता है, तो उसे डर होता है िक सामने वाला
उसे सतही न मान ले या यह न सोच ले िक उसका कोई वाथपूण उ े य है।
इन सभी नकारा मक फ़ डबैक संकेत को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर द। हर िदन कम से
कम तीन लोग क शंसा कर। लोग जो कर रहे ह या पहने हुए ह या कह रहे ह, अगर वह
आपको पसंद है, तो उ ह बता द। सीधे बोल। “मुझे यह पसंद आया, टॉम।” “मैरी यह काफ़
सुंदर हैट है।” जम, इससे यह सािबत होता है िक तुम एक चतुर यि हो।” और अगर आप
िववािहत ह, तो अपनी प नी से िदन म कम से कम दो बार कह, “आई लव यू।”
अ याय बारह
वयं-आज़माकर-देखने वाले
ऐसे तनावनाशक,
जो मान सक शां त लाते ह
चता र
संचार, दय, ं थय , पूरे तंि का तं को भािवत करती है
और गहराई से वा य पर असर डालती है।
-चा स ड यू. मेयो
त
नावनाशक दवाएँ इन िदन बहुत लोकि य हो गई ं ह, य िक इनसे
मान सक शां त िमलती है। वे “छतरी भाव” के ज़ रए तनाव के ल ण
को कम या ख़ म करती ह। जस तरह छतरी बा रश से हमारी र ा करती
है, उसी तरह बहुत सारी तनावनाशक दवाएँ हमारे और िवच लत करने
वाली उ ेजना के बीच एक मान सक पदा खड़ा कर देती ह। तनावनाशक
दवाएँ इस लए काय करती ह, य िक वे िवच लत करने वाली बाहरी
उ ेजना पर हमारी ति या को काफ़ हद तक कम या ख़ म कर देती ह।
लेिकन तनावनाशक दवाएँ प रवेश को नह बदलती ह। िवच लत करने
वाली उ ेजनाएँ इसके बावजूद जहाँ क तहाँ रहती ह। हम उ ह अब भी
बौ क प से पहचानती तो ह, लेिकन भावना मक प से उन पर
ति या नह करते ह।
ख़ुशी पर अ याय 7 म हमने कहा था िक हमारी भावनाएँ बाहरी
प र थ तय पर नह , ब क हमारे अपने नज़ रय ओर ति याओं पर
िनभर करती ह। तनावनाशक दवाएँ इस त य का िव सनीय माण दान
करती ह। वा तव म वे नकारा मक फ़ डबैक पर हमारी अ त ति या को
कम या ख़ म कर देती ह।
म यह भी जोड़ सकता हूँ िक आज का चिक सा समुदाय हर
मनोवै ािनक रोग के लए दवाएँ सुझाने म बहुत व रत और उदार नज़र
आता है, ब के अटशन डेिफ़ सट डसऑडर से लेकर वय क लोग क
चता तक। इंटरनेट के मा यम से एम. डी. िनदान और दवा के नु ख़े
लखने लगे ह और यह नया कारोबार सबसे अ धक िवच लत करने वाला
है।
गंभीर तनाव या बा यकारी यवहार के शकार लोग पर िमडवे ट
एं ज़ाइटी सटर क डॉ. लु सडा बैसेट ने कुछ उ ेखनीय काय िकया है, जो
साइको साइबरनेिट स के स ांत के पूण सामंज य म है। म उनक
से फ़-हे प साम ी और सेवाओं क अनुशस
ं ा करता हूँ। शु आत म आप
उनक पु तक ॉम पैिनक टु पॉवर पढ़ सकते ह। ले खका बचपन से ही
गंभीर तनाव क िवकृ तय का शकार रही थ । 1981 म वे पूरी तरह
एगोराफ़ोिबक या सावजिनक थान से डरने वाली हो गई ं। उ ह ने ढाँचे के
प म अपनी ख़ुद क उपचार ि या का इ तेमाल िकया और इसे हज़ार
केस िह टीज़ के साथ जोड़कर एक काय म तैयार िकया। यह काय म
उनक पु तक म बताया गया है, जो स े यि व हा सल करने म गंभीर
तनाव के शकार लोग क भी मदद करता है।
बहुत सारे लोग को - जनम संभवतः आप भी शािमल ह - न तो
दवाओं क , न ही अधुनातन चता उपचार के क़दम क ज़ रत है। आपके
पास वयं-आज़माकर-देखने क जो साइको-साइबरनेिटक तनावनाशक
दवाएँ पहले से ही ह, वे पया से अ धक ह, बशत आप उनका इ तेमाल
करना सीख ल।
अ त ति या एक बुरी आदत है,
जसका इलाज हो सकता है
आइए मान लेते ह िक यह पढ़ते समय आप शां त से अपने कमरे म बैठे
ह। अचानक फ़ोन क घंटी बजने लगती है। आदत और अनुभव से यह एक
संकेत है, जसका आदेश मानना आपने सीख लया है। सोचे िबना ही, इस
मसले पर चेतन िनणय लए िबना ही, आप इस पर ति या कर देते ह।
आप अपनी आरामदेह कुस से उछलकर उठते ह और तेज़ी से फ़ोन क
ओर चल देते ह। बाहरी उ ेजना का भाव यह पड़ा िक इसने आपको
अपनी जगह से “िहला” िदया। इसने आपक मान सकता को बदल िदया
और आपक थ त या पूव-िनधा रत कायिदशा बदल दी। आप एक घंटे
तक शां त से तनावरिहत अव था म बैठकर पढ़ने वाले थे। आप इसके लए
अंदर से सु यव थत थे। यह सब अचानक बदल गया, य िक आपने
प रवेश से आई बाहरी उ ेजना पर ति या कर दी।
म जो बात कहना चाहता हूँ, वह यह है। आपको फ़ोन उठाने क कोई
ज़ रत नह है। आपक आ ा मानने क कोई ज़ रत नह है। आप फ़ोन
को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने का िवक प चुन सकते ह। आप चुपचाप
और तनावरिहत बैठे रहने का चुनाव कर सकते ह, अपनी ख़ुद क
तनावरिहत मूल अव था को कायम रख सकते ह, बशत आप संकेत पर
ति या करन स इंकार कर द।
इस मान सक त वीर को प ता से अपने िदमाग़ म रख ल, य िक
यह बाहरी उ ेजना क िवच लत करने क शि को काफ़ कम कर सकती
है। ख़ुद को शां त से बैठे देख, फ़ोन को बजने द, इसके संकेत को
नज़रअंदाज़ कर द, इसके आदेश से न िहल। हालाँिक आप इसके बारे म
जाग क ह, लेिकन अब आपको इससे कोई क नह होता या आप इसके
आदेश को नह मानते। इसके अलावा, अपने िदमाग़ म यह त य भी प ता
से रख ल िक बाहरी संकेत क दरअसल आप पर कोई शि नह है। इसके
पास आपको िहलाने क कोई शि नह है। अतीत म आपने इसका आदेश
माना है, इस पर ति या क है, तो सफ़ आदत के कारण क है। अगर
आप चाह, तो ति या न करने क नई आदत डाल सकते ह।
यह भी ग़ौर कर िक ति या न करने म आपके कुछ करने, कोई
यास करने, तरोध करने या जूझने क ज़ रत नह है। इसम तो आपको
कुछ नह करना है - इसम तो आप कुछ करने के तनाव से मु हो जाते ह।
आप सफ़ तनावरिहत होते ह, संकेत को अनदेखा करते ह और आदेश को
नज़रअंदाज़ कर देते ह।
टेलीफ़ोन क घंटी बाहरी उ ेजना क एक
ीका मक उपमा है,
जसे आप आदतन अपने ऊपर िनयं ण क बागडोर थमा देते ह। लेिकन
अब आप जान-बूझकर उस आदत को बदलने का चुनाव करते ह।
तथाक थत वाहनचालक— ोध िकसी बाहरी उ ेजना को अपनी
भावना मक अव था का िनयं ण थमाने से अ धक कुछ भी नह है।
बहुत यादा काय करने क वजह से उ प तनाव - जैसे एक साथ
बहुत यादा चीज़े करने क को शश - फै स मशीन, सेल फ़ोन, ई-मेल
मैसेज, आपके ऑिफ़स के दरवाज़े पर मडरा रहे यि आिद को िनयं ण
थमाना है। शां त के लए ख़ुद को अनुकू लत कैसे कर
जस तरह आप अपने आप फ़ोन क घंटी का आदेश मानते ह या उस
पर ति या करते ह, उसी तरह हम सभी अपने प रवेश क िविवध
उ ेजनाओं पर एक िन त तरीक़े से ति या करने के लए अनुकू लत
या कंडीश ड हो जाते ह।
मनोवै ािनक हलक म “अनुकूलन” श द लोकि य होने के पीछे
पा लोव के मशहूर योग थे, जसम उ ह ने घंटी क आवाज़ पर कु े को
लार िनकालने के लए “अनुकू लत” िकया, जसे वे भोजन देने के ठीक
पहले बजाते थे। यह सल सला कई बार दोहराया गया। पहले, घंटी क
आवाज़। कुछ सेकंड बाद, भोजन का कट होना। कु े ने घंटी क आवाज़
पर ति या करना “सीख लया” और भोजन क याशा म उसक लार
आने लगी। मूलतः यह ति या समझदारी भरी थी। घंटी इस बात का
ीक थी िक भोजन आ रहा था और कु ा उसके लए लार िनकालकर
तैयार था। बहरहाल, जब ि या कई बार दोहराई गई, तो घंटे बजने पर
कु े क लार िनकलती रही, भले ही भोजन तुरत
ं आ रहा हो या न आ रहा
हो। कु ा अब घंटी क आवाज़ सुनकर लार िनकालने के लए
“अनुकू लत” हो चुका था। इसक ति या म कोई समझदारी नह थी
और इसका कोई फ़ायदा नह था, लेिकन आदत क वजह से यह उसी
तरह ति या करता रहा।
हमारे प रवेश क िविवध थ तय म बहुत सारी “घंिटयाँ” या
िवच लत करने वाली उ ेजनाएँ होती ह, जसके त हम अनुकू लत हो
चुके ह और जन पर हम आदतन ति या करते रहते ह, चाहे ति या
म समझदारी नज़र आती हो या न आती हो। लेिकन मेरे िम , आप कोई
बु हीन, बेचारे पशु नह ह, जसे जीवन से िनरीह बनकर, आसानी से
धोखा खाकर या िनयंि त होकर गुज़रना होता है। आप सृजना मक शि य
वाले इंसान ह, जसम ता कक सोच क शि है और अपने िपछले पैर पर
ढ़ता से खड़े होने क यो यता है। आपको यह िनणय लेना है िक आपको
“कु े क तरह काय करना” है या िफर एक इंसान क तरह बनना है।
आपको िनयंि त होना है या आप िनयं ण करना चाहते ह? आपको िकसी
एक को चुनने का िनणय लेना होगा। इस िनणय के दरू गामी प रणाम होते ह।
यह इस सवाल का जवाब है, म एक अस मान करने वाले संसार म स मान
कैसे पा सकता हूँ?
िमसाल के तौर पर, कई लोग अजनिबय से डरना सीख लेते ह,
य िक उनके माता-िपता ने उ ह िहदायत दी है िक वे अजनिबय से दरू
रह। “िकसी अजनबी से टॉफ़ मत लेना।” “िकसी अजनबी के साथ कार म
मत बैठना,” आिद। अजनिबय से बचने क ति या छोटे ब के मामले
म तो अ छे उ े य को पूरा करती थी। लेिकन कई लोग आगे चलकर भी
तमाम अजनिबय क उप थ त म असहज महसूस करते रहते ह, भले ही
वे जानते ह िक वे श ु नह , िम के प म आए ह। अजनबी बस “घंिटयाँ”
ह और उनके सामने सीखी हुई ति या है डर, बचना या भागने क
इ छा।
जो से स ोफ़ेशन स “अटके हुए” ह और हर संभव बहाने व यिु से
“खोजने” के काय से कतरा रहे ह, उ ह परामश देते व़ मने अ सर उनके
सव -मेकेिन म म इस तरह क ो ा मग क छाप देखी है। जो ी-पु ष
नए िम बनाने म असमथ ह या िवपरीत लग के सद य से िमलने तथा
संबध
ं शु करने म कामयाब नह होते ह, उनम भी म अ सर इसी तरह क
ो ा मग देखता हूँ। एक अ◌ौर यि भीड़, बंद जगह , खुली जगह
“बाॅस” जैसे स ाधारी यि य पर डर व तनाव क भावनाओं से
ति या कर सकता है। हर मामले म भीड़, बंद जगह, खुली जगह, बॉस,
या जो भी हो, एक घंटी क तरह काय करता है, जो कहती है, “खतरा
मौजूद है, दरू भागो, डर महसूस करो।” और आदत क वजह से हम उसी
जाने-पहचाने पुराने तरीक़े से ति या करते रहते ह। हम घंटी के आदेश
को मानते ह। अब समय आ चुका है िक आप इन सारी घिटय के तार
िनकाल द।
आदतन
ति याओं को कैसे ख़ म कर
अगर हम ति या करने के बजाय तनावरिहत होने क आदत डाल ल, तो
हम आदतन ति या को ख़ म कर सकते ह। अगर हम चाह, तो फ़ोन के
मामले क ही तरह घंटी को नज़रअंदाज़ करना सीख सकते ह, शां त से बैठे
रह सकते ह और घंटी को बजने दे सकते ह। हम अपने साथ जो मुख
िवचार रख सकते ह, वह यह है िक िकसी िवच लत करने वाली उ ेजना से
सामना होने पर हम ख़ुद से कह, “फ़ोन क घंटी बज रही है, लेिकन मुझे
इसका जवाब देने क ज़ रत नह है। म इसे बजने दे सकता हूँ।” यह
िवचार आपक मान सक त वीर को उभार देगा, जसम आप शां त से,
तनावरिहत, िबना कोई ति या िकए, िबना कुछ िकए बैठे ह और फ़ोन क
घंटी को बजने दे रहे ह। यह एक संकेत या िटगर क तरह काय करेगा और
आप म वही नज़ रया जगा देगा, जो आप म तब था, जब आप फ़ोन क घंटी
बजने दे रहे थे।
अगर आप
ति या को नज़रअंदाज़ नह कर
सकते,
ो
ि
तो उसम िवलंब कर द
कडीश नग या अनुकूलन को ख़ म करने क ि या म इंसान को शु आत
म घंटी को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना मु कल लग सकता है, ख़ास तौर
पर अगर यह अ या शत प से बजे। ऐसे मामल म आप अपनी
ति या म िवलंब करके वही अं तम प रणाम हा सल कर सकते ह कडीश नग को ख़ म करना।
एक मिहला, जसे हम मैरी एस. कहगे, भीड़ क मौजूदगी म तनाव त
और असहज हो जाती थी। ऊपर बताई तकनीक का अ यास करके वह
अ धकतर अवसर पर िवच लत करने वाली उ ेजना के ख़लाफ़
तनावरिहत रहने म कामयाब रही। हालाँिक कभी-कभार दरू भागने या
पलायन करने क इ छा बहुत शि शाली हो गई ं।
मने उससे पूछा, “गॉन िवद द िवड म कालट ओ”हारा याद है?
उसका मानना था, “म अभी उस बारे म चता नह क ं गी। म उसक चता
कल क ं गी।” यु , आगजनी, महामारी और अधूरे यार के बावजूद अपनी
ति या म िवलंब करके वह अपने आं त रक संतुलन को क़ायम रख पाई
और अपने प रवेश से अ छी तरह जूझ पाई।
ति या म िवलंब करने से कडीश नग क
जाती है और बा धत होती है।
वच लत कायिव ध टू ट
जब आपको ोध आए, तो “दस तक िगनना” भी इसी स ांत पर
आधा रत है और बहुत अ छी सलाह है, बशत आप धीरे-धीरे िगन और
सचमुच ति या म िवलंब कर सक। ऐसा नह िक इस दौरान आप ोध
म च ाने या मेज़ पर मु ा जमाने का इंतज़ार कर रहे ह । ोध म
ति या च ाने या डे क पर मु ा मारने से अ धक होती है। आपक
मांसपे शय म तनाव एक ति या है। अगर आपक मांसपे शयाँ पूरी तरह
तनावरिहत ह , तो आप ोध या डर के भाव को महसूस ही नह कर
सकते। इस लए अगर आप दस सेकंड तक गु सा महसूस करने म िवलंब
कर सक, िकसी भी तरह क
ति या म िवलंब कर सक, तो आप
वच लत ति या को ख़ म कर सकते ह।
मैरी एस. ने अपनी ति या म िवलंब करके भीड़ के अपने आदतन
डर को ख़ म कर िदया। जब उसे महसूस हुआ िक उसे बाहर दौड़ लगानी
चािहए, तो वह ख़ुद से कहती थी, “ठीक है, लेिकन इसी पल नह । म कमरे
से बाहर िनकलने म दो िमनट का िवलंब क ं गी। म बस दो िमनट के लए
आ ा मानने से इंकार कर सकती हूँ!”
तनावरिहत होना एक मान सक पदा डाल देता है या
तनावनाशक दवा बन जाता है
अपने िदमाग़ म इस त य को प रखना अ छा है िक आपक िवच लत
भावनाएँ - आपका ोध, श ुता, डर, चता, असुर ा - बाहरी चीज़ क
वजह से नह , आपक अपनी ति याओं क वजह से होती ह। ति या
का अथ है तनाव। ति या के अभाव का अथ है तनावरिहत रहना।
वै ािनक योगशालाओं के योग म सािबत िकया जा चुका है िक जब तक
आपक मांसपे शयाँ पूरी तरह तनावरिहत बनी रहती ह, तब तक आप
ो धत, भयभीत, तनावयु , असुर त महसूस नह कर सकते। सारांश म
ये सारी चीज़ हमारी ख़ुद क भावनाएँ ह। मांसपे शय म तनाव तब होता है,
जब हम कोई ि या या ति या करने क तैयारी करते ह। मांसपे शय को
श थल करने से मान सक तनाव कम होता है और शांत, आरामदेह
नज़ रया िमलता है। इस तरह श थलीकरण कृ त क अपनी तनावनाशक
दवा है, जो आपके तथा िवच लत करने वाली उ ेजना के बीच एक
मान सक पद या छतरी खड़ी कर देती है।
इसी कारण शारी रक श थलीकरण संकोच तोड़ने वाला एक
शि शाली उपाय है। िपछले अ याय म हमने सीखा था िक संकोच
अ य धक नकारा मक फ़ डबैक का प रणाम होता है या नकारा मक
फ़ डबैक पर हमारी अपनी अ त ति या होती है। श थलता का अथ है :
कोई ति या नह । इस लए श थलता के अपने दैिनक अ यास म आप
िन संकोचता सीख रहे ह, साथ ही ख़ुद को कृ त क वयं-आज़माकरदेखने वाली तनावनाशक दवा भी दान कर रहे ह, जसे आप दैिनक
ग तिव धय म अपने साथ ले जा सकते ह। तनावरिहत नज़ रया रखकर
िवच लत करने वाली उ ेजना से अपनी र ा कर।
व ा के प म अपने क रयर क शु आत म इस पु तक के संपादक
आगामी दशन के लए “खड़े होने” क कई र म से गुज़रते थे, जनम
इधर से उधर चहलक़दमी करना शािमल था। हालाँिक उ ह इस बात का
एहसास नह होता था, लेिकन उनके शरीर का तनाव काफ़ बढ़ जाता था।
अपने क रयर म बाद म वे मंच पर पहुँचने के ठीक पहले अ सर िकसी कुस
पर यँू ही पसरे रहते थे या कमरे म पलंग पर लेटे रहते थे, जससे देखने
वाले को लगता था िक उस काय म उनक कोई च नह है। हालाँिक वे
अब भी दशन के लए ख़ुद को तैयार करने क ख़ा तर कुछ मान सक र म
करते थे, लेिकन वे शारी रक ि से तनावरिहत अंदाज़ म ऐसा करते थे।
आप भी तनाव त या च तत हुए िबना े रत होना, ऊजावान बनना,
शखर दशन के लए तैयार होना सीख सकते ह।
दशन-पूव क र म का इ तेमाल
अपने लाभ के लए करना सीख
गो फ़ मै ज़ीन के कई अंक म अपने लेख म माइंड अवर गो फ़ पु तक के
लेखक डॉ. रचड कूप ने खलािड़य को सलाह दी है िक अगर उ ह अपने
भीतर नकारा मक िवचार उबलते महसूस ह , तो वे शॉट लेने से पहले थोड़ा
पीछे हट जाएँ और शांत िनयं ण हा सल करने तथा अपनी एका ता को
दोबारा जमाने के लए िकसी शारी रक र म का इ तेमाल कर। यह अपने
द ताने सही करना या ज़मीन पर टक थपथपाना हो सकता है। वे अपना
शॉट लेने से पहले क एक िन त ि याप त िवक सत करना भी सखाते
ह, जो आपक वग के बीच म यान भटकाने वाले िवचार को दरू रखने
का सबसे अ छा तरीक़ा है। डॉ. कूप लखते ह, “मु े क बात यह है िक
अ छे खलािड़य क एक िनयिमत ि याप त होती है, जबिक खराब
खलािड़य क नह होती।”
साइको साइबरनेिट स श ण म हमारे यहाँ एक कहावत है : “शांत
मन, शांत शरीर; शांत शरीर, शांत मन।” इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक
आप धागे के िकस छोर से शु आत करते ह, शारी रक श थलीकरण से या
मान सक श थलता से, प रणाम वही िमलता है।
चाहे आप जो भी करते ह , उपाय एक “शॉट से पहले क िन त
ि याप त” बनाना है, जो आपके तनाव को बढ़ाने के बजाय आपको शांत
और तनावरिहत करती हो।
अपने मन म ख़ुद के लए एक शांत कमरा बनाएँ
“लोग अपने लए एकांत थल खोजते ह : देहात, समु िकनारे और पवत
पर मकान; और आप भी ऐसी चीज़ क बहुत इ छा करने के आदी ह,”
माकस ऑरे लयस ने कहा था। “लेिकन यह सबसे साधारण िक म के लोग
क पहचान है, य िक यह आपके बस म है िक जब भी आप चाह, अपने
मन के भीतर आराम खोजने का चुनाव कर सकते ह। य िक मनु य अपनी
आ मा म जतनी शां त पा सकता है, उससे अ धक शां त या वतं ता
िकसी दस
ू री जगह नह है, ख़ास तौर पर जब उसके भीतर ऐसे िवचार ह ,
ज ह सोचते ही वह तुरत
ं पूण शां त म आ जाता है। और मेरा दावा है िक
शां त म त क के अ छी तरह मब होने से अ धक कुछ नह है।
लगातार ख़ुद को इस शां तगृह म ले जाएँ और अपना नवीनीकरण कर…”
(म डटेश स ऑफ़ माकस ऑरे लयस, जॉज लाँग दारा अनूिदत, माउं ट
वरनन, यू यॉक, पीटर पॉपर ेस)।
ि तीय िव यु के आ ख़री िदन म िकसी ने रा प त हैरी टमैन से
कहा िक वे रा प त पद के तनाव और दबाव झेलने म िपछले िकसी भी
रा प त से बेहतर नज़र आते ह, िक काय क वजह से वे “अ धक बूढ़े” नह
िदखते ह या उनक फू त कम नह हुई है और यह बात उ ेखनीय है,
ख़ास तौर पर जब यु कालीन रा प त के
प म उ ह इतनी सारी
सम याओं का सामना करना पड़ा था। उनका जवाब था, “मेरे िदमाग़ म
गोलाबारी से बचने वाली एक गुफा है।” उ ह ने आगे कहा िक जस तरह
कोई सैिनक र ा, आराम और वा यलाभ के लए अपनी गुफा म चला
जाता था, उसी तरह वे भी समय-समय पर अपनी मान सक गुफा म चले
जाते थे, जहाँ वे िकसी चीज़ को ख़ुद को परेशान नह करने देते थे।
म आपसे बल आ ह करता हूँ िक आप भी “अपने िदमाग़ म गुफा”
बनाने के लए समय का िनवेश कर और अपनी क पना का उपयोग कर।
आपका अपना तनाव हरने वाला क
कुछ लोग शारी रक ि से दरू जाकर यह लाभ हा सल करने क को शश
करते ह। म यू यॉक म एक कंपनी के सीईओ को जानता हूँ, जसम
अचानक ऑिफ़स से ग़ायब होने और ॉ स के चिड़याघर म जाने क
आदत थी। वह अपना सेल फ़ोन पीछे छोड़ जाता है। वह िकसी ऐसी जगह
नह होता है, जहाँ कोई आकर उसे िवच लत कर सके। वह भीड़ म खो
जाता है, चिड़याघर म घूमता है, जान-बूझकर यानभंग करता है और
सबक पहुँच से परे हो जाता है। ज़ािहर है, यह रणनी त उसके लए अ छी
तरह काय करती है, य िक वह कंपनी के पायदान पर ऊपर चढ़ गया है
और अपने टॉक व कंपनी के मुनाफ़े बढ़ने क बदौलत करोड़प त बन गया
है। बहरहाल, या यह उसे थोड़ा क कारी नह लगता िक वह तनाव कम
करने के लए ऑिफ़स से बाहर िनकले और एक टै सी पकड़कर शहर के
पार वाले चिड़याघर म घूमे?
अपनी क पना के भीतर बने तनाव हरने वाले क तक पहुँचना यादा
छोटी और आसान या ा है। जो हैरान माँ िदन भर दो ब से घरी रहती है
- अगर एक ब ा कुछ समय के लए शांत है, तो दस
ू रा नह है! - उसे बस
एक सं
अवसर क ज़ रत होती है, शायद उनके न द म जाने क , जब
वह अपने तनावहर क म जा सकती है, जो उसने वा यलाभ के लए
अपनी क पना म बनाया हुआ है। जो से सपसन तनाव त है, वह दो
अपॉइंटमट के बीच पािकग क जगह पर कार रोक सकता है और अपने
तनावहर क म फटाफट या ा कर सकता है।
हमम से येक को मन के भीतर एक शांत कमरे क , एक शांत क क
ज़ रत है, जो समु क गहराई क तरह कभी िवच लत नह होता, चाहे
सतह क लहर िकतनी ही चंचल य न हो जाएँ ।
क पना म बनी भीतर क शांत जगह एक मान सक और भावना मक
तनावहर क क तरह काय करती है। यह तनाव , चता, दबाव , मु कल
और इांझट के दबाव को कम करती है। यह आपको तरोताज़ा कर देती है
और आपको रोज़मरा के कामकाजी संसार से जूझने के लए तैयार कर देती
है।
मेरा मानना है िक हर यि व के भीतर पहले से ही एक शांत क है,
जो कभी िवच लत नह होता या िहलता नह है, िकसी पिहये या धुरी के
क के ग णतीय बद ु क तरह, जो थर बना रहता है। हम तो अपने भीतर
के इस शांत क को पाने और समय-समय पर आराम, वा यलाभ तथा
उ साह के नवीनीकरण क ख़ा तर इसम जाने क ज़ रत है।
मने रोिगय को जो एक बहुत लाभकारी नु ख़ा िदया है, वह यह सलाह
है िक वे इस शांत क म लौटना सीख। और मने इस शांत क म दा ख़ल
होने का एक बहुत अ छा तरीक़ा यह पाया है िक आप अपने लए क पना
म एक छोटा मान सक कमरा बना ल। इस कमरे को उन चीज़ से सजाएँ ,
जनसे आपक सबसे यादा सुकून और ताज़गी िमलती हो : अगर आप
प टग पसंद करते ह , तो शायद सुंदर ाकृ तक य; अगर आपको किवता
पसंद हो, तो अपनी ि य किवताओं क पु तक। दीवार पर आपके ि य
“सुखद” रंग का पट होता है, हालाँिक नीले, ह के हरे, पीले, सुनहरे आिद
आरामदेह रंग म से ही िकसी रंग को चुना जाना चािहए। कमरा सादगीपूण
ढंग से सजा होता है; इसम कोई भटकाने वाले त व नह होते। यह बहुत
साफ़-सुथरा होता है और हर चीज़ यव थत होती है। सादगी, शां त,
सुंदरता मु य चीज़े होती ह। इसम आपक ि य आरामकुस रखी होती है।
एक छोटी खड़क से बाहर झाँककर आप सुंदर समु तट देख सकते ह।
लहर तट से लौट जाती ह, लेिकन आप उनक आवाज़ नह सुन सकते,
य िक आपका कमरा बहुत-बहुत शांत है।
अपनी क पना म इस कमरे को बनाने म उतनी ही सावधानी बरत,
जतनी िक आप िकसी असली कमरे को बनाने म बरतते ह। हर िववरण से
पूरी तरह प र चत रह। इस िवचार को मन म न आने द िक यह कोई
बचकानी जगह है, और इस वजह से आप इसे गंभीरता से नह कर सकते।
इस तकनीक क शि सावधान और पूण िनमाण म, इसके प िववरण
म, अ प िवचार के बजाय आ य क जगह के
प म इसक
“वा तिवकता” म िनिहत है।
हर िदन एक अवकाश पर जाएँ
जब भी आपके पास िदन म अपॉइंटम स के बीच थोड़े ख़ाली पल ह ,
शायद बस क सवारी करते समय, तो अपने शांत कमरे म आराम करने
चले जाएँ । जब भी आपको तनाव बढ़ता िदखे या ज दबाज़ी महसूस हो या
आप परेशान ह , तो कुछ पल के लए अपने शांत कमरे म आराम करने
चले जाएँ । इस तरह एक बहुत य त िदन से कुछ िमनट िनकालने से ही
आपको बहुत लाभ होगा। यह समय क बबादी नह , ब क समय का िनवेश
है। ख़ुद से कह, “म अपने शांत कमरे म थोड़ा आराम करने जा रहा हूँ।”
िफर क पना म ख़ुद को सीिढ़याँ चढ़कर अपने कमरे तक जाते देख।
ख़ुद से कह, “म अब सीिढ़याँ चढ़ रहा हूँ। अब म दरवाज़ा खोल रहा हूँ। अब
म भीतर पहुँच गया हूँ।” क पना म पूण शां त और आरामदेह िववरण पर
ग़ौर कर। ख़ुद को अपनी ि य कुस पर बैठते देख, पूरी तरह आरामदेह और
संसार के साथ शां त म। आपका कमरा सुर त है। यहाँ कोई चीज़ आपको
छू भी नह सकती। चता करने क कोई बात नह है। आपने अपनी चताएँ
सीिढ़य के नीचे छोड़ दी ह। यहाँ कोई िनणय नह लए जाने ह - कोई
ज दबाज़ी नह , कोई झांझट नह ।
आपको थोड़े पलायनवाद क ज़ रत होती है
हाँ, यह पलायनवाद है। न द भी तो “पलायनवाद” है। बा रश म छाता ले
जाना भी तो पलायनवाद है। एक वा तिवक घर बनाना, जहाँ आप मौसम
और बाक़ चीज़ से सुर त रह सक, वह भी तो पलायनवाद है। और
छुि याँ मनाना भी पलायनवाद है। हमारे तंि का तं को कुछ मा ा म
पलायनवाद क ज़ रत होती है। इसे बाहरी उ ेजनाओं क लगातार
बमबारी से थोड़ी वतं ता ओर र ा क ज़ रत होती है। आपक आ मा
और आपके तंि का तं को आराम, वा य लाभ व र ा के लए एक
कमरे क उतनी ही ज़ रत होती है, जतनी िक आपके शरीर को एक
भौ तक मकान क होती है, और उ ह कारण से होती है। आपका
मान सक शां त क आपके तंि का तं को हर िदन एक छोटा अवकाश
देता है। उस व़ , आप मान सक प से कत य , ज मेदा रय , िनणय ,
दबाव के अपने रोज़मरा के संसार को “ख़ाली” कर देते ह और अपने
शू य-दबाव के क म मान सक प से “इस सबसे दरू चले जाते ह।”
त वीर आपके वच लत मेकेिन म के लए श द से अ धक
भावशाली होती ह। ख़ास तौर पर तब, जब त वीर का कोई बल
ीका मक अथ हो। एक मान सक त वीर को मने बहुत भावी पाया है
और वह यह है :
येली टोन नेशनल पाक क या ा करते समय म शां त से गम जलोत गीज़र “ओ ड फ़ेथफुल” के फटने का इंतज़ार कर रहा था, जो
लगभग हर घंटे बाद फटता था। अचानक गीज़र बहुत सारी भाप के साथ
फटा, जैसे िक िवशाल बॉइलर, जसका सुर ा लग फट गया हो। मेरे क़रीब
खड़े एक छोटे लड़के ने अपने िपता से पूछा, “यह ऐसा य करता है?”
िपता ने जवाब िदया, “देखो, मुझे लगता है िक धरती माँ भी हम लोग
जैसी ही होती ह। उनके भीतर िन त मा ा म दबाव बन जाता है और बीचबीच म व थ रहने के लए उ ह भाप को बाहर िनकालना होता है।” मने
सोचा, या यह अ त
ु नह रहेगा िक जब भावना मक दबाव हमारे भीतर
बढ़ रहा हो, तो हम इंसान भी हािनरिहत तरीक़े से इसी तरह भाप को
िनकाल सक?
मेरे सर के ऊपरी िह से म गीज़र या भाप का वॉ व तो नह था,
लेिकन मेरे पास क पना थी। इस लए जब म अपने मान सक शां त क म
आराम करने जाता था, तो म इस मान सक त वीर का इ तेमाल करने
लगा। म ओ ड फ़ेथफ़ुल को याद करता था और एक मान सक त वीर
देखता था िक भावना मक भाप और दबाव मेरे सर के ऊपरी िह से से
बाहर िनकल रहा है तथा हािनरिहत तरीक़े से उड़ रहा है। जब आप
तनाव त या परेशान ह , तो इस मान सक त वीर को ख़ुद आज़माकर
देख। आपक मान सक मशीनरी म भाप बाहर िनकालने और ोध के मारे
आगबबूला होने के िवचार के शि शाली संबध
ं जुड़े होते ह।
संयोग से, कई मनोवै ािनक और दशन कोच अब सेहत के संदभ म
इ ह िवचार और तकनीक के बारे म बात करते ह। नए साइको
साइबरनेिट स ऑ डयो ो ाम म आप इस चचा को जारी पाएँ गे।
िकसी नई सम या को लेने से पहले अपना मेकेिन म
“साफ़” कर ल
यिद आप गणना करने वाली मशीन या कं यूटर का इ तेमाल कर रहे ह, तो
आपको िकसी नई सम या को लेने से पहले मशीन क पुरानी सम याओं
को साफ़ करना होगा। वरना, पुरानी सम या या पुरानी थ त के िह से नई
म भी आ जाएँ गे - और आपको ग़लत जवाब िमलेगा।
अपने िदमाग़ के शांत क म कुछ िमनट तक आराम करने का अ यास
आपके सफलता मेकेिन म क समु चत सफ़ाई कर सकता है। इस वजह से
काय , थ तय या प रवेश के बीच इसका अ यास करना बहुत मददगार
होता है, जनम भ - भ मनोदशाओं, मान सक संतुलन या मान सक
नज़ रय क ज़ रत होती है।
पुराने अवशेष या अपनी मान सक मशीनरी क सफ़ाई करने म
असफलता का एक आम उदाहरण यह है : एक िबज़नेस ए ज़ी यूिटव
रोज़मरा क कामकाजी चताओं और कामकाजी मनोदशा को अपने साथ
घर लेकर जाता है। िदन भर वह परेशान, हड़बड़ी म, आ ामक और “फटने
को तैयार” रहा था। शायद उसे थोड़ी कंु ठा महसूस होती हे, जससे उसम
चड़ चड़ाने क वृ है। जब वह घर पहुँचता है, तो वह शारी रक प से
काय करना छोड़ देता है। लेिकन वह अपने साथ अपनी आ ामकता,
कंु ठा, ज दबाज़ी और चता के अवशेष ले जाता है। वह अब भी फटने को
तैयार है और चैन से नह रह सकता। वह अपनी प नी और प रवार वाल
पर चड़ चड़ाता है। वह ऑिफ़स क सम याओं के बारे म सोचता रहता है,
हालाँिक वह उनके बारे म कुछ कर नह सकता।
ि
ी ी
े
अिन ा, बदतमीज़ी अ सर भावना मक अ तशेष
होते ह
कई लोग अपनी मु कल को अपने साथ िब तर पर ले जाते ह, जबिक
उस व़ उ ह आराम करना चािहए। मान सक और भावना मक प से वे
अब भी िकसी थ त के बारे म कुछ करने क को शश कर रहे ह, जबिक
उस व़ कुछ करना सही नह है।
िदन भर के दौरान हम कई भ
कार के भावना मक और मान सक
अव थाओं क ज़ रत होती है। आपको अपने बॉस और अपने ाहक से
बातचीत करने के लए भ मनोदशा और मान सक अव था क ज़ रत
होती है। और अगर आपने अभी-अभी िकसी ग़ु सैल और चड़ चड़े ाहक
से बातचीत क है, तो आपको दस
ू रे ाहक से बातचीत करने से पहले
अपनी मान सकता बदलने क ज़ रत होगी। वरना एक थ त का
भावना मक अ तरेक दस
ू री थ त से िनबटने म बाधा उ प करेगा।
भावना मक अ तशेष से दघ
ु टनाएँ होती ह
दघ
ु टनाओं के कारण पर शोध करने वाली बीमा कंपिनय और अ य
सं थाओं ने यह पाया है िक भावना मक अ तशेष या अ तरेक बहुत सी
कार दघ
ु टनाओं के लए उ रदायी होता है। अगर डाइवर क अभी-अभी
अपने जीवनसाथी या बॉस से कहा-सुनी हुई हो, अगर उसे अभी-अभी कुठा
का अनुभव हुआ हो या अगर वह अभी-अभी िकसी ऐसी थ त से लौट
रहा हो जसम आ ामक यवहार क आव यकता थी, तो उसके दघ
ु टना
करने क अ धक आशंका रहती है। वह अनु चत नज़ रय और भावनाओं
को अब भी कार चलाते समय साथ लए घूम रहा है। वह दस
ू रे डाइवर पर
सचमुच नाराज़ नह है। वह तो उस यि जैसा है, जो सुबह एक सपने से
जागता है, जसम वह बहुत ग़ु सा अनुभव करता है। वह यह बात जानता है
िक उस पर जो अ याय हुआ था, वह सपने म हुआ था। लेिकन वह अब भी
नाराज़ है - बस!
डर भी इसी तरह से आगे बढ़ सकता है।
िपछली भावनाओं के अ तशेष एका ता म बाधक
होते ह
लोकि य टेलीिवज़न जासूस ले टनट कोल बो जसके िकरदार को
अ भनेता पीटर फ़ॉक ने बहुत अ छी तरह िनभाया है, ने एक बार कहा था,
“कई बार मेरे िवचार क वजह से, यहाँ ऊपर, एक टैिफ़क जाम सा लग
जाता है।”
सभी े म सफल दशन करने वाले जानते ह िक जब उनके िदमाग़
म टैिफ़क जाम लगा होता है, तो वे अ छी तरह काय नह कर सकते!
वा तव म, शखर दशक व तुततः “फ़ोकस” और “एका ता” क वेदी
पर पूजा करते ह, इसे हा सल करने के लए अथक म करते ह और इसके
पीछे एक बहुत अ छा कारण होता है : एका ता िकसी भी यास म िमनटदर-िमनट सफलता क मुख कंु जी है। जॉन लाय स घोड़ और घुड़सवार
के िव के सबसे मशहूर श क म से एक ह तथा द परफ़े ट हॉस
यूज़लेटर के संपादक भी ह। वे कहते ह, “घोड़ को श त करने के बारे
म सबसे मु कल यह जानना नह है िक या करना है। इसे करने क पया
शि या साहस होना भी मु कल नह है। मु कल तो एका बने रहना है।”
यही कथन गो फ़ या कुछ बेचने या अ भभावक बनने या हर चीज़ के बारे म
कहा जा सकता है। सबसे मु कल चीज़े यांि क नह ह, ब क एका बने
रहना है। लाय स आगे कहते ह, “अगर म एक समय म एक ही चीज़ पर
कि त नह रहता हूँ, तो म अपने घोड़े क मदद नह कर सकता।” अगर
आप एक समय म एक ही चीज़ पर कि त नह रह सकते, तो आप अपनी
या अपनी टीम क मदद नह कर सकते और सफल नह हो सकते!
त काल भटकाव दरू करने वाला इरेज़र बनाएँ और
उसका आव यकतानुसार अ धका धक इ तेमाल
कर
मने कई वष से यह मान सक च ण सखाया था, जसे मने “कैलकुलेटर
साफ़ करना” कहा था। इसम बुिनयादी तौर पर यह था िक आप
कैलकुलेटर क छोटी
ीन पर िकसी ग णतीय सम या पर काय करने से
पहले पुरानी सम या को या तो साफ़ कर देते ह या िफर बाद के काय के
लए टोर कर लेते ह। “ि यर” बटन दबाने से सम या 1 पूरी तरह आपके
“पद” से चली जाती है। आपको सम या 2 को सुलझाने क को शश करने
से पहले ऐसा करने क ज़ रत होती है। कई लोग अ य उदाहरण और
मान सक च बनाते ह, जो उनके लए अ धक उपयोगी होते ह। मुझे कई
प िमले ह, जनम लोग बताते ह िक उ ह ने इरेज़र का, लैक-बोड साफ़
करने के लए िकसी ड टर का, पंज से खड़क साफ़ करने का या शॉवर
म जाकर अ छी तरह घस- घसकर सफ़ाई करने का मान सक च देखा
था। आप इस मान सक त वीर को याद कर सकते ह और कुछ ही पल म
इरेज़र के प म इसका उपयोग कर सकते ह।
कहा गया है िक ओ लिपक चिपयन हाई-डाइवर ेग लुगेिनस ने
शारी रक प से गोता लगाने से ठीक पहले हर डाइव क 40 बार मान सक
रहसल करते थे! वा तव म वे जो कर रहे थे, वह यह था :
1. “कैलकुलेटर को साफ़ करने” के लए कना।
2. सारे अवरोध को दरिकनार करना, लगातार एक छोटी सी मान सक
िफ म चलाना 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7… 38, 39, 40 बार, तािक उनके पद
पर उस सफल मान सक त वीर के सवा कुछ भी न बचे।
3. उनके सव –मेकेिन म को 41व डाइव को वा तिवक अनुभव के प म
दान करने देना।
अ धकतर लोग इस सरल लेिकन गहन प से भावी नी त को कभी
नह अपनाते ह। इसके बजाय, वे एक चुनौतीपूण ग तिव ध म दा ख़ल हो
जाते ह - जैसे, ऑिफ़स क िकसी मह वपूण मी टग म - जब उनके िवचार
म “टैिफ़क जाम” (हॉन बजते रहते ह, लोग च ाते रहते ह) लगा रहता है।
वे एका ता के िबना काय करने क को शश करते ह! जब िवचार और
भावनाओं के सूप का पूरा पतीला उबल रहा होता है - इस या उस बारे म
चता, जीवनसाथी या िम के साथ अि य बातचीत, उन चीज़ क याद
ज ह एक-दो घंटे म ठीक करना है - तो वे अपने सव -मेकेिन म को करने
के लए पचास अलग-अलग चीज़ दे देते ह, जससे उनक शि िबखर
जाती है।
लुगेिनस जैसे खलाड़ी को न सफ़ उबलते सूप पर कसकर ढ न
लगाना होता है, ब क अगले बनर पर रखे एक और बतन पर भी, जहाँ
शायद िकसी अंग क अकड़न या दद, िकसी मांसपेशी के तनाव, फ़ॉम क
चता जैसे िवचार भी उबलने का जो खम पैदा करते ह। इस सबक जगह
पर एक ही जगह यान कि त रखा जाता है, जससे तनावरिहत दशन क
अनुम त िमलती है। आपको भी इस बात क ज़ रत है िक आप बतन पर
ढ न कसकर लगा द, आँ च म एक ही प , सफल मान सक त वीर पर
एका हो सक।
नु ख़ा
“कैलकुलेटर साफ़ करो।” क अपनी ख़ुद क कोई र म बनाएँ , जो
आदेश देते ही भटकाव को तुरत
ं िमटा दे। िफर इसके इ तेमाल का
अ यास कर। अ यास के साथ यह अ धका धक भावी बनता
जाएगा, जससे आप यादा तेज़ी से, अंततः एक ही पल म, वां छत
“ प मान सकता।” ा कर सकते ह। िफर हर थ त के लए आप
तुरत
ं “िमटाने” क ि या करते ह और उसके ठीक बाद एक उ चत
छोटी मान सक िफ़ म या उस िफ़ म के एक-दो य देखते ह,
जससे सव -मेकेिन म को वह मान सक त वीर िमल जाती है, जस
पर यह उस पल अपनी सारी शि य को कि त करे।
तनाव दरू कर दशन को आमंि त कर
एक बार म एक टेलीिवज़न टॉक शो पर मंच के पीछे ो ाम के मेज़बान से
बातचीत कर रहा था। शो के डायरे टर ने “ ीन म” के दरवाज़े म अपना
सर डालकर कहा, “एक िमनट।”
“माफ़ कर डॅा. मॅा ज़” मेज़बान ने कहा। उ ह ने अपनी आँ ख
कसकर बंद कर ल , अपनी अँगु लय को ज़ोर से एक बार चटकाया, कुछ
पल के लए थर तथा खामोश खड़े रहे, अपनी अँगु लयाँ दोबारा चटकाई ं
और कुछ पल के लए दोबारा ख़ामोश खड़े रहे। िफर उ ह ने अपनी आँ ख
खोल और मु कुराकर बोले, “आइए, अब शो िबज़नेस का जाद ू करते ह।”
वे ग लयारे म िव ास के साथ गए, पद से िनकले और दशक तथा कैमरे के
सामने मंच पर पहुँच गए।
जब काय म टेप हो गया, तो मने उनसे पूछा िक जो मने देखा उसका
या मतलब था। उ ह ने प िकया, “यह मेरी तैयारी क र म है। क रयर
क शु आत म मुझे हर चीज़ को िदमाग़ से साफ़ करने म बीस, शायद तीस
िमनट क कड़ी को शश करनी पड़ती थी, तािक मेरे िदमाग़ म सफ़ वही शो
रहे, जो म करने वाला था। धीरे-धीरे मने सीख लया िक अपने िदमाग़ म
इसे क़दम म कैसे करना है, िफर म इसक ग त बढ़ाने म समथ हो गया।
अब म इसे लगभग 30 सेकंड म कर सकता हूँ।”
“और अँगु लयाँ चटकाना?” मने पूछा।
“वह एक तरह से िबजली का वच चालू और बंद करने जैसा है।
पहली बार चटकाने से मेरे िदमाग़ क सफ़ाई े रत होती है और अब यह
काय लगभग तुरत
ं हो जाता है। दस
ू री बार चटकाने से लाइ स क एक
व रत ख
ृं ला शु हो जाती है, जसम म इस कार क त वीर देखता हूँ
िक म चलकर दशक क ता लय के बीच जा रहा हूँ, शो के दौरान दशक
हँस रहे ह, अ त थ के साथ सुखद इंटर यू हो रहा है और काय म का दल,
िनमाता तथा म इसके अंत म एक और बेहतरीन शो के लए एक-दस
ू रे को
बधाई दे रहे ह।” उ ह ने मु कुराकर आगे कहा, “देखा, मने बरस पहले
आपक पु तक सचमुच पढ़ी थी।”
शां त भी आगे तक बनी रहती है
इस सबका मददगार पहलू यह है िक िम ता, ेम और शां त भी अ तशेष के
प म “आगे बढ़ती” ह।
जैसा हमने कहा है, जब आप पूरी तरह श थल, शांत और थर होते
ह, तो डर, ोध या चता को अनुभव अथवा महसूस करना असंभव है। इस
तरह से अपने शांत क म आराम करने जाना भावनाओं और मनोदशाओं
के लए आदश सफ़ाई मेकेिन म बन जाता है। पुरानी भावनाएँ ग़ायब हो
जाती ह। उसी समय आप शां त और क याण क एक भावना का अनुभव
करते ह, जो तुरत
ं बाद आने वाली ग तिव धय म छलक जाएगी। आपका
शां त क म गुज़ारा गया समय लेट को एक तरह से प छ देता है, मशीन
साफ़ कर देता है और आपको एक िबलकुल कोरा नया प ा दे देता है, जस
पर आगामी प रवेश आ सकता है।
मने शांत समय का अ यास सजरी के तुरत
ं पहले और बाद म िकया
है। सजरी म बहुत अ धक एका ता, शां त और िनयं ण क ज़ रत होती
है। ज दबाज़ी, आ ामकता या यि गत चताओं क भावनाओं के साथ
ऑपरेशन करने जाना िवनाशकारी हो सकता है। इस लए मने हमेशा जानबूझकर अपने शां त क म पूरी तरह श थल होकर कुछ पल गुज़ारकर
अपनी मान सक मशीनरी को जान-बूझकर साफ़ िकया। दस
ू री ओर,
एका ता, उ े य और आस-पास के माहौल को भूलना, जो ऑपरेशन के
लए बहुत आव यक है, िकसी सामा जक थ त म बहुत अनु चत होगा,
चाहे यह सामा जक थ त मेरे ऑिफ़स म होने वाली बातचीत हो या कोई
सावजिनक समारोह। इस लए सजरी के बाद भी म अपने शां त क म कुछ
िमनट गुज़ारना नह भूलता, तािक नए िक़ म के काय के लए लेट साफ़
कर ली जाए।
सैन फ़ां स को क सजन डॉ. इरा शा लप बताती ह िक वे शु आती
चीरे से लेकर अं तम टाँके लगाने तक क मान सक िफ़ म चलाती ह। हाथ
और जोड़ का पुन नमाण करने वाले श य चिक सक डॉ. बोडेल का हमने
साइको साइबरनेिट स संबध
ं ी वी डयो ो ाम के लए इंटर यू लया था।
उ ह ने हम बताया िक वे ऑपरेशन से पहले वाली शाम को ही एक प ,
िव तृत मान सक िफ़ म बना लेते ह, तािक आदश ऑपरेशन उनके िदमाग़
म थािपत हो जाए और दशन कठ थ हो जाए। ऐसा लगता है िक
ऑपरेशन क म शां त के अवशेष को उ प करने के लए हम सभी
लगभग समान नी तय का इ तेमाल कर रहे ह।
वयं अपनी मान सक छत रयाँ बनाएँ
इस अ याय म दी गई तकनीक का अ यास करके आप अपनी ख़ुद क
मान सक छत रयाँ बना सकते ह, जो िवच लत करने वाली उ ेजना को
पदा लगाकर बाहर रखगी, अ धक मान सक शां त दान करगी और
आपको बेहतर दशन करने म समथ बनाएँ गी। अपनी मान सक
तनावनाशक दवाएँ तैयार कर, ज ह िबना साइड इफ़े स या ख़च के
इ तेमाल िकया जा सकता है।
सबसे बढ़कर, यह यान म रख और इसे अपने िदमाग़ म अ छी तरह
बैठा ल िक चाहे आप िवच लत ह या शांत, डरे हुए ह या कि त, यह
बाहरी उ ेजना का मामला नह है, चाहे यह जो भी हो। इसके बजाय,
आपक ति या ही कंु जी है। आपक अपनी ति या ही आपको डरा
हुआ, च तत, असुर त महसूस “कराती” है। अगर आप ज़रा भी
ति या नह करते ह, ब क “फ़ोन को बजने रहने देते ह” तो आपके
लए िवच लत महसूस करना असंभव है, चाहे आपके आस-पास जो भी हो
रहा हो।
आप ति याशील नह , ब क अ भनय करने क को शश कर रहे
ह। इस पूरी पु तक म हमने प रवेश के घटक पर उ चत ति या करने के
बारे म बात क है। हालाँिक इंसान बुिनयादी तौर पर ति याशील नह ,
ब क “अ भनेता” होता है। प रवेश के चाहे जो भी घटक मौजूद ह , हम
सफ़ ति या ही नह करनी है। हम िबना क ान वाले उस जहाज़ क
तरह नह बनना है, जो हवा के ख़ क िदशा म ही चला जाता है, चाहे
िदशा कोई भी हो। ल य-आकां ी इंसान के प म हम पहले ि या करनी
होती है। हम अपना ल य तय करते ह, अपनी िदशा तय करते ह। िफर, इस
ल य-खोजी तं के संदभ के भीतर हम उ चत ति या करते ह। उ चत
का अथ है, उस तरह से जो हमारी ग त को आगे बढ़ाए और हमारे उ े य
को पूरा करे।
यिद नकारा मक फ़ डबैक पर ति या करना हम अपने ल य क
राह पर या अपने उ े य को पूरा करने के माग पर आगे नह ले जाता है, तो
िफर ति या करने क कोई ज़ रत ही नह है। और अगर िकसी तरह क
ति या हम राह से भटका देती है या हमारे ख़लाफ़ काय करती है, तो
शू य ति या ही उ चत ति या है।
आपका भावना मक टैिबलाइज़र
लगभग िकसी भी ल य-आकां ी थ त म अपनी आं त रक थरता को
कायम रखना ही अपने आप म मह वपूण ल य है। हम नकारा मक
फ़ डबैक डेटा के त संवेदनशील होना चािहए, जो हम बताता है िक हम
कब िदशा से भटक गए ह, तािक हम िदशा बदल सक और आगे बढ़ सक।
लेिकन साथ ही, हम अपने जहाज़ को तैरता हुआ और थर रखना होगा।
हमारे जहाज़ को लहर म िहचकोले नह खाने चािहए और वह डू बना नह
चािहए, चाहे लहर िकतनी ही ऊँची ह या तूफ़ान िकतना ही गंभीर हो।
जैसा े कॉट लेक ने कहा था, “प रवेश के प रवतन के बावजूद यही
नज़ रया क़ायम रखना चािहए।
फ़ोन क घंटी बजने देना एक मान सक नज़ रया है, जो हमारी थरता
को क़ायम रखता है। यह हम प रवेश क हर लहर से िहचकोले खाने, िदशा
से भटकने या िहलने से रोकता है।
भूसे के आदिमय (क पना) से
लड़ना छोड़े
एक और कार क अनु चत ति या है, जो चता, असुर ा और
तनाव उ प करती है। यह है िकसी ऐसी चीज़ पर भावना मक ति या
करने क बुरी आदत, जो हमारी क पना के अलावा कह भी मौजूद नह
होती। हमम से कई लोग वा तिवक प रवेश क छुटपुट उ ेजना पर अ त
ति या करने से ही संतु नह होते ह। हम अपनी क पनाओं म भूसे के
आदमी बना लेते ह और अपनी बनाई हुई मान सक त वीर पर भावना मक
ति या करते ह। प रवेश म सचमुच मौजूद नकारा मक चीज़ के अलावा
हम वयं क नकारा मक चीज़े बना लेते ह : यह या वह हो सकता है; या
हो अगर यह या वह हो जाए। जब हम चता करते ह, तो हम नकारा मक
मान सक त वीर बना लेते ह, िक प रवेश म या बुरा हो सकता है, या या
अ छा नह हो सकता। िफर हम इन नकारा मक त वीर पर उसी तरह
ति या करते ह, मानो वे वतमान वा तिवकता ह । याद रख, आपका
तंि का तं िकसी स े अनुभव और क पना के सजीव च म फ़क़ नह
पहचान सकता।
िकसी अवा तिवक सम या पर
“कुछ न करना” हो उ चत ति या है
एक बार िफर, आप इस तरह के िवचलन के ख़लाफ़ ख़ुद को तनावरिहत
बना सकते ह। कुछ करके नह , ब क कुछ न करके। आप ति या करने
से इंकार कर देते ह। जहाँ तक आपक भावनाओं का संबध
ं है, चता क
त वीर पर उ चत ति या उ ह पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना है।
भावना मक प से वतमान पल म जएँ । अपने प रवेश का िव ेषण कर,
अपने प रवेश म सचमुच मौजूद चीज़ के बारे म अ धक जाग क बन और
उन पर सहज- वाभािवक तरीक़े से ति या कर। यह करने के लए
आपको अपना पूरा यान उस पर देना होगा, जो अभी हो रहा है। आपको
अपनी िनगाह गद पर रखनी होगी। िफर आपक ति या उ चत होगी और
आपके पास का पिनक प रवेश पर ति या करने या उस पर ग़ौर करने
का समय ही नह रहेगा।
आपक फ़ ट एड िकट
इन िवचार को िकसी फ़ ट एड िकट क तरह अपने साथ रख :
आत रक िवचलन शां त के िवपरीत होता है। यह लगभग हमेशा अ त
ति या, अ त संवेदनशील अलाम ति या क वजह से उ प होता है।
जब आप “ ति या न करने” का अ यास करते ह और फ़ोन क घंटी
बजने देते ह, तो आप एक अंद नी तनावरिहत दवा बना लेते ह या अपने
तथा िवच लत करने वाली उ ेजना के बीच म एक मान सक पदा लगा देते
ह।
अ त ति या क पुरानी आदत का इलाज करने के लए जब आप
आदतन, वच लत और अनसोची ति या म िवलंब करते ह, तो आप
पुरानी आदतन ति याओं को ख़ म कर देते ह।
श थलीकरण कृ त द तनावनाशक है। श थलीकरण शू य
ति या क
थ त है। दैिनक अ यास ारा शारी रक श थलीकरण
सीख। िफर जब आपको दैिनक ग तिव धय म शू य ति या का अ यास
करने क ज़ रत हो, तो वही कर जो आप श थल होते समय करते ह।
अपने मन के शां त क का इ तेमाल दैिनक तनावनाशक के प म
कर। इसका इ तेमाल तंि काओं क ति या को कम करने और अ तशेष
भावनाओं के अपने भावना मक मेकेिन म को साफ़ करने के लए कर, जो
िकसी नई थ त म अनु चत ह गी।
अपनी मान सक त वीर से ख़ुद को बुरी तरह डराना छोड़ द। भूसे के
आदिमय से लड़ना छोड़ द। भावना मक ि से केवल उसी पर ति या
कर, जो वतमान म, इसी पल मौजूद है - और बाक़ को नज़रअंदाज़ कर द।
मान सक
श ण अ यास
अपनी क पना म अपनी एक प मान सक त वीर बनाएँ , जसम
आप शां त से, अिवच लत बैठे हुए ह और अपने फ़ोन क घंटी बजने
दे रहे ह, जैसा इस अ याय म पहले बताया गया है। िफर अपनी दैिनक
ग तिव धय म इस मान सक त वीर को याद करके उसी शांत,
अिवच लत नज़ रए को अपनी दैिनक ग तिव धय म जारी रहने द।
जब भी मन म डर या तनाव क घंटी का “आदेश” मानने या उस पर
ति या करने का लालच आए, तो ख़ुद से कह, “म फ़ोन क घंटी
को बजने दे रहा हूँ।” इसके बाद िव भ कार क थ तय म शू य
ति या का अ यास करने के लए अपनी क पना का इ तेमाल
कर। जब कोई सहकम च ा रहा हो और परेशान हो रहा हो, तो ख़ुद
को शांत और अिवच लत बैठा देख। ख़ुद को एक-एक करके अपने
दैिनक काय िनबटाते देख, शां त से, िबना ज दबाज़ी के, य त िदन
के दबाव के बावजूद। अपने प रवेश क ज दबाज़ी और दबाव क
कई घंिटय के बावजूद ख़ुद को उसी सतत, थर िदशा म चलते
देख। ख़ुद को िविवध थ तय म देख, जनम आप अतीत म
िवच लत हो जाते थे, लेिकन अब आप “अटल,” शांत,
ति याशू य रहते ह।
थर,
अ याय तेरह
संकट को सृजना मक अवसर म कैसे
बदल
मने अपनी बेसबॉल टीम म लड़क को पतन क दौर म जाते देखा है। उनम
से कुछ कभी नह उबर पाते ह। लेिकन कुछ इससे तुरत
ं बाहर आ जाती ह
और पहल से भी बेहतर हो जाती ह। मेरा अंदाज़ा है िक िवरोधी टीम जतने
खलािड़य को हराती है, उससे यादा खलाड़ी ख़ुद अपने आपको हराते
ह।
-कॉनी मैक
“च
म कारी खलाड़ी” “करामाती खलाड़ी” ओह राह म आने वाले
सारे दबाव को सँभालने म स म होना और इसके बावजूद
बेहतरीन दशन करना!
म एक यव
ु ा गो फ़ खलाड़ी को जानता था, जसने कई साल तक
अपने होम कोस पर जीत का सावका लक रकॉड बनाया था, लेिकन उसे
कभी िकसी सचमुच बड़े टू नामट म नह रखा गया था। जब वह अकेला या
िम के साथ या छोटे-मोटे टू नामट म खेलता था, जहाँ दाँव कम होते थे,
तो उसका खेल दोषरिहत होता था। लेिकन जब भी वह िकसी बड़े टू नामट
म खेलने उतरता था, तो उसका खेल कमज़ोर हो जाता था। गो फ़ क
भाषा म, “दबाव उसे ले डू बता था।”
ऐसे अनुभव वाला वह अकेला नह है।
वा तव म, एक लोकि य िफ़ म म केिवन कॉ टनर ने एक गो फ़
खलाड़ी क भूिमका िनभाई थी, जसे सभी पेशेवर “िटन कप” के प म
जानते ह।
उसक यो यताएँ कमाल क थ , लेिकन बड़ी धनरा श वाले टू नामट के
खेल के दबाव म वे यो यताएँ उसी तरह उधड़ जाती थ , जस तरह बा रश
के तूफ़ान म स ते सूट क सलाई। कई गो फ़ खलाड़ी उसी िटन कप
जैसे होते ह। िवसंग त यह है िक म एक बहुत अ छे और मशहूर गो फ़ कोच
को जानता हूँ, जससे अ सर शीष थ पेशेवर खलाड़ी मदद लेते ह। वह
कोच भी दो ताना, सामा य, िनजी खेल म अजेय रहता है, लेिकन अ धक
धन के लए खेलते समय उसक तभा कभी उभरकर सामने नह आ
पाई।
कई बेसबॉल खलािड़य म सटीक िनयं ण होता है, जब तक िक वे
ख़ुद को आर-पार वाली थ त म न पाएँ । तब वे अटक जाते ह, सारा
िनयं ण गँवा देते ह और ऐसा लगता है िक उनम कोई यो यता है ही नह ।
केसी टगल 1950 के दशक म यू यॉक यैक ज़ के मशहूर मैनेजर थे और
उ ह ने कहा था, “बै टग ै टस म तो कोई भी होम रन बना सकता है।”
दस
ू री ओर, कई खलाड़ी दबाव म यादा अ छा दशन करते ह।
ऐसा लगता है िक आर-पार वाली थ त उ ह अ धक शि , अ धक
कुशलता दान करती है। “दबाव” कुछ लोग के दशन को बेहतर य
बनाता है, जबिक दस
ू र के दशन को न कर देता है, यह समझना अपने
सव े तर पर िव सनीय और िनरंतर दशन करने क कंु जी है।
वैसे बात को पलटते हुए म आपको ज दी से याद िदला दँ ू िक िकसी
गो फ़ पेशेवर या बेसबॉल खलाड़ी “क यो यता क सलाई उधड़ने” से
वह खराब गो फ़ खलाड़ी या बेकार बेसबॉल खलाड़ी नह बन जाता, न
ही वह “अटक” जाता है। मी डया तुरत
ं उन पर ऐसे लेबल लगा देता है,
ो धत शंसक भी, यहाँ तक िक उनके साथी भी। ये लेबल न सफ़ उस
ख़ामी को बढ़ाते ह और िवनाशकारी भाव डालते ह, ब क वे बुिनयादी
तौर पर ग़लत भी होते ह, य िक कोई इंसान कभी अपनी ग़ल तयाँ नह
होता। हमम से हर एक ग़लती-करने-वाला है, लेिकन संभािवत प से
ग़लती-दरू -करने-वाला भी है। हमम िन त प से अपनी ग़ल तय से ऊपर
उठने क मता है। दरअसल, ये खलाड़ी अब तक अपने स े व प को
नह खोज पाए ह, न ही यह सीख पाए ह िक अपनी आ म-छिवय तथा
सव -मेकेिन म का सफलतापूवक बंधन कैसे कर, तािक दबाव पर
सकारा मक ति या क जा सके। हालाँिक वे जो नह जानते ह और
जसम उ ह ने महारत हा सल नह क है, वह उस पल उन पर िनयं ण
करता है, लेिकन यह उनक पहचान नह है और चाहे यह कुछ िदन ,
महीन या साल म हो, इसे बदला जा सकता है!
जो लोग संकट म बेहतरीन हो जाते ह
िकसी बा केटबॉल खलाड़ी के फ़ाउल शॉट का औसत सामा य मैच के
बजाय अ यास म काफ़ बेहतर हो सकता है और लेऑफ़ के बजाय
सामा य मैच म बेहतर हो सकता है। दस
ू री ओर, यह भी हो सकता है िक
कोई दस
ू रा खलाड़ी इसका िवपरीत यवहार द शत करे। उसका दशन
लेऑफ़ म या आर-पार वाली थ त म बेहतर हो जाए। लगभग हर
मह वपूण एनएफ़एल टीम म एक पास लेने वाला होता है, जस पर िकसी
बड़े अवसर को भुनाने या असाधारण प से मु कल कैच करने के लए
भरोसा िकया जा सकता है, जब हर चीज़ उसी एक चीज़ पर िनभर करती
हो। िफर भी हो सकता है िक उस मैच म उसने पहले कुछ आसान कैच
छोड़ िदए ह । वाटरबै स आर-पार के मौक़ पर ही अपने च रसीवस
क गद फकना सीख लेते ह और अ सर बाक मौक पर वे उनका यूनतम
उपयोग करना भी सीख लेते ह।
हो सकता है िक कोई से समैन िकसी मह वपूण संभािवत ाहक के
सामने अपनी ज़बान बंद पाए। मह वपूण ाहक के सामने उसक यो यताएँ
उसका साथ छोड़ जाती ह। उ ह प र थ तय म कोई दस
ू रा से समैन
“अपनी यो यता से ऊपर जाकर बेच सकता है।” थ त क चुनौती उसक
ऐसी िनिहत यो यताओं को उभार देती है, जो उसम सामा य तौर पर नह
िदखती थ । (हमारी पु तक ज़ीरो रिज़ टस से लग म इससे संबं धत एक
बहुत मह वपूण अ याय है “हाउ टु सेल वैन यू आर इन ओवर योर हेड।”)
कुछ िव ाथ होते ह, जो रोज़मरा के ास वक म तो बहुत अ छा
दशन करते ह, लेिकन परी ा म अपने िदमाग़ को ख़ाली पाते ह। दस
ू री
ओर, कुछ िव ाथ ऐसे भी होते ह, जो ास वक म तो सामा य होते ह,
लेिकन मह वपूण परी ाओं म बहुत अ छा दशन करते ह।
करामाती खलाड़ी का रह य
इन लोग के बीच िकसी अंद नी गुण का फ़क़ नह होता, जो एक म होता है
और दस
ू रे म नह होता। यह तो काफ़ हद तक इसका मामला है िक संकट
क थ तय म उ ह ने कैसी ति या करना सीखा है।
“संकट” एक थ त है, जो आपको या तो बना सकती है या िमटा
सकती है। अगर आप संकट पर सही तरीक़े से ति या करते ह, तो यह
आपको ऐसी शि और बु मानी दे सकता है, जो आप म सामा यतः
नज़र नह आती। अगर आप अनु चत ति या करते ह, तो संकट आपक
यो यता, िनयं ण और मता को छीन सकता है, जो सामा यतः आप म
नज़र आती है।
खेल, कारोबार या सामा जक ग तिव धय म तथाक थत “करामाती
खलाड़ी” - वह यि जो आर-या-पार के समय म सामने आता है और
चुनौतीपूण थ त म बेहतर दशन करता है - हमेशा वही होता है, जसने
चेतन या अचेतन प से संकट भरी थ तय पर अ छी ति या करना
सीख लया है।
संकट म अ छा दशन करने के लए : 1. हम उन थ तय म कुछ
यो यताएँ सीखने क ज़ रत है, जहाँ हम अ त े रत न ह , हम िबना दबाव
के अ यास करने क ज़ रत है। 2. हम िकसी संकट पर र ा मक नज़ रए
के बजाय आ ामक तरीक़े से ति या करना सीखने क ज़ रत है,
तािक हम थ त के जो खम के बजाय चुनौती पर ति या कर और
अपने सकारा मक ल य को िदमाग़ म रख। 3. हम तथाक थत “संकट” क
थ तय क वा तिवकता का मू यांकन करना सीखने क ज़ रत है, राई
का पहाड़ बनाने से बचना है या इस तरह ति या करने से बचना है, मानी
हर छोटी चुनौती जीवन-मरण का मामला हो।
दस
ू रे श द म, ख़ुद को करामाती खलाड़ी बनाना बहुत संभव है,
य िक यह पूरी तरह से नज़ रय और यो यताओं क तुलना मक प से
बहुत छोटी सूची पर िनभर है, ज ह सीखा जा सकता है, जनका अ यास
िकया जा सकता है और िवकास िकया जा सकता है तथा जनके िवकास
को दस
ू री साइको। साइबरनेिट स तकनीक ारा क़ायम रखा जा सकता
है या उसक ग त को बढ़ाया जा सकता है। करामाती खलाड़ी बनने के
लए जसक ज़ रत होती है, उसका िकसी म अभाव नह होता।
दबाव के िबना अ यास
हालाँिक हम बहुत तेज़ी से सीख सकते ह, लेिकन हम संकट क थ तय
म अ छी तरह नह सीख पाते ह। अगर कोई यि तैरना नह जानता हो
और हम उसे गहरे पानी म फक द, तो हो सकता है िक संकट उसे तैरकर
सुर त होने क शि दे दे। वह तेज़ी से सीखता है और िकसी तरह तैरने
म कामयाब हो जाता है। लेिकन वह चिपयन तैराक बनने का तरीका कभी
नह सीख पाएगा। जन अनगढ़, अनाड़ी तरीक का उपयोग उसने अपनी
जान बचाने के लए िकया, वे उसक मृ त म अंिकत हो जाते ह और
उसके लए तैरने के बेहतर तरीक़े सीखना मु कल हो जाता है। उसके
अनाड़ीपन के कारण वा तिवक संकट म उसक मृ यु भी हो सकती है,
अगर उसे लंबी दरू ी तक तैरने क आव यकता हो।
डॉ. एडवड सी. टोलमैन कै लफ़ो नया यूिनव सटी म पशु यवहार के
िवशेष और मनोवै ािनक ह। उ ह ने कहा था िक पशु और इंसान दोन ही
सीखते समय प रवेश के “मान सक न शे” या “कॉि िटव मै स” बनाते ह।
अगर ेरणा बहुत गहन नह है, अगर सीखने वाली थ त म बहुत यादा
संकट उप थत नह है, तो ये न शे यापक और सामा य होते ह। अगर
पशु अ त े रत है, तो मान सक न शा सँकरा और सीिमत होता है। यह
सम या को सुलझाने का बस एक तरीक़ा सीखता है। भिव य म, अगर यह
एक तरीक़ा बा धत हो जाता है, तो पशु कंु िठत हो जाता है और वैक पक
माग को पहचानने म असफल रहता है। यह एक अकेली, सीधी सी, पहले
से तय ति या िवक सत कर लेता है और िकसी नई थ त म सहज
तरीक़े से ति या करने क यो यता गँवा देता है। यह तुरत
ं नह सोच
सकता। यह केवल तय योजना का अनुसरण कर सकता है।
उस यव
ु क पर ग़ौर कर, जो झु गी-ब ती के मु कल प रवेश म बड़ा हो
रहा है, अपना समय सड़क पर िबता रहा है, गग के सद य के साथ घूम
रहा है, लगभग सारे समय जो खम म रह रहा है। अब अगर वह ऐसे प रवेश
म आ जाए, जहाँ िकसी तरह के डर, कमज़ोरी या असुर ा का नामोिनशान
न हो, तो इसके गंभीर प रणाम हो सकते ह। यिद उसने मु कल प रवेश म
सभी संघष समाधान यो यताएँ सीखी ह, तो वह शायद बेहद आ ामक
यवहार और शारी रक हसा जैसी सीिमत यो यताएँ ही सीख पाएगा। मेरे
याल से आप इसे माइक टाइसन जैसे यि पर लागू होते देख सकते ह,
जो बॉ सग रग म तो बेहद सफल है, लेिकन िकसी भी दस
ू री जगह पर
बुरी तरह असफल है।
दबाव सीखने क ग त को धीमा कर देता है
डॉ. टोलमैन ने पाया िक अगर चूह को सकंटरिहत थ तय म सीखने
और अ यास करने क अनुम त दी जाए, तो बाद म वे संकट काल म बेहतर
दशन करते ह। िमसाल के तौर पर, अगर चूह को उनक इ छानुसार
घूमने और भूलभुलय
ै ा को टटोलने क अनुम त दी जाए, जब उनके खानेपीने क पया यव था हो, तो ऐसा नज़र आता था िक वे कुछ नह सीख
रहे ह। बहरहाल, बाद म अगर इ ह चूह को भूखे पेट भूलभुलय
ै ा म छोड़
िदया जाए, तो वे ज दी से और कुशलता से ल य तक पहुँच जाते ह तथा
यह िदखा देते ह िक उ ह ने काफ़ कुछ सीख लया है। भूख इन श त
चूह के लए एक संकट था, जस पर उ ह ने अ छी ति या क ।
दस
ै ा म सीखने के लए
ू रे चूह को भूख- यास के संकट म भूलभुलय
िववश िकया गया, लेिकन उ ह ने इतना अ छा दशन नह िकया। वे अ त
ेरणा से पीिड़त हो गए और उनके म त क के न शे सँकरे हो गए। ल य
तक पहुँचने का एक “सही” माग तय हो गया था। अगर उस माग को बंद
कर िदया जाता था, तो चूहे कंु िठत हो जाते थे और उ ह एक नया माग
खोजना सीखने म बड़ी मु कल आई।
अि शमन अ यास संकटरिहत थ त म
संकटकालीन यवहार सखाता है
लोग एक ही तरीक़े से ति या करते ह। जलती इमारत से बाहर कैसे
िनकल, यह सीखते समय आम तौर पर सही िनकास माग तक पहुँचना
सीखने म लोग को तब दो-तीन गुना कम समय लगता है, जब आग न लगी
हो। आग के दौरान तो कुछ लोग सीख ही नह पाते। अ त ेरणा ता कक
ि याओं के साथ ह त ेप करती है। वच लत ति या मेकेिन म बहुत
यादा सचेतन यास, बहुत कड़ी को शश करने से जाम हो जाता है। एक
तरह क उ े य से कँपकँपी िवक सत हो जाती है और प ता से सोचने
क यो यता चली जाती है। जो लोग िकसी तरह इमारत से बाहर िनकलने म
कामयाब हो जाते ह, वे एक संक ण िन त ति या सीख लेते ह। उ ह
िकसी अलग इमारत म भेज द या प र थ तय को थोड़ा सा बदल द, तो
दस
ू री बार भी वे उतनी ही बुरी तरह ति या करते ह, जतनी िक पहली
बार म क थी।
लेिकन मान ल िक आप इ ह लोग को लेते ह और जब आग न लगी
हो, तो उ ह एक “नक़ली” अि शमन अ यास कराते ह। चूँिक कोई जो खम
नह है, इस लए प सोच या सही काय म ह त ेप करने वाला कोई
अ य धक नकारा मक फ़ डबैक भी नह है। वे शां त से, कुशलता से और
सही तरीक़े से कतारब इमारत से बाहर िनकलने का अ यास करते ह।
जब वे कई बार यह अ यास कर लेते ह, तो उनसे सचमुच आग लगने पर
भी इसी तरह के यवहार क उ मीद क जा सकती है। उनक मांसपे शय ,
नायु और म त क ने एक यापक, सामा य, लचीला न शा याद कर
लया है। शां त और प सोच के नज़ रए का िव तार अ यास स से
वा तिवक आग तक हो जाएगा। यही नह , उ ह ने इस बारे म भी कुछ सीख
लया होगा िक िकसी इमारत से बाहर कैसे िनकल या बदली हुई प र थ त
से कैसे िनबट। वे िकसी कठोर ति या के त सम पत नह ह, ब क
तुरत
ं सोचने म समथ ह। चाहे जो भी प र थ तयाँ सामने ह , वे सहजवाभािवक ति या करगे।
चूहे ह या इंसान, सबक़ प है : िबना दबाव के अ यास करगे, तो
अ धक कायकुशलता से सीखगे और संकट क िकसी थ त म बेहतर
दशन करने म समथ ह गे।
थरता के लए शेडो–बॉ सग
मशहूर बॉ सर जटलमैन जम कॉरबेट ने “शैडो बॉ सग” श द को
लोकि य बनाया था। जब उनसे पूछा गया िक उ ह ने अपने उ टे मु े के
लए आदश िनयं ण और सटीक टाइ मग कैसे िवक सत क , जससे
उ ह ने बॉ टन के टाँग बॉय, जॉन एन. स लवन के होश उड़ा िदए थे, तो
कॉरबेट ने जवाब िदया िक उ ह ने उस मुक़ाबले क तैयारी करते समय
आईने के सामने अपनी ख़ुद क छिव पर बायाँ मु ा मारने का 10,000 बार
से भी अ धक अ यास िकया था।
जीन टनी ने भी यही िकया था। जैक ड सी के साथ रग म सचमुच
लड़ने से बरस पहले वे अपने कमरे म सैकड़ बार का पिनक ड सी से लड़े
थे। उ ह ने ड सी क लड़ाइय क सारी पुरानी िफ़ म इक ी कर ल ।
उ ह ने उन िफ़ म को तब तक देखा, जब तक िक उ ह ड सी क एक-एक
हरकत याद नह हो गई। िफर उ ह ने शैडो-बॉ सग क । वे क पना करते
थे िक ड सी उनके सामने खड़े थे। जब का पिनक ड सी कोई ग तिव ध
करते थे, तो वे उसका समु चत जवाब देने का अ यास करते थे।
िबली ाहम ने दशक के सामने मनमोहक मंचीय उप थ त िवक सत
करने से पहले लो रडा के दलदल म पेड़ के ठू ँ ठ के सामने भाषण देने का
अ यास िकया। अ धकतर व ाओं ने एक या दस
ू रे तरीक़े से यही चीज़ क
है। सावजिनक व ाओं के लए शैडो बॉ सग का सबसे आम प है आईने
म अपने ख़ुद के त बब के सामने भाषण देना। मेरी पहचान का एक यि
छह या आठ ख़ाली कु सय को लाइन से रख लेता है। िफर वह क पना
करता है िक उन पर लोग बैठे हुए ह। इसके बाद वह अ य ोताओं पर
अपने भाषण का अ यास करता है। एक और व ा अपने खेत म मु गय के
सामने भाषण देता था!
म एक मिहला कॉमे डयन को जानता हूँ। उ ह ने आ ह िकया है िक
नाम लेकर उनक पहचान उजागर न क जाए। उ ह ने मुझे बताया है िक
अपने क रयर क शु आत म वे पूरे जोशीख़रोश के साथ पूरा काय म पेश
करती थ , मानो वे बहुत सारे दशक के सामने खड़ी ह - लेिकन दरअसल
वे पूरी तरह से अकेली रहती थ । वे िबलकुल न ाव था म तीन आदमक़द
आईन के सामने खड़ी रहती थ , जो उनके सामने चाप जैसे आकार म रखे
थे! उनका तक था िक वे न ाव था म जतना अ धक असुर त और
संकोची महसूस करती थ , उतना कभी नह करती थ (इसी लए वे केवल
अँधेरे कमरे म से स को पसंद करती थ ), इस लए अगर वे िकसी रोशन
कमरे म अपने त बब को न ाव था म देख सकती थ और इसके बाद
भी एका ता से अपना काय म तुत कर सकती थ , तो वे पूरे कपड़े
पहनकर और इस तरह ोताओं के सामने “सुर त” रहकर यह काय
आसानी से कर सकती थ । इस बातचीत से पहले मने यह तो सुना था िक
व ा अपने ोताओं क अंडरिवयर म क पना करते थे, तािक वे कम
भयावह िदखने लग, लेिकन मने कभी िकसी व ा को अपने िनव होने क
क पना करते नह सुना था!
उ ह ने अनूठे प से “सुर त” अ यास को कृि म या नक़ली दबाव
के साथ िमला िदया था।
रकॉड के लए बता दँ,ू आगे चलकर वे अपने
मिहला कॉमे डय स म एक बन ।
े क सबसे सफल
म जो मु े क बात कहना चाहता हूँ, वह यह है िक शैडो-बॉ सग का
एक ऐसा प खोज, जो आपके लए काय करता हो।
आसान अ यास से बेहतर कोर िमलता है
जब महान बेन होगन टू नामट गो फ़ िनयिमत प से खेल रहे थे, तो वे
अपने बेड म म एक गो फ़ टक रखते थे और हर िदन अकेले म अ यास
करते थे। वे ब को सही तरीक़े से घुमाते थे और िबना दबाव के िकसी
का पिनक गो फ़ बॉल पर शॉट लगाते थे। जब होगन गो फ़ के मैदान पर
होते थे, तो शॉट लगाने से पहले वे अपनी क पना म सही ग तिव धय से
गुज़रते थे, िफर अपनी मांसपेशीय मृ त पर िव ास करते थे िक यह सही
तरीक़े से शॉट लगा लेगी। आजकल लगभग सभी गो फ़ िनदशक ऐसे
तनावरिहत अ यास और का पिनक अ यास क सलाह देते ह।
शेडो–बॉ सग आ म–अ भ यि
“उ े जत” करती है
को
“ए स ेस” (अ भ य करना) श द का वा तिवक अथ है बाहर क ओर
धकेलना, ज़ोर लगाना, बाहर िदखाना। “इनिहिबट” (संकोच करना) श द
का अथ है दबाना, सीिमत करना। आ म–अ भ यि का अथ वा तिवक
व प क शि य , गुण और यो यताओं को बाहर िनकालना है, िदखाना
है। इसका अथ है अपनी ख़ुद क ब ी जलाना और इसे चमकने देना।
आ म-अ भ यि हाँ क ति या है। संकोच ना क ति या है। यह
आ म-अ भ यि का गला दबा देती है और आपक ब ी बंद या धीमी कर
देती है।
शैडो-बॉ सग म आप आ म-अ भ यि का अ यास करते ह, जबिक
कोई वा तिवक संकोचकारी घटक उप थत न ह । आप सही ग तिव धयाँ
सीखते ह। आप एक मान सक न शा बनाते ह, जो मृ त म क़ायम रहता
है। एक यापक, सामा य, लचीला न शा। िफर, जब आप िकसी संकट का
सामना करते ह, जहाँ कोई वा तिवक जो खम या संकोच का घटक मौजूद
होता है, तो कोई िद क़त नह होती, य िक आपने शां त से और सही
तरीक़े से काय करना सीख लया है। आपक मांसपे शय , नायु और
म त क म उस अ यास का अ तशेष होता है, जो वा तिवक थ त म
छलक जाता है। इससे भी बढ़कर, चूँिक आपने आरामदेह अंदाज़ म और
दबावरिहत थ तय म सीखा है, इस लए आप उस अवसर तक उठ
पाएँ गे, तुरत
ं तैयारी कर पाएँ गे, थ त से व रत तालमेल बैठा पाएँ गे,
सहजता से सही काय कर पाएँ गे। साथ ही आपक शैडो-बॉ सग सही
तरीक़े से और सफलतापूवक आपके काय करने क मान सक त वीर बना
रही है। इस सफल आ म-छिव क याद आपको बेहतर दशन करने म
समथ बनाती है।
ख़ाली बंदक
ू से गोली चलाना
अ छी िनशानेबाज़ी का राज़ है
िप टल रज म नौ स खया अ सर पाएगा िक वह हड गन को आदश तरीक़े
से थर और ग तहीन रख सकता है, जब तक िक वह सचमुच गोली चलाने
क को शश न करे। जब वह िकसी ल य पर ख़ाली बंदक
ू से िनशाना
लगाता है, तो उसका हाथ थर रहता है। जब उसी बंदक
ू म गोली भर दी
जाती है ओर वह कोर करने क को शश करता है, तो उस पर उ े य क
कँपकँपी हावी हो जाती है। बंदक
ू क नली अिनयंि त प से ऊपर-नीचे
होती है, आगे-पीछे होती है, कुछ उसी तरह से जस तरह आपका हाथ
काँपता है, जब आप िकसी सुई म धागा िपरोने क को शश करते ह (देख
अ याय 11)। कई अ छे िप टल कोच सलाह देते ह िक इस थ त से
उबरने के लए ख़ाली बंदक
ू से बहुत सारी टागट शू टग क जाए।
िनशानेबाज़ शां त से और सावधानी से िनशाना साधता है, घोड़ा चढ़ाता है
और हड गन को दीवार पर लगे िनशाने पर चला देता है, शां त से और
जानते-बूझते हुए वह सफ़ इस बात पर यान देता है िक वह कैसे बंदक
ू
थामे है, यह थर है या नह , या वह िटगर को दबा रहा है या हाथ िहल
रहा है। वह अ छी आदत को शां त से सीखता है। कोई उ े य क
कँपकँपी नह है, य िक कोई अ त सावधानी नह है, प रणाम क अ तचता नह है। हज़ार बार इस तरह ख़ाली बंदक
ू चलाने के बाद नौ स खया
पाएगा िक वह भरी हुई बंदक
ू थाम सकता है और उसे सचमुच चला सकता
है। और वह भी, पुराने मान सक नज़ रए को क़ायम रखते हुए। सीखी हुई
शांत ग तिव धय को दोहराते हुए।
शेडो–बॉ सग गद पर हार करने म
आपक मदद करती है
म एक रिववार को यू यॉक के एक उपनगर म एक िम से िमलने गया।
उसका 10 साल का बेटा िबग लीग बेसबॉल का टार बनने के सपने देख
रहा था। उसक फ़ डग पया अ छी थी, लेिकन वह िहट नह कर पाता
था। जब भी उसके िपता लेट के पार बॉल फकते थे, तो लड़का अपनी
जगह पर जम जाता था - और इसे एक फ़ुट से चूक जाता था। मने एक
तकनीक आज़माने का िनणय लया। मने कहा, “तुम बॉल पर हार करने
के लए बहुत अधीर हो और शॉट न लगने क क पना से इतने डर रहे हो
िक तुम बॉल को प ता से देख भी नह पा रहे हो।” उसका तनाव और
चता उसक आँ ख क ि तथा ति याओं के साथ ह त ेप कर रही
थी। उसक बाँह क मांसपे शयाँ उसके म त क के आदेश पर अमल नह
कर रही थ ।
मने कहा, “अगली दस बार तक बॉल को िहट करने क को शश भी
मत करो। ज़रा भी को शश मत करो। अपने बैट को कंधे पर रखो। लेिकन
बॉल को बहुत सावधानी से देखते रहो। जब यह तु हारे डैडी के हाथ से
छूटे, उस समय से इस पर तब तक िनगाह रखो, जब तक िक यह तु हारे
पास से न गुज़र जाए। आराम से ढीले खड़े रहो और बस बॉल को गुज़रते
देखते रहो।”
दस बार अ यास के बाद मने उसे सलाह दी, “अब कुछ समय के लए
बॉल को क़रीब से गुज़रते देखो और बैट अपने कंधे पर ही रखे रहो, लेिकन
ख़ुद यह सोचो िक तुम अपने बैट को इस तरह नीचे लाने वाले हो जससे
यह सचमुच बॉल को मार दे, ठोस तरीक़े से और बीचोबीच।” इसके बाद
मने उसे “इसी तरह से महसूस करने” और बॉल को सावधानीपूवक देखने
तथा बैट को बॉल से टकराते हुए देखने को कहा, जबिक कसकर मारने क
कोई को शश नह करनी थी। लड़के ने बॉल मार दी। इस तरह के कुछ
आसान हार के बाद वह बॉल को बहुत दरू तक मार रहा था और मेरा
आजीवन िम बन गया था।
वह से समेन, जसने “न बेचने” का अ यास िकया
आप “बॉल मारने” क इस तकनीक का इ तेमाल बेचने, सखाने या
िबज़नेस चलाने म भी कर सकते ह। एक यव
ु ा से समैन ने मुझसे शकायत
क िक जब वह संभािवत ाहक से िमलने जाता था, तो वह बफ़ क तरह
जम जाता था। उसक एक बड़ी सम या यह थी िक वह संभािवत ाहक क
आप य का सही तरीक़े से जवाब नह दे पाता था। “जब कोई संभािवत
ाहक कोई आप उठाता है या मेरे ॉड ट क आलोचना करता है, तो
मुझे उस व त एक भी बात याद नह आती है,” उसने कहा। “बाद म म
उस आप से िनबटने के सभी तरह के अ छे तरीक़े सोच सकता हूँ।”
मने उसे शैडो-बॉ सग और उस ब े के बारे म बताया, जसने बैट को
कंधे पर रखकर बॉल को अपने पास से गुज़रने देकर िहट करना सीखा था।
मने संकेत िकया िक बेसबॉल को मारने या तुरत
ं कुछ सोचने के लए अ छी
ति याओं क ज़ रत होती है। आपके वच लत सफलता मेकेिन म
को समु चत और वच लत प से ति या करनी होती है। प रणाम के
लए बहुत यादा तनाव, बहुत यादा ेरणा या बहुत यादा चता से
मेकेिन म जाम हो जाता है। “बाद म आप सही जवाब सोच लेते ह, य िक
तब आप तनावरिहत होते ह और दबाव हट जाता है। हाल-िफ़लहाल
आपक मु कल यह है िक आप ज दी से और सहजता से उन आप य
पर ति या नह कर पा रहे ह, जो आपके संभािवत ाहक आपक ओर
उछालते ह। दस
ू रे श द म, आप उस बॉल को नह मार पा रहे ह, जो
संभािवत ाहक आपक ओर फकता है।”
मने उससे कहा िक सबसे पहले तो वह कुछ का पिनक मुलाक़ात का
अ यास करे। वह क पना करे िक वह सचमुच अंदर जा रहा है, संभािवत
ाहक को अपना प रचय दे रहा है, अपनी से स ज़टेशन दे रहा है। िफर
उसे हर संभव आप
क क पना करनी थी, चाहे यह िकतनी ही
घुमावदार य न हो। इसके बाद उसे उस आप का पुरज़ोर जवाब देने
क क पना करनी थी। क पना क त वीर बनाने के बाद उसे िकसी
वा तिवक ाहक पर इसका अ यास करना था और “अपने बैट को कंधे
पर ही रखना था।” जहाँ तक उ े य का मामला था, उसे “ख़ाली बंदक
ू ”
लेकर अंदर जाना था। उसे यह नह मानना चािहए िक उस से स इंटर यू
का उ े य बेचना है। उसे ख़ुद को तैयार करना था िक ऑडर न िमलने पर
वह संतु महसूस करेगा। उस कॉल का उ े य पूरी तरह से अ यास होगा “कंधे पर बैट,” “ख़ाली बंदक
ू ” का अ यास।
उसके ख़ुद के श द म, इस शैडो-बॉ सग ने “चम कार कर िदया।”
जब म यव
ु ा मे डकल टु डट था, तो मुद पर शैडो-बॉ स ऑपरेशन
िकया करता था। इस िबना दबाव के अ यास ने मुझे तकनीक तो सखाई
ही, उससे कह अ धक सखाया। इसने एक भावी सजन को शां त,
िवचारशीलता, प सोच सखाई, य िक उसने इन सभी चीज़ का
अ यास एक ऐसी थ त म कर लया था, जो करो-या-मरो क नह थ ,
जीवन-मरण क नह थ ।
अपने “ नायओ
ु ”ं से अपनी ख़ा तर काय कैसे कराएँ
ाइ सस (संकट) श द एक यूनानी श द से आया है, जसका शा दक
अथ है िनणायकता या िनणय का बद।ु
संकट िकसी दोराहे क तरह होता है। एक राह बेहतर थ त का वादा
थामे है, दस
ू री राह बदतर थ त का। चिक सा म संकट वह दोराहा होता
है, जहाँ आने के बाद रोगी क थ त या तो बदतर हो जाती है और वह मर
जाता है या िफर उसक थ त बेहतर हो जाती है और वह ठीक हो जाता
है।
इस तरह, हर संकट क थ त दोतरफ़ा होती है। जो रलीफ़ िपचर
खेल म नव पारी म बराबर कोर पर जाता है और बेस पर तीन आदमी
होते ह, वह हीरो बनकर त ा अ जत कर सकता है या िफर मैच हराने
वाला खलनायक बन सकता है। ू केसी सभी यगु के सबसे सफल और
शांत रलीफ़ िपचस म से एक थे। एक बार उनसे पूछा िकया िक जब उ ह
संकट क थ त म मैच म भेजा जाता था, तब वे या सोचते थे।
उ ह ने जवाब िदया, “म हमेशा इसी बारे म सोचता था िक म या
करने वाला हूँ और म या घिटत होते देखना चाहता हूँ । म यह नह
सोचता िक बैट वाला यि
या करने वाला है या मेरे साथ या हो सकता
है।” उ ह ने कहा िक वे इस बात पर यान कि त करते थे िक वे या होते
देखना चाहते ह, वे महसूस करते थे िक वे ऐसा कर सकते ह और आम तौर
पर वे कर भी देते थे।
यही नज़ रया िकसी भी संकटकालीन थ त म अ छी ति या
करने क एक और मह वपूण कंु जी है। अगर हम एक आ ामक नज़ रया
क़ायम रख सक, जो खम और संकट पर नकारा मकता के बजाय
आ ामकता से ति या कर सक, तो यही थ त उ ेजना के प म
काय करके अ य शि य को मु कर सकती है।
अपने ल य को िदमाग़ म रख
इस सबका सार यह है िक ल य-कि त बन। आप अपने सकारा मक ल य
को िदमाग़ म रखते ह। आप अपने ल य को हा सल करने के लए संकट के
अनुभव से गुज़रने का इरादा रखते ह। अगर आप यह कर सक, तो
संकटकालीन थ त अपने आप म एक उ ेजना क तरह काय करती है,
जो ल य हा सल करने म आपक मदद करने के लए अ त र शि
ै ा करा देती है । वा तव म, कई मामल म जो संकट के प म शु
मुहय
होता है, वह सकल उ े य क ओर स ी ग त के एक और अवसर के प
म ख़ म होता है।
म एक बार एक मिहला से िमलने गया, जसने एक बहुत संकट त
ग़रीब इलाक़े के हाई कूल क
सपल के प म बागडोर थामी थी। उस
व त िकसी मिहला का “पु ष के काम” म होना बहुत असाधारण था। वे
सम याओं म गहराई तक डू बी हुई थ । श क हौसला छोड़ चुके थे और
अपया संसाधन से जैसे-तैसे काय चला रहे थे। ब े सीखने म ज़रा भी
च नह लेते थे। यही नह , अपराध और हसा भी आम थे। उ ह ने मुझे
बताया िक हर िदन “संकट से भरा” रहता था। इस पद पर पहुँचने के (म
यह भी जोड़ सकता हूँ िक इसके लए बहुत कम त पधा थी) दो साल
बाद ही उ ह ने इस कूल का नाटक य कायाक प कर िदया। ब क
उप थ त बढ़ गई थी, ेड के औसत सुधर गए थे, “बुरे सेब” हटा िदए गए
थे, असली श ण ( सफ़ िदमाग़ म बेजान ान भरना नह ) हो रहा था। यह
प रवतन इतना उ ेखनीय था िक दरू -दरू के शहर के कूल शासक इस
कूल को देखने और इस सपल से परामश लेने के लए आ रहे थे। एक
बार िफर, यह बहुत उ ेखनीय था, य िक 1960 के दशक के अंत म एक
मिहला इस कायाक प क क ानी कर रही थी।
जब मने उनसे पूछा िक वे िदन त िदन इस प रवेश के िनमम तूफ़ानी
मौसम को कैसे झेल पाई ं, तो उ ह ने बताया िक वे ख़ुद को याद िदलाती
रह िक हर संकट उनके अं तम उ े य से जुड़ी कोई चीज़ हा सल करने का
अवसर पेश करता था। हर सम या को सुलझाना िकसी श क या िव ाथ
के िव ास या स मान को हा सल करने का अवसर था। और उ ह ने ख़ुद
को बताया िक वे इन अवसर का इ तेमाल ईट के प म करगी और एक
बार म एक-एक ई ंट करके कूल कही जाने वाली इस अिनयंि त संरचना
पर अपने भाव और िनयं ण को बनाएँ गी। िकसी ख़ास बुरे िदन के अंत म
वे मन म वीकार करती थ िक कुछ ई ंट जो वे सोचती थ िक सही तरीक़े
से लग गई ह, जगह से बाहर हटा दी गई थ , लेिकन इसका बस यह मतलब
था िक उ ह उन ईट को दोबारा जमाना होगा और अगले िदन एक और ईट
क ज़ रत है। जब उनके ऑिफ़स म संकट का िव फोट हो जाता था, तो
वे ख़ुद से यह नह पूछती थ िक इसे कैसे सुलझाना है। वे तो ख़ुद से यह
पूछती थ िक इसे इस तरह कैसे सुलझाना है तािक यह उनके सपन के
कूल के एक क़दम क़रीब पहुँचा सके। उ ह ने मुझे बताया, “यह मेरे िदमाग़
म एक च -खंड पहेली जैसा था। मेरे पास ड बे पर बनी एक त वीर थी,
जो मुझे बता रही थी िक पूरा होने पर यह कैसा िदखेगा। िफर मने इन सभी
अलग-अलग, ततर-िबतर टु कड़ का ढेर बना लया। अ धकतर व त मुझे
अगले टु कड़े क िव धवत खोज नह करनी पड़ती थी। कोई टु कड़ा छलाँग
लगाकर ढेर से बाहर िनकल आता था और माँग करता था िक म इसे पहेली
म सही जगह पर लगा दँ।ू कई बार तो वह टु कड़ा आग म जल रहा होता था
और उसका इ तेमाल करने से पहले उसे बचाने क ज़ रत होती थी। कई
बार यह तड़क रहा होता था और उसे टेप से जोड़ने क ज़ रत होती थी।
लेिकन इसके बावजूद एक-एक टु कड़ा करके म पहेली पूरी करती रही।
चतुराई भरी बात यह थी िक ड बे को क़रीब रखा जाए तािक पूरी त वीर
िदखती रहे और नज़र से ओझल न हो।”
अगर आप उनके अनुभव और उनक नी त बताने म इ तेमाल िकए
श द के बारे म सोच, तो आप प ता से देख सकते ह िक वे एक ेशरकुकर जैसी थ त म संतुलन लाने के लए साइको साइबरनेिट स पर
बहुत यादा िनभर रही थ ।
लेक ने कहा है िक भावना का उ े य कमज़ोरी क िनशानी बनने के
बजाय “सु ढ़ीकरण” या अ त र शि देना है। उनका मानना था िक
सफ़ एक ही बुिनयादी भावना - रोमांच - क थी। वे मानते थे िक रोमांच ही
ख़ुद को डर, ोध, साहस आिद के प म कट करता है, जो इस बात पर
िनभर करता है िक उस व त के हमारे आं त रक ल य या ह, िक हम अंदर
से िकसी सम या को जीतने, उससे दरू भागने या उसे न करने के बारे म
सोच रहे ह।
“असल सम या भावना को िनयंि त करने क नह है, ब क इस
चयन को िनयंि त करने क है िक कौन सी वृ भावना मक प से
सु ढ़ होगी।” ( े कॉट लेक से फ़ क स टसी अ योरी ऑफ़ पसनै लटी
, यू यॉक, आइलड ेस)
अगर आपके इरादे या आपके नज़ रए का ल य आगे बढ़ना है, अगर
यह संकट क थ त का अ धकतम लाभ उठाना है और इसके बावजूद
जीतना है, तो अवसर का रोमांच इस वृ को मज़बूत बनाएगा । यह
आपको आगे बढ़ने का अ धक साहस, अ धक शि देगा। यिद आप अपने
मूल ल य को ओझल कर देते ह और आपके नज़ रए का ल य संकट से
दरू भागने का बन जाता है, इससे कतराते हुए िकसी तरह इसके पार जाना
होता है, तो दरू भागने वाली वृ मज़बूत बनेगी और आपको डर व चता
का अनुभव होगा।
रोमांच को डर मानने को ग़लती न कर
कई लोग ने रोमांच क भावना को हमेशा डर और चता मानने क ग़लती
क है और इस लए वे इसे अयो यता का सबूत मान बैठे ह।
जो भी सामा य यि
थ त को समझने लायक़ बु मान है, वह
संकट क थ त के ठीक पहले हमेशा रोमां चत होता है या घबराता है।
जब तक िक इसे िकसी ल य क ओर िदशा न दी जाए, यह रोमांच न तो
डर, चता, साहस, िव ास, न ही कुछ और होता है, बस आपके बॉइलर म
भावना मक भाप क एक बढ़ी हुई, सु ढ़ीकृत आपू त भर होता है। यह
कमज़ोरी क िनशानी नह है। यह तो अ त र शि का संकेत है, जसका
इ तेमाल आप जैसे चाह वैसे कर सकते ह।
नु ख़ा
डर, चता या घबराहट के संदभ म सोचना छोड़ द और सफ़ रोमांच
के संदभ म ही सोच। आप जो भी करते ह , यह जान ल िक
पॉटलाइट म क़दम रखने से पहले थोड़ा रोमांच हमेशा अ छा रहता
है।
अनुभवी अ भनेता जानते ह िक दशन से ठीक पहले रोमांच क यह
भावना एक अ छा संकेत है। उनम से कई मंच पर जाने से पहले जानबूझकर ख़ुद को भावना मक प से रोमां चत करते ह। मुझे बताया गया है
िक कई साल तक द टु नाइट शो क मेज़बानी करने के बाद भी जॉनी कासन
मंच के पीछे इतने “उ े जत” हो जाते थे िक कई बार तो वे पद खुलने और
अपने शु आती एकालाप को बोलने से पहले मतली जैसा महसूस करते थे।
कैवेट रॉबट ग़ज़ब के इंसान थे और कई बरस तक से स संगठन के सामने
अमे रका के सबसे ि य व ाओं म से एक थे। साथ ही वे नेशनल पीकस
एसो सएशन के सं थापक भी थे। वे कहा करते थे, “अपने पेट म उड़ने
वाली तत लय से छुटकारा पाने क को शश न कर। बस उ ह मब
तरीक़े से उड़ाएँ ।”
कई लोग घुड़दौड़ म अपने दाँव इस आधार पर लगाते ह िक कौन सा
घोड़ा पो ट पर जाने से ठीक पहले सबसे यादा घबराया हुआ िदखता है।
श क भी जानते ह िक जो घोड़ा िकसी रेस के ठीक पहले घबराया हुआ
या जोशपूण होता है, वह सामा य से बेहतर दशन करेगा। “जोशपूण” एक
अ छा श द है। जो रोमांच आप संकट क थ त से ठीक पहले महसूस
करते ह, वह जोश का संचार है और आपको इसक ऐसी ही या या करनी
चािहए। आपको इससे छुटकारा पाने क ज़ रत नह है। आपको तो इसे
इस तरह एकजुट करने क ज़ रत है, तािक यह शि आपके लाभ के लए
काम आए।
वा तव म, इस रोमांच के अभाव क अलग तरह क सम याएँ हो
सकती ह। कुछ समय पहले म हवाई जहाज़ म एक यि से िमला, जससे
म कई साल से नह िमला था। बातचीत के दौरान मने पूछा िक या वे अब
भी उतने ही सावजिनक भाषण देते ह, जतने िक पहले देते थे। उ ह ने
कहा, हाँ। वा तव म उ ह ने नौकरी बदल ली थी, तािक वे अ धक भाषण दे
सक और अब वे हर िदन कम से कम एक सावजिनक भाषण देते थे।
सावजिनक भाषण के त उनका ेम जानने के कारण मने िट पणी क िक
यह अ छा था िक उनके पास ऐसा काय था। उ ह ने कहा, “हाँ, एक तरह
से यह अ छा है। लेिकन दस
ू री तरह से यह इतना अ छा नह है। म अब
कई भाषण उतने अ छे नह देता, जतने िक पहले देता था। म इतनी बार
बोलता हूँ िक इसक आदत पड़ गई है और अब मुझे अपने पेट म उस तरह
क रोमांचक भावना महसूस नह होती, जो मुझे बताती है िक म अ छा
दशन करने जा रहा हूँ।”
कई लोग िकसी मह वपूण ल खत परी ा के दौरान इतने रोमां चत हो
जाते ह िक वे प ता से नह सोच पाते ह या अपने हाथ म पेन भी थरता
से नह पकड़ पाते ह। दस
ू रे लोग इ ह प र थ तय म इतने उ े जत हो
जाते ह िक वे अपनी सामा य यो यता से ऊपर जाकर दशन करते ह;
उनका िदमाग़ सामा य से बेहतर और यादा प ता से काय करता है;
उनक मृ त अ धक ती ण हो जाती है। फ़क़ रोमांच से नह पड़ता है, फ़क़
तो इससे पड़ता है िक उसका कैसा इ तेमाल िकया जाता है ।
सबसे बुरा या हो सकता है?
कई लोग म उस संभािवत सज़ा या असफलता को बुरी तरह बढ़ा-चढ़ाकर
देखने क वृ होती है, जो संकट क थ त के कारण उ प हो सकती
है। हम अपनी क पना का उपयोग अपने ख़लाफ़ करने लगते ह और राई
का पहाड़ बना लेते ह। या िफर हम अपनी क पना का ज़रा भी उपयोग यह
देखने म नह करते ह िक थ त वा तव म या है। हम तो आदतन और
िबना सोचे-समझे ति या करते ह, मानो छोटे-छोटे अवसर या जो खम
जीवन-मरण का मामला ह ।
अगर आपने कभी डेटाइम टीवी सोप ओपेराज़ देखे ह , और म
वीकार करता हूँ िक मने देखे ह, तो आप इन सभी काय म म एक साझा
सू देख सकते ह : संकट के बाद संकट, संकट के बाद संकट। इन नाटक
म हर घटना संकट से भरी होती है और हर पा बहुत अ तशयोि पूण
भावनाओं से ति या करता है। डेटाइम नाटक िकसी ओवरए टग करने
वाले अयो य ए टर का आदश िठकाना है। आप नह चाहते िक आपका
जीवन इनम से िकसी सोप ओपरा म बदल जाए, जहाँ हर घटना, चाहे वह
छोटी हो या बड़ी, भारी-भरकम रोमांच क जननी हो। आ ख़र, अगर
दघ
ु टना म सफ़ ब पर मुड़ा है, जससे आपको सफ़ असुिवधा हुई है, तो
यह उसी ेणी या रोमांच के तर क नह है, जतनी िक वह दघ
ु टना, जो
आपको या दस
ू र को घातक चोट के साथ अ पताल भेजती हो। िकसी
सोप ओपेरा म दोन ही दघ
ु टनाएँ बराबर मानी जाती ह। आप अ धक
समझदार हो सकते ह।
मने एक बार एक मिहला को परामश िदया, जो अपने जीवन और उसम
रहने वाले हर यि से बुरी तरह दख
ु ी थी। एक भी िदन ऐसा नह गुज़रता
था, जब िकसी बात पर उ े जत होने क वजह से उसक उसके प त,
भाई-बहन या पड़ोसी से कटु बहस न होती हो। इन िववाद का उसका
वणन उतना ही नाटक य था, जसक क पना सोप ओपेरा का कोई
पटकथा लेखक कर सकता था। वह छोटी से छोटी सम या को भी
महाका य के तर का संकट मानती थी। सबसे छोटा अनादर भी उसक
ग रमा पर भीषण हार जैसा लगता था। वह तो ख़राब मौसम को भी िदल
पर ले लेती थी। गलीचे पर थोड़ा सा पानी छलक जाने पर उसे ऐसा लगता
था, जैसे घर म बाढ़ आ गई हो। वह डामा वीन बन गई थी। ऐसे लोग हर
जगह मौजूद होते ह - वैवािहक समारोह म, द तर म, राजनी तक हलक
म - और वे ख़ुद के तथा अपने आस-पास के हर यि के लए हािनकारक
होते ह। घटनाओं और दस
ू रे लोग के यवहार पर जब भारी रोमांच क
अनु चत ति या हो, तो इंसान हर थ त म सुलगे हुए बम जैसा होता है।
लेिकन याद रख, जहाँ तक उस मिहला का
है, उसके लए उसका अ त
रोमांच एक आदश और सही ति या है, जसे बदलने के लए उसक
आ म-छिव पर बुिनयादी काय करने क ज़ रत होगी।
अगर आप वा तिवक सकंट का सामना करते ह, तो आपको बहुत से
रोमांच क ज़ रत है। संकट क थ त म रोमांच का अ छा इ तेमाल
िकया जा सकता है। बहरहाल, अगर आप ख़तरे या मु कल का अ त
आकलन कर लेते ह, अगर आप दोषपूण, िवकृत या अयथाथवादी
जानकारी पर ति या करते ह, तो इस बात क संभावना है िक आप
अवसर के िहसाब से कह अ धक रोमांच एकि त कर लगे। चूँिक वा तिवक
जो खम आपके आकलन से कह कम है, इस लए इस सारे रोमांच का
इ तेमाल सही तरीक़े से नह हो सकता। सृजना मक काय के ज़ रए इससे
मु नह हुआ जा सकता। इस लए यह आपके भीतर बोतल म बंद बना
रहता है, जैसे िक घबराहट। भावना मक रोमांच क अ धकता दशन म
मदद करने के बजाय नुक़सान पहुँचा सकती है, सफ़ इस लए य िक यह
अनु चत है।
दाशिनक और ग णत बरटड रसल एक तकनीक के बारे म बताते ह,
जसका इ तेमाल वे अ य धक रोमांच को कम करने के लए और अपने
लाभ के लए करते थे :
जब िकसी दभ
ु ा य का जो खम होता है, तो गंभीरता से और जान-बूझकर िवचार कर िक
वह सबसे बुरी चीज़ या है जो संभवतः हो सकती है। इस संभािवत दभ
ु ा य को ठीक
सामने रखकर ख़ुद को यह सोचने के ठोस कारण द िक आ खरकार यह इतनी भयानक
िवपदा नह है। ऐसे कारण हमेशा मौजूद होते ह, य िक सबसे बुरी थ त म भी जो
िकसी के साथ होता है, उसका कोई वै क मह व नह होता। जब आप कुछ समय के
लए सबसे बुरी संभावना को एका होकर देख ल और ख़ुद से वा तिवक िव ास के
साथ कह ल, “आ ख़रकार यह बहुत यादा मायने नह रखेगा,” तो आप पाएँ गे िक
आपक चता असाधारण प से काफ़ कम हो जाती है। इस ि या को कई बार
दोहराने क आव यकता हो सकती है, लेिकन अगर आप सबसे बुरे संभव मु े का
सामना करने म ज़रा भी कामचोरी नह करते ह, तो अंततः आप पाएँ गे िक आपक
चता पूरी तरह िमट जाती है और इसक जगह पर एक िक़ म का आनंद भाव आ जाता
है। (बरटड रसल, द कॉ वे ट ऑफ़ है पीनस )
म मानता हूँ िक ऐसे यि क आ म-छिव रखना भी मह वपूण है, जो
संकट पर अ छी ति या करता है और िवप म अवसर खोजने म
अ सर सफल होता है। जो यि ख़ुद को “आपातकालीन थ त म
अ छा नह ।” मानता है, वह बरटड रसल क सलाह से यादा लाभ नह
ले सकता।
जीवन लंबा होता है
कई लोग छुटपुट या का पिनक जो खम क वजह से भी िदशा से दरू हट
जाते ह, य िक वे उनक या या जीवन-मरण या करो-या-मरो क
थ तय के प म करने पर ज़ोर देते ह।
मान ल, कोई िकशोरी अपने बॅायफ़ड को या जस लड़के को वह
अपना गलफ़ड बनाना चाहती है, उसे िकसी दस
ू री आकषक लड़क के
साथ बैठे हुए और हँसकर बात करते हुए देख लेती है, तो उसके लए यह
जीवन-मरण जतनी मह वपूण बात हो जाती है। वह कहती है, “म बस
मरना चाहती हूँ!” हम सभी जानते ह िक उस पल के कुछ साल बाद उसे न
तो वह घटना याद रहेगी, न ही वह बॅायफ़ड याद रहेगा। जीवन लंबा होता
है। लेिकन कई वय क जीवन भर िकशोर जैसा बताव करते रहते ह। कई
लोग बहुत छुटपुट या का पिनक जो खम पर भी “िदशा से भटकने” क
ख़ुद को अनुम त देते ह, य िक वे उनक या या जीवन-मरण या करोया-मरो क थ तय के प म करने पर ज़ोर देते ह।
िकसी मह वपूण संभािवत ाहक से िमलने जा रही से स ोफ़ेशनल
इस तरह काय कर सकती है, मानो यह जीवन-मरण का मसला हो। वह
ख़ुद से कहती है, अगर म इस अकाउं ट को नह बेच पाई, तो मेरी महीन
क को शश पर पानी िफर जाएगा। म अपना ल य पूरा नह कर पाऊँगी।
मुझे बोनस नह िमल पाएगा और म अपने प त को कैसे बताऊँगी िक हम
उन छुि य पर नह जा सकते, जनक हमने योजना बनाई थी? मेरा से स
मैनेजर मेरे से स के े म कटौती कर सकता है। आिद-आिद। एक
अपॉइंटमट धरती के िहलने जतना मह वपूण बन जाता है। बहरहाल, एक
साल बाद ऐसे पराजय के मौक़े ठोस सफलताओं से बराबर हो जाएँ गे,
िक़ मत के िदए सुअवसर ारा भी, जनक बदौलत नए अकाउं ट िमलते ह
या अ या शत ोत से यादा बड़े ऑडर िमलते ह। यिद यह जीवनमरण वाली से स कॉल माच म होती है, तो ि समस तक यह अतीत क
ग तिव ध क धुँधली याद भर रह जाएगी और पूरे से स क रयर म इसका
ज़रा भी मह व नह रह जाएगा। जीवन लंबा होता है।
शायद यह जीवन-मरण क भावना, जो कई लोग िकसी भी तरह क
संकट क थ त म महसूस करते ह, हमारे धुँधले और दरू थ अतीत क
िवरासत है, जब आिदम मनु य के लए असफलता का मतलब आम तौर
पर मृ यु होता था।
इसका उ म चाहे जो हो, बहुत से रोिगय के अनुभव ने िदखाया है िक
इसका इलाज शां त और ता कक प से थ त का िव ेषण करके िकया
जा सकता है। िबना सोचे-समझे, अंध क तरह और अता ककता के साथ
ति या करने के बजाय ख़ुद से पूछे, “अगर म असफल होता हूँ, तो
सबसे बुरा या हो सकता है?” ख़ुद को याद िदलाएँ िक “जीवन लंबा होता
है” और पहले से ही 20/20 क ि वाला ि कोण खोज।
पदा दस
ू रे अंक म उठे गा
क़रीबी जाँच से पता चलेगा िक रोज़मरा क तथाक थत संकट क
अ धकतर थ तयाँ जीवन-मरण का मामला नह होत , ब क अवसर
होती ह, या तो आगे बढ़ने का या उसी जगह पर बने रहने का। िमसाल के
तौर पर, से सपसन के साथ सबसे बुरा या हो सकता है? उसे या तो
ऑडर िमल जाएगा और वह पहले से बेहतर थ त म होगी या िफर उसे
ऑडर नह िमलेगा और वह उससे बुरी थ त म नह होगी, जब वह ाहक
से िमलने गई थी। आवेदक को या तो नौकरी िमल जाएगी या नह िमलेगी।
यिद वह इसे पाने म असफल रहता है, तो वह उसी पद पर रहेगा, जस पर
वह आवेदन करने से पहले था।
बहुत कम लोग को यह एहसास होता है िक नज़ रए का इतना सरल
प रवतन िकतना शि शाली हो सकता है। मेरी जान-पहचान के एक
से सपसन ने अपनी आमदनी दोगुनी कर ली, जब उसने अपना नज़ रया
डरे हुए और दहशत भरे ि कोण (“इस पर हर चीज़ िनभर करती है”) से
बदलकर यह कर लया, “मेरे पास पाने के लए सब कुछ है और खोने के
लए कुछ नह है।”
महान अ भनेता वॉ टर िपजन ने बताया था िक उनका पहला
सावजिनक दशन पूरी तरह से लॉप रहा था। वे बुरी तरह घबराए हुए थे।
बहरहाल, पहला अंक समा होने के बाद उ ह ने ख़ुद को समझाया िक वे
पहले ही असफल हो चुके ह, इस लए उनके पास खोने के लए कुछ नह
था। अब अगर वे पूरी तरह अ भनय करना छोड़ द, तो वे अ भनेता के प
म पूरी तरह असफल हो जाएँ गे, इस लए उ ह दोबारा मंच पर जाने के बारे
म चता करने क दरअसल कोई ज़ रत ही नह थी। दस
ू रे अंक म वे
तनावरिहत और आ मिव ासी होकर गए तथा ज़बद त िहट हुए।
ऐसा लगता है िक अगर आप शां तपूवक ख़ुद को सु यव थत कर ल,
तो दस
ू रा अंक हमेशा आपका इंतज़ार करता है, तािक आप उससे लाभ
उठाएँ ।
एक व त था, जब फ़क सना ा का क रयर इतने रसातल म था िक वे
काम नह ढू ँ ढ़ पा रहे थे। बहुत कम लोग को इसक याद है और सना ा को
एक िद गज के प म ही याद िकया जाता है। जॉज फ़ोरमैन ने बॉ सग पूरी
तरह छोड़ दी थी, धम चारक के प म जूझ रहे थे और अपने प रवार को
भोजन कराने के लए पया पैसे कमाना उनके लए एक बड़ी सम या थी।
जब वे बॉ सग म दोबारा लौटे, तो उनक खुलकर हँसी उड़ाई गई और
ताने कसे गए। उनके पहले अंक म उनका यि व इतना अि य था िक
उनके मी डया म बहुत कम िम थे। वे इस बारे म बात करते ह िक िकस
तरह उ ह ने जान-बूझकर अपनी वापसी एक बहुत अलग यि व से क ।
दस
ू रे अंक के अंत तक वे एक मू यवान खेल यि व बन गए, पुराने खोए
हुए बॉ सर नह रह गए। और वे बेहद सफल हुए। अंततः वे वा ण यक
व ा, सावजिनक व ा और खेल कमटेटर के प म अपनी ज़बद त
लोकि यता के चलते िम लयनेअर बन गए। इसी तरह, िकचन उपकरण
क एक छोटी कपनी एक िद गज कपनी म बदल गई। यह 1995 के बाद
बहुत कम समय म जॉन फ़ोरमैन ारा टीवी इनफ़ोम शय स और टीवी होम
शॉ पग चैन स म इसके ॉड स के “ चार” क वजह से हुआ। रे जस
िफ़ बन टीवी कारोबार के आस-पास घूमे थे और उ ह ने बीस साल तक
अलग-अलग बाज़ार म अ धकतर थानीय टॉक शो क ही मेज़बानी क
थी। आलोचक उ ह उ ोग का एक छोटा खलाड़ी मानते थे, लेिकन िफर
उ ह ने अपना स डकेटेड मॉ नग शो तैयार िकया और बेहद लोकि य “हू
वॉ स टु बी ए िम लयनेअर?” हो ट िकया, जससे वे बड़े खलाड़ी बन गए
और इसक बदौलत उ ह एबीसी के साथ 2 करोड़ डॉलर का अनुबध
ं
हा सल हुआ। उनके इस दस
ू रे अंक ने उनके पहले गुज़रे बीस साल को
अ ासंिगक बना िदया। पूव रा प त जमी काटर अ धकतर मापदंड पर
एक असफल और मु कल रा प त व काल से गुज़रे। पहले कायकाल के
बाद उ ह भारी पराजय का सामना करना पड़ा और वे बहुत िनराशा क
अव था म छोटे क़ बे ले स, जॉ जया म पैर के बीच दम
ु दबाकर लौटे।
लेिकन उनका दस
ू रा अंक उ ह त ा, ऊँचाई, भाव और सभी प के
स मान क ओर ले गया। कई इ तहासकार मानते ह िक वे अमे रका के
“सव े पूव रा प त” रहे ह।
हम ऐसे मशहूर लोग के जीवन के “दस
ू रे अंक” के बारे म पढ़ सकते ह,
लेिकन इस त य को नज़र से ओझल न होने द िक अ धकतर सफल
लेिकन ग़ैर-मशहूर लोग के भी दस
ू रे अंक होते ह। कई समृ यवसा यय
के अतीत म कारोबारी िदवा लयापन होता है, जो उस व त अपमानजनक
लग रहा था और जीवन-मरण जतना मह वपूण िदख रहा था। िकसी
वय क बेटे या बेटी के साथ अ छे संबध
ं वाले संतु अ भभावक को एक
बहुत मु कल भरे दौर से गुज़रना पड़ा, जब र ता टू टने क कगार पर लग
रहा था। आज जो लोग सुखद प से िववािहत ह, उनम से कई के अतीत
म बहुत बुरी तरह असफल िववाह और कटु तलाक़ भी रहे ह।
अ धकतर मामल म, आज का संकट एक लंबे जीवन इ तहास म एक
छोटा “ह त ेप” भर होता है। आज अगर पहला अंक है, तो कल दस
ू रा
अंक तुरत
ं आ जाएगा। इस स ाह अगर पहला अंक है, तो अगले सोमवार
से दस
ू रा अंक शु हो जाएगा। स ी ासदी के मामले म भी, दस
ू रा अंक
समय के साथ पटकथा लखे जाने और अ भनीत िकए जाने का इंतज़ार
कर रहा है।
सबसे बढ़कर यह याद रख िक िकसी भी संकट क थ त म कंु जी
आप ही ह। इस अ याय क सरल तकनीक को सीख और अ यास कर।
आप भी सैकड़ लोग क तरह यह सीख सकते ह िक संकट को एक
सृजना मक अवसर बनाकर उससे अपने प म काय कैसे कराया जाए।
मान सक
श ण अ यास
20/20 क ि ारा दरू द शता का प रचय देना आपक क पना का
एक और बेहद मू यवान व सृजना मक इ तेमाल है। ठहर और अपने
अतीत क कुछ थ तय को याद कर, जो उस व त बहुत गंभीर और
धरती िहलाने वाले प रणाम जैसी लग रही थ , लेिकन समय के साथ
मह वहीन सािबत हुई। िफर ख़ुद को भिव य म तीन, चार या पाँच
साल आगे ले जाएँ और आज क घटना को देखकर िवचार कर िक
तब आप इस बारे म कैसा महसूस करगे और इसका आपके जीवन पर
िकतना भाव पड़ेगा।
अ याय चेौदह
“उस िवजेता भावना” को कैसे पाएँ और
क़ायम रख
असफलता का दौर? म िकसी असफलता क दौर से नह गुज़र रहा हूँ… म
तो बस गद पर हार नह कर पा रहा हूँ।
-योगी बेरा
शि शाली सव -मेकेिन म दरू दश है। यानी यह ल य और
आ पका
अं तम प रणाम के संदभ म काय करता है। एक बार जब आप इसे
हा सल करने के लए कोई िन त ल य दे देते ह, तो आप इसके वच लत
मागदशन तं पर िनभर रह सकते ह िक यह आपको ल य तक उससे कह
बेहतर तरीक़े से ले जाएगा, जतना िक आप चेतन िवचार से कभी पहुँच
सकते थे। आप चेतन िवचार करके अं तम प रणाम का ल य दान करते
ह। िफर आपका वच लत मेकेिन म उस ल य को पाने के साधन दान
करता है। अगर आपक मांसपे शय को अं तम प रणाम लाने के लए िकसी
िव श ग त का दशन करने क ज़ रत है, तो आपका वच लत
मेकेिन म आपके चेतन िवचार के मुक़ाबले कह अ धक सटीकता और
आदश तरीक़े से मागदशन देगा। अगर आपको िवचार क ज़ रत है, तो
आपका वच लत मेकेिन म उ ह दान करेगा। कई लोग तो यहाँ तक
मानते ह िक अगर आपको संपक क ज़ रत है, तो आपका सव मेकेिन म चुंबक क तरह उ ह भी आक षत कर सकता है।
इसक शि य का दायरा जो भी हो, एक बात तो तय है - अगर इसे
िदशा न दी जाए, तो यह उन दा, आलसी और सुषु पड़ा रहता है। “सव ”
श द पर ग़ौर कर; यह आपका सेवक है। अगर आदेश न िदया जाए, तो या
महल के सेवक सफ़ अपनी पहलशि के दम पर और महल के मा लक क
इ छाओं को भाँपकर चाँदी के बतन को चमकाएँ गे, चाय-ना ता तैयार करगे
या कपड़ पर ेस करगे? इस पर भरोसा न रख। इसके अलावा, अगर
सेवक न समझ आने वाली केवल एक िवदेशी भाषा म बोलते ह और
मा लक सफ़ अँ ेज़ी बोलता हो, जो सेवक को समझ नह आती है, तो
िकतना काय हो पाएगा? आपने देखा, साइको साइबरनेिट स भाषा क
अनुवादक भी है, तािक और वह आपक बात समझ सके। इसके अलावा,
साइको साइबरनेिट स “िकए जाने वाले काय क सूची” संबध
ं ी िनदश को
यव थत करने वाला साधन भी है, जो आप अपने अंद नी सेवक को देते
ह, तािक वे पूरे हो जाएँ ।
संभावनाओं के संदभ म सोच
आपको ल य दान करना होगा। और यिद आप अपने सृजना मक
मेकेिन म को सि य करने म स म ल य दान करना चाहते ह, तो उसके
लए आपको वतमान सभावना क सदभ म अं तम प रणाम के बारे म
सोचना होगा। ल य क संभावना इतनी प िदखनी चािहए िक यह आपके
म त क और तंि का तं के लए वा तिवक बन जाए। वा तव म, इतनी
प िक वही भावनाएँ जा त हो जाएँ , जो ल य सचमुच हा सल होने पर
होत ।
यह उतना मु कल या रह यमय नह है, जतना िक पहली नज़र म
लगता है। आप और म हर िदन यही तो करते ह। िमसाल के तौर पर, ऐसा
या है जो चता और संभािवत नकारा मक भावी प रणाम, जनके साथ
तनाव, अ मता या शायद अपमान क भावनाएँ जुड़ी होती ह? सभी
यावहा रक उ े य से हम पहले से ही वही भावनाएँ अनुभव करते ह, जो
हम असफल होने पर करते। हम ख़ुद के सामने असफलता क त वीर
बनाते ह; िकसी अ प या आम संदभ म नह , ब क प ता से और पूरे
िववरण के साथ। हम असफलता क त वीर को बार-बार ख़ुद के सामने
दोहराते ह। हम मृ त म पीछे जाते ह और पुरानी असफलताओं क
त वीर को िनकाल लाते ह।
जस बात को हमने पहले ज़ोर देकर कहा है, उसे याद रख : हमारा
म त क और तंि का तं िकसी वा तिवक अनुभव तथा प
प से
का पिनक अनुभव के बीच फ़क़ नह बता सकता। हमारा वच लत
सृजना मक मेकेिन म हमेशा प रवेश, प र थ त या थ त पर उ चत
तरीक़े से ि या और ति या करता है। प रवेश, प र थ त या थ त
संबध
ं ी एकमा जानकारी जो इसके पास उपल ध है, वही है, जसे आप
उनके संबध
ं म सच मानते ह ।
आपका तंि का तं “वा तिवक असफलता” और
का पिनक असफलता का फ़क़ नह जान सकता
इस तरह, अगर हम असफलता पर सोचते रह और अपने सामने
असफलता क त वीर लगातार इतने प िववरण के साथ देख िक वे
हमारे तंि का तं के लए वा तिवक बन जाएँ , तो हम उन भावनाओं, यहाँ
तक िक शारी रक ति याओं का भी अनुभव करगे, जो असफलता के
साथ आती ह।
दस
ू री ओर, अगर हम अपने सकारा मक ल य को िदमाग़ म रख और
अपने सामने इसक इतनी प त वीर बना ल िक यह वा तिवक लगने
लगे और इसे साकार हो चुक स ाई मान ल, तो हम िवजेता भावनाओं का
अनुभव होगा : आ मिव ास, साहस और यह आ था िक प रणाम वांछनीय
है।
हम चेतन प से अपने सृजना मक मेकेिन म म झाँककर नह देख
सकते िक यह सफलता क ओर कायरत है या असफलता क ओर।
लेिकन हम अपनी भावनाओं ारा इसक वतमान िदशा का पता ज़ र लगा
सकते ह। जब यह सफलता के लए कायरत होता है, तो हम जीत के
एहसास का अनुभव होता है।
अपनी मशीन को सफलता के लए तैयार करना
अगर आपके सृजना मक सव -मेकेिन म क कायिव ध का कोई एक
आसान रह य है, तो वह यह है : सफलता क भावना का आ ान करना,
उसे पकड़ना, उसे जा त करना। जब आप सफल और आ मिव ासी
महसूस करते ह, तो आप सफलतापूवक काय करगे। अगर भावना
शि शाली हो, तो आप व तुतः कुछ ग़लत कर ही नह सकते।
िवजेता भावना अपने आप म सफलतापूवक काय नह करती है,
ब क यह तो दरअसल एक संकेत या ल ण होती है िक हम सफलता क
ओर संचा लत ह। यह एक थम टेट क तरह अ धक है, जो कमरे म गम
तो उ प नह करता, लेिकन उसे नापता ज़ र है। बहरहाल, हम इस
थम टेट का इ तेमाल एक बहुत ही यावहा रक तरीक़े से कर सकते ह।
याद रख : जब आप िवजेता भावना का अनुभव करते ह, तो इसका अथ है
िक आपक आं त रक मशीन सफलता क िदशा म कायरत है।
चेतन प से सहजता लाने का बहुत यादा यास करगे, तो संभवतः
सहज काय न हो जाएगा। अपने ल य या अं तम प रणाम को सरलता से
प रभािषत करना कह अ धक आसान और अ धक कारगर उपाय है। ख़ुद
के सामने इसक प और जीवंत त वीर बना ल। िफर बस उस भावना
को जकड़ ल, जसका आप मनचाहे ल य के साकार होने पर अनुभव
करगे। तब आप सहज और सृजना मक तरीक़े से काय कर रहे ह। तब आप
अपने अवचेतन मन क शि य का इ तेमाल कर रहे ह। तब आपक
आांत रक मशीन सफलता क िदशा म कायरत है : यह सही मांसपेशीय
ग तय और संतुलन को करने म आपको मागदशन देती है, आपको
सृजना मक िवचार सुझाती है और वह सब करती है, जो उस ल य को
साकार करने के लए आव यक हो।
िवजेता भावना ने एक गो फ़ टू नामट कैसे जीता
डॉ. कैरी िमडलकॉफ़ ने ए वायर मै ज़ीन के अ ैल 1956 अंक म लखा
था िक िवजेता भावना गो फ़ चिपयन शप का वा तिवक रह य है। उ ह ने
कहा था, “िपछले साल मा टस म जब मने अपना पहला डाइव मारा,
उसके चार िदन पहले मेरे मन म यह भावना थी िक इस टू नामट म मेरी जीत
तय थी। मुझे महसूस हुआ िक अपनी बैक वग से म जो भी हरकत करता
था, वह मेरी मांसपे शय को आदश थ त म ले आती थी, तािक गद ठीक
मेरी मनचाही जगह पर पहुँचे। और हार करते समय भी वह शानदार
भावना मेरे साथ थी। म जानता था िक मने अपनी पकड़ नह बदली थी
और मेरे पैर सामा य थ त म ही थे। लेिकन कोई चीज़ थी, जसक वजह
से म अलग महसूस कर रहा था, जसक बदौलत मुझे कप तक पहुँचने क
अपनी राह उतनी ही प िदख रही थी, मानो यह मेरे िदमाग़ पर टैटू क
तरह चपक गई हो। उस भावना क साथ मुझे बस टक को घुमाना भर
था और बाक़ का काय कृ त ख़ुद कर देती थी ।”
िमडलकॉफ़ ने आगे कहा िक िवजेता भावना “अ छे गो फ़ का सभी
का रह य है।” उनका कहना था िक जब आपके मन म िवजेता भावना होती
है, तो गद भी आपके लए सही उछलती है और यह उस रह यमय त व को
िनयंि त करती भी नज़र आती है, जसे िक मत कहा जाता है।
व ड सीरीज़ म अपने मशहूर मैच म िप चग करने से पहले डॉन लासन
ने कहा था िक एक रात पहले उनके मन म यह “पागलपन क भावना आई
थी” िक वे अगले िदन आदश ढंग से िपच करने वाले ह।
वतमान खलाड़ी कई बार इस िवजेता भावना को “ज़ोन म रहना”
कहते ह, एक ऐसे समय, जगह और भावना मक अव था म दा खल होना,
जहाँ वे पूरी तरह तनावरिहत ह , प रणाम के बारे म पूरी तरह से आ त
ह । कई बार हम सफ़ अवलोकन से ही यह भाँप सकते ह िक वे ज़ोन म ह।
जॉन ए वे क आ खरी िमनट क एक- सरे-से-दस
ू रे- सरे-तक क दौड़ याद
कर, जसने वलड ाउ स को सुपर बोल म त पधा करने से रोका जसे अब फुटबॉल ेमी द डाइव के नाम से जानते ह। द डाइव को देखने
वाले लगभग हर यि ने इसके शु होते ही एक-दस
ू रे क ओर देखकर
सर िहला िदया, ाउ स के शंसक तक को यह पहले से तय और
अव यंभावी लग रहा था िक द डाइव घिटत होने वाला है।
लेिकन हम यह याद रखना चािहए िक ज़ोन कोई वा तिवक, भौ तक
जगह नह होती, न ही यह शारी रक यो यता या तकनीक मता म
अचानक हुआ प रवतन है, न ही यह आँ कड़ के अनुमान या अतीत के
अनुभव के लहाज़ से तकसंगत लगता है। यह तो िवशु भावना मक
अव था है। मेरी राय म यह ल य हा सल करने क िज़ मेदारी पूरी तरह से
सव -मेकेिन म के हवाले करना है। एक तरह से यह सव -मेकेिन म के
सामने इस हद तक समपण है िक सारी चता, तनाव, दबाव और हताशा
एक पल म ग़ायब हो जाती है और वह यि एक शांत, आदश अंदाज़ म
आव यक काय करता जाता है।
इस भावना मक अव था को इ छानुसार े रत करने के तरीक़े
खोजने पर काफ़ काय हुआ है। हाल के वष के लोकि य ेरणा गु टोनी
रॉिब स के बारे म कहा जाता है िक उ ह कुछ शीष थ खलािड़य ने बड़ी
धनरा शयाँ दी ह, जनम मु य प से आं े अगासी और ेग नॉमन शािमल
ह, तािक वे उ ह “इस अव था म तेज़ी से पहुँचने” क तकनीक सखा द।
िवजेता भावना म सचमुच जाद ू होता है। ऐसा लगता है िक यह बाधाओं
ओर असंभावनाओं को ख़ म कर देती है। सफलता हा सल करने के लए
यह ग़ल तय और भूल तक का उपयोग कर सकती है। जे. सी. पेनी बताते
ह िक जब उनके िपता मृ यश
ै ा पर लेटे थे, तो उ ह ने उ ह यह कहते हुए
ु य
सुना था, “म जानता हूँ िक जमी कामयाब हो जाएगा।” उस समय के बाद
पेनी को हमेशा यह एहसास रहा िक वे िकसी न िकसी तरह सफल हो
जाएँ गे, हालाँिक उनके पास कोई मूत संप , धन या श ा नह थी। जे.
सी. पेनी टोस क चेन कई असंभव प र थ तय और हताशा भरे पल क
बुिनयाद पर बनी थी। बहरहाल, जब भी पेनी हताश होते थे, तो उ ह अपने
िपता क भिव यवाणी याद आ जाती थी और उ ह महसूस होता था िक
िकसी न िकसी तरह वे अपने सामने खड़ी सम या को हरा सकते ह।
दौलत बनाने के बाद उ ह ने उस उ म सारी दौलत गँवा दी, जब
अ धकतर यि रटायर हो चुके होते ह। उ ह ने ख़ुद को कंगाल पाया,
जवानी के पार पाया और आशा बँधाने वाले बहुत कम भौ तक माण
मौजूद थे। लेिकन एक बार िफर उ ह अपने िपता के कहे श द याद आए
और ज द ही उ ह ने िवजेता भावना को दोबारा हा सल कर लया,
जसक अब उ ह आदत पड़ गई थी। उ ह ने दोबारा अपनी दौलत बनाई
और कुछ साल के भीतर ही वे पहले से यादा टोस चला रहे थे।
पेनी क आ म-छिव म उनका सबसे मूत, गहन, बुिनयादी िव ास
अंिकत था िक वे इस िक म के इंसान थे, जो सफल हो जाएँ गे।
दभ
ु ा य से, कई लोग ने अपने माता-िपता या दस
ू रे भािवत करने वाले
लोग के मुँह से इसका ठीक िवपरीत सुना है। इस वजह से वे अपनी
सफलता के समय के बजाय असफलता के समय को कह अ धक मह व
देते ह। इस तरह उ ह धीरे-धीरे िव ास हो जाता है िक वे इस िक़ म के
इंसान ह, जो कभी सफल नह हो सकते।
आ म-अवधारणा और आ म-चचा के इस छोटे से अंतर क शि
कम नह आँ का जाना चािहए।
को
िकस तरह िवजेता भावना ने
लेस िगब लन को सफल बनाया
लेस िगब लन मशहूर लेस िगब लन म
ू न रलेश स िन स के सं थापक
और हाउ टु हैव पॉवर एं ड कॉ फ़डस इन डी लग िवथ पीपल के लेखक ह।
उ ह ने इस अ याय का पहला डा ट पढ़ने के बाद मुझे बताया िक क पना
और िवजेता भावना ने िकस कार उनके क रयर म चम कार िकया था।
लेस बरस से सफल से सपसन और से स मैनेजर थे। उ ह ने
जनसंपक का थोड़ा काय िकया था और मानव संबध
ं के िवशेष के प म
थोड़ी त ा अ जत क थी। वे अपने काय को पसंद करते थे, लेिकन वे
अपने दायरे को फैलाना चाहते थे। उनक सबसे अ धक िदलच पी लोग म
थी और इस े म बरस के सै ां तक और यावहा रक अ ययन के बाद
वे एक िन कष पर पहुँचे। वे इस बारे म काफ़ कुछ जान गए िक लोग को
अ सर दस
ू रे लोग के साथ यवहारगत सम याएँ य होती ह। अब वे
मानव संबध
ं या लोक- यवहार पर भाषण देना चाहते थे। लेिकन उनके
सामने एक बड़ी बाधा यह थी िक उ ह सावजिनक भाषण देने का अनुभव
नह था। लेस ने मुझे बताया :
एक रात म िब तर पर लेटा हुआ अपनी इस बड़ी इ छा के बारे म सोच रहा था। मुझे
सावजिनक व ा के प म बहुत कम अनुभव था। मने बस से स मी टग म अपने
से सपीपल को संबो धत िकया था और मेरे पास सेना का थोड़ा अनुभव था, जहाँ मने
श क के प म पाट-टाइम सेवाएँ दी थ । बहुत सारे दशक के सामने खड़े होने के
िवचार से ही मेरे होश उड़ जाते थे। म इसे सफलतापूवक करने क क पना ही नह कर
सकता था। लेिकन म अपने से सपीपल के साथ बहुत आसानी से बात कर सकता था।
म सैिनक के समूह के साथ िबना िकसी मु कल के बात करने म समथ था। िब तर पर
लेटे-लेटे मने सफलता और आ मिव ास क उस भावना को मृ त से लाकर दोबारा
जकड़ा, जो मुझे इन छोटे समूह से बात करते समय िमली थी। मुझे वे सारे छोटे-छोटे
िववरण याद आए, जो मेरे आ मिव ास क भावना के साथ जुड़े हुए थे। िफर अपनी
क पना म मने यह त वीर देखी िक म एक िवशाल जनसमूह के सामने खड़ा हूँ और
मानव संबध
ं पर भाषण दे रहा हूँ - और ऐसा करते समय मुझम संतुलन और
आ मिव ास क वही भावना है, जो छोटे समूह के सामने बोलते व त िमली थी। मने
अपने सामने िव तार से त वीर बनाई िक म कैसे खड़ा होऊँगा। म फ़श पर अपने पैर
का दबाव महसूस कर सकता था। म लोग के चेहर के भाव देख सकता था और म
उनक ता लय क आवाज़ सुन सकता था। मने ख़ुद को सफलतापूवक भाषण देते देखा
- जो धमाके के साथ ख़ म हुआ।
कोई चीज़ मेरे िदमाग़ म ि क कर गई। म उ ास महसूस करने लगा। उसी पल मुझे
महसूस हो गया िक म यह काय कर सकता हूँ। मने अतीत क सफलता और
आ मिव ास क भावना को अपने भावी क रयर क क पना क त वीर म जोड़ िदया
था। सफलता क मेरी भावना इतनी वा तिवक थी िक म उसी समय जान गया िक म यह
काय कर सकता हूँ। मुझे वह चीज़ िमल गई, जसे आप “िवजेता भावना” कहते ह और
इसने कभी मेरा साथ नह छोड़ा। हालाँिक उस व त मेरे लए कोई दरवाज़ा खुला नह
िदख रहा था और सपना असंभव नज़र आ रहा था, लेिकन तीन साल से भी कम समय
म मने अपने सपने को साकार होते देखा - लगभग उन पूरे िववरण के साथ, जनक मने
क पना क थी और ज ह मने महसूस िकया था। म तुलना मक प से कम मशहूर था
और मेरे पास अनुभव नह था, इस लए कोई बड़ी बु कग एजसी मुझे अनुबं धत नह
करना चाहती थी। इससे म हताश नह हुआ। मने अपनी बु कग ख़ुद क और अब भी
करता हूँ। आज म जतने भाषण दे सकता हूँ, मेरे पास भाषण देने के उससे यादा
अवसर ह।
आगे चलकर लेस िगब लन मानव संबध
ं के मशहूर िवशेष बने।
अमे रका के दो सौ से अ धक सबसे बड़े कॉप रेश स अपने कमचा रय हेतु
मानव संबध
ं
िन स आयो जत करने के लए उ ह हज़ार डॉलर दे चुके
ह। उनक पु तक हाउ टु हैव कॉ फ़डस एड पॉवर अपने े म ा सक
बन चुक है। और यह सब उनक क पना क एक त वीर और िवजेता
भावना क बदौलत शु हुआ था।
लेस का अनुभव दशाता है िक हम अपने अतीत के अनुभव को ऐसे
संकेत के लए कैसे टटोलना चािहए, जससे वह ल य हा सल हो सके,
जसक क पना हम इस व त आधे-अधूरे मन से कर रहे ह। संकेत लगभग
हमेशा वहाँ रहते ह, वरना ल य हमारे िदमाग़ म आता ही नह । आपके पास
बेशक अतीत के “छोटे” सूचक ह गे िक आप वह कर सकते ह, जो करना
आप सबसे यादा पसंद करगे और अगर आप उनक तलाश कर और
अपने िदमाग़ म उ ह रेखांिकत कर, तो आप अपनी आ म-छिव के सामने
यह सािबत करना शु करगे िक आप वा तव म वह बनने के यो य ह, जो
आपक इ छा है। आपक आ म-छिव इस बात को नए स य के प म
वीकार कर लेगी और आपके सव -मेकेिन म को इसे साकार करने के
लए ज दी से भेज देगी।
जब आप अपनी पॉटलाइट इन कर-सकता-हूँ सूचक पर चमकाते ह
और बाक हर चीज़ छाया म कर देते ह, तो आपक िवजेता भावना
पराव तत होगी और अपनी गम म आपको लपेट लेगी।
दो अलग–अलग यि , दो अलग–अलग भावनाएँ
मुझे एक बार दो यि य को देखने का अवसर िमला, ज ह म बहुत अ छी
तरह जानता था। उनक पृ भूिम, श ा, बु और यो यता उ ेखनीय प
से समान थ । यही नह , वे दोन ही उस व त एक िबलकुल नए े म
महारत हा सल करने क को शश कर रहे थे। वे दोन एक-दस
ू रे को नह
जानते थे, लेिकन म उन दोन पर नज़र रखे हुए था। वे जो काय कर रहे थे,
उसका िववरण मह वहीन है। बस इतना कहना ही पया होगा िक इसम
काफ़ मु कल होनी थी, इसम काफ़ कंु ठा हो सकती थी और इसम काफ़
धैय क ज़ रत थी।
इनम से एक यि ने मुझसे कहा, “म यह कभी नह सीख पाऊँगा।
आप जानते ह, मै स, जीवन भर हर चीज़ मेरे लए मु कल रही है। मुझे हर
चीज़ मु कल तरीक़े से करनी पड़ी है। मुझे याद नह है िक मुझे कभी भी
िक़ मत या सुअवसर िमला हो। मुझे नह लगता िक मुझम इससे जूझते हुए
पार जाने का दम है।”
दस
ू रे यि ने मुझसे कहा, “मै स, म आपको कुछ बताना चाहूँगा।
िज़दगी भर हर चीज़ मेरे लए मु कल रही है। हर चीज़ जसे म अब अ छी
तरह करता हूँ, हर चीज़ जो म अब यासरिहत तरीक़े से कर सकता हूँ और
हर सफलता जो मुझे िमली है, मने उसे बुरी तरह करके शु आत क थी
और बुरे से अ छा बनने के लए पूरी शि के साथ संघष िकया था। अगर
कोई एक चीज़ है जसके बारे म म सटीकता से जानता हूँ िक उसे कैसे
िकया जा सकता है, तो वह है फूहड़ अयो य यि से स म बनना। ऐसा
लगता है िक इस मामले म भी म ऐसा ही करने जा रहा हूँ।”
आपको या लगता है, इनम से िकस यि ने अपना ल य छोड़ा
होगा और ख़ाली हाथ तथा असंतु लौटा होगा? आपको या लगता है,
इनम से कौन सफल हुआ होगा?
यह सकारा मक सोच के बारे म पुराने जुमले - िगलास आधा ख़ाली है
या आधा भरा - से कह अ धक है। वह बात सतही है और उसम चेतन प
से िववश िकए जाने क वृ है। लेिकन यह बात यादा गहरी है।
बुिनयादी है। ठीक आ म-छिव म। इन दो यि य ने अपने जीवन क
या या कैसे क ? वे अपने बारे म कैसा महसूस करते ह? उनम से एक छोटे
से छोटे सुधार को भी उ साह बढ़ाने वाले माण के प म देखेगा िक वह
हमेशा क तरह एक बार िफर अयो यता से यो यता क ओर ग त कर रहा
है, जबिक दस
ू रा उसी छोटे से सुधार को इस सबूत क तरह देखेगा िक वह
इतने बड़े संघष और इतनी अजेय चुनौती म फंसा हुआ है िक यह काय
उसके वश का नह है।
कोई भी दो लोग िकसी भी थ त क काफ़ अलग-अलग या या
कर सकते ह। इसी लए हमारे यहाँ अमे रका म रप लक स (गणतं वादी)
और डेमो े स (लोकतं वादी) ह, कनज़विट ज़ ( िढ़वादी) और
लबर स (उदारवादी) ह, जीवन-के-अ धकार वाले कायकता और
िवक प-के-चयन वाले कायकता ह आिद। आपक अपने बारे म भी भ
राय, भ या याएँ हो सकती ह! अगर अपने बारे म आपक राय सीिमत
करने वाली और दमनकारी है, तो बाहर क़दम रख, िकसी बाहरी िव ेषक
क तरह अपनी जाँच कर और िफर इसक िवपरीत राय क िहमायत कर।
वाद-िववाद के सबसे िनपुण िवशेष िकसी बहस के प और िवप दोन
तरफ़ से बोल सकते ह और जीत सकते ह। इसे आज़माएँ !
िकस तरह िव ान िवजेता भावना को प करता है
साइबरनेिट स का िव ान िवजेता भावना क कायिव ध पर नई रोशनी
डालता है। हम पहले ही देख चुके ह िक इले टॉिनक सव -मेकेिन म मानव
मृ त क तरह ही सफल कायाँ को “याद” करने और उ ह दोहराने म
सं हीत डेटा का उपयोग करता है।
यो यता सीखना काफ़ हद तक ग़ल तयाँ कर-कर के सीखने का
अ यास है, जब तक िक कुछ िहट या सफल काय मृ त म दज न हो जाएँ ।
साइबरनेिटक वै ािनक ने एक इले टॉिनक चूहा बनाया है, जो िकसी
भूलभुलय
ै ा म रा ता खोजना सीख सकता है। पहली बार चूहा असं य
ग़ल तयाँ करता है। यह लगातार दीवार और बाधाओं से टकराता रहता है।
लेिकन जब भी यह िकसी बाधा से टकराता है, तो यह हर बार 90 ड ी घूम
जाता है और दोबारा को शश करता है। अगर यह िकसी दस
ू री दीवार से
टकरा जाता है, तो यह एक बार िफर घूम जाता है और दोबारा आगे बढ़ने
लगता है। आ खरकार, कई ग़ल तयाँ करने, कने और मुड़ने के बाद चूहा
भूलभुलय
ै ा के दरवाज़े के पार पहुँच जाता है। बहरहाल, इले टॉिनक चूहे
को सफल मोड़ क याद रहती है और अगली बार, ये सफल ग तिव धयाँ
दोबारा होती ह और चूहा यादा ज दी व कायकुशलता से दरवाज़े के पार
िनकल जाता है।
अ यास का उ े य बार-बार को शश करना है, लगातार ग़ल तय को
सुधारना है, जब तक िक िवजय हा सल न हो जाए। जब काय का सफल
खाँचा द शत िकया जाता है, तो शु आत से अंत तक का पूरा काय खाँचा
न सफ़ हमारी चेतन मृ त म सं हीत होता है, ब क यह हमारी नािड़य
और ऊतक म भी सं हीत रहता है। लोक-भाषा काफ़ सहज बोध से भरी
और वणना मक होती है। जब हम कहते ह, “मेरी ह य म यह भावना थी
िक म यह काय कर सकता हूँ,” तो हम स य से दरू नह ह। जब डॉ. कैरी
िम डलकॉफ़ कहते ह, “कोई चीज़ थी, जसक वजह से म अलग महसूस
कर रहा था, जसक बदौलत मुझे कप तक पहुँचने क अपनी राह उतनी
ही प िदख रही थी, मानो यह मेरे िदमाग़ पर टैटू क तरह चपक गई हो,
” तो वे शायद अनजाने म ही बहुत उ चत प से उस नवीनतम वै ािनक
अवधारणा का वणन कर रहे ह, जो मानव मन म होती है, जब हम सीखते
ह, याद करते ह या क पना करते ह।
आपका म त क सफलता और
असफलता को केसे रकॉड करता है
जब से मने मूल साइको साइबरनेिट स पु तक लखी है, उसके बाद
म त क क काय णाली पर काफ़ शोध हो चुका है। लेिकन िवजेता
भावना (या असफलता क भावना) कैसे आती है, यह प ीकरण अब भी
इसका सार है और समझने म मददगार है : इंसानी कॉरटे स अरब
यरू ॉ स से बना है, जनम से येक के असं य ए ज़ॉ स (संवेदक या
िव तृत तार) होते ह, जो यूरॉ स के बीच सनै सेस (िव ुतीय जुड़ाव)
बनाते ह। जब हम सोचते ह, याद करते ह या क पना करते ह, तो ये
यरू ॉ स एक िव ुतीय करंट वािहत करते ह, जसे नापा जा सकता है।
जब हम कुछ सीखते या अनुभव करते ह, तो यूरॉ स का पैटन एक “चेन”
बना लेता है (या िकसी पैटन का टैटू बना लेता है) जो म त क के ऊतक
म थािपत हो जाता है। यह पैटन भौ तक खाँचे क कृ त का नह होता,
जैसे िकसी रकॉड का खाँचा (हालाँिक यह उपमा भी सटीक वणन से बहुत
दरू नह है), ब क यह तो एक िव ुतीय माग जैसा अ धक होता है, िव भ
यूरॉ स के बीच का संयोजन और िव ुतीय जुड़ाव, जो कुछ हद तक सीडी
के चुंबक य खाँचे जैसे होते ह। एक ही यूरॉन इस तरह िकतने ही अलगअलग खाँच का िह सा बन सकता है, जससे इंसानी म त क के सीखने
और याद रखने क मता लगभग असीिमत हो जाती है।
ये खाँचे या एन ा स भावी इ तेमाल के लए म त क ऊतक म
सं हीत कर लए जाते ह और जब भी हम िकसी पुराने अनुभव को याद
करते ह, तो ये दोबारा सि य या री ले हो जाते ह।
सं ेप म, अतीत म आपने जो भी सफल काय िकए ह, उनम से येक
के लए आपके म त क म एक टैटू या एन ा स का काय-खाँचा बना हुआ
है। और, अगर आप िकसी तरह उस काय-खाँचे को दोबारा जीिवत करने
क चगारी सुलगा सक या इसका री ले कर सक, तो यह ख़ुदबख़ुद अपनी
ो ा मग कर लेगा और इसके बाद आपको तो बस “ टक घुमानी है” तथा
“ कृ त को अपना काय करने देना है।”
जब आप अतीत के सफल काय-खाँच को दोबारा सि य कर देते ह,
तो आप उनके साथ उपजी िवजेता भावना को भी दोबारा सि य कर देते
ह। इसी तरह, अगर आप उस िवजेता भावना को दोबारा जकड़ सक, तो
आप उससे संब सारे िवजेता काय को भी जा त कर सकते ह। इसे एक
च ाकार ि या के प म देख : भावना काय उ प करती है, काय
भावना या का पिनक काय उ प करता है, खास तौर पर मृ त आधा रत
का पिनक काय भावना को उ प करता है, भावना काय को उ प करती
है। सौभा य से इससे यादा फ़क़ नह पड़ता िक इस घेरे म आप चगारी
कहाँ लगाते ह।
अपने िदमाग़ म सफलता के खाँचे बनाएँ
जब डॉ. ई लयट हारवड के े सडट थे, तो उ ह ने “सफलता क आदत”
पर एक भाषण िदया। उ ह ने कहा िक ाथिमक कूल म कई असफलताएँ
इस त य के कारण थ िक िव ा थय को शु आत म ही इतना पया काय
नह िदया जाता, जसम वे सफल हो सक और इस तरह उ ह कभी
“सफलता के माहौल,” या जसे हम िवजेता भावना कहते ह, को िवक सत
करने का अवसर नह िमल पाता। उ ह ने कहा िक िव ा थय को कूली
जीवन क शु आत म सफलता का कभी अनुभव नह होता, उनके पास
“सफलता क आदत” डालने का कोई अवसर नह होता, उनके पास
िकसी नए काय को करने के लए िव ास और आ था क आदतन भावना
नह होती। उ ह ने आ ह िकया िक श क शु आती क ाओं म इस तरह
काय देने क योजना बनाएँ , तािक िव ाथ सफलता का अनुभव कर सक।
जो काय िदया जाए, वह िव ाथ क यो यता के दायरे के भीतर होना
चािहए, लेिकन इतना िदलच प भी होना चािहए िक उसके उ साह और
ेरणा को जा त कर दे। डॉ. ई लयट ने कहा िक ये छोटी सफलताएँ
िव ा थय को “सफलता क भावना” दान करती ह, जो सारे भावी काय
म मू यवान साथी सािबत होगी।
जब कोई वाटरबैक घायल होकर मैदान से बाहर चला जाता है और
बाहर बैठे टीम के िकसी सद य को तुरत
ं अंदर भेजा जाता है, तो समझदार
कोच उसे आसान अवसर देने क को शश करता है, जनम सफलता क
ऊँची संभावना हो। भले ही सफलता छोटी हो, लेिकन खलाड़ी को इससे
सफलता का एहसास िमल जाएगा, एक लय बन जाएगी - जो उसम िवजेता
भावना क चगारी भर देगी। वह उस नए खलाड़ी से मैदान म दरू तक पास
देने को नह कहता है, जसम 10, 20 या 30 गज़ क दरू ी का लाभ िमल
सकता है, लेिकन जसे पूरा करना मु कल होता है। इसके बजाय वह तो
उससे एक छोटा वग पास, लगभग तरछा पास देने को कहता है, जसम
लाभ तो 2-3 गज़ का ही िमलता है, लेिकन जसके सफल होने क काफ़
यादा संभावना होती है।
म टग उ ोग के एक शीष थ से समैन को जानता हूँ। वह आदतन
अपनी िदनचया इस तरह बनाता है िक हर िदन उसक शु आती दो से स
कॉल “दो ताना इलाके” म होती ह। वह उन ाहक से िमलने जाता है,
जहाँ उसका हमेशा वागत होता है, जहाँ उसे बार-बार िबज़नेस िमलता है,
जहाँ उसके कोई काय करने या तुरत
ं ऑडर िमलने क ऊँची संभावना
होती है या कम से कम उसके साथ स मान व श ता के साथ बताव िकया
जाता है। िफर वह को ड कॉ लग क ओर बढ़ता है, उन संभािवत नए
ाहक क ओर, जहाँ वागत संभवत: उतना गमजोशी भरा न हो। िफर वह
उन कठोर ाहक से िमलने जाता है, जो क़ मत को लेकर अ त सचेत होते
ह और जहाँ अ सर उसे परा जत होना पड़ा था। वह मुझे बताता है िक
अपने धैय और लगन का इ तहान लेने से पहले वह मन म िवजेता भावना
भर लेना चाहता है। उसका से स मैनेजर कहता है, “छोटी िवजय ही बड़ी
िवजय क ओर ले जाती है।”
फ़े ड डलूका सबवे सडिवच शॉप चेन के सं थापक और माइ ो
िबज़नेस लॉ चेस के चिपयन ह। उनक सलाह है, “पहले स े कमाएँ ।”
अगर आप स े कमा लेते ह, तो इसके बाद नोट बनाने का सपना देखना
कह अ धक आसान होता है। अगर आपने सैकड़ कमा लए ह, तो हज़ार
क क पना करना अ धक आसान होता है।
आप जसे छोटी िवजय ि या कह सकते ह, वह चीज़ का
वाभािवक िवकास है। शु आत म रगने लग। िकसी चीज़ को पकड़कर
खड़े रह। अपने दम पर खड़े ह । िकसी चीज़ को पकड़कर डगमगाते हुए
चल। अपने दम पर चल। पैदल चलने म महारत हा सल करने के बाद यह
यक़ न करना अ धक आसान हो जाता है िक आप साइकल चला सकते ह।
साइकल चलाने के बाद मोटरसाइकल चलाने क त वीर देखना अ धक
आसान हो जाता है।
हम सफलता क आदत या सफलता क लय कभी भी हा सल कर
सकते ह। हम अपने िदमाग़ म सफलता के पैटन और भावनाएँ िकसी भी
समय और िकसी भी उ म जा त कर सकते ह, बशत हम डॉ. ई लयट क
श क को दी सलाह पर चल, अनुभवहीन वाटरबैक के संदभ म
समझदार कोच क रणनी त पर चल, िटग से समैन क िदनचया शु
करने क नी त पर चल। अगर हम आदतन असफलता से कंु िठत ह, तो इस
बात क बहुत आशंका है िक हमारे भीतर असफलता क भावनाएँ भरी
रहगी, जो हमारे सारे नए कायाँ को अपने रंग म रंग दगी। लेिकन अगर हम
ऐसी यव था कर देते ह िक पहले छोटी चीज़ म सफल हो सक, तो इस
तरह हम सफलता का एक माहौल बना लेते ह, जो यादा बड़े काय म भी
सफलता िदला सकता है। पहले सबसे आसान काय, िफर थोड़ा मु कल
काय और अंत म सबसे मु कल काय। इस तरह हम मु कल के िहसाब से
धीरे-धीरे बड़े काय क ओर अ सर होते ह और उनम सफल होने के बाद
यादा चुनौतीपूण काय करने क थ त म पहुँचते ह। सफलता श दश:
सफलता क बुिनयाद पर बनती है और इस कहावत म काफ़ स ाई है,
“कोई भी चीज़ सफलता क तरह सफल नह होती।”
ज़ािहर है, वय क के प म हम इस ि या को तेज़ करने के लए
उ सुक होते ह। हम सफलता क ग त बढ़ाने के लए उ सुक होते ह। हम
ऐसी अ छी बुिनयाद डालने के लए उ सुक होते ह, जसे आदेश देकर हम
अपनी िवजेता भावना को जगा द। जस अनुभवी वाटरबैक को ह त तक
बाहर बैठाकर रखा गया है, जब अचानक िकसी मैच म उसक ज़ रत
पड़ती है, तो उसे एक पल म अपनी िवजेता भावना को सि य करने क
ज़ रत होती है, जसम छोटी-छोटी िवजय का िमक, धैयवान िनमाण
शािमल न हो। इस व रत काय को वा तिवक नह , का पिनक उपाय से
उ प करना होगा। वा तिवक मैदान के बजाय मान सक थएटर म। चूँिक
कृि म और वा तिवक अनुभव का भाव लगभग समान होता है, इस लए
यह िकया जा सकता है।
अपने अंद नी सफलता के खाँच को
दोबारा सि य कैसे कर
हर कोई अतीत म िकसी न िकसी समय सफल हो चुका है। ज़ री नह है
िक यह कोई बड़ी सफलता हो। इसका मह व कुछ भी हो सकता है, जैसे
कूल के गुड
ं े के सामने डटकर खड़े होना और उसक िपटाई करना; ामर
कूल म रेस जीतना, ऑिफ़स िपकिनक म बोरा-दौड़ जीतना, िकसी
िकशोर त ं ी को हराकर गल ड का ेम हा सल करना। या यह िकसी
सफल िब ी, आपके सबसे सफल कारोबारी सौदे या िकसी मेले म सव े
केक के लए थम पुर कार जीतने क याद हो सकती है। आप िकस चीज़
म सफल हुए थे, यह मह वपूण नह है। मह वपूण तो सफलता क वह
भावना है, जो उस व त आपके मन म आई थी। आपको तो बस एक
अनुभव क ज़ रत है, जहाँ आप अपने मनचाहे काय को करने म सफल
हुए थे, वह हा सल करने म सफल हुए थे, जसे हा सल करने का आपने
संक प लया था और कोई ऐसी चीज़ करने म कामयाब हुए थे, जससे
आपके मन म संतुि का भाव आया था।
अपनी मृ त म पीछे जाएँ और उन सफल अनुभव को ताज़ा कर ल।
अपनी क पना म उस पूरी त वीर को जतनी प ता से जा त कर सकते
ह , कर ल। अपने मन क आँ ख से न सफ़ मु य घटना को देख, ब क
उन सारी छोटी-छोटी चीज़ को भी देख, जो सफलता के साथ आई थ ।
वहाँ कौन सी आवाज़े थ ? प रवेश कैसा था? उस व त आपके आस-पास
और या हो रहा था? कौन सी व तुएँ मौजूद थ ? यह साल का कौन सा
समय था? आप गम थे या ठंडे? आिद। आप इसे जतना िव तृत बना
सकते ह , उतना ही बेहतर है। यिद आप पया िव तार से याद कर सकते
ह िक अतीत म िकसी समय सफल होने पर या हुआ था, तो आपको वही
भावना िमल जाएगी, जो उस व त महसूस हुई थी। िफर उस व त क
अपनी भावनाओं को अ छी तरह याद करने क को शश कर। अगर आप
उन भावनाओं को याद कर सक, तो वे वतमान म दोबारा सि य हो
जाएँ गी। आप अपने भीतर आ मिव ास महसूस करगे, य िक
आ मिव ास िपछली सफलताओं क याद पर बनता है।
अब आपने सफलता क आम भावना उ प कर ली है। अब आप जो
काय कर रहे ह , उसम इस भावना को ले जाएँ - जैसे मह वपूण िब ी,
स मेलन, भाषण, कारोबार, गो फ़ टू नामट, रो डयो त पधा या अ य
कोई चीज़। अपनी सृजना मक क पना का इ तेमाल करके अपने सामने
त वीर बनाएँ िक अगर आप पहले ही सफल हो चुक ह , तो कैसे काय
करगे और कैसा महसूस करगे।
सकारा मक और सृजना मक चता
मन ही मन पूण और अव यंभावी सफलता के िवचार के साथ खेलना शु
कर। ख़ुद को िववश न कर। अपने िदमाग़ पर दबाव डालने क को शश न
कर। मनचाहा प रणाम लाने के लए िकसी यास या इ छाशि का
इ तेमाल न कर। वही कर, जो आप चता करते समय करते ह। फ़क़ सफ़
इतना है िक यह “ चता” िकसी नकारा मक ल य और अनचाहे प रणाम के
बारे म नह होती, ब क सकारा मक ल य और मनचाहे प रणाम के बारे म
होती है।
मनचाही सफलता म पूण िव ास रखने के लए ख़ुद को िववश न कर।
इस तरह शु आत न कर। यह इतना बड़ा कौर है िक आप इसे शु आत म
मान सक प से नह पचा सकते। “ मश:” का इ तेमाल कर। शु आत म
मनचाहे अं तम प रणाम के बारे म सोच, जैसा आप भिव य क चता करते
समय करते ह। जब आप चता करते ह, तो आप ख़ुद को यह िव ास
िदलाने क को शश नह करते ह िक प रणाम अनचाहा होगा। इसके बजाय,
आप मशः शु आत करते ह। आप आम तौर पर “मान लो” से शु करते
ह। आप मान सक प से ख़ुद से कहते ह, “बस क पना कर िक ऐसी-ऐसी
चीज़ हो जाती।” आप इस िवचार को मन म बार-बार दोहराते ह। आप
इसके साथ खेलते ह। इसके बाद संभावना का िवचार आता है। आप कहते
ह, “दे खए, आ खरकार ऐसी चीज़ संभव है।” यह हो सकता है। इसके बाद
मान सक क पना आती है। आप सारी नकारा मक संभावनाओं क त वीर
बनाने लगते ह। आप बार-बार अपने सामने ये का पिनक त वीर चलाने
लगते ह, उनम छोटे-छोटे िववरण और संशोधन जोड़ते जाते ह। जब त वीर
आपके लए अ धका धक वा तिवक होती ह, तो उ चत भावनाएँ कट होने
लगती ह, मानो का पिनक प रणाम पहले ही साकार हो चुका है। और यही
वह तरीक़ा है, जससे डर और चता िवक सत होती है।
आ था और साहस कैसे िवक सत कर
आ था और साहस भी ठीक इसी तरीक़े से िवक सत िकए जाते ह। बस
आपके ल य अलग होते ह। अगर आप चता म समय िबताने ही जा रहे ह,
तो य न सृजना मक तरीक़े से चता कर? सबसे मनचाहे संभव प रणाम
को अपने सामने रेखांिकत और प रभािषत करके शु आत कर। “मान लो”
से शु कर। “मान लो िक सव े संभव प रणाम सचमुच साकार हो
जाए?” इसके बाद, ख़ुद को याद िदलाएँ िक आ खर यह हो सकता है। इस
अव था पर यह न सोच िक यह होगा ही होगा, बस इतना सोच िक यह हो
सकता है। ख़ुद को याद िदलाएँ िक आ खरकार इतना अ छा और मनचाहा
प रणाम संभव है।
आप आशावाद और आ था क इन िमक ख़ुराक़ को मान सक प
से वीकार कर सकते ह और पचा सकते ह। मनचाहे अं तम प रणाम के
िवचार क िन त संभावना के प म सोचने के बाद यह क पना कर िक
मनचाहा प रणाम कैसा होगा। इन मान सक त वीर पर नज़र डाल और
िववरण तथा संशोधन को जोड़ ल। उ ह अपने सामने बार-बार चलाएँ ।
जब आपक मान सक त वीर अ धक िव तृत होती ह और जब उ ह बारबार दोहराया जाता है, तो आप पाएँ गे िक अ धक उ चत भावनाएँ ख़ुद को
कट करने लगी ह, मानो सकारा मक प रणाम पहले ही िमल चुका हो। इस
बार उ चत भावनाएँ आ था, आ मिव ास, साहस क ह गी - या उन सभी
को आपस म िमला ल, तो यह िवजेता भावना होगी।
अपने डर से सलाह न ल
जनरल जॉज पैटन तूफ़ानी ग त के लए िव यात “पुराने यो ा” सेनाप त
थे, ज ह ने ि तीय िव यु म नाम कमाया। उनसे एक बार पूछा गया िक
या उ ह यु के पहले कभी डर का एहसास हुआ था। हाँ, उ ह ने कहा,
अ सर िकसी मह वपूण यु से पहले और कई बार यु के दौरान भी उ ह
डर का अनुभव होता था, लेिकन उ ह ने आगे जोड़ा, “म कभी अपने डर से
सलाह नह लेता।”
अगर िकसी मह वपूण काय से पहले आपको नकारा मक असफलता
क भावनाओं - डर और चता - का अनुभव होता है, जैसा हर िकसी को
समय-समय पर होता है, तो इसे असफलता क िनशानी नह समझा जाना
चािहए। यह सब इस बात पर िनभर होता है िक आप उन पर कैसे ति या
करते ह और उनके त आपका नज़ रया कैसा रहता है। अगर आप उनक
बात सुनते ह, उनक आ ा मानते ह और उनसे सलाह लेते ह, तो आप
संभवतः बुरा दशन करगे। लेिकन इसका सच होना ज़ री नह है।
सबसे पहले तो यह समझना मह वपूण है िक असफलता क भावनाएँ
- डर, चता, आ मिव ास का अभाव - िकसी वग क भिव यवाणी से
उ प नह होते ह। वे सतार पर नह लखे होते। वे पिव धम ंथ नह
होते ह। न ही वे िकसी तय और िन त भा य के संकेत होते ह, जनका
मतलब है िक असफलता तय और िन त है। वे आपके िदमाग़ से उ प
होते ह। वे सफ़ आपके भीतर क मान सक नज़ रए के सूचक ह। वे इस
बात के सूचक नह ह िक बाहरी त य आपके ख़लाफ़ चालाक से तय िकए
गए ह। उनका बस यह अथ है िक आप अपनी यो यताओं को कम आँ क रहे
ह, अपने सामने खड़ी मु कल को बढ़ा-चढ़ाकर देख रहे ह। उनका बस यह
अथ है िक आप अतीत क सफलताओं के बजाय अतीत क असफलताओं
को दोबारा सि य कर रहे ह। उनका बस यही मतलब है, उनका बस यही
संकेत है। असफलता क भावनाएँ भावी घटनाओं संबध
ं ी स य न तो बताती
ह, न ही उसक ओर संकेत करती ह। वे तो भावी घटना के बारे म आपके
मान सक नज़ रए को बताती ह।
यह जानने के बाद आप असफलता क इन नकारा मक भावनाओं को
वीकार या अ वीकार करने के लए वतं हो जाते ह। आपके पास दो
िवक प होते ह। अब आप उनक आ ा मान सकते ह और उनसे सलाह ले
सकते ह। या िफर आप उनक सलाह को नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़
सकते ह। यही नह , आप उनका इ तेमाल अपने लाभ के लए भी कर
सकते ह।
ओ ो
नकारा मक भावनाओं को
चुनौती के प म वीकार कर
अगर आप आ ामक और सकारा मक प से नकारा मक भावनाओं पर
ति या करते ह, तो वे चुनौ तयाँ बन जाती ह। आपके भीतर अपने आप
इन चुनौ तय का सामना करने के लए अ धक शि और अ धक यो यता
उ प हो जाती है। मु कल, जो खम और ख़तरे के िवचार हमारे भीतर
अ त र शि जा त कर देते ह, बशत हम उन पर िन यता के बजाय
आ ामक तरीक़े से ति या कर। आ ख़री अ याय म हमने देखा था िक
अगर रोमांच क सही या या और इ तेमाल िकया जाए, तो इसके होने से
दशन म बाधा पड़ने के बजाय मदद िमलती है। यह सब इंसान और उसके
नज़ रए पर िनभर करता है िक नकारा मक भावनाओं का इ तेमाल
सकारा मक तरीक़े से िकया जाता है या नकारा मक तरीक़े से।
अपनी ही नकारा मक सलाह पर
आ ामक तरीक़े से ति या कर
हर कोई ऐसे लोग को जानता है ज ह दस
ू र क सलाह “तुम यह नह कर
सकते” हताश और परा जत कर सकती है। दस
ू री ओर, कुछ लोग इस
सलाह को सुनने के बाद जी-जान लगा देते ह और सफलता के लए पहले
से अ धक संक पवान हो जाते ह। उ ोगप त हैनरी जे. कायज़र के एक
सहयोगी ने कहा था, “अगर आप यह नह चाहते िक हैनरी कोई काय करे,
तो उसे यह बताने क ग़लती न कर िक उस काय को नह िकया जा सकता
या वह उस काय को नह कर सकता - य िक तब वह या तो उस काय क
कर देगा या उसे करने क को शश म बबांद हो जाएगा।”
यह न सफ़ संभव है, ब क पूरी तरह यावहा रक है िक दस
ू र क
नकारा मक सलाह क तरह ही हम अपनी भावनाओं क “नकारा मक
सलाह” पर भी उसी आ ामक, सकारा मक अंदाज़ म ति या कर।
बुराई को अ छाई से जीत
भावनाएँ इ छाशि से सीधे िनयंि त नह क जा सकत । उ ह आदेश
देकर वे छा से या अपने आप िकसी नल क तरह चालू नह िकया जा
सकता। भले ही उ ह आदेश न िदया जा सकता हो, लेिकन उनका पीछा
िकया जा सकता है। भले ही उ ह इ छा के य काय ारा िनयंि त नह
िकया जा सकता, लेिकन उ ह अ य
है।
प से िनयंि त िकया जा सकता
बुरी भावना चेतन यास या इ छाशि से ख़ म नह होती। बहरहाल,
इसक जगह दस
ू री भावना रखकर पहली भावना को ख़ म िकया जा
सकता है। अगर हम िकसी नकारा मक भावना पर सामने से हमला करके
उसे बाहर नह िनकाल सकते, तो हम उसक जगह िकसी सकारा मक
भावना को रखकर यह प रणाम हा सल कर सकते ह। याद रख, भावना
त वीर का अनुसरण करती है और यह उसी के अनु प होती है, जसे
हमारा तंि का तं वा तिवक या का पिनक प रवेश के बारे म सच मानता
है। जब भी हम ख़ुद को अनचाही भावनाएँ अनुभव करते पाएँ , तो हम
अनचाही भावना पर यान कि त नह करना चािहए, यहाँ तक िक इसे
बाहर िनकालने के बारे म भी नह सोचना चािहए। इसके बजाय, हम तो
तुरत
ं सकारा मक च पर यान कि त करना चािहए। हम मन को व थ,
सकारा मक, मनचाही त वीर , क पनाओं और मृ तय से भरने पर यान
कि त करना चािहए। अगर हम यह कर लेते ह, तो नकारा मक भावनाएँ
अपने आप ख़ म हो जाती ह। वे बस काफूर हो जाती ह। हमारे अंदर नई
त वीर के अनु प नई भावनाएँ आ जाती ह।
दस
ू री ओर, अगर हम केवल चता के िवचार को बाहर िनकालने या
उन पर हमला करने पर यान कि त करते ह, तो इसके लए नकारा मक
बात पर यान कि त करना ज़ री हो जाता है। और अगर हम चता के
एक िवचार को बाहर िनकलने म सफल हो जाते ह, तो कोई दस
ू रा या यहाँ
तक िक कई नए िवचार तेज़ी से अंदर आ जाएँ गे, य िक आम मान सक
प रवेश अब भी नकारा मक है। ईसा मसीह ने हम चेतावनी दी थी िक अगर
हमने घर को ख़ाली छोड़ा, तो मन से एक रा स क सफ़ाई करने के बाद
सात नए रा स अंदर आ जाएँ गे। उ ह ने हम बुराई का तरोध न करने क
भी सलाह दी थी, ब क बुराई पर जीत पाने के लए अ छाई का इ तेमाल
करने को कहा था।
चता का इलाज करने क अ य िव ध
आधुिनक मनोवै ािनक डॉ. मै यू चैपल अपनी पु तक हाउ टु कंटोल वरी
म िबलकुल यही करने क सलाह देते ह। डॉ. चैपल कहते ह िक हम चता
करने वाले लोग ह, य िक हम तब तक चता का अ यास करते ह, जब
तक िक इसम िनपुण नह हो जाते। हमारी आदत बन जाती है िक हम
अतीत क नकारा मक त वीर को याद करते रहते ह और भिव य के बारे
म नकारा मक त वीर बनाने म जुटे रहते ह। इस तरह लगातार चता करने
से तनाव उ प होता है। तब चता करने वाला चता करना छोड़ने का
यास करता है और एक द ु च म फंस जाता है। यास से तनाव बढ़ता
है। तनाव से चता करने वाला माहौल उ प होता है। वे कहते ह िक चता
का एकमा इलाज एक नई आदत डालना है, जसम च तत करने वाली
अि य त वीर क जगह पर तुरत
ं सुखद, व थ मान सक त वीर रख दी
जाएँ । जब भी आप ख़ुद को चता करता पाएँ , तो हर बार इसे एक संकेत
मान। यह इस बात का संकेत है िक आप तुरत
ं मन को अतीत क सुखद
मान सक त वीर से भर ल या सुखद भावी अनुभव क उ मीद करने लग।
समय के साथ चता अपने आप हार मान लेगी, य िक चता के आते ही
चता-िवरोधी अ यास सि य हो जाएगा। डॉ. चैपल कहते ह िक चता
करने वाले का काय चता के िकसी खास ोत से उबरना नह है। उसका
काय तो मान सक आदत बदलना है। जब तक मन िकसी िन य,
पराजयवादी “म उ मीद करता हूँ िक ऐसा कुछ न हो जाए” वाले नज़ रए म
अटका रहता है, तब तक चता करने के लए कोई न कोई चीज़ हमेशा
रहेगी।
जब म एक मे डकल िव ाथ था, तो मुझे याद है िक ोफ़ेसर ने
रोगिव ान पर सवाल के मौ खक जवाब देने के लए मुझे बुलाया था। जब
म दस
ू रे िव ा थय के सामने खड़ा हुआ, तो न जाने य डर और चता से
भर गया तथा सवाल के सही जवाब नह दे पाया। लेिकन दस
ू रे अवसर पर
यह सब बदल जाता था। जब म िकसी लाइड को माइ ो कोप से देखता
था और टाइप िकए हुए सवाल के जवाब देता था, तब म िबलकुल ही
अलग इंसान होता था। म तनावरिहत, आ मिव ासी और ख़ुद के बारे म
आ त रहता था, य िक म अपने िवषय को जानता था। तब मुझम
िवजेता भावना रहती थी और म बहुत अ छा दशन करता था।
जैसे-जैसे सेिम टर आगे बढ़ा, मने अपने ि कोण को बदल लया।
जब म सवाल का जवाब देने के लए उठता था, तो म क पना करता था
िक म ोताओं को नह देख रहा हूँ, ब क एक माइ ो कोप म रखी
लाइड देख रहा हूँ। इससे म तनावरिहत हो गया और मने मौ खक
से
उ प होने वाली नकारा मक भावना क जगह पर िवजेता भावना रख ली।
सेिम टर के अंत म मने मौ खक और ल खत दोन ही परी ाओं म बहुत
अ छा दशन िकया।
नकारा मक भावना आ खरकार एक तरह क घंटी बन गई, जो
ति या म िवजेता भावना को अपने आप उ प कर देती थी।
आज म संसार के िकसी भी िह से म िकसी भी ोतासमूह के सामने
आराम से भाषण देता और बोलता हूँ, य िक म तनावरिहत हूँ और जानता
हूँ िक म िकस बारे म बोल रहा हूँ। इससे भी बढ़कर, म दस
ू र को भी
बातचीत म शािमल करता हूँ और उ ह भी तनावरिहत महसूस करा देता हूँ।
चुनाव आपका है
आपके भीतर पुराने अनुभव और भावनाओं असफलताओं और दोन से
संबं धत, एक वृहद मान सक भंडार है। टेप क िन य रकॉ ड स क तरह
ये अनुभव और भावनाएँ हमारे म त क के यूरल एन ा स पर रकॉड
रहते ह। वहाँ सुखद अंत वाली कहािनय क रकॉ ड स भी ह और दख
ु द
अंत वाली कहािनय क रकॉ ड स भी ह। दोन ही पूरी तरह स ी ह। दोन
ही पूरी तरह वा तिवक ह। चुनाव आप पर है िक आप िकस रकॉ डग को
चलाने का चुनाव करते ह।
इन एन ा स के बारे म एक और रोचक वै ािनक िन कष यह है िक
इ ह उसी तरह बदला या संशो धत िकया जा सकता है, जस तरह से
अ त र साम ी भरकर या नई रकॉ डग करके िकसी टेप रकॉ डग को
बदला जा सकता है।
मानव म त क म दोबारा बजते समय ये रकॉ ड स हर बार थोड़ा
बदल जाती ह। वे अपने त हमारे वतमान मूड, सोच और नज़ रय का
थोड़ा अंश हण कर लेती ह। अब हम यह त य जान चुके ह िक न सफ़
अतीत वतमान को भािवत करता है, ब क वतमान भी प
प से
अतीत को भािवत करता है। दस
ू रे श द म, हम अतीत ारा शािपत या
अ भश नह ह। हमारी वतमान सोच, हमारी वतमान मान सक आदत ,
अतीत के अनुभव के
त हमारे नज़ रय और भिव य के
त हमारे
नज़ रय - इन सबका भी पुरानी रकॉ ड स पर असर होता है। पुरानी सोच
को हमारी वतमान सोच ारा बदला, संशो धत या िव थािपत िकया जा
सकता है।
पुरानी रकॉ ड स को बदला जा सकता है
एक और रोचक िन कष यह है िक िकसी ख़ास रकॉ डग या एन ाम को
जतना अ धक सि य िकया जाता है या बजाया जाता है, वह उतनी ही
अ धक शि शाली बनती है। एन ा स का था य व सनै टक
कायकुशलता (चेन बनाने वाले अलग-अलग यरू ॉ स के बीच कने श स
क कायकुशलता और आसानी) से उ प होता है। यही नह , सनै टक
कायकुशलता उपयोग के साथ बढ़ती है और अनुपयोग के साथ कम होती
है। एक बार िफर, हमारे पास अतीत के दख
ु द अनुभव को भूलने तथा
सुखद अनुभव पर यान कि त करने का अ छा वै ािनक आधार है। ऐसा
करके हम उन एन ा स को सश बना देते ह, जो सफलता तथा ख़ुशी से
संब ह। साथ ही, हम उन एन ा स को कमज़ोर करते ह, जनका संबध
ं
असफलता तथा दख
ु से है।
हम भावनाएँ या “अव था” केसे बनाते ह
जब प रवार के िकसी सद य या िम क मृ यु हो जाती है, तो हम उस
यि के बारे म अतीत क कई घटनाएँ याद करते ह। ऐसे मौक़ पर हमम
अ धकतर बुरी मृ तय को दरिकनार करने और उ ह याद न करने क
वृ होती है। साथ ही हमम अ छी याद को बेहतर बनाने तथा उ ह
बढ़ा-चढ़ाकर देखने क वृ
भी होती है। मेरे एक अंकल अ सर
बदिमज़ाज, गुमसुम और बेहद आलोचना मक रहते थे, लेिकन कभी-कभार
जोशीले और िवनोदपूण हो जाते थे। उ ह याद करते समय हर भावी
पा रवा रक अवसर पर कहा जाएगा िक वे पाट क रौनक रहते थे और
बहुत उ साहवधन करते थे। आप हर साल छुि य म जस बहन से बस दोतीन बार िमलकर ही संतु रहते ह और इसके बीच म आप न तो उसे याद
करते ह, न ही उसके बारे म सोचते ह, वह याद म एक िव त बहन बन
जाती है, जससे हुई बातचीत को आप हर िदन याद करगे। यह दख
ु क
भावना का िह सा है। ऐसा इस लए होता है, य िक हम सफ़ कुछ ख़ास
रकॉ ड स को चलाने का चुनाव करते ह, बाक़ को पूरी तरह भूल जाते ह
और जो रकॉ डग चलाई जाती है, उसम भी हम फेरबदल करने का चुनाव
करते ह। इ तहास को श दशः दोबारा लखा जाता है, तािक शोक क
भावना को अनुम त िमल सके, जसे हम उ चत मानते थे। यह हमारी ख़ुद
क आ म-छिव म ो ाम क गई हर चीज़ पर आधा रत होती है। इसका
संबध
ं इससे होता है िक हम ख़ुद को कैसा इंसान मानते ह और हमारे
व प के िहसाब से हम उन प र थ तय म कैसा यवहार करना चािहए।
मुझे याद है, म एक अं येि म गया था। मृतक और उसके भाई बरस
पहले ही अलग हो गए थे, य िक पा रवा रक कारोबार को लेकर उनम एक
बहुत कटु यु हो गया था। अं येि म मृतक का भाई उठकर खड़ा हुआ
और लगभग पं ह िमनट तक बोला। उसने इतनी भावुक और मम पश
शंसा क िक कफ़न के ऊपर आभामंडल चमकने लगा और प रवार के
सभी सद य क आँ ख नम हो गई। इसके कुछ स ाह बाद वह मुझे पड़ोस
क कॉफ़ शॉप म िमल गया और हम बात करने लगे। मने सावधानी से
कहा, “िबल, म जानता हूँ िक तु हारे और तु हारे बड़े भाई के बीच िकतनी
बुरी भावनाएँ थ । िफर भी मुझे यह समझ नह आ रहा है िक तुम उसक
शोकसभा म इतने दयावान कैसे हो गए?”
उसका जवाब इस बात के मुख रह य को बताता है िक हम अपनी
भावनाओं को कैसे बनाते ह! उसने जवाब िदया, “म इस तरह का यि हूँ,
जो कभी िकसी मृत यि के बारे म बुरा नह बोलता।”
“म इस तरह का यि हूँ, जो (ख़ाली थान भर)” यह वा य
अिव सनीय प से सारग भत और अिव सनीय प से शि शाली होता
है। यह कट करता है िक आ म-छिव क प र ध म नह , मूल म या है,
जसक पुि सभी अ य िवचार , भावनाओं, काय और प रणाम को करनी
होगी। इससे यह भी कट होता है िक जब भी ज़ रत हो, आप िकस कार
िवजेता भावना के उदय को सुिन त कर सकते ह।
मान सक
श ण अ यास
नकारा मक आ म-छिव को बदल द, जो वच लत असफलता
मेकेिन म क आवाज़ है। इसे सकारा मक संक प म बदल ल, “म
इस तरह का यि हूँ जो…” इस संक प को यि गत मं के प म
तब तक दोहराएँ , जब तक िक यह दरवाज़े से चुपके से घुस आने
वाली िकसी भी कार क आ म-शंका पर वच लत ति या न बन
जाए! यहाँ पर कुछ उदाहरण ह :
म इस तरह का यि
हूँ, जो…
भावी ढंग से अगले िदन क योजना बनाता है, ल य तय करता है
और उ ह हा सल करता है।
सावधानी से सुनता है, िफर आ मिव ास और समझाने-बुझाने वाले
अंदाज़ म संवाद करता है।
सम याओं को सुलझाने और िवचार सुझाने म पहल करता है।
दबाव म शांत रहता है।
“जंक फ़ूड” के बजाय ताज़े फल और अ य व थ आहार को
यादा पसंद करता है।
अ याय पं ह
जीवन म अ धक वष और
वष म अ धक जीवन
हम बरस से नह , ब क घटनाओं और उनक त
अपनी भावना मक ति याओं से बूढ़े होते ह।
-डॉ. अरनॉ ड ह
के सोते क खोज… या हर
य ◌ौ वन
कोई अंद नी सोता होता है?
आपको यव
ु ा रख सकता है?
या असफलता मेकेिन म “बुढ़ापे क
क
ै र
यि के पास यौवन का
या सफलता मेकेिन म
ि या” को तेज़ करता है?
वुडी ऐलन ने कहा था, “म अपने काय से अमर व हा सल नह करना
चाहता। म तो कभी न मरकर अमरता हा सल करना चाहता हूँ।” अपनी
उ म म उनके कथन से सहमत हूँ। वा तव म, मुझे अगर एक और दशक
का तुलना मक यौवन िमल जाए, तो म ख़ुशी-ख़ुशी िकसी भी िवरासत को
देने को तैयार हूँ, अपने साइको साइबरनेिट स के काय क बदौलत िमली
िवरासत भी। लेिकन मने एक बहुत जोशपूण, व थ, रोचक और
पुर कारदायक जीवन जया है, जसम बाद के वष म फू त, ग तिव ध
और ती णता क मह वपूण त नह हुई है, इस लए मुझे कोई शकायत
नह है। म मानता हूँ िक काफ़ हद तक ऐसा इस लए है, य िक म
आ ामक प से अपनी मनोवै ािनक सेहत पर काय कर रहा हूँ और इसे
अपनी शारी रक सेहत क परवाह करने दे रहा हूँ।
मेरा दावा है िक बुढ़ापे का तरोध करने या दीघायु बनाने वाली दवा म
भावना मक क याण क भूिमका का िव तार और िवकास ही होगा तथा
आने वाले वष म यह अ धक वीकृत, स मािनत और ति त बन
जाएगी।
जन स ाइय को सािबत नह िकया जा सकता,
वे भी उपयोगी होती ह
िव लयम जे स ने एक बार कहा था िक हर यि , जसम वै ािनक शािमल
ह, प र चत त य के संबध
ं म अपने ख़ुद के अ त-िव ास िवक सत कर
लेता है, ज ह त य वयं तकसंगत सािबत नह करते। यावहा रक क़दम
के प म ये “अ त िव ास” न सफ़ अनुमत ह, ब क आव यक भी ह।
िकसी भावी ल य के बारे म हमारी मा यता, जसे कई बार हम देख नह
सकते, ही हमारे वतमान काय और “वतमान यवहार” को तय करती है।
कोलंबस को अपनी ऐ तहा सक खोज करने से पहले यह क पना करनी ही
थी िक प म म एक िवशाल भूभाग है। वरना वह कभी जहाज़ लेकर खोजी
अ भयान पर नह िनकलता और अगर िनकलता भी, तो उसे यह पता नह
होता िक िकस िदशा म जाना है : द ण, पूव, उ र या प म।
वै ािनक शोध मा यताओं पर िव ास क वजह से ही संभव होता है।
शोध संबध
ं ी योग हड़बड़ी म या िन े य नह होते ह, ब क िनद शत
और ल य-कि त होते ह। वै ािनक को सबसे पहले तो एक क पत स ाई
तय करनी होती है, एक ऐसी क पत अवधारणा जो त य पर नह , ब क
अनुमान पर आधा रत होती है। इसके बाद ही वह जान पाता है िक उस
अवधारणा को सही या ग़लत सािबत करने के लए कौन से योग करने ह
या त य क तलाश कहाँ करनी है।
इस आ ख़री अ याय म म आपको अपने कुछ अ त-िव ास,
प रक पनाएँ और दशन बताना चाहूँगा; एम.डी. के प म नह , ब क
इंसान के प म। जैसा डॉ. है स से ये ने कहा है िक कुछ “स ाइय ” का
इ तेमाल चिक सक ारा नह िकया जा सकता, लेिकन रोगी ारा िकया
जा सकता है।
जीवन शि
: उपचार और यौवन का रह य
म मानता हूँ िक शरीर, जसम भौ तक म त क और तंि का तं शािमल है,
मशीन जैसा होता है। यह शरीर असं य छोटे-छोटे मेकेिन म से बना है, जो
सभी उ े यपूण या ल य-कि त ह। हालाँिक, म यह नह मानता िक इंसान
एक मशीन है। मेरा मानना है िक इंसान का सार ही इस मशीन को जीवंत
बनाता है, इस मशीन म िनवास करता है, इसे िनद शत और िनयंि त करता
है तथा वाहन के प म इसका इ तेमाल करता है। इंसान मशीन नह है,
जस कार िक िबजली वह तार नह है, जसम यह वािहत होती है, न ही
वह मोटर है, जो इसे चालू करती है। म मानता हूँ िक इंसान का सार दैिहक
से परे है।
कई वष से कुछ वै ािनक - मनोवै ािनक, देहिव ानी, जीववै ािनक
- शक कर रहे ह िक िकसी तरह क शा त “ऊजा” या ाण शि होती है,
जो इंसान क मशीन म बहती है। उ ह यह भी शक था िक इस ऊजा क
उपल ध मा ा और उपयोग से यह प होता था िक कुछ यि दस
ू र के
मुक़ाबले बीमारी का अ धक तरोध य कर पाते ह, कुछ लोग दस
ू र के
मुक़ाबले यादा बूढ़े य होते ह और कुछ कठोर लोग दस
ू र के मुक़ाबले
यादा लंबा य जीते ह। यह भी बहुत प था िक इस बुिनयादी ऊजा चाहे यह जो भी हो - का ोत उस सतही ऊजा से भ था, जो हम भोजन
से िमलती है। कैलोरी क ऊजा यह प नह कर पाती है िक एक इंसान
िकसी गंभीर ऑपरेशन के बाद तुरत
ं ठीक य हो जाता है, तनाव भरी लंबी
थ तय को य सहन कर पाता है या दस
ू रे से अ धक लंबा य जी पाता
है। हम ऐसे यि य के बारे म बोलते ह िक उनक “मज़बूत संरचना” है।
जो यि लंबा जीते ह और अ छी तरह जीते ह, उनके ारा द शत
मज़बूत संरचना उन त व से जुड़ी नज़र आती है, जन पर हमारा काफ़
िनयं ण है। इनम ल य को लगातार तय करना और दोबारा तय करना भी
शािमल है, तािक हमारे पास जीने के लए कोई साथक चीज़ रहे।
एक बहुत मशहूर पेशेवर व ा तीन दशक से सफल थे। उ ह
आ ख़रकार थकान महसूस होने लगी। थकान भाषण देने से नह , ब क
लगातार या ा क उलझन से हो रही थी, जनम या ा के दौरान होने वाली
सभी िनिहत कंु ठाएँ और साधारण होटल के कमर म रात का अंतहीन
सल सला शािमल था। दो त कह रहे थे िक या ा ने उ ह बूढ़ा कर िदया
था। वे अपने पेशे को छोड़ने क कगार पर थे, जससे वे सचमुच ेम करते
थे और कहा जाता था िक इसी से उ ह साथकता व उ े य िमलता था।
लगभग उसी समय, शायद रटायरमट क याशा म, वे गो फ़ खेलने लगे
और यह खेल उ ह रास आ गया। यहाँ तक िक उ ह इस खेल क लत लग
गई और वे इसम थोड़े िनपुण भी हो गए। एक िदन एक लंबी उड़ान के बाद
उनके िदमाग़ म एक नया ल य आया : संघ के हर रा य के कम से कम एक
मशहूर गो फ़ कोस पर खेलना। वे अपनी क पना म इस पर िवचार करने
लगे। उ ह ने बहुत मु कल मैदान पेबल बीच पर एक शॉट मारने के बाद
अपना फ़ोटो खचते देखा। इसके बाद उ ह ने क पना म ख़ुद को ामीण
अला का के एक गो फ़ कोस पर सचमुच हँसते देखा।
यह िवचार लगातार गंभीर होता गया, जब तक िक वे आने वाले िदन
म अ सर इसके बारे म नह सोचने लगे। इसका इ तहान लेने के लए
अपनी अगली दस िदन क या ा म वे अपनी टक साथ ले गए और अपने
भाषण के बीच गो फ़ के राउं ड तय कर लए। इसम हैरानी क कोई बात
नह थी िक अब वे अगले िदन क या ा को लेकर घबरा नह रहे थे, ब क
उ साह से उसका इंतज़ार कर रहे थे। इस नए ल य के बारे म सोचने से
उ ह ऊजा और जोश का एक िबलकुल नया तर िमल गया। अब वे उ ह
जगह पर भाषण देने क जुगाड़ करते ह, जहाँ वे गो फ़ कोस ह , जन पर वे
खेलना चाहते ह। उ ह ने न सफ़ अपने क रयर क अव ध बढ़ा ली और
उसम नई जान फँू क , ब क संभवतः उ ह ने अपने जीवन क अव ध को
भी बढ़ा लया है और उसम नई जान फँू क दी है।
यह छह-सात साल पहले क बात है। इस पु तक को लखने के समय
वे 73 वष के हो चुके ह, लेिकन इस उ म भी यह व ा/गो फ़ खलाड़ी
दमदार तरीक़े से बढ़ता जा रहा है। ऐसा लगता है िक उनम िकसी अ धक
यव
ु ा यि क जीवन शि या ाण शि है।
या आप अपनी उ से अ धक बूढ़े या यव
ु ा ह? इसक गणना अपने
आप म काफ़ प पात भरी है। दे खए, अगर कैलडर म हर साल 12 के
बजाय 15 महीने होते, तो आप इस साल अपना एक अलग ज मिदन मना
रहे होते। यह छोटी सं या आपक आ म-छिव को आपक उ के बारे म
एक भ स ाई का िव ास िदला सकती थी। इस वजह से आप अलग
तरीक़े से महसूस करते और काय करते। हम सभी ऐसे लोग को जानते ह,
जो ह तो 35 के, लेिकन िदखते 65 के ह। इसी तरह हम उन लोग को भी
जानते ह, जो ह तो 65 के लेिकन िदखते 35 के ह। म मानता हूँ िक यह
अ त थोड़ी कम होनी चािहए। लेिकन उ के बारे म सोच-िवचार करने के
अलावा हम सभी अ धक जीवन शि का दोहन करना चाहते ह।
िव ान ने जीवन शि
को खोजा
मॉ टयल यूिनव सटी के डॉ. है स से ये ने जीवन शि को एक
वै ािनक त य के प म थािपत िकया था। 1936 से डॉ. से ये ने तनाव
संबध
ं ी सम याओं का अ ययन िकया है। िनक और योगशाला म िकए
गए असं य योग तथा अ ययन म डॉ. से ये ने एक बुिनयादी जीवन
शि के अ त व को सािबत िकया है, जसे वे “अनुकूलन ऊजा” कहते
ह। जीवन भर, पालने से लेकर क़ तक, हम हर िदन तनाव भरी थ तय
म ढलना होता है। जीने क ि या भी अपने आप म तनाव - या िनरंतर
ढलने - का कारण होती है। डॉ. से ये ने पाया है िक मानव शरीर म कई र ा
मेकेिन म होते ह (लोकल एडा टेशन सडो स या एलएएस), जो िव श
तनाव से र ा करते ह और एक आम र ा मेकेिन म (जनरल एडा टेशन
सडोम या जीएएस) होता है, जो सामा य तनाव से र ा करता है। “तनाव”
म हर वह चीज़ शािमल है, जसम ढलने या तालमेल बैठाने क ज़ रत
होती है, जैसे गम या सद क अ त, रोगाणुओ ं का आ मण, भावना मक
तनाव, जीवन क टू ट-फूट या तथाक थत बुढ़ापे क ि या।
डॉ. से ये कहते ह, “अनुकूलन ऊजा श दावली उसके लए ईजाद क
गई है, जो सतत अनुकूलन के काय के दौरान ख़च होती है। इसका उ े य
यह संकेत करना है िक यह उस कैलो रक ऊजा से भ है, जो हम भोजन
से िमलती है। बहरहाल, हमारे पास अभी सफ़ एक नाम है और अब भी
कोई सटीक अवधारणा नह है िक यह अनुकूलन ऊजा या हो सकती है।
इस िदशा म आगे का शोध बड़ा आशाजनक िदखता है, य िक यहाँ हम
बुढ़ापे से संबं धत बुिनयादी बात को छूते नज़र आते ह।” (है स से ये, द
टेस ऑफ़ लाइफ़ )
डॉ. से ये ने बारह पु तक और सैकड़ लेख लखे ह जनम उ ह ने
अपने चिक सक य अ ययन तथा सेहत व रोग क तनाव अवधारणा क
प िकया है। अगर म उनके केस को यहाँ सािबत करने क को शश क ँ ,
तो यह उनके त अपकार होगा। यह कहना ही काफ़ होगा िक उनके
िन कष को पूरे संसार के मे डकल िवशेष मा यता देते ह। और अगर
आप उस काय के बारे म अ धक जानना चाह, जससे उ ह ने ये िन कष
िनकाले, तो म आपको जनसाधारण के लए लखी गई। डॉ. से ये क
पु तक द टेस ऑफ़ लाइफ़ पढ़ने क सलाह देता हूँ।
मेरे लए सचमुच मह वपूण बात यह है िक डॉ. से ये ने यह सािबत कर
िदया है िक शरीर अपने आप ही ख़ुद को व थ बनाए रख सकता है,
बीमारी से अपना उपचार कर सकता है और उन घटक से सफलतापूवक
जूझते हुए यव
ु ा रह सकता है जो बुढ़ापा लाता है। न सफ़ उ ह ने यह
सािबत िकया है िक शरीर म ख़ुद का उपचार करने क मता होती है,
ब क वे कहते ह िक अं तम िव ेषण म यही इकलौते कार का उपचार है।
दवाएँ , सजरी और िव भ चिक सा प तयाँ काफ़ हद तक इस तरह
काय करती ह िक जब शरीर का र ा तं कमज़ोर होता है, तो वे उसे
उ े जत कर देती ह। और जब शरीर का र ा तं अ त ति या कर रहा
होता है, तो ये उसे शांत करती ह। दरअसल, अनुकूलन ऊजा ही
आ ख़रकार रोग से उबारती है, घाव या चोट को ठीक करती है या तनाव
पैदा करने वाली दस
ू री चीज़ पर िवजय पाती है।
या यह यौवन का रह य है?
यह ाण शि , जीवन शि या अनुकूलन ऊजा - आप इसे चाहे जो कह ल
- ख़ुद को कई तरीक़ से कट करती है। िकसी घाव को भरने वाली ऊजा
भी वही है , जो हमारे शरीर के बाक़ अंग से काय कराती है। जब यह ऊजा
सव े
तर पर होती है, तो हमारे सभी अंग बेहतर काय करते ह, हम
अ छा महसूस करते ह, घाव यादा तेज़ी से भरते ह, हम रोग का बेहतर
तरोध कर पाते ह, हम िकसी भी तरह क चोट से ज दी उबर पाते ह, हम
अ धक यव
ु ा महसूस करते ह, फू त के साथ काय करते ह और दरअसल
जैिवक प से हम अ धक यव
ु ा होते ह। इस तरह इस जीवन शि के
िव भ
कटीकरण को पर पर संबं धत करना और यह मानना संभव है
िक जो भी हमारी इस जीवन शि का अ धक उपयोग करने के लए काय
करता है , जो भी जीवन शि के अ धक अंत: वाह को हमारे लए खोलता
है, जो भी इसके बेहतर इ तेमाल म हमारी मदद करता है - वह “पूरी तरह”
हमारी मदद करता है।
हम यह कह सकते ह िक जो भी सामा य चिक सा घाव को ज दी
भरने म मदद करती है, वह हम अ धक यव
ु ा भी महसूस कराती है। जो भी
सामा य चिक सा दद से उबरने म हमारी मदद करती है, वह िमसाल के
तौर पर, हमारी आँ ख क रोशनी को भी सुधारती है। और अब
चिक सक य शोध इसी िदशा म जा रहा है और यह राह बहुत आशाजनक
िदखती है।
यौवन के अमृत के िव ान क तलाश
इस पु तक के मूल सं करण म इस अ याय म मने िव तार से कुछ
चिक सक य शोध और संभािवत “ चिक सक य चम कार ” के बारे म
लखा था, जो 1960 म हो रहे थे। म सोचता हूँ िक इसके बाद के 40 से
अ धक वष म जो कुछ हुआ है, उसक रोशनी म आपको ये िट प णयाँ
पढ़ना िदलच प लगेगा। िव श चीज़ म प रवतन से परे जो अटल स य
है, वह यह है िक यौवन के रह यमय सोते क तलाश कभी ख़ म नह होती
है। आज हॉलीवुड के सतार , दौलतमंद ए ज़ी यूिट ज़ और बुढ़ाते
खलािड़य म मानव िवकास हॉम न (एचजीएच) इंजे शन का इ तेमाल
आम है। और कई नीम-हक म दवाएँ ह, जो इन इंजे शन के भाव क
नक़ल का दावा करती ह और वे हे थ फ़ूड टोस तथा दवा क दक
ु ान पर
बहुतायत म मौजूद ह। शायद आपने डीएचईए यट
ू ीशनल स लीम स,
टे टो टेरोन पैचेस आिद के बारे म पढ़ा हो या उनका इ तेमाल भी िकया
हो।
भोजन, यायाम, कुछ हबल और पोषक स लीमट् स, साथ ही डग
थेरप
े ी का भाव होता है और बेशक कई रोमांचक खोज अभी बाक ह।
ज़ािहर है, चिक सा के संदभ म हमने शरीर के जीवन का िव तार करने म
लंबे डग भरे ह, लेिकन जीवन क गुणव ा के संदभ म कम सफल हुए ह।
मुझे मनोवै ािनक जीवन के िव तार और बेहतरी के बारे म यादा
कुतूहल है। शारी रक और मनोवै ािनक - इन दोन के बीच पुल बनाने के
लए मने एक बार अ य घटक या आम साझी बात क तलाश क थी,
जनसे यह प हो सके िक कुछ रोिगय के ऑपरेशन के घाव बाक़ क
तुलना म ज दी य भर जाते ह। इस उ े य से जो दवा दी जाती थी, वह
कुछ लोग पर दस
ू र के मुक़ाबले यादा अ छी तरह य काय करती थी।
यह अपने आप म िवचारणीय बद ु था, य िक चूह म लगभग समान
प रणाम िमले थे। आम तौर पर चूह को कोई चता या कंु ठा नह होती।
बहरहाल, कंु ठा और भावना मक तनाव चूह म डाला जा सकता है, अगर
उ ह थर कर िदया जाए, तािक उनके पास ग तिव ध क वतं ता न रहे।
पूरी तरह से थर रखे जाने से हर ाणी कंु िठत हो जाता है। योगशालाओं
के योग ने िदखाया है िक कंु ठा के भावना मक दबाव म बहुत छुटपुट घाव
यादा तेज़ी से ठीक हो सकते ह, लेिकन कोई भी वा तिवक घाव बदतर हो
जाता है और कई बार तो उसका उपचार असंभव हो जाता है। यह भी
थािपत िकया जा चुका है िक एडीनल ं थयाँ भावना मक तनाव और
शारी रक ऊतक त के तनाव पर काफ़ कुछ एक सी ति या करती ह।
असफलता मेकेिन म आपको िकस कार चोट
पहुँचाता है
इस तरह यह कहा जा सकता है िक शरीर को नुक़सान पहुँचने पर कंु ठा
और भावना मक तनाव (वे घटक जनका वणन हम पहले ही असफलता
मेकेिन म के प म कर चुके ह) श दशः चोट को बढ़ा सकते ह। अगर
शारी रक नुक़सान बहुत कम है, तो थोड़ा भावना मक तनाव र ा तं क
ग तिव ध को उ े जत कर सकता है, लेिकन अगर शारी रक चोट
वा तिवक या सचमुच गहरी है, तो भावना मक दबाव इसे बढ़ा देता है और
बदतर बना देता है। यह ान आपको ठहरने और सोचने का कारण देता है।
अगर बुढ़ापा हमारी अनुकूलन ऊजा के उपयोग से आता है, जैसा इस े
के अ धकतर िवशेष
को लगता है, तो असफलता मेकेिन म के
नकारा मक घटक म ख़ुद को डु बाने से हम दरअसल समय से पहले ही बूढ़े
हो सकते ह, य िक इससे हमारी ऊजा यादा तेज़ी से ख़ म हो जाएगी।
ती
वा
य—लाभ करने वाल का रह य या है?
मेरे जन रोिगय को सीरम नह िमला, उनम से कुछ लोग ने सजरी के बाद
सीरम वाले रोिगय जैसी ही ति या क । उ , खुराक़, नाड़ी क ग त,
र चाप आिद के फ़क़ इसक वजह को प नह कर पाए िक ऐसा य
हुआ। बहरहाल, एक गुण सभी ती वा य-लाभ करने वाल म आम था
और यह प नज़र आता था।
वे सभी आशावादी और ख़ुशिमज़ाज सकारा मक चतक थे। उ ह न
सफ़ ज दी से ठीक होने क उ मीद थी, ब क उनके पास ज दी से
अ छा होने का कोई बल कारण या आव यकता हमेशा मौजूद थी। उनके
पास आगे देखने के लए कुछ था और न सफ़ जीने के लए, ब क व थ
होने के लए भी कुछ था। “मुझे अपने काय पर वापस लौटना है।” “मुझे
यहाँ से बाहर िनकलना ही है, तािक म अपना ल य हा सल कर सकँू ।”
सं ेप म, वे उन गुण और नज़ रय क िमसाल थे, जनका वणन म
पहले ही सफलता मेकेिन म के प म कर चुका हूँ।
िवचार जैिवक और कायकारी प रवतन लाते ह
यह बात हम सभी जानते ह : मान सक नज़ रए शरीर के उपचारक तं को
भािवत कर सकते ह। ायोिगक औष धयाँ या शकर क गो लयाँ (ऐसे
कै सूल जनम कोई असरकारक त व न ह ) लंबे समय से चिक सक य
रह य रही ह। उनम िकसी तरह क दवा नह होती, जससे रोग ठीक हो
सके। बहरहाल, जब िकसी नई दवा के भाव क जाँच करने के लए िकसी
िनयं ण समूह को शकर क गो लयाँ दी जाती ह, तो नक़ली गो लयाँ पाने
वाला समूह लगभग हमेशा उतने ही अ छे प रणाम िदखाता है, जतने िक
असली दवा लेने वाले लोग का समूह िदखाता है। दरअसल, शकर क
गो लयाँ लेने वाले िव ा थय ने सद क एक नई दवा खाने वाले समूह से
बेहतर ति या क और सद के ख़लाफ़ अ धक तर ा िदखाई।
ि तीय िव यु के दौरान रॉयल कैने डयन नैवी ने जहाज़ पर होने
वाली मतली के लए एक नई दवा क जाँच क । समूह 1 को नई दवा दी गई
और समूह 2 को शकर क गो लयाँ दी गई। इन समूह म केवल 13 तशत
जहाज़ी ही मतली के शकार हुए, जबिक समूह 3 के 30 तशत लोग
बीमार हो गए, ज ह कुछ नह िदया गया था।
अ य दवा के िदखने वाले प रणाम
शकर क गो लयाँ खाने वाले लोग को यह पता नह चलना चािहए िक
उपचार नक़ली है, वरना यह कारगर नह होगा। उ ह तो यह यक़ न होना
चािहए िक उ ह असली दवा िमल रही है, जससे वे ठीक हो जाएँ गे। शकर
क गो लय को मा सुझाव के कारण ख़ा रज करने से कुछ प नह
होता। अ धक ता कक िन कष यह है िक “दवा” लेने से बेहतर होने क
िकसी तरह क अपे ा उ े जत हो जाती है, मन म वा य क ल य-छिव
बन जाती है और सृजना मक मेकेिन म उस ल य को हा सल करने के
लए शरीर के अपने उपचारक मेकेिन म के मा यम से काय करने लगता
है।
तथाक थत शकर क गोली का भाव अब आम ान है और यह
आ म-सुझाव का एक शि शाली प है, जसक सहायता िव सनीय
शारी रक संबल से क जाती है। लेिकन यह सफ़ इसी बात का माण नह
है िक सव -मेकेिन म कृि म और असली म भेद करने म असमथ होता है।
यह तो इस बात का माण भी है िक सव -मेकेिन म वा तिवक दवा के
िबना ही व थ करने वाले शारी रक प रवतन करने म स म है!
या हम कई बार सोच-सोचकर बूढ़े हो जाते ह?
हो सकता है िक िकसी ख़ास उ म बूढ़ा होने क अचेतन उ मीद करते
समय हम भी ऐसा ही कुछ करते ह , लेिकन नकारा मक तरीक़े से।
सट लुई म 1951 क इंटरनेशनल जेरो टोलॉ जकल काँ ेस म चेरोक ,
आयोवा के डॉ. रफ़ेल िग ज़बग ने कहा था िक कोई इंसान स र के आसपास बूढ़ा और बेकार हो जाता है, इसी पारंप रक िवचार क वजह से ही
बहुत सारे लोग उस उ म बूढ़े हो जाते ह। उनका कहना था िक जब
भिव य म हम अ धक बु हो जाएँ गे, तो हम शायद स र क उ को
अधेड़ाव था मानने लगगे। सन् 2001 म हम तेज़ी से उस समय और जगह
के क़रीब पहुँच रहे ह, जहाँ 40 क जगह 50 बीच का बद ु बन गया है और
70, यहाँ तक िक 80 क उ को भी उसी तरह देखा जाएगा, जैसा िक सन्
1950 म 60 क उ को देखा जाता था।
इससे अंडे या मुग वाला िववाद शु हो जाता है : कौन पहले आता
है? बदलने वाली वा तिवकता अपे ाओं को शा सत करती है या िफर
अपे ाएँ बदलने वाली वा तिवकता को शा सत करती ह? वा तव म यह
दोतरफ़ा मामला है और हम अ धक लंबे जीवन तथा जीवन क अ धक
गुणव ा के ल य क ओर िकसी भी िदशा से बढ़ सकते ह।
हम सोच-सोचकर ख़ुद को बूढ़ा कैसे करते ह, इस बारे म कम से कम
दो सुझाव आते ह। जब हम िकसी ख़ास उ म बूढ़ा होने क उ मीद करते
ह, तो हम अचेतन प से एक नकारा मक ल य-छिव तय कर देते ह और
इसके बाद हमारा सव -मेकेिन म उस ल य को ा कर लेता है, साकार
कर देता है। या बुढ़ापे क आशंका और इसके आने से घबराकर हम
अनजाने म ही वे चीज़ करने लगते ह, जो इसे ले आती ह। हम अपनी
शारी रक और मान सक ग तिव धय म कमी करने लगते ह। बल
शारी रक ग तिव ध को लगभग पूरी तरह से ख़ म करने का नतीजा यह
होता है िक हमारे जोड़ का लचीलापन कम हो जाता है। यायाम क कमी
से हमारी के शकाएँ सकुड़ जाती ह और एक तरह से ग़ायब हो जाती ह।
इसका नतीजा यह होता है िक हमारे ऊतक को जीवनदायी र क
आपू त बहुत कम हो जाती है। बल यायाम के शकाओं को चौड़ा करने के
लए आव यक है, जो शरीर के सभी ऊतक को पोषण देती ह और कचरे
को हटाती ह। डॉ. से ये ने एक जीिवत पशु के शरीर म खोखली नली
डालकर पशु को शका संवधन िकया। िकसी अनजान कारण से इस नली के
भीतर नई और यव
ु ा जैिवक को शकाएँ बन गई। देखभाल न होने पर वे एक
महीने म मर जाती थ । बहरहाल, अगर नली के भीतर के व को हर िदन
धोया जाता था और कचरे को हटा िदया जाता था, तो को शकाएँ अनंत
काल तक जीिवत रह सकती थ । यानी िक के शकाएँ हमेशा यव
ु ा बनी रहती
ह। न तो कभी उनम बुढ़ापा आता है, न ही वे कभी मरती ह। डॉ. से ये
सुझाव देते ह िक इससे बुढ़ापे क ि या का संबध
ं हो सकता है और अगर
ऐसा है, तो कचरे के उ पादन क दर को धीमा करके या कचरा बाहर
िनकालने म तं क मदद करके बुढ़ापे को टाला जा सकता है। मानव शरीर
म के शकाएँ ही वे माग ह, जनसे कचरा हटाया जाता है। यह िन त प से
थािपत हो चुका है िक यायाम का अभाव और ग तिव धशू यता
के शकाओं को श दशः “सुख़ा” देती ह।
े
औ
ी
ै
अपे ा और संल ता का अथ जीवन है
जब हम अपनी मान सक और सामा जक ग तिव धय म कटौती करने का
िनणय लेते ह, तो हम ख़ुद को बेकार कर लेते ह। हम अपने तरीक़ म
िन त हो जाते ह, ऊब जाते ह और अपनी महान अपे ाओं को याग देते
ह।
मुझे इस बारे म ज़रा भी संदेह नह है िक आप 30 साल के एक व थ
यि को पाँच साल के भीतर बूढ़ा कर सकते ह, अगर आप िकसी तरह
उसे यह िव ास िदला द िक अब वह बूढ़ा हो चुका है, अब सारी शारी रक
ग तिव ध उसके लए ख़तरनाक है और मान सक ग तिव ध िनरथक है।
अगर आप उसे सारा िदन आराम कुस पर बैठने, भिव य के अपने सारे
सपने याग देने, नए िवचार म सारी च छोड़ देने और ख़ुद को एक
व त, बेकार, मह वहीन तथा अनु पादक यि के प म मानने के लए
े रत कर द, तो मुझे यक़ न है िक आप एक बूढ़ा आदमी तैयार कर सकते
ह।
डॉ. जॉन शडलर ने अपनी पु तक हाउ टु लव 365 डेज़ अ इयर
( िटस-हॉल, इ कॉप रेिटड एं गलवुड ि स, एन.जे.) म संकेत िकया था
िक उनके िहसाब से हर इंसान क छह बुिनयादी आव यकताएँ होती ह :
1. ेम क आव यकता
2. सुर ा क आव यकता
3. सृजना मक अ भ यि
क आव यकता
4. मा यता क आव यकता
5. नए अनुभव क आव यकता
6. आ मसमान क आव यकता
इन छह आव यकताओं म म एक और बुिनयादी आव यकता भी
जोड़ना चाहूँगा : अ धक जीवन क आव यकता, आने वाले कल और
भिव य क उ सुकता से, ख़ुशी से, उ मीद से राह देखने क आव यकता।
आप इसे अपे ा और संल ता मान सकते ह।
अपे ा रख और जएँ
यह मुझे अपने एक और अ त-िव ास पर ले आता है।
म मानता हूँ िक जीवन वयं ही अनुकूलनशील है, िक जीवन अपने
आप म ल य नह , ब क ल य का साधन है। जीवन एक साधन है,
जसका उपयोग हम मह वपूण ल य हा सल करने के लए िविवध प म
करने के अ धकारी ह। हम इस स ांत को जीवन के सभी प म, अमीबा
से लेकर इंसान तक, काय करते देख सकते ह। िमसाल के तौर पर, ुवीय
रीछ को मोटे फ़र कोट क ज़ रत होती है, तािक वह ठंडे प रवेश म ज़दा
रह सके। इसे शका रय और श ुओ ं से छपने के लए र ा मक रंग क
ज़ रत होती है। जीवनशि इन ल य के साधन के प म काय करती है
और ुवीय रीछ को सफ़ेद फ़र कोट दान करती है। प रवेश क
सम याओं से िनबटने के लए जीवन के ये अनुकूलन लगभग अनंत ह और
उनका वणन जारी रखने म कोई तुक नह है। म तो सफ़ एक स ांत क
ओर संकेत करना चाहता हूँ, तािक उससे एक िन कष िनकाल सकँू ।
यिद जीवन इतने सारे िविवध प म ख़ुद को अनुकू लत कर सकता
है, तािक यह ल य के साधन के प म काय कर सके, तो या यह मानना
ता कक नह है िक अगर हम ख़ुद को ऐसी ल य- थ त म रख द, जहाँ
अ धक जीवन क ज़ रत हो, तो हम अ धक जीवन िमल जाएगा?
अगर हम इंसान को ल य-आकां ी मानते ह, तो हम अनुकूलन ऊजा
या जीवन शि को उस आगे धकेलने वाले ई ंधन या ऊजा के प म देख
सकते ह, जो हम अपने ल य क िदशा म आगे बढ़ाती है। गैराज म हमेशा
खड़ी रहने वाली कार को टक म गैस क ज़ रत नह होती। इसी तरह,
िबना ल य वाले ल य-आकां ी को भी दरअसल यादा जीवनशि क
ज़ रत नह होती।
मेरा मानना है िक हम इस जीवन क इस आव यकता को थािपत
कर सकते ह, बशत हम ख़ुशी और उ मीद से भिव य क ओर देख, आने
वाले कल का आनंद लेने क अपे ा रख और सबसे बढ़कर, हमारे पास
करने और कह जाने के लए कुछ मह वपूण (हमारे लए) हो।
अ धक जीवन क आव यकता िन मत कर
सृजना मकता िन त प से जीवन शि का ल ण है। और
सृजना मकता का सार िकसी ल य क ओर उ साह से देखना है।
सृजना मक लोग को अ धक जीवन शि क आव यकता होती है। और
जीवन संबध
ं ी आँ कड़े इस बात क पुि करते नज़र आते ह िक उ ह यह
शि िमल जाती है। सृजना मक काय करने वाले - शोध वै ािनक,
आिव कारक, पटस, लेखक, दाशिनक - न सफ़ यादा लंबा जीते ह,
ब क गैर-सृजना मक काय करने वाल से यादा लंबे समय तक उ पादक
बने रहते ह। माइकलएं जलो ने 80 क उ पार करने के बाद भी अपनी कुछ
सव े प टग बनाई। गेटे ने 80 पार करने के बाद फ़ॉ ट लखा। ए डसन
90 क उ म भी आिव कार कर रहे थे। िपकासो 75 के पार होने के बाद
भी कला संसार पर राज कर रहे थे। 90 क उ म भी राइट को सबसे
सृजना मक आ कटे ट माना जाता था। शॉं 90 क उ म भी नाटक लख
रहे थे।
मनोरंजन उ ोग के उ मी डक ाक शा त यौवन क बहुत ही
दशनीय िमसाल ह। लोग उनके लड़क जैसे चेहरे पर मज़ाक़ और आ य
करते ह, य िक ऐसा लगता ही नह है िक उनक उ बढ़ रही है। या वे
कोई जादईु पानी पी रहे ह या कोई करामाती गोली खा रहे ह, जसके बारे म
हम नह जानते? नह , ऐसा कुछ नह है। या कोई आनुवं शक का मामला
शािमल है? शायद, लेिकन यह अकेला ही उस चम कार को प नह कर
सकता, जो हम देखते ह। अगर आप ाक के बारे म यादा जानगे, तो आप
पाएँ गे िक वे मनोरंजन उ ोग के सबसे य त, सबसे िविवधता उ प करने
वाले, सबसे नवाचारी संयोजक म से एक ह।
इसका मतलब यह सुझाव देना नह है िक यौवन के लए आपको
सतत काय करना चािहए, जब तक िक कंधा देने वाले आपको ऑिफ़स से
उठाकर न ले जाएँ । कुछ लोग के लए िकसी भी तरह का रटायरमट
अ भशाप हो सकता है। लेिकन रह य है सकारा मक अपे ाएँ और
संल ता। ज़ री नह है िक ये उसी पेशे म ह , जसम आपने अपना क रयर
बनाया है या उसी ग त से ह । बुढ़ापे क आराम कुस से बाहर बने रहने के
िवक प अनंत ह।
मने 61 साल क उ म साइको साइबरनेिट स के लेखक और व ा
के प म अपना क रयर शु िकया। मने यह ला टक सजरी के एक लंबे,
िविवध और रंगीन क रयर के बाद शु िकया था। काफ़ समय तक म दोन
ही े म सि य रहा। कई बार तो म िदन म यू यॉक म ला टक सजरी
करता था, िफर उसी रात को लॉस ऐंज लस म भाषण देने के लए िवमान
पकड़ता था। जब बहुत सारे ी-पु ष कने और आराम करने क सोचने
लगते ह, उस उ म मने एक नई शु आत क , एक ऐसी चीज़ क , जो मुझे
मोिहत करती थी। मेरे करण म म बहुत ख़ुशिक़ मत रहा हूँ, य िक इससे
पु तक का शत करने, भाषण देने और कई मोहक लोग से िमलने व
प ाचार करने का अवसर िमला, जो साइको साइबरनेिट स के शंसक ह,
जनम हॉलीवुड क जेन फ़ॉ डा जैसी ह तयाँ, नै सी रीगन जैसे सामा जक
लीडस शािमल ह, यहाँ तक िक सै वडोर डाली भी, ज ह ने मुझे अपनी
मौ लक प टग भट क , जसम साइको साइबरनेिट स का सार चि त
िकया गया था। भले ही मेरा “काय” मुझे इस तरह क सावजिनक वीकृ त
और स मान क ओर नह ले गया, लेिकन इसके बावजूद म ख़ुश और
संतु इंसान हूँ, जो अपने तथा दस
ू र के लए साथक ग तिव ध म संल है,
ल य तय कर रहा है और उनक ओर ग त कर रहा है। ऐसा कोई भी
ता कक कारण नह है िक आप भी ऐसा ही न कर पाएँ ।
इसी लए म अपने रोिगय से कहता हूँ िक अगर वे उ पादक और
जीवंत बने रहना चाहते ह, तो अतीत के बजाय भिव य के
त मोह
िवक सत कर। जीवन के त उ साह िवक सत कर और अ धक जीवन क
आव यकता उ प कर। ऐसा करने पर आपको अ धक जीवन िमल
जाएगा।
या आपने कभी सोचा है िक इतने सारे अ भनेता और अ भने ी
अपनी उ से अ धक यव
ु ा य नज़र आते ह? 50 क उ के आस-पास
और उसके पार भी उनका हु लया इतना यव
ु ा य रहता है? या यह नह
हो सकता िक इन लोग को यव
ु ा िदखने क ज़ रत होती है, िक वे अपने
हु लए को यव
ु ा बनाने म िदलच पी रखते ह और यव
ु ा बने रहने के ल य को
छोड़ते ही नह ह, जैसा हमम से यादातर लोग अधेड़ाव था म पहुँचने के
बाद कर देते ह।
डॉ. अरनॉ ड ए. ह क
ै र कहते ह, “हम वष क वजह से नह ,
घटनाओं और उन पर हमारी भावना मक ति याओं क वजह से बूढ़े
होते ह। शरीरिव ानी बनर ने अवलोकन िकया िक संसार के कुछ िह स
म खेत म स ते म का काय करने वाली औरत का चेहरा ज दी ही
कु हला जाता है, लेिकन उनक शारी रक शि और सहनशि म कोई
कमी नह आती। यह बुढ़ापे क िवशेष ता का एक उदाहरण है। हम इस
नतीजे पर पहुँच सकते ह िक इन मिहलाओं ने मिहला के प म अपनी
त पध भूिमका का याग कर िदया है। उ ह ने कामकाजी मधुम खी के
जीवन से समझौता कर लया है, जसे चेहरे क सुंदरता क नह , सफ़
शारी रक स मता क ज़ रत होती है।” (अरनॉ ड ए. ह क
ै र, द िवल टु
लव , संशो धत सं करण, एं गलवुड ि स, एन.जे. िटस हॉल,
इंकॉप रेिटड)
ह क
ै र यह भी िट पणी करते ह िक वैध य कुछ मिहलाओं को बूढ़ी
बना देता है, जबिक बािक़य को नह बनाता। “अगर िवधवा महसूस करती
है िक उसका जीवन ख़ म हो चुका है और उसके पास जीने के लए कुछ
नह बचा है, तो उसका नज़ रया बाहरी माण दे देता है - उसके चेहरे क
झु रयाँ, उसके सफ़ेद बाल। एक और मिहला, जसक उ दरअसल यादा
होती है, खलने लगती है। वह एक नए प त क होड़ म दा खल हो सकती है
या कारोबार म कोई क रयर शु कर सकती है या िकसी ऐसी च म ख़ुद
को य त रख सकती है, जसके लए उसके पास शायद अब तक फ़ुरसत
ही नह थी।” आ था, साहस, च, आशावाद, आगे क ओर देखने से हम
नया जीवन और अ धक जीवन िमलता है। िनरथकता, िनराशावाद, कंु ठा,
अतीत म जीना न सफ़ बुढ़ापे के ल ण ह; वे तो इसम योगदान भी देते ह।
नौकरी से रटायर हो जाएँ ,
जीवन से कभी रटायर न ह
कई लोग रटायरमट के बाद तेज़ी से नीचे लुढ़कने लगते ह। वे महसूस
करते ह िक उनक सि य उ पादक ज़दगी पूरी हो चुक है; उनका काय
पूरा हो गया है। उनके पास आगे देखने के लए कुछ नह होता। वे ऊब जाते
ह, िन य हो जाते ह और अ सर उनके आ मस मान म भी कमी आ
जाती है, य िक उ ह महसूस होता है िक उनक क़ नह होती - िक अब
वे मह वपूण नह ह। वे िनरथकता, मू यहीनता, “थके” होने, िपछड़ने वाले
यि क आ म-छिव बना लेते ह। और बहुत सारे लोग तो रटायर होने के
एक साल के भीतर ही मर जाते ह।
ये लोग नौकरी से रटायर होने क वजह से नह मरते ह। वे तो जीवन
से रटायर होने क वजह से मरते ह। यह िनरथकता क , असफल होने क ,
आ मस मान, साहस और आ मिव ास के कम होने क भावना है, जसे
समाज के वतमान नज़ रए ो सािहत करते ह। हम यह जान लेना चािहए
िक ये अवधारणाएँ पुरानी और अवै ािनक ह। लगभग पचास साल पहले
मनोवै ािनक सोचते थे िक इंसान क मान सक शि 25 साल क उ म
चरम पर होती है और िफर धीरे-धीरे उसम कमी आती जाती है। नवीनतम
शोध से पता चलता है िक इंसान मान सक प से अपने शखर पर लगभग
35 साल क उ म पहुँचता है और 70 के पार होने तक उसी तर को
क़ायम रखता है । असं य शोधकताओं ने िदखा िदया है िक सीखने क
यो यता 70 क उ म भी उतनी ही अ छी होती है, जतनी िक 17 क उ
म, इस त य के बावजूद “आप िकसी बूढ़े कु े को नए करतब नह सखा
सकते” जैसी बकवास कहावत अब भी क़ायम ह।
हर इंसान के पास हमेशा धन या ऋण क सूची होती है। िमसाल के
तौर पर, िबज़नेस क रयर शु करने वाले िकसी यव
ु क के पास कई लाभ हो
सकते ह : यादा शारी रक ऊजा और शि , खुला तथा यव थत
म त क, गहन ज ासा, रोमांचि यता और ती ण व सहज म त क। एक
अ धक उ वाले यि के पास, जो उसी कारोबार म त पधा कर रहा
हो, हो सकता है िक कह कम शारी रक शि हो या वह कुछ शारी रक
मु कल झेल रहा हो; हो सकता है िक उसके भीतर सृजना मकता को
रोकने वाले कुछ अंद नी पूवा ह ह और वह जो खम लेने का अिन छुक
हो, िढ़वादी हो, मान सक प से कम चपल हो। वैसे यव
ु क म अनुभव,
भावना मक प रप वता, स मता क बुिनयाद पर बने आ मिव ास और
दस
ं का अभाव होता है। अ धक उ
ू र के साथ िव सनीयता भरे संबध
वाले आदमी म तुलना मक प से काफ़ यादा ासंिगक अनुभव होता है
- जसे कुछ सं कृ तय म आज भी बु मानी के प म स मान िदया जाता
है - जनका लाभ वह मह वपूण िनणय लेने और ग़ल तय से उबरने म ले
सकता है। हर एक के पास धन और ऋण क एक अलग सूची होती है।
कारोबार म, अगर कोई ख़ास तौर पर चतुर है, तो वह अपने ऋण क
भरपाई करने के लए सहयोगी या सलाहकार रख लेगा, काफ़ हद तक
उसी तरह जस तरह रा प त मंि मंडल बनाता है। असल इंसान क ऐसी
परामशदा ी सिम त न होने पर कोई यि अपनी उवर क पना म “राउं ड
टेबल” बना सकता है और िकसी िवशेष से सलाह ले सकता है।
मेरा मु ा यह है िक िकसी भी उ म, िकसी भी िवप त, ासदी, बाधा,
बीमारी के बावजूद लोग तय कर सकते ह िक वे कैसे ति या करने जा
रहे ह। बुढ़ापे के ल ण के संदभ म उनक तय क गई भावना मक
ति याएँ । वा तिवक जीवन अनुभव को लाने म कम से कम उतनी ही
मह वपूण होती ह, जतना िक उनके जैिवक कैलडर या आनुवं शक या
चिक सा। अगर आप इसे काफ़ हद तक वीकार करते ह, तो आपको
अपनी उ से अ धक यव
ु ा िदखने के लए साइको साइबरनेिट स क
अवधारणाओं और तकनीक म महारत हा सल करने क अ त र
ेरणा
चािहए।
म चम कार म यक़ न य करता हूँ
अपने अ त-िव ास को वीकार करते समय म पूरी तरह से ईमानदार होना
चाहता हूँ और यह कहना चाहता हूँ िक म चम कार म िव ास करता हूँ।
चिक सा िव ान यह जानने का नाटक नह करता िक शरीर के भीतर के
िविवध मेकेिन म जस तरह काय करते ह, य करते ह। जो होता है,
उसके बारे म हम बस थोड़ा सा ही जानते ह िक यह कैसे होता है और या
होता है। जब शरीर िकसी घाव को भरता है, तो हम इसका वणन कर सकते
ह िक या होता है और मेकेिन म कैसे काय करते ह। लेिकन वणन
प ीकरण नह है, चाहे इसे िकसी भी तकनीक श दावली के इ तेमाल
ारा य न छुपाया जाए। म अब भी यह नह समझ पाता हूँ िक जब कटी
हुई अँगुली ख़ुद को ठीक करती है, तो यह ऐसा य करती है या आ ख़र
कैसे करती है।
म जीवन शि क शि को नह समझता हूँ, जो उपचार के मेकेिन म
को चलाती है। न ही म यह समझता हूँ िक इस शि को कैसे लागू िकया
जाता है या इससे कैसे काय कराया जाता है। म उस
ा को नह समझता
हूँ, जसने मेकेिन म बनाए थे, न ही यह िक मागदशन देने वाली
ाउ ह
कैसे चलाती है।
डॉ. ऐले सस कैरल ने लूडस म तुरत
ं उपचार को ख़ुद देखा और कहा
िक एक डॉ टर होने के नाते वे बस यही प ीकरण दे सकते ह िक गहन
आ था के भाव ने शरीर क नैस गक उपचार ि याओं क ग त को तेज़
कर िदया था, जनम सामा यतः अ धक समय लगता है।
जैसा डॉ. कैरल कहते ह, अगर चम कार शरीर के भीतर क नैस गक
उपचार ि याओं और शि य को ती करके या गहन बनाकर हा सल
िकए जाते ह, तो म हर बार एक छोटे चम कार का सा ी होता हूँ, जब
सजरी का घाव नया ऊतक उगाकर ख़ुद को ठीक करता है। चाहे इसम दो
िमनट क आव यकता हो या दो स ाह क या दो महीने क , मेरी समझ म
इससे कोई फ़क़ नह पड़ता। म अब भी िकसी ऐसी शि को काय करते
देखता हूँ, जसे म समझ नह पाता हूँ।
चिक सा िव ान, आ था और जीवन,
सभी एक ही ोत से आते ह।
मशहूर ांसीसी सजन डु बुआ के ऑपरे टग म के बाहर लखा था :
“सजन घाव क डे सग करता है; ई र उसका उपचार करता है।”
यही िकसी भी कार क दवा के बारे म कहा जा सकता है, चाहे वह
एं टीबायोिटक हो या कफ़ क दवा। बहरहाल, म यह नह समझ सकता िक
ता कक इंसान चिक सक य सहायता को कैसे याग सकते ह य िक उ ह
यक़ न होता है िक यह उनक आ था के तालमेल म नह है। म मानता हूँ
िक चिक सक य यो यता और चिक सक य खोज भी उसी
ा, उसी
जीवन शि ने संभव बनाई ह, जो आ था उपचार के मा यम से काय
करती है। और इसी कारण म चिक सा िव ान और धम म िकसी संभािवत
संघष को नह देख सकता। चिक सक य उपचार व आ था के उपचार
दोन एक ही ोत से उ प होते ह और उ ह िमलकर काय करना चािहए।
अगर कोई िपता िकसी पागल कु े को अपने ब े पर आ मण करता
देखे, तो वह हाथ पर हाथ धरे खड़ा नह रह सकता और यह नह कह
सकता, “म कुछ नह क ँ गा, य िक मुझे अपनी आ था को सािबत करना
है।” आप डंडा या बंदक
ू लेकर आने वाले पड़ोसी क सहायता लेने से
इंकार नह करगे। लेिकन अगर आप पागल कु े के आकार को अरब ख़रब गुना छोटा कर द और उसे बै टी रया या वाइरस का नाम दे द, तो
वही िपता कै सूल, छुरी या स रज पी औज़ार लाने वाले डॉ टर-पड़ोसी
क मदद लेने से इंकार कर सकता है।
जीवन पर सीमाएँ न लगाएँ
अब यह मुझे अपने आ ख़री िवचार पर ले आता है। बाइबल म हम
बताया गया है िक जब पैगब
ं र रेिग तान म भूखे थे, तो ई र ने वग से एक
चादर नीचे लटकाई, जसम भोजन था। पैगब
ं र को लगा िक वह भोजन
अ छा नह था। वह गंदा था और उसम सभी तरह क रगने वाली चीज़
थ । इस पर ई र ने उसे झड़क िदया और िहदायत दी िक ई र ने जो िदया
है, उसे गंदा न कहे।
कुछ डॉ टर और वै ािनक आज भी अपनी नाक उस चीज़ क ओर
सकोड़ते ह, जससे धम या आ था क गंध आती हो। कुछ धमवािदय के
मन म िकसी भी वै ािनक चीज़ के बारे म यही नज़ रया, शंका और
िहक़ारत होती है। सहयोग का पूवा ह भरा अभाव हर जगह है और यह मेरे
िहसाब से बहुत ही बुरी बात है। काइरो ै टक और दवाओं के डॉ टर
आपस म लड़ते य ह? वे अपने-अपने योगदान के मू य और वैधता को
य नह पहचानते? वे अपने रोिगय के िहत म िमलकर काय य नह
करते? मनोिव ेषक, मनो चिक सक और श ािव से फ़-हे प पर नाक-
भ सकोड़ते ह, लेिकन इस जैसी पु तक ने लाख लोग
बहुत मदद क है। इस बात के िक़ से और द तावेज़ी
और कोई भी समझदार यि इसके ख़लाफ़ दावा नह
य न इसे अंगीकार कर? जब कोई पेशेवर चिक सक ग़ु
मनो चिक सक” लेखक या “ओपरा” अथवा होम शॉ पग
वाले “गु ” क आलोचना करता है, तो या यह झड़क
िफर ई या व अहं से संचा लत है?
क सचमुच और
माण बहुत से ह
करेगा। तो िफर
से से “लोकि य
नेटवक पर आने
वा तिवक है या
जब ये सभी ोत एक-दस
ू रे से कु ती लड़ते रहते ह और एक-दस
ू रे
क वैधता मानने से इंकार करते ह, तो आपको उनक ओछी भ ताओं म
उलझने क ज़ रत नह है। आपके पास वह खोजने और “मनचाहा
िम ण” करने क वतं ता है, जो भी आपके लए सबसे अ छी तरह काय
करता हो। अपने िदमाग़ को िकसी संभािवत लाभ या मदद क ओर से बंद
न कर। अपने ता कक िवचार का इ तेमाल कर। प रक पना क जाँच ख़ुद
कर।
जैसा मने शु आत म कहा था, हर एक का वा तिवक ल य अ धक
जीवन - अ धक जीना है। आपक ख़ुशी क प रभाषा चाहे जो हो, आप
ख़ुशी का अनुभव तभी करगे, जब आप अ धक जीवन का अनुभव करगे।
अ धक जीने का अथ दस
ू री चीज़ के अलावा अ धक उपल ध, साथक
ल य हा सल करना, अ धक ेम का अनुभव करना और देना, अ धक
वा य और आनंद, ख़ुद के तथा दस
ू र के लए अ धक ख़ुशी हा सल
करना भी है।
म मानता हूँ िक एक ही जीवन है , एक ही चरम ोत है, लेिकन इस
एक जीवन क अ भ यि के कई माग ह और यह ख़ुद को कई प म
कट करता है। यिद हम जीवन से अ धक ा करना है, तो हम उन माग
को सीिमत नह करना चािहए, जनसे जीवन हमारी ओर आ सकता हो।
हम इसे वीकार करना चािहए, चाहे यह हमारे पास िव ान, धम,
मनोिव ान या िकसी अ य प म आता हो।
एक और मह वपूण माग है- दस
ू रे लोग। दस
ू रे हम जो मदद, ख़ुशी और
आनंद दे सकते ह, या हम उ ह यह जतना दे सकते ह, उससे इंकार न
कर। आइए इतने घमंडी न बन िक दस
ू र क मदद ही वीकार न कर। साथ
ही इतने िन ु र भी न बन िक उनक मदद न कर। आइए हम इसे “गंदा”
सफ़ इस लए न कह, य िक उपहार का प हमारे ख़ुद के पूवा ह या
आ म-मह व के हमारे िवचार से मेल न खा रहा हो।
सबसे अ छी आ म-छिव
अंत म, आइए जीवन क अपनी वीकृ त को अपनी अपा ता क
भावनाओं से सीिमत न कर। ई र ने हम मा, मान सक शां त और ख़ुशी
दान क है, जो आ म- वीकृ त से ा होती है। यह हमारे सृजनकार का
अपमान है िक हम इन उपहार क ओर अपनी पीठ घुमा ल या यह कह िक
ई र का सृजन - मानवता — इतना गंदा है िक वह सुपा या मह वपूण या
स म नह है। सबसे यो य और यथाथवादी आ म-छिव है ख़ुद को “ई र
क छिव म बना” हुआ देखना। डॉ. फ़क जी. लॉटर कहते ह, “आप यिद
पूरी गहराई और गंभीरता के साथ, पूरे िव ास के साथ यह यक़ न कर ल
िक आप ई र क छिव म बने ह, तो ऐसा हो ही नह सकता िक आपको
शि का नया ोत ा न हो।”
इस पु तक म िदए िवचार और अ यास ने अ धक जीवन जीने म मेरे
कई रोिगय क मदद क है। यह मेरी आशा और िव ास है िक यह आपके
लए भी ऐसा ही करेगी।
अ याय सोलह
साइको साइबरनेिट स के इ तेमाल से
बदली
ज़दिगय क स ी कहािनयाँ
उस टॉक ोकर का संग,
जसके सफल होने क सबसे कम संभावना थी
सेला वन एक तभा, एक लाभ के साथ पैदा हुई थ : सामा य से बहुत
अ धक बु । वे एमईएनएसए क सद य ह, जो उन लोग का संगठन है,
जनका आई यू सबसे शीष 2 तशत लोग म होता है। लेिकन यह
“ तभा” काफ़ समय तक उनके िकसी काम नह आई और इसका कारण
था ज मजात कई तकूल प र थ तयाँ। वे गंभीर प से फटे ह ठ और
तालू के साथ पैदा हुई थ । यह एक ज मजात दोष है, जो मुँह क छत और
ऊपरी ह ठ म कटाव से होता है तथा इससे “अजीब” आवाज़ िनकलती है।
इसके साथ अ सर एक िवकृत नाक भी होती है। सेला बताती ह िक “वे
िकसी झोपड़ी जैसी िदखती थ , जसक छत का एक कोना िगर गया हो।”
उस ज़माने क अनगढ़, यूनतम सजरी ने उनक आवाज़ सुधारने म कोई
मदद नह क । उनक बोली बात कई लोग को समझ म नह आती थ ,
इस लए संवाद करने के लए वे अपने साथ नोटपैड और प सल लेकर
चलती थ । उनका जबड़ा, दाँत और चेहरा अ सर दद करते थे। सेला का
कूल म बहुत मु कल समय गुज़रता था। दस
ू रे ब े उ ह चढ़ाते थे और
श क भी उ ह मूख मानते थे।
सेला कहती ह, “जब आप बोल नह सकते, तो लोग आपको मूख मान
लेते ह। मेरे प रवार वाले, श क, दस
ू रे ब े ऐसा सोचते थे और मने भी इस
पर यक़ न करना शु कर िदया।”
जब वे 16 साल क थ , तो घर छोड़कर चली गई। उ ह ने पास वाले
बड़े शहर क बस पकड़ी और उस व त उनक जेब म 44 डॉलर थे। उनके
पास इस बारे म कोई योजना, कोई िवचार नह था िक वे कहाँ जा रही ह। वे
तो बस इतना जानती थ िक वे जहाँ रह रही थ , वहाँ से उ ह पलायन
करना था। उ ह एक दवाइय क दक
ु ान के लंच काउं टर पर बतन साफ़
करने क नौकरी िमल गई। उ ह ने एक अ ेत मिहला से, जो वे या के प
म धंधा करती थी, बेसमट का कमरा िकराए पर ले लया। इस मिहला ने
सेला को ख़ुद को बेहतर बनाने, अपनी श ा जारी रखने और जीवन म
कुछ करने के लए ो सािहत िकया। बातचीत के दौरान सेला को पता
चला िक यह मिहला रयल ए टेट क मालिकन है और टॉ स म भी
िनवेश करती है। यह सुनकर वह हैरान भी हुई और े रत भी।
एक दंत चिक सक हर सुबह कॉफ़ के लए वॉल ी स लंच काउं टर
पर कता था। एक सुबह सेला ने उसके पास एक नोट सरका िदया। इस
पर लखा था : “मेरे दाँत म बहुत दद होता है। म आपको महीने म सफ़ 5
डॉलर का भुगतान कर सकती हूँ। या आप मेरी मदद करगे?”
दंत चिक सक ने उसके लए यह यव था कर दी िक वह सजरी कराए और
इसके बाद दाँत का इलाज कराए। इस सबक लागत 3,000 डॉलर से
अ धक थी। उस रा श को याद करके सेला फूट-फूटकर रोने लग ।
बहरहाल, उ ह ने कई नौक रयाँ क , अपने िबल चुकाए, से े टरी बनने के
लए िबज़नेस कूल म दा ख़ला लया और इतने पैसे बचा लए िक अपनी
नाक क ला टक सजरी करा सक। िफर वे ने ा का यूिनव सटी म पढ़ने
लग और बारह साल बाद प का रता म एक ड ी हा सल क । अगले सात
साल तक वे लकन, ने ा का म रपोटर का काय करती रह । मे रल लच
ने एक श ु के लए िव ापन िदया, जसम उनक च जाग गई। ज द
ही उ ह ने मे रल लच के साथ क रयर शु कर िदया। मे रल लच वाल
को यह देखकर हैरानी हुई िक उनका दशन अ छा था और सात साल
बाद मथ-बान ने उ ह वाइस- े सडट बना िदया।
आगे चलकर सेला वन टॉक ोकर, िनवेश परामशदाता और
अंततः अपनी ख़ुद क िनवेश कंपनी क े सडट बनने म सफल हुई। यह
असाधारण स ी सफलता थी। उनक यि गत जीवनशैली अमीर जैसी
है, महल, ल वग म म व मग पूल, महँगी आलीशान कार, नाग रक
नेतृ व और सुर ा।
इस मिहला ने इतनी सारी िवपरीत प र थ तय और मु कल के
बावजूद ऐसी सफलता हा सल करने के लए लगनपूवक बंधन कैसे
िकया?
वे कहती ह िक उनका कायाक प कभी आसान नह था। “मेरी आ मछिव भयानक थी, लेिकन आव यकता, िकसी दस
ू रे के कभी-कभार के
ो साहन और धीरे-धीरे यो यताओं का पता चलने के िम ण से म आगे बढ़
गई।” अपने से स क रयर क शु आत म उ ह ने अपने आ मस मान को
बेहतर बनाने के लए एक मनोिव ेषक से परामश लया। उसने उ ह
बताया िक वे “मूख” नह थ , जैसा िक उ ह यक़ न था। वा तव म, इसके
िवपरीत वे बेहद बु मान थ और उस डॉ टर ने उनसे एम ई एन एस ए
परी ा म बैठने का आ ह िकया - जसम वे पास हो गई।
उ ह ने इस पु तक का मूल सं करण खोजा, जब वे वॉल ी स म ही
काय कर रही थ । वे कहती ह िक यही वह ेरक बुिनयाद थी, जसक
बदौलत उ ह ने ला टक सजरी कराने क सोची और कराई भी। वे
पु तक को यह ेय भी देती ह िक इसी क बदौलत उ ह चिक सा क
खोजने का साहस िमला। आ ख़रकार, वे समझने लग िक उनके बचपन के
िकसी भी यातनामय अनुभव क वजह से उ ह पीछे के रहने क ज़ रत
नह है और उ ह ने जो ग त क है, उस पर वे गव कर सकती ह तथा
आ मिव ास रख सकती ह। सेला वन कहती ह, “डॉ. मॉ ज़ के िवचार
ने मेरे लए यह संभव बनाया िक 88 सट त घंटे पर बतन साफ़ करने
वाली से म अपनी ख़ुद क िनवेश फ़म क मालिकन बन गई।”
ेरणा चाहे जो हो, मह वपूण बात यह है िक सेला वन ने अपने बारे
म “स ाइय ” क जाँच क और यह खोजा िक वे िबलकुल भी सच नह
थ!
इस उदाहरण से े रत ह और अपनी आ म-छिव क सूची म शािमल
हर मानी हुई लेिकन सीिमत करने वाली “स ाई” क जाँच कर। आपको भी
यह पता चल सकता है िक सबसे दमनकारी कुछ मा यताएँ तो ज़रा भी सच
नह ह।
एक ोफ़ेसर का िक सा
“म कॉलेज क पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाला था और आ मह या के िवचार
सोच रहा था, लेिकन तभी मने साइको साइबरनेिट स को पहली बार पढ़ा
और इसने सचमुच मेरी ज़दगी बदल दी।”
यह नाटक य कथन कॉलेज ोफ़ेसर, पेशेवर व ा, लेखक और सफल
यवसायी माशल रे डक का है। रे डक कहते ह िक 20 वष क उ म वे
कॉलेज म रहने के लए संघष कर रहे थे। उ ह लगता था िक जीवन म
सफल होने क बात तो रहने ही द, उनम तो कॉलेज क पढ़ाई पूरी करने
क आव यक बु भी नह थी। वे बहुत अ धक संकोची थे, जो उनक
कमज़ोर आ म-छिव का त बब था और उनम आ मिव ास लगभग
नदारद था।
साइको साइबरनेिट स पढ़ने के बाद वे इसके सबसे सरल, सबसे
बुिनयादी नु ख़ और तकनीक को आज़माने लगे। वे कहते ह, “मने दोबारा
अपनी ो ा मग शु कर दी। िमसाल के तौर पर, म अपने आस-पास,
अपनी जेब म, अपने आईने पर, अपनी कार म छोटे-छोटे नो स रखता
था, जो मुझे ‘याद िदलाते’ थे िक म आ मिव ासी और स म इंसान हूँ।
िन त प से, सफ़ 21 िदन बाद म अलग महसूस करने लगा और अलग
यवहार करने लगा।”
माशल रे डक ने आगे चलकर एक सफल शै णक क रयर बनाया :
उ ह ने िबज़नेस और अथशा म बीए क उपा ध ली, कोलोरेडो टेट
यूिनव सटी से िबज़नेस म एमए क उपा ध ली, टै सस टेक यूिनव सटी से
िबज़नेस म पीएच.डी. क और कै लफ़ो नया टेट यूिनव सटी म िबज़नेस
एं ड इकोनॉिम स के ोफ़ेसर के प म तीन वष तक अ यापन िकया।
रे डक कहते ह, “मने अपने सभी िव ा थय से साइको साइबरनेिट स
पढ़ने और उस पर एक रपोट तैयार करने को कहा, और म आज भी इस
पु तक क अनुशस
ं ा करता हूँ।”
आज पेशेवर व ा के प म रे डक क काफ़ माँग है और उ ह
नेशनल पीकस एसो सएशन के स टफ़ाइड पी कग ोफ़ेशनल
(सीएसपी) के पदनाम से नवाज़ा गया है। उनक सेिमनार कंपनी 1975 से
संसार भर के कॉप रेट ाहक के लए समय बंधन, सौदेबाज़ी और शखर
दशन पर काय म आयो जत कर रही है।
या यह उ ेखनीय नह है िक इतनी सरल तकनीक से एक असफल
हो रहे िव ाथ का कायाक प हो गया और वह एक तभाशाली िव ाथ
बन गया, उसने पीएच.डी. कर ली और ोफ़ेसर बनकर मेज़ के दस
ू री तरफ़
पहुँच गया? विन मत करोड़प त ड यू. े मट टोन क एक ि य कहावत
थी : “छोटे क ज़े बड़े दरवाज़ को खोल देते ह।” इसके कई गहन उपयोग
ह और यह उनम से एक है - आ म-छिव म िनिहत “स ाइय ” के अ सर
छोटे-छोटे परी ण और अपने िवचार पर नया िनयं ण करने के छोटे-छोटे
योग ती व नाटक य यि गत िवकास के िवशाल दरवाज़ को खोल
सकते ह।
ज़ री नह है िक प रणाम िवचार के आकार से शा सत ह । प रणाम
तो अवसर के आकार से शा सत होते ह। साइको साइबरनेिट स म पाए
सबसे सरल िवचार क मदद से योग करके भी आप आ यजनक आ मअ वेषण कर सकते ह।
शराबी को बेटी का करण
म एक पेशेवर व ा हूँ। कुछ समय पहले जब म एक बड़े संगठन के भोज समारोह म
मु य भाषण देने के लए अपने ऑिफ़स से िनकलने क तैयारी कर रही थी, तो मेरी
आँ ख अपने ऑिफ़स क पु तक क ओर चली गई - जहाँ एक पु तक बाक़ सबसे
अलग रखी थी। नम कवर, जगह-जगह से फटी, इ तेमाल क हुई और ख़ ताहाल।
यह मुझे 1960 के दशक म ले गई।
म यूमॉ ट, टै सस म लामार यूिनव सटी म पढ़ाई कर रही थी और फ़ स भरने के
लए एक ति त लॉ फ़म म काय कर रही थी। फ़म के मैने जग पाटनर मेरे
मागदशक बन गए। म आज जानती हूँ िक उ ह ने उस 19 साल क लड़क म
आ मस मान क कमी को भाँप लया था। उस साल हमारी एक मुलाक़ात म उ ह ने
मुझे साइको साइबरनेिट स क एक त पढ़ने को दी। अगर उनके िहसाब से यह
मू यवान थी, तो यह थी और मने उसी स ाह इसक साम ी को पचा लया।
मै सवेल मॉ ज़ ने अपने बारे म मेरे िवचार और भावनाओं को “दोबारा
यव थत” करने के साधन दान िकए और ऐसे मायन म, जो मुझे कभी नज़र ही
नह आए थे।
मेरे जीवन के शु आती 16 वष म मेरे िपता एक बड़ी िनमाण कंपनी म कायरत थे।
उस कंपनी म बहुत सी मु कल रही ह गी, य िक हम हर साल िकसी दस
ू री जगह
रहने चले जाते थे, कई बार तो एक ही साल म दो जगह, इस छोर से उस छोर तक
और दोबारा वापस। कुल िमलाकर, 12 साल म 17 कूल। पूरे स ाह या ा करने के
बाद स ाहांत पर डैडी घर आते थे और बोतल म घुस जाते थे। मेरी माँ शायद ही
कभी घर से िनकल पाती थ और चार ब म सबसे बड़ी होने के नाते म उनके पैर
बन गई। जब भी हम िकसी दस
ू री जगह रहने जाते थे, तो म ही थी जो हर बार
िबजली-पानी के कने शन लगावाती थी, िबल का भुगतान करती थी, िकराने का
सामान ख़रीदती थी। लेिकन माँ क िनगाह म म कभी कोई चीज़ पया अ छी तरह
नह करती थी। इस पृ भूिम म म कामकाजी संसार म भावी ढंग से काय करने क
को शश कर रही थी और प
प से जूझ रही थी, तभी तो मेरे िनयो ा ने मेरी
आ म-छिव सुधारने के लए मुझे यह पु तक दी।
जब मुझे साइको साइबरनेिट स दी गई, तो पहले ही साल म मने इसे पाँच बार पढ़
डाला। अगले पाँच साल म हर साल मने इसे कई बार पढ़ा। मै सवेल मॉ ज़ मेरी
ेरणा बन गए। उ ह ने न सफ़ मेरे लए जीवन के एक नए रा ते का दरवाज़ा खोला,
ब क उ ह ने म त क-देह अ ययन म एक आजीवन च भी पैदा क , जसने मेरे
क रयर को िदशा दी और मुझे जीवन भर क संतुि
दान क । आज म
आ मस मान और संवाद के मु पर अमे रका भर म ोताओं के सामने भाषण देती
हूँ। म अपने अनुभव से जानती हूँ िक हम दस
ू र के साथ तब तक नह जुड़ सकते,
जब तक िक ख़ुद के साथ न जुड़ जाएँ ।
पेगी कॉ ल स ने अपने क रयर क शु आत लॉ फ़म क क से क ,
लेिकन आगे चलकर वे रयल ए टेट से लग म शीष थ उ पादक बन और
बाद म एक ब कग सं था क सीिनयर वाइस- े सडट। इसके बाद उ ह ने
पेशेवर व ा और वकशॉप लीडर के प म अपना वतमान क रयर शु
िकया। उनक ाहक कंपिनय क सूची भावी है तथा इसम मोिबल
ऑइल, िफ़टो-ले, बगर कग, और जे.सी. पैनी कॉप रेशन शािमल ह। उनक
कहानी इस मह वपूण त य क पुि करती है िक यह ज़ री नह है िक
अतीत भिव य क भिव यवाणी करे। यह एक जाना-पहचाना मनोवै ािनक
त य है िक शरािबय के ब े मह वपूण और ख़ास सम याओं का सामना
करते ह। लेिकन आपके “िबखरे प रवार” क प रभाषा चाहे जो हो, लगभग
हर प रवार ऐसा ही होता है! हर इंसान को अपने बचपन के अनुभव या
िवपरीत वय क अनुभव के ऊपर उठकर अपने ख़ुद के यि व का
िनयं ण लेना पड़ता है, इसी समय से शु करके आगे बढ़ना पड़ता है।
अमे रक कारोबार जगत के मुख व ा जोएल वे
भाषण देते ह, जसका शीषक है, “जेट पायलट
इ तेमाल नह करते ह।” हम सभी को अपने रयर
छोड़ना चािहए और वतमान पल तथा भिव य पर
चािहए।
डन कई वष से एक
रयर यू िमरर का
यू िमरर म देखना
यान कि त करना
रो डयो काउबॉयज़ का करण
जब डग बटलर 1969 म कैल-पोली, पोमोना (कै लफ़ो नया टेट
पॉ लटे नक यूिनव सटी) रो डयो टीम के कोच के प म इसक बागडोर
थामने के लए तैयार हुए, तो यह टीम नेशनल इंटरकॉले जएट रो डयो
एसो सएशन के प मी े म आ ख़री थान पर थी। डग क ास का एक
िव ाथ शीष थ रो डयो काउबॉय था, जो इस आ ख़री थान वाली टीम म
था। उसने डग से आ ह िकया िक वे उस टीम के कोच बन जाएँ और इस
बात पर ज़ोर िदया िक टीम जतनी यो यता का दशन कर रही थी, उसम
दरअसल उससे अ धक यो यता थी।
डग बटलर याद करते हुए कहते ह, “मने हाल ही म डॉ. मॉ ज़ क
साइको साइबरनेिट स पढ़ी थी और म इससे भािवत हुआ था तथा
जीवन म इसक िव धय पर अमल करने लगा था। मने महसूस िकया िक ये
िव धयाँ रो डयो खलािड़य क को चग म इ तेमाल क जा सकती थ ,
हालाँिक मने पहले कभी इस उ े य के लए इन तकनीक के इ तेमाल के
बारे म नह सुना था। बाद म मुझे पता चला िक गैरी ले यू इ ह िव धय से
अपने बुल-राइ डग कूल म िव ा थय क को चग कर रहे थे, लेिकन उस
व त म सोचता था िक म नया काय कर रहा हूँ।”
डग ने टीम के कायाक प क योजना बनाई, जसम नए िनयम शािमल
थे, अनुशासन का श ण था, खलािड़य के लए यवहार संिहता थी
और यि गत सुधार के लए साइको साइबरनेिट स पु तक का इ तेमाल
था। यूिनव सटी के पशु िव ान िवभाग के संचालक, जो पूव पेशेवर हॉक
खलाड़ी भी थे, इस योजना को समथन देने के लए तैयार हो गए। िफर डग
रो डयो टीम के सद य से िमले और उ ह ने यह प कर िदया िक वे
श ण क िज़ मेदा रयाँ तब तक नह लगे, जब तक िक वे सभी उनक
शत से सहमत न हो जाएँ । इन िनयम म शािमल था, कोई शराब नह , कोई
तंबाखू नह , कोई नशीली दवा नह , अ छे ेड, यहाँ तक िक एक अ छा
हु लया और स ाह म दो िदन कॉलेज रो डयो प रसर म एक कठोर अ यास
स म िह सा लेना तथा दैिनक मान सक अ यास से इसे शि शाली
बनाना।
डग ने शारी रक और मान सक कंडीश नग क एक आ ामक योजना
का नेतृ व िकया। “स ाह म तीन िदन हम सुबह 6:30 पर जम म
वकआउट शु करते थे। हम वेट टे नग मशीन का इ तेमाल करते थे,
कसरत करते थे और वड
स भी करते थे। जब हम सामा य हो रहे
होते थे, तो हम साइको साइबरनेिट स के अ ययन से हा सल ान पर
बातचीत करते थे। हर एक के पास यह पु तक थी और हम सभी इसे पढ़ते
थे, तथा बार-बार पढ़ते थे। टीम का हर सद य अपने िवजेता बनने के
दशन क मान सक त वीर बनाने का अ यास करता था और इन
का पिनक अनुभव के िव तृत िववरण एक-दस
ू रे को बताता था।”
1970 के वसंत म टीम तलहटी से ऊपर उठकर डवीज़न म दस
ू रे
थान पर आ गई। सबसे आगे वह टीम थी, जसम छह बार का भावी िव
चिपयन काउबॉय था। जब टीम क छिव, दशन और रकॉड बेहतर हुआ,
तो रो डयो एथलीट कॉलर शप िव ा थय के लए पहली बार उपल ध हो
गई।
“िव ा थय ने मुझे चाँदी से मढ़ा हुआ बे ट का बकल पेश िकया और
साल के अंत म होने वाले जलसे म खड़े होकर करतल विन से ध यवाद
िदया। म अब भी बकल लगाता हूँ और हमेशा उस बेहतरीन ‘साइको
साइबरनेिट स’ अनुभव को मू यवान मानूँगा, जो हमने एक साथ अनुभव
िकया था। आगे चलकर उस टीम का हर सद य अपने चुने हुए पेशे म
सफल हुआ।”
डग बटलर के पास वेटे रनरी एनाटॉमी और ई वाइन यूटीशन म
कॉनल यूिनव सटी से ा पीएच.डी. है। वे सफ़ 500 मा णत जनमैन
फ़ै रयस म से एक ह। वे तीन बार उ र अमे रका क हॉसशूइगं टीम के
सद य रहे। इसके अलावा, उ ह ने हॉसशूइगं और हॉस फ़ुट केयर पर 30
से अ धक पु तक व टेप तैयार िकए। 1980 म उ ह ने नॉथ अमे रकन
चैलज कप हॉसशूइगं कॉ टे ट जीता। 1997 म उ ह इंटरनेशनल हॉसशूइगं
हॉल ऑफ़ फ़ेम म शािमल िकया गया। और 1999 म उ ह ने अमे रकन
फ़ा रयस एसो सएशन का प का रता पुर कार जीता। आज डग ासेस
आयो जत करते ह, जसम वे लुहार को सखाते ह िक मान सक च ण क
तकनीक का इ तेमाल करके अ धक कायकुशल और स म कारीगर कैसे
बना जाए। वे “द काउबॉय कोड” पर संबध
ं च र , नेतृ व और आ म-िवजय
से होता है। वे कहते ह िक साइको साइबरनेिट स के सतत इ तेमाल ने
“उ ह हर ल य को सफलतापूवक हा सल करने का मागदशन िदया।”
जैसा आप देख सकते ह, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक आपका पेशा
या कारोबार या है - भले ही यह रो डयो राइडर हो - साइको
साइबरनोिट स के स ांत, अवधारणाएँ और तकनीक शखर दशन
हा सल करने के िव सनीय औज़ार ह। साथ ही, जैसा डग क टीम क
कहानी बताती है, इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक आप कहाँ से शु आत
कर रहे ह। भले ही, उनक टीम क तरह, आप आ ख़री थान पर ह ,
अराजकता क
थ त म ह , एका न ह , आ म-अनुशासन या
आ मिव ास का अभाव हो, यह सब आपके संक प से बदल सकता है।
ज़ रत नह है िक अतीत के अनुभव पर आधा रत प र थ तयाँ आपके
वतमान या आपके भिव य के िनयं ण म बनी रह।
उस मिहला का करण, जो चल नह सकती थी
‘ि य डॉ. मॉ ज़ - कृपया मुझे आपक पु तक साइको साइबरनेिट स के
लए अपनी कृत ता क भावनाएँ य करने द,” एक प इस तरह शु
हुआ, जस तरह हज़ार अ य प शु होते ह, जो बरस से डॉ. मॉ ज़ के
ऑिफ़स म आते रहते ह। बहरहाल, इस प म एक सचमुच आ यजनक
कहानी बताई गई थी…
म आपको जो बताने जा रही हूँ, वह बहुत ही यि गत और भावना मक है। जब म
सोचती हूँ िक िकस तरह एक पेपरबैक पु तक ने मेरी पूरी ज़दगी बदल दी है, तो
या इसम कोई हैरानी क बात है िक म आपको अपनी कहानी बताना चाहती हूँ,
इस उ मीद से िक इससे दस
ू र को मदद िमल सकती है?
मेरा जीवन ॉिवडस, कटक म 1 अ टू बर, 1924 को 9 पाउं ड के सामा य शशु के
प म शु हुआ। 10 वष क उ म मांसपेशी क भयंकर बीमारी ने मुझे अपनी चपेट
म ले लया। मुझे याद है, मने डॉ टर को अपने माता-िपता से यह कहते सुना था िक
वे मुझे कूल से िनकाल ल, य िक मेरे पास जीने के लए बस एक साल से भी कम
समय था। इससे डर मेरे िदल क गहराई म अंिकत हो गया। मेरी संचालन
यो यताओं म िमक िगरावट आने लगी। म लड़खड़ाने लगी। ज दी ही मेरे लए
चलना मु कल हो गया। िफर म अपने हाथ के इ तेमाल म काफ़ मु कल का
अनुभव करने लगी। ेम और समझ के साथ मने एक या ा शु क , जो 20 साल
तक जारी रही और इस मश: बढ़ते रोग से जूझने क को शश करती रही, इस
अ भशाप (एमडी) क छाया से संघष करती रही।
मेरी कई ग मयाँ अ पताल म गुज़र , शरीर पर प म, थेरप
े ी म। आ ख़रकार, टील
ेसेस वाले ख़ास जूते पहनाए गए, तािक मुझे चलने म मदद िमल सके। मेरा पूरा
शरीर कमज़ोरी के ल ण िदखा रहा था। जो काय दस
ू र के लए सरल थे, वे मेरे लए
भारी कंु ठा का कारण थे। बहरहाल, असं य बाधाओं के बावजूद म अपनी श ा पूरी
करने म कामयाब हुई, जसम कॉलेज क श ा शािमल थी। िफर तेरह साल तक
कूल म पढ़ाने क बारी आई। 25 वष क उ म मुझे बताया गया िक मुझे दोन
टखन का ऑपरेशन कराना होगा, वरना अपना बाक़ जीवन हीलचेयर म गुज़ारने
का जो खम लेना होगा। इन ऑपरेशन को झेलने के बाद, जस दौरान मुझे लगभग
एक साल तक प और हीलचेयर म क़ैद रहना पड़ा, मुझे दोबारा चलना सीखना
पड़ा। महीन बाद म लंबे समय तक खड़ी रह सकती थी। कई साल बाद म काय पर
लौटने म समथ हुई।
हालाँिक अ धकतर मामल म ऑपरेशन सफल रहे थे, लेिकन मान सक भाव छूट
गए और वे मेरी शारी रक अ मताओं से यादा बड़ी बाधा बन गए। मुझम
आ मिव ास, आ मस मान और आ मिनभरता क कमी थी। ऐसा लग रहा था, जैसे
मने िदशा का एहसास और जीने का उ े य गँवा िदया हो।
हम एक पल के लए बाधा डालकर यह मह वपूण बात बताना चाहगे :
इससे कोई फ़क़ नह पड़ता िक कोई इंसान जीने का उ े य - इसके साथ
ही आ मस मान और आ मिव ास भी - कैसे या िकन घटनाओं क ख
ृं ला
से गँवाता है। यह लाख लोग के साथ हज़ार अलग-अलग तरीक से होता
है। इस भावना मक अव था म पहुँचने के लए गंभीर शारी रक बाधाओं या
मान सक आघात क ज़ रत नह होती। जो भी हो, अँधेरे से बाहर
िनकलकर काश म पहुँचने का तरीक़ा वही है, चाहे अँधेरे म आपको कोई
भी चीज़ लेकर आई हो। प जारी रहता है…
शुभ चतक िम और प रवार वाल ने मेरी मदद करने क को शश क । ेरक
बुकले स, पु तक और सभी कार के दशन म एक हताश खोज हर जा त पल को
भरती थी। मने बौ धम से लेकर अंत ान के यान तक हर चीज़ क जाँच-पड़ताल
कर ली। म ाचीन वेद क ओर भी गई। एक िदन एक बुक टोर म पु तक देखते
समय मेरी िनगाह साइको साइबरनेिट स शीषक वाली पु तक पर गई। इस शीषक ने
मेरी ज ासा जगा दी। टोर क ने मुझे बताया िक वे जतनी भी कॉिपयाँ मँगाते ह,
सब िबक जाती ह, िक यह उनके टोर क बे टसे लग पु तक म से एक थी। मुझे
बस यही सुनने क ज़ रत थी। मने उस पु तक क एक त ख़रीद ली और उसे
पढ़ना शु करने के बाद पाया िक म उसे नीचे नह रख पा रही हूँ। जीवन म पहली
बार म अपने यवहार के बारे म ान हा सल करने लगी।
जब मने पु तक पूरी कर ली, तो मने िनणय लया िक म लेखक से िमलूँगी। म नह
जानती थी िक यह मुलाक़ात कैसे हो सकती है; म तो बस इतना जानती थी िक मुझे
डॉ. मॉ ज़ क ब तारीफ़ करने का अवसर ज़ र िमलेगा।
आगे के बरस म साइको साइबरनेिट स ने मेरे लए कम-पु तका का काय िकया।
मेरा नज़ रया नकारा मक से “िवजेता भावना” म बदल गया। अब दस
ू र को जो
चम कार लगता है, वह दरअसल अपनी आ म-छिव को बदलने क मेरी को शश
थी।
म एक िक़ म क चिक सक य चम कार बन गई हूँ। जस भी डॉ टर ने मेरी जाँच
क है, उसने यही कहा है िक मुझम चलने के लए आव यक शारी रक मांसपेशीय
यो यता नह है। चिक सक के िहसाब से इस त य का कोई ता कक प ीकरण
नह है िक म चलती हूँ। मुझे हाल ही म ड ट ट-4 पायलट अंतरा ीय स मेलन म
“हडीकै ड ोफ़ेशनल वुमन ऑफ़ द ईयर” नािमत िकया गया है। इस पुर कार को
पायलट और े सड स किमटी ऑन ए लॉयमट फ़ॉर द ह डकै ड ारा संयु
प
से ायो जत िकया जाता है। मुझे हाल ही म गवनर ए यू ने लो रडा म अपंग लोग
के रोज़गार पर जानकारी और ेस संबध
ं क उप-सिम त म िनयु िकया गया है।
टेलीिवज़न के अपने काय के ज़ रए मुझे कई िव यात श सयत के साथ काय
करने का सौभा य और ख़ुशी िमली है। उ ेखनीय लोग म से एक थे - आप, डॉ.
मॉ ज़।
म जान गई हूँ िक संतुि दायक, उपयोगी और सुखी जीवन जीना कैसा होता है।
जेन सडस
गए।
जेन और उसके प त पीटर मै स और ऐन मॉ
ज़ के अ छे िम बन
उसके बारे म डॉ. मॉ ज़ ने एक बार लखा था, “जीवन म ज दी या
देर से, हर यि को िवप त का सामना करना होता है। हर यि उस व त
या तो इसके ऊपर उठने का चुनाव कर सकता है, चाहे िकतने ही भगीरथ
यास क आव यकता हो, या िफर वह इसके सामने घुटने टेकने का चुनाव
कर सकता है। जेन सडस कैसे चल सकती ह और कार चला सकती ह,
जबिक सभी चिक सक य िवशेष के अनुसार उनम ऐसा करने के लए
आव यक मांसपेशीय मता और शि ही नह है! अपनी आ म-छिव क
मांसपेशीय शि के कारण, जसे आसानी से देखा नह जा सकता या
जसका चिक सक मू यांकन नह कर सकते।”
यह मह वपूण है िक जेन सडस ने यह बताया है िक उ ह ने साइको
साइबरनेिट स का इ तेमाल “कम-पु तका” के प म िकया था। दजन
अ य आ म-सुधार पु तक तथा दाशिनक ंथ के िवपरीत साइको
साइबरनेिट स सोचने वाली नह , ब क करने वाली चीज़ पर ज़ोर देती
है। यह मह वपूण है, य िक प रणाम हमेशा सृजना मक काय से ही िमलते
ह।
डॉ. मॉ ज़ अ सर उस यि के बारे म एक कहानी सुनाते थे, जो
हर िदन घंट आँ ख बंद करके एक शांत कमरे म अकेला बैठता था और
लॉटरी जीतने या िद गज कॉप रेशन का सीईओ बनने, अपने आलीशान
पटहाउस ऑिफ़स से मैनहटन को िनहारने या एक सुंदर मिहला के साथ
समु ी तट पर हनीमून मनाने क आनंददायक क पना करता रहता था।
यह यि इन मान सक च को कई साल तक हर िदन देखता रहा।
आ ख़रकार उसने तंग आकर यह सब छोड़ िदया और हर एक के सामने
घोषणा करने लगा िक यह सब “ व-सहायता” बकवास थी। सम या यह
थी िक इस यि ने कभी कोई लॉटरी िटकट नह ख़रीदा, िकसी बेहतर
पद के लए आवेदन नह िदया या िकसी यव
ु ती के सामने डे टग का ताव
नह रख़ा!
अगर साइको साइबरनेिट स को सफ़ पढ़कर रख िदया जाए, तो
इसका बहुत कम मह व होगा। लेिकन अगर इसका इ तेमाल उ े य, िदशा
और संक प के साथ िकया जाए, जैसा जेन सडस ने िकया था, तो इससे
आप सबसे संतुि दायक जीवन जीने के लए मु हो सकते ह।
श दावली
वच लत सफलता मेकेिन म (या सफलता मेकेिन म)। जब सव मेकेिन म िकसी सफलता तं के प म काय करने के लए िनद शत
होता है, तो उसे वच लत सफलता तं कहा जाता है। जैसे, जब इसे
िव श , सकारा मक ल य और साइको साइबरनेिट स तकनीक
ारा े रत या सि य िकया जाता है।
िदशा सुधारा। “टेढ़े-मेढ़े” तरीक़े, जनसे लगभग सभी ल य तक पहुँचा
जाता है।
अंद नी आलोचक। यह वच लत असफलता मेकेिन म क बात क
ओर संकेत करता है; नकारा मक, आ म-आलोचक आ म-चचा के
ज़ रए आ म-शंका, हीनता, अ व थ आ म-छिव का बलवान होना।
साइबरनेिट स। िव ुत, यांि क य या जैिवक तं
म िनयं ण ि याएँ ,
जनम उ ेखनीय प से सकारा मक-प रणाम -के- लए नकारा मक
फ़ डबैक शािमल है। यह काफ़ हद तक गाइडेड-िमसाइल टे नोलॉजी
से िवक सत हुआ।
देज़ा वू इफ़े ट। आम तौर पर िकसी चीज़ का पहले अनुभव होने का म,
जबिक उसे दरअसल पहली बार अनुभव िकया जा रहा है। “देज़ा बू
इफ़े ट” का अथ है िकसी काय को करने म आसानी, तब जब यह
क पना के अ यास और मान सक रहसल के क़रीबी दोहराव म हो।
ाण शि । “जीवन के सार हेतु उ साह।” डॉ. मॉ ज़ के लेखन म
“जीवंतता” का इ तेमाल अ सर ाण शि
म िकया गया है।
को अनुभव करने के अथ
दयालु आँ ख। ख़ुद के लए क णा। जो आ म-आलोचना का िवपरीत है।
मान सक रहसल। िकसी काय, ि या, बातचीत आिद के प और
जीवंत िववरण क बार-बार रहसल करने के लए क पना का
इ तेमाल, तािक यह ठीक वैसी ही हो, जैसी िक इसक रहसल हो रही
है।
सव -मेकेिन म (यानी सृजना मक मेकेिन म)। यह “अंद नी
कं यूटर” का िज़
करता है जसम मृ त खोज और ाि सृजना मक
सोच सम या सुलझाना, आ मिव ास दान करना और कई अ य
काय संयु होते ह। चेतन, ता कक िवचार, क पना के इरादतन
इ तेमाल और सीखे हुए यवहार के वच लत दोहराव के ज़ रए
दशन करता है। यह आ म-छिव के तालमेल म रहता है या उससे
िनयंि त होता है।
कृि म अनुभव। मान सक रहसल का प रणाम, जसका अथ है िक
कृि म या क पना ारा िन मत अनुभव िकसी वा तिवक सफल
अनुभव जतना ही अ छा होता है।
ल य। प
प से प रभािषत, िन त ल य, चाहे इसक
संबध
ं ी हो या प रणाम संबध
ं ी।
कृ त यवहार
मान सक थएटर। मान सक रहसल क सटीक ि या, जसे डॉ.
मॉ ज़ ने िवक सत िकया। आपक क पना म बनी एक “जगह”, जहाँ
आप आराम करने मान सक रहसल करने और अपनी बनाई
“मान सक िफ़ म” देखने के लए जाते ह, जनके िनदशक भी आप ही
ह और अ भनेता भी।
मान सक च ण। िकसी उ े यपूण तरीक़े से क पना के इ तेमाल हेतु
आम श दावली।
लेखक के बारे म
डॉ. मै सवेल मॉ ज़ ने 1921 म कोलंिबया यूिनव सटी से िव ान म
नातक क उपा ध ा क । 1923 म उ ह ने कोलंिबया यूिनव सटी के
कॉलेज ऑफ़ िफ़िज़ शय स ऐंड सज स से चिक सा म डॉ टरेट ड ी पूरी
क । यरू ोप म ला टक सजरी म नातको र काय करने के बाद डॉ.
मॉ ज़ को यू यॉक के अ पताल म पुन थान सजरी के कई िवभाग के
मुख के प म िनयु िकया गया। वे अपनी िवशेष ता के े और
ला टक सजरी के मनोवै ािनक पहलुओ ं पर शीष थ अंतरा ीय व ा
बन गए। इस िवषय पर उ ह ने दो पु तक का शत क : यू फ़ेसेस, यू
यच
ू स और डॉ. िप मे लयन । उ ह ने यू यॉक म एक बहुत सफल ाइवेट
ै टस क और दिु नया भर से आने वाले रोिगय का उपचार िकया, जनम
कई मशहूर ह तयाँ भी शािमल थ ।
1950 के दशक म डॉ. मॉ ज़ उन लोग क सं या से लगातार
चिकत होते रहे, जो उनके पास सजरी के आ ह लेकर आते थे, लेिकन
ज ह ने अपनी शारी रक िवकृ तय क “मान सक त वीर ” को काफ़
बढ़ा-चढ़ाकर देखा था और जनके दख
ु या असुर ाएँ मनचाहा नया चेहरा
िमलने के बाद भी नह बदल । लगभग एक दशक तक सैकड़ मरीज़ को
परामश देने, िमसाइल गाइडस टे नोलॉजी से लेकर स मोहन तक पर गहन
शोध करने और खलािड़य , से सपीपल तथा बाक़ लोग पर अपनी
िवक सत “सफलता अनुकूलन” क जाँच करने के बाद 1960 म उ ह ने
अपने िन कष िनकाले और उस समय के लहाज़ से ां तकारी िवचार
साइको साइबरनेिट स के पहले सं करण म का शत िकए।
यह पु तक तुरत
ं बे टसेलर बन गई और कंपिनय , खलािड़य ,
मनोरंजनकताओं, यहाँ तक िक धा मक संगठन ने भी डॉ. मॉ ज़ को
व ा, सेिमनार तुतकता व ाइवेट कोच के प म आमंि त करना शु
िकया। उनक पु तक के शंसक म जेन फ़ॉ डा से लेकर िव स लो बाड
क ीन बे पैकस शािमल ह। यहाँ तक िक मशहूर च कार सै वडोर डाली
ने उ ह एक मौ लक प टग भट क , जसम आ म-छिव को अंधकार से
काश म आते िदखाया गया है।
डॉ. मॉ ज़ ने साइको साइबरनेिट स के बारे म कई अ य पु तक भी
लखी ह। इसके अलावा, उ ह ने तीन उप यास और एक नाटक भी लखे।
यही नह उ ह ने “केस िह टी” क ढेर सारी साम ी भाषण और सेिमनार
नोट् स ऑ डयो और िफ़ म रकॉ ड स भी इक ी क ह - जो सभी इस
व त द साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के अ भलेख़ागार म ह। हालाँिक
डॉ. मॉ ज़ का देहांत 76 वष क उ म हो गया, लेिकन उनक िवरासत
आज भी समृ हो रही है। उनक पु तक लोकि य हुई ह, लगभग पूरी तरह
से मौ खक चार क बदौलत। डॉ. मॉ ज़ के सभी काय के बारे म अ धक
जानकारी www.psychocybernetics.com पर उपल ध है।
डेन एस.कैनेडी माक टग परामशदाता, पेशेवर व ा और सफल
यवसायी ह, जो नौ पु तक लख चुके ह। व ा के प म उ ह ने िपछले नौ
वष म हर वष दो लाख से अ धक लोग को संबो धत िकया है। वे अ सर
और बार-बार उन काय म म नज़र आते रहे ह जनम पूव अमे रक
रा प त जनरल नॉमन ाज़कोफ़ और जनरल कॉ लन पॉवेल, ॉडका टर
लैरी कग और पॉल हाव मनोरंजनकता खलाड़ी, कोच िबज़नेस लीडस
और िज़ग िज़ लर ायन टेसी, जम रॉन तथा टॉम हॉपिक स जैसे साथी
व ा शािमल ह। उनक पु तक म नो
स : 21 लाइज़ एड िम स
अबाउट स ससे और द अ टीमट माक टग लान शािमल ह। ी कैनेडी
साइको साइबरनेिट स के आजीवन िव ाथ और अ यासकता ह, द
साइको साइबरनेिट स फ़ाउं डेशन के सीईओ ह, द यू साइको
साइबरनेिट स ऑ डयो ो ाम के लेखक ह और से स ोफ़ेशन स के
लए साइको साइबरनेिट स पर आधा रत पु तक ज़ीरो रिज़ टस से लगं
के सह-लेखक ह। ी कैनेडी के काय के बारे म अ धक जानकारी
www.dankennedy.com पर उपल ध है।
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