पचास मौज़आ ू त पर सौ वाक़ेआत -प्रकाशक- हाजीनाजी मेमोररयल ट्रस्ट माली टे करा, अम्बाचौक, भावनगर (गुजरात इंडिया) … Kitab Downloaded from … www.hajinaji.com • Like us on Facebook • www.facebook.com/HajiNajiTrust PACHAS MAU… - 1 HAJINAJI.com लेखक मौलाना सय्यद अली अफ़ज़ल जैदी क़ुम्मी हिन्दी (लीपी) िाजी नाजी मेमोरियल ट्रस्ट PACHAS MAU… - 2 HAJINAJI.com નોંધ..... ➔વધ ુ કિતાબો ડાઉનલોડ િરવા માટે www.hajinaji.com પર લોગ ઓન િરો. ➔કિતાબમાાં િોઈ ભ ૂલચ ૂિ જણાય તો પેજની કિતાબન ાંુ નામ વવનાંતી. વવગત જાણ અને િરવા hajinajitrust@gmail.com PACHAS MAU… - 3 HAJINAJI.com इंतेसाब (ननस्बत दे ना) मैं अपनी इस काविश (मेिनत) को िक्त के इमाम (अ.स.) यानी इमामे सािे बुल असि िज़्ज़मान (अ.स.) कक जजनकी मअिे फ़त िाससल किना िि एक पि िाजजब िै. की मल्कूती बिगाि में िहदयि किता िूूँ. दआ गो िूूं, कक पिििहदगािे आलम बूंदे की ु इस काविश को अपनी बािगाि में क़बूल फ़िमाऐ, औि इमामे ज़माना (अ.स.) का िक़ीक़ी ससपािी बनने की तौफ़ीक अता फ़िमाऐ औि जुमलि (तमाम) मोमेनीन ि मोमेनात की शिई िाजात को मुस्तजाब फ़िमाये औि िमसब को आमाले सलेिा बजा लाने की तौफीक़ अता फ़िमाये आमीन या िब्बल आलमीन. बिक्क़े िज़ित मोिम्मद (स.अ.ि.) ि आले मोिम्म्द (स.अ.ि.) PACHAS MAU… - 4 HAJINAJI.com क़तअह िम तो जजन के िैं शैदा जल्द आनेिाले िैं सू बसू िै यि चिचा जल्द आने िाले िैं इूंतेज़ाि जजनका िै िम फ़ेदाई जजनके िैं िि िुसैन (अ.स.) के शैदा जल्द आनेिाले िैं PACHAS MAU… - 5 HAJINAJI.com बयाने मोअल्ललफ़ (लेखक) नाचीज़ िाककम िम ने इस ककताब से पिले एक औि ककताब ‘’इूंसान साज़ िाक़ेआत’’ तििीि की थी जो अलिम्द ु सलल्लाि काफ़ी लोगों ने पसूंद ककया लेककन तमन्ना औि आिज़ू यि थी कक िाक़ेआत को मौजू के साथ तििीि ककया जाए औि आयात ि ििायात को भी जज़क्र ककया जाये. इस ककताब को सलखने से पिले, जनाब िसन अली जीिानी सािब से मश्िेिि ककया, तो उन्िों ने फ़िमाया, कक आज कल लोग िाकेआत की ककताबें बिुत खिीदते िैं, औि िाकेआत को पढ़ने में काफी हदलचस्पी लेते िै – गोया उन्िों नें मेिी ख्िाहिश औि आिज़ू की ताईद फ़िमाई, इससलए पाककस्तान से इिान िापसी पि बूंदे ने इस ककताब को सलखना शुरू ककया. PACHAS MAU… - 6 HAJINAJI.com इस ककताब में पचास मुखतसलफ़ मौजूआत िैं, औि िि मौज़ूअ में पाूंच आयात, पाूंच ििायात, को जज़क्र ककया गया िै, औि मुख्तसि सी तशिीि ि तौजीि भी की गई िै, औि िि मौजूअ पि दो िाक़ेआत का भी जज़क्र ककया गया िै, खोसूसन अिले समम्बि के सलये यि ककताब काफ़ी मुफ़ीद साबबत िोगी, कोसशश की गई िै कक ऐसे मौज़ूआत को बयान ककया जाऐ कक जजनको पढ़ कि िम अपनी इस्लाि कि सकें. अलिम दसु लल्लाि ककताब ‘’इूंसानसाज़ िाक़ेआत’’औि ‘असिािे विलायत’’ के बाद यि तीसिी काविश िै, जो इस िक्त पढ़ने िालो के िाथों में मौजूद िै. इस काविश औि मेिनत को मोकम्मल किनें में जजन अफ़िाद नें हिस्सि सलया िै . उन्का मैं हदल की गििाईयों से शुकक्रया अदा किता िूूँ. जैसे मौलाना मुबािक िसनैन जैदी सािब. PACHAS MAU… - 7 HAJINAJI.com कक जजन्िों नें हदन िात मेिनत किके इस की कम्पोजजूंग की, उसी तिि मौलाना नाहदि सादक़ी, मौलाना सय्यद नाससि िुसैन जैदी, मौलाना ज़ीशान िैदि नक़िी, मौलाना रिज़िान अली अलिी, मौलाना शुजाअत अली हिन्दी, जनाब िाकफ़ज़ खुदा बख्श, जनाब सय्यद ज़जु ल्फक़ाि िुसैन नक़िी सािे बान, कक जजन्िों नें दस दस मौजूआत को लेकि तसिीि का काम अूंजाम हदया, इसी तिि तमाम साथथयों का शुक्रगुज़ाि िूूँ. जजन्िों नें इस काविश को शाया किनें में मेिी मदद की, खास तौि से नज़िे सानी औि तबाअत के कामो में मदद किने िाले, मेिे अज़ीज़ दोस्त मौलाना सय्यद शिूं शाि नक़िी औि मौलाना मेिदी ईमानी का शक्र ु गज़ ु ाि िूूँ. खुदा से दआ ु गो िूूँ. बिक्के मोिम्मद ि आले मोिम्मद (अ.म.ु स.), जजन अफ़िाद नें जजस तिि की भी इस ककताब में मदद की िै . PACHAS MAU… - 8 HAJINAJI.com बिक्के (अ.म.ु स.) मोिम्मद उन्की ि आले तौफ़ीक़ात मोिम्मद में इज़ाफ़ि फ़िमाए, इसी तिि कािे खैि किने की िम सब को तौफ़ीक़ अता फ़िमाए औि िम सब के मििूमीन की मगफ़ेित फ़िमाए िमािा िशि ि नशि कुिआन ि अिलेबैत (अ.म.ु स.) के साथ फ़िमाए आमीन या िब्बल आलमीन – बिक्क़े िज़ित मोिम्मद (स.अ.ि.) ि आले मोिम्मद (स.अ.ि.) सय्यद अली अफ़ज़ल जैदी. PACHAS MAU… - 9 HAJINAJI.com फेहररस्त नूंबि फ़ज़ीलत पेज 1 आखेित 14 2 ऐिसान 26 3 इख्लास 37 4 अख्लाक़ 51 5 इसिाफ़ 63 6 आज़माइश ि इम्तेिान 76 7 अम्र बबल्मारूफ़ ि निीूं अज़ 90 मुन्कि 8 इन्फाक़ 105 9 इमामत 119 10 ईमान 137 11 बखील (कूंजूस) 150 PACHAS MAU… - 10 HAJINAJI.com 12 बीमािी 13 बसाित 162 ि बसीित (सूझ 176 बूझ) 14 तिबबयत 189 15 तफ़क्कुि (गौि ि कफक्र) 202 16 तक़िा 217 17 तकब्बुि 233 18 तिाज़ोअ 246 19 तौबि 257 20 तिक्कुल 270 21 तोिमत 281 22 जेिालत ि नादानी 294 23 जिन्नम 305 24 हिसस ि लालच 318 PACHAS MAU… - 11 HAJINAJI.com 25 िसद 331 26 हिल्म ि बुदस बािी 348 27 दआ ु 361 28 दन्ु या 376 29 जज़क्र 389 30 िे याकािी 404 31 ज़ुबान 416 32 सखाित 432 33 शुक्र 446 34 सब्र 459 35 सद्क़ि 476 36 ससलेए ििम 488 37 ज़न ि गम ु ान 502 38 इबादत 516 PACHAS MAU… - 12 HAJINAJI.com 39 इल्म 528 40 गज़ब ि गुस्सा 539 41 गीबत 552 42 फ़क्र ि नादािी 565 43 कुिआन 579 44 क़नाअत 602 45 गुनाि 615 46 मोिब्बत 628 47 मेिमान निाज़ी 641 48 नमाज़ 657 49 िम्सायि 670 50 यतीम 683 मनाबेअ ि मआखज़ 698 * PACHAS MAU… - 13 HAJINAJI.com 1) आखेरत आयात: 1-तमाम मर जाएँगे ََّّک َّمیِ ٌت َّوَّ اِن َّہمََّّ َّمیِتَُّو َّن َّ اِن ُ (सूिेए ज़ुमि आयत 30) ‘‘पैगूंम्बि (स.अ.ि.) आप को भी मौत आनें िाली िै , औि यि सब मि जाने िाले िैं’’ 2-मौत मख्लक़ ू े खद ु ावंद (मौत अललाह की मखलूक़ है) ال َّ ِذیََّّ َّخل َّ َّق ا َّل َّو َّت َّو اۡلَّیٰو ََّۃ لِیَّبل ُ َّو ُکمََّّ ا َّی ُ ُکمََّّ اَّح َّس ُ َّن َّل َّ ً عَّ َّم (सूिेए मुल्क आयत 2) ‘’उसने मैत ि ियात को इससलए पैदा ककया िै . ता कक तम् ु िािी आज़माइश किे कक तम ु में िुस्ने अमल के ऐतबाि से, सब से बेिति कौन िै’’ PACHAS MAU… - 14 HAJINAJI.com 3-मौत से िरने की वजह: َّص ًََّۃ ِمن ََّّ ِ م الد َُّار اۡل ٰ ِخ ََّّر ََُّۃ ِعن ََّّد الل ّٰ َِّہ َّخال َُّ ُقلََّّ اِن کَّانَّت ل َّ ُک َّیَّ َّو َّل َّن ََّّ ِت اِنَّ ُکنتُمَّ ٰص ِدق َّ َّ اس فَّت َّ َّمن َُّوا ا َّل َّو َّ ِ َُّدو َِّن الن ؕ َّیَّت َّ َّمنَّو ُہ ا ََّّبَّ ًد ًۢا ِِبَّا قَّد ََّّمت ا َّی َِّدی ِہم (सूिए बक़िि आयात 94-95) ‘’उनसे किो कक अगि सािे इूंसानों में आखेित का घि, फ़क़त तम् ु िािे सलये िै. औि तुम अपने दािे में सच्चे िो तो तुम मौत की तमन्ना किो, औि यि अपनें वपछले आमाल की बबना पि ििथगज़ मौत की तमन्ना निीूं किें गे’’ 4-मौत के बाद ल्ज़ंदगी: َّۡح ِت الل ّٰ َِّہَّ کَّی َّف ُُییِ اۡلَّر َّض بَّع َّد َّ فَّان ُظرََّّ اِ ٰ ۤ َّلَّ اٰث ٰ َِّرَّ َّر ِ ِ ُک َّل لَّ ََّشءََّّ قَّ ِدی ٌَّر َّ ِ ُحََّّ الَّو ٰٰت ۚ َّو ُہ ََّّوَّ عَّ ٰٰل ک َّ َّمو ِتہَّا ؕ اِ ََّّنَّ ذٰل (सूिए रूम आयत 50) PACHAS MAU… - 15 HAJINAJI.com ‘’अब तुम ििमते खुदा के उन आसाि को दे खो, कक िि ककस तिि ज़मीन को मुदास िो जाने के बाद जज़न्दा कि दे ता िै. बेशक ििी मुदों को जज़न्दा किने िाला िै , औि ििी िि चीज़ पि कुदित िखने िाला िै’’ 5-आखेरत बेहतर है: ق َّ ٰ یٌَّ َّو اَّب َّ َّو اۡل ٰ ِخ ََّّر ََُّۃَّ َّخ (सूिेए आअला आयत 17) आखेित बेिति, औि िमेशा ििने िाली िै PACHAS MAU… - 16 HAJINAJI.com ििायात: 1-आखेरत के ललये अमल अंजाम दो- ِ ِ اع َّم ْل ََّل َّٰا ْ َّک ََّمْل ُ ْو ٌق ل ْلٰخ َّر ِة ف َّ َّاِن: قال علي علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 1.पेज. 17.) ‘’िज़ित अली (अ.स.) ने फ़िमाया, बेशक तुम आखेित के सलये पैदा ककये गये िो, उसी के सलये अमल अूंजाम दो’’ 2-आखेरत नेक लोगों केललये: ِ ’’ِالسعَّ َّداء ُ ا َّْۡلٰخ َّر ُة فَّ ْو ُز: قال علَّي علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 16) िज़ित अली (अ.स.) ने फ़िमाया: आखेित नेक लोगों की कासमयाबी िै. 3-दन्ु या की ज़ीनत: ٰ الدنْیا ُ ال َّو ال َّْب َّنُ ْو ُن ِزیْن َّ ُة ُ ٰ ا َّ ْل:قال علي علیه السلم ِ ل الص َّاۡل ٰ ِخ َّر َِّة َّ ْ اِل ُ َّح ْر ُث ّٰ َّ ُ َّوالْعَّ ََّّم PACHAS MAU… - 17 HAJINAJI.com (गुिरुल िे कम जजल्द.1 पेज. 16) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फ़िमाया: माल औि अव्लाद दन्ु या की जीनत िै , औि नेक अमल आखेित की खेती िै. 4-आखेरत पर यकीन: َّ َّم ْن اَّیْقَّ ََّّن بِا ْۡل ٰ ِخ َّر ِة ل َّ ْم َُّیْ ِر ْص:قال علي علیه السلم الدنْیٰا َُّ ع َّ ََّّلي (गुिरूल िे कम जजल्द. 1, पेज. 19) मौला अली (अ.अ.) ने फ़िमाया: जो शख्स आखेित पि ईमान िखता िै. िि दन्ु या की हिसस (लालच) निीूं किता. 5-अखेरत बाकी रहनें वाली है َّ غَّای َّ ُة ْاۡل ٰ ِخ َّر ِة اَّلْبَّقَّ َُّاء: قال علي علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द. 1, पेज. 18) PACHAS MAU… - 18 HAJINAJI.com िज़ित अली (अ.स.) ने फिमाया: आखेित की गिज़ (मक़सद) बक़ा िै PACHAS MAU… - 19 HAJINAJI.com तशिीि: इसमें कोई शक निीूं कक यि दन्ु या फानी िै. इस दन्ु या को दिाम निीूं िै. यानी यि दन्ु या, िमेशा बाक़ी ििने िाली निीूं िै. कुिआन ि ििायात से यि बात साबबत िै. कक इूंसान इस दन्ु या में िमेशा ििने केसलये निीूं आया यि दन्ु या फकत ऐक गुज़ि गाि िै. इूंसान को िमेशि आखेित की कफ़क्र में ििना चाहिए, आज अमल का हदन िै , औि कल हिसाब का. जज़ा ि सज़ा का दािो मदाि अमल पि िै. जैसा अमल िैसी िी जज़ा ि सज़ा- ऊपि जज़क्र की िुई आयात ि ििायात से भी यि बात पता चलती िै. कक दन्ु या से बेिति आखेित िै. खुदा से दआ िै बिक्के मोिम्मद ि आले ु मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें आखेित में बेितिीन जज़ा ि इनआम अता फ़िमाऐ (आमीन). PACHAS MAU… - 20 HAJINAJI.com िाक़ेआत- 1-नादान आबबद बनी इसिाईल में , एक मुत्तक़ी ि पििे ज़गाि आबबद, दो सै साल अपनी उम्र इबादते इलािी में गुज़ाि चुका था. उसने खुदा से दआ की कक खद ु ाया! इबलीस को हदखा ु अचानक उस्के किीब एक बूढा शख्स ज़ाहिि िुिा आबबद ने पूछा तुम कौन िो? बढ़ ू े ने किा मैं इबलीस िूूँआबबद: तुम मेिे पास इस से पिले क्यूूं निीूं आए, मुझे धोखा ि फ़िे ब दे ने केसलये? इबलीस ने किा: कई बाि आया लेककन तुम मेिे जाल में न फूँस सके आबबद: क्यूूं? इबलीस: क्यूूं कक तुम िमेशा इबादते इलािी में मशगूल ििते, औि िमेशा इस कफ़क्र में ििते, किीूं इजिाईल न आजाएूँ औि मैं PACHAS MAU… - 21 HAJINAJI.com गुनाि ि मासीयत में मुब्तेला िूूँ, इस िजि से मै तुम पि मुसल्लत न िो सका, औि इसी िजि से खद ु ा नें तम् ु िािी दो सौ साल उम्र की, उस्के अलािा दो सौ साल औि बढ़ा दी िै. (गोया तुम्िािी उम्र चाि सौ साल िै) यि किकि इबलीस गायब िो गया. आबबद सोचने लगा, औि अपने आप से किने लगा कक दो सौ साल अभी मेिी उम्र बाकी िै. क्यूूं अपने आप को दन ु यािी लज़्ज़त से मिरूम िख्खूूं (गोया आबबद आखेित भल ू गया) सौ साल ऐश ि इशित में गुजािता िूूँ. औि बाकी सौ साल इबादत ि इताअत में गुज़ाि दूं ग ू ाइस गलत कफ़क्र नें, आबबद को इबादत से दिू किहदया, औि दन्ु या की तिफ मत ु िज्जि िुिा- आहिस्ति आहिस्ति गुनाि का मुितककब िोता ििा- एक दफअ अचानक PACHAS MAU… - 22 HAJINAJI.com उसनें मिसूस ककया, कक मल्कुल मौत इजिाईल उस्के किीब आििा िै. आबबद नें इजिाईल से किा: मेिी दो सौ साल उम्र िै. इजिाईल नें किा: बेशक तुम्िािी उम्र दो सौ साल थी लेककन इबादत की दिू ी औि गुनािों को अूंजाम दे ने की िजि से तम् ु िािी उम्र कम िोगई. (तुम आखेित को भूल गये औि दन्ु या की तिफ मुतिज्जि िो गये) इस तिि नादान आबबद की आकेबत ि आखेित खिाब िो गई. ِ ًَّ ب اُ ُم ْو ِرنَّا َّخ ْی َّا َ ّٰ َّ ا ْ للٰ ُه َّم َّ اجعَّ ْل عَّ َّواق तजुम स ि: खुदाया िमािी आकेबत बखैि फिमाूँ (आकेबत ि कैफि गुनिगािान पेज.15.) 2-हकीकत को जानना एक शख्स मजस्जद नबिी में दाखखल िुआ, औि पैगम्बि (स.अ.ि.) से अजस ककया, अय PACHAS MAU… - 23 HAJINAJI.com िसूले खुदा (स.अ.ि.) मुझे कुिआन की तालीम दें , पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें अपनें असिाब में से उस्को एक सिाबी के ससपुदस ककया- सिाबी उसका िाथ पकड कि मजस्जद के एक कोनें में ले गया, औि सूिेए मुबािे कि जजलज़ाल की उस्के सामने ततलाित की, जब इस आयत पि पिुचा َّفَّ َّم ْن ی َّ َّعْ َّم ُل مثقال ذرة خیاًیره و من یعمل مثقال َّذرة شرا یره (कफि जजसने ज़िसि बिाबि नेकी की िै. ििी उसे दे खे गा औि जजसने ज़िसि बिाबि बुिाई की िै . िि उसे दे खे गा) उस शख्स ने थोड़ी कफ़क्र किने के बाद किा: क्या यि जुमला ििये इलािी (अल्लाल की ििी) िै ? सिाबी ने उस शख्स के जिाब में किा बेशक- उस शख्स ने किा: मैंने इस आयत से दिस (सबक़) ले सलया िै. यानी PACHAS MAU… - 24 HAJINAJI.com यिी आयत मेिे िािे मुस्तकीम पि चलने औि आखेित की याद केसलये काफी िै - औि यि किकि िि शख्स चल पड़ासिाबी पैगम्बि (स.अ.ि.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा औि सािा िाकेया बयान ककयापैगम्बि (स.अ.ि) ने फिमाया उस्को आज़ाद छोड़ दो उसने िकीकत को पा सलया (तफसीिे नमूना जजल्द 27, पेज. 231.) PACHAS MAU… - 25 HAJINAJI.com 2) ऐहसान आयात 1-ऐसान केललये हुक्मे इलाही: ان َِّ اِ َّن اللّٰہَّ یَّا ُم ُر بِالعَّد ِل َّو اۡلِح َّس सूिए निल आयत 90 ‘’बेशक अल्लाि अदल औि एिसान का िुक्म दे ता िै ’’ 2-एहसान का बदलह: ان َُّ انَّ اِ َّۡل اۡلِ َّح َّس َِّ ٓاءَّ اۡلِحَّ َّس َُّ ہَّلَّ ََّّج َّز सिु ए ििमान आयत 60. ‘’क्या ऐिसान का बदलि एिसान के अलािि कुछ औि भी िो सकता िै ’’ 3-नेकी का शौक़ ददलाना: ؕ َالدنیَّا َّح َّس ََّّن ٌَّۃ ُ َِّلِل َّ ِذی َّن اَّح َّسنُوا ِِف ہ ٰ ِذ َّہ PACHAS MAU… - 26 HAJINAJI.com सिू ए ज़म ु जि आयत 10. ‘’जजन लोगों नें इस दन्ु या में ऐिसान ककया उन्के सलये नेकी िै ’’ 4-रहमते इलाही एहसान करने वालों के करीब है . ِ َّ ۡح ی ََّّ ب ِم َّن الُح ِس ِن َّ اِ َّن َّر ٌ ت اللّٰہ قَّ ِری सूिए आिाफ आयत 56. उस्की ििमत अच्छा अमल नेक अमल किने िालों से किीब ति िै . 5-खद ु ा एहसान करने वालों को दोस्त रखता है ِِ َّی ُ ِ َّو ال َّل ّٰ ُہ ُ َُّی َّ ب الُحسن (सिू ए आले इमिान आयत 148) औि अल्लाि नेक अमल किने िालो को दोस्त िखता िै . PACHAS MAU… - 27 HAJINAJI.com ििायात 1-नेक लोगों की खसलत: ا َّْۡلِ ْح ٰسا ُن َّغرِی ْ َّز ُة أۡلَّخیٰا َِّر:َّ قال علي علیه السلم गोिरुल िे कम जजल्द. 1, पेज. 269 मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: एिसान किना नेक लोगों की खसलत िै. 2-बेहतरी ईमान ِ اَّفْ َّض ُل ْاۡلِ ْْيٰانِ ا َّْۡلِ ْح ٰس:َّ قال علي علیه السلم َّان गोिरुल िे कम जजल्द. 1 पेज. 271 मौलाऐ काऐनात नें फिमाया: बेितिीन ईमान एिसान िै. 3-एहसान मोहब्बत का सबब: ِ عل ًان ُُم َّ َّب َّ َّة ُ َّا َّ ْۡل ْح ٰس: ََّّقال ي علیه السلم गोिरुल िे कम जजल्द. 1, पेज. 275 PACHAS MAU… - 28 HAJINAJI.com अमीरुल मोमेनीन नें फिमाया: एिसान मुिब्बत का सबब िोता िै. 4-गुनाह गार पर एहसान: عل َّان إِل ٰا ْلُس ْيءِ أ َّ ْح َّس ُن ُ ا َّْْل ِْح ٰس:َّ قال ي علیه السلم َّ َّ َّ َّل َّ ِ ال ْ َّف ْض (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज. 277) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: गुनाि गाि पि एिसान बेितिीन फज़ीलत िै. 5-गुलामी: ان َُّ بِا ْاۡلِ ْح ٰسانِ یُ ْستَّعْب َّ ُد ْاۡلِن ْ ٰس:َّ قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द. 1, पेज. 280) मौलाए मुत्तकीयाूँन (अ.स.) नें फिमाया ऐिसान से इन्सान गल ु ाम बन जाता िै. PACHAS MAU… - 29 HAJINAJI.com तशिीि: ऐिसान, िि िि अमल नेक िै. जो िाकेँअन नेक िो औि कुदित की तनगाि में नेक किे जाने के काबबल िो, ताकक खद ु ा उस्का अज्र दे सके ििना ख्याली नेककयों की कोई कीमत निीूं िै ََّّه ْلَّ َّج ََّّز ُاء ْاْل ِْح ٰسانِ إِۡلَّ ْاۡلِ ْح ٰسا ِن एक अकली क़ानून भी िै औि शिई कानून भी- सािे बाने अक्ल भी इस िकीकत को मानते िैं. कक नेकी का बदला नेकी के ससिा कुछ भी निीूं िो सकता, औि िुक्में शिीअत भी िै. कक अगि कोई शख्स तुम्िािे साथ नेक बतासि किे , तो उस्की नेकी का जिाब नेकी िी से दो- मगि बद बख्त अफिाद नें , इस कानून का भी ख़याल निीूं िख्खा औि पिििहदगाि जैसे एिसान किनें िाले के साथ भी अच्छा बतासि निीूं ककया, औि उस्की बूंदीगी से दिू िो गये, बल्की उस्के िजद ू तक का इनकाि कि हदया. PACHAS MAU… - 30 HAJINAJI.com खुदा से दआ िै बिक्के चिािदि मासूमीन ु (अ.मु.स.) िम सब को ऐिसान ि नेकी किनें की तौफीक अता किे - (आमीन) PACHAS MAU… - 31 HAJINAJI.com िाकेआत 1-एहसान और नेकी: मोअम्मि बबन खलद ू इमामे िे ज़ा (अ.स.) से ििायत नक्ल किता िै. कक िज़ित (अ.स.) ने फिमाया: बनी इस्राईल में एक शख्स नें ख्िाब में दे खा कक उस्के पास कोई शख्स आया औि उसने किा: तेिी उम्र में आधी जज़ूंदगी आिाम ि सुकून औि खुशी में गुज़िे गी औि आधी दस ू िी जज़ूंदगी पिे शानी औि तूंगदस्ती में - अब तेिी मजी िै. जजस्को चािे पिले इन्तेखाब किले- उस शख्स नें किा मेिे साथ मेिी शिीके ियात िै बेिति िै. पिले उस से मश्िेिि किलूूं- जब सुबि िुई तो उसने बीिी से किा: िात ख्िाब में मैंनें एक शख्स को दे खा औि उसने मझ ु से किा: तेिी आधी जजूंदगी में खुश्याूं िैं, औि आधी जज़ूंदगी में पिे शातनयाूं िैं: अब तेिी मजी जजसको चािे पिले इन्तेखाब कि: PACHAS MAU… - 32 HAJINAJI.com उस्की बीिी नें किा: पिले खुशी को इन्तेखाब किलो- उसने अपनी शिीके ियात की बात पि अमल ककया औि पिले खश ु ी को इन्तेखाब ककया- जब उसने यि काम ककया औि दन्ु या उस्की तिफ आई तो जब उसे कोई नेअमत समलती तो उस्की बीिी उस से किती तम् ु िािा फलाूं िमसाया औि पड़ोसी ज़रूित मूंद औि मुिताज िै. उस्के साथ ऐिसान किो या उस से किती तुम्िािा फलाूं रिश्ति दाि ज़रूित मूंद िै उस्के साथ ऐिसान किो या उस से किती तम् ु िािा फलाूं रिश्ति दाि न्याज़मूंद िै उस्की मदद किो इसी तिि िमेशि जो भी उस्को नेमत समलती, िि गिीबों औि मुिताजों की मदद किता औि उस नेमत का शक्र ु अदा किता. इस तिि उस्की आधी जज़ूंदगी खुश्यो औि फिािानी में गुज़िी. PACHAS MAU… - 33 HAJINAJI.com औि जब दस ू िी आधी जज़ूंदगी शुरू िुई. तो उसकी बेिी नें किा: ف شك اهلل أ َّ ْول ٰبِاال َّْوفَّاء ُ اهلل عَّلَّیْنَّا َّ َّ ََّّرنَّا َّو ُ قد أنعم यानी खुदा ने िमें नेमतों से निाजा औि िमने उस्का शुक्र अदा ककया. औि खुदा यकीनन, अपने िादे पि िफ़ा किे ने िाला िै. यिी ऐिसान , शुक्रे नेमत, गिीबों, मुिताजों, अज़ीज़ ि अकारिब की मदद किनाूं, सबब बना कक उस्की दस ू िी आधी जज़ूंदगी भी खुशयों औि फिािानीूं (िि चीज़ बुत ज़्याद) में गुज़िी (बेिारुल अन्िाि जजल्द. 77, पेज. 55, शििे जज़यािते अमीनल् ु लाि, पेज. 315.) 2-एहसान और खखदमते खलक: इब्ने अब्बास किते िैं: मै मजस्जदे ििाम में इमामे िसन (अ.स.) के किीब बैठा, औि इमाम (अ.स.) मजस्जद में ऐतकाफ में बैठे िुए थे- एक हदन इमाम (अ.स.) तिाफ कि PACHAS MAU… - 34 HAJINAJI.com ििे थे. कक इतने में एक शख्स इमाम (अ.स.) के पास आया, औि अजस की: अय फिज़न्दे िसल ू (स.अ.ि.) मैं मकरूज़ िूूँ. मझ ु े इस्कदि िकम चाहिए अगि मुमककन िो तो मेिा कजस अदा किदें . इमाम (अ.स.) नें फिमाया इस घि के िब की क़सम मैंनें इस िाल में सुबि की िै. कक मेिे पास कुछ भी निीूं: उस शख्स ने किा: अगि मुमककन िो तो मुझे सािे बे कजस से िक्त ले कि दे दें. क्यूूं की िि मुझे डिाता औि धमकाता िै इब्नें अब्बास किते िैं: इमाम (अ.स.) नें अपने तिाफ को छोड़ा, औि उस शख्स के साथ उस्की िाजत ििाई के सलये चल पड़े. मैंनें अजस ककया: अय फ़िजन्दे िसल ू (स.अ.ि.) आप ऐतकाफ में िैं. िज़ित (अ.स.) नें फिमाया मैंने अपने िासलदे गिामी से सुना िै कक िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया जो भी ककसी मोमीन PACHAS MAU… - 35 HAJINAJI.com की िाजत पूिी किे गा, गोया उसने नव्िे िज़ाि साल खुदा की इबादत की, ऐसी इबादत कक हदन को िोज़े से औि िातों को क़याम में. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द. 1, पेज.45.) PACHAS MAU… - 36 HAJINAJI.com 3) इख्लास आयात 1-खाललस इबादत ِ َّو م َّا َّۤ اُ ِم ُروۤاَّ اِ َّۡل لِیعب ُدوا اللّٰہ َُملِ ِصی ل َّ َّہ َّالدی ََّّن َّ َّ َّ ُ َّ ُ َّ सूिए बय्येनि आयत 5 ‘’औि उन्िें ससफस इस बात का िुक्म हदया गया था. कक खुदा की इबादत किें , औि उस इबादत को उसी केसलये खासलस िख्खें’’ 2-सब कुछ खुदा के ललये ِ َّ ب َّ ِ اٰتَّ َّلِل ّٰ َِّہَّ َّ َّر َّ ِ َّ ای َّو ََّم َّ َّ ُقلََّّ اِ َّن َّص َّ َّ ل ِ َّٰتَّ َّو ن ُ ُسکَّ َّو َُّمی َّی ََّّ العٰل َّ ِم (सूिए अनआम आयत 162) ‘’कि दीजजये कक, मेिी नमाज़, मेिी इबादतें, मेिी जज़ूंदगी, मेिी मौत, सब अल्लाि केसलये िै. जो आलमीन का पालने िाला िै’’ PACHAS MAU… - 37 HAJINAJI.com 3-शैतान से महफूज़ َّی ََّّ مَّ الُخل َّ ِص َُّ کَّ ِمنہ َّ یَّاِ َّۡل ِعباد َّ َِّجع َّ و ۡلغ ِوینہمََّّ ا ُ َّ َّ َّ َّ َّ ُ َّ َّ ُ َّ َّ ‘’औि अलािि सब को तेिे (सूिए हिज्र आयात 39-40) इकठ्ठा उन बन्दों गुमिाि के करूगा, जजन्िें खासलस बनाया िै’’ तूनें 4-नजात याफ्तह: َّب ََُّۃَّ الُن َّذرِی ََّّنَّاِ َّ َّۡل ِعب َّ َّادََّّ الل ّٰ َِّہ َّ َّ ِان عَّاق َّ َّ فَّان ُظر کَّی َّف ک ِ َّی َّ الُخلَّص (सूिए साफ्फात आयात 73-74) तो अब दे खो कक जजन्िें डिाया जाता िै. उन्के न मानने का अूंजाम क्या िोता िै. अलािा उन लोगों के जो अल्लाि के मुखसलस बूंदे िोते िैं. PACHAS MAU… - 38 HAJINAJI.com 5-मुखललस बन्दों के लसवा कोई खुदा की तौसीफ नहीं कर सकता ِ ِ َِّ َّ سب ٰحن الل ّٰ ِہ عَّ َّما ی ِ ِ َّی َّ ُ َّ ص ُفو ََّّنَّ َّا َّۡل عب َّ َّادََّّ الل ّٰ َّہَّ الُخلَّص (सिू ए साफ्फात आयत 160) ज़ाते खुदा पाक ि मुनज्जि िै. उन सब के बयानात से जो िि किते िैं. मगि खुदा के मुखसलस बूंदे उस्की तौसीफ किें गें. PACHAS MAU… - 39 HAJINAJI.com ििायात 1-कालमयाबी أ َّ ْۡلِ ْخ َّل ُص فَّ ْو ٌَّز: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 404) मौलाऐ काऐनात नें फ़िमाया ‘’इखलास कासमयाबी िै’’ 2-इबादत का मेअयार َّ أ َّ ْۡلِ ْخ َّل ُص ِم َّل ُك الْعِبَّادَّ ِة: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 405.) िज़ित अली (अ.स.) नें फ़िमाया इखलास इबादत का मेअयाि िै. 3-मुक़ररबींन की इबादत ی ََّّ ْ ِ ا َّْۡلِ ْخ َّل ُص ِعبٰادَّ ُة ا ْلُقَّ َّرب: قال ايل علیه السلم गोिरुल िे कम जजल्द. 1 पेज. 405 इमामे अली (अ.स.) नें फिमाया इखलास मुक़िसबीूंन की इबादत िै. PACHAS MAU… - 40 HAJINAJI.com 4-आज़ादी َّ غَّای َّ ُة ْأۡلِ ْخ ُل ِص اَّْلْ َّ َّل ُص: قال علي اۡلسلم गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज. 407 अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) ने फिमाया इखलास का नतीजि (अज़ाबे खुदा से) खलासी ि िे िाइ िै. 5-मुराद पा लेना َّ عل َّال َّ ٰ َّص بَّل َّ َّغ أآلم َّ َّم ْن أ ْخل: قال ي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 408) अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया. जजसने अपनें अमल ि नीयत में ख़ुलूस पैदा ककया, िि अपनें मकसद ि मिु ाद को पागया PACHAS MAU… - 41 HAJINAJI.com तशिीि इखलास ि खुलूसे नीयत, एक बिुत अज़ीम मसअला िै. जजस पि कुिआने मजीद की आयात, ि ििायाते मअसूमीन (अ.मु.स.), में बिुत जोि हदया गया िै. ससफस मख ु सलस अफिाद िी की कफ़क्र ि नीयत, अमल औि इखलाक काबबले अिसमयत िैं. औि ससफस ििी लोग अजिे अज़ीम औि रिज्िाने इलािी के मुस्तिक िोते िैं. अगि िमािी कोसशश, आमाल औि अखलाकी तमाम काम, गैिे खुदा केसलय िों, तो उन्की कोई अिमीयत निीूं, औि खुदा के नज़दीक उसका कोई सिाब निीूं िै. इखलास बेितिीन अमल िै - इख्लास बिुत बड़ी कासमयाबी िै - इखलास इबादत का समिि, (यानी इबादत का फल) िै . औि इसी अखलास के ज़रिये PACHAS MAU… - 42 इूंसानों के आमाल, HAJINAJI.com बलूंहदयों की तिफ जाते िैं. औि पििि दीगिे आलम मुखसलस बन्दों की दआ ु ओूं को बिुत जल्द मस् ु तजाब किता िै . खुदा से दआ किते िैं. बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें खुलूस नीयत से िि नेक काम किनें की तौफीक अता फिमाए. (आमीन) PACHAS MAU… - 43 HAJINAJI.com िाकेआत 1-शैतान का वअदह और आबबद की लशकस्त ककताब खुलास्तुल अख्याि, औि दस ू िी मोअतबि ककताबों में समलता िै. कक बनी इस्राईल में एक दिख़्त था. जजसमें से शैतान आिाज़ तनकाल कि, लोगों से बातें ककया किता था- औि काफी लोग उस दिख्त के बािे में उलूहिय्यत (यानी अल्लाि िोने) के क़ाएल िो गए थे. एक आबबद को जब इस माजिे के बािे में पता चला, तो खल ु स ू े नीयत से उस दिख्त को काटने का इिादा ककयापस उस आबबद नें कुल्िाड़ी उठाई औि उस दिख्त के किीब आया, कक उस्को काट दे अचानक शैतान इन्सानीूं सिू त में मज ु स्सम िुिा, औि आबबद को दिख्त काटने से मना ककया (मगि आबबद नें किा मैं ज़रूि इस दिख़्त को काटूूं गा) आपस में झगडा िुिा PACHAS MAU… - 44 HAJINAJI.com औि आबबद शैतान पि ग़ासलब आगया, औि शैतान को ज़मीन पि थगिा हदया, शैतान नें जब दे खा कक आबबद अपने इिादे से मुन्िरिफ (िट) निीूं िोििा िै. तो उसनें आबबद से किा: अगि इस दिख़्त को काटने से तुम्िािा मक़सूद सिाब िै , तो मैं तुम्िािे सलये एक ऐसा काम अूंजाम दे ता िूूँ जजसका सिाब औि अजि इस से बेिति िै - आबबद नें किा: िि कौन सा अमल िै ? शैतान ने किा: जब तक तुम जज़ूंदा िो मैं िादा किता िूूँ, कक तम् ु िािे मस ु ल्ले के नीचे से तम् ु िें िि िोज दो दीनाि सोनें के समलेगे, औि तुम िि दीनाि फोक्रा (ग़िीबों) में तकसीम किदे नाआबबद बेचािि, शैतान के फिे ब (धोके) में आगया, औि दिख़्त को काटने से मन् ु िारिफ (िट) िो गया. शैतान ने चूंद हदनों तक तो अपनें िादा पि अमल ककया. लेककन कुछ हदनों के बाद जब आबबद को मुसल्ले के PACHAS MAU… - 45 HAJINAJI.com नीचे से दीनाि न समले. तो दोबािि दिख़्त को काटने के सलये चल पड़ा- शैतान कफि आबबद के िास्ते में आया, औि दिख्त काटनें से िोका लेककन आबबद नें इनकाि ककया, दोनों में दोबािि झगडा िुआ- इस बाि शैतान नें, आबबद पि गलबि (जीत गया) पाया, औि आबबद को ज़ेि (ििा) कि हदयाआबबद नें तअज्जुब ककया, औि शैतान से स्िाल ककया, कक क्या िजि िै उस बाि मैं ग़ासलब (कासमयाब) आया था. औि इस बाि तू ग़ासलब (कासमयाब) िूआ? शैतान नें किा: उस दफ़ा तेिी नीयत खासलस थी, औि अल्लाि तआला केसलये तू काम अूंजाम दे ना चािता था. लेककन इस दफ़ा तेिी नीयत खासलस न थी. बल्की दीनाि न समलने की िजि से तू यि काम अूंजाम दे ना चािता था- (खजीनतुल जिाहिि फ़ी मनाबबि जजल्द .2, पेज. 1012.) PACHAS MAU… - 46 अयनतुल HAJINAJI.com 2-इखलास की बका: शैख़ अब्बास कुम्मी (कु.सस.) ने सफीनतुल बबिाि, की जजल्द दो पेज 668 (लफ्ज़े खलस) में शैख़ शिफुद्दीन बबन मूतनस की ककताब मुखतसुरुल अिया. से नक्ल ककया िै कक: उन्िों नें इखलास के बाब में तििीि ककया िै. जो भी अपने अमल को ख्लस ू े नीयत से अल्लाि के सलये अूंजाम दे गा, अगि चे नीयत न िो, तो उस्के आसाि औि बिकात उस्के सलये, औि उसी तिि उस्के लिािे कीन (मोतअल्लेकीूंन) ि पस्मूंदेगान (पिीिाि) के सलये िोज़े कयामत तक बाकी ि क़ाऐम ििें गें जैसा कक नक्ल किते िैं कक: जब िज़ित आदम (अ.स.) ज़मीन पि तशिीफ लाये. तो ज़मीन पि ििने िाले मुख्तसलफ िै िानात उन्की जजयाित औि सलाम केसलये िाजज़ि िुये. आपनें आनें िाले जानििों को उन्की PACHAS MAU… - 47 HAJINAJI.com ियसीयत औि मूंजेलत के मुताबबक दआ ु फिमाई. हििनों का एक दस्ति (थगिोि) आदम (अ.स.) के सलाम के सलये उन्के पास आया, िज़ित आदम (अ.स.) नें उन्की पीठ पि मुिब्बत से िाथ फेिा औि उन्के िक़ में दआ ु फिमाई, जजस के नतीजे में िक्के तआला नें उन्िें नाफऐ समश्क (यानी हििन की नाफ में समश्क) अता फिमाया. जब यि हििन समश्क के अमीन बनकि अपनी कौम में गये तो दस ू िे हििनों ने किा: आज िमें तुम से अजीब सी खुश्बू मिसूस िो ििी िै. औि आज से पिले यि खुशबू तुम में निीूं पाई जाती थी. यि खुशबू किाूँ से लाए िो? हििनों ने किा िम खुदा के बगज ुस ीदि िज़ित आदम (अ.स.) की जजयाित केसलये गए थे. उन्िों नें िमािी पीठ पि दस्ते शफकत फेिा PACHAS MAU… - 48 HAJINAJI.com औि िमािे िक़ में दआ फिमाई, अल्लाि ु तआला नें िमें नाफऐ समश्क का िासमल बना हदया. जब दस ू िे िीिनों नें यि सुना, तो उन्िों नें किा िम भी आदम (अ.स.) के पास नाफ़ए समश्क िाससल किनें केसलये जाते िैं. यि कि कि िि िज़ित आदम (अ.स.) के पास आये औि उन्को सलाम ककया िज़ित (अ.स.) नें उन्के पुशत पि शफक़त का िाथ फेिा औि उन्के सलये दआ फिमाई मगि ु उनमें िि खश ु बू पैदा न िुई. उन्िों नें िापस आकि हििनों की पिली टोली से किा, िम ने भी आदम (अ.स.) की जजयाित की उन्िों नें िमािी पुश्त पि दस्ते शफ़कत फेिा, औि दआ भी की, मगि िमािे ु अूंदि िि खुशबू पैदा निीूं िुई जो तुम्िािे अूंदि िै. PACHAS MAU… - 49 HAJINAJI.com तो दस ू ेिे हििनो नें जिाब हदया िमािी औि तुम्िािी नीयत में फ़कस था तुम नें िज़ित आदम (अ.स.) की जजयाित को खल ु स ू े नीयत से अूंजाम निीूं हदया, बल्की तुम्िािी नीयत यि थी कक पिििहदगाि तुम को भी साहिबे नाफ़ऐ समश्क अता किे , इससलये तुम मिरूम ििे औि िमािी नीयत खासलस थी. सलिाजा िक़ तआला नें िमें इस खुशबू से निाजा औि यि खुशबू कयामत तक उन्की नस्लों में बाकी औि क़ाऐम ििे गी. (िज़ाि ि यक हिकायत इखलाकी, पेज 208.) PACHAS MAU… - 50 HAJINAJI.com 4) अख्लाक़ आयात 1-हुस्नें खल ु क: م َّ َّک َّل َّعَّ ٰٰل ُخل ُ َّق عَّ ِظی َّ ََّّوَّ اِن (सूिए कलम आयत 4) आप बलूंद तिीन इखलाक के दजे पि िैं. 2-बेहतरी कलाम: تَّ ہِ ََّّی َّا َّ َّح َّس ُ َّن َّ ِ َّ َّو ُقل لِعِبَّا ِدی ی َّ ُقوَّلُوا ال (सूिए असिा आयत 53) औि मेिे बन्दों से कि दीजजये कक ससफस अच्छी बातें ककया किें . 3-बेहतरीन जवाब: حَّ ََّۃ فَّ َّحیُوا بِاَّح َّس ََّّن ِمنہَّ َّا َّۤ ا ََّّو ُردُوہَّ َّا َّ ِ َّ َّو اِ َّذَّا ُحیَِّیتُم بِت (सूिए तनसा आयत 86) PACHAS MAU… - 51 HAJINAJI.com औि जब तुम लोगों को कोई तोिफ़ऐ (सलाम) पेश ककया जाए तो उस से बेिति या (कम से कम) िैसा िी िापस किो. 4-वह कहो ल्जसपर खुद अमल करते हो: َّمَّ تَّ ُقولُو َّن َّما َّ َّۡلَّ تَّفعَّلُو َّن ََّّ ِ یٰۤا َّیُہَّاَّ ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوَّاَّ ل (सूिए सफ आयत 2.) ईमान िालो, आखखि िि बात क्यूूं किते िो, जजस पि अमल निीूं किते. 5-बा इखलाक बन्दों की लसफत: َّو اِذَّا َّم ُروا بِاللَّغ َِّوَّ َّم ُروا ِک َّرامً َّا (सूिए फुिकान आयत 72) औि जब लग्ि (बेकाि, फुजल ू ) कामों के किीब से गुजिते िैं. तो बुजुगासना अूंदाज़ से गुजि जाते िैं. PACHAS MAU… - 52 HAJINAJI.com ििायात 1-कमाले ईमान की ननशानी: َّ ِِ ًَّی إ ْ َِّْي ٰانا َّ ْ إ َِّن أ ْك َّم َّل ا ْلُ ْومن: قال الباقرعلیه السلم أ َّ ْح َّسن َّ ُه ْم ُخلْق ًَّا (ओसल ू े काफी जजल्द. 2 पेज. 99.) िज़ित इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: बेशक ईमान के सलिाज़ से, सब से ज्यादा कासमल िि िै. जो ऐखलाक के सलिाज़ से सब से अच्छा िो. 2-बेहतरीन नेकी: َّ إ َِّن ا َّ ْح َّس َّن ا ْۡل َّ َّسنِ اْلُْل ُْق: قال اۡلسن علیه السلم اۡل َّ َّس ُ َّن (खेसाल पेज. 29, िसाऐल जजल्द 12 पेज 153) इमामे िसन (अ.स.) नें फिमाया: बेितिीन नेकी औि खूबी बेितिीन इखलाक िै. PACHAS MAU… - 53 HAJINAJI.com 3-अफ्ज़ले अमल ِ َّان أ ْم َِّريء َّ َّما َّیُ ْو َّض ُع ِِفْمی ْ َّز: )قال رسول اهلل (ص ی َّ ْو َّم الْقَّی ٰ َّام ِة أَّف َّض ُل ِم ْن ُح ْسنِ ا َّْلْ ُل َِّْق (ओसूले काफी जजल्द 2 पेज 99) पैग़म्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: िोज़े कयामत मीजान (तिाजू) में ककसी का कोई अमल, िुस्नें खल् ु क (अच्छा इखलाक) से ज्यादा अफज़ल न िोग- 4-तूलानी उम्र का सबब: َّب َّو ُح ْس ُن اْلُْل ُْق ُ ِ اَّل: قال ألصادق علیه السلم ان َّ ِِفْ ْأۡل َّ ْعمٰا َِّر َِّ ار َّو ی َّ ِزی ْ َّد َّ ِیَّعْ ُم ٰران َّ َّ الد َّی (ओसूले काफी जजल्द 2 पेज 100.) िज़ित इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया नेकी औि िुस्ने खुल्क शििों को आबाद किते िैं औि उम्रों को बढ़ाते िैं. PACHAS MAU… - 54 HAJINAJI.com 5-बेहतरीन दोस्त َّۡل قَّرِی ْ َّن َّك ُح ْسنِ اْلُْل َِّْق: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 420) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया िुस्ने खुल्क जैसा, कोई िफीक ि साथी निीूं. PACHAS MAU… - 55 HAJINAJI.com तशिीि: (शिि, िज़ाित) इूंसान की शेनाख्त (पिचान) उस्के ऐखलाक औि ककिदाि से िोती िै . जजस का ऐखलाक बेितिीन िोगा, उस्के साथी औि दोस्त ज्यादा िोंगें . इसी सलये खुदा नें, इूंसान की िीदायत केसलए, जजतनें भी िादी भेजे, तमाम के तमाम ऐखलाक के आला (बलूंद) दजे पि फ़ाऐज़ थे, औि इूंसान को अपनें अखलाक िी के ज़रिये मक़ाम ि मूंजेलत समलती िै. औि बेितिीन ऐखलाक िी, बाइस बनता िै कक, उस्के रिज्क को बढाऐ औि उम्र लूंम्बी िोबेिूदि औि बिु ी बातों से पििे ज किें औि अच्छे ऐखलाक की तिफ झुकाि िो. क्यूूं कक बेितिीन साथी ऐखलाक िै. औि िि मक़ाम ि जगि पि अच्छे ऐखिलाक िाले लोगों को, लोग पसूंद किते िैं. िमें चाहिये कक, िमेशा अच्छे ऐखलाक को अपनाएूं. खुदा से दआ ु िै कक बिक्के PACHAS MAU… - 56 मोिम्मद ि आले HAJINAJI.com मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें बेितिीन ऐखलाक अपनानें की तौफीक अता फिमाए. PACHAS MAU… - 57 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-इमामें मूसा काल्जम (अ.स.) का ऐखलाक: शैख़ मफ ु ीद औि दस ू िे उल्मा नें ििायत की िै. कक मदीना तय्यबि में एक शख्स, दस ू िे खलीफि की अव्लाद मेंसे ििता था. जो िमेशा इमामे मूसा काजजम (अ.स.) को तकलीफ दे ता, औि आप (अ.स.) को बिु ा भला किता, औि जब िज़ित को दे खता, तो िज़ित अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) को गाली दे ता- यिाूँ तक कक आप (अ.स.) के मोतअल्लेकीन में से कुछ लोग किनें लगे कक, िमें इजाज़त दीजजये कक िम इस फाजजि को क़त्ल किदें आप (अ.स.) नें उन्िें सख्ती के साथ इस काम से मना ककया, औि उज्िें खझडक हदया, औि पछ ू ा कक िि शख्स किाूँ िै. अजस ककया गया कक, मदीनें की फलाूं तिफ ज़िाअत (खेती किने) में मशगूल िै PACHAS MAU… - 58 HAJINAJI.com िज़ित (अ.स.) सिाि िुऐ औि मदीनें से उसे दे खनें के सलये तशिीफ़ ले गये. जब पिुूंचे तो िि अपनें खेत में खडा था. िज़ित अपनी सिािी के साथ उस्के खेत में दाखखल िोगए. िि थचल्लानें लगा कक िमािी खेती को खिाब न किो, औि इस िास्ते से न आि िज़ित जजस तिि से जा ििे थे चलते ििे , यिाूँ तक कक उस्के किीब जाकि बैठ गऐ, औि उस से िूं समुख चेििे के साथ बातें किने लगे, औि उस से स्िाल ककया कक, तूनें इस खेत पि ककतना खचस ककया िै. किनें लगा कक सौ अशफी आप (अ.स.) नें फिमाया ककतनी उम्मीद िै. कक इस से मुनाफ़ा िाससल किलेगा, किने लगा मैं गैब निीूं जानता. आप (अ.स.) नें फिमाया ककतनी आमदनी की तुझे उम्मीद िै. किने लगा उम्मीद िै कक दो सौ अशफी आमदनी िोगी. पस आप (अ.स.) नें अशफी का थैला PACHAS MAU… - 59 HAJINAJI.com तनकाला, कक जजसमें तीनसौ अशकफस याूँ थीूं, औि उस्को दे दीूं औि फिमाया: इसे ले औि तेिी खेती भी तेिे सलये िै. औि खद ु ा तझ ु े इस से उतनी िी िोजी दे गा, कक जजस की तू उम्मीद िखता िै . िि उमिी शख्स खडा िोगया, औि उसनें आप (अ.स.) के सि का बोसा सलया, औि िज़ित (अ.स.) से दिख्िास्त की. कक उस्की गुस्ताखखयों को मोआफ़ फिमादें . िज़ित (अ.स.) नें तबस्सुम फिमाया औि िापस तशिीफ़ लाऐ. कफि उस उमिी को मजस्जद में बैठे िुऐ लोगों नें दे खा कक जब उस्की तनगाि िज़ित पि पडी तो किने लगा هللا ا علم حيث يجعل رسا لته खुदा बेिति जानता िै. कक िि अपनी रिसालत किाूँ क़िाि दे . उस्के साथथयों नें उस से किा तुझे क्या िोगया. तू पिले तो कुछ औि किता था. किनें लगा तुम नें सुना िै जो मैंनें किा, अब कफि सुनों. पस उसने आप PACHAS MAU… - 60 HAJINAJI.com (अ.स.) को दआ दे ना शुरू की, उस्के साथथयों ु ने उससे झगडा ककया िि भी उन से झगडता ििा. पस िज़ित (स.अ.) नें अपनें असिाब से किा कक कौन सा तिीका बेिति िै. िि जो तुम नें इिादा ककया था. या िि जो मैंने अजख्तयाि ककया- मैंनें अपनें एिसान ि ऐखलाक के ज़रिये उस्की इस्लाि कि दी औि उस से शि (बुिाई) दिू कि हदया (अह्सनुल मकाल जजल्द. 2, पेज. 19) 2-माललके अशतर का एखलाक: मन्कूल िै कक, मासलके अशति (ि.अ.), एक िोज बाजािे कूफि से आम सलबास पिने िुये गुजि ििे थे. एक बाजािी मदस नें जब उन्को दे खा, तो अपनी तनगाि में िकीि ि पस्त जाना, औि हिक़ाित से उन्की तिफ एक पत्थि फेंका, मासलके अशति नें उस्की तिफ कोई तिज्जोि न दी, ककसी नें उस बाजािी शख्स से किा तुझ पि िाऐ िो. तुम नें यि PACHAS MAU… - 61 HAJINAJI.com क्या ककया? तुम जानते िो ककस की तिफ पत्थि फेका िै. उसनें किा निीूं! किा: यि मासलके अशति (ि.अ.) िज़ित अमीरुल मोमेनीूंन (अ.स.) के के असिाब में से िैं. उस शख्स का बदन लिज्नें (काूंपने) लगा औि मासलके अशति (ि.अ.) से मुआफी के सलये चल पड़ा, दे खा कक मासलके अशति (ि.अ.) मजस्जद में नमाज़ पढ़ ििे िैं. जब मासलके अशति (ि.अ.) नमाज़ से फारिग िुएऐ, तो िि बाजािी शख्स मासलके अशति (ि.अ.) के पैिों में थगि गया औि मोआफी माूंगनें लगा मासलके अशति (ि.अ.) नें किा, कोई बात निीूं (डिो मत) खुदा क़ी क़सम मैं मजस्जद में फकत तुम्िािी िजि से आया िूूँ. औि खद ु ा से तम् ु िािे सलये मग्फेित की दआ ु की िै. (आमाल अल िाएजीन जजल्द. 1, पेज. 123.) PACHAS MAU… - 62 HAJINAJI.com आयात 5) इसराफ़ 1-इसराफ न करो: ِ َّی ُ ِ کُلُوا َّو اش َّر ُبوا َّو َّ َّۡلَّ ُتس ِر ُفوا ۚ اِن َّہٗ َّ َّۡلَّ ُُی َّ ب الُس ِرف (सिू ए अअिाफ आयत 31) ‘’औि खाि वपयो, मगि इसिाफ न किो, कक खद ु ा इसिाफ किनें िालों को दोस्त निीूं िखता िै.’’ 2-फफरऔन इसराफ करनें वालों में था. ِ ِ ِ ِ ِ ِ َّی َّ َّو ا َّن فرعَّو َّن لَّعَّال ِِف اۡلَّرض ۚ ََّّوَّ ان ََّّہَّٗ َّ َّل ََّّنَّ الُس ِرف (सूिएि यूनुस आयत 83) औि कफिऔन बिुत ऊूंचा िै , औि िि इसिाफ औि ज्यादती किने िाला भी िै. PACHAS MAU… - 63 HAJINAJI.com 3-इसराफ करनें वालों की इताअत (पैरवी) न करो: َّیَّالَّ َّ ِذی َّن یُف ِس ُدو َّن ِِف اۡلَّر ِض ََّّ َِّو َّۡل ُت ِطی ُعوۤاَّ اَّمَّ ََّّرَّ الُس ِرف َّو َّۡل یُصلِ ُح َّو (सूिए शोअिा आयत 151-152) औि इसिाफ ि ज्यादती किने िालों की बात न मानों, जो ज़मीन पि फसाद बिपा किते िैं, औि इस्लाि निीूं किते. 4-अहले इसराफ की हलाकत: ِ َّی َّ َّو ا َّہلَّکنَّا الُس ِرف (सिू ए अूंबबया आयत 9.) औि इसिाफ ि ज्यादती किनें िालों को, िम नें तबाि ि बिबाद कि हदया: PACHAS MAU… - 64 HAJINAJI.com 5-इसराफ और अज़ाबे इलाही: ِ َّف َّو لَّمََّّ یُؤ ِم ًۢن بِا ٰی ٰ ِت َّربِ ٖہ ؕ َّو َّ َّ ک ََّن َِّزی َّمن اَّس َّر َّ َّو کَّذٰل َّ اب اۡل ٰ ِخ ََّّر ََّۃ ِا َّ َّش َُّد ََّّو اَّبق ٰ َّی ُ لَّعَّ َّذ (सूिए तािा आयत 127.) औि िम इसिाफ ि ज्यादती किने िाले, औि अपनें िब की तनशातनयों पि ईमान न लानें िालों, को इसी तिि सज़ा दे ते िैं, औि आखेित का अज़ाब यकीनन सख्त तिीन, औि िमेशि बाकी ििनें िाला िै. PACHAS MAU… - 65 HAJINAJI.com ििायात: 1-इसराफ मज़मूम यानी बुरा कहागया है: َّاف َّم ْذ ُم ْو ٌم ِِفْکُ ِل ش َّْيء ُ أ َّ ْۡلِ ْس َّر: قال علي علیه السلم ِ ْ َّ إ َِّۡل ِِفْأَّفْعٰا ِل ا َّْْل َّی (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज. 649.) मौलाऐ काऐनात अली (अ.स.) नें फिमाया: इसिाफ िि चीज़ में मज़्मूम (मज़म्मत की गई) िै , मगि नेक काम में निीूं- 2-नेअमत का ज़ाएल होना: َّ َّم ْن بَّذ َّر َّو أ َّ ْس َّر َّف زَّال َّ ْت: قال ألكا ظم علیه السلم َّعَّنْ ُه الْنَّعْ َّم َُّة (बबिारुल अन्िाि जजल्द 75 पेज 327) इमामे मुसाकाजजम (अ.स.) नें फिमाया: जो शख्स फजूल खची औि इसिाफ किता िै. उस से नेअमत ज़ाऐल (खत्म) िो जाती िै. PACHAS MAU… - 66 HAJINAJI.com 3-बरकत कम होना: ِ إ َِّن َّم َّع ْاۡلِ ْس َّر: قال الصادق علیه السلم َّاف قِل َّ ُة ِ َّب َّك ِة ْ ْ ال (िसाएल अल शीआ जजल्द 21 पेज. 556) इमामे जअफि साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: बेशक इसिाफ किने से बिकत कम िोजाती िै 4-कमतरीन इसराफ: ِ أ َّ ْد ََّن ْاۡلِ ْس َّر: قال الصادق علیه السلم اف ِه َّراقَّ ُة َِّفَّ ْض ِل ْاۡلِنَّاء (ओसूले काफी जजल्द 6, पेज. 240) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: कमतिीन इसिाफ यि िै कक, अपनें बतसन (खाने या पीने) का बचा िुआ फ़ेंक दे ना. PACHAS MAU… - 67 HAJINAJI.com 5-फक्र का सबब: َّاف َّ ُ َّسب َّ ُب ال ْ َّفقْ ِر ْاۡلَِّ ْس َّر: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 650.) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: इसिाफ नादािी (फ़कीिी) औि फक्र (फ़ाक़ा) का सबब िै. PACHAS MAU… - 68 HAJINAJI.com तशिीि: खानें पीनें, बखसशश, इन्फाक़ में इसिाफ किना, एक बिु ा फेल औि अमल िै . इूंसान को चाहिए कक इसिाफ औि ज़्यादि ििी (यानी िदसे ज़्यादा), औि फजूल खची से पििे ज़ किे , कुिआन औि ििायात में इसिाफ किने िाले की मज़म्मत की गई िै. औि इसिाफ किने से रिज्क में तूंगी औि नेअमत ज़ाऐल िोजाती िै. इमामे िे ज़ा (अ.स.) एक शख्स को दे ख ििे थे. कक जो फल खा ििा था िि शख्स पिू ा फल न खाता (मसलन आधा सेब खाता औि आधा फेक दे ता) इमाम (अ.स.) उसपि नािाज़ िुए, औि फिमाया अगि तुम बेतनयाज़ औि गनी िो, तो मोआशेिे में तनयाज़मूंद ि फकीि अफिाद मौजूद िैं. उनमें तकसीम किो. िमें कोसशश किनी चाहिए कक इसिाफ न किें , अगि इसिाफ का अपनें मोआशिे में PACHAS MAU… - 69 HAJINAJI.com मुशािे दि (दे खना) किना िो तो, शाहदयों दअितों िगैिि में दे ख लें , कक िम लोग ककतना इसिाफ किते िैं. उस्को छोडीये पानीूं के इस्तेअमाल में िम ककतना इसिाफ किते िैं. खुदा से दआ किते िैं. बिक्के चिादसि ु मअसम ू ीन (अ.म.ु स.) िमें इसिाफ से बचनें की तौफीक अता फिमाए (आमीन) PACHAS MAU… - 70 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-पानी का इसराफ: िसने बसिी एक हदन मौलाए काएनात अली (अ.स.) के साथ फोिात के ककनािे जा ििे थे, उन्िें (िसने बसिी) प्यास मिसूस िुई, तो उन्िों नें एक बतसन में पानीूं भिा, औि कुछ पानी पीकि बाकी पानी ज़मीन पि उूं डेल (थगिा) दे ता. िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: तूनें पानी ज़मीन पि उूं डेल (डाल) कि इसिाफ ककयातेिे सलये बेिति था, कक बाकी पानी को दिया में डाल दे ता. िज़ित अली (अ.स.) की नसीित सुनकि, िसने बसिी को गुस्सि आया, औि किा अगि मैंनें थोड़ा सा पानी ज़मीन पि फेंक हदया िै. तो आप (अ.स.) इसे फुजूल खची औि इसिाफ क़िाि दे ते िैं. जब कक आप की PACHAS MAU… - 71 HAJINAJI.com तलिाि से, मुसलमानों का खून टपक ििा िै. क्या िि इसिाफ निीूं िै ? िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया तझ ु े बाथगयों से इतनी िमददी थी तो तूनें उनकी मदद क्यूूं न की? िसने बसिी नें किा: मेिा इिादा था, कक मैं तलिाि लेकि आप (अ.स.) के बाथगयों की मदत करूूं, लेककन उस िक्त मैंनें एक गैबी आिाज़ सुनी थी, कक काततल ि मकतूल दोनों दोज़खी िैं. इसी सलये मैं अपने घि में बैठ गया. अमीरुल मोमेंनीूंन (अ.स.) नें पछ ू ा: तूने सच किा, औि क्या तू जानता िै कक िि आिाज़ ककस की थी? िसने बसिी नें किा निीूं, िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया िि इबलीस की आिाज़ थी. कफि आप (अ.स.) नें फिमाया, िि उम्मत में एक सामिी िोता िै , औि िसने बसिी इस PACHAS MAU… - 72 HAJINAJI.com उम्मत का सामिी िै. (वपूंदे तािीख जजल्द 3 पेज 220.) 2-इसराफ न करोएक शख्स इमामे साहदक़ (अ.स.) की खखदमत में आया औि अजस ककया: मुझे कुछ समक़दाि कज़स चाहिए, जब मुस्ततीअ िोजािूूं गा तो आप का कजसि अदा कि दूं ग ू ा- इमाम (अ.स.) नें फिमाया क्या तम् ु िािे पास खेती िै , जजस के ज़रिये मेिा कज़स अदा कि सको? उस शख्स नें किा: खुदा की क़सम मेिे पास कोई खेती बाडी निीूं िै. इमाम (अ.स.) नें फिमाया क्या कोई ततजाित िगैिि किते िो? कक जजसको बेच कि मेिा कजस अदा किसको. किा निीूं PACHAS MAU… - 73 HAJINAJI.com इमाम (अ.स.) नें फिमाया: या तुम्िािे पास कोई समल्क या जाऐदाद िै? जजसको बेच किके, मेिा कज़स अदा कि सको. किा; खुदा की क़सम ऐसी भी कोई चीज़ मेिे पास निीूं. इमाम (अ.स.) नें फिमाया खुदा िूंदे आलम नें िमािे माल ि दौलत में से, तम जैसे ु लोगों के सलये िक़ िख्खा िै. उस िक्त इमाम (अ.स.) नें खाहदम को िुक्म हदया, कक िि कीसि (थैला) लेकि आऐ, जजसमें पैसे िख्खे िुऐ िैं. (कीसि लाया गया), इमाम (अ.स.) नें कीसि में िाथ डालकि, एक मुठ्ठी उस शख्स को पैसे हदये, औि उस्के बाद फिमाया, खद ु ा से डिो औि इसिाफ न किो, सख्ती से काम न लो समयानि ििी (बीच िाली सूित) अखततयाि किो फोजूल खची औि ज़्यादि ििी (ज़्यादा खचस किना) इसिाफ िै. क्यूूंकक PACHAS MAU… - 74 HAJINAJI.com खुदा िूंद आलम फिमाता िै, ज़्यादि ििी न किो (िज़ाि ि यक हिकायत इखलाकी पेज. 528.) PACHAS MAU… - 75 HAJINAJI.com 6) आज़माइश व इम्तेहान आयात: 1-आज़माइश व इम्तेहाने इलाही: ِ َّاس ا َّن یُۡتَّ ُکوۤا ا َّن یَّ ُقولُوۤا ا ٰ َّمنَّا َّو ُہمََّّ َّۡل ُ َّب الن َّ ا ََّّحس َّیُفتَّنُو َّن (सूिए अनकबूत आयत 2.) क्या लोगों नें यि ख्याल कि िख्खा िै, कक िि ससफस इस पि छोड़ हदये जाएूँ गे, कक िि यि किदें िम ईमान ले आऐ िैं, औि उन्का इम्तेिान निीूं िोगा. 2-इम्तेहान में गम ु राही का खतरह: َّم َُّ ک َّو ا ََّّضلَّہ ََّّ ک ِم ًۢن بَّع ِد َّ ال فَّاِن َّا قَّد فَّتَّنَّا قَّو َّم َّ َّق ُ َُّ السا َِّم ِر ی َّ (सूिए तािा आयत 85) PACHAS MAU… - 76 HAJINAJI.com इिशाद िुआ कक, िम नें तुम्िािे बाद तुम्िािी कौम का इम्तेिान सलया औि सामिी नें उन्िें गम ु िाि कि हदया िै. 3-वसाएले आज़माइश व इम्तेहान: ِ ِ الص بی ّٰ اۡلَّن ُف ِس َّو الث َّ َّم َّٰر ِت ؕ َّو بَّ ِش َِّر (सूिए बकिि आयत 155) औि यकीनन िम तुम्िें थोड़े खौफ, थोड़ी भूख, औि अमिाल, नोफूस औि समिात (फल), की कमी से आज़माऍ गे औि अय पैगम्बि (स.अ.ि.) आप (स.अ.ि.) उन सब्र किने िालों को बशाित दे दें . 4-आज़माँइश व इम्तेहान की जगह: َّ َّاِن ََّّا ََّّجعَّلنَّا َّما عَّٰلَّ اۡلَّر ِض زِی ََّّن ًََّۃَّ لَّہَّا لِنَّبل ُ َّو ُہمََّّ ا َّیُہم ُ َّ ً َّاَّح َّس ُ َّنَّ عَّ َّم ل (सूिए किफ़ आयत 7) PACHAS MAU… - 77 HAJINAJI.com बेशक िम नें ज़मीन की िि चीज़ को ज़मीन की जीनत किाि दे हदया िै. ताकी उनलोगों का इम्तेिान लें, कक उनमें अमल के एअतबाि से सब से बेिति कौन िै . 5-माल और अव्लाद आज़माँइश का ज़रीयह हैं: ِ َّۙ تَّ ٌََّۃ َّ َّو اعل َّ ُموۤاَّ ا ََّّّن َّ َّا َّۤ َّاَّم َّوال ُ ُکمََّّ َّو ا َّو َّ َّۡل ُد ُکمََّّ ف (सूिए अनफाल आयत 28) औि जाूंन लो कक यि तुम्िािी अव्लाद औि तुम्िािे अमिाल (माल) एक आज़माूँइश िैं. PACHAS MAU… - 78 HAJINAJI.com ििायात: 1-ईमान के दहसाब से इम्तेहान: ِ َّ إ َِّن ا َّ َّش َّد الن: قال الصا دق علیه السلم ًاس بَّل َّ َّدء َّم ال َّ ِذ ی ْ َّن یَّل ُ ْو ََّنُ ْم ُث َّم ْاۡل َّ ْمث َّ ُل فَّ ْاۡل َّ ْمث َّ ُل ََّّ ْاۡلَّنْبِی ٰ ُاء ُث (ओसूले काफी जजल्द 2. पेज. 252.) िज़ित इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया, लोगों में सब से ज़्यादि सख्त इम्तेिान अूंबबया का िै. उस्के बाद जो इनसे किीब िों, औि उस्के बाद जजस का रूत्बि बलूंद िोगा. 2-ईमान और इम्तेहान: َّ إ َِّّنٰا ا ْلُ ْو ِم ُن ِِبَّ ْ ِْنل َّ ِة كَّ َّفة: قال الباقرعلیه السلم َّا ْلِی ْ َّزانِ کُل َّ ٰما ِزی ْ َّد ِِفْإ ِْْيٰانِ ٖه ِزی ْ َّد ِِفْبَّ َّل ِئ َّٖه (ओसूले काफी जजल्द 2 पेज. 253) इमामे मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया मोसमन की समसाल तिाजू के पलड़े की जैसी PACHAS MAU… - 79 HAJINAJI.com िै. जजतना ईमान ज़्यादि िोता िै. उतनी मुसीबत ज़्यादि िोती िै. 3-आज़माइश बकद्रे दीन َّالدنْیٰا ُ ْ إ َّ َّّنٰا یُبْتَّل َّي ا ْلُ ْؤ َِّم ُن ِِف: قال الباقر علیه السلم َّعَّل ٰي قَّ ْد ِر ِدی ْ ِن ٖه (ओसल ू े काफी जजल्द 2 पेज 253) इमामे बाककि (अ.स.) नें फिमाया: दन्ु या में मोसमन, बकद्रे अपने दीूंन के (यानी उस्के अूंदि दीन की ककतनी मािे फ़त िै) आजमाूँइश ककया जाता िै. 4-जन्नत में मक़ाम: َّْنلَّةً َّۡل َِّ ْ إ َِّن ِِفْا ْْلَّنَّ ِة َّم ْ ِْنل َّ َّة َّم: قال الصادق علیه السلم یَّبْلُغُهٰا عَّب ْ ٌد إ َِّۡل بِا ْۡلِبْت َّ َّلءَّ ِِف َّج َّس ِد َِّه ओसूले काफी जजल्द 2 पेज 255. PACHAS MAU… - 80 HAJINAJI.com इमामे जअफि साहदक (अ.स.) नें फिमाया जन्नत में एक मक़ाम िै . जजसे इूंसान निीूं पाता, जब तक उस्का जजस्म मब्ु तेलाऐ इम्तेिान ि मुसीबत न िो. (यानी जबतक आज़माइश न िोजाऐ) 5-खुदा के दोस्त َّاۡل َّ ْج ِر َّل َّ َّع عَّ ِظی ْ َّم َّ ْ إ ََِّّن عَّ ِظیَّ ْ َّم: قال الصادق علیه السلم َّم َّْ اهلل قَّ ْومًا إ َِّۡل ابْت َّ َّل َُّه َّ الْب َّ َّلءِ َّو َّما أ َّ َّح ُ ب (ओसूले काफी जजल्द 2 पेज 252) इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया: जजतनी मुसीबत ज़्यादि िोगी, उतना िी अज्र ज़्यादि िोगा, खुदा जजन लोगों को दोस्त िखता िै. उन्को मुसीबत में ज़रूि मुब्तेला किता िै. PACHAS MAU… - 81 HAJINAJI.com तशिीि पिििहदगािे आलम नें इूंसानों को अशिफुल मख्लक ू ात बनाया, इूंसान यि सोचता िै कक, बस िम इस दन्ु या में आगये, औि िमािी ककसी ककस्म की आज़्माूँइश न िोगी, औि बस यिी दन्ु या िै. इसके अलािि कुछ निीूं, यि इूंसान की भल ू िै. कुिआन औि ििायात में आज़माूँइश ि इम्तेिान औि मुसीबत का जज़क्र िुिा िै. औि इूंसान का इम्तेिान उस्के ईमान के ऐतबाि से िोगा. जजतना ईमान किी (मज़बत ू ) उतना िी इम्तेिान सख्त िोगा, अब यि ककस तिि पता चले कक, मसलन माल औि अव्लाद िमािे सलये इम्तेिान िै , या मुसीबत. अगि शुक्रे इलािी औि इबादात में उन्के बाद कमी आजाऐ औि ज़ुबान पि सशक्िि औि सशकायत जािी िो, तो समझनाूं कक मुसीबत िै , औि अगि शुक्र औि इबादात में कमी न आऐ, बल्की PACHAS MAU… - 82 HAJINAJI.com इजाफि इम्तेिान िो िै. जाऐ, तो ककसी समझ्ना नें पैगम्बिे कक यि अकिम (स.अ.ि.) से सिाल ककया कक, दन्ु या में सब से जजयादि सख्त इम्तेिान ककसका िोता िै. िज़ित नें फिमाया अजम्बया, कफि अजव्सया, औि कफि मोमें नीूंन, औि उस्के बाद मोमें नीूंन बकद्रे अपनें ईमान (यानी अपनें ईमान के हिसाब से) औि िुस्नें अमल (अच्छे अमल के हिसाब से) इम्तेिान में मब्ु तेला ककये जाएूँगें. जजस का इम्तेिान औि अमल सिीि िोगा, उतनी िी उस्की मस ु ीबत सख्त िोगी, औि जजसका ईमान िल्का औि कमज़ोि िोगा, उतनी िी उस्की मुसीबत कम िोगी. बिििाल िमें िमेशि इम्तेिान ि आजमाूँइश के सलये तय्याि ििना चाहिए. खद ु ा से दआ ु किते िैं. बिक्के शोह्दाऐ कबसला िमें िि इम्तेिान में कासमयाबी अता फिमाए (आमीन). PACHAS MAU… - 83 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-माल इम्तेहाने इलाही का वसीलह: खद ु ािूंदे आलम नें एक सििाई (जूंगली) गोस्फूंद िज़ित इब्रािीम (अ.स.) को हदया, एक िोज मामूल (आदत) के मुताबबक, िज़ित इब्रािीम (अ.स.) सििा में गोस्फूंद चिा ििे थे. कक अचानक उस बयाबान ि सििा (जूंगल) में , एक हदल रुबा मअशूक की आिाज़ सुनी, कक कोई कि ििा िै سبوح قدوس ربنا ورب المالئكة و الروح، िज़ित इब्रािीम नें आिाज़ दी: अय बूंदऐ खद ु ा, तन ू ें मेिे मिबूब का नाम सलया, अगि एक बाि औि किो, तो इस गोस्फूंद का तीसिा हिस्सि तुम्िें दे दूं ग ू ा दोबािि आिाज़ आई ربنا ورب، سبوح قدوس المالئكة و الروح कफि जनाबे इब्रािीम (अ.स.) नें किा, एक बाि औि मेिे मिबब ू का नाम लेलो, तो आधा गोस्फूंद तुझे दे दूं ग ू ा, मैं इस जज़क्र का आसशक िूूँ औि इस जज़क्र से लज़्ज़त िाससल PACHAS MAU… - 84 HAJINAJI.com कि ििा िूूँ कक कोई किे , आिाज़ बलूंद िुई ربنا ورب المالئكة و الروح، سبوح قدوس िज़ित इब्रािीम (अ.स.) नें किा एक बाि औि किो, तमाम गोस्फूंद मैं तुम को दे दूं ग ू ा, उसने कफि किा िज़ित इब्रािीम (अ.स.) नें आिाज़ दी, अय सािे बे सदा ि जज़क्र (यि जज़क्र किने िाले) आिो औि यि गोस्फूंद अपना मुझसे लेजाि. दे खा कक िसीन ि जमील जिान बेितिीन सलबास पिने िुऐ, तनकल के सामने आया औि किा: अय इब्रािीम (अ.स.) िि मैं था. िज़ित इब्रािीम (अ.स.) नें किा: यि तुम्िािा गोस्फूंद, खुदा िाकफ़ज़. िज़ित इब्रािीम (अ.स.) चूंद क़दम िी चले थे, कक जिान नें आिाज़ दी इब्रािीम (अ.स.) जिान नें ‘इब्रािीम इधि जिान आि’ के किीब किा: किाूँ जाििे जनाबे आये िो? अपना गोस्फूंद तो ले जाि, इब्रािीम (अ.स.) नें किा मैंने यि गोस्फूंद आप को बख्श हदया िै. PACHAS MAU… - 85 HAJINAJI.com जिान ने किा: मैं इसका क्या करूूंगा, मैं जब्रईल िूूँ, मैं तुम्िािे इम्तेिान के सलये आया था (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज 113.) 1-कौमें मूसा (अ.स.) का इम्तेहान: अली इब्नें इब्रािीम नें ििायत की िै , कक अल्लाि तआला नें िज़ित मूसा (अ.स.) से िादा ककया कक, तीस िोज में, तौिै त, औि लौिैंन (दो लौि यानी दो तजख्तयाूं) उन्के पास भेजी जाएूंगी आप नें बनी इस्राईल को खुदा के िादे की इत्तेला दी, औि कोिे तूि की जातनब ििाना िुये, औि अपनी कौम में िारून को अपना खलीफ़ि बनाया, जब तीस िोज गुजि गये, औि मूसा (अ.स.) िापस न आऐ तो उनलोगों नें िारून की इताअत तकस कि दी, औि चािा कक उन्को माि डालें , औि किनें लगे कक मस ू ा (अ.स.) नें िम से गलत किा, औि िमािे पास से भाग गये उस िक्त शैतान, एक मदस की सूित में उन्के पास PACHAS MAU… - 86 HAJINAJI.com आया, औि उनसे किा कक मूसा तुम्िािे दिसमयाूँन से भाग गये, औि अब िापस न आएूं गें . लेिाज़ा अपने जेििात जमाूँ किो, ताकी मैं तुम्िािे सलये, एक खुदा बना दूं -ू सामिी, मूसा (अ.स.) के कल्बे लश्कि का सिदाि था. जजस िोज कक खुदा नें कफ़िऔन औि उस्के साथथयों को गकस ककया, उसनें जब्रईल (अ.स.) को दे खा कक एक मादि िैिान पि सिाि िैं. औि िि जानिि जजस जगि क़दम िखता िै , िि ज़मीन ििकत किनें लगती िै तो सामिी नें जब्रईल के घोड़े के टाप के नीचे की ख़ाक उठा ली दे खा कक िि ििकत कि ििी िै . उसनें उस्को एक िथेली में िख सलया औि बनी इस्राईल पि िमेशा फख्र ककया किता था. कक मेिे पास ऐसी ख़ाक िै. जब शैतान नें बनी इसिईल को फिे ब हदया तो उन लोगों नें बछड़ा बनाया, कफि िि सामिी के पास आया, औि PACHAS MAU… - 87 HAJINAJI.com किा िि ख़ाक जो तेिे पास िै िि ले आ. औि उस से लेकि बछड़े के शीकम में िख दी, तो उसी िक्त िि बछड़ा ििकत में आया, औि बोलनें लगा. औि बाल ि दम ु उस्के पैदा िोगये. उस िक्त बनी इसिाईल नें उस्को सज्दि ककया. िि सत्ति िज़ाि लोग थे. जनाबे िारून जजतनी भी उन्को नसीित फिमाते थे. लेककन कोई फ़ाऐदि निीूं िुिा, िि लोग किनें लगे कक, िमलोग इस बछड़े की पिसततश (पूजा) निीूं छोड़ेंगें जब तक मस ू ा (अ.स.) निीूं आएूंगें, औि चािा कक िारून को िलाक किें - िारून (अ.स.) नें उनसे दिू ी अजख्तयाि की- जबकी िि उसी िाल पि बाकी ििे , यिाूँ तक की मूसा (अ.स.) के चालीस िोज़, तिू पि गज ु ि गये खुदा नें उन्को दस जजजल्िज्जि को तौिै त अता फिमाई, जो तजख्तयों पि नक्श थी. उसमे िि सब कुछ PACHAS MAU… - 88 जैसे अिकाम ि HAJINAJI.com नसीितें , औि ककस्से मौजूद थे. जजन की उनलोगों को ज़रूित थी. कफि खुदा नें मूसा (अ.स.) को ििी की. कक िम नें तम् ु िािी कौम का इम्तेिान सलया. सामिी नें उन लोगों को गुमिाि ककया, औि िि लोग सोनें के बछड़े की पािसततश (पूजा) किनें लगे, जो बोलता िै. मस ू ा (अ.स.) नें अजस की, इलािी गौसाला तो सामिी नें बनाया आिाज़ उसमें ककस्नें पैदा की- फिमाया! मैंनें, अय मूसा (अ.स.) जब मैंनें दे खा कक, उनलोगों नें मेिी जातनब से मूंि ु फेि सलया, औि गौसालि की तिफ माूँएल (झुक) िोगए िैं तो, मैनें उन्के इम्तेिान को औि ज़्यादि कि हदया (ियातुल कुलूब जजल्द. 1, पेज. 454.) PACHAS MAU… - 89 HAJINAJI.com 7) अम्र बबलमारूफ़ व नहीं अज़ आयात मन् ु कर 1-नेकी की दावत दे ना: َّف ََّّو ان َّہََّّ عَّ ِ َّن الُن َّک ِر َّ ِ م ا َّلص َّل ٰو ََّۃَّ ََّّو ا ُمرَّ بِالَّع ُرو َِّ ِنَّ ا َّق ََّّ َّ ُیٰب (सूिए लुकमान आयत 17) बेटा नमाज़ क़ाऐम किो, नेककयों का िुक्म दो, औि बुिाईयूूँ से मना किो. 2-बेहतरीन उम्मत: ِ َّ َّولت َّ ُکن ِمن ُکم اُ َّم ٌََّۃ یَّدَّ ُعو َّن اِ َّل اْل َّی َّو یَّا ُم ُرو َّن مَّ الُفلِ ُحو ََّّن َُّ ک ُہ َّ ِبِا َّل َّع ُ َّرو ِف ََّّو یَّنہَّو َّن عَّنِ الُن َّک ِر ؕ َّو اُولٰٰٓئ (सूिए आले इमिान आयत 104) औि तुम में से, एक थगिोि को ऐसा िोना चाहिए, जो ख़ैि की दअित दे , नेककयों का PACHAS MAU… - 90 HAJINAJI.com िुक्म दे , बुिाईयों से मना किे औि यिी लोग नजात याफति िैं. 3-नेकी की तरफ बुलाना रसूल (स.अ.व.) की खास लसफत: َّب اۡلُ ِم َّال َّ ِذی َّ َِی ُدونَّہٗ َّمکتُوبًا َّ ِ َّاَّل َّ ِذی َّن یَّتَّبِ ُعو َّن ال َّر ُسو َّل الن َِّعن َّد ُہم ِِف التَّو ٰرى ََّۃ ِ ََّّو اۡلَِنِی ِل َّ۫یَّا َُّم ُر َُّہمَّ بِالَّع ُرو ِفَّ َّو یَّنہٰہمَّ عَّ ِ َّن الُن َّک َِّر ُ (सूिए अअिाफ आयत 157.) जोलोग िसूले नाबीये उम्मी (स.अ.ि.) का इत्तेबअ किते िैं. जजस का जज़क्र अपनें पास तौिै त औि इूंजील में सलखा िुिा पाते िैं. कक िि नेककयों का िुक्म दे ता िै , औि बुिाएयों से िोकता िै. PACHAS MAU… - 91 HAJINAJI.com 4-मोमेनीन की लसफत: ََّّو الُؤ ِمنُو َّن َّو الُؤ ِمن ٰ ُت بَّع ُضہم ا َّولِیَّٓا ُء بَّعَّض ۘ َّی َّا ُم ُرو َّن ُ بِالَّع ُرو ِفَّ َّو یَّنہَّو َّن عَّنِ الُن َّک َِّر (सूिए तौबि आयत 71) मोसमन मदस औि मोसमन औितें आपस में सब ऐक दस ू िे के िाली औि मददगाि िैं. कक यि सब एक दस ू िे को नेककयों का िुक्म दे ते िैं, औि बिु ाईयों से िोकते िैं. 5-मुनाफेकीन की लसफत: َّا َّ َّلُ َّن ٰ ِف ُقو َّن َّو الُن ٰ ِفق ٰ ُت بَّع ُضہم ِم ًۢن بَّعض ۘ یَّا ُم ُرو َّن ُ ف َّ ِ بِالُن َّک ِر َّو یَّنہَّو َّن عَّنِ الَّع ُرو (सिू ए तौबि आयत 67) मुनाकफक मदस औि मुनाकफक औितें आपस में सब एक दस ू िे से िैं-सब बुिाईयों का िुक्म दे ते िैं, औि नेककयों से िोकते िैं PACHAS MAU… - 92 HAJINAJI.com ििायात: 1-अफ्ज़ले अमल: قال علي علیه السلمَّ أ َّ ْۡل َّ ْم ُر بِا ا ْلَّعْ ُر ْو ِف أَّفْ َّض ُل ا َّْع ٰم ِال اْلَّْل َِّْق (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 87) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: नेकी का िुक्म दे ना मखलूक का अफज़ल तिीन अमल िै. 2-मोमेनींन के मददगार: َّ َّم ْن عَّ ِم َّل (ا َّ َّم َّر) بِا ا ْلَّعْ ُر ْو ِف: قال علي علیه السلم َّی ََّّ ْ َّش َّد ُظ ُه ْو َّر ا ْلُ ْؤ ِم ِن (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज. 91) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जो शख्स मअरूफ पि अमल किता या उस्का िुक्म दे ता िै. िि मोसमनों की पुश्त को मज़बूत बनाता िै. PACHAS MAU… - 93 HAJINAJI.com 3-नेकी का हुक्म दे नें वाले बनों: َّ ِ ُك ْن بِا ا ْلَّعْ ُر ْو ِف ٓا ِمرا ً َّو عَّن: قال علي علیه السلم َّا ْلُنْ َّك ِر نَّا ِهیَّا (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 91) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: नेकी का िुक्म दे नें औि बिु ाई से िोकनें िाले िोजािो. 4-अम्र बबल मारूफ को तकर करनें की सज़ा: ِ ْ ۡل ُت َّۡت ُك ْوا أ َّ ْۡل َّ ْم َّر بِا ا ْلَّعْ ُر ْو ِف َّو النَّه ٰي عَّنِ ا ْلُنْ َّك ِر فَّی ُ َّو ّٰيل ِ َّاب ل َّ ُك ْم َّ عَّلَّی ْ ُك ْم ش ََّّر َّار ُك ْم ُث َّم تَّ ْد ُع ْو َّن ۡل َّی َّ ْسَّت َّ ٰج (निजुल बलागा खुतबा नूंबि 47) अम्र बबल मारूफ औि निीूं अतनलमुनकि को तकस मत किो, ििना तुम पि बुिे लोग (िुक्मिाूं) मस ु ल्लत िो जाएूँगे, कफि तम ु दआ ु किोगे मगि मुस्तजाब (क़बूल) न िोगी. PACHAS MAU… - 94 HAJINAJI.com 5-खलीफ़ऐ खुदा: َّ ِف َّو ََّن ٰي عَّن َّ ِ َّم ْن أ َّ َّم َّر بِا ا ْلَّعْ ُر ْو:)قال رسول اهلل (ص َّهلل ِِفْأ َّ ْر ِض ِه َّو َّخلِی ْ َّف ُة ََّّر ُس ْو َّل ِ ِه َّو َِّ ا ْلُنْ َّك ِر فَّ ُه َّو َّخلِی ْ َّف ُة ا ََّّخلِی ْ َّف ُة ِكتٰابِ َِّه मजमउल बयान जजल्द 2 पेज 359, मुसतदिक अल िसाऐल जजल्द 2 पेज 179. िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: जो शख्स अम्र बबल मारूफ औि निीूं अतनलमुन्कि किता िै. िि ज़मीन में खद ु ा का जानशीन, औि उस्के िसूल (स.अ.ि.), औि उस्की ककताब का जानशीन िै- PACHAS MAU… - 95 HAJINAJI.com तशिीि: नेककयों का िुक्म दे ना, औि बुिाईयों से िोकना, िि शख्स की जज़म्मे दािी िै. लेककन इस फुरूऐदीूंन पि अमल किनें से पिले, ज़रूिी िै. कक जजसतिि नमाज़ के मसाऐल याद किते िैं. उसी तिीके से अम्र बबल मारूफ औि निीूं अतनलमन् ु कि के मसाऐल याद किें , कक किाूँ नेककयों का िुक्म दे ना िै. औि किाूँ बुिाईयों से िोकना िै. क्यूूंकक मारूफ औि मुन्कि का दाऐिा (सककसल) बिुत बड़ा िै. िि नेक काम पसनदीदि िै. औि िि बुिा काम ना पसनदीदा िै. यि काम ििी कि सकता िै. जो खुद पिले अम्र बबलमारूफ पि अमल किता िो, औि बुिाइयों से बचता िो, औि मोमेनीन की अलामत अम्र बबलमारूफ, निीीँअतनल मुन्कि, नमाज़ का कयाम, ज़कात कक अदाऐगी, औि अल्लाि ि िसूल (स.अ.ि.) की इताअत िै. जो लोग PACHAS MAU… - 96 HAJINAJI.com यि काम किते िैं. ििी मोसमन िैं. ििना उन्का शुमाि, फासेकीन ि मुनाफेकीन में िोगा. PACHAS MAU… - 97 HAJINAJI.com शैतान को सशकस्त दे नें का तिीक़ा: एक बाहदयि नशीूंन (दे िाती) िज़ित मोिम्मद मुस्तफ़ा (स.अ.ि.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा, औि अजस की मझ ु े ऐसे कामों की तालीम दें जजन के ज़रिये मैं बहिश्त को िाससल कि सकूंू , पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें पाूंच अखलाकी दस्तूि की उस्को तालीम दी औि फिमाया: 1-भूखे को सैि किो. 2-प्यासे को सैिाब किो. 3-अम्र बबलमारूफ किो. 4-निीूं अतनलमुन्कि किो. 5-अगि इन तमाम चीज़ों का अूंजाम दे नें की कुदित निीूं िखते, तो अपनी ज़ुबान पि कूंट्रोल िख्खो कक नेकी औि ख़ैि के अलािा ििकत न किे . इस सिू त में तम ु शैतान को सशकस्त दे सकते िो, औि कासमयाबी िाससल PACHAS MAU… - 98 HAJINAJI.com कि सकते िो (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज. 124.) खद किते िैं. बिक्के मोिमद ि ु ा से दआ ु आले मोिम्मद (अ.मु.स.) िम सब को नेककयों का िुक्म दे नें औि बुिाइयों से िोकनें की तौफीक अता फिमाए (आमीन). PACHAS MAU… - 99 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-इमामे साददक़ (अ.स.) का नही अननलमुन्कर का तरीक़ा: िज़ित िसल ू े खद ु ा (स.अ.ि.) ने अपनें चूंद गुलाम आज़ाद फिमाए थे. उनमें से एक आजाद िोनें िाले गुलाम का एक बेटा था, जजस का नाम शक़िानीूं था. ससब्ते इब्ने जज़ ू ी तज्केितल् ु ख्िास में तििीि किते िैं. कक श्क़िानी किता िै , कक एक हदन मूंसूिे दिाूंनीकी, लोगों में इनाम तकसीम कि ििा था, लेककन मेिे पास ककसी भी शख्स की ससफारिश मौजद ू न थी. जजस की ससफारिश उसपि असि डालती, मैं मूंसूि के मिल के सामने िैिान ि पिे शान खडा था, कक इमामे जाफि साहदक़ (अ.स.) तशिीफ़ लाऐ, मै इमाम के सामने गया, औि अपनीूं दिख्िास्त उन्की खखदमत में पेश की, इमाम (अ.स.) मूंसूि के पास गये, कुछ दे ि बाद िापस PACHAS MAU… - 100 HAJINAJI.com आये, तो मेिा इनाम भी साथ लकि आये, औि मुझसे फिमाया िि शख्स के सलये नेकी अच्छी िै. लेककन तेिे सलये ज़्यादा अच्छी िै. औि िि शख्स की बुिाई बुिी िै, औि तुम्िािी बुिाई ज़्यादा बुिी िै , क्यूूंकक तुम िम से तनस्बत िखते िो (क्यूंकू क तम िमािी तिफ मूंसब ु ू िो औि िसूल के आज़ाद किदः गुलाम के बेटे िो, इसी सलये नेकी तुम्िािे सलये औिों की बतनस्बत ज़रूिी िै, औि तुम्िािे सलये बुिाई ज़्यादि बाइसे नूंग ि आि िै यानी जज़ल्लत ि रुसिाई िै) इमाम आली मकाम (अ.स.) नें शक़िानी को नसीित इससलए की थी कक, आप (अ.स.) को उस्के शिाब पीने का इल्म िो चक ु ा था, औि आप (अ.स.) नें िसीूंन इशािा से उसे नसीित फिमाई (वपूंदे तािीख जजल्द 5. पेज. 17.) PACHAS MAU… - 101 HAJINAJI.com 2-अम्र बबलमारूफ व नहीं अननलमुकर के मुकद्दे मात: एक शख्स नें अब्दल् ु लाि इब्नें अब्बास से किा: मै चािता िूूँ कक लोगों को अम्र बबलमारूफ औि निीूं अतनलमुन्कि करूूं, औि लोगों को नसीित करूूं. इब्नें अब्बास नें सिाल ककया: शरू ु ककया या निीूं? उस शख्स नें किा इिादा ककया िै. इब्नें अब्बास नें किा कोई बात निीूं मगि िोसशयाि ििना कक, किीूं यि तीन आयतें तुझे रुसिा न किदें - उस शख्स नें किा कौन सी तीन आयात: इब्नें अब्बास नें किा पिली यि आयत िै. ِ ِ اس بِال ََّّب َّو تَّن َّسو َّن ا َّن ُف َّس ُکم َّ َّاَّتَّا ُم ُرو َّن الن (सिू े बकिा आयत 44) ककया तुम लोगों को नेककयों का िुक्म दे ते िो, औि खुद अपनें को भूल जाते िो. क्या PACHAS MAU… - 102 HAJINAJI.com तुम मुतमइन िो कक इस आयत के समस्दाक निीूं िो? उस शख्स नें किा: निीूं दस ू िी आयत पढोइब्नें अब्बास नें किा: दस ू िी आयत यि िै. َّمَّ تَّ ُقولُو َّن َّما َّ َّۡل َّتَّفعَّ َّل ُو َّن ََّّ ِ ل َّ َّبَّ َّمقتًا َِّعن ََّّدَّ الل ّٰ َِّہَّ ا َّنََّّ تَّ ُقولُوا َّماَّ َّۡل تَّفعَّلُو َّن ََّّ ُ َّک (सूिे सफ आयात 3-2) अय ईमान िालो तुम ऐसी बातें क्यूंू किते िो. जजस पि खुद अमल निीूं किते िो. अल्लाि के नज़दीक यि सख्त नािाजगी का सबब िै. कक तुम िि किते िो जजस पि खद ु अमल निीूं किते. इस आयत के बािे में क्या ख्याल िै क्या तुम मुतमइन िो कक तुम इस आयत के समस्दाक निीूं िो- किा: निीूं तीसिी आयत पढ़ो. PACHAS MAU… - 103 HAJINAJI.com इब्नें अब्बास नें किा: यि आयत िज़ित शोऐब (अ.स.) के बािे में िै. जब िि अपनी कौम से मख ु ाततब थे. َّما أرید أن أخالفكم إيل ما ا َنا كم عنه मैं तो यि निीूं चािता कक जजस काम से तुम को िोकूंू तुम्िािे बि खेलाफ खुद उस्को किनें लगूूं. क्या तम इस आयत पि आसमल (अमल ु किते िो) िो? किा! निीूंइब्नें अब्बास! तो सब से पिले खुद से शुरु किो (कुिआनी लतीफे पेज. 88, गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज. 121) PACHAS MAU… - 104 HAJINAJI.com 8) इन्फाक़ आयात 1-हुक्में इन्फाक (खचर करने का हुक्म): ک َّ َََّّۃ ِ َّو اَّن ِف ُقوا ِِف َّسبِی ِل الل ّٰ ِہ َّو َّۡل ُتل ُقوا بِا َّی ِدی ُکمََّّ اِ َّل التَّہل ُ ََّّ َّو اَّح ِسنُواَّ اِ ََّّن الل ّٰ َّہ ُُی ِ ُ َّ ِ ِ یَّ َّ ب الُحسن َّ َّ )(सूिए बकिि आयत 195 औि िािे खद ंेु ा में खचस किो, औि अपन नफ्स को िलाकत में न डालो- नेंक बतासि ेकिो, कक खुदा नेक अमल किनें िालों क साथ िै. )2-बेहतरीन माल में से इन्फाक (खचर करना یاا ََّّی ُہا َّال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوۤا اَّن ِف ُقوا ِمن َّطیِ ِ بت َّما کَّ َّسبتُم َّو َِمَّاَّ ۤ ّٰ َّ ِ ث ِمن ُہَّ اَّخ ََّّرجنَّا َّل َّ ُکم م َّن اۡلَّر ِض ۪ َّو َّۡل تَّی َّ َّم ُموا اْلَّبِی َّ ُتن ِف ُقو َّن َّو لَّستُم بِا ٰ ِخ ِذی ِہ اِ َّۡل ۤا َّن ُتغ ِم ُضوا فِی َِّہ HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 105 (सूिए बकिि आयत 267.) अय ईमान िालो अपनीूं पाकीजि कमाई औि जो कुछ िम नें ज़मीन से तम् ु िािे सलये पैदा ककया िै. सब में से िािे खुदा में खचस किो औि खबिदाि इन्फाक के इिादे से, खिाब माल को िाथ भी न लगाना अगि यि माल तुम को हदया जाऐ तो तम ु लेने िाले निीूं िो. मगि यि कक (मुिव्ित की िजि से) चश्म पोशी कि जाि. 3-परहे ज़ गार अहले इन्फाक (यानी खुदा की राह में खचर करना) है: َّال َّ ِذیَّ َّن یُؤَّ ِمنُوَّ َّن بِالغَّی ِب َّو یُقِی ُمو َّن ا َّلصلٰو ََّۃ ََّّو َّ َِمَّا ََّّرزَّقنٰہمََّّ یُن ِف ُقو ََّّن ُ (सिू ए बकिि आयात 2-3) यि सािे बाने तकिा औि पििे ज़गाि लोगों के सलये मुजस्सम हिदायत िै. जो गैब पि ईमान िखते िैं. पाबूंदी के साथ पूिे PACHAS MAU… - 106 HAJINAJI.com ऐितमाम से नमाज़ अदा किते िैं. औि जो कुछ िमनें रिज्क हदया िै. उस में से िमािी िाि में खचस भी किते िैं. 4-अफ़सोस َّم َُّ ََّّو اَّن ِف ُقوا ِمن َّما َّ َّرزَّقن ٰ ُکم ِمنَّ قَّب ِل ا َّن یَّا ِ َّٰت ََّّ ا ََّّح َّد ُک ۙ ن َّۤ اِ ٰ ۤ َّلَّ ا ََّّجل قَّ ِریب َّ ِ َّالَّو ُت فَّی َّ ُقوَّ ََّّلَّ َّر ِب لَّو َّ َّۤۡلَّ ا َّ َّخرت ِ ِ ّٰ َّفَّا ََّّصد ََّّق َّوَّ ا َّ َُّک َّن َّ َِّم ََّّن َّی َّ َّ الصلح (सूिए मुनाफेकून आयत 10.) औि जो रिज्क िम नें अता ककया िै. उस में से िमािी िाि में खचस किो, कब्ल इसके कक तम ु में से ककसी को मौत आजाये, औि यि कते िैं. खुदाया िमें थोड़े हदनों की मोिलत क्यूूं निीूं दे दे ता, कक िम खैिात तनकालें औि नेक बन्दों में शासमल िो जाएूँ. PACHAS MAU… - 107 HAJINAJI.com 5-पसंदीदह चीज़ में से इन्फाक: َّب َّح ّٰت ُتن ِف ُقوا َِمَّا ُ ُِتبُو ََّّنَّ َّو َّما ُتن ِف ُقوا ِمن ََّشء َّ ِ ل َّن تَّنَّالُوا ال َّفَّاِ َّن اللّٰہَّ بِ ٖہَّ عَّلِی ٌم (सूिए आलेइमिान आयत 92) तुम नेकी की मूंजजल तक निीूं पिुूँच सकते, जब तक अपनीूं मिबूब चीज़ों में से, िािे खुदा, में इन्फाक न किो, औि जो कुछ भी इन्फाक किोगे खद ु ा उससे बबकुल बाखबि िै. PACHAS MAU… - 108 HAJINAJI.com ििायात: 1-अह्मीयते इन्फाक: ِ َّم ْن ا َّ ْع ٰطي ِدر ََّها ِِف سبِیَّ ِل ا: )قال رسول اهلل (ص َّهلل ْ َّ ْ ً ْ َّ َّ َّ كَّت ًب ل َّ ٗه َّسب ْ َّع ِمائَّة َّح َّسن َّ َّة (मीज़ान अल हिक्मि जजल्द 4, पेज. 3350) पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें इिशाद फिमाया: जो अल्लाि की िाि में एक हदििम दे गा, खुदा िन्दे मुतआल उस्के सलये, सात नेककयाूं (उस्के नामऐ आमाल में) सलखेगा. 2-अपनें माल में से इन्फाक: َّ اِن َّ ُك ْم اِيل ٰإِنْفٰاقِ َّما ا ْكت َّ َّسبْتُ ْم: قال علي علیه السلم ِ أ َّ ْح َّو ُج ِمنْ ُك ْم اِ َّيل ا ْكتِ ٰس َّاب َّما ََّتْ َّم ُع ْو َّن (गोिरुल िे कम जजल्द. 1 पेज. 768) मौलाऐ मुत्तकीयाूँन अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया तुम अपनी कमाई में से, इन्फाक PACHAS MAU… - 109 HAJINAJI.com (खचस) किने के, जमा किनें से ज़्यादा मुिताज िो. 3-इन्फाके इमामे सज्जाद (अ.स.) ِ ْ إ َِّن عَّلِ َّي ا بْ َّن ا ْۡل ُ َّس: قال البا قر علیه السلم َّی قَّا َّس َّم َّی َِّ ْ َّاهللَّ َّما ل َّ ٗه َّم َّرت (बबिारुल अन्िाि जजल्द 46 पेज 90) इमामें मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: इमामें जैनुल आबेदीन (अ.स.) नें अपना माल, दो मतसबि िािे खुदा में इन्फाक ककया 4-आखेरत की जज़ा पर यकीन: ِ ْ َّم ْن أَّیْقَّ َّن بِا ْلَّْل: قال علي علیه السلم َّف َّجادَّ بِا لْعَّ ِطی َّ َِّة (अमाली 532.) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जो शख्स आखेित की जज़ा पि यकीन िखता िै. िि अपना माल िािे खुदा में बखसशश ि इन्फाक किता िै. PACHAS MAU… - 110 HAJINAJI.com 5-इन्फाक बहुत बड़ी नेअमत है: اق َّهذا َّا ْل ٰ ِال ِِفْ َّطاعَّ ِة َّ إ َِّن إِن َّف: قال علي علیه السلم هلل ا َّْع َّظ ُم ُِمْن َّ ٌَّة َِّ هلل ا َّْع َّظ َّم نِعْ َّم ُة َّو إِن ْ َّفاقَّ َّٗهَّ ِِفْ َّمعْ ِصی َّ ِة ا َِّ ا (जामेअ अिादीस शीअि जजल्द 17 पेज. 86) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: बेशक अल्लाि की इताअत में माल का इन्फाक किना, बिुत बड़ी नेअमत िै , औि गुनाि के िास्ते में माल का खचस किना बिुत बड़ी थगिफ्तािी िै. PACHAS MAU… - 111 HAJINAJI.com तशिीि: जजस िक्त कोई िाजत मूंद, तुम्िािे पास आये तो जब तक िि अपनी बात पूिी न किे उस्की बात को न काटो, जब िि अपनी बात या कलाम को पूिा कि ले, तो उस्को नमस समजाजी औि इज़्ज़त के साथ जिाब दो, अगि तम् ु िािे अजख्तयाि औि ताकत में कुछ िै , तो उस्को दे दो. या आिाम से मना किदो. क्यूूंकक मुमककन िै. सिाल किनें िाला फरिशता िो, जो अल्लाि की तिफ से तम् ु िािी आज़माइश ि इम्तेिान के सलए आया िो, ताकक तुम को दे खे कक खुदा की नेअमतों के बदले में , तुम ककस तिि अमल किते िो, इन्फाक (अता किना) अपनी मिबब ू तिीन चीज़ों में किना चाहिये, क्यूंूकी इन्फाक किनाूं पििे ज़ गािों की तनशानी, कुिआन का िुक्म औि अूंबबया ि अइम्मा तािे िीन (अ.मु.स.) की सीित िै. यि इूंसानी PACHAS MAU… - 112 HAJINAJI.com ज़ेिन की इस्लाि िै , कक इूंसान इन्फाक किके मगरूि न िोजाऐ, कक िमने कोई काम ककया िै - निीूं- उसनें उसी माल में से इन्फाक ककया िै. जजसे खुदा ने पिले बतौिे रिज्क हदया िै. कफि इनफाक किते िक्त रिज्क औि इन्फाक के तनासुब पि भी तनगाि िख्खे. कक खु दा नें उसे रिज्क ककतना हदया िै. औि उसनें उस्की िाि में ककतना खचस ककया िै. इूंसान कािे ख़ैि किते िक्त, इस नुक्तेि की तिफ से बबकुल गाकफल िोजाता िै. औि अपनें अमल की समकदाि को दे खनें लगता िै. कक िमने सब से ज़्यादि चूंदा हदया िै. िि भूल जाता िै कक खुदा नें भी उसे सब से ज़्यादि रिज्क हदया िै. औि खद ु ा की इताअत के मक ु ाबबले में उस्के अमल की कोई कीमत निीूं िै. यिी िजि िै कक, जब इूंसान अल्लाि की िाि में इन्फाक किता िै. तो माल गोया PACHAS MAU… - 113 HAJINAJI.com (बोलता िै) िोता िै . मै फानी था, मुझे बका दे दी, मैं िकीि था, मुझे बुज़ुगी बखशी, मैं दश्ु मन था, मझ ु े दोस्त बना सलया, तू मेिा मुिाकफज़ ि तनगिबान था, अब मैं तेिा मुिाकफज़ ि तनगिबान िूूँ. खुदा से दआ किते िैं. बिक्के पूंजतन पाक ु (अ.म.ु स.) िमें अल्लाि की िाि में इन्फाक किनें की तौफीक अता फिमा (आमीन) PACHAS MAU… - 114 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हैरत अंगेज इन्फाक: पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) के असिाब में से एक सिाबी, जजन का नाम अबू तलिा अूंसािी िै. मदीने में उन्का एक सि सब्ज़ ि शादाब औि िसीन ि जमील बाग था, औि मदीने में ककसी का इतना खब ू सिू त बाग न था. तमाम मदीने में उन्के बाग़ के बािे में लोग एक दस ू िे से गुफ्तगू औि तािीफ ककया किते थे. उस बाग में एक साफ़ शफ्फाफ चशमि भी था. कक जब भी पैगूंबि (स.अ.ि.) उस बाग में तशिीफ़ लाते उस चश्में का पानी नोश फिमाते, औि उस से िुजू ककया किते. उस्के अलािि उस बाग की दिआमद (आमदनी) भी अबू तल्िा अूंसािी के सलये बिुत अछी थी. जजस िक्त यि आयत َلَ ۡن تَنَالُوا ۡالبِ َّر َحتّٰی ت ُ ۡن ِفقُ ۡوا ِم َّما ت ُ ِحب ُّۡون PACHAS MAU… - 115 HAJINAJI.com नाजज़ल िुई तो अबू तल्िा अूंसािी खखदमते िसूल (स.अ.ि.) में शिफे ज्याित केसलये आये औि अजस ककया कक अय अल्लाि के िबीब क्या आप जानते िैं. मेिे अमिाल में से मिबूब तिीन माल यिी बाग िै. पैगूंबि (स.अ.ि.) नें फिमाया जानता िूूँ. अबू तल्िा नें अजस ककया अय अल्लाि के िसूल (स.अ.ि.)! मै चािता िूूँ कक इस बाग को अल्लाि की िाि में इन्फाक किदूं ू ताकी े़ आखेित केसलये ज़खीिि िो जाऐ. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया َبخ َبخ َذ لِكَ َما ًل ََرابِ ٌح لَك मुबािक िो मुबािक िो यि माल तम् ु िािे सलये सूदमूंद (फ़ाइदे मूंद) िोगा. उस्के बाद फिमाया अय अबू तल्िा! मैं तुम्िािे सलये इस में बेितिी दे ख ििा िूूँ कक तम ु इस बाग को अपनें किीबी न्याज़ मूंद ि मुिताज रिश्ते दािों मैं इन्फाक किदो. अबू तलिा अूंसािी नें पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) PACHAS MAU… - 116 HAJINAJI.com के िुक्म पि अमल ककया, औि उस बाग को अपनें रिश्ते दािों में इन्फाक ि तकसीम किहदया (गूंज िाए बहिश्ती पेज. 336.) 2-इमाम मोहम्मद तकी (अ.स.) के नाम इमाम रे ज़ा (अ.स.) का एक अहम खत: बज़न्ती जो शीआ दातनशिि, िािी, औि इमाम अली िे ज़ा (अ.स.) के मोअतबि, औि काबबले ऐतेमाद सिाबी भी िैं. ब्यान किते िैं. मैंनें उस खत को पढ़ा, जो इमाम िे ज़ा (अ.स,) नें खोिासान से िज़ित इमाम जिाद (स.अ.) को मदीना भेजा था. जजसमें तििीि था. मुझे मालूम िूिा िै , कक जब आप बैतुश्शिफ से बािि तनकलते िैं. तो खादमीूंन आप को छोटे दििाज़े से बािि तनकालते िैं, औि सिािी पि सिाि िोते िैं. यि उनका बख् ु ल िै. ताकक आप का खैि दस ू िों तक न पिुूंचे मैं बउन्िाने इमाम औि पेदि, तुम से यि PACHAS MAU… - 117 HAJINAJI.com चािता िूूँ कक बड़े दििाज़े से आना ि जाना ककया किो, औि िफ्त ि आमद के िक्त अपने पास हदििम ि दीनाि िख सलया किो, ताकी अगि ककसी नें तुम से स्िाल ककया तो उस्को अता किदो, अगि तुम्िािे चचा तुम से स्िाल किें तो उन्को पचास दीनाि से कम न दे ना, औि ज़्यादि दे नें में तम ु खद ु मुख्ताि िो अगि तुम्िािी फुकफयाूं तुम से स्िाल किें तो पचीस हदििम से कम निीूं दे ना, अगि ज़्यादि दे ना चािो तो तुम्िािी मजी मेिी आिज़ू िै , कक अल्लाि तुम को बलूंद मतसबे पि फ़ाऐज़ किे सलिाजा िािे खुदा में इन्फाक किो औि खुदा की तिफ से तूंग दस्ती से न डिो (तौबि आगोशे ििमत बज़बाने उदस ू पेज 325.) PACHAS MAU… - 118 HAJINAJI.com 9) इमामत आयात: 1-इमामत मन्सबे इलाही: َّک ََّّ َّو اِ ِذ ابت َّ ٰٰۤلََّّ اِب ٰرہ َّ ُ ال اِ َِن َّجاعِل َّ َّٖمَّ َّربُہٗ بِكَّلِ ٰمت فَّا َّ َّت َّ ُہ َّن ؕ ق َّال عَّہ ِدی ََّّ َّال َّو ِمن ُذ ِریَّ ِت ؕ ق َّ ِ َّلِلن َّ َّاسَّ اِ َّمامًا ؕ ق ُ َّ ال َّۡل یَّن ََّّ الظلِ ِم ی ّٰ (सूिए बकिि आयत 124) औि उस िक्त को याद किो जब खद ु ा नें चूंद कलेमात के ज़रिये इब्रािीम का इम्तेिान सलया औि उन्िों नें पूिा कि हदया. तो उसनें किा कक तुम को लोगों का इमाम बनाििे िैं. उन्िों नें अजस की मेिी ज़रु िसयत? इशासद िुआ कक यि इमामत का ओिदा जालेमीन तक निीूं जाएगा. PACHAS MAU… - 119 HAJINAJI.com 2-इस्मते इमाम व अहलेबैत (अ.मु.स.) ِ ِِ ی ِب عَّن ُک ُم الرِج َّس ا َّہ َّل البَّی ِت َّو َّ ا َّّنَّا ُری ُد الل ّٰ َُّہَّ لیُذہ یُ َّط ِہ َّر ُکمََّّ تَّط ِہیًا (सूिए अिज़ाब आयत 33) बस अल्लाि का इिादा यि िै कक, अिलेबैत (अ.स.) तुम से िि बुिाई को दिू िख्खे, औि इस तिि पाक ि पाकीज़ा िख्खे जो पाक ि पाकीज़ा िखनें का िक़ िै. 3-वुजूबे इताअत: ِ ُیٰۤا َّیُہا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوۤا ا َّ ِطی ُعوا اللّٰہ َّو ا َّ ِطی ُعوا ال َّر ُسو َّل َّو ا َّول َّ َّ َّاۡلَّم ِر ِمن ُکم (सिू ए तनसा आयत 59) ईमान िालो अल्लाि की इताअत किो, िसूल औि सािे बान अम्र की इताअत किो PACHAS MAU… - 120 HAJINAJI.com 4-इक्माले दींन: َّاَّلیَّو ََّّم ا َّک َّملَّ ُت ل َّ َُّکم ِدین َّ ُکم َّو ا َّتَّم ُت عَّلَّی ُکم نِع َّم ِت َّو َّر ِضی ُت ل َّ ُک ُم اۡلِس َّل َّم ِدینًا (सूिए माएदि आयत 3) आज मैंनें तुम्िािे दीूंन को कासमल किहदया, औि अपनी नेमतों को तमाम कि हदया, औि तुम्िािे सलये दीूंने इस्लाम को पसूंदीदि बना हदया िै. 5-दहदायत: َّم ًََّۃ یَّہ ُدو ََّّن بِاَّم ِرنَّا ََّّو ا َّو َّحین َّ َّا َّۤ اِلَّی ِہمَّ فِع َّل ََّّ َّو َّجعَّلنٰہم ا َِّئ ُ َّام ا َّلصلٰو َََّّۃ ِ ََّّو اِیتَّٓاءََّّال َّزکٰو ََّۃ ِۚ ََّّو کَّانُوا لَّنا ََّّ َّت ََّّو اِق َّ ِ ٰ اْلَّی ع ٰ َّبِ َِّدی ََّّن (सिू ए अूंबबया आयत 73) औि िम नें उन्को पेशिा ि इमाम क़िाि हदया िै. जो िमािे िुक्म से हिदायत किते PACHAS MAU… - 121 HAJINAJI.com िैं. औि उन्की तिफ कािे खैि किनें , नमाज़ क़ाऐम किनें, औि ज़कात आदा किनें, की ििी की, औि यि सब के सब िमािे इबादत गुज़ाि बूंदें थे. PACHAS MAU… - 122 HAJINAJI.com ििायात: 1-ज़मीन पर इमाम का होना ज़रूरी है : َّ ل َّ ْو ل َّ ْم یَّك ُْن ِِفْ ْاۡل َّ ْر ِض إ َِّۡل: قال الصادق علیه السلم َّ َّ َّإِثْنا َّٰن لَّك َّ َّ َّ َّ َّام أ َّ َّح َّد َُهٰا ُ ان إِۡل ا َّ َّم (ककता अल शाफी जजल्द.2 पेज. 32) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: अगि ज़मीन पि ससफस दो आदमी बाकी ििें गें , तो एक उन में से इमाम िोगा2-इताअते इमाम: َّ َّم ْن ا َّ َّطا َّع اِ َّم َّام ُه فَّقَّ ْد ا َّ َّطا َّع َّربَّ ُه: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द.1, पेज. 107) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया जजस नें अपनें इमाम की इताअत की दि िकीकत उसनें अपनें िब की इताअत की. PACHAS MAU… - 123 HAJINAJI.com 3-इताअते इमाम: عل ََّّام عَّا ِد ٌَّل َّخ ْیٌ ِم ْن َّم َّطر َّوا بِل ٌ َّإِ َّم: قال ي علیه السلم (गोिरूल िे कम जजल्द. 1, पेज.107 िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: आहदल इमाम अच्छी बारिश से बेिति िै. 4-इमाम हसन (अ.स.) व इमाम हुसैन (अ.स.) ْۡلس َّی عَّلَّی ْ ِه َّما ُ ْ ا َّ َّ َّ ُن َّو ا ْۡل ُ َّس:)قال رسول اهلل(ص َّ الس َّل َّم اِ َّما ََّّما نِ َّقَّا َّما َّا َّ ْو قَّعَّد َّا َّ (मनाककब आले अबी तासलब पेज. 137 पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: िसन (अ.स.) औि िुसैन (अ.स.) दो इमाम िैं. चािे क़याम किें या क़याम न किें . PACHAS MAU… - 124 HAJINAJI.com 5-इमाम हुसैन की नस्ल से: ِ ْ أ َّ ْۡل َّ ِئ َّم ِة ِم ْن ُول ْ ِد ا ْۡل ُ َّس: )قال رسول اهلل(ص َّی َّم َّْن ا َّاه ْم فَّقَّ ْد عَّ َّصي ُ َّطاعَّ َُّه ْم فَّقَّ ْد ا َّ َّطا َّع اهللَّ َّو َّم ْن عَّ َّص ِ ثْق ِ ٰ اهللَّ ُه ُم أل ْ ُع ْر َّو ُةال ُْو ٰي َّو ُه ُم ال َّْو سیْل َّ ُة إِيل ٰاهلل تَّعٰا َّيل पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया अइम्मा तािे िीन (अ.मु.स.) िुसैन (अ.स.) की अव्लाद में से िैं. जजसनें उन्के इताअत की गोया उसनें अल्लाि की इताअत की, औि जजसनें उन्की नाफिमानी की, गोया उसनें अल्लाि की नाफिमानी की- िि खुदा की मज़बूत िस्सी िैं, औि खुदा तक पिुूँचाने का िसीलि िैं- PACHAS MAU… - 125 HAJINAJI.com तशिीि: नबूित के खात्में पि हिदायत को बाक़ी िखनें केसलये. इमामत का ससलससला शुरू ककया, औि उस ससलससले को क़यामत से समला हदया औि यिी िजि िै , कक क़यामत में िि थगिोि को उस्के इमाम के साथ बल ु ाया जाएगा. इमाम खद ु ा के ऐतेबाि से िली, औि िाककम िोता िै. औि नबी के ऐतेबाि से िसी औि जाूंनशीूंन. इमाम खलीफए खुदा औि िसूल (स.अ.ि.) िै. तो उसे दोनों के कमालात का आईनि दाि िोना चाहिए. यिी िजि िै कक पिििहदगाि नें हिजित में इमाम के नफ्स को अपना नफ्स क़िाि हदया, औि मुबािे ले में उसे नफ्से िसूल (स.अ.ि.) क़िाि हदया इमाम िाकफजे शिीअत भी िै , औि क़ाएदे इमामत भी. हिफ्ज शिीअत के सलये इल्म लाजजम िै. औि हिफ्ज़े इमामत के सलये कूित ि ताकत. PACHAS MAU… - 126 HAJINAJI.com अब इमामे उम्मत ििी िोगा जो इल्म में सािी उम्मत से बालाति िो यानी बाबे मदीनतल इल्म िो. औि ताकत में सािी ु दन्ु या से किीति िो यानी ال فتي إال علي عليه السالمिो. इमामत औि क़यादते उम्मत केसलये पाूंच बातों का िोना ज़रूिी िै. 1-िुक्में खद ु ा से हिदायत किे . 2-नेंककयाूं अूंजाम दे . 3-नमाज़ क़ाऐम किे . 4-ज़कात अदा किे . 5-िि िाल में इबादते इलािी अूंजाम दे ता ििे , औि कोई काम उस्की मजी के खखलाफ न किे . इसीसलये कुिआन नें दो इमामों का तज़केिा ककया िै. एक िि इमाम िै , जो िमािे िुक्म से हिदायत किते िैं. औि दस ू िे िि इमाम िै जो लोगों को जिन्नम की तिफ बुलाते िैं. अब िमें खुद फैसला किनाूं िै कक िम ककन PACHAS MAU… - 127 HAJINAJI.com इमामों की इताअत किें औि ककन इमामों को अपना इमाम ि क़ाऐद बनाएूँ. खुदा से दआ किते िैं, कक बिक्के मोिम्मद ि आले ु मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें िकीकी अइम्मा (अ.मु.स.) की इताअत किनें औि उन्के नक्शे क़दम पि चलने की तौफीक आता फिमाए. (आमीन) PACHAS MAU… - 128 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हज़रत अली (अ.स.) चौथे खलीफह: शैख़ सदक नें अपनें उस्दाद से िज़ित ू इमाम अली िे ज़ा (अ.स.) से नक्ल ककया. इमाम अली िे ज़ा (अ.स.) नें अपनें आबाऐ तािे िीन (अ.मु.स.) की सनद से िज़ित अली (अ.स.) से ििायत. की आप (अ.स.) नें फिमाया कक एक मतसबि मैं िसूले अकिम (स.अ.ि.) के साथ मदीनि के िास्ते पि चल ििा था. कक तिीलुल कामत (लूंबे कद िाले) घनीूं दाढी औि चौड़े शानों िाले बज़ ु ुगस िमें समले, औि उन्िों नें िसूले खुदा (स.अ.ि.) पि सलाम ककया औि आूंिज़ित (स.अ.ि.) को खुश आमदीद किा- कफि बुज़ुगस मेिी तिफ मत ु िज्जेि िुिे औि किा ِ ك یَّا راب َّع اْلُْل َّ َّفاء ور ْۡحَّ َُّة ا َّهلل َّو بَّ َّرکا َّ ُت ُه َّ َّ ا َّ َّ َّ َّ َّ ْ لس َّل ُم عَّلَّی चैथे खलीफ आप पि सलाम िो. औि अल्लाि की ििमत औि बिकतें िों. PACHAS MAU… - 129 HAJINAJI.com कफि उसनें िसूले खुदा (स.अ.ि.) से किा कक, या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) क्या यि चौथे खलीफि निीूं िैं? िसूले खुदा (स.अ.) नें फिमाया जी िाूँ. कफि िि बुज़ुगस ििाना िो गए. उन्के जानें के बाद मैंनें िसूले खुदा (स.अ.ि.) से अजस की, कक यि बुज़ग ु स क्या कि ििे थे. औि आप नें ककस बात की तस्दीक की? िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया! िकीकत यिी िै (कक तुम चौथे खलीफ़ा िो) क्यूकक अल्लाि नें अपनी ककताब में फिमाया िै. ض َخ ِل ۡيفَ ًۃ ِ ( اِنِ ۡی َجا ِع ٌل فِی ۡاالَ ۡرसिू े बकिा आयत 30) मैं ज़मीन में अपना खलीफि बना ििा िूूँ. इन अलफ़ाज़ के ज़रिये आदम (अ.स.) की खेलाफत का एअलान ककया गया. लेिाज़ा पिली खेलाफत िज़ित आदम (अ.स.) की िै. कफि अल्लाि नें फिमाया कक मूसा (अ.स.) PACHAS MAU… - 130 HAJINAJI.com नें अपनें भाई فِ ۡی قَ ۡو ِم ۡی َو اَصۡ ِل ۡح मेिी कौम में िारून (अ.स.) से किा था. ۡ اخلُ ۡفنِ ۡی मेिे खलीफ़ा बन जाि, औि इस्लाि किो. दस ू िी खेलाफत िारून (अ.स.) की िै. अल्लाि नें तीसिे खलीफि का जज़क्र इन अलफ़ाज़ में बयाूंन ककया. َّی َّ ِ ف ًََّۃ ِ َِّف اۡلَّر َّ َّ ک َّخلِی َّ ٰ ی ٰ َّد ٗاو َُّدَّ اِن َّا َّجعَّلن َّ َّض فَّاح ُکمَّ َّب ال َّ ِاس ب َّ ِ َّالن अय दाऊद (अ.स.) बेशक िमनें आप को ज़मीन में खलीफ़ा बनाया िै. तुम लोगों के दसमसयाूँन िक़ के साथ फैसला किो लेिाजि तीसिी खेलाफत िज़ित दाऊद (अ.स.) की िै. उन तीन खोलफ़ा के बाद अल्लाि नें फिमाया! ِو اَّذَّان ِمن الل ّٰ ِہ و رسول ِ َّٖہَّ ا ِ َّ اس یَّوم اۡل َّ ِج اۡلَّک ِ َّالن َّب َّ ل َّ ۤ ُ َّ َّ َّ ٌ َّ َّ PACHAS MAU… - 131 HAJINAJI.com िज्जे अकबि के हदन अल्लाि औि उस्के िसूल (स.अ.ि.) की तिफ से लोगों के सलये. ऐलान ककया जाता िै. खुदा औि उस्के िसूल (स.अ.ि.) के ऐलाूंन किनें िाले तुम िो, औि तुम िी मेिे िसी, िज़ीि, जानशीन, औि मेिे कज़स अदा किनें िाले औि मेिी तिफ से दीूंन पिुचानें िाले िो, औि तुम्िें मुझ से ििी तनस्बत िै , जो िारून (अ.स.) को मूसा (अ.स.) से थी. लेककन मेिे बाद कोई नबी निीूं आऐगा. जैसा कक उस बज़ ु ग ु स नें किा िै. तम ु चैथे खलीफि िो. औि क्या तुम्िें मालूम िै कक िि बुज़ुगस कैन थे. मैंनें किा: निीूं! मुझे मालूम निीूं. आूंिज़ित नें फिमाया: कफि तम् ु िें मालम ू िोना चाहिये िि तुम्िािे भाई िज़ित खखज्र (अ.स.) थे (मोअजेज़ाते आले मोिम्मद अ.मु.स. जजल्द.1, पेज. 387.) PACHAS MAU… - 132 HAJINAJI.com 2-ऐजाज़े इमामत: इब्नें शििे आशोब नें जाबबि अन्सािी से ििायत की िै कक उन्िों नें किा! अमीरुल मोंमेनीूंन अली (अ.स.) नें िमें नमाज़े फज्र पढाई. कफि आप (अ.स.) िमािी तिफ मत ु िज्जि िुिे औि फिमाया लोगो अल्लाि तम् ु िें तम् ु िािे भाई सलमान की मौत पि सब्र अता किे औि तुम्िािे अज्र में इजाफि किे उस्के बाद आप (स.अ.) नें िसूले खुदा (स.अ.ि.) का अमामि औि चादि ज़ेबेतन फिमाई औि िसल ू े खुदा (स.अ.ि.) का असा औि तलिाि उठाई औि नाक़ि अज़्बा पि सिाि िुये औि कूंबि से फिमाया कक तुम एक से दस तक की थगनती थगनों. कूंबि किते िैं, कक मैंनें दस तक थगनती थगनी तो मेंनें दे खा कक िम सलमान फ़ािसी के दििाजि पि खड़े थे. PACHAS MAU… - 133 HAJINAJI.com ज़ाज़ान का ब्यान िै कक जब सलमान फािसी की मौत का िक्त किीब िुिा तो मैंनें उनसे किा तम् ु िे गुस्ल कौन दे गा? उन्िों नें किा जजसनें िसूले खुदा (स.अ.ि.) को गुस्ल हदया था ििी मुझे गुस्ल दे गा मैंनें किा कक िसूले खुदा (स.अ.ि.) को तो िज़ित अली (अ.स.) नें गस् ु ल हदया था. मगि िि इस िक्त मदीना में िैं औि आप मदाऐन में िैं. उन्िों नें किा था कक अय ज़ाज़ान जब तू मेिी तितल ु िनक बाधेगा तो उस िक्त तुझे कदमों की आिाज़ सुनाई दे गी. ज़ाज़ान किते िैं कक जैसे िी मैंनें सलमान की तितुलिनक बाधी तो मैंनें कदमों की आिट सन ु ी, औि मैं दििाज़े पि गया, तो अमीरुल मोंमेनीूंन (अ.स.) को मौजूद पाया. आप (अ.स.) नें फिमाया ज़ाज़ान सलमान अल्लाि को प्यािे िोगये. PACHAS MAU… - 134 HAJINAJI.com मैंनें किा जीिाूँ मेिे सिदाि कफि आप (अ.स.) अूंदि आगये औि सलमान के चेििे से चादि िटाई तो सलमान नें तबस्सम ु ककया िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया, अबू अजब्दल्लाि जब तुम िसूल खुदा (स.अ. ि.) के पास जाि तो उन्को बताना कक उन्की कौम नें आप के भाई से क्या सल ु ूक ककया िै . कफि अमीरुल मोमेंनीूंन (स.अ.) नें उन्की तजिीज़ ि तक्फीन की औि कफि आप (अ.स.) नें उन्की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई. िम अमीरुल मोंमें नीन (अ.स.) से इन्तेिाई बलूंद आिाज़ में तकबीि सुनते ििे औि मुझे िज़ित (स.अ.) के साथ दो आदमी भी हदखाई हदये जब मैंनें आप (अ.स.) से उन्के बािे में पूछा तो आप (अ.स.) नें फिमाया एक मेिे भाई जाफि (अ.स.) थे औि दस ू िे खखज्र (अ.स.) थे औि िि एक के साथ PACHAS MAU… - 135 HAJINAJI.com फरिश्तों की सत्ति सफें थीूं, औि िि सफ में दस दस लाख फ़रिश्ते शासमल थे (मोअजेज़ाते आले मोिम्मद स.अ.ि. जजल्द 1, पेज. 383.) PACHAS MAU… - 136 HAJINAJI.com 10) ईमान आयात: 1-बेहतरीन पादाश: َّ تَّ ُطو ٰٰب لَّہمََّّ َّو ُحس ُ َّن َّ ِ الصلِ ٰح ّٰ اَّل َّ ِذی ََّّنَّ ا ٰ َّمنُوا َّو عَّ ِملُوا ُ ٰب َّ َّما (सूिए िअद आयत 29.) जोलोग ईमान लाऐ औि उन्िों नें नेक आमाल ककये. उन्के सलये बेितिीन जगि (बहिश्त) औि बेितिीन बाज़गश्त िै. 2-फाएदह ईमान (ईमान का फ़ाइदा): ََّّو لَّو ا َََّّّنَّ ا َّہ َّل ال ُق ٰ ۤری ا ٰ َّمنُواَّ َّو اتَّقَّوا ل َّ َّفتَّحنَّا عَّلَّی ِہم بَّ َّرکٰت َّ الس َّمٓاءِ َّو اۡلَّر ِض َّو ل ٰ ِک َّن َّکَّ َّذ ُبوا فَّا ََّّخذنٰہم ِ َِّبَّا َّ ِم َّن ُ َّکَّانُواَّ یَّک ِسبُو َّن (सूिए आिाफ आयत 96.) PACHAS MAU… - 137 HAJINAJI.com औि अगि अिले कयसि (बसती) ईमान ले आते औि तक़िा अजख्तयाि कि लेते. तो िम उन्के सलये ज़मीन औि आसमान से बिकतों के दििाजे खोल दे ते. लेककन उन्िों नें तक्जीब की तो िम नें उन्को, उन्के आमाल की थगिफ्त में ले सलया. 3-बेहतरीन मखलूक: َّی ََّّ ِالصلِ َّٰح ِت ۙ اُولٰٰٓئ ّٰ اِ ََّّنَّ ال َّ ِذی ََّّنَّ ا ٰ َّمنُوا َّو عَّ ِملُوا ُ ک ُہم َّخ ِ ی ََّۃ ِ َّ ال ََّّ ب (सिू ए बय्यनि आयत 7.) बेशक जो ईमान लाये औि उन्िों नें नेक आमाल ककये िि बेितिीन खलाएक िैं. 4-महबूबे मख्लूके इलाही: َّم َُّ لَّ لَّہ َّ اِن ال َّ ِذین امنوا و ع َِّملوا الصلِح ِت سیجع ُ ُ َّ َّ َّ ٰ ّٰ ُ َّ َّ ُ َّ ٰ َّ َّ َّال َّرۡح ٰ ُ َّنَّ ُو ًدا PACHAS MAU… - 138 HAJINAJI.com (सूिए मियम आयत 96.) बेशक जो ईमान लाये औि उन्िों नें नेक आमाल ककये अन्क़िीब ििमान लोगों के हदलों में उन्की मोिब्बत पैदा किदे गा 5-कालमयाब तरीन अफराद: َّقَّدََّّ اَّفل َََّّّحَّ الُؤ ِمنُو ََّّن َّ َّ َّال َّ ِذی ََّّن ُہمََّّ ِ َِّف َّص َّلتِ ِہم ٰخ ِش ُعو ََّّن ََّّو ال َّ ِذی َّن ُہم عَّنِ اللَّغ َِّوَّ ُمعر ُِضو ََّّن ِ َََّّ و ال َّ َِّذین ہمََّّ لِل َّزکٰو َّ َّۃ فٰعِلُون ُ َّ َّ َّ (सूिए मोमेनून आयत 1-4) यकीनन सािे बाने ईमान कासमयाब िोगये. जो अपनीूं नमाजों में थगडथगड़ाने िाले िैं. औि लग्ि बातों से दिू ी किनें िाले िैं. औि ज़कात अदा किने िाले िैं. PACHAS MAU… - 139 HAJINAJI.com ििायात 1-ईमान बगैर अमल क़ाबबले कबूल नहीं ِ َّان بِ َّل عَّ َّمل َّو َّۡل ُ ٰ َّۡل ی َّ ْقب َّ ُل ْاۡل ْْي: )قال رسول اهلل (ص ان َِّ ٰ عَّ َّم ُل بِ َّل إِْي (कन्जुल उम्माल जजल्द 1, पेज. 68) िज़ित मोिम्मद (स.अ.ि.) नें फिमाया! इमाम बगैि अमल के औि अमल बगैि ईमान के काबबले कबूल निीूं. 2-इखलास: ِ عل ل َّ ِ ان إ ِْخ َّل ُص الْعَّ َّم ُ ٰ ا َّْۡل ْْي: قال يَّ علیه السلم (गोिरूल िे कम जजल्द 1, पेज. 116) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया! ईमान, अमल को खासलस किदे ता िै. (यानी अगि ईमान मज़बूत िै तो ख़ुलूस पैदा िोगा) PACHAS MAU… - 140 HAJINAJI.com ईमान 3-सादहबे को कोई पहुँचा सकता: नुकसान नहीं ِ َّان َّۡل ی َّ ُض ُر َّمعَّ ٗه عَّ َّم ٌل ُ ُٰ ا َّْۡل ْْي: قال الصادق علیه السلم َّل َّ ٌ ك ال ْ ُك ْف ُر َّۡل ِینْ َّف ُع َّمعَّ ٗه عَّ َّم َّ ِ َّو َّك َّذٰال (ककताब अल शाफी जजल्द. 5, पेज. 78) ईमामें साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया ईमान के िोते िुिे कोई अमल नुकसान निीूं पिुूंचाता औि कुफ्र के िोते िुिे कोई अमल फाऐदा निीूं दे ता. 4-नजात: ان َِّ ٰ ا َّ ِلن َّجا ُة َّم َّع ْاۡلِ ْْي: قال علَّي علیه السلم (गोिरूल िे कम जजल्द. 1, पेज 117.) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: ईमान के साथ नजात िै PACHAS MAU… - 141 HAJINAJI.com 5-जन्नत का रास्तह: َّ عَّلَّی ْ ُك ْم بِاِ ْخ َّل ِص ْاۡلِ ْْيٰانِ فَّاِ ن ََّّ ُه: قال أمیالومنی َّالسَّ َِّبی ْ ُل اِيل ٰا ْْلَّنَّ ِة َّو النَّ َّجا ُة ِم َّن النَّا َِّر (गोिरूल िे कम जजल्द. 1 पेज. 120) मौलाऐ मुत्तकीयाूँन अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: तुम पि ज़रूिी िै. कक ईमान को खासलस किो. क्यूकी यि जन्नत का िास्ता औि जिन्नम से नजात का तिीक़ा िै . PACHAS MAU… - 142 HAJINAJI.com तशिीि: इमान का मतलब िै कक इूंसान हदल की गििाइयों से िक़क़तों का इक़िाि किे , औि उन तमाम तकाजों (मुतासलबों) पि अमल किना ज़रूिी िोगा जो ईमानें िकीकी के तकाजेि (मुतासलबें) िैं. औि जजन के बगैि ईमान, ईमान किे जानें के काबबल निीूं िै. अमले सालेि िकीकत में ईमान के तकाजों िी का नाम िै. ईमान औि अमले सालेि का असि ससफस आखेित में निीूं िोता िै. बल्की दन्ु या में भी उस्के असिात ज़ाहिि िोते िैं, औि िि असिात माद्दी (दन ु यिी) िसाऐल (िसीलों) का नतीजि निीूं िैं. माद्दी (दन ु यािी) िसाएल (िसीले) शकस ि ग़बस ि जोनब ू ि शुमाल (मशरिक, मगरिब, उत्ति दजख्खन) में काम किते िैं, औि कुदिती िसाएल ज़मीन औि आसमान की बिकतों से निाज़ दे ते िैं, औि उन्िें ककसी का मुिताज PACHAS MAU… - 143 HAJINAJI.com निीूं िखता िै , औि न उन्के िालात को दन्ु या की कोई ताकत चैलेन्ज किसकती िै. उन्का मददगाि खद ु ा िै. सािे बाने ईमान मिबूबे इलािी भी, औि मिबूबे मख्लूके खुदा भी. जजतना ईमान पोख्ति (पक्का) िोगा उतना िी अमल मोिकम (मज़बूत) िोगा जिाूँ अमल में कमजोिी हदखाई दे , तो समझ जाएूँ कक उस्का ईमान कमज़ोि िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के इमामुल ु मुत्तकीन अमीरुल मोंमेनीूंन िज़ित अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) िम सब के ईमान में िोज ब िोज इजाफि फिमाऐ. PACHAS MAU… - 144 HAJINAJI.com िक़ेआत: 1-अबुज़र गफ्फारी के ईमान की बलन्दी; एक दफ़ा का िाकेआ िै कक जनाबे अबज़ ु ि गफ्फिी खखदमते िसूले अकिम (स.अ.ि.) में िाजज़ि िुिे. सलाम के बाद अजस की अय अल्लाि के िसल (स.अ.ि.) मैं जूंगल में ू अपनी भेडे चिा ििा था, औि जब नमाज़ का िक्त िुिा तो मैं नमाज़ पढनें लगा. उसिक्त एक भेडीया आया औि उसनें एक भेंड उठा सलया, नागाि (अचानक) एक शेि नें उस भेडडये पि िमलि ककया औि दूं ब ु ि को छोड़ा कि मेिी भेंड़ों की िखिाली किनें लगा, जब में नमाज़ से फारिग िुिा तो शेि नें मुझ से किा: अय अबुज़ि! अभी जाि औि िसल ू े खद ु ा (स.अ.ि.) की ज्याित कि आि. आप की भेड़ों की मैं हिफाजत का ििा िूूँ. िसूले खुदा (स.अ.ि.) PACHAS MAU… - 145 नें मुस्कुिा के HAJINAJI.com फिमाया: अय अबुज़ि यि सब तुम्िािे ईमान की बदौलत िै. उस्के बाद ििायत बताती िै कक बीस मुनाफेकीन ने किा: अबुज़ि िम में अपनी बडाई बयान किता िै. चलो आज जूंगल में जाकि अबुज़ि की भेडें चुिाते िैं. जब यि मन ु ाफेकीन जूंगल में पिुूंचे तो क्या दे खा कक अबुज़ि की भेड़ों को एक शेि चिा ििा िै. जो भी दूं ब ु ि गल्ले से अलग िोजाता िै , उसे शेि िूं का कि गल्ले में ले आता िै. मन ु ाफेकीन को दे खकि, शेि बकुदिते खद ु ा गोया िुिा (यानी बोला) अय थगिोिे मुनाफेकीन! यि तो अबज़ ु ि के ईमान औि मािफत की बलन्दी िै. कक मैं उस्के जानििों को चिा ििा िूूँ. याद िख्खो अगि अबुज़ि िमें िुक्म दें कक, इन मन ु ाकफकों को पकड़ लो तो खुदा की क़सम एक लम्िा में सब को इसतिि तनगल जािूूंगा जजसतिि दौिे PACHAS MAU… - 146 HAJINAJI.com मूसा (अ.स.) में कालीन के शेि नें जादग ू िों के अझदिे को तनगल सलया था. (मजासलसे बनी िासशम पेज. 97) 2-नूरे ईमान से मुनव्वर ददल: इस्िाक बबन अम्माि से मििी िै कक. िज़ित अबु अजब्दल्लाि नें फिमाया: िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें लोगों के साथ नमाज़े सुबि पढ़ी आप (स.अ.ि.) नें सज्दि में एक जिान को दे खा िि अपना सि इधि उधि हिला ििा िै. उस्का िूं ग ज़दस िै औि जजस्म निीफ ि लागि िै आखें सि में गड गईं िै. िज़ित नें फिमाया अय शख्स तेिा क्या िाल िै उसनें किा मैं यकीन पि िूूँ. िसूल (स.अ.ि.) नें उस्के किनें पि तअज्जुब ककया औि फिमाया: यकीन की एक िकीकत िोती िै तुम्िािे यकीन की िकीकत क्या िै. उसनें किा या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.)! िि PACHAS MAU… - 147 HAJINAJI.com काम जजसनें मुझे ग़मगीन ककया औि िातों में जगाया िै , औि सख्त गमस हदनों में प्यासि िख्खा िै. िि गमें आखेित िै. गोया अशे इलािी मेिी नज़ि के सामने िै , औि मैं हिसाब केसलये खड़ा िूूँ, लोगों को िाजज़ि ककया जाििा िै. मैं भी उनमें िूूँ औि गोया मैं अिले जन्नत को दे ख ििा िूूँ कक िि जन्नत की नेमतों से फाऐदा उठा ििे िैं. औि तख्तों पि तककया लगाऐ िुिे एक दस ू िे को पिचनिा ििे िैं, औि गोया दोज़ख्यूूं को दे खता िूूँ कक िि अज़ाबे इलािी में पड़े िुये चीख पुकाि कि ििे िैं गोया में अब भी अिले नाि ि जिन्नम की चीख ि पुकाि को सुन ििा िूूँ औि िि आिाजें मेिे कान में गूँज ू ििी िैं. िज़ित िसूले खद ु ा (स.अ.ि.) नें अपनें असिाब से फिमाया: यि िै िि बूंदा जजसके हदल को अल्लाि नें नूिे ईमान से मुनव्िि कि हदया िै. िज़ित (अ.स.ि.) नें PACHAS MAU… - 148 HAJINAJI.com उस से फिमाया तुम अपनें िाल पि क़ाएम ििो. उसनें किा या िसल ू ल् ु लाि (स.अ.ि.) आप दआ किें कक खुदा मुझे शिादत का दजसि दे ु िज़ित नें दआ फिमाई चुनान्चि एक गज्िि ु में िि नौ शिीदों के बाद दसिें नूंम्बि पि शिीद िुिा (ककताब अल शाफ़ी जजल्द. 3 पेज. 318.) PACHAS MAU… - 149 HAJINAJI.com 11) बखील (कंजूस) आयात: 1-कन्जूस की सज़ा: َّب ال َّ ِذی َّن یَّب َّخلُو َّن ِِبَّا ۤاٰتٰہَّ ُم الل ّٰ ُہ ِمن فَّضلِ ٖہ ُہ َّو َّ َّ ََّ َّۡل َُّی َّس ُ ََّّخیًا لَّہم ؕ بَّل ُہ َّو َّش ٌَّرَّ لَّہم ؕ َّسی ُ َّط َّو ُقو َّن َّما َّ َِبلُوا بِ ٖہ یَّو َّم ُ ُ ِ م ََّۃ ََّّ ٰ القِی (सूिए आले इमिान आयत 180) जो लोग खद ु ा की दी िुई नेमतों को खचस किनें में कूंजूसी से काम लेते िैं. उन्िें ििथगज़ ये निीूं सोचना चाहिए कक यि अच्छा काम िै. बल्की यि बिुत बुिा काम िै. अन्क़िीब क़यामत के हदन ििी चीज़ें उन्के गदसनों में तौक की तिि लटका दी जाएूँ गी, जजन में िि बुख्ल ककया किते थे. PACHAS MAU… - 150 HAJINAJI.com 2-कन्जूस खुदा का मिबूब निीूं: َّ اس بِالبُخ ِل ؕ َّو َّمن یَّت َّ َّو َّل َّ َّال َّ ِذی ََّّنَّ یَّب َّخلُو َّن َّو یَّا ُم ُرو ََّّنَّ الن نَّ اۡل َّ ِمیَّ َُّد َُّ ِ َّ فَّاِ َّن الل ّٰ َّہََّّ ُہ َّو الغ (सूिए िदीद आयात 23, 24.) अलाि अकडनें िाले मगरूि अफिाद को पसूंद निीूं किता. कक जो खुद भी बुख्ल किते िैं औि दस ू िों को भी बुख्ल का िुक्म दे ते िैं, औि जो भी खद ु ा के िुक्म से मूंि ु मोडता िै उसे मालूम िोना चाहिए कक खुदा सब से बबतनयाज़ औि काबबले िम्द ि सताइश िै. 3-बखील काकफिों की सफ में: م ۤ َّاس بِالبخ ِل َّو یَّکتُ ُمو َّن َّما َّ ِ ی یبخل ُ َّ ََّالذ َّن َّ َّ ُو َّن َّو یَّا ُ ُرو َّن الن اٰتٰہ ُم الل ّٰ ُہ ِمن فَّضلِ ٖہ ؕ َّو ا َّعتَّدنَّا لِلکٰ ِفرِی ََّّنَّ ع َّ َّذابًا ُم ِہیَّنًا ُ (सूिए तनसा आयत 37) PACHAS MAU… - 151 HAJINAJI.com जोलोग खुद भी बुख्ल किते िैं, औि दस ू िों को भी बुख्ल का िुक्म दे ते िैं, औि जो कुछ खद ु ा नें अपनें फज्ल ि किम से उन्िें अता ककया उसपि (अपनें कुफ्र की िजि से) पिदा डालते िैं. (तो उन्िें मालूम िोना चाहिए कक) िम नें काकफिों के िास्ते रुसिा किदे ने िाला अजाब मि ु य्यि (तय्याि) कि िख्खा िै. 4-बख् ु ल अपने िी सलये: ََّٰۤا َّنتُم ہ ٰ ُۤؤ َّآل َّءَِّ ُتدعَّو َّن لِتُن ِف ُقوا ِِف َّسبِی ِل الل ّٰ ِہ ۚ فَّ ِمن ُکمََّّ َّمن َّن َُّ ِ َّ یَّب ََّّخ ُل ۚ َّو َّمن یَّب َّخلََّّ فَّاِ َّّنَّا یَّب َّخ ُل عَّن ن َّف ِس ٖہ ؕ َّو الل ّٰ ُہ الغ َََّّّو ا َّنتُ ُم ال ُفقَّ َّر ُٓاء (सूिए मोिम्मद (स.अ.ि.) आयत 38) िाूँ िाूँ! तुम ििी लोग िो जजन्िें िािे खुदा में खचस किने केसलये बुलाया जाता िै , तो तुम में से कुछ लोग बख् ु ल (कूंजस ू ी) किनें लगते िैं, औि जो बुख्ल किते िैं िि अपनें िी िक़ PACHAS MAU… - 152 HAJINAJI.com में बुख्ल किते िैं औि खुदा सब से बबतनयाज़ िै तुम लोग उस्के मुिताज िो. 5-बुख्ल सख्ती का सबब: َََّّ ا ََّّما َّم ًۢنَّ َّ َِب َّل َّو استَّغ ٰن َّ َّن َّ ٰ ََّّوَّ کَّ َّذ َّب بِاۡلُس ِ ِ َّ َّسر َّہَّٗ للعسری ٰ ُ ُ َّ فَّ َّسنُی (सिू ए लैल आयत 8’9’10) जजसनें बुख्ल (कूंजूसी) ककया औि लापििािी बिती औि नेकी को झुठलाया िै. उस्के सलये सख्ती की िाि िमिाि किदें गे. PACHAS MAU… - 153 HAJINAJI.com ििायात: 1-बुख्ल एक अय्ब: َّار ٌَّ َّ اَّلْبُ ْخ ُل َّع: قا ل علي علیه السلم (निजल ु बलागा कलेमाते ककसाि 3) िज़ित अली (अ.स.) ने फिमाया बुख्ल (कूंजूसी) नूंग ि आि िै 2-बुख्ल फकीरी का सबब َّ اَّلْبُ ْخ ُل فَّق ٌَّْر: قال علي علیه السلم (गोिरूल िे कम जल्द.1,पेज. 145) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया बख् ु ल नादािी ि फकीिी िै. 3-बद तरीन बुख्ल: َّأ َّ َّقْب َّ َّح الْبُ ْخ ُل َّمنْ ُع ْاۡل َّ ْم َّو ِال ِم ْن ُم ْست َّ ِحقِهَّ َّا (गोिरूल िे कम जजल्द.1 पेज. 145) PACHAS MAU… - 154 HAJINAJI.com इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया मुस्तिक लोगों तक माल न पिूूँचाना बद तिीन कूंजस ू ी िै. 4-बुख्ल बहुत बुरी आदत: َّ بِئ َّْس اْلَّْلِیْقَّ ُة الْبُ ْخ ُل: قال علي علیه السلم (गोिरूल िे कम जजल्द.1, पेज.146) अमीरुल मोमें नीूंन (अ.स.) नें फिमाया कूंजूसी बिुत बुिी आदत िै 5-बखील का कोई चाहने वाला नहीं: َّب َّ ٌ ْ لَّیْ َّس لْب َّ ِخی ْ ِل َّحبِی: قال علي علیه السلم (गोिरूल िे कम जजल्द.1 पेज.49) मौलाए काएनात िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया बखील का कोई दोस्त निीूं िोता. PACHAS MAU… - 155 HAJINAJI.com तशिीि: बुख्ल ि कूंजूसी एक बुिी औि मज्मूम ससफत िै. इूंसान जो कुछ कमाता िै औि जो कुछ माल ि सिसत जमा किता िै िि यि कफ़क्र किता िै कक यि माल िमेशि उस्के पास ििे गा. अगि खचस किहदया तो क्या िोगा, गोया कन्जस अपने सलये भी ू अपनी दन्ु या की छोटी सी चीज़ में भी कूंजूसी किता िै , औि अपनी सािी दन्ु या को अपने िारिसों के सलये छोड़ दे ता िै. बखील इस सलये फकीिों की तिि जज़ूंदगी गज ु ािता िै, कक किीूं नादाि ि फकीि न िोजाये या इससलए फकीिों की तिि जज़ूंदगी बसि किता िै, कक ज़्यादि माल जमा कि सके कूंजूसी किने िाला दन्ु या में मज्मम ू औि आखेित में अज़ाब का मुस्तिक िोगा. बखील इूंसान को यि याद िखना चाहिए कक माल यि जमा किे गा फाऐदा कोई औि उठाएगा. इस PACHAS MAU… - 156 HAJINAJI.com सलये कूंजूसी से बेिति िै कक इूंसान माल को अल्लाि की िाि में खचस किे . खद किते िैं. बिक्के मोिम्मद ि ु ा से दआ ु आले मोिम्मद (अ.मु.स) िम सब को बुख्ल ि कूंजूसी से दिू ििनें की तौफीक अता फिमाऐ (आमीन) PACHAS MAU… - 157 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-चालाक कन्जूस (बखील) एक कन्जस ू नें कूजि बनाने िाले से किा मेिे सलये एक कूजि औि एक प्याला बना दो कूजि बनाने िाले नें कन्जूस से पूछा तुम्िािे कूज़े पि क्या सलखूंू? कन्जूस नें किा: (ۚ س ِمنِ ۡی َ )فَ َم ۡن ش َِر َ ب ِم ۡنہُ فَلَ ۡي सलखो जो शख्स इस में से (पानी) पीयेगा िि मुझ से न िोगा. दोबािि कूजि बनाने िाले नें कन्जूस से पूछा कक तुम्िािे प्याले पि क्या सलखूूं? कन्जूस नें किा (ۚ ) َو َم ۡن لَّ ۡم يَ ۡطعَمۡ ہُ فَ ِانَّ ٗہ ِمنِ ۡی सलखो औि जो शख्स इस में से निीूं चखेगा (पीयेगा) बेशक िि मझ ु से िोगा. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1,पेज. 87, कुिआनी लतीफे पेज 26.) PACHAS MAU… - 158 HAJINAJI.com 2-बखील का गुनाह: पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) खानऐ काबा के तिाफ में मशगल ू थे. एक मदस को दे खा जो ग़लाफे काबा को पकडे दआ कि ििा था. ु खुदाया इस घि का िास्ता मुझे बख्श दे . िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: तेिा गन ु ाि क्या िै उस शख्स नें किा मेिा गुनाि इतना बड़ा िै कक मैं उस्को ब्यान निीूं कि सकता. िसूले खुदा (स.अ.ि.) तेिा गुनाि बड़ा िै या ज़मीन? शख्स: मेिा गुनाि. िसूले खुदा (स.अ.ि.) तेिा गुनाि बड़ा िै या पिाड़? शख्स; मेिा गन ु ाि. िसूले खुदा (स.अ.ि.) तेिा गुनाि बड़ा िै या आसमान? शख्स: मेिा गुनाि. PACHAS MAU… - 159 HAJINAJI.com िसूले खुदा (स.अ.ि.) तेिा गुनाि बड़ा िै या खुदा? शख्स: खद ु ा आला औि अजल िै. िसूले खुदा (स.अ.ि.) तुझ पि िाय िो! अपने गुनाि को ब्यान कि. शख्स: अय िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) मैं एक दौलत मूंद शख्स िूूँ औि जब भी मेिे पास कोई साएल आता िै औि मुझसे ककसी चीज़ का स्िाल किता िै तो मुझे अयसा लगता िै जैसे आग का शोलि मेिी तिफ आििा िै. पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) ने फिमाया मझ ु से दिू िोजा औि मुझे अपनी आग में न जला उस खुदा की कसम जजसनें मुझे हिदायत औि किामत के साथ मबऊस ककया अगि तू रुक्न ि मक़ाम के दिसमयान खड़ा िो औि दो िज़ाि साल नमाज़ पढे औि इस्कदि थगिया ि ज़ािी किे कक तेिे आूंसुिों से नििें जािी िो जाएूँ औि उन आूंसुिों से PACHAS MAU… - 160 HAJINAJI.com दिख़्त सेिाब िों कफि उस िक्त तू बुख्ल औि कूंजूसी की िालत में मि जाए तो खद ु ािूंदे मत ु आल तझ ु को जिन्नम की आग में डाल दे गा. तुझ पि िाए िो! क्या तुमनें कुिआूंन निीूं पढ़ा कक खुदा फिमाता िै जो बुख्ल किते िैं िि अपने िी िक़ में बख् ु ल किते िैं (सिू ए मोिम्मद आयत 38.) जो शख्स अपने नफ्स को बुख्ल से दिू िख्खे गा ििी कासमयाब ि कामिान िै (िज़ाि ि हिकायते एख्लाक़ी पेज. 456.) PACHAS MAU… - 161 HAJINAJI.com 12) बीमारी आयात: 1-बीमार उज्र रखता है الضعَّ َّفٓاءِ َّو َّۡل عَّٰلَّ الَّر ٰٰض َّو َّۡل عَّٰلَّ ال َّ ِذی ََّّن ُ َّلَّی َّس عَّٰل ََّّۡل َّ َِی ُدو ََّّنَّ َّما یُن ِف ُقو َّن َّح َّر ٌجَّ اِذَّا ن َّ َّص ُحوا لِل ّٰ ِہ َّو َّر ُسول ِ ٖہ ؕ َّما ِِ َّ ح َّ ِ ی ِمن َّسبِیل ؕ َّو الل ّٰ َُّہَّ غَّ ُفو ٌَّرَّ َّ َّر َّ عَّٰلَّ الُحسن (सूिए तव्बा आयत 91) जो लोग कमज़ोि या बीमाि िैं. औि िि लोग जजन के पास िािे खुदा में खचस किने के सलये खुछ निीूं िै जूंग से बाज़ ििनें में या जूंग पि न जाने में कोई ििज निीूं िै बशते कक खद ु ा औि िसूल के िक़ में इखलास िखते िों कक नेक ककिदाि लोगों से कोई पूछ गछ निीूं िै औि अल्लाि बिुत बख्श्नें िाला मेििबान िै . PACHAS MAU… - 162 HAJINAJI.com 2-रूही बीमारी की तरफ तवज्जोह: َّٓاء ِلَّا ٌَّ ظ ٌََّۃ ِم َّن َّربِ ُکمَّ ََّّو ِش َّف َّ َّ اس قَّد َّجٓاءَّت ُکمََّّ َّمو ِع ُ َّیٰۤا َّیُہَّا الن ََّّ م ٌََّۃَّ َّلِل ُمؤ ِم ِن ی ََّّ الص ُدو ِر ََّۙ ََّّو ُہ ًدیَّ َّو َّرح ُ ِ َِّف (सूिेए यूनुस आयत 57.) अय लोगो! तुम्िािे पास तुम्िािे पिििहदगाि की तिफ से नसीित औि हदलों की शफा का सामान औि हिदायत औि ििमत सािे बाने ईमान केसलये ‘कुिआन की सिू त में’ आचक ु ा िै 3- ِ َّی ۙ ََّّو َّۡل ََّّ م ٌََّۃَّ لِل ُمؤ ِم ِن ََّّ ٓاء َّو َّرح ٌ ن ُ َّ ِْن ُل م َّن ال ُقراٰنِ َّما ُہ َّو ِش َّف ارا ًَّ یَّ َّاِ َّ َّۡلَّ َّخ َّس ََّّ الظلِ ِم ّٰ ی َّ ِزی َُّد (सूिए असिा आयत 82) औि िम कुिआूंन में िि सब कुछ नाजज़ल कि ििे िैं जो सािे बाने ईमान के सलये शफा PACHAS MAU… - 163 HAJINAJI.com ेऔि ििमत िै औि ज़ालेमीन के सलय खसािा में इजाफ़ा के अलािि कुछ निीूं िै. 4-शफा दे नें वाला खुदा है: تَّ فَّ ُہ ََّّوَّ یَّش ِف ِ یَّ ََّّوَّ اِذَّاَّ َّم ِرض ُ َّ )(सिू ए शोअिा आयत 80 ेऔि जब बीमाि िोजाता िूूँ तो ििी मुझ शफा दे ता िै. 5-मरीज़ (बीमार) और रोज़ा ان ال َّ ِذ ۤی اُن ِز َّل فِی ِہ ال ُقراٰن ُہ ًدی لِلنَّ ِ اس َّوَّ َّشہ ُر َّر َّم َّض َّ ُ بَّیِنت ِم َّن الہدٰی َّو ال ُفرقَّانِ ۚ فَّ َّمن َّش ِہ َّد ِمن ُکم ا َّ لشہ َّرَّ ّٰ ُ ُ فَّلی َّ ُصم ُہ ؕ َّو َّمن کَّا َّن َّم ِریَّ ًضا ا َّو عَّ ٰٰل َّس َّفر فَّعِ َّد ٌََّۃ ِم َّن ا َّیَّامَّ اُ َّخ ََّّر ؕ یُ ِری َُّد ال َّل ّٰ ُہ بِ ُک ُم الیُس َّر َّو َّۡل یُ ِری ُد بِ ُک ُم ال ُعس َّر ۫ َّوَّ لِتک ِمل ِ ِ ِ بوا اللّٰہََّّعَّ ٰٰلَّ َّم َّا ہَّدٰى ُکمَّ ََّّو لَّعَّل َّ ُکمَّ ُ ُوا الع َّد ََّۃ ََّّو لتُ َّک ُ تَّش ُک ُرو ََّّنَّ HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 164 (सूिए बकिि आयत 185 मािे िमजान िि मिीना िै जजस में कुिआूंन नाजज़ल ककया गया िै. जो लोगों केसलये हिदायत िै, औि उसमें हिदायत औि िक़ ि बाततल में फकस की िाज़ेि तनशातनया मौजूद िैं. लेिाजा जो शख्स इस मिीनें में िाजज़ि ििे उसका फ़ज़स िै. कक िोज़ा िख्खे, औि जो मिीज़ या मुसाकफि िो िि उतने िी हदन दस ू िे हदनों में िोज़ा िख्खे खुदा तुम्िािे बािे में आसानी चािता िै. ज़िमत निीूं चािता औि उतने िी हदन का िुक्म इससलए िै कक. तुम अदद पूिे किदो औि अल्लाि के दी िुई हिदायत पि उस्की ककबब्रयाई का इकिाि किो औि शायद तुम इसतिि शुक्र गुज़ाि बूंदे बनजाि. PACHAS MAU… - 165 HAJINAJI.com ििायात: 1-बीमारी की सख्ती: َّ ا َّ ْل َّ َّر ُض َّحب ْ ُس الب َّ َّد َِّن: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द. 2 पेज. 537) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: बीमािी बदन की क़ैद िै 2-बीमार: َّوي َّٰ ف ََّنٰا َّو َّص ِحی ْ ِح َّه َّ َّ ِ كَّ ْم دَّن: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज 462) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया बिुत से बीमाि नजात पा लेते िैं. औि बिुत से सेित मूंद थगिपड़ते िैं (या मि जाते) िैं 3-बीमारी गुनाहों का कफ्फारह ْل ِی س َّات َّخ ٰطای َّ ُاه كَّ ٰما ُ َّض َُّت ُ ْ ا َّ َّر: )قال ر ول اهلل (ص َّ یَّت َّ ٰحا ُت َّو ر ُق ا لش َّج َِّر َّ PACHAS MAU… - 166 HAJINAJI.com (मीज़ान अल हिक्मि जजल्द 4 पेज 2885) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया बीमािी में (बीमाि के) गन ु ाि इसतिि झड़ते िैं जजसतिि (खेजाूं में) दिख़्त के पत्ते झड़ते िैं 4-इलाज की अह्मीयत: ِ َّان َّ َّم ْن کَّت َّ َّم ْأۡل َّطبَّاءَّ َّم َّر َّض َُّه َّخ: قال علي علیه السلم َّبَّ َّدن َّ ٗه (गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज. 537) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया जो शख्स अपनी बीमािी को डाक्टिों से छुपाऐ उसनें अपने बदन से खयानत की. 5-बुखार: َّ ُۡحّٰي لَّیْل َّ ِة: قال إمام زین العابدین علیه السلم ََّّار ُة َّسنَّة َّ كَّ ّٰف PACHAS MAU… - 167 HAJINAJI.com (आमाल अल िाएजीन जजल्द 1 पेज 517) इमामे जैनुल आबबदीन (अ.स.) नें फिमाया: एक िात का बुखाि एक साल की गुनािों का कफ्फािा िै. PACHAS MAU… - 168 HAJINAJI.com तशिीि; बीमािी भी एक नेमत िै. बीमािी बूंदे की कम्जिू ी िै , औि शफा दे ना पिििहदगाि का किम िै , औि बीमािी का बेितिीन इलाज पििे ज़ िै. बीमािी की िालत में भी इूंसान को शुक्रे खुदा बजालाना चाहियी न कक ज़ब ु ान पि ऐसे जम ु ले लाये जजस से सशकस की बू आती िो. जजसतिि ििायत में जज़क्र िै कक एक िात का बुखाि एक साल की गुनािों का कफ्फािि िै. बाज़ अव्कात यिी बीमािी खद ु ा की तिफ से बूंदें का इम्तेिान िोती िै. औि बाज़ अव्काते़ बीमािी बदपििे जी से िोजूद में आती िै इससलए इूंसान को चाहिए कक अपना इलाज कििाऐ औि अगि कोई मिीज़ िोजाऐ तो लोगों को चाहिए कक उस्की अयादत केसलये जाएूँ. जो शख्स मिीज़ की अयादत के सलये जाता िै. तो सत्ति िज़ाि फ़रिश्ते उस्के साथ िोते िै , PACHAS MAU… - 169 HAJINAJI.com औि उस्के सलये अस्तग्फाि किते िैं. यिाूँ तक कक िि िापस अपनें घि आजाऐ PACHAS MAU… - 170 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-पैगंम्बरे अकरम का मुस्कुराना: एक िोज आसमान पैगूंम्बिे की अकिम तिफ (स.अ.) तनगाि मुस्कुिाने लगे. एक शख्स नें की नें औि आूंिज़ित (स.अ.ि.) से पूछा: या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.)! िम नें दे खा कक आप नें आसमान की तिफ तनगाि की औि मुस्कुिानें लगे उस्की क्या िजि िै ? िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: बेशक जब मैनें आसमान की तिफ तनगाि की तो दे खा दो फ़रिश्ते ज़मीन की तिफ आििे िैं. ताकी एक सालेि (नेक) मदस की शब ि िोज़ (हदन ि िात) की इबादत का सिाब सलखें. जो अपनी मखसूस जगि नमाज़ ि इबादत में मशगल ििता था. ू लेककन उन फरिश्तों ने उस्को ििाूँ न पाया क्यूूंकी िि शख्स बबस्तिे मज़स पि पड़ा िुिा था. फ़रिश्ते आसमान की तिफ चले गये , PACHAS MAU… - 171 HAJINAJI.com औि खुदा िूंदमुतआल से अजस की; िम िसबे मामूल (िोज़ की तिि) उस सालेि (नेक) मदस की इबादत का सिाब सलखने केसलये उस्की इबादत कीजगि गये थे. लेककन िमनें उस्को ििाूँ निीूं पाया क्यूूंकक िि बीमािी की िजि से बबस्ति पि आिाम कि ििा ििा था- खद ु ा िूंदमत ु आल नें फरिश्तों से फिमाया अय फरिश्तो! जब तक मेिा बूंदा बबस्तिे मज़स पि िै. मुझ पि लाजजम िै कक उस्को बीमािी में इतना सिाब आता करूूं जजतना सिाब तूंदरु ु स्ती की इबादत में अता किता था (क्यूूं कक िि मेिा बूंदि बीमािी की िजि से इबादतें बजालाने से माज़ूि िै) (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 2 पेज 129,आमालल ु िाऐजीन. जजल्द 1, पेज. 517) PACHAS MAU… - 172 HAJINAJI.com 2-बीमार की दे ख भाल की अहमीयत: दो साथी काफी दिू से मनाससके िज को बजा लाने केसलये मक्कि की तिफ ििाना िुिे. जब यि दोनों मदीनें में िसूले अकिम (स.अ.ि.) की ज्याित के सलये आये. तो उनमें से एक साथी मदीनि के ककसी िोटल में बिुत ज़्यादि बीमाि िोगया, औि उस्का दस ू िा साथी उस्की दे ख भाल किनें में मशगूल िोगया. एक हदन िमसफि साथी नें बीमाि साथी से किा. मझ ु े बिुत इजश्तयाक िै कक िसल ू े खद ु ा (स.अ.ि.) के मज़ाि की ज्याित करूूं तम ु मुझे इजाज़त दो कक मैं ज्याित केसलये जािूूं. बीमाि नें किा तू मेिा याि ि मदद गाि िै. मझ ु े तनिा न छोड़, मेिी तबीअत बिुत खिाब िै , मुझ से जुदा न िो. साथी नें किा मेिे भाई िम बिुत दिू से आये िैं, मेिा हदल PACHAS MAU… - 173 HAJINAJI.com ज्याित केसलये तड़प ििा िै. तुम इजाज़त दो मैं बिुत जल्द ज्याित किके िापस आजािूंग ू ा. लेककन बीमाि साथी जजसको दे ख भाल की बिुत शदीद ज़रूित थी. िि निीूं चािता था कक उस्का साथी ज्याित के सलये जाऐ. लेककन िमसफ़ि ज्यािते पैगूंम्बि साथी उस्को (स.अ.ि.) छोडकि केसलये चला गया, औि ज्याित के बाद इमामे साहदक़ (अ.स.) के घि गया, औि ज्याित से शिफयाब िुिा, औि अपना औि अपनें साथी का ककस्सि आूंिज़ित (स.अ.ि.) के सामने बयान ककया. इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया! अगि तम ु अपनें दोस्त के पास ििते, औि उस्की दे ख भाल औि तनगिानी किते, तो तुम्िािा अज्र खुदाऐ बुज़ुगस की बािगाि में िसूले खुदा (स.अ.ि.) के मज़ाि की ज्याित से ज़्यादि PACHAS MAU… - 174 HAJINAJI.com िोता (गूंजीनए मआरिफ जजल्द. 2 पेज. 130.) PACHAS MAU… - 175 HAJINAJI.com 13) बसारत व बसीरत (सूझ आयात: बझ ू ) 1-बसीरत की अहमीयत: َّیَّ َََّّۃ اَّنَّاَّ ََّّو َّم ِن َّ ُقل ہ ٰ ِذ ٖہ َّسبِی ِٰلَّ َّۤ ا َّد ُعوۤاَّ اِ َّل الل ّٰ ِہ ۟ؔ عَّ ٰ َّٰل بَّ ِص ََّّ ن ؕ ََّّو ُسب ٰح ََّّن الل ّٰ َِّہَّ ََّّو َّم َّا َّۤ َّاَّنَّا ِم ََّّنَّ الُشَّ ِر ِک ی َّ ِ َّاتَّبَّع (सूिए यूसुफ़ आयत 108) आप कि दीजजयी कक यिी मेिा िास्ता िै. कक मैं औि मेिा इत्तेबाअ किने िाले बसीित के साथ (लोगोंको) खद ु ा कीतिफ बल ु ाते िैं औि खुदा पाक ि बेतनयाज़ िै औि मैं मुशिे कीन में से निीूं िूूँ. PACHAS MAU… - 176 HAJINAJI.com 2-बीना और ना बीना मसावी नहीं: ِ ِ ِ خ ِئ َّ ق َّب َّو َّ ُ َلََّّ َّۤۡلَّ ا َّ َُّو ُل َّل َّ ُکم عندی َّ َّزٓا ُن اللّٰہ َّو َّ َّۤۡلَّ ا َّعل َّ ُم الغَّی َّ َّحَّ اِ َّلَّ ؕ ُقل ہَّل َّٰۤ ک ۚ اِنََّّ اَّتَّبِ َُّعَّ اِ َّۡل َّما یُو ٌ َّ َّ َّۤۡلَّ ا َّ ُقو ُل ل َّ ُکمََّّ اِ َِن َّمل ِ ی ست ِ ع لَّ تَّت َّ َّف َّک ُرو ََّّن َّ َّ َّی ؕ اَّف ُ َّ َّوی اۡل َّ ٰٰم َّو البَّص (सिू ए अनआम आयत 50) आप कहिये कक िमािा दािा ये निीूं िै , कक िमािे पास खुदाई खजानें िैं. या िम आलेमुल गैब िैं. औि न िम यि किते िैं कक, िम मलक िैं. िम तो ससफस ििये पिििहदगाि का इत्तेबाअ किते िैं, औि पूछीये कक, क्या अन्धें औि बीना (आूँख िाले) बिाबि िो सकते िैं. आखखि तुम क्यूूं निीूं सोचते िो. PACHAS MAU… - 177 HAJINAJI.com 3-क़यामत में नाबीना होनें का सबब: َّٗش ََّۃً َّضنكًا َّو ََّن ُش ُرہ َّ َّ ََّ َّمن اَّع َّر َّض عَّن ِذک ِری فَّاِ َّن لَّہٗ َّمعِی َّن َّۤ اَّع ٰٰمَّ ََّّو قَّد َّ ِ َّم َّح َّشرت ََّّ ِ بَّ ل َّ ِ ال َّر ََّّ َّم َََّّۃ ِ اَّع ٰٰمَّ ق ََّّ ٰ یَّو ََّّم القِی َّتَّ بَّ ِصیًا َّ ُ ُکن ِ َّ ََّّق َّ کَّ الیَّو ََّّم ََّّ ِ ک اٰیٰتُنَّا فَّن َّ ِس َّیتَّہَّا َّۚ َّوکَّذٰل َّ ک اَّتَّت َّ الَّ کَّذٰل َّ َّ س َّ ٰ ُتن (सिू ए तािा आयात 124-126) औि जो मेिे जज़क्र से मुूंि मोडे गा उस्की जज़ूंदगी तूंग बना दूं ग ू ा, औि िम उसे क़यामत के हदन अूंधा मिशूि किें गें. (कफि) िि किे गा कक पिििहदगािा यि तूनें मझ ु े अूंधा क्यूूं मिशूि ककया िै. जब की मैं दन्ु या में साहिबे बसाित था. इिशाद िोगा कक जजसतिि िमािी आयतें तेिे पास आईं औि तन ू ें उन्िें भल ु ा हदया उसी तिि आज तू भी नज़ि अूंदाज़ कि हदया जाएगा. PACHAS MAU… - 178 HAJINAJI.com 4-अहले बसीरत केललये इबरत: ِ ِ َّول َّ ِ ُب ًََّۃَّ َّ ِۡل ََّّ ِک لَّع َّ ار ؕ اِ َّن ِِف ذٰل َّ َّیُقَّل ُب الل ّٰ ُہ الَّی َّل َّو النَّہ َّ صا َِّر َّ َّ اۡلَّب (सूिए नूि आयत 44.) अल्लाि (िी) िात को हदन औि हदन को िात से तब्दील किता िै , औि यकीनन उसमें सािे बाने बसीित के सलये सामाने इबित िै. 5-बसीरत का स्वाल: َّلسم َّع َّو الب َّ َّص َّر َّو َّ ک بِ ٖہ عِل ٌم ؕ اِ َّن ا َّ َّ َّو َّۡل تَّق ُف َّما لَّی َّس ل انَّ عَّن َُّہَّ َّمسُـو ً َّۡل ََّّ َّ ک ک َّ ُ ُال ُف َّؤ َّادََّّ ک َّ ِلَّ اُ َّول ٰٰٓئ सूिए आसिा आयत 36 औि जजस चीज़ का तुम्िें इल्म निीूं िै उस्के पीछे मत जाना कक (क्यूंू की) िोज़े क़यामत समाअत बसाित औि कूिते कल्ब सब के बािे में स्िाल ककया जाएगा PACHAS MAU… - 179 HAJINAJI.com ििायात: 1-बसीरत की अहमीयत: ِ فَّ ْق ُد الْب َّ َّص ِر أ َّ ْه َّو ُن ِم ْن فِقَّداَّن: قال علي علیه ألسلم َّالْب َّ ِص ْیَّ ِة (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 164) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया आूँखों का अूंधा िोजाना बसीित के गिाूं (बिबाद) दे ने से आसान िै. 2-बसीरत न होना: َّ َّۡل بَّ ِص ْیَّةَّ ِل َّ ْن َّۡل فِك َّْر ل َّ َُّه: قال علَّي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 165) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: जो साहिबे कफ़क्र निीूं िै िि बसीित से खाली िै. PACHAS MAU… - 180 HAJINAJI.com 3-दीदए बसीरत: َّ ن َّ َّظ ُر الْب َّ َّص ِر َّۡل ُ ََّی ْ ِد ْي إِذَّا عَّ ِمی َّ ِت: قال علي علیه السلم َّصیَّ َُّة َّ ْ َّ الْب (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 165) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया आूँख से दे खनें में कोई फाएदि निीूं जबतक कक बसीित न िो: 4-पूशीदए असरार (राजों का पूशीदा रहना) لس َّرا ئِ ُر َّۡل َّ ْه ِل الْب َّ ٰصا ئِ َِّر َّ قَّ ِد ا َْنَّا بَّ ِت ا: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज 164) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया यकीनन सािे बानें बसीित के सलये बिुत से पूशीदि असिाि (छुपे िुिे िाज़) खल ु जाते िैं. 5-बसीरत बेहतर है या बसारत? ص ِر ُ ِذه: قال علي عليه السالم َ ََاب ْالب صي َْر ِة ِ ع َمي ْال َب َ َخي ٌْر ِم ْن PACHAS MAU… - 181 HAJINAJI.com (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज. 163) अमीरूल मोंमेनीूंन (अ.स.) नें फिमाया बीनाई (आूँख की िौशनी) जाना, बसीित खत्म िोनें से बेिति िै. PACHAS MAU… - 182 HAJINAJI.com तशिीि: ज़ािे िी तननािों (आूँखों) से दे खनें का नाम िै बसाित, औि हदल की तनगािों से दे खनें का नाम िै बसीित. बसाित औि बसीित का बुन्यादी फकस यि िै कक. बसाित ज़ाहिि को दे खती िै औि बसीित बाततन को. मौलाऐ काऐनात का इिशाद िै कक बेितिीन साहिबे बसीित िि िै. जो अपने ओयूब को दे ख ले औि गुनािों से अलग िोजाये. बसीित का बेितिीन मजिि यि िै कक. इूंसान जाििी िालात के मत ु ाबबक काम न किे . बल्की अक्ल के मशििे के मुताबबक अमल किे . इससलए कक अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) के इिशाद के मुताबबक आूँखें धोखा दे सक्ती िैं. लेककन अक्ल ककसी इूंसान को धोखा निीूं दे ती. तो िमें बा बसीित िोनें की कोसशश किनी चाहिये. ताकी िमािे सलये पोशीदि असिाि (छुपे िुिे िाज़) खुल जाएूँ PACHAS MAU… - 183 HAJINAJI.com खुदा से दआ ु िै , कक बिक्के चािादसि मासूमीन (अ.मु.स.) िमें साहिबे बसीित बना दे . PACHAS MAU… - 184 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-बा बसीरत गुलाम: नबीये अकिम (स.अ.ि.) की ियाते तय्यबि में एक िब्शी ििता था. जो मुसलामानों के साथ उठता बैठता था. इस तिि आहिस्ता आहिस्ता िि मुसलमानों के दीनी अक़ाऐद (अकीदों) से आशना (बाखबि) िोगया. जब उसे यकीन अक़ाऐद िोगया बििक़ िैं. कक मुसलमानों तो िि िसूले के खुदा (स.अ.ि.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा औि कलमऐ शिादतैन पढ़ा, औि इस्लाम कबल ू ककया. उस्के बाद िि मुसलामानों से दीनी मसाऐल िाससल किनें लगा. एक हदन िसूले अकिम (स.अ.ि.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा औि उसनें अजस ककया या िसल ू ल्लाि (स.अ.ि.) क्या जिाूंन का खासलक आसलम ि खबीि िै ? PACHAS MAU… - 185 HAJINAJI.com िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया! जी िाूँ अल्लाि तआला िि ज़ाहिि ि बाततन से िाककफ िै , िि माज़ी िाल औि मस ु तजक्बल के िाकेआत से भी िाककफ िै , खुदा िि कौल ि फेल (काम) औि हदलों में पैदा िोनें िाले खयालात से भी िाककफ िै. यि बातें सुनि कि गल ु ाम कुछ दे ि तक सोचता ििा. कफि उसनें किा या िसूलल्लाि (स.अ.ि.) उस्का मकसद तो यि िै कक खुदा मेिे तमाम गुनािों से िाककफ िै , औि िि िक्त मुझे दे ख ििा िै , औि मेिी िि ििकत ि सक ु ून उस्के सामने िै. नबीये अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया! बेशक ऐसा िी िै अल्लाि को तुम्िािी जज़ूंदगी के िि लम्िा का इल्म िै यि सुनकि उसनें एक चीख मािी औि बेिोश िोकि ज़मीन पि थगि पड़ा, औि उसी PACHAS MAU… - 186 HAJINAJI.com बेिोशी की िालत में उस्की रूि पििाज़ कि गई (कश्कोल दस्तेगैब जजल्द 1 पेज. 51.) 2-बसीरते अबुहारूंन मक्फूफ़: क़ुतुब िािान्दी नें अबु बसीि से ििायत की िै िि किता िै कक इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) के साथ िम मजस्जद में दाखखल िुिे, औि कुछ लोग भी मजस्जद में दाखखल िोििे थे. िज़ित नें मझ ु से फिमाया ज़िा लोगों से पूछो कक िि मुझे दे ख ििे िैं. उस्के बाद जजस शख्स को मैं दे खता था. उस से यिी पूछता था कक क्या तुम नें अबु जाफि (अ.स.) को दे खा िै. तो जिाब में िि किता था. कक निीूं िालाूंकक िज़ित ििीूं खड़े िुए थे. यिाूँ तक कक अबु िारून मक्फूफ़ (नाबीना) दाखखले मजस्जद िुये. िज़ित नें फिमाया: उस से पूछो मैंनें उस से पूछा कक क्या अबु जाफि (अ.स) को दे खा िै. तो उसने किा कक क्या ये िज़ित निीूं खड़े िुऐ PACHAS MAU… - 187 HAJINAJI.com िैं. मैंनें किा तुझे कैसे मालूम िुिा? तो उसनें किा कैसे मालूम न िो िि तो एक चमकता िुिा निू िैं. यानीूं जमाले इमामत को दे खनें केसलये ज़ाििी आखें काफी निीूं िै. हदल की आखें दिकाि िैं (इमाम को दे खने के सलये बसाित निीूं बल्की बसीित दिकाि िै) (अह्सनल ु मकाल जजल्द 1 पेज 675.) PACHAS MAU… - 188 HAJINAJI.com 14) तरबबयत आयात: 1-तरबबयत का नमूना: َّ َّل َّ َّقَّد کَّا َّن ل َّ ُکمََّّ ِِف َّر ُسو ِل الل ّٰ َِّہَّ اُس ََّّو ٌََّۃ َّح َّس ََّّن ٌََّۃ (सूिए अिज़ाब आयत 21) तम् ु िािे सलये िसल ू की जज़न्दगी बेितिीन नमूना िै 2-तरबबयते अंबबया का मकसद: َّ َّیَّ َّر ُسو ًۡل ِمنہمََّّ یَّتلُوا عَّلَّی ِہم ََّّ ٖ ث ِ َِّفَّ اۡلُ ِم َّ َُّہ َّو ال َّ ِذیََّّ بَّع ُ ِ َّ اٰیٰتِ َّٖہَّ َّوَّ یُ َّز ِکیَّ ِہم َّوَّ یعلِمہ َّم ََّۃ ٭ ََّّوَّ اِن ََّّ ب ََّّوَّ اۡلِک َّ َّ ٰ مَّ الکت ُ ُ ُ َّ ُ َّ َّلَّ ل ِ ََّّف َّضلٰلََّّ ُمبِی َّ ُ کَّانُوا ِم َّنَّ قَّب (सूिए जुमअि आयत 2) उस खुदा नें मक्का िालों में एक िसूल (स.अ.ि.) भेजा िै. जो उन्िीूं मेंसे था. ताकी उन्के सामनें आयात की ततलाित किे , उन्के PACHAS MAU… - 189 HAJINAJI.com नुफूस को पाकीजि बनाऐ, औि उन्िें ककताब ि हिकमत की तअलीम दे , अगिचे यि लोग इस से पिले बड़ी खल ु ी िुई गम ु िािी में मुब्तेला थे. 3-अव्लाद पर वालदै न का हक़: ِ ُ اح َّ ب َّ ِ م َََّّۃ ِ ََّّو ُقلََّّ َّر ََّّ الذ ِل ِم َّنال َّرح َّ َّ َّو اخفض ل َّ ُہ َّما َّجن ص َّغِیًا ََّّ َّن َّ ِ ٰ ار َّۡحہ َّما کَّ َّما َّربَّی ُ (सूिए असिा आयत 24) औि िालदै न केसलये खाकसािी के साथ अपनें काूंधों को झक ु ा दो, औि उन्के िक़ में दआ किते ििो, कक पििहदगाि उन दोनों पि ु इसतिि ििमत नाजज़ल फिमाूँ जजसतिि उन्िों बचपनें में अपनीूं ििमतें तनछािि किके मझ ु े पाला िै. PACHAS MAU… - 190 HAJINAJI.com 4-तरबबयते फरज़न्द की अहमीयत: ِ ِی َّارا َّو ُقو ُدہَّا ً َّ َٰۤ َّا َّیُہَّاَّ الَّذ ََّّنَّ ا ٰ َّمنُوا ُقوۤاَّ ا َّن ُف َّس ُکمََّّ َّو ا َّہلی ُکمََّّ ن َّظ ِش َّد ٌَّاد َّ َّۡل یَّع ُصو َّن َّ ٌ ک ٌََّۃَّ ِغ َّل ََّّ ِار ََُّۃَّ عَّلَّیہَّا َّملٰٰٓئ ََّّ اس َّو اۡلِ َّج ُ َّالن َّالل ّٰ َّہَّ َّم َّا َّۤ ا َّ َّم َّر ُہمَّ ََّّو یَّفعَّلُو ََّّن َّماَّ یُؤ َّم ُرو َّن (सिू ए तििीम आयत 6) अय ईमान िालो अपनें आप को औि अपनें घि िालों को उस आग से बचािो जजसका ईंधन इूंसान औि पत्थि िोगें , जजस पि ऐसे फ़रिश्ते, मलाऐका मोअय्यन िैं. जो सख्त समज़ाज औि तुूंद िैं. िि खुदा के िुक्म की मुखालफत निीूं किते औि उन्िें जो िुक्म हदया जाता िै उसी पि अमल किते िैं. 5-राहे मुस्तकीम (सीधा रास्ता) َّاِ َّن اللّٰہَّ َّر ِٰب َّو َّربُ ُکم فَّاعبُ ُدو ُہ ؕ ہ ٰ َّذا ِص َّر ٌاطََّّ ُمستَّقِی ٌم (सूिए आले इमिान आयत 51) PACHAS MAU… - 191 HAJINAJI.com अल्लाि मेिा औि तुम्िािा (दोनों) का िब िै सलिाज़ि उस्की इबादत किो. कक यिी ससिाते मस् ु तकीम (सीधा िास्ता) िै. PACHAS MAU… - 192 HAJINAJI.com ििायात: 1-बेहतरीन वाररस: َّ إ َِّن َّخ ْیَّ َّما َّو َّر َّت ْأآل بَّ ُاء ِۡل: َّقال الصادق علیه السلم ال َُّ ٰ بْنٰا ِئ ِه ْم أ َّ ْۡلَّدَّ ُب َّۡل ا ْل (ओसूले काफी जजल्द 8, पेज 150) िज़ित इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया बेितिीन मीिास जो िालदै न अपनी अव्लाद केसलये छोड़ कि जाते िैं. िि अदब िै न कक माल ि दौलत. 2-अगाज़े तरबबयत: اَّفْ َّض ُل ْاْلَّدَّ ِب َّما بَّ َّدأ َّ ْت بِ ِه: قال علي علیه السلم َّك َّ ن َّ ْف َّس (मीजान अल हिक्मि जजल्द 1 पेज. 54) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया! बेितिीन अदब िि िै जो अपनें आप से शुरू िो. PACHAS MAU… - 193 HAJINAJI.com 3-तरबबयत केललये दआ ु : َّْ َّو ا َّ ِع ِّنْ عَّل ٰي تَّ ْربِیَّتِ ِه ْم َّو تَّا: قال السجاد علیه السلم َِّدیْبِ ِه ْم َّوبِ ِر ِه ْم (सिीफ़ए कामेलि दआ न० 25, पेज 235) ु इमाम सज्जाद (अ.स.) नें फिमाया (खुदाया) बच्चों की तिबबयत ि तादीब औि उन्के साथ अच्छे बिताि किनें में मेिी मदद फिमा 4-तबबरयते मुहब्बते अहलेबैत (अ.मु.स.) َّ ُح ِب نَّبِیِ ُك ْم ُح ِب: أ َّ ِد ُب ْوا أ َّ ْو َّۡل دَّ ُك ْم عَّل ٰي ث ََّّل ُث ِخ ٰصال )َّ قال رسول اهلل (ص: ِا َّْهلِبَّیْتِ ِه َّو قِ َّراءَّ ِة ال ْ ُق ْرٓان (कन्जल ु उम्माल जजल्द 16. पेज. 456.) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया! अपनें बच्चो को तीन चीज़ें ससखाि 1-अपनें नबी (िज़ित स.अ.ि.) की मि ु ब्बत. PACHAS MAU… - 194 मोिम्मद मुस्तफा HAJINAJI.com 2-उन्के अिलेबैत (अ.मु.स.) की मुिब्बत. 3-ककिअते कुिआन. 5-फरज़न्द सालेह: ِ الص ِ ْ اِل َّ َّر ُْیَّان َّ ٌة ِم ْن ِریَّا ِح َّ قال رسول: ی ا ْْلَّنَّ ِة َّ إ َِّن ال َّْول َّ َّد )اهلل (ص (ओसल ू े काफी जजल्द 6 पेज 3) िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया फिजूंदे सालेि बहिश्त के फूलों में से एक फूल िै. PACHAS MAU… - 195 HAJINAJI.com तशिीि: बच्चों की तिबबयत में िमें काफी कोसशश औि हदक्कत से काम लेना चाहिए. क्यूंू कक बच्चे बड़ों के ककिदाि औि आमाल को दे खते िैं, औि कफि ििी काम किते िैं. बच्चे समझते िैं कक. जो कुछ बड़ों नें काम ककया िै अछा िै. इससलए िमें भी ििी अूंजाम दे ना चाहिए. सलिाजा िमें ऐसे काम औि गुफ्तगू से पििे ज़ किना चाहिए. जजन का बुिा असि बच्चों पि िो. बाककयातस् ु सालेिात क्यूूं िैं. कक िमािे अगि बच्चों बच्चे की अच्छी तिबबयत की. तो बड़े िोकि िमािे सलये बाइसे इफ्तेखाि िोंगें , औि अगि बच्चों की तिबबयत सिीि निीूं की. तो यिी िमािे सलये बाइसे जज़ल्लत ि ख्िािी िोंगें . कुिआन ि ििायात की ताकीद िै कक. अपनें आप को औि अपने अिल ि आयाल को जिन्नम की आग से बचाि, उन्की तिबबयत कुिआन ि PACHAS MAU… - 196 HAJINAJI.com िदीस की िौशनी में किो क्यूूं की बच्चे जन्नत के फूलों में से एक फूल िैं. किीूं ऐसा न िो िमािे बच्चे बिु ी िाि की तिफ चले जाएूँ. आजकल मुआशेिा (समाज) बिुत खिाब िोता जा ििा िै एक बच्चे की तिबबयत किनाूं गोया एक खानदान की तिबबयत किना िै. (आमीन) खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.मु. स.) िमें अपनें बच्चों की तिबबयत किनें की तौफीक अता फिमाऐ. PACHAS MAU… - 197 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-फरज़न्दे सालेह की अहमीयत: िसल ू े अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया एक िोज िज़ित ईसा (अ.स.) एक कब्र के पास से गुज़िे तो आप नें दे खा कक साहिबे कब्र को अज़ाब िोििा िै. कफि जब दस ू िे साल ििाूँ से गज़ ु िे तो आप नें दे खा कक साहिबे कब्र से अज़ाब टल चुका िै. िज़ित ईसा (अ.स.) नें बािगािे इलािी में अजस की. अय मेिे अल्लाि! एक साल कब्ल मैं इसी कब्र से गज ु ि ििा था. तो साहिबे कब्र को अज़ाब िो ििा था. लेककन इस साल अजाब उठ गया िै. इसका िाज़ क्या िै. खुदािूंद तआला नें िज़ित ईसा (अ.स.) पि ििी की अय रूिुल्लाि! इस मिने िाले का एक बेटा था जजस नें बासलग़ िोनें के बाद (लोगों के सलये) एक िास्ता बनाया एक यतीम को पनाि दी. पस उस्के बेटे के दो नेक कामों PACHAS MAU… - 198 HAJINAJI.com की िजि से उस्को बख्श हदया गया िै. (गूंजीनए माआरिफ जजल्द 3 पेज. 236. इबित अूंगेज िाकेआत पेज 118.) 2-गेज़ा का असर: अल्लामा मोिम्मद तकी नक्ल किते िैं. जो की आयात, ििायात औि तजबों से भी मुनासेबत िखती िै . अल्लामा मोिम्मद तकी मजसलसी जामाूँ मजस्जद इस्फेिान में नमाज़ पढ़ाया किते थे. एक िात अपने फिज़न्द मोिम्मद बाककि मजसलसी को मजस्जद ले आये जो ककसी िजि से सिने मजस्जद में खेल कूद में मसरूफ ििे . अल्लामा मोिम्मद तकी नमाज़ में मसरूफ थे. कक मोिम्मद बाककि मजसलसी नें सिने मजस्जद में िख्खी िुई, पानी से भिी िुई मश्क में सूिाख किहदया, औि बिते िुिे पानी से खेलनें लगे नमाज़ के बाद जब अल्लामि मोिम्मद तकी मजसलसी को इल्म िुिा. तो आप सख्त PACHAS MAU… - 199 HAJINAJI.com नािाज़ िुये घि जाकि अपनी जौजि को सामने बबठाया, औि पूछा मैं नें िम्ल ठििनें से पिले औि िम्ल ठििनें के बाद. थगज़ा के ससलससले में इस्लामी दस्तूिात की िे आयत की थी. औि उस्की विलादत के बाद अब तक तिबबयत के िोसूलों पि अमल किता आििा िूूँ. लेककन आज उस्का अमल िम दोनों में से ककसी एक की कोतािी की तनशान्दिी कि ििा िै. बच्चे की माूँ नें किा अय्यामे िम्ल में एक िोज पड़ोसी के घि जाने का इत्तेफाक िुिा. जिाूं दिख़्त के लगे िुये अनािों नें मेिी तिज्जोिात को अपनी तिफ मोड़ हदया. उस िक्त मैंनें एक अनाि में ज़ाऐक़ा चखने के सलये सूई चुभो कि उस्का ज़ाऐक़ा चखा था. तिज्जोि किें िम्ल के ज़मानें में माूँ का पड़ोसी के अनाि का इस तिि खाना या चखना बच्चे की शखससयत पि इतना असि PACHAS MAU… - 200 HAJINAJI.com अूंदाज़ िोता िै. तो ििाम थगज़ा का मुसलसल इस्तेमाल उस आने िाले बच्चे को इन्सातनयत औि इस्लाम से ककतना दिू किदे गा (तिजीबे जज़ूंदगी पेज. 204.) PACHAS MAU… - 201 HAJINAJI.com 15) तफ़क्कुर (गौर व फफक्र) आयात: 1-तफक्कुर (गौर व फफ़क्र) की दअवत: ِ َّی الل ّٰ َُّہَّ ل َّ ُک ُم اۡلٰی ٰ ِت لَّعَّل َّ ُکم َّ کَّذٰل ُ ِ َّ ک یُب ِ الدنیا و اۡل ٰ ِخ َّر ََّۃ َّ َّ َّ ُ َّتَّت َّ َّف َّک ُرو ََّّنَّ ِ َِّف (सूिए बकिि आयात 219-220) खद ु ा इसी तिि अपनी आयात को िाज़ेि किके ब्यान किता िै. ताकी तुम कफ़क्र कि सको दन्ु या में भी औि आखेित में भी. 2-मुतवज्जह करवाना: َّاِعل َّ ُموۤاَّ ا ََّّن اللّٰہَّ ُُییِ اۡلَّر َّض بَّع َّد َّموتِہَّا ؕ قَّد بَّیَّنَّا ل َّ ُک ُم اۡلٰی ٰ ِت لَّعَّل َّ ُکمََّّ تَّعقِلُو ََّّن (सूिए िदीद आयत 117) याद िख्खो खुदा मुदसि ज़मीनों को जजन्दा किता िै. औि िमनें तमाम तनशातनयों को PACHAS MAU… - 202 HAJINAJI.com िाज़ेि किके ब्यान कि हदया िै. ताकी तुम अक्ल से काम ले सको. 3-खखलकत में गौर व फफ़क्र: َّت َّ َّو یَّت َّ َّف َّک ُرو َّن ِِف َّخلقِ ا َّ لس ٰموٰ ِت َّو اۡلَّر ِض ۚ َّربَّنَّا َّما َّخلَّق َّہ ٰ َّذا بَّا ِط ًل (सिू ए आले इमिान आयत 191) औि िि लोग आसमान ि ज़मीन की खखल्कत में गौि ि कफ़क्र किते िैं कक खुदाया तूनें यि सब बेकाि निीूं पैदा ककया िै. 4-ज़मीन में ननशाननयां: ِ َّک َّۡلٰیٰت لِقَّومََّّ یَّت َّ َّف َّک ُرو ََّّن َّ اِ َّن ِِف ذٰل (सिू ए िअद आयत 3) इस में सािे बानें कफ़क्र ि नज़ि के सलये बड़ी तनशातनयाूं पाई जाती िैं. PACHAS MAU… - 203 HAJINAJI.com 5-गलत फफ़क्र: َّاِن ََّّہَّٗ فَّ َّک ََّّرَّ ََّّوَّ قَّ َّد ََّّر َّ َّ َّلَّ کَّی َّف قَّد ََّّر َّ َّ ِفَّ ُقت لَّ کَّی َّف قَّد َََّّّر َّ َّ ِمَّ ُقت ََّّ ُث (सिू ए मद् ु दससि आयत 18-20) उसनें कफ़क्र की औि अन्दाजि लगाया, तो उसी में मािा गया कक कैसा अन्दाजि लगाया, या कफि उसी में औि तबाि िोगया कक कैसा अन्दाजि लगाया. PACHAS MAU… - 204 HAJINAJI.com ििायात: 1-नेकी की दअवात: ِ ِ ْ اَّلتَّ َّف ُك ُر ی َّ ْد ُع ْو إِ يل ٰال َّب َّو الْعَّ َّم َّل بِ ٖه (सफीनतल ु बबिाि जजल्द 7 पेज 144, ककताब अल शाफी जजल्द 3, पेज 321) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया! तफक्कुि नेकी किनें औि उसपि अमल किने की दाित दे ता िै. 2-असल इबादत: َّالصل ِة َّو َّ َّ لَّیْ َّس الْعِبَّادَّ ُة َّكث ْ َّرة: قال الرضا علیه السلم ِ ا َّلصو ِم إ َِّّنا الْعِباد ُة التَّ َّف ُكر ِِف أ َّ ْم ِر ا َّل َّ َّ هلل عَّ َّز َّو َّج َّ ٰ ٰ ْ ْ ُ (सफ़ीनतुल बबिाि जजल्द 7 पेज 145, ककताब अल शाफी जजल्द 3 पेज 320) इमाम िे ज़ा (अ.स.) नें फिमाया! कसित से नमाज़ पढनें औि िोजि िखनें का नाम इबादत निीूं िै. बल्की अमिे इलािी (अल्लाि PACHAS MAU… - 205 HAJINAJI.com के अिकाम) में गौि ि कफ़क्र किना इबादत किलाता िै. 3-आखेरत की फफ़क्र: ِ ال ساَّلْت أ َّ َّبَّا عَّب ِد ا َّهلل عَّلَّی ْ ِه َّ ِعَّنِ اۡل َّ َّسن ُ َّ َّ َّالصیْقَّ ِل ق ْ َّاس أ َّ َّنَّتَّ َّف ُك َّر َّساعَّ ِة َّخ ْیٌ ِم ْن َّ ُ ّٰالس َّل ُم عَّ ّٰما ی َّ ْر ِو ْي الن َّ َّ َّ ُْي ُر بِا ْلْ َّ ْربَّ ِة أ َّ ْو بِا: ال َّ َّ َّكی ْ َّف یَّت َّ َّف َّك ُر؟ ق: قِیٰا ِم لَّیْلَّة ُقل ْ ُت ِ َّ أَّی ْ َّن سا ِكنُو ِك أَّی ْ ََّّنَّبَّاَّنُو ِك َّما ل: ال ّٰدا ِر فَّی ُقو ُل َّك َّۡل ْ ْ َّ ْ َّ َّی َِّ ْ تَّتَّكَّل َّ ِم (सफीनतल ु बबिाि जजल्द 7 पेज. 144 ककताब अल शाफी जजल्द 3 पेज 320) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें पूछा: लोग बयान किते िैं कक एक घड़ी की कफ़क्र बेिति िै तमाम िात खड़े िोकि इबादत किने से. मैनें किा कैसी कफ़क्र किता िै ? फिमाया जब ककसी खिाबे या घि की तिफ से गुजिता िै. PACHAS MAU… - 206 HAJINAJI.com तो यि किता िुिा गुज़िता िै. कक तेिे साककन (ििने िाले) किाूँ गये तेिे बनाने िाले क्या िुिे, तझ ु े क्या िोगया िै. तू बोलता क्यूूं निीूं? 4-बेहतरीन इबादत: ِ اَّلتَّ َّف ُكر ِِف ٓا َّۡل ءِ ا: قال أمیالومنی علیه السلم هلل ْ ُ َّنِعْ َّم الْعِبٰادَّ َُّة (गोिरुल िे कम जजल्द 2 पेज. 354) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (स.अ.ि.) नें फिमाया! खद ु ा की नेमतों में गौि ि कफ़क्र किना बेितिीन इबादत िै. 5-बसीरत लमलना: ِ ِ َّ ك یُعِی ُد عل تف ُك َّار َّو َّ ك ْاۡل ْستب ْ ٰص ْ َّ َّ َّ ُر: قال ي علیه السلم ََّّ ٰ ك ْأۡلِعْتِب ار َّ ُیُ ْك ِسب (गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज. 356) PACHAS MAU… - 207 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया! तुम्िािा गौि ि कफ़क्र किना तुम्िें बसीित से निाज़े गा, औि तम् ु िें इबित िाससल किनें की सलाहियत अता किे गा. PACHAS MAU… - 208 HAJINAJI.com तशिीि: इूंसान को ककसी काम को अूंजाम दे नें से पिले गौि ि कफ़क्र कि लेना चाहिये. ताकी बाद में पशेमान न िो. इसी सलये कुिआन ि ििायात में गौि ि कफ़क्र किनें का िुक्म हदया िै. काम किनें से पिले मश्िेिि औि गौि ि कफ़क्र इन्तेिाई ज़रूिी िै. ििना बाज़ अिकात मशिेिि औि कफ़क्र न किनें की िजि से पिे शातनयाूं उठानी पड़ती िैं. खुदा नें इूंसान को अक़ले सलीम इसी िजि से अता की िै. कक िि ज़मीन ि आसमान िगैिि की खखल्कत में गौि ि कफ़क्र किे . औि बसीित िाससल किे गौि ि कफ़क्र किनें से इूंसान हिदायत पाता िै. औि यिी तफ़क्कुि इूंसान को नेक अमल की तिफ दाित दे ता िै. औि इूंसान उस बािे में कफ़क्र किने पि मजबूि िोता िै. कक खुदा नें िमें अबस औि बेिूदि खल्क निीूं ककया PACHAS MAU… - 209 औि अल्लाि HAJINAJI.com तआला ने सािे बाने कफ़क्र ि नज़ि के सलये कुिआन में िाज़ेि तनशातनयाूं बयान की िैं. खद ु ा से दआ ु कफ़क्र किने किते िैं. बिक्के अबल ु फजज्लल अब्बास (अ.स.) िम सब को सिीि की तौफीक अता फिमाऐ- (आमीन) PACHAS MAU… - 210 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-जैसी फफ़क्र वैसा सवाब: िज़ित अली (अ.स.) के बािफा साथी मेक्दाद किते िैं. मैं अबु िोिै िि के पास गया तो मैंनें सुना कक िि कि ििा था कक पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया! एक घड़ी कफ़क्र किनाूं एक साल की इबादत से बेिति िै. (कफि मैं) इब्ने अब्बास के पास गया तो सुना कक िि फिमा ििे थे, कक पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया! एक साअत (लम्िे ) कफ़क्र किना सात साल की इबादत से बेिति िै. (कफि मैं) ककसी औि सिाबी के पास गया उससे सुना कक कौले िसूल खुदा (स.अ.ि.) िै कक आूंिज़ित (स.अ.ि.) नें फिमाया: एक लम्िा कफ़क्र किनाूं सत्ति साल की इबादत से बेिति िै. समक्दाद किते िैं मैंने तअज्जुब ककया, कक ििऐक दस ू िे के खेलाफ िदीस नकल कि PACHAS MAU… - 211 HAJINAJI.com ििा िै. मैं िसूलेखुदा (स.अ.ि.) के पास आया औि तीनों िदीसों को बयान ककया. पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: अय (समक्दाद) िि तीनों बबलकुल सिीि कि ििे िैं. उस्के बाद इस मतलब को िाज़ेि किनें के सलये पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें उन तीनों को अपने पास बुलिाया, औि िो तीनों आूंिज़ित की खखदमत में आये. मैं भी ििी मौजूद था. िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें अबुिोिै िि से फिमाया! तुम क्या कफ़क्र किते िो, अबुिोिै िि नें किा: मैं कुिआन के मुताबबक कफ़क्र किता िूूँ, जो कुछ कुिआन नें किा िै ‘’सािे बाने कफ़क्र ि नज़ि ज़मीन ि आसमान की तखलीक में गौि ि कफ़क्र किते िैं’’ मैं भी ज़मीन ि आसमान के असिाि औि उस्की तखलीक (पैदा िोने) के बािे में गौि ि कफक्र किता िूूँ. पैगूंम्बिे अकिम PACHAS MAU… - 212 HAJINAJI.com (स.अ.ि.) नें फिमाया: तेिी एक साअत की कफ़क्र एक साल की इबादत से बेिति िै. उस्के बाद इब्ने अब्बास से फिमाया: तुम क्या कफ़क्र किते िो? इब्नें अब्बास नें जिाब हदया: मैं मौत औि िोज़े कयामत के बािे में गौि ि कफ़क्र किता िूूँ’. पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: तम् ु िािी एक घड़ी की कफ़क्र सात साल की इबातद से अफज़ल ि बेिति िै. उस्के बाद सिाबी से पूछा कक तुम क्या कफ़क्र किते िो? उसनें जिाब में अजस ककया: मैं जिन्नम की आग औि उस्की सख्ती औि अज़ाब के बािे में गौि ि कफ़क्र किता िूूँ’’ पैगूंम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: तम् ु िािी एक लम्िा की कफ़क्र सत्ति साल की इबादत से बेिति िै. इस तितीब के साथ मुख्तसलफ गौि ि कफ़क्र का मसअला एक इख्तेलाफी मसअला बन PACHAS MAU… - 213 HAJINAJI.com गया. कक कफ़क्र किने की जज़ा औि पादाश इूंसान की नीयत से िाबस्ति िै , जैसी कफ़क्र िोगी िैसा अज्र हदया जाएगा! (गूंजीनए मआरिफ जजल्द. 1 पेज 281, नक्ल अज़ तफसीिे रूिुल बयान जजल्द 8. पेज 440.) 2-नसीहत पैगंम्बरे अकरम (स.अ.व.) एक शख्स खखदमत में िसूले अकिम (स.अ.ि.) की िाजज़ि िुिा. अजस की या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) मुझे नसीित फिमाएूं. आूंिज़ित (स.अ.ि.) नें फिमाया: अगि मैं तुझे नसीित करूूं तो तुम उस पि अमल किोगे?. उस मदस नें जिाब में किा जी िाूँ. इस स्िाल ि जिाब का िसूल (स.अ.ि.) औि उस शख्स के दिसमयान तीन बाि िद्दो बदल (तकिाि) िुिा, जब भी िसूले खुदा (स.अ.ि.) उस से फिमाते: अगि नसीित PACHAS MAU… - 214 HAJINAJI.com करूूं अमल किोगे? तो िि शख्स िि बाि जिाब में किता: जी िाूँ. अमल करूूँगा. जब िसल ू े अकिम (स.अ.ि.) नें उस शख्स से इकिाि औि तअिुद लेसलया तो आप (स.अ.ि.) नें उससे फिमाया: जब भी ककसी काम का इिादा किो तो पिले तफक्कुि ि तदब्बिु औि उस्के नतीजे को दे खो! अगि उस्के नतीजे में कासमयाबी औि हिदायत िै तो उस काम के पीछे जाि औि उस्को अूंजाम दो औि अगि उस्का नतीजा बुिा औि गम ु िाि कुन िै तो उससे दिू ििो. िसूले खुदा (स.अ.ि.) का उस शख्स से इकिाि औि िादा लेने से मालूम िोता िै कक पैगूंम्बि अकिम (स.अ.ि.) उस (तफक्कुि ि तदब्बिु ) के बािे में ककतनी अिमीयत के क़ाऐल िैं. औि िम को सम्झाना चािते िैं. कक गौि ि कफ़क्र की अपनें अूंदि आदत पैदा किो औि िि काम को अूंजाम दे नें से पिले PACHAS MAU… - 215 HAJINAJI.com उस में गौि ि कफ़क्र किो औि उस्के नतीजे ि आकेबत की तिफ नज़ि िख्खो, ििना उस से पिले उस काम को अूंजाम न दो. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1. पेज 282, नक्ल अज़ बबस्त गुफ्ताि शिीद मुतिििी पेज. 192.) PACHAS MAU… - 216 HAJINAJI.com 16) तक़वा आयात: 1-इकराम: َّ ِاِ ََّّنَّ اَّک َّر َّم ُکمََّّ ِعن َّد الل ّٰ َِّہَّ ا َّتق ٰ ُکم ؕ اِ َّن اللّٰہَّ عَّلِی ٌم َّخب ٌی (सूिए िुजिात आयत 13.) बेशक तम ु में से खद ु ा के नज़दीक ज़्यादि मोितिम ििी िै जो ज़्यादि पििे ज़ गाि िै. औि अल्लाि िि चीज़ का जानने िाला औि िि बात से बा खबि िै. 2-तक़वा बेहतरी ललबास: ِ َّاسا ی ُ َّوا ِری َّسواٰتِ ُکم َّو َّ ِ ََّٰب ً َّ ن َّۤ اٰدَّ ََّّمَّ قَّدََّّ اَّن َّزلنَّا عَّلَّی ُکمََّّ لب ِ ِ ِ َّ ک ِمن اٰی ٰ ِت الل ّٰ َِّہ َّ ک َّخیٌ ؕ ذٰل َّ اس التَّقوٰی ۙ ذٰل ُ َّ ِری ًشا ؕ َّو لب َّلَّعَّلَّہمََّّ یَّذَّکَّ ُرو َّن ُ (सूिए अअिाफ आयत 26) PACHAS MAU… - 217 HAJINAJI.com अय अिलादे आदम िम नें तम् ु िािे सलये सलबास नाजज़ल ककया िै. जजस से अपनी शिमगािों का पदास किो, औि जीनत का सलबास भी हदया िै. लेककन तक़िा का सलबास सब से बेिति िै. औि यि अल्लाि की तनशातनयों में से एक िै. शायद िि लोग इबित िाससल कि सकें. 3-खद ु ा मत्त ु कीन के साथ: َّی ََّّ الظلِ ِم ََّّ فَّاِنِ انتَّہَّوَّا فَّ َّل عُد َّو ّٰ َّانَّ اِ َّۡل عَّٰل (सूिए बकिि आयत 194) औि अल्लाि से डिों औि यि समझ लो कक खुदा पििे ज़ गािों के साथ िै. 4-अदालत: َّ َّو َّ َّۡلَّ ََّی ِر َّمنَّ ُکم َّشنَّا ُٰن قَّوم َّعَّ ٰٰۤل ا ََّّۡل تَّع ِدلُوا ؕ اِع ِدلُوا ۟ ُہ ََّّو ِ َّ َّاَّق َّر ُب للتَّقوٰی ۫ َّو ات ُقوا الل ّٰ َّہ (सूिए बकिि आयत 194) PACHAS MAU… - 218 HAJINAJI.com औि खबि दाि ककसी कौम की अदाित (दश्ु मनी) इस बात पि आमादा न किदे कक इन्साफ को तकस किदो. इन्साफ किो कक यिी तक़िा से किीब िै , औि अल्लाि से डिते ििो. 5-तशखीसे हक़ व बानतल: َّیٰۤا َّیُہَّا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوۤا اِن تَّتَّ ُقوا اللّٰہَّ َّ ََّیعَّل ل َّ ُکم ُفرقَّانًا و َّل َّ ِ یُ َّک ِفر عَّن ُکمََّّ َّسیِاٰتِ ُکم َّو یَّغ ِفرََّّل َّ ُکم ؕ َّو الل ّٰ ُہَّ ُذو ال َّفض َِّ العَّ ِظی م (सूिए अनफाल आयत 29.) ईमान िालो अगि तम ु तक़िाऐ इलािी अजख्तयाि किोगे. तो िि तुम्िे िक ि बाततल मे फकस किने की सलाहियत अता कि दे गा. तुम्िािी बुिाइयों की पदसि पोशी किे गा. तम् ु िािे गन ु ािों को माफ़ किदे गा. कक िि बड़ा फज्ल किने िाला िै. PACHAS MAU… - 219 HAJINAJI.com ििायात: 1-अहलमयत तक़वा: َّوى ِم ْفتَّا ُح ٰ ْاَّلتَّق: قال أمی الومنی علیه السلم َّالص َّل ِح َّ गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज 746. अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया! तक़िा कासमयाबी की चाबी िै. 2-सरदारे इखलाक: اَّلتَّقْوٰي َّر ِئیْ ُس: قال أمی الومنی علیه السلم َّْاۡل َّ ْخ َّل َِّق (गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज. 746.) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया! तक़िा इखलाक का सिदाि िै. 3-बेहतरीन ललबास: PACHAS MAU… - 220 HAJINAJI.com َّ ثَّ ْو ُب التُق ٰي ا َّ ْش َّر ُف: قال أمی الومنی علیه السلم َّس َّ ِ ِا ْل َّ َّلب (गोिरुल िे कम जजल्द 2 पेज. 747 िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: तक़िा का सलबास शिीफाना औि बेितिीन सलबास िै. 4-अंबबया का इखलाक: ك َّبِا الت ُق ٰفَّاِ ن َُّه َّ ْ ع َّ َّل َّی: قال أمی الومنی اله السلم ُِخل ُ ُق ْاْلَّنْبِی َّاء ٰ (गोिरुल िे कम जजल्द 2 पेज. 748) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: तुम्िािे सलये ज़रूिी िै कक तक़िा अखततयाि किो कक यि अूंबबया का इखलाक िै. 5-बेहतरीन तश ू ऐ राह; َّی زَّا َّد ٰ التَّ ْق: قال أمی الومنی علیه السلم ُ ْ وي َّخ गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 745 PACHAS MAU… - 221 HAJINAJI.com मौलाए काएनात (अ.स.) नें फिमाया: तक़िा बेितिीन जादे िाि िै. PACHAS MAU… - 222 HAJINAJI.com तशिीि: इस्लाम में फज़ीलत औि शिाफत का मेयाि कौम ि कबीला निीूं िै. बल्की तक़िा ि ककिदाि िै. जिाूं पि नूि (अ.स.) के लड़के को गकस (डूबा हदया जाता िै) किहदया जाता िै, औि सलमान को अिलेबैत (अ.स.) में शासमल कि सलया जाता िै. अपनें को गुनािों औि माससयतों से दिू िखना, औि िलाक किने िाली आफतों औि बालाओूं से बचाना, एक अय्सी िकीकत िै. जजसको कुिआन किीम औि ििायात नें “तक़िा” के उन्िान से याद ककया िै. तक़िा उस िालत का नाम िै जो गुनािों से इज्तेनाब (दिू ी) औि इबादते खुदा से िाससल िोती िै , औि तक़िा दीनी अक़दाि औि मानिी जीबाई (खूबसूिती) में एक खास अज़मत िखता िै. ससफस मुत्तकी ि पििे ज़गाि िी में हिदायते इलािी के आसाि ज़ाहिि िोते PACHAS MAU… - 223 HAJINAJI.com िैं. औि जन्नत भी ससफस औि ससफस अिले तक़िा के सलये बनाई गई िै. खद किते िैं बिक्के इमामुल ु ा से दआ ु मुत्तकीन िज़ित अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) िमें मुत्तकी ि पििे ज़गाि बननें की तौफीक अता फिमाऐ (आमीन) PACHAS MAU… - 224 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-परहे ज़गार जवान: कबीलऐ अूंसाि का एक शख्स किता िै: गमी के हदनों में ऐक िोज िसूले खुदा (स.अ.ि.) के साथ एक दिख़्त के साये में बैठा िुिा था. एक शख्स आया जजसनें अपना कुतास उतािा औि गमस िे त पि लोटना शुरू किहदया, कभी पीठ के बल कभी पेट के बल औि कभी चेिा गमस िे त पि िख कि किता था. अय नफ्स इस गमस िे त का मज़ा चख, क्यूंूकी खद ु ा िूंदे आलम का अज़ाब तो इस से किीूं ज़्यादि सख्त िै. िसूले अकिम (स.अ.ि.) इस िाक़ऐ को दे ख ििे थे. जजस िक्त िि जिान ििाूँ से उठा, औि अपनें कपडे पिन कि िमािी तिफ दे ख कि जाना चािा तो पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें उस्को अपनें पास बुलाया. जब िि िज़ित के किीब आया तो आूंिज़ित (स.अ.ि.) नें PACHAS MAU… - 225 HAJINAJI.com उससे फिमाया: अय बूंदऐ खुदा! मैंनें अबतक ककसी को ऐसा काम किते िुिे निीूं दे खा इस काम की िजि क्या िै. तो उसनें अजस ककया खौफे खुदा मैंनें अपनें हदल में ठान सलया िै. ताकक शिित औि तुग़यान (िैजान) से मिफूज़ ििूूँ. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया तन ू े खुदा से डिने का िक़ अदा किहदया िै. खुदा िूंद आलम तेिे ज़रिये अिले आसमान पि फख्र ि मुबािात किता िै. उस्के बाद आूंिज़ित (स.अ.ि.) नें अपने असिाब से फ़िमाया: सब लोग अपनें इस दोस्त के पास जमा िोजाि ताकी यि तुम्िािे सलये दआ ु किे . सब असिाब जमा िो गये, तो उसनें इसतिि से दआ की: पालने िाले िमािी ु जजूंदगी िीदायत पि गामज़न (बाकी)) िख तकिा को िमािा ज़ादे िाि औि बहिश्त को िमािी मूंजजले मक़सूद बना दे . PACHAS MAU… - 226 HAJINAJI.com (तौबि आगोशे ििमत (उदस ू ज़बान में) पेज. 247) 2-परवरददगार मत्त्ु कीन के आमाल को क़बल ू करता है: िज़ित इमामे साहदक़ (अ.स.) ने फिमाया: मैंनें अिले सुन्नत अफिाद से एक शख्स की बड़ी तािीफ सुनी, औि उस्के अल्लाि िाला औि साहिबे किामत िोनें की कई दास्तानें सुनीूं, मुझे उसे दे खने का शौक़ पैदा िुिा. इत्तेफाक से मैंनें उसे एक मुकाम पि दे खा, लोग उस्के इदस थगदस जमा थे. औि िि लोगों को अपनें आप से दिू कि ििा था. उसनें कपडे से अपना चेििा छुपा िख्खा था. औि उस्की पेशानी औि आूँखें ज़ाहिि थीूं. िि अपने चािने िालों को अपनें आप से दिू किता गया, आखखि काि िि अकेला एक िास्ते पि चलनें लगा, मैं भी खामोशी से उस्के पीछे पीछे चलता ििा, िास्ते में नान PACHAS MAU… - 227 HAJINAJI.com बाई (िोटी पकानें िाला) की एक दक ू ान थी. जिाूं लोगों की काफी भीड़ थी. यि शख्स ििाूँ गया मैंनें दे खा कक उसनें ििाूँ से दो िोहटयाूं चुिाई, औि चलता बना कफि आगे ऐक शख्स अनाि बेच ििा था. उसनें उस्की गफलत से फ़ाऐदा उठाया औि दो अनाि चोिी कि सलये. मैं यि माजिा दे ख कि सख्त तअज्जुब में पड गया कक यि शख्स भी चोिी किता िै. चूंद कदम चलनें के बाद िास्ते मे, उसने एक मिीज़ को दे खा, तो िि िोहटयाूं औि दो अनाि उसे दे हदये, मैंनें उसे आिाज़ दी तो िि रुक गया, मैंनें उस से किा अय बूंदऐ खुदा मैंनें तेिी बिुत तािीफें सुनीूं थीूं औि तझ ु े दे खनें का ख्िाहिश मूंद था. लेककन आज मैंनें तुझे दे खा तो मुझे तुम्िािी इस िालत पि बिुत िी दख ु औि अफ़सोस िुिा. उसनें किा तूनें क्या दे खा औि मेिी ककस PACHAS MAU… - 228 HAJINAJI.com बात से तुम्िें दख ु पिुूँचा िै. इमाम (अ.स.) नें फिमाया मैंने तुझे नान बाई (िोटी बेचनें िाले) की दक ू ान से दो िोहटयाूं औि अनाि बेचनें िाले की दक ू ान से दो अनाि चोिी किते दे खा. जब मैंनें यि अलफ़ाज़ किे तो उसनें मुझे दोबािि बात किनें की मोिलत िी न दी. औि फौिन बोल पड़ा तू कौन िै. मैंनें किा मेिा तअल्लूक अिलेबैते िसूल (स.अ.ि.) से िै. उसनें मेिा ितन पूछा तो मैंनें किा मेिा घि मदीनें में िै. उसनें किा कफि यकीनन आप जाफि बबन मोिम्मद बबन अली बबन िुसैन (अ.मु.स.) िैं. मैंनें किा बबकुल में ििी िूूँ. उस शख्स नें किा िसूल अकिम (स.अ.ि.) से तुम्िािी तनस्बत तम् ु िें क्या फ़ाइदा दे गी. जब की तम ु अपनें नाना के इल्म से ना िाककफ िो. मैंनें किा बयान किो मैं कैसे नािाककफ िूूँ. उसनें किा: PACHAS MAU… - 229 HAJINAJI.com शायद तुम नें कुिआन की यि आयत निीूं पढ़ी जजस में अल्लाि तआला नें फिमाया: َِّلسیِ َّئ َۃ َّ َّمن َّجٓاءَّ بِاۡل َّ َّس ََّّن ََّۃ ِفَّل َّ َّہٗ عَّش َُّر ا َّمثَّالِہَّ َّا ۚ ََّّو َّم َّن َّج َّ َّ ٓاءَّ بِا ل َُیزٰۤی اِ َّ َّۡل ِمث َّل َّہَّ َّا َّ َّ َّف जो शख्स एक नेकी किे गा उस्के नामऐ आमाल में दस नेककयाूं सलखी जाएूँगी औि जो एक बुिाई किे गा उस्की सजा उतनी िी िै. तो अब सुनो: मैंनें दो िोहटयाूं औि दो अनाि चोिी ककये मेिे नामऐ आमाल में चाि गुनाि दजस (सलखे गये) िुिे कफि मैंनें िि दो िोहटयाूं औि दो अनाि िािे खद ु ा में एक मिीज़ को दे दें तो मेिे नामऐ आमाल में चालीस नेककयाूं दजस िुईं. अब चालीस से अगि चाि को घटा दो तो कफि भी मेिे नामऐ आमाल में 36 नेंककया बच जाऍ गीूं. PACHAS MAU… - 230 HAJINAJI.com मैं (इमाम अ.स.) नें उस्की बात सुन कि किा. َّك اُمك َّ ْ ثَّكْلَّت ‘’तेिी माूँ तेिे गम में िोऐ. तुझे तो ककताबे खुदा का ज़िसि बिाबि भी इल्म निीूं िै. अल्लाि तआला ने कुिआन में िाज़ेि तैि पि फिमाया िै. َّی ََّّ ِلَّ الل ّٰ ُہ ِم ََّّنَّ الُتَّق َّ ُ َّ اِ َّّنَّا یَّتَّقَّب ‘’अल्लाि पििे ज़ गािों के आमाल को कबूल किता िै. अब तूनें दो िोहटयाूं औि दो अनाि चोिी ककये. तेिे नामऐ आमाल में चाि बिु ाइयाूं दजस िुईं औि कफि तूनें उन चीज़ों के मासलक की इजाज़त के बगैि उन में तसरुस फ ककया. तो चाि गुनाि औि तुम्िािे नामऐ आमाल में सलख हदये गये. इस तिि तेिे नामऐ आमाल में आठ गुनाि सलखे गये. जब कक नेकी एक PACHAS MAU… - 231 HAJINAJI.com भी दजस निीूं िुई. िि शख्स इमाम (अ.स.) का इस्तेद्लाल (दलील) सन ु कि िैिान िोगया, औि िोने लगा. (वपूंद तािीख जजल्द 4,पेज 141, गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 310.) PACHAS MAU… - 232 HAJINAJI.com 17) तकब्बुर आयात 1-तकब्बुर से पनाह: َّال ُمو ٰ ٰۤس اِ َِن عُذ ُت بِ َّر ِٰب َّو َّربِ َُّکم ِم َّن کُ ِل ُمت َّ َّک ِب َّۡل َّ َّق اب َّ ِ یُؤ ِم ُن بِیَّو ِم َّو اۡلِ َّس सूिए गाकफ़ि आयत 27 औि मस ू ा (अ.स.) नें किा कक मैं अपनें औि तुम्िािे पििि दीगाि की पनाि चािता िूूँ, िि उस मुतकजब्बि से जजस का िोज़े हिसाब पि ईमान निीूं. 2-मुतकल्ब्बर के ददल पर मोहर: ِ ار َّ َّ ب َّ َّجب َّ ِ لَّ قَّل ِب ُمت َّ َّک َّ ِ ُک یَّطَّب َّ ُع ال َّل ّٰ َُّہَّ عَّ ٰٰل ک َّ کَّذٰل (सूिए गाकफि आयत 35.) औि उसी तिि अल्लाि िि मत ु कजब्बि औि सिकश इूंसान के हदल पि मुिि लगा दे ता िै. PACHAS MAU… - 233 HAJINAJI.com 3-शैतान के काफफर होनें का सबब: َّؕ س َّ َّ ک ََّۃ ِاس ُج ُدوا ِۡلٰدَّ ََّّم فَّ َّس َّج ُدوۤاَّ اِ َّ َّۤۡلَّ اِ َّبلِی ََّّ َِّو اِذ ُقلنَّا لِل َّملٰٰٓئ انَّ ِم ََّّن الکٰ ِفرِی ََّّن ََّّ َّ ا ٰ ََّّٰب ََّّو استَّک َّ َّ ب ٭۫ ََّّوَّ ک (सूिए बकिि आयत 34) औि याद किो िि मौक़ा जब िम नें मलाऐका से किा कक आदम केसलये सज्दा किो. तो इबलीस के अलािा सब नें सज्दा किसलया. उसने इनकाि औि तकब्बुि से काम सलया औि काफेिीन में से िो गया. 4-शैतान का तकब्बुर: َّۚ یٌ َّ ِمن ُہ َّ الَّ اَّنَّا َّخ ََّّ َّک ؕ ق َّ کَّ ا َّ ََّّۡلَّ تَّس ُج ََّّدَّ َّاِذََّّ َّا َّ َّمر ُت َّ َّال َّما َّمنَّع َّ َّق ِ ِ َّال فَّاہبِط ِمنہَّا فَّ َّما َّ ََّّخلَّقت َّ ِن من ن َّارََّّ َّوَّ َّخلَّقت َّ َّہَّٗ م َّن َّ ِطیََّّق َّک ِم َّن الَّ ّٰصغِرِی ََّّن ََّّ ب فِیہَّا فَّاخ ُرجََّّ اِن ََّّ َّ ی َّ ُکو ُن ل َّ َّ کَّا َّن تَّت َّ َّک (सिू ए अअिाफ आयात 12-13.) PACHAS MAU… - 234 HAJINAJI.com इिशाद िुिा कक तुझे ककस चीज़ नें िोका था कक तूनें मेिे िुक्म के बाद भी सज्दा निीूं ककया. उसनें किा मैं उन (आदम) से बेिति िूूँ. तूनें मुझे आग से पैदा ककया िै , औि उन्िें समट्टी से बनाया िै. फिमाया: तू यिाूँ से चला जा तुझे िक निीूं िै कक यिाूँ तकब्बिु ि गोरूि से काम ले. तनकल जा कक तू ज़लील लोगों मेंसे िै. 5-मूतकब्बेरीन का ठीकाना: َّاب َّجہَّنَّ َّم ٰخلِ ِدی َّن فِیہَّا ؕ فَّلَّبِئ َّس َّمث َّوی َّ فَّاد ُخلُوۤا اَّب َّو الُت َّ َّک ِبِی ََّّن (सूिए निल आयत 29.) जाि अब जिन्नम के दििाजों से दाखखल िो जाि औि िमेशा ििीूं ििो क्यूंकू क मुतकब्बेिीन का ठे काना बिुत बुिा िै. PACHAS MAU… - 235 HAJINAJI.com ििायात: 1-तकब्बुर गुनाह की दावत: ِ ل ب دَّاع اِيل ٰالتَّقَّ ُح ِم ُ ْ اَّلْك: قال أمی ا ومنی علیه السلم َّب َّ ِ ِِفْالذُن ُ ْو (गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज 430) अमीरुल मोंमें नीन (अ.स.) नें फिमाया: तकब्बुि गुनािों में मुब्तेला िोनें की दअित दे ता िै 2-मुतकल्ब्बर जन्नत में नहीं जा सकता: َّ قَّ َّاۡل َّۡل یُ ْد ُخ ُل: قال الباقر و الصادق علیهما السلم ب َِّ ْ ال ذَّ َّرةً ِم ْن ِك َّ َّا ْْلَّنَّةَّ َّم ْن ِِفْقَّلْبِ ٖه ِمثْق (ककताब अल शाफी तजुसमि ओसूले काफी जजल्द 4, पेज 272) इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) औि इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: िि शख्स PACHAS MAU… - 236 HAJINAJI.com जन्नत में दाखखल निीीँ िो सकता जजस के हदल में ज़िसि बिाबि भी तकब्बुि िो. 3-सब से बुरा तकब्बुर: اَّل ْ ِك ْ َّ تغ ِم: قال الصادق علیه السلم َّاس َّو َّ َّص الن َّ ْ َّ ب أ ْن ُ تَّ ْس ُف َّه ا ْۡل َّ َُّق (ककताब अल शाफी तजुसमि ओसल ू े काफी जजल्द 4, पेज 272) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: सब से बद ति तकब्बुि यि िै कक. लोगों को िकीि समझे औि िक़ बात को बेिकूफी से तनस्बत दे . 4-क़यामत के ददन मत ु कब्बेरीन की हालत: َّْ إ َِّن ا ْلُت َّ َّك ِبِی ْ َّن َّ ََّی ْعَّل ُ ْو ََّّن ِِف: قال الصادق علیه السلم َّ ُص َّو ِر مََّّالنّٰ ُ یف َّاهلل ِم َّن َُّ الذ َِّرَّیَّت َّ َّو َّطأُ ُه ُ َّاس َّح ّّٰٰت َّ ْ َّرع ِ ا ْۡلِ َّس َّاب PACHAS MAU… - 237 HAJINAJI.com (जजल्द 4 पेज 273 ककताब अल शाफी) इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया मत ु कजब्बि लोग िोज़े क़यामत चूंट ू ीयों की शक्ल में बना हदये जाएूँ गें . औि लोग हिसाब से फारिग िोने तक उन्िें पैिों तले कुचलते ििें गे. 5-बद तरीन अय्ब: ِ ل َّب َّش َّر ال ْ ُعیَُّ ْو ِب ُ ْ اَّلك: قال ا می ا ومنی علیه السلم गोिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 431 मौलाऐ मुत्त्कीयाूँन अली इब्नें अबब तासलब (अ.स.) नें फिमाया: तकब्बुि बद तिीन अय्ब िै. PACHAS MAU… - 238 HAJINAJI.com तशिीि: तकब्बुि, शैतानीूं ससफत, खुदा के मुकाबबले में आनें का बाइस औि लोगों को ज़लील ि ख्िाि समझनें िाली चीज़ िै. तकब्बुि किनें िाला शैतानी थगिोि, औि इबलीस का साथी, औि खुदा की नज़ि में मलऊन, औि उस्की ििमत से मिरूम िै. इबलीस एक सज्दा के इनकाि से काकफि िोगया. तो मुस्तककल सज्दा को तकस किनें िालों का अूंजाम क्या िोगा. इस नुक्तेि पि साहिबे इल्म ि अक्ल को गौि किना चाहिए. इबलीस अपने तकब्बुि ि गुरूि की िजि से बािगािे यज़दी से तनकाल हदया गया. औि लानत का तौक िमेशा िमेशा के सलये उस्की गदसन में डाल हदया गया. उसी तिि तकब्बिु किनें िाला शख्स अपने तकब्बुि ि गुरूि की िजि से इूंसातनयत औि मकामे आदमीय्यत को खो बैठता िै. PACHAS MAU… - 239 HAJINAJI.com इमामे अली (अ.स.) फिमाते िैं: िाकेअन इूंसान पि तअज्जुब िोता िै कक जजस की इब्तेदा नत्ु फि औि जजस का अूंजाम एक बदबूदाि मुिदाि िै. यानी जजसकी इब्तेदा औि इन्तेिा नजासत िै. लेककन कफि भी िि तकब्बुि किता िै. खद किते िैं. बिक्के मोिम्मद ि ु ा से दआ ु आले मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें इस बुिी ससफत से बचनें की तौफीक अता फिमा (आमीन) PACHAS MAU… - 240 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-कारून का तकब्बुर: कारून िज़ित मस ू ा (अ.स.) का खाला ज़ाद भाई था. खुदा िूंद आलम नें इतना माल औि दौलत अता की थी. कक जजस के खजाने की चाबबयाूँ एक ताक़तिि जामात निीूं उठा सकती थी. लेककन यि शख्स अपनी कौम पि ज़ुल्म किता था. कौम के लोग उसे नसीितें ककया किते थे. कक गुरूि ि तकब्बुि से बाज़ आजा, औि लोगों के साथ नेक सल ु ूक कि. ज़मीन पि फसाद न फैला औि यतीमों कमजोिों औि िाजत मूंदों के साथ अच्छा बतासि कि. तो िि जिाब में किता: ی َّ اِ َّّن َّ َّا َّۤ َّاُوتِیتُ َّہَّٗ عَّ ٰٰلََّّ عِلم ِعن ِد (सिू े केसस आयत 78) यि माल ि दौलत तो मुझे अपनें इल्म की िजि से िाससल िुिा िै. PACHAS MAU… - 241 HAJINAJI.com (िज़ित मूसा (अ.स.) इल्मे कीसमया (कसमस्टिी) जानते थे औि उस में से कुछ चीज़ें आप नें यश ू ा बबन नून को तालीम फिमाई थीूं. औि कुछ का ‘लब बबन यूिना’ को औि कुछ कारून को यानी पूिा इल्म ककसी के पास न था. लेककन कारून नें बाकी इल्म उन दोनों से िाससल कि सलया. औि इल्मे कीसमया का मासलक बन गया. औि बड़ी दौलत िाससल किली (िासशयि फिमान अली पेज 269.) क्या कारून नें यि भी खयाल न ककया. कक अल्लाि इस से पिले उन लोगों को िलाक कि चूका िै. जो उस से ताकत औि तेदाद के ऐतबाि से किीूं ज़्यादा थे. उन्िों नें खुदा के िुक्म के सामनें गरू ु ि ि तकब्बुि ककया. औि खद ु ा नें सब को फना के घाट उताि हदया. एक हदन कारून अपनी कौम के सामनें बड़े ठाट बाट के साथ तनकला जो लोग दन्ु या PACHAS MAU… - 242 HAJINAJI.com की चूंद िोज़ा जजूंदगी के तासलब थे. उस शान को दे ख कि किने लगे. जो माल ि दौलत कारून को अता िुई िै. काश िमािे पास भी िोती. अचानक अज़ाबे खुदा नें उस्को अपनी थगिफ्त में सलया. इिशाद िुिा: ِ ان ل َّ َّہَّٗ ِمن فِ َّئَّ َََّّۃ َّ َّ فَّ َّخ َّسفنَّا بِ ٖہ َّو بِ َّدا ِر َّہَّ اۡلَّر َّض ۟ فَّ َّماَّ ک ان ِم ََّّن الُنت َّ ِصرِی ََّّن ََّّ َّ یَّن ُص ُرون َّ َّہَّٗ ِم َّن ُدو َِّن الل ّٰ َِّہ َّ٭ ََّّو َّما َّک (सिू े केसस आयत 81) औि िमनें कारून औि उस्के कसि को ज़मीन में धूंसा हदया कफि तो खुदा के ससिा कोई जमात ऐसी न थी. कक उस्की मदद किती औि न िि खुद अपनी मदद कि सका. िलाकत औि बद बखती नें इस तिि उसे अपनीूं थगिफ्त में सलया कक जो लोग कल उसपि िसद किते थे. आज ििी किते िैं. अलिम्दसु लल्लाि अच्छा िुिा कक िम कारून PACHAS MAU… - 243 HAJINAJI.com की जगि पि निीीँ थे. ििना िम भी गुरूि ि तकब्बुि की िजि से िलाक िो जाते. (इबित अगेज़ िाकेआत पेज 55.) 2-मख्खी औि मूंसूि दिान्की: एक दफ़ा का जज़क्र िै कक इमामे जाफि साहदक़ (अ.स.) मूंसूि दिान्की के पास बैठे िुए थे. एक मख्खी मूंसिू को पिे शान कि ििी थी. मूंसिू उसे उडाता. मगि िि दब ु ािा आकि उस्के मुूंि पि बैठ जाती. िि कफि उडाता िि कफि आकि बैठ जाती थी. अल्गिज़ मख्खी नें मूंसिू को बे बस कि हदया था. तूंग आकि मूंसूि नें किा अय अबा अबहदल्लाि! भला मजख्खयों का क्या फ़ाइदि िै ? اب َ َالذُّب َ ِ ِالَ ي ُش ْيء َخلَقَ هللا क्यूूं खुदा नें मजख्खयो को खल्क ककया? इमाम जाफि जिाब हदया. साहदक़ (अ.स.) नें फ़ौिन َّلِی ُ ِذ َّل بِ ِه ا ْْلبَّارِی ْ َّن PACHAS MAU… - 244 HAJINAJI.com अल्लाि नें सिकशों को रुसिा किनें के सलये मजख्खयाूँ पैदा की िैं. इमाम (अ.स.) का जिाब सुनकि मूंसिू सख्त िैिान िुिा औि कुछ न कि सका. लेककन सोचनें लगा कक ककसी मन ु ाससब मौक़े पि इमाम (अ.स.) को क़त्ल किदे (यक सदो पूंजाि मौजू अज़ कुिआन किीम ि अिादीसे अिलेबैत (अ.मु.स.) पेज 327, कश्कोल दस्तेगैब जजल्द 2, पेज 197.) PACHAS MAU… - 245 HAJINAJI.com 18) तवाज़ोअ आयात: 1-खुदा के बंदे: َّو ِعب َّ َُّادَّ ال ََّّرۡحٰنِ ال َّ ِذی ََّّنَّ َّْي ُشو َّن عَّٰلَّ اۡلَّر ِض ہَّون ًَّا (सूिए फुिकान आयत 63) औि खद ु ा के बूंदे ििी िैं जो ज़मीन पि आहिस्ति चलते िैं. 2-तवाजोअ की बशारत: ِ ِ َّی َّ ََّّوَّ بَّش َِّرَّ الُخ ِبت (सूिए िज आयत 34) औि िमािे थगड थगडाने िाले बन्दों को बशाित दो 3-खुदा के नज़दीक तवाजो का मक़ाम: َّۙ الصلِ ٰح ِت َّو اَّخبَّتُوۤا اِ ٰل َّربِ ِہم َّ ّٰ اِ َّن ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّو عَّ ِملُوا ک ا َّص ٰح ُب اْل َّ َّ َّن ََّۃ ِۚ ُہمََّّ فِیہَّاَّ ٰخلِ ُدو ََّّن َّ ِاُولٰٰٓئ PACHAS MAU… - 246 HAJINAJI.com (सूिए िूद आयत 23) बेशक जो ईमान ले आये औि उन्िों नें नेक आमाल अूंजाम हदये, औि अपनें िब की बािगाि में आजेज़ी से पेश आये ििी अिले जन्नत िैं. औि िमेशा उस में ििनें िाले िैं. 4-चलनें मैं तवाजो: َّو َّۡل َّت ِش ِِف اۡلَّر ِض َّم َّر ًح َّا (सूिए असिा आयत 37) औि ज़मीन के ऊपि अकड के न चलना. 5-बात करनें में तवाजो: فَّ ُقو َّۡل ل َّ َّہَّٗ قَّو ًۡل لَّیِن ً َّا (सिू ए तािा आयत 44) उस से निमी से बात किना. PACHAS MAU… - 247 HAJINAJI.com ििायात: ?1-खुदा से नजदीक कौन ع َّ ِ ِ ِ الس َّلم قَّ َّ ِ َّ ح اهلل عَّ َّز َّوَّ ال فی ْ ٰما أ ْو ٰي ُ َّ ْن أ ِِب ْعَّبْد اهلل عَّلَّیْه َّ ُ َّ ؤد َّك ٰما أ َّ َّن ا َّق َّْر َّبَّ ؤد عَّلَّی ْ ِه َّ الس َّل ُم یَّا دا َّ ُ َّجل إِ يل ٰدا َّ ُ اسَّ ِم َّن ا ِ ك ا َّبْعَّ ُد النَّ ِ اس ِم َّنَّ النَّ ِ َّ هلل ا ْلُتَّوا َّ ِض ُع ْو َّن َّكذٰال ِ َّ ِ ب ْو ََّّنَّ اهلل ا ْلُت َّ َّك َّ ُ ंेइमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: खुदा न िज़ित दाऊद की तिफ ििी की, अय दाऊद ेजजस तिि तिाजोअ किने िाले अल्लाि स ंेज़्यादा किीब िैं. उसी तिि तकब्बिु किन िाले उस से ज़्यादि दिू िैं. 2-बल ु ंद मरतबा: الس ٰماءِ َّمل َّ َّك ْ ِ ی ُم َّوَّ قال الصادق علیه السلم :إ َِّن ِِفْ َّ کَّل َّ ْ ِ ِ ِ فم ض ِ ِ م ب َّو َّضعٰا ُهَّ ی بِا لْعبٰاد َّ َّ َّْن َّتَّ َّوا َّ َّع لِل َّرفَّع ٰ ُاه َّو َّ ْن تَّ َّك َّ َّ )(ककताब अल शाफी जजल्द 3 पेज 428 HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 248 इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: आसमान पि दो तिि के फ़रिश्ते बन्दों पि मोअय्यन ककये गये िैं. एक िि जो कुबसतन इलल्लाि तिाजोअ किने िालों का रुत्बा बलूंद किते िैं, औि दस ू िे िि जो तकब्बुि किनें िालों को उन्के मितबे से थगिा दे ते िैं. 3-सलाम करना: َّ ِم َّن الت ََّّوا ُض ِع أ َّ ْن تَّ ْر ٰضي بِا: قال الصادق علیه السلم َّا ْل َّ ْجلِ ِس ُد ْو َّن ا ْل َّ ْجل ِس َّو أ َّ ْن ُت َّسلِ َّم عَّل ٰي َّم ْن تَّلْق ٰي (ककताब अल शाफी जजल्द 3, पेज 429) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: तिाजोअ यि िै कक ककसी मजसलस में नीचे मक़ाम पि बैठे, औि जजस से समले उसे सलाम किे . PACHAS MAU… - 249 HAJINAJI.com 4-अज़ीम इबादत: َِّك بِا التَّوا َّ ُض ِع فَّا َّ ْ عَّلَّی: قال أمی الومنی علیه السلم ن َُّه ِم ْن ا َّ ْع َّظ ِم الْعِبٰادَّ َِّة (ओसूले काफी जजल्द 2 पेज 123.) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: तुम्िािे सलये ज़रूिी िै कक तिाज़ोअ किो क्यूूंकक तिाजोअ अज़ीम इबादत िै. 5-इत्मामे नेअमत: َّ بِا الت ََّّوا ُض ِع ُتتِ ُم: قال أمی الومنی علیه السلم َِّالنعْ َّم َُّة (निजुल बलागा कलमऐ क़ेसाि 224.) अमीरुल मोमेनीन (स.अ.) नें फिमाया: तिाज़ोअ के ज़रिये नेमत तमाम िोती िै. PACHAS MAU… - 250 HAJINAJI.com तशिीि: कलमए ‘तिाजोअ’ कुिआूंन मजीद में जज़क्र निीूं िुिा िै लेककन दस ू िे अलफ़ाज़ जो उस्के मफिूम को बयान किते िैं मसलन ‘िब्बत’ ‘खफ्फज़ जजनाि’ ‘लय्यीन’ ‘जजल्लि’ ‘िौन’ िगैिि इस्तेअमाल िूये िैं. तिाजोअ खातति मदािात, मेिमान निाज़ी, आज्ज़ी ि इूंकेसािी के माना में इस्तेअमाल िोता िै. इमाम िे ज़ा (अ.स.) नें फिमाया तिाज़ोअ यि िै कक तुम लोगों को िि अता किो जजसे तम चािते िो. कक कोई तम् ु ु िें अता किे . िािी किता िै कक मैंनें पूछा तिाजोअ की िद क्या िै . जजस के किने पि बूंदा मोआशिे (समाज) में मुतािाज़ेअ समझा जाऐ? फिमाया: तिाजो के दिजात िैं उन में से एक दिजा यि िै कक इूंसान सच्चे हदल से लोगों के सामनें खुद को अपनें मक़ाम से नीचा हदखाऐ, औि यि बात पसूंद किे कक PACHAS MAU… - 251 HAJINAJI.com दस ू िों को ििी समले जजसे िि अपने सलये चािता िै , औि अगि ककसी से बुिाई दे खे तो उस्का बदला नेकी से दे , गस् ु से को पी जानें िाला, ग़लततयों को मोआफ़ किदे (यि तमाम काम ऐिसान शुमाि ककये जाते िैं) औि अल्लाि ऐिसान किनें िालों को दोस्त िखता िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें तिाज़ोअ ि इूंकेसािी की, औि लोगों के साथ तिाज़ोअ से पेश आनें की, तौफीक अता फिमाऐ. PACHAS MAU… - 252 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-तवाज़ोअ और बुलंदी: इमाम साहदक़ (अ.स.) से मन्कूल िै कक नज्जाशी (बादशािे िब्शि) ने जनाबे जाफि बबन अबी तासलब (अ.स.) औि उन्के असिाब को (अपनें घि) बुलाया. जब िि लोग ििाूँ पिुूंचे तो क्या दे खा कक िि अपनें घि में ख़ाक पि बैठा िुिा िै. औि पिु ाना सलबास पिने िुऐ िै. जनाबे जाफि (अ.स.) का बयाूंन िै कक िम उस की िालत दे खकि डि गये. जब उसने िमािे चेििों का िूं ग बदला िुिा दे खा तो किनें लगा: िम्द िै उस खुदा की जजसनें मोिम्मद (स.अ.ि.) की नुसित की, उन्की आूँखों को ठूं ढा ककया. क्या मैं खश ु खबिी सन ु ाऊूँ? मैंने किा ज़रूि उसनें किा मेिे पास अभी अभी तुम्िािे मुल्क से मेिा एक जासूस आया िै. जो ििाूँ ििता िै , औि यि खबि लाया िै कक, खुदा नें अपनें PACHAS MAU… - 253 HAJINAJI.com मोिम्मद (स.अ.ि.) की मदद की उन्के दश्ु मनों को िलाक ककया औि फलाूं फलाूं फलाूं नामिि कुिै श क़ैद कि सलये गये िैं. जनाबे जाफि (अ.स.) नें किा अय बादशाि यि तो फिमाइये कक आप ख़ाक पि क्यूूं बैठे िुये िैं, औि यि पुिानें कपडे क्यूूं पिनें िुये िैं. किा िमनें जनाबे ईसा (अ.स.). पि नाजज़ल िुई ककताब में पढ़ा िै कक बन्दों पि अल्लाि का िक़ यि िै कक जब ककसी नेमत के िाससल िोनें पि बन्दों से बात किो तो तिाज़अ किो जब खद ु ा नें मझ ु े मोिम्मद (स.अ.ि.) जैसे नबी की नेअमत दी तो मैं तिाज़ोअ ि इूंकेसािी से बात क्यूूं न करू. यि तिाज़ोअ खुश्नूहदये खुदा के सलये िै. जब िज़ित िसल ू े खद ु ा (स.अ.ि.) को यि खबि समली तो अपनें असिाब से फिमाया: सद्कि दे नें से नेअमत ज़्यादि िोती िै. तुम सद्कि दो. अल्लाि तुम पि ििम किे गा. PACHAS MAU… - 254 HAJINAJI.com तिाज़ोअ मुतिाज़ेअ की बुलूंहदयों को ज़्यादि किती िै लेिाज़ा तिाज़ोअ अजख्तयाि किो खद ु ा तम् ु िािा मतसबि बुलूंद किे गा औि माफ़ किनाूं इज़्ज़त को बढाता िै , पस अफि (माफ) किो अल्लाि तुम्िें इज़्ज़त दे गा. (ककताब अल शाफी जजल्द 2, पेज 227, गूंजीनऐ मआरिफ जजल्द 1 पेज. 267.) 2-तवाज़ोअ हज़रत ईसा (अ.स.) काफी में मन्कूल िै कक िज़ित ईसा (अ.स.) बबन मियम (अ.स.) नें ििारियों से फिमाया: तुम लोगों से मेिी एक ख्िाहिश िै उस ख्िाहिश को पिू ा किो. उन्िों नें अजस ककया: अय रूिुल्लाि! आप की ख्िाहिश पूिी की जाऐगी. यि सुनते िी आप (अ.स.) नें अपनी जगि से उठ कि उन्के पाूँि धोना शरू ु किहदये यि माजिा दे खकि िि लोग अजस किनें लगे कक यि काम तो िमें किनाूं चाहिए था, यि िमािे सलये मुनाससब था तो PACHAS MAU… - 255 HAJINAJI.com आप नें फिमाया: खखदमते खल्क का सब से ज़्यादि िक़दाि आसलम िै. मैंनें इस ककस्म की तिाज़ोअ इससलए की िै ताकी तम ु मेिे बाद लोगों के साथ इस तिि तिाजोअ किो. जजसतिि मैंनें तुम्िािे साथ तिाजोअ की िै. उस्के बाद ईसा (अ.स.) नें फिमाया! तिाजोअ के ज़रिये हिकमत आबाद िोती िै न तकब्बुि के ज़रिये. उसी तिि िमिाि ज़मीन में खेती उगती िै न पिाड़ में (शििे िदीस जुनूदे अक्ल ि जेिल पेज 313) PACHAS MAU… - 256 HAJINAJI.com 19) तौबह आयात: 1-हकीकी तौबह: اب َّو عَّ ِم َّل َّص ِاۡلًا فَّاِن َّہٗیَّتُو ُب اِ َّ َّلَّ الل ّٰ َِّہَّ َّمتَّاب ً َّا َّ ََّّو َّمن ت (सूिए फुिकान आयत 71) औि जो तौबि किे गा औि अमले सालेि अूंजाम दे गा िि अल्लाि की तिफ िाकेँअन िोजू किने िाला िै 2-तौबह का हुक्म: َّو ُتو ُبوۤا اِ َّل الل ّٰ ِہ َّجِیعًا ا َّیُہَّ الُؤ ِمنُو َّن لَّعَّل َّ ُکم ُتفلِ ُحو ََّّن (सूिए नूि आयत 31) औि सािे बाने ईमान तुम सब अल्लाि की बािगाि में तौबि किते ििो कक शायद इसी तिि तुम्िें फलाि औि नजात िाससल िो जाये PACHAS MAU… - 257 HAJINAJI.com 3-खुदा तौबह को कबूल करता है: َّب ََّۃَّ عَّنَّ ِعبَّا ِد َّٖہ ََّّو یَّع ُفوا عَّ ِن َّ َّ لَّ التَّو َّ ُ َّ َّو ُہ َّو ال َّ ِذی یَّقب َّالسیِا ِٰت َّ (सूिए शूिा आयत 25) औि ििी िि िै जो अपने बन्दों की तौबा को कबूल किता िै , औि उनकी बुिाइयों को मोआफ किदे ता िै. 4-तौबह न करने का अंजाम ک ُہ ُم ا ّٰلظلِ ُمو ََّّن َّ َِّو َّمن لَّم یَّتُب فَّاُولٰٰٓئ (सूिए िुजिात आयत 11) औि जो शख्स तौबा न किे तो समझो कक यिी लोग िकीकत में जालेमीन िैं. 5-तौबा के बाद इस्लाह: اب ِم ًۢن بَّع ِد ُظل ِم ٖہ َّو اَّصل َََّّّحَّ فَّ َّاِ َّن ال َّل ّٰہَّ یَّتُو ُب عَّلَّی َِّہ َّ َّفَّ َّمن ت (सूिए माएदि आयत 39) PACHAS MAU… - 258 HAJINAJI.com कफि ज़ुल्म के बाद जो शख्स तौबा किे औि अपनी इस्लाि किे तो खुदा उस्की तौबा कबल ू किलेगा. PACHAS MAU… - 259 HAJINAJI.com ििायात: 1-बनीं आदम खताकार हैं (गुनाह करने वाले हैं) ِ ُ س َّی ُ ْ کُل بَّّنْ ٓادَّ َّم َّخ ّٰط ٌاء َّو َّخ: )قال ر و َّل اهلل (ص ِ ی الت َّْوا َّ ُب ْو ََّّن َّ ْ اْلْ َّ ّٰطائ (तिबा अज़ नज़िे कुिआन ि ििायात) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: तमाम बनी आदम खताकाि िैं, औि यि खताकाि तौबा किनें िाले िैं. 2-हुक्मे अस्तग्फार: ُ د َّوا ُء: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیهَّو اله و سلم َّالذ َّن ُ ْو ِب ْاۡلِ ْستَّغْفٰ ُار (िसाएल अल शीआ जजल्द 16, पेज 65) िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: गुनािों की दिा अस्ताग्फाि िै. PACHAS MAU… - 260 HAJINAJI.com 3-तके गुनाह: َّ تَّ ْر ُك: قال أمی الومنی علیه السلم َّالذ ن ْ ِب أ َّ ْه َّو ُن َِّم ْن َّطل َّ ِب الت َّْو َّبَّ َِّة (बबिारुल अन्िाि जजल्द 70 पेज 364.) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया गुनाि न किना तौबा किनें से आसान िै. 4-पशेमानी: َّ اَّلنَّ ْد ُم تَّ ْوبَّة: قال رسول اهلل صلي علیه و اله و سلم (मीजान अल हिक्मि जल्द 1, पेज 546) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: पशेमानी तौबा िै . 5-इबादत: َّْن ُة عَّنِ ا ْلَّعٰا ِص ْي َّ َّ َّ اَّلت: قال أمی الومنی علیه السلم َّی ََّّ ْ ِِعبٰادَّ ُة الت َّّٰوا ب (मीजान अल हिक्मि जल्द 1, पेज 543) PACHAS MAU… - 261 HAJINAJI.com िज़ित अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) नें फिमाया: गुनािों से दिू ी तौबा किनें िालों की इबादत िै. PACHAS MAU… - 262 HAJINAJI.com तशिीि: तौबा पिििहदगािे आलम की नेमतों में से एक नेअमत िै. खद ु ािनदे आलम नें अपने लुत्फ़ ि किम की बबना पि. गुनािगाि इूंसानों के सलये एक ऐसा दििाज़ा खोल िख्खा िै. जजस से इूंसान अपनें माज़ी का जब ु िान किसकता िै , औि िि उस दििाज़े से दाखखल िोकि फकत अपनें नफ्स से गुनािों की आलूदगी को दिू िी निीूं बल्की उस्के ज़रिये अपनें मानिी दिजात में इज़ाफ़ा भी कि सकता िै. यि दििाज़ा जजसे आसमानी ि रूिानी िक़ीकत किते िैं तौबा के अलािा कुछ निीूं. तौबा के ज़रिये गुनिगाि इूंसान खुदा िूंदे आलम से कुबसत िाससल किता िै . तौबा का रुत्बि बिुत बलूंद ि बाला औि अज़ीम िै. ििायत में भी िै कक. तौबा किनें िाला ऐसा िै जैसे उसनें गुनाि िी निीूं ककया. इसका मकसद यि PACHAS MAU… - 263 HAJINAJI.com निीूं कक इूंसान गुनाि किे कफि तैबा किे कफि ििी गुनाि कि बैठे. निीूं बल्की तौबऐ नसि ू किे . यानी दोबािा िि गन ु ाि अूंजाम न दे तौबा किना इतना आसान निीूं जजतना िम आसान समझते िैं. तौबा किना बिुत मुजश्कल िै. लेककन इूंसान को खुदा की ििमत से मायूस निीूं िोना चाहिये. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.मु.ि.) िम सब को गुनािों से दिू ििने औि उनसे तौबा किनें की तौफीक अता फिमाऐ (आमीन) PACHAS MAU… - 264 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-फाऐदे मंद तौबह: ककसी िसलये खद ु ा के ज़मानें में एक शख्स बिुत ज़्यादि गुनािगाि था. जजसने अपनी तमाम उम्र लह्ि ि लअब औि बेिूदा चीज़ों में गुजािी औि आखेित के सलये कुछ भी जादे िाि इकठ्ठा न कि सका. नेक ि सालेि लोगों नें उस से दिू ी अजख्तयाि कि ली थी औि िि भी नेक लोगों से कोई मतलब निीूं िखता था, आखखि उम्र में उसनें अपनें कािनामों पि तनगाि डाली औि अपनी उम्र का जाऐज़ा सलया तो उसे उम्मीद की कोई ककिन नज़ि निीीँ आई, बागे अमल की ककसी शाख पि कोई गल ु न था, यि दे ख कि उसनें एक ठूं ढी साूंस ली औि उस्के हदल के एक गोशे से आि तनकल पडी, उस्के आूँखों से आूंसू PACHAS MAU… - 265 HAJINAJI.com बिने लगे. तौबा ि अस्तगफाि के उन्िान से बािगािे यज्दी में अजस ककया: ُ الد نْیٰا َّو ْاۡل ٰ ِخ َّر ُة اِ ْر َّح ْم َّم َّْن لَّیْ َّس ل َّ ُه ُ یَّا َّم ْن ل َّ ُه ٰ َّالد نْیَّ ٰا َّو ْأۡل ِخ َّر َُّة अय िि जो दन्ु या ि आखेित का मासलक िै. उस शख्स के ऊपि ििम कि जजस के पास न दन्ु या िै औि न आखेित. उस्के मिने के बाद शिि िालों नें खश ु ी मनाई औि उस्को शिि से बािि ककसी खूंडिि में फ़ेंक हदया औि उस्के ऊपि खस ि खाशाक डाल दी. उस मौके पि उस िलीये खुदा को आलमे ख्िाब में िुक्म िुिा कक उस्को गुस्ल ि कफ़न दो औि मुत्तकी पििे ज़गािों के कबिस्तान में दफन किो. अजस ककया: अय िब्बल ु आलमीन! िि एक मशिूि ि मारूफ गुनािगाि ि बद काि था, PACHAS MAU… - 266 HAJINAJI.com िि ककस चीज़ की िजि से तेिे नज़दीक अज़ीज़ औि मिबूब बन गया औि तेिी ििमत ि मगफेित का िक़दाि बन गया? जिाब आया उसनें अपनें को मुफसलस औि ददस मूंद दे खा तो िमािी बािगाि में थगिया ि जािी की िमनें उस्को अपनीूं आगोशे ििमत में ले सलया. कौन ऐसा ददस मूंद िै जजस के ददस का िमनें इलाज न ककया िो औि कौन ऐसा िाजत मूंद िै जो िमािी बािगाि में िोऐ औि िम उस्की िाजत पिू ी न किें , कौन ऐसा बीमाि िै जजसनें िमािी बािगाि में थगिया ि जािी की िो औि िम नें उस्को शफा न दी िो (तौबि आगोशे ििमत बजुबाने उदस ू पेज. 154.) PACHAS MAU… - 267 HAJINAJI.com 2-इमामे अली (अ.स.) की नज़र में हकीकी तौबा: इमामे अली (अ.स.) नें उस शख्स के बािे में फिमाया जजस नें ज़ुबान पि استغفر هللاजािी ककया था: अय शख्स: तेिी माूँ तेिे सोग में बैठे, क्या तू जानता िै कक तौबि क्या िै ? याद िख तौबा इल्लीयीूंन का दजसि िै , जो इन छे चीज़ों से समलकि बनता िै , उन के बगैि िाससल निीूं िोसकता: 1-अपनें माज़ी पि शिसमन्दि औि पशेमाूँन िोना. 2-दोबािा गुनाि न किने का पक्का इिादि किना. 3-लोगों के िुकूक का अदा किना. 4-छूटे िुिे िाजेबात को बजा लाना. 5-गुनािों के ज़रिये पैदा िोने िाले गोश्त को इस क़दि वपघलाना कक िड्डडयों पि गोश्त PACHAS MAU… - 268 HAJINAJI.com बाकी न िि जाये औि िालते इबादत में िड्डडयों पि गोश्त चढ जाये. 6-बदन को इताअत की तकलीफ में मुब्तेला किना जजसतिि गुनाि का मज़ा चखा िै सलिाजा इन छ मििलों के गुज़िने के बाद استغفرهللاकिना. (तौबा आगोशे ििमत पेज 105) PACHAS MAU… - 269 HAJINAJI.com 20) तवक्कुल आयात: 1-खद ु ा पर तवक्कुल: ِ ِ ُ ِ ت فَّت َّ َّوکَّل َّعَّٰلَّ الل ّٰ ِہ ؕ اِ َّن اللّٰہ ُُی ِ َّی َّ ب الُت َّ َّوکل َّ َّ َّ فَّاذَّا عَّ َّزم (सूिए आले इमिान आयत 159.) औि जब इिादा कि लो तो अल्लाि पि तिक्कुल औि भिोसा किो, कक िि तिक्कुल औि भिोसा किने िालों को दोस्त िखता िै. 2-खद ु ा पर तवक्कुल क्यं:ू ََّّو قَّالُوا َّحسبُنَّا الل ّٰ ُہ َّو نِع َّم ال َّو ِکی ُل (सूिए आले इमिान आयत 173.) औि उन्िों ने किा कक िमािे सलये खुदा काफी िै, औि ििी िमािा जज़म्मे दाि िै 3-अललाह काफी है: َّٗو َّم َّنَّ یَّت َّ َّوکَّل عَّٰلَّ الل ّٰ َِّہَّ فَّ ُہ َّو َّحسبُ َّہ PACHAS MAU… - 270 HAJINAJI.com (सूिए ततलाक आयत 3.) औि जो खुदा पि तिक्कुल औि भिोसा किे गा खद ु ा उस्के सलये काफी िै. 4-मोमेनीन का तवक्कुल: لَّ الُؤ ِمنُو ََّّن َّ ِ ََّّو عَّٰلَّ الل ّٰ ِہَّ فَّلیَّت َّ َّوک (सूिए इब्रािीम आयत 11.) औि सािे बाने ईमान तो ससफस अल्लाि िी पि तिक्कुल औि भिोसा किते िैं. 5-साहे बाने तवक्कुल पर शैतान ग़ाललब नहीं आता: ََّّاِن ََّّہَّٗ لَّی َّس ل َّ َّہَّٗ ُسلَّ ٰط ٌن َّعَّٰلَّ ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُواَّ َّو عَّ ٰٰلََّّ َّربِ ِہم َّیَّت َّ َّوکَّلُو ََّّن (सिू ए निल आयत 99) शैतान ििथगज़ उनलोगों पि गलबि निीूं पा सकता जो सािे बाने ईमान िैं, औि जजनका अल्लाि पि तिक्कुल औि ऐतेमाद िै. PACHAS MAU… - 271 HAJINAJI.com ििायात: 1-हक़ीक़ते तवक्कुल: َّ: َّل ٰ َّاَّ ُسئِ َّل عَّ ْن َّح ِد الت َّ َّوک ُ ِل: قال الصادق علیه السلم ِ أَّن َّۡل ََّتٰا َّف َّم َّع ا هلل َّشیْئ ًَّا ْ (बबिारुल अन्िाि जजल्द 68,पेज. 56.) इमामे साहदक़ (अ.स.) से स्िाल ककया गया कक तिक्कुल की िद क्या िै: तो आप (अ.स.) नें फिमाया: तम ु खद ु ा के िोते िुिे ककसी से न डिो. 2-सबसे बड़ा ताकतवर कौन: َّ َّم ْن َّس َّر ُه:)قال رسول اهلل (صلي اهلل علیه واله و سلم ِ َّأ َّ ْن ی َّ ُك ْو َّن أَّقْوى الن َّهلل َِّ اس فَّلْیَّت َّ َّوکَّ ُل عَّل َّي ا َّ (मीज़ानुल हिक्मि जजल्द 4, पेज 3659) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: जो यि चािता िै कक सब से बड़ा ताक़त्िि िोजाये PACHAS MAU… - 272 HAJINAJI.com तो उसे चाहिये कक िि खुदा पि तिक्कुल ि भिोसा किे . 3-बुलंद तरीन अमल: َّ اَّلت ََّّوک ُ ُل أَّفْ َّض ُل عَّ َّم ِل: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द. जजल्द 1 पेज 757) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: तिक्कुल (खुदा पि भिोसा किनाूं) सब से अफज़ल (बाला ति) अमल िै. 4-बन्दों से बबननयाज़: ِ َّم ْن تَّوکَّ َّل عَّل َّي ا: قال أمیالومنی علیه السلم َّهلل َّ َّغ ِّنَّ عَّ َّْنَّ ِعبَّا ِد َِّه (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज 759) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: जो खद ु ा पि तिक्कुल किता िै , िि उस्के बन्दों से बबतनयाज़ िोजाता िै. PACHAS MAU… - 273 HAJINAJI.com 5-बेहतरीन सोतूंन: ُ لت ل َّی ِع ٰما َِّد ُ ْ ا َّ ََّّوک ُل َّخ:قال أمیا ومنی علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज 757) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: खद ु ा पि तिक्कुल बेितिीन सिािा िै. PACHAS MAU… - 274 HAJINAJI.com तशिीि: खुदा पि तिक्कुल औि भिोसा किने का यि माना निीूं िै , कक इूंसान िि तदबीि औि बन्द ि बस्त को बेकाि समझे, औि िाथ पि िाथ िख कि बैठ जाऐ क्यूूंकक बेकािी एक अखलाकी जुमस िै , औि खेलाफे शििीअत भी िै. यि दन्ु या सबब ि मस ु ब्बब की दन्ु या िै. तिक्कुल औि भिोसे का मतलब यि िै. कक इूंसान तमाम असबाब ि ऐलल को अूंजाम दे ले. उस्के बाद खद ु ा पि भिोसा औि तिक्कुल किे मसलन घि से किीूं बािि जा ििे िैं. तो घि का दििाजि बूंद किें , औि उस में ताला लगाएूं उस्के बाद खुदा पि तिक्कुल किें कक इूंशाअल्लाि घि में चोिी िगैिि न िो, यि निीूं कक दििाजि बूंद न किें औि ताला न लगाएूं कफि तिक्कुल किें कक अब चोिी निी िोगी. िमािा घि मिफूज़ िै. यि बबलकुल गलत िै. बल्की तिक्कुल PACHAS MAU… - 275 HAJINAJI.com के माना यि िैं. कक जब बनदा ककसी काम का इिादा किे , तो जजतने असबाबे जाििी िैं. उन्को पिू ा किे , कफि उस्के बाद अपनें अम्र को अपने काम को मासलके िकीकी के ससपुदस किदे , यानी िि मुमककन कूित सफ़स किने के बाद नतीजा खुदा पि छोड़ दे . यि िै तिक्कुल. बस जजतनी ज़्यादि खद ु ा की मािे फत िोगी उतना िी ज़्यादि खुदा पि भिोसा औि तिक्कुल िोगा. दआ किते िैं खुदाया बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.म.ु स.) िमें तिक्कुल किने की तौफीक अता फिमाए (आमीन). PACHAS MAU… - 276 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हज़रत अबूज़र का तवक्कुल: अगि िम मस ु लमान िैं, तो िमें खद ु ा पि उसी तिि से ईमान िखना चाहिए जजस तिि िज़ित अलािा अबुज़ि ककसी िखते थे. से अपनी िमें खुदा के तिक्कोआत (उम्मीदें ) िाबस्ति निीूं किनी चाहिए. क्यक ू ी पुिी मखलूक खुदा की मुिताज िै औि खुदा ककसी का मुिताज निीूं िै एक मतसबा िाककमे शाम मोआिीया नें सोचा कक अबूज़ि िमेशा उस्की माली पासलसी पि तनकीद किते ििते िै . क्यू न उन्िें भी दौलत के जाल में फूँसा हदया जाऐ. ताकी कल िि उसपि तनकीद न कि सकें. यि सोच कि उसनें अपने नौकि को बल ु ाया, औि उसे दो सौ दीनाि दे कि किा, कक तुम यि दीनाि अबूज़ि के पास ले जाि, औि उनसे PACHAS MAU… - 277 HAJINAJI.com किो कक, यि िाककमे शाम की तिफ से तुम्िािे सलये तोिफा िै. िाककमे शाम का मकसद यि था. कक िि इस तिि अबूज़ि को अपने सुनििी जाल में फूंसा ले गा, औि उन्िें अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) से मुन्िरिफ किने में कासमयाब िो जाऐगा. जब काससद अबूज़ि के पास पिुूँचा, औि उसनें िि िकूंम उन्की खखदमत में पेश की, तो अबूज़ि नें िि िकम लेली, औि फ़ौिन िुजिे से बािि तनकले, औि काससद (नौकि) की मौजूदगी में , िि िकम ग़िीबों औि समकीनों में तकसीम किदी, औि अपने सलये एक हदििम भी निीूं बचाया. कफि अबूज़ि नें िाककमे शाम के काससद से किा. मोआिीया से जाकि कि दे ना कक. जब तक मेिी इस थैली में कुछ न कुछ मौजूद िै. उस िक्त तक मैं ककसी का मुिताज निीूं िूूँ. िाककमें PACHAS MAU… - 278 HAJINAJI.com शाम के काससद नें किा मैं चािता िूूँ कक. आप मुझे अपनी थैली हदखाएूँ, ताकी मैं दे खू कक उसमें ककतना खजाना मौजद ू िै. िज़ित अबूज़ि नें उस्के सामने थैली उलट दी. उस में से जौ की दो खुश्क िोहटयाूं बिआमद िुईं. िज़ित अबूज़ि नें किा दे ख ििे िो ना, मेिे पास इस िक्त दो िोहटयाूं मौजद ू िैं. एक से अफ्ताि करूूँगा औि दस ू िी सििी के िक्त खािूूंगा. अगि मैं जजन्दा ििा, तो खुदा इसके बाद भी मुझे िोहटयाूं इनायत किे गा. इसी सलये मै ककसी िाककम का मि ु ताज निीूं िूूँ. जजस खुदा नें मुझे आज रिज्क हदया िै िि आइन्दा भी मुझे रिज्क से मिरूम निीूं िख्खे गा. (कश्कोल दस्तेगैब जजल्द 1, पेज 43, नक्ल अज़ नफ़्से मुतमइन्नि पेज 125.) 2-मह ु कम सहारा: जब यूसुफ़ (अ.स.) के भाइयों नें उन्को कुिें में फेकने लगे, तो िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) PACHAS MAU… - 279 HAJINAJI.com मुस्कुिाने लगे, भाइयों में से यिूदा नें िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) से पूछा इस िक्त मस् ु कुिाने का मौक़ा तो निीूं िै. आप क्यूंू मस् ु कुिा ििे िैं. िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) नें फिमाया मैंनें एक हदन ख्याल ककया था. कक मेिे इतनें ताक़त्िि औि ज़्यादा भाई िैं. कक ककसी को मेिे साथ दश्ु मनी की हिम्मत भी निीूं िोसकती. शायद इसी ख़याल की िजि से, खुदा िूंदे मुतआल नें उन िी भाइयों को मेिे ऊपि मुसल्लत फिमाया औि भिोसा िै. ताकक मैं समझलूंू कक खद ु ा िूंदे आलम के अलािा ककसी पि किनाूं. ि तिक्कुल न (मौज़ूई दास्तानें पेज 121) PACHAS MAU… - 280 HAJINAJI.com 21) तोहमत आयात: 1-अपने गुनाह की ननस्बत दस ू रे की तरफ दे ना: َّم یَّر َِّم بِ َّٖہ بَّ ِریٰٓـًا فَّقَّ ِد ََّّ ىـ ًََّۃ َّا َّوَّ اِ َّث ًاَّ ُث ََّّ ٰٓ َّو َّمن یَّک ِسب َّخ ِطی ل ُبہتَّان ًَّا َّو اِثًا ُمبِین ً َّا َّ َّ احت َّ َّم (सिू ए तनसा आयत 112.) औि जो शख्स भी कोई गलती या गुनाि किके, दस ू िे बेगुनाि के सि डाल दे ता िै. िि बिुत बड़े बोितान औि खुले गुनाि का जज़म्मेदाि िोता िै. 2-जो कुछ नहीं फकया इस्की ननस्बत दे ना: ِِ ِ یَّ َّما اکت َّ َّسبُوا َِّ َّ ی َّو الُؤ ِمن ٰ ِت بِغ َّ َّو الَّذی َّن یُؤ ُذو َّن الُؤمن فَّقَّ ِد احت َّ َّملُوا ُبہتَّانًا َّوَّ اِثًا ُمبِینًا (सिू ए अिज़ाब आयत 58.) PACHAS MAU… - 281 HAJINAJI.com औि जो लोग सािे बाने ईमान मदस या औितों को बगैि कुछ ककये धिे अजीयत दे ते िैं. उन्िों नें बड़े बोितान औि खल ु े गन ु ाि का बोझ अपनें सि पि उठा िख्खा िै. 3-रह्बराने इलाही पर तोहमत: َّٗلَّ اف َّۡتٰی عَّٰلَّ الل ّٰ َِّہَّ کَّ ِذبًا َّوَّ َّما ََّن ُ َّنَّ ل َّ َّہ ُۨ ُ اِن ُہ ََّّوَّ اِ َّۡل َّر ُج َّی ََّّ ِ ُِبؤ ِم ِن (सूिए मोमेनूूंन आयत 38) यि एक अयसा इूंसान िै जो खुदा पि बोितान बाधता िै औि िम उसपि ईमान लाने िाले निीूं. 4-शखसीयत को पामाल करना: َّاِذَّا ُتت ٰٰل عَّلَّی ِہم اٰیٰتُنَّا بَّیِنٰت قَّالُوا َّما ہ ٰ َّذ َّا َّۤ اِ َّۡل َّر ُج ٌل ی ُ ِری ُد َّٓاؤ ُکم ۚ َّو قَّالُوا َّما ہ ٰ َّذا ۤاِ َّ َّۤۡل ُ َّان یَّعبُ ُد اٰب َّ َّ ا َّن یَّ ُص َّد ُکم عَّ َّما َّک PACHAS MAU… - 282 HAJINAJI.com َّ َّالَّ ال َّ ِذی َّن کَّ َّف ُروا لِل َّح ِق َّلَّا َّجٓاءَّ ُہم ۙ اِن ٌ َّاِف َّ َّک ُم َّف َّۡتًی ؕ َّو ق ِ ِ َّی ٌ ِہ ٰ َّذا ۤا َّۡل سح ٌر ُمب (सूिए सबा आयत 43.) औि जब उन्के सामनें िमािी िौशन आयात की ततलाित की जाती िै. तो किते िैं कक. यि शख्स ससफस यि चािता िै. कक तुम्िें उन सब से िोक दे जजन की तुम्िािे आबा ि अजदाद पिजस्तश क्या किते थे. औि ससफस यि एक गढी िुई दास्तान िै , औि कुफ्फाि तो जब भी उन्के सामने िक़ आता यिी किते िैं. कक यि एक खुला िुिा जाद ू िै. 5-पैगंम्बर (हज़रत नूह अ.स.) पर तोहमत: ِ َّال َّ ال ال َّ َّل ُمن قَّو ِم َّٖہ َّۤ اِن َّا لَّن َّٰر َّ َّىک ِ َِّف َّضلٰلََّّ ُمبِیََّّق َّ َّق ََّّ بَّ العٰل َّ ِم ی َّ ِ ل ٌََّۃَّ َّو ل ٰ ِک ِنَّ َّر ُسو ٌَّلَّ ِم َّنَّ َّر َّ َّ ٰ یٰقَّو ِم لَّی َّس ِ َّٰبَّ َّضل (सूिए अअिाफ आयात 60,61) PACHAS MAU… - 283 HAJINAJI.com तो कौम के िोअसा (बड़े बड़े लोगों) नें जिाब हदया. कक िम तो तुम्िें खुली िुई गुमिािी में दे ख ििे िैं. नि ू (अ.स.) नें किा अय कौम मुझ में गुमिािी निीूं िै. बजल्क मैं िब्बुल आलमीन की तिफ से भेजा िुिा नुमाूँइन्दि िूूँ. PACHAS MAU… - 284 HAJINAJI.com ििायात: 1-अज़ीम गुनाह اَّلْبهْت َّ عل: قال الصادق علیه السلم بيءِ اَّثْقَّ ُل ُ ُ ْ َّ ْ ان َّ َّي ال َّ ِ َّ ِم َّن ا َّْْل ِب ٰ ِال الَّ ّٰرا ِسی ات (खेसाल पेज 348.) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: ककसी पाक दामन मोसमन पि तोिमत लगाना मस् ु तिकम पिाड़ों से भी ज़्यादि सूंगीन ि भािी िै. 2-सज़ा ِ ِ ت م ْؤ ِمنا ًأَّو م ْؤ ِمنَّةً قَّ َّ ِ ِ لی اهلل ُْ ُ َّ ََّّم ْن بَّه ُ ال فیْه َّ ْ َّس فیْه اَّقَّ َّام ُه َّال ی َّ ْو ََّّم َّال ْقِیَّ ٰ َّام ِة عَّل َّي تَّ ِل ِم ْن نَّار َّح ّّٰٰت ََّيْ ُر َّج َِمّٰا قَّا ل َّ ُه ٰ ٰ ُتع َّفِی ْ َِّه (बबिारुल अन्िाि जजल्द 7, पेज 194.) PACHAS MAU… - 285 HAJINAJI.com िज़ित िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: जो शख्स ककसी मोसमन पि तोिमत लगाऐ. या उस्के बािे में िि चीज़ किे जो उस में न पाई जाती िो. तो एसे शख्स को खुदा िूंदे आलम आग की एक बुलूंदी पि खड़ा किे गा, ताकी िि अपनें मोसमन भाई की शान में किी जाने िाली बात को साबबत किे . 3-मलामत न करे : ِ ِ َّ َّاو ا َّلظ َّن بِ َّٖه َّ َّم ْن عَّ َّر َّض ن َّ ْف َّس ُه للتُهْ َّمة فَّ َّل یَّل ُ ْو َّم َّن َّم ْن أ َّس (गोिरुल िे कम जजल्द 2, पेज. 763.) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जो अपनें नफ्स को तोिमत में डालता िै. उस शख्स पि मलामत निीूं किना चाहिये जो उस से बद गुमान िोता िै. 4-ईमान का पपघल जाना: PACHAS MAU… - 286 HAJINAJI.com ِ َّات َّ ٰ إِذا َّ َّاّت َّ َّم ا ْلُ ْؤم ُن أ َّ َّخ ُاه ْاّن:قال الصادق علیه السلم ِ َِّان ِم ْن قَّلْبِ ٖه كَّ ٰما یَّنْعٰا ُت ا ْلِل ُْح ِ َِّفْا َّْل ٰ َّاء ُ ٰ ْأۡل ْْي (ककताब अल शाफी जजल्द 4,पेज, 344.) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जो मोसमन भाई अपने मोसमन भाई पि तोिमत लगाता िै. तो ईमान उस्के हदल में इस तिि वपघल जाता िै जैसे नमक पानी में. 5-तोहमत लगाने वाला मलऊन: َّمل ْ ُع ْو ٌن َّمل ْ َُّع ْو ٌن َّم ِ َّن َّاّت َّ َّم أ َّ َّخ َُّاه: قال کا ظم علیه السلم (िसाएल अल शीआ जजल्द 12, पेज, 231.) इमामे मस ू ा काजजम (अ.स.) नें फिमाया: मलऊन िै िि शख्स जो अपनें दीनी बिादि पि तोिमत लगाऐ. PACHAS MAU… - 287 HAJINAJI.com तशिीि: तोिमत एक अज़ीम गुनाि िै. ज़ुबान से ककये जाने िाले गन ु ािों में से एक गन ु ाि तोिमत िै. तोिमत यानी ििम ि गुमान की बुन्याद पि ककसी की तिफ गलत बात या गुनाि की तनस्बत दे ना. अगि िम ककसी शख्स को गन ु ाि अूंजाम दे ते िुए दे खें. तो उस गुनाि की तनस्बत उस्के तिफ दे सकते िैं. लेककन जब िम नें दे खा िी नहिूं तो िम ककसी भी सूित िक़ निीूं िखते कक उस्को मत्त ु हिम किें . अगिचे क़िाएूंन (दलीलें) मौजद ू िों. तोिमत लगाकि िम िकीकत में , ककसी पाक दामन मदस या औित को लोगों के दिसमयाूँन ज़लील ि रुसिा किते िैं. ककतना बिु ा अमल िै. कक इूंसान ककसी के सि ऐसा गुनाि थौंपे (डाले) जजस से उस्का दामन पाक िो औि ककस क़दि ना पसूंद िै कक इूंसान ििा ि ििस औि बेिूदा चीज़ों की PACHAS MAU… - 288 HAJINAJI.com बबना पि ककसी मोितिम इूंसान को ज़लील ि रुसिा किे यकीनन ऐसा इूंसान ििमते इलािी से दिू िै. खुदा से दआ ु किते िैं बिक्के चिादसि मअसूमीन (अ.मु.स.) िम सब को तोिमत से बचने की तौफीक अता फिमाऐ. PACHAS MAU… - 289 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-गैर मुसलमान पर भी तोहमत जाइज़ नहीं: अम्र बबन नोंमान जोफ़ी किते िैं: िज़ित इमाम जाफि साहदक़ (अ.स.) का एक दोस्त था. जिाूं भी इमाम जाते िि इमाम के साथ ििता, औि इमाम से अलग न िोता, एक हदन इमाम (अ.स.) के साथ बाजाि गया औि उस्का गुलाम जो कक मुसलमान निीूं था. िि भी उस्के साथ था. (लेककन दिसमयान में गल ु ाम किीूं इधि उधि िो गया) उसनें तीन मितबा पीछे मुड के दे खा, मगि गुलाम हदखाई न हदया जब चौथी मितबा दे खा तो गुलाम नज़ि आया. तो उसनें किा: अय बदकाि औित के बेटे तू किाूँ था. िािी किता िै: इमाम साहदक़ (अ.स.) अपना िाथ अपनी पेशानी पि मािा औि किा: खुदा की पनाि तू उस्की माूँ पि PACHAS MAU… - 290 HAJINAJI.com तोिमत लगाता िै! मैं गुमान किता था कक तुम एक पििे ज़ गाि शख्स िो, लेककन मैं तम में पििे जगािी की कोई तनशानी निीूं ु दे ख ििा िूूँ. उसने किा मेिी जाूंन आप पि कुबासन उस्की माूँ ससूंहदयि ि मुशरिक िै. िज़ित नें फिमाया: क्या तुम निीूं जानते िि उम्मत ि मज़िब में तनकाि िोता िै ? मुझ से दिू िोजा! िािी किता िै उस्के बाद मैंनें कभी भी उस्को िज़ित के साथ निीूं दे खा यिाूँ तक कक िि इस दन्ु या से चल बसा. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज. 261, नक्ल अज़ दास्तानिाए अखलाकी पेज 201, औि चेिल िदीस िसूले मह्ल्लाती जजल्द 2 पेज 166.) 2-तोहमत की सजा: िज़ित मस ू ा (अ.स.) नें फिमाने इलािी के मुताबबक कारून से ज़कात का मुतासलबा ककया, लेककन उसनें किा मैंनें तौिात को पढ़ा PACHAS MAU… - 291 HAJINAJI.com िै औि मैं मूसा (अ.स.) से कम निीूं िूूँ, क्यों अपनें माल की ज़कात मूसा (अ.स.) को दूं ू आखखि कारून नें बेईमानी औि गोरूि की िजि से एक खतिनाक प्रोगेिाम बनाया, िि यि था, कक उसनें एक फािे शि औित से किा: मैं तुम को चूंद िज़ाि हदििम दूं ग ू ा कल जब िज़ित मूसा (अ.स.) खखताब कि ििे िों, तो सब लोगों के सामने खड़े िोकि किना कक (नऊज़ो बबल्लाि) मूसा नें मेिे साथ ज़ेना ककया िै. उस औित नें इस पेश कश को क़बल ू किसलया, लेककन जजस िक्त उसने िज़ित मूसा (अ.स.) के नूिानीूं चेििे को दे खा, तो अपनें इिादि से िट गई. औि बुलूंद आिाज़ से किा: मैंनें एक लाख हदििम इस नाजजबा तोिमत लगाने के सलये, सलये िैं. औि खुदा िूंदे मूतआल नें तुझको इस तिि आलूदगी से पाक ि मुनज्जि िख्खा िै. उस िक्त िज़ित मूसा (अ.स.) का PACHAS MAU… - 292 HAJINAJI.com हदल शीकस्ति (टूट गया) िुिा औि कारून केसलये बददआ की: अय ज़मीन कारून को ु जकड ले औि अपनें अूंदि धूंसा ले! ज़मीन नें अपना मुूंि खोला औि कारून ज़मीन में धूंस गया औि सख्त अज़ाबे इलािी में थगिफ्ताि िुिा. िारून की िलाकत के बाद बनी इस्राईल की नादाूँन कौम के लोग एक दस ू िे से किनें लगे ‘’मूसा (अ.स.)’’ नें कारून केसलये बददआ की ताकी िि िलाक िोजाए औि ु उस्के माल ि दौलत में तसरुस फ किे . मस ू ा (अ.स.) नें इस तोिमत से बचनें केसलय दआ की खुदाया कारून के खजानें को भी ु नाबूद किदे दआ मुस्तजाब िुई औि कारून ु का खज़ानि भी ज़मीन में धूंस गया. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1,पेज. 261.) PACHAS MAU… - 293 HAJINAJI.com 22) जेहालत व नादानी आयात: 1-अक्सर नहीं जानते: َّ﴾ ِک َّ َّنَّ اَّکث َّ َّر ُہمََّّ َّۡل یَّعل َّ ُمو َّن (सूिए अअिाफ आयत 131) उन्की अक्सिीयत इस िाज़ से बेखबि िै. 2-ज़ुलम अवालमले जहल में से है: َّ َّال ہَّل عَّلِمتُم َّما فَّعَّلتُم بِیُو ُس َّف َّو ا َّ ِخی ِہَّ َّاِذََّّ ا َّنتُم َّ َّق ٰج ِہلُو ََّّن (सिू ए यस ू फ़ ु आयत 89.) उसने किा कक तुम्िे मालूम िै कक तुम नें यूसुफ़ औि उन्के भाई के साथ क्या बतासि ककया िै जबकक तुम बबलकुल जाहिल थे. 3-असबाबे जेहालत: PACHAS MAU… - 294 HAJINAJI.com َّل ِمن َّ ٌ ُک ؕ ُقلَّ ک ََّّ َّو اِن ُت ِصبہم َّسیِ َّئَّ ٌََّۃ یَّ ُقولُوا ہ ٰ ِذ ٖہَّ ِم َّن ِعن ِد ُ ال ہ ٰ ُۤؤ َّآل َّءِ القَّو َِّم َّۡلَّ َّی َّكََّّ ُادو ََّّن یَّفقَّ ُہو ََّّن َّح ِدیث ً َّا َّ ِ ِعن َِّد الل ّٰ َِّہ ؕ فَّ َّم (सूिए तनसा आयत 78.) अगि अच्छे िालात पैदा िोते िैं तो किते िैं कक यि खुदा की तिफ से औि मुसीबत आती िै तो किते िैं कक यि आप की तिफ से िै तो आप कि दीजजए कक सब खुदा की तिफ़ से िै कफि आखखि में इस कौम को क्या िोगया िै कक यि कोई बात समझती िी निीूं िै. 4-अक्सर जादहल हैं: َّو ل ٰ ِک َّن اَّکث َّ َّر ُہم ََّیہَّلُو ََّّن (सूिए अनआम आयत 111) उन्की अक्सिीयत जेिालत िी से काम लेती िै. PACHAS MAU… - 295 HAJINAJI.com 5-बेजा तवक्कोआत जेहालत कीवजह से होती है: َّؕ ی ٌََّۃ ََّّ ٰ ال ال َّ ِذی َّن َّۡل یَّعل َّ ُمو َّن لَّو َّۡل یُكَّلِ ُمنَّا الل ّٰ ُہَّ ا َّو تَّاتِیَّن َّ َّاَّۤ ا َّ ََّّو ق َّل قَّول ِ ِہمَّ َّؕتَّ َّشابَّہَّت َّ َّ ال ال َّ ِذی ََّّن ِم َّن قَّبلِ ِہمَّ َّ ِمث ََّّ َّک ق ََّّ ِ کَّذٰل ت لِقَّومََّّ یُوقِنُو ََّّن َّ ِ ٰ ُقلُو ُبہمَّ ؕ قَّدَّ بَّیَّنَّ َّا اۡلٰی ُ (सूिए बकिि आयत 118.) यि जाहिल मुशिे कीन किते िैं कक खुदा िमसे कलाम क्यूूं निीूं किता औि िम पि आयत क्यूंू नाजज़ल निीूं किता, उन्के पिले िाले भी अयसी िी जेिालत की बातें किचुके िैं. उन सब के हदल समलते जुलते िैं औि िमनें तो अिले यकीन केसलये आयात को िाज़ेि किहदया िै. PACHAS MAU… - 296 HAJINAJI.com ििायात: 1-हर शख्स का दश्ु मन: َّص ِدی ْ ُق کُ ُل أ َّ ْمر عَّ ْقل ُ ٗه َّو: قال الرضا علیه السلم َّع َّ ُد ُوه َّٗجهْل ُ َُّه (ककताब अल शाफी जजल्द 1, पेज 37.) इमामे िे ज़ा (अ.स.) नें फिमाया: िि शख्स का दोस्त उस्की अक्ल िै औि उस्का दश्ु मन उस्की जेिालत िै. 2-जादहलों की लमसाल: َّ إ َِّن ُقل ُ ْو َّب ا ْْلُهّٰ ِال: قال أمی الومنی علیه السلم َّ َّتَّبْتَّعِ ُز َّها ْاۡل َّ ْط ٰما ُع َّو تَّ ْر ّتَّ ِنُ َّه ٰاا ْلُ ّٰن َّو تَّ ْستَّعْلِ ُقهٰا اْلْ َّ َّذا ِئ َُّع َّ (ककताब अल शाफी जजल्द 1, पेज 57.) अमीरुल मोमें नीूंन (अ.स.) नें फिमाया: जाहिलों के हदल उन सशकािी जानििों की PACHAS MAU… - 297 HAJINAJI.com तिि िैं. कक तमा (लालच) उन्को अपनी जगि से तनकालती िै औि िि शैतानी फिे ब की जाल में फूँस जाते िैं. 3-मुहताजी: َّ یَّا عَّلِ ُي َّۡل: قال رسول اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّل َّ ِ ْفَّق َّْر ا َّ َّش ُد ِم َّن ا ْْلَّه (ककताब अल शाफी जजल्द 1, पेज, 62.) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: अय अली (अ.स.) जेिालत से बढ़ कि कोई फक्र निीूं. 4-हर चीज़ तबाही के सबब: ََّّ ا َّ ْْلَّهْ ُل فَّ ٰس ُاد کُ ُل أ َّ ْمر:قال أمی الومنی علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1 पेज. 213) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जेिालत िि चीज़ की तबािी का सबब िै. 5-सब से बड़ी मुसीबत: PACHAS MAU… - 298 HAJINAJI.com َّ ا َّ ْع َّظ ُم ا ْل َّ ٰصا ِئ ِب:قال أمی الومنی علیه السلم َّا ْْلَّهْ ُل (गोिरुल िे क जजल्द 1 पेज. 212) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जजिालत सब से बड़ी मुसीबत िै. PACHAS MAU… - 299 HAJINAJI.com तशिीि: पििि हदगािे आलम नें इूंसान को अक्ल जैसी नेअमत से निाज़ा िै. ताकक इूंसान उस अक्ल के ज़रिये जेिालत के पदे औि नादानी को दिू किके नजात की िाि पा सके. कुिआन औि ििायात की िौशनी में , जेिालत के माना बेअक्ली िै. न कक नादानी, लेिाज़ा लफ्ज़े जेिल को अक्ल के मुकाबबले में इस्तेमाल ककया जाता िै . इल्म के मुकाबबले में इस्तेमाल निीूं िोता. जेिालत एक ऐसी ससफत िै , जजस से अिसलयाऐ इलािी नें भी पनाि माूँगी िै. आप तािीख का मुतालेआ किें तो मालूम िोगा कक. नबी, िसूल ि अूंबबया अइम्मा ि अिसलयाऐ केिाम िगैिि के जजतनें भी दश्ु मन थे सब के सब जाहिल ि नादाूँन थे, औि उसी जेिालत की बबना पि अपने आप को अक़ल्मूंद तसव्िुि किते थे. औि िाहदयाने इलािी को जाहिल तसव्िुि PACHAS MAU… - 300 HAJINAJI.com किते थे औि उसी जेिालत की बुन्याद पि उनसे दश्ु मनी िखते थे, औि आखखिकाि नतीजा क्या तनकला कक जाहिल ि नादान अफिाद को जज़ल्लत ि रुसिाई का सामना किना पड़ा, औए यि बदतिीन अज़ाबे इलािी में मुब्तेला िुये, औि यिी जेिालत इूंसान की तबािी का सबब िै . खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद बिक्के बाबुलइल्म (अ.मु.स.) िमें इस बद तिीन ससफ़ाते जेिालत से बचा औि अक्ल जैसी दौलत अता फािमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 301 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-जादहल आदमी गधे का भाई है: बाज़ भिोसे मूंद अफिाद नक्ल किते िैं कक एक जाहिल ि नादाूँ शख्स मििूम शैख़ अूंसािी (मुसजन्नफ़ ककताब िसाएल ि मकाससब) की खखदमत में आया औि किा मैं गधा खिीदना चािता िूूँ इस्तेखािा तनकाल दीजजये. मििूम शैख़ अूंसािी नें कुिान से इस्तेखािा तनकाला तो यि आयत. َّک َّ ک بِا َّ ِخی َّ َّسن َّ ُش ُد عَّ ُض ََّّد (सूिए केसस आयत 35) तनकली यानी िम तम् ु िािे बाजि ू ों को तम् ु िािे भाई से मज़बूत किें गे शैख़ अूंसािी नें फिमाया: बेिति िै. कक गधा खिीद लो. एक दस ू िा शख्स शैख़ के पास बैठा िुिा था उसनें शैख़ अूंसािी से किा: आपनें ककस िजि से उससे फिमाया कक गधा खिीद लो? मििूम अूंसािी नें फिमाया: यि जाहिल ि PACHAS MAU… - 302 HAJINAJI.com नादाूँन शख्स िै औि कुिआन में पििि हदगािे आलम फिमाता िै. ََّّا َّمََّّ َُّت َّس ُب ا َََّّّنَّ اَّکث َّ َّر ُہمََّّ یَّس َّم ُعو ََّّنَّ ا َّو یَّعقِلُو َّن ؕ اِنََّّ ُہم َّلَّ َّس ِبَّی ًل َّ ُ َّاِ َّۡل کَّاۡلَّنعَّا َِّمَّ بَّل ُہم ا ََّّض (सिू ए फुिकान आयत 44) क्या आप का ख़याल यि िै कक उन्की अक्सरियत कुछ सुनती औि समझती िै ििथगज़ निीूं यि सब जानििों जैसे िैं बल्की उनसे भी बदति. पस जाहिल ि नादान शख्स िकीकत में गधे का भाई िै. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज 423.) 2-नादाँन की इबरत हालसल करना: एक िकीम नादाूँन ि जाहिल शख्स के घि आया. िकीम नें दे खा कक घि बिुत िी आलीशान ि िि चीज़ से मुजय्यन (सजा िुिा) िै औि ज़मीन पि फशस भी कीमती PACHAS MAU… - 303 HAJINAJI.com बबछा िुिा िै. लेककन घि िाला, नादाूँन ि जाहिल िै , औि इल्म की असलफ़, बा, से भी िाक़फीयत निीूं िखता िकीम नें उस्के मूंि ु पि थूका. साहिबे मूंजजल नें ऐतिाज़ किते िुिे किा: िकीम सािब आपनें मेिे साथ ककतना बुिा ककया? िकीम सािब नें किा मेिा यि काम हिकमत की बुन्याद पि था क्यूूंकक लुआबे दिन (थूक) को घि की पस्त तिीन जगि पि थक ू ा जाता िै , औि मैंने तम् ु िािे घि में तम ु से पस्त ति ककसी को निीूं पाया. नादाूँन शख्स नें िकीम सािब के अमल औि गुफ्तगू से इबित िाससल की औि जाना कक नादानी औि जेिालत घि में िूं ग ि िोगन किने से निीूं जाती बजल्क इल्म से जाती िै. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 422) PACHAS MAU… - 304 HAJINAJI.com 23) जहन्नम आयात: 1-सात दरवाज़े जहन्नम के ललये: َّیَّلَّہَّا َّسب ََّّع ََُّۃَّ اَّب َّواب ََّّ َِّجع ََّّ َََّّّوَّ اِ َّن َّجہَّن َّ مَّ َّلَّوعِ ُد ُہمََّّ ا (सूिए िुजि आयात 43,) औि जिन्नम ऐसे तमाम लोगों की िादा गाि िै उस्के सात दििाज़े िैं. 2-जहन्नम को सामने लाया जाऐगा: َّ انَّ َّو ا ََّنََّّّٰ ل َّ َُّہ َُّ ایءَّ یَّو َّمئِذََّّ ِِبَّہَّنَّ َّم َۙ یَّو َّمئِذَّ یَّت َّ َّذکَّ ُ َّرَّ اۡلِن َّس ٰٓ َّو ِج ِ َّالذک ٰری (सूिए फज्र आयत 23) औि जिान्नम को उस हदन सामने लाया गएगा तो इूंसान को िोश आजाऐगा औि िम इसे याद हदलाएूंगे. PACHAS MAU… - 305 HAJINAJI.com 3-जहन्नम की आग खामोश होने वाली नहीं: کُل َّ َّما َّخبَّت ِزدنٰہم َّس َّعِیًا ُ (सूिए असिा आयत 97.) जिन्नम की आग बझ ु ने भी लगे गी तो िम शोलों को भडका दें गे. 4-दोज़खखयों की गेज़ा: َّامَّ َّاِ َّۡل ِمن َّضرِیعََّّ َّۡل یُس ِم ُن َّو َّۡل یُغ ِن ِمن ٌَّ َّلَّی َّس لَّہم َّطع ُ ُجو َّع (सूिए गासशयि आयत 6,7) खािदाि झाडडयों के अलािि इन की कोई गज़ा न िोगी जो न इन्िें ताकत दे गी औि न भूक से नजात दे गी. 5-शैतान की पैरवी करनें वालों की जगह: َّک ِمنہم قال اخرج ِمنہا مذءوما مدحورا ؕ َّلن تبِع ُ َّ َّ َّ َّ ً ُ َّ ً ُ َّ َّ ُ َّ َّ ََّّ َِّجع ی ََّّ ََّّۡلَّملَّـ َّن َّجہَّن َّ مَّ ِمن ُکمََّّ ا PACHAS MAU… - 306 HAJINAJI.com (सूिऐ आिाफ आयत 18.) फिमाया यिाूँ से तनकल जा तू ज़लील ि मिदद ू िै अब जो भी तेिा इत्तेबा किे गा मैं तुम सब से जिन्नम को भि दूं ग ू ा. PACHAS MAU… - 307 HAJINAJI.com ििायात: 1-जहन्नमी काफफर: َّ إ َِّن أ َّ ْه َّل النّٰا ِر کُ ُل:قال أمی الومنی علیه السلم َّكَّ ُف ْور َّم ُك ْور (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .225) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: बेशक जिन्नम िाले सब िी काकफि ि मक्काि िैं. 2-जहन्नमी हमेशह अज़ाब में: َّو فْ ُد النّٰا ِر أَّبَّدا ً ُمعَّ َّذ:قال أمی الَّومنی علیه السلم َُّب ْو ََّّن (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .225) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: आततशे जिन्नम में दाखखल िोनें िाले िमेशा अज़ाब में ििें गे. PACHAS MAU… - 308 HAJINAJI.com 3-यह ल्जस्म जहन्नम की आग को बरदाश्त नहीं कर सकता: صَب ٌر ْ َّ ِ لَّیْ َّس َِلَّذا َّا ْْلِل ِد ال َّرفِیْق: قال علي علیه السلم عَّل ٰي النّٰا َِّر (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .225) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: यि नाज़ुक ि बािीक खाल जिन्नम की आग पि सब्र निीूं कि सके गी. 4-जहन्नम की सज़ा काफी है: ً كَّفٰي ِِبَّهَّنَّ َّم نِكَّا َّۡل:قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .224) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जिन्नम के सलये उस्की सज़ा का िोना िी काफी िै. 5-इफरात का नजीजा: ِ َّی َّ ْ اَّلنَّ ُار غَّای َّ ُة ا ْلُ ْف ِرط:قال أمی الومنی علیه السلم PACHAS MAU… - 309 HAJINAJI.com (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .226) अमीरुल मोमें नीन (अ.स.) नें फिमाया: आततशे जिन्नम इफिात (ज्यादती) किनें िालों के अमल का नतीजा िै. PACHAS MAU… - 310 HAJINAJI.com तशिीि: बहिश्त मुत्ताकीन के सलए िमेश्गी औि अबदी मक़ ु ाम िै. उन्के सलये ििाूँ बागात िोंगे जजन के नीचे नििें जािी िोगी औि िि िमेशि उसमें ििें गें . जिन्नम अिले कुफ्र ि गुनाि किनें िालों का मुकाम िै. कोई भी उन्को अज़ाबे इलािी से बचाने िाला न िोगा उन्के चेििे ससयाि िात की तिि िोंगे. जन्नत औि दोज़ख पि ईमान िखना ज़रूरियाते दीूंन में से िै , औि उन दोनों पि ईमान न िखना कुफ्र के मसािी िै. बहिश्त अपनीूं तमाम ति माद्दी ि मानिी नेमतों के साथ नेक ि सालेि अफिाद की पादाश ि जज़ा, औि जिन्नम अपनें तमाम ज़ाििी ि बातनी अज़ाब के साथ बदकािों केसलये सज़ा की जगि िै. जन्नत ि जिन्नम गैब के मसादीक में से िै. उन दोनों के बािे में बयाूंन किनाूं ससफस PACHAS MAU… - 311 HAJINAJI.com ि ससफस ‘ििये’ इलािी की जजम्मेदािी िै. इूंसान का इल्म जजस को पालने से काससि (मजबिू ) िै. बिििाल जो शख्स भी उन पि ईमान िखता िै. िि जन्नत केसलये नेक अमल किता िै , औि जिन्नम से बचनें केसलए अपनें आप को मुििसमात से दिू िखता िै. बिििाल िमें अपने आप को औि अपने अिल ि अयाल (घि िालों) को जिन्नम की आग से बचने के सलये कोसशश किते ििना चाहिए. आज कल का मािौल बिुत िी खिाब औि खिाब से खिाब ति िोता जा ििा िै . अय्से मािौल में ताजज्कयए नफ्स (नफ्स का तज़ककया) औि मुििासमात से बचना बिुत िी ज़रूिी िै . खुदा से दआ किते िैं बिक्के बाबुल ििाऐज ु िजिते अब्बासे अलम बिदाि (अ.स.) िमें PACHAS MAU… - 312 HAJINAJI.com जिन्नमी िोने से बचा औि िमें अिले बहिश्त में क़िाि दे . (आमीन) PACHAS MAU… - 313 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-इमामे साददक़ और आनतशे जहन्नम की याद: गमी थी औि शाम के खाने का िक्त िो चुका था. इमामे साहदक़ (अ.स.) के सामने दस्ति ख्िान को बबछाया गया. उस्के बाद प्याला लाया गया जजसमें गोश्त का सालन था. िज़ित (अ.स.) के पास िख हदया गया. प्याला सालन की िजि से काफी गमस था. जजस िक्त िजिते साहदक़ (अ.स.) नें एक लक् ु मा िोटी का उठाकि सालन से लगाना चािा तो अपनें िाथ को खैच सलया औि कई बाि फिमाया: َّنستجی با اهلل من النار نعوذ با اهلل من النار खुदा से जिन्नम की आग से पनाि माूँगता िूूँ. यि जुमला इतनी बाि तकिाि ककया कक सालन ठूं ढा िोगया. उस िक्त आपनें (अ.स.) PACHAS MAU… - 314 HAJINAJI.com नें फिमाया: जब िम इस सालन की तवपश को बिदाश्त निीूं कि सकते तो कफि ककस तिि आततशे जिन्नम को बिदाश्त कि सकते िैं. इस सलिाज़ से ईमामें साहदक (अ.स.) गमस सालन को दे खकि आततशे जिन्नम की याद में पड गये औि तिाजोअ (इूंन्केसािी) के ज़रिये खद ु ा की तिफ पनाि माूँगी. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 416) 1 पेज 2-पहाड़ का गगरयह: जूंगे तबक ू का िाकेआ हिजित के निें साल पेश आया. मुसलमानों का एक अज़ीम लश्कि पैगूंबिे इस्लाम (स.अ.ि.) की कयादत में रूम औि सि ज़मीने शामात की तिफ ििानि िूिा. पैगूंबि (स.अ.ि.) के साथ उस जूंग में सशिकत के सलये तकिीबन तीस िज़ाि अफिाद थे. िास्ते में एक पिाड को दे खा कक ऊपि से पानी का कतिा, क़तिा PACHAS MAU… - 315 HAJINAJI.com नीचे एक पत्थि पि थगि ििा िै. लोगों नें किा पानी का ऊपि से थगिना बिुत िी अजीब िै. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: यि पिाड़ िो ििा िै! लोगों नें किा क्या पिाड़ भी थगिया किता िै ? पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमया: क्या तुम दोस्त िखते िो कक पिाड़ के िोने को समझो (कक पिाड़ क्यूूं थगियि कि ििा िै) तमाम लोगों नें एक ज़ुबान िोकि किा जी िाूँ: आूंिज़ित (स.अ.ि.) नें पिाड़ से पूछा: ‘’अय पिाड़ तेिे िोने की िजि क्या िै ?’’ तमाम लोगों नें सुना कक पिाड़ नें िसूले अकिम (स.अ.ि.) के जिाब में किा: अय िसूले खुदा (स.अ.ि.) एक िोज िजिते ईसा (अ.स.) का यिाूँ से गज ु ि िुिा औि जब यिाूँ (इस पिाड़) पि पिुूंचे तो किा: ِ ََّّار ََُّۃ ََّّ اس َّو اۡلِ َّج ُ َّارا َّو َُّقو ُدہَّاَّ الن ً َّ ُقوۤاَّ ا َّن ُف َّس َُّکمََّّ َّو ا َّہلی ُکمََّّ ن PACHAS MAU… - 316 HAJINAJI.com अपनें नफ्स औि अपने अिल को उस आग से बचाि जजस का इूंधन इूंसान औि पत्थि िोंगें (अय िसल् ू ले खद ु ा स.अ.ि.) उस िोज से लेकि अभी तक इस खौफ से थगिया कि ििा िूूँ किीूं िि पथि मैं िी तो निीूं िूूँ. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: अय पिाड़ तू अपनीूं जगि आिाम से िि तू उन पत्थिों में से निीूं िै बल्की िि पत्थि ककबिीत िै. (जैसे पैगूंबि स.अ.ि. नें यि फिमाया) तो उस िक्त से पिाड़ से पानी आना बूंद िोगया यिाूँ तक कक उस पिाड़ में रुतूबत भी दे खनें में न आई. (गनजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 416) PACHAS MAU… - 317 HAJINAJI.com 24) दहसर व लालच आयात: 1-दहसर नापसंद लसफत: ِ ََّّو لَّت ِج َّدن َّہم اَّح َّر َّص الن َّاس عَّ ٰٰل َّحیٰو َََّّۃ ََّۚ ََّّو ِم ََّّن ال َّ ِذی َّن ُ َّف َّس ََّّن ََّۃ ۚ ََّّو َّما ُہ َّو َّ َّ اَّش َّر ُکوا ََّۚ ی َّ َّو َُّدَّ ا ََّّح ُد ُہمَّ لَّوَّ یُعَّ َّم ُ َّر اَّل َّیٌ ًۢ ِِبَّا َّ اب ا َّنَّ یُعَّ َّم ََّّر ؕ ََّّو الل ّٰ َُّہَّ بَّ ِص َّ ِ ِ ُِب َّزح َِّز ِح َّٖہ ِم ََّّن العَّ َّذ یَّع َّملُو ََّّن (सूिए बकिि आयत 96.) अय िसल ू (स.अ.ि.) आप दे खें गें कक यि जज़ूंदगी के सब से ज़्यादा ििीस िै औि कुछ मुशिे कीूंन तो यि चािते िैं कक उन्िें िज़ाि बिस की उम्र दे दी जाऐ कक यि िज़ाि बिस भी जजन्दा ििें तो लूंबी ियात उन्िें अज़ाबे इलािी से निीूं बचा सकता. अल्लाि उन्के आमाल को खूब दे ख ििा िै. PACHAS MAU… - 318 HAJINAJI.com 2-इंसान में दहसर व लालच: ِ ان ُخلِ َّق ہَّلُوع ً َّا َّ ا ََّّنَّ اۡلِن َّس (सूिए मआरिज आयत 19.) बेशक इूंसान बड़ा लालची िै. 3-पैगंबर (स.अ.व.) और दहसर: َّقَّد َّجٓاءَّ َُّکم َّر ُسو ٌل َِّمن ا َّن ُف ِس ُکم عَّزِی ٌز عَّلَّی ِہ َّما عَّنِتُم ِِ م ٌَّ ی َّر ُءو ٌف َّر ِحی ٌ َّحرِی َّ ص عَّلَّی ُکم بِالُؤمن (सूिए तौबि आयत 128) यकीनन तुम्िािे पास िि पैगूंबि आया िै जो तुम िी में से िै औि उसपि तुम्िािी िि मस ु ीबत शाक (तकलीफ दे ि) िोती िै िि तुम्िािी हिदायत के बािे में हिसस िखता िै औि मोमेनीन के िाल पि शफीक औि मेििबान िै. 4-दहदायत के ललये दहसर: PACHAS MAU… - 319 HAJINAJI.com َّاِن َُّت ِرص عَّ ٰٰل ُہدٰىہم فَّاِ َّن الل ّٰ َّہََّّ َّۡل یَّہ ِدی َّمن ی ُ ِض ُل َّو ُ َّما لَّہمََّّ ِمن ن ّٰ ِصرِی ََّّن ُ (सूिए निल आयत 38.) अगि आप को ख्िाहिश िै कक यि हिदायत पा जाएूँ तो अल्लाि जजनको गुमिािी में छोड़ चुका िै अब उसे हिदायत निीीँ दे सकता औि न उन्का कोई मदद किनें िाला िोगा. 5-अदालत: ِ ِ م َّ ُی النِ َّسٓاءِ َّو لَّو َّح َّرصت َّ ََّّو ل َّن تَّستَّطی ُعوۤا ا َّن تَّعدلُوا ب (सिू ए तनसा आयत 129) औि तुम ककतना िी क्यूूं न चािो औितों के दिसमयान मुकम्मल इन्साफ निीूं कि सकते. PACHAS MAU… - 320 HAJINAJI.com ििायात: 1-बुराई की जि: َُّ ا َّ ْۡلِ ْر ُص َّراْ ُس ال ْ َّفقْ ِر َّو ا: قال إمام علي علیه السلم َّ ُس ا َّلش َِّر (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .242) िज़ित अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) नें फिमाया: हिसस फक्र औि बुिाई की जड िै. 2-ल्ज़ललत: ا َّ ْۡلِ ْر ُص ُذ ٌَّل: قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .244) हिसस जज़ल्लत ि कुल्फत (मस ु ीबत) िै 3-यकीन में कमी: َّ َّم ْن كَّثُ َّر ِح ْر ُص ُه قَّ َّل یَّقِ َّیْنُ َُّه:قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .246) PACHAS MAU… - 321 HAJINAJI.com िज़ित अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: जजस की हिसस बढ़ जाती िै उस्का यकीन कम िोजाता िै. 4-फकीर: َّ َّم َّْن كَّثُ َّر ِح ْر ُص ُه قَّ َّل یَّقِیْنُ َُّه:قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .246) ििीस फकीि िै चािे िि पूिी दन्ु या का मासलक िोजाऐ. 5-शकावत: َّ َّم ْن كَّثُ َّر ِح ْر ُص ُه كَّثُ َّر َّشقَّا ُئ ٗه:قال علي علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .249) मौलाऐ काऐनात अली (अ.स.) नें फिमाया: जजस की हिसस बढ़ जाती िै उस्की शकाित (सख्त हदली) ि बद बखती भी बढ जाती िै. PACHAS MAU… - 322 HAJINAJI.com तशिीि: हिसस इूंसानी जज़ूंदगी में अच्छी ससफत निीूं लेककन हिदायत की हिसस यकीनन एक बेितिीन ससफत िै. औि यि उसी इूंसान में पैदा िो सकती िै जजसे िािे िक़ से बेपनाि हदलचस्पी िो, औि िि कौम से भी िमददी िखता िो, औि िि िक्त यि चािता िो कक सािी कौम िािे िास्त पि आ जाए, औि कोई गुमिाि न िोने पाऐ, औि हिसस, ि लालच, ि तमअ, माद्दीयात (दन ु यािी सलिाज़ से) में सिीि निीूं लेककन मानिीयात में सिीि िै. जजसतिि कुआन नें पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) केसलये किा िै. कक िि तुम्िािी हिदायत के बािे में हिसस िखता िै. लोगों की हिदायत केसलये जजतनी भी हिसस िो उतना िी कम िै. लेककन माद्हदयात में हिसस इूंसान को तबाि कि दे ती िै , औि इूंसान की हिसस ि लालच कभी कम निीूं िोती. जजस को PACHAS MAU… - 323 HAJINAJI.com आखेित पि यकीन िो तो िि कभी दन्ु या पि ििीस निीूं िोगा. यि दन्ु या फना िोजाऐगी जजतना भी जमा किलें उतना कम िै, औि इसी माल ि दौलत की लालच नें इूंसान को खुदा की याद से गाकफल कि हदया. दआ ु किते िैं बिक्के शिीकतल ु िुसैन (अ.स.) िजिते जैनब (अ.स.) िमें हिसस ि लालच से दिू िख्खे. (आमीन) PACHAS MAU… - 324 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-लालची बूढा: किते िैं कक िारुन िशीद ने अपनें िजीिों से किा कक मैं चािता िूूँ कक अय्से शख्स से मुलाक़ात करू, जो सोबते िसूल (स.अ.ि.) से मुशिसफ िुिा िो, औि िसूले खुदा (स.अ.ि.) से कोई िदीस सन ु ी िो, ताकी बबला िास्ति िि िसूल (स.अ.ि.) की िदीस नक्ल किे . िारून के नौकिों नें अतिाफ में एसे शख्स की तलाश शुरू किदी, लेककन उन्िें कोई शख्स न समल सका. ससिाऐ एक बढ़ ू े के जजस के तमाम ििास कमज़ोि िो चुके थे औि ससिाऐ जजस्म औि एक मुश्त िड्डडयों के कुछ बाकी न बचा था. उसे एक टोकिी में बबठा कि तनिायत इज़्ज़त ि एितेिाम के साथ िारून के सामनें दिबाि में लाया गया. िारून बिुत खुश िुिा कक उस्का मकसद पूिा िुिा कक ऐसे शख्स को दे ख सलया जजसनें PACHAS MAU… - 325 HAJINAJI.com िसूले अकिम (स.अ.ि.) की ज़्याित की औि उन्की गुफ्तगू सुनी. िारून नें किा: अय ज़ईफ़! क्या तम ने ू िसूले खुदा (स.अ.ि.) को दे खा िै ? बूढ़े ने अज़स ककया: जी िाूँ. िारून नें किा: तूने कब िसूले (स.अ.ि.) को दे खा था? खुदा अजस ककया: मेिा बचपन था कक एक हदन मेिे बाप नें मेिा िाथ पकड़ा औि खखद मेते िसूल (स.अ.ि.) में ले गये औि उस्के बाद मैं खखद मते िसल ू (स.अ.ि.) में न गया, यिाूँ तक कक पैगूंबिे इस्लाम (स.अ.ि.) िे िलत फिमा गये. िारून नें किा: बयान किो अगि उस हदन िसूल (स.अ.ि.) से तुम नें कोई िदीस सन ु ी थी. अजस ककया: िाूँ उस हदन िसूले अकिम (स.अ.ि.) से मैंने (स.अ.ि.) नें फिमाया: सुना PACHAS MAU… - 326 था कक आप HAJINAJI.com َّ اۡلرص وطو ل:یشیب ابن ادم وتشب معه فصلتان َّاۡلمل इूंसान बूढा िोजाता िै मगि उसमें दो ससफतें जिान ििती िैं: एक हिसस औि दस ू िी लूंबी आिजूऍ. िारून बिुत खुश िुिा कक उसने िदीसे िसूल (स.अ.ि.) फकत एक िास्ते के ज़रिये सुनी उसने िुक्म हदया कक एक थैली दीनाि की उसे इनाम के तैि पि दी जाये. औि िुक्म हदया कक उसे िापस घि पिुूँचाया जाऐ. जब गुलामों नें चािा कक उसे बािि ले जाएूँ तो उस बढ़ ू े नें अपनी कमज़ोि आिाज़ को बुलूंद ककया कक मुझे िापस दिबाि में िारून के पास ले चलो. मुझे िारून से ऐक बात पूछनी िै कफि उस्के लेजाना. PACHAS MAU… - 327 बाद मुझे बािि HAJINAJI.com टोकिी को उठाने िाले दोबािि उस बूढ़े को िारून के पास ले आये. िारुन नें पूछा क्या बात िै? बूढ़े नें अजस ककया अय बादशाि यि फिमाइये के यि इनाम इस साल केसलये िै या िि साल इनायत फिमाऍगे? िारून िशीद बिुत िूं सा औि तअज्जब ु से किा: िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें सच फिमाया िै. कक इूंसान जजतना बुढापे के नज़दीक िोजाता िै उसमें दो चीज़ें जिान ििती िैं: हिसस औि लूंम्बी उम्मीदें . इस जईफ में जाूंन निीूं औि मैं गुमान भी निीूं िखता कक आइन्दि साल यि जजन्दा ििे गा, लेककन कफि भी किता िै कक यि अता इस साल के साथ मखसस ू िै या िि साल िोती ििे गी. ज्यादतीये माल की हिसस औि लूंम्बी उम्मीदों नें उसे यिाूँ तक पिूूंचा हदया िै लेककन कफि भी अपनीूं उम्र की पेश PACHAS MAU… - 328 HAJINAJI.com बीनी (यानी लूंम्बी उम्र की ख्िाहिश) किता िै औि दस ू िों की अत्यात (यानी कोई दस ू िा दे दे ) की तलाश में िै. (इबित अूंगेज िाकेआत पेज 11, कुछ इख्तेलाफ़ के साथ यकसद ि पूंजाि मौजू अज़ कुिआने किीम ि अिादीसे अिलेबैत अ.मु.स. पेज 412) 2-लालची शख्स की दहकमत आमेज़ वसीयत: एक लालची अपनें बेटो को िसीयत कि ििा था औि हिसस ि लालच के आदाब उन्को ससखा ििा था. उसनें अपनी आख़िी गुफ्तगू में इस तिि किा अय मेिे बच्चो! आखखि मैं तुम्िें इन आयात की िसीयत किता िूूँ कक खुदा फिमाता िै: PACHAS MAU… - 329 HAJINAJI.com َّ تلذ-2 فیهَّا ما تشتهیه أۡل َّنفس-1 فا ذا دخلتم بیوتا َّإذا-4 ما ا ستطعتم من قوة-3 أۡل عی کلوا وا شربوا 6 فانفجرت منه إثنتا عشرة عینا-5 بلغت اۡللقوم जब घिों में दाखखल िो तो ििाूँ िि तमाम चीज़ें िोंगीूं जजन की हदल में ख्िाहिश िो औि जो आूँखों को भली लगें , खाि औि पीयो, जजतनी कुदित िखते िो यिाूँ तक कक िलक तक पिुूँच जाये औि बािि चश्में उस से जािी िो जाएूँ. (आप नें दे खा इस लालची शख्स नें ‘’मज्कुिा मुख्तसलफ जगिों से बाला आयात’’ को चुनकि एक जगि ककया औि बच्चों को िसीयत की) (गनजीनए मआरिफ जजल्द 1,पेज 382.) PACHAS MAU… - 330 HAJINAJI.com 25) हसद आयात: 1-हसद के शर से पनाह मांगनी चादहए: َُّقل ا َّ ُعو َُّذَّ بِ َّر ِب ال َّفل َّ َِّق َّ َّق َّ َّ ِم َّنَّ َّش ِر َّما َّخل ِ ِ ِم ش َّ َّقَّ اِذَّا وقَّب َّ َّ َّ َّو َّنَّ َّر غَّاس ِ َّو ِم َّنَّ َّش ِر النَّ ّٰفث ٰ ِت ِِف العق َّ َّد َّ ُ َّ د ََّّ َّو ِم َّنَّ َّش ِر َّحا ِسدََّّ اِذَّا َّح َّس (सूिए फलक आयात 1-5) अय िसूल कि दीजजये कक मैं सब ु ि के मासलक की पनाि चािता िूूँ तमाम मख्लूकात के शि से औि अूंधेिी िात के शि से जब उस्का अधेिा छा जाऐ औि गूंन्डो पि फ़ूक्नें िासलयों के शि से औि िि िसद PACHAS MAU… - 331 HAJINAJI.com किने िाले के शि से जब भी िि िसद किे . 2-काबील का हसद: َّ ل ا َّ ِخی ِہ فَّقَّتَّل َّ َّہَّٗ فَّاَّصب َّ ََّّحَّ ِم ََّّن َّ َّ فَّ َّط َّوعَّتََّّ لَّہٗ نَّف ُسہَّٗ قَّت ََّّ اْل ٰ ِسرِی ن (सिू ए माएदि आयत 30) कफि उस्के नफ्स नें उसे भाई के कत्ल पि आमादा किहदया औि उसनें उसे क़त्ल कि हदया औि िि खसािा िालों में शासमल िोगया. 3-यूसुफ़ (अ.स.) के भाइयों का हसद: َّیَّاقتُلُوا یُو ُس َّف ا َّ َِّو اط َّر ُحو َُّہ َِّ ِاِ َّن ا َّبَّانَّا ل َِّف َّضلٰل َُّمب م َّ ا َّر ًضا ََّي ُل ل َّ ُکم َّوج َُّہَّ اَّبِی ُک (सूिए यूसुफ़ आयात 8,9) PACHAS MAU… - 332 HAJINAJI.com यकीनन िमािे माूँ बाप एक खुली गुमिािी में मुब्तेला िैं तुम लोग यूसुफ़ को क़त्ल किदो या ककसी ज़मीन में फ़ेंक दो तो बाप का रुख तुम्िािी िी तिफ िोजाऐगा. 4-मुसलमानों से हसद: َّو َّد کَّثِیٌ ِمن ا َّہ ِل ال ِکت ٰ ِب لَّو ی َّ ُردُون َّ ُکم ِم ًۢن بَّع ِد اِْيَّانِ ُکم َّارا َۚ َّح َّس ًدا ً ُکف (सूिए बकिि आयत 109) बिुत से अिले ककताब यि चािते िैं कक तम् ु िें भी ईमान के बाद काकफि बना लें िि तुम से िसद िखते िैं. 5-सादहबाने कमाल से हसद: ۤ َّاس عَّ ٰٰل َّما ۤاٰتٰہم الل ّٰ ُہ ِمن فَّضلِ ٖہ ۚ فَّقَّد اٰتَّینَّا َّ َّا َّم َُّی ُس ُدو َّن الن ُ ُ ِ ِب م ََّۃ ََّّو اٰتَّینٰہمَّ ُملك ً َّا عَّ ِظی ًم َّا ََّّ ب َّو اۡلِک َّ ٰ ا ٰ ََّّلَّ ا ٰرہِی َّم الکت ُ (सूिए आयत 54) PACHAS MAU… - 333 HAJINAJI.com या िि उनलोगों से िसद किते िैं जजन्िें खुदा नें अपने फज्ल ि किम से बिुत कुछ अता ककया तो कफि िमनें आले इब्रािीम (अ.स.) को ककताब ि हिकमत औि मुल्के अज़ीम सब कुछ अता क्या. PACHAS MAU… - 334 HAJINAJI.com ििायात: 1-हसद आफते दींन: ِ ٓا فَّ ُة: قال الصادق علیه السلم َّالد یْنِ ا َّ ْۡل َّ َّس ُد َّو ال ْ ُع ْج ُب َّو ال ْ َّف ْخ ُ َّر (सफीनतुल बबिाि जजल्द 2, पेज 176. ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 276.) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: दीूंन की आफत िसद, गरू ु ि औि फख्र किना िै. 2-हसद ईमान को खा जाता है: َّ إ َِّن ا ْۡل َّ َّس َّد یَّأ ْکُ ُل ْأۡلِ ْْيٰا َّن: قال الصادق علیه السلم ْ َّب َّ َّك ٰما تَّأ کُ ُل النَّا ُر ا ْۡل َّ َّط (सफीनतल ु बबिाि जजल्द 2- पेज 175, ककताब अल शाफी जजल्द 4, पेज 266.) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: िसद ईमान को उसी तिि खा जाता िै जैसे आग लकड़ी को. PACHAS MAU… - 335 HAJINAJI.com 3-बुराई की जि: َّ َّرأ ُس ال َّر ذَّا ِئ ْل: قال أمی الومنی علیه السلم َّا َّ ْۡل َّ َّس َُّد (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .262) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: िज़ाऐल (बिु ाई) की जड़ िसद िै. 4-हसद शैतान की खसलत: َّك َّوا ْۡل َّ َّس َّد فَّاِ ن َُّه َّ إِیَّا: قال أمی الومنی علیه السلم َّ ِشیْهَّة َّو أَّقْب َّ ُح َّس ِجیَّة َّو َّخلِی ْ َّف ُة ِ الشی ْ َّط َّان (गोिरुल िे कम जजल्द 1,पेज .261) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: खबि दाि िसद के किीब न जाना बिुत बुिी खसलत िै औि बद तिीन आदत िै. यि शैतान का शेिि िै. 5-राहत व आसाइश (आराम) नहीं: PACHAS MAU… - 336 HAJINAJI.com َّاحةَّ ِۡل َّ ُس ْو َّد َّ َّۡل َّر: قال أمی الومنی علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .266) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: िाससद केसलये कोई िाित ि आसाइश (आिाम) निीूं. PACHAS MAU… - 337 HAJINAJI.com तशिीि: िसद जलन, ककसी का ज़िाल चािना, अदाित, बग्ु ज़ ि कीना को किते िैं, औि यि एक नफसानी िालत िै िाससद दस ू िों के कमाल ि नेमतों के ज़िाल की आिज़ू ि तमन्ना किता िै. इूंसान जजतना साहिबे कमाल िोगा उसी क़दि मिसद ू (यानी लोग उस से िसद किें गे) भी िोगा, बेकमाल (यानी जजसके पास कोई कमाल निीूं िै) िाससद िो सकता िै मिसूद निीूं िो सकता. इसी िजि (अ.स.) नें से इमाम मोिम्मद बाककि फिमाया: मिसूद िाक़ई िम अिले बैत (अ.मु.स.) िैं. यि िसद ऐसा मिज़ िै जजससे िे िाई ि खलासी बिुत िी मजु श्कल िै औि यि बिु ी ससफत िुब्बे दन्ु या की एक शाख िै. यि बुिी ससफत ईमान को खत्म किदे ती िै. िमेशि दस ू िों के माल ि सिसत ि कमालात पि तनगाि, िमेशि उन्के PACHAS MAU… - 338 HAJINAJI.com ज़िाल के बािे में सोचना औि अपने सलये माल ि दौलत को जमा किने की कफ़क्र में ििना, औि यिी िसद दीूंन की आफत भी िै औि हदल की बीमािी भी िै िसद नेककयों को औि िसनात को ऐसे खा जाता िै जैसे आग लकड़ी को. खुदा से दआ किते िैं ु बिक्के चािादसि मासम ू ीूंन (अ.म.ु स.) िमें इस बुिी ससफत से बचनें की तौफीक अता फिमा. अगि िमािे अूंदि िै तो उसको खत्म किदे . (आमीन) PACHAS MAU… - 339 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हजरते ईसा (अ.स.) के हवारी का हसद: िािी किता िै कक िम नें इमामे साहदक़ (अ.स.) से सुना कक फिमाया: अल्लाि से डिो औि एक दस ू िे पि िसद न किो िज़ित ईसा (अ.स.) अपनें ज़मानें में शििों की सैि ककया किते थे. एक बाि िि सैि केसलये चले, तो उन्के ििारियों में से एक ििािी उन्के साथ चला यि अक्सि िज़ित ईसा (अ.स.) के साथ ििा किता था. जब िजिते ईसा (अ.स.) दिया के ककनािे पिुूंचे तो खद ु ा की ज़ात पि पूिा यकीन िखते िुऐ. बबससमल्लाि पढ़ी औि पानी पि चलनें लेगे. ििािी नें जब यि दे खा तो उसनें भी पूिे यकीन के साथ बबससमल्लाि पढ़ी औि पानी पि चल कि िज़ित ईसा (अ.स.) से जा समला. अब उस्के हदल में गुरूि नें जगि पाई औि किने लगा जजस तिि िजिते ईसा PACHAS MAU… - 340 HAJINAJI.com रूिुल्लाि (अ.स.) पानी पि चलते िैं मैं भी चलता िूूँ. सलिाजि उन्को मझ पि क्या ु फज़ीलत िै ? यि ख़याल आते िी िि पानी में डूब्नें लगा, पस िज़ित ईसा (अ.स.) से फियाद की. आप (अ.स.) नें उसको डूबने से बचाया औि फिमाया: तूनें क्या किा? उसने किा मैंनें हदल में किा जजस तिि ईसा (अ.स.) पानीूं पि चलते िैं. मैं भी चलता िूूँ. इसतिि गुरूि मेिे अूंदि दाखखल िुिा. िज़ित ईसा (अ.स.) नें फिमाया: तूनें अपनें हदल में िि सोचा जजसका तू अिल (जजस्के तू लाऐक़) निीूं. इस सलये खुदा तुझ से नाखुश िुिा. अब तू अल्लाि से तौबा कि चुनान्चेि उसने तौबा की खुदा नें उस्की तौबा कबल ू किके कफि ििी मतसबा दे हदया. इमाम(अ.स.) नें फिमाया: ًَّ فَّا تَّ ُقو ا اهللَّ َّو َّۡل َُّیْ ِس َّد َّن بَّعْ ُض ُك ْم بَّعْضا PACHAS MAU… - 341 HAJINAJI.com अल्लाि से डिो औि एक दस ू िे पि िसद न किो. (ओूंसूले काफी जजल्द 2 पेज 291 गूंनजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 370 यकसद ि पूंजाि मौजू अज़ कुिआने किीम ि अिादीसे अिलेबैत (अ.मु.स.) पेज 409.) 2-इमाम मोहम्मद तकी (अ.स.) से हसद: इमाम मोिम्मद तकी (अ.स.) के ज़मानें में रूनम ु ा (ज़ाहिि) िोने िाला यि िाकेआ तिज्जोि से पढ़ने के काबबल िै. उस ज़मानें में मुतिजक्कल अब्बासी का काजी अल कोजा (चीफ जजस्टस) अबु लैला खेलाफत के तमाम कानूनी कामों को जो कक इस्लामी किलाते थे अूंजाम हदया किता था. एक हदन यि चीफ सािब जब अपने दक ू ानदाि पड़ोसी दोस्त ज़कास के घि आया तो खासा पिे शान था. ज़कास ने पछ ू ा: चीफ़ जजस्टस सािब आज आप इतनें पिे शान क्यूूं िैं? चीफ सािब नें किा: क्या PACHAS MAU… - 342 HAJINAJI.com तुम सुन सकोगे कक आज खलीफ़ा के दिबाि में मुझ पि ककतनी बड़ी मुसीबत टूटी िै ? एक चोि लाया गया, उस्का जुमस साबबत िोचुका था औि अब िद जािी किने का मोआमेलि था. मुझ से खलीफ़ा नें पूछा कक उस्का िाथ किाूँ से काटा जाऐ. मैंने नें किा: कुिआन मजीद में खद ु ािूंदे आलम इिशाद फिमाता िै कक चोि के िाथ काट डालो औि िुजू का िुक्म बयान किने िाली आयत में िै कक कोितनयों से लेकि पिू ा िाथ धोना चाहिये लेिाजा मालम ू िूिा कक उस का िाथ केितनयों से काटा जाऐ. खलीफ़ा नें दिबाि में मौजूद दस ू िे अफिाद से पूछा तो उन्िों नें किा: चोि का कलाई से काटा जाऐ क्यूंकू क तयम्मम ु िाली आयत में िाथ से मुिाद कलाई िै , खलीफ़ा नें शीओूं के इमाम िज़ित मोिम्मद तकी (अ.स.) से PACHAS MAU… - 343 HAJINAJI.com पूछा तो आपनें फिमाया: दस ू िे अपनी िाऐ दे चुके िैं. खालीफ़ा नें इसिाि ककया तो आखखिकाि मजबूिन िज़ित मोिम्मद तकी (अ.स.) नें फिमाया: चोि की उूं गसलयाूं काटी जाएूँ क्यूूंकक खुदा िूंदे आलम फिमाता िै कक ‘’मसाजजद खद ु ा के सलय िैं.’’ मसाजजद मजस्जद की जमा िै , औि उससे मुिाद िि आज़ा िैं जो सजदे की िालत में ज़मीन पि िख्खे जाते िैं. यि चोि भी जब नमाज़ पढे गा तो उसे भी सजदे की िालत में ज़मीन पि सातो आज़ा िखनें िोंगें यानी दोनों िाथों की िथेसलयाूँ भी िखनी िोंगीूं. सलिाजा ससफस उस्की दो उगसलयाूँ िी काटी जाएूँ गी. जब शीओूं के इमाम ने यि बात किी: तो खालीफ़ा नें किा: बिुत खूब! शाबाश! औि फ़ौिन िी यि िुक्म दे हदया कक इमाम के बताऐ िुिे फिमान पि अमल ककया जाऐ PACHAS MAU… - 344 HAJINAJI.com औि कफि चोि के िाथों की उूं गसलयाूं काट दी गईं. तो अय ज़कास! तम ु खुद अन्दाज़ा किसकते िो कक उस िक्त मेिी क्या िालत िुई िोगी जब उस पचीस (25) सालि जिान को मझ ु पि फौकीयत दे दी गई िोगी! ज़ाहिि िै उसी िजि से मैं सख्त पिीशाूंन िूूँ औि जबतक इन्तेकाम निीूं लेलेता चैन से निीूं बैठूूंगा. िाूंलाूंकक मैं जानता िूूँ कक जो शख्स भी उस नौजिान के क़त्ल में शिीक िोगा िि आततशे जिन्नम में डाल हदया जाऐगा. लेककन कफिभी जबतक िि क़त्ल न िोजाऐ मैं उसे निीूं छोडूग ूं ा. ज़कास किते िैं मैंनें उसे नसीित की लेककन उसनें उसे कबल ू किने से इनकाि किहदया. दि िकीकत अबु लैला चीफ जजस्टस िसद की आग में जल ििा था दस ू िे िी हदन िि खलीफि के पास पिुूँचा औि कनें लगा: PACHAS MAU… - 345 HAJINAJI.com जानते िो कल तुम नें क्या ककया िै ? िि शख्स जजसको मुसलमानों की अच्छी तादाद अपना इमाम समझती िै औि उसे पैगूंबि (स.अ.ि.) का जानशीन मानती िै , औि आप को बाततल औि गलत समझती िै, आप नें बजाऐ उसे समटानें के मजीद नम ु ायाूँ औि मज़बत ू किहदया. िि लोग जो यि किते िैं कक िि िक़ पि िैं. अब यि किें गें कक दे खा खुद खलीफ़ा नें भी इस बात का ऐतेिाफ कि सलया औि दस ू िों के नज़रियात पि उस्के नज़रिये को मुक़द्दम कि हदया! ज़िा सोथचये कक यि आप नें ककतनी बड़ी ससयासी गलती की िै. मुख़्तसि यि कक अबु लैला नें (िसद की िजि से) खलीफ़ा के इस्कदि काूंन भिे कक िि इमाम मोिम्मद तकी (अ.स.) के क़त्ल पि आमादा िोगया औि आखखि काि इमाम PACHAS MAU… - 346 HAJINAJI.com (अ.स.) को ज़िि दे हदया गया. (बबखिे मोती जजल्द 1, पेज. 75.) PACHAS MAU… - 347 HAJINAJI.com 26) दहलम व बुदर बारी आयात: 1-दहलम खद ु ा की लसफत: َّم ٌَّ َّو اع َّل َّ ُموۤا َّا َّ َّن اللّٰہَّ َّغ ُفو ٌر َّحلِی (सिू ए बकिि आयत 235) औि यि जाूंनलो कक बेशक खद ु ा िूंदे मुतआल गफूि भी िै औि िलीम ि बद ु स बाि भी. 2-हज़रत इब्राहीम (अ.स.) की लसफत: م ٌَّ مَّ َّۡل َّ َّو ٌَّاہَّ َّحلِی ََّّ اِ َّن اِب ٰرہِی (सिू ए तौबि आयत 114) बेशक इब्रािीम बिुत ज़्यादि तज़िो (िोने िाले) किने िाले औि बद ु स बाि ि िलीम थे. PACHAS MAU… - 348 HAJINAJI.com 3-हज़रत इस्माईल (अ.स.) की लसफत: م َّ فَّب َّ َّشرن ٰ َُّہَّ بِغُلٰمََّّ َّحلِی (सिू ए साफात आयत 101) कफि िमनें उन्िें (इब्रािीम को) एक नेक हदल फिजूंद की बशाित दी. 4-लोगों का एअतराफ हज़रत शऐ ु ब (अ.स.) की बद ु र बारी के ललये ت اۡلَّلِی ُم ال َّر ِشی َُّد َّ اِن َّ َّک َّۡلَّن (सिू ए िूद आयत 87.) तुम तो बड़े बुदस बाि औि समझ दाि मालम ू िोते िो PACHAS MAU… - 349 HAJINAJI.com 5-दहलम जेहल के मक ु ाबबले में: لسب َُّعَّ َّو اۡلَّر ُض َّو َّمن فِی ِہ َّن ؕ َّو َّ لسمٰوٰ ُت ا َّ ُت َّسبِ َُّحَّ ل َّ َُّہَّ ا َّاِن ِمن ََّشءََّّ اِ َّۡل یُ َّس َّبِ ُح ِِبَّم ِد ٖہَّ َّو ل ٰ ِکن َّۡل تَّفقَّ ُہو َّن ِ ان َّحلِی ًما َّغ ُفو ًر َّا َّ َّ تَّسبِی َّح ُہم ؕ ان ََّّہَّٗ ک (सिू ए असिा आयत 44.) सातो आसमान ि ज़मीन औि जो कुछ उन्के दिसमयान िै सब उस्की तस्बीि कि ििे िैं, औि कोई शै ऐसी निीूं िै जो उस्की तस्बीि न किती िो, यि औि बात िै , कक तुम उन्की तस्बीि को निीूं समझते िो, पिििहदगाि बिुत बिदाश्त किने िाला औि दिगज ु ि किने िाला िै . PACHAS MAU… - 350 HAJINAJI.com ििायात: 1-मानाऐ दहलम: َّ إ َِّّنَّا ا ْۡلِل ْ ُم َّك ْظ ُم: قال أمی الومنی علیه السلم َّك النَّ ْف ِس ُ ْ الْغَّی ْ ِظ َّو َِّمل (गोिरुल िे कम जजल्द .1, पेज 175) बुदस बािी तो बस गुस्सा बािदाश्त किना औि नफ्स पि काबू िखने का नाम िै . 2-आबबदे वाकइ: ًَّ َّۡل ی َّ ُك ْو ُن ال َّر ُج َّل عَّابِد ا: قالَّ الر ضا علیه السلم ًََّّ َّح ّّٰٰت ی َّ ُك ْو ُن َّحلِیْما (ओसल ू े काफी जजल्द 3, पेज 175) इमामें िे ज़ा नें फिमाया: इूंसान आबबदे िकीकी निीूं बन सकता मगि यि कक िो िलीम िो: PACHAS MAU… - 351 HAJINAJI.com 3-मस ु ीबत के वक्त दहलम व सब्र: َّ إ َِّّنٰا ا ْۡلَّلِی ْ ُم َّم ْن إِذا َّأُ ْو ِذ َّي: قال علي علیه السلم ب َّو إِذا َّ ُظلِ َّم َّغ َّف ََّّر َّ َّ َّص (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .340) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया िलीम ि बुदसबाि तो बस ििी िै कक उस्को अजीयत दी जाऐ तो सब्र किे औि अगि ज़ुल्म ककया जाऐ तो बख्श दे . 4-सादहबाने इलम के साथ बैठने का हुक्म: ََّّ َّجال ِ ِس ا ْۡلُلْمٰا ء: قال أمی الومنی علیه السلم ًََّّ َّتَّ ْزدَّ دْ ِحلْما (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .340) PACHAS MAU… - 352 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: बद ु स बाि लोगों के पास बैठो ताकी हिल्म को बढ़ा सको. 5-बुदर बार की तलाश; َّ َّم ْن َُّتَّل َّ َّم َّحل ُ َّم: قال أمی الومنی علیه السلم (गोिरुल िे कम जजल्द 1, पेज .341) मौलाऐ काऐनात नें फिमाया: जो बद ु स बािी को तलाश किते िैं िि बद ु स बाि िो जाते िैं. PACHAS MAU… - 353 HAJINAJI.com तशिीि: हिल्म यानी बुदस बािी, तिम्मुल, सब्र, बदासश्त, नेक हदले नमस को किते िैं (1) हिल्म ि बुदस बािी खुदा िूंदे मुतआल औि अूंबबया ि अइम्माूँ मोमेनीन की ससफात में से िै . हिल्म ि बुदस बािी का मेयाि खुशी में निीूं िै कक इूंसान िालाते खुशी ि आसाइश में िलीम ि बुदसबाि िो, बजल्क हिल्म ि बुदस बािी का मेयाि िालाते गैज़ ि गज़ब औि गुस्से के िक्त िै जब इूंसान को गस् ु सा आििा िो उस िक्त इूंसान अपने गस् ु से को पीजाऐ तो उस िक्त ऐसे इूंसान को किते िैं. यि बिुत बड़ा िलीम ि बुदस बाि िै . अूंबबया अइम्मऐ तािे िीन, औि मोमेनीन की कैकफयत यिी िै कक, गुस्सेि के िक्त यि िलीम ि बद ु स बाि िोते िै . औि खुदा िूंदे PACHAS MAU… - 354 HAJINAJI.com मत ू आल उसी को दोस्त िखता िै . जो गुस्सा के िक्त बद ु स बाि िोते िैं, औि बुदस बािी के ज़रिये दश्ु मन पि गलबा ि कासमयाबी िाससल कि सकते िैं. हिल्म ि बुदस बािी का जो पिला एिज (बदला) इूंसान को समलता िै िि यि िै कक तमाम लोग उस्के दश्ु मन के दश्ु मन औि उस्के मददगाि िो जाते िैं. बुदस बािी अखलाक की ज़ीनत, फज़ीलत का उन्िान, रियासत ि िोकूमत का ससि, इल्म का मेिा, कमाले अक्ल की दलील, सल ु ि का सबब, बेिकूफों के सलये लगाम िै . खद किते िै बिक्के इमामे मस ु ा से दआ ु ू ा काजजम (अ.स.) िमें हिल्म ि बद ु स बािी अता फिमाूँ. (आमीन) PACHAS MAU… - 355 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-इमामे जैनल ु आबेदीन का दहलम: शैख़ मुफीद िगैिि नें ििायत की िै कक इमामे जैनल ु आबेदीन (अ.स.) के रिश्ते दािों में से एक शख्स आप की खखदमत में िाजज़ि िुिा, औि उसनें िज़ित को गासलयाूँ दीूं आप (अ.स.) नें उस्के जिाब में कुछ न फिमाया! जब िि शख्स चला गया तो आप (अ.स.) नें अपनें अिले मजसलस से फिमाया: तुम लोगों नें सन ु ा जो कुछ उस शख्स नें किा िै . अब मैं चािता िूूँ मेिे साथ चलो ताकी उस्के पास जाकि उस्की गासलयों के बदले मेिा जिाब भी सन ु ो. िि किने लगे िम चलते िैं औि िम चािते थे कक आप (अ.स.) उसी िक्त उस्को जिाब दे ते पस आप (अ.स.) नें जूता पिना औि ििाना PACHAS MAU… - 356 HAJINAJI.com िुिे जब कक आप (अ.स.) यि आयत ततलाित कि ििे थे: ِ ََّّو الکٰ ِظ ِمی الغَّی َّظ َّو العَّافِی عَّنِ الن َّب ُ ِ اس ؕ َّو الل ّٰ ُہ ُُی َّ َّ ِِ َّی َّ الُحسن (सिू े आले इमिान आयत 134) औि जोलोग गुस्सा को पी जाते िैं. लोगों को माफ किते िैं औि खुदा नेकी किने िालों को दोस्त िखता िै . िािी किता िै िम आप (अ.स.) के इस आयत के ततलाित किने से समझे कक आप (अ.स.) उसे बिु ा भला निीूं किें गे, पस आप (अ.स.) उस शख्स के घि तक पिुूंचे, औि आिाज़ दे कि किा कक उस से किो कक अली इब्ने िुसन ै आया िै . जब उस शख्स नें सन ु ा कक िज़ित आये िैं तो िि बुिाई केसलये तय्याि िोकि आया, PACHAS MAU… - 357 HAJINAJI.com औि उसे इस में शक निीूं था कक आप (अ.स.) उस्की जसाितों का बदलि दे नें के सलये आए िैं. जब आप (अ.स.) नें उस्को दे खा तो फिमाया: अय भाई तू मेिे पास आया था औि तूनें यि बातें किी. पस िि बुिी बातें जो तन ू ें जज़क्र की िैं अगि मझ में पाई जाती िैं. तो मैं ु खुदा से उन्की बखशीश की दआ माूँगता ु िूूँ, औि अगि िि बातें जो तन ू ें किी िैं. मझ ु में निीूं िैं. तो खद ु ा तझ ु े माफ़ फिमाऐ. िािी किता िै उस शख्स ने जब यि सुना तो आप (अ.स.) की दोनों आूँखों के दिसमयान बोसा हदया औि किनें लगा कक जो कुछ मैंनें किा िै मैं उन बुिाइयों का ज्यादा सजािाि िूूँ. (अह्सनल ु मकाल जजल्द 1 पेज 573 अल इिशाद जजल्द 2 पेज 145.) PACHAS MAU… - 358 HAJINAJI.com 2-इमामे दहलम: हसन (अ.स.) का कोहे गगरां इमामे िसन (अ.स.) के हिल्म ि बद ु स बािी का दश्ु मन भी ऐतेिाफ किते थे. जजस िक्त इमाम (अ.स.) शिीद िुिे औि जनाजे को घि से बािि लेकि आये (तीिों की बारिश के बाद) तय यि पाया कक िज़ित इमाम िसन (अ.स.) को बकीअ की कब्रस्तान में दफन ककया जाऐ मििान इब्ने िे कम जो अिलेबैत (अ.मु.स) का सख्त तिीन दश्ु मन था. ताबत ू े इमामे िसन (अ.स.) को कूंधे पि उठाए िुए बकीअ की तिफ ले जा ििा था. उस िक्त इमामे िुसन ै (अ.स.) थगिया की िालत में मििान से मुखाततब िुिे: PACHAS MAU… - 359 HAJINAJI.com َّت بِا ْاۡل َّ ْم ِس َُتَّ َّر عَّ ُه َّ َُّْتْ ِم ُل الْی َّ ْو َّم َّجنَّازَّتَّ ُه َّو ُكن ?َّ الْغَّی ْ َّظ आज उस (इमाम िसन अ.स.) के जनाजे को उठाये िुिे िो. जजसको कल तक तुमने गम ि अूंदोि में डाले िुिे था. यि इस बात की तिफ इशािा था. कक कल तक िज़ित (अ.स.) से बुग्ज़ ि कीना िखते थे, औि ज़ुल्म किते थे, मििान नें किा: ِ َّبال َّ ِ نَّعَّ ْم ُكنْ ُت أَّفْعَّ ُل ِبَّ ْن یُ َّوا ِز ُن ِحل ْ ُم ُه ا ْْل जी िाूँ! उस्के साथ इसतिि ककया कक जजसका हिल्म कोिे थगिाूं के बिाबि था. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज 341, बबिारुल अन्िाि जजल्द 44, पेज 145) PACHAS MAU… - 360 HAJINAJI.com 27) दआ ु आयात: 1-दआ करना इबादत है: ु َّمَّ اد ُعو ِ ََّنَّۤ َّا َّست َّ ِجب ل َّ ُکم ؕ اِ ََّّنَّ ال َّ ِذی َّن َُّ ال َّربُ ُک َّ ََّّو ق ِ بو َّن عَّن ِعبَّادَّ ِٰت َّسیَّد ُخلُو َّن َّجہَّنَّ َّم د ٰ ِخرِی ََّّن ُ یَّستَّ َّک (सूिए गाकफि आयत 60.) औि तम् ु िािे पििि हदगाि का इिशाद िै कक मुझ से दआ किो, मैं कबूल करूूँगा, औि ु यकीनन जो लोग मेिी इबादत से अकड़ते िैं. िि अन्क़िीब जज़ल्लत के साथ जिन्नम में दाखखल िोंगें . 2-दआ करें : ु َّٓاؤ ُکم ُ َّ ُقلََّّ َّما یَّعب َّ ُؤا بِ ُکمََّّ َّر ِ َّٰبَّ لَّو َّۡل ُدع (सिू ए फुिकान आयत 77.) PACHAS MAU… - 361 HAJINAJI.com पैगूंबि (स.अ.ि.) आप कि दीजजए कक अगि तुम्िािी दआ ु एूं न िोतीूं तो पििि हदगाि तम् ु िािी पििाि िी न किता. 3-खुदा दआ कबूल करता है: ु ِ ِ ِ َّ َّ َّو اِذَّا ساَّل َّب ؕ اُ ِجی ُب دَّع ََّّو ََّۃ الدَّا َِّع َّ ٌ ک عبَّادی عَّ ِن فَّا ِ ََّن قَّ ِری ِ َّ اِذَّا دَّ َّع َّان (सूिए बकिि आयत 186) औि अय पैगूंबि अगि मेिे बूंदें तुम से मेिे बािे में स्िाल किें तो मैं उनसे किीब िूूँ पक ु ािने िाले की आिाज़ सन ु ता िूूँ जब भी पुकािता िै. 4-दआ करने का तरीकह: ु ؕ ًف ََّۃ ََّّ ض ُرعًاَّ َّو ُخ َّ َّ َّاُد ُعوا َّربَّ ُکمََّّ ت (सूिए आिाफ आयत 55.) तुम अपने िब को थगड थगडा कि औि खामोशी के साथ पुकािो. PACHAS MAU… - 362 HAJINAJI.com 5-दआ में इखलास: ु ِ َّفَّاد ُعوا الل ّٰ َّہَّ َُملِ ِصی ل َّ َّہ الدی ََّّن َّ ُ َّ (सूिए गाकफि आयत 14.) लेिाज़ा तुम खासलस इबादत के साथ खुदा को पुकािो. PACHAS MAU… - 363 HAJINAJI.com ििायात: 1-फजीलते दआ ु : َّلدع َّ ُاء اَّفْ َّض ُل ِم ْن ُ َّ ا: قال رسول اهلل صلي اهلل علیه و اله ِ قَّ َّرا َّٓان َِّ َّئت ال ْ ُق ْر (अल्मीजान जजल्द 2 पेज 34) िसूले अकिम (स.अ.ि.) ने फिमाया: दआ ु किनाूं ककिअते कुिआन (यानी किान पढ़ने) से अफज़ल ि बिति िै. 2-मोलमन का हथ्यार: َّلدعَّا ُء ِس َّل ُح ُ َّ ا: قال رسول اهلل صلي اهلل علیه و اله ِ لسمو ِ ِی ِم َّ ِ ات َّو ْاۡل َّ ْر ض ٰ ٰ َّ ا ْلُ ْؤ نِ َّو عَّ ُم ْو َّدَّ َّ َّالد ْنِ َّو ن ُ ْو ُر ا (काफी जजल्द 2 पेज 468) पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) ने फिमाया: दआ ु मोसमन का िथयाि, दीूंन का सुतून, औि ज़मीन ि आसमान का नूि िै. PACHAS MAU… - 364 HAJINAJI.com 3-दआ रद्दे बला: ु َّ صل َّاب َّ إ ُْد فَّ ُع ْوا أبْ َّو: قال رسول اهلل ي اهلل علیه و اله َِّالدعَّاء ُ الْب َّ َّلءِ بِا (िासाएल अल शीआ जजल्द 7 पेज 42) पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) ने फिमाया: दआ ु के ज़रिये अपने आप से बलािों को दिू किो. 4-खुदा दआ कबूल करता है: ु َّ َّم ْن دَّ عَّا اهللَّا َّ َّجا: قال علي بن أِب طالب علیه السلم َّبَّ َُّه (गोिरुल िे कम जजल्द .1, पेज 459) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जो खद ु ा से दआ किता िै िि उसे कबूल किता िै. ु 5-बेहतरीन असलहा: PACHAS MAU… - 365 HAJINAJI.com ِ نِعْم: قال علي بن أِب طالب علیه السلم َّالد ُ الس َّل ُح َّ َّع َّ َُّاء (गोिरुल िे कम जजल्द .1, पेज 460) िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: बेितिीन असलिा दआ िै. ु PACHAS MAU… - 366 HAJINAJI.com तशिीि: दआ इूंसान का सिमायऐ फख्र, इबादत का ु जौिि, अपनें िब से बूंदे का िाज़ ि तनयाज़, मोसमन का असलिा, अूंबबया का तिीक़ा, अइम्मि का शेआि, औि इस िसी काऐनात में जिाूं इूंसान ककसी भी चीज़ का मासलक निीूं, उस्के दामने समलककयत में िि दिु े यकता िै. जो कुदित नें उसे इनायत ककया. दआ ककतनी अज़ीम ज़रूित िै मोसमन की! ु ककतना मुिताज िै इूंसान अपने िब से िम कलामी का! ककतनी बड़ी ख्िाहिश िै मोसमन की, उस्की बािगािे तनयाज़ में अपनी गुज़ारिशात पिुूँचाने की, ककतना बड़ा सिमायऐ सोकूंू न िै यि मुज़्तरिब इूंसान केसलये, ककतना बद बख्त िै िि इूंसान जजस के पास यि समलककयत, यि सिमाया न िो. ककतना खुशनसीब िै िि इूंसान जजस की जज़ूंदगी का सिमाया दआ िै. ु PACHAS MAU… - 367 HAJINAJI.com खुदा से दआ किते िैं बिक्के इमामे जैनुल ु आबेदीन (अ.स.) सय्य्दस् ु साजेदीन (अ.स.) िमें दआ किने की तौफीक अता फिमा. ु (आमीन) PACHAS MAU… - 368 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-खुदा के अलावह फकसी से स्वाल न करो: अल्लामा मजसलसी बबिारुल अन्िाि में ििायत किते िैं कक. मोिम्मद इब्ने अजलान किते िैं कक मैं सख्त मुजश्कलात में थगिफ्ताि था औि काफी मकरूज़ िो चुका था. कजस दे ने िाले मझ ु े बिुत तूंग कि ििे थे इसी िजि से मैं अपनें कदीमी दोस्त िसन बबन ज़ैद जो कक उस िक्त मदीने का अमीि था, के पास गया उस दौिान मोिम्मद बबन अब्दल् ु लाि बबन अली (अ.स.) बबन िुसैन (अ.स.) जो मेिे पुिानें साथथयों औि दोस्तों में से थे मेिी मुजश्कलात औि पिे शातनयों से आगाि िुिे. इत्तेफाकन िास्ते में उन से मल ु ाक़ात िुई, औि उन्िों नें मेिा िाथ पकड़ कि मुझ से किा, मैं तुम्िािी पिे शातनयों औि सजख्तयों औि उन्की दिू ी से बा खबि िूूँ, बताि क्या किना चािते िो औि ककस से PACHAS MAU… - 369 HAJINAJI.com मदद के तासलब िो? मैंने किा: िसन बबन ज़ैद उन्िों ने फिमाया: िि तम् ु िािी िाजत को पूिा निीूं किसकता, औि जो तुम चािते िो उस्को अूंजाम निीूं दे सकता, आि औि ककसी ऐसे के पास चलते िैं. जो तुम्िािा काम औि तम् ु िािी मजु श्कलात को दिू कि सकता िो. िि अज्िदल ु अज्िदीन िै , औि तुम अपनी िाजत को उस से तलब किो, मैंने अपने चचा इमामे साहदक़ (अ.स.) उन्िों नें अपने जद्दे अमजद इमामे िुसैन (अ.स.) से औि उन्िों नें अपने िासलदे गेिामी अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) से औि उन्िों ने िसूले खुदा (स.अ.ि.) से ििायत नक्ल की िै, कक आूंिज़ित नें फिमाया: खुदा िूंदे मूतआल नें अपने बाज़ पैगूंबिों की तिफ ििी की मुझे अपनी इज़्ज़त ि जलाल की क़सम जो कोई भी मेिे अलािि ककसी से PACHAS MAU… - 370 HAJINAJI.com उम्मीद लगाएगा मैं उस्की उम्मीद को ना उम्मीदी में बदल दूं ग ू ा, औि जज़ल्लत ि ख्िािी का सलबास लोगों के दिसमयान उसे पिनाऊूंगा औि अपनी ििमत ि फज्ल से उस्को दिू िख्खू गा. क्या मेिा बूंदि सजख्तयों में मेिे अलािि ककसी औि से, उसे िल केसलये उम्मीद लगाऐ िालाूंकक सख्ती मेिे िाथ में िै औि मेिे अलािि ककसी से क्या उम्मीद िखता िै. िाूंलाूंकक मैं मुजश्कल को िल किने िाला िूूँ. बूंद दििाजों की चाभी मेिे पास िै , औि मेिा दििाज़ा िि ऐक के सलये खुला िुिा िै. क्या तुम निीूं जानते, जब भी ककसी पि कोई मुसीबत आती िै. तो मेिे अलािा कोई उसे दिू निीूं कि सकता. पस मेिा बूंदि मुझसे क्यूूं रूगिदानी किता िै , औि दस ू िों से उम्मीद लगाऐ िखता िैं. िालाूंकक मैं उस्के सिाल से पिले उसे अता किता िूूँ. क्या PACHAS MAU… - 371 HAJINAJI.com मुमककन िैं कक कोई बूंदः मुझ से माूंगे औि मैं उस्को न दूं ू ििथगज़ ऐसा निीूं िै. क्यूकक मेिा जद ू ि किम खास निीूं िै. क्या दन्ु या ि आखेित मेिे अजख्तयाि में निीूं िै. अगि तमाम ज़मीन ि आसमान के ििने िाले मुझ से कुछ माूंगें औि मैं िि एक को उस्की चाित के मत ु ाबबक अलग अलग दूं ू तब भी मेिी समलककयत में मख्खी के पि के बिाबि कमी न िोगी. औि कम भी ककस तिि िो सकती िै. क्यूूंकक चीज़ों का तकसीम किने िाला मैं िूूँ. अय मफ ु सलस ि मि ु ताज मेिी नाफिमानी किता िै , औि मुझ से डिता भी निीूं. मैंनें उनसे किा अय फजंन्दे िसूल (स.अ.ि.) इस िदीस को दोबािा मेिे सलये बयान किें . फजंन्दे जििा (स.अ.) नें इस िदीस को तीन मतसबा मेिे सलये बयान ककया. मैंनें किा खुदा की क़सम इसके बाद अपनी िाजत ककसी से PACHAS MAU… - 372 HAJINAJI.com तलब निीूं करू गा, औि कुछ िी दे ि गुज़िी थी कक खुदा नें अपनीूं तिफ से मेिे सलये िोजी पिुूँचा दी. (चेिल िदीस िसल ू े मिल्लाती जजल्द 2 पेज 129 इूंसान साज़ िाकेआत पेज 138) 2-फकस की दआ कबूल नहीं होती: ु िािी किता िै मैं साहदके आले मोिम्मद (स.अ.ि.) के साथ मक्का औि मदीना के दिसमयान था. एक साऐल आया आप नें िुक्म हदया कक उसे हदया जाऐ कफि दस ू िा आया फिमाया: उसे भी कुछ हदया जाऐ कफि तीसिा आया फिमाया: इसे भी हदया जाऐ कफि चौथा आया फिमाया: अल्लाि तुझे सैि किे औि िम से मुखाततब िोकि फिमाया: िमािे पास अभी दे ने केसलये िै. तो मगि मझ ु े यि खौफ िुिा कक किीूं िम उनमें से न िोजाएूं जजन की दआ कबूल निीूं िोती. ु पिले िि जजसको अल्लाि माल दे औि िि PACHAS MAU… - 373 HAJINAJI.com उस्को गैि मुस्तिक में खचस किदे औि कफि खुदा से दआ किे कक मुझे रिज्क दे तो ु उस्की दआ कबल ू न िोगी. दस ु ू िा िि जो अपनी बीिी केसलये दआ किे कक िि िलाक ु िोजाऐ िालाूंकक उसे तलाक़ दें नें का िक़ िै. तीसिे िि जो पड़ोस केसलये बददआ किे ु िालाूंकक अल्लाि नें यि कुदित दी िै कक िि उस्की िूं मसाऐगी छोड़ दे , औि अपना मकान बेच डाले. इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: चाि अश्खास की दआ कबल ू निीूं िोती 1-िि जो ु अपने घि में बैठा ििे औि किे खुदा मुझे रिज्क दे उसे किा जाएगा मैंनें तुझे तलाशे िोजी का िुक्म निीूं हदया िै. 2-जो अपनी औित के सलये बद दआ किे उस से किा ु जाऐगा क्या मैंनें तलाक की इजाज़त निीूं दी िै . 3-िि जजस ने अपना माल गलत तिीके पि खचस ककया िो औि कफि खुदा से PACHAS MAU… - 374 HAJINAJI.com रिज्क माूंगे, उस से किा जाऐगा क्या मैंनें समयाना ििी का िुक्म निीूं हदया था, औि क्या इस्लाि का िुक्म निीूं हदया था. 4-िि शख्स जो बगैि गिाि के कज़स दे उस से किा जाऐगा क्या मैंनें गिाि बनाने का िुक्म निीूं हदया था. (ककताब अल शाफी जजल्द 5 पेज 148-149) PACHAS MAU… - 375 HAJINAJI.com 28) दन्ु या आयात: 1-कुरआन की नज़र में दन्ु या: ِ َّ ِالدنی َّا َّۤ اِ َّ َّۡل لَّہوَّ َّو لَّع ِ ِ ۡلی ََّّار َّ ب ؕ ََّّو ا ََّّن الد ٌ ٌ َّ ُ ََّّو َّما ہٰذ َّہَّ ا َّ ٰو ََُّۃ ان ۘ لَّوََّّ کَّانُوا یَّعل َّ ُمو ََّّن َُّ اۡل ٰ ِخ ََّّر ََّۃَّ ل َّ ِہ ََّّی اۡلَّی َّ َّو (सूिेए अनकबूत आयत 64) औि यि दन्ु या की जज़ूंदगी एक खेल तमाशे के लािि औि कुछ भी निीूं िै , औि आखेित का घि िमेशा की जज़ूंदगी का मिकज़ िै. अगि यि लोग कुछ जानते औि समझते िैं. 2-दन्ु या इम्तेहान गाह: َّ َّاِن َّا َّجعَّلنَّا َّما عَّٰلَّ اۡلَّر ِض زِی ََّّن ًََّۃَّ لَّہَّا لِنَّبل ُ َّو ُہمََّّ ا َّیُہم ُ َّ ً َّاَّح َّس ُ َّنَّ عَّ َّم ل PACHAS MAU… - 376 HAJINAJI.com (सूिए किफ आयत 7) बेशक िमने रूिे ज़मीन की िि चीज़ को ज़मीन की ज़ीनत क़िाि दे हदया िै ताकी उन लोगों का इम्तेिान लें कक उनमें अमल के ऐतेबाि से सब से बेिति कौन िै. 3-दन्ु या की जज़ा ِ ِ ُ ان یُ ِری ُد ثَّواب َّالدنیَّا َّو ُ اب َّ َّ َّمن ک َّ َّ ُ الدنیَّا فَّعن َّد اللّٰہ ثَّ َّو ِ ِخ ِ َّ َّان الل ّٰ َّہ ََّسیَّع ً ًَّۢا بَّ ِصیًا ُ ََّّ َّ اۡل ٰ ََّّر َََّّۃ ؕ ََّّو ک (सूिए तनसा आयत 134) जो इूंसान दन्ु या का सिाब औि बदला चािता िै (उसे मालूम िोना चाहिए) कक खुदा के पास दन्ु या ि आखेित दोनों का इनाम िै , औि िि एक का सुनने िाला औि दे खने िाला िै. 4-दन्ु या दोस्ती: PACHAS MAU… - 377 HAJINAJI.com ل ََّۃَّ ََّّوَّ تَّ َّذ ُرو ََّّنَّ اۡل ٰ ِخ ََّّر ََّۃ ک َّ َّل بَّلََّّ ُ ُِتبُو َّن العَّا ِج َّ َّ )(सूिए कयामत आयात 20’21 ििथगज़ निीूं बल्की तुम दन्ु या को चािते िो औि आखेित को नज़ि अूंदाज़ ककये िुिे िो. 5-दन्ु या पर फख्र: ب َّو لَّہ ٌَّو وَّزِی ََّّن ٌََّۃَّ وَّتَّ َّفا ُخ ًٌَّۢر َّ الدنیَّا لَّعِ ٌ َّ اِعل َّ ُموۤا ا ََّّّنَّا اۡلَّیٰو ََُّۃَّ ُ ل َّغیثَّ ال ََّّو اۡلَّو َّۡل َِّد ؕ کَّ َّمث َّ ِ َّ بَّین َّ ُکمَّ ََّّو تَّكَّاث ٌَُّر ِ َِّف اۡلَّم َّو ِ َّ م َّ ىہ ُمص َّف ًرا ُث ََّّ م ی َّ ِہی َُّج فَّ َّۡت ٰ َُّ َّار نَّبَّا ُت َّہَّٗ ُث ََّّ ب ال ُکف ََّّ ا َّع َّج َّ َّ اب َّش ِدی ٌَّد ۙ َّو َّمغ ِف ََّّر ٌََّۃ ِم َّنَّ ی َّ ُکو َُّن ُح َّ َّطامًا ؕ َّو ِِف اۡل ٰ ِخ ََّّر َََّّۃ ِ ع َّ َّذ ٌ َّ الدنی َّ َّا َّۤ َّاِ َّ َّۡل َّمتَّا َُّعَّ الغُ ُرو َِّر انَّؕ ََّّو َّما اۡلَّیٰو ََُّۃَّ َُّ الل ّٰ َِّہ ََّّو ِرض َّو ٌ )(सिू ए िदीद आयत 20 याद िख्खो दन्ु या की जज़ूंदगी ससफस एक खेल, तमाशा, आिाइश, बािमी तफाखुि औि अमिाल ि अव्लाद की कसित का मुकाबला HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 378 िै , औि बस जैसे कोई बारिश िो जजस की कूिते नासमया (बढ़ने िाली ताकत) ककसान को खश ु किदे औि उस्के बाद िि खेती खुश्क िो जाऐ कफि तुम उसे ज़दस दे खो औि आखखि िि िे ज़ा िे ज़ा िो जाऐ औि आखेित में शदीद अज़ाब भी िै , औि मग्फेित औि िे जाए इलािी भी िै , औि जजन्दे गातनये दन्ु या तो बस एक धोके का सिमाया िै , औि कुछ निीूं िै. PACHAS MAU… - 379 HAJINAJI.com ििायात: 1-दन्ु या से मुहब्बत: َّالد ُ ب ُ َّرا ُْس کُ ِل َّخ ِطیْئَّة ُح: قال الصادق علیه السلم َّنْیَّا (बबिारुल अन्िाि जजल्द 70’पेज 70) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: तमाम बुिाइयों की जड़ िुब्बे दन्ु या िै. 2-दन्ु या गुजरगाह: ِ َّإ َُّّناَّ ُ قنط:قال عیس علیه السلم َّب ْو َّها ٰ ُ الد نْیٰا َّ ْ َّ َّر ٌة فَّا ْع َََّّّ َّو َّۡل تَّعْ ِم ُر ْوها (खखसाल पेज 35) िज़ित ईसा (अ.स.) नें फिमाया: बेशक दन्ु या एक पल ु िै पस उस्को ओबिू (उससे गुज़ि जाि) किो औि उस्को आबाद न किो. PACHAS MAU… - 380 HAJINAJI.com 3-दन्ु या मोलमन के ललये ल्ज़न्दान: َّلد نْیٰا ِس ْج ُن ا ْلُ ْؤ ِمنِ َّو ُ َّ ا: قال أمی الومنی علیه السلم َّاو ُاه َّ ا ْل َّ ْو ُت ُُتْ َّفتُ ُه َّو ا ْْلَّنَّ ُة َّم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 463) िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: दन्ु या मोसमन के सलये क़ैद खाना औि मौत उस्का तोिफ़ा िै औि जन्नत उस्का हठकाना िै. 4-दन्ु या सायह और ख्वाब है: َّلد نْیٰا ِظ ُل ُ َّ ا: قال علي بن أِبَّ طالب علیه السلم َّالْغ َّ ٰما ِم َّو ُحل ُ ِم ا ْلَّنٰا ِم (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 464) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: दन्ु या बादल का साया औि एक ख्िाब िै. 5-फ़ाइदह उठाने वाला: PACHAS MAU… - 381 HAJINAJI.com َّ اَّل َّرابِ َُّح َّم ْن بَّا ع: قال أمی الومنی علیه السلم الْعَّا ِجلَّةَّ بِا آل ِجل َّ َِّة (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 465) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स) नें फिमाया: फाऐदा उठाने िाला िि िै जो दन्ु या को आखेित के बदले फिोख्त कि दे ता िै. PACHAS MAU… - 382 HAJINAJI.com तशिीि: दन्ु या की हदनायत औि पस्ती के सलये उस्का नाम िी क्या कम था कक उस्के िालात औि इन्केलाबात नें उस्की िक़ीक़त को औि िाज़ेि कि हदया. दन्ु या औि उस्की बेसबाती (िमेशा न ििने िाली) के बािे में बेशुमाि अक्िाल पाऐ जाते िैं. औि कुिआन मजीद से लेकि मफ ु क्केिीन आलम तक सब नें उस्की बेसबाती औि बेिफाई का तज्केिा ककया िै. मगि अफ़सोस यि िै कक यि जजस क़दि बेिफा िै लोग उसी क़दि उस्के दीिाने िैं, औि यि जजस क़दि लोगों से ककनािा किती िै , लोग उसी कशी क़दि अजख्तयाि उस्के किीब िोजाते िैं, मौलाए काऐनात नें िकीक़ते दन्ु या के बािे में मुतअद्हदद अूंदाज़ से तिज्जोि हदलाई िै , औि इूंसान को उस्के खतिात से बाखबि ककया िै , दन्ु या की समसाल साूंप PACHAS MAU… - 383 HAJINAJI.com जैसी िै , कक बािि से उस्का जजस्म इन्तेिाई निम औि लतीफ़ िोता िै. लेककन अूंदि ज़ििे काततल का एक जखीिा िोता िै. जजस का मतलब यि िै कक, उस्का इश्क उन्िी हदलों में पैदा िो सकता िै. जो ससफस ज़ाहिि पि कुबासन िोने िाले िैं. ििना जजन्िें िकाऐक़ का इदिाक िोगया िै. िि ककसी कीमत पि उस्की तिफ तिज्जोि किने िाले निीूं िैं. दन्ु या एक ढलता िुिा साया िै. साया में इूंसान को सुकून ज़रूि समलता िै लेककन साया में कभी दिाम निीूं िोता िै. दन्ु या धोकाबाज़ भी िै, औि नुकसान दे ि भी, दन्ु या पलटने िाली भी िै , औि ज़िाल पज़ीि भी, दन्ु या खत्म िोने िाली भी िै , औि फना िोनें िाली भी, दन्ु या खाजाने िाली भी िै , औि तबाि कुन भी, जजसनें फकत दन्ु या को सब कुछ समझा िि िलाक िुिा, औि जजसनें दन्ु या को जािीयऐ आखेित समझा PACHAS MAU… - 384 HAJINAJI.com औि सब कुछ इस दन्ु या में िि कि आखेित के सलये काम ककया. िि कासमयाब ि कामिान िुिा. खद किते िैं बिक्के ु ा से दआ ु मोिम्मद ि आले मोिम्मद (अ.म.ु स.) िमें इस दन्ु या में नेक अमल किने की तौफीक अता फिमा.(आमीन) PACHAS MAU… - 385 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हाथों में राज़: ज़ुलकिनैन ससकूंदि नें मौत के िक्त िसीयत की जब मेिा जनाज़ा उठाया जाऐ तो मेिे दोनों िाथों को मेिे जनाज़े के कफ़न से बािि तनकाल हदया जाऐ जजन्िें दे खने िाले दे खें. उस्की िफात के बाद उस्की िसीयत पि अमल ककया गया औि उस्के दोनों िाथों को कफ़न से बािि तनकाल हदया गया. उस्के जनाजे के साथ चलने िाले सब लोग उस्के बािे में एक दस ू िे से पूछते लेककन ककसी को मालूम न था, कक इस का मतलब क्या िै , एक दाना ि अक़ल्मूंद से पूछा गया, तो उसनें किा कक इस िाज़ से पिदा उठाया जाऐ. किा: इस िसीयत का मकसद िमें यि बात समझना िै कक गौि से दे खो ससकूंदि जैसा बादशा भी इस दन्ु या से खाली िाथ PACHAS MAU… - 386 HAJINAJI.com जाििा िै. िि इस दन्ु या के माल ि खजानों से कुछ भी अपने साथ निीूं ले जा ििा िै. (मौजई ू दास्तानें पेज 175) 2-हज़रत ईसा (अ.स.) सूई के साथ: जब िज़ित ईसा (अ.स.) को आसमान की तिफ उठाया गया, तो आप िज़ित जब्रईल के साथ ििाना थे, जब आप आसमाने अव्िल, दव्ु िम ु , औि सव्ु िम ु को ओबिू किके आगे बढे , तो िज़ित जब्रईल को खखताब पिुूँचा. िज़ित ईसा (अ.स.) को बस उधि िी िोक हदयाजाऐ. िि उस से ऊपि निीूं जा सकते. अब ज़िा उनका मक ु म्मल जाऐज़ा सलया जाऐ कक दन ु यािी असबाब ि अमिाल से िि क्या कुछ िमिाि सलये जा ििे िैं. जब दे खा गया तो उन्के पैिािन के गिीबान में लगी िुई एक सई ू तनकली उन से पूछा गया आप यि सूई अपने िमिाि क्यूंू ले आऐ िैं? िज़ित ईसा (अ.स.) नें फिमाया: PACHAS MAU… - 387 HAJINAJI.com मैं जब इस सफि पि ििाना िोििा था तो मुझे ख़याल गुज़िा किीूं अयसा न िो कक िास्ते में मेिा सलबास ककसी जगि से फट जाऐ औि मैं फटे सलबास के साथ दिगािे आली में िाज़िी दूं .ू इसी सलये सूई साथ लाया िूूँ. खुदा िूंदे मूतआल की तिफ से खखताब िुिा: मेिे पैगूंम्बि नें चूँकू क एक सई ू बिाबि िी दन्ु या पि भिोसा ककया, िै इस सलये आगे बुलूंदी की तिफ जाने से िोक हदये गये िै , औि ईसी आसमाने चिारुम पि िी बाकी ििें गें . अगि िि यि सई ू साथ न लाऐ िोते तो उन्की मूंजजल ि मुक़ाम अशे इलािी िोता. (मैजूई दास्तानें पेज 183) PACHAS MAU… - 388 HAJINAJI.com 29) ल्ज़क्र आयात: 1-ल्ज़क्रे खद ु ा: َّفَّاذ ُک ُرو َِن ۤا َّذ ُکرَّ ُکمََّّ َّو اش ُک ُروا ِل َّو َّۡل تَّک ُف ُرو ِن (सूिए बकिा आयत 152) अब तुम िमको याद किो ताकक िम तुम्िें याद िख्खें औि िमािा शुक्र अदा किो औि कुफ़िानें नेमत न किो. 2-सब ु ह शाम ल्जकरे खद ु ा: َّیٰۤا َّیُہَّاال َّ ِذی ََّّنَّ ا ٰ َّمنُوا اذ ُک ُروا الل ّٰ َّہََّّ ِذک ًرا کَّثِیًا َّ َّو َّسبِ ُحو َُّہَّ ُبک ََّّر ًََّۃَّ َّوَّ ا َِّصیل (सूिए अिज़ाब आयात 41’42) ईमान िालो अल्लाि का जज़क्र बिुत ज़्यादि ककया किो औि सुबि ि शाम उस्की तस्बीि ककया किो. PACHAS MAU… - 389 HAJINAJI.com 3-इतमीने कलब: َّاَّل َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّو تَّط َّمئِ ُن ُقلُو ُبہم بِ ِذک ِر الل ّٰ ِہ ؕ ا ََّّۡل بِ ِذک ِر الل ّٰ ِہ ُ ب َّ ُ تَّط َّمئِ ُن ال ُقلُو (सूिए िाद आयत 28) यि िि लोग िैं जो ईमान लाए िैं औि उन्के हदलों को यादे खुदा से इत्मीनान िाससल िोता िै औि आगाि िो जाि कक इत्मीनान यादे खद ु ा िी से िाससल िोता िै. 4-अज़ीम ल्ज़क्र: ِ ِک ب ؕ َّو الل ّٰ ُہ یَّع َّل َّ ُم َّما تَّصن َّ ُعو ََّّن ُ َّ َّو لَّذ ُر اللّٰہ ا َّک (सिू ए अनकबत ू आयत 45) औि अल्लाि का जज़क्र बिुत बड़ा िै औि अल्लाि तुम्िािे काि ि बाि से खूब बाखबि िै. 5-ल्ज़क्रे खुदा तौबा और तवज्जोह का सबब: PACHAS MAU… - 390 HAJINAJI.com َّ ش ََّۃً ا َّوَّ َّظل َّ ُموۤا ا َّن ُف َّسہمَّ ذَّک َُّروا َّ َّ َّو ال َّ ِذی ََّّنَّ اِذَّا فَّعَّلُوا فَّا ِح ُ َّب اِ َّ َّۡل الل ّٰ َُّہ ۪۟ َّو َّ َّ الل ّٰ َّہََّّ فَّاستَّ َّغ َّف ُروا ل ِ ُذنُوبِ ِہمَّ ۪ ََّّو َّم َّن یَّغ ِف ُ َّر الذُنُو لَّمَّ یُ ِص ُروا عَّ ٰٰلَّ ََّّما فَّعَّلُوا َّو ُہم یَّعل َّ ُمو ََّّن (सूिए आले इमिान आयत 135) िि लोग िि िैं कक जब कोई नम ु ाया (खल ु ी िुई) गुनाि किते िैं, या अपनें नफ्स पि ज़ुल्म किते िैं तो खुदा को याद किके अपनें गुनािों पि अस्ताग्फाि किते िैं, औि खुदा के अलािा कौन गन ु ािों का माफ किने िाला िै , औि िि अपने ककये पि जान बूझके इसिाि निीूं किते. PACHAS MAU… - 391 HAJINAJI.com ििायात: 1-अक्ल की रौशनी: َّ ا َّ ِلذ ك ُْر ن ُ ْو ُر الْعَّ ْق ِل َّو: قال أمی الومنی علیه السلم الص ُد ْو َِّر ُ َّحیٰا ُة النُ ُف ْو ِس َّو َّج َّل ُء (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 547) िज़ित इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जज़क्र खुदा अक्ल की आगिी, (अकलों को आगाि किता िै) नोफूस की ियात (नफ्सों को जज़ूंदा किता िै) औि सीनों की जजला, (सीनों को कुशादा किता) िै. 2-बसीरतों की रौशनी: َّ ا َّ ِلذ ك ُْر َّج َّل ُء: قال علي بن أِبَّ طالب علیه السلم لس َّرا ِئ َِّر َّ الْب َّ ٰصا ِئ ِر َّو ن ُ ْو ُرا (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 549) PACHAS MAU… - 392 HAJINAJI.com अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: यादे खुदा बसीितों की जजला (यानी बढाता िै) औि बाततन का निू िै. 3-ल्ज़क्र खुदा और रहमत के नोजूल (नाल्ज़ल होनें) का सबब: ِ بِ ِذ ْك ِر ا: قال علي بن أِبَّ طالب علیه السلم َّْن َّ ْ َّ هلل ُت ْست َّۡح َُّة َّ ْ ُل ال َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 550) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जज़क्रे खुदा से ििमत नाजज़ल िोती िै 4-शैतान से तहफ्फुज़ (दहफाज़त): ِ ِذ كْر ا: قال علي بن أِبَّ طالب علیه السلم َّهلل ِد ع َّ َّام ُة ُ َّ ْأۡلِ ْْيٰانِ َّو ِع ْص َّم ُة ِم َّن َّان َِّ الشی ْ ٰط (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 551) PACHAS MAU… - 393 HAJINAJI.com मौलाऐ काऐनात (अ.स.) ने फिमाया: जज़क्रे खुदा दीन का सोतून औि शैतान से तिफ्फुज़ (हिफाज़त) ि सलामती िै. 5-खुदा याद करता है: َّ َّم ْن ذَّ ك ََّّر اهللَّ ذَّ ك ََّّر ُه: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 552) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जो खुदा को याद किता िै खुदा उस्को याद किता िै. PACHAS MAU… - 394 HAJINAJI.com तशिीि: आज कल के दौि में िि शख्स ककसी न ककसी पिे शानी में मुब्तेला िै. औि िि एक की कोसशश िै कक उसको सक ु ू न ि आिाम समल जाऐ. इस सोकून ि इत्मीनान की तलाश में नजानें किाूँ से किाूँ चला जाता िै. लेककन कफि भी सोकून निीूं समलता. लेककन कुिआन ि ििायात नें िमें बताया. कक जज़क्रे खुदा िी के ज़रिये सोकूंू न ि इत्मीनान िाससल िो सकता िै. लेककन इूंसान चूूंकी यादे खुदा से गाकफल िै. गुनाि ि मासीयत माल ि दौलत की िे काबत (मुकाबबलों), लूंबी उम्मीदों, नें इन्सान को जज़क्रे खुदा से िोक िख्खा िै , जब िम उस्को भूल गये तो उसनें िमें निीूं भुलाया, िि इतना ििीम ि किीम िै , कक िम उस्का जज़क्र निीूं किते उस्के बािजूद िि िमें नेमतें दे ििा िै , औि जज़क्रे खुदा से मुिाद PACHAS MAU… - 395 HAJINAJI.com यि िै कक, इूंसान ककसी िाल में भी खुदा को फिामोश न किे , िि िाल में खुदा को याद िख्खे, जब िम उस्को याद िख्खें गें तो िि िमें याद िख्खे गा, हदल के सुकून का एक िी िास्ता यादे खुदा िै. खुदा से दआ किते िैं बह्क्के असीिानें ु कबसला िमें जज़क्र खद ु ा किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 396 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-एक तस्बीह हज़रत सुलैमान की हुकूमत से बेहतर है: ककताबे इद्दतद् ु दाई में जज़क्र िै कक: एक मितबा जब िज़ित सुलैमान बबन दाऊद (अ.स.) तख्ते शािी पि बैठे मििे पििाज़ (यानी ििा में उड़ ििे ) थे. तो उन्के कानों में ककसी दे िाती के तस्बीि किने की आिाज़ आई. िज़ित सुलैमान का तख़्त तीन मील चौड़ा औि तीन मील लूंबा था, औि तख़्त पि बबछे िुिे फशस पि जजनों नें सोनें से कशीदा कािी (यानी नक्श ि नेगाि) की थी उस तख़्त पि छे िज़ाि कुसससयाूं लगी िुई थी. औि िज़ित सुलैमान (अ.स.) उस्के बीचो बीच शान ि शौकत से तशिीफ़ फिमाूँ थे. उन्के किीब पिली सफ में ओलमा, दस ू िी में िोज़िा, औि तीसिी में लश्कि के सिदाि, औि उस्के बाद दस ू िे लोग सफ दि सफ मौजूद PACHAS MAU… - 397 HAJINAJI.com थे. उस्के बाद जजन्नात थे औि सि पि परिूंदों नें सायि कि िख्खा था. ििा उस तख़्त को जिाूं किीूं भी िज़ित (अ.स.) सुलैमान जाना चािते उड़ा कि लेजाया किती थी. अय्से िी एक सफि में. जब उस दे िाती ककसान की आिाज़ िज़ित सल ु ैमान की तिज्जोि का मिकज़ बन गई. जो कि ििा था. सुबिान अल्लाि! क्या शान िै उस खुदा िूंदे ज़ल् ु जलाल की, जजसने आले दाऊद (अ.स.) को अयसी शानदाि िुकूमत अता की िै! ििा नें दे िाती का कलाम िज़ित सुलैमान (अ.स.) के कानों पिुूँचाया. िज़ित सल ु ैमान (अ.स.) नें िुक्म हदया कक तख्ते शािी को नीचे उतािा जाये. ििा नें तख़्त ज़मीन पि उतािा. तक िज़ित सुलैमान उस दे िाती के क़िीब गये औि फिमाया: PACHAS MAU… - 398 HAJINAJI.com ِ ِ اهلل َّخ ْیٌ َِمَّا اُ ْو ِِت ِم ْن ََّّٓال دَّا ٗو َّد ُ تَّ ْسبِی ْ َّح ٌة َّوا ح َّد ٌة یَّقْبَّلُهَّا َّ जब कोई बूंदऐ खुदा एक तस्बीि (सुब्िान अल्लाि एक बाि) किता िै. औि उस्की बािगाि में क़बसू लयत का शिफ िाससल कि लेती िै. तो यि तस्बीि इलािी, बेिति िै उस िुकूमत से जो आले दाऊद (अ.स.) को अता की गई िै. एक औि ििायत में जज़क्र िुिा िै. कक एक बाि सुबिान अल्लाि किना चाूंदी के पिाड़ को िािे खुदा में इन्फाक किनें से बेिति िै. मौलाऐ काऐनात नें इिशाद फिमाया: जो शख्स एक मितबा सब्ु िान अल्लाि कता िै. तो तमाम मलाऐका (अ.स.) उसपि सलिात भेजते िैं. औि तस्बीि के सिाब को खुदा के अलािि कोई निीूं जानता. (आमाल अल िाएजीन जजल्द 1 पेज 203-202 बबखिे मोती जजल्द 1 पेज 116) PACHAS MAU… - 399 HAJINAJI.com 2-नतलावते कुरआन की लज़्ज़त: जजन ग़ज़िात (जूंगों) में िसूले अकिम (स.अ.) सशिकत फिमाया किते थे. उन में से एक ग़ज़िि (जूंग) के मैक़े पि आप (स.अ.ि.) नें लश्कि को सििा (जूंगल) में ठििने का िुकम हदया. लश्कि को शब खूनी (यानी िात में खून न बिे ) से मिफूज़ िखने केसलये आूंिज़ित नें दो लोगों को पििा दे ने केसलये मुक़िसि फिमाहदये. उनमें से एक अम्माि बबन याससि थे, औि दस ू िे कोई औि सिाबी. सािा लश्कि सो गया, औि उन दो अफिाद नें िात के दो हिस्से किसलये, औि आपस में बािी बािी जाग कि पििा दे ने का फैसला कि सलया. अम्माि बबन याससि सो ििे थे, औि उन्का साथी जाग ििा था. औि नमाज़ पढ़ने में मशगूल था पिली िकअत में सूिए िम्द के बाद सूिऐ किफ़ की ततलाित शुरू PACHAS MAU… - 400 HAJINAJI.com किदी. उसी दौिान में यिूहदयों का एक जासूस इधि तनकल आया. िि यि निीूं जानता था कक. लश्कि िाले सो ििे िैं या जाग ििे िैं. उन पि िम शबे खून (यानी तीि चला सकते िैं या निीूं) माि सकते िैं या निीूं! उस जासूस नें दिू से दे खा कक, कोई चीज़ सोतून की तिि खड़ी िुई िै. लेककन तािीकी की िजि से समझ में निीूं आििा था, कक ककसी दिख़्त का तना िै या कोई इूंसान िै. यि जानने केसलए उसने उस्की तिफ एक तीि फेंका. तीि अम्माि के साथी को आकि लगा लेककन उन में ज़िसि बिाबि भी जुजम्बश (हिलना) पैदा निीूं िुई. दि असल िि ततलािते कुिआन की लज़्ज़त में मिो (गम ु ) िोचुका था. यिूदी नें मिसूस ककया कक मेिे तीि का कोई असि निीूं िुिा. मालूम निीूं यि तीि तनशाने पि लगा िै या निीीँ. PACHAS MAU… - 401 HAJINAJI.com चुनान्चेि उसने दस ू िा तीि फेंका. उस तीि नें भी आकि उस नमाज़ी के जजस्म में एक औि सिू ाख किहदया. लेककन कफि भी उन में कोई ििकत निीूं िुई कफि जब उन्िें तीसिा तीि लगा. तो उन्िों नें अम्माि बबन याससि को पािूं से जगाया, औि उस्के बाद िि नमाज़ मक ु म्मल किके ज़मीन पि थगि पड़े. अम्माि नें तमाम मुसलमान ससपाहियों को जगाया, औि आखखिकाि यिूदी फिाि िोगया. उस्के बाद अम्माि नें अपनें साथी से पूछा. कक जब पिला तीि लगा. तो तम ु नें मझ ु े क्यूूं निीूं जगाया. साथी नें जिाब हदया: खुदा की क़सम मैं सूिऐ किफ़ की ततलाित को िोकना निीीँ चािता था. अल्बत्ता जब मझ िुिा कक. ु े इसबात का खौफ मिसस ू किीूं अयसा न िो कक बाद में मैं तुम्िें निीूं जगा सकूंू . औि दश्ु मन लश्किे इस्लाम पि िमला किदे . लेिाज़ा मैंनें तुम्िें (तीसिा तीि PACHAS MAU… - 402 HAJINAJI.com लगनें के बाद) जगा हदया- (बबखिे मोती जजल्द 2 पेज 105) PACHAS MAU… - 403 HAJINAJI.com 30) रे याकारी आयात: 1-ररयाकारी से मना फकया गया है: َََّّّو َّۡل تَّ ُکونُوا کَّال َّ ِذی َّن َّخ َّر ُجوا ِمن ِدیَّا ِرہِم بَّ َّط ًرا َّو ِرئَّٓاء ِ َّالن َّ اس َّو ی َّ ُص ُدو َّن عَّن َّسبِی ِل الل ّٰ ِہ ؕ َّو الل ّٰ ُہ ِِبَّا یَّع َّملُو ََّّن َُُّمِی ٌط (सूिए अनफाल आयत 47) औि उनलोगों जैसे न िो जाि जो अपने घिों से इतिाते िुिे औि लोगों को हदखानें के सलये तनकले औि िािे खद ु ा से िोकते ििे कक अल्लाि उन्के आमाल का ऐिाति (दे ख ििा िै) ककये िुये िै. PACHAS MAU… - 404 HAJINAJI.com 2-दे खाने केललये अमल करने वालों की तबाही: ِ ِ َّ ٌ فَّوی َّی ال َّ ِذی َّن ُہم عَّن َّص َّلتِ ِہم َّ لَّ لل ُم َّصل َّ ََّّسا ُہو ََّّنَّال َّ ِذی َّن ُہمََّّ یُ َّر ُٓاءو َّن (सूिए माूँउन आयात 4’5’6) तो तबािी िै उन नमाजजयों केसलये जो अपनी नमाजों से गाकफल ििते िैं हदखाने केसलये अमल किते िैं. 3-ररया कार की मुज़म्मत: َّاۡلَّ لُب َّ ًداَّا ََُّّی َّس ُب ا َّنََّّ لَّمََّّ ی َّ َّر َّہَّٗۤ َّا ََّّح ٌد َّ ً ی َّ ُقو َُّلَّ ا َّہلَّک ُت َّم (सिू ए बलद आयात 6;7) कक िि किता िै मैंने बेतिाशा सफ़स (खचस) ककया िै क्या िि गुमान किता िै कक उसे ककसी नें निीूं दे खा. 4-बद तरीन साथी: PACHAS MAU… - 405 HAJINAJI.com ِ ََّّو ال َّ ِذی َّن یُن ِف ُقو َّن اَّموالَّہم ِرئَّٓاءَّ الن َّاس َّو َّۡل یُؤ ِمنُو َّن بِالل ّٰ ِہ ُ َّ َّ و َّۡل بِالیو ِم اۡل ٰ ِخ ِر ؕ و َّمنَّ یَّ ُک ِ َّنَّ ا ََّّٓاء َّ لشی ٰط ُ َّنَّ لَّہَّٗ َّقَّ ِرینًا فَّ َّس َّ َّ َّ قَّ ِرینًا (सूिए तनसा आयत 38) औि जो लोग अपने अमिाल को लोगों को हदखाने के सलये खचस किते िैं औि ि आखेित पि ईमान निीूं िखते उन्िें मालूम िोना चाहिए कक जजस का शैतान साथी िो जाऐ िि बद तिीन साथी िै. 5-ररया मुनाफफक की लसफत: َّی َُي ٰ ِد ُعو َّن اللّٰہَّ َّو ُہ َّو َّخا ِد ُعہم ۚ َّو اِذَّا قَّا ُموۤا اِ َّل ََّّ ِاِ َّن الُن ٰ ِفق ُ َّ َّاس ََّّو لَّاَّ یَّذ ُک ُرو ََّّن الل ّٰ َّہ َّ َّ َّال ۙ یُ َّر ُٓاءو َّنَّالن َّ ٰ ا َّلصلٰو ََّۃ ِقَّا ُموا ُک َّس َّ ً اِ َّ َّۡلَّ قَّلِی ل (सूिए तनसा आयत 142) PACHAS MAU… - 406 HAJINAJI.com मुनाफेकीन, खुदा को धोका दे ना चािते िैं, औि खुदा उन्को धोके में िखने िाला िै , औि यि नमाज़ के सलये उठते िैं, तो सस् ु ती के साथ लोगों को हदखाने केसलये अमल किते िैं, औि अल्लाि को बिुत कम याद किते िैं. PACHAS MAU… - 407 HAJINAJI.com ििायात: 1-इबादत की आफत: َّ َّٓا فَّ ُة الْعِبٰادَّ ِة ال ِریَّا ُء: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 576) िज़ित अली बबन अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: इबादत की आफत ियाकािी िै. 2-ररयाकारी लशकर है: ِ ل َّی ال ِری َّ ُاء ِش ْر ٌك ُ ْ یَّس: قال أمی ا ومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 576) अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: थोड़ी सी भी रियाकािी सशकस िै. 3-ररयाकारी का ज़ादहर हसींन: َّ اَّلُ ٰرا ِيل ْ َّظا ِه ُر ُه َّجِی ْ ٌل: قال أمی الومنی علیه السلم ََّّو بَّا ِطنُ ُه عَّلِی ْ ٌل (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 576) PACHAS MAU… - 408 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: रियाकाि का ज़ाहिि िसीूंन औि उस्का बाततन बीमाि िै. 4-बगैर ररया के अमल अंजाम दो: ِ ْ إِ ْع َّمل ُ ْوا ِِفْ َّغ:قال أمی الومنی علیه السلم َّی ِر یَّا ء َّو ِ ِ َِّ ْ َّ َسعَّة فَّاِ ن َُّه َّم ْن یَّعْم ُل لِغ اهلل ُسب ْ ٰحان َّ ُه إِ ٰيل ْ ُ َّۡل َّ ُ ی اهلل یكل ْ ُه ََّّم ْن عَّ ِم َّل ل َّ َّٗه (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 575) अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: रियाकािी औि शोिित तलबी के बगैि अमल अन्जाम दो. क्यूंकू क जो खद ु ा के गैि केसलये अमल किता िै. तो खुदा उस्को उस्के ििाले कि दे ता िै जजस केसलये उसनें अमल ककया था. PACHAS MAU… - 409 HAJINAJI.com 5-ररयाकार का अमल बानतल: َّ َّإِ َّن اهللَّ َّۡل: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم ِ ِ ال ذَّ َّرة ِم ْن ِر ئَّا َّء ُ َّی َّ ْقب َّ ُل عَّ َّمل ًفیْه ِمثْق (मीजान अल हिकमि जजद 2 पेज 1017) िज़ित िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: खुदा िूंदे मूतआल ऐसा अमल जजस में ज़िसि बिाबि रिया िो, कबूल निीूं किता. PACHAS MAU… - 410 HAJINAJI.com तशिीि: इस्लाम में रियाकािी बदतिीन ससफत िै. जजस के बािे में बयान ककया गया िै कक. िोज़े क़यामत रियाकाि को उस शख्स के ििाले किहदया जाऐगा. जजस के सलये उसनें अमल ककया िै , औि िि खुदाई अज्र से मिरूम किहदया जाएगा, यिी िाल बखील का भी िै , जजस के बािे में िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: कक ककस क़दि बद नसीब बखील िै कक दन्ु या में फकीिों जैसी जज़ूंदगी गुजािता िै , औि आखेित में िोिसा (अमीिों) जैसा हिसाब दे ता िै. रिया कािी से जजतना िोसकता िै इूंसान बचे क्यूूंकक मामूली सी भी रियाकािी सशकस शुमाि िोती िै , औि रिया काि के आमाल बाततल िोजाते िैं, जजन केसलये आमाल बजालाया िै जज़ा भी उन िी से समले गी, क्यूूंकक आमाल खुदा केसलए बजा निीूं लाया था, तो ककस तिि उस्को PACHAS MAU… - 411 HAJINAJI.com जज़ा ि पादाश दे . ििायत में िै कक इमाम साहदक (अ.स.) ने फिमाया: बिोज़े मिशि एक नमाज़ी शख्स को लाया जाएगा. िि बािगािे यज़्दी में अजस किे गा. खुदाया मैंनें तेिी रिज़ा तलबी के सलये नमाज़ पढ़ी थी. जिाब में किा जाऐगा अयसा निीूं िै. बजल्क तन ू ें इससलये पढ़ी थी कक लोग किें गें कक फलाूं शख्स की नमाज़ ककतनी अच्छी िै. पस िुक्म िोगा कक इसे जिन्नम की तिफ लेजाि. खद किते िैं. बिक्के अली इब्ने ु ा से दआ ु अबी तासलब (अ.स.) िमें नुमाई, अमल के रियाकिी, खुद हदखािे, से बचने की तौफीक़ अता फािमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 412 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-ररयाकार शख्स: अब्दल आला सल्ल्मी रियाकाि शख्स था ु एक िोज उसनें किा: लोग समझते िैं कक मैं रिया काि िूूँ िालाूंकक मैंनें कल भी िोज़ा िख्खा था औि आज भी िोज़े से िूूँ औि ककसी को मैंनें निीूं बताया कक मैं िोज़े से िूूँ (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 505) सशदाद बबन ओस किते िैं: मैंनें पैगम्बिे अकिम (स.अ.) को िोते िुिे दे खा, मैंनें किा: आप क्यूूं थगिया कि ििे िैं? फिमाया: अपनी उम्मत पि, सशकस की डि की िजि से, मेिी उम्मत के लोग बुत चाूँद, सूिज, पत्थि, िगैिा की पिजस्तश निीूं किें गे, बल्की िि लोग अपने आमाल में रियाकािी किें गे. (िज़ाि ि यक हिकायत अखलाकी पेज 212) PACHAS MAU… - 413 HAJINAJI.com 2-ररयाकार के क़यामत में चार नाम: पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) के शाथगदों में से एक शाथगदस नें आूंिज़ित (स.अ.ि.) से मुलाक़ात की औि पूछा: क़यामत के हदन नजात का िास्ता ककस्में िै ? पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: नजात उस शख्स के सलये िै जो कोई खद ु ा को फिे ब ि धोका न दे . जो खुदा को धोका दे ना चािता िै खुदा भी उसे धोके में िखने िाला िै. उस्के ज़रिये उस से ईमान को सल्ब किे गा. दि िकीकत उसनें अपने आप को धोका हदया िै. पूछा या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.)! ककसतिि खुदा को फिे ब दें गे? फिमाया: खुदा ने जो इनको िुक्म हदया िै कक मेिे सलये बजालाएूं िि गैिे खद ु ा केसलये बजा लाऐ – रियाकािी से बचो क्यूकी रियाकािी सशकस खुदा िै , औि रियाकाि शख्स को क़यामत के हदन चाि नामों से पुकािा जाएगा. PACHAS MAU… - 414 HAJINAJI.com 1-अय काकफि -2-अय फाजजि – 3- अय गाहदि (धोके बाज़) – 4- अय खाससि (नक ु सान उठाने िाला) तेिे अमल की कोई अिसमयत निीूं, औि तेिे अमल की जज़ा खत्म कि दी गई िै , औि आज तुझे कोई फ़ाइदा निीूं समलेगा. अपनें अमल की जज़ा उस से लो जजसके सलये अमल ककया था. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 505) PACHAS MAU… - 415 HAJINAJI.com 31) ज़ुबान आयात: 1-अह्मीयते ज़ब ु ान: ِ َّ َّو َّض َّر َّب الل ّٰ ُہ َّمث َّ ًل َّر ُجل َّی ا ََّّح ُد ُہ َّم َّا ۤا َّب َّک ُم َّۡل یَّق ِد ُر عَّ ٰٰل ع َّىہ ۙ ا َّین َّ َّما یُ َّو ِجہہَُّ َّۡلیَّا ِت َِبَّی ؕ ہَّل ُ ٰ ََّشء َّو ُہ ََّّوَّ ک َّ ٌل َّ ٰٰل َّمول یَّست َّ ِوی ُہ َّو ۙ َّو َّمنَّ یَّا ُم ُ َّرَّ بِالعَّد ِل ۙ َّو ُہ ََّّوَّ عَّ ٰٰل ِص َّراط َُّمستَّقِیَّم (सूिए निल आयत 76) औि अल्लाि ने एक औि समसाल उन दो इूंसानों की बयान की िै. जजन में एक गूंग ू ा िै औि उस्के बस में कुछ भी निीूं िै. बल्की िि खुद अपनें मौला के सि पि एक बोझ िै. कक जजस तिफ भी भेज दे कोई खैि लेकि न आयेगा तो क्या िि उस्के बिाबि PACHAS MAU… - 416 HAJINAJI.com िो सकता िै. जो अदल का िुक्म दे तािै औि सीधे िास्ते पि गामज़न िै. 2-गुफतगू में फ़साहत: َّاَن َّیَّفقَّ ُہواَّ قَّو ِل َّ ِ ََّّوَّ احلُلََّّ ُعق ََّّد ًََّۃَّ َّ ِم َّنَّ ل ِ َّس (सिू ए तािा आयात 27’28) औि मेिी ज़ुबान की थगिि खोल दे कक यि मेिी बात समझ सकें. 3-बद जबानी: ِ ِ ُ َّۡل ُُیِب الل ّٰ َّہَّ اْلَّہ َّرَّ بِا ِ ِ َّان َّ ُ ُ َّ َّ لسوٰٓء م َّن القَّو ِل ا َّۡل َّمن ُظل َّم ؕ ََّّو ک ِ َّ اللّٰہ َسیعًا عَّلِی ًم َّا ُ (सूिए तनसा आयत 148) अल्लाि मजलूम के अलािि ककसी की तिफ से भी अलल ऐलान (खुलकि) बिु ा किने को पसूंद निीूं किता औि अल्लाि िि बात का सुनने िाला औि तमाम िालात का जाूंनने िाला िै. PACHAS MAU… - 417 HAJINAJI.com 4-क़यामत में गवाह: َّ یَّو ََّّمَّ تَّشہَّ ُد عَّلَّی ِہم َّا َّل ِس نَّتُہم َّو ا َّی ِدی ِہمََّّ ََّّوَّ ا َّر ُجلُہمََّّ ِِبَّا ُ ُ َّ کَّانُوا یَّع َّملُو ََّّن (सूिए नूि आयत 24) क़यामत के हदन उन्के खखलाफ उन्की ज़ुबानें औि उन्के िाथ पािूं सब गिािी दें गें कक यि क्या कि ििे थे. 5-इंसान अपनी ज़ब ु ान का ल्ज़म्मेदार है. َّ ابَّ َّمدًا َّ َّو َّ ِ ک َّ َّل ؕ َّسنَّکتُ ُب َّما ی َّ ُقو ُل َّو َّّنُ َُّدَّ لَّہَّٗ ِم َّن العَّ َّذ َّن َّ ِر ُث َّہَّٗ َّماَّی َّ ُقو ُل َّو یَّاتِینَّاَّ فَّردًا (सूिए मियम आयात 79’80) ििथगज़ अयसा नईं िै िम उस्की बातों को दजस (यानी सलख) कि ििे िैं औि उस्के अज़ाब में भी औि इजाफ़ा कि दें गें. औि उस्के माल औि अव्लाद के िम िी मासलक PACHAS MAU… - 418 HAJINAJI.com िोंगें औि यि िमािी बािगाि में अकेला िाजज़ि िोगा. PACHAS MAU… - 419 HAJINAJI.com ििायात: 1-मेअयारे इंसान: ِ َّان ِمی َّزا ُن ُ اَّلل ٰس: قال أمی الومنی علیه السلم ِْ َّان َِّ اْلن ْ ٰس (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 507) इमामुल मत्त ु कीन अली (अ.स.) नें फिमाया: ज़ुबान इूंसान का पैमाना औि मेयाि (कसौटी) िै. 2-तरजुमाने अक्ल: ِ َّان ُ ٰان تَّ ْر ُج ُ اَّلل َّس: قال أمی الومنی علیه السلم َّل َّ ِ ْالْعَّق (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 507) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: ज़ब ु ान अक्ल की तजुम स ान िै. PACHAS MAU… - 420 HAJINAJI.com 3-ज़ुबान के नीचे: َّ ا َّ ْل َّ ْر ُء ََّمْبُ َّْو ٌء َُّتْ ْت: قال أمی الومنی علیه السلم َّل ِ ٰسانِ َِّه (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 507) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: इूंसान अपनी ज़ुबान के नीचे छुपा िुिा िै. 4-ज़ुबान पर काबू: م َّْ َّ ك تَّ ْس َّل َّ َّ قَّ ِو ْم ل ِ ٰسان: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 508) मौला अमीि (अ.स.) नें फिमाया: अपनी ज़ब ु ान को सीधा औि काबू में िख्खो ताकी मिफूज़ ििो. 5-हलाकत का सबब: َّ كَّ ْم ِم ْن إِ ن ْ َّسان: قال أمی الومنی علیه السلم َّان ٌَّ أ َّ ْهل َّ َّك ُه ل ِ ٰس PACHAS MAU… - 421 HAJINAJI.com (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 509) िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: ककतने िी इूंसानों को ज़ुबान नें िलाक कि डाला. PACHAS MAU… - 422 HAJINAJI.com तशिीि: इूंसान को खुदा िूंदे मूतआल नें जो नेमतें दी िैं. उनमेंसे एक नेमत ज़ुबान िै. इस ज़ब ु ान के ज़रिये इूंसान जन्नत भी िाससल किसकता िै औि जिन्नम भी. अक्सि गुनािाने कबीिा जो अूंजाम हदये जाते िैं िि ज़ुबान के ज़रिये से अूंजाम हदये जाते िैं, औि यिी ज़ुबान इूंसान के हदलों की तजुम स ानी किती िै. गोया हदल कुछ इसतिि बात किता िै कक जजसे लोग समझ निीूं पाते. इससलये मुतजजसम (तजुम स ा किने िाले) की ज़रूित िै , औि िि ज़ब ु ान िै. ज़ुबान को काबू में िख्खें ताकी लजग्ज़श (चूक) कम से कम ज़जसद (पैदा) िों. ज़ुबान िम से इस चीज़ का तकाजा किे गी जजसका िमनें उस्को आदी बनाया िै. अगि गाली दे ने का आदी बनाया िोगा तो िि गाली बके गी. औि अगि नेक बात ि जज़क्रे इलािी का आदी PACHAS MAU… - 423 HAJINAJI.com बनाया िोगा तो नेक बात औि जज़क्रे इलािी किे गी. तलिाि की काट का ज़ख़्म तो बूंद िोसकता िै. लेककन ज़ब ु ान से जो ज़ख्म लगाया जाता िै. िि कभी पुि निीूं िोता. इस िजि से मौला अली (अ.स. नें फिमाया: लजग्ज़शे ज़ुबान (ज़ुबान की गलती) सीनान (तीि) से ज़्यादि कािी (गििा) ज़ख्म लगाती िै, औि क़यामत के हदन. यिी ज़ुबान जजस से िम यिाूँ पि कफि जाते िैं. अब कुछ किा, थोड़ी दे ि बाद इनकाि, िमािे खेलाफ गिािी दे गी खद ु ा नें िमें यि नेमत जज़क्रे इलािी के सलये दी िै. तो इस से ज़्यादा से ज़्यादा जज़क्र किें िमेशा इस ज़ुबान से तस्बीि इलािी किनी चाहिऐ. खद ु ा से दआ ु किते िैं बह्क्के चिादसि मासूमीन (अ.मु.स) िमें ज़ुबान पि काबू िखने औि उस से जज़क्रे इलािी किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 424 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-बेहतरीन और बद तरीन: लुकमान िकीम शुरु में बनी इस्राईल के बज ु ुगों में से एक शख्स के गल ु ाम थे. एक हदन मासलक नें उन्को िुक्म हदया कक, एक भेड ज़बि किके उस्के जजस्म का बेितिीन हिस्सा मेिे पास लेकि आि. लुकमान िकीम नें दूं ब ु ान ु ि को ज़बि ककया, औि हदल ज़ब अपनें मासलक को लाकि दे हदये. कफि चूंद हदनों के बाद मासलक ने दोबािा किा, कक एक भेड को ज़बि किके उसके जजस्म का बद तिीन हिस्सा मझ ु े लाकि दो िज़ित लुकमान नें िुक्म पि अमल किते िुिे, गोस्फूंद को ज़बि ककया, औि हदल ि ज़ुबान अपने मासलक को लाकि दे हदये. मासलक नें किा: जािे िन यि दोनों एक दस ू िे की जजद िैं. (क्यूूंकक िमािे समाज में तो यिी िोता िै ज़ुबान पि कुछ औि हदल में कुछ) िज़ित PACHAS MAU… - 425 HAJINAJI.com लुकमान िकीम ने फिमाया: अगि हदल ि ज़ुबान एक दस ू िे की तस्दीक किें तो जजस्म के बेितिीन हिस्से शुमाि िोंगें औि अगि मुखालफत किें तो बदन के बद तिीन हिस्से शुमाि िोंगे. जब मासलक नें िजिते लुकमान (अ.स.) की यि िकीमानि गुफ्तुगू सुनी तो बिुत खश ु िुिा औि िज़ित लक ु मान (अ.स.) को आज़ाद किहदया. (िज़ाि ि यक इखलाकी हिकायत पेज 596 इूंसान साज़ िाकेआत पेज 161) 2-बद जुबानी का अंजाम: (सवाल) मस ू ल के एक शीआ नें यि ििायत बयान की िै. उसनें किा: मैंने िज पि जाने का इिादि ककया तो अपने दोस्तों औि िमसायों को अलविदा किा, तो एक िमसाए अिमद िम्दूं न ू ल ू िारिस गििी के पास गया जो मस का एक मोअज़्ज़ज़ शख्स समझा जाता था. लेककन िज़ित अली (अ.स.) का मुखासलफ PACHAS MAU… - 426 HAJINAJI.com था. मैं िस्में दन्ु या तनभाने के सलये उस्के पास गया, औि उस से किा कक मैं बैतुल्लाि की ज्याित के सलये जाििा िूूँ. अगि तम् ु िें मक्का मदीना से कोई चीज़ मूंगिानी िो तो मुझे बता दो. मैं तुम्िािे सलये लेता आिोंगा. यि सुनकि िि घि में गया औि कुिआूंन मजीद लेकि आया. उसनें कुिआन मजीद मेिे िाथ पि िख्खा औि किा. मुझ से िादा किो कक जो मैं किूूँगा उसे पूिा किोगे. कफि उसनें किा जब तुम मदीना पिुूँचो, औि कब्रे िसल ू (स.अ.ि.) पि जाि. तो मेिी तिफ से उनसे यि किना कक. आप (स.अ.ि.) को अपनी सािब जादी फाततमा जििा (स.अ.) के सलये अली (अ.स.) के अलािा औि कोई रिश्ता निीूं समला था. आप (स.अ.ि.) को अली (अ.स.) में क्या हदखाई हदया था. कक आप (स.अ.ि.) ने उन्िें अपना दामाद बना PACHAS MAU… - 427 HAJINAJI.com सलया था. जब कक अली (अ.स.) सि से गूंजे थे? बिि िाल मैं अपनें शिि से ििानि िोकि मक्का आया जिाूं मैंने मनाससके िज अदा ककये. कफि मैं मदीना मुनव्ििि मजस्जदे नबिी (स.अ.ि) मे (स.अ.ि.) को आूंिज़ित (स.अ.ि.) िसूलुल्लाि मैंने गया. िुजूिे अकिम सलाम ककया, औि से (स.अ.ि.) अजस मुझे ककया. यि या पैगाम पिुूंचाते िुिे इन्तेिाई शसमंदगी िोििी िै. लेककन मेिे िम्साया नें मझ ु से कुिआन पि िलफ लेकि किा था, कक मैं आप की खखदमत में उस्का यि पैगाम पिूचािूूं. िात के िक्त जब मैं सोया िुिा था. तो मुझे अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की ज्याित नसीब िुई. आप (अ.स.) नें मुझे अपने साथ सलया औि चश्में ज़दन में मूसल मेिे नास्बी िम्साया के घि ले आये. उस िक्त िि PACHAS MAU… - 428 HAJINAJI.com बबस्ति पि पड़ा सो ििा था. आप (अ.स.) नें छुिी से उसे ज़बि ककया जो आप (अ.स.) के िाथ में थी, औि खन ू आलद ू ि छुिी को उस्के सलिाफ से साफ़ ककया. जजस कीिजि से सलिाफ पि दो लकीिें बन गईं. कफि आप (अ.स.) नें उस्के दििाजे के ऊपि िाले हिस्से को अपने िाथ से उठाया, औि दििाज़े के ऊपि उस छुिी को िख हदया. उस्के बाद मैं नीूंद से बेदाि िुिा. तो मैंनें अपनें काकफले िालों को यि ख्िाब सुनाया औि एक कापी में तािीख सलख ली. जब मैं सफिे िज से िापस अपनें शिि मूसल पिुूँचा तो मैंनें लोगों से अपनें इस नास्बी िम्साया के मूतअजल्लक पूछा. लोगों नें बताया कक िि कत्ल िो चक ु ा िै. लोगों ने उस्के क़त्ल की ििी तािीख बताई जजसे मैंनें अपनी कापी में सलखा था. PACHAS MAU… - 429 HAJINAJI.com लोगों नें बताया कक उस्के काततल का अभी तक कोई इल्म निीूं िुिा. पुसलस नें शुबिे में पड़ोससयों को थगिफ्ताि कि सलया िै , औि िि उनसे उस्के क़त्ल की तफ़तीश कि ििी िै. मैंनें अपनें साथथयों से किा आि िम पुसलस अफसि के पास चलें औि उसे असल ककस्सा बतलाएूं. ताकक बीगुनाि अफिाद आज़ाद िो जाएूँ. िम पुसलस अफसि के पास गए, औि जो मैंनें ख्िाब में दे खा था उस से बयान ककया. मेिे साथथयों नें उस्की तस्दीक की औि ख्िाब की तािीख के बािे में उसको बतलाया औि उन्िों नें किा: पिली अलामत तो यि िै कक आप उस्के सलिाफ पि दो सख ु स लकीिें पाएूंगें औि दस ू िी यि कक छुिी छत के नीचे दििाज़े पे िख्खी िुई िै. पस अफसि खुद आया औि उसनें दोनों अलामतें दे खीूं. PACHAS MAU… - 430 HAJINAJI.com िज़ित अली (अ.स.) के इस एजाज़ से मूसल के बिुत से लोगों नें मजिबे शीआ अजख्तयाि कि सलया औि मकतल के ू अकरुबा नें भी अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) की दोस्ती अजख्तयाि कि ली. (कश्कोल दस्ते गैब पेज 45 नकल अज़ बबिारुल अन्िाि जजल्द 42 पेज 10) PACHAS MAU… - 431 HAJINAJI.com 32) सखावत आयात: 1-सखावत के असरात: ًَّاَّل َّ ِذی َّن یُن ِف ُقو َّن اَّم َّوالَّہم بِالَّی ِل َّو النَّہَّا ِر ِس ًرا َّو ع َّ َّل ِ ََّن َّ َۃ ُ َّف عَّلَّی ِہمَّ ََّّو َّ َّۡل ُہم َّ ٌ فَّلَّہمَّ اَّج ُر ُہمَّ ِعن ََّّد َّربِ ِہمَّ ۚ ََّّو َّۡلَّ َّخو ُ ََُّّی َّزنُو ََّّن (सूिए बकिा आयत 274) जो लोग अपनें माल िािे खुदा में िात, में हदन, में खामोशी औि अलल एलान (एलातनया) खचस किते िैं उनकेसलए खुदा के पास अज्र भी िै औि न उन्िें कोई खौफ़ िोगा औि न िुज़्न (गम). PACHAS MAU… - 432 HAJINAJI.com 2-सखावत करनें पर हरीस: کَّ ََّّو َّ َّۡل تَّب ُسطہَّا کُ َّلَّ ک َّمغلُو ََّّل ًََّۃَّ اِ ٰ َّل ُعنُقِ ََّّ َّو َّۡل ََّتعَّل ی َّ َّد َّ ط فَّتَّق ُع ََّّد َّملُومًاَّ َُّم ُسو ًرا البَّس ِ َّ )(सूिए असिा आयत 29 ेऔि खबि दाि न अपनें िाथों को गदसनों स बूंधा िुिा क़िाि दो औि न बबलकुल फैला दो कक आखखि में काबबले मलामत औि खाली िाथ बैठे िि जाि. 3-इसर तकसीम करते वक्त सखावत: ِ ِ ک ال َّوالِدٰنِ َّو اۡلَّق َّر ُبو َّن ۪ َّوَّ ب َِمَّا تَّ َّر َّ لل ِر َّج ِال نَّصی ٌ ِ ِ ِ ِ ک ال َّوالِدٰنِ َّو اۡلَّق َّر ُبو َّن َِمَّا قَّ َّلَّ ب َِمَّا تَّ َّر َّ للن َّسٓاء نَّصی ٌ م ََّۃَّ اُولُواَّ ِمن ُہ ا َّو کَّثُ َّرَّؕ ن َّ ِصیبًا َّمف ُرو ًضاَّ ََّّوَّ اِذَّا َّح َّض َّر القِس ََّّ ی فَّار ُز ُقو ُہمََّّ ِمن َُّہ ََّّو ُقولُوا لَّہمَّ َّ ال ُقر ٰ َّٰب ََّّو الیَّت ٰ ٰٰمَّ ََّّو ال َّ ٰس ِک َُّ ُ قَّو ً َّۡل َّمع ُروف ً َّا HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 433 (सूिए तनसा आयत 7’8) मदों केसलये उन्के िालदै न औि अक्रुबा (नजदीक िालों) के तके (यानी जो कुछ मिने के बाद छोड़ा िै) में एक हिस्सा िै , औि औितों के सलये भी उन्के िालदै न औि अक्रुबा (किीब िालों) के तके में से एक हिस्सा िै , िि माल बिुत िो या थोड़ा यि हिस्सा बतौिे फिीज़ा िै , औि अगि तकसीम के िक्त दस ू िे क़िाबतदािों यतीम समसकीूंन भी आजाएूँ तो उन्िें भी उस में से बतौिे रिज्क दे दो औि उनसे निम ि मुनाससब गुफ्तगू किो. 4-महर में सखावत: َّب ل َّ ُکمَّ عَّ َّن ََّشء ََّّ ل َۃً َّؕفَّاِنَّ ِط َّ َّ َّو ا ٰ ُتوا النِ َّسٓاءَّ َّص ُدقٰتِ ِہ َّن َِن ِمن َُّہ نَّف ًسا فَّ ُكلُو َُّہ ہَّنِیٰٓـً َّا َّم ِریٰٓـً َّا (सूिए तनसा आयत 4) PACHAS MAU… - 434 HAJINAJI.com औितों का उन्को मिि अता किदो, कफि अगि िि खुशी खुशी तुम्िें दे ना चािें तो शौक से खा लो. 5-सखावत करनें में लमयाना रवी: َّو َّ َّۡلَّ َّتنُ َّن َّتَّستَّکثِ َُّر (सूिए मुद्दजस्सि आयत 6) औि इसतिि ऐिसान न किो कक तलबगाि (खुद मुिताज िो जाि) बन जाि. PACHAS MAU… - 435 HAJINAJI.com ििायात: 1-मुक़ररबीन की इबादत: ِ اَّْلُود ِِف ا: قال أمی الومنی علیه السلم َّهلل ِعبٰادَّ ُة ْ ُْ َّی َّ ْ ِا ْلُقَّ َّرب (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 197) मौलाऐ काऐनात (स.अ.) नें फिमाया: िािे खुदा में सखाित किना मुक़िसबीन (यानी जो बूंदः खुदा से किीब िै) की इबादत िै. 2-कमाले सखावत: َّ غَّای َّ ُة ا ْْل ُ ْو ِد بَّ ْذ ُل: قال أمی الومنی علیه السلم َّا ْل َّ ْو ُج ْو َِّد (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 206) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: सखाित का कमाल यि िै कक जो कुछ मौजूद िो उस्को (िािे खुदा में) खचस किदो. PACHAS MAU… - 436 HAJINAJI.com 3-सख्ती में सखावत: َّ َّان َّ َّ أفْ َّض ُل ا ْْل ُ ْو ِد َّما ک: قال أمی الومنی علیه السلم َّعَّ ْن ُع ْس َّر َِّة (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 198) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सख्ती में सखाित किना बड़ी सखाित िै. 4-सखावत की आफत: َّ ٓا فَّ ُة ا ْْل ُ ْو ِد اَّلتَّب ْ ِذی ْ ِر: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 198) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: बख्शीश ि अता की आफत फ़जल ू खची िै. 5-सफरराज़ी (कालमयाबी): َّ أ َّ ْح َّس ُن ا ْلَّكَّا ِر ِم ا َّ ْْل ُ ْو َُّد: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 197) PACHAS MAU… - 437 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: बेितिीन सफसिाज़ी ि सि बुलूंदी बख्शीश (यानी ििे खद ु ा में दे ना) िै. PACHAS MAU… - 438 HAJINAJI.com तशिीि: बाज़ लोगों का ख़याल िै कक अगि सखाित की जाये, औि लोगों को अपना माल दे हदया जाये. तो उन्के सलये माल ि सिसत कभी जमा निीूं िोसकती, यि ििम ि ख़याल बाततल ि गलत िै. ककस तिि िज़ित इब्रािीम (अ.स.) इतनी बख्शीश ि सखाित के बािजद ू , बगैि मेिमान के खाना निीूं खाते थे. औि काफी माल उन्के पास था? अगि िम सखाित किें तो उस्का फ़ाइदा िम िी को िै. अूंबबया ि अइम्मा (अ.मु.स.) की सीित का मत ु ालेआ किें तो पता चलता िै कक. िि लोग सखाित किने के बािजूद गनी थे. िि लोगों के मुिताज न थे. लोग उन्के मोिताज थे जब भी ज़रूित िोती उन्के दि पि आते. अदल औि जद ू ि सखाित में यिी फकस िै , अदालत, यानी साहिबे िक़ को उस्का िक़ समल जाए, औि सखाित यि िै PACHAS MAU… - 439 HAJINAJI.com कक अपना माल िािे खुदा में खचस किहदया जाए. क्या जो माल िािे खुदा में खचस िो जाता िै , उस्के खचस किनें से इूंसान खाली िाथ िो जाता िै ? जो माल खुदा की िाि में चला जाऐ उस्को दिाम (यानी िमेशा बाकी ििने िाला) समलता िै. जो लोग खुदा की िाि में माल दे ते िैं उन्को इज़्ज़त ि सफसिाज़ी औि सि बुलूंदी समलती िै , औि जो लोग बुख्ल किते िै िि िमेशा ज़लील ि रुसिा िोते िैं, औि ऐसे लोगों का पेट कभी निीूं भिता, अगि इूंसान खद ु ा का कुबस चािता िै, तो उसे चाहिये कक सखाित किे . माल को फना से बचाना चािता िै. तो अल्लाि की िाि में खचस किे . खद िै बिक्के इमामल मत्त ु ा से दआ ु ु कीूंन ु (अ.स.) मौलल मोिह्िे दीन िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) िमें सखाित किनें की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 440 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-सखावते इमाम अली (अ.स.): एक दफ़ा इमामुल मुत्तकीन अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) खानऐ काबा का तिाफ कि ििे थे. दे खा कक एक जिान खानऐ काबा का गलाफ पकड़े िुिे दआ कि ििा िै खुदाया! ु मुझे चाि िज़ाि हदििम की बिुत सख्त ज़रूित िै. िज़ाि हदििम का मकरूज़ िूूँ, िज़ाि हदििम घि केसलये चाहिये, औि िज़ाि हदििम शादी में , खचस किने की ज़रूित िै. औि िज़ाि हदििम, अपने िोजी कमानें केसलये. िज़ित अली (अ.स.) नें उस जिान की आिाज़ को सुना औि फिमाया: तुम नें इन्साफ से काम सलया जब मक्का से िापस जाि तो मदीना आजाना मैं तुम्िािी ज़रूित को पिू ा कि दूं ग ू ा. जिान चूंद हदनों के बाद मदीना आया औि लोगों से इमाम अली (अ.स.) के घि को पूछ्नें PACHAS MAU… - 441 लगा. पिली HAJINAJI.com शजख्सयत जजस से, उसनें इमाम अली (अ.स.) का घि पूछा, िि इमाम िुसैन (अ.स.) थे. िि जिान इमाम िुसैन (अ.स.) के साथ िज़ित के घि की तिफ चल पड़ा. िास्ति में जिान नें पूछा आप कौन िैं. िज़ित इमाम िुसैन (अ.स.) नें फिमाया: मैं िुसैन (अ.स.) इब्नें अली (अ.स.) िूूँ. मेिे िासलदे गिामी अली (अ.स.) िैं, औि मादिे थगिामी फाततमा (स.अ.) औि जद्दे बुजुगसिाि पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.), औि मेिे भाई िसने मज् ु तबा (अ.स.) िैं. उस जिान नें किा: दन्ु या की सािी सआदतें तुम्िािे पास िैं. जब घि पिुूंचे, अिब जिान नें इमाम िुसैन (अ.स.) से अजस ककया: अपने बाबा से जाकि किो ििी जिान आया िै , जजस से िादा ककया था कक तुम्िािी िाजत को पूिा करूूँगा. इमामे िुसैन (अ.स.) नें तमाम माजिा मौलाऐ काएनात (अ.स.) को बताया. PACHAS MAU… - 442 HAJINAJI.com इमाम अली (अ.स.) नें उस जिान को घि में बुलिाया, औि सलमान को अपनें पास बल ु ा कि फिमाया: मेिे पास एक बाग िै उस्को फिोख्त किना चािता िूूँ. सलमान लोगों के दिसमयान बाग फिोख्त किने गये आखखि काि बािि िज़ाि हदििम का िि बाग फिोख्त िुिा. इमाम अली (अ.स.) नें पिले चाि हदििम उस जिान को हदये , बाकी हदििम मदीने के फकीिों में तकसीम किहदये, औि खाली िाथ घि िापस आगऐ (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1, पेज 551, नक्ल अज़ िौज़तुल िाएजीन जजल्द 1 पेज 124) 2-खुदा भी सखावत मंद को दोस्त रखता है : यमन से एक क़ाकफला िसूले खुदा (स.अ.ि.) की खखदमत में आया. उस काििाूं में एक शख्स आूंिज़ित (स.अ.ि.) से गस् ु ताखी से पेश आया. आूंिज़ित उस्की उस ििकत से काफी गुस्से में थे लेककन खुल्के अज़ीम के PACHAS MAU… - 443 HAJINAJI.com समस्दाक नें तिम्मुल (यानी ऐखलाक की बलूंहदयों पि फ़ाऐज़ िसूल स.अ.ि.) ककया. उसी िक्त जब्रईले अमीन खद ु ा की तिफ से पैगम्बि (स.अ.ि.) के पास ििी लेकि आऐ कक यि शख्स सखाित मूंद िै. जब िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें यि सुना तो गुस्सि पी गये औि उस शख्स की तिफ रुख किके फिमाया: अगि जब्रईल मुझे यि खबि न दे ते कक तू एक सखाित मूंद शख्स िै औि लोगों को खाना पिूूँचाता िै तो मैं यकीनन तझ ु से इतना नािाज़ िोता कक लोग तझ ु से इबित िाससल किते. उस शख्स ने किा: क्या तुम्िािा खुदा सखाित को पसूंद किता िै? पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: बेशक खद ु ा िूंदे आलम सखाित को पसूंद किता िै. फ़ौिन उस शख्स नें किा: أشهد ان ۡل اله اۡلاهلل و ا نك رسو ل اهلل PACHAS MAU… - 444 HAJINAJI.com मैं गिािी दे ता िूूँ कक खुदा के ससिा कोई माबूद निीूं औि आप अल्लाि के िसूल िैं. मैं नें कभी भी ककसी को खाली िाथ निीूं पलटाया. ककसी को अपनें माल ि खाने से दिू निीूं ककया. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 552) PACHAS MAU… - 445 HAJINAJI.com 33) शुक्र आयात: 1-शक्र ु अज़ाब से दरू ी का सबब: ِ َّان الل ّٰ ُہ َّ َّ َّما یَّفعَّ ُل الل ّٰ ُہ بِعَّ َّذابِ ُکمََّّ ان َّشکَّر ُتم َّو ا ٰ َّمنتُم ؕ َّو ک َّشا ِک ًرا عَّلِی ًم َّا (सूिए तनसा आयत 147) खुदा तुम पि अज़ाब किके क्या किे गा अगि तुम उस्के शुक्र गुज़ाि औि सािे बाने ईमान बनजाि, औि िि तो िि एक के शुकिीये को कबूल किनें िाला औि िि एक की नीयत को जाूंनने िाला िै. 2-शुक्र का हुक्म: َّو اش ُک ُروا ِل َّو َّۡل تَّک ُف ُرو َِّن (सूिए बकिा आयत 152) PACHAS MAU… - 446 HAJINAJI.com औि िमािा शुकक्रया अदा किो औि कुफिाने नेमत न किो. 3-शुक्र गुज़ार हकीकी बहुत कम हैं: َّ یَّ ا َّلش ُکو ُر ََّّ لَّ ِمن ِعبَّا ِد َّ ٌ َّو قَّلِی (सिू ए सबा आयत 13) औि िमािे बन्दों में से शुक्र गुज़ाि बूंदे बिुत कम िैं 4-शुक्र नेमतों में इजाफ़ा का सबब: َّلَّئِن َّشکَّر ُتم َّ َّۡل َّ ِزی َّدن َّ ُکمََّّ َّو لَّئِن کَّ َّفر ُتمََّّ اِ َّن ع َّ َّذ ِاٰب َّل َّ َّش ِدی ٌَّد (सूिए इब्र ्िािीम आयत 7) अगि तुम िमािा शुकक्रया अदा किोगे तो िम नेमतों में इजाफ़ा किें गें औि अगि कुफिाने नेमत किोगे तो िमािा अज़ाब भी बिुत सख्त िै. PACHAS MAU… - 447 HAJINAJI.com 5-शुक्र करो: ِ ِیٰۤا َّیُہا ال َّ ِذی َّن ا ٰ ََّّمنُوا کُلُوا ِمن َّطی َّبت َّما َّرزَّقن ٰ ُکمََّّ َّو ّٰ َّ اش ُک ُروا لِل ّٰ َِّہَّ اِن ُکنتُم اِیَّ َُّاہَّ تَّعبُ ُدو ََّّن (सूिए बकिा आयत 172) साहिबानें ईमान जो िमनें पाकीज़ा रिज्क अता ककया िै , उसे खाि औि दे ने िाले खुदा का शुक्र अदा किो, अगि तुम उस्की इबादत किते िो. PACHAS MAU… - 448 HAJINAJI.com ििायात: 1-हमेशह शुक्र: ُ اِ ْست َّ ِد ِم ا: قال أمی الومنی علیه السلم َّلشك ُْر تَّ ُد ْم ك ِالنعْ َّم َُّة َّ ْ عَّلَّی (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 709) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: िमेशा शुक्र अदा किो ताकक िमेशा नेमत समलती ििे . 2-शुक्र नेमतों की अफ्जाइश (बढाने) का सबब: ُ َّ ا: قال أمی الومنی علیه السلم َّلشك ُْر یُ ِد ُر ِالنعَّ ِم (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 712) िज़ित (अ.स.) नें फिमाया: शुक्र नेमतों को बढाता िै. PACHAS MAU… - 449 HAJINAJI.com 3-शुक्र गनीमत: ُ َّ َّ ا: قال أمی الومنی علیه السلم َّلشك ُْر ُمغْت َّ ِن ُم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 712) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: शुक्र गनीमत िै. 4-नेमतों की जीनत: ِلشكْر ِزین ٌة للِ ِنعما َّء ٰ ْ َّ ْ ُ ُ َّ ا: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 713) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: शुक्र नेमतों की ज़ीनत िै. 5-शुक्र, अमल से ज़ादहर: َّْ ُشك ُْر ا ْلُ ْؤ ِمنِ ی َّ ْظهَّ ُر ِِف: قال أمی الومنی علیه السلم عَّ َّملِ َِّه (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 716) PACHAS MAU… - 450 HAJINAJI.com इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: मोसमन का शुक्र उस्के अमल से ज़ाहिि िोता िै. PACHAS MAU… - 451 HAJINAJI.com तशिीि: शुक्र का पिला मििला ऐिसास ि इद्राके इनआमे खुदा (यानी खुदा की नेमतो का ऐिसास औि उस्का दकस किना) औि दस ू िा मििला, जुबानी तशक्कुि िै , औि आखिी मििला अमली (यानी अमल से ज़ाहिि िो कक शुक्रे खुदा कि ििा िै) िै. शुकक्र यि िै , जैसा कक ििायात में िारिद िुिा िै कक, शक्र ु े नेमत मुििे मात से इज्तेनाब (पििे ज़) किने का नाम िै. कक नेमते खुदा को ििाम में सफ़स किना नाशुक्री िै शुक्र निीूं. बाज़ िज़िात का ख्याल िै कक इूंसान नेमतों का शुक्र अदा किले तो दन्ु या िी में नेमतों में इजाफ़ा िोजाऐगा, औि यि ककसी िद तक सिीि भी िै. लेककन अज़ाबे शदीद का क़िीना, आयत में बता ििा िै कक नेमत में इजाफ़ा औि अज़ाबे शदीद, दोनों आखेित में िैं. शुक्रे नेमत इजाफ़ा PACHAS MAU… - 452 का सबब औि HAJINAJI.com कुफिाने नेमत अज़ाबे शदीद का सबब िै. इूंसान को चाहिये कक जजतना िो सके उस मासलक का शक्र अदा किे . जजसनें िमें ु इतनी नेमतें दी िैं. उस्की नेमतें लामिदद ू िैं, औि िमािा शुक्र बिुत कम िै. अगि िम चाितें िैं कक. नेमतों को दिाम ििे . तो खुदा का शुक्र अदा किें . िि नेमत के समलनें पि शुक्र औि उस शुक्र पि भी शुक्र किें . कक खुदाया तूनें मुझे शुक्र अदा किने की तौफीक दी. अगि इस तिि किें गें तो यकीनन िम नें शक्र अदा ककया, औि शक्र ु ु े अमली का बेितिीन नमूना नमाज़ िै. खुदा से दआ किते ु िैं बिक्के अइम्मा तािे िीन (अ.मु.स.) िमें शुक्र अदा किनें की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 453 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हज़रत ईसा (अ.स.) और नाबीना (अंधा): िज़ित ईसा (अ.स.) नें ऐक िोज सैि ि तफिीि किते िुिे एक नाबीना शख्स को दे खा जो मुख्तसलफ बीमारियों में मब्ु तला था. नाबीना के अलािा जुज़ाम, बिस, औि दो तिफ से बदन फासलज िै. औि ज़मीन गीि भी िै , उस्के बािजद ू बाि बाि यि कि ििा था. खुदाया तेिा शुक्र िै कक तूनें मुझे बिुत सी बीमारियों से बचाया िुिा िै. िज़ित ईसा (अ.स.) नें उस से किा तू िि बीमािी में मब्ु तेला िै. पस कौन सी बीमािी ऐसी िै जजस में तू मुब्तेला निीूं िै. जो तू इस्कदि शुक्र कि ििा िै. नाबीना नें किा: मैं उस से बेिति िूूँ जो मेिी तिि खद ु ा की मािफत निीूं िखता. इस िजि से मैं खुदा का शुक्र अदा कि ििा िूूँ. PACHAS MAU… - 454 HAJINAJI.com िज़ित ईसा (अ.स.) नें फिमाया: तूनें सच किा अपने िाथ मुझे दो उस नाबीना नें अपना िाथ िज़ित ईस्सा (अ.स.) को थमाया, अचानक िज़ित ईसा (अ.स.) को िाथ थमाते िी, िि शख्स बऐजाज़े ईसा (अ.स.) तमाम बीमारियों से नजात पा गया, औि िसीन ि जमील सिू त पैदा किली. उस्के बाद िि शख्स िज़ित ईसा (अ.स.) के साथथयों में से िो गया. इसमें कोई शक निीूं शुक्रे नेमत नेमतों में इजाफ़ा का सबब िै. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 581 नक्ल अज़ कशकोल शैख़ बिाई पेज 499) 2-शुक्रे नेअमत: मोअम्मि बबन खुलूद इमामे िे ज़ा (अ.स.) से ििायत नक्ल किता िै. कक िज़ित नें फिमाया: बनीइस्राईल में से एक शख्स नें ख्िाब में दे खा कक उस्के पास कोई शख्स PACHAS MAU… - 455 HAJINAJI.com आया, औि उसनें किा तेिी उम्र में आधी जज़ूंदगी आिाम ि सुकून औि खुशी में गज़ ु िे गी, औि आधी जज़ूंदगी पिे शानी ि तूंगदस्ती में. अब तेिी मजी िै जजसका चािे पिले इन्तेखाब कि ले. उस शख्स नें किा: मेिे साथ मेिी शिीके ियात मेिी जौजा भी िै. ज़रूिी िै कक पिले उस से मश्िेिा किलूंू, जब सुबि िुई तो उसनें अपनी बीिी से किा. िात मैंनें ख्िाब में एक शख्स को दे खा जजसनें मुझसे किा तेिी आधी जज़ूंदगी में खश्ु याूं, औि आधी जज़ूंदगी में पिीशातनयाूँ िैं. अब तेिी मजी जजसको भी पिले इन्तेखाब कि. उस्की बीिी नें किा. पिले आिाम ि सुकून औि खुशी की जज़ूंदगी को इन्तेखाब कि. उसने अपनी ज़ौजा की बात पि अमल ककया औि खुश्यों की जज़ूंदगी को मुन्तखब ककया. जब उसनें यि काम ककया औि दन्ु या उस्की तिफ आई औि नेमतें समल्ना शुरू PACHAS MAU… - 456 HAJINAJI.com िईं. तो उस्की बीिी उस से कती, दे ख तुम्िािा फालाूं रिश्तेदाि तनयाज़मूंद िै , उस्की मदद कि इस तिि उस्को जो भी नेमत समलती िि ग़िीबों औि मुिताजों की मदद किता, औि िि नेमत के समलने पि खुदा का शुक्र अदा किता. इस तिि उस्की आधी जज़ूंदगी खश्ु यों में गज ु ि गई, जब दस ू िी आधी जज़ूंदगी शुरू िुई तो उसकी बीिी नें किा: قد أنعم اهلل علینا فشكرنا واهلل اويل بالوفا َّء खुदा नें िमें नेमत दी औि िम नें उस्का शुक्र अदा ककया ،औि खुदा अपने िादे पि बेितिीन िफ़ा किने िाला िै. यिी शक्र ु े नेमत ग़िीबों औि मुिताजों अज़ीज़ ि अकारिब की मदद किनाूं सबब बना कक उस्की दस ू िी आधी जज़न्दगी भी खुश्यों औि िस ु अते रिज्क (फिािानी) में गज ु िी. PACHAS MAU… - 457 HAJINAJI.com (चेिल िदीस जजल्द 1 पेज 29 शििे ज्यािते अमीनुल्लाि पेज 315 इूंसान साज़ िाकेआत पेज 79) PACHAS MAU… - 458 HAJINAJI.com 34) सब्र आयात: 1-सब्र करनें वालों के साथ खद ु ा: ِ الص ِبِی ََّّن ّٰ َّبوا ؕ اِ ََّّنَّ الل ّٰ َّہََّّ َّم ََّّع ُ َّو اص (सूिए अनफाल आयत 46) सब्र किो अल्लाि सब्र किनें िालों के साथ िै. 2-सब्र खुदा केललये: ِ کَّ اِ َّۡل بِالل ّٰ َِّہ ََّّ ب ُ َّو اصب َّو َّما َّص (सिू ए निल आयत 127) औि आप सब्र िी किें कक आप का सब्र भी अल्लाि िी की मदद से िोगा. 3-दीन की तबलीग में सब्र: ََّّو اص ِب عَّ ٰٰل َّما ی َّ ُقولُو َّن َّو اہ ُجر ُہم ہَّج ًرا َّجِی ًل َّ )सूिए मुज्ज़जम्मल आयत 10( PACHAS MAU… - 459 HAJINAJI.com औि यि लोग जो कुछ भी कि ििे िैं उस पि सब्र किें औि उन्िें ख़ूबसूिती के साथ अपनें से अलग किदें . 4-सब्र इस्तेह्काम का सबब: ِ ِ َّو اِن تَّص ک ِمن عَّز ِم اۡلُ ُمو َِّر َّ بوا َّو تَّتَّ ُقوا فَّاِ َّن ذٰل ُ सूिए आलेइमिान आयत 186 औि अगि तुम सब्र किोगे औि तकिा अजख्तयाि किोगे, तो यिी कामों में इस्तेह्काम ि मज्बूती का सबब िै. 5-बशारत व रहमते ईलाही; الص ِبِی ََّّن ّٰ َّو بَّ ِش ِر َّب ٌََّۃَّ ۙ قَّالُوۤا اِن َّا لِل ّٰ ِہَّ ََّّوَّ اِن ََّّا ۤاِلَّی ِہ َّ َّ ال َّ ِذی َّن اِذَّ َّا َّۤ ا ََّّصابَّتہم ُم ِصی ُ ِ َّ َّجعون َّ ُ ٰر َّ ۃ ٌََّ م ََّّ ک عَّلَّی ِہم َّصلَّوٰ ٌت ِمن َّربِ ِہم َّو َّرح َّ ِاُولٰٰٓئ (सूिए बकिा आयात 155’156’157) PACHAS MAU… - 460 HAJINAJI.com औि सब्र किनें िालों को बशाित दे दें जो मुसीबत पड़नें के बाद यि किते िैं, कक िम अल्लाि िी केसलये िैं औि उसकी बािगाि में िापस जानें िाले िैं. कक उन्के सलये पिहदसगाि की तिफ से सलिात औि ििमत िै. PACHAS MAU… - 461 HAJINAJI.com ििायात: 1-ईमान का सर; ِ ٰ اس ْاۡلِ ْْي َّان ُ ب َّر ُ ْ ا َّ َّلص: قال الصادق علیه السلم (ककताब अल शाफी जजल्द 3, पेज 272) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: सब्र ईमान का सि िै. 2-हज़ार शहीद का सवाब; ِ ِبتل ِِ ی َّ ْ َّمنِ ا ْ َُّ َّي م َّن ا ْلُ ْؤمن: قال الصادق علیه السلم ِ َّ بِب َّلءِ فَّ َّص ِ ْ ان ل َّ ُه ِمث ْ ُل أ ْجر أَّل ََّّف َّش ِهیْد َّ َّ ب ع َّ َّل َّیْه ک َّ َّ (ककताब अल शाफी जजद 3 पेज 380) इमाम जाफि साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जो मोसमन ककसी मस ु ीबत में मब्ु तेला िो, औि उसपि सब्र किे तो उस्को िज़ाि शिीद का सिाब समलता िै. PACHAS MAU… - 462 HAJINAJI.com 3-कालमयाबी: ِ َّْ ِ ا: قال أمی الومنی علیه السلم بتَّ ْظ َّف َّْر ْ ص (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 749) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: सब्र किो कासमयाब िो जािगे. 4-सब्र की फकस्में: ل َّب ٌ ْ َّص: ِبان َّ ْ ب َّص ُ ْ ا َّ َّلص: قال أمی ا ومنی علیه السلم ِ ِ َّحس ِ حس ب عَّنِ ا َّْلُعٰا ِر َِّم ُ ْ ِِف الْب َّ َّلء َّ َّ ٌن َّو َّجی ْ ٌل َّو أ ْ َّ ُن منْ ُه اَّلص (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 749) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सब्र की दो ककस्में िैं: मस ु ीबत ि बला पि सब्र बिुत अच्छा िै. औि ििाम चीज़ों से बचनें केसलये सब्र किना उस से भी ज़्यादा अच्छा िै. 5-मज़बूत ललबास: ل َّب أ َّ َّقْوٰى لِبٰا س ُ ْ ا َّ َّلص: قال أمی ا ومنی علیه السلم PACHAS MAU… - 463 HAJINAJI.com (गोिरुल िे कम जजल्द .1, पेज 753) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सब्र मज़बत ू तिीन सलबास िै. PACHAS MAU… - 464 HAJINAJI.com तशिीि: सब्र औि शकीबाई एक ईलािी, इखलाकी, औि इूंसानी मसअला िै जजस को खुदा िूंदे आलम पसूंद किता िै. जो अज़ीम अज्र ि सिाब का बाइस िै , सब्र िाकफजे दीूंन ईमान का बेितिीन सलबास, आदमी की जन्नत, बेितिीन ससपि ि ज़खीिा, ईमान का सि, यकीन का फल, कसमयाबी का जासमन, मोसमन का लश्कि िै , सब्र इूंसान को िक़ ि िकीकत की तनस्बत बेतिज्जोि िोने से िोकता िै. सब्र के ज़रिये इूंसान के हदल ि हदमाग में ताकत पैदा िोती िै. नीज सब्र इूंसान को शयातीन. जजन ि इन्स से हिफाज़त किने िाला िै . जो शख्स सब्र से काम ले तो खुदा िूंदे आलम उसको सब्र की तौफीक अता किता िै. सब्र बेितिीन औि खूबसोित ज़ीनत िै. इूंसान को चाहिये कक अपने आप को सब्र से मुज़य्यन किे . ताकक PACHAS MAU… - 465 HAJINAJI.com श्यातीनी खयालात ि िस्िसों मिफूज़ िि सके. साबबि का मतसबा ि मक़ाम बुलूंद िै. सब्र का सिाब मस ु ीबत की तकलीफ को खत्म किदे ता िै , औि सब्र के ज़रिये बूंद िास्ते खुल जाते िैं. आखीि में दआ किते िैं बह्क्के सय्यदे ु सज्जाद ि सय्यदे शोिदा (अ.म.ु स.) ि असीिाने कूफ़ा ि शाम िमें सब्र किनें की तौफीक अता फिमाऐ. (आमीन) PACHAS MAU… - 466 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-सब्र और इस्तेक़ामत: िाजजयों का काकफला बयाबान से गुज़िता िुिा. एक खैमे के किीब पिुूँचा. काफेले िालों नें किीब पिुूँच कि इजाज़त तलब की. तो सििा में ििने िाली खातून नें किा: खुश आमदीद अय खानऐ खुदा के ज़ाएिो! मेिे ऊूँट चिागाि में गये िुिे िैं. जब िापस आएूंगें तो मैं तुम्िािी मेिमान निाज़ी करूूंगी. काफले िाले ििाूँ आिाम किनें लगे, खातून बािि तनकली इसनें किीब आकि खातन ू को बताया: ऊूँट जब कूंू िें के किीब पिुचे तो िि एक दस ू िे से लड़ पड़े उन्को छुडाते िुिे तुम्िािा बेटा कूंू िें में थगि गया. चििािे नें आि ि जािी किते िुिे मजीद किा. खातून आप को तो मालूम िै कक. िि कूंू िा ककतना गििा िै , औि उसमे काफी PACHAS MAU… - 467 HAJINAJI.com समकदाि मे पानी मौजूद िै. उस्के अूंदि थगिनें के बाद ककसीके जजन्दा ििनें की कोई उम्मीद निीूं लगाई जा सकती. खातून फ़ौिन आगे बढ़ी ता कक ऊूंटों को दे ख भाल किने िालों को खामोश किाऐ. खातून नें उस से किा: इस िक्त िमािे यिाूँ मेिमान आए िुिे िैं. जोि जोि से थगिया मत किो किीूं अयसा न िो कक मेिमानों के आिाम में खलल पड़े! मेिमान निाज़ी तो िि मुसलमानों के सलये ज़रूिी िै. उस्के बाद उसनें िुक्म हदया कक एक दूं ब ु ि ज़बि ककया जाऐ ताकक मुसलमानों की खातति मदािात की जासके. जब िि खातून खैमे में आई तो िाजजयों नें उससे किा: िमें बिुत अफ़सोस िै कक अय्से मौके पि िम आप को ज़िमत दे ििे िैं. जब कक इस ककस्म का सानेिा आप के साथ पेश आचुका िै. PACHAS MAU… - 468 HAJINAJI.com खातून नें किा: िुज्जाज ए केिाम! मै निीूं चािती थी कक आप को इस िाकऐ का इल्म िो, औि आप लोग इस से मत ु अजस्सि (असि लें) िों. लेककन जब आप लोगों को इल्म िो िी चुका िै. तो मुझे इजाज़त दीजजये कक मैं दो िकात नमाज़ पढ़लूूं. िाजजयों नें पूछा क्यूंू? खातून नें किा इससलये कक कुिआन में इिशादे िब्बुल इज़्ज़त िै. ِ الص ِؕ ب َّو ا َّلصلٰو ََّۃ َّ َِّو استَّعِینُوا ب सब्र औि नमाज़ के ज़रिये मदद तलब किो. मैं चािती िूूँ कक इस मुसीबत ि आज़माइश में नमाज़ के ज़रिये मदद तलब करूूँ. बाद में उनें पूछा: तुम में से कोई कुिआन की ततलाित किसकता िै ? िाजजयों मेंसे एक नें मस ु ीबत के मौके पि पढ़ी जाने िाली इस आयत की ततलाित की. PACHAS MAU… - 469 HAJINAJI.com ََّّو لَّنَّبل ُ َّون َّ ُکم بِ ََّشء ِم َّن اْلَّو ِف َّو اْلُو ِع َّو نَّقص ِم َّن َّ َّالص ِبِی ََّّن ّٰ اۡلَّم َّو ِال َّو اۡلَّن ُف ِس َّو الث َّ َّم ٰر ِت ؕ َّو بَّ ِش ِر َّب ٌََّۃَّ ۙ قَّالُوۤا اِن َّا لِل ّٰ ِہَّ ََّّوَّ اِن ََّّا ۤاِلَّی ِہ َّ َّ ال َّ ِذی ََّّن اِذَّ َّا َّۤ ا ََّّصابَّتہم ُم ِصی ُ ِ َّ َّجعون َّ ُ ٰر َّ ۟ ۃ ٌََّ م ََّّ ک عَّلَّی ِہم َّصلَّوٰ ٌت ِمن َّربِ ِہم َّو َّرح َّ َِّاُولٰٰٓئ औि िम तुम्िें कुछ खौफ औि कुछ भूक से, मालों औि जानििों औि फलों की कमी से ज़रूि आजमाएूं गें औि (अय िसूल स.अ.ि.) अय्से सब्र किनें िालों को, कक जब उनपि कोई मुसीबत आती िै तो िि किते िैं, िम तो खद ु ा िी के िैं, औि िम उसी की तिफ लौट कि जाने िाले िैं, खुश खबिी दे दो कक उन्िीूं लोगों पि, खुदा की तिफ से इनायत औि ििमत िै. खातन ू नें किा: खद ु ािूंदा अगि इस दन्ु या मे कोई िमेशा बाकी िि सकता, तो उस्के सब PACHAS MAU… - 470 HAJINAJI.com से ज़्यादा मुस्तिक तेिे िबीब िज़ित मोिम्मद मुस्तफा (स.अ.ि.) थे. उन्िें बाकी ििना चहिये था. पििहदसगाि तन ू ें कुिआन में सब्र का िुक्म हदया िै , औि साबबि को जजा दे ने का िादा फिमाया िै , मैं अपने जिान बेटे पि सब्र किती िूूँ. तू उस्के बदले मुझे अज्र ि सिाब अता फिमा, औि मेिे बेटे की मग्फेित फिमा. यि किने के बाद िि खातून अपने काम काज में इसतिि मशगूल िो गई. जैसे कुछ िुिा िी निीूं- (बबखिे मोती जजल्द 1- पेज 55 गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 616 कुछ इख्तेलाफ़ ि इख्तेसाि के साथ नक्ल अज़ तफसीिे नमूना जजल्द 1 पेज 535) 2-सब्र व ईमान: िारून िशीद का िजीि ‘’असमई’’ सशकाि केसलये साथथयों के साथ गया िुिा था. सशकाि किते किते उस्के साथी पीछे िि गये PACHAS MAU… - 471 HAJINAJI.com औि आखखि काि िि अपनें साथथयों से बबछड गया. किते िैं इस िाल में तनिा प्यास का गलबा, ििा गमस थी, सििा में उसनें दिू से एक खैमा दे खा, अपने आप से किा: चलो उस खैमें में जाकि आिाम किता िूूँ, बाद में साथथयों को ढूूँढ लूूंगा, िि आधे जिाूं का िजीि था, किता था जब मैं किीब पिुूँचा तो एक िसीन ि जमील जिान औित को दे खा जो खैमें में तनिा बैठी िुई िै. अिब लोग मेिमानों को बिुत दोस्त िखते िैं जैसे िी उस औित नें मझ ु े दे खा तो सलाम ककया औि किा: अूंदि तशिीफ़ ले आएूं. मैं खैमें के अूंदि चला गया. उस औित नें मुझे बैठने के सलये किा मैं जब खैमें में बैठ गया तो मैंने उस से किा: मुझे बिुत प्यास लगी िै. उस्का िूं ग तब्दील िो गया औि किा: क्या करूूँ मुझे मेिे शौिि की इजाज़त निीूं िै कक मैं तुम को पानी दे सकूंू लेककन मेिे पास PACHAS MAU… - 472 HAJINAJI.com दोपिि के खाने केसलये दध ू िख्खा िुिा िै तुम दध ू पी लो, मैं दोपिि का खाना निीूं खािूंग ु ी! ‘’असमई’’ किता िै: मैंनें दध ू पीया, िि औित मुझ से बातें निीूं कि ििी थी, अचानक मैंने दे खा कक उस्की िालत गैि िो ििी, िै क्या दे खा कक दिू से एक काले िूं ग िाला शख्स आििा िै. औित नें किा: मेिा शौिि आििा िै. मैं दे ख ििा था कक औित नें जो मुझे पानी निीूं हदया उस्की िजि यि थी कक उस्का शौिि पानी अपनें साथ ले गया था. उस औित नें उस बद अख्लाक़ काले मदस को ऊूँट से उतािा औि उस्के िाथ पैि धुलिाऐ औि इज़्ज़त ि इह्तेिाम के साथ खैमें में लाई. उस बद अखलाक मदस नें मेिी कुछ पििाि न की औि औित से तेज लिजे में गुफ्तगू कि ििा था. ‘’असअमी’’ किता िै: मुझे उस मदस से नफित िुई औि मैं अपनी जगि से उठा औि इस बात की PACHAS MAU… - 473 HAJINAJI.com पििाि न की कक बािि गमी िै. मैं खैमें से बािि तनकल गया कफि भी उस मदस नें मेिी पििाि न की लेककन उस औित नें मेिा साथ हदया. मैंनें उस से किा: अय औित िैफ िै कक तू इस जिानी के िोते िुिे इस मदस से ककस िजि से हदल लगाऐ िुिे िै ? पैसों की खातति? मालूम िै कक उस्के माली िालात बेिति निीूं िैं. उसनें तुझे बयाबान में डाला िुिा िै. अखलाक की िजि से? यि भी मुझे पता चल गया िै उस्का अखलाक ककतना अजीब िै. उस्की ख़ब ू सिू ती की िजि से? यि बूढा औि िूं ग ि रूप का अच्छा निीूं िै. पस ककस िजि से उस्के साथ िि ििी िो? किता िै मैंनें एक मतसबा दे खा कक औित का िूं ग तब्दील िुिा औि बोली: अय ‘’असअमी’’ तुझ पि िैफ िै मैं निीूं समझती थी कक तू िारून िशीद का िज़ीि िोते िुिे इस तिि की बातें किे गा औि मेिे हदल से PACHAS MAU… - 474 HAJINAJI.com मेिे शौिि की मोिब्बत को कम किे गा. अय ‘’असअमी’’ तू जानता िै कक मैं क्यूूं इसतिि कि ििी िूूँ? इसकी िजि यि िै कक मैंनें पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) का फिमान सुना िै. कक आप नें फिमाया: ِ أ َّ ْۡلِ ْْي ُ الص ْب َّو نِ ْص ُف ُه ا َّلشك ُْر ُ ٰ ُ َّ ان ن ْص ُف ُه यानी ईमान के दो हिस्से िैं आधा सब्र, आधा शक्र ु . मैं खद ु ा का इस बात पि शक्र ु किती िूूँ कक उसनें मुझे िुस्न हदया, जिानी दी औि अच्छा इखलाक हदया, औि उस्का शुक्र िै कक उसनें मुझे तौफीक दी कक अपनें ईमान को कासमल किनें केसलये इस मदस के बद अखलाकी पि सब्र करूूँ. दन्ु या खत्म िो जाएगी औि मैं चािती िूूँ कक मेिा ईमान कासमल िोजाऐ औि कासमल ईमान के साथ, इस दन्ु या से चली जािूंू इस सलये मैंने सब्र ि शुक्र का दामन निीूं छोड़ा. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 616) PACHAS MAU… - 475 HAJINAJI.com 35) सद्क़ह आयात: 1-खद ु ा की राह में: ََّّو ِمنہم َّمن عٰہَّ َّد الل ّٰ َّہََّّ لَّئِن اٰتٰىنَّا ِمن فَّضلِ َّٖہَّ لَّن َّص َّدق ََّّن َّو ُ ََّّ الصلِ ِح ی ّٰ لَّن ُکون َّ َّن ِم َّن (सूिए तव्बा आयत 75) औि उनमें िि भी िैं जजन्िों खुदा से अिद ककया कक अगि िि अपने फज्ल ि किम से अता किदे गा, तो उसकी िाि में सदक़ा दें गे औि नेक बन्दों में शासमल िो जाएूँगें. 2-सदक़ा खुदा वसूल करता है: َّب ََّۃ عَّ َّن ِعبَّا ِد َّٖہ ََّّو یَّا ُخ ُذ َّ َّ اَّلَّمََّّ یَّعل َّ ُموۤا ا ََّّن اللّٰہَّ ُہ ََّّوَّ یَّقب َّ ُل التَّو َُّ ابَّ ال َّر ِحی م َّ ُ ت ََّّو ا َََّّّن الل ّٰ َّہَّ ُہ ََّّوَّ الت ََّّو َّ ِ ٰ الص َّدق َّ (सूिए तिबा आयत 104 PACHAS MAU… - 476 HAJINAJI.com क्या यि निीूं जानते कक अल्लाि िी अपनें बन्दों की तौबा कबूल किता िै , औि ज़कात ि खैिात को िसल ू किता िै , औि ििी बड़ा तौबा कबूल किने िाला औि मेििबन िै. 3-मख्फी सदकह दे ना: َّالص َّدق ٰ ِت فَّ ِنعِ َّما ہِ َّی ۚ َّو َّاِن َُت ُفوہَّا َّو ُتؤ ُتوہَّا َّ اِن ُتب ُدوا َّال ُفقَّ َّرٓاءَّ فَّ ُہ َّو َّخیٌ ل َّ ُکم ؕ َّو یُ َّک ِف ُر عَّن ُکم ِمن َّسیِّٰاتِ ُکم ؕ َّو َّ ِالل ّٰ ُہ ِِبَّا تَّع َّملُو َّن َّخب ٌی (सूिए बकिा आयत 271) अगि तुम सदक़ा अलल एलान दोगे, तो यि भी ठीक िै औि अगि छुपा कि फकीिों के ििाले किोगे तो यि भी बिुत बेिति िै , औि इस्के ज़रिये तुम्िािे बिुत से गुनाि मोआफ िो गाएूंगे औि खुदा तुम्िािे आमाल से खूब बाखबि िै. 4-माल के पाक होनें का ज़ररयह: PACHAS MAU… - 477 HAJINAJI.com َُّخذ ِمن اَّم َّوال ِ ِہم َّص َّد َّ َّق ََّۃًَّ ُت َّط ِہ ُر ُہمَّ ََّّو َُّت َّز ِکی ِہمَّ بِہَّاَّ َّو ِ َّ َّن لَّہم َّؕ َّو الل ّٰ َّہ ل عَّلَّی ِہمَّ ؕ اِ ََّّن َّصلٰوتَّ ََّّ سک م ٌَّ َسی ٌَّع عَّلِی َّ ِ َّص ُ َّ ُ َّ ٌ َّ ک (सूिए तव्बा आयत 103) पैगम्बि (स.अ.ि.) आप उनके मालों मेंसे ज़कात ले लीजजए कक इसके ज़रिये यि पाक ि पाकीज़ा िो जाएूँ, औि उन्िें दआ ु एूं दीजजये कक आप की दआ उन्के सलये तस्कीन कल्ब ु का बाइस िोगी औि खुदा सब का सन ु ने िाला औि जानने िाला िै 5-सदक़ा बरबाद न करो: یٰۤا َّیُہَّا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّۡل ُتب ِطلُوا َّص َّدقٰتِ ُکم بِال َّ ِن َّو اۡلَّذٰی (सूिए बकिा आयत 264) अय ईमान लाने िालो अपने सदक़ात को समन्नत गुजािी (ऐिसान जताकि) औि अजीयत से बिबाद न किो. PACHAS MAU… - 478 HAJINAJI.com ििायात: 1-बेहतरीन सदक़ा: اَّفْ َّض ُل: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّالص َّدقَّ ِة أ َّ ْن یَّتَّعَّل َّ َّم ا ْل َّ ْر ُء ا ْلُ ْسل َّ ِم عِل ْ ًما ُث َّم یُعَّل َّ َّم ٗه أ َّ َّخ ُاه َّ َّم َِّ ِا ْلُ ْسل (मुन्तखब मीजान अल हिक्मि पेज 318) िसल ू अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: बेितिीन सदक़ा यि िै कक कोई मुसलमान शख्स इल्म को सीखे कफि अपने मुसलमान भाइयों को ससखाऐ. 2-माल की बरकत: َّ بَّ َّر َّك ُة ا ْل ٰ ِال ِِف: قال أمی الومنی علیه السلم َّالص َّدقَّ َِّة َّ (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 768) PACHAS MAU… - 479 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: माल की बिकत सदके में िै. 3-खजाना: َّْن ٌ ْ ا َّ َّلص َّد قَّ ُة َّك: قال أمی الومنی علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 1 पेज 769) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सदक़ा खजानें की मातनूंन्द (तिि) िै. 4-बेहतरीन नेकी: ا َّ َّلص َّد قَّ ُة اَّفْ َّض ُل: قال أمی الومنی علیه السلم َّات َّ ِ ٰ اۡل َّ َّسن (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 770) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सदक़ा बेितिीन नेकी िै. 5-सदकह के ज़ररये इलाज: PACHAS MAU… - 480 HAJINAJI.com َّ ُس ْو ُس ْوا أَّن ْ ُف ْس ُك ْم بِا: قال أمی الومنی علیه السلم َّالص َّد قَّ َِّة َّ ال َّْو َّر ِع َّو دَّا ُووا ََّّم ْر َّضا ُك ْم بِا (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 769) मौलाऐ काएनात अली (अ.स.) नें फिमाया: अपनें नफ्स को ििअ (तकिा) औि पाक्दामनी के ज़रिये कासमल किो, औि अपनें मिीजों का इलाज सदक़ा के ज़रिये किो PACHAS MAU… - 481 HAJINAJI.com तशिीि: सदक़ा दे ना ऐक अजीम इबादत िै , सदक़ा दे नें से बालाएूं टल जाती िैं. नेमतों में इजाफ़ा िोता िै माल ि दौलत जो िम खचस किते िैं खत्म िो जाती िै लेककन जो माल सदक़ा के उन्िान से हदया जाता िै िि बाकी ििता िै. जजस शख्स नें िािे खुदा में सदकि हदया तो उस्के िि हदििम के बदले जन्नत में कोिे ओिद के बिाबि नेमतें समलें गी. िज़ित इमाम जैनुल आबेदीन (अ.स.) जब भी ककसी गिीब को कोई चीज़ दे ते थे, तो अपनें िाथ चम ू ते थे, औि बाज़ ििायत में िै कक साऐल के िाथ का बोसा लेते थे. जब ककसी नें इमाम से इसका सबब पूछा तो आप (अ.स.) नें फिमाया: क्या कुिआूंन मजीद में यि आयत निीूं पढ़ी. َّ و هو َيذا الصدقات PACHAS MAU… - 482 HAJINAJI.com औि िि (अल्लाि) सदक़ात को िसूल किता िै. ििायत में भी िै. َّأَنا (الصدقة ) تقع ِف یدهلل قبل أن تقع ِف ید السائل सदक़ा साऐल के िाथ में पिुूंचने से पिले खुदा के िाथ में पिुूंचता िै. यि दि असल खुदा िै जो िम से सदक़ात ले ििा िै. ज़ाहिि में तो यि साऐल िै या माूंगनें िाले का िाथ िै. लेककन िकीकत में खुदा िसूल कि ििा िै. इस ऐतेबाि से साऐल का िाथ मुतबरिसक (मुबािक) िो गया िै. लेिाज़ा इस िजि से मैं अपनें िाथ का बोसि लेता िूूँ. कक इस िाथ से एक नेक काम साहदि िुिा िै. सदक़ा दीजजए औि माल को फना िोने से बचाइये औि अपनें मिीजों का इलाज सदक़ा के ज़रिये कीजीये. PACHAS MAU… - 483 HAJINAJI.com आखीि मे दआ किते िैं बक़क्के चिादसि ु माूँसूमीन (अ.स.) िमें सदक़ा दे ने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 484 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-सदक़ा दे नें वाला जवान: एक िोज एक जिान िज़ित दाऊद (अ.स.) के पास आया फरिश्तऐ मौत ििाूँ पि मौजद ू था. उसनें िज़ित दाऊद (अ.स.) को बताया कक यि जिान सात िोज के बाद मि जाऐगा औि मैं सात िोज के बाद इसकी रूि कब्ज किलूंग ू ा. िि जिान उस मजसलस से उठ कि बािि गया िास्तेि में एक फकीि उस्के पास आया, औि मदद तलब की, उस जिान नें सदक़ा उस फकीि को हदया. सातिें हदन जब पिुूँचा तो िि जिान दोबािा िज़ित दाऊद (अ.स.) के पास आया िज़ित दाऊद (अ.स.) नें िैित से इज़िाईल से पूछा: क्या तुमनें निीूं किा था कक सात हदन बाद मि जाऐगा? मलकुल मौत नें जिाब हदया: बबकुल उसी तिि िै. मगि उसनें सदका हदया था. खुदा िूंदे आलम नें उस्की उम्र PACHAS MAU… - 485 HAJINAJI.com सत्ति साल बढ़ा दी. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 608) 2-शयातीन की माँ: ककताब अनिािे जज़ाएिी में िै कक कित के ज़मानें में ककसी मजस्जद के िाइज़ नें समूंम्बि से किा: जब कोई शख्स सदक़ा दे ना चािता िै तो सत्ति शैतान उस्के िाथों से थचमट जाते िैं औि उसे ऐसा निी किने दे ते! एक मोसमन नें समम्बि से जब यि बात सुनी तो उसे बड़ा तअज्जुब िुिा औि दोस्तों से किनें लगा: सदक़ा दे ने में ऐसी तो कोई बात निीूं िोती. मेिे पास कुछ गूंदम ु (गेिूूं) िै मैं जाता िूूँ औि अभी मुस्तिक्कीूंन के सलये मजस्जद में ले आता िूूँ. यि किकि िि अपनी जगि से उठा औि घि पिुूँचा. उस्की बीिी अपने शौिि के इिादे PACHAS MAU… - 486 HAJINAJI.com से आगाि िुई तो उसे बुिा भला किनें लगी यिाूँ तक कक शदीद धमकी आमेज़ अूंदाज़ में बोली: तुम्िे इस कित के ज़मानें में अपने बीिी बच्चों का कोई ख़याल निीूं िै ? िो सकता िै कित साली का यि ससलससला तिील िोजाऐ औि उस िक्त िम लोग भक ू से मिजाएूँ! उस्के अलािा औि नजानें िि क्या क्या किती ििी. बस मुख़्तसि यि कक बीिी नें उस्के हदल में इतना िस्िसा पैदा किहदया कक िि बेचािा खाली िाथ मजस्जद आगया. उस्के दोस्तों नें पूछा: क्या िुिा? तुम नें दे खा कक सत्ति शैतान तुम्िािे िाथों से थचमट गये औि तुम्िें सदक़ा निीूं दे नें हदया! उस शख्स नें जिाब हदया: मैंनें शैतानों को तो निीूं दे खा, अल्बत्ता शैतानों की माूँ को दे खा िै जो कक ऐसा निीूं किनें दे ती िै! PACHAS MAU… - 487 HAJINAJI.com 36) लसलेए रहम आयात: 1-हुक्मे इलाही: ِ َّ اِ َّن اللّٰہَّ یَّا ُم ُر بِالعَّد ِل َّو اۡلِح َّسانِ َّو اِیت َّٓای ِذی ال ُقر ٰ َّٰب (सूिए निल आयत 90) बेशक अल्लाि अदल ि ऐिसान औि क़िाबद्दािों के िोकूक की अदाऐगी का िुक्म दे ता िै. 2-लसलऐ रहम मोलमन की लसफत: َّاق َّ َّ َّ ال َّ ِذی َّن یُو ُفو َّن بِعَّہ ِد الل ّٰ ِہ َّو َّۡل یَّن ُق ُضو ََّّنَّ الِیث َّ لَّ ََّّوَّ ََّي َّشو ََّّن َّ َّ َّو ال َّ ِذی َّن ی َّ ِصلُو َّن َّم َّا َّۤ ا َّ َّم َّر الل ّٰ ُہ بِ َّٖہ َّۤ ا َّن یُو َّص َّ اب َّ ِ َّربَّہم َّو ََّيَّا ُفو َّن ُسو ٰٓ َّءََّّ اۡلِ َّس ُ (सूिए िाद आयात 21’21) जो अिदे खुदा को पूिा किते िैं औि अिद सशकनी निीूं किते िैं औि जो उन PACHAS MAU… - 488 HAJINAJI.com तअल्लुकात को क़ाऐम िखते िैं जजन्िें खुदा नें क़ाऐम िखनें का िुक्म हदया िै , औि उस से डिते ििते िैं, औि बदतिीन हिसाब से खौफ़ जदि ििते िैं. 3-कतऐ रहम से परहे ज़: ِ و اتَّ ُقوا اللّٰہ ال َّ ِذی تَّسٓاءلُون بِ َّٖہ و اۡلَّرح َّان َّ َّ ام ؕ ا َّن اللّٰہَّ ک َّ َّ َّ َّ َّ َّ َّ َّ عَّلَّی ُکمََّّ َّر َّقِیبًا (सूिए तनसा आयत 1) औि उस खुदा से भी डिो जजस के ज़रिये एक दस ू िे से सिाल किते िो औि क़िाबद्दािों की बेतअल्लुकी से भी. अल्लाि तुम सब के आमाल का तनगिा (दे ख ििा िै) िै. PACHAS MAU… - 489 HAJINAJI.com 4-कतऐ तअललुक करने वाला रहमते इलाही से दरू : َّ َّو َّال َّ ِذی َّن یَّن ُق ُضو َّن عَّہ َّد الل ّٰ َِّہَّ ِم ًَّۢنَّ بَّع ِد ِمیثَّاقِ ٖہ َّو یَّق َّط ُعو ََّّن َّک َّ َِّم َّا َّۤ ا َّ َّم َّر الل ّٰ ُہ بِ ٖہ ۤا َّن یُو َّص َّل َّو یُف ِس ُدو َّن ِِف اۡلَّر ِض ۙ اُولٰٰٓئ َّلَّہ ُم اللَّع ََّّن ََُّۃ ََّّو لَّہمَّ ُسو ٰٓ ُء ُ ُ (सूिए िाद आयत 25) औि जो लोग अिदे खुदा को तोड़ दे ते िैं औि जजन से तअल्लुकात का िुक्म हदया गया िै उनसे कतऐ तअल्लक ु ात कि लेते िैं औि ज़मीन में फसाद बिपा किते िैं उन्के सलये लानत औि बदतिीन घि िै. 5-क़तऐ रहम करनें वाले पर खुदा की लअनत: َّفَّہَّلََّّ عَّ َّسیتُمََّّ اِن تَّ َّولَّیتُمََّّ ا َّن ُتف ِس ُدوَّا ِ َِّفَّ اۡلَّر ِض َّو َُّتقَّ ِط ُعوۤاَّ ا َّر َّح َّام ُکم PACHAS MAU… - 490 HAJINAJI.com َّ ِ َّ ِاُولٰٰٓئ م َّ ار ُہ َّ ک الَّذی َّن لَّعَّن َّ ُہ ُم الل ّٰ ُہ فَّا ََّّص َّم ُہم َّو اَّع ٰٰۤمََّّ ا َّب َّص (सूिए मोिम्मद आयात 22’23) तो क्या तुम से कुछ बईद (दिू ) िै कक तुम सािे बे इक्तेदाि बन जाि तो ज़मीन में फसाद बिपा किो औि क़िाबद्दािों से क़तऐ तअल्लुकात किलो. यिी िि लोग िैं जजन पि खुदा नें लानत की िै औि उन्के कानों को बििा किहदया िै. PACHAS MAU… - 491 HAJINAJI.com ििायात: 1-लसलऐ रहम का फाईदह: َّ ِصل َّ ُة ْاۡل َّ ْر َّحا ِم ُت َّر ِكيَّ ْأۡل: قال الباقر علیه السلم ِ ِ َّاب َّ ال َّو ُتنْمي ْأۡل َّ ْم َّو َّ ْع ٰم َّ ال َّو تَّ ْد فَّ ُع الْبَّل ْوٰي َّو تَّ ِیس ُر ا ْۡلِ ٰس َّل َّ ِ َّو ُتن ْ ِسي ُء ِِف ْاۡل َّ َّج (बबिारुल अन्िाि जजल्द 1 पेज 111 ककताब अल शाफी जजल्द4 पेज 41) इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: ससलऐ ििम आमाल को पाक किता िै , औि माल को ज़्यादा किता िै , औि बलािों को दिू किता िै , औि हिसाब में आसानी किता िै, औि मौत में ताखीि किता िै. 2-आसारे लसलऐ रहम: ِصل َّ ُة ال َّر: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم ْح ِم تَّ ِزی ْ ُد ِِف ال ْ ُع ْم ِر َّو ُتنْ ِفي ال ْ َّفق ََّّْر PACHAS MAU… - 492 HAJINAJI.com (बबिाि जजल्द 71 पेज 103) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: ससलऐ ििम उम्र की ज्यादती का बाइस िै औि फक्र को दिू किता िै. 3-क़तऐ रहम रहमते इलाही से दरू : َّۡحة َّ ْ إ َِّن ال َّر: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َََّّّۡل ُت ْ ِْن ُل عَّل ٰي قَّ ْوم فِیْهٰا قَّا ِط ُع َّر ِحم (कन्जुल आमाल जजल्द 3 पेज 367) िज़ित मोिम्मद मुस्तफा (स.अ.ि.) नें फिमाया: उस कौम पि िमते इलािी नाजज़ल निीूं िोती. जजस में क़तऐ ििम किनें िाला मौजूद िो. 4-बेतरीन खखलकत: ِ أ َّ َّفْ َّض ُل: قال أمی الومنی علیه السلم الشی َّ ِم ِصل َّ ُة َّْاۡل َّ ْر َّحا َِّم PACHAS MAU… - 493 HAJINAJI.com (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 586) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: ससलऐ ििम आला तिीन खसलत िै. 5-लसलऐ रहम का हुक्म: َّ ِصل ُ ْوا أ َّ ْر َّح َّام ُك ْم َّو ل َّ ْو: قال أمی الومنی علیه السلم َّقَّ َّط ُع ْو ُك ْم (अमाली तूसी 208) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: अपनें क़िाबद्दािों से ससलऐ ििमी किो अगिचे उन्िोंनें तम ु से कतऐ तअल्लक ु ककया िो. PACHAS MAU… - 494 HAJINAJI.com तशिीि: कुिआन ि अिादीस में सीलऐ ििम का िुक्म हदया गया िै जो रिश्तेदाि मििम िैं जैसे िालदै न, बिन, भाई, िगैिि उन से सीलऐ ििम किना बिुत ज़रूिी िै अगिचे यि लोग िमसे न समलते िों औि न िी समलना चािते िों, िमें अपने फ़ज़स को पूिा किने के सलये उनसे सीलऐििम किना चाहिये, चािे ससलऐििम सलाम के ज़रिये से िी किे . िम यि कि कि कक िि तो िम से समलना पसूंद निीूं किते तो िम क्यूूं समलें, उन्का फेल उन्के साथ िमािा फेल िमािे साथ. िि एक को अपनी कब्र औि हिसाब ि ककताब के हदन जिाब दे ि िोना िै. सीलऐििम उम्र में ज्यादती का बाइस िै , अखलाक को अच्छा किता िै , िाथ को साहिबे किम बनाता िै , नफ्स को पाक किता िै , ससलएििम किने िालों से लोग PACHAS MAU… - 495 HAJINAJI.com 4मुिब्बत किते िैं, औि बेतअल्लुकी, क़तऐििम किने िाला ििमते इलािी से दिू िै औि यि खद ु ा की लानत का िक़दाि िै. खुदा उनलोगों को दोस्त िखता िै जो ससलएििम किते िैं औि उन्को मुअज्ज़म ि मुितिम क़िाि दे ता िै. अब आप फैसला किें खद ु ा कक ििमत से किीब िोना चािते िैं या दिू . अगि किीब िोना चािते िैं तो आज िी जजन्िों नें आप से बबतअल्लुकी की िै या आप नें ककसी से क़तऐििम ककया िै फूूंन के ज़रिये िी सिी, उनसे ससलएििम किें ताकी उम्र में इजाफ़ा िो औि ििमते इलािी आप के किीब िो. खुदा से दआ किते िै बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.म.ु स.) िमें ससलऐििम किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 496 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-लसलऐरहम करने का हुक्म: एक शख्स िोजूिे अकिम (स.अ.ि.) की खखदमत में आया औि अजस ककया: मेिे रिश्ते दाि िैं औि मैं उनसे ससअऐििम किता िूूँ लेककन िि लोग मुझे अजीयत दे ते िैं. मैंनें इिादा ककया िै मैं भी उनसे बेतअल्लुकी अजख्तयाि किलूंू, क्या मेिा यि इिादा किना सिीि िै ? पगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: इस सूित में खुदािूंदे मूतआल तुम सब को छोड़ दे गा. उस शख्स नें पछ ू ा पस मेिा िजीफ़ा क्या िै: पैगम्बिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: َّك َّ َّك َّوتَّ ِص ُل َّم ْن قَّ َّ َّطع َّ ك ُتعْ ِط ْي َّم ْن َّح َّر َّم َّ َّتَّ ِص ُل َّم ْن قَّ َّطع َّاهلل عَّز َّ ِ ت ذَّال َّ َّو تَّعْ ُف ْوا عَّ َّم ْن َّظل َّ َّم َّ ْ ك فَّاِ ذَّا فَّعَّل ُ ك کَّا َّن َّك عَّلَّی ْ ِه ْم َّظ ِه ْیًا َّ َّ َّو ََّّج َّل ل PACHAS MAU… - 497 HAJINAJI.com जजसने क़तऐ ििम ककया उससे ससलऐििम किो, जजसने तुझे िक़ से मिरूम ककया िै उसपि बख्शीश किो औि जजसने तझ ु पि ज़ुल्म ककया िै उस्को माफ किो, अगि तूनें ऐसा ककया तो खुदा की तिफ से तेिे सलये उनपि गलबा िाससल िोगा. (बबिाि जजल्द 4 पेज 100 गनजीनऐ माआरिफ जजल्द 1 पेज 598 ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 41 कुछ इख्तेसाि के साथ)2-लसलऐ रहम और बरकत: बनी इसिाईल में दो जिान भाई जज़ूंदगी गज़ ु ाि ििे थे. िि दोनों एक दस ू िे से बिुत मुिब्बत किते औि एक दस ू िे से बिुत मेिि बान थे. औि दोनों एक ज़मीन में काश्त कािी किते एक भाई शादी शुदि औि बच्चेदाि था. दस ू िा भाई फक्र ि तूंगदस्ती की िजि से शादी न कि सका. जजस िक्त गूंदम काटने का िक्त आया. तो गूंदम ु ु PACHAS MAU… - 498 HAJINAJI.com काटने के बाद िि एक नें अपने अपने हिस्से के गूंदम ु अलािे दा की. उस्के बाद िि एक नें अपना हिस्सा घि ले जानें का इिादि ककया. गुरूब के िक्त बड़े भाई नें छोटे भाई से किा: मुझे ज़िा काम िै मैं अभी घि से िोकि आििा िूूँ तुम गूंदम ु की दे ख भाल किो. जजस िक्त बड़ा भाई घि गया तो छोटे भाई नें अपने आप से किा: मैं अकेला िूूँ बीिी बच्चे तो िैं निीूं औि मेिा खिचा भी कम िै , लेककन मेिा भाई शादी शुदि िै औि उस्के बीिी बच्चे भी िैं, इस गूंदम ु के अलािा उस्के पास कुछ औि िै भी निीूं. बेिति िै जबतक िि निीूं आता मैं अपने हिस्से की कुछ गूंदम उस्की गूंदम में डाल दे ता िूूँ ु ु ताकी बीिी बच्चों कसलए गज ु ि बसि कि सके. उस्के बाद उस छोटे भाई नें अपनें हिस्से की गूंदम ु बड़े भाई के हिस्से में डाल दी. जजस िक्त बड़ा भाई िापस आया तो PACHAS MAU… - 499 HAJINAJI.com िात िो चुकी थी. सािी गूंदम ु उठा कि बड़े भाई के घि िख दी औि छोटा भाई अपनें घि चला गया. बड़े भाई नें खद ु ा का शक्र ु अदा ककया औि किा: अलिम दसु लल्लाि मै घि िाला औि बीिी बच्चे िाला िूूँ लेककन मेिा छोटा भाई फक्र ि तूंग दस्ती की िजि से शादी निीूं कि सका. बेिति िै अभी िि यिाूँ मौजूद भी निीूं िै क्यूूं न मैं अपने हिस्से की गूंदम उस्के हिस्से में डाल दूं ू ु ताकक उस्की गूंदम ज्यादा िो जाऐ औि ु शादी के सलये िकम मुिय्या िो जाऐ. इस नीयत से उसने अपनी गूंदम ु छोटे भाई के हिस्से में डाल दी. जब खुदा िूंदे मुतआल नें उन दोनों भाइयों में खैि ख्िािी मुसािात ससलाऐििमी को दे खा तो दोनों भाइयों के रिज्क में इजाफ़ा ककया औि दोनों को फक्र ि तूंग दस्ती से नजात दी. जब सुबि को दोनों भाइयों नें अपनी अपनी गूंदम ु उठाई PACHAS MAU… - 500 HAJINAJI.com तो दे खा कक गुज़श्ति साल की तनस्बत इस साल गूंदम ु दोगुनी िै. बिुत तअज्जुब किने लगे औि िि एक यि ख़याल किनें लगा कक गूंदम ु के ज़्यादा िोनें का सबब मैं िूूँ कक मैंनें अपनें हिस्से की गूंदम ु उस्के हिस्से में डाल दी िै लेककन यि दोनों निीूं जानते थे कक भाई चािा एक दस ू िे से नेकी औि ससलऐ ििम किने की िजि से खुदािूंदे मूतआल नें उन दोनों के गूंदम ु में बिकत अता फिमाई. (गूंजीनऐ मआरिफ जजल्द 1 पेज 599) PACHAS MAU… - 501 HAJINAJI.com 37) ज़न व गुमान आयात: 1-ज़न व गम ु ान से इज्तेनाब का हुक्म: ِ ِ ِم َّلظ ِ بع ِی َّض َّ َّ َّا َّیُہَّا الَّذ ََّّنَّ ا ٰ َّمنُوا اجت َّنبُوا کَّثیًا َّن ا ِن ۫ ا ََّّن َّا َّلظ ِ َّنَّ َّاِث ٌم (सूिए िुजिात आयत 12) ईमान िालो! अक्सि गुमानों से इज्तेनाब किो कक बाज़ गुमान गुनाि का दजसि िखते िैं. 2-ज़न व गम ु ान हलाकत का बाइस: ِ َّ ل َّ ب ال َّر ُسو ُل َّو الُؤ ِمنُو ََّّنَّ اِ ٰ ۤ َّل َّ بَّلَّ َّظنَّنتُمََّّ ا َّنََّّ ن یَّنقَّل ِ َّک ِ َِّفَّ ُقلُوبِ ُکمََّّ َّو َّظنَّنتُم َّظ َّن َّ ا َّہلِی ِہمََّّ ا َّبَّ ًدا َّوَّ ُز َِّی َّن ذٰل لسوءِ َََّّۚ َّو ُکنتُمََّّ قَّومًًۢا ُبو ًر َّا َّ ا (सूिए फति आयत 12) PACHAS MAU… - 502 HAJINAJI.com असल में तुम्िािा ख़याल यि था कक िसूल (स.अ.ि.) औि सािे बाने ईमान अब अपनें घि िालों तक पलट कि निीूं आ सकते औि इस बात को तुम्िािे हदलों में खूब सजा हदया गया औि तुमनें बद गुमानी से काम सलया औि तुम िलाक िो जाने िाली कौम िो. 3-बरु े खयालात से मना: َّو تَّ ُظنُو َّن بِالل ّٰ َِّہَّ ا ُلظنُون ََّّا (सूिए अिज़ाब आयत 10) औि तुम खुदा के बािे में तिि तिि के खयालात में मुब्तेला िोगये. 4-बुरे ज़न की सज़ा: ِ ِِ ِ ِ ِ َّی َّو الُش ِرک ٰ ِت َّ ی َّو الُنٰفقٰت َّو الُش ِرک َّ َّو یُعَّذ َّب الُ َّن ٰفق ِ َّ َّلسو َّءِ ۚ َّو َّ لسوءِ ؕ عَّلَّی ِہمََّّ دَّٓا ِئ ََّّر ََُّۃ ا َّ ی بِالل ّٰ َِّہَّ َّظ َّن ا َّ الظٓان PACHAS MAU… - 503 HAJINAJI.com َّم ؕ ََّّو َّسٓاءَّت ََّّ َّب الل ّٰ َُّہَّ عَّلَّی ِہمََّّ ََّّوَّ لَّعَّنَّہمَّ َّوَّا َّع َّ َّد لَّہمَّ َّجہَّن َّ َّ َّغ ِض ُ ُ َّم ِصیًا (सूिए फति आयत 6) औि मुनाकफक मदस , मुनाकफक औितें औि मुशरिक मदस ि औित जो खुदा के बािे में बुिे बुिे खयालात िखते िैं उन सब पि् अज़ाब नाजज़ल किके उन्के सि अज़ाब की गहदस श िै औि उनपि अल्लाि का गज़ब िै खुदा नें इन पि लानत की िै औि उन्के सलये जिन्नम को मुिय्या ककया िै जो बदतिीन अूंजाम िै. 5-खैर का गुमान करना चादहये: ِ َّ لَّو َّۡل ۤاِذ ََّسعتُ ُمو َُّہَّ َّظ َّن الُؤ ِمنُو َّن َّو الُؤ ِمن ٰ ُت بِا َّن ُف ِس ِہم َّی ٌَّ َّخیًا ۙ َّو قَّالُوَّا ہ ٰ َّذ َّا َّۤ َّاِف ٌ ِکَّ ُمب (सूिए नूि आयत 12) PACHAS MAU… - 504 HAJINAJI.com आखखि अयसा क्यूूं न िो कक जब तुमलोगों नें उस तोिमत को सुना था तो मोमेनीन ि मोमेनात अपने बािे में खैि का गुमान किते औि किते कक यि तो खुला िुिा बुह्तान िै. PACHAS MAU… - 505 HAJINAJI.com ििायात: 1-नेक खयाल की तस्दीक करो: َّك َّخ ْیًا َّ ِ َّم ْن َّظ َّن ب: قال أمی الومنی علیه السلم َّفَّ َّص ِد ْق َّظنَّ َّٗه (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 52) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जो शख्स तुम्िािे बािे में नेक ख़याल (िुस्नें ज़न) िखता िै उस्के िुस्नें ज़न की तस्दीक किो. 2-हुस्नें ज़न के असरात: َّاح ُة َّ ُح ْس ُن ا َّلظ َّن َّر: قال أمی الومنی علیه السلم ِ الْقَّل ْ ِب و س َّلم ُة الدی ْ ِ َّن َّ َّ َّ (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 56) इमामे अली (अ.स.) नें फिमाया: िुस्नें ज़न हदल के सुकून औि दीूंन ् की हिफाजत का सबब िै. PACHAS MAU… - 506 HAJINAJI.com 3-ईमान नहीं: ِلسو َّء َّ ٰ َّۡل إ ِْْي: قال أمی الومنی علیه السلم ْ ُ ان َّم َّع ا (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 57) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: बदगम ु ानी (सूऐ ज़न) के साथ कोई दीन निीूं िै. 4-सूऐ ज़न से बचो: ََّّك أ َّ ْن ُت ِسي ء َّ إِ یَّا: قال أمی الومنی علیه السلم َّا َّلظ َّن فَّاِ َّن ُس ْو ءَّ ا َّلظ َّن یُ ْف ِس ُد الْعِبٰادَّةَّ َّو یُعَّ ِظ ُم ال ْ َِّوزْ َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 55) इमामुल मुत्तकीन अली (अ.स.) नें फिमाया: खबिदाि सऐ ू ज़न न किना बेशक सऐ ू ज़न इबादत को बिबाद किदे ता िै , औि गुनाि को बड़ा बना दे ता िै. 5-हुस्नें ज़न करो: PACHAS MAU… - 507 HAJINAJI.com َّ ُح ْس ُن ا َّلظ ِن َُي َّ ِف ُف: قال أمی الومنی علیه السلم َّْم َِّ ا َْل َّ ِم َّو یُنْ ِجي ِم ْن تَّقَّل ُ ِد ْاۡلِث (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 55) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: िुस्नेंज़न गम को िल्का किदे ता िै , औि गुनाि की पैििी से नजात हदलाता िै. PACHAS MAU… - 508 HAJINAJI.com तशिीि: ज़न ि गुमान यानी ख़याल, ििम, िसिसा, शक ि शुबिा ऐितमाल दे ने के मानी में इसतेमाल िोते िैं. अब इूंसान अच्छे खयालात (िुसनेंज़न) भी िख सकता िै औि बुिे खयालात (सूए ज़न) भी िख सकता िै. लेककन कुिआूंन ि ििायात में िुसनेज़न को बेिति क़िाि हदया िै. औि िुसनेज़न के बािे में िै कक बेितिीन आदत औि बिुत बड़ा नफ़ा िै , बड़ी अता िै जजस का गुमान नेक िोता िै , िि बहिश्त िाससल किनें में कासमयाब िो जाता िै , औि कुिआन ि ििायात मैं बुिे खयालात की मुज़म्मत की गई िै , जो सूऐज़न िखता िै िि िि एक से डिता िै , औि ऐसे शख्स का बाततन भी अच्छा निीूं िोता. ऐसे शख्स पि लोग ऐतेमाद निीूं किते. उस्को अमानतदाि निीूं समझते. जजस तिि िम चािते िैं कक लोग PACHAS MAU… - 509 HAJINAJI.com िमािे बािे में अच्छे खयालात (िुसनेज़न) िख्खें उस तिि िमें भी दस ू िों के बािे में िुस्नें ज़न िखना चाहिए. िुस्नेज़न ईमान की एक तनशानी िै , औि सऐ ू ज़न बेईमानी की अलामत िै. सूऐज़न ईमान को खत्म कि दे ता िै. खद किते िैं बिक्के अह्लेबैते ु ा से दआ ु अतिाि (अ.मु.स.) िम सब को अच्छे खयालात (िुस्नेज़न) िखनें की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 510 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हुस्नें ज़न की पादाश (सवाब): किते िैं: कुछ िाि ज़न डाकू िात को अपने घि से इस ख़याल से बािि तनकले कक ककसी काििाूं का िास्ता िोक कि उन्के माल को तबाि ि बिबाद किें गें , लेककन इत्तेफाक से उस िात कोई काििाूं उनसे न टकिाया िात गये जब कोई न समला तो िोटल में चले गये. औि िोटल के दििाज़े को खटखटाया. साहिबे िोटल नें पूछा कौन? तो किा: िम चूंद मुजाहिदे िािे िक़ िैं, चािते िैं कक आज िात यिाूँ पि आिाम किें , साहिबे िोटल नें काफी इज़्ज़त ि ऐितेिाम के साथ उन्को अूंदि बुलाया औि अच्छी खासी मेिमान निाज़ी की. साहिबे िोटल नें कुबसतन इलल्लाि उन्की अच्छी तिि खातति मदािात की कक यि लोग मुजािे दीने खुदा िैं, इन की जजतनी खखदमत करूूं उतना िी कम िै. PACHAS MAU… - 511 HAJINAJI.com उस्का एक मफ्लूज बेटा था. उन मुजाहिदों को खाना पीना दे ने के बाद अपनी बीिी के पास आया औि किा आज मज ु ाहिदे खद ु ा िमािे िोटल में आऐ िैं उन्का रूतबा ि मक़ाम बिुत बुलूंद िै , खाना खाििे िैं जब खाना खा चुकेंगें तो मैं उन्के आगे से बचा िुिा खाना औि पानी लेकि आिूंग ू ा तम ु ऐसा किना खाना बच्चे को खखलान औि पानी उसके बदन पि मलना िोसकता िै खुदा िूंदे मुतआल उन मुजाहिदों के ज़रिये मेिे बच्चे को सशफा दे दे. बीिी नें शौिि की बातों को बड़े गौि से सुना औि उस पि अमल भी ककया. सुबि के िक्त िािज़न डाकू िोटल से बािि तनकले औि िास्ते में एक काििाूं का िास्ता िोककि उन्का माल लट ू ा, औि िात बसि किनें के सलये दोबािा िोटल में आगये लेककन उन्िों ने तअज्जुब से दे खा कक जो लड़का कल िात चल निीूं सकता था िि PACHAS MAU… - 512 HAJINAJI.com आज िात चल ििा िै. साहिबे िोटल से किा िम नें कल िात इस बच्चे को ज़मीन गीि मफ्लज दे खा था. लेककन आज िात यि ू बबकुल सिीि ि सासलम िै! साहिबे िोटल नें किा जी िाूँ: आप लोगों की बिकत से इस को सशफा समल गई. कल िात आप का बचा िुिा खाना औि पानी उस्के बदन पि मला तो यि सेित मूंद ि तन्दरु ु स्त िो गया. िािज़नों डाकुिों नें जब यि सुना तो थगिया कने लगे औि किा िम मुजाहिदीने खुदा निीूं िैं बल्की डाकू िैं. खद ु ािूंदे मत ु आल नें तेिे बेटे को तेिे िुस्नें जूंन औि नेक नीयती की िजि से सशफा दी िै. िम भी खुदा की बािगाि में तौबि किते िैं. उन तमाम डाकुिों नें तौबि की औि उस्के बाद आखखि उम्र तक मुजाहिदे ने खुदा के िास्ते पि काइम (बाकी) ििे . (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 333) PACHAS MAU… - 513 HAJINAJI.com 2-सूएज़न का अंजाम: एक शख्स अपने बच्चे को बबस्ति पि सलटा कि बािि चला गया. घि में एक पालतू कुत्ता भी था जब िि िापस घि आया तो क्या दे खा कक दििाज़ा पि कुत्ता खून आलूद बैठा िै , उसने बदगुमानी की औि सोचा कक कुत्ते नें उस्के बच्चे को खा सलया िै. फ़ौिन उसने वपस्तौल तनकाल कि कुत्ते को माि हदया. जब घि में दाखखल िुिा तो क्या दे खा कक बच्चा सिीि ि सासलम झूले में पड़ा िुिा िै. औि बच्चे के झल ू े के पास एक दरिन्दा मिा पड़ा िै. गोया दरिन्दा बच्चे को खाना चािता था लेककन कुत्ते नें उस पि िमला किके उस दरिूंदे को िलाक कि हदया औि बच्चे की जाूंन बचा ली. इस िजि से कुत्ते के मुिूं से खून टपक ििा था, औि जजस्म पि खून लगा िुिा था. यि शख्स काफी गमगीन िुिा, औि दौडता िुिा कुत्ते के पास PACHAS MAU… - 514 HAJINAJI.com आया दे खा कक कुत्ते की आूँखें आूंसुिों से ति िैं, औि अपनी बेज़ुबानी में किििा िै. मैंने तेिे बच्चे की जाूंन की हिफाज़त की. लेककन अय इूंसान तूनें जल्द बाज़ी औि सूऐज़न की िजि से मुझे यि इनाम हदया. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 332) PACHAS MAU… - 515 HAJINAJI.com 38) इबादत आयात: 1-खखलकत का मकसद: َّسَّ اِ َّۡل لِیَّعبُ ُدو ِن َّ َّ َّو َّما َّخلَّق ُت اْل ِ َّن َّو اۡلِن (सूिए जाियात आयत 56) औि मैंनें जजन्नात औि इूंसान को ससफस अपनी इबादत केसलये पैदा ककया िै. 2-राहे मुस्तकीम: َّاِ َّن اللّٰہَّ َّر ِ َّٰب َّو َّربُ ُکم فَّاعبُ ُدو ُہ ؕ ہ ٰ َّذا ِص َّر ٌاطََّّ ُمستَّقِی ٌم (सिू ए आले इमिान आयत 51) अल्लाि मेिा औि तुम्िािा दोनों का िब िै लेिाज़ा उस्की इबादत किो कक यिी िािे मुस्तकीम िै. PACHAS MAU… - 516 HAJINAJI.com 3-हुक्में इबादत: اس اعبُ ُدوا َّربَّ ُک ُم ال َّ ِذی َّخلَّقَّ ُکم َّو ال َّ ِذی َّن ِمنَّ یاا َّیُہَّا النَّ ُ قَّبلِ ُکم لَّعَّل َّ ُکم تَّتَّ ُقو َّنَّ सूिए बकिा आयत 21 अय इूंसानों! पिहदसगाि की इबादत किो ेजजसने तुम्िें पैदा ककया औि तुम से पिल िालो को भी खल्क ककया िै , शायद कक तुम इसतिि मत्त ु की औि पििे ज़गाि बन जाि. 4-इबादत इंसान की पाकीजगी का सबब: یاا َّیُہََّّا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوۤا اِذَّا َُّقمتُمََّّ اِ َّل ا َّلصلٰو ََّۃ ِفَّاغ ِسلُواَّ ُو ُجوہَّ ُکمَّ ََّّو ا َّی ِدی َّ ُکمََّّ اِ َّ َّل ال َّ َّرافِ َِّق ََّّو ام َّس ُحوا بِ ُر ُءو ِس ُکمَّ ی ؕ ََّّو اِنَّ ُکنتُمَّ ُجنُبًا فَّا َّط َّہ ُروا ؕ ََّّو اِنَّ ََّّو ا َّر ُجل َّ ُکمََّّ اِ َّ َّل ال َّکعب َّ َِّ ٓاءََّّ ا ََّّح ٌد ِمن ُکمََّّ ِم َّنَّ ٰض ا ََّّو عَّ ٰٰلَّ َّس َّفرََّّ ا َّوَّ َّج َّ ُکنتُمَّ َّمر ٰۤ َّ ٓاءََّّ فَّلَّمَّ َّ َّ َِت ُدوا َّمٓاءً فَّتَّی َّ َّم ُمواَّ الغ َّ ِٓائ ِط ا َّو ٰلَّستُ ُم النِ َّس َّ HAJINAJI.com PACHAS MAU… - 517 ََّّصعِی ًدا َّطیِبًا فَّام َّس ُحوا بِ ُو ُجوہِ ُکم َّو ا َّی ِدی ُکم ِمن ُہ ؕ َّما یُ ِری ُد الل ّٰ ُہ لِیَّجعَّ َّل عَّلَّی ُکم َِّمن َّح َّرج َّو ل ٰ ِکن ی ُ ِری ُد َّلِی ُ َّط ِہ َّر ُکم َّو لِیُتِ َّم نِع َّمتَّہٗ عَّلَّی ُکم لَّعَّل َّ ُکم تَّش ُک ُرو ََّّن सूिए माूँएदा आयत 6 ईमान िालो! जब भी नमाज़ के सलये उठो तो पिले अपनें चेििों को औि कुितनयों तक अपनें िाथों को धोिो औि अपने सि औि गटटे तक पैिों का मसि किो औि अगि जनाबत की िालत में िो तो गस् ु ल किो औि अगि मिीज़ िो या सफि के आलम में िो या पैखाना िगैिा तनकल आया िै या औितों को बािम लम्स ककया िै औि पानी न समले तो पाक समट्टी से तयम्मम ु किलो इस तिि चेििे औि िाथों का मसा किलो कक खुदा तुम्िािे सलये ककसी तिि की ज़िमत निीूं चािता बल्की यि चािता िै कक तुम्िे पाक ि पकीज़ा बना दे औि तम ु पि अपनी नेमत PACHAS MAU… - 518 HAJINAJI.com को तमाम किदे शायद तुम इस तिि उस के शुक्र गुज़ाि बूंदे बन जाि. 5-इबादत की राह में सब्र: بَّ لِعِبَّادَّتِ َّہ َّ ِ فَّاعبُد ُہ َّو اص َّط (सिू ए मियम आयत 65) उसकी इबादत किो औि इबादत की िाि में सब्र किो. PACHAS MAU… - 519 HAJINAJI.com ििायात: 1-इबादत का तरीक़ा: ِ صل َّ اُ ْعبُد اهلل: َّقال رسو ل اهلل ي اهلل علیه و اله و سلم ِ ِ َّان َّ کَّا َّن ََّّك تَّ ْٰرا ٰ ُه فَّا ْن ل َّ ْم تَّ ٰر ُاه فَّا ن َُّه ی َّ َّر (कन्जुल आमाल जजल्द 16 पेज 128) िसल ू ल् ु लाि (स.अ.) नें फिमाया: खद ु ा की इसतिि इबादत किो गोया तुम उस्को दे ख ििे िो, अगि तुम उस्को निीूं दे ख ििे तो िि तुम को दे ख ििा िै. 2-आबबद तरीन शख्स: َّ َّم ْن عَّ َّم َّل ِِبٰا ا: قال علي بن اۡلسی علیه السلم ِ َّفْ َّۡت َّض اهلل عَّلَّی ِه ا َّْعب ِدالن َّاس َّ ْ ُ َّ (काफी जजल्द 2 पेज 186) िज़ित इमाम जैनुल आबेदीन (अ.स.) नें फिमाया: जजस नें अमल ककया उस चीज़ पि PACHAS MAU… - 520 HAJINAJI.com जो अल्लाि नें उन पि फ़ज़स की िै , तो िि सब से ज़्यादा इबादत किनें िाला िै. 3-इबादत की जीनत: َّ زَّ ی ْ ُن الْعِبٰادَّ ِة اَّْلْ ُ ُش ْو ُع: قال أمی الومنی علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 2 पेज 61) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: इबादत की जीनत खुशू ि खुजूअ िै. 4-इबादत की गरज़ व गायत: غَّای َّ ُة الْعِبٰادَّ ِة ا َّ َّلطاعَّ َِّة: قال أمی الومنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 55) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: इबादत की गिज़ ि गायत (िदफ़ ि मकसद) इताअत िै. 5-तीन तरह की इबादत: PACHAS MAU… - 521 HAJINAJI.com َّ قَّ ْو ٌم:( إ َِّن ) الْعِبٰادَّةَّ ث ََّّل ثَّه: قال الصادق علیه السلم َّك ِعبٰادَّ ُة الْعَّبِی ْ ِد عَّب َّ ُد و ا َّ ْ عَّب َّ ُد ْو ا اهللَّ عَّ َّز َّو َّج َّل َّخ ْو فًا فَّتِل َّك ِعبَّادَّ َُّة ْأۡل َّ ْج َّرا َِّر َّ ْ اب فَّتِل َّ ار َّ ب الث َّ َّو َّ ٰ اهللَّ تَّب َّ َّ ك َّو تَّعٰايل ٰ َّطل َّك ِعبٰادَّ ُه ْاۡلِ ْح َّرا ِر َّ َّ ْ َّو قَّ ْو ٌَّمَّ عَّب َّ ُد و ا اهللَّ عَّ َّز َّو َّج َّل ُحبًا ل َّ ُه فَّتِل ََّّو ِه َّي أَّفْ َّض ُل الْعِبٰادَّ َّْه (ककताब अल शाफी जजल्द 3 पेज 366) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: इबादत तीन तिि की िै: बेशक कुछ लोग जिन्नम के खौफ से खुदा की इबादत किते िैं, यि गुलामों की इबादत िै , औि कुछ लोग सिाब (जन्नत की शौक़) की खातति इबादत किते िैं, यि इबादत ताजजिों की िै , औि कुछ लोग ससफस खुदा की मुिब्बत की खातति उसकी इबादत किते िैं, यि आज़ाद लोगों की इबादत िै, औि यि अफज़ल इबादत िै. PACHAS MAU… - 522 HAJINAJI.com तशिीि: इबादते इलािी खुदा के तक़रुस ब के सलये एक ज़िीया िै औि िि शख्स को उस्के अमल का अज्र उसकी नीय्यत के मत ु ाबबक हदया जाऐगा. िि िि काम जो खुदािूंदे आलम की खुश्नूदी के सलये ककया जाए इबादत िै , इस सलये िम िि इबादत में नीय्यत के िक्त यि किते िैं कुबसतन इलल्लाि. यानी िमािा अमल अल्लाि केसलये िै. इूंसान इसक़दि इबादत से क्यूूं दिू िै. क्या खासलके काऐनात नें िमें सिीि ि सासलम आज़ा ि जिािे ि निीूं हदये? क्या िमें नेमतें निीूं दीूं? क्या िम उन नेमतों के शुक्र बजा लाने केसलये उस्की इबादत निीूं कि सकते. अगि िम खुदा के बूंदें िैं औि उसनें िमें इबादत केसलये खल्क ककया िै. तो आज िी से बजल्क अभी से िम खुदा की इबादत किें . जब िम उस्की इबादत किें गें. तो िि िमें ििचीज़ से गनी PACHAS MAU… - 523 HAJINAJI.com किदे गा, औि खासलस इबादा यि िै कक इूंसान अपने िब के अलािि ककसी से उम्मीद न िखे औि अपने गन ु ाि के अलािा ककसी से न डिे उस शख्स को इबादत की लज़्ज़त कैसे मिसूस िो सकती िै जो ख्िाहिश पूिी किने से बाज़ निीूं ििता. इबादत की लज़्ज़त ििी मिसस ू कि सकता िै. जो अल्लाि के सलये इबादत किे , औि उस्का बूंदि िि कि जज़ूंदगी गुज़ािे . खुदा नें िि चीज़ को िमािे सलये खल्क ककया औि िमें अपने सलये. खुदा से दआ किते िैं बिक्के इमामे जैनुल ु आबेदीन (अ.स.) िमें इबादत किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 524 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-नमूनऐ इबादत: िज़ित इमाम साहदक (अ.स.) से ििायत िै कक मेिे िालीद नें फिमाया: एक हदन मैं अपनें िासलदे गेिामी अली बबन िुसैन (अ.म.स) की खखदमत में िाजज़ि िुिा मैंनें दे खा कक इबादत नें आप में बिुत तासीि कि िख्खी िै. (यानी इबादत का असि आप पि बिुत ज़्यादा िै) औि बेदारिये शब (िात में जागने की िजि से) की िजि से आप का िूं ग मुबािक ज़दस िो चुका िै. औि ज़्यादि थगिया की िजि से आप की आूँखें ज़ख़्मी िो चुकी िैं, औि सज्दा ज़्यादा किने की िजि से, आप की नूिानी पेशानी पि गट्ठा बन चुका िै , औि नमाज़ में ज़्यादा खड़े ििने की िजि से आप के कदमों पि ििम आगया िै. जब मैंनें उन्िें इस िालत में दे खा तो मैं अपना थगिया न िोक सका PACHAS MAU… - 525 HAJINAJI.com औि मैं बिुत िोया. आप कफ़क्र इलािी की तिफ मुतिज्जि थे. कुछ दे ि के बाद आप नें मेिी तिफ दे खा तो फिमाया: अमीरुल मोमेनीन की इबादत की ककताब ले आि कक जजन में आप (अ.स.) की इबादत सलखी िुई िै. जब मैं ले आया उन में से कुछ का मत ु ालेआ फिमाने के बाद. उन्िें ज़मीन पि िख हदया, औि फिमाया: ककस शख्स में इतनी ताकत ि कूित िै कक अली बबन अबी तासलब (अ.स.) की तिि इबादत कि सके. (अह्सनल ु मकाल जजल्द 1 पेज 579) 2-हज़रत अली (अ.स.) और नमाज़: अमीरुल मोमेनीन िज़ित अली (अ.स.) ससफ्फीूंन के माके में थे जूंग पूिे जोि ि शोि से जािी थी. दश्ु मन का लश्कि मक ु ाबबले पि डटा िुिा था. ऐसे िी मौके पि एक मतसबा आप (अ.स.) नें सिू ज की जातनब तनगाि की, इब्ने अब्बास नें पूछा PACHAS MAU… - 526 HAJINAJI.com आप सूिज की जातनब क्यूूं मुतिज्जि िैं, िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: मैं ज़िाल का िक्त शनाख्त किना चािता िूूँ ताकक नमाज़े जोिि पढ़ सकूंू . इब्ने अब्बास नें किा: क्या ऐसी घमसान की जूंग के मौके पि नमाज़ पढ़ी जाएगी. इमाम (अ.स.) नें फिमाया: िम लोगों से ककस बात पि जूंग कि ििे िैं. िम उनसे इसी सलये तो जूंग कि ििे िैं ताकक नमाज़ क़ाऐम िो सके. इब्ने अब्बास बयान किते िैं कक. अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें कभी नमाज़े शब निीूं छोड़ी, यिाूँ तक कक जूंगें ससफ्फीूंन में सख्ततिीन मौके पि यानी लैलतुल ििीि में भी आप (अ.स.) नें नमाज़े शब अदा की, औि नमाज़े जोिि तो कफि भी िाजजब थी, मौला उस्को कैसे छोड़ सकते थे. (बबखिे मोती जजल्द 1 पेज 240) PACHAS MAU… - 527 HAJINAJI.com 39) इलम आयात: 1-अहलमय्यते इलम: َّم َِّ َّ ال َّ ِذی عَّل َّ َّم بِالقَّل َّ م َّ َّ ان َّما لَّمَّ یَّعل َّ عَّل َّ َّم اۡلِن َّس (सूिए अलक आयात 4’5) जजसने क़लम के ज़रिये तालीम दी िै औि इूंसान को िि सब कुछ बता हदया िै जो उसे निीूं मालूम था. 2-इंसान की अहमलमय्यत इलम के साथ: ََّّو لَّقَّد اٰتَّینَّا دَّ ٗاو َّدََّّ َّو ُسلَّی ٰم َّن عِل ًما ۚ َّو قَّ َّاۡل اۡلَّم ُد لِل ّٰ ِہ ال َّ ِذی ِِ ِ ِ ِ ِ َّی َّ فَّ َّضل ََّّن َّا عَّ ٰٰل کَّثیََّّ من عبَّا ِدہََّّ الُؤمن सूिए नम्ल आयत 15 औि िमनें दाऊद (अ.स.) ि सुलैमान (अ.स.) को इल्म अता ककया तो दोनों नें PACHAS MAU… - 528 HAJINAJI.com किा कक खुदा का शुक्र िै कक उसनें िमें बिुत से बन्दों पि फजीलत अता की िै. 3-इलमे इंसान कसबी है (यानी सीखा है): ََّّو الل ّٰ ُہ اَّخ َّر َّج ُکمََّّ ِم ًۢن ُب ُطونِ اُ َّمہتِ ُکم َّۡل تَّعل َّ ُمو َّن َّشیئًا ۙ و ٰ َّ َّار َّو اۡلَّفَِّـ ََّّد ََّۃ ۙ لَّعَّل َّ ُکم َّ َّجعَّ َّل ل َّ ُک ُم ا َّ لسم َّع َّو اۡلَّب َّص تَّش ُک ُرو ََّّن (सिू ए निल आयत 78) औि अल्लाि िी नें तुम्िें सशकमे मादि से इस तिि तनकाला िै कक तुम कुछ निीूं जानते थे, औि उसी नें तुम्िािे सलये काूंन, आूँख, औि हदल क़िाि हदये िैं. ताकक शायद तुम शुक्र गुज़ाि बन जाि. 4-इलम के हुसल ू की दआ ु : بَّ ِزد ِ ََّنَّ عِل ًم َّا َّ ِ ََّّوَّ ُقلََّّ َّر (सूिए तािा आयत 114) PACHAS MAU… - 529 HAJINAJI.com औि यि किते ििें कक पििि हदगाि मेिे इल्म में इजाफ़ा फिमा. 5-क्या आललम और जादहल बराबर हैं َّؕ ُقل ہَّلََّّ یَّست َّ ِوی ال َّ ِذی َّن یَّعل َّ ُمو َّن َّو ال َّ ِذی َّن َّۡل یَّعل َّ ُمو َّن सिू ए ज़म ु ि आयत 9 कि दीजजए कक क्या िि लोग जो जानते िैं उन्के बिाबि िो जाएूँगे जो निीूं जानते िैं. PACHAS MAU… - 530 HAJINAJI.com ििायात: 1-इलम हालसल करना वाल्जब है: َّ َّطل َّ ُب: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّب ُبغٰاة ُ ِ الْعِل ْ ِم فَّ ِری ْ َّض ٌة عَّل ٰيَّ کُ ِل ُم ْسلِمَّ ا ََّّۡل إ َِّن اهللَّ ُُی َّالْعِل ْ ِم (काफी जजल्द 1 पेज 30) िसल ू े खद ु ा (स.अ.) नें फिमाया: इल्म का तलब किना िि मुसलमान पि िाजजब िै. बेशक खुदा िूंदे आलम इल्म िाससल किने िालों को दोस्त िखता िै . 2-बेहतरीन वजीर: َّنِعْ َّم َّوزِی ْ ُر:قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّْأۡلِ ْْيٰانِ الْعِل ْ ِم ककताब अल शाफी जजल्द 1 पेज 105 PACHAS MAU… - 531 HAJINAJI.com िज़ित िसूले अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: ईमान का बेितिीन िजीि इल्म िै. 3-इलम की ज़कात: ِ زَّکَّا ُة الْعِل ْ ِم أَّن ُتعْلِم ُه ِعبادا: قال الباقر علیه السلم َّهلل َّ ٰ َّ ْ (ककताब अल शाफी जजल्द 1 पेज 91) इमामे मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: इल्म की ज़कात यि िै , कक उस्को लोगों को तालीम दो. 4-अजीम खज़ाना: َّْن عَّ ِظی ْ ٌم َّۡل ی َّ ْفّن ٌ ْ َّ اَّلْعِل ْ ُم ك: قال علي علیه السلم ٰ गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 187 िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: इल्म ऐसा खजाना िै , जो कभी फना (ख्त्म) निीूं िो सकता. PACHAS MAU… - 532 HAJINAJI.com 5-इलम बगैर अमल: َّال ٌَّ َّ اَّلْعِل ْ ُم بِ َّل عَّ َّملَّ َّوب: قال أمیالؤمنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 187) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: इल्म बगैि अमल के िबाल िै. PACHAS MAU… - 533 HAJINAJI.com तशिीि: मासलके काऐनात नें इूंसान को दो अजज़ा (जुज़) से मुिक्कब (समलाकि) बनाया िै: जजस्म औि रूि, औि दोनों अपनी ियात औि बका के सलये गज़ा के मुिताज िैं. जजस्म की गज़ा का नाम िै माल औि रूि की गज़ा का नाम िै इल्म. जजस्म माद्दी िै लेिाज़ा उस्की गज़ा भी माद्दी िै , रूि मुजिसद िै लेिाज़ा उसकी गज़ा भी मुजिसद िै. जजस्म खाक में समल जाने िाला िै लेिाज़ा उस्की गज़ा भी फानी िै. रूि आलमे अिासि से मल् ु िक िोने िाली िै , लेिाजा उसकी गज़ा भी बाकी ििने िाली चीज़ िै. लेिाजा बेितिीन इूंसान िि िै जो फानी (खत्म िोजाने िाला) माल दे कि जािेदानी (िमेशा ििने िाला) इल्म िाससल किले, औि बदतिीन साहिबे इल्म िि िै , जो बाकी (िमेशा ििने िाला) इल्म को दे कि PACHAS MAU… - 534 HAJINAJI.com माल लेने की कोसशश किे . इल्म ससफस औि ससफस खुदा के सलये िोना चाहिए न कक माल ि दौलत के िुसल ू के सलये. इल्म को खाने पीने का ज़रिया बनाने िाला मलउन क़िाि हदया गया िै. माल खचस किने से कम िोजाता िै , औि इल्म के रूिातनयत का असि यि िै , कक सफ़स किने से मस ु लसल बढ़ता ििता िै. तजबास बेितिीन सुबूत िै. माल यािे बबिफा (यानी जजसकी मदद में िफ़ा निीूं िै) िै औि इल्म नाससिे बा िफ़ा. खद किते िै बिक्के बाबे मदीनतुल ु ा से दआ ु इल्म िमें तादमें (मिते िक्त तक) आखखि इल्म िाससल किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 535 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हुजूरे अकरम (स.अ.व.) का इन्तेखाब: एक हदन िसूले अकिम (स.अ.ि.) मदीना मन ु व्ििि में मजस्जद में दाखखल िुिे, अप (स.अ.ि.) नें दो थगिोि को दे खा जो दो टोसलयों के शक्ल में बैठे िुए थे. दोनों एक दस ू िे के इदसथगदस दाएिे की शक्ल में बैठे ककसी काम में मशगूल नज़ि आििे थे. उनमें से एक थगिोि इबादत औि जज़क्र खुदा में मशगूल था. दस ू िा थगिोि तालीम ि तअल्लुम में मसरूफ था. यानी कुछ सीख ििे थे, तो दस ू िे ससखा ििे थे. आप (स.अ.ि.) नें दोनों की तिफ दे खा, औि फिमाया: खुश बख्त िैं लेककन मुझे ससखाने के सलये भेजा गया िै , औि मेिा काम तालीम ि तिबीयत िै. कफि तालीम ि तअल्लुम के काम में मशगूल थगिोि की PACHAS MAU… - 536 HAJINAJI.com तिफ बढे , औ उन्के साथ जाकि बैठ गऐ. (मौजूइ दास्तानें पेज 263). 2-हमेशा साथ रहने वाली दौलत: आसलमे िब्बानी औि मदस रूिानी िज़ित आयतुल्लाि अल उज़मा समिज़ा कुम्मी की एक मतसबा इत्तेफाक से एक िम्माम में बादशाि से मुलाक़ात िो गई. आक़ाऐ मीिज़ा कुम्मी नें बादशाि फति अली काचाि से फिमाया: लश्कि ककधि िै , जाि ि िशम, सिसत ि दौलत, तख्त ि ताज किाूँ िै , अकेले कैसे आगये? बादशाि फति अली शाि नें किा: ककबला साहिबे माल ि दौलत, औि जाि ि िशम, अयसी चीज़ तो निीूं जो िम्माम में साथ आऐ. समिज़ा सािब नें फिमाया: मैं जजस दौलत ि सिमाये का मासलक िूूँ िि इस िक्त मेिे साथ िै. मेिा इल्म िम्माम में भी मेिे साथ िोता िै. चूूंकक मेिे सीने में िै औि कयामत तक िि जगि PACHAS MAU… - 537 HAJINAJI.com मेिे िमिाि िोगा. कब्र में भी मेिे साथ िोगा िशि में भी मेिे िमिाि िोगा. (मोजूई दास्तानें पेज 265). PACHAS MAU… - 538 HAJINAJI.com 40) गज़ब व गुस्सा आयात 1-मुत्तकीन की लसफत: ِ ِ ِ ِ َّی عَّنِ الن َّب ُ ِ اس ؕ َّو الل ّٰ ُہ ُُی َّ ی الغَّی َّظ َّو العَّاف َّ َّو الکٰظم َّی ََّّ الُح ِس ِن (सूिए आले इमिान आयत 134) औि गस् ु से को पी जाते िैं औि लोगों को मुआफ किने िाले िैं. औि खुदा ऐिसान किनें िालों को दोस्त िखता िै. 2-गुस्सह को पी जाना: ال یٰۤا َّ َّس ٰف عَّ ٰٰل یُو ُس َّف َّو ابی َّ َّضت عَّین ٰ ُہ َّ ََّّو تَّ َّو ّٰل عَّن ُہمََّّ َّو ق م ٌَّ ِم َّن اۡلُزنِ فَّ ُہ َّو کَّ ِظی सूिए यूसुफ़ आयत 84 यि किकि उन्िों (याकूब अ.स.) नें सब से मि ु ूं फेि सलया औि किा कक अफ़सोस िै PACHAS MAU… - 539 HAJINAJI.com यूसुफ़ (अ.स.) के िाल पि इतना िोऐ कक आूँखें सफैद िो गइूं औि गम के घूट पीते ििे 3-गुस्सह के वक्त मुआफ करना: ََّّو اِذَّا َّما َّغ ِضبُوا ُہم یَّغ ِف ُرو َّن सूिए शूिा आयत 37 औि जब गुस्सा आजाता िै तो मुआफ किदे ते िैं. 4-हज़रत यूनुस (अ.स.) का गुस्सह: ِ َّ و ذَّاالنُو َِّنَّ اِذ ذَّہَّب مغ َّاضبًا فَّ َّظ َّن ا َّن لَّن ن َّقَّ ِد َّر عَّلَّی ِہ فَّنَّادٰی َّ ُ َّ ُ ِِف َّت َّ ُ ک ٭ اِ ِ ََّنَّ ُکن َّ َّ تَّ ا َّنََّّ َّ َّۤۡلَّ اِل ٰ َّہََّّ َّاِ َّ َّۤۡلَّ ا َّن َّ ِ الظل ُ ٰم َّ َّ تَّ ُسب ٰحن َّی ََّّ الظلِ ِم ّٰ ِم َّن सिू ए अूंबबया आयत 87 औि यूनुस (अ.स.) को याद किो कक जब िि गुस्से में आकि चले औि यि ख्याल PACHAS MAU… - 540 HAJINAJI.com ककया कक िम उनपि िोजी तूंग न किें गें औि कफि तािीककयों में जाकि आिाज़ दी कक पिििहदगाि तेिे अलािा कोई खद ु ा निीूं िै तू पाक ि बेतनयाज़ औि मैं अपनें नफ्स पि ज़ुल्म किने िालो में से था. 5-इख्लाके इस्लामी: ِ َّ و اِذَّا َّ ََّس ُعوا اللَّغ َّو اَّع َّر ُضوا عَّن ُہ َّو قَّالُوا لَّناَّۤ ا َّع َّمالُنَّا َّو ل َّ ُکم َّ َّی ََّّ ِمَّ عَّلَّی ُکم ۫ َّۡلَّ نَّبت َّ ِِغ اْل ٰ ِہل ٌَّ ٰ ا َّع َّم َّال ُ ُکم ۫ َّسل (सूिऐ केसस आयत 55) औि जब लग्ि बात सन ु ते िैं तो ककनािा कशी अजख्तयाि किते िैं औि किते िैं कक िमािे सलये िमािे आमाल औि तुम्िािे सलये तुम्िािे आमाल िैं. तुम पि िमािा सलाम कक िम जाहिलों की सोिबत पसूंद निीूं किते. PACHAS MAU… - 541 HAJINAJI.com ििायात: 1-हर बुराई की चाबी: َّال ٌَّ َّ اَّلْعِل ْ ُم بِ َّل عَّ َّمل َّوب: قال أمیالؤمنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 187) इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया: गज़ब ि गुस्सा िि बुिाई की चाबी (कूंु जी) िै. 2-गस् ु सह को ज़ब्त करनें का सवाब: َّ َّم ْن كَّ َّظ َّم غَّیْظا ً َّو ُه َّو یَّقْ ِد ُر: قال الباقر علیه السلم ِِ عل َّاهلل قَّلْب َّ ُه ا َّ ْمنا ً َّو اِ ْْيٰا نًا ی َّ ْو َّم الْقِی ٰ َّام َِّة ُ َّ ٰي إ ْم ٰضا ئه َّح َّشا (ककताब अल शाफी जजल्द 2 पेज 410) इमामे बाककि (अ.स.) नें फिमाया: जजसनें गस् ु सा को ज़ब्त ककया िालाूंकी िि उसको ज़ाहिि कि सकता था, तो खुदा उस्के हदल को िोज़े क़यामत अम्न ि ईमान से पुि कि दे गा. PACHAS MAU… - 542 HAJINAJI.com 3-ईमान की तबाही का सबब: اَّلْغ َّ َّض ُب:قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم ِ َّل َّ َّ ان َّك َّما یُ ْف ِس ُد اْلْ َّ ُل الْعَّ َّس َّ ٰ ی َّ ْفس ُد ا ْۡلِ ْْي (काफी जजल्द 2 पेज 302) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: गुस्सा ईमान को इस तिि खिाब किदे ता िै जैसे ससिका शिद को. 4-अज़ाब से दरू ी का सबब ِ ّٰ َّم ْن كَّ َّف َّغ َّضب ُه عَّنِ الن:قال الباقر علیه السلم َّاس َّ َّابَّ َّی َّ ْو َّم الْقِی ٰ َّام َِّة َّ َّ اهلل عَّنْ ُه ع َّ َّذ ُ كَّ َّف (ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 265) इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: जो अपनें गुस्से ि गज़ब को लोगों से िोकता िै, िोजे क़यामत अल्लाि उस पि अज़ाब निीूं किता. PACHAS MAU… - 543 HAJINAJI.com 5-गुस्सा अक्ल को खत्म कर दे ता है ك َّغ َّضب َّ ُه ل َّ ْم ُ ِ َّم ْن ل َّ ْم َّْيْل:قال الصا َّدق علیه السلم َّك َّعَّ ْقل َّ َُّه ُ َِّْيْل (ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 265) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जो अपनें गुस्से पि काबू निीूं िखता िि अपनी अक्ल पि काबू निीूं िखता. PACHAS MAU… - 544 HAJINAJI.com तशिीि: बबला िजि गैज़ ि गज़ब से काम लेना, बेजा गुस्सा िोना, या अिल ि अयाल औि रिश्ते दािों की गलती की बबना पि, या दीनी भाइयों की गफलत ि जेिालत की िजि से गुस्सा किना िाकेअन एक शैतानी िालत, इब्लीसी मूंसूबा, औि नापसूंद अमल िै. लेिाजा गज़ब ि गस् ु सा से पििे ज़ किना िि मुसलमान केसलये लाजजम ि ज़रूिी िै. क्यूूंकक गुस्सा की िालत में इूंसान अपनी अक्ल पि काबू निीूं िखता, औि जो कुछ शैतान उस से किलिाना चािता िै इूंसान कि दे ता िै. बाद में पशेमान िोता िै , औि बाज़ अिकात गुस्सा की िालत में इूंसान ऐसे गुनािों का मुितककब िो जाता िै , जजस की तलाफ़ी ना मम ु ककन औि मि ु ाल िै. गुस्से को पीजाना अूंबबया अिसलया औि अइम्मा तािे िीन (अ.मु.स.) की ससफात में से PACHAS MAU… - 545 HAJINAJI.com एक िै , िमें भी इस ससफत को अपनाना चाहिये. खद किते िैं बिक्के इमामे मस ु ा से दआ ू ा ु काजजम (अ.स.) िमें गुस्सा पि काबू किने की तौफीक अता फिमा. PACHAS MAU… - 546 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-गुस्सा न करना: एक शख्स िसूले खुदा (स.अ.ि.) सी किने लगा मझ ु े कुछ तालीम दीजजए आप (स.अ.ि.) नें फिमाया: औि गुस्सा न किो उसने किा मेिे सलये आप का यि िुक्म काफी िै उस्के बाद िि अपने घि चला गया, ििाूँ मालम ू िुिा कक उसकी कौम जूंग केसलये आमादा िै सफ बूंदी िो चुकी िै , औि लोगों नें िथथयाि बदन पि उठा सलये िैं , यि िाल दे ख कि उसने भी अपनें बदन पि िथथयाि डाले औि लड़ने के सलये आमादा िुिा. तब उस्को िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) का कौल याद आया. गस् ु सा न किना. फ़ौिन अपनें बदन से िथथयाि उतािे औि उन्के पास गया जजन से दश्ु मनी थी औि किा: लोगो तुममें से ककसी को ज़ख्म लगा िै , या कोई क़त्ल िुिा िै , या चोट िगैिा खाई िै , PACHAS MAU… - 547 HAJINAJI.com जजस का असि अब न िो तो मैं अपनें माल में से तुम लोगों को दीयत दे ने केसलये तय्याि िूूँ. मेिी कौम से उस्का कोई तअल्लुक न िोगा मैं खद ु यि िादा पूिा करूूँगा. उन्िों नें किा जो तुम कि ििे िो. यि तुम अपने पास िख्खो िम तुम से ज़्यादा जिान मदी हदखाने के अिल िैं. पस उस्के बाद उनमें सुलि िो गई, औि गुस्सा दिू िोगया (आप नें दे खा गुस्सा को पी जानें कीिजि से दो कौमें एक िोगयीूं) (ककताबे अल शाफी जजल्द 4 पेज 264). 2-शते नबूवत और जा नशीनी: पैगूंबिों में से एक पैगूंबि िजिते यसआ (अ.स.) की उम्र मुबािक के आख़िी अय्याम थे. उन्िों नें अपनी जा नशीनी के बािे में सोचा. लोगों को जमा ककया औि फिमाया: जो भी मुझसे तीन कामों का िादा किे गा मैं उस्को अपना जा नशीन मुन्तखब करूूँगा. PACHAS MAU… - 548 HAJINAJI.com 1-हदन को िोजा िख्खे. 2-िात को बेदाि ििे . 3-गुस्सा न किे . लोगों में से एक जिान जजसकी कोई अिमीयत न थी दिसमयान से उठा औि किा मैं इूंन शतों पि अमल करूूँगा. दस ू िे हदन कफि िज़ित यसअ (अ.स.) नें लोगों के सामने इस बात को दोििाया: उस जिान के अलािा, ककसी नें जिाब नाहिूं हदया. िज़ित यसअ (अ.स.) नें उस जिान को अपना जा नशीन मुक़िसि ककया यिाूँ तक कक इस दन्ु या से रुखसत िुिे. खद ु ा िूंदे मत ू आल नें उस जिान को जो िज़ित ज़ुजल्कफ़्ल थे. नबूित पि फ़ाइज़ ककया शैतान नें सोचा क्यूूं न इस जिान को गुस्सा हदलािों. उस्के िादे को तोड़ िाता िूूँ. इबलीस नें अपनें एक साथी जजसका नाम अबयज़ था, को किा जाि औि उस जिान (जुल ककफ्ल) को गुस्से में लाि. िज़ित जुल ककफ्ल िात को शब्बेदािी किते औि हदन में PACHAS MAU… - 549 HAJINAJI.com बिुत कम सोते. अबयज़ नामी शैतान नें सब्र ककया कक िि हदन में सो जाएूँ. जब िि हदन में सोऐ तो यि उन्के किीब आया, औि जोि जोि से थचल्लानें लगा कक मुझपि ज़ुल्म िुिा िै. मेिा िक़ ज़ासलम से हदलिाएूं. िज़ित नें फिमाया: जाि उस्को मेिे पास लेकि आि! अबयज़ नें किा: मैं यिाूँ से निीूं जािूूंगा! जुल ककफ्ल नें उस्को अपनी अूंगूठी दी कक यि ज़ासलम को हदखाना िि तुम्िािे साथ मेिे पास आ जाऐगा. अबयज़ नें अूंगूठी ली औि फ़ौिन जाकि िापस आगया औि फियाद किनें लगा: मैं मजलूम िूूँ! ज़ासलम नें अूंगूठी की तिफ तिज्जो िी न की औि मेिे साथ आने से इनकाि किहदया. दोबािा जल ु ककफ्ल ने उस से फिमाया: अच्छा मझ ु े कुछदे ि सोने दो गइ िात भी निीूं सोया! अबयज़ नें किा: मुझ पि ज़ुल्म िुिा िै औि तुम आिाम किना चािते िो! िज़ित जुल PACHAS MAU… - 550 HAJINAJI.com ककफ्ल नें कुच्छ सलखकि उस्को हदया कक यि उस ज़ासलम को जाकि दो औि उस्को मेिे पास लेकि आि. तीसिे हदन जब आिाम किनें लगे तो अबयज़ नामी शैतान नें उन्को बेदाि ककया: जुल ककफ्ल नें अबयज़ का िाथ पकड़ा औि उस्के साथ चल पड़े लेककन गस् ु सा निीूं ककया. अबयज़ नें जब यि दे खा कक उन्को गुस्सा निीूं आििा िै तो अपना िाथ जुल ककफ्ल से छुडिाकि भाग गया. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 655) PACHAS MAU… - 551 HAJINAJI.com 41) गीबत आयात: 1-गीबत करना मना है: َّلَّ َّۡل َّم َّ َّ ُبَّ ا ََّّح َُّد ُکمََّّ ا َّن یَّاک َّ ُ ِ َّو َّۡل یَّغتَّب بَّع ُض ُکم بَّع ًضا ؕ ا َُُّی َّ اب َّ ٌ ا َّ ِخی َِّہَّ َّمیتًا فَّ َّکرِہتُ ُمو ُہ َّؕ َّو اتَّ ُقوا اللّٰہَّ ؕ اِ ََّّنَّ الل ّٰ َّہَّ َّتَّ َّو َّم ٌَّ َّر ِحی (सूिए िुजिात आयत 12) औि एक दस ू िे की गीबत न किो क्या तुम इस बात को पसूंद किते िो कक अपनें मद ु सि भाई का गोश्त खाि यकीनन तुम बुिा समझोगे, तो अल्लाि से डिो कक बेशक अल्लाि तौबा कबूल किने िाला औि मेिि बान िै. PACHAS MAU… - 552 HAJINAJI.com 2-रोज़े क़यामत ज़ुबान की गवाही: َّ یَّو ََّّمَّ تَّشہَّ ُد عَّلَّی ِہم اَّل ِس نَّتُہم َّو ا َّی ِدی ِہمََّّ ََّّوَّ ا َّر ُجلُہمََّّ ِِبَّا ُ ُ َّ کَّانُوا یَّع َّملُو ََّّن (सूिए नूि आयत 24) क़यामत के हदम उन्के खखलाफ उन्की ज़ुबानें औि िाथ पािूं सब गिािी दें गें कक यि क्या कि ििे थे? 3-बुराई करनें से परहे ज़: َّفَّاجت َّنِبُوا الرِج َّس ِم َّن اۡلَّوثَّانِ َّو اجتَّنِبُواَّ قَّو ََّّلَّ ال ُزو َِّر (सूिए िज आयत 30) तम ु नापाक बत ु ों से पििे ज़ किते ििो औि लग्ि ि मोिमल बातों से इज्तेनाब किते ििो. 4-मजलूम की फरयाद: م ََّّ ِلسوٰٓءِ ِم َّن القَّو ِل اِ َّۡل َّمن ُظل ُ ب الل ّٰ َُّہَّ اْلَّہ ََّّرَّ بِا ُ ِ َّۡل ُُی PACHAS MAU… - 553 HAJINAJI.com (सूिए तनसा आयत 148) अल्लाि मजलूम के अलािा ककसी की तिफ से भी अलल ऐलान बिु ा किनें को पसूंद निीूं किता. 5-अपनें गुफ्तार का जवाब दे ह: ابَّ َّم ًد َّا َّ ِ ک َّ َّل ؕ َّس َّن َّکتُ ُب َّما ی َّ ُقو ُل َّو َّّنُ َُّدَّ لَّہَّٗ ِم َّن العَّ َّذ (सूिए मियम आयत 79) ििगीज़ ऐसा निीूं िै िम उसकी बातों को दजस कि ििे िैं औि उस्के अज़ाब में औि भी इजाफ़ा किदें गे. PACHAS MAU… - 554 HAJINAJI.com ििायात: 1-अजज़ी व नातवानी की ननशानी: َّ اَّلْغِیْب َّ ُة ُجهْ ُد الْعَّا ِج ِز: قال علي علیه السلم (निजुल बलागा हिकमत 461) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: गीबत किना आजजज़ ि नातिाूं की कोसशश िै. 2-मन ु ाफफक की अलामत: َّ اَّلْغِیْب َّ ُة ٓای َّ ُة ا ْلُنَّافِ َِّق:قال علي علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 317) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: गीबत मन ु ाकफक की अलामत ि पिचान िै. 3-गीबत सुनने वाला: اب َّ ِ ٰ لسا ِم ُع لِلْغِیْب َّ ِة کَّا ْلُغْت َّ َّ ا:قال علي علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 2 पेज 318) PACHAS MAU… - 555 HAJINAJI.com अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: गीबत सुनने िाला गीबत किनें िाले के मातनन्द िै. 4-गीबत का कफ्फारह: َّ َّكفَّا َّر ُة ْأۡل:قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم ِ اب أ َّ ْن تَّ ْستَّغ ْ َّف َّر ِلَّنِ ا غْتَّبْت َّ َُّه َّ َّ غْتی अमाली तूसी पेज 192 िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) नें फिमाया: गीबत किने का कफ्फािा यि िै कक जजस की तुम नें गीबत की िै उस्के सलये अस्तग्फाि किो. 5-गीबत से परहे ज़: ِ َّ ِ ِ ِ عل َّام ک َّ َّل ِب ُ َّ ا َّ ْجتَّن ِب الْغیْب َّ َّة فَّا َنَّا ا د:قال ي علیه السلم َّال یَّا ن ُ ْو ُف َّك َّذ َّب َّم ْن زَّ ِع َّم ا َّن َُّه ُول ِ َّد ِم ْن َّح َّل ِل َّ َّالنَّا ِر ُث َّم ق ِ ََّّو ُه َّو یَّا ْکُ ُل ُۡل ُ ْو ِم الن َّاس بِا الْغِیْب َّ َِّة َّ (िसाएल अल शीआ जजल्द 12 पेज 283) PACHAS MAU… - 556 HAJINAJI.com िज़ित अली (अ.स.) नें नोफेबकाली से फिमाया: गीबत किने से पििे ज किो, क्यूूंकक िि जिन्नम के कुत्तों की थगजा िै. उस्के बाद फिमाया: अय नोफ! िि शख्स झूठा िै जो यि गुमान किता िै कक िि िलाल जादि िै िाूंलाकक िि लोगों का गीबत के ज़रिये गोश्त खाता िै . PACHAS MAU… - 557 HAJINAJI.com तशिीि: गीबत एक ऐसा गुनाि िै जजस से बचना आजकल के मुआशिे में बिुत मुजश्कल िै. अगि इूंसान कोसशश किे तो उससे बच सकता िै. गीबत यानी ऐसी बुिाई अपने बेिादिे मोसमन की पसे पुश्त बयान किना जो लोगों में मशिूि न िो, औि अगि ऐसी बिु ाई जो उसमें न िो तो यि बोितान िै. औि अगि पसे पुश्त ऐसी बुिाई बयान किे जो लोगों में मशिूि िो तो यि गीबत निीूं िै मस्लन फलाूं शख्स दाढी मुडिाता िै. किने िाला भी जानता िै औि सुनने िाला भी जानता िै , अब अगि बयान ककया जाऐ कक फलाूं दाढी मुडिाता िै तो सुनने औि सुनाने िालों केसलये गुनाि निीूं िै. गीबत किना ऐसा िै जैसा इूंसान अपने मद ु सि भाई का गोश्त खाऐ गीबत जिन्नम के कुत्तों की थगजा िै. िाज़ेि िुिा कक गीबत किना ज़ुबान PACHAS MAU… - 558 HAJINAJI.com पि मुन्िससि निीूं बल्की जजस तिीके से भी गैि का नक्स समझ में आजाऐ िि गीबत िै. ख्िाि िि कौल, या फेल, या इशािा, या तििीि, से की जाऐ. िमें चाहिये कक िम पसे पुश्त अपनें ब्रादिे दीनी की इज़्ज़त किें , अगि कोई गीबत किे तो उसे िोकें, अगि कोई ऐसा किे गा तो खद ु ा िूंदे मुतआल दन्ु या ि आखेित में उसकी मदद किे गा. किाूँ पि गीबत किना जाऐज़ िै, उस्के सलये कफकि की ककताबों में रुजू किें , जब खद ु ािूंदे मत ू आल नें उस्का ऐब छुपाया िै तो िम कौन िोते िैं कक उस्के ओयूब को ज़ाहिि किें . िम अपनें गिीबाूंन में दे खें िमािे अूंदि ककतने ओयूब िैं. औि सत्तारुल ओयब ू नें िमािे ऐबों पि ककस तिि पदास डाला िुिा िै. िम इस बात को पसूंद किते िैं कक िमािे ऐब दस ू िों को पता चलें. ििथगज़ िम पसूंद निीूं किते जब िम पसूंद PACHAS MAU… - 559 HAJINAJI.com निीूं किते तो िमें चाहिये कक िम भी दस ू िे के ऐबों पि पदसि डालें , अगि इसतिि िि एक मोसमन किनें लगे तो मोआशिे से फसाद औि बुिाई खत्म िो सकती िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.मु.स.) िमें इस बुिाई से बचने की तौफीक अता फिमा. (आमीन). PACHAS MAU… - 560 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-असाऐ मूसा (अ.स.) एक हदन िज़ित मूसा (अ.स.) सो ििे थे कक बनी इस्राईल के ककसी शख्स नें आप (अ.स.) का असा चुिा सलया. उसे दिसमयान से काट कि दो टुकड़े ज़मीन में दफन किहदये. जब िज़ित मूसा (अ.स.) की आूँख खल ु ी तो आप (अ.स.) नें अपना असा गाऐब पाया. उसी िक्त अपने िब्बे ज़ुल्जलाल के िुज़ूि सशकायत की. खुदाया! मेिा असा किाूँ गया, मेिा असा क्या िुिा? तनदा आई: अय मस ू ा! आप के असा को ककसी नें दो टुकड़े किके ज़मीन में दफन कि हदया िै. िज़ित मूसा (अ.स.) नें अजस ककया: खुदाया िि कौन िै , ककसने यि काम ककया, किाूँ मेिे असा को छुपाया िै ? जिाब समला: अय मूसा आप को तो मालूम िै मेिा िुक्म िै कक मेिे बन्दों के अयबों पि PACHAS MAU… - 561 HAJINAJI.com पदसि डाला जाए, उन्की पदसि पोशी की जाऐ, आप जजस जगि खड़े िैं उसी जगि पि अपनें असा को आिाज़ दें . मैं आप के असा को सुनने की कुदित अता करूूँगा. िि आप की आिाज़ सुनकि आप का जिाब दे गा. िज़ित मूसा (अ.स.) नें अपनें असा को आिाज़ दी. असा नें खद ु ा की कुदित से जिाब हदया औि ज़मीन से दो टुकड़े बिामद िुिे. आप (अ.स.) नें अपनें असा के दोनों हिस्सों को उठा सलया औि कफि आपस में समला हदया (मौजई ू दास्ताने पेज 273) 2-हकीकते गीबत: अनस किते िैं पैगूंबिे अकिम (स.अ.) नें एक िोज लोगों को एक हदन िोज़ा िखनें का िुक्म हदया औि फिमाया: मेिी इजाज़त के बगैि कोई अफ्ताि न किे . लोगों नें िोज़ा िख्खा जब अफ्ताि का िक्त िुिा तो एक शख्स आया औि किा: अय िसूले खद ु ा PACHAS MAU… - 562 HAJINAJI.com (स.अ.) मेिा िोज़ा था अगि इजाज़त दें तो अफ्ताि किलूूं. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें उस्को अफ्ताि की दाित दी. इसी तिि लोग आते ििे औि पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि) से इजाज़त लेते ििे औि अफ्ताि किते ििे यिाूँ तक कक एक शख्स आया औि अजस ककया: मेिे घि िालों में से दो बजच्चयो नें िोज़ा िख्खा था औि िि आप के पास आती िुए शमासती िैं. अआप उन्को इजाज़त दें कक िि अफ्ताि किलें. पैगूंबि (स.अ.ि) उस शख्स से अपना मि ु ूं फेि सलया. उसनें दोबािा किा कफि पैगूंबि (स.अ.ि.) मुिूं मोड़ सलया. जब तीसिी मतसबा किा तो पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: उन्का िोज़ा निीूं था औि ककस तिि का िोज़ा था िालाूंकक आज उन्िों नें लोगों का गोश्त खाया? जाि उन दोनों को िुक्म दो कक कैय किें . PACHAS MAU… - 563 HAJINAJI.com िि मदस घि िापस आया औि उन दोनों को आकि बताया औि िुक्म हदया कक कैय किें . जब उन दोनों नें कैय की तो गोश्त के टुकड़े बािि तनकले, िि शख्स पैगूंबि (स.अ.ि.) की खखदमत में िापस आया औि सािा िाकेआ बयान ककया. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: खद ु ा की क़सम! जजस के कब्ज़ऐ कुदित में मोिम्मद (स.अ.ि.) की जाूंन िै अगि यि गोश्त के टुकड़े उन्के सशकम में बाकी ििते तो जिन्नम की आग उन्को खा जाती. (गूंजीनऐ मआरिफ जजल्द 2, पेज 634,िुज्जतुल बैज़ा से नक्ल िै जजल्द 5, पेज 252) PACHAS MAU… - 564 HAJINAJI.com 42) फ़क्र व नादारी आयात: 1-शादी के वक्त फक्र से मत िरो: َّاِن یَّ ُکو َّن ُوا ُفقَّ َّرٓاءَّ یُغ ِن ِہ ُم الل ّٰ ُہ ِمن فَّضلِ ٖہ ؕ َّو الل ّٰ ُہَّ َّوا ِس ٌَّع َّم ٌَّ عَّلِی (सूिए नूि आयत 32) अगि िि फकीि भी िोंगे तो खुदा अपनें फज्ल ि किम से उन्िें मालदाि बना दे गा खुदा बड़ी िुसअत िाला औि साहिबे इल्म िै. 2-अव्साफे मुत्तकींन: َّیَّ َّو ََّّ ال عَّ ٰٰلَّ ُحبِ ٖہ ذَّ ِوی ال ُقر ٰٰب َّو الیَّت ٰ ٰٰم َّو ال َّ ٰس ِک َّ َّ َّوا ََّّٰت ال ِ ِ َّ لَّ َّو َّی َّ اب َّن َّ َّ ِ السبِی َّ السٓائل (सूिऐ बकिा आयत 177) PACHAS MAU… - 565 HAJINAJI.com औि मुिब्बते खुदा में क़िाबद्दािों, यतीमों, समसकीनों, ग़िु बत ज़दा मुसाकफिों, सिाल किनें िालों को माल दे ते िैं. 3-फ़कीरों की मदद न करनें का अंजाम: ََّّما َّسل َّ َّک ُکمََّّ ِِف َّسقَّ ََّّر َّ َّی ََّّ ِک ِم َّن الُ َّصل ُ َّ قَّالُواَّ لَّمََّّ ن َّ ی ََّّ ک نُطعِ ُم الِس ِک ُ َّ ََّّوَّ لَّم ن (सूिए मुद्दजस्सि आयात 42’43’44) आखखि तुम्िें ककस चीज़ नें जिन्नम में पिुूँचा हदया. िि किें गें कक िम नमाज गज़ ु ाि निीूं थे औि समस्कीूंन को खाना निीूं खीलाया किते थे. 4-साएल से सल ु क ू : لَّ فَّ َّل تَّنہَّ َّر َّ َّ الس ِٓائ َّ َّو ا ََّّما (सूिए जुिा आयत 10) PACHAS MAU… - 566 HAJINAJI.com औि साऐल को झीडक मत दे ना. 5-खौफे ग़रु बत: َّم الل ّٰ َُّہ ِم َّن فَّضلِ َّٖہ َّۤ اِن َُّ ف یُغنِی ُک َّ َّ ل ََّۃً فَّ َّسو َّ َّ َّو اِن ِخفتُم عَّی َّم ٌَّ مَّ َّح ِکی ٌَّ ٓاءَّ ؕ اِ ََّّنَّ الل ّٰ َّہََّّ عَّلِی َّ َّش (सूिए तव्बा आयत 28) औि अगि तम ु को ग़िु बत का खौफ िै तो अन्क़िीब खुदा चािे गा तो अपनें फज्ल ि किम से तुम्िें गनी बना दे गा िि साहिबे इल्म भी िै औि साहिबे हिकमत भी िै. PACHAS MAU… - 567 HAJINAJI.com ििायात: 1-लमयाना रवी: َّ َّض ِمنْ ُت ِلَّنِ اقْت َّ َّص َّد أ َّ ْن َّۡل: قال الصادق علیه السلم َّی َّ ْفتَّقِ َّر (काफी जजल्द 4 पेज 54) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: मैं ज़मानत दे ता िूूँ कक जो शख्स भी समयाना ििी अजख्तयाि किे गा िि कभी फकीि निीूं िोगा. 2-फुकरा के पास बैठनें का हुक्म: ًَّ َّجال ِ َّس ال ْ ُفق َّْراءِ تَّ ْزدَّ ْد ُشكْر َّا:قال علي علیه السلم (गिु रुल िे कम जजल्द 2 पेज 351) मौलाऐ काऐनात अली (अ.स.) नें फिमाया: फ़कीिों के पास बैठो ताकक तुम शुक्र में इज़ाफ़ा कि सको. PACHAS MAU… - 568 HAJINAJI.com 3-ईमान की जीनत: َّان َِّ ٰ اَّل َّفق ُْر ِزیْن َّ ُة ْاۡلِ ْْي:قال ع َّلي علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 347) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: फ़क्र (सब्र ि िे ज़ा के साथ) ईमान की ज़ीनत िै. 4-फक्र का इज़हार मत करो: َّ َّم ْن أ َّ ْظهَّ َّر فَّق َّْر ُہ ا َّذَّ َّل قَّ ْد َّر ُه:قال علي علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 349) अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) नें फिमाया: जजस नें अपनें फ़क्र का इज़िाि ककया उसने अपनी कद्र ि मूंजेलत को घटा हदया. 5-सब से बड़ा फकीर: ِ ّٰ أَّفْقَّ ُر الن: قال علي علیه السلم َّاس َّم ْن قَّ َّۡتَّعَّل ٰي ن َّ ْف ِس ِه ِ ْ َّ السعَّ ِة َّو َّخل َّ َّف ُه لِغ َّی َِّه َّ َّم َّع الْغِّن ٰ َّو (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 352) PACHAS MAU… - 569 HAJINAJI.com िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: सबसे बडा फकीि िि िै जो फिाखी ि सिसतमूंदी के बािजद ू खद ु को तूंगी में िख्खे औि उस्को गैि केसलये छोड़ जाऐ PACHAS MAU… - 570 HAJINAJI.com तशिीि: फक्र यानी मुिताज ि मुफसलसी कोई बुिी चीज़ निीूं िै , अगि यिी फक्र सब्र ि िे ज़ा के साथ िो तो ईमान िै औि अगि फक्र पि सब्र निीूं िै तो उससे बेिति मौत िै. शैतान इूंसान को फक्र से डिाता िै जबकक खुदा अपनें फज्ल ि किम से दे ने का िादा किता िै फकीिों से मुिब्बत तकिे ि पििे ज़गािी को कस्ब किता िै. इूंसान को ककसी के आगे िाथ फैलानें की ज़रूित निीूं, फकत उस्के आगे िाथ फैलाए, जजसके सामनें िि एक िाथ फैलाता िै , िि एक उससे सिाल किता िै. िम सब फकीि िैं औि खुदा िूंद गनीये मुतलक िै. बिुत से फकीि गनी िैं औि बिुत से गनी फकीि िैं, बिुत से फकीि ऐसे िैं कक लोग उन्के न्याज़ मूंद िोते िैं. जजसपि फक्र ि नादािी ग़ासलब आजाती िै उसे चाहिए कक. PACHAS MAU… - 571 HAJINAJI.com ۡل حول وۡل قوة إۡل با اهلل العلي العظیم ज़्यादा से ज़्यादा पढ़े . खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.म.ु स.) िमें फक्र में सब्र ि िे ज़ा अता फिमा औि माल को िािे खुदा में खचस किनें की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 572 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हकीकी लशया: बिुत दिू से एक इमामे साहदक़ (अ.स.) का सशया िज़ित की खखदमत में आया. िज़ित नें अििाल पुिसी (िाल चाल पूछने) के दौिान उससे पूछा: तुम्िािे िम शििी कैसे िैं? उसनें किा: सब खैरियत से िैं औि ससिाते मस् ु तकीम औि आप के खानदानें रिसालत की पैििी में जज़ूंदगी बसि कि ििे िैं. इमामे साहदक (अ.स.) नें पूछा: सािे बाने सिसत का बतासि फकीिों के साथ ककस तिि िै? उस्ने अज़स ककया इस बािे में उन्का बतासि इतना अच्छा निीूं िै. िज़ित नें फिमाया: क्या सिसत मूंद अफिाद फकीिों की मदद किते िैं औि मआशे जज़ूंदगी (यानी जज़ूंदगी के ििन सिन) के बािे में उन्का ख्याल िखते िैं. PACHAS MAU… - 573 HAJINAJI.com उस शख्स नें जिाब हदया: बिुत िी अफ़सोस के साथ, इस तिि का इखलाक ि ककिदाि िमािे दिसमयान बिुत कम दे खा जाता िै. िज़ित नें फिमाया: अगि इस तिि िै तो कफि िि लोग ककसतिि िमािे पैिोकाि ि शीया िैं. (गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 671 नक्ल अज़ मह्जतुल बैजा जजल्द 6 पेज 90) 2-इमाम हुसैन (अ.स.) और साऐल: मकतल ख्िारिज्म औि जामेउल अखबाि से ििायत िुई िै कक एक ऐिाबी इमाम िुसैन (अ.स.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा, औि अजस ककया कक फिजान्दे िसूल (स.अ.ि.) मैं पूिी दीयत (खून बिा) का जासमन िुिा िूूँ, औि उस्के अदा किने की कुदित मुझमें निीूं िै, लेिाजा मैंनें हदल में ख्याल ककया कक सब से ज़्यादा किीम शख्स से स्िाल करूूं, औि कोई शख्स अिलेबैते रिसालत से ज़्यादा किीम मेिे ख़याल में निीूं िै. आप (अ.स.) PACHAS MAU… - 574 HAJINAJI.com नें फिमाया: अय अिब भाई मैं तीन मसअले तुझ से पूछता िूूँ, अगि एक का जिाब हदया तो दीयत का तीसिा हिस्सा तझ ु े दूं ग ू ा, औि अगि दो सिालों का जिाब हदया तो दो सुल्स दीयत का तुझे समलेगा, औि अगि तीनों सिालात के जिाब बताये तो िि सािा माल तझ ु े दे दूं ग ू ा ऐिाबी नें फिमाया: अय फिज़न्दे िसूल (स.अ.ि.) यि ककस तिि िो सकता िै , कक आप जैसी िस्ती जो साहिबे इल्म ि शिफ िै , इस कफदिी (यानी जाूंन तनसाि किने िाला) से जो बद्द ू अिब िै सिाल किे . िज़ित नें फिमाया: मैंनें अपनें जद्दे बुज़ुगासिाि िसूले खुदा (स.अ.ि.) से सुना िै कक आप (स.अ.ि.) नें फिमाया: َّالعروف بقدر العَّروفة यानी नेकी ि बखसशश का दििाज़ा लोगों की मािे फ़त के अूंदाज़ के मुताबबक उनपि खोला जाऐ. PACHAS MAU… - 575 HAJINAJI.com ऐिाबी नें अजस ककया कक आप (अ.स.) जो चािें स्िाल कीजजऐ अगि मालूम िुिा तो जिाब दूं ग लूंग ू ू ा औि ू ा ििना आप से पछ ताकत ि कूित ससफस खुदा के सलये िै. िज़ित नें फिमाया: तमाम आमाल से अफज़ल कौन सा अमल िै ? अजस ककया: अल्लाि पि ईमान लेआना. िज़ित नें फिमाया: कौन सी चीज़ लोगों को िलाकतों से बचा सकती िै ? अजस ककया: अल्लाि पि ऐतमाद ि तिक्कुल किना. िज़ित नें फिमाया: मदस की जीनत क्या चीज़ िै ? ऐिाबी नें किा: इल्म कक जजसके साथ हिल्म िो. िज़ित नें फिमाया: अगि इस शिफ पि उसकी दस्त िसी न िो तो (यानी अगि ििाूँ तक न पिुूँचा िो तो), अजस ककया कफि माल PACHAS MAU… - 576 HAJINAJI.com कक जजस के साथ मुिव्ित ि जिान मदी िो. फिमाया: अगि यि भी उस्के पास न िो तो, किनें लगा फक्र ि फाका जजस के साथ सब्र ि तिम्मुल िो. िजित नें फिमाया: अगि यि भी न िो तो, ऐिाबी नें किा कक आसमान से बबजली थगिे औि उस्को जला दे क्यूंकू क िि इसके अलािा ककसी औि चीज़ का मुस्तिक निीूं. पस आप (अ.स.) मुस्कुिाऐ औि एक थैली जजस में िज़ाि दीनाि सुखस थे उस्को अता की औि अपनी अूंगठ ू ी भी उसे अता फिमाई कक जजसके नगीनें की कीमत दो िज़ाि हदििम थी. फिमाया: इस ज़ि ि माल से तुम खूनबिा अदा किो औि यि अूंगूठी अपने इखिाजात में सफ़स किो. ऐिाबी नें ज़ि ि माल उठाया औि इस आयऐ मुबारिका की ततलाित की. ََّّاهلل اعلم حیث َیعل رسالته PACHAS MAU… - 577 HAJINAJI.com खुदा ज़्यादा इल्म िखता िै कक िि अपनी रिसालत को किाूँ क़िाि दे ता िै. (अह्सनुल मकाल जजल्द 1 पेज 344) PACHAS MAU… - 578 HAJINAJI.com 43) कुरआन आयात: 1-कुरआन सुनने के आदाब: َّ ََّّو اِذَّا ُق ِر َّی ال ُقرا ٰ ُن فَّاست َّ ِم ُعوا لَّہٗ َّو اَّن ِصتُواَّ لَّعَّل َّ ُکم َّۡحو َّن ُ َّ ُتر (सूिए आिाफ आयत 204) औि जब कुिआन की ततलाित की जाऐ तो खामोश िोकि गौि से सुनो कक शायद तुम पि ििमत नाजज़ल िोजाऐ. 2-जावेदानी मोजेज़ा: َََّّّو اِن ُکنتُم ِِف َّریب َِمَّا نَّزَّلنَّا عَّ ٰٰل عَّب ِدنَّا فَّا ُتوا بِ ُسو ََّّر ََّۃ ِمن َِّمثلِ َّٖہ ۪ ََّّو اد ُعوا ُشہَّ َّدٓاءَّ ُکمَّ ِم َّن ُدو َِّن الل ّٰ َِّہَّ اِنَّ ُکنتُم ِِ َّی َّ ٰصدق (सूिए बकिा आयत 23) PACHAS MAU… - 579 HAJINAJI.com अगि तुम्िें इस कलाम के बािे में कोई शक िै जजसे िमनें अपने बन्दे पि नाजज़ल ककया िै तो उस्का जैसा एक सिू ि ले आि औि अल्लाि के अलािा जजतनें तुम्िािे मददगाि िैं सब को बुला लो अगि तुम अपने दािे औि ख्याल में सच्चे िो. 3-कुरआन में इख्तेलाफ़ नहीं: ِ ان ِمن ِعن ِد َّغ َّی الل ّٰ ِہ َّ َّ اَّفَّ َّل یَّت َّ َّدب َُّرو َّن ال ُقرا ٰ َّن ؕ َّو لَّوََّّ ک ل َّ َّو َّج ُدوا فِی ِہ اختِ َّلفًا کَّثِیًا (सिू ए तनसा आयत 82) क्या यि लोग कुिआन में गौि ि कफ़क्र निीूं किते िैं, कक अगि िि गैिे खुदा की तिफ से िोता तो, इसमें बड़ा इख्तेलाफ़ िोता. 4-कुरआन में तहरीफ़ नहीं: ِ اِن َّا ََّن ُن نَّزَّلنَّا َّالذک ََّّرَّ ََّّوَّ اِن َّاَّ ل َّ َّہَّٗ َّۡل ٰ ِف ُظو َّن (सूिए िुजि आयत 9) PACHAS MAU… - 580 HAJINAJI.com िम नें िी इस कुिआन को नाजज़ल ककया िै औि िम िी इसकी हिफाज़त किने िाले िैं. 5-नसीहत, लशफा, दहदायत, रहमत: ِ َّ َّ ٓاءت ُکمََّّ َّمو ِع َّٓاء ٌ ظ ٌََّۃ م َّن َّربِ ُکمَّ ََّّو ِش َّف ََّّ اس قَّد َّج ُ َّیاا َّیُہَّا الن ََّّ م ٌََّۃَّ َّلِل ُمؤ ِم ِن ی ََّّ الص ُدو ِر ََّۙ ََّّو ُہ ًدیَّ َّو َّرح ُ ِلَّاَّ ِ َِّف (सिू ए यन ू स ु आयत 57) अय लोगो! तुम्िािे पास पिििहदगाि की तिफ से नसीित औि हदलों की सशफा का सामान औि हिदायत औि सािे बाने ईमान केसलये ििमत ‘’कुिआूंन’’ आचक ु ा िै. PACHAS MAU… - 581 HAJINAJI.com ििायात: 1-कुरआन को दे खना इबादत: ِ اَّلنَّ َّظ ُر ِِف ا ْل ْص َّح:قال اۡلما مَّ الصادق علیه السلم َّف ُ ََِّّعبٰادَّة (िासए अल शीआ जजल्द 4 पेज 854) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: कुिान मजीद को दे खना इबादत िै. 2-घरों को मुनव्वर करो: َّ ن َّ ِو ُر ْو ا:قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّٓان َِّ ُبی ُ ْوتَّ ُك ْم بِتِ َّل َّو ِة ال ْ ُق ُر (काफी जजल्द 2 पेज 21) िज़ित मोिम्मद मुस्तफा (स.अ.ि.) नें फिमाया: अपनें घिों को ततलािते कुिआन से िौशन औि नूिानी किो. PACHAS MAU… - 582 HAJINAJI.com 3-कुरआन अच्छाई का हुक्म दे ता और बुराई से रोकता है: َّ َّٓان زَّا ِج ُر َّو َّ أ َّن ال ْ ُق ْر: قال اۡلما مَّ الصادق علیه السلم ٓا ِم ُر یَّا ْ َّم ُر بِا ا ْْلَّنَّ ِة َّو ی َّ ْز ُج ُر عَّنِ النَّا َِّر (ककताब अल शाफी जजल्द 5 पेज 300) इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया: बेशक कुिआन बुिे कामों से मना किता िै औि अच्छे कामों का िुक्म दे ता िै औि िि जन्नत का िुक्म दे ता िै औि दोज़ख से िोकता िै. 4-ग़नी: ٓان فَّ ُهَّ َّو َّ َّم ْن قَّ َّرءَّ ال ْ ُق ْر:قال اۡلما مَّ الصادق علیه السلم َّغ ِّن َّو َّۡل فَّق َّْر بَّعْ َّد َُّه ً (ककताब अल शाफी जजल्द 5 पेज 308) PACHAS MAU… - 583 HAJINAJI.com इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जजसने कुिआन पढ़ा िि ग़नी िै उस्के बाद कोई फ़कीि निीूं. 5-नतलावते कुरआंन अज़ाबे इलाही में तख्फीफ़ का सबब: َّ قِ َّراءَّ ُة ال ْ ُق ْرٓانِ ِِف: قال اۡلما مَّ الصادق علیه السلم ِ ِ ا ْل ْص َّح َّان َّ َّ ف َُتَّ ِف ُف الْعَّذا ََّّب عَّنِ ال َّْوال َّدیْنِ َّو ل َّ ْو ک ُ َّکَّافِرِی ْ ََّّن (ककताब अल शाफी तजुसमा िसूले काफी जजल्द 5 पेज 321) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: कुिआन को दे खकि पढ़ना िालदै न के अज़ाब मे तख्फीफ़ किता िै, अगिचे िि काकफि िों. PACHAS MAU… - 584 HAJINAJI.com तशिीि: यि िब्बुल आलमीन की तिफ से अजमते कुिआन का एअलान िै , कक इसे िमनें िी नाजज़ल ककया िै , औि इसमें ककसी बूंदे का एक िफ़स या एक आयत के बिाबि हिस्सा निीूं िै , औि कफि िम िी इसकी हिफाज़त किने िाले िै , कक इस में बाततल की आमेजजश (समलािट) या इसकी तबािी औि बिबादी का कोई इमकान निीूं िै. यि खुलािुिा एलान िै कक कुिआन में ककसी तिि की तििीफ़ मुमककन निीूं िै , न इसमें कोई आयत कम िोसकती िै औि न ज़्यादा, िाज़ेि ििे कक तििीफे कुिआन की अक्सि ििायतें अिमद बबन मोिम्मद सैय्यािी से नक्ल िुई िैं, औि यि शख्स फाससदल ु मज़िब था, उस्का ऐअतबाि निीूं िै. िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) के जमा किदा कुिआन में नाससख ि मूंसूख, शानें नोजूल PACHAS MAU… - 585 HAJINAJI.com औि तशिीि ि तफसीि का इजाफ़ा था, आयात का कोई ऐजाफ़ा निीूं था, औि न उस्का तििीफ़ से कोई तअल्लक ु िै. कुिआन अपनें पिििहदगाि से गुफ्तगू किने का एक ज़रिया िै. यि कुिआन ििमत, हिदायत, नसीित, शफा, नूि, बनकि िमािे पास आया िै. इसमें खश्ु क ि ति का जज़क्र मौजूद िै. जजसतिि िम दस ू िी ककताबों को गौि से पढते िैं, िमें चाहिये कक कुिआन मजीद को भी उसी तिि गौि ि कफ़क्र के साथ पढ़ें ताकक िमें हिदायत समल सके. यिी कुिआन िमें अच्छाई की तिफ लेकि जाएगा औि बुिाई से िोकेगा, औि बीमारियों की दिा इस में मौजूद िै. तन्िाई का बेितिीन साथी यािि ि मददगाि, पिीशातनयों से नजात का ज़िीया, रिज्क में िुसअत (ज्यादती) का िसीला, खुदा तक पिुूँचने का बेितिीन िास्ता PACHAS MAU… - 586 HAJINAJI.com िै. िमें चाहिये कक िम खुद भी कुिआन पढ़ें औि दस ू िों को भी उस्की तालीम दें . खद किते िैं बिक्के िुसैन इब्ने ु ा से दआ ु अली (अ.स.) कुिआन से मुतमजस्सक ििने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 587 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-कुरआन का दावा: َُّقل لَّئِنِ اجت َّ َّمعَّ ِت اۡلِن ُس َّو اْل ِ ُن عَّ ٰٰۤل ا َّن یَّا َُّتوا ِ ِِبث ِل ہ ٰ َّذا ان بَّع ُضہم لِبَّعضََّّ َّظ ِہیًا ال َُّقراٰنِ َّۡل یَّا ُتو َّن ِ ِِبثلِ ٖہ و لو ک ُ َّ َّ َّ َّ (सूिए बनी इस्राईल आयत 88) अय िसल ू (स.अ.ि.) किदो कक अगि (सािी दन्ु या के) इूंसान औि जजन इस बात पि इकट्ठे िों कक इस कुिआन का समसल ले आएूं तो (गैि मुमककन) िै इस के बिाबि निीूं ला सकते अगि (इस कोसशश में) यि एक दस ू िे की मदद किें जब मुजन्किों की तिफ से कोई जिाब निीूं समला तो कुिआन की तिफ से दस ू िा एलान िुिा: َّىہ ؕ ُقل فَّا ُتوا بِعَّش ِر ُس َّور ِمثلِ ٖہ ُمف َّۡتَّیٰت ُ ٰ ا َّم ی َّ ُقولُو َّن اف َّۡت ََّّ َِّو اد ُعوا َّمنِ است َّ َّ َّطعتُم ِمن ُدونِ ال َّل ّٰ َِّہَّ اِن ُکنتُم ٰص ِدق ی PACHAS MAU… - 588 HAJINAJI.com (सूिए िूड आयत13) क्या यि लोग किते िैं कक उस सख्स नें इस कुिआन को अपनी तिफ से गढ़ सलया िै. तो तुम उनसे साफ़ साफ़ कि दो कक अगि तुम अपनें दािे में सच्चे िो. तो ज़्यादा निीूं, ऐसी िी दस सूितें अपनी तिफ से गढ़ के ले आिो, औि खद ु ा के ससिा जजस जजस को तुम चािो मदद के सलये बुला लो. मुजन्किों नें बुगलें बजाईं लो अब तो बाि िल्का िोगया अपनें फ़साित ि बलागत के सिताजों से किा ककस कफ़क्र में िो, अब तो काफी िज़न काम िो गया िै. उठो औि अिब के कमाल की लाज िखलो िादे िुिे औि बड़े बड़े िादे िुिे. लेककन सब को साूंप सूूंघ गया बात जिाूं थी ििीूं ििी. कुिआन ने कफि एलान ककया: PACHAS MAU… - 589 HAJINAJI.com ََّّو اِن ُکنتُم ِِف َّریب َِمَّا نَّزَّلنَّا عَّ ٰٰل عَّب ِدنَّا فَّا ُتوا بِ ُسو ََّّر ََّۃ ِمن َِّمثلِ َّٖہ ۪ ََّّو اد ُعوا ُشہَّ َّدٓاءَّ ُکمَّ ِم َّن ُدو َِّن الل ّٰ َِّہَّ اِن ُکنتُم ِِ َّی َّ ٰصدق (सूिए बकिा आयत 23) औि अगि तम् ु िें इस कलाम के बािे में कोई शक िै जजसे िमनें अपनें बूंदे पि नाजज़ल ककया िै. तो इसका जैसा एक िी सूिि ले आि औि अल्लाि के अलािि जजतनें तुम्िािे मदद गाि िैं सब को बल ु ा लो अगि तम ु अपनें दािे औि ख़याल में सच्चे िो. इस ऐलान के बाद मुजन्किों की लाटिी खुल गइ उछ्ल्नें कूदनें लगे लो अब क्या मुजश्कल िै. यि मसअला तो चट ु की बजाते िी िल िो जाऐगा, िमािे फुसिा ऐसे गये गुज़िे तो निीूं िैं, कक एक सूिे की समस्ल भी न बना सकें. मौसमे िज आया तो उस ज़माने के चाि नामों फसीिुल बयान. 1-इब्ने अबी अल PACHAS MAU… - 590 HAJINAJI.com औजा 2-अबू शाककि दै सानी 3-इब्ने मक़ना 4-अब्दल मसलक समसिी. जजनकी कादे रुल ु कलामी के सािे मल् ु क में डूंके बज ििे थे. िि भी आऐ सािी कौम नें उन्का इिाता ककया औि उन्की गैितों को जोश हदलाना शुरू ककया. िि तिफ से लान तान की बोछाि िोनें लगी. तम ु अब तक ककस ख्िाब में िो. मोिम्मद (स.अ.ि.) की तिफ से आसातनयों पि आसातनया दी जा ििी िैं, औि तुम्िािे काूंन पि जूूं भी निीूं िे गती. अगि बेहिसी का यिी आलम ििा, तो कफि िमािी नाक कट जाऐगी अक्काज़ के मेलों पि तो बड़ी बड़ी डीूंगें मािते िो. सीना तान के आते िो, कक िै कोई माई का लाल जो िमािे मक ु ाबबल आये औि यिाूँ तम् ु िािी गैित ि िमीयत पि ऐसे पत्थि पड़े िैं कक साूंस तक निीूं लेते!? PACHAS MAU… - 591 HAJINAJI.com चािों ने िादा ककया कक अगले साल जब िम आएूंगें तो इस दिाऐ कुिआनी की तिदीद लेकि आएूंगें. साल भि चािों अपनी हदमागी सलाहियतों का तेल टपकाते ििे औि फ़साित ि बलागत की िग से पसीना तनचोड़ते ििे . लेककन एक आयत का जिाब भी न बन पड़ा. अगले साल जब उदास चेििे सलये कफि िज किनें आये तो चािों नें बयक ज़ुबान किा िमािा फैसला यि िै: َّما هذ کلم البشر यि (कुिआन) बशि का कलाम निीूं िै. 1-इब्ने मक़ना नें किा: जब मैं इस आयत पि पिुूँचा: PACHAS MAU… - 592 HAJINAJI.com ِ ِ ٓاء اَّقلِ ِِع َّو ِغی َّض ُ َّو قی َّل یٰۤا َّر ُض ابل َِِّع َّمٓاءَّک َّو ی ٰ َّس َّم َّ ِ ال ق َّیَّ َّو قِی َّل ُبع ًدا َِّ ِض اۡلَّم ُر َّو است َّ َّوت عَّٰلَّ اْلُو ِد ُ َّ َّ ُ ٓاء َّو َّی ََّّ الظلِ ِم ّٰ َّلِلقَّو َِّم (सूिए िूद आयत 44) औि जब खद ु ा की तिफ से िुक्म हदया गया कक, अय ज़मीन अपना पानी जज्ब किले, औि अय आसमान, (बिसने से थम जा औि पानी घट गया, औि (लोगों का) काम तमाम किहदया गया औि कश्ती जद ू ी पिाड़ पि जा ठििी औि िि (चाि) तिफ पुकाि हदया गया कक ज़ासलम लोगों को (खुदा की ििमत से) दिू ी िै. तो समझ गया फसािते कुिआन से मुकाबबला मेिे बस की बात निीूं. 2-अबुल औजा खड़ा िुिा औि किा: मैं उस िक्त समझा कक मुकाबबला मेिी ताकत से बािि िै जब मैं इस आयत पि पिुूँचा. PACHAS MAU… - 593 HAJINAJI.com فَّل َّ َّما است َّ َّیـ ُسوا ِمن ُہ َّخل َّ ُصوا ََّنِیًا (सूिए िूद आयत 44) कफि जब यूसुफ़ (अ.स.) की तिफ से मायूस िुिे तो बािम मशिेिा किनें केसलये अलग खड़े िो गये. 3-अब्दल ु मसलक समस्री मुिूं बनाए िुिे खड़ा िुिा औि किता िै: साल भि मैं इस आयत पि गौि ि कफ़क्र किता ििा َّاِ َّن ال َّ ِذی َّن تَّد ُعو َّن ِمن ُدونِ الل ّٰ ِہ ل َّن ََّيل ُ ُقوا ُذبَّابًا َّو ل َّ ِو ٗاجت َّ َّم ُعواَّ ل َّ َّہ (सूिए िज आयत 73) जजन लोगों को तुम पुकािते िो िि लोग अगिचे सब के सब इस काम केसलये इकठ्ठे भी िो जाएूँ तो भी एक मख्खी तक पैदा निीूं कि सकते. PACHAS MAU… - 594 HAJINAJI.com आखखि खुद को कुिआन की फ़साित ि बलाग़त के सामने आजजज़ पाकि थक िाि कि बैठ गया. 4-अबु शाककिे दै सानी नें अपने अज्ज़ ि नातिानी को इसतिि बयान ककया: साल भि जो आयत मेिे जेिे गौि थी िि यि िै. ان فِی ِہ َّماَّۤ اٰل ِ َّہَّ ٌََّۃَّ اِ َّ َّۡل الل ّٰ َُّہَّ ل َّ َّف َّس َّدتَّ َّا َّ َّ لَّوََّّ َّک (सिू ए अूंबबया आयत 22) अगि ज़मीन ि आसमान में खुदा के ससिा चूंद माबूद िोते तो दोनों कब के बबासद िो गये िोते. आखखि में तमाम अपनी अपनी आजजज़ी ि नातिानी का ऐलान किके मिकफ़ल से बािि चले गये (कुिआनी लतीफे पेज 184 से लेकि 188 तक). PACHAS MAU… - 595 HAJINAJI.com 2-आयत पढता गया खुझूर लमलती गई: बगदाद के ककसी शिि में एक शख्स जो साहिबे िैसीयत, खझ ु िू खानें में मशगल ू था कक उसी दौिान एक खुश समज़ाज चुटकुले बाज़ शख्स िारिद िुिा औि खुझूि की तिफ इशािा किके किनें लगा अय अमीि, यि क्या िै ? अमीि नें एक खुझूि उस्की तिफ फ़ेंक दी. उस शख्स नें बिुत िी ज़िाफत औि लताफ़त के साथ गुफ्तगू किना शुरू की औि मौके की मन ु ासेबत से आयत पढता ििा औि अमीि उसे खुझूि दे ता ििा. जब एक खुझूि लेली तो उस शख्स नें किा: ِ َّ مَّ اثن َّی َُّ اِذََّّ ا َّر َّسلن َّ َّا َّۤ اِلَّی ِہ (सूिए यासीन आयत 14) जब िमनें उन्के पास दो िसल ू ों को भेजा. अमीि नें एक औि खोझूि उसकी तिफ फ़ेंक दी, जब दो िो गई तो उस शख्स नें किा: PACHAS MAU… - 596 HAJINAJI.com ث َّ ِ فَّعَّزَّزنَّا بِثَّال (सूिए यासीन आयत 14) तब िमनें उनकी मदद के सलये तीसिा िसूल भी भेजा. अमीि नें एक औि खझ ु िू उसकी तिफ बढ़ा दी. जब तीन िोगये तो उसनें किा: ِ الط َّ فَّ ُخذ ا َّربَّ َّعَّ ًََّۃ ِم َّن َّی चाि परिूंदे लेलो. (सिू ए बकिा आयत 260) अमीि नें कफि एक खुझूि उस्को अता की. जब चाि िोगये तो पाूंचिीूं केसलये किा: َّس ٌََّۃ َّسا ِد ُسہمَّ کَّلبُہم َّ َّ َّو ی َّ ُقولُو َّن ََّخ ُ ُ (सिू ए किफ़ आयत 22) औि लोग किते िैं कक पाूंच आदमी थे छठा उन्का कुत्ता िै. अमीि नें दोबािा उसकी तिफ एक खुझूि फ़ेंक दी. PACHAS MAU… - 597 HAJINAJI.com जब पाूंच िोगये तो चुटकुले बाज़ नें किा: َِّ ت َََّّۃ َّ َّ لس ٰموٰ ِت َّو اۡلَّر َّض َّو َّما بَّینَّہ َّما ِِف ِس َّ َّو لَّقَّد َّخلَّقنَّا ا ُ ََّّا َّیَّام (सूिए क़ आयत 38) औि िमनें आसमान ि ज़मीन औि उन्के दिसमयान की मख्लूकात को छे हदन में पैदा ककया िै. अमीि नें एक औि खुझिू उस्की तिफ बढ़ा दी. जब छे िोगये तो दोबािि उस शख्स नें किा: ت َّ ٰاَّلل ّٰ َُّہَّ ال َّ ِذی َّخل َّ َّق َّسب ََّّعَّ ََّسٰو (सूिए तलाक़ आयत 12) अल्लाि ििी िै जजसनें सातों आसमानों को खल्क ककया. अमीि नें कफि एक खुझूि उस्की तिफ बढ़ा दी. उसनें कफि किा: PACHAS MAU… - 598 HAJINAJI.com َّؕ َّن ََّۃَّ ا َّز َّواج ََّّ ِ ٰ َّاَّن َّز ََّّلَّ ل َّ ُکم ِم َّن اۡلَّنعَّا ِم ث (सूिए ज़ुमुि आयत 6) औि तुम्िािे सलय आठ ककस्म के चौपाऐ नाजज़ल ककये िैं. अमीि नें दोबािा एक औि खुझूि उस्को इनायत की. उस शख्स नें किा: ض َّ ِ ان ِ َِّف ال َّ ِدی ََّّن َََّّۃ ِ تِس ََّّع ََُّۃَّ َّرہطَّ ی ُ َّف ِس ُدو ََّّن ِ َِّف اۡلَّر َّ َّ َّو ک (सिू ए नम्ल आयत 48) औि उस शिि में नौ अफिाद थे जो ज़मीन में फसाद बिपा किते थे. अमीि नें कफि एक खुझूि उसे दी. जब नौ खुझूि िो गईं तो उस शख्स नें किा: َّ ل ٌََّۃ َّ َّ ک عَّ َّش ََّّر ٌََّۃ کَّا ِم َّ تِل (सूिए बकिा आयत 196) इसतिि दस पूिे िोजाएूं. अमीि नें एक औि खुझूि उस्की तिफ बढा दी. PACHAS MAU… - 599 HAJINAJI.com कफि उस शख्स नें किा: اِ ِ ََّنَّ َّرا َّی ُت ا ََّّح َّدعَّ َّش َّر کَّوکَّبًا (सूिए यूसुफ़ आयत 4) मैंने ख्िाब में ग्यािि ससतािों को दे खा िै. अमीि ककया. नें एक खुझूि औि उस्को अता दोबािा िि शख्स बोला: َّاِ َّن عِ َّد ََّۃ الش ُُہو َِّر ِعن ََّّد الل ّٰ َِّہ اثنَّاَّعَّ َّش ََّّر َّشہ ًرا (सूिए तव्बा आयत 36) बेशक अल्ला के नजदीक ककताबे खुदा में मिीनों की तादाद बािि िै. अमीि नें एक औि खुझिू उसकी तिफ बढ़ा दी. जब बािि िुिे तो उस शख्स नें किा: ِ اِن یَّ ُکن ِمن ُکم ِعش ُرو َّن ص َّبو ََّّن ُ ٰ (सूिए अनफाल आयत 65) अगि इन में बीस भी सब्र किने िाले िोंगें . PACHAS MAU… - 600 HAJINAJI.com अमीि नें आयत के मुताबबक आठ खुझूि दे दी. ताकक सब को समलाकि बीस िोजाएूँ. जब बीस िोगये तो किा: ِ َّ یَّغلِبُوا ِمائَّت َّی (सूिए अनफाल आयत 65) तो िि दोसौ बिस भी गासलब आजाएूं गें . इसबाि अमीि नें िुक्म हदया कक खुझूि की पिू ी सेनी उसे दी दी जाऐ ििना अब यि कि दे गा. َّائ َََّّۃ ِ اَّلفَّ ا َّوَّ ی َّ ِزی ُدو َّن ََّّ َّو ا َّر َّسلن ٰ َُّہَّ اِ ٰل ِم (सूिए साफ्फात आयत 147) औि उन्िें एकलाख या उससे ज़्यादा की कौम की तिफ नुमाइन्दा बना कि भेजा. (कुिआनी लतीफे पेज 119 से लेकि 123 तक) PACHAS MAU… - 601 HAJINAJI.com 44) क़नाअत आयात: 1-दन्ु या फ़रे ब ददहन्दा (धोका दें ने वाली): َّاسَّ اِ ََّّنَّ َّوع َّد الل ّٰ ِہ َّح ٌق فَّ َّل تَّغُ َّرن َّ ُک ُم اۡلَّیٰو ََُّۃ َّ ُ َّیۤا َّایُہَّا الن َّالدنیَّا ؔ ََّّو َّ َّۡل یَّغُ َّرن َّ ُکمََّّ بِالل ّٰ َِّہَّ َّالغ َّ ُرو ُر ُ सूिए फातति आयत 5 अय लोगो! अल्लाि का िादा सच्चा िै सलिाजा जजन्दे गातनये दन्ु या तुम्िे धोके में न डाल दे औि धोका दे ने िाला तुम्िें धोका न दे दे. 2-दन्ु या खेल तमाशा: َّب َّو لَّہ ٌو َّ ٌ ِالدنی َّ َّاَّۤ اِ َّ َّۡلَّ لَّع ُ ََّّو َّما اۡلَّیٰو ََُّۃ सूिए अनआूंम आयत 32 औि यि जजन्दे गातनये दन्ु या ससफस खेल तमाशा िै. PACHAS MAU… - 602 HAJINAJI.com 3-दन्ु या व आखेरत केललये नेकी की दआ ु करो. َّالدنیَّا َّح َّس ََّّن ًََّۃَّ َّو ِِفَّاۡل ٰ ِخ ََّّر ََّۃ ِ َّح َّس ََّّن ًََّۃَّ َّو قِنَّا ُ َّربَّن َّ َّا َّۤ اٰتِنَّا ِِف َّاب النَّا َِّر َّ َّ ع َّ َّذ (सूिए बकिा आयत 201) पिििहदगाि िमें दन्ु या में भी नेकी अता फिमा औि आखेित में भी औि िम को अज़ाबे जिन्नम से मिफूज़ फिमा. 4-दन्ु या का सरमाया कलील है: َّق ۟ ََّّو َّۡل َّ ٰ َّیٌَّ ِل َّ ِ َّنَّ ات َّ الدنیَّا قَّلِی ٌل ۚ َّو اۡل ٰ ِخ ََّّر ََُّۃ َّخ ُ ُقل َّمتَّا ُع َُّتظل َّ ُمو ََّّنَّ فَّتِی ًل (सिू ए बकिा आयत 77 ) दन्ु या का सिमाया बिुत थोड़ा िै , औि आखेित साहिबाने तकिा केसलये बेितिीन जगि िै , औि तुम पि ज़िा भी ज़ुल्म निीूं ककया जाएगा. PACHAS MAU… - 603 HAJINAJI.com 5-आखेरत की फफ़क्र: ََّّار اۡل ٰ ِخ ََّّر ََّۃَّ ََّّو َّ َّۡل تَّن َّس َّ ٰ َّو ابت َّ َِّغَّ فِی َّم َّاَّۤ اٰت َّ ىک الل ّٰ َُّہَّ الد َّک َّو ََّّ الدنیَّا ََّّو اَّح ِس َّن کَّ َّم َّاَّۤ اَّح َّس ََّّن الل ّٰ َُّہَّ اِلَّی ََّّ َّ ن َّ ِصیب ُ ک ِم ََّّن ب الُف ِس ِدی ََّّن َّ ُ ِ َّ َّۡل تَّب َِّغ ال َّف َّس َّادَّ ِ َِّف اۡلَّر ِضَّؕ اِ ََّّن الل ّٰ َّہََّّ َّ َّۡل ُُی (सूिए ककसस आयत 77) औि जो कुछ खुदा नें हदया िै. उससे आखेित के घि का इन्तेज़ाम किो, औि दन्ु या में अपना हिस्सा भूल न जाि औि नेकी किो, जजस तिि कक खुदा नें तुम्िािे साथ नेक बिताि ककया िै , औि ज़मीन में फसाद की कोसशश न किो. कक अल्लाि फसाद किने िालों को दोस्त निीूं िखता िै. PACHAS MAU… - 604 HAJINAJI.com ििायात: 1-सबसे ज़्यादह गनी: ِ م قن ق َّاهلل فَّ ُه َّو ِم ْن ُ َّ ْن َّ َّ َّع ِبٰا َّرزَّقَّ ُه: قال البا ر علیه السلم َّاس َّ ِ ّٰأ َّ ْغ َّّن الن (काफी जजल्द 2 पेज 139) इमाम बाककि (अ.स.) नें फिमाया: जजसनें अपनें रिज्क पि क़नाअत की िि सब से ज़्यादा ग़नी िै. 2-सादहबे इज़्ज़त: َّ إَّقْن َّ ْع تَّعِز:قال أمیالؤمنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 400) मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: क़नाअत किो इज़्ज़त पािोगे. 3-क़नाअत पसंदी: PACHAS MAU… - 605 HAJINAJI.com ِ َّم ْن َّر ِضي ِم َّن ا: قال الصادق علیه السلم ِ ْ هلل بِا الْی َّ ِس َّی َّ َّ ِ ٰ ِم َّن ا ْلَّع ِ ْ اش َّر ِضي اهلل ِمنْ ُه بِا الْی َّ ِس َّی ِم َّن الْعَّ َّم ِل ُ َّ (ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 24) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जो थोड़े से रिज्क पि अल्लाि से िाजी िुिा, तो खुदा उस्के थोड़े से अमल पि िाज़ी िो जाऐगा. 4-सवरत का ताज (दौलत का ताज): َّ اَّلْقَّنَّاعَّ ُة َّرا ُْس: قال علي بنَّ أِب طالب علیه السلم َّّن َّ ِال َّغ ٰ ْ (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 401) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: क़नाअत सिसत मूंदी का सि (असास) िै. 5-नेअमत: ً اَّلْقَّنَّا عَّ ُة نِعْ َّم َّة:قال علي بنَّ أِب طالب علیه السلم गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 402 PACHAS MAU… - 606 HAJINAJI.com िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया क़नाअत एक नेमत िै. PACHAS MAU… - 607 HAJINAJI.com तशिीि: क़नाअत यानी थोड़ी चीज़ पि खुश ििना, जो समल जाये उसपि िाजी ििना, जो कुछ खुदा नें इूंसान को अता ककया िै उसपि िाजी ििे , लोगों में गनीतिीन औि सब से मालदाि तिीन इूंसान िि िै , जो कनाअत किता िै. िुस्ने कनाअत का तअल्लुक पाकदामनी से िै. क़नाअत के ज़रिये इूंसान को इज़्ज़त समलती िै. क़नाअत ज़िमत को खत्म किती िै, औि हिसस ज़िमत को बढाती िै , कनाअत जैसा कोई खजाना निीूं. जो शख्स उसपि क़नाअत निीूं किता जो उस्के सलये मुक़द्दि िुिा िै , िि िूं ज उठाता िै. पस इूंसान की तकदीि में जो कुछ सलखा िुिा िै या जो कुछ उस्को खुदा नें अता ककया िै. उसपि क़नाअत किे . हिसस ि लालच का कोई फ़ाऐदा निीूं. कनाअत उस िक्त तक िाससल PACHAS MAU… - 608 HAJINAJI.com निीूं िोसकती जब तक इूंसान अपनें अूंदि से हिसस खत्म न किे . खद किते िैं बिक्के अिलेबैत ु ा से दआ ु अतिाि (अ.मु.स.) िमें क़नाअत किने की तौफीक अता फिमाऐ. (आमीन) PACHAS MAU… - 609 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-कनाअत पसंदी: असिाबे िसूल (स.अ.ि.) में से एक शख्स तूंगदस्ती में मब्ु तेला था. उसकी ज़ौजा नें किा: क्या अच्छा िोता कक तुम िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) के पास जाकि स्िाल किते. िि आूंिज़ित (स.अ.ि.) के पास आया, िज़ित नें उसे दे खते िी फिमाया: जजसने िमसे स्िाल ककया िम नें उस्को अता कि हदया औि जजसनें तलब में बेतनयाज़ी चािी तो खुदा नें उसे बेतनयाज़ किहदया. उसनें हदल में किा यि िज़ित नें मेिे िी सलये किा िै. पस अपनी बीिी के पास आया औि िाल बयान ककया. उसनें किा िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) बशि िैं. (उन्िें िमािे िाूंलात का इल्म निीूं) तम ु दोबािा अपना िाल जाकि बयान किो. िि शख्स कफि आया िज़ित नें उसे दे ख कि कफि ििी फिमाया. यिाूँ तक कक तीन PACHAS MAU… - 610 HAJINAJI.com बाि ऐसा िी िुिा उस्के बाद उस शख्स नें एक कुल्िाड़ी उधाि ली औि एक पिाड़ पि चढकि सख ू ी लकडडयाूं काटीूं औि बाज़ाि में लाकि एक मुठ्ठी आटे के बदले उन्को बेचा औि खाना खाया. दस ू िे िोज कफि गया, औि पिले से ज़्यादा लकडडयाूँ जमा किके लाया. चूंद हदनों तक यूंि ू ी किता ििा. आखखि उसनें कुल्िाडी खिीद ली, औि कफि पैसा जमा किके दो ऊूँट खिीदे औि एक गुलाम. यिाूँ तक कक िि माल दाि िोगया औि िसल ू ल् ु लाि (स.अ.ि.) के पास आया औि अपनें स्िाल के सलये आने औि िज़ित के सुनने का जज़क्र ककया. आप (स.अ.ि.) नें कफि ििी फिमाया: जजसनें िमसे माूँगा िमनें उस्को अता ककया औि जजसनें खद ु ा से बेतनयाज़ी औि तिके तलब को चािा खुदा नें उसे बेतनयाज़ बना हदया. (ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 25.) PACHAS MAU… - 611 HAJINAJI.com 2-कनाअत न करने का अंजाम: एक शख्स का गुजि एक तालीमी इदािे के सामने से िुिा. उसे दो लड़के नज़ि आये जो आपस में बात कि ििे थे. िि कुछ दे ि केसलये रुक कि उनकी बातें सुनने लगा. उसे मालूम िुिा की िि बच्चे खाना खानें का इिादा िखते िैं लेककन दिसमयान में एक अजीब मसला िै. एक के पास िोटी औि सालन दोनों चीजें िैं, जब कक दस ू िे के पास ससफस सूखी िोटी िै. सालन िोटी िाले बच्चे नें पिू े शौक़ के साथ खाना शरू ु किहदया. जबकक दस ू िे बच्चे की िोटी सूखी औि खाली िोनें की िजि से उस्के गले से निीूं उति ििी थी. उसनें ‘सालन िोटी िाले, बच्चे से दिख्िास्त की, कक मेििबानी किके मझ ु े भी िोटी केसलये सालन दे दो. उसनें जिाब में किा कक सालन तो दे ता िूूँ लेककन आप को मेिे सलये एक काम अूंजाम PACHAS MAU… - 612 HAJINAJI.com दे ना िोगा. आप अगि मेिा कुत्ता बनकि मेिे पीछे पीछे दौडें तो मैं आप को सालन दे दूं ग ू ा. दस ू िे बच्चे नें उस्का मुतालेबा मानसलया औि कुत्ते की तिि उसी अूंदाज़ में उस्के इदस थगदस लगा. घूमने लगा औि आजजज़ी हदखानें काफी दे ि तक िि शख्स खड़ा यि माजिा दे खता ििा कक बच्चा अपने साथी के इदस थगदस कुत्ते की तिि घूम ििा िै औि सालन की लालच में उसने यि काम कबल ू ककया िै. िि शख्स यि दे खता ििा इस मूंज़ि नें उस्के हदल पि गििा असि छोड़ा िि आगे बढ़ा औि कुत्ते की तिि घम ू ने िाले बच्चे से किा: अय बेटा तूनें अपनी सूखी िोटी पि कनाअत क्यूूं निीूं की? तू खूिाक के एक लुकमे की PACHAS MAU… - 613 HAJINAJI.com खातति अपनें आप को इसतिि ज़लील किके कुत्ता बन्ने पि आमादा िोगया िै . तूनें एक लजीज़ लक ु मे की खातति अपने सलये यि काम कबूल किसलया िै. अय बेटा अगि इूंसान कनाअत पसूंद िो तो उसे िमेशा के सलये इज़्ज़त ि िेकाि समलता िै. (मौजूई दास्तानें पेज 288.) PACHAS MAU… - 614 HAJINAJI.com 45) गुनाह आयात: 1-ल्ज़ललत व बेचारगी: ِ و ُض ِربَّت عَّلَّی ِہم َّٓاءوَّ بِغ َّ َّضب ََّّ الذ َّل ََُّۃَّ ََّّو الَّسک َّ ُ ََّّن ََُّۃ ٭ ََّّو ب ُ َّت الل ّٰ َِّہ ََّّو یَّقتُلُو َّن َّ ِ ٰ ک بِا َّن َّہمَّ کَّانُوا یَّک ُف ُرو ََّّن بِا ٰی ََّّ ِ ِم ََّّن الل ّٰ ِہَّؕ ذٰل ُ ِ ِ َّ ی بِغ ک ِِبَّا عَّ َّصوا َّو کَّانُوا یَّعت َّ ُدو ََّّن َّ ی اۡل َّ ِق ؕ ذٰل َّ ٖ ِالنَّب (सूिए बकिा आयत 61) अब उनपि जज़ल्लत औि मुिताजी की माि पड गई औि िि गज़बे इलािी में थगिफ्ताि िोगये यि सब इससलए िुिा कक यि लोग आयाते इलािी का इनकाि किते थे औि नािक अूंबबया को कत्ल किहदया किते थे इस सलये कक यि सब नाफिमान थे औि ज़ुल्म ककया किते थे. PACHAS MAU… - 615 HAJINAJI.com 2-गगरफ्तारी और मुसीबत: َّت ا َّی ِدی ُکم َّ َّ ب َََّّۃ فَّبِ َّما کَّ َّسب َّ َّ َّو َّم َّاَّۤ ا ََّّصابَّ ُکم ِمن ُم ِصی (सूिए शूिा आयत 30) औि तम ु तक जो मस ु ीबत भी पिुूँचती िै िि तुम्िािे िाथों की कमाई िै. 3-हलाकत: َّفَّا َّہلَّکنٰہم بِ ُذنُوبِ ِہم ُ (सूिए अनआम आयत 6) कफि िमनें उन्के गुनािों की बबना पि उन्िें िलाक किहदया. 4-आखेरत में अज़ाबे इलाही: ِ ِ َّ ار َّجہَّنَّ َّم ٰخلِ ِدی ََّّن َّ َّ َّو َّمن یَّعص الل ّٰ َّہَّ َّ ََّّوَّ َّر ُسول َّ َّہَّٗ فَّا ََّّن َّل َّ َّہَّٗ ن َّفِیہَّ َّا َّۤ َّا َّبَّ ًدا (सूिए जजन आयत 23) PACHAS MAU… - 616 HAJINAJI.com औि जो अल्लाि ि िसूल की नाफिमानी किे गा उस्के सलये जिन्नम िै औि िि िमेशा उस में ििने िाला िै. 5-गुनाह से परहे ज़ करने का अज्र: َّاِن ََّتت َّنِبُوا کَّبَّٓا ِئ َّر َّما ُتنہَّو َّن عَّن ُہ ن ُ َّک ِفر عَّن ُکم َّسیِاٰتِ ُکم َّو نُد ِخل ُکمََّّ ُمد َّخ ًل کَّ ِرْي ً َّا (सूिए तनसा आयत 31) अगि तुम बड़े बड़े गुनािों से जजन से तुम्िें िोका गया िै पििे ज़ किलोगे तो िम दस ू िे गन ु ािों की पदास पोशी किदें गे औि तम् ु िें बाइज़्ज़त मूंजजल तक पिुूँचा दें गे. PACHAS MAU… - 617 HAJINAJI.com ििायात: 1-ररज्क में कमी का सबब: َّ ِ إ َِّن الْعَّب ْ َّد لِی ْذن: قال الباقر علیه السلم َّب َّ ْ ب الذن َّ ُ َّفَّی َّ ْز ِو ْي عَّنْ ُه ال ِرزْ ُ َّق (ककताब शाफी जजल्द 4 पेज 218) इमाम मोिम्मद बाककि (अ.स.) नें फिमाया: जब कोई बूंदा गुनाि किता िै तो उस्का रिज्क कम िोजाता िै. 2-स्याह नुक्ता: َّ َّب ال َّر ُج ُل َّخ َّر َّج ِِف َّ َّ إُذا َّأذْن: قال الصادق علیه السلم ِ َّقَّلْبِ ِه ن ُ ْكت َّ ُة سودا َّء فَّاِ ن ت َّّٰت َّ ْ ً ْ َّ ّٰ اب ا ّْن َّ َّح ْت َّو إ ِْن زَّادَّ زَّادَّ ْت َّح ِ ب عَّل ٰي قَّلْبِ ِه فَّ َّل ی َّ ْفلِ َُّحَّ بَّعْ َّد ها َّأَّبَّ َّدا َّ تَّغْل (ककताबे शाफी जजल्द 4 पेज 219) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जब बूंदा गुनाि किता िै. तो उस्के हदल में एक काला PACHAS MAU… - 618 HAJINAJI.com नुक्ता पैदा िो जाता िै. अगि उसने तौबा किली तो िि समट जाता िै. अगि ज्यादती िुई तो िि बढ़ जाता िै. यिाूँ तक कक सािे हदल पि फैल जाता िै. उस्के बाद िि कभी भी फलाि (कसमयाबी) निीूं पा सकता. 3-नमाज़े शब से महरूलमयत: َّ ِ ل ب َّ ْ إ َِّن ا َّر ُج َّل ی َّ ْذن ُب الذن: قال الصادق علیه السلم َّ ِ ْ فَّی َّ ْح َّر ُم َّص َّلةَّ اللَّی ل (ककताबे शाफी जजल्द 4 पेज 221) इमामे साहदक (अ.स.) नें फिमाया: बेशक जब इूंसान गुनाि अूंजाम दे ता िै तो िि नमाज़े शब से मिरूम िोजाता िै. 4-गगरफ्तारी में मुब्तला होने का सबब: ِم ق َّ ّٰیب الْعَّب ْ َّد إِۡل ُ َّما ْن ن َّ ْكبَّة ُت ْص: قال البا ر علیه السلم ََّّبِ َّذنْب PACHAS MAU… - 619 HAJINAJI.com (ककताबे शाफी जजल्द 4 पेज 217) इमाम बाककि (अ.स.) नें फिमाया: बूंदा पि जो मस ु ीबत आती िै िि उस्के गन ु ाि के बाइस (िजि से) आती िै. 5-दआ कबूल न होने की वजह: ु َّ ا َّ ْلَّعْ ِصی َّ ُة َّتْن َّ ُع: قال أمیالؤمنی علیه السلم َّْاْل َِّجابَّ َِّة (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 558) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: गुनाि ि नाफिमानी दआ की क़बूसलयत में रुकािट ु बनती िै. PACHAS MAU… - 620 HAJINAJI.com तशिीि: माद्दी थगज़ाओूं की कफ़क्र, इूंसानी जज़ूंदगी का सब से बड़ा अलसमया (ददस) िै , जो शख्स खद ु ाई अततया (अल्लाि की अता कक िुई चीज़)) पि इक्तफा निीूं किता, औि ििस में पड जाता िै , औि िूं ग बबिूं ग की गीज़ाओूं पि जाूंन दे ता िै , औि कफि उन गीज़ाओूं का शक ु रिया अदा निीूं किता, उस्के हिस्से में जजल्लत औि मुिताजी के ससिा कुछ औि निी िै. उन िी माद्दी गीज़ाओूं औि ििा ििस नें इूंसान को इस चीज़ पि उभािा िै कक िि अपनें खासलक ि मासलक की नाफिमानी किे नतीजे में इूंसान खुदा से किीब िोनें के बजाऐ दिू िोता चला गया, औि अपनें िब्बे िकीकी को भूल गया, औि उसकी माससयत की. गन ु ाि को आसान समझना इस बात की दलील िै कक, शिित ि गफलत नें उसपि गलबा पैदा किसलया िै. PACHAS MAU… - 621 HAJINAJI.com बिििाल कोई अक़ल्मूंद चूंद लम्िों की लज़्ज़त के बदले बहिश्त औि उसकी नेमतों को निीूं छोड़ सकता. गुनाि से खद ु भी बचें औि दस ू िों को भी बचाएूं क्यूूंकक िि गुनाि के सलये एक ऐकाब ि अज़ाब िै. गुनािों पि खुश िोना गुनािों के इतेकाब (किने) से बदति िै , क्यूंकू क ज़्यादा ति गन ु ाि शिित के ग़ासलब िोजाने की िजि से िोते िैं लेककन उन्िें मामूली समझना औि उनपि खुश िोना, दीन को िल्का समझने का बाइस (सबब) िै. माससयतकाि का ठीकाना जिन्न्म िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिमद (अ.मु.स.) िमें अपने अिकाम की नाफिमानी, माससयत ि गुनािों से बचने की तौफीक अता फिमाऐ (आमीन) PACHAS MAU… - 622 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-छोटे गुनाह: िज़ित िसूले अकिम (स.अ.ि.) एक सफि के मौके पि एक बीआब ि थगयाि मुक़ाम पि कुछ दे ि केसलये ठििे . आप नें अपने िमिाि सिाबा को िुक्म हदया कक इस िादी से जाकि लकडीयाूं इकठी किके लेआिो ताकक आग जलाएूं. असिाब नें अजस ककया: या िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) इस जगि पि तो सििा िै , पानी िै न सब्जा, न दिख़्त, यिाूँ ईंधन की लकडडया तो (स.अ.ि.) नें निीूं समल सकतीूं, आप फिमाया: आप जाएूँ जजसे जजतनी समकदाि में समले ले आये, आप (स.अ.ि.) के असिाब सििा (जूंगल) की जातनब ििाना िुिे िि ककसी नें जजतना िो सका छोटी बड़ी लकड़ी जो समली लाकि आप PACHAS MAU… - 623 HAJINAJI.com (अ.स.ि.) के सामने जमा कि दीूं. काफी समकदाि में लकडडयाूँ जमा िो गईं. आप (स.अ.ि.) नें असिाब को मख ु ातब किके फिमाया: दे खो छोटे गुनाि भी इस ककस्म की छोटी छोटी लकडडयों की मातनन्द िै. तनगािें अव्िल में नज़ि निीूं आते लेककन जब गौि से दे खा जाऐ औि शम ु ाि ककया जाऐ तो बिुत सािे बन जाते िैं, औि उन्का अूंबाि लग जाता िै. कफि फिमाया: दोस्तो दे खो! छोटे गुनाि से भी पििे ज़ ककया किो. क्यूंकू क छोटे गन ु ाि ज़्यादा मिसस ू निीूं िोते लेककन याद िख्खो िि चीज़ को कोई न कोई तलाश किने िाला िोता िै. आप पि भी इसी इूंतेज़ाम के तित आप पि नज़ि िखने िाले फ़रिश्ते मक़ ु िसि िैं. जो आप की जज़ूंदगी औि मौत के बाद आप के सािे आसाि ि आमाल सलखते िै. एक हदन आप को जब तििीि शुदा हिसाब ि ककताब नज़ि PACHAS MAU… - 624 HAJINAJI.com आऐगा तो दे खोगे कक इन्िीूं छोटे गुनािों का अूंबाि लगा नज़ि आऐगा. (मौजूइ दास्तानें पेज 312,गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 693, इबित अूंगेज िाकेआत पेज 194) 2-गुनाह गार की नसीहत: एक शक्स िज़ित ईसा (अ.स.) की खखदमत में िाजज़ि िुिा. अजस ककया मैंनें जज़ना का इतेकाब ककया िै. मुझे शिई सज़ा दे कि पाकीज़ा बनाएूँ. िज़ित ईसा (अ.स.) नें मनादी किाई कक गुनािगाि की ततिीि केसलये जमा िो जाएूँ. सब लोग जमा िोगये तो आप नें गढा खोदने का िुक्म हदया. जब गढा तैयाि िोगया औि लोग जमा िोगये तो आपनें उसे गढे में उतािा. िि शख्स उति गया औि िुजूम की तिफ दे खा औि किा: अय लोगो! मझ ु े सज़ा भूगतने से कोई गुिेज़ निीूं लेककन मेिी गुजारिश िै कक मुझे ससफस िि शख्स पत्थि PACHAS MAU… - 625 HAJINAJI.com मािे जो खुद गुनाि में आलूदा न िो औि सज़ा का मुसतिक न िो लेककन जो खुद सज़ा का मस ु तिक़ िो, उसे मझ ु े पत्थि मािने का िक़ निीूं िै. उस्की यि बात सुनते िी जमा श्िुदा लोग ििाूँ से चले गये औि िज़ित ईसा (अ.स.) औि िज़ित याहिया (अ.स.) बच गये िज़ित याहिया (अ.स.) उस शक्स के किीब आऐ औि फिमाया: तूने सब को नसीित कि दी, अब ज़िा मुझे नसीित िाली बातें सुनाि. उसनें किा: ख़याल ििे कभी अपनें आप को ख्िािे शाते नफसानी के ििाले न किना ििना बदबख्त िो जािगे. िज़ित याहिया (अ.स.) नें फिमाया: कुछ औि बातें किो. उसने किा: ककसी खताकाि को उसकी लजग्ज़श पि मलामत न किो बल्की उसे नजात दे नें की कोसशश किो. PACHAS MAU… - 626 HAJINAJI.com िज़ित याहिया (अ.स.) नें फिमाया: औि बताि. उसनें किा: गस् ु सा पि अमल किने से पििे ज़ किो. िज़ित यहिया (अ.स.) नें फिमाया: आप की बातें बिुत कीमती औि काबबले अमल िैं. (मौज़इ ू दास्तानें पेज 314 नकल अज़ मन ला यिज़ििुल फकीि जजल्द 4 पेज 33) PACHAS MAU… - 627 HAJINAJI.com 46) मोहब्बत आयात: 1-अगर महबब ू बनना चाहते हो: َّم َُّ لَّ لَّہ َّ ُ َّالصلِ ٰح ِت َّسیَّجع اِ َّن ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّو َّعَّ ِملُوا ّٰ ُ َّال َّرۡح ٰ ُ َّنَّ ُو ًدا (सूिए मियम आयत 96) बेशक जो लोग ईमान लाऐ औि उन्िों नें नेक आमाल ककये, अन्क़िीब ‘ििमान’ लोगों के हदलों में उनकी मुिब्बत पैदा कि दे गा. 2-वालदै न से मह ु ब्बत: ِ ُ اح َّ ب َّ ِ م َََّّۃ ِ ََّّو ُقلََّّ َّر ََّّ الذ ِل ِم َّنال َّرح َّ َّ َّو اخفض ل َّ ُہ َّما َّجن َّنَّ َّصغِیًا َّ ِ ٰ ار َّۡحہ َّما کَّ َّما َّربَّی ُ (सूिए असिा आयत 24) औि उन्के सलये खाकसािी के साथ अपनें कान्धों को झुका दे ना, औि उन्के िक़ में PACHAS MAU… - 628 HAJINAJI.com दआ किते ििना कक पिििहदगाि उन दोनों ु पि उसी तिि ििमत नाजज़ल फिमा, जजसतिि कक उन्िों नें बच्पनें में मझ ु े पाला िै. 3-सादहबानें ईमान की मुहब्बत: ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوۤا ا َّ َّش ُد ُحبًاَّ ل ِل ّٰ َِّہ (सूिए बकिा आयत 165) ईमान िालों की तमामति मोिब्बत खुदा से िोती िै. 4-मुहब्बते खुदा रसूल की इताअत की बदौलत: َُّقلََّّ اِن ُکنتُم ُ ُِتبُو َّن اللّٰہَّ فَّاتَّبِ ُعو َِن ُُیبِب ُک ُم الل ّٰ ُہ (सूिए आले इमिान आयत 31) अय पैगूंबि कि दीजजये कक अगि तुम लोग खुदा से मुिब्बत किते िो तो मेिी पैििी किो खद ु ा भी तम ु से मुिब्बत किे गा. PACHAS MAU… - 629 HAJINAJI.com 5-मोलमन से खुदा की मुहब्बत: َّیٰۤا َّیُہَّا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّمن یَّرتَّ َّد ِمن ُکم عَّن ِدی ِن ٖہ فَّ َّسو َّف یَّا ِٰت ۤٗالل ّٰ ُہ بِقَّوم ُُیِب ُ ُہم َّو ُُیِبُون َّ َّہ (सूिए माूँएदा आयत 54) ईमान िालो तुम में से जो भी अपनें दीूंन ् से पलट जाऐगा तो अन्क़िीब खुदा एक कौम लेआऐगा जो उसकी मिबूब औि उस से मि ु ब्बत किने िाली िोगी. PACHAS MAU… - 630 HAJINAJI.com ििायात: 1-दींन की असास: ِ َّه ِل: قال الصادق علیه السلم َّالدی ْ ُن إ َِّۡل ا ْۡل ُ ِب (बबिा रुल अन्िाि जजल्द 69 पेज 238) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: क्या दीूंन ् मुिब्बत के ससिा ककसी औि चीज़ का नाम िै. 2-कलब मुहब्बते इलाही की जगह: ِ اَّلْقَّلْب َّح َّرم ا: قال الصادق علیه السلم َّهلل فَّ َّل ُ ُ ِ تَّ ْسك ُْن َّح َّرم ا َّهلل َِّ هلل َّغ ْیَّا َّ (बबिा रुल अन्िाि जजल्द 67 पेज 26) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: कल्ब ििमे खुदा िै पस ििमें खुदा में गैिे खुदा को साककन (बबठािो) न किो. 3-बुराई से रोकना: PACHAS MAU… - 631 HAJINAJI.com ك ََّّ ك ََّنٰا َّ َّ َّم ْن ا ََّّحب: قال أمیالؤمنی علیه السلم गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 228 िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: जो तुम से मि ु ब्बत किे गा िि तम् ु िें बिु े कामों से िोकेगा. 4-दआ ु : َّب ْأۡل َّ ْع ٰم ِال اِ ٰيل ُ ا َّ َّح: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ ا َّالد ع َّ ُاء ُ هلل عَّ َّز َّو َّج َّل ِِف ْاۡل َّ ْر ِض (बबिाि जजल्द 90 पेज 295) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: खुदा के नजदीक रूऐ ज़मीन पि सब से मिबब ू तिीन अमल दआ किना िै. ु 5-मौत की याद: َّ َّم ْن أ َّ ْكث َّ َّر: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّی َُّ ْ الد نْیٰا بِا الْی َّ ِس ُ ِذك ُْر ا ْل َّ ْو ِت َّر ِض َّي ِم َّن PACHAS MAU… - 632 HAJINAJI.com (बबिाि जजल्द 100 पेज 26) िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) नें फिमाया: जो भी मौत को ज़्यादा याद किे गा िि दन्ु या की कम चीजों पि भी िाजी िोजाऐगा. PACHAS MAU… - 633 HAJINAJI.com तशिीि: अमल के बगैि दािाऐ मुिब्बत की कोई कीमत निीूं िै , औि अमल औि इत्तेबा का असि खद ु ा की मिबबू बयत औि गन ु ािों की मगकफित की शक्ल में ज़ाहिि िोता िै. इत्तेबाऐ िसूल (स.अ.ि.) के बगैि, मुिब्बत ि मग्फेित का ख्िाब कभी शसमसनदऐ ताबीि निीूं िोसकता (यानी पिू ा निीूं िोसकता) बल्की कुिआने मजीद तो इत्तेबा न किने िालों को लफ्ज़े काकफि से ताबीि (याद) किता िै. जो बदबख्ती की सब से बद तिीन मूंजजल िै. इत्तेबाऐ िसूल (स.अ.ि.) मि ु ब्बते खुदा का सबब िै , औि जो लोग साहिबानें ईमान िैं, औि नेक आमाल बजा लाते िैं. तो पििि हदगािे आलम उनकी मुिब्बत लोगों के हदलों में डाल दे ता िै. मिबब ू े खद ु ा सब का मिबूब िोता िै , औि मग्जूबे खुदा सब का मग्जूब िोता िै. ईमान औि अमले PACHAS MAU… - 634 HAJINAJI.com सालेि को मुस्तिकम िख्खें. ताकक मिबूबे खुदा औि मिबूबे बन्दे गानें खुदा बनें ििें . ऐसे आमाल बजा न लाऍ. कक खद ु ा के गजब का सशकाि िो जाएूँ. जब िमािा दािा िै कक िम खुदा औि उस्के िसूल (स.अ.ि.) से मुिब्बत किते िैं. तो उस दािऐ मुिब्बत पि क़ाऐम ििें , औि अपनें अमल से िाज़ेि किदें . कक िम ससफस औि ससफस खुदा के बूंदे िैं, न कक शैतान के. खुदा से दआ किते िैं बह्क्के मुस्तफा ु (स.ि.स.) िमािे हदलों में िोज बिोज़ मि ु ब्बते खुदा का इजाफ़ा फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 635 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-अच्छा दोस्त: िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) जब अजीज़े समस्र िोगये औि जल ु ैखा ईमान लाई तो आप की उस से शादी िोगई िि आप की बीिी िुईं लेककन उस दौिान िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) को ऐिसास िुिा कक जुलैखा आप से दिू ी को पसूंद किती िैं औि ककनािा कश िोनें की कोसशश किती िैं. आप अगि उसे हदन में बुलाते तो िि िादऐ शब (िात के िादे ) से टाल दे ती थीूं औि जब आप िात को उन्िें बुलाते तो िादऐ िोज (हदन के िादे ) से बिला दे ती थीूं. एक हदन िज़ित यूसुफ़ (अ.स.) नें उस से िैित जदि िोकि पूछा जुलैखा तेिी उन बेपनाि शौक़ भिी मोिब्बतों औि शोलािि (भडकती िुई आग जैसा) इश्क का क्या िुिा? PACHAS MAU… - 636 HAJINAJI.com जनाबे जुलैखा नें अजस ककया: अय अल्लाि के नबी! मुझे जब तक तेिे िब की मािे फ़त न थी औि मैं अपने पिििहदगाि की मुिब्बत से आशना न थी तो मुझे आप से मुिब्बत ि दोस्ती थी, लेककन जजस हदन से मैंने अपने िब्बे ज़ुल्जलाल को पिचाना िै तो अब उस्के अलािा सब चीजों की मुिब्बत को हदल से तनकाल हदया िै. मुझे उस ज़ात के मुकाबबल कुछ अच्छा िी निीूं नज़ि आता. (मौजूई दास्तानें पेज 199) 2-मुहब्बते अहले बैत (अ.मु.स) करनें वाला अहले बदहश्त है: मआज़ बबन ििब किते िैं एक मतसबा मैं चूंद लोगों के साथ मक्का की तिफ ििाना िुिा, एक बूढा शख्स भी िमािे साथ था, जो बिुत ज़्यादा इबादत किता था लेककन िमािी तिि अिलेबैत (अ.मु.स) की विलायत औि िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) को बबला PACHAS MAU… - 637 HAJINAJI.com फस्ल खलीफा निीूं मानता था, उसी िजि से अपनें खुलफा के मज़िब के मुताबबक सफि में भी नमाज़ पिू ी चाि िकती पढता था. उस्का एक भतीजा भी मिमािे काफले में था लेककन उस्का अकीदा िमािी तिि ससिाते मुस्तकीम पि था, िि बुढा शख्स िास्ते में बीमाि िोगया, उसने अपनें भतीजे से किा: अगि अपनें चचा के पास आता औि उस्को िीलायत के ससलससले में बताता तो बेिति िोता, शायद खुदा िूंदे आलम उस्को आखिी िक्त में हिदायत फिमा दे ता औि गम ु िािी ि ज़लालत से नजात अता कि दे ता. अिले काफला नें किा: उस्को अपने िाल पि छोड़ दो लेककन उस्का भतीजा उसकी तिफ दौड़ा औि किा: चचा जाूंन लोगों नें ससिाऐ चूंद अफिाद के िसूले खुदा (स.अ.ि.) के बाद िक़ से रूगिदानी की लेककन िज़ित अली इब्नें अबी तासलब PACHAS MAU… - 638 (अ.स.) िसूले HAJINAJI.com अकिम (स.अ.ि.) की तिि िाजेबुल इताअत िैं. पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) के बाद िक़ अली (अ.स.) के साथ िै औि आप (अ.स.) की इताअत तमाम उम्मत पि िाजजब िै. उस ज़ईफ मदस नें एक चीख मािी औि किा: मैं भी उसी अकीदे पि िूूँ, यि किकि इस दन्ु या से चल बसा. िमलोग जैसे िी सफि से िापस आये तो इमामे साहदक़ (अ.स.) की खखदमत में ज्याित का शिफ िाससल ककया, अली बबन ससिी नें उस बढ़ ू े शख्स का िाकेआ बयान ककया, उसिक्त इमाम (अ.स.) नें फिमाया: िि शख्स जन्नती िै. उसने अजस ककया: िि शख्स आखिी लम्िात (िक्त) में इस अकीदे पि पिुूँचा िै , ससफस उस घड़ी उस्का अकीदा सिीि िुिा था, क्या िि भी जन्नती औि अिले नजात िै. उस िक्त इमाम नें फिमाया: तुम उस से औि क्या चािते िो, PACHAS MAU… - 639 HAJINAJI.com बखुदा िि शख्स अिले बहिश्त िै. (तौबा आगोशे ििमत पेज 193) PACHAS MAU… - 640 HAJINAJI.com 47) मेहमान नवाज़ी आयात: 1-मेहमान के आदाब: َّیََّّ ُبیُوتِ ُکمََّّ َّح ّٰت َّ َّیاۤا َّیُہَّا ال َّ ِذی َّن ا ٰ َّمنُوا َّۡل تَّد ُخلُوا ُبیُوتًا غ َّ َّتَّستَّانِ ُسوا َّو ُت َّسلِ ُموا عَّ ٰٰۤل ا َّہلِہَّا ؕ ذٰل ِ ُکمََّّ َّخیٌ ل َّ ُکم لَّعَّل َّ ُکمََّّ تَّ َّذکَّ ُرو ََّّن (सूिए नूि आयत 27) ईमान िालो खबि दाि अपने घिों के अलािा ककसी के घि में दाखखल न िोना, जब तक की साहिबे खाना से इजाज़त न लेलो औि उन्िें सलाम न कि लो, यिी तुम्िािे िक़ में बेिति िै, कक शायद तुम इस से नसीित िाससल किसको. PACHAS MAU… - 641 HAJINAJI.com 2-मेहमान ललये दआ ु : َّتَّ ُمؤ ِمنًا و ََّّ ِ یَّ َّو ِلَّن دَّ َّخ َّل بَّی ََّّ َّر ِب اغ ِفر ِ َّلَّ َّو ل ِ َّوال ِ َّد ِِ ِ َّ ِ ََّّ الظلِ ِم َّارا ّٰ ی َّو الُؤ ِمن ٰ ِت ؕ َّو َّۡل تَّ ِز ِد َّ لل ُمؤمن ً َّ یَّ ا َّۡل تَّب (सूिए नूि आयत 28) पिाि हदगाि! मुझे औि मेिे िालदै न को, औि जो इमान के साथ मेिे घि में दाखखल िोजाएूं, औि तमाम मोमेनीन ि मोमेनात को बख्श दे , औि जासलमों केसलये िलाकत के अलािा ककसी चीज़ में इजाफ़ा न किना. 3-हज़रत इब्राहीम (अ.स.) की मेहमान नवाजी: َّ ال ََّّ ََّّو ل َّ َّقَّد َّجٓاءَّت ُر ُسلُن َّ َّا َّۤ اِب ٰرہِی َّم بِالبُش ٰری قَّالُوا َّسل ٰ ًما ؕ ق ٓاءََّّ بِعِجل َّحنِی َّذ َّ ث ا َّنََّّ َّج ٌَّ ٰ َّسل َّ ِمَّ فَّ َّما لَّب (सूिए िूड आयत 69) औि इब्रािीम (अ.स.) के पास िमािे नम ु ाइन्दे बशाित लेकि आये औि आकि PACHAS MAU… - 642 HAJINAJI.com सलाम ककया, तो इब्रािीम (अ.स.) ने भी सलाम ककया, औि थोड़ी दे ि न गुज़िी थी कक भन ु ा िुिा बछड़ा ले आऐ. 4-हज़रत लूत की मेहमान नवाजी: ََّّو َّجٓاءَّ ا َّہ ُل ال َّ ِدی ََّّن ََّۃ ِ َّی َّستَّب ِش ُرو ََّّن َّ َّالَّ اِ َّن ہ ٰ ُۤؤ َّآلءِ َّضی ِف فَّ َّل تَّف َّض ُحو َِّن ََّّ َّق َّ َّو اتَّ ُقواَّ الل ّٰ َّہََّّ َّو َّ َّۡلَّ َُت ُزو َِّن (सूिए हिज्र आयात 67,68,69) औि उधि शिि िाले नऐ मुसलमानों को दे खकि खुश्याूं मनाते िुिे आगये. लूत (अ.स.) नें किा कक यि िमािे मेिमान िैं. खबिदाि िमें बदनाम न किना, औि अल्लाि से डिो औि रुसिाई का सामान न किो. 5-मेहमान नवाजी: PACHAS MAU… - 643 HAJINAJI.com َّۚ ال ائتُو َِن بِا َّخََّّ ل َّ ُکمََّّ ِمن اَّبِی ُکم َّ ََّّو َّلَّا َّج َّہ َّز ُہم ِِبَّہَّا ِزہِم ق ِ ِ ِۤ ت َّی َّ ی الُ ِْنل ُ ا ََّّۡل َّ َّرو َّن ا ََّن اُوِف ال َّکی َّل َّو اَّنَّا َّخ (सूिए यूसुफ़ आयत 59) औि जब उन्का सामान तैय्याि कि हदया, तो उनसे किा कक तुम्िािा एक भाई औि भी िै उसे भी ले आि, क्या तुम निीूं दे खते िो कक मैं सामान की नाप तौल में बिाबि िखता िूूँ, औि मेिमान निाजी भी किने िाला िूूँ. PACHAS MAU… - 644 HAJINAJI.com ििायात: 1-मेहमान पर खचर करने की फजीलत: َّ َّم ْن أَّك َّْر َّم: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّ ِ الضی ِ م َّنف عل َّ َّف َّ ْ الضی ْ َّف فَّقَّ ْد أك َّْر َّم َّسبْع ْ َّ ی نَّبِیًَّا َّو َّ ْن أ ْ َّ َّق َّ َّي ِ ِدر ََّها ًفَّكَّا َّ َّّنا أَّن ْ َّف َّق أَّل ْ َّف أَّل ْ َّف ِدیْنٰار ِِف سبِی ِل ا َّهلل تَّعٰا ٰ َّيل ْ ٰ ْ َّ ْ (इिशाद अल क्लूब जजल्द 1 पेज 138) पैगूंबिे अकिम (स.अ.ि.) नें फिमाया: जजसनें मेिमान का इकिाम ककया, गोया उसने सत्ति नबबयों का इकिाम ककया, औि जजसने मेिमान के सलये एक हदििम खचस ककया, गोया उसने अल्लाि की िाि में िज़ाि िज़ाि दीनाि खचस ककये. 2-मेहमान का इकराम: َّك َّو إ ِْن َّ أَّك َّْر َّم َّضی ْ َّف: قال أمیالؤمنی علیه السلم ًَّ ان َّحقَّ ْی َّا َّ َّ ک PACHAS MAU… - 645 HAJINAJI.com (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 804) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: मेिमान का इकिाम ि इज़्ज़त किो अगि चे िि िकीि िी क्यूूं न िो. 3-मोलमन का इकराम खुदा का इकराम: ََّّ َّم ْن أَّتَّ ُاه إ َّ ُخ ْو ُہ ا ْلُ ْسلِ َّم فَّا: قال الصادق علیه السلم َّل َّ َّ اهللََّّعَّ َّز ََّّوَّ َّج َّ ك َّْر َّم ُه فَّاِ َّّنٰا أَّك َّْر َّم (काफी जजल्द 2 पेज 206) इमामे साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जजसने अपने मस ु लमान बिादि का इकिाम ककया, गोया उसने खुदा अज्ज़ ि जल का इकिाम ककया. PACHAS MAU… - 646 HAJINAJI.com 4-खाना खखलाना: َّ َّما ا َّر ٰي َّشیْئًا یَّعْ ِد ُل ِزیَّا َّرة: قال الصادق علیه السلم ِ ا ْل ْؤ ِم ْن إ َِّۡل إ ِْط َّعام ُه و َّح ُق عَّلي ا َّهلل أ َّ ْن یُ ْطعِم َّم ْن ا َّ ْطعَّ َّم ُ َّ َّ َّ َُّم ْؤ ِمنًا ِم ْن َّطعٰا ِم ا ْْلَّنَّ َِّة (ककताब अल शाफी जजल्द 4 पेज 126) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: ससिाऐ मोसमन को खाना खखलाने के, कोई औि चीज़ सिाब में , ज्याित मोसमन के बिाबि निीूं. अल्लाि के सलये सजािाि िै कक िि जन्नत का खाना उस शख्स को दे जो ककसी मोसमन को खाना खखलाऐ. 5-ल्जयाफत: ِ َّ ا: قال أمیالؤمنی علیه السلم لضیٰافَّ ُة َّراْ ُس ا ْلُ َّر َّو َِّة (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 804) PACHAS MAU… - 647 HAJINAJI.com मौला अली (अ.स.) नें फिमाया: जजयाफत ि मेिमान निाजी मुिव्ित ि मदासनगी का असास (बुन्याद) िै. PACHAS MAU… - 648 HAJINAJI.com तशिीि: मेिमान निाजी का बिुत बड़ा अज्र ि सिाब िै. आप को ििायत पढ़ कि अूंदाजा िोगया िोगा कक, मेिमान निाजी का ककतना अज्र िै मेिमान असल में खुदा का दोस्त िोता िै. जब मेिमान घि में आता िै. तो अपनें साथ ििमतें ि बिकतें लेकि आता िै , औि जब मेिमान घि से जाता िै तो मेज़बान औि उस्के घि िालों के गुनाि ले जाता िै. मेिमान केसलये ज़रूिी िै कक जब ककसी के यिाूँ जाऐ तो पिले इजाज़त तलब किे . अगि इजाज़त समल जाऐ. तो घि में दाखील िोते िी सब से पिले सलाम किे औि मेजबान को चाहिये कक मेिमान का एितिाम ि इकिाम किे , औि अपनी इस्ते ताअत के के मत ु ाबबक मेिमान निाजी किे , औि दस्ति ख्िान पि बैठे तो पिले खाना, खाना शुरू किे औि सब से आखखि में खत्म PACHAS MAU… - 649 HAJINAJI.com किे , औि मेिमान को चाहिये कक मेज़बान के िक़ में दआ ु किे औि उसकी िुसअते (कुशादथगये) रिज्क के सलये खस ु स ू न दआ ु किे . खुदा से दआ िै बिक्के चिादास मासूमीन ु (अ.मु.स.) िमें मेिमान निाजी किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 650 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-हज़रत इब्राहीम (अ.स.) की ल्जयाफत: िज़ित इब्रािीम (अ.स.) आला दजे के मेिमान निाज़ थे. आप अकेले खाना खाने के आदी निीूं थे. अगि उन्के यिाूँ कोई मेिमान न आता तो आप खुद िास्तों चौिािों पि खड़े िोजाते थे, औि मुसाकफिों को खाना खानें की दाित दे ते थे. एक मतसबा आप मेिमान तलाश किने केसलये एक शािे िाि पि गये ििाूँ उन्िें एक ऐसा मेिमान समला जो काकफि था. आप नें उसे खाना खाने की दाित दी, औि उसने दाित कबूल किली. आप उसे अपने मेिमान खाना ले आऐ, औि उस्के िाथ धुलाऐ, औि कफि उस्के सामने िोटी िख्खी मेिमान नें जैसे िी लक ु मा तोड़ने केसलये िाथ बढ़ाया, तो आप ने उस से फिमाया: दोस्त! खाना शुरू किने से पिले बबससमल्लाि हिि ििमा तनि PACHAS MAU… - 651 HAJINAJI.com ििीम पढ़ो. मेिमान जो काकफि था उसने किा: मै ककसी को िब निीूं मानता, औि मैं ककसी का नाम लेकि इबतेदा किने का क़ाऐल निीूं िूूँ. इब्रािीम (अ.स.) नें बड़ा इसिाि ककया कक बबससमल्लाि पढ़े लेककन मेिमान अपनी जजद पि बाकी ििा. उसपि िज़ित इब्रािीम (अ.स.) नें फिमाया: कफि तुम यिाूँ से चले जाि िमािे पास तुम्िािे सलये कोई खाना निीूं िै. मेिमान उठकि ििाूँ से चला गया. उसिक्त इब्रािीम (अ.स) पि अल्लाि की ििी नाजज़ल िुई. अय इब्रािीम! तम ु नें अपने मेिमान को क्यूूं भगाया? यि पिले हदन से िी िमािा मुजन्कि िै मगि िम तो उसे सत्ति साल से मस ु लसल रिज्क दे ििे िैं. तुम्िािे दििाज़े पि तो यि आज पिली बाि आया िै मगि तुमने उसे धुतकाि हदया. PACHAS MAU… - 652 HAJINAJI.com इब्रािीम (अ.स.) को अपने अमल के इस तिीके पि शदीद तनदामत (शसमसन्दगी) मिसस ू िुई, औि आप दौड कि मेिमान के पीछे गये औि उस से इसिाि ककया कक िि िापस आऐ औि खाना खाऐ. काकफि मेिमान नें किा मैं उस िक्त तक िापस निीूं आिूंग ू ा जब तक मझ ु े इसका सबब निीूं बतािोगे. िज़ित इब्रािीम नें फिमाया: जजस खुदा की मुिब्बत में मैंनें तुझे भूका उठा हदया था. उस खद ु ा नें मझ ु से किा िै कक यि शख्स िोज़े अव्िल से िी िमािा मुजन्कि िै. मगि िमनें उस्का रिज्क बूंद निीूं ककया. उस्के हिस्से की िोशनी बूंद निी की. उस्की अव्व्लाद बूंद निीूं की. िम तो सत्ति साल से उसे रिज्क दे ििे िैं. आज यि जज़ूंदगी में पिली मतसबा तुम्िािे पास आया िै. तो तूनें PACHAS MAU… - 653 HAJINAJI.com उसे दस्ति ख्िान से उठा हदया. जाि औि उसे िाज़ी किके खाना खखलाि. मेिा बन्दा ख्िाि मेिा नाम ले या न ले िि भूका निीूं ििना चाहिये. अगि नबी के दििाज़े से कोई भूका चला गया तो यि िमािी शाने िज्ज़ाकी की तौिीन िोगी. जब काकफि नें यि बात सन ु ी तो शसमंदगी से उस्की गदसन झुक गई औि किने लगा कक ‘’मैं भी ककतना नालाऐक िूूँ कक इतने अिसे से इतने मेििबान खुदा से गाकफल ििा’’. उस्के बाद उसने कलमा पढ़ा औि मुसलमान िोगया. कुछ हदनों के बाद उस्का शुमाि सालेिीन में िोनें लगा. (कश्कोल दस्तेगैब जजल्द 1 पेज 68). 2-ऐहतेरामे सालेहीन: एक मतसबा का जज़क्र िै कक एक शख्स अपनें बेटे के साथ िज़ित PACHAS MAU… - 654 अली (अ.स.) का HAJINAJI.com मेिमान िुिा. आप नें उठ कि मेिमानों का इस्तेकबाल ककया. उन्िें सदिे मजसलस में जगि दी औि खद ु उन्के पिलू में बैठ गये. जब खाने का िक्त िुिा तो आप नें मेिमान के सामने खाना िखिाया. जब मेिमान खाना खाकि फारिग िुिे तो आप (अ.स.) नें गल ु ाम कूंबि से फिमाया: तौसलया लाि औि लोटे में पानी लाि. कूंबि दोनों चीजें ले आऐ. आप (अ.स.) नें पानी का लोटा सलया औि उनमें से जो बाप था उस्के िाथ धल ु ाने का इिादा ककया. उस शख्स नें अजस की मौला: आप अमीरुल मोमेनीन औि खलीफतुल मुस्लेमीन िैं, आप मेिे िाथ न धुलाऍ लेककन आप (अ.स.) नें फिमाया: कोई ििज निीूं तम ु िमािे मेिमान िो, मैं िी तुम्िािे िाथ धुलािुूंगा, जब आप (अ.स.) उस्के िाथ धुला चुके तो आप (अ.स.) नें अपनें फ़जंन्द मोिम्मद बबन PACHAS MAU… - 655 HAJINAJI.com िनकफया से किा: बेटा! अगि इस शख्स का बेटा अकेला मेिे यिाूँ मेिमान िोता तो उस्के िाथ भी मैं खद ु धल ु ाता लेककन खद ु ा निीूं चािता कक बाप बेटे दोनों यकसाूं (ऐक जैसे) िों. मैंनें बाप के िाथ धुलाऐ िैं, तुम उस्के बेटे के िाथ धुलाि. (कश्कोल दस्ते गैब जजल्द 2 पेज 24) PACHAS MAU… - 656 HAJINAJI.com 48) नमाज़ आयात: 1-मश्ु केलात में नमाज़ से मदद तलब करना: ِ َّو استَّعِینُوا بِا َّلص ََّّیَّ ٌََّۃ اِ َّ َّۡل عَّٰل َّ ِلصلٰو ََّۃ ِؕ َّوَّاِن َّہَّا ل َّ َّکب َّ َّ ب َّو ا َّاْل ٰ ِشعِی (सूिए बकिा आयत 45) सब्र औि नमाज़ के ज़रिये मदद माूंगो नमाज़ बिुत मुजश्कल काम िै मगि उनलोगों केसलये जो खोशू औि खोज़ू िाले िैं. 2-नमाज़ बरु ाई से रोकती है: َّٓاءَِّ َّوا ْلُنْ َّك ِر َّ اِ َّن ا َّلصلٰو ََّۃَّ تَّنہ ٰ َّی عَّ ِ َّن ال َّفح َّش (सूिए अनकबूत आयत 45) नमाज़ बुिाई औि बदकािी से िोकने िाली िै. PACHAS MAU… - 657 HAJINAJI.com 3-नमाज़े जमाअत ِ ِِ َّی َّ َّو اَّقی ُموا ا َّلصلٰو ََّۃ ََّّو ا ٰ ُتوا ال َّزکٰو ََّۃ ََّّو ارکَّ ُعوَّا َّم َّع ال ّٰرکع (सूिए बकिा आयत 43) नमाज़ क़ाऐम किो, ज़कात अदा किो औि रूकू किने िालों के साथ रूकू किो. 4-नमाज़ न पढ़ने का अंजाम: ََّّما َّسل َّ َّک ُکمََّّ ِِف َّسقَّ ََّّر َّ َّی ََّّ ِک ِم َّن الُ َّصل ُ َّ قَّالُواَّ لَّمََّّ ن (सूिए मुद्दजस्सि आयात 43’44) आखखि तुम्िें ककस चीज़ नें जिन्नम में पिुूँचा हदया िि किें गें कक िम नमाज़ गज़ ु ाि निीूं थे. 5-इत्मीनान के साथ नमाज़ पढ़ो: فَّاِذَّا اط َّماَّنَّنتُم فَّاَّقِی ُموا ا َّلصلٰو ََّۃ (सूिए तनसा आयत 103) PACHAS MAU… - 658 HAJINAJI.com जब इत्मीनान िाससल िोजाऐ तो बाकाऐदा नमाज़ क़ाऐम किो. PACHAS MAU… - 659 HAJINAJI.com ििायात: 1-शैतान से बचने का रास्ता: َّ ا َّ َّلص َّل ُة ِح ْص ٌن َِّم ْن: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ س َّطو َّ ات ان َُّ الشی ْ ٰط َّ َّ (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: नमाज़ शैतान के िमलों से बचने केसलये एक ककला िै. 2-रहमते खुदा: َّ ا َّ َّلص َّل ُة تَّ ْست َّ ْ ِْن ُل: قال أمیالؤمنی علیه السلم َّۡحة َّ ْ ال َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) िज़ित अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: नमाज़ ििमते खुदा को खैचती िै. PACHAS MAU… - 660 HAJINAJI.com 3-इस्कदर रहमतें: َّ ل َّ ْو یَّعْل َّ ُم ا ْلُ َّصلِي َّما: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ لس ُج ْو َِّد ُ ۡح ِة َّلَّا َّرفَّ َّع َّرا َّْس ُه ِم َّن ا َّ ْ یَّغ ْ ٰش ُاه م َّن ال َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 783) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: अगि नमाजी को यि मालूम िोजाऐ कक इसिक्त उसपि ककतनी ििमतें नाजज़ल िो ििी िैं तो िि सजदे से कभी सि न उठाऐ. 4-नमाज़ को सुबुक समझना: َّال ُ َّ إ َِّن َّش َّفا عَّتَّنٰا َّۡل تَّن: قال الصادق علیه السلم ُم ْست َّ ِخفا ًبِا ا َّلصلوٰ َِّة (िसाएल जजल्द 4 पेज 26) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जजसने नमाज़ को सुबुक (िल्का) समझा िि िमािी शफाअत से मिरूम ििे गा. PACHAS MAU… - 661 HAJINAJI.com 5-आखरी नमाज़: َّ َّإِذَّا ق: قال أمیالؤمنی علیه السلم ٰ َّام أ َّح ُد ُك ْم إِيل َّ الص َّل ِة فَّلْی ُ َّص ِل َّص َّل َّةَّ ُم ََّّوَّ َّد َّع َّ (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जब तुम में से कोई नमाज़ केसलये खड़ा िो तो उस्को यि समझ कि नमाज़ पढ़नी चाहिये कक यि मेिी आखिी नमाज़ िै. PACHAS MAU… - 662 HAJINAJI.com तशिीि: जजसके ज़ेिन में नमाज़ का फलसफा लेकाऐ इलािी (अल्लाि से मुलाक़ात) िै औि अज्र ि सिाब का यकीन िै. उस्के सलये सब ु ि, दोपिि, शाम, कोई िक्त मुजश्कल निीूं िै औि खुदा ज़ेिन से तनकाल जाऐ तो कफि िि िक्त मुजश्कल िै. नमाज़ एक फिीजा िै औि िक्ते मोअय्यन के साथ फिीजा िै जजस का मतलब यि िै कक नमाज़ पाबूंदीये िक्त के साथ अदा किना चाहिये, िक्ते नमाज़ में कोतािी किना असले नमाज़ में कोतािी किने के मिु ाहदफ (बिाबि) िै , औि इसी सलये ओल्माऐ इस्लाम नें बबला उज़ि नमाज़ कजा किदे ने को ििाम क़िाि हदया िै. उज़ि की तफसील भी अिकामे शिीयत से दियाफ्त किनी चाहिये, खद ु साख्ता खयालात का नाम उज़िे शिइ निीूं िै. इूंसान को यकीन िो जाऐ कक िात को दे ि तक जागना नमाज़े PACHAS MAU… - 663 HAJINAJI.com सुबि के कजा िो जाने का बाइस िोगा, तो सो जाना ज़रूिी िै , औि जागना ििाम िै. उस्के सलये कािे खैि का उज़ि भी कािगि (छुटकािा) निीूं िोसकता. नमाज़ पढ़ने से रिज्क में बिकत, पिीशातनयाूँ दिू , औि इत्मीनान ि सोकूंू न िाससल िोता िै. जब नमाज़ शुरू किो तो यि किो कक दन्ु या में मेिी आखिी नमाज़ िै , औि यि ख़याल किो कक जन्नत तुम्िािे सामने औि जिन्नम तुम्िािे पैिों के नीचे, मलकुल मौत पीछे , अूंबबया दाएूँ तिफ, फ़रिश्ते बाएूँ तिफ, औि खुदा सि के ऊपि से दे ख ििा िै. पस दे खो कक तुम ककसके सामने खड़े िो ककस से मुनाजात किििे िो, औि तुम्िें कौन दे ख ििा िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मज्लूमे कबसला ु िज़ित इमामे िुसैन (अ.स.) िमें नमाज़ औि PACHAS MAU… - 664 HAJINAJI.com अगि िमािे जजम्में कज़ा नमाजें िों तो उन्िें पढ़ने की तौफीक अता फिमा. (आमीन). PACHAS MAU… - 665 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-दो रकात नमाज़ खाली: तफसीिे बिु िान में दन ु यावी बििायत ख़याल इब्नें से शििे आशोब इब्ने अब्बास से मन्कूल िै कक एक दफा िसूले खुदा (स.अ.ि.) के पास दो ऊूंटतनयाूँ बतौि िहदया आईं. आप (स.अ.ि.) नें असिाब से फिमाया: कक तम ु में से जो शख्स ऐसी दो िकतें अदा किे जजसमें कोई दन ु यािी ख़याल हदल में न गुज़िे तो मैं इनमें से एक ऊूंटनी उस्को दे दूं ग ू ा. िोजूिे अकिम (स.अ.ि.) नें यि ऐलान तीन बाि दोििाया. ककसी को लैब्बैक किने की जुिअत न िुई. पस िज़ित अली (अ.स.) नें लब्बैक किा चुनानचे जब दो िकात नमाज़ पढ़ चुके तो जब्रईल नाजज़ल िुिे औि फिमाया: खद ु ा तोिफ़ऐ दोरूद ि सलाम के बाद फिमाता िै िस्बे िादा एक ऊूंटनी अली (अ.स.) के PACHAS MAU… - 666 HAJINAJI.com ििाले किदीजजये. आप (अ.स.) नें फ़िमाया: मैंनें शतस लगाई थी कक हदल में ख़याल न गज़ ु िे लेककन अली (अ.स.) नें िालते तशिुद में यि ख़याल ककया था कक उनमें से कौन सी लूूं? तो जब्रईल नें दोबािा पलट कि अजस की, कक खुदा फिमाता िै अली (अ.स.) का िि ख़याल दन ु यािी न था बल्की मेिी खुशनूदी के सलये था क्यूूंकक अली (अ.स.) नें सोचा था कक ऐसी ऊूंटनी लूूंगा जो ज़्यादा मोटी िो ताकक उस्को निि किके मसाकीन पि सदका करू. पस खश ु ी के मािे िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) पि थगिया तािी िुिा औि िि दोनों ऊूंटतनया िज़ित अली (अ.स.) के ििाले किदीूं औि यि आयत उतिी. ِ ِ ب َّ ٌ ان ل َّ َّہَّٗ قَّل َّ اِ ََّّنَّ ِ َِّفَّ ذٰل َّ َّ ک ل َّ ِذک ٰری لَّن ک (सिू ऐ क़ाफ़ आयत 37) इस िाकेआ में नसीित का सामान मौजूद िै उस इूंसान के सलये जजसके पास हदल िो. PACHAS MAU… - 667 HAJINAJI.com 2-तारे कुस्सलात क्यूं काफफर है ? मसअदा इमाम साहदक़ (अ.स.) का सिाबी, एक बाि इमाम (अ.स.) के पास आया, औि आकाि स्िाल ककया: यब्ना िसूसलल्लाि (स.अ.ि.), क्या िजि िै कक बद काि को बउनिाने काकफि मोअिस फी निीूं किाई गई (यानी निीूं तािे कुस्सलात पिचनिाया (नमाज़ गया) छोडने जब कक िाले) को काकफि के नाम से याद ककया जाता िै इसकी दलील क्या िै ? इमाम (अ.स.) नें फिमाया: क्यूूंकक बदकाि औि उसकी तिि के दस ू िे अफिाद उस काम को जजूंसी शिित की िजि से अूंजाम दे ते िैं, लेककन तािे कुस्सलात नमाज़ को तकस निीूं किता मगि फकत औि फकत सुबुक (िल्का) समझते िुिे. मदस बदकाि औित की तिफ निीूं आता मगि लज़्ज़त की िजि से लेककन जो शख्स नमाज़ को तकस किता िै PACHAS MAU… - 668 HAJINAJI.com उस्को कोई लज़्ज़त निीूं िोती. जब लज़्ज़त न िो तो मालूम िोता िै कक नमाज़ को सब ु क ु शम ु ाि किना बाइस बना कक नमाज़ को तकस किे . َّإذا وقع اْلستخفاف و قع الكفر जब नमाज़ को सुबुक शुमाि ककया तो कुफ्र आगया. (दास्तानिाए पेज.509). PACHAS MAU… - 669 िोसूले काफी HAJINAJI.com 49) हम्सायह आयात: 1-ऐहसान: ََّّو اعبُ ُدواَّ اللّٰہَّ َّو َّۡل ُتش ِر ُکوا بِ ٖہ َّشیئًا َّو بِال َّوال ِ َّدی ِ َّنَّ اِح َّسانًا ِ َّو بِ ِذی ال ُقر ٰٰب َّو الیَّت ٰ ٰٰم ََّّو ال َّ ٰس ِک َّی َّو اْلَّا ِر ِذی ال ُقر ٰٰب َّو َّالسبِی ِل ۙ َّو َّما َّ اْلَّا ِر اْلنُ ِب َّو َّ ِالصا ِح ِب بِاْلَّن ًۢ ِب َّو ابن اۡلَّ فَّ ُخو َّر َّا َّ ً َّ انَّ َُمت ََّّ َّ ب َّم َّنَّ ک ُ ِ َّمل َّ َّکت َّا َّْيَّان ُ ُکم ؕ اِ َّن اللّٰہَّ َّۡل ُُی (सूिए तनसा आयत 36) औि अल्लाि की इबादत किो औि ककसी चीज़ को उस्का शिीक न बनाि औि िालदै न के साथ अछा बतासि किो औि क़िाबद्दािों के साथ, यतीमों, समसकीनों, किीब के िमसाया, दिू के िमसाया, पिलूनशीूंन मस ु ाकफि, ग़िु बत जदा गुलाम ि कनीज़, सब PACHAS MAU… - 670 HAJINAJI.com के साथ नेक बतासि किो कक अल्लाि मगरूि ि मुतकजब्बि लोगों को पसूंद निीूं किता. 2-पड़ोसी की मदद: َّو َّْين َّ ُعو َّن الَّا ُعو ََّّن (सिू ए माूँऊन आयत 7) औि मामूली जोरूफ़ (बतसन) भी आरियत (उधाि) पि दे ने से इनकाि किते िैं. 3-हमसाया से जुदाई: َّیَّو َّم َّۡل یُغ ِن َّمو ًل عَّن َّمو ًل َّشیئًا َّو َّ َّۡلَّ ُہمََّّ یُن َّص ُرو َّن (सूिए दख ु ान आयत 41) जजसहदन कोई दोस्त दस ू िे दोस्त के काम आने िाला निीूं िै औि न उनकी कोई मदद की जाऐगी. 4-शैतान कहता है: م َّ َّو اِ َِن َّج ٌار ل َّ ُک PACHAS MAU… - 671 HAJINAJI.com (सूिए अनफाल आयत 48) शैतान नें किा मैं तुम्िािा मदद गाि पड़ोसी िूूँ. 5-हमसाया मोलमन हो: ِ ِ ِ ِ ِِ ِ َّؕ ی َّ الَّذی َّن یَّتَّخ ُذو َّن الکٰفرِی َّن ا َّولیَّٓاءَّ من ُدونِ الُؤمن اَّیَّبتَّغُو َّن ِعن َّد ُہ ُم العِ َّز ََّۃ فَّاِ ََّّن العِ َّز ََّۃ لِل ّٰ َِّہ َّجِیع ً َّا (सूिए तनसा आयत 139) जो लोग मोसमन को छोड़ कि कुफ्फाि को अपना िाली औि सिपिस्त बनाते िैं क्या उन्के पास इज़्ज़त तलाश किििे िैं जब कक सािी इज़्ज़त ससफस अल्लाि केसलये िै. PACHAS MAU… - 672 HAJINAJI.com ििायात: 1-शैतान से बचने का रास्ता: َّ ا َّ َّلص َّل ُة ِح ْص ٌن ِم ْن: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ س َّطو َّ ات ان َُّ الشی ْ ٰط َّ َّ (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) िज़ित अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: नमाज़ शैतान के िमलों से बचने केसलये एक ककला िै. 2-रहमते खुदा: َّ ا َّ َّلص َّل ُة تَّ ْست َّ ْ ِْن ُل: قال أمیالؤمنی علیه السلم َّۡحة َّ ْ ال َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) िज़ित अली इब्नें अबी तासलब (अ.स.) नें फिमाया: नमाज़ ििमते खुदा को खैचती िै. PACHAS MAU… - 673 HAJINAJI.com 3-इस्कदर रहमतें: َّ ل َّ ْو یَّعْل َّ ُم ا ْلُ َّصلِي َّما: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ َّلس ُج ْو َِّد ُ ۡح ِة َّلَّا َّرفَّ َّع َّرا َّْس ُه ِم َّن ا َّ ْ یَّغ ْ ٰش ُاه م َّن ال َّر (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 783) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: अगि नमाजी को यि मालूम िोजाऐ कक इसिक्त उसपि ककतनी ििमतें नाजज़ल िो ििी िैं तो िि सजदे से कभी सि न उठाऐ. 4-नमाज़ को सुबुक समझना: َّال ُ َّ إ َِّن َّش َّفا عَّتَّنٰا َّۡل تَّن: قال الصادق علیه السلم ُم ْست َّ ِخفا ًبِا ا َّلصلوٰ َِّة (िसाएल जजल्द 4 पेज 26) इमाम साहदक़ (अ.स.) नें फिमाया: जजसने नमाज़ को सुबुक (िल्का) समझा िि िमािी शफाअत से मिरूम ििे गा. PACHAS MAU… - 674 HAJINAJI.com 5-आखरी नमाज़: َّ َّإِذَّا ق: قال أمیالؤمنی علیه السلم ٰ َّام أ َّح ُد ُك ْم إِيل َّ الص َّل ِة فَّلْی ُ َّص ِل َّص َّل َّةَّ ُم ََّّوَّ َّد َّع َّ (गुिरुल िे कम जजल्द 1 पेज 782) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: जब तुम में से कोई नमाज़ केसलये खड़ा िो तो उस्को यि समझ कि नमाज़ पढ़नी चाहिये कक यि मेिी आखिी नमाज़ िै. PACHAS MAU… - 675 HAJINAJI.com तशिीि: जजसके ज़ेिन में नमाज़ का फलसफा लेकाऐ इलािी (अल्लाि से मुलाक़ात) िै औि अज्र ि सिाब का यकीन िै. उस्के सलये सब ु ि, दोपिि, शाम, कोई िक्त मुजश्कल निीूं िै औि खुदा ज़ेिन से तनकाल जाऐ तो कफि िि िक्त मुजश्कल िै. नमाज़ एक फिीजा िै औि िक्ते मोअय्यन के साथ फिीजा िै जजस का मतलब यि िै कक नमाज़ पाबूंदीये िक्त के साथ अदा किना चाहिये, िक्ते नमाज़ में कोतािी किना असले नमाज़ में कोतािी किने के मिु ाहदफ (बिाबि) िै , औि इसी सलये ओल्माऐ इस्लाम नें बबला उज़ि नमाज़ कजा किदे ने को ििाम क़िाि हदया िै. उज़ि की तफसील भी अिकामे शिीयत से दियाफ्त किनी चाहिये, खद ु साख्ता खयालात का नाम उज़िे शिइ निीूं िै. इूंसान को यकीन िो जाऐ कक िात को दे ि तक जागना नमाज़े PACHAS MAU… - 676 HAJINAJI.com सुबि के कजा िो जाने का बाइस िोगा, तो सो जाना ज़रूिी िै , औि जागना ििाम िै. उस्के सलये कािे खैि का उज़ि भी कािगि (छुटकािा) निीूं िोसकता. नमाज़ पढ़ने से रिज्क में बिकत, पिीशातनयाूँ दिू , औि इत्मीनान ि सोकूंू न िाससल िोता िै. जब नमाज़ शरू ु किो तो यि किो कक दन्ु या में मेिी आखिी नमाज़ िै , औि यि ख़याल किो कक जन्नत तुम्िािे सामने औि जिन्नम तुम्िािे पैिों के नीचे, मलकुल मौत पीछे , अूंबबया दाएूँ तिफ, फ़रिश्ते बाएूँ तिफ, औि खुदा सि के ऊपि से दे ख ििा िै. पस दे खो कक तुम ककसके सामने खड़े िो ककस से मुनाजात किििे िो, औि तुम्िें कौन दे ख ििा िै. खुदा से दआ किते िैं बिक्के मज्लूमे कबसला ु िज़ित इमामे िुसैन (अ.स.) िमें नमाज़ औि PACHAS MAU… - 677 HAJINAJI.com अगि िमािे जजम्में कज़ा नमाजें िों तो उन्िें पढ़ने की तौफीक अता फिमा. (आमीन). PACHAS MAU… - 678 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-दो रकात नमाज़ खाली: तफसीिे बिु िान में दन ु यावी बििायत ख़याल इब्नें से शििे आशोब इब्ने अब्बास से मन्कूल िै कक एक दफा िसूले खुदा (स.अ.ि.) के पास दो ऊूंटतनयाूँ बतौि िहदया आईं. आप (स.अ.ि.) नें असिाब से फिमाया: कक तम ु में से जो शख्स ऐसी दो िकतें अदा किे जजसमें कोई दन ु यािी ख़याल हदल में न गुज़िे तो मैं इनमें से एक ऊूंटनी उस्को दे दूं ग ू ा. िोजूिे अकिम (स.अ.ि.) नें यि ऐलान तीन बाि दोििाया. ककसी को लैब्बैक किने की जुिअत न िुई. पस िज़ित अली (अ.स.) नें लब्बैक किा चुनानचे जब दो िकात नमाज़ पढ़ चुके तो जब्रईल नाजज़ल िुिे औि फिमाया: खद ु ा तोिफ़ऐ दोरूद ि सलाम के बाद फिमाता िै िस्बे िादा एक ऊूंटनी अली (अ.स.) के PACHAS MAU… - 679 HAJINAJI.com ििाले किदीजजये. आप (अ.स.) नें फ़िमाया: मैंनें शतस लगाई थी कक हदल में ख़याल न गज़ ु िे लेककन अली (अ.स.) नें िालते तशिुद में यि ख़याल ककया था कक उनमें से कौन सी लूूं? तो जब्रईल नें दोबािा पलट कि अजस की, कक खुदा फिमाता िै अली (अ.स.) का िि ख़याल दन ु यािी न था बल्की मेिी खुशनूदी के सलये था क्यूूंकक अली (अ.स.) नें सोचा था कक ऐसी ऊूंटनी लूूंगा जो ज़्यादा मोटी िो ताकक उस्को निि किके मसाकीन पि सदका करू. पस खश ु ी के मािे िसूलुल्लाि (स.अ.ि.) पि थगिया तािी िुिा औि िि दोनों ऊूंटतनया िज़ित अली (अ.स.) के ििाले किदीूं औि यि आयत उतिी. ِ ِ ب َّ ٌ ان ل َّ َّہَّٗ قَّل َّ اِ ََّّنَّ ِ َِّفَّ ذٰل َّ َّ ک ل َّ ِذک ٰری لَّن ک (सिू ऐ क़ाफ़ आयत 37) इस िाकेआ में नसीित का सामान मौजूद िै उस इूंसान के सलये जजसके पास हदल िो. PACHAS MAU… - 680 HAJINAJI.com 2-तारे कुस्सलात क्यूं काफफर है ? मसअदा इमाम साहदक़ (अ.स.) का सिाबी, एक बाि इमाम (अ.स.) के पास आया, औि आकाि स्िाल ककया: यब्ना िसूसलल्लाि (स.अ.ि.), क्या िजि िै कक बद काि को बउनिाने काकफि मोअिस फी निीूं किाई गई (यानी निीूं तािे कुस्सलात पिचनिाया (नमाज़ गया) छोडने जब कक िाले) को काकफि के नाम से याद ककया जाता िै इसकी दलील क्या िै ? इमाम (अ.स.) नें फिमाया: क्यूूंकक बदकाि औि उसकी तिि के दस ू िे अफिाद उस काम को जजूंसी शिित की िजि से अूंजाम दे ते िैं, लेककन तािे कुस्सलात नमाज़ को तकस निीूं किता मगि फकत औि फकत सुबुक (िल्का) समझते िुिे. मदस बदकाि औित की तिफ निीूं आता मगि लज़्ज़त की िजि से लेककन जो शख्स नमाज़ को तकस किता िै PACHAS MAU… - 681 HAJINAJI.com उस्को कोई लज़्ज़त निीूं िोती. जब लज़्ज़त न िो तो मालूम िोता िै कक नमाज़ को सब ु क ु शम ु ाि किना बाइस बना कक नमाज़ को तकस किे . َّإذا وقع اْلستخفاف و قع الكفر जब नमाज़ को सुबुक शुमाि ककया तो कुफ्र आगया. (दास्तानिाए पेज.509). PACHAS MAU… - 682 िोसूले काफी HAJINAJI.com 50) यतीम आयात: 1-यतीम को खाना खखलाना: ب ََّۃ َّ َّ ب ََّۃ یَّتِی ًما ذَّا َّمق َّر َّ َّ َّ ا َّوََّّ اِطع ٰ ٌم ِِف یَّوم ِذی َّمسغ (सूिए बलद आयत 14’15) या भूक के हदन खाना खखलाना ककसी क़िाबद्दाि यतीम को. 2-यतीम पर कहर व गुस्सा न करो: ََّّمَّ فَّ َّل تَّقہَّر ََّّ فَّا ََّّماَّ الیَّتِی (सिू ए जि ु ा आयत 9) सलिाजा अब यतीम पि किि (गुस्सा) न किो. 3-यतीम का माल खाना: PACHAS MAU… - 683 HAJINAJI.com َّال الیَّت ٰ ٰٰم ُظل ًما اِ َّّنَّا یَّاکُلُو َّن ِِف َّ اِ َّن ال َّ ِذی َّن یَّاکُلُو َّن اَّم َّو ِ َّاراؕ َّو َّسیَّصلَّو ََّّنَّ َّسعِیًا ً َّ ُب ُطون ِہم ن सूिए तनसा आयत 10 जो लोग जालेमाना अूंदाज़ से यतीमों का माल खा जाते िैं िि दि िकीकत अपने पेट में आग भि ििे िैं औि अन्क़िीब िाससले जिन्नम िोंगे. 4-यतीम को धोके मत दो: ِ ِتَّ ال َّ ِذی یُ َّک ِذب ب َّالدی ِ َّن َّ َّ ا ََّّرءَّی ُ َّ ِ َّم ََّّ ک ال َّ ِذی ی َّ ُد َُّعَّ الیَّتِی َّ فَّذٰل (सूिए माऊूंन आयात 1’2) क्या तम ु नें उस शख्स को दे खा िै जो क़यामत को झुटलाता िै यि ििी िै जो यतीम को धोके दे ता िै. 5-यतीमों के बारे में स्वाल: PACHAS MAU… - 684 HAJINAJI.com َّک عَّنِ الیَّت ٰ ٰٰم ؕ ُقلََّّ اِص َّل ٌح لَّہم َّخیٌ ؕ َّو اِن َّ َّ َّو ی َّ َّسـلُون ُ َُتَّال ِ ُطو ُہمََّّ فَّاِخ َّوان ُ ُکم ؕ َّو الل ّٰ ُہ یَّعل َّ ُم الُف ِس َّد ِم َّن ا َّلُصلِ َِّح (सूिए बकिा आयत 220) औि यि लोग तुमसे यतीमों के बािे में स्िाल किते िैं तो कि दो कक उन्के िाल की इस्लाि बेितिीन बात िै औि अगि उनसे समल जुल कि ििो तो यि भी तुम्िािे भाई िैं औि अल्लाि बेिति जानता िै कक मस् ु लेि (इस्लाि किने िाला) कौन िै औि मुजफ्सद (फसाद किने िाला) कौन िै: PACHAS MAU… - 685 HAJINAJI.com ििायात: 1-नेकी करो: َّم َّْ بَّ ُرواَّ ا َّیْت ٰ َّام ُك:قال أمیالؤمنی علیه السلم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 786) इमाम अली (अ.स.) नें फिमाया: अपनें यतीमों के साथ नेकी किो. 2-खुदा के नजदीक मोअज़्ज़ज़ (इज़्ज़त वाला) व मुकररम (बुज़ुग)र : َّ کَّا فِ ُل الْیَّتِی ْ ِم َّو: قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ ی ِعنْ َّد ا ِ ْ ا ْل ِ ْس ِك َّی ََّّ ْ هلل ِم َّن ا ْلُك َّر ِم (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 786) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: यतीम ि समस्कीूंन की ककफालत (पििरिश) किने िाला खुदा के नजदीक इज़्ज़त िाला औि बुज़ुगस िै. 3-यतीमों से बेहतरीन सुलूक: PACHAS MAU… - 686 HAJINAJI.com َّ َّم ْن َّر عَّي ْاۡلَّیْتٰا َّم ُر: قال أمیالؤمنی علیه السلم َِّع َّي ِِف بَّنِی ْ َِّه (गुिरुल िे कम जजल्द 2 पेज 786) अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) नें फिमाया: जो यतीमों का ख़याल िखता िै उसकी अव्लाद का ख़याल िख्खा जाऐगा. 4-यतीमों से बेहतरीन सुलूक: َّ ُك ْن لِلْیَّتِی ْ ِم: قال رسو ل اهلل صلي اهلل علیه و اله و سلم َّکَّا ْۡل َّ ِب ال َّر ِحی ْ ِم (समजान अल हिक्मा जजल्द 4 पेज 3708) िसूले खुदा (स.अ.ि.) नें फिमाया: यतीमों के साथ मेििबान बाप जैसा सल ु क ू किो. 5-यतीमों के सर पर हाथ रखने का अज्र: PACHAS MAU… - 687 HAJINAJI.com َّ َّما ِم ْن ُم ْؤ ِمن َّو َّۡل:قال أمیالؤمنی علیه السلم ِ ِ م ِ یض عل َّاهلل ل َّ ُه بِ ُك ِل ُ ب َّ َّ ُ ْؤمنَّة َّ َّ ُع ی َّ َّد َُّه َّ ٰي َّراْس یَّتیْم إِۡلّٰ كَّت َََّّّشعْ ِر َّم َّر ْت ی َّ َّد ُه عَّلَّیْهٰا َّح َّسنَّة (समजान अल हिक्मा जजल्द 4 पेज 3708) िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: कोई भी मोसमन मदस या औित जब अपना िाथ यतीम के सि पि फेिता, या िखता िै तो पिििहदगाि उस्के सलये िि बाल के बदले एक नेकी सलख दे ता ि. PACHAS MAU… - 688 HAJINAJI.com तशिीि: यतीम की ककफालत (दे ख भाल) किना एक अजीम इबादत िै. जो शख्स यतीम की ककफालत किता िै खद ु ा ऐसे असबाब मुिय्या किता िै कक, उस के बच्चो की ककफालत की जाऐगी. कुिआन ि ििायात में यतीम के साथ अच्छा बतासि औि नेकी किने का िुक्म हदया गया िै , औि यतीम के माल की दे ख भाल औि उस्के माल को न खाने का अम्र (िुक्म) ककया गया िै. यतीमों की दे ख भाल औि उनपि इन्फाक (खचस किना) औि खाना खखलाने िगैिा का बिुत अज्र ि सिाब िै. जन्नत में एक आलीशान बाग िै जजसमें ससफस िि लोग जाएूँगे जो मोमेनीन के यतीमों को दन्ु या में खुश ककया किते थे. यतीम के सि पि िाथ िखना या उन्के सि पि िाथ फेिने का भी अज्र ि सिाब िै. जजतनें बाल िाथ फेिने के नतीजे PACHAS MAU… - 689 HAJINAJI.com में िाथ के नीचे आएूंगें तो िि बाल के एिज़ एक नेकी सलखी जाएगी. यतीमों का ख़याल िख्खें यि न िो कक यतीमों के नाम पि िम माल जमा किें औि कफि खुद िी खाजाएूँ. जो ऐसा किता िै या किे गा उस्का हठकाना जिन्नम िै. यतीमों के साथ अपनें बच्चों जैसा सल ु ूक किें जजस्तिि िम चािते िैं िमािे बच्चे खुशिाल औि अच्छे तिीके से ििें उसी तिि यतीमों के बािे में सोंचें . खुदा से दआ किते िैं बिक्के मोिम्मद ि ु आले मोिम्मद (अ.म.ु स.) यतीमों का ख़याल िखने औि उन्के साथ नेक सुलूक किने की तौफीक अता फिमा. (आमीन) PACHAS MAU… - 690 HAJINAJI.com िाकेआत: 1-मौला अली (अ.स.) और यतीम परवरी: िज़ित अली (अ.स) नें एक खातून को कूंधे पि पानी का मश्कीज़ा उठाऐ जाते िुिे दे खा. आप (अ.स.) नें आगे बढकि उससे मश्कीज़ा लेसलया औि खुद उठाया. उसे उस्के घि तक पिुूँचाया औि उस से उस्के िालात मालूम फिमाऐ. औित नें किा मेिे शौिि को िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) नें ककसी ज़रूिी शिई काम केसलये भेजा था िि उधि शिीद िोगया. अपनें बाद मेिे सलये चूंद छोटे यतीम बच्चे छोड़ गया िै . मेिे िसाऐल मिदद ू िैं. बच्चो की सिपिस्ती निीूं किपाती िूूँ. ज़रूित कीिजि से मैं लोगों के घिों में खखदमत किती िूूँ. िज़ित अली (अ.स.) ििाूँ से िापस लौटे औि खुिाक का सामान उठाया, उस औित के PACHAS MAU… - 691 HAJINAJI.com घि को चले जब आप (अ.स.) िि खुिाक का सामान उठाकि जा ििे थे तो िास्ते में आप (अ.स.) को आप (अ.स.) के सिाबा अकीदतमूंद मजबूि कि ििे थे कक सामान िम उठाते िैं. आप (अ.स.) फिमाते िैं: आज तो तुम उठािोगे लेककन क़यामत के हदन मेिा बाि कौन उठाऐगा? आप (अ.स.) उस खातून के दििाज़े पि पिुूंचे दक्कुल बाब ककया अूंदि से खातून नें पछ ू ा: कौन िै ? आप (अ.स.) नें जिाब हदया कक ििी जजसनें कल आप का मश्कीजा उठाने में मदद की थी. अब आप के बच्चों केसलये खुिाक लाया िूूँ दििाज़ा खोलें. औित नें दििाज़ा खोला खानें का सामान लेसलया औि दआ की. खुदा िूंदे मूतआल ु आप से िाजी औि अली इब्ने अबी तासलब PACHAS MAU… - 692 HAJINAJI.com (अ.स.) से बाज़ पुसस किे (हिसाब ि ककताब किे ) आप (अ.स.) नें इजाज़त चािी कक अगि इजाज़त िो तो अूंदि आजािूूं. उसने इजाज़त दी आप (अ.स.) नें फिमाया: मैं आप के घिे लू कामों में आप की मदद किना चािता िूूँ. बताि बच्चों को बिलािोगी या िोटी पकािोगी? औित नें किा मैं खाना बनाने का काम ज़्यादा बेिति जानती िूूँ. आप ज़िा मेिे बच्चों को बिला दें . खातून आटा खमीि (गूूंधनें) किने लगी तो िज़ित अली (अ.स.) जो गोश्त लाऐ थे उस्के कबाब बनाने लगे िि कबाब औि खुझूिें बच्चों को खखलाने लगे औि साथ साथ फिमाते: अय बच्चो तुम अली (अ.स.) से िाजी िोजाि. PACHAS MAU… - 693 HAJINAJI.com जब औित नें आटा खमीि किसलया तो दे खा कक तनूि िौशन िोगया िै , िज़ित अली (अ.स.) नें तनिू जला हदया आप (अ.स.) जब तनूि पि खड़े, इूंधन डाल ििे थे तो आग की ििाित मिसूस किते तो फिमाते: ज़िा इस गिमी को बदासश्त किो, आप ककसतिि उस बेिा औि यतीम बच्चों से बेखबि ििे . उस दौिान एक औित जो िज़ित अली (अ.स.) को जानती थी घि में दाखखल िुई जूंि ू ी उसकी नज़ि िज़ित (अ.स.) पि पडी तो जल्दी से उस बेिा औित से किा: यि क्या िुिा अय औित? अफ़सोस िै कक तू अिले इस्लाम के पेशिा औि मल् ु क के सिबिाि िज़ित अली इब्ने अबी तासलब (अ.स.) से घिे लू काम कििा ििी िै. औित शसमंदगी में डूब गई औि जल्दी से िज़ित अली (अ.स.) के पास पिुूंची अजस PACHAS MAU… - 694 HAJINAJI.com ककया: अय अमीरुल मोमेनीन मुझे आप से शसमंदगी िै मुझे माफ किदे ना. िज़ित अली (अ.स.) नें फिमाया: मैं आप से औि आप के बच्चों के िक़ में बेखबि िोने पि माज़ित (माफी) चािता िूूँ. (बबिारुल अन्िाि जजल्द 9 पेज 536 मौज़इ ू दास्तानें पेज 367 गूंजीनए मआरिफ जजल्द 1 पेज 789). 2-यतीमों से मेहरबानी: बसिा के ऐलाके में एक शख्स की िफात िुई, चूँकू क िि शख्स गन ु ािगाि था उस्की मय्यत उठानें में कोई शिीक न िुिा. उस्की बीिी नें उजित (ककिाऐ) पि चूंद मजदिू मूंगिाकि उस्का जनाज़ा उठिाया. गुस्ल ि कफ़न के बाद उस्की नमाज़े जनाज़ा मे शिीक िोने भी कोई न आया. जब मय्यत कब्रस्तान की तिफ ििाना िुई तो लोगों नें दे खा कक एक जाहिद ि पािसा PACHAS MAU… - 695 HAJINAJI.com शख्स िास्ते में खड़ा उस मय्यत का इन्तेज़ाि कि ििा था. जब मय्यत उस्के नजदीक पिुूंची तो िि खद ु भी जनाज़ा पढ़ने केसलये खड़ा िोगया औि साथ िालों को भी शिीक िोनें का िुक्म हदया. सब नें समलकि नमाज़े जनाज़ा पढ़ी. दे खनें िालों को उसपि तअज्जुब िुिा तो उन्िों नें उस पािसा से पूछा, उसनें बताया कक मझ ु े ख्िाब में िुक्म िुिा िै कक फलाूं जगि जाि. एक जनाज़ा आऐगा जजसके साथ ससफस एक खातन ू िोगी तम जाकि उसकी नमाज़े जनाज़ा पढ़ो, ु क्यूूंकक उसकी बख्शीश िो ग़ई िै. कफि उस पािसा शख्स नें मििूम की बीिी से उस्के िालात मालूम ककये, औित ने जिाब हदया कक मेिा शौिि अलल ऐलान कसित से शिाब पीता था. नेक शख्स नें पूछा क्या उस्का कोई अच्छा अमल भी था? PACHAS MAU… - 696 HAJINAJI.com औित ने किा िाूँ िि ससफस तीन अच्छे काम किता था 1-जब शिाब का नशा खत्म िोता िै तो िोता िै औि किता िै खद ु ाया! क्या मालूम तेिी जिन्नम के ककस गोशे में मेिा हठकाना िोगा- 2-सुबि सिेिे गुस्ल किता िै , सलबास तब्दील किके नमाज़ में मशगूल िोजाता िै - 3-िि िमेशा िि िक्त तीन चाि यतीम बच्चों को अपनें घि में िखता था औि अपनी अव्लाद से ज़्यादा उनसे मुिब्बत का इज़िाि किता था. (मौजूइ दास्तानें पेज 366) तम्मत बबलखैर व अलम्दलु लललाहे रल्ब्बल आलमीन. PACHAS MAU… - 697 HAJINAJI.com मनाबेअ व मआखज़ कुिआने मजीद = तजम ुस ा अल्लामा जीशान िैदि जिादी. निजुल बलागा = तजुसमा अल्लामा मुफ्ती जाफ़ि िुसैन सािब. सिीफ़ऐ कामेला = तजुसमा अल्लामा मुफ्ती जाफ़ि िुसैन सािब. 1-आमालल िाऐजीन = सय्यद ु इब्रािीम लैलानी 2-अिसनल ु मक़ाल = मौलाना सफ़दि िुसैन नजफी. 3-ओसूले काफी = मोिम्मद याकूब कुलैनी. 4-इशासदल ु कुलूब = आक़ाऐ दै ल्मी. 5-अमाली = शैख़ तस ू ी. 6-अल इिशाद = शैख़ मुफीद. 7-इूंसान साज़ िाकेआत = सय्यद अली अफज़ल जैदी. 8-बबिारुल अन्िाि = अल्लामा मजसलसी. PACHAS MAU… - 698 HAJINAJI.com 9-बबखिे मोटी = आयतुल्लाि दस्ते गैब. 10-बबस्त गुफ्ताि = शिीद मुतिििी. 11-वपूंन्दे तािीख = मस ू ा खस ु ििी. 12-तौबा आगोशे ििमत = उस्ताद अन्सारियान. 13-तौबा अज़ मूंज़िे कुिआन ि ििायात = उस्ताद ऐतमाद. 14-तिजीबे जज़ूंदगी = सय्यद शिूं शाि िुसैन नकिी. 15-तफसीिे नमूना = आयतुल्लाि मकारिम शीिाजी. 16-तफसीिे मजमउल बयान = िसन तबिी. 17-तफसीिे बुििान = आक़ाऐ बििानी. 18-चेिल िदीस = िसूल मिल्लाती. 19-ियातल ु कुलूब = अल्लामा मजसलसी. 20-खेसाल = शैख़ सदक ू . 21-खजीनतुल जिाहिि फी जीनतुल मनाबबि = अली अकबि निािाूंदी. PACHAS MAU… - 699 HAJINAJI.com 22-दास्तानिाये ओसूले काफी = मोिम्मद मोिम्मदी इश्तेिादी. 23-सीिते िज़ित फाततमा ज़ििा (स.अ.) = मोिम्मद सलीम अल्िी. 24-सफीनतुल बबिाि = शैख अब्बास कुम्मी. 25-शििे जज़यािते अमीनुल्लाि मिल्लती. = िसूल 26-शििे िदीसे जुनूद ि अक्ल ि जेिल = इमाम खुमैनी. 27-आकेबत ि कैफि गुनाि गािाूं = सय्यद जिाद िज़िी. 28-गोिरुल िे कम शैखुल इस्लाम. (उदस)ू = सय्यद िुसैन 29-इबित अूंगेज़ िाकेआत = मोिम्मद िुसैन तेििानी. 30-फीिोजुल कफिोज़ुद्दीन. लुगात (उदस)ू PACHAS MAU… - 700 = मौलाना HAJINAJI.com 31-कुिआनी लतीफे = सय्यद तमीजुल िसन िज़िी. 32-ककताबश्ु शाफी = ककबला ज़फि िसन अमिोििी. 33-कन्जुल आमाल = हिन्दी. मुल्ला मुत्तकी 34-कश्कोल = शैख़ बिाई. 35-कश्कोल दस्ते गैब = आयतुल्लाि दस्ते गैब. 36-गूंजीनऐ मआरिफ = मोिम्मद ििमती शिि सफा. 37-गुन्जिाई बहिश्ती = अली मोिम्मद िैदि निाकी. 38-समज़ानुल हिक्मा = आक़ाऐ िय शििी. 39-मोजेज़ाते आले मोिम्मद (स.अ.ि.) = सय्यद िासशम बििानी. 40-मनाककबे आले अबी तासलब = इब्ने शििे आशोब. PACHAS MAU… - 701 HAJINAJI.com 41-मजासलसे बनी िासशम = सय्यद इश्तेयाक िुसैन कबसलाई. 42-मौज़इ ू दास्तानें = काजजम सईद पिू . 43-िसाऐ लुश्शीआ = शैख़ िुिे आमुली. 44-िज़ाि ि यक हिकायते अखलाकी = मोिम्मद िुसैन मोिम्मदी. 55-यक सदो पूंजाि मौज़ू अज़ कुिआनें किीम ि अिादीसे अिलेबैत (अ.मु.स) = अकबि दिक़ानी. 46-इल्मी उदस ू लोगत = िारिस सि हिन्दी. 47-ि िफ़ाना लका जजकिक = सय्यद जुजल्फकाि िुसैन नक़िी. औि मुखतसलफ़ अखबािात ि िसाऐल, क़ुतुब इूंटि नेट से इस्तेफादा. .’तम्मत’. PACHAS MAU… - 702 HAJINAJI.com