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(Vedas) Dr. Ganga Sahay Sharma, Dr. Rekha Vyas - Samveda, Yajurveda, Atharveda...(4 Vedas Set) सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद in Hindi. 1-4-Vishv Books Private Ltd. (2014)

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ऋ वेद
डा. गंगा सहाय शमा
एम.ए. ( हद -सं कृत), पी-एच.डी.,
ाकरणाचाय
सं कृत सा ह य काशन
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© १९७९
सं कृत सा ह य काशन
सं करण : २०१६
ISBN : 978-93-5065-223-7
VP : 1750.5H16*
सं कृत सा ह य काशन के लए
व बु स ाइवेट ल.
एम-१२, कनाट सरकस, नई द ली-११०००१
ारा वत रत
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अपनी बात
मने सायण आचाय के भा य पर आधा रत ऋ वेद का अनुवाद कया था. उस समय
आशा नह थी क ाचीन भारतीय सं कृ त को जानने क इ छा रखने वाल को यह इतना
अ धक चकर लगेगा. मुझ जैसे सामा य
के लए यह गौरव क बात है. व ान्,
चतक एवं मनीषी पाठक ने अब तक कसी ु ट एवं असंग त का संकेत नह कया है,
इससे म अनुमान लगाने का साहस कर सकता ं क इस ंथ का अनुवाद, मु ण आ द
संतोषजनक है.
इस ंथ म ऋ वेद क ऋचा का वह अनुवाद दया आ है, जो अथ सायणाचाय को
अभी था. इस अनुवाद का आधार सायण का भा य है. उ ह ने जस श द का जो अथ
बताया है, वही मने इस अनुवाद म दे ने का य न कया है.
मने अनुवाद करने के लए चार वेद म से ऋ वेद और ऋ वेद के अनेक भा य म से
सायण भा य ही य चुना, इसका उ र दे ने म मुझे संकोच नह है. ऋ वेद भारतीय जनता
एवं आय जा त क ही ाचीनतम पु तक नह , व क सभी भाषा म सबसे पुरानी
पु तक है. सबसे ाचीन सं कृ त—वै दक सं कृ त—के ाचीनतम ल खत माण होने के
कारण ऋ वेद क मह ा सवमा य है. म इस ववाद म पड़ना नह चाहता क ऋ वेद क
ऋचा का ऋ षय ने ई रीय ान के प म सा ा कार कया था या उ ह ने वयं इनक
रचना क थी. वैसे ऋ वेद म समसाम यक समाज का जस ईमानदारी, व तार एवं त मयता
से वणन कया गया है, उससे मेरा
गत व ास यही है क ऋ षय ने समयसमय पर इन
ऋचा क रचना क होगी.
सायण के अ त र ऋ वेद पर वकट माधव, उद्गीथ, कंद वामी, नारायण, आनंद
तीथ, रावण, मुदगल,
्
दयानंद सर वती आ द अनेक व ान ने भा य लखे ह. इनम कसी
का भा य पूण प म उपल ध नह है. केवल सायण ही ऐसे व ान् ह, ज ह ने चार वेद
पर पूण भा य लखा है और वह उपल ध है.
सायण का जीवनकाल चौदहव शता द है. वह वजयपुर नरेश ह रहर एवं बु क के
मं ी रहे थे. स आयुवद ंथ ‘माधव नदान’ लखने वाले माधव आचाय इ ह के भाई थे.
कसी भी श द का अथ जानने म परंपरागत ान का ब त मह व है. सायण को
ऋ वेद के परंपरागत अथ को जानने क सु वधा बाद म होने वाले आचाय से अ धक थी.
यह न ववाद है. मं ी होने के कारण सभी पु तक क ा त और व ान क सहायता उ ह
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सहज सुलभ थी. सायण ने ऋचा के येक श द का व तार से अथ कया है. येक
श द क ाकरणस मत ु प क है तथा उ ह ने नघंटु, ा तशा य एवं ा ण ंथ के
उदाहरण दे कर अपने अथ क पु क है. इस कार सायण का अथ नराधार नह है.
वै दक मं के अथ जानने के हेतु या क आचाय ने तीन साधन बताए ह:
१. आचाय से परंपरा ारा सुना आ ान एवं ंथ.
२. तक.
३. मनन.
सायण ने इन तीन का ही सहारा लेकर अपना भा य लखा है. सायण क कोई धारणा
अथवा जद नह जान पड़ती. कुछ अ य आचाय के समान उ ह ने सभी मं का
आ धभौ तक, आ या मक या आ धदै वक अथ नह कया है. कुछ आचाय का यहां तक
व ास रहा है क येक वै दक मं के उ तीन कार के अथ संभव ह. सायण ने संग
के अनुकूल कुछ मं का मानव जीवन संबंधी, कुछ का य संबंधी और कुछ का
आ मापरमा मा संबंधी अथ दया है. सायण के अनुसार, अ धकांश मं का अथ मानव
जीवन संबंधी ही है. शेष दो कार का अथ उ ह ने ब त कम मं का कया है. इस कार
एकमा सायण ही ऐसे भा यक ा ह, ज ह ने कसी वाद का च मा लगाए बना वै दक मं
का अथ कया है. उनका भा य साधारण
को वेदाथ समझने म भी सहायक है. इ ह
सब कारण से मने अपने अनुवाद का आधार सायण भा य को बनाया है.
इस अनुवाद के साथ ऋ वेद क मूल ऋचाएं भी द जा रही ह. हद म ऋ वेद के अ य
अनुवाद भी ए ह, ज ह उनके लेखक ने सायण भा य पर आधा रत बताया है. म यह
कहने का साहस तो नह कर पाऊंगा क उन सबके अनुवाद शु नह ह; हां, यह कहने म
मुझे संकोच नह है क मने सायण का आशय प करने का पूरा य न कया है.
ऋ वेद का वभाजन दस मंडल म कया गया है. येक मंडल म ब त से सू एवं
येक सू म अनेक ऋचाएं ह. मने अनुवाद म केवल यही वभाजन दया है. वैसे येक
मंडल कुछ अनुवाक म वभ है. अनुवाक सू म बांटे गए ह. संपूण ऋ वेद को चौसठ
अ याय म वभ करके उनके आठ अ क बनाए गए ह. येक अ क म आठ अ याय ह.
सायण ने ये सब वभाजन दए ह. उनके भा य म अ क एवं अ याय को ही मुखता द
गई है. एक तो यह वभाजन कृ म है, सरे इससे थ का म होता है, इस लए मने इनका
उ लेख नह कया है.
सं हता अथवा भा य म येक मं के ऋ ष, दे वता, छं द और व नयोग का उ लेख है.
ऋ ष का ता पय उस मं के नमाता या ा ऋ ष से है. दे वता का अथ है— वषय. यह
दे वता श द के वतमान च लत अथ से सवथा भ है. ऋ वेद के दे वता सप नी (सौत), ूत
(जुआ), द र ता, वनाश आ द भी ह. छं द से ता पय उस सांचे या नाप से है जस म वह मं
न मत है. व नयोग का ता पय है— योग. जो मं समयसमय पर जस काम म आता रहा,
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वही उस का व नयोग रहा. वै दक मं का अथ समझने म दे वता ( वषय) ही आव यक है.
इस लए मने केवल दे वता का ही उ लेख कया है.
अ धकांश सू म एक सू का ऋ ष एवं छं द एक ही है. कुछ सू म अलग-अलग
मं के अलग ऋ ष एवं छं द भी ह. सभी वण के पु ष के अ त र कुछ ना रयां भी ऋ ष
ई ह. मं के साथ ा ण,
य, वै य एवं शू सभी ऋ ष के प म संबं धत ह. ा ण
एवं
य ऋ षय क सं या ही सवा धक है. वै य एवं शू ऋ ष एकएक ही ह.
वै दक आय का समाज पूणतया वक सत एवं उ त समाज था. य द ऋ वेद म व णत
बात को मानव जीवन संबंधी वीकार कया जाए तो आय का जीवन सभी कार से पूण
था. ऋ वेद म कुछ व तु एवं पशुप य के नाम एवं वणन सा ात् प से आए ह और
कुछ का उ लेख अलंकार प म आ है. वणन चाहे कसी भी प म हो, पर इतना स
हो जाता है क ऋ वेदकाल के लोग इन सब बात को जानते थे. कुछ बात उ ह ने य
दे खी थ और कुछ क उ ह क पना हो सकती है.
कवच, लोहे का ार, सोने अथवा लोहे क नकद , सुस जत सेना, ढाल-तलवार,
कारावास, हथकड़ी-बेड़ी, आकाश म उड़ने वाला बना घोड़ का रथ, सौ पतवार वाली नाव,
लोहे का नकली पैर, अंधे को आंख मलना, बूढ़े का दोबारा जवान होना, जुआ खेलना,
भचा रणी ी का र जाकर गभपात करना, कामुक नारी का संकेत थल पर आना,
क या के पता ारा क या को अलंकृत करना, लकड़ी का सं क, घोड़ा चलाने का चाबुक,
लगाम, अकुंश, सुई, कपड़ा बुनने वाला जुलाहा, घड़ा बनाने वाला कु हार, रथकार, सुनार,
कसान, तालाब से सचाई, हल जोतना आ द ऐसी बात ह, जो वै दक आय को सभी कार
वक सत स करती ह.
कुछ लोग का ऋ वेद म
भचा रणी ी, गभपात, ेमी और ेयसी, कामी पु ष,
कामुक नारी, क या के पता या भाई ारा उ म वर पाने हेतु दहेज दे ना, अयो य वर का
उ म वधू पाने हेतु मू य चुकाना, चोर, जुआरी, व ासघातक म आ द का उ लेख
अनु चत लग सकता है. इन श द के वे सरे अथ करगे एवं त कालीन समाज म इन बात
को कभी वीकार नह करगे. म वा त वकता बताने के लए उनसे मा चा ंगा, मेरा ढ़
व ास है क एक बु
धान एवं वचारशील वक सत समाज म ये बात होनी वाभा वक
ह.
दनभर जंगल म चरकर घर को लौटती गाय, र सी से बंधे बछड़े का रंभाना, गाय का
ध हना, छाछ बलोना, क चे मांस पर म खय का बैठना, च ड़य का चहचहाना आ द
पढ़कर ऐसा लगता है क भारत के गांव म आज भी वै दक जीवन क झलक मल जाती है.
नाग रकता का व तार एवं व ान क प ंच उसे वकृत कर रही है. आय मु यतया कृ ष
जीवी एवं ाम म रहने वाले लोग ही थे. बाद म उ ह ने नगर भी बसाए, पर ऋ वेद म
अ धकांश नगर श ु नगर के प म बताए गए ह.
मुझे ऋ वेद का सायण भा यानुसार अनुवाद करने म लगभग ढाई वष लगे. य द मुझे
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सायण के समान व तृत भा य लखना पड़ता तो संभवतया चालीस वष लगते. मेरे लए इस
अनुवाद क एकमा उपल ध यही है क म इस बहाने संपूण ऋ वेद एवं इसका सायण
भा य पढ़ सका. य द कसी अ य
का इस अनुवाद से कोई योजन स हो सके तो
म अपना य न सफल समझूंगा.
मेरे वयं के माद अथवा अ ान के कारण अथवा मु ण संबंधी क मय के कारण य द
अब भी कुछ ु टयां रह गई ह तो उ ह म आगामी सं करण म सुधारने हेतु कृतसंक प ं.
जो महानुभाव इस ओर माग नदशन करगे उनका म आभार मानूंगा.
अपनी बात समा त करने से पहले म यह कहने का लोभ संवरण नह कर पा रहा ं क
ऋ वेद क एक बात ने मुझे ब त च कत कया है. उ त समाज, वचारशील लोग एवं स य
प रवार क सभी साम ी का उ लेख होते ए भी कह भी द पक अथवा कसी कृ म
काशसाधन का नाम नह मला.
डा. गंगा सहाय शमा
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थम मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न का वणन एवं तु त १-९
तु त, धन ा त १-३
दे वता
को तृ त करना, यशोगान, क याणकारी, नम कार ४-७
कमफलदातृ, ाथना ८-९
२.
वायु, इं , व ण आ द क तु त १-९
आ ान, तु त, शंसा १-३
अ क
ा त, आ ान ४-८
बल व कम हेतु ाथना ९
३.
अ नीकुमार क तु त १-१२
पालक, बु
मान्, श ुनाशक १-३
सोमपान हेतु आ ान ४-५
अ
वीकार हेतु ाथना ६
व ेदेवगण का आ ान ७-९
सर वती का आ ान, ध यवाद, तु त १०-१२
४.
इं का वणन एवं तु त १-१०
आ ान, गाय क तु त, आ ान, शरण १-४
दे श नकाला, कृपा ५-६
सोमरस सम पत ७
इं क तु त ८-१०
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५.
इं क तु त १-१०
धन-बल, शंसनीय, याचना १-१०
६.
इं एवं म द्गण क तु त १-१०
तु त, घ न ता, पूजा-अचना १-१०
७.
इं क तु त १-१०
तु त, सूय, पशुलाभ, ाथना १-१०
८.
इं क तु त १-१०
जीतना, ान व पु
ा त १-६
सोमरस का न सूखना, वाणी, वभू तयां ७-९
मं
९.
के इ छु क १०
इं क तु त १-१०
श ुनाश व काय स
धन, वषा क
१-२
ाथना, ेरणा ३-६
धन याचना, दान, आ ान, य म वास ७-१०
१०. इं क तु त १-१२
अचना, वषाथ म द्गण व इं का आना १-२
बु
क कामना, तु तगान ३-५
मै ी, धन व श
हेतु सामी य ६
ार खोलने का आ ह, म हमामं डत, तु तयां, धन कामना, आशा ७-१२
११. इं क तु त १-८
बलशाली, नम कार, दान के नाना
प, असुर को घेरना १-५
दान क म हमा, शु ण का नाश, दे ने का ढं ग ६-८
१२. अ न क तु त १-१२
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दे व त, आ ान, तु त, र ाथ ाथना, आ ह १-९
धन, संतान, अ क
ा त, दे व त १०-१२
१३. अ न क तु त एवं वणन १-१२
व लत, र क व शंसनीय, तु त १-७
अ न, सूय, इला आ द का आ ान ८-१२
१४. अ न क तु त १-१२
इं , सोमपान हेतु आ ान १-१०
आ ह, घोड़े जोड़ना ११-१२
१५. ऋतु इं व म द्गण आ द का वणन १-१२
सोमपान, प थर १-७
वणोदा, धनदाता, सोमपान ८-११
क याण क कामना १२
१६. इं क तु त १-९
ह र नामक घोड़े १-४
सोमपानाथ आ ह, गाएं व अ क कामना ५-९
१७. इं एवं व ण क तु त १-९
र ा, धन व अ क कामना १-४
धन ा त, इं व व ण क उ म सेवा व तु त ५-९
१८.
ण प त क तु त व इं ा द का वणन १-९
आ ह, फलदाता, कृपा याचना १-२
र ाथ, उ त, पाप से र ा, तु त ३-९
१९. अ न एवं म द्गण क तु त १-९
आ ान १-२
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य क ा सव े , म द्गण क तु त, शंसा, मधु सम पत ३-९
२०. ऋभुगण क तु त १-८
तो , घोड़े, रथ व गाय बनाना १-३
सफलतादायक मं , अपण, पा
भाग ४-८
तोड़ना, वण, म ण आ द क
२१. इं एवं अ न का वणन १-६
शंसा, आ ान, संतानहीन, ग त १-६
२२. अ नीकुमार, म आ द क तु त १-२१
आ ान, तु त, नमं ण, दे वप नयां, याचना १-१५
आगमन, प र मा, व णु क कृपा से यजमान के त पूण १६-२१
२३. वायु, इं आ द क तु त १-२४
सोमरस, र ा मांगना, आ ान, महान् व श ुनाशक १-९
संतान, र ा कामना, आ ह, सोमरस क
ऋतुए,ं हतकारी जल, क
ा त १०-१४
, अमृत व ओष धयां १५-२०
रोग नवारण, तु त २१-२४
२४. अ न आ द दे व क तु त १-१५
पुकार, धन याचना, शंसा, ाथना १-९
तार व चं मा का का शत होना १०
आयु याचना, शुनःशेप, पापमु
हेतु ाथना ११-१५
२५. व ण क म हमा का वणन १-२१
ोध न करने का आ ह, स होना, जीवनदान, अंतयामी व ण १-११
आयुदाता, कवचधारक यशोगान, ह , रथ, काशक ा १२-२१
२६. अ न क तु त १-१०
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ा त, य
व तु याचना, स ता, पूजन, तु तयां १-१०
२७. अ न क तु त १-१३
वंदना, याचना, फलकारी, तु त १-८
पूजा, ाथना, अनु ान व य , जापालक, तु त ९-१३
२८. इं आ द क तु त १-९
आ ान, ऊखल, मूशल क तु त, पा
१-९
२९. इं क तु त १-७
धन क अ भलाषा १-७
३०. इं क तु त १-२२
सोमरस अ पत, उदर, ाथना, सोमरस पीने क
वग, कृपा, गाय, धन आ द क वृ
ाथना, तु त, र ाथ बुलाना १-७
, रथ, गो ा त ८-१७
रथ, उषा क तु त १८-२२
३१. अ न क तु त १-१८
अं गरागो ीय ऋ ष, मुखता, कन से वग १-७
सुख, अ , धन, पु व द घायु क कामना ८-१०
पु र ा का आ ह ११-१२
य
१३
ान व दशा
सुखकारी य
का बोध १४
१५
भूल हेतु मा याचना १६
मनु, अं गरा, यया त १७
संप , अ एवं बु
ा त १८
३२. इं क तु त १-१५
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माग बदला, मेघ, वृ , दनु का वध १-१०
वाह खोलना, माया को जीतना, नडर, पशु वामी ११-१५
३३. इं क तु त १-१५
गो-इ छा, वनती, अनुचर को मारना १-८
र ा ९
जल बरसाना, वृ वध, दश ु व ै ेय ऋ ष १०-१५
३४. अ नीकुमार क तु त १-१२
आ ान, सोमा भषेक, रथ १-९
ह व व सोमरस लेने का आ ह, आ ान १०-१२
३५. सूय क तु त १-१२
र ाथ आ ान, स वता का रथ, सफेद घोड़े, क ल, काशदाता १-५
वग व भूलोक पर अ धकार,
ा त होना, धन मांगना, र ाथ ाथना ६-११
३६. अ न का वणन १-२०
अ
ा त, दे व त, श ु क हार, धन वषा, धुआं, धारण, उ त १-१३
पाप , रा स व श ु
श ुनाश १४-२०
से र ा, धन
ा त, दमनक ा, क याणकारी,
३७. म त का वणन १-१५
तु त, वाहन, चाबुक, तेज,
ेरणा १-१२
ध, कंपाना, चाल, आकाश, व तार, बादल,
पद व न, ाथना, द घायु १३-१५
३८. म त क तु त १-१५
आ ान, तु त, सेवा, वषा, स चना १-९
गरजना, नद , तु त एवं वंदना १०-१५
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३९. म त का वणन १-१०
समीप जाना, श ु संहार, व न, र ाथ तैयार,
४०.
ोध १-१०
ण प त क तु त १-८
तु तगान व श ुनाशाथ ाथना १-४
दे व नवास,
ण प त, श ुनाश ५-८
४१. व ण म आ द दे व का वणन १-९
ानी से संर ण, उ त, पापनाश, सुगम माग १-५
धन व संतान क
ा त, तो , तृ त, नदा न करना ६-९
४२. पूषा क तु त १-१०
माग के पार लगाने, आ ांता
को हटाने, सजा दे ने व श
दे ने क
ाथना १-५
धन ा त, उ रदा य व, अ , धन मांगना ६-१०
४३.
, व ण आ द दे व क तु त १-९
ओष ध व सुख मांगना १-४
चमक ला, सुखकारी, अ व जा कामना ५-९
४४. अ न व म द्गण क तु त १-१४
धन याचना, सेवन, तु त, द घजीवन, ाथना, हतसाधक, लपट, तु त १-१४
४५. अ न क तु त १-१०
आ ान,
क व, र ा याचना, चमक ली लपट, फलदाता १-१०
४६. अ नीकुमार क तु त १-१५
अंधकारनाशक, नवासदाता, तापशोषक, तु त १-५
द र ता मटाना ६
रथ, काश, उ दत सूय, माग, र ा नवास, ७-१३
ह व हण करने व सुख दे ने क ाथना १४-१५
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४७. अ नीकुमार क तु त १-१०
धन याचना, तु त, य स
क इ छा, र ाथ ाथना १-५
सुदास, कुश पर बैठने व सोमपान का आ ह ६-१०
४८. उषा का वणन १-१६
अ व पशु मांगना, पा लका १-५
भ ुक व प ी, समीप जाना ६-७
शोषक को भगाना, तु त, अ याचना ८-१६
४९. उषा का वणन १-४
लाल गाएं, आगमन, काम म लगाना, अंधकार का नाश १-४
५०. सूय क तु त १-१३
सूय का जाना, न
का भागना, करण, वगलोक, तु त १-७
घोड़े व सात घो ड़यां ८-९
यो तयु , रोगनाशाथ ाथना १०-१३
५१. इं क तु त १-१५
बलवान, र क, वषक, तु त, माया वय को हराना, कु स, शंबर, व
वरो धय का नाश १-८
वय
ब ,ु घोड़े, शु ाचाय, शायात, क या, अ , रथ, धन दे ना, वजयी बनाना ९-१५
५२. इं क तु त १-१५
र ाथ ाथना, श
व नमं ण, पूणता, सहायक, घायल वृ
व ा, वृ नाश, आकाश म सूय, वृ वध, बल ७-१२
पालक, अचना १३-१५
५३. इं क तु त १-११
धन पर अ धकार १
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१-६
के
कामना पूण हेतु ाथना, गाय घोड़े, मांगना १-५
उप व शांत करना ६
असुर नमु च, करंज एवं पणय, राजा सु वा ७-१०
द घजीवन क
ा त ११
५४. इं क तु त १-११
श दायमान व वृ क ा, तु त १-३
शंबर, नगर का वनाश, अतुलनीय, बु
बल, कामनाएं ४-९
पेट म मेघ १०
रोग मटाने, धन, संतान व अ दे ने क
ाथना ११
५५. इं का वणन १-८
व रगड़ना, सोमरस के लए दौड़ना, आगे रहना, तु त,
होना १-८
५६. इं का वणन १-६
सोमपान, तो का प ंचना, श
शाली मेघ से अलग करना १-६
५७. इं क तु त १-६
बल हरना असंभव, इ छापूरक, शौय क तु त १-६
५८. अ न का वणन १-९
अंत र लोक, वालाएं, धनदाता, दाहक, डरना १-५
पूजनीय, सुखदायक, धन याचना व पाप से मु
६-९
५९. अ न क तु त १-७
धारक, वनवास १-३
तु त ४-७
६०. अ न का वणन १-५
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ा व कम का
भृगुवंशी, सेवा एवं तु त १-५
६१. इं का वणन १-१६
अ दे ना व ह
वसजन १-४
अ लाभाथ मं बोलना ५
व , वृ वध, श ुनाश, फल मलना ६-११
पशु काटना, वृ वध, शंसा १२-१४
ऋ ष नोधा, एतश का र ण व ऋ षय क उ त १५-१६
६२. इं का वणन १-१३
तो , सरमा कु तया को अ
मलना १-३
मेघ का डरना, अंधकार-नाश, न दयां भरना ४-६
वश म करना ७
रात काली व उषा उजली ८
काली व लाल गाय का सफेद ध ९
तु त १०-१३
६३. इं क तु त १-९
भय, रथ, शु ण असुर, कु स, श ु-असुरसंहारक, नाश १-७
धन व अ
व तार हेतु ाथना ८-९
६४. म द्गण का वणन १-१५
तु तयां, म द्गण, कंपन, स जत, वश म करना, नाश १-६
लाल घोड़ी, वृ -भ ण, गजन, बैठना, आयुधधारक ७-११
धन व पु - ा त १२-१५
६५. अ न का वणन १-१०
समीप आना, रोकना असंभव, काशमान १-१०
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६६. अ न का वणन १-१०
अ मांगना, आ तयां १-१०
६७. अ न का वणन १-१०
कृपा, अ न ा त, अ
वामी, पशु य थान के र ाथ ाथना १-६
तु त, पूजा एवं कम ७-१०
६८. अ न का वणन १-१०
तेज ारा र ा १-४
धन व पु कामना, आ ापालन ५-१०
६९. अ न का वणन १-१०
तेज वी, सुखकारी, आनंदकारी, सुखदाता, ह
वहन १-१०
७०. अ न का वणन १-११
अ याचना, र ण, पालन, सहायक १-११
७१. अ न का वणन १-१०
सेवा, श
, त, कुशल १-५
नम कार से अ वृ
६-७
ेरणा, म व व ण ८-९
बुढ़ापा भगाने का य न १०
७२. अ न का वणन १-१०
अमृत व धन मलना, म द्गण भी ःखी, नाम व शरीर मलना १-४
पूजन, र क, ह ववहन, भ ण, जल बहाना, वालाएं फैलाना ५-१०
७३. अ न का वणन १-१०
अ दान, ःख ाता, धनदाता, ध पलाना, नशा, संसार-र क, श ुपु
कामना १-१०
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का वध व
७४. अ न का वणन १-९
उप थत दे व, धनर क शोभा बढ़ाना, ह दान से धन, अ , ऐ य व श
लाभ १-९
७५. अ न क तु त १-५
तु त, बंध,ु
य म एवं फलदाता १-५
७६. अ न क तु त १-५
स ता के उपाय, पूजा, य र ा, संतान आ द क याचना १-५
७७. अ न का वणन १-५
तेज वी, ह
दे ना, तेज वी, सोम को पीना १-५
७८. अ न क तु त १-५
गुण काशक तो , गौतम ऋ ष ारा तु त १-५
७९. अ न का वणन १-१२
मेघ का कांपना व बरसना, भगोना १-३
धन, अ व र ाथ याचना ४-१२
८०. इं क तु त १-१६
अ ह को पीटना १
येन बनने वाली गाय ी २
भु व का दशन, भयभीत, य कम सम पत ३-१६
८१. इं का वणन १-९
र ाथ ाथना, सेना के समान, गवहंता, अतुलनीय, धन, बु
याचना १-९
८२. इं क तु त १-६
तु त सुनने समीप जाना १-४
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व शौय क
ेयसी के पास जाने हेतु आ ह ५-६
८३. इं का वणन १-६
धन क
ा त १
एक क या अनेक वर २
श
मलना, पूजन, स होना ३-६
८४. इं का वणन १-२०
आ ान, स , घोड़े, धन मलना, छत रयां कुचलना १-८
अ धकार दशन ९-१२
दधी च १३
अ
क
शंसा १४-१६
र ा व शंसा १७-२०
८५. म द्गण का वणन १-१२
अलंकार
य, श
शाली होना १-३
बुंद कय वाली ह र णयां ४-५
घोड़े व नवास थल, भय ६-८
वृ वध ९
वीणा वादन, गौतम, सुख याचना १०-१२
८६. म द्गण क तु त १-१०
सोमपान व ह
वहन १-७
पसीने से नहाना ८
उप व, रा स का नाश ९-१०
८७. म द्गण क तु त १-६
चमकना, वृ , पवत को कंपाना, य पा , धारण, थान १-६
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८८. म द्गण का वणन १-६
अ लाना, क याण, आयुध, कुआं उठाना, तु त १-६
८९. व ेदेव का वणन १-१०
आयुवृ
, धन व ओष ध हेतु याचना, क याण १-६
सफेद बूंद वाले घोड़े व नाना वण क गाएं ७
मानव क आयु सौ वष तय ८-९
ज म और उसका कारण १०
९०. व ेदेव का वणन १-९
गंत , धन व सुख लाभ १-३
माग व मधु वषा ४-६
आकाश व दे व
ारा सुख ७-९
९१. सोम का वणन १-२३
धन, फलदाता, सुधारक १-३
ह
लेने हेतु ाथना ४-५
जीवनदा यनी ओष ध व धन ६-७
ःख से बचाने क
य , संप
क वृ
ाथना ८-९
व दय म वास १०-१३
अनु ही व हतकारी, अ कामना १४-१८
पु र क, शा
, पु दाता १९-२०
श ुजेता, अंधकारनाशक, वामी २१-२३
९२. उषा एवं अ नीकुमार का वणन १-१८
अंधकारनाशक, पहले तेज पूव म १-६
गोयु अ -धन क याचना ७-८
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प म म तेज ९
प य क हसा १०
तेज का व तार, धन व सौभा य मांगना ११-१५
धन व यो त मलना, आरो य व सुखदाता १६-१८
९३. अ न एवं सोम क तु त १-१२
सुख, गाएं, अ , पु -पौ क याचना १-३
उपकारी सूय ४
न
धारण व धरती का व तार १-६
अ भ ण, पाप से बचाने क
अ य दे व से अ धक
स
ाथना ७-८
९
धन मांगना १०-१२
९४. अ न क तु त १-१६
क याण, धन बटोरना, महान्, पुरो हत, अंधकारनाशक, हसा से बचाने क
वन घेरना, प य का डरना, संप य म नवास, आ त १-१४
समृ
बनाना, आयुवृ
ाथना,
क कामना १५-१६
९५. अ न का वणन १-११
रात- दन के पु , यश वी,
आकाश का डरना १-५
ापक, ऋतु वभाजक, जल उ प
बल का वामी, करण के समान, अ व धन क
ा त ६-११
९६. अ न का वणन १-९
वायु व जल १
धारण करना २-७
धन व अ क कामना ८-९
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का कारण, धरती व
९७. अ न क तु त १-८
पूजा से पाप न एवं र ा १-६
पालनाथ याचना ७-८
९८. अ न का वणन १-३
ातःकाल सूय से मलना १
दवस रा
म श ु से बचाव २
य सफलता हेतु ाथना ३
९९. अ न का वणन १
ःख व पाप से पार लगाने क
ाथना १
१००. इं का वणन १-१९
र क बनने का आ ह १
सूय क चाल पाना असंभव २
म द्गण क सहायता से र क बनना ३-१५
मानव सेना को इं के अ
वृषा गरी के पु
श ु
ारा जानना १६
ारा इं क तु त १७
, रा स का वध, भू म, सूय व जल का बंटवारा १८
इं पूजन का आ ह १९
१०१. इं का वणन १-११
कृ ण असुर क प नयां, वृ , शंबर, प ु, आ ान, वामी १-६
म यमा वाणी, उ दत होना, स यधन, ह व दे ना, उप जह्वा खोलने का आ ह,
अ पूजन ७-११
१०२. इं क तु त १-११
तु त, सूय व चं का घूमना, रथ, श ु-श
, अ ाकुल व जयशील, असी मत ान,
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तु त १-७
संसार वहन म समथ, श ुनाशक पु मांगना, आ ान, अकु टल ग त ८-११
१०३. इं का वणन १-८
यो त मलन, वृ वध, गमन, समूह नमाता १-४
धन, स होना, शु ण, प ु आ द का नाश ५-८
१०४. इं का वणन १-९
वहन, समीप जाना, शफा, अंजसी, कु लशी, वीरप नी
नामक न दयां, कुयव असुर गभ थ संतान,
ा, भो य पदाथ, सोमपान ६-९
१०५. व ेदेव का वणन १-१९
चं मा, सवपीड़ा, पूवपु ष, दे व त, तीन लोक मे वतमान, पापबु
क , सौत, करण क तु त १-९
श ,ु मान सक
शंसनीय तो , भे ड़ए को रोकना, नवीन बल, बंधुता, परम ानी, मननीय तु त,
अ त मण असंभव, त, लाल वृक, अनु ह १०-१९
१०६. व ेदेव का वणन १-७
माग, शोभनदानयु
श
दे व, य वधक ावा-पृ वी, र ाथ ाथना, अ याचना १-४
, वृ हंता, जाग क ५-७
१०७. व ेदेव का वणन १-३
अनु ह याचना, तुत दे व, र ाथ ाथना १-३
१०८. इं व अ न क तु त १-१३
रथ, प रमाण, संयोजन, कुश फैलाना, म ता,
के बीच थत होना, धरती-आकाश १-९
ा, आ ह, य , तुवश, अनु आ द
कामवषक, सोमपान, स होना, आदर १०-१३
१०९. इं व अ न क तु त १-८
तु त, जामाता, क यालाभ, परंपरा, हथे लयां १-४
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बल दशन, महान्,
लोक, असुरनाशक ५-८
११०. ऋभुगण क तु त १-९
तो , घर जाना, साधन, अमरता, अ धकार १-९
१११. ऋभुगण का वणन १-५
ह र नामक दो घोड़े बनाना, नवास, अ पूजन, आ ान, वजयी बाज १-५
११२. अ नीकुमार क तु त १-२५
शंख बजाना, ा नय क र ा, शासन, ापक, रेभ व वंदन ऋ ष, क व, भु यु,
ककधु, व य, पृ गु, पु कु स, ऋजा , ोण, व स , कु स, ुतय, नय वप ला,
वश ऋ ष १-१०
द घ वा, क ीवान्, शोक, मांधाता, भर ाज, दवोदास, पृ थ, शंयु, अ , ऋ ष
पठवा, तो , वमद, अ धगु व ऋतु तुभ ११-२०
कृशानु, पु कु स, मधु दे ना, घोड़े, कु स, तुव त आ द, आ ान, तु त २१-२५
११३. उषा एवं रा
का वणन १-२०
उप
थान, वचरण, एक माग, ने ी, भुवन का काशन, अभी , अधी री, चेतन
बनाना, क याण, अनुकरण १-१०
दे खना, े षय को हटाने वाली, तेज से वचरना, लाल रथ से आना, तेज से बढ़ना,
अ
बढ़ाना, धन वा मनी उषा, अ
दे ने वाली, तो
क
शंसा,
क याणकारी ११-२०
११४.
क तु त १-११
तु तयां, मनु, सुख इ छा, कृपा
, ढ़ांग, तु त वचन बोलना १-६
शरीर का नाश, बुलाना, र ाथ ाथना, हनन का साधन र रखने व तु त के आदर
हेतु आ ह ७-११
११५. सूय का वणन १-६
जंगम- थावर, तु त, प र मण, अंधकार फैलाना, अंधेरा धारण करना, पाप से
बचाने क ाथना १-६
११६. अ नीकुमार क तु त १-२५
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कशोर वमद, वजय, तु , भु यु, रथ, सागर, पे , क ीवान्, कारोतर पा , अ न
बुझाना, यं पीड़ागृह, गौतम, यवन, वंदन, द यंग ऋ ष, बुलाना, व मती,
हर यह त, १-१३
व तका, व पला, ऋजा , कां त पाना,
लौहरथ १४-२०
तु त, य
के भाग का अपण
श ुवध, जल उठाना, तु त, रेभ, कम का वणन २१-२५
११७. अ नीकुमार क तु त १-२५
सेवा, घर जाना, पू जत, रेभ, वंदन,
त ा, घोषा, नृषदपु , पे , वीरकाय १-१०
भर ाज, कामवषक, यवन, तु , भु यु, व वाच, ऋजा , मेष को काटना, आ ान,
धा बनाना, माहा य, घोड़े का सर, अनु ह बु , जीवनदान, वीर कम का
बखान ११-२५
११८. अ नीकुमार क तु त १-११
रथ, पु ा द, र तानाशक, तेज ग त वाले, सूयक या, वंदन ऋ ष, गाय, यवन,
अ , व तका, व पला १-८
पे , आ ान ९-११
११९. अ नीकुमार क तु त १-१०
रथ, ऊजानी, जयशील, भु यु, दवोदास १-४
कुमारी का प त, अ , शंय,ु वंदन ऋ ष, युवा बनाना, कामदे व, कामना, दधी च,
पे ५-१०
१२०. अ नीकुमार क तु त १-१२
माग, तो , वषट् कार, बु
, क ीवान्, ऋजा , वृक, अग य थान १-८
पोषण, अ र हत रथ, सोमपान, घृणा ९-१२
१२१. इं का वणन १-१५
य म आना, गाएं नकालना, आकाश धारण, दवस का काशन, सोमपान १-८
ऋभु, शु ण, मेघ, वृ , उशना, एतश, पाप, वृ
९-१५
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१२२. व ेदेव का वणन १-१५
तु त, उषा, अ , क ीवान्, घोषा, नयमन १-७
तु त, य मा, नडर, शंसा, सोम, राजा इ ा , इ र म, वणाभूषण धारण करना,
राजा मशश र व जयशील अयवस ८-१५
१२३. उषा क तु त १-१३
अंधकारनाश, पहले जागना,
छपाना, आगे रहना १-८
काश-अंश, घर जाना, ने ी, धन दशाना, पदाथ
मलना, प करना, दशनीय, क याणकारी, अनुकूलता ९-१३
१२४. उषा का वणन १-१३
काश, वयोग, दशाएं न न करना, नोधा ऋ ष, सुंदर,
करना १-८
स , नमल, दांत, काश
ब हन, प ण, लाल बैल जोड़ना, प य का उड़ना, उ त व वृ
क
ाथना ९-१३
१२५. दान का वणन १-७
राजा वनय, क ीवान्, सोमपान, घृतधाराएं, संतोष १-५
अमर बनना, वृ ाव था ६-७
१२६. भावय
आ द के दान का वणन १-७
वनय, क ीवान्, रथ दे ना, लाल घोड़े, गाएं लेना, लोमशा १-७
१२७. अ न का वणन १-११
अनुसरण, यजनयो य, श ु, सारवान ह , अ
हण, पूजनीय, मंथन, हवन १-८
जरा नवारण, तु त, परमबली ९-११
१२८. अ न का वणन १-८
य वेद , मात र ा, चार ओर चलना, अ त थ १-४
ह
दे ना, वग, पालक, रमणीय ५-८
१२९. इं क तु त १-११
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तु त वीकारना, ग तशील, मेघ का भेदन, श ुसंहार, जग पालक, नदक का
वध १-६
तु तयां, श ुसेना का नाश, मलना, म हमावान, र क ७-११
१३०. इं क तु त १-१०
आ ान, सोमरस, सोम व प णय को खोजना, श ुनाश, नद नमाण, शंसा, राजा
दवोदास, शंबर १-७
कृ ण, उशना, तु त ८-१०
१३१. इं क तु त १-७
नत होना, सेना के आगे रखना, य , श ु-नगर वनाश, सागर को छ नना, सहनाद,
असाधारण, कान १-७
१३२. इं का वणन १-६
अ लाना, वग का माग, वृ , गाएं छु ड़ाना, इं लोक, श ु-नाश १-६
१३३. इं क तु त १-७
धरती को जानना, बैरीभ क, श
अ वामी बनना १-७
का नाश, श -ु नाश, पीले पशाच, घरा रहना,
१३४. इं क तु त १-६
रथ, च दे ख चलना, सावधान करना, अमृत बरसना, समीप जाना, तु त, सोम
यो य १-६
१३५. वायु क तु त १-९
आ ान, अनु ह, बुलाना, अ भ ण, सोम १-५
कुश, श द होना, आ त, पुरोडाश, चाल न कना ६-९
१३६. म एवं व ण का वणन १-७
बल, य म जाना, य
वामी, शो भत, नम कार, स करना १-७
१३७. म एवं व ण का वणन १-३
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कूटना,
तुत, नचोड़ना १-३
१३८. पूषा क तु त १-४
बल, शंसनीय घोड़े, धन याचना, तो
१-४
१३९. पूषा क तु त १-११
अ न, जल दे ना,
काशयु
श
ोक, रथ, कम प, तु तयां, हना १-७
, पतर, आवाज, म हमा ८-११
१४०. अ न का वणन १-१३
य वेद , धा य, यजमान, उपयोगी, काश, लक ड़यां, तेजोमय बनाना १-७
आ लगन, गमन, दाना भलाषी, तेज, नाव, उषाएं ८-१३
१४१. अ न का वणन १-१३
ढ़ता, धरती पर रहना, उ प , लता
उ प १-९
का वेश, चढ़ना, पूजन, तु तयां, भागना,
ह , पु दे ना, वग, तु त १०-१३
१४२. अ न का वणन १-१३
य , तनूनपात, स चना, तु त, य वधक, य पावक, कुश, फलसाधक, भारती,
वाक्, सर वती, पु , ह , वाहा १-१३
१४३. अ न का वणन १-८
य , मात र ा, चनगा रयां, श ुसंहार १-५
तु त, बु
, मंगलकारी ६-८
१४४. अ न का वणन १-७
ा, जल, मलाना, अजर १-४
काशमान, वामी, आ यदाता ५-७
१४५. अ न का वणन १-५
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शासक, सहारा, तु त, कम ान दे ना १-५
१४६. अ न का वणन १-५
म तक,
ा त, ानधारक, अजीण, दशनीय १-५
१४७. अ न क तु त १-५
लपट, वंदना, द घतमा, दय, तोता १-५
१४८. अ न का वणन १-५
बढ़ाना, तो , तु तयां, द त, तृ त १-५
१४९. अ न का वणन १-५
व तुएं दे ना, पुरोडाश, वेद , जलपा , पु वान १-५
१५०. अ न क तु त १-३
ह , दे व वरोधी, आह्लादक १-३
१५१. म एवं व ण क तु त १-९
र ा, इ छापूरक, शंसा, य , रंभाना, पूजन १-६
शोभनम त यजमान, तु त, धन व अ धारण ७-९
१५२. म एवं व ण क तु त १-७
सृ यां, कम, वरोध, उषाएं, गमन, द घतमा, नम कारयु
१-७
१५३. म एवं व ण क तु त १-४
पोषण, सुखभागी, स , अ नदाता १-४
१५४. व णु का वणन १-६
अंत र , पाद ेप, नापना, लोकधारक, बंध,ु परमपद १-६
१५५. इं एवं व णु का वणन १-६
अपराजेय, आदर, श
वधन, प र मा, चरण ेप, कालच
१५६. व णु वणन १-५
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१-६
सुखक ा, वृ ांत, सेवा, मेघ, य ाथ आना १-५
१५७. अ नीकुमार क तु त १-६
उषा, रथ, सौभा य, कशा, गभर ा, समथ १-६
१५८. अ नीकुमार का वणन १-६
द घतमा, अ , तु पु , पाशब , दास,
१५९.
तन, नदशक १-६
ावा-पृ थवी का वणन १-५
अनु ह, अमृत दे ना, हतकारी, ब हन, धन याचना १-५
१६०.
ावा-पृ थवी का वणन १-५
सुखदाता, र क, ध, े , व तार १-५
१६१. ऋभुगण का वणन १-१४
चमस, भाग, युवा करना,
भाग १-९
र
ी, पानपा , नवीन रथ, मृतक गाय, सोमरस, चार
रखना, फसल, बलवती वाणी, अ भलाषा १०-१४
१६२. अ मेध के अ का वणन १-२२
परा म, बकरे ले जाना, पुरोडाश, भाग, जल, यूप, सुडौल, लगाम, छु री १-९
मांस, रस, कामनाएं, परी ा, छु री, अ , घास, पा , वषट् कार, व तुए,ं श द करना,
ह ड् डयां १०-१८
काशक, अकुशल, समीप जाना, तेज व बल १९-२२
१६३. अ मेध के अ का वणन १-१३
श द, अ
ा त, तधारी, बंधन, लगाम, सर,
चलना १-१०
प, सौभा य, सर-पैर, पं
म
वायुवत् चलने वाला, उड़ना, बकरा, कुशल घोड़ा ११-१३
१६४. व ेदेव का वणन १-५२
पु , सूयरथ, गाएं, संसार, धागे, लोक, गाएं, पूजन, तीन माता- पता, प हया, चरण,
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सात च , घूमना, पांच
वण, सूयमंडल, नमाता १-१५
ांतदश , जाना, लोकपालक, बोझा ढोना, दो प ी, संसार क र ा, करण, पद,
पूजामं , वषा रोकना, गाय को बुलाना, आना, तृ त करना, हराना, वधा, सूय का
आना-जाना १६-३१
जा का कारण, पालक आकाश, उ प
थान, य , घेरना, बंधना, जानना,
अ ध त होना, भ ण, वाणी, वषा, सोमरस, धरती को दे खना, चार पद,
नाम ३२-४६
भीगना, अरे, धनर ा, यजमान, स होना, आ ान ४७-५२
१६५. इं एवं म द्गण का संवाद १-१५
स चना, उड़ना, पालक, य कम, अनुभव, अ ह, कम करना, कामना, स ता, सर
ारा न होना १-९
उ
व ान्, आनंद, यश, अ , मनोरम तो , वाणी १०-१५
१६६. म द्गण क तु त १-१५
वाला, स च , जल, अट् टा लकाएं, डरना, पशुनाश, अचना, पु -पौ ा द, श ,
शोभन १-१०
म हमा, यजमान, मै ी, द घकालीन य , कामना ११-१५
१६७. इं एवं म त का वणन १-११
उपाय, धन, वाणी, य न, बजली, सेवा, म हमा, जल टपकना, हराना, म हमा,
तु त १-११
१६८. म द्गण का वणन १-१०
समान भावना, कंपनशील, ह त ाण, पापहीन, अ , जल, क याण १-७
बजली, अ , शरीर क पु
८-१०
१६९. इं क तु त १-८
म त्, लड़ना, ह , द णा १-४
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संतोषदाता, घोड़े, मेघ, तु त ५-८
१७०. इं एवं अग य का संवाद १-५
मन, भाग, बात, अमृत, म
१-५
१७१. म त क तु त १-६
याचना, तो , सुखदाता, भागना, जगाना, श
शाली १-६
१७२. म त क तु त १-३
आगमन, आयुध, ाथना १-३
१७३. इं का वणन १-१३
सामगान, य , अ , तो , उ म,
ा त, यु , सखा १-९
म बनाना, बढ़ना, वंदना १०-१३
१७४. इं क तु त १-१०
उ ारक, नग रय का नाश, र क, बढ़ाना, कु स ऋ ष, श ु १-६
य ण, कुयवाच, वृ असुर, य , तुवसु, र क ७-१०
१७५. इं क तु त १-६
आ ान, स तादाता, शु ण का वध, वृ घाती, सुख १-६
१७६. इं का वणन १-६
घेरना, ह , पांच जन, धन मांगना, अ
वामी, तु त १-६
१७७. इं क तु त १-५
घोड़े, रथ, तैयार, आ ान, ाथना १-५
१७८. इं क तु त १-५
समथ, ह व, पुकार, हराना, श
शाली १-५
१७९. अग य एवं लोपामु ा का र त वषयक संवाद १-६
स दयनाश, स य, भोग,
चय, कामनाएं, आशीवाद १-६
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१८०. अ नीकुमार क तु त १-१०
ने मयां, रथ, तु त, सोमरस, भु यु, अ
१-६
शंसनीय, जगाना, य , रथ ७-१०
१८१. अ नीकुमार क तु त १-९
य , शी गामी अ , वषा, आकाशपु , तु तयां १-५
पास आना, तु तयां, य गृह, तोता ६-९
१८२. अ नीकुमार का वणन १-८
नाती, कमकुशल, मेधावी, श ुनाशाथ ाथना, नाव, भु यु, रथ, तु त १-८
१८३. अ नीकुमार क तु त १-६
पास जाना, उषा, आ ान, भाग, गौतम, पु मीढ़, अ
ऋ ष, तो
१-६
१८४. अ नीकुमार क तु त १-६
आ ान, अ वेषण, सूयपु ी, तो , दे वमाग १-६
१८५.
ावा-पृ थवी का वणन १-११
घूमना, धारण करना, धन ा त, अनुगमन, जल, बुलाना, तु त, जामाता, संतु ,
काशमान, द घायु १-११
१८६. व ेदेव का वणन १-११
ाथना, म , व ण, अयमा दे व, अ त थ, तु त, इ छा, जल के नाती १-६
घेरना, उपजाऊ बनाना, सुखाथ ाथना,
स
यो त ७-११
१८७. अ का वणन १-११
तु त, र क, सुखदाता, रस, दान, वृ वध १-६
भोजन, वन प तयां, गो भ ण, स ,ू अ
७-११
१८८. अ न क तु त १-११
क व व त, मलना, अ , आ द य, जल गराना, अ न १-६
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वचन, भारती, आ ान, पशु-वृ
, अ , छं द ७-११
१८९. अ न क तु त १-८
ाता, साधन, काशमान, आ य र ाथ ाथना १-५
हसक, चोर, नदक आ द से बचाना, पा , श ुनाशक ६-८
१९०. बृह प त क तु त १-८
तु य, मधुरभाषी, फल अ , चलना, समीप जाना १-५
नयं क, जल व तट, तु तयां, फल, आयु, अ हेतु ाथना ६-८
१९१. जीव, जंतु
, प य एवं सूय का वणन १-१६
घरना, वषधर, भाव, लपटना, ानशू य, दे खना, अंग, सूची वाले वषधर, पूव म
नकलना, उदय ग र १-९
वष फकना, न करना, प ी, न दयां, मयू रयां,
थता १०-१६
तीय मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न क तु त १-१६
पालक, गृहप त, व णु १-३
र क, दानदाता, श
शाली, य क ा ४-६
र नधारक, तेज वी, पालक, क याणक ा, श ुनाशक ७-९
वभु, ह दाता १०-११
ल मी का वास १२
जह्वा का नमाण १३
वृ , लता आ द म रहना, मलना-अलग होना, गोदाता १४-१६
२.
अ न का वणन १-१३
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वग, संयमी, सुदशन, काशमान, शखायु , अ वनाशी, अ का ार १-७
आधार, तु तयां, श ुजेता, स तादायक, गो व अ दाता ८-१३
३.
अ न का वणन १-११
य यो य, कटक ा, ल य, वीरपु , ार, फलदाता १-६
पूजा, य , सर वती, इला, भारती, अ
७-९
ाता, कामवष १०-११
४.
अ न का वणन १-९
आ ान, भृगु, म , जीभ फेरना १-६
वाद लेना, र क, गृ समदवंशी ऋ ष ७-९
५.
अ न का वणन १-८
चेतनादाता, नवाहक, धारक, फलदाता, ने ा, ह , मह व १-८
६.
अ न क तु त १-८
तु तयां, य
७.
वामी, ह व, व ान्, धनदाता, वृ क ा, पूजक, हतकारी, य
अ न क तु त १-६
त ण, श ुता, लांघना, वंदनीय, भ ा, व च
८.
१-६
अ न का वणन १-६
यश वी, आ ान, तु तयां, शोभा, ऋ वेद, र त १-६
९.
अ न क तु त १-६
त, धनदाता, ज म थान, धन वामी, कां तयु
१०.
अ न क तु त १-६
ा, जायु , अर ण,
११.
१-६
ा त, वणयु , ह
दे ना १-६
इं क तु त १-२१
बढ़ाना, वृ , कामना, हराना, वृ वध, शंसा, बादल, स होना, व न १-८
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१-८
कांपना, श द करना, सोम, आ य, वीरपु , धन, घर, म , श
उ ारक, उ दन ९-१६
द यु, व
१२.
याचना, ढ़ करना,
प, अबुद, बल असुर का नाश, तु त १७-२१
इं का वणन १-१५
डरना, ढ़ करना, न दयां वा हत करना, असुर, श ु
संप -नाशक, र क १-६
बुलाना, त न ध, पापीनाशक, शंबर असुर, रो हण का वध,
र क ७-१५
१३.
ढ़ भुजाएं,
इं का वणन १-१३
वषा ऋतु, सागर १-२
ाय
३
धनदाता, दोहन, ओष ध, सहवसु, द यु का नाश, पंचजन जतु र, तुव त,
तु त ४-१३
१४.
इं का वणन १-१२
सोम, यो य होना, मीक, उरण, अ , शु ण, प ु, नमु च आ द का वध १-५
नग रय , वरो धय का नाश सोम, फलदाता, राजा, धन याचना ६-१२
१५.
इं का वणन १-१०
क क, स , नमाण, माग रोकना, नद सुखाना, गाड़ी तोड़ना, परावृज,
खोलना, चुमु र, धु न का वध, भजनीय १-१०
१६.
इं का वणन १-९
आ ान, श
तु त १-९
१७.
ार
क , अपरा जत, ानी, अ दाता, इ छापूरक, आयुध, र क, घेरना,
इं का वणन १-९
वतं , शीश, ववश, घेरना, अचल, जल गराना,
आ ान १-९
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व-वध धन मांगना, भजनीय,
१८.
इं का वणन १-९
हवन, वजयदाता, अ , धनशाली, आ ान, सोम रखना, आ त, वप नाशक,
सेवनीय १-९
१९.
इं का वणन १-९
अ वासी, गमन, ेरणा, सहायक, एतश १-५
कु स, शु ण, अशुष, कुयव, पीयु, गृ समद ऋ ष, द णा ६-९
२०.
इं का वणन १-९
द यमान,
ालु, र क, य , अ भलाषापूरक, गाएं लेना, नगर वनाश, दास, म तक
काटना, सेना व लौहनगरी का नाश, द णा १-९
२१.
इं का वणन १-६
जल वजयी, तु त, शंसा, ेरक, गाएं ढूं ढ़ना, पु
२२.
इं का वणन १-४
तृ तदाता, पूण करना, भला वचारना,
२३.
१-६
स
१-४
बृह प त क तु त १-१९
गणप त, जनक, श ुनाशक, सेनाएं रोकना, पथ दशक, स ता, र क १-८
धन याचना, कामपूरक, पु यलाभ, श ुसेना नाशक ९-१३
परा म, पूजनीय, वरो धय को न स पने क
संतान र ाथ ाथना १४-१९
२४.
ाथना, ऋण चुकाना, गाय का आना,
बृह प त का वणन १-१६
व
वामी, हंता, उ ारक, भेदन, धन क
ा त १-६
बाण फकना, मलाना, भोगना ७-१०
र क, तु तयां, सुनना, वभाजन, अ यु
२५.
व नयं क ११-१६
बृह प त का वणन १-५
द घायु, धन व तार, समथ,
ण प त, सुख ा त १-५
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२६.
बृह प त का वणन १-४
र ा याचना, धन ा त, उपकारी १-४
२७.
आ द यगण का वणन १-१७
घृत टपकाना, अ नदनीय, अ ह सत, तेज वी, जगत्धारक, तु त १-४
पाप का याग, सुगमपथ, सुख ा त, म हमा वधन ५-८
तेजधारक, व ण व आ द य क तु त ९-१२
वामी, यो त, मंगलकारी, पाश, धन याचना १३-१७
२८.
व ण क तु त १-११
ांतदश , ाथना, जल रचना, नद , पाप, नाश, हसक, काश १-७
श
२९.
संप , ऋण, याचना, चोर, भे ड़या ८-११
व ेदेव क तु त १-७
पाप, गु त थान, क याण, सुख, न मारना, बचाना, पु याचना १-७
३०.
इं , बृह प त, सोम आ द क तु त १-११
पानी, समु , वृ , असुर पु , श ुनाश, समृ
, ेरक, थकान न दे ने क
ाथना १-७
षंडामक का वध, धन याचना, उपासना ८-११
३१.
व ेदेव का वणन १-७
र ा, घोड़े, उ म कम, पूषा व सूया के प त, ह
३२.
तु त, बला भलाषी १-७
ावा-पृ थवी आ द का वणन १-८
अ कामना, म ता, तु त, बुलाना, कम को बुनना, धन, राका दे वी, सनीवाली,
सर वती, इं ाणी, व णानी १-८
३३.
क तु त १-१५
सुख, शतायु, उ म, हसा-बु
तु त, कामना, सुख दे ने व
, ओष धयां, वामी, र क, उ
ोध न करने क
ाथना १२-१५
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१-११
३४.
म द्गण क तु त १-१५
ा त, उ प , सोने के टोप वाले, प ंचना, आयुधधारक, अ व बल याचना १-७
अ दाता, श ुता, हंता, धन मांगना, अंधकार का नाश
पाप ाता ८-१५
३५.
प धरना, होता,
अ न का वणन १-१५
अ ,उ म
प, नमाता, बाड़वा न, अपांनपात्, इड़ा, सर वती, भारती १-५
उ चैः वा अ , संसार क उ प
६
घर म रहना, वन प तय के उ पादक ७-८
न दयां, धन दे ना, भा य तु त,
ाथना १२-१५
३६.
ा त, उ म थान, पु -पौ
ा त हेतु
इं , व ा, अ न, व ण एवं म क तु त १-६
भेड़ के बाल, दशाप व , भरत के पु , दे वप नयां मधु, सोमपान,
तु तयां १-६
३७.
ाचीन
अ न क तु त १-६
वणोदा, सोम प मधु, ने ा १-३
मृ यु नवारक, रथ, सोमपान हेतु ाथना ४-६
३८.
स वता का वणन १-११
दाता, हाथ फैलाना, स वता का याग, काश समेटना, श या का याग, घर
अ भलाषा, काय ीण न होना, नवास, बुलाना १-९
र क, आ ान १०-११
३९.
अ नीकुमार क तु त १-८
बाधा, ाता, वेगवान्, ःख ाता, बुढ़ापा, सुखदाता १-६
तु तयां, तो रचना ७-८
४०.
सोम व पूषा क तु त १-६
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अमरता, सेवा, रथ, वरणीय एवं क तशाली ा ण-उ प , धन वामी १-६
४१.
इं , वायु म , व ण आ द क तु त १-२१
नयतगुण, पुकार, दाता, सोमरस, हजार खंभ,े दानशील, पेय सोम, धन, नाना
अचंचल, क याण, मेधावी, पुकार, स दाता, दान १-१५
प,
उ म सर वती, शुनहो , ह , ाथना, साधक, य यो य दे वता १६-२१
४२.
क पजल प ी
पी इं का वणन १-३
े रत करना, मंगलकारी, चोर एवं पाप क बात १-३
४३.
क पजल प ी
पी इं का वणन १-३
बोल, पु यकारी श द, सुम त क इ छा १-३
तृतीय मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न क तु त १-२३
वाहक, स मधा, उ म बंधु, बढ़ाना, शु
माता- पता-धरती, आकाश,
काशमान ७-१२
, धारण करना १-६
करण, जल बहाना, लोकपोषण, शयन,
ज म, बढ़ना, तेज, तु त, य , अनु ह, होता, भू म याचना १३-२३
२.
अ न का वणन १-१५
सं कार, पूजन, तु त, हतकारक, य मंडप, अ न, अ ाथ जाना, ाता, चार ओर
जाने वाले, जा वामी १-१०
गरजना, वगारोहण, धन-अ याचना ११-१५
३.
अ न का वणन १-११
षत न करना, ेरणा, सुख चाहना १-३
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वेश, थापना, आना-जाना,
उ प ४-११
४.
ेरणा, नम कार,
शंसा, घेरना, पूण करना,
अ न का वणन १-११
म , य , कुशल, समीप जाना, माग बनाना, कृपा १-६
आ ान, सोमरस ८-९
ज मदाता, आ ान १०-११
५.
अ न का वणन १-११
ार खोलना, जागना, था पत, र क, उ पादक, नया बनाना, धारण करना,
बुलाना १-९
अ न जलाना, पु -याचना १०-११
६.
अ न का वणन १-११
ु , पूजा, द तयां, तु त, फलदाता, आ ान, घोड़े, जलभाग जलाना, य यो य,
च
आ ान १-९
होता, भू म, पु व गाय क याचना १०-११
७.
अ न का वणन १-११
अ दाता, नद म वास, घो ड़यां, वहन, आ ापालन, सुख, य
अलंकरण, वालाएं १-९
म जाना, र ा,
पापनाशाथ ाथना, गौ मांगना १०-११
८.
यूप अथात् ब ल तंभ का वणन १-११
धन याचना, पाप, नापना, आना, बनाने वाला, गड् ढे म डालना, य -साधक १-८
अंत र , र ाथ ाथना, सौभा य ा त ९-११
९.
अ न का वणन १-९
वरण, शांत होना, ा त होना, अर णमंथन, हण, पूजन, १-९
१०.
अ न का वणन १-९
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जा वामी, य र क पु -पौ
ा त, स
होना १-४
तेजधारी, बढ़ाना, श ुजेता, पापशोधक, उ प
११.
५-९
अ न का वणन १-९
ाता, दे व त, अंधकारनाशक, अ गामी, अव य, घर पाना, धन याचना, वेश १-९
१२.
इं एवं अ न क तु त १-९
आ ान, सोमपान, वरण, अ दाता, अचना, नगर को कंपाना, उप थत रहना, धन म
अ भ ता, ान १-९
१३.
अ न का वणन १-७
े , ावा-पृ थवी, सेवा, नयामक, चलन, र ा व धन याचना १-७
१४.
अ न का वणन १-७
ा ाथना, सचन, धारक,
१५.
दे ना, र ण व अ हेतु अ न के समीप जाना १-७
अ न क तु त १-७
वनाश, तु तयां, फल, श -ु नगर, धन, ह
ाथना १-७
१६.
वहन, वजय व पु -पौ
अ न का वणन १-६
पापनाशक, श ुजेता, धनयु , र क, व म नवास, क तदाता १-६
१७.
अ न क तु त १-५
वीकाय, जातवेद, तीन अ , अमृत क ना भ, य पूणता हेतु ाथना १-५
१८.
अ न क तु त १-५
साधक, श ुनाशक, अ याचना १-५
१९.
अ न क तु त १-५
वरण, पा , म हमायु
१-३
तेजधारक, अ याचना ४-५
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हेतु
२०.
अ न का वणन १-५
अ धकारहीन उदरपूरक, अमर, वृ नाशक, आ ान १-५
२१.
अ न क तु त १-५
चब , बूंद टपकना, मेधावी, य पालक, आ ान, नवासदाता १-५
२२.
अ न का वणन १-५
सोम, व तारक, ेरक, अ , पु -पौ याचना १-५
२३.
अ न क तु त १-५
जरार हत, दे वा य, दे ववात, सुबु
, उंग लय से उ प
१-३
ष ती, आपया व सर वती ४-५
२४.
अ न क तु त १-५
अ जत, मरणहीन, जागृत, धन एवं संतान मांगना १-५
२५.
अ न क तु त १-५
ाता, अ दाता, जनक, आ ान, काशमान १-५
२६.
अ न का वणन १-९
तु त, आ ान, कु शक गो ी, कंपाना, गरजना, जलदाता, म त्, य म जाना १-६
ाण, रमणीय बनाना, पालक ७-९
२७.
अ न का वणन १-१५
दे व ा त, तु त, छु टकारा, मनचाहा फल, ह
गभ १-९
ह , द त करना, तु त, दशनीय, ह वाहक,
२८.
वहन, अ भमुख, अ गामी, मेधावी,
व लत करना १०-१५
अ न क तु त १-६
पुरोडाश, कमकुशल, पुरोडाश सेवनाथ ाथना १-६
२९.
अ न का वणन १-१६
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साधन, कट होना, थापना, सुखयु , अवरोधहीन, ह वाहक, अ याचना १-८
कामवषक, शोभा, नाराशंस, उ म
वरण ९-१६
३०.
थान, श द, सनातन, कु शकगो ीय,
इं क तु त १-२२
वरोध, आना, भयंकर, थत होना, मलाना, श
सुगम बनाना, शूर १-११
याचना, धनदान, वृ वध, समतल,
दशाएं न त, उ म कम, गाय का मण १२-१४
श ुवध, रा स पर अ
फकने, अ
वामी बनाने क
ाथना १५-१८
इ छाएं बढ़ना, तु त, आ ान १९-२२
३१.
इं का वणन १-२२
धेवता, क या का अ धकार, पु , इं से मलना १-४
गो ा त, सरमा नामक दे वशुनी, गाएं मलना, शु णवध, अमरता, नयु , न म ,
नमाण, श यां घो ड़यां, उ प , जल उ प , म त क सहायता ५-१७
वामी, नवीन, पापनाशक, बंद करना, आ ान १८-२२
३२.
सोम व इं क तु त १-१७
घोड़ के जबड़ म घास भरना १
दान, सुंदर ठोढ़ , गमनशील, जल छोड़ना २-६
न य त ण, लोकधारक, तेज वी, सोमपान ७-१०
धरती दबाना, वृ
३३.
, आक षत करना, पुकारना, सामने जाना, आ ान ११-१७
इं का वणन १-१३
व ा म व न दय का संवाद, सतलज व
जाना १-१३
३४.
ास नद , भरतवं शय का उनके पास
इं का वणन १-११
धरती व आकाश क तृ त, तु त १-२
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वध, यु
३५.
जीतना, पीसना, धन बांटना, वरणीय दान, पालन, दमन, आ ान ३-११
इं क तु त १-११
सोम दे ना, घोड़े जोड़ना, जौ, रथ म जोड़ना, हरी नामक घोड़े, सोमपानाथ ाथना,
जौ, तु तयां १-८
सहायता, आ ान ९-११
३६.
इं क तु त १-११
संग त, सोमरस, ओज, गाएं, अंत र , लताएं नचोड़ना, बांटना, धन मांगना,
आ ान १-११
३७.
इं क तु त १-११
रे णा, अनुकूल बनाना, शत तु, मानवाधारक, धन दे ने एवं असुर नाशाश
पुकारना १-६
वृ हंता, जागरणशील, पांच जन, अ दे ने व य म आने क
३८.
ाथना ७-११
इं का वणन १-१०
मरण, वग ा त, सुशो भत, इं सभा, जल नमाण, दे खना, समपण, मलन, कम
को दे खना, पुकारना १-१०
३९.
इं का वणन १-९
तु तय का पतर के पास से आना १-२
य कम से संगत होना ३
पतर का नदक ४
सूय दशन, असुर, वरण, धन याचना, व नेता इं
४०.
५-९
इं क तु त १-९
सोमपान हेतु आ ान, आ ह, बढ़ना, आ ान १-९
४१.
इं क तु त १-९
आ ान, कुश बछाना, तु तयां, पुरोडाश, उ थ, श
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वामी १-५
ह व, सोमयु , रथ ६-९
४२.
इं क तु त १-९
तृ त, सामने जाना, धन मांगना, सोमपानाथ आ ह, े रत करना १-९
४३.
इं क तु त १-८
घोड़े खोलने, समीप आने व तु तयां सुनने हेतु ाथना १-४
धन याचना, ह र नामक घोड़े, सोमा भलाषी, उ साही ५-८
४४.
इं क तु त १-५
इं का सोम, वृ
४५.
क ा, गाय को छु ड़ाने वाले १-५
इं क तु त १-५
य म रथ से आने क
ाथना १-२
सोम से मलना, पु याचना, तुत इं
४६.
३-५
इं क तु त १-५
स , पू य, अ ेय, र क, सोमधारक १-५
४७.
इं क तु त १-५
वामी, वृ हंता, सहायता व स करना, आ ान १-५
४८.
इं का वणन १-५
जलवषक, सोम पलाना, सोम दे खना, श ुजेता, आ ान १-५
४९.
इं का वणन १-५
पाप व फलदाता, श ुनाशक, हवनीय, अ के वभाजक १-५
५०.
इं का वणन १-५
आ ह, कु शकगो ीय ऋ ष, वनाशकारी १-५
५१.
इं का वणन १-१२
शंसनीय, नेता, तु त, नम कार, शासक, सखा १-६
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शायात, वभू षत होना, म भाव ७-९
सोमपान का आ ह १०-१२
५२.
इं का वणन १-८
सोमपान, पुरोडाश भ ण हेतु ाथना १-२
भ ण, सेवा, जौ, उ सा हत करना ३-८
५३.
इं का वणन १-२४
ह
खाने, य म रहने व कुश पर बैठने का आ ह १-३
प नीयु घर, योजन, क याणी, प नी, व ा म , प बदलना, स रता रोकना,
सोमपान का आ ह, राजा सुदास, भरतवंशीय, व धारी, मंगद, अमृत प, अ ,
जमद न ४-१६
ढ़ रथ, बैल, ख दर, शीशम, रथ १७-२०
उपाय, कु हाड़ी, सव , भरतवंशी
५४.
य, व स
२१-२४
व ेदेव का वणन १-२२
तो बोलना, अनुभव, नम कार, मह व जानना, वगमाग १-५
धरती व आकाश दे खना, जाग क, वभाजन, ःखी न होना, वाहन, जह्वा, य म
आना, याचना ६-१२
ऋ , पाद व ेप, इं , अ नीकुमार, दे व व, व ण १३-१८
आकाश, म द्गण, तु त सुनने का आ ह १९-२०
म ता, ह
५५.
का वाद २१-२२
उषा, अ न, इं एवं धरती-आकाश क तु त १-२२
बल, हसा न करने क
ाथना, काशक, अर ण, वृ
म रहना, सूय का सोना १-६
मूलकारण, ा णय का भागना, सूय के साथ चलना, भूवन
करना, तु त ७-१२
भीगना, पु या मा, पापा मा १३-१६
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ाता, जोड़ा धारण
गजन, वृ , ऋतुए,ं पांच अ
जापालन, श ु
से संप
१७-१८
छ नना १९-२०
म त का आगे रहना, ओष ध २१-२२
५६.
व ेदेव का वणन १-८
बाधक न बनना, ऋतुए,ं संव सर, जल १-४
इला, सर वती एवं भारती से य म आने क
ाथना ५
धन याचना, वा दे वी ६-७
तीन उ म थान ८
५७.
व ेदेव का वणन १-६
ानी, मनचाही वषा, ओष धयां, द तयां १-४
ेरणा दे ना, उ म बु
५८.
५-६
अ नीकुमार क तु त १-९
ध दे ना, रथ, वृ
१-३
सूय का उदय होना, तो , जा वी गंगा, न यत ण अ नीकुमार, ह व अ , शु
घर ४-९
५९.
म अथात् सूय का वणन १-९
काम म लगाना, अनु ह, य के समीप रहना, से , नम कार के यो य १-५
म का अ , अंत र को हराना, ह व दे ना, अ दाता ६-९
६०.
ऋभुगण एवं इं क तु त १-७
कम जानना, दे व व, अमृत पद क
ा त, सीमा जानना असंभव, सुध वा १-५
कम न त, आ ान ६-७
६१.
उषा का वणन १-७
तुत, सच बोलना, सूय का ान कराने वाली, सूय क प नी, तेज धारण करना १-५
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स ययु , काश फैलाना ६-७
६२.
इं , व ण, बृह प त, पूषा व सोम क तु त १-१८
अ दाता, तु त सुनने, र ा करने हेतु ाथना १-३
ह
सेवनाथ ाथना, बल व मनचाहा फल मांगना, सामने आने क
ाथना ४-८
र क, तेज का यान, दान चाहना ९-११
सेवा करना, य म आना, पशु
को रोगर हत अ दे ने क याचना १२-१४
य म बैठने, मधुर रस दे ने क
आ ह १५-१८
ाथना, सुशो भत बनने व सोमपान का
चतुथ मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न एवं व ण क तु त १-२०
ेरक, से , ाता, द तशाली, पूजनीय, आ ान १-७
वालाएं, उ रवेद , सचन, े , तु त, अं गरा का य फलदाता, उद्घाटन ८-१५
उषा, ऊपर प ंचना, गोधन, तु त, पूजनीय १६-२०
२.
अ न क तु त १-२०
थापना, दशनीय, तु त, आ ान, ह
अ , र क दानी, स करना, सेवा १-९
होता, छांटना, मेधावी, धन मांगना १०-१३
अर ण मंथन, द त यु , गाएं नकालना, गोधन, संप , अ न धारण,
वरे य १४-२०
३.
अ न क तु त १-१६
य
वामी, तय करना, तो , कारण पूछना, फलदाता, कहानी, स य प १-८
ध याचना, सव जाना, पहाड़ उखाड़ना, न दय का बहना, कु टलबु
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, उ त
बनाने व मं
४.
वीकार हेतु ाथना, तु तयां ९-१६
अ न क तु त १-१५
आगे बढ़ने, चनगा रय को फैलाने, अ न से बचाने, रा स , श ु
व का शत होने का आ ह १-६
का नाश करने
फलदाता, तु त, सेवा, आ त य, गौतम, र क ७-१२
द घतमा, अ दे ने व अपयश से बचाने क
५.
ाथना १३-१५
अ न का वणन १-१५
वग थामना, नेता े , वराजमान, तीखे दांत, नरक, धन याचना १-६
थापना, र क, वै ानर, जह्वा,
वालाएं ७-१५
६.
त ा, जातवेद, उषाएं, अतृ त लोग,
अ न क तु त १-११
होता, जा, द णा, प र मा १-४
क याणी मू त, का शत होना, अंगु लयां, आ ान, आवाज करना, धन याचना
५-११
७.
अ न का वणन १-११
था पत, हण, य शाला, क याणाथ लाना, तेज १-५
थापना, स करना, वग, त, जलाना, बलयु
८.
अ न का वणन १-८
बढ़ाना, ाता, धन दे ना, तकम, स करना,
९.
स
बनना, पापनाशक १-८
अ न क तु त १-८
आ ान, जाना, होता,
उपव ा, ह
१०.
करना ६-११
ा १-४
वहन, तो सुनने का आ ह, र क ५-८
अ न क तु त १-८
उपकारक, नेता, तेज वी गमनक ा, श द करना, शो भत होना, पापर हत,
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पापनाशक, ोतमान १-८
११.
अ न क तु त १-६
तेज, तुत, उ थ, अ , सेवा, बलपु
१२.
अ न क तु त १-६
जातवेद, धन
ाथना १-६
१३.
१-६
ा त, वामी, पापर हत करने, सुख दे ने व आयु बढ़ाने क
अ न का वणन १-५
आगमन, सहारा, वहन, अंधकार का नाश, वगपालक १-५
१४.
अ न का वणन १-५
बढ़ना, सहारा, उषा का आना १-३
सोमरस, सूय ४-५
१५.
अ न, सोम एवं अ नीकुमार का वणन १-१०
अ न लाना, ह , घेरना, सृजव १-४
तेज वी, समथ, कुमार, घोड़े लेना, कुमार के द घायु हेतु ाथना ५-१०
१६.
इं का वणन १-२१
सोम नचोड़ना, तु त, करण, अंधकार का नाश १-४
म हमा, बरसा, ेरणा ५-७
वद ण करना, कु स ऋ ष, शची, श ुनाशक, शु ण, कुयव को मारना ८-१२
मृगय का वध, ऋ ज ा, भयानक, समीप जाना, आ ान, र क बनने क
ाथना १३-१७
हसार हत, धनपूण, तो क रचना, अ वृ
१७.
हेतु ाथना १८-२१
इं का वणन १-२१
बल वीकारना, यास मटाना, श ुजेता, उ प , तु त १-५
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जाधारक, र क, तु त, अ धारक, श ुनाशक, गाएं छ नना, धन बांटना ६-११
बल ा त, धनदाता, भगाना, झुकना १२-१६
सुखदाता, पूजन, श ुहंता, जाधारक, नई तु तयां १७-२१
१८.
इं का वणन १-१३
इं एवं वामदे व का वातालाप १-४
घेरना, मेघ भेदना, वृ वध, नगलना, सर काटना, अजेय इं
५-१०
वाता, कु े क आंत ११-१३
१९.
इं का वणन १-११
समथ, पानी रोकना, वृ वध, जल छ - भ करना १-४
जलभरना, तुव त व व य, गो दोहन, छु ड़ाना, व मीक, वणन, नई तु तयां ५-११
२०.
इं क तु त १-११
घरना, य म आने, उसे पूरा करने व सोमरस पीने क
वशाल, आ त, शासक, बु
२१.
ाथना, शंसा करना १-५
बल, धन मांगना, तु तयां ६-११
इं का वणन १-११
आ ान, श ु हराना, बुलाना १-३
थूल व वशाल, लोक- तंभक,
तु तयां ४-११
२२.
ोधी, पालक, गौर व गवय क
ा त, उ म कम,
इं का वणन १-११
ह
आ द वीकार करना, प णी नद , धरती व आकाश कंपाना १-३
श द करना, अ ह का नाश, अ धक ध दे ना, तु त ४-७
ेरणा, बल, गाय व अ हेतु ाथना ८-११
२३.
इं का वणन १-११
अ भलाषा, कृपा
, उपाय जानना, तु तयां, म ता, ग तशील १-६
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तेज आयुध, तु तय का वेश ७-८
गाय का वेश, ऋतदे व, तु तयां वीकार हेतु ाथना ९-११
२४.
इं का वणन १-११
बलशाली, धनदाता, र क, य , पुरोडाश १-५
म बनाना, बल धारण, सं ाम, कम मू य मलना, तु तयां ६-११
२५.
इं का वणन १-८
हतैषी, ाथना, सोमरस नचोड़ना, पुरोडाश १-६
हसा, म , अ हेतु पुकारना ७-८
२६.
इं का वणन १-७
उशना क व, संक प, दवोदास, मनु जाप त, सोम लाना १-५
येन प ी, श ुनाश ६-७
२७.
येन प ी का वणन १-५
ज म जानना, हराना, सोम छ नना, भु यु, सोमपानाथ आ ह १-५
२८.
इं एवं सोम क
ाथना १-५
ेरणा, प हया तोड़ना, सेनानाश, गुणहीन बनाना, गोदान १-५
२९.
इं व सोम क तु त १-५
आ ान, स रहना, डर भगाने क
३०.
ाथना, घोड़े जोड़ना, धन-पा बनना १-५
इं क तु त १-२४
स न होना, महान्, यु , प हया चुराना, यु
नाश १-७
करना, एतश ऋ ष, दनुपु का
उषा का वध, टू ट गाड़ी, गाड़ी का गरना, थापना, नगर का नाश, शंबर, व च व
सेवक का वध, परावृ , तुवश एवं य नामक राजा ८-१७
औव व च रथ का वध, कृपा करना, दवोदास को नगर दे ना, रा स का संहार,
अजेय, श ु वदारक १८-२४
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३१.
इं क तु त १-१५
बढ़ना, पूजनीय, र क, गोल च कर, मरण, प र मा, फलदाता, धनदाता १-८
असमथ रा स, यास, म ता, र ाथ ाथना, उपाय द तशाली, आकाश ९-१५
३२.
इं क तु त १-२४
श ुहंता, अभी दाता, श ुनाशक, तु त, मनोहर, गो वामी के म , गोधन का वामी,
अप रवतनीय अ भलाषा, गौतम, नगर का नाश, दशन, व त १-१२
आ ान, अ , ह र नामक घोड़े लाने व पुरोडाश भ ण हेतु ाथना १३-१७
आक षत करना, सोना मांगना, १८-१९
धन याचना, घोड़ क
३३.
ऋभु
शंसा, गोदाता, घोड़ का सुशो भत होना २०-२४
का वणन १-११
घेरना, पु , त ण बनाना, अमर पद, बात मानना, अ भलाषा, सुख से रहना १-७
रथ बनाना, कम वीकारना, ह षत करना, म न बनाना ८-११
३४.
ऋभु
क तु त १-११
वभु, दे व ेणी, पू य दे व, य म आने व सोमपान हेतु ाथना, स रहना, शंसक,
धनदाता १-११
३५.
ऋभु
क तु त १-९
सुध वा क संतान, चमके भाग होना, कृपा, सोम नचोड़ने का आ ह १-४
सोम वाले वभु, सोम नचोड़ना, वग म बैठना, दानयु
३६.
ऋभु
बनाना ५-९
क तु त १-९
आकाश म घूमना, कु टलताहीन रथ, युवा बनाना, गोचम से ढकना, शंसनीय १-५
संर ण, दशनीय, अ उपजाने व यश संपादन का आ ह ६-९
३७.
ऋभु
क तु त १-८
य धारण, इ छा, सोमरस धारण, ठो ड़यां, पुकारना १-५
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अ यु
३८.
बनना, बल, ध अ याचना ६-८
ावा-पृ थवी एवं द ध ा दे व क तु त १-१०
सद यु, द ध ा, तेज चाल वाले, उपभोग, भागना, साथ चलना, सहनशील १-७
द ध ा को न रोक पाना, तु त, जा बढ़ाना ८-१०
३९.
द ध ा दे व का वणन १-६
तु त, कामवष , पापनाशक, तोता
ाथना १-६
४०.
के क याण हेतु बुलाना, द घायु क
द ध ा दे व का वणन १-५
तु त, भरणकुशल, उड़ने वाले, शी चलना, सूय का नवास १-५
४१.
इं एवं व ण क तु त १-११
अमर होता, भाई बनाना, धन दे ने व बल योग क
ाथना १-४
तु त, श ुनाशाथ ाथना, ेम एवं म मांगना, तु तय का जाना ५-९
धन व वजय हेतु ाथना १०-११
४२.
इं , व ण एवं सद यु का वणन १-१०
दो कार के रा य, बल करना, धारक, बांटना १-४
पुकारना, डरना, श ु-वध, पु कु स, सद यु, व नाशक ५-१०
४३.
अ नीकुमार क तु त १-७
वंदनशील, क याणकारी, श
दशन, र ा १-४
रथ चलना, सूयपु ी, तु त ५-७
४४.
अ नीकुमार क तु त १-७
रथ को पुकारना, शोभा ा त, शंसा, धन याचना १-४
वग से आना, साथ दे ना, आ त ५-७
४५.
अ नीकुमार का वणन १-७
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चमपा , अंधकार का नाश १-३
सुनहरे पंख वाले, तु त, तेज फैलाना, मण ४-७
४६.
वायु एवं इं क तु त १-७
थम सोमपानक ा, लोक क याणकारी, सोमपान, आसन, नकट आना १-५
सोमपान हेतु ाथना ६-७
४७.
वायु एवं इं क तु त १-४
सोमरस लाना, इं -वायु, रथ पर चढ़ना, अ याचना १-४
४८.
वायु क तु त १-५
सोमपान हेतु आ ान, अ
वामी १-२
अनुगमन, तेज ग त वाले, जोड़ने क
४९.
ाथना ३-५
इं एवं बृह प त क तु त १-६
तु तयां, सोमपान, धन दे न,े सोमपान करने व नवास करने का आ ह १-६
५०.
बृह प त व इं क तु त १-११
दशाएं थर करना, श ु का कांपना, वग से आना, अंधकारनाशक, गाएं
छु ड़ाना १-५
कामवष , श ु को हराना, फल से बढ़ना, याचना, दया भावना ६-११
५१.
उषा का वणन १-११
उगना, घेरना, उ सा हत करना, द त करना १-४
उषा, काश फैलाना ५-६
क याणकारी, शंसा का पा , वचरना ७-९
धन हेतु जगाना, यश व अ - वामी बनाने क
५२.
ाथना १०-११
उषा क तु त १-७
अंधकारनाशक, तुत, मां १-३
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जगाना, संसार भरना, अंधकार मटाने व अंत र
५३.
ा त करने क
स वता का वणन १-७
धन मांगना, कवच, काम म लगाना, तर क,
याचना १-७
५४.
ाथना ४-७
ापक, क याण, पु , पौ व धन
स वता क तु त १-६
र दाता, सोम क उ प , पाप र करने क
ाथना १-३
नवास थान व धन याचना ४-६
५५.
व ेदेव क तु त १-१०
र ाथ ाथना, इ छापूरक तु त १-३
य -माग बताना, र ा हेतु ाथना तु त, र ा व धन याचना ४-१०
५६.
धरती-आकाश क तु त १-७
गरजना, य यो य, े रत करना, वामी बनाने क
ाथना १-४
ु त संप , य वहन करने व पास बैठने का आ ह ५-७
५७.
खेती का वणन १-८
सहायता, मधुर जल, ओष धयां मांगना, अनुगमन, चाबुक, जल- नमाण १-५
हल से धन व धरती से फसल मांगना ६-८
५८.
अ न, सूय, जल, गाय एवं घृत का वणन १-११
मरणर हत, पालन, मानव म वेश, घृत उ प
१-४
जल का गरना, घृत का अ न पर गरना, आगे बढ़ना, मलना,
मधुरतापूवक चलना, मधुरस ५-११
पंचम मंडल
सू
वषय
मं सं.
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प नखारना,
१.
अ न का वणन १-१२
बढ़ना, मु होना कट करना, मन का जाना, उ प होना, बैठना, तु त, सुखकर,
तेज को हराना १-९
ब ल, दे व को लाना, तु त १०-१२
२.
अ न का वणन १-१२
गुफा म रखना, उ प , तु त, युवा बनना, ाथना १-५
छपाना, शुनःशेप, त पालक, चमकना ६-९
उ प , तु तयां बनाना, धन पर अ धकार १०-१२
३.
अ न क तु त १-१२
अनुगमन, अयमा, गोपनीय उदक, दशनीय, श ु-नाश,
नाशाथ ाथना १-७
त बनाना, पाप से अलग करने क
व लत करना, पापी के
ाथना ८-९
वीकारना, भागना, अपराध १०-१२
४.
अ न क तु त १-११
तु त, ह वाहक, बंटवारा १-३
आ ान, श ुनाश, काशयु , बल के पु , र ाथ ाथना ४-९
बुलाना, अ , पु व अ य धन मलना १०-११
५.
य शाला का वणन १-११
हवन, नाराशंस, सुखदाता, तु त, साधन, य
चलना, सुखकारी दे वयां,
६.
ा त होना, ह
नमाता १-६
ले जाने क
ाथना, स करना ७-११
अ न क तु त १-१०
आ यदाता, नवासदाता, अ व पु दे ना, काशमान, जापालक, अ लाने क
ाथना १-७
अ मांगना, मुख म चमस, पास जाना ८-१०
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७.
अ न का वणन १-१०
म
प, स होना, ह
वीकारना १-३
वन प तयां जलाना, चढ़ना ४-५
जानना, छ - भ करना, तु तयां, घृतभोजी, पशु ा त ६-१०
८.
अ न क तु त १-७
वरे य, थान दे ना, ववेचक, समीप जाना १-४
वामी बनना, धारण करना, स चत ५-७
९.
अ न क तु त १-७
तु त, बुलाना, ज म दे ना, क ठनाई, लपट फैलाना, पाप से पार होने व समृ
क ाथना १-७
१०.
अ न क तु त १-७
अबाधग त, बल थत, धन व क त क
सव जाना, र ा व समृ
११.
हेतु ाथना ५-७
अ न का वणन १-६
र क, धुएं का थत होना, त, बढ़ाने क
१२.
ाथना, अर ण मंथन १-६
अ न क तु त १-६
कामनापूरक, द तशाली, भ
१३.
ा त १-४
वामी, सेवक, श -ु संहार, घर मलना १-६
अ न क तु त १-६
र ाथ पूजन, द तशाली, तु त, व तार करना, बल-धन मांगना १-६
१४.
अ न का वणन १-६
अमर, तु त, का शत होना,
१५.
ांतदश , वधन १-६
अ न का वणन १-५
तु त-रचना, दे व ा त, पापर हत बनाना, धारण करना १-५
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बनाने
१६.
अ न का वणन १-५
अ दे ना, धन ा त, आघात, हण, तु त १-५
१७.
अ न का वणन १-५
आ ान, यश वी,
१८.
ा त करना, रथ व धन ा त, धन याचना १-५
अ न का वणन १-५
कामना, तु त, आ ान, अ रखना, घोड़े दे ना १-५
१९.
अ न का वणन १-५
दे खना, र ा करना, श
२०.
बढ़ाना, तो सुनने एवं सामने आने क
अ न क तु त १-४
ाथना, वरण, र ाथ तु त १-४
२१.
अ न क तु त १-४
व लत करना, ुच से ा त, सेवा, सस ऋ ष १-४
२२.
अ न का वणन १-४
पू य, साधन, अलंकृत १-४
२३.
अ न क तु त १-४
बलशाली व श ुजेता पु मांगना, धन व काश हेतु ाथना १-४
२४.
अ न का वणन १-४
समीपवत बनने, धन दे न,े पुकार सुनने क
२५.
ाथना, पु याचना १-४
अ न क तु त १-९
र ाथ ाथना, शं सत, धनयाचना,
व
१-४
श ुजयी पु क कामना, तो , श द करना, वंदना ५-९
२६.
अ न क तु त १-९
द तशाली, लपट वाले, व लत करना, ाथना, बल मांगना १-४
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ाथना १-५
य कम, बढ़ाना, वाहक ५-७
ह व प ंचाने व कुश पर बैठने क
२७.
ाथना ८-९
अ न क तु त १-६
य ण, बैल का स होना, धन याचना १-६
२८.
अ न का वणन १-६
व वारा, र क, श ुनाशाथ तु त, य यु , वरण का आ ह १-६
२९.
इं एवं म त क तु त १-१५
तेज धारण, तु त, अ ह का वध, तं भत करना, एतश, पकाना, मांस भ ण,
आ ान १-८
कु स, शु ण व द यु
का वध, प हया दे ना, प ु असुर, गाय छु ड़ाना ९-१२
धन वामी, नमाण, तो , सामान दे ना १३-१५
३०.
इं एवं अ न क तु त १-१५
घर जाना, भयानक थान दे खना, पवत तोड़ना, गो ा त १-४
डरना, शंसा, नमु च-वध ५-७
बादल न करना, सुंद रयां घर म रखना, मलाना, व ु क गाएं, राजा
ऋणंचय ८-१५
गाएं मलना, गाएं
३१.
इं क तु त १-१३
चलना, प नीयु
करना, यो य बनाना, जल धारण १-६
अ धकार करना, घर प ंचाना, अंधकार मटाना, घोड़े मलना, अव यु, ग तहीन
करना ७-११
धन दे ने आना, तु त १२-१३
३२.
इं का वणन १-१२
माग खोलना,
स
बनाना, उ प , मेघ-र क, कम जानना, वृ वध, न न
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बनाना १-७
धन छ नना, नीचा होना, क याणकारी, ेरक ९-१२
३३.
इं क तु त १-१०
तु त बोलना, जीत ाथना, रथ हांकना, नाम मटाना, बल बढ़ाना, शंसा, र ाथ
ाथना १-७
रथ ख चने का अनुरोध ८
ढोने का आ ह, धन याचना ९-१०
३४.
इं का वणन १-९
तुत, पेट भरना, द तशाली बनना, भागना, वश म रखना १-६
धन व गाएं दे ना, अ
३५.
क तु त ७-९
इं क तु त १-८
अजेय, र ाथ ाथना, पुकारना, कामवष १-४
मण, आ ान, अ गंता, धन अपण ५-८
३६.
इं क तु त १-६
उ म ग त, आ त १-२
पुरावसु ऋ ष, धन बांटना ३-४
वृ कारी, राजा तुरथ ५-६
३७.
इं का वणन १-५
य न करना, तु त, म हषी लाना १-३
साथ चलना,
३८.
य बनना ४-५
इं क तु त १-५
महानता, अ दाता, समथ, इ छा, शत तु १-५
३९.
इं क तु त १-५
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वामी, अ हेतु आ ह १-२
स , तु त, अ
४०.
ऋ ष ३-५
इं व सूय क तु त १-९
श ुहंता, आनंददाता, सोमपान व स
वातालाप १-७
होने का आ ह, अंधकार, माया भगाना,
माया वतं करना ८-९
४१.
व ेदेव क तु त १-२०
र ा करने, सेवा वीकारने, सुंदर तो एवं ह
अ
बनाने क
ाथना १-३
४-५
बैठाने का आ ह, ह
अनुकूल बनने क
दे ना, तु त ६-८
ाथना, तु त, र ा ाथना ९-११
दे व क तु त, आ तयां दे ना १२-१४
भू म क तु त, श ुनाशक, संतान व अ हेतु सेवा १५-१७
उप थत होने क
४२.
ाथना, य क
शंसा, र ाथ ाथना १८-२०
व ेदेव क तु त १-१८
ाथना, व ण, सोना मांगना, य यो य दे व से मलना १-४
व ा, ऋभु ा, वाज, कमकथन, सुखदाता ५-७
पु वान बनना, अ ती, नदक आ द को अंधकार म डालने क ाथना, ओष धवामी, राका, प दे ना, जल नमाता, का शत करते ए चलना ८-१४
धना भलाषी, बु
४३.
म न डालने व सुख भोगने क
ाथना, सौभा य याचना १५-१८
व ेदेव क तु त १-१७
आ ान, इ छा, सोम दे ना, मधुर रस टपकाना, सोमरस नचोड़ना १-५
ह
वहन क ाथना, पा रखना, य म लाना, तु तय को सुनने व अथ जानने क
ाथना ६-११
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अ धारक, पोषण, अ भट, वीर पु याचना १२-१७
४४.
व भ दे व का वणन १-१५
अंतरा मा, मायाहीन १-२
अजर, जल चुराना, शोभा पाना ३-५
थर करना, अ भलाषा, सुख मांगना, तु त, अ पू त, मद ा त, सदापृण, यजत
आ द ऋ ष ६-१३
कामना, तो
४५.
ा त १४-१५
व भ दे व क तु त १-११
व
फकना, थरता, बरसना, बुलाना १-५
ार खुलना, पूजा, सरमा, प ंचना, झुकना, र त होने व पाप लांघने म समथ होने
क ाथना ६-११
४६.
व भ दे व का वणन १-८
भारवहन, ाथना, आ ान, सुख व धन याचना, अ द त, सुख मांगना, ह
ाथना १-८
४७.
व भ दे व का वणन १-७
वग से आना, ग तशील होना, रथ का वेश १-३
ेरणा, तु य, कपड़े बुनना, नम कार ४-७
४८.
व भ दे व का वणन १-५
व तार करना, ढकना १-२
घूमना, धन दे ना, सुशो भत होना ३-५
४९.
व भ दे व का वणन १-५
म ता, शंसा का आ ह, लकड़ी खाना व तेज फैलाना १-३
तर कार न होना, स होने क
५०.
ाथना ४-५
व भ दे व का वणन १-५
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भ णक
याचना, तु तयां, य नेता १-३
यूप, तु त ४-५
५१.
अ न, इं वायु एवं अ नीकुमार क तु त १-१५
सोमपान हेतु आ ह,
य होना, १-४
आ ान, यो य होना, दही मला सोमरस ५-७
म ता, आ ान ८-१०
पाप से बचाने क
ाथना ११-१३
धन क वा मनी, क याण व बंधु म
५२.
से मलन कराने हेतु ाथना १४-१५
म द्गण का वणन १-१७
स होना, मणक ा, तु य, ह
दे ना, १-४
नेता, आयुध ५-६
म द्गण, प र म करना, घरना, य धारण हेतु ाथना ७-१०
दशनीय, कूप नमाण, नमाता, आ ान ११-१४
दान ा त, पृ ,
५३.
, गाएं दे ना १५-१७
म द्गण क तु त १-१६
पृ , वषाकारी १-२
तु त, मु दत होना, बरसना, आकाश जाना ३-७
आ ान, न दयां, शंसा ८-१०
अनुगमन, ह वदाता, बीजदाता, जल, गाय आ द मांगना ११-१४
कृपापा , तु त हेतु आ ह १५-१६
५४.
म द्गण का वणन १-१५
तेज वी, जल गरना, बल संप , सवथा समथ १-४
पवत तोड़ना, धन याचना, संर ण ५-७
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स चना, वषा करना माग पार, करना, सुनहरी पगड़ी ८-१२
अ य, राजा यावा , धन याचना १३-१५
५५.
म त क तु त १-१०
अ धारण, असी मत ान, अ तशय १-४
जलहीन न होना, बुंद कय वाली घो ड़यां, फैलना, पीछे चलना, पाप से बचाने हेतु
ाथना ५-९
५६.
अ न एवं म त क तु त १-९
आ ान १-२
समूह का आना, श ुनाश, आ ान, घोड़े जोड़ने हेतु ाथना, दे र न करना ३-९
५७.
म त क तु त १-८
जल प ंचाना, आ ान, वन का कांपना, व तृत होना १-४
अमृत ा त, आयुध धारण करना, उ म संतान, धन व वषा हेतु ाथना ५-८
५८.
म त क तु त १-८
भासंप , द तशाली, आ ान, श ुनाशक, पु हेतु ाथना, गरजना, गभधारण,
धन वामी १-८
५९.
म त क तु त १-८
तु त, दखाई दे ना, ाता, वृ , यु
करना, हतकारी १-६
पानी गराना, वषा हेतु ाथना ७-८
६०.
अ न एवं म त क तु त १-८
तु त, बलसंप , श द करना, वग का कांपना १-३
शोभा धारण करना, न य युवा, आ ान, श ुनाश व सोमपानाथ ाथना ४-८
६१.
म द्गण क तु त एवं रानी शशीयसी का वणन १-१९
अकेले आना, लगाम दखना, कोड़े लगना, हतकारी, रानी शशीयसी, महानता १-६
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दान का वचार, समान, माग बताना, संप
दे ना, तु तयां, चमकना ७-१२
बाधाहीन ग त, स होना, वग, धन मांगना १३-१६
रथवी त, सूचना प ंचाने हेतु ाथना १७-१९
६२.
म एवं म त् का वणन १-९
सूयमंडल, चमक ला बनाना, आकाश, न दय का बहना १-४
अ
वामी, पाप ाता, वणरथ, ५-७
लोहे क क ल, व र क ८-९
६३.
म एवं व ण क तु त १-७
रथ पर बैठना, शासन करना, आ ान १-३
करना, घोड़े जोड़ना, मण, गरजना, य र ा ४-७
६४.
म एवं व ण क तु त १-७
आ ान, जाना, घर म सुख मलने क
ाथना १-३
धन ा त क आशा, आ ान ४-५
अ धारक, नकट आने क
६५.
ाथना ६-७
म एवं व ण क तु त १-६
तु त जानना, घूमना, र ाथ ाथना, उपाय बताना, र ाथ ाथना १-६
६६.
म , व ण एवं धरती क तु त १-६
श ुनाशक, श
६७.
, र ा हेतु तु त, जल बरसाना, रदश १-६
म एवं व ण क तु त १-५
हतकारक, क याणकारी, भ र क, माग दखलाना, शरण लेना १-५
६८.
म एवं व ण का वणन १-५
आ ान, शंसनीय, दानदाता, बढ़ना, रथ १-५
६९. म एवं व ण क तु त १-४
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कमर क, जलधारक, तु त, भूलोकधारक १-४
७०.
म एवं व ण क तु त १-४
सुम त, अ याचना, श ुसंहार करने व आ म नभर बनाने क
७१.
ाथना १-४
म एवं व ण क तु त १-३
आ ान, कम सफल बनाने व सोमपान का आ ह १-३
७२.
म एवं व ण क तु त १-३
आ ान, य कम म लगना, सोमपान का अनुरोध १-३
७३.
अ नीकुमार क तु त १-१०
आ ान, बुलाना, लोक मण, अ मांगना, करण का बखरना, तु त, अ , भरण,
ाथना, तु तयां १-१०
७४.
अ नीकुमार क तु त १-१०
सेवा करना, सहायक क इ छा, वृ
वषय, ह १-१०
७५.
क
अ नीकुमार क तु त १-९
मधु- व ा ाता, वण रथ, अ यु , तु त, ह
आ ान, अव यु ऋ ष, नाशहीन रथ १-९
७६.
ाथना, युवा बनाना, आ ान, शरोधाय,
दे ना, यवन ऋ ष, व च
प वाले,
अ नीकुमार क तु त १-५
व लत होना, आ ान, र ाथ ाथना, घर, सौभा य मांगना १-५
७७.
अ नीकुमार क तु त १-५
य धारक, तृ त करना,
मांगना १-५
७८.
गम माग पार करना, संतान का पालन, सौभा य
अ नीकुमार क तु त १-९
आ ान, गौरमृग, घरदाता, र ाथ ाथना, स तव
क ाथना, जरायु, जीवधारी १-९
ऋ ष, बंद सं क, ग तशील होने
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७९.
उषा क तु त १-१०
अ दे ने वाली, स य वा, अंधकार हरने क ाथना, मरण करना, तु त, अ
मांगना, तु त, गाएं, धन याचना, ताप न दे ने का आ ह, हसा न करना १-१०
८०.
उषा का वणन १-६
महती, काश फैलाना, धन थायी करना, भली
काश बखेरना १-६
८१.
कार चलना, उप थत होना,
स वता क तु त १-५
काय म लगना, काश फैलाना, सी मत, म बनना, यावा ऋ ष १-५
८२.
स वता क तु त १-९
ाथना, ऐ य, कामना, द र ता, अमंगल भगाने क
सेवा, ेरणा १-९
८३.
ाथना, धन धारण हेतु ाथना,
पज य क तु त १-१०
गभधारण, भागना, वषायु करना, गरजना-टपकना, झुकना, पालक, जल धारण
हेतु ाथना, मु दत होना, तु तयां मलना १-१०
८४.
पृ थवी क तु त १-३
स करना, बादल को फकना, वन प तयां धारण करना १-३
८५.
व ण क तु त १-८
व तृत करना, सोमलता का व तार, धरती को गीला करना, बादल श थल करना,
नापना, वरोधहीन तु त, अपराध न करने व य बनाने क ाथना १-८
८६.
इं व अ न का वणन १-६
तक काटना, तु त, व , शंसनीय, अ हेतु तु त, अ मांगना १-६
८७.
म द्गण का वणन १-९
एवयाम त्, थर होना, पुकार सुनना, बल व तेजयु , अपार म हमा, व तृत गृह,
पाप भगाने व नदक को वश म करने क ाथना १-९
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ष म मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न क तु त १-१३
ाथना, अनुगमन, अ -धन हेतु तु त, माता- पता, आनंददाता, तु त १-८
ांतदश , सेवा, अ व धन के लए ाथना, सौभा य व धन हेतु तु त ९-१३
२.
अ न क तु त १-११
अ मांगना, सेवा करना, आ ान व घर याचना १-५
द तयु , पालक, अर ण म वास, वालाएं, समृ
३.
व गृह हेतु तु त ६-११
अ न क तु त १-८
द घायु, शांत बनाना, वालाएं, ती ण, व च ग त, तेज वी, वेगशाली १-८
४.
अ न का वणन १-८
य पूण करने व अ हेतु तु त १-२
प व क ा, अ दाता, तु त, अंधकारनाशक ३-६
ग तशील, शतायु हेतु तु त ७-८
५.
अ न क तु त १-७
धनदाता, था पत, श ुनाशाथ तु त, अ ओर धन याचना १-७
६.
अ न क तु त १-७
होता, युवा, वालाएं, वनदाहक, श ुनाश हेतु ाथना, अ , धन, संतान याचना १-७
७.
अ न क तु त १-७
उ प , धन म वास, धन हेतु तु त, अमरपद दाता, सूय क
पालक १-७
८.
अ न का वणन १-७
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थापना, उ च थल,
ा त, तर क, श
तु त १-७
९.
धारक, अचनीय वामी, अजर, पु , धन याचना, र ाथ
अ न का वणन १-७
अंधकारनाशक, ताना-बाना,
नम कार १-७
१०.
ाता, होता, अमर,
धानक ा, उ सुक बु
,
अ न का वणन १-७
द तशाली, भट दे ना, समृ
एवं गोशाला दाता, अंधकारनाशक १-४
अ , धन, बल याचना, शतायु हेतु तु त ५-७
११.
अ न क तु त १-६
य क ा, वाला, अं गरा, भर ाज, वेद म वास, धन ा त व श ु से र रखने हेतु
ाथना १-६
१२.
अ न का वणन १-६
य वामी, ह
याचना १-६
१३.
प ंचाने हेतु ाथना, ान कराने वाली, जातवेद, सुशो भत, संतान
अ न क तु त १-६
धन क उ प , धन मांगना, ानसंप , संप
जीने क ाथना १-६
१४.
अ न क तु त १-६
श ु-धन क
१५.
पाना, अ मांगना, संतान के साथ
ा त, कुशल, य हीन, श ुनाशक, र क, द तसंप
१-६
अ न का वणन १-१९
जार क, तु य, भर ाज, एतश, पू य, ांतदश , पालक, सुख याचना, यजन,
अ भलाषापूरक, य कता, गृह वामी, सव ापक, र ाथ ाथना १-१५
दे व मुख, मंथन, आ ान, गाहप य य
१६.
१६-१९
अ न क तु त १-४८
होता बनाना, ह , य
वधाता, यजन १-४
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सुख व हेतु
मांगना ५-१२
ाथना भर ाज, तु त, दशनीय तेज, व ान्, तु त, बढ़ाना, धन
अ न मंथन, द यङ्
वलन, तु तयां १३-१६
अनु ह,
र ाथ याचना, पालक, म हमा, व तार करना, श ुनाशक, दे व त,
प व कमा, अ दाता १७-२८
जातवेद, वशेष
ा, र ा, याचना, तु त, श ुनाशाथ ाथना २९-३४
श ुनाश, अ , संतान ा त हेतु ाथना, शरण लेना, तेज स ग ३५-३९
अ न पकड़ना, ह , सुखकर, आ ान, द त संप , यजन यो य, ऋचाएं,
तु त ४०-४८
१७.
इं क तु त १-१५
गाएं खोजना, श ुर क, अ हेतु ाथना, सवगुणी १-४
थापक, धा
बनाना, धरती को पूण बनाना ५-७
अ णी, वृ वध, व
तु तयां, बल, अ
१८.
बनाना, भसे पकाना, न दयां मु
करना ८-१२
ा त व सौ वष तक स रहने के लए ाथना १३-१५
इं क तु त १-१५
इ छापूरक, सोमपानक ा, पु दे ना, वासदाता, श ुनाशक १-४
बल असुर का वध, नगर का नाश ५
वंदनीय, चुमु र, प ,ु शंबर, शु ण व धु न का वध, माया-नाशक, म हमा ६-१२
कु स, आयु एवं दवोदास १३
धन ा त हेतु ाथना, तो के जनक १४-१५
१९.
इं क तु त १-१३
अपरा जत, यु
संचालन, आ ान, धन वामी, धन, पु व पौ हेतु ाथना १-१०
आ ान, धन से स ता मांगना ११-१३
२०.
इं क तु त १-१३
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धन वामी, वृ संहारक, सोम के राजा १-३
प ण क सेनाएं, शु ण, न म, नगर का नाश ४-७
सुखदाता, अपरा जत, नगर का नाश ८-१०
उशना को बढ़ाना ११
य व तुवसु को सागर पार कराना १२
धु न व चुमु र को सुलाना १३
२१.
इं क तु त १-१२
शूर, बु
मान्, बलशाली,
स
कम १-४
अं गरा ारा तु त ५-१०
व ान्, माग- नमाता ११-१२
२२.
इं का वणन १-११
स यभाषी, श ुहंता, धन याचना, असुरनाशक, श
पाप से बचाने, रा स को जलाने व व
संप
२३.
दाता, वृ नाशक १-६
धारण करने हेतु ाथना ७-९
मांगना, आ ान १०-११
इं का वणन १-१०
वै दक तु तयां १
यजमान र क, नवास थान व पु दाता २-४
वेदमं
व तो
का उ चारण ५-६
सोमपान हेतु आ ह, स माग ेरक ७-१०
२४.
इं का वणन १-१०
तु त व अ
वामी, शूर, बु
मान्, वल ण कमक ा १-५
अ े छु क, भर ाजगो ीय ऋ ष ६
शरीर वृ , पवत का भी सुगम होना ७-८
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अ , संतान, र ा याचना, सौ वष तक स रहने हेतु ाथना ९-१०
२५.
इं क तु त १-९
अ
ा त, श ु से र ा हेतु तु त १-३
ववाद, सवजेता, हवनक ा को धन मलना ४-६
नेता, दे व से मला बल, नवास हेतु तु त ७-९
२६.
इं क तु त १-८
अ के लए तु त १-३
वृषभ, वेतस और राजा तु ज, तु वध, दवोदास, शंबर, दभी त, चुमु र ४-६
बल, सुख व धन मांगना ७-८
२७.
इं का वणन १-८
सोमपान, धन वामी, वर शख के पु
चायमान १-८
२८.
का वध, य ावती नद , अ यवत ,
गाय एवं इं का वणन १-८
नाना रंग वाली गाएं, धन दे ना, गाय के साथ रहना वशसन सं कार, इं बनना,
ब ल बनाने क ाथना १-६
साफ पानी पीने का आ ह, पु
२९.
हेतु ाथना ७-८
इं क तु त १-६
अनु ह, मानव हतकारी, धनदाता, ध-दही मला सोमरस, अनंत श
ठोढ़ १-६
३०.
शाली, हरी
इं क तु त १-५
धनदाता, असुरनाशक, माग बनाना, सबसे बड़े राजा १-५
३१.
इं क तु त १-५
एकमा
३२.
वामी, जल बरसाना, कुयव का वध, नगरी-नाशक, र ाथ पुकारना १-५
इं का वणन १-५
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तु तयां, मु
३३.
करना, नगर नाशक, कामपूरक, द णायन सूय १-५
इं क तु त १-५
पु मांगना, अ
३४.
मलना, धन याचना, गो- वामी १-५
इं का वणन १-५
वचारधाराएं, स करना, सोमरस अ पत, सं ाम-र क १-५
३५.
इं क तु त १-५
य कम, धन याचना, गोदाता तो , गाय व अ मांगना ाथना १-५
३६.
इं का वणन १-५
हतकारक, बल पूजा, तु तय का मलना, धन मांगना, श ुधन जीतने के लए
अनुरोध १-५
३७.
इं का वणन १-५
तु त, सोमरस का बहना, रथ म जुड़े घोड़े, धन, संतान व बलदाता १-५
३८.
इं का वणन १-५
सोमपान, ेरक तु तयां, मास, संव सर व दन, बल, धन, र ा हेतु सेवा १-५
३९.
इं क तु त १-५
सोमपान का आ ह, इं -प ण यु
१-२
शोभन ज म वाली, तेज से भरना, सेवक मांगना ३-५
४०.
इं क तु त १-५
अ याचना, सोमपान, आ ान, सोमपान का आ ह, आ ान १-५
४१.
इं क तु त १-५
आ ान, श ुनाश क कामना, सोमरस, आ ान, र ाथ ाथना १-५
४२.
इं का वणन १-४
यु नेता, आ ान, अ भलाषापूरक १-४
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४३.
इं क तु त १-४
शंबर का वध, सोमपान आ ह १-४
४४.
इं क तु त १-२४
स ता दे ने क कामना १-३
श ुजेता, श ुधनहता, र क, ४-७
आ वभूत होने क कामना, धन मांगना, र ाथ ाथना, सोमरस दे ना, स होने क
कामना, धन वामी, अ भलाषापूरक ८-२१
आयुध बेकार होना, अमृत मलना व ध धारण करना २२-२४
४५.
इं एवं बृह प त का वणन १-३३
तुवश व य राजा १
श ु
का धन जीतना २
अनंत र ासाधन, बु
दाता, र ा, समृ
हेतु ाथना ३-६
आ ान, हाथ म संप यां ७-८
य
वामी, अ व धन के लए आ ान ९-११
जीतने यो य बनना १२
धन जीतना १३-१६
सुख याचना, असुरसंहारक, आ ान १७-१९
एकमा
वामी, गोपालक, आ ान २०-२२
गाय स हत अ दे ने वाले, गाएं को कट करना, गाय-घोड़ा दे ने वाले बनने का
अनुरोध २३-२६
नदक, गाय का बछड़ के पास जाना, बृब,ु गाएं दे ना, तु तपा , श ुनाशक, धन के
लए ेरणा का अनुरोध २७-३३
४६.
इं क तु त १-१४
आ ान, तु त, पालक १-३
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संतान, अ क
ा त व श ु क हार हेतु तु त ४-६
धन, बल व अ क
ा त व श ु को जीतने हेतु ाथना ७-९
आ मण से बचाने व श ु भगाने हेतु तु त १०-१२
घोड़ को आगे बढ़ाने हेतु तु त १३-१४
४७.
सोमरस का वणन एवं इं क तु त १-३१
मधुर सोम, मदम
करना १-५
होना, वाणी का तेज होना, जल, ढ़ करना, वग धारण
धन दे ने का आ ह, भरोसा, अ -धन के लए ाथना ६-९
बु
दे ने क
ाथना, आ ान, र क १०-१२
शोभन, मलाना, आगे-पीछे पैर रखना, सेवक को बुलाना, म
१३-१७
रथ, घोड़े, मागदशन हेतु तु त १८-२०
शंबर व वच का वध,
दान, पूजा, रथ, द
तोक, दवोदास २१-२३
रथ, ं भ २४-२९
ढ़ता क याचना, गाएं लाने क
४८.
ाथना ३०-३१
अ न का वणन १-२२
य, र क, अ भलाषापूरक, ह
अ के लए तु त १-४
कट होना, धन हेतु तु त, गृहप त, धन के नेता, पालन हेतु ाथना ५-१०
बछड़ को अलगाना, आना,
याचना ११-१५
धा
गाय, अ
व धन के लए म त से
श ु को भगाने, नदक का नाश करने हेतु ाथना, म ता व अनु ह के लए पूषा
क तु त १६-१९
मागद शका वाणी २०
बल धारण, वग व धरती क उ प
४९.
२१-२२
व भ दे व का वणन १-१५
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बलसंप
म , ेरणा १-२
सूय क दो क याएं—रात और दन ३
धन हेतु वायु क तु त ४
अ भलाषा पूण करने हेतु अ नीकुमार क तु त ५
दे व क तु त, सोने क स ग वाली गाएं ६-८
अ धारक ९-१०
वृ
को स चने हेतु ाथना ११
तु त १२
तीन लोक को नापना, याचना १३-१४
अ व घर मांगना १५
५०.
व भ दे व का वणन १-१५
आ ान, अ न ज , बल याचना १-३
आ ान, ा णय का कांपना ४-५
अ हेतु इं क तु त ६
हतकारी जल ७
धनदाता ८
पु -पौ से यु
यु
करने हेतु आ ह ९
से बचाने के लए ाथना १०
धन ा त हेतु ाथना ११
अ बढ़ाने हेतु आ ह १२
र ा हेतु दे व क तु त १३-१५
५१.
व भ दे व का वणन १-१६
सूय, म व व ण का तेज १
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अ भलाषापूरक, तु त २-३
स जनपालक, सुख याचना ४-५
वृक व वृक ६
श ुनाश क
ाथना ७
पाप का र होना, झुकना ८-९
गुण के नाश हेतु व ण, म अ न क तु त १०
मागदशक, र क बनने व भवन हेतु याचना ११-१२
श ु को र रखने व सुख दे ने के लए तु त १३
प ण को मारने के लए सोम से ाथना १४
सुख दे ने व माग सुर त बनाने के लए दे व क तु त १५
श ुनाश व धन ा त का माग १६
५२.
व भ दे व का वणन १-१७
य को अयो य मानना १
वरो धय को जलाने हेतु ाथना २
नदा उ ारक ३
र ा के लए उषा, न दय , पवत एवं पतर से ाथना ४
सूय दशन हेतु अ न से ाथना ५
र ा हेतु पुकार ६
व ेदेव का आ ान ७
घृत म त ह
८
व ेदेव, ध वीकारने हेतु ाथना ९-१०
ह
वीकारने का अनुरोध ११
य पूरा करने हेतु याचना १२
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य के भो ा १३
सुखपूवक रहने क कामना १४
जीवन भर अ
संतानयु
ा त हेतु ाथना १५
अ हेतु अ न और पज य से आ ह १६
तृ त होने के लए व ेदेव क तु त १७
५३.
पूषा क तु त १-१०
पूसा को सामने करना, मानव हतकारी, ेरणा, य पूरा करने के लए ाथना १-४
प णय को घायल करने व उ ह वश म करने क
ाथना ५-७
प णय के दय पर नशान बनाने हेतु आ ह, सुखकामना ८-९
सेवक दे ने वाला बनाने का अनुरोध १०
५४.
पूषा क तु त १-१०
कृपा चाहना १-२
च
प आयुध, ह
ारा सेवा ३-४
घोड़े के र क व अ दाता ५-६
गाय क सुर ा, धन क याचना, अमर करने हेतु तु त ७-९
गाएं लौटाने हेतु आ ह १०
५५.
पूषा का वणन १-६
धन याचना, द तशाली १-३
उषा के ेमी, तु त ४-५
रथ म जुड़े बकरे ६
५६.
पूषा का वणन १-६
घृत म त जौ का स ू १
स जनपालक, वणरथ, धन के लए तु त २-४
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गाय के अ भलाषी ५
पापर हत व धनयु
५७.
र ा ६
इं व पूषा क तु त १-६
आ ान १
सोमरस, जौ का स ू २
पूषा का वाहन बकरा व इं का वाहन घोड़ा ३
वषा म सहायक पूषा ४
कृपा का सहारा, क याण के लए आ ान ५-६
५८.
पूषा का वणन १-४
रात- दन भ
५९.
प वाले, आकाश म घूमना, सोने क नाव, अ
वामी १-४
इं एवं अ न क तु त १-१०
काय का वणन, ज म क म हमा, आ ान, य वधक १-४
भां त-भां त से चलने वाले घोड़े ५
अचरण उषा ६
धनुष फैलाना ७
श ुसेना ८
पु कारी धन ९
सोमपान हेतु आ ान ९-१०
६०.
इं एवं अ न क तु त १-१५
सेवा, यु , वृ हंता व अ न का आ ान १-५
स जनपालक, सुखदाता, आ ान, तु त, जल बरसाना, घोड़े, आ ान ६-१५
६१.
सर वती का वणन १-१४
ऋण से छु टकारा, पवत भेदन, असुरनाशाथ ाथना, र ा याचना १-४
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तु त, धन याचना, अपरा जत बल ४-८
सहायता मांगना ९
सात ब हन १०
नदक से र ाथ ाथना ११
लोक म
६२.
ा त, धान सर वती, पीड़ा न दे ने क
ाथना के लए तु त १२-१४
अ नीकुमार क तु त १-११
श ु नवारक, म भू म के पार, संप बनाना, घोड़े जोड़ना, सुखदाता १-५
नकालना, रथ वामी, महान्
श
६३.
ोध ६-८
फकना, रथ, गोशाला ९-११
अ नीकुमार क तु त १-११
आ त, सोमपानाथ, घृत वामी १-४
सूयपु ी, सूया क शोभा ५-६
तेज रथ, गाय, अ हेतु तु त ७-८
वणरथ ९
भर ाज, धन हेतु तु त १०-११
६४.
उषा क तु त १-६
क याणी, सुशो भत, अंधकारनाशक, धन हेतु तु त, धन ढोना, दाता १-६
६५.
उषा क तु त १-६
वगपु ी, रथ वाली, अ , धन व र न हेतु तु त १-४
गोसमूह ा त, धन हेतु तु त ५-६
६६.
म त का वणन १-११
सफेद जल, रथ,
रथ १-७
पु , पापनाशक, अ भलाषापूरक मा यमा वाक्, सार थहीन
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पु , पौ व गोर ा, पृ थवी का कांपना अजेय, तु त ८-११
६७.
म व व ण क तु त १-११
उ म नयंता, घर मांगना, वश म करने हेतु तु त, स ययु , जीतना, बल धारण, जल
भरना १-७
मायाहीन, य हीन को न करने, अ य दे व के साथ न चलने व घर दे ने के लए
ाथना ८-११
६८.
इं व व ण क तु त १-११
सोमरस बनाना, श ु हसक, र क, बढ़ना, धन व पु
ा त १-६
र त धन हेतु याचना व तु त ७-८
अजर व ण ९
सोमपान हेतु ाथना १०-११
६९.
इं व व णु क तु त १-८
ह व दे ना १
तु तयां ा त होने, उनको सुनने, महान कम करने हेतु तु त २-५
आधार, नशीला सोम, सदा वजेता ६-८
७०.
ावापृ वी का वणन १-६
स , प व कम वाली, भुवन क नवास १-३
सुख याचना, जल टपकाना, संतान, बल व धन मांगना ४-६
७१.
स वता क तु त १-६
भुजाएं,
पद व चतु पद ाणी १-२
घर क र ा, अ , आनंद व धन हेतु तु त ३-६
७२.
इं एवं सोम क तु त १-५
भूत नमाण, ाथना, वृ हंता, ध धारण, क याणकारी १-५
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७३.
बृह प त का वणन १-३
अं गरापु , नगर जलाना, श ुनाशक बृह प त का वणन १-३
७४.
सोम एवं
क तु त १-४
र नधारक, अ दे ने, पाप भगाने व र ा हेतु तु त १-४
७५.
कवच, धनुष आ द यु
साम ी का वणन १-१९
र ाथ ाथना, जीतने क कामना, डोर का कान तक प ंचना, र ा याचना, तरकस,
घोड़ को वश म करना, कुचलना, बढ़ाना १-८
आ य यो य, र ाथ ाथना ९-१०
बाण, सुख याचना, चोट करना, र ा करना, नम कार, श ुनाश हेतु ाथना ११-१६
सुख याचना १७
कवच से ढकना १८
मं ही र ा कवच है १९
स तम मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न क तु त १-२५
अर ण, पूजनीय, वालायु , संतानदाता कुशल, पु -पौ वाला धन मांगना, रा स
को जलाना, स होना, आ ान १-९
तु त १०
जायु
घर, र ाथ आ ह ११-१३
सेवा करना, र क प र मा १४-१६
धन वामी होने क कामना, ह , स ययु
१७-१९
अ दे न,े सहायक बनने, मृ यु से छु ड़ाने हेतु ाथना, धनी होना, पूण आयु वाला होने
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व पालन हेतु तु त २०-२५
२.
अ न, य क ा
व व ा क तु त १-११
गम लपट, म हमा, पूजन, ब ह दे ना, ाचीना जु , घी से स चना, कामधेनु गाय १-६
धन मांगना, भारती, पु याचना, ज म जानना, आ ान ७-११
३.
अ न क तु त १-१०
शु क ा, काला माग, दे व के पास जाना, वेश करना, पूजन, काश फैलाना, र ा
हेतु ाथना १-८
अर णय से उ प , र ाथ हेतु ९-१०
४.
अ न क तु त १-१०
बु से चलने वाले, अ भ क, असह्य, वराजमान, तारक, संतानहीन न होने,
धन वामी बनाने हेतु ाथना, थान पर प ंचना, धन हेतु आ ह १-१०
५.
वै ानर अ न क तु त १-९
बढ़ना, शोभा पाना, नगर जलाना, व तारक, जा वामी १-५
बल धारण, गरजना, क तदाता, सुख याचना ६-९
६.
वै ानर अ न का वणन १-७
वै ानर, राजा, हसक को भगाने हेतु ाथना, नाशक, उ पादक, कृपा चाहना,
अंधकारनाशक १-७
७.
अ न क तु त १-७
य
८.
त, वनदाहक, युवा अ न, था पत, ह वाहक, स यभूत, तु त १-७
अ न का वणन १-७
ह व वामी, काले माग वाले, शोभनदाता अ त थ, स मन, रोग नवारक तो , र ा
हेतु तु त १-७
९.
अ न का वणन १-६
जागने वाले, अंधकारनाशक
प म वेश, तु य, य करना, र ा याचना १-६
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१०.
अ न का वणन १-५
आ य, अ तशयदाता, रा
११.
अ न क तु त १-५
य
१२.
वामी १-५
व ापनक ा, आ ान, ह
डालना, ह वाहक बनाना, सुर ा हेतु तु त १-५
अ न क तु त १-३
समीप जाना, पाप से बचाने व र ा हेतु तु त १-३
१३.
अ न क तु त १-३
समपण, छु ड़ाना, र ा हेतु ाथना १-३
१४.
अ न क तु त १-३
स मधा, सेवा, र ाथ हेतु आ ह १-३
१५.
अ न क तु त १-१५
ह व डालना, गृहपालक, र ा हेतु ाथना, धन याचना, संतानयु , धन मांगना १-५
ह वाहक, क याणकारी, कामना, शु वाला वाले, धन हेतु ाथना, संतानयु धन
याचना, अजर, लौह नगरी बनाने हेतु ाथना, पाप व श ु र ाथ अनुरोध ६-१५
१६.
अ न क तु त १-१२
आ ान, पालक, आ त, भोग, याचना १-५
र नदाता, गोदान, पूण प से बैठना, व ान्, सोमरस का दान व धन हेतु
ाथना ६-१२
१७.
अ न क तु त १-७
कुश फैलाने, आ य लेने, स करने व संप
याचना १-७
१८.
दे ने हेतु अनुरोध, ह वाहक, धन
इं एवं सुदास का वणन १-२५
धन ा त, शोभा पाना १-२
कृपा याचना, तो
पी बछड़ा, प णी नद , सुदास, तुवश, श ुनाशक ३-७
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क व का वध, खेत म जाना, मनु य का वध, ुत, कवष, वृ
व
, तृ सु ८-१३
सै नक का वध, तृ सु, सुदास, धन दे ना, वश म करना, भट १४-१९
दे वक व शंबर का वध, इं क कामना, राजा दे ववान के नाती व सुदास, सुशो भत
घोड़े, यु याम ध का वध, घर क र ा हेतु क ाथना २०-२५
१९.
इं क तु त १-११
धन दे ना, कु स क र ा, श ुनाशक, दभी त वृ व नमु च, जोड़ना १-६
र ाथ तु त, धन वामी, दानी, उ मुख बनाना, अ , घर दे ने व र ा हेतु तु त ७-११
२०.
इं क तु त १-१०
ओज वी, श ुजेता, सोमरस से से वत, संसार के वामी, धन मांगना १-७
व धारी, धन व र ा हेतु तु त ८-१०
२१.
इं क तु त १-१०
बात बताना, कुश बछाना, कांपना, असुरघाती, उ साह दखाना १-५
वृ वध, हीन मानना, बुलाना, र क, र ाथ ाथना ६-१०
२२.
इं क तु त १-९
सोमरस तैयार, नशीला सोमरस, शंसा, तु त समझने हेतु ाथना, यशवाला नाम,
सवन १-६
तो , श
२३.
व धन जानना, तो
नमाण ७-९
इं क तु त १-६
अ हेतु तु तयां, आयु न जानना, श ुसमूह के नाशक आ ान, पु व धनदाता,
पूजन १-६
२४.
इं क तु त १-६
थान बनाना, मन हण करना, बुलाना १-३
श
२५.
शाली पु , धन र ा हेतु तु त ४-६
इं क तु त १-६
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धनसमूह, यश व र न हेतु तु त १-३
नयु , सुखकर तु तयां, र ाथ ाथना ४-६
२६.
इं का वणन १-५
मं समूह, आ ान, नग रय का नाश, र ासाधन, र ाथ तु त १-५
२७.
इं क तु त १-५
आ ान, आ त, वामी, धन व र ा याचना १-५
२८.
इं क तु त १-५
आ ान, असहनीय, य हीन क
तु त १-५
२९.
हसा,
का धन मांगना, र ा के लए
इं क तु त १-५
धन मांगना आ ान, तु त, आ ान, र ा हेतु तु त १-५
३०.
इं क तु त १-५
श
३१.
शाली, आ ान, य म थत होना, शूर, र ा हेतु तु त १-५
इं क तु त १-१२
ह र नामक अ , शत तु, स यधन १-३
तु त, नदक के वश म न होने व श ुनाश हेतु ाथना, महान्, तु त मलने हेतु
ाथना, णाम, ह नमाण, श ु क हार के लए तु तयां ४-१२
३२.
इं क तु त १-२७
आ ान, समपण, अनुगमन, आ ान, धन मांगना, १-६
घर हेतु ाथना, ह पूरा करना, बुरे आदमी का साथ न दे ना, गोशाला म जाना,
र क बनने क ाथना, संर त यजमान ७-१२
आक षत करना, वग व भ व य म अ मलना, पाप से पार होने के लए ाथना,
उ म धन के राजा, र ा न म धन दे ने व धन वामी बनाने का अनुरोध,
धनी १३-१९
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ने म, धन का हसक के पास न जाना, सोम भरना, आ ान, धन याचना, सफलता
हेतु ाथना २०-२७
३३.
व स एवं उनके पु
चोट , व स पु
का वणन १-१४
को वीकारना, सुदास, पतर, तृ सु को रा य दे ना १-५
व स , वरण, म हमा, घूमना, याग, धारण करना ६-११
व स , अग य, सोम धारण १२-१४
३४.
व भ दे व क तु त १-२५
अ भलाषापूरक, तु त, उ प
आ ह १-५
जानना, तु त, सोने के हाथ, य माग पर चलने का
य धारण करने का आ ह, उदय, य कम करना, उ वल कम करने का अनुरोध,
व ण, रा के राजा, र ाथ तु त, पाप र करने व र ा हेतु याचना, म बनाने का
आ ह ६-१५
तु त, हसक को न स पने क ाथना, श ु के मरने क कामना, धरती, व ा से धन
याचना, र ा हेतु ाथना १६-२५
३५.
गो, अ , ओष ध, पवत, नद , वृ आ द का वणन १-१५
शां त हेतु ाथना, नाराशंस, तु त सुनने का अनुरोध, र ा एवं पु हेतु दे व से
ाथना १-१५
३६.
व भ दे व क तु त व न दय का वणन १-९
वषा का जल, नणायक, मेघ, आ ान, म ता चाहना, सधु, य व पु क र ा हेतु
तु त, कम के र क, र ाथ तु त १-९
३७.
व भ दे व का वणन १-८
म त सोम, धन व र न हेतु ाथना, धन से पूण हाथ, य साधक, धनदाता १-५
आ याथ तु त, बलदाता, धन व र ा क याचना ६-८
३८.
स वता का वणन १-८
रमणीय, धनदाता, र ा याचना १-३
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तु त, वग व धरती के म , धन र न मांगना, रोग नवारणाथ तु त, वाजी दे वता
से र ा हेतु तु त ४-८
३९.
व भ दे व का वणन १-७
उषा, घो ड़य के वामी, रमण, य
याचना १-७
४०.
का अनुरोध, आ ान, धन, अ
व र ा हेतु
व भ दे व क तु त १-७
सुख व धन हेतु तु त, बलवान बनाने हेतु ाथना, पापनाशाथ तु त, मह वदाता,
जल व अ दे ने का आ ह, र ा हेतु ाथना १-७
४१.
अ न, इं , व अ नीकुमार आ द का वणन १-७
आ ान, धन याचना, गाय, घोड़े, धन व पु मांगना, तु त, धनी होने क कामना,
आ ान, भग को लाने क याचना, र ा हेतु तु त १-७
४२.
व भ दे व क तु त १-६
न दयां, काले व लाल घोड़े, पूजा, धन दे ना, य
याचना व र ाथ तु त १-६
४३.
व भ दे व क तु त १-५
अचना, श ु क सहायता न करने क
ाथना, धन मांगना १-५
४४.
वीकार करने के लए क तु त, धन
ाथना, धन लाने और स होकर आने क
द ध ा दे व का वणन १-५
र ाथ आ ान, े रत करना, पीले घोड़े, मुख द ध ा, अनुगमनक ा १-५
४५.
स वता का वणन १-४
आ ान, भुजाएं, धन याचना १-४
४६.
क तु त १-४
आयुध वामी, रोगहीन करने व र ा के लए आ ान, पु -पौ
र ाथ नवेदन १-४
४७.
जल क तु त १-४
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क ह या न करने व
तु त, सोमरस क र ा हेतु ाथना, हवन, धन मांगना व र ा हेतु ाथना १-४
४८.
ऋभु
क तु त १-४
हतकारी रथ, वाज से र ाथ ाथना, श ुनाशक, धन व र ा हेतु ाथना १-४
४९.
जल का वणन १-४
जल दे वता से र ा याचना १-४
५०.
म , अ न व व ण क तु त तथा वृ
का वणन १-४
सांप, द तशाली, शपद रोग नवारण के लए तु त १-४
५१.
आ द य का वणन १-३
घर दे ने व र ाथ ाथना १-३
५२.
आ द य का वणन १-३
तु त, पु -पौ
५३.
क र ा हेतु ाथना, धन हेतु तु त १-३
ावा-पृ वी का वणन १-३
जननी, धन हेतु आ ान, र ा व धन हेतु याचना १-३
५४.
वा तो प त (गृहदे वता) का वणन १-३
धन, रोगर हत घर दे ने व र ाथ ाथना १-३
५५.
वा तो प त व इं क तु त १-८
रोगनाशक, ेत, पीले कु े, चोर, लुटेरे, सूअर वद ण करना, लोग का सोना, शांत व
न ल घर १-६
सूय का उदय होना, सुलाने क कामना ७-८
५६.
म द्गण क तु त १-२५
महादे व के पु , ज म, पधा करना १-३
सवाग ेत, जा का पु वान होना, अलंकृत ४-६
म त क तु त ७-९
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तृ त, सजाना, शु
करना १०-१२
गहने, य भाग सेवन हेतु तु त, धन याचना, उ सव दशक, आ ान, शंसा १३-१८
र क, पु -पौ मांगना, धन का भागी बनाने हेतु नवेदन, श ु र ाथ ाथना, अ
पाना, पु के श शाली होने व र ा के लए ाथना १९-२५
५७.
म त क तु त १-७
उ , कामनापूरक, आभूषण धारण, कृपा, अ
तु त १-७
५८.
ारा पु
होने एवं र ा हेतु
म त क तु त १-६
सवा धक बु
मान्, ज म, अ व धनवृ
व
र ा हेतु तु त १-६
५९.
म त क तु त १-१२
भय से बचाने का अनुरोध, रोकना, सोमपान व सरी जगह न जाने के लए
ाथना १-५
पुकारना, आ ान, ःखदाता का वध करने व ह व सेवन के लए ाथना, आ ान,
मृ युबंधन से छु ड़ाने हेतु ाथना ६-१२
६०.
सूय, म , व ण, आ द य आ द क तु त १-१२
सूय क तु त, पाप और पु य दे खना, सूयरथ, पुरोडाश, पापनाशक, व ण और
अयमा, आ द य, म व व ण १-६
धरातल होना,
करने वाले कम न करने व थान दे ने के लए आ ह, सुखी बनाने
हेतु तु त, नवास थान बनाना, ःखनाश हेतु तु त ७-१२
६१.
म एवं व ण क तु त १-७
उदय होना, तु त, प र मा, बु
तु त १-७
६२.
बढ़ाने क याचना, स ची तु तयां, आ ान,
म व व ण क तु त १-६
सूय से ाथना, नरपराध बताने के लए तु त, धन दे ने व अ भलाषा पूरी करने हेतु
ाथना, र ाथ ाथना, भू म को स चने, र ा व धन हेतु तु त १-६
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६३.
सूय व व ण का वणन १-६
अंधकार का नाश, सूय को ख चना, उ दत होना, कम करना, माग, र ा व धन हेतु
अनुरोध १-६
६४.
म व व ण क तु त १-५
जल वामी, अ , वृ , संतान व नवास हेतु तु त, र ाथ याचना १-५
६५.
म व व ण क तु त १-५
आ ान, श
६६.
शाली, ःख से पार पाने हेतु याचना, जल व अ मांगना, तु त १-५
आ द य, व ण, म , अयमा आ द का वणन १-१९
तो , धारण करना, र क, धन याचना, पापनाशाथ ाथना, वामी, तु त, श
तु त, अ व जल याचना, श ुजेता, नवासदाता १-१०
,
ऋचा क रचना, धन याचना, धन के अ धकारी, मंडल, हरा घोड़ा, ग तशील,
कामना, आ ान ११-१९
६७.
अ नीकुमार क तु त १-१०
रथ सामने लाने हेतु तु त, उदय, रथ से आने, व धन दे ने हेतु तु त, कम से धन दे ने
क ाथना १-५
मनचाहा धन हेतु ाथना, आ ान, न दयां, गो व अ दाता, र न, उ त व र ा हेतु
तु त ६-१०
६८.
अ नीकुमार क तु त १-९
ह भ ण हेतु आ ान १-४
धन याचना, यवन ऋ ष, भु यु, वृक ऋ ष, बूढ़ गाय, तु त ५-८
तोता को बढ़ाना ९
६९.
अ नीकुमार क तु त १-८
रथ, तु त, पा , पीड़ा दे ना, र क, आ ान, बुलाना भु यु, र न एवं र ा हेतु
आ ान १-८
७०.
अ नीकुमार क तु त १-७
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आ ान, वषा, पवत क चोट , र न याचना, तु त, र ा हेतु ाथना १-७
७१.
अ नीकुमार क तु त १-६
धन व र ा हेतु तु त, आ ान, रथ, यवन, तु त १-६
७२.
अ नीकुमार क तु त १-५
आ ान, म ता, जगाना, तेज धारण, आ ान १-५
७३.
अ नीकुमार क तु त १-५
आ ान, तु त वीकारने क याचना, र ा हेतु आ ान १-५
७४.
उषा का वणन १-६
र ा, सोमपान व जलदोहन हेतु आ ान १-४
यश एवं घर मांगना ५-६
७५.
उषा क तु त १-८
काश फैलाना, सौभा य मांगना, दशनीय, पहचानना, धनयु , र न दे ने वाली, गाय
ारा कामना, अ से यु धन क याचना १-८
७६.
उषा क तु त १-७
दे व का ने , आगमन, तेज, मु दत होना, तेज से मलना अ दा ी १-७
७७.
उषा का वणन १-६
काश फैलाना, सुडौल, तेज वी धन एवं र ा हेतु तु त १-६
७८.
उषा का वणन १-५
करण फैलाना, पाप न करना, ज मदा ी, भात करने वाली, नेहयु
ाथना १-५
७९.
उषा का वणन १-५
जमाना, अंधकारनाशक, धन धारण, वृषभ तो , धन याचना १-५
८०.
उषा का वणन १-३
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करने हेतु
जगाना, आगे चलना, र ाथ तु त १-३
८१.
उषा क तु त १-६
शोभनने ी, अ याचना, सुख वहन,
८२.
य होने, धन, यश व नवास हेतु नवेदन १-६
इं व व ण क तु त १-१०
गृह याचना, बल दे ना, आ ान, ा णय का नमाण, बाधक बल १-६
पाप व संताप मलना, मै ी, आ ान, धन व घर के लए तु त ७-१०
८३.
इं व व ण क तु त १-१०
यजमान, लड़ना, फसल का नाश, भेद का वध र ा के लए तु त, तृ सु
यु म न टक पाना, सुदास १-८
क र ा,
सुख, धन और घर हेतु तु त ९-१०
८४.
इं व व ण क तु त १-५
घी का चमचा (जु ), नवास थान व धन याचना, पु -पौ क र ा हेतु तु त १-५
८५.
इं व व ण क तु त १-५
यु म र ा व श ुनाश हेतु
तु त १-५
८६.
ाथना, आ ान,
जा पालन व आ ान, र ाथ
व ण क तु त १-८
धरती वशाल बनाना, दे खने क इ छा, पाप पूछना, अजेय पाप मु
व , ान संप करने व र ाथ ाथना १-८
८७.
हेतु ाथना
व ण का वणन १-७
जल दे ना, जगत् क आ मा, सहायक, इ क स नाम १-४
सूय को झूला जैसा बनाना, जल नमाता व सागर थर करने वाले, अपराधी पर भी
अनु ह ५-७
८८.
व ण का वणन १-७
धन वामी, नचोड़ा गया सोमरस, नाव चलाना १-३
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नाव पर चढ़ाना, वशाल घर, घर व र ा क याचना ४-७
८९.
व ण क तु त १-५
मट् ट का घर, सुख व दया हेतु, ाथना १-४
दे व के
९०.
त ोह ५
वायु एवं इं क तु त १-७
आ ान, धनपा , वायु धन के लए उ प , गोधन मलना १-४
धन, सुख आ द के लए ाथना ५-७
९१.
वायु एवं इं क तु त १-७
संगत करना, धन याचना, सेवा, करना १-३
सोमपान करने, पापमु
९२.
व र ा हेतु आ ान ४-७
वायु एवं इं क तु त १-५
सोमपान हेतु आ ान १-२
ऐ य हेतु ाथना, श ुनाशक, क याण हेतु ाथना ३-५
९३.
इं व अ न क तु त १-८
अ हेतु तु त १-२
पुकारना, धन हेतु तु त, श ुनाशाथ ाथना, अ याचना, र ाथ तु त ३-८
९४.
इं व अ न क तु त १-१२
तु त, य पूरा करने श ुनाश के लए तु त, र ाथ आ ान १-६
सुख, अ , धन के लए तु त, जनसेवा के लए आ ान, सेवा, अपह ा क संप
के नाश हेतु ाथना ७-१२
९५.
सर वती नद का वणन १-६
बढ़ना, सागर तक जाने वाली, य यो य
ी, धनसंप
१-४
अ , धन व पालन हेतु तु त ५-६
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९६.
सर वती नद व सर वान् दे व का वणन १-६
तु त, अ हेतु तु त, क याण याचना, प नी व पु क कामना से तु त, र ाथ हेतु,
सर वान् क तु त १-६
९७.
इं , म , बृह प त आ द क तु त १-१०
आ ान, धन याचना, ह , वरे य, अ मांगना १-५
काशयु घोड़े, अ दे ना, जल क रचना, य र ा, श ुसेना के संहार व पालन हेतु
ाथना ६-१०
९८.
इं व बृह प त का वणन १-७
गौरमृग, सोमपान के लए आ ान, ज मते ही सोमपान, यु जीतने व वजय पाने
क ाथना, सोमरस केवल इं के लए, हतकारक, धनदाता व पालक बृह प त क
तु त १-७
९९.
इं एवं व णु क तु त १-७
वामन अवतार, म हमाशाली, ावा-पृ थवी को धारण करना, इं
क नग रय का नाश १-५
अ वृ
१००.
व पालन हेतु तु त ६-७
व णु क तु त १-७
धन ा त, धन याचना, तीन चरण रखना, तु त, तेज वी
पालन हेतु ाथना १-७
१०१.
ारा उ प , शंबर
प न छपाने हेतु ाथना,
बादल का वणन १-६
अ न क उ प , घर व सुख याचना, शरीर बदलना, जल बरसाना, फलवती
ओष धय क कामना, शतायु हेतु ाथना १-६
१०२.
बादल का वणन १-३
गभधारण करने व अ हेतु तु त १-३
१०३.
मढक का वणन १-१०
वषभर सोना, ‘अ खल’ श द करना १-३
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भूरे व हरे मढक, अनुकरण, एक नाम और भ
प वाले, अ तरा य , बल म
छपे मढक, गड् ढ से नकलना आयुवृ हेतु ाथना ४-१०
१०४.
इं एवं सोम क तु त १-२५
रा स के वनाश हेतु तु त, आ ान, रा स के नाशाथ कामना, आयुध उ प
ाथना, साधन १-५
हेतु
तु त भेजना, रा स का संहार करने व उ ह दे ने व पु हीन करने आ द हेतु
ाथना ६-११
स य व अस य म वरोध, व
बचाने हेतु ाथना १२-२५
तेज करना, र ाथ आना, रा स के नाशाथ व पाप से
अ म मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
इं क तु त १-३४
अ भलाषा, श ुनाशक, र ाथ तु त, वप यां पार करना, व धारक, १-६
गान, श ुनग रयां तोड़ना, शी गामी घोड़े, गाय क तु त, आ मण हेतु जाना ७-११
सुधारना, व धारी, वृ हंता, स करना, कामना, जल हना १२-१७
तु त सुनने हेतु ाथना, सोमरस दे ने का आ ह, भयानक, जेतापु दे ने क
धनदाता, वशाल उदर १८-२३
ाथना,
सोमपान हेतु ाथना, टोप पहनना, पीछा करना, नवासदाता २४-२९
हारना, घोड़े जोड़ना, आसंग राजा, आगे नकलना, भोगसाधन ३०-३४
२.
इं का वणन १-४२
नभय, घट, वा द बनाना, अ यु , तु त १-५
सोम बनाने का आ ह, सोम खोजना, स करना ६-९
द तशाली, समझना, यु , धनी होना, उ थ जानना, श ु को न दे ने क
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ाथना १०-१५
तु त, व धारी, नशीला सोम, आ ान, असह्य, जानना १६-२१
र ासाधन यु , वीर, पशु याचना व सोमरस याचना, आ ान, सेवनीय म , आ ान,
वृ करना २२-२९
श
धारण, वृ नाश, अनुकूल बनना, अ दे ना, ह
वहन, र क ३०-३६
स होना, पालक, दे व का, मेधा त थ ऋ ष, गोदान, तु त ३७-४२
३.
इं क तु त एवं राजा पाक थामा का वणन १-२४
स रहने व सुखी करने क
ाथना, वामी, म हमागान, आ ान १-५
व तार करना, तु त, ओज बढ़ाना, भृग,ु
क व, म हमा, धन याचना, पु ,
आ द, म हमा, धन वामी, पूजन, दशनीय ६-१७
शम
तु त, अबुद व मृग का हनन, काशन, शोभा पाना, लाल घोड़ा, भु यु, तु त १८-२४
४.
इं , अ नीकुमार एवं पूषा क तु त १-२१
अनुपु , क वगो ीय ऋ ष, आ ान, श
महान काय, ढकना १-८
धारण, धराशायी होना, वीरपु क
ा त,
सभा म जाना, धन वामी, इं का आना, सोमरस रखना, सुशो भत होना, ह र नामक
घोड़े, पाप ाता, धन दे ना, कामना, व , साम ाता प , द तशाली, धन
ा त १२-१९
मेधा त थ, स होना २०-२१
५.
अ नीकुमार क तु त १-३९
काश फैलाना, रथ म जुड़ना, ाथना, तु त, घर जाना, ह दाता १-६
आ ान, पशु, अ , धन मांगना, सोमपान क
धनवहन हेतु ाथना ७-१६
ाथना, धनी, तु तय क र ा व
बुलाना, तु त समूह समीपवत होने, सोमपान करने, अ व स रता को लाने क
ाथना, भु यु, क व, धनस प , आवत, अ आ द, अं , अग य १७-२६
धन याचना, आ ान, रथ, आ ान, धन, बल, आ द लाने का आ ह शी गामी घोड़े,
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प हया, अ मांगना २७-३६
कशु, कशु सा दाता व व ान् अ य नह ३७-३९
६.
इं का वणन १-४८
बढ़ना, तु त, य भाई, णाम, सर काटना, मलाना १-८
अ व कृपा
याचना, बलधारण, बढ़ना, अतुल, भेजना, व
जल म वृ का हनन ९-१६
चलाना, अतुल श
,
वलीन करना, भृगुगो ीय ऋ ष, ध-घृत दे ना, गाय ारा गभधारण, बढ़ाना,
आयोजन, गाय व पु दे ने क इ छा करने क ाथना, न ष, गोशाला, अजेय,
तु त १७-२७
संगम, सागर, द त ा त, श वधन, बु बढ़ाने क
अजर, आ ान, अनुगमन, शयणा दे श २८-३९
श द करना, एकमा
मलना ४०-४८
७.
ाथना, व तार, यो य बनना,
वामी, अ याचना, उ थ, वीकारना, आ ान, धन हण, वग
म द्गण क तु त १-३६
का शत होना, कांपना, दान, बखेरना, माग नयत, आ ान, आगमन, थत रहना,
तो , सोमरस हना, आ ान, शोभन ान, नशा टपकाना १-१३
मतवाला होना, सुख मांगना, मेघ हना, ऊपर जाना, यान, अ वृ
बल बढ़ाना, संयोग, उ साह धारण, र ा, टोप पहनना १४-२५
, कुश उखाड़ना,
कांपना, म त का आना, गमन काल, जाना, तु त य, आयुधयु , दयालु बनाना,
थर रहना, अ दे ना, थत होना २६-३६
८.
अ नीकुमार का वणन १-२३
दशनीय, ानी, आ ान, व स ऋ ष, आ ान, सूया, मधुर बोलना, वहन, संप , स य
वभाव, वधन, धन व सुखाथ तु त १-१६
श ुभ क, बुलाना, रोगनाशक, क व, मेधा त थ,
आ ान १७-२३
९.
अ नीकुमार क तु त १-२१
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सद यु, श ुनाशक,
जाना, धन याचना, अनु ान, जानना, पाक धारण, पास आना, तो जानना, आना, ले
जाना, तु त, आ ान वजयी, र ासाधन, ह नमाण १-१४
धन याचना, दे वी, य म जाना, सोमलता नचोड़ना, ाथना १५-२१
१०.
अ नीकुमार क तु त १-६
बुलाना, य
११.
ाता, नकट आने क
ाथना १-६
अ न क तु त १-१०
शंसनीय, य नेता, अलगाने क
ाथना, इ छा न करना, अमर १-५
बुलाना, कामना, मा लक ६-८
व च धन वाले, सौभा य याचना ९-१०
१२.
इं क तु त एवं वणन १-३३
याचना, र ा, भेजना, जानने क
धन मलना, क याण दे ना १-७
ाथना, अ भलाषाएं पूर करना, क याण करना,
बल बढ़ना, जलाना, तु त का समीप जाना, पुनीत करना, सीमा बांधना, मु दत
करना, तो उ प , तु त, स होना, कामना ८-१९
बढ़ाना, धनदान, वामी बनाना, तु त, द त होना, नापना, बांधना, नय मत करना,
तु त भेजना, धरती क ना भ य , पशु याचना २०-३३
१३.
इं क तु त १-३३
प व करना, बढ़ाना, बुलाना, आ तयां, धना भलाषा, तु त, फल दे ना, शंसा,
पालक १-९
घर जाना, सुख मलना, े श शाली, आ ान, स होने व धन दे ने क
ा रखना, बढ़ाना, क क, तु त १०-१९
तु त, सोमपान, याचना, आ ान, तुत, अ
हणाथ ाथना २०-२८
याचना, दया ा त आ ान, ह
उ रवेद , यो य फल, शत तु, इ छापूरक, आ ान २९-३३
१४.
ाथना,
इं क तु त १-१५
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धन वामी, श शाली, पशुदान, इं का न कना, मेघ हना, धनजेता, अंत र
बढ़ाना, मेघ का नाश १-७
बल असुर का नाश, ढ़ करना, तु तय का जाना, केशधारी घोड़े ८-१२
सर काटना,
१५.
धा करना, वरोधीनाशक १३-१५
इं क तु त १-१३
तुत इं , जलधारक, वध, शंसा, य क ा १-५
पूववत् तु त, बल का बढ़ना, यश बढ़ाना ६-९
ज म लेना, अव य, र ाथ तु त, शंसा का आ ह १०-१३
१६.
इं क तु त १-१२
शंसनीय, ह ा , सेवा, आ ान, वामी बनाना, श ुजेता, बढ़ाना, तु य, आ त,
धन व माग याचना १-१२
१७.
इं क तु त १-१५
सोमरस नचोड़ना, बुलाना, शोभन शर ाण, पूण करना, सोम, वशेष
श ुनाशक, जगत् वामी, धनदाता १-११
ा,
आ ान, कुंडपाट् य य , सखा, भ ा १२-१५
१८.
अ द त का वणन एवं आ द य क तु त १-२२
सुख याचना, पालक, माग, सुख मांगना, ब त के य, रा स को अलगाने का
ान, अ द त, तु य, सुख याचना, आरो य, सुख याचना, श ु को र रखने क
ाथना, पा पय के भी ाता, पापी के न होने, व श ु को पाप ा त करने क
ाथना १-१४
प रप व ाता, वरण, नाव, द घायु व सुख याचना १५-१९
घर मांगना, आयु बढ़ाने क
१९.
ाथना २०-२२
अ न का वणन एवं तु त १-३७
ह दे ना, नयंता, शोभनक ा, तु त, सेवा, द त होना, वामी, फलदाता,
सेवनीय १-९
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ऊ वग त, दे व के पास जाना, नवासदाता, समृ
काशमान होना, यान १०-१७
बनना, यश ा त,
कामना, तृ त, जेता, मनु ारा था पत, न य त ण, आ त, बलपु
ोध दबाना,
१८-२५
अपवाद, भ ा, सेवा क कामना, बु र क, म ता बढ़ना, वणशील, सद यु,
समा हत, फल पाना, श ुजेता २६-३५
प नय का दान, धन, व
२०.
आ द दे ना ३६-३७
म द्गण क तु त १-२६
कंपाना, अ भल षत, बल ाता,
प का गरना, श द करना १-५
ऊपर जाना, नेता, वीणा, उ मग त, सेचन समथ आयुध, वजय, एक नाम होना,
दान, भ बनना, सुख फैलाना, जलक ा, सेवा, शंसा करना, यश वी, समान
जा त, ६-२१
म ता, सखा, श ुशू य, रोग भगाने क
२१.
ाथना २२-२६
इं क तु त १-१८
प धरना, वरण, सेनाप त, आ ान, तु त, व धारी, म ता जानना, धन, गाएं,
घोड़े लाना, वृ क ा १-११
आ त, बांधवहीन, धन दे ना, बैठने का आ ह, अ य धन, सौभ र, धन दे ना १२-१८
२२.
अ नीकुमार क तु त १-१८
रथ बुलाना, तु त का आ ह, श ुजेता, प हए चमकाना, खेती, तृ त करना, सोमरस
नचोड़ना १-८
धनवषक, इलाज क
बली ९-१८
२३.
ाथना, आ ान, वरे य, तु त, बुलाना, र क, दशनीय,
अ न का वणन १-३०
बाधाहीन, रथदाता, पू य, आ य,
ह यु १-९
वालाएं, शोभन तु तयां,
होता, दशन, धन याचना, जापालक, ह व दे ना,
त, अजर १०-२०
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शंसा, तृ त,
ऋ ष, थापना, य यो य,
ा त, साथ जाना, सेवा, थूलयूप ऋ ष, तु त, तु य, गान, अ -धन मांगना,
यश वी २१-३०
२४.
इं क तु त १-३०
व धारी, वृ हर, अ वामी, धन याचना, नबाध, धन हेतु ाथना, आ ान, आ त,
पूजनीय, नचाने वाले १-१२
अ , धन दे ना,
ऋ ष का पु , तु य नह , अलंघनीय, बुलाना, तु य,
द तशाली, वीरता के कम, पूजनीय १३-२२
दसवां ाण, ान, कु स, धन याचना, पाप ाता,
कनारे व का वास २३-३०
२५.
, प रजन, व , गोमती के
म , व ण, अ द त, अ नीकुमार आ द का वणन १-२४
र क, वामी, उ प , य काशन, धनदाता, अ दाता, सुशो भत, स ययु , ेरक,
वेगवान्, र ाथ ाथना, शोभनदाता १-११
धनदाता, आ य, दपनाशक, ताचरण, काश फैलाना, म , पूण करना १२-१९
धन वामी, तु त, राजा व , अ
२६.
ा त २०-२४
अ नीकुमार, इं वायु आ द क तु त १-२५
आ ान, स य प, अ यु
धनी, समथ, अ भलाषापूरक जलपालक १-६
अजेय, बुलाना, प ण, नेता, धन दे ने, क याण करने व सोमपानाथ आ ान ७-१५
त, ेतयावरी नद , पोषक, नवास थान दाता, धन मांगना, शोभन ग त वाले,
आ ान, अ , धन मांगना १६-२५
२७.
व भ दे व क तु त १-२२
थापना, नकट, तेज सारक, श ुनाशक, बैठने क
र हत घर मांगना १-९
ाथना, बुलाना, तु त, बाधा
श ुनाशक, तु त, काम म लगना, आ ान, धनदाता, तु त, अ बढ़ना, र क, गमन
सरल बनाने क ाथना १०-१८
घर याचना, धन धारण, धन मांगना १९-२२
२८. व भ दे व क तु त १-५
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धन याचना, बुलाना, र ाथ ाथना १-३
अ य अ भलाषाएं, सात द तयां ४-५
२९.
व भ दे व का वणन १-१०
गहने, थान पाना, कु हाड़ी, व , एकाक , मागर क, तीन कदम १-७
सूया के साथ रहना, थान बनाना, द तशाली बनाना ८-१०
३०.
व भ दे व क तु त १-४
सभी दे व महान्, तु त, रा स से बचाने, सुख, गाय व घोड़ा दे ने क
३१.
ाथना १-४
य का वणन १-१८
बार-बार बोलना, पाप से बचाना, रथ आना, अ पाना, सोमरस म गो ध, अ
ा त, सेवा करना, सेवनीय आयु ा त, दान करना, सेवनीय १-११
पापर हत दान, र क, धन हेतु तु त, दे वकामी, जीतना, पु
३२.
ा त १२-१८
इं क तु त १-३०
वणन का आ ह, सु वद, अनश न, प ु आ द का वध, महान्, श ुनाशक, ार
खोलना, अ दाता, स तादाता, धन क अ धकता, गाय, घोड़ा सोना व अ
मांगना, र ाथ आ ान १-१०
अ दाता, दानशील, शोभन त, धन वामी, अ नयं त, दे वऋण न रहना, तो बनाने
का आ ह, तु य, सोमपान हेतु ाथना, पास आने व धन दे ने क ाथना, जल
धाराएं गराना, असुरवध ११-२६
श ुनाशक, य कम बताना, इं को लाने क
३३.
ाथना, ह र नामक घोड़े २७-३०
इं क तु त १-१९
सेवा, तु त, अ याचना, रथ, शोभनकम, अ भलाषापूरक, श ुनगर-नाशक,
मणक ा, पुकार सुनना, स , सोने का हंटर, ह र नामक अ , धनी, वृ हंता,
तोम य , स न होना, ी पर शासन असंभव १-१७
रथ,
३४.
ी होना १८-१९
इं क तु त १-१८
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शासक, सोमलता को कंपाना, आ ान, द त ह व वाले, व र क १-६
धनयु , तु य, पंख ढोना, वाहा बोलना, उ थ मं , आ ान, वग जाने, गाएं, घोड़े
तथा मनचाही व तुएं दे ने क ाथना ७-१५
घोड़े लेना, तेज वी घोड़े, पारावत १६-१८
३५.
इं क तु त १-२४
सोमपान, अ , तो वीकार करने का आ ह, सोमपान क ाथना, बल, धन व
संतान क याचना, अं गरा, व णु आ द के साथ तो सुनने का आ ह, गाय -अ
को जीतने व रा स के नाशाथ तु त १-१८
यावा , सोमपान हेतु आ ह, र ाथ बुलाना, र न याचना १९-२४
३६.
इं क तु त १-७
र क, स जनपालक, जनक, श ुजेता, घोड़े व गाय के जनक, अ गो ीय ऋ ष,
यावा , सद यु १-७
३७.
इं क तु त १-७
वृ हंता, र ाथ व तु त सुनने हेतु ाथना, वामी होना, बल दे ने का कारण, सद यु
र क १-७
३८.
इं व अ न क तु त १-१०
ऋ वज्, अजेय, सोमरस तैयार होना, य नेता, ह वहन, तु त वीकारने व
सोमपान क ाथना, श ुधन जेता, बुलाना, र ा हेतु ाथना १-१०
३९.
अ न का वणन १-१०
तु त, श न
ु ाशाथ ाथना, हवन, सुखकारी,
ओर जल १-१०
४०.
स
, रह य जानना, मांधता त, चार
इं व अ न क तु त १-१२
हराना, य करना, यु
म रहना, धन धारण १-४
सागर ढकना, श ुनाशाथ ाथना, आ ान, धनभोग कामना, आ ान, न दय को
खोलना, ेरक, जल जीतना ५-१०
शु ण क संतान का वध, तु तयां बोलना ११-१२
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४१.
व ण का वणन १-१०
पशुर क, शंसा, नाभाक ऋ ष, आ लगन, संसार, धरती नमाता, का
का
थत होना, श ुनाशाथ ाथना १-७
पोषण,
माया का नाश, व ण का थान, ावा-पृ थवी के धारक ८-१०
४२.
व ण व अ नीकुमार क तु त १-६
स ाट् बनना, अमृतर क, नाव, सोमपान व श ुनाशाथ ाथना १-६
४३.
अ न क तु त १-३३
बु मान्, जातवेद, वनभ ण, अलग जाना, झंडा, काली धूल, शांत न होना,
झुकाना १-८
वेश, ुच, सेवा, याचना, आ ान, सखा, ह दाता, अ
वामी ९-१६
तु तय का जाना, स करना, तु त, आ ान श ुनाशक तु त १७-२४
हतकारी, े षय के संहारक, मनु
त व ा २५-३०
ारा
व लत, आ ान अ
दे ना,
याचना, अंधकारनाशक, धन याचना ३१-३३
४४.
अ न क तु त १-३०
य, कामना हेतु ाथना, थापना, करण का उठना, धनयु , ुच, तु त, से वत,
े अ न, आ ान, व तुएं मांगना, श
से उ प , मेधा वय के संग बढ़ना,
आ ान, बैठना, धन मलना १-१५
कूबड़, े रत करना, धन वामी, स करना, कामना, मेधावी, म ता जानने का
आ ह, आशीवाद स य होने हेतु ाथना, अनु ह म रहने क ाथना, तु तय का
प ंचना १६-२५
न यत ण, य नेता, प व क ा, जागृत रहना, उमर बढ़ाने क
४५.
ाथना २६-३०
इं का वणन व तु त १-४२
कुश बछाना, स मधाएं, झुकाना, बाण उठाना, ढ़ करना, धान रथी, अ दाता
बनने, रथ लाने व पास जाने क ाथना १-१०
उप वहीन, सुखसाधन दे ना, र क, व तुएं मांगना, धन लाने हेतु ाथना, पशु दे खना,
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आ ान, पुकार सुनने, गाय दे ने के लए जागने क
अजेय, सोमरस दे ना, धन
बनाना २१-३०
ा त, क
सुख मांगना, स होना, शोभन स
दे ना, धन लाने क ाथना ३१-४२
४६.
ाथना, बलप त ११-२०
ऋ ष, अह्नवा य, तु त,
शंसा, माग
यां, शूर, पापनाशी, बात कहना, एवार, धन
इं , वायु एवं सोमरस क तु त १-३३
अ वामी, धनदाता, तु तगान, म द्गण, य पूरा होना, बढ़ना, धन मांगना, सेना,
धन छ नना, आ ान, व तुएं दे ना, आ ान १-१२
आगे रहना, श ुजेता, अ , धन एवं पु ा द हेतु ाथना, श ुरोधी, गुणगान, गरना,
बु नाशक, सहनशील १३-२०
पृथु वा, वश, रथ ख चना, क त मलना, तु त, मलना, अ , न ष आ द, अ
भेजना, गो- ा त २१-२९
बैल का आना, पृथु वा, गो व अ
४७.
ा त, युवती को लाना ३०-३३
म , व ण, आ द य एवं उषा क तु त १-१८
शोभन र ाएं, सुख व धन मांगना १-७
पाप र ाथ ाथना, माता अ द त, सेवनीय, शोभन माग पर ले जाने, शोभनपु दे न,े
पाप से र रखने, क से बचाने हेतु ाथना व बुरे थान को र करने व बुरे सपन
से बचाने क दे व से ाथना ८-१८
४८.
सोम क तु त १-१५
घूमना, धन वहन क ाथना, अमर सोम, आयु बढ़ाने,
भचार से बचाने व धनी
बनाने क ाथना, आयु बढ़ाने का आ ह, श ु का जाना, सुख याचना, सखा
सोम १-१०
आयु बढ़ना, दय म वेश, व तार करना, तु तयां बोलने व र ाथ ाथना ११-१५
४९.
अ न क तु त १-२०
वरण, तु त, मननीय तो , यजमान, र क, प व , पूजक र ाथ
श
वामी, यजन १-१०
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ाथना,
शंसनीय धन मांगना, कं पत करना, धन मांगना, जलाना, तु त, आ ान, तु त,
जापालक, पीड़ा से बचाने क ाथना ११-२०
५०.
इं क तु त एवं वणन १-१८
आ ान, सं कार, धनी, स यर क, शूर, वणदे ह, धन व पशु दे ने क
ाथना १-७
नगर भेदक, आनंद क ा त, धन वामी, म बनाना, मलाना, धन वामी, बुलाना,
वृ हंता, र ाथ ाथना, मलना ८-१८
५१.
इं क तु त १-१२
बढ़ाना, अ तीय, तु य, क याणकारी, फलदाता, म बनाना १-६
तुत, तु त, ान कराना, सुख, शंसा, अव य ७-१२
५२.
इं का वणन एवं तु त १-१२
आना, वग नमाता, तु त, सुखकर, श
यां १-६
तु त, जौ खाना, र ा भलाषी, तेज वी, आना ७-१२
५३.
इं क तु त १-१२
धन मांगना,
त ं
नह , अ राजा, आ ान, भेदन, आ ान, १-६
न य युवक, वृ कारक, वृ हंता, सोमपान का आ ह, आ ान ७-१२
५४.
इं क तु त १-१२
आ ान, वगदाता, आ ान, वहन हेतु ाथना, बुलाना १-७
सोमरस नचोड़ना, यश याचना, गोदाता, व तृत, अ
५५.
ा त ८-१२
इं का वणन एवं तु त १-१५
आ ान, धनदाता, वृ नाशक, कामनाएं पूरी करना, समपण, धन दे ना १-६
आ ान, पु षाथ, ताड़न, तु त, माग ाता, पलायन ७-१५
५६.
आ द य, व ण, म , अयमा व अ द त क तु त १-२१
र ा याचना, ाता, तु य धन, र ाथ ाथना आ ान, पु य,
तु त, पु को न मारने क ाथना १-११
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स , र ा-इ छु क,
अ द त, र क, फंसना, शोभनदाता १२-१६
छोड़ना, अतुलनीय वेग, र ण व पा पय के नाश क
५७.
ाथना १७-२१
इं क तु त १-१९
बुलाना, ा त करना, व पकड़ना, बुलाना, आ ान, श
नमाण, हषकारक १-११
धन याचना ाथना, पास आना, अ
शाली, व धारी, याचना,
ा त १२-१६
अ - हण, सुंदर लगाम वाले घोड़े व घो ड़यां, नदा वचन न बोलना १७-१९
५८.
व ण एवं इं का वणन १-१८
स कार करना, आ ान, मलाना, गोपालक, हरे अ , ध दे ना, सखा आ द य, पूजा,
श द करना, सोमरस ले जाने का आ ह १-१०
तु त, न दय का गरना, मु , मेघभेदन, रथ पर बैठना ११-१५
रथ मलना, धन ा त,
५९.
यमेध ऋ ष १६-१८
इं का वणन १-१५
तु त, वभाव, तु य, तु त, सीमा बनाना असंभव, सेना जीतना, य
पू य १-८
शूर, स होना, े रत करना, श
६०.
म आना,
शाली, झुकाना, बछड़े दे ना, धनी ९-१५
अ न का वणन १-१५
र ाथ ाथना, तेज वी होना, धन याचना, ह दाता, ेरणा, धन ा त १-६
जातवेद, धन वामी, धन मांगना,
तु त ७-१५
६१.
शं सत, दो
प, तु त, धन व घर मांगना,
अ न का वणन १-१८
सेवा, पास बैठना, लेना, चढ़ना, कामना, रथ, जल का दोहन १-७
याचना, पूजा, मधु, स
करना, सोने के कान ८-१२
ध स चने का आ ह, मलना, पोषण, दोहन, सोमरस लेना, दवा, ह
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१३-१८
६२.
अ नीकुमार क तु त १-१८
उ त बनने का आ ह, आ ान, अ , पास जाना, घर बनाना, उ णता से र ा क
ाथना, स तव , पुनः सुलाना, आ ान १-१०
अनुरोध, समान होना, घूमना, आ ान, र ाथ पास रहने क
अंधकार का नाश, सं क जलाना ११-१८
६३.
ाथना, काश फैलाना,
अ न का वणन, अ न एवं जल क तु त १-१५
गुढ़वचन, तु त, शंसक,
अ यु १-९
ुतवा व ऋ पु , अमर, तु त, अपण, सुखकर तु त,
पालक, गोपवन ऋ ष, तु त, शीश छू ना, भु यु, ुतवा १०-१५
६४.
अ न क तु त १-१६
रथ जोड़ने का आ ह, वरणीय धन, स ययु , मेधावी, ग तशील, शोभन, प ण,
प रचा रकाएं न छोड़ने का आ ह, बाधा न प ंचाने क ाथना १-९
नम कार, धन दे न,े श ुधन जीतने, बल व वेग बढ़ाने क
ाथना १०-१३
अ न का जाना, सेना र ा हेतु ाथना, पालक १४-१६
६५.
अ न क तु त १-१२
आ ान, सर काटना, जल बनाना, वग जीतना, आ ान १-५
आ ान, व
६६.
को तेज करने व जबड़े कंपाने क
ाथना, वनाशक, तु त ६-१२
इं का वणन एवं तु त १-११
पूछना, माता शवसी, ऊणनाभ, अहीशुव आ द, ख चना, संहार, मं पान, मेघ को
मारना, बादल छे दना, फलक १-७
वशाल पवत बनाना, जल दे ना, बाण ८-११
६७.
इं का वणन एवं तु त १-१०
गाएं, घोड़े, तेल व गहने मांगना, सहायक, श
शाली, अजेय १-६
वृ हंता, शोभन-दान, समीप जाना, दरांत ७-१०
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६८.
सोम क तु त १-९
पू य, लूले का चलना, र क, अलग करने क
ेरणा, सुखदाता, सोम, हसक को मारने क
६९.
ाथना, कामनाएं पूरी होना १-५
ाथना ६-९
इं क तु त १-१०
सुखदाता, सुख मांगना, धन याचना, श ुहंता, वजयाथ ाथना १-६
धन याचना, र क, एक ु ऋ ष ७-१०
७०.
इं क तु त १-९
तु य, जानना, शूर, द तशाली, कृपाथ, धन मांगना, श ुधषक, धन याचना १-७
धन व अ याचना ८-९
७१.
इं क तु त १-९
आ ान, स होने क
ाथना, बुलाना १-४
सोमरस नचोड़ना, सोमपान हेतु ाथना, चमू पा म सोमरस, वामी ५-९
७२.
व भ दे व क तु त १-९
र ाथ ाथना, धनवधक, य नेता १-३
धन मांगना, ानी, आ ान, शोभनदाता ४-९
७३.
अ न क तु त १-९
तु त, र ाथ ाथना, वरे य व श ु
के अपमानक ा १-४
बलपु , घर-अ मांगना, गोलाभ, पूजन, बढ़ना ५-९
७४.
अ नीकुमार क तु त १-९
आ ान, पुकार सुनने क
ाथना, कृ ण ऋ ष, आ ान १-४
घर, आ ान, कामपूरक, आने क
७५.
ाथना ५-९
अ नीकुमार क तु त १-५
व क, ऋ ष, वमना, व णायु, अ क ऋ ष, ऋजीश, श ुजेता १-५
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७६.
अ नीकुमार क तु त १-६
आ ान, सोमपान हेतु आ ान, अ हेतु बुलाना १-६
७७.
इं का वणन व तु त १-६
बुलाना, गाएं व अ मांगना, रोकने म असमथ, श ुसंहार १-४
ुलोक से भी महान्, धन वामी ५-६
७८.
म त एवं इं क तु त १-७
सूय बनाना, म ता, वृ नाश, महान् अ , धरती ढ़ करना, हराना, धा
सूय १-७
७९.
इं क तु त १-६
बुलाने यो य, धनदाता, तु त, संहारक, श
८०.
बनाना,
वामी, धन मांगना १-६
इं क तु त १-७
अपाला, सोमपान हेतु जाना, कामना, धनयाचना, खेत उपजाऊ बनाने व बाल उगाने
क ाथना, भावान करना १-७
८१.
इं क तु त १-३३
धनदाता, आ त, अ दाता, सुद ऋ ष, बढ़ाना, हराना,
श ु का धन दे ने व पास आने क ाथना १-१०
ा त, आ ान, श ुनाशक,
व धारी, स करना, इ छाएं रखना, बलपु , भयानक स बनाने क ाथना,
बलदाता, दशनीय, तु त, बुलाना, व तार, इं से बढ़कर न होना, वेश ११-२३
पया त होना, ुतक , दानशील, धन मांगना, शूर, धनधारक, अ
न बनने क ाथना, सबके इं , तु तय ारा सेवा २४-३३
८२.
वामी, अ धकारी
इं का वणन व तु त १-३४
हतैषी, मेघ हनन, धन मांगना, स जनपालक, सामने जाना, आ ान, तेज वी,
द तशाली, तुत, वरोध न होना, पूजा १-१२
ध धारण, बली, भागना, अजातश ,ु श शाली, कामनापूरक, सोमपान, रमण, धन
मांगना, पास जाना, वसजन, ह र नामक घोड़े १३-२४
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कुशा बछाना, बल, र न, सुख, अ व मंगल, याचना, आ ान, शत तु, वृ हंता,
ऋ ष ऋभु ा व ऋभु २५-३४
८३.
म द्गण का वणन १-१२
सोमपान, त धारण, तु त, सोमपान, शंसा १-६
बु
८४.
मान्, द तशाली, व तृत करना, बुलाना, त ध करना, बुलाना ७-१२
इं क तु त १-९
तु तपा , च -पुरोडाश, आने व सोमपान हेतु ाथना, तर ी ऋ ष १-४
तु तवचन का नमाण, सेवा, दशाप व , आ ान, श ुघातक ५-९
८५.
इं का वणन १-२१
ग त बढ़ाना, पवत तोड़ना, नकट प ंचना, मानना, तु त, जीवो प , श ुजेता,
बढ़ाना, तेज आयुध १-८
असुर को भगाने व धन हेतु ाथना, सेना का संहार, बुलाना, सहायता, आनंद दे ना,
जल जीतना, श ुनाशक, र क, बुलाने यो य बनना ९-२१
८६.
इं क तु त १-१५
धन छ नना, प ण, भेजने क
साथ बैठने क ाथना १-८
सवजेता, श
८७.
ाथना, वृ हंता, आ ान, श
वामी, र ा करने व
शाली बनाना, तु त, बलशाली, व धारी ९-१५
इं क तु त १-१२
मेधावी, तेज वी बनाना, म ता हेतु य न, वग वामी, श ुनग रय के नाशक, तो
भेजना, बढ़ाना १-८
जोड़ना, बल व धन याचना ९-१२
८८.
इं क तु त १-८
सोमपान, नचोड़ना, धन उ प , पापहीन धन दे ना, हराना १-५
सेना का नाश, श ुजेता, बुलाना ६-८
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८९.
इं क तु त १-१२
श ुजेता, भाग रखना, नेम ऋ ष, बढ़ाना, रोना, कट करना, शरभ, व
लाना, व
ा त १-९
जल हना, वाणी क उ प , परा म दखाने क
९०.
मारना, सोम
ाथना १०-१२
म , व ण, अ नीकुमार एवं सूया क तु त १-१६
ह व बनाना, कम करना, दे व त, नशीला सोम, र ा याचना, शंसा करने का आ ह,
थान दे खना, आ ान १-८
न त करना, ह ले जाना, शंसा उपदे शक, उषा का दखाई दे ना, थत होना,
गोवध न करने का आ ह, द तशाली ९-१६
९१.
अ न का वणन व तु त १-२२
अ दे ना, द तशाली, अ तशय युवा, बुलाना, आ ान, सागरवासी, नकट आने व
क
को बढ़ाने का आ ह, आ ान, यश वी, व लत होना, तोता १-१२
सेवा करना, अ न म जल का होना, र ायु
का चार ओर बैठना, धारण करना १३-१९
होना, आ ान, अ न क उ प , दे व
लक ड़यां धारण, काठ, बढ़ाना २०-२२
९२.
अ न व म द्गण क तु त १-१४
तु तय का जाना, वग म रहना, कांपना, वीरपु
पा मलना, दशनीय, दाता े , यशदाता १-९
मलना, श ु का अ न करना,
अ त य, धन न लाना, तुत, तु त, सोमपान हेतु ाथना १०-१४
नवम मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
सोम क तु त १-१०
सोम नचोड़ना, बैठना, अ तशय दाता, बल व अ मांगना, सेवा करना, दशाप व
दस उंग लयां, तीन जगह, रहना, शु , धन ा त १-१०
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२.
सोम क तु त १-१०
वेशाथ ाथना, सवधारक, जल ढकना, जल का आना, शु होना, रोना व
सुशो भत होना, याचना, मादक के गरने क ाथना, संतान व अ आ द के
दाता १-१०
३.
सोम का वणन १-१०
कलश क ओर जाना, अजेय, सजाना, इ छा, अ भलाषापूरक, जल म वेश १-६
वग जाना, पवमान, दशाप व , गरना ७-१०
४.
सोम क तु त १-१०
सेवा का आ ह, सौभा य याचना, क याण व मंगल क
कामना १-६
ाथना, सूय दे खने क
धन मांगना, बढ़ाना, सव जाना ७-१०
५.
सोम का वणन १-११
वराजमान होना, बढ़ना, सुशो भत होना, बल से जाना, चढ़ना, अ भलाषा,
बुलाना १-७
आ ान, व ा, सं कार करने व दे व से सोम क ओर जाने क
६.
ाथना ८-११
सोम क तु त का वणन १-९
अ भलाषापूरक, घोड़े, अ
आ ह १-६
व बल मांगना, अनुगमन, सेवा करना, मलाने का
तृ त, य क आ मा, श द भरना ७-९
७.
सोम का वणन १-९
य माग, नहाना, श द करना १-३
तु तयां जानना,
याचना ४-९
८.
ेरणा, तु तयां सुनना, दे व क
सोम का वणन १-९
बल बढ़ाना, थत होना, अ भल षत बनना, सेवा १-४
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ा त, मलना, अ
व धन
मलाना, ढकना, श ु
९.
का नाश करने, श
दे न,े संतान व अ हेतु ाथना ५-९
सोम क तु त १-९
मेधावी, आ ान, काशन, स करना १-४
उंग लयां धारण करना, न दयां दे खना, रा स को मारने, काश फैलाने, बु
मनोरथ पूरा करने क ाथना ५-९
१०.
दे ने व
सोम का वणन १-९
आना, सोम उठाना, सं कृत होना, धारा म चलना, श द करना, ार खोलना, बैठना,
हना, द तशाली १-९
११.
सोम क तु त १-९
जाने के इ छु क, ध मलाना, सुख मांगना, बलशाली, पावन बनाने का आ ह १-५
तुत करने का आ ह, संतु कारक, पा
१२.
म भरना, बल व धन मांगना ६-९
सोम का वणन १-९
नमाण, आ ान, वाणी, पू जत होना, वेश १-५
श द करना, य -वास, थान ा त, घर मांगना ६-९
१३.
सोम क तु त १-९
जाना, शोधक, टपकना, धारा गराने, धन व श
दे ने क
दशाप व , धारण करना, श -ु वध करने व बैठने क
१४.
ाथना ६-९
सोम का वणन १-८
बहना, अलंकृत करना, मु दत, टपकना, मसलना १-५
तरछा चलना, पीठ पर चढ़ना, आ ान ६-८
१५.
ाथना १-५
सोम का वणन १-८
वग जाना, इ छा, सोम को दे ना, कंपाना, जाना १-५
लांघना, नचोड़ना, मसलना ६-८
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१६.
सोम क तु त व वणन १-८
चलना, मलाना, अजेय, प ंचना १-४
जाना, रहना, दशाप व
१७.
५-८
सोम का वणन व तु त १-८
जाना, गरना, दशाप व , बढ़ना १-४
काशन, तु त, शु
१८.
करना, पेय बनने क
ाथना ५-८
सोम क तु त १-७
सव म, मेधावी, ा त करना, धन दे ना १-४
हना, ढकना, श द करना ५-७
१९.
सोम का वणन १-७
धन, गोपालक, बैठना, सारवान् होने क कामना, रस हना १-५
व तुएं लाने व तेजनाशाथ ाथना ६-७
२०.
सोम क तु त १-७
हराना, अ दे ना, धन व रस मांगना, अनोखा, रगड़ना, दानदाता ५-७
२१.
सोम क तु त १-७
जाना, अ दे ना, टपकना, ले जाना धन मांगना, ेरणा १-७
२२.
सोम का वणन १-७
नीचे जाना, नकलना,
ा त करना, न थकना १-४
सोम ा त, श द करना ५-७
२३.
सोम का वणन एवं तु त १-७
तु तयां, जाना, धन, घर व अ
वध १-७
२४.
मांगना,
ीण होना, बचाना, अ भलाषी, श -ु
सोम का वणन एवं तु त १-७
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मसलना,
ा त करना, पास प ंचना, श ुजेता, पया त होना, श ु-वध,
तृ तकारक १-७
२५.
सोम का वणन १-६
साधक, पकड़ा जाना, सव य जाना,
२६.
ांत
ा १-६
सोम का वणन १-६
मसलना, तु त, वग भेजना, बढ़ाना, ेरणा, बढ़ना १-६
२७.
सोम का वणन १-६
मेधावी, श
२८.
दाता, सव , श द करना, छोड़ना, इं
सोम का वणन १-६
चलना- गरना, शोभा पाना, कामपूरक, सव
२९.
ा, पापनाशक १-६
सोम क तु त १-६
बहना, शु
३०.
मलना १-६
करना, तु य, श ु भगाने व र ाथ आ ह, बल लाने क
सोम का वणन १-६
व न करना, द तशाली, वरो धय के बल रण हेतु
नशीला सोम १-६
३१.
ाथना, टपकना, कूटना,
सोम क तु त १-६
जाना, बढ़ाने क ाथना, वायु से तृ त होना, अ दाता बनने क
दे ना, कामना १-६
३२.
ाथना, ध-दही
सोम का वणन एवं तु त १-६
जाना, कुचलना,
ाथना १-६
३३.
ाथना १-६
वेश, बैठने हेतु जाना,
शंसा, अ -धन व बु
सोम का वणन एवं तु त १-६
नीचे जाना, अमृतधारा, पास जाना, तु तयां, कामना पू त हेतु ाथना १-६
३४.
सोम का वणन १-६
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दे ने क
श थल बनाना, पास जाना, हना, शु
३५.
होना, हना, मलना १-६
सोम क तु त एवं वणन १-६
धन मांगना, कंपाना, धन, अ व थान दे ना, पालक १-६
३६.
सोम क तु त एवं वणन १-६
ग त करना, दे वा भलाषी, ेरणाथ ाथना, छनना, धन, पशु आ द मांगना १-६
३७.
सोम का वणन १-६
वेश, सव
३८.
ा, काशन, अजेय, महान् १-६
सोम का वणन १-६
जाना, कुचलना, शु
३९.
सोम क तु त एवं वणन १-६
बु
४०.
करना, बैठना, वेश, जाना १-६
मान्, बरसने क
ाथना, द त बनाना, टपकना १-६
सोम क तु त १-६
अलंकृत करना, बैठना, धन लाने क
मांगना १-६
४१.
ाथना, द तशाली, धन, अ
सोम का वणन एवं तु त १-६
द तशाली, शंसा करना, श द सुनाई दे ना, पशु, बल, धन लाने,
पूण करने व धारा पूण करने क ाथना १-६
४२.
ावा-पृ थवी को
सोम का वणन व तु त १-६
ढकना, गरना, नचोड़ना, स चना, जाना, धन व अ मांगना १-६
४३.
सोम का वणन व तु त १-६
मलाना, द तशाली बनाना, जाना, धन मांगना, श द करना, पु याचना १-६
४४.
व पु
सोम का वणन व तु त १-६
आना, व तार, जाना, सेवा करना, ेरणा, अ व बल जीतने क
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ाथना १-६
४५.
सोम का वणन व तु त १-६
ा, पेय होना, शु
४६.
करना, पास जाना, वणन १-६
सोम का वणन १-६
तैयार करना, वायु ा त, स करना, हाथ, माग दाता, प व करना १-६
४७.
सोम का वणन १-५
श द करना, ऋण चुकाना, धनदाता, कामना, श ुधन दे ना १-५
४८.
सोम क तु त व वणन १-५
धन याचना, शंसनीय, वग से लाना, य र क, मह व पाना १-५
४९.
सोम क तु त १-५
अ दे न,े टपकने, बरसने व दे व ारा श द सुनने क
५०.
ाथना, टपकना १-५
सोम क तु त १-५
वेग से चलना, नकलना, रखना, नशीले, मादक १-५
५१.
सोम का वणन १-५
दशाप व , अमृतवत्, हण करना, पास जाना, बु
५२.
मान् १-५
सोम क तु त १-५
द तशाली, दशाप व , बहने वाले, आ त, धनदाता १-५
५३.
सोम क तु त १-४
वेग का उठना, तु त, कम न सहा जाना, मादक सोम १-४
५४.
सोम का वणन १-४
हना, संसार दे खना, लोक के ऊपर रहना, इं ा भलाषी १-४
५५.
सोम क तु त १-४
संप यां दे न,े कुश पर बैठने व टपकने क
ाथना, श ुहंता १-४
५६. सोम का वणन व तु त १-४
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अ दे ना, सौ धाराएं, मसलना, पाप से बचाने क
५७.
सोम क तु त १-४
अ दे ना, आना, बैठना, संप य को लाने क
५८.
सोम क
लेना, चलना १-४
सोम क तु त १-४
धनजेता, बहने व कुश पर बैठने क
६०.
ाथना, श ुजेता १-४
सोम क तु त १-४
तु त का आ ह, शु
६१.
ाथना १-४
ाथना १-४
पाप ाता, ग त करना, धन व व
५९.
ाथना १-४
करना, जाना, अ मांगना १-४
सोम क तु त १-३०
गरने क ाथना, शंबर, य , तुवश, अ मांगना, म ता करने, सुखी बनाने व धन
लाने क ाथना, मलना, टपकने क ाथना १-९
ु ोक म अ व धन ा त, गरने क ाथना, पास जाना, बढ़ाने क
ल
दे ने क ाथना, वै ानर का ज म, जाना, दशनीय, रा सहंता १०-१९
ाथना, सुख
सं ाम म भाग लेना, म त, र ा करना, अमहीयु, धारा म गरना, संतानयु
मांगना, धनदाता, टपकने क ाथना २०-२८
वध करने क कामना, नदा से बचाने क
६२.
यश
ाथना २९-३०
सोम क तु त एवं वणन १-३०
ले जाना, पापनाशक, सुखदाता, बैठना, अ वा द बनाना, सजाना, धाराएं बनाना,
टपकने व ध, घी बरसाने क ाथना, वशेष ा, धन दे ना १-११
धन मांगना, बहना, टपकना, य म जाना, बैठने जाना, रथ जोतना, श
नडर बैठना, हना, दे व य, धारा बनाना १२-२२
मलना, अ दे न,े फल दे ने व बरसने क
आ ह, बैठना २३-३०
६३.
ाथना, आ ा पालन, जाना, शु
सोम क तु त एवं वणन १-३०
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शाली,
करने का
धन मांगना, मादक, गरना, धावा बोलना, रे क, थान ा त, हतकारी जल, घोड़े
जोड़ना, एतश, स चने क ाथना, श ु, अ य धन, अ , बल मांगना १-१२
तेज वी, गरना, टपकना, मादक, मसलना, धन मांगना, स चने का आ ह, मसलना,
ेरणा, द तशाली, शंसनीय धन, श ुनाशक, रा स के नाश क ाथना, सोम
बनाना, नमाण, श ु , रा स का वध करने, े बल व धन याचना १३-३०
६४.
सोम क तु त १-३०
कम धारण, अ भलाषापूरक, हन हनाना, पशु व संतान मांगना, नमाण, छनना, धन
मांगना, धारा का बनना, धन याचना, श द करना, बढ़ाना, बैठना १-११
दे वा भलाषी, गाय के समीप आने, अ , धन दे ने व इं के थान पर जाने क
ाथना १२-१५
बनना, जाना, घर-र ाथ ाथना, जलवास, य छोड़ना, नरक म डू बना, टपकने क
ाथना, मसलना, अयमा आ द, सोमपान, प व सोम १६-२५
वाणी दे ने व ोणकलश म जाने क
६५.
ाथना, मलना, चलना २६-३०
सोम क तु त १-३०
द तशाली, धन दे ने व वषा भेजने क ाथना, बुलाना, शोभन-आयुध, भरना,
ऋ ष, अवरोधक, वरण, धन दे ना, धारक, सव ा, ओज वी १-१४
हना, शं सत, धन-बल मांगना, जाना, बहना, धन व पु मांगना, शु
मसलना १५-३०
६६.
होना,
सोम एवं अ न क तु त १-३०
ाथना, राजा बनना, सुशो भत होना, आ ान, व तार, शासन मानना, धन दे ना,
शंसा, नचोड़ना, दौड़ना, मसलने क इ छा, जाना, आना, म ता चाहना १-१४
वेश हेतु ाथना, श ुधन जीतना, दानी, वरण करना, जीवनर क, याचना, गाएं
मांगना, सूय के समान दे खना, समीप जाना, तेज क उ प , गरना, ा त करना,
टपकना, सुख मांगना १५-३०
६७.
सोम क तु त एवं वणन १-३२
धाराएं चाहना, य धारक, श द करना, आ ान, धन मलना, धन मांगना, इं ा त,
प व होना, ेरणा, या ा म र ा करने व ना रयां दे ने क ाथना, र नदाता,
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ोणकलश, जाना १-१५
मादक सोम, अ मलना, वायु बनाना, याण, ोणकलश म आने, भय भगाने,
पापहीन करने, प व करने व पाप से छु ड़ाने क ाथना १६-२७
व डालने क ाथना, नकट जाना, श ुनाशाथ ाथना, अ भ ण, ध व सोम को
हना २८-३२
६८.
सोम का वणन १-१०
टपकाना, धन दे ना, बल ा त, र ा करना, जलगभ, मसलना, अ दे ना १-७
ेरणा, शो भत होना, ावा-पृ थवी को पुकारना ८-१०
६९.
सोम का वणन १-१०
अपण, मुख म प ंचना, चमकना, वयं को ढकना, तेज था पत, छनना १-६
प ंचना, अं गरा ऋ ष, ेरणा, सुखदाता ७-१०
७०.
सोम का वणन १-१०
बढ़ना, ढकना, तु तयां मलना, वाक् म रहना, बाधा प ंचाना, सव जाना १-६
शु
७१.
करना, ऊंची जगह जाना, माग बताना, श ु संहाराथ ाथना ७-१०
सोम का वणन १-९
सूय थर करना, श ुनाशक, शु
जाना १-६
होना, स चना, पास जाना, व णम जगह
सुशो भत होना, गाएं मांगना, ान कराना ७-९
७२.
सोम का वणन व इं क तु त १-९
स करना, हना, उपे ा, ल य करना, गरना, आना १-५
उ रवेद , सुख हेतु जाना, धनदाता, आ ान ६-९
७३.
सोम का वणन १-९
मलना, बढ़ाना, बैठना, वृ यु
करना, भगाना, उ प
तु त, पीड़ा दे ना, जलवास ७-९
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१-६
७४.
सोम का वणन एवं तु त १-९
रोना, धारक, माग व तृत होना, अमृत उ प , श द करना १-५
अमृत भरना, उ
७५.
वल करना, लांघना, पु
ा त, दौड़ना ६-९
सोम का वणन १-५
टपकना, अजेय, सुशो भत होना, गरना, ेरणा हेतु ाथना १-५
७६.
सोम का वणन एवं तु त १-५
टपकना, आयुध, अ दाता, सोम का कम, वेश १-५
७७.
सोम का वणन १-५
जाना, मलना, दशनीय, गभधारण करना, इधर-उधर जाना १-५
७८.
सोम का वणन एवं तु त १-५
जाना, थत होना, बढ़ाना, प व करना, शु
७९.
होना, १-५
सोम का वणन एवं तु त १-५
ह रतवण, मद टपकाने वाले, श ुनाशक, रस नकालना, सोम १-५
८०.
सोम क तु त एवं वणन १-५
चमकना, शंसा, बढ़ाना, हना, जाना १-५
८१.
सोम का वणन १-५
उ म होना,
८२.
ा त करना, धनी सोम, आ ान १-५
सोम का वणन एवं तु त १-५
दशनीय, पूजनीय, मेघपु , सुखदाता, जल का सोम से मलना १-५
८३.
सोम का वणन व तु त १-५
व तृत, सोम करण का थर होना, पु करना, जकड़ना, अ जीतना १-५
८४.
सोम का वणन १-५
वशेष ा, ा त होना, स करना, जाना १-५
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८५.
सोम का वणन व तु त १-१२
रोगनाशाथ ाथना, द , तु त, रस टपकाना, सेवा यो य, वा द , मसलना १-७
धन जीतने क
८६.
ाथना, थत होना, नचोड़ना, शंसा,
प दे खना ८-१२
सोम क तु त एवं वणन १-४८
ापक, पास जाना, शु होना, से वत, गरना, नचुड़ना हरा सोम, दे व थान जाना,
धारक, श द करना, इं वधक वषाकारक १-११
यु , दशाप व , बहना, यु म जाना, क न दे ना, आनाजाना, संतानदाता,
अ भलाषापूरक, जल उ प , लोकक ा, आरोहण १२-२२
वेश, तु त, रे णा, सुगम बनाना, दशाप व पर जाना, मसलना, तेजधारी, साधन,
अपण, रोना, व तार, जाना, य माग, यु
म जाना, वशेष ा, जनक, जल
उ ारक लोक म जाने वाले, ाता, ग तक ा २३-३९
तु तयां, ेरणा, म य भाग, जाना, बढ़ना, तु त, श द करना, कामना, मलाना,
शंसनीय ४०-४८
८७.
सोम व इं क तु त व सोम का वणन १-९
साफ करना, रा सनाशक, ध ा त, थत रहना, शु
गाएं ा त, सोम का अ १-९
८८.
, अ -धन याचना, दौड़ना,
सोम क तु त १-८
आ ान, जीतना, मनोवेगवान्, कमकता, ेरणा १-५
जाना, य पा , पू य ६-८
८९.
सोम का वणन व तु त १-७
बहना, हना, पालक, बली बनाना, सेवा करना, धारक, श ुनाशक १-७
९०.
सोम का वणन व तु त १-६
अ , धन-र न दे ना, श ुजेता, श द करना, पापनाशक १-६
९१.
सोम का वणन व तु त १-६
नमाण, जाना, कामपूरक, नग रयां न
करने, माग बनाने क
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ाथना, पु
मांगना १-६
९२.
सोम का वणन व तु त १-६
दे वसेवा, जलधारक, अनुगमन, शु
९३.
सोम का वणन व तु त १-५
शु
९४.
, र ा, जाना १-६
होना, वरे य, ढकना, धन व संतान याचना १-५
सोम का वणन व तु त १-५
नचोड़ना, बांटना, धन दे ना, आयुदाता, पशु याचना १-५
९५.
सोम का वणन एवं तु त १-५
श द करना, ेरणा, वेश, श ु नवारक, सौभा य याचना १-५
९६.
सोम का वणन व तु त १-२४
आगे जाना, नचोड़ना, पेय, र ाकामना, शु
होना, पार जाना १-६
ेरणा, मदकारक, रमणीय, माग बताना, य कम, अ दे ना, य वामी सोम, अ
अ भलाषी, लांघना, शु होना, फलवाहक, शं सत, जल ेरक ७-१९
बैठना, चमू पा , वेश, शं सत सोम, जाना २०-२४
९७.
सोम का वणन व तु त १-५८
रे क, आ छादक, यश वी, वा द , जाना, ह रतवण, वृषगण ऋ ष, हारक, काश
करना, रा सनाशक, छनना, ढकना, श द करना, शु , गाय क कामना,
द तशाली १-१६
अ यु , श द करना, अजेय, ोणकलश, संतान मांगना, धनदाता, जलधारक,
द तशाली, भयंकर, धाराएं, लहर का नमाण, छनना, चमकना, धाराएं गराना,
पास जाना, पूछना, क याणकारी, पश, अंधकारनाशक १७-३८
बढ़ने वाले, जलधारक, ओज दे ना, प व होना, सरल ग त वाले, धनवषक, शु ,
गरना, प व होना, रथ वामी, तुत सोम, वण व रथ याचना, जमद न ऋ ष,
जाना ३९-५२
धन दे ना, श ुनाशक, श ुजेता, दौड़ना, सव ाता, मसलना, सहायक ५३-५८
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९८.
सोम का वणन १-१२
अ दाता, गरना, छनना, दान दे ना, नवासदाता, नहलाना पास जाना, धन दे ना १-८
तेजपूण, नचोड़ा जाना, भगाना, ानी ९-१२
९९.
सोम का वणन १-८
फैलाना, भेजना, सोमपान, तु त, ाथना, थत होना, नहाना, ले जाना १-८
१००.
सोम क तु त १-९
पास जाना, द तशाली, धन बढ़ाना, दौड़ना,
ांतदश , अ दाता १-६
पवमान, रा सघाती, धारक ७-९
१०१.
सोम का वणन व तु त १-१६
भ य, जाना, नचोड़ना, छनना, टपकना, ेरक, पोषक, द त, शंसनीय रस, ाता,
मेधावी १-१०
श द करना, उपभो य, मलना, ढकना, छनना ११-१६
१०२.
सोम का वणन एवं तु त १-८
ा त करना, तु त, तो बोलना, सोम क
शंसा, सेवन, क व १-६
मलना, ेरणा हेतु ाथना ७-८
१०३.
सोम का वणन १-६
य वधाता, हरा सोम, तु त, बैठना, धनदाता, दौड़ना १-६
१०४.
सोम का वणन एवं तु त १-६
सजाना, दे वर क, साधन, १-३
मलाना, मद वामी, म ता हेतु ाथना ४-६
१०५.
सोम का वणन एवं तु त १-६
तु त का आ ह, मलाना, मधुरता दे ना १-३
ध मलाना, अ
वामी, माया से बचाने क
ाथना ४-६
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१०६.
सोम का वणन एवं तु त १-१४
शी उ प , टपकना, धनुषधारी, जागने वाले, वशेष
बढ़ना १-८
ा, वा द , गरने क
ाथना,
सव , श द करना, बढ़ाना, तैयार करना, धन दे ना, दे वा भलाषी ९-१४
१०७.
सोम का वणन व तु त १-२६
ह व, मलाना, टपकना, बैठना, हना, जागरणशील, जाना, छनना, वेश, सजाना,
जाना १-१२
मसलना, सव ाता, बहना, नय मत, छनना, जाना, स रहना, जाना, धन दे ना,
जाना, समु धारक, े रत करना, जाना १३-२६
१०८.
सोम क तु त व वणन १-१६
बु दाता, सव ा, श द करना, मादक, फैलाना, अ वत्, तु य, बढ़ना, अ
शोभन बल वाले १-१०
वामी,
दोहन, धारक, अ , पशु व घर लाने वाले, अ भमुख करना, संयत,
वगधारक ११-१६
१०९.
सोम क तु त व वणन १-२२
वा द , रसपान का आ ह, पालक, द तशाली, श
संय मत, धन याचना, वेगशाली, शु करना १-११
शाली, शोभन धारा
वाले,
जलपु , शु होना, पोषक, सोमपान, बहना, मसलना, संय मत, तैयार करना,
मलाना, जलवासी, ेरक १२-२२
११०.
सोम क तु त व वणन १-१२
सहनशील, तु त, वेगशाली, अमर, पार जाना, तु त, बु
अ धकारी बनना, श
१११.
यु , अ दाता, भगाना ९-१२
सोम क तु त व वणन १-३
रा स का नाश, गोधन ा त, तु तयां सुनना १-३
११२.
सोम का वणन व तु त १-४
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धारण, तु त १-८
व वध कम, बाण बनाना, भ काम करना, कामना १-४
११३.
सोम क तु त १-११
शयणावत तालाब, ऋजीक दे श, सोम लाना, रस गराना, धारा बहना, रस गराने,
यर हत लोक ले जाने व अमर बनाने क ाथना १-११
११४.
सोम क तु त १-४
भा यशाली, क यप ऋ ष, सात ऋ वज्, श ु से र ाथ ाथना १-४
दशम मंडल
सू
१.
वषय
मं सं.
अ न क तु त १-७
पूण करना, म थत,
२.
त ऋ ष, सेवा, य
ापक, ना भ, व तारक १-७
अ न क तु त व वणन १-७
े होता, मेधावी, ाता, धनी, य क ा, ापक, उ प
३.
अ न का वणन व तु त १-७
भयानक, चमकना, जाना,
४.
स
होना,
ा त करना, ेतवण, आ ान १-७
अ न क तु त १-७
सुखद, घूमना, धारण, नवास, स करना, मथना, बु
५.
१-७
मान् १-७
अ न का वणन १-७
धनधारक, र ा करना, बढ़ाना, सेवा १-४
शं सत, जलवास, उ प
६.
५-७
अ न का वणन व तु त १-७
बढ़ना, अजेय, ग तशील, तेज चलना, तु त, संप
७.
थान, अनुगमन १-७
अ न का वणन व तु त १-७
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द गुणयु , धनदाता, आराधना, र क, उ प
८.
अनु ान, पूजनीय १-७
अ न क तु त व इं का वणन १-९
श द करना, स होना, रमण करना, पहले आना, य
जलनेता,
९.
त, यु , वध, सर काटना ६-९
जल क तु त १-९
सुखाधार, सुखकर रस, स होना, द
जलवास, पु
१०.
काशक, र क १-५
जल, नवासदाता १-५
हेतु ाथना, पाप र करने व तेज वी बनाने का आ ह ६-९
यम और यमी का संवाद १-१४
नवेदन, दे खने क बात कहना, या य, अस य से बचना, जाप त, जानना, इ छा,
गु तचर, बंधु, आ ह १-१०
मू छत होकर बोलना, पाप, कमजोर बतलाना, सुझाव ११-१४
११.
अ न का वणन एवं तु त १-९
गराना, गंधवप नी, उदय, लाना, जाना, शंका १-६
सेवा, र नदाता, रथ ७-९
१२.
अ न का वणन एवं तु त १-९
ाण, जाना, धारक, तु त १-४
प रचरण, सूय, काश पाना, पापनाशक, रथ ५-९
१३.
ह वधारक गा ड़य का वणन १-५
प नीशाला, लादना, उपकरण, य करना, तु तयां १-५
१४.
पतृलोक, पतर व यम का वणन १-१६
पुरोडाश, माग ाता, ऋ व, अं गरा, बुलाना, यो य, स होना,
यमान १-८
थान दे ना, चतकबरे कु ,े गृहर क, यम त, त बनाने वाला, आयु याचना,
नम कार, क क ९-१६
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१५.
पतृलोक का वणन, अ न व पतर क तु त १-१४
पतर, नम कार, न यता, र ा व धन याचना, पतर बुलाना १-८
ह
हणाथ आना, ह
होना ९-१४
१६.
भ क, पतर अ न वा , तु त, वधा, जानना, स
अ न क तु त व ेत का वणन १-१४
न जलाने क ाथना, पतर, ाण, क याणकारी, ऊपर जाना, नरोग हेतु ाथना,
तैयार, स होना १-८
आग हटाना, वेश, साम ी, थापना,
१७.
व लत करना, ब, वन प तयां ९-१४
सर यू, पूषा व सूय आ द का वणन १-१४
ववाह, ज म, र क, पूषा, दशाएं जानना, घूमना, बुलाना, स होना १-८
आ ान, धन मांगना, जल, नकलना, हवन, गरना, तु तवचन ९-१४
१८.
मृ यु, मृतक, धरती व जाप त आ द क तु त १-१४
न मारने क ाथना, पतृयान, पतृमेध, प थर, ऋतु, व ा, सधवा, पा ण हण, धनुष
लेकर कहना १-१०
उपचार, द णादाता, धान दे न,े सहारा दे ने क
१९.
ाथना, खूंट , संकुसुक ऋ ष ११-१४
गो व इं क तु त १-८
धन मांगना, गाय को वश म करने, पास रखने व गोशाला हेतु ाथना, पहचानना,
चराने जाना, गाय स हत लौटने व गाएं लाने का अनुरोध १-६
सेवा, गाएं लाने क
२०.
ाथना ७-८
अ न क तु त व वणन १-१०
तु त, अजेय, फल दे ना,
ा त करना, आना, जाना, इ छा १-७
बढ़ाना, चमक ला, ऋ ष वमद ८-१०
२१.
अ न क तु त १-८
वरण, शोभा बढ़ाना, सेवा, अमर, ाता १-५
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धनलाभ, थापना,
२२.
स
६-८
इं क तु त १-१५
स , श ुजेता, शं सत, आना, उशना, रा सनाशक, र ाथ ाथना, घेरना १-१०
शु ण वंश का नाश, सुख व भोग याचना, बढ़ना, धनी बनाने क
२३.
ाथना ११-१५
इं का वणन १-७
कमकुशल, वृ वध, ख चना, भगोना, बलवान बनाना, वमदवंशी, जानना १-७
२४.
इं व अ नीकुमार क तु त १-६
अ धक धनी, कमपालक, ेरक, वमद, शंसा, द तशाली १-६
२५.
सोम क तु त १-११
क याणकारी, महान्, प रणाम, जाना, संतु , व तुएं लाना, अजेय १-७
शोभन कम, श ुहंता, क ीवान्, द घतमा, परावृज ८-११
२६.
पूषा का वणन व तु त १-९
दशनीय, तु तयां, स चना, तु त, हतैषी १-५
व
२७.
बुनना, म , ख चना, अ बढ़ाने व पुकार सुनने क
ाथना ६-९
इं व उनके पु वसुक ऋ ष का संवाद १-२४
फल व सोमरस दे ना, वणन, जीतना, कांपना, हार,
दशनहीना क या, प त चुनना १-१२
सोखना, भ ण, ज म, ेरणा, घूमना, जाप त, वधा,
ा त, हना, चाहना, बनाना,
ा त करना १३-२०
गरना, कांपना, मेघ का छे दन, आ व कार २१-२४
२८.
इं व उनके पु वसुक का संवाद १-१२
इं का न आना, पेट भरना, मांस पकाना, श ुनाशक, तु त, श ुहीन, शूर समझना,
सोखना, पवत फोड़ना १-९
सोमलता लाना, ‘दान वामी’ नाम रखना १०-१२
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२९.
इं एवं अ नीकुमार क तु त १-८
हतैषी,
शोक ऋ ष, श
शाली, तु त, दाता १-५
माता, बढ़ना, घेरना ६-८
३०.
जल क तु त व वणन १-१५
मन, दशाप व , जाने का आ ह, बना का
तरंग १-८
के जलना, मु दत, प रचय, छु ड़ाना,
ऊपर जाना, बढ़ना, सोम धारण, आना, थत हेना ९-१५
३१.
व भ दे व का वणन १-११
तु य, धना भलाषा, सुख पाना, जाप त १-४
भरना, पोषक, अजर, काश, अर ण, क व ५-११
३२.
इं , उनके घोड़ व यजमान का वणन १-९
वाद लेना, घोड़े, बुलाना, गाय ी, आना १-५
य र क, पूछना, न य युवा, धन दे ना ६-९
३३.
कवष व कु
वण राजा का वणन १-९
कवष व कु
वण, सौत, तोता, धन मांगना, हरे घोड़े,
ांत, तोता १-७
मानव- वामी, वयोग ८-९
३४.
जुआ व जुआरी का वणन १-१४
त ते, प नी ारा छोड़ना, आदर नह , प नी को छू ना, प ंचना, जुआघर जाना, हारजीत, घाती पाशे, अवश पाशे, झुकना, दाहक पाशे १-९
कज चढ़ना, बदहाली, आग के पास सोना, नम कार, जुआ छोड़ने का आ ह, सुख
याचना १०-१४
३५.
व भ दे व का वणन व तु त १-१४
वरण करना, सुख व धन मांगना, अंधकारनाशक, तु त, जानना १-८
जाना, होता, बुलाना, मनपसंद घर, अ कामना, कामना पूरक ९-१४
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३६.
व भ दे व का वणन व तु त १-१४
आ ान, र ा याचना, अ य यो त, म त का सुख, शं सत बृह प त, र ा याचना,
आ ान, द तयु , सोमपान का आ ह, य यो य दे व १-१०
अ तीय दे व, र ा याचना, स य वभाव, धन व आयु क याचना ११-१४
३७.
व भ दे व का वणन व तु त १-१२
नम कार, बहना, अनुगमन, चमकाना, य र ा करने, कृपा
बनने क ाथना १-७
वशेष
३८.
, व ाम, धन याचना, पापहीन, सुख मांगना, नवास थान दाता ८-१२
इं क तु त १-५
सहनाद, वासदाता, यु
३९.
रखने व चरंजीवी
क कामना, धन ा त, ेरक १-५
अ नीकुमार क तु त १-१४
नाम लेना, मधुर वचन, वर खोजना, यवन, वै , आ ान १-६
ववाह, क ल ऋ ष, रेभ ऋ ष, राजा पे , शंसनीय, रथ, व तका च ड़या, रथ
सजाना ७-१४
४०.
अ नीकुमार क तु त १-१४
य नेता, अनुकूल बनाना, तु तयां, अ दाता, घोषा, कु स, भु यु, वश, अ , उशना,
कृश, शंय,ु व मती १-८
युवती बनना, समेटना, युवा प त, उदक वामी, कामना, दशनीय ९-१४
४१.
अ नीकुमार क तु त १-३
रथ, घर जाना, आ ान १-३
४२.
इं क तु त एवं वणन १-११
तु त का आ ह, जारतु य, धन वामी, म
धनसंप बनाना १-९
बनाना, उप व रोकना, अ धकार,
भूख मटाना, धन मांगना १०-११
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४३.
इं क तु त एवं वणन १-११
कृ ण ऋ ष, अ भलाषा, बढ़ाना, पास जाना, सूय ढूं ढ़ना, हराना, जाना १-७
ेरणा, स जनपालक, बु
४४.
, र ाथ ाथना ८-११
इं क तु त १-११
ीण करना, पालक, व धारी, साम य, तु त, वग जाना, नरक
होना १-८
ा त, ु
तु त, क चना, आ त, धन मांगना ९-११
४५.
अ न क तु त व वणन १-१२
उप ,
पुआ,
४६.
प जानना,
वलन, चाटना, शोभाधारी, मेघभेदन, ेरणा, चमकना १-८
य होना, ार खोलना, तु त ९-१२
अ न एवं य
होता, तु तयां,
का वणन १-१०
त ऋ ष, य नेता, कम ा त, बैठना १-६
ग तशील, तु तयां, व ा, भृगु, यश ा त ७-१०
४७.
इं क तु त १-८
गो वामी, र ायु , महान्, श ुहंता, घरा रहना, धन, बु
४८.
इं
व घर क याचना १-८
ारा अपना वणन १-११
अ दे ना, द यङ् , दधी च, व , जीतना, वामी, झुकाना, न करना १-७
गुंगु जनपद, असुर वध, आयुध धारण, अजेय व अ ाथ बनाना ८-११
४९.
इं का आ मवणन १-११
अनु ान, ‘इं ’ नाम रखना, उशना, कु स, शु ण, आय, द यु, वे सु नामक दे श, तु ,
व दभ, रांथय, असुर वेश, षड् गृ भ असुर, नववा व, बृह थ, श ुनाश, तुवश,
य १-८
माग दे ना, सुखद बनाना, ह र नामक अ
५०.
९-११
इं का वणन व तु त १-७
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बल, पूजन, श
र ाश
५१.
दाता, श ुजेता १-४
जानना, य धारक, मनोमाग ५-७
अ न व दे व का संवाद १-९
वेश, व वध शरीर, पहचानना, आना, तेजपुंजधारी, तीन भाई १-६
अजर आयु, उ प , ह भाग ७-९
५२.
अ न का दे व के
त कथन १-६
होता, अ वयु, नयु
१-३
पांच माग, सेवा, बैठाना ४-६
५३.
अ न का वणन १-११
आना, बैठना, क याण करना, पंचजन, य पा , माग, आठ रथ १-७
अ म वती नद , सोमपा , कुठार, अमर व, जीतना ८-११
५४.
इं क तु त १-६
क त, वृ वधा द, उ प
अजेय, दाता, तो
५५.
१-३
४-६
इं क तु त १-८
द त करना, स होना, सात त व १-३
म ता, साम य, लाल प ी, सहायक, बढ़ाना ४-८
५६.
बृह
थ ऋ ष का अपने मृत पु वाजी से कथन १-७
सूय, यो त धारण, अनुगमन १-३
वेश, प र मा, चर थायी, बृह
५७.
थ ४-७
इं क तु त व मन का वणन १-६
यजमान, आह्वनीय, बुलाना १-३
सुबंधु, इं यां लौटाने का आ ह, सोमदे व ४-६
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५८.
मृत सुबंधु के ाता आ द उसके मन के
त कहते ह १-१२
वव वान् पु , लौटाना, धरती, लौटाना १-१२
५९.
पाप दे वता नऋ त, असुनी त व इं आ द क तु त १-१०
आयु पाना, नऋ त, श ु रोकना, वृ ाव था, बढ़ाना, र ाथ ाथना १-६
ाण दे ने व हसा र ाथ ाथना, ओष धयां, उशीनर क प नी ७-१०
६०.
असमा त राजा का वणन व इं ा द क तु त १-१२
असमा त, जेता, पराभव, पंचजन,
धारण १-८
थत करना, अग य, प ण, जीवनदाता, मन
अ वनाशी, संबंधु का मन, बहना, तपना, हाथ ९-१२
६१.
व वध दे व क तु तयां व वणन १-२७
नाभाने द , श ुनाशक, च पकाना, आ ान, सचन, अ भगमन, वा तो प त,
अं गरागो ीय ऋ ष, उ प , फल, म ता, ढूं ढ़ना, शु ण १-१३
जातवेदा, द तशाली, शं सत, कांपना, शंयु ऋ ष, तु त, स य प, सुखवधक,
तु त, नरपालक, य होना, अ दाता, सेवा, धारा, अ मांगना १४-२७
६२.
अं गरागो ीय ऋ षय क तु त १-११
अमरता, प ण, थापना,
तेज, गंभीर कम वाले, धन दे ना, उ ार १-७
साव ण मनु, द णा, य , तुवसु, अ मांगना ८-११
६३.
व भ दे व का वणन १-१७
यया त, य यो य, ध बहाना, उ त दे श, सेवा, सजाना, होता, सव , पापमोचक,
ुलोक, आ ान १-११
सुख मांगना, ले जाना, बढ़ाना, रथ, क याणाथ ाथना, धरती, गय ऋ ष १२-१७
६४.
व भ दे व का वणन १-१७
तु य, कामनाएं, पोषक, बढ़ना, रथ, धन लाना, य , आ ान, व ा, ऋभु ा, वाज,
सुंदर म द्गण, आना, अ द त १-१३
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र ा, अ भलाषी, गय ऋ ष, भुता १४-१७
६५.
व भ दे व का वणन १-१५
पूण करना, बढ़ाना, मै ी, तु त, याचना, तु त, नकालना,
याचना, काय, व णा व १-१२
ा त, आ ान, धन
सर वती, तु तयां, अ याचना १३-१५
६६.
व भ दे व का वणन १-१५
आ ान, तैयारी, अ युदय, बुलाना, मकान मांगना, इ छापूरक, पूजन, जलरचना, पूण
करना १-९
वगधारक, तु त व तो सुनने क
६७.
ाथना, सेवा, धन मांगना वंदना १०-१५
बृह प त का वणन १-१२
अया य ऋ ष, सरल मन, तु त, गाएं नकालना, गरजना, लाना, तो वामी,
सहयोगी १-८
बढ़ाना, तु त, स तादाता, नद
६८.
वा हत करना ९-१२
बृह प त का वणन १-१२
तु त, काश प ंचाना, गाय नकालना, प ण, बल रा स, वध, भेदन १-७
गाएं दे खना, उषा ा त, असमथता, काश धारण, नम कार ८-१२
६९.
अ न क तु त व वणन १-१२
व य ऋ ष, द त होना, सु म ऋ ष, र ाथ
आ छा दत, सु म वंशी, म हमा १-९
ाथना, श ुजेता, हतकारी,
श ुवध, संहार, तु य १०-१२
७०.
अ न, य शाला, ऋ वज्, होता आ द क तु त १-११
उ रवेद , तु य, रथ, स च , अ ध त, दे वगण, य पा , ह
दे वभाग, रशना, वाहा ९-११
७१.
भाषा का वणन १-११
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सेवन १-८
७२.
सर वती, भाषा, छं द, वसजन, माया
पणी धेनु, यागना, भाव, वचार १-८
हल चलाना, पाप र होना, ाय
९-११
दे व क उ प
का वणन १-९
तो , उ प , भू म, अ द त व बंधु दे व का ज म, धूल उड़ना १-६
सूय, थर, अ द त का जाना ७-९
७३.
इं एवं म त क तु त व वणन १-११
शंसा, वषा जल, धारण करना, म ता, माया का नाश, श ुसंहार १-६
नमु च, श
७४.
मान्, च , ज म, बु
याचना ७-११
म त का वणन १-६
धनदान, काश करना, र नदाता तु त, शरण, वृ नाशक १-६
७५.
न दय के जल का वणन १-९
सधु, माग बनाना, गरजना, सहायक नद , गोमती, तु ामा, सुसत आ द न दयां,
दशनीय, सधु, बहना, ढका रहना, रथ १-९
७६.
सोमरस नचोड़ने म सहायक प थर क तु त १-८
उषा, धनदाता, मनु, धन मांगना, सुध वा, सोम नचोड़ना, मुखशु
७७.
, द
धाम १-८
म त का वणन व तु त १-८
जनक, आ मणशील, श ुघाती, अ दाता, येन प ी, प थक, धन, सोमपान,
आना १-८
७८.
म त का वणन व तु त १-८
गृह वामी, सुशो भत, दानी, द पयु , सामगान, द तशाली, प थक, र नदान १-८
७९.
अ न का वणन १-७
भ ण, नम कार, जलाना, ानी, वालाएं, ह रतवण, र सी १-७
८०.
अ न का वणन १-७
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वीर स वनी, ेरणा, ज थ,
८१.
सृ
प धरना, घरना, गंधववचन, तु त रचना १-७
म का वणन १-७
आ छादन, व कमा, नमाण, भुवन, परम धाम, वगफलदाता, सुखो पादक १-७
८२.
सृ
म का वणन १-७
भाग, स त ष, भुवन, धन
८३.
ांड, तु तयां १-७
ोध क तु त १-७
उ पादक, म यु, श
८४.
य, ई र,
शाली, सहनशील आ ान, बंध,ु होम १-७
ोध क तु त १-७
नेता, धन मांगना, उ बल, श ुजेता, तो , तेजधारक, अ याचना १-७
८५.
सोम क तु त एवं वणन १-४७
रोकना, न
के नकट, पीसना, सुर त, वषर क, व
रथमाग १-११
गाथा, कोष, अ गामी,
गाड़ी, दहेज, समथन, रथच , प हया, नम कार, ऋतु नमाण, चरजीवन दे ना, अमृत
थान, तु त, पूजन १२-२२
अयमा दे व, थापना, सौभा य, पूषा, समृ बनने का आ ह, वेश, ीहीन, रोग,
श ,ु र ाथ ाथना, आशीवाद, वधूव , सूया, गृह थ धम, क याणी बनाने क
ाथना, संतानर हत प त २३-३८
शतायु क कामना, तीसरा प त, धन व पु मलना, पु व नाती, क याणकारक बनने
क कामना, वीरजननी, वधू व महारानी बनने का आशीवाद, दय को मलाने हेतु
ाथना ३९-४७
८६.
इं एवं इं ाणी का संवाद १-२३
वृषाक प, सोमरस, अ दाता, कु ा,
आदर पाना १-१०
कम उ म इं ,
य वचन, वीरप नी, सखा,
बुढ़ापा, समीप जाना, ह व, बैल पकाना, द धमंथन, समथ-असमथ, गाड़ी, दास व
आय ११-१९
री, आ ान, पु जनना २०-२३
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८७.
अ न क तु त १-२५
हवन, मांसभ ी, द त अ न, बाण झुकाना, मांसाहारी, जातवेद, ऋ यां, तेज,
अनुकूल, तीन म तक, जलने क ाथना, द यङ् अथवा ऋ ष १-१२
ोध, शोकमन, झूठा, ध चुराना, मानवदशक, असार अंश, द
सखा १३-२१
आयुध, करण,
मेधावी धषक, वध ाथना, शंसा, नाश का आ ह २२-२५
८८.
अ न व सूय क तु त एवं वणन १-१९
बढ़ाना, स होना, व तार, संसार, तेज चलना, अंगर क, चतन, तृ त करना,
वभाजन १-१०
थापना, उ प , तपना, दो माग, ठहरना, ववाद, पधा नह , पास बैठना ११-१९
८९.
इं क तु त व वणन १-१८
हराना, घुमाना, म , तु तयां, समानता नह , तोड़ना, लोप, व , आ ान, न दयां,
वध हेतु आ ह १-१२
अनुगमन, छे दन, यो त वाली रात, आ ान, तु त, बुलाना १३-१८
९०.
वराट् पु ष के
प म ई र का वणन १-१६
हजार शीष, अमृत,
ांड, ऊपर उठना, व तार, वेदो प , ऋतु बनाना, पशु
उ प , संक प, ा ण, वण क उ प १-१२
चं मा व सूय आ द क उ प , प र धयां, उपासक १३-१६
९१.
अ न का वणन व तु तयां १-१५
वहार, आ य, धन बढ़ाना, वमल, उ मु , ज म, दहन, वरण,
त १-११
वृ
९२.
, पश, तु त, उ म यश १२-१५
नाना दे व का वणन व तु तयां १-१५
सोना, चूमना, अमरता, नम कार, स चना,
नम कार, य जानना, पूजन, बु
पु , सहायक, डरना १-८
मान्, अ , अ द त, वषा ९-१५
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, ने ा,
९३.
व भ दे व का वणन १-१५
र ायाचना, प रचया, धन, ह व
सामगान १-८
तु त, अ याचना, स
९४.
वामी, समान धनी, बचना, अ
वामी,
, तो पाठ, पृथवान्, गो याचना ९-१५
सोमरस नचोड़ने म सहायक प थर का वणन १-१४
तु त का आ ह, ह भ ण, सोमपान, अचल रहना, धारण, सोमरस टपकाना,
हण, अंश, श
दखाना १-९
य सेवन, श
९५.
शाली, पूण करना, श द करना १०-१४
पु रवा व उवशी का संवाद १-१८
मन,
ा य, सहनाद, रमणसुख, शयनक , सुजू ण,
संपक बनाना, द घायु, पु प म होना १-११
े ण आ द, बढ़ाना, भागना,
ससुराल, अ ानी, द नता, मै ी, वचरना, वासदाता, आनंद ा त १२-१८
९६.
इं एवं उनके घोड़ का वणन १-१३
शंसा, बुलाना, धनी, द त, सुंदर, तु य, थत होना १-७
हरी दाढ़ , सोमपान, अ दे ना, पूण करना, साधन, सवन ८-१३
९७.
ओष धय क तु त व वणन १-२३
उ प , सौ कम वाली, जयशील, घोड़ा, गाय आ द दे ना, अ धका रणी, रोगनाशक,
तु त, इ कृ त, रोगनाश, आ मा १-११
चोर, बाज, वायु, वचन व रोग से बचाने क
मांगना, जीव १२-२०
श
९८.
ाथना, पाश, कथन, शां त व श
हेतु ाथना, वातालाप २१-२३
नाना दे व का वणन व तु त १-१२
राजा शंतनु, तु त, नद ष, दे वा प, वषा, तो , श
ा त, जलाना, द णा १-९
शूर, माग ान, वषा याचना १०-१२
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९९.
इं का वणन व तु त १-१२
धन दे ना, सामगीत सुनना, हराना, बहाना, छ नना, वध, नाश, भेदन, लोहमय
पीठ १-८
शु ण, उशना, अर
का वध, ऋ ज ा, व
ऋ ष ९-१२
१००. व भ दे व क तु तयां १-१२
वरण, ध पीना, ऋजुकामी, सोम, धारण, से , वासदाता, पाप नाशाथ ाथना,
पालक १-९
ओष ध, र क, व यु ऋ ष १०-१२
१०१. व भ
वषय का वणन १-१२
आ ान, नख बनाने, बैल जोड़ने व बरतन बनाने का आ ह १-८
ध, बरतन, प हए, बुलाना ९-१२
१०२. इं का वणन व तु त १-१२
धन कामना, मुदगलानी,
्
दास, आय, हार, मुदगल,
्
अनुगमन, बांधना, उ ार १-८
घण, वजयी, अ याचना, धनदाता ९-१२
१०३. इं का वणन एवं तु त १-१३
जीतना, यु क ा, श ुनाशक, बुलाना, उ म वीर, जयशील, य
दे वसेना १-८
जलवषक, रथ, वजय याचना, अ वा, क याणाथ ाथना ९-१३
१०४. इं का वणन एवं तु त १-११
सोमपानाथ अनुरोध, भट दे ना, उ शजवंशी, र ा, दान, धनयु
१-७
बढ़ाना, वृ वध, तु त, बुलाना ८-११
१०५. इं का वणन एवं तु त १-११
ना लयां, बुलाना, थकना, बटोरना, भोजन मांगना, ऋभु, हरी दाढ़ १-७
तु तहीन, उ ार, मधु लेना, र ा ८-११
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वामी,
१०६. अ नीकुमार क तु त १-११
बढ़ाना, आना, दे वपूजा, आ ान, थत, हंता, रथ ा त १-७
धनर क, सुनना, ध भरने हेतु ाथना, भूतांश ऋ ष ८-११
१०७. द णा का वणन १-११
माग, अमरता, दे वपूजा, अ धकारी, मु खया, सामगायक १-६
र ासाधन,
था, वधू, घर, र ा ७-११
१०८. सरमा कु कुरी व प णय का संवाद १-११
अ भलाषा, न ध, ती, रोक न पाना, आयुध, पदद लत १-७
सुर त, अया य व नवगु ऋ ष, भाग दे ना, संबंध, स या त पवत ८-११
१०९. बृह प त ारा प नी याग का वणन १-७
संतान, लाना, त, प ंचाना १-४
ा त,
प नी, पापहीन बनाना ५-७
११०. अ न, होता, यूप क तु त व वणन १-११
कायकुशल, भोजन, वाला, ाथनीय, फैलाना, शरीर दशाना, द त वाली, काश,
बुलाना १-८
व ा दे व, श मता, भ णाथ आ ह ९-११
१११. इं क तु त व वणन १-१०
बुलाना,
ा त, सनातन, बल संचार, धारण १-५
माया का नाश, शोभा ा त, र जाना, बहाना, जल वामी ६-१०
११२. इं क तु त १-१०
वीरता, आ ान, े
प, बुलाना, तु त, पा
ा त १-६
बुलाना, शंसा, कुशल, धन मांगना ७-१०
११३. इं क तु त १-१०
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र ा याचना, वृ वध, म हमा, वृ , व ,
ोध १-६
वीरता, भ ण, दभी त, धन याचना ७-१०
११४. व वध वषय का वणन १-१०
ा त करना, त, भाग ा त, वेश, बारह पा , रथ १-६
वभू तयां, वाणी, पुरो हत, म नवारण ७-१०
११५. अ न का वणन एवं तु त १-९
त, ह
भ ण, तु त, अजर, आ य, होनहार १-६
श ुनाश, बलपु , वषट् कार ७-९
११६. इं क तु त १-९
वृ
याचना, उ रवेद , श -ु संहार, वृ
शरीर,
वश
दाता १-५
, अ भलाषाएं, धनदाता ६-९
११७. दान का वणन १-९
मृ यु, भखारी, खोजना, दाता, जाना १-५
पापी, दानी, धन मांगना, दान ६-९
११८. अ न क तु त १-९
पव
११९. इं
त, ुच, घृत सचन, शं सत, अमर, द तधारक, अ तीय तेज, तु त १-९
ारा अपना वणन १-१३
सोमपान, कंपाना, ऊपर उठाना, तु तयां, थान बनाना, पंचजन, हराना, धरती
रखना १-९
जलाना, वग, महान्, सुशो भत १०-१३
१२०. इं का वणन १-९
वागत, डराना, नाती, स होना, ेरणा १-५
व सनीय, कम, जीतना, श
६-९
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१२१.
जाप त का वणन १-१०
पुरोडाश, सेवा, पूजा, भुजाएं, आ द य, जाप त, र क १-७
एकमा दे व, आनंदवधक, हवन ८-१०
१२२. अ न क तु त १-८
होता, क
, धन याचना, बलदाता, भृगुवंशी ऋ ष १-५
आचरण, त, तु त ६-८
१२३. राजा वेन का वणन व तु त १-८
अचना, अनुचर, श द, जल वामी १-४
क , भ ा, चमकना, जल नमाण ५-८
१२४. दे व के
त अ न का कथन १-९
नयामक, अर ण, जाना, र ा, रा
१-५
, नकलना, वृ , शंसा ६-९
१२५. वाणी दे वी ारा परमा मा का वणन १-८
घूमना, धन दे ना, आ व , बात बताना, से वत १-५
ा त, व तृत होना, वशाल ६-८
१२६. व भ दे व का वणन १-८
बचाना, र ा व सुख याचना १-४
आ ान, श ु र ाथ ाथना व आयु याचना ५-८
१२७. रा
का वणन १-८
शोभा ा त, बाधा, हा न, शयन, बाज, चोर, अंधकार, तो भट १-८
१२८. व भ दे व का वणन १-९
अ य , अ भलाषा, संतान, आशीवाद, मनोरथ, छह दे वयां, बु
याचना, सव १-९
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, तु त, सुख
१२९.
लय क दशा का वणन १-७
अभाव,
ा, लयदशा, वचारना, कामना, कारण खोजना, नकृ अ , दे वगण,
बोध न होना १-७
१३०.
जाप त ारा सृ
व
का व तार १-७
ाण, साममं , य , क पना, य पूण करना, अनुसरण १-७
१३१. इं एवं अ नीकुमार का वणन १-७
सुख, भोजन, म ता, सहायता, श ,ु बल व कृपा याचना १-७
१३२. म व व ण क तु त १-७
बढ़ाना, म ता, ह , भ , शरीर र ा व धन याचना, नृमेध १-७
१३३. इं क तु त १-७
डो रयां, तु त, दानशीलता, बाधक, श ु, नाशाथ व ध हेतु याचना १-७
१३४. इं क तु त १-७
उ प , माता, अ मांगना, र ासाधन, बु
, ानी, य पूण करना १-७
१३५. न चकेता एवं यम का संवाद १-७
इ छा, अनुराग, रथ, उपदे श, शत, बांसुरी १-७
१३६. अ न, सूय एवं वायु का वणन १-७
सूय, ग त, शरीर,
य म मु न १-४
सागर म नवास, आनंददाता, वाणी ५-७
१३७. व भ
वषय का वणन १-७
र ावश
याचना, दे व त, श
यु , ाणी, ओष ध, छू ना १-७
१३८. इं क तु त १-६
कु स, द तशाली, प ,ु धन छ नना, गाड़ी चलाना, रथच
१३९. स वता, व ावसु व सोम का वणन १-६
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१-६
र क, काशक, स यधमा, ऊपर आना, बु
, बल मांगना १-६
१४०. अ न क तु त १-६
अ व बल दे ना, खेलना, बलपु , य छू ना, धन याचना १-६
१४१. व भ दे व क तु त १-६
जा वामी, सर वती, आ ान, बुलाना, ेरणा १-६
१४२. अ न क तु त व वणन १-८
ःखी, चलना, धरती, सफाई, चढ़ना, वासदाता, आधार, सागर १-८
१४३. अ नीकुमार क तु त व वणन १-६
अ , क ीवान्, मु , सुंदर, तु तयां, नौका, गोधन १-६
१४४. इं क तु त व वणन १-६
सोमरस, ऋभु, वंश, सुपण, आयु याचना, र ा करना १-६
१४५. सौत क पीड़ा का वणन १-६
ेम, ओष ध, धान, र भेजना, श
हीन, मन १-६
१४६. वशाल वन का वणन १-६
नभय, यश, गा ड़यां, श द, फल, तु त १-६
१४७. इं क तु त १-५
कांपना, शंसा, पूजा, अ याचना १-५
१४८. इं क तु त १-५
तु त, जीतना, अपण, तो , तु त १-५
१४९. स वता का वणन १-५
बांधना, व तार पाना, ग ड़, प नी, सावधान १-५
१५०. अ न क तु त व वणन १-५
आ ान, बुलाना, य त, अ न, सुख मांगना, अ , भर ाज, क व आ द १-५
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१५१.
ा क तु त व वणन १-५
जानना, मनचाहा फल, न य, सेवा, बुलाना १-५
१५२. इं क तु त १-५
श ुभ क, अभयक ा, अ य श ,ु अंधकार, आयुध १-५
१५३. इं क तु त १-५
शोभनधन, अ भलाषा, टकाना, धारण, अ धकार १-५
१५४. मृत
का वणन व यम क तु त १-५
घृत, तप करना, द णा, उ म कम, सूयर क १-५
१५५. द र ता क नदा १-५
श र ब , द र ता, तैरना, सोना, अ दे ना १-५
१५६. अ न क तु त १-५
धन जीतना, र ासाधन, धन मांगना, काशक, ाता १-५
१५७. इं एवं अ य दे व का वणन १-५
सुख याचना, जार ण, र क, अमरता, वषा दे खना १-५
१५८. सूय क तु त १-५
र ा व ने याचना, दे खना १-५
१५९. शची का आ मवणन १-६
वश म करना, हराना, क त, श ुहीन, तेज, अ धकार १-६
१६०. इं क तु त व वणन १-५
सोमरस, तु तयां, धनदाता, धनी, आ ान १-५
१६१. इं
ारा रोगी को सां वना १-५
य मा नवारणाथ
लौटना १-५
ाथना, नऋ त, पार ले जाना, रोगनाश, शतायु याचना,
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१६२. गभ क र ा हेतु सां वना १-६
रा सहंता, तु त मं , भगाना, जांघ फैलाना, संतान नाशक को भगाना १-६
१६३. य मा के नाश हेतु सां वना १-६
य मा नकालना, रोग भगाना, बाहर करना, सभी भाग से नकालना, जोड़ १-६
१६४. बुरे व
के नाश हेतु सां वना १-५
नऋ त, मनोरथ, ने , पाप, चेता, पापहीन १-५
१६५. व भ
ा णय का वणन १-५
त, र ले जाने व पाप से बचाने क
ाथना, क याण, नम कार, अ
१६६. इं से श ुनाश के लए ाथना १-५
जेता, अ ह सत, बांधना, छ नना, बोलना १-५
१६७. इं क तु त १-४
वगजय, शरण, सोमपान, तु त १-४
१६८. वायु क म हमा का वणन १-४
धूल उड़ाना, भुवन वामी, जल म , पूजन १-४
१६९. गाय के मह व का वणन १-४
र ाथ ाथना, गाय क उ प , शरीर दे ना, बछड़े १-४
१७०. सूय का वणन व तु त १-४
जा र ा, तेज, व तार, भरना १-४
१७१. इं क तु त १-४
यट् ऋ ष, घर जाना, अ वबु न, ले जाना १-४
१७२. उषा क तु त व वणन १-४
गाय का चलना, य क समा त, पूजा, अंधकार नाश १-४
१७३. राजा क तु त एवं रा या भषेक का वणन १-६
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१-५
अ धकार, रा , आशीवाद, अ वचल, ुव
प, भ
१-६
१७४. राजा क तु त १-५
रा य ा त, े षी व दानर हत, आ य, य , वामी १-५
१७५. सोमरस नचोड़ने म सहायक प थर क तु त १-४
कम, ओष धतु य, योग, यजमान १-४
१७६. ऋभुगण एवं अ न का वणन १-४
धपान, द
तो , ह वाहक, आयुवृ
१-४
१७७. माया का वणन १-३
जीवा मा पी प ी, र क वाणी, सूय १-३
१७८. ग ड़ का वणन १-३
बुलाना, ावा-पृ थवी, व तार १-३
१७९. इं क तु त व वणन १-३
भाग, उपासना, दानी १-३
१८०. इं क तु त १-३
धन मांगना, आना, तेजस हत ज म १-३
१८१. व भ
वषय का वणन १-३
पृथु, सु थ, सुर त, साममं लाना, ा त १-३
१८२. बृह प त एवं अ न से र ा हेतु ाथना १-३
श ुनाशाथ ाथना, बु
, अमंगल नाश हेतु ाथना १-३
१८३. यजमान, यजमानप नी व उसके गभ क र ा हेतु ाथना १-३
पु व गभाधान क कामना, ज म दे ना १-३
१८४. गभ क सुर ा हेतु ाथना १-३
भाग, गभधारण हेतु ाथना, आ ान १-३
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१८५. आ द य व व ण से जीवन र ा हेतु ाथना १-३
र ाथ ाथना, दबाना असंभव, यो त दे ना १-३
१८६. जीवन को अमृतमय बनाने क व ण से ाथना १-३
द घायु हेतु ाथना, य का आ ह, अमृत याचना १-३
१८७. अ न से श ु
से बचाने क
ाथना १-५
तु त, आना, र ा याचना, एक-एक कर दे खना, र ाथ ाथना १-५
१८८. अ न से ाथना १-३
ानी, तु त, र ा क
ाथना १-३
१८९. सूय क म हमा का वणन १-३
जाना,
१९०. सृ
ा त करना, शोभा पाना १-३
मक उप
का वणन १-३
तप से य , स य, रात- दन क उ प , सागर, सवं सर, सूय, चं मा, ुलोक, पृ थवी
व अंत र क सृ १-३
१९१. अ न से क याण एवं धन क
ाथना १-४
धन याचना, मलकर भोगने का आ ह, अ भमं त करना, संग ठत रहने का
आ ह १-४
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थम मंडल
सू —१
ॐ अ नमीळे पुरो हतं य
दे वता—अ न
य दे वमृ वजम्. होतारं र नधातमम्.. (१)
म अ न क तु त करता ं. वे य के पुरो हत, दाना द गुण से यु , य म दे व को
बुलाने वाले एवं य के फल पी र न को धारण करने वाले ह. (१)
अ नः पूव भऋ ष भरी
ो नूतनै त. स दे वाँ एह व त.. (२)
ाचीन ऋ षय ने अ न क तु त क थी. वतमान ऋ ष भी उनक तु त करते ह. वे
अ न इस य म दे व को बुलाव. (२)
अ नना र यम वत् पोषमेव दवे दवे. यशसं वीरव मम्.. (३)
अ न क कृपा से यजमान को धन मलता है. उ ह क कृपा से वह धन दन दन बढ़ता
है. उस धन से यजमान यश ा त करता है एवं अनेक वीर पु ष को अपने यहां रखता है.
(३)
अ ने यं य म वरं व तः प रभूर स. स इ े वेषु ग छ त.. (४)
हे अ न! जस य क तुम चार ओर से र ा करते हो, उस म रा स आ द हसा नह
कर सकते. वही य दे वता को तृ त दे ने वग जाता है. (४)
अ नह ता क व तुः स य
व तमः. दे वो दे वे भरा गमत्.. (५)
हे अ न दे व! तुम सरे दे व के साथ इस य म आओ. तुम य के होता, बु
स यशील एवं परमक त वाले हो. (५)
संप ,
यद दाशुषे वम ने भ ं क र य स. तवे त् स यम रः.. (६)
हे अ न! तुम य म ह व दे ने वाले यजमान का जो क याण करते हो, वह वा तव म
तु हारी ही स ता का साधन बनता है. (६)
उप वा ने दवे दवे दोषाव त धया वयम्. नमो भर त एम स.. (७)
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हे अ न! हम स चे दय से तु ह रात- दन नम कार करते ह और
समीप आते ह. (७)
त दन तु हारे
राज तम वराणां गोपामृत य द द वम्. वधमानं वे दमे.. (८)
हे अ न! तुम काशवान्, य क रचना करने वाले और कमफल के
य शाला म बढ़ने वाले हो. (८)
ोतक हो. तुम
स नः पतेव सूनवेऽ ने सूपायनो भव. सच वा नः व तये.. (९)
हे अ न! जस कार पु पता को सरलता से पा लेता है, उसी कार हम भी तु ह
सहज ही ा त कर सक. तुम हमारा क याण करने के लए हमारे समीप नवास करो. (९)
सू —२
दे वता—वायु आ द
वायवा या ह दशतेमे सोमा अरंकृताः. तेषां पा ह ुधी हवम्.. (१)
हे दशनीय वायु! आओ, यह सोमरस तैयार है, इसे पओ. हम सोमपान के लए तु ह
बुला रहे ह. तुम हमारी यह पुकार सुनो. (१)
वाय उ थे भजर ते वाम छा ज रतारः. सुतसोमा अह वदः.. (२)
शु
हे वायु! अ न ोम आ द य के ाता ऋ वज् तथा यजमान आ द हम सं कार ारा
सोमरस के साथ तु हारी तु त करते ह. (२)
वायो तव पृ चती धेना जगा त दाशुषे. उ ची सोमपीतये.. (३)
हे वायु! तुम सोमरस क शंसा करते ए उसे पीने क जो बात कहते हो, वह ब त से
यजमान के पास तक जाती है. (३)
इ वायू इमे सुता उप यो भरा गतम्. इ दवो वामुश त ह.. (४)
हे इं और वायु! तुम दोन हम दे ने के लए अ लेकर आओ. सोमरस तैयार है और
तुम दोन क अ भलाषा कर रहा है. (४)
वाय व
चेतथः सुतानां वा जनीवसू. तावा यातमुप वत्.. (५)
हे वायु और इं ! तुम दोन यह जान लो क सोमरस तैयार है. तुम दोन अ यु
म रहने वाले हो. तुम दोन शी ही य के समीप आओ. (५)
वाय व
सु वत आ यातमुप न कृतम्. म व१ था धया नरा.. (६)
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हे वायु और इं ! सोमरस दे ने वाले यजमान ने जो सोमरस तैयार कया है, तुम दोन
उसके समीप आओ. हे दोन दे वो! तु हारे आने से यह य कम शी पूरा हो जाएगा. (६)
म ं वे पूतद ं व णं च रशादसम्. धयं घृताच साध ता.. (७)
म प व बल वाले म तथा हसक का नाश करने वाले व ण का य
करता ं. ये दोन धरती पर जल लाने का काम करते ह. (७)
ऋतेन म ाव णावृतावृधावृत पृशा.
म आ ान
तुं बृह तमाशाथे.. (८)
हे म और व ण! तुम दोन य के वधक और य का पश करने वाले हो. तुम लोग
हम य का फल दे ने के लए इस वशाल य को ा त कए ए हो. (८)
कवी नो म ाव णा तु वजाता उ
या. द ं दधाते अपसम्.. (९)
म और व ण बु मान् लोग का क याण करने वाले और अनेक लोग के आ य
ह. ये हमारे बल और कम क र ा कर. (९)
दे वता—अ नीकुमार
सू —३
अ ना य वरी रषो व पाणी शुभ पती. पु भुजा चन यतम्.. (१)
हे अ नीकुमारो! तु हारी भुजाएं व तीण एवं ह व हण करने के लए चंचल ह. तुम
शुभ कम के पालक हो. तुम दोन य का अ हण करो. (१)
अ ना पु दं ससा नरा शवीरया धया. ध या वनतं गरः.. (२)
बु
हे अ नीकुमारो! तुम अनेक कम वाले, नेता और बु
से हमारी तु त सुनो. (२)
द ा युवाकवः सुता नास या वृ ब हषः. आ यातं
मान् हो. तुम दोन आदरपूण
वतनी.. (३)
हे श ु वनाशक, स यभाषी और श ु को लाने वाले अ नीकुमारो! सोमरस तैयार
करके बछे ए कुश पर रख दया गया है. तुम इस य म आओ. (३)
इ ा या ह च भानो सुता इमे वायवः. अ वी भ तना पूतासः.. (४)
हे व च काश वाले इं ! ऋ षय क उंग लय ारा नचोड़ा गया, न य शु
सोमरस तु हारी इ छा कर रहा है. तुम इस य म आओ. (४)
इ ा या ह धये षतो व जूतः सुतावतः. उप
ा ण वाघतः.. (५)
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यह
हे इं ! तुम हमारी भ से आक षत होकर इस य म आओ. ा ण तु हारा आ ान
कर रहे ह. तुम सोमरस लए ए वाघत नामक पुरो हत क ाथना सुनने के लए आओ. (५)
इ ा या ह तूतुजान उप
यु
ा ण ह रवः. सुते द ध व न नः.. (६)
हे अ के वामी इं ! तुम हमारी ाथना सुनने के लए शी आओ और सोमरस से
इस य म हमारा अ वीकार करो. (६)
ओमास षणीधृतो व े दे वास आ गत. दा ांसो दाशुषः सुतम्.. (७)
हे व ेदेवगण! तुम मनु य के र क एवं पालन करने वाले हो. ह दाता यजमान ने
सोमरस तैयार कर लया है, तुम इसे हण करने के लए आओ. तुम लोग को य का फल
दे ने वाले हो. (७)
व े दे वासो अ तुरः सुतमा ग त तूणयः. उ ा इव वसरा ण.. (८)
हे वृ करने वाले व ेदेवगण! जस कार सूय क करण बना आल य के दन म
आती ह, उसी कार तुम तैयार सोमरस को पीने के लए ज द आओ. (८)
व े दे वासो अ ध ए हमायासो अ हः. मेधं जुष त व यः.. (९)
व ेदेवगण नाशर हत, व तृत बु
वाले तथा वैर से हीन ह. वे इस य म पधार. (९)
पावका नः सर वती वाजे भवा जनीवती. य ं व ु धयावसुः.. (१०)
दे वी सर वती प व करने वाली तथा अ एवं धन दे ने वाली ह. वे धन साथ लेकर
हमारे इस य म आएं. (१०)
चोद य ी सूनृतानां चेत ती सुमतीनाम्. य ं दधे सर वती.. (११)
सर वती स य बोलने क ेरणा दे ने वाली ह तथा उ म बु
ह. वे हमारा यह य वीकार कर चुक ह. (११)
महो अणः सर वती
वाले लोग को श ा दे ती
चेतय त केतुना. धयो व ा व राज त.. (१२)
सर वती नद ने वा हत होकर वशाल जलरा श उ प क है. साथ ही य करने वाले
लोग म उ ह ने ान भी जगाया है. (१२)
सू —४
सु पकृ नुमूतये सु घा मव गो हे. जु म स
दे वता—इं
व व.. (१)
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जस कार वाला ध हने के लए गाय को बुलाता है, उसी कार हम भी अपनी
र ा के लए सुंदर कम करने वाले इं को त दन बुलाते ह. (१)
उप नः सवना ग ह सोम य सोमपाः पब. गोदा इ े वतो मदः.. (२)
हे सोमरस पीने वाले इं ! तुम सोमरस पीने के लए हमारे षवण य के पास आओ.
तुम धन के वामी हो. तु हारी स ता गाय दे ने का कारण बनती है. (२)
अथा ते अ तमानां व ाम सुमतीनाम्. मा नो अ त य आ ग ह.. (३)
हे इं ! हम सोमपान करने के प ात् तु हारे अ यंत समीपवत एवं शोभन-बु वाले
लोग के बीच रहकर तु ह जान. तुम भी हम छोड़कर सर को दशन मत दे ना. तुम हमारे
समीप आओ. (३)
परे ह व म तृत म ं पृ छा वप तम्. य ते स ख य आ वरम्.. (४)
हे यजमान! बु मान् एवं हसार हत इं के पास जाकर मुझ बु
म पूछो. वे तु हारे म को उ म धन दे ते ह. (४)
उत ुव तु नो नदो नर यत दारत. दधाना इ
मान् होता के वषय
इ वः.. (५)
सदा इं क सेवा करने वाले हमारे पुरो हत इं क तु त कर. इं क नदा करने वाले
लोग इस दे श के अ त र अ य दे श से भी नकल जाव. (५)
उत नः सुभगाँ अ रव चेयुद म कृ यः. यामे द
य शम ण.. (६)
हे श ुनाशक इं ! तु हारी कृपा से श ु और म दोन हम सुंदर धन वाला कहते ह. हम
इं क कृपा से ा त सुख से जीवन बताव. (६)
एमाशुमाशवे भर य
यं नृमादनम्. पतय म दयत् सखम्.. (७)
यह सोमरस तुरंत नशा करने वाला एवं य क शोभा है. यह मनु य को म त करने
वाला, कायसाधक और आनंददाता इं का म है. य म ा त इं को यह सोमरस दो.
(७)
अ य पी वा शत तो घनो वृ ाणामभवः. ावो वाजेषु वा जनम्.. (८)
हे सौ य करने वाले इं ! इसी सोमरस को पीकर तुमने वृ आ द श ु
कया था और यु
े म अपने यो ा क र ा क थी. (८)
तं वा वाजेषु वा जनं वाजयामः शत तो. धनाना म
सातये.. (९)
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का नाश
हे सौ य करने वाले इं ! तुम यु
तु ह य म ह व दे ते ह. (९)
म बल दशन करने वाले हो. हम धन पाने के लए
यो रायो३व नमहा सुपारः सु वतः सखा. त मा इ ाय गायत.. (१०)
हे ऋ वज्! जो इं धन का र क, गुणसंप , सुंदर काय को पूण करने वाला तथा
यजमान का म है, उसी को स करने के लए तु त करो. (१०)
दे वता—इं
सू —५
आ वेता न षीदते म भ
गायत. सखायः तोमवाहसः.. (१)
हे तु त करने वाले म ो! शी आओ और यहां बैठो. तुम लोग इं क तु त करो. (१)
पु तमं पु णामीशानं वायाणाम्. इ ं सोमे सचा सुते.. (२)
सोमरस तैयार हो जाने पर सब लोग एक हो जाओ और श ु
एवं े धन के वामी इं क तु त करो. (२)
का नाश करने वाले
स घा नो योग आ भुवत् स राये स पुर याम्. गमद् वाजे भरा स नः.. (३)
वह ही इं हमारे अभाव को पूरा कर, हम धन द, अनेक कार क बु
और भां त-भां त के अ लेकर हमारे पास आव. (३)
दान कर
य य सं थे न वृ वते हरी सम सु श वः. त मा इ ाय गायत.. (४)
यु म जस इं के घोड़ स हत रथ को दे खकर श ु भाग जाते ह, उ ह इं क तु त
करो. (४)
सुतपा ने सुता इमे शुचयो य त वीतये. सोमासो द या शरः.. (५)
यह प व और वशु
आप प ंच जाता है. (५)
सोमरस य म सोमपान करने वाले के समीप पीने हेतु अपने
वं सुत य पीतये स ो वृ ो अजायथाः. इ
यै
ाय सु तो.. (६)
हे सुंदर कम करने वाले इं ! तुम सभी दे व म बड़े होने के कारण सोमपान करने के
लए सबसे अ धक उ सा हत रहते हो. (६)
आ वा वश वाशवः सोमास इ
गवणः. शं ते स तु चेतसे.. (७)
हे तु तय के ल य इं ! तीन सवन नामक य म ा त सोमरस तु ह मले. यह सोम
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उ च ान क
ा त म तु हारा सहायक एवं क याणकारी ा त हो. (७)
वां तोमा अवीवृधन् वामु था शत तो. वां वध तु नो गरः.. (८)
हे सौ य करने वाले इं ! ऋ वेद के मं एवं सोम-संबंधी मं
हमारी तु तयां भी तु हारी त ा बढ़ाव. (८)
ने तु हारी शंसा क है.
अ तो तः सने दमं वाज म ः सह णम्. य मन् व ा न प या.. (९)
र ा म सदा त पर रहने वाले इं इस हजार सं या वाले सोम
इसी म सम त श यां रहती ह. (९)
मा नो मता अ भ हन् तनूना म
पी अ को हण कर.
गवणः. ईशानो यवया वधम्.. (१०)
हे तु त करने के यो य इं ! तुम श शाली हो. तुम ऐसी कृपा करना क हमारे श ु
हमारे शरीर पर चोट न कर सक. तुम उ ह हमारा वध करने से रोकना. (१०)
दे वता—इं एवं म द्गण
सू —६
यु
त
नम षं चर तं प र त थुषः. रोच ते रोचना द व.. (१)
जो इं तेज वी सूय के प म, अ हसक अ न के प म तथा सव ग तशील वायु के
प म थत ह, सब लोक म नवास करने वाले ाणी उ ह इं से संबंध रखते ह. उ ह इं
क मू त आकाश म न
के प म चमकती है. (१)
यु
य य का या हरी वप सा रथे. शोणा धृ णू नृवाहसा.. (२)
सार थ उन इं के रथ म ह र नाम के सुंदर, रथ के दोन ओर जोड़ने यो य, लाल रंग के
और श शाली दो घोड़ को जोड़ते ह. वे घोड़े इं एवं उनके सार थ को ढोने म समथ ह.
(२)
केतुं कृ व केतवे पेशो मया अपेशसे. समुष
रजायथाः.. (३)
हे मनु यो! यह आ य दे खो क यह इं रात को बेहोश ा णय को ातः होश म लाते
ए और रात म अंधकार के कारण पहीन पदाथ को ातः प दान करते ए सूय प
म करण बखेरते ह. (३)
आदह वधामनु पुनगभ वमे ररे. दधाना नाम य यम्.. (४)
इसके प ात् म द्गण ने य के यो य नाम धारण करके अपने
अनुसार बादल म जल पी गभ को े रत कया है. (४)
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तवष के नयम के
वीळु चदा ज नु भगुहा च द
व
भः. अ व द उ या अनु.. (५)
हे इं ! तुमने म द्गण के साथ मलकर गुफा म छपाई ई गाय को खोजकर वहां से
नकाला. वे म द्गण ढ़ थान को भी भेदन करने एवं एक थान क व तु को सरी जगह
म ले जाने म समथ ह. (५)
दे वय तो यथा म तम छा वद सुं गरः. महामनूषत ुतम्.. (६)
तु त करने वाले लोग वयं दे वभाव ा त करने क इ छा से धन के वामी, श शाली
एवं व यात म द्गण को ल य करके उसी कार तु त कर रहे ह, जस कार वे इं क
तु त करते ह. (६)
इ े ण सं ह
से स
मानो अ ब युषा. म
समानवचसा.. (७)
हे म द्गण! भयर हत इं के साथ तु हारी ब त घ न ता दे खी जाती है. तुम दोन
न य स और समान तेज वाले हो. (७)
अनव ैर भ ु भमखः सह वदच त. गणै र
य का यैः.. (८)
यह य दोषर हत, दे वलोक म नवास करने वाले तथा फल दे ने के कारण कामना
करने यो य म द्गण के साथ होने के कारण इं को बलवान् समझकर पूजा-अचना करता
है. (८)
अतः प र म ा ग ह दवो वा रोचनाद ध. सम म ृ
ते गरः.. (९)
हे चार ओर ापक म द्गण! तुम ुलोक, आकाश या द त सूय मंडल से इस य म
आओ. पुरो हत-समूह इस य म तु हारी भली कार तु त कर रहा है. (९)
इतो वा सा तमीमहे दवो वा पा थवाद ध. इ ं महो वा रजसः.. (१०)
हम इं दे व क ाथना इसी लए करते ह क वे पृ वीलोक, आकाश या वायुलोक से
हम धन दान करते ह. (१०)
दे वता—इं
सू —७
इ
मद् गा थनो बृह द मक भर कणः. इ ं वाणीरनूषत.. (१)
सामवेद का गान करने वाल ने सामगान के
ऋचा
ारा और यजुवद का पाठ करने वाल ने मं
इ
इ य ः सचा स म
ारा, ऋ वेद का पाठ करने वाल ने
ारा इं क तु त क है. (१)
आ वचोयुजा. इ ो व ी हर ययः.. (२)
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व धारण करने वाले एवं सवाभरणभू षत इं अपने आ ाकारी दोन घोड़ को
अ यंत शी रथ म जोतकर सबके साथ मल जाते ह. (२)
इ ो द घाय च स आ सूय रोहयद् द व. व गो भर मैरयत्.. (३)
इं ने मनु य को नरंतर दे खने के लए सूय को आकाश म था पत कया है. सूय
अपनी करण ारा पवत आ द सम त संसार को का शत कर रहे ह. (३)
इ
वाजेषु नोऽव सह
धनेषु च. उ उ ा भ
त भः.. (४)
हे श ु
ारा न हारने वाले इं ! अपनी अमोघ र ण श के ारा ऐसे महायु
हमारी र ा करो जो हजार गज , अ आ द का लाभ दे ने वाले ह . (४)
इ ं वयं महाधन इ मभ हवामहे. युजं वृ ेषु व
म
णम्.. (५)
इं हमारी सहायता करने वाले तथा धन-लाभ का वरोध करने वाले हमारे श ु के
लए व धारी ह. हम व प अथवा वपुल धन पाने के लए हम इं का आ ान करते ह.
(५)
स नो वृष मुं च ं स ादाव पा वृ ध. अ म यम त कुतः.. (६)
हे इं ! तुम हमारे लए इ छत फल दे ने वाले तथा वृ
दान करने वाले हो. तुम हमारे
लाभ के लए उस मेघ का मदन करो. तुमने कभी भी हमारी ाथना अ वीकार नह क है.
(६)
तु
ेतु
े य उ रे तोमा इ
यव
णः. न व धे अ य सु ु तम्.. (७)
भ - भ फल दे ने वाले दे वता के लए जन उ म तु तय का योग कया जाता
है, वे सब व धारण करने वाले इं के लए ह. इं के अनु प तु त को म नह जानता. (७)
वृषा यूथेव वंसगः कृ ी रय य जसा. ईशानो अ त कुतः.. (८)
जस कार तेज चाल वाला बैल धेनु समूह को अपने बल से अनुगृहीत करता है, उसी
कार इ छा को पूरा करने वाले इं मनु य को श शाली बनाते ह. इं समथ ह एवं
कसी क ाथना को ठु कराते नह ह. (८)
य एक षणीनां वसूना मर य त. इ ः प च
इं सम त मानव , संप य और पंचकरने वाले ह. (९)
तीनाम्.. (९)
तय पर नवास करने वाले वण पर शासन
इ ं वो व त प र हवामहे जने यः. अ माकम तु केवलः.. (१०)
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हे ऋ वजो! और यजमानो! हम सव े इं का आ ान तु हारे क याण के न म
करते ह. इं केवल हमारे ह. (१०)
दे वता—इं
सू —८
ए
सान स र य स ज वानं सदासहम्. व ष मूतये भर.. (१)
हे इं ! हमारी र ा के लए ऐसा धन दो जो हमारे भोग के यो य, श ु
करने म सहायक तथा श ु क हार का कारण बने. (१)
को वजय
न येन मु ह यया न वृ ा णधामहै. वोतासो यवता.. (२)
उस धन से एक कए गए यो ा के मु के क चोट से हम श ु को रोक दगे. तु हारे
ारा सुर त होकर हम घोड़ क सहायता से श ु को र भगाएंगे. (२)
इ
वोतास आ वयं व ं घना दद म ह. जयेम सं यु ध पृधः.. (३)
हे इं ! तु हारे ारा सुर त होकर हम अ यंत ढ़ व
करने वाले श ु को परा जत करगे. (३)
वयं शूरे भर तृ भ र
को धारण करके अपने से े ष
वया युजा वयम्. सास ाम पृत यतः.. (४)
हे इं ! हम तु हारी सहायता पाकर अपने श धारी सै नक को लेकर श ु सेना को
जीत सकगे. (४)
महाँ इ ः पर नु म ह वम तु व
णे. ौन
थना शवः.. (५)
इं दे व शरीर से ब ल एवं गुण से यु होने के कारण महान् ह. व धारी इं को
पूव मह व ा त हो. इं क सेना आकाश के समान व तृत हो. (५)
समोहे वा य आशत नर तोक य स नतौ. व ासो वा धयायवः.. (६)
जो वीर पु ष यु
े म जाने वाले ह, पु पाने क इ छा रखते ह अथवा जो बु
ान क अ भलाषा रखते ह, वे सब इं क कृपा से स
ा त कर. (६)
मान्
यः कु ः सोमपातमः समु इव प वते. उव रापो न काकुदः.. (७)
इं का जो उदर सोमरस पीने के लए सदा त पर रहता है, वह समु के समान व तृत
है. जस कार जीभ का पानी कभी नह सूखता, उसी कार इं के उदर म थत सोमरस
भी कभी नह सूखता. (७)
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एवा
य सूनृता वर शी गोमती मही. प वा शाखा न दाशुषे.. (८)
इं के मुख से नकली ई वाणी स य, व वध वशेषता से यु , महती एवं गौएं दे ने
वाली है. य म ह दे ने वाले यजमान के लए तो इं क वाणी पके ए फल से लद डाली
के समान है. (८)
एवा ह ते वभूतय ऊतय इ
मावते. स
त् स त दाशुषे.. (९)
हे इं ! तु हारी वभू तयां ह
दान करने वाले हमारे समान यजमान क र ा करने
वाली एवं शी फल दे ने वाली ह. (९)
एवा
य का या तोम उ थं च शं या. इ ाय सोमपीतये.. (१०)
सोमपान करने वाले इं के लए सामवेद एवं ऋ वेद के मं
सोमपान संबंधी मं क इ छा करते ह. (१०)
अ भल षत ह. इं
दे वता—इं
सू —९
इ े ह म य धसो व े भः सोमपव भः. महाँ अ भ रोजसा.. (१)
हे इं ! इस य म आकर सोमरस पी सम त भो य पदाथ से स बनो. इसके
प ात् तुम परम श शाली बनकर श ु पर वजय ा त करो. (१)
एमेनं सृजता सुते म द म ाय म दने. च
व ा न च ये.. (२)
य द आनंद दे ने वाला एवं काय संपादन क ेरणा करने वाला सोमरस तैयार हो तो उसे
स एवं संपूण काय स करने वाले को भट करो. (२)
म वा सु श म द भः तोमे भ व चषणे. सचैषु सवने वा.. (३)
हे सुंदर ना सका एवं ठोड़ी वाले तथा सम त यजमान ारा पू य इं ! तुम आनंद
बढ़ाने वाली तु तय से स होकर इस सवन नामक य म पधारो. (३)
असृ म
ते गरः
त वामुदहासत. अजोषा वृषभं प तम्.. (४)
हे इं ! मने तु हारी तु तयां क ह. वे तु हारे समीप वग म प ंच गई ह. तुमने उन
तु तय को वीकार कर लया है. तुम मनचाही वषा करने वाले एवं यजमान के र क हो.
(४)
सं चोदय च मवा ाध इ
वरे यम्. अस द े वभु भु.. (५)
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हे इं ! े एवं व वध कार का धन हमारे पास भेजो. हमारे भोग के लए पया त एवं
अ धक धन तु हारे ही पास है. (५)
अ मा सु त चोदये
राये रभ वतः. तु व ु न यश वतः.. (६)
हे अ धक संप वाले इं ! धन क स
हम उ ोगशील एवं क त वाले ह . (६)
सं गोम द
के लए हम य
वाजवद मे पृथु वो बृहत्. व ायुध
पी कम क
ेरणा दो.
तम्.. (७)
हे इं ! हम गाय एवं अ के साथ-साथ अ धक मा ा म धन दो. यह धन इतना व तृत
हो क सम त आयु भर खच होने पर भी समा त न हो. (७)
अ मे धे ह वो बृहद् ु नं सह सातमम्. इ
ता र थनी रषः.. (८)
हे इं ! हम वशाल यश, अनेक रथ म भरा आ अ एवं ऐसा धन दो, जससे हम
हजार क सं या म दान कर सक. (८)
वसो र ं वसुप त गी भगृण त ऋ मयम्. होम ग तारमूतये.. (९)
अपने धन क र ा करने के लए हम तु तय ारा इं को बुलाते ह. इं धन के र क,
ऋचा से ेम करने वाले एवं य थान म गमन करने वाले ह. (९)
सुतेसुते योकसे बृहद् बृहत एद रः. इ ाय शूषमच त.. (१०)
सब यजमान येक य म इं के महान् परा म क
नवास करने वाले एवं श संप ह. (१०)
सू —१०
शंसा करते ह. इं य म सदा
दे वता—इं
गाय त वा गाय णो ऽच यकम कणः.
ाण वा शत त उ ं श मव ये मरे.. (१)
हे शत तु इं ! उद्गाता तु हारी तु त करते ह. पूजाथक मं बोलने वाले होता पूजा के
यो य इं क अचना करते ह. जस कार बांस के ऊपर नाचने वाले कलाकार बांस को ऊपर
उठाते ह, उसी कार तु त करने वाले ा ण तु हारी उ त करते ह. (१)
य सानोः सानुमा हद् भूय प क वम्.
त द ो अथ चेत त यूथेन वृ णरेज त.. (२)
जब यजमान सोमलता खोजने के लए एक पवत से सरे पवत पर जाता है और
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सोमयाग प अनेक कम आरंभ करता है, तब इं उसका योजन जानते ह तथा यजमान
क इ छानुसार वषा करने के लए म द्गण के साथ य थान म आने क तैयारी करते ह.
(२)
यु वा ह के शना हरी वृषणा क य ा.
अथा न इ सोमपा गरामुप ु त चर.. (३)
हे सोमपानक ा इं ! अपने केशर वाले, युवा एवं पु शरीर वाले घोड़ को रथ म
जोड़ो. इसके प ात् हमारी तु तयां सुनने के लए समीप आओ. (३)
ए ह तोमाँ अ भ वरा भ गृणी ा व.
च नो वसो सचे य ं च वधय.. (४)
हे सव ापक इं ! इस य म आओ. उद्गाता ारा क ई तु त क शंसा करो,
अ वयु क तु तय का समथन करो और अपने श द से सबको आनंद दो. इसके प ात्
हमारे अ के साथ-साथ इस य को भी बढ़ाओ. (४)
उ थ म ाय शं यं वधनं पु न षधे.
श ो यथा सुतेषु णो रारणत् स येषु च.. (५)
अग णत श ु को रोकने वाले इं के लए गाए गए गीत वृ पाते रह. इन गीत के
कारण श शाली इं हमारे पु एवं म के म य महान् श द कर. (५)
त मत् स ख व ईमहे तं राये तं सुवीय.
स श उत नः शक द ो वसु दयमानः.. (६)
हम लोग मै ी, धन और श पाने के लए इं के समीप जाते ह. बलशाली इं हम
धन दान करके हमारी र ा करते ह. (६)
सु ववृतं सु नरज म वादात म शः.
गवामप जं वृ ध कृणु व राधो अ वः.. (७)
हे इं ! तु हारे ारा दया आ अ सव फैला आ और सु वधापूवक मलने वाला है.
हे व धारण करने वाले इं ! ध, घी आ द रस के लाभ के लए गोशाला का ार खोलो
और हम धन दान करो. (७)
न ह वा रोदसी उभे ऋघायमाण म वतः.
जेषः ववतीरपः सं गा अ म यं धूनु ह.. (८)
हे इं ! जस समय तुम श ु का वध करते हो, उस समय धरती और आकाश दोन म
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तु हारी म हमा नह समाती. तुम आकाश से जल क वषा करो और हमारे लए गाएं दो. (८)
आ ु कण ुधी हवं नू च ध व मे गरः.
इ तोम ममं मम कृ वा युज द तरम्.. (९)
हे इं ! तु हारे दोन कान चार ओर क बात सुनने वाले ह, इस लए हमारी पुकार ज द
सुनो. हमारी तु तय को अपने मन म थान दो. जस कार म क बात मरण रहती ह,
उसी कार हमारी ये तु तयां भी अपने पास रखो. (९)
व ा ह वा वृष तमं वाजेषु हवन ुतम्.
वृष तम य मह ऊ त सह सातमाम्.. (१०)
हे इं ! हम तु ह जानते ह क तुम मनचाही वषा करते हो तथा यु थल म हमारी
ाथना सुनते हो. तुम सम त कामना को पूण करने वाले हो. हम हजार कार के धन दे ने
वाली तु हारी र ा का आ ान करते ह. (१०)
आ तू न इ कौ शक म दसानः सुतं पब.
न मायुः सू तर कृधी सह सामृ षम्.. (११)
हे इं ! तुम हमारे पास शी आओ. हे कु शक ऋ ष के पु ! स होकर सोमपान
करो, दे वता
ारा शंसनीय य कम करने के लए हमारा जीवन बढ़ाओ एवं मुझ ऋ ष
को हजार धन वाला बनाओ. (११)
प र वा गवणो गर इमा भव तु व तः.
वृ ायुमनु वृ यो जु ा भव तु जु यः.. (१२)
हे हमारी तु तय के वषय इं ! हमारी ये तु तयां सब ओर से तु हारे पास प च
ं . चर
आयु वाले तु हारा अनुगमन करके ये तु तयां वृ
ा त कर. ये तु तयां तु ह संतु करके
हमारे लए स ता दान कर. (१२)
सू —११
दे वता—इं
इ ं व ा अवीवृध समु चसं गरः.
रथीतमं रथीनां वाजानां स प त प तम्.. (१)
सागर के समान व तृत रथ के वा मय म े , अ य के वामी एवं सबके पालक इं
को हमारी तु तय ने बढ़ाया था. (१)
स ये त इ वा जनो मा भेम शवस पते.
वाम भ णोनुमो जेतारमपरा जतम्.. (२)
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हे बल के वामी इं ! तु हारी म ता पाकर हम श
अपरा जत वजेता हो. हम तु ह नम कार करते ह. (२)
शाली एवं नभय बन. तुम
पूव र य रातयो न व द य यूतयः.
यद वाज य गोमतः तोतृ यो मंहते मघम्.. (३)
श
इं ारा कए गए पुराकालीन दान स ह. य द वे तु तक ा
पूण अ दान कर तो सब ा णय क र ा हो सकती है. (३)
को गाययु
एवं
पुरां भ युवा क वर मतौजा अजायत.
इ ो व य कमणो धता व ी पु ु तः.. (४)
इं ने पुरभेदनकारी, युवा, अ मत तेज वी, सम त य
अनेक
य ारा तुत प म ज म लया. (४)
के धारणक ा, व धारक एवं
वं वल य गोमतोऽपावर वो बलम्.
वां दे वा अ ब युष तु यमानास आ वषुः.. (५)
हे व धारी इं ! तुमने गाय का अपहरण करने वाले बल असुर क गुफा का ार खोल
दया था. बलासुर ारा सताए ए दे व ने उस समय नडर होकर तु ह घेर लया था. (५)
तवाहं शूर रा त भः यायं स धुमावदन्.
उपा त त गवणो व े त य कारवः.. (६)
हे शूर इं ! नचोड़े ए सोमरस के गुण का वणन करता आ म तु हारे धनदान से
भा वत होकर वापस आया ं. हे तु तपा इं ! य क ा तु हारे समीप उप थत होने एवं
तु हारी कायकुशलता को जानते थे. (६)
माया भ र मा यनं वं शु णमवा तरः.
व े त य मे धरा तेषां वां यु र.. (७)
हे इं ! तुमने छल ारा मायावी शु ण का नाश कया. इस बात को जो मेधावी लोग
जानते ह, तुम उनक र ा करो. (७)
इ मीशानमोजसा भ तोमा अनूषत.
सह ं य य रातय उत वा स त भूयसीः.. (८)
श
ारा व के वामी बनने वाले क तु त ा थय ने क है. इं के धन दे ने के ढं ग
हजार अथवा हजार से भी अ धक ह. (८)
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सू —१२
दे वता—अ न
अ नं तं वृणीमहे होतारं व वेदसम्. अ य य
य सु तुम्.. (१)
दे व के त एवं आ ान करने वाले, सम त संप य के अ धकारी एवं इस य को
सुंदरतापूवक पूण कराने वाले अ न का हम वरण करते ह. (१)
अ नम नं हवीम भः सदा हव त व प तम्. ह वाहं पु
मं
यम्.. (२)
हम जापालक ा, सदा ह वहन करने वाले एवं व
ारा सदा बुलाते ह. (२)
अ ने दे वाँ इहा वह ज ानो वृ ब हषे. अ स होता न ई
के
य अ न को आवाहक
ः.. (३)
हे का से उ प अ न! य म कुश बछाने वाले यजमान के न म दे व को बुलाओ,
य क तुम हमारे तु य एवं होता हो. (३)
ताँ उशतो व बोधय यद ने या स
यम्. दे वैरा स स ब ह ष.. (४)
हे अ न! तुम दे व का तकम करते हो, इस लए ह
को बुलाओ एवं उनके साथ बछे ए कुश पर बैठो. (४)
घृताहवन द दवः
त म रषतो दह. अ ने वं र
क अ भलाषा करने वाले दे व
वनः.. (५)
हे घी ारा बुलाए गए तेज वी अ न! रा स के सहयोगी बने ए हमारे श ु
जला दो. (५)
को
अ नना नः स म यते क वगृहप तयुवा. ह वाड् जु ा यः.. (६)
ांतदश , गृहर क, युवा, ह वाहक एवं जु मुख दे वता अ न अ न से ही
होते ह. (६)
व लत
क वम नमुप तु ह स यधमाणम वरे. दे वममीवचातनम्.. (७)
हे तोताओ! ांतदश , स यशील, श ुनाशक एवं द गुणसंप
आकर य म उसक तु त करो. (७)
अ न के सामने
य वाम ने ह व प त तं दे व सपय त. त य म ा वता भव.. (८)
हे अ न! य क तुम ह
के र क बनो. (८)
के वामी एवं दे व के त हो, इस लए अपने सेवक यजमान
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यो अ नं दे ववीतये ह व माँ आ ववास त. त मै पावक मृळय.. (९)
हे पावक! जो ह दे ने वाले तु हारी शरण म आकर इस इ छा से तु हारी सेवा करते ह
क उनका ह दे व को मल सके, तुम उनक र ा करो. (९)
स नः पावक द दवोऽ ने दे वाँ इहा वह. उप य ं ह व नः.. (१०)
हे द त अ न! दे व को यहां य
समीप ले जाओ. (१०)
थल म लाओ एवं हमारा य
और ह व दे व के
स नः तवान आ भर गाय ेण नवीयसा. र य वीरवती मषम्.. (११)
हे अ न! नव न मत गाय ी छं द क तु त ारा स होकर हम धन एवं संतानयु
अ दो. (११)
अ ने शु े ण शो चषा व ा भदव त भः. इमं तोमं जुष व नः.. (१२)
हे अ न! तुम कां तयु
वीकार करो. (१२)
एवं दे व त के
पम
स
हो. तुम हमारे इस तो को
दे वता—अ न आ द
सू —१३
सुस म ो न आ वह दे वाँ अ ने ह व मते. होतः पावक य
च.. (१)
हे भली कार व लत अ न! हमारे यजमान के क याण के लए दे व को लाओ. हे
दे व को बुलाने वाले पावक! हमारा य पूरा करो. (१)
मधुम तं तनूनपाद् य ं दे वेषु नः कवे. अ ा कृणु ह वीतये.. (२)
हे ांतदश एवं शरीरर क अ न! हमारे मधुयु
समीप ले जाओ. (२)
नराशंस मह
म इस य
बुलाता ं. (३)
यम मन् य उप
म
य को उपभोग के न म दे व के
ये. मधु ज ं ह व कृतम्.. (३)
य, मधु ज , ह -संपादक एवं मनु य
ारा
शं सत अ न को
अ ने सुखतमे रथे दे वाँ ई ळत आ वह. अ स होता मनु हतः.. (४)
हे मानव ारा शं सत अ न! अपने परम सुखद रथ पर दे व को यहां ले आओ. तुम
मानव हतकारी एवं दे व को बुलाने वाले हो. (४)
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तृणीत ब हरानुषग् घृतपृ ं मनी षणः. य ामृत य च णम्.. (५)
हे मनी षयो! घी से चकने कुश को एक- सरे से मलाकर बछाओ. उस पर अमृत
रखा जाएगा. (५)
व य तामृतावृधो ारो दे वीरस तः. अ ा नूनं च य वे.. (६)
य पूरा करने के लए आज न य ही तेज वी एवं जनर हत ार खोले जाव. वे बंद न
रह. (६)
न ोषासा सुपेशसा मन् य उप
ये. इदं नो ब हरासदे .. (७)
म बछे ए कुश पर बैठने के लए सुंदर रात और उषा को इस य म बुलाता ं. (७)
ता सु ज ा उप
ये होतारा दै ा कवी. य ं नो य ता ममम्.. (८)
म अ न और सूय को बुलाता ं. वे सुंदर ज ा वाले,
वाले ह. वे हमारा य पूरा कर. (८)
ांतदश और दे व को बुलाने
इळा सर वती मही त ो दे वीमयोभुवः. ब हः सीद व धः.. (९)
(९)
सुख दे ने वाली एवं वनाशर हत इला, सर वती तथा मही नामक दे वयां कुश पर बैठ.
इह व ारम यं व
(१०)
पमुप
म सवा णी तथा अनेक
ये. अ माकम तु केवलः.. (१०)
पधारी व ा को इस य म बुलाता ं. वे केवल हमारे ही ह .
अव सृजा वन पते दे व दे वे यो ह वः.
दातुर तु चेतनम्.. (११)
हे वन प तदे व! दे व के लए ह व भट करो. इससे यजमान साम से संप बन. (११)
वाहा य ं कृणोतने ाय य वनो गृहे. त दे वाँ उप
ये.. (१२)
हे ऋ वजो! तुम यजमान के घर म वाहा श द बोलते ए इं के न म
उस म हम दे व को बुलाते ह. (१२)
सू —१४
दे वता—अ न
ऐ भर ने वो गरो व े भः सोमपीतये. दे वे भया ह य
च.. (१)
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हवन करो.
हे अ न! इन सम त दे व के साथ सोमरस पीने, हमारी सेवा तथा तु त हण करने के
लए पधारो एवं हमारा य पूरा करो. (१)
आ वा क वा अ षत गृण त व ते धयः. दे वे भर न आ ग ह.. (२)
हे व ान् अ न! क व क संतान तु ह बुलाती है एवं तु हारे कम क
तुम दे व के साथ आओ. (२)
शंसा करती है.
इ वायू बृह प त म ा नं पूषणं भगम्. आ द यान् मा तं गणम्.. (३)
हे तोताओ! इं , वायु, बृह प त, म , अ न, पूषा, भग, आ द य एवं म द्गण का
आ ान करो. (३)
वो
य त इ दवो म सरा माद य णवः.
सा म व मूषदः.. (४)
हे दे वो! तृ तकारक, स तादायक, मादक एवं ब
प सोमरस पा
म रखा है. (४)
ईळते वामव यवः क वासो वृ ब हषः. ह व म तो अरङ् कृतः.. (५)
हे अ न! अलंकृत क ववंशी ह यु
क याचना करते ह. (५)
होकर एवं कुश बछाकर तु ह बुलाते ह एवं र ा
घृतपृ ा मनोयुजो ये वा वह त व यः. आ दे वा सोमपीतये.. (६)
हे अ न! तु हारी इ छा मा से रथ म जुड़ जाने वाले जो तेज वी घोड़े तु ह ढोते ह,
उ ह से दे व को सोम पीने के लए यहां लाओ. (६)
तान् यज ाँ ऋतावृधो ऽ ने प नीवत कृ ध. म वः सु ज
पायय.. (७)
हे अ न! उन पूजनीय एवं य वधक दे व को प नी वाला करो. हे सु ज ! उ ह सोम
पलाओ. (७)
ये यज ा य ई
ा ते ते पब तु ज या. मधोर ने वषट् कृ त.. (८)
हे अ न! पूजनीय एवं तु तपा दे व वषट् कार का उ चारण होते समय तु हारी जीभ से
सोमरस पएं. (८)
आक सूय य रोचनाद् व ान् दे वाँ उषबुधः. व ो होतेह व त.. (९)
मेधावी एवं दे व के आ ान करने वाले अ न ातःकाल जागने वाले दे व को का शत
सूय-मंडल से यहां य म लाव. (९)
व े भः सो यं म व न इ े ण वायुना. पबा म य धाम भः.. (१०)
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(१०)
हे अ न! तुम सम त दे व , इं , वायु एवं म के तेज के साथ मधुर सोम का पान करो.
वं होता मनु हतोऽ ने य ेषु सीद स. सेमं नो अ वरं यज.. (११)
हे होता एवं मानव हतकारी अ न! तुम हमारे य म बैठो एवं उसको पूण करो. (११)
यु वा
षी रथे ह रतो दे व रो हतः. ता भदवाँ इहा वह.. (१२)
हे अ न दे व! रो हत नामक ग तशील घोड़ को अपने रथ म जोड़ो एवं उनके ारा दे व
को यहां लाओ. (१२)
दे वता—ऋतु आ द
सू —१५
इ
सोमं पब ऋतुना वा वश व दवः. म सरास तदोकसः.. (१)
हे इं ! तुम ऋतु के साथ सोमरस पओ. तृ तकारक एवं आ ययो य सोम तु हारे
शरीर म व हो. (१)
म तः पबत ऋतुना पो ाद् य ं पुनीतन. यूयं ह ा सुदानवः.. (२)
हे म द्गण! पो नामक ऋ वक् ारा दया आ सोमरस ऋतु के साथ पओ. तुम
शोभन दानशील हो. तुम मेरे य को प व करो. (२)
अ भ य ं गृणी ह नो नावो ने ः पब ऋतुना. वं ह र नधा अ स.. (३)
हे प नीयु
र नदाता हो. (३)
व ा! हमारे य
क
अ ने दे वाँ इहा वह सादया यो नषु
शंसा करो एवं ऋत के साथ सोम पओ. तुम
षु. प र भूष पब ऋतुना.. (४)
हे अ न! दे व को यहां य म बुलाओ एवं यो न नामक तीन थान म बैठाओ, उ ह
वभू षत करो एवं ऋतु के साथ सोमरस पओ. (४)
ा णा द
राधसः पबा सोममृतूँरनु. तवे
स यम तृतम्.. (५)
हे इं ! तुम ऋतु के प ात् ा णा छं सी पुरो हत के पा से सोमपान करो. तु हारी
म ता टू टने वाली नह है. (५)
युवं द ं धृत त म ाव ण ळभम्. ऋतुना य माशाथे.. (६)
हे तधारणक ा म और व ण! ऋतु के साथ य म आओ. हमारा य वृ
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ात
एवं श ु
क बाधा से र हत है. (६)
वणोदा
वणसो ावह तासो अ वरे. य ेषु दे वमीळते.. (७)
पुरो हत धन क अ भलाषा से भां त-भां त के य
वे सोमलता कूटने के प थर हाथ म लए ह. (७)
म धन द अ न क तु त करते ह.
वणोदा ददातु नो वसू न या न शृ वरे. दे वेषु ता वनामहे.. (८)
वणोदा अ न हम सभी सुनी संप यां दान कर. हम उ ह दे वय म लगाव. (८)
वणोदाः पपीष त जुहोत
च त त. ने ा तु भ र यत.. (९)
हे ऋ वजो! धनदाता अ न ऋतु के साथ व ा के पा से सोमरस पीना चाहते ह.
तुम य करने के प ात् अपने थान पर चले जाओ. (९)
यत् वा तुरीयमृतु भ वणोदो यजामहे. अध मा नो द दभव.. (१०)
हे धनदाता अ न! म ऋतु
हमारे लए धनदाता बनो. (१०)
अ ना पबतं मधु द
के साथ चौथी बार तु हारे उ े य से य कर रहा ं. तुम
नी शु च ता. ऋतुना य वाहसा.. (११)
हे प व कम करने वाले अ नीकुमारो! काशमान अ न के साथ सोमरस का पान
करो. तुम ऋतु के साथ य पूरा करते हो. (११)
गाहप येन स य ऋतुना य नीर स. दे वान् दे वयते यज.. (१२)
हे अ न! तुम ऋतु
के साथ-साथ गाहप य य को भी र त करते हो. तुम
दे वसेवक यजमान के क याण के लए दे व क पूजा करो. (१२)
दे वता—इं
सू —१६
आ वा वह तु हरयो वृषणं सोमपीतये. इ
वा सूरच सः.. (१)
हे कामवषक इं ! सूय के समान तेज वी तु हारे ह र नामक घोड़े सोमपान के लए तु ह
यहां लाव. (१)
इमा धाना घृत नुवो हरी इहोप व तः. इ ं सुखतमे रथे.. (२)
ह र नामक घोड़े सुख दे ने वाले रथ म यहां घी से यु
धा य के पास इं को लाव. (२)
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इ ं ातहवामह इ ं य य वरे. इ ं सोम य पीतये.. (३)
म
येक य म ातःकाल सोमपान के लए इं को बुलाता ं. (३)
उप नः सुतमा ग ह ह र भ र
के श भः. सुते ह वा हवामहे.. (४)
हे इं ! अपने लंबे बाल वाले घोड़ क सहायता से हमारे सोमरस के समीप आओ.
सोमरस नचुड़ जाने पर हम तु ह बुलाते ह. (४)
सेमं नः तोममा ग पेदं सवनं सुतम्. गौरो न तृ षतः पब.. (५)
हे इं ! हमारे उस तो को सुनकर य के समीप आओ. सोमरस तैयार है. उसे ऐसे
पओ, जैसे यासा हरण पानी पीता है. (५)
इमे सोमास इ दवः सुतासो अ ध ब ह ष. ताँ इ
(६)
सहसे पब.. (६)
हे इं ! यह पतला सोमरस बछे ए कुश पर रखा है. इसे श
अयं ते तोमो अ यो
बढ़ाने के लए पओ.
द पृग तु शंतमः. अथा सोमं सुतं पब.. (७)
हे इं ! यह े तो तु हारे लए दय पश एवं सुखदायक बने. उसके बाद तुम
नचोड़े ए सोम को पओ. (७)
व म सवनं सुत म ो मदाय ग छ त. वृ हा सोमपीतये.. (८)
वृ नाशक इं स ता ा त के न म सोमरस पीने के लए ऐसे सभी य
ह, जहां सोमरस तैयार हो. (८)
म जाते
सेमं नः काममा पृण गो भर ैः शत तो. तवाम वा वा यः.. (९)
हे शत तु! गाएं और अ दे कर हमारी सभी अ भलाषाएं पूरी करो. हम भली कार
यान करते ए तु हारी तु त करते ह. (९)
सू —१७
दे वता—इं एवं व ण
इ ाव णयोरहं स ाजोरव आ वृणे. ता नो मृळात ई शे.. (१)
म भली कार काशमान इं और व ण से अपनी र ा क याचना करता ं. वे दोन
मुझ ाथ क र ा करगे. (१)
ग तारा ह थोऽवसे हवं व य मावतः. धतारा चषणीनाम्.. (२)
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हे मनु य के वामी इं ! मुझ पुरो हत क र ा के लए मेरी पुकार सुनो. (२)
अनुकामं तपयेथा म ाव ण राय आ. ता वां ने द मीमहे.. (३)
हे इं और व ण! हमारी अ भलाषा के अनुसार धन दे कर हम तृ त करो. हम तु हारा
सामी य चाहते ह. (३)
युवाकु ह शचीनां युवाकु सुमतीनाम्. भूयाम वाजदा नाम्.. (४)
हम बल और सुबु
क इ छा से तु ह चाहते ह. हम े अ दाता ह . (४)
इ ः सह दा नां व णः शं यानाम्.
सह
धनदाता
तुभव यु यः.. (५)
म इं एवं तु त हणक ा
म व ण े ह. (५)
तयो रदवसा वयं सनेम न च धीम ह. या त रेचनम्.. (६)
इं और व ण क र ा से हम धन ा त करके उसका उपयोग कर. हमारे पास पया त
धन हो. (६)
इ ाव ण वामहं वे च ाय राधसे. अ मा सु ज युष कृतम्.. (७)
हे इं और व ण! व च धन को पाने के लए म तु ह बुलाता ं. तुम हम भली-भां त
वजय दलाओ. (७)
इ ाव ण नू नु वां सषास तीषु धी वा. अ म यं शम य छतम्.. (८)
(८)
हे इं और व ण! हमारा मन तु हारी उ म सेवा का अ भलाषी है. तुम हम सुख दो.
वाम ोतु सु ु त र ाव ण यां वे. यामृधाथे सध तु तम्.. (९)
हे इं और व ण! जस तु त से हम तु ह बुलाते ह और जस शोभन तु त को तुम
वीकार करते हो, हमारी वही सुंदर तु त तु ह ा त हो. (९)
सू —१८
सोमानं वरणं कृणु ह
दे वता—
ण पतआद
ण पते. क ीव तं य औ शजः.. (१)
हे
ण प त! तुमने जस कार उ शज के पु क ीवान् को स
कार सोमरस दे ने वाले यजमान को भी दे वता म स करो. (१)
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कया था, उसी
यो रेवान् यो अमीवहा वसु वत् पु वधनः. स नः सष ु य तुरः.. (२)
जो
ण प त धन के वामी, रोग नवारण करने वाले, संप दाता, पु वधक एवं
शी फल दे ने वाले ह, वे हम पर कृपा कर. (२)
मा नः शंसो अर षो धू तः णङ् म य य. र ा णो
ण पते.. (३)
उप व करने वाले एवं े षपूण नदा के श द बोलने वाले श ु हमसे
ण प त! उनसे हमारी र ा करो. (३)
स घा वीरो न र य त य म ो
र रह. हे
ण प तः. सोमो हनो त म यम्.. (४)
इं , व ण और सोम जस यजमान क उ त करते ह, उस वीर पु ष का वनाश नह
होता. (४)
वं तं
ण पते सोम इ
म यम्. द णा पा वंहसः.. (५)
हे
ण प त! तुम, सोम, इं एवं द णा नामक दे वी उस यजमान क पाप से र ा
करो. (५)
सदस प तम तं
यम
य का यम्. स न मेधामया सषम्.. (६)
आ यजनक कम करने वाले, इं के
य, परम सुंदर एवं धन दाता सदस प त
(अ न) नामक दे व के सामने हम बु क याचना करने आए ह. (६)
य मा ते न स य त य ो वप त न. स धीनां योग म व त.. (७)
जन सदस प त (अ न) क स ता के बना व ान् यजमान का य भी पूण नह
होता, वह ही हमारे मन को इस य म लगाव. (७)
आ नो त ह व कृ त ा चं कृणो य वरम्. हो ा दे वेषु ग छ त.. (८)
इसके बाद वही सदस प त (अ न) ह वसंपादन करने वाले यजमान क उ त करते ह
एवं य को न व नतापूवक समा त करते ह. उ ह क कृपा से हमारी तु तयां दे व के पास
जाएं. (८)
नराशंसं सुधृ ममप यं स थ तमम्. दवो न स मखसम्.. (९)
तापी, अ यंत
चुका ं. (९)
सू —१९
स
एवं ुलोक के समान तेज वी नराशंस (अ न) दे वता को म दे ख
दे वता—अ न एवं म द्गण
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त यं चा म वरं गोपीथाय
यसे. म
र न आ ग ह.. (१)
हे अ न! तुम इस सुंदर य म सोमपान करने के लए बुलाए जा रहे हो, इस लए तुम
म द्गण के साथ आओ. (१)
न ह दे वो न म य मह तव
तुं परः. म
र न आ ग ह.. (२)
हे महान् अ न दे व! तु हारा य और उसे करने वाले मनु य सव े ह. उनसे बढ़कर
कोई नह है. तुम म द्गण के साथ आओ. (२)
ये महो रजसो व व े दे वासो अ हः. म
र न आ ग ह.. (३)
हे अ न! जो म द्गण तेज वी एवं े षर हत ह, जो अ धक मा ा म जल क वषा
करना जानते ह, तुम उनके साथ आओ. (३)
य उ ा अकमानृचुरनाधृ ास ओजसा. म
र न आ ग ह.. (४)
हे अ न! जो म द्गण उ एवं इतने बलशाली ह क कोई उनका तर कार नह कर
सकता. उ ह ने जल क वषा क है. तुम उनके साथ आओ. (४)
ये शु ा घोरवपसः सु
ासो रशादसः. म
र न आ ग ह.. (५)
जो शोभासंप होने के साथ-साथ उ
पधारी भी ह, जो शोभन धन संप
श ुनाशक ह. हे अ न दे व! तुम उन म द्गण के साथ आओ. (५)
ये नाक या ध रोचने द व दे वास आसते. म
एवं
र न आ ग ह.. (६)
हे अ न दे व! जो म द्गण आकाश के ऊपर वतमान काशपूण वग म शोभायमान
ह, तुम उनके साथ आओ. (६)
य ईङ् खय त पवतान् तरः समु मणवम्. म
र न आ ग ह.. (७)
हे अ न! जो म द्गण उ मेघ को चलाते ह और सागर क जलरा श को तरं गत
करते ह, तुम उनके साथ आओ. (७)
आ ये त व त र म भ तरः समु मोजसा. म
र न आ ग ह.. (८)
हे अ न दे व! जो म द्गण सूय करण के साथ-साथ सारे आकाश म फैले ए ह और
जो अपनी श से सागर के जल को चंचल बनाते ह, तुम उनके साथ आओ. (८)
अ भ वा पूवपीतये सृजा म सो यं मधु. म
र न आ ग ह.. (९)
हे अ न! सोमरस से न मत मधु सबसे पहले म तु ह पीने के लए दे रहा ं. तुम
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म द्गण के साथ आओ. (९)
दे वता—ऋभुगण
सू —२०
अयं दे वाय ज मने तोमो व े भरासया. अका र र नधातमः.. (१)
जन ऋभु ने ज म धारण कया था, उ ह को ल य करके बु
पया त धन दे ने वाला यह तो अपने मुख से उ चारण कया. (१)
मान् ऋ वज ने
य इ ाय वचोयुजा तत ुमनसा हरी. शमी भय माशत.. (२)
जन ऋभु ने इं को स करने के लए अपने मन से ऐसे घोड़े बनाए ह, जो आ ा
पाते ही रथ म जुत जाते ह. वे ही शमी वृ से न मत चमस आ द लेकर इस य म आव.
(२)
त
ास या यां प र मानं सुखं रथम्. त
धेनुं सब घाम्.. (३)
ऋभु ने दोन अ नीकुमार के लए रथ बनाया, जसक ग त सव समान थी तथा
उ ह ने ध दे ने वाली एक गाय उ प क . (३)
युवाना पतरा पुनः स यम ा ऋजूयवः. ऋभवो व
त.. (४)
छलर हत और सवकायसाधक ऋभु के मं सदा सफलता ा त करते ह. उ ह ने
अपने माता- पता को दोबारा युवा बना दया था. (४)
सं वो मदासो अ मते े ण च म वता. आ द ये भ राज भः.. (५)
हे ऋभुगण! म द्गण स हत इं और काशमान सूय के साथ तु ह सोमरस दया जा
रहा है. (५)
उत यं चमसं नवं व ु दव य न कृतम्. अकत चतुरः पुनः.. (६)
व ा ारा न मत, सोमधारण म समथ चमस नाम का नया का पा
हो गया था. ऋभु ने उसके चार टु कड़े कर दए. (६)
ते नो र ना न ध न
बलकुल तैयार
रा सा ता न सु वते. एकमेकं सुश त भः.. (७)
हे ऋभुगण! तुम हमारी सुंदर तु तय को सुनकर सोमरस नचोड़ने वाले हमारे यजमान
को एक-एक करके वण, म ण, मु ा—तीन र न दान करो. तुम दशपौ णमासा द सात
कम के तीन वग को पूरा करो. (७)
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अधारय त व योऽभज त सुकृ यया. भागं दे वेषु य यम्.. (८)
य के लए उपयोगी चमस आ द का नमाण करने के कारण ऋभुगण मरणधमा होने
पर भी अमर बन गए ह. वे अपने स कम के कारण दे व के म य बैठकर य का भाग ा त
करते ह. (८)
दे वता—इं एवं अ न
सू —२१
इहे ा नी उप
ये तयो र तोममु म स. ता सोमं सोमपातमा.. (१)
म इस य म इं और अ न को बुलाता ं एवं इ ह दोन क तु त करने क इ छा
रखता ं. सोमपान करने के अ यंत इ छु क वे दोन सोमरस पएं. (१)
ता य ेषु
शंसते ा नी शु भता नरः. ता गाय ेषु गायत.. (२)
हे मनु यो! इस य म उ ह इं और अ न क शंसा करो एवं उ ह अनेक कार से
सुशो भत करो. गाय ी छं द का सहारा लेकर उ ह दोन क तु तयां गाओ. (२)
ता म य श तय इ ा नी ता हवामहे. सोमपा सोमपीतये.. (३)
हम म दे व क शंसा के लए इं और अ न को इस य म बुला रहे ह. वे दोन
सोमरस पीने वाले ह. हम उ ह दोन को सोमरस पीने के लए बुला रहे ह. (३)
उ ा स ता हवामह उपेदं सवनं सुतम्. इ ा नी एह ग छताम्.. (४)
हम श न
ु ाशन म ू र उ ह दोन को इस सोमरसपूण य म बुला रहे ह. वे इं और
अ न इस य म आव. (४)
ता महा ता सद पती इ ा नी र उ जतम्. अ जाः स व णः.. (५)
वे गुणसंप एवं सभापालक इं और अ न रा स जा त क ू रता समा त कर द.
नरभ ण करने वाले रा स उन दोन के भाव से संतानहीन हो जाव. (५)
तेन स येन जागृतम ध चेतुने पदे . इ ा नी शम य छतम्.. (६)
हे इं और अ न! जो वगलोक हमारे कमफल को का शत करने वाला है, वह से
तुम इस य के न म जाओ और हम सुख दान करो. (६)
सू —२२
दे वता—अ नीकुमार आ द
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ातयुजा व बोधया नावेह ग छताम्. अ य सोम य पीतये.. (१)
हे अ वयु! ातःसवन नामक य से संबं धत अ नीकुमार को जगाओ. वे सोमपान
करने के लए इस य म आव. (१)
या सुरथा रथीतमोभा दे वा द व पृशा. अ ना ता हवामहे.. (२)
हम अ नीकुमार को य म बुलाते ह. उनका रथ सुंदर है और वे र थय म अ यंत
े ह. (२)
या वां कशा मधुम य ना सूनृतावती. तया य ं म म तम्.. (३)
हे अ नीकुमारो! तु हारे चाबुक से घोड़ के पसीने क गंध आती है और वह श द के
साथ चोट करता है. ऐसे चाबुक से घोड़ को हांकते ए तुम य म शी आकर इसे सोमरस
से स च दो. (३)
न ह वाम त रके य ा रथेन ग छथः. अ ना सो मनो गृहम्.. (४)
हे अ नीकुमारो! तुम अपने रथ म बैठकर सोमरस पीने के लए यजमान के जस घर
क दशा म जा रहे हो, वह घर र नह है. (४)
हर यपा णमूतये स वतारमुप
ये. स चे ा दे वता पदम्.. (५)
सूय के हाथ म वण है. म उ ह र ा के लए बुलाता ं. वे सूय दे व यजमान को ा त
होने वाला पद बता दगे. (५)
अपां नपातमवसे स वतारमुप तु ह. त य ता यु म स.. (६)
सूय जल को सुखा दे ता है. अपनी र ा के लए उस सूय क तु त करो. हम सूय के
लए य करना चाहते ह. (६)
वभ ारं हवामहे वसो
य राधसः. स वतारं नृच सम्.. (७)
सूय धन म नवास करते ह. वे सुवण, रजता द प धन यजमान म उ चत
बांटते ह. हम मनु य को काश दे ने वाले सूय का आ ान करते ह. (७)
प से
सखाय आ न षीदत स वता तो यो नु नः. दाता राधां स शु भ त.. (८)
हे म ो! चार ओर ठ क से बैठ जाओ. हम शी ही सूय क तु त करनी है. धन दे ने
वाले सूय सुशो भत हो रहे ह. (८)
अ ने प नी रहा वह दे वानामुशती प. व ारं सोमपीतये.. (९)
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हे अ न दे व! दे व क कामना करने वाली प नय को इस य
सोमपान करने के लए व ा को यहां ले आओ. (९)
आ ना अ न इहावसे हो ां य व भारतीम्. व
म ले आओ. तुम
धषणां वह.. (१०)
हे अ न! हमारी र ा के लए दे वप नय को यहां ले आओ. हे अ यंत युवा अ न! हम
ऐसी वाणी दो, जससे हम दे व को बुला सक एवं न ापूवक स य भाषण कर सक. (१०)
अ भ नो दे वीरवसा महः शमणा नृप नीः. अ छ प ाः सच ताम्.. (११)
मनु य का पालन करने वाली एवं शी गा मनी दे वयां र ा एवं परम सुख दे ने के लए
हम पर स ह . (११)
इहे ाणीमुप
ये व णान व तये. अ नाय सोमपीतये.. (१२)
हम अपने क याण के लए एवं सोमपान करने के लए इं प नी, व णप नी एवं
अ नप नी को बुलाते ह. (१२)
मही ौः पृ थवी च न इमं य ं म म ताम्. पपृतां नो भरीम भः.. (१३)
वशाल
बनाव. (१३)
ुलोक और पृ वी इस य
को रस से स च द और पोषण करके हम पूण
तयो रद्घृतव पयो व ा रह त धी त भः. ग धव य ुवे पदे .. (१४)
बु मान् लोग अपने कम के ारा आकाश और पृ वी के बीच म घी क तरह जल
पीते ह. वह अंत र गंधव का न त नवास थान है. (१४)
योना पृ थ व भवानृ रा नवेशनी. य छा नः शम स थः.. (१५)
(१५)
हे पृ वी! तुम व तृत, कंटकर हत और नवास के यो य बनो. तुम हम पया त शरण दो.
अतो दे वा अव तु नो यतो व णु वच मे. पृ थ ाः स त धाम भः.. (१६)
व णु ने अपने गाय ी आ द सात छं द से जस पृ वी पर कई कदम डाले थे, उसी
पृ वी से दे वता हमारी र ा कर. (१६)
इदं व णु व च मे ेधा न दधे पदम्. समूळ्हम य पांसुरे.. (१७)
व णु ने इस जगत् क प र मा क . उ ह ने तीन कार से कदम रखे. उनके धू ल
धूस रत चरण म सारा जगत् छप गया. (१७)
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ी ण पदा व च मे व णुग पा अदा यः. अतो धमा ण धारयन्.. (१८)
व णु जगत् क र ा करने वाले ह. कोई उन पर हार नह कर सकता. उ ह ने संपूण
धम को धारण करते ए तीन डग म जगत् क प र मा क . (१८)
व णोः कमा ण प यत यतो ता न प पशे. इ
य यु यः सखा.. (१९)
व णु क कृपा से उनके भरोसे यजमान अपने त पूरे करते ह. व णु के काय को
दे खो. वे इं के उपयु सखा ह. (१९)
त
णोः परमं पदं सदा प य त सूरयः. दवीव च ुराततम्.. (२०)
आकाश के चार ओर फैली ई आंख जस कार दे खती ह, उसी कार व ान् भी
व णु के वग नामक परमपद पर
रखते ह. (२०)
त
ासो वप यवो जागृवांसः स म धते. व णोय परमं पदम्.. (२१)
बु
मान्, वशेष प से तु त करने वाले एवं जाग क लोग व णु के उस परम पद से
अपने दय को का शत करते ह. (२१)
सू —२३
ती ाः सोमास आ ग ाशीव तः सुता इमे. वायो ता
दे वता—वायु आ द
थता पब.. (१)
हे वायु! यह तीखा और संतोष दे ने वाला सोमरस तैयार है. तुम आओ और लाए ए
सोमरस का पान करो. (१)
उभा दे वा द व पृशे वायू हवामहे. अ य सोम य पीतये.. (२)
म आकाश म रहने वाले इं और वायु दोन दे व को यह सोमरस पीने के लए बुलाता
.ं (२)
इ वायू मनोजुवा व ा हव त ऊतये. सह ा ा धय पती.. (३)
वायु मन के समान ग तशील एवं इं हजार आंख वाले ह. बु
र ा के लए बुलाते ह. (३)
मान् लोग इ ह अपनी
म ं वयं हवामहे व णं सोमपीतये. ज ाना पूतद सा.. (४)
म और व ण य म कट होने वाले एवं शु बलसंप ह. हम उ ह सोमरस पीने के
लए बुलाते ह. (४)
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ऋतेन यावृतावृधावृत य यो तष पती. ता म ाव णा वे.. (५)
म और व ण स य के ारा य कम क वृ
पालनक ा ह. म इन दोन का आ ान करता ं. (५)
व णः ा वता भुव म ो व ा भ
करते ह. और वा त वक काश के
त भः. करतां नः सुराधसः.. (६)
व ण और म सभी कार से हमारी र ा करते ह. वे हम पया त संप
द. (६)
म व तं हवामह इ मा सोमपीतये. सजूगणेन तृ पतु.. (७)
हम सोमरस पीने के लए म द्गण के साथ इं का आ ान करते ह. वे इं म द्गण
के साथ तृ त ह . (७)
इ
ये ा म द्गणा दे वासः पूषरातयः. व े मम ुता हवम्.. (८)
हे म द्गणो! तुम लोग म इं सबसे महान् ह. पूषा नाम के दे व तु हारे दाता ह. आप
सब हमारा आ ान सुन. (८)
हत वृ ं सुदानव इ े ण सहसा युजा. मा नो ःशंस ईशत.. (९)
हे शोभन एवं दानशील म द्गणो! बलवान् एवं यो य इं क सहायता से तुम श ु का
वनाश करो. वह
श ु हमारा वामी न हो जाए. (९)
व ा दे वा हवामहे म तः सोमपीतये. उ ा ह पृ मातरः.. (१०)
हम सोमरस पीने के लए संपूण म त्दे व को बुलाते ह. वे पृ
संतान ह और उनके बल को श ु सहन नह कर सकता. (१०)
अथात् पृ वी क
जयता मव त यतुम तामे त धृ णुया. य छु भं याथना नरः.. (११)
वजयी लोग जस कार हषनाद करते ह, उसी कार हे शोभन य
म द्गणो! आप भी दप के साथ गजन करते हो. (११)
ह कारा
म आने वाले
ुत पयतो जाता अव तु नः. म तो मृळय तु नः.. (१२)
चमकने वाली व ुत से उ प म द्गण हमारी र ा कर और हमारे सुख बढ़ाव. (१२)
आ पूष च ब हषमाघृणे ध णं दवः. आजा न ं यथा पशुम्.. (१३)
हे काशवान् एवं ग तशील सूय! लोग जस कार खोए ए पशु को जंगल से ढूं ढ़
लाते ह, उसी कार य धारण करने वाले एवं व च कुश से यु सोमरस को तुम आकाश
से खोज लाओ. (१३)
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पूषा राजानमाघृ णरपगूळ्हं गुहा हतम्. अ व द च ब हषम्.. (१४)
काशवान् सूय ने गुफा म छपाकर रखा आ, व च कुश से यु
सोमरस ा त कया. (१४)
उतो स म
म
एवं तेजसंप
भः षड् यु ाँ अनुसे षधत्. गो भयवं न चकृषत्.. (१५)
जस कार कसान बैल के ारा बार-बार खेत जोतता है, उसी कार सूय मेरे लए
म से छः ऋतुएं लाए थे. ये ऋतुएं सोमरस से यु थ . (१५)
अ बयो य य व भजामयो अ वरीयताम्. पृ चतीमधुना पयः.. (१६)
जल हम य क इ छा करने वाल के लए माता के समान ह. वे हमारे हतकारी बंधु
ह. वे जल य माग से जा रहे ह. वे ध को मीठा बनाते ह. (१६)
अमूया उप सूय या भवा सूयः सह. ता नो ह व व वरम्.. (१७)
जो संपूण जल सूय के समीप वतमान ह अथवा सूय जन जल के समीप रहते ह, वे
सब जल हमारे य का हत कर. (१७)
अपो दे वी प
ये य गावः पब त नः. स धु यः क व ह वः.. (१८)
हमारी गाएं जस जल को पीती ह, उसी का हम आ ान कर रहे ह. जो जल नद के
प म बह रहा है, उसे ह व दे ना हमारा क
है. (१८)
अ व१ तरमृतम सु भेषजमपामुत श तये. दे वा भवत वा जनः.. (१९)
जल के भीतर अमृत और ओष धयां वतमान ह, हे ऋ वजो! उ साहपूवक उस जल क
शंसा करो. (१९)
अ सु मे सोमो अ वीद त व ा न भेषजा.
अ नं च व श भुवमाप व भेषजीः.. (२०)
सोम ने मुझसे कहा है क जल म ओष धयां ह, संसार को सुख दान करने वाली अ न
है और सभी कार क जड़ीबू टयां ह. (२०)
आपः पृणीत भेषजं व थं त वे३मम. योक् च सूय शे.. (२१)
हे जल! मेरे शरीर के लए रोग न करने वाली ओष धयां पूण करो. जससे म ब त
समय तक सूय के दशन कर सकूं. (२१)
इदमापः
वहत य कं च
रतं म य.
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य ाहम भ
ोह य ा शेप उतानृतम्.. (२२)
मेरे भीतर जो कुछ बुराइयां ह, मने सर के साथ जो ोह कया है, सर को जो
वचन कहे ह या जो अस य भाषण कया है, हे जल! उन सबको धो डालो. (२२)
आपो अ ा वचा रषं रसेन समग म ह.
पय वान न आ ग ह तं मा सं सृज वचसा.. (२३)
म आज नान के लए जल म वेश करता ं. म आज जल के रस से मल गया ं. हे
जल म नवास करने वाली अ न! आओ और मुझे अपने तेज से भर दो. (२३)
सं मा ने वचसा सृज सं जया समायुषा.
व ुम अ य दे वा इ ो व ा सह ऋ ष भः.. (२४)
हे अ न! मुझे तेज, संतान और आयु दो, जससे दे वगण, इं और ऋ ष-समूह मेरे य
को जान सक. (२४)
सू —२४
दे वता—अ न आ द
क य नूनं कतम यामृतानां मनामहे चा दे व य नाम.
को नो म ा अ दतये पुनदा पतरं च शेयं मातरं च.. (१)
म दे वता म से कस ेणी के कस दे वता का सुंदर नाम पुका ं ? कौन दे वता मुझ
मरने वाले को वशाल धरती पर रहने दे गा? जससे म अपने माता- पता को दे ख सकूं? (१)
अ नेवयं थम यामृतानां मनामहे चा दे व य नाम.
स नो म ा अ दतये पुनदा पतरं च शेयं मातरं च.. (२)
म दे वता म सबसे पहले अ न का नाम पुकारता ं. वे मुझे इस वशाल धरती पर
रहने दगे, जससे म अपने माता- पता को दे ख सकूं. (२)
अ भ वा दे व स वतरीशानं वायाणाम्. सदाव भागमीमहे.. (३)
हे सदा र ा करने वाले सूय दे व! तुम उ म धन के वामी हो, इस लए म तुमसे उपभोग
करने यो य धन मांगता ं. (३)
य
त इ था भगः शशमानः पुरा नदः. अ े षो ह तयोदधे.. (४)
हे सूय! तुम अपने दोन हाथ म उपभोग के यो य धन को धारण करते हो. वह सबके
ारा शं सत है. उससे कोई े ष नह रखता. (४)
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भगभ
य ते वयमुदशेम तवावसा. मूधानं राय आरभे.. (५)
हे सूय दे व! तुम धन के वामी हो. य द तुम र ा करो तो हम धन क उ त करने म
लग जाव. (५)
न ह ते
ं न सहो न म युं वय नामी पतय त आपुः.
नेमा आपो अ न मषं चर तीन ये वात य मन य वम्.. (६)
हे व ण दे व! आकाश म उड़ने वाले प य म भी तु हारे समान श और परा म
नह है. इ ह तु हारे बराबर ोध भी नह मला है. सवदा चलने वाली वायु और बहने वाला
जल तु हारी ग त से आगे नह बढ़ सकता. (६)
अबु ने राजा व णो वन यो य तूपं ददते पूतद ः.
नीचीनाः थु प र बु न एषाम मे अ त न हताः केतवः युः.. (७)
शु बल के वामी व ण मूलर हत आकाश म ठहर कर उ म तेज के समूह को ऊपर
ही ऊपर धारण करते ह. उस तेजसमूह क करण का मुख नीचे और जड़ ऊपर ह. उ ह के
कारण हमम ाण थत रहते ह. (७)
उ ं ह राजा व ण कार सूयाय प थाम वेतवा उ.
अपदे पादा तधातवे ऽक तापव ा दया वध त्.. (८)
राजा व ण ने सूय के उदय से अ त तक चलने के लए माग का व तार कया है.
उसने आकाश म बना पैर वाले सूय के चलने के लए माग बनाया है. वे मेरे दय का भेदन
करने वाले श ु का नाश कर. (८)
शतं ते राज भषजः सह मुव गभीरा सुम त े अ तु.
बाध व रे नऋ त पराचैः कृतं चदे नः मुमु य मत्.. (९)
हे राजा व ण! आपक ओष धयां सैकड़ -हजार ह. आपक उ म बु
व तृत और
गंभीर हो. तुम हमारा अ न करने वाले पाप को हमसे र रखो. हमने जो पाप कए ह, उ ह
न कर दो. (९)
अमी य ऋ ा न हतास उ चा न ं द े कुह च वेयुः.
अद धा न व ण य ता न वचाकश च मा न मे त.. (१०)
ऊंचे आकाश म जो स त ष नामक तारे थत ह, वे रात म दखाई दे ते ह, पर दन म
कहां चले जाते ह? व ण दे व के काय म कोई बाधा नह डाल सकता. व ण क आ ा से ही
रात म चं मा का शत होता है. (१०)
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त वा या म
णा व दमान तदा शा ते यजमानो ह व भः.
अहेळमानो व णेह बो यु शंस मा न आयुः मोषीः.. (११)
हे व ण! यजमान ह के ारा तुमसे जस आयु क याचना करते ह, म श शाली
तो के ारा तु हारी तु त करके उसी परम आयु क याचना करता ं. तुम इस वषय म
लापरवाही न करके ठ क से यान दो. अग णत लोग तु हारी ाथना करते ह. तुम मुझसे मेरी
आयु मत छ नो. (११)
त द ं त वा म मा तदयं केतो द आ व च े.
शुनःशेपो यम द्गृभीतः सो अ मात् राजा व णो मुमो ु .. (१२)
क
को जानने वाले लोग ने रात म और दन म मुझसे यही कहा है. मेरे दय से
उप
ान भी यही सलाह दे ता है. शुनःशेप ने सूय से बंधकर जनको पुकारा था, वे ही राजा
व ण हम बंधन से मु कर. (१२)
शुनःशेपो
द्गृभीत वा द यं पदे षु ब ः.
अवैनं राजा व णः ससृ या दाँ अद धो व मुमो ु पाशान्.. (१३)
लकड़ी के तीन यूप से बंधे ए शुनःशेप ने अ द त के पु व ण का आ ान कया था,
इस लए व ान् एवं दयालु राजा व ण ने शुनःशेप को बंधन से छु ड़ा दया था. (१३)
अव ते हेळो व ण नमो भरव य े भरीमहे ह व भः.
य म यमसुर चेता राज ेनां स श थः कृता न.. (१४)
हे व ण! हम नम कार करके एवं य म ह व दान करके तु हारे ोध को समा त
करते ह. हे अ न का नाश करने वाले बु मान् व ण! हमारे क याण के लए इस य म
नवास करो और हमारे पाप को कम करो. (१४)
उ मं व ण पाशम मदवाधमं व म यमं थाय.
अथा वयमा द य ते तवानागसो अ दतये याम.. (१५)
हे व ण! मेरे सर म बंधे ए फंदे को ऊपर से और पैर म बंधे ए फंदे को नीचे से
खोल दो तथा कमर म बंधे ए फंदे को बीच म ढ ला कर दो. हे अ द तपु व ण! हम तु हारे
य म सतत संल न रहकर पापमु हो जाएंगे. (१५)
दे वता—व ण
सू —२५
य च
ते वशो यथा
दे व व ण तम्. मनीम स
व व.. (१)
हे व ण दे व! संसार के व ान् तु हारे त का अनु ान करने म जस कार भूल करते
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ह, उसी कार हमसे भी
त दन माद होता रहता है. (१)
मा नो वधाय ह नवे जहीळान य रीरधः. मा णान य म यवे.. (२)
हे व ण! जो तु हारा अनादर करता है, तुम उसके लए घातक बन जाते हो. तुम हमारा
वध मत करना. तुम हमारे ऊपर ोध मत करना. (२)
व मृळ काय ते मनो रथीर ं न स दतम्. गी भव ण सीम ह.. (३)
हे व ण दे व! जस कार रथ का मा लक थके ए घोड़े को व थ करता है, उसी
कार हम भी तु तय ारा तु हारा मन स करते ह. (३)
परा ह मे वम यवः पत त व यइ ये. वयो न वसती प.. (४)
जस कार च ड़यां अपने घ सल क ओर तेजी से उड़ती ह, उसी कार हमारी
ोधर हत वचारधाराएं जीवन ा त करने के लए दौड़ रही ह. (४)
कदा
यं नरमा व णं करामहे. मृळ कायो च सम्.. (५)
हम श शाली नेता
ले आवगे. (५)
तथा अग णत लोग पर
त द समानमाशाते वेन ता न
रखने वाले व ण को इस य म
यु छतः. धृत ताय दाशुषे.. (६)
म और व ण ह दे ने वाले यजमान पर स होकर हमारे ारा दया
साधारण ह व वीकार कर लेते ह. वे कभी भी उसका याग नह करते. (६)
आ
वेदा यो वीनां पदम त र ेण पतताम्. वेद नावः समु यः.. (७)
व ण आकाश म उड़ने वाले प य और सागर म चलने वाली नौका
जानते ह. (७)
का माग
वेद मासो धृत तो ादश जावतः. वेदा य उपजायते.. (८)
व ण उ म हमा को धारण करके समय-समय पर उ प होने वाले बारह महीन को
जानते ह और तेरहव मास को भी जानते ह. (८)
वेद वात य वत नमुरोऋ व य बृहतः. वेदा ये अ यासते.. (९)
व ण व तार से संप , दशनीय और अ धक गुण वाली वायु का माग जानते ह. वे
आकाश म नवास करने वाले दे व से भी प र चत ह. (९)
न षसाद धृत तो व णः प या३ वा. सा ा याय सु तुः.. (१०)
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त धारण करने वाले एवं उ म कम करने वाले व ण दै वी जा
के लए आकर बैठे थे. (१०)
पर सा ा य करने
अतो व ा य ता च क वाँ अ भ प य त. कृता न या च क वा.. (११)
बु मान् मनु य व ण क अनुकंपा से वतमान काल और भ व यत् काल क सारी
आ यजनक घटना को दे ख लेते ह. (११)
स नो व ाहा सु तुरा द यः सुपथा करत्.
ण आयूं ष ता रषत्.. (१२)
शोभन बु वाले वे ही अ द तपु व ण हम सदा उ म माग पर चलने वाला बनाव
एवं हमारी आयु को बढ़ाव. (१२)
ब द् ा प हर ययं व णो व त न णजम्. प र पशो न षे दरे.. (१३)
व ण सोने का कवच धारण करके अपने ब ल शरीर को ढकते ह. उसके चार ओर
सुनहरी करण फैलती ह. (१३)
न यं द स त द सवो न ह्वाणो जनानाम्. न दे वम भमातयः.. (१४)
हसा करने वाले लोग भयभीत होकर व ण क श ुता छोड़ दे ते ह. मनु य को पीड़ा
प ंचाने वाले लोग उ ह पीड़ा नह प ंचाते. पाप करने वाले लोग उनके
त पाप का
आचरण याग दे ते ह. (१४)
उत यो मानुषे वा यश
े असा या. अ माकमुदरे वा.. (१५)
व ण ने मनु य क उदरपू त के लए पया त अ
हमारी उदरपू त करते ह. (१५)
परा मे य त धीतयो गावो न ग ूतीरनु. इ छ ती
पैदा कया है. वे वशेष
प से
च सम्.. (१६)
ब त से लोग ने व ण के दशन कए ह. जस कार गाएं गोशाला क ओर जाती ह,
उसी कार कभी पीछे न लौटने वाली मेरी वचारधारा व ण क ओर अ सर होती है. (१६)
सं नु वोचावहै पुनयतो मे म वाभृतम्. होतेव दसे
यम्.. (१७)
हे व ण! मधुर रस वाला मेरा ह तैयार है. तुम होता के समान उस ह
करो. इसके प ात् हम लोग आपस म बात करगे. (१७)
दश नु व दशनं दश रथम ध
का भ ण
म. एता जुषत मे गरः.. (१८)
सब लोग जन व ण के दशन करते ह, उ ह मने दे खा है. मने कई बार धरती पर चलता
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आ उनका रथ दे खा है. व ण ने मेरी ाथना वीकार क है. (१८)
इमं मे व ण ुधी हवम ा च मृळय. वामव युरा चके.. (१९)
हे व ण दे व! आज मेरी पुकार सुनो. आज मुझे सुख दान करो. म अपनी र ा क
इ छा से तु ह बुला रहा ं. (१९)
वं व
य मे धर दव
म राज स. स याम न
त ु ध.. (२०)
हे बु मान् व ण! आकाश, धरती एवं सम त संसार म तु हारा काश फैला आ है.
तुम हमारी ाथना सुनकर हमारी र ा करने का वचन दो. (२०)
उ
मं मुमु ध नो व पाशं म यमं चृत. अवाधमा न जीवसे.. (२१)
हमारे सर वाले फंदे को ऊपर से और कमर के फंद को बीच से खोल दो, जससे हम
जीवन धारण कर सक. (२१)
सू —२६
दे वता—अ न
व स वा ह मये य व ा यूजा पते. सेमं नो अ वरं यज.. (१)
हे अ न दे व! तुम य के यो य एवं अ
और हमारे इस य को पूरा करो. (१)
के पालक हो. तुम अपना तेज धारण करो
न नो होता वरे यः सदा य व म म भः. अ ने द व मता वचः.. (२)
हे अ न! तुम सदा युवा, कमनीय एवं तेज वी हो. हम य
ानपूण वा य से तु हारी तु त कर रहे ह. तुम यहां बैठो. (२)
संप
करने वाले एवं
आ ह मा सूनवे पता पयज यापये. सखा स ये वरे यः.. (३)
हे े अ न! जस कार पता पु को, भाई भाई को और म
व तुएं दे ता है, उसी कार तुम भी मुझे इ छत व तुएं दो. (३)
म को अभी
आ नो बह रशादसो व णो म ो अयमा. सीद तु मनुषो यथा.. (४)
हे अ न दे व! श ु का नाश करने वाले म , व ण और अयमा जस कार मनु के
य म आए थे, उसी कार तुम भी हमारे य म बछे ए कुश पर बैठो. (४)
पू
होतर य नो म द व स य य च. इमा उ षु ुधी गरः.. (५)
हे पूवज एवं य संप क ा अ न! हमारे इस य और हमारी म ता से तुम स हो
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जाओ. हमारे इन तु त-वचन को सुनो. (५)
य च
श ता तना दे व दे वं यजामहे. वे इद्धूयते ह वः.. (६)
य प न य एवं व तृत ह
ारा हम भ - भ दे वता
व ण! वह भी तु ह ही ा त होता है. (६)
यो नो अ तु व प तह ता म ो वरे यः.
जापालक, य संपादक, स और
अ न के सहयोग से उनके य बन. (७)
का पूजन करते ह, पर हे
याः व नयो वयम्.. (७)
े अ न हमारे लए
य ह . हम भी शोभन
व नयो ह वाय दे वासो द धरे च नः. व नयो मनामहे.. (८)
शोभन अ न से यु एवं तेज वी ऋ वज ने हमारे उ म
इस लए हम शोभन अ न के समीप प ंचकर याचना करते ह. (८)
को धारण कया है,
अथा न उभयेषाममृत म यानाम्. मथः स तु श तयः.. (९)
हे अ न! तुम अमर हो और हम मनु य मरणधमा ह. हम लोग एक- सरे क
कर. (९)
शंसा
व े भर ने अ न भ रमं य मदं वचः. चनो धाः सहसो यहो.. (१०)
हे बल के पु अ न! तुम सब अ नय के साथ आकर हमारा यह य
तु तयां वीकार करके हम अ दो. (१०)
सू —२७
और हमारी
दे वता—अ न
अ ं न वा वारव तं व द या अ नं नमो भः. स ाज तम वराणाम्.. (१)
हे अ न दे व! तुम य के स ाट् एवं पूंछ वाले घोड़े के समान हो. हम तु तय के ारा
तु हारी वंदना करते ह. (१)
स घा नः सूनुः शवसा पृथु गामा सुशेवः. मीढ् वाँ अ माकं बभूयात्.. (२)
अ न श के पु और शी गमन करने वाले ह, वे हमारे ऊपर स होकर हम सुख
द और हमारी अ भलाषा क वषा कर. (२)
स नो रा चासा च न म यादघायोः. पा ह सद म
ायुः.. (३)
हे अ न! तुम सव गमन करने म समथ हो. तुम हमारा अ न करने वाले पापाचारी
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मनु य से र एवं समीप दे श म हमारी र ा करो. (३)
इममू षु वम माकं स न गाय ं न ांसम्. अ ने दे वेषु
वोचः.. (४)
हे अ न! इस य म उप थत ह व और नवीनतम गाय ी छं द म र चत तो के वषय
म दे व को बताना. (४)
आ नो भज परमे वा वाजेषु म यमेषु. श ा व वो अ तम य.. (५)
हे अ न! हम द लोक तथा अंत र लोक का अ सब ओर से ा त कराओ. तुम
हम भूलोक संबंधी धन भी दान करो. (५)
वभ ा स च भानो स धो मा उपाक आ. स ो दाशुषे र स.. (६)
हे वल ण काश वाले अ न दे व! जस कार सधु क लहर जल को सभी पवत ,
ना लय आ द म भर दे ती ह, उसी कार तुम भी लोग म धन का वभाग करने वाले हो.
दे ने वाले यजमान को तुम कम का फल शी दो. (६)
यम ने पृ सु म यमवा वाजेषु यं जुनाः. स य ता श ती रषः.. (७)
यु
हे अ न दे व! यु
े म तुम जस मनु य क र ा करते हो और तु हारी ेरणा से जो
े म जाता है, वह न य ही अ ा त करता रहेगा. (७)
न कर य सह य पयता कय य चत्. वाजो अ त वा यः.. (८)
हे अ न दे व! तुम श ु का दमन करने वाले हो. तु हारे भ यजमान पर कोई
आ मण नह कर सकता, य क उसके पास वशेष कार क श है. (८)
स वाजं व चष णरव
र तु. त ता व े भर तु स नता.. (९)
सारे मनु य अ न क पूजा करते ह. उसने घोड़ क सहायता से हम यु
दलाई है. वह बु मान् ऋ वज को य कम का फल दे ने वाला हो. (९)
जराबोध त
वड् ढ वशे वशे य याय. तोमं
म सफलता
ाय शीकम्.. (१०)
हे अ न दे व! हम ाथना के ारा तु ह जगाते ह. तुम भ भ यजमान पर कृपा
करके य का अनु ान पूण करने के लए य म आओ. तुम ू र हो. यजमान सुंदर तो से
तु हारी तु त करते ह. (१०)
स नो महाँ अ नमानो धूमकेतुः पु
ः. धये वाजाय ह वतु.. (११)
अ न दे व सीमार हत धूमकेतु वाले तथा महान् ह. उनक
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यो त वशाल है. वह हमारे
य और अ के लए स ह . (११)
स रेवाँ इव व प तद ः केतुः शृणोतु नः. उ थैर नबृह ानुः.. (१२)
अ न जापालक, दे वता के होता, त के समान दे वता
तु त सुनने वाले ह. उसी कार अ न हमारी तु त सुन. (१२)
का ापन करने वाले एवं
नमो महद् यो नमो अभके यो नमो युव यो नम आ शने यः.
यजाम दे वा य द श कवाम मा यायसः शंसमा वृ दे वाः.. (१३)
बड़े, बालक, युवा एवं वृ सभी दे वता को हम नम कार करते ह. य द संभव होगा
तो हम दे वता क पूजा करगे. हम कह व श गुणसंप दे व क तु त करना न छोड़ द.
(१३)
सू —२८
दे वता—इं आ द
य ावा पृथुबु न ऊ व भव त सोतवे.
उलूखलसुतानामवे
ज गुलः.. (१)
हे इं ! जस य म सोमरस नचोड़ने के लए भारी जड़ वाला प थर उठाया जाता है
और ओखली क सहायता से सोमरस तैयार कया जाता है, वहां सोमरस अपना जानकर
पओ. (१)
य ा वव जघना धषव या कृता.
उलूखलसुतानामवे
ज गुलः.. (२)
हे इं ! जस य म सोमलता को नचोड़ने के लए दोन फलक जांघ के समान फैल
गए ह, उसी य म ओखली ारा तैयार कया आ सोमरस अपना जानकर पओ. (२)
य नायप यवमुप यवं च श ते.
उलूखलसुतानामवे
ज गुलः.. (३)
हे इं ! जस य म यजमान क प नयां भीतर घुसती और बाहर नकलती रहती ह,
उसी य म ओखली ारा तैयार कया आ सोमरस अपना जानकर पओ. (३)
य म थां वब नते र मी य मतवा इव.
उलूखलसुतानामवे
ज गुलः.. (४)
हे इं ! जस य म सोमलता मंथन करने का दं ड घोड़े क लगाम के समान बांधा जाता
है, उसी य म ओखली ारा तैयार कया आ सोमरस अपना जानकर पओ. (४)
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य च
वं गृहेगृह उलूखलक यु यसे.
इह ुम मं वद जयता मव
भः.. (५)
हे ऊखल! य प घर-घर म तु हारा योग कया जाता है, पर इस य
कार व न करते हो, जस कार वजयी लोग ं भी बजाते ह. (५)
म तुम उसी
उत म ते वन पते वातो व वा य मत्.
अथो इ ाय पातवे सुनु सोममुलूखल.. (६)
हे ऊखल प का ! तु हारे ही सामने होकर हवा चलती है, इस लए हे ऊखल! इं
दे वता के पान के लए सोमरस तैयार करो. (६)
आयजी वाजसातमा ता १ चा वजभृतः.
हरी इवा धां स ब सता.. (७)
हे ऊखल और मूसल! तुम दोन सभी कार य के साधन एवं भूत अ दे ने वाले हो.
जस कार इं के दोन घोड़े अपना खा चना आ द चबाते समय व न करते ह, उसी
कार तुम भी तुमुल व न के साथ पर पर हार करते हो. (७)
ता नो अ वन पती ऋ वावृ वे भः सोतृ भः.
इ ाय मधुम सुतम्.. (८)
हे ऊखल और मूसल प दोन का ो! तुम दोन दे खने म परम सुंदर हो. शोभन
अ भनव मं के सहयोग से तुम दोन इं के लए मधुर सोमरस तैयार करो. (८)
उ छ ं च वोभर सोमं प व आ सृज. न धे ह गोर ध व च.. (९)
सोमरस नचोड़ने वाले फलक से बचे ए सोम को उठाकर प व कुश के ऊपर रखो.
इसके बाद उसे गोचम से बनाए ए पा म रखो. (९)
सू —२९
दे वता—इं
य च स य सोमपा अनाश ता इव म स.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (१)
हे इं ! तुम सोमपानक ा एवं स यवाद हो. हम कोई स
नह ह. हे अनंत
धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय और अ
ारा उ म धनवान् बनाओ. (१)
श वाजानां पते शचीव तव दं सना.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (२)
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हे श शाली, सुंदर ठोड़ी वाले एवं अ के पालक इं ! हम पर सदा तु हारा अनु ह
रहे. हे अनंत धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा उ म धनवान्
बनाओ. (२)
न वापया मथू शा स तामबु यमाने.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (३)
तुम पर पर मलकर दे खने वाली यम तय को भली-भां त सुला दो. वे सदा बेहोश
रह, कभी न जाग. हे अनंत धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा
उ म धनवान् बनाओ. (३)
सस तु या अरातयो बोध तु शूर रातयः.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (४)
हे शूर! हमारे श ु असावधान रह और हमारे म सावधान रह. अनंत धनशाली इं !
हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा उ म धनवान् बनाओ. (४)
स म गदभं मृण नुव तं पापयामुया.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (५)
हे इं ! यह गधे के प वाला हमारा बैरी नदा पी वचन से आपक बदनामी कर रहा
है. इसे मार डालो. हे अनंत धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा
उ म धनवान् बनाओ. (५)
पता त कु डृ णा या रं वातो वनाद ध.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (६)
हमारे तकूल वायु कु टल ग त से चलती ई वन से र चली जाए. हे अनंत धनशाली
इं ! हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा धनवान् बनाओ. (६)
सव प र ोशं ज ह ज भया कृकदा म्.
आ तू न इ शंसय गो व ेषु शु षु सह ेषु तुवीमघ.. (७)
तुम हमारे त ोध करने वाल का नाश करो, हमारी हसा करने वाल को मार डालो.
हे अनंत धनशाली इं ! हम सुंदर और अग णत गाय तथा अ
ारा उ म धनवान् बनाओ.
(७)
सू —३०
दे वता—इं
आवइ ं
व यथा वाजय तः शत तुम्. मं ह ं स च इ
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भः.. (१)
हे यजमानो एवं ऋ वजो! जस कार कुएं को जल से भर दे ते ह, उसी कार हम अ
क इ छा से हजार य करने वाले एवं महान् इं को सोमरस से स च दे ते ह. (१)
शतं वा यः शुचीनां सह ं वा समा शराम्. ए
न नं न रीयते.. (२)
जस कार पानी अपने आप नीचे क ओर बहता है, उसी कार इं सैकड़ सं या
वाले वशु सोमरस एवं हजार सं या वाले आशीर म त सोमरस के समीप आते ह. (२)
सं य मदाय शु मण एना
योदरे. समु ो न
चो दधे.. (३)
पहले बताया आ सोमरस बलशाली इं को स करने के लए एक त आ है.
इसके ारा इं का सागर के समान व तृत उदर भर जाता है. (३)
अयमु ते समत स कपोत इव गभ धम्. वच त च ओहसे.. (४)
हे इं ! जस कार कबूतर गभ धारण करने क इ छु क कबूतरी को ा त करता है,
उसी कार तुम अपने इस सोमरस को हण करो. इसी सोमरस के कारण हमारी ाथनाएं
भी वीकार करो. (४)
तो ं राधानां पते गवाहो वीर य य ते. वभू तर तु सुनृता.. (५)
हे धन के र क एवं उ म वचन ारा तु त कए गए वीर इं ! हम तु हारी तु त करते
ह. यह तु त तु हारी वभू त से संप एवं स य हो. (५)
ऊ व त ा न ऊतये म वाजे शत तो. सम येषु वावहै.. (६)
हे सौ य करने वाले इं ! इस सं ाम म हमारी र ा करने के लए त पर रहो. सरे
काय के वषय म हम और तुम मलकर बातचीत करगे. (६)
योगेयोगे तव तरं वाजेवाजे हवामहे. सखाय इ मूतये.. (७)
हम येक य के आरंभ म एवं अपने य म व न डालने वाले व भ सं ाम म
परम श शाली इं को अपनी र ा के लए उसी कार बुलाते ह, जस कार कोई अपने
म को बुलाता है. (७)
आ घा गम द व सह णी भ
त भः. वाजे भ प नो हवम्.. (८)
इं य द हमारी पुकार सुनगे तो यह न य है क वे हजार पालनश
साथ हमारे नकट आवगे. (८)
अनु
न यौकसो वे तु व त नरम्. यं ते पूव पता वे.. (९)
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य एवं अ
के
इं ब त से यजमान के पास जाते ह. म उनके ाचीन नवास थान वग से उ ह
बुलाता ं. इससे पूव मेरे पता भी उ ह बुला चुके ह. (९)
तं वा वयं व वारा शा महे पु
त. सखे वसो ज रतृ यः.. (१०)
हे सबके य इं ! अग णत लोग तु ह अपने य म बुलाते ह. तु ह सब म के समान
ेम करते ह. तुम सबको वग म थान दे ते हो. म ाथना करता ं क तुम तु त करने वाल
पर कृपा करो. (१०)
अ माकं श णीनां सोमपाः सोमपा वाम्. सखे व
सखीनाम्.. (११)
हे सोमरस पीने वाले इं ! तुम सबके म और व धारी हो. हम तु हारे म और
सोमपान करने वाले ह. तुम हमारी लंबी नाक वाली गाय क वृ करो. (११)
तथा तद तु सोमपाः सखे व
तथा कृणु. यथा त उ मसी ये.. (१२)
हे इं ! तुम सोमरस पीने वाले, सबके म और व धारी हो. तुम इस कार के काय
करो क हम अपनी अ भल षत व तुएं पाने के लए तु ह ेम कर. (१२)
रेवतीनः सधमाद इ े स तु तु ववाजाः. ुम तो या भमदे म.. (१३)
श
जब इं हमारे ऊपर स हो जाएंगे तो हमारी गाएं अ धक ध दे ने वाली एवं
संप बनगी. उन गाय से भोजन ा त करके हम स ह गे. (१३)
आ घ वावा मना तः तोतृ यो धृ ण वयानः. ऋणोर ं न च योः.. (१४)
हे साहसी इं ! तु हारी कृपा से हम तु हारे ही समान कोई दे वता अनायास मल
जाएगा. हम उसक तु त करगे, उससे मांगगे, तो वह अव य ही हम मनचाही संप दे गा.
जस कार घोड़े रथ के दोन प हय के अर को घुमाते ह, उसी कार वे धन को हमारी ओर
े रत करगे. (१४)
आ य वः शत तवा कामं ज रतॄणाम्. ऋणोर ं न शची भः.. (१५)
हे सौ य करने वाले इं ! जस कार गाड़ी के आगे बढ़ने से प हय के अरे अपने
आप घूमते ह, उसी कार हम तु त करने वाल को इ छानुसार धन दो. (१५)
श द ः पो ुथ जगाय नानद ः शा स धना न.
स नो हर यरथं दं सनावा स नः स नता सनये स नोऽदात्.. (१६)
घास खा लेने के प ात् इं के घोड़े श द करते ए हन हनाते ह और जोरजोर से सांस
लेते ह. इं ने उ ह क सहायता से सदा श ु क संप को जीता है. इं कमपरायण एवं
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दाता ह. उ ह ने हम सोने का रथ दया है. (१६)
आ नाव ाव येषा यातं शवीरया. गोम
ा हर यवत्.. (१७)
हे अ नीकुमारो! तुम ब त से घोड़ ारा ढोया आ अ लेकर आओ. हे श ुनाशक!
हमारा घर ब त सी गाय और सोने से भरा हो. (१७)
समानयोजनो ह वां रथो द ावम यः. समु े अ नेयते.. (१८)
हे श ुनाशक अ नीकुमारो! तुम दोन के लए एक ही अ वनाशी रथ तैयार कया गया
है. वह रथ समु और आकाश म भी चल सकता है. (१८)
य१ य य मूध न च ं रथ य येमथुः. प र ाम यद यते.. (१९)
हे अ नीकुमारो! तुमने श ु का वनाश करने के लए अपने रथ का एक प हया
थर पवत के ऊपर जमाया है और सरा आकाश म चार ओर घूम रहा है. (१९)
क त उषः कध ये भुजे मत अम य. कं न से वभाव र.. (२०)
हे अमर उषा! तु ह तु त ब त यारी लगती है. कोई भी मनु य तु हारा उपभोग करने
म समथ नह है. हे वशेष भावशा लनी! तुम कस पु ष को ा त होगी? (२०)
वयं ह ते अम म ाऽ तादा पराकात्. अ े न च े अ ष.. (२१)
हे व तृत एवं रंग बरंगे काश वाली उषा! हम तु ह न र से समझ सकते ह और न
पास से. (२१)
वं ये भरा ग ह वाजे भ हत दवः. अ मे र य न धारय.. (२२)
हे आकाश क पु ी उषा! तुम
सू —३१
स
अ
के साथ आओ और हम धन दो. (२२)
दे वता—अ न
वम ने थमो अ रा ऋ षदवो दे वानामभवः शवः सखा.
तव ते कवयो व नापसोऽजाय त म तो ाज यः.. (१)
हे अ न! तुम अं गरा गो वाले ऋ षय के आ द ऋ ष थे. तुम वयं दे व थे एवं अ य
दे व के क याणकारक म थे. तु हारे कम के कारण ही म द्गण ने ज म लया जो अपना
कम जानते ह और जनके श चमक ले ह. (१)
वम ने थमो अ र तमः क वदवानां प र भूष स तम्.
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वभु व
मै भुवनाय मे धरो
माता शयुः क तधा चदायवे.. (२)
हे अ न! तुम अं गरा गो वाले ऋ षय म थम एवं सव े हो. तुम बु मान् हो और
दे व के य को सुशो भत करते हो. तुम सारे संसार पर अनु ह के लए अनेक प से
ा त हो. तुम मेधावी एवं दो लक ड़य से उ प हो. मनु य का क याण करने के लए तुम
भ भ
प म सब जगह रहते हो. (२)
वम ने थमो मात र न आ वभव सु तूया वव वते.
अरेजेतां रोदसी होतृवूयऽस नोभारमयजो महो वसो.. (३)
हे अ न! तुम वायु क अपे ा मुख हो और यजमान के नकट सुंदर य को पूण
करने क इ छा से कट हो जाओ. तु हारी साम य दे खकर धरती और आकाश कांप उठते
ह. तुमने े होता के प म य का काय वीकार कया है. तु हारे य म नवास के कारण
पू य दे वता के य पूण ए ह. (३)
वम ने मनवे ामवाशयः पु रवसे सुकृते सुकृ रः.
ा ेण य प ोमु यसे पया वा पूवमनय ापरं पुनः.. (४)
हे अ न! तुमने मनु पर अनु ह करके यह बताया था क कन कम से वग मलता है.
तुमने अपने सेवक पु रवा को शोभन फल दया. दोन का तु हारे माता- पता ह. उनके
घषण से तुम उ प होते हो. ऋ वज् तु ह पहले वेद के पूव भाग म ले जाते ह, बाद म
प म भाग म. (४)
वम ने वृषभः पु वधन उ त ुचे भव स वा यः.
य आ त प र वेदा वषट् कृ तमेकायुर े वश आ ववास स.. (५)
हे अ न! तुम अ भलाषा को पूण करने वाले हो एवं यजमान को धन आ द से पु
करते हो. हे एकमा अ दाता! जो यजमान य पा उठाते ए तु हारा यश गाता है एवं
वषट् कार श द के साथ तु ह आ त दे ता है, तुम उसे पहले काश दे ते हो, उसके बाद सारे
संसार को. (५)
वम ने वृ जनवत न नरं स म पप ष वदथे वचषणे.
यः शूरसाता प रत ये धने द े भ समृता हं स भूयसः.. (६)
हे व श ानसंप अ न! तुम सदाचारहीन मनु य को ऐसे काम म लगाते हो, जससे
उसका उ ार हो सके. जब व तृत यु चार ओर भली-भां त आरंभ हो जाता है तो तु हारी
कृपा से थोड़ी सं या वाले एवं वीरताशू य लोग बड़े-बड़े वीर का वध कर डालते ह. (६)
वं तम ने अमृत व उ मे मत दधा स वसे दवे दवे.
य तातृषाण उभयाय ज मने मयः कृणो ष य आ च सूरये.. (७)
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हे अ न! जो मनु य तु हारी सेवा करता है, उसके लए तुम अ दान करने हेतु उ म
और थायी पद पर त त कर दे ते हो. जो यजमान मनु य एवं पशु को ा त करने के
लए अ यंत उ सुक है, उस बु मान् यजमान को तुम सुख और अ दो. (७)
वं नो अ ने सनये धनानां यशसं का ं कृणु ह तवानः.
ऋ याम कमापसा नवेन दे वै ावापृ थवी ावतं नः.. (८)
हे अ न! हम तु हारी तु त करते ह. तुम हम धन एवं यश दे ने वाला तथा य कम करने
वाला पु दान करो. तु हारे ारा दए गए नवीन पु से हम परा म म उ त करगे. हे
धरती और आकाश! तुम अ य दे व के साथ मलकर हमारी ठ क से र ा करो. (८)
वं नो अ ने प ो प थ आ दे वो दे वे वनव जागृ व.
तनूकृ ो ध म त कारवे वं क याण वसु व मो पषे.. (९)
हे दोषर हत अ न! तुम सब दे व क अपे ा जाग क हो. तुम अपने माता- पता
धरती-आकाश के पास रहकर अनु ह के प म हम पु दो एवं य क ा यजमान के त
स च रहो. हे क याणकारक! तुम यजमान के लए सभी कार क संप
दान करो.
(९)
वम ने म त वं पता स न वं वय कृ व जामयो वयम्.
सं वा रायः श तनः सं सह णः सुवीरं य त तपामदा य.. (१०)
हे अ न! तुम हम पर अनु ह बु रखते हो. तुम हमारे पालक हो. तुम हम द घ जीवन
दे ते हो. हम तु हारे बंधु ह. कोई तु हारी हसा नह कर सकता, य क तुम शोभन पु ष से
यु एवं य के पालन करनेवाले हो. तु ह सैकड़ एवं हजार कार क संप यां भली
कार ा त ह. (१०)
वाम ने थममायुमायवे दे वा अकृ व ष य व प तम्.
इळामकृ व मनुष य शासन पतुय पु ो ममक य जायते.. (११)
हे अ न! तु ह दे व ने ाचीन काल म मनु य पधारी न ष व मानव शरीर वाला
सेनाप त बनाया था. जस समय तुमने मेरे पता अं गरा ऋ ष के पु के प म ज म लया
था, उसी समय दे व ने इला को मनु क धम पदे शक बनाया. (११)
वं नो अ ने तव दे व पायु भमघोनो र त व व .
ाता तोक य तनये गवाम य नमेषं र माण तव ते.. (१२)
हे वंदनीय अ न! तुम अपनी र णश
ारा हम धनवान एवं हमारे पु के शरीर क
र ा करो. हमारे पौ तु हारे य म सदा लगे रहते ह. तुम उनक गाय क र ा करो. (१२)
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वम ने य यवे पायुर तरोऽ नष ाय चतुर इ यसे.
यो रातह ोऽवृकाय धायसे क रे म ं मनसा वनो ष तम्.. (१३)
हे अ न! तुम यजमान क र ा करते हो. तुम रा स क बाधा से य को मु करने
के लए य के समीप रहकर चार ओर का शत होते हो. तुम हसा नह करते, अ पतु
पोषण करते हो. जो तु तगानक ा तु ह
दे ता है, तुम उसक तु त को मन से चाहते हो.
(१३)
वम न उ शंसाय वाघते पाह य े णः परमं वनो ष तत्.
आ य च म त यसे पता पाकं शा स दशो व
रः.. (१४)
हे अ न दे व! तुम ऐसी कामना करो क तु हारी तु त करने वाला ऋ वज् मनचाहा,
अनंत धन ा त करे. व ान् लोग कहते ह क तुम बल यजमान का पालन करने के लए
स च पता के समान हो. तुम अ यंत ानवान् हो. तुम अबोध बालक के समान यजमान
को ान दो और दशा का बोध कराओ. (१४)
वम ने यतद णं नरं वमव यूतं प र पा स व तः.
वा
ा यो वसतौ योनकृ जीवयाजं यजते सोपमा दवः.. (१५)
हे अ न! जस यजमान ने ऋ वज को द णा द है, उसक तुम चार ओर से उसी
कार र ा करो, जस कार सला आ कवच शरीर क र ा करता है. जो यजमान
अ त थय को वा द अ खलाकर सुखी करता है एवं अपने घर म ा णय से य
करवाता है, वह वग के समान सुखकारी होता है. (१५)
इमाम ने शर ण मीमृषो न इमम वानं यमगाम रात्.
आ पः पता म तः सो यानां भृ मर यृ षकृ म यानाम्.. (१६)
हे अ न! हमने जो तु हारे य का लोप कया, उस भूल को मा करो. हम तु हारी
अ नहो
पी सेवा को छोड़कर जो रवत माग म चले आए ह, इस भूल को भी मा
करो. तुम सोमयाग करने वाले मनु य को सरलता से ा त हो जाते हो. तुम उनके पता के
समान, परम मननशील एवं य पूरा करने वाले हो. तुम उ ह य
प से दशन दो. (१६)
मनु वद ने अ र वद रो यया तव सदने पूवव छु चे.
अ छ या ा वहा दै ं जनमा सादय ब ह ष य च यम्.. (१७)
हे प व अ न! तुम ह व हण करने के लए भ - भ थान पर जाते हो. तुम जस
कार मनु, अं गरा, यया त आ द पूव पु ष के य म जाते थे, उसी कार हमारे य म भी
सामने क ओर से आओ, दे व को अपने साथ लाकर कुश पर बैठाओ और उ ह य
दो. (१७)
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एतेना ने
णा वावृध व श वा य े चकृमा वदा वा.
उत णे य भ व यो अ मा सं नः सृज सुम या वाजव या.. (१८)
हे अ न! तुम हमारी इस तु त से वृ
ा त करो. हमने अपनी श और बु के
अनुसार तु हारी तु त क है. इस तु त के कारण तुम हम भूत संप दो तथा अ के
साथ-साथ शोभन बु भी दान करो. (१८)
सू —३२
दे वता—इं
इ य नु वीया ण वोचं या न चकार थमा न व ी.
अह हम वप ततद व णा अ भन पवतानाम्.. (१)
म व धारी इं के पूवकृत परा म का वणन करता ं. उसने मेघ का वध कया.
इसके प ात् जल को धरती पर गराया. इसके बाद बहती ई पहाड़ी न दय का माग बदल
दया. (१)
अह ह पवते श याणं व ा मै व ं वय तत .
वा ा इव धेनवः य दमाना अ ः समु मव ज मुरापः.. (२)
इं ने पवत पर आ य लेने वाले मेघ का वध कया. व ा ने इं के लए भली कार
फका जाने वाला व बनाया. इसके बाद जल क वेगवती धाराएं उसी कार समु क ओर
गई थ , जस कार रंभाती ई गाएं बछड़ वाले घर क ओर जाती ह. (२)
वृषायमाणोऽवृणीत सोमं क के व पब सुत य.
आ सायकं मघवाद व मह ेनं थमजामहीनाम्.. (३)
इं ने बैल के समान तेजी से सोम हण कया. यो त ोम, गोमेध और आयु इन
व वध य म चुआया आ सोमरस इं ने पया. धन के वामी इं ने व
पी बाण हण
करके सव थम उ प मेघ का वध कया था. (३)
य द ाह थमजामहीनामा मा यनाम मनाः ोत मायाः.
आ सूय जनय ामुषासं ताद ना श ुं न कला व व से.. (४)
हे इं ! जब तुमने थम उ प मेघ का वध कया था, तभी मायाधा रय क माया भी
समा त कर द थी. इसके प ात् तुमने सूय, आकाश एवं उषा को का शत कया था. इसके
बाद तु हारा कोई श ु दखाई नह दया. (४)
अह वृ ं वृ तरं ंस म ो व ेण महता वधेन.
क धांसीव कु लशेना ववृ णाऽ हः शयत उपपृ पृ थ ाः.. (५)
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इं ने संसार म अंधकार फैलाने वाले श ु को महा वनाशकारी व
ारा हाथ काटकर
मारा था. जस कार कु हाड़ी से काट ई शाखा गर पड़ती है, उसी कार वृ धरती पर
सोया आ था. (५)
अयो े व मद आ ह जु े महावीरं तु वबाधमृजीषम्.
नातारीद य समृ त वधानां सं जानाः प पष इ श ुः.. (६)
अहंकारी वृ ने यह समझकर इं को ललकारा क मेरे समान कोई यो ा है ही नह .
इं महान् परा मी, ब त का वंस करने वाले एवं श ु वजयी ह. वृ इं के वनाश से बच
नह सका. इं के श ु वृ ने गरते समय न दय के कनारे भी न कर दए. (६)
अपादह तो अपृत य द मा य व म ध सानौ जघान.
वृ णो व ः तमानं बुभूष पु ा वृ ो अशयद् तः.. (७)
बना हाथपैर वाले वृ ने इं को यु म ललकारा. इं ने पहाड़ क चोट के समान वृ
के पु कंधे म व मारा. जस कार श शाली पु ष क समानता करने वाले बलहीन
का य न थ जाता है, वही दशा वृ क ई. वह कई जगह घायल होकर धरती पर
गर पड़ा. (७)
नदं न भ ममुया शयानं मनो हाणा अ त य यापः.
या द् वृ ो म हना पय त ासाम हः प सुतः शीबभूव.. (८)
सुंदर जल धरती पर पड़े ए वृ को लांघकर उसी कार आगे जा रहा है, जस कार
स रता टू टे ए कनार को पार करके बहती है. वह जी वत अव था म अपनी श से जस
जल को रोके ए था, इस समय वह उसी जल के नीचे सो गया है. (८)
नीचावया अभवद् वृ पु े ो अ या अव वधजभार.
उ रा सूरधरः पु आसीद्दानुः शये सहव सा न धेनुः.. (९)
वृ क माता वृ को इं के हार से बचाने के लए तरछ होकर उसके शरीर पर गर
पड़ी. इं ने वृ क माता के नीचे के भाग पर व मारा. उस समय माता ऊपर और पु नीचे
था. जस कार गाय अपने बछड़े के साथ सो जाती है, उसी कार वृ क माता दनु सदा के
लए सो गई. (९)
अ त तीनाम नवेशनानां का ानां म ये न हतं शरीरम्.
वृ य न यं व चर यापो द घ तम आशय द श ुः.. (१०)
एक थान पर न कने वाले जल म डू बकर वृ का शरीर नाममा को भी दखाई नह
दे रहा है. इं से बैर करने वाला वृ चर न ा म लीन है और जल उसके ऊपर होकर बह रहा
है. (१०)
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दासप नीर हगोपा अ त
ा आपः प णनेव गावः.
अपां बलम प हतं यदासीद् वृ ं जघ वाँ अप त वार.. (११)
जस कार प ण नामक असुर ने गाय को गुफा म बंद कर दया था, उसी कार वृ
ारा र त उसक जल पी प नयां भी न
थ . जल बहने का माग भी का आ था.
इं ने वृ को मारकर वह ार खोला. (११)
अ ो वारो अभव त द सृके य वा यह दे व एकः.
अजयो गा अजयः शूर सोममवासृजः सतवे स त स धून्.. (१२)
हे इं ! सभी आयुध के हार म अ तीय वृ ने जब तु हारे व के ऊपर हार कया
था, उस समय तुम घोड़े क पूंछ के समान घूम कर उसे बचा गए थे. हे शूर! तुमने प ण ारा
पवत गुफा म छपाई ई गाय को जीता तथा सोम को भी जीत लया. तुमने सात न दय का
वाह बाधाहीन कर दया. (१२)
ना मै व ु त यतुः सषेध न यां महम करद्धा न च.
इ
य ुयध
ु ाते अ ह ोतापरी यो मघवा व ज ये.. (१३)
जस समय इं और वृ पर पर यु कर रहे थे, उस समय वृ ने माया से जस
बजली, मेघगजन, जलवषा और अश न का योग कया था, वे इं को नह रोक सके.
इसके साथ ही इं ने वृ क अ य माया को भी जीत लया. (१३)
अहेयातारं कमप य इ
द य े ज नुषो भीरग छत्.
नव च य व त च व तीः येनो न भीतो अतरो रजां स.. (१४)
हे इं ! वृ को मारते समय तु हारे मन म कोई भी भय नह आ. उस समय तुमने
सहायक प म कसी भी वृ हंता को नह दे खा था. तुम नडर बाज प ी के समान शी ता
से न यानवे न दय को पार कर गए थे. (१४)
इ ो यातोऽव सत य राजा शम य च शृ णो व बा ः.
से राजा य त चषणीनामरा ने मः प र ता बभूव.. (१५)
वृ को मारकर व धारी इं थावर, जंगम, स ग र हत और स ग वाले पशु के
वामी बने. इं मनु य के भी राजा बने. जस कार प हए के अरे ने म म थत रहते ह,
उसी कार इं ने सबको धारण कया. (१५)
सू —३३
एतायामोप ग
दे वता—इं
त इ म माकं सु म त वावृधा त.
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अनामृणः कु वदाद य रायो गवां केतं परमावजते नः.. (१)
हम प ण असुर ारा रोक
हसार हत ह एवं हमारी उ म बु
हम उ म ान दे ते ह. (१)
ई गाय को पाने क इ छा से इं के पास चल. इं
को बढ़ाते ह. इसके बाद वे इस गो प धन के वषय म
उपेदहं धनदाम तीतं जु ां न येनो वस त पता म.
इ ं नम य ुपमे भरकयः तोतृ यो ह ो अ त यामन्.. (२)
जस कार बाज अपने घ सले क ओर तेजी से जाता है, उसी कार म उ म तु तय
ारा पूजन करके धनदाता एवं अपराजेय इं क ओर दौड़ता ं. श ु के साथ यु छड़ने
पर तोतागण इं का आ ान करते ह. (२)
न सवसेन इषुध रस समय गा अज त य य व .
चो कूयमाण इ भू र वामं मा प णभूर मद ध वृ .. (३)
सम त सेना से यु इं पीठ पर तरकस लगाए ए ह. सबके वामी इं जसे चाहते ह,
उसी क गाय प ण से छु ड़ाकर उसके पास भेज दे ते ह. हे उ म बु संप इं ! हम पया त
मा ा म गो प धन दे कर ापारी के समान हमसे उसका मू य मत मांगना. (३)
वधी ह द युं ध ननं घनेनँ एक र ुपशाके भ र .
धनोर ध वषुण े ाय य वानः सनका े तमीयुः.. (४)
हे इं ! श शाली म द्गण तु हारे साथ थे, फर भी तुमने अकेले ही चोर एवं धनवान्
वृ को कठोर व
ारा मारा. य वरोधी उसके अनुचर तु ह मारने के वचार से गए, पर
उ ह तु हार धनुष से मृ यु मली. (४)
परा च छ षा ववृजु त इ ाय वानो य व भः पधमानाः.
य वो ह रवः थात
नर ताँ अधमो रोद योः.. (५)
हे इं ! जो लोग वयं य नह करते ह अथवा य करने वाल का वरोध करते ह, वे
पीछे क ओर मुंह करके भाग गए ह. हे इं ! तुम ह र नामक घोड़ के वामी, यु म पीठ न
दखाने वाले तथा उ हो. य न करने वाल को तुमने वग, आकाश और धरती से भगा
दया है. (५)
अयुयु स नव य सेनामयातय त तयो नव वाः.
वृषायुधो न व यो नर ाः व र ा चतय त आयन्.. (६)
वृ के अनुचर ने दोषर हत इं क सेना के साथ यु करना चाहा था. उ म च र
वाले मनु य ने इं को यु के लए े रत कया. जस कार शूर के साथ यु छे ड़ने वाले
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नपुंसक भाग जाते ह, उसी कार वे इं के ारा अपमा नत होकर अपनी नबलता का
वचार करते ए सरल माग से र भाग गए. (६)
वमेता ुदतो ज त ायोधयो रजस इ पारे.
अवादहो दव आ द युमु चा सु वतः तुवतः शंसमावः.. (७)
हे इं ! वृ के कुछ अनुचर तु हारी हंसी उड़ा रहे थे और कुछ तु हारे भय से रो रहे थे.
तुमने उन सभी से आकाश म यु कया एवं द यु वृ को वग से लाकर भली-भां त
सप रवार न कर दया. इस कार तुमने सोमरस तैयार करने वाल एवं तु तक ा क
र ा क . (७)
च ाणासः परीणहं पृ थ ा हर येन म णना शु भमानाः.
न ह वानास त त त इ ं प र पशो अदधा सूयण.. (८)
उन वृ ानुचर ने धरती को सब ओर से ा त कर लया था. वे वण एवं म णय से
सुशो भत थे. वे इं को नह जीत सके. य म व न डालने वाले उनको इं ने सूय क
सहायता से भगा दया. (८)
प र य द रोदसी उभे अबुभोजीम हना व तः सीम्.
अम यमानाँ अ भ म यमानै न
भरधमो द यु म .. (९)
हे इं ! तुमने अपनी म हमा से धरती और आकाश को ा त करके उनका भली कार
भोग कया है. जो यजमान मं का उ चारण समझकर केवल पाठ करते थे, मं उ ह अपना
समझकर उनक र ा करते थे. ऐसे मं
ारा तुमने उस चोर वृ को नकाल दया. (९)
न ये दवः पृ थ ा अ तमापुन माया भधनदां पयभूवन्.
युजं व ं वृषभ
इ ो न य तषा तमसो गा अ त्.. (१०)
जब आकाश से धरती पर जल नह बरसा और धन दे ने वाली भू म मानवोपकारक
फसल से यु नह थी, तब वषाकारक इं ने अपने हाथ म व उठाया और चमकते ए
व क सहायता से अंधकार फैलाने वाले मेघ से नीचे गरने वाला जल पूरी तरह हा. (१०)
अनु वधाम र ापो अ यावधत म य आ ना ानाम्.
स ीचीनेन मनसा त म ओ ज ेन ह मनाह भ ून्.. (११)
इं के वधा मं के अनुसार पानी बरसने लगा. तब वृ उन न दय के बीच म प ंचकर
बढ़ने लगा, जनम नाव चल सकती थी. इं ने श शाली एवं ाणसंहारक व
ारा उस
थर मन वाले वृ को कुछ ही दन म मार डाला. (११)
या व य दली बश य
हा व शृ णम भन छु ण म ः.
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याव रो मघव यावदोजो व ेण श ुमवधीः पृत युम्.. (१२)
इं ने धरती पर छपी ई वृ क सेना को पूरी तरह वेध दया था एवं संसार को ःखी
करने वाले एवं स ग के समान आयुध वाले वृ को अनेक कार से मारा था. हे इं ! तु हारे
पास जतना वेग और बल है, उसके ारा तुमने यु ा भलाषी वृ को व क सहायता से
काट डाला. (१२)
अ भ स मो अ जगाद य श ु व त मेन वृषभेणा पुरोऽभेत्.
सं व ेणासृज म ः वां म तम तर छाशदानः.. (१३)
इं का काय स करने वाला व श ु पर गरा था. इं ने ती ण एवं े व
पी
आयुध से वृ के नगर को तोड़ डाला था. इसके प ात् इं ने अपना व वृ पर चलाया
और उसे मारते ए भली-भां त अपना उ साह बढ़ाया. (१३)
आवः कु स म य म चाक ावो यु य तं वृषभं दश ुम्.
शफ युतो रेणुन त ामु छ् वै ेयो नृषा ाय त थौ.. (१४)
हे इं ! तुम कु स ऋ ष क तु त को पंसद करते थे. तुमने उनक र ा क . तुमने
यु रत एवं े गुण वाले दश ु ऋ ष क भी र ा क . तु हारे घोड़ क टाप से उठ ई
धूल आकाश तक फैल गई थी. ै ेय ऋ ष श ु के भय से पानी म छप गए थे. मनु य म
े पद पाने क इ छा से वे तु हारी कृपा के कारण ही बाहर नकले. (१४)
आवः शमं वृषभं तु यासु े जेषे मघव छ् व यं ाम्.
योक् चद त थवांसो अ छ ूयतामधरा वेदनाकः.. (१५)
हे इं ! तुमने शांत च , े गुण वाले एवं जलम न ै ेय को े ा त के उ े य से
बचाया था. जो लोग हमारे साथ ब त दन से यु कर रहे ह एवं हमसे श ुता रखते ह, तुम
उ ह वेदना और क दो. (१५)
सू —३४
दे वता—अ नीकुमार
ो अ ा भवतं नवेदसा वभुवा याम उत रा तर ना.
युवो ह य ं ह येव वाससोऽ यायंसे या भवतं मनी ष भः.. (१)
हे बु मान् अ नीकुमारो! तुम हमारे लए आज तीन बार आओ. तु हारे रथ और दान
ापक ह. जस कार र मय वाला सूय शीतल रा से संबं धत है, उसी कार तुम दोन
का भी नय मत संबंध है. तुम कृपा करके व ान के वश म हो जाओ. (१)
यः पवयो मधुवाहने रथे सोम य वेनामनु व इ
ः.
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यः क भासः क भतास आरभे
न ं याथ
व ना दवा.. (२)
सम त दे वता चं मा और उसक सुंदरी प नी वेना के ववाह म जा रहे थे, तब उ ह पता
लगा क मधुर भो य-पदाथ को ढोने वाले रथ म तीन प हए ह. उस रथ के ऊपर सहारा लेने
के लए खंभे ह. हे अ नीकुमारो! इस कार के रथ ारा तुम दन म तीन बार आओ और
रात म भी तीन बार आओ. (२)
समाने अह रव गोहना र य ं मधुना म म तम्.
वाजवती रषो अ ना युवं दोषा अ म यमुषस प वतम्.. (३)
हे अ नीकुमारो! तुम दन म तीन बार आकर य कम क ु टयां र करो. आज य
का
मधुर रस से तीन बार स चो. रात और दन म तीन-तीन बार बलकारक अ से
हमारा पोषण करो. (३)
व तयातं रनु ते जने
ना ं वहतम ना युवं
ः सु ा े ध
े ेव श तम्.
ः पृ ो अ मे अ रेव प वतम्.. (४)
हे अ नीकुमारो! हमारे नवास थान म तीन बार आओ. हमारे अनुकूल काय करने
वाले मनु य के पास तीन बार आओ. जो लोग तु हारे ारा र णीय ह, उनके पास तीन बार
आओ. हम तीन कार से श ा दो. हम तीन बार स ताकारक फल दो. जस कार मेघ
जल दे ते ह, उसी कार तुम हम तीन बार जल दो. (४)
न र य वहतम ना युवं दवताता
तावतं धयः.
ः सौभग वं
त वां स न
ं वां सूरे हता ह थम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! हम तीन बार धन दान करो. हमारे दे व संबंधी य म तीन बार
आओ. तीन बार हमारी बु क र ा करो. तीन बार हमारे सौभा य क र ा करो. हम तीन
बार अ दो. तु हारे तीन प हए वाले रथ पर सूय क पु यां सवार ह. (५)
न अ ना द ा न भेषजा ः पा थवा न
द मद् यः.
ओमानं शंयोममकाय सूनवे धातु शम वहतं शुभ पती.. (६)
हे अ नीकुमारो! वगलोक क ओष ध हम तीन बार दो. पृ वी पर उ प ओष ध हम
तीन बार दो. आकाश से हम तीन बार ओष ध दो. हे बृह प त के पोषको! हम वात, प ,
कफ—इन तीन धातु से संबं धत सुख दो. (६)
न अ ना यजता दवे दवे प र धातु पृ थवीमशायतम्.
त ो नास या र या परावत आ मेव वातः वसरा ण ग छतम्.. (७)
हे अ नीकुमारो! तुम
त दन य म बुलाने यो य हो. तुम तीन बार धरती पर आकर
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वेद पर तीन परत के प म बछ ई कुशा पर शयन करो. शरीर म जस
ाणवायु आती है, उसी कार तुम तीन य थान म आओ. (७)
कार
र ना स धु भः स तमातृ भ य आहावा ेधा ह व कृतम्.
त ः पृ थवी प र वा दवो नाकं र ेथे ु भर ु भ हतम्.. (८)
हे अ नीकुमारो! सधु आ द सात न दय के जल से तीन सोमा भषेक ए ह. जल के
आधार तीन कलश और तीन सवन से संबं धत तीन कार क ह व तैयार है. तुमने पृ वी
आ द तीन लोक से ऊपर जाकर दवसरा यु आकाश म सूय क र ा क थी. (८)
व१ ी च ा वृतो रथ य व१ यो व धुरो ये सनीळाः.
कदा योगो वा जनो रासभ य येन य ं नास योपयाथः.. (९)
हे नास यो! तु हारे तीन कोने वाले रथ के तीन प हए कहां ह? रथ के ऊपर जो बैठने
का थान है, उसके तीन बंधनाधार प डंडे कहां ह? तु हारे रथ म बलवान् गधे न जाने कब
जोड़े गए? उ ह के ारा तुम हमारे य म आते हो. (९)
आ नास या ग छतं यते ह वम वः पबतं मधुपे भरास भः.
युवो ह पूव स वतोषसो रथमृताय च ं घृतव त म य त.. (१०)
हे नास यो! इस य म आओ. म तु ह ह व दे ता ं. तुम मधुर पदाथ का पान करने
वाले अपने मुख से मधुर ह व पओ. तु हारे व च और धुरी म घी लगे ए रथ को हमारे
य म आने के लए उषा ने पहले ही ेरणा द थी. (१०)
आ नास या भरेकादशै रह दे वे भयातं मधुपेयम ना.
ायु ता र ं नी रपां स मृ तं सेधतं े षो भवतं सचाभुवा.. (११)
हे नास य अ नीकुमारो! ततीस दे वता के साथ मधुर सोमरस पीने के लए इस य
म आओ, हम द घायु करो, हमारे पाप का नाश करो, हमारे श ु को रोको और हमारे
साथ रहो. (११)
आ नो अ ना वृता रथेनावा चं र य वहतं सुवीरम्.
शृ व ता वामवसे जोहवी म वृधे च नो भवतं वाजसातौ.. (१२)
हे अ नीकुमारो! तीन लोक म चलने वाले अपने रथ ारा हमारे पास पु , सेवक
आ द स हत धन लाओ. तुम हमारी तु त सुनो. हम अपनी र ा के लए तु ह बुलाते ह.
हमारी उ त करो और सं ाम म हम श दो. (१२)
सू —३५
दे वता—स वता
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या य नं थमं व तये या म म ाव णा वहावसे.
या म रा जगतो नवेशन या म दे वं स वतारमूतये.. (१)
म अपनी र ा के लए सबसे पहले अ न को बुलाता ं. म अपनी र ा के लए म
और व ण को यहां बुलाता ं. म संसार के सभी ा णय को व ाम दे ने वाली रात को
बुलाता ं. म अपनी र ा के लए स वता को बुलाता ं. (१)
आ कृ णेन रजसा वतमानो नवेशय मृतं म य च.
हर ययेन स वता रथेना दे वो या त भुवना न प यन्.. (२)
स वता का रथ सोने का है. वे अंधकार से भरे आकाश म बार-बार मण करते ए
दे व और मानव को अपने-अपने कम म लगाते ए सभी लोक क या ा करते ह. (२)
या त दे वः वता या यु ता या त शु ा यां यजतो ह र याम्.
आ दे वो या त स वता परावतोऽप व ा रता बाधमानः.. (३)
स वता दे व ातःकाल से म या तक उ त माग से और म या से सं या तक अवनत
माग से चलते ह. य के यो य सूय दे व सफेद घोड़ क सहायता से चलते ह. वे सम त पाप
का नाश करते ए र दे श से य म आते ह. (३)
अभीवृतं कृशनै व पं हर यश यं यजतो बृह तम्.
आ था थं स वता च भानुः कृ णा रजां स त व ष दधानः.. (४)
य के यो य एवं रंग- बरंगी करण वाले स वता अपने तेज से लोक म ा त
अंधकार को न करने के लए वण मू तय से सुशो भत एवं सोने क क ल वाले वशाल
रथ पर सवार ए. (४)
व जना
ावाः श तपादो अ य थं हर य उगं वह तः.
श
शः स वतुद योप थे व ा भुवना न त थुः.. (५)
सूय के सफेद पैर वाले घोड़े सोने के जुए वाले रथ को ख चते ए मनु य को वशेष
प से काश दे ते ह. मनु य एवं सारा संसार काश के लए सूय दे वता के समीप जाता है.
(५)
त ो ावः स वतु ा उप थाँ एका यम य भुवने वराषाट् .
आ ण न र यममृता ध त थु रह वीतु य उ त चकेतत्.. (६)
वग आ द तीन लोक ह. इनम वगलोक और भूलोक दो सूय के अ धकार म ह. एक
आकाशलोक यमराज के घर जाने का माग है. जस कार आ ण नाम क क ल के ऊपर रथ
टका रहता है, उसी कार चं मा आ द न
सूय का सहारा लए ए ह. जो सूय के वषय
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म जानते ह, वे बोल. (६)
व सुपण अ त र ा य यद्गभीरवेपा असुरः सुनीथः.
वे३दान सूयः क केत कतमां ां र मर या ततान.. (७)
गंभीर कंपन वाली, सबको ाण दे ने वाली और सरलता से सब जगह प ंचने वाली सूय
क करण आकाश आ द तीन लोक म फैली ई ह. यह कौन बता सकता है क इस समय
सूय कहां है? सूय क करण कस वगलोक म व तृत ह? (७)
अ ौ
य ककुभः पृ थ ा ी ध व योजना स त स धून्.
हर या ः स वता दे व आगा ध ना दाशुषे वाया ण.. (८)
सूय ने पृ वी क आठ दशाएं, ा णय के तीन लोक और सात न दयां का शत क
ह. सोने क आंख वाले सूय
दे ने वाले यजमान को उ म धन दे ते ए यहां आव. (८)
हर यपा णः स वता वचष ण भे ावापृ थवी अ तरीयते.
अपामीवां बाधते वे त सूयम भ कृ णेन रजसा ामृणो त.. (९)
हाथ म सोना लए ए एवं व वध पदाथ को दे खते ए सूय आकाश और धरती दोन
लोक म जाते ह. वे रोग को र भगाते ह, उदय होते ह और अंधकार को न करने वाले
काश को लेकर सारे आकाश को ा त करते ह. (९)
हर यह तो असुरः सुनीथः सुमृळ कः ववाँ या ववाङ् .
अपसेध सो यातुधानान था े वः तदोषं गृणानः.. (१०)
हाथ म सोना लए ए, ाणदाता, अ छे नेता, सुख और धन दे ने वाले स वता य म
सामने से आव. सूय दे व तरा तु त सुनकर यातुधान और रा स को य से नकालकर
थत ए. (१०)
ये ते प थाः स वतः पू ासोऽरेणवः सुकृता अ त र े.
ते भन अ प थ भः सुगेभी र ा च नो अ ध च ू ह दे व.. (११)
हे स वता! आकाश म तु हारा माग न त, धू लर हत एवं भली कार बनाया गया है.
तुम उसी माग से आकर आज हमारी र ा करो. हे दे व! हमारी बात दे वता तक प ंचा दो.
(११)
सू —३६
दे वता—अ न
वो य ं पु णां वशां दे वयतीनाम्.
अ नं सू े भवचो भरीमहे यं सी मद य ईळते.. (१)
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दे व क कामना करने वाले हम ब सं यक जाजन पर अनु ह के न म सू
पी
वचन ारा महान् अ न क ाथना करते ह. अ य ऋ षगण भी इसी अ न क तु त करते
ह. (१)
जनासो अ नं द धरे सहोवृधं ह व म तो वधेम ते.
स वं नो अ सुमना इहा वता भवा वाजेषु स य.. (२)
य करने वाले लोग ने श वधक अ न को धारण कया था. हे अ न! हम लोग ह व
लेकर तु हारी सेवा करते ह. तुम अ दान म त पर हो. आज इस य म हम पर परम स
होकर हमारे र क बनो. (२)
वा तं वृणीमहे होतारं व वेदसम्.
मह ते सतो व चर यचयो द व पृश त भानवः.. (३)
हे अ न! तुम य के होता एवं सव हो. हम तु ह दे व का त समझकर वरण करते
ह. तुम महान् और न य हो. तु हारी चमक बढ़ती है. तु हारी करण आकाश को छू ती ह. (३)
दे वास वा व णो म ो अयमा सं तं न म धते.
व ं सो अ ने जय त वया धनं य ते ददाश म यः.. (४)
हे अ न! व ण, म और अयमा—ये तीन दे व तु ह अपना ाचीन त समझकर
भली कार चमकाते ह. जो यजमान तु ह ह व दे ता है, वह तु हारे ारा सभी कार क
संप जीत लेता है. (४)
म ो होता गृहप तर ने तो वशाम स.
वे व ा संगता न ता ुवा या न दे वा अकृ वत.. (५)
हे अ न! तुम दे व को बुलाने वाले, यजमान प जा के पालक एवं ह षत करने
वाले हो. तुम दे वता के त हो. पृ वी आ द दे वता जो थर कम करते ह, वे तुम म मल
जाते ह. (५)
वे इद ने सुभगे य व
व मा यते ह वः.
स वं नो अ सुमना उतापरं य दे वा सुवीया.. (६)
हे युवक अ न! तुझ परम सौभा यशाली को ल य करके सब ह
दए जाते ह. तुम
स मन होकर आज, कल और सवदा सुंदर एवं श शाली दे व का य करो. (६)
तं घे म था नम वन उप वराजमासते.
हो ा भर नं मनुषः स म धते त तवासो अ त
धः.. (७)
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यजमान नम कार करते ए अपने आप चमकने वाले उसी अ न को ह व दे कर
उपासना करते ह. श ु को करारी हार दे ने के इ छु क लोग होता
ारा अ न को व लत
करते ह. (७)
न तो वृ मतर ोदसी अप उ
याय च रे.
भुव क वे वृषा ु या तः दद ो ग व षु.. (८)
हे अ न! तु हारी सहायता से दे व ने वृ को मारकर रहने के लए वग, पृ वी और
आकाश को व तृत कया. जस कार सं ाम म हन हनाता आ घोड़ा गाएं ा त करता है,
उसी कार भली कार बुलाए जाने पर तुम क व ऋ ष के लए इ छानुसार धन बरसाओ.
(८)
सं सीद व महाँ अ स शोच व दे ववीतमः.
व धूमम ने अ षं मये य सृज श त दशतम्.. (९)
हे अ न! तुम भली कार बैठो. तुम महान् हो. तुम दे वता क बल इ छा करते ए
जलो. हे बु मान् एवं शंसनीय अ न! तुम इधर-उधर फैलने वाले धुएं को वशेष प से
बनाओ. (९)
यं वा दे वासो मनवे दधु रह य ज ं ह वाहन.
यं क वो मे या त थधन पृतं यं वृषा यमुप तुतः.. (१०)
हे ह वाहक अ न! सम त दे व ने मनु के लए इस य थल म तुझ परम पू य अ न
को धारण कया था. क व ने पू य अ त थय के साथ धन ारा स करने वाले तुझ अ न
को धारण कया था. वषा करने वाले इं एवं अ य तु तक ा ने भी तु ह धारण कया था.
(१०)
यम नं मे या त थः क व ईध ऋताद ध.
त य ेषो द दयु त ममा ऋच तम नं वधयाम स.. (११)
पू य अ त थय वाले क व ने जस अ न को सूय से लेकर व लत कया था, उसी
अ न क फैलने वाली करण चमक रही ह. हमारी ये ऋचाएं तथा हम उसी अ न को बढ़ाते
ह. (११)
राय पू ध वधावोऽ त ह तेऽ ने दे वे वा यम्.
वं वाज य ु य य राज स स नो मृळ महाँ अ स.. (१२)
हे अ स हत अ न! हम धन दो. तु हारी दे व से म ता है, तुम
एवं महान् हो. तुम हम सुखी बनाओ. (१२)
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स
अ के वामी
ऊ व ऊ षु ण ऊतये त ा दे वो न स वता.
ऊ व वाज य स नता यद
भवाघ व यामहे.. (१३)
तुम हमारी र ा के लए सूय के समान उ त बनो. ऊंचे उठकर तुम हम अ दे ने वाले
बनोगे, य क यूप गाड़ने वाले एवं य पूण करने वाले ऋ वज ारा हम तु ह बुलाते ह.
(१३)
ऊ व नः पा ंहसो न केतुना व ं सम णं दह.
कृधी न ऊ वा चरथाय जीवसे वदा दे वेषु नो वः.. (१४)
तुम ऊंचे उठकर ान क सहायता से हम पाप से बचाओ एवं सम त रा स को जला
दो. संसार म घूमने- फरने के लए हम उ त बनाओ तथा हम जी वत रखने के लए हमारा
ह व पी धन दे व के पास ले जाओ. (१४)
पा ह नो अ ने र सः पा ह धूतररा णः.
पा ह रीषत उत वा जघांसतो बृह ानो य व
.. (१५)
हे वशाल करण वाले युवक अ न! हम बाधक रा स से बचाओ. धन दान न करने
वाले धूत हसक पशु और मारने क इ छा रखने वाले श ु से हमारी र ा करो. (१५)
घनेव व व व ज रा ण पुज भ यो अ म ुक्.
यो म यः शशीते अ य ु भमा नः स रपुरीशत.. (१६)
हे उ ण करण वाले अ न! हम लोग जस कार डंडे, प थर आ द से मट् ट का
बतन फोड़ते ह, तुम उसी कार धन दान न करने वाले, हमसे े ष रखने वाले एवं हम डरानेधमकाने वाले तथा श
हार करने वाले श ु का सब कार से संहार करो. (१६)
अ नव ने सुवीयम नः क वाय सौभगम्.
अ नः ाव म ोत मे या त थम नः साता उप तुतम्.. (१७)
अ न से श दायक अ क याचना क जाती है. अ न ने क व को सौभा य दान
कया, हमारे म क र ा क तथा पू य अ त थय वाले ऋ ष क र ा क . धन ा त के
लए जस कसी ने अ न क तु त क , उसी को धन दे कर अ न ने र ा क . (१७)
अ नना तुवशं य ं परावत उ ादे वं हवामहे.
अ ननय ववा वं बृह थं तुव त द यवे सहः.. (१८)
हम चोर का दमन करने वाले अ न को तुवया, य और उ ादे व ऋ षय के साथ र
दे श से बुलाते ह. यह अ न वा व, बृह थ और तुव त नामक राज षय को इस य म
बुलाव. (१८)
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न वाम ने मनुदधे यो तजनाय श ते.
द दे थ क व ऋतजात उ तो यं नम य त कृ यः.. (१९)
हे काश प अ न! मनु ने सम त जा तय के क याण के लए तु हारी थापना क
थी. हे अ न दे व! तुमने य के न म उ प होकर ह से तृ त ा त क और क व को
काश दया. मनु य तु ह नम कार करते ह. (१९)
वेषासो अ नेरमव तो अचयो भीमासो न तीतये.
र वनः सद म ातुमावतो व ं सम णं दह.. (२०)
अ न क वालाएं चमक ली, श शाली और भयानक ह. इस लए उसे कोई न नह
कर सकता. हे अ न दे व! रा स , यातुधान एवं हमारे व भ क श ु को जलाओ.
(२०)
दे वता—म द्गण
सू —३७
ळं वः शध मा तमनवाणं रथेशुभम्. क वा अ भ
गायत.. (१)
हे क व गो ो प ऋ षयो! वहरणशील एवं श ुर हत म त को ल य करके तु त
करो. वे अपने रथ पर सुशो भत होते ह. (१)
ये पृषती भऋ
भः साकं वाशी भर
भः. अजाय त वभानवः.. (२)
ब यु ह र णयां म त का वाहन ह. उ ह ने इन वाहन के साथ काशवान् होकर
घोर गजन, आयुधसमूह तथा अलंकार स हत जल हण कया. (२)
इहेव शृ व एषां कशा ह तेषु य दान्. न याम च मृ
ते.. (३)
म त के हाथ म रहने वाले चाबुक का श द हम सुन रहे ह. चाबुक का वह श द यु
हमारी श बढ़ाता है. (३)
वः शधाय घृ वये वेषु ु नाय शु मणे. दे व ं
गायत.. (४)
हे ऋ वजो! तु हारे बल का समथन करने वाले, श ु दमनकारी, उ
एवं श शाली म त क तु त ह व हण के उ े य से करो. (४)
शंसा गो व यं
म
वलक तसंप
ळं य छध मा तम्. ज भे रस य वावृधे.. (५)
हे ऋ वजो! ध दे ने वाली गाय के बीच थत म द्गण के अ वनाशी, वहारशील
एवं सहन करने यो य तेज क शंसा करो. वह तेज गाय का ध पीने के कारण बढ़ा है. (५)
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को वो व ष आ नरो दव
म धूतयः. य सीम तं न धूनुथ.. (६)
हे धरती और आकाश को कं पत करने वाले म द्गणो! तुमसे कौन बड़ा है? तुम जैसे
पेड़ क चोट को कं पत कर दे ते हो, उसी कार सब दशा को कंपा दो. (६)
न वो यामाय मानुषो द उ ाय म यवे. जहीत पवतो ग रः.. (७)
हे म द्गणो! तु हारे चलने से घर गर पड़ेगा, इस भय से लोग ने घर म मजबूत खंभे
गाड़े ह. तु हारी चाल उ एवं झकझोरने वाली है. तु हारी तेज चाल से चो टय वाले अनेक
पवत हल जाते ह. (७)
येषाम मेषु पृ थवी जुजुवा इव व प तः. भया यामेषु रेजते.. (८)
हे म द्गणो! तु हारी चाल सभी पदाथ को र फक दे ती है. वृ एवं बल राजा श ु
के भय से जस कार कांपता है, उसी कार तु हारे चलने से धरती कांपती है. (८)
थरं ह जानमेषां वयो मातु नरेतवे. य सीमनु
ता शवः.. (९)
म त क उ प का थान आकाश थर रहता है. आकाश म त क माता के समान
है. आकाश म होकर प ी नकल सकते ह. म त का बल धरती और आकाश को पृथक्
करता है. (९)
उ
ये सूनवो गरः का ा अ मे व नत. वा ा अ भ ु यातवे.. (१०)
श द के ज मदाता म द्गण चलते समय जल का व तार करते ह और रंभाती ई
गाय को घुटने तक गहरे जल म वेश करने को े रत करते ह. (१०)
यं च ा द घ पृथुं महो नपातममृ म्.
यावय त याम भः.. (११)
म द्गण अपनी तेज चाल से व तृत, मोटे , जल न बरसाने वाले, अपराजेय एवं
बादल को भी कं पत कर दे ते ह. (११)
म तो य
स
वो बलं जनाँ अचु यवीतन. गर रचु यवीतन.. (१२)
हे म तो! तुम श शाली हो, इस लए सम त ा णय को अपने-अपने काम म लगाते
हो तथा मेघ को भी े रत करते हो. (१२)
य
या त म तः सं ह ुवतेऽ व ा. शृणो त क दे षाम्.. (१३)
म द्गण जब चलते ह तो माग म सब ओर व न अव य करते ह. उस व न को चाहे
जो सुन सकता है. (१३)
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यात शीभमाशु भः स त क वेषु वो वः. त ो षु मादया वै.. (१४)
हे म द्गणो! अपने ती गामी वाहन के ारा य भू म म शी
यजमान के ारा क गई सेवा से उनके त तृ त बनो. (१४)
आओ. बु
मान्
अ त ह मा मदाय वः म स मा वयमेषाम्. व ं चदायुज वसे.. (१५)
हे म द्गणो! हमारे ारा दया आ ह व तु ह तृ त करने के लए है. हम पूण आयु
जीने के लए तु हारे सेवक बने ह. (१५)
सू —३८
क
दे वता—म द्गण
नूनं कध यः पता पु ं न ह तयोः. द ध वे वृ ब हषः.. (१)
हे म द्गणो! ाथना चाहने वाले तुम लोग के लए कुश बछा दए गए ह. जस कार
पता पु को हाथ पर धारण करता है, या तुम भी हम उसी कार धारण करोगे? (१)
व नूनं क ो अथ ग ता दवो न पृ थ ाः. व वो गावो न र य त.. (२)
हे म द्गणो! इस समय तुम कहां हो? तुम इस य म कब आओगे? तुम यहां आकाश
से आओ, धरती से मत आना. जस कार गाएं रंभाती ह, उसी कार यजमान तु ह यहां
बुलाते ह. (२)
व वः सु ना न ां स म तः व सु वता. वो३ व ा न सौभगा.. (३)
हे म द्गणो! तु हारी जा पशु पी नवीन धन, म ण, मु ा आ द
और गज, अ आ द पी सौभा य धन कहां है? (३)
पी शोभन धन
य ूयं पृ मातरो मतासः यातन. तोता वो अमृतः यात्.. (४)
हे पृ नामक धेनु के पु म द्गण! य प तुम मरणधमा हो, पर तु हारी तु त करने
वाला अमर होगा. (४)
मा वो मृगो न यवसे ज रता भूदजो यः. पथा यम य गा प.. (५)
घास के बीच म मृग जस कार सेवार हत नह रहता, अ पतु घास खाता है, उसी
कार तु हारी तु त करने वाले तु हारी सेवा से कभी शू य न ह . इस कार वे यमराज के
माग पर नह जाएंगे. (५)
मो षु णः परापरा नऋ त हणा वधीत्. पद
तृ णया सह.. (६)
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हे म द्गण! अ यंत श शाली पाप क दे वी नऋ त का कोई वनाश नह कर
सकता. वह हमारा वध न करे और हमारी तृ णा के साथ ही समा त हो जाए. (६)
स यं वेषा अमव तो ध व चदा
यासः. महं कृ व यवाताम्.. (७)
ारा पा लत, द तसंप एवं बलशाली म द्गण म थल म भी वायुर हत वषा
करते ह, यह बात स य है. (७)
वा ेव व ु ममा त व सं न माता सष
. यदे षां वृ रस ज.. (८)
ध भरे तन वाली रंभाती ई गाय के समान बजली गरजती है. गाय जस तरह
बछड़े को चाटती है, उसी कार बजली म द्गण क सेवा करती है. इसी के फल व प
म द्गण ने वषा क है. (८)
दवा च मः कृ व त पज येनोदवाहेन. य पृ थव
ु द त.. (९)
म द्गण जल ढोने वाले बादल क सहायता से दन म भी अंधेरा कर दे ते ह. वे उसी
समय धरती को स चते ह. (९)
अध वना म तां व मा स पा थवम्. अरेज त
मानुषाः.. (१०)
म द्गण के गरजने क व न से धरती पर बने सभी घर एवं उन म रहने वाले मनु य
कांपने लगते ह. (१०)
म तो वीळु पा ण भ
श
ा रोध वतीरनु. यातेम ख याम भः.. (११)
हे म द्गणो! जस कार व च कनार वाली नद बहती है, उसी कार तुम अपने
शाली हाथ क सहायता से बना के ए चलते रहो. (११)
थरा वः स तु नेमयो रथा अ ास एषाम्. सुसं कृता अभीशवः.. (१२)
हे म द्गणो! तु हारी ने म, रथ और घोड़े श
घोड़ क लगाम पकड़. (१२)
अ छा वदा तना गरा जरायै
शाली ह . तु हारी उंग लयां सावधानी से
ण प तम्. अ नं म ं न दशतम्.. (१३)
हे ऋ वजो! मं के पालक म द्गण, अ न एवं दशनीय म क ाथना के लए हमारे
सामने ऐसे मं से तु त करो जो उन दे वता का व प बताने वाले ह . (१३)
ममी ह
ोकमा ये पज य इव ततनः. गाय गाय मु यम्.. (१४)
हे ऋ वजो! अपने मुंह से तो
क रचना करो. जस कार बादल वषा का व तार
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करते ह, उसी कार तुम उस तो के
शा स मत तो को पढ़ो. (१४)
ोक को बढ़ाओ, तुम गाय ी छं द
ारा न मत
व द व मा तं गणं वेषं पन युम कणम्. अ मे वृ ा अस ह.. (१५)
हे ऋ वजो! काशयु , तु तयो य एवं सब लोग ारा अ चत म द्गण क तुम
वंदना करो, जससे वे हमारे इस य म वृ को ा त ह . (१५)
सू —३९
दे वता—म द्गण
य द था परावतः शो चन मानम यथ.
क य वा म तः क य वपसा कं याथ कं ह धूतयः.. (१)
हे कंपनकारी म द्गणो! जस कार सूय आकाश से अपनी तेज रोशनी धरती पर
फकता है, उसी कार जब तुम र आकाश से अपनी श
धरती पर डालते हो तो तुम
कस य म कस यजमान ारा आक षत कए जाते हो तथा कस यजमान के समीप जाते
हो? (१)
थरा वः स वायुधा पराणुदे वीळू उत त कभे.
यु माकम तु त वषी पनीयसी मा म य य मा यनः.. (२)
हे म द्गणो! तु हारे आयुध श ु वनाश के लए थर और श ु को रोकने के लए
ढ़ ह . तु हारी श
तु त करने यो य हो, हमारे त धोखा करने वाले श ु क श
शंसनीय न हो. (२)
परा ह य थरं हथ नरो वतयथा गु .
व याथन व ननः पृ थ ा ाशाः पवतानाम्.. (३)
हे नेताओ! जब तुम वृ ा द थर व तु को तोड़ते ए एवं प थर आ द भारी व तु
को हलाते ए चलते हो, तब पृ वी पर खड़े वन के बीच से तथा पवत के बगल वाले माग
से चलते हो. (३)
न ह वः श ु व वदे अ ध व न भू यां रशादसः.
यु माकम तु त व ष तना युजा ासो नू चदाधृषे.. (४)
हे श ुनाशकारी! धरती और आकाश म तु हारा कोई श ु नह आ. हे
सबक स म लत श श ु का दमन करने के लए व तृत हो. (४)
वेपय त पवता व व च त वन पतीन्.
ो आरत म तो मदा इव दे वासः सवया वशा.. (५)
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पु ो! तुम
म द्गण पवत को भली कार कं पत करते एवं वृ को एक- सरे से अलग करते ह.
हे दे वो! जस कार मतवाले लोग वे छा से सब जगह जाते ह. उसी कार तुम भी जा
के साथ सव जाते हो. (५)
उपो रथेषु पृषतीरयु वं
वह त रो हतः.
आ वो यामाय पृ थवी चद ोदबीभय त मानुषाः.. (६)
तुम बुंद कय वाले ह रण को अपने रथ म जोतते हो. लाल ह रण तु हारे रथ के जुए
को ख चता है. तु हारे आने क व न धरती और आकाश ने सुनी है तथा मनु य भयभीत हो
उठे ह. (६)
आ वो म ू तनाय कं
ा अवो वृणीमहे.
ग ता नूनं नोऽवसा यथा पुरे था क वाय ब युषे.. (७)
हे पु ो! हम पु - ा त के लए तु हारी र णश क शी ाथना करते ह. पहले
कए गए य म हमारी र ा के लए तुम जस कार आए थे, उसी कार भयभीत एवं
बु मान् यजमान क र ा के लए उनके समीप आओ. (७)
यु मे षतो म तो म य षत आ यो नो अ व ईषते.
व तं युयोत शवसा ोजसा व यु माका भ त भः.. (८)
हे म द्गणो! तु हारी अथवा कसी अ य पु ष क ेरणा से जो भी श ु हमारे सामने
आवे, तुम उसका बल और अ छ न लो और उससे अपनी र ा भी वापस कर लो. (८)
असा म ह य यवः क वं दद चेतसः.
असा म भम त आ न ऊ त भग ता वृ न व ुतः.. (९)
हे म द्गणो! तुम पूण प से य पा एवं परम ानसंप हो. तुम यजमान को धारण
करो. जस कार बजली वषा लेकर आती है, उसी कार तुम अपनी पूरी श से हमारी
र ा करने को आओ. (९)
असा योजो बभृथा सुदानवोऽसा म धूतयः शवः.
ऋ ष षे म तः प रम यव इषुं न सृजत षम्.. (१०)
हे शोभन दान करने वाले म तो! तुम अपनी सम त श
धारण करो. हे
कंपनक ाओ! ऋ षय से े ष करने वाले एवं ोधी श ु के त बाण के समान अपना ोध
करो. (१०)
सू —४०
दे वता—
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ण पत
उ
उप
ण पते दे वय त वेमहे.
य तु म तः सुदानव इ
ाशूभवा सचा.. (१)
हे
ण प त! हम पर अनु ह करने के लए अपने नवास थान से उठो. दे वता क
इ छा करने वाले हम तुमसे याचना करते ह. सुंदर दान करने वाले म द्गण तु हारे समीप
जाव. हे इं ! तुम
ण प त के सोमरस का सेवन करो. (१)
वा म सहस पु म य उप ूते धने हते.
सुवीय म त आ व ं दधीत यो व आचके.. (२)
हे परम बल पालक! श ु के बीच फंसे ए धन को ा त करने के लए मनु य
तु हारी ही तु त करते ह. हे म द्गणो! धन का इ छु क जो मनु य,
ण प त स हत
तु हारी तु त करता है, वह सुंदर अ एवं शोभन वीय संप धन ा त करता है. (२)
ै ु
त
ण प तः दे ेतु सूनृता.
अ छा वीरं नय पङ् राधसं दे वा य ं नय तु नः.. (३)
श ु
(३)
ण प त एवं य स य पा वा दे वी हम ा त ह .
ण प त आ द दे व वीर
को हमसे ब त र ले जाव एवं हम मानव हतकारी तथा
पूण य म ले जाव.
यो वाघते ददा त सूनरं वसु स ध े अ त वः.
त मा इळां सुवीरामा यजामहे सु तू तमनेहसम्.. (४)
ऋ वज् को उ म धन दे ने वाला यजमान अ य अ ा त करता है. उस यजमान के
न म हम सुवीरा इला से याचना करते ह. वह श ु का नाश करती है, पर उसे कोई नह मार
सकता. (४)
नूनं
य म
ण प तम ं वद यु यम्.
ो व णो म ो अयमा दे वा ओकां स च
रे.. (५)
ण प त होता के मुख म बैठकर न य ही प व मं बोलते ह. उस मं म इं ,
व ण, म और अयमा दे व नवास करते ह. (५)
त म ोचेमा वदथेषु श भुवं म ं दे वा अनेहसम्.
इमां च वाचं तहयथा नरो व े ामा वो अ वत्.. (६)
हे
ण प त भृ त दे वो! हम उसी इं
तपादक प व मं को बोलते ह. हे
नेताओ! य द आप हमारे वचन को चाहते ह तो सभी शोभन वचन आपको ा त ह गे. (६)
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को दे वय तम व जनं को वृ ब हषम्.
दा ा प या भर थता तवाव यं दधे.. (७)
दे व क अ भलाषा करने वाले एवं य के न म कुश तोड़ने वाले यजमान के समीप
ण प त के अ त र कौन दे वता आ सकता है? ह दाता यजमान ऋ वज के साथ
भां त-भां त क संप य से यु घर से नकलकर य थल क ओर थान कर चुके ह.
(७)
उप
ं पृ चीत ह त राज भभये च सु त दधे.
ना य वता न त ता महाधने नाभ अ त व णः.. (८)
ण प त अपने शरीर म श
का संचय कर. वे व ण आ द राजा के साथ
श ु का नाश करते ह एवं भयानक यु म भी डटे रहते ह. व धारी
ण प त को भूत
घर ा त के लए होने वाले बड़े अथवा छोटे यु म े रत या उ साहहीन करने वाला सरा
नह है. (८)
दे वता—व ण आ द
सू —४१
यं र
त चेतसो व णो म अयमा. नू च य द यते जनः.. (१)
उ म ान से संप व ण, म और अयमा दे वता जसक र ा करते ह, वह शी ही
सब श ु को मार डालता है. (१)
यं बा तेव प त पा त म य रषः. अ र ः सव एधते.. (२)
व णा द दे व जस यजमान को अपने हाथ से धनसंप करते एवं हसक से बचाते ह,
वह सबसे सुर त रहकर उ त करता है. (२)
व गा व
षः पुरो न त राजान एषाम्. नय त
रता तरः.. (३)
व णा द राजा अपने यजमान के सामने थत श ु का ग तोड़कर श ु
करते ह. इसके प ात् वे यजमान के पाप को भी न कर दे ते ह. (३)
का नाश
सुगः प था अनृ र आ द यास ऋतं यते. ना ावखादो अ त वः.. (४)
हे आ द यो! तुम जस माग से य म जाते हो, वह सुगम और न कंटक है. इस य म
ऐसा ह व नह , जससे तु ह घृणा हो. (४)
यं य ं नयथा नर आ द या ऋजुना पथा.
वः स धीतये नशत्.. (५)
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हे नेता प आ द यो! तुम सरल माग से जस य म आते हो, उस म तु ह सोमरस का
उपभोग मले. (५)
स र नं म य वसु व ं तोकमुत मना. अ छा ग छ य तृतः.. (६)
तु हारे ारा अनुगृहीत यजमान तु हारे सामने ही सभी रमणीय धन ा त करता है.
कोई उसक हसा नह कर सकता, अ पतु वह अपने समान संतान भी ा त करता है. (६)
कथा राधाम सखायः तोमं म याय णः. म ह सरो व ण य.. (७)
हे ऋ वज् म ो! हम म , अयमा और व ण के मह व के अनु प तो कब ा त
करगे? (७)
मा वो न तं मा शप तं
त वोचे दे वय तम्. सु नै र आ ववासे.. (८)
हे म ा द दे वो! दे व क कामना करने वाले यजमान को मारने वाले एवं कटु वचन
बोलने वाले मनु य के व
म कुछ नह कहता. म तो तु ह धन से तृ त करता ं. (८)
चतुर
दमाना भीयादा नधातोः. न
ाय पृहयेत्.. (९)
जुए के खेल म चार कौ ड़यां हाथ म रखने वाले से लोग तभी तक डरते ह, जब तक
वह उ ह फक नह दे ता, उसी कार यजमान सरे क नदा नह करना चाहता, अ पतु उससे
डरता है. (९)
दे वता—पूषा
सू —४२
सं पूष वन तर
ंहो वमुचो नपात्. स वा दे व
ण पुरः.. (१)
हे पूषा! हम माग के पार लगा दो. पाप व न का कारण है, तुम उसे न करो. हे
जलवषक मेघ के पु ! हमारे आगे चलो. (१)
यो नः पूष घो वृको ःशेव आ ददे श त. अप म तं पथो ज ह.. (२)
हे पूषा! य द कोई आ मणकारी, धन अपहरण करने वाला एवं
रा ता दखाता है तो उसे हमारे माग से हटा दो. (२)
श ु हम गलत
अप यं प रप थनं मुषीवाणं र तम्. रम ध ुतेरज.. (३)
तुम हमारा रा ता रोकने वाले चोर एवं कु टल
को हमारे माग से र भगा दो. (३)
वं त य या वनोऽघशंस य क य चत्. पदा भ त तपु षम्.. (४)
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हे दे व! हमारे सामने और पीठ पीछे दोन कार से हमारा धन हरण करने वाले
अ न साधक चोर के परपीड़क शरीर को अपने पैर से कुचल दो. (४)
आ त े द म तुमः पूष वो वृणीमहे. येन पतॄनचोदयः.. (५)
हे ानसंप एवं श ुनाशक पूषा! तुमने जस र ाश
से अं गरा आ द पूवज को
े रत कया था, हम तु हारी उसी श क ाथना करते ह. (५)
अधा नो व सौभग हर यवाशीम म. धना न सुषणा कृ ध.. (६)
हे सवसंप शाली एवं सुवणमय आयुध वाले पूषा! हमारी
भां त-भां त का धन दे ना. (६)
अ त नः स तो नय सुगा नः सुपथा कृणु. पूष ह
ाथना के प ात् हम
तुं वदः.. (७)
हम बाधा प ंचाने के लए आए ए श ु से हम र ले जाओ. हमारा माग सुगम और
शोभन बनाओ. हे पूषा! इस माग म हमारी र ा का उ रदा य व तु हारा है. (७)
अ भ सूयवसं नय न नव वारो अ वने. पूष ह
तुं वदः.. (८)
तुम हम घास वाले सुंदर दे श म ले जाओ. हम माग म कोई नया क न हो. हे पूषा! इस
माग म हमारी र ा के वषय म तु ह जानते हो. (८)
श ध पू ध
यं स च शशी ह ा युदरम्. पूष ह
तुं वदः.. (९)
हे पूषा! हम पर अनु ह करके हमारे घर को धनधा य से भर दो, हम अ य इ छत
व तुएं दे कर परम तेज वी बनाओ एवं उ म अ से हमारी उदरपू त करो. हे पूषा! इस माग
म हमारी र ा का उपाय तु ह ही करना है. (९)
न पूषणं मेथाम स सू ै र भ गृणीम स. वसू न द ममीमहे.. (१०)
हम पूषा क नदा नह करते, अ पतु सू
से धन क याचना करते ह. (१०)
सू —४३
क
वाले
ाय चेतसे मीळ्
से उनक तु त करते ह. हम दशनीय पूषा
दे वता—
आद
माय त से. वोचेम श तमं दे .. (१)
कृ
ान यु , मनोकामना पूण करने वाले, अ यंत महान् एवं दय म नवास करने
को ल य करके हम कब सुखकर तो पढ़गे? (१)
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यथा नो अ द तः कर प े नृ यो यथा गवे. यथा तोकाय
अ द त येन-केन कारेण हम, पशु
संबंधी ओष ध दान कर. (२)
यथा नो म ो व णो यथा
म , व ण,
कर. (३)
को, मनु य को, गाय को और हमारी संतान को
केत त. यथा व े सजोषसः.. (३)
और पर पर समान ी त रखने वाले अ य सब दे वता हमारे ऊपर कृपा
गाथप त मेधप त
ं जलाषभेषजम्. त छं योः सु नमीमहे.. (४)
तु तपालक, य र क एवं सुखकारी ओष धय से यु
शंयु के समान सुख क याचना करते ह. (४)
यः शु
यम्.. (२)
के समीप हम बृह प तपु
इव सूय हर य मव रोचते. े ो दे वानां वसुः.. (५)
जो
सूय के समान द तमान् एवं सोने के समान चमक ले ह, वे दे वता
एवं उनके नवास के कारण ह. (५)
म
े
शं नः कर यवते सुगं मेषाय मे ये. नृ यो ना र यो गवे.. (६)
(६)
दे वगण, हमारे घोड़ , मेष, भेड़, पु ष,
अ मे सोम
ी और गाय के लए सुलभ सुख दान कर.
यम ध न धे ह शत य नृणाम्. म ह व तु वनृ णम्.. (७)
हे सोमदे व! हम सौ मनु य के बराबर पया त धन तथा भूत बलयु
दो. (७)
एवं महान् अ
मा नः सोम प रबाधो मारातयो जु र त. आ न इ दो वाजे भज.. (८)
सोम के वरोधी एवं श ु हमारी हसा न कर. हे इं दे व! हम अ दो. (८)
या ते जा अमृत य पर म धाम ृत य.
मूधा नाभा सोम वेन आभूष तीः सोम वेदः.. (९)
हे सोम! मरणर हत एवं उ म थान ा त करने वाले तुम सब दे व के शरोम ण
बनकर अपनी जा क कामना करो. वह जा तु ह सुशो भत करती है, तुम उसका यान
रखो. (९)
सू —४४
दे वता—अ न आ द
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अ ने वव व षस
ं राधो अम य.
आ दाशुषे जातवेदो वहा वम ा दे वाँ उषबुधः.. (१)
हे मरणर हत, सवभूत ाता अ न! तुम ह व दे ने वाले यजमान के लए उषा दे वता के
पास से लाकर टकने यो य एवं व भ कार का धन दो. उषाकाल म जागने वाले दे व को
तुम आज यहां ले आना. (१)
जु ो ह तो अ स ह वाहनोऽ ने रथीर वराणाम्.
सजूर यामुषसा सुवीयम मे धे ह वो बृहत्.. (२)
हे अ न! तुम दे वता
ारा से वत त एवं ह वहन करने वाले हो. तुम य के रथ
हो. तुम अ नीकुमार तथा उषा से मलकर हम शोभन एवं श संप पया त धन दो. (२)
अ ा तं वृणीमहे वसुम नं पु यम्.
धूमकेतुं भाऋजीकं ु षु य ानाम वर यम्.. (३)
हम दे वता के त, नवास हेतु सबके य, धूम पी वजा से यु , स
काश
से सुशो भत तथा ातःकाल यजमान के य का सेवन करने वाले अ न को वरण करते ह.
(३)
े ं य व म त थ वा तं जु ं जनाय दाशुषे.
दे वाँ अ छा यातवे जातवेदसम नमीळे ु षु.. (४)
म उषाकाल म दे व समूह के अ भमुख जाने के लए े , अ तशय युवक, न य, चलने
म स म, सबके ारा बुलाए गए, ह दाता के त स एवं सब ा णय को जानने वाले
अ न क तु त करता ं. (४)
त व या म वामहं व यामृत भोजन.
अ ने ातारममृतं मये य य ज ं ह वाहन.. (५)
(५)
हे मरणर हत, व र क, ह वाहन एवं य के यो य अ न! म तु हारी तु त क ं गा.
सुशंसो बो ध गृणते य व
मधु ज ः वा तः.
क व य तर ायुज वसे नम या दै ं जनम्.. (६)
हे अ तशय युवक अ न! यजमान के लए तु त करने वाले तोता के तु ह तु त
वषय हो. तु हारी ज ाएं सुख दे ने वाली ह. भली कार बुलाए जाने पर तुम हमारा
अ भ ाय समझो एवं आयु बढ़ा कर क व को द घजीवी बनाओ. वह दे वभ है, तुम
उसका स मान करो. (६)
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होतारं व वेदसं सं ह वा वश इ धते.
स आ वह पु त चेतसोऽ ने दे वाँ इह वत्.. (७)
तुझ होम न पादक एवं सव अ न को जाएं भली-भां त व लत करती ह. हे
ब त ारा आ त अ न! तुम उ म ान संप दे व को इस य म शी लाओ. (७)
स वतारमुषसम ना भगम नं ु षु पः.
क वास वा सुतसोमास इ धते ह वाहं व वर.. (८)
हे शोभन य से यु अ न! नशा समा त के प ात् भात होने पर स वता, उषा,
अ नीकुमार, भग आ द को य म ले आओ. सोमरस नचोड़ने वाले मेधावी ऋ वज् तु ह
चंड करते ह. (८)
प त वराणाम ने तो वशाम स.
उषबुध आ वह सोमपीतये दे वाँ अ
व शः.. (९)
हे अ न! तुम जा के य पालक एवं दे वता के त हो. ातःकाल जागकर सूय
के दशन करने वाले दे व को सोमरस पीने के लए यहां लाओ. (९)
अ ने पूवा अनूषसो वभावसो द दे थ व दशतः.
अ स ामे व वता पुरो हतो ऽ स य ेषु मानुषः.. (१०)
हे व श काशवान् एवं धन के वामी अ न! तुम सबके दशनीय हो. तुम अतीतकाल
म उषा के प ात् का शत होते रहे हो. तुम गाय के र क, य क वेद के पूव दशा वाले
भाग म अब भी थत एवं य क ा के हतसाधक हो. (१०)
न वा य य साधनम ने होतारमृ वजम्.
मनु व े व धीम ह चेतसं जीरं तमम यम्.. (११)
हे अ न! तुम य के साधन, दे वता
का आ ान करने वाले, ऋ वज्, उ म
ानसंप , श ु क आयु न करने वाले, दे व त तथा मरणर हत हो. हम मनु के समान
तु ह य म था पत करते ह. (११)
य े वानां म महः पुरो हतोऽ तरो या स यम्.
स धो रव व नतास ऊमयोऽ ने ाज ते अचयः.. (१२)
हे म पूजक अ न! जब तुम य वेद के पूव भाग म था पत होकर दे वय म वतमान
रहते ए उनका तकम करते हो, तब तु हारी लपट उसी कार चमकती ह, जस कार
गरजते ए सागर क लहर चमकती ह. (१२)
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ु ध ु कण व भदवैर ने सयाव भः.
आ सीद तु ब ह ष म ो अयमा ातयावाणो अ वरम्.. (१३)
हे सुनने म समथ कान वाले अ न! हमारी तु त सुनो. म , अयमा तथा जो अ य
दे वता ातःकाल दे वय म जाते ह, अपने साथ आने वाले अ य ह वाही दे व स हत तुम
य के न म बछे ए कुश पर बैठो. (१३)
शृ व तु तोमं म तः सुदानवोऽ न ज ा ऋतावृधः.
पबतु सोमं व णो धृत तोऽ यामुषसा सजूः.. (१४)
शोभन फलदाता, अ न पी ज ा वाले एवं य क वृ करने वाले म द्गण हमारा
तो सुन. वे त धारण करने वाले व ण, अ नीकुमार एवं उषा के साथ सोमपान कर.
(१४)
दे वता—अ न
सू —४५
वम ने वसूँ रह
ाँ आ द याँ उत. यजा व वरं जनं मनुजातं घृत ुषम्.. (१)
हे अ न! तुम इस अनु ान म वसु ,
और आ द य का यजन करो. तुम शोभन
य करने वाले, जाप त मनु ारा उ पा दत एवं जल स चने वाल क भी अचना करो. (१)
ु ीवानो ह दाशुषे दे वा अ ने वचेतसः.
तान् रो हद गवण य ंशतमा वह.. (२)
हे अ न! वशेष बु वाले दे वता ह दे ने वाले यजमान को फल दे ते ह. हे रो हत अ
के वामी एवं तु तपा अ न! तुम ततीस दे व को यहां ले आओ. (२)
यमेधवद व जातवेदो व पवत्.
अ र वम ह त क व य ध
ु ी हवम्.. (३)
हे अनेक कम करने वाले एवं सव अ न! यमेधा, अ , व प और अं गरा नामक
ऋ षय के समान क व क पुकार भी सुनो. (३)
म हकेरव ऊतये यमेधा अ षत.
राज तम वराणाम नं शु े ण शो चषा.. (४)
ौढ़कमा एवं य य से सुशो भत ऋ षय ने अपनी र ा के लए य के म य शु
काश ारा चमकने वाले अ न का आ ान कया था. (४)
घृताहवन स येमा उ षु ुधी गरः.
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या भः क व य सूनवो हव तेऽवसे वा.. (५)
हे घृत ारा बुलाए गए एवं फल द अ न! क व के पु तु ह जन वचन से अपनी
र ा के लए बुलाते थे, हमारे ारा यु यमान उ ह वचन को सुनो. (५)
वां च व तम हव ते व ु ज तवः.
शो च केशं पु या ने ह ाय वो हवे.. (६)
हे व वध ह व प अ यु एवं यजमान के यकारक अ न! तु हारी चमक ली लपट
तु हारे केश ह. यजमान तु ह ह -वहन करने के लए बुलाते ह. (६)
न वा होतारमृ वजं द धरे वसु व मम्.
ु कण स थ तमं व ा अ ने द व षु.. (७)
हे अ न दे व! बु मान् लोग आ ान करने वाले, ऋतु म य संप करने वाले,
व वध धन ा त कराने वाले, वण समथ कान से यु एवं अ यंत स तुमको य म
धारण करते ह. (७)
आ वा व ा अचु यवुः सुतसोमा अ भ यः.
बृह ा ब तो ह वर ने मताय दाशुषे.. (८)
हे अ न! सोमरस नचोड़ने वाले बु मान् ऋ वज् ह दाता यजमान के लए तु ह
अ के समीप बुलाते ह. तुम महान् एवं तेज वी हो. (८)
ातया णः सह कृत सोमपेयाय स य.
इहा दै ं जनं ब हरा सादया वसो.. (९)
हे का बल ारा म थत, फलदाता एवं नवास हेतु अ न! इस दे वय म आज
ातःकाल आने वाले दे व एवं उनसे संबं धत अ य जन को सोमपान के लए कुश पर
बुलाओ. (९)
अवा चं दै ं जनम ने य व स त भः.
अयं सोमः सुदानव तं पात तरो अ यम्.. (१०)
हे अ न! अपने सामने उप थत दे व एवं उनसे संबं धत अ य जन के समान आ ान
के ारा यजन करो. हे शोभन दान करने वाले दे वो! जो सोमरस तु हारे न म पछले दन
नचोड़ा गया है, सामने उप थत उस सोमरस का पान करो. (१०)
सू —४६
दे वता—अ नीकुमार
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एषो उषा अपू ा
ु छत
या दवः. तुषे वाम ना बृहत्.. (१)
यह य उषा म य रा आ द पूव काल म वतमान नह थी. यह इसी समय आकाश
से आकर अंधकार मटाती है. हे अ नीकुमारो! म तु हारी ब त तु त करता ं. (१)
या द ा स धुमातरा मनोतरा रयीणाम्. धया दे वा वसु वदा.. (२)
म दशनीय एवं समु पु अ नीकुमार क तु त करता ं. वे शोभन संप
य करने पर हम नवास थान दान करते ह. (२)
दे ते ह और
व य ते वां ककुहासो जूणायाम ध व प. य ां रथो व भ पतात्.. (३)
हे अ नीकुमारो! जस समय तु हारा रथ व वध शा
ारा शं सत वग म घोड़
ारा ख चा जाता है, उसी समय हम तु हारी तु त करते ह. (३)
ह वषा जारो अपां पप त पपु रनरा. पता कुट य चष णः.. (४)
हे नेता प अ नीकुमारो! दयापूण वभाव, पालक, य कम के दशक एवं अपने ताप
से जल को सुखाने वाले स वता हमारे ारा ह से दे व को स कर. (४)
आदारो वां मतीनां नास या मतवचसा. पातं सोम य धृ णुया.. (५)
(५)
हे तु त हण करने वाले नास यो! बु
ेरक एवं ती मदकारक सोमरस को पओ.
या नः पीपरद ना यो त मती तम तरः. ताम मे रासाथा मषम्.. (६)
हे अ नीकुमारो! हम इस वीय आ द यो त से यु
अंधकार को मटाकर तृ त दान करता है. (६)
आ नो नावा मतीनां यातं पाराय ग तवे. यु
अ दो. वह अ द र ता
पी
ाथाम ना रथम्.. (७)
हे अ नीकुमारो! तु तय पी सागर के पार जाने के लए तुम नौका बनकर आओ
एवं धरती पर आने के लए अपने रथ म घोड़े जोड़ो. (७)
अ र ं वां दव पृथु तीथ स धूनां रथः. धया युयु
इ दवः.. (८)
हे अ नीकुमारो! सागर तट पर थत तु हारी नौका आकाश से भी वशाल है. धरती
पर गमन करने के लए तु हारे पास रथ है. तु हारे य कम म सोमरस भी स म लत रहता है.
(८)
दव क वास इ दवो वसु स धूनां पदे . वं व
कुह ध सथः.. (९)
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हे क वपु ो! अ नीकुमार से यह पूछो क आकाश से सूय करण उ प होती ह एवं
वृ के उ प
थल उसी आकाश से हमारे वकास का कारण उषाकालीन काश भी कट
होता है. हे अ नीकुमारो! इन दोन थान म से तुम अपना प कहां था पत करना चाहते
हो? (९)
अभू भा उ अंशवे हर यं
त सूयः.
य ज या सतः.. (१०)
सूय के काश से उषाकाल म र मयां उ प ई ह. उ दत आ सूय सोने के समान
बन जाता है. आकाश म सूय के आ जाने के कारण अ न काले रंग क होकर अपनी लपट
से का शत है. (१०)
अभू पारमेतवे प था ऋत य साधुया. अद श व ु त दवः.. (११)
रा के पार उदयाचल तक जाने के लए सूय का माग सुंदर बना आ है. आकाश को
का शत करने वाले सूय क द त दखाई दे ती है. (११)
त दद नोरवो ज रता
त भूष त. मदे सोम य प तोः.. (१२)
तोतागण स ता के लए सोमपान करने वाले अ नीकुमार
र ा क बार-बार शंसा करते ह. (१२)
ारा क गई अपनी
वावसाना वव व त सोम य पी या गरा. मनु व छं भू आ गतम्.. (१३)
हे सुखदाता अ नीकुमारो! तुम सोमपान और तु त
समान प रचारक यजमान के घर म नवास करो. (१३)
युवो षा अनु
वण करने के लए मनु के
यं प र मनो पाचरत्. ऋता वनथो अ ु भः.. (१४)
हे चार ओर गमनशील अ नीकुमारो! तु हारे आगमन क शोभा का अनुसरण करती
ई उषा आवे. तुम दोन नशा म संपा दत य का ह व हण करो. (१४)
उभा पबतम नोभा नः शम य छतम्. अ व या भ
त भः.. (१५)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन सोमरस पओ. इसके प ात् तुम अपनी
हम सुखदान करो. (१५)
सू —४७
स
दे वता—अ नीकुमार
अयं वां मधुम मः सुतः सोम ऋतावृधा.
तम ना पबतं तरोअ यं ध ं र ना न दाशुषे.. (१)
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र ा ारा
हे य व नक ा अ नीकुमारो! आपके सामने रखा आ सोमरस अ यंत मधुर एवं
कल ही नचोड़ा गया है. इसे पान करो एवं ह दाता यजमान को रमणीय धन दो. (१)
व धुरेण वृता सुपेशसा रथेना यातम ना.
क वासो वां
कृ व य वरे तेषां सु शृणुतं हवम्.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम अपने वध बंधन का वाले, तीन लोक म गमनशील एवं
शोभन वण वाले रथ से यहां आओ तथा क वपु
ारा तु हारे लए कए जा रहे तु त पाठ
को आदरपूवक सुनो. (२)
अ ना मधुम मं पातं सोममृतावृधा.
अथा द ा वसु ब ता रथे दा ांसमुप ग छतम्.. (३)
हे य व नक ा अ नीकुमारो! अ यंत मधुर सोमरस पओ. इसके प ात् तुम रथ म
धन लेकर ह वदाता यजमान के समीप आओ. (३)
षध थे ब ह ष व वेदसा म वा य ं म म तम्.
क वासो वां सुतसोमा अ भ वो युवां हव ते अ ना.. (४)
हे सव अ नीकुमारो! तीन परत के प म बछे ए कुश पर बैठकर मधुर रस से
इस य को स करने क इ छा करो. द तसंप क व पु सोमरस नचोड़कर तु ह बुला
रहे ह. (४)
या भः क वम भ भः ावतं युवम ना.
ता भः व१ माँ अवतं शुभ पती पातं सोममृतावृधा .. (५)
हे शोभनकमपालक अ नीकुमारो! जस अभी र ण या से तुम दोन ने क व क
र ा क थी, उसी के ारा हमारी भी र ा करो. हे य वधक दे वो! सोमपान करो. (५)
सुदासे द ा वसु ब ता रथे पृ ो वहतम ना.
र य समु ा त वा दव पय मे ध ं पु पृहम्.. (६)
हे दशनीय अ नीकुमारो! तुम जस कार दानशील सुदास के लए रथ म धन एवं
अ भरकर लाए थे, उसी कार हम आकाश से लाकर ब त ारा वांछनीय धन दो. (६)
य ास या पराव त य ा थो अ ध तुवशे.
अतो रथेन सुवृता न आ गतं साकं सूय य र म भः.. (७)
हे नास यो! चाहे तुम र दे श म रहो, चाहे अ यंत समीप, पर सूय दय होने पर अपने
शोभन रथ पर बैठकर सूय करण के साथ हमारे समीप आओ. (७)
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अवा चा वां स तयोऽ वर यो वह तु सवने प.
इषं पृ च ता सुकृते सुदानव आ ब हः सीदतं नरा.. (८)
हे अ नीकुमारो! य सेवी सात घोड़े हमारे ारा अनु त तीन सवनय म तु ह ले
जाव. हे नेताओ! सुंदर दान करने वाले एवं शोभन कम करने वाले यजमान को अ दे ते ए
तुम लोग कुश पर बैठो. (८)
तेन नास या गतं रथेन सूय वचा.
येन श हथुदाशुषे वसु म यः सोम य पीतये.. (९)
हे नास यो! तुमने सूय करण तु य तेज वी जस रथ पर धन लाकर यजमान को सदा
दया है, उसी रथ के ारा मधुर सोमरस पीने के लए आओ. (९)
उ थे भरवागवसे पु वसू अक न यामहे.
श क वानां सद स ये ह कं सोमं पपथुर ना.. (१०)
हम भूत धन के वामी अ नीकुमार को उ थ एवं तो
ारा अपने समीप बुलाते
ह. हे अ नीकुमारो! तुमने क वपु के य य म सदा सोमपान कया है. (१०)
सू —४८
दे वता—उषा
सह वामेन न उषो ु छा हत दवः.
सह ु नेन बृहता वभाव र राया दे व दा वती.. (१)
हे वगपु ी उषा! हमारे धन के साथ भात करो. हे वभावरी! पया त अ के साथ
भात करो. हे दे व! तुम दानशील होकर पशु पी धन के साथ भात करो. (१)
अ ावतीग मती व सु वदो भू र यव त व तवे.
उद रय त मा सूनृता उष ोद राधो मघोनाम्.. (२)
हे अनेक अ स हत, अनेक गाय से यु एवं सम त संप दे ने वाली उषादे वी! जा
को सुख दे ने के लए तु हारे पास अ यंत धन है. तुम मुझ स य भाषण क ा को बल एवं
धनवान का धन दो. (२)
उवासोषा उ छा च नु दे वी जीरा रथानाम्.
ये अ या आचरणेषु द रे समु े न व यवः.. (३)
रथ को ेरणा दे ने वाली उषादे वी ाचीन काल म भात करती थी और अब भी भात
करती है. जस कार धन के इ छु क लोग समु म नाव चलाते ह, उसी कार उषा के आने
पर रथ तैयार कए जाते ह. (३)
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उषो ये ते यामेषु यु ते मनो दानाय सूरयः.
अ ाह त क व एषां क वतमो नाम गृणा त नृणाम्.. (४)
हे उषा! तु हारा गमन आरंभ होते ही व ान् लोग धन आ द के दान म द च हो
जाते ह. परम मेधावी क व ऋ ष इन दाने छु लोग के नाम उषाकाल म उ चारण करते ह.
(४)
आ घा योषेव सूनयुषा या त भु ती.
जरय ती वृजनं प द यत उ पातय त प णः.. (५)
उषा घर का काम करने वाली यो य गृ हणी के समान सबका पालन करती ई,
गमनशली ा णय को बूढ़ा बनाती ई, पैर वाले ा णय को चलाती ई और उड़ाती ई
आती है. (५)
व या सृज त समनं १ थनः पदं न वे योदती.
वयो न क े प तवांस आसते ु ौ वा जनीव त.. (६)
तुम कमठ पु ष को काम म लगाती हो और भ ुक को घर छोड़ने पर ववश कर दे ती
हो. तुम ओस बरसाने वाली हो एवं अ धक दे र नह ठहरती हो. हे अ संप ा उषा! तु हारे
भातकाल म प ीगण अपने घ सल म नह रह पाते. (६)
एषायु परावतः सूय योदयनाद ध.
शतं रथे भः सुभगोषा इयं व या य भ मानुषान्.. (७)
यह सौभा यशा लनी एवं रथ म घोड़े जोड़ने वाली उषा र सूय के उदय थान से सौ
रथ ारा मनु य के समीप आती है. (७)
व म या नानाम च से जग जयो त कृणो त सूनरी.
अप े षो मघोनी हता दव उषा उ छदप धः.. (८)
सम त ाणी इस उषा के काश को नम कार करते ह, य क यह सुंदर ने ी उषा
काश दे ती है और यही धनवती वगपु ी े षय एवं शोषक को र भगाती है. (८)
उष आ भा ह भानुना च े ण हत दवः.
आवह ती भूय म यं सौभगं ु छ ती द व षु.. (९)
हे वगपु ी उषा! तुम सबको स करने वाली यो त के साथ का शत होती ई हम
त दन सौभा य दो एवं अंधकार को मटाओ. (९)
व
य ह ाणनं जीवनं वे व य छ स सून र.
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सा नो रथेन बृहता वभाव र ु ध च ामघे हवम्.. (१०)
हे सुने ी उषा! सम त ा णय क चे ाएं एवं जीवन तु ह म वतमान है, य क तु ह
अंधकार को मटाती हो. हे वभावरी! वशाल रथ पर चढ़कर हमारे पास आओ. हे व च
धनसंप ! हमारा आ ान सुनो. (१०)
उषो वाजं ह वं व य
ो मानुषे जने.
तेना वह सुकृतो अ वराँ उप ये वा गृण त व यः.. (११)
हे उषा! यजमान के पास जो व च अ है, उसे तुम वीकार करो. जो य क ा
तु हारी तु त करते ह, उन यजमान को हसार हत य म ले आओ. (११)
व ा दे वाँ आ वह सोमपीतयेऽ त र ा ष वम्.
सा मासु धा गोमद ाव य१मुषो वाजं सुवीयम्.. (१२)
हे उषा! तुम सोमपान के लए अंत र से सभी दे व को हमारे य थान म ले आओ. हे
उषा! तुम हम अ एवं गाय से यु
शंसनीय एवं श संप अ दो. (१२)
य या श तो अचयः त भ ा अ त.
सा नो र य व वारं सुपेशसमुषा ददातु सु यम्.. (१३)
जस उषा का काश श ु का नाश करता आ क याण प म दखाई दे ता है, वह
हम सबके ारा वरण करने यो य, सुंदर एवं सुखदायक अ दान करे. (१३)
ये च
वामृषयः पूव ऊतये जु रेऽवसे म ह.
सा नः तोमाँ अ भ गृणी ह राधसोषः शु े ण शो चषा.. (१४)
हे पूजनीय उषा! तु ह चरंतन स ऋ षय ने र ण एवं अ के लए बुलाया था.
तुम धन एवं तेज से संप होकर हमारी तु त को वीकार करो. (१४)
उषो यद भानुना व ारावृणवो दवः.
नो य छतादवृकं पृथु छ दः दे व गोमती रषः.. (१५)
हे उषा! तुमने आज भात के समय आकाश के दोन ार को खोल दया है, इस लए
हम हसकर हत एवं व तृत घर के साथ-साथ गाय से यु धन दान करो. (१५)
सं नो राया बृहता व पेशसा म म वा स मळा भरा.
सं ु नेन व तुरोषो म ह सं वाजैवा जनीव त.. (१६)
हे उषा! हम भूत एवं अनेक प धन एवं गाएं दान करो. हे पू य उषा! हम सब
श ु का नाश करने वाला यश दो. हे अ साधन क
या से संप उषा! हम धन दो.
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(१६)
दे वता—उषा
सू —४९
उषो भ े भरा ग ह दव ोचनाद ध.
वह व ण सव उप वा सो मनो गृहम्.. (१)
हे उषा! काशमान आकाश से सुंदर माग
सोमयु यजमान के य म ले जाए. (१)
ारा आओ. लाल रंग क गाय तु ह
सुपेशसं सुखं रथं यम य था उष वम्.
तेना सु वसं जनं ावा
हत दवः.. (२)
हे उषा! तुम जस सुंदर एवं व तृत रथ पर बैठती हो, हे वगपु ी! उसी रथ से आज
ह दाता यजमान के पास आओ. (२)
वय
े पत णो प चतु पदजु न.
उषः ार ृतूँरनु दवो अ ते य प र.. (३)
हे शु वण वाली उषा! तु हारा आगमन दे खकर दो पैर वाले मनु य, चार पैर वाले
पशु एवं पंख वाले प ी अपने-अपने ापार म लग जाते ह. (३)
ु छ ती ह र म भ व माभा स रोचनम्.
तां वामुषवसूयवो गी भः क वा अ षत.. (४)
हे उषा! तुम अंधकार का नाश करती ई अपने तेज से सारे जगत् को का शत करो.
धन चाहने वाले क वपु ने तु त वचन से तु हारी शंसा क है. (४)
सू —५०
उ
दे वता—सूय
यं जातवेदसं दे वं वह त केतवः. शे व ाय सूयम्.. (१)
सूय के घोड़े सब ा णय को जानने वाले ह, वे काशयु
जाते ह क सारा संसार उ ह दे ख सके. (१)
अप ये तायवो यथा न
सूय को इस लए ऊपर ले
ा य य ु भः. सूराय व च से.. (२)
सबको का शत करने वाले सूय का आगमन दे खकर न
जाते ह, जस कार चोर भागते ह. (२)
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रा स हत इस कार भाग
अ
म य केतवो व र मयो जनाँ अनु. ाज तो अ नयो यथा.. (३)
सूय क सूचना दे ने वाली करण चमकती ई आग के समान ह. वे एक-एक करके
संपूण जगत् को दे खती ह. (३)
तर ण व दशतो यो त कृद स सूय. व मा भा स रोजनम्.. (४)
हे सूय! तुम वशाल माग पर चलने वाले सम त ा णय के दशनीय एवं काश के
क ा हो. यह संपूण य जगत् तु हारे ारा का शत होकर चमकने लगता है. (४)
यङ् दे वानां वशः
यङ् ङु दे ष मानुषान्.
यङ् व ं व शे.. (५)
हे सूय! तुम म त्दे व एवं मनु य के सामने उदय होते हो. तुम वगलोक को दे खने के
लए उदय होओ. (५)
येना पावक च सा भुर य तं जनाँ अनु. वं व ण प य स.. (६)
हे सूय! तुम सबके शोधक एवं अ न नवारक हो. तुम जस कार काश के ारा
ा णय का भरणपोषण करते ए इस जगत् को दे खते हो, हम उसी काश क तु त करते
ह. (६)
व ामे ष रज पृ वहा ममानो अ ु भः. प य
मा न सूय.. (७)
हे सूय! तुम उसी काश के ारा रा के साथ-साथ दन का भी उ पादन करते ए
सम त ा णय को दे खते ए व तृत रजोलोक एवं अंत र म गमन करते हो. (७)
स त वा ह रतो रथे वह त दे व सूय. शो च केशं वच ण.. (८)
हे सूय! तुम द तमान् एवं सव काशक हो. करण ही तु हारे केश ह. ह रत नाम के
सात घोड़े तु ह रथ म बठाकर ले चलते ह. (८)
अयु
स त शु युवः सूरो रथ य न यः. ता भया त वयु
भः.. (९)
सबके ेरक सूय ने रथ को ख चने वाली सात घो ड़य को अपने रथ म जोड़ा है. रथ म
जुड़ी ई उन घो ड़य के ारा ही सूय चलते ह. (९)
उ यं तमस प र यो त प य त उ रम्.
दे वं दे व ा सूयमग म यो त मम्.. (१०)
रा
काशयु
के अंधकार के ऊपर उठ यो त को दे खकर हम सम त दे व म अ धक
सूय के समीप जाते ह. सूय ही सबसे उ म यो त वाले ह. (१०)
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उ
म मह आरोह ु रां दवम्.
ोगं मम सूय ह रमाणं च नाशय.. (११)
हे सूय! तुम सबके अनुकूल काश से यु हो. तुम आज उदय होकर एवं ऊंचे आकाश
म चढ़कर मेरा दय-रोग एवं ह रमाण नामक शरीर रोग न करो. (११)
शुकेषु मे ह रमाणं रोपणाकासु द म स.
अथो हा र वेषु मे ह रमाणं न द म स.. (१२)
म अपने ह रमाण नामक शारी रक रोग को तोता और मैना नामक प य पर था पत
करता ं. म अपना ह रमाण रोग को ह द पर था पत करता ं. (१२)
उदगादयमा द यो व ेन सहसा सह.
ष तं म ं र धय मो अहं षते रधम्.. (१३)
ये स मुख वतमान सूय मेरे अ न कारक रोग का वनाश करने के लए संपूण तेज के
साथ उदय ए ह. म अपने अ न कारी रोग का वनाशक ा नह ं. (१३)
सू —५१
दे वता—इं
अ भ वं मेषं पु तमृ मय म ं गी भमदता व वो अणवम्.
य य ावो न वचर त मानुषा भुजे मं ह म भ व मचत.. (१)
हे तोताओ! यजमान ारा बुलाए गए, ऋ वज ारा तु त कए जाते ए, धन के
आवास एवं बलवान् इं को अपने वचन ारा स करो. जो इं सूय करण के समान
सबका हत करते ह, उ ह अ तशय बु एवं मेधावी इं क भोग ा त के लए अचना
करो. (१)
अभीमव व व भ मूतयोऽ त र ां त वषी भरावृतम्.
इ ं द ास ऋभवो मद युतं शत तुं जवनी सूनृता हत्.. (२)
सबका र ण एवं वधन करने वाले ऋभुगण नामक म त ने शोभन, आगमनशील,
अपने तेज से आकाश को पूण करने वाले, अ त बली, श ु का गव न करने वाले एवं
शत तु इं के स मुख आकर उनक सहायता क . (२)
वं गो ामङ् गरो योऽवृणोरपोता ये शत रेषु गातु वत्.
ससेन च मदायावहो व वाजाव वावसान य नतयन्.. (३)
हे इं ! तुमने अ
श द करने वाले एवं वषा के नरोधक मेघ को अपने व से
हटाकर अं गरा ऋ षय के लए जल बरसाया था. जब असुर ने अ को पीड़ा प ंचाने के
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लए शत ार नामक यं का योग कया था, तब तुमने उ ह माग बताया था. तुमने वमद
ऋ ष के लए अ यु धन दान कया था, इसी कार तुमने सं ाम म वजय ा त के लए
तु त करने वाले अनेक तोता को व चलाकर बचाया था. (३)
वमपाम पधानाऽवृणोरपाधारयः पवते दानुम सु.
वृ ं य द शवसावधीर हमा द सूय द ारोहयो शे.. (४)
हे इं ! तुमने जल के अवरोधक मेघ को हटा दया है एवं वृ आ द असुर को परा जत
करके उनका धन पवत पर छपा दया है. तुमने तीन लोक क हसा करने वाले वृ का वध
कया एवं उसके तुरंत प ात् संसार को दे खने के लए सूय को आकाश म चढ़ा दया था.
(४)
वं माया भरप मा यनोऽधमः वधा भय अ ध शु तावजु त.
वं प ोनृमणः ा जः पुरः ऋ ज ानं द युह ये वा वथ.. (५)
हे इं ! जो असुर ह व य अ से सुशो भत अपने मुख म ही य ीय साम ी डाल लेते
थे, तुमने उन माया वय को माया ारा परा जत कया था. हे यजमान पर अनु हबु रखने
वाले इं ! तुमने प ु असुर के नवास थान व त कर दए थे. तुमने ह या करने के लए
उ त द यु के हाथ म पड़े ऋ ज ान् क पूणतया र ा क थी. (५)
वं कु सं शु णह ये वा वथार धयोऽ त थ वाय श बरम्.
महा तं चदबुदं न मीः पदा सनादे व द युह याय ज षे.. (६)
हे इं ! तुमने शु ण असुर के साथ भयानक सं ाम म कु स ऋ ष क र ा क थी तथा
अ त थय का वागत करने वाले दवोदास को बचाने के लए शंबर असुर का वध कया था.
तुमने अबुद नामक महान् असुर को पैर से कुचल डाला था. इस कार तु हारा ज म
द युनाश के लए आ जान पड़ता है. (६)
वे व ा ता वषी स य घता तव राधः सोमपीथाय हषते.
तव व
कते बा ो हतो वृ ा श ोरव व ा न वृ या.. (७)
हे इं ! तुम म संपूण बल न हत है एवं सोमरस पीने के बाद तु हारा मन अ यंत स
हो जाता है. हम यह जानते ह क तु हारे दोन हाथ म व रहता है. इस लए तुम श ु का
सम त बल छ करो. (७)
व जानी ाया ये च द यवो ब ह मते र धया शासद तान्.
शाक भव यजमान य चो दता व े ा ते सधमादे षु चाकन.. (८)
हे इं ! पहले तुम यह बात जानो क कौन आय है और कौन द यु? इसके प ात् तुम
कुशयु य का वरोध करने वाल को न करके उ ह यजमान के वश म लाओ. तुम
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श शाली हो, इस लए य करने वाल के सहायक बनो. म तोता भी तु ह स ता दे ने
वाले य के तु हारे उन सम त कम क शंसा करना चाहता ं. (८)
अनु ताय र धय प तानाभू भ र ः थय नाभुवः.
वृ य च धतो ा मन तः तवानो व ो व जघान सं दहः.. (९)
जो इं य वरो धय को य य यजमान के वश म ला दे ते ह तथा अपने अ भमुख
तोता
ारा तु तपरांगमुख का नाश करा दे ते ह, ब ु ऋ ष ने ऐसे बु शील एवं
वग ापी इं क तु त करते ए य म एक त धन समूह ले लया था. (९)
त
उशना सहसा सहो व रोदसी म मना बाधते शवः.
आ वा वात य नृमणो मनोयुज आ पूयमाणमवह भ वः.. (१०)
हे इं ! जब शु ने अपने बल के सहयोग से तु हारी श को ती ण कर दया था, तब
तु हारे उस वशु बल ने अपनी ती णता ारा धरती और आकाश को भयभीत बना दया
था. हे यजमान के त अनु हबु रखने वाले इं ! बल से पूण तु हारी इ छा से रथ म
जोड़े गए एवं वायु के समान वेगशाली घोड़े तु ह य अ के स मुख ले आव. (१०)
म द य शने का े सचाँ इ ो वङ् कू वङ् कुतरा ध त त.
उ ो य य नरपः ोतसासृज शु ण य ं हता ऐरय पुरः.. (११)
हे इं ! जब सुंदर शु ाचाय ने तु हारी तु त क थी, तब तुम व ग त वाले दोन घोड़
को रथ म जोड़कर उस पर सवार थे. उ इं ने चलने वाले बादल से धारा प म जल
बरसाया था एवं सबको सताने वाले शु ण असुर के व तृत नगर को न कर दया था. (११)
आ मा रथं वृषपाणेषु त स शायात य भृता येषु म दसे.
इ यथा सुतसोमेषु चाकनोऽनवाणं ोकमा रोहसे द व.. (१२)
हे इं ! तुम सोमरस पीने के लए रथ पर बैठकर गमन करते हो. जस सोम से तुम
स होते हो, वही सोम शायात राज ष ने तैयार कया है. तुम जस कार अ य य म
नचोड़े ए सोमरस को पीते हो, उसी कार इस शायात के सोम क भी कामना करो. ऐसा
करने से तुम वग म थर यश ा त करोगे. (१२)
अददा अभा महते वच यवे क ीवते वृचया म सु वते.
मेनाभवो वृषण य सु तो व े ा ते सवनेषु वा या.. (१३)
हे इं ! तुमने य म सोम नचोड़ने वाले एवं तु हारी तु त करने के इ छु क वृ
क ीवान् ऋ ष को वृचया नामक युवती दान क थी. हे शोभन कम करने वाले इं ! तुम
वृषणा राजा के घर मेना नामक क या के प म उ प
ए थे. सोमरस नचोड़ते समय
तु हारी इन सब कथा का वणन होना चा हए. (१३)
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इ ो अ ा य सु यो नरेके प ेषु तोमो य न यूपः.
अ युग ू रथयुवसूयु र इ ायः य त य ता.. (१४)
शोभन कम वाले यजमान नधनता से सुर त होने के लए इं क सेवा करते ह.
अं गरावंशी य के तो य ार पर गड़े लकड़ी के खंभ के समान न ल ह. धन दे ने वाले
इं यजमान के लए अ , रथ एवं व वध संप य को दे ने क इ छा करते ह तथा सब
कार के धन दे ने के लए थत ह. (१४)
इदं नमो वृषभाय वराजे स यशु माय तवसेऽवा च.
अ म
वृजने सववीराः म सू र भ तव शम याम.. (१५)
हे इं ! तुम वणनशील, अपने तेज के ारा का शत, वा त वक बलसंप एवं अ यंत
महान् हो. हमने यह तु त वचन तु हारे लए ही योग कया है. हम इस यु म सम त वीर
स हत वजय ा त करके तु हारे ारा दए ए सुंदर घर म व ान् ऋ वज के साथ नवास
कर. (१५)
सू —५२
दे वता—इं
यं सु मेषं महया व वदं शतं य य सु वः साकमीरते.
अ यं न वाजं हवन यदं रथमे ं ववृ यामवसे सुवृ भः.. (१)
हे अ वयुगणो! उन बली इं क पूजा करो, जनक तु त सौ तोता एक साथ मलकर
करते ह और जो वग ा त करा दे ते ह. इं का रथ तेज दौड़ते ए घोड़े के समान अ यंत
वेगपूवक य क ओर चलता है. म अपनी तु तय के ारा इं से अनुरोध करता ं क वे
उसी रथ पर चढ़कर मेरी र ा कर. (१)
स पवतो न ध णे व युतः सह मू त त वषीषु वावृधे.
इ ो यद्वृ मवधी द वृतमु ज णा स ज षाणो अ धसा.. (२)
जस समय य ीय अ से स इं ने जल क वषा करते ए नद के वाह को रोकने
वाले वृ का वध कया, उस समय वह धारा प म बहने वाले जल के बीच पवत के समान
अचल रहा एवं उसने मनु य क हजार कार से र ा करके पया त श
ा त क . (२)
स ह रो रषु व ऊध न च बु नो मदवृ ो मनी ष भः.
इ ं तम े वप यया धया मं ह रा त स ह प र धसः.. (३)
म व ान् ऋ वज के साथ आ मणकारी श ु को जीतने वाले, जल के समान
आकाश म ा त, सबक स ता के कारण, सोमपान से बु
ा त, महान् एवं धनसंप
इं को अपनी शोभन काय यो य बु से बुलाता ,ं य क वे इं अ को पूण करने वाले
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ह. (३)
आ यं पृण त द व स ब हषः समु ं न सु व१ वा अ भ यः.
तं वृ ह ये अनु त थु तयः शु मा इ मवाता अ त सवः.. (४)
जस कार समु क ओर दौड़ती
इसक आ मीय स रताएं उसे पूण करती ह,
उसी कार कुश पर रखा आ सोमरस वगलोक म अव थत इं को पूणता दान करता
है. श ु का शोषण करने वाले, श ुर हत एवं शोभन शरीर म द्गण वृ वध के समय उ ह
के सहायक के प म उनके पास खड़े थे. (४)
अ भ ववृ मदे अ य यु यतो र वी रव वणे स ु तयः.
इ ो य ी धृषमाणो अ धसा भन ल य प रध रव तः.. (५)
जस कार वभाव के अनुसार जल नीचे क ओर बहता है, उसी कार इं के
सहायक म द्गण सोमपान ारा स होकर इं के साथ यु करते ए वृ के वामी वृ
के सामने गए. जस कार त नामक पु ष ने प र धय का भेदन कया था, उसी कार इं
ने सोमरस से श शाली बनकर बल नामक असुर को वद ण कर दया था. (५)
पर घृणा चर त त वषे शवोऽपो वृ वी रजसो बु नमाशयत्.
वृ य य वणे गृ भ नो नजघ थ ह वो र त यतुम्.. (६)
हे इं ! वृ नामक असुर जल को रोककर आकाश म सोया था. आकाश म वृ के
व तार क कोई सीमा नह थी. तुमने अपने श द करते ए व के ारा उसी वृ क ठोड़ी
को जस समय घायल कया था, उसी समय तु हारा श ु वजयी तेज व तृत हो गया एवं
तु हारा बल सव का शत हो गया. (६)
दं न ह वा यृष यूमयो
ाणी तव या न वधना.
व ा च े यु यं वावृधे शव तत व म भभू योजसम्.. (७)
हे इं ! जस कार जल के वाह जलाशय म प ंच जाते ह, उसी कार तु हारी वृ
करने वाले तो तु ह ा त हो जाते ह. व ा दे व ने ही तु हारे यो य तु हारा बल बढ़ाया है.
उसी ने श ु को अ भभूत करने वाले तेज से संप तु हारे व को ती ण बनाया है. (७)
जघ वां उ ह र भः संभृत त व वृ ं मनुषे गातुय पः.
अय छथा बा ोव मायसमधारयो द ा सूय शे.. (८)
हे य कम संपादक इं ! तुमने अपने भ जन के समीप आने के लए रथ म अ
जोड़कर वृ असुर का नाश कया, के ए जल क वषा क , अपने दोन बा
मव
धारण कया एवं हम सबके दशन के न म सूय को आकाश म था पत कया. (८)
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बृह व
ममव
य१मकृ वत भयसा रोहणं दवः.
य मानुष धना इ मूतयः वनृषाचो म तोऽमद नु.. (९)
वृ असुर के भय से तोता ने बृहत्, स ताकारक तेज से यु , बलसंप एवं वग
के सोपानभूत तो का गान कया था. उस समय वगलोक क र ा करने वाले म द्गण
ने मनु य क र ा के लए वृ से यु करके एवं तोता का पालन करके इं को वृ वध
के लए उ सा हत कया. (९)
ौ द यामवाँ अहेः वनादयोयवी यसा व इ ते.
वृ य य धान य रोदसी मदे सुत य शवसा भन छरः.. (१०)
हे इं ! जब नचोड़े ए सोमरस को पीकर तुम अ यंत ह षत हो रहे थे, तब तु हारे व
ने धरती और आकाश म बाधक बनने वाले वृ का सर वेग से काट दया था. उस समय
बलवान् आकाश भी वृ के श द भय से कांपने लगा था. (१०)
य द व पृ थवी दशभु जरहा न व ा ततन त कृ यः.
अ ाह ते मघव व ुतं सहो ामनु शवसा बहणा भुवत्.. (११)
हे इं ! य द पृ वी अपने वतमान आकार से दस गुनी बड़ी होती और उस पर रहने वाले
मनु य सदा जी वत रहते, तब भी तु हारी वृ वधका रणी श सव
स होती. तु हारे
ारा वृ का वध आकाश के समान वशाल काय है. (११)
वम य पारे रजसो ोमनः वभू योजा अवसे धृष मनः.
चकृषे भू म तमानमोजसोऽपः वः प रभूरे या दवम्.. (१२)
हे श ुनाशक इं ! तुमने इस ापक आकाश के ऊपर रहते ए अपनी श से हमारी
र ा करने के न म भूलोक का नमाण कया है. तुम बल क अं तम सीमा हो. तुमने
सुखपूवक गमन करने यो य आकाश एवं वग को ा त कर लया है. (१२)
वं भुवः तमानं पृ थ ा ऋ ववीर य बृहतः प तभूः.
व मा ा अ त र ं म ह वा स यम ा न कर य वावान्.. (१३)
हे इं ! जस कार भूलोक का व तार अ च य है, उसी कार तु हारी भी मह ा जानी
नह जा सकती. तुम दशनीय दे व वाले वग के पालनक ा हो. यह स य है क तुमने अपनी
मह ा से धरती और आकाश के म यभाग को पू रत कर दया है, इस लए तु हारे समान
सरा कोई नह है. (१३)
न य य ावापृ थवी अनु चो न स धवो रजसो अ तमानशुः.
नोत ववृ मदे अ य यु यत एको अ य चकृषे व मानुषक्.. (१४)
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जस इं के व तार को आकाश और पृ वी नह पा सके ह, आकाश के ऊपर होने
वाला जल वाह जस इं के तेज का अंत नह जान सका, हे इं ! सम त ाणी समुदाय
उसी तरह तु हारे अपने वश म है. (१४)
आच म तः स म ाजौ व े दे वासो अमद नु वा.
वृ य यद्भृ मता वधेन न व म
यानं जघ थ.. (१५)
हे इं ! इस यु म म द्गण ने तु हारी अचना क थी. जस समय तुमने तेज धार वाले
व से वृ के मुख पर चोट क , उस समय सम त दे व सं ाम म तु ह आनंद ा त करता
आ दे खकर स हो रहे थे. (१५)
सू —५३
दे वता—इं
यू३ षु वाचं महे भरामहे गर इ ाय सदने वव वतः.
नू च र नं ससता मवा वद
ु त वणोदे षु श यते.. (१)
हम महान् इं के लए शोभन तु तय का योग करते ह, य क प रचया करने वाले
यजमान के घर म इं क तु तयां क जाती ह. जस कार चोर सोए ए लोग क संप
छ न लेते ह, उसी कार इं असुर के धन पर तुरंत अ धकार कर लेते ह. धन दे ने वाल के
वषय म अनु चत तु त नह क जाती. (१)
रो अ य र इ गोर स रो यव य वसुन इन प तः.
श ानरः दवो अकामकशनः सखा स ख य त म ं गृणीम स.. (२)
हे इं ! तुम अ , गो एवं जौ आ द धा य के दे ने वाले हो. तुम नवास हेतु धन के वामी
एवं सबके पालक हो. तुम दान के नेता एवं ाचीन दे व हो. तुम ह व दे ने वाले यजमान क
इ छा को अ भमत फल दे कर पूरा करते हो तथा उनके लए म के समान अ यंत य
हो. हम इस कार के इं के लए तु त वचन का योग करते ह. (२)
शचीव इ पुर कृद् ुम म तवे ददम भत े कते वसु.
अतः संगृ या भभूत आ भर मा वायतो ज रतुः काममूनयीः.. (३)
हे इं ! तुम ावान् वृ वधा द अनेक कम के क ा एवं अ तशय तेज वी हो. हम यह
जानते ह क सव वतमान धन तु हारा है. हे श ुनाशक इं ! इस लए हम धन दो. जो तोता
तु ह चाहते ह, उनक अ भलाषा को अपूण मत रहने दो. (३)
ए भ ु भः सुमना ए भ र भ न धानो अम त गो भर ना.
इ े ण द युं दरय त इ भयुत े षसः स मषा रभेम ह.. (४)
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हे इं ! हमारे ारा दए ए पुरोडाशा द ह एवं सोमरस से स होकर हम गाय
और घोड़ के साथ-साथ धन भी दो. इस कार हमारी द र ता मटाकर तुम शोभन मन बन
जाओ. इं इस सोमरस के कारण संतु होकर हमारी सहायता करगे तो हम द यु का
नाश करके एवं श ु से छु टकारा पाकर इं के ारा दए ए अ का उपभोग करगे. (४)
स म राया स मषा रभेम ह सं वाजे भः पु
ै र भ ु भः.
सं दे ा म या वीरशु मया गोअ या ाव या रभेम ह.. (५)
हे इं ! हम धन और अ के साथ-साथ ऐसा बल भी ा त कर, जो ब त का
आ ादक एवं द तमान् हो. श ु वनाश म समथ तु हारी उ म बु हमारी सहायता करे.
तु हारी बु
तोता को गाय आ द मुख पशु एवं अ
दान करे. (५)
ते वा मदा अमद ता न वृ या ते सोमासो वृ ह येषु स पते.
य कारवे दश वृ ा य त ब ह मते न सह ा ण बहयः.. (६)
हे स जन के पालक इं ! जस समय तुमने वृ असुर का वध कया, उस समय
तु हारे मादक म द्गण ने तु ह मु दत कया था. तुम वषा करने म समथ हो. जब तुमने
श ु क बाधा को पार करके तु तक ा एवं ह दाता यजमान के दस हजार उप व को
समा त कया था, उस समय च पुरोडाशा द ह एवं स सोमरस ने तु ह स कया
था. (६)
युधा युधमुप घेदे ष धृ णुया पुरा पुरं स मदं हं योजसा.
न या य द स या पराव त नबहयो नमु च नाम मा यनम्.. (७)
हे श ु वंसक इं ! तुम सदा यु शील रहते हो एवं अपने बल से श ु के एक नगर के
बाद सरे का वनाश करते हो. हे इं ! तुमने व क सहायता से र दे श म वतमान, स ,
मायावी नमु च नामक असुर का वध कया था. (७)
वं कर मुत पणयं वधी ते ज या त थ व य वतनी.
वं शता वङ् गृद या भन पुरोऽनानुदः प रषूता ऋ ज ना.. (८)
हे इं ! तुमने अ त थ व नामक राजा क सहायता करने के लए तेज एवं श ुनाशक
आयुध से करंज एवं पणय नामक असुर का वध कया था. ऋ ज ान् नामक राजा ने वंगृद
असुर के सौ नगर को चार ओर से घेर लया था. तुमने अकेले ही उन नगर का वनाश कर
दया था. (८)
वमेता नरा ो दशाब धुना सु वसोपज मुषः.
ष सह ा नव त नव ुतो न च े ण र या पदावृणक्.. (९)
असहाय सु वा नामक राजा के साथ यु करने के लए साठ हजार न यानवे
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सहायक के स हत बीस जनपद शासक आए थे. हे
च से उन अनेक को परा जत कया था. (९)
स
इं ! तुमने श ु
ारा अलं य
वमा वथ सु वसं तवो त भ तव ाम भ र तूवयाणम्.
वम मै कु सम त थ वमायुं महे रा े यूने अर धनायः.. (१०)
हे इं ! तुमने पालकश
ारा सु वा एवं सूयवान् नामक राजा क र ा क थी.
तुमने कु स, अ त थ व एवं आयु नामक राजा को महान् एवं त ण राजा सु वा के अधीन
कया था. (१०)
य उ ची दे वगोपाः सखाय ते शवतमा असाम.
वां तोषाम वया सुवीरा ाघीय आयुः तरं दधानाः.. (११)
हे इं ! य क समा त पर उप थत दे व ारा पा लत तु हारे म तु य य एवं
अ तशय क याणपा हम तु हारी तु त करते ह. हम तु हारी दया से शोभन पु एवं उ म
द घ जीवन को ा त कर. (११)
सू —५४
दे वता—इं
मा नो अ म मघव पृ वंह स न ह ते अ तः शवसः परीणशे.
अ दयो न ो३ रो व ना कथा न ोणी भयसा समारत.. (१)
हे धन के वामी इं ! इस पाप म एवं पाप के प रणाम प यु म हम मत फंसाओ,
य क कोई भी तु हारी श
का अ त मण नह कर सकता. अंत र म वतमान तुम
महती व न करते ए नद के जल को श दायमान कर दे ते हो तो फर पृ वी भय से य न
कांपे? (१)
अचा श ाय शा कने शचीवते शृ व त म ं महय भ ु ह.
यो धृ णुना शवसा रोदसी उभे वृषा वृष वा वृषभो यृ ते.. (२)
हे अ वयुजन! श शाली एवं बु मान् इं क पूजा करो. वे सबक तु तयां सुनते ह,
इस लए उनक तु त करो. जो इं अपने श ुनाशक बल से धरती और आकाश को
सुशो भत करते ह, वे वषा करने म समथ ह एवं वषा के ारा हमारी इ छा को पूरा करते
ह. (२)
अचा दवे बृहते शू यं१ वचः व ं य य धृषतो धृष मनः.
बृह वा असुरो बहणा कृतः पुरो ह र यां वृषभो रथो ह षः.. (३)
इं का मन श ु वजय के
त ढ़ न यी है. हे तोताओ! उ ह द तशाली, महान्,
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भूत यश वी एवं श संप इं के त तु तवचन का उ चारण करो. वे इं श ुनाशक,
अ
ारा से वत, कामनाएं पूण करने वाले एवं वेगवान् ह. (३)
वं दवो बृहतः सानु कोपयोऽव मना धृषता श बरं भनत्.
य मा यनो दनो म दना धृष छतां गभ तमश न पृत य स.. (४)
हे इं ! तुमने वशाल आकाश के ऊपर उठा आ दे श कं पत कर दया था एवं
श ुनाशक श
ारा शंबर असुर का वध कया था. तुमने ह षत एवं ग भ मन से तेज
धार वाले तथा चमक ले व को मायावी असुर समूह क ओर चलाया था. (४)
न यद्वृण
सन य मूध न शु ण य चद् दनो रो व ना.
ाचीनेन मनसा बहणावता यद ा च कृणवः क वा प र.. (५)
हे इं ! तुम वायु के तथा जल सोखने वाले एवं फल को पकाने वाले सूय के ऊपर वाले
दे श म जल बरसाते हो. हे ढ़ न य एवं श ु वनाशक दय वाले इं ! आज आपने
परा म दखाया है, उससे प है क आपसे बढ़कर कोई नह है. (५)
वमा वथ नय तुवशं य ं वं तुव त व यं शत तो.
वं रथमेतशं कृ
े धने वं पुरो नव त द भयो नव.. (६)
हे शत तु! तुमने नय, तुवश, य एवं व य कुल म उ प तुव त नामक राजा क
र ा क है. तुमने धन ा त के उ े य से ारंभ सं ाम म रथ एवं एतश ऋ षय क र ा क
तथा शंबर असुर के न यानवे नगर का वंस कया है. (६)
स घा राजा स प तः शूशुव जनो रातह ः त यः शास म व त.
उ था वा यो अ भगृणा त राधसा दानुर मा उपरा प वते दवः.. (७)
वे ही यजमान सुशो भत होकर स जन के पालन के साथ-साथ अपनी भी वृ करते
ह, जो इं को ह
दान करके उनक तु त करते ह. अ भमत फलदाता इं ऐसे ही लोग
के लए आकाश से मेघ ारा वषा करते ह. (७)
असमं
ये त इ
मसमा मनीषा सोमपा अपसा स तु नेमे.
द षो वधय त म ह
ं थ वरं वृ यं च.. (८)
इं का बल एवं बु अतुलनीय है. हे इं ! जो सोमपायी यजमान अपने य कम ारा
तु हारा महान् बल एवं थूल पौ ष बढ़ाते ह, उनक उ त हो. (८)
तु येदेते ब ला अ
धा मूषद मसा इ पानाः.
ु ह तपया काममेषामथा मनो वसुदेयाय कृ व.. (९)
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हे इं ! यह सोमरस प थर क सहायता से तैयार कया गया है एवं पा म रखा आ
है. यह तु हारे पीने यो य है. तुम इसे पीकर अपनी अ भलाषा पूण करो एवं उसके प ात् हम
धन दे ने के कम म अपना मन लगाओ. (९)
अपाम त
ण रं तमोऽ तवृ य जठरेषु पवतः.
अभी म ो न ो व णा हता व ा अनु ाः वणेषु ज नते.. (१०)
वृ क धारा को रोकने वाला अंधकार फैला आ था. तीन लोक का आवरण
करने वाले वृ असुर के पेट म मेघ था. जो जल वृ ारा रोक लया गया था, उसे इं ने नीचे
धरती क ओर बहाया. (१०)
स शेवृधम ध धा ु नम मे म ह
ं जनाषा ळ त म्.
र ा च नो मघोनः पा ह सूरी ाये च नः वप या इषे धाः.. (११)
हे इं ! तुम हम रोग क शां त के उपरांत बढ़ने वाला यश दो. हम महान् एवं श ु को
हराने वाला बल दो, हम धनवान् बनाकर हमारी र ा करो, व ान का पालन करो एवं हम
धन, सुंदर संतान तथा अ दो. (११)
सू —५५
दे वता—इं
दव द य व रमा व प थ इ ं न म ा पृ थवी चन त.
भीम तु व मा चष ण य आतपः शशीते व ं तेजसे न वंसगः.. (१)
इं का भाव आकाश क अपे ा अ धक व तृत है. पृ वी भी इं क मह ा क
समानता नह कर सकती. श ु के लए भयंकर एवं बु मान् इं अपने भ जन के
न म श ु को संताप दे ते ह. जैसे सांड़ यु के लए अपने स ग तेज करता है, उसी
कार इं अपने व को तेज करने के लए रगड़ते ह. (१)
सो अणवो न न ः समु यः त गृ णा त व ता वरीम भः.
इ ः सोम य पीतये वृषायते सना स यु म ओजसा पन यते.. (२)
आकाश म ा त इं र तक फैले ए जल को उसी कार हण कर लेते ह, जस
कार सागर वशाल जलरा श को अपने म समेट लेता है. इं सोमरस पीने के लए बैल के
समान दौड़ कर जाते ह एवं वे महान् यो ा चरकाल से अपने वृ वधा दकम क शंसा
चाहते ह. (२)
वं त म पवतं न भोजसे महो नृ ण य धमणा मर य स.
वीयण दे वता त चे कते व मा उ ः कमणे पुरो हतः.. (३)
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हे इं ! तुम अपने उपभोग के लए मेघ को भ नह करते एवं वशाल धन के धारक
कुबेरा द पर अ धकार जमाते हो. हम लोग इं को उनक श के कारण भली कार जानते
ह. वे इं अपने वृ वधा द प काय के ारा सभी दे व म आगे का थान ा त करते ह.
(३)
स इ ने नम यु भवच यते चा जनेषु ुवाण इ यम्.
वृषा छ भव त हयतो वृषा ेमेण धेनां मघवा य द व त.. (४)
तोता ऋ ष अर य म इं क तु त करते ह. इं अपने भ म अपने शौय को कट
करते ए शोभा पाते ह. अभी वषा करने वाले इं ह दाता यजमान क र ा करते ह. जब
यजमान य क इ छा से इं क तु त करता है, तभी वे उसे य म त पर कर दे ते ह. (४)
स इ महा न स मथा न म मना कृणो त यु म ओजसा जने यः.
अधा चन ध त वषीमत इ ाय व ं नघ न नते वधम्.. (५)
यो ा इं अपने भ
के क याण के लए सबको शु करने वाले वक य बल से
महान् यु करते ह. इं जस समय हनन का साधन व मेघ पर फकते ह. उस समय सब
लोग बलशाली कहकर तेज वी इं के त
ा कट करते ह. (५)
स ह व युः सदना न कृ मा मया वृधान ओजसा वनाशयन्.
योत ष कृ व वृका ण य यवेऽव सु तुः सतवा अपः सृजत्.. (६)
शोभन कम वाले इं यश क कामना करते ए असुर के सुंदर बने ए घर को अपनी
श से न कर दे ते ह. वे धरती के समान व तृत हो जाते ह एवं सूय आ द यो त पड को
आवरणर हत करके यजमान के न म बहने वाला जल बरसाते ह. (६)
दानाय मनः सोमपाव तु तेऽवा चा हरी व दन ुदा कृ ध.
य म ासः सारथयो य इ ते न वा केता आ द नुव त भूणयः.. (७)
हे सोमपायी इं ! तु हारा मन दान म लगा रहे. हे तु त य इं ! तुम अपने ह र नामक
घोड़ को हमारे य क ओर अ भमुख करो. हे इं ! तु हारे सार थ घोड़ को वश म करने म
अ यंत कुशल ह. इस कारण आयुध धारण करने वाले तु हारे श ु तु ह नह हरा सकते. (७)
अ
तं वसु बभ ष ह तयोरषाळ् हं सह त व त
ु ो दधे.
आवृतासोऽवतासो न कतृ भ तनूषु ते तव इ भूरयः.. (८)
हे स इं ! तुम अपने हाथ म यर हत धन एवं शरीर म अपराजेय बल धारण
करते हो. जस कार पानी भरने वाले लोग कुएं को घेरे रहते ह, उसी कार वृ वधा द
वीरतापूण कम तु हारे शरीर को घेरे ए ह. हे इं ! इसी लए तु हारे शरीर म अनेक कम
व मान ह. (८)
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सू —५६
दे वता—इं
एष पूव रव त य च षोऽ यो न योषामुदयं त भुव णः.
द ं महे पाययते हर ययं रथमावृ या ह रयोगमृ वसम्.. (१)
जस कार घोड़ा ड़ा के न म घोड़ी क ओर दौड़कर जाता है, उसी कार पया त
आहार करने वाले इं यजमान ारा ब त से पा म रखे ए सोमरस क ओर शी ता से
जाते ह. वृ वधा द महान् काय म द वे इं अपना वण न मत, अ यु एवं तेज वी रथ
रोककर सोमरस पीते ह. (१)
तं गूतयो नेम षः परीणसः समु ं न संचरणे स न यवः.
प त द य वदथ य नू सहो ग र न वेना अ ध रोह तेजसा.. (२)
जस कार धन चाहने वाले व णक नाव म बैठकर आने-जाने के साधन समु को
ा त कए रहते ह, उसी कार हाथ म ह लए ए तोता इं को चार ओर से घेरे रहते
ह. हे तोताओ! ना रयां अपने मनपसंद फूल तोड़ने के लए जस कार पवत पर चढ़ जाती
ह, उसी कार तुम भी तेज वी तो के सहारे वशाल य के र क एवं श शाली इं के
समीप प ंच जाओ. (२)
स तुव णमहाँ अरेणु प ये गरेभृ न ाजते तुजा शवः.
येन शु णं मा यनमासो मदे
आभूषु रामय दाम न.. (३)
इं श ुनाशक और महान् ह. इं क दोषर हत एवं श ुनाशकारी श वीर पु ष ारा
करने यो य सं ाम म पवत क चोट के समान वराजमान होती है. श ु वनाशक एवं
लौहकवचधारी इं ने सोमपान के ारा मदो म होकर मायावी असुर शु ण को बे ड़यां डाल
कर कारागृह म बंद कर दया था. (३)
दे वी य द त वषी वावृधोतय इ ं सष युषसं न सूयः.
यो धृ णुना शवसा बाधते तम इय त रेणुं बृहदह र व णः.. (४)
हे तोता! जस कार सूय न य उषा का सेवन करते ह, उसी कार तेज वी बल
तु हारी र ा के न म तु हारी तु तयां सुनकर वृ
ा त करने वाले इं क सेवा करता है.
वे इं , श ुनाशक श
ारा अंधकार पी वृ असुर का नाश करते ह एवं श ु को
लाकर भली कार न कर दे ते ह. (४)
व य रो ध णम युतं रजोऽ त पो दव आतासु बहणा.
वम ळ् हे य मद इ ह याह वृ ं नरपामौ जो अणवम्.. (५)
हे श ुहंता इं ! जस समय तुमने वृ
असुर
ारा रोके
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ए सम त
ा णय के
जीवनाधार एवं वनाशर हत जल को आकाश से फैली ई दशा म बखेरा था, उस समय
तुमने सोमपान से स होकर यु म वृ का वध कर दया था एवं जल से पूण मेघ को वषा
करने के लए अधोमुख कर दया था. (५)
वं दवो ध णं धष ओजसा पृ थ ा इ सदनेषु मा हनः.
वं सुत य मदे अ रणा अपो व वृ य समया पा या जः.. (६)
हे इं ! तुम वृ को ा त करके सम त व के जीवनाधार वषा के जल को अपने
बल ारा आकाश से धरती के भाग म था पत कर दे ते हो. तुमने सोमपान से स होकर
जल को मेघ से पृथक् कर दया है एवं वशाल पाषाण के ारा वृ को न कर दया है. (६)
सू —५७
दे वता—इं
मं ह ाय बृहते बृह ये स यशु माय तवसे म त भरे.
अपा मव वणे य य धरं राधो व ायु शवसे अपावृतम्.. (१)
म परम दानशील, गुण से महान्, भूत धनसंप , अमोघबल के वामी एवं वशाल
आकार वाले इं को ल य करके अपनी हा दक तु त पूण करता ं. जस कार नीचे क
ओर बहने वाले जल को कोई नह रोक सकता, उसी कार इं का बल धारण करने म भी
कोई समथ नह होगा. तोता को बलशाली बनाने के लए इं सव ापक धन को
का शत करते ह. (१)
अध ते व मनु हास द य आपो न नेव सवना ह व मतः.
य पवते न समशीत हयत इ य व ः थता हर ययः.. (२)
हे इं ! यह सारा संसार तु हारे य म संल न था. ह दाता यजमान के ारा नचोड़ा
आ सोमरस तु ह उसी कार ा त आ था, जस कार जल नीची जगह पर आ जाता है.
इं का शोभन, वणमय एवं श ुनाशक व पवत पर कभी न त नह था. (२)
अ मै भीमाय नमसा सम वर उषो न शु आ भरा पनीयसे.
य य धाम वसे नामे यं यो तरका र ह रतो नायसे.. (३)
हे शोभन उषा! तुम इस य म श ु के लए भयंकर व परम तु तपा इं के लए
इस समय य का अ दो. जस कार सार थ घोड़े को इधर-उधर ले जाता है, उसी कार
इं क सबको धारण करने वाली, स एवं पहचान कराने वाली यो त उ ह य ा ा त
कराने के लए इधर-उधर ले जाती है. (३)
इमे त इ ते वयं पु ु त ये वार य चराम स भूवसो.
न ह वद यो गवणो गरः सघ ोणी रव त नो हय त चः.. (४)
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हे भूत धनशाली एवं ब त से यजमान ारा तुत इं ! तु हारा आ य ा त करके
हम य काय म वतमान ह. हम तु हारे ही भ ह. हे तु तपा इं ! तु हारे अ त र इन
तु तय को कोई ा त नह करता. जस कार पृ वी अपने सम त ा णय को चाहती है,
उसी कार तुम भी हमारे तु त वचन को ेम करो. (४)
भू र त इ वीय१तव म य य तोतुमघव काममा पृण.
अनु ते ौबृहती वीय मम इयं च ते पृ थवी नेम ओजसे.. (५)
हे इं ! तु हारी साम य को कोई भी लांघ नह सकता. हम तु हारे ही भ ह. हे मघवा!
तुम अपने इस तोता क इ छा को पूरा करो. वशाल आकाश ने तु हारे शौय को वीकार
कया था एवं पृ वी तु हारे बल के सामने झुक गई थी. (५)
वं त म पवतं महामु ं व ेण व पवशचक तथ.
अवासृजो नवृताः सतवा अपः स ा व ं द धषे केवलं सहः.. (६)
हे व धारी इं ! तुमने उस स एवं वशाल मेघ को अपने व
ारा टु कड़ेटुकड़े कर
दया था एवं उस मेघ ारा रोके गए जल को नीचे बहने के लए छोड़ दया था. केवल तुम ही
व
ापी बल धारण करते हो. (६)
सू —५८
दे वता—अ न
नू च सहोजा अमृतो न तु दते होता य तो अभव व वतः.
व सा ध े भः प थभी रजो मम आ दे वताता ह वषा ववास त.. (१)
अ तशय बल क सहायता से उ प एवं अमर अ न जलाने म समथ है. दे वता का
आ ान करने वाले अ न जस समय यजमान का ह ले जाने के लए त बने थे, उस
समय अ न ने उ चत माग से जाकर अंत र लोक बनाया था. अ न य म ह दान करके
दे व क सेवा करते ह. (१)
आ वम युवमानो अजर तृ व व य तसेषु त त.
अ यो न पृ ं ु षत य रोचते दवो न सानु तनय च दत्.. (२)
जरार हत अ न अपने तृणगु म आ द खा पदाथ को अपनी दाहकश
के ारा
अपने म मलाकर एवं भ ण करके शी ही ब त से काठ पर चढ़ गए. जलाने के लए
इधर-उधर जाने वाली अ न क ऊंची वालाएं ग तशील अ के समान तथा आकाश थत
उ त एवं गंभीर श दकारी मेघ के समान शोभा पाती ह. (२)
ाणा े भवसु भः पुरो हतो होता नष ो र यषाळम यः.
रथो न व वृ सान आयुषु ानुष वाया दे व ऋ व त.. (३)
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अ न ह का वहन करते ए
तथा वसु के स मुख थान ा त कर चुके ह एवं
दे व का आ ान करने के न म य म उप थत रहते ह. श ु का धन जीतने वाले,
मरणर हत एवं द तमान् अ न यजमान ारा तुत होकर रथ क भां त चलते ए जा
के पास प ंचते ह एवं बार-बार े धन दान करते ह. (३)
व वातजूतो अतसेषु त ते वृथा जु भः सृ या तु व व णः.
तृषु यद ने व ननो वृषायसे कृ णं त एम श म अजर.. (४)
वायु ारा े रत अ न महान् श द करते ए अपनी जलती ई एवं ती वाला के
ारा अनायास ही पेड़ को जला दे ते ह. हे अ न दे व! तुम जस समय वन के वृ को
जलाने के लए सांड़ के समान उतावले होते हो, उस समय तु हारे गमन का माग काला पड़
जाता है. हे अ न! तुम द त वाला वाले एवं जरार हत हो. (४)
तपुज भो वन आ वातचो दतो यूथे न सा ाँ अव वा त वंसगः.
अभ ज
तं पाजसा रजः थातु रथं भयते पत णः.. (५)
वायु ारा े रत अ न शखा पी आयुध धारण कर लेता है तथा महान् तेज के कारण
गीले वृ के रस पर आ मण करके सव
ा त होता आ ा णय को उसी कार
परा जत कर दे ता है, जस कार गाय के झुंड म सांड़ प ंच जाता है. सम त थावर एवं
जंगम अ न से डरते ह. (५)
दधु ् वा भृगवो मानुषे वा र य न चा ं सुहवं जने यः.
होतारम ने अ त थ वरे यं म ं न शेवं द ाय ज मने.. (६)
हे अ न! मनु य के बीच म भृगु ऋ ष ने द ज म ा त करने के लए तु ह उसी
कार धारण कया था, जस कार लोग उ म धन को संभाल कर रखते ह. तुम लोग का
आ ान सरलता से सुन लेते हो एवं दे व का आ ान करने वाले हो. तुम य थान म अ त थ
के समान पूजनीय एवं म के समान सुख दे ने वाले हो. (६)
होतारं स त जु ो३य ज ं यं वाघतो वृणते अ वरेषु.
अ नं व ेषामर त वसूनां सपया म यसा या म र नम्.. (७)
आ ान करने वाले सात ऋ वज् य म सव े यजनीय एवं दे व के आ ानक ा
जस अ न का वरण करते ह, सम त संप यां दे ने वाले उसी अ न क सेवा म ह के ारा
कर रहा ं तथा उस अ न से रमणीय धन क याचना कर रहा ं. (७)
अ छ ा सूनो सहसो नो अ तोतृ यो म महः शम य छ.
अ ने गृण तमंहस उ योज नपा पू भरायसी भः.. (८)
हे अ न! तुम बल योग ारा अर ण से उ प एवं अनुकूल काश वाले हो. तुम हम
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अनवरत सुख दान करो. हे अ पु अ न! लोहे के समान ढ़तर पालन साधन
तोता क र ा करके उसे पाप से मु करो. (८)
ारा अपने
भवा व थं गृणते वभावो भवा मघव मघवद् यः शम.
उ या ने अंहसो गृण तं ातम ू धयावसुजग यात्.. (९)
हे व श
काशवान् अ न! तुम तु त करने वाले यजमान के लए गृह के समान
अ न नवारक बनो. हे धनवान् अ न! ह
प धन से यु यजमान के लए तुम सुख प
बनो. हे अ न! अपने तोता क पाप से र ा करो. हे बु
प धन से संप अ न! आज
ातःकाल शी पधारो. (९)
सू —५९
दे वता—अ न
वया इद ने अ नय ते अ ये वे व े अमृता मादय ते.
वै ानर ना भर स तीनां थूणेव जनां उप म य थ.. (१)
हे अ न! अ य अ नयां तु हारी शाखाएं होने के कारण सम त दे वगण तु हारे साथ ही
स होते ह. हे वै ानर! तुम सब मनु य क ना भ म जठरा न प से थत हो. जस
कार धरती म गड़े ए लकड़ी के थूने अपने ऊपर बांस को धारण करते ह, उसी कार तुम
भी सब मानव को धारण करो. (१)
मूधा दवो ना भर नः पृ थ ा अथाभवदरती रोद योः.
तं वा दे वासोऽजनय त दे वं वै ानर यो त रदायाय.. (२)
यह अ न आकाश का म तक, धरती क ना भ एवं धरती व आकाश के म यवत
दे श के वामी थे. हे वै ानर! सभी दे व ने े मानव के क याण के लए तु ह यो त प
एवं दाना दगुण संप उ प कया था. (२)
आ सूय न र मयो व
ु ासो वै ानरे द धरेऽ ना वसू न.
या पवते वोषधी व सु या मानुषे व स त य राजा.. (३)
जस कार न ल करण सूय म थत ह, उसी कार सभी कार के धन वै ानर
अ न म नवास करते ह. इसी लए तुम पवतीय ओष धय , जल एवं मनु य म थत धन के
वामी हो. (३)
बृहती इव सूनवे रोदसी गरो होता मनु यो३न द ः.
ववते स यशु माय पूव व ानराय नृतमाय य ः.. (४)
धरती और आकाश अपने पु वै ानर के लए व तृत हो गए थे. जस कार बंद
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अपने वामी क अनेक कार से तु त करता है, उसी कार चतुर होता सुंदर ग त वाले,
वा त वक श संप एवं सबके कुशल नेता वै ानर के लए महान् एवं व वध तु तय का
योग करता है. (४)
दव
े बृहतो जातवेदो वै ानर र रचे म ह वम्.
राजा कृ ीनाम स मानुषीणां युधा दे वे यो व रव कथ.. (५)
हे जातवेद! तु हारा मह व आकाश से भी बढ़कर है एवं तुम मानव जा
हो. तुमने असुर ारा अप त धन यु के ारा छ नकर दे व को दया था. (५)
के राजा
नू म ह वं वृषभ य वोचं यं पूरवो वृ हणं सच ते.
वै ानरो द युम नजघ वां अधूनो का ा अव श बरं भेत्.. (६)
मनु य जलवषा के लए जस आवारक मेघ के हंता व ुत् प अ न क सेवा करते ह,
म उसी जलवष वै ानर के मह व का उ चारण करता ं. उसने द यु को मारकर वषा का
जल गराया एवं शंबर का नाश कया. (६)
वै ानरो म ह ना व कृ भर ाजेषु यजतो वभावा.
शातवनेये श तनी भर नः पु णीथे जरते सूनृतावान्.. (७)
वै ानर अ न अपने मह व के कारण सम त मनु य के वामी एवं पु वधक अ
वाले य म बुलाने यो य ह, शतव न के पु राजा पु णीथ अनेक य म काशसंप एवं
यवाक् अ न क तु त करते ह. (७)
सू —६०
व
दे वता—अ न
यशसं वदथ य केतुं सु ा ं तं स ो अथम्.
ज मानं र य मव श तं रा त भरद्भृगवे मात र ा.. (१)
मात र ा ह वाहक, यश वी, य काशक, उ म र क, दे व के त, ह व लेकर दे व
के समीप जाने वाले, अर ण पी दो का से उ प एवं धन के समान शं सत अ न को
भृगुवं शय के म के प म समीप लाव. (१)
अ य शासु भयासः सच ते ह व म त उ शजो ये च मताः.
दव पूव यसा द होतापृ
ो व प त व ु वेधाः.. (२)
ह के इ छु क दे व और ह धारण करने वाले यजमान दोन ही शासक अ न क
सेवा करते ह, य क पू य, वां छतफलदाता एवं जाप त अ न सूय दय से भी पहले
यजमान के बीच था पत ए ह. (२)
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तं न सी द आ जायमानम म सुक तमधु ज म याः.
यमृ वजो वृजने मानुषासः य व त आयवो जीजन त.. (३)
दय म थत ाण से उ प एवं मादक वाला वाले अ न को हमारी नई तु तयां
सामने से घेर ल. उ चत समय पर य करने वाले मनु य ने सं ाम के समय अ न को उ प
कया. (३)
उ श पावको वसुमानुषेषु वरे यो होताधा य व ु.
दमूना गृहप तदम आँ अ नभुव यपती रयीणाम्.. (४)
य थल म व यजमान के बीच सबके य, शु क ा, नवास दे ने वाले, वरण
करने यो य अ न को था पत कया गया है. वे श ुदमन के लए ढ़ न यी, हमारे घर के
पालनक ा एवं य भवन म धन के अ धप त ह . (४)
तं वा वयं प तम ने रयीणां शंसामो म त भग तमासः.
आशुं न वाज भरं मजय तः ातम ू धयावसुजग यात्.. (५)
हे अ न! जस कार घोड़े पर चढ़ने का इ छु क सवार घोड़े क पीठ साफ करता है,
उसी कार गौतम गो ो प हम धन के वामी, सबके र क, य संबंधी अ के भता तुझ
अ न का माजन करते ए सुंदर तो
ारा तु हारी सहायता करते ह. हे बु
ारा धन
ा त करने वाले अ न! कल ातःकाल शी आना. (५)
दे वता—इं
सू —६१
अ मा इ
तवसे तुराय यो न ह म तोमं मा हनाय.
ऋचीषमाया गव ओह म ाय
ा ण राततमा.. (१)
जस कार भूखे को अ दया जाता है, उसी कार म श संप , शी ता करने
वाले, गुण म महान्, तु त के अनुकूल
व वाले एवं अबाधग त इं को वरण करने
यो य तु तयां एवं पूववत यजमान ारा अ धक मा ा म दया आ अ भट करता ं. (१)
अ मा इ य इव यं स भरा यङ् गूषं बाधे सुवृ .
इ ाय दा मनसा मनीषा नाय प ये धयो मजय त.. (२)
म इं को अ के समान ह दान करता ं तथा श ु को परा जत करने म समथ तु त
वचन का उ चारण करता ं. अ य तु तक ा भी उस ाचीन वामी इं के त अंतःकरण,
बु और ान क सहायता से तु तयां करते ह. (२)
अ मा इ
यमुपमं वषा भरा याङ् गूषमा येन.
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मं ह म छो
भमतीनां सुवृ
भः सू र वावृध यै.. (३)
म उ ह स , उपमान बने ए, अ यंत वरणीय, धन के दाता, व ान् इं क वृ
न म समथ एवं व छ वचन वाली तु त बोलता आ महान् श द करता ं. (३)
के
अ मा इ तोमं सं हनो म रथं न त व
े त सनाय.
गर गवाहसे सुवृ
ाय व म वं मे धराय.. (४)
जस कार रथ बनाने वाला रथ के मा लक के पास रथ ले जाता है, उसी कार म भी
तु त यो य इं को ल त करके शंसावचन े षत करता ं एवं बु संप इं के लए
व
ापक ह का वसजन करता ं. (४)
अ मा इ स त मव व ये ायाक जु ा३सम े.
वीरं दानौकसं व द यै पुरां गूत वसं दमाणम्.. (५)
जस कार अ लाभ के लए जाने का इ छु क
घोड़ को रथ म जोड़ता है, उसी
कार म अ लाभ क अ भलाषा से तु त पी मं बोलता ं. म उ ह वीर, दानपा , उ म
अ यु एवं असुरनगर के व वंसक ा इं क वंदना म लगा आ ं. (५)
अ मा इ व ा त
ं वप तमं वय१ रणाय.
वृ य च द न
े मम तुज ीशान तुजता कयेधाः.. (६)
व ा ने यु के न म इन इं के लए शोभन कम वाला एवं श ु के त सरलता
से फका जाने वाला व बनाया था. श ु क हसा करते ए ऐ य एवं बल से संप इं
ने हनन करने वाले व से वृ के मम का भेदन कया था. (६)
अ ये मातुः सवनेषु स ो महः पतुं प पवा चाव ा.
मुषाय णुः पचतं सहीया व य राहं तरो अ म ता.. (७)
इं ने जगत् नमाण करने वाले इस महान् य के तीन सवन म सोम प अ का तुरंत
पान कया है एवं ह
प अ का भ ण कया है. व
ापक, असुर धन के अपहता,
श ु वजयी एवं व चलाने वाले इं ने मेघ को पाकर वद ण कर दया. (७)
अ मा इ ना े वप नी र ायाकम हह य ऊवुः.
प र ावापृ थवी ज उव ना य ते म हमानं प र ः.. (८)
जब इं ने वृ का वध कया था, तब गमनशील दे वप नय ने उनक तु त क थी. इं
अपने तेज के ारा आकाश और पृ वी से बढ़ गए थे, पर आकाश और धरती इं क म हमा
का अ त मण नह कर सके. (८)
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अ येदेव र रचे म ह वं दव पृ थ ाः पय त र ात्.
वरा ळ ो दम आ व गूतः व ररम ो वव े रणाय.. (९)
इं क म हमा आकाश, धरती और उनके म यवत लोक से भी बढ़कर है. इं अपने
इस नवास थान म अपने तेज से सुशो भत, सभी काय करने म कुशल, श शाली श ु का
नाश करने म समथ एवं यु करने म नपुण ह. इं अपने मेघ प श ु को यु के लए
ललकारते ह. (९)
अ येदेव शवसा शुष तं व वृ
ेण वृ म ः.
गा न ाणा अवनीरमु चद भ वो दावने सचेताः.. (१०)
इं ने अपनी ही श से जल रोकने वाले वृ का उ छे द कर दया था. जस कार
चोर ारा रोक ई गाएं इं ने छु ड़वा द थ , उसी कार वृ
ारा रोका आ व का
र क जल छु ड़वा दया था. इं ह दे ने वाले को इ छानुसार अ दे ते ह. (१०)
अ ये वेषसा र त स धवः प र य ेण सीमय छत्.
ईशानकृ ाशुषे दश य तुव तये गाधं तुव णः कः.. (११)
इं ने व
ारा न दय क सीमा न त कर द है, अतः इं के बल के कारण गंगा
आ द स रताएं अपने-अपने थान पर सुशो भत ह. इं ने अपने को ऐ यवान् बनाकर
ह दाता यजमान को फल दान करते ए तुव त ऋ ष के हेतु नवास यो य थल अ वलंब
बना दया था. (११)
अ मा इ
भरा तूतुजानो वृ ाय व मीशानः कयेधाः.
गोन पव व रदा तर े य णा यपां चर यै.. (१२)
हे शी ताकारक, सबके वामी एवं अप र मत बलशाली इं ! तुम इस वृ के ऊपर व
का हार करो. जस कार मांस के व े ता पशु के अंग को काटते ह, उसी कार तुम वृ
के शरीर के जोड़ अपने व से तरछे प म काटो, इससे वषा होगी और धरती पर जल
बहने लगेगा. (१२)
अ ये
ू ह पू ा ण तुर य कमा ण न उ थैः.
युधे य द णान आयुधा यृघायमाणो न रणा त श ून्.. (१३)
हे तोता! तु त के यो य एवं यु के लए शी ता करने वाले इं के पूव कम क
शंसा करो. इं यु म श ुघात के न म आयुध को बार-बार फकते ए उनके सामने
जाते ह. (१३)
अ ये भया गरय ळ् हा ावा च भूमा जनुष तुजेते.
उपो वेन य जोगुवान ओ णस ो भुव याय नोधाः.. (१४)
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इ ह इं के भय से पवत थर ह एवं इनके कट होने पर धरती और आकाश भय से
कांपने लगते ह. नोधा नामक ऋ ष ने इ ह सुंदर एवं ःख वनाशक इं क र ा श क
अपने सू
ारा बार-बार शंसा करके अ वलंब श
ा त क थी. (१४)
अ मा इ यदनु दा येषामेको य ने भूरेरीशानः.
ैतशं सूय प पृधानं सौव े सु वमाव द ः.. (१५)
अकेले ही श ु वजय म समथ एवं अनेक कार के वामी इं ने तोता से जस
कार क तु त क इ छा क थी, उ ह वही तु त दान क गई है. व के पु सूय के साथ
यु करते समय सोमरस नचोड़ने वाले एतश ऋ ष को इं ने बचाया. (१५)
एवा ते हा रयोजना सुवृ
ा ण गोतमासो अ न्.
ऐषु व पेशसं धयं धाः ातम ू धयावसुजग यात्.. (१६)
हे इं ! तुम घोड़ समेत रथ के वामी हो. तु ह अपने य म बुलाने के लए गोतम गो
वाले ऋ षय ने तु हारे त तु त पी मं कहे ह. तुम उनक अनेक कार से उ त करो.
बु
ारा धन ा त करने वाले इं ातःकाल शी आव. (१६)
सू —६२
दे वता—इं
म महे शवसानाय शूषमाङ् गूषं गवणसे अ र वत्.
सुवृ भः तुवत ऋ मयायाचामाक नरे व ुताय.. (१)
हम अं गरा ऋ ष के समान श ुनाशक एवं तु तपा इं को सुख दे नेवाली तु तय को
भली कार जानते ह. शोभन तो
ारा तु त करने वाले ऋ षय के अचनीय एवं सबके
नेता प इं क हम तो
ारा पूजा करते ह. (१)
वो महे म ह नमो भर वमाङ् गू यं शवसानाय साम.
येना नः पूव पतरः पद ा अच तो अ रसो गा अ व दन्.. (२)
हे ऋ वजो! महान् एवं बलसंप इं के त उ म एवं ौढ़ तो का उ चारण करो.
हमारे पूवज अं गरा गो ीय ऋ ष प ण नामक असुर ारा चुराई ई गौ के पद च दे खते
ए गए एवं इं क सहायता से उनका उ ार कया. (२)
इ या रसां चे ौ वद सरमा तनयाय धा सम्.
बृह प त भनद वद ाः समु या भवावश त नरः.. (३)
इं एवं अं गरा गो ीय ऋ षय ारा गाय को खोजने के लए भेजी गई सरमा नामक
कु तया ने अपने ब च के लए अ ा त कया था. सरमा ारा बताए जाने पर इं ने असुर
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को मारा एवं गाय को छु ड़ाया. उस समय गाय के साथ-साथ दे व ने स तासूचक श द
कया था. (३)
स सु ु भा स तुभा स त व ैः वरेणा वय ३नव वैः.
सर यु भः फ लग म श वलं रवेण दरयो दश वैः.. (४)
नौ अथवा दस महीन म य समा त करने वाले एवं उ म ग त के इ छु क
अं गरागो ीय सात मेधावी ऋ षय ारा शोभन श द यु
तो
ारा तुत हे इं ! तु हारे
श दमा से मेघ डरते ह. (४)
गृणानो अ रो भद म व व षसा सूयण गो भर धः.
व भू या अ थय इ सानु दवो रज उपरम तभायः.. (५)
हे दशनीय इं ! तुमने अं गरागो ीय ऋ षय क तु त सुनकर उषा एवं सूय करण क
सहायता से अंधकार का नाश कया था. हे इं ! तुमने धरती के उ त भाग को समतल तथा
आकाश के मूल दे श को ढ़ कया था. (५)
त य तमम य कम द म य चा तमम त दं सः.
उप रे य परा अ प व म वणसो न १ त ः.. (६)
इं ने धरती क मीठे जल वाली चार न दय को जलपूण कया है. वही दशनीय इं का
अ तशय पू य एवं सुंदर कम है. (६)
ता व व े सनजा सनीळे अया यः तवमाने भरकः
भगो न मेने परमे ोम धारय ोदसी सुदंसाः.. (७)
इं को यु
ारा नह , तु त ारा वश म कया जा सकता है. उ ह ने संल न होकर
रहने वाले आकाश और धरती को दो जगह कया है. शोभनकमा इं ने सुंदर आकाश म
रोदसी को सूय के समान धारण कया है. (७)
सना वं प र भूमा व पे पुनभुवा युवती वे भरेवैः.
कृ णे भर ोषा श वपु भरा चरतो अ या या.. (८)
त णी रा तथा उषा पर पर भ
प वाली एवं त दन उ प होने वाली ह. वे
आकाश और धरती पर आकर सदा वचरण करती ह. रात काले रंग क एवं उषा उ वल
वण वाली ह. (८)
सने म स यं वप यमानः सूनुदाधार शवसा सुदंसाः.
आमासु च धषे प वम तः पयः कृ णासु श ो हणीषु.. (९)
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शोभनकम वाले, अ त बलसंप एवं सुंदरय से यु इं पहले से ही यजमान के
त म ता का भाव रखते आए ह. हे इं ! तुमने भली कार युवती न होने वाली, काले और
लाल रंग क गाय म ेत वण का ध धारण कराया है. (९)
सना सनीळा अवनीरवाता ता र ते अमृताः सहो भः.
पु सह ा जनयो न प नी व य त वसारो अ याणम्.. (१०)
हमारी उंग लयां चरकाल से ग तशील रहकर एक साथ नवास करती , आल यहीन
होकर अपनी ही श से इं संबंधी हजार य का अनु ान कर चुक ह. वे ही सेवासंल न
उंग लयां पालन करने वाली ब हन के समान इं क प रचया करती ह. (१०)
सनायुवो नमसा न ो अकवसूयवो मतयो द म द ः.
प त न प नी शती श तं पृश त वा शवसाव मनीषाः.. (११)
हे दशनीय इं ! लोग मं और णाम के ारा तु हारी तु त करते ह. अ नहो आ द
सनातन कम एवं धन क इ छा करने वाले बु मान् लोग बड़े य न के बाद तु ह ा त
करते ह. हे बलवान् इं ! जैसे प तकामा ना रयां प त को ा त करती ह, उसी कार
बु मान क तु तयां तु हारे पास प ंचती ह. (११)
सनादे व तव रायो गभ तौ न ीय ते नोप द य त द म.
ुमाँ अ स तुमाँ इ धीरः श ा शचीव तव नः शची भः.. (१२)
हे दशनीय इं ! तु हारे हाथ म चरकाल से जो संप है, वह कभी समा त नह होती
और तोता को दे ने पर भी कम नह होती. हे इं ! तुम बु मान्, द तसंप तथा
य कमयु हो. हे कमठ इं ! अपने कम ारा हम घर दो. (१२)
सनायते गोतम इ न मत द्
ह रयोजनाय.
सुनीथाय नः शवसान नोधाः ातम ू धयावसुजग यात्.. (१३)
हे इं ! तुम सबके आ द हो. हे बलवान्! तुम रथ म अपने घोड़े जोड़ते हो एवं शोभन
नेता हो. गौतम ऋ ष के पु नोधा ने हमारे न म तु हारा यह नवीन तो बनाया है,
इस लए कम के ारा धन ा त करने वाले इं इस तो से आक षत होकर ातःकाल
ज द आव. (१३)
सू —६३
दे वता—इं
वं महां इ यो ह शु मै ावा ज ानः पृ थवी अमे धाः.
य ते व ा गरय द वा भया ळ् हासः करणा नैजन्.. (१)
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हे इं ! तुम गुण क मह ा म सबसे अ धक हो, य क तुमने असुरज य भय उ प
होते ही जल हण कया एवं अपने श ुशोषक बल ारा धरती और आकाश को धारण
कया. व म ा त सम त ाणी, पवत तथा अ य महान् एवं ढ़ पदाथ तु हारे भय से उसी
कार कांपते ह, जस कार आकाश म सूय क करण कांपती ह. (१)
आ य री इ व ता वेरा ते व ं ज रता बा ोधात्.
येना वहयत तो अ म ा पुर इ णा स पु त पूव ः.. (२)
हे इं ! जब तुम अपने व वध कम वाले घोड़ को रथ म जोड़ते हो, तभी तोता तु हारे
हाथ म व दे ता है. हे अ न छत कम वाले इं ! तुम उसी व से श ु का व वंस करते
हो. हे ब यजमान ारा आ त इं ! तुम उसी व
ारा श ु के अनेक पुर का भेदन
करते हो. (२)
वं स य इ धृ णुरेता वमृभु ा नय वं षाट् .
वं शु णं वृजने पृ आणौ यूने कु साय ुमते सचाहन्.. (३)
हे इं ! तुम सव कृ एवं इन श ु को हराने वाले हो. तुम ऋभु के वामी, मानव
के हतकारक एवं श ु को हराने वाले हो. वीर संहारक एवं श
धान यु म तुमने
तेज वी एवं युवक कु स के सहायक बनकर शु ण नामक असुर का वध कया. (३)
वं ह य द चोद ः सखा वृ ं य
वृषकम ु नाः.
य शूर वृषमणः पराचै व द यूय
ँ नावकृतो वृथाषाट् .. (४)
हे वृ क ा एवं व यु इं ! जस समय तुमने कु स के धन को छ नने वाले श ु का
वध कया था, हे श ु ेरक, कामवधक एवं सहज ही श ुनाशक इं ! उस समय तुमने
यु
े म द यु को र भगाकर उनका नाश कया था एवं कु स क सहायता करके उसे
यश वी बनाया था. (४)
वं ह य द ा रष य ळ् ह य च मतानामजु ौ.
१ मदा का ा अवते वघनेव व
छ् न थ म ान्.. (५)
हे इं ! य प तुम कसी ढ़
को हा न प ंचाना नह चाहते हो, फर भी य द हम
तोता को श ु घेर लेते ह तो तुम हमारे घोड़ के चलने के लए सभी दशा को मु
कर दे ते हो. हे व धारी इं ! क ठन व से हमारे श ु को मारो. (५)
वां ह य द ाणसातौ वम ळ् हे नर आजा हव ते.
तव वधाव इयमा समय ऊ तवाजे वतसा या भूत.. (६)
जस यु म वृ होने से लोग को लाभ और धन मलने क संभावना होती है, उस म
वे सहायता के लए तु ह बुलाते ह. हे बलशाली! यु
े म तुम हमारी र ा करो. यु भू म
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म यो ा तुमसे र ा ा त करते ह. (६)
वं ह य द स त यु य पुरो व पु कु साय ददः.
ब हन य सुदासे वृथा वगहो राज व रवः पूरवे कः.. (७)
हे व धारी इं ! पु कु स ऋ ष क सहायता के लए उसके श ु से यु करते ए
तुमने सात नगर को वद ण कया था. उसी कार तुमने सुदास राजा का प लेकर अंहो
नामक असुर का धन कुश के समान छ करने के प ात् उसी ह दाता सुदास को दे दया
था. (७)
वं यां न इ दे व च ा मषमापो न पीपयः प र मन्.
यया शूर य म यं यं स मनमूज न व ध र यै.. (८)
हे तेज वी इं ! तुम हमारे सं हणीय धन को व तृत धरती पर पानी के समान बढ़ाओ.
हे वीर! जस कार तुमने जल को चार ओर फैलाया है, उसी कार हमारे ाणधारक अ
का भी व तार करो. (८)
अका र त इ गोतमे भ ा यो ा नमसा ह र याम्.
सुपेशसं वाजमा भरा नः ातम ू धयावसुजग यात्.. (९)
हे तेज वी इं ! गोतमवंशी ऋ षय ने अ यु तु हारे लए ह व दे ते ए नम कारपूण
तु त क थी. तुम हम भां त-भां त के अ से यु बनाओ. (९)
सू —६४
वृ णे शधाय सुमखाय वेधसे नोधः सुवृ
अपो न धीरो मनसा सुह यो गरः सम
दे वता—म द्गण
भरा म द् यः.
े वदथे वाभुवः.. (१)
हे नोधा! कामपूरक, शोभन य संप एवं पु प, फल आ द के नमाणक ा म द्गण
के त सुंदर तु तय का उ चारण करो. म हाथ जोड़कर धीरतापूवक मन से उन तु तय
का योग करता ,ं जनके ारा दे वसमूह उसी भां त य थल क ओर अ भमुख कया जा
सकता है, जस भां त मेघ एक साथ ब त सी बूंद गराते ह. (१)
ते ज रे दव ऋ वास उ णो
य मया असुरा अरेपसः.
पावकासः शुचयः सूया इव स वानो न सनो घोरवपसः.. (२)
दशनीय, पौ षयु एवं
प म द्गण अंत र से उ प
ए ह. म द्गण
श ुनाशक, पापर हत, सबको शु करने वाले, सूय करण के समान,
गण के तु य
बलशाली, वषा क बूंद को धारण करने वाले एवं घोर प ह. (२)
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युवानो ा अजरा अभो घनो वव रु गावः पवता इव.
ळ् हा च
ा भुवना न पा थवा यावय त द ा न म मना.. (३)
युवक एवं जरार हत म द्गण दे वता को ह व न दे ने वाल का नाश करते ह. कोई
उनक ग त रोक नह सकता, य क वे पवत के समान ढ़ अंग वाले ह एवं तोता क
इ छा पूरी करते ह. वे धरती और आकाश क ढ़ व तु को भी अपने बल से कं पत कर
दे ते ह. (३)
च ैर
भवपुषे फ्जते व ःसु माँ अ ध ये तरे शुभे.
अंसे वेषां न ममृ ुऋ यः साकं ज रे वधया दवो नरः.. (४)
म द्गण शोभा के लए अपने शरीर को भां त-भां त के आभूषण से वभू षत करते ह
एवं सीने पर सुंदर हार पहनते ह. हाथ म आयुध धारण कए ए नेता प म द्गण आकाश
से अपनी श के साथ उ प ए थे. (४)
ईशानकृतो धुनयो रशादसो वाता व ुत त वषी भर त.
ह यूध द ा न धूतयो भू म प व त पयसा प र यः.. (५)
म त ने तु तक ा को संप शाली, मेघ आ द को कं पत एवं हसक को समा त
करके अपनी श से वायु, बजली आ द को बनाया. इसके बाद चार दशा म जाने वाले
एवं सबको कंपाने वाले म त ने आकाश के मेघ को ह कर नकले ए जल से धरती को
स चा. (५)
प व यपो म तः सुदानवः पयो घृतव दथे वाभुवः.
अ यं न महे व नय त वा जनमु सं ह त तनय तम तम्.. (६)
ऋ वज् जस कार घी से य भू म को स चते ह, वैसे ही शोभन ग त वाले म त्
सारयु जल से सारी धरती को स चते ह, य क घुड़सवार जस कार घोड़े को सखाता
है, उसी कार वे वेगशाली मेघ को वषा के न म अपने वश म कर लेते ह एवं झुके ए
बादल को जलर हत बना दे ते ह. (६)
म हषासो मा यन
भानवो गरयो न वतवसो रघु यदः.
मृगा इव ह तनः खादथा वना यदा णीषु त वषीरयु वम्.. (७)
हे महान् मेधावी, तेज वी, पवत के समान श संप एवं शी ग तशाली म द्गण!
तुमने लाल रंग वाली बड़वा को श
दान क है, इस लए तुम सूंड़ वाले हाथी के समान
वृ समूह को खाते हो. (७)
सहा इव नानद त चेतसः पशाइव सु पशो व वेदसः.
पो ज व तः पृषती भऋ भः स म सबाधः शवसा हम यवः.. (८)
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उ च ान संप म द्गण सह के समान गजन करते ह, वे सव ह रण के समान
शोभन अंग वाले ह. श ुनाशक, तोता को स करने वाले एवं नाशकारी ोधयु बल
से संप म द्गण श ु ारा सताए ए यजमान क र ा के न म अपने वाहन ह रण एवं
आयुध स हत तुरंत आते ह. (८)
रोदसी आ वदता गण यो नृषाचः शूराः शवसा हम यवः.
आ व धुरे वम तन दशता व ु त थौ म तो रथेषु वः.. (९)
हे म द्गण! तुम गण के प म थत, यजमान के हतसाधक एवं शौयसंप हो. तुम
बलशा लय को जब वनाशकारी ोध आ जाता है तो धरती और आकाश को गजन से भर
दे ते हो. जस कार नमल प एवं मेघ म थत बजली को सभी लोग दे खते ह, उसी
कार सार थस हत रथ म बैठे ए तुम सभी को दखाई दे ते हो. (९)
व वेदसो र य भः समोकसः सं म ास त वषी भ वर शनः.
अ तार इषुं द धरे गभ योरनंतशु मा वृषखादयो नरः.. (१०)
सव , संप शाली, श संप , महान्, श ुनाशक, सोमपायी एवं नेता म द्गण
भुजा म आयुध धारण करते ह. (१०)
हर यये भः प व भः पयोवृध उ ज न त आप यो३ न पवतान्.
मखा अयासः वसृतो ुव यतो कृतो म तो ाज यः.. (११)
जस कार माग म जाता आ रथ तनक को चूण करके उड़ा दे ता है, उसी कार
वषा के जल का वषण करने वाले म द्गण अपने वण न मत रथ के प हय से मेघ को
ऊपर उठा दे ते ह. वे दे व क य भू म म आने वाले, श ु क ओर अपने आप जाने वाले,
न ल पवत आ द को चल बनाने वाले एवं चमक ले आयुध वाले ह. वे
को वश म कए
ह. (११)
घृषुं पावकं व ननं वचष ण
य सू नुं हवसा गृणीम स.
रज तुरं तवसं मा तं गणमृजी षणं वृषणं स त ये.. (१२)
हम श ुबलनाशक, सबके प व क ा, वषाकारक, सबके दे खने वाले एवं
पु
म द्गण क तु त तो
ारा करते ह. हे यजमानो! तुम भी धन ा त के न म धूल
उड़ाने वाले, बल संप ऋजीष नामक य म आ त तथा कामवषक म त के समीप जाओ.
(१२)
नू स मतः शवसा जनाँ अ त त थौ व ऊती म तो यमावत.
अव वाजं भरते धना नृ भरापृ
ं तुमा े त पु य त.. (१३)
हे म द्गण! तु हारा आ य एवं र ा ा त करने वाला
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सब मनु य से अ धक
बलवान् बन जाता है, वह घोड़ क सहायता से अ एवं अपने सेवक क सहायता से
धनलाभ करता है. वह शोभन य का अनु ानक ा एवं जा, पु आ द से संप बनता है.
(१३)
चकृ यं म तः पृ सु रं ुम तं शु मं मघव सु ध न.
धन पृतमु यं व चष ण तोकं पु येम तनयं शतं हमाः.. (१४)
हे म द्गण! तुम ह दाता यजमान को ऐसे पु दे ते हो जो सभी काय करने म कुशल,
सं ाम म अजेय, तेज वी, श ुनाशक, धनसंप , शंसापा एवं सव ह . हम इस कार के
पु एवं पौ को सौ वष जी वत रखगे. (१४)
नू रं म तो वीरव तमृतीषाहं र यम मासु ध .
सह णं श तनं शूशुवांसं ातम ू धयावसुजग यात्.. (१५)
हे म द्गण! हम थर, श शाली एवं श ुजयी पु पी धन दो. हमारे य कम से धन
ा त करने वाले, श शाली एवं श ुजयी पु पी धन दो. हमारे य कम से धन ा त करने
वाले, म द्गण इस कार के शतसह पु पी धन से यु हमारी र ा के लए आव.
(१५)
सू —६५
दे वता—अ न
प ा न तायुं गुहा चत तं नमो युजानं नमो वह तम्.
सजोषा धीराः पदै रनु म प
ु वा सीद व े यज ाः.. (१-२)
जैसे पशु चुराने वाला पशु स हत गुफा म छप जाता है और लोग उसके पैर के
च दे खते ए उसके पास तक प ंच जाते ह, उसी कार मेधावी एवं समान म त दे वगण
तु हारे चरण च के सहारे तुम तक प ंच गए. य पा सम त दे वगण तु हारे समीप आए
थे, अतः तुम वयं ह का भ ण करो और अ य दे व के लए भी ले जाओ. (१-२)
ऋत य दे वा अनु ता गुभुव प र
न भूम.
वध तीमापः प वा सु श मृत य योना गभ सुजातम्.. (३-४)
दे व ने भागे ए अ न के कम क खोज क थी. यह खोज चार दशा म क गई.
अ न को खोजने के लए इं आ द दे व धरती पर आए थे, इस लए धरती वग के तु य बन
गई थी. य के कारणभूत, जल के गभ से उ प एवं ऋ वज क तु तय ारा बु
अ न को छपाने के लए जल म वृ
ई थी. (३-४)
पु न र वा तन पृ वी ग रन भु म ोदो न शंभु.
अ यो ना म सग त ः स धुन ोदः क वराते.. (५-६)
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अ न अ भमत के फल क वृ के समान रमणीय, धरती के समान व तीण, पवत के
समान सबको भोजन दे ने वाले एवं जल के समान सुख द ह. यु म सतत गमनशील अ
एवं बहते ए जल के समान शी गामी अ न को कौन रोक सकता है? (५-६)
जा मः स धूनां ातेव व ा म या राजा वना य .
य ातजूतो वना
थाद नह दा त रोमा पृ थ ाः.. (७-८)
अ न ब हन के हतैषी भाई के समान बहने वाले जल के हतैषी ह. अ न श ु के
वनाशकारी राजा के समान वन का भ ण करते ह. वायु ारा े रत अ न जस समय वन
को जलाते ह, उस समय पृ वी के रोग के समान सभी वन प तयां समा त हो जाती ह.
(७-८)
स य सु हंसो न सीदन् वा चे त ो वशामुषभुत्.
सोमो न वेधा ऋत जातः पशुन श ा वभु रेभाः.. (९-१०)
जस कार हंस पानी म बैठता है, उसी कार ातःकाल जागकर सबको सावधान
करने वाला अ न जल म रहकर श
ा त करता है. अ न सोम के समान सभी ओष धय
को बढ़ाते एवं गभ म थत शशु के समान जल म सकुड़ कर बैठे थे. जब अ न ने वृ क
तो इसका काश र तक फैल गया. (९-१०)
सू —६६
दे वता—अ न
र यन च ा सूरो न सं गायुन ाणो न यो न सूनुः.
त वा न भू णवना सष पयो न धेनुः शु च वभावा.. (१-२)
धन के समान व च प, सूय के समान सभी व तु को दखाने वाले, ाणवायु के
समान जीवन सं थापक, पु के समान यकारी, ग तशील अ के समान लोकवाहन एवं
गाय के समान पोषणकारी, द त एवं व श
काशयु अ न वन को जलाने के लए
आते ह. (१-२)
दाधार म
े मोको न र यो यवो न प वो जेता जनानाम्.
ऋ षन तु वा व ु श तो वाजी न ीतो वयो दधा त.. (३-४)
रमणीय घर के समान तोता को दए ए धन क र ा म समथ, पके ए जौ के
समान सबके उपभोग यो य, मं
ा ऋ षय के समान दे व के तु तक ा, यजमान म
स एवं अ के समान हषयु अ न हम अ द. (३-४)
रोकशो चः तुन न यो जायेव योनावरं व मै.
च ो यद ाट् छ्वेतो न व ु रथो न मी वेषः सम सु.. (५-६)
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ा य तेज वाले अ न य कम करने वाले के समान न य, घर म बैठ ई प नी के
समान य गृह के आभूषण, व च द त वाले होकर चमकने पर सूय के समान शु वण,
जा के म य वण न मत रथ के समान तेज वी एवं सं ाम म भावशाली ह. (५-६)
सेनेव सृ ामं दधा य तुन द ु वेष तीका.
यमो ह जातो यमो ज न वं जारः कनीनां प तजनीनाम्.. (७-८)
अ न सेनाप त के साथ वतमान सेना अथवा धानु क के द तमुख बाण के समान
श ु को भय द ह. उ प एवं भ व य म ज म लेने वाला भूतसंघ अ न ही ह. वे कुमा रय
के जार एवं ववा हता के प त ह. (७-८)
तं व राथा वयं वस या तं न गावो न त इ म्.
स धुन ोदः नीचीरैनो व त गावः व१ शीके.. (९-१०)
जस कार गाय पशुशाला म प ंचती है, उसी कार हम पशु एवं धा य संबंधी
आ तयां लेकर व लत अ न के समीप जाते ह. वे न नगामी जल के समान इधर-उधर
वालाएं फैलाते है. दशनीय अ न क करण आकाश म मल जाती ह. (९-१०)
सू —६७
दे वता—अ न
वनेषु जायुमतषेु म ो वृणीते ु राजेवाजुयम्.
ेमो न साधुः तुन भ ो भुव वाधीह ता ह वाट् .. (१-२)
जस कार राजा जरार हत
का आदर करता है, उसी कार अर य म यजमान
एवं मानव सखा अ न शी ही यजमान पर कृपा करते ह. र क के समान कमसाधक,
कायक ा के समान क याणकारी, दे व का य म आ ान करने वाले एवं ह वहन करने
वाले अ न शोभनकमा ह. (१-२)
ह ते दधानो नृ णा व ा यमे दे वा धाद्गुहा नषीदन्.
वद तीम नरो धय धा दा य ा म ाँ अशंसन्.. (३-४)
सम त ह
प धन अपने हाथ म लेकर अ न के गुफा म छप जाने पर सभी दे व
भयभीत हो गए. नेता एवं बु धारक दे व ने य ही बु
न मत मं
ारा अ न क तु त
क , य ही अ न को पा लया. (३-४)
अजो न ां दाधार पृ थव त त भ ां म े भः स यैः.
या पदा न प ो न पा ह व ायुर ने गुहा गुहं गाः.. (५-६)
अ न सूय के समान धरती और अंत र
को धारण करने के साथ-साथ साथक मं
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ारा आकाश को भी धारण कए ह. हे संपूण अ के वामी अ न! पशु के
क र ा करो एवं ऐसे थान म जाओ जो गाय के संचार के अयो य हो. (५-६)
य थान
य चकेत गुहा भव तमा यः ससाद धारामृत य.
व ये चृत यृता सप त आ द सू न ववाचा मै.. (७-८)
अ न दे व ऐसे लोग को अ वलंब धन दान करते ह जो य थल म वतमान अ न को
जानते ह, स य के धारणक ा ह व अ न के उ े य से तु तयां करते ह. (७-८)
व यो वी सु रोध म ह वोत जा उत सू व तः.
च रपां दमे व ायुः स ेव धीराः संमाय च ु ः.. (९-१०)
मेधावी पु ष ओष धय म उनके गुण अव
करने वाले, मातृ प ओष धय म पु प,
फल आ द था पत करने वाले, जल म य थ य गृह म वतमान, ानदाता एवं सम त अ
के वामी अ न क पहले घर के समान पूजा करके बाद म कम करते ह. (९-१०)
सू —६८
दे वता—अ न
ीण ुप था वं भुर युः थातु रथम ू
ूण त्.
प र यदे षामेको व ेषां भुव े वो दे वानां म ह वा.. (१-२)
ह धारणक ा अ न ध आ द हवनीय
को मलाते ए आकाश म प ंच जाते
ह तथा अपने तेज ारा थावर, जंगम व के साथ-साथ रा को भी का शत करते ह.
अ न इं ा द सम त दे व क अपे ा काशमान एवं थावर, जंगम को ा त कए ह. (१-२)
आ द े व े तुं जुष त शु का े व जीवो ज न ाः.
भज त व े दे व वं नाम ऋतं सप तो अमृतमेवैः.. (३-४)
हे तेज वी अ न! तुम व लत होते ए अर ण प सूखे का से जब जब उ प होते
हो, तभी यजमान य कम आरंभ करते ह. वे यजमान तो
ारा तुझ मरणर हत अ न क
सेवा करके दे व व ा त करते ह. (३-४)
ऋत य ेषा ऋत य धी त व ायु व े अपां स च ु ः.
य तु यं दाशा ो वा ते श ा मै च क वा य दय व.. (५-६)
य ही अ न य भू म म पधारते ह, य ही उनक तु तयां एवं य कम आरंभ हो
जाते ह. सब यजमान अ के वामी अ न को ल य करके य करते ह. हे अ न! जो
यजमान तु ह ह दे ता है अथवा तु हारे य कम क श ा ा त करता है, तुम उसके कम
को जानते ए उसे धन दो. (५-६)
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होता नष ो मनोरप ये स च वासां पती रयीणाम्.
इ छ त रेतो मथ तनूषु सं जानत वैद ैरमूराः.. (७-८)
हे अ न! तुम मनु क जा प यजमान के दे व आ ानकारी एवं उनके धन के वामी
थे. उन जा ने पु उ प करने क इ छा से अपने शरीर म वीय क अ भलाषा क थी. वे
मोह याग कर अपने समथ पु के साथ चरकाल तक जी वत ह. (७-८)
पतुन पु ाः तुं जुष त ोष ये अ य शासं तुरासः.
व राय औण रः पु ुः पपेश नाकं तृ भदमूनाः.. (९-१०)
जस कार पु पता क आ ा का पालन करता है, उसी कार यजमान शी तापूवक
अ न क आ ा सुनते ह एवं उनके आदे श के अनुसार काय करते ह. व वध अ के वामी
अ न धन दे ते ह, जो य का साधन है. य गृह के त आस रखने वाले अ न ने आकाश
को न
से सुशो भत कया. (९-१०)
सू —६९
दे वता—अ न
शु ः शुशु वाँ उषो न जारः प ा समीची दवो न यो तः.
प र जातः वा बभूथ भुवो दे वानां पता पु ः सन्.. (१-२)
शु वण अ न उषा के जार सूय के समान सभी पदाथ को का शत करते ह एवं
काशक सूय के समान अपने तेज से धरती और आकाश को भर दे ते ह. हे अ न! तुम
ा भूत होकर अपने कम से सारे संसार को ा त कर लेते हो. तुम पु के समान दे व के
त होते ए भी पता के समान उनके पालक हो. (१-२)
वेधा अ तो अ न वजान ूधन गोनां वा ा पतूनाम्.
जने न शेव आ यः स म ये नष ो र वो रोणे.. (३-४)
मेधावी, दपर हत एवं क
-अक
को जानने वाले अ न उसी कार सम त अ
को वा द बना दे ते ह, जस कार गाय का तन बनाता है. अ न य म बुलाए जाने पर
लोक सुखकारी पु ष के समान य थल म आकर बैठते ह. (३-४)
पु ो न जातो र वो रोणे वाजी न ीतो वशो व तारीत्.
वशो यद े नृ भ सनीळा अ नदव वा व य याः.. (५-६)
य गृह म उ प होकर अ न पु के समान आनंदकारी एवं स होकर सं ाम म अ
के समान श ु को भगाने वाले ह. जब म ऋ षय के साथ मलकर एक नवास करने
वाले दे व को बुलाता ं तो यह अ न वयं ही उन दे वता का प बना लेते ह. (५-६)
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न क एता ता मन त नृ यो यदे यः ु चकथ.
त ु ते दं सो यदह समानैनृ भय ु ो ववे रपां स.. (७-८)
हे अ न! रा सा द बाधक तुमसे संबं धत य का वनाश नह कर पाते, य क उन
कम म संल न यजमान को तुम फल के प म सुख दान करते हो. य द तु हारे कम को
रा सा द न करते ह तो तुम अपने साथी नेता म द्गण को लेकर उ ह भगा दे ते हो. (७-८)
उषो न जारो वभावो ः सं ात प केतद मै.
मना वह तो रो ृ व व त व े व१ शीके.. (९-१०)
उषा के जार सूय के समान काशयु , नवास यो य एवं व व दत व प वाले
अ न यजमान को जान. अ न क करण वयं ही ह वहन करती ई एवं य गृह के ार
को ा त करती ई दशनीय आकाश म फैलती ह. (९-१०)
सू —७०
दे वता—अ न
वनेम पूव रय मनीषा अ नः सुशोको व ा य याः.
आ दै ा न ता च क वाना मानुष य जन य ज म.. (१-२)
बु
ारा ा त , शोभनद त संप , दे व के त एवं मानव के ज म प कम
समझकर सारे काय म ा त अ क याचना करते ह. (१-२)
गभ यो अपां गभ वनानां गभ थातां गभ रथाम्.
अ ौ चद मा अ त रोणे वशां न व ो अमृतः वाधीः.. (३-४)
जो अ न जल, अर य, थावर एवं जंगम के गभ म थत रहते ह, उ ह लोग य मंडप
एवं पवत के ऊपर ह व दे ते ह. जा के सुख का इ छु क राजा जस कार उनक र ा
करता है, उसी कार मरणर हत अ न हमारे त शोभन कम कर. (३-४)
स ह पावाँ अ नी रयीणां दाश ो अ मा अरं सू ै ः.
एता च क वो भूमा न पा ह दे वानां ज म मता व ान्.. (५-६)
जो यजमान मं
ारा अ न क तु त करता है, रा के वामी अ न उसे धन दे ते ह.
हे सव अ न! तुम दे व एवं मानव के ज म के वषय म जानते ए ा णसमूह का पालन
करो. (५-६)
वधा यं पूव ः पो व पाः थातु रथमृत वीतम्.
अरा ध होता व१ नष ः कृ व व ा यपां स स या.. (७-८)
उषा और रा का प भ है, फर भी वे अ न क वृ
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करती ह. इसी कार
थावर एवं जंगम अमृत प उदक घरी ई अ न को बढ़ाते ह. दे वय म थत होकर दे व
को बुलाने वाले अ न सम त य कम को स यफल दे ते ए आरा धत ह . (७-८)
गोषु श तं वनेषु धषे भर त व े ब ल वणः.
व वा नरः पु ा सपय पतुन ज े व वेदो भर त.. (९-१०)
हे अ न! हमारे काम आने वाले गाय आ द पशु को शंसनीय बनाओ. सम त
मनु य हमारे लए भट के प म धन लाव. जस कार वृ पता से पु धन पाता है, उसी
कार यजमान अनेक दे वय के थल म तु हारी भां त-भां त से सेवा करते एवं धनलाभ
करते ह. (९-१०)
साधुन गृ नुर तेव शूरो यातेव भीम वेषः सम सु.. (११)
अ न साधक के समान सम त ह
वीकार करते ह. वे धानु क के समान शूर, श ु के
समान भयंकर एवं सं ाम म द त होकर हमारी सहायता कर. (११)
सू —७१
दे वता—अ न
उप ज व ुशती श तं प त न न यं जनयः सनीळाः.
वसारः यावीम षीमजु च मु छ तीमुषसं न गावः.. (१)
कामना करने वाली एवं एक साथ नवास करने वाली उंग लयां ह क अ भलाषा
करने वाले अ न को ह दे कर उसी कार स करती ह, जस कार ववा हता नारी
अपने प त को स करती है. पहले कृ णवण धारण करने वाली उषा क सेवा जस कार
सूय करण करती ह, उसी कार उंग लयां पूजनीय अ न क अंज लबंधन से सेवा करती ह.
(१)
वीळु चद्वृळ्हा पतरो न उ थैर
ज ङ् गरसो रवेण.
च ु दवो बृहतो गातुम मे अहः व व व ः केतुमु ाः.. (२)
हमारे पतर अं गरा ने मं
ारा अ न क तु त करके उस तु त श द ारा ही
बलवान् एवं ढ़ प ण असुर को समा त कया था एवं हमारे लए महान् ुलोक का माग
बनाया था. इसके प ात् उ ह ने सुखपवक ा य दवस, संसार काशक सूय एवं प णय
ारा चुराई गई गाय को जाना था. (२)
दध त
ृ ं धनय य धी तमा ददय द ध वो३ वभृ ाः.
अतृ य तीरपसो य य छा दे वा
म यसा वधय तीः.. (३)
जस कार लोग धन धारण करते ह, उसी कार अं गरावंशी ऋ षय ने य क अ न
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को धारण कया था. जो यजमान धन के वामी ह जो अ य वषय क तृ णा से र हत होकर
अ न को धारण करते ए य कम म संल न रहते ह, वे ह व प अ के ारा दे व और
मानव क वृ करते ए अ न के स मुख जाते ह. (३)
मथी द वभृतो मात र ा गृहेगृहे येतो जे यो भूत्.
आद रा े न सहीयसे सचा स ा यं१ भृगवाणो ववाय.. (४)
ान पी वायु अ न को जब-जब मथते ह, तब-तब यह शु वण अ न सम त
य गृह म उ प होते ह. जस कार म ता का आचरण करता आ राजा बली राजा के
समीप अपना त भेजता है, उसी कार भृगु ऋ ष ने अ न को त के काम म लगाया. (४)
महे य प
रसं दवे करव सर पृश य क वान्.
सृजद ता धृषता द ुम मै वायां दे वो हत र व ष धात्.. (५)
हे अ न! जब यजमान महान् एवं पालनक ा दे वगण के लए धरती का सारभूत रस
दे ता है, तब पश करने म कुशल रा स आ द तु ह ह वाहक जानकर पलायन कर जाते ह.
बाण फकने म कुशल अ न अपने श ुनाशक धनुष से उन भागते ए रा स आ द पर
काशयु बाण फकते ह एवं अपनी पु ी उषा म द तमान् अ न दे व अपना तेज था पत
करते ह. (५)
व आ य तु यं दम आ वभा त नमो वा दाशा शतो अनु ून्.
वध अ ने वयो अ य बहा यास ाया सरथं यं जुना स.. (६)
हे बहा अ न दे व! जो यजमान तु ह अपने य गृह म शा ीय मयादा के अनुसार
का से चार ओर व लत करता है एवं कामना करने वाले तु हारे लए त दन नम कार
करता है, तुम उसके अ क वृ करते हो. जो
रथस हत यु ा भलाषी पु ष को रण
म े रत करता है, वह पु ष धन ा त करता है. (६)
अ नं व ा अ भ पृ ः सच ते समु ं न वतः स त य ः.
न जा म भ व च कते वयो नो वदा दे वेषु म त च क वान्.. (७)
जस कार वशाल सात स रताएं सागर के पास प ंचती ह, उसी कार सम त ह
अ अ न को ा त होते ह. हमारे पास इतना कम अ है क हमारी जा त वाले उसका भाग
नह पाते. इस लए तुम दे व म मननीय धन को जानकर हम ा त कराओ. (७)
आ य दषे नृप त तेज आनट् छु च रेतो न ष ं ौरभीके.
अ नः शधमनव ं युवानं वा यं जनय सूदय च.. (८)
अ न का शु एवं द त तेज अ के लए जठरा न के प म यजमान को ा त कर
ले. उसी तेज ारा प रप व वीय गभ थान म प ंचकर पु उ प करे तथा उसे शुभ कम म
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े रत करे. (८)
मनो न योऽ वनः स ए येकः स ा सुरो व व ईशे.
राजाना म ाव णा सुपाणी गोषु यममृतं र माणा.. (९)
आकाश माग म मन के समान शी जाने वाले एकाक सूय अनेक थान म रखे ए
धन को ा त करते ह. काशमान एवं सुंदर बा यु म और व ण स ताकारक तथा
अमृत तु य ध क र ा करते ए हमारी गाय म थत रह. (९)
मा नो अ ने स या प या ण म ष ा अ भ व क वः सन्.
नभो न पं ज रमा मना त पुरा त या अ भश तेरधी ह.. (१०)
हे अ न! हमारे त तु हारी जो परंपरागत म ता है, उसे न मत करो, य क तुम
भूत, भ व यत् एवं वतमान सबके ाता हो. जस कार आकाश को सूय क करण ढक
लेती ह, उसी कार हमारा वनाश करने वाले बुढ़ापे को हमसे र रखने का य न करो.
(१०)
सू —७२
दे वता—अ न
न का ा वेधसः श त कह ते दधानो नया पु ण.
अ नभुव यपती रयीणां स ा च ाणो अमृता न व ा.. (१)
मनु य के लए हतकारक धन हाथ म धारण करते ए न य एवं ानसंप अ न
संबंधी मं को वीकार करते ह. तु तक ा को अमृत दान करते ए अ न उ कृ धन
के वामी होते ह. (१)
अ मे व सं प र ष तं न व द छ तो व े अमृता अमूराः.
मयुवः पद ो धयंधा त थुः पदे परमे चाव नेः.. (२)
मरणर हत सम त दे वगण एवं मोहहीन म द्गण चाहने पर भी हमारे य एवं सब ओर
वतमान अ न को ा त नह कर सके. अ न के बना वे ःखी हो गए एवं पैदल चलते ए
थक कर काश को दे खते ए अ न के थान म उप थत ए. (२)
त ो यद ने शरद वा म छु च घृतेन शुचयः सपयान्.
नामा न च धरे य या यसूदय त त व१: सुजाताः.. (३)
हे शु अ न! द तसंप म त ने तीन वष तक घृत से तु हारी पूजा क , तब तुम
कट ए. तभी तु हारी अनुकंपा से उ ह ने य म योग करने यो य नाम एवं शरीर ा त
कए. (३)
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आ रोदसी बृहती वे वदानाः
या ज रे य यासः.
वद मत नेम धता च क वान नं पदे परमे त थवांसम्.. (४)
य पा दे व ने व तृत आकाश एवं धरती के बीच रहकर अ न के यो य तु तयां क
थ . म द्गण ने इं के साथ जाना क अ न उ म थान म छपे ह. इसके प ात् उ ह ा त
कया. (४)
संजानाना उप सीद भ ु प नीव तो नम यं नम यन्.
र र वांस त वः कृ वत वाः सखा स यु न म ष र माणाः.. (५)
हे अ न! दे वगण तु ह भली कार जानकर बैठ गए एवं अपनी य के साथ तु हारी
पूजा करने लगे. तुम उनके सामने घुटन के सहारे बैठे थे. दे वता तु हारे सखा एवं तु हारे ारा
र त थे. उ ह ने अपने म अ न को दे खा तो अपने शरीर को सुखाते ए य करने लगे.
(५)
ः स त यद्गु ा न वे इ पदा वद हता य यासः.
तेभी र ते अमृतं सजोषाः पशू च थातॄ चरथं च पा ह.. (६)
हे अ न! यजमान ने तु हारे भीतर छपे ए इ क स त व को जाना. जानकर वे उ ह
से तु हारी र ा करते ह. तुम यजमान के त उतना ेम रखते ए उनके पशु एवं
थावर-जंगम धन क र ा करो. (६)
व ाँ अ ने वयुना न तीनां ानुष छु धो जीवसे धाः.
अ त व ाँ अ वनो दे वयानानत ो तो अभवो ह ववाट् .. (७)
हे अ न! सम त ात बात को जानते ए तुम यजमान पी जा के जीवन के
लए भूख पी रोग को र करो. धरती और आकाश के म य दे व के जाने के माग को
जानते ए तुम आल य छोड़कर दे व के त प म ह व वहन करो. (७)
वा यो दव आ स त य रायो रो ृत ा अजानन्.
वदद्ग ं सरमा हमूव येना नु कं मानुषी भोजते वट् .. (८)
हे अ न! तुमने शोभन कम यु सात महान् न दय को आकाश से नकालकर धरती
पर बहाया है. य को जानने वाले अं गरागो ीय ऋ षय ने बल नामक असुर ारा चुराई गई
गाय का माग तुमसे जाना था. तु हारी ही कृपा से सरमा ने अं गरा से गो ध पाया था.
उसी गो ध से मानव क र ा होती है. (८)
आ ये व ा वप या न त थुः कृ वानासो अमृत वाय गातुम्.
म ा मह ः पृ थवी व त थे माता पु ैर द तधायसे वेः.. (९)
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आ द य ने अमरण भाव क स के लए उपाय करते ए पतनर हत होने के लए
कम कए एवं उन महानुभाव के स हत उनक अद ना माता पृ वी ने सम त जगत् को धारण
करने के लए वशेष मह व ा त कया था. हे अ न दे व! यह सब इसी कारण हो सका क
तुमने उस य का ह व भ ण कया था. (९)
अ ध यं न दधु ा म म दवो यद ी अमृता अकृ वन्.
अध र त स धवो न सृ ाः नीचीर ने अ षीरजानन्.. (१०)
यजमान ने इस अ न म शोभन य संप
था पत क एवं य का च ु प घृत
डाला. इससे मरणर हत दे व य का समय जानकर आए. हे अ न! तु हारी काशयु
वालाएं स रता के समान सम त दशा म फैल ग एवं आए ए दे व ने उ ह जाना.
(१०)
सू —७३
दे वता—अ न
र यन यः पतृ व ो वयोधाः सु णी त कतुषो न शासुः.
योनशीर त थन ीणानो होतेव स वधतो व तारीत्.. (१)
अ न पैतृक धन के समान अ दान करते ह. वे धमशा के व ान्
के समान
सरल नेता ह. वे सुखासन से बैठे ए अ त थ के समान तपणीय एवं होमक ा के समान
यजमान के घर क उ त करते ह. (१)
दे वो न यः स वता स यम मा वा नपा त वृजना न व ा.
पु श तो अम तन स य आ मेव शेवो द धषा यो भूत्.. (२)
जो अ न काश यु सूय के समान यथाथदश होकर अपने कम से लोग को सब
ःख से बचाते ह, यजमान से शं सत होकर प के समान प रवतनहीन एवं आ मा के
समान सुखदायक ह, ऐसे अ न को सब यजमान धारण करते ह. (२)
दे वो न यः पृ थव व धाया उप े त हत म ो न राजा.
पुरः सदः शमसदो न वीरा अनव ा प तजु ेव नारी.. (३)
जो अ न काशवान् सूय के समान सारे जगत् को धारण करते ह, अनुकूल म वाले
राजा के समान धरती पर नवास करते ह एवं जस अ न के सामने संसार इस कार बैठता
है, जैसे पु पता के स मुख, वे अ न अ न दता एवं प त ारा वीकृत नारी के समान
शु कम वाले ह. (३)
तं वा नरो दम आ न य म म ने सच त तषु ुवासु.
अ ध ु नं न दधुभूय म भवा व ायुध णो रयीणाम्.. (४)
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हे अ न! यजमान उप वर हत गांव म बने अपने य गृह म नरंतर का जलाकर
सामने बैठे तु हारी सेवा करते ह एवं अनेक कार का ह अ दे ते ह. तुम सब अ के
वामी बनकर हम दे ने के लए धन धारण करो. (४)
व पृ ो अ ने मघवानो अ यु व सूरयो ददतो व मायुः.
सनेमं वाजं स मथे वय भागं दे वेषु वसे दधानाः.. (५)
हे अ न! ह व प धन से यु यजमान अ
ा त कर एवं तु हारी तु त करने वाले
तथा ह व दे ने वाले व ान् संपूण जीवन ा त कर. हम सं ाम म श ु के अ पर अ धकार
करने के प ात् यश के लए दे व को ह व का भाग द. (५)
ऋत य ह धेनवो वावशानाः म नीः पीपय त भ
ु
ाः.
परावतः सुम त भ माणा व स धवः समया स रु म्.. (६)
अ न क बार-बार अ भलाषा करती
न य धशा लनी एवं तेज वनी गाएं य
दे श म ा त अ न को ध पलाती ह. बहती ई स रताएं अ न से अनु ह क याचना करती
पवत के समीप से र दे श को बहती ह. (६)
वे अ ने सुम त भ माणा द व वो द धरे य यासः.
न ा च च ु षसा व पे कृ णं च वणम णं च सं धुः.. (७)
हे ोतमान अ न! य के वामी दे व ने तु हारे अनु ह क याचना करते ए तुम म
ह व था पत कया. इसके प ात् इस अनु ान के न म उषा और रा को भ - भ
पवाला बनाया अथात् नशा को काला और उषा को अ ण बनाया. (७)
या ाये मता सुषूदो अ ने ते याम मघवानो वयं च.
छायेव व ं भुवनं सस याप वा ोदसी अ त र म्.. (८)
हे अ न! तुम जन लोग को धन ा त करने के लए य कम के त े रत करते हो,
वे और हम य ा त कर. तुमने आकाश, धरती और अंत र को अपने तेज से भर दया है
तथा तुम छाया के समान सारे संसार क र ा करते हो. (८)
अव र ने अवतो नृ भनॄ वीरैव रा वनुयामा वोताः.
ईशानासः पतॄ व य रायो व सूरयः शत हमा नो अ युः.. (९)
हे अ न! तु हारे ारा र त होकर हम अपने अ से श ु के अ का, अपने भट
ारा श ु के भट का एवं अपने पु क सहायता से श ु के पु का वध करगे. परंपरा से
ा त धन के वामी एवं व ान् हमारे पु सौ वष जी वत रहकर सुख भोग. (९)
एता ते अ न उचथा न वेधो जु ा न स तु मनसे दे च.
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शकेम रायः सुधरो यमं तेऽ ध वो दे वभ ं दधानाः.. (१०)
हे अ न! हमारे सम त तो तु हारे मन और अंतःकरण को य ह . हम दे व के भोग
करने यो य धन तुम म था पत करके तु हारे उस धन क र ा करना चाहते ह जो हमारी
द र ता मटा सके. (१०)
दे वता—अ न
सू —७४
उप य तो अ वरं म ं वोचेमा नये. आरे अ मे च शृ वते.. (१)
र रहकर भी हमारी तु तयां सुनने वाले एवं य
अ न क हम तु त करते ह. (१)
यः नी हतीषु पू ः संज मानासु कृ षु. अर
श ु भाव से पूण एवं ह या करने म वृ
जा
के धन के र क अ न क हम तु त करते ह. (२)
उत ुव तु ज तव उद नवृ हाज न. धन
म शी ता से उप थत होने वाले
ाशुषे गयम्.. (२)
के म य थत ह व दे ने वाले यजमान
यो रणेरणे.. (३)
श ुनाशक एवं सं ाम म श ु के धन पर अ धकार करने वाले अ न के उ प होते ही
सब लोग उनक तु त कर. (३)
य य तो अ स ये वे ष ह ा न वीतये. द म कृणो य वरम्.. (४)
हे अ न! जस यजमान के य गृह म तुम दे व त बनकर आते हो एवं उन दे व के भोग
के लए ह व हण करके य क शोभा बढ़ाते हो. (४)
त म सुह म रः सुदेवं सहसो यहो. जना आ ः सुब हषम्.. (५)
हे बलपु अ न! उसी यजमान को सब लोग शोभन ह वसंप , सुंदर दे व वाला एवं
उ म य यु कहते ह. (५)
आ च वहा स ताँ इह दे वाँ उप श तये. ह ा सु
वीतये.. (६)
हे शोभन एवं आ ादक अ न! हमारी तु त वीकार करने के लए इस य म दे व को
हमारे समीप ले आओ एवं उनके भ ण के लए ह
दान करो. (६)
न यो प दर
ः शृ वे रथ य क चन. यद ने या स
यम्.. (७)
हे अ न! जब तुम दे व के त बनकर जाते हो तो शी चलने के कारण तु हारे रथ का
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श द नह सुनाई पड़ता. (७)
वोतो वा य योऽ भ पूव मादपरः.
दा ाँ अ ने अ थात्.. (८)
हे अ न! नकृ पु ष भी तु ह ह दान करके तु हारे ारा र त अ का वामी एवं
ऐ यशाली बन जाता है. (८)
उत ुम सुवीय बृहद ने ववास स. दे वे यो दे व दाशुषे.. (९)
हे काशमान अ न! दे व को ह
धन दो. (९)
दे ने वाले यजमान को ौढ़, द त एवं श
संप
दे वता—अ न
सू —७५
जुष व स थ तमं वचो दे व सर तमम्. ह ा जु ान आस न.. (१)
हे अ न दे व! अपने मुख म ह
हण करते ए दे व को भली कार स करो एवं
हमारी व तीण तु तयां वीकार करो. (१)
अथा ते अ र तमा ने वेध तम
यम्. वोचेम
सान स.. (२)
हे अं गरागो ीय ऋ षय एवं मेधा वय म े अ न! हम तु हारे हण करने यो य एवं
स तादायक तो का उ चारण करते ह. (२)
क ते जा मजनानाम ने को दा
वरः. को ह क म स
तः.. (३)
हे अ न! मनु य के बीच म तु हारा बंधु कौन है? कौन तु हारा य करने म समथ है?
अथात् कोई नह . तुम कौन हो और कहां रहते हो? (३)
वं जा मजनानाम ने म ो अ स
हे अ न! तुम सबके बंधु एवं
यः. सखा स ख य ई
य म हो. तुम म
ः.. (४)
के तु त यो य म हो. (४)
यजा नो म ाव णा यजा दे वाँ ऋतं बृहत्. अ ने य
वं दमम्.. (५)
हे अ न! हमारे न म म , व ण एवं अ य दे व को ल य करके यजन करो. तुम
वशाल एवं यथाथ फल वाले य को पूरा करने के लए अपने य गृह म जाओ. (५)
सू —७६
दे वता—अ न
का त उपे तमनसो वराय भुवद ने शंतमा का मनीषा.
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को वा य ैः प र द ं त आप केन वा ते मनसा दाशेम.. (१)
हे अ न! हमारे त तु हारा मन स होने का या उपाय है? तु ह सुख दे ने वाली
तु त कैसी होगी? तु हारी मता के अनुकूल य कौन यजमान कर सकता है? हम कस
मन से तु ह ह
दान कर? (१)
ए न इह होता न षीदाद धः सु पुरएता भवा नः.
अवतां वा रोदसी व म वे यजा महे सौमनसाय दे वान्.. (२)
हे अ न! इस य म आओ और दे व के आ ानक ा बनकर बैठो. रा सा द तु हारी
हसा नह कर सकते, इस लए तुम हमारे अ गामी नेता बनो. तुम सम त आकाश एवं धरती
ारा र त होकर दे व को परम स करने के लए ह व ारा उनक पूजा करो. (२)
सु व ा सो ध य ने भवा य ानाम भश तपावा.
अथा वह सोमप त ह र यामा त यम मै चकृमा सुदा ने.. (३)
हे अ न! सम त रा स को भली कार न करके हसा से य क र ा करो. संपूण
सोमरस के पालनक ा इं को उसके ह र नामक अ स हत इस य म लाओ, य क हम
शोभन फलदाता इं का अ त थ स कार करगे. (३)
जावता वचसा व रासा च वे न च स सीह दे वैः.
वे ष हो मुत पो ं यज बो ध य तज नतवसूनाम्.. (४)
म मुख ारा ह
हण करने वाले अ न का आ ान ऐसे तो
ारा करता ं जो
संतान आ द फल दे ने म समथ ह. हे य कम यो य अ न! तुम अ य दे व के साथ बैठो एवं
होता तथा पोता ारा कए जाने वाले कम करो. तुम धन के वामी एवं सबके ज मदाता
बनकर हम जगाओ. (४)
यथा व य मनुषो ह व भदवाँ अयजः क व भः क वः सन्.
एवा होतः स यतर वम ा ने म या जु ा यज व.. (५)
हे अ न! तुमने ांतदश बनकर मेधावी ऋ वज के साथ जस कार मेधावी मनु के
य मह
ारा दे व क पूजा क थी, हे य संप क ा साधु अ न! इसी कार तुम इस
य म दे व क पूजा आनंददायक जु नामक ुक् ारा करो. (५)
सू —७७
दे वता—अ न
कथा दाशेमा नये का मै दे वजु ो यते भा मने गीः.
यो म य वमृत ऋतावा होता य ज इ कृणो त दे वान्.. (१)
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मरणर हत, स ययु , दे व का आ ान करने वाले, य पूण कराने वाले एवं मनु य के
बीच नवास करके भी दे व को ह वयु करने वाले अ न के अनु प ह हम कैसे दे
सकगे? हम तेज वी अ न के त दे वो चत तु त कस कार करगे. (१)
यो अ वरेषु शंतम ऋतावा होता तमू नमो भरा कृणु वम्.
अ नय े मताय दे वा स चा बोधा त मनसा यजा त.. (२)
हे यजमानो! जो अ न य म अ तशय सुखकारी, यथाथदश और दे व का आ ान
करने वाले ह, उ ह तु तय ारा हमारे अ भमुख करो. जस समय अ न यजमान के न म
दे व के समीप जाते ह, उस समय वे दे व को य पा जानकर मन से उनक पूजा करते ह.
(२)
स ह तुः स मयः स साधु म ो न भूद त य रथीः.
तं मेधेषु थमं दे वय ती वश उप ुवते द ममारीः.. (३)
दे व क अ भलाषा करने वाली जाएं य क ा, व संहारक, उ पादनक ा, म के
समान अ ा त धन के ा त कराने वाले एवं दशनीय अ न के समीप जाकर उ ह य का
धान दे व मानत एवं उनक तु त करती ह. (३)
स नो नृणां नृतमो रशादा अ न गरोऽवसा वेतु धी तम्.
तना च ये मघवानः श व ा वाज सूता इषय त म म.. (४)
य के नेता के म य अ तशय नेता एवं श ु के भ णक ा अ न हमारी तु तय
एवं ह से यु य क कामना कर. जो धनी और श शाली यजमान ह
दान करके
अ न के मननीय तो को करना चाहते ह, अ न भी उनक तु त क कामना कर. (४)
एवा नग तमे भऋतावा व े भर तो जातवेदाः.
स एषु ु नं पीपय स वाजं स पु या त जोषमा च क वान्.. (५)
य के वामी एवं सव ाता अ न क गौतम आ द ऋ षय ने इसी कार तु त क थी.
अ न ने स होकर उन ऋ षय का तेज वी सोम पया था एवं अ भ ण कया था. वे
अ न हमारे ारा दए ह को जानकर पु होते ह. (५)
सू —७८
अ भ वा गोतमा गरा जातवेदो वचषणे. ु नैर भ
दे वता—अ न
णोनुमः.. (१)
हे जातवेद एवं सवदशक अ न! गौतम ऋ ष ने तु हारी तु त क थी. हम भी तु हारे
गुण काशक मं से बार-बार तु हारी तु त करते ह. (१)
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तमु वा गोतमो गरा राय कामो व य त. ु नैर भ
णोनुमः.. (२)
धन क इ छा वाले गौतम ऋ ष जस अ न क तो
ारा सेवा करते ह, हम भी
गुण काशक तो ारा उसी अ न क बार-बार तु त करते ह. (२)
तमु वा वाजसातमम र व वामहे. ु नैर भ
णोनुमः.. (३)
हे अ न! हम अं गरा ऋ ष के समान सवा धक अ दे ने वाले तु ह बुलाते ह एवं तु हारे
गुण काशक मं से बार-बार तु त करते ह. (३)
तमु वा वृ ह तमं यो द यूंरवधूनुषे. ु नैर भ
णोनुमः.. (४)
हे अ न! तुम द यु एवं अनाय को थान युत करो. हम सवापे ा श ुहंता तु हारी
तु त तु हारे गुण काशक मं से बार-बार करते ह. (४)
अवोचाम र गणा अ नये मधुम चः. ु नैर भ
णोनुमः.. (५)
म र गणवंशीय गौतम अ न के त मधुरवचन का योग करता आ गुण काशक
तो ारा उनक बार-बार तु त करता ं. (५)
सू —७९
दे वता—अ न
हर यकेशो रजसो वसारेऽ हधु नवात इव जीमान्.
शु च ाजा उषसो नवेदा यश वतीरप युवो न स याः.. (१)
हर यकेश व ुत् प अ न मेघ को कं पत करने वाले, वायु के समान शी ग तयु
एवं शोभनद त वाले बनकर मेघ से जल बरसाना जानते ह, अ यु , अपने काम म लगी
ई एवं सीधीसाद जा के समान उषा यह काय नह जानती. (१)
आ ते सुपणा अ मन तँ एवैः कृ णो नोनाव वृषभो यद दम्.
शवा भन मयमाना भरागा पत त महः तनय य ा.. (२)
हे अ न! तु हारी शोभन पतनशील करण म त के साथ मलकर वषा के उ े य से
मेघ को ता ड़त करती ह. तभी कृ ण वण एवं वषाकारी मेघ गरजता है और सुखका रणी
तथा हंसती ई सी ेत बूंद के साथ आता है, फर पानी गरता है और बादल गरजता है.
(२)
यद मृत य पयसा पयानो नय ृत य प थभी र ज ैः.
अयमा म ो व णः प र मा वचं पृ च युपर य योनौ.. (३)
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जब ये अ न उदक के रस से संसार को भगोते ह एवं नान, पान आ द के प म जल
के उपयोग का सरल उपाय बताते ह, उस समय अयमा, म , व ण एवं चार ओर ग तशील
म द्गण मेघ के जलो प
थान के आ छादन को न करते ह. (३)
अ ने वाज य गोमत ईशानः सहसो यहो.
अ मे धे ह जातवेदो म ह वः.. (४)
हे श पु अ न! तुम ब सं यक गाय से यु
पया त अ दो. (४)
अ के वामी हो. हे जातवेद! हम
स इधानो वसु क वर नरीळे यो गरा. रेवद म यं पुवणीक द द ह.. (५)
हे द पनशील, सबको नवास दे ने वाले, ांतदश , तो
ारा शंसनीय एवं अनेक
वाला यु अ न! तुम इस कार द त बनो, जस कार हमारे पास धनयु अ हो सके.
(५)
पो राज ुत मना ने व तो तोषसः. स त मज भ र सो दह
त.. (६)
हे तेज वी अ न! दवस अथवा रा म अपने आप या अपने पु ष
को बा धत करो. हे ती णमुख! येक रा स को जलाओ. (६)
अवा नो अ न ऊ त भगाय य भम ण. व ासु धीषु व
.. (७)
हे सम त य कम म वंदनीय अ न! हमारे गाय ी छं द वाले सू
स होकर हमारी र ा करो. (७)
आ नो अ ने र य भर स ासाहं वरे यं. व ासु पृ सु
ारा रा स आ द
के संपादन के कारण
रम्.. (८)
हे अ न! हम दा र य
् का अ वलंब वनाश करने वाला, वरणीय एवं सम त सं ाम म
श ु
ारा तर धन दो. (८)
आ नो अ ने सुचेतुना र य व ायुपोषसम्. माड कं धे ह जीवसे.. (९)
हे अ न! हमारे जीवन के लए शोभन ानयु , सुखहेत,ु संपूण आयु पयत दे ह आ द
का पोषक धन दान करो. (९)
पूता त मशो चषे वाचो गोतमा नये. भर व सु नयु गरः.. (१०)
हे शोभन धन के अ भलाषी गौतम! वशु
तु त करो. (१०)
वचन से ती ण वाला
यो नो अ नेऽ भदास य त रे पद सः. अ माक मद्वृधे भव.. (११)
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वाले अ न क
हे अ न! जो श ु हमारे समीप या र रहकर हम हा न प ंचाता है, उसे न करके
हमारी वृ करो. (११)
सह ा ो वचष णर नी र ां स सेध त. होता गृणीत उ यः.. (१२)
असं य वाला
वाले एवं सबको वशेष प से दे खने वाले अ न रा स को
य भू म से भगाते ह, वे हमारे ारा तो क सहायता से तुत होकर दे व को बुलाते एवं
उनक तु त करते ह. (१२)
सू —८०
दे वता—इं
इ था ह सोम इ मदे
ा चकार वधनम्.
शव व
ोजसा पृ थ ा नः शशा अ हमच नु वरा यम्.. (१)
हे अ तशय श शाली एवं व धारी इं ! जब तुमने स तादायक सोमरस पी लया
तो तोता ने तु हारी वृ करने वाली तु तयां क इसी लए तुमने अपनी श से धरती पर
खड़े होकर अ ह नामक रा स को पीटते ए अपना अ धकार कट कया था. (१)
स वामदद्वृषा मदः सोमः येनाभृतः सुतः.
येना वृ ं नरद् यो जघ थ व
ोजसाच नु वरा यम्.. (२)
हे इं ! गीले करने वाले मादक येन प ी का प धारण करने वाली गाय ी ारा लाए
गए एवं नचोड़े ए सोमरस ने तु ह स कया था. हे व ी! तुमने अपना अ धकार कट
करते ए अपनी श से आकाश म वृ रा स को मारा था. (२)
े भी ह धृ णु ह न ते व ो न यंसते.
इ नृ णं ह ते शवो हनो वृ ं जया अपोऽच नु वरा यम्.. (३)
हे इं ! जाओ और श ु के सामने प च
ं कर उ ह हराओ कोई भी न तो तु हारे व
का नयमन कर सकता है और न तु हारी श को अ भभूत करने म समथ है, इस लए तुम
वृ रा स का वध करके उसके ारा रोके ए जल को ा त करो एवं अपने भु व का
दशन करो. (३)
न र भू या अ ध वृ ं जघ थ न दवः.
सृजा म वतीरव जीवध या इमा अपोऽच नु वरा यम्.. (४)
हे इं ! तुमने धरती और आकाश के ऊपर वृ का वध कया था तथा अपना भु व
प करते ए म द्गण से यु एवं जीव को तृ त करने वाला जल बरसाया था. (४)
इ ो वृ य दोधतः सानुं व ेण ही ळतः.
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अभ
व
(५)
याव ज नतेऽपः समाय चोदय च नु वरा यम्.. (५)
ोध म भरे इं वृ असुर के सामने जाकर उसे कंपाते ह, उसक उठ ई ठोड़ी पर
का हार करते ह एवं अपने अ धकार का दशन करते ए वषा के जल को बहाते ह.
अ ध सानौ न ज नते व ेण शतपवणा.
म दान इ ो अ धसः स ख यो गातु म छ यच नु वरा यम्.. (६)
इं शतधारा वाले व से वृ असुर के उठे
अपना भु व दखाते ए स होकर तोता के
करते ह. (६)
ए कपोल पर आघात करते ह एवं
तअ
ा त के उपाय क इ छा
इ तु य मद वोऽनु ं व वीयम्.
य यं मा यनं मृगं तमु वं माययावधीरच नु वरा यम्.. (७)
हे मेघवाहन व व धारी इं ! तु हारी ही साम य श ु
ारा अ तर कृत है, य क
तुमने अपना भु व दखाते ए मृग पधारी वृ का माया ारा वध कया था. (७)
व ते व ासो अ थर व त ना ा३ अनु.
मह इ वीय बा ो ते बलं हतमच नु वरा यम्.. (८)
हे इं ! तु हारा व न बे न दय के ऊपर व थत आ था. तुम अपने पया त वीय
एवं बलशा लनी भुजा से अपना भु व द शत करो. (८)
सह ं साकमचत प र ोभत वश तः.
शतैनम वनोनवु र ाय
ो तमच नु वरा यम्.. (९)
हजार मनु य ने एक साथ इं क पूजा एवं बीस ने तु त क थी. सौ ऋ षय ने इं क
बार-बार तु त क थी. इं के न म ह अ सबसे ऊपर रखा गया था, इसी लए इं ने
अपना अ धकार द शत कया. (९)
इ ो वृ य त वष नरह सहसा सहः.
मह द य प यं वृ ं जघ वाँ असृजदच नु वरा यम्.. (१०)
इं ने वृ रा स का बल अपने बल से न कया एवं अ भभव के साधन आयुध से
वृ के आयुध समा त कए. इं का बल अ त ौढ़ है, य क उ ह ने वृ को मारकर उसके
ारा रोका आ जल बहाया एवं अपने भु व का दशन कया. (१०)
इमे च व म यवे वेपेते भयसा मही.
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यद
व
ोजसा वृ ं म वाँ अवधीरच नु वरा यम्.. (११)
हे व धारी इं ! तु हारे ोध से ये वशाल धरती-आकाश भयभीत होकर कांपते ह,
य क तुमने म त के साथ मलकर अपनी श से वृ का वध कया एवं अपना अ धकार
द शत कया. (११)
न वेपसा न त यते ं वृ ो व बीभयत्.
अ येनं व आयसः सह भृ रायताच नु वरा यम्.. (१२)
वृ अपने कंपन से इं को नह डरा पाया. इं ारा छोड़ा आ लौह न मत एवं हजार
धार वाला व वृ को मारने के लए उसक ओर गया. इस कार इं ने अपना भु व
द शत कया. (१२)
यद्वृ ं तव चाश न व ण
े समयोधयः.
अ ह म जघांसतो द व ते ब धे शवोऽच नु वरा यम्.. (१३)
हे इं ! जब वृ ने तु ह मारने के लए अश न छोड़ी और तुमने उसे अपने व से न
कर दया, उस समय तुमने अ ह अथात् वृ के नाश के लए संक प कया और तु हारा बल
आकाश म ा त हो गया. इस कार तुमने अपना भु व द शत कया. (१३)
अ भ ने ते अ वो य था जग च रेजते.
व ा च व म यव इ वे व यते भयाच नु वरा यम्.. (१४)
हे व धारी इं ! जब तुम सहनाद करते हो तो थावर और जंगम सभी कांप उठते ह
तथा व नमाता व ा भी तु हारे कोप से भयभीत हो उठते ह. इस कार तुम अपना
अ धकार दखाते हो. (१४)
न ह नु यादधीमसी ं को वीया परः.
त म ृ णमुत तुं दे वा ओजां स सं दधुरच नु वरा यम्.. (१५)
सव
ापक इं को हम नह जान सकते, य क अ यंत र अव थत इं क
साम य को कौन जान सकता है? दे व ने इं म अपना धन, तु एवं बल था पत कया था,
इस लए इं ने अपना भु व था पत कया. (१५)
यामथवा मनु पता द यङ् धयम नत.
त म
ा ण पूवथे उ था सम मताच नु वरा यम्.. (१६)
अथवा ऋ ष, सम त जा के पता तु य मनु एवं अथवा के पु द यंग ऋ ष ने
जतने भी य कम कए, उन म यु ह व प अ एवं तो ाचीन ऋ षय के य के
समान इं को ही मले. इस लए इं ने अपने अ धकार का दशन कया. (१६)
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सू —८१
इ ो मदाय वावृधे शवसे वृ हा नृ भः.
त म मह वा जषूतेमभ हवामहे स वाजेषु
दे वता—इं
नोऽ वषत्.. (१)
वृ हंता इं ऋ वज क तु त ारा बल और हष पाने के लए बढ़. हम उ ह बड़े और
छोटे यु म बुलाते ह. वे यु म हमारी र ा कर. (१)
अ स ह वीर से योऽ स भू र पराद दः.
अ स द य चद्वृधो यजमानाय श स सु वते भू र ते वसु.. (२)
हे वीर इं ! तुम अकेले होने पर भी सेना के समान हो. तुम श ु के वपुल धन को
छ न लेते हो एवं अपने अ प तु तक ा को भी बढ़ाते हो. तुम य करने वाले सोमरसदाता
को अपे त धन दे ते हो, य क तु हारे पास ब त धन है. (२)
य द रत आजयो धृ णवे धीयते धना.
यु वा मद युता हरी कं हनः कं वसौ दधोऽ माँ इ
वसौ दधः.. (३)
यु आरंभ होने पर वजेता अपने हारे ए श ु का धन ा त करता है. हे इं !
अपने रथ म श ु का गव मटाने वाले घोड़े जोड़ो. तुम अपनी सेवा से वमुख राजा को
मारते तथा सेवापरायण को दान दे ते हो, इस लए हम धन दो. (३)
वा महाँ अनु वधं भीम आ वावृधे शवः.
य ऋ व उपाकयो न श ी ह रवा दधे ह तयोव मायसम्.. (४)
य कम ारा महान् एवं श ु को भयंकर, सोम पी अ का भ ण करके अपना
बल बढ़ाने वाले, दशनीय ना सका तथा ह र नाम के अ से यु इं हम संप दे ने के लए
अपने समीपवत बा
म लौह न मत व धारण करते ह. (४)
आ प ौ पा थवं रजो ब धे रोचना द व.
न वावाँ इ क न न जातो न ज न यतेऽ त व ं वव थ.. (५)
इं ने अपने तेज से धरती एवं आकाश को ा त कया है तथा आकाश म चमक ले
न
था पत कए ह. हे इं ! तु हारी समानता करने वाला न कोई उ प आ है और न
भ व य म होगा. तुम संपूण जगत् को धारण करने के इ छु क हो. (५)
यो अय मतभोजनं पराददा त दाशुषे.
इ ो अ म यं श तु व भजा भू र ते वसु भ ीय तव राधसः.. (६)
पालनक ा एवं यजमान को मानव भोगो चत अ दे ने वाले इं हम भी उसी कार का
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अ द. हे इं ! हम दे ने के लए धन का बंटवारा कर दो, य क तु हारे पास असं य धन है.
हम तु हारे धन का एक अंश ा त कर. (६)
मदे मदे ह नो द दयूथा गवामृजु तुः.
सं गृभाय पु शतोभयाह या वसु शशी ह राय आ भर.. (७)
हे सोमपान ारा ह षत होकर हम गोसमूह दे ने वाले इं ! हम दे ने के लए अपने दोन
हाथ म अप र मत धन हण करो. हम ती ण बु यु करो और धन दान करो. (७)
मादय व सुते सचा शवसे शूर राधसे.
व ा ह वा पु वसुमुप कामा ससृ महेऽथा नोऽ वता भव.. (८)
हे शौयसंप इं ! सोम के नचुड़ जाने पर आकर हम धन एवं बल दे ने के न म
सोमरस पीकर तृ त बनो. हम तु ह वपुल धनसंप जानते ह तथा अपनी अ भलाषा तु ह
बताते ह. तुम हमारे र क बनो. (८)
एते त इ ज तवो व ं पु य त वायम्.
अ त ह यो जनानामय वेदो अदाशुषां तेषां नो वेद आ भर.. (९)
हे इं ! तु हारे यजमान सबके उपभोग यो य ह व को बढ़ाते ह. हे सम त जंतु
वामी! तुम ह न दे ने वाल का धन जानते हो. उनका धन हम दान करो. (९)
दे वता—इं
सू —८२
उपो षु शृणुही गरो मघव मातथा इव.
यदा नः सूनृतावतः कर आदथयास इ ोजा व
के
ते हरी.. (१)
हे धनप त इं ! हमारे समीप आकर ही हमारी तु तयां सुनो. तुम पहले से भ मत हो
जाना. तुम जब हम स य, या एवं तु त पी वाणी से यु करते हो तभी हम तु हारी
ाथना करते ह. इस कारण अपने ह र नामक दोन घोड़ को रथ म जोड़ो. (१)
अ मीमद त व या अधूषत.
अ तोषत वभानवो व ा न व या मती योजा व
ते हरी.. (२)
हे इं ! तु हारा दया आ अ खाकर यजमान तृ त ए ह एवं स ता ा त करने के
लए उ ह ने अपना शरीर कं पत कया है. द तसंप मेधावी व ने नवीन तो
ारा
तु हारी तु त क है, इस लए अपने ह र नाम के घोड़ को रथ म जोड़ो. (२)
सुसं शं वा वयं मघव व दषीम ह.
नूनं पूणव धुरः तुतो या ह वशाँ अनु योजा व ते हरी.. (३)
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हे धनप त इं ! सबको अनु हपूण
से दे खने वाले तु हारी हम तु त करते ह.
हमारी तु त सुनकर तुम तोता को दे ने यो य धन से रथ पू रत करके कामना करने वाले
यजमान के समीप आओ एवं इसके लए अपने ह र नामक घोड़ को रथ म जोड़ो. (३)
स घा तं वृषणं रथम ध त ा त गो वदम्.
यः पा ं हा रयोजनं पूण म चकेत त योजा व
ते हरी.. (४)
हे इं ! आप अ , सोम स हत गाय को दे ने म समथ ह तथा ढ़ रथ को भली कार
जानते ह और उसी पर आ ढ़ होते ह. अतः इं दे व अपने घोड़ को रथ म जोड़ो. (४)
यु ते अ तु द ण उत स ः शत तो.
तेन जायामुप यां म दानो या धसो योजा व
ते हरी.. (५)
हे शत तु! तु हारे रथ क दा एवं बा ओर घोड़े जुड़े ह . सोम प अ के उपभोग से
म त होकर तुम उसी रथ ारा अपनी ेयसी के समीप जाओ. (५)
युन म ते
णा के शना हरी उप या ह द धषे गभ योः.
उ वा सुतासो रभसा अम दषुः पूष वा व
समु प यामदः.. (६)
हे व धारी इं ! तु हारे शखा वाले घोड़े को म तो
पी मं क सहायता से तु हारे
रथ म जोड़ता ं. दोन बा
म घोड़ क रास पकड़कर अपने घर जाओ. तुम नचोड़े ए
तीखे सोम से मतवाले होकर अपनी ेयसी के साथ मोद ा त करो. (६)
सू —८३
दे वता—इं
अ ाव त थमो गोषु ग छ त सु ावी र म य तवो त भः.
त म पृण वसुना भवीयसा स धुमापो यथा भतो वचेतसः.. (१)
हे इं ! तु हारे ारा र त मनु य ब त से घोड़ वाले घर म रहता आ सबसे पहले
गाएं ा त करता है. जस कार वचरणशील स रताएं सभी दशा म समु को भरती ह,
उसी कार तुम भी अपने ारा र त मनु य को व वध कार के धन से यु करते हो. (१)
आपो न दे वी प य त हो यमवः प य त वततं यथा रजः.
ाचैदवासः णय त दे वयुं
यं जोषय ते वरा इव.. (२)
जस समय चमकता आ जल चमस नामक य पा म आता है, उसी समय ऊपर
रहने वाले दे व क सूय करण के समान व तृत
य पा चमस पर पड़ती है. जैसे ब त
से वर एक ही क या से ववाह करना चाहते ह, उसी कार दे वगण वेद क उ र दशा म
रखे ए इस सोमपूण एवं दे व य पा क अ भलाषा करते ह. (२)
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अ ध योरदधा उ यं१ वचो यत ुचा मथुना या सपयतः.
असंय ो ते ते े त पु य त भ ा श यजमानाय सु वते.. (३)
हे इं ! अपने त सम पत य पा म तुमने मं पी वचन को मला दया है. ऐसे
य पा वाला यजमान यु थल म न जाकर तु हारी पूजा म लीन रहकर पु होता है,
य क तु ह नचुड़ा आ सोम दे ने वाला अव य श
ा त करता है. (३)
आद राः थमं द धरे वय इ ा नयः श या ये सुकृ यया.
सव पणेः सम व द त भोजनम ाव तं गोम तमा पशुं नरः.. (४)
पहले प णय ारा गाएं चुराने पर अं गरा ऋ ष ने इं के लए ह व तुत कया था.
इस कारण य नेता अं गरावं शय ने गाय, अ एवं अ य पशु से यु धन पाया था. (४)
य ैरथवा थमः पथ तते ततः सूय तपा वेन आज न.
आ गा आज शना का ः सचा यम य जातममृतं यजामहे.. (५)
अथवा नामक ऋ ष ने इं संबंधी य करके प ण ारा चुराई ई गाय का माग सबसे
पहले जान लया था. इसके प ात् य र क एवं तेज वी सूय पी इं कट ए एवं अथवा
ने गाएं ा त क . क व के पु उशना ने जसक सहायता क एवं जो असुर को भगाने के
लए उ प ए थे, ऐसे मरणर हत इं क हम ह व ारा पूजा करते ह. (५)
ब हवा य वप याय वृ यतेऽक वा ोकमाघोषते द व.
ावा य वद त का
य१ त ये द ो अ भ प वेषु र य त.. (६)
शोभन फल वाले य न म जब-जब कुश काटे जाते ह, तब-तब तो बनाने वाला
होता काशयु य म तो बोलता है. जस समय सोम कुचलने के काम आने वाला
प थर तु तकारी तोता के समान श द करता है, उस समय इं स होते ह. (६)
सू —८४
दे वता—इं
असा व सोम इ ते श व धृ णवा ग ह.
आ वा पृण व यं रजः सूय न र म भः.. (१)
हे इं ! तु हारे न म सोम नचोड़ लया गया है, अतएव हे बलशाली एवं श ुघषक!
य थल म आओ. जस कार सूय अपनी करण ारा आकाश को भर दे ते ह, उसी कार
सोमपान से उ प श तु ह पूण करे. (१)
इ म री वहतोऽ तधृ शवसम्.
ऋषीणां च तुती प य ं च मानुषाणाम्.. (२)
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ह र नामक दोन घोड़े अ ध षत बल वाले इं को व स आ द ऋ षय तथा अ य
मनु य क तु त एवं य के समीप प ंचाव. (२)
आ त वृ ह थं यु ा ते
णा हरी.
अवाचीनं सु ते मनो ावा कृणोतु व नुना.. (३)
हे श ु व वंसकारी इं ! तु हारे दोन घोड़ को हमने मं
ारा रथ म जोड़ दया है,
इस लए रथ पर चढ़ो. सोम कूटने के लए यु प थर का श द तु हारा मन हमारी ओर फेरे.
(३)
इम म सुतं पब ये मम य मदम्.
शु य वा य र धारा ऋत य सादने.. (४)
हे इं ! अ तशय शंसनीय, अमारक एवं मादक सोम को पओ. य
वतमान तेज वी सोम क धाराएं तु हारी ओर बहती ह. (४)
संबंधी घर म
इ ाय नूनमचतो था न च वीतन.
सुता अम सु र दवो ये ं नम यता सहः.. (५)
हे ऋ वजो! इं का शी पूजन करो. इं को ल य करके तु तयां करो. नचोड़ा आ
सोम इं को स करे. इसके प ात् परम शंसनीय एवं श शाली इं को णाम करो.
(५)
न क ् व थीतरो हरी य द य छसे.
न क ् वानु म मना न कः व आनशे.. (६)
हे इं ! जब तुम अपने ह र नामक अ को रथ म जोड़ दे ते हो, उस समय तुमसे
रथी कोई नह होता. तु हारे समान बली एवं सुंदर अ का वामी भी कोई नह है. (६)
े
य एक इ दयते वसु मताय दाशुषे.
ईशानो अ त कुत इ ो अ .. (७)
(७)
ह
दे ने वाले यजमान को धन दे ने वाले इं , शी ही सम त जगत् के ईश बन जाते ह.
कदा मतमराधसं पदा ु प मव फुरत्.
कदा नः शु वद् गर इ ो अ .. (८)
जैसे बरसात म उगी छत रय को सहज ही पैर से कुचल दया जाता है, उसी कार इं
य न करने वाल का हनन करगे. इं हमारी ाथनाएं न जाने कब सुनगे? (८)
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य
वा ब य आ सुतावाँ आ ववास त.
उ ं त प यते शव इ ो अ .. (९)
हे इं ! तुम नचुड़े ए सोम ारा सेवा करने वाले यजमान को शी ही बल दान करते
हो. (९)
वादो र था वषूवतो म वः पब त गौयः.
या इ े ण सयावरीवृ णा मद त शोभसे व वीरनु वरा यम्.. (१०)
े वण गाएं रसयु एवं सभी कार के य म ापक मधुर सोम का पान करती ह.
त
वे शोभा बढ़ाने के लए कामवष इं के साथ चलती ई स होती ह. ध दे कर नवास
करने वाली वे गाएं इं का अ धकार द शत करती ह. (१०)
ता अ य पृशनायुवः सोमं ीण त पृ यः.
या इ य धेनवो व ं ह व त सायकं व वीरनु वरा यम्.. (११)
इं को छू ने क अ भलाषा करने वाली ये व भ रंग क गाएं इं के पीने यो य सोम
को अपने ध से म त कर दे ती ह. ये गाएं इं म ऐसा मद उ प करती ह क वे श ुनाशक
व को चला सक. ये गाएं इं का अ धकार द शत करती ह. (११)
ता अ य नमसा सहः सपय त चेतसः.
ता य य स रे पु ण पूव च ये व वीरनु वरा यम्.. (१२)
कृ
ान यु ये गाएं अपना ध पलाकर इं क श
बढ़ाती ह. ये श ु क
जानकारी के लए इं के श ु- वनाश आ द कम पहले ही बता दे ती ह. इस कार ये इं का
अ धकार द शत करती ह. (१२)
इ ो दधीचो अ थ भवृ ा य त कुतः. जघान नवतीनव.. (१३)
तकूल श दर हत इं ने दधी च ऋ ष क ह ड् डय
रा स को आठ से दस बार हराया था. (१३)
इछ
ारा बने ए व
से वृ आ द
य य छरः पवते वप तम्. त द छयणाव त.. (१४)
इं ने अ संबंधी दधी च के पवत म छपे ए म तक को पाने क इ छा क एवं
शयणाव त नामक तालाब म ा त कया. (१४)
अ ाह गोरम वत नाम व ु रपी यम्. इ था च मसो गृहे.. (१५)
इस ग तशील चं मंडल म जो तेज छपा है, वे सूय क करण ह, ऐसा जानो. (१५)
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को अ युङ् े धु र गा ऋत य शमीवतो भा मनो णायून्.
आस षू
वसो मयोभू य एषां भृ यामृणध स जीवात्.. (१६)
आज य म जाते ए इं के रथ के अ भाग म वीयकमयु , तेज वी, श ु
ारा
असहनीय ोध से यु घोड़ को कौन जोड़ सकता है? श ु पर हार करने के लए उन
घोड़ के मुख म बाण लगे ह. वे अपने पैर से श ु का दय कुचलकर म को स
करते ह. जो यजमान अ क शंसा करता है, वही जीवन ा त करता है. (१६)
क ईषते तु यते को बभाय को मंसते स त म ं को अ त.
क तोकाय क इभायोत रायेऽ ध व वे३ को जनाय.. (१७)
अनु हक ा इं के होते ए श ु से भयभीत होकर कौन नकलता एवं श ु
ारा
न होता है? अथात् कोई नह . हमारे समीप थ इं को र क के प म कौन जानता है?
पु क , अपनी, धन क एवं शरीर क र ा के लए इं क ाथना कौन करता है? अथात्
ाथना के बना ही इं र ा करते ह. (१७)
को अ नमीट् टे ह वषा घृतेन ुचा यजाता ऋतु भ ुवे भः.
क मै दे वा आ वहानाशु होम को मंसते वी तहो ः सुदेवः.. (१८)
इं को जानना क ठन है, इस लए कौन यजमान इं के न म ह व दे कर अ न क
तु त करता है? वसंत आ द ऋतु को ल त करके ुच नामक पा म घी लेकर कौन इं
क पूजा करता है? कस यजमान के लए दे वगण अ वलंब शंसनीय धन दे ते ह? य क ा
एवं दे व य कौन यजमान ह जो इं को जानता है? अथात् कोई नह . (१८)
वम
शं सषो दे वः श व म यम्.
न वद यो मघव त म डते
वी म ते वचः.. (१९)
हे श शाली इं ! तुम अपनी तु त करने वाले मनु य क शंसा करो. हे मघवन्!
तु हारे अ त र कोई सुख दे ने वाला नह है. इसी कारण म तु हारी तु त करता ं. (१९)
मा ते राधां स मा त ऊतयो वसोऽ मा कदा चना दभन्.
व ा च न उप ममी ह मानुष वसू न चष ण य आ.. (२०)
हे नवासदाता इं ! तु हारे संबंधी ा णसमूह तथा सहायक म द्गण कभी हमारा
वनाश न कर. हे मनु य हतकारक इं ! हम मं
ा को सभी संप यां दो. (२०)
सू —८५
दे वता—म द्गण
ये शु भ ते जनयो न स तयो याम ु य सूनवः सुदंससः.
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रोदसी ह म त
रे वृधे मद त वीरा वदथेषु घृ वयः.. (१)
गमन के न म अपने शरीर को ना रय के समान अलंकृत करने वाले, गमनशील,
के पु , धरती और आकाश क वृ करने के कारण शोभन कमा, श ु को भगाने वाले
एवं वृ ा द के भंजनक ा म द्गण य म सोमपान के कारण स होते ह. (१)
त उ तासो म हमानमाशत द व
अच तो अक जनय त इ यम ध
ासो अ ध च रे सदः.
यो द धरे पृ मातरः.. (२)
दे व ारा अ भषेक पाकर म द्गण ने मह व ा त कया है. उन पु ने आकाश म
थान पाया है. पूजा यो य इं क पूजा एवं उ ह श शाली करके पृ वीपु म त ने अ धक
ऐ य पाया है. (२)
गोमातरो य छु भय ते अ
भ तनूषु शु ा द धरे व मतः.
बाध ते व म भमा तनमप व मा येषामनु रीयते घृतम्.. (३)
भू मपु म द्गण अपने को शोभासंप करते समय उ वल आभूषण धारण करते ह.
ये सभी श ु का नाश करते ह. इनके माग का अनुगमन करके पानी बरसता है. (३)
व ये ाज ते सुमखास ऋ भः यावय तो अ युता चदोजसा.
मनोजुवो य म तो रथे वा वृष ातासः पृषतीरयु वम्.. (४)
शोभन य म द्गण आयुध के कारण वशेष प से द त होते ह. वे वयं अ युत
रहकर ढ़ पवत आ द को अपनी श
ारा चंचल करते ह. हे म द्गण! तुम जब अपने रथ
म बुंद कय वाली ह र णय को जोड़ते हो, उस समय मन के समान ग तशील एवं वषा करने
म समथ हो जाते हो. (४)
य थेषु पृषतीरयु वं वाजे अ म तो रंहय तः.
उता ष य व य त धारा मवोद भ ु द त भूम.. (५)
हे म द्गण! अ उ प के न म बादल को े रत करते ए बुंद कय वाली
ह र णय को रथ म जोड़ो. उस समय काशशील सूय से नकलने वाली जलधारा सम त
धरती को भगो दे ती है. (५)
आ वो वह तु स तयो रघु यदो रघुप वानः जगात बा भः.
सीदता ब ह वः सद कृतं मादय वं म तो म वो अंधसः.. (६)
हे म द्गण! शी चलने वाले एवं ग तशील घोड़े तु ह हमारे य म लाव. शी चलने
वाले आप लोग भी हाथ म धन लेकर हम दे ने के न म आव. आप वेद पर बछे ए कुश
पर बै ठए एवं मधुर सोमरस को पीकर तृ त लाभ क जए. (६)
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तेऽवध त वतवसो म ह वना नाकं त थु च ये सदः.
व णुय ावद्वृषणं मद युतं वयो न सीद ध ब ह ष ये.. (७)
अपनी श के सहारे वृ
ा त करने एवं अपने ही मह व से वग म थान पाने वाले
म द्गण ने अपने नवास थल को व तीण बनाया है. व णु आकर उ ह के न म
कामवषक एवं हष द य क र ा करते ह. वे प य के समान शी आकर हमारे य म
बछे ए कुश पर बैठ. (७)
शूरा इवे ुयुधयो न ज मयः व यवो न पृतनासु ये तरे.
भय ते व ा भुवना म यो राजान इव वेषसं शो नरः.. (८)
यु
शी चलने वाले म द्गण शूर , यु
म य नशील ह. वषा आ द के नेता
चाहने वाल एवं अ ा भलाषी पु ष के समान
एवं उ प म त से संसार डरता है. (८)
व ा य ं सुकृतं हर ययं सह भृ वपा अवतयत्.
ध इ ो नयपां स कतवेऽह वृ ं नरपामौ जदणवम्.. (९)
शोभनकमा व ा ने इं को जो ठ क से बना आ, सुवणमय एवं हजार धार वाला व
दया था, उसी को सं ाम म श ुनाश करने के न म उठाकर इं ने वषाजल को रोकने वाले
वृ को मारा एवं उसके ारा रोक ई जलधारा नीचे क ओर गराई. (९)
ऊ व नुनु े ऽवतं त ओजसा दा हाणं च भ व पवतम्.
धम तो वाणं म तः सुदानवो मदे सोम य र या न च रे.. (१०)
म त् अपनी श से कुएं को उखाड़कर ले चले. रा ते म पवत ने बाधा डाली तो उ ह
तोड़ दया. शोभनदानयु म त ने वीणा बजाते ए एवं सोमरस पीकर आनं दत होते ए
रमणीय धन दया. (१०)
ज ं नुनु े ऽवतं तया दशा स च ु सं गोतमाय तृ णजे.
आ ग छ तीमवसा च भानवः कामं व य तपय त धाम भः.. (११)
म द्गण ने गौतम ऋ ष क ओर कुआं टे ढ़ा करके उ ह पानी पलाकर यास बुझाई.
काश वाले म त ने गौतम ऋ ष क र ा के न म आकर जीवनधारी जल से उ ह तृ त
कया. (११)
या वः शम शशमानाय स त धातू न दाशुषे य छता ध.
अ म यं ता न म तो व य त र य नो ध वृषणः सुवीरम्.. (१२)
हे म द्गण! तुम अपने इ दाता यजमान को धरती आ द तीन लोक म अपने से
संबं धत सुख दान करो. हे कामवषक म तो! हम पु ा द शोभन वीर स हत धन दो. (१२)
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सू —८६
दे वता—म द्गण
म तो य य ह ये पाथा दवो वमहसः. स सुगोपातमो जनः.. (१)
हे व श
काश वाले म तो! तुम अंत र से आकर जस यजमान के य गृह म
सोमपान करते हो, वह शोभन र क वाला हो जाता है. (१)
य ैवा य वाहसो व य वा मतीनाम्. म तः शृणुता हवम्.. (२)
हे य वहन करने वाले म तो! य क ा यजमान अथवा य र हत तोता का आ ान
सुनो. (२)
उत वा य य वा जनोऽनु व मत त. स ग ता गोम त जे.. (३)
जस यजमान का ह वहन करने के लए ऋ वज् म द्गण को ती ण करते ह, वह
अनेक गाय वाले गोठ म जाता है. (३)
अ य वीर य ब ह ष सुतः सोमो द व षु. उ थं मद श यते.. (४)
यजनीय दवस म य म वीर म द्गण के लए सोम नचोड़ा जाता है एवं उ ह को
स करने के लए तो पढ़े जाते ह. (४)
अ य ोष वा भुवो व ा य षणीर भ. सूरं च स ुषी रषः.. (५)
अ
सम त श ु को परा जत करने वाले म द्गण यजमान क तु त सुन एवं तोता को
ा त हो. (५)
पूव भ ह ददा शम शर
म तो वयम्. अवो भ षणीनाम्.. (६)
हे म द्गण! हम तुमसे अनेक वष से र त ह एवं तु ह ह
दे ते ह. (६)
सुभगः स य यवो म तो अ तु म यः. य य यां स पषथ.. (७)
हे अ तशय यजनीय म द्गण! जस यजमान का ह
धनसंप हो. (७)
तुम वीकार करते हो, वह
शशमान य वा नरः वेद य स यशवसः. वदा काम य वेनतः.. (८)
हे यथाथबलसंप नेता म तो! उन यजमान क इ छा पूरी करो जो तु ह ल य करके
तु त मं बोलते-बोलते पसीने से नहा उठे ह एवं तु हारी कामना करते ह. (८)
यूयं त स यशवस आ व कत म ह वना. व यता व ुता र ः.. (९)
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हे यथाथ श
वाले म तो! तुम अपना उ
रा स को समा त करो. (९)
वल मह व
कट करके उप वकारी
गूहता गु ं तमो व यात व म णम्. यो त कता य म स.. (१०)
हे म द्गणो! सव वतमान अंधकार को न करो, सबका भ ण करने वाले रा स
को भगाओ एवं हम मनचाहा काश दो. (१०)
सू —८७
दे वता—म द्गण
व सः तवसो वर शनोऽनानता अ वथुरा ऋजी षणः.
जु तमासो नृतमासो अ
भ ान े के च ा इव तृ भः.. (१)
श ुनाश म अ त कुशल, कृ बलयु , व वध जयघोष से यु सव कृ , संघीभूत,
य क ा
ारा अ तशय से वत, अव श सोमरस का सेवन करने वाले, मेघ आ द के नेता
म द्गण अपने शरीर पर धारण कए आभूषण से आकाश म सूय करण के समान चमकते
ह. (१)
उप रेषु यद च वं य य वय इव म तः केन च पथा.
ोत त कोशा उप वो रथे वा घृतमु ता मधुवणमचते.. (२)
हे म द्गणो! जस कार प ी आकाशमाग से शी चलते ह, उसी कार तुम हमारे
समीपवत आकाश म जब चलते ए बादल को एक करते हो तो मेघ तु हारे रथ से
लपटकर पानी बरसाने लगते ह. इसी हेतु तुम अपनी पूजा करने वाले यजमान पर मधु के
समान व छ जल बरसाओ. (२)
ै ाम मेषु वथुरेव रेजते भू मयामेषु य यु ते शुभे.
ष
ते ळयो धुनयो ाज यः वयं म ह वं पनय त धूतयः.. (३)
जस समय म द्गण शोभन जल क वषा के लए बादल को तैयार करते ह, उस
समय उठे ए बादल को दे खकर धरती उसी कार कांप उठती है, जस कार प त वहीना
नारी राजा आ द के उप व को दे खकर कांपती है. इस कार वहारशील, चंचल वभाव एवं
चमक ले आयुध वाले म द्गण पवत आ द को कं पत करके अपना मह व कट करते ह.
(३)
स ह वसृ पृषद ो युवा गणो३ या ईशान त व ष भरावृतः.
अ स स य ऋणयावाने ोऽ या धयः ा वताथा वृषा गणः.. (४)
वयं े रत, सफेद बुंद कय यु
ह र णय वाले, न य त ण, असाधारण श
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संप ,
स यकमा, तोता को ऋणमु
क र ा करते ह. (४)
करने वाले, अ न दत एवं जलवषक म द्गण हमारे य
पतुः न य ज मना वदाम स सोम य ज ा जगा त च सा.
यद म ं श यृ वाण आशता द ामा न य या न द धरे.. (५)
हम अपने पता र गण ारा बताई ई बात कहते ह क सोमरस क आ त के साथ
क गई तु त म त को ा त होती है. इं ारा संप वृ वध के समय म द्गण उप थत थे
और इं क तु त कर रहे थे. इस कार उ ह ने ‘य पा ’ नाम धारण कया. (५)
यसे कं भानु भः सं म म रे ते र म भ त ऋ व भः सुखादयः.
ते वाशीम त इ मणो अभीरवो व े य य मा त य धा नः.. (६)
म द्गण चमकती ई सूय क करण के साथ वह जल बरसाना चाहते ह, जसक
ा णय को आव यकता है वे तोता और ऋ वज के साथ ह भ ण करते ह. शोभन
तु तवचन से यु , ग तशील एवं भयर हत म द्गण ने व श थान ा त कए ह. (६)
सू —८८
दे वता—म द्गण
आ व ु म म तः वक रथे भयात ऋ म र पणः.
आ व ष या न इषा वयो न प तता सुमायाः.. (१)
हे म द्गणो! तुम अपने द तशाली, शोभन ग त वाले, श संप एवं घोड़ वाले रथ
पर चढ़कर हमारे य म आओ. हे शोभनकमा म तो! हम दे ने के लए अ लेकर सुंदर प ी
के समान आओ. (१)
तेऽ णे भवरमा पश ै ः शुभे कं या त रथतू भर ैः.
मो न च ः व धतीवा प ा रथ य जङ् घन त भूम.. (२)
रथ को ख चने वाले लाल या पीले रंग के घोड़ क सहायता से म द्गण कस
तु तक ा यजमान का क याण करने को आते ह? चमकते ए सोने के समान सुंदर एवं
श ुनाशक आयुध से सुशो भत म द्गण रथ के प हय ारा धरती को ःखी करते ह. (२)
ये कं वो अ ध तनूषु वाशीमधा वना न कृणव त ऊ वा.
यु म यं कं म तः सुजाता तु व ु नासो धनय ते अ म्.. (३)
हे म द्गणो! तु हारे कंध पर ऐ य के च
प म श ुसंहारक आयुध ह. वे वन के
समान य को भी उ त करते ह. हे शोभन ज म वाले म तो! तु ह स करने के लए
संप शाली यजमान सोम कुचलने वाले प थर को संप करते ह. (३)
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अहा न गृ ाः पया व आगु रमां धयं वाकाया च दे वीम्.
कृ व तो गोतमासो अक व नुनु उ स ध पब यै.. (४)
हे जल के इ छु क गौतमवंशी ऋ षयो! तु हारे शोभन दवस ने आकर तु हारे उदक
न पादक य को सुशो भत कया था. उ ह दन म गौतमवंशी ऋ षय ने तु त उ चारण
के साथ ह दे ते ए जल पीने के न म कुआं ऊपर उठाया था. (४)
एत य योजनमचे त स वह य म तो गोतमो वः.
प य हर यच ानयोदं ा वधावतो वरा न्.. (५)
वण न मत प हय वाले रथ पर बैठे ए, धार वाले लौहच से यु , इधर-उधर
धावमान एवं श ुसंहारक म द्गण को दे खकर गौतम ऋ ष ने जो तो बोला था, वह यही
है. (५)
एषा या वो म तो ऽनुभ
त ोभ त वाघतो न वाणी.
अ तोभयद्वृथासामनु वधां गभ योः.. (६)
हे म द्गणो! हमारी तु त आपके अनुकूल है एवं आपम से येक का गुणगान करती
है. इस समय इन तो
ारा ऋ षय क वाणी ने अनायास ही आपका यशगान कया है,
य क आपने अनेक कार का अ हमारे हाथ पर रख दया है. (६)
सू —८९
दे वता— व ेदेव
आ नो भ ाः तवो य तु व तोऽद धासो अपरीतास उद् भदः.
दे वा नो यथा सद मद्वृधे अस ायुवो र तारो दवे दवे.. (१)
सम त क याणकारक, असुर ारा अ ह सत एवं श ुनाश म समथ य सब ओर से
हम ा त ह . अपने र ण काय का याग न करने वाले एवं त दन हमारी र ा करने वाले
दे वगण हम सदा बढ़ाव. (१)
दे वानां भ ा सुम तऋजूयतां दे वानां रा तर भ नो न वतताम्.
दे वानां स यमुप से दमा वयं दे वा न आयुः तर तु जीवसे.. (२)
अपने यजमान से म
े करने वाले दे व का क याणकारक अनु ह एवं दान हम ा त
हो. हम उनक म ता ा त कर, वे हमारी आयु म वृ कर. (२)
ता पूवया न वदा महे वयं भगं म म द त द म धम्.
अयमणं व णं सोमम ना सर वती नः सुभगा मय करत्.. (३)
हम वेद पी पूवकालीन वाणी ारा भग, म , अ द त, द , म द्गण, अयमा, व ण,
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सोम, अ नीकुमार आ द दे व को बुलाते ह. शोभन धन से यु
सर वती हम सुखी कर. (३)
त ो वातो मयोभु वातु भेषजं त माता पृ थवी त पता ौः.
तद् ावाणः सोमसुतो मयोभुव तद ना शृणुतं ध या युवम्.. (४)
माता के समान वायु, पता के तु य धरती, आकाश एवं सोम कुचलने के साधन प थर
हमारे पास सुखकारक ओष ध ले आव. हे बु संप अ नीकुमारो! आप लोग हमारी
ाथना सुन. (४)
तमीशानं जगत त थुष प त धय
वमवसे महे वयम्.
पूषा नो यथा वेदसामसद्वृधे र ता पायुरद धः व तये.. (५)
ऐ यसंप , थावर-जंगम के वामी एवं य कम से स होने वाले इं को हम अपनी
र ा के न म बुला रहे ह. सर ारा अ ह सत पूषा जस कार हमारा धन बढ़ाने के लए
र ा कर रहे ह, उसी कार हमारे अ वनाश के लए हमारी र ा कर. (५)
व त न इ ो वृ वाः व त नः पूषा व वेदाः.
व त न ता य अ र ने मः व त नो बृह प तदधातु.. (६)
अग णत तु तय के यो य और सव पूषा हमारा क याण कर. जनके रथ के प हय
को कोई हा न नह प ंचा सकता है, ऐसे ग ड़ एवं बृह प त हमारा क याण कर. (६)
पृषद ा म तः पृ मातरः शुभंयावानो वदथेषु ज मयः.
अ न ज ा मनवः सूरच सो व े नो दे वा अवसा गम ह.. (७)
सफेद बूंद से यु घोड़ वाले, नाना वण वाली गौ के पु , शोभन ग तशील, अ न
क जीभ पर वतमान, सब कुछ जानने वाले एवं सूय के समान ने यो तयु म द्गण
हमारी र ा के न म यहां आव. (७)
भं कण भः शृणुयाम दे वा भ ं प येमा भयज ाः.
थरैर ै तु ु वांस तनू भ शेम दे व हतं यदायुः.. (८)
हे दे वो! हम अपने कान से क याणकारक वचन सुन. हे य पा दे वो! हम अपनी
आंख से शोभन व तु दे ख एवं ढ़ ह तचरणा द वाले शरीर से आपक तु त करते ए
जाप त ारा था पत आयु को ा त कर. (८)
शत म ु शरदो अ त दे वा य ा न ा जरसं तनूनाम्.
पु ासो य पतरो भव त मा नो म या री रषतायुग तोः.. (९)
हे दे वो! आप लोग ने मानव क आयु सौ वष न त क है. इसी काल म आप हमारे
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शरीर म वृ ाव था उ प करते ह. उस अव था म पु हमारे र क बन जाते ह. हम उस
अव था के म य म न मत करना. (९)
अ द त र द तर त र म द तमाता स पता स पु ः.
व े दे वा अ द तः प च जना अ द तजातम द तज न वम्.. (१०)
आकाश, अंत र , माता, पता, सम त दे व, पंचजन, ज म और ज म का कारण—ये
सब अखंडनीय अथात् अ द त ह. (१०)
दे वता— व ेदेव
सू —९०
ऋजुनीती नो व णो म ो नयतु व ान्. अयमा दे वैः सजोषाः.. (१)
उ म थान को जानने वाले व ण, म एवं इं आ द दे व के साथ समान ेम रखने
वाले अयमा हम सरल माग से गंत पर प ंचाव. (१)
ते ह व वो वसवाना ते अ मूरा महो भः. ता र
धन दे ने वाले, मूढ़ताशू य एवं बु
कर अपना कम करते ह. (२)
ते व ाहा.. (२)
संप वे दे व अपने तेज ारा सदा संसार क र ा
ते अ म यं शम यंस मृता म य यः. बाधमाना अप
वे मरणर हत दे व हमारे श ु
षः.. (३)
का नाश करके हम मरणशील को सुख द. (३)
व नः पथः सु वताय चय व ो म तः. पूषा भगो व
ासः.. (४)
तु त के यो य इं , म द्गण, पूषा एवं भग हम वगलाभ के न म
दखाव. (४)
उ म माग
उत नो धयो गोअ ाः पूष व णवेवयावः. कता नः व तमतः.. (५)
हे पूषा, व णु और म द्गण! हमारे य
वनाशर हत बनाओ. (५)
को गाय आ द पशु
से यु
एवं हम
मधु वाता ऋतायते मधु र त स धवः. मा वीनः स वोषधीः.. (६)
यजमान के लए हवाएं एवं न दयां मधु क वषा कर. हमारे लए ओष धयां माधुययु
ह . (६)
मधु न मुतोषसो मधुम पा थवं रजः. मधु ौर तु नः पता.. (७)
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हमारी नशाएं एवं उषाएं माधुययु
पालनक ा आकाश हम सुखद हो. (७)
ह . पृ वी से संबंध रखने वाले जन एवं सबका
मधुमा ो वन प तमधुमाँ अ तु सूयः. मा वीगावो भव तु नः.. (८)
वन प तयां, सूय एवं गाएं हमारे लए मधुयु
ह . (८)
शं नो म ः शं व णः शं नो भव वयमा.
शं न इ ो बृह प तः शं नो व णु
मः.. (९)
म , व ण, अयमा, इं , बृह प त एवं लंबे डग भरने वाले व णु हमारे लए सुखदाता
ह . (९)
सू —९१
दे वता—सोम
वं सोम च कतो मनीषा वं र ज मनु ने ष प थाम्.
तव णीती पतरो न इ दो दे वेषु र नमभज त धीराः.. (१)
हे सोम! तुम हमारी बु
ारा भली-भां त ात हो. तुम हम सरल माग से ले चलो. हे
व को अमृतमय करने वाले सोम! तु हारे नदश के अनुसार चलकर हमारे पतर ने दे व के
म य धन ा त कया था. (१)
वं सोम तु भः सु तुभू वं द ैः सुद ो व वेदाः.
वं वृषा वृष वे भम ह वा ु ने भ ु यभवो नृच ाः.. (२)
हे सव सोम! तुम अपने शोभन य के कारण य संप करने वाले, अपने बल ारा
श शाली एवं अभी वषा के मह व से कामवधक हो. तुम यजमान के मनोवां छत
फलदाता होकर उनके ारा वपुल मा ा म दए गए अ से संप हो. (२)
रा ो नु ते व ण य ता न बृहद्गभीरं तव सोम धाम.
शु च ् वम स यो न म ो द ा यो अयमेवा स सोम.. (३)
हे सोम! ा ण के राजा व ण से संबं धत य तु हारे ही ह, इस लए तु हारा तेज
व तृत एवं गंभीर है. तुम व ण के समान सबके सुधारक ा एवं अयमा के समान वृ करने
वाले हो. (३)
या ते धामा न द व या पृ थ ां या पवते वोषधी व सु.
ते भन व ैः सुमना अहेळ ाज सोम त ह ा गृभाय.. (४)
हे शोभनयु
सोम! आकाश, धरती, पवत , ओष धय एवं जल म वतमान अपने तेज
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से तेज वी होकर
ोध न करते ए हमारा ह
वीकार करो. (४)
वं सोमा स स प त वं राजोत वृ हा. वं भ ो अ स
तुः.. (५)
हे सोम! तुम स कम म ा ण के वामी, तेज वी एवं शोभन य
वं च सोम नो वशो जीवातुं न मरामहे.
वाले हो. (५)
य तो ो वन प तः.. (६)
हे तु त य एवं वन प तपालक सोम! य द तुम हम यजमान के लए जीवनदा यनी
ओष ध क अ भलाषा करो तो हम मृ युर हत हो सकते ह. (६)
वं सोम महे भगं वं यून ऋतायते. द ं दधा स जीवसे.. (७)
हे सोम! तुम वृ
एवं युवा यजमान को जीवनोपयोगी धन दे ते हो. (७)
वं नः सोम व तो र ा राज घायतः. न र ये वावतः सखा.. (८)
हे तेज वी सोम! जो लोग हम ःख दे ना चाहते ह, उनसे हम बचाओ, य क तुम जैसे
दे व का म कभी वन नह होता. (८)
सोम या ते मयोभुव ऊतयः स त दाशुषे. ता भन ऽ वता भव.. (९)
हे सोम! यजमान को दे ने के लए तु हारे पास सुखद र ासाधन ह, उ ह के
हमारे र क बनो. (९)
ारा
इमं य मदं वचो जुजुषाण उपाग ह. सोम वं नो वृधे भव.. (१०)
हे सोम! हमारे इस य और तु तवचन को वीकार करके हमारे समीप आओ और
हमारे य क वृ करो. (१०)
सोम गी भ ् वा वयं वधयामो वचो वदः. सुमृळ को न आ वश.. (११)
हे सोम! तु तय के जानने वाले हम लोग तु तवचन से तु ह बढ़ाते ह. तुम हम सुखी
करते ए आओ. (११)
गय फानो अमीवहा वसु व पु वधनः. सु म ः सोम नो भव.. (१२)
हे सोम! तुम हमारे धनव क, रोगनाशक, संप दाता, संप
बनो. (१२)
सोम रार ध नो
बढ़ाने वाले एवं सु म
द गावो न यवसे वा. मय इव व ओ ये.. (१३)
हे सोम! जस कार गाएं सुंदर घास से एवं मनु य अपने घर म रहने से स होते ह,
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उसी कार तुम हमारे ारा दए गए ह
से तृ त होकर हमारे दय म नवास करो. (१३)
यः सोमः स ये तव रारण े व म यः. तं द ः सचते क वः.. (१४)
हे सवदश एवं सवकाय समथ सोम! तु हारी म ता के कारण जो यजमान तु हारी
तु त करता है, तुम उस पर अनु ह करते हो. (१४)
उ या णो अ भश तेः सोम न पा ंहसः. सखा सुशेव ए ध नः.. (१५)
(१५)
हे सोम! हम नदा एवं पाप से बचाओ तथा शोभन सुख दे कर हमारे हतकारी बनो.
आ याय व समेतु ते व तः सोम वृ यम्. भवा वाज य स थे.. (१६)
हे सोम! तुम वृ
दे ने वाले बनो. (१६)
ा त करो एवं तु ह चार ओर अपनी श
ा त हो. तुम हम अ
आ याय व म द तम सोम व े भरंशु भः.
भवा नः सु व तमः सखा वृधे.. (१७)
हे अ तशय मदयु सोम! तुम सम त लता
अ से यु होकर हमारे म बनो. (१७)
के भाग से वृ
ा त करो एवं शोभन
सं ते पयां स समु य तु वाजाः सं वृ या य भमा तषाहः.
आ यायमानो अमृताय सोम द व वां यु मा न ध व.. (१८)
हे श ुनाशक सोम! तुम म ध, अ एवं वीय स मलत हो. तुम हमारी अमरता के लए
बढ़ते ए वग म उ कृ अ धारण करो. (१८)
या ते धामा न ह वषा यज त ता ते व ा प रभूर तु य म्.
गय फानः तरणः सुवीरोऽवीरहा चरा सोम यान्.. (१९)
हे सोम! यजमान ह के ारा तु हारे जन तेज क पूजा करते ह, वे ही हमारे य को
चार ओर ा त ह . हे धनव क! पाप से र ा करने वाले, शोभन वीर से यु एवं पु के
र क सोम! तुम हमारे घर म आओ. (१९)
सोमो धेनुं सोमो अव तमाशुं सोमो वीरं कम यं ददा त.
साद यं वद यं सभेयं पतृ वणं यो ददाशद मै.. (२०)
जो यजमान सोमदे व को ह व प अ दे ता है, उसे वे धा गाय, शी गामी अ एवं
लौ कक कम करने म कुशल, गृहकाय म द , य का अनु ान करने वाला, सकल
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शा
ाता तथा पता का नाम
स
करने वाला पु दे ते ह. (२०)
अषाळहं यु सु पृतनासु प वषाम सां वृजन य गोपाम्.
भरेषुजां सु त सु वसं जय तं वामनु मदे म सोम.. (२१)
हे सोम! हम यु म न य वजयी, सेना को वजयी बनाने वाले, वग के दाता,
जलवषक, बल के र क, य म ा भूत, सुंदर नवास वाले, उ म यश वाले एवं
श ुपराभवकारी तु ह ल य करके स ह . (२१)
व ममा ओषधीः सोम व ा वमपो अजनय वं गाः.
वमा तत थोव१ त र ं वं यो तषा व तमो ववथ.. (२२)
हे सोम! तुमने धरती पर वतमान सम त ओष धयां, वषा का जल एवं गाएं बनाई ह.
तुमने व तीण आकाश को फैलाया एवं काश ारा उसका अंधकार मटाया है. (२२)
दे वेन नो मनसा दे व सोम रायो भागं सहसाव भ यु य.
मा वा तनद शषे वीय योभये यः च क सा ग व ौ.. (२३)
हे बलवान् सोमदे व! हमारे धन का अपहरण करने वाले श ु से यु करो. कोई भी
श ु तु ह न न करे. यु रत दोन प के बल के वामी तु ह हो. यु म हमारे उप व का
नाश करो. (२३)
सू —९२
दे वता—उषा एवं अ नीकुमार
एता उ या उषसः केतुम त पूव अध रजसो भानुम ते.
न कृ वाना आयुधानीव धृ णवः त गावोऽ षीय त मातरः.. (१)
उषा ने अंधकार से ढके संसार का ान कराने वाला काश कया है. ये आकाश के
पूव भाग म सूय का काश करती ह. जैसे आ मणशील यो ा अपने आयुध का सं कार
करते ह, उसी कार ग तशील, चमक ली एवं सूय काश का नमाण करने वाली उषाएं अपने
काश से संसार का सुधार करती ई त दन आती ह. (१)
उदप त णा भानवो वृथा वायुजो अ षीगा अयु त.
अ ुषासो वयुना न पूवथा श तं भानुम षीर श युः.. (२)
चमकती ई सूयर मयां अनायास उ दत . उषा ने रथ म जोतने यो य शु
करण को रथ म जोता एवं पूवकाल के समान सम त ा णय को ानशील बनाया. इसके
प ात् चमक ली उषा ने शु वण वाले सूय का आ य लया. (२)
अच त नारीरपसो न व भः समानेन योजनेना परावतः.
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इषं वह तीः सुकृते सुदानवे व ेदह यजमानाय सु वते.. (३)
नेतृ व करने वाली उषाएं, शोभन कम करने वाले, सोमरस नचोड़ने एवं ऋ वज को
द णा दे ने वाले यजमान के लए सम त अ दान करती
अ धारी यो ा के समान
अपने उपयोग ारा र तक के दे श को भी तेज से पू रत करती ह. (३)
अ ध पेशां स वपते नृतू रवापोणुते व उ ेव बजहम्.
यो त व मै भुवनाय कृ वती गावो न जं ु१षा आवतमः.. (४)
जस कार नाई बाल को काट दे ता है, उसी कार उषाएं संसार से लपटे ए काले
अंधकार को पूरी तरह न कर दे ती ह. जस कार गौ ध काढ़ने के समय अपना थन कट
करती है, उसी कार उषाएं अपने सीने को कट करती ह. वे गोशाला म जाने वाली गाय के
समान पूव दशा म जाती ह. (४)
यच शद या अद श व त ते बाधते कृ णम वम्.
व ं न पेशो वदथे व
च ं दवो हता भानुम ेत्.. (५)
उषा का द यमान तेज पहले पूव दशा म दखाई दे ता है, इसके बाद सभी दशा म
फैल जाता है एवं काले रंग के अंधकार को र भगा दे ता है. जैसे अ वयु य म यूप को
आ य ारा कट करते ह, वैसे ही उषाएं आकाश म अपना प दखाती है एवं वगपु ी
बनकर तेज वी सूय क सेवा करती ह. (५)
अता र म तमस पारम योषा उ छ ती वयुना कृणो त.
ये छ दो न मयते वभाती सु तीका सौमनसायाजीगः.. (६)
हम रा के अंधकार के पार आ गए ह. नशा के अंधकार का नाश करती ई उषा
सम त ा णय को ान दे ती है. जस कार वशीकरण म समथ पु ष धनी के समीप जाकर
उसे स करने के लए हंसता है, उसी कार काश फैलाती
उषाएं हंसती सी जान
पड़ती ह. सुंदर शरीर वाली उषा ने सबक स ता के लए अंधकार का भ ण कया है.
(६)
भा वती ने ी सूनृतानां दवः तवे हता गोतमे भः.
जावतो नृवतो अ बु यानुषो गोअ ाँ उप मा स वाजान्.. (७)
हम गौतमवंशी तेज वनी एवं स य भाषण े मय का नेतृ व करने वाली आकाशपु ी
उषा क तु त करते ह. हे उषा! हम पु , पौ , दास, अ एवं गाय से यु अ दान करो.
(७)
उष तम यां यशसं सुवीरं दास वग र यम बु यम्.
सुदंससा वसा या वभा स वाज सूता सुभगे बृह तम्.. (८)
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हे उषा! हम यश, वीर पु ष , दास एवं अ से यु अ
ा त कर. हे शोभन धन
वाली उषा! शोभनय यु
तो से स होकर हमारे लए अ एवं पया त धन कट
करो. (८)
व ा न दे वी भुवना भच या तीची च ु वया व भा त.
व ं जीवं चरसे बोधय ती व य वाचम वद मनायोः.. (९)
चमकती ई उषाएं सम त ा णय को का शत करने के प ात् प म दशा म अपने
तेज से व तृत होती ई उद्द त हो रही ह. वे सम त जीव को अपने-अपने काम म वृ
होने के लए जगाती ह एवं भाषणकुशल लोग क बात सुनती ह. (९)
पुनः पुनजायमाना पुराणी समानं वणम भ शु भमाना.
नीव कृ नु वज आ मनाना मत य दे वी जरय यायुः.. (१०)
त दन बार-बार उ प , न य एवं समान प धारण करने वाली उषाएं सम त
मरणधमा ा णय के जीवन का दन- दन उसी कार ास करती ह, जस कार भीलनी
उड़ते ए प य के पंख काटकर उनक हसा करती है. (१०)
ू वती दवो अ ताँ अबो यप वसारं सनुतयुयो त.
मनती मनु या युगा न योषा जार य च सा व भा त.. (११)
आकाश को अंधकार से मु करती ई उषा को लोग जानते ह. वे अपने आप
चलती ई रात को छपाती ह. अपने गमनागमन से त दन मानव के युग को समा त
करती ई ेमी सूय क प नयां उषाएं का शत होती ह. (११)
पशू च ा सुभगा थाना स धुन ोद उ वया
ैत्.
अ मनती दै ा न ता न सूय य चे त र म भ शाना.. (१२)
जैसे वाला वन म पशु को चरने के लए फैला दे ता है, उसी कार सुभगा एवं
पूजनीया उषाएं तेज का व तार करती ह. जैसे बहता आ पानी नीची जगह पर शी फैल
जाता है, वैसे ही महती उषाएं सारे व को घेर लेती ह एवं दे वय म व न न डालती
सूय क करण के साथ दखाई दे ती ह. (१२)
उष त च मा भरा म यं वा जनीव त. येन तोकं च तनयं च धामहे.. (१३)
हे अ क वा मनी उषाओ! हम ऐसा व च धन दो, जससे हम पु
पालन कर सक. (१३)
उषो अ ेह गोम य ाव त वभाव र. रेवद मे
ु छ सूनृताव त.. (१४)
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और पौ
का
हे उषा! तुम गौ, अ , स यभाषण एवं तेज से यु
करके धन से यु करो. (१४)
हो. आज हमारे य को का शत
यु वा ह वा जनीव य ाँ अ ा णाँ उषः.
अथा नो व ा सौभगा या वह.. (१५)
हे अ यु
लाओ. (१५)
उषा! आज लाल रंग के घोड़े रथ म जोड़ो एवं सम त सौभा य हमारे लए
अ ना व तर मदा गोम ा हर यवत्.
अवा थं समनसा न य छतम्.. (१६)
हे श ुनाशक अ नीकुमारो! तुम दोन समान वचार बनाकर हमारे घर को गाय एवं
रमणीय धन से यु करने के लए अपने रथ पर बैठकर हमारे घर को आओ. (१६)
या व था ोकमा दवो यो तजनाय च थुः.
आ न ऊज वहतम ना युवम्.. (१७)
हे अ नीकुमारो! तुमने आकाश से शंसनीय यो त नीचे भेजी है. तुम हमारे लए
बल दे ने वाला अ लाओ. (१७)
एह दे वा मयोभुवा द ा हर यवतनी. उषबुधो वह तु सोमपीतये.. (१८)
अ नीकुमार दाना दगुणयु , आरो य एवं सुख दे ने वाले, वण न मत रथ के वामी
एवं श ु व वंसकारी ह. उनके घोड़े सोमरस पीने के लए उ ह इस य म लाव. (१८)
सू —९३
दे वता—अ न एवं सोम
अ नीषोमा वमं सु मे शृणुतं वृषणा हवम्.
त सू ा न हयतं भवतं दाशुषे मयः.. (१)
हे कामवषक अ न एवं सोम! इस आ ान को सुनो, हमारी तु तय को वीकार करो
एवं ह दे ने वाले यजमान को सुख दे ने वाले बनो. (१)
अ नीषोमा यो अ वा मदं वचः सपय त.
त मै ध ं सुवीय गवां पोषं व म्.. (२)
श
हे अ न और सोम! जो यजमान आज तु ह तु त वचन से पू जत करता है, उसे
शाली गाएं एवं पु अ दो. (२)
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अ नीषोमा य आ त यो वां दाशा व कृ तम्.
स जया सुवीय व मायु
वत्.. (३)
हे अ न और सोम! जो यजमान तु ह आ य क आ त और ह
पु -पौ आ द से यु श संप पूणजीवन ा त हो. (३)
दान करता है, उसे
अ नीषोमा चे त त य वां यदमु णीतमवसं प ण गाः.
अवा तरतं बृसय य शेषोऽ व दतं यो तरेकं ब यः.. (४)
हे अ न और सोम! हम तु हारे उस पौ ष को जानते ह, जससे तुमने प णय के पास
से गाय को छ ना था एवं वृषय अथात् व ा के पु वृ को मारकर आकाश म चलते ए
सूय को सबके उपकाराथ पाया था. (४)
युवमेता न द व रोचना य न सोम स तू अध म्.
युवं स धूँर भश तेरव ाद नीषोमावमु चतं गृभीतान्.. (५)
हे अ न और सोम! तुम दोन ने समानक ा बनकर इन चमकते ए न
को
आकाश म धारण कया है एवं इं क
ह या के पाप अंश से यु न दय को कट दोष
से छु ड़ाया है. (५)
आ यं दवो मात र ा जभाराम नाद यं प र येनो अ े ः.
अ नीषोमा
णा वावृधानो ं य ाय च थु लोकम्.. (६)
हे अ न और सोम! तुम दोन म से अ न को मात र ा आकाश से तथा सोम को बाज
प ी पवत से यजमान के न म बलपूवक लाया है. तुम दोन ने तो
ारा वृ
ात
करके दे वय के न म धरती का व तार कया है. (६)
अ नीषोमा ह वषः थत य वीतं हयतं वृषणा जुषेथाम्.
सुशमाणा ववसा ह भूतमथा ध ं यजमानाय शं योः.. (७)
हे अ न और सोम! य के न म दए अ का भ ण करो एवं उसके बाद हमारी
अ भलाषा पूरी करो. हे कामवषको! हमारी सेवा वीकार करो, हमारे लए सुखदाता एवं
र णक ा बनो तथा यजमान के रोग और भय र करो. (७)
यो अ नीषोमा ह वषा सपया े व चा मनसा यो घृतेन.
त य तं र तं पातमंहसो वशे जनाय म ह शम य छतम्.. (८)
हे अ न और सोम! जो यजमान दे व के त भ यु मन से तुम दोन क सेवा
करता है, उसके य कम क र ा करो, यजमान को पाप से बचाओ तथा य काय म संल न
उस
को पया त सुख दो. (८)
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अ नीषोमा सवेदसा स ती वनतं गरः. सं दे व ा बभूवथुः.. (९)
हे अ न और सोम! तुम समान धन वाले एवं एक साथ आ ान करने यो य हो. तुम
हमारी तु त सुनो. तुम सभी दे व से अ धक स हो. (९)
अ नीषोमावनेन वां यो वां घृतेन दाश त. त मै द दयतं बृहत्.. (१०)
हे अ न एवं सोम! जो यजमान तु ह घृत से यु
दो. (१०)
ह व दान करता है, उसे पया त धन
अ नीषोमा वमा न नो युवं ह ा जुजोषतम्. आ यातमुप नः सचा.. (११)
हे अ न और सोम! हमारा यह ह
आओ. (११)
वीकार करो एवं इस काय के लए एक साथ
अ नीषोमा पपृतमवतो न आ याय तामु या ह सूदः.
अ मे बला न मघव सु ध ं कृणुतं नो अ वरं ु म तम्.. (१२)
हे अ न और सोम! हमारे अ का पालन करो. ीर आ द ह को उ प करने वाली
हमारी गाएं बढ़. तुम धनयु हम लोग को बल दो एवं हमारे य को धनसंप करो. (१२)
सू —९४
दे वता—अ न
इमं तोममहते जातवेदसे रथ मव सं महेमा मनीषया.
भ ा ह नः म तर य संस ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१)
जस कार बढ़ई रथ का नमाण करता है, उसी कार हम पू य एवं सब ा णय को
जानने वाले अ न के त बु
न मत यह तु त सम पत करते ह. इस अ न क सेवा से
हमारी बु क याणी बनती है. हे अ न! तु हारी म ता ा त कर लेने पर हम हसा को
ा त न ह . (१)
य मै वमायजसे स साध यनवा े त दधते सुवीयम्.
स तूताव नैनम ो यंह तर ने स ये मा रषामा वयं तव.. (२)
हे अ न! तुम जस यजमान के न म य करते हो, वह अभी ा त कर लेता है,
श ु क पीड़ा से र हत होकर नवास करता है, उ म श धारण करता है एवं वृ पाता
है. उसे कभी द र ता नह मलती. हम तु हारी म ता को पाकर कसी के ारा सताए न
जाव. (२)
शकेम वा स मधं साधया धय वे दे वा ह वरद या तम्.
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वमा द याँ आ वह ता
१ म य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (३)
हे अ न! हम तु ह भली कार व लत कर सक एवं तुम हमारे य को पूरा करो,
य क ऋ वज ारा तुम म डाला गया ह दे वगण भ ण करते ह. तुम अ द तपु अथात्
दे व को यहां ले आओ, य क हम उनक कामना करते ह. तु हारी म ता ा त कर लेने पर
कोई हमारी हसा न करे. (३)
भरामे मं कृणवामा हव ष ते चतय तः पवणापवणा वयम्.
जीवातवे तरं साधया धयोऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (४)
हे अ न! हम तु हारे य के लए धन एक करते ह एवं त पव पर दशपौणमास
य करते ए तु ह ान कराकर ह दे ते ह. तुम हमारे जीवनकाल को बढ़ाने के लए य
पूण कराओ. तुम हमारे म बन गए हो, अब कोई हमारी हसा न करे. (४)
वशां गोपा अ य चर त ज तवो प च य त चतु पद ु भः.
च ः केत उषसो महाँ अ य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (५)
इसक करण सम त ा णय क र ा करती
वचरण करती ह. दो पैर और चार
पैर वाले जंतु इसक करण से यु हो जाते ह. हे अ न, तुम व च द तसंप , सबका
ान कराने वाले एवं उषा से भी महान् हो. तु हारी म ता ा त करके हम कसी के ारा
ह सत न ह . (५)
वम वयु त होता स पू ः शा ता पोता जनुषा पुरो हतः.
व ा व ाँ आ व या धीर पु य य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (६)
हे अ न! तुम य को दे व के त प ंचाने वाले, अ वयु, होता, शा ता, य के
शोधक अथात् पोता एवं ज म से ही पुरो हत हो. तुम ऋ वज् के सम त कम को जानते हो,
इस लए हमारा य पूरा करो. तु हारी म ता ा त करके हम कसी के ारा ह सत न ह .
(६)
यो व तः सु तीकः स ङ् ङ स रे च स त ळ दवा त रोचसे.
रा या द धो अ त दे व प य य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (७)
हे अ न! तुम शोभन-अंग वाले होते ए भी सबके समान हो एवं र रहकर भी समीप
दखाई दे ते हो. हे दे व! तुम रात के अंधकार का नाश करके चमकते हो. तु हारी म ता ा त
करके हम कसी के ारा ह सत न ह . (७)
पूव दे वा भवतु सु वतो रथोऽ माकं शंसो अ य तु ढ् यः.
तदा जानीतोत पु यता वचोऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (८)
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हे दे वो! सोम नचोड़ने वाले यजमान का रथ अ य यजमान के रथ से आगे हो. हमारा
पाप हमारे श ु को बाधा प ंचावे. तुम हमारी तु त पर यान दो और उसके अनुकूल
चलकर हम पु करो. हे अ न! तु हारी म ता ा त कर लेने पर हमारी कोई हसा न कर
सके. (८)
वधै ःशंसाँ अप ढ् यो ज ह रे वा ये अ त वा के चद ण.
अथा य ाय गृणते सुगं कृ य ने स ये मा रषामा वयं तव.. (९)
हे अ न! तुम हननसाधन आयुध से अपवाद के पा एवं बु लोग का वध करो.
जो श ु हमारे समीप या र ह, उनका नाश करो. इस कार तुम अपनी तु त करने वाले
यजमान का माग शोभन बनाओ. तु हारी म ता ा त करके हम कसी के ारा ह सत न
ह . (९)
यदयु था अ षा रो हता रथे वातजूता वृषभ येव ते रवः.
आ द व स व ननो धूमकेतुना ने स ये मा रषाम वयं तव.. (१०)
हे अ न! तुम तेज वी, लाल रंग वाले एवं वायु वेग वाले दोन घोड़ को रथ म जोतते
समय बैल के समान श द करते हो एवं अपने झंडे पी धूम से वन को घेर लेते हो. तु हारी
म ता ा त करके हम कसी के ारा ह सत न ह . (१०)
अध वना त ब युः पत णो सा य े यवसादो
थरन्.
सुगं त े तावके यो रथे योऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (११)
हे अ न! वन दे श को जलाने वाला तु हारा श द सुनकर प ी डर जाते ह. जब
तु हारी वालाएं वन म वतमान तनक को भ ण करके सभी ओर फैलती ह, तब तु हारे
लए एवं तु हारे रथ के लए सम त अर य सुगम बन जाता है. तु हारी म ता ा त करके
हम कसी के ारा ह सत न ह . (११)
अयं म य व ण य धायसे ऽवयातां म तां हेळो अ तः.
मृळा सु नो भू वेषां मनः पुनर ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१२)
अ न के तोता को म और व ण धारण कर. अंत र म वतमान म त का ोध
महान् होता है. हे अ न! हमारी र ा करो. इन म त का मन हमारे त स हो. हे अ न!
तु हारी म ता ा त करके हम कसी के ारा ह सत न ह . (१२)
दे वो दे वानाम स म ो अ तो वसुवसूनाम स चा र वरे.
शम याम तव स थ तमेऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१३)
हे तेज वी अ न! तुम सब दे व के परम म , सुंदर एवं य क सम त संप य के
नवास हो. हम तु हारे अ त व तृत य गृह म वतमान ह . तु हारी म ता ा त करके हम
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कसी के ारा ह सत न ह . (१३)
त े भ ं य स म ः वे दमे सोमा तो जरसे मृळय मः.
दधा स र नं वणं च दाशुषेऽ ने स ये मा रषामा वयं तव.. (१४)
हे अ न! जस समय तुम अपने थान पर व लत एवं सोम ारा आ त होकर
ऋ वज क तु त का वषय बनते हो, उस समय अ यंत भ ा त करते हो. तुम हमारे लए
परम सुखकारक एवं यजमान के लए रमणीय य फल एवं धन दे ने वाले बनो, तु हारी
म ता ा त करके हम कसी के ारा ह सत न ह . (१४)
य मै वं सु वणो ददाशोऽनागा वम दते सवताता.
यं भ े ण शवसा चोदया स जावता राधसा ते याम.. (१५)
हे शोभनधनसंप एवं अखंडनीय अ न! सम त य म वतमान जस यजमान को
तुम पाप से र हत करके क याणकारी बल से यु करते हो, वह समृ होता है. तु हारी
तु त करने वाले हम पु -पौ ा द वाले धन से यु ह . (१५)
स वम ने सौभग व य व ान माकमायुः तरेह दे व.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (१६)
हे अ न! तुम सौभा य को जानते ए इस य कम म हमारी आयुवृ
व ण, अ द त, सधु, पृ वी एवं आकाश हमारी उस आयु क र ा कर. (१६)
सू —९५
करो. म ,
दे वता—अ न
े व पे चरतः वथ अ या या व समुप धापयेते.
ह रर य यां भव त वधावा छु ो अ य यां द शे सुवचाः.. (१)
हे दवस और रा ! तुम सुंदर योजन वाले एवं पर पर व
प से यु होकर
चलते हो. रात और दन दोन , दोन के पु —अ न और सूय क र ा करते ह. रा के पास
से सूय ह व प अ ा त करता है एवं सरा दन के पास से शोभन काश वाला दखाई
दे ता है. (१)
दशेमं व ु जनय त गभमत ासो युवतयो वभृ म्.
त मानीकं वयशसं जनेषु वरोचमानं प र ष नय त.. (२)
अपने जग पोषण प काय म आल यर हत, न य युवा, दश दशा व मेघ म गभ
प से वतमान वायु सब पदाथ म वतमान, ती ण तेजयु एवं अ तशय यश वी अ न को
उ प करती है. इसी अ न को सब जगह ले जाया जाता है. (२)
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ी ण जाना प र भूष य य समु एकं द ेकम सु.
पूवामनु दशं पा थवानामृतू शास दधावनु ु .. (३)
समु , आकाश और अंत र —ये अ न के तीन ज म थान ह. सूय प अ न ने
ऋतु को वभ करके बताते ए पृ वी पर रहने वाले सम त ा णय के न म पूव
दशा को अनु म से बनाया. (३)
क इमं वो न यमा चकेत व सो मातॄजनयत वधा भः.
ब नां गभ अपसामुप था महा क व न र त वधावान्.. (४)
हे यजमानो! जल, वन आ द म गभ प से थत अ न को तुम म से कौन जानता है?
अथात् कोई नह . यह पु होकर भी अपनी जल पी माता को ह
ारा ज म दे ता है.
यह ौढ़ तेज वाला, ांतदश एवं ह व प अ से यु अ न अनेक कार के जल को
उ प करने का कारण बनकर समु से सूय प म नकलता है. (४)
आ व ो वधते चा रासु ज ानामू वः वयशा उप थे.
उभे व ु ब यतुजायमाना तीची सहं त जोषयेते.. (५)
मेघ म तरछे रहने वाले जल क गोद म रहकर भी ऊपर क ओर जलता आ अ न
शोभन द त वाला बनकर चमकता एवं बढ़ता है. व ा से उ प अ न से धरती और
आकाश दोन डरते ह एवं सहनशील अ न के समीप आकर सेवा करते ह. (५)
उभे भ े जोषयेते न मेने गावो न वा ा उप त थुरेवैः.
स द ाणां द प तबभूवा
त यं द णतो ह व भः.. (६)
रात और दन दोन शोभन य के समान अ न क सेवा करते एवं रंभाती ई गाय
के समान पास म आकर ठहरते ह. आ ानीय अ न के द ण भाग म थत होकर ऋ वज्
ह
ारा जस अ न को तृ त करते ह, वह सम त बल का वामी बनता है. (६)
उ ंयमी त स वतेव बा उभे सचौ यतते भीम ऋ न्.
उ छु म कमजते सम मा वा मातृ यो वसना जहा त.. (७)
भयंकर अ न सूय क भुजा पी करण के समान अपने तेज को व तृत करते एवं
धरती-आकाश दोन को अलंकृत करके उनके काम म लगाते ह तथा सम त पदाथ से
तेज वी एवं सार प रस हण करते ह. वे अपनी माता प जल से सारे संसार को ढकने
वाला नवीन तेज बनाते ह. (७)
वेषं पं कृणुत उ रं य संपृ चानः सदने गो भर ः.
क वबु नं प र ममृ यते धीः सा दे वताता स म तबभूव.. (८)
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जब अ न अंत र म चलने वाले जल से संयु , तेज वी एवं सव म काश धारण
करते ह, तब ांतदश एवं सवाधार अ न सम त जल के मूलभूत आकाश को अपने तेज के
ारा ढक लेते ह. तेज वी अ न ारा फैलाई ई चमक तेजसमूह बन गई थी. (८)
उ ते यः पय त बु नं वरोचमानं म हष य धाम.
व े भर ने वयशो भ र ोऽद धे भः पायु भः पा मान्.. (९)
हे महान् अ न! तु हारा सबको पराभूत करने वाला एवं चमकता आ तेज जल के मूल
कारण आकाश को सब ओर से घेरे ए है. तु हारा तेज अ य एवं पालक है. तुम हमारे ारा
व लत होकर अपने तेज के साथ यहां आओ. (९)
ध व ोतः कृणुते गातुमू म शु ै म भर भ न त ाम्.
व ा सना न जठरेषु ध ेऽ तनवासु चर त सूषु.. (१०)
अ न आकाश म गमनशील जलसमूह को वाह का प दे ते एवं उसी नमल करण
वाले जलसमूह से धरती को भगोते ह. वे जठर म संपूण अ को धारण करते ह, इसी लए
वषा के प ात् उ प नवीन फसल के भीतर रहते ह. (१०)
एवा नो अ ने स मधा वृधानो रेव पावक वसे व भा ह.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (११)
हे शोधक अ न! स मधा के कारण व लत होकर हम धनयु अ दे ने के लए
वशेष प से चमको. म , व ण, अ द त, सधु, धरती और आकाश उस अ क पूजा
कर. (११)
सू —९६
दे वता—अ न
स नथा सहसा जायमानः स ः का ा न बळध व ा.
आप म ं धषणा च साध दे वा अ नं धारय वणोदाम्.. (१)
बलपूवक का घषण से उ प अ न शी ही चरंतन के समान ांतद शय के सम त
य कम को धारण करते ह. उस व ुत् प अ न को वायु और जल म बना लेते ह.
ऋ वज ने धनदाता अ न को धारण कया है. (१)
स पूवया न वदा क तायो रमाः जा अजनय मनूनाम्.
वव वता च सा ामप दे वा अ नं धारय वणोदाम्.. (२)
अ न ने आयु क पूवकाल कृत एवं गुण न तु त को सुनकर इस मानवी जा को
उ प कया है एवं आ छादक तेज के आकाश को ा त कया है. ऋ वज ने धनदाता
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अ न को धारण कया है. (२)
तमीळत थमं य साधं वश आरीरा तमृ सानम्.
ऊजः पु ं भरतं सृ दानुं दे वा अ नं धारय वणोदाम्.. (३)
हे मनु यो! दे व म मुखतया य साधक, ह
ारा आ त, तो
ारा स , अ के
पु , जा के पोषक एवं दानशील वामी अ न के समीप जाकर उनक तु त करो.
ऋ वज ने धनदाता अ न को धारण कया है. (३)
स मात र ा पु वारपु वदद्गातुं तनयाय व वत्.
वशां गोपा ज नता रोद योदवा अ नं धारय वणोदाम्.. (४)
अंत र म वतमान अ न हमारे पु के लए अनेक अनु ान माग ा त कराव. वे
वरणीय पु वाले, वगदाता, जा के र क, दे व, धरती और आकाश के उ प क ा ह.
ऋ वज ने धनदाता अ न को धारण कया है. (४)
न ोषासा वणमामे याने धापयेते शशुमेकं समीची.
ावा ामा मो अ त व भा त दे वा अ नं धारय वणोदाम्.. (५)
दन और रात बार-बार एक- सरे का प न करके मलते ए अ न पी एक ही
बालक का पालन करते ह. वे तेज वी अ न, धरती और आकाश के म य म वशेष प से
का शत होते ह. ऋ वज ने धनदाता अ न को धारण कया है. (५)
रायो बु नः संगमनो वसूनां य य केतुम मसाधनो वेः.
अमृत वं र माणास एनं दे वा अ नं धारय वणोदाम्.. (६)
अपने अमृत व क र ा करने वाले दे व ने धन के मूल नवास हेत,ु धन को मलाने
वाले, तोता क अ भलाषा के पूरक तथा य के केतु प धनदाता अ न को धारण कया
था. (६)
नू च पुरा च सदनं रयीणां जात य च जायमान य च ाम्.
सत गोपां भवत भूरेदवा अ नं धारय वणोदाम्.. (७)
ाचीनकाल म एवं आजकल होने वाले सम त धन के नवास थान, उ प एवं भ व य
म होने वाले कायसमूह के नवासभूत तथा इस समय उप थत एवं भ व य म ज म लेने वाले
पदाथ के र क तथा धनदाता अ न को दे व ने धारण कया. (७)
वणोदा वणस तुर य वणोदाः सनर य यंसत्.
वणोदा वीरवती मषं नो वणोदा रासते द घमायुः.. (८)
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यु
धन दे ने वाले अ न हम थावर एवं जंगम संप
अ एवं द घ आयु द. (८)
का एक अंश द. वे हम वीर पु ष से
एवा नो अ ने स मधा वृधानो रेव पावक वसे व भा ह.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (९)
हे प व करने वाले अ न! स मधा के कारण व लत होकर हम धनयु अ दे ने
के लए वशेष प से का शत बनो. म , व ण, अ द त, सधु, धरती और आकाश उस
अ क पूजा कर. (९)
दे वता—अ न
सू —९७
अप नः शोशुचदघम ने शुशु या र यम्. अप नः शोशुचदघम्.. (१)
हे अ न! हमारा पाप न हो. तुम हमारे धन को सब ओर से का शत करो. हमारा
पाप न हो. (१)
सु े या सुगातुया वसूया च यजामहे. अप नः शोशुचदघम्.. (२)
हे अ न! हम शोभन े , शोभन माग और धन क इ छा से ह व ारा तु हारी पूजा
करते ह. हमारा पाप न हो. (२)
य
द एषां ा माकास सूरयः. अप नः शोशुचदघम्.. (३)
हे अ न! हमारे तोता कु स के समान
पाप न हो. (३)
य े अ ने सूरयो जायेम ह
े ह . वे सभी तोता
म उ म ह. हमारा
ते वयम्. अप नः शोशुचदघम्.. (४)
हे अ न! तु हारी तु त करने वाले पु -पौ ा द पाकर बढ़ते ह, इसी लए हम भी तु हारी
तु त करके बढ़. हमारे पाप न ह . (४)
यद नेः सह वतो व तो य त भानवः. अप नः शोशुचदघम्.. (५)
श ु को परा जत करने वाली अ न क करण सभी जगह जाती ह, इस लए हमारे
पाप न ह . (५)
वं ह व तोमुख व तः प रभूर स. अप नः शोशुचदघम्.. (६)
हे अ न! तु हारे मुख चार ओर ह, इस लए तुम चार ओर से हमारी र ा करो. हमारा
पाप न हो. (६)
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षो नो व तोमुखा त नावेक पारय. अप नः शोशुचदघम्.. (७)
हे सवतोमुख अ न! जस कार नाव से नद को पार करते ह, उसी कार तुम हमारे
क याण के लए हम श ुर हत दे श म प ंचाओ. हमारे पाप न ह . (७)
स नः स धु मव नावया त पषा व तये. अप नः शोशुचदघम्.. (८)
हे अ न! जस कार नाव से नद को पार करते ह, उसी कार तुम हमारे क याण के
लए हम श ुर हत दे श म प ंचाकर हमारा पालन करो. हमारे पाप न ह . (८)
सू —९८
दे वता—अ न
वै ानर य सुमतौ याम राजा ह कं भुवनानाम भ ीः.
इतो जातो व मदं व च े वै ानरो यतते सूयण.. (१)
हम पर वै ानर अ न क अनु हबु हो. वे सामने से सेवनीय एवं सबके वामी ह. दो
का से उ प होकर अ न संसार को दे खते ह एवं ातःकाल उदय होते ए सूय से मल
जाते ह. (१)
पृ ो द व पृ ो अ नः पृ थ ां पृ ो व ा ओषधीरा ववेश.
वै ानरः सहसा पृ ो अ नः स नो दवा स रषः पातु न म्.. (२)
अ न आकाश म सूय प से तथा धरती पर गाहप या द प से वतमान ह. अ न ने
सारी ओष धय म उ ह पकाने के लए वेश कया है. वही हम दवस एवं रा म श ु से
बचाव. (२)
वै ानर तव त स यम व मा ायो मघवानः सच ताम्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (३)
हे वै ानर! तुमसे संबं धत यह य सफल हो, हम धन ा त हो एवं अ त शी पु
हमारी सेवा कर. म , व ण, अ द त, सधु, धरती और आकाश हमारे धन क र ा कर. (३)
सू —९९
दे वता—अ न
जातवेदसे सुनवाम सोममरातीयतो न दहा त वेदः.
स नः पषद त गा ण व ा नावेव स धुं रता य नः.. (१)
हम सब भूत को जानने वाले अ न के न म सोमरस नचोड़ते ह. अ न हमारे त
श ुता का वहार करने वाल का धन न कर. जस कार नाव क सहायता से नद पार
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करते ह, वैसे ही अ न हम ःख एवं पाप से पार कराव. (१)
सू —१००
दे वता—इं
स यो वृषा वृ ये भः समोका महो दवः पृ थ ा स ाट् .
सतीनस वा ह ो भरेषु म वा ो भव व ऊती.. (१)
जो इं कामवष , श
तथा सं ाम म तु तक ा
बन. (१)
संप , महान्, आकाश और धरती के ई र, जल बरसाने वाले
ारा बुलाने यो य ह, वे म त के साथ मलकर हमारे र क
य याना तः सूय येव यामो भरेभरे वृ हा शु मो अ त.
वृष तमः स ख भः वे भरेवैम वा ो भव व ऊती.. (२)
जस कार सूय क चाल को सरा कोई नह पा सकता, उसी कार जनक ग त
सर के लए अ ा य है, जो अपने ग तशील म -म त के साथ अ तशय कामवधक ह,
जो सभी सं ाम म श ु के हंता और शोषक ह, वे इं म त के सहयोग से हमारे र क
बन. (२)
दवो न य य रेतसो घानाः प थासो य त शवसापरीताः.
तरद् े षाः सास हः प ये भम वा ो भव व ऊती.. (३)
जसक बलयु एवं सर ारा अ ा य करण सूय के समान आकाश म वषा के जल
को गराती
इधर-उधर फैलती ह, वे ही जतश ु एवं श
ारा श ु को परा जत करने
वाले इं म त के सहयोग से हमारे र क बन. (३)
सो अ रो भर र तमो भूदवृ
् षा वृष भः स ख भः सखा सन्.
ऋ म भऋ मी गातु भ य ो म वा ो भव व ऊती.. (४)
जो ग तशील म अ यंत ती ग त, अभी दाता म सव म कामपूरक, म म परम
हतकारी, अचनीय म सवा धक पूजापा एवं तु तपा म सवा धक तु त यो य ह, वे इं
म त के सहयोग से हमारे र क बन. (४)
स सूनु भन े भऋ वा नृषा े सास ाँ अ म ान्.
सनीळे भः व या न तूव म वा ो भव व ऊती.. (५)
जो
पु म त क सहायता से महान् बनकर सं ाम म मनु य के श ु को
परा जत करते ह एवं अपने सहवासी म त क सहायता से अ के कारण जल को बादल
से नीचे गराते ह, वे इं म त के सहयोग से हमारे र क बन. (५)
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स म युमीः समदन य कता माके भनृ भः सूय सनत्.
अ म ह स प तः पु तो म वा ो भव व ऊती.. (६)
श ु हसक, सं ामक ा, स जन के पालक एवं अनेक यजमान ारा बुलाए गए इं
आज के दन हम सूय के काश का उपभोग करने द एवं म त के सहयोग से हमारे र क
बन. (६)
तमूतयो रणय छू रसातौ तं ेम य तयः कृ वत ाम्.
स व य क ण येश एको म वा ो भव व ऊती.. (७)
वीर पु ष ारा लड़े गए सं ाम म म त् श द ारा जस इं को स करते ह एवं
मनु य जसे र णीय धन का रखवाला बनाते ह, वे अ भमत फल दे ने म एकमा समथ इं
म त क सहायता से हमारे र क बन. (७)
तम स त शवस उ सवेषु नरो नरमवसे तं धनाय.
सो अ धे च म स यो त वद म वा ो भव व
ऊती.. (८)
तोता लोग सं ाम म र ा एवं धन पाने के उ े य से इं क शरण म जाते ह, य क
वे यु म वजय पी काश दे ते ह. वे इं म त के सहयोग से हमारे र क बन. (८)
स स ेन यम त ाधत स द णे संगृभीता कृता न.
स क रणा च स नता धना न म वा ो भव व ऊती.. (९)
इं बाएं हाथ से श ु को रोकते ह, दाएं हाथ से यजमान ारा दया आ ह
वीकार करते ह एवं तोता क तु त सुनकर धन दे ते ह. वे म त के सहयोग से हमारे र क
बन. (९)
स ामे भः स नता स रथे भ वदे व ा भः कृ भ व१ .
स प ये भर भभूरश तीम वा ो भव व ऊती.. (१०)
जो इं म त के साथ धन दे ते ह, वे आज अपने रथ के कारण सभी मनु य ारा
पहचाने जा रहे ह एवं ज ह ने अपने बल से श ु को परा जत कया है, वे म त के
सहयोग से हमारे र क बन. (१०)
स जा म भय समजा त मीळ् हेऽजा म भवा पु त एवैः.
अपां तोक य तनय य जेषे म वा ो भव व ऊती.. (११)
जो इं ब त से यजमान ारा बुलाए जाने पर अपने बांधव एवं बांधवहीन मानव के
साथ यु
े म स म लत होते ह और दोन कार के शरणागत लोग एवं उनके पु -पौ
को वजय दलाते ह, वे म त के सहयोग से हमारे र क बन. (११)
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स व भृ युहा भीम उ ः सह चेताः शतनीथ ऋ वा.
च ीषो न शवसा पा चज यो म वा ो भव व ऊती.. (१२)
व धारी, असुरहंता, भयहेतु, तेज वी, सव , भूत तु तय के पा , भासमान,
सोमरस के समान पांच कार के जन के र क इं म त के सहयोग से हमारे र क बन.
(१२)
त य व ः द त म वषा दवो न वेषो रवथः शमीवान्.
तं सच ते सनय तं धना न म वा ो भव व ऊती.. (१३)
जनका व श ु को ब त लाता है, जो शोभन उदक के दाता, सूय के समान
तेज वी, गजन-श दक ा एवं लोकानु ह संबंधी कम म संल न ह, धन और धन का दान
जनक सेवा करते ह, वे इं म त के सहयोग से हमारे र क बन. (१३)
य याज ं शवसा मानमु थं प रभुज ोदसी व तः सीम्.
स पा रष तु भम दसानो म वा ो भव व ऊती.. (१४)
जस इं का सव पमान एवं शंसनीय बल धरती और आकाश का सवदा एवं भलीभां त पालन करता है, वे हमारे य से स होकर हम पाप से बचाव एवं म त के
सहयोग से हमारे र क बन. (१४)
न य य दे वा दे वता न मता आप न शवसो अ तमापुः.
स र वा व सा मो दव म वा ो भव व ऊती.. (१५)
दे व, मानव एवं जल जन इं के बल का अंत ा त नह करते, वे अपने श ुनाशक बल
से धरती एवं आकाश से भी आगे बढ़ गए ह. वे म त के सहयोग से हमारी र ा कर. (१५)
रो ह
ावा सुमदं शुललामी ु ा राय ऋ ा य.
वृष व तं ब ती धूषु रथं म ा चकेत ना षीषु व ु.. (१६)
इं के अ लाल एवं काले रंग वाले, द घ अवयव से यु , आभूषणधारी एवं आकाश
म नवास करने वाले ह. वे ऋजा ऋ ष को धन दे ने के न म आने वाले कामवष इं से
अ ध त रथ के जुए को ख चते ह. मनु य सेना इन स तादायक अ को जानती है.
(१६)
एत य इ
ऋ ा ः
वृ ण उ थं वाषा गरा अ भ गृण त राधः.
भर बरीषः सहदे वो भयमानः सुराधाः.. (१७)
हे अभी दाता इं ! वृषा ग र के पु अथात् ऋजा , अंबरीष, सहदे व, भयमान एवं
सुराधर तु हारी स ता के न म यह तो बोलते ह. (१७)
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द यू छ यूँ पु त एवैह वा पृ थ ां शवा न बह त्.
सन े ं स ख भः
ये भः सन सूय सनदपः सुव ः.. (१८)
अनेक यजमान ारा बुलाए गए इं ने ग तशील म त के सहयोग को पाकर धरती पर
रहने वाले श ु एवं रा स पर आ मण करके हसक व
ारा उनका वध कया. शोभन
व यु इं ने ेत वण के अलंकार से द तांग म त के साथ उनक श ु
ारा अ धकृत
भू म, सूय एवं जल को बांट लया. (१८)
व ाहे ो अ धव ा नो अ वप रह्वृताः सनुयाम वाजम्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (१९)
सभी काल म वतमान इं हमारे प पाती बनकर बोल एवं हम अकु टल ग त बनकर
ह
पी अ का उपभोग कर. म , व ण, अ द त, सधु धरती एवं आकाश उसक पूजा
कर. (१९)
सू —१०१
दे वता—इं
म दने पतुमदचता वचो यः कृ णगभा नरह ृ ज ना.
अव यवो वृषणं व द णं म व तं स याय हवामहे.. (१)
ऋ वजो! जन इं ने राजा ऋ ज ा क म ता के कारण कृ ण असुर क ग भणी
प नय को मारा था, उ ह तु तपा इं के उ े य से ह व प अ के साथ-साथ तु त
वचन बोलो. वे कामवष दाएं हाथ म व धारण करते ह. र ा के इ छु क हम उ ह इं का
म त स हत आ ान करते ह. (१)
यो ंसं जा षाणेन म युना यः श बरं यो अह प ुम तम्.
इ ो यः शु णमशुषं यावृणङ् म व तं स याय हवामहे.. (२)
जन इं ने अ तशय कोप के कारण बना बांह वाले वृ असुर का वध कया, ज ह ने
शंबर, य न करने वाले प ु एवं व शोषक शु ण का नाश कया, हम उ ह इं को म त
के स हत अपना म बनाने के लए बुलाते ह. (२)
य य ावापृ थवी प यं मह य ते व णो य य सूयः.
य ये य स धवः स त तं म व तं स याय हवामहे.. (३)
हम म बनाने हेतु इं को म त के साथ बुलाते ह.
न दयां उनके नयम मानते ह. (३)
ौ, पृ थवी, सूय, व ण एवं
यो अ ानां यो गवां गोप तवशी य आ रतः कम णकम ण थरः.
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वीळो
द ो यो असु वतो वधो म व तं स याय हवामहे.. (४)
जो अ एवं सम त गाय के वामी, वतं , तु त ा तक ा, सम त य कम म
थत एवं य म सोम नचोड़ने वाल के बल श ु को न करते ह, हम उ ह इं को
म त के साथ अपना म बनाने के लए बुलाते ह. (४)
यो व य जगतः ाणत प तय
णे थमो गा अ व दत्.
इ ो यो द यूँरधराँ अवा तर म व तं स याय हवामहे.. (५)
जो चलने वाले एवं सांस लेने वाले ा णय के वामी ह, ज ह ने प ण ारा अप त
गाय का सभी दे व से पहले ा ण के न म उ ार कया था एवं ज ह ने असुर को
नकृ बनाकर मारा था, उ ह इं को हम अपना सखा बनाने के लए म त के साथ बुलाते
ह. (५)
यः शूरे भह ो य भी भय धाव
यते य ज यु भः.
इ ं यं व ा भुवना भ संदधुम व तं स याय हवामहे.. (६)
जो शूर और कायर ारा बुलाने यो य ह, यु म हारकर भागने वाले एवं वजयी दोन
ही ज ह बुलाते ह एवं सभी ाणी ज ह अपने-अपने काय म आगे रखते ह, उ ह इं को
हम अपना म बनाने के लए म त के साथ बुलाते ह. (६)
ाणामे त दशा वच णो े भय षा तनुते पृथु यः.
इ ं मनीषा अ यच त ुतं म व तं स याय हवामहे.. (७)
काशमान इं सभी ा णय म ाण प से वतमान पु —म त को मनु य के
लए दान करते ए आकाश म उ दत होते ह एवं उ ह म त के साथ ा णय म म यमा
वाणी का व तार करते ह. तु त पी वाणी उ ह इं क पूजा करती है. उ ह हम म त के
साथ अपना म बनाने के लए बुलाते ह. (७)
य ा म वः परमे सध थे य ावमे वृजने मादयासे.
अत आ या वरं नो अ छा वाया ह व कृमा स यराधः.. (८)
हे म त स हत इं ! तुम उ म घर अथवा नवीन थान म स रहते हो. तुम हमारे
य म आओ. हे स यधन! तु हारी कामना से हम ह दे ते ह. (८)
वाये सोमं सुषुमा सुद
अधा नयु वः सगणो म
वाया ह व कृमा
वाहः.
र म य े ब ह ष मादय व.. (९)
हे शोभन बल वाले इं ! हम तु हारी कामना से सोमरस नचोड़ते ह. हे तु त ारा
बुलाने यो य इं ! हम तु हारी कामना से ह व दे ते ह. हे अ के वामी! तुम म त के साथ
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गण प म वतमान य म बछे ए कुश पर तृ त बनो. (९)
मादय व ह र भय त इ व य व श े व सृज व धेने.
आ वा सु श हरयो वह तूश ह ा न त नो जुष व.. (१०)
हे इं ! अपने घोड़ के साथ स बनो, सोमपान के न म अपने जबड़ , ज ा एवं
उप ज ा को खोलो. हे सुंदर ठोड़ी वाले इं ! घोड़े तु ह यहां लाव. तुम हमारी कामना करते
ए हमारा ह
हण करो. (१०)
म तो य वृजन य गोपा वय म े ण सनुयाम वाजम्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (११)
म त के साथ तु त कए जाने वाले एवं श ुहंता इं के ारा सुर त हम उनसे अ
ा त कर. म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी और आकाश उस अ क पूजा कर. (११)
सू —१०२
दे वता—इं
इमां ते धयं भरे महो महीम य तो े धषणा य आनजे.
तमु सवे च सवे च सास ह म ं दे वासः शवसामद नु.. (१)
हे इं ! तुझ महान् के उ े य से म यह महती तु त कर रहा ,ं य क तु हारी अनु ह
बु
मेरे तो पर ही आधा रत है. ऋ वज ने अ भवृ
एवं धन पाने के लए श ु
पराभवकारी इं को तु तय ारा स कया है. (१)
अ य वो न ः स त ब त ावा ामा पृ थवी दशतं वपुः.
अ मे सूयाच मसा भच े
े क म चरतो वततुरम्.. (२)
गंगा आ द सात स रताएं इं क क त एवं आकाश, पृ वी तथा अंत र इं का
दशनीय प धारण करते ह. हे इं ! पदाथ को हमारे सामने का शत करने एवं हमारी
ा
उ प करने के लए सूय और चं बारीबारी से बार-बार घूमते ह. (२)
तं मा रथं मघव ाव सातये जै ं यं ते अनुमदाम संगमे.
आजा न इ मनसा पु ु त वायद् यो मघव छम य छ नः.. (३)
हे हमारी बु
ारा अनेक बार तु त कए गए इं ! तु हारे जस जयशील रथ को
श ु के साथ होने वाले सं ाम म दे खकर हम स होते ह, हे धन वामी इं ! हम धन दे ने
के लए उसी रथ को चलाओ एवं अपने अ भलाषी हम लोग को सुख दो. (३)
वयं जयेम वया युजा वृतम माकमंशमुदवा भरेभरे.
अ म य म व रवः सुगं कृ ध श ूणां मघव वृ या ज.. (४)
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हे इं ! तु ह सहायक पाकर हम तोता श ु को जीत लगे. सं ाम म हमारे भाग क र ा
करो. हे मघवन्! हम धन सुलभ कराओ तथा श ु क श बा धत करो. (४)
नाना ह वा हवमाना जना इमे धनानां धतरवसा वप यवः.
अ माकं मा रथमा त सातये जै ं ही नभृतं मन तव.. (५)
हे धनधारणक ा इं ! अपनी र ा के न म ब त से लोग तु हारी तु त करते एवं
तु ह बुलाते ह, उन म केवल हम धन दान करने के लए रथ पर बैठो. हे इं ! तु हारा मन
अ ाकुल एवं जयशील है. (५)
गो जता बा अ मत तुः समः कम कम छतमू तः खजङ् करः.
अक प इ ः तमानमोजसाथा जना व य ते सषासवः.. (६)
हे इं ! तु हारी भुजाएं श -ु वजय ारा गाय को ा त कराने वाली एवं तु हारा ान
असी मत है. तुम े हो और तोता के य क अनेक कार से र ा करते हो. तुम
सं ामक ा, वतं एवं सम त ा णय क श
के तमान हो. इसी लए धन पाने के
इ छु क तु ह अनेक कार से बुलाते ह. (६)
उ े शता मघव ु च भूयस उ सह ा रचे कृ षु वः.
अमा ं वा धषणा त वषे म धा वृ ा ण ज नसे पुर दर.. (७)
हे धन वामी इं ! मनु य को तु हारे ारा दया गया अ सौ धन से अ धक, शता धक
से भी अ धक अथवा हजार से भी अ धक है. अग णत गुण से यु तुमको हमारी तु त
का शत करती है. हे पुरंदर! तुम श ु का वनाश करते हो. (७)
व धातु तमानमोजस त ो भूमीनृपते ी ण रोचना.
अतीदं व ं भुवनं वव था श ु र जनुषा सनाद स.. (८)
हे मनु य के पालनक ा इं ! जस कार तगुनी बट ई र सी ढ़ होती है, उसी
कार तुम बल म सभी ा णय के तमान हो. हे इं ! तुम अपने ज मकाल से ही श ुर हत
थे, इस लए तुम तीन लोक म तीन कार के तेज एवं इस संसार को ढोने म पूरी तरह समथ
हो. (८)
वां दे वेषु थमं हवामहे वं बभूथ पृतनासु सास हः.
सेमं नः का मुपम युमु द म ः कृणोतु सवे रथं पुरः.. (९)
हे इं ! तुम दे व म े एवं सं ाम म श प
ु राभवक ा हो. हम तु ह बुलाते ह. तुम हम
तु तक ा, सव एवं श ुनाशक पु दो तथा यु होने पर हमारा रथ अ य रथ से आगे
करो. (९)
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वं जगेथ न धना रो धथाभ वाजा मघव मह सु च.
वामु मवसे सं शशीम यथा न इ हवनेषु चोदय.. (१०)
हे इं ! तुम श ु को जीतते हो एवं उनका धन छपाकर नह रखते. हे मघवन्! छोटे
एवं बड़े सं ाम म हम तु त ारा तुझ उ को अपनी र ा के न म बुलाते ह. हम यु के
न म आ ान से े रत करो. (१०)
व ाहे ो अ धव ा नो अ वप रह्वृताः सनुयाम वाजम्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौ.. (११)
सभी काल म वतमान इं हमारे प पाती बनकर बोल एवं हम अकु टल ग त बनकर
ह
पी अ का उपभोग कर. म , व ण, अ द त, सधु, धरती एवं आकाश उसक पूजा
कर. (११)
सू —१०३
दे वता—इं
त इ यं परमं पराचैरधारय त कवयः पुरेदम्.
मेदम य
१ यद य समी पृ यते समनेव केतुः.. (१)
हे इं ! ाचीन काल म ांतदश तोता ने तु हारे इस स बल को स मुख धारण
कया था. इं क धरती पर रहने वाली एवं आकाश म रहने वाली यो तयां इस कार मल
जाती ह, जस कार यु म वरोधी यो ा के झंडे मल जाते ह. (१)
स धारय पृ थव प थ च व ण
े ह वा नरपः ससज.
अह हम भन ौ हणं ह संसं मघवा शची भः.. (२)
इं ने असुर पी ड़त धरती को धारण एवं व तृत कया है, व से श ु को मारकर
वषा का जल बहाया है, अंत र म वतमान मेघ का वध कया है, रो हण असुर को वद ण
कया है एवं अपने शौय से बा हीन वृ को समा त कया है. (२)
स जातूभमा धान ओजः पुरो व भ द चर दासीः.
व ा व द यवे हे तम याय सहो वधया ु न म .. (३)
व ायुध एवं श सा य काय म
ा रखने वाले इं ने द यु के नगर का वनाश
करके व वध गमन कया था. हे व धारी! हमारी तु तय को समझते ए तुम हमारे श ु
पर आयुध छोड़ो एवं तु तक ा का बल तथा यश बढ़ाओ. (३)
त चुषे मानुषेमा युगा न क त यं मघवा नाम ब त्.
उप य द युह याय व ी य सूनुः वसे नाम दधे.. (४)
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वृ ा द द यु को मारने के लए घर से नकलते ए व धारी एवं श ु ेरक इं ने जय
ल ण के लए जो नाम धारण कया था, उससे बल का वणन करने वाले यजमान के लए
धन वामी इं सूय प से मानवोपयोगी दनरात के समूह का नमाण करते ह. (४)
तद येदं प यता भू र पु ं द य ध न वीयाय.
स गा अ व द सो अ व दद ा स ओषधीः सो अपः स वना न.. (५)
हे यजमानो! इं के बु एवं व तृत शौय को दे खो एवं इस पर
गाय , अ ओष धय , जल एवं वन को ा त कया. (५)
ा करो. इं ने
भू रकमणे वृषभाय वृ णे स य शु माय सुनवाम सोमम्.
य आ या प रप थीव शूरोऽय वनो वभज े त वेदः… (६)
अनेक वध कमयु , दे व म े , इ छापू त म समथ एवं यथाथ श
वाले इं के
न म हम सोम नचोड़ते ह. जस कार बटमार जानेवाले भले मनु य का धन छ न लेता
है, उसी कार शूर इं धन का आदर करके य न करने वाल का धन छ नकर उसे यजमान
को दे ने के लए ले जाते ह. (६)
तद
ेव वीय चकथ य सस तं व ेणाबोधयोऽ हम्.
अनु वा प नी षतं वय व े दे वासो अमद नु वा.. (७)
हे इं ! तुमने यह वीरता का कम कया जो सोते ए अ ह रा स को अपने व
ारा
जगा दया. तब तु ह ह षत दे खकर दे वप नय ने स ता अनुभव क . ग तशील म द्गण
एवं अ य दे व भी तु हारे साथ-साथ स ए थे. (७)
शु णं प ुं कुयवं वृ म यदावधी व पुरः श बर य.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (८)
हे इं ! तुमने शु ण, प ु एवं कुयव का वध तथा शंबर असुर के नगर को वद ण कया
था. हमने इस तो
ारा जो चाहा है, उसक पूजा म , व ण, अ द त, सधु, धरती और
आकाश कर. (८)
सू —१०४
दे वता—इं
यो न इ नषदे अका र तमा न षीद वानो नावा.
वमु या वयोऽवसाया ा दोषा व तोवहीयसः प वे.. (१)
हे इं ! तु हारे बैठने के लए जो थान बनाया गया है, उस पर हंसते ए घोड़े के समान
आकर शी बैठो. जो र सयां घोड़ को रथ से बांधती ह, उ ह खोलकर घोड़ को रथ से
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अलग कर दो, य क य काल आने पर वे घोड़े रात- दन तु ह ढोते ह. (१)
ओ ये नर इ मूतये गुनू च ा स ो अ वनो जग यात्.
दे वासो म युं दास य न ते न आ व सु वताय वणम्.. (२)
य के नेता यजमान क र ा क इ छा से इं के समीप आते ह और इं उनको उसी
समय य के अनु ान म लगाते ह. दे वगण असुर का ोध समा त कर एवं हमारे य के
न म इं को लाव. (२)
अव मना भरते केतवेदा अव मना भरते फेनमुदन्.
ीरेण नातः कुयव य योषे हते ते यातां वणे शफायाः.. (३)
सर के धन को जानने वाला कुयव असुर वयं धन का अपहरण करता है एवं जल म
रहकर फेन वाले जल को चुराता है. चुराए ए जल म नान करने वाली कुयव क दो यां
शफा नामक नद के गहरे जल म न ह . (३)
युयोप ना भ पर यायोः पूवा भ तरते रा शूरः.
अ सी कु लशी वीरप नी पयो ह वाना उद भभर ते.. (४)
उदक के म य म थत एवं सर को परेशान करने के न म इधर-उधर जाने वाले
कुयव का थान जल म गु त था. वह शूर अप त जल से बढ़ता एवं तेज वी बनता है.
अंजसी, कु लशी एवं व रप नी नाम क न दयां अपने जल से उसे स करके धारण करती
ह. (४)
त य या नीथाद श द योरोको ना छा सदनं जानती गात्.
अध मा नो मघव चकृता द मा नो मघेव न षपी परा दाः.. (५)
अपने बछड़े को जानती ई गाय जस कार अपने नवास थान म प ंचती है, उसी
कार हमने भी कुयव असुर के घर क ओर जाता आ माग दे खा है. हे इं ! हमारी र ा
करो, हम इस कार मत यागो, जस कार दासी का प त धन याग दे ता है. (५)
स वं न इ सूय सो अ वनागा व आ भज जीवशंसे.
मा तरां भुजमा री रषो नः
तं ते महत इ याय.. (६)
हे इं ! हम सूय के
त, जल के
त एवं पापर हत होने के कारण जीव ारा
शं सत मानव के त भ बनाओ. हमारी गभ थ संतान क हसा मत करना. हम तु हारे
महान् बल के त
ालु ह. (६)
अधा म ये
े अ मा अधा य वृषा चोद व महते धनाय.
मा नो अकृते पु त योना व
ु यद् यो वय आसु त दाः.. (७)
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हे इं ! हम तु ह मन से जानते ह एवं तु हारी श पर
ा रखते ह. हे कामवष ! तुम
हम महान् धन के न म
े रत करो. हे अनेक यजमान ारा बुलाए गए इं ! हम धनर हत
घर म मत रखो तथा अ य भूख को अ एवं ध दो. (७)
मा नो वधी र मा परा दा मा नः या भोजना न मोषीः.
आ डा मा नो मघव छ नभ मा नः पा ा भे सहजानुषा ण.. (८)
हे इं ! हम मत मारना, हमारा याग मत करना एवं हमारे य उपभोग पदाथ को मत
छ नना. हे धन वामी एवं श शाली इं ! हमारे गभ थ एवं घुटने के बल चलने वाले ब च
को न मत करो. (८)
अवाङे ह सोमकामं वा रयं सुत त य पबा मदाय.
उ चा जठर आ वृष व पतेव नः शृणु ह यमानः.. (९)
हे इं ! हमारे स मुख आओ, य क ाचीन लोग ने तु ह सोम य बताया है. यह सोम
नचुड़ा आ रखा है, इसे पीकर स बनो. व तीण शरीर वाले बनकर हमारे उदर म
सोमरस क वषा करो. जस कार पता पु क बात सुनता है, उसी कार हमारे ारा
बुलाए ए तुम हमारी बात सुनो. (९)
सू —१०५
दे वता— व ेदेव
च मा अ व१ तरा सुपण धावते द व.
न वो हर यनेमयः पदं व द त व ुतो व ं मे अ य रोदसी.. (१)
उदकमय मंडल म वतमान सुंदर करण वाला चं मा आकाश म दौड़ता है. हे
सुवणमयी चं करणो! कुएं से ढक होने के कारण मेरी इं यां तु हारे अ भाग को नह ा त
करत . हे धरती और आकाश! हमारे इस तो को जानो. (१)
अथ म ा उ अ थन आ जाया युवते प तम्.
तु ाते वृ यं पयः प रदाय रसं हे व ं मे अ य रोदसी.. (२)
धन चाहने वाले लोग को न त प से धन मल रहा है. सर क
यां अपने
प तय को समीप ही पाती ह, उनसे समागम करती ह एवं गभ म वीय धारण करके संतान
उ प करती ह. हे धरती और आकाश! मेरे इस क को जानो. (२)
मो षु दे वा अदः व१रव पा द दव प र.
मा सो य य शंभुवः शूने भूम कदा चन व ं मे अ य रोदसी.. (३)
हे दे वो! वग म वतमान हमारे पूवपु ष वहां से प तत न ह . सोमपान यो य पतर के
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सुख के न म
(३)
पु से र हत कभी न ह . हे धरती और आकाश! मेरी इस बात को समझो.
य ं पृ छा यवमं स तद् तो व वोच त.
व ऋतं पू गतं क त भ त नूतनो व ं मे अ य रोदसी.. (४)
म दे व म आ दभूत एवं य के यो य अ न से नवेदन करता ं क वे मेरी बात दे व के
त के प म उ ह बता द. हे अ न! तुम पूवकाल म तोता का जो क याण करते थे, वह
कहां गए? उस गुण को अब कौन धारण करता है? हे धरती और आकाश! मेरी यह बात
जानो. (४)
अमी ये दे वाः थन वा रोचने दवः.
क ऋतं कदनृतं व ना व आ त व ं मे अ य रोदसी.. (५)
हे दे वो! सूय ारा का शत तीन लोक म तुम वतमान रहो. तु हारा स य, अस य एवं
ाचीन आ त कहां है? हे धरती और आकाश! मेरी यह बात जानो. (५)
क ऋत य धण स क ण य च णम्.
कदय णो मह पथा त ामेम
ो व ं मे अ य रोदसी.. (६)
हे दे वो! तु हारा स यधारण कहां है? व ण क कृपा
कहां है? महान् अयमा का वह
माग कहां है, जस पर चलकर हम पापबु श ु से र जा सक? हे धरती और आकाश!
हमारी इस बात को जानो. (६)
अहं सो अ म यः पुरा सुते वदा म का न चत्.
तं मा
या यो३ वृको न तृ णजं मृगं व ं मे अ य रोदसी.. (७)
हे दे वो! म वही ,ं जसने ाचीनकाल म तु हारे न म सोम नचोड़े जाने पर कुछ
तो बोले थे. जस कार यासे हरन को ा खा जाते ह, उसी कार मान सक क मुझे
खा रहे ह. हे धरती और आकाश! मेरे इस क को जानो. (७)
सं मा तप य भतः सप नी रव पशवः.
मूषो न श ा द त मा यः तोतारं ते शत तो व ं मे अ य रोदसी.. (८)
हे इं ! कुएं क आसपास क द वार मुझे उसी कार ःखी कर रही ह, जस कार दो
सौत बीच म थत अपने प त को क दे ती ह. हे शत तु! जस तरह चूहा सूत को काटता
है, उसी कार ःख मुझे खा रहे ह. हे धरती और आकाश! मेरी यह बात जानो. (८)
अमी ये स त र मय त ा मे ना भरातता.
त त े दा यः स जा म वाय रेभ त व ं मे अ य रोदसी.. (९)
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ये जो सूय क सात करण ह, उन म मेरी ना भ संब
जानता ं और कुएं से नकलने के लए सूय करण क
आकाश! मेरी यह बात जानो. (९)
है. आ य ऋ ष अथात् म यह
तु त करता ं. हे धरती और
अमी ये प चो णो म ये त थुमहो दवः.
दे व ा नु वा यं स ीचीना न वावृतु व ं मे अ य रोदसी.. (१०)
आकाश म थत इं , व ण, अ न, अयमा और स वता—पांच कामवष दे व हमारे
शंसनीय तो को एक साथ दे व के समीप ले जाव और लौट आव. हे धरती और आकाश!
मेरी यह बात जानो. (१०)
सुपणा एत आसते म य आरोधने दवः.
ते सेध त पथो वृकं तर तं य तीरपो व ं मे अ य रोदसी.. (११)
सूय क र मयां सबको आवरण करने वाले आकाश म वतमान ह. वे वशाल जल को
पार करने वाले भे ड़ए को रोकती ह. हे धरती और आकाश! मेरी यह बात जानो. (११)
न ं त यं हतं दे वासः सु वाचनम्.
ऋतमष त स धवः स यं तातान सूय व ं मे अ य रोदसी.. (१२)
हे दे वो! तुम म छपे ए नवीन, तु य एवं वणनीय बल के कारण बहने वाली न दयां
जल वा हत करती एवं सूय अपना न य वतमान तेज फैलाता है. हे धरती और आकाश!
हमारी इस बात को जानो. (१२)
अ ने तव य यं दे वे व या यम्.
स नः स ो मनु वदा दे वा य व रो व ं मे अ य रोदसी.. (१३)
हे अ न! दे व के साथ तु हारी शंसनीय ाचीन बंधुता है एवं तुम अ यंत ाता हो.
मनु के य के समान ही हमारे य म भी बैठकर दे व क ह व के ारा पूजा करो. हे धरती
और आकाश! हमारी यह बात जानो. (१३)
स ो होता मनु वदा दे वाँ अ छा व रः.
अ नह ा सुषूद त दे वो दे वेषु मे धरो व ं मे अ य रोदसी.. (१४)
मनु के य के समान हमारे य म थत, दे व को बुलाने वाले, परम ानी, दे व म
अ धक मेधावी अ न दे व दे व को शा ीय मयादा के अनुसार हमारे ह क ओर े रत कर.
हे धरती और आकाश! हमारी यह बात जानो. (१४)
ा कृणो त व णो गातु वदं तमीमहे.
ूण त दा म त न ो जायतामृतं व ं मे अ य रोदसी.. (१५)
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व ण अ न का नवारण करते ह. हम उन मागदशक व ण से अ भमत फल मांगते ह.
हमारा तोता मन उन व ण क मननीय तु त करता है. वे ही तु त यो य व ण हमारे लए
स चे बन. हे धरती और आकाश! हमारी बात जानो. (१५)
असौ यः प था आ द यो द व वा यं कृतः.
न स दे वा अ त मे तं मतासो न प यथ व ं मे अ य रोदसी.. (१६)
हे दे वगण! जो सूय आकाश म सततगामी माग के समान सबके ारा दे खे जाते ह,
उनका अ त मण तुम भी नह कर सकते. हे मानवो! तुम उ ह नह जानते. हे धरती और
आकाश! हमारी बात जानो. (१६)
तः कूपेऽव हतो दे वा हवत ऊतये.
त छु ाव बृह प तः कृ व ं रणा
व ं मे अ य रोदसी.. (१७)
कुएं म गरा आ त ऋ ष अपनी र ा के लए दे व को बुलाता है. बृह प त ने उसे
पाप प कुएं से नकालकर उसक पुकार सुनी. हे धरती और आकाश! हमारी बात जानो.
(१७)
अ णो मा सकृद्वृकः पथा य तं ददश ह.
उ जहीते नचा या त ेव पृ ् यामयी व ं मे अ य रोदसी.. (१८)
लाल रंग के वृक ने मुझे एक बार माग म जाते ए दे खा. वह मुझे दे खकर इस कार
ऊपर उछला, जस कार पीठ क वेदना वाला काम करते-करते सहसा उठ पड़ता है. हे
धरती और आकाश! मेरे इस क को जानो. (१८)
एनाङ् गूषेण वय म व तोऽ भ याम वृजने सववीराः.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (१९)
घोषणा यो य इस तो के कारण इं का अनु ह पाए ए हम लोग पु , पौ आ द के
साथ सं ाम म श ु को हराव. म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी एवं आकाश हमारी इस
ाथना का आदर कर. (१९)
सू —१०६
दे वता— व ेदेव
इ ं म ं व णम नमूतये मा तं शध अ द त हवामहे.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (१)
हम र ा के लए इं , म , व ण, अ न, म द्गण एवं अ द त को बुलाते ह.
नवास थान दे ने वाले शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी कार पालन कर,
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जैसे सार थ रथ को ऊंचे-नीचे माग से बचाकर ले जाता है. (१)
त आ द या आ गता सवतातये भूत दे वा वृ तूयषु श भुवः.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (२)
हे आ द यो! तुम यु म हमारी सहायता करने के लए आओ एवं यु म हमारे
सुखदाता बनो. नवास थान दे ने वाले एवं शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी
कार पालन कर, जैसे सार थ रथ को ऊंचे-नीचे माग से बचाकर ले जाता है. (२)
अव तु नः पतरः सु वाचना उत दे वी दे वपु े ऋतावृधा.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (३)
सुखसा य तु त वाले पतर एवं दे व के पता-माता के समान य वधक ावापृ वी
हमारी र ा कर. नवास थान दे ने वाले एवं शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी
कार पालन कर, जैसे सार थ रथ को ऊंचेनीचे माग से बचाकर ले जाता है. (३)
नराशंसं वा जनं वाजय ह य रं पूषणं सु नैरीमहे.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (४)
हम मनु य ारा शंसनीय एवं अ के वामी अ न को व लत करके तथा परम
बली पूषा के समीप जाकर सुखकर तो
ारा याचना करते ह. नवास थान दे ने वाले एवं
शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी कार पालन कर, जैसे सार थ रथ को
ऊंचेनीचे थान से बचाकर ले जाता है. (४)
बृह पते सद म ः सुगं कृ ध शं योय े मनु हतं तद महे.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (५)
हे बृह प त! हम सदा सुख दो. तुमम रोग के शमन एवं भय को र करने क जो
मानवानुकूल श है, हम उसे भी मांगते ह. नवास थान दे ने वाले एवं शोभनदानयु दे व
पाप से बचाकर हमारा उसी कार पालन कर, जस तरह सार थ रथ को ऊंचेनीचे थान से
बचाकर ले जाता है. (५)
इ ं कु सो वृ हणं शचीप त काटे नबाळ् ह ऋ षर तये.
रथं न गा सवः सुदानवो व मा ो अंहसो न पपतन.. (६)
कुएं म गरे ए कु स ऋ ष ने अपनी र ा के लए वृ हंता एवं शचीप त इं को
बुलाया. नवास थान दे ने वाले एवं शोभनदानयु दे व पाप से बचाकर हमारा उसी कार
पालन कर, जैसे सार थ रथ को ऊंचे-नीचे थान से बचाकर ले जाता है. (६)
दे वैन दे
द त न पातु दे व ाता ायताम यु छन्.
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त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (७)
दे व के साथ-साथ दे वी अ द त भी हमारी र ा कर एवं सबके र क स वता जाग क
होकर हमारा पालन कर. म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी और आकाश हमारी ाथना का
पालन कर. (७)
सू —१०७
दे वता— व ेदेव
य ो दे वानां ये त सु नमा द यासो भवता मृळय तः.
आ वोऽवाची सुम तववृ यादं हो
ा व रवो व रासत्.. (१)
हमारा य दे व को सुख दे . हे आ द यो! हम सुखी करो. जो द र पु ष को भी
धनलाभ कराने वाला है, तु हारा वही अनु ह हम ा त हो. (१)
उप नो दे वा अवसा गम व रसां साम भः तूयमानाः.
इ इ यैम तो म
रा द यैन अ द तः शम यंसत्.. (२)
अं गरागो ीय ऋ षय ारा गाए ए मं से तुत दे व र ा के न म हमारे समीप
आव. इं धन के साथ, म द्गण ाण आ द वायु के साथ तथा अ द त आ द य के साथ
हम सुख द. (२)
त इ त ण तद न तदयमा त स वता चनो धात्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (३)
हमारे ारा चाहा गया अ इं , व ण, अ न, अयमा और स वता हम द. म , व ण,
अ द त, सधु, पृ वी और आकाश हमारे उस अ क र ा कर. (३)
सू —१०८
दे वता—इं और अ न
य इ ा नी च तमो रथो वाम भ व ा न भुवना न च े.
तेना यातं सरथं त थवांसाथा सोम य पबतं सुत य.. (१)
हे इं और अ न! तु हारा जो अ त व च रथ सम त संसार को का शत करता है,
उसी एक रथ के ारा हमारे य म आओ और ऋ वज ारा नचोड़े ए सोम को पओ.
(१)
याव ददं भुवनं व म यु चा व रमता गभीरम्.
तावाँ अयं पातवे सोमो अ वर म ा नी मनसे युव याम्.. (२)
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हे इं और अ न! सव ापक एवं अपने गौरव से गंभीरतायु जो सम त संसार का
प रमाण है, वही सोम तुम दोन के पीने के लए एवं मन संतोष के लए पया त हो. (२)
च ाथे ह स यङ् नाम भ ं स ीचीना वृ हणा उत थः.
ता व ा नी स य चा नष ा वृ णः सोम य वृषणा वृषेथाम्.. (३)
हे इं और अ न! तुम दोन ने अपने क याणकारक दोन नाम को संयु कर लया
है. हे वृ हंताओ! तुम वृ वध म एक साथ थे. हे कामव षयो! तुम साथ-साथ बैठकर ही सोम
को अपने उदर म थान दो. (३)
स म े व न वानजाना यत च
ु ा ब ह त तराणा.
ती ैः सौमैः प र ष े भरवागे ा नी सौमनसाय यातम्.. (४)
अ न के भली-भां त द त होने पर दो अ वयु ने घी से भरा पा लेकर स चते ए
कुश फैलाए ह. हे इं और अ न! ती मद करने वाले एवं चार ओर पा म भरे ए सोम के
कारण हमारे स मुख आओ एवं हम पर कृपा करो. (४)
यानी ा नी च थुव या ण या न पा युत वृ या न.
या वां ना न स या शवा न ते भः सोम य पबतं सुत य.. (५)
हे इं और अ न! तुमने जो वीरता के काम कए ह, जन दखाई दे ने वाले जीव क
सृ एवं वषा आ द कम कए ह तथा तुम दोन क ाचीन क याणकारी म ता है, उन
सबके स हत आकर नचोड़ा आ सोमरस पओ. (५)
यद वं थमं वां वृणानो ३ऽयं सोमो असुरैन वह ः.
तां स यां
ाम या ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (६)
हे इं और अ न! मने य कम के ारंभ म ही जो कहा था क तुम दोन का वरण
करके तु ह सोम से स क ं गा, मेरी वही स ची
ा वचारकर आओ और नचोड़े ए
सोम को पओ. यह सोम ऋ वज ारा वशेष आ त दे ने यो य है. (६)
य द ा नी मदथः वे रोणे यद्
ण राज न वा यज ा.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (७)
हे य पा एवं अभी दाता इं और अ न! चाहे तुम अपने नवास म आनंद से बैठे हो,
चाहे कसी ा ण या राजा के य म प ंचकर स हो रहे हो, इन सम त थान से आओ
एवं नचोड़ा आ सोमरस पऔ. (७)
य द ा नी य षु तुवशेषु यद्
वनुषु पू षु थः.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (८)
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हे कामवषक इं और अ न! य द तुम य , तुवश, अनु, ह्यु एवं पु जन समूह के
बीच थत हो, तब भी इन सम त थान से आओ एवं नचोड़ा आ सोमरस पओ. (८)
य द ा नी अवम यां पृ थ ां म यम यां परम यामुत थः.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (९)
हे कामवषक इं और अ न! य द तुम नचली धरती अथवा म य थ आकाश म थत
हो, तब भी वहां से आओ और नचोड़ा आ सोमरस पओ. (९)
य द ा नी परम यां पृ थ ां म यम यामवम यामुत थः.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (१०)
हे कामवषक इं और अ न! य द तुम आकाश के परवत , म यवत या न नवत
धरातल म वतमान हो, तब भी इन थान से आओ और नचोड़ा आ सोमरस पओ. (१०)
य द ा नी द व ो य पृ थ ां य पवते वोषधी व सु.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (११)
हे कामवषक इं और अ न! तुम चाहे आकाश, पृ वी, पवत , ओष धय अथवा जल
म थत हो, तब भी इन थान से आओ और नचोड़ा आ सोमरस पओ. (११)
य द ा नी उ दता सूय य म ये दवः वधया मादयेथे.
अतः प र वृषणावा ह यातमथा सोम य पबतं सुत य.. (१२)
हे कामवषक इं और अ न! य द तुम उ दत सूय के कारण का शत आकाश म अपने
ही तेज से स हो रहे हो, तब भी वहां से आओ और नचोड़ा आ सोम पओ. (१२)
एवे ा नी प पवांसा सुत य व ा म यं सं जयतं धना न.
त ो म ा व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (१३)
हे इं और अ न! नचोड़े ए सोमरस को इस कार पीकर हमारे लए सभी संप यां
दो. म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी और आकाश हमारे इस धन का आदर कर. (१३)
सू —१०९
दे वता—इं और अ न
व
यं मनसा व य इ छ
ा नी ास उत वा सजातान्.
ना या युव म तर त म ं स वां धयं वाजय तीमत म्.. (१)
हे इं और अ न! धन क कामना करता आ म तु ह जा त या बंधु के समान समझता
.ं मेरी उ म बु तु हारे अ त र कसी अ य क द ई नह है. उसी बु से मने तु हारी
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अ े छापूण एवं यानयु
तु त क है. (१)
अ वं ह भू रदाव रा वां वजामातु त वा घा यालात्.
अथा सोम य यती युव या म ा नी तोमं जनया म न म्.. (२)
हे इं और अ न! गुणहीन जामाता क यालाभ के लए अथवा गुणहीन क या का भाई
उ म वर लाभ के लए जतना धन दे ते ह, तुम उससे भी अ धक दे ने वाले हो, यह मने सुना
है. इस लए तुमको नचोड़े ए सोम दे ने के साथ ही यह अ तशय नवीन तु त भी न मत
करता ं. (२)
मा छे र म र त नाधमानाः पतॄणां श रनुय छमानाः.
इ ा न यां कं वृषणो मद त ता
धषणाया उप थे.. (३)
र सी के समान लंबी पु -पौ परंपरा को हम कभी छ न कर, ऐसी ाथना करते ए
एवं पतर को श दे ने वाले पु -पौ ा द को उ प करते ए हम यजमान इं एवं अ न
क सुखपूवक तु त करते ह. श ु का नाश करते ए इं और अ न इस तु त के समीप
रह. (३)
युवा यां दे वी धषणा मदाये ा नी सोममुशती सुनो त.
ताव ना भ ह ता सुपाणी आ धावतं मधुना पृङ् म सु.. (४)
हे इं और अ न! तु हारी स ता के लए हम तेज वी एवं तु हारी कामना से पूण
ाथना करते ए सोमरस नचोड़ते ह. हे अ संप शोभनबा यु एवं सुंदर हथे लय वाले
इं और अ न! शी आओ एवं जल म वतमान माधुय से हमारे सोम को संप करो. (४)
युवा म ा नी वसुनो वभागे तव तमा शु व वृ ह ये.
तावास ा ब ह ष य े अ म चषणी मादयेथां सुत य.. (५)
हे इं और अ न! हमने सुना है क तोता को धन बांटने के अ भ ाय से तुमने
वृ वध म अ तशय बल का दशन कया था. हे सबको दे खने वाले! तुम हमारे य म कुश
पर बैठकर एवं नचोड़े ए सोम को पीकर स बनो. (५)
चष ण यः पृतनाहवेषु पृ थ ा ररीचाथे दव .
स धु यः ग र यो म ह वा े ा नी व ा भुवना य या.. (६)
हे इं और अ न! सं ाम म र ा के उ े य से बुलाए जाने पर तुम सभी मनु य क
अपे ा महान् बनते हो. तुम धरती, आकाश, नद एवं पवत क अपे ा महान् बनते हो. तुम
सम त व क अपे ा महान् हो. (६)
आ भरतं श तं व बा अ माँ इ ा नी अवतं शची भः.
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इमे नु ते र मयः सूय य ये भः स प वं पतरो न आसन्.. (७)
हे व बा इं एवं अ न! धन लाओ, हम दो एवं अपने काय के ारा हमारी र ा
करो. सूय क जन र मय ारा हमारे पूव पु ष
लोक को गए थे, वे ये ही ह. (७)
पुरंदरा श तं व ह ता माँ इ ा नी अवतं भरेषु.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (८)
हे व ह त एवं असुरनाशक इं और अ न! हम धन दो एवं यु म हमारी र ा करो.
म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी एवं आकाश हमारी इस ाथना क पूजा कर. (८)
सू —११०
दे वता—ऋभुगण
ततं मे अप त तायते पुनः वा द ा धी त चथाय श यते.
अयं समु इह व दे ः वाहाकृत य समु तृ णुत ऋभवः.. (१)
हे ऋभुओ! मने बार-बार अ न ोम आ द का पहले अनु ान कया है एवं इस समय
पुनः कर रहा ं. उस म तु हारी शंसा के लए अ तशय स ताकारक तो पढ़ा जा रहा है.
इस य म सभी दे व के लए पया त सोमरस संपा दत है. तुम वाहा श द के साथ अ न म
डाले गए सोम को पीकर तृ त बनो. (१)
आभोगयं य द छ त ऐतनापाकाः ा चो मम के चदापयः.
सौध वनास रत य भूमनाग छत स वतुदाशुषो गृहम्.. (२)
हे ऋभुओ! तुम ाचीन काल म अप रप व ान वाले एवं मेरे जातीय बंधु थे. उस
समय तुमने उपभोग के यो य सोमरस क इ छा क थी. हे सुध वा के पु ो! उस समय तुमने
अपने तप से उपा जत मह व ारा ऐसे स वता के घर गमन कया था, जसे सोमपान दया
जा चुका था. (२)
त स वता वोऽमृत वमासुवदगो ं य वय त ऐतन.
यं च चमसमसुर य भ णमेकं स तमकृणुता चतुवयम्.. (३)
हे ऋभुओ! उस समय स वता ने तु हारे अ भमुख होकर अमरता द थी, जस समय
तुम सबके ारा यमान स वता को अपनी सोमपान क इ छा बताते ए आए थे एवं व ा
के सोमपान के साधन के चार टु कड़े कर दए थे. (३)
व ् वी शमी तर ण वेन वाघतो मतासः स तो अमृत वमानशुः.
सौध वना ऋभवः सूरच सः संव सरे समपृ य त धी त भः.. (४)
ऋ वज के साथ मले ए ऋभु ने शी ही य , दान आ द कम करके मरणधमा
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होते ए भी अमरता ा त क थी. उस समय सुध वा के पु एवं सूय के समान तेज वी
ऋभु ने संव सर पयत चलने वाले य म अ धकार ा त कया था. (४)
े मव व ममु तेजनेनँ एकं पा मृभवो जेहमानम्.
उप तुता उपमं नाधमाना अम यषु व इ छमानाः.. (५)
जस कार नापने का बांस लेकर खेत नापा जाता है, उसी कार समीप थ ऋ षय
ारा तुत ऋभु ने शंसनीय सोम क याचना करके एवं मरणर हत दे व के बीच म ह
क इ छा करके ती ण अ
ारा चमस नाम के य पा को चार भाग म बांटा था. (५)
आ मनीषाम त र य नृ यः ुचेव घृतं जुहवाम व ना.
तर ण वा ये पतुर य स र ऋभवो वाजम ह दवो रजः.. (६)
हम अंत र संबंधी य को नेता ऋभु को ुच नामक पा के समान घी से भरा
आ ह दे ने के साथ ही ान भरी तु त करते ह. उ ह ने जगत्पालक सूय के समान संसार
को पार करने क कुशलता एवं वगलोक का अ ा त कया था. (६)
ऋभुन इ ः शवसा नवीयानृभुवाजे भवसु भवसुद दः.
यु माकं दे वा अवसाह न ये३ भ त ेम पृ सुतीरसु वताम्.. (७)
बल के कारण अ त स ऋभुगण हमारे ई र ह. हम अ एवं धन के दे ने वाले ऋभु
नवास के कारण ह, इस लए वे हम वरदान द. हे दे वो! हम तु हारी र ा के कारण अनुकूल
दन म सोमा भषवर हत श ु को हरा द. (७)
न मण ऋभवो गाम पशत सं व सेनासृजता मातरं पुनः.
सौध वनासः वप यया नरो ज ी युवाना पतराकृणोतन.. (८)
हे ऋभुओ! तुमने चमड़े के ारा गाय को आ छा दत करके पुनः उसके बछड़े से मला
दया था. हे सुध वा के पु ो एवं य के नेताओ! तुमने शोभन कम क इ छा से अपने वृ
माता- पता को पुनः युवा बना दया है. (८)
वाजे भन वाजसाताव वड् ृभुमाँ इ च मा द ष राधः.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (९)
हे इं ! ऋभु का सहयोग पाकर हम य के न म भूत अ एवं धन दो. म ,
व ण, अ द त, सधु, धरती एवं आकाश हमारे उस धन एवं अ क पूजा कर. (९)
सू —१११
दे वता—ऋभुगण
त थं सुवृतं व नापस त हरी इ वाहा वृष वसू.
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त
पतृ यामृभवो युव य त
व साय मातरं सचाभुवम्.. (१)
उ म ानपूवक कम करने वाले ऋभु ने अ नीकुमार के न म सुंदर प हय
वाला रथ तथा इं के वाहन प ह र नाम के दोन घोड़ को बनाया. उ म धन से यु
ऋभु ने अपने माता- पता को यौवन एवं बछड़े को सहचरी माता दान क थी. (१)
आ नो य ाय त त ऋभुम यः वे द ाय सु जावती मषम्.
यथा याम सववीरया वशा त ः शधाय धासथा व यम्.. (२)
हे ऋभुओ! हमारे य के लए उ वल अ पैदा करो. हमारे य कम एवं बल के
न म शोभन पु -पौ ा द से यु धन दो, जससे हम अपनी वीर संतान के साथ सुखपूवक
नवास कर. हम बल के लए अ दो. (२)
आ त त सा तम म यमृभवः सा त रथाय सा तमवते नरः.
सा त नो जै सं महेत व हा जा ममजा म पृतनासु स णम्.. (३)
हे य के नेता ऋभुओ! हमारे लए उपभोग यो य अ दो. हमारे रथ के लए धन एवं
अ के उपभोग के लए अ दो. सारा संसार हमारे जयशील अ क सदा पूजा करे एवं हम
यु म उप थत या अनुप थत श ु का नाश कर. (३)
ऋभु ण म मा व ऊतय ऋभू वाजा म तः सोमपीतये.
उभा म ाव णा नूनम ना ते नो ह व तु सातये धये जषे.. (४)
हम अपनी र ा के उ े य से महान् इं , ऋभु एवं म त को सोमरस पीने के लए
बुलाते ह. वे हम धन, य कम और वजय के लए े रत कर. (४)
ऋभुभराय सं शशातु सा त समय ज ाजो अ माँ अ व ु .
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (५)
ऋभु हम सं ाम के न म धन द. सं ाम म वजयी बाज हमारी र ा कर. म , व ण,
अ द त, सधु, धरती और आकाश हमारी ाथना का आदर कर. (५)
सू —११२
दे वता—अ नीकुमार
ईळे ावापृ थव पूव च येऽ नं घम सु चं याम ये.
या भभरे कारमंशाय ज वथ ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१)
म अ नीकुमार को व ा पत करने के लए पहले ावा और पृ वी क तु त करता
ं. अ नीकुमार के य म आ जाने पर था पत, द त एवं शोभनकां तयु अ न क
तु त करता ं. हे अ नीकुमारो! सं ाम म अपना वजय भाग पाने के न म जन र ा
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संबंधी उपाय के साथ आकर शंख बजाते हो, उ ह उपाय के साथ हमारे समीप भी आओ.
(१)
युवोदानाय सुभरा अस तो रथमा त थुवचसं न म तवे.
या भ धयोऽवथः कम ये ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (२)
हे अ
धनलाभ के
जानने वाले
लगे व श
नीकुमारो! अ य दे व म आस र हत, शोभन तो धारण करने वाले तोता
लए तु हारे रथ के समीप उसी कार प ंचते ह, जस कार यायपूण वचन
पं डत के पास लोग अपना फैसला कराने जाते ह. तुम जन उपाय से य म
ा नय क र ा करते हो, उ ह उपाय के साथ आओ. (२)
युवं तासां द य शासने वशां यथो अमृत य म मना.
या भधनुम वं१ प वथो नरा ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (३)
हे नेता पी अ नीकुमारो! तुम दोन वग म उ प सोम पी अमृतपान से ा त
बल के कारण तीन लोक म वतमान जा का शासन करने म समथ हो. र ा के जन
उपाय से तुमने सव म असमथ गाय को शंयु नामक ऋ ष के लए धा बना दया था,
उ ह उपाय के साथ आओ. (३)
या भः प र मा तनय य म मना माता तूषु तर ण वभूष त.
या भ म तुरभव च ण ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (४)
हे अ नीकुमारो! चार ओर गमनशील वायु अपने पु एवं माता से उ प अ न के
बल से यु होकर तथा पालनोपाय ारा धावनशील म अ त शी गामी बनकर सव
ात
हो जाता है. जन उपाय ारा क ीवान् ऋ ष व श
ानयु
ए थे, उ ह उपाय ारा
आओ. (४)
याभी रेभं नवृतं सतमद् य उ दनमैरयतं व शे.
या भः क वं सषास तमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन र ोपाय से असुर ारा कुएं म फके गए एवं पाशब
कए गए रेभ ऋ ष को जल से बाहर नकाला था, इसी कार वंदन नामक ऋ ष को सूय
दशन के लए जल से नकाला था, असुर ारा अंधकार म डाले गए एवं काश क इ छा
वाले क व ऋ ष को जन उपाय से बचाया था, उ ह उपाय से यहां आओ. (५)
या भर तकं जसमानमारणे भु युं या भर थ भ ज ज वशुः.
या भः कक धुं व यं च ज वथ ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन र ा संबंधी उपाय से असुर ारा कुएं म गराकर मारे
जाते ए राज ष अंतक क र ा क , समु म डू बते ए भु यु क र ा जन थार हत
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उपाय ारा क तथा जन उपाय से ककधु एवं व य को बचाया था, उ ह उपाय से यहां
आओ. (६)
या भः शुच तं धनसां सुषंसदं त तं घममो याव तम ये.
या भः पृ गुं पू कु समावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (७)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा शुचं त को धनसंप एवं शोभनगृह का
वामी बनाया, अ को जलाने वाली त त अ न को सुखदायक बनाया एवं पृ गु तथा
पु कु स क र ा क , उ ह उपाय से यहां आओ. (७)
या भः शची भवृषणा परावृजं ा धं ोणं च स एतवे कृथः.
या भव तकां सतामु चतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (८)
हे कामवषक अ नीकुमारो! तुमने जन कम ारा पंगु परावृज को चलने म समथ,
अंधे ऋजा को दे खने म कुशल, जानुर हत ोण को ग तशील एवं वृक ारा गृहीत प णी
व का को मु कया था, उ ह उपाय से आओ. (८)
या भः स धु मधुम तमस तं व स ं या भरजराव ज वतम्.
या भः कु सं ुतय नयमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (९)
हे जरार हत अ नीकुमारो! जन उपाय से सधु नद को मधुर वाह वाली, व श
को स एवं कु स, ुतय तथा नय ऋ षय को सुर त कया था, उ ही उपाय स हत हमारे
पास आओ. (९)
या भ व पलां धनसामथ सह मीळह आजाव ज वतम्.
या भवशम ं े णमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! जन उपाय से तुमने धन क वा मनी एवं चलने म असमथ
वप ला को हजार संप य से पूण एवं सं ाम म जाने यो य बनाया तथा अ ऋ ष के
तु तक ा पु वश ऋ ष क र ा क थी, उ ह उपाय से यहां आओ. (१०)
या भः सुदानू औ शजाय व णजे द घ वसे मधु कोशो अ रत्.
क ीव तं तोतारं या भरावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (११)
हे सुंदर दान वाले अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय से उ शजा के पु एवं वा ण य
कम करने वाले द घ वा के न म मेघ से जल बरसाया एवं तु तक ा क ीवान् क र ा
क , उ ह उपाय को लेकर यहां आओ. (११)
या भ रसां ोदसोद्नः प प वथुरन ं याभी रथमावतं जषे.
या भ शोक उ या उदाजत ता भ षु ऊ त भर ना गतम्… (१२)
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हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा स रता के तट को जलपूण कया था,
अ वर हत रथ को वजय के लए चलाया था तथा शोक को अपनी चुराई ई गाय को
पाने म समथ कया था, उ ह उपाय को साथ लेकर आओ. (१२)
या भः सूय प रयाथः पराव त म धातारं ै प ये वावतम्.
या भ व ं भर ाजमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१३)
हे अ नीकुमारो! तुम जन उपाय ारा सूय को हण के अंधकार से मु करने जाते
हो, तुमने जन उपाय ारा मांधाता क े प त कम म र ा क एवं मेधावी भर ाज को
अ दे कर बचाया, उ ह उपाय के साथ यहां आओ. (१३)
या भमहाम त थ वं कशोजुवं दवोदासं श बरह य आवतम्.
या भः पू भ े सद युमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१४)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा महान् अ त थ स कार करने वाले एवं
रा स के भय से जल म घुसने को तुत दवोदास को शंबर असुर ारा मारे जाते समय
बचाया था तथा सं ाम म सद यु ऋ ष क र ा क , उ ह उपाय को लेकर आओ. (१४)
या भव ं व पपानमुप तुतं क ल या भ व जा न व यथः.
या भ
मुत पृ थमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१५)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा पीने म संल न एवं तु त कए गए व क ,
प नी ा त करने वाले क ल क एवं अ हीन पृ थ क र ा क थी, उ ह उपाय के साथ
आओ. (१५)
या भनरा शयवे या भर ये या भः पुरा मनवे गातुमीषथुः.
या भः शारीराजतं यूमर मये ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१६)
हे नेता प अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा शंयु, अ एवं थम मनु को ःख
से नकलने का माग बताया था एवं यूमर म क र ा के उ े य से उनके श ु पर बाण
चलाया था, उ ह उपाय के साथ यहां आओ. (१६)
या भः पठवा जठर य म मना ननाद दे चत इ ो अ म ा.
या भः शयातमवथो महाधने ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१७)
हे अ नीकुमारो! जन उपाय ारा पठवा ऋ ष शरीर बल पाकर सं ाम म उसी कार
द त ए, जस कार का
ारा जलाई गई अ न चमकती है. जन उपाय से यु म
शयात क र ा क गई, उ ह उपाय के साथ आओ. (१७)
या भर रो मनसा नर यथोऽ ं ग छथो ववरे गोअणसः.
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या भमनुं शूर मषा समावतं ता भ
षु ऊ त भर ना गतम्.. (१८)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय से मननीय तो ारा स होकर अं गरा क
र ा क थी, प णय ारा गुफा म छपाई गई गाय के थान पर सबसे पहले प ंचे थे एवं
अ दे कर वीयवान मनु क र ा क थी, उ ह उपाय स हत आओ. (१८)
या भः प नी वमदाय यूहथुरा घ वा या भर णीर श तम्.
या भः सुदास ऊहथुः सुदे ं१ ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (१९)
हे अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय ारा वमद ऋ ष के लए प नी एवं लाल रंग क
गाएं द एवं सुदास को स धन दया, उ ह उपाय स हत आओ. (१९)
या भः शंताती भवथो ददाशुषे भु युं या भरवथो या भर गुम्.
ओ यावत सुभरामृत तुभं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (२०)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन जन उपाय ारा ह वदाता यजमान के लए सुखक ा
बनते हो, भु यु एवं अ धगु क र ा क तथा ऋतु तुभ ऋ ष को सुखकर और भरण यो य
अ दान कया था, उ ह उपाय के साथ आओ. (२०)
या भः कृशानुमसने व यथो जवे या भयूनो अव तमावतम्.
मधु यं भरथो य सरड् य ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (२१)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन ने जन उपाय से यु म कृशानु क र ा क , युवा
पु कु स के दौड़ते ए घोड़े को बचाया तथा मधुम खय को सव य मधु दान कया,
उ ह उपाय के साथ आओ. (२१)
या भनरं गोषुयुधं नृषा े े य साता तनय य ज वथः.
याभी रथाँ अवथो या भरवत ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (२२)
हे अ नीकुमारो! तुम जन उपाय ारा गौ ा त के न म यु करने वाले मनु य
क सं ाम म र ा करते हो, े एवं धन ा त म यजमान के सहायक होते हो एवं उसके
रथ तथा घोड़ क र ा करते हो, उ ह के साथ आओ. (२२)
या भः कु समाजुनेयं शत तू तुव त च दभी तमावतम्.
या भ वस तं पु ष तमावतं ता भ षु ऊ त भर ना गतम्.. (२३)
हे शत तु अ नीकुमारो! तुमने जन उपाय से अजुन के पु कु स, तुव त एवं
दधी त क र ा क थी तथा वसं त और पु षं त नामक ऋ षय को सुर त कया, उ ह
उपाय के साथ यहां आओ. (२३)
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अ वतीम ना वाचम मे कृतं नो द ा वृषणा मनीषाम्.
अ ू येऽवसे न ये वां वृधे च नो भवतं वाजसातौ.. (२४)
हे कामवष अ नीकुमारो! हमारी वाणी को व हत कम से यु एवं बु को वेद
ान म समथ बनाओ. काशर हत रा के अं तम हर म हम तु ह अपनी र ा के न म
बुलाते ह. हमारे अ लाभ म सहायक बनो. (२४)
ु भर ु भः प र पातम मान र े भर ना सौभगे भः.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (२५)
हे अ नीकुमारो! हम दवस , नशा
एवं वनाशर हत सौभा य ारा सुर त
बनाओ, म , व ण, अ द त, सधु, पृ वी एवं आकाश इस तु त का आदर कर. (२५)
सू —११३
दे वता—उषा और रा
इदं े ं यो तषां यो तरागा च ः केतो अज न व वा.
यथा सूता स वतुः सवायँ एवा रा युषसे यो नमारैक्.. (१)
ोतमान हन ा द म े यो त उषा आई. इसक ब रंगी एवं व को का शत
करने वाली र मयां सभी जगह फैल ग . जस कार रा सूय से उ प होती है, उसी
कार उषा का उ प
थान रा है. (१)
श सा शती े यागादारैगु कृ णा सदना य याः.
समानब धू अमृते अनूची ावा वण चरत आ मनाने.. (२)
सूय क माता, तेज वनी एवं ेतवण वाली उषा आई है. कृ णवणा रा ने उसे अपना
थान दे दया है. य प ये दोन एक ही सूय से संबं धत एवं मरणर हता ह, तथा प एकसरी के पीछे आती ह एवं एक- सरे का प न करती ई आकाश म वचरण करती ह.
(२)
समानो अ वा व ोरन त तम या या चरतो दे व श े.
न मेथेते न त थतुः सुमेके न ोषासा समनसा व पे.. (३)
इन दोन ब हन का अनंत गमनमाग एक ही है, जस पर सूय ारा नदश पाकर ये
एक-एक करके चलती ह. वे सुंदर ज मदा ी एवं पर पर भ
प वाली होकर एकमत को
ा त करके आपस म कसी क हसा नह करत तथा कभी थर नह रहत . (३)
भा वती ने ी सूनृतानामचे त च ा व रो न आवः.
ा या जगद् ु नो रायो अ य षा अजीगभुवना न व ा.. (४)
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हम काशसंप एवं वा णय क ने ी उषा को जानते ह. व च उषा ने हमारे लए
अंधकार के बंद ार खोल दए ह, सारे संसार को का शत करके हम धन दए ह एवं सम त
लोक को का शत कया है. (४)
ज ये३च रतवे मघो याभोगय इ ये राय उ वं.
द ं प य य उ वया वच उषां अजीगभुवना न व ा.. (५)
उषा टे ढ़े सोए ए लोग म कुछ को अपने अपे त थान को जाने के लए, कुछ को
भोग के लए, कुछ को य के लए एवं कुछ को धन के लए जगाती है. यह अंधकार के
कारण थोड़ा दे खने वाल के व श काश के लए सारे भुवन को का शत करती है. (५)
ाय वं वसे वं महीया इ ये वमथ मव व म यै.
वस शा जी वता भ च उषा अजीगभुवना न व ा.. (६)
उषा कसी को धन के लए, कसी को अ के लए, कसी को महाय के लए एवं
कसी को अभी व तु ा त के लए जगाती है. वह नाना प जी वका के न म सम त
व को का शत करती है. (६)
एषा दवो हता यद श ु छ ती युव तः शु वासाः.
व येशाना पा थव य व व उषो अ ेह सुभगे ु छ.. (७)
आकाश क पु ी यह उषा मनु य ारा न य यौवना, ेतवसना, तमो वना शनी एवं
सम त संप य क अधी री के प म दे खी गई है. हे शोभनधनसंप उषा! तुम आज यहां
अंधकार न करो. (७)
परायतीनाम वे त पाथ आयतीनां थमा श तीनाम्.
ु छ ती जीवमुद रय युषा मृतं कं चन बोधय ती.. (८)
अतीत उषा के माग का अनुवतन वतमान उषा करती है. यह आने वाली अग णत
उषा क आ द है. यह अंधकार को मटाती, ा णय को जागृत करती एवं न ा म मृतवत्
बने लोग को चेतन बनाती है. (८)
उषो यद नं स मधे चकथ व यदाव सा सूय य.
य मानुषा य यमाणाँ अजीग त े वेषु चकृषे भ म ः.. (९)
हे उषा! तुमने जो अ न को व लत कया है, अंधकारावृत व को सूय के काश से
प कया है एवं य करते ए मनु य को अंधकार से छु टकारा दलाया है, ये काम तुमने
दे व के क याण के लए कए ह. (९)
कया या य समया भवा त या
ूषुया नूनं
ु छान्.
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अनु पूवाः कृपते वावशाना द याना जोषम या भरे त.. (१०)
पता नह कतने समय से उषा उ प हो रही है और कतने समय तक उ प होती
रहेगी? वतमान उषा पूवव तनी उषा का अनुकरण करती है तथा आगा मनी उषाएं इसके
काश का अनुवतन करगी. (१०)
ईयु े ये पूवतरामप य ु छ तीमुषसं म यासः.
अ मा भ नु तच याभूदो ते य त ये अपरीषु प यान्.. (११)
जन मनु य ने अ तशय पूवव तनी उषा को काश करते दे खा था, वे समा त हो
ग . उषा हमारे ारा इस समय दे खी जाती है. होने वाली उषा को जो लोग दे खगे, वे आ
रहे ह. (११)
यावयद् े षा ऋतपा ऋतेजाः सु नावरी सूनृता ईरय ती.
सुम ली ब ती दे ववी त महा ोषः े तमा ु छ.. (१२)
हे उषा! तुम हमसे े ष करने वाल को र हटाने वाली, स य क पालनक , य के
न म उ प सुखयु वचन क ेरक, क याणस हता एवं दे व के अ भल षत य को
धारण करने वाली हो, तुम उ म कार से आज इस थान को का शत करो. (१२)
श पुरोषा व
ु ास दे थो अ ेदं ावो मघोनी.
अथो ु छा राँ अनु ूनजरामृता चर त वधा भः.. (१३)
दे वी उषा पूवकाल म त दन काश दे ती थी, धन क वा मनी उषा आज भी इस
व को अंधकार से छु टकारा दलाती है एवं इसी कार भ व य के दन म काश दान
करेगी. वह जरा एवं मरण से र हत होकर अपने तेज से वचरण करती है. (१३)
१
भ दव आता व ौदप कृ णां न णजं दे ावः.
बोधय य णे भर ैरोषा या त सुयुजा रथेन.. (१४)
आकाश क व तृत दशा म उषा काशक तेज से उ दत होती है एवं उसने रा
ारा न मत काला प समा त कर दया है. वह सोते ए ा णय को जगाती ई लाल रंग
के घोड़ वाले अपने रथ से आ रही है. (१४)
आवह ती पो या वाया ण च ं केतुं कृणुते चे कताना.
ईयुषीणामुपमा श तीनां वभातीनां थमोषा
ैत्.. (१५)
उषा पोषण समथ, वरणीय धन को लाती ई एवं सम त मनु य को चेतनायु करती
ई व च करण का शत करती है. पूवव तनी उषा क उपमान एवं आगा मनी वशेष
काशयु उषा क थमा यह उषा अपने तेज से बढ़ती है. (१५)
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उद व जीवो असुन आगादप ागा म आ यो तरे त.
आरै प थां यातवे सूयायाग म य
तर त आयुः.. (१६)
हे मनु यो! उठो, हमारे शरीर का ेरक जीव आ गया है. अंधकार चला गया एवं काश
आ रहा है. उषा सूय के गमन के लए रा ता साफ करती है. हे उषा! हम उस दे श म जाते ह,
जसम तुम अ क वृ करती हो. (१६)
यूमना वाच उ दय त व ः तवानो रेभ उषसो वभातीः.
अ ा त छ गृणते मघो य मे आयु न दद ह जावत्.. (१७)
तु तय को वहन करने वाला तोता काशमान उषा क तु त करता आ
सु व थत वेद वचन बोलता है. हे धन वा मनी उषा! इस लए आज इस तोता का रा
संबंधी अंधकार मटाओ तथा हम जायु धन दो. (१७)
या गोमती षसः सववीरा ु छ त दाशुषे म याय.
वायो रव सुनृतानामुदक ता अ दा अ व सोमसु वा.. (१८)
गोसंप एवं सम त शूर से यु जो उषाएं तु त वचन समा त होते ही ह दे ने वाले
यजमान का वायु के समान शी अंधकार न करती ह, वे ही अ दे ने वाली उषाएं सोमरस
नचोड़ने वाले यजमान को ा त कर. (१८)
माता दे वानाम दतेरनीकं य य केतुबृहती वभा ह.
श तकृद्
णे नो ु१ छा नो जने जनय व वारे.. (१९)
हे दे व क माता एवं अ द त से त पधा करने वाली उषा! तुम य का ापन करती
ई एवं मह व ा त करती ई का शत एवं हमारे तो क शंसा करती ई उ दत बनो. हे
वरणीय उषा! हम संसार म स बनाओ. (१९)
य च म उषसो वह तीजानाय शशमानाय भ म्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (२०)
उषाएं जो व च एवं ा त करने यो य धन लाती ह, वह ह व दे ने वाले एवं तु त करने
वाले पु ष के लए क याणकारी है. म , व ण, सधु धरती एवं आकाश इस ाथना क
पूजा कर. (२०)
सू —११४
दे वता—
इमा ाय तवसे कप दने य राय भरामहे मतीः.
यथा शमसद् पदे चतु पदे व ं पु ं ामे अ म नातुरम्.. (१)
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हम वृ जटाधारी एवं वीरनाशक
के लए ये मननीय तु तयां इस लए अ पत कर
रहे ह, जससे पद एवं चतु पद क रोगशां त हो. गांव म सब लोग पु तथा अनातुर रह.
(१)
मृळा नो ोत नो मय कृ ध य राय नमसा वधेम ते.
य छं च यो मनुरायेजे पता तद याम तव
णी तषु.. (२)
हे ! हमारे न म तुम सुखकारक बनी एवं हम सुख दान करो. हम नम कारपूवक
वीरनाशक
क सेवा करते ह. पता मनु ने जो रोगशां त और नभयता ा त क थी, हे
! तु ह नम कार करने पर हम भी उ ह ा त कर. (२)
अ याम ते सुम त दे वय यया य र य तव
मीढ् वः.
सु नाय
शो अ माकमा चरा र वीरा जुहवाम ते ह वः.. (३)
हे कामवषक ! हम वीरनाशक एवं म त् सहयोगी तु हारी कृपा दे वय के ारा
पाव. हमारी जा
के सुख क इ छा करते ए तुम उनके समीप आओ. जा को
हा नर हत दे खकर हम तु हारे लए ह दगे. (३)
वेषं वयं ं य साधं वङ् कक वमवसे न यामहे.
आरे अ म ै ं हेळो अ यतु सुम त म यम या वृणीमहे.. (४)
हम र ा के न म द त, य साधक, कु टलग त एवं ांतदश
को बुलाते ह.
अपना द त ोध र कर एवं हम उनक शोभन कृपा
ा त कर. (४)
दवो वराहम षं कप दनं वेषं पं नमसा न यामहे.
ह ते ब े षजा वाया ण शम वम छ दर म यं यंसत्.. (५)
हम वराह के समान ढ़ांग, काशशील, जटाधारी, तेजोद त एवं न पणजीव
को
नम कार ारा बुलाते ह. वे अपने हाथ म वरणीय ओष धयां धारण करते ए हम सुख,
कवच एवं गृह दान कर. (५)
इदं प े म तामु यते वचः वादोः वाद यो दाय वधनम्.
रा वा च नो अमृत मतभोजनं मने तोकाय तनयाय मृळ.. (६)
म त के पता
को ल य करके हम वा द पदाथ से भी मधुर एवं वृ कारक
तु त वचन बोल रहे ह. हे मरणर हत ! हम मानव का भोजन दान करो एवं अपने
पु प मेरी तथा मेरे पु क र ा करो. (६)
मा नो महा तमुत मा नो अभकं मा न उ तमुत मा न उ तम्.
मा नो वधीः पतरं मोत मातरं मा नः या त वो
री रषः.. (७)
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हे ! हम लोग म से वयोवृ , बालक, गभाधान समथ युवक एवं गभ थ शशु क
हसा मत करना, हमारी माता अथवा पता क हसा एवं हमारे य शरीर का नाश भी मत
करना. (७)
मा न तोके तनये मा न आयौ मा नो गोषु मा नो अ ेषु री रषः.
वीरा मा नो
भा मतो वधीह व म तः सद म वा हवामहे.. (८)
हे ! हमारे पु , पौ , दास, गाय एवं घोड़ क हसा एवं
का वध मत करना. हम सदै व ह व लेकर तु ह बुलाते ह. (८)
ो धत होकर हमारे वीर
उप ते तोमा पशुपा इवाकरं रा वा पतृम तां सु नम मे.
भ ा ह ते सुम तमृळय माथा वयमव इ े वृणीमहे.. (९)
हे म त् पता! जस कार गोप दन भर चराने के बाद पशु मा लक को लौटा दे ता है,
उसी कार म तु हारा तो तु ह लौटा रहा ं. हम सुख दो. तु हारी क याणी बु परम
र क एवं सुखका रणी है, इसी कारण हम तुमसे र ा क याचना करते ह. (९)
आरे ते गो नमुत पू ष नं य र सु नम मे ते अ तु.
मृळा च नो अ ध च ू ह दे वाधा च नः शम य छ बहाः.. (१०)
हे वीरनाशक ! गोहनन एवं मनु य हनन का साधन तु हारा आयुध हमसे र रहे.
हमारे पास तु हारा दया सुख रहे. हम सुखी करो एवं हमारे त प पात रखने वाले वचन
बोलो. तुम धरती और आकाश के वामी बनकर हम सुख दो. (१०)
अवोचाम नमो अ मा अव यवः शृणोतु नो हवं ो म वान्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (११)
र ा के इ छु क हम लोग यह सू बोलते ह. इस
को नम कार हो.
म त के
साथ हमारी यह पुकार सुन. म , व ण, अ द त, सधु, धरती एवं आकाश हमारी इस ाथना
का आदर कर. (११)
सू —११५
दे वता—सूय
च ं दे वानामुदगादनीकं च ु म य व ण या नेः.
आ ा ावापृ थवी अ त र ं सूय आ मा जगत थुष .. (१)
म , व ण एवं अ न के च ,ु करण के समूह एवं आ यकारी सूय उदय ए ह.
उ ह ने धरती, आकाश एवं दोन के म य भाग को तेज से पूण कया है. वे जंगम एवं थावर
के व प ह. (१)
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सूय दे वीमुषसं रोचमानां मय न योषाम ये त प ात्.
य ा नरो दे वय तो युगा न वत वते त भ ाय भ म्.. (२)
सूय द यमान उषा का अनुगमन उसी कार करता है, जस कार पु ष नारी के पीछे पीछे चलता है. इसी समय लोग सूय संबंधी य करने क इ छा से काय व तार करते ह.
क याण पाने के लए हम सूय क तु त करते ह. (२)
भ ा अ ा ह रतः सूय य च ा एत वा अनुमा ासः.
नम य तो दव आ पृ म थुः प र ावापृ थवी य त स ः.. (३)
सूय के क याणकारक, व च लोग ारा मशः तुत एवं हमारे ारा नम कृत ह रत
नाम के घोड़े आकाश के ऊपर उप थत होकर शी ही धरती और आकाश का प र मण
कर लेते ह. (३)
त सूय य दे व वं त म ह वं म या कत वततं सं जभार.
यदे दयु ह रतः सध थादा ा ी वास तनुते सम मै.. (४)
यही सूय का ई र व और मह व है क वह संसार के कम समा त होने से पहले ही
व म फैली अपनी करण समेट लेते ह. वे जब अपने रथ से ह रत नामक घोड़ को अलग
करते ह, तभी रा इस कार अंधकार फैलाती है, जैसे जगत् पर परदा डाल रही हो. (४)
त म य व ण या भच े सूय पं कृणुते ो प थे.
अन तम य शद य पाजः कृ णम य रतः सं भर त.. (५)
सूय धरती और आकाश के बीच अपना सव काशक तेज इस लए फैलाते ह, जससे
म और व ण उ ह स मुख दे ख सक. सूय के घोड़े एक ओर अवसानर हत, जगत् काशक
बल एवं सरी ओर काले रंग का अंधेरा धारण करते ह. (५)
अ ा दे वा उ दता सूय य नरंहसः पपृता नरव ात्.
त ो म ो व णो मामह ताम द तः स धुः पृ थवी उत ौः.. (६)
हे सूय करणो! इस सूय दय के समय हम पाप से बचाओ. म , व ण, अ द त, सधु,
पृ वी एवं आकाश हमारी इस ाथना को वीकार कर. (६)
सू —११६
दे वता—अ नीकुमार
नास या यां ब ह रव वृ े तोमाँ इय य येव वातः.
यावभगाय वमदाय जायां सेनाजुवा यूहतू रथेन.. (१)
जस कार कोई यजमान य के न म कुश छे दन करता है अथवा वायु बादल के
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जल को े रत करता है, उसी कार म अ नीकुमार क पया त तु त करता .ं उ ह ने
कशोर वमद को अपने रथ ारा श ु से पहले ही वयंवर म प ंचाकर प नी ा त कराई
थी. उनके रथ को श ु सेना नह पा सक . (१)
वीळु प म भराशुहेम भवा दे वानां वा जू त भः शाशदाना.
त ासभो नास या सह माजा यम य धने जगाय.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम अपने बलपूवक उछलने वाले एवं शी गामी अ तथा इं ा द
दे व क ेरणा से े रत हो. तु हारा वाहन रासभ इं को स करने वाले ब धनशाली
सं ाम म हजार बार वजयी आ था. (२)
तु ो ह भु युम नोदमेघे र य न क
तमूहथुन भरा म वती भर त र ु
ममृवाँ अवाहाः.
रपोदका भः.. (३)
हे अ नीकुमारो! जस कार कोई मरता आ
धन का याग करता है, उसी
कार श ुपी ड़त तु ने अपने पु थु यु को श ु वजय के लए नाव से गमन करने के
न म सागर म भेजा. तुमने सागर म डू बते ए भु यु को अंत र म चलने वाली एवं
जल वेशर हत अपनी नाव ारा तु के पास प ंचाया था. (३)
त ः प रहा त ज नास या भु युमूहथुः पत ै ः.
समु य ध व ा य पारे भी रथैः शतप ः षळ ःै .. (४)
हे अ नीकुमारो! तुमने भु यु को सौ प हय वाले, छह घोड़ से ख चे जाते ए, तीन
दन एवं तीन रात से अ धक चलने वाले तीन शी गामी रथ ारा जलपूण सागर के जलहीन
कनारे पर प ंचाया था. (४)
अनार भणे तदवीरयेथामना थाने अ भणे समु े .
यद ना ऊहथुभु युम तं शता र ां नावमात थवांसम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुमने सागर म डू बते ए भु यु को सौ डांड से चलने वाली नौका म
बैठाकर अपने घर प ंचाया था. वह सागर आलंबनर हत, भू दे श से भ , हाथ से पकड़ने
यो य शाखा आ द से हीन था, जसम तुमने यह परा म कया. (५)
यम ना ददथुः ेतम मघा ाय श द व त.
त ां दा ं म ह क त यं भू पै ो वाजी सद म
ो अयः.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुमने अघा पे को न य वजय दलाने वाला ेत अ दया था.
तु हारा वह दान महान् एवं शंसनीय है एवं पे का उ म अ सदा हमारा आदरणीय रहेगा.
(६)
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युवं नरा तुवते प याय क ीवते अरदतं पुर धम्.
कारोतरा छफाद य वृ णः शतं कुंभाँ अ स चतं सुरायाः.. (७)
हे नेताओ! तुमने तु त करने वाले अं गरागो ीय क ीवान् को पया त बु द थी.
जस कार शराब बनाने वाले कारोतर नामक पा से सुरा का आसवन करते ह, उसी कार
तुमने अपने सवन-समथ अ के खुर से सौ घड़े शराब नकाली. (७)
हमेना नं स
ं मवारयेथां पतुमतीमूजम मा अध ं.
ऋबीसे अ म नावनीतमु यथुः सवगणं व त.. (८)
हे अ नीकुमारो! तुमने ठं डे जल से उस अ न को बुझाया था, जो असुर ारा उ ह
पीड़ा प ंचाने के लए जलाई गई थी. तुमने उ ह अ स हत बल द ीर दया था. अ
यं पीड़ागृह म नीचे को मुंह करके लटकाए गए थे, तुमने उ ह उनके सा थय स हत छु ड़ाया.
(८)
परावतं नास यानुदेथामु चाबु नं च थु ज बारम्.
र ापो न पायनाय राये सह ाय तृ यते गोतम य.. (९)
हे अ नीकुमारो! तुम गौतम ऋ ष के समीप कुएं को ले गए थे. उसका मूल ऊपर एवं
ार नीचे कर दया था. उस म से ह दे ने वाले एवं सहनशील गौतम के पीने के न म जल
नकलने लगा था. (९)
जुजु षो नास योत व
ामु चतं ा प मव यवानात्.
ा तरतं ज हत यायुद ा द प तमकृणुतं कनीनाम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! तुमने जीण यवन ऋ ष को ा त करने वाले बुढ़ापे को कवच के
समान र कर दया था. हे दशनीयो! तुमने पु
ारा प र य
यवन का जीवन बढ़ाया एवं
उ ह क या का प त बनाया. (१०)
त ां नरा शं यं रा यं चा भ म ास या व थम्.
य ांसा न ध मवापगूळ्हमु शता पथुव दनाय.. (११)
हे नेता प अ नीकुमारो! तुमने गु त धन के समान कुएं म छपे वंदन ऋ ष को
जानकर वहां से नकाला. तु हारा यह कम चाहने यो य, वरणीय एवं शंसनीय है. (११)
त ां नरा सनये दं स उ मा व कृणो म त यतुन वृ म्.
द यङ् ह य म वाथवणो वाम य शी णा यद मुवाच.. (१२)
हे नेताओ! अथवा के पु द यंग ऋ ष ने तु हारे साम य से अ क ीवा धारण करके
मधुर वचन बोले थे. यह तु हारे उ कम को उसी कार कट करता है, जस कार बादल
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का गजन बादल के भीतर जल को बताता है. (१२)
अजोहवी ास या करा वां महे याम पु भुजा पुर धः.
ुतं त छासु रव व म या हर यह तम नावद म्.. (१३)
हे लंबे हाथ वाले अ नीकुमारो! परम बु मती ऋ षप नी व मती ने अपने पूजनीय
तो म तुम अ भमत फलदाता को बार-बार बुलाया था. तुमने श य के समान उसक
पुकार सुनी एवं उसे हर यह त नाम का पु दया. (१३)
आ नो वृक य व तकामभीके युवं नरा नास यामुमु म्.
उतो क व पु भुजा युवं ह कृपमाणमकृणुतं वच .े . (१४)
हे नेताओ! तुमने वृक और व तका के सं ाम म वृक के मुख से व तका को छु ड़ाया था.
तुमने तु तक ा व ान् को दे खने क श द थी. (१४)
च र ं ह वे रवा छे द पणमाजा खेल य प रत यायाम्.
स ो जङ् घामायस व पलायै धने हते सतवे यध म्.. (१५)
हे अ नीकुमारो! जस कार प ी का पंख अलग हो जाता है, उसी कार खेल राजा
क प नी व पला का पैर यु म कट गया था. तुमने श ु
ारा छपाया आ धन ा त
करने के न म चलने के लए व पला के लए रात भर म लोहे का पैर बनाकर दया था.
(१५)
शतं मेषा वृ ये च दानमृ ा ं तं पता धं चकार.
त मा अ ी नास या वच आघतं द ा भषजावनवन्.. (१६)
हे अ नीकुमारो! ऋजा ऋ ष ने अपनी वृक के भोजन के लए सौ भेड़ को काट
दया था. इससे उनके पता ने उ ह अंधा कर दया था. हे दे व के वै ो! तुमने ऋजा क
दे खने म असमथ दोन आंख को दे खने म समथ बना दया था. (१६)
आ वां रथं हता सूय य का मवा त दवता जय ती.
व े दे वा अ वम य त
ः समु या नास या सचेथे.. (१७)
हे अ नीकुमारो! जस कार दौड़ने वाले घोड़ म सबसे आगे वाला न त थान पर
गड़ी लकड़ी तक पहले प ंचता है, उसी कार अव ध पर शी प ंचने वाले घोड़ के कारण
सूयपु ी सूया तु हारे रथ पर बैठ गई. सारे दे व ने सहष यह बात मान ली और तुमने कां त
ा त क . (१७)
यदयातं दवोदासाय व तभर ाजाया ना हय ता.
रेव वाह सचनो रथो वां वृषभ शशुंमार यु ा.. (१८)
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हे अ नीकुमारो! दवोदास ने अ ह
प म दे कर तु हारी तु त क तो तुम उसके
घर गए. उस समय तु हारी सेवा करने वाला रथ अ ले गया था. उस म घोड़े और मगर जुड़े
थे. (१८)
र य सु ं वप यमायुः सुवीय नास या वह ता.
आ ज ाव समनसोप वाजै र ो भागं दधतीमयातम्.. (१९)
हे अ नीकुमारो! समान मन वाले तुम दोन शोभन बल, धन, संतान एवं सुंदर
श यु अ लेकर ज ऋ ष क जा के पास गए थे. उ ह ने ह अ के साथ
दै नक य के तीन भाग तु ह अ पत कए थे. (१९)
प र व ं जा षं व तः स सुगे भन मूहथू रजो भः.
व भ ना नास या रथेन व पवताँ अजरयू अयातम्.. (२०)
हे अ नीकुमारो! जरार हत तुम दोन ने श ु
ारा चार ओर से घेरे ए जा ष राजा
को अपने सवभेदक लौह- न मत रथ ारा रात म सरल माग से बाहर नकाला एवं ऐसे पवत
पर गए, जहां श ु न चढ़ सक. (२०)
एक या व तोरावतं रणाय वशम ना सनये सह ा.
नरहतं छु ना इ व ता पृथु वसो वृषणावरातीः.. (२१)
हे अ नीकुमारो! तुमने वश ऋ ष क इस लए र ा क थी क वे एक दन म हजार
धन ा त कर सक. हे कामवषको! तुमने इं के साथ मलकर पृथु वा को क दे ने वाले
श ु को मारा था. (२१)
शर य चदाच क यावतादा नीचा चा च थुः पातवे वाः.
शयवे च ास या शची भजसुरये तय प यथुगाम्.. (२२)
हे अ नीकुमारो! तुमने कुएं के नीचे से जल को इस लए ऊपर उठाया था, जससे क
तु हारा तोता, ऋच क पु शर जल पी सके. थके ए शंयु क सवर हत गाय को तुमने
अपने कम ारा धपूण बनाया था. (२२)
अव यते तुवते कृ णयाय ऋजूयते नास या शची भः.
पशुं न न मव दशनाय व णा वं ददथु व काय.. (२३)
हे अ नीकुमारो! कृ ण के पु सीधे-सादे व काय ऋ ष ने अपनी र ा क इ छा से
तु हारी ाथना क . जस कार कोई खोया आ पशु उसके वामी को दखा दे , उसी कार
तुमने उसके खोए ए पु व णायु को दखा दया था. (२३)
दश रा ीर शवेना नव ूनवन ं
थतम व१ तः.
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व ुतं रेभमुद न वृ मु
यथुः सोम मव ुवेण.. (२४)
असुर श ु ने रेभ ऋ ष को पीटा और ःखद र सय से बांधकर कुएं म डाल दया.
थत एवं जल से भीगे रेभ दस रात और नौ दन तक वह पड़े रहे. जस कार अ वयु
ुच क सहायता से सोमरस नकालता है, उसी कार तुमने उ ह कुएं से नकाला. (२४)
वां दं सां य नाववोचम य प तः यां सुगवः सुवीरः.
उत प य ुव द घमायुर त मवे ज रमाणं जग याम्.. (२५)
हे अ नीकुमारो! मने तु हारे पुराकृत कम का वणन कया है. म सुंदर गाय एवं वीर
का वामी होने के साथ-साथ रा का वामी बनूं. जस कार घर का मा लक घर म बना
बाधा के घुसता है, उसी कार म भी आंख से दे खता आ द घ आयु भोग कर बुढ़ापे म
वेश क ं . (२५)
सू —११७
दे वता—अ नीकुमार
म वः सोम या ना मदाय नो होता ववासते वाम्.
ब ह मती रा त व ता गी रषा यातं नास योप वाजैः.. (१)
हे अ नीकुमारो! तु हारा पुराना होता तु हारी स ता के लए मधुर सोमरस से
तु हारी सेवा करता है. ऋ वज ारा तु त के साथ ही कुश पर ह रखा गया है. हमारे
लए दे वबल और अ के साथ हमारे यहां आओ. (१)
यो वाम ना मनसो जवीया थः व ो वश आ जगा त.
येन ग छथः सुकृतो रोणं तेन नरा व तर म यं यातम्.. (२)
हे अ नीकुमारो! मन से भी अ धक ती गामी एवं सुंदर घोड़ वाला तु हारा जो रथ
जा क ओर जाता है तथा जससे तुम सुंदर य करने वाले लोग के घर जाते हो, हे
नेताओ! तुम उसी रथ ारा हमारे समीप आओ. (२)
ऋ ष नरावंहसः पा चज यमृबीसाद मु चथो गणेन.
मन ता द योर शव य माया अनुपूव वृ णा चोदय ता.. (३)
हे नेता एवं कामवषक अ नीकुमारो! तुमने पांच जन ारा पू जत अ को शत ार
यं गृह क पाप प तुषानल से पु -पौ स हत छु ड़ाया था. इसके लए तुमने श ु क
हसा एवं द यु क ःखदा यनी माया का मशः वनाश कया. (३)
अ ं न गूळ्हम ना रेवैऋ ष नरा वृषणा रेभम सु.
सं तं रणीथो व ुतं दं सो भन वां जूय त पू ा कृता न.. (४)
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हे नेता एवं कामवषक अ नीकुमारो! तुमने दात द यु
ारा कुएं के जल म डु बाए
गए रेभ ऋ ष को बाहर नकालकर उनका वकलांग शरीर घोड़े के समान अपनी दवा से
ठ क कया था. तु हारे पूवकृत काय अभी पुराने नह ए ह. (४)
सुषु वांसं न नऋते प थे सूय न द ा तम स य तम्.
शुभे मं न दशतं नखातमु पथुर ना व दनाय.. (५)
हे दशनीयो! तुमने धरती के ऊपर सोए ए मनु य के समान पड़े ए, कुएं म पड़ने वाले
सूय बब के समान तेज वी एवं शोभन वण न मत अलंकार के समान दशनीय कूपप तत
वंदन ऋ ष को बाहर नकाला था. (५)
त ां नरा शं यं प येण क ीवता नास या प र मन्.
शफाद य वा जनो जनाय शतं कु भाँ अ स चतं मधूनाम्.. (६)
हे नेता प नास यो! अभी ा त के कारण कहे जाने वाले अनु ान के समान ही म
अं गरावंशी क ीवान् तु हारे य क त ा करता ं. तुमने वेगवान् घोड़ के खुर से नकले
ए मधु से अपे त लोग के लए सैकड़ घड़े भर दए थे. (६)
युवं नरा तुवते कृ णयाय व णा वं ददथु व काय.
घोषायै च पतृषदे रोणे प त जूय या अ नावद म्.. (७)
हे नेताओ! कृ ण के पु व काय ने तुम लोग क तु त क तो तुमने उसके खोए ए
पु व णायु को लाकर दे दया. हे अ नीकुमारो! कु रोग के कारण प त को ा त न
करके अपने पता के घर बैठ ई एवं वृ ाव था को ा त घोषा को तुमने प त दान कया.
(७)
युवं यावाय शतीमद ं महः ोण या ना क वाय.
वा यं तद्वृषणा कृतं वां य ाषदाय वो अ यध म्.. (८)
हे अ नीकुमारो! तुमने कोढ़ याव ऋ ष को उ वल वचा वाली ी दान क एवं
र हत होने के कारण चलने म अश क व को तेजपूण ने दए. हे कामवषको! तुमने
नृषद के बहरे पु को कान दान कए. तु हारे ये काय शंसा के यो य ह. (८)
पु वपा या ना दधाना न पेदव ऊहथुराशुम म्.
सह सां वा जनम तीतम हहनं व यं१ त म्.. (९)
हे ब पधारी अ नीकुमारो! तुमने पे ऋ ष को शी गामी सह सं या वाले धन
का दाता, बलवान्, श ु
ारा जीतने म अश य, श ुहंता, तु तपा एवं र क अ दया
था. (९)
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एता न वां व या सुदानू
ाङ् गूषं सदनं रोद योः.
य ां प ासो अ ना हव ते यात मषा च व षे च वाजम्.. (१०)
हे शोभनदानशील अ नीकुमारो! तु हारे वीर-काय सबके जानने यो य ह. धरती और
आकाश के प म वतमान तुम दोन क तु त स तादायक एवं घोषणा करने यो य है.
अं गरागो ीय यजमान तु ह जब-जब बुलाव, तब-तब दे ने यो य अ लेकर आओ एवं तु हारी
तु त जानने वाले मुझको बल दान करो. (१०)
सूनोमानेना ना गृणाना वाजं व ाय भुरणा रद ता.
अग ये
णा वावृधाना सं व पलां नास या रणीतम्.. (११)
हे पोषणक ा एवं स य वभाव वाले अ नीकुमारो! तुमने कुंभ से उ प
ऋ ष क तु तय का वषय बनकर मेधावी भर ाज ऋ ष को अ दया एवं मं
पाकर तुमने व पला क जंघा को तोड़ा. (११)
अग य
से वृ
कुह या ता सु ु त का य दवो नपाता वृषणा शयु ा.
हर य येव कलशं नखातमु पथुदशमे अ नाहन्.. (१२)
हे सूयपु एवं कामवषक अ नीकुमारो! तुम कस नवास थान म वतमान का क
शोभन तु त सुनने जाते हो? जस कार सोने से भरे एवं धरती म गड़े कलश को कोई
जानकार ही नकालता है, उसी कार तुमने कुएं म पड़े रेभ ऋ ष को दसव दन बाहर
नकाला था. (१२)
युवं यवानम ना जर तं पुनयुवानं च थुः शची भः.
युवो रथं हता सूय य सह या नास यावृणीत.. (१३)
हे अ नीकुमारो! तुमने अपने ओष ध दान के काय ारा वृ
यवन ऋ ष को युवा
बनाया. हे स य वभावो! सूय क पु ी संप के साथ तु हारे रथ पर चढ़ थी. (१३)
युवं तु ाय पू भरेवैः पुनम यावभवतं युवाना.
युवं भु युमणसो नः समु ा भ हथुऋ े भर ैः.. (१४)
हे ःख नवारको! तुम जस कार ाचीन समय म तु के तु तपा थे, उसी कार
बाद म भी तु तपा रहे. तुम सेना के साथ डू बे ए भु यु को अ धक जलयु सागर म
गमनशील नौका एवं शी ग त वाले अ
ारा ले आए थे. (१४)
अजोहवीद ना तौ यो वां ोळ् हः समु म थजग वान्.
न मूहथुः सुयुजा रथेन मनोजवसा वृषणा व त.. (१५)
हे अ नीकुमारो! तु
ारा समु
म भेजे गए एवं जल म डू बे
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ए भु यु ने
सरलतापूवक सागर के पार जाकर तु हारी तु त क थी. हे मनोवेगयु ो एवं कामवषको!
तुम शोभन अ वाले रथ ारा ेमपूवक भु यु को लाए थे. (१५)
अजोहवीद ना व तका वामा नो य सीममु चतं वृक य.
व जयुषा ययथुः सा व े जातं व वाचो अहतं वषेण.. (१६)
हे अ नीकुमारो! व तका ने उस समय तुम दोन का आ ान कया था, जस समय
तुमने वृक के मुख से उसे बचाया था. तुम अपने जयशील रथ ारा जा ष को लेकर पवत
क चो टय पर चले गए थे एवं व वाच रा स के पु को तुमने वष से मारा था. (१६)
शतं मेषा वृ ये मामहानं तमः णीतम शवेन प ा.
आ ी ऋ ा े अ नावध ं यो तर धाय च थु वच े.. (१७)
हे अ नीकुमारो! वृक के न म सौ मेष को सम पत करने वाले एवं ःखदायी पता
ारा अंधे बनाए गए ऋजा को तुमने ने दए एवं उस अंधे को संसार दे खने यो य बनाया.
(१७)
शुनम धाय भरम य सा वृक र ना वृषणा नरे त.
जारः कनीन इव च दान ऋ ा ः शतमेकं च मेषान्.. (१८)
हे नेताओ एवं कामवष अ नीकुमारो!
हीन को पोषण का कारणभूत सुख दे ने क
इ छा से वृक ने तु ह बुलाया था, य क ऋजा ने उसी कार एक सौ एक मेष के टु कड़े
करके मुझे दए ह, जस कार यौवन ा त कामुक कसी पर ी को ब त सा धन दे ता है.
(१८)
मही वामू तर ना मयोभू त ामं ध या सं रणीथः.
अथा युवा मद य पुर धराग छतं स वृषणाववो भः.. (१९)
हे अ नीकुमारो! तु हारा महान् र ाकाय सुख का कारण है. हे तु तपा ो! तुमने
ा धत पु ष को व थ शरीर वाला बनाया था. ब बु संप ा घोषा ने रोग नाश के न म
तु ह को बुलाया था. हे कामवषको! अपने र णकाय स हत यहां आओ. (१९)
अधेनुं द ा तय१ वष ाम प वतं शयवे अ ना गाम्.
युवं शची भ वमदाय जायां यूहथुः पु म य योषाम्.. (२०)
हे दशनीयो! तुमने वशेष प से कृश अंग वाली, नवृ सवा एवं धहीना गाय को
शंयु के न म धा बनाया था. तुमने अपने कम ारा पु म क क या को वमद ऋ ष
क प नी बनाया था. (२०)
यवं वृकेणा ना वप तेषं ह ता मनुषाय द ा.
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अ भ द युं बकुरेणा धम तो
यो त
थुरायाय.. (२१)
हे दशनीय अ नीकुमारो! तुमने व ान् मनु के लए हल
बोए, अ क हेतुभूत वषा क एवं भासमान व
ारा द यु
माहा य व तृत कया. (२१)
ारा जुते ए खेत म जौ
का नाश करके अपना
आथवणाया ना दधीचेऽ ं शरः यैरयतम्.
स वां मधु वोच ताय वा ं य ाव पक यं वाम्.. (२२)
हे अ नीकुमारो! तुमने अथवा के पु दधी च के धड़ पर घोड़े का सर लगाया था.
उसने पूवकृत त ा को स य बनाते ए व ा से ा त मधु व ा तु ह बताई थी. हे
दशनीयो! वही तुम लोग से संबं धत व य नामक व ा बनी. (२२)
सदा कवी सुम तमा चके वां व ा धयो अ ना ावतं मे.
अ मे र य नास या बृह तमप यसाचं ु यं रराथाम्.. (२३)
हे ांतदश अ नीकुमारो! म तु हारी क याणका रणी अनु ह बु क सदा ाथना
करता ं. तुम मेरे सभी कम क र ा करो. हे दशनीयो! हम महान्, संतानयु एवं
शंसनीय धन दो. (२३)
हर यह तम ना रराणा पु ं नरा व म या अद म.
धा ह यावम ना वक तमु जीवस ऐरयतं सुदानू… (२४)
(२४)
हे दाता एवं नेता अ नीकुमारो! तुमने तीन भाग म व छ
याव को जीवन दया है.
एता न वाम ना वीया ण पू ा यायवोऽवोचन्.
कृ व तो वृषणा युव यां सुवीरासो वदथमा वदे म.. (२५)
हे अ नीकुमारो! मेरे ारा कहे गए तु हारे इन वीर-कम को ाचीन लोग ने कहा है.
हे कामवषको! तु हारी तु त करते ए हम शोभन वीर से यु होकर य के अ भमुख ह .
(२५)
सू —११८
दे वता—अ नीकुमार
आ वां रथो अ ना येनप वा सुमृळ कः ववाँ या ववाङ् .
यो म य य मनसो जवीया व धुरो वृषणा वातरंहाः.. (१)
हे अ नीकुमारो! तु हारा घोड़ से चलने वाला सुखयु एवं धनयु रथ हमारे सामने
आए. हे कामवषको! वह मानव मन के समान वेगवान् बंधुर एवं वायु के समान ती गामी
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है. (१)
व धुरेण वृता रथेन च े ण सुवृता यातमवाक्.
प वतं गा ज वतमवतो नो वधयतम ना वीरम मे.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम अपने बंधुर, तीन प हय वाले, तीन लोक म चलने वाले एवं
शोभन ग त वाले रथ ारा हमारे समीप आओ. हमारी गाय को धा , हमारे घोड़ को
स एवं हमारे पु ा द को वृ यु करो. (२)
व ामना सुवृता रथेन द ा वमं शृणुतं ोकम े ः.
कम वां यव त ग म ा व ासो अ ना पुराजाः.. (३)
हे दशनीय अ नीकुमारो! अपने शी गामी एवं शोभन आकृ त वाले रथ ारा आकर
आदर करने वाले तोता क वाणी सुनो. या भूतकाल म उ प मेधा वय ने तु ह तोता
क द र ता मटाने के लए जाने वाला नह कहा था. (३)
आ वां येनासो अ ना वह तु रथे यु ास आशवः पत ाः.
ये अ तुरो द ासो न गृ ा अ भ यो नास या वह त.. (४)
हे अ नीकुमारो! रथ म जुड़े ए सव ग तशील, उछलने म समथ एवं शंसनीय
गमन वाले घोड़े तु ह लाव. हे स य व पो! जल के समान अथवा आकाशचारी गृ प ी के
समान शी ग त वाले घोड़े तु ह ह अ के सामने लाते ह. (४)
आ वां रथं युव त त द जु ् वी नरा हता सूय य.
प र वाम ा वपुषः पत ा वयो वह व षा अभीके.. (५)
हे नेताओ! सूय क युवती क या स होकर तु हारे रथ पर चढ़ थी. तु हारे सुंदर,
उछलने म समथ, ग तशील एवं तेज वी घोड़े तु ह तु हारे घर के पास ले जाव. (५)
उ दनमैरतं दं सना भ े भं द ा वृषणा शची भः.
न ौ यं पारयथः समु ा पुन यवानं च थुयुवानम्.. (६)
हे दशनीय एवं कामवषको! तुमने वंदन ऋ ष को कुएं से नकाला था. तु के पु भु यु
को सागर से पार कया तथा यवन ऋ ष को दोबारा युवक बनाया. (६)
युवम येऽवनीताय त तमूजमोमानम नावध म्.
युवं क वाया प र ताय च ुः यध ं सु ु त जुजुषाणा.. (७)
हे अ नीकुमारो! तुमने शत ार पीड़ागृह म बंद अ को बचाने के लए अ न को
बुझाया एवं उ ह सुखकारी अ दया. तुमने शोभन तु त वीकार करके अंधेरे म पड़े क व
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ऋ ष को ने
दए. (७)
युवं धेनुं शयवे ना धताया प वतम ना पू ाय.
अमु चतं व तकामंहसो नः त जङ् घां व पलाया अध म्.. (८)
हे अ नीकुमारो! तुमने अपने ाचीन याचक शंयु ऋ ष के लए गाय को धा
था. तुमने व तका को पाप से बचाया एवं व पला को सरी जंघा लगाई थी. (८)
कया
युवं ेतं पेदव इ जूतम हहनम नाद म म्.
जो मय अ भभू तमु ं सह सां वृषणं वीड् व म्.. (९)
हे अ नीकुमारो! तुमने राजा पे को ेत-वण, इं द , श ुहंता एवं सं ाम म श ु
को ललकारने वाला, श ुपराभवकारी, उ , हजार धन दे ने वाला, सेचन समथ एवं ढ़ांग
घोड़ा दया था. (९)
ता वां नरा ववसे सुजाता हवामहे अ ना नाधमानाः.
आ न उप वसुमता रथेन गरो जुषाणा सु वताय यातम्.. (१०)
हे नेता एवं शोभनज म वाले अ नीकुमारो! धन क याचना करते ए हम तु ह र ा के
लए बुलाते ह. तुम हमारी तु तय को वीकार करके हम सुख दे ने के लए अपने धनयु
रथ ारा हमारे सामने आओ. (१०)
आ येन य जवसा नूतनेना मे यातं नास या सजोषाः.
हवे ह वाम ना रातह ः श माया उषसो ु ौ.. (११)
हे स य व प अ नीकुमारो! तुम समान ीतयु एवं शंसनीय ग त वाले घोड़े के
नए वेग से यु होकर हमारे समीप आओ. हम तु ह दे ने यो य ह व लेकर न य उषा के उदय
काल म बुलाते ह. (११)
सू —११९
दे वता—अ नीकुमार
आ वां रथं पु मायं मनोजुवं जीरा ं य यं जीवसे वे.
सह केतुं व ननं शत सुं ु ीवानं व रवोधाम भ यः.. (१)
हे अ नीकुमारो! म जीवन एवं अ
ा त के लए तु हारे आ यपूण, मन के समान
शी चलने वाले, वेगशील अ से यु , य म बुलाने यो य हजार झंड वाले, उदकपूण,
सौ धन स हत, शी गामी एवं धन दे ने वाले रथ का आ ान करता ं. (१)
ऊ वा धी तः य य याम यधा य श म समय त आ दशः.
वदा म घम त य यूतय आ वामूजानी रथम ना हत्.. (२)
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उस रथ के चलते ही अ नीकुमार क तु त म हमारी बु ऊ वमुखी हो जाती है.
हमारी तु तयां उनके पास प ंचती ह. हम ह को वादपूण बनाते ह. र क आते ह. हे
अ नीकुमारो! ऊजानी नाम क सूयपु ी तु हारे रथ पर चढ़ थी. (२)
सं य मथः प पृधानासो अ तम शुभे मखा अ मता जायवो रणे.
युवोरह वणे चे कते रथो यद ना वहथः सू रमा वरम्.. (३)
हे अ नीकुमारो! य करने वाले अग णत जयशील मनु य सं ाम म शोभन धन ा त
के लए पधा करते ए जब मलते ह, तभी उ म धरती पर तु हारा रथ दखाई दे ता है. तुम
उसी रथ पर तोता के लए धन लाते हो. (३)
युवं भु युं भुरमाणं व भगतं वयु भ नवह ता पतृ य आ.
या स ं व तवृषणा वजे यं१ दवोदासाय म ह चे त वामवः.. (४)
हे कामवषको! तुमने घोड़ ारा लाए ए एवं सागर म डू बे ए भु यु को अपने वयं
यु घोड़ ारा लाकर उनके पता के समीप, र थ घर म प ंचा दया था. तुमने दवोदास
क जो महती र ा क थी, उसे हम जानते ह. (४)
युवोर ना वपुषे युवायुजं रथं वाणी येमतुर य श यम्.
आ वां प त वं स याय ज मुषी योषावृणीत जे या युवां पती.. (५)
हे अ नीकुमारो! तु हारे शंसनीय अ तु हारे जुड़े ए रथ को दौड़ क सीमा, सूय
तक सबसे पहले ले गए थे. जीती ई कुमारी ने म ता के लए आकर कहा था क म तु हारी
प नी ं और तु ह अपना प त बना लया. (५)
युवं रेभं प रषूते यथो हमेन घम प रत तम ये.
युवं शयोरवसं प यथुग व द घण व दन तायायुषा.. (६)
तुमने रथ को चार ओर के उप व से बचाया, अ ऋ ष को जलाने के लए असुर
ारा लगाई ई आग शीतल जल से बुझाई, शंयु क गाय को धा बनाया एवं वंदन ऋ ष
को द घ आयु द . (६)
युवं व दनं नऋतं जर यया रथं न द ा करणा स म वथः.
े ादा व ं जनथो वप यया वाम वधते दं सना भुवत्.. (७)
हे कुशल अ नीकुमारो! जैसे श पी पुराने रथ को नया कर दे ता है, उसी कार तुमने
बुढ़ापे से त वंदन ऋ ष को बारा युवा बना दया था. गभ थ कामदे व क तु त से स
होकर तुमने उस मेधावी को माता के उदर से बाहर नकाला. तु हारा वही र ाकम सेवा करने
वाले यजमान को ा त हो. (७)
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अग छतं कृपमाणं पराव त पतुः व य यजसा नबा धतम्.
ववती रत ऊतीयुवोरह च ा अभीके अभव भ यः.. (८)
तुम र दे श म अपने पता ारा य होकर ःख उठाते एवं ाथना करते ए भु यु के
पास गए. तु हारी शोभन ग त एवं व च र ा को सब लोग समीप पाना चाहते ह. (८)
उत या वां मधुम म कारप मदे . सोम यौ शजो व य त.
युवं दधीचो मन आ ववासथोऽथा शरः त वाम ं वदत्.. (९)
मधुभ का ने तु हारी मधुयु
तु त क . म उ शज का पु क ीवान् तु ह सोमरसपान
से आनं दत होने के लए बुलाता ं. तुमने दधी च का मन सेवा से स कया था. उसके
अ शर ने तु ह मधु व ा का उपदे श कया. (९)
युवं पेदवे पु वारम ना पृधां ेतं त तारं व यथः.
शयर भ ुं पृतनासु रं चकृ य म मव चषणीसहम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! तुमने पे को अनेक जन ारा वां छत यु म श ु को जीतने
वाला, द तसंप , सम त काम म बार-बार लगाने यो य एवं इं के समान श ुपराभवकारी
सफेद घोड़ा दया था. (१०)
सू —१२०
दे वता—अ नीकुमार
का राध ो ा ना वां को वां जोष उभयोः. कथा वधा य चेताः.. (१)
हे अ नीकुमारो! कौन सी तु त तु ह स बना सकती है? तु ह स करने म कौन
सा होता समथ है? तु हारे मह व को न जानने वाला तु हारी सेवा कैसे कर सकता है. (१)
व ांसा वद् रः पृ छे द व ा न थापरो अचेताः. नू च ु मत अ ौ.. (२)
अ तोता इसी कार तुम सव क सेवा पी माग को जानना चाहता है. उनके
अ त र सब ानहीन ह. श ु ारा आ मणर हत वे शी ही तोता पर अनु ह करते ह.
(२)
ता व ांसा हवामहे वां ता नो व ांसा म म वोचेतम .
ाच यमानो युवाकुः.. (३)
तुम सव को हम बुलाते ह. हे अ भ ो! तुम आज हम ात
तो बताओ. तु हारी
कामना करता आ म तुमको ह दे कर भली-भां त तु त करता ं. (३)
व पृ छा म पा या३ न दे वा वषट् कृत यादभुत य द ा.
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पातं च स सो युवं च र यसो नः.. (४)
हे दशनीयो! म तु ह से पूछना चाहता ,ं अ य प व-बु दे व से नह . तुम वषट् कार
के साथ अ न म डाले गए सोमरस को पओ एवं ौढ़ बनाओ. (४)
या घोषे भृगवाणे न शोभे यया वाचा यज त प
ैषयुन व ान्.. (५)
प
यो वाम्.
घोषापु सुह य एवं ऋ ष जस तु त से सुशो भत ए थे, अ क इ छा करता आ
वंशी म क ीवान् उसी तु त से तु हारी शंसा करके सफल बनूं. (५)
ु ं गाय ं तकवान याहं च
त
आ ी शुभ प त दन्.. (६)
ररेभा ना वाम्.
हे अ नीकुमारो! अटक-अटक कर चलते ए अंधे ऋ ष ऋजा क
शोभन पालको! उसने भी मेरे ही समान तु त करके आंख पाई थ . (६)
तु त सुनो. हे
युवं ा तं महो र युवं वा य रततंसतम्.
ता नो वसू सुगोपा यातं पातं नो वृकादघायोः.. (७)
हे गृहदाताओ! महान् धन के दाता एवं नाशक तुम हमारे र क बनो एवं हम पापी वृक
से बचाओ. (७)
मा क मै धातम य म णो नो माकु ा नो गृहे यो धेनवो गुः.
तनाभुजो अ श ीः.. (८)
हम कसी श ु के सामने उप थत मत करो. हमारे घर क
बछड़ कर कसी अग य थान म न जाएं. (८)
धा
गाएं बछड़ से
हीय म धतये युवाकु राये च नो ममीतं वाजव यै.
इषे च नो ममीतं धेनुम यै.. (९)
तु हारी कामना से तु त करने वाला बंधु
बलयु एवं गाय स हत अ दो. (९)
का पोषण करने के लए धन पाता है. हम
अ नोरसनं रथमन ं वा जनीवतोः. तेनाहं भू र चाकन.. (१०)
मने अ दाता अ नीकुमार का अ र हत रथ पाया है. म उससे वपुल धन क
कामना करता ं. (१०)
अयं समह मा तनू ाते जनाँ अनु. सोमपेयं सुखो रथः.. (११)
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हे धन स हत रथ! मेरा वंश व तार करो. अ नीकुमार उस सुखकारी रथ को
तोता के सोमपान वाले थान पर ले जाते ह. (११)
अध व य न वदे ऽभु
त रेवतः. उभा ता ब
न यतः.. (१२)
म ातःकाल के व एवं सर को र ा न करने वाले धनी से घृणा करता ं. ये दोन
शी न हो जाते ह. (१२)
सू —१२१
दे वता—इं
क द था नॄँ: पा ं दे वयतां वद् गरो अ रसां तुर यन्.
यदानड् वश आ ह य यो ं सते अ वरे यज ः.. (१)
तोता के पालक एवं गो प धन के दे ने वाले इं अपने भ अं गरा क तु त कब
सुनगे? वे जब गृह वामी यजमान के ऋ वज को सामने दे खते ह, तभी य पा बनकर य
म वयं आ जाते ह. (१)
त भी
ां स ध णं ष
ु ाय भुवाजाय वणं नरो गोः.
अनु वजां म हष त ां मेनाम य प र मातरं गोः.. (२)
उसने आकाश को धारण कया, असुर ारा चुराई गई गाय को नकाला एवं परम
भासमान होकर ा णय ारा से वत एवं अ का कारण वषाजल बखेरा. वह महान् अपनी
पु ी उषा के प ात् उदय होता है. उसने घोड़ी को गाय क माता बनाया. (२)
न
त
वम णीः पू राट् तुरो वशाम रसामनु ून्.
ं नयुतं त त भद् ां चतु पदे नयाय पादे .. (३)
अ ण वण क उषा को रं जत करने वाले वे पूववत ऋ षय ारा न मत तो सुन. वे
अं गरागो ीय ऋ षय को त दन धनदाता, व को तीखा करने वाले एवं मानव के हताथ
पाद एवं चतु पाद क र ा करते तथा आकाश को धारण करते ह. (३)
अ य मदे वय दा ऋतायापीवृतमु याणामनीकम्.
य
सग ककु नवतदप हो मानुष य रो वः.. (४)
तुमने सोमपान से स होकर प णय ारा चुराई ई गाय का य के लए शंसनीय
दान दया था. तीन लोक म उ म इं जब यु म संल न थे, तब वे मानव ोही असुर का
ार गाय के नकलने के लए खोल दे ते थे. (४)
तु यं पयो य पतरावनीतां राधः सुरेत तुरणे भुर यू.
शु च य े रे ण आयज त सब घायाः पय उ यायाः.. (५)
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हे
कारी इं ! तु हारे लए जगत् के माता- पता, धरती और आकाश ने बलवधक,
वीयसंप एवं धनयु
धा गाय का ध जस समय अ न म अ पत कया, तभी तुमने
प णय का ार खोल दया था. (५)
अध ज े तर णमम ु रो य या उषसो न सूरः.
इ य भरा वे ह ैः ुवेण स च रणा भ धाम.. (६)
उषा के समीपवत सूय के समान चमकते ए श ु वजयी इं इस समय कट ए ह. वे
हम स बनाव. हम भी तु तपा सोमरस को ुच से य थल म छड़कते ए पीते ह.
(६)
व मा य न ध तरप या सूरो अ वरे प र रोधना गोः.
य
भा स कृ
ाँ अनु ूनन वशे प षे तुराय.. (७)
काशयु मेघमाला जस समय अपना कम करने को त पर होती है, उस समय रे क
इं य के न म वषा का आवरण र करते ह. हे इं ! तुम जब काय यो य दवस को
का शत करते हो, तब गाड़ी वाले एवं चरवाहे अपने काम म शी सफल होते ह. (७)
अ ा महो दव आदो हरी इह ु नासाहम भ योधान उ सम्.
ह र य े म दनं
वृधे गोरभसम भवाता यम्.. (८)
जब ऋ वज् तु हारी बु
के लए मनोहर, मादक, बलकारी, एवं उपभोग यो य
सोमरस को प थर क सहायता से नचोड़, तब तुम अपने हषदाता एवं सोमरस का भोग
करने वाले दोन घोड़ को इस य म सोम पलाओ एवं हमारे धन का अपहरण करने वाले
श ु को हराओ. (८)
वमायसं त वतयो गो दवो अ मानमुपनीतमृ वा.
कु साय य पु त व व छु णमन तैः प रया स वधैः.. (९)
हे इं ! तुमने आकाश से ऋभु ारा लाए गए, श ु के त शी जाने वाले लौहमय व
को गमनशील शु ण असुर क ओर फका था. हे पु त! उस समय तुमने कु स ऋ ष के
क याण के लए शु ण को अनेक वध हनन साधन से हसा करते ए छे ड़ा था. (९)
पुरा य सूर तमसो अपीते तम वः फ लगं हे तम य.
शु ण य च प र हतं यदोजो दव प र सु थतं तदादः.. (१०)
हे व धारक! ाचीन काल म जब सूय अंधकार के साथ ए सं ाम से नवृ ए, उस
समय तुमने मेघ का वनाश कया. सूय को आ छा दत करने एवं सूय म संल न होने वाले
शु ण के बल को तुमने समा त कर दया था. (१०)
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अनु वा मही पाजसी अच े ावा ामा मदता म कमन्.
वं वृ माशयानं सरासु महो व ेण स वपो वरा म्.. (११)
हे इं ! वशाल श संप एवं सव
ापक धरती और आकाश ने तु ह वृ वध के
प ात् स कया था. इसके बाद तुमने सव वतमान एवं शोभन आहार वाले वृ असुर को
महान् व से मारकर पानी म गरा दया. (११)
व म नय याँ अवो नॄ त ा वात य सुयुजो व ह ान्.
यं ते का उशना म दनं दाद्वृ हणं पाय तत व म्.. (१२)
हे मानव हतकारी इं ! तुम जन अ क र ा करते हो, उन वायु तु य शी गामी एवं
शोभन रथ म जुते ए अ पर आरोहण करो. क वपु उशना ारा द मदकारक व को
तुमने वृ घातक एवं श ु अ त मणकारी के प म तेज कया है. (१२)
वं सूरो ह रतो रामयो नॄ भर च मेतशो नाय म .
ा य पारं नव त ना ानाम प कतमवतयोऽय यून्.. (१३)
हे इं ! सूय प म अपने ह र नामक घोड़ को रोको. एतश नाम का घोड़ा तु हारे रथ
का प हया आगे चलाता है. तुम नाव ारा पार होने यो य न बे न दय के पार जाकर
य वहीन असुर के पास प ंचो एवं उ ह क
म लगाओ. (१३)
वं नो अ या इ
हणायाः पा ह व वो रतादभीके.
नो वाजा यो३ अ बु या नषे य ध वसे सूनृतायै.. (१४)
हे व धारणक ा! इस श शाली द र ता से हमारी र ा करो, समीपवत सं ाम म
हम पाप से बचाओ तथा क त एवं स यभाषण के न म रथ एवं अ यु धन दान करो.
(१४)
मा सा ते अ म सुम त व दस ाज महः स मषो वर त.
आ नो भज मघव गो वय मं ह ा ते सधमादः याम.. (१५)
हे संप य के कारण पूजनीय इं ! तु हारी अनु ह बु हमसे अलग न हो. हे मघवन्!
तुम धन के वामी हो, हम गाय ा त कराओ. तु हारी वशाल तु तय से वृ
ा त करने
वाले पु -पौ ा द के साथ आनं दत ह . (१५)
सू —१२२
दे वता— व ेदेव
वः पा तं रघुम यवोऽ धो य ं ाय मीळ षे भर वम्.
दवो अ तो यसुर य वीरै रषु येव म तो रोद योः.. (१)
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हे ोधहीन ऋ वजो! तुम कम का फल दे ने वाले
को पालक एवं य साधन अ
अ धक मा ा म दो. म वग के दे व
तथा उनके अनुचर एवं आकाश और धरती के बीच
नवास करने वाले म द्गण क तु त करता ं.
अपने वीर अथात् म त क सहायता
से श ु को उसी कार भगा दे ते ह, जैसे तूणीर म रहने वाले बाण ारा श ु को भगाया
जाता है. (१)
प नीव पूव त वावृध या उषासान ा पु धा वदाने.
तरीना कं ुतं वसाना सूय य या सु शी हर यैः.. (२)
जस कार प नी प त क पहली पुकार सुनकर शी दौड़ती आती है, उसी कार
दवस एवं रा नामक दे वता अनेक कार क तु तय से ायमान होकर हमारे पहले
आ ान पर शी आव. उषादे वी श ुनाशक सूय के समान सुनहरी करण से यु होकर एवं
महान् प धारण करके आव. उषा सूय क शोभा को धारण करे. (२)
मम ु नः प र मा वसहा मम ु वातो अपां वृष वान्.
शशीत म ापवता युवं न त ो व े व रव य तु दे वाः.. (३)
नवास के यो य एवं सव ग तशील सूय हम स कर. जल बरसाने वाला वायु हम
मु दत करे. इं एवं मेघ हमारी वृ कर. इस कार व ेदेव हम पया त अ
दान कर.
(३)
उत या मे यशसा ेतनायै ता पा तौ शजो व यै.
वो नपातमपां कृणु वं मातरा रा पन यायोः.. (४)
हे ऋ वजो! उ षज के पु मुझ क ीवान् के क याण के लए य ीय अ के भ क,
सोमपानक ा एवं तु त के यो य अ नीकुमार को व काशक उषाकाल म बुलाओ. तुम
जल के नाती अ न क तु त करो. मुझ जैसे
य क मातृतु य अहोरा दे वता क
भी तु त करो. (४)
आ वो व युमौ शजो व यै घोषेव शंसमजुन य नंशे.
वः पू णे दावन आँ अ छा वोचेय वसुता तम नेः.. (५)
हे दे वगण! उ षज का पु म क ीवान् आपको बुलाने के लए आपके अनुकूल तो
का पाठ करता ं. हे अ नीकुमारो! जस कार
वा दनी म हला घोषा ने अपने ेत कु
रोग के वनाश के लए तु हारी तु त क थी, उसी कार म भी तु हारी तु त करता ं. म
फल दे ने वाले पूषा एवं धन दे ने वाले अ न क तु त करता ं. (५)
ुतं मे म ाव णा हवेमोत ुतं सदने व तः सीम्.
ोतु नः ोतुरा तः सु ोतुः सु े ा स धुर ः.. (६)
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हे म और व ण! मेरे आ ान के साथ-साथ य मंडप म वतमान अ य लोग का भी
आ ान सुनो. हमारे आ ान को भली कार सुनने वाले जलदे वता सधु हमारे फसल वाले
खेत को जल से स चते ए हमारी तु त सुन. (६)
तुषे सा वां व ण म रा तगवां शता पृ यामेषु प े.
ुतरथे यरथे दधानाः स ः पु न धानासो अ मन्.. (७)
हे म और व ण! म अ का नयमन करने वाले तो
ारा तु हारी तु त करता ं.
इस लए मुझ क ीवान् को तुम अन गनत गाएं दो. तुम लोग स एवं सुंदर रथ पर बैठकर
एवं मुझ क ीवान् के त स होकर आओ एवं मेरी पु को थायी करो. (७)
अ य तुषे म हमघ य राधः सचा सनेम न षः सुवीराः.
जनो यः प े यो वा जनीवान ावतो र थनो म ं सू रः.. (८)
म प व धन वाले दे वसमूह के धन क तु त करता ं. वे क ीवान् के य
ह.
हम पु -पौ ा द के साथ मलकर ेम से इस धन का उपभोग कर, म अं गरा गो वाले
क ीवान् को स तापूवक अ , घोड़े और रथ दे ने वाले दे वसमूह क तु त करता ं. (८)
जनो यो म ाव णाव भ ग
ु पो न वां सुनो य णया ुक्.
वयं स य मं दये न ध आप यद हो ा भऋतावा.. (९)
हे म और व ण! जो
तु हारा य न करके ोह करता है अथवा तु हारे न म
सोमरस न नचोड़कर तुमसे श ुता बढ़ाता है, वह मूख मनु य अपने आप ही अपने दय म
य मा रोग को धारण करता है. जो
य करने वाला है एवं तु तपाठ करता आ
सोमरस नचोड़ता है, वह कुशल अ
ा त करता है. (९)
स ाधतो न षो दं सुजूतः शध तरो नरां गूत वाः.
वसृ रा तया त बाळ् हसृ वा व ासु पृ सु सद म छू रः.. (१०)
वह कुशल अ
ा त करता है, मनु य को हराने वाला तथा अपने समान लोग म अ
के लए स होता है. अ त थय का धन से वागत करने वाला ऐसा
हसक श ु
से सदा नडर होकर सभी कार के यु म जाता है. (१०)
अध म ता न षो हवं सुरेः ोता राजानो अमृत य म ाः.
नभोजुवो य रव य राधः श तये म हना रथवते.. (११)
हे सव र एवं आनंददाता दे वगण! मुझ तु तक ा एवं मरणशील
क तु त सुनो
और इस य म पधारो. हे आकाश ापी दे वो! तुम ऐसे यजमान को महान् बनाने वाले ह
क शंसा करना चाहते हो, जसका र क तु हारे अ त र कोई न हो. (११)
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एतं शध धाम य य सूरे र यवोच दशतय य नंशे.
ु ना न येषु वसुताती रार व े स व तु भृथेषु वाजम्.. (१२)
जन दे व ने यह कहा क हमने उस यजमान को वजय का साधन बल दान कया,
जसके दस इं यपोषक सोम को हण करने के लए हम आए ह, ऐसे दे व का काशवान्
अ एवं व तृत धन अ यंत शोभा पाता है. सम त दे व उ म य म हम अ
दान कर.
(१२)
म दामहे दशतय य धासे य प च ब तो य य ा.
क म ा इ र मरेत ईशानास त ष ऋ ते नॄन्.. (१३)
जब-जब हम व दे व क तु त करते ह, तब-तब ऋ वज् दस कार क इं य को
पु करने वाले दस कार के अ को धारण करके य मंडप क ओर चलते ह. इ ा एवं
इ र म नाम के राजा श ुनाशक एवं नेता- प व ण आ द दे वता को बलकुल स
नह कर सकते. (१३)
हर यकण म ण ीवमण त ो व े व रव य तु दे वाः.
अय गरः स आ ज मुषीरो ा ाक तूभये व मे.. (१४)
सम त दे व हम ऐसे सुंदर पु द जो कान म वणाभूषण एवं ीवा म र नमाला धारण
करते ह . सम त आदरणीय दे व का समूह हमारे आने के तुरंत बाद ही तु तय एवं ह क
अ भलाषा करे. (१४)
च वारो मा मशशार य श
यो रा आयवस य ज णोः.
रथो वां म ाव णा द घा साः यूमगभ तः सूरो ना ौत्.. (१५)
मशश र राजा के चार एवं जयशील अयवस राजा के तीन पु मुझ क ीवान् को क
प ंचाते ह. हे म और व ण! तु हारा अ यंत व तृत एवं सुखकर काश वाला रथ सूय के
समान चमकता है. (१५)
सू —१२३
दे वता—उषा
पृथू रथो द णाया अयो यैनं दे वासो अमृतासो अ थुः.
कृ णा द थादया३ वहाया क स ती मानुषाय याय.. (१)
अपने ापार म कुशल उषा दे वी के रथ म घोड़े जोड़े गए. उस रथ म मरणर हत
दे वसमूह य म जाने के लए बैठ गया. पूजा के यो य एवं व वध गमन वाली उषा काले रंग
के अंधकार से उ प होती है एवं अंधकार नवारण पी च क सा करती ई मानव के
नवास थान क ओर आती है. (१)
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पूवा व
उ चा
माद्भुवनादबो ध जय ती वाजं बृहती सनु ी.
य ुव तः पुनभुरोषा अग थमा पूव तौ.. (२)
गमनशील काश ारा अंधकार पर वजय ा त करने वाली, महती एवं व को सुख
दे ने वाली उषा सम त ा णय से पहले जागती है. वह न य यौवना उषा पुनः पुनः उ प
होती है. सारे संसार को दे खती ई वह हमारे एक बार बुलाने पर ही आ जाती है. (२)
यद भागं वभजा स नृ य उषो दे व म य ा सुजाते.
दे वो नो अ स वता दमूना अनागसो वोच त सूयाय.. (३)
हे सुजाता एवं मानवपा लका उषादे वी! तुम इस समय मनु य के लए अपने काश
का जो अंश दे ती हो, उसीको हम स वता दे व दान कर तथा हमारे य थल म सूय के
आगमन के न म हम पापर हत कहकर अनुगृहीत कर. (३)
गृहङ् गृहमहना या य छा दवे दवे अ ध नामा दधाना.
सषास ती ोतना श दागाद म म जते वसूनाम्.. (४)
से
भोग क इ छा से यु एवं सारे संसार को का शत करती ई उषा त दन न भाव
येक घर क ओर आती है एवं इ व- प धन का े भाग वीकार कर लेती है. (४)
भग य वसा व ण य जा म षः सूनृते थमा जर व.
प ा स द या यो अघ य धाता जयेम तं द णया रथेन.. (५)
हे उषा! तुम मनु य क शोभन ने ी हो. तुम आ द य क वसा एवं अंधकार नवारक
स वता क भ गनी तथा अ य दे व क अपे ा े हो. सम त दे व तु हारी तु त कर. तु हारी
स ता के प ात् जो ःख दे ने वाला आएगा, हम तु हारी सहायता ा त करके उसे अपने
रथ आ द साधन से जीत लगे. (५)
उद रतां सुनृता उ पुर धी द नयः शुशुचानासो अ थुः.
पाहा वसू न तमसापगूळ्हा व कृणव युषसो वभातीः.. (६)
हे ऋ वजो! य एवं स ची बात तु त प म कहो, बु का माण दे ने वाले य कम
करो तथा द तशाली अ न व लत करो. ऐसा करने से व वध काश वाली उषा अंधकार
से ढके ए एवं य साधन धन को कट करती है. (६)
अपा यदे य य१ यदे त वषु पे अहनी सं चरेते.
प र तो तमो अ या गुहाकर ौ षाः शोशुचता रथेन.. (७)
व
नाना पवान् अहोरा —दोन दे वता वधान र हत होकर चलते ह. वे एक- सरे के
ग त वाले ह. एक आता है तो सरा जाता है. बारीबारी से आने वाले इन दे वता म
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एक पदाथ को छपाते ह और सरे अपने अ यंत काशवान् रथ के ारा उ ह का शत
करते ह. (७)
स शीर स शी र ो द घ सच ते व ण य धाम.
अनव ा ंशतं योजना येकैका तुं प र य त स ः.. (८)
उषा आज जतनी सुंदर है, उसी के समान कल भी सुंदर होगी. सूय जहां रहता है, उषा
त दन उससे तीस योजन आगे रहती है. एक ही उषा सूय के उदयकाल म आने और जाने
का—दोन काय करती है. (८)
जान य ः थम य नाम शु ा कृ णादज न
तीची.
ऋत य योषा न मना त धामाहरह न कृतमाचर ती.. (९)
द त एवं ेत वण वाली तथा काले रंग के अंधकार से उ प होने वाली उषा दन के
पहले अंश को जानती है. उ प होने पर उषा सूय के तेज म मल जाती है. उसके तेज का
पराभव नह करती, अ पतु त दन उसक शोभा बढ़ाती है. (९)
क येव त वा३ शाशदानाँ ए ष दे व दे व मय माणम्.
सं मयमाना युव तः पुर तादा वव ां स कृणुषे वभाती.. (१०)
हे उषादे वी! तुम क या के समान अपने अंग को प करती ई दानशील एवं
काशयु सूय पी य के समीप आओ. तुम युवती के समान अ यंत काशयु होती
ई तथा हंसती ई सूय के सामने अपने गोपनीय अंग को व र हत करो. (१०)
सुसङ् काशा मातृमृ व
े योषा व त वं कृणुषे शे कम्.
भ ा वमुषो वतरं ु छ न त े अ या उषसो नश त.. (११)
जस कार माता ारा नान आ द से शु कए जाने पर क या का प दशनीय हो
जाता है, उसी कार तुम भी सबको दखाने के लए अपना शरीर का शत करो. हे क याण
करने वाली उषा! अंधकार मटाओ. अ य उषाएं तु हारे काय ा त नह करगी. (११)
अ ावतीग मती व वारा यतमाना र म भः सूय य.
परा च य त पुनरा च य त भ ा नाम वहमाना उषासः.. (१२)
उषा दे वयां अ एवं गाय से संप एवं सभी काल म रहने वाली ह. वे सूय क
करण के साथ न य ही अंधकार का नाश करने का य न करती ह. वे सबके अनुकूल होने
के कारण क याणकर नाम धारण करके आती-जाती ह. (१२)
ऋत य र ममनुय छमाना भ भ ं ऋतुम मासु धे ह.
उषो नो अ सुहवा ुछा मायु रायो मघव सु च युः.. (१३)
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हे उषा! तुम सूय क करण के अनुकूल चलती ई हम ऐसी बु दो, जससे हम य
आ द कम के ारा अपना क याण कर सक. हमारे ारा आ त होकर तुम अंधकार का
नाश करो. ह व प धन से यु हम यजमान के पास अनेक कार क संप हो. (१३)
सू —१२४
दे वता—उषा
उषा उ छ ती स मधाने अ ना उ सूय उ वया यो तर ेत्.
दे वो नो अ स वता वथ ासावीद् प चतु प द यै.. (१)
यह उषा ातःकाल अ न के
व लत होने पर अंधकार को हटाती है एवं उ दत होते
ए सूय के समान भूत काश फैलाती है. स वता दे व हमारे गमन-आगमन वहार के लए
मनु य और पशु प धन दे ते ह. (१)
अ मनती दै ा न ता न मनती मनु या युगा न.
ईयुषीणामुपमा श तीनामायतीनां थमोषा
ौत्.. (२)
उषा दे व संबंधी त म बाधा नह डालती तथा मनु य का वयोग करती है. यह
भूतकाल म होने वाली तथा सदा आने वाली उषा के तु य है. यह भ व य म आने वाली
उषा म थमा बनकर वशेष काश दे रही है. (२)
एषा दवो हता यद श यो तवसाना समना पुर तात्.
ऋत य प थाम वे त साधु जानतीव न दशो मना त.. (३)
यह उषा वग क पु ी है. इस लए यह काश पी व को धारण करती ई पूव
दशा म भली-भां त चलती ई सभी के सामने का शत होती है. उषा अपने य सूय का
अ भ ाय जानती ई भी उसके माग पर आगे-आगे चलती है एवं पूवा द दशा को कभी
समा त नह करती. (३)
उपो अद श शु युवो न व ो नोधा इवा वरकृत या ण.
अ स ससतो बोधय ती श मागा पुनरेयुषीणाम्.. (४)
जस कार सूय अपना र मसमूह पी व थल कट करते ह एवं नोधा ऋ ष ने
जस कार अपने य मं समूह को कट कया था, उसी कार उषा भी वयं को सबके
समीप कट करती है. उषा गृ हणी के समान सबसे पहले जागकर शेष लोग को जगाती है
एवं ातःकाल आने वाली वारव नता म सवा धक सुंदर है. (४)
पूव अध रजसो अ स य गवां ज न यकृत केतुम्.
ु थते वतरं वरीय ओभा पृण ती प ो प था.. (५)
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उषा व तृत आकाश के पूव भाग म ज म लेकर दशा का ान कराती है. धरती
और आकाश उसके पता ह. उषा इन दोन के म य म थत होकर अपने तेज से अ यंत
व तीण प से स
ई है. (५)
एवेदेषा पु तमा शे कं नाजा म न प र वृण जा मम्.
अरेपसा त वा३ शाशदाना नाभाद षते न महो वभाती.. (६)
इस कार व तार को ा त ई उषा अपने जा त वाले दे व और वजातीय मानव
सभी को ा त होती है, जससे वे सुखपूवक दे ख सक. अपने नमल शरीर के कारण प
होती ई उषा छोटे बड़े कसी के पास से नह हटती. (६)
अ ातेव पुसं ए त तीची गता गव सनये धनानाम्.
जायेव प य उशती सुवासा उषा ह ेव न रणीते अ सः.. (७)
उषा बना भाई क ब हन के समान प म क ओर मुख करके चलती है तथा प तहीना
नारी के समान काश प धन ा त करने के लए आकाश म चढ़ती है. उषा प त को स
करने वाली प नी के समान सुंदर व पहनकर हा य ारा अपने दांत का दशन करती है.
(७)
वसा व े याय यै यो नमारैगपै य याः तच येव.
ु छ ती र म भः सूय या यङ् े समनगा इव ाः.. (८)
नशा पी छोट ब हन उषा पी बड़ी ब हन को अपना थान दे कर चली जाती है.
सूय क करण से अंधकार का नाश करती ई यह उषा बज लय के समान संसार म
काश करती है. (८)
आसां पूवासामहसु वसॄणामपरा पूवाम ये त प ात्.
ताः नव
सीनूनम मे रेव छ तु सु दना उषासः.. (९)
सभी उषाएं पर पर ब हन ह एवं एक सरी के पीछे चलती ह. आने वाली उषाएं ाचीन
उषा के समान सु दन लाव एवं हम ब धनसंप कर. (९)
बोधयोषः पृणतो मघो यबु यमानाः पणयः सस तु.
रेव छ मघवद् यो मघो न रेव तो े सूनृते जारय ती.. (१०)
हे धनवती उषा! ह व दे ने वाल को जगाओ तथा लालची प णय को सोने दो. तुम
ह वयु यजमान को समृ बनाओ. तुम सुंदर ने ी हो. तुम सब ा णय को ीण करती
हो, पर अपने यजमान को उ त बनाओ. (१०)
अवेयम ै ुव तः पुर ता ुङ् े गवाम णानामनीकम्.
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व नूनमु छादस त
केतुगृहंगृहमुप त ाते अ नः.. (११)
युवती के समान पूव दशा से आती ई उषा अपने रथ म लाल रंग के बैल को जोड़ती
है. यह पर हत आकाश म अंधकार को मटाती है. उषा के आने पर ही सब घर म आग
जलती है. (११)
उ े वय
सतेरप त र ये पतुभाजो ु ौ.
अमा सते वह स भू र वाममुषो दे व दाशुषे म याय.. (१२)
हे उषा! तु हारे कट होते ही प ी अपने घ सल से उड़ने लगते ह और मनु य अ
ा त क इ छा से अपने-अपने कम म उ मुख होते ह. हे दे वी उषा! जो ह दाता यजमान
दे वयजन मंडप म थत है, उसके लए पया त धन दो. (१२)
अ तोढ् वं तो या
णा मे ऽवीवृध वमुशती षासः.
यु माकं दे वीरवसा सनेम सह णं च श तनं च वाजम्.. (१३)
हे तु त यो य उषाओ! मेरे मं तु हारी तु त कर. तुम हमारी उ त चाहती ई हमारी
वृ करो. हे उषा दे वयो! तुम य द हमारी र ा करोगी तो हम हजार और सैकड़ धन ा त
करगे. (१३)
सू —१२५
दे वता—दान
ाता र नं ात र वा दधा त तं च क वा तगृ ा न ध े.
तेन जां वधयमान आयू राय पोषेण सचते सुवीरः.. (१)
वनय नाम का राजा ातःकाल आकर मेरे समीप र न रखे. ानी क ीवान् अथात् मने
उ ह वीकार कया एवं उनके ारा पु , सेवक एवं अपनी अव था म वृ करके राजा को
आशीवाद दया है क वह बार-बार धन ा त करे. (१)
सुगुरस सु हर यः व ो बृहद मै वय इ ो दधा त.
य वाय तं वसूना ात र वो मु ीजयेव प द मु सना त.. (२)
यह वनय राजा ब त सी गाय , वण और घोड़ का वामी है. इं इ ह अतुल संप
द. जस कार पशु-प ी आ द को र सी से बांध लया जाता है, उसी कार राजा ने
ातःकाल ही पैदल आकर जाने वाले या ी क ीवान् को जाने नह दया. (२)
आयम सुकृतं ात र छ ेः पु ं वसुमता रथेन.
अंशोः सुतं पायय म सर य य रं वध य सुनृता भः.. (३)
म शोभनकमा एवं य र क को दे खने के लए धनयु रथ म बैठकर आज आया ं.
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काशयु एवं मादकता दान करने वाले सोमरस को पओ तथा सुंदर पु , भृ य आ द क
कामना करो. (३)
उप र त स धवो मयोभुव ईजानं च य यमाणं च धेनवः.
पृण तं च पपु र च व यवो घृत य धारा उप य त व तः.. (४)
सुख दे ने वाली एवं धा गाएं य क ा और य का संक प करने वाले के पास
जाकर उसे ध दे ती ह. पतर को तपण करने वाले एवं ा णय को स करने वाले पु ष
के समीप समृ दे ने वाली घृतधाराएं आकर संतोष दे ती ह. (४)
नाक य पृ े अ ध त त तो यः पृणा त स ह दे वेषु ग छ त.
त मा आपो घृतमष त स धव त मा इयं द णा प वते सदा.. (५)
ह दे कर दे व को स करने वाला वग म प ंचकर दे व के बीच बैठता है. बहता
आ जल उसे तेज एवं धरती फसल ारा उसे संतोष दे ती है. (५)
द णावता म दमा न च ा द णावतां द व सूयासः.
द णाव तो अमृतं भज ते द णाव तः तर त आयुः.. (६)
दान दे ने वाले
को धरती पर यमान व तुएं ा त होती ह एवं सूया द लोक
समृ होते ह. दाता जरामरण-र हत द घ आयु ा त करके अमर बनता है. (६)
मा पृण तो रतमेन आर मा जा रषुः सूरयः सु तासः.
अ य तेषां प र धर तु क दपृण तम भ सं य तु शोकाः.. (७)
ह व ारा दे व को स करने वाला ःख और पाप से र रहता है एवं तोता व ान्
वृ ाव था से र रहते ह. इन दोन से भ अथात् दान एवं तु त न करने वाल को पाप
और शोक ा त होता है. (७)
सू —१२६
दे वता—भावय
आद
अम दा सोमा भरे मनीषा स धाव ध यतो भा य.
यो मे सह म ममीत सवानतूत राजा व इ छमानः.. (१)
म सधु तीर पर रहने वाले भावय के पु वनय के न म तो
ं. उस अजेय राजा ने यश ा त क इ छा से मेरे लए एक इजार सोमय
शतं रा ो नाधमान य न का छतम ा यता स आदम्.
शतं क ीवाँ असुर य गोनां द व वोऽजरमा ततान.. (२)
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क रचना करता
कए थे. (१)
दानशील राजा ने मुझ क ीवान् से ाथना क . मने उससे सौ वण मु ाएं, सौ घोड़े एवं
सौ बैल वीकार कए. इस दान से राजा ने वगलोक म थायी यश ा त कर लया. (२)
उप मा यावाः वनयेन द ा वधूम तो दश रथासो अ थुः.
ष ः सह मनु ग मागा सन क ीवाँ अ भ प वे अ ाम्.. (३)
वनय ने मुझे सफेद घोड़ वाले दस रथ दए. उन म वधुएं बैठ थ . रथ के पीछे एक
हजार साठ गाएं चल रही थ . मने यह सब वीकार करके अगले ही दन अपने पता को दे
दया. (३)
च वा रश शरथ य शोणाः सह या े े ण नय त.
मद युतः कृशनावतो अ या क ीव त उदमृ त प ाः.. (४)
पीछे हजार गाएं ह. आगे दस रथ म लाल रंग के चालीस घोड़े पं ब होकर चलते
ह. घास लए ए क ीवान् के अनुचर घोड़ को मलने लगे. वणाभूषण से यु वे मतवाले
घोड़े श ु का गव न करते ह. (४)
पूवामनु य तमा ददे व ी यु ाँ अ ाव रधायसो गाः.
सुब धवो ये व या इव ा अन व तः व ऐष त प ाः.. (५)
हे भाइयो! मने पूवदान के अनुसार तु हारे लए तीन और आठ रथ तथा ब मू य गाएं
वीकार क ह. अं गरा के सभी पु जा के समान पर पर अनुराग यु होकर ह अ
से भरी गा ड़य स हत यश क इ छा कर. (५)
आग धता प रग धता या कशीकेव ज हे.
ददा त म ं या री याशूनां भो या शता.. (६)
भावय ने अपनी प नी लोमशा को ल य करके कहा—“ जस कार नकुली अपने
प त से चपट रहती है उसी कार यह संभोग-यो य युवती आ लगन करने के प ात्
चरकाल रमण करती है. यह रेतोयु रमणी मुझे सैकड़ भोग दान करती है.” (६)
उपोप मे परा मृश मा मे द ा ण म यथाः.
सवाहम म रोमशा ग धारीणा मवा वका.. (७)
लोमशा प त से कहती है—“समीप आकर मेरा पश करो. मेरे अंग को अ प मत
समझो. म गंधार दे श क भेड़ के समान संपूण अवयव वाली एवं रोमयु
.ं ” (७)
सू —१२७
दे वता—अ न
अ नं होतारं म ये दा व तं वसुं सूनुं सहसो जातवेदसं व ं न जातवेदसम्.
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य ऊ वया व वरो दे वो दे वा या कृपा.
घृत य व ा मनु व शो चषाजु ान य स पषः.. (१)
म अ न को दे व का आ ानक ा, अ तशय दानशील, नवास यो य, बल का पु एवं
मेधावी ा ण के समान सव मानता ं. अ न य संपादन म समथ एवं दे वपूजा क इ छा
से यु ह. वे अपनी वाला से घृत का अनुसरण करके उसक कामना करते ह. (१)
य ज ं वा यजमाना वेम ये म रसां व म म भ व े भः शु
प र मान मव ां होतारं चषणीनाम्.
शो च केशं वृषणं य ममा वशः ाव तु जूतये वशः.. (२)
म म भः.
हे मेधावी एवं द त वालायु अ न! हम यजमान मनु य पर कृपा करने के हेतु
मनन-साधन एवं स तादायक मं
ारा अं गरा म े एवं यजन यो य तु ह बुलाते ह.
तुम सब ओर चलने वाले सूय के समान दे व को बुलाते हो. तु हारी लपट केश के समान
व तृत ह. यजमान लोग वां छत फल पाने के लए तु ह स कर. तुम वषाकारक हो. (२)
स ह पु चदोजसा व मता द ानो भव त ह तरः परशुन ह तरः.
वीळु च य समृतौ ुव नेव य थरम्.
न षहमाणो यमते नायते ध वासहा नायते.. (३)
चमकती ई वाला
से यु अ न परशु के समान श ु
का नाश करने म
अ तीय ह. अ न से मलकर जस कार जल न हो जाता है, उसी कार ढ़ व तुएं भी
समा त हो जाती ह. अ न श ुनाशक धनुधर के समान कभी पीठ नह दखाते. (३)
ळ् हा चद मा अनु यथा वदे ते ज ा भरर ण भदा वसे ऽ नये दा
यः पु ण गाहते त नेव शो चषा.
थरा चद ा न रणा योजसा न थरा ण चदोजसा.. (४)
वसे.
जैसे व ान् को
दान कया जाता है, उसी तरह येक मं के बाद अ न को
सारवान ह दया जाता है. अ न य ा द साधन ारा हमारी र ा के लए वग दान करते
ह. अ न यजमान ारा दए गए ह म व होकर उसे जंगल क तरह जला दे ते ह. ये
अपने तेज ारा जौ आ द अ को पकाते तथा अपने ओज से ढ़ श ु का नाश करते ह.
(४)
तम य पृ मुपरासु धीम ह न ं यः सुदशतरो दवातराद ायुषे दवातरात्.
आद यायु भणव ळु शम न सूनवे.
भ मभ मवो तो अजरा अ नयो तो अजराः.. (५)
हम रात म अ धक का शत होने वाले और दन म तेजशू य रहने वाले अ न को वेद
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के समीप ह दे ते ह. पता के समीप उ म एवं सुखदायक घर ा त करने वाले पु के
समान अ न अ हण करते ह. वे भ और अभ को जानते ए भी दोन क र ा करते
ह एवं ह का भ ण करके सदा युवा बने रहते ह. (५)
स ह शध न मा तं तु व व णर वतीषूवरा व नरातना व नः.
आद
ा याद दय य केतुरहणा.
अध मा य हषतो षीवतो व े जुष त प थां नरः शुभे न प थाम्.. (६)
जस कार वायु का वेग श द करता है, उसी कार तु त यो य अ न भी जलते समय
श द करता है. अ न का य उपजाऊ धरती पर करना चा हए. ह एवं दानशील अ न य
के झंडे के समान सव पूजनीय ह. जस कार लोग सुख पाने के लए राजपथ पर चलते
ह, उसी कार यजमान को स ता दे ने वाले अ न क सेवा क जाती है. (६)
ता यद क तासो अ भ वो नम य त उपवोच त भृगवो म न तो दाशा भृगवः.
अ नरीशे वसूनां शु चय ध णरेषाम्.
याँ अ पध व नषी मे धर आ व नषी मे धरः.. (७)
भृगुगो म उ प मह ष ह दान करने के उ े य से अर ण म अ न का मंथन करते
ए तु त बोलते ह. वे मह ष ौत एवं मात दोन कार क अ नय का गुण वणन करने
वाले, तेज वी एवं नमनशील ह. द त अ न धन के वामी य क ा एवं यह का
भली-भां त उपभोग करने वाले ह. मेधावी अ न सरे दे व को भी य का भाग दान करते
ह. (७)
व ासां वा वशां प त हवामहे सवासां समानं द प त भुजे स य गवाहसं भुजे.
अ त थ मानुषाणां पतुन य यासया.
अमी च व े अमृतास आ वयो ह ा दे वे वा वयः.. (८)
हम अ त थ के समान पू य अ न को ह भोग करने के लए बुलाते ह. वे सम त
जा के र क, समान प से मानव के गृहपालक एवं तु तवाहक ह. जैसे पु अ ा द
पाने के लए पता के समीप आता है, उसी कार सम त दे व ह
ा त के लए अ न के
समीप प ंचते ह. इसी लए ऋ वज् अ य दे वता को ह व दे ने क इ छा से अ न म ही
हवन करते ह. (८)
वम ने सहसा सह तमः शु म तमो जायसे दे वतातये र यन दे वतातये.
शु म तमो ह ते मदो ु न तम उत तुः.
अध मा ते प र चर यजर ु ीवानो नाजर.. (९)
हे अ न! तुम भी धन के समान दे व के य के न म ही उ प होते हो. तुम अपने
बल से श ुनाश करते हो एवं तेज वी हो. ह
वीकार से उ प तु हारा हष अ यंत बलवान्
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एवं तु हारा य परम यश वी होता है. हे जरार हत एवं भ क जरा का नवारण करने
वाले अ न! यजमान त के समान तु हारी सेवा करते ह. (९)
वो महे सहसा सह वत उषबुधे पशुषे ना नये तोमो बभू व नये.
त यद ह व मा व ासु ासु जोगुवे.
अ े रेभो न जरत ऋषूणां जू णह त ऋषूणाम्.. (१०)
हे तु तक ाओ! यजमान अ न को ल य करके वेद क भू म पर इधर-उधर गमन
करते ह. तु हारी तु त पूजनीय, श
ारा श ु को हराने वाली, ातःकाल जागरणशील
एवं पशुदाता अ न को स करने वाली हो. बंद जन जस कार ध नय क शंसा करते
ह, उसी कार तु तकुशल होता दे व म े अ न क तु त सबसे पहले करता है. (१०)
स नो ने द ं द शान आ भरा ने दे वे भः सचनाः सुचेतुना महो रायः सुचेतुना.
म ह श व न कृ ध स च े भुजे अ यै.
म ह तोतृ यो मघव सुवीय मथी ो न शवसा.. (११)
हे अ न! तुम हम अपने समीप दखाई दे ते ए भी दे व के साथ ह का भोग करते
हो. तुम भ के त अनु ह भरे शोभन च से पूजनीय धन लाते हो. हे बलसंप अ न!
पृ वी का दशन एवं भोग करने के लए हम अ धक अ दो. हे धन वामी अ न! तोता
को पु भृ ययु धन दान करो. तुम परम बली एवं ू र
के समान हमारे श ु को
न करो. (११)
सू —१२८
दे वता—अ न
अयं जायत मनुषो धरीम ण होता य ज उ शजामनु तम नः वमनु तम्.
व ु ः सखीयते र य रव व यते.
अद धो होता न षद दळ पदे प रवीत इळ पदे .. (१)
दे व का आ ान करने वाले एवं यजन यो य अ न फल क कामना करने वाल एवं
ह व का भोजन करने के न म मनु य ारा अर ण से उ प होते ह. सम त सुख के क ा
अ न म ता चाहने वाले एवं स अ क इ छा करने वाले यजमान के लए धन के
समान ह. य वेद धरती के उ म थान म है. वहां श संप एवं य क ा अ न ऋ वज
से घरे बैठे ह. (१)
तं य साधम प वातयाम यृत य पथा नमसा ह व मता दे वताता ह व मता.
स न ऊजामुपाभृ यया कृपा न जूय त.
यं मात र ा मनवे परावतो दे वं भाः परावतः.. (२)
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हमारा तो य और घृत से यु तथा न तासंप
तब तक सेवा करते ह, जब तक वे संतु न हो जाव. अ
म सहायता करते ह. हमारे ह को वीकार करने से अ
मात र ा मनु के न म अ न को र से लाए और उसे
से हमारे य म आव. (२)
है. हम इस तो ारा अ न क
न ह संप दे वय को पूण करने
न का नाश नह होगा. जस कार
जलाया, उसी कार अ न र दे श
एवेन स ः पय त पा थवं मु ग रेतो वृषभः क न द ध े तः क न दत्.
शतं य ाणो अ भदवो वनेषु तुव णः.
सदो दधान उपरेषु सानु व नः परेषु सानुषु.. (३)
अ न क सदा तु त क जाती है. वे अ यु , कामवष , साम यशाली एवं श द करने
वाले ह. वे हमारे आ ान के तुरंत बाद ही वेद के चार ओर चलने लगते ह. वे हण करने
यो य तो के कारण अपनी वाला
ारा यजमान के काय को सौगुना का शत करते
ह. उ च थान ा त अ न य को सदा घेरे रहते ह. (३)
स सु तुः पुरो हतो दमेदमेऽ नय या वर य चेत त
वा वेधा इषूयते व ा जाता न प पशे.
यतो घृत ीर त थरजायत व वधा अजायत.. (४)
वा य
य चेत त.
शोभनकमा एवं य न पादक अ न येक यजमान के घर म नाशर हत य को
जानते ह एवं व वध कम के फलदाता बनकर यजमान को अ दे ने क इ छा करते ह.
अ न घृतसेवी अ त थ के प म उ प होने के कारण संपूण ह को वीकार करते ह.
अ न के
व लत होने पर यजमान को ब त से फल मलते ह. (४)
वा यद य त वषीषु पृ चतेऽ नेरवेण म तां न भो ये षराय न भो या.
स ह मा दान म व त वसूनां च म मना.
स न ासते रताद भ तः शंसादघाद भ तः.. (५)
वायु ारा मेघ से वषा कए जाने पर जस कार सभी अ समान प से पकते ह
अथवा याचक को जस कार सभी भ णीय
दए जाते ह, उसी कार यजमान अ न
को तृ त करने के लए उसक वाला म पुरोडाश आ द
मलाते ह. यजमान अपने
धन के अनुसार ह दे ता है. अ न हम ःखद एवं हसक पाप से बचाव. (५)
व ो वहाया अर तवयुदधे ह ते द णे तर णन श थ
व मा इ दषु यते दे व ा ह मो हषे.
व मा इ सुकृते वारमृ व य न ारा ृ व त.. (६)
व यया न श थत्.
सवगंत , महान् एवं न य ग तशील अ न दे ने क इ छा से सूय के समान द ण हाथ
म धन रखते ह. वह हाथ य करने वाले के लए सदा ढ ला रहता है. अ न ह व पाने क
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आशा से यजमान को नह यागते. हे अ न! तुम ह व के इ छु क सभी दे व के लए ह व
वहन करते हो. अ न उ म कम करने वाले मनु य के लए उ म धन दे ते ह एवं वग का
ार खोलते ह. (६)
स मानुषे वृजने श तमो हतो३ नय ेषु जे यो न व प तः
स ह ा मानुषाणा मळा कृता न प यते.
स न ासते व ण य धूतमहो दे व य धूतः.. (७)
यो य ेषु व प तः.
मनु य पाप के नवारण के लए जो य करता है, उस म अ न सहायक ह. ये वजयी
राजा के समान य थल म मनु य के पालक एवं य ह. यजमान य वेद पर जो ह व
एक त करता है, अ न उसी को वीकार करने के लए आते ह. अ न य म बाधा प ंचाने
वाले और हमारी हसा करने वाले
य के भय से तथा महान् पाप से हमारी र ा कर.
(७)
अ नं होतारमीळते वसु ध त यं चे त मर त ये ररे ह वाहं ये ररे.
व ायुं व वेदसं होतारं यजतं क वम्.
दे वासो र वमवसे वसूयवो गीभ र वं वसूयवः.. (८)
ऋ वज् य संप क ा, धन धारण करने वाले, सव य, बु दाता एवं न य व लत
अ न क तु त करते ह एवं भली-भां त सुख ा त करते ह. अ न ह वाही, सम त
ा णय के जीवन, परम बु संप , दे व को बुलाने वाले, यजनीय एवं सव ह. यजमान
धन क इ छा से अ न को ह दे ना चाहते ह एवं आ य पाने वाले क इ छा से श द करने
वाले एवं रमणीय अ न को ा त करते ह. (८)
सू —१२९
दे वता—इं
यं वं रथ म मेधसातयेऽपाका स त म षर णय स ानव नय स.
स
म भ ये करो वश वा जनम्.
सा माकमनव तूतुजान वेधसा ममां वाचं न वेधसाम्.. (१)
हे य गामी एवं अ न दत इं ! य लाभ के
पास जाते हो और धन, व ा आ द से उसे उ त
अ यु कर दो. हे इं ! तुम सम त पुरो हत म उ
वीकार करते हो, उसी शी ता से हमारे ारा दया
लए तुम अ धक ानसंप यजमान के
बनाते हो. उसे तुरंत सफल-मनोरथ एवं
म हो. जस शी ता से तुम हमारी तु त
आ ह व भी हण करो. (१)
स ु ध यः मा पृतनासु कासु च ा य इ भर तये नृ भर स तूतये नृ भः.
यः शूरैः व१: स नता यो व ैवाजं त ता.
तमीशानास इरध त वा जनं पृ म यं न वा जनम्.. (२)
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हे इं ! तुम मनु य एवं म त के साथ स यु म श ु का संहार करने म स
हो एवं शूर के साथ सं ाम सुख का अनुभव करने वाले हो. तु त करने वाले ऋ वज को
तुम अ दे ते हो. जस कार मनु य घोड़े क सेवा करता है, उसी कार ऋ वज् ग तशील
एवं अ दाता इं क सेवा करते ह. तुम हमारा आ ान सुनो. (२)
द मो ह मा वृषणं प व स वचं कं च ावीरर ं शूर म य प रवृण
इ ोत तु यं त वे त ाय वयशसे.
म ाय वोचं व णाय स थः सुमृळ काय स थः.. (३)
म यम्.
हे इं ! तुम श ुसंहारक हो. इसी लए तुम जलधारी मेघ का वचा के समान भेदन करके
जल गराते हो एवं चलते ए मेघ को मनु य के समान पकड़कर बरसने के लए ववश कर
दे ते हो. हे इं ! तु हारे इस काय को हम तुमसे, आकाश से, यशसंप
से, जा को
सुख दे ने वाले म एवं व ण से कहगे. (३)
अ माकं व इ मु मसी ये सखायं व ायुं ासहं युजं वाजेषु ासहं युजम्..
अ माकं
ोतयेऽवा पृ सुषु कासु चत्.
न ह वा श ुः तरते तृणो ष यं व ं श ंु तृणो ष यम्.. (४)
हे ऋ वजो! हम अपने य म अपने म , सम त य म प ंचने वाले, श ुनाशक,
अपने सहायक, य म व न डालने वाल को परा जत करने वाले एवं म द्गण के साथ
रहने वाले इं को चाहते ह. हे इं ! हमारी र ा के लए हमारे य का पालन करो. यु
े म
तुम सभी श ु का संहार करते हो. कोई भी श ु तु हारा सामना नह करता. (४)
न षू नमा तम त कय य च े ज ा भरर ण भन त भ
ने ष णो यथा पुरानेनाः शूर म यसे.
व ा न पूरोरप प ष व रासा व न अ छ.. (५)
ाभ
ो त भः.
हे बलसंप इं ! जो तु हारे भ यजमान के व
आचरण करते ह, उ ह तुम र ण
संबंधी अपने तेज से अवनत कर दे ते हो. तुम ाचीन काल म हमारे पूवज को जन य माग
से ले गए थे, उ ह से हम भी ले जाओ. तु ह सब लोग पापहीन एवं जगत्पालक मानते ह.
तुम य थल म हम य फल दो एवं अ न को समा त करो. (५)
त ोचेयं भ ाये दवे ह ो न य इषवा म म रेज त र ोहा म म रेज त.
वयं सो अ मदा नदो वधैरजेत म तम्.
अव वेदघशंसोऽवतरमव ु मव वेत्.. (६)
हम वधनशील इं के लए तु त करते ह. जस कार आ ान के यो य एवं रा सहंता
इं हमारे बुलाने पर आते ह, उसी कार इं अ भलाषापूवक हमारे य कम के त आगमन
करते ह एवं हमारे बु हीन नदक को वध के उपाय ारा र कर दे ते ह. जस कार जल
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नीचे क ओर बहता है, उसी कार चोर का भी अधःपतन होता है. (६)
वनेम त ो या चत या वनेम र य र यवः सुवीय र वं स तं सुवीयम्.
म मानं सुम तु भरे मषा पृचीम ह.
आ स या भ र ं ु न त भयज ं ु न त भः.. (७)
हे इं ! तो
ारा तु हारे गुण का वणन करते ए हम तु हारे समीप आते ह. हे धन
के वामी! हम शोभन साम ययु , रमणीय, सदा वतमान एवं पु भृ या द से यु धन को
ा त कर. हे अ मत म हमाशाली इं ! हमारे पास उ म तो एवं अ ह . हम य क
अ भलाषा के समान फल दे ने वाली तथा यशोव क तु तय ारा य न पादक इं को
ा त कर. (७)
ा वो अ मे वयशो भ ती प रवग इ ो मतीनां दरीम मतीनाम्.
वयं सा रषय यै या न उपेषे अ ैः.
हतेमस व त
ता जू णन व त.. (८)
हे ऋ वजो! इं अपने यश कर र ण ारा तु हारे और हमारे न म बु
वरो धय
के वनाशकारी सं ाम म समथ ह एवं उ ह वद ण कर. हमारे भ क श ु ने जो वेगवती
सेना भेजी थी, वह वयं ही नाश को ा त हो गई. वह न तो हमारे पास आई और न लौटकर
हमारे वरो धय के पास प ंची. (८)
वं न इ राया परीणसा या ह पथाँ अनेहसा पुरो या र सा.
सच व नः पराक आ सच वा तमीक आ.
पा ह नो रादाराद भ भः सदा पा भ भः.. (९)
हे इं ! तुम रा सहीन एवं पापर हत माग ारा हम दे ने के लए धन लेकर हमारे समीप
आओ. तुम रवत एवं नकटवत थान से आकर हमसे मलो, र एवं समीप से य नवाह
के लए हमारी र ा करो तथा हम पालो. (९)
वं न इ राया त षसो ं च वा म हमा स दवसे महे म ं नावसे.
ओ ज ातर वता रथं कं चदम य.
अ यम म रषेः कं चद वो र र तं चद वः.. (१०)
हे इं ! हमारी आप य को समा त करने वाले धन से हमारा उ ार करो. जस कार
सव हतकारी म क म हमा है, उसी कार उ बल संप इं हमारी र ा के लए
म हमायु ह. हे श शाली, र क, पालक, मरणर हत एवं श ुनाशक इं ! तुम चाहे जस
रथ पर सवार होकर आओ एवं हमारे अ त र सबको बाधा प ंचाओ. हे श ुनाशक!
न दतकम वाले श ु के बाधक बनो. (१०)
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पा ह न इ सु ु त धोऽवयाता सद म मतीनां दे वः स मतीनाम्.
ह ता पाप य र स ाता व य मावतः.
अधा ह वा ज नता जीजन सो र ोहणं वा जीजन सो.. (११)
हे शोभन तु तय से यु इं ! हम ःखद पाप से बचाओ, य क तुम
सदा अवन त करने वाले हो. तुम हमारी तु तय से स होकर बु य
परा जत करो. तुम फल तबंधक पाप के घातक तथा हमारे समान मेधावी
र क हो. हे नवास हेतु इं ! तु ह सबके ज मदाता ने इसी लए उ प
नवासदाता! तुम रा स के वनाश के लए उ प ए हो. (११)
सू —१३०
रा स क
बाधक को
यजमान के
कया है. हे
दे वता—इं
ए या प नः परावतो नायम छा वदथानीव स प तर तं राजेव स प तः.
हवामहे वा वयं य व तः सुतेसचा.
पु ासो न पतरं वाजसातये मं ह ं वाजसातये.. (१)
हे इं ! य शाला म ऋ वज के पालक य मान के समान, अ ताचल को जाने वाले
न श
े चं के समान एवं स मुख उप थत सोम के समान वग से हमारे समीप आओ.
जस कार पु अ भ ण के लए पता को बुलाते ह, उसी कार हम भी सोमरस नचुड़
जाने पर तु ह बुलाते ह. हम ऋ वज के साथ महान् इं को ह
वीकार करने के लए
बुलाते ह. (१)
पबा सोम म सुवानम भः कोशेन स मवतं न वंसग तातृषाणो न वंसगः.
मदाय हयताय ते तु व माय धायसे.
आ वा य छ तु ह रतो न सूयमहा व ेव सूयम्.. (२)
हे शोभन ग त संप इं ! जस कार यासा बैल जल पीता है, उसी कार तुम तृ त,
परा म, मह व एवं आनंद के लए प थर ारा पीसकर नचोड़े गए एवं जल ारा शो धत
सोमरस को पओ. ह र नाम के घोड़े जस कार सूय को बुलाते ह, उसी कार तु हारे घोड़े
तु ह सोमरस पीने के लए लाव. (२)
अ व दद् दवो न हतं गुहा न ध वेन गभ प रवीतम म यन ते अ तर म न.
जं व ी गवा मव सषास
र तमः.
अपावृणो दष इ ः परीवृता ार इषः परीवृताः.. (३)
जस कार कबूतरी गम थान म अपने ब च को रखकर उस अप र चत थान को
खोज लेती है, वैसे ही इं ने अ यंत गु त थान म रखा आ तथा प थर के ढे र से घरा आ
सोम वग म ा त कया. प णय ने गाय को गोशाला म बंद कर दया था. अं गरा म े
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इं ने जस कार उस गोशाला को खोज लया, उसी कार सोमरस को भी ढूं ढ़ा. अ के
कारण जल को मेघ ने रोक लया था. इं ने मेघ का भेदन करके जल बरसाया और धरती
पर अ का व तार कया. (३)
दा हाणो व म ो गभ योः
ेव त ममसनाय सं यद हह याय सं यत्.
सं व ान ओजसा शवो भ र म मना.
त ेव वृ ं व ननो न वृ स पर ेव न वृ स.. (४)
इं अपने हाथ म व को ढ़ता से धारण कए ह. व तेज है. जैसे मं क सहायता
से जल को भावशाली बनाया जाता है, उसी कार श ु पर चलाने के लए व को और भी
तेज कया जाता है. हे इं ! जैसे बढ़ई कु हाड़ी से वन के वृ को काटता है, उसी कार तुम
अपने तेज, शरीर, बल एवं श से बु
ा त करके हमारे श ु को छ करते हो. (४)
वं वृथा न इ सतवेऽ छा समु मसृजो रथाँ इव वाजयतो रथाँ इव.
इत ऊतीरयु त समानमथम तम्.
धेनू रव मनवे व दोहसो जनाय व दोहसः.. (५)
हे इं ! जस कार तुमने हमारे य म आने के लए रथ को बनाया है अथवा यो ा
सं ाम म जाने को रथ बनाता है. उसी कार तुमने समु तक प ंचने के साधन के प म
न दय का नमाण कया है. जस कार मनु के लए अथवा कसी समथ पु ष के लए गाएं
सवाथ दे ने वाली ह, उसी कार हमारी ओर बहने वाली न दयां एक ही उ े य से जल का
सं ह करती ह. (५)
इमां ते वाचं वसूय त आयवो रथं न धीरः वपा अत षुः सु नाय वामत षुः.
शु भ तो जे यं यथा वाजेषु व वा जनम्.
अ य मव शवसे सातये धना व ा धना न सातये.. (६)
हे इं ! जस कार शोभन कम वाले धीर मनु य रथ का नमाण करते ह, उसी कार
हम यजमान ने धन ा त क इ छा से तु हारी तु त बनाई है एवं अपनी सुख ा त के
लए तु ह स कर लया है. जस कार यो ा वजयी क शंसा करते ह, उसी कार हे
मेधासंप इं ! तु हारी शंसा क जा रही है. जैसे यु के समय जयशील अ
शं सत
होता है, उसी कार बल, धन क र ा एवं सम त क याण पाने के लए तु हारी शंसा हो
रही है. (६)
भन पुरो नव त म पूरवे दवोदासाय म ह दाशुषे नृतो व ेण दाशुषे नृतो.
अ त थ वाय श बरं गरे ो अवाभरत्.
महो धना न दयमान ओजसा व ा धना योजसा.. (७)
हे रण म ती ता से इधर-उधर घूमने वाले इं ! तुमने य
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म ह वदान करने वाले एवं
तु हारी इ छा पूण करने वाले राजा दवोदास के न म उसके श ु के न बे नगर का
वंस कया था. हे वराट् बल संप इं ! तुमने अ त थसेवक दवोदास राजा के क याण के
लए शंबर असुर को पवत से नीचे गरा दया था एवं अपनी श से अप र मत धन दया
था. वह धन थोड़ा नह , संपूण था. (७)
इ ः सम सु यजमानमाय ाव
ेषु शतमू तरा जषु वम ळ् हे वा जषु.
मनवे शासद ता वचं कृ णामर धयत्.
द
व ं ततृषाणमोष त यशसानमोष त.. (८)
हे इं ! यु म आय यजमान क र ा करते ह. अपने भ क अनेक कार से र ा
करने वाले इं उसे सम त यु म बचाते ह एवं सुखकारी सं ाम म उसक र ा करते ह.
इं ने अपने भ के क याण के न म य े षय क हसा क थी. इं ने कृ ण नामक
असुर क काली खाल उतारकर उसे अंशुमती नद के कनारे मारा और भ म कर दया. इं
ने सभी हसक मनु य को न कर डाला. (८)
सूर ं वृह जात ओजसा प वे वाचम णो मुषायतीशान आ मुषाय त.
उशना य परावतोऽजग ूतये कवे.
सु ना न व ा मनुषेव तुव णरहा व ेव तुव णः.. (९)
ये इं सूय के रथ का प हया हाथ म उठाकर अ यंत बलसंप हो उठे और उसे
वरो धय पर फका. इं परम तेज वी अ ण प बनाकर श ु के समीप प ंचे और उनके
ाण का हरण कर लया. इं ने अंधकार नवारण के लए च चलाया था. हे ांतदश इं !
जस कार तुम उशना क र ा के लए र वग से आए थे, उसी कार हमारे सम त सुख
का साधन प धन लेकर शी ही हमारे समीप आओ. तुम जस तरह सरे यजमान के
लए सम त धन लेकर आते हो, उसी कार हमारे लए भी लाओ. (९)
स नो न े भवृषकम ु थैः पुरां दतः पायु भः पा ह श मैः.
दवोदासे भ र तवानो वावृधीथा अहो भ रव ौः.. (१०)
हे वषाकारक एवं असुर नगर व वंसक इं ! तुम हमारे नए तो से स होकर सभी
कार से र ा करते ए हम सुख दो. दवोदास के गो म उ प हम तु हारी तु त करते ह.
जस कार दन म सूय बढ़ता है, उसी तरह हमारी तु त से तुम उ त ा त करो. (१०)
सू —१३१
दे वता—इं
इ ाय ह ौरसुरो अन नते ाय मही पृ थवी वरीम भ ु नसाता वरीम भः.
इ ं व े सजोषसो दे वासो द धरे पुरः.
इ ाय व ा सवना न मानुषा राता न स तु मानुषा.. (१)
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व तृत आकाश इं के सामने झुक गया है एवं महती पृ वी वरणीय तो
ारा नत
ई है. उ म ह व लए ए यजमान भी अ एवं यश पाने के लए इं के सामने नत ह.
सम त दे व ने स मन से तु ह अपने आगे रखा है. इं के सुख के लए ही लोग सारे य
और दान करते ह. (१)
व ष
े ु ह वा सवनेषु तु ते समानमेकं वृषम यवः पृथक् वः स न यवः पृथक्.
तं वा नावं न पष ण शूष य धु र धीम ह.
इ ं न य ै तय त आयवः तोमे भ र मायवः.. (२)
हे इं ! यजमान मनचाही वषा क इ छा से येक य म एकमा तु ह ही ह व आ द
दान करते ह. तुम सबके लए एक प हो एवं वण पाने के लए तु ह ही ह दया जाता
है. जस कार नद पार जाने के लए समथ नाव का सहारा लया जाता है, उसी कार हम
वजय क अ भलाषा से तु ह अपनी सेना के आगे रखते ह. यजमान य एवं तु तय ारा
ई र के समान इं क ही चता करते ह. (२)
व वा तत े मथुना अव यवो ज य साता ग य नःसृजः स
यद्ग ता ा जना व१य ता समूह स.
आ व क र द्वृषणं सचाभुवं व म सचाभुवम्.. (३)
तइ
नःसृजः.
हे इं ! तु हारे भ और पापर हत यजमान प नय को साथ म लेकर तु ह तृ त करने
क इ छा से अ धक मा ा म ह दे ते ए य करते ह. गाय के चाहने वाले एवं वग जाने
के इ छु क वे ब त सी गाय को पाने के लए तु हारे उ े य से य करते ह. तुमने अपने साथ
उ प ए इ छापूरक एवं साथ रहने वाले व को बनाया है. (३)
व े अ य वीय य पूरवः पुरो य द शारद रवा तरः सासहानो अवा तरः.
शास त म म यमय युं शवस पते.
महीममु णाः पृ थवी ममा अपो म दसान इमा अपः.. (४)
हे इं ! जो यजमान तु हारी म हमा जानते ह, वे तु हारे ही उ े य से य करते ह. तुमने
वष भर खाई से सुर त श ु नगर को न करके उ ह पी ड़त कया था. हे सेना के पालक
इं ! तुमने य वनाशक मरणधमा को वश म कया था एवं उसके अधीन रहने वाली वशाल
धरती एवं महान् सागर को बलपूवक छ न लया था. तुमने उसके अ ले लए थे. (४)
आ द े अ य वीय य च कर मदे षु वृष ु शजो यदा वथ सखीयतो यदा वथ.
चकथ कारमे यः पृतनासु व तवे.
ते अ याम यां न ं स न णत व य तः स न णत.. (५)
हे इं ! तुम सोमपान से स होकर यजमान क र ा करते हो एवं इ छा पूण करते
हो. इसी हेतु तु हारी श
बढ़ाने के लए वे तु ह बार-बार सोमरस दान करते ह. तुम
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यजमान के सुख के न म यु म सहनाद करते हो. यजमान भां त-भां त क भो य व तुएं
एवं वजय के ारा अ ा त करने क इ छा से तु हारे समीप जाते ह. (५)
उतो नो अ या उषसो जुषेत १क य बो ध ह वषो हवीम भः वषाता हवीम भः.
य द ह तवे मृधो वृषा व
चकेत स.
आ मे अ य वेधसो नवीयसो म म ु ध नवीयसः.. (६)
या इं हमारे ातःकालीन य म स म लत ह गे? हे इं ! ह व दे ने के लए वग
दाता य म हमारे ारा बुलाए जाने पर आओ और ह व वीकार करो. हे व धारी!
हसक श ु के नाश के लए हमारे इ छापूरक बनकर आओ एवं मुझ मेधावी, नवीन एवं
असाधारण तु त वाले के उ म तो सुनो. (६)
वं त म वावृधानो अ मयुर म य तं तु वजात म य व ेण शूर म यम्.
ज ह यो नो अघाय त शृणु व सु व तमः.
र ं न याम प भूतु म त व ाप भूतु म तः.. (७)
हे इं ! तुम शूर, अनेक गुण यु एवं हमारी तु त के कारण उ त हो. तुम हम चाहते
हो. जो लोग हमारे त श ुता रखते एवं हम ःख दे ते ह, अपने व
ारा तुम उनका वनाश
करो. हे सुंदर कान वाले! हमारी बात सुनो. जस कार माग म थके ए प थक को चोर
बाधा प ंचाते ह, उसी कार के
बु
हसक तु हारी कृपा से हमारे समीप न रह. (७)
सू —१३२
दे वता—इं
वया वयं मघव पू धन इ वोताः सास ाम पृत यतो वनुयाम वनु यतः.
ने द े अ म ह य ध वोचा नु सु वते.
अ म य े व चयेमा भरे कृतं वाजय तो भरे कृतम्.. (१)
हे सुख वामी इं ! य द तुम हमारी र ा करोगे तो हम बल सेना वाले श ु को भी
हरा दगे. जो श ु हम मारने के लए त पर ह गे, उन पर हम हार करगे. पूव धन से यु
इस नकटवत यह म ह व दे ने वाले यजमान से बार-बार कहो, यु म वजय पाने वाले
तु हारे उ े य से हम ह व प अ लाते ह. (१)
वजषे भर आ य व म युषबुधः व म
स ाण य व म
अह
ो यथा वदे शी णाशी ण पवा यः.
अ म ा ते स यक् स तु रातयो भ ा भ य रातयः.. (२)
स.
जो वीर पु ष यु म मारे जाते ह, उ ह इं वग दे ते ह. यु वग ा त का न कपट
माग है. इं ऐसे यु के आगे रहते ह एवं जो य क ा ातःकाल जागते ह, उनके श ु का
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वनाश करते ह. जैसे सव
य को सर झुका कर णाम करते ह, उसी कार इं को
भी करना चा हए. हे भ इं ! तु हारा दया आ धन हमारे लए हो एवं थर हो. (२)
त ु यः नथा ते शुशु वनं य म य े वारमकृ वत यमृत य वार स यम्.
व त ोचेरध ता तः प य त र म भः.
स घा वदे अ व ो गवेषणो ब धु
यो गवेषणः.. (३)
हे इं ! जस कार पूवकाल म दया आ तेज वी एवं स अ तु हारा था, इसी
कार इस समय भी है. तुम मनोरथ पूण करने वाले य म रहते हो. तुम धरती और आकाश
के म य जो जलवृ करते हो, वह सूय क करण के काश म दे खी जा सकती है. जल क
खोज म लगे इं अपने बंधु को य फल दे ते एवं जल ा त का ढं ग जानते ह. (३)
नू इ था ते पूवथा च वा यं यद रो योऽवृणोरप ज म
ऐ यः समा या दशा म यं जे ष यो स च.
सु व यो र धया कं चद तं णाय तं चद तम्.. (४)
श
प जम्.
हे इं ! तु हारे उ
कार के काय पहले के समान इस समय भी शंसनीय ह. तुमने
अं गरा ऋ षय के न म जल बरसाया था एवं असुर ारा चुराई ई गाएं छु ड़ाकर उ ह द
थ . इन ऋ षय के समान ही तुम हमारे धन के न म यु करो और वजयी बनो. सोमरस
नचोड़ने वाले हम लोग के क याण के न म तुम य वरोधी श ु को हराते हो. ोध
दखाने वाले य वरोधी तु हारे सामने हार जाते ह. (४)
सं य जनान् तु भः शूर ई य ने हते त ष त व यवः
त मा आयुः जाव द ाधे अच योजसा.
इ ओ यं द धष त धीतयो दे वाँ अ छा न धीतयः.. (५)
य
त व यवः.
बलशाली इं य के ारा सब मनु य के वषय म स य बात जानते ह. इसी लए अ
क अ भलाषा करने वाले यजमान पया त य करते ह. इं के न म दया आ ह
यजमान को पु , सेवक आ द दे ता है, जनक सहायता से वह श ु को बाधा प ंचाता है
एवं इं क पूजा करता है. य कम करने वाले यजमान इं लोक ा त करते ह. इस कार वे
दे व के म य ही नवास करते ह. (५)
युवं त म ापवता पुरोयुधा यो नः पृत यादप त त म तं व ेण त त म तम्.
रे च ाय छ सद्गहनं य दन त्.
अ माकं श ू प र शूर व तो दमा दष व तः.. (६)
हे इं एवं मेघ! हमारे जो वरोधी श ु सेना एक करते ह, तुम दोन हमारे आगे चलकर
व हार ारा उनका वंस करो. तु हारा व
रवत श ु को भी न करना चाहता है और
गम थान म भी प ंच जाता है. हे शूर! हमारे श ु को व वध उपाय से वद ण करो.
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तु हारा व
श ु
को सम त उपाय से न करता है. (६)
दे वता—इं
सू —१३३
उभे पुना म रोदसी ऋतेन हो दहा म सं महीर न ाः.
अ भ ल य य हता अ म ा वैल थानं प र तृळ्हा अशेरन्.. (१)
हे इं ! म य
ारा धरती और आकाश दोन को प व करता ं एवं इं ो हय को
आ य दे ने वाली धरती को भली-भां त जानता ं. एक ए श ु हम जहां भी मले, वह
मारे गए. मरे ए वे मशानभू म म इधर-उधर पड़े ह. (१)
अ भ ल या चद वः शीषा यातुमतीनाम्.
छ ध वटू रणा पदा महावटू रणा पदा.. (२)
हे वैरीभ णक ा इं ! श ु
अवासां मघव
क सेना का सर अपने व तृत पैर से कुचल दो. (२)
ह शध यातुमतीनाम्. वैल थानके अमके महावैल थे अमके.. (३)
हे धन वामी इं ! इन आयुधसंप सेना
फक दो. (३)
क श
न करके इ ह नदनीय मशान म
यासां त ः प चाशतोऽ भ ल ै रपावपः. त सु ते मनाय त तक सु ते मनाय त.. (४)
हे इं ! तुमने एक सौ पचास श ु सेना
कहते ह, पर तु हारे लए यह छोटा है. (४)
पश भृ म भृणं पशा च म
का वनाश कया. लोग इस काम को बड़ा
सं मृण. सव र ो न बहय.. (५)
हे इं ! पीले रंग वाले, भयंकर श द करने वाले पशाच का नाश करो एवं संपूण रा स
को समा त करो. (५)
अवमह इ दा ह ुधी नः शुशोच ह ौः ा न भीषाँ अ वो घृणा
अ वः.
शु म तमो ह शु म भवधै ेभरीयसे.
अपू ष नो अ तीत शूर स व भ स तैः शूर स व भः.. (६)
हे इं ! तुम हमारी तु त सुनो और महान् मेघ को अधोमुख करके उसका
करो. हे मेघ वामी इं ! जस कार वृ के अभाव म अ न होने से धरती ःखी
उसी कार आकाश भी शोक करता है. जैसे व ा के भय से धरती और आकाश
उसी कार अ के अभाव से होते ह. हे इं ! तुम अ धक बलवान् होने के कारण श
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भीषाँ
वदारण
होती है,
ःखी थे,
ु वनाश
म ू र उपाय अपनाते हो, पर अपने यजमान का वंस नह करते. हे वीर! तुम इ क स
सेवक से घरे रहते हो, इस लए श ु तुम पर आ मण नह करते. (६)
वनो त ह सु व यं परीणसः सु वानो ह मा यज यव
सु वान इ सषास त सह ा वा यवृतः.
सु वानाये ो ददा याभुवं र य ददा याभुवम्.. (७)
षो दे वानामव
षः.
हे इं ! सोमरस नचोड़ने वाला यजमान उ म घर पाता है. सोमय क ा चार ओर घरे
ए श ु को समा त करके दे व के वरो धय को भी न करता है. वह अ का वामी
बनता है. उस पर कोई श ु आ मण नह करता. वह असी मत संप
ा त करता है. जो
इं के न म सोमय करता है, उसे इं चार ओर अव थत एवं अ त समृ धन
दे ते ह. (७)
सू —१३४
दे वता—वायु
आ वा जुवो रारहाणा अ भ यो वायो वह वह पूवपीतये सोम य पूवपीतये.
ऊ वा ते अनु सूनृता मन त तु जानती.
नयु वता रथेना या ह दावने वायो मख य दावने.. (१)
हे वायु! तु ह शी गामी एवं श शाली अ सबसे थम सोमपान के लए य म ले
आव. तुम पहले के समान सोमपान करते हो. तु हारे मन के अनुकूल एवं स ची हमारी तु त
तु हारे गुण का वणन करती है, वह तु ह सदा स करती रहे. य म दए ए
को
वीकारने एवं हम वां छत फल दे ने के हेतु रथ से शी आओ. तु हारे रथ म नयुत नामक
घोड़े जुते ह. (१)
म द तु वा म दनो वाय व दवोऽ म
अ भ वः.
य
ाणा इर यै द ं सच त ऊतयः.
स ीचीना नयुतो दावने धय उप ुवत
ाणासः सुकृता अ भ वो गो भः
ाणा
धयः.. (२)
हे वायु! य भू म म प ंचने के लए तु ह नयुत नामक अ मले ह. वे अपने काय म
कुशल, तुमसे अनुराग करने वाले, सवदा तु हारे साथ रहने वाले ह एवं तु हारी च दे खकर
चलते ह. हष उ प करने वाले, मादक, भली कार रखे गए, उ वल और मं ारा आ त
सोमरस क बूंद तु ह मु दत कर. बु संप यजमान तु हारे पास जाकर तु त करते ह. (२)
वायुयुङ् े रो हता वायुर णा वायू रथे अ जरा धु र वोळ् हवे व ह ा धु र वोळ् हवे.
बोधया पुर धं जार आ ससती मव.
च य रोदसी वासयोषसः वसे वासयोषसः.. (३)
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वायु भार ढोने के लए रथ के अ भाग म लाल रंग के घोड़े जोड़ते ह. वे अ यंत
गमनशील एवं बोझा ढोने म समथ ह. जार जस कार तं ा म पड़ी नारी को जगा दे ता है,
उसी कार तुम य क ा यजमान को ह दान के लए सावधान कर दे ते हो. धरती और
आकाश को का शत करके तुम ह
ा त के लए उषाकाल को था पत करते हो. (३)
तु यमुषासः शुचयः पराव त भ ा व ा त वते दं सु र मषु च ा न ेषु र मषु.
तु यं धेनुः सब घा व ा वसू न दोहते.
अजनयो म तो व णा यो दव आ व णा यः.. (४)
हे वायु! उषाएं रवत आकाश म अपनी करण से घर को आ छा दत करती ई
पहले के समान क याणकारी व का व तार करती ह. उषा क करण नवीन ह. तु हारे
य को संप कराने के लए ही गाएं अमृत बरसाती ई अ दे ती ह. तुमने द त आकाश म
मेघ को पूण करके न दय को भावशील बनाया. (४)
तु यं शु ासः शुचय तुर यवो मदे षू ा इषण त भुव यपा मष त भुव ण.
वां सारी दसमानो भगमी े त ववीये.
वं व मा वना पा स धमणासुया या स धमणा.. (५)
हे वायु! उ वल, प व एवं तेजपूण सोम तु ह मु दत करने के न म आ ान यो य
अ न के समीप जाते ह एवं जलवषा क अ भलाषा करते ह. अ यंत भयभीत एवं बलहीन
यजमान य ा द वघातक को भगाने के लए तु हारी तु त करता है. हम ह वधारण प धम
से यु ह, इस लए तुम सभी भय से हमारी र ा करो. (५)
वं नो वायवेषामपू ः सोमानां थमः पी तमह स सुतानां पी तमह स.
उतो व मतीनां वशां ववजुषीणाम्.
व ा इ े धेनवो
आ शरं घृतं त आ शरम्.. (६)
हे वायु! तुमने सबसे पहले सोमरस पया है. तु ह सबसे पहले नचोड़े गए सोम को
पीने यो य हो. तुम पापर हत एवं य क ा यजमान का ह
वीकार करते हो. सम त गाएं
तु हारे न म ही ध और घी दे ती ह. (६)
दे वता—वायु
सू —१३५
तीण ब ह प नो या ह वीतये सह ेण नयुता नयु वते श तनी भ नयु वते.
तु यं ह पूवपीतये दे वा दे वाय ये मरे.
ते सुतासो मधुम तो अ थर मदाय वे अ थरन्.. (१)
हे वायु! तुम नयुत नामक अ
पर चढ़कर उस
को वीकार करने के लए आओ
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जो हमने बछे ए कुश पर रखा है. तुम नयुत नामक अ के वामी हो. सब दे वता चुप ह.
तुमसे पहले कोई सोमरस नह पी रहा. नचोड़े ए सोम को तु हारे आनंद एवं हमारी
य स के न म तैयार कया गया है. (१)
तु यायं सोमः प रपूतो अ भः पाहा वसानः प र कोशमष त शु ा वसानो अष त.
तवायं भाग आयुषु सोमो दे वेषु यते.
वह वायो नयुतो या मयुजुषाणो या मयुः.. (२)
हे वायु! प थर ारा पीसा गया, सबके ारा अ भलाषा करने यो य एवं तेज वी
सोमरस पा म आता है एवं नमल काश से यु होकर तु ह ा त होता है. मनु य म सोम
य के यो य है. वही सब दे व के म य तु ह दया जाता है. तुम हमारे य म आने के लए
रथ म नयुत अ जोतकर थान करो एवं हमारे ऊपर अनु ह करो. (२)
आ नो नयु ः श तनी भर वरं सह णी भ प या ह वीतये वायो ह ा न वीतये.
तवायं भाग ऋ वयः सर मः सूय सचा.
अ वयु भभरमाणा अयंसत वायो शु ा अयंसत.. (३)
हे वायु! तुम नयुत नामक सैकड़ और हजार घोड़ से अपनी इ छा पू त और ह
भ ण के लए हमारे य म आओ. ऋ वज् ारा अपने हाथ से न मत प व एवं उ दत सूय
के समान तेज वी सोम तु हारा भाग है. (३)
आ वां रथो नयु वा व दवसेऽ भ यां स सु धता न वीतये वायो ह ा न वीतये.
पबतं म वो अ धसः पूवपेयं ह वां हतम्.
वायवा च े ण राधसा गत म
राधसा गतम्.. (४)
हे वायु! नयुत नामक घोड़ से यु रथ तु हारे साथ-साथ इं को भी हमारी र ा,
हमारे ारा गृहीत अ के भ ण एवं अ य ह
को वीकारने के लए य म लाव. तुम
दोन का मधुर सोमरस पओ. अ य दे व से पहले तु हारा सोमपान करना उ चत है. तुम और
इं हम स करने वाला धन लेकर आओ. (४)
आ वां धयो ववृ युर वराँ उपेम म ं ममृज त वा जनमाशुम यं न वा जनम्.
तेषां पबतम मयू आ नो ग त महो या.
इ वायू सुतानाम भयुवं मदाय वाजदा युवम्.. (५)
हे इं और वायु! हमारे तो तु ह य म आने क ेरणा द. जस
वाले घोड़े क मा लश क जाती है, उसी कार घर से कलश म रखकर य
सोम को ऋ वज् रगड़ते ह. तुम उनका सोमरस पओ और हमारे य
पधारो. तुम दोन अ दे ने वाले हो, इस लए अपनी तृ त के लए प थर
को पओ. (५)
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कार तेज चलने
भू म म लाए गए
क र ा के लए
ारा पीसे गए सोम
इमे वां सोमा अ वा सुता इहा वयु भभरमाणा अयंसत वायो शु ा अयंसत.
एते वाम यसृ त तरः प व माशवः युवायवोऽ त रोमा य या सोमासो अ य या..
(६)
हे वायु! हमारे य म नचोड़ा गया और अ वयुजन ारा धारण कया आ उ वल
सोम न य ही तुम दोन का है. तरछे बछे ए कुश पर रखा आ पया त सोमरस तु हारा
है. वह सम त दे व को लांघकर चुर मा ा म तु ह मलता है. (६)
अ त वायो ससतो या ह श तो य ावा वद त त ग छतं गृह म
ग छतम्.
व सूनृता द शे रीयते घृतमा पूणया नयुता याथो अ वर म
याथो अ वरम्.. (७)
हे वायु! आल य के कारण सोते ए यजमान को लांघ कर हमारे इस य म आओ,
जहां सोमरस कूटने के लए प थर का श द उ प हो रहा है. इं भी ऐसा ही कर. जहां
यारी और त यपूण तु तयां हो रही ह, जहां होम के न म घी ले जाया जा रहा है, अपने
नयुत नामक घोड़ के साथ वह य थल म जाओ. (७)
अ ाह त हेथे म व आ त यम थमुप त त जायवोऽ मे ते स तु जायवः.
साकं गावः सुवते प यते यवो न ते वाय उप द य त धेनवो नाप द य त धेनवः..
(८)
हे इं और वायु! तुम हमारे य म मधु के समान आ त को वीकार करो. सोम को
ा त करने के लए वजयी यजमान पवतीय दे श म जाते ह. हमारे ऋ वज् तु हारा
य कम करने म समथ ह . इस य म ब त सी गाएं तु हारे न म एक साथ ब त सा ध
दे ती ह एवं पुरोडाश पकाया जाता है. ये गाएं न कम ह और न बली ह . (८)
इमे ये ते सु वायो बा ोजसोऽ तनद ते पतय यु णो म ह ाध त उ णः.
ध व च े अनाशवो जीरा द गरौकसः.
सूय येव र मयो नय तवो ह तयो नय तवः.. (९)
हे उ म फलदाता वायु! तु हारे परम बलशाली, अ यंत मोटे -ताजे एवं जवान बैल जैसे
घोड़े तु ह धरती और आकाश के म य भाग से य थल म लाते ह एवं दे र नह करते. ये
अ यंत शी ता से चलते ह. सूय करण के समान इनक चाल भी नह कती. (९)
सू —१३६
दे वता— म एवं व ण
सु ये ं न चरा यां बृह मो ह ं म त भरता मृळय यां वा द ं मृळय याम्.
ता स ाजा घृतासुती य ेय उप तुता.
अथैनोः
ं न कुत नाधृषे दे व वं नू चदाधृषे.. (१)
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हे ऋ वजो! न य रहने वाले म और व ण को ल य करके शंसनीय एवं महान्
तो को आरंभ करो एवं उ ह
दे ने का न य कर लो. वे यजमान को सुख दे ते ह एवं
वा द ह व का भ ण करके भली-भां त सुशो भत होते ह. उ ह के लए घी एक कया
जाता है एवं येक य म उनक तु त क जाती है. उनका बल अलंघनीय है एवं उनके दे व
होने म कसी को संदेह नह है. (१)
अद श गातु रवे वरीयसी प था ऋत य समयं त र म भ
ु ं म य सादनमय णो व ण य च.
अथा दधाते बृह यं१ वय उप तु यं बृह यः.. (२)
ुभग य र म भः.
सब लोग ने दे खा है क महती उषा व तृत य क ओर जाती है. ग तशील सूय का
माग आकाश काश से भर गया एवं सूय करण से सभी को आंख मल . म , अयमा और
व ण का आकाश पी घर उ वल काश से पूण हो गया. हे म एवं व ण! तुम दोन
तु तयो य अ को अ धक मा ा म धारण करो. (२)
यो त मतीम द त धारय
त ववतीमा सचेते दवे दवे जागृवांसा दवे दवे.
यो त म
माशाते आ द या दानुन पती.
म तयोव णो यातय जनोऽयमा यातय जनः.. (३)
यजमान ने अ न के तेज से यु , सम त ल ण तथा वग दान करने वाली य वेद
अपने आप बनाई है. तुम दोन एक होकर त दन सावधान रहो एवं त दन य वेद पर
आकर तेज और बल ा त करो. तुम अ द त के पु एवं सम त दे व के पालक हो. म ,
व ण और अयमा लोग को अपने-अपने काम म लगाते ह. (३)
अयं म ाय व णाय श तमः सोमो भू ववपाने वाभगो दे वो दे वे वाभगः.
तं दे वासो जुषेरत व े अ सजोषसः.
तथा राजाना करथो यद मह ऋतावाना यद महे.. (४)
नीचे क ओर मुंह करके पीने वाले म और व ण के लए सोमपान स ता दान
करे. सम त दे व अपनी सेवा के उपयु एवं तेज वी सोम को स तापूवक पएं. हे समान
ीतयु म एवं व ण! तुम य के वामी हो. तुम हमारी ाथना के अनुसार काय करो.
(४)
यो म ाय व णाया वध जनोऽनवाणं तं प र पातो अंहसो दा ांसं मतमंहसः.
तमयमा भ र यृजूय तमनु तम्.
उ थैय एनोः प रभूष त तं तोमैराभूष त तम्.. (५)
हे म एवं व ण! तुम अपनी सेवा करने वाले, े षर हत एवं ह दाता यजमान क
सम त पाप से र ा करो. अयमा सरल वभाव वाले यजमान को दे खते ह एवं उसक र ा
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करते ह. यजमान मं
ारा म और व ण का य करता है एवं तु तय के ारा उसको
सुशो भत करता है. (५)
नमो दवे बृहते रोदसी यां म ाय वोचं व णाय मीळ् षे सुमृळ काय मीळ् षे.
इ म नमुप तु ह ु मयमणं भगम्.
यो जीव तः जया सचेम ह सोम योती सचेम ह.. (६)
म अभी फल तथा सुख के दाता महान् एवं काशयु सूय, धरती, आकाश, म ,
व ण और
को नम कार करता ं. हे होताओ! इस समय इं , अ न, द तसंप अयमा
एवं भग क तु त करो. इनक कृपा से हम पूजा से घरे ए एवं सोमरस ारा र त रहगे.
(६)
ऊती दे वानां वय म व तो मंसीम ह वयशसो म
ः.
अ न म ो व णः शम यंसन् तद याम मघवानो वयं च.. (७)
हमने अपनी तु तय से म द्गण को स कर लया है. इं हम पर स ह. हम
दे व क र ा चाहते ह. इं , अ न, म और व ण हम सुख द. हम उनके दए ए अ से
सुख भोग. (७)
दे वता— म और व ण
सू —१३७
सुषुमा यातम भग ीता म सरा इमे सोमासो म सरा इमे.
आ राजाना द व पृशा म ा ग तमुप नः.
इमे वां म ाव णा गवा शरः सोमाः शु ा गवा शरः.. (१)
हे म एवं व ण! हम प थर से सोम कूटते ह, इस लए तुम हमारे य म आओ.
तृ तकारक ध- म त सोम तैयार है. तुम वग म रहने वाले, हमारे पालनक ा एवं
काशयु हो. तुम हमारे य म आओ. ध मला आ यह उ वल सोम तु हारे ही न म
है. (१)
इम आ यात म दवः सोमासो द या शरः सुतासो द या शरः.
उत वामुषसो बु ध साकं सूय य र म भः.
सुतो म ाय व णाय पीतये चा ऋताय पीतये.. (२)
हे म एवं व ण! हमारे य म आओ, य क यह नचोड़ा आ पतला सोमरस दही
के साथ मला दया गया है. चाहे उषाकाल हो, चाहे सूय क करण चमकने लगी ह , यह
नचोड़ा आ सोम व ण एवं म के पीने हेतु य भू म म तुत है. (२)
तां वां धेनुं न वासरीमंशुं ह य
भः सोमं ह य
भः.
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अ म ा ग तमुप नोऽवा चा सोमपीतये.
अयं वां म ाव णा नृ भः सुतः सोम आ पीतये सुतः.. (३)
अ वयु तु हारे न म प थर के टु कड़ से उसी कार सोमरस को नचोड़ते ह, जस
कार गाय से ध काढ़ा जाता है. हमारी र ा करने वाले तुम दोन सोमपान के लए समीप
आओ. य संप करने वाले लोग ने यह सोम तु हारे पीने के लए ठ क से नचोड़ा है. (३)
सू —१३८
दे वता—पूषा
पू ण तु वजात य श यते म ह वम य तवसो न त दते तो म य न त दते.
अचा म सु नय हम यू त मयोभुवम्.
व य यो मन आयुयुवे मखो दे व आयुयुवे मखः.. (१)
अनेक यजमान के क याण के न म उ प पूषादे व के बल क सभी तु त करते ह.
कोई भी न उनक तु त को समा त करता है और न उनके बल का वरोध करता है. इसी
कारण म भी सुख क इ छा से र ा के लए त पर, सुख के उ प करने वाले, य के वामी
एवं सब मनु य के मन के साथ एक प होने वाले पूषा क तु त करता ं. (१)
ह वा पूष जरं न याम न तोमे भः कृ व ऋणवो यथा मृध उ ो न पीपरो मृधः.
वे य वा मयोभुवं दे वं स याय म यः.
अ माकमाङ् गूषा ु नन कृ ध वाजेषु ु नन कृ ध.. (२)
हे पूषा! लोग जैसे शी गामी घोड़े क शंसा करते ह, उसी कार म य थल म शी
आने के लए तु हारी तु त करता ं. तुम हम ऊंट के समान सं ाम के पार प ंचाते हो,
इस लए म यु म आने के लए तु हारी तु त करता ं. म मरणधमा तु हारी म ता पाने के
लए सुख के उ पादक तु हारा आ ान करता ं. हमारे आ ान को सफल करके हम यु म
वजयी बनाओ. (२)
य य ते पूष स ये वप यवः वा च स तोऽवसा बुभु
तामनु वा नवीयस नयुतं राय ईमहे.
अहेळमान उ शंस सरी भव वाजेवाजे सरी भव.. (३)
रइत
वा बुभु
रे.
हे पूषा! यजमान तु हारी म ता ा त करके उ म य
ारा तु ह स करते ह एवं
तो बोलते ए तु हारी र ा ा त करके भां त-भां त के सुख भोगते ह. तुमसे नवीन र ण
ा त करने के बाद हम तुमसे नयुत धन क याचना करते ह. हे पूषा! ब त से लोग तु हारी
तु त करते ह. तुम हमारे त दयालु बनकर आओ और यु म हमारे आगे चलो. (३)
अ या ऊ षु ण उप सातये भुवोऽहेळमानो र रवाँ अजा
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व यतामजा .
ओ षु वा ववृतीम ह तोमे भद म साधु भः.
न ह वा पूष तम य आघृणे न ते स यमप वे.. (४)
हे पूषा! बकरे ही तु हारे अ ह. हमारे इस लाभ का अनादर न करते ए तुम दाता
बनकर हमारे समीप आओ. हम अ क इ छा करते ह. हे श ुनाशक! हम उ म तो
बोलते ए तु हारे चार ओर वतमान रह. हे वषाकारक! हम न कभी तु हारा अपमान करते ह
और न कभी तु हारी म ता का याग करते ह. (४)
सू —१३९
दे वता— व ेदेव
अ तु ौषट् पुरो अ नं धया दध आ नु त छध द ं वृणीमह इ वायू वृणीमहे.
य
ाणा वव व त नाभा स दा य न सी.
अध सू न उप य तु धीतयो दे वाँ अ छा न धीतयः.. (१)
मने उ री वेद म
ापूवक अ न को धारण कया है. म अ न क द श क
एवं इं व वायु क स मुख होकर ाथना करता ं. पृ वी क का शत ना भ अथात् य भू म
को ल य करके यह वाथ काशन करती ई नई तु त बनाई गई है, इस लए वह सुनी जावे.
हमारे तु त पी कम दे व के समीप प ंच. (१)
य य म ाव णावृताद याददाथे अनृतं वेन म युना द य वेन म युना.
युवो र था ध स वप याम हर ययम्.
धी भ न मनसा वे भर भः सोम य वे भर भः.. (२)
हे म एवं व ण! तुम अपने तेज से जो सूखने वाला जल आ द य से भली कार
हण करते हो, वही हम सब ओर से दे ते हो. हम य ा द पी कम ारा, सोमरस ारा तथा
ान म आस इं य ारा तुम दोन का हरणमय प दे ख. (२)
युवां तोमे भदवय तो अ ना ावय त इव ोकमायवो युवां ह ा या३ यवः.
युवो व ा अ ध यः पृ
व वेदसा.
ुषाय ते वां पवयो हर यये रथे द ा हर यये.. (३)
हे अ नीकुमारो! तु तय ारा तु ह अपने अनुकूल बनाने क इ छा करने वाले
यजमान तु ह सुनाते ए ोक बोलते ह. हे सम त धन के वा मयो! वे तु हारी अनुकंपा से
सभी संप यां एवं अ ा त करते ह. हे श ुनाशको! तु हारे वणमय रथ क ने मय से मधु
टपकता है. तुम उसी रथ पर मधुर ह व धारण करो. (३)
अचे त द ा ू१नाकमृ वथो यु ते वां रथयुजो द व
अ ध वां थाम व धुरे रथे द ा हर यये.
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व व मानो द व षु.
पथेव य तावनुशासता रजोऽ
सा शासता रजः.. (४)
हे श ुनाशको! तु हारे इन काय को लोग भली कार जानते ह. तुम वग को जाते हो,
इस लए तु हारे रथचालक तु ह वग के माग प य म ले जाने को रथ तैयार करते ह एवं
माग के अभाव म भी रथ को न नह करते. हम तीन बंधन वाले वणरथ पर सुंदर माग से
वग को जाने वाले, श ु को वश म करने वाले एवं मु य प से वषा का जल बखेरने
वाले तुमको बैठाते ह. (४)
शची भनः शचीवसू दवा न ं दश यतम्.
मा वां रा त प दस कदा चना म ा तः कदा चन.. (५)
हे कम प धन के वा मयो! हमारे य ा द कम ारा हम रात- दन मनचाही व तुएं दो.
तु हारा एवं हमारा दान कभी भी समा त न हो. (५)
वृष
वृषपाणास इ दव इमे सुता अ षुतास उ द तु यं सुतास उ
ते वा म द तु दावने महे च ाय राधसे.
गी भ गवाहः तवमान आ ग ह सुमृळ को न आ ग ह.. (६)
दः.
हे कामवषक इं ! पाषाण खंड ारा कुचलकर नचोड़ा गया यह सोम तु हारे पीने के
लए ही तैयार कया गया है. पवत पर उ प होने वाला सोम तु हारे न म नचोड़ा गया है.
अ भमतदान, महान् एवं व च धन ा त के लए दया गया सोम तु ह स करे. हे
तु तधारक! हमारी तु तयां सुनकर हमारे ऊपर स होते ए आओ. (६)
ओ षू णो अ ने शृणु ह वमी ळतो दे वे यो व स य ये यो राज यो य ये यः.
य याम रो यो धेनुं दे वा अद न.
व तां े अयमा कतरी सचाँ एष तां वेद मे सचा.. (७)
हे अ न! तुम हमारे ारा तुत होकर हमारा आ ान सुनो. तुम य के यो य एवं
तेज वी दे व को यजमान के य कम क सूचना दे ना. दे व ने अं गरागो ीय ऋ षय को
स गाय द थी. अयमा ने अ य दे व के साथ अ न के लए उस गाय को हा. वे अयमा
उस गाय को तथा मुझे जानते ह. (७)
मो षु वो अ मद भ ता न प या सना भूव ु ना न मोत जा रषुर म पुरोत जा रषुः.
य
ं युगेयुगे न ं घोषादम यम्.
अ मासु त म तो य च रं दधृता य च रम्.. (८)
हे म तो! तु हारी स , न य एवं काशयु श हमसे कभी र न जाए. हमारा
यश एवं हमारे नगर जीण न ह . तु हारी व च , नवीन एवं श द करने वाली व तुएं हम युगयुग म ा त ह . ःख से ा त करने यो य एवं श ु
ारा न न होने वाला जो धन है, वह
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हमारा हो. (८)
द यङ् ह मे जनुषं पूव अ राः यमेधः क वो अ मनु व ते मे पूव मनु व ः.
तेषां दे वे वाय तर माकं तेषु नाभयः.
तेषां पदे न म ा नमे गरे ा नी आ नमे गरा.. (९)
ाचीन द यङ् , अं गरा, यमेध, क व, अ एवं मनु मेरे ज म को जानते ह. वे एवं
मनु हमारे पतर को जानते ह. वे मह षय से द घकाल से संबं धत ह एवं मेरे जीवन के साथ
उनका संबंध है. उनक मह ा के कारण म तु त पी वाणी से उ ह नम कार करता ं. (९)
होता य
ननो व त वाय बृह प तयज त वेन उ भः पु वारे भ
जगृ मा र आ दशं ोकम े रध मना.
अधारयदर र दा न सु तुः पु स ा न सु तुः.. (१०)
भः.
होता य करे एवं ह क कामना करने वाले दे व सोमरस ा त कर. इ छा करते ए
बृह प त तृ त करने वाले एवं वरणीय सोमरस से य करते ह. हम यजमान ने र दे श म
उ प होने वाले एवं सोम कूटने के साधन प थर क आवाज सुनी थी. यह शोभन कम
वाला यजमान वयं जल एवं ब त से नवास यो य घर को धारण करता है. (१०)
ये दे वासो द ेकादश थ पृ थ ाम येकादश थ.
अ सु तो म हनैकादश थ ते दे वासो य ममं जुष वम्.. (११)
वग म जो यारह दे व ह, धरती पर जो यारह दे व ह एवं अंत र
वे अपनी म हमा से इस य क सेवा कर. (११)
सू —१४०
म जो यारह दे व ह,
दे वता—अ न
वे दषदे यधामाय सु ुते धा स मव भरा यो नम नये.
व ेणेव वासया म मना शु च योतीरथं शु वण तमोहनम्.. (१)
हे अ वयु! य वेद पर वराजने वाले, अपने थान को ेम करने वाले एवं शोभन
काशयु अ न के लए ह अ के समान वेद पी थान तैयार करो. उस शु ,
काशयु , द तवण एवं अंधकारनाशक थान को सुंदर कुश से इस कार ढक दो, जस
कार कसी को कपड़े से ढका जाता है. (१)
अ भ ज मा वृद मृ यते संव सरे वावृधे ज धमी पुनः.
अ य यासा ज या जे यो वृषा य१ येन व ननो मृ वारणः.. (२)
ज मा अ न, आ य, पुरोडाश एवं सोम नामक तीन भाइय को सामने आकर खाते
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ह. अ न ारा भ त धा य एक वष म बढ़ जाता है. कामवष अ न एक प से मुख एवं
ज ा ारा बढ़ते ह एवं सरे दावा न प से सबको अपने से र हटाते ए वन को जलाते
ह. (२)
कृ ण ुतौ वे वजे अ य स ता उभा तरेते अ भ मातरा शशुम्.
ाचा ज ं वसय तं तृषु युतमा सा यं कुपयं वधनं पतुः.. (३)
अ न क माता के समान काले दोन का जलते ह एवं समान काय करते ए अ न
को उस कार ा त करते ह, जस कार माता शशु को. वह शशु प अ न पूवा भमुख,
ज ा वाला, तम वनाशक, शी उ प का से शनैः-शनैः मलने वाला, र णीय एवं
पालक यजमान का व क है. (३)
मुमु वो३ मनवे मानव यते रघु वः कृ णसीतास ऊ जुवः.
असमना अ जरासो रघु यदो वातजूता उप यु य त आशवः.. (४)
अ न वालाएं मो दायक, शी गा मनी, काले माग वाली, शी का रणी, भ वण
वाली, गमनशील, शी कं पत होनेवाली, हवा के ारा े रत, ा तपूण, मननशील एवं
यजमान के लए उपयोगी ह. (४)
आद य ते वसय तो वृथेरते कृ णम वं म ह वपः क र तः.
य स महीमव न ा भ ममृशद भ स सनय े त नानदत्.. (५)
जस कार अ न सब ओर चे ा और श द करते ए तथा अ यंत गरजते ए महती
भू म का बार-बार पश करते ह, उस समय इनक चनगा रयां अंधकार का वनाश करती
ई एवं काले रंग के गमन माग को काश से भरती ई सब ओर जाती ह. (५)
भूष योऽ ध ब ूषु न नते वृषेव प नीर ये त रो वत्.
ओजायमान त व शु भते भीमो न शृ ा द वधाव गृ भः.. (६)
अ न पीले रंग क लक ड़य को अलंकृत करते ए उन म वेश करते ह. जस
बैल गाय क ओर दौड़ता है, उसी कार अ न महान् श द करते ए उन लक ड़य क
चार तरफ से जाते ह. वे बल दशन सा करते ए अपनी वालाएं द त करते ह. जस
न पकड़ा जा सकने वाला भयंकर पशु स ग घुमाता है, उसी कार अ न वाला
चलाते ह. (६)
तरह
ओर
कार
को
स सं तरो व रः सं गृभाय त जान ेव जानती न य आ शये.
पुनवध ते अ प य त दे म य पः प ो कृ वते सचा.. (७)
अ न कभी छ और कभी व तृत होकर लक ड़य म ा त होते ह. यजमान का
अ भ ाय जानने वाले अ न अपनी उन वाला का आ य लेते ह जो यजमान क
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इ छा को जानती ह. ऐसी वालाएं बार-बार बढ़कर द अ न को ा त होती ह एवं
अ न के साथ ही धरती और आकाश का प तेजोमय बना दे ती ह. (७)
तम ुवः के शनीः सं ह रे भर ऊ वा त थुम ष
ु ीः ायवे पुनः.
तासां जरां मु च े त नानददसुं परं जनय ीवम तृतम्.. (८)
आगे थत केश के समान वालाएं अ न का आ लगन करती ह. वालाएं मरी ई
होने पर भी आने वाले अ न के वागत के लए ऊपर उठती ह, अ न ऐसी शखा का
बुढ़ापा र करके उ ह अ तशय श शाली एवं ाणधारण के यो य बनाते ए बार-बार
गजन करते ह. (८)
अधीवासं प र मातू रह ह तु व े भः स व भया त व यः.
वयो दध प ते रे रह सदानु येनी सचते वतनीरह.. (९)
यह अ न धरती माता को व के समान ढकने वाली झा ड़य को चार ओर से चाटते
ए महान् श द करने वाले ा णय के साथ तेजी से भां त-भां त का गमन करते ह. वह
चरण वाले अथात् मनु य और पशु को खाने क व तुएं दे ते तथा तृणा द को जलाते ए
उस थान को काला कर दे ते ह, जससे चलकर आते ह. (९)
अ माकम ने मघव सु द द ध सीवा वृषभो दमूनाः.
अवा या शशुमतीरद दे वमव यु सु प रजभुराणः.. (१०)
हे अ न! तुम हमारे धनसंप घर म व लत होओ. इसके प ात् तुम कामवष एवं
दाना भलाषी होकर वाला पी सांस इधर-उधर छोड़ते ए ब च जैसी चंचल बु
याग
दो एवं सं ाम म कवच के समान श ु से बार-बार हमारी र ा करते ए जल उठो. (१०)
इदम ने सु धतं धताद ध या च म मनः ेयो अ तु ते.
य े शु ं त वो३ रोचते शु च तेना म यं वनसे र नमा वम्.. (११)
हे अ न! कठोर काठ के ऊपर रखा आ जो ह व तु ह भली कार दया गया है, वह
तु ह य व तु से भी अ धक य हो. तु हारे वाला पी शरीर से जो भी तेज का शत
होता है, उसके साथ-साथ हमारे लए र न दो. (११)
रथाय नावमुत नो गृहाय न या र ां प त रा य ने.
अ माकं वीराँ उत नो मघोनो जनाँ या पारया छम या च.. (१२)
हे अ न! हमारे गमनशील यजमान को संसार से पार उतारने वाली य
पी नाव दो.
ऋ वज् उसके डांड एवं मं उसके चरण ह. वह हमारे वीर पु एवं संप शाली लोग को
पार लगाएगी तथा क याण करेगी. (१२)
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अभी नो अ न उ थ म जुगुया ावा ामा स धव
ग ं य ं य तो द घाहेषं वरम यो वर त.. (१३)
वगूताः.
हे अ न! हमारे मं को ो सा हत करो. धरती, आकाश एवं वयं बहने वाली न दयां
हम घी, ध, जौ, गे ं आ द दे कर ो सा हत कर. लाल रंग वाली उषाएं हम सदा उ म अ
द. (१३)
सू —१४१
दे वता—अ न
ब ळ था त पुषे धा य दशतं दे व य भगः सहसो यतो ज न.
यद मुप रते साधते म तऋत य धेना अनय त स ुतः.. (१)
ोतनशील अ न का दशनीय वह तेज सब लोग शरीर क ढ़ता के लए धारण करते
ह, य क वह बल से उ प है. यह बात स य है. यह स है क उसी तेज का सहारा
लेकर मेरी बु काय करती है और अपना इ स करती है. य साधक अ न के तेज को
ही सबक तु तयां ा त होती ह. (१)
पृ ो वपुः पतुमा य आ शये तीयमा स त शवासु मातृषु.
तृतीयम य वृषभ य दोहसे दश म त जनय त योषणः.. (२)
यह अ न अ साधक, शरीर बढ़ाने वाला एवं ह अ से यु होकर एक प म
न य धरती पर रहता है. सरे प म सात लोक का क याण करने वाली वषा म रहता
है. तीसरे प म इस कामवष बादल का जल बरसाने के लए रहता है. इस कार पर पर
मली ई दस दशाएं इस अ न को उ प करती ह. (२)
नयद बु ना म हष य वपस ईशानासः शवसा त सूरयः.
यद मनु दवो म व आधवे गुहा स तं मात र ा मथाय त.. (३)
महान् य के आरंभ से सब काय स करने म समथ ऋ वज् बल से अ न को उ प
करते ह एवं वेद पी गुफा म छपी ई अ न को फैलाने के लए चलती ई वायु अना द
काल से े रत करती है. (३)
य पतुः परमा ीयते पया पृ ुधो वी धो दं सु रोह त.
उभा यद य जनुषं य द वत आ द व ो अभवद्घृणा शु चः.. (४)
अ क उ कृ ता के न म अ न को उ प कया जाता है. भोजन क इ छा वाली
लताएं अ न के दांत म वेश करती ह. ऋ वज् एवं यजमान दोन ही अ न क उ प का
य न करते ह, इस लए शु अ न यजमान पर कृपा करते ए युवा होते ह. (४)
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आ द मातॄरा वश ा वा शु चर ह यमान उ वया व वावृधे.
अनु य पूवा अ ह सनाजुवो न न सी ववरासु धावते.. (५)
सर ारा बना सताए ए अ न, जन माता पी दशा के बीच वृ को ा त
ए ह, का शत होते ए उ ह म व होते ह. अ न थापन के समय जो ओष धयां डाली
गई थ , अ न उन पर चढ़ गए थे. इस समय वे नई डाली गई ओष धय क ओर दौड़ते ह.
(५)
आ द ोतारं वृणते द व षु भग मव पपृचानास ऋ ते.
दे वा य वा म मना पु ु तो मत शंसं व धा वे त धायसे.. (६)
ऋ वज् ुलोक म जाने क इ छा के कारण होम संपादक अ न क राजा के समान
पूजा करते ह, य क ये ब त से लोग ारा तुत एवं य प कम तथा अपने शारी रक बल
से दे व एवं तु त यो य मानव के लए अ क इ छा करते ह. अ न व प ह. (६)
व यद था जतो वातचो दतो ारो न व वा जरणा अनाकृतः.
त य प म द ुषः कृ णजंहसः शु चज मनो रज आ
वनः.. (७)
य के यो य अ न वायु ारा े रत होकर चार ओर उसी कार फैल जाते ह, जस
कार ब व ा व षक भां त-भां त क तु तयां करता है. जलाने वाले, कृ णमाग वाले एवं
प व ज म वाले अ न के गमनमाग म सम त लोक थत ह. (७)
रथो न यातः श व भः कृतो ाम े भर षे भरीयते.
आद य ते कृ णासो द सूरयः शूर येव वेषथाद षते वयः.. (८)
जस कार र सय से बंधा आ रथ अपने प हए आ द अंग के सहारे चलता है, उसी
कार अ न अपनी वाला के साथ आकाश म जाते ह. वे अपने माग को काले रंग का
बनाने के लए लक ड़य को जलाते ह. अ न के तेज से प ी उसी कार भाग जाते ह, जस
कार वीर के भय से लोग भागते ह. (८)
वया ने व णो धृत तो म ः शाश े अयमा सुदानवः.
य सीमनु तुना व था वभुररा ने मः प रभूरजायथाः.. (९)
हे अ न! तु हारे कारण व ण तधारी, म अंधकारनाशक ा एवं अयमा
शोभनदानशील होते ह. जस कार ने म रथ के प हय के अर को धारण करती है, उसी
कार अ न अपने य पी कम के ारा सव ापक एवं अपने तेज से सबका पराभव करते
ए उ प होते ह. (९)
वम ने शशमानाय सु वते र नं य व दे वता त म व स.
तं वा नु न ं सहसो युव वयं भगं न कारे म हर न धीम ह.. (१०)
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हे अ यंत युवा अ न! तुम तु त करने वाले एवं सोम नचोड़ने वाले यजमान के
क याण के न म उनका रमणीय ह दे व के समीप ले जाकर व तृत करते हो. हे
बलपु , धनसंप , न यत ण एवं ह भो ा अ न! हम यजमान तो बोलते समय तु ह
शी था पत करते ह. (१०)
अ मे र य न वथ दमूनसं भगं द ं न पपृचा स धण सम्.
र म रव यो यम त ज मनी उभे दे वानां शंसमृत आ च सु तुः.. (११)
हे अ न! जस कार तुम हम वरणीय एवं पू य धन दे ते हो, उसी कार सबको
आकृ करने वाला, उ सा हत एवं व ाधारण म कुशल पु दे ते हो. अ न अपनी करण के
समान ही अपने जन के आधार दोन लोक का व तार करते ह. शोभनय क ा अ न हमारे
य म दे व तु त को व तार दे ते ह. (११)
उत नः सु ो मा जीरा ो होता म ः शृणव च रथः.
स नो नेष ेषतमैरमूरोऽ नवामं सु वतं व यो अ छ.. (१२)
या अ यंत ोतमान, ग तशील अ वाले, दे व को बुलाने वाले, आनंदपूण वणरथ
के वामी, अमोघश संप एवं नवासयो य अ न हमारा आ ान सुनगे? या वह हम
सरलता से ा त एवं सबके ारा अ भल षत वग म हमारे कम ारा ले जाएंग?
े (१२)
अ ता नः शमीव रकः सा ा याय तरं दधानः.
अमी च ये मघवानो वयं च महं न सूरो अ त न त युः.. (१३)
अ यंत काश धारण करने वाले अ न क हमने ह दान आ द कम एवं
अचनासाधक मं
ारा तु त क है. जस कार सूय बरसने वाले बादल को श द यु
करता है, उसी कार हम सब यजमान इस अ न क तु त करते ह. (१३)
सू —१४२
दे वता—अ न
स म ो अ न आ वह दे वाँ अ यत ुचे. त तुं तनु व पू
सुतसोमाय दाशुषे.. (१)
हे स म अ न! आज ुच उठाए ए यजमान के क याण के लए दे व को बुलाओ.
सोम नचोड़ने वाले और य म ह व दे ने वाले यजमान के न म पूवकालीन य का व तार
करो. (१)
घृतव तमुप मा स मधुम तं तनूनपात्. य ं व य मावतः शशमान य दाशुषः.. (२)
हे तनूनपात! मेधावी, तु तक ा एवं ह दाता मुझ जैसे यजमान के घृत एवं मधु से
संप य म आकर अंत तक रहो. (२)
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शु चः पावको अ तो म वा य ं म म त.
नराशंस रा दवो दे वो दे वेषु य यः.. (३)
दे व के म य शु , प व क ा, आ यजनक, तेज वी एवं य संपादक नराशंस अ न
वगलोग से आकर हमारे य को तीन बार मधु से स चते है. (३)
ई ळतो अ न आ वहे ं च मह यम्.
इयं ह वा म तममा छा सु ज व यते.. (४)
हे सबके ारा तुत अ न! हमारे य म व च एवं य इं को बुलाओ. हे शोभन
ज ा वाले! मेरी यह तु त पी वाणी तु हारे स मुख प ंचे. (४)
तृणानासो यत ुचो ब हय े व वरे. वृ
े दे व च तम म ाय शम स थः.. (५)
सोमयाग नामक शोभन य म कुश फैलाते ए ऋ वज् इं के न म
सुखसाधन व दे व के य वधक आने-जाने यो य घर बनाते ह. (५)
व तीण,
व य तामृतावृधः यै दे वे यो महीः. पावकासः पु पृहो ारो दे वीरस तः.. (६)
दे व के आने के लए य के य व क, य पावक, अनेक लोग
एक- सरे से पृथक् थत ार खुल जाव. (६)
ारा अ भल षत एवं
आ भ दमाने उपाके न ोषासा सुपेशसा.
य ऋत य मातरा सीदतां ब हरा सुमत्.. (७)
सबके ारा तुत, पर पर सं न हत, शोभन, महान् य के माता- पता के समान नशा
एवं उषा वयं ही आकर फैले ए कुश पर बैठ. (७)
म ज ा जुगुवणी होतारा दै ा कवी.
य ं नो य ता ममं स म द व पृशम्.. (८)
दे व को मादक करने वाली वाला से यु
तु त करने वाले यजमान के परम
हतैषी, ांतदश एवं द होता प अ न हमारे फलसाधक एवं वग के पश करने वाले
य क पूजा कर. (८)
शु चदवे व पता हो ा म सु भारती.
इळा सर वती मही ब हः सीद तु य याः.. (९)
शु च, मरणर हत दे व क म य थ तथा य संपा दका अ न क तीन मू तयां भारती,
वाक् और सर वती य के उपयु बनकर कुश पर बैठ. (९)
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त तुरीपम तं पु वारं पु मना.
व ा पोषाय व यतु राये नाभा नो अ मयुः.. (१०)
हमारी कामना करने वाले व ा अपने आप ही हमारी पु और समृ के लए मेघ के
ना भ थानीय अद्भुत, ापक एवं अग णत लोग के क याण करने वाले जल को बरसाव.
(१०)
अवसृज ुप मना दे वा य
वन पते. अ नह ा सुषूद त दे वो दे वेषु मे धरः.. (११)
हे वन प त! ऋ वज क इ छानुसार कम म लगाकर वयं दे व के
तेज वी एवं मेधावी अ न दे व को ह
ा त कराएं. (११)
पूष वते म वते व दे वाय वायवे. वाहा गाय वेपसे ह
तय
करो.
म ाय कतन.. (१२)
हे ऋ वजो! पूषा, म द्गण, व ेदेव, वायु एवं गाय ी का शरीर धारण करने वाले इं
को ह दे ने के लए वाहा श द बोलो. (१२)
वाहाकृता या ग प ह ा न वीतये.
इ ा ग ह ुधी हवं वां हव ते अ वरे.. (१३)
हे इं ! वाहा श द से यु
रहे ह. (१३)
सू —१४३
हमारा ह
खाने के लए आओ, य क ऋ वज् तु ह बुला
दे वता—अ न
त स न स धी तम नये वाचो म त सहसः सूनवे भरे.
अपां नपा ो वसु भः सह यो होता पृ थ ां यसीद वयः.. (१)
म बल के पु , जल के नाती, यजमान के य एवं य संप क ा व यथासमय धन के
साथ य वेद पर बैठने वाले अ न के न म यह अ तशयवधक एवं नवीनतम य करता ं
तथा तु त पढ़ता ं. (१)
स जायमानः परमे ोम या वर नरभव मात र ने.
अ य वा स मधान य म मना
ावा शो चः पृ थवी अरोचयत्.. (२)
वे अ न व तृत आकाश दे श म उ प होकर सबसे थम मात र ा के समीप प ंचे.
इसके प ात् वे धन ारा भली-भां त बढ़े और बल य कम ारा उनक वाला ने धरती
और आकाश को का शत कया. (२)
अ य वेषा अजरा अ य भानवः सुस शः सु तीक य सु ुतः.
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भा व सो अ य ु न स धवोऽ ने रेज ते असस तो अजराः.. (३)
शोभनमुख अ न क जरार हत द त एवं सु य तथा सब दशा म काशमान
चनगा रयां श शा लनी ह. अ न क ग तशील एवं कांपती
लपट रा का अंधकार न
करती ह. (३)
यमे ररे भृगवो व वेदसं नाभा पृ थ ा भुवन य म मना.
अ नं तं गी भ हनु ह व आ दमे य एको व यो व णो न राज त.. (४)
भृगुवंशी यजमान ने सम त ा णय क बल ा त के उ े य से जन सवधन संप
अ न को था पत कया है, उन अ न को अपने घर म ले जाकर तु त करो. वे अ न मु य
ह एवं व ण के समान सम त धन के वामी ह. (४)
न यो वराय म ता मव वनः सेनेव सृ ा द ा यथाश नः.
अ नज भै त गतैर भव त योधो न श ु स वना यृ ते.. (५)
जो अ न वायु के श द, बल आ मणकारी क सेना एवं द व के समान
नवारण नह कए जा सकते, वे अपने तीखे दांत से श ु क उसी कार हसा कर, जस
कार वन को जलाते ह. (५)
कु व ो अ न चथ य वीरस सु कु व सु भः काममावरत्.
चोदः कु व ुतु या सातये धयः शु च तीकं तमया धया गृणे.. (६)
ये अ न हमारे तो क बार-बार कामना कर. सबको नवास दान करने वाले अ न
धन से हमारी कामना पूरी कर. अ न य क ेरणा दे ने वाले बनकर हम य कम के लाभ
के लए बार-बार े रत कर. म शोभन वाला वाले अ न के त तु त का उ चारण करता
ं. (६)
घृत तीकं व ऋत य धूषदम नं म ं न स मधान ऋ ते.
इ धानो अ ो वदथेषु द छु वणामु नो यंसते धयम्.. (७)
य का नवाह करने वाले एवं द त वाला वाले अ न को म के समान जलाते
ए सुशो भत कया जाता है. भली-भां त द त अ न य म व लत होते ए हमारी
या ा द वषयक नमल बु को जगाते ह. (७)
अ यु छ यु छ र ने शवे भनः पायु भः पा ह श मैः.
अद धे भर पते भ र ेऽ न मष ः प र पा ह नो जाः.. (८)
हे अ न! बना माद के नरंतर मंगलकारी एवं सुखद र ण से हमारा क याण करो.
हे इ ! तुम नमेषर हत एवं अ हसक उपाय से हमारी एवं हमारी संतान क र ा करो. (८)
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सू —१४४
दे वता—अ न
ए त होता तम य माययो वा दधानः शु चपेशसं धयम्.
अ भ ुचः मते द णावृतो या अ य धाम थमं ह नसते.. (१)
ायु होता अपनी ऊ वमुखी एवं शोभन पवाली
ा को धारण करता आ
अ न को ह व दे ने के लए जा रहा है एवं द णा करता आ अ न म थम आ त दे ने के
साधन ुच को धारण करता है. (१)
अभीमृत य दोहना अनूषत योनौ दे व य सदने परीवृताः.
अपामुप थे वभृतो यदावसदध वधा अधय ा भरीयते.. (२)
जल क धाराएं अपने उ प — थल सूयलोक म सूय क करण से घरकर नई बन
जाती ह. उसी समय जल क गोद म वशेष प से धारण क गई अ न के कारण लोग
अमृत के समान जल पीते ह. अ न बजली के प म जल से मलते ह. (२)
युयूषतः सवयसा त द पुः समानमथ वत र ता मथः.
आद भगो न ह ः सम मदा वो न र मी समयं त सार थः.. (३)
समान अव था वाले एवं समान योजन क स के लए एक- सरे क ब त कुछ
सहायता करते ए होता एवं अ वयु अ न के शरीर म अपना-अपना यश मलाते ह. जस
कार सूय अपनी करण को समेटते ह एवं सार थ घोड़ क लगाम पकड़ता है, उसी कार
अ न हमारे ारा डाली गई घृतधारा को वीकार करते ह. (३)
यम ा सवयसा सपयतः समाने योना मथुना समोकसा.
दवा न न ं प लतो युवाज न पु चर जरो मानुषा युगा.. (४)
समान अव था वाले, समान य म वतमान एवं प त-प नी के समान य पी एक ही
काम म लगे ए होता और अ वयु जन अ न क रात- दन उपासना करते ह, वे वृ ह
अथवा युवा, पर उन दोन
य का ह भ ण करके जरार हत होते ह. (४)
तम ह व त धीतयो दश शो दे वं मतास ऊतये हवामहे.
धनोर ध वत आ स ऋ व य भ ज वयुना नवा धत.. (५)
दस उंग लयां पर पर अलग होकर काशमान अ न को स करती ह एवं हम
यजमान लोग ज ह अपनी र ा के लए बुलाते ह, वे अ न चनगा रय को उसी कार
बखेरते ह, जस कार धनुष से बाण छू टते ह. अ न चार ओर घूमते ए यजमान क
नवीन तु तय को धारण करते ह. (५)
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वं ने द य राज स वं पा थव य पशुपा इव मना.
एनी त एते बृहती अ भ या हर ययी व वरी ब हराशाते.. (६)
हे अ न! जस कार पशुपालक अपनी श से पशु पर अ धकार करता है, उसी
कार तुम आकाश एवं धरती पर वतमान ा णय के वामी हो. इसी कारण व तृत ऐ य
वाले, हर यमय, शोभन श द करने वाले, ेतवण एवं स
ावापृ वी य म आते ह. (६)
अ ने जुष व त हय त चो म वधाव ऋतजात सु तो.
यो व तः यङ् ङ स दशतो र वः स ौ पतुमाँ इव यः.. (७)
हे अ न! तुम ह
का सेवन करो एवं य तो सुनने क इ छा करो. हे
स ताकारक, अ यु , य के न म -उ प तथा शोभन-बु अ न! तुम सम त व
के अनुकूल, सबके दशनीय, रमणशील एवं भूत-अ के वामी के समान सबके
आ यदाता हो. (७)
सू —१४५
दे वता—अ न
तं पृ छना स जगामा स वेद स च क वाँ ईयते सा वीयते.
त म स त शष त म यः स वाज य शवसः शु मण प तः.. (१)
हे यजमानो! उन अ न से पूछो. वे सव जाते ह, इस लए वे ही जानते ह. वे ही चेतना
वाले ह. वे ही जानने यो य बात को जानने के लए शी जाते ह. अ न म शासन क
यो यता है एवं उ ह म सवफलसाधक य क मता है. वे ही अ , बल एवं बलवान् के
पालनक ा ह. (१)
त म पृ छ त न समो व पृ छ त वेनेव धीरो मनसा यद भीत्.
न मृ यते थमं नापरं वचोऽ य वा सचते अ पतः.. (२)
सब लोग अ न को पूछते ह. उनके अ त र अ य कसी को नह पूछते. धीर अ न
पूछने पर वही बात बताते ह जो उनके मन म होती है,
के अनुकूल उ र नह दे ते. ये
अ न अपने वा य से पहले और बाद के वचन को सहन नह करते. इस कारण दं भहीन
अ न का ही सहारा लेता है. (२)
त मद् ग छ त जु १ तमवती व ा येकः शृणव चां स मे.
पु ैष ततु रय साधनोऽ छ ो तः शशुराद सं रभः.. (३)
जु नामक पा म रखे ए आ य आ द अ न के ही पास आते ह. ा त भरी तु तयां
उ ह को मलती ह. एकमा वे ही तु तवचन को पूण प से सुनते ह. अ न सबके
आ ाकारक, तारणक ा, य साधन, अ व छ र ासंप , यकारी एवं य क ह व को
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वीकार करने वाले ह. (३)
उप थायं चर त य समारत स ो जात त सार यु ये भः.
अ भ ा तं मृशते ना े मुदे यद ग छ युशतीर प तम्.. (४)
अ वयु जस समय अ न को उ प करने का य न करता है, तभी ये उप थत हो
जाते ह. ये उ प होने के त काल बाद ही मलने यो य व तु से मल जाते ह. वृ को
ा त करके ये थके ए यजमान क आनंद ा त के लए उसके ारा कए गए कम को
वीकार करते ह. (४)
स मृगो अ यो वनगु प व युपम यां न धा य.
वी युना म य योऽ न व ाँ ऋत च स यः.. (५)
वे ही अ न वचा के समान व तृत वेद पर धारण कए जाते ह. अ न अ वेषणशील,
ग तसंप एवं वन म जाने वाले ह. सव एवं य ा द के ाता अ न यजमान आ द मनु य
के लए य करने का ान वशेष प से दे ते ह. (५)
सू —१४६
दे वता—अ न
मूधानं स तर मं गृणीषेऽनूनम नं प ो प थे.
नष म य चरतो ुव य व ा दवो रोचनाप वांसम्.. (१)
तीन म तक वाले, सात र मय वाले, माता- पता क गोद म बैठे ए एवं
वकलतार हत अ न क तु त करो. चंचलतार हत, सव जाने म समथ एवं काशयु
अ न के तेज को दे खने के लए वग से आए ए तेज वी वमान अ न को घेरे ए ह. (१)
उ ा महाँ अ भ वव एने अजर त था वतऊ तऋ वः.
उ ाः पदो न दधा त सानौ रह यूधो अ षासो अ य.. (२)
फलदाता एवं महान् अ न मतवाले बैल के समान धरती और आकाश को ा त करते
ह. ये जरार हत एवं परमपू य अ न दे व हमारी र ा करते ए थत ह. ये व तृत पृ वी पर
पवत क चोट के समान उठ ई वेद पर चरण रखते ह एवं इनक चमकती ई लपट
आकाश को चाटती ह. (२)
समानं व सम भ स चर ती व व धेनू व चरतः सुमेके.
अनपवृ याँ अ वनो ममाने व ा केताँ अ ध महो दधाने.. (३)
यजमान एवं उसक प नी पी दो गाएं कुशलतापूवक सेवा करती ई अ न पी एक
ही बछड़े के समीप जाती ह. वे दोन नदनीय दोष से र हत, अ न के माग का नमाण करने
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वाले एवं सम त कार के ान को धारण करने वाले ह. (३)
धीरासः पदं कवयो नय त नाना दा र माणा अजुयम्.
सषास तः पयप य त स धुमा वरे यो अभव सूय नॄन्.. (४)
बु मान् एवं य व ध को जानने वाले अ वयु इस अजीण अ न को वे दका पर
था पत करते ह एवं व वध य न ारा इसक र ा करते ह. जो लोग य फल पाने क
अ भलाषा से फलदाता अ न क सेवा करते ह, उनके सम ये सूय प म य होते ह.
(४)
द े यः प र का ासु जे य ईळे यो महो अभाय जीवसे.
पु ा यदभव सूरहै यो गभ यो मघवा व दशतः.. (५)
यह अ न दस दशा म दे खने क इ छा के वषय बनते ह. इसी कारण अ न
जयशील एवं तु तयो य बनते ह. ये महान् दे वा द एवं ु मनु या द सबके जीवन हेतु ह.
जस कार पता ब चे का पालन करता है, उसी कार अ यु एवं सबके दशनीय अ न
अनेक थान म यजमान का पालन एवं र ा करते ह. (५)
सू —१४७
दे वता—अ न
कथा ते अ ने शुचय त आयोददाशुवाजे भराशुषाणाः.
उभे य ोके तनये दधाना ऋत य साम णय त दे वाः.. (१)
हे अ न! तु हारी चमकती ई और सोखने वाली लपट अ एवं आयु कस कार दे ती
ह, जनसे पु -पौ आ द के लए अ एवं आयु ा त करते ए य संबंधी साममं का
गान करते ह? (१)
बोधा मे अ य वचसो य व मं ह य भृत य वधावः.
पीय त वो अनु वो गृणा त व दा ते त वं व दे अ ने.. (२)
हे युवा एवं ह ा यु अ न! इस समय बोले जाते ए मेरे महान् एवं पूजनीय
तु तवचन को सुनो. कोई तु हारी तु त और कोई नदा करता है. हे अ न! म तो तु हारी
वंदना करने वाला ं एवं तु हारी तु त करता ं. (२)
ये पायवो मामतेयं ते अ ने प य तो अ धं रतादर न्.
रर ता सुकृतो व वेदा द स त इ पवो नाह दे भुः.. (३)
हे अ न! तुम सब कुछ जानने वाले हो. तु हारी जन पालक और स करण ने
ममता के अंधे पु द घतमा को अंधेपन के ःख से बचाया था, तुम अपनी उन करण क
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र ा करो. तु हारे ारा र त हम लोग का वनाश श ु नह कर पाएंगे. (३)
यो नो अ ने अर रवाँ अघायुररातीवा मचय त येन.
म ो गु ः पुनर तु सो अ मा अनु मृ ी त वं
ै ः.. (४)
हे अ न! जो हमारे त मारण आ द पाप का अ भलाषी है, दान नह दे ता, मान सक
एवं वा चक दोन कार के मं
ारा जो हम दान दे ने से रोकता है, उसके लए मं का
पहला मान सक प दय का भार बने एवं सरा वा चक प वा य उसका ही शरीर न
करे. (४)
उत वा यः सह य व ा मत मत मचय त येन.
अतः पा ह तवमान तुव तम ने मा कन रताय धायीः.. (५)
हे बलपु अ न! जो
वा चक एवं मान सक दोन कार के मं
ारा मनु य को
भा वत करता है, हे तूयमान अ न! म ाथना करता ं क मुझ तु तक ा क ऐसे
से र ा करो एवं मुझे पाप का भाजक मत बनाओ. (५)
सू —१४८
दे वता—अ न
मथी द व ो मात र ा होतारं व ा सुं व दे म्.
न यं दधुमनु यासु व ु व१ण च ं वपुषे वभावम्.. (१)
वायु ने लक ड़य के भीतर व होकर दे व के होता, नाना प धारण करने वाले एवं
सम त दे व से संबं धत य काय करने म कुशल अ न को बढ़ाया. ाचीन काल म दे व ने
इसी अ न को ऋ वज् प म य स के लए धारण कया था. (१)
ददान म ददभ त म मा नव थं मम त य चाकन्.
जुष त व ा य य कम प तु त भरमाण य कारोः.. (२)
अ न को उ म ह या तु त दे ने वाले मुझको श ु न नह कर सकते. अ न मेरे
उ म तो क कामना करते ह. तु त करने वाले यजमान ारा दए गए ह
वीकार करते
ह. (२)
न ये च ु यं सदने जगृ े श त भद धरे य यासः.
सू नय त गृभय त इ ाव ासो न र यो रारहाणाः.. (३)
य
यो य यजमान जस अ न को न य अ न थान म धारण करते ह एवं तु तयां
करते ए था पत करते ह, उसी अ न को ऋ वज ने शी गामी एवं रथ म जुड़े ए घोड़े के
समान य के न म न मत कया. (३)
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पु ण द मो न रणा त ज भैरा ोचते वन आ वभावा.
आद य वातो अनु वा त शो चर तुन शयामसनामनु ून्.. (४)
वनाशक अ न अपने शखा पी दांत से व वध कार के वृ को न करते ह एवं
व वध काशयु होकर द त होते ह. जस कार फकने वाले के पास से बाण
शी तापूवक जाता है, उसी कार वायु अ न का म बनकर चलता है. (४)
न यं रपवो न रष यवो गभ स तं रेषणा रेषय त.
अ धा अप या न दभ भ या न यास
ेतारो अर न्.. (५)
अर ण के म य म वतमान जसको श ु ःख नह दे सकते, अंधा
भी उस अ न
के मह व को न नह कर सकता. अ वचलभ वाले यजमान य ा द ारा उसी अ न को
तृ त करते एवं उसक र ा करते ह. (५)
सू —१४९
दे वता—अ न
महः स राय एषते प तद न इन य वसुनः पद आ.
उप ज तम यो वध त्.. (१)
पू य गौ आ द धन के वामी अ न मनचाही व तुएं दान करते ए दे वय के सामने
जाते ह. वा मय के भी वामी अ न धन के आ य वेद का सहारा लेते ह. सोम कूटने के
लए हाथ म प थर लए ए यजमान आए ए अ न क सेवा करते ह. (१)
स यो वृषा नरां न रोद योः वो भर त जीवपीतसगः.
यः स ाणः श ीत योनौ.. (२)
वे अ न मनु य के समान ही धरती और आकाश के भी उ प करने वाले ह. वे यश
से शो भत ह एवं उ ह ने जीव को नाना कार से वाद ा त कराया है. वे अपनी वेद पी
यो न म व होकर ा त पुरोडाश आ द को पचाते ह. (२)
आ यः पुरं ना मणीमद दे द यः क वनभ यो३ नावा.
सूरो न
वा छता मा.. (३)
ांतदश एवं आकाश म मण करने म कुशल वायु के समान अपे त थान म जाने
वाले अ न यजमान ारा बनाई ई वेद को द त करते ह. सैकड़ कार के प वाले
अ न सूय के समान का शत होते ह. (३)
अ भ ज मा ी रोचना न व ा रजां स शुशुचानो अ थात्.
होता य ज ो अपां सध थे.. (४)
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दो अर णय ारा उ प अ न तीन लोक को का शत करते ए एवं सम त संसार
को आलो कत करते ए थत होते ह. वे दे व को बुलाने वाले एवं य क ा बनकर ो णी
आ द पा के जल के समीप थत होते ह. (४)
अयं स होता यो ज मा व ा दधे वाया ण व या.
मत यो अ मै सुतुको ददाश.. (५)
जो अ न ज मा ह, वे ही य न प क ा एवं सम त उ म धन को ह
ा तक
इ छा से धारण करते ह. इन अ न के लए जो
ह व दे ता है, वह उ म पु वाला बनता
है. (५)
दे वता—अ न
सू —१५०
पु
वा दा ा वोचेऽ रर ने तव वदा. तोद येव शरण आ मह य.. (१)
हे अ न! मने तु ह तु हारा य ह दया है. इस लए म भां त-भां त क ाथनाएं कर
रहा ं. म तु हारा ही सेवक ं. जस कार महान् वामी के घर म सेवक रहता है, उसी
कार तु हारे य थल म म नवास करता ं. (१)
नन य ध ननः होषे चदर षः. कदा चन
जगतो अदे वयोः.. (२)
हे अ न दे व! जो धनी लोग तु ह वामी नह मानते, जो उ म य के लए द णा नह
दे ते एवं जो दे व क तु त नह करते, उन दे व वरोधी लोग को धन मत दे ना. (२)
स च ो व म य महो ाध तमो द व.
े े अ ने वनुषः याम.. (३)
हे अ न! जो बु मान् मनु य तु हारा य करता है, वह आकाश म चं मा के समान
सबका आ ादक बनता है एवं धान का भी धान होता है. इस लए हम वशेष प से
तु हारे सेवक ह. (३)
सू —१५१
दे वता— म व व ण
म ं न यं श या गोषु ग वः वा यो वदथे अ सु जीजनन्.
अरेजेतां रोदसी पाजसा गरा त यं यजतं जनुषामवः.. (१)
गाय के वामी होने के इ छु क एवं शोभन यान वाले यजमान ने गाय क ा त के
न म एवं अपने मनु य क र ा के लए म के सेमान जस अ न को जल के भीतर
य कम से उ प कया, धरती और आकाश जस अ न के बल और श द से कांपते ह, उसी
य एवं य साधन अ न क वे र ा करते ह. (१)
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य य ां पु मीळ् ह य सो मनः म ासो न द धरे वाभुवः.
अध तुं वदतं गातुमचत उत ुतं वृषणा प यावतः.. (२)
हे म एवं व ण! तुम व वध इ छाएं पूण करने वाले हो. तु हारे म बने ए ऋ वज
ने अ भलाषा पूण करने वाला एवं कम करने क ेरणा दे ने वाला सोमरस धारण कया है.
इस लए तुम दोन अपने सेवक के घर जाओ और उसक पुकार सुनो. (२)
आ वां भूष तयो ज म रोद योः वा यं वृषणा द से महे.
यद मृताय भरथो यदवते हो या श या वीथो अ वरम्.. (३)
हे कामवषक म और व ण! यजमान सम त श यां पाने के उ े य से धरती और
आकाश म आपके तु त यो य ज म क शंसा करते ह. तुम अपने पूजक यजमान को
अभी फल दे ते हो एवं तु तवचन तथा ह दान आ द कम को वीकार करते हो. (३)
सा तरसुर या म ह य ऋतावानावृतमा घोषथो बृहत्.
युवं दवो बृहतो द माभुवं गां न धुयुप यु ाथे अपः.. (४)
हे बलशाली म एवं व ण! जो य थल क भू म आपको ब त अ धक यारी है, उसे
भली कार सुशो भत कर दया गया है. हे स यवा दयो! उस पर बैठकर हमारे वशाल य
क शंसा करो. जस कार शारी रक बल ा त करने के लए गाय के ध का उपभोग
कया जाता है, उसी कार आप आकाश म थत दे व को स करने के लए सव होने
वाले य को वीकार करते हो. (४)
मही अ म हना वारमृ वथोऽरेणव तुज आ स धेनवः.
वर त ता उपरता त सूयमा न ुच उषस त ववी रव.. (५)
हे म और व ण! तुम अपने मह व के कारण गाय को वशाल धरती के जस उ म
थान म ले जाते हो, वे चोर आ द के अपहरण से सुर त गोशाला म लौट आती ह एवं चुर
ध दे ती ह. जस कार चोर ारा पकड़े गए लोग च लाते ह, उसी कार वे गाएं सांझसवेरे आकाश थत सूय क ओर दे खकर रंभाती ह. (५)
आ वामृताय के शनीरनूषत म य व ण गातुमचथः.
अव मना सृजतं प वतं धयो युवं व य म मना मर यथः.. (६)
हे म और व ण! तुम जस य दे श म जाना वीकार कर लेते हो, वहां केश वाली
अ न वालाएं तु हारे य के न म तु हारी पूजा करती ह. तुम आकर नीचे क ओर वषा
को े रत करो एवं मेधावी यजमान क उ म तु तयां वीकार करो. (६)
यो वां य ैः शशमानो ह दाश त क वह ता यज त म मसाधनः.
उपाह तं ग छथो वीथो अ वरम छा गरः सुम त ग तम मयू.. (७)
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जो मेधावी एवं भली-भां त य संप करने वाला यजमान उ म य साधन ारा
तु हारे न म सोमयाग आ द के उ े य से तु त करता आ ह दे ता है, उसी शोभनम त
यजमान के समीप जाओ एवं उसी के य क अ भलाषा करो. तुम हम पर कृपा क कामना
करते ए हमारी तु तय को वीकार करो. (७)
युवां य ैः थमा गो भर त ऋतावाना मनसो न यु षु.
भर त वां म मना संयता गरोऽ यता मनसा रेवदाशाथे.. (८)
हे य शाली म एवं व ण! जस कार कसी काम म सबसे पहले मन लगाया जाता
है, उसी कार यजमान य म सबसे पहले तु ह घृता द ह
से पू जत करते ह. वे तुमम
भली-भां त संल न च से तु त करते ह. तुम स च से अ यु य म पधारो. (८)
रेव यो दधाथे रेवदाशाथे नरा माया भ रतऊ त मा हनम्.
न वां ावोऽह भन त स धवो न दे व वं पणयो नानशुमघम्.. (९)
हे म एवं व ण! तुम दोन धनस हत अ धारण करते हो, इस लए धनयु अ
दान करो. वह वशाल धन तु हारी बु
ारा र त है. दन एवं रात को तु हारे समान
श
ा त नह है. न दय और प णय ने तु हारा दे व व नह पाया. प णय को तो तु हारे
समान धन भी ा त नह है. (९)
सू —१५२
दे वता— म व व ण
युवं व ा ण पीवसा वसाथे युवोर छ ा म तवो ह सगाः.
अवा तरतमनृता न व ऋतेन म ाव णा सचेथे.. (१)
हे म और व ण! तुम दोन मोटे एवं तेज वी व धारण करो. तु हारे ारा क गई
सृ यां नद ष एवं मनोहर ह. तुम दोन सम त अस य का वनाश करके हम स य से यु
करो. (१)
एत चन वो व चकेतदे षां स यो म ः क वश त ऋघावान्.
र ह त चतुर
ो दे व नदो ह थमा अजूयन्.. (२)
हे म और व ण! तुम दोन म से येक वशेष प से कम करता है, स यभाषी,
मननशील, मेधा वय ारा शंसनीय एवं श ुनाशक है, चार अ धारण करके तीन अ
धारण करने वाल का नाश करता है एवं येक के साम य से दे व नदक लोग पहले ही
समा त हो जाते ह. (२)
अपादे त थमा प तीनां क त ां म ाव णा चकेत.
गभ भारं भर या चद य ऋतं पप यनृतं न तारीत्.. (३)
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हे म और व ण! चरणहीन उषा पैर वाले मनु य से पहले ही आ जाती है. ऐसा
तु हारे ही कारण होता है, इस बात को कौन जानता है? तुम दोन के पु सूय स य क पू त
एवं अस य का वरोध करने का भार धारण करते ह. (३)
य त म प र जारं कनीनां प याम स नोप नप मानम्.
अनवपृ णा वतता वसानं यं म य व ण य धाम.. (४)
हम कमनीय उषा के ेमी सूय को सदा चलता आ दे खते ह, कभी
दे खते. व तृत तेज को धारण करने वाले सूय म व व ण के य ह. (४)
थर नह
अन ो जातो अनभीशुरवा क न द पतय वसानुः.
अच ं
जुजुषुयुवानः म े धाम व णे गृण तः.. (५)
सूय अ एवं लगाम के अभाव म भी शी गमन करते ह, जोर से गरजते ह एवं मशः
ऊपर चढ़ते जाते ह. लोग इन अ च य एवं महान् कम को म एवं व ण का समझकर बारबार तु तयां करते ए सेवा करते ह. (५)
आ धेनवो मामतेयमव ती
यं पीपय स म ध
ू न्.
प वो भ ेत वयुना न व ानासा ववास द तमु येत्.. (६)
य य एवं ममता के पु द घतमा क र ा करती
गाएं अपने थन के ध से उसे
तृ त कर. वे य ानु ान को जानती
द घतमा के पता एवं माता से तशेष अ खाने के
लए मांग एवं तुम दोन क सेवा करती
य को अखं डत प से र त कर. (६)
आ वां म ाव णा ह जु नमसा दे वाववसा ववृ याम्.
अ माकं
पृतनासु स ा अ माकं वृ द ा सुपारा.. (७)
हे म और व ण दे वो! म अपनी र ा के न म तु हारे त नम कारयु
तो से
ह दे ने का य न क ं गा. हमारा यह य कम यु म श ु को हरावे एवं द वषा हमारा
उ ार करे. (७)
सू —१५३
दे वता— म व व ण
यजामहे वां महः सजोषा ह े भ म ाव णा नमो भः.
घृतैघृत नू अध य ाम मे अ वयवो न धी त भभर त.. (१)
ह
हे घृतवषक एवं महान् म , व ण! समान ी त वाले हमारे अ वयु और हम यजमान
ारा तु हारी पूजा एवं अपनी तु तय ारा तु हारा पोषण करते ह. (१)
तु तवा धाम न यु रया म म ाव णा सुवृ ः.
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अन
य ां वदथेषु होता सु नं वां सू रवृषणा वय न्.. (२)
हे म और व ण! म तु हारे य का ताव मा करता ,ं योग नह कर पाता. इतने
से ही म तु हारा तेज ा त कर लेता ं. हे कामवषको! जब तु हारे बु मान् होता तु हारे
लए हवन करते ह, उस समय वे सुख के भागी बनते ह. (२)
पीपाय धेनुर द तऋताय जनाय म ाव णा ह वद.
हनो त य ां वदथेषु सपय स रातह ो मानुषो न होता.. (३)
हे म और व ण! जैसे रातह नामक राजा ने साधारण मनु य प यजमान के होता
के समान य म अपनी सेवा से तु ह स कया था और उसक गाएं ब त ध वाली बन
गई थ , उसी कार तु ह ह दे ने वाले मेरी गाएं ध वाली बनकर मुझे तृ त कर. (३)
उत वां व ु म ा व धो गाव आप पीपय त दे वीः.
उतो नो अ य पू ः प तद वीतं पातं पयस उ यायाः.. (४)
हे म और व ण! अ , द गाएं एवं जल तु हारी कृपा ा त करने वाले यजमान
को स कर. हमारे यजमान के पूवकालीन पालक अ न दाता ह . तुम दोन धा गाय
का ध पओ. (४)
सू —१५४
दे वता— व णु
व णोनु कं वीया ण वोचं यः पा थवा न वममे रजां स.
यो अ कभाय रं सध थं वच माण ेधो गायः.. (१)
हे मानवो! म उन वीर कम को शी क ंगा. उ ह ने पृ वी और तीन लोक को नापा
था एवं अ त व तृत अंत र को थर कया था. अनेक कार से तु तपा उन व णु ने
तीन चरण रखे थे. (१)
त णुः तवते वीयण मृगो न भीमः कुचरो ग र ाः.
य यो षु षु व मणे व ध य त भुवना न व ा.. (२)
जस व णु के तीन वशाल पाद ेप म संपूण लोग समा जाते ह, उस व णु क तु त
लोग उसक श के कारण उसी कार करते ह, जस कार कसी पहाड़ पर रहने वाले
लोग हसक, जंगली पशु क श क शंसा करते ह. (२)
व णवे शूषमेतु म म ग र त उ गायाय वृ णे.
य इदं द घ यतं सध थमेको वममे भ र पदे भः.. (३)
पवत के समान ऊंचे थान पर रहने वाले, अनेक लोग ारा शं सत एवं कामवषक
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व णु को हमारे मनोहर तो एवं य कम से उ प श
ा त हो. उ ह ने अ यंत व तृत
एवं थर इन तीन को अकेले ही तीन कदम रखकर नाप लया था. (३)
य य ी पूणा मधुना पदा य ीयमाणा वधया मद त.
य उ धातु पृ थवीमुत ामेको दाधार भुवना न व ा.. (४)
जस व णु के मधु से पूण एवं ीणतार हत तीन चरण ने अ
ारा मनु य को स
कया है, उ ह ने अकेले ही तीन धातु , धरती, आकाश एवं सम त लोक को धारण कया
है. (४)
तद य यम भ पाथो अ यां नरो य दे वयवो मद त.
उ म य स ह ब धु र था व णोः पदे परमे म व उ सः.. (५)
वयं को व णु प म प रव तत करके इ छु क लोग व णु के जस य एवं सबके
ारा सेवनीय अ वनाशी
लोक म तृ त ा त करते ह, म उसी लोक को ा त क ं . वे
सबके बंधु ह एवं उनके थान पर अमृत बरसता है. (५)
ता वां वा तू यु म स गम यै य गावो भू रशृ ा अयासः.
अ ाह त गाय य वृ णः परमं पदमव भा त भू र.. (६)
हे यजमान एवं यजमान प नी! हम तुम दोन के उस लोक म जाने क अ भलाषा करते
ह, जहां बड़े सीग वाली गाएं नवास करती ह. अनेक लोग ारा शं सत व णु का परम
पद सभी कार सुशो भत होता है. (६)
सू —१५५
दे वता—इं व व णु
वः पा तम धसो धयायते महे शूराय व णवे चाचत.
या सानु न पवतानामदा या मह त थतुरवतेव साधुना.. (१)
हे अ वयु लोगो! तुम तु त चाहने वाले, महावीर इं एवं व णु के न म पीने के यो य
सोमरस वशेष प से तैयार करो. वे दोन अपराजेय, महान् एवं पवत के ऊपर इस कार
थत ह, जस कार कोई इ छत थान पर प ंचने म समथ घोड़े पर बैठता है. (१)
वेष म था समरणं शमीवतो र ा व णू सुतपा वामु य त.
या म याय तधीयमान म कृशानोर तुरसनामु यथः.. (२)
हे इ द इं व व णु! य से बचे ए सोमरस को पीने वाले यजमान तु हारे य थल
पर तेज वी आगमन का आदर करते ह. तुम दोन यजमान के लए य फल प म दे ने यो य
अ श ुपराजयकारी अ न से सदा दलाते हो. (२)
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ता वध त म य प यं न मातरा नय त रेतसे भुजे.
दधा त पु ोऽवरं परं पतुनाम तृतीयम ध रोचने दवः.. (३)
यजमान ारा द ग सोमरस पी आ तयां इं क श
को बढ़ाती ह, वह सब
ा णय को पु ा द उ पादन म समथ करने एवं र ा पाने के उ े य से उसी श को सबक
माता तु य धरती और आकाश म रखते ह. पु का नाम न न, पता का उ च और तीसरे
नाती का नाम काशयु आकाश म है. (३)
त दद य प यं गृणीमसीन य ातुरवृक य मी षः.
यः पा थवा न भ र गाम भ
म ो गायाय जीवसे.. (४)
हम सबके वामी, पालक, हसक एवं न य त ण व णु के परा म क तु त करते
ह. उ ह ने तीन लोक क शंसनीय र ा के लए तीन चरण रखकर पृ वी आ द सम त
लोक क प र मा कर ली थी. (४)
े इद य मणे व शोऽ भ याय म य भुर य त.
तृतीयम य न करा दधष त वय न पतय तः पत णः.. (५)
मनु य वभू तय का वणन करते ए वगदश व णु के दो चरण ेप को ही ा त
करते ह. उनके तीसरे पाद ेप को मनु य या आकाश म उड़ने वाले प ी भी नह पा सकते.
(५)
चतु भः साकं नव त च नाम भ ं न वृ ं त रवी वपत्.
बृह छरीरो व ममान ऋ व भयुवाकुमारः ये याहवम्.. (६)
व णु ने अपनी वशेष ग तय ारा काल के चौरासी भाग को च के समान गोलाकार
म घुमा रखा है. वह वशाल शरीर वाले, व वध ा णय को वभ करने वाले, तु तसंप ,
त ण एवं कौमायर हत ह. वे यु म गमन करते ह. (६)
सू —१५६
दे वता— व णु
भवा म ो न शे ो घृतासु त वभूत ु न एवया उ स थाः.
अधा ते व णो व षा चद यः तोमो य
रा यो ह व मता.. (१)
हे व णु! तुम म के समान सुखक ा, घृत क आ त के पा , अ धक अ यु ,
र णक ा एवं सबसे अ धक व थ हो, इस लए तु हारी तु तयां ानी यजमान ारा बारबार वृ करने यो य ह. तु हारा य ह संप यजमान ारा पूण करने यो य है. (१)
यः पू ाय वेधसे नवीयसे सुम जानये व णवे ददाश त.
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यो जातम य महतो म ह व से
वो भयु यं चद यसत्.. (२)
जो लोग न य, जगत्क ा, नवीनतम तथा वयं उ प व णु को ह दे ते ह एवं जो
इस महापु ष के पू य ज म वृ ांत को कहते ह, वे ही इनका सामी य पाते ह. (२)
तमु तोतारः पू यथा वद ऋत य गभ जनुषा पपतन.
आ य जान तो नाम च व न मह ते व णो सुम त भजामहे.. (३)
हे तोताओ! ाचीन एवं य के गभ प व णु को तुम जैसा जानते हो, उ ह उसी
कार वयं स करो एवं उनका नाम जानकर भली-भां त क तन करो. हे महान् व णु!
हम तु हारी तु त क सेवा करते ह. (३)
तम य राजा व ण तम ना तुं सच त मा त य वेधसः.
दाधार द मु ममह वदं जं च व णुः स खवाँ अपोणुते.. (४)
तेज वी व ण एवं अ नीकुमार ऋ वज वाले यजमान के य प व णु क सेवा
करते ह. यजमान आ द क म ता से यु
व णु उ म एवं वग पादक बल को धारण
करते ह एवं मेघ को बरसने के लए आवरणर हत करते ह. (४)
आ यो ववाय सचथाय दै इ ाय व णुः सुकृते सुकृ रः.
वेधा अ ज वत् षध थ आयमृत य भागे यजमानमाभजत्.. (५)
जो व णु द एवं शोभन फलदाता म े होते ए उ म कम करने वाले इं के
साथ मलकर य क सहायता करने के लए आते ह, वे ही अ भमत फलदाता एवं तीन
लोक म थत व णु आने वाले यजमान को स करते थे एवं उसे य का भाग दे ते थे.
(५)
सू —१५७
दे वता—अ नीकुमार
अबो य न म उदे त सूय १
ु षा
ा म ावो अ चषा.
आयु ाताम ना यातवे रथं ासावी े वः स वता जग पृथक्.. (१)
वेद पी धरती पर अ न जगे, सूय का उदय आ और महती उषा अपने तेज से
ा णय को स करती ई अंधकार का वनाश करने लगी. हे अ नीकुमारो! य दे श म
आने के लए अपना रथ तैयार करो. स वता दे वता सम त संसार को अपने-अपने काम म
लगाव. (१)
य ु ाथे वृषणम ना रथं घृतेन नो मधुना
मु तम्.
अ माकं
पृतनासु ज वतं वयं धना शूरसाता भजेम ह.. (२)
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श
हे अ कुमारो! तुम अपने वषाकारक रथ को तैयार करते समय मधुर जल ारा हमारी
बढ़ाओ, हमारी जा का तेज बढ़ाओ एवं वीर के सं ाम म हम धन दो. (२)
अवाङ् च ो मधुवाहनो रथो जीरा ो अ नोयातु सु ु तः.
व धुरो मघवा उ व सौभगः शं न आ व द् पदे चतु पदे .. (३)
अ नीकुमारो का तीन प हय वाला मधुवाहक, ग तशील अ से यु , शं सत, तीन
बंधन वाला, धनसंप एवं सम त सौभा य से यु रथ हमारे दो पैरो वाले पु ा द और चार
पैर वाले पशु को सुख दान करे. (३)
आ न ऊज वहतम ना युवं मधुम या नः कशया म म तम्.
ायु ता र ं नी रपां स मू तं सेधतं े षो भवतं सचाभुवा.. (४)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन हम पया त बल दो. अपनी मधु वाली कशा से हम स
बनाओ, हमारी आयु क वृ करो, हमारे पाप को र करो, श ु का नाश करो और
सम त काय म हमारे साथी बनो. (४)
युवं ह गभ जगतीषु ध थो युवं व ेषु भुवने व तः.
युवम नं च वृषणावप वन पत र नावैरयेथाम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुम गाय एवं सम त ा णय म थत गभ क र ा करो. हे
कामवषको! तुम अ न, जल एवं वन प तय को े रत करो. (५)
युवं ह थो भषजा भेषजे भरथो ह थो र या३ रा ये भः.
अथो ह
म ध ध थ उ ा यो वां ह व मा मनसा ददाश.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुम ओष धय के ान के कारण वै एवं रथ को ढोने म समथ अ
के कारण रथी हो. हे अ धक बल धारण करने वाले अ नीकुमारो! जो तु हारे लए मन से
ह
दान करे, उसक र ा करो. (६)
सू —१५८
दे वता—अ नीकुमार
वसू ा पु म तू वृध ता दश यतं नो वृषणाव भ ौ.
द ा ह य े ण औच यो वां य स ाथे अकवा भ ती.. (१)
हे कामवषक, जा को वासदाता, पापनाशक, य दाता, तु तय ारा बढ़ते ए एवं
पू जत अ नीकुमारो! तुम हम इ छत फल दो, य क उच य का पु द घतमा तु त ारा
धन क ाथना करता है एवं तुम तु तयां सुनकर र ा दान करते हो. (१)
को वां दाश सुमतये चद यै वसू य े थे नमसा पदे गोः.
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जगृतम मे रेवतीः पुर धीः काम ेणेव मनसा चर ता.. (२)
हे वासदाता अ नीकुमारो! तु हारी अनु ह बु के अनुकूल तु ह कौन ह दे सकता
है? तुम न त य वेद पर आने के लए हमारा बुलावा सुनकर हम पया त अ दे ने का
न य करके आते हो. हम ब त सी गाएं दो जो हमारा शरीर पु कर, रंभाती ह और धा
ह . तुम यजमान क कामनाएं पूरी करने क इ छा से घूमते हो. (२)
यु ो ह य ां तौ याय
्
पे व म ये अणसो धा य प ः.
उप वामवः शरणं गमेयं शूरो ना म पतय रेवैः.. (३)
हे अ नीकुमारो! तु हारा पार प ंचाने वाला रथ तु पु के उ ार के लए अ यु
था. तुमने उस रथ को अपनी श से समु के बीच था पत कया. जस कार शूर
यु जीत कर ग तशील अ
ारा अपने घर म प ंचता है, उसी कार हम तु हारी शरण म
आए ह. (३)
उप तु तरौच यमु ये मा मा ममे पत णी व धाम्.
मा मामेधो दशतय तो धाक् य ां ब
म न खाद त ाम्.. (४)
हे अ नीकुमारो! तु हारे उ े य से क गई तु त उच य के पु द घतमा क दाह आ द
से र ा करे तथा रात एवं दन मुझे सारहीन न करे. दस बार व लत अ न मुझे न जलावे.
तु हारा यह भ पाश से बंधा आ धरती पर लोट रहा है. (४)
न मा गर ो मातृतमा दासा यद सुसमु धमवाधुः.
शरो यद य ैतनो वत वयं दास उरो अंसाव प ध.. (५)
माता के समान संसार का हत करने वाली न दयां मुझे न डु बाव. अनाय दास ने मुझे
अ छ तरह बंधन से जकड़ कर नीचे को मुख करके गराया है. तन नामक दास ने अनेक
कार से मेरा सर काटने का य न कया था एवं सीने तथा दोन कंध पर भी चोट क थी.
(५)
द घतमा मामतेयो जुजुवा दशमे युगे. अपामथ यतीनां
ा भव त सार थः.. (६)
ममता के पु द घतमा अ नीकुमार के भाव से दसव युग म वृ
ए थे. वे वगा द
कमफल पाने वाली जा के नेता एवं सार थ के समान नदशक ए. (६)
सू —१५९
दे वता— ावा-पृ वी
ावा य ैः पृ थवी ऋतावृधा मही तुषे वदथेषु चेतसा.
दे वे भय दे वपु े सुदंससे था धया वाया ण भूषतः.. (१)
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म यजमान य के बढ़ाने वाले, व तृत य म हम सावधान करने वाले, दे वपु
ारा
से वत एवं शोभनकमयु यजमान वाले धरती व आकाश क वशेष प से तु त करता ं.
वे हमारे त अनु ह बु रखते ए उ म धन दे ते ह. (१)
उत म ये पतुर हो मनो मातुम ह वतव त वीम भः.
सुरेतसा पतरा भूम च तु
जाया अमृतं वरीम भः.. (२)
म पु के त ोहहीन धरती पी माता और आकाश पी पता को आ ान मं
ारा
अनु हयु मन वाला जानता ं. ये दोन माता- पता अपने शोभन साम य से यजमान क
व तृत र ा करते ए पया त अमृत दे ते ह. (२)
ते सूनवः वपसः सुदंससो मही ज ुमातरा पूव च ये.
थातु स यं जगत धम ण पु य पाथः पदम या वनः.. (३)
शोभन कम वाली और सुदशन जाएं तु हारे ारा पूवकृत अनु ह को मरण करके
तु ह महान् एवं माता के समान हतकारी जानती ह. पु प थावर और जंगम ावापृ वी
को अ तीय जानते ह. तुम इनक र ा का अबाध माग बताओ. (३)
ते मा यनो म मरे सु चेतसो जामी सयोनी मथुना समोकसा.
न
ं त तुमा त वते द व समु े अ तः कवयः सुद तयः.. (४)
ावापृ वी सदा एक थान पर युगल प म रहने वाली ऐसी जायु एवं चेतनासंप
सगी ब हन ह, ज ह करण अलग-अलग करती ह. अपने ापार को जानने वाली
काशयु र मयां चमकते ए आकाश म व तृत होती ह. (४)
त ाधो अ स वतुवरे यं वयं दे व य सवे मनामहे.
अ म यं ावापृ थवी सुचेतुना र य ध ं वसुम तं शत वनम्.. (५)
हम यजमान स वता दे व क अनु ा से उस उ म धन को मांगते ह. धरती और आकाश
हमारे त अनु हबु के ारा नवास यो य घर एवं सैकड़ गाय के प म धन द. (५)
सू —१६०
दे वता— ावा-पृ वी
ते ह ावापृ थवी व श भुव ऋतावरी रजसो धारय कवी.
सुज मनी धषणे अ तरीयते दे वो दे वी धमणा सूयः शु चः.. (१)
शु एवं द यमान सूय सम त ा णय को सुख दे ने वाले, य संप , जल उ पादन के
य न स हत, शोभनज म वाले एवं अपने कायकुशल धरती और आकाश के बीच म अपनी
वशेषता क र ा करता आ सदा गमन करता है. (१)
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उ चसा म हनी अस ता पता माता च भुवना न र तः.
सुधृ मे वपु ये३ न रोदसी पता य सीम भ पैरवासयत्.. (२)
व तीण, महान् एवं एक- सरे से अलग, माता एवं पता प धरती-आकाश सम त
ा णय क र ा करते ह. अ यंत श संप धरती-आकाश शरीरधा रय के हत के लए
चे ा करते ह एवं माता- पता के समान सबको प नमाण से अनुगृहीत करते ह. (२)
स व ः पु ः प ोः प व वा पुना त धीरो भुवना न मायया.
धेनुं च पृ वृषभं सुरेतसं व ाहा शु ं पयो अ य त.. (३)
पावन, र मयु , धीर, फल धारण करने वाले एवं अपनी बु से सम त ा णय को
प व करने वाले सूय माता- पता तु य धरती और आकाश के पु ह. वे धरती पी
शु लवण धेनु और आकाश पी साम यसंप बैल को का शत करते ह एवं आकाश से
उ वल ध हते ह. (३)
अयं दे वानामपसामप तमो यो जजान रोदसी व श भुवा.
व यो ममे रजसी सु तूययाजरे भः क भने भः समानृचे.. (४)
वे सूय दे व एवं कमक ा म अ यंत े ह. उ ह ने ा णय को सभी कार से सुख
दे ने वाले धरती और आकाश को उ प एवं शोभन कम क इ छा से दोन को वभ करके
मजबूत खूंट ारा थर कया है. (४)
ते नो गृणाने म हनी म ह वः
ं ावापृ थवी धासथो बृहत्.
येना भ कृ ी ततनाम व हा पना यमोजो अ मे स म वतम्.. (५)
हमारे ारा जन धरती और आकाश क तु त क जाती है, वे महान् ह एवं हम सव
स अ और यश दे ते ह. इ ह के बल पर हमने पु आ द जा का व तार कया है.
तुम हम शंसायो य श
दान करो. (५)
सू —१६१
दे वता—ऋभु
कमु े ः क य व ो न आजग कमीयते यं१ क चम.
न न दम चमसं यो महाकुलोऽ ने ात ण इ तमू दम.. (१)
ऋभु ने अ न को दे खकर आपस म कहा—“जो हमारे सामने आया है, यह हमसे
अव था म बड़ा है या छोटा? या यह दे व का त बनकर आया है? इसे कस कार न त
कर?” इसके प ात् वे अ न से बोले—“ ाता अ न! हम चमस क नदा नह करगे,
य क यह महाकुल म उ प
आ है. लकड़ी के बने इस चमस क ा त का हम वणन
करगे.” (१)
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एकं चमसं चतुरः कृणोतन त ो दे वा अ ुव त आगमम्.
सौध वना य ेवा क र यथ साकं दे वैय यासो भ व यथ.. (२)
इस पर अ न ने कहा—“सुध वा के पु ऋभुओ! एक चमस के चार भाग कर लो, यह
ेरणा दे कर मुझे दे व ने तु हारे समीप भेजा है. म उनक बात तु ह बताने आया ं. य द तुम
मेरी बताई ई बात करोगे तो तुम दे व के साथ अंश ा त करोगे.” (२)
अ नं तं त यद वीतना ः क व रथ उतेह क वः.
धेनुः क वा युवशा क वा ा ता न ातरनु वः कृ
ेम स.. (३)
“हे आगत अ न! त कम करने वाले तुमसे दे व ने जो कुछ कहा है, उसके अंतगत
हम अ एवं रथ का नमाण करना है, चमर हत मृत गौ को नया बनाना है एवं जीण मातापता को युवा करना है. हे ाता! हम इन सब काय को करके तु हारे सामने आएंगे.” (३)
चकृवांस ऋभव तदपृ छत वेदभू ः य तो न आजगन्.
यदावा य चमसा चतुरः कृताना द व ा ना व त यानजे.. (४)
हे ऋभुओ! यह काय करने के प ात् तुमने
कया क जो अ न दे व का त
बनकर हमारे समीप आया था, वह कहां चला गया? जस समय व ा ने चमस को चार
टु कड़ म वभ दे खा तो वयं को ी मानने लगा. (४)
हनामैनाँ इ त व ा यद वी चमसं ये दे वपानम न दषुः.
अ या नामा न कृ वते सुते सचाँ अ यैरेना क या३ नाम भः परत्.. (५)
य ही व ा ने कहा क म दे व के पानपा चमस का अपमान करने वाल का हनन
क ं गा, य ही सोमरस तैयार होने पर वे वयं को होता, अ वयु आ द नाम से कट करने
लगे एवं उनक माता भी उ ह इ ह नाम से पुकार कर स होने लगी. (५)
इ ो हरी युयुजे अ ना रथं बृह प त व पामुपाजत.
ऋभु व वा वाजो दे वाँ अग छत वपसी य यं भागमैतन.. (६)
इं ने घोड़ को जोड़ा, अ नीकुमार ने रथ तैयार कया एवं बृह प त ने व पा नाम
क गौ को नवीन रथ दे ना वीकार कर लया. इस लए हे ऋभु, वभु एवं वाज नामक भाइयो!
तुम इं ा द दे व के समीप जाओ. हे शोभन कमक ाओ! तुम लोग य भाग ा त करो. (६)
न मणो गाम रणीत धी त भया जर ता युवशा ताकृणोतन.
सौध वना अ ाद मत त यु वा रथमुप दे वाँ अयातन.. (७)
हे सुध वा के पु ो! तुमने चमर हत मरी ई गाय को अपनी बु से नया बनाया है, बूढ़े
माता- पता को युवा कया है एवं एक घोड़े से सरा उ प कया है, इस लए तुम तैयारी
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करके इं ा द दे व के सामने आओ. (७)
इदमुदकं पबते य वीतनेदं वा घा पबता मु नेजनम्.
सौध वना य द त ेव हयथ तृतीये घा सवने मादया वै.. (८)
हे दे वो! तुमने हमसे कहा था—“हे सुध वा के पु ो! तुम इसी सोमरस पी जल को
पओ अथवा मूंज के तनक से शु कया आ सरा सोमरस पओ. य द तुम इ ह पीना न
चाहो तो तीसरे सवन म सोमपान से मु दत बनो.” (८)
आपो भू य ा इ येको अ वीद नभू य इ य यो अ वीत्.
वधय त ब यः ैको अ वी ता वद त मसाँ अ पशत.. (९)
तीन ऋभु म से एक बोला—“जल ही सव म है.” सरे ने अ न एवं तीसरे ने
धरती को उ म वीकार कया. इस कार स ची बात कहते ए उ ह ने चमस के चार भाग
कए. (९)
ोणामेक उदकं गामवाज त मांसमेकः पश त सूनयाभृतम्.
आ न ुचः शकृदे को अपाभर कं व पु े यः पतरा उपावतुः.. (१०)
ऋभु म से एक लाल रंग का उदक अथात् र धरती पर रखता है, सरा छु री से
काटे गए मांस को रखता है एवं तीसरा उस मांस से मलमू साफ करता है. माता- पता
ऋभु से या ा त करते ह? (१०)
उ व मा अकृणोतना तृणं नव वपः वप यया नरः.
अगो य यदस तना गृहे तद ेदमृभवो नानु ग छथ.. (११)
हे तेज वी एवं नेता ऋभुओ! तुम मे आ द ऊंचे थान पर ा णय के लए जौ आ द
फसल उ प करते हो एवं शोभन कम क इ छा से नीचे थान म जल भरते हो. तुम
आ द य मंडल म जतने समय तक रहे, अब उतने समय तक छपकर मत रहो. (११)
स मी य य वना पयसपत व व ा या पतरा व आसतुः.
अशपत यः कर नं व आददे यः ा वी ो त मा अ वीतन.. (१२)
हे ऋभुओ! जस समय तुम सम त जीव को बादल से ढक कर चार ओर जाते हो,
उस समय संसार के पालक सूय और चं कहां रहते ह? जो रा स आ द तु हारा हाथ
पकड़ते ह, उनका वनाश करो. जो बलवती वाणी से तु ह रोकता है, उसको अ धक मा ा म
डराओ. (१२)
सुषु वांस ऋभव तदपृ छतागो क इदं नो अबूबुधत्.
ानं ब तो बोध यतारम वी संव सर इदम ा
यत.. (१३)
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हे ऋभुओ! तुम सूयमंडल म सोकर सूय से पूछते हो—“हे आ द य! हमारे कम क
ेरणा कौन दे ता है?” सूय इसका उ र दे ते ह—“तु ह जगाने वाला वायु है. वष तीत होने
पर तुम संसार म काश फैलाओ.” (१३)
दवा या त म तो भू या नरयं वातो अ त र ेण या त.
अ या त व णः समु ै यु माँ इ छ तः शवसो नपातः.. (१४)
हे बल के नाती ऋभुओ! तु ह दे खने क अ भलाषा से म त् वग से, अ न धरती से,
वायु आकाश से एवं व ण जल से आ रहे ह. (१४)
सू —१६२
दे वता—अ
मा नो म ो व णो अयमायु र ऋभु ा म तः प र यन्.
य ा जनो दे वजात य स तेः व यामो वदथे वीया ण.. (१)
तु छ मनु य दे वजात एवं शी ग तशाली अ के परा म का वणन कर रहे ह. ऐसे
वचारक म , व ण अयमा, आयु, इं , ऋभु ा एवं वायु हमारी नदा न कर. (१)
य णजा रे णसा ावृत य रा त गृभीतां मुखतो नय त.
सु ाङजो मे य
प इ ापू णोः यम ये त पाथः.. (२)
ऋ वज् पवान एवं सोने के आभूषण से सजे ए घोड़े के सामने भट करने के उ े य
से बकरे को ले जाते ह. ‘म, म’ करता आ अनेक रंग का बकरा इं और पूषा का य है.
वह अ के सामने आए. (२)
एष छागः पुरो अ ेन वा जना पू णो भागो नीयते व दे ः.
अ भ यं य पुरोळाशमवता व ेदेनं सौ वसाय ज व त.. (३)
सम त दे व के लए उपयोगी, पर पूषा का अंश वह बकरा शी ग तशाली अ के
सामने लाया जाता है. घोड़े के साथ इस बकरे को योग करके व ा दे व के लए वा द
भोजन प पुरोडाश बनाया जाए. (३)
य व यमृतुशो दे वयानं मानुषाः पय ं नय त.
अ ा पू णः थमो भाग ए त य ं दे वे यः तवेदय जः.. (४)
जब ऋ वज् ह व के यो य एवं दे व के ा त करने के पा अ को समय-समय पर
तीन बार अ न के चार ओर घुमाते ह, तब पूषा का भाग प पहला बकरा अपनी ‘म, म’ से
दे वय का चार करता आ जाता है. (४)
होता वयुरावया अ न म धो ाव ाभ उत शं ता सु व ः.
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तेन य ेन वरङ् कृतेन व ेन व णा आ पृण वम्.. (५)
होता, अ वयु, आवया, अ न मध, ावा ाम, शं ता एवं सु व उस
भां त अलंकृत य
ारा न दय को जल से भर. (५)
स
एवं भली-
यूप का उत ये यूपवाहा षालं ये अ यूपाय त त.
ये चावते पचनं स भर युतो तेषाम भगू तन इ वतु.. (६)
जो लोग यूप के लए उपयोगी पेड़ काटने वाले ह, जो यूप के न म कटे ए पेड़ को
ढोने वाले ह, जो अ बांधने वाले यूप म चषाल अथात् बांधने यो य सरा बनाते ह अथवा जो
घोड़े का मांस पकाने के लए लकड़ी के बरतन तैयार करते ह, इन सबम मेरा संक प समा
जाए. (६)
उप ागा सुम मेऽधा य म म दे वानामाशा उप वीतपृ ः.
अ वेनं व ा ऋषयो मद त दे वानां पु े चकृमा सुब धुम्.. (७)
हम उ म फल ा त हो. सुडौल पीठ वाला घोड़ा य फल के
प म दे व क
आशापू त हेतु आवे. हम उसे बांधगे. इसे दे खकर मेधावी ऋ वज् तु ह . (७)
य ा जनो दाम स दानमवतो या शीष या रशना र जुर य.
य ा घा य भृतमा ये३ तृणं सवा ता ते अ प दे वे व तु.. (८)
घोड़े क गरदन म बांधी जाने वाली, पैर म बांधी जाने वाली एवं लगाम के प म मुख
म डाली जाने वाली र सी— ये सब र सयां एवं उसके मुंह म पड़ने वाली घास दे व को ा त
हो. (८)
यद य वषो म काश य ा वरौ व धतौ र तम त.
य तयोः श मतुय खेषु सवा ता ते अ प दे वे व तु.. (९)
घोड़े का जो क चा मांस म खयां खाती ह, जो उसे काटते समय छु री म लगा रह
जाता है, अथवा काटने वाले के हाथ म लगा रह जाता है, वह भी दे व को ा त हो. (९)
य व यमुदर यापवा त य आम य वषो ग धो अ त.
सुकृता त छ मतारः कृ व तूत मेधं शृतपाकं पच तु.. (१०)
घोड़े के पेट म जो बना पची ई घास रह जाती है एवं पकाते समय जो क चे मांस का
अंश बच रहता है, उसे मांस काटने वाले शु कर एवं य के यो य मांस दे व के न म
पकाव. (१०)
य े गा ाद नना प यमानाद भ शूलं नहत यावधाव त.
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मा त
यामा
ष मा तृणेषु दे वे य त शद् यो रातम तु.. (११)
हे घोड़े! आग म पकाए जाते ए तु हारे गा से जो रस छलकता है एवं तु ह मारते
समय जो र शूल म लग जाता है, वह न धरती पर गरे और न तनक म मले. संपूण क
कामना करने वाले दे व को वह दया जाए. (११)
ये वा जनं प रप य त प वं य ईमा ः सुर भ नहरे त.
ये चावतो मांस भ ामुपासत उतो तेषाम भगू तन इ वतु.. (१२)
जो लोग घोड़े के अवयव को पकता आ चार ओर से दे खते ह एवं इस कार कहते
ह—“मांस बड़ा सुगं धत है, थोड़ा हम भी दो.” जो लोग घोड़े के मांस क भीख मांगते ह,
उनक अ भलाषाएं हम ा त ह . (१२)
य ी णं मां पच या उखाया या पा ा ण यू ण आसेचना न.
ऊ म या पधाना च णामङ् काः सूनाः प र भूष य म्.. (१३)
मांस पकाने वाले पा से रस लेकर जस पा ारा परी ा क जाती है, जो पा उबले
ए मांस का रस सुर त रखते ह, जो पा भाप रोकने एवं मांस से भरे पा को ढकने के
काम म लाए जाते ह, वे वेतस क शाखाएं, जनसे अ के दय आ द भाग पर नशान
लगाते ह, एक छु री जससे चह्न के अनुसार मांस काटा जाता है, ये सब अ को सुशो भत
करते ह. (१३)
न मणं नषदनं ववतनं य च पड् बीशमवतः.
य च पपौ य च घा स जघास सवा ता ते अ प दे वे व तु.. (१४)
अ के चलने. बैठने एवं लोटने के थान, अ के पैर बांधने के साधन, उसके पीने का
जल और खाई ई घास, ये सब दे व को ा त हो. (१४)
मा वा न वनयी मग धम खा ाज य भ व ज ः.
इ ं व तम भगूत वषट् कृतं तं दे वासः त गृ ण य म्.. (१५)
हे अ ! धुएं वाली अ न को दे खकर तुम मत हन हनाओ. अ धक अ न के ताप के
कारण मांस पकाने का पा न टू टे. य के लए अभी , हवन के लए लाए ए, सामने भट
दए जाने के लए तैयार एवं वषट् कार ारा सुशो भत घोड़े को दे वगण वीकार कर. (१५)
यद ाय वास उप तृण यधीवासं या हर या य मै.
स दानमव तं पड् बीशं या दे वे वा यामय त.. (१६)
ब ल के लए नयत अ को ढकने के लए जो व फैलाया जाता है, जन
वणाभूषण से घोड़े को सजाया जाता है एवं जन साधन से घोड़े के पैर एवं गरदन बांधी
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जाती है, उन सब दे व य व तु
को ऋ वज् दे व को द. (१६)
य े सादे महसा शूकृत य पा या वा कशया वा तुतोद.
ुचेव ता ह वषो अ वरेषु सवा ता ते
णा सूदया म.. (१७)
हे अ ! आते समय तुम नाक से महान् श द कर रहे थे. न चलने पर तु ह कोड़े से मारा
गया. जैसे ुच के ारा ह अ न म डाला जाता है, उसी कार उन सब था क म मं
ारा आ त दे ता ं (१७)
चतु ंश ा जनो दे वब धोवङ् र य व ध तः समे त.
अ छ ा गा ा वयुना कृणोत प प रनुघु या व श त.. (१८)
हे घोड़े को काटने वाले! दे व के य अ क दोन बगल क च तीस ह ड् डय को
काटने के लए छु री भली कार चलाई जाती है. ऐसी सावधानी बरतना, जससे अ का
कोई अंग कट न जाए. एक-एक भाग को दे खकर और नाम लेकर काटो. (१८)
एक व ु र या वश ता ा य तारा भवत तथ ऋतुः.
या ते गा ाणामृतुथा कृणो म ताता प डानां जुहो य नौ.. (१९)
इस द त अ का काशक ा एकमा ऋतु ही है. रात एवं दन उस ऋतु का नयं ण
करने वाले ह. हे अ ! तु हारे जन अंग को म अनुकूल समय पर काटता ं, उ ह पड
बनाकर म अ न म हवन क ं गा. (१९)
मा वा तप य आ मा पय तं मा व ध त त व१ आ त प े.
मा ते गृ नुर वश ता तहाय छ ा गा ा य सना मथू कः.. (२०)
हे अ ! तु हारे दे व के समीप जाते समय तु हारा य शरीर तु ह ःखी न करे. छु री
तेरे अंग पर के नह . मांस हण करने का इ छु क एवं अंग छे दन म अकुशल काटने वाला
भ - भ अंग के अ त र छु री से शरीर को तरछा न काटे . (२०)
न वा उ एत यसे न र य स दे वाँ इदे ष प थ भः सुगे भः.
हरी ते यु ा पृषती अभूतामुपा था ाजी धु र रासभ य.. (२१)
हे अ ! इस कार ब ल दए जाने पर न तो तुम मरते हो और न लोग ारा ह सत
होते हो. तुम उ म माग ारा दे व के समीप जाते हो. इं के ह र नामक घोड़े, म त् क
वाहन हर णयां एवं अ नीकुमार के रथ म जुतने वाले गधे तु हारे रथ म जोते जाएंगे. (२१)
सुग ं नो वाजी व ं पुंसः पु ाँ उत व ापुषं र यम्.
अनागा वं नो अ द तः कृणोतु
ं नो अ ो वनतां ह व मान्.. (२२)
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ब ल कया जाता आ अ हम गाय एवं अ से संप एवं पु , पौ प नी आ द क
र ा करने वाला धन दे तथा संतान दान करे. हे तेज वी अ ! हम पापर हत बनाओ तथा
यो चत तेज एवं बल दो. (२२)
सू —१६३
दे वता—अ
यद दः थमं जायमान उ समु ा त वा पुरीषात्.
येन य प ा ह रण य बा उप तु यं म ह जातं ते अवन्.. (१)
हे अ ! तु हारा ज म इस यो य है क सब लोग मलकर तु हारी तु त कर, य क
तुम सव थम जल से उ प ए थे एवं यजमान पर अनुकंपा करने के लए तुम महान् श द
करते हो. तु हारे पंख बाज के एवं पैर ह रण के समान ह. (१)
यमेन द ं त एनमायुन ग एणं थमो अ य त त्.
ग धव अ य रशनामगृ णा सूराद ं वसवो नरत .. (२)
नयामक अ न के दए ए अ को पृ वी आ द तीन थान म वतमान वायु ने रथ म
जोड़ा. इस रथ पर सबसे पहले इं सवार ए एवं गंधव ने उसक लगाम को पकड़ा. वसु
ने सूय से अ को ा त कया. (२)
अ स यमो अ या द यो अव स तो गु न
े तेन.
अ स सोमेन समया वपृ आ ते ी ण द व ब धना न.. (३)
हे अ ! तुम यम, आ द य एवं तीन थान म ा त गोपनीय तधारी वायु हो. तुम
सोम से मले हो. पुरा वद् कहते ह क वग म तु हारे तीन उ प
थान ह. (३)
ी ण त आ द व ब धना न ी य सु ी य तः समु े .
उतेव मे व ण छ यव य ा त आ ः परमं ज न म्.. (४)
हे अ ! वग, जल एवं समु म तु हारे तीनतीन बंधन थान ह. तुम व ण हो. पुरा वद्
तु हारे जो ज म थान न त कर चुके ह, उ ह म बताता ं. (४)
इमा ते वा ज वमाजनानीमा शफानां स नतु नधाना.
अ ा ते भ ा रशना अप यमृत य या अ भर त गोपाः.. (५)
हे अ ! मने जन वग आ द का वणन कया है, वे तु हारे ज म थान एवं संचरण थल
ह. य क र ा करने वाली तु हारी क याणकारी लगाम को भी मने वह दे खा है. (५)
आ मानं ते मनसारादजानामवो दवा पतय तं पत म्.
शरो अप यं प थ भः सुगे भररेणु भजहमानं पत .. (६)
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हे अ ! म तु हारे र थत शरीर को अपने मन क क पना से जानता .ं तुम धरती से
अंत र थत सूय म जाते हो. धू लर हत सुख द माग से शी तापूवक उठते ए तु हारे सर
को भी मने दे खा है. (६)
अ ा ते पमु ममप यं जगीषमाण मष आ पदे गोः.
यदा ते मत अनु भोगमानळा दद् स ओषधीरजीगः.. (७)
हे अ ! मने धरती पर चार ओर अ हण के न म आते ए तु हारे प को दे खा
है. जस समय मनु य तु हारे खाने क व तुएं लेकर जाते ह, उस समय तुम कृपा करके घास
आ द तनक को खाते हो. (७)
अनु वा रथो अनु मय अव नु गावोऽनु भगः कनीनाम्.
अनु ातास तव स यमीयुरनु दे वा म मरे वीय ते.. (८)
हे अ ! रथ, मनु य, गाएं एवं ना रय के सौभा य तु हारे पीछे चलते ह, अ य अ
तु हारे पीछे चलकर तु हारी म ता ा त कर चुके ह. ऋ वज् तु हारे शौयकम क तु त
करके स होते ह. (८)
हर यशृ ोऽयो अ य पादा मनोजवा अवर इ आसीत्.
दे वा इद य ह वर माय यो अव तं थमो अ य त त्.. (९)
घोड़े का शीश सोने का एवं पैर लोहे के ह. मन के समान वेग वाले इं भी इससे भ
ह. घोड़े पी ह को खाने के लए दे व आते ह. इं वहां सबसे पहले आकर बैठे ह. (९)
ईमा तासः स लकम यमासः सं शूरणासो द ासो अ याः.
हंसाइव े णशो यत ते यदा षु द म मम ाः.. (१०)
य संबंधी अ जस समय वग के माग से जाता है, उस समय घनी जांघ वाले,
पतली कमर वाले एवं व मशील घोड़ के समूह द अ के साथ इस कार चलते ह,
जस कार सतारे इस आकाश म पं ब होकर चलते ह. (१०)
तव शरीरं पत य णवव तव च ं वातइव जीमान्.
तव शृ ा ण व ता पु ार येषु जभुराणा चर त.. (११)
हे घोड़े! तु हारा शरीर ा त एवं मन वायु के समान शी चलने वाला है. तु हारे शर से
नकले ए स ग के थानीय बाल इधर-उधर बखरे ए ह एवं अनेक कार से सुशो भत ए
वन म उड़ते ह. (११)
उप ागा छसनं वा यवा दे व चा मनसा द यानः.
अजः पुरो नीयते ना भर यानु प ा कवयो य त रेभाः.. (१२)
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यह यु म कुशल घोड़ा मन से दे व का चतन करता आ बंधन के थान को ले जाया
जा रहा है. घोड़े का म बकरा उसके आगे-आगे चल रहा है. मं को बोलते ए ऋ वज्
पीछे -पीछे चलते ह. (१२)
उप ागा परमं य सध थमवा अ छा पतरं मातरं च.
अ ा दे वा ु तमो ह ग या अथा शा ते दाशुषे वाया ण.. (१३)
चलने म कुशल घोड़ा अपनी माता और पता के समीप प ंचने के लए ऐसे वग य
थान पर जाता है, जहां सब लोग एक साथ रह सक. हे अ ! आज तुम परम स होकर
दे व के समीप आओ, तु हारे जाने से ह दाता यजमान उ म धन ा त करेगा. (१३)
सू —१६४
दे वता— व ेदेव आ द
अ य वाम य प लत य होतु त य ाता म यमो अ य ः.
तृतीयो ाता घृतपृ ो अ या ाप यं व प त स तपु म्.. (१)
आरो य ा त के लए सबके ारा सेवनीय व जग पालक सूय के बीच वाले भाई वायु
ह. इसके तीसरे भाई आ त वीकार करने वाले अ न ह. इन भाइय के बीच म करण पी
सात पु स हत व प त दखाई दे ते ह. (१)
स त यु
त रथमेकच मेको अ ो वह त स तनामा.
ना भ च मजरमनव य ेमा व ा भुवना ध त थुः.. (२)
सूय के एक प हए वाले रथ म जुते ए सात घोड़े ही उसको ख चते ह. सात नाम वाला
एक ही घोड़ा रथ को ख चता है. ढ़ और न य नवीन तीन ना भयां उस प हए म ह. उस म
सारा व
थत है. (२)
इमं रथम ध ये स त त थुः स तच ं स त वह य ाः.
स त वसारो अ भ सं नव ते य गवां न हता स त नाम.. (३)
सात प हय वाले रथ म जुते ए सात घोड़े ही उसको ख चते ह. सात करण
ब हन इसके सामने चलती ह एवं सात गाएं इस रथ म बैठ ह. (३)
पी
को ददश थमं जायमानम थ व तं यदन था बभ त.
भू या असुरसृगा मा व व को व ांसमुप ा ु मेतत्.. (४)
जब अ थहीन कृ त ने अ थ वाले संसार को धारण कया था, तब थम उ प होने
वाले को कौन दे ख सका था? ाण और र ने तो पृ वी से ज म लया, पर आ मा कहां से
आई? यह
कसी जानकार से पूछने कौन जाएगा. (४)
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पाकः पृ छा म मनसा वजान दे वानामेना न हता पदा न.
व से ब कयेऽ ध स त त तू व त नरे कवय ओतवा उ.. (५)
म अप रप व बु वाला मन से न जानने के कारण यह सब पूछ रहा .ं ये संदेहा पद
बात दे व के लए भी गूढ़ ह. एक वष के बछड़े को लपेटने के लए मेधा वय ने जो सात धागे
बताए ह, वे या ह? (५)
अ च क वा च कतुष द कवी पृ छा म व ने न व ान्.
व य त त भ ष ळमा रजां यज य पे कम प वदे कम्.. (६)
म अ ानी ,ं पर जानने क इ छा रखता ,ं इसी लए त व ानी ांतद शय से पूछ
रहा ं. जसने इन छः लोक को थर कया है, जो ज मर हत होकर रहते ह, वे या एक
ह? (६)
इह वीतु य ईम वेदा य वाम य न हतं पदं वेः.
शी णः ीरं ते गावो अ य व वसाना उदकं पदापुः.. (७)
जो यह सब भली कार जानता है, वह बतावे. इस सुंदर सूय का व प अ यंत गूढ़ है.
शर के समान सबसे ऊंचे सूय क करण पी गाएं ध के समान जल बरसाती ह. वे ही
करण वशाल तेज से त त होने पर जल नमाण क तरह ही पी लेती ह. (७)
माता पतरमृत आ बभाज धी य े मनसा सं ह ज मे.
सा बीभ सुगभरसा न व ा नम व त इ पवाकमीयुः.. (८)
पृ वी पी माता जलवषा के न म आकाश थत सूय पी पता क य पी कम
ारा पूजा करती है. इससे पहले ही पता अ भ ाय वाले मन से धरती से संगत ए ह. इसके
बाद गभ धारण करने क इ छा वाली माता गभ क उ प के हेतु जल से बध गई है.
उ ह ने अनेक कार क फसल-गे ं, जौ आ द उ प करने के लए आपस म बातचीत क
है. (८)
यु ा मातासीद्धु र द णाया अ त द्गभ वृजनी व तः.
अमीमे सो अनु गामप य
यं षु योजनेषु.. (९)
आकाश इ छा पूण करने वाली धरती के ऊपर वषा करने म समथ था. गभ पी जल
मेघ के बीच था. इसके बाद बछड़े पी जल ने श द कया. इसके बाद मेघ, वायु और
सूय करण इन तीन के सहयोग से व पा धरती फसल वाली बनी. (९)
त ो मातॄ ी पतॄ ब दे क ऊ व त थौ नेमव लापय त.
म य ते दवो अमु य पृ े व वदं वाचम व म वाम्.. (१०)
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आ द य पी एकमा पु क तीन माताएं और तीन पता ह. आ द य थकते नह .
आकाश के ऊपर थत दे व सूय के वषय म ऐसी बात करते ह, जो सबसे संबं धत होती ह,
पर उ ह कोई नह समझता. (१०)
ादशारं न ह त जराय वव त च ं प र ामृत य.
आ पु ा अ ने मथुनासो अ स त शता न वश त त थुः.. (११)
स य पी सूय का बारह अर वाला प हया वग के चार ओर बार-बार चलता है और
कभी पुराना नह होता, हे आ द य प अ न! तीन सौ साठ दन एवं रात के प म तुमम
सात सौ बीस पु पु यां रहती ह. (११)
प चपादं पतरं ादशाकृ त दव आ ः परे अध पुरी षणम्.
अथेमे अ य उपरे वच णं स तच े षळर आ र पतम्.. (१२)
ऋतु
पी पांच चरण और मास पी बारह आकृ तय वाले आ द य आकाश के
परवत अ भाग म रहते ह. कुछ लोग उ ह जलदाता भी कहते ह. छः अर और सात च
(ऋतु एवं करण ) वाले रथ पर बैठे ए तेज वी आ द य को कुछ लोग अ पत भी कहते
ह. ये अ पत आकाश के सरे भाग म रहते ह. (१२)
प चारे च े प रवतमाने त म ा त थुभुवना न व ा.
त य ना त यते भू रभारः सनादे व न शीयते सना भः.. (१३)
पांच ऋतु पी अर वाला सूय का संव सर पी च घूमता है. सम त ाणी उसी म
रहते ह. उसका भारी अ कभी नह थकता. उसक ना भ सदा एक सी रहती है, कभी टू टती
नह . (१३)
सने म च मजरं व वावृत उ ानायां दश यु ा वह त.
सूय य च ू रजसै यावृतं त म ा पता भुवना न व ा.. (१४)
सदा एक सी ना भ वाला जरार हत संव सर पी प हया बार-बार घूमता है. पांच
लोकपाल और ा ण,
य, वै य, शू , नषाद पांच वण, ये दस मलकर व तृत धरती
को धारण करते ह. ने पी सूयमंडल वषा के जल से पूण बादल से घर जाता है. सम त
ाणी उसी म छप जाते ह. (१४)
साक ानां स तथमा रेकजं ष ळ मा ऋषयो दे वजा इ त.
तेषा म ा न व हता न धामशः था े रेज ते वकृता न पशः.. (१५)
चै आ द दो मास क छः एवं अ धक मास क सातव , इस कार एक ही सूय से जो
सात ऋतुएं उ प ई ह, उन म सातव अकेली है. शेष छः जोड़े वाली, ज द आने वाली
और दे व से उ प ह. ये ऋतुएं सबक यारी, अलग-अलग थत और भ
प वाली ह.
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ये अपने नमाता के लए सदा घूमती रहती ह. (१५)
यः सती ताँ उ मे पुंस आ ः प यद वा व चेतक धः.
क वयः पु ः स ईमा चकेत य ता वजाना स पतु पतासत्.. (१६)
करण
यां होती
भी पु ष ह. उ ह केवल आंख वाला ही दे ख सकता है, अंधा
नह . जो ांतदश ह, वे ही यह बात जानते ह. उन करण को जानने वाला पता का भी
पता है. (१६)
अवः परेण पर एनावरेण पदा व सं ब ती गौ द थात्.
सा क ची कं वदध परागात् व व सूते न ह यूथे अ तः.. (१७)
गो प आ त बछड़े पी अ न का पछला भाग अपने सामने वाले पैर से और
अगला भाग अपने पछले पैर से पकड़कर ऊपर क ओर जाती है. वह कहां जाती है और
कसके लए बीच से ही लौट आती है? वह कहां पर बछड़े को ज म दे ती है? वह अ य गाय
के समूह म तो बछड़ा पैदा करती नह है. (१७)
अवः परेण पतरं यो अ यानुवेद पर एनावरेण.
कवीयमानः क इह वोच े वं मनः कृतो अ ध जातम्.. (१८)
जो आ द य पी ऊपर थत लोकपालक क उपासना नीचे थत अ न पी
लोकपालक के साथ तथा नीचे वाले क उपासना ऊपर वाले के साथ करते ह, कौन लोग इस
संसार म अपने को ांतदश स करते ए यह बात करते ह? द मन कस से उ प
होता है? (१८)
ये अवा च ताँ उ पराच आ य परा च ताँ उ अवाच आ ः.
इ
या च थुः सोम ता न धुरा न यु ा रजसो वह त.. (१९)
काल को जानने वाले अधोमुख को ऊ वमुख और ऊ वमुख को अधोमुख कहते ह. हे
सोम! इं को साथ लेकर तुमने जो घूमने के गोल बनाए ह, वे उसी कार संसार का बोझा
ढोते ह, जस कार जुए म जुता आ घोड़ा. (१९)
ा सुपणा सयुजा सखाया समानं वृ ं प र ष वजाते.
तयोर यः प पलं वा यन
यो अ भ चाकशी त.. (२०)
जीवा मा और परमा मा पी दो प ी म बनकर साथ-साथ संसार पी वृ पर रहते
ह. उन म से एक (जीवा मा) पीपल के वा द फल को खाता है. सरा (परमा मा) फल न
खाता आ केवल दे खता है. (२०)
य ा सुपणा अमृत य भागम नमेषं वदथा भ वर त.
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इनो व
य भुवन य गोपाः स मा धीरः पाकम ा ववेश.. (२१)
सुंदर ग त वाली करण अपना क
जानकर सदा जल का अंश ले जाती ह और
जस आ द य मंडल म प ंचती ह एवं सारे संसार क धीर भाव से र ा करती ह, उसी सूय ने
मुझ अप रप व बु वाले को धारण कया है. (२१)
य म वृ े म वदः सुपणा न वश ते सुवते चा ध व े.
त येदा ः प पलं वा े त ो श ः पतरं न वेद.. (२२)
जस आ द य पी वृ पर जल भ ण करने वाली करण रात को प य के समान
बैठती ह एवं ातः उदय काल म व को काश दे ती ह, व ान् लोग उस पालक सूय का
फल रस वाला बताते ह. जो पालक सूय को नह जानता, वह इस फल को नह पा सकता.
(२२)
यद्गाय े अ ध गाय मा हतं ै ु भा ा ै ु भं नरत त.
य ा जग जग या हतं पदं य इ
ते अमृत वमानशुः.. (२३)
जो धरती पर अ न का थान जानते ह, जो दे व ारा अंत र से वायु क उ प से
प र चत ह अथवा जो यह समझते ह क उस पर सूय का थान है, वे ही मरणर हत पद को
पाते ह. (२३)
गाय ेण त ममीते अकमकण साम ै ु भेन वाकम्.
वाकेन वाकं पदा चतु पदा रेण ममते स त वाणीः.. (२४)
गाय ी छं द ारा उ ह ने पूजन संबंधी मं बनाए, अचना मं क सहायता से साम,
ु प् छं द ारा वाक्, पाद, चतु पाद वचन ारा अनुवाक् और अ र को मलाकर सात
छं द प वाणी क रचना क . (२४)
जगता स धुं द तभाय थ तरे सूय पयप यत्.
गाय य स मध त आ ततो म ा र रचे म ह वा.. (२५)
उन लोग ने जगती छं द ारा वषा को आकाश म रोक दया तथा रथंतर साम मं म
सूय के दशन कए. कहा जाता है क गाय ी छं द के तीन चरण ह, इसी लए वह मह व म
बड़ से भी आगे बढ़ जाती है. (२५)
उप ये सु घां धेनुमेतां सुह तो गोधुगुत दोहदे नाम्.
े ं सवं स वता सा वष ोऽभी ो घम त षु वोचम्.. (२६)
म इस धा गाय को बुलाता ं. दोहनकुशल वाला उसे हता है. हमारे सोमरस के
उ म भाग को सूय वीकार कर. उससे उनका तेज बढ़े गा. इसी हेतु म उ ह बुलाता ं. (२६)
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हङ् कृ वती वसुप नी वसूनां व स म छ ती मनसा यागात्.
हाम यां पयो अ येयं सा वधतां महते सौभगाय.. (२७)
घी, ध आ द से सदा पालन करने वाली गाय बछड़े के लए मन म इ छा करती ई
रंभाती ई आती है. वह गाय अ नीकुमार को ध दे और उनके सौभा य को बढ़ाव. (२७)
गौरमीमेदनु व सं मष तं मूधानं हङ् ङकृणो मातवा उ.
सृ वाणं घमम भ वावशाना ममा त मायुं पयते पयो भः.. (२८)
गाय आंख बंद कए बछड़े को दे खकर रंभाती है, उसका म तक चाट कर शू करने
के लए रंभाती है, बछड़े के ह ठ पर फेन दे खकर रंभाती है तथा ध पलाकर उसे तृ त
करती है. (२८)
अयं स शङ् े येन गौरभीवृता ममा त मायुं वसनाव ध ता.
सा च भ न ह चकार म य व ु व ती त व मौहत.. (२९)
बछड़ा अ
श द करता है, जसे सुनकर गौ आकर उससे चार ओर से लपट जाती
है और गाय के चरने वाली धरती पर रंभाती है. गाय पशु होकर भी अपने ान से मनु य को
हरा दे ती है और अ यंत धा बनकर अपना प दखाती है. (२९)
अन छये तुरगातु जीवमेजद् ुवं म य आ प यानाम्.
जीवो मृत य चर त वधा भरम य म यना सयो नः.. (३०)
अपने काय के लए शी ग त वाला जीव सांस लेता आ सोता है और अपने घर पी
शरीर म न त प से रहता है. मरणशील शरीर के साथ उ प शरीर का मरणर हत वधा
के ारा वचरण करता है. (३०)
अप यं गोपाम नप मानमा च परा च प थ भ र तम्.
स स ीचीः स वषूचीवसान आ वरीव त भुवने व तः.. (३१)
सबके र क एवं कभी ःखी न होने वाले सूय को म अंत र म आते-जाते दे खता ं.
वह सूय अपने साथ जाने वाली एवं पीछे हटने वाली करण को लपेटे ए भुवन के म य
बार-बार आते-जाते ह. (३१)
य चकार न सो अ य वेद य ददश ह ग ु त मात्.
स मातुय ना प रवीतो अ तब जा नऋ तमा ववेश.. (३२)
जो पु ष संतान उ प के न म गभाधान करता है, वह भी इसका रह य नह
जानता. जो माता के बढ़े ए पेट से गभ को अनुमान ारा दे खता है, वह उससे भी छपा
रहता है. वह माता क यो न के बीच थत रहता है और अनेक जा का कारण बनकर
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ःख का अनुभव करता है. (३२)
ौम पता ज नता ना भर ब धुम माता पृ थवी महीयम्.
उ ानयो वो३ य नर तर ा पता हतुगभमाधात्.. (३३)
आकाश मेरा पालनक ा और ज मदाता है, पृ वी क ना भ मेरे लए म है और यह
वशाल धरती मेरी माता है. दोन ऊपर उठे ए पा के बीच अंत र
पी यो न है, जहां
आकाश पी पता र थत धरती पी माता के गभ का आधान करता है. (३३)
पृ छा म वा परम तं पृ थ ाः पृ छा म य भुवन य ना भः.
पृ छा म वा वृ णो अ य रेतः पृ छा म वाचः परमं ोम.. (३४)
म तुमसे पृ वी क समा त का थान एवं सम त ा णय क उ प का थान पूछता
ं. म तुमसे वषा करने वाले घोड़े के वीय एवं सम त वा णय के कारण उस थान के वषय
म पूछता ं. (३४)
इयं वे दः परो अ तः पृ थ ा अयं य ो भुवन य ना भः.
अयं सोमो वृ णो अ य रेतो
ायं वाचः परमं ोम.. (३५)
यह वेद ही पृ वी क समा त है एवं यह य संसार क उ प का थान है. यह
सोमरस वषा करने वाले घोड़े का वीय है एवं यह
ा वा णय का अं तम थान है. (३५)
स ताधगभा भुवन य रेतो व णो त त दशा वधम ण.
ते धी त भमनसा ते वप तः प रभुवः प र भव त व तः.. (३६)
सात करण आधे वष तक जल प गभ को धारण करती ई जगत् का वीय बनकर
व णु के जगत्धारण प काय म थत होती ह. ानयु एवं सब ओर जाने वाली वे करण
जगत् का उपकार करने क बु से चार ओर से संसार को घेरे ह. (३६)
न व जाना म य दवेदम म न यः स ो मनसा चरा म.
यदा माग थमजा ऋत या द ाचो अ ुवे भागम याः.. (३७)
सम त व म ही ,ं इस बात को म नह जान पाया, य क म मूढ़ च एवं अ व ा
के कम से बंधा आ ं तथा ब हमुख मन से संसार म ःख का अनुभव करता ं. मुझे जब
ान का पहली बार अनुभव होता है, तभी म श द का अथ समझ पाता ं. (३७)
अपाङ् ाङे त वधया गृभीतोऽम य म यना सयो नः.
ता श ता वषूचीना वय ता य१ यं च युन न च युर यम्.. (३८)
मरणर हत आ मा मरणधमा शरीर के साथ रहती है एवं अ ा द भोग के कारण
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अधोग त और ऊ वग त को ा त होता है. वे दोन सदा एक साथ रहते ह और संसार म
सभी जगह साथ-साथ जाते ह. लोग इनम से अ न य शरीर को जानते ह, न य आ मा को
नह . (३८)
ऋचो अ रे परमे ोम य म दे वा अ ध व े नषे ः.
य त वेद कमृचा क र य त य इ
त इमे समासते.. (३९)
मं के अ र आकाश के समान व तृत ह. इनम सभी दे व अ ध त ह. जो इस बात
को नह जानता, वह मं जानकर या लाभ उठाएगा? इस बात को जानने वाला सुख से
रहता है. (३९)
सूयवसा गवती ह भूया अथो वयं भगव तः याम.
अ तृणम ये व दान पब शु मुदकमाचर ती.. (४०)
हे हनन के अयो य गौ! तुम जौ के सुंदर तनक को खाती ई अ धक ध पी धन से
संप बनो. इस कार हम संप शाली बन जाएंगे. न य घास के तनके चरो और सब जगह
व छं दता से घूमो तथा साफ पानी पओ. (४०)
गौरी ममाय स लला न त येकपद पद सा चतु पद .
अ ापद नवपद बभूवुषी सह ा रा परमे ोमन्.. (४१)
म यमा वाणी वषा के जल का नमाण करती ई श द करती है. वह समय-समय पर
एकपद , पद , चतु पद , अ पद अथवा नवपद हो जाती है. वह कभी हजार अ र
वाली बनकर वशाल आकाश म प ंचती है. (४१)
त याः समु ा अ ध व र त तेन जीव त
ततः र य रं त
मुप जीव त.. (४२)
दश त ः.
उसी वाणी के भाव से सारे बादल जल बरसाते ह और चार दशा के जीव ाण
धारण करते ह. उसीसे सारे ा णय को ज म दे ने वाला जल उ प होता है. (४२)
शकमयं धूममारादप यं वबूवता पर एनावरेण.
उ ाणं पृ मपच त वीरा ता न धमा ण थमा यासन्.. (४३)
मने अपने समीप ही सूखे गोबर से उ प धुएं को दे खा. चार ओर फैले ए धुएं के बाद
मने उसके कारणभूत अ न को दे खा. ऋ वज् ेत रंग वाले सोमरस को तैयार करते ह.
आ द काल से उनका यही कम रहा है. (४३)
यः के शन ऋतुथा व च ते संव सरे वपत एक एषाम्.
व मेको अ भ च े शची भ ा जरेक य द शे न पम्.. (४४)
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केश तु य करण वाले तीन
—अ न, आ द य और वायु वष म समय-समय पर
धरती को दे खते रहते ह. इनम से पहला नाई के समान कूड़ा समा त करता है, सरा अपने
काशकम ारा दे खता है एवं तीसरे को केवल ग त का ान होता है, वह दखाई नह दे ता.
(४४)
च वा र वा प र मता पदा न ता न व ा णा ये मनी षणः.
गुहा ी ण न हता ने य त तुरीयं वाचो मनु या वद त.. (४५)
वाणी के चार न त पद होते ह. ांतदश ा ण उ ह जानते ह. उन म से तीन गुहा
म छपे होने से
गोचर नह होते, चौथे पद वाली वाणी को मनु य बोलते ह. (४५)
इ ं म ं व णम नमा रथो द ः स सुपण ग मान्.
एकं स ा ब धा वद य नं यमं मात र ानमा ः.. (४६)
बु मान् लोग इस आ द य को ही इं , म , व ण और अ न कहते ह. वह सुंदर पंख
और शोभन ग त वाला है. एक होने पर भी ये व ान ारा अ न, यम, मात र ा आ द
अनेक नाम से पुकारे जाते ह. (४६)
कृ णं नयानं हरयः सुपणा अपो वसाना दवमु पत त.
त आववृ सदना त या दद् घृतेन पृ थवी ु ते.. (४७)
सुंदर ग त वाली और जल सोखने वाली सूय क करण काले रंग वाले एवं नयम से
गमन करने वाले बादल को पानी से भरती ई आकाश म जाती ह. वे जल लेकर नीचे आती
ह व धरती को पूरी तरह भगो दे ती ह. (४७)
ादश धय
त म साकं
मेकं ी ण न या न क उ त चकेत.
शता न शङ् कवोऽ पताः ष न चलाचलासः.. (४८)
बारह प र धयां, एक च और तीन ना भयां ह. इस बात को कौन जानता है? एक च
म तीन सौ साठ चंचल अरे लगे ए ह. (४८)
य ते तनः शशयो यो मयोभूयन व ा पु य स वाया ण.
यो र नधा वसु व ः सुद ः सर व त त मह धातवे कः.. (४९)
हे सर वती! तु हारे शरीर म वतमान जो तन रस का आ ान करने वाल को सुख दे ता
है, जससे तुम मनोरम धन क र ा करती हो, जो र न का आधार धन ा त करने वाला
एवं शोभनदानयु है, उसे हमारे पीने के लए कट करो. (४९)
य ेन य मयज त दे वा ता न धमा ण थमा यासन्.
ते ह नाकं म हमानः सच त य पूव सा याः स त दे वाः.. (५०)
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यजमान ने अ न के ारा य पूण कया है. यही सव थम क
कम था. मह वपूण
यजमान वग म एक ह. वहां पूववत य क ा भी द
प म रहते ह. (५०)
समानमेत दकमु चै यव चाह भः.
भू म पज या ज व त दवं ज व य नयः.. (५१)
एक ही कार का जल है. वह गरमी के दन म ऊपर जाता है एवं वषा के दन म नीचे
आता है. बादल धरती को स करते ह एवं अ न ुलोक को संतु करती है. (५१)
द ं सुपण वायसं बृह तमपां गभ दशतमोषधीनाम्.
अभीपतो वृ भ तपय तं सर व तमवसे जोहवी म.. (५२)
म द , शोभनग त वाले, गमनशील, वशाल, गभ के समान वषा का जल उ प करने
वाले, ओष धय के दशन एवं वषा के जल ारा सरोवर को पूण एवं स रता का पालन
करने वाले सूय का अपनी र ा के लए आ ान करता ं. (५२)
सू —१६५
दे वता—इं
कया शुभा सवयसः सनीळाः समा या म तः सं म म ुः.
कया मती कुत एतास एतेऽच त शु मं वृषणो वसूया.. (१)
इं ने कहा—“समान अव था वाले और एक थान के नवासी म द्गण ऐसी महान्
शोभा वाले ह, जसे सब लोग को जानना क ठन है. वे धरती को स चते ह. मन म या
वचार रखते ह और कहां से आए ह? आकर जल बरसाने वाले बादल या धन क इ छा से
श क उपासना करते ह? (१)
कय
ा ण जुजुषुयुवानः को अ वरे म त आ ववत.
येनाँ इव जती अ त र े केन महा मनसा रीरमाम.. (२)
न य त ण म द्गण कसका ह व वीकार करते ह? य म आए ए उ ह कौन हटा
सकता है? वे बाज प ी के समान आकाश म उड़ते ह. हम उ ह कस महान् तो
ारा
स कर? (२)
कुत व म मा हनः स ेको या स स पते क त इ था.
सं पृ छसे समराणः शुभानैव चे त ो ह रवो य े अ मे.. (३)
म द्गण ने कहा— “हे स जन के पालक एवं पूजनीय इं ! तुम अकेले कहां जा रहे
हो? या तुम इसी कार के हो? तुम हमसे मलकर जो पूछ रहे हो, यह उ चत है. हे घोड़ के
वामी! हमसे जो कहना हो, वह हमसे शोभन वचन ारा कहो.” (३)
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ा ण मे मतयः शं सुतासः शु म इय त भृत मे अ ः.
आ शासते त हय यु थेमा हरी वहत ता नो अ छ.. (४)
इं ने कहा—“सारा य कम एवं तु तयां मेरी ह. सामने रखा आ सोम मेरा है. म जब
अपना श शाली व फकता ं तो यह कभी असफल नह होता. यजमान मेरी ही ाथना
करते ह. ऋ वेद के मं मेरी ही कामना करते ह. ये ह र नाम के घोड़े ह व हण करने को
मुझे ही वहन करते ह.” (४)
अतो वयम तमे भयुजानाः व े भ त य१: शु भमानाः.
महो भरेताँ उप यु महे व वधामनु ह नो बभूथ.. (५)
म द्गण बोले—“इसी कारण हम अपने शरीर को महान् तेज से चमकाते ए
समीपवत एवं वशाल बल वाले अ के साथ इस महान् य म आने को तैयार ए ह. हे
इं ! हमारे बल का अनुभव करते ए तुम भी हमारे साथ रहो.” (५)
व१ या वो म तः वधासी मामेकं समध ा हह ये.
अहं १ त वष तु व मा व य श ोरनमं वध नैः.. (६)
इं ने कहा—“हे म तो! जब मने अकेले ही अ ह का वध कया था, तब साथ रहने
वाला तु हारा बल कहां था? म उ श वाला एवं महान् ं. मने हनन म कुशल व
ारा
संपूण श ु का वनाश कया है.” (६)
भू र चकथ यु ये भर मे समाने भवृषभ प ये भः.
भूरी ण ह कृणवामा श व े
वा म तो य शाम.. (७)
म त ने कहा—“हे कामवष इं ! हम तु हारे समान श वाले ह. तुमने हमारे साथ
मलकर ब त से कम कए ह. हे बलवान् इं ! हमने तुमसे भी बढ़कर काम कए ह. हम
म त् होने के कारण तु हारे साथ कम करके वषा क इ छा करते ह.” (७)
वध वृ ं म त इ येण वेन भामेन त वषो बभूवान्.
अहमेता मनवे व
ाः सुगा अप कर व बा ः.. (८)
इं ने कहा—“हे म द्गण! मने ोध यु होकर अपने नजी बल से वृ को मारा था,
म व अपने हाथ म रखता ,ं इस लए म सम त मनु य क स ता के लए वषा करता
ं.” (८)
अनु मा ते मघव कनु न वावाँ अ त दे वता वदानः.
न जायमानो नशते न जातो या न क र या कृणु ह वृ .. (९)
म द्गण बोले—“हे इं ! तु हारा सब कुछ उ म है. कोई भी दे व तु हारे समान व ान्
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नह है. हे महान् श शाली! तुमने जो करने यो य काम कए ह, उ ह न कोई इस समय कर
सकता है और न पहले कर पाया था.” (९)
एक य च मे व व१ वोजो या नु दधृ वा कृणवै मनीषा.
अहं १ ो म तो वदानो या न यव म इद श एषाम्.. (१०)
इं बोले—“मुझ अकेले क ही श सब जगह फैले. म मन से जो भी इ छा क ं ,
वही काम कर सकूं. हे म तो! म उ एवं व ान् ं. जन संप य को म जानता ,ं उन पर
मेरा ही अ धकार है.” (१०)
अम द मा म तः तोमो अ य मे नरः ु यं
च .
इ ाय वृ णे सुमखाय म ं स ये सखायसत वे तनू भः.. (११)
“हे म म तो! इस वषय म तुमने मेरी जो तु तयां क ह, वे मुझे आनं दत करती ह.
म कामवषक, शोभन य वाला, अनेक पधारी एवं तु हारा सखा ं. (११)
एवेदेते त मा रोचनामा अने ः व एषो दधानाः.
स च या म त
वणा अ छा त मे छदयाथा च नूनम्.. (१२)
हे सुनहरे रंग वाले म तो! तुमने मेरे त स होकर और शंसनीय यश एवं अ
धारण करते ए मुझे भली कार चार ओर से ढक लया है. तुम न त प से मुझे ढको.”
(१२)
को व म तो मामहे वः यातन सख र छा सखायः.
म मा न च ा अ पवातय त एषां भूत नवेदा म ऋतानाम्.. (१३)
अग य ने कहा—“हे म तो! कौन तु हारी पूजा करता है? हे सबके म ो! यजमान
के सामने जाओ. हे सुंदर म द्गण! तुम सब मनोरम धन को ा त कराओ एवं मेरे
स यकम को जानो.” (१३)
आ य व या वसे न का र मा च े मा य य मेधा.
ओ षु व म तो व म छे मा
ा ण ज रता वो अचत्.. (१४)
“हे म तो! तु हारी सेवा करने म समथ तो
ारा माननीय यजमान क तु तकुशल
बु सेवा करने के लए हमारे सामने आती है. इस लए तुम मुझ मेधावी यजमान के सामने
आओ. तोता तु हारे इन उ म कम को ल य करके तु हारा आदर करता है. (१४)
एष वः तोमो म त इयं गीमा दाय य मा य य कारोः.
एषा यासी त वे वयां व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१५)
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हे म तो! यह तो एवं यह तु त प वाणी स ता दे ने वाली है एवं शरीर को पु
करने के लए तु ह ा त होती है. हम बल, अ एवं जयशील दान ा त कर.” (१५)
सू —१६६
दे वता—म द्गण
त ु वोचाम रभसाय ज मने पूव म ह वं वृषभ य केतवे.
ऐधेव याम म त तु व वणो युधेव श ा त वषा ण कतन.. (१)
हे म तो! म तु हारे ाचीनतम मह व का इस लए वणन कर रहा ं क तुम य वेद पर
शी आकर य संप कराओ. हे गमन के समय वशाल व न करने वाले एवं सम त काय
करने म समथ! तु हारे य थल म आते ही स मधा क वाला उसी कार महती हो
जाती है, जस कार तुम रण म अपना परा म दखाते हो. (१)
न यं न सूनुं मधु ब त उप ळ त ळा वदथेषु घृ वयः.
न त ा अवसा नम वनं न मध त वतवसो ह व कृतम्.. (२)
य पु के समान मधुर ह धारण करने वाले एवं य म र ा करने म वृ
म द्गण स च होकर ड़ा करते ह. न यजमान क र ा के लए वाधीन श वाले
एवं यजमान को कभी क न प ंचाने वाले पु म द्गण आते ह. (२)
य मा ऊमासी अमृता अरासत रास पोषं च ह वषा ददाशुषे.
उ य मै म तो हता इव पु रजां स पयसा मयोभुवः.. (३)
ह व दे ने वाले जस यजमान क आ त के कारण स , सबके र क एवं मरणर हत
म द्गण अ धक मा ा म धन दे ते ह, उसी यजमान के हतकारी सखा के समान म द्गण
सारे संसार को सुख पी जल से भली-भां त स चते ह. (३)
आ ये रजां स त वषी भर त व एवासः वयतासो अ जन्.
भय ते व ा भुवना न ह या च ो वो यामः यता वृ षु.. (४)
हे म तो! तु हारे घोड़े अपनी श के ारा सारे संसार का मण करते ह. वे सार थ
के बना ही तेज चलते ह. तु हारी ग त इतनी व च है क तु हारे चलने से सम त ाणी और
अट् टा लकाएं उसी कार कांप उठती ह, जस कार कोई यु म उठ ई तलवार को
दे खकर कांपता है. (४)
यत् वेषयामा नदय त पवता दवो वा पृ ं नया अचु यवुः.
व ो वो अ म भयते वन पती रथीय तीव जहीत ओष धः.. (५)
शी ग त वाले म द्गण जस समय पवत एवं गुफा
को गुंजाते ह अथवा मानव के
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क याण हेतु पवत क चो टय पर चढ़ते ह, उस समय तु हारे गमन के कारण सम त
वन प तयां डर जाती ह और जस कार रथ पर बैठ ी एक थान से सरे थान पर चली
जाती है, उसी कार उड़कर र प ंच जाती ह. (५)
यूयं न उ ा म तः सुचेतुना र ामाः सुम त पपतन.
य ा वो द ु द त
वदती रणा त प ः सु धतेव बहणा.. (६)
हे वशाल श संप म तो! तुम शोभन च एवं हसार हत होकर हमारी सुबु को
बढ़ाओ. जस समय तु हारी चलते ए दांत वाली बजली बादल को का शत करती है,
उस समय वह तलवार के समान पशु का नाश करती है. (६)
क भदे णा अनव राधसोऽलातृणासो वदथेषु सु ु ताः.
अच यक म दर य प तये व व र य थमा न प या.. (७)
अ वरत दान वाले, नाशर हत धन वाले, सकल श ुनाशक एवं य म भली कार
तु त पाने वाले म द्गण य म अपने म इं क अचना करते ह, य क वे श ुनाशक इं
के पूवकृत वीर कम को जानते ह. (७)
शतभु ज भ तम भ तेरघा पूभ र ता म तो यमावत.
जनं यमु ा तवसो वर शनः पाथना शंसा नय य पु षु.. (८)
हे महान् तेज वी एवं श शाली म तो! जस मनु य को तुमने कु टल वभाव वाले
पाप से बचाया है एवं पु -पौ ा द क पु से संबं धत नदा से र ा क है, उसका पालन
अग णत भोग व तु
ारा करो. (८)
व ा न भ ा म तो रथेषु वो मथ पृ येव त वषा या हता.
अंसे वा वः पथेषु खादयोऽ ो व ा समया व वावृते.. (९)
हे म द्गण! तु हारे रथ पर सम त क याणकारी व तुएं रखी ई ह. तु हारी भुजा
म एक से एक श शाली श वतमान ह. सभी व ाम थान पर तु हारे लए खाने क
व तुएं उप थत ह. तु हारे रथ के प हए धु रय के साथ घूमते ह. (९)
भूरी ण भ ा नयषु बा षु व ःसु मा रभसासो अ यः.
अंसे वेताः प वषु ुरा अ ध वयो न प ा नु यो धरे.. (१०)
मानव का क याण करनेवाली अपनी भुजा म म द्गण क याणकारी अनंत पदाथ
धारण करते ह. उनके व थल पर कां तमय एवं प द खने वाले वणाभूषण, कंध पर
ेत मालाएं, व के समान आयुध पर छु रा एवं प य के पंख के समान शोभा धारण
करते ह. (१०)
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महा तो म ा व वो३ वभूतयो रे शो ये द ा इव तृ भः.
म ाः सु ज ाः व रतार आस भः सं म ा इ े म तः प र ु भः.. (११)
महान्, म हमामं डत, व तृत ऐ य वाले, आकाश के न
के समान र से का शत,
स , सुंदर ज ा वाले, मुख से श द करने वाले, तु तसंप एवं इं के सहायक म द्गण
हमारे य म पधार. (११)
त ः सुजाता म तो म ह वनं द घ वो दा म दते रव तम्.
इ
न यजसा व णा त त जनाय य मै सुकृते अरा वम्.. (१२)
हे शोभन ज म वाले म तो! तु हारा मह व एवं दान अ द त के त के समान
अ व छ है. तुम जस पु यशील यजमान के लए इ धन दे ते हो, उसके त इं भी
कु टलता नह करते. (१२)
त ो जा म वं म तः परे युगे पु य छं सममृतास आवत.
अया धया मनवे ु मा ा साकं नरो दं सनैरा च क रे.. (१३)
हे म द्गण! हमारे त तु हारी स
तु तय क भली-भां त र ा करते हो एवं
क बात जान लेते हो. (१३)
मै ी अतीत काल म भी थी. तुम लोग हमारी
ालु यजमान के य के नेता बनकर उसके मन
येन द घ म तः शूशवाम यु माकेन परीणसा तुरासः.
आ य तन वृजने जनास ए भय े भ तदभी म याम्.. (१४)
हे वेगशाली म तो! तु हारे महान् आगमन के प ात् हम द घकाल तक चलने वाला
य आरंभ करते ह. तु हारा आगमन हमारे लोग को यु म वजयी बनाता है. इस कार के
य
ारा म तु हारा उ म आगमन ा त क ं . (१४)
एष वः तोमो म त इयं गीमा दाय य मा य य कारोः.
एषा यासी त वे वयां व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१५)
हे म तो! आहार के यो य मांदाय क व का यह तु तसमूह तु हारे लए है. यह तु त
तु तक ा क शरीर पु क कामना से तु ह ा त होती है. हम भी इसके ारा अ , बल
एवं द घ आयु ा त कर. (१५)
सू —१६७
दे वता—इं एवं म त्
सह ं त इ ोतयो नः सह मषो ह रवो गूततमाः.
सह ं रायो मादय यै सह ण उप नो य तु वाजाः.. (१)
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हे इं ! तु हारे हजार कार के र ण उपाय हजार तरह से हमारे पास आव. हे अ
के वामी! तु हारे हजार तरह के स अ हम ा त ह . तु हारे पास जो हजार कार के
धन ह, वे हम स ता दे ने के लए मल. हम हजार पशु ा त ह . (१)
आ नोऽवो भम तो या व छा ये े भवा बृह वैः सुमायाः.
अध यदे षां नयुतः परमाः समु य च नय त पारे.. (२)
म द्गण र ा के साधन स हत हमारे पास आव. शोभन बु वाले म द्गण परम
स एवं द तशाली धन के साथ हमारे समीप आव. उनके नयुत नामक घोड़े समु के
उस पार रहते ए भी धन धारण करते ह. (२)
म य येषु सु धता घृताची हर य न णगुपरा न ऋ ः.
गुहा चर ती मनुषो न योषा सभावती वद येव सं वाक्.. (३)
भली कार थत, जल बरसाती ई एवं सुनहरे रंग क बजली म त के साथ
मेघमाला, छपे ए थान म रहने वाली राजपु ष क प नी अथवा य ीय वाणी के समान
रहती है. (३)
परा शु ा अयासो य ा साधार येव म तो म म ुः.
न रोदसी अप नुद त घोरा जुष त वृधं स याय दे वाः.. (४)
जस कार युवक साधारण नारी से मलते ह, उसी कार शोभन अलंकार वाले परम
वेगशाली एवं महान् म द्गण बजली के साथ संगत होते ह. भयंकर वषा करने वाले
म द्गण धरती और आकाश का याग नह करते. दे वगण म ता के कारण म त क उ त
का य न करते ह. (४)
जोष द मसुया सच यै व षत तुका रोदसी नृमणाः.
आ सूयव वधतो रथं गा वेष तीका नभसो ने या.. (५)
बखरे ए बाल वाली म त्-प नी बजली समागम के न म इनक सेवा करती है.
जस कार सूय क पु ी अ नीकुमार के रथ पर सवार ई थी, उसी कार तेज वी शरीर
वाली चंचल बजली म त के रथ पर बैठकर य थल पर आती है. (५)
आ थापय त युव त युवानः शुभे न म ां वदथेषु प ाम्.
अक य ो म तो ह व मा गायद्गाथं सुतसोमो व यन्.. (६)
न य त ण म द्गण नयम से मलन करने वाली एवं श शाली त णी बजली को
वषा के लए अपने रथ पर बैठा लेते ह. उसी समय पूजा के मं बोलते ए ह दाता एवं
सोमरस नचोड़ने वाले यजमान म त क सेवा करते ए तु तयां पढ़ते ह. (६)
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तं वव म व यो य एषां म तां म हमा स यो अ त.
सचा यद वृषमणा अहंयुः थरा च जनीवहते सुभागाः.. (७)
म म त क शंसनीय एवं सरलता से समझ म न आने वाली म हमा का वणन करता
ं. म त से संबं धत बजली बरसने क इ छा वाली, अहंकार यु
थर सौभा यशा लनी
एवं जननसमथ जा को धारण करने वाली है. (७)
पा त म ाव णावव ा चयत ईमयमो अ श तान्.
उत यव ते अ युता ुवा ण वावृध म तो दा तवारः.. (८)
हे म तो! म , व ण और अयमा इस य क नदा से र ा करते ह तथा य के
दोषयु पदाथ का नाश करते ह. इ ह के कारण समय पर मेघ का अ युत एवं ुव जल
टपक पड़ता है. जल क अ धकता से म ा द ही जगत् क र ा करते ह. (८)
नही नु वो म तो अ य मे आरा ा च छवसो अ तमापुः.
ते धृ णुना शवसा शूशुवांसोऽण न े षो धृषता प र ु ः.. (९)
हे म द्गण! हम लोग म से एक भी
र रहकर भी तु हारे बल क सीमा नह
जान सका. तुम श ु को हराने वाले बल से जलरा श के समान बढ़ते हो और अपनी श
से उ ह हराते हो. (९)
वयम े य े ा वयं ो वोचेम ह समय.
वयं पुरा म ह च नो अनु न
ू ् त ऋभु ा नरामनु यात्.. (१०)
आज हम इं के अ यंत य बनकर य म उनक म हमा का वणन करगे. हमने
ाचीन काल म इं क म हमा का वणन कया था और त दन कर रहे ह. इस लए महान्
इं अ य लोग क अपे ा हमारे अनुकूल बन. (१०)
एष वः तोमो म त इयं गीमा दाय य मा य य कारोः.
एषा यासी त वे वयां व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (११)
हे म तो! आदर के यो य मांदय क व का यह तु तसमूह तु हारे लए है. यह तु त इस
अ भलाषा से तु हारे पास जाती है क तु तक ा का शरीर पु हो. हम भी इस तु त ारा
अ , बल एवं द घ आयु ा त कर. (११)
सू —१६८
दे वता—म द्गण
य ाय ा वः समना तुतुव ण धय धयं वो दे वया उ द ध वे.
आ वोऽवाचः सु वताय रोद योमहे ववृ यामवसे सुवृ भः.. (१)
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हे म तो! सभी य के त तु हारी समान भावना जान पड़ती है. तुम अपने जलदान आ द सारे कम को दे व को ा त कराने के लए धारण करते हो. म तु ह महान् तो
के ारा अपने सामने इस लए बुलाता ं क तुम धरती और आकाश क भली कार र ा
कर सको. (१)
व ासो न यो वजाः वतवस इषं वर भजाय त धूतयः.
सह यासो अपां नोमय आसा गावो व ासो नो णः.. (२)
पसंप , वयं उ प एवं कंपनशील म द्गण अ एवं वग आ द के साधन बनकर
कट होते ह. समु क लहर के समान हजार उ म धा गाएं जस कार ध दे ती ह,
उसी कार वे जल बरसाते ह. (२)
सोमासो न ये सुता तृ तांशवो सु पीतासो वसो नासते.
ऐषामंसेषु र भणीव रारभे ह तेषु खा द कृ त सं दधे.. (३)
जस कार सोमलता पहले जल से स ची जाने पर बढ़ती है एवं बाद म रस नचोड़कर
पीने से से वका के समान मन को आनंद दे ती है, उसी कार म द्गण भी लोग को स
करते ह. ी के समान आयुध इनके कंध को चूमते ह एवं इनके हाथ म ह त ाण तथा
तलवार सुशो भत है. (३)
अव वयु ा दव आ वृथा ययुरम याः कशया चोदत मना.
अरेणव तु वजाता अचु यवु हा न च म तो ाज यः.. (४)
म द्गण एक- सरे से मले ए वग से नीचे आते ह. हे म तो! अपनी वाणी से हम
े रत करो. तेज वी एवं पापर हत म द्गण अनेक य म जब उप थत होते ह तो थर
पवत भी कांपने लगते ह. (४)
को वोऽ तम त ऋ व ुतो रेज त मना ह वेव ज या.
ध व युत इषां न याम न पु ैषा अह यो३ नैतशः.. (५)
हे आयुधधारी म तो! जबड़ को चलाने वाली जीभ के समान तु हारे भीतर रहकर तु ह
कौन चलाता है? अथात् कोई नह . जल बरसाने वाला बादल जस कार दन म चलता है,
उसी कार यजमान अ ा त करने के लए तु ह चलाता है. (५)
व वद य रजसो मह परं वावरं म तो य म ायय.
य यावयथ वथुरेव सं हतं
णा पतथ वेषमणवम्.. (६)
हे म तो! उस वशाल वषा जल का आ द और अंत कहां है? जसे बरसाने के लए
तुम जस समय ढ ली घास के समान जल को बखराते हो, उस समय तेज वी बादल को
व
ारा टु कड़े-टु कड़े कर दे ते हो. (६)
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सा तन वोऽमवती ववती वेषा वपाका म तः प प वती.
भ ा वो रा तः पृणतो न द णा पृथु यी असुयव ज ती.. (७)
हे म तो! तु हारे धन के समान ही तु हारा दान भी शंसनीय है. इं तु हारे दान म
सहायता करते ह. उस म सुख, तेज, फल का प रपाक एवं कसान का क याण है. तु हारा
दान दाता क द णा के समान तुरंत फल दे ने वाला एवं अपनी श के समान सबको हराने
वाला है. (७)
त ोभ त स धवः प व यो यद यां वाचमुद रय त.
अव मय त व ुतः पृ थ ां यद घृतं म तः ु णुव त.. (८)
जस समय नीचे गरने वाला जल चलता है, उस समय व के श द के समान गजन
करता है. जब म द्गण धरती पर जल बरसाते ह, उस समय बजली नीचे क ओर मुंह
करके कट हो जाती है. (८)
असूत पृ महते रणाय वेषमयासां म तामनीकम्.
ते स सरासोऽजनय ता वमा द वधा म षरां पयप यन्.. (९)
पृ ने शी ग त वाले म त के समूह को वशाल यु के लए ज म दया है. समान
प वाले म त ने जल को उ प कया. इसके प ात् सब लोग ने अ भल षत अ के
दशन कए. (९)
एष वः तोमो म त इयं गीमा दाय य मा य य कारोः.
एषा यासी त वे वयां व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१०)
हे म तो! आदर के यो य मांदय क व का यह तु तसमूह तु हारे लए है. यह तु त तु ह
इस अ भलाषा से ा त होती है क तु तक ा का शरीर पु हो. हम भी इस तु त ारा
अ , बल एवं द घ-आयु ा त कर. (१०)
सू —१६९
दे वता—इं
मह व म यत एता मह द स यजसो व ता.
स नो वेधो म तां च क वा सु ना वनु व तव ह े ा.. (१)
हे इं ! तुम र ा करने वाले महान् म त को नह छोड़ते हो, इस लए तुम न त प
से महान् हो. हे म त को बुलाने वाले! तुम हमारे त अनु ह करके हम अ यंत य सुख
दान करो. (१)
अयु
तइ
व कृ ी वदानासो न षधो म य ा.
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म तां पृ सु तहासमाना वम ह य धन य सातौ.. (२)
हे इं ! सब मनु य के वामी, मनु य के क याण के लए जल बरसाने वाले एवं
व ान् म द्गण तु हारे साथ मल. म त क सेना उस यु म वजय पाने के लए हंसती
ई सदा आगे बढ़ है जो सुख पाने के हेतु लड़ा जाता है. (२)
अ य सा त इ ऋ र मे सने य वं म तो जुन त.
अ न
मातसे शुशु वानापो न पं दध त यां स.. (३)
हे इं ! तु हारा वशेष आयुध व हमारी उ त के लए बादल के पास प ंचता है.
म त् भी चरकाल से एक कए ए जल को धरती पर बरसा दे ते ह. अ न भी महान् य
के लए द त ए ह. जस कार जल प को धारण करता है, उसी कार अ न ह को
धारण करता है. (३)
वं तू न इ तं र य दा ओ ज या द णयेव रा तम्.
तुत या ते चकन त वायोः तनं न म वः पीपय त वाजैः.. (४)
हे दाता इं ! तुम वह धन हम दो जो तु हारे दे ने यो य है, जस कार यजमान अ धक
द णा दे कर ऋ वज् को स करता है, उसी कार म भी तु ह स क ं गा. तोता शी
वर दे ने वाले तु हारी तु त करना चाहते ह. जस कार लोग ध पाने के लए नारी के तन
को पु करते ह, उसी कार हम तु ह अ दे कर पु करगे. (४)
वे राय इ तोशतमाः णेतारः क य च तायोः.
ते षु णो म तो मृळय तु ये मा पुरा गातूय तीव दे वाः.. (५)
हे इं ! तु हारा धन परम संतोषदाता एवं यजमान के य को पूरा करने वाला है. वे
म द्गण हम स कर जो पहले ही य म आने के लए त पर ह. (५)
त याही मी षो नॄ महः पा थवे सदने यत व.
अध यदे षां पृथुबु नास एता तीथ नायः प या न त थुः.. (६)
हे इं ! तुम जल बरसाने वाले व के नेता एवं महान् मेघ के स मुख जाओ एवं
अंत र म थत रहकर य न करो. जस कार यु
े म राजा क सेनाएं ठहरती ह, उसी
कार म त के चौड़े खुर वाले घोड़े थत होते ह. (६)
त घोराणामेतानामयासां म तां शृ व आयतामुप दः.
ये म य पृतनाय तमूमैऋणावानं न पतय त सगः.. (७)
हे इं ! भयानक, काले रंग वाले एवं गमनशील म त के आने का श द सुनाई दे रहा है.
जस कार अधम श ु को पीड़ा दे कर उसका धन छ नते ह, उसी कार म द्गण अपने
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र णोपाय
ारा अपने श ु मेघ को गरा लेते ह. (७)
वं माने य इ व ज या रदा म
ः शु धो गोअ ाः.
तवाने भः तवसे दे व दे वै व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (८)
हे सम त ा णय को ज म दे ने वाले इं ! तुम म त के साथ आओ और अपनी
त ा बढ़ाने के लए शोकना शनी एवं जलधारण करने वाली घटा को वद ण करो. हे दे व!
तु त कए जाते ए दे वगण तु हारी तु त करते ह. हम अ , बल और द घ आयु दो. (८)
सू —१७०
दे वता—इं
न नूनम त नो ः क त े द यद तम्.
अ य य च म भ स चरे यमुताधीतं व न य त.. (१)
इं ने कहा—“आज या कल वा तव म कुछ नह है. जो काय व च है, उसे कौन
जानता है? अ य लोग का मन इतना चंचल होता है क वे जो भी पढ़ते ह, सो भूल जाते ह.”
(१)
क न इ जघांस स ातरो म त तव.
ते भः क प व साधुया मा नः समरणे वधीः.. (२)
अग य बोले—“हे इं ! तुम या मुझे मारना चाहते हो? अपने ाता म त के साथ
जाकर भली कार य के भाग का भोग करो. सं ाम म हमारी ह या मत करना.” (२)
क नो ातरग य सखा स त म यसे.
व ा ह ते यथा मनोऽ म य म द स स.. (३)
इं बोले—“हे भाई अग य! तुम म होकर हमारा अपमान य कर रहे हो? तु हारे
मन म जो बात है, उसे हम जानते ह. तुम हम ह दे ना नह चाहते हो.” (३)
अरं कृ व तु वे द सम न म धतां पुरः. त ामृत य चेतनं य ं ते तनवावहै.. (४)
हे ऋ वजो! तुम वेद को अलंकृत करो एवं हमारे सामने अ न को जलाओ. हम और
तुम उस अ न म अमृत क सूचना दे ने वाला यह करगे.” (४)
वमी शषे वसुपते वसूनां वं म ाणां म पते धे ः.
इ वं म
ः सं वद वाध ाशान ऋतुथा हव ष.. (५)
अग य ने कहा—“हे धन के अ धप त, म के म , सबके वामी एवं आ य इं !
तुम म त से कहो क हमारा य पूरा हो गया है. तुम ठ क समय पर आकर हमारा ह
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भ ण करो.” (५)
सू —१७१
दे वता—म द्गण
त व एना नमसाहमे म सू े न भ े सुम त तुराणाम्.
रराणता म तो वे ा भ न हेळो ध व मुच वम ान्.. (१)
हे वेगशाली म तो! म अपना नम कार और तु त वचन लेकर तु हारे समीप आता ं
एवं तु हारी दया क याचना करता ं. तुम तु तय से च
स करो, ोध यागो और
घोड़ को रथ से अलग कर दो. (१)
एष वः तोमो म तो नम वा दा त ो मनसा धा य दे वाः.
उपेमा यात मनसा जुषाणा यूयं ह ा नमस इद्वृधासः.. (२)
हे तेज वी म तो! तु हारे त बोला जा रहा तो अ स हत है. यह तो तुम म
ा रखने वाली बु से नकला है, इस लए हमारे त कृपा करके मन से इसे सुनो एवं
इसे वीकार करके शी आओ. तुम ह व प अ क वृ करने वाले हो. (२)
तुतासो नो म तो मृळय तूत तुतो मघवा श भ व ः.
ऊ वा नः स तु को या वना यहा न व ा म तो जगीषा.. (३)
हे म तो! तु त सुनकर हम सुखी करो. सवा धक सुखदाता इं हम स कर. हे
म तो! हम जतने दन जी वत रह, वे दन सबसे अ धक उ म, चाहने यो य एवं भोगपूण
ह . (३)
अ मादहं त वषाद षमाणा इ ा या म तो रेजमानः.
यु म यं ह ा न शता यास ता यारे चकृमा मृळता नः.. (४)
हे म तो! हम इस बलवान् इं के भय से कांपते ए भागने लगे. हमने तु हारे लए जो
ह व तैयार कया था, उसे र कर लया. तुम हमारी र ा करो. (४)
येन मानास तय त उ ा ु षु शवसा श तीनाम्.
स नो म
वृषभ वो धा उ उ े भः थ वरः सहोदाः.. (५)
हे इं ! तुझ बलशाली के अनु ह से अ भमानपूण करण न य त उषाकाल होने पर
ा णय को जगा दे ती ह. हे कामवष , उ , श ु को हराने वाले बल के दाता एवं पुरातन
इं ! तुम परम बलशाली म त के साथ मलकर हम अ दो. (५)
वां पाही सहीयसो नॄ भवा म
रवयातहेळाः.
सु केते भः सास हदधानो व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (६)
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हे इं ! तुम म त क र ा करो. तु हारी कृपा से ही वे अ धक श शाली बने ह.
म त के साथ-साथ हमारे त भी ोधर हत बनो. शोभन बु
वाले म त के साथ
मलकर तुम श ु को हराते ए हमारे त कृपालु बनो. हम अ , बल और द घ आयु
ा त कर. (६)
दे वता—म द्गण
सू —१७२
च ो वोऽ तु याम
ऊती सुदानवः. म तो अ हभानवः.. (१)
हे म तो! हमारे य म तु हारा आगमन आ यजनक हो. हे शोभन दान एवं उ म
काश वाले म तो! आपका शुभ आगमन हमारी र ा करे. (१)
आरे सा वः सुदानवो म त ऋ
ती श ः. आरे अ मा यम यथ.. (२)
हे शोभनदानशील म तो! तु हारे चमकते ए एवं हसक आयुध हमसे र रह. तु हारे
ारा फका गया पाषाणमय आयुध हमसे र रहे. (२)
तृण क द य नु वशः प रवृङ्
सुदानवः. ऊ वा ः कत जीवसे.. (३)
हे शोभन दान वाले म तो! य प मेरी जा तनक के समान तु छ ह तथा प उनक
र ा करो तथा हम चरकाल तक जी वत रहने के लए उ त करो. (३)
सू —१७३
दे वता—इं
गाय साम नभ यं१ यथा वेरचाम त ावृधानं ववत्.
गावो धेनवो ब ह यद धा आ य स ानं द ं ववासान्.. (१)
हे इं ! उद्गाता सामवेद को इस कार गाता है क वह आकाश म गूंज जाए और आप
उसे समझ ल. हम उस बढ़ते ए सामगान क पूजा वग के समान करते ह. जस कार
धा और हसार हत गाएं अपने थान पर बैठती ह, उसी कार म तु हारी सेवा करता ं.
(१)
अचद्वृषा वृष भः वे ह ैमृगो ना ो अ त य जुगुयात्.
म दयुमनां गूत होता भरते मय मथुना यज ः.. (२)
यजमान ह दे ने वाले अ वयु को साथ लेकर इं क पूजा करते ह. वे सोचते ह क इं
यासे मृग के समान ह के त शी आ जाएंगे. हे बलशाली इं ! तो क इ छा करने
वाले दे व क तु त करता आ होता, यजमान एवं उसक प नी भली कार य पूरा करते
ह. (२)
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न
ोता प र स मता य भरद्गभमा शरदः पृ थ ाः.
दद ो नयमानो वद्गौर त तो न रोदसी चर ाक्.. (३)
हवन पूण करने वाले अ न, गाहप य आ द थान के चार ओर फैले ह एवं वष भर म
धरती से उ प होने वाले अ को धारण करते ह. अ न घोड़े और बैल क तरह श द करते
ए ह व का अ लेकर धरती और आकाश के म य म त के समान बात करते ह. (३)
ता कमाषतरा मै यौ ना न दे वय तो भर ते.
जुजोष द ो द मवचा नास येव सु यो रथे ाः.. (४)
हम इं को ल य करके अ यंत ापक ह व दान करगे. दे व को अपने अनुकूल
बनाने के लए यजमान उ म तो पढ़ते ह. अ नीकुमार के समान तेज वी, सुंदर एवं
सुख से ा त करने यो य इं रथ पर बैठकर हमारी तु तय को सुन. (४)
तमु ु ही ं यो ह स वा यः शूरो मघवा यो रथे ाः.
तीच
ोधीया वृष वा वव ुष
मसो वह ता.. (५)
हे होता! इं क तु त करो. वे अनंत श वाले, शूर, धनवान्, रथ पर थर, सामने
लड़ने वाले यो ा म उ म, व धारणक ा एवं मेघ के वनाशक ह. (५)
य द था म हना नृ यो अ यरं रोदसी क ये३ ना मै.
सं व इ ो वृजनं न भूमा भ त वधावाँ ओपश मव ाम्.. (६)
इं अपने मह व के कारण य क ा यजमान को वग दान करने म समथ ह. धरती
और आकाश उनके संचरण के लए पया त नह ह. जैसे बैल स ग को धारण करता है, उसी
कार अ के वामी इं वग को धारण करते ह. जैसे आकाश धरती को घेरे ए है, उसी
कार इं तीन लोक को ा त करते ह. (६)
सम सु वा शूर सतामुराणं प थ तमं प रतंसय यै.
सजोषस इ ं मदे ोणीः सू र च े अनुमद त वाजैः.. (७)
हे शूर इं ! तुम यु म उन लोग को बल दान करते हो एवं उ म माग दखाते हो,
जो तु हारा ही आ य लेकर यु म वृ होते ह. तु हारी सेवा करके स होने वाले
म द्गण यु म य न करते ह. (७)
एवा ह ते शं सवना समु आपो य आसु मद त दे वीः.
व ा ते अनु जो या भूदगौः
् सूर
द धषा वे ष जनान्.. (८)
हे इं ! तु हारे उ े य से कए गए सोम याग इस कार सुखकर ह क आकाश म
थत द -जल जा के क याण के लए तु ह स कर. तो
पी सम त वाणी तु ह
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स करे और तुम वषा करके तु तक ा भ
क इ छा पूरी करो. (८)
असाम यथा सुषखाय एन व भ यो नरां न शंसैः.
अस था न इ ो व दने ा तुरो न कम नयमान उ था.. (९)
हे वामी इं ! ऐसी कृपा करो क हम तु हारे सखा बनकर अपनी तु तय ारा उसी
कार अपनी अ भलाषाएं पूण कर सक, जस कार राजा क तु त से करते ह. हे इं ! हम
जस समय तु त कर, उस समय तुम उप थत होकर हमारी तु तय के साथ ही हमारे य
को भी शी वीकार करो. (९)
व पधसो नरां न शंसैर माकास द ो व ह तः.
म ायुवो न पूप त सु श ौ म यायुव उप श त य ैः.. (१०)
मनु य जस कार तु त ारा वरो धय को म बना लेते ह. उसी कार हम भी इं
को सखा बनाएंगे. व धारी इं क श हमारी बनेगी. जस कार म बनने के इ छु क
लोग नगर के यो य शासक वामी क पूजा करते ह, उसी कार हम ी और यश ा त करने
क इ छा वाले अ वयु इं क पूजा करते ह. (१०)
य ो ह मे ं क
ध ु राण मनसा प रयन्.
तीथ ना छा तातृषाणमोको द घ न स मा कृणो य वा.. (११)
य का अनु ान करने वाला य
ारा इं क ओर बढ़ता है एवं कु टल ग त
सदा मन म ःखी रहता है, जैसे माग म व छ जल सामने पाकर यासा
स होता है
एवं जल तक दे र म प ंचने वाला टे ढ़ा माग यासे को ःखी करता है. (११)
मो षू ण इ ा पृ सु दे वैर त ह मा ते शु म वयाः.
मह
य मीळ् षो य ा ह व मतो म तो व दते गीः.. (१२)
हे इं ! सं ाम उप थत होने पर म द्गण के साथ हम छोड़ मत दे ना. हे श शाली!
तु हारा य भाग म त से अलग है. हमारी फल से मली ई तु त ह वयु एवं दानशील
म त क वंदना करती है. (१२)
एष तोम इ तु यम मे एतेन गातुं ह रवो वदो नः.
आ नो ववृ याः सु वताय दे व व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१३)
हे इं ! यह तु तसमूह तु हारे लए है. हे अ वामी इं ! इस तो
पी माग से हमारे
य को जानो और सहज ही हमारे समीप आओ. हम अ , बल और द घ आयु ा त कर.
(१३)
सू —१७४
दे वता—इं
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वं राजे ये च दे वा र ा नॄ पा सुर वम मान्.
वं स प तमघवा न त
वं स यो वसवानः सहोदाः.. (१)
हे इं ! तुम सम त व और दे व के राजा हो. तुम मनु य क र ा करो. हे श ुनाशक!
तुम हमारा पालन करो. तुम स जन के पालक, धन के वामी एवं हमारे उ ारक ा हो. तुम
स य फल वाले, अपने तेज से सबको ढकने वाले एवं तु तकता के श दाता हो. (१)
दनो वश इ मृ वाचः स त य पुरः शम शारद दत्.
ऋणोरपो अनव ाणा यूने वृ ं पु कु साय र धीः.. (२)
हे इं ! जस समय तुमने पूरे वष तक ढ़ क गई सात नग रय को न कया था, उस
समय वहां रहने वाली एवं मायाचना करती ई जा का सुख से दमन कया था. हे
अ न दत इं ! तुमने बहने वाला जल दया एवं त ण अव था वाले राजा पु कु स के
क याण के न म वृ का हनन कया था. (२)
अजा वृत इ शूरप नी ा च ये भः पु त नूनम्.
र ो अ नमशुषं तूवयाणं सहो न दमे अपां स व तोः.. (३)
हे ब त ारा तु य इं ! तुम असुर ारा र त पु रय को जीतते जाते हो. तुम वहां से
म त् आ द अनुचर स हत वग म जाते हो. वहां तुम अशांत एवं शी गंता अ न क इस लए
र ा करते हो क वे य गृह म अपना य कम पूरा कर सक. जैसे सह वन क र ा करता है,
उसी कार तुम अ न क र ा करते हो. (३)
शेष ु त इ स म यो ौ श तये पवीरव य म ा.
सृजदणा यव य ुधा गा त री धृषता मृ वाजान्.. (४)
हे इं ! तु हारे श ु व क शंसा के बहाने तु हारी म हमा का वणन करते ए अपने
उप
थान म सो जाव. जब तुम हार का साधन व लेकर जाते हो, तब नीचे क ओर
जल बरसाते हो और अपने अ वाले रथ पर बैठते हो. तुम अपनी श
से फसल क
वृ करते हो. (४)
वह कु स म य म चाक यूम यू ऋ ा वात या ा.
सूर ं वृहतादभीकेऽ भ पृधो या सष बा ः.. (५)
हे इं ! जस य म तुम कु स ऋ ष क इ छा करते हो एवं अपने सततगामी, सरलग त
वाले एवं वायुवेग वाले घोड़ को हांककर ले जाते हो, सूय अपने रथ का च उस य के
समीप ले जाव एवं व हाथ म पकड़ने वाले इं सं ाम करने वाले श ु का सामना कर.
(५)
जघ वाँ इ म े चोद वृ ो ह रवो अदाशून्.
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ये प य यमणं सचायो वया शूता वहमाना अप यम्.. (६)
हे अ वामी इं ! तुमने तो से वृ
ा त करके ऐसे लोग का वध कया जो दान
नह दे ते थे और तु हारे म यजमान के श ु थे. जो तु ह आ यदाता के प म दे खते एवं
जो ह दे ने के लए तु हारे सामने आते ह, वे तुमसे संतान पाते ह. (६)
रप क व र ाकसातौ ां दासायोपबहण कः.
कर
ो मघवा दानु च ा न य णे कुयवाचं मृ ध ेत्.. (७)
हे इं ! अ ा त के न म
ांतदश होता तु हारी तु त करता है. तुमने दास असुर
का वध करके धरती को उसक श या बनाया था. इं ने तीन भू मय का दान पी व च
काय करके य ण राजा के क याण के लए कुयवाच को मारा था. (७)
सना ता त इ न ा आगुः सहो नभोऽ वरणाय पूव ः.
भन पुरो न भदो अदे वीननमो वधरदे व य पीयोः.. (८)
हे इं ! नवीनतम ऋ ष तु हारे अ त ाचीन वीरकम क तु त करते ह. तुमने यु
समा त करने के लए अनेक हसक को समा त कया है. तुमने वरो धय के दे वशू य नगर
को न कया तथा दानर हत वरोधी वृ के ऊपर अपना व झुकाया. (८)
वं धु न र धु नमतीऋणोरपः सीरा न व तीः.
य समु म त शूर प ष पारया तुवशं य ं व त.. (९)
हे इं ! तुम श ु को कं पत करने वाले हो, इस लए बहती ई सीरा नद के समान
तरंग वाला जल धरती पर बहाते हो. हे शूर! तुमने सागर को जल से पूण करते समय य
और तुवसु राजा का पालन करके उनका क याण कया. (९)
वम माक म व ध या अवृकतमो नरां नृपाता.
स नो व ासां पृधां सहोदा व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१०)
हे इं ! तुम सदा हमारे उ म र क एवं मनु य के र क बनो, तुम हमारी सेना को बल
दान करो. हम अ , धन और द घ आयु ा त कर. (१०)
सू —१७५
दे वता—इं
म यपा य ते महः पा येव ह रवो म सरो मदः.
वृषा ते वृ ण इ वाजी सह सातमः.. (१)
हे अ वामी इं ! महान् एवं पू य सोमरस जस कार पा म रखा है, उसी कार तुम
भी इसे वीकार करो. तुम इसे पीकर स ता ा त करोगे. हे कामवष इं ! यह सोम तु हारी
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अ भलाषा पूण करके अ भमत सुख दे गा. (१)
आ न ते ग तुम सरो वृषा मदो वरे यः. सहावाँ इ
हे इं ! स तादाता, कामवष , तृ त करने वाला,
नाश करने वाला एवं अ वनाशी सोमरस तु ह मले. (२)
सान सः पृतनाषाळम यः.. (२)
े ,श
शाली, श ु सेना
का
वं ह शूरः स नता चोदयो मनुषो रथम्. सहावा द युम तमोषः पा ं न शो चषा.. (३)
हे शूर एवं दाता इं ! मुझ मनु य क अ भलाषा पूरी करो. सोमरस तु हारा सहायक है.
अ न जस कार अपनी लपट से अपने ही आधारभूत पा को जलाता है, उसी कार तुम
तहीन असुर को न करो. (३)
मुषाय सूय कवे च मीशान ओजसा. वह शु णाय वधं कु सं वात या ैः.. (४)
हे मेधावी एवं समथ इं ! तुमने अपनी श से सूय के एक प हए को चुरा लया था.
तुम शु ण नामक असुर का वध करने के लए वायु के समान तेज चलने वाले घोड़ क
सहायता से व लेकर आओ. (४)
शु म तमो ह ते मदो ु न तम उत तुः.
वृ ना व रवो वदा मंसी ा अ सातमः.. (५)
हे इं ! तु हारी स ता सबसे अ धक श शाली है एवं तु हारे य म सबसे अ धक
अ होता है. हे अ
प अनेक धन दे ने वाले इं ! तुम वृ घाती एवं धन दे ने वाले दोन य
का समथन करो. (५)
यथा पूव यो ज रतृ य इ मयइवापो न तृ यते बभूथ.
तामनु वा न वदं जोहवी म व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (६)
हे इं ! तुमने ाचीन तोता को उसी कार सुख दया, जस कार जल यासे
को स करता है. इसी कारण हम बार-बार तु हारी तु त करते ह क हम अ , बल
और द घ आयु ा त कर सक. (६)
सू —१७६
दे वता—इं
म स नो व यइ य इ म दो वृषा वश.
ऋघायमाण इ व स श ुम त न व द स.. (१)
हे सोम! तुम हमारी धन ा त के लए इं को स करो एवं कामवष इं के भीतर
वेश करो. तुम श ु क हसा करते ए उ ह घेर लेते हो. कोई भी श ु तु हारे समीप नह
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आता. (१)
त म ा वेशया गरो य एक षणीनाम्.
अनु वधा यमु यते यवं न चकृषद्वृषा.. (२)
हे होता! अपनी तु त पी वाणी को इं म था पत करो. वे ान वाले मनु य के
एकमा आ य ह. वधा श द के बाद उ ह भी ह अ दया जाता है. कसान जस कार
पके जौ को हण करता है, उसी कार इं हमारा ह
वीकार करते ह. (२)
य य व ा न ह तयोः प च तीनां वसु.
पाशय व यो अ म ु द ेनवाश नज ह.. (३)
जन इं के हाथ म ा ण,
य, वै य, शू और नषाद पांच कार के जन को
स करने वाला सभी कार का अ है, वे इं हमसे ोह करने वाले को व बनकर न
कर. (३)
असु व तं समं ज ह णाशं यो न ते मयः.
अ म यम य वेदनं द सू र दोहते.. (४)
हे इं ! सोमरस न नचोड़ने वाल , ःसा य वनाश वाल एवं सुख न प ंचाने वाल का
नाश करो. ऐसे लोग का धन हम दो. तु हारा तोता ही धन पाता है. (४)
आवो य य बहसोऽकषु सानुषगसत्.
आजा व ये दो ावो वाजेषु वा जनम्.. (५)
हे सोम! उस यजमान क र ा करो, जसके तो और ह संबंधी मं म तुम सदा
थत रहते हो. हे सोम! धन के लए होने वाले यु म अ के वामी इं क र ा करो. (५)
यथा पूव यो ज रतृ य इ मयइवापो न तृ यते बभूथ.
तामनु वा न वदं जोहवी म व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (६)
हे इं ! जस कार जल यासे को स करता है, उसी कार तुमने ाचीन तु तक ा
पर कृपा क थी. इसी लए म तु हारी सुखदायक तु त बार-बार कर रहा ं. म अ , बल एवं
द घ आयु ा त क ं . (६)
सू —१७७
दे वता—इं
आ चष ण ा वृषभो जनानां राजा कृ ीनां पु त इ ः.
तुतः व य वसोप म यु वा हरी वृषणा या वाङ् .. (१)
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धन आ द ारा सभी मनु य को स करने वाले, कामवष , सब लोग के वामी एवं
ब त ारा तुत इं हमारे पास आव. हे इं ! हमारी तु त सुनकर ह अ क इ छा करते
ए दोन कामवष घोड़ को रथ म जोड़कर हमारी र ा के लए सामने आओ. (१)
ये ते वृषणो वृषभास इ
युजो वृषरथासो अ याः.
ताँ आ त ते भरा या वाङ् हवामहे वा सुत इ सोमे.. (२)
हे इं ! तु हारे घोड़े त ण, उ म, कामवष , मं यु
पर सवार होकर, उनके साथ हमारे स मुख आओ. (२)
एवं रथ म जोड़ने यो य ह. तुम उन
आ त रथं वृषणं वृषा ते सुतः सोमः प र ष ा मधू न.
यु वा वृष यां वृषभ तीनां ह र यां या ह वतोप म क्.. (३)
हे इं ! अपने कामवष रथ पर बैठो, य क तु हारे लए नचोड़ा आ सोमरस और
मधुर घृत तैयार है. हे कामवष इं ! अपने घोड़ को रथ म जोड़ो और स कम करने वाले
यजमान पर अनु ह करने के लए शी गामी रथ से हमारे स मुख आओ. (३)
अयं य ो दे वया अयं मयेध इमा
ा यय म सोमः.
तीण ब हरा तु श
या ह पबा नष व मुचा हरी इह.. (४)
हे इं ! यह य दे व को ा त करने वाला है. यह य -संबंधी पशु, ये मं , यह नचोड़ा
आ सोमरस और बछे ए कुश, सब तु हारे लए ह. हे शत तु! तुम शी आओ और कुश
पर बैठकर सोमरस पओ. तुम इस य म अपने घोड़ को रथ से अलग करो. (४)
ओ सु ु त इ या वाङु प
ा ण मा य य कारोः.
व ाम व तोरवसा गृण तो व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (५)
हे भली कार तु य इं ! आदरणीय तोता के मं को वीकार करके हमारे सामने
आओ. तु त करते ए हम तु हारी र ा पाकर नवास थान के साथ ही अ , बल और द घ
आयु ा त करगे. (५)
सू —१७८
दे वता—इं
य या त इ
ु र त यया बभूथ ज रतृ य ऊती.
मा नः कामं महय तमा ध व ा ते अ यां पयाप आयोः.. (१)
हे इं ! तु हारी वह समृ सब जगह स है, जसके ारा तुम तोता क र ा म
समथ होते हो. हम महान् बनाने क अपनी अ भलाषा तुम समा त मत करो. तु हारी सभी
मानवो चत व तु को हम ा त कर. (१)
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न घा राजे आ दभ ो या नु वसारा कृणव त योनौ.
आप द मै सुतुका अवेष गम इ ः स या वय .. (२)
हे राजा इं ! पर पर ब हन-भाई बने ए रात- दन अपने उ प
थल म वषा द कम
करके हमारे य कम को समा त न कर. श दायक ह व इं को ा त होती है. इं हम
अपनी म ता एवं अ द. (२)
जेता नृ भ र ः पृ सु शूरः ोता हवं नाधमान य कारोः.
भता रथं दाशुष उपाक उ ता गरो य द च मना भूत्.. (३)
शूर इं यु के नेता म त के साथ यु म वजय ा त करते ह एवं कृपा क
अ भलाषा करने वाले तोता क पुकार सुनते ह. वे जस समय अपनी इ छा से तु तवचन
सुनना चाहते ह, उस समय अपना रथ ह दे ने वाले यजमान के पास ले आते ह. (३)
एवा नृ भ र ः सु व या खादः पृ ो अ भ म णो भूत्.
समय इषः तवते ववा च स ाकरो यजमान य शंसः.. (४)
यजमान उ म धन पाने क इ छा से जो अ दे ता है, उसे इं अ धक मा ा म खाते ह
और अपने भ यजमान के श ु को परा जत करते ह. वे भां त-भां त के श द वाले यु
म यजमान के य कम क शंसा करते ह एवं स चा फल दे ने के लए ह व हण करते ह.
(४)
वया वयं मघव
श ून भ याम महतो म यमानान्.
वं ाता वमु नो वृधे भू व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (५)
हे इं ! तु हारी सहायता से हम उन श ु का वध कर, जो अपने आपको बड़ा
श शाली मानते ह. तुम हमारे र क एवं पालनक ा बनो. हम अ , बल और द घ-आयु
ा त कर. (५)
सू —१७९
दे वता—र त
पूव रहं शरदः श माणा दोषा व तो षसो जरय तीः.
मना त यं ज रमा तनूनाम यू नु प नीवृषणो जग युः.. (१)
लोपामु ा बोली—“हे अग य! म पूवका लक अनेक वष से रात, दन और उषा काल
म शरीर को जीण करती ई तु हारी सेवा म लगी रही ं. इस समय बुढ़ापा मेरे अंग का
स दय न कर रहा है. या इस अव था म पु ष ना रय के साथ समागम न कर? (१)
ये च
पूव ऋतसाप आस साकं दे वे भरवद ृता न.
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ते चदवासुन
तमापुः समू नु प नीवृष भजग युः.. (२)
“हे अग य! ाचीन मह षय ने स य को ा त कया. वे दे व के साथ स य बोलते थे.
उ ह ने भी प नय म वीय का खलन कया और इस काय को समा त नह कया. तप या
करती ई प नयां भोग समथ प तय के समीप जाती थ .” (२)
न मृषा ा तं यदव त दे वा व ा इ पृधो अ य वाव.
जयावेद शतनीथमा ज य स य चा मथुनाव यजाव.. (३)
अग य ने उ र दया—“हे प नी! हम लोग थ ही नह थके ह. हमारी तप या से
स दे व हमारी र ा करते ह. हम सभी भोग को भोगने म समथ ह. य द हम और तुम
इ छा कर तो इस संसार म अब भी सुखसंभोग के सैकड़ साधन ा त कर सकते ह. (३)
नद य मा धतः काम आग त आजातो अमुतः कुत त्.
लोपामु ा वृषणं नी रणा त धीरमधीरा धय त स तम्.. (४)
“हे प नी! म मं के जप और
चय पालन म लगा रहा. फर भी न जाने कस
कारण मुझम काम भाव उ प हो गया. तुम लोपामु ा वीय सेचन समथ मुझ प त के साथ
संगत हो जाओ. तुम अधीर नारी बनकर मुझ महा ाण पु ष का भोग करो.” (४)
इमं नु सोमम ततो सु पीतमुप ुवे.
य सीमाग कृमा त सु मृळतु पुलुकामो ह म यः.. (५)
श य कहने लगा—“उदर म पया आ सोमरस मुझे सब पाप से छु ड़ाकर सुखी करे,
यह ाथना म स चे मन से कर रहा ं. मने जो पाप कया है, उससे मेरी र ा हो. य मनु य
मन म ब त सी कामनाएं करता है? (५)
अग यः खनमानः ख न ैः जामप यं बल म छमानः.
उभौ वणावृ ष ः पुपोष स या दे वे वा शषो जगाम.. (६)
“मेरे गु अग य ने य
ारा अ भमत फल एवं ब त सी संतान क इ छा क . उ ह ने
काम और संयम दोन उ म गुण ा त कए एवं दे व से स चा आशीवाद पाया.” (६)
सू —१८०
दे वता—अ नीकुमार
युवो रजां स सुयमासो अ ा रथो य ां पयणा स द यत्.
हर यया वां पवयः ुषाय म वः पब ता उषसः सचेथे.. (१)
हे अ नीकुमारो! तीन लोक म जाने वाले तु हारे रथ के घोड़े तु ह अ भमत थान म
प ंचा दे ते ह. उस समय तु हारे सुनहरे रथ क ने मयां तु हारी इ छा पूरी करती ह. तुम
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ातःकाल सोमरस पीते ए हमसे मलो. (१)
युवम य याव न थो य प मनो नय य य योः.
वसा य ां व गूत भरा त वाजाये े मधुपा वषे च.. (२)
हे सबके ारा
तु हारे आने के लए
करता है, उस समय
एवं वशेष प से पू
तु य एवं मधुपानक ा अ नीकुमारो! तु हारी ब हन उषा जस समय
भात करती है एवं यजमान अ और बल पाने के लए तु हारी तु त
तुम दोन का न यगामी, व वध ग तय वाला, मनु य का हतकारक
य रथ पहले ही चल दे ता है. (२)
युवं पय उ यायामध ं प वमामायामव पू गोः.
अ तय ननो वामृत सू ारो न शु चयजते ह व मान्.. (३)
हे अ नीकुमारो! तुमने गाय को धा बनाया है. तुम गाय के थन म पहले से पके
ए ध को था पत करते हो. हे स य प! चोर वन के वृ म जस सावधानी से छपा
रहता है, उसी सावधानी से शु एवं ह यु यजमान तु हारी तु त करता है. (३)
युवं ह घम मधुम तम येऽपो न ोदोऽवृणीतमेषे.
त ां नराव ना प इ ी र येव च ा त य त म वः.. (४)
हे अ नीकुमारो! तुमने सुख के इ छु क अ मु न के लए गरम ध और घी क
न दयां बहा द थ . हे नेताओ! हम इसी लए तु हारे लए अ न म य करते ह. रथ का
प हया जस कार ढालू माग पर अपने आप चलता है, उसी कार सोमरस तु ह वतः ा त
होता है. (४)
आ वां दानाय ववृतीय द ा गोरोहेण तौ यो न ज ः.
अपः ोणी सचते मा हना वां जूण वाम ुरंहसो यज ा.. (५)
हे श ुनाशक अ नीकुमारो! तु राजा के पु भु यु ने जस कार तु ह बुलाया था,
उसी कार म अपनी तु तय ारा तु ह अपने य म बुला लूंगा. तु हारी कृपा से ही धरती
और आकाश मले ह. हे य वा मयो! यह बूढ़ा बल ऋ ष पाप से छू ट कर द घ जीवन
ा त करे. (५)
न य ुवेथे नयुतः सुदानू उप वधा भः सृजथः पुर धम्.
ेष े ष ातो न सू ररा महे ददे सु तो न वाजम्.. (६)
हे शोभनदानशील अ नीकुमारो! जब तुम अपने नयुत नाम के घोड़ को रथ म
जोड़ते हो, उस समय धरती को अ से पूण बना दे ते हो. यह यजमान तु ह वायु के समान
शी स करे एवं तु हारी कामना करे. इसके बाद यजमान उ म कम करने वाले
के
समान अ ा त करता है. (६)
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वयं च वां ज रतारः स या वप यामहे व प ण हतावान्.
अधा च
मा नाव न ा पाथो ह मा वृषणाव तदे वम्.. (७)
हम भी तु हारे तोता एवं स य बोलने वाले ह. हम तु हारी तु त कर रहे ह. तुम य न
करने वाले परम धनी का याग करो. हे शंसनीय एवं कामवष अ नीकुमारो! तुम दे व के
समीप सोमरस पओ. (७)
युवां च
मा नावनु ू व य
वण य सातौ.
अग यो नरां नृ ु श तः काराधुनीव चतय सह ैः.. (८)
हे अ नीकुमारो! जस कार शंख श द करता है, उसी कार य क ा मनु य म
उ म अग य ऋ ष हजार तु तय ारा त दन तु ह जगाते ह. वे ी म का ःख र करने
वाला वषा का जल चाहते ह. (८)
य हेथे म हना रथ य य ा याथो मनुषो न होता.
ध ं सू र य उत वा व ं नास या र यषाचः याम.. (९)
हे अ नीकुमारो! तुम अपने रथ क म हमा से हमारा य पूण करते हो. हे ग तशीलो!
तुम यजमान के होता के समान य के आरंभ म आकर य के अंत म जाओ. तुम तोता
को उ म अ
दान करो. हम भी धन ा त करगे. (९)
तं वां रथं वयम ा वेम तोमैर ना सु वताय न म्.
अ र ने म प र ा मयानं व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (१०)
हे अ नीकुमारो! हम तु तय ारा तु हारे शी ग त वाले, शंसनीय, आकाश म उड़ने
वाले तथा न टू टने यो य ने म वाले रथ को अपने य म बुलाते ह, जससे हम अ , बल और
द घ आयु ा त कर सक. (१०)
सू —१८१
दे वता—अ नीकुमार
क े ा वषां रयीणाम वय ता य नीथो अपाम्.
अयं वां य ो अकृत श तं वसु धती अ वतारा जनानाम्.. (१)
हे यतम अ नीकुमारो! तुम य के अ पी धन को कब ऊपर ले जाओगे और
य को पूण करने क इ छा से वषा का जल नीचे गराओगे? तुम धन धारणक ा एवं
मनु य के आ यदाता हो. यह य तु हारी शंसा के प म ही कया जा रहा है. (१)
आ वाम ासः शुचयः पय पा वातरंहसो द ासो अ याः.
मनोजुवो वृषणो वीतपृ ा एह वराजो अ ना वह तु.. (२)
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हे अ नीकुमारो! तु हारे घोड़े शु , वषा का जल पीने वाले, वायु के समान शी गामी,
द , मन के समान तेज चाल वाले, जवान और सुंदर पीठ वाले ह. वे तु ह इस य म लाव.
(२)
आ वां रथोऽव नन व वा सृ व धुरः सु वताय ग याः.
वृ णः थातारा मनसो जवीयानह पूव यजतो ध या यः.. (३)
हे ऊंचे थान के यो य एवं अपने रथ म बैठे ए अ नीकुमारो! तुम धरती के समान
व तृत, बड़े जुआर वाले, वषा करने म समथ, मन के समान होड़ने वाले, अहंकारी एवं य
के यो य अपने रथ को य थल म ले आओ. (३)
इहेह जाता समवावशीतामरेपसा त वा३ नाम भः वैः.
ज णुवाम यः सुमख य सू र दवो अ यः सुभगः पु ऊहे.. (४)
हे सूयचं
प म ज म हण करने वाले पापर हत अ नीकुमारो! तु हारे शरीर क
सुंदरता एवं माहा य के कारण म बार-बार तु हारी तु त कर रहा ं. तुम म से एक चं
बनकर य
वतक के प म संसार को धारण करता है और सरा सूय के प म आकाश
का पु बनकर शोभन र मय से संसार का पालन करता है. (४)
वां नचे ः ककुहो वशाँ अनु पश पः सदना न ग याः.
हरी अ य य पीपय त वाजैम ना रजां य ना व घोषैः.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुम म से एक का पीले रंग का े रथ हमारी इ छा के अनुसार
य भू म म आ जाए एवं सरे को मनु य तु तयां तथा उसके घोड़ को मथा आ खा
दे कर स करे. (५)
वां शर ा वृषभो न न षाट् पूव रष र त म व इ णन्.
एवैर य य पीपय त वाजैवष ती वा न ो न आगुः.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुम म से एक बादल को तोड़ते ए इं के समान श ु को भगाते
ह एवं ब त से अ क अ भलाषा करते ए जाते ह सरे को गमन के लए यजमान लोग
ह
ारा स करते ह. उनके स होने पर कनार को तोड़ने वाली जल से भरी न दयां
हमारे पास आती ह. (६)
अस ज वां थ वरा वेधसा गीवाळ् हे अ ना ेधा र ती.
उप तुताववतं नाधमानं याम याम छृ णुतं हवं मे.. (७)
हे वधाता अ नीकुमारो! तु ह ढ़ बनाने के लए अ यंत उ म तु तयां बनाई गई ह.
वे तीन कार से तु हारे पास प ंचती ह. तुम तु त सुनकर अभी फल चाहने वाले यजमान
क र ा करो एवं जाते ए अथवा खड़े होकर उसक पुकार सुनो. (७)
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उत या वां शतो व ससो गी ब ह ष सद स प वते नॄन्.
वृषां वां मेघो वृषणा पीपाय गोन सेके मनुषो दश यन्.. (८)
हे अ नीकुमारो! तुम तेज वी हो. तु हारी तु त तीन कुश से यु य गृह म यजमान
को स करे. हे कामवषको! तुमसे संबं धत बादल वषा करता आ मनु य को धन दे कर
स करे. (८)
युवां पूषेवा ना पुर धर नमुषां न जरते ह व मान्.
वे य ां व रव या गृणानो व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (९)
हे अ नीकुमारो! पूषा के समान बु मान् एवं ह धारण करने वाला तु हारा यजमान
अ न और उषा के समान तु हारी तु त करता है. सेवापरायण तोता के साथ-साथ यजमान
भी तु हारी तु त करता है, जससे हम अ , बल एवं द घ आयु ा त कर सक. (९)
सू —१८२
दे वता—अ नीकुमार
अभू ददं वयुनमो षु भूषता रथो वृष वा मदता मनी षणः.
धय
वा ध या व पलावसू दवो नपाता सुकृते शु च ता.. (१)
हे मेधावी ऋ वजो! मेरे मन म यह ान उ प आ है क अ नीकुमार का कामवष
रथ आ गया है. उनके सामने जाकर उ ह तु त से स करो. वे मुझ पु यवान् को कमबु
दे ने वाले, तु तयो य, व पला का क याण करने वाले, आ द य के नाती एवं प व कम करने
वाले ह. (१)
इ तमा ह ध या म मा द ा दं स ा र या रथीतमा.
पूण रथं वहेथे म व आ चतं तेन दा ांसमुप याथो अ ना.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम न य ही उ म वामी, तु त के यो य, म त म े ,
श ुनाशक, कम करने म अ तशय कुशल, रथ के वामी एवं र ा करने वाल म े हो. तुम
मधु से भरे ए रथ को सभी जगह ले जाते हो. तुम उसी रथ पर बैठकर य म आओ. (२)
कम द ा कृणुथः कमासाथे जनो यः क दह वमहीयते.
अ त म ं जुरतं पणेरसुं यो त ाय कृणुतं वच यवे.. (३)
हे अ नीकुमारो! तुम यहां या कर रहे हो? तुम इस मनु य के समीप य ठहरे हो?
यद
य र हत होकर भी लोग म आदर पा रहा हो तो उसे हराओ. उस प ण के ाण
का नाश करो. म मेधावी तु हारी तु त कर रहा ं. मुझे काश दो. (३)
ज भयतम भतो रायतः शुनो हतं मृधो वदथु ता य ना.
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वाचंवाचं ज रतू र नन कृतमुभा शंसं नास यावतं मम.. (४)
हे अ नीकुमारो! उनको मार डालो जो कु े के समान बुरी तरह भ कते ए हम मारने
आते ह अथवा हमसे यु करना चाहते ह. जो तु हारी तु त करता है, उसक येक बात
को सफल करो. हे नास यो! मेरी तु त क र ा करो. (४)
युवमेतं च थुः स धुषु लवमा म व तं प णं तौ याय कम्.
येन दे व ा मनसा न हथुः सुप तनी पेतथुः ोदसो महः.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुमने तु राजा के पु के लए सागर म तैरने वाली, ढ़ एवं डांड़
वाली नाव बनाई थी. सब दे व म तु ह ने कृपा करके उसे सागर से नकाला एवं तुमने सहसा
आकर वशाल सागर से उसका उ ार कया था. (५)
अव व ं तौ यम व१ तरनार भणे तम स व म्.
चत ो नावो जठल य जु ा उद या म षताः पारय त.. (६)
तु का पु भु यु श ु ारा नीचे को मुंह करके पानी म गराया गया था, इस लए
अंधकार म ब त ःखी था. सागर म उसे चार नाव मल जो अ नीकुमार ने भेजी थ . (६)
कः वद्वृ ो न तो म ये अणसो यं तौ यो ना धतः पयष वजत्.
पणा मृग य पतरो रवारभ उद ना ऊहथुः ोमताय कम्.. (७)
याचना करते ए तु पु ने जल के म य एवं वृ न मत जस न ल रथ का सहारा
लया था. वह या था? जस कार गरते ए ब ल पशु को स ग आ द से पकड़कर उठाते
ह, उसी कार भु यु क र ा करके तुमने ब त यश पाया. (७)
त ां नरा नास यावनु या ां मानास उचथमवोचन्.
अ माद सदसः सो यादा व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (८)
हे नेता अ नीकुमारो! तुम अपने भ
ारा कए गए तु त वचन को वीकार करो.
तुम आज हमारे ारा कए जाते ए सोम माग के तो को वीकार करो, जससे हम अ ,
बल और द घ आयु ा त कर. (८)
सू —१८३
दे वता—अ नीकुमार
तं यु ाथां मनसो यो जवीयान् व धुरो वृषणा य च ः.
येनोपयाथः सुकृतो रोणं धातुना पतथो वन पणः.. (१)
हे कामवष अ नीकुमारो! उस रथ म घोड़े जोड़ो जो मन क अपे ा अ धक वेगशील,
सार थ के बैठने के तीन थान से यु , तीन प हय वाला, तीन धातु से मढ़ा आ एवं
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इ छा पूरी करने वाला है. जैसे प ी पंख के सहारे तेजी से उड़ता है, उसी कार तुम उस रथ
से य करने वाले यजमान के पास जाते हो. (१)
सुवृ थो वतते य भ ां य
थः तुम तानु पृ े.
वपुवपु या सचता मयं गी दवो ह ोषसा सचेथे.. (२)
हे अ नीकुमारो! तुम य म ह व ा त करने के न म य क ओर जस रथ पर
सवार होते हो, उसके प हए सरलता से घूमते चलते ह. तु हारे शरीर का हत करने वाली
हमारी तु त तु ह ा त हो एवं तुम आकाश क पु ी उषा के साथ मलन करो. (२)
आ त तं सुवृतं यो रथो वामनु ता न वतते ह व मान्.
येन नरा नास येषय यै व तयाथ तनयाय मने च.. (३)
हे नेता अ नीकुमारो! ह व वाले यजमान क ओर जाने वाले अपने उस रथ पर बैठो,
जसके ारा तुम य म प ंचना चाहते हो, उसी के ारा यजमान को पु लाभ कराने एवं
अपना क याण करने के लए य थल म आओ. (३)
मा वां वृको मा वृक रा दधष मा प र व मुत मा त ध म्.
अयं वां भागो न हत इयं गीद ा वमे वां नधयो मधूनाम्.. (४)
हे श ुनाशक अ नीकुमारो! तु हारी कृपा से हसक मादा एवं नर पशु मुझे ःखी न
कर. तुम अपना धना द सरे कसी को मत दे ना. यह तु हारी तु त है, यह ह का भाग है
और यह सोमरस का पा है. (४)
युवां गोतमः पु मीळ् हो अ द ा हवतेऽवसे ह व मान्.
दशं न द ामृजूयेव य ता मे हवं नास योप यातम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! गौतम, पु मीढ एवं अ ऋ ष ह हाथ म लेकर तु ह स करने
के लए उसी कार बुलाते ह, जस कार प थक माग जानने क इ छा से दशा बताने वाले
को बुलाता है. आप मेरे आ ान को सुनकर आइए. (५)
अता र म तमस पारम य त वां तोमो अ नावधा य.
एह यातं प थ भदवयानै व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (६)
हे अ नीकुमारो! हम तु हारे कारण अंधकार से पार हो जाएंगे. यह तो तु हारे लए
ही बनाया गया है. य पी दे वमाग पर आ जाओ, जससे हम अ , बल और द घ आयु
ा त कर. (६)
सू —१८४
दे वता—अ नीकुमार
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ता वाम तावपरं वेमो छ यामुष स व
थैः.
नास या कुह च स तावय दवो नपाता सुदा तराय.. (१)
जब उषा अंधकार का नाश करती है, तब आज के आगामी दन के य म हम होता
तु तय ारा तु ह बुलाते ह. हे अस यर हत एवं वग के नेता अ नीकुमारो! तुम जहां भी
रहो, म उ म दान दे ने वाले यजमान के क याण के लए तु ह बुलाता ं. (१)
अ मे ऊ षु वृषणा मादयेथामु पण हतमू या मद ता.
ुतं मे अ छो भमतीनामे ा नरा नचेतारा च कणः.. (२)
हे कामवषक अ नीकुमारो! सोमरस से स होकर तुम हम संतु करो एवं प णय
का समूल नाश करो. तुम मेरी उन तु तय को सुनो जो तु ह अनुकूल करने एवं तृ त दान
करने के लए क गई ह. हे नेताओ! तुम तु तय का अ वेषण एवं संचय करते हो. (२)
ये पूष षुकृतेव दे वा नास या वहतुं सूयायाः.
व य ते वां ककुहा अ सु जाता युगा जूणव व ण य भूरेः.. (३)
हे पोषक एवं अस यहीन अ नीकुमारो! तु तसमूह एवं क या के लाभ के लए तीर
के समान ज द प ंचो और सूयपु ी को ले आओ. व ण संबंधी य म जो तु तयां क
जाती ह, वे वा तव म तु हारे ही अ भमुख जाती ह. (३)
अ मे सा वां मा वी रा तर तु तोमं हनोतं मा य य कारोः.
अनु य ा व या सुदानू सूवीयाय चषणयो मद त.. (४)
हे मधुपूण पा वाले अ नीकुमारो! मा य तोता अग य क तु त सुनकर अपना
स दान हम दो. हे शोभनदानशीलो! अ क इ छा से पुरो हत श शाली यजमान के
क याण के लए तु हारे साथ स हो. (४)
एष वां तोमो अ नावका र माने भमघवाना सुवृ .
यातं व त तनयाय मने चाग ये नास या मद ता.. (५)
हे धन के वामी अ नीकुमारो! तु हारे स मान के लए ह के साथ ही इस पाप
वनाशकारी तो क रचना क गई है. हे स य व पो! मुझ अग य ऋ ष से स होकर
पु लाभ एवं अपने हत के लए य थल म आओ. (५)
अता र म तमस पारम य त वां तोमो अ नावधा य.
एह यातं प थ भदवयानै व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (६)
हे अ नीकुमारो! तु हारी कृपा से हम अंधकार को पार करगे. इसी लए तु हारे लए ये
तु तयां बनाई गई ह. तुम दे व के माग से य म आओ, जससे हम अ , बल और द घ
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आयु ा त कर सक. (६)
सू —१८५
दे वता— ावा व पृ वी
कतरा पूवा कतरापरायोः कथा जाते कवयः को व वेद.
व ं मना बभृतो य नाम व वतते अहनी च येव.. (१)
हे ांतद शयो! धरती और आकाश म कौन पहले उ प आ है, कौन बाद म? इनके
उ प होने का या कारण है? संसार के सम त पदाथ को ये वयं ही धारण कए ए ह एवं
प हय के समान घूमते रहते ह. (१)
भू र े अचर ती चर तं प तं गभमपद दधाते.
न यं न सूनुं प ो प थे ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (२)
अचल एवं चरणस हत धरती और आकाश चलने वाले तथा चरणयु
ा णय को गभ
के समान धारण करते ह. जैसे माता- पता क गोद म बालक रहता है, उसी कार ये सबको
रखते ह. हे धरती और आकाश! हम महापाप से बचाओ. (२)
अनेहो दा म दतेरनव वे ववदवधं नम वत्.
त ोदसी जनयतं ज र े ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (३)
हे धरती और आकाश! हम अ द त से जस पापर हत, अ ीण, वग के तु य
हसाशू य एवं अ यु धन क ाथना करते ह, तुम वही धन तु तक ा यजमान को दे ते
हो. हे धरती और आकाश! हम पाप से बचाओ. (३)
अत यमाने अवसाव ती अनु याम रोदसी दे वपु े.
उभे दे वानामुभये भर ां ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (४)
काशयु दन और रा के दोन कार के धन के लए ःखर हत एवं अ ारा र ा
करने वाले धरती और आकाश का हम अनुगमन कर. हे धरती और आकाश! हम पाप से
बचाओ. (४)
स छमाने युवती सम ते वसारा जामी प ो प थे.
अ भ ज ती भुवन य ना भ ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (५)
हे एक- सरे से मले ए, न य त ण, समान सीमा वाले, ब हन और भाई के समान
माता और पता क गोद म थत, ा णय क ना भ प जल को सूंघते ए धरती और
आकाश! हम पाप से बचाओ. (५)
उव स नी बृहती ऋतेन वे दे वानामवसा ज न ी.
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दधाते ये अमृतं सु तीके ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (६)
धरती और आकाश व तृत, नवास करने यो य, महान् एवं श य आ द को उ प करने
वाले ह. म दे व क स ता के लए इ ह य म बुलाता ं. ये व च
प वाले एवं जल
धारणक ा ह. हे धरती और आकाश! हम पाप से बचाओ. (६)
उव पृ वी ब ले रेअ ते उप ुवे नमसा य े अ मन्.
दधाते ये सुभगे सु तूत ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (७)
म इस य म नम कार संबंधी मं
ारा व तृत, महान्, अनेक आकार वाले तथा
अंतहीन धरती और आकाश क तु त करता ं. हे सौभा यसंप एवं सुखपूवक तरने वाले
धरती और आकाश! हम पाप से बचाओ. (७)
दे वा वा य चकृमा क चदागः सखायं वा सद म जा प त वा.
इयं धीभूया अवयानमेषां ावा र तं पृ थवी नो अ वात्.. (८)
हे धरती और आकाश! हम दे व , बंधु एवं जमाता के त न य जो अपराध करते
ह, हमारे उन अपराध को र करो. तुम हम पाप से बचाओ. (८)
उभा शंसा नया माम व ामुभे मामूती अवसा सचेताम्.
भू र चदयः सुदा तरायेषा मद त इषयेम दे वाः.. (९)
तु त के यो य एवं मानव के हतकारी धरती और आकाश के त क गई तु तयां
मेरी र ा कर. उ दोन र क मेरी र ा के लए मल. हे दे वो! तु हारे तु तक ा हम ह
अ ारा तु ह संतु करते ह एवं दान करने के लए अ क अ भलाषा करते ह. (९)
ऋतं दवे तदवोचं पृ थ ा अ भ ावाय थमं सुमेधाः.
पातामव ा रतादभीके पता माता च र तामवो भः.. (१०)
मुझ बु मान् ने धरती और आकाश के त ऐसी तु तयां क ह, जो चार दशा म
का शत ह. धरती और आकाश पी माता- पता मुझे नदा-यो य पाप से बचाव एवं अपने
समीप रखकर मनचाही व तु से मेरा पालन कर. (१०)
इदं ावापृ थवी स यम तु पतमातय दहोप ुवे वाम्.
भूतं दे वानामवमे अवो भ व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (११)
हे माता और पता पी धरती और आकाश! इस य म मेरे ारा क गई तु तय को
साथक करो. तुम र ा साधन ारा हम तु तक ा के पास आओ, जससे हम अ , बल
और द घ आयु ा त कर. (११)
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सू —१८६
दे वता— व ेदेव
आ न इळा भ वदथे सुश त व ानरः स वता दे व एतु.
अ प यथा युवानो म सथा नो व ं जगद भ प वे मनीषा.. (१)
अ न और स वता दे व हमारी तु तय को सुनकर धरती के दे व के साथ हमारे य म
पधार. हे न य-युवाओ! तुम जस कार सारे संसार क र ा करते हो, उसी कार हमारे
य म अपनी इ छा से आकर हमारी र ा करो. (१)
आ नो व आ ा गम तु दे वा म ो अयमा व णः सजोषाः.
भुव यथा नो व े वृधासः कर सुषाहा वथुरं न शवः.. (२)
श ु पर आ मण करने वाले म , व ण और अयमादे व समान स ता ारा हमारे
य म पधार. सब दे व हमारी वृ कर, श ु को हराव एवं हम अ का वामी बनाव. (२)
े ं वो अ त थ गृणीषेऽ नं श त भ तुव णः सजोषाः.
अस था नो व णः सुक त रष पषद रगूतः सू रः.. (३)
हे दे वो! म शी ता करता आ एवं तु हारे साथ स होकर मं
ारा तु हारे उ म
अ त थ अ न क तु त करता ं. शोभन क त संप व ण दे व हमारे बनकर श ु के त
इनकार कर एवं हमारे लए अ दाता बन. (३)
उप व एषे नमसा जगीषोषासान ा सु घेव धेनुः.
समाने अह व ममानो अक वषु पे पय स स म ूधन्.. (४)
हे दे वो! जस कार धा गाय सवेरे और शाम ध काढ़ने के थान म जाती है, उसी
कार हम पाप को जीतने क इ छा से तु तवचन के साथ ातःसायं तु हारे सामने
उप थत होते ह. हम गाय के थन से उ प घी, ध आ द पदाथ को मलाकर त दन
लाते ह. (४)
उत नोऽ हबु यो३ मय कः शशुं न प युषीव वे त स धुः.
येन नपातमपां जुनाम मनोजुवो वृषणो यं वह त.. (५)
अ हबु न हम सुख द. गाय जस कार बछड़े को तृ त करती ई आती है, उसी कार
सधु नद हम तृ त करती ई आवे. हम तु त करते ए जल के नाती अ न से मल. मन के
समान तेज चलने वाले बादल उ ह ले जाते ह. (५)
उत न व ा ग व छा म सू र भर भ प वे सजोषाः.
आ वृ हे
ष ण ा तु व मो नरां न इह ग याः.. (६)
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व ा दे व हमारे सामने आव और य के कारण तोता और ऋ वज के त स ह .
वृ नाशक, यजमान क इ छा पूण करने वाले एवं महान् इं हमारे इस य म आव. (६)
उत न मतयोऽ योगाः शशुं न गाव त णं रह त.
तम गरो जनयो न प नीः सुर भ मं नरां नस त.. (७)
जस कार गाएं बछड़ को चाटती ह, उसी कार घोड़ के समान वेगशाली हमारी
बु यां न ययुवा इं को घेरती ह. यां जस कार प त को पाकर संतान उ प करती ह,
उसी कार हमारी तु तयां इं के पास प ंचकर फल को ज म द. (७)
उत न म तो वृ सेनाः म ोदसी समनसः सद तु.
पृषद ासोऽवनयो न रथा रशादसो म युजो न दे वाः.. (८)
परम श शाली, हमारे समान ही ी तयु , पृषत नामक घोड़ वाले, न एवं
श ुनाशक म द्गण धरती और आकाश से हमारे पास इस कार आव, जस कार म ता
करने वाले एक- सरे के समीप जाते ह. (८)
नु यदे षां म हना च क े यु ते युज ते सुवृ .
अध यदे षां सु दने न श व मे रणं ुषाय त सेनाः.. (९)
म द्गण तु त का योग जानते ह, इस लए उनक म हमा से सभी प र चत ह. जस
कार सु दन म आकाश म काश फैल जाता है, उसी कार म त क वषा करने वाली
सेना सारी ऊसर धरती को उपजाऊ बना दे ती है. (९)
ो अ नाववसे कृणु वं पूषणं वतवसो ह स त.
अ े षो व णुवात ऋभु ा अ छा सु नाय ववृतीय दे वान्.. (१०)
हे ऋ वजो! हमारी र ा के लए अ नीकुमार एवं पूषा के अ त र
वाधीन श
वाले तथा े षर हत व णु, वायु और इं क भी तु त करो. म सुख ा त के लए सब दे व
के सामने तु त क ं गा. (१०)
इयं सा वो अ मे द ध तयज ा अ प ाणी च सदनी च भूयाः.
न या दे वेषु यतते वसूयु व ामेषं वृजनं जीरदानुभ्.. (११)
हे य यो य दे वो! तु हारी स
यो त हम ाण और शरण दे ने वाली बने. तु हारी
ह अ स हत तु त दे व को ा त हो, जससे हम अ , बल और द घ आयु ा त कर.
(११)
सू —१८७
दे वता— पतृ
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पतुं नु तोषं महो धमाणं त वषीम्. य य
तो
ोजसा वृ ं वपवमदयत्.. (१)
म सबके धारणक ा एवं बल प पालक अ क शी
से इं ने वृ असुर के टु कड़े कर दए थे. (१)
तु त करता ं. अ क श
वादो पतो मधो पतो वयं वा ववृमहे. अ माकम वता भव.. (२)
हे वा द एवं मधुर पतः! हम तु हारी तु त करते ह. तुम हमारे र क बनो. (२)
उप नः पतवा चर शवः शवा भ त भः.
मयोभुर षे यः सखा सुशेवो अ याः.. (३)
हे मंगल प पतः! क याणकारी र ा साधन के साथ हमारे पास आओ और हम सुख
दो. तुम हमारे लए य रस वाले म एवं अनोखे सुखदाता बनो. (३)
तव ये पतो रसा रजां यनु व ताः. द व वाताइव
हे पतः अथात् अ ! जस कार आकाश म हवा
सारे संसार म फैला आ है. (४)
ताः.. (४)
ा त है, उसी कार तु हारा रस
तव ये पतो ददत तव वा द ते पतो.
वा ानो रसानां तु व ीवाइवेरते.. (५)
हे परम वा द पतः! तु हारी ाथना करने वाले मनु य तु हारा भोग करते ह. तु हारी
कृपा से ही वे तु हारा दान करते ह. तु हारे रस का भोग करने वाले मनु य गरदन ऊंची करके
चलते ह. (५)
वे पतो महानां दे वानां मनो हतम्.
अका र चा केतुना तवा हमवसावधीत्.. (६)
हे पतः! महान् दे व का मन तु ह म लगा आ है. इं ने तु हारी र ा एवं बु
सहारा लेकर ही वृ का वध कया था. (६)
का
यददो पतो अजग वव व पवतानाम्.
अ ा च ो मधो पतोऽरं भ ाय ग याः.. (७)
के
हे मधुर पतः! जब बादल स
प म हमारे समीप आना. (७)
जल बरसाने को लाव, उस समय तुम पया त भोजन
यदपामोषधीनां प रशमा रशामहे. वातापे पीव इ व.. (८)
हे शरीर! हम जौ आ द वन प तय को पया त मा ा म खाते ह, इस लए तुम मोटे बनो.
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(८)
य े सोम गवा शरो यवा शरो भजामहे. वातापे पीव इ व.. (९)
हे सोम प अ ! हम तु हारे यव एवं गो ध से बने पदाथ को भ ण करते ह. हे
शरीर! तुम मोटे बनो. (९)
कर भ ओषधे भव पीवो वृ क उदार थः. वातापे पीव इ व.. (१०)
हे स ू के बने ए गोले! तुम मोटापा लाने वाले एवं रोगनाशक बनो. हे शरीर! तुम मोटे
बनो. (१०)
तं वा वयं पतो वचो भगावो न ह ा सुषू दम.
दे वे य वा सधमादम म यं वा सधमादम्.. (११)
हे पतः! गाय से जस कार ह
प ध हण करते ह, उसी कार हम तु तयां
बोलकर तुमसे रस हण करते ह. तुम सम त दे व के साथ-साथ हम भी आनंद दे ते हो.
(११)
दे वता—आ य (अ न)
सू —१८८
स म ो अ राज स दे वो दे वैः सह जत्. तो ह ा क ववह.. (१)
हे अ न! तुम ऋ वज ारा भली कार उद त होकर सुशो भत हो. हे सह जत्!
तुम क व और त हो तुम हमारे ह को ले आओ. (१)
तनूनपा तं यते म वा य ः सम यते. दध सह णी रषः.. (२)
हे पू य तनूनपात् अ न! हजार कार के अ धारण करते ए यजमान के क याण
के लए मधुर आ य
से मलते ह. (२)
आजु ानो न ई
ो दे वाँ आ व
य यान्. अ ने सह सा अ स.. (३)
हे ईड् य अ न! हम तु ह बुलाते ह. तुम य के यो य दे व को यहां लाओ. तुम हजार
कार का अ दे ते हो. (३)
ाचीनं ब हरोजसा सह वीरम तृणन्. य ा द या वराजथ.. (४)
हजार वीर वाले एवं पूव क ओर मुंह कए ए अ न पी कुश पर आ द य बैठते ह.
ऋ वज् उसे मं
ारा फैलाते ह. (४)
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वराट् स ाड् व वीः
(५)
वीब
भूयसी याः. रो घृता य रन्.. (५)
य शाला म वराट् , स ाट् , व , भु, ब और भूयान् अ न घृत प जल गराते ह.
सु
मे ह सुपेशसा ध
या वराजतः. उषासावेह सीदताम्.. (६)
सुंदर आभरण वाले एवं शोभन पसंप अ न पी रात और दन अ यंत शो भत होते
ए यहां बैठ. (६)
थमा ह सुवाचसा होतारा दै ा कवी. य ं नो य ता ममम्.. (७)
अ न दे व अ त
उप थत ह . (७)
े और
य वचन होता एवं द
क व इन दो
भारतीळे सर व त या वः सवा उप ुवे. ता न ोदयत
हे भारती, सर वती और इला! तुम सब अ न के
तुम मुझे संप शाली बनने क ेरणा दो. (८)
व ा
वृ
प म हमारे य म
ये.. (८)
प हो. म तु हारा आ ान करता ं.
पा ण ह भुः पशू व ा समानजे. तेषां नः फा तमा यज.. (९)
व ा प नमाण म समथ ह. वे सम त पशु
कर. (९)
को
प दे ते ह. वे हमारे पशु
क
उप म या वन पते पाथो दे वे यः सृज. अ नह ा न स वदत्. (१०)
हे वन प त! तुम अपने आप दे व के लए पशु प अ उ प करो. इस कार अ न
सभी ह को वा द बनावगे. (१०)
पुरोगा अ नदवानां गाय ेण सम यते. वाहाकृतीषु रोचते.. (११)
दे व के अ गामी अ न गाय ी छं द ारा जाने जाते ह. वाहा श द बोलने पर वे जल
उठते ह. (११)
सू —१८९
दे वता—अ न
अ ने नय सुपथा राये अ मा व ा न दे व वयुना न व ान्.
युयो य१ म जु राणमेनो भू य ां ते नमउ
वधेम.. (१)
हे ोतमान अ न! तुम सभी कार के ान को जानते हो, इस लए हम धन क ओर
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ले जाने वाले उ म माग पर ले जाओ. कु टलता उ प करने वाला पाप हमसे र करो. हम
तु ह बार-बार नम कार कहते ह. (१)
अ ने वं पारया न ो अ मा व त भर त गा ण व ा.
पू पृ वी ब ला न उव भवा तोकाय तनयाय शं योः.. (२)
हे अ त नवीन अ न! तुम अ तपू जत य ा द साधन का सहारा लेकर हम गम पाप
के पार प ंचाओ. हमारी नगरी और धरती अ यंत व तृत हो. हमारी संतान को तुम सुख दो.
(२)
अ ने वम म ुयो यमीवा अन न ा अ यम त कृ ीः.
पुनर म यं सु वताय दे व ां व े भरमृते भयज .. (३)
हे अ न! तुम सम त रोग के साथ-साथ अ नहो न करने वाले लोग को भी हमसे र
कर दो. हे काशमान एवं य के यो य अ न! तुम अ य सम त दे व के साथ आकर हम य
म उ म फल दो. (३)
पा ह नो अ ने पायु भरज ै त ये सदन आ शुशु वान्.
मा ते भयं ज रतारं य व नूनं वद मापरं सह वः.. (४)
हे अ न! सदै व आ य दे कर हमारा पालन करो एवं अपने य य थल म सब ओर से
का शत बनो. हे अ तशय एवं श शाली अ न! तु हारे तोता मुझको आज या इसके बाद
कभी भी भय न लगे. (४)
मा नो अ नेऽव सृजो अघाया व यवे रपवे छु नायै.
मा द वते दशते मादते नो मा रीषते सहसाव परा दाः.. (५)
हे अ न! हम हसक, भूखे और ःखदाता श ु के अधीन मत होने दो. हम दांत वाले
कटखने सपा द, बना दांत के, स ग वाले पशु एवं हसक रा स को भी मत स पो. (५)
व घ वावां ऋतजात यंसद्गृणानो अ ने त वे३ व थम्.
व ा र ो त वा न न सोर भ ताम स ह दे व व पट् .. (६)
हे य से उ प एवं वरणीय अ न दे व! जो लोग शरीर क पु के लए तु हारी तु त
करते ह, उ ह तुम हसक, चोर आ द एवं नदक लोग से बचाते हो. तुम अपने सामने कु टल
आचरण करने वाले के बाधक बनो. (६)
वं ताँ मन उभाया व व ा वे ष प वे मनुषो यज .
अ भ प वे मनवे शा यो भूममृजे य उ श नभना ः.. (७)
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हे य के यो य अ न! तुम य करने वाले एवं न करने वाले दोन को जानते ए
य क ा क ही कामना करो. हे आ मणकारी अ न! य क अ भलाषा करने वाले
यजमान को जस कार ऋ वज् श ा दे ते ह, उसी कार तुम यजमान क श ा के पा
बनो. (७)
अवोचाम नवचना य म मान य सूनुः सहसाने अ नौ.
वयं सह मृ ष भः सनेम व ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (८)
मं
के पु और श ु के नाशक अ न को ल य करके ये सब तो बनाए गए ह.
हम इं य से परे रहने वाले अथ के काशक इन मं से हजार कार के धन के अ त र
अ , बल और द घ आयु ा त कर. (८)
सू —१९०
दे वता—बृह प त
अनवाणं वृषभं म ज ं बृह प त वधया न मकः.
गाथा यः सु चो य य दे वा आशृ व त नवमान य मताः.. (१)
हे होता! न यागने वाले, फलदायक, मधुरभाषी एवं तु त के यो य बृह प त को मं
ारा बढ़ाओ. शोभन द त एवं तु त कए जाते ए बृह प त को गाथा नामक मं का पाठ
करने वाले मनु य और दे व तु तयां सुनाते ह. (१)
तमृ वया उप वाचः सच ते सग न यो दे वयतामस ज.
बृह प तः स
ो वरां स व वाभव समृते मात र ा.. (२)
वषा ऋतु संबंधी तु तयां जल क सृ करने वाले एवं दे वभ यजमान को फल दे ने
वाले बृह प त के समीप जाती ह. वे आकाश पी ापी मात र ा के समान सभी उ म
फल को उ प करके य के न म
कट करते ह. (२)
उप तु त नमस उ त च ोकं यंस स वतेव बा .
अ य वाह यो३ यो अ त मृगो न भीमो अर स तु व मान्.. (३)
जस कार सूय अपनी करण से काश दे ता है, उसी कार बृह प त यजमान के
समीप जाकर उनक तु तयां, अ दान एवं तु तमं को वीकार करते ह. वरोधहीन इन
बृह प त क श से दन के सूय, भयानक सह आ द के समान श शाली बनकर घूमते
ह. (३)
अ य ोको दवीयते पृ थ ाम यो न यंस भृ चेताः.
मृगाणां न हेतयो य त चेमा बृह पतेर हमायाँ अ भ ून्.. (४)
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बृह प त क क त धरती और आकाश म फैली है. वे आ द य के समान ह धारण
करते ए ा णय म बु संचार के साथ-साथ उ ह फल भी दे ते ह. बृह प त के आयुध
माया वय क ओर शकारी लोग के आयुध के समान तेजी से चलते ह. (४)
ये वा दे वो कं म यमानाः पापा भ मुपजीव त प ाः.
न ढू े३ अनु ददा स वामं बृह पते चयस इ पया म्.. (५)
हे बृह प तदे व! तुम क याणकारक हो. जो पापी लोग तु ह बूढ़ा बैल समझकर तु हारे
समीप जाते ह, उ ह मनचाहा उ म धन मत दे ना. तुम सोमयाग करने वाले पर अव य कृपा
करना. (५)
सु ैतुः सूयवसो न प था नय तुः प र ीतो न म ः.
अनवाणो अ भ ये च ते नोऽपीवृता अपोणुव तो अ थुः.. (६)
हे बृह प त! तुम शोभन माग वाले एवं उ म धन से यु यजमान के लए माग के
समान सरल एवं
के नयं ण करने वाले राजा के स म बनो. जो वरोधी हमारी
नदा करते ह और सुर त रहते ह, उ ह र ाहीन करो. (६)
सं यं तुभोऽवनयो न य त समु ं न वतो रोधच ाः.
स व ाँ उभयं च े अ तबृह प त तर आप गृ ः.. (७)
जस कार सभी मनु य राजा एवं कनार को तोड़ने वाली न दयां सागर के पास
जाती ह, उसी कार तु तयां बृह प त को ा त होती ह. वे सब जानते ह और आकाशचारी
प ी के प म जल और तट दोन को दे खते ह तथा वषा करने के इ छु क होकर दोन को
उ प करते ह. (७)
एवा मह तु वजात तु व मा बृह प तवृषभो धा य दे वः.
स नः तुतो वीरव ातु गोम
ामेषं वृजनं जीरदानुम्.. (८)
महान्, ब त के उपकार के लए उ म, बलवान्, जलवषक एवं द तमान् बृह प त
क तु त इसी प म क जाती है. वे हमारी तु त सुनकर हम व वध फल द और हम अ ,
बल तथा द घ आयु ा त कर. (८)
सू —१९१
दे वता—जल आ द
कङ् कतो न कङ् कतोऽथो सतीनकङ् कतः. ा व त लुषी इ त य१
(१)
अ प वष, महा वष, जलचारी अ प वष, दो
ा अ ल सत..
कार के जलचर एवं थलचर
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ाणी,
दाहक एवं अ य ाणी मुझे घेरे ह. (१)
अ
ा ह याय यथो ह त परायती. अथो अब नती ह यथो पन
पषती.. (२)
वषधर जीव से काटे ए के पास आकर ओष ध वष का भाव न करती है एवं र
जाती ई भी न करती है. उसे जब उखाड़ते ह एवं पीसते ह, तब भी वह वष का भाव
न करती है. (२)
शरासः कुशरासो दभासः सैया उत.
मौ ा अ ा बै रणाः सव साकं य ल सत.. (३)
शर, कुश, दभ, सैय, मुंज एवं वीरण नामक घास म छपे ए वषधर मुझसे एक साथ
लपट जाते ह. (३)
न गावो गो े असद मृगासो अ व त.
न केतवो जनानां य१ ा अ ल सत.. (४)
जब गाएं गोशाला म बैठती ह, ह रण नवास थान म बैठते ह एवं मनु य न ा के कारण
ानशू य होते ह, उस समय अ
वषधर आकर मुझसे लपट जाते ह. (४)
एत उ ये
य
दोषं त करा इव. अ
ा व
ाः
तबु ा अभूतन.. (५)
वे चोर के समान रात म दे खे जाते ह. वे कसी को दखाई नह दे ते, पर सारे संसार को
दे खते रहते ह. सब लोग उनसे सावधान रह. (५)
ौवः पता पृ थवी माता सोमो ाता द तः वसा.
अ ा व
ा त तेलयता सु कम्.. (६)
हे सप ! आकाश तु हारा पता, धरती माता, सोम ाता और अ द त तु हारी ब हन है.
तु ह कोई नह दे ख पाता, पर तुम सबको दे खते हो. तुम अपने थान म रहो एवं सुखपूवक
गमन करो. (६)
ये अं या ये अङ् याः सूचीका ये कङ् कताः.
अ ाः क चनेह वः सव साकं न ज यत.. (७)
जो जंतु कंध वाले, अंग वाले, सूची वाले एवं अ यंत वषधारी ह, ऐसे अ
का यहां कोई काम नह है. तुम सब यहां से एक साथ चले जाओ. (७)
उ पुर ता सूय ए त व
ो अ हा.
अ ा सवा
भय सवा यातुधा यः.. (८)
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वषधर
सारे संसार को दे खने वाले एवं अ
वषधर को न करने वाले सूय पूव दशा म
नकलते ह. वे सभी अ
वषधा रय एवं रा स को भयभीत करके भगा दे ते ह. (८)
उदप तदसौ सूयः पु
व ा न जूवन्. आ द यः पवते यो व
ोअ
हा.. (९)
सारे संसार को दे खने वाले एवं अ
वषधा रय को न करने वाले सूय वषैले जंतु
को अ यंत बल बनाते ए उदय ग र से नकलते ह. (९)
सूय वषमा सजा म त सुरावतो गृहे.
सो च ु न मरा त नो वयं मरामारे अ य योजनं ह र ा मधु वा मधुला चकार.. (१०)
सुरा बनाने वाला जस कार चमड़े के पा म शराब डालता है, उसी कार म वष सूय
मंडल क ओर फकता ं. जस कार सूय नह मरते, उसी कार हम भी न मर. घोड़ ारा
लाए गए सूय रवत वष को न कर दे ते ह. हे वष! सूय क मधु व ा तु ह अमृत बना दे ती
है. (१०)
इय का शकु तका सका जघास ते वषम्.
सो च ु न मरा त नो वयं मरामारे अ य योजनं ह र ा मधु वा मधुला चकार.. (११)
छोट सी च ड़या ने तु हारा वष खा लया और नह मरी. उसी कार हम भी नह
मरगे. हे वष! घोड़ ारा गमन करने वाले सूय र से ही वष को न कर दे ते ह. उनक
मधु व ा तु ह अमृत बना दे ती है. (११)
ः स त व णु ल का वष य पु यम न्.
ता
ु न मर त नो वयं मरामारे अ य योजनं ह र ा मधु वा मधुला चकार.. (१२)
अ न क सात ज ा म सफेद, लाल और काले इस कार मलकर इ क स वण
प ी के प म वष का नाश करते ह. जब वे नह मरते तो हम भी नह मरगे. अपने घोड़
ारा गमनशील सूय र रखे वष का नाश करते ह. हे वष! सूय क मधु व ा तुझे अमृत
बना दे ती है. (१२)
नवानां नवतीनां वष य रोपुषीणाम्.
सवासाम भं नामारे अ य योजनं ह र ा मधु वा मधुला चकार.. (१३)
न यानवे न दयां वष न करने वाली ह. म सबका नाम पुकारता ं. घोड़ ारा चलने
वाले सूय र रखे वष को भी न कर दे ते ह. हे वष! मधु- व ा तुझे अमृत बना दे गी. (१३)
ः स त मयूयः स त वसारो अ ुवः.
ता ते वषं व ज र उदकं कु भनी रव.. (१४)
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हे शरीर! जस कार ना रयां घड़ म जल भरकर ले जाती ह, उसी कार इ क स
मयू रयां एवं सात न दयां तु हारा वष र कर. (१४)
इय कः कुषु भक तकं भनद् य मना.
ततो वषं वावृते पराचीरनु संवतः.. (१५)
हे शरीर! छोटा सा नकुल य द तु हारा वष समा त नह करेगा तो म उसे प थर से मार
डालूंगा. इस कार वष मेरे शरीर से नकलकर र दशा म चला जाए. (१५)
कुषु भक तद वीद् गरेः वतमानकः.
वृ क यारसं वषमरसं वृ क ते वषम्.. (१६)
पवत से आने वाले नकुल ने कहा—“ ब छू का वष बेकार है.” हे ब छू ! तु हारा वष
भावहीन है. (१६)
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तीय मंडल
सू —१
दे वता—अ न
वम ने ु भ वमाशुशु ण वमद् य वम मन प र.
वं वने य वमोषधी य वं नृणां नृपते जायसे शु चः.. (१)
हे मनु य के पालक एवं प व अ न! तुम य
ओष धय से द तशाली प म उ प हो जाओ. (१)
के दन जल, पाषाण, वन एवं
तवा ने हो ं तव पो मृ वयं तव ने ं वम न तायतः.
तव शा ं वम वरीय स
ा चा स गृहप त नो दमे.. (२)
हे अ न! य के होता, पोता, ऋ वज् और ने ा जो कम करते ह, वह तु हारा है. तुम
अ नी हो. य क इ छा करने पर तुम शा ता का काम भी करने लगते हो. तु ह अ वयु
एवं
ा हो. मेरे इस य गृह म तु ह गृहप त हो. (२)
वम न इ ो वृषभः सताम स वं व णु गायो नम यः.
वं
ा र य वद् ण पते वं वधतः सचसे पुर या.. (३)
हे अ न! स जन क मनोकामना पूण करने के कारण तुम इं हो. तु ह ब त से
भ
ारा तुत एवं नम कार करने यो य व णु हो. तुम मं के पालक एवं धन के ाता
ा हो. तुम व वध पदाथ का नमाण करते एवं सबक बु य म नवास करते हो. (३)
वम ने राजा व णो धृत त वं म ो भव स द म ई ः.
वमयमा स प तय य स भुजं वमंशो वदथे दे व भाजयुः.. (४)
हे अ न! तुम तधारी राजा व ण एवं तु तयो य श ुनाशक म हो. तु ह स जन
के र क एवं ापक दान वाले अयमा तथा अंश अथात् सूय हो. तुम सभी का य सफल
बनाओ. (४)
वम ने व ा वधते सुवीय तव नावो म महः सजा यम्.
वमाशुहेमा र रषे व ं वं नरां शध अ स पु वसुः.. (५)
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हे अ न! तुम सेवा करने वाले के लए श शाली व ा हो. सब तु त वचन तु हारे ही
ह. तुम हतकारक तेज एवं हमारे बंधु हो. तुम शी ेरणा दे ने वाले एवं शोभन अ यु धन
दाता हो. तुम अ यंत धनवान् हो. तुम मनु य को श दो. (५)
वम ने ो असुरो महो दव वं शध मा तं पृ ई शषे.
वं वातैर णैया स शङ् गय वं पूषा वधतः पा स नु मना.. (६)
हे अ न! तुम व तृत आकाश म वतमान
हो. तु ह म त के बल एवं अ के
वामी हो. तुम वायु के समान वेगशाली लाल घोड़ ारा सुखपूवक जाते हो. तुम पूषा हो,
इस लए य करने वाल क अपने आप र ा करो. (६)
वम ने वणोदा अरङ् कृते वं दे वः स वता र नधा अ स.
वं भगो नृपते व व ई शषे वं पायुदमे य तेऽ वधत्.. (७)
हे अ न! तुम पया त य कम करने वाले यजमान को वण दे ने वाले हो. तु ह र न
धारण करने वाले तेज वी स वता हो. हे मनु य के पालनक ा अ न! जो तु हारी सेवा करते
ह, उ ह तुम धन दे ते हो. य शाला म जो यजमान तु हारी सेवा करता है, उसका तुम पालन
करते हो. (७)
वाम ने दम आ व प त वश वां राजानं सु वद मृ ते.
वं व ा न वनीक प यसे वं सह ा ण शता दश त.. (८)
हे अ न! तुम यजमान के पालनक ा हो. वे तु ह अपने घर म काशमान एवं अनुकूल
चेतना वाला पाकर सुशो भत करते ह. हे उ म सेवा वाले एवं सम त ह के वामी अ न!
तुम हजार , सैकड़ और द सय कार के फल लोग को दे ते हो. (८)
वाम ने पतर म भनर वां ा ाय श या तनू चम्.
वं पु ो भव स य तेऽ वध वं सखा सुशेवः पा याधृषः.. (९)
हे अ न! तु ह पता समझकर लोग य
ारा तृ त करते ह. तु हारा ातृ ेम पाने के
लए लोग य
ारा तु ह स करते ह. जो तु हारी सेवा करते ह, तुम उनके पु , सखा,
क याणक ा एवं श ुनाशक बनकर उनक र ा करो. (९)
वम न ऋभुराके नम य१ वं वाज य ुमतो राय ई शषे.
वं व भा यनु द दावने वं व श ुर स य मात नः.. (१०)
हे अ न! तुम स मुख तु त करने यो य ऋभु हो. तुम सव
स धन एवं अ के
वामी हो. तुम उ वल हो एवं अंधकार मटाने के लए लक ड़य को धीरेधीरे जलाते हो.
तुम य क वशेष श ा दे ने वाले एवं फल का व तार करने वाले हो. (१०)
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वम ने अ द तदव दाशुषे वं हो ा भारती वधसे गरा.
व मळा शत हमा स द से वं वृ हा वसुपते सर वती.. (११)
हे अ न दे व! तुम ह दाता के लए अ द त हो. तुम होता, भारती एवं तु तय से बढ़ने
वाले हो. भारती एवं तु तय से बढ़ने वाले हो. तुम अप र मत काल वाली भू म एवं धनदान
करने म समथ हो. हे धन के पालक तुम ही वृ हंता एवं सर वती हो. (११)
वम ने सुभृत उ मं वय तव पाह वण आ स श यः.
वां वाजः तरणो बृह स वं र यब लो व त पृथःु .. (१२)
हे अ न! भली कार पो षत होकर तु ह उ म अ हो. तु हारे मनोहर वण म ल मी
नवास करती है. तुम अ , पाप से र ा करने वाले, महान् धन प सब व तु क अ धकता
वाले एवं सब ओर व तृत हो. (१२)
वाम न आ द यास आ यं१ वां ज ां शुचय
रे कवे.
वां रा तषाचो अ वरेषु स रे वे दे वा ह वरद या तम्.. (१३)
हे अ न! आ द य ने तु ह सुख दया है. हे क व! प व दे व ने तु हारी जीभ बनाई है.
य क ह व के कारण एक दे व य म तु हारी ती ा करते ह एवं दया आ ह व तु हारे
ारा ही भ ण करते ह. (१३)
वे अ ने व े अमृतासो अ ह आसा दे वा ह वरद या तम्.
वया मतासः वद त आसु त वं गभ वी धां ज षे शु चः.. (१४)
हे अ न! मरणर हत एवं दोषहीन सम त दे व तु हारे मुख म डाली गई आ त के
भ ण के प म ही ह व हण करते ह. मनु य भी तु हारी सहायता से ही अ का वाद लेते
ह. तुम लता, वृ आ द म रहते हो एवं प व होकर ज म लेते हो. (१४)
वं ता सं च त चा स म मना ने सुजात च दे व र यसे.
पृ ो यद म हना व ते भुवदनु ावापृ थवी रोदसी उभे.. (१५)
हे अ न! तुम श
ारा उन स दे व से मलते एवं अलग हो जाते हो. हे सुंदर
उ प वाले अ न! तुम बल म सभी दे व से आगे हो जाओ. तु हारी ही श
से य म
डाला गया अ श द करते ए धरती और आकाश म फैल जाता है. (१५)
ये तोतृ यो गोअ ाम पेशसम ने रा तमुपसृज त सूरयः.
अ मा च तां
ह ने ष व य आ बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१६)
हे अ न! जो लोग बु मान् तोता को उ म गौ और श शाली अ दान करते ह,
उ ह तथा हम उ म थान पर ले चलो. हम उ म वीर से यु होकर य म ब त से मं
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बोलगे. (१६)
सू —२
दे वता—अ न
य ेन वधत जातवेदसम नं यज वं ह वषा तना गरा.
स मधानं सु यसं वणरं ु ं होतारं वृजनेषु धूषदम्.. (१)
हे ऋ वजो! सभी उ प पदाथ को जानने वाले अ न को य के ारा बढ़ाओ तथा
ह एवं व तृत तु तय ारा उनक पूजा करो. अ न व लत, शोभन अ यु , यजमान
को वग म ले जाने वाले, द त, य पूण करने वाले एवं बल दान करने वाले ह. (१)
अ भ वा न
षसो ववा शरेऽ ने व सं न वसरेषु धेनवः.
दवइवेदर तमानुषा युगा पो भा स पु वार संयतः.. (२)
हे अ न! गाएं जस कार दन म बछड़े क इ छा करती ह, उसी कार यजमान तु ह
रात और दन चाहते ह. हे सव य! तुम संयमशील प म वग म ा त हो, मनु य के य
म नवास करते हो एवं रात म का शत होते हो. (२)
तं दे वा बु ने रजसः सुदंससं दव पृ थ ोरर त ये ररे.
रथ मव वे ं शु शो चषम नं म ं न तषु शं यम्.. (३)
दे वता लोग य के म य भाग म था पत, सुदशन, धरती-आकाश के ई र, धनपूण रथ
के समान द तवण, म के समान कायसाधक एवं शं सत अ न क तु त करते ह. (३)
तमु माणं रज स व आ दमे च मव सु चं ार आ दधुः.
पृ याः पतरं चतय तम भः पाथो न पायुं जनसी उभे अनु.. (४)
आकाश क जलवषा से धरती को स चने वाले, वण के समान चमक ले,
आकाशगामी, अपनी वाला से लोग को चैत य करने वाले, जल के समान पालनक ा,
सबके जनक एवं धरती-आकाश को ा त करने वाले अ न को जनर हत य शाला म
धारण कया गया है. (४)
स होता व ं प र भू व वरं तमु इ म
ै नुष ऋ ते गरा.
ह र श ो वृधसानासु जभुरद् ौन तृ भ तय ोदसी अनु.. (५)
वे होम पूण करने वाले अ न सम त य को चार ओर से ा त कर. मनु य ह
और तु तय ारा उसी अ न को सुशो भत करते ह. जस कार तारागण आकाश को
का शत करते ह, उसी कार द त शखा वाले अ न बढ़ती ई ओष धय म बार-बार
जलकर धरती और आकाश के म य भाग को का शत करते ह. (५)
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स नो रेव स मधानः व तये स दद वा यम मासु द द ह.
आ नः कृणु व सु वताय रोदसी अ ने ह ा मनुषो दे व वीतये.. (६)
हे अ न! तुम हमारे क याण के लए अ वनाशी एवं वृ शील धन दे ते ए व लत
होकर काश फैलाओ तथा आकाश को हमारे लए फलदाता बनाओ. तुम मेरे यजमान ारा
दया ह दे व के भ ण के लए ले जाओ. (६)
दा नो अ ने बृहतो दाः सह णो रो न वाजं ु या अपा वृ ध.
ाची ावापृ थवी
णा कृ ध व१ण शु मुषसो व द ुतुः.. (७)
हे अ न हम पया त गौ, अ तथा हजार पु -पौ दान करो. हमारी क त के लए
अ ा त का ार खोलो. हमारे उ म य के कारण धरती और आकाश को हमारे अनुकूल
बनाओ. सूय जस कार संसार को का शत करता है, उसी कार उषाएं तु ह का शत
कर. (७)
स इधान उषसो रा या अनु व१ण द दे द षेण भानुना.
हो ा भर नमनुषः व वरो राजा वशाम त थ ा रायवे.. (८)
अ न रमणीय उषाकाल म जलते ह और अपनी उ वल करण से सूय के समान
चमकते ह. वे अ न होता क य साधन प तु तय के आधार, उ म य वाले, जा के
वामी होकर यजमान के पास इस कार आते ह, जैसे यारा अ त थ आता है. (८)
एवा नो अ ने अमृतेषु पू धी पीपाय बृह वेषु मानुषा.
हाना धेनुवृजनेषु कारवे मना श तनं पु प मष ण.. (९)
हे अ मत भा यु एवं दे व के पूववत अ न! मनु य म हमारी तु त तु ह तृ त करती
है. जस कार धा गाय य के तोता को ध दे ती है, उसी कार तु हारी तु त असं य
धन दे ती है. (९)
वयम ने अवता वा सुवीय
णा वा चतयेमा जनाँ अ त.
अ माकं ु नम ध प च कृ षू चा व१ण शुशुचीत रम्.. (१०)
हे अ न! हम तु हारे दए ए अ , अ आ द से शोभन साम य ा त करके सबसे
े बन जाएंगे. इससे वह हमारा अनंत धन ा ण,
य, वै य, शू , नषाद पांच जा तय
के ऊपर का शत होगा जो सर को ा त होना क ठन है. (१०)
स नो बो ध सह य शं यो य म सुजाता इषय त सूरयः.
यम ने य मुपय त वा जनो न ये तोके द दवांसं वे दमे.. (११)
हे श ुपराभवकारी एवं तु त के यो य अ न! हमारी महान् तु तय को जानो. शोभन
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ज म वाले तोता तु हारी तु त कर रहे ह. हे अ न! य शाला म का शत तु हारी पूजा ह
पी अ हाथ म धारण करने वाले यजमान अपने पु के न म करते ह. (११)
उभयासो जातवेदः याम ते तोतारो अ ने सूरय शम ण.
व वो रायः पु
य भूयसः जावतः वप य य श ध नः.. (१२)
हे जातवेद! तु हारे तोता और यजमान दोन ही सुख ा त के लए तु हारी शरण म
ह. हम नवास-यो य अ तशय स तादायक एवं ब त सी जा तथा संतान से यु धन
दो. (१२)
ये तोतृ यो गोअ ाम पेशसम ने रा तमुपसृज त सूरयः.
अ मा च तां
ह ने ष व य आ बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१३)
हे अ न! जो लोग बु मान् तोता को उ म गौ और श शाली अ दान करते ह,
उ ह तथा हम उ म थान पर ले चलो. हम उ म वीर से यु होकर य म ब त से मं
बोलगे. (१३)
सू —३
दे वता—अ न
स म ो अ न न हतः पृ थ ां यङ् व ा न भुवना य थात्.
होता पावकः दवः सुमेधा दे वो दे वा यज व नरहन्.. (१)
शु
(१)
वेद पर रखे ए व लत अ न सम त ा णय के सामने थत ह. होम न पादक,
क ा, पुराने, शोभन बु वाले, काशमान एवं य के यो य अ न दे व का आदर कर.
नराशंसः त धामा य न् त ो दवः त म ा व चः.
घृत ुषा मनसा ह मु द मूध य य समन ु दे वान्.. (२)
मनु य ारा तु त के यो य एवं सुंदर वाला वाले अ न अपनी म हमा से येक
य थल एवं तीन का शत लोक को कट करते ह. वे घी बरसाने क अ भलाषा से ह
को चकना करते ए य के उ च भाग म दे व को तृ त कर. (२)
ई ळतो अ ने मनसा नो अह दे वा य मानुषा पूव अ .
स आ वह म तां शध अ युत म ं नरो ब हषदं यज वम्.. (३)
हे हमारे ारा तुत अ न! हम पर स होकर य के यो य बनो एवं आज मनु य से
पहले ही दे व के न म य करो. हे ऋ वजो! म त क श
से यु अ युत इं को
बुलाओ एवं कुश पर थत इं को ल य करके हवन करो. (३)
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दे व ब हवधमानं सुवीरं तीण राये सुभरं वे याम्.
घृतेना ं वसवः सीदतेदं व े दे वा आ द या य यासः.. (४)
हे कुश प, तेज वी, न य बढ़ने वाले एवं वीर पु दाता अ न! हम धन दे ने के लए
वेद पर फैल जाओ! हे वसुओ, व ेदेव एवं य के यो य आ द यो! तुम घी से गीले कए गए
कुश पर बैठो. (४)
व य तामु वया यमाना ारो दे वीः सु ायणा नमो भः.
च वती व थ तामजुया वण पुनाना यशसं सुवीरम्.. (५)
हे का शत- ार प, व तृत मनु य ारा नम कारयु
तु तय से हवन कए जाते
ए तथा लोग ारा सरलता से ा त करने यो य अ न! तुम खुल जाओ. तुम ापक,
अ वनाशी तथा यजमान के लए शोभन पु वाला प धारण करते ए वशेष प से
स बनो. (५)
सा वपां स सनता न उ ते उषासान ा व येव र वते.
त तुं ततं संवय ती समीची य य पेशः सु घे पय वती.. (६)
हम उ म फल दे ने वाली दन एवं रात प अ न ऐसी दो कुशल ना रय के समान ह
जो कपड़ा बुनने म कुशल ह. बुनने वाली ना रयां जस कार खड़े होकर धाग को बुनती ह,
उसी कार रात व दन य को पूरा करते ह. वे जल से यु एवं फलदाता ह. (६)
दै ा होतारा थमा व
दे वा यज तावृतुथा सम
र ऋजु य तः समृचा वपु रा.
तो नाभा पृ थ ा अ ध सानुषु
षु.. (७)
सबसे अ धक व ान्, वशाल शरीर वाले अ न पी दो सुंदर होता पहले से ही य के
यो य होकर मं
ारा दे व क पूजा एवं य करते ह. वे पृ वी क ना भ के समान वेद के
म य भाग म ऋतु के अनुसार गाहप य आ द अ नय म मल जाते ह. (७)
सर वती साधय ती धयं न इळा दे वी भारती व तू तः.
त ो दे वीः वधया ब हरेदम छ ं पा तु शरणं नष .. (८)
हमारे य को पूण करने वाली सर वती, इला और सव
ापक भारती—ये तीन
दे वयां य शाला म नवास कर एवं ह पाने के लए हमारे य का नद ष प से पालन
कर. (८)
पश पः सुभरो वयोधाः ु ी वीरो जायते दे वकामः.
जां व ा व यतु ना भम मे अथा दे वानाम येतु पाथः.. (९)
व ा क कृपा से हमारे घर म वण के समान उ
वल रंग वाला, शोभन य क ा,
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अ दाता, उ त गुण वाला, वीर तथा दे व को चाहने वाला पु ज म ले. वह हम कुल क
र ा करने वाली संतान दे एवं हमारा अ दे व के पास जाए. (९)
वन प तरवसृज ुप थाद नह वः सूदया त धी भः.
धा सम ं नयतु जान दे वे यो दै ः श मतोप ह म्.. (१०)
हमारे कम को जानने वाले वन प त प अ न समीप उप थत ह. वे वशेष कार के
कम से ह को ठ क से पकाते ह. श मता नामक द अ न ह को तीन कार से भलीभां त शु जानकर दे व के समीप ले जाव. (१०)
घृतं म म े घृतम य यो नघृते तो घृत व य धाम.
अनु वधमा वह मादय व वाहाकृतं वृषभ व ह म्.. (११)
म अ न क ज मभू म, वास थल एवं आ यदाता का को अ न म डालता ं. हे
कामवष अ न! ह दे ने के समय दे व को बुलाकर स करो तथा वाहा के प म डाला
गया ह धारण करो. (११)
सू —४
दे वता—अ न
वे वः सु ो मानं सुवृ
वशाम नम त थ सु यसम्.
म इव यो द धषा यो भू े व आदे वे जने जातवेदाः.. (१)
हे यजमानो! म तु हारे क याण के न म अ यंत तेज वी, पापर हत, यजमान के
अ त थ एवं शोभन ह व वाले अ न को बुलाता ं. जातवेद अ न मनु य से लेकर दे व तक
सब ा णय को म के समान धारण करते ह. (१)
इमं वध तो अपां सध थे तादधुभृगवो व वा३योः.
एष व ा य य तु भूमा दे वानाम नरर तज रा ः.. (२)
अ न क सेवा करने वाले भृगु ने अ न को जल के नवास थान अंत र म एवं
मानव क संतान के बीच धारण कया. शी गामी अ वाले एवं दे व के ई र अ न हमारे
सभी श ु को हराव. (२)
अ नं दे वासो मानुषीषु व ु यं धुः े य तो न म म्.
स द दय शती या आ द ा यो यो दा वते दम आ.. (३)
दे व ने वग को जाते समय अपने य अ न को मनु य के बीच म के प म थत
कया था. वे अ न ह दाता यजमान के घर म दे व ारा था पत होकर उसके क याण के
लए अपनी य रात म काशयु होते रहते ह. (३)
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अ य र वा व येव पु ः स
र य हयान य द ोः.
व यो भ र दोषधीषु ज ाम यो न र यो दोधवी त वारान्.. (४)
अपने शरीर को पु करने के समान अ न के शरीर का पोषण एवं लक ड़य को
जलाने के इ छु क अ न का कट होना भी ब त सुंदर जान पड़ता है. रथ म जुता आ घोड़ा
म खयां उड़ाने के लए जस कार बार-बार पूंछ हलाता है, उसी कार अ न अपनी
लपट पी जीभ को फेरते ह. (४)
आ य मे अ वं वनदः पन तो श यो ना ममीत वणम्.
स च ेण च कते रंसु भासा जुजुवा यो मु रा युवा भूत्.. (५)
मेरे तोता अ न के मह व क तु त करते ह. वे मेरे प क कामना करने वाले
ऋ वज को अपना रंग दखाते ह. वे रमणीय ह के न म व च द त से पहचाने जाते
ह एवं बूढ़े होकर भी बार-बार जवान बन जाते ह. (५)
आ यो वना तातृषाणो न भा त वाण पथा र येव वानीत्.
कृ णा वा तपू र व केत ौ रव मयमानो नभो भः.. (६)
अ न यासे के समान वृ को जलाते ह, जल के समान इधर-उधर जाते ह तथा घोड़े
के समान श द करते ह. अ न का माग काला है और वे ताप दे ने वाले ह. फर भी वे तार
भरे आकाश के समान शोभा पाते ह. (६)
स यो
थाद भ द व पशुन त वयुरगोपाः.
अ नः शो च माँ अतसा यु ण कृ ण थर वदय भूम.. (७)
जो अ न अनेक कार से धरती पर थत ह, व तृत धरती के सामने बढ़ते ह एवं
बना रखवाले वाले पशु क तरह अपनी इ छा से इधर-उधर जाते ह, वे तेज वी अ न गीले
वृ को जलाते ए, कांट को भ म करते ए सब व तु का भली कार से वाद लेते ह.
(७)
नू ते पूव यावसो अधीतौ तृतीये वदथे म म शं स.
अ मे अ ने संय रं बृह तं ुम तं वाजं वप यं र य दाः.. (८)
हे अ न! तुमने पहले सवन म हमारी जो र ा क थी, उसे मरण करके हम तीसरे
सवन म मनोहर तु तयां बोल रहे ह. हे अ न! तुम हम महान् वीर , वशाल क त एवं सुंदर
संतान से यु धन दो. (८)
वया यथा गृ समदासो अ ने गुहा व व त उपरां अ भ युः.
सुवीरासो अ भमा तषाहः म सू र यो गृणते त यो धाः.. (९)
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हे अ न! गृ समद के वंश म उ प ऋ ष तु हारे ारा सुर त होकर जस तरह गुहा म
छपे धन पर अ धकार कर सके एवं उ म संतान पाकर श ु का सामना कर सके, उसी
तरह कृपा करो. तुम बु मान् एवं तु तक ा यजमान को ब त धन दान करो. (९)
दे वता—अ न
सू —५
होताज न चेतनः पता पतृ य ऊतये.
य
े यं वसु शकेम वा जनो यमम्.. (१)
होता, चेतना दान करने वाले और पालक अ न पतर क र ा के लए उ प ए ह.
हम ह से यु होकर ऐसा धन ा त कर सकगे जो अ यंत पू य एवं जीतने यो य हो. (१)
आ य म स त र मय तता य य नेत र.
मनु व ै म मं पोता व ं त द व त.. (२)
य - नवाहक अ न म सात र मयां ा त ह. वे दे व के पालक अ न, मनु य के
पालक ऋ वज् के समान य के आठव थान म बैठते ह. (२)
दध वे वा यद मनु वोचद्
प र व ा न का ा ने म
ा ण वे तत्.
मवाभवत्.. (३)
य म ह व धारण करता आ अ वयु जो मं बोलता है अथवा बु मान् ऋ वज् जो
भी कम करता है, उ ह अ न उसी कार धारण करते ह, जस कार प हए को ना भ धारण
करती है. (३)
साकं ह शु चना शु चः शा ता तुनाज न.
व ाँ अ य ता ुवा वयाइवानु रोहते.. (४)
शु
शा ता नामक अ न शु य के ही साथ उ प ए थे. जस कार प ी फल
पाने के लए एक शाखा से सरी शाखा पर जाता है, उसी कार यजमान अ न संबंधी य
को न त फलदायक जानकर बार-बार करता है. (४)
ता अ य वणमायुवो ने ु ःसच त धेनवः.
कु व सृ य आ वरं वसारो या इदं ययुः.. (५)
य कम करने वाली उंग लयां गाय के समान ने ा नामक अ न क सेवा करती ह. वे
ही अ न के गाहप य आ द तीन प क भी सेवा करती ह. (५)
यद मातु प वसा घृतं भर य थत. तासाम वयुरागतौ यवो वृ ीव मोदते.. (६)
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जस समय माता प वेद के समीप भ गनी के समान जु नामक पा घी से भरकर
रखा जाता है, उस समय अ वयु प अ न उसी कार स होते ह, जैसे वषा होने पर जौ
हरे-भरे हो जाते ह. (६)
वः वाय धायसे कृणुतामृ वगृ वजम्. तोमं य ं चादरं वनेमा र रमा वयम्.. (७)
ऋ वज् प अ न अपना कम समझकर ऋ वज् का काम करते ह. हम भी अ न क
ही कृपा से तु तयां, य और ह पया त मा ा म दे ते ह. (७)
यथा व ाँ अरंकर
े यो यजते यः.
अयम ने वे अ प यं य ं चकृमा वयम्.. (८)
हे अ न! ऐसी कृपा करो क तु हारा मह व जानने वाला यजमान सभी दे व को स
कर सके. हे अ न! हम जस य को करगे, वह तु हारा ही होगा. (८)
दे वता—अ न
सू —६
इमां मे अ ने स मध ममामुपसदं वनेः. इमा उ षु ुधी गरः.. (१)
हे अ न! य म द गई मेरी स मधा तथा आ त का उपभोग करो एवं मेरी तु तयां
सुनो. (१)
अया ते अ ने वधेमोज नपाद म े. एना सू े न सुजात.. (२)
हे अ न! इस आ त के ारा हम तु हारी सेवा करगे. हे बल के नाती, व तृत य के
वामी एवं सुंदर ज म वाले अ न! इस सुंदर तु त ारा हम तु ह स करगे. (२)
तं वा गी भ गवणसं
वण युं
वणोदः. सपयम सपयवः.. (३)
हे धनदाता, तु त यो य एवं ह व के अ भलाषी अ न! हम तु हारे सेवक बनकर
तु तय ारा तु ह स करगे. (३)
स बो ध सू रमघवा वसुपते वसुदावन्. युयो य१ मद् े षां स.. (४)
हे धन वामी, व ान् एवं धनदाता अ न! हमारी तु त जानकर हमारे श ु
भगाओ. (४)
स नो वृ
को
दव प र स नो वाजमनवाणम्. स नः सह णी रषः.. (५)
वे ही अ न हमारे क याण के लए आकाश से वषा करते ह एवं पया त बल तथा
हजार कार के अ दे ते ह. (५)
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ईळानायाव यवे य व
त नो गरा. य ज होतरा ग ह.. (६)
हे अ तशय त ण, दे व त एवं य के परम यो य अ न! मेरी तु त सुनकर आओ एवं
अपने पूजक मुझको अपना आ य दो. (६)
अत
न ईयसे व ा
मोभया कवे. तो ज येव म यः.. (७)
हे बु मान् अ न! तुम मनु य के दय क भावना पहचानते हो. तुम यजमान और
दे व दोन के वषय म जानते हो. तुम म के त के समान लोग के हतकारी हो. (७)
स व ाँ आ च प यो य
च क व आनुषक्. आ चा म स स ब ह ष.. (८)
हे ानसंप अ न! हमारी इ छा सभी कार से पूरी करो. हे चेतनायु
मानुसार दे व का य करो एवं बछे ए कुश पर बैठो. (८)
अ न! तुम
दे वता—अ न
सू —७
े ं य व भारता ने ुम तमा भर. वसो पु पृहं र यम्.. (१)
हे अ तशय त ण, ऋ वज के संबंधी एवं ा त अ न! हम अ त शंसनीय, तेज वी
एवं ब त से याचक ारा मांगा गया धन दान करो. (१)
मा नो अरा तरीशत दे व य म य य च. प ष त या उत
षः.. (२)
हे अ न! हम मनु य एवं दे व क श ुता हरा न सके. हम इन दोन
बचाओ. (२)
व ा उत वया वयं धारा उद याइव. अ त गाहेम ह
(३)
हे अ न! तु हारी कृपा से हम सभी श ु
शु चः पावक व
ोऽ ने बृह
कार के श ु
से
षः.. (३)
को जल क धारा के समान लांघ जाएंगे.
रोचसे. वं घृते भरा तः.. (४)
हे शु , प व करने वाले एवं वंदनीय अ न! तुम घृत ारा बुलाए गए हो और अ यंत
का शत हो रहे हो. (४)
वं नो अ स भारता ने वशा भ
भः. अ ापद भरा तः.. (५)
हे ऋ वज का भरण करने वाले अ न! तुम हमारे हो. तुम बांझ गाय , बैल एवं
ग भणी गाय ारा बुलाए गए हो. (५)
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व
् ः स परासु तः
नो होता वरे यः. सहस पु ो अ तः.. (६)
स मधा को भ ण करने वाले एवं घृत से सचे ए, पुरातन होम पूरा करने वाले,
वरण करने यो य एवं श से उ प अ न परम व च ह. (६)
दे वता—अ न
सू —८
वाजय व नू रथा योगाँ अ ने प तु ह. यश तम य मी
हे अंतरा मन्! जस तरह अ का इ छु क
यश वाले एवं फलदाता अ न क तु त करो. (१)
यः सुनीथो ददाशुषेऽजुय जरय रम्. चा
षः.. (१)
ाथना करता है, उसी कार परम
तीक आ तः.. (२)
सुंदर नयन वाले, जरार हत एवं शोभन-ग त वाले अ न ह दाता यजमान के श ु
को न करने के लए बुलाए गए ह. (२)
यउ
या दमे वा दोषोष स श यते. य य तं न मीयते.. (३)
जो सुंदर लपट वाले अ न य शाला म आकर रात- दन तु तयां सुनते ह, उनका त
कभी समा त नह होता. (३)
आ यः व१ण भानुना च ो वभा य चषा. अ
ानो अजरैर भ.. (४)
अ न अपनी न य क वाला म सब दशा म का शत होते ए इस कार
शोभा पाते ह, जस कार सूय अपनी करण से सुशो भत होता है. (४)
अ मनु वरा यम नमु था न वावृधुः. व ा अ ध
यो दधे.. (५)
श ुनाशक एवं वयं शो भत अ न क तु त म ऋ वेद के सभी मं
जाता है. अ न सम त शोभा को धारण करते ह. (५)
का योग कया
अ ने र य सोम य दे वानामू त भवयम्.
अ र य तः सचेम भ याम पृत यतः.. (६)
हम अ न, इं , सोम एवं अ य दे व क र ा से यु
श ु को हरावगे. (६)
सू —९
ह. हम सबके अ न से बचते ए
दे वता—अ न
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न होता होतृषदने वदान वेषो द दवां असद सुद ः.
अद ध त म तव स ः सह भरः शु च ज ो अ नः.. (१)
दे व का आ ान करने वाले, व ान्, चमकते ए, शोभन बलयु , अ ह सत त एवं
उ म बु वाले, नवास थान दे ने वाले, असं य
य का भरणपोषण करने वाले एवं
वशु
वाला वाले अ न होता के भवन म भली कार बैठ. (१)
वं त वमु नः पर पा वं व य आ वृषभ णेता.
अ ने तोक य न तने तनूनाम यु छ द
ो ध गोपाः.. (२)
हे कामवषक! तुम हमारे त बनो, हम आप य से बचाओ एवं हमारे धनदाता बनो.
तुम मादशू य एवं काशयु बनकर हमारी और हमारे पु क शरीर र ा करके जगो.
(२)
वधेम ते परमे ज म ने वधेम तोमैरवरे सध थे.
य मा ोने दा रथा यजे तं वे हव ष जु रे स म े .. (३)
हे अ न! तु हारे उ म ज म थान म हम तु हारी सेवा करगे और तु हारे आकाश से
नीचे थत होने पर तु तसमूह से तु ह स करगे. जस अधः दे श अथात् धरती से तुम
उ प ए हो, उसक भी पूजा करगे. वहां जब तुम व लत होते हो तो अ वयु ह दे ते ह.
(३)
अ ने यज व ह वषा यजीयान् ु ी दे णम भ गृणी ह राधः.
वं स र यपती रयीणां वं शु य वचसो मनोता.. (४)
हे े या क प अ न! तुम ह
ारा य करो और शी तापूवक हमारे दान यो य
अ क शंसा दे व के सामने करो. तुम उ म धन के वामी हो. तुम हमारे ओज वी तो
को जानो. (४)
उभयं ते न ीयते वस ं दवे दवे जायमान य द म.
कृ ध ुम तं ज रतारम ने कृ ध प त वप य य रायः.. (५)
हे सुंदर अ न! त दन उ प होने वाला तु हारा द एवं पा थव दोन कार का धन
न नह होता. हे अ न! तु तक ा यजमान को अ का वामी बनाओ एवं उसे अप य
वाला धन दान करो. (५)
सैनानीकेन सु वद ो अ मे य ा दे वाँ आय ज ः व त.
अद धो गोपा उत नः पर पा अ ने ुम त रेव द ह.. (६)
हे अ न! तुम अपनी सेना स हत आकर हमारे लए शोभन धन वाले बनो. हे दे व के
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य क ा सबसे उ म या क, तर कारर हत, पाप से र ा करने वाले, धन एवं कां तयु
अ न! तुम हमारी र ा करते ए सभी ओर से का शत बनो. (६)
सू —१०
दे वता—अ न
जो ो अ नः थमः पतेवेळ पदे मनुषा य स म ः.
यं वसानो अमृतो वचेता ममृजे यः व य१: स वाजी.. (१)
सबसे थम य म बुलाने यो य, पता के समान, शोभा धारण करने वाले, मरणर हत,
व वध
ायु , अ एवं बल से संयुत एवं सेवा के यो य अ न मनु य ारा य शाला म
जलाए गए ह. (१)
ू ाअ न
य
भानुहवं मे व ा भग भरमृतो वचेताः.
यावा रथं वहतो रो हता वोता षाह च े वभृ ः.. (२)
मरणर हत, व वध जा-यु एवं व च - काश वाले अ न मेरी सम त तु तय
स हत पुकार को सुन. काले अथवा लाल रंग के दो घोड़े अ न का रथ ख चते ह. वे ऋ वज
ारा व भ थान म ले जाए जाते ह. (२)
उ ानायामजनय सुषूतं भुवद नः पु पेशासु गभः.
श रणायां चद ु ना महो भरपरीवृतो वस त चेताः.. (३)
अ वयुजन ने ऊपर मुख वाली अर ण म रहने वाले अ न को उ प कया. अ न
सम त वन प तय म व मान ह. ानवान् अ न रात म महान् तेज से यु होकर एवं
अंधकार ारा अछू ते रहकर नवास करते ह. (३)
जघ य नं ह वषा घृतेन त य तं भुवना न व ा.
पृथुं तर ा वयसा बृह तं च म ै रभसं शानम्.. (४)
सारे संसार म नवास करने वाले, महान्, सब जगह जाने वाले, शरीर से बढ़े ए, ह
अ
ारा ा त, बलवान् एवं दखाई दे ने वाले अ न क हम घृत पी ह
ारा पूजा
करते ह. (४)
आ व तः य चं जघ यर सा मनसा त जुषेत.
मय ीः पृहय ण अ नना भमृशे त वा३ जभुराणः.. (५)
सब जगह वतमान एवं य क ओर आने के इ छु क अ न को हम घी के ारा स चते
ह. अ न बाधार हत मन से उसे वीकार कर. मनु य ारा करने यो य एवं अ तशय य वण
वाले अ न पूरी तरह व लत हो जाने पर कसी के ारा छु ए नह जा सकते. (५)
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े ा भागं सहसानो वरेण वा तासो मनुव दे म.
य
अनूनम नं जुह्वा वच या मधुपृचं धनसा जोहवी म.. (६)
हे अ न! तुम अपने तेज से श ु को परा जत करते ए अपनी तु तय को जानो.
हम तु हारे त बनकर मनु के समान तो बोलते ह. धन ा त करने का इ छु क म वाला
से पूण एवं कमफल से यजमान को यु करने वाले अ न क तु त क कामना से ह दे ता
ं. (६)
दे वता—इं
सू —११
ु ी हव म मा रष यः याम ते दावने वसूनाम्.
ध
इमा ह वामूज वधय त वसूयवः स धवो न र तः.. (१)
हे इं ! मेरी तु त को सुनो. इसका तर कार मत करो. हम तु हारे धनदान के पा ह .
बहती ई नद के समान घी टपकाने वाला ह यजमान को धन ा त कराने क इ छा से
तु ह बढ़ाता है. (१)
सृजो मही र या अ प वः प र ता अ हना शूर पूव ः.
अम य च ासं म यमानमवा भन थैवावृधानः.. (२)
हे शूर इं ! तुमने अ धक मा ा म जल बरसाया, उसी को वृ असुर ने रोक लया था.
तुमने उस जल को छु ड़ा दया था. तुमने तु तय ारा उ त पाकर वयं को मरणर हत
मानने वाले दास वृ को नीचे पटक दया था. (२)
उ थे व ु शूर येषु चाक तोमे व
येषु च.
तु येदेता यासु म दसानः वायवे स ते न शु ाः.. (३)
हे शूर इं ! तुम -संबंधी ऋ वेद के मं क कामना करते हो. जन तु त मं
पाकर तुम स होते हो, वे तु तयां हमारे य के त आने वाले तु हारे लए यु
जाती ह. (३)
को
क
शु ं नु ते शु मं वधय तः शु ं व ं बा ोदधानाः.
शु व म वावृधानो अ मे दासी वशः सूयण स ाः.. (४)
हे इं ! हम तो ारा तु हारा शोभन बल बढ़ाते ए तु हारी भुजा म चमकता आ
व धारण करते ह. तो
ारा तेजयु होकर तुम हम हा न प ंचाने वाले असुर को
सूय पी अ
ारा हराते हो. (४)
गुहा हतं गु ं गूळहम वपीवृतं मा यनं
य तम्.
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उतो अपो ां त त वांसमह ह शूर वीयण.. (५)
हे शूर इं ! तुमने गुहा म सोए ए, अंधेरे म छपे ए, गूढ़ अ य जल म खूबे ए, माया
के ारा धरती और आकाश को वश म करने वाले वृ को अपने व से मारा था. (५)
तवा नु त इ पू ा महा युत तवाम नूतना कृता न.
तवा व ं बा ो श तं तवा हरी सूय य केतू.. (६)
हे इं ! हम तु हारे ाचीन महान् कम क शी तु त करते ह. हम तु हारे नूतन काय
क भी शंसा करते ह. तु हारी भुजा म वतमान व क तु त करते ह. तुम सूय प हो.
तु हारे ह र नामक अ तु हारी पताका के समान ह. हम उनक भी तु त करते ह. (६)
हरी नु त इ वाजय ता घृत तं वारम वा ाम्.
व समना भू मर थ ारं त पवत स र यन्.. (७)
हे इं ! शी ग त से चलने वाले तु हारे घोड़े जल बरसाने वाले बादल के समान गरजते
ह. समतल धरती स ई. बादल भी इधर-उधर घूमता आ स आ. (७)
न पवतः सा यु छ सं मातृ भवावशानो अ ान्.
रे पारे वाण वधय त इ े षतां धम न प थ .. (८)
वषा करने म सावधान बादल आकाश म आया एवं माता प जल के कारण बार-बार
गरजता आ इधर-उधर घूमने लगा. आकाश म र- र तक श द को बढ़ाने वाले म त ने
इं ारा े रत उस व न को अ छ तरह फैला दया. (८)
इ ो महां स धुमाशयानं माया वनं वृ म फुर ः.
अरेजेतां रोदसी भयाने क न दतो वृ णो अ य व ात्.. (९)
बलवान् इं ने इधर-उधर जाने वाले मेघ म थत रहने वाले मायावी वृ को मार डाला
था. जल बरसाने वाले इं के श द करते ए व से डरे ए धरती और आकाश कांप उठे थे.
(९)
अरोरवीद्वृ णो अ य व ोऽमानुषं य मानुषो नजूवात.
न मा यनो दानव य माया अपादय प पवा सुत य.. (१०)
जब मानव हतैषी इं ने मानव वरोधी वृ को मारने क उ कट अ भलाषा क , उस
समय कामवषक इं के व ने बार-बार श द कया था. नचोड़े ए सोम को पीकर इं ने
मायावी वृ क सब माया समा त कर द . (१०)
पबा पबे द
शूर सोमं म द तु वा म दनः सुतासः.
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पृण त ते कु ी वधय व था सुतः पौर इ माव.. (११)
हे शूर इं ! तुम बार-बार सोमरस पओ. मद करने वाला सोमरस तु ह स करे. सोम
तु हारे पेट को भरकर तु हारी वृ करे. पेट भरने वाला सोम तु ह तृ त करे. (११)
वे इ ा यभूम व ा धयं वनेम ऋतया सप तः.
अव यवो धीम ह श तं स ते रायो दावने याम.. (१२)
हे इं ! हम मेधावी तु हारे मन म थान ा त करगे. कमफल क इ छा से तु हारी सेवा
करते ए हम तु हारा आ य पाने के लए तु त करते ह. हम इसी समय तु हारे धनदान के
पा बन. (१२)
याम ते त इ ये त ऊती अव यव ऊज वधय तः.
शु म तमं यं चाकनाम दे वा मे र य रा स वीरव तम्.. (१३)
हे इं ! जो लोग तु हारी र ा पाने के लए तु ह अ धक मा ा म ह व दे ते ह, हम भी
उ ह के समान तु हारे अधीन हो जाव. हे सबसे बलवान् इं दे व! हम जस धन क कामना
करते ह, हम वही वीर पु से यु धन दे ना. (१३)
रा स यं रा स म म मे रा स शध इ मा तं नः.
सजोषसो ये च म दसानाः वायवः पा य णी तम्.. (१४)
हे इं ! तुम हम घर दो, म दो और म त के समान महान् श दो. साथ-साथ स
होते ए एवं य क ओर आते ए म द्गण आगे रखा गया सोम पएं. (१४)
व ु येषु म दसान तृप सोमं पा ह
द .
अ मा सु पृ वा त ावधयो ां बृह रकः.. (१५)
हे इं ! जन म त क सहायता पाकर तुम स रहते हो, वे सोमरस पएं. तुम वयं
को ढ़ करते ए इस तृ तदायक सोम को पओ. हे श ुनाशक इं ! तुम बलवान् एवं
पूजनीय म त के साथ आकर पशु, पु ा द ारा हमारा पालन करके धरती एवं वग क
वृ करो. (१५)
बृह त इ ु ये ते त ो थे भवा सु नमा ववासान्.
तृणानासो ब हः प याव वोता इ द वाजम मन्.. (१६)
हे आप य से उ ार करने वाले इं ! जो उ मं
ारा तुझ सुखदाता क सेवा करते
ह, वे शी ही महान् बन जाते ह. कुश बछाकर तु हारी सेवा करने वाले तुमसे सुर त होकर
घर एवं अ पाते ह. (१६)
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उ े व ु शूर म दसान क केषु पा ह सोम म .
दोधुव छ् म ुषु ीणानो या ह ह र यां सुत य पी तम्.. (१७)
हे शूर इं ! तुम कं नामक उ दन म स होते ए सोमरस पओ. इसके बाद
स होते ए एवं अपनी दाढ़ म लगी सोमरस क बूंद को बार-बार झाड़ते ए अपने घोड़
ारा सोमरस पीने के वचार से सरी जगह जाओ. (१७)
ध वा शवः शूर येन वृ मवा भन ानुमौणवाभम्.
अपावृणो य तरायाय न स तः सा द द यु र .. (१८)
हे शूर इं ! वह बल धारण करो, जसके ारा तुमने दनुपु वृ को मकड़ी के समान
मसल डाला था. तुमने आय के लए काश का उद्घाटन कया एवं द यु तु हारे ारा सताए
गए. (१८)
सनेम ये त ऊ त भ तर तो व ा: पृध आयण द यून्.
अ म यं त वा ं व पमर धयः सा य य ताय.. (१९)
हम उन लोग क शंसा करते ह, जो तु हारे ारा सुर त होकर सभी से उ म स
ए एवं ज ह ने आय बनकर द युजन पर वजय पाई. जस कार तुमने त का सखा
बनकर व ा के पु व प का वध कया, वैसा ही काय हमारे लए भी करो. (१९)
अ य सुवान य म दन त य यबुदं वावृधानो अ तः.
अवतय सूय न च ं भन ल म ो अ र वान्.. (२०)
इं ने स एवं सोम नचोड़ने वाले त ारा उ त पाकर अबुद को न कया था.
सूय जस कार अपने रथ के प हए को आगे चलाते ह, उसी कार अं गरा क सहायता
पाकर इं ने अपना व चलाया और बल का नाश कया. (२०)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो म त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (२१)
हे इं ! तु हारी जो धनयु द णा तोता क इ छा पूरी करती है, वह हम दान करो.
तुम सेवा करने यो य हो, इस लए हमारे अ त र वह द णा कसी को मत दे ना. हम पु पौ आ द को साथ लेकर इस य म तु हारी अ धक तु त करगे. (२१)
सू —१२
दे वता—इं
यो जात एव थमो मन वा दे वो दे वा तुना पयभूषत्.
य य शु मा ोदसी अ यसेतां नृ ण य म ा स जनास इ ः.. (१)
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हे मनु यो! जसने उ प होते ही दे व एवं मनु य म थम थान ा त करके अपने
वीर कम से दे व को वभू षत कया था, जसके बल से धरती और आकाश डर गए थे और
जो वशाल सेना के नायक थे, वही इं ह. (१)
यः पृ थव थमानाम ं ह ः पवता कु पताँ अर णात्.
यो अ त र ं वममे वरीयो यो ाम त ना स जनास इ ः.. (२)
हे मनु यो! जसने चंचल पृ वी को ढ़ कया, ो धत पवत को नय मत कया,
वशाल अंत र को बनाया एवं आकाश को थर कया, वही इं ह. (२)
यो ह वा हम रणा स त स धू यो गा उदाजपधा वल य.
यो अ मनोर तर नं जजान संवृ सम सु स जनास इ ः.. (३)
हे मनु यो! जसने वृ को मारकर सात न दय को बहाया, जसने बल असुर ारा
रोक गई गाय को वतं कया, जसने दो बादल के घषण से बजली पी अ न को
उ प कया एवं जो यु थल म श ु का वनाश करता है, वही इं ह. (३)
येनेमा व ा यवना कृता न यो दासं वणमधरं गुहाकः.
नीव यो जगीवाँ ल माददयः पु ा न स जनास इ ः.. (४)
हे मनु यो! जसने न र संसार को बनाया है एवं जसने वनाशक असुर को अंधेरी गुहा
म बंद कया, जस कार बहे लया मारे ए पशु को ले जाता है, उसी कार जो जीते ए
श ु का सब धन अ धकार म कर लेता है, वही इं ह. (४)
यं मा पृ छ त कुह से त घोरमुतेमा नषो अ ती येनम्.
सो अयः पु ी वजइवा मना त द मै ध स जनास इ ः.. (५)
हे मनु यो! जसके वषय म लोग पूछते ह क वह कहां है? जसके वषय म लोग
कहते ह क वह नह है. जो श ु क संप को न करता है, वही इं ह. उनके त
ा
करो. (५)
यो र य चो दता यः कृश य यो
णो नाधमान य क रेः.
यु ा णो योऽ वता सु श ः सुतसोम य स जनास इ ः.. (६)
हे मनु यो! जो संप
को धन दे ता है, जो द न बल अथवा ाथना करते ए
तोता को धन दान करता है, जो शोभन हनु वाला, हाथ म प थर धारण करने वाले तथा
सोम नचोड़ने वाले यजमान क र ा करता है, वही इं ह. (६)
य या ासः द श य य गावो य य ामा य य व े रथासः.
यः सूय य उषसं जजान यो अपां नेता स जनास इ ः.. (७)
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हे मनु यो! सम त अ , गाएं, गांव एवं रथ जसके अ धकार म ह, जसने सूय एवं उषा
को उ प कया और जो जल को बहने क ेरणा दे ता है, वही इं ह. (७)
यं दसी संयती व येते परेऽवर उभया अ म ाः.
समानं च थमात थवांसा नाना हवेते स जनास इ ः.. (८)
हे मनु यो! श द करती ई दो वरोधी सेनाएं, े एवं न न दोन कार के श ु एवं
एक ही कार के दो रथ पर बैठे ए लोग जसे अपनी सहायता के लए बुलाते ह, वही इं
ह. (८)
य मा ऋते वजय ते जनासो यं यु यमाना अवसे हव ते.
यो व य तमानं बभूव यो अ युत यु स जनास इ ः.. (९)
हे मनु यो! जसक सहायता के बना लोग को वजय नह मलती, यु करते ए
लोग जसे अपनी र ा के लए बुलाते ह, जो संसार के त न ध बने थे एवं थर पवत आ द
को भी चंचल कर दे ते ह, वही इं ह. (९)
यः श तो म ेनो दधानानम यमाना छवा जघान.
यः शधते नानुददा त शृ यां यो द योह ता स जनास इ ः.. (१०)
हे मनु यो! जसने ब त से पापी एवं अयाजक जन का नाश कया, जो गव करने वाले
को स
दान नह करते एवं जो द यु का हनन करने वाले ह, वही इं ह. (१०)
यः श बरं पवतेषु य तं च वा र यां शर व व दत्.
ओजायमानं यो अ ह जघान दानुं शयानं स जनास इ ः.. (११)
हे मनु यो! जसने पवत म छपे ए शंबर असुर को चालीसव वष म ा त कया था,
जसने बल योग करने वाले पवत म सोए ए दनु नामक असुर को मारा था, वही इं ह.
(११)
यः स तर मवृषभ तु व मानवासृज सतवे स त स धून्.
यो रौ हणम फुर बा ामारोह तं स जनास इ ः.. (१२)
हे मनु यो! जो सात र मय वाले, कामवष एवं बलवान् ह, ज ह ने सात न दय को
बहाया है और ज ह ने हाथ म व लेकर वग जाने को त पर रो हण असुर का वनाश
कया, वही इं ह. (१२)
ावा चद मै पृ थवी नमेते शु मा चद य पवता भय ते.
यः सोमपा न चतो व बा य व ह तः स जनास इ ः.. (१३)
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हे मनु यो! धरती और आकाश जसके सामने झुकते ह, जसक श के कारण पवत
डरते ह और जो सोमपानक ा, सबसे अ धक ढ़ शरीर वाला, व के समान ढ़ भुजा
वाला एवं हाथ म व धारणक ा है, वही इं ह. (१३)
यः सु व तमव त यः पच तं यः शंस तं यः शशमानमूती.
यय
वधनं य य सोमो य येदं राधः स जनास इ ः.. (१४)
हे मनु यो! जो सोमरस नचोड़ने वाले यजमान, पुरोडाश पकाने वाले
रचना करने वाले एवं पढ़ने वाले क र ा करता है, हमारा अ , सोम एवं तो
वाले ह, वही इं ह. (१४)
यः सु वते पचते
वयं त इ व ह
, तु त
जसे बढ़ाने
आ च ाजं दद ष स कला स स यः.
यासः सुवीरासो वदथमा वदे म.. (१५)
हे धष इं ! तुम सोमरस नचोड़ने वाले एवं पुरोडाश पकाने वाले यजमान क र ा
करते हो, अतः तुम स चे हो. हम य एवं वीर पु से यु होकर ब त दन तक तु हारी
तु तय का पाठ करगे. (१५)
सू —१३
दे वता—इं
ऋतुज न ी त या अप प र म ू जात आ वश ासु वधते.
तदाहना अभवत् प युषी पय ऽशोः पीयूषं थमं त यम्.. (१)
वषा ऋतु सोम क जननी है. वह जस जल से उ प होता है, जसम बढ़ता है, उसीम
बाद म व हो जाता है. जो सोम जल का अंश धारण करता आ बढ़ता है, वही नचोड़ने
यो य है एवं उसीका रस पी अंश इं का पहला भाग है. (१)
स ीमा य त प र ब तीः पयो व
याय भर त भोजनम्.
समानो अ वा वतामनु यदे य ताकृणोः थमं सा यु यः.. (२)
जल धारण करने वाली न दयां आपस म मलकर चार ओर बह रही ह एवं जल के
वामी सागर को भोजन प ंचाती ह. नीचे क ओर बहने वाले जल का रा ता एक समान है.
जस इं ने ाचीन काल म ये सब काम कए ह, वह शंसा के यो य है. (२)
अ वेको वद त य दा त त प
ू ा मन तदपा एक ईयते.
व ा एक य वनुद त त ते य ताकृणोः थमं सा यु यः.. (३)
यजमान दान करता है. होता उसका वणन करता है. अ वयु पधारी पशु क हसा
करता आ इसी काम के लए सभी जगह जाता है.
ा उसके सब कमदोष का ाय
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करता है. हे इं ! पहले तुमने ये सब कम कए ह, इस लए तुम शंसनीय हो. (३)
जा यः पु वभज त आसते र य मव पृ ं भव तमायते.
अ स व दं ैः पतुर भोजनं य ताकृणोः थमं सा यु यः.. (४)
हे इं ! जस कार घर आए ए अ त थय को धन का वभाग कया जाता है, उसी
कार गृह म भी लोग तु हारे ारा दया आ धन जा म बांटते ह. लोग पता के ारा
दया आ भोजन दांत से भ ण करते ह. तुमने पूवकाल म ये सब काय कए ह, इस लए
तुम तु त के यो य हो. (४)
अधाकृणोः पृ थव स शे दवे यां धौतीनाम हह ा रण पथः.
तं वा तोमे भ द भन वा जनं दे वं दे वा अजन सा यु यः.. (५)
हे इं ! तुमने धरती को सूय के लए दशनीय बनाया है एवं न दय के माग को गमन
यो य बनाया है. हे वृ नाशक इं ! जस कार जल से घोड़े को संतु करते ह, उसी कार
तोतागण तु तय से तु ह बढ़ाते ह. तुम तु त के यो य हो. (५)
यो भोजनं च दयसे च वधनमा ादा शु कं मधुमद् दो हथ.
सः शेव ध न द धषे वव व त व यैक ई शषे सा यु यः.. (६)
हे इं ! तुम यजमान के लए भोजन एवं बढ़ने वाला धन दे ते हो. तुम गांठ से सूखे ए
गे ं आ द मधुर रस वाली फसल का दोहन करते हो. तुम सेवा करने वाले यजमान को धन
दे ते हो और संसार के एकमा वामी एवं शंसा के यो य हो. (६)
यः पु पणी
व धमणा ध दाने १वनीरधारयः.
य ासमा अजनो द ुतो दव उ वा अ भतः सा यु यः.. (७)
हे इं ! तुम अपने वषा पी कम ारा खेत म फूल और फल वाली ओष धय को
धारण करते हो. तुमने सूय क अनेक करण को उ प कया है एवं वयं महान् बनकर
चार ओर बड़े-बड़े ा णय को ज म दया है. तुम तु त के यो य हो. (७)
यो नामरं सहवसुं नह तवे पृ ाय च दासवेशाय चावहः.
ऊजय या अप र व मा यमुतैवा पु कृ सा यु यः.. (८)
हे अनेक कम के क ा इं ! तुमने द यु के वनाश एवं य म ह पाने के लए
नृमर के पु सहवसु नामक असुर को मारने के लए बलवान् व क चमक ली धार का मुंह
उस ओर कर दया. तुम तु त के यो य हो. (८)
शतं वा य य दश साकमा एक य ु ौ य चोदमा वथ.
अर जौ द यू समुन दभीतये सु ा ो अभवः सा यु यः.. (९)
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हे इं ! तुम अकेले को सुख प ंचाने के लए दस सौ घोड़े हो. तुम यजमान क र ा
करते हो. तुमने दधी च ऋ ष के क याण के लए बना र सी वाले बंद गृह म द यु का नाश
कया. तुम सबके ा य एवं तु तपा हो. (९)
व ेदनु रोधना अ य प यं द र मै द धरे कृ नवे धनम्.
षळ त ना व रः प च स शः प र परो अभवः सा यु यः.. (१०)
हे इं ! सारी न दयां तु हारी श के अनुसार बहती ह. यजमान कम करने वाले तुमको
अ दे ते ह एवं तु हारे न म धन धारण करते ह. तुमने छह वशाल थान को ढ़ बनाया है
एवं तुम पंचजन का सब कार से पालन करते हो. तुम शंसा के यो य हो. (१०)
सु वाचनं तव वीर वीय१ यदे केन तुना व दसे वसु.
जातू र य वयः सह वतो या चकथ से व ा यु यः.. (११)
हे वीर इं ! तु हारा साम य सबके लए शंसा के यो य है, य क एक कम ारा ही
तुम श ु का धन पा लेते हो, तुमने श शाली जातु र को अ दया था. ये सभी काय
तुमने कए ह, इस लए तुम तु त के पा हो. (११)
अरमयः सरपस तराय कं तुव तये च व याय च ु तम्.
नीचा स तमुदनयः परावृजं ा धं ोणं वय सा यु यः.. (१२)
हे इं ! तुमने बहने वाले जल के उस पार सरलता से प ंचने के लए तुव त एवं व य के
लए माग बनाया तथा जल म डू बे एवं तल म वतमान अंधे-पंगु परावृज का उ ार करके
क त ा त क . तुम शंसा के यो य हो. (१२)
अ म यं त सो दानाय राधः समथय व ब ते वस म्.
इ य च ं व या अनु ू बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१३)
हे नवासदाता इं ! हम दाना द के लए अपना पया त, व च एवं शरण लेने यो य धन
दान करो. हम त दन उस धन को भोगने के इ छु क ह. हम उ म पु एवं पौ
ात
करके इस य म ब त सी तु तय का पाठ करगे. (१३)
सू —१४
दे वता—इं
अ वयवो भरते ाय सोममाम े भः स चता म म धः.
कामी ह वीरः सदम य पी त जुहोत वृ णे त ददे ष व .. (१)
हे अ वयुजनो! इं के लए सोम ले जाओ एवं चमस के ारा मादक सोम को अ न म
डालो. इस सोम को पीने के लए वीर इं सदा इ छु क रहते ह. तुम कामवधक इं के न म
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सोम दो, य क वे इसे चाहते ह. (१)
अ वयवो यो अपो व वांसं वृ ं जघानाश येव वृ म्.
त मा एतं भरत त शायँ एष इ ो अह त पी तम य.. (२)
हे अ वयुजनो! जन इं ने जल को रोकने वाले वृ असुर को व
ारा इस कार मार
डाला, जैसे पेड़ काट दे ते ह, उन सोमरस पीने के इ छु क इं के पास सोम ले जाओ, य क
वे ही इसे पीने क यो यता रखते ह. (२)
अ वयवो यो भीकं जघान यो गा उदाजदप ह वलं वः.
त मा एतम त र े न वात म ं सोमैरोणुत जून व ैः.. (३)
हे अ वयुगण! जन इं ने मीक का हनन कया, ज ह ने बल असुर का नाश करके
उसके ारा रोक ई गाय को वतं कया, उन इं के लए इस कार सब जगह सोम भर
दो, जैसे आकाश म वायु भरी रहती है. जस कार बल
को कपड़ से ढक दे ते ह,
उसी कार इं को सोमरस से ढक दो. (३)
अ वयवो य उरणं जघान नव च वांसं नव त च बा न्.
यो अबुदमव नीचा बबाधे त म ं सोम य भृथे हनोत.. (४)
हे अ वयुजनो! जन इं ने न यानवे भुजा का दशन करने वाले उरण असुर को
मारा तथा अबुद को नीचे क ओर मुख करके समा त कया, उन इं के लए सोमरस भरने
के लए पा लाओ. (४)
अ वयवो यः व ं जघान यः शु णमशुषं यो ंसम्.
यः प ुं नमु च यो ध ां त मा इ ाया धसो जुहोत.. (५)
हे अ वयुजनो! जन इं ने अ रा स को सरलतापूवक न कया तथा न मरने यो य
शु ण असुर को बना गरदन का बना डाला एवं ज ह ने प ु नमु च तथा ध ा का वनाश
कया, उ ह इं के लए सोमरस लाओ. (५)
अ वयवो यः शतं श बर य पुरो वभेदा मनेव पूव ः.
यो व चनः शत म ः सह मपावप रता सोमम मै.. (६)
हे अ वयुजनो! जन इं ने शंबर असुर क ाचीन सौ नग रय को व
ारा न कर दया एवं ज ह ने वच के सौ हजार पु को मारकर एक साथ ही धरती पर गरा दया,
उ ह इं के लए सोम ले आओ. (६)
अ वयवो यः शतमा सह ं भू या उप थेऽवप जघ वान्.
कु स यायोर त थ व य वीरा यावृण भरता सोमम मै.. (७)
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हे अ वयुजनो! जस श ुहननक ा इं ने सौ हजार असुर को धरती क गोद म
मारकर गरा दया एवं ज ह ने कु स, आयु और अ त थ व के वरो धय का नाश कया,
उ ह इं के लए सोमरस लाओ. (७)
अ वयवो य रः कामया वे ु ी वह तो नशथा त द े .
गभ तपूतं भरत ुताये ाय सोमं य यवो जुहोत.. (८)
हे य कमक ा अ वयुजनो! तुम जो चाहते हो, वह इं के लए सोमरस दे ने पर तुरंत
मल जाएगा. हे या को! हाथ से नचोड़ा आ सोमरस लाकर इं के लए दान करो. (८)
अ वयवः कतना ु म मै वने नपूतं वन उ य वम्.
जुषाणो ह यम भ वावशे व इ ाय सोमं म दरं जुहोत.. (९)
हे अ वयुजनो! इन इं के लए सुखकारक सोम तैयार करो. तुम पीने यो य जल म
धोकर शु कए ए सोम को ले आओ. स इं तुम लोग के हाथ से तैयार कया आ
सोमरस चाहते ह. इं के लए मादक सोम ले आओ. (९)
अ वयवः पयसोधयथा गोः सोमे भर पृणता भोज म म्.
वेदाहम य नभृतं म एत सय तं भूयो यजत केत.. (१०)
हे अ वयुजनो! जस कार गाय का थन ध से भरा रहता है, उसी कार इन फलदाता
इं को सोमरस दे ने वाले यजमान को भली कार जानते ह. (१०)
अ वयवो यो द य व वो यः पा थव य य य राजा.
तमूदरं न पृणता यवेने ं सोमे भ तदपो वो अ तु.. (११)
हे अ वयुजनो! इं वग, धरती आकाश म रहने वाले धन के राजा ह. जस कार जौ
से कु टया भर दे ते ह, उसी कार इं को सोमरस से पूण कर दो. यह काम तु हारे ारा होना
चा हए था. (११)
अ म यं त सो दानाय राधः समथय व ब ते वस म्.
इ य च ं व या अनु ू बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१२)
हे नवासदाता इं ! हम दाना द के लए अपना पया त, व च एवं शरण लेने यो य धन
दान करो. हम त दन उस धन के भोगने के इ छु क ह. हम उ म पु एवं पौ ा त करके
इस य म ब त सी तु तय का पाठ करगे. (१२)
सू —१५
दे वता—इं
घा व य महतो महा न स या स य य करणा न वोचम्.
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क के व पब सुत या य मदे अ ह म ो जघान.. (१)
म बलवान्, महान् एवं स य-संक प इं के स चे एवं व तृत य का वणन करता ं.
इं ने क क य म सोमरस का पान कया एवं उसका मद हो जाने पर वृ असुर का नाश
कया. (१)
अवंशे ाम तभायद् बृह तमा रोदसी अपृणद त र म्.
स धारय पृ थव प थ च सोम य ता मद इ
कार.. (२)
इं ने आकाश म काश वाले सूय को थर कया है तथा वग, धरती एवं आकाश को
अपने तेज से पूण कर दया है. उ ह ने पृ वी को धारण करके स बनाया है. इं ने यह
काय सोमरस के नशे म कया है. (२)
स ेव ाचो व ममाय मानैव ैण खा यतृण द नाम्.
वृथासृज प थ भद घयाथैः सोम य ता मद इ
कार.. (३)
जस कार य शाला बनाई जाती है, उसी कार इं ने पूवा भमुख व को नापकर
बनाया है. उ ह ने अपने व से न दय के नगम थान को खोल दया है. इं ने न दय को
ऐसे माग पर बहाया है जो ब त समय तक चलते रहते ह. इं ने यह सब सोम के नशे म
कया है. (३)
स वोळ् प रग या दभीते व मधागायुध म े अ नौ.
सं गो भर ैरसृज थे भः सोम य ता मद इ
कार.. (४)
दभी त को उसके नगर से बाहर ले जाने वाले असुर को इं ने माग म रोका एवं उनके
काशमान आयुध को आग म जला दया. इसके प ात् इं ने उ ह ब त सी गाएं, घोड़े तथा
रथ दान कए. इं ने यह सब सोमरस के नशे म कया. (४)
स मह धु नमेतोरर णा सो अ नातॄनपारय व त.
त उ नाय र यम भ त थुः सोम य ता मद इ
कार.. (५)
इं ने धु न नामक वशाल नद को इतना सुखा दया क सरलता से पार कया जा
सके. इस कार उ ह ने नद पार करने म असमथ ऋ षय को सरलता से पार उतार दया. वे
ऋ ष धन के उ े य से नद के पार गए. इं ने यह सब काम सोमरस के नशे म कया था.
(५)
सोद चं स धुम रणा म ह वा व ण
े ान उषसः सं पपेष.
अजवसो ज वनी भ ववृ सोम य ता मद इ
कार.. (६)
इं ने अपने मह व के कारण सधु नद को उ र मुख करके बहाया तथा व
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ारा
उषा क गाड़ी को सूरचूर कर दया. इं ने अपनी श शाली सेना ारा श ु
सेना को हराया. ये सब काम सोमरस के नशे म कए गए ह. (६)
क बलहीन
स व ां अपगोहं कनीनामा वभव द
ु त यरावृक्.
त ोणः थाद् १नगच सोम य ता मद इ
कार.. (७)
ववाह क इ छा से आई ई क या को भागता आ दे खकर परावृज ऋ ष सबके
सामने खड़े ए. इं क कृपा से वह पंगु दौड़ा और अंधा होकर भी दे खने लगा. इं ने यह
सब सोमरस के मद म कया है. (७)
भन लमा रो भगृणानो व पवत य ं हता यैरत्.
रण ोधां स कृ मा येषां सोम य ता मद इ
कार.. (८)
अं गरावंशीय ऋ षय क तु त सुनकर इं ने बल असुर को मार डाला एवं पवत के
ढ़ ार को खोल दया था. इं ने पवत क कृ म बाधा को समा त कया. यह सब
सोमरस के मद म कया गया. (८)
व ेना यु या चुमु र धु न च जघ थ द युं दभी तमावः.
र भी चद व वदे हर यं सोम य ता मद इ
कार.. (९)
हे इं ! तुमने चुमु र और धु न नामक असुर को गाढ़ न द म सुला कर मार डाला था
एवं दभी त नामक ऋ ष क र ा क . दभी त के ारपाल ने भी उन दोन असुर का सोना
ा त कया था. इं ने यह काम सोमरस के मद म कया था. (९)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१०)
हे इं ! तु हारी जो धनपूण द णा तु तक ा क अ भलाषा पूण करती है, वह हम
ा त हो. हे भजनीय इं ! हम तोता को छोड़कर उसे कसी अ य को मत दे ना. हम उ म
पु , पौ आ द ा त करके इस य म तु हारी ब त तु त करगे. (१०)
सू —१६
दे वता—इं
वः सतां ये तमाय सु ु तम ना वव स मधाने ह वभरे.
इ मजुय जरय तमु तं सना ुवानमवसे हवामहे.. (१)
हे यजमानो! हम तु हारे क याण के लए दे व म सबसे बड़े इं के लए जलती ई
अ न म ह दे ते ह एवं मनोहारी तु त करते ह. हम अपनी र ा के लए अजर, सबको बूढ़ा
बनाने वाले, सोमरस से तृ त, सनातन एवं न य त ण इं का आ ान करते ह. (१)
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य मा द ाद् बृहतः क चनेमृते व ा य म स भृता ध वीया.
जठरे सोमं त वी३ सहो महो ह ते व ं भर त शीष ण तुम्.. (२)
महान् इं के बना संसार कुछ भी नह है. जन इं म सम त श यां थत ह, उ ह
के उदर म सोमरस, शरीर म बल एवं तेज, हाथ म व और म तक म ान वराजमान है.
(२)
न ोणी यां प र वे त इ यं न समु ै ः पवतै र ते रथः.
न ते व म व ो त क न यदाशु भः पत स योजना पु .. (३)
हे इं ! जब तुम असुरवध के लए शी गामी अ
ारा अनेक योजन र जाते हो, तब
तु हारा बल न धरती आकाश ारा पराभूत होता है और न सागर एवं पवत तु हारे रथ को
रोक पाते ह. कोई भी
तु हारे व को उस समय रोक नह पाता. (३)
व े मै यजताय धृ णवे तुं भर त वृषभाय स ते.
वृषा यज व ह वषा व रः पबे सोमं वृषभेण भानुना.. (४)
हे यजमानो! सब लोग य के यो य, श ुसंहारक, कामवषक एवं सदा तुत रहने वाले
इं के न म य कम करते ह. तुम भी सोमरस नचोड़ने म समथ एवं ानवान् होने के
कारण इं के लए य करो. हे इं तुम द यमान् अ न के साथ सोमपान करो. (४)
वृ णः कोशः पवते म व ऊ मवृषभा ाय वृषभाय पातवे.
वृषणा वयू वृषभासो अ यो वृषणं सोमं वृषभाय सु व त.. (५)
हे इं ! फलदाता एवं मदकारक सोमरस अनु ान करने वाल को ेरणा दे ता है तथा
कामवषक व अभी अ
दान करने वाले तु ह पीने के न म
ा त होता है. सोमरस
नचोड़ने म समथ दो अ वयु एवं इ छा पूण करने वाले पाषाणखंड तु हारे लए सोमरस
तैयार करते ह. (५)
वृषा ते व उत ते वृषा रथो वृषणा हरी वृषभा यायुधा.
वृ णो मद य वृषभ वमी शष इ सोम य वृषभ य तृ णु ह.. (६)
हे कामवषक इं ! तु हारा व , तु हारा रथ, तु हारे घोड़े एवं सभी आयुध इ छाएं पूरी
करने वाले ह. तुम मदकारक एवं कामना पूण करने वाले सोम के वामी हो. कामवष
सोमरस से तुम तृ त होओ. (६)
ते नावं न समने वच युवं
णा या म सवनेषु दाधृ षः.
कु व ो अ य वचसो नबो धष द मु सं न वसुनः सचामहे.. (७)
हे श ुनाशक इं ! जस कार स रता म नाव र ा करती है, उसी कार तुम तु त
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करने वाले क सं ाम म र ा करते हो. म य काल म तु तयां पढ़ता आ तु हारे समीप
जाता ं. हमारे वचन को समझो. तुझ दानशील को सोमरस से हम उसी कार भगो दगे,
जस कार तुम कुएं को जल से भर दे ते हो. (७)
पुरा स बाधाद या ववृ व नो धेनुन व सं यवस य प युषी.
सकृ सु ते सुम त भः शत तो सं प नी भन वृषणो नसीम ह.. (८)
हे इं ! घास खाकर तृ त ई गाय जस कार अपने बछड़े क भूख को समा त करती
है, उसी कार तुम भी श ुबाधा स मुख आने से पूव ही हमारी र ा कर लो. जस कार
प नयां युवक को घेरती ह, उसी कार हे शत तु इं ! हम सुंदर तु तय ारा तु ह घेरगे.
(८)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (९)
हे इं ! तु हारी जो धनयु द णा तु तक ा क अ भलाषा पूण करती है, वह हम
ा त हो. हे भजनीय इं ! हम तोता को छोड़कर उसे अ य कसी को मत दे ना. हम उ म
पु , पौ ा द ा त करके इस य म तु हारी ब त तु त करगे. (९)
सू —१७
दे वता—इं
तद मै न म र वदचत शु मा यद य नथोद रते.
व ा यदगो ा सहसा परीवृता मदे सोम य ं हता यैरयत्.. (१)
हे तोताओ! इं का श ुनाशक तेज ाचीनकाल के समान उ दत होता है, इस लए तुम
अ यंत नवीन तु तय ारा अं गरा के समान इं क पूजा करो. इं ने सोमरस के मद म
वृ असुर ारा रोके ए मेघ को वतं कर दया था. (१)
स भूतु यो ह थमाय धायस ओजो ममानो म हमानमा तरत्.
शूरो यो यु सु त वं प र त शीष ण ां म हना यमु चत.. (२)
उन इं क वृ हो, ज ह ने अपने बल का दशन करते ए सबसे पहले सोमरस
पीने के लए अपनी म हमा बढ़ाई थी, यु काल म श ुहंता बनकर अपने शरीर क र ा क
थी एवं अपनी म हमा के कारण आकाश को शीश पर धारण कया था. (२)
अधाकृणोः थमं वीय मह द या े
णा शु ममैरयः.
रथे ेन हय ेन व युताः जीरयः स ते स १क् पृथक्.. (३)
हे इं ! तुमने तु तय
ारा स होकर अपना श ुनाशक बल उ प
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कया है. इस
कार तुमने अपनी मु य श य का दशन कया है. ह र नामक घोड़ से यु रथ म बैठे
ए तुमने कुछ श ु को दल बनाकर और कुछ को अलग-अलग भागने पर ववश कर
दया है. (३)
अधा यो व ा भुवना भ म मनेशानकृ वया अ यवधत.
आ ोदसी यो तषा व रातनो सी तमां स धता सम यत्.. (४)
पुरातन इं ने अपनी श से भुवन को हरा कर वयं को उनके अ धप त के प म
स कया है. इसके प ात् व को धारण करने वाले इं ने धरती और आकाश को
ा त कया है. उ ह ने अंधकार प रा स को ःख म डालते ए सारे संसार को घेर लया
है. (४)
स ाचीना पवता ं हदोजसाधराचीनमकृणोदपामपः.
अधारय पृ थव व धायसम त ना मायया ामव सः.. (५)
इं ने अपनी श
ारा इधर-उधर जाने वाले पवत को अचल बनाया है, मेघ के जल
को नीचे क ओर गराया है, सबको धारण करने वाली धरती को सहारा दया है और अपने
बु बल से आकाश को नीचे गरने से रोका है. (५)
सा मा अरं बा यां यं पताकृणो
मादा जनुषो वेदस प र.
येना पृ थ ां न
व शय यै व ेण ह वृण ु व व णः.. (६)
इं इस संसार क र ा के लए पया त स
ए ह. ज ह ने सभी जीव क अपे ा
ान पी बल अ धक मा ा म ा त करके अपने हाथ से संसार का नमाण कया है. परम
क तशाली इं ने इसी ान के ारा
व नामक असुर को अपने व से मारकर धरती पर
सुला दया था. (६)
अमाजू रव प ोः सचा सती समानादा सदस वा मये भगम्.
कृ ध केतमुप मा या भर द भागं त वो३येन मामहः.. (७)
हे इं ! मृ युपयत माता- पता के साथ रहने क इ छा वाली क या जस कार अपने
पता के कुल से भाग मांगती है, उसी कार म भी तुमसे धन क याचना कर रहा ं. उस धन
को कट करो, उसक गणना करो एवं उसे पूण करो. मेरे शरीर के भोग के लए धन दो.
जससे म इन तोता का स कार कर सकूं. (७)
भोजं वा म वयं वेम द द ् व म ापां स वाजान्.
अ व ी च या न ऊती कृ ध वृष
व यसो नः.. (८)
हे इं ! तुझ पालनक ा को हम बुलाते ह. तुम य कम एवं अ के दाता हो. तुम अपनी
व च र ा श य ारा हमारा उ ार करो. हे कामवषक इं ! हम परम संप शाली
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बनाओ. (८)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (९)
हे इं ! जो धनसंप द णा तु तक ा क अ भलाषा पूण करती है, वह हम दान
करो. हे भजनीय इं ! हम तोता को छोड़कर उसे अ य कसी को मत दे ना. हम उ म
पु -पौ ा द ा त करके इस य म तु हारी ब त तु त करगे. (९)
सू —१८
दे वता—इं
ाता रथो नवो यो ज स न तुयुग कशः स तर मः.
दशा र ो मनु यः वषाः स इ भम तभी रं ो भूत्.. (१)
तु तयु एवं शु य हम लोग ने ातःकाल आरंभ कया है. चार प थर , तीन
वर , सात छं द तथा दस पा वाला यह य मानव का हतकारक एवं वग दे ने वाला है.
वह मनोहर तु तय एवं हवन ारा स होगा. (१)
सा मा अरं थमं स तीयमुतो तृतीयं मनुषः स होता.
अ य या गभम य ऊ जन त सो अ ये भः सचते जे यो वृषा.. (२)
मानव के लए उ म फल दे ने वाला य इं के लए, थम, तीय एवं तृतीय सवन म
पूरा आ है. ऋ वज ने य को धरती के गभ के प म उ प कया है. कामवषक एवं
वजयदाता य दे व के साथ मल जाता है. (२)
हरी नु कं रथ इ य योजमायै सू े न वचसा नवेन.
मो षु वाम बहवो ह व ा न रीरम यजमानासो अ ये.. (३)
नवीन तु त पी वचन के साथ इं के रथ म ह र नामक अ को इस लए जोड़ा गया
है क इं शी आ सक. इस य म ब त से बु मान् तोता ह. हे इं ! सरे यजमान तु ह
अ धक स नह कर सकगे. (३)
आ ा यां ह र या म या ा चतु भरा षड् भ यमानः.
आ ा भदश भः सोमपेयमयं सुतः सुमख मा मृध कः.. (४)
हे इं ! होता
ारा बुलाए जाने पर तुम दो, चार, छह, आठ या दस ह र नामक अ
ारा सोमरस पीने के लए आओ. हे शोभन धनशाली इं ! यह सोम तु हारे न म
तुत है,
इसे न मत करना. (४)
आ वश या शता या वाङा च वा रशता ह र भयुजानः.
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आ प चाशता सुरथे भ र ा ष
ा स त या सोमपेयम्.. (५)
हे इं ! सोमपान के लए उ म ग त वाले बीस, तीस, चालीस, पचास, साठ अथवा
स र घोड़ ारा हमारे सामने आओ. (५)
आशी या नव या या वाङा शतेन ह र भ मानः.
अयं ह ते शुनहो ेषु सोम इ वाया प र ष ो मदाय.. (६)
हे इं ! अ सी, न बे एवं सौ ह र नामक अ
ारा चलकर हमारे सामने आओ.
शुनहो नामक पा म तु हारे आनंद के लए सोम रखा आ है. (६)
मम
े या छा व ा हरी धु र ध वा रथ य.
पु ा ह वह ो बभूथा म छू र सवने मादय व.. (७)
हे इं ! मेरी तु त को ल त करके आओ एवं अपने व
ापी ह र नामक घोड़ को
रथ के आगे जोड़ो. हे शूर! तु ह ब त से यजमान बुलाते ह. तुम इस य म आकर स
बनो. (७)
न म इ े ण स यं व योषद म यम य द णा हीत.
उप ये े व थे गभ तौ ाये ाये जगीवांसः याम.. (८)
इं से मेरी म ता कभी न टू टे. इं क द णा मुझे मनचाहा फल दे . हम इं के
वप नाशक उ म बा
के समीप थत ह. हम येक यु म वजय पाव. (८)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (९)
हे इं ! तु हारी जो धनयु द णा तु तक ा क अ भलाषा पूण करती है, वह हम
ा त हो. हे सेवनीय इं ! हम तोता को छोड़कर वह द णा अ य कसी को मत दे ना.
हम उ म पु -पौ ा द ा त करके इस य म तु हारी ब त तु त करगे. (९)
सू —१९
दे वता—इं
अपा य या धसो मदाय मनी षणः सुवान य यसः.
य म
ः द व वावृधान ओको दधे
य त नरः.. (१)
इं अपने आनंद के लए सोमरस नचोड़ने वाले मेधावी यजमान का अ भ ण कर.
इस सोम पी ाचीन अ म इं बढ़ते ए नवास करते ह. इं क तु त के इ छु क ऋ वज्
भी इसी म नवास करते ह. (१)
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अ य म दानो म वो व ह तोऽ ह म ो अण वृतं व वृ त्.
य यो न वसरा य छा यां स च नद नां च म त.. (२)
इस मदकारक सोमरस के नशे म म न होकर इं ने अपने हाथ म व उठाया एवं जल
को रोकने वाले अ ह नामक असुर को छ भ कर दया. उस समय जलरा श सागर क
ओर इस कार तेजी से जा रही थी, जस कार यासे प ी तालाब क ओर जाते ह. (२)
स मा हन इ ो अण अपां ैरयद हहा छा समु म्.
अजनय सूय वदद्गा अ ु ना ां वयुना न साधत्.. (३)
उन पूजनीय एवं अ हनाशक इं ने जल वाह को सागर क ओर े रत कया. उ ह ने
सूय को उ प करके गाय को खोजा तथा अपने तेज से दवस को का शत बनाया. (३)
सो अ ती न मनवे पु णी ो दाश ाशुषे ह त वृ म्.
स ो यो नृ यो अतसा यो भू प पृधाने यः सूय य सातौ.. (४)
इं ने ह दे ने वाले यजमान को असं य उ म धन दया तथा वृ नामक असुर को
मार डाला. सूय को ा त करने के लए जब तोता म पर पर पधा ई तो इं ने उसका
कारण बनकर सबको सहारा दया. (४)
स सु वत इ ः सूयमा दे वो रणङ् म याय तवान्.
आ य य गुहदव म मै भरदं शं नैतशो दश यन्.. (५)
तु त करने पर इं ने सोम नचोड़ने वाले एतश नामक
के लए सूय को
का शत कया था. जस कार पता अपना भाग पु को दे ता है, उसी कार एतश ने इं
को गु त एवं अमू य सोम पी धन दया था. (५)
स र धय स दवाः सारथये शु णमशुषं कुयवं कु साय.
दवोदासाय नव त च नवे ः पुरो ैर छ बर य.. (६)
तेज वी इं ने अपने सार थ कु स के क याण के लए शु ण, अशुष और कुयव को वश
म कया था तथा दवोदास का प लेकर शंबर असुर के न यानवे नगर को तोड़ा था. (६)
एवा त इ ोचथमहेम व या न मना वाजय तः.
अ याम त सा तमाशुषाणा ननमो वधरदे व य पीयोः.. (७)
हे इं ! हम तु ह श शाली बनाकर अ ा त क इ छा से तु हारी तु त करते ह. हम
तु ह ा त करके तु हारी म ता पाव. तुम दे व- वरोधी पीयु असुर के नाश के लए व
चलाओ. (७)
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एवा ते गृ समदाः शूर म माव यवो न वयुना न त ुः.
य त इ ते नवीय इषमूज सु त सु नम युः.. (८)
हे शूर इं ! गृ समद ऋ ष उसी कार तु हारी तु त करता है, जस कार जाने का
इ छु क प थक रा ता साफ करता है. हे नवीनतम इं ! तु हारी तु त के अ भलाषी हम अ ,
बल, सुख एवं उ म नवास थान ा त कर. (८)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तोतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (९)
हे इं ! तु हारी जो धनयु द णा तु तक ा क कामना पूरी करती है, वह द णा
हम ा त हो. हे भजनीय इं ! हम छोड़कर वह द णा कसी अ य को मत दे ना. हम उ म
पु -चो ा द ा त करके इस य म तु हारी पया त तु त करगे. (९)
सू —२०
दे वता—इं
वयं ते वय इ व षु णः भरामहे वाजयुन रथम्.
वप यवो द यतो मनीषा सु न मय त वावतो नॄन्.. (१)
हे इं ! जस कार अ का इ छु क
गाड़ी बनाता है, उसी कार हम तु हारे लए
सोमरस पया त मा ा म तैयार करते ह. तुम हम भली कार जानते हो. हम अपनी तु तय
से तु ह द यमान करते ह एवं सुख क याचना करते ह. (१)
वं न इ वा भ ती वायतो अ भ पा स जनान्.
व मनो दाशुषो व ते थाधीर भ यो न त वा.. (२)
हे इं ! हमारा पालन एवं र ण करो. जो लोग तु हारे त
ा रखते ह, तुम उ ह
श ु से बचाते हो. जो
ह दे कर तु हारी सेवा करता है, उसके क याण के लए तुम
सब कुछ करते हो. (२)
स नो युवे ो जो ः सखा शवो नराम तु पाता.
यः शंस तं यः शशमानमूती पच तं च तुव तं च णेषत्.. (३)
युवा, आ ान करने यो य, म तु य एवं सुखकारक इं हम य क ा क र ा कर.
इं तु त बोलने वाले, ह पकाने वाले, तु तरचना करने वाले एवं य
या को पूण
करने वाले
य क र ा करके इनका य पूण करते ह. (३)
तमु तुष इ ं तं गृणीषे य म पुरा वावृधुः शाश .
स व वः कामं पीपर दयानो
यतो नूतन यायोः.. (४)
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म इं क तु त एवं शंसा करता ं. पूवकाल म उनके तोता ने वृ
ा त क एवं
अपने श ु का नाश कया. य द नया यजमान इं के समीप जाकर ाथना करता है तो वे
उसक धन क इ छा पूरी करते ह. (४)
सो अ रसामुचथा जुजु वा
ा तूतो द ो गातु म णन्.
मु ण ुषसः सूयण तवान य च छ थ पू ा ण.. (५)
अं गरागो ीय ऋ षय के मं से स होकर इं ने उ ह वह माग दखाया, जससे वे
प णय ारा छपाई ई गाएं ला सक. इं ने उनक तु त सफल क . तोता क तु त
सुनकर इं ने सूय ारा उषा का हरण कया एवं अ के पुराने नगर को न कर डाला. (५)
स ह ुत इ ो नाम दे व ऊ व भुव मनुषे द मतमः.
अव यमशसान य सा ा छरो भर ास य वधावान्.. (६)
काशमान, क तशाली एवं परम सुंदर इं अपने सेवक क कामना पूण करने के लए
सदा तैयार रहते ह. श ुनाशक एवं श शाली इं ने संसार के अ न कारी दास का म तक
काटकर नीचे डाल दया. (६)
स वृ हे ः कृ णयोनीः पुर दरो दासीरैरय .
अजनय मनवे ामप स ा शंसं यजमान य तूतोत्.. (७)
वृ हंता एवं पुरंदर इं ने नीच जा त वाले दास क सेना को न कया था. मनु के लए
धरती और जल क रचना करने वाले इं यजमान क महती अ भलाषा को पूण कर. (७)
त मै तव य१ मनु दा य स े ाय दे वे भरणसातौ.
त यद य व ं बा ोधुह वी द यू पुर आयसी न तारीत्.. (८)
दानशील तोता ने जल पाने क इ छा से इं के लए सदा श बढ़ाने वाला अ
दान कया है. जब इं के हाथ म व रखा गया, तब उ ह ने श ु क लौह न मत नगरी
को पूरी तरह न कर दया. (८)
नूनं सा ते त वरं ज र े हीय द द णा मघोनी.
श ा तेतृ यो मा त ध भगो नो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (९)
हे इं ! तु हारी जो धनयु द णा तु तक ा क अ भलाषा पूरी करती है, वह हम
ा त हो. हे भजनीय इं ! हमारे अ त र वह कसी अ य को मत दे ना. हम उ म पु -पौ
ा त करके इस य म तु हारी तु त करगे. (९)
सू —२१
दे वता—इं
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व जते धन जते व जते स ा जते नृ जत उवरा जते.
अ जते गो जते अ जते भरे ाय सोमं यजताय हयतम्.. (१)
हे अ वयुजनो! सवजयी, धनजयी, वग वजयी, मनु य वजयी, उपजाऊ भू म को
जोतने वाले, अ जयी, गोजयी, जल वजयी एवं य के यो य इं के न म अ भल षत
सोमरस लाओ. (१)
अ भभुवेऽ भभ ाय व वतेऽषाळ् हाय सहमानाय वेधसे.
तु व ये व ये रीतवे स ासाहे नम इ ाय वोचत.. (२)
सबको हराने वाले, सबका अंग-भंग करने वाले, भो ा, अजेय, सब कुछ सहन करने
वाले, सबके नमाता, पूण ीवा वाले, सबको वहन करने वाले, श ु के लए तर एवं
सदा श ुपराभवकारी इं के लए नमः श द का उ चारण करते ए तु तयां बोलो. (२)
स ासाहो जनभ ो जंनसह यवनो यु मो अनु जोषमु तः.
वृतंचयः स र व वा रत इ य वोचं कृता न वीया.. (३)
ब त को हराने वाले, मनु य ारा सेवनीय, बलवान् लोग को जीतने वाले, श ु
थान युत करने वाले यो ा, सोम से स चत होने के कारण स , श ुनाशक, श ु
परा जत करने वाले एवं जापालनक ा इं के वीर कम को बार-बार कहो. (३)
को
को
अनानुदो वृषभो दोधतो वधो ग भीर ऋ वो असम का ः.
र चोदः थनो वी ळत पृथु र ः सुय उषसः वजनत्.. (४)
अ तीय दानदाता, अ भलाषा पूण करने वाले, हसक के वधक ा, गंभीर, दशनीय,
सवा धक कमठ, समृ जन के ेरक, श ु को काटने वाले, ढ़ शरीर वाले, व
ा त,
तेजयु एवं शोभनकम करने वाले इं ने उषा से सूय को उ प कया. (४)
य ेन गातुम तुरो व व रे धयो ह वाना उ शजो मनी षणः.
अ भ वरा नषदा गा अव यव इ े ह वाना वणा याशत.. (५)
इं क तु तयां करने वाले एवं इं के अ भलाषी मनीषी अं गरागो य ने जल को
ेरणा दे ने वाले इं से य के ारा चुराई ई गाय का माग जाना. इसके प ात् इं के ारा
र ा ा त करने के इ छु क तोता ने तो एवं य
ारा गो प धन ा त कया. (५)
इ
े ा न वणा न धे ह च द य सुभग वम मे.
पोषं रयीणाम र तनूनां वा ानं वाचः सु दन वम ाम्.. (६)
वृ
हे इं ! हम े धन, कुशलता क या त एवं सौभा य दान करो. तुम हमारे धन क
एवं शरीर क पु करके वचन को मधुर एवं दवस को शोभन बनाओ. (६)
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सू —२२
दे वता—इं
क केषु म हषो यवा शरं तु वशु म तृप सोमम पब णुना सुतं यथावशत्.
स ममाद म ह कम कतवे महामु ं सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ ः.. (१)
पू य, परम श शाली एवं सबको तृ त करने वाले इं ने पूवकाल म क ई कामना
के अनुसार जौ के स ु से मला आ सोमरस व णु के साथ पया. महान् सोमरस ने इं
को महान् कम करने क ेरणा द . स य एवं द त सोमरस स चे एवं द त इं को ा त
करे. (१)
अध वषीमाँ अ योजसा
व युधाभवदा रोदसी अपृणद य म मना वावृधे.
अध ा यं जठरे ेम र यत सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ तुः.. (२)
इं ने अपने बल से क व असुर को यु के ारा परा जत एवं धरती-आकाश को चार
ओर से पूण कया. इं पए ए सोमरस के बल से वृ
ा त करते ह. इं ने आधा सोम
अपने पेट म रख लया और आधा अ य दे व म बांट दया. स य एवं द त सोमरस स चे तथा
द त इं को ा त करे. (२)
साकं जातः तुना साकमोजसा वव थ साकं वृ ो वीयः सास हमृधो वचष णः.
दाता राधः तुवते का यं वसु सैनं स े वो दे वं स य म ं स य इ ः.. (३)
हे इं ! तुम य के साथ उ प ए हो एवं अपनी श से व को वहन करना चाहते
हो. तुमने वीर कम से वृ
ा त करके हसक को हराया एवं भले-बुरे का वचार कया.
तुम तु तक ा को मनोवां छत धन दो. स य एवं द त सोमरस स चे एवं तेज वी इं को
ा त करे. (३)
तव य य नृतोऽप इ
थमं पू द व वा यं कृतम्.
य े व य शवसा ा रणा असुं रण पः.
भुव
म यादे वमोजसा वदा ज शत तु वदा दषम्.. (४)
हे सबको नचाने वाले इं ! तु हारे ारा ाचीन समय म कया गया मानव हतसाधक
कम वग म स
आ, तुमने अपने बल से वृ असुर के ाण हरण करके उसके ारा
रोका आ जल वा हत कया. इं ने अंधकार प से सम त व को ा त करने वाले
असुर को अपने बल से न कया. वे शत तु इं अ एवं ह
ा त कर. (४)
सू —२३
दे वता—
बृह प त
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ण पत
एवं
गणानां वा गणप त हवामहे क व कवीनामुपम व तमम्.
ये राजं
णां
ण पत आ नः शृ व ू त भः सीद सादनम्.. (१)
हे
ण प त! तुम दे व-समूह म गणप त, क वय म अ तम क व, शंसनीय लोग म
सव च एवं मं के वामी हो. हम तु हारा आ ान करते ह. तुम हमारी तु तयां सुनते ए
य शाला म बैठो और हमारी र ा करो. (१)
दे वा
े असुय चेतसो बृह पते य यं भागमानशुः.
उ ाइव सूय यो तषा महो व ेषा म ज नता
णाम स.. (२)
हे असुरनाशक एवं उ म ानसंप बृह प त! तु हारा य संबंधी भाग दे व ने पाया है.
तेज के कारण पू य सूय जस कार करण उ प करता है, उसी कार तुम मं के
ज मदाता हो. (२)
आ वबा या प रराप तमां स च यो त म तं रथमृत य त स.
बृह पते भीमम म द भनं र ोहणं गो भदं व वदम्.. (३)
हे बृह प त! तुम चार ओर के नदक और अंधकार को समा त करके काशयु , य
ा त कराने वाले, भयानक श ु का नाश करने वाले, रा स के हंता, मेघ को भ करने
वाले एवं वग ा त कराने वाले रथ म बैठते हो. (३)
सुनी त भनय स ायसे जनं य तु यं दाशा तमंहो अ वत्.
ष तपनो म युमीर स बृह पते म ह त े म ह वनम्.. (४)
हे बृह प त! जो तु ह ह अ दे ता है, उसे तुम यायपूण माग से ले जाकर पाप से
बचाते हो. तु हारा यही मह व है क तुम य का वरोध करने वाले को क दे ते एवं श ु
क हसा करते हो. (४)
न तमंहो न रतं कुत न नारातय त त न या वनः.
व ा इद माद् वरसो व बाधसे यं सुगोपा र स
ण पते.. (५)
हे
ण प त! तुम जसक र ा करते हो, उसे कोई पाप या ःख बाधा नह प ंचा
सकता. हसक एवं ठग भी उसे ःखी नह कर सकते. उसे न करने वाली सभी सेना को
तुम रोकते हो. (५)
वं नो गोपाः प थकृ च ण तव ताय म त भजरामहे.
बृह पते यो नो अ भ रो दधे वां तं ममतु छु ना हर वती.. (६)
हे बृह प त! तुम हमारे र क, स चा माग बताने वाले एवं कुशल हो. हम तु हारा य
पूण करने के लए तो
ारा तु हारी ाथना करते ह. जो
हमारे त कु टलता
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रखता है, उसक वेगशाली बु
उसका ाणनाश करे. (६)
उत वा यो नो मचयादनागसोऽरातीवा मतः सानुको वृकः.
बृह पते अप तं वतया पथः सुगं नो अ यै दे ववीतये कृ ध.. (७)
हे बृह प त! जो उ त एवं धन छ नने वाला
हमारे सामने आकर हम नद ष क
हसा करता है, उसे उ म माग से हटा दो तथा दे वय के लए हमारा माग सरल बनाओ.
(७)
ातारं वा तनूनां हवामहेऽव पतर धव ारम मयुम्.
बृह पते दे व नदो न बहय मा रेवा उ रं सु नमु शन्.. (८)
हे बृह प त! तुम सबको उप व से बचाने वाले एवं हमारे पु -पौ ा द का पालन करने
वाले हो. तुम हमारे त प पातपूण वचन बोलकर स ता
करते हो. हम तु ह बुलाते
ह. तुम दे व नदक का वनाश करो. बु के श ु उ म सुख ा त कर. (८)
वया वयं सुवृधा
ण पते पाहा वसु मनु या दद म ह.
या नो रे त ळतो या अरातयोऽ भ स त ज भया ता अन सः.. (९)
हे
ण प त! तु हारे ारा वृ
ा त करके हम अ य मनु य से चाहने यो य धन
ा त कर. जो श ु हमारे समीप या र रहकर हमारा पराभव करते ह, उन दानहीन
य
का नाश करो. (९)
वया वयमु मं धीमहे वयो बृह पते प णा स नना युजा.
मा नो ःशंसो अ भ द सुरीशत सुशंसा म त भ ता र षम ह.. (१०)
हे कामपूरक एवं शु बृह प त! तु हारी सहायता से हम उ म अ
ा त करगे. हम
हराने क इ छा रखने वाले हमारे वामी न बन. हम उ म तु तयां करते ए पु य लाभ कर
एवं सबसे उ कृ बन. (१०)
अनानुदो वृषभो ज मराहवं न ता श ुं पृतनासु सास हः.
अ स स य ऋणया
ण पत उ य च मता वीळु ह षणः.. (११)
हे
ण प त! तुम अ तीय दाता, मन क इ छा पूण करने वाले, यु म जाकर
श ु का वनाश करने वाले एवं यु भू म म श ु को हराने वाले हो. तुम स चे परा मी,
ऋण चुकाने वाले तथा मतवाले उ लोग के दमनक ा हो. (११)
अदे वेन मनसा यो रष य त शासामु ो म यमानो जघांस त.
बृह पते मा ण य नो वधो न कम म युं रेव य शधतः.. (१२)
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हे बृह प त! दे व को न मानने वाला जो
मन से हमारी हसा करता है एवं असुर
का नाश करने वाले हम लोग को मारना चाहता है, उसका आयुध हम छू भी न सके. हम
उस श शाली एवं
श ु का ोध समा त कर द. (१२)
भरेषु ह ो नमसोपस ो ग ता वाजेषु स नता धनंधनम्.
व ा इदय अ भ द वो३ मृधो बृह प त व ववहा रथाँ इव.. (१३)
बृह प त यु काल म आ ान करने एवं नम कार स हत पूजा करने यो य ह. वे सं ाम
म भ क सहायता के लए जाते तथा सब कार का धन दे ते ह. जस कार यु म
श ु के रथ को न कर दया जाता है, उसी कार बृह प त वजय क इ छु क श ु
सेना को न
कर दे ते ह. (१३)
ते ज या तपनी र स तप ये वा नदे द धरे वीयम्.
आ व त कृ व यदस उ यं१ बृह पते व प ररापो अदय.. (१४)
हे बृह प त! जन रा स ने यु म तु हारा परा म दे खकर भी तु हारी नदा क है,
अ यंत ती एवं संतापका रणी तलवार ारा उन रा स को संत त करो, अपने ाचीन
शंसा यो य बल को कट करो तथा नदक का नाश करो. (१४)
बृह पते अ त यदय अहाद् ुम भा त तुम जनेषु.
य दय छवस ऋत जात तद मासु वणं धे ह च म्.. (१५)
हे य से उ प बृह प त! हम े
य क ा म सुशो भत तेज तथा द तयु
लोग ारा पू य, द त एवं
व च धन दान करो. (१५)
ान से यु ,
मा नः तेने यो ये अ भ ह पदे नरा मणो रपवोऽ ष
े ु जागृधुः.
आ दे वानामोहते व यो द बृह पते न परः सा नो व ः.. (१६)
हे बृह प त! हम चोर , ोह करके स होने वाल , श ु
दे व तु त एवं य वरो धय के हाथ म मत स पना. (१६)
, पराए धन के इ छु क एवं
व े यो ह वा भुवने य प र व ाजन सा नः सा नः क वः.
स ऋण च णया
ण प त हो ह ता मह ऋत य धत र.. (१७)
हे बृह प त! व ा ने तु ह सम त संसार से उ म बनाया है. तुम सम त साममं के
ाता हो. बृह प त य आरंभ करने वाले यजमान का सम त ऋण वीकार करके उसे
उतारते ह. वे य के व ोही को न कर दे ते ह. (१७)
तव ये जहीत पवतो गवां गो मुदसृजो यद रः.
इ े ण युजा तमसा परीवृतं बृह पते नरपामौ जो आणवम्.. (१८)
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हे अं गरावंशो प बृह प त! गाय को छपाने वाला पवत तु हारे क याण के लए खुल
गया और गाएं बाहर आ ग . उस समय तुमने इं क सहायता से वृ
ारा रोक गई
जलधारा को नीचे क ओर बहाया था. (१८)
ण पते वम य य ता सू य बो ध तनयं च ज व.
व ं त ं यदव त दे वा बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१९)
हे संसार के नयामक
ण प त! इस सू को जानो एवं हमारी संतान क र ा करो.
दे वगण जसक र ा करते ह, वह सभी क याण ा त करता है. हम शोभन पु एवं पौ
ा त करके इस य म ब त सी तु तयां बोलगे. (१९)
सू —२४
दे वता—बृ ण प त
सेमाम व
भृ त य ई शषेऽया वधेम नवया महा गरा.
यथा नो मीढ् वा तवते सखा तव बृह पते सीषधः सोत नो म तम्.. (१)
हे
ण प त! तुम इस व के वामी हो. तुम हमारी तु त को भली कार जानो.
इस नवीन एवं वशाल तु त के ारा हम तु हारी सेवा करते ह. हम तु हारे म ह, इस लए
हम मनोवां छत फल दान करो तथा हमारी तु त को सफल करो. (१)
यो न वा यनम योजसोताददम युना श बरा ण व.
ा यावयद युता
ण प तरा चा वश सुम तं व पवतम्.. (२)
बृह प त ने अपनी श
ारा दमनीय रा स को वश म कया, ोध करके शंबर
असुर का नाश कया, थर जल को नीचे क ओर गराया एवं गो पी धन से पूण पवत म
वेश कया. (२)
तद्दे वानां दे वतमाय क वम न ळ् हा द त वी ळता.
उद्गा आजद भनद् णा वलमगूह मो च यत् वः.. (३)
इं ा द दे व म े बृह प त के कम से ढ़ पवत श थल ए थे एवं थर वृ टू ट गए
थे. बृह प त ने गाय का उ ार कया, मं
पी श
ारा बल असुर को समा त कया एवं
अंधकार को समा त करके सूय को का शत कया. (३)
अ मा यमवतं
ण प तमधुधारम भ यमोजसातृणत्.
तमेव व े प परे व शो ब साकं स सचु समु णम्.. (४)
बृह प त ने प थर के समान ढ़ मुख वाले एवं झुके ए मेघ को श
ारा न कया.
सूय करण ने उसका जल पआ. उ ह ने बादल के साथ ही वषा ारा अ धक मा ा म
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सचन कया. (४)
सना ता का च वना भवी वा मा ः शर
रो वर त वः.
अयत ता चरतो अ यद य द ा चकार वयुना
ण प तः.. (५)
हे ऋ वजो! तु हारे क याण के लए ही बृह प त ने न य एवं व च ान से तमान
और तवष होने वाली जलवषा का ार भ कया था. बृह प त ने इस ान को मं का
वषय बनाया, जससे धरती और आकाश एक- सरे को स करते रह. (५)
अ भन तो अ भ ये तमानशु न ध पणीनां परमं गुहा हतम्.
ते व ांसः तच यानृता पुनयत उ आय त द युरा वशम्.. (६)
अं गरागो ीय व ान् ऋ षय ने चार ओर घूमते ए प णय ारा गुफा म छपाए ए
गो पी धन को ा त कया. वे असुर क माया को दे खकर जस थान से नकले थे, वह
वेश कर गए. (६)
ऋतावानः तच यानृता पुनरात आ त थुः कवयो मह पथः.
ते बा यां ध मतम नम म न न कः षो अ यरणो ज ह तम्.. (७)
स यवाद एवं ांतदश अं गरागो ीय ऋ ष रा स क माया को दे खकर वहां आने क
इ छा से फर धान माग पर प ंच गए. उ ह ने हाथ ारा व लत अ न को पवत पर
फका. इससे पहले वे अ न वहां नह थे. (७)
ऋत येन
ेण
ण प तय व
तद ो त ध दना.
त य सा वी रषवो या भर य त नृच सो शये कणयोनयः.. (८)
ण प त स य प या वाले धनुष से जो चाहते ह, वही पा लेते ह. वे कान से
उ प , दशनीय एवं काय साधन म कुशल बाण को फकते ह. (८)
स संनयः स वनयः पुरो हतः स सु ु तः स यु ध
ण प तः.
चा मो य ाजं भरते मती धना द सूय तप त त यतुवृथा.. (९)
दे व ारा आगे था पत बृह प त अलग-अलग पदाथ को मलाते और मले ए को
भ - भ करते ह एवं यु म कट होते ह. वे सव ा जस समय अ एवं धन धारण
करते ह, उस समय सूय अनायास ही चमक उठते ह. (९)
वभु भु थमं मेहनावतो बृह पतेः सु वद ा ण रा या.
इमा साता न वे य य वा जनो येन जना उभये भु ते वशः.. (१०)
वषा करने वाले बृह प त का धन
ा त, ौढ़, मु य एवं सुलभ है. यह धन सुंदर एवं
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अ वामी बृह प त ने दान कया है. तोता एवं यजमान दोन
होकर उस धन को भोगते ह. (१०)
कार के मनु य यानम न
योऽवरे वृजने व था वभुमहामु र वः शवसा वव थ.
स दे वो दे वा त प थे पृथु व े ता प रभू ण प तः.. (११)
सब कार ा त एवं तु तयो य बृह प त अ त बलवान् एवं नबल दोन कार के
तोता क र ा अपनी श से करते ह. वे सम त दे व के त न ध प म परम स
ह एवं सबके वामी ह. (११)
व ं स यं मघवाना युवो रदाप न मन त तं वाम्.
अ छे ा ण पती ह वन ऽ ं युजेव वा जना जगातम्.. (१२)
हे धन वामी इं एवं बृह प त! तु हारी सभी तु तयां स य ह. तु हारे त को जल न
नह कर सकता, रथ म जुते ए घोड़े जस कार घास क ओर दौड़ते ह, उसी कार तुम
हमारे ह व के स मुख आओ. (१२)
उता श ा अनु शृ व त व यः सभेयो व ो भरते मती धना.
वीळु े षा अनु वश ऋणमाद दः स ह वाजी स मथे
ण प तः.. (१३)
ण प त के शी गामी घोड़े हमारे तो को सुनते ह. स य एवं बु मान् अ वयु
सुंदर तो
ारा ह
दान करते ह. वह बल रा स से े ष करने वाले, अपनी इ छा से
ऋण वीकार करने एवं अ के वामी ह. वे यु म हमारा ह
वीकार कर. (१३)
ण पतेरभव थावशं स यो म युम ह कमा क र यतः.
यो गा उदाज स दवे व चाभज महीव री तः शवसासर पृथक्.. (१४)
महान् कम करने वाले
ण प त का मं उनक इ छा के अनुसार स य होता है.
उ ह ने गाय को बाहर करके आकाश का वभाग कया है. जस कार न दय का जल
व भ धारा म नीचे क ओर बहता है, उसी कार गाएं अपनी श के अनुसार व भ
दे व के घर ग . (१४)
ण पते सुयम य व हा रायः याम र यो३ वय वतः.
वीरेषु वीराँ उप पृङ् ध न वं यद शानो
णा वे ष मे हवम्.. (१५)
हे
ण प त! हम ऐसे धन के वामी बन जो सदा नयं त एवं अ यु हो. तुम
सबके ई र हो, इस लए हमारे वीर पु को पौ यु करो. तुम ह व एवं अ के साथ-साथ
हमारी तु त को जानो. (१५)
ण पते वम य य ता सू
य बो ध तनयं च ज व.
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व ंत
ं यदव त दे वा बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१६)
हे
ण प त! तुम इस व का नयं ण करने वाले हो. तुम इस सू को जानो एवं
हमारी संतान को स करो. दे वगण जसक र ा करते ह, वह सभी क याण ा त करता
है. हम शोभन पु एवं पौ ा त करके इस य म ब त सी तु तयां बोलगे. (१६)
सू —२५
दे वता—
ण पत
इ धानो अ नं वनव नु यतः कृत ा शूशुव ातह इत्.
जातेन जातम त स ससृते यंयं युजं कृणुते
ण प तः.. (१)
य अ न को व लत करता आ यजमान हसक श ु का नाश करे. तो पढ़ने
वाले एवं ह दे ने वाले यजमान वृ
ा त कर.
ण प त जस- जस यजमान को म
के प म वीकार कर लेते ह, वह अपने पु के पु अथात् पौ से भी अ धक दन तक
जीता है. (१)
वीरे भव रा वनव नु यतो गोभी र य प थ ोध त मना.
तोकं च त य तनयं च वधते यंयं युजं कृणुते
ण प तः.. (२)
यजमान अपने वीर पु क सहायता से हसक श ु क हसा करे. वह गाय प धन
का व तार करता है एवं वयं ही सब कुछ समझता है.
ण प त जस- जस यजमान को
म के प म वीकार कर लेते ह, वह अपने पु तथा पौ से भी अ धक दन तक जीता है.
(२)
स धुन ोदः शमीवाँ ऋघायतो वृषेव व र भ व ोजसा.
अ ने रव स तनाह वतवे यंयं युजं कृणुते
ण प तः.. (३)
बृह प त क सेवा करने वाला यजमान कनार को तोड़ने वाली स रता एवं साधारण
बैल को हराने वाले सांड़ के समान श ु
को अपनी श
से परा जत करता है.
ण प त जस- जस यजमान को म कहकर वीकार कर लेते ह, वह व लत अ न
के समान रोका नह जा सकता. (३)
त मा अष त द ा अस तः स स व भः थमो गोषु ग छ त.
अ नभृ त व षह योजसा यंयं युजं कृणुते
ण प तः.. (४)
वग य जल उसके पास न कने वाली स रता के समान आता है, वह सभी सेवक से
पहले गाय ा त करता है एवं अपने अकरणीय बल से श ु को न करता है, जसे
ण प त म कहकर वीकार कर लेते ह. (४)
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त मा इ
े धुनय त स धवोऽ छ ा शम द धरे पु ण.
दे वानां सु े सुभगः स एधते यंयं युजं कृणुते
ण प तः.. (५)
उसी क ओर सभी न दयां बहती ह, वह अ व छ
प से सम त सुख ा त करता है
एवं सौभा यशाली दे व ारा द सुख पाकर बढ़ता है. जसे
ण प त म कहकर
वीकार कर लेते ह. (५)
सू —२६
दे वता—
ण पत
ऋजु र छं सो वनव नु यतो दे वय ददे वय तम यसत्.
सु ावी र नव पृ सु रं य वेदय यो व भजा त भोजनम्.. (१)
ण प त का सरल च
तोता के श ु का वनाश करे. दे व का वह भ
दे व वरो धय को परा जत करे.
ण प त को तृ त करने वाला या क यु म अदमनीय
श ु का नाश करके य वरो धय के धन का उपभोग करे. (१)
यज व वीर व ह मनायतो भ ं मनः कृणु व वृ तूय.
ह व कृणु व सुभगो यथास स
ण पतेरव आ वृणीमहे.. (२)
हे वीर!
ण प त क तु त करो. अ भमानी श ु के त यु के लए थान
करो एवं श ुनाशक सं ाम म अपना मन ढ़ करो.
ण प त के न म ह तैयार करो.
इससे तु ह सौभा य मलेगा. हम उनसे र ा क याचना करते ह. (२)
स इ जनेन स वशा स ज मना स पु ैवाजं भरते धना नृ भः.
दे वानां यः पतरमा ववास त
ामना ह वषा
ण प तम्.. (३)
जो
ालु यजमान दे व के पालक
ण प त क सेवा ह
ारा करता है, वह
अपने आ मीयजन , पु एवं प रचारक स हत अ और धन ा त करता है. (३)
यो अ मै इ ैघृतव र वध तं ाचा नय त
ण प तः.
उ यतीमंहसो र ती रष ३हो द मा उ च र तः.. (४)
जो यजमान घृतयु
से ले जाते ह, पाप, श ु
सू —२७
ह से
ण प त क सेवा करता है, उसे वे ाचीन सरल माग
तथा द र ता से र ा करते ह और अद्भुत उपकार करते ह. (४)
दे वता—आ द यगण
इमा गर आ द ये यो घृत नूः सना ाज यो जु ा जुहो म.
शृणोतु म ो अयमा भगो न तु वजातो व णो द ो अंशः.. (१)
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म सुंदर आ द य के लए घृत टपकाने वाले ये तु त पी वचन सदा तुत करता ं.
म , अयमा, भग, अनेक दे श म उद्भूत व ण, द एवं अंश मेरा वचन सुन. (१)
इमं तोमं स तवो मे अ म ो अयमा व णो जुष त.
आ द यासः शुचयो धारपूता अवृ जना अनव ा अ र ाः.. (२)
द यमान्, प व , सब पर अनु ह करने वाले, अ नदनीय, सर ारा अ ह सत एवं
समान काय करने वाले म , अयमा एवं व ण नामक अ द तपु आज मेरे इस तो को
सुन. (२)
त आ द यास उरवो गभीरा अद धासो द स तो भूय ाः.
अ तः प य त वृ जनोत साधु सव राज यः परमा चद त.. (३)
महान्, गंभीर, श ु
ारा अ ह सत, श ुनाश के अ भलाषी तथा अ मत तेज वी
अ द तपु
ा णय के अंतःकरण म रहने के कारण उनके पापपु य को दे खते ह.
काशमान आ द य के लए र क व तु भी पास ही है. (३)
धारय त आ द यासो जग था दे वा व य भुवन य गोपाः.
द घा धयो र माणा असुयमृतावान यमाना ऋणा न.. (४)
थावर एवं जंगम को धारण करते ए आ द य दे व संपूण संसार क र ा करते ह.
वशाल य के वामी वे आ द य ाण के हेतु जल क र ा करते ह. वे स ययु एवं
तोता को ऋणर हत बनाने वाले ह. (४)
व ामा द या अवसो वो अ य यदयम भय आ च मयोभु.
यु माकं म ाव णा णीतौ प र
ेव रता न वृ याम्.. (५)
हे आ द यगण! हम तु हारी र ा ा त कर. तु हारा सहारा भय उप थत होने पर सुख
दे ता है. हे अयमा, म और व ण! जस कार रा ता चलने वाले गड् ढ को छोड़ दे ते ह,
उसी कार तु हारे अनुगामी बनकर हम पाप का याग कर द. (५)
सुगो ह वो अयम म प था अनृ रो व ण साधुर त.
तेना द या अ ध वोचता नो य छता नो प रह तु शम.. (६)
हे अयमा, म एवं व ण! तु हारा पथ सुगम, न कंटक एवं सुंदर है. हे आ द यगण!
हम उसी माग से ले चलो, मधुर वचन बोलो तथा हम अ वनाशी सुख दान करो. (६)
पपतु नो अ दती राजपु ा त े षां ययमा सुगे भः.
बृह म य व ण य शम प याम पु वीरा अ र ाः.. (७)
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म आ द सुंदर पु क माता अ द त हम श ु को पराभव करने वाले माग से ले
चल. हम अनेक वीर पु से यु एवं अ य ारा अ ह सत होकर म तथा व ण का सुख
ा त कर. (७)
त ो भूमीधारयन्
त ू ी ण ता वदथे अ तरेषाम्.
ऋतेना द या म ह वो म ह वं तदयम व ण म चा .. (८)
अ द तपु धरती, आकाश, वग तीन लोक एवं अ न, वायु, सूय तीन तेज को
धारण करते ह तथा इनके य म तीन त थर ह. हे आ द यो! य से तु हारी म हमा बढ़
है. हे अयमा, व ण एवं म ! तु हारा मह व सुंदर है. (८)
ी रोचना द ा धारय त हर ययाः शुचयो धारपूताः.
अ व जो अ न मषा अद धा उ शंसा ऋजवे म याय.. (९)
वणाभूषण धारण करने वाले, द तयु , प व , न ार हत, नमेषहीन, असुर ारा
अ ह सत एवं सब लोग ारा तु त यो य अ द तपु सरल मनु य के लए अ न, वायु एवं
सूय तीन तेज धारण करते ह. (९)
वं व ेषां व णा स राजा ये च दे वा असुर ये च मताः.
शतं नो रा व शरदो वच ेऽ यामायूं ष सु धता न पूवा.. (१०)
हे व ण! चाहे असुर ह , दे व ह अथवा मनु य ह , तुम सबके राजा हो. हम सौ वष तक
दे खने क श दो. हम पूवज ारा भोगी ई अव था को ा त कर. (१०)
न द णा व च कते न स ा न ाचीनमा द या नोत प ा.
पा या च सवो धीया च ु मानीतो अभयं यो तर याम्.. (११)
हे वासदाता अ द तपु ो! हम दायां, बायां, सामने, पीछे कुछ भी नह जानते. मुझ
अप रप व ान एवं धैयर हत को य द तुम उ म माग से ले जाओगे तो म भयर हत यो त
पाऊंगा. (११)
यो राज य ऋत न यो ददाश यं वधय त पु य न याः.
स रेवा या त थमो रथेन वसुदावा वदथेषु श तः.. (१२)
जो यजमान सुशो भत एवं य के नेता आ द य को ह दे ता है तथा पोषक आ द य
जसको न य बढ़ाते ह, वही धन का वामी, स , धन दान करने वाला एवं सब लोग क
शंसा करके रथ के ारा य थल म आता है. (१२)
शु चरपः सूयवसा अद ध उप े त वृ वयाः सुवीरः.
न क ं न य ततो न रा आ द यानां भव त णीतौ.. (१३)
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जो यजमान आ द य के माग का अनुसरण करता है, वह शु च, श ु
ारा अ ह सत,
अ धक अ का वामी, शोभन पु वाला एवं सुंदर फसल का मा लक बनकर जल के
समीप नवास करता है. समीप या र रहने वाला कोई भी श ु उसक हसा नह कर सकता.
(१३)
अ दते म व णोत मृळ य ो वयं चकृमा क चदागः.
उव यामभयं यो त र मा नो द घा अ भ नश त म ाः.. (१४)
हे अ द त, म एवं व ण! य द हम तु हारे त कोई अपराध कर तो उससे हमारी र ा
करना. हे इं ! हम व तृत एवं भयर हत यो त ा त कर. अंधेरी रात हम ा त न करे.
(१४)
उभे अ मै पीपयतः समीची दवो वृ सुभगो नाम पु यन्.
उभा यावाजय या त पृ सूभावध भवतः साधू अ मै.. (१५)
जो यजमान अ द तपु के माग पर चलता है, उसक वृ
धरती-आकाश दोन
मलकर करते ह. वह भा यशाली आकाश का जल ा त करके वृ करता है एवं यु म
श ु को हरा कर अपने और उनके दोन नवास थान ा त करता है. संसार के चर और
अचर दोन भाग उसके लए मंगलकारक होते ह. (१५)
या वो माया अ भ हे यज ाः पाशा आ द या रपवे वचृ ाः.
अ ीव ताँ अ त येषं रथेना र ा उरावा शम याम.. (१६)
हे य यो य आ द यो! तुमने जो माया ोहकारी रा स के लए एवं जो पाश श ु
के लए बनाए ह, हम उ ह अ ारोही के समान रथ से लांघ जाव. हम श ु
ारा अ ह सत
होकर महान् सुख ा त कर. (१६)
माहं मघोनो व ण य य भू रदा न आ वदं शूनमापेः.
मा रायो राज सुयमादव थां बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१७)
हे व ण! म कसी धनी एवं अ धक दानी
के स मुख अपनी द र ता क बात न
क ं. हे द तमान् व ण! हम कभी भी आव यक धन क कमी न रहे. हम शोभन धन ा त
करके इस य म ब त सी तु तयां करगे. (१७)
सू —२८
दे वता—व ण
इदं कवेरा द य य वराजो व ा न सा य य तु मह्ना.
अ त यो म ो यजथाय दे वः सुक त भ े व ण य भूरेः.. (१)
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यह ह
ांतदश एवं वयं शो भत आ द य के लए है. वे अपने मह व से सभी
ा णय को परा जत करते ह. तेज वी व ण यजमान को स करते ह. म व ण से अ धक
क त क याचना करता ं. (१)
तव ते सुभगासः याम वा यो व ण तु ु वांसः.
उपायन उषसां गोमतीनाम नयो न जरमाणा अनु ून्.. (२)
हे व ण! हम भली कार यान, तु हारी तु त एवं सेवा करते ए सौभा य ा त कर.
जस कार करण वाली उषा के आने पर अ न व लत होती है, उसी कार हम
त दन तु हारी तु त करते ए द तसंप ह . (२)
तव याम पु वीर य शम ु शंस य व ण णेतः.
यूयं नः पु ा अ दतेरद धा अ भ म वं यु याय दे वाः.. (३)
हे व नायक, अनेक वीर से यु एवं ब त से लोग ारा तु य व ण! हम तु हारे गृह
म नवास कर. हे श ु
ारा अ ह सत अ द तपु ो! अपना म बनाते समय हमारे सभी
अपराध को मा कर दे ना. (३)
सीमा द यो असृज धता ऋतं स धवो व ण य य त.
न ा य त न व मुच येते वयो न प तू रघुया प र मन्.. (४)
व धारक एवं अ द तपु व ण ने जल बनाया है. उ ह के मह व से न दयां बहती ह.
न दयां न कभी व ाम करती ह और न पीछे लोटती ह. ये शी गा मनी न दयां प य के
समान वेग से धरती पर बहती ह. (४)
व म थाय रशना मवाग ऋ याम ते व ण खामृत य.
मा त तु छे द वयतो धयं मे मा मा ा शायपसः पुर ऋतोः.. (५)
हे व ण! पाप ने मुझे र सी के समान बांध लया है. मुझे इससे छु ड़ाओ. हम तु हारी
जलपूण नद को ा त कर. य कम करते समय मेरा काय के नह . य समा त से पहले
मेरा शरीर कभी श थल न हो. (५)
अपो सु य व ण भयसं म स ाळृ तावोऽनु मा गृभाय.
दामेव व सा मुमु यंहो न ह वदारे न मष नेशे.. (६)
हे व ण! भय को मेरे पास से हटाओ. हे शोभासंप एवं स ययु ! मुझ पर अनु ह
करो. जस कार बंधे ए बछड़े को र सी से छु ड़ाते ह, उसी कार मुझे पाप से छु ड़ाओ.
तुमसे र रहकर कोई एक पल के लए भी अ धकार ा त नह कर सकता. (६)
मा नो वधैव ण ये त इ ावेनः कृ व तमसुर ीण त.
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मा यो तषः वसथा न ग म व षू मृधः श थो जीवसे नः.. (७)
हे ाणर क व ण! तु हारे जो आयुध य वरो धय का वनाश करते ह, वे हम न मार.
हम सूय के काश से र न रह. हमारे जीवन के हसक को हमसे र हटाओ. (७)
नमः पुरा ते व णोत नूनमुतापरं तु वजात वाम.
वे ह कं पवते न ता य युता न ळभ ता न.. (८)
हे अनेक दे श म कट होने वाले व ण! हमने भूतकाल म तु ह नम कार कया है,
वतमान काल म करते ह और भ व यत् काल म करगे. हे हसा के अयो य व ण! तुम म
पवत के समान अ युत श यां ा त ह. (८)
पर ऋणा सावीरध म कृता न माहं राज यकृतेन भोजम्.
अ ु ा इ ु भूयसी षास आ नो जीवा व ण तासु शा ध.. (९)
हे राजा व ण! हमारे पूव पु ष ारा लए गए ऋण से हम छु टकारा दलाओ. मने
वतमान काल म जो ऋण लया है, उससे भी मुझे छु ड़ाओ. म सरे के उपा जत धन से
जीवनया ा न क ं . ऋण के कारण ऋणक ा के लए मानो उषा का उदय होता ही नह .
ऐसी आ ा दो, जससे हम उन सब उषा म जा त रह. (९)
यो मे राज यु यो वा सखा वा व े भयं भीरवे म माह.
तेनो वा यो द स त नो वृको वा वं त मा ण पा मान्.. (१०)
हे राजा व ण! मुझ भी को व क भयानक बात कहने वाले म से बचाओ. मुझे
हसा करने वाले चोर एवं भे ड़ए से बचाओ. (१०)
माहं मघोनो व ण य य भू रदा न आ वदं शूनमापेः.
मा रायो राज सुयमादव थां बृह दे म वदथे सुवीराः.. (११)
हे व ण! मुझे कसी धनी एवं दानी पु ष के सामने अपनी नधनता न बतानी पड़े. हे
राजन्! मेरे पास जीवन के लए आव यक धन क कमी न हो. हम शोभन पु -पौ को
ा त करके इस य म ब त सी तु तयां करगे. (११)
सू —२९
दे वता— व ेदेव
धृत ता आ द या इ षरा आरे म कत रहसू रवागः.
शृ वतो वो व ण म दे वा भ य व ाँ अवसे वे वः.. (१)
हे तधारी, सबके ाथनीय एवं शी गामी अ द तपु ो! जस कार
भचा रणी
गु त प से ज म लेने वाले बालक को र फक दे ती है, उसी कार तुम मेरा पाप मुझसे र
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हटा दो. हे म और व ण! म तु हारे ारा कए ए मंगल काय को जानता ं. म तु ह र ा
के लए बुलाता ं. तुम मेरी पुकार सुनो. (१)
यूयं दे वाः म तयूयमोजो यूयं े षां स सनुतयुयोत.
अ भ ारो अ भ च म वम ा च नो मृळयतापरं च.. (२)
हे दे वो! तुम उ म बु एवं बलसंप हो. तुम हमारे वरो धय को गु त थान म ले
जाओ. हे श ुनाशक दे वो! तुम भी हमारे श ु को हराओ एवं आज तथा आने वाले कल म
सुखी करो. (२)
कमू नु वः कृणवामापरेण क सनेन वसव आ येन.
यूयं नो म ाव णा दते च व त म ाम तो दधात.. (३)
हे दे वो! हम आज या आने वाले दन म तु हारा कौन सा काय कर सकते ह? अथात्
कोई नह . हम सनातन ा त काय ारा भी कुछ नह कर सकते. हे म , व ण, अ द त,
इं एवं म द्गण! हमारा क याण करो. (३)
हये दे वा यूय मदापयः थ ते मृळत नाधमानाय म म्.
मा वो रथे म यमवाळृ ते भू मा यु माव वा पषु म म.. (४)
हे दे वो! तु ह हमारे बांधव हो. ाथना करने वाले हम लोग को तुम सुख दो. हमारे य
म आते समय तु हारे रथ क ग त मंद न हो. तुम बांधव के होते ए हम परेशान न ह . (४)
व एको ममय भूयागो य मा पतेव कतवं शशास.
आरे पाशा आरे अघा न दे वा मा मा ध पु े व मव भी .. (५)
हे दे वगण! मने मनु य होते ए भी तुम लोग के बीच रहकर अपने ब त से पाप न
कए ह. जस कार पता कुमागगामी पु को रोकता है, उसी कार तुमने मुझे अनुशासन
म रखा है. हे दे वो! मुझे बंधन और पाप से र रखो. ाध जस कार पु के सामने प ी
पता को मारता है, उसी कार मुझे मत मारना. (५)
अवा चो अ ा भवता यज ा आ वो हा द भयमानो येयम्.
ा वं नो दे वा नजुरो वृक य ा वं कतादवपदो यज ाः.. (६)
हे य यो य दे वो! इस समय हमारे सामने आओ. म डरता आ तु हारे दय म आ य
पाऊं. हे दे वो! भे ड़ए क हसा से हम बचाओ. हे य पा ो! हम वप म डालने वाल से
बचाओ. (६)
माहं मघोनो व ण य य भू रदा न आ वदं शूनमापेः.
मा रायो राज सुयमादव थां बृह दे म वदथे सुवीराः.. (७)
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हे राजा व ण! मुझे कसी धनी एवं दानी पु ष के सामने अपनी नधनता न कहनी
पड़े. मेरे पास जीवन के लए आव यक धन क कमी न हो. हम शोभन पु -पौ ा त करके
इस य म ब त सी तु तयां करगे. (७)
सू —३०
दे वता—इं आ द
ऋतं दे वाय कृ वते स व इ ाया ह ने न रम त आपः.
अहरहया य ु रपां कया या थमः सग आसाम्.. (१)
वषा करने वाले, ग तमान, सबको रे णा दे ने वाले एवं वृ नाशक ा इं के य के लए
पानी कभी नह कता. जल का वाह त दन उसी कार बहता है, जस कार वह अपनी
पहली सृ म आ था. (१)
यो वृ ाय सनम ाभ र य तं ज न ी व ष उवाच.
पथो रद तीरनु जोषम मै दवे दवे धुनयो य यथम्.. (२)
जस
ने इस पाकशाला म वृ असुर को अ दया था, माता अ द त ने उसके
वषय म इं को बता दया. इं क इ छा के अनुसार न दयां अपना रा ता बनाती ई
त दन समु के पास जाती ह. (२)
ऊव
थाद य त र ेऽधा वृ ाय वधं जभार.
महं वसान उप हीम ो मायुधो अजय छ ु म ः.. (३)
इस वृ ने आकाश म ऊपर उठकर सब पदाथ को ढक लया था, इस लए इं ने उसके
ऊपर व फका. मेघ से ढका आ वृ इं क ओर दौड़ा तभी तीखे आयुध वाले इं ने उसे
हरा दया. (३)
बृह पते तपुषा ेव व य वृक रसो असुर य वीरान्.
यथा जघ थ धृषता पुरा चदे वा ज ह श ुम माक म .. (४)
हे बृह प त! व के समान संतापकारी एवं अ के ारा बंद करने वाले असुर के पु
का नाश करो. हे इं ! तुमने ाचीनकाल म हमारे श ु को जस कार न कया था, उसी
कार इस समय श ु का नाश करो. (४)
अव प दवो अ मानमु चा येन श ुं म दसानो नजूवाः.
तोक य सातौ तनय य भूरेर माँ अध कृणुता द गोनाम्.. (५)
हे ऊपर नवास करने वाले इं ! तुमने तोता क तु तयां सुनकर आकाश से भी
पाषाण तु य क ठन व फककर श ु को न कया था, उसी व को नीचे क ओर फको.
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हम ऐसी समृ
दो, जससे हम अ धक मा ा म पु -पौ तथा गाएं ा त कर सक. (५)
ह तुं वृहथो यं वनुथो र य थो यजमान य चोदौ.
इ ासोमा युवम माँ अ व म म भय थे कृणुतमु लोकम्.. (६)
हे इं व सोम! तुम जस बैरी क हसा करो, उसका भली-भां त उ छे द कर दो तथा
सेवक यजमान के श ु के ेरक बनो. तुम दोन हमारी र ा करो एवं इस भयानक यु म
हमारे थान को नभर बनाओ. (६)
न मा तम
म ोत त
वोचाम मा सुनोते त सोमम्.
यो मे पृणा ो दद ो नबोधा ो मा सु व तमुप गो भरायत्.. (७)
इं मुझे न क द, न थकाव, न आलसी बनाव और न हमसे यह कह क सोमा भषव
मत करो. वे मेरी इ छा को पूण करते ए, दान करते ए, हमारे य को जानते ए एवं
गाय को साथ लेते ए सोमरस नचोड़ने वाले के पास जाव. (७)
सर व त वम माँ अ व म वती धृषती जे ष श ून्.
यं च छध तं त वषीयमाण म ो ह तं वृषभं श डकानाम्.. (८)
हे सर वती! तुम हम बचाओ एवं म द्गण से यु होकर श ु को दबाती ई
परा जत करो. इं ने षंड के धान षंडामक को मार डाला. वे वयं को शूर समझते थे एवं
इं से पधा करने लगे थे. (८)
यो नः सनु य उत वा जघ नुर भ याय तं त गतेन व य.
बृह पत आयुधैज ष श ु हे रीष तं प र धे ह राजन्.. (९)
हे बृह प त! जो चोर छपकर हमारी ह या करना चाहता है, उसे खोजकर तीखे
आयुध से छ भ करो तथा अपने आयुध से हमारे श ु
को जीतो. हे राजन!
ोहका रय के ऊपर हसक व चार ओर से फको. (९)
अ माके भः स व भः शूर शुरैव या कृ ध या न ते क वा न.
योगभूव नुधू पतासो ह वी तेषामा भरा नो वसू न.. (१०)
हे शूर इं ! हमारे श ुनाशक वीर पु ष के साथ मलकर अपने क
काय को पूरा
करो. तुम ब त दन से घमंडी बने ए हमारे श ु को न करके उनका धन हम दो. (१०)
तं वः शध मा तं सु नयु गरोप व
ु े नमसा दै ं जनम्.
यथा र य सववीरं नशामहा अप यसाचं ु यं दवे दवे.. (११)
हे म द्गण! हम सुख क इ छा से नम कार ारा तु हारी द , उ प तथा स म लत
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श क शंसा करते ह. हम उससे वीर संतान पाकर
सक. (११)
सू —३१
त दन उ म धन का उपभोग कर
दे वता— व ेदेव
अ माकं म ाव णावतं रथमा द यै ै वसु भः सचाभुवा.
य यो न प त व मन प र व यवो षीव तो वनषदः.. (१)
हे म एवं व ण! जब हमारा रथ अ के इ छु क, हषयु एवं वनवासी प य के
समान हमारे नवास थान से सरे थान को जाये, तब तुम आ द य ,
तथा वसु के
साथ मलकर उस रथ क र ा करना. (१)
अध मा न उदवता सजोषसो रथं दे वासो अ भ व ु वाजयुम्.
यदाशवः प ा भ त तो रजः पृ थ ाः सानौ जङ् घन त पा ण भः.. (२)
हे समान प से स दे वो! इस समय जनपद म अ क खोज म गए ए हमारे रथ
को ग तशील बनाओ, य क इस रथ म जुड़े ए घोड़े अपनी ग तय से माग तय करते ह एवं
उठ ई धरती पर अपने खुर से ब त तेज चलते ह. (२)
उत य न इ ो व चष ण दवः शधन मा तेन सु तुः.
अनु नु था यवृका भ तभी रथं महे सनये वाजसातये.. (३)
अथवा सम त लोक को दे खने वाले एवं म द्गण क श से उ म कम करने वाले
इं हसार हत र ासाधन के साथ वग से आकर अ धक धन और अ को पाने के लए
अनुकूल बन. (३)
उत य दे वो भुवन य स ण व ा ना भः सजोषा जूजुव थम्.
इळा भगो बृह वोत रोदसी पूषा पुर धर नावधा पती.. (४)
अथवा संपूण व के पू य व ा दे व दे वप नय के साथ मलकर म
े पूवक हमारे उ
रथ को आगे बढ़ाव. इड़ा, परम तेज वी भग, धरती आकाश, परमबु यु पूषा एवं सूया के
प त अ नीकुमार हमारा रथ चलाएं. (४)
उत ये दे वी सुभगे मथू शोषासान ा जगतामपीजुवा.
तुषे य ां पृ थ व न सा वचः थातु वय वया उप तरे.. (५)
अथवा स दे वयां, सुंदर, एक- सरे को दे खने वाली एवं चलने वाले जीव क ेरक
उषा और नशा हमारे रथ को चलाव. हे धरती और आकाश! म तु हारी नवीन वचन से
तु त करता ं एवं ओष ध, सोम तथा पशु तीन कार के अ के साथ थावर ह
दान
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करता ं. (५)
उत वः शंसमु शजा मव म य हबु यो३ज एकपा त.
त ऋभु ाः स वता चनो दधेऽपां नपादाशुहेमा धया श म.. (६)
हे दे वो! हम तु हारी तु त करने के इ छु क ह. तुम हमारी तु त को पंसद करो.
अ हबु य, अजएकपात, स वता, ऋभु ा एवं त हम अ द. जल के नाती, शी गामी
अ न हमारे य कम से स ह . (६)
एता वो व यु ता यज ा अत ायवो न से सम्.
व यवो वाजं चकानाः स तन र यो अह धी तम याः.. (७)
हे य के यो य दे वो! तुम तु तयो य क अ और बल क इ छा करने वाले हम तु त
करना चाहते ह. रथ के घोड़े के समान तु हारा बल हम ा त हो. (७)
सू —३२
दे वता— ावा-पृ वी आ द
अ य मे ावापृ थवी ऋतायतो भूतम व ी वचसः सषासतः.
ययोरायुः तरं ते इदं पुर उप तुते वसूयुवा महो दधे.. (१)
हे ावापृ वी! य करने के इ छु क एवं तु ह स करने के लए य नशील मुझ
तोता क र ा करो. सबक अपे ा उ कृ अ वाले एवं अनेक लोग ारा शं सत तु हारी
तु त म अ ा त क अ भलाषा से वशाल तो
ारा क ं गा. (१)
मा नो गु ा रप आयोरह दभ मा न आ यो रीरधो छु ना यः.
मा नो व यौः स या व त य नः सु नायता मनसा त वेमहे.. (२)
हे इं ! श ुजन क गु त माया हम रात म अथवा दन म कभी भी न न करे. हम ःख
दे ने वाली श ु सेना के वश म मत होने दे ना. हमारी म ता अपने मन से अलग मत करना.
हम तुमसे यही कामना करते ह क अपने मन म हमारा सुख चाहते ए हमारी म ता को
याद रखना. (२)
अहेळता मनसा ु मावह हानां धेनुं प युषीमस तम्.
प ा भराशुं वचसा च वा जनं वां हनो म पु त व हा.. (३)
हे इं ! ोधर हत मन से सुखकारी, धा , मोट एवं ढ़ांग गाय लेकर आना. हे
ब जन ारा बुलाए गए शी गामी एवं ज द -ज द बोलने वाले इं ! म त दन तु हारी
तु त करता ं. (३)
राकामहं सुहवां सु ु ती वे शृणोतु नः सुभगा बोधतु मना.
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सी
वपः सू या छ मानया ददातु वीरं शतदायमु यम्.. (४)
म उ म तु तय ारा आ ान के यो य राका दे वी को बुलाता ं. वह सुभगा हमारी
पुकार सुन एवं हमारा अ भ ाय वयं जान ल. वह छे दर हत सूई से हमारे कम को बुनती ई
हम वीर एवं ब दानदाता पु द. (४)
या ते राके सुमतयः सुपेशसो या भददा स दाशुषे वसू न.
ता भन अ सुमना उपाग ह सह पोषं सुभगे रराणा.. (५)
हे राका दे वी! तु हारी जो शोभन प वाली उ म बु यां ह एवं जनके ारा तुम
यजमान को धन दे ती हो, आज स च होकर उसी बु के साथ पधारो. हे सुभगा राका!
तुम हजार कार से हमारा पोषण करती हो. (५)
सनीवा ल पृथु ु के या दे वानाम स वसा.
जुष व ह मा तं जां दे व द द नः.. (६)
हे मोट जंघा वाली सनीवाली! तुम दे व क ब हन हो. हमारा दया आ ह
वीकार करो एवं संतान दो. (६)
या सुबा : वङ् गु रः सुषूमा ब सूवरी.
त यै व प यै ह वः सनीवा यै जुहोतन.. (७)
जो सनीवाली सुंदर बा
एवं सुंदर उंग लय वाली, शोभन पु वाली तथा अनेक
क ज मदा ी है, उसी व र का दे वी के उ े य से ह
दान करो. (७)
या गु या सनीवाली या राका या सर वती.
इ ाणीम ऊतये व णान व तये.. (८)
म अपनी र ा एवं सुख के लए कई सनीवाली, राका, सर वती, इं ाणी और व णानी
को बुलाता ं. (८)
सू —३३
दे वता—
आ ते पतम तां सु नमेतु मा नः सूय य स शो युयोथाः.
अ भ नो वीरा अव त मेत जायेम ह
जा भः.. (१)
हे म त के पता ! तु हारा दया आ सुख हम मले. हम सूय के दशन से अलग
मत करना. हमारे श शाली पु यु म श ु को हराव. हे ! हम पु -पौ आ द से
ब त बन. (१)
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वाद ेभी
श तमे भः शतं हमा अशीय भेषजे भः.
१ मद् े षो वतरं ंहो मीवा ातय वा वषूचीः.. (२)
हे ! हम तु हारी द ई सुखकारी ओष धय क सहायता से सौ वष तक जी वत रह.
हमारे श ु का वनाश करो, हमारे पाप को र करो एवं हमारे शरीर म फैली बीमा रय को
मटाओ. (२)
े ो जात य
या स तव तम तवसां व बाहो.
प ष णः पारमंहसः व त व ा अभीती रपसो युयो ध.. (३)
हे ! तुम ऐ य से सब ा णय क अपे ा े हो. हे व बा ! तुम बढ़े ए लोग म
अ तशय उ त हो. हम कुशलता के साथ पाप के उस पार ले जाओ एवं सभी पाप को हमसे
र ले जाओ. (३)
मा वा
चु ु धामा नमो भमा ु ती वृषभ मा स ती.
उ ो वीराँ अपय भेषजे भ भष मं वा भषजां शृणो म.. (४)
हे अ भलाषापूरक ो! हम व ध व
नम कार , अशोभन तु तय एवं अ य दे व के
साथ आ ान ारा तु ह ो धत न कर. हमारे पु को अपनी ओष धय ारा उ म बनाओ.
हमने सुना है क तुम वै म सबसे े हो. (४)
हवीम भहवते यो ह व भरव तोमेभी ं दषीय.
ऋ दरः सुहवो मा नो अ यै ब ुः सु श ो रीरध मनायै.. (५)
जो
ह के साथ-साथ आ ान से बुलाए जाते ह, उनका ोध म तो
ारा मटा
ं गा. कोमल उदर वाले, शोभन आ ान से यु , पीले रंग वाले एवं सुंदर नाक वाले
मेरे
त हसा बु न रख. (५)
उ मा मम द वृषभो म वा व ीयसा वयसा नाधमानम्.
घृणीव छायामरपा अशीया ववासेयं
य सु नम्.. (६)
म कामवषक एवं म त से यु
से ाथना करता ं क वे मुझे उ म अ से तृ त
कर. धूप से ाकुल
जस कार छाया म वेश करता है, उसी कार पापर हत होकर
ारा दए ए सुख को भोगने के लए म उनक सेवा क ं गा. (६)
व१ य ते
मृळयाकुह तो यो अ त भेषजो जलाषः.
अपभता रपसो दै याभी नु मा वृषभ च मीथाः.. (७)
हे ! तु हारा वह सुखदाता हाथ कहां है, जो सबको सुख प ंचाने वाली दवाएं बनाता
है? हे कामवषक ! तुम दे वकृत पाप का वनाश करते ए मुझे ज द मा करो. (७)
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ब वे वृषभाय तीचे महो मह सु ु तमीरया म.
नम या क मली कनं नमो भगृणीम स वेषं
य नाम.. (८)
म पीले रंग वाले, कामवष एवं ेत आभायु
के त परम महान् तु तयां बारबार बोलता ं. हे तोता! नम कार ारा तेज वी
क पूजा करो. म
का उ वल नाम
संक तन करता ं. (८)
थरे भर ै ः पु प उ ो ब ुः शु े भः प पशे हर यैः.
ईशानाद य भुवन य भूरेन वा उ योष ादसुयम्.. (९)
ढ़ अंग वाले, ब प, तेज वी एवं पीले रंग वाले
आभूषण से सुशो भत ह. संपूण भुवन के वामी एवं भता
होता. (९)
चमक ले तथा सोने के बने
का बल कभी अलग नह
अह बभ ष सायका न ध वाह कं यजतं व पम्.
अह दं दयसे व म यं न वा ओजीयो
वद त.. (१०)
हे पू य ! तुम बाण और धनुष धारण करते हो. हे पूजा यो य! तुमने पूजनीय एवं
ब प वाले हार को धारण कया है. तुम इस व तृत संसार क र ा करते हो. तु हारी
अपे ा अ धक श शाली कोई नह है. (१०)
तु ह ुतं गतसदं युवानं मृगं न भीममुपह नुमु म्.
मृळा ज र े
तवानोऽ यं ते अ म वप तु सेनाः.. (११)
हे तोता! स , रथ पर बैठे ए, युवा, पशु के समान भयानक, श ुनाशक तथा उ
क तु त करो. हे ! हम तु तक ा क र ा करो. तु हारी सेना हमारे अ त र
अ य लोग का संहार करे. (११)
कुमार
पतरं व दमानं त नानाम ोपय तम्.
भूरेदातारं स प त गृणीषे तुत वं भेषजा रा य मे.. (१२)
हे
! जस कार पु आशीवाद दे ने वाले पता को नम कार करता है, उसी कार
आते ए तुमको हम नम कार कर. हम अ धक दान करने वाले एवं स जन के बालक
तु हारी तु त करते ह. तुम हम ओष ध दो. (१२)
या वो भेषजा म तः शुची न या श तमा वृषणो या मयोभु.
या न मनुरवृणीता पता न ता शं च यो
य व म.. (१३)
हे अभी वषक म द्गण! तु हारी जो ओष धयां शु एवं अ य धक सुख दे ने वाली ह,
ज ह हमारे पता मनु ने पसंद कया था,
क उ ह सुखदायक व भयनाशक ओष धय
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क हम इ छा करते ह. (१३)
प र णो हेती
य वृ याः प र वेष य म तमही गात्.
अव थरा मघवद् य तनु व मीढ् व तोकाय तनयाय मृळ.. (१४)
का आयुध हमारा याग कर दे .
क ःखका रणी वशाल भावना भी हमसे र
रहे. हे अ भलाषापूरक ! अपने धनुष क कठोर डोरी यजमान के त ढ ली करो एवं
हमारे पु -पौ को सुख दो. (१४)
एवा ब ो वृषभ चे कतान यथा दे व न णीषे न हं स.
हवन ु ो े ह बो ध बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१५)
हे पीले रंग वाले, कामवषक, सव , तेज वी एवं पुकार सुनने वाले दे व! इस य म
ऐसा वचार बनाओ क तुम हमारे त न कभी ोध करो और न हम मारो. हम उ म पु पौ पाकर इस य म ब त सी तु तयां बोलगे. (१५)
सू —३४
दे वता—म द्गण
धारावरा म तो धृ वोजसो मृगा न भीमा त वषी भर चनः.
अ नयो न शुशुचाना ऋजी षणो भृ म धम तो अप गा अवृ वत.. (१)
थर वृ आ द को चंचल करने वाले, अपनी श से सबको परा जत करने वाले, पशु
के समान भयानक, अपने बल ारा सम त संसार को ा त करने वाले, अ न के समान
द त एवं जल से यु म द्गण घूमने वाले बादल को छ - भ करके जल बरसाते ह. (१)
ावो न तृ भ तय त खा दनो १ या न ुतय त वृ यः.
ो य ो म तो मव सो वृषाज न पृ याः शु ऊध न.. (२)
हे सीने पर द त आभरण वाले म द्गण! कामवषक
ने तु ह पृ के नमल उदर
से पैदा कया है. तुम अपने आभूषण से उसी कार शोभा पाते हो, जस कार आकाश
तारागण से शो भत होता है. श ुभ क एवं जलवषक म द्गण बादल म बजली के समान
का शत होते ह. (२)
उ ते अ ाँ अ याँ इवा जषु नद य कण तुरय त आशु भः.
हर य श ा म तो द व वतः पृ ं याथ पृषती भः सम यवः.. (३)
जस कार घोड़े यु म पसीने से धरती स च दे ते ह, उसी कार संसार को स चने
वाले म द्गण घोड़े पर चढ़कर गजन करते ए बादल के कान के पास से ज द से नकल
जाते ह. सोने के टोप वाले, समान ोध वाले एवं वृ कं पत करने वाले म तो! तुम काली
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बूंद वाली हर नय पर चढ़कर ह
वाले यजमान के पास आते हो. (३)
पृ े ता व ा भुवना वव रे म ाय वा सदमा जीरदानवः.
पृषद ासो अनव राधस ऋ ज यासो न वयुनेषु धूषदः.. (४)
म द्गण ह धारक यजमान के लए म के समान सारा जल ढोकर लाते ह.
म द्गण शी दान करने वाले, ेत ब यु अ वाले, ंशर हत धन वाले एवं सीधे चलने
वाले घोड़ क तरह प थक के स मुख जाते ह. (४)
इ ध व भधनुभी र श ध भर व म भः प थ भ ाज यः.
आ हंसासो न वसरा ण ग तन मधोमदाय म तः सम यवः.. (५)
हे समान ोध वाले एवं द तयु आयुध वाले म द्गण! हंस जस कार अपने
नवास थान पर उतरते ह, उसी कार तुम धा गाय एवं गरजते ए मेघ के साथ
व नर हत पथ से मधुर सोमरस ारा स ता ा त करने के लए आओ. (५)
आ नो
ा ण म तः सम वयो नरां न शंसः सवना न ग तन.
अ ा मव प यत धेनुमूध न कता धयं ज र े वाजपेशसम्.. (६)
हे समान ोध वाले म तो! तुम जस कार हमारी तु तयां सुनने आते हो, उसी कार
हमारे ह अ के त आओ. तुम गाय को घोड़ के समान पु अंग वाली तथा यजमान का
य अ यु करो. (६)
तं नो दात म तो वा जनं रथ आपानं
चतय वे दवे.
इषं तोतृ यो वृजनेषु कारवे स न मेधाम र ं रं सहः.. (७)
हे म द्गण! हम अ के साथ-साथ ऐसा पु भी दान करो जो तु हारे आने के समय
त दन तु हारा गुणगान करे. अपने तु तक ा को तुम अ दो. जो लोग यु म तु हारी
तु त करते ह, उ ह यु
ान, धन दे ने क श एवं श ु
ारा अधृ य एवं असहनीय बल
दो. (७)
य ु ते म तो मव सोऽ ा थेषु भग आ सुदानवः.
धेनुन श े वसरेषु प वते जनाय रातह वषे मही मषम्.. (८)
सीने पर चमक ले गहने पहनने वाले एवं शोभन दानयु म द्गण रथ पर सवार होते
ही यजमान के घर जाकर उसी कार यथे अ दे ते ह, जस कार गाय अपने बछड़े को
ध पलाती है. (८)
यो नो म तो वृकता त म य रपुदधे वसवो र ता रषः.
वतयत तपुषा च या भ तमव ा अशसो ह तना वधः.. (९)
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हे म द्गण एवं वसुओ! जो मनु य भे ड़ए के समान हमसे श ुता रखता है, उस हसा
करने वाले से हमारी र ा करो. हे पु ो! हमारे श ु को ःख दे कर सृ से र भगाओ एवं
उसके सभी आयुध र फक दो. (९)
च ं त ो म तो याम चे कते पृ या य धर यापयो ः.
य ा नदे नवमान य
या तं जराय जुरातामदा याः.. (१०)
हे म तो! तु हारा वह व च कम सब जानते ह क तुमने पृ माता के तन से ध
पया था एवं तोता क नदा करने वाले को मारा था. हे अ हसनीय पु ो! तुमने त ऋ ष
के श ु को न कया. (१०)
ता वो महो म त एवया नो व णोरेष य भृथे हवामहे.
हर यवणा ककुहा यत ुचो
य तः शं यं राध ईमहे.. (११)
हे य थल म जाने वाले महानुभाव म तो! हम सव ापक एवं ाथनीय सोमरस के
तैयार होने पर तु ह बुलाते ह एवं सव म व सुनहरे रंग के ुच को उठाकर सव म तु तय
ारा तुमसे उ म धन मांगते ह. (११)
ते दश वाः थमा य मू हरे ते नो ह व तूषसो ु षु.
उषा न रामीर णैरपोणुते महो यो तषा शुचता गोअणसा.. (१२)
दस मास तक य करके स
ा त करने वाले अं गरा के प म म त ने पहली
बार य को धारण कया था. वे उषा के आने पर हम य काय म लगाव. उषा जस कार
अपनी लाल करण से काली रात को हटाती है, उसी कार म द्गण महान्, द तयु एवं
जल टपकाने वाली यो त से अंधकार मटाते ह. (१२)
ते ोणी भर णे भना
भी
नमेघमाना अ येन पाजसा सु
ा ऋत य सदनेषु वावृधुः.
ं वण द धरे सुपेशसम्.. (१३)
पु म द्गण श द करने वाली वीणा एवं लाल रंग के आभूषण से यु होकर
जल के नवास थान बादल म बढ़े ह. वे शी गामी एवं सव ापी बल से बादल से अ धक
मा ा म जल बरसाते ए स तापूवक उ म प धारण करते ह. (१३)
ताँ इयानो म ह व थमूतय उप घेदेना नमसा गृणीम स.
तो न या प च होतॄन भ य आववतदवरा च यावसे.. (१४)
हम व ण से व तृत धन क याचना करते ए अपनी र ा के न म तो
ारा
ाथना करते ह. त ऋ ष ने अपनी इ छापू त के लए ना भच
ारा ाण, अपान, समान,
ान ओर उदान पांच होता को लौटा लया. (१४)
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यया र ं पारयथा यंहो यया नदो मु चथ व दतारम्.
अवाची सा म तो या व ऊ तरो षु वा ेव सुम त जगातु.. (१५)
हे म द्गण! तुम जस र ाबु
ारा यजमान को पाप से र करते हो, एवं जससे
तोता को श ु के हाथ से छु ड़ाते हो, तु हारी वही र ाबु हमारी ओर ऐसे आए, जैसे
रंभाती ई गाय अपने बछड़े के पास आती है. (१५)
सू —३५
दे वता—अपांनपात् (अ न)
उपेमसृ वाजयुवच यां चनो दधीत ना ो गरो मे.
अपां नपादाशुहेमा कु व स सुपेशस कर त जो षष .. (१)
म अ का अ भलाषी बनकर यह तु त बोल रहा ं. श दकारी तु त पसंद करने वाले
एवं शी ग तशील जल के नाती अथात् अ न मुझ तोता को अ धक अ एवं उ म प
दान कर. (१)
इमं व मै द आ सुत ं म ं वोचेम कु वद य वेदत्.
अपां नपादसुय य म ा व ा यय भुवना जजान.. (२)
वामी अपांनपात् (जल के नाती अथात् अ न) को ल य करके हम अपने दय से
बनाए ए मं को भली कार कहगे. वह उसे अ धक मा ा म जान. उ ह ने श ुनाशक बल
से सारे भुवन को बनाया है. (२)
सम या य युप य य याः समानमूव न : पृण त.
तमू शु च शुचयो द दवांसमपां नपातं प र त थुरापः.. (३)
धरती म जल पहले से भरा रहता है. सरा जल उस म मलता है. वे जल नद का प
धारण करके सागर क बाड़वा न को स करते ह. शु जल प व एवं द तयु
अपांनपात् को चार ओर से घेरकर थत है. (३)
तम मेरा युवतयो युवानं ममृ यमानाः प र य यापः.
स शु े भः श वभी रेवद मे द दाया न मो घृत न णग सु.. (४)
जल दपहीन युवती के समान है. वह युवा के समान अपांनपात् को अ य धक अलंकृत
करके चार ओर से घेरता है. धनर हत एवं द त प वे अपांनपात् धनर हत अ क उ प
के लए नमल तेज जल के बीच का शत होते ह. (४)
अ मै त ो अ याय नारीदवाय दे वी द धष य म्.
कृता इवोप ह स अ सु स पीयूषं धय त पूवसूनाम्.. (५)
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इड़ा, सर वती एवं भारती नामक तीन द ने यां थार हत अपांनपात् के लए अ
धारण करती ह एवं जल म उ प सोम को बढ़ाती ह. अपांनपात् सव थम उ प जल के
अमृत सोम को पीते ह. (५)
अ या ज नमा य च व हो रषः स पृचः पा ह सूरीन्.
आमासु पूषु परो अ मृ यं नारातयो व नश ानृता न.. (६)
अपानंपात् प सागर से उ चैः वा अ एवं इस संसार का ज म आ है. वह अपहता
हसक के संपक से तोता क र ा करते ह. दान न करने वाले झूठे लोग अप रप व जल म
रहते ए भी इस अधृ य दे व को नह पा सकते. (६)
व आ दमे सु घा य य धेनुः वधां पीपाय सु व म .
सो अपां नपा जय व१ तवसुदेयाय वधते व भा त.. (७)
अपांनपात् अपने घर म नवास करते ह. उनक गाएं सुख से ही जा सकती ह. वह
वषा का जल बढ़ाते ह एवं उससे उ प अ का भ ण करते ह. वह जल के बीच म
श शाली बनकर यजमान को धन दे ने के लए का शत होते ह. (७)
यो अ वा शु चना दै ेन ऋतावाज उ वया वभा त.
वया इद या भुवना य य जाय ते वी ध
जा भः.. (८)
जो अपांनपात् स ययु , सदा एक प, व तीण एवं जल के म य प व दे वतेज से
सुशो भत ह, सब भुवन उ ह क शाखाएं ह एवं फूलफल से यु वन प तयां उ ह से उ प
ई ह. (८)
अपां नपादा था प थं ज ानामू व व ुतं वसानः.
त य ये ं म हमानं वह ती हर यवणाः प र य त य ः.. (९)
अपांनपात् कु टलग त जल के बीच वयं ऊपर उठकर जलते ए एवं तेज वी बादल
धारण करते ए आकाश म थत होते ह. सुनहरे रंग क न दयां उनके मह व को सब जगह
फैलाती ई बहती ह. (९)
हर य पः स हर यस गपां नपा से हर यवणः.
हर यया प र योने नष ा हर यदा दद य म मै.. (१०)
हर य प, हर यमय इं य वाले एवं हर यवण अपांनपात् हर यमय थान पर
बैठकर सुशो भत होते ह. हर यदाता यजमान उ ह दान दे ते ह. (१०)
तद यानीकमुत चा नामापी यं वधते न तुरपाम्.
य म धते युवतयः स म था हर यवण घृतम म य.. (११)
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अपांनपात् का करणसमूह पी शरीर एवं नाम शोभन है. ये गुण मेघ म छपकर बढ़ते
ह. युवती प जल वण के समान तेज वी अपांनपात् को आकाश म का शत करते ह.
इनका जल ही सबका भा य है. (११)
अ मै ब नामवमाय स ये य ै वधेम नमसा ह व भः.
सं सानु मा म द धषा म ब मैदधा य ैः प र व द ऋ भः.. (१२)
हम य , ह
एवं नम कार ारा अनेक दे व के आ एवं अपने सखा अपांनपात्
क सेवा कर. म उनका उ त थान भली कार सुशो भत करता ं, अ एवं लक ड़य ारा
उ ह धारण करता ं एवं मं
ारा उनक तु त करता ं. (१२)
स वृषाजनय ासु गभ स शशुधय त तं रह त.
सो अपां नपादन भ लातवण ऽ य येवेह त वा ववेष.. (१३)
सेचन करने वाले अपांनपात् ने उन जल म गभ उ प कया है. वही बालक बनकर
उनका जल पीते ह एवं जल उनको चाटता है. उ वल वण वाले वे ही अपांनपात् उस संसार
मअ
पी शरीर से ा त ए ह. (१३)
अ म पदे परमे त थवांसम व म भ व हा द दवांसम्.
आपो न े घृतम वह तीः वयम कैः प र द य त य ः.. (१४)
उ म थान म रहने वाले, तेज ारा त दन द त एवं जल के नाती अथात् अ न को
अ धारण करने वाले जलसमूह न य बहते ए घेरे रहते ह. (१४)
अयांसम ने सु त जनायायांसमु मघवद् यः सुवृ म्.
व ं त ं यदव त दे वा बृह दे म वदथे सुवीराः.. (१५)
हे उ म थान म रहने वाले अ न! हम पु ा त के लए तथा यजमान के क याण के
लए तु हारे पास तो लेकर आए ह. दे वगण जो क याण करते ह, वह हम ा त हो. हम
शोभन पु -पौ ा त करके इस य म ब त से तो बोलगे. (१५)
सू —३६
दे वता—इं आ द
तु यं ह वानो व स गा अपोऽधु सीम व भर भनरः.
पबे वाहा तं वषट् कृतं हो ादा सोमं थमो य ई शषे.. (१)
हे इं ! तु हारे उ े य से तुत यह सोम गाय के ध, दही एवं जल से म त है. य
के नेता ने इसे प थर एवं भेड़ के बाल से बने दशाप व क सहायता से तैयार कया है.
तुम सारे संसार के वामी हो, इस लए वाहा एवं वषट् श द के साथ अ न म डाले गए
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सोमरस का होता के पास से सव थम पान करो. (१)
य ैः स म ाः पृषती भऋ भयाम छु ासो अ
षु या उत.
आस ा ब हभरत य सूनवः पो ादा सोमं पबता दवो नरः.. (२)
हे य से संयु , पृषती से यु रथ पर बैठे ए, अपने आयुध से शोभा पाते ए,
आभरण को ेम करने वाले, भरत के पु एवं अंत र के नेता म द्गण! तुम बछे ए
कुश पर बैठकर पोता से सोमपान करो. (२)
अमेव नः सुहवा आ ह ग तन न ब ह ष सदतना र ण न.
अथा म द व जुजुषाणो अ धस व दवे भज न भः सुमद्गणः.. (३)
हे शोभन आ ान वाले व ा! तुम हमारे साथ आओ, कुश पर बैठो एवं आनंद करो.
इसके बाद दे व एवं दे वप नय के साथ शोभन समूह बनाकर सोम प अ का उपयोग
करते ए तृ त बनो. (३)
आ व दे वाँ इह व य चोश होत न षदा यो नषु षु.
त वी ह थतं सो यं मधु पबा नी ा व भाग य तृ णु ह.. (४)
हे बु मान् अ न! इस य थल म दे व को बुलाकर उनके न म य करो. हे दे व
को बुलाने वाले अ न! तुम हमारे ह क इ छा करते ए तीन थान पर बैठो, उ र वेद
पर रखे ए सोम प मधु को वीकार करो एवं अ नी के पास से अपना ह सा लेकर तृ त
बनो. (४)
एष य ते त वो नृ णवधनः सह ओजः द व बा ो हतः.
तु यं सुतो मघव तु यमाभृत वम य ा णादा तृप पब.. (५)
हे धन वामी इं ! जो सोम तु हारे शरीर म बल बढ़ाता है, जसके कारण ाचीन दे व के
हाथ म श ु को हराने वाला बल उ प होता है, वही सोम तु हारे लए नचोड़ा गया है.
तुम इस ऋ वक् ा ण के पास आकर तृ तपूवक सोम पओ. (५)
जुषेथां य ं बोधतं हव य मे स ो होता न वदः पू ा अनु.
अ छा राजाना नम ए यावृतं शा ादा पबतं सो यं मधु.. (६)
हे शोभासंप म एवं व ण! मेरे इस य म आओ, इसका सेवन करो एवं मेरा
आ ान सुनो. य म बैठा आ होता ाचीन तु तयां बोलता है. ऋ वज ारा घरा आ
अ तु हारे सामने है. इस मधुर सोमरस को शा ता के समीप आकर पओ. (६)
सू —३७
दे वता— वणोदा आ द
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म द व हो ादनु जोषम धसोऽ वयवः स पूणा व ा सचम्.
त मां एतं भरत त शो द दह ासोमं वणोदः पब ऋतु भः.. (१)
हे वणोदा अथात् धन य अ न! होता ारा कए ए य म अ हण करके स
एवं तृ त बनो. हे अ वयुगण! वे पूण आ त चाहते ह. इस लए उ ह यह सोम दो. सोम के
इ छु क वे वणोदा वां छत फल दे ते ह. हे वणोदा! होता के य म ऋतु के साथ
सोमपान करो. (१)
यमु पूवम वे त मदं वे से ह ो द दय नाम प यते.
अ वयु भः थतं सो यं मधु पो ा सोमं वणोदः पब ऋतु भः.. (२)
हे वणोदा! हम ाचीन काल म ज ह बुलाते थे, उ ह को इस समय भी बुलाते ह. वे
ही बुलाने यो य, दाता एवं सबके वामी ह. अ वयुगण ारा तैयार कया गया सोम प मधु
पोता के य म ऋतु के साथ पओ. (२)
मे तु ते व यो ये भरीयसेऽ रष य वीळय वा वन पते.
आयूया धृ णो अ भगूया वं ने ा सोमं वणोदः पब ऋतु भः.. (३)
हे वणोदा! वे घोड़े तृ त ह , जनके ारा तुम आते हो. हे वन के वामी! तुम कसी
क हसा न करते ए ढ़ बनो. हे श ुपराभवकारी! तुम ने ा के य म आकर ऋतु के
साथ सोम पओ. (३)
अपा ो ा त पो ादम ोत ने ादजुषत यो हतम्.
तुरीयं पा ममृ मम य वणोदाः पबतु ा वणोदसः.. (४)
जन वणोदा ने याग के होता से सोम पआ है, वे पोता से स ए ह एवं ज ह ने
ने ा के य म दया आ अ खाया है, वे ही वणोदा ह दाता ऋ वज् के मृ यु नवारक
चौथे सोमपा को पएं. (४)
अवा चम य यं नृवाहणं रथं यु ाथा मह वां वमोचनम्.
पृङ् ं हव ष मधुना ह कं गतमथा सोमं पबतं वा जनीवसू.. (५)
हे अ नीकुमारो! अपने वेगशाली, तु ह ढोने वाले एवं इस य म प ंचाने वाले रथ को
इस य म भली कार जोड़ो, हमारा ह मधुयु करो एवं यहां आओ. हे अ वा मयो!
हमारा सोमरस पओ. (५)
जो य ने स मधं जो या त जो ष
ज यं जो ष सु ु तम्.
व े भ व ाँ ऋतुना वसो मह उश दे वाँ उशतः पायया ह वः.. (६)
हे अ न! तुम स मधा
, आ तय , जनक याणकारी मं
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तथा शोभन तु तय से
यु बनो. वे वास प अ न! तु हारी इ छा करते ए संपूण दे व क तुम अ भलाषा करो.
तुम ऋतु एवं सब दे व के साथ सोम पओ. (६)
सू —३८
दे वता—स वता
उ य दे वः स वता सवाय श मं तदपा व र थात्.
नूनं दे वे यो व ह धा त र नमथाभज तहो ं व तौ.. (१)
काशयु एवं व को धारण करने वाले स वता अपना सव प कम करने के लए
उदय होते ह. वे दे व को र न दे ते ह एवं सुंदर य करने वाले यजमान को क याण का भागी
बनाते ह. (१)
व य ह ु ये दे व ऊ वः बाहवा पृथुपा णः सस त.
आप द य त आ नमृ ा अयं च ातो रमते प र मन्.. (२)
लंबी भुजा वाले स वता दे व संसार के सुख के हेतु उ दत होकर हाथ फैलाते ह. परम
प व जल इ ह के काम के हेतु बहता है एवं वायु सब जगह फैले ए आकाश म घूमता है.
(२)
आशु भ
ा व मुचा त नूनमरीरमदतमानं चदे तोः.
अ षूणां च ययाँ अ व यामनु तं स वतुम यागात्.. (३)
जाते ए स वता शी गामी करण ारा याग दए जाते ह. उस समय वे स वता सदा
चलने वाले या ी को रोक दे ते ह एवं श ु के व
गमन करने वाले लोग क इ छा का
नयं ण करते ह. स वता का काय समा त होने पर रात आती है. (३)
पुनः सम
ततं वय ती म या कत यधा छ म धीरः.
उ संहाया थाद् ृ१ तूँरदधसम तः स वता दे व आगात्.. (४)
कपड़े बुनने वाली नारी जस कार कपड़ा लपेटती है, उसी कार रात बखरे ए
काश को समेट लेती है. काय करने म समथ एवं बु मान् लोग अपना काम बीच म ही
रोक दे ते ह. वरामर हत एवं समय का वभाग करने वाले स वता दे व के उ दत होने पर लोग
श या छोड़ते ह. (४)
नानौकां स य व मायु व त ते भवः शोको अ नेः.
ये ं माता सूनवे भागमाधाद व य केत म षतं स व ा.. (५)
अ नगृह अथात् य शाला म उ प महान् तेज यजमान के अलग-अलग घर तथा
संपूण अ म समा जाता है. उषा माता ने स वता ारा े षत य का भाग अपने पु अ न
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को दया है. वह भाग उ म एवं अ न को बढ़ाने वाला है. (५)
समावव त व तो जगीषु व ेषां काम रताममाभूत्.
श ाँ अपो वकृतं ह ागादनु तं स वतुद य.. (६)
आकाश म थत स वता का त समा त होने अथात् सूय छप जाने पर जय का
इ छु क यो ा थान करके भी लौट आता है, सभी चर ाणी घर क अ भलाषा करने लगते
ह एवं काय म न य लगा आ
भी काम अधूरा छोड़कर घर जाता है. (६)
वया हतम यम सु भागं ध वा वा मृगयसो व त थुः.
वना न व यो न कर य ता न ता दे व य स वतु मन त.. (७)
हे स वता! तु हारे ारा अंत र म छपाया आ जो जलभाग है, उसी को जलर हत
दे श म खोज करने वाले पाते ह. तुमने प य को वनवृ नवास के लए दए ह. स वता
दे व के इन काय को कोई न नह करता. (७)
या ा यं१ व णो यो नम यम न शतं न म ष जभुराणः.
व ो माता डो जमा पशुगा थशो ज मा न स वता ाकः.. (८)
सूय छपने पर अ यंत गमनशील व ण सारे ग तशील ा णय को मनचाहा,
सुखदायक एवं ा त करने यो य नवास दे ते ह. जस समय स वता सभी ा णय को अलग
कर दे ते ह, उस समय सभी प ी एवं पशु अपने-अपने थान को चले जाते ह. (८)
न य ये ो व णो न म ो तमयमा न मन त ः.
नारातय त मदं व त वे दे वं स वतारं नमो भः.. (९)
इं , व ण, म , अयमा,
एवं श ु असुर जसके कम को समा त नह करते, उ ह
स वता दे व को हम अपने क याण के लए नम कार ारा बुलाते ह. (९)
भगं धयं वाजय तः पुर धं नराशंसो ना प तन अ ाः.
आये वाम य सङ् गथे रयीणां या दे व य स वतुः याम.. (१०)
मनु य ारा तु य एवं दे वप नय के र क स वता हमारी र ा कर. हम भजनीय,
यान करने यो य एवं परम बु मान् स वता को अ धक बलवान् बनाते ह. हम धन एवं
पशु के पाने और एक करने के लए स वता के य बन. (१०)
अ म यं त वो अद् यः पृ थ ा वया द ं का यं राध आ गात्.
शं य तोतृ य आपये भवा यु शंसाय स वतज र े.. (११)
हे स वता! तु हारे ारा हम दया आ
स
धन वग, आकाश और भूलोक से आव.
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जो धन तोता
करो. (११)
सू —३९
क संतान को सुख दे ने वाला है, वही मुझ ब त तु त करने वाले को दान
दे वता—अ नीकुमार
ावाणेव त ददथ जरेथे गृ ेव वृ ं न धम तम छ.
ाणेव वदथ उ थशासा तेव ह ा ज या पु ा.. (१)
हे अ नीकुमारो! तुम फके ए प थर के समान श ु को बाधा प ंचाओ. जस कार
प ी फल वाले वृ पर जाते ह, उसी कार तुम धन वाले यजमान के पास जाओ. तुम मं
उ चारण करने वाले
ा एवं जनपद म राजा ारा भेजे गए त के समान अनेक लोग
ारा बुलाने यो य हो. (१)
ातयावाणा र येव वीराजेव यमा वरमा सचेथे.
मेने इव त वा३ शु भमाने द पतीव तु वदा जनेषु.. (२)
हे अ नीकुमारो! ातःकाल य के लए जाने वाले रथ- वा मय के समान वीर, छाग
के समान यमल, ना रय के समान शोभन-शरीर, प त-प नी के समान साथ रहने वाले एवं
सबके य कम के ाता तुम दोन सेवक के पास आओ. (२)
शृ े व नः थमा ग तमवाक् छफा वव जभुराणा तरो भः.
च वाकेव त व तो ावा चा यातं र येव श ा.. (३)
हे अ नीकुमारो! तुम पशु के स ग के समान सभी दे व म मुख हो. घोड़े के खुर
के समान वेग से चलते ए तुम दोन हमारे सामने आओ. हे श ुनाशक एवं अपने कम म
समथ अ नीकुमारो! तुम चकवा-चकवी अथवा दो रथ वा मय के समान हमारे पास
आओ. (३)
नावेव नः पारयतं युगेव न येव न उपधीव धीव.
ानेव नो अ रष या तनूनां खृगलेव व सः पातम मान्.. (४)
हे अ नीकुमारो! नाव जस कार लोग को नद के पार उतार दे ती है, उसी कार
तुम हम ःख से पार प ंचाओ. जुआ, प हए क ना भ, अरे और पुठ जस कार रथ को
पार करते ह, उसी कार तुम हम पार लगाओ. तुम कु क तरह हम शरीरनाश एवं कवच
के समान बुढ़ापे से बचाओ. (४)
वातेवाजुया न ेव री तर ी इव च ुषा यातमवाक्.
ह ता वव त वे३श भ व ा पादे व नो नयतं व यो अ छ.. (५)
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हे वायु के समान नाशर हत, न दय के समान शी गामी एवं ने के समान दशक
अ नीकुमारो! हमारे सामने आओ. तुम हाथपैर के समान हमारे शरीर को सुख दे ने वाले
होकर हम उ म धन क ओर े रत करो. (५)
ओ ा वव म वा ने वद ता तना वव प यतं जीवसे नः.
नासेव न त वो र तारा कणा वव सु ुता भूतम मे.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन ह ठ के समान मधुर वचन बोलो, दो तन के समान
हमारी जीवन र ा के लए ध पलाओ, ना सका के दोन छ के समान हमारे शरीर-र क
बनो एवं कान के समान हमारी बात सुनो. (६)
ह तेव श म भ स दद नः ामेव नः समजतं रजां स.
इमा गरो अ ना यु मय तीः णो ण
े ेव वा ध त सं शशीतम्.. (७)
हे अ नीकुमारो! हाथ के समान हम साम य दो एवं धरती-आकाश के समान जल
दान करो. हमारे ारा क गई तु तयां तु हारे समीप जाती ह. सान जस कार तलवार को
तेज कर दे ती है, उसी कार तुम हमारी तु तय को ती ण बनाओ. (७)
एता न वाम ना वधना न
तोमं गृ समदासो अ न्.
ता न नरा जुजुषाणोप यातं बृह दे म वदथे सुवीराः.. (८)
हे अ नीकुमारो! गृ समद ऋ ष ने ये मं तथा तो तु हारी उ त के लए रचे ह. हे
नेताओ! तुम उ ह चाहते ए आओ. हम शोभन पु -पौ ा त करके इस य म ब त सी
तु तयां बोलगे. (८)
सू
४०
दे वता—सोम व पूषा
सोमापूषणा जनना रयीणां जनना दवो जनना पृ थ ाः.
जातौ व य भुवन य गोपौ दे वा अकृ व मृत य ना भम्.. (१)
हे सोम एवं पूषा! तुम धन, वग एवं धरती के जनक हो. तुम उ प होते ही संपूण
भुवन के र क बने. दे व ने तु ह अमरता का क ब बनाया. (१)
इमौ दे वौ जायमानौ जुष तेमौ तमां स गूहतामजु ा.
आ या म ः प वमामा व तः सोमापूष यां जन यासु.. (२)
सब दे व ने सोम एवं पूषादे व के ज म लेते ही उनक सेवा क . ये दोन असे अंधकार
का नाश करते ह. इं इनके साथ मलकर गाय के थन म ध उ प करते ह. (२)
सोमापूषणा रजसो वमानं स तच ं रथम व म वम्.
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वपूवृतं मनसा यु यमानं तं ज वथो वृषणा प चर मम्.. (३)
हे कामवषक सोम एवं पूषा! तुम संसार के प र छे दक, सात प हय वाले, संसार ारा
अ वभा य, सब जगह गमनशील, इ छा करते ही चलने वाले एवं पांच र मय वाले रथ
हमारी ओर हांकते हो. (३)
द १ यः सदनं च उ चा पृ थ ाम यो अ य त र े.
ताव म यं पु वारं पु ंु राय पोषं व यतां ना भम मे.. (४)
हे सोम व पूषा! तुम म से एक ने उ त वगलोक को अपना नवास बनाया है, सरा
ओष ध प से धरती तथा चं
प से आकाश म रहता है. तुम हमारे ह से का पशु पी धन
हम दो, जो अनेक लोग ारा वरणीय एवं अ धक क तसंप है. (४)
व ा य यो भुवना जजान व म यो अ भच ाण ए त.
सोमापूषणाववतं धयं मे युवा यां व ाः पृतना जयेम.. (५)
हे सोम और पूषा! तुम म से एक ने सम त ा णय को उ प कया है, सरा सबका
नरी ण करता आ जाता है. तुम हमारे य कम क र ा करो. तु हारी सहायता से हम
श ु क पूरी सेना को जीत ल. (५)
धयं पूषा ज वतु व म वो र य सोमो र यप तदधातु.
अवतु दे द तरनवा बृह दे म वदथे सुवीराः.. (६)
व को स करने वाले पूषा हमारे कम को पूण कर. धन के वामी सोम हम धन द.
वरोधर हत अ द त दे वी हमारी र ा कर. उ म पु -पौ ा त करके हम इस य म ब त
सी तु तयां बोलगे. (६)
सू
४१
दे वता—इं , वायु आ द
वायो ये ते सह णो रथास ते भरा ग ह. नयु वा सोमपीतये.. (१)
हे वायु! तु हारे पास जो हजार रथ ह, उनके ारा नयुतगण के साथ सोमरस पीने के
लए आओ. (१)
नयु वा वायवा ग यं शु ो अया म ते. ग ता स सु वतो गृहम्.. (२)
हे वायु! नयुत स हत आओ. यह द तमान् सोम तु हारे लए है. तुम सोमरस नचोड़ने
वाले यजमान के घर जाते हो. (२)
शु
या गवा शर इ वायू नयु वतः. आ यातं पबतं नरा.. (३)
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(३)
हे नेता इं और वायु! तुम आज नयुत के साथ ग
मले सोम पीने के लए आओ.
अयं वां म ाव णा सुतः सोम ऋतावृधा. ममे दह ुतं हवम्.. (४)
हे य व क म एवं व ण! तु हारे लए यह सोम नचोड़ा गया है. तुम हमारी पुकार
सुनो. (४)
राजानावन भ हा ुवे सद यु मे. सह
थूण आसाते.. (५)
श ुर हत एवं द तमान् म व व ण! ुव, ऊंचे और हजार खंभ वाले इस थान म
बैठो. (५)
ता स ाजा घृतासुती आ द या दानुन पती. सचेते अनव रम्.. (६)
सबके शासक, घृत पी अ का भोजन करने वाले, अ द तपु व दानशील म तथा
व ण यजमान क सेवा करते ह. (६)
गोम षु नास या ाव ाताम ना. वत
ा नृपा यम्.. (७)
हे स यवाद अ नीकुमारो एवं ो! य के नेता दे व के पीने यो य सोम को गाय
तथा अ से यु करके अपने माग से लाओ. (७)
न य परो ना तर आदधषद्वृष वसू. ःशंसो म य रपुः.. (८)
हे धनवषक अ नीकुमारो! हम ऐसा धन दो, जसे न रवत और न समीपवत श ु
मनु य चुरा सके. (८)
ता न आ वोळ् हम ना र य पश स शम्. ध या व रवो वदम्.. (९)
(९)
हे जानने यो य अ नीकुमारो! तुम हमारे पास नाना
प एवं धनलाभकारी पशु लाओ.
इ ो अ मह यमभी षदप चु यवत्. स ह थरो वचष णः.. (१०)
इं पराभवकारी महान् भय र करते ह, इस लए वे अचंचल एवं व
इ
ा ह. (१०)
मृळया त नो न नः प ादघं नशत्. भ ं भवा त नः पुरः.. (११)
इं य द हम सुखी रखगे तो पाप हमारे समीप नह आएगा एवं हमारे स मुख क याण
उप थत होगा. (११)
इ आशा य प र सवा यो अभयं करत्. जेता श ू वचष णः.. (१२)
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श ु
को जीतने वाले एवं मेधावी इं हम चार दशा
से भयर हत कर. (१२)
व े दे वास आ गत शृणुता म इमं हवम्. एदं ब ह न षीदत.. (१३)
हे व ेदेवो! यहां आओ, मेरी पुकार सुनो एवं इस कुश पर बैठो. (१३)
ती ो वो मधुमाँ अयं शुनहो ेषु म सरः. एतं पबत का यम्.. (१४)
हे व ेदेवो! तेज नशे वाला, रसयु व स ता दे ने वाला यह सोम हम गृ समदवंशीय
ऋ षय के पास है. इस सुंदर सोम को पओ. (१४)
इ
ये ा म द्गणा दे वासः पूषरातयः. व े मम ुता हवम्.. (१५)
म द्गण हमारी पुकार सुन. उन म इं सबसे बड़े ह और पूषा उ ह दान दे ते ह. (१५)
अ बतमे नद तमे दे वतमे सर व त.
अ श ता इव म स श तम ब न कृ ध.. (१६)
(१६)
हे माता
, न दय तथा दे वय म उ म सर वती! हम धनर हत को धनी बनाओ.
वे व ा सर व त तायूं ष दे ाम्.
शुनहो ेषु म व जां दे व द दड् ढ नः.. (१७)
हे तेज वी सर वती! सब अ तु हारे आ य म है. हे दे वी! तुम शुनहो य
पीकर स बनो तथा हम पु दो. (१७)
इमा
सर व त जुष व वा जनीव त.
या ते म म गृ समदा ऋताव र या दे वषु जु
म सोम
त.. (१८)
हे अ एवं जल से यु सर वती! इन ह
को वीकार करो. हम गृ समदवंशी
ऋ षय ने यह माननीय एवं दे व का य ह तु ह दया है. (१८)
ेतां य
य श भुवा युवा मदा वृणीमहे. अ नं च ह वाहनम्.. (१९)
हे सुखपूवक य पूण करने वाले धरती-आकाश! आओ. हम तु हारी एवं ह वाहन
अ न क ाथना करते ह. (१९)
ावा नः पृ थवी इमं स म
द व पृशम्. य ं दे वेषु य छताम्.. (२०)
धरती और आकाश वग आ द के साधक तथा दे व के समीप जाने वाले ह. वे हमारा
यह य दे व के समीप ले जाव. (२०)
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आ वामुप थम हा दे वाः सीद तु य याः. इहा सोमपीतये.. (२१)
हे श ुर हत धरती और आकाश! य यो य दे वता आज सोमपान के लए तु हारे पास
बैठ. (२१)
सू —४२
क न द जनुषं ुवाण इय त वाचम रतेव नावम्.
सुम ल शकुने भवा स मा वा का चद भभा व
दे वता—क पजल पी इं
ा वदत्.. (१)
बार-बार बोलकर भ व य क बात बताता आ क पजल वाणी को उसी कार े रत
करता है, जस कार म लाह नाव को आगे बढ़ाता है. हे प ी! तुम अ त क याणकारी बनो.
कसी भी कार पराजय सभी दशा से तु हारे समीप न आवे. (१)
मा वा येन उ धी मा सुपण मा वा वद दषुमा वीरो अ ता.
प यामनु दशं क न द सुम लो भ वाद वदे ह.. (२)
हे शकु न! बाज अथवा ग ड़ तु ह न मारे. धनुधारी एवं बाण फकने वाला वीर भी तु ह
ा त न करे. द ण दशा म बार-बार बोलते ए एवं मंगलकारक बनकर हमारे लए यारी
बात कहो. (२)
अव द द णतो गृहाणां सुम लो भ वाद शकु ते.
मा नः तेन ईशत माघशंसो बृह दे म वदथे सुवीराः.. (३)
हे क पजल प ी! तुम क याणसूचक एवं यवाद बनकर हमारे घर क द ण दशा
म बोलो. चोर एवं पाप क बात कहने वाले लोग हम पर अ धकार न कर. हम शोभन पु पौ ा त करके इस य म ब त सी तु तयां बोलगे. (३)
सू —४३
दे वता—क पजल पी इं
द णद भ गृण त कारवो वयो वद त ऋतुथा शकु तयः.
उभे वाचौ वद त सामगा इव गाय ं च ै ु भं चानु राज त.. (१)
क पजल प ी समय-समय पर अ क सूचना दे ते ए तोता के समान द णा
करते ए श द कर. सामगायन करने वाला जस कार गाय ी एवं
ु प् दोन छं द को
बोलता है, उसी कार क पजल प ी भी दोन कार के वा य बोलकर सुनने वाल को
स करता है. (१)
उद्गातेव शकुने साम गाय स
पु इव सवनेषु शंस स.
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वृषेव वाजी शशुमतीरपी या सवतो नः शकुने भ मा वद व तो नः शकुने पु यमा
वद.. (२)
हे प ी! तुम सामगान करने वाले उद्गाता क तरह गाओ एवं य म
पु ऋ वक्
के समान श द करो. गभाधान करने म समथ घोड़ा घोड़ी के पास जाकर जस कार
हन हनाता है, तुम भी उसी कार का श द करो. तुम हमारे लए सभी जगह क याणकारी
एवं पु यकारी श द बोलो. (२)
आवदं वं शकुने भ मा वद तू णीमासीनः सुम त च क नः.
य पत वद स कक रयथा बृह दे म वदथे सुवीराः.. (३)
हे क पजल प ी! तुम श द करते समय हमारे लए क याण क सूचना दो एवं मौन
रहते समय हमारे त सुम त क इ छा करो. तुम उड़ते समय ककरी बाजे के समान श द
करते हो. हम शोभन पु -पौ ा त करके इस य म ब त सी तु तयां बोलगे. (३)
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तृतीय मंडल
सू —१
दे वता—अ न
सोम य मा तवसं व य ने व चकथ वदथे यज यै.
दे वाँ अ छा द
ु े अ शमाये अ ने त वं जुष व.. (१)
हे अ न! य करने के न म तुमने मुझे सोमरस का वाहक बनाया है, इस लए मुझे
श शाली बनाने क इ छा करो. काशयु होता आ म दे व को ल य करके सोमरस
नचोड़ने के लए प थर उठाता ं एवं तो बोलता ं. तुम मेरे शरीर क र ा करो. (१)
ा चं य ं चकृम वधतां गीः स म र नं नमसा व यन्.
दवः शशासु वदथा कवीनां गृ साय च वसे गातुमीषुः.. (२)
हे अ न! तुमने पूवकाल म य कया है. हमारे तु त वचन क वृ हो. मेरे आ मीय
लोग स मधा एवं ह
ारा अ न क सेवा कर. दे व ने वग से आकर तोता को ान
दया है. वे तु त क ई एवं व लत अ न क तु त करना चाहते ह. (२)
मयो दधे मे धरः पूतद ो दवः सुब धुजनुषा पृ थ ाः.
अ व द ु दशतम व१ तदवासो अ नमप स वसॄणाम्.. (३)
मेधावी, शु बलयु , ज म से ही उ म बंध,ु वग का सुख वधान करने वाले एवं सुंदर
अ न को हमने बहने वाली न दय के जल के भीतर से य काय के हेतु ा त कया है. (३)
अवधय सुभगं स त य ः ेतं ज ानम षं म ह वा.
शशुं न जातम या र ा दे वासो अ नं ज नम वपु यन्.. (४)
शोभन धन वाले, उ वल एवं मह व से का शत जल म थत अ न को सात न दय
ने बढ़ाया. घोड़ी जस कार तुरंत ज मे बछड़े के पास जाती है, उसी कार न दयां उ प
अ न के समीप ग . दे व ने अ न को उ प होते ही काशमान कया. (४)
शु े भर ै रज आतत वान् तुं पुनानः क व भः प व ैः.
शो चवसानः पयायुरपां यो ममीते बृहतीरनूनाः.. (५)
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अ न उ वल तेज के ारा अंत र को ा त करते ए यजमान को तु त यो य एवं
प व तेज से शु करते ह तथा द त को धारण करके यजमान को धन एवं सारी संप यां
दे ते ह. (५)
व ाजा सीमनदतीरद धा दवो य रवसाना अन नाः.
सना अ युवतयः सयोनीरेकं गभ द धरे स त वाणीः.. (६)
जल का भ ण न करते ए एवं जल के ारा न होते ए अंत र क संतान के
समान एवं व ढके न होने पर भी जल से घरे होने के कारण अ न नंगे नह ह. सनातन,
न य त ण एवं एक थान से उ प सात न दय ने अ न को गभ के समान धारण कया.
(६)
तीणा अ य संहतो व पा घृत य योनौ वथे मधूनाम्.
अ थुर धेनवः प वमाना मही द म य मातरा समीची.. (७)
अनेक प वाली एवं सब जगह फैली ई अ न क करण जलवषा के प ात् जल के
उप
थान आकाश म एक त रहती ह. सबको स करने वाली जल पी गाएं इसी
अ न म रहती ह. वशाल धरती और आकाश सुंदर अ न के माता- पता ह. (७)
ब ाणः सूनो सहसो
ौ धानः शु ा रभसा वपूं ष.
ोत त धारा मधुनो घृत य वृषा य वावृधे का ेन.. (८)
हे बल के पु अ न! तुम सबके ारा धारण कए जाकर भा कर एवं वेग वाली करण
धारण करते ए का शत होते हो. अ न जस समय तो के कारण बढ़ते ह, उस समय
मीठे जल क धाराएं गरती ह. (८)
पतु धजनुषा ववेद
य धारा असृज धेनाः.
गुहा चर तं स ख भः शवे भ दवो य भन गुहा बभूव.. (९)
ज म लेते ही अ न ने अपने पता अंत र के तन म थत जल को जान लया. वहां
से जलधारा को बहाया एवं म यमा वा णय को वस जत कया. अपने क याणकारी
वायु पी बंधु के साथ थत होकर आकाश के संतान पी जल के साथ गुफा म रहने
वाली अ न को कोई ा त नह कर सका. (९)
पतु गभ ज नतु ब े पूव रेको अधय पी यानाः.
वृ णे सप नी शुचये सब धू उभे अ मै मनु ये३ न पा ह.. (१०)
अ न अपने पता अंत र का गभ अथात् जल एवं अपने ज मदाता ा ण का गभ
अथात् लोकपोषण धारण करते ह. अकेले अ न अनेक प म वृ
ा त ओष धय का
भ ण करते ह. पर पर सौत एवं मनु य का क याण करने वाले धरती-आकाश कामवषक
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अ न के बंधु ह. हे अ न! तुम इन दोन क र ा करो. (१०)
उरौ महाँ अ नबाधे ववधापो अ नं यशसः सं ह पूव ः.
ऋत य योनावशय मूना जामीनाम नरप स वसॄणाम्.. (११)
महान् अ न बाधार हत एवं वशाल आकाश म बढ़ते ह, य क अनेक कार के अ
से यु जल अ न को भली कार बढ़ाता है. जल के उ प
थान आकाश म थत अ न
नद पी ब हन के जल म शांत च से सोते ह. (११)
अ ो न ब ः स मथे महीनां द ेयः सूनवे भाऋजीकः.
उ या ज नता यो जजानापां गभ नृतमो य ो अ नः.. (१२)
संपूण लोक के जनक, जल के गभ के समान, मानव के परम र क, महान्, श ु
पर आ मण करने वाले, सं ाम म अपनी वशाल सेना के र क, परम सुंदर एवं अपनी
यो त से काशमान अ न ने यजमान के लए जल पैदा कया है. (१२)
अपां गभ दशतमोषधीनां वना जजान सुभगा व पम्.
दे वास मनसा सं ह ज मुः प न ं जातं तवसं व यन्.. (१३)
सौभा यशाली एवं सुखदाता अर ण ने दशनीय एवं भां त-भां त क ओष धय के गभ
के समान अ न को ज म दया. सम त दे व तु तयो य, उ त एवं तुरंत उ प अ न के
समीप तु त करते ए गए एवं उ ह ने अ न क सेवा क . (१३)
बृह त इ ानवो भाऋजीकम नं सच त व त
ु ो न शु ाः.
गुहेव वृ ं सद स वे अ तरपार ऊव अमृतं हानाः.. (१४)
गहरे सागर के म य अमृत पी जल को बखेरते ए महान् सूय क चमकती ई
बज लय के समान सूयगण अपने नवास थान अंत र म बढ़ते एवं अपनी चमक से
जलती ई अ न का सहारा लेते ह. अंत र गुहा के समान है. (१४)
ईळे च वा यजमानो ह व भरीळे स ख वं सुम त नकामः.
दे वैरवो ममी ह सं ज र े र ा च नो द ये भरनीकैः.. (१५)
म यजमान ह
के ारा तु हारी तु त करता ं एवं धम वषयक उ मबु पाने क
इ छा से तु हारे साथ म ता क याचना करता ं. दे व के साथ मेरे पशु एवं मुझ तोता
क अपने अदमनीय तेज ारा र ा करो. (१५)
उप ेतार तव सु णीतेऽ ने व ा न ध या दधानाः.
सुरेतसा वसा तु माना अ भ याम पृतनायूँरदे वान्.. (१६)
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हे उ म नेता अ न! तु हारे समीप जाते ए हम पशु आ द धन के कारण प य
को करते ए तु ह ह दे ते ह एवं शोभन बल से यु अ दे कर दे व वरोधी श ु को
परा जत करते ह. (१६)
आ दे वानामभवः केतुर ने म ो व ा न का ा न व ान्.
त मता अवासयो दमूना अनु दे वा थरो या स साधन्.. (१७)
हे रथी अ न! तुम य म दे व के शंसनीय केतु, सभी तो के जानने वाले, सभी
मनु य को उनके घर म बसाने वाले एवं दे व का काय स करके उनके पीछे चलने वाले
हो. (१७)
न रोणे अमृतो म यानां राजा ससाद वदथा न साधन्.
घृत तीक उ वया
ौद न व ा न का ा न व ान्.. (१८)
द तमान् एवं न य अ न य को पूण करते ए होता के घर म थत होते ह. घृत
के कारण बढ़ने वाले अ न सभी बात को जानते एवं का शत होते ह. (१८)
आ नो ग ह स ये भः शवे भमहा मही भ त भः सर यन्.
अ मे र य ब लं स त ं सुवाचं भागं यशसं कृधी नः.. (१९)
हे सब जगह जाने के इ छु क महान् अ न! क याणकारी स य एवं र ा के वशाल
साधन लेकर हमारे पास आओ एवं व तीण, उप व से र हत, शोभन वचन यु , सुभग
तथा यश वी बनाओ. (१९)
एता ते अ ने ज नमा सना न पू ाय नूतना न वोचम्.
महा त वृ णे सवना कृतेमा ज म
मन् न हतो जातवेदाः.. (२०)
हे पुरातन अ न! हम तु ह ल य करके सनातन एवं नवीन तु तय को पढ़ते ह. सब
ा णय को जानने वाले एवं मनु य के बीच थत कामवषक अ न को ल य करके हमने ये
य कए ह. (२०)
जम
मन् न हतो जातवेदा व ा म े भ र यते अज ः.
त य वयं सुमतौ य य या प भ े सौमनसे याम.. (२१)
सभी मनु य के बीच थत तथा सभी ा णय को जानने वाले अ न को व ा म के
गो वाले ऋ ष सदै व व लत रखते ह. हम उन य यो य अ न क कृपा ा त करके
उ म क याण पाएंगे. (२१)
इमं य ं सहसावन् वं नो दे व ा धे ह सु तो रराणः.
यं स होतबृहती रषो नोऽ ने म ह वणमा यज व.. (२२)
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हे श शाली एवं उ म कम वाले अ न! तुम सदै व रमण करते ए हमारे य को दे व
के समीप प ंचाओ. हे दे व के होता अ न! हम अ एवं अ धक धन दो. (२२)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (२३)
हे अ न! मुझ होता को मेरे कम के अनुकूल गाय दान करने वाली थायी भू म दो.
मेरा पु संतान का व तार करने वाला हो. मेरे त तु हारी उ म बु हो. (२३)
सू —२
दे वता—वै ानर अ न
वै ानराय धषणामृतावृधे घृतं न पूतम नये जनाम स.
ता होतारं मनुष वाघतो धया रथं न कु लशः समृ व त.. (१)
हम जल बढ़ाने वाले वै ानर को ल य करके यु के समान आनंद द तु तयां करते
ह. जैसे वसूला रथ को बनाता है, उसी कार यजमान और ऋ वज् गाहप य एवं आ ानीय
दो कार के दे व-आ ाता अ न का म सं कार करता ं. (१)
स रोचय जनुषा रोदसी उभे स मा ोरभव पु ई ः.
ह वाळ नरजर नो हतो ळभो वशाम त थ वभावसुः.. (२)
अ न ने उ प होते ही धरती और आकाश को का शत कया एवं अपने माता- पता
के शंसनीय पु बने. ह वहन करने वाले, यजमान को अ दे ने वाले, अधृ य एवं
भावयु अ न इस कार पू य ह जैसे मनु य अ त थ क पूजा करते ह. (२)
वा द य त षो वधम ण दे वासो अ नं जनय त च भः.
चानं भानुना यो तषा महाम यं न वाजं स न य ुप ुवे.. (३)
ानयु दे वगण ने सन से छु ड़ाने वाले बल ारा य म अ न को उ प कया. म
अ क अ भलाषा से भासमान यो त ारा चमकने वाले महान् अ न क तु त भारवाही
अ के समान करता ं. (३)
आ म य स न य तो वरे यं वृणीमहे अ यं वाजमृ मयम्.
रा त भृगूणामु शजं क व तुम नं राज तं द न
े शो चषा.. (४)
म तु त यो य वै ानर अ न से संबं धत, उ म, ल जा न उ प करने वाले एवं
शंसनीय अ क अ भलाषा करता आ भृगुवंशी ऋ षय क इ छा पूण करने वाले, सबके
य, ांतदश एवं द
यो त से सुशो भत अ न क सेवा करता ं. (४)
अ नं सु नाय द धरे पुरो जना वाज वस मह वृ ब हषः.
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यत ुचः सु चं व दे ं
ं य ानां साध द मपसाम्.. (५)
कुश बछाने वाले एवं हाथ म ुच लए ए ऋ वज् सुख पाने के लए मनु य को अ
दे ने वाले, उ म द तयु , संपूण दे व के हतकारक, ःखनाशक एवं यजमान के य पूण
करने वाले अ न क तु त करते ह. (५)
पावकशोचे तव ह यं प र होतय ेषु वृ ब हषो नरः.
अ ने व इ छमानास आ यमुपासते वणं धे ह ते यः.. (६)
हे प व चमक वाले तथा दे व के होता अ न! य म चार ओर कुश बछाए ए एवं
तु हारी सेवा करने के इ छु क यजमान तु हारे ा त करने यो य य मंडप क सेवा करते ह.
तुम उ ह धन दो. (६)
आ रोदसी अपृणदा वमह जातं यदे नमपसो अधारयन्.
सो अ वराय प र णीयते क वर यो न वाजसातये चनो हतः.. (७)
अ न ने धरती, आकाश एवं वशाल वग को भर दया था. यजमान ने अ न को
धारण कया था. ांतदश एवं अ यु अ न घोड़े के समान अ पाने के लए लाए जाते
ह. (७)
नम यत ह दा त व वरं व यत द यं जातवेदसम्.
रथीऋत य बृहतो वचष णर नदवानामभव पुरो हतः.. (८)
नेता, महान् एवं य को दे खने वाले अ न दे व के सामने था पत ए थे. दे व को ह
दे ने वाले, शोभन य यु , घर के लए हतकारक एवं सभी ा णय को जानने वाले अ न
क सेवा करो. (८)
त ो य य स मधः प र मनोऽ नेरपुन ु शजो अमृ यवः.
तासामेकामदधुम य भुजमु लोकमु े उप जा ममीयतुः.. (९)
अ न क अ भलाषा करने वाले मरणर हत दे व ने महान् और चार ओर जाने वाले
अ न के ापक पा थव, वै ु तक एवं सूय प तीन शरीर को प व कया था. दे व ने
सबका पालन करने वाले पा थव शरीर को धरती पर एवं शेष दो को आकाश म रखा. (९)
वशां क व व प त मानुषी रषः सं सीमकृ व व ध त न तेजसे.
स उ तो नवतो या त वे वष स गभमेषु भुवनेषु द धरत्.. (१०)
धन क इ छा करने वाली मानवी जा ने जा के वामी एवं मेधावी अ न का
इस लए सं कार कया क वे धार लगी ई तलवार के समान तेज वी हो जाव. अ न ऊंचे
तथा नीचे थान को ा त करते ए जाते ह एवं सभी लोक म अपना गभ धारण करते ह.
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(१०)
स ज वते जठरेषु ज वा वृषा च ेषु नानद सहः.
वै ानरः पृथुपाजा अम य वसु र ना दयमानो व दाशुषे.. (११)
परम तेज वी, अमर, यजमान को उ म व तुएं दे ने वाले, उ प होने वाले एवं
कामवषक वै ानर अ न सह के समान गजन करते ए अनेक कार के उदर म बढ़ते ह.
(११)
वै ानरः नथा नाकमा ह व पृ ं भ दमानः सुम म भः.
स पूवव जनय
तवे धनं समानम मं पय त जागृ वः. (१२)
तोता
ारा तु त कए जाते ए वै ानर अ न चरंतन के समान अंत र क पीठ
प वग पर आरोहण करते ह. वे ाचीन ऋ षय के समान ही तु तक ा यजमान को धन
दे ते ए सदा बु रहकर सूय के प म दे व क तरह आकाश पी माग पर घूमते ह. (१२)
ऋतावानं य यं व मु य१ मा यं दधे मात र ा द व यम्.
तं च यामं ह रकेशमीमहे सुद तम नं सु वताय न से.. (१३)
बलवान्, य के यो य, मेधावी, तु त यो य एवं वगलोक म नवास करने वाले अ न
को धरती पर लाकर वायु ने था पत कया है. हम उ ह व च ग त वाले, पीली करण
वाले एवं शोभन द तयु अ न से नवीन धन क याचना करते ह. (१३)
शु च न याम षरं व शं केतुं दवो रोचन थामुषबुधम्.
अ नं मूधानं दवो अ त कुषं तमीमहे नमसा वा जनं बृहत्.. (१४)
म द त, य म गमन करने वाले, अ भलाषा करने यो य, सबको दे खने वाले, वग के
तीक, सूय म थत, ातःकाल जागने वाले, वग के शीश तु य, अ यु एवं महान् अ न
क तो ारा याचना करता ं. उनका श द कह कता नह है. (१४)
म ं होतारं शु चम या वनं दमूनसमु यं व वचष णम्.
रथं न च ं वपुषाय दशतं मनु हतं सद म ाय ईमहे.. (१५)
तु त के यो य, दे व को बुलाने वाले, शु , कु टलतार हत, दानदाता, े , संसार को
दे खने वाले, रथ क तरह व वध रंग वाले, दशनीय तथा मानव का सदा हत करने वाले
अ न से म धन क याचना करता ं. (१५)
सू —३
दे वता—वै ानर अ न
वै ानराय पृथुपाजसे व ो र ना वध त ध णेषु गातवे.
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अ न ह दे वाँ अमृतो व य यथा धमा ण सनता न
षत्.. (१)
मेधावी तोता स माग ा त करने के लए परम बलशाली, वै ानर अ न के त य
म सुंदर तो पढ़ते ह. मरणर हत अ न ह के ारा दे व क सेवा करते ह. इसी कारण
कोई भी सनातन धम पी य को षत नह करता है. (१)
अ त तो रोदसी द म ईयते होता नष ो मनुषः पुरो हतः.
यं बृह तं प र भूष त ु भदवे भर न र षतो धयावसुः.. (२)
दशनीय होता अ न दे व के त बनकर धरती-आकाश के बीच म गमन करते ह.
मनु य के आगे था पत एवं बैठे ए अ न अपनी चमक से वशाल य शाला को सुशो भत
करते ह. वे अ न दे व ारा े रत एवं बु यु ह. (२)
केतुं य ानां वदथ य साधनं व ासो अ नं महय त च भः.
अपां स य म ध संदधु गर त म सु ना न यजमान आ चके.. (३)
व ान् लोग य के तीक एवं साधन प अ न क पूजा अपने य कम ारा करते
ह. तोता जस अ न म अपने-अपने क
कम को अ पत करते ह, उ ह अ न से
यजमान सुख क कामना करता है. (३)
पता य ानामसुरो वप तां वमानम नवयुनं च वाघताम्.
आ ववेश रोदसी भू रवपसा पु यो भ दते धाम भः क वः.. (४)
य के पालक, तोता को श दे ने वाले, ऋ वज के लए ान के साधन एवं
य कम के कारण अ न अनेक प के ारा धरती-आकाश म वेश करते ह. मनु य म
य एवं तेज से यु अ न क यजमान तु त करते ह. (४)
च म नं च रथं ह र तं वै ानरम सुषदं व वदम्.
वगाहं तू ण त वषी भरावृतं भू ण दे वास इह सु यं दधुः.. (५)
दे व ने स ताकारक, आ ादक रथ वाले, पीले रंग वाले, जल के म य नवास करने
वाले, सव , सब जगह घूमने वाले, व रत ग त, श ु हसक, बल से यु , सबका भरण
करने वाले एवं शोभन द त यु वै ानर अ न को इस लोक म था पत कया है. (५)
अ नदवे भमनुष ज तु भ त वानो य ं पु पेशसं धया.
रथीर तरीयते साध द भज रो दमूना अ भश तचातनः.. (६)
य को स करने वाले दे व तथा ऋ वज के साथ य कम ारा यजमान के भां तभां त के य को पूण करने वाले, सारे लोक के नेता, शी काम करने वाले, दानशील एवं
श ुनाशक अ न धरती और आकाश के बीच जाते ह. (६)
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अ ने जर व वप य आयु यूजा प व व स मषो दद ह नः.
वयां स ज व बृहत जागृव उ श दे वानाम स सु तु वपाम्.. (७)
हे अ न! हम सुपु एवं द घ आयु ा त कराने के लए दे व क तु त करो एवं अ
ारा उ ह स करो. हे जागरणशील अ न! हमारी फसल के लाभ के लए वषा को े रत
करो, अ का दान करो तथा महान् यजमान को धन दो, य क तुम उ म कम करने वाले
तथा दे व के यारे हो. (७)
व प त य म त थ नरः सदा य तारं धीनामु शजं च वाघताम्.
अ वराणां चेतनं जातवेदसं शंस त नमसा जू त भवृधे.. (८)
तोता, मनु य के वामी, महान्, सबके अ त थ, बु य का नयं ण करने वाले,
ऋ वज के य, य के ापक, वेगशाली एवं उ प
ा णय को जानने वाले अ न क
वृ के लए नम कार एवं तु तय ारा शंसा करते ह. (८)
वभावा दे वः सुरणः प र तीर नबभूव शवसा सुम थः.
त य ता न भू रपो षणो वयमुप भूषेम दम आ सुवृ भः.. (९)
द तमान्, तु त कए जाते ए, रमणीय शोभन रथ वाले अ न श
ारा सारी
जा को घेर लेते ह. अनेक का पोषण करने वाले एवं य शाला म नवास करने वाले
अ न के सभी कम को हम उ म तो
ारा का शत करगे. (९)
वै ानर तव धामा या चके ये भः व वदभवो वच ण.
जात आपृणो भुवना न रोदसी अ ने ता व ा प रभूर स मना. (१०)
हे चतुर वै ानर अ न! म तु हारे उ ह तेज क तु त करता ,ं जनके ारा तुम सव
ए हो. तुम ज म लेते ही सारे भुवन एवं धरती-आकाश को पूण कर दे ते हो. हे अ न! तुम
अपने ारा सभी ा णय को ा त करते हो. (१०)
वै ानर य दं सना यो बृहद रणादे कः वप यया क वः.
उभा पतरा महय जायता न ावापृ थवी भू ररेतसा.. (११)
वै ानर अ न क संतोषजनक या से महान् धन मलता है, यह स य है, य क
वह य ा द शोभन कम क इ छा से यजमान को धन दे ते ह. अ न वीयशाली माता- पता,
धरती और आकाश को महान् बनाते ए उ प ए ह. (११)
सू —४
दे वता—आ य
स म स म सुमना बो य मे शुचाशुचा सुम त रा स व वः.
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आ दे व दे वा यजथाय व
सखा सखी सुमना य य ने.. (१)
हे अ य धक व लत अ न! तुम उ म मन से जागो. तुम अपने इधर-उधर फैलने
वाले तेज के ारा हम धन दे ने क कृपा करो. हे अ तशय ोतमान अ न! दे व को हमारे य
म लाओ. तुम दे व के म हो. अनुकूलतापूवक दे व का य करो. (१)
यं दे वास रह ायज ते दवे दवे व णो म ो अ नः.
सेमं य ं मधुम तं कृधी न तनूनपाद्घृतयो न वध तम्.. (२)
व ण, म और अ न के जस शरीर को प व करने वाले अ न का येक दन म
तीन बार य करते ह, वे हमारे इस जल न म क य को वषा आ द फल से यु कर. (२)
द ध त व वारा जगा त होतार मळः थमं यज यै.
अ छा नमो भवृषभं व द यै स दे वा य द षतो यजीयान्.. (३)
सब लोग को य लगने वाली तु त दे व को बुलाने वाले अ न के समीप जावे. इडा
दे व म मुख, सामने आकर कामना पूण करने वाले एवं वंदना के यो य अ न के पास उ ह
ह अ से स करने के लए आव. य कम म अ यंत कुशल अ न हमारी ेरणा से य
कर. (३)
ऊ व वां गातुर वरे अकायू वा शोच ष थता रजां स.
दवो वा नाभा यसा द होता तृणीम ह दे व चा व ब हः.. (४)
अ न और कुश के लए य म एक उ म माग बनाया गया है. द त वाला ह ऊपर
जाता है. होता द तयु य शाला के बीच म बैठा है. हम दे व से ा त कुश बछाते ह. (४)
स त हो ा ण मनसा वृणाना इ व तो व ं त य ृतेन.
नृपेशसो वदथेषु जाता अभी३मं य ं व चर त पूव ः.. (५)
मन से ाथना करने यो य एवं जल के ारा व को स चते ए दे वगण सात य
जाते ह. वे नेता प, य म उ प , य के दोन ार-तु य दे वता हमारे इस य
शरीरस हत आव. (५)
म
म
आ भ दमाने उषसा उपाके उत मयेते त वा३ व पे.
यथा नो म ो व णो जुजोष द ो म वाँ उत वा महो भः.. (६)
भली कार तुत रात व दन पर पर मलकर या अलग-अलग होकर काश पी
शरीर से आव. वे धरती और आकाश को उस तेज से यु कर, जससे म , व ण एवं इं
हम पर कृपा करते ह. (६)
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दै ा होतारा थमा यृ े स त पृ ासः वधया मद त.
ऋतं शंस त ऋत म आ रनु तं तपा द यानाः.. (७)
अ न प दोन होता , द तथा मु य को म स करता .ं जल संबंधी मं
बोलते ए अ यु सात ऋ वज् ह
ारा अ न को स करते ह. य कम के र क एवं
द त वाले ऋ वज् येक य म अ न से स य बात कहते ह. (७)
आ भारती भारती भः सजोषा इळा दे वैमनु ये भर नः.
सर वती सार वते भरवाक् त ो दे वीब हरेदं सद तु.. (८)
भारती अथात् वाणी सूयवंशी लोग के साथ तथा इडा और अ न दे व एवं मनु य के
साथ आव. सर वती सार वतजन के साथ आव. ये तीन दे वयां आकर हमारे सामने कुश
पर बैठ. (८)
त तुरीपमध पोष य नु दे व व व रराणः य व.
यतो वीरः कम यः सुद ो यु ावा जायते दे वकामः.. (९)
हे व ा दे व! तुम स होकर हम तारक एवं पोषक वीय से यु करो, जसके ारा
हम वीर, कमकुशल, श शाली, सोमरस तैयार करने के लए हाथ म प थर उठाने वाले एवं
दे व के भ पु उ प कर सक. (९)
वन पतेऽव सृजोप दे वान नह वः श मता सूदया त.
से होता स यतरो यजा त यथा दे वानां ज नमा न वेद.. (१०)
हे वन प त! दे व को हमारे समीप लाओ. पशु का सं कार करने वाले अ न और
वन प त दे व के पास ह ले जाव. अ तशय स य प अ न होता प म य कर. वे ही दे व
के ज म को जानते ह. (१०)
आ या ने स मधानो अवा ङ े ण दे वैः सरथं तुरे भः.
ब हन आ ताम द तः सुपु ा वाहा दे वा अमृता मादय ताम्.. (११)
हे अ न! तुम वाला प से द त होकर इं एवं शी ताकारी अ य दे व के साथ एक
रथ पर बैठकर हमारे स मुख आओ. उ म पु से यु अ द त कुश पर बैठ एवं मरणर हत
दे व वाहाकार से स ता पाव. (११)
सू —५
दे वता—अ न
य न षस े कतानोऽबो ध व ः पदवीः कवीनाम्.
पृथुपाजा दे वय ः स म ोऽप ारा तमसो व रावः.. (१)
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उषा को जानते ए जो मेधावी अ न ांतद शय के माग पर जाते ए जागे थे, वही
परम तेज वी अ न दे व को चाहने वाले लोग ारा व लत होकर अ ान के जाने के ार
खोलते ह. (१)
े
नवावृधे तोमे भग भः तोतॄणां नम य उ थैः.
पूव ऋत य सं श कानः सं तो अ ौ षसो वरोके.. (२)
य
जो पू य अ न तोता के वा य , तो और मं से बढ़ते ह, वे ही दे व त अ न
म सूय के समान का शत होने के लए ातःकाल जाग उठते ह. (२)
अधा य नमानुषीषु व व१पां गभ म ऋतेन साधन्.
आ हयतो यजतः सा व थादभू व ो ह ो मतीनाम्.. (३)
यजमान के म , य के ारा उनक इ छाएं पूण करने वाले एवं जल के गभ अ न
मानवी जा के म य दे व ारा था पत कए गए ह. कामना करने यो य, य के यो य
एवं वेद के ऊंचे थान पर थत अ न तोता क तु तय के ारा तुत ए ह. (३)
म ो अ नभव त य स म ो म ो होता व णो जातवेदाः.
म ो अ वयु र षरो दमूना म ः स धूनामुत पवतानाम्.. (४)
अ न व लत होते समय म होते ह. वे म के साथ-साथ होता तथा ा णय के
ाता व ण भी बनते ह. वे ही म , अ वयु, दानशील एवं वायु बनते ह तथा न दय एवं
पवत के म ह. (४)
पा त यं रपो अ ं पदं वेः पा त य रणं सूय य.
पा त नाभा स तशीषाणम नः पा त दे वानामुपमादमृ वः.. (५)
दशनीय अ न सब जगह ा त, पृ वी के य एवं उ म थान क र ा करते ह.
महान् अ न सूय के वचरण थान आकाश क र ा करते ह. वे आकाश म म द्गण क
र ा करते ह एवं दे व को स करने के लए य को र त करते ह. (५)
ऋभु
ई ं चा नाम व ा न दे वो वयुना न व ान्.
सस य चम घृतव पदं वे त दद नी र य यु छन्.. (६)
महान् एवं जानने यो य सभी पदाथ को जानने वाले अ न दे व ने शंसनीय एवं सुंदर
जल को पैदा कया था. ा त एवं सोते ए अ न का प भी द त वाला होता है. अ न
मादहीन होकर उस जल क र ा करते ह. (६)
आ यो नम नघृतव तम था पृथु गाणमुश तमुशानः.
द ानः शु चऋ वः पावकः पुनः पुनमातरा न सी कः.. (७)
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इ छा करते ए अ न द तयु , भली कार तुत एवं अपने य थान पर थत ह.
द तमान्, प व , दशनीय एवं महान् अ न अपने माता- पता प धरती और आकाश को
अ धक नया बनाते ह. (७)
स ो जात ओषधी भवव े यद वध त वो घृतेन.
आप इव वता शु भमाना उ यद नः प ो प थे.. (८)
तुरंत उ प अ न को ओष धयां धारण करती ह. उस समय बहने के माग पर जाने
वाले जल के समान सुशो भत वे ओष धयां फल दे ती ई जल के ारा बढ़ती ह. मातापता प धरती एवं आकाश क गोद म बढ़ते ए अ न हमारी र ा कर. (८)
उ ु तः स मधा य ो अ ौ म दवो अ ध नाभा पृ थ ाः.
म ो अ नरी ो मात र ा तो व जथाय दे वान्.. (९)
हमारे ारा तुत एवं व लत होने के कारण महान् अ न उ र वेद के म यभाग म
आकाश को का शत करते ह. सबके म , तु त-यो य एवं अर ण से उ प होने वाले अ न
दे व के त बनकर उ ह य के न म बुलाव. (९)
उद त भी स मधा नाकमृ वो३ नभव ु मो रोचनानाम्.
यद भृगु यः प र मात र ा गुहा स तं ह वाहं समीधे.. (१०)
जब मात र ा अथात् वायु ने भृगुवंशी ऋ षय के लए गुहा म थत ह वाहक अ न
को जलाया था, तब महान् एवं तेज वय म उ म अ न ने अपने तेज ारा वग को ढ़
बना दया था. (१०)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (११)
हे अ न! तुम तोता को सदा ऐसी भू म दो, जसे पाकर वे ब त से य कम करते
ए गाय पा सक. हम ऐसा एक पु दो जो हमारे वंश का व तार करे एवं संतान को उ प
करे. हमारे त तु हारी शोभन बु रहे. (११)
सू —६
दे वता—अ न
कारवो मनना व यमाना दे व च नयत दे वय तः.
द णावाड् वा जनी ा ये त ह वभर य नये घृताची.. (१)
हे य क ाओ! तुम दे व क कामना करते ए मं से े रत होकर दे व क अचना
करने वाला ुच भली कार लाओ. वह आहवनीय य क द ण दशा म ले जाया जाता
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है, अ यु है, उसका आगे वाला ह सा पूव दशा म रहता है एवं वह अ न के लए ह व
धारण करता है, वही ुच जाता है. (१)
आ रोदसी अपृणा जायमान उत र था अध नु य यो.
दव द ने म हना पृ थ ा व य तां ते व यः स त ज ाः.. (२)
हे अ न! तुम उ प होते ही धरती एवं आकाश को पूण करो. हे य के यो य अ न!
तुम अपने मह व से धरती एवं आकाश से उ म हो. तु हारी अंश पी सात वालाएं पू जत
ह . (२)
ौ वा पृ थवी य यासो न होतारं सादय ते दमाय.
यद वशो मानुषीदवय तीः य वतीरीळते शु म चः.. (३)
हे धरती, आकाश एवं य के यो य दे व! जस समय य के पा दे व एवं तोता ह
लेकर तु हारी उ वल द तय का वणन करते ह, उस समय तुम होता य पूरा करने के
लए तुझ अ न क तु त करते ह. (३)
महा सध थे ुव आ नष ोऽ त ावा मा हने हयमाणः.
आ े सप नी अजरे अमृ े सब घे उ गाय य धेनू.. (४)
महान् एवं यजमान ारा चाहे गए अ न धरती और आकाश के बीच अपने उ म
थान पर थत होते ह. चलने वाली, सूय पी एक ही प त क प नयां, जरार हत, सर
ारा अ ह सत एवं जल पी ध लेने वाले धरती व आकाश उस शी गामी अ न क गाएं ह.
(४)
ता ते अ ने महतो महा न तव वा रोदसी आ तत थ.
वं तो अभवो जायमान वं नेता वृषभ चषणीनाम्.. (५)
हे सव कृ अ न! तुमसे संबं धत कम महान् है. तुमने धरती और आकाश को व तार
दया है एवं तुम त बने हो. हे कामवषक अ न! तुम उ प होते ही यजमान के फलदाता
होते हो. (५)
ऋत य वा के शना योगया भघृत नुवा रो हता धु र ध व.
अथा वह दे वा दे व व ा व वरा कृणु ह जातवेदः.. (६)
हे अ न दे व! उ म केश वाले, र सय से यु एवं घी टपकाने वाले दोन रो हत
नामक घोड़ को य के अ भाग म लाओ तथा सभी दे व का आ ान करो. हे जातवेद
अ न! तुम दे व को शोभन य वाला बनाओ. (६)
दव दा ते चय त रोका उषो वभातीरनु भा स पूव ः.
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अपो यद न उशध वनेषु होतुम
य पनय त दे वाः.. (७)
हे अ न! जस समय तुम वनवृ का जलभाग जलाते हो, उस समय तु हारी चमक
सूय से भी बढ़ जाती है. तुम वशेष भा वाली उषा के पीछे का शत होते हो. तोता तुझ
तु तयो य होता क तु त करते ह. (७)
उरौ वा ये अ त र े मद त दवो वा ये रोचने स त दे वाः.
ऊमा वा ये सुहवासो यज ा आये मरे र यो अ ने अ ाः.. (८)
व तृत आकाश म जो दे व स होते ह, सब दे व जो सूय के समान काश वाले ह,
उस नाम के पतर एवं य के यो य दे व जो बुलाने पर आते ह, हे रथवान् अ न! तु हारे जो
अ ह. (८)
ऐ भर ने सरथं या वाङ् नानारथं वा वभवो
ाः.
प नीवत शतं
दे वाननु वधमा वह मादय व.. (९)
हे अ न! इन सब दे व के साथ एक रथ पर अथवा अलग-अलग रथ पर बैठकर हमारे
सामने आओ. तु हारे घोड़े श शाली ह. प नय स हत ततीस दे व को अ ा त के लए
यहां ले आओ एवं सोमरस ारा उ ह स करो. (९)
स होता य य रोदसी च व य ंय म भ वृधे गृणीतः.
ाची अ वरेव त थतुः सुमेके ऋतावरी ऋतजात य स ये.. (१०)
वे ही अ न दे व के होता ह, जनक समृ के लए व तृत धरती और आकाश
येक य म शंसा करते ह. शोभन प वाले, जलयु एवं स चे प वाले धरती और
आकाश होता प एवं स य से उ प अ न के उसी कार अनुकूल होते ह, जस कार य
अ न के अनुकूल होता है. (१०)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (११)
हे अ न! तुम तोता को सवदा ऐसी भू म दो, जसे पाकर वे ब त से य कम करते
ए गाएं ा त कर सक. हम एक ऐसा पु दो, जो हमारे वंश का व तार करे एवं संतान
उ प करे. हमारे त तु हारी शोभन बु रहे. (११)
सू —७
दे वता—अ न
य आ ः श तपृ य धासेरा मातरा व वशुः स त वाणीः.
प र ता पतरा सं चरेते स ाते द घमायुः य े.. (१)
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नीली पीठ वाले एवं सबके धारणक ा अ न क अ यंत ऊपर उठने वाली करण
माता- पता प धरती-आकाश एवं सात न दय म सभी ओर से वेश करती ह. मातापता प धरती और आकाश भली-भां त व तृत ह एवं अ धक मा ा म य करने के लए
अ न द घ-आयु प अ दे ते ह. (१)
दव सो धेनवो वृ णो अ ा दे वीरा त थौ मधुम ह तीः.
ऋत य वा सद स ेमय तं पयका चर त वत न गौः.. (२)
आकाश म रहने वाली सूय करण प गाएं कामवष अ न के घोड़े ह. मधुर जल वाली
द न दय म अ न का वास है. हे उदक के थान म नवास के इ छु क एवं वालाएं दान
करने वाले अ न! मा य मका वाणी प गाएं तु हारी सेवा करती ह. (२)
आ सीमरोह सुयमा भव तीः प त क वा य व यीणाम्.
नीलपृ ो अतस य धासे ता अवासय पु ध तीकः.. (३)
उ म संप य एवं ानसंप अ के वामी अ न जन घो ड़य पर चढ़ते ह, उ ह
सुख से वश म कया जा सकता है. नीली पीठ वाले एवं चार ओर व तृत अ न ने घो ड़य
को सदा चलने के लए छोड़ दया है. (३)
म ह वा मूजय तीरजुय तभूयमानं वहतो वह त.
े भ द ुतानः सध थ एका मव रोदसी आ ववेश.. (४)
नबल को बलवान् बनाने वाली न दयां महान्, व ा के पु , जरार हत एवं लोक को
धारण करने के इ छु क अ न को वहन करती ह. जल के समीप अपने अवयव से का शत
होते ए अ न धरती-आकाश म उसी कार वेश करते ह, जस कार पु ष नारी के
समीप जाता है. (४)
जान त वृ णो अ ष य शेवमुत न य शासने रण त.
दवो चः सु चो रोचमाना इळा येषां ग या मा हना गीः.. (५)
मनु य कामवष एवं श ुहीन अ न के आ य से मलने वाले सुख को जानते ह,
इसी लए महान् अ न क आ ा पालने म स रहते ह. जन मनु य क अ न- तु त पी
वाणी उ म होती है, वे वग को ा त करने वाले, उ म द घायुयु एवं तेज वी बनते ह.
(५)
उतो पतृ यां वदानु घोषं महो मह ामनय त शूषम्.
उ ा ह य प र धानमु ोरनु वं धाम ज रतुवव .. (६)
अ न के माता- पता प मह म धरती और आकाश के ान के प ात् उ च वर से
क गई तु त का सुख यजमान अ न के पास प ंचाते ह. अ न उस सुख को वषा के ारा
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रात म चार दशा
म फैले अपने तेज के
प म यजमान के पास भेजते ह. (६)
अ वयु भः प च भः स त व ाः यं र ते न हतं पदं वेः.
ा चो मद यु णो अजुया दे वा दे वानामनु ह ता गुः.. (७)
सात होता पांच अ वयुजन क सहायता से गमनशील अ न के य आहवानीय पी
थान क र ा करते ह. सोमपान के न म पूव दशा म जाने वाले, जरार हत एवं सोमरस
क वषा करने वाले तोता स होते ह. दे वगण उन तोता के य म जाते ह जो दे वतु य
ह. (७)
दै ा होतारा थमा यृ े स त पृ ासः वधया मद त.
ऋतं शंस त ऋत म आ रनु तं तपा द यानाः.. (८)
म दे व एवं होता प—दो धान अ नय को अलंकृत करता ं. सात होता लोग
सोमरस से स होते ह. तो बोलते ए य कम के र क एवं द तशाली होताजन कहते
ह क अ न ही स य ह. (८)
वृषाय ते महे अ याय पूव वृ णे च ाय र मयः सुयामाः.
दे व होतम तर क वा महो दे वा ोदसी एह व .. (९)
हे द घायुयु एवं दे व को बुलाने वाले अ न! अ धक सं या वाली अ तशय व तृत
एवं सब जगह फैली ई वालाएं तुझ महान्, सबका अ त मण करने वाले, अनेक-वण यु
एवं कामवषक के बैल के समान आचरण करती ह. हे यजमान! परम स करने वाले एवं
ानयु इस य कम म पूजा यो य दे व के साथ धरती-आकाश को भी बुलाते हो. (९)
पृ यजो वणः सुवाचः सुकेतव उषसो रेव षुः.
उतो चद ने म हना पृ थ ाः कृतं चदे नः सं महे दश य.. (१०)
हे न य गमनशील अ न! जन उषा म अ
ारा व धपूवक य कया जाता है,
शोभन तु तयां बोली जाती ह एवं जो प य तथा मानव के व वध श द से पहचानी जाती
ह, वे उषाएं तु हारे लए संप शा लनी बनकर का शत होती ह. हे अ न! तुम अपनी
व तीण वाला क वशालता से यजमान ारा कया आ सम त पाप समा त करो. (१०)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (११)
हे अ न! य करने वाले मुझ यजमान को सदा अनेक कम क साधक प गौ दान
करो. हे अ न! हम पु एवं पौ ा त ह तथा तु हारी फलदायक सुबु हमारे अनुकूल हो.
(११)
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सू —८
दे वता—यूप
अ
त वाम वरे दे वय तो वन पते मधुना दै ेन.
य व त ा वणेह ध ा ा यो मातुर या उप थे.. (१)
हे वन प त न मत यूप! य म दे व क अ भलाषा करते ए अ वयु आ द दे व संबंधी
घी से तु ह भगोते ह. तुम चाहे ऊंचे खड़े रहो अथवा इस धरती माता क गोद म नवास
करो, पर तुम हम धन दान करो. (१)
स म य यमाणः पुर ताद्
व वानो अजरं सुवीरम्.
आरे अ मदम त बाधमान उ य व महते सौभगाय.. (२)
हे यूप! तुम व लत आहवानीय नामक अ न से पूव दशा म रहते ए जरार हत,
समृ एवं शोभन संतानयु अ दे ते ए तथा हमारे श भ
ु ूत पाप को र भगाते ए, हम
वशाल संप दे ने के लए ऊंचे बनो. (२)
उ
य व वन पते व म पृ थ ा अ ध. सु मती मीयमानो वच धा य वाहसे.. (३)
हे वन प त प यूप! तुम धरती के उ म थान य मंडप म ऊंचे खड़े होओ. तुम सुंदर
प रमाण से नापे गए हो. तुम मुझ य क ा को अ दो. (३)
युवा सुवासाः प रवीत आगा स उ ेया भव त जायमानः.
तं धीरासः कवय उ य त वा यो३ मनसा दे वय तः.. (४)
ढ़ अंग वाला, शोभन व से यु एवं ढका आ यूप आता है. वही सब वन प तय
क अपे ा उ म प से उ प आ है. बु मान्, शोभन- यान वाले एवं ांतदश अ वयु
आ द मन से दे व क कामना करते ए उसे ऊंचा उठाते ह. (४)
जातो जायते सु दन वे अ ां समय आ वदथे वधमानः.
पुन त धीरा अपसो मनीषा दे वया व उ दय त वाचम्.. (५)
धरती पर पेड़ के प म उ प यूप मनु य से यु य म घी आ द से सब कार
शो भत होकर दन को उ म बनाता है. य कम करने वाले मेधावी अ वयु आ द अपनी
बु के अनुसार उसे जल से धोकर शु करते ह. दे व को
दे ने वाले मेधावी होता यूप
क तु त बोलते ह. (५)
या वो नरो दे वय तो न म युवन पते व ध तवा तत .
ते दे वासः वरव त थवांसः जावद मे द धष तु र नम्.. (६)
हे यूपसमूह! दे व क अ भलाषा करने वाले एवं य कम के संपादक अ वयु आ द ने
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तु ह गड् ढे म डाला है. हे वन प त! कु हाड़ी ने तु हारे यूप को काटा है. हे द तमान् एवं
लकड़ी के टु कड़ से सुशो भत यूपो! हम संतान स हत उ म धन दान करो. (६)
ये वृ णासो अ ध म न मतासो यत ुचः.
ते नो तु वाय दे व ा े साधसः.. (७)
धरती पर कु हाड़ी से काटे गए, ऋ वज
हमारा ह दे व के समीप प ंचाव. (७)
ारा गड् ढे म फके गए एवं य साधक यूप
आ द या ा वसवः सुनीथा ावा ामा पृ थवी अ त र म्.
सजोषसो य मव तु दे वा ऊ व कृ व व वर य केतुम्.. (८)
य के शोभन नेता , वसु, धरती-आकाश एवं व तीण अंत र
य क र ा कर तथा य के केतु प यूप को ऊंचा उठाव. (८)
ये सब दे व मलकर
हंसा इव े णशो यतानाः शु ा वसानाः वरवो न आगुः.
उ ीयमानाः क व भः पुर ता े वा दे वानाम प य त पाथः.. (९)
जस कार पं
बनाकर आकाश म उड़ते ए हंस शोभा पाते ह, उसी कार
उ वल व से ढके ए एवं लकड़ी के टु कड़ से यु यूप पं बनाकर हमारे समीप आव.
मेधावी अ वयु आ द ारा अ न क पूव दशा म खड़े कए गए तथा द तमान् यूप अंत र
को ा त करते ह. (९)
शृ ाणीवे छृ णां सं द े चषालव तः वरवः पृ थ ाम्.
वाघ वा वहवे ोषमाणा अ माँ अव तु पृतना येषु.. (१०)
लकड़ी के टु कड़ से यु तथा कांट से र हत यूप धरती पर इस कार सुंदर दखाई
दे ते ह, जस कार पशु के स ग. य म ऋ वज ारा क ई तु तयां सुनते ए यूप
यु म हमारी र ा कर. (१०)
वन पते शतव शो व रोह सह व शा व वयं हेम.
यं वामयं व ध त तेजमानः णनाय महते सौभगाय.. (११)
हे वन प त! इस तेज धार वाली कु हाड़ी ने तु ह यूप के प म काटकर महान्
सौभा य दया है. तुम हजार शाखा वाले बनकर उगो. हम भी हजार शाखा अथात्
संतान वाले होकर कट ह . (११)
सू —९
दे वता—अ न
सखाय वा ववृमहे दे वं मतास ऊतये.
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अपां नपातं सुभगं सुद द त सु तू तमनेहसम्.. (१)
हे अ न! तु हारे म हम मनु य जल के नाती, शोभनधनयु , सुंदर द तमान्, सुख
से ा त करने यो य एवं उप वर हत तुमको अपनी र ा के लए वरण करते ह. (१)
कायमानो वना वं य मातॄरजग पः.
न त े अ ने मृषे नवतनं य रे स हाभवः.. (२)
हे अ न! कानन क र ा करते ए तुम अपनी माता पी जल म व होकर शांत
बनते हो. तु हारा शांत रहना अ धक समय तक सहन नह होता, इस लए तुम र रहते ए
भी हमारे अर ण पी काठ से उ प हो जाओ. (२)
अ त तृ ं वव थाथैव सुमना अ स.
ा ये य त पय य आसते येषां स ये अ स
तः.. (३)
हे अ न! तुम तोता क अ भलाषा सफल करना चाहते हो, इस लए तुम संतु मन
वाले हो. तुम जन ऋ वज के म हो, उन म से कुछ होम करने के लए जाते ह एवं शेष
तु हारे चार ओर बैठते ह. (३)
ई यवांसम त
अ वीम व द
धः श तीर त स तः.
चरासो अ होऽ सु सह मव
तम्.. (४)
हे अ न! सवथा ोहर हत एवं चरंतन व ेदेव ने श ु एवं उनक ब त सी सेना
को हराने वाले तथा गुफा म बैठे सह के समान जल म छपे ए अ न को पाया. (४)
ससृवांस मव मना न म था तरो हतम्.
ऐनं नय मात र ा परावतो दे वे यो म थतं प र.. (५)
अपनी इ छा से जल म छपे ए तथा अर णमंथन ारा ा त अ न को वायु दे व के
न म इस कार लाए थे, जस कार वे छा से जाने वाले पु को पता ख च लाता है.
(५)
तं वा मता अगृ णत दे वे यो ह वाहन.
व ा य ाँ अ भपा स मानुष तव वा य व
.. (६)
हे मनु य हतकारक, सदा त ण एवं
वहन करने वाले अ न दे व! तुम अपने
य पी कम से हम सबका पालन करते हो, इस लए मनु य ने तु ह दे व के न म
हण
कया है. (६)
त
ं तव दं सना पाकाय च छदय त.
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वां यद ने पशवः समासते स म म पशवरे.. (७)
हे अ न! तुम सं याकाल म द त होते हो, तब पशु तु हारे चार ओर बैठते ह. पशु के
समान अ प यजमान को भी तु हारा शोभन य कम फल दे कर संतु करता है. (७)
आ जुहोता व वरं शीरं पावकशो चषम्.
आशुं तम जरं नमी ं ु ी दे वं सपयत.. (८)
हे ऋ वजो! प व काश वाले, लक ड़य म सोने वाले एवं शोभनय यु अ न म
हवन करो तथा य कम म ा त, दे व के त, शी गामी, पुरातन, तु त यो य एवं
द तसंप अ न क शी पूजा करो. (८)
ी ण शता ी सह ा य नं श च दे वा नव चासपयन्.
औ घृतैर तृण ब हर मा आ द ोतारं यसादय त.. (९)
तीन हजार तीन सौ उनतालीस दे व ने अ न क पूजा क , घृत से स चा तथा उनके
लए कुश फैलाए. इसके बाद उन दे व ने अ न को होता बनाकर बैठाया. (९)
दे वता—अ न
सू —१०
वाम ने मनी षणः स ाजं चषणीनाम्. दे वं मतास इ धते सम वरे.. (१)
हे अ न! अ वयु आ द बु
य म व लत करते ह. (१)
मान् लोग जा
के वामी एवं द तमान् तुझ अ न को
वां य े वृ वजम ने होतारमीळते. गोपा ऋत य द द ह वे दमे.. (२)
हे अ न! अ वयु आ द होता एवं ऋ वज् प म तु हारी तु त अपने य म करते ह,
तुम य के र क बनकर अपने घर म द त बनो. (२)
स घा य ते ददाश त स मधा जातवेदसे. सो अ ने ध े सुवीय स पु य त.. (३)
हे जातवेद अ न! जो यजमान तु ह व लत करने वाला ह
पु -पौ ा त करता है एवं समृ बनता है. (३)
स केतुर वराणाम नदवे भरा गमत्. अ
शाली
ानः स त होतृ भह व मते.. (४)
केतु के समान य का ापन कराने वाले अ न सात होता
यजमान के क याण के लए दे व के साथ आव. (४)
हो े पू
दे ता है, वह श
ारा घी से स
वचोऽ नये भरता बृहत्. वपां योत ष ब ते न वेधसे.. (५)
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होकर
हे होताओ! मेधा वय का तेज धारण करने वाले, संसार के वधाता दे व को बुलाने
वाले, अ न के उ े य से महान् एवं पूववत लोग ारा न मत तो बोलो. (५)
अ नं वध तु नो गरो यतो जायत उ यः. महे वाजाय
महान् अ एवं धन के न म दशनीय अ न क
वे ही तु तवचन अ न को बढ़ाव. (६)
वणाय दशतः.. (६)
शंसा जन वचन से होती है, हमारे
अ ने य ज ो अ वरे दे वा दे वयते यज. होता म ो वराज य त
धः.. (७)
हे य क ा म े अ न! य म दे व क कामना करने वाले यजमान के क याण
के लए दे व क पूजा करो. होता एवं यजमान को स ता दे ने वाले तुम अ न श ु को
परा जत करके सुशो भत होते हो. (७)
स नः पावक द द ह ुमद मे सुवीयम्. भवा तोतृ यो अ तमः व तये.. (८)
हे पाप शोधक अ न! हम कां तयु
न म तोता के समीप जाओ. (८)
एवं शोभन साम य वाला धन दो तथा क याण के
तं वा व ा वप यवो जागृवांसः स म धते. ह वाहमम य सहोवृधम्.. (९)
हे अ न! मेधावी जाग क एवं बु
तोता ह वहन करने वाले, मंथन प, बल
ारा उ प एवं मरणर हत तुमको भली कार व लत करते ह. (९)
दे वता—अ न
सू —११
अ नह ता पुरो हतोऽ वर य वचष णः. स वेद य मानुषक्.. (१)
दे व का आ ान करने वाले, पुरो हत एवं य के वशेष
जानते ह. (१)
ाअ न
मक
प से य
स ह वाळम य उ श त नो हतः. अ न धया समृ व त.. (२)
ह वहन करने वाले, मरणर हत,
से यु होते ह. (२)
के इ छु क दे व के त एवं अ
अ न धया स चेत त केतुय
य तर ण.. (३)
य पू ः. अथ
झंडे के समान य के ापक एवं ाचीन अ न अपनी बु
अ न का तेज अंधकार को न करता है. (३)
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य अ न बु
से सब कुछ जानते ह.
अ नं सूनुं सन ुतं सहसो जातवेदसम्. व
बल के पु , सनातन
बनाया है. (४)
प से
स
दे वा अकृ वत.. (४)
तथा जातवेद अ न को दे व ने ह
ढोने वाला
अदा यः पुरएता वशाम नमानुषीणाम्. तूण रथः सदा नवः.. (५)
मानवी जा के अ गामी, शी ता करने वाले, रथ के समान
न य नवीन अ न का कोई तर कार नह कर सकता. (५)
सा ा व ा अ भयुजः
ढोने वाले एवं
तुदवानाममृ ः. अ न तु व व तमः.. (६)
सम त श ुसेना को परा जत करने वाले, श ु
अनेक कार के अ से यु ह. (६)
ारा अव य एवं दे व के पोषक अ न
अ भ यां स वाहसा दा ां अ ो त म यः. यं पावकशो चषः.. (७)
ह दे ने वाला मनु य ह वहन करने वाले अ न क कृपा से सम त अ
करता है एवं प व काश वाले अ न से घर पाता है. (७)
को ा त
प र व ा न सु धता नेर याम म म भः. व ासो जातवेदसः.. (८)
हम जासंप एवं ानवान् होता आ द तुझ अ न के तो
धन ा त कर. (८)
ारा सम त हतकारक
अ ने व ा न वाया वाजेषु स नषामहे. वे दे वास ए ररे.. (९)
हे अ न! सम त दे व तु ह म
ा त कर. (९)
सू —१२
व ह, इस लए हम य
म तुमसे सम त उ म धन
दे वता—इं एवं अ न
इ ा नी आ गतं सुतं गी भनभो वरे यम्. अ यं पातं धये षता.. (१)
हे इं एवं अ न! हमारी तु त ारा बुलाए जाने पर तुम शु कए ए एवं उ म
सोमरस को ल य करके वग से यहां आओ एवं हमारे ारा कए जाते ए य कम म इसे
पओ. (१)
इ ा नी ज रतुः सचा य ो जगा त चेतनः. अया पात ममं सुतम्.. (२)
हे इं एवं अ न! तोता का सहायक, य का साधन एवं इं य को आनं दत करने
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वाला सोमरस तु हारे समीप जाता है. इस नचोड़े ए सोमरस को पओ. (२)
इ म नं क व छदा य
य जू या वृणे. ता सोम येह तृ पताम्.. (३)
इस य के साधनभूत सोमरस क ेरणा से म तोता के लए सुखदाता इं और
अ न का वरण करता ं. वे इस य म सोम पीकर तृ त ह . (३)
तोशा वृ हणा वे स ज वानापरा जता. इ ा नी वाजसातमा.. (४)
म श ुबाधक, वृ नाशक, वजयी, अपरा जत एवं अ धक मा ा म अ दे ने वाले इं
तथा अ न को बुलाता ं. (४)
वामच यु थनो नीथा वदो ज रतारः. इ ा नी इष आ वृणे.. (५)
हे इं एवं अ न! मं जानने वाले होता आ द तथा तो के ाता तोता तु हारी
अचना करते ह. म भी अ ा त करने के लए सभी कार से तु हारा वरण करता ं. (५)
इ ा नी नव त पुरो दासप नीरधूनुतम्. साकमेकेन कमणा.. (६)
(६)
हे इं और अ न! तुमने एक ही यास म दास के न बे नगर को कं पत कर दया था.
इ ा नी अपस पयुप
य त धीतयः. ऋत य प या३ अनु.. (७)
हे इं और अ न! सोमरस के पाने वाले होता आ द य के माग को दे खकर हमारे इस
कम के चार ओर उप थत रहते ह. (७)
इ ा नी त वषा ण वां सध था न यां स च. युवोर तूय हतम्.. (८)
हे इं और अ न! तुम दोन के बल और अ एक- सरे से अ भ ह. जल वषा क
ेरणा का काम आप ही के बीच सी मत है. (८)
इ ा नी रोचना दवः प र वाजेषु भूषथः. त ां चे त
वीयम्.. (९)
हे वग को का शत करने वाले इं और अ न! तुम यु
दोन क श यु क वजय का ान कराती है. (९)
सू —१३
म सव
वभू षत बनो. तुम
दे वता—अ न
वो दे वाया नये ब ह मचा मै. गम े वे भरा स नो य ज ो ब हरा सदत्.. (१)
हे होताओ! अ न दे व को ल य करके यथे मा ा म तु त करो. य क ा
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म
े
अ न दे व के साथ हमारे समीप आव एवं कुश पर बैठ. (१)
ऋतावा य य रोदसी द ं सच त ऊतयः. ह व म त तमीळते तं स न य तोऽवसे..
(२)
ावापृ वी जस अ न के वश म ह, दे व उसके बल क सेवा करते ह. वह स यकम
वाला है. (२)
स य ता व एषां स य ानामथा ह षः.
अ नं तं वो व यत दाता यो व नता मघम्.. (३)
हे ऋ वजो! मेधावी अ न यजमान , य एवं सोम के नयामक, कमफल एवं महान्
धन के दाता ह. तुम उ ह अ न क सेवा करो. (३)
स नः शमा ण वीतयेऽ नय छतु श तमा.
यतो नः णव सु द व त यो अ वा.. (४)
वे अ न हम ह दाता के लए सुखकारक घर दान कर. अ न के पास से धरती,
आकाश और वग का उ म धन हमारे पास आवे. (४)
द दवांसमपू व वी भर य धी त भः.
ऋ वाणो अ न म धते होतारं व प त वशाम्.. (५)
तु त करते ए होता आ द द तमान्, त ण नवीन, दे व को बुलाने वाले तथा
जा के परम पालक अ न को उ म तु तय ारा व लत करते ह. (५)
उत नो
वष उ थेषु दे व तमः. शं नः शोचा म द्वृधोऽ ने सह सातमः.. (६)
हे अ न! तु त करते समय हम य क ा क र ा करो. हे दे व को बुलाने वाल म
े ! मं बोलते समय हमारी र ा करो. हे म त ारा ब धत एवं हजार धन के दाता
अ न! हमारा सुख बढ़ाओ. (६)
नू नो रा व सह व ोकव पु म सु. ुमद ने सुवीय व ष मनुप तम्.. (७)
हे अ न! हम पु -पौ यु , पोषण करने वाला, द तमान् एवं शोभनश
हजार कार का यर हत धन दो. (७)
सू —१४
दे वता—अ न
आ होता म ो वदथा य था स यो य वा क वतमः स वेधाः.
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यु
व ु थः सहस पु ो अ नः शो च केशः पृ थ ां पाजो अ ेत्..(१)
दे व का आ ान करने वाले, तु तक ा को स करने वाले, स यकमा, दे व के
य क ा, अ यंत मेधावी, जगत् के वधाता, चमक ले रथ वाले, बल के पु , वाला पी केश
वाले एवं धरती पर अपनी ा कट करने वाले अ न हमारे य म थत ह. (१)
अया म ते नमउ जुष व ऋताव तु यं चेतते सह वः.
व ाँ आ व व षो न ष स म य आ ब ह तये यज .. (२)
हे य वामी अ न! म तु हारे त नम कार करता ं. हे बलवान्! तुझ य कम ापक
के त जो नम कार कया है, उसे वीकार करो. हे व ान् एवं य के यो य अ न! व ान
को हमारे य म लाओ एवं हमारी र ा करने के न म बछे ए कुश पर बैठो. (२)
वतां त उषसा वाजय ती अ ने वात य प या भर छ.
य सीम
त पू ह व भरा व धुरेव त थतु रोणे.. (३)
हे अ न! अ का नमाण करने वाली उषा तथा नशा तु हारे समीप जाती ह. तुम भी
वायु पी माग से उनके समीप जाओ, य क ऋ वज् ह व ारा तुझ ाचीन अ न को
स चते ह. जुए क तरह पर पर मली
उषा और नशा हमारी य शाला म बार-बार रह.
(३)
म
तु यं व णः सह वोऽ ने व े म तः सु नमचन्.
य छो चषा सहस पु त ा अ भ तीः थय सूय नॄन्.. (४)
हे बलसंप अ न! म , व ण, व ेदेव एवं म त् तु ह ल य करके तो धारण करते
ह, य क तु ह बल के पु तथा सूय हो और मनु य को माग दखाने वाली करण सब
जगह फैलाकर काश से द त हो. (४)
वयं ते अ र रमा ह काममु ानह ता नमसोपस .
य ज ेन मनसा य दे वान ेधता म मना व ो अ ने.. (५)
हे अ न! ऊपर हाथ उठाकर हम आज पया त मा ा म
दे ते ह. हे मेधावी! हमारी
तप या से स होकर मन म हमारे य क र ा करते ए ब त से तो
ारा दे व क
पूजा करो. (५)
व पु सहसो व पूव दव य य यूतयो व वाजाः.
वं दे ह सह णं र य नोऽ ोघेण वचसा स यम ने.. (६)
हे बल के पु अ न! र णकाय एवं अ तु हारे पास से यजमान के समीप जाता है.
तुम ोहर हत वचन से स होकर हम हजार कार का धन एवं स यशील पु दो. (६)
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तु यं द क व तो यानीमा दे व मतासो अ वरे अकम.
वं व य सुरथ य बो ध सव तद ने अमृत वदे ह.. (७)
हे श शाली, सव एवं द यमान अ न! हम यजमान तु हारे उ े य से य म जो
दे ते ह, तुम उस सबका भ ण करके यजमान क र ा के लए जा त बनो. तुम
मरणर हत हो. (७)
सू —१५
दे वता—अ न
व पाजसा पृथुना शोशुचानो बाध व षो र सो अमीवाः.
सुशमणो बृहतः शम ण याम नेरहं सुहव य णीतौ.. (१)
हे अ न! व तीण तेज ारा अ यंत द त तुम हमारे श ु तथा रोगर हत रा स का
वनाश करो. म सुखदाता, महान्, एवं उ म आ ान वाले अ न क सुखद र ा म र ंगा.
(१)
वं नो अ या उषसो ु ौ वं सूर उ दते बो ध गोपाः.
ज मेव न यं तनयं जुष व तोमं मे अ ने त वा सुजात.. (२)
हे अ न! तुम वतमान उषा के का शत एवं सूय के नकलने के बाद हमारी र ा के
न म जागो. हे वयंभ!ू तुम हमारी तु तयां उसी कार वीकार करो, जैसे पता पु को
वीकार करता है. (२)
वं नृच ा वृषभानु पूव ः कृ णा व ने अ षो व भा ह.
वसो ने ष च प ष चा यंहः कृधी नो राय उ शजो य व .. (३)
हे कामवषक एवं मानव के शुभाशुभदशक अ न! तुम अंधेरी रात म पहले क अपे ा
अ धक चमकते ए वाला को व तृत करो. हे वासदाता! हम कमानु प फल दो तथा
पाप का नाश करो. हे अ तशय युवक! हम धन का अ भलाषी बनाओ. (३)
अषाळ् हो अ ने वृषभो दद ह पुरो व ाः सौभगा स
गीवान्.
य य नेता थम य पायोजातवेदो बृहतः सु णीते.. (४)
हे श ु
ारा अपरा जत एवं कामवषक अ न! तुम श ु क सम त नग रय एवं
उन म थत धन को भली कार जीत कर का शत बनो. हे शोभनकमा एवं जातवेद अ न!
तुम महान् य के नेता एवं आ यदाता तथा पूणक ा बनो. (४)
अ छ ा शम ज रतः पु ण दे वाँ अ छा द ानः सुमेधाः.
रथो न स नर भ व वाजम ने वं रोदसी नः सुमेके.. (५)
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हे अंतकाल म सबको जलाने वाले, शोभन
ा वाले तथा द तसंप अ न! दे व के
लए सारे अ नहो ा द कम को पूण करो. हे अ न! तुम यह ठहर कर दे व को दया आ
हमारा
उसी कार वहन करो, जस कार रथ कसी व तु को ढोता है. (५)
पीपय वृषभ ज व वाजान ने वं रोदसी नः सुदोघे.
दे वे भदव सु चा चानो मा नो मत य म तः प र ात्.. (६)
हे कामवषक अ न! तुम हमारे अ भल षत फल बढ़ाओ तथा अ दान करो. हे दे व!
शोभन करण ारा का शत तुम दे व के साथ मलकर धरती-आकाश को हमारे लए
फल द बनाओ. श ु संबंधी पराभव हमारे समीप न आवे. (६)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (७)
हे अ न! य करने वाले मुझ यजमान को सदा अनेक कम क साधन प गौ दान
करो. हे अ न! हम पु एवं पौ ा त ह तथा तु हारी फलदायक सुबु हमारे अनुकूल हो.
(७)
सू —१६
दे वता—अ न
अयम नः सुवीय येशे महः सौभग य.
राय ईशे वप य य गोमत ईशे वृ हथानाम्.. (१)
यह अ न शोभन साम य यु , महान् सौभा य के वामी, गाय एवं उ म संतानयु
धन के वामी एवं श ु पी पाप के न करने म समथ ह. (१)
इमं नरो म तः स ता वृधं य म ायः शेवृधासः.
अ भ ये स त पृतनासु
ो व ाहा श ुमादभुः.. (२)
हे य कम के वे ा म तो! सौभा य बढ़ाने वाले अ न क सेवा करो. इसम सुख बढ़ाने
वाले धन ह. म द्गण सेना वाले बड़े यु म श ु को हराते ह एवं सदा श ु का नाश
करते ह. (२)
स वं नो रायः शशी ह मीढ् वो अ ने सुवीय य.
तु व ु न व ष य जावतोऽनमीव य शु मणः.. (३)
हे भूत धन से यु एवं अ भलाषापूरक अ न! हम अ धक मा ा वाला, संतानयु ,
आरो य, श एवं साम यसंप तथा धन का वामी बनाओ. (३)
च य व ा भुवना भ सास ह
दवे वा वः.
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आ दे वेषु यतत आ सुवीय आ शंस उत नृणाम्.. (४)
सम त व के क ा अ न व म नवास करते ह,
को ढोते ए दे व के समीप ले
जाते ह. तोता के सामने आते ह, य क ा के तो सुनने आते ह तथा यु म मानव
क र ा करते ह. (४)
मा नो अ नेऽमतये मावीरतायै रीरधः.
मागोतायै सहस पु मा नदे ऽप े षां या कृ ध.. (५)
हे बल के पु अ न! हम श ु प द र ता, कायरता, पशुहीनता एवं नदा के यो य मत
करना. हमारे त े ष क भावना समा त करो. (५)
श ध वाज य सुभग जावतोऽ ने बृहतो अ वरे.
सं राया भूयसा सृज मयोभुना तु व ु न यश वाता.. (६)
हे शोभन धन के वामी अ न! तुम य म महान् एवं संतानयु धन के वामी हो. हे
ब धनसंप अ न! हम अ धक मा ा वाला, सुखकारक एवं क तदाता धन दान करो. (६)
सू —१७
दे वता—अ न
स म यमानः थमानु धमा सम ु भर यते व वारः.
शो च केशो घृत न ण पावकः सुय ो अ नयजथाय दे वान्.. (१)
य संबंधी कम के धारक, वाला पी केश वाले, सबके वीकाय, प व करने वाले
एवं शोभन य से यु अ न य के ारंभ म मशः जलते ह एवं दे वय करने के लए घी
से स चे जाते ह. (१)
यथायजो हो म ने पृ थ ा यथा दवो जातवेद क वान्.
एवानेन ह वषा य दे वान् मनु व ं तरेमम .. (२)
हे जातवेद एवं सव अ न! तुमने जस कार यजमान प पृ वी का ह व वीकार
कया, जस कार आकाश दे वता का
वीकार कया, उसी कार हमारे य म होता
बनकर दे व को उनका भाग दान करो. तुम मनु के य के समान हमारा य आज पूरा
करो. (२)
ी यायूं ष तवं जातवेद त आजानी षस ते अ ने.
ता भदवानामवो य व ानथा भव यजमानाय शं योः.. (३)
हे जातवेद अ न! तु हारा अ तीन कार का है तथा तीन कार क उषाएं तु हारी
माता ह. तुम उनके साथ मलकर दे व को ह दो. हे व ान् अ न! तुम यजमान के सुख
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और क याण के कारण बनो. (३)
अ नं सुद त सु शं गृण तो नम याम वेड्यं जातवेदः.
वां तमर त ह वाहं दे वा अकृ व मृत य ना भम्.. (४)
हे जातवेद अ न! हम शोभन द त वाले, सुंदर एवं तु त के यो य तु ह नम कार करते
ह. दे व ने तु ह वषय से आस र हत, ह वहन करने वाला त तथा अमृत क ना भ
बनाया है. (४)
य व ोता पूव अ ने यजीया ता च स ा वधया च श भुः.
त यानु धम यजा च क वोऽथा नो धा अ वरं दे ववीतौ.. (५)
हे सव अ न! तुमसे पहले जो वशेष य करने वाले ए थे एवं वधा के साथ उ म
तथा म यम थान पर बैठे कर ज ह ने सुख पाया था, उनके धारक गुण का वचार करके
पहले उनका य पूरा करो. इसके बाद दे व को स करने के लए य पूरा करो. (५)
सू —१८
दे वता—अ न
भवा नो अ ने सुमना उपेतौ सखेव स ये पतरेव साधुः.
पु हो ह तयो जनानां त तीचीदहतादरातीः.. (१)
हे अ न! तुम हमारे सामने आकर अनुकूल एवं कमसाधक बनो, जस कार म के
त म एवं संतान के त माता- पता होते ह. मनु य मनु य के ोही बने ह. तुम हमारे
वरोधी श ु को भ म करो. (१)
तपो व ने अ तराँ अ म ान् तपा शंसमर षः पर य.
तपो वसो च कतानो अ च ा व ते त तामजरा अयासः.. (२)
हे अ न! हम हराने के इ छु क श ु के बाधक बनो. हमारे श ु तु ह
नह दे ते,
उनक इ छा न करो. हे नवास दे ने वाले एवं कम ाता अ न! य कम म मन न लगाने
वाल को ःखी करो, य क तु हारी करण जरार हत एवं नबाध ह. (२)
इ मेना न इ छमानो घृतेन जुहो म ह ं तरसे बलाय.
यावद शे
णा व दमान इमां धयं शतसेयाय दे वीम्.. (३)
हे अ न! म धन क अ भलाषा करता आ तु ह वेग और साम य दे ने के लए स मधा
एवं घी के साथ ह दे ता ं. म जब तक तु तय से तु हारी वंदना कर सकूं, तब तक मुझे
धन दो एवं मेरी इस तु त को अप र मत धन के हेतु अ तीय बनाओ. (३)
उ छो चषा सहस पु तुतो बृह यः शशमानेषु धे ह.
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रेवद ने व ा म ेषु शं योममृ मा ते त वं१ भू र कृ वः.. (४)
हे बल के पु अ न! अपनी यो त से काशमान बनो एवं तु त सुनकर शंसा करने
वाले व ासपा पु को ब त धन से यु अ , आरो य तथा नभयता दान करो. हे
य क ा अ न! हम बार-बार तु हारे शरीर को स ख. (४)
कृ ध र नं सुस नतधनानां स घेद ने भव स य स म ः.
तोतु रोणे सुभग य रेव सृ ा कर ना द धषे वपूं ष.. (५)
हे इ दाता अ न! हम धन म उ म धन दो. जस समय तुम व लत बनो, उस समय
उ म धन दो. शोभन धनयु
तोता के घर क ओर अपनी दोन सुंदर भुजा को धन दे ने
के लए फैलाओ. (५)
सू —१९
दे वता—अ न
अ नं होतारं वृणे मयेधे गृ सं क व व वदममूरम्.
स नो य े वताता यजीया ाये वाजाय वनते मघा न.. (१)
हम दे व तु तकारक, सव एवं अमूढ़ अ न को इस य म होता वरण करते ह. वह
अ तशय य पा होकर हमारे क याण के लए दे व संबंधी य कर तथा धन व अ दे ने के
लए हमारा ह
वीकार कर. (१)
ते अ ने ह व मती मय य छा सु ु नां रा तन घृताचीम्.
द ण े वता तमुराणः सं रा त भवसु भय म ेत्.. (२)
हे अ न! म तेजयु , ह से पूण, ह दे ने वाला एवं घी से भरा आ जु नामक पा
तु हारे सामने करता ं. दे व का मान बढ़ाने वाले अ न हम दे ने के लए धन लेकर द णा
करते ए य म आव. (२)
स तेजीसया मनसा वोत उत श वप य य श ोः.
अ ने रायो नृतम य भूतौ भूयाम ते सु ु तय व वः.. (३)
हे अ न! तु हारे ारा र त
का मन तेज वी हो जाता है. उसे उ म संतानयु
धन दो. हे अभी फल दान के इ छु क अ न! तुम उ म धन दे ने वाले हो. तु हारी म हमा से
हम तु हारी तु त करते ए धन के पा बन. (३)
भूरा ण ह वे द धरे अनीका ने दे व य य यवो जनासः.
स आ वह दे वता त य व शध यद द ं यजा स.. (४)
हे काशयु अ न! तु हारा य करने वाल ने ब त तेज दान कया है. तुम य के
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यो य दे व को यहां बुलाओ, य क तुम दे व का तेज धारण करते हो. (४)
य वा होतारमनज मयेधे नषादय तो यजथाय दे वाः.
स वं नो अ नेऽ वतेह बो य ध वां स धे ह न तनूषु.. (५)
हे अ न! य कम करने के लए बैठे ए तेज वी ऋ वज् य म तु ह होता नाम दे कर
घी क आ त से स चते ह. अतः तुम हमारी र ा के न म आओ एवं हमारी संतान को
अ दो. (५)
सू —२०
दे वता—अ न
अ नमुषसम ना द ध ां ु षु हवते व
थैः.
सु यो तषो नः शृ व तु दे वाः सजोषसो अ वरं वावशनाः.. (१)
ह वहन करने वाले अ न उषा को अ धकारर हत करते समय उषा, अ नीकुमार
एवं द ध ा को सू के ारा बुलाते ह. शोभन बु वाले एवं पर पर संगत दे वगण हमारे
य क कामना करते ए उस आ ान को सुन. (१)
अ ने ी ते वा जना ी षध था त ते ज ा ऋतजात पूव ः.
त उ ते त वो दे ववाता ता भनः पा ह गरो अ यु छन्.. (२)
हे य म उ प अ न! तु हारे अ थान एवं दे व का उदर पूण करने वाली ज ाएं
तीन ह. तुम सावधान होकर दे व ारा अ भल षत तीन शरीर के ारा हमारे तो क र ा
करो. (२)
अ ने भूरी ण तव जातवेदो दे व वधावोऽमृत य नाम.
या माया मा यनां व म व वे पूव ः स दधुः पृ ब धो.. (३)
हे ोतमान, जातवेद, अ वामी एवं मरणर हत अ न! दे व ने तु ह ब त से नाम दए
ह. हे व तृ तकारक एवं वां छत फल दे ने वाले अ न! दे व ने माया वय क जो ब त सी
मायाएं तुम म धारण क थ , वे तुमम ह. (३)
अ ननता भग इव तीनां दै वीनां दे व ऋतुपा ऋतावा.
स वृ हा सनयो व वेदाः पष
ा त रता गृण तम्.. (४)
ऋतु के पालक सूय के समान जो अ न मानव और दे व के नयामक, स यकमा,
वृ नाशक, सनातन, सव ाता एवं तेज वी ह, वे तु तक ा के सारे पाप का अ त मण
करके पार लगाव. (४)
द ध ाम नमुषसं च दे व बृह प त स वतारं च दे वम्.
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अ ना म ाव णा भगं च वसू ुदाँ आ द याँ इह वे.. (५)
म द ध ा, अ न, उषादे वी, बृह प त, स वता दे व, अ नीकुमार, म , व ण, भग,
वसु ,
एवं आ द य को इस य म बुलाता ं. (५)
सू —२१
दे वता—अ न
इमं नो य ममृतेषु धेहीमा ह ा जातवेदो जुष व.
तोकानाम ने मेदसो घृत य होतः ाशान थमो नष .. (१)
हे जातवेद! हमारा यह य दे व के पास ले जाओ एवं इन ह
का सेवन करो. हे
होता! य म बैठकर तुम सबसे पहले चब और घी क बूंद को भली-भां त भ ण करो. (१)
घृतव तः पावक ते तोकाः ोत त मेदसः.
वधम दे ववीतये े ं नो धे ह वायम्.. (२)
हे पापशोधक अ न! इस सांगोपांग य म तु हारे एवं दे व के भ ण के लए घी क
बूंद टपक रही ह. इस कारण हम े एवं वरण यो य धन द जए. (२)
तु यं तोका घृत तोऽ ने व ाय स य.
ऋ षः े ः स म यसे य य ा वता भव.. (३)
हे य क ा को फल द एवं मेधावी अ न! घी क टपकने वाली बूंद तु हारे लए ह.
हे ऋ ष एवं े अ न! तु ह व लत कया जाता है. तुम य पालक बनो. (३)
तु यं ोत य गो शचीवः तोकासो अ ने मेदसो घृत य.
क वश तो बृहता भानुनागा ह ा जुष व मे धर.. (४)
हे न य ग तशाली एवं श संप अ न! चब पी घी क सभी बूंद तु हारे लए
टपकती ह. हे क वय ारा तुत अ न! तुम महान् तेज के साथ य म आओ. हे मेधावी!
हमारे ह का सेवन करो. (४)
ओ ज ं ते म यतो मेद उ तं ते वयं ददामहे.
ोत त ते वसो तोका अ ध व च त ता दे वशो व ह.. (५)
हे अ न! हम पशु के म य भाग से अ यंत ओजपूण चब तु ह दे ते ह. हे नवास दान
करने वाले अ न! वचा के ऊपर तु हारे उ े य से जो बूंद गरती ह, उ ह येक दे व को
दान करो. (५)
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सू —२२
दे वता—अ न
अयं सो अ नय म सोम म ः सुतं दधे जठरे वावशानः.
सह णं वाजम यं न स तं ससवा स तूयसे जातवेदः.. (१)
यह वही अ न है, जस म अ भषुत सोमरस को कामना करने वाले इं ने अपने उदर म
रखा था. हे जातवेद अ न! हजार प वाले अ के समान वेगशाली एवं ह का सेवन
करने वाले तु हारी तु त सारा संसार करता है. (१)
अ ने य े द व वचः पृ थ ां यदोषधी व वा यज .
येना त र मुवातत थ वेषः स भानुरणवो नृच ाः.. (२)
हे य के यो य अ न! तु हारा जो तेज आकाश, धरती, ओष धय एवं जल म है, जस
तेज के ारा तुमने अंत र को व तृत कया है, वह तेज आसमान, द तमान् सागर के
समान व तृत एवं मनु य के लए दशनीय है. (२)
अ ने दवो अणम छा जगा य छा दे वाँ ऊ चषे ध या ये.
या रोचने पर ता सूय य या ाव ता प त त आपः.. (३)
हे अ न! तुम आकाश म ा त जल को ल य करके जाते हो एवं ाण संयु दे व को
एक करते हो. सूय के ऊपर रोचन नामक लोक म तथा सूय के नीचे जो जल वतमान ह,
उ ह तु ह ेरणा दे ते हो. (३)
पुरी यासो अ नयः ावणे भः सजोषसः.
जुष तां य म होऽनमीवा इषो महीः.. (४)
बालू मली ई अ नयां खुदाई के काम आने वाले औजार से मलकर इस य
सेवन कर तथा हमारे त ोहर हत होकर हम रोगर हत महान् अ द. (४)
का
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (५)
हे अ न! य करने वाले मुझ यजमान को सदा अनेक कम क साधन प गौ दान
करो. हे अ न! हम पु एवं पौ ा त ह तथा तु हारी फलदायक सुबु हमारे अनुकूल हो.
(५)
सू —२३
दे वता—अ न
नम थतः सु धत आ सध थे युवा क वर वर य णेता.
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जूय व नरजरो वने व ा दधे अमृतं जातवेदाः.. (१)
अर णमंथन ारा उ प , यजमान के घर म य कुंड म था पत, युवा, ांतदश , य
पूण करने वाले, जातवेद, महान् एवं अर य के न होने पर भी जरार हत अ न इस य म
अमृत धारण करते ह. (१)
अम थ ां भारता रेवद नं दे व वा दे ववातः सुद म्.
अ ने व प य बृहता भ रायेषां नो नेता भवतादनु ून्.. (२)
हे अ न! भरत के पु —दे वा य एवं दे ववात ने शोभन साम य तथा धनयु तु ह
अर णमंथन ारा उ प कया था. हे अ न! पया त धन लेकर हमारी ओर दे खो एवं त दन
हमारे अ के लाने वाले बनो. (२)
दश पः पू सीमजीजन सुजातं मातृषु यम्.
अ नं तु ह दै ववातं दे व वो यो जनानामस शी.. (३)
हे अ न! दस उंग लय ने तुझ पुरातन को उ प कया है. हे दे व व! माता के समान
अर णय के बीच म भली कार उ प , य एवं दे ववात ारा म थत अ न क तु त करो.
वे अ न यजमान के वश म रहते ह. (३)
न वा दधे वर आ पृ थ ा इळाया पदे सु दन वे अ ाम्.
ष यां मानुष आपयायां सर व यां रेवद ने दद ह.. (४)
हे अ न! उ म दन क ा त के लए म तु ह गौ- प-धा रणी धरती के उ म थान
म था पत करता ं. हे धनसंप अ न! तुम षद्वती, आपया एवं सर वती न दय के
मानव-स हत तट पर जलो. (४)
इळाम ने पु दं सं स न गोः श मं हवमानाय साध.
या ः सूनु तनयो वजावा ने सा ते सुम तभू व मे.. (५)
हे अ न! य करने वाले मुझ यजमान को सदा अनेकानेक य कम क साधन प गौ
दान करो. हे अ न! हम पु एवं पौ
ा त ह तथा तु हारी फलदायक सुबु हमारे
अनुकूल हो. (५)
सू —२४
अ ने सह व पृतना अ भमातीरपा य.
दे वता—अ न
र तर रातीवच धा य वाहसे.. (१)
हे अ न! श ु क सेना को हराओ तथा य म व न डालने वाल को र भगाओ.
तुम अ जत हो, इस लए श ु को अपने तेज से तर कृत करके यजमान को अ दो. (१)
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अ न इळा स म यसे वी तहो ा अम यः. जुष व सू नो अ वरम्.. (२)
हे य को म
े करने वाले तथा मरणर हत अ न! तु ह उ र वेद पर जलाया जाता है.
तुम हमारे य क भली कार सेवा करो. (२)
अ ने ु नेन जागृवे सहसः सूनवा त. एदं ब हः सदो मम.. (३)
हे वतेज से जागृत एवं बल के पु अ न! मेरे ारा बुलाए ए तुम मेरे ारा बछाए
ए कुश पर बैठो. (३)
अ ने व े भर न भदवे भमहया गरः. य ेषु य उ चायवः.. (४)
हे अ न! अपने पूजक के य
आदर करो. (४)
म सम त तेज वी अ नय के साथ तु त वचन का
अ ने दा दाशुषे र य वीरव तं परीणसम्. शशी ह न सूनुमतः.. (५)
हे अ न! ह दाता यजमान को संतानयु
उ त करो. (५)
सू —२५
पया त धन दो तथा हम संतान वाल क
दे वता—अ न
अ ने दवः सूनुर स चेता तना पृ थ ा उत व वेदाः.
ऋध दे वाँ इह यजा च क वः.. (१)
हे सव वषय ाता तथा य कम के ान से यु अ न! तुम आकाश तथा धरती के पु
हो. हे चेतनाशील अ न! तुम इस य म अलग-अलग ह व दे कर दे व का आदर करो. (१)
अ नः सनो त वीया ण व ा सनो त वाजममृताय भूषन्.
स नो दे वाँ एह वहा पु ो.. (२)
अ न वयं को वभू षत करके यजमान को साम य तथा दे व को अ दे ते ह. हे
ब वध अ यु अ न! हमारे क याण के न म दे व को इस य म लाओ. (२)
अ न ावापृ थवी व ज ये आ भा त दे वी अमृते अमूरः.
य वाजैः पु
ो नमो भः.. (३)
सव , सम त व के वामी, अ मत काशयु , बल एवं अ स हत अ न संसार को
ज म दे ने वाले, ोतमान और मरणर हत धरती-आकाश को का शत करते ह. (३)
अनइ
दाशुषो रोणे सुतावते य महोप यातम्.
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अमध ता सोमपेयाय दे वा.. (४)
हे अ न! इं के साथ यहां आकर य क हसा न करते ए सोम नचोड़ने वाले
यजमान के घर म सोम पीने के लए आओ. (४)
अ ने अपां स म यसे रोणे न यः सूनो सहसो जातवेदः.
सध था न महयमान ऊती.. (५)
हे बल के पु , अ वनाशी एवं जातवेद अ न! र ा के ारा लोक को महान् बनाते ए
तुम जल के थान आकाश म भली कार का शत होते हो. (५)
सू —२६
दे वता—अ न
वै ानरं मनसा नं नचा या ह व म तो अनुष यं व वदम्.
सुदानुं दे वं र थरं वसूयवो गीभ र वं कु शकासो हवामहे.. (१)
हे अ न! ह धारण करने वाले, धन के इ छु क एवं कु शक गो म उ प हम लोग
तुझ वै ानर, स य त , वगा द फल दे ने वाले, य के ाता, फल दे ने वाले, रथ के वामी,
य म जाने वाले एवं तेज वी अ न को अतःकरण से जानते ए तु तय ारा बुलाते ह.
(१)
तं शु म नमवसे हवामहे वै ानरं मात र ानमु यम्.
बृह प त मनुषो दे वतातये व ं ोतारम त थ रघु यदम्.. (२)
हम ोतमान, वै ानर, मात र ा, ऋचा
ारा आ ानयो य, य के वामी, मेधावी,
ोता, अ त थ, शी गामी अ न को अपनी र ा तथा यजमान के य के न म बुलाते ह.
(२)
अ ोन
न भः स म यते वै ानरः कु शके भयुगेयुगे.
स नो अ नः सुवीय व ं दधातु र नममृतेषु जागृ वः.. (३)
हन हनाता आ घोड़े का ब चा जैसे घोड़ी के ारा बढ़ाया जाता है, उसी कार
कु शक गो वाले लोग अ न को त दन बढ़ाते ह. मरणर हत दे व म जागने वाले अ न हम
उ म संतान एवं े घोड़ से यु धन द. (३)
य तु वाजा त व ष भर नयः शुभे स म ाः पृषतीरयु त.
बृह ो म तो व वेदसः वेपय त पवतां अदा याः.. (४)
वेग वाली अ नयां जल क ओर जाव. बलशाली म त के साथ जल म मलकर बूंद
को बनाव. सब कुछ जानने वाले एवं अपराजेय म द्गण अ धक जल से भरे ए तथा
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पवताकार मेघ को कं पत करते ह. (४)
अ न यो म तो व कृ य आ वेषमु मव ईमहे वयम्.
ते वा ननो
या वष न णजः सहा न हेष तवः सुदानवः.. (५)
अ न के आ त एवं वृ को आक षत करने वाले म त का उ वल एवं सश
आ य पाने के लए हम याचना करते ह. वे पु म द्गण वषा का प धारण करने वाले,
हन हनाते ए, सह के समान गजनकारी तथा शोभन जल दे ने वाले ह. (५)
ातं ातं गणंगणं सुश त भर नेभामं म तामोज ईमहे.
पृषद ासो अनव राधसो ग तारो य ं वदथेषु धीराः.. (६)
हम ब त से तु त मं
ारा अ न के तेज और म त के ओज क याचना करते ह.
बुंद कय से यु घोड़ वाले, संपूण धनयु एवं धीर म द्गण य म ह व को ल य करके
जाते ह. (६)
अ नर म ज मना जातवेदा घृतं मे च रु मृतं म आसन्.
अक धातू रजसो वमानोऽज ो घम ह वर म नाम.. (७)
हे कु शकगो ीय ा णो! म ज म से ही सव अ न ं. घृत मेरा ने है तथा अमृत मेरे
मुख म रहता है. मेरे ाण तीन कार के ह. म आकाश को नापने वाला, न य काशयु एवं
ह
प ं. (७)
भः प व ैरपुपो १क दा म त यो तरनु जानन्.
व ष ं र नमकृत वधा भरा दद् ावापृ थवी पयप यत्.. (८)
अ न ने मन से सुंदर यो त को अ छ तरह जानकर वयं को तीन प व
प म शु
कया. उन प ारा वयं को परम रमणीय बनाया तथा इसके प ात् धरती और आकाश
को दे खा. (८)
शतधारमु सम ीयमाणं वप तं पतर व वानाम्.
मे ळ मद तं प ो प थे तं रोदसी पपृतं स यवाचम्.. (९)
हे धरती और आकाश! सौ धारा वाले सोते के समान कभी ीण न होने वाले,
मेधावी, पालनक ा, वेदवा य का एक सं ह करने वाले, माता- पता के समीप स च
एवं स यवाद उस उपा याय को संपूण करो. (९)
सू —२७
दे वता—अ न
वो वाजा अ भ वो ह व म तो घृता या. दे वा
गा त सु नयुः.. (१)
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हे ऋतुओ! मास, अधमास, दे व, एवं गौ सब तु हारे य
इ छा करता आ यजमान दे व को ा त करता है. (१)
ईळे अ नं वप तं गरा य
के लए समथ ह. सुख क
य साधनम्. ु ीवानं धतावानम्.. (२)
म तु तय ारा मेधावी, य संप करने वाले एवं सुख तथा धन के वामी अ न क
तु त करता ं. (२)
अ ने शकेम ते वयं यमं दे व य वा जनः. अ त े षां स तरेम.. (३)
हे ोतमान अ न! ह व लए ए हम लोग य क समा त तक तु ह यह रखने म
समथ ह. इस कार हम पाप से छु टकारा पा लगे. (३)
स म यमानो अ वरे३ नः पावक ई
ः. शो च केश तमीमहे.. (४)
य म व लत, वाला पी केश से यु , शु
अ न से हम मनचाहे फल क याचना करते ह. (४)
पृथुपाजा अम य घृत न ण वा तः. अ नय
परम तेज वी, मरणर हत, घृतशोधक एवं ह
वहन कर. (५)
क ा तथा तोता
ारा पूजनीय
य ह वाट् .. (५)
ारा पू जत अ न इस य
का ह व
तं सबाधो यत ुच इ था धया य व तः. आ च ु र नमूतये.. (६)
य का व न न करने म समथ एवं ह धारण करने वाले ऋ वज ने ुच हाथ म
लेकर इस कार क तु तय ारा अ न को र ा के लए अ भमुख कया था. (६)
होता दे वो अम यः पुर तादे त मायया. वदथा न चोदयन्.. (७)
होम न पादक, मरणर हत एवं ोतमान अ न लोग को य कम करने के लए े रत
करके अपनी माया से अ गामी बनते ह. (७)
वाजी वाजेषु धीयतेऽ वरेषु
बलवान् अ न यु
य के साधक ह. (८)
पीयते. व ो य
य साधनः.. (८)
म आगे कए जाते ह एवं य म था पत होते ह. अ न मेधावी व
धया च े वरे यो भूतानां गभमा दधे. द
य पतरं तना.. (९)
यजमान ारा य कम का अंग होने से वरणीय, भूत म गभ प से
पता प अ न को य वे दका पर धारण करती है. (९)
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थत एवं
न वा दधे वरे यं द
येळा सह कृत. अ ने सुद तमु शजम्.. (१०)
हे बल ारा उ प , शोभनद तयु , ह के अ भलाषी एवं वरणीय अ न! द
पु ी इडा अथात् य भू म तु ह धारण करती है. (१०)
क
अ नं य तुरम तुरमृत य योगे वनुषः. व ा वाजैः स म धते.. (११)
भ यजमान एवं मेधावी अ वयु सबके नयंता एवं जल के ेरक अ न को य
योग के लए ह व प अ के ारा भली-भां त द त करते ह. (११)
ऊज नपातम वरे द दवांसमुप
के
व. अ नमीळे क व तुम्.. (१२)
अ के नाती, अंत र के समीप का शत होने वाले एवं मेधा वय
अ न क म य म तु त करता ं. (१२)
ारा उ पा दत
ईळे यो नम य तर तमां स दशतः. सम नर र यते वृषा.. (१३)
पूजा तथा नम कार के यो य, अंधकार का नाश करने के कारण सबके दशनीय एवं
कामवष अ न व लत कए जाते ह. (१३)
वृषो अ नः स म यतेऽ ो न दे ववाहनः. तं ह व म त ईळते.. (१४)
घोड़े के समान दे व का ह ढोने वाले एवं कामवषक अ न
ह व धारण करने वाले यजमान उनक ाथना करते ह. (१४)
व लत कए जाते ह.
वृषणं वा वयं वृष वृषणः स मधीम ह. अ ने द तं बृहत्.. (१५)
हे कामवषक अ न! जल बरसाने वाले द तमान् एवं महान् तुमको घी क आ त से
स चने वाले हम व लत करते ह. (१५)
सू —२८
दे वता—अ न
अ ने जुष व नो ह वः पुरोळाशं जातवेदः. ातः सावे धयावसो.. (१)
हे जातवेद एवं तु त ारा धन दे ने वाले अ न! ातःका लक य
और पुरोडाश का सेवन करो. (१)
पुरोळा अ ने पचत तु यं वा घा प र कृतः. तं जुष व य व
म तुम हमारे ह व
.. (२)
हे अ तशययुवा अ न! पुरोडाश तु हारे लए पकाया एवं सं कृत कया गया है. तुम
उसका सेवन करो. (२)
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अ ने वी ह पुरोळाशमा तं तरोअ यम्. सहसः सूनुर य वरे हतः.. (३)
हे अ न! दन छपने पर भली कार दए गए पुराडोश को खाओ. हे बल के पु
अ न! तुम य म न हत हो. (३)
मा य दने सवने जातवेदः पुरोळाश मह कवे जुष व.
अ ने य य तव भागधेयं न मन त वदथेषु धीराः.. (४)
हे जातवेद एवं मेधावी अ न! दोपहर के य के समय पुरोडाश का सेवन करो. हे
महान् अ न! कमकुशल अ वयु य म तु हारा भाग अव य दे ते ह. (४)
अ ने तृतीये सवने ह का नषः पुरोळाशं सहसः सूनवा तम्.
अथा दे वे व वरं वप यया धा र नव तममृतेषु जागृ वम्.. (५)
हे बल के पु अ न! तीसरे सवन म दए गए पुरोडाश क तुम अ भलाषा करते हो.
तु त से स तुम अ वनाशी, वगा द फल दे ने वाले एवं जागरणकारी सोमरस को
मरणर हत दे व के समीप ले जाओ. (५)
अ ने वृधान आ त पुरोळाशं जातवेदः. जुष व तरोअ यम्.. (६)
हे जातवेद एवं आ तय के कारण वृ
पुरोडाश नामक ह व का सेवन करो. (६)
सू —२९
को ा त अ न! दन छपने के समय तुम
दे वता—अ न
अ तीदम धम थनम त जननं कृतम्. एतां व प नीमा भरा नं म थाम पूवथा..
(१)
यह अ न-मंथन का साधन तथा उसे उ प करने वाला पदाथ है. इस व पा लका
अर ण को लाओ. हम पहले क तरह ही अ न का मंथन करगे. (१)
अर यो न हतो जातवेदा गभ इव सु धतो ग भणीषु.
दवे दव ई ो जागृव ह व म मनु ये भर नः.. (२)
जस कार गभवती ना रय म गभ रहता है, उसी कार जातवेद अ न अर णय म
छपे ह. वे अ न ह व धारण करने वाले एवं य कम म जाग क मनु य ारा त दन पूजा
करने यो य ह. (२)
उ ानायामव भरा च क वा स ः वीता वृषणं जजान.
अ ष तूपो शद य पाज इळाया पु ो वयुनेऽज न .. (३)
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हे ानवान् अ वयु! ऊपर मुखवाली नचली अर ण पर नीचे मुखवाली उ र अर ण
रखो. उसी समय गभवती अर ण कामवषक अ न को उ प करे. उस म अ न का
अंधकार-नाशक तेज था. का शत तेज वाले एवं इडा के पु अथात् उ र वेद म उ प
अ न अर ण म कट ए. (३)
इळाया वा पदे वयं नाभा पृ थ ा अ ध.
जातवेदो न धीम ने ह ाय वो हवे.. (४)
हे जातवेद अ न! हम ह वहन करने के न म तु ह धरती के ऊपर एवं उ र वेद के
म य भाग म था पत करते ह. (४)
म थता नरः क वम य तं चेतसममृतं सु तीकम्.
य य केतुं थमं पुर ताद नं नरो जनयता सुशेवम्.. (५)
हे य के नेता अ वयुगण! ांतदश , मन एवं वाणी से एक ही कम करने वाले, कृ
ानयु , मरणर हत व शोभन अंग समेत अ न को मंथन ारा पैदा करो. हे नेताओ! य
का संकेत करने वाले, मु य एवं सुख से यु अ न को य कम के पहले ही उ प करो. (५)
यद म थ त बा भ व रोचतेऽ ो न वा य षो वने वा.
च ो न याम
नोर नवृतः प र वृण य मन तृणा दहन्.. (६)
जब हाथ से अर ण का मंथन कया जाता है, तब लक ड़य म अ न इस कार ती
ग त से सुशो भत होते ह, जस कार शी गामी अ अथवा अ नीकुमार का अनेक रंग
का रथ शोभा पाता है. अवरोधर हत अ न प थर और तनक को जलाते ए आगे बढ़ते ह.
(६)
जातो अ नी रोतने चे कतानो वाजी व ः क वश तः सुदानुः.
यं दे वास ई ं व वदं ह वाहमदधुर वेषु.. (७)
मंथन से उ प अ न सव ! न यग तशील, य कम के ाता, मेधावी, होता
ारा
तुत एवं शोभन फलदाता के प म शोभा पाते ह. इ ह तु य एवं सव अ न को दे व ने
य म ह वाहक बनाया था. (७)
सीद होतः व उ लोके च क वा सादया य ं सुकृत य योनौ.
दे वावीदवा ह वषा यजा य ने बृह जमाने वयो धाः.. (८)
हे होम न पादक एवं ानवान् अ न! तुम अपने थान अथात् उ र वेद पर बैठो तथा
य क ा यजमान को उ म लोक म ले जाओ. हे दे वर क अ न! ह
ारा दे व क पूजा
करो एवं मुझ य करने वाले यजमान को पया त अ दो. (८)
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कृणोत धूमं वृषणं सखायोऽ ेध त इतन वाजम छ.
अयम नः पृतनाषाट् सुवीरो येन दे वासो असह त द यून्.. (९)
हे म अ वयु! तुम अर णमंथन ारा कामवषक अ न को उ प करो. य द वह उ प
न हो तो तुम साम यवान् बनकर मंथन पी यु म लगो. शोभन साम य वाले अ न सेना के
वजेता ह. इ ह क सहायता से दे व ने असुर को परा जत कया था. (९)
अयं ते यो नऋ वयो यतो जातो अरोचथाः.
तं जान न आ सीदाथा नो वधया गरः.. (१०)
हे अ न! ऋतु वशेष म उ प का से न मत यह अर ण तु हारा उ प
थान है.
इससे उ प होकर तुम शोभा पाते हो. इसे जानते ए अर ण म बैठो तथा हमारे तु त वचन
को बढ़ाओ. (१०)
तनूनपा यते गभ आसुरो नराशंसो भव त य जायते.
मात र ा यद ममीत मात र वात य सग अभव सरीम ण.. (११)
अर णय म गभ प से वतमान अ न तनूनपात् कहे जाते ह. उ प होने पर उनका
नाम असुर तथा नराशंस हो जाता है. जब वे आकाश म अपना तेज फैलाते ह, तब मात र ा
कहलाते ह. अ न के शी गमन पर वायु क उ प होती है. (११)
सु नमथा नम थतः सु नधा न हतः क वः.
अ ने व वरा कृणु दे वा दे वयते यज.. (१२)
हे मेधावी, शोभन मंथन से उ प एवं उ म थान म था पत अ न! हमारे य
व नर हत बनाओ एवं दे वा भलाषी यजमान के लए दे व क पूजा करो. (१२)
को
अजीजन मृतं म यासोऽ ेमाणं तर ण वीळु ज भम्.
दश वसारो अ ुवः समीचीः पुमांसं जातम भ सं रभ ते.. (१३)
मरणधमा ऋ वज ने अमर, यर हत, ढ़ दांत वाले तथा पापो ारक अ न को
ज म दया है. जस कार पु ज म पर लोग हषसूचक श द करते ह, उसी कार दस
उंग लयां मलकर अ न क उ प पर श द करती ह. (१३)
स तहोता सनकादरोचत मातु प थे यदशोच ध न.
न न मष त सुरणो दवे दवे यदसुर य जठरादजायत.. (१४)
सनातन एवं सात होता वाले अ न वशेष शोभा पाते ह. जब वे अ न धरती माता
क गोद एवं उ रवेद पी तन पर शो भत होते ह, तब शोभन श द करते ह. अर ण पी
काठ के उदर से उ प होने के कारण वे कभी सोते नह ह. (१४)
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अ म ायुधो म ता मव याः थमजा
णो व म ः.
ु नवद्
कु शकास ए रर एकएको दमे अ नं समी धरे.. (१५)
म द्गण के समान असुर के साथ लड़ने वाले एवं
ा से उ प कु शकगो ीय ऋ ष
चराचर को जानते ह, ह धारण करके तु त मं पढ़ते ह एवं अपने-अपने घर म अ न को
व लत करते ह. (१५)
यद वा य त य े अ म होत क वोऽवृणीमहीह.
ुवमया ुवमुताश म ाः जान वदाँ उप या ह सोमम्.. (१६)
हे होम न पादक एवं य कम ानी अ न! इस य म हम तु हारा वरण करते ह,
इस लए तुम दे व को हमारा ह प च
ं ाओ, उ ह शांत करो एवं य को जानते ए सोम के
समीप आओ. (१६)
सू —३०
दे वता—इं
इ छ त वा सो यासः सखायः सु व त सोमं दधा त यां स.
त त ते अ भश तं जनाना म वदा क न ह केतः.. (१)
हे इं ! सोमरस के यो य ा ण तु हारी तु त करना चाहते ह. तु हारे वे म तु हारे
लए सोम नचोड़ते ह, अ य ह व धारण करते ह एवं श ु का वरोध सहते ह. संसार म
तुमसे अ धक स कौन है? (१)
न ते रे परमा च जां या तु या ह ह रवो ह र याम्.
थराय वृ णे सवना कृतेमा यु ा ावाणः स मधाने आ नौ.. (२)
हे हरे घोड़ वाले इं ! रवत थान भी तु हारे लए र नह है. तुम अपने घोड़ क
सहायता से आओ. हे ढ़ च एवं कामवष इं ! यह य तु हारे लए कया गया है एवं
अ न उ त होने पर सोम नचोड़ने के लए प थर एक- सरे के ऊपर रखे गए ह. (२)
इ ः सु श ो मघवा त ो महा ात तु वकू मऋघावान्.
य ो धा बा धतो म यषु व१ या ते वृषभ वीया ण.. (३)
हे कामवष इं ! तुम परम ऐ य संप , धनवान्, श ु वजयी, म त के वशाल समूह
से यु , सं ाम म व म द शत करने वाले, श ु हसक एवं श ु के लए भंयकर हो.
असुर ारा बाधा प ंचाने पर तुमने जो वीरता दखाई थी, वह कहां है? (३)
वं ह मा यावय युता येको वृ ा चर स ज नमानः.
तव ावापृ थवी पवतासोऽनु ताय न मतेव त थुः.. (४)
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हे इं ! तुमने अकेले ही ढ़मूल रा स को थान युत कया है एवं पाप को न करते
ए तुम थत ए हो. तु हारी आ ा से धरती, आकाश एवं पवत न ल से रहते ह. (४)
उताभये पु त वो भरेको हमवदो वृ हा सन्.
इमे च द रोदसी अपारे य संगृ णा मघव का श र े.. (५)
हे दे व ारा अनेक बार बुलाए गए एवं श शाली इं ! तुमने अकेले ही वृ का वध
करके जो दे व को अभयदान दया, वह उ चत ही है. हे मघवन्, लोक म तु हारी म हमा
स है क तुम सीमार हत धरती और आकाश को मलाते हो. (५)
सू त इ
वता ह र यां ते व ः मृण ेतु श ून्.
ज ह तीचो अनूचः पराचो व ं स यं कृणु ह व म तु.. (६)
हे इं ! तु हारा अ यु रथ श ु क ओर उ म माग से चले एवं तु हारा व श ु
को मारता आ आए. तुम सामने आने वाले, पीछे आने वाले तथा भागने वाले श ु को
मारो. तुम संसार को य पूण करने क श दो. (६)
य मै धायुरदधा म यायाभ ं च जते गे १
ं सः.
भ ा त इ सुम तघृताची सह दाना पु त रा तः.. (७)
हे न य ऐ ययु इं ! जस मनु य के लए तुम श
धारण करते हो, वह पहले
अ ा त गृहसंबंधी व तु को ा त करता है. हे पु त! घृता द ह व से यु तु हारी शोभन
बु क याणकारी है तथा तु हारी धनदान श असीम है. (७)
सहदानुं पु त य तमह त म सं पणक्कुणा म्.
अ भ वृ ं वधमानं पया मपाद म तवसा जघ थ.. (८)
हे पु त इं ! तुम माता दानवी के साथ वतमान, बाधक एवं गरजने वाले असुर वृ को
बना हाथ का बनाकर चूण कर दो. हे इं ! बढ़ते ए एवं हसक वृ को पादहीन करके
अपनी श से मार डालो. (८)
न सामना म षरा म भू म महीमपारां सदने सस थ.
अ त नाद् ां वृषभो अ त र मष वाप वयेह ूसताः.. (९)
हे इं ! तुमने महती, सीमार हत एवं चंचल धरती को समतल करके उसके थान पर
था पत कया था. कामवषक इं ने धरती और आकाश को इस कार धारण कया है क वे
गर न सक. तु हारे ारा े रत जल धरती पर आए. (९)
अलातृणो वल इ
जो गोः पुरा ह तोभयमानो ार.
सुगा पथो अकृणो रजे गाः ाव वाणीः पु तं धम तीः.. (१०)
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हे इं ! हसक, म यमावासी एवं व ाम थल बल नामक मेघ व
हार से पहले ही
डर कर छ भ हो गया. इं ने जल नकालने के लए माग सुगम कर दया था. सुंदर एवं
श द करता आ जल पु त इं के स मुख आया था. (१०)
एको े वसुमती समीची इ आ प ौ पृ थवीमुत ाम्.
उता त र ाद भ नः समीक इषो रथीः सयुजः शूर वाजान्.. (११)
इं ने बना कसी क सहायता के धरती-आकाश को पर पर मला आ एवं धनसंप
बनाया था. हे शूर एवं रथ वामी इं ! हमारे पास रहने क इ छा से रथ म जुड़े ए घोड़ को
आकाश से हमारी ओर हांको. (११)
दशः सूय न मना त द ा दवे दवे हय सूताः.
सं यदानळ वन आ दद ै वमोचनं कृणुते त व य.. (१२)
इं ने सूय के त दन के गमन के लए जो दशाएं न त क ह, सूय उनका कभी
उ लंघन नह करते. सूय जब अपना माग समा त कर लेते ह तो घोड़ को रथ से छोड़ दे ते ह,
पर यह काम भी इं का ही है. (१२)
द
त उषसो याम ो वव व या म ह च मनीकम्.
व े जान त म हना यदागा द य कम सुकृता पु ण.. (१३)
सब लोग रात बीतने के बाद एवं उषाकाल क समा त पर महान् एवं तेज वी सूय को
दे खना चाहते ह. उषाकाल बीत जाने पर सब लोग अ नहो आ द को ही कम समझते ह. ये
सब उ म कम इं के ही ह. (१३)
म ह यो त न हतं व णा वामा प वं चर त ब ती गौः.
व ं वाद्म स भृतमु यायां य सी म ो अदधा ोजनाय.. (१४)
इं ने न दय म महान् एवं तेज वी जल भरा है. इं ने नई याई ई गाय म परम
वा द खा पदाथ रखा है, इस लए वह ध धारण करके घूमती है. (१४)
इ
यामकोशा अभूव य ाय श गृणते स ख यः.
मायवो रेवा म यासो नष णो रपवो ह वासः.. (१५)
हे इं ! रा स माग रोकने वाले ह, इस लए तुम ढ़ बनो व य एवं तु त करने वाले
यजमान तथा उसके पु ा द के लए मनचाहा फल दो. बुरे आयुध फकने वाले, धीरेधीरे चलने
वाले, ह यारे एवं तूणीरधारी श ु को मारो. (१५)
सं घोषः शृ वेऽवमैर म ैजही ये वश न त प ाम्.
वृ ेमध ता
जा सह व ज ह र ो मघवन् र धय व.. (१६)
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हे इं ! हम समीपवत श ु का भयंकर श द सुन रहे ह. तुम अपने संतापकारी व
का इन पर योग करके इ ह मारो, इन श ु को जड़ से समा त करो, इ ह वशेष प से
बाधा प ंचाओ तथा परा जत करो. हे इं ! पहले रा स को मारो. इसके बाद इस य को
पूरा करो. (१६)
उद्वृह र ः सहमूल म वृ ा म यं य ं शृणी ह.
आ क वतः सललूकं चकथ
षे तपु ष हे तम य.. (१७)
हे इं ! य म व न डालने वाले रा स को जड़ से न करो, उनका बीच का ह सा
काटो तथा ऊपर का भाग समा त करो. चलने वाले रा स को र फक दो. ा ण से े ष
करने वाले उस रा स पर संतापकारी अ फको. (१७)
व तये वा ज भ
णेतः सं य मही रष आस स पूव ः.
रायो व तारो बृहतः यामा मे अ तु भग इ
जावान्.. (१८)
हे व पालक इं ! हम घोड़ का मा लक एवं अ वनाशी बनाओ. य द तुम हमारे समीप
रहोगे तो हम ब त से अ एवं वशाल धन का उपभोग करते ए महान् बनगे. हे इं ! हमारे
पास संतानयु धन दो. (१८)
आ नो भर भग म
ुम तं न ते दे ण य धीम ह रेके.
ऊवइव प थे कामो अ मे तमा पृण वसुपते वसूनाम्.. (१९)
हे इं द तयु धन हमारे पास लाओ. हम तुझ दानशील के धन के पा
धनप त! हमारी अ भलाषा बड़वानल के समान बढ़ गई है, तुम उसे पूण करो. (१९)
ह. हे
इमं कामं म दया गो भर ै
वता राधसा प थ .
वयवो म त भ तु यं व ा इ ाय वाहः कु शकासो अ न्.. (२०)
हे इं ! हमारी इस धना भलाषा को गाय , घोड़ एवं द तयु धन से पूरा करो. इन
संप य ारा हम स बनाओ. वगा द सुख के अ भलाषी एवं य कम म कुशल
कु शकगो ीय ऋ षय ने मं
ारा यह तु त क है. (२०)
आ नो गो ा द
गोपते गाः सम म यं सनयो य तु वाजाः.
दव ा अ स वृषभ स यशु मोऽ म यं सु मघव बो ध गोदाः.. (२१)
हे वग के वामी इं ! बादल को फाड़ कर हम जल दो. इसके बाद उपभोग के यो य
अ हमारे पास आए. हे कामवषक! तुम आकाश को ा त कए हो. हे स य साम य
मघवन्! हम गाएं दो. (२१)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
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शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (२२)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (२२)
दे वता—इं
सू —३१
शास
पता य
हतुन यं गा
हतुः सेकमृ
ाँ ऋत य द ध त सपयन्.
सं श येन मनसा दध वे.. (१)
बना पु वाला पता यह जानता आ क इस क या का पु मेरा पु होगा, पु उ प
करने म समथ दामाद क सेवा करता आ शा के अनुसार उसके पास गया. ऐसी क या
का प त उस म सुख का यान करता आ वीयाधान करता है, पु उ प करने के लए नह .
(१)
न जामये ता वो र थमारै चकार गभ स नतु नधानम्.
यद मातरो जनय त व म यः कता सुकृतोर य ऋ धन्.. (२)
औरस पु अपनी ब हन को धन नह दे ता, वह उसका ववाह करके उसे केवल प त
का गभ धारण का अ धकार दे ता है. य द माता- पता पु एवं पु ी दोन को उ प करते ह,
तो इनम से पु पडदान का उ म कम करता है तथा क या केवल व ालंकार से आदर
पाती है. (२)
अ नज े जु ा३ रेजमानो मह पु ाँ अ ष य य े.
महा गभ म ा जातमेषां मही वृ य य य ैः.. (३)
हे तेज वी इं ! वाला के ारा कांपती ई अ न ने तु हारे य के लए ब त से
करण पी पु उ प कए ह. इन र मय का गभ एवं उ प संतान महान् है. हे ह र नामक
घोड़ वाले इं ! तुमसे संबं धत सोम क आ तय के कारण इन र मय क वृ महान् है.
(३)
अ भ जै ीरसच त पृधानं म ह यो त तमसो नरजानन्.
तं जानतीः युदाय ुषासः प तगवामभवदे क इ ः.. (४)
वजयी म द्गण वृ के साथ यु करते ए इं के साथ मल गए थे. वृ के मरने पर
म त ने उससे नकलने वाली सूय नामक महान् यो त को जाना. वृ हंता इं को सूय
जानती ई उषाएं उसके समीप ग . इस कार इं अकेले ही सारी करण के प त ए. (४)
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वीळौ सतीर भ धीरा अतृ द ाचा ह व मनसा स त व ाः.
व ाम व द प यामृत य जान
ा नमसा ववेश.. (५)
धीर एवं मेधावी सात अं गरागो ीय ऋ षय ने पवत म बंद गाय का पता लगा लया
था. पवत पर गाय को जानकर वे जस माग से घुसे थे, उसी से गाय को नकाल लाए.
उ ह ने य क साधन प सब गाय को ा त कया. इं ने अं गरागो ीय ऋ षय का कम
जानकर उ ह नम कार ारा आदर दया एवं उस पवत म घुस गए. (५)
वद द सरमा ण े म ह पाथः पू स य कः.
अ ं नय सुप राणाम छा रवं थमा जानती गात्.. (६)
सरमा नाम क दे वशुनी ने जब पवत का टू टा आ ार ा त कया, तब इं ने अपने
वचन के अनुसार उसे ब त से भो य पदाथ के साथ अ दया. सुंदर पैर वाली सरमा
(दे वशुनी) गाय के रंभाने का श द पहचान कर उनके सामने प ंच गई. (६)
अग छ व तमः सखीय सूदय सुकृते गभम ः.
ससान मय युवा भमख य थाभवद रा स ो अचन्.. (७)
अ तशय मेधावी इं अं गरागो ीय ऋ षय के साथ म ता क इ छा से गए थे. उ म
यो ा इं के लए पवत ने अपने भीतर बंद गाय को बाहर नकाल दया. न यत ण म त
के साथ असुरमारक एवं अं गरा क गाय क कामना करने वाले इं ने उ ह ा त कया.
अं गरा ऋ ष ने तुरंत इं क पूजा क . (७)
सतः सतः तमानं पुरोभू व ा वेद ज नमा ह त शु णम्.
णो दवः पदवीग ुरच सखा सख रमु च रव ात्.. (८)
उ म व तु के त न ध एवं यु म आगे रहने वाले इं सम त उ म पदाथ को
जानते ह, उ ह ने शु ण असुर का वध कया है. परम मेधावी एवं गाय के इ छु क हमारे म
इं वग से आकर हम पाप से बचाव. (८)
न ग ता मनसा से रकः कृ वानासो अमृत वाय गातुम्.
इदं च ु सदनं भूयषां येन मासाँ अ सषास ृतेन.. (९)
अं गरागो ीय ऋ ष गाय क इ छा करते ए तो
ारा अमरता पाने का उपाय करते
ए य म बैठे थे. वे अपने य के ारा महीन को अलग करना चाहते थे. इस लए उनके
य म ब त से आसन थे. (९)
स प यमाना अमद भ वं पयः न य रेतसो घानाः.
व रोदसी अतपद्घोष एषां जाते नः ामदधुग षु वीरान्.. (१०)
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अं गरागो ीय ऋ ष अपनी गाय को दे खते ए पहले उ प पु के लए उनका ध ह
कर स
ए. उनका स तासूचक श द धरती-आकाश म भर गया. उ ह ने संसार क
व तु म पु के समान भावना बनाई तथा गाय क रखवाली के लए वीर पु ष नयु
कए. (१०)
स जाते भवृ हा से ह ै
या असृज द ो अकः.
उ य मै घृतव र ती मधु वा
हे जे या गौः.. (११)
इं ने सहायक म त के साथ वृ को मारा. उसने हवन के पा एवं पूजनीय म त के
साथ य के न म गाय को बनाया. इसी लए घी स हत ह धारण करने वाली व पया त
मा ा म ह दे ने वाली उ म गौ ने यजमान के लए वा द एवं मधुर ध दया. (११)
प े च च ु ः सदनं सम मै म ह वषीम सुकृतो व ह यन्.
व क न तः क भनेना ज न ी आसीना ऊ व रभसं व म वन्.. (१२)
अं गरागो ीय ऋ षय ने पालक इं के लए काशपूण उ म थान बनाया था. उ म
य कम करने वाले उन लोग ने इं के लए उ चत थान भली कार दखा दया था. य
मंडप म बैठे ए उन लोग ने व जनक धरती एवं आकाश को अंत र पी खंभे से
रोककर वेगशाली इं को वग म थत कया. (१२)
मही य द धषणा श थे धा स ोवृधं व वं१रोद योः.
गरो य म नव ाः समीची व ा इ ाय त वषीरनु ाः.. (१३)
य द हमारे ारा क ई तु त इं को धरती और आकाश को पृथक् करने एवं धारण
करने म समथ करे, तभी हमारी नद ष तु तयां साथक ह. इं क सारी श यां वभाव
स ह. (१३)
म ा ते स यं व म श रा वृ ने नयुतो य त पूव ः.
म ह तो मव आग म सूरेर माकं सु मघव बो ध गोपाः.. (१४)
हे इं ! म तु हारी महती एवं दान क कामना करता ं. तुझ वृ हंता क सवारी के लए
ब त सी घो ड़यां तु हारे पास आती ह. तुझ व ान् को हम महान् और उ म ह प ंचाते
ह. हे मघवन्! तुम वयं को हमारा र क समझ लो. (१४)
म ह े ं पु
ं व व ाना द स ख य रथं समैरत्.
इ ो नृ भरजन ानः साकं सूयमुषसं गातुम नम्.. (१५)
इं ने भली-भां त जानते ए हम म को वशाल खेत एवं ब त सा सोना दया है.
इसके प ात् गाएं आ द भी द ह. द तमान् इं ने नेता म त से मलकर सूय, उषा, धरती
एवं अ न को उ प कया. (१५)
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अप दे ष व वो३ दमूनाः स ीचीरसृज
म वः पुनानाः क व भः प व ै ु भ ह व य
ाः.
भधनु ीः.. (१६)
शांत च इं ने सव
ा त, एक- सरे से मले ए एवं संसार को स करने वाले
जल को उ प कया. वे जल मधुरतायु सोम को अ न, वायु व सूय के ारा शु कराते
ए सारे संसार को स करके रात- दन अपने-अपने काम म लगाते ह. (१६)
अनु कृ णे वसु धती जहाते उभे सूय य मंहना यज े.
प र य े म हमानं वृज यै सखाय इ का या ऋ ज याः.. (१७)
हे इं ! तुझ जगत् ेरक क म हमा से सम त पदाथ को धारण करने वाले एवं य के
पा दनरात बार-बार आते ह. सीधी चाल वाले, म एवं कमनीय म द्गण व नकारी
श ु को हराने के लए तु हारी श का सहारा पाकर समथ बनते ह. (१७)
प तभव वृ ह सूनृतानां गरां व ायुवृषभो वयोधाः.
आ नो ग ह स ये भः शवे भमहा मही भ त भः सर यन्.. (१८)
हे वृ हंता, पूण आयु वाले, कामवषक व अ दाता इं ! तुम हमारी अ तशय य
तु तय के वामी बनो. महान् एवं प के न म जाने के इ छु क तुम महती र ा एवं
क याणकारी म ता के लए हमारे सामने आओ. (१८)
तम र व मसा सपय
ं कृणो म स यसे पुराजाम्.
हो व या ह ब ला अदे वीः व नो मघव सातये धाः.. (१९)
हे इं ! म अं गरागो ीय ऋ षय के समान तुझ पुरातन क पूजा करता आ तु तय
ारा तु ह नवीन बनाता ं. तुम दे व वरोधी ब त से श ु रा स को मार डालो. हे मघवन्!
हम उपभोग के लए धन दो. (१९)
महः पावकाः तता अभूव व त नः पपृ ह पारमासाम्.
इ वं पा ह नो रषो म ूम ू कृणु ह गो जतो नः.. (२०)
हे इं ! पाप न करने वाले जल चार ओर फैले ह. इन जल के अ वनाशी नद को
हमारे लए जल से भर दो. हे इं ! तुम रथ के वामी हो. हम श ु से बचाओ एवं अ यंत शी
गाय का जीतने वाला बनाओ. (२०)
अदे द वृ हा गोप तगा अ तः कृ णाँ अ षैधाम भगात्.
सूनृता दशमान ऋतेन र व ा अवृणोदप वाः.. (२१)
वे वृ नाशक एवं गो वामी इं हम गाएं द एवं य वनाशक काले लोग को अपने द त
तेज ारा समा त कर. इं ने स यवचन से अं गरा को यारी गाएं दे कर गाय के नकलने
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के सभी ार बंद कर दए थे. (२१)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (२२)
धन- ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान् सकल- व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (२२)
सू —३२
इ
दे वता—इं
सोमं सोमपते पबेमं मा य दनं सवनं चा य .े
ु या श े मघव ृजी ष वमु या हरी इह मादय व.. (१)
हे सोम के अ धप त इं ! मा यं दन-सवन म तैयार कए गए इस सोम को पओ. यह
रमणीय है. हे मघवन् एवं ऋजीषी इं ! रथ म जोड़े गए दोन घोड़ को खोलकर उनके
जबड़ को यहां क घास से भरो एवं उस य म उ ह स करो. (१)
गवा शरं म थन म शु ं पबा सोमं र रमा ते मदाय.
कृता मा तेना गणेन सजोषा ै तृपदा वृष व.. (२)
हे इं ! गाय के ध से म त, मथे ए एवं नवीन सोम को पओ. यह सोम हम तु हारे
हष के लए दान करते ह. तु त करने वाले म त एवं
के साथ यह सोम तृ त पयत पान
करो. (२)
ये ते शु मं ये त वषीमवध च त इ म त त ओजः.
मा य दने सवने व ह त पबा े भः सगणः सु श .. (३)
हे इं ! जो म त् तु हारे तेज एवं बल को बढ़ाते ह, वे ही तु हारी तु त करते ए तु हारा
ओज बढ़ाते ह. हे व ह त एवं सुंदर ठोढ़ वाले इं ! तुम
के साथ मलकर मा यं दन
सवन म सोम पओ. (३)
त इ व य मधुम व इ य शध म तो य आसन्.
ये भवृ ये षतो ववेदाममणो म यमान य मम.. (४)
जो म त् इं के बल प थे, उ ह ने मधुर वा य बोलकर इं को े रत कया था. मेरा
मम कोई नह जानता है, ऐसा समझने वाले वृ का रह य म त ने इं को बताया. (४)
मनु व द सवनं जुषाणः पबा सोमं श ते वीयाय.
स आ ववृ व हय य ैः सर यु भरपो अणा सस ष.. (५)
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हे इं ! मनु के य के समान तुम श ु को हराने वाली श पाने के लए मेरे इस
य का सेवन करते ए सोम पओ. हे ह र नामक अ वाले इं ! तुम य के यो य म त
के साथ आओ एवं गमनशील म त के साथ आकाश के जल को धरती पर लाओ. (५)
वमपो य वृ ं जघ वाँ अ याँइव ासृजः सतवाजौ.
शयान म चरता वधेन व वांसं प र दे वीरदे वम्.. (६)
हे इं ! तुमने द तशाली जल को चार ओर से रोककर वतमान द तशू य एवं सोए
ए वृ को यु के ारा मारा था एवं यु म जल को अ के समान तेजी से बहने के लए
छोड़ दया था. (६)
यजाम इ मसा वृ म ं बृह तमृ वमजरं युवानम्.
य य ये ममतुय य य न रोदसी म हमानं ममाते.. (७)
हम ह अ से वृ
ा त, महान् जरार हत, न य त ण एवं तु तपा इं क पूजा
करते ह. अप र मत धरती और आकाश य के यो य इं क म हमा को सी मत नह कर
सकते. (७)
इ य कम सुकृता पु ण ता न दे वा न मन त व े.
दाधार यः पृ थव ामुतेमां जजान सूयमुषसं सुदंसाः.. (८)
सम त दे व इं ारा न मत धरती आ द तथा य ा द का वरोध नह कर सकते. इं ने
धरती, आकाश एवं अंतर से लोक को धारण कया था. शोभनकमा इं ने सूय तथा उषा
को उ प कया था. (८)
अ ोघ स यं तव त म ह वं स ो य जातो अ पबो ह सोमम्.
न ाव इ तवस त ओजो नाहा न मासाः शरदो वर त.. (९)
हे ोहर हत इं ! तु हारी म हमा वा त वक है, य क तुमने उ प होते ही सोमपान
कया था, तुझ बलवान् के तेज का वारण वग, दन, मास एवं वष भी नह कर सकते. (९)
वं स ो अ पबो जात इ मदाय सोमं परमे ोमन्.
य
ावापृ थवी आ ववेशीरथाभवः पू ः का धायाः.. (१०)
हे इं ! तुमने ज म लेने के प ात् उ म थान म थत होकर आनंद के लए सोम पया
था. जब तुम धरती और आकाश म व
ए थे, उसी समय पुरातन बनकर कम के
वधाता बने थे. (१०)
अह ह प रशयानमण ओजायमानं तु वजात त ान्.
न ते म ह वमनु भूदध ौयद यया फ या३ ामव थाः.. (११)
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हे पृ वी आ द को ज म दे ने वाले इं ! तुमने अ यंत वशाल बनकर जल को घेरकर
सोए ए एवं वयं को बलवान् समझने वाले अ ह रा स को मारा था. जब तुम अपनी बगल
म धरती को दबा लेते हो, उस समय वग तु हारी म हमा को नह जान पाता. (११)
य ो ह त इ वधनो भू त यः सुतसोमो मयेधः.
य ेन य मव य यः स य ते व म हह य आवत्.. (१२)
हे इं ! हमारा य तु हारी वृ करता है. सोम नचोड़े जाने के कारण हमारा य तु ह
य है. हे य यो य इं ! य के ारा यजमान क र ा करो. यह वृ को मारते समय तु हारे
व क र ा करे. (१२)
य न
े े मवसा च े अवागैनं सु नाय न से ववृ याम्.
यः तोमे भवावृधे पू भय म यमे भ त नूतने भः.. (१३)
जो इं ाचीन, म यकालीन एवं आधु नक तो
ारा वृ
ा त करते ह, उ ह को
यजमान र ा करने वाले य के ारा अपनी ओर आकृ करता है एवं नवीन धन ा त करने
के लए य से ढकता है. (१३)
ववेष य मा धषणा जजान तवै पुरा पाया द म ः.
अंहसो य पीपर था नो नावेव या तमुभये हव ते.. (१४)
इं क तु त करने का वचार जब मेरी बु म आता है, तब म तु त करता ं. म
अशुभ दन आने के पहले ही इं क तु त करता ं. जस कार दोन तट वाले लोग नाव
वाले को पुकारते ह, उसी कार हमारे दोन मातृ एवं पतृ कुल के लोग ःख से पार लगाने
के वचार से तु ह पुकारते ह. (१४)
आपूण अ य कलशः वाहा से े व कोशं स सचे पब यै.
समु या आववृ मदाय द णद भ सोमास इ म्.. (१५)
हे इं ! तु हारा कलश सोम से भर गया है. तु हारे सोमरस पीने के लए ‘ वाहा’ श द
का उ चारण भी हो चुका है. जैसे पानी भरने वाला पानी भरे ए पा से सरे पा म जल
डालता है, उसी कार म तु हारे पीने के लए कलश म सोम भरता ं. वा द सोम
द णा करता आ इं क स ता के लए उनके सामने जाता है. (१५)
न वा गभीरः पु त स धुना यः प र ष तो वर त.
इ था स ख य इ षतो य द ा हं चद जो ग मूवम्.. (१६)
हे ब त ारा बुलाए गए इं ! न गहरा सागर तु ह रोक सकता है और न उसके चार
ओर वतमान पवतसमूह! दे व क ाथना पर तुमने ढ़ वाडवा न का भी नवारण कर दया
था. (१६)
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शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (१७)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु के लए भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं
को हम र ा के लए बुलाते ह. (१७)
सू —३३
दे वता—इं
पवतानामुशती उप थाद ेइव व षते हासमाने.
गावेव शु े मातरा रहाणे वपाट् छु तु पयसा जवेते.. (१)
व ा म बोले—“ जस कार घुड़साल से छू ट ई दो घो ड़यां एक- सरे से आगे
बढ़ने क इ छा से दौड़ती ह अथवा बछड़ को जीभ से चाटने क इ छु क दो गाएं शी
चलती ह, उसी कार दो सुंदर गाय जैसी सतलुज एवं ास नामक न दयां पवत क गोद से
नकलकर समु से मलने क इ छु क होकर तेज बहती ह. (१)
इ े षते सवं भ माणे अ छा समु ं र येव याथः.
समाराणे ऊ म भः प वमाने अ या वाम याम ये त शु े.. (२)
“हे इं ारा े रत दो न दयो! तुम इं क आ ा क ाथना करती ई दो रथसवार के
समान सागर क ओर जाती हो, आपस म मलती ई, लहर के ारा एक- सरे के दे श को
स चती
एवं शोभायमान होती हो. (२)
अ छा स धुं मातृतमामयासं वपाशमुव सुभगामग म.
व स मव मातरा सं रहाणे समानं यो नमनु स चर ती.. (३)
“बछड़ को चाटने क अ भलाषा करने वाली गाय के समान एक ही थान समु का
ल य करके बहने वाली सतलुज एवं महान् सौभा यवती ास नद को म ा त आ ं.”
(३)
एना वयं पयसा प वमाना अनु यो न दे वकृतं चर तीः.
न वतवे सवः सगत ः कयु व ो न ो जोहवी त.. (४)
न दय ने कहा—“हम दोन इस जल के ारा तृ त होती
इं ारा न मत सागर क
ओर बहती ह. हमारे गमन का अंत नह होगा. यह ा ण हम दोन को कस अ भलाषा से
पुकार रहा है?” (४)
रम वं मे वचसे सो याय ऋतावरी प मु तमेवैः.
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स धुम छा बृहती मनीषाव युर े कु शक य सूनुः.. (५)
व ा म बोले—“हे जलपूण स रताओ! मेरा सोम तैयार करने संबंधी वचन सुनकर
थोड़ी दे र के लए क जाओ. कु शक का पु म महान् तु त ारा अपनी र ा क इ छा
करता आ स रता को वशेष प से बुलाता ं.” (५)
इ ो अ माँ अरद बा रपाह वृ ं प र ध नद नाम्.
दे वोऽनय स वता सुपा ण त य वयं सवे याम उव ः.. (६)
न दय ने उ र दया—“हाथ म व धारण करने वाले इं ने न दय को रोकने वाले वृ
को मारकर हम दोन न दय को खोदा था. सम त व के ेरक, शोभन हाथ वाले एवं
तेज वी इं ने हम सागर क ओर बहाया है. उसी क आ ा मानती ई हम जल से भरकर
बहती ह.” (६)
वा यं श धा वीय१ त द य कम यद ह ववृ त्.
व व ेण प रषदो जघानाय ापोऽयन म छमानाः.. (७)
“इं ने अ ह रा स को मारा था. उसके इस वीर कम को सदा कहना चा हए. इं ने
चार ओर बैठे ए बाधाकारक असुर को व से मारा था. इसके बाद गमन का अ भलाषी
जल बरसा.” (७)
एत चो ज रतमा प मृ ा आ य े घोषानु रा युगा न.
उ थेषु कारो त जुष व मा नो न कः पु ष ा नम ते.. (८)
“हे तोता! हमारा तु हारा जो संवाद आ है, इसे मत भूलना. भ व य म होने वाले य
म तु त रचना करके तुम हमारी सेवा करो. हम पु ष के समान ग भ मत बनाओ. हम तु ह
नम कार करती ह.” (८)
ओ षु वसारः कारवे शृणोत ययौ वो रादनसा रथेन.
न षू नम वं भवता सुपारा अधोअ ाः स धवः ो या भः.. (९)
व ा म ने उ र दया—“हे ब हन के समान न दयो! मुझ तु तक ा के वचन को
सुनो. म बैलगाड़ी और रथ क सहायता से र दे श से तु हारे पास आया ं. तुम नीची एवं
सरलता से पार करने यो य बन जाओ. हे न दयो! तुम मेरे रथ के प हए के नचले भाग को
छू ती ई बहो.” (९)
आ ते कारो शृणवामा वचां स ययाथ रादनसा रथेन.
न ते नंसै पी यानेव योषा मयायेव क या श चै ते.. (१०)
न दयां बोल —“हे तोता! हमने तु हारी बात सुन . इस बैलगाड़ी एवं रथ से साथ गमन
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करो, य क तुम र से आए हो. जस कार बालक को तन पलाने के लए माता झुकती
है अथवा पु ष का आ लगन करने के लए युवती झुकती है, उसी कार हम भी तु हारे लए
नीची ई जाती ह.” (१०)
यद वा भरताः स तरेयुग
ाम इ षत इ जूतः.
अषादह सवः सगत आ वो वृणे सुम त य यानाम्.. (११)
व ा म ने कहा—“हे न दयो! तु हारे ारा आ ा पाए ए, इं ारा े रत पार जाने
के इ छु क एवं पार जाने क चे ा करने वाले भरतवंशी लोग तु ह पार करगे. तुम य क
पा हो. म सभी जगह तु हारी तु त क ं गा.” (११)
अता रषुभरता ग वः समभ व ः सुम त नद नाम्.
प व व मषय तीः सुराधा आ व णाः पृण वं यात शीभम्.. (१२)
“गाय क अ भलाषा करने वाले भरतवंशी लोग पार प ंच गए. मेधावी म तु हारी
तु त करता ं. अ उ प करती ई एवं शोभन धन से यु तुम दोन अ य न दय को पूण
करो एवं ज द बहो.” (१२)
उ ऊ मः श या ह वापो यो ा ण मु चत.
मा कृतौ ेनसा यौ शूनमारताम्.. (१३)
“हे न दयो! तु हारी लहर जुए क र सी से नीची बह. तु हारा जल र सय को न छु ए.
पापर हत, क याण कम करने वाली एवं तर कारहीन न दयां इस समय बढ़ नह .” (१३)
सू —३४
दे वता—इं
इ ः पू भदा तर ासमक वद सुदयमानो व श ून्.
जूत त वा वावृधानो भू रदा आपृण ोदसी उभे.. (१)
पुरभेदनकारी, म हमा कट करने वाले, धन से यु एवं असुर क वशेष प से
हसा करने वाले इं ने दवस को अपने तेज ारा बढ़ाया. तु त सुनकर आक षत होने
वाले, अपने शरीर के ारा बढ़ते ए एवं व वध आयुध को धारण करने वाले इं ने धरती
और आकाश को सब ओर से तृ त कया है. (१)
मख य ते त वष य जू त मय म वाचममृताय भूषन्.
इ
तीनाम स मानुषीणां वशां दै वीनामुत पूणयावा.. (२)
हे इं ! तुझ तु तयो य एवं श शाली को अलंकृत करता आ म अ ा त के लए
मन से तु त करता ं. हे इं ! तुम मानवी एवं दै वी जा के आगे चलने वाले हो. (२)
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इ ो वृ मवृणो छधनी तः मा यनाम मना पणी तः.
अह ंसमुशध वने वा वधना अकृणो ा याणाम्.. (३)
स कम वाले इं ने वृ असुर को रोका था. यु म श ु के हार रोकने वाले इं
ने माया वय को वशेष प से मारा था. श ुवध क अ भलाषा करने वाले इं ने वन म छपे
ए एवं बना धड़ वाले श ु का वध कया तथा रा य म छपी ई गाय को कट कया.
(३)
इ ः वषा जनय हा न जगयो श भः पृतना अ भ ः.
ारोचय मनवे केतुम ाम व द यो तबृहते रणाय.. (४)
इं ने वग दे ने वाले, अपने तेज से दन को उ प करते ए एवं श ु के साथ यु
क कामना करने वाले अं गरा का साथ दे कर श ु सेना को जीत लया एवं दन के झंडे के
समान सूय को मनु य के लए उ त कया. इसके बाद इं ने महान् यु के लए काश
पाया. (४)
इ तुजो बहणा आ ववेश नृव धानो नया पु ण.
अचेतय य इमा ज र े ेमं वणम तर छु मासाम्.. (५)
इं ने यु करने वाल के पया त धन को छ नते ए बाधा प ंचाने वाली तथा यु क
अ भलाषा से आगे बढ़ती ई श ु सेना म वेश कया. इं ने तु तक ा के लए उषा
का ान कराया तथा उनके चमक ले रंग को बढ़ाया. (५)
महो महा न पनय य ये य कम सुकृता पु ण.
वृजनेन वृ जना सं पपेष माया भद यूँर भभू योजाः.. (६)
लोग महान् इं के महान् एवं ब त से उ म कम क तु त करते ह. श ु परभवकारी
एवं ओज वाले इं ने श शाली लोग को श
ारा एवं द यु को माया
ारा पीस
डाला था. (६)
युधे ो म ा व रव कार दे वे यः स प त ष ण ाः.
वव वतः सदने अ य ता न व ा उ थे भः कवयो गृण त.. (७)
दे व के वामी एवं मानव के कामपूरक इं ने महान् यु के ारा धन ा त करके
तोता को दया. मेधावी तोतागण यजमान के घर म मं
ारा उन कम क शंसा करते
ह. (७)
स ासाहं वरे यं सहोदां ससवांसं वरप दे वीः.
ससान यः पृ थव ामुतेमा म ं मद यनु धीरणासः.. (८)
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बु मान् तोता वृ ा द को हटाने वाले, वरण करने यो य, बल याचक को बल द,
द जल एवं वग के दानी इं के साथ-साथ आनंद अनुभव करते ह. इं ने इस धरती एवं
आकाश का दान कया था. (८)
ससाना याँ उत सूय ससाने ः ससान पु भोजसं गाम्.
हर ययमुत भोगं ससान ह वी द यू ाय वणमावत्.. (९)
इं ने घोड़ , सूय एवं ब त से लोग के उपभोग म आने वाली गाय का दान दया था.
इं ने वण पी धन का दान कया एवं द यु को मारकर आयवण का पालन कया. (९)
इ ओषधीरसनोदहा न वन पत रसनोद त र म्.
बभेद वलं नुनुदे ववाचोऽथाभव मता भ तूनाम्.. (१०)
इं ने ओष धय , दवस , वन प तय तथा अंत र का दान कया था. इं ने मेघ को
भ कया, वरो धय को मारा एवं यु के लए सामने आए लोग का दमन कया था.
(१०)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (११)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (११)
सू —३५
दे वता—इं
त ा हरी रथ आ यु यमाना या ह वायुन नयुतो नो अ छ.
पबा य धो अ भसृ ो अ मे इ वाहा र रमा ते मदाय.. (१)
हे इं ! जस कार वायु अपने नयुत नाम के घोड़ क ती ा करते ह, उसी कार
तुम भी ह र नामक घोड़ को रथ म जोड़कर कुछ ण ती ा करने के बाद हमारे पास
आओ एवं हमारे ारा दया आ सोम पान करो. हम वाहा श द का उ चारण करके तु हारे
आनंद के लए सोम दे ते ह. (१)
उपा जरा पु ताय स ती हरी रथ य धू वा युन म.
व था स भृतं व त पेमं य मा वहात इ म्.. (२)
हम अनेक यजमान ारा बुलाए गए इं के रथ के अगले ह से म तेज दौड़ने वाले एवं
वेगवान् घोड़े जोड़ते ह. वे घोड़े इं को सभी कार से पूण इस य म ले आव. (२)
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उपो नय व वृषणा तपु पोतेमव वं वृषभ वधावः.
सेताम ा व मुचेह शोणा दवे दवे स शीर धानाः.. (३)
हे कामवषक एवं अ के वामी इं ! अपने सेचन समथ एवं श ु से र ा करने वाले
दोन घोड़ को हमारे पास ले आओ एवं इस यजमान क र ा करो. लाल रंग वाले उन घोड़
को यहां य म छोड़ दो. वे घास खाएं. तुम त दन भुने ए जौ खाओ. (३)
णा ते
युजा युन म हरी सखाया सधमाद आशू.
थरं रथं सुख म ा ध त
जान व ाँ उप या ह सोमम्.. (४)
हे इं ! मं ारा रथ म जोड़ने यो य, यु म समान प से स तु हारे दोन घोड़
को हम मं ो चारणपूवक रथ म जोड़ते ह. तुम ानपूवक मजबूत एवं सुखदायक रथ पर
चढ़कर सोम के समीप आओ. (४)
मा ते हरी वृषणा वीतपृ ा न रीरम यजमानासो अ ये.
अ याया ह श तो वयं तेऽरं सुते भः कृणवाम सोमैः.. (५)
हे इं ! अ भलाषाएं पूण करने वाले एवं सुंदर पीठ वाले तु हारे ह र नामक घोड़ को
अ य यजमान स न कर. हम नचोड़े ए सोम ारा तु ह पूरी तरह तृ त करगे. तुम ब त
से यजमान को छोड़कर आओ. (५)
तवायं सोम वमे वाङ् श मं सुमना अ य पा ह.
अ म य े ब ह या नष ा द ध वेमं जठर इ म .. (६)
यह सोम तु हारा है. तुम इसके सामने आओ एवं स मन से इस ब त से सोम को
पओ. हे इं ! इस य म बछे ए कुश पर बैठकर इस सोम को पेट म डालो. (६)
तीण ते ब हः सुत इ सोमः कृता धाना अ वे ते ह र याम्.
तदोकसे पु शाकाय वृ णे म वते तु यं राता हव ष.. (७)
हे इं ! तु हारे बैठने के लए कुश बछाए गए ह, तु हारे पीने के लए सोम नचोड़ा गया
है एवं तु हारे घोड़ के खाने के लए भुने ए जौ तैयार ह. कुश के आसन वाले, अनेक लोग
ारा तुत, कामवषक एवं म त क सेना वाले तु हारे लए व तृत ह दए गए ह. (७)
इमं नरः पवता तु यमापः स म गो भमधुम तम न्.
त याग या सुमना ऋ व पा ह जान व ा प या३ अनु वाः.. (८)
हे इं ! अ वयु आ द ने प थर एवं जल क सहायता से तु हारे लए ध म त मीठे
सोम को तैयार कया है. हे दशनीय शोभन मन वाले एवं व ान् इं ! अपनी सुंदर तु तय
को जानते ए सोम पओ. (८)
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याँ आभजो म त इ सोमे ये वामवध भव गण ते.
ते भरेतं सजोषा वावशानो३ नेः पब ज या सोम म .. (९)
हे इं ! सोमपान के समय तुम जन म त का आदर करते हो, यु म जो म द्गण
तु ह बढ़ाते एवं तु हारी सहायता करते ह, उ ह म त के साथ मलकर सोमपान क
अ भलाषा करने वाले तुम अ न पी जीभ ारा सोम पओ. (९)
इ पब वधया च सुत या नेवा पा ह ज या यज .
अ वय वा यतं श ह ता ोतुवा य ं ह वषो जुष व.. (१०)
हे य के यो य इं ! वधा अ न पी जीभ ारा नचोड़े ए सोम को पओ. हे शु !
अ वयु के हाथ से दया आ सोम पओ अथवा होता के ारा दए गए ह का सेवन करो.
(१०)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (११)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु के लए भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं
को हम र ा के लए बुलाते ह. (११)
सू —३६
दे वता—इं
इमामू षु भृ त सातये धाः श छ त भयादमानः.
सुतेसुते वावृधे वधने भयः कम भमह ः सु ुतो भूत्.. (१)
हे इं ! म त के साथ सदा सवदा संग त क याचना करते ए हमारे धनलाभ के लए
आकर इस सोम को सफल बनाओ. अपने महान् कम के कारण स इं सोम नचोड़ने
के येक अवसर पर वृ कारक ह
ारा बढ़े ह. (१)
इ ाय सोमाः दवो वदाना ऋभुय भवृषपवा वहायाः.
य यमाना त षू गृभाये पब वृषधूत य वृ णः.. (२)
ाचीनकाल म इं के लए सोमरस दया गया था. उसके कारण वह समान प,
तेज वी एवं महान् ए थे. वे इं ! इस दए ए सोम को हण करो एवं प थर ारा नचोड़े
गए तथा वगा द फल दे ने वाले सोम को पओ. (२)
पबा वध व तव घा सुतास इ सोमासः थमा उतेमे.
यथा पबः पू ा इ सोमाँ एवा पा ह प यो अ ा नवीयान्.. (३)
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हे इं ! ये नवीन तथा ाचीन सोम तु हारे लए नचोड़े गए ह. इ ह पओ और बलवान्
बनो. हे तु त यो य एवं अ भनव इं ! जस कार तुमने पूववत सोम का पान कया था,
उसी कार इस नवीन सोम को पओ. (३)
महाँ अम ो वृज े वर यु१ ं शवः प यते धृ वोजः.
नाह व ाच पृ थवी चनैनं य सोमासो हय मम दन्.. (४)
महान् यु म श ु को ललकारने वाले एवं श ुपराभवकारी इं का उ बल तथा
परा मपूण ओज सब जगह फैलता है. जब ह र नामक अ वाले इं को सोमरस स
करता है, उस समय धरती और आकाश कोई भी इं को ा त नह कर पाते. (४)
महाँ उ ो वावृधे वीयाय समाच े वृषभः का न
े .
इ ो भगो वाजदा अ य गावः जाय ते द णा अ य पूव ः.. (५)
बलवान् श ु को भयंकर, कामवषक एवं सेवनीय इं वीरता दखाने के लए बढ़ते ह
एवं तो के साथ मल जाते ह. इं क गाएं धा ह तथा सं या म ब त ह. (५)
य स धवः सवं यथाय ापः समु ं र येव ज मुः.
अत द ः सदसो वरीया यद सोमः पृण त धो अंशुः.. (६)
जस समय कामनापूण न दयां अ त रवत समु क ओर दौड़ती ह, उसी समय जल
रथ म बैठे लोग के समान चलता है. इसी कार अ यंत े इं लता से नचोड़े गए
लघु प सोम क ओर अंत र से दौड़े आते ह. (६)
समु े ण स धवो यादमाना इ ाय सोमं सुषुतं भर तः.
अंशुं ह त ह तनो भ र ैम वः पुन त धारया प व ैः.. (७)
जस कार समु से मलने क इ छा रखने वाली न दयां समु को भरती ह, उसी
कार अ वयुगण तुझ इं के न म नचोड़े गए सोम को तैयार करते ए लता को
नचोड़ते ह तथा सोम क धारा से प व भुजा
ारा सोमरस को बनाते ह. (७)
दाइव कु यः सोमधानाः सम व ाच सवना पु ण.
अ ा य द ः थमा ाश वृ ँ जघ वाँ अवृणीत सोमम्.. (८)
जैसे तालाब म जल भरता है, उसी कार इं के पेट म सोम समा जाता है. इं एक
साथ ब त से य म उप थत रहते ह. इं ने पहले तो सोम का भ ण कया, उसके बाद
मा यं दन सवन म दे व के लए उनका भाग बांट दया. (८)
आ तू भर मा करेत प र ा
ा ह वा वसुप त वसूनाम्.
इ य े मा हनं द म य म यं त य
य ध.. (९)
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हे इं ! हम ज द से धन दो. तु ह धन दे ने से कौन रोक सकता है? हम जानते ह क
तुम उ म धन के वामी हो. हे ह र नामक घोड़ वाले इं ! तु हारे पास जो महान् धन है, वह
हम दो. (९)
अ मे य ध मघव ृजी ष
रायो व वार य भूरेः.
अ मे शतं शरदो जीवसे धा अ मे वीरा छ त इ श न्.. (१०)
हे मघवा एवं ऋजीषी इं ! हम वरणयो य ब त सा धन दो एवं जीने के लए सौ वष का
समय दान करो. हे सुंदर ठोड़ी वाले इं ! हम ब त से वीर पु दो. (१०)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (११)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने वाले
श ु के लए भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को हम
र ा के लए बुलाते ह. (११)
दे वता—इं
सू —३७
वा ह याय शवसे पृतनाषा ाय च. इ
वा वतयाम स.. (१)
हे इं ! हम वृ को न करने वाला बल पाने तथा श ु सेना को हराने के लए तु ह
े रत करते ह. (१)
अवाचीनं सु ते मन उत च ुः शत तो. इ
(२)
कृ व तु वाघतः.. (२)
हे शत तु इं ! तोता जन तु हारे मन एवं आंख को स करके मेरे अनुकूल बनाव.
नामा न ते शत तो व ा भग भरीमहे. इ ा भमा तषा े.. (३)
हे शत तु इं ! यु उप थत होने पर हम सम त तु तय
अनुकूल बल क याचना करते ह. (३)
पु
ारा तु हारे नाम के
ु त य धाम भः शतेन महयाम स. इ ाय चषणीधृतः.. (४)
अनेक लोग क तु त के पा , असीम तेज से यु
हम तु त करते ह. (४)
इ ं वृ ाय ह तवे पु
एवं मनु य के धारणक ा इं क
तमुप ुवे. भरेषु वाजसातये.. (५)
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यु म धनलाभ एवं वृ असुर का नाश करने के न म हम ब त
को बुलाते ह. (५)
वाजेषु सास हभव वामीमहे शत तो. इ
हे शत तु इं ! तुम यु
बुलाते ह. (६)
मश ु
वृ ाय ह तवे.. (६)
को हराओ. हम वृ का नाश करने के लए तु ह
ु नेषु पृतना ये पृ सुतूषु वःसु च. इ
सा वा भमा तषु.. (७)
हे इं ! धन, यु , वीर एवं बल का अ भमान करने वाले हमारे श ु
शु म तमं न ऊतये ु ननं पा ह जागृ वम्. इ
या ण शत तो या ते जनेषु प चसु. इ
को हराओ. (७)
सोमं शत तो.. (८)
हे शत तु इं ! हमारी र ा के लए अ तशय श
सोमरस को पओ. (८)
इ
ारा बुलाए गए इं
शाली, यश वी एवं जागरणशील
ता न त आ वृणे.. (९)
हे शत तु इं ! गंधव, पतर, दे व, असुर एवं रा स इन पांच जन म जो इं यां ह, उ ह
हम तु हारी ही समझते ह. (९)
अग
वो बृहद् ु नं द ध व
हे इं ! सोम प ब त सा अ
तु हारा उ म बल बढ़ाते ह. (१०)
अवावतो न आ ग थो श
(११)
रम्. उ े शु मं तराम स.. (१०)
तु ह ा त हो. हम श ु
ारा
तर अ
दो. हम
परावतः. उ लोको य ते अ व इ े ह तत आग ह..
हे श शाली इं ! समीप अथवा र के थान से हमारे सामने आओ. हे व धारी इं !
तु हारा जो भी उ म लोक है, वहां से तुम इस य म आओ. (११)
सू —३८
दे वता—इं
अ भ त ेव द धया मनीषाम यो न वाजी सुधुरो जहानः.
अ भ या ण ममृश परा ण कव र छा म स शे सुमेधाः.. (१)
हे तोता! बढ़ई जस कार लकड़ी का सुधार करता है, उसी कार तुम इं क तु त
को सभी कार द त करो. सुंदर जुए म जुते ए एवं वेगशाली घोड़े के समान य कम म
संल न होकर एवं इं के अ तशय यकम का मरण करता आ उ म बु वाला म उन
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लोग को दे खना चाहता ं जो पूवकाल म कए गए य
के कारण वग पा गए ह. (१)
इनोत पृ छ ज नमा कवीनां मनोधृतः सुकृत त त ाम्.
इमा उ ते यो३ वधमाना मनोवाता अध नु धम ण मन्.. (२)
हे इं ! सुकृत कम ारा व भू म को पाने वाल के ज म के वषय म गु
से पूछो. वे
मन के समय एवं शुभ कम क सहायता से वग को ा त ए ह. इस य म तु ह ल य
करके कही गई तु तयां मन क ग त के समान बढ़ रही ह. (२)
न षी मद गु ा दधाना उत
ाय रोदसी सम न्.
सं मा ा भम मरे येमु व अ तमही समृते धायसे धुः.. (३)
इस भूलोक म सव गूढ़ कम करने वाले क वय ने बल पाने के लए धरती एवं
आकाश को सुशो भत कया है. उ ह ने धरती एवं आकाश क सीमा न त क है. पर पर
संगत, व तीण एवं महान् धरती-आकाश को म यवत अंत र
ारा धारण कया है. (३)
आ त तं प र व े अभूष यो वसान र त वरो चः.
मह द्वृ णो असुर य नामा व पो अमृता न त थौ.. (४)
सम त क वय ने रथ म बैठे ए इं को सभी कार से अलंकृत कया है. अपनी भा
से का शत इं द त से ढके ए थत ह. कामवष एवं ाणवान् इं के कम व च ह,
य क उ ह ने नाना प धारण करके जल का आ य लया है. (४)
असूत पूव वृषभो याया नमा अ य शु धः स त पूव ः.
दवो नपाता वदथ य धी भः
ं राजाना दवो दधाथे.. (५)
कामवष , चरंतन एवं सव े इं ने यास को रोकने वाले एवं भूत जल को बनाया
था. वग के वामी एवं प व करने वाले इं एवं व ण तेज वी य क ा क तु तय के
कारण स होकर धन धारण करते ह. (५)
ी ण राजाना वदथे पु ण प र व ा न भूषथः सदां स.
अप यम मनसा जग वा ते ग धवा अ प वायुकेशान्.. (६)
हे तेज वी इं एवं व ण! इस य म व तृत एवं सोमरस आ द से पूण तीन सवन को
भली-भां त अलंकृत करो. हे इं ! मने य म वायु के कारण बखरे ए बाल वाले गंधव को
दे खा था. इससे स है क तुम य म गए थे. (६)
त द व य वृषभ य धेनोरा नाम भम मरे स यं गोः.
अ यद यदसुय१ वसाना न मा यनो म मरे पम मन्.. (७)
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जो यजमान कामवष इं के न म गौ नाम वाली धेनु से ह
ध हते ह, वे वग
ा त करके क व बनते ह. असुर का नया बल धारण करके उन माया वय ने अपना-अपना
प इं को अ पत कया. (७)
त द व य स वतुन कम हर ययीमम त यामम त याम श ेत्.
आ सु ु ती रोदसी व म वे अपीव योषा ज नमा न व े.. (८)
सम त व के नमाता इं क सुवणमयी द त को कोई सी मत नह कर सकता. इस
तु त के आ य इं इस शोभन तु त से स होकर सबको तृ त करने वाले धरती-आकाश
का इस कार आ लगन करते ह, जस तरह माता अपने ब चे को छाती से लगाती है. (८)
युवं न य साधथो महो य ै वी व तः प र णः यातम्.
गोपा ज य त थुषो व पा व े प य त मा यनः कृता न.. (९)
हे इं एवं व ण! तुम दोन तोता का क याण करो, उसे दै वी क याण दो तथा हमारी
सभी कार र ा करो. सभी डरे ए दे व को अभय वाणी सुनाने वाले व थरतर इं नाना
प कम को दे खते ह. (९)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (१०)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (१०)
सू —३९
दे वता—इं
इ ं म त द आ व यमाना छा प त तोमत ा जगा त.
या जागृ व वदथे श यमाने य े जायते व त य.. (१)
हे जगत् के वामी इं ! दय से उद्भूत एवं तोता
ारा न मत तु तयां तु हारे पास
जाव. य म मेरी तु त तु हारे जागरण का कारण बनती है, उसे जानो. (१)
दव दा पू ा जायमाना व जागृ व वदथे श यमाना.
भ ा व ा यजुना वसाना सेयम मे सनजा प या धीः.. (२)
हे इं ! सूय दय से भी पहले य म क गई तु त तु हारा जागरण करती
क याणका रणी, शु लव धा रणी, सनातन एवं हमारे पतर के पास से आई है. (२)
यमा चद यमसूरसूत ज ाया अ ं पतदा थात्.
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ई
वपूं ष जाता मथुना सचेते तमोहना तपुषो बु न एता.. (३)
यम ने अ नीकुमार को ज म दया था. उनक तु त करने के लए मेरी जीभ का
अगला भाग चंचल है. अंधकारनाशक दवस के ारंभ म ही आए ए वे अ नीकुमार
ातःकाल के य कम से संगत होते ह. (३)
न करेषां न दता म यषु ये अ माकं पतरो गोषु योधाः.
इ एषां ं हता मा हनावानुदगो
् ा ण ससृजे दं सनावान्.. (४)
हे इं ! गाय के न म यु करने वाले हमारे पतर का मनु य म कोई भी नदक नह
है. म हमा एवं वृ हनना द कम वाले इं ने उन अं गरागो ीय ऋ षय को समृ गाएं द थ .
(४)
सखा ह य स ख भनव वैर भ वा स व भगा अनु मन्.
स यं त द ो दश भदश वैः सूय ववेद तम स य तम्.. (५)
नव व अथात् अं गरागो ीय ऋ षय के म इं प णय ारा रोक ग गाय वाले बल
म जब घुटन के सहारे गए थे, तब दस अं गरा के साथ बल के अंधकार म सूय को दे ख
सके. (५)
इ ोमधुस भृतमुतमु यायां प वेद शफव मे गोः.
गुहा हतं गु ं गू हम सु ह ते दधे द णे द णावान्.. (६)
इं ने सबसे पहले धा गाय म मधुर ध जाना, फर ध के न म चार चरण वाले
गोधन को ा त कया. उदारता वाले इं ने गुफा म छपे ए एवं अंत र म चलने वाले
मायावी असुर को दा हने हाथ म पकड़ लया. (६)
यो तवृणीत तमसो वजान ारे याम रतादभीके.
इमा गरः सोमपाः सोमवृ जुष वे पु तम य कारोः.. (७)
रा से उ प होते ही सूय पी इं ने काश का वरण कया. हम पाप से र एवं
भयहीन थान म रहगे. हे सोम पीने वाले एवं सोम पाने म मुख इं ! श ु वनाशकारी एवं
तु त करने वाले ऋ वज् क इन तु तय को सुनो. (७)
यो तय ाय रोदसी अनु यादारे याम रत य भूरेः.
भू र च तुजतो म य य सुपारासो वसवो बहणावत्.. (८)
हे इं ! जगत्- काशक सूय य के लए धरती और आकाश को का शत कर. हम
व तृत पाप से र रह. हे तु त ारा स कए जाने वाले वसुओ! अ धक दान करने वाले
यजमान को पया त एवं समृ शाली धन दो. (८)
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शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (९)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (९)
दे वता—इं
सू —४०
इ
अ
वा वृषभं वयं सुते सोमे हवामहे. स पा ह म वो अ धसः.. (१)
हे कामवष इं ! नचोड़े ए सोम को पीने के लए हम तु ह बुलाते ह. तुम मादक एवं
पी सोम को पओ. (१)
इ
तु वदं सुतं सोमं हय पु
ु त. पबा वृष व तातृ पम्.. (२)
हे इं ! इस बु वधक एवं नचोड़े गए सोम को पीने क अ भलाषा करो. हे ब त
तु त कए गए इं ! इस तृ तदायक सोम को पओ. (२)
इ
ारा
णो धतावानं य ं व े भदवे भः. तर तवान व पते.. (३)
हे तु त कए जाते ए एवं म त के वामी इं ! य के यो य सम त दे व के साथ
मलकर तुम हमारा यह ह व वाला य वशेष प से बढ़ाओ. (३)
इ
सोमाः सुता इमे तव
य त स पते. यं च ास इ दवः.. (४)
हे स जन के वामी इं ! स ता दे ने वाला, द त, नचोड़ा गया एवं हमारे ारा तु ह
दया गया सोम तु हारे उदर म जाता है. (४)
द ध वा जठरे सुतं सोम म
वरे यम्. तव ु ास इ दवः.. (५)
हे इं ! सबके ारा वरण करने यो य, नचोड़े गए, द त एवं अपने साथ वग म रहने
वाले सोम को अपने उदर म धारण करो. (५)
गवणः पा ह नः सुतं मधोधारा भर यसे. इ
वादात म शः.. (६)
हे तु तय ारा शंसा यो य इं ! तुम मदकारक सोम क धारा से तृ त होते हो.
हमारे ारा नचोड़े गए सोम को पओ. तु हारे ारा बढ़ाया आ अ ही हम ा त होता है.
(६)
अ भ ु ना न व नन इ ं सच ते अ ता. पी वी सोम य वावृधे.. (७)
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यजमान का ु तयु
को पीकर बढ़ते ह. (७)
व यर हत सोमा द ह व चार ओर से इं को ा त है. इं सोम
अवावतो न आ ग ह परावत वृ हन्. इमा जुष व नो गरः.. (८)
हे वृ नाशक इं ! समीपवत अथवा रवत
तु तय को वीकार करो. (८)
थान से हमारे सामने आओ और इन
यद तरा परावतमवावतं च यसे. इ े ह तत आ ग ह.. (९)
हे इं ! तुम रवत , नकटवत अथवा म यवत थान से बुलाए जाते हो. सोमपान के
लए वहां से इस य म आओ. (९)
दे वता—इं
सू —४१
आ तू न इ
म य
् घुवानः सोमपीतये. ह र यां या
वः.. (१)
हे व धारी इं ! होता
ारा बुलाए ए तुम ह र नामक घोड़ क सहायता से सोम
पीने के लए मेरे य म मेरे सामने ज द आओ. (१)
स ो होता न ऋ वय त तरे ब हरानुषक्. अयु
ातर यः.. (२)
हे इं ! हमारे य म तु ह बुलाने के लए होता ठ क समय पर बैठ चुका है. कुश को
एक- सरे से मलाकर बछाया गया है एवं ातःसवन म सोम नचोड़ने के लए प थर एकसरे से मल गए ह. (२)
इमा
वाहः
य त आ ब हः सीद. वी ह शूर पुरोळाशम्.. (३)
हे तु तय ारा मलने वाले इं ! तु हारे लए ये तु तयां क जा रही ह. तुम इन
कुशा पर भली कार बैठो. हे शूर! इस पुरोडाश को खाओ. (३)
रार ध सवनेषु ण एषु तोमेषु वृ हन्. उ थे व
गवणः.. (४)
हे तु तय ारा शंसनीय एवं वृ हंता इं ! हमारे
उ थ म रमण करो. (४)
ारा बोले गए तीन
तो
एवं
मतयः सोमपामु ं रह त शवस प तम्. इ ं व सं न मातरः.. (५)
हे महान्, सोमपानक ा एवं श के वामी इं ! जस कार गाएं बछड़ को चाटती
ह, उसी कार हमारी तु तयां तु ह चाटती ह. (५)
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स म द वा
धसो राधसे त वा महे. न तोतारं नदे करः.. (६)
हे इं ! हम अ धक धन दे ने के लए सोमरस ारा तुम शरीरस हत स रहो एवं मुझ
तोता को नदा का वषय मत बनाओ. (६)
वय म
वायवो ह व म तो जरामहे. उत वम मयुवसो.. (७)
हे इं ! य म तु ह बुलाने के इ छु क हम ह व लेकर तु हारी तु त करते ह, हे वास दे ने
वाले इं ! तुम भी ह व वीकार करने वाले के लए हमारी इ छा करो. (७)
मारे अ म
मुमुचो ह र यवाङ् या ह. इ
वधावो म वेह.. (८)
हे ह र नामक घोड़ को यार करने वाले इं ! हमसे रवत थान म घोड़ को रथ से
अलग मत करो एवं हमारे पास आओ. हे सोमयु इं ! इस य म स रहो. (८)
अवा चं वा सुखे रथे वहता म
के शना. घृत नू ब हरासदे .. (९)
लंबे बाल वाले एवं पसीने से भीगे ए घोड़े तु ह सुखदायक रथ पर बैठाकर बैठने
यो य कुश के सामने एवं हमारे पास लाव. (९)
दे वता—इं
सू —४२
उप नः सुतमा ग ह सोम म
गवा शरम्. ह र यां य ते अ मयुः.. (१)
हे इं ! हमारे ारा नचोड़े गए एवं ध से मले ए सोम के समीप आओ. ह र नामक
घोड़ से यु तु हारा रथ हमारी अ भलाषा करता है. (१)
तम
मदमा ग ह ब हः ा ाव भः सुतम्. कु व व य तृ णवः.. (२)
हे इं ! प थर ारा नचोड़े गए एवं कुश पर रखे ए सोम के समीप आओ व इसको
पीकर तृ त होओ. (२)
इ
म था गरो ममा छागु र षता इतः. आवृते सोमपीतये.. (३)
इं के लए े रत हमारी तु त पी वाणी उ ह सोमपान के लए बुलाने हेतु इस थान
से इं के सामने जाए. (३)
इ ं सोम य पीतये तोमै रह हवामहे. उ थे भः कु वदागमत्.. (४)
हम तो और उ थ के ारा इं को सोमपान के लए य म बुलाते ह. अनेक बार
बुलाए ए इं आव. (४)
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इ
सोमाः सुता इमे ता द ध व शत तो. जठरे वा जनीवसो.. (५)
हे शत तु इं एवं अ
धारण करो. (५)
व ा ह वा धन
पी धन वाले इं ! ये सोम नचोड़े गए ह. इ ह अपने उदर म
यं वाजेषु दधृषं कवे. अधा ते सु नमीमहे.. (६)
हे ांतदश इं ! हम तु ह यु म श ु
ह, इस लए तुमसे धन मांगते ह. (६)
इम म
को हराने वाला एवं धन जीतने वाला जानते
गवा शरं यवा शरं च नः पब. आग या वृष भः सुतम्.. (७)
हे इं ! य थल म आकर गो ध एवं जौ मले ए तथा प थर क सहायता से नचोड़े
गए सोम को पओ. (७)
तु ये द
व ओ ये३ सोमं चोदा म पीतये. एष रार तु ते
द.. (८)
हे इं ! तु हारे पीने के लए ही हम इस सोम को अपने उदर क ओर े रत करते ह. यह
सोम तु हारे दय म रमण करे. (८)
वां सुत य पीतये
नम
हवामहे. कु शकासो अव यवः.. (९)
हे पुरातन इं ! तुमसे र ा क अ भलाषा करते ए हम कु शकगो ीय ऋ ष तु त
वा य ारा तु ह सोम पीने के लए बुलाते ह. (९)
सू —४३
दे वता—इं
आ या वाङु प व धुरे ा तवेदनु दवः सोमपेयम्.
या सखाया व मुचोप ब ह वा ममे ह वाहो हव ते.. (१)
हे जुए वाले रथ पर बैठे ए इं ! तुम शी हमारे पास आओ. यह सोमपान ाचीनकाल
से तु हारे न म ही चला आ रहा है. तुम अपने यारे घोड़ को कुश के नकट रथ से खोलो.
ये ऋ वज् तु ह सोम पीने के लए बुलाते ह. (१)
आ या ह पूव र त चषणीरां अय आ शष उप नो ह र याम्.
इमा ह वा मतयः तोमत ा इ हव ते स यं जुषाणाः.. (२)
हे वामी इं ! तुमसे हमारी यही ाथना है क सभी पूववत जा
समीप आओ और अपने घोड़ के साथ यहां सोमरस पओ. तोता
तु हारी म ता चाहने वाली तु तयां तु ह बुलाती ह. (२)
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को छोड़कर हमारे
ारा न मत एवं
आ नो य ं नमोवृधं सजोषा इ दे व ह र भया ह तूयम्.
अहं ह वा म त भज हवी म घृत याः सधमादे मधूनाम्.. (३)
हे दे व इं ! हमारे अ बढ़ाने वाले य म तुम स च से घोड़ के साथ आओ. हम
घृतयु अ को ह व प म धारण करके सोम पीने के थान पर तु तय ारा तु ह बार-बार
बुलाते ह. (३)
आ च वामेता वृषणा वहातो हरी सखाया सुधुरा व ा.
धानाव द ः सवनं जुषाणः सखा स युः शृणव दना न.. (४)
हे इं ! स करने म समथ, सुंदर जुए म जुड़े ए, शोभन अंग वाले एवं म प ह र
नामक दोन घोड़े तु ह य म प ंचाने के लए रथ म जुते ह. भुने ए जौ वाले य का सेवन
करते ए एवं मुझ तोता के म इं तु तयां सुन. (४)
कु व मा गोपां करसे जन य कु व ाजानं मघव ृजी षन्.
कु व म ऋ ष प पवांसं सुत य कु व मे व वो अमृत य श ाः.. (५)
हे इं ! मुझे भी लोग का र क बनाओ. हे मघवा एवं सोमयु
वामी, ऋ ष तथा सोमपानक ा बनाओ एवं यर हत धन दो. (५)
इं ! मुझे सबका
आ वा बृह तो हरयो युजाना अवा ग सधमादो वह तु.
ये ता दव ऋ
याताः सुस मृ ासो वृषभ य मूराः.. (६)
हे इं ! वशाल रथ म जुड़े ए एवं पर पर स ह र नामक घोड़े तु ह हमारे सामने ले
आव. कामवष इं के श ुनाशक, भली कार मा लश कए गए एवं आकाश से आते ए
घोड़े दशा को दो भाग म बांट दे ते ह. (६)
इ पब वृषधूत य वृ ण आ यं ते येन उशते जभार.
य य मदे यावय स कृ ीय य मदे अप गो ा ववथ. (७)
हे इं ! प थर ारा नचोड़े गए एवं इ छत फल दे ने वाले सोम को पओ. येन नामक
प ी सोमा भलाषी तु हारे लए सोम लाया है. इस सोम का नशा हो जाने पर तुम श ु मनु य
को गराते एवं मेघ को भेदते हो. (७)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (८)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने वाले,
श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को हम र ा
के लए बुलाते ह. (८)
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सू —४४
दे वता—इं
अयं ते अ तु हयतः सोम आ ह र भः सुतः.
जुषाण इ ह र भन आ ग ा त ह रतं रथम्.. (१)
हे इं ! प थर ारा नचोड़ा गया, सुंदर एवं स ता का वषय यह सोम तु हारे लए
हो. तुम अपने हरे रंग के रथ पर बैठो एवं ह र नामक घोड़ क सहायता से हमारे सामने
आओ. (१)
हय ुषसमचयः सूय हय रोचयः.
व ां क वा हय वधस इ व ा अ भ
यः.. (२)
हे इं ! तुम सोम के अ भलाषी बनकर उषा क पूजा करते एवं सूय को का शत करते
हो. हे ह र नामक घोड़ वाले, व ान् एवं हमारी अ भलाषा को जानने वाले इं ! तुम हमारी
सभी संप य को बढ़ाते हो. (२)
ा म ो ह रधायसं पृ थव ह रवपसम्.
अधारय रतोभू र भोजनं ययोर तह र रत्.. (३)
इं ने हरे रंग क करण वाले वगलोक तथा ओष धय के कारण हरे रंग क धरती को
धारण कया था. ावापृ वी इं के ह र नामक घोड़ को पया त भोजन दे ते ह एवं इं इ ह
के म य वचरण करते ह. (३)
ज ानो ह रतो वृषा व मा भा त रोचनम्.
हय ो ह रतं ध आयुधमा व ं बा ोह रम्.. (४)
हरे वण वाले एवं कामवष इं ज म लेते ही सारे संसार को का शत कर दे ते ह. ह र
नामक घोड़ के वामी इं हाथ म हरे रंग का आयुध एवं श ु के ाण हरण करने वाला
व रखते ह. (४)
इ ो हय तमजुनं व ं शु ै रभीवृतम्.
अपावृणो र भर भः सुतमुदगा
् ह र भराजत.. (५)
इं ने कमनीय, ेत वण, ध मले ए, वेगवान् एवं प थर ारा नचोड़े गए सोम को
आवरणर हत कया है एवं घोड़ के साथ मलकर प णय ारा चुराई गई गाएं गुफा से बाहर
नकाली ह. (५)
सू —४५
दे वता—इं
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आ म ै र ह र भया ह मयूररोम भः.
मा वा के च यम वं न पा शनोऽ त ध वेव ताँ इ ह.. (१)
हे इं ! मद करने वाले एवं मयूर के समान रोम वाले घोड़ के साथ तुम इस य म
आओ. पाशबंधक जस कार प ी को फांस लेता है, उसी कार तु ह कोई तबं धत न
करे. तुम म थल को पार करने वाले प थक के समान उ ह पार करके य म आओ. (१)
वृ खादो वलं जः पुरां दम अपामजः.
थाता रथ य हय र भ वर इ ो हा चदा जः.. (२)
हे वृ हंता, मेघ- वदारक, जल को े रत करने वाले, श ुनगर के वमदक एवं बलवान्
श ु को भी न करने वाले इं ! दोन घोड़ को हांकने के लए हमारे सामने रथ पर बैठो.
(२)
ग भीराँ उदध रव तुं पु य स गा इव.
सुगोपा यवसं धेनवो यथा दं कु या इवाशत.. (३)
हे इं ! तुम गहरे सागर को जैसे जल से भरते हो एवं कुशल वाले जैसे जौ आ द से
गाय को पु बनाते ह, उसी कार इस यजमान को भी पु करो. जैसे गाएं जौ को ा त
करती ह अथवा ना लयां बड़े तालाब म प ंचती ह, उसी कार सोम तु ह ा त होते ह. (३)
आ न तुजं र य भरांशं न तजानते.
वृ ं प वं फलमङ् क व धूनुही स पारणं वसु.. (४)
हे इं ! पता जस कार समझदार पु को अपनी संप का एक भाग दे दे ता है, उसी
कार हम श ुपराभवकारी पु दो. जैसे पके फल तोड़ने के लए अंकुश पेड़ को कंपा दे ता
है, उसी कार तुम हम अ भलाषा पूण करने वाला धन दो. (४)
वयु र वराळ स म
ः वयश तरः.
स वावृधान ओजसा पु ु त भवा नः सु व तमः.. (५)
हे इं ! तुम धनवान्, वग के राजा, भले वा य बोलने वाले एवं महान् क तशाली हो. हे
ब त ारा तु त कए गए इं ! तुम अपनी श से बढ़ते ए हमारे अ तशयशोभन अ
वाले बनो. (५)
सू —४६
दे वता—इं
यु म य ते वृषभ य वराज उ य यूनः थ वर य घृ वेः.
अजूयतो व णो वीया३णी
ुत य महतो महा न.. (१)
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हे यु करने वाले, कामवष , धना धप त, समथ, न य-त ण, श ुपराभवकारी,
जरार हत, व धारी, तीन लोक म स एवं महान् इं ! तु हारे वीरकम महान् ह. (१)
महाँ अ स म हष वृ ये भधन पृ सहमानो अ यान्.
एको व य भुवन य राजा स योधया यया च जनान्.. (२)
हे पू य एवं उ इं ! तुम महान्, अपने धन को पार ले जाने वाले, श
ारा श ु
को हराने वाले एवं सम त संसार के अकेले राजा हो. तुम श ु का नाश करो एवं अपने
भ को अपने थान पर ढ़ करो. (२)
मा ाभी र रचे रोचमानः दे वे भ व तो अ तीतः.
म मना दव इ ः पृ थ ाः ोरोमहो अ त र ा जीषी.. (३)
तेज वी, सभी के ारा अ ेय एवं सोम के वामी इं पवत से महान् बल म दे व से
व श , धरती, आकाश एवं वशाल अंत र से भी व तृत ह. (३)
उ ं गभीरं जनुषा यु१ ं व
चसमवतं मतीनाम्.
इ ं सोमासः द व सुतासः समु ं न वत आ वश त.. (४)
हे महान्, गंभीर, वभाव से ही उ , सभी जगह ा त व तु तक ा के र क इं !
एक दन पहले नचोड़ा गया सोम तु हारे पास उसी कार जाता है, जस कार स रताएं
सागर म समा जाती ह. (४)
यं सोम म पृ थवी ावा गभ न माता बभृत वाया.
तं ते ह व त तमु ते मृज य वयवो वृषभ पातवा उ.. (५)
हे इं ! धरती और आकाश तु हारी कामना से गभ धारण करने वाली माता के समान
सोम को धारण करते ह. हे कामवष इं ! अ वयुगण उसी सोम को तु हारे लए े षत करते
ह एवं तु हारे पीने के लए उसे शु करते ह. (५)
सू —४७
दे वता—इं
म वाँ इ वृषभो रणाय पबा सोममनु वधं मदाय.
आ स च व जठरे म व ऊ म वं राजा स दवः सुतानाम्.. (१)
हे जलवषक एवं म त के वामी इं ! तुम पुरोडाशा द के साथ सोमरस को सं ाम एवं
स ता के लए पओ. तुम मद करने वाले सोम को अ धक मा ा म अपने पेट म भरो. तुम
एक दन पहले नचोड़े गए सोम के वामी हो. (१)
सजोषा इ सगणो म
ः सोमं पब वृ हा शूर व ान्.
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ज ह श ूँरप मृधो नुद वाथाभयं कृणु ह व तो नः.. (२)
हे शूर, दे व से मले ए, म त से यु , वृ हंता एवं य कम जानने वाले इं ! तुम
सोमरस पओ, हमारे श ु का नाश करो, हसक का हनन करो एवं हमारे लए सभी
कार के अभय दो. (२)
उत ऋतु भऋतुपाः पा ह सोम म दे वे भः स ख भः सुतं नः.
याँ आभजो म तो ये वा वह वृ मदधु तु यमोजः.. (३)
हे ऋतुपालक इं ! अपने म म त एवं दे व के साथ हमारे ारा नचोड़े ए सोम को
पओ. यु म सहायता पाने के लए तुमने जन म त क सेवा क , जन म त ने तु ह यु
म वामी मानकर सहायता क , उ ह म त ने तु ह परा मी बनाया. तभी तुमने वृ का वध
कया. (३)
ये वा हह ये मघव वध ये शा बरे ह रवो ये ग व ौ.
ये वा नूनमनुमद त व ाः पबे सोमं सगणो म
ः.. (४)
हे मघवा एवं अ के वामी इं ! जन म त ने वृ को मारते समय तु ह बढ़ाया, शंबर
वध म तु हारी सहायता क , गाय के लए प णय से होने वाले यु म साथ दया और जो
व ान् म द्गण आज भी तु ह स करते ह, उ ह म त के साथ मलकर तुम सोम पओ.
(४)
म व तं वृषभं वावृधानमकवा र द ं शास म म्.
व ासाहमवसे नूतनायो ं सहोदा मह तं वेम.. (५)
हम म त से यु , जलवषक, बढ़ने वाले, श ुर हत, द -गुणसंप , शासनक ा,
सभी श ु को परा जत करने वाले, उ तथा म त को श दे ने वाले इं को नवीन र ा
के लए बुलाते ह. (५)
सू —४८
दे वता—इं
स ो ह जातो वृषभः कनीनः भतुमावद धसः सुत य.
साधोः पब तकामं यथा ते रसा शरः थमं सो य य.. (१)
जलवषक, तुरंत उ प एवं कमनीय इं ह व-स हत सोमरस धारण करने वाले यजमान
क र ा कर. हे इं ! समय-समय पर सोमपान क इ छा होने पर तुम सब दे व से पहले ही
गो ध- म त सोम पओ. (१)
य जायथा तदहर य कामऽशोः पीयूषम पबो ग र ाम्.
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तं ते माता प र योषा ज न ी महः पतुदम आ स चद े.. (२)
हे इं ! जस दन तुमने ज म लया, उसी दन तुमने यास लगने पर पवत पर उ प
होने वाली सोमलता का ताजा रस पया था. तु हारे महान् पता के घर म तु ह ज म दे ने
वाली युवती माता ने ध पलाने से पहले तु ह सोमरस पलाया था. (२)
उप थाय मातरम मै त ममप यद भ सोममूधः.
यावय चरद् गृ सो अ या महा न च े पु ध तीकः.. (३)
इं ने माता के समीप जाकर अ मांगा. इं ने माता के तन म ध के प म वतमान
तेज वी सोम को दे खा. इं श ु को अपने-अपने थान से गराते ए घूमने लगे एवं
अनेक कार से अंग संचालन करके वृ हनन आ द महान् कम कए. (३)
उ तुराषाळ भभू योजा यथावशं त वं च एषः.
व ार म ो जनुषा भभूयामु या सोमम पब चमूषु.. (४)
श ु को भय द, शी तापूवक श ु को हराने वाले एवं श ु को हराने वाले
परा म से यु इं ने अपने शरीर को इ छानुसार व वध कार का बनाया, अपनी श से
व ा नामक असुर को हराया एवं चमस म रखे ए सोम को चुरा कर पया. (४)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (५)
धन- ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (५)
सू —४९
दे वता—इं
शंसा महा म ं य म व ा आ कृ यः सोमपाः कामम न्.
यं सु तुं धषणे व वत ं घनं वृ ाणां जनय त दे वाः.. (१)
हे होता! महान् इं क तु त करो. उनक र ा पाकर सभी मनु य य म सोम पीकर
मनोवां छत फल पाते ह. धरती, आकाश एवं सम त दे व ने शोभन कम एवं पापनाशक इं
को ज म दया.
ा ने इं को संसार का अ धप त बनाया. (१)
यं नु न कः पृतनासु वराजं ता तर त नृतमं ह र ाम्.
इनतमः स व भय ह शूषैः पृथु या अ मनादायुद योः.. (२)
यु म अपने तेज से सुशो भत, ह र नामक घोड़ वाले रथ म बैठे ए, सव म नेता
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एवं यु म सेना के दो भाग करने वाले इं को कोई हरा नह सकता. सेना के सव म
वामी वह इं श ु क श सोख लेने वाले म त के साथ ती वेग धारण करके श ु के
ाण को न करते ह. (२)
सहावा पृ सुतर णनावा ानशी रोदसी मेहनावान्.
भगो न कारे ह ो मतीनां पतेव चा ः सुहवो वयोधाः.. (३)
बलवान् इं श शाली घोड़े के समान सं ाम म श ु सेना को पारकर वहां जाते ह एवं
धरती-आकाश को ा त करके धनवान् बनते ह. य म सूय दे व के समान हवनीय एवं
कमनीय इं तोता के पता तथा भली कार बुलाए जाने पर अ दे ने वाले बनते ह. (३)
धता दवो रजस पृ ऊ व रथो न वायुवसु भ नयु वान्.
पां व ता ज नता सूय य वभ ा भागं धषणेव वाजम्.. (४)
इं वग तथा आकाश के धारणक ा, सव वतमान, अपने रथ के समान ऊपर चलने
वाले, म त क सहायता ा त करने वाले, रा के आ छादक, सूय के ज मदाता एवं पूवज
क वाणी के समान उपभोग यो य कमफल के प म ा त अ का वभाग करने वाले ह.
(४)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (५)
धन- ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने
वाले, श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को
हम र ा के लए बुलाते ह. (५)
सू —५०
दे वता—इं
इ ः वाहा पबतु य य सोम आग या तु ो वृषभो म वान्.
ओ चाः पृणतामे भर ैरा य ह व त व१: काममृ याः.. (१)
इं वाहा श द ारा दए गए सोम को पएं. जन इं का यह सोमरस है, वे य म
आकर व नक ा क हसा करने वाले, कामवष एवं म त से यु ह. परम ापक इं
हमारे ारा दए गए सोम आ द से संतु ह एवं हमारा दया आ ह इं के शरीर क
इ छाएं पूरी करे. (१)
आ ते सपयू जवसे युन म ययोरनु दवः ु मावः.
इह वा धेयुहरयः सु श पबा व१ य सुषत
ु य चारोः.. (२)
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हे इं ! तुम य म शी प ंच सको, इस लए हम तु हारे रथ म प रचारक प घोड़े
जोड़ते ह. पुरातन तुम उन घोड़ क ग त के अनुसार चलते हो. हे सुंदर ठोड़ी वाले इं ! घोड़े
तु ह य म लाव. तुम आकर सुंदर एवं भली-भां त नचोड़ा गया सोम पओ. (२)
गो भ म म ुं द धरे सुपार म ं यै
ाय धायसे गृणानाः.
म दानः सोमं प पवाँ ऋजी ष सम म यं पु धा गा इष य.. (३)
ऋ वज् अ भल षत फल दे ने वाले एवं तु तय ारा स कए जाने यो य इं को
े ता और चरायु ा त के न म गो ध मले सोम से स करते ह. हे सोम के वामी
इं ! तुम स होते ए सोमपान करो एवं हम तोता को य कम के न म ब त सी
गाएं दो. (३)
इमं कामं म दया गो भर ै
वता राधसा प थ .
वयवो म त भ तु यं व ा इ ाय वाहः कु शकासो अ न्.. (४)
हे इं ! हमारी इस धना भलाषा को गाय , घोड़ एवं द तयु धन से पूरा करो. इन
संप य ारा हम स बनाओ. वगा द सुख के अ भलाषी एवं य कम म कुशल
कु शकगो ीय ऋ षय ने मं
ारा यह तु त क है. (४)
शुनं वेम मघवान म म म भरे नृतमं वाजसातौ.
शृ व तमु मूतये सम सु न तं वृ ा ण स
तं धनानाम्.. (५)
धन ा त वाले सं ाम म उ साहपूण, धनवान्, सकल व के नेता, तु तयां सुनने वाले,
श ु को भयंकर, यु म रा स वनाशकारी एवं श ु के धन के वजेता इं को हम र ा
के लए बुलाते ह. (५)
सू —५१
दे वता—इं
चषणीधृतं मघवानमु य१ म ं गरो बृहतीर यनूषत.
वावृधानं पु तं सुवृ भरम य जरमाणं दवे दवे.. (१)
मानव के धारणक ा, धनयु , तु त-समूह ारा शंसनीय, त ण बढ़ते ए
तोता
ारा अनेक बार बुलाए गए, मरणर हत एवं शोभन तु तय ारा त दन तूयमान
इं को हमारे वशाल तु त-वचन संतु कर. (१)
शत तुमणवं शा कनं नरं गरो म इ मुप य त व तः.
वाजस न पू भदं तू णम तुरं धामसाचम भषाचं व वदम्.. (२)
शत तु, जल के वामी, म त स हत सवजगत् के नेता, अ दाता, श ु नगर के
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भेदनक ा, यु म शी जाने वाले, जल को े रत करने वाले, तेज धारण करने वाले,
श ुपराभवकारी एवं वग ा त कराने वाले इं के पास हमारी तु तयां सभी कार से प ंच.
(२)
आकरे वसोज रता पन यतेऽनेहसः तुभ इ ो व य त.
वव वतः सदन आ ह प ये स ासाम भमा तहनं तु ह.. (३)
श ु का बल न करने वाले इं क धन के साधन यु म सब तु त करते ह. वह
पापर हत इं तु तय को वीकार करते ह एवं यजमान के घर म सोमपान से परम स
होते ह. हे व म ! श ु का पराभव एवं संहार करने वाले इं क तु त करो. (३)
नृणामु वा नृतमं गी भ थैर भ वीरमचता सबाधः.
सं सहसे पु मायो जहीते नमो अ य दव एक ईशे.. (४)
हे मनु य के उ म नेता एवं परमवीर इं ! रा स ारा बा धत ऋ वज् तु तय एवं
उ थ से मुख प से तु हारी पूजा करते ह. वृ हनन आ द स कम करने वाले इं
श पाने के लए गमन करते ह. एकमा पुरातन एवं सव जगत् के वामी इं को नम कार
है. (४)
पूव र य न षधो म यषु पु वसू न पृ थवी बभ त.
इ ाय ाव ओषधी तापो र य र त जीरयो वना न.. (५)
मनु य पर इं अनेक कार से अनुशासन करते ह. इं के लए धरती नाना कार के
धन धारण करती है. वग, ओष धयां, जल, मनु य एवं वन इं के न म धन क र ा करते
ह. (५)
तु यं
ा ण गर इ तु यं स ा द धरे ह रवो जुष व.
बो या३ परवसो नूतन य सखे वसो ज रतृ यो वयो धाः.. (६)
हे अ के वामी इं ! ऋ वज् तु हारे न म तो एवं तु त मं वा तव म धारण
करते ह. तुम उनका सेवन करो. हे सबको नवास दे ने वाले, सखा एवं ा त इं ! तु हारे
न म दए गए अ भनव ह व को जानो तथा तु तक ा को अ दो. (६)
इ म व इह पा ह सोमं यथा शायाते अ पबः सुत य.
तव णीती तव शूर शम ा ववस त कवयः सुय ाः.. (७)
हे म त से यु इं ! तुमने राजा शायात के य म जस कार सोमरस पआ था, उसी
कार इस य म भी पओ. हे शूर! तु हारे बाधाहीन नवास म थत शोभन य करने वाले
बु मान् तु ह ह दे कर तु हारी सेवा करते ह. (७)
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स वावशान इह पा ह सोमं म
र स ख भः सुतं नः.
जातं य वा प र दे वा अभूष महे भराय पु त व े.. (८)
हे इं ! सोमरस पीने क अ भलाषा करते ए तुम अपने म म त के साथ इस य म
आओ एवं हमारे ारा नचोड़ा गया सोम पओ. हे ब त ारा बुलाए गए इं ! तु हारे ज म
लेते ही सब दे व ने तु ह महान् यु के लए वभू षत कया. (८)
अ तूय म त आ परेषोऽम द
मनु दा तवाराः.
ते भः साकं पबतु वृ खादः सुतं सोमं दाशुषः वे सध थे.. (९)
हे म तो! जलवषण क ेरणा के कारण इं तु हारे म ह. म त ने इं को स
कया था. वृ हंता इं उनके साथ यजमान के अपने घर म नचोड़े गए सोम को पएं. (९)
इदं
वोजसा सुतं राधानां पते. पबा व१ य गवणः.. (१०)
हे धन के वामी एवं तु तय
गए सोम को ज द पओ. (१०)
ारा पूजनीय इं ! तु हारे उ े य से श
ारा नचोड़े
य ते अनु वधामस सुते न य छ त वम्. स वा मम ु सो यम्.. (११)
हे इं ! ह अ के प ात् तु हारे लए जो सोम नचोड़ा गया है, उस म अपने शरीर
को डु बो दो. सोमपान के यो य तुमको वह सोमरस स करे. (११)
ते अ ोतु कु यो: े
णा शरः.
बा शूर राधसे.. (१२)
हे इं ! वह सोमरस तु हारी दोन कोख को भर दे . तो के साथ नचोड़ा गया वह
सोम तु हारे शरीर को ा त करे. हे शूर! यह सोम धन के लए तु हारी भुजा को ा त
करे. (१२)
सू —५२
धानाव तं कर भणमपूपव तमु थनम्. इ
दे वता—इं
ातजुष व नः.. (१)
हे इं ! भुने ए जौ वाले, दही से मले स ु से यु , पुरोडाश स हत एवं उ थ मं
के उ चारणपूवक ातःकाल के य म दए गए सोम का तुम सेवन करो. (१)
पुरोळाशं पच यं जुष वे ा गुर व च. तु यं ह ा न स ते.. (२)
हे इं ! तुम पके ए पुरोडाश का भ ण करो एवं उसे भ ण करने के लए य न करो.
हवन यो य पुराडोश तु हारे लए जाता है. (२)
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पुरोळाशं च नो घसो जोषयासे गर नः. वधूयु रव योषणाम्.. (३)
हे इं ! हमारे पुरोडाश को खाओ तथा हमारी तु तय का उसी कार सेवन करो, जस
कार कामी पु ष सुंदर नारी क सेवा करता है. (३)
पुरोळाशं सन ुत ातःसावे जुष व नः. इ
तु ह ते बृहन्.. (४)
हे पुराण होने के नाते स इं ! इस ातःकालीन य म हमारे पुरोडाश का भ ण
करो. इससे तु हारा कम महान् होगा. (४)
मा य दन य सवन य धानाः पुरोळाश म कृ वेह चा म्.
य तोता ज रता तू यथ वृषायमाण उप गी भरी े .. (५)
हे इं ! दोपहर के य म भुने ए जौ के शोभन पुरोडाश का यहां आकर भ ण करो.
तु हारी सेवा म त पर, तु हारी तु त करने के लए बैल के समान इधर-उधर शी ता से घूमने
वाला तोता तु हारी उ म तु त जब करता है, तब तुम पुरोडाश खाते हो. (५)
तृतीये धानाः सवने पु ु त पुरोळाशमा तं मामह व नः.
ऋभुम तं वाजव तं वा कवे य व त उप श ेम धी त भः.. (६)
हे ब त ारा तु त कए गए इं ! तृतीय सवन अथात् सं याकालीन य म हमारे भुने
ए जौ एवं हवन कए गए पुरोडाश को भ ण ारा महान् बनाओ. हे ऋभु से यु ,
धनयु पु वाले तथा क व इं ! हम ह हाथ म लेकर तु तय ारा तु हारी सेवा करते ह.
(६)
पूष वते ते चकृमा कर भं ह रवते हय ाय धानाः.
अपूपम सगणो म
ः सोमं पब वृ हा शूर व ान्.. (७)
हे सूय स हत इं ! हम तु हारे लए दही मला स ू तैयार करते ह. हे ह र नामक एवं हरे
रंग के घोड़ वाले इं ! तु हारे लए हम जौ भूनते ह. तुम म त के साथ आकर पुरोडाश
खाओ. हे वृ नाशक, शूर एवं व ान् इं ! तुम सोम पओ. (७)
त धाना भरत तूयम मै पुरोळाशं वीरतमाय नृणाम्.
दवे दवे स शी र तु यं वध तु वा सोमपेयाय धृ णो.. (८)
हे अ वयुगण! मनु य म वीरतम इं के लए शी भुने जौ तथा पुरोडाश दो. हे
श ुपराभवकारी इं ! तु ह को ल य करके त दन क गई एक सौ तु तयां तु ह सोमपान
के लए उ साहपूण कर. (८)
सू —५३
दे वता—इं , पवत आ द
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इ ापवता बृहता रथेन वामी रष आ वहतं सुवीराः.
वीतं ह ा य वरेषु दे वा वधथां गी भ रळया मद ता.. (१)
हे इं एवं पवत! तुम बड़े रथ ारा शोभन एवं पु -स हत अ लाओ. हे दे व! हमारे य
म ह का भ ण करो एवं उससे स होकर हमारे तु त वचन ारा वृ
ा त करो. (१)
त ा सु कं मघव मा परा गाः सोम य नु वा सुषुत य य .
पतुन पु ः सचमा रभे त इ वा द या गरा शचीवः.. (२)
हे मघवा! इस य म तुम कुछ समय सुखपूवक रहो. यहां से जाओ मत. हम भली
कार नचोड़े गए सोम से शी ही तु हारा य करते ह. हे श शाली इं ! पु जस कार
पता के व का छोर पकड़ लेता है, उसी कार हम मधुर तु तयां बोलते ए तु हारा व
पकड़ते ह. (२)
शंसावा वय त मे गृणीही ाय वाहः कृणवाव जु म्.
एदं ब हयजमान य सीदाथा च भू थ म ाय श तम्.. (३)
हे अ वयु! हम दोन तु त करगे. तुम मुझे उ र दो. हम दोन इं के लए य तु तयां
करगे. तुम यजमान के कुश पर बैठो. हम दोन ारा इं के लए कया गया उ थ शंसनीय
हो. (३)
जायेद तं मघव से यो न त द वा यु ा हरयो वह तु.
यदा कदा च सुनवाम सोमम न ् वा तो ध वा य छ.. (४)
हे मघवा! प नी ही घर है एवं वही पु ष क यो न है. ह र नामक घोड़े तु ह उसी
प नीयु घर म ले जाव. हम जब कभी सोमरस नचोड़, तब तु हारा त अ न तु हारे सामने
आ जाए. (४)
परा या ह मघव ा च याही
ात भय ा ते अथम्.
य ा रथ य बृहतो नधानं वमोचनं वा जनो रासभ य.. (५)
हे धन के वामी इं ! तुम या तो इस य से अपने नवास थान पर जाओ अथवा इस
य म आओ. हे भरणक ा इं ! दोन थान पर तु हारा योजन है. वहां जाने के लए
अपने वशाल रथ पर बैठो तथा यहां रहने के लए हन हनाते ए घोड़ को रथ से अलग कर
दो. (५)
अपाः सोमम त म
या ह क याणीजाया सुरणं गृहे ते.
य ा रथ य बृहतो नधानं वमोचनं वा जनो द णावत्.. (६)
हे इं ! यह ठहर कर सोम पओ और अपने घर जाओ. तु हारे घर म सुंदरी एवं
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क याणी प नी है. घर जाने के लए तुम अपने वशाल रथ पर बैठो अथवा यहां ठहरने के
लए घोड़ को खोलकर खाने-पीने दो. (६)
इमे भोजा अ रसो व पा दव पु ासो असुर य वीराः.
व ा म ाय ददतो मघा न सह सावे तर त आयुः.. (७)
हे इं ! य करने वाले ये सुदासवंशी भोज नामक
य, उनके याजक अनेक
अं गरागो ीय ऋ ष एवं दे व से बलवान्
के पु म त् इस अ मेध य म गु व ा म
को महान् धन दे ते ए मेरे धन को बढ़ाव. (७)
पं पं मघवा बोभवी त मायाः कृ वान त वं१ प र वाम्.
य वः प र मु तमागा वैम ैरनृतुपा ऋतावा.. (८)
इं इ छानुसार प बदल लेते ह. माया करते ए इं अपने शरीर को नाना कार का
बनाते ह. स ययु होकर भी बना ऋतु के सोमपान करने वाले इं अपने तु त-मं से
बुलाए जाने पर एक मु त म वगलोक से तीन सवन के य म प ंच जाते ह. (८)
महाँ ऋ षदवजा दे वजूतोऽ त ना स धुमणवं नृच ाः.
व ा म ो यदवह सुदासम यायत कु शके भ र ः.. (९)
महान्, इं य से परवत अथ दे खने वाले, उ वल तेज उ प करने वाले, तेज ारा
आकृ व मनु य के उपदे शक व ा म ने जलपूण स रता को रोक दया था. जब व ा म
ने सुदास का य कराया, तब इं ने कु शकगो ीय ऋ षय के साथ ेम का आचरण कया.
(९)
हंसाइव कृणुथ ोकम भमद तो गी भर वरे सुते सचा.
दे वे भ व ा ऋषयो नृच सो व पब वं कु शकाः सो यं मधु.. (१०)
हे व ो, ऋ षय व नेता को उपदे श दे ने वालो एवं कु शक गो म उ प पु ो! य
म प थर ारा सोम नचोड़े जाने पर तुम तु तय ारा दे व को स करते ए हंस के
समान मं का उ चारण करो तथा दे व के साथ सोम पओ. (१०)
उप ेत कु शका त
े य वम ं राये मु चता सुदासः.
राजा वृ ं जङ् घन ागपागुदगथा यजाते वर आ पृ थ ाः.. (११)
हे कु शकगो ीय पु ो! अ के पास जाओ एवं सावधान रहो. राजा सुदास का अ
द वजय ारा धन पाने के लए छोड़ दो. राजा इं ने वृ को पूव, प म एवं उ र दशा
म मारा था. राजा सुदास पृ वी के उ म भाग म य कर. (११)
य इमे रोदसी उभे अह म मतु वम्. व ा म य र त
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ेदं भारतं जनम्.. (१२)
हे पु ो! म व ा म धरती और आकाश
भरतवंशीय लोग क र ा करे. (१२)
(१३)
ारा इं क
व ा म ा अरासत
े ाय व
हम व ा म के पु
ने व धारी इं का तो
तु त कराता ं. यह तो
णे. कर द ः सुराधसः.. (१३)
कया. इं हम शोभन धन वाला कर.
क ते कृ व त क कटे षु गावो ना शरं े न तप त घमम्.
आ नो भर मग द य वेदो नैचाशाखं मघव धया नः.. (१४)
हे इं ! अनाय लोग के जनपद म गाएं तु हारे लए कुछ भी नह करगी. न वे सोमरस
म मलाने के लए ध दे ती ह और न य पा को अपने ध से द त कर सकती ह. हे
मघवा! वे गाएं हमारे पास ले आओ और मगंद का धन भी हम दो. तुम नीच वंश वाले लोग
का धन हम दान करो. (१४)
ससपरीरम त बाधमाना बृह ममाय जमद नद ा.
आ सूय य हता ततान वो दे वे वमृतमजुयम्.. (१५)
अ न व लत करने वाले ऋ षय ारा हम द गई, अ ान को रोकने वाली एवं श द
के प म सब जगह फैलने वाली वाणी बृहद् प धारण करती है. सूय क पु ी वाणी-दे वता
इं आ द दे व के समीप यर हत एवं अमृत प अ का वचार करती है. (१५)
ससपरीरभर य
ू मे योऽ ध वः पा चज यासु कृ षु.
सा प या३ न मायुदधाना यां मे पल तजमद नयो द ः.. (१६)
ा ण,
य, वै य, शू एवं नषाद के धन से अ धक धन ग प
प म व तृत
वा दे वता हम शी दान कर. द घायु वाले जमद न आ द ऋ षय ने जो वाणी मुझे द , वह
सूय पी वाणी मुझे नवीन अ वाला बनावे. (१६)
थरौ गावौ भवतां वीळु र ो मेषा व व ह मा युगं व शा र.
इ ः पात ये ददतां शरीतोर र नेमे अ भ नः सच व.. (१७)
ग तशील अ
थर हो. रथ का धुरा ढ़ हो. दं ड एवं जुआ न टू टे. गरने वाली क ल
को टू टने से पहले ही इं धारण कर. हे न न होने वाले ने मयु रथ! हमारे सामने आओ.
(१७)
बलं धे ह तनूषु नो बल म ानळु सु नः.
बलं तोकाय तनयाय जीवसे वं ह बलदा अ स.. (१८)
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हे इं ! हमारे शरीर म बल दो एवं हमारे बैल को बलवान् करो. हे बल दे ने वाले इं !
हमारे पु एवं पौ को चरजीवी होने के लए बल दो. (१८)
अ भ य व ख दर य सारमोजो धे ह प दने शशपायाम्.
अ वीळो वी ळत वीळय व मा यामाद मादव जी हपो नः.. (१९)
हे इं ! हमारे रथ के सार प ख दर तथा शीशम के काठ को ढ़ करो. हे जुए! हमने
तु ह ढ़ बनाया है. तुम ढ़ बनो. इस चलते ए रथ से हम गरा नह दे ना. (१९)
अयम मा वन प तमा च हा मा च री रषत्.
व या गृहे य आवसा आ वमोचनात्.. (२०)
वन प तय से बना आ यह रथ हम न छोड़े और न वन करे. हम लोग जब तक घर
न प ंच, जब तक हमारा रथ चले और जब तक हम रथ से घोड़े अलग न कर द, तब तक
हमारा क याण हो. (२०)
इ ो त भब ला भन अ या े ा भमघव छू र ज व.
यो नो े धरः स पद यमु
म तमु ाणो जहातु.. (२१)
हे शूर एवं धन वामी इं ! हम श ु वनाशका रय को े एवं व वध र ा उपाय ारा
स करो. जो हमसे े ष करे, वे नीचे गरे तथा हम जससे े ष कर उसे आप याग द.
(२१)
परशुं च तप त श बलं च वृ त.
उखा च द येष ती य ता फेनम य त.. (२२)
हे इं ! हमारे श ु कु हाड़ी को दे खकर वृ के समान संत त ह , सेमल के फूल के
समान अनायास ही उनके अंग गर पड़ एवं हमारे मं बल से वे भोजन पकाने वाली हांडी के
समान मुंह से फेन गराव. (२२)
न सायक य च कते जनासो लोधं नय त पशु म यमानाः.
नावा जनं वा जना हासय त न गदभं पुरो अ ा य त.. (२३)
हे मनु यो! तुम व ा म के मं क श नह जानते हो. तप या न होने के लोभ से
चुप बैठे ए मुझे तुम पशु के समान बांधकर ले जा रहे हो. सव मूख क हंसी नह उड़ाता
और न गधे को घोड़े के सामने लाया जाता है. (२३)
इम इ भरत य पु ा अप प वं च कतुन प वम्.
ह व य मरणं न न यं यावाजं प र णय याजौ.. (२४)
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हे इं ! भरतवंशीय व श र होना जानते ह, मलना नह जानते. वे सं ाम म
व श गो ीय जन के त स चे श ु के समान घोड़े दौड़ाते ह एवं धनुष उठाते ह. (२४)
सू —५४
दे वता— व ेदेव
इमं महे वद याय शूषं श कृ व ई ाय ज ुः.
शृणोतु नो द ये भरनीकैः शृणो व न द ैरज ः.. (१)
सब लोग महान्, य म मंथन ारा उ प एवं सबके ारा तु त यो य अ न को ल य
करके यह सुखकर तो बार-बार बोलते ह. अ न श ु का दमन करने म कुशल, तेज से
यु एवं द तेज से नरंतर म लत होकर हमारे इस तो को सुने. (१)
म ह महे दवे अचा पृ थ ै कामो म इ छ चर त जानन्.
ययोह तोमे वदथेषु दे वाः सपयवो मादय ते सचायोः.. (२)
हे तोता! तुम महान् आकाश एवं महती पृ वी के मह व को जानते ए उनक तु त
करो. मेरा मनोरथ सभी भोग क अ भलाषा करता है. मानव के य म धरती-आकाश क
सेवा के इ छु क दे वगण मलकर तु त करने म स होते ह. (२)
युवोऋतं रोदसी स यम तु महे षु णः सु वताय भूतम्.
इदं दवे नमो अ ने पृ थ ै सपया म यसा या म र नम्.. (३)
हे धरती-आकाश! तु हारी तु त वा त वक बने. तुम हमारे य क समा त एवं हम
महान् अ युदय दे ने म समथ बनो. हे अ न! धरती एवं आकाश को नम कार है. म ह व से
उनक सेवा करता ं एवं उनसे धन मांगता ं. (३)
उतो ह वां पू ा आ व व ऋतावरी स यवाचः.
नर
ां स मथे शूरसातौ वव दरे पृ थ व वे वदानाः.. (४)
हे स यधारक धरती और आकाश! पुरातन स यवाद ऋ षय ने तुमसे वां छत व तुएं
ा त क थ . हे पृ वी! यु म जाने वाले लोग भी तु हारा मह व जानते ए तु हारी वंदना
करते ह. (४)
को अ ा वेद क इह वोच े वाँ अ छा प या३का समे त.
द एषामवमा सदां स परेषु या गु ेषु तेषु.. (५)
उस स य बात को कौन जानता है? उसे कौन करता है? दे व के सामने कौन सा माग
भली-भां त जाता है? वग म थत दे व थान से नीचे जो थान दखाई दे ते ह एवं जो उ म
तथा क सा य त ारा ा त होते ह, उन थान को कौन सा माग जाता है? (५)
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क वनृच ा अ भ षीमच ऋत य योना वघृते मद ती.
नाना च ाते सदनं यथा वेः समानेन तुना सं वदाने.. (६)
क व एवं मानव को दे खने वाले सूय इस धरती-आकाश को सभी जगह दे खते ह.
स , जल एवं ओष धय को धारण करने वाले तथा समान कम ारा एकता को ा त
धरती-आकाश जल के उ प
थल अंत र म इस कार अलग-अलग थान म रहते ह,
जैसे प ी अपने घ सले अलग-अलग बनाते ह. (६)
समा या वयुते रेअ ते ुवे पदे त थतुजाग के.
उत वसारा युवती भव ती आ व
ु ाते मथुना न नाम.. (७)
एक- सरे से एकता को ा त, पृथक्पृथक् थत एवं वनाशर हत धरती-आकाश
जाग क होकर थर अंत र म इस कार थत ह, जैसे दो जवान ब हन ह . वे दोन
मलकर जोड़े का नाम ा त करती ह. (७)
व ेदेते ज नमा सं व व ो महो दे वा ब ती न थेते.
एजद् ुवं प यते व मेकं चर पत वषुणां व जातम्.. (८)
ये धरती-आकाश सम त व तु का वभाग करते ह एवं महान् दे व को धारण करके
भी ःखी नह होते. जंगम एवं थावर व एकमा धरती को ा त करता है. चंचल प ी
नाना प धारण करके इनके बीच म थत होते ह. (८)
सना पुराणम ये यारा महः पतुज नतुजा म त ः.
दे वासो य प नतार एवै रो प थ ुते त थुर तः.. (९)
महान्, सबके पालक एवं जननक ा आकाश का सनातन व, ाचीनता एवं एक ही
थान से अपना तथा उसका ज म म जानता ं. इस लए म उसे अपनी ब हन वीकार करता
ं. उस आकाश के व तीण माग म भ - भ दे व अपने-अपने वाहन स हत तु त करते
ए थत ह. (९)
इमं तोमं रोदसी
वी यृ दराः शृणव न ज ः.
म ः स ाजो व णो युवान आ द यासः कवयः प थानाः.. (१०)
हे धरती-आकाश! हम तु हारे इस तो को बोलते ह. सोमरस पेट म रखने वाले, अ न
पी ज ा से यु , भली-भां त द त, न य त ण, ांतदश एवं अपने-अपने कम का
व तार करने वाले म , व ण एवं आ द य इस तो को सुन. (१०)
हर यपा णः स वता सु ज
रा दवो वदथे प यमानः.
दे वेषु च स वतः ोकम ेराद म यमा सुव सवता तम्.. (११)
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दे ने के न म हाथ म सोना लए ए एवं शोभन वचन वाले स वता दे व य के तीन
सवन म आकाश से आते ह. हे स वता! तोता का तो
ा त करो एवं हमारे लए
सम त अ भल षत फल दान करो. (११)
सुकृ सुपा णः ववाँ ऋतावा दे व व ावसे ता न नो धात्.
पूष व त ऋभवो मादय वमू व ावाणो अ वरमत .. (१२)
शोभन जगत् के क ा, सुंदर हाथ वाले, धनयु एवं स य संक प व ा दे व र ा के
लए हम अ भल षत फल द. हे ऋभुओ! तुम पूषा के साथ मलकर हम स करो, य क
सोम नचोड़ने के लए प थर उठाने वाले ऋ वज ने यह य कया है. (१२)
व ु था म त ऋ म तो दवो मया ऋतजाता अयासः.
सर वती शृणव य यासो धाता र य सहवीरं तुरासः.. (१३)
तेज वी रथ वाले, ऋ नामक आयुध यु , ोतमान, श ु को मारने वाले, य से
उ प , न य ग तशील एवं य के यो य म द्गण तथा सर वती हमारे तो को सुन. हे
शी ता करने वाले म तो! हम पु स हत धन दो. (१३)
व णुं तोमासः पु द ममका भग येव का रणो याम न मन्.
उ मः ककुहो य य पूव न मध त युवतयो ज न ीः.. (१४)
हमारा यह धनमूलक तो तथा पू य मं न य व तृत इस य म ब कमा व णु को
ा त हो. सबको ज म दे ने वाली एवं पर पर र थत दशाएं उनक आ ा का उ लंघन नह
करत . व णु का पाद व ेप महान् है. (१४)
इ ो व ैव य३: प यमान उभे आ प ौ रोदसी म ह वा.
पुर दरो वृ हा धृ णुषेणः सङ् गृ या न आ भरा भू र प ः.. (१५)
सम त साम य से यु इं ने अपनी म हमा से धरती और आकाश दोन को पूण कर
दया है. श ु नगर का वंस करने वाले, वृ वनाशक एवं श ुपराभवका रणी सेना के वामी
इं ! तुम पशु को एक करके अ धक मा ा म हम दो. (१५)
नास या मे पतरा ब धुपृ छा सजा यम नो ा नाम.
युवं ह थो र यदौ नो रयीणां दा ं र ेथे अकवैरद धा.. (१६)
हे बंधु क अ भलाषा जानने के इ छु क अ नीकुमारो! तुम हमारे पालनक ा बनो.
तुम दोन का मलन अ यंत सुंदर है. तुम दोन हमारे लए महान् धन दे ने वाले बनो. तु हारा
कोई तर कार नह कर सकता. ह व दे ने वाले हम उ म कम से र त करो. (१६)
मह
ः कवय ा नाम य
दे वा भवथ व इ े .
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सख ऋभु भः पु
त
ये भ रमां धयं सातये त ता नः.. (१७)
हे मेधावी दे वो! जस कम से तुमने इं लोक म दे व व ा त कया है, तु हारे वे कम
महान् ह. हे ब त ारा बुलाए गए एवं ऋभु के साथी इं ! हमारी यह तु त धन ा त
करने के लए वीकार करो. (१७)
अयमा णो अ द तय यासोऽद धा न व ण य ता न.
युयोत नो अनप या न ग तोः जावा ः पशुमाँ अ तु गातुः.. (१८)
सूय, अ द त, य के यो य दे वगण एवं हसार हत कम वाले व ण हमारी र ा कर. तुम
सब हमारे माग के पतनकारक कम को र करो. हमारा घर पशु तथा संतान से पूण हो.
(१८)
दे वानां तः पु ध सूतोऽनागा ो वोचतु सवताता.
शृणोतु नः पृ थवी ौ तापः सूय न ै व१ त र म्.. (१९)
अनेक थान म दे व के त प म स अ न हम सभी जगह नरपराध घो षत
कर. धरती, आकाश, जल, सूय एवं न
से भरा आ वशाल आकाश हमारी तु त सुने.
(१९)
शृ व तु नो वृषणः पवतासो व
ु म
े ास इळया मद तः.
आ द यैन अ द तः शृणोतु य छ तु नो म तः शम भ म्.. (२०)
अ भल षत फल दे ने वाले म द्गण एवं याचक क अ भलाषा पूरी करने वाले थर
पवत ह से स होते ए हमारी तु त सुन. अ द त अपने पु के साथ हमारी तु त सुन
एवं म द्गण हम क याणकारी सुख द. (२०)
सदा सुगः पतुमाँ अ तु प था म वा दे वा ओषधीः सं पपृ .
भगो मे अ ने स ये न मृ या उ ायो अ यां सदनं पु ोः.. (२१)
हे अ न! हमारा माग सुगम एवं अ से पूण हो. हे दे वगण! मधुर जल से ओष धय को
स चो. हे अ न! तु हारी म ता ा त करके हमारा धन न न हो. हम धन एवं भूत अ का
थान ा त कर. (२१)
वद व ह ा स मषो दद म य
् १ सं ममी ह वां स.
व ाँ अ ने पृ सु ता े ष श ूनहा व ा सुमना द दही नः.. (२२)
हे अ न! ह का वाद लो, हमारे अ को भली कार का शत करो एवं उन द त
अ को हमारे सामने लाओ. सं ाम म उन सम त श ु को जीतो एवं स मन से हमारे
सभी दन को का शत बनाओ. (२२)
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सू —५५
दे वता— व ेदेव, अ न आ द
उषसः पूवा अध यद् ूषुमह ज े अ रं पदे गोः.
ता दे वानामुप नु भूष मह े वानामसुर वमेकम्.. (१)
पूवव तनी उषा जब समा त होती है, तब अ वनाशी सूय नामक महान् यो त आकाश
अथवा सागर से उ प होती है. इसके बाद दे व-संबंधी कम आरंभ हो जाते ह एवं यजमान
दे व के समीप उप थत होते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (१)
मो षू णो अ जु र त दे वा मा पूव अ ने पतरः पद ाः.
पुरा योः स नोः केतुर तमह े वानामसुर वमेकम्.. (२)
हे अ न! इस समय दे वगण एवं कमानुसार दे वपद पाने वाले पुरातन पतर हमारे कम
म बाधा न डाल. पुरातन धरती-आकाश के म य उ दत एवं य का संकेत करने वाले सूय
हमारी हसा न कर. दे व का मुख बल एक ही है. (२)
व मे पु ा पतय त कामाः श य छा द े पू ा ण.
स म े अ नावृत म दे म मह े वानामसुर वमेकम्.. (३)
हे अ न! मेरी अनेक अ भलाषाएं इधर-उधर जाती ह. अ न ोम आ द के बहाने हम
पुरानी तु तयां का शत करते ह. य के न म अ न के
व लत होने पर हम स य
बोलगे. दे व का मुख बल एक ही है. (३)
समानो राजा वभृतः पु ा शये शयासु युतो वनानु.
अ या व सं भर त े त माता मह े वानामसुर वमेकम्.. (४)
द यमान एक ही अ न य के न म अनेक थान पर वहार म लाए जाते ह. वे
वेद पर सोते ह एवं का से बनी अर ण म वभ होकर नवास करते ह. इनके धरतीआकाश पी माता- पता म से एक इ ह उ प होते ही भरण करता है एवं सरी माता केवल
धारण करती है. दे व का मुख बल एक ही है. (४)
आ पूवा वपरा अनू स ो जातासु त णी व तः.
अ तवतीः सुवते अ वीता मह े वानामसुर वमेकम्.. (५)
अ न सूखे ाचीन वृ म वतमान ह, नए वृ म उ प
म से रहते ह तथा इसी
समय उ प प ल वत वन प तय म अंतभूत होते ह, ओष धयां कसी अ य के गभाधान के
बना केवल अ न के संसग से गभवती होकर पु प, फल आ द को ज म दे ती ह. दे व का
मुख बल एक ही है. (५)
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शयुः पर तादध नु माताब धन र त व स एकः.
म य ता व ण य ता न मह े वानामसुर वमेकम्.. (६)
धरती-आकाश पी माता- पता के पु सूय छपते समय प म दशा म सोते ह.
उदयकाल म वे ही सूय बंधनर हत होकर आकाश म चलते ह. यह सारा काम म और व ण
का है. दे व का मुख बल एक ही है. (६)
माता होता वदथेषु स ाळ व ं चर त े त बु नः.
र या न र यवाचो भर ते मह े वानामसुर वमेकम्.. (७)
दो लोक के बनाने वाले, य के होता एवं य म भली-भां त सुशो भत अ न सूय प
से, आकाश म घूमते ह एवं सभी कम के मूलकारण बनकर धरती पर रहते ह. मधुर वाणी
वाले तोता उनके लए मधुर तो बोलते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (७)
शूर येव यु यतो अ तम य तीचीनं द शे व मायत्.
अ तम त र त न षधं गोमह े वानामसुर वमेकम्.. (८)
समीप म वतमान अ न के सामने आने वाले सभी ाणी इस कार पीछे भागते ह,
जैसे यु करने वाले शूर के सामने से कायर लोग भागते ह. सबके ारा जाने गए अ न जल
का नाश करने वाली वाला अपने भीतर धारण करते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (८)
न वेवे त प लतो त आ व तमहां र त रोचनेन.
वपू ष ब द भ नो व च े मह े वानामसुर वमेकम्.. (९)
सबके पालनक ा एवं दे व के त अ न इन ओष धय म आव यक प से वतमान ह
एवं सूय के साथ-साथ धरती-आकाश के बीच म चलते ह. नाना प धारण करने वाले वह
अ न हम य क ा को वशेष कृपा
से दे खते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (९)
व णुग पाः परमं पा त पाथः या धामा यमृता दधानः.
अ न ा व ा भुवना न वेद मह े वानामसुर वमेकम्.. (१०)
ा त, र क, य एवं यर हत तेज धारण करने वाले अ न परम थान क र ा
करते ह. अ न उन सब भुवन को जानते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (१०)
नाना च ाते य या३ वपूं ष तयोर य ोचते कृ णम यत्.
यावी च यद षी च वसारौ मह े वानामसुर वमेकम्.. (११)
रात और दन का जोड़ा नाना कार के प धारण करता है. इन दो ब हन म एक
काले रंग क है और सरी शु ल वण होने के कारण द त होती है. दे व का मुख बल एक
ही है. (११)
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माता च य
हता च धेनू सब घे धापयेते समीची.
ऋत य ते सदसीळे अ तमह े वानामसुर वमेकम्.. (१२)
माता धरती और पु ी ौ अंत र म ध दे ने वाली गाय के समान मलकर एक सरी
को अपना रस पलाती ह. जल के थान अंत र के म य थत धरती-आकाश क म तु त
करता ं. दे व का मुख बल एक ही है. (१२)
अ य या व सं रहती ममाय कया भुवा न दधे धेनु धः.
ऋत य सा पयसा प वतेळा मह े वानामसुर वमेकम्.. (१३)
धरती के पु अ न को जल धारा पी ज ा से चाटती ई ौ बादल के गजन के प
म श द करती है. ौ पी गाय धरती को जलहीन बनाकर अपने मेघ प तन को जल से
भरती है. सूखी धरती सूय के जल से भीगती है. दे व का मुख बल एक ही है. (१३)
प ा व ते पु पा वपूं यू वा त थौ य व रे रहाणा.
ऋत य स व चरा म व ा मह े वानामसुर वमेकम्.. (१४)
धरती ब त से थावर-जंगम प से अपने को ढकती है एवं उ त होकर तीन लोक
को ा त करने वाले सूय को चाटती ई ठहरती है. म आ द य के थान को जानता आ
उनक सेवा करता ं. दे व का मुख बल एक ही है. (१४)
पदे इव न हते द मे अ त तयोर यद् गु मा वर यत्.
स ीचीना प या३ सा वषूची मह े वानामसुर वमेकम्.. (१५)
शोभन दवारा धरती-आकाश के म य रखे ए दो चरण के समान जान पड़ते ह.
इनम से रा
पी चरण गूढ़ एवं सरा दवस पी चरण प है. इनके मलन माग अथात्
काल को पु या मा एवं पापा मा दोन ही ा त करते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (१५)
आ धेनवो धुनय ताम श ीः सब घाः शशया अ धाः.
न ान ा युवतयो भव तीमह े वानामसुर वमेकम्.. (१६)
वषा ारा सबको स करने वाली, शशुर हता, आकाश म वतमान, रसहीन न होने
वाली, जल प ध दे ने वाली, पर पर म लत एवं अ यंत नवीन दशाएं कांपती रह. दे व का
मुख बल एक ही है. (१६)
यद यासु वृषभो रोरवी त सो अ य म यूथे न दधा त रेतः.
स ह पावा स भगः स राजा मह े वानामसुर वमेकम्.. (१७)
जल बरसाने वाले बादल पी इं अ य दशा म बार-बार गजन करते ह एवं अ य
दशा म जल क वषा करते ह. वह जल फकने वाले, सबके सेवनीय एवं राजा ह. दे व का
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मुख बल एक ही है. (१७)
वीर य नु व ं जनासः नु वोचाम व र य दे वाः.
षो हा यु ाः प चप चा वह त मह े वानामसुर वमेकम्.. (१८)
हे मनु यो! शूर इं के सुंदर घोड़ का हम शी भां त-भां त से वणन करते ह. उ ह
दे वगण जानते ह. वे ऋतु के प म छः एवं हेमंत, श शर के मलकर एक हो जाने से
पांच अ के प म इं को ढोते ह. दे व का मुख बल एक ही है. (१८)
दे व व ा स वता व पः पुपोष जाः पु धा जजान.
इमा च व ा भुवना य य मह े वानामसुर वमेकम्.. (१९)
सबके ेरक एवं नाना प धारी व ा दे व जा को अनेक कार से उ प करते ह
एवं पालते ह. संपूण भुवन उ ह के ह. दे व का मुख बल एक ही है. (१९)
मही समैर च वा समीची उभे ते अ य वसुना यृ े.
शृ वे वीरो व दमानो वसू न मह े वानामसुर वमेकम्.. (२०)
इं ने वशाल एवं एक- सरे से मले ए धरती-आकाश दोन को पशुप य से पूण
कया है. ये दोन इं के तेज से पूरी तरह ा त ह. वीर इं श ु क संप छ नने के लए
स ह. दे व का मुख बल एक ही है. (२०)
इमां च नः पृ थव व धाया उप े त हत म ो न राजा.
पुरःसद: शमसदो न वीरा मह े वानामसुर वमेकम्.. (२१)
व का पालन करने वाले एवं हमारे राजा इं धरती एवं आकाश के समीप रहते ह.
वीर म त् सं ाम म इं के आगे रहते ह तथा उनके घर म नवास करते ह. दे व का मुख
बल एक ही है. (२१)
न ष वरी त ओषधी तापो र य त इ पृ थवी बभ त.
सखाय ते वामभाजः याम मह े वानामसुर वमेकम्.. (२२)
हे मेघ प इं ! ओष धय ने तुमसे स पाई है, जल तु ह से नकले ह एवं धरती
तु हारे भोग के यो य धन को धारण करती है. तु हारे म हम धन के भागी बन, दे व का
मुख बल एक ही है. (२२)
सू —५६
दे वता— व ेदेव
न ता मन त मा यनो न धीरा त दे वानां थमा ुवा ण.
न रोदसी अ हा वे ा भन पवता ननमे त थवांसः.. (१)
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मायावी असुर एवं व ान् इं आ द दे व के थम थर एवं स कम म बाधा नह
डालते. े ष-भाव से हीन धरती-आकाश जा के साथ दे व के लए व नकारक नह
बनते. धरती पर ऊंचे खड़े पवत को कोई झुका नह सकता. (१)
षड् भाराँ एको अचर बभ यृतं व ष मुप गाव आगुः.
त ो मही परा त थुर या गुहा े न हते द यका.. (२)
एक थर वष छः ऋतु को धारण करता है. स य एवं अ तशय वृ सूय प संव सर
को करण ा त करती ह. उ प और न होने वाले तीन लोक एक- सरे के ऊपर थत ह.
उन म ही वग और अंत र गुहा म छपे ह. एकमा धरती ही दखाई दे ती है. (२)
पाज यो वृषभो व प उत युधा पु ध जावान्.
यनीकः प यते मा हनावा स रेतोधा वृषभः श तीनाम्.. (३)
ी म, वषा एवं हेमंत-तीन ऋतुएं संव सर का दय ह एवं वसंत, शरद् एवं हेमंत तीन
ऋतुएं तन ह. जल बरसाने वाला, व वध पधारी, जौ, गे ं आ द अनेक कार क जा
से यु , ी म, वषा तथा शीत तीन गुण स हत एवं मह वशाली संव सर आता है. वह वीय
धारण म समथ है एवं सबके लए जल लाता है. (३)
अभीक आसां पदवीरबो या द यानाम े चा नाम.
आप द मा अरम त दे वीः पृथ ज तीः प र षीमवृ
न्.. (४)
संव सर ओष धय के समीप रहकर फल-पु पा द उ पादन के लए सावधान रहते ह. म
आ द य का चै आ द मनोहर नाम बोलता ं. ोतमान एवं अलग-अलग बहने वाले जल
चार मास तक संव सर को स करते ह एवं शेष आठ मास म छोड़ दे ते ह. (४)
ी षध था स धव ः कवीनामुत माता वदथेषु स ाट् .
ऋतावरीय षणा त ो अ या रा दवो वदथे प यमानाः.. (५)
हे न दयो! तीन गुण वाले तीन लोक दे व के नवास थान ह. तीन लोक के बनाने वाले
सूय य के राजा ह. जलपूण एवं आकाश म गमन करने वाली इला, सर वती एवं भारती
पर पर मली ई दे वयां य के तीन सवन म आव. (५)
रा दवः स वतवाया ण दवे दवे आ सुव न अ ः.
धातु राय आ सुवा वसू न भग ाता धषणे सातये धाः.. (६)
हे आ द य! वगलोक से त दन तीन बार आकर हम लोग को धन दो. हे सबके ारा
सेवा यो य एवं सबके र क आ द य! हम पशु, कनक एवं र न प तीन कार का धन दो.
हे वा दे वी! हम धनलाभ के लए े रत करो. (६)
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रा दवः स वता सोषवी त राजाना म ाव णा सुपाणी.
आप द य रोदसी च व र नं भ त स वतुः सवाय.. (७)
स वता दन म तीन बार हम धन द. द तमान् एवं शोभन हाथ वाले हम व तृत
धरती-आकाश, म -व ण, अंत र एवं स वता दे व क ेरणा से मनचाहा अथ चाहते ह.
(७)
मा णशा रोचना न यो राज यसुर य वीराः.
ऋतावान इ षरा ळभास रा दवो वदथे स तु दे वाः.. (८)
ु तमान तीन उ म थान ह, ज ह कोई न नह कर सकता. इन तीन थान म
संव सर के अ न, वायु एवं सूय तीन पु सुशो भत होते ह. य ा द कम से यु , शी ग त
वाले एवं अ तर करणीय दे वगण हमारे य के तीन सवन म आव. (८)
सू —५७
दे वता— व ेदेव
मे व व वाँ अ वद मनीषां धेनुं चर त युतामगोपाम्.
स
ा हे भू र धासे र तद नः प नतारो अ याः.. (१)
ानवान् इं इधर-उधर जाती ई, अकेली इ छानुसार घूमती ई गाय के समान मेरी
दे व-संबंधी तु त को जान. इं और अ न इस तु त पी गाय क शंसा कर, जससे तुरंत
ही अ धक अ भल षत फल हा जाता है. (१)
इ ः सु पूषा वृषणा सुह ता दवो न ीताः शशयं
े.
व े यद यां रणय त दे वाः वोऽ वसवः सु नम याम्.. (२)
इं ! पूषा, कामवष एवं शोभन हाथ वाले अ नीकुमार स होकर आकाश म सोने
वाले मेघ से मनचाही वृ
ा त करते ह. हे नवास थान दे ने वाले व ेदेव! इस वेद पर
रमण करो, जससे हम तु हारे ारा दया आ सुख पा सक. (२)
या जामयो वृ ण इ छ त श नम य तीजानते गभम मन्.
अ छा पु ं धेनवो वावशाना मह र त ब तं वपूं ष.. (३)
जो ओष धयां जल बरसाने वाले इं क श
को चाहती ह, वे न होकर इं क
गभाधान क श जानती ह. फल क कामना करने वाली एवं सबको स करने वाली
ओष धयां भां त-भां त के प धारण करने वाले जौ, गे ं आ द पु के समान घूमती ह. (३)
अ छा वव म रोदसी सुमेके ा णो युजानो अ वरे मनीषा.
इमा उ ते मनवे भू रवारा ऊ वा भव त दशता यज ाः.. (४)
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य म सोमरस नचोड़ने के लए प थर लेकर हम शोभन प वाले धरती-आकाश के
सामने होकर तु त प वाणी से शंसा करते ह. अ न को वरण करने यो य, दशनीय एवं
पू य द तयां मनु य के वहार के लए ऊपर मुख करती ह. (४)
या ते ज ा मधुमती सुमेधा अ ने दे वेषू यत उ ची.
तयेह व ाँ अवसे यज ाना सादय पायया चा मधू न.. (५)
हे अ न! तु हारी जो वाला- पणी जीभ जलपूण एवं बु यु है एवं दे व को
बुलाने के लए ेरणा दे ती है, उसी ज ा से य के यो य सम त दे व को हमारी र ा के
न म इस य म बैठाओ एवं मादक सोम पलाओ. (५)
या ते अ ने पवत येव धारास ती पीपय े व च ा.
ताम म यं म त जातवेदो वसो रा व सुम त व ज याम्.. (६)
हे अ न दे व! व वध पधा रणी एवं हम यागकर अ य न जाने वाली तु हारी उ मबु हम लोग को उसी कार बढ़ाए, जस कार बादल से उ प जलधारा वन प तय
को बढ़ाती है. हे नवासदाता एवं जातवेद अ न! हम वही पर हतसमथ एवं
सवजन हतका रणी बु दो. (६)
सू —५८
दे वता—अ नीकुमार
धेनुः न य का यं हाना तः पु र त द णायाः.
आ ोत न वह त शु यामोषासः तोमो अ नावजीगः.. (१)
स करने वाली उषा पुरातन-अ न के न म सुंदर ध दे ती है. उषा का पु सूय
उषा के भीतर वचरण करता है. उ वल ग त वाला दवस सव काशक सूय को धारण
करता है. उषा से पहले ही अ नीकुमार क तु त करने वाले जागते ह. (१)
सुयु वह त
जरेथाम म
त वामृतेनो वा भव त पतरेव मेधाः.
पणेमनीषां युवोरव कृमा यातमवाक्.. (२)
हे अ नीकुमारो! रथ म भली कार जुड़े ए घोड़े स य पी रथ के ारा य म आने
के लए तु ह वहन करते ह. पु जस कार माता- पता को दे खकर जाता है, उसी कार
य तु हारे सामने जाते ह. आसुरी बु को हमसे ब त र करो. हम तु हारे लए ह तैयार
करते ह. तुम हमारे सामने आओ. (२)
सुयु भर ैः सुवृता रथेन द ा वमं शृणुतं ोकम े ः.
कम वां यव त ग म ा व ासो अ ना पुराजाः.. (३)
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हे अ नीकुमारो! सुंदर प हय वाले रथ म बैठकर एवं भली कार जुते ए अ
ारा
ख चे जाकर तुम दोन तोता क तु तयां सुनो. मेधावी पुरातन ऋ षय ने या तुमसे नह
कहा क तुम दोन हमारी वृ क हा न मत करो. (३)
आ म येथामा गतं क चदे वै व े जनासो अ ना हव ते.
इमा ह वां गोऋजीका मधू न म ासो न द
ो अ े.. (४)
हे अ नीकुमारो! हमारी तु त को जानो और अ
ारा य म पधारो. सभी तोता
तु ह बुलाते ह. वे म के समान तु ह ध मला आ एवं मादक सोमरस दे ते ह. सूय उषा के
आगे उदय होते ह. (४)
तरः पु चद ना रजां याङ् गूषो वां मघवाना जनेषु.
एह यातं प थ भदवयानैद ा वमे वां नधयो मधूनाम्.. (५)
हे अ नीकुमारो! अनेक लोक को अपने तेज से तर कृत करते ए तुम दोन दे वमाग
ारा यहां आओ. संप शाली अ नीकुमारो! तोता के पास तु हारे लए बोला जाने
वाला तो है. हे श ुनाशको! तु हारे लए मदकारक सोमरस के पा तैयार ह. (५)
पुराणमोकः स यं शवं वां युवोनरा वणं ज ा ाम्.
पुनः कृ वानाः स या शवा न म वा मदे म सह नू समानाः.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन क पुरानी म ता सेवा करने यो य एवं क याण करने
वाली है. हे हमारे य कम के नेताओ! तु हारा धन जा वी गंगा म है. तुम दोन क सुख मै ी
को बार-बार ा त करते ए मादक सोमरस से हम भी शी स ह . (६)
अ ना वायुना युवं सुद ा नयु
सजोषसा युवाना.
नास या तरोअ यं जुषाण सोमं पबतम धा सुदानू.. (७)
हे शोभन साम य से यु , न य त ण, अस यर हत एवं शोभन फल दे ने वाले
अ नीकुमारो! वायु और नयुत के साथ मलकर थायी ेमयु एवं नाशर हत तुम दोन
दवस छपने पर सोम पान करो. (७)
अ ना प र वा मषः पु चीरीयुग भयतमाना अमृ ाः.
रथो ह वामृतजा अ जूतः प र ावापृ थवी या त स ः.. (८)
हे अ नीकुमारो! ब त से ह व पी अ तु हारे समीप जाते ह. तर कारहीन एवं
य कम म संल न तोता तु तय ारा तु हारी सेवा करते ह. तोता
ारा ख चा गया
तु हारा जल बरसाने वाला रथ धरती-आकाश के बीच म शी गमन करता है. (८)
अ ना मधुषु मो युवाकुः सोम तं पातमा गतं रोणे.
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रथो ह वां भू र वपः क र
सुतावतो न कृतमाग म ः.. (९)
हे अ नीकुमारो! मधुर-रस से यु सोमरस को पओ एवं हमारे घर आओ. तु हारा
अ तशय धन दे ने वाला रथ सोम नचोड़ने वाले यजमान के शु घर म बार-बार आता है.
(९)
सू —५९
दे वता— म
म ो जना यातय त ुवाणो म ो दाधार पृ थवीमुत ाम्.
म ः कृ ीर न मषा भ च े म ाय ह ं घृतव जुहोत.. (१)
तु त कए जाने पर म दे व सभी लोग को खेती आ द काम म लगा दे ते ह. वे धरती
और आकाश दोन को धारण करते ह एवं य कम करने वाल को भली कार दे खते ह. घी
मला आ ह म के लए हवन करो. (१)
स म मत अ तु य वा य त आ द य श त तेन.
न ह यते न जीयते वोतो नैनमंहो अ ो या ततो न रात्.. (२)
हे आ द य दे व! जो गाय का घृत लेकर तु ह ह दे ता है, वह मनु य अ का वामी
बने. तुम जसक र ा करते हो, उसे न कोई न कर सकता है और न हरा सकता है. उसे
पास से या र से पाप भी नह छू सकता. (२)
अनमीवास इळया मद तो मत वो व रम ा पृ थ ाः.
आ द य य तमुप य तो वयं म य सुमतौ याम.. (३)
हे म ! नरोग एवं अ के कारण स हम धरती के व तृत भाग म घुटने टे ककर
इ छानुसार चलते ए आ द य के य के समीप नवास करते ह. हम लोग आ द य क
कृपा
म रह. (३)
अयं म ो नम यः सुशेवो राजा सु ो अज न वेधाः.
त य वयं सुमतौ य य या प भ े सौमनसे याम.. (४)
सबके नम कार करने यो य, सुख से से , सव जगत् के वामी, शोभन बलयु एवं
सबके वधाता सूय उ प
ए ह. उन य पा सूय क अनु ह बु तथा क याण करने
वाली म ता का हम पाव. (४)
महाँ आ द यो नमसोपस ो यातय जनो गृणते सुशेवः.
त मा एत प यतमाय जु म नौ म ाय ह वरा जुहोत.. (५)
महान् आ द य लोग को अपने-अपने कम म लगाने वाले एवं नम कार ारा सेवा करने
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यो य ह. वे तु त करने वाल के
अ न म ह डालो. (५)
त स होते ह. उन अ यंत तु त यो य म के न म
म य चषणीधृतोऽवो दे व य सान स. ु नं च
व तमम्.. (६)
वषा ारा मनु य का पालन करने वाले म का अ सबके ारा भोगयो य एवं उनका
धन अ तशय क तयु है. (६)
अ भ यो म हना दवं म ो बभूव स थाः. अ भ वो भः पृ थवीम्.. (७)
जस म ने अपनी म हमा से अंत र
अ से भली कार पूण कया है. (७)
को हरा दया है, उसी क तशाली ने धरती को
म ाय प च ये मरे जना अ भ शवसे. स दे वा व ा बभ त.. (८)
ा ण आ द पांच जन श ु को हराने वाले बल से यु
म सभी दे व को धारण करते ह. (८)
म ो दे वे वायुषु जनाय वृ ब हषे. इष इ
द गुण वाले मनु य म जो
अ दे ते ह. (९)
सू —६०
म के लए ह व दे ते ह. वे
ता अकः.. (९)
कुश छे दन करता है, उसे म दे व क याणकारी
दे तवा—ऋभुगण
इहेह वो मनसा ब धुता नर उ शजो ज मुर भ ता न वेदसा.
या भमाया भः तजू तवपसः सौध वना य यं भागमानश.. (१)
हे ऋभुओ! तु हारे कम को सब लोग मन से जानते ह. हे नेताओ एवं सुध वा के पु ो!
तुम अपने ान से उन कम को जान लेते हो, जन कम ारा तुम श ु को हराने वाला तेज
पाने के लए य के भाग क अ भलाषा करते हो. (१)
या भः शची भ मसाँ अ पशत यया धया गाम रणीत चमणः.
येन हरी मनसा नरत त तेन दे व वमृभवः समानश.. (२)
हे ऋभुओ! जस श
ारा तुमने चमस के चार भाग कए थे, जस बु से तुमने
गाय को चमयु कया था एवं जस ान से तुमने इं के ह र नामक घोड़ को बनाया, उ ह
कम ारा तुमने दे व व पाया है. (२)
इ
य स यमृभवः समानशुमनोनपातो अपसो दध वरे.
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सौध वनासो अमृत वमे ररे व ् वी शमी भः सुकृतः सुकृ यया.. (३)
अं गरा के पु ऋभु ने य कम ारा इं क म ता भली कार ा त करके ाण
धारण कए ह. सुध वा के पु एवं प व कम करने वाले ऋभुगण दे व व ा त के हेतु एवं
शोभन कम से यु होकर अमृत पद को ा त कर चुके ह. (३)
इ े ण याथ सरथं सुते सचाँ अथो वशानां भवथा सह या.
न वः तमै सुकृता न वाघतः सौध वना ऋभवो वीया ण च.. (४)
हे ऋभुओ! तुम इं के साथ एक रथ पर बैठकर सोम नचोड़ने के थान य म जाओ
एवं यजमान क तु तयां वीकार करो. हे सुध वा के पु ो एवं मेधावी ऋभुओ! तु हारे
शोभन कम क सीमा जानना संभव नह है और न तु हारी श क . (४)
इ ऋभु भवाजव ः समु तं सुतं सोममा वृष वा गभ योः.
धये षतो मघव दाशुषो गृहे सौध वने भः सह म वा नृ भः.. (५)
हे इं ! तुम अ वाले ऋभु के साथ मलकर जल ारा भली कार गीले एवं प थर
ारा नचोड़े ए सोम को दोन हाथ से पकड़कर पओ. हे मघवा! तुम तु त से ेरणा
पाकर यजमान के घर म सुध वा के पु ऋभु के साथ सोम पीकर स बनो. (५)
इ ऋभुमा वाजवा म वेह नोऽ म सवने श या पु ु त.
इमा न तु यं वसरा ण ये मरे ता दे वानां मनुष धम भः.. (६)
हे ब त ारा तु त कए गए इं ! तुम ऋभु तथा अ से यु होकर एवं इं ाणी को
साथ लेकर हमारे इस तृतीय सवन म स बनो. तु हारे सोमपान के लए ये दन एवं अ न
आ द दे व तथा मनु य के कम न त ह. (६)
इ ऋभु भवा ज भवाजय ह तोमं ज रतु प या ह य यम्.
शतं केते भ र षरे भरायवे सह णीथो अ वर य होम न.. (७)
हे इं ! तुम अ यु ऋभु के साथ तोता को अ दे ते ए इस य म तोता का
तो सुनने के लए आओ. सौ म त एवं चलने म कुशल घोड़ के साथ तुम यजमान ारा
हजार कार से तैयार कए गए सोम वाले य म आओ. (७)
सू —६१
दे वता—उषा
उषो वाजेन वा ज न चेताः तोमं जुष व गृणतो मघो न.
पुराणी दे व युव तः पुर धरनु तं चर स व वारे.. (१)
हे अ एवं धनयु उषा! तुम उ म ानसंप होकर तोता के तो
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को वीकार
करो. हे सबके ारा वरण करने यो य, पुरातन, युवती एवं ब त
य कम के अनुसार चलती हो. (१)
ारा तुत उषा! तुम
उषो दे म या व भा ह च रथा सूनृता ईरय ती.
आ वा वह तु सुयमासो अ ा हर यवणा पृथुपाजसो ये.. (२)
हे मरणर हत, सोने के रथ वाली, य एवं स य वाणी बोलती ई उषा! तुम सूय करण
से का शत बनो. महान् बलशाली, लाल रंग वाले एवं रथ म सरलता से जोड़ने यो य घोड़े
तुझ सुनहरे रंग वाली को बुलाव. (२)
उषः तीची भुवना न व ो वा त यमृत य केतुः.
समानमथ चरणीयमाना च मव न या ववृ व.. (३)
हे सम त ा णय के सामने आनेवाली एवं मरणर हत सूय का ान कराने वाली उषा!
तुम आकाश म ऊंची ठहरती हो. हे अ त नवीन उषा! एक ही माग म चलने क इ छु क तुम
बार-बार उसी माग म इस तरह चलो जैसे आकाश म सूय का प हया एक ही माग पर चलता
है. (३)
अव यूमेव च वती मघो युषा या त वसर य प नी.
व१जन ती सुभगा सुदंसा आ ता वः प थ आ पृ थ ाः.. (४)
धन क वा मनी उषा कपड़े के समान फैले अंधकार को न करती ई सूय क प नी
बनकर चलती है. अपना तेज उ प करती ई, शोभन-धन वाली एवं अ नहो आ द उ म
कम से यु उषा आकाश ओर धरती के अंत तक का शत होती है. (४)
अ छा वो दे वीमुषसं वभात वो भर वं नमसा सुवृ म्.
ऊ व मधुधा द व पाजो अ े रोचना चे र वस क्.. (५)
हे तोताओ! तुम अपने सामने शोभन पाती ई उषा क सुंदर तु त नम कार स हत
करो. तु त धारण वाली उषा आकाश म ऊपर जाने वाला तेज धारण करती है. तेज वनी
एवं दे खने म सुंदर उषा अ छ तरह चमकती है. (५)
ऋतावरी दवो अकरबो या रेवती रोदसी च म थात्.
आयतीम न उषसं वभात वाममे ष वणं भ माणः.. (६)
स ययु उषा को द तेज के कारण सब जानते ह. धनवाली उषा अपने व वध प
से धरती-आकाश को भर दे ती है. हे अ न! तु हारे सामने आती ई एवं काशयु उषा से
मांगते ए तुम सुंदर धन पाते हो. (६)
ऋत य बु न उषसा मष य वृषा मही रोदसी आ ववेश.
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मही म य व ण य माया च े व भानुं व दधे पु
ा.. (७)
जल बरसाने वाले सूय स य प दन के आरंभ म उषा को े रत करते ए वशाल
धरती-आकाश के बीच म वेश करते ह. महती उषा म एवं व ण क भा बनकर इस
कार अपना काश सब जगह फैलाती है, जैसे सोना अपनी चमक फैलाता है. (७)
दे वता—इं , व ण आ द
सू —६२
इमा उ वां भृमयो म यमाना युवावते न तु या अभूवन्.
व१ या द ाव णा यशो वां येन मा सनं भरथः स ख यः.. (१)
हे इं व व ण! श ु
ारा सताई ई एवं घूमती ई तु हारी जाएं बलवान् श ु
ारा न न हो जाव. तु हारा वह यश कहां है, जससे तुम हम म को अ दे ते हो? (१)
अयुम वां पु तमो रयीय छ ममवसे जोहवी त.
सजोषा व ाव णा म
दवा पृ थ ा शृणुतं हवं मे.. (२)
हे इं व व ण! धन का इ छु क एवं महान् यजमान अपनी र ा के लए तुम दोन को
सदा बुलाता है. तुम दोन म त , ल
ु ोक एवं धरती के साथ मलकर मेरी तु त सुनो. (२)
अ मे त द ाव णा वसु याद मे र यम तः सववीरः.
अ मा व ीः शरणैरव व मा हो ा भारती द णा भः.. (३)
हे इं व व ण! हमारे पास मनचाहा उ म धन हो. हे म तो! हमारे पास सब काम म
कुशल एवं वीर पु ह एवं दे वप नयां वर दे कर हमारी र ा कर. अ नप नी हो ा एवं
सूयप नी भारती द णा के प म गाएं दे कर हमारी र ा कर. (३)
बृह पते जुष व नो ह ा न व दे . रा व र ना न दाशुषे.. (४)
हे सब दे व के हतकारी बृह प त! इन लोग के ह
उ म धन दो. (४)
का सेवन करो एवं यजमान को
शु चमकबृह प तम वरेषु नम यत. अना योज आ चके.. (५)
हे ऋ वजो! तुम य म तु तय
मांगता ं, जसे श ु न हरा सक. (५)
वृषभं चषणीनां व
कामवष , व
ारा प व बृह प त क सेवा करो. म उनसे वह बल
पमदा यम्. बृह प त वरे यम्.. (६)
प नामक बैल क सवारी वाले, तर कार न करने यो य एवं सबके
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सेवा यो य बृह प त से म मनचाहा फल मांगता ं. (६)
इयं ते पूष ाघृणे सु ु तदव न सी. अ मा भ तु यं श यते.. (७)
हे पूषादे व! यह अ तशय नवीन एवं शोभन तु त तु हारे लए है. इसे हम तु हारे न म
बोलते ह. (७)
तां जुष व गरं मम वाजय तीमवा धयम्. वधूयु रव योषणाम्.. (८)
हे पूषा! तुम मेरी तु त पी वाणी को वीकार करो. कामी पु ष जस कार नारी के
समीप जाता है, उसी कार तुम मेरी अ क अ भलाषा से पूण तु त के सामने आओ. (८)
यो व ा भ वप य त भुवनां सं च प य त. स नः पूषा वता भुवत्.. (९)
जो सूय सब लोक को वशेष
ह, वे हमारे र क ह. (९)
प से दे खते ह एवं सभी व तु
को वा तव म जानते
त स वतुवरे यं भग दे व य धीम ह. धयो यो नः चोदयात्.. (१०)
हम स वता दे व के उस
कया. (१०)
े तेज का यान करते ह, ज ह ने हमारी बु
को े रत
दे व य स वतुवयं वाजय तः पुरं या. भग य रा तमीमहे.. (११)
अ क अ भलाषा करते ए हम लोग तेज वी स वता दे व के धन का दान उनक
तु त ारा चाहते ह. (११)
दे वं नरः स वतारं व ा य ैः सुवृ
भः. नम य त धये षताः.. (१२)
य कमकुशल एवं मेधावी अ वयु आ द य करने क भावना से े रत होकर ह
तु तय ारा स वता दे व क सेवा करते ह. (१२)
एवं
सोमो जगा त गातु वद् दे वानामे त न कृतम्. ऋत य यो नमासदम्.. (१३)
माग को जानने वाला सोमरस गंत
म जाता है. (१३)
सोमो अ म यं
थान दखाता है एवं दे व के बैठने यो य य
पदे चतु पदे च पशवे. अनमीवा इष करत्.. (१४)
सोम हम मानव तथा दो पैर और चार पैर वाले पशु
को रोगर हत अ दे . (१४)
अ माकमायुवधय भमातीः सहमानः. सोमः सध थमासदत्.. (१५)
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थल
सोमदे व हमारी आयु बढ़ाते ए एवं य
हमारे य म बैठ. (१५)
म व न डालने वाले श ु
को हराते ए
आ नो म ाव णा घृतैग ू तमु तम्. म वा रजां स सु तू.. (१६)
हे शोभन कम वाले म व व ण! हमारी गोशाला को ध से स च दो एवं हमारे घर
को मधुर रस से भर दो. (१६)
उ शंसा नमोवृधा म ा द
य राजथः. ा घ ा भः शु च ता.. (१७)
हे प व कम वाले म व व ण! तुम ब त ारा तुत एवं ह अ से वृ
हो. तुम वशाल तु तय ारा धन का मह व पाकर सुशो भत बनो. (१७)
को ा त
गृणाना जमद नना योनावृत य सीदतम्. पातं सोममृतावृधा.. (१८)
हे म व व ण! तुम जमद न ऋ ष ारा तुत होकर य म बैठो. य कम का फल
बढ़ाने वाले तुम दोन सोम पओ. (१८)
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चतुथ मंडल
सू —१
दे वता—अ न, व ण
वां ने सद म सम यवो दे वासो दे वमर त ये रर इ त वा ये ररे.
अम य यजत म य वा दे वमादे वं चेतसं व मादे वं जनत चेतसम्.. (१)
हे शी गामी अ न दे व! बराबर वाल से पधा करते ए इं ा द दे व तु ह यु के लए
े रत करते ह एवं यजमान य म दे व को बुलाने के लए ेरणा दे ते ह. हे य यो य,
मरणर हत, तेज वी एवं उ म- ान वाले अ न! दे व ने तु ह य क ा मानव म आने एवं
व भ य म उप थत रहने के लए ज म दया है. (१)
स ातरं व णम न आ ववृ व दे वाँ अ छा सुमती य वनसं ये ं य वनसम्.
ऋतावानमा द यं चषणीधृतं राजानं चषणीधृतम्.. (२)
हे अ न! तुम अपने भाई, ह व ारा सेवा यो य, य का भाग करने वाले, अ तशय
शंसनीय, जल के वामी, अ द त के पु , जल दे कर मनु य को धारण करने वाले,
शोभनबु संप एवं राजमान व णदे व को तोता के त अ भमुख करो. (२)
सखे सखायम या ववृ वाशुं न च ं र येव रं ा मर यं द म रं ा.
अ ने मृळ कं व णे सचा वदो म सु व भानुषु.
तोकाय तुजे शुशुचान शं कृ य म यं द म शं कृ ध.. (३)
हे दशनीय एवं सखा अ न! तुम अपने म व ण को उसी कार हमारी ओर
अ भमुख करो, जैसे चलने म कुशल एवं रथ म जुते ए घोड़े तेज चलने वाले प हए को ल य
क ओर ले जाते ह. तुमने व ण एवं म त क सहायता से सुखकारक ह पाया है. हे
तेज वी अ न! हमारे पु -पौ को सुखी करो एवं हमारा क याण करो. (३)
वं नो अ ने व ण य व ा दे व य हेळोऽवया ससी ाः.
य ज ो व तमः शोशुचानो व ा े षां स मुमु य मत्.. (४)
हे उपाय को जानने वाले अ न! तुम हमारे ऊपर होने वाला व णदे व का ोध र
करो. हे सबसे अ धक य क ा, ह के अ तशय वहन करने वाले एवं द तशाली अ न!
सभी पाप को हमसे र करो. (४)
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स वं नो अ नेऽवमो भवोती ने द ो अ या उषसो ु ौ.
अव य व नो व णं रराणो वी ह मृळ कं सुहवो न ए ध.. (५)
हे अ न! तुम र ा करने के लए एवं उषा क समा त पर य कम के न म हमारे
अ यंत समीप आओ. हे हमारे दए ए ह से स अ न! तुम व ण ारा कए जाने वाले
रोग का नाश करो एवं यह सुखदायक ह व खाओ. हे हमारे ारा भली कार बुलाए गए
अ न! हमारे पास आओ. (५)
अ य े ा सुभग य स दे व य च तमा म यषु.
शु च घृतं न त तम यायाः पाहा दे व य मंहनेव धेनोः.. (६)
परम सेवनीय अ न क उ म कृपा मनु य म उसी कार नतांत पू य है, जस कार
ध क कामना करने वाले दे व के लए गाय का शु , तरल एवं गरम ध अथवा गाय मांगने
वाले मनु य के लए धा गाय. (६)
र य ता परमा स त स या पाहा दे व य ज नमा य नेः.
अन ते अ तः प रवीत आगा छु चः शु ो अय रो चानः.. (७)
अ न दे व के तीन स एवं वा त वक ज म (अ न, वायु, सूय) क सभी अ भलाषा
करते ह. आकाश म अपने तेज से घरे ए सबके शोधक, तेज वी, अनंत द त से यु एवं
सबके वामी अ न हमारे य म आव. (७)
स तो व ेद भ व स ा होता हर यरथो रंसु ज ः.
रो हद ो वपु यो वभावा सदा र वः पतुमतीव संसत्.. (८)
दे व के त, सुनहरे रथ वाले एवं सुंदर वाला से यु अ न सभी य थल म जाने
क अ भलाषा करते ह. लाल घोड़ वाले, परम सुंदर एवं कां तशाली अ से पूण वे घर के
समान सदा रमणीय लगते ह. (८)
स चेतय मनुषो य ब धुः तं म ा रशनया नय त.
स े य य यासु साध दे वो मत य सध न वमाप.. (९)
य के बंधु अ न य काय म लगे ए मनु य को जानते ह. अ वयुगण तु त पी
वशाल र सी से अ न को उ र-वेद म लाते ह. वे अ भलाषाएं पूरी करते ए यजमान के
घर म रहते ह एवं उसके साथ एक पता धारण कर लेते ह. (९)
स तू नो अ ननयतु जान छा र नं दे वभ ं यद य.
धया य
े अमृता अकृ व ौ पता ज नता स यमु न्.. (१०)
सब जानते ए अ न अपने उ म र न को शी हमारे सामने लाव. मरणर हत सब दे व
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ने य कम के हेतु अ न को बनाया है. आकाश उसका जनक तथा पालनक ा है एवं अ वयु
घी क आ तय से उसे स चते ह. (१०)
स जायत थमः प यासु महो बु ने रजसो अ य योनौ.
अपादशीषा गुहमानो अ तायोयुवानो वृषभ य नीळे .. (११)
े अ न यजमान के घर एवं वशाल आकाश क मूल पी पृ वी म उ प होते ह.
बना पैर और सर वाले अ न अपने शरीर को छपाकर बादल के घर अथात् आकाश म धुएं
का प धारण करते ह. (११)
शध आत थमं वप याँ ऋत य योना वृषभ य नीळे .
पाह युवा वपु यो वभावा स त यासोऽजनय त वृ णे.. (१२)
हे अ न! तु तसंप जल के उ प
थान एवं बादल के घ सले के तु य आकाश म
बजली के
प म वतमान तु हारे पास तेज सबसे पहले प ंचता है. सात य होता
अ भलाषा करने यो य, अ यंत सुंदर एवं द तसंप अ न को ल य करके तु त करते ह.
(१२)
अ माकम पतरो मनु या अ भ से ऋतमाशुषाणः.
अ म जाः सु घा व े अ त
ा आज ुषसो वानाः.. (१३)
इस लोक म हमारे पूवज अं गरा य करते ए अ न के सामने गए थे. उ ह ने उषा
का आ ान करते ए पवत क गुफा म वतमान, अंधकार म थत एवं प णय ारा चुराई
गई धा गाय को ा त कया था. (१३)
ते ममृजत द वांसो अ तदे षाम ये अ भतो व वोचन्.
प य ासो अ भ कारमच वद त यो त कृप त धी भः.. (१४)
उन अं गरा ने गाय को छपाने वाले पवत को तोड़ते ए अ न क सेवा क . अ य
ऋ षय ने उनका यह काय सभी जगह कहा. पशु के नकलने के उपाय जानने हेतु
अं गरा ने अ भमत फल दे ने वाले अ न क तु त करते ए काश पाया एवं अपने
बु बल से य कया. (१४)
ते ग ता मनसा मु धं गा येमानं प र ष तम म्.
हं नरो वचसा दै ेन जं गोम तमु शजो व वुः.. (१५)
य कम के नेता एवं अ न क कामना करने वाले अं गरा ने गाय को पाने के
वचार से ढ़बंद, गाय को रोकने वाले, चार ओर फैले ए, कठोर, गाय से यु एवं
गोशाला के समान पवत को अ न संबंधी तु तय से उद्घा टत कर दया था. (१५)
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ते म वत थमं नाम धेनो ः स त मातुः परमा ण व दन्.
त जानतीर यनूषत ा आ वभुवद णीयशसा गोः.. (१६)
हे अ न! तु त करने वाले अं गरा ने माता वाणी से संबं धत एवं तु त म सहायक
श द को पहले जाना. बाद म तु तसंबंधी इ क स छं द का ान ा त कया. इसके प ात्
सबको जानती ई उषा क तु त क . फर सूय के तेज से अ ण वण क उषा उ प ई.
(१६)
नेश मो धतं रोचत ौ े ा उषसौ भानुरत.
आ सूय बृहत त द ाँ ऋजु मतषु वृ जना च प यन्.. (१७)
उषा क ेरणा से रात का अंधकार न आ एवं आकाश चमकने लगा. इसके बाद
उषा का काश उ प आ. मनु य के सत् एवं असत् कम को दे खते ए सूय महान् पवत
के ऊपर प ंच गए. (१७)
आ द प ा बुबुधाना
य ा द नं धारय त ुभ म्.
व े व ासु यासु दे वा म धये व ण स यम तु.. (१८)
अं गरा ने सूय दय के बाद प णय ारा चुराई गई गाय को जानते ए पीछे से उन
गाय को भली-भां त दे खा एवं दे व ारा दए गए गो प धन को पाया. अं गरा के सभी
घर म सभी दे व पधारे. हे म तु य एवं व ण के रोग का नाश करने वाले अ न! यजमान
को स य फल ा त हो. (१८)
अ छा वोचेय शुशुचानम नं होतारं व भरसं य ज म्.
शु यूधो अतृण गवाम धो न पूतं प र ष मंशोः.. (१९)
अ यंत द तशाली, दे व को बुलाने वाले, व के पोषक एवं सबसे अ धक य क ा
अ न को ल य करके हम तु तयां बोलते ह. यजमान तु हारी आ त के न म गाय के
थन से प व ध का दोहन एवं सोमरस पी अ को प व करते ए घर म ेपण न करके
केवल तु त ही बोलते ह. (१९)
व ेषाम द तय यानां व ेषाम त थमानुषाणाम्.
अ नदवानामव आवृणानः सुमृळ को भवतु जातवेदाः.. (२०)
अ न सभी य यो य दे व क माता के समान पोषक एवं सभी मनु य के लए अ त थ
के समान पू य ह. तोता का अ भ ण करने वाले एवं सव अ न सुखदाता ह . (२०)
सू -२
दे वता—अ न
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यो म य वमृत ऋतावा दे वो दे वे वर त नधा य.
होता य ज ो म ा शुच यै ह ैर नमनुष ईरय यै.. (१)
जो मरणर हत एवं द अ न मनु य म स ययु , इं ा द दे व के श ु को हराने
वाले, दे व को बुलाने वाले एवं सबसे अ धक य क ा ह, वे अपने महान् तेज से द त होने
एवं यजमान को वग भेजने के लए उ र वेद पर था पत कए गए ह. (१)
इह वं सूनो सहसो नो अ जातो जाताँ उभयाँ अ तर ने.
त ईयसे युयुजान ऋ व ऋजुमु का वृषणः शु ां .. (२)
हे बल के पु एवं दशनीय अ न! तुम आज हमारे य म उ प
ए हो एवं अपने
सीधे, मोटे , तेज वी तथा श शली घोड़ को रथ म जोतकर नभ से भ दे व और मनु य
के बीच ह वहन के लए त बनते हो. (२)
अ या वृध नू रो हता घृत नू ऋत य म ये मनसा ज व ा.
अ तरीयसे अ षा युजानो यु मां दे वा वश आ च मतान्.. (३)
हे स य प अ न! म तु हारे लाल रंग वाले, मन से भी अ धक वेगशाली एवं अ तथा
जल बरसाने वाले घोड़ क तु त करता ं. उन तेज वी घोड़ को रथ म जोतकर य के
पा दे व एवं सेवा करने वाले मनु य के बीच भली-भां त जाते हो. (३)
अयमणं व णं म मेषा म ा व णू म तो अ नोत.
व ो अ ने सुरथः सुराधा ए वह सुह वषे जनाय.. (४)
हे उ म अ , उ म रथ एवं उ म धन वाले अ न! तुम उ म ह व वाले यजमान के
लए अयमा, व ण, म , इं व णु, म द्गण एवं अ नीकुमार को बुलाओ. (४)
गोमाँ अ नेऽ वमाँ अ ी य ो नृव सखा सद मद मृ यः.
इळावाँ एषो असुर जावा द घ र यः पृथुबु नः सभावान्.. (५)
हे श शाली अ न! हमारा यह य गाय, भेड़ एवं घोड़ से यु हो. अ वयु एवं
यजमान वाला य सदै व न न करने यो य, ह अ से यु , पु -पौ आ द स हत,
लगातार चलने वाला, धनपूण, अनेक संप य का कारण तथा उपदे शक ा से भरा हो.
(५)
य त इ मं जभर स वदानो मूधानं वा ततपते वाया.
भुव त य वतवाँ: पायुर ने व मा सीमघायत उ य.. (६)
हे अ न! जो मनु य पसीना बहाकर तु हारे लए लक ड़यां ढोकर लाता है एवं तु ह
पाने क अ भलाषा से अपना सर लकड़ी के बोझे से ःखी करता है, उसे तुम धनशाली
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बनाते हो, पालन करते हो एवं अ न कामना करने वाल से उसक र ा करते हो. (६)
य ते भराद यते चद ं न शष म म त थमुद रत्.
आ दे वयु रनधते रोणे त म य ुवो अ तु दा वान्.. (७)
हे अ न! जो अ क अ भलाषा करने वाले तु हारे लए ह अ धारण करता है,
नशा करने वाला सोम अ धक मा ा म दे ता है, पू य अ त थ के समान तु ह उ र वेद पर
था पत करता है एवं दे व बनने क अ भलाषा से तु ह अपने घर म व लत करता है,
उसका पु प का आ तक एवं व श दानी हो. (७)
य वा दोषा य उष स शंसा यं वा वा कृणवते ह व मान्.
अ ो न वे दम आ हे यावा तमंहसः पीपरो दा ांसम्.. (८)
हे अ न! जो पु ष रात म या ातःकाल तु हारी तु त करता है अथवा हाथ म य
ह लेकर तु ह स करता है, य शाला म सुनहरी काठ वाले घोड़े के समान घूमते ए
तुम द र ता से उसे बचाओ. (८)
य तु यम ने अमृताय दाशद् व वे कृणवते यत ुक्.
न स राया शशमानो व योष ैमंहः प र वरदघायोः.. (९)
हे मरणर हत अ न! जो यजमान तु ह ह दे ता है, अथवा माला हाथ म लेकर तु हारी
सेवा करता है, वह तो को बोलने वाला यजमान धनहीन न हो तथा हसक का क उसे न
छू सके. (९)
य य वम ने अ वरं जुजोषो दे वो मत य सु धतं रराणः.
ीतेदस ो ा सा य व ासाम य य वधतो वृधासः.. (१०)
हे स , युवक एवं द तशाली अ न! तुम जस यजमान का भली कार अ पत एवं
हसार हत अ खाते हो, वह होता अव य स होता है. अ न क सेवा करने वाले जस
यजमान का य होता आ द बढ़ाते ह, हम उसीसे संबंध रखगे. (१०)
च म च चनव व ा पृ ेव वीता वृ जना च मतान्.
राये च नः वप याय दे व द त च रा वा द तमु य.. (११)
व ान् अ न मनु य के पु य एवं पाप को उसी कार अलग कर द. जस कार घोड़
को पालने वाला कोमल और कठोर पीठ वाले घोड़ को अलग-अलग छांट दे ता है. हे अ न
दे व! हम सुंदर संतान के साथ धन दो. तुम दान करने वाले को धन दो और दानहीन से धन
को बचाओ. (११)
क व शशासुः कवयोऽद धा नधारय तो या वायोः.
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अत वं
याँ अ न एता पड् भः प येर ताँ अय एवैः.. (१२)
हे अ न! मनु य के घर म रहने वाले तर कारशू य एवं ांतदश दे व ने तुझ मेधावी
से होता बनने के लए कहा है. हे य वामी! तुम अपने ग तशील तेज से इन दशनीय एवं
आ ययु दे व को दे खो. (१२)
वम ने वाघते सु णी तः सुतसोमाय वधते य व .
र नं भर शशमानाय घृ वे पृथु
मवसे चष ण ाः.. (१३)
हे अ तशय युवा, द तयु , मनु य क अ भलाषा पूरी करने वाले एवं उ र वेद पर
था पत करने यो य अ न! सोम नचोड़ने वाले व तु हारी सेवा तथा तु त करने वाले
यजमान क र ा के लए उसे अ धक मा ा म आनंददायक एवं उ म धन दो. (१३)
अधा ह य यम ने वाया पड् भह ते भ कृमा तनू भः.
रथं न तो अपसा भु रजोऋतं येमुः सु य आशुषाणाः.. (१४)
हे अ न! हम हाथ , पैर एवं शरीर के अ य अवयव ारा जस योजन के लए तु ह
उ प करते ह, उ म कम वाले एवं य ा द कम म त लीन अं गरा भी अपनी भुजा से
अर णमंथन करके तु ह उसी कम के लए इस कार उ प करते ह, जस कार कारीगर
रथ तैयार करता है. (१४)
अधा मातु षसः स त व ा जायेम ह थमा वेधसो नॄन्.
दव पु ा अ रसो भवेमा
जेम ध ननं शुच तः.. (१५)
हम आठ े मेधावी (छः अं गरा एवं सातव वामदे व) जन ने उषा माता से अ न क
करण को लया है. तेज वी सूय के पु हम अं गरा द तयु होते ए गोधन को रोकने
वाले एवं जलपूण पवत को भेदगे. (१५)
अधा यथा नः पतरः परासः नासो अ न ऋतमाशुषाणाः.
शुचीदय द ध तमु थशासः ामा भ द तो अ णीरप न्.. (१६)
हे अ न! हमारे े , पुरातन एवं स चे य के करने म संल न पूवज ने तेज वी थान
तथा द त ा त क थी, उ थमं बोलकर अंधकार को न कया था तथा प णय ारा
चुराई गई लाल रंग वाली गाय को बाहर नकाला था. (१६)
सुकमाणः सु चो दे वय तोऽयो न दे वा ज नमा धम तः.
शुच तो अ नं ववृध त इ मूव ग ं प रषद तो अ मन्.. (१७)
यागा द शोभन काय करने वाले, उ म-द तसंप एवं दे व क अ भलाषा करने वाले
तोतागण य ा द ारा अपना मनु यज म इस कार नमल कर रहे ह, जस कार लोहार
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ध कनी के ारा लोहे को साफ करता है. अ न को द तशाली करते एवं इं को बढ़ाते ए
उन लोग ने य के चार ओर बैठकर महान् गोधन को ा त कया था. (१७)
आ यूथेव ुम त प ो अ य े वानां य ज नमा यु .
मतानां च वशीरकृ वृधे चदय उपर यायोः.. (१८)
हे तेज वी अ न! अं गरा के पवत म बंद गोसमूह को इं ने उसी कार दे खा, जस
कार लोग अ वाले घर म पशुसमूह को दे खते ह. अं गरा
ारा लाई ग गाय से जाएं
संप बनी थ . वामी संतान के पालन एवं दास अपने पालन म समथ ए थे. (१८)
अकम ते वपसो अभूम ऋतमव ुषसो वभा तः.
अनूनम नं पु धा सु ं दे व य ममृजत ा च ःु .. (१९)
हे अ न! हम तु हारी सेवा करते ए शोभन कम वाले बन. काश वाली उषाएं सबको
तेज से ढक दे ती ह तथा स ताकारक अ न को अनेक बार पूण प से धारण करती ह. हे
तेज वी अ न! हम तु हारे मनोहर तेज क सेवा करके शोभनकमयु बन. (१९)
एता ते अ न उचथा न वेधोऽवोचाम कवये ता जुष व.
उ छोच वे कृणु ह व यसो नो महो रायः पु वार य ध.. (२०)
हे वधाता एवं मेधावी अ न! अपने उ े य से बोले गए इस मं समूह को वीकार करो
एवं उ त होकर हम परमसंप शाली बनाओ. हे ब त ारा वरण करने यो य अ न! हम
महान् धन दो. (२०)
सू -३
दे वता—अ न
आ वो राजानम वर य ं होतारं स ययजं रोद योः.
अ नं पुरा तन य नोर च ा र य पमवसे कृणु वम्.. (१)
हे यजमानो! व के समान ुवमृ यु से पहले ही य के वामी, दे व को बुलाने वाले,
श ु को लाने वाले, धरती-आकाश को अ दे ने वाले एवं सुनहरी भा से यु अ न क
अपनी र ा के न म ह व से सेवा करो. (१)
अयं यो न कृमा यं वयं ते जायेव प य उशती सुवासाः.
अवाचीनः प रवीतो न षीदे मा उ ते वपाक तीचीः.. (२)
हे अ न! जस कार प त क अ भलाषा करती ई एवं शोभन व
वाली प नी
अपने समीप प त को थान दे ती है, उसी कार हम तु हारे लए उ र वेद प थान
न त करते ह. हे उ म कम वाले अ न! तुम दे व से घरे ए हमारे सामने बैठो. सम त
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तु तयां तु हारे स मुख ह गी. (२)
आशृ वते अ पताय म म नृच से सुमृळ काय वेधः.
दे वाय श तममृताय शंस ावेव सोता मधुषु मीळे .. (३)
हे तु तक ाओ! तो सुनने वाले, मादर हत, मनु य को दे खने वाले, शोभन
सुखदाता एवं मरणर हत अ न दे व के लए तो बोलो. प थर के समान सोमरस नचोड़ने
वाले यजमान भी अ न क तु त करते ह. (३)
वं च ः श या अ ने अ या ऋत य बो यृत च वाधीः.
कदा त उ था सधमा ा न कदा भव त स या गृहे ते.. (४)
हे अ न! तुम हमारे इस य कम के दे व बनो. हे स यय वाले एवं शोभनकमयु
अ न! तुम हमारे तो को जानो. हम स करने वाले तु हारे तो हमारे घर म कब बोले
जावगे एवं तु हारे साथ म ता हमारे घर म कब बनेगी? (४)
कथा ह त णाय वम ने कथा दवे गहसे क आगः.
कथा म ाय मी षे पृ थ ै वः कदय णे कद्भगाय.. (५)
हे अ न! तुम व ण एवं स वता के समीप हमारी नदा य करते हो? हमसे या
अपराध आ है? तुमने कामवष म , पृ वी, अयमा एवं भग को हमारा पाप य बताया?
(५)
क
यासु वृधसानो अ ने क ाताय तवसे शुभंये.
प र मने नास याय े वः कद ने ाय नृ ने.. (६)
हे अ न! य म बढ़ते ए तुम अ तशय बलशाली, शुभ फलदाता एवं सव गमनशील
अ नीकुमार , वायु, धरती एवं पा पय का नाश करने वाले इं से हमारे पाप के वषय म
य कहते हो? (६)
कथा महे पु भराय पू णे क ाय सुमखाय ह वद.
क णव उ गायाय रेतो वः कद ने शरवे बृह यै.. (७)
हे अ न! हमारे पाप क वह कहानी महान् एवं पु कारक पूषा, पूजनीय एवं ह वदाता
, ब त ारा शं सत व णु अथवा महान् संव सर से य कहते हो? (७)
कथा शधाय म तामृताय कथा सूरे बृहते पृ
त वोऽ दतये तुराय साधा दवो जातवेद
मानः.
क वान्.. (८)
हे अ न! स य प, म द्गण, महान् सूय, दे वी अ द त एवं वेगशाली वायु
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ारा पूछे
जाने पर हमारे पाप क बात उ ह य बताते हो? हे सव अ न! तुम सब कुछ जानते ए
दे व के पास जाओ. (८)
ऋतेन ऋतं नयतमीळ आ गोरामा सचा मधुम प वम ने.
कृ णा सती शता धा सनैषा जामयण पयसा पीपाय.. (९)
हे अ न! हम गाय से उस ध क याचना करते ह जो य से न य संबं धत है. वे गाएं
वयं स ची होते ए भी मधुर ध दे ती ह. वे गाएं वयं काली ह, पर त
े -वण, ाणधारक
एवं जा को अमर बनाने वाले ध से पु करती ह. (९)
ऋतेन ह मा वृषभ द ः पुमाँ अ नः पयसा पृ
ेन.
अ प दमानो अचर योधा वृषा शु ं
हे पृ
धः.. (१०)
कामवष एवं े अ न स य प एवं पालन करने वाले ध से भरे रहते ह. अ दे ने
वाले वे अ न एक जगह रहकर भी सब जगह चलते ह. जलवषक सूय बादल से जल हते
ह. (१०)
ऋतेना
स भद तः सम रसो नव त गो भः.
शुनं नरः प र षद ुषासमा वः वरभव जाते अ नौ.. (११)
मेधा त थ आ द अं गरागो ीय ऋ षय ने य के ारा गाय को रोकने वाले पहाड़ को
उखाड़ फका था एवं वे अपनी गाय के पास प ंच गए थे. उन य नेता ने सुख से उषा को
पाया था. अर णमंथन ारा अ न उ प होने पर सूय दे व कट ए. (११)
ऋतेन दे वीरमृता अमृ ा अण भरापो मधुम र ने.
वाजी न सगषु तुभानः सद म वतवे दध युः.. (१२)
हे अ न! अमृत का कारण, बाधार हत एवं मधुर जल से भरी ई द न दयां य क
ेरणा से सदा इस कार बहती रहती ह, जस कार आगे बढ़ने के लए े रत घोड़ा बढ़ता
है. (१२)
मा क य य ं सद मद्धुरो गा मा वेश य मनतो मापेः.
मा ातुर ने अनृजोऋणं वेमा स युद ं रपोभुजेम.. (१३)
हे अ न! हमारे हसक, बु पड़ोसी अथवा हमारे अ त र कसी भी बंधु के य
म मत जाना तथा कु टलबु वाले हमारे ाता का ह धारण मत करना. हम श ु अथवा
म का दया अ भोग म न लाकर केवल तु हारे ारा दए गए अ का ही उपभोग करगे.
(१३)
र ा णो अ ने तव र णेभी रार ाणः सुमख ीणानः.
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त फुर व ज वीड् वंहो ज ह र ो म ह च ावृधानम्.. (१४)
हे उ म धन वाले, हम लोग के महान् र क एवं ह
ारा स अ न! तुम अपनी
र ा ारा स हम उ त बनाओ, श शाली पाप का नाश करो एवं महान् तथा वृ - ा त
व न का नाश करो. (१४)
ए भभव सुमना अ ने अक रमा पृश म म भः शूर वाजान्.
उत
ा य रो जुष व सं ते श तदववाता जरेत.. (१५)
हे अ न! मेरी इन पू य तु तय ारा स मन बनो. हे शूर! तो के साथ हमारे अ
को वीकार करो. हे ह ा तक ा अ न! हमारे मं को वीकार करो. दे व क तु त के
न म बने मं तु ह बढ़ाव. (१५)
एता व ा व षे तु यं वेधो नीथा य ने न या वचां स.
नवचना कवये का ा यशं सषं म त भ व उ थैः.. (१६)
हे वधाता, य कम के ानी एवं ांतदश ! हम बु मान् लोग तु ह ल य करके फल
ा त कराने वाली, गूढ़, सभी कार कहने यो य एवं व ान ारा बनाई ई सम त तु तय
को एक साथ बोलते ह. (१६)
सू -४
दे वता—अ न
कृणु व पाजः स त या ह राजेवामवाँ इभेन.
तृ वीमनु स त ण
ू ानोऽ ता स व य र स त प ैः.. (१)
हे अ न! बहे लया जस कार जाल फैलाता है, उसी कार तुम अपने भयनाशक
तेजसमूह को फैलाओ. राजा जस कार अपने मं ी के साथ चलता है, उसी कार तुम भी
अपने तेज के साथ आगे बढ़ो. तेज चलने वाली श ुसेना के पीछे चलते ए तुम उसका नाश
करो एवं अपने अ यंत त त तेज से रा स का हनन करो. (१)
तव मास आशुया पत यनु पृश धृषता शोशुचानः.
तपूं य ने जु ा पत ानसे दतो व सृज व वगु काः.. (२)
हे अ न! तु हारी घूमने वाली एवं शी गा मनी करण सब जगह फैलती ह. तुम अ यंत
द त होकर हराने वाले तेज से श ु को जलाओ. हे श ु ारा न
न होने वाले अ न!
तुम अपनी वाला
ारा तेज चनगा रय तथा उ का को चार ओर फैलाओ. (२)
त पशो व सृज तू णतमो भवा पायु वशो अ या अद धः.
यो नो रे अघशंसो यो अ य ने मा क े थरा दधष त्.. (३)
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हे अ तशय वेगशाली अ न! श ु को बाधा प ंचाने वाली करण को वशेष प से
फैलाओ. हे हसार हत अ न! जो र रहकर हमारा बुरा चाहता है अथवा पास रहकर हमारे
अ न क इ छा करता है, तुम उससे हम लोग क र ा करो. हम तु हारे ह. कोई हम हरा न
सके. (३)
उद ने त
या तनु व य१ म ाँ ओषता महेते.
यो नो अरा त स मधान च े नीचा तं ध यतसं न शु कम्.. (४)
हे तेज वाला वाले अ न! उठो एवं रा स के नाश म लगो, श ु के व
अपनी वालाएं फैलाओ एवं तेज-समूह ारा श ु को जलाओ. हे भली कार व लत
अ न! जो
हमसे श ुता रखता हो उस नीच को सूखी लकड़ी के समान जला दो. (४)
ऊ व भव त व या य मदा व कृणु व दै ा य ने.
अव थरा तनु ह यातुजूनां जा ममजा म मृणी ह श ून्.. (५)
हे अ न! तुम तैयार हो जाओ और हमसे अ धक बलशाली रा स को एक-एक करके
मारो, अपने द तेज का आ व कार करो, ा णय को लेश दे ने वाले रा स के धनुष को
डोरी से हीन बनाओ तथा हमारे ारा परा जत अथवा अपरा जत सभी श ु को समा त
करो. (५)
स ते जाना त सुम त य व य ईवते
णे गातुमैरत्.
व ा य मै सु दना न रायो ु ना यय व रो अ भ ौत्.. (६)
हे अ तशय युवा, गमनशील एवं े अ न! तु हारी तु त करने वाला
तु हारा
अनु ह ा त करता है. हे य वामी अ न! तुम उसके लए संपूण प से उ म दवस, धन
एवं र न को लेकर उसके घर के सामने का शत बनो. (६)
सेद ने अ तु सुभगः सुदानुय वा न येन ह वषा य उ थैः.
प ीष त व आयु ष रोणे व द
े मै सु दना सास द ः.. (७)
हे अ न! जो
तु ह न य ह एवं मं से स करना चाहता है, वह शोभन-धन
वाला एवं दानशील हो, क ठनता से मलने वाली सौ वष क आयु ा त करे, उसके सभी
दन उ म ह एवं उसका य फल दे ने वाला हो. (७)
अचा म ते सुम त घो यवा सं ते वावाता जरता मयं गीः.
व ा वा सुरथा मजयेमा मे
ा ण धारयेरनु ून्.. (८)
हे अ न! हम तु हारी शोभन-बु क उपासना करते ह. बार-बार तु ह ा त होने के
वचार से बोली गई वाणी गूंजती ई तु हारी तु त करे. हम सुंदर घोड़ एवं शोभन रथ से
यु होकर तु ह अलंकृत कर. तुम त दन हम लोग को धनसंप बनाओ. (८)
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इह वा भूया चरे प म दोषाव तद दवांसमनु ून्.
ळ त वा सुमनसः सपेमा भ ु ना त थवांसो जनानाम्.. (९)
हे रात- दन द त होने वाले अ न! ब त से लोग इस संसार म त दन तु हारी सेवा
करते ह. हम भी श ुजन क संप यां तु हारी कृपा से अपने अ धकार म करते ए तथा
अपने घर म पु -पौ के साथ ड़ा करते ए स मन से तु हारी सेवा कर. (९)
य वा व ः सु हर यो अ न उपया त वसुमता रथेन.
त य ाता भव स त य सखा य त आ त यमानुष जुजोषत्.. (१०)
हे अ न! सुंदर घोड़ वाला एवं य के यो य संप य का वामी जो पु ष अ यु रथ
के ारा तु हारे पास आता है, तुम उसक र ा करते हो, जो पु ष म से तु हारा अ त थ
स कार करता है, उसके तुम म बनते हो. (१०)
महो जा म ब धुता वचो भ त मा पतुग तमाद वयाय.
वं नो अ य वचस क होतय व सु तोदमूनाः.. (११)
हे होता, अ तशय युवा एवं शोभन-बु अ न! तो
ारा हमने तु हारी म ता ा त
क है. उससे हम अपने श ु रा स का नाश कर. यह तो हम अपने पता गौतम से ा त
आ है. हे श ुनाशक अ न! हमारे इन तु तवचन को जानो. (११)
अ व ज तरणयः सुशेवा अत ासोऽवृका अ म ाः.
ते पायवः स य चो नष ा ने तव नः पा वमूर.. (१२)
हे सव अ न! तु हारी जाग क, न य ग तशील, उ म-सुख दे ने वाली, आल यहीन,
हसार हत, कभी न थकने वाली, पर पर मली ई एवं र क करण हमारे य म बैठकर
हमारी र ा कर. (१२)
ये पायवो मामतेयं ते अ ने प य तो अ धं रतादर न्.
रर ता सुकृतो व वेदा द स त इ पवो नाह दे भुः.. (१३)
हे अ न! तु हारी र ा करने वाली एवं क णा यु करण ने ममता के अंधे पु
द घतमा क शाप से र ा क थी. हे सब कुछ जानने वाले अ न! तुम उन उ म कम वाली
करण क र ा करते हो. न करने क इ छा रखने वाले श ु भी उसे समा त नह कर सके.
(१३)
वया वयं सध य१ वोता तव णी य याम वाजान्.
उभा शंसा सूदय स यतातेऽनु ु या कृण याण.. (१४)
हे अल जत गमन वाले अ न! हम तोता तु हारी कृपा से धनयु
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एवं र त होकर
तु हारी ेरणा से अ ा त कर. हे स य को व तृत करने वाले एवं पापनाशक अ न! हमारे
र एवं समीपवत श ु को न करो तथा मशः सब काय पूरे करो. (१४)
अया ते अ ने स मधा वधेम त तोमं श यमानं गृभाय.
दहाशसो र सः पा १ मा हो नदो म वहो अव ात्.. (१५)
हे अ न! इस द त तु त ारा हम तु हारी सेवा कर. हमारी तु त को हण करो एवं
तु त न करने वाले रा स को जलाओ. हे म
ारा पूजनीय अ न! ोह एवं नदा करने
वाल के अपयश से हम बचाओ. (१५)
सू -५
दे वता—अ न
वै ानराय मी षे सजोषाः कथा दाशेमा नये बृह ाः.
अनूनेन बृहता व थेनोप तभाय प म रोधः.. (१)
पर पर समान ेम रखने वाले हम ऋ वज् और यजमान कामवष एवं भासमान महान्
वै ानर अ न को कस कार ह द? थूना जस कार छ पर को धारण करता है, उसी
कार अ न अपने वशाल एवं संपूण शरीर से वग को धारण करते ह. (१)
मा न दत य इमां म ं रा त दे वो ददौ म याय वधावान्.
पाकाय गृ सो अमृतो वचेता वै ानरो नृतमो य ो अ नः.. (२)
हे होताओ! वै ानर अ न क नदा मत करो. वे ह पाकर हम मरणशील एवं पूणान वाले यजमान को यह दान दे ते ह. वे मेधावी, मरणर हत, व श बु वाले, नेता म
े तथा महान् ह. (२)
साम बहा म ह त मभृ ः सह रेता वृषभ तु व मान्.
पदं न गोरपगू हं व व ान नम ं े वोच मनीषाम्.. (३)
म यम और उ म दो थान म वराजमान, ती ण तेज वाले, अ धक सारयु ,
कामवष , ब धनी, खोई ई गाय के चरण च के समान रह यपूण एवं जानने यो य अ न
हमारे पू य एवं य तो को बार-बार जानकर हम बताव. (३)
ताँ अ नबभस मज भ त प ेन शो चषा यः सुराधाः.
ये मन त व ण य धाम या म य चेततो ुवा ण.. (४)
शोभन धनयु एवं तीखे दांत वाले अ न अ यंत तापकारी तेज ारा उ ह न कर जो
जानने वाले म और व ण के य तथा ुवतेज क नदा करते ह. (४)
अ ातरो न योषणो तः प त रपो न जनयो रेवाः.
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पापासः स तो अनृता अस या इदं पदमजनता गभीरम्.. (५)
बंध-ु बांधवर हत नारी के समान य ा द यागकर जाने वाले, प त से े ष करने वाली
य के समान राचारी, पापी, मानस तथा वा चक-स य-र हत लोग नरक को ा त होते
ह. (५)
इदं मे अ ने कयते पावका मनते गु ं भारं न म म.
बृह धाथ धृषता गभीरं य ं पृ ं यसा स तधातु.. (६)
हे प व क ा अ न! जैसे अ प-श वाले
पर भारी बोझा लादा जाता है, उसी
कार तु हारा कम मेरे लए भारी है, पर म उसका याग नह करता. तुम मुझे य, अ धक,
श ु को हराने वाले अ से यु , गंभीर, महान्, पश करने यो य एवं सात कार का धन
दान करो. (६)
त म वे३व समना समानम भ वा पुनती धी तर याः.
सस य चम ध चा पृ ेर े प आ पतं जबा .. (७)
उपयु एवं हम प व करने वाली तु त कम के साथ शी ही वै ानर के पास प ंचे.
वह तु त वै ानर अ न के द तमंडल पृ वी से न त वगलोक के ऊपर घूमने के लए
दे व ने पूव दशा म था पत क है. (७)
वा यं वचसः क मे अ य गुहा हतमुप न ण वद त.
य
याणामप वा रव पा त यं पो अ ं पदं वेः.. (८)
मेरे इस वचन के अ त र कहने यो य अ य बात या है? जानने वाले लोग कहते ह
क ध काढ़ने वाले जस ध को जल के समान नकालते ह, उसे वै ानर अ न गुफा म
छपाकर रखते ह एवं फैली ई धरती के सव य तथा े थान क र ा करते ह. (८)
इदमु य म ह महामनीकं य
या सचत पू गौः.
ऋत य पदे अ ध द ानं गुहा रघु य घुय वेद.. (९)
धा गाय ारा अ नहो ा द के लए से वत, अ यंत चमकता आ, गुफा म शी
ग तशील, स , महान् एवं पू य सूयमंडल पी वै ानर अ न को म जान चुका ं. (९)
अध त
ु ानः प ोः सचासामनुत गु ं चा पृ ेः.
मातु पदे परमे अ त षद्गोवृ णः शो चषः यत य ज ा.. (१०)
द यमान वै ानर अ न धरती-आकाश पी माता- पता के बीच म ा त रहकर गाय
के थन म छपे ए ध को मुंह से पीने के लए जागृत ए थे. कामवष , द त एवं
आहवानीय प से न त वै ानर अ न क जीभ गोमाता के थन प उ म थान म
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उप थत है. (१०)
ऋतं वोचे नमसा पृ
मान तवाशसा जातवेदो यद दम्.
वम य य स य व ं द व य
वणं य पृ थ ाम्.. (११)
मुझ यजमान से य द कोई नम कार करके पूछे तो म स य क ंगा. हे जातवेद अ न!
य द तु हारी तु त से हम धन मलेगा तो उसके वामी तु ह बनोगे. सबके धन भी तु हारे ही
ह, चाहे वे धन वग म ह या धरती पर. (११)
क नो अ य वणं क र नं व नो वोचो जातवेद क वान्.
गुहा वनः परमं य ो अ य रेकु पदं न नदाना अग म.. (१२)
इस धन का साधन प धन या है? हतकर धन या है? हे जातवेद! तुम इस बात को
जानते हो, इस लए हम बताओ. धन ा त के माग का गूढ़ उपाय भी हम बताओ. हम नदा
के पा बने बना गंत
थान को पा सक. (१२)
का मयादा वयुना क वामम छा गमेम रघवो न वाजम्.
कदा नो दे वीरमृत य प नीः सूरो वणन ततन ुषासः.. (१३)
पूव आ द दशा क सीमा, पदाथ ान एवं रमणीय व तुएं या ह? इ ह हम उसी
कार ा त कर, जस कार तेज दौड़ने वाला घोड़ा यु भू म म प ंच जाता है. काशयु ,
मरणर हत, सूय का पालन करने वाली एवं ज म दे ने वाली उषाएं हम अपने काश से कब
घेरगी? (१३)
अ नरेण वचसा फ वेन ती येन कृधुनातृपासः.
अधा ते अ ने क महा वद यनायुधास आसता सच ताम्.. (१४)
हे अ न! ह -अ से र हत तु तय एवं अथहीन ओछे वचन ारा अतृ त लोग इस
संसार म तु हारे वषय म जो कुछ कहते ह, वह थ है, ह - पी साधन के बना वे लोग
ःख उठाते ह. (१४)
अ य ये स मधान य वृ णो वसोरनीकं दम आ रोच.
श सानः सु शीक पः तन राया पु वारो अ ौत्.. (१५)
यजमान के क याण के न म
व लत, कामवष एवं नवास थान दे ने वाले अ न
क वालाएं य शाला क ओर चमकती ह. तेजधारी, रमणीय बल वाले व अनेक यजमान
ारा तुत अ न इस कार का शत होते ह, जस कार अ आ द धन से राजा शोभा
पाता है. (१५)
सू -६
दे वता—अ न
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ऊ व ऊ षु णो अ वर य होतर ने त दे वताता यजीयान्.
वं ह व म य स म म वेधस
र स मनीषाम्.. (१)
हे य के होता एवं य क ा म े अ न! हमारे य म तुम ऊंचे थान पर बैठो,
श ु के सम त धन पर अ धकार करो एवं यजमान क तु त को बढ़ाओ. (१)
अमूरो होता यसा द व १ नम ो वदथेषु चेताः.
ऊ व भानुं स वतेवा े मेतेव धूमं तभाय प ाम्.. (२)
ग भ, य पूण करने वाले, ह षत करने वाले एवं अ धक ान-यु अ न य म
जा के साथ बैठते ह, उ दत सूय के समान ऊपर क ओर मुंह करते ह एवं अपने धुएं को
आकाश के ऊपर इस कार था पत करते ह, जस कार थूना अपने ऊपर बांस आ द को
रखता है. (२)
यता सुजूण रा तनी घृताची द
उ व नवजा ना ः प ो अन
णद् दे वता तमुराणः.
सु धतः सुमेकः.. (३)
भली कार पकड़ी ई और पुरानी घृताची (पा वशेष) घी से भरी ई है. य को
बढ़ाने वाले अ वयु द णा कर रहे ह. ताजा बनाया आ यूप ऊंचा उठता है. आ मण
करने वाला एवं द त वाला कुठार भी पशु क ओर चलता है. (३)
तीण ब ह ष स मधाने अ ना ऊ व अ वयुजुजुषाणो अ थात्.
पय नः पशुपा न होता व े त दव उराणः.. (४)
वेद पर कुश बछ जाने एवं अ न के
व लत हो जाने पर अ वयु उ ह स करने के
लए उठता है. य पूण करने वाले एवं पुरातन अ न थोड़े ह को भी ब त बनाते ए इस
कार तीन बार पशु क प र मा करते ह, जस कार पशु को पालने वाला. (४)
प र मना मत रे त होता नम ो मधुवचा ऋतावा.
व य य वा जनो न शोका भय ते व ा भुवना यद ाट् .. (५)
ये होता, स करने वाले, मधुरभाषी एवं य के वामी अ न सी मत चाल से पशु
के चार ओर घूमते ह. इनका काश घोड़े के समान चार ओर भागता है. अ न के
व लत
होने पर सभी ाणी डर जाते ह. (५)
भ ा ते अ ने वनीक स घोर य सतो वषुण य चा ः.
न य े शो च तमसा वर त न व मान त वी३ रेप आ धुः.. (६)
हे शोभन वाला वाले, भयजनक एवं सव
ा त अ न! तु हारी रमणीय एवं
क याणी मू त भली कार दखाई दे ती है. तु हारी द त को अंधकार नह रोक सकता एवं
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व वंसकारी रा स तु हारे शरीर म पाप का वेश नह करा सकते. (६)
न य य सातुज नतोरवा र न मातरा पतरा नू च द ौ.
अधा म ो न सु धतः पावको३ नद दाय मानुषीषु व ु.. (७)
हे वषाकारक अ न! तु हारे पशु आ द दान को अ य लोग नह रोक सकते. माता- पता
के समान धरती-आकाश भी तु ह ेरणा दे ने म समथ नह होते. भली कार तृ त एवं शु
करने वाले अ न मानव जा म म के समान का शत होते ह. (७)
य प च जीज संवसानाः वसारो अ नं मानुषीषु व ु.
उषबुधमथय ३ न द तं शु ं वासं परशुं न त मम्.. (८)
य के समान पर पर मली ई मनु य क दस उंग लयां मंथन ारा ातःकाल
जागने वाले, ह -भ णक ा, करण ारा द त, सुंदर मुख वाले एवं तेज परशु के समान
रा सहननक ा अ न को उ प करती ह. (८)
तव ये अ ने ह रतो घृत ना रो हतास ऋ व चः व चः.
अ षासो वृषण ऋजुमु का आ दे वता तम त द माः.. (९)
हे अ न! नाक के नथुन से फेन गराने वाले, लाल रंग वाले, सीधे चलने वाले,
द तशाली, कामवष , साधनयु एवं सुंदर घोड़े ऋ वज ारा हमारे य क ओर बुलाए
जाते ह. (९)
ये ह ये ते सहमाना अयास वेषासो अ ने अचय र त.
येनासो न वसनासो अथ तु व वणसो मा तं न शधः.. (१०)
हे अ न! तु हारी श ु को परा जत करने वाली, गमनशील, द त व सेवा करने यो य
करण घोड़ के समान अपने गंत
थान पर जाती ह एवं म त के समान अ धक आवाज
करती ह. (१०)
अका र
स मधान तु यं शंसा यु थं यजते ू धाः.
होतारम नं मनुषो न षे नम य त उ शजः शंसमायोः.. (११)
हे व लत अ न! तु हारे लए हमने तो बनाया है. उसी को होतागण बोलते ह.
यजमान तु हारे न म य करते ह. इस लए तुम हम धन दो. ऋ वज् मानव ारा
शंसनीय व दे व को बुलाने वाले अ न क पूजा करने के लए हम धन क कामना से बैठे
ह. (११)
सू -७
दे वता—अ न
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अय मह थमो धा य धातृ भह ता य ज ो अ वरे वी ः.
यम वानो भृगवी व चुवनेषु च ं व वं वशे वशे.. (१)
आ वान् एवं अ य भृगुवंशी ऋ षय ने वन म दावा न प से दशनीय एवं सम त
जा के वामी अ न को
व लत कया था. वे ही दे व को बुलाने वाले, अ तशय
य क ा, य म ऋ वज ारा तु य एवं दे व म सव े अ न य क ा
ारा था पत
कए गए ह. (१)
अ ने कदा त आनुष भुव े व य चेतनम्.
अधा ह वा जगृ रे मतासो व वी म्.. (२)
हे ोतमान एवं मानव
हण करते ह. (२)
ारा पू य अ न! तु हारा तेज कब ग तशील होगा? मनु य तु ह
ऋतावानं वचेतसं प य तो ा मव तृ भः.
व ेषाम वराणां ह कतारं दमेदमे.. (३)
मायार हत, व श - ान वाले, तार से भरे ए आकाश के समान चनगा रय से यु
एवं सम त य क वृ करने वाले अ न को दे खते ए ऋ वज ने उ ह येक य शाला
म हण कया. (३)
आशुं तं वव वतो व ा य षणीर भ.
आ ज ुः केतुमायवो भृगवाणं वशे वशे.. (४)
मनु य सम त जा को परा जत करने वाले, ती ग त, यजमान के त, झंडे के
समान ान कराने वाले एवं द तमान् अ न को सभी जा के क याण के लए लाते ह.
(४)
तम होतारमानुष च क वांसं न षे दरे.
र वं पावकशो चषं य ज ं स त धाम भः.. (५)
ऋ वज् आ द मानव ने स , मशः दे व को बुलाने वाले, ानसंप , रमणीय,
प व काश वाले, े य क ा एवं सात तेज से यु अ न को था पत कया था. (५)
तं श तीषु मातृषु वन आ वीतम तम्.
च ं स तं गुहा हतं सुवेदं कू चद थनम्.. (६)
माता के समान जलसमूह म एवं वृ म वतमान, सुंदर, जलने के डर से ा णय ारा
असे वत, व च , गुहा म छपे ए, शोभन धनयु एवं सभी जगह ह क अ भलाषा करने
वाले अ न को ऋ वज ने था पत कया था. (६)
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सस य य युता स म ध
ू ृत य धाम णय त दे वाः.
महाँ अ ननमसा रातह ो वेर वराय सद म तावा.. (७)
दे वगण ातःकाल न द याग कर जल के कारणभूत य म अ न को स करते ह.
महान्, नम कारपूवक ह दए गए एवं स ययु अ न सदा ही यजमान के य को जान.
(७)
वेर वर य या न व ानुभे अ ता रोदसी स च क वान्.
त ईयसे दव उराणो व रो दव आरोधना न.. (८)
हे व ान् य के त, काय को जानने वाले, धरती और आकाश के म य भाग से
भली-भां त प र चत, पुरातन, थोड़े ह को अ धक करने म समथ, अ तशय व ान् एव दे व
के त अ न! तुम दे व को ह व दे ने के लए वग क सी ढ़य पर चढ़ते हो. (८)
कृ णं त एम शतः पुरो भा र व१ चवपुषा मदे कम्.
यद वीता दधते ह गभ स
जातो भवसी तः.. (९)
हे द तशाली अ न! तु हारा गमन माग काला है, तु हारे आगे-आगे चलता है एवं
तु हारा ग तशील तेज पशा लय म सव म है. यजमान तु ह न पाकर तु हारी उ प म
कारण का को रखते ह. इसके बाद तुम शी उ प होकर यजमान के त बनते हो. (९)
स ो जात य द शानमोजो यद य वातो अनुवा त शो चः.
वृण
त मामतसेषु ज ां थरा चद ा दयते व ज भैः.. (१०)
अर णमंथन के प ात् उ प अ न का तेज ऋ वज को दखाई दे ता है. जब अ न
क लपट को ल य करके हवा चलती है तो अ न अपनी वाला को वृ से मला दे ते ह एवं
थर का को अपने तेज से जला दे ते ह. (१०)
तृषु यद ा तृषुणा वव तृषुं तं कृणुते य ो अ नः.
वात य मे ळ सचते नजूव ाशुं न वाजयते ह वे अवा.. (११)
अ न अपनी लपट ारा लक ड़य को शी ही जला दे ते ह. महान् अ न वयं को तेज
चलने वाला त बनाते ह एवं लक ड़य को वशेष प से जलाते ए वायु क श
से
सहायता लेते ह. जस कार सवार घोड़े को श शाली बनाता है, उसी कार अ न अपनी
करण को बलयु करते ह. (११)
सू -८
तं वो व वेदसं ह वाहमम यम्. य ज मृ
दे वता—अ न
से गरा.. (१)
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हम तु त ारा सम त धन के वामी, दे व को ह व प ंचाने वाले, मरणर हत, अ तशय
य पा एवं दे व त अ न को बढ़ाते ह. (१)
स ह वेदा वसु ध त महाँ आरोधनं दवः. स दे वाँ एह व त.. (२)
वे महान् अ न यजमान के धन का दान ह एवं वग क सी ढ़य को जानते ह. वे दे व
को इस य म लाव. (२)
स वेद दे व आनमं दे वाँ ऋतायते दमे. दा त
या ण च सु.. (३)
वे तेजयु अ न यजमान से मशः दे व के
य शाला म यजमान को य धन दे ते ह. (३)
स होता से
त नम कार कराना जानते ह एवं
यं च क वाँ अ तरीयते. व ाँ आरोधनं दवः.. (४)
दे व का आ ान करने वाले अ न तकम एवं वग क सी ढ़य को जानकर धरतीआकाश के म य म चलते ह. (४)
ते याम ये अ नये ददाशुह दा त भः. य पु य त इ धते.. (५)
जो यजमान अ न को ह दे कर स
व लत करते ह, हम उ ह के समान बन. (५)
करते ह, बढ़ाते ह एवं स मधा
ारा
ते राया ते सुवीयः ससवांसो व शृ वरे. ये अ ना द धरे वः.. (६)
जो यजमान अ न क सेवा करते ह, वे अ न क सेवा से धन पाकर एवं
पौ ा द ारा स बनते ह. (६)
स
पु -
अ मे रायो दवे दवे सं चर तु पु पृहः. अ मे वाजास ईरताम्.. (७)
ऋ वज् आ द ारा चाहा गया धन
य क ेरणा दे . (७)
स व
षणीनां शवसा मानुषाणाम्. अ त
मेधावी अ न अपनी श
करते ह. (८)
सू -९
त दन हम यजमान के समीप आवे एवं अ हम
ारा मानव जा
ेव व य त.. (८)
के न करने यो य पाप सवथा न
दे वता—अ न
अ ने मृळ महाँ अ स य ईमा दे वयुं जनम्. इयेथ ब हरासदम्.. (१)
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हे महान् अ न! हम लोग को सुखी करो एवं दे व क अ भलाषा करने वाले यजमान
के पास कुश पर बैठने के लए आओ. (१)
स मानुषीषु ळभो व ु ावीरम यः. तो व ेषां भुवत्.. (२)
रा स आ द ारा अ ह सत, मानव
मरणर हत अ न सब दे व के त बन. (२)
जा
म भली
कार गमन करने वाले एवं
स सद्म प र णीयते होता म ो द व षु. उत पोता न षीद त.. (३)
ऋ वज ारा य शाला म लाए गए अ न य
पोता बनकर बैठते ह. (३)
उत ना अ नर वर उतो गृहप तदमे. उत
ा न षीद त.. (४)
वे अ न य म दे वप नी, अ वयु, गृहप त अथवा
वे ष
ा बनकर बैठते ह. (४)
वरीयतामुपव ा जनानाम्. ह ा च मानुषाणाम्.. (५)
हे अ न! तुम य करने के इ छु क लोग का ह
हो. (५)
वेषी
म शंसनीय होता बनते ह अथवा
य
चाहते हो एवं य कम के उपव ा
यं१ य य जुजोषो अ वरम्. ह ं मत य वो हवे.. (६)
हे अ न! तुम जस यजमान के य म ह वहन करने का काम वीकार कर लेते हो,
उसका तकम करने क भी अ भलाषा करते हो. (६)
अ माकं जो य वरम माकं य म रः. अ माकं शृणुधी हवम्.. (७)
हे अं गरा अ न! तुम हमारे य क सेवा करो, हमारे ह व को वीकार करो तथा हमारे
तो को सुनो. (७)
प र ते ळभो रथोऽ माँ अ ोतु व तः. येन र स दाशुषः.. (८)
हे अ न! तुम जस रथ क सहायता से सभी दशा म जाकर ह
क र ा करते हो, तु हारा वही लभ रथ मेरे चार ओर रहे. (८)
दे वता—अ न
सू -१०
अ ने तम ा ं न तोमैः
दे ने वाले यजमान
तुं न भ ं
द पृशम्. ऋ यामा त ओहैः.. (१)
हे अ न! हम ऋ वज् इं आ द दे व को ा त करने वाली तु तय
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ारा अ
के
समान ढोने वाले, य क ा के समान उपकारक, भ एवं
अधा
ने
तोभ य द
य तुमको बढ़ाते ह. (१)
य साधोः. रथीऋत य बृहतो बभूथ.. (२)
हे अ न! तुम इसी समय हमारे भ , बढ़े ए, मनचाहे फल दे ने वाले, स य एवं महान्
य के नेता हो. (२)
ए भन अकभवा नो अवाङ् व१ण यो तः. अ ने व े भः सुमना अनीकैः.. (३)
हे सूय के समान तेज वी तथा सम त तेजयु
इन पूजनीय तो
ारा हमारे सामने आओ. (३)
आ भ े अ गी भगृण तोऽ ने दाशेम.
शु
व शोभन गमन वाले अ न! तुम हमारे
ते दवो न तनय त शु माः.. (४)
हे अ न! हम आज इन तु तय ारा तु हारी शंसा करते ए तु ह ह व दगे. तु हारी
करने वाली वालाएं सूय क करण के समान श द करती ह. (४)
तव वा द ा ने सं
हे अ न! तु हारा
शोभा पाता है. (५)
रदा चद इदा चद ोः.
ये
मो न रोचत उपाके.. (५)
यतम काश रात- दन अलंकार के समान पदाथ के समीप आकर
घृतं न पूतं तनूररेपाः शु च हर यम्. त े
मो न रोचत वधावः.. (६)
हे अ के वामी अ न! तु हारा शरीर शु घृत के समान पापर हत है. तु हारा शु
एवं रमणीय तेज अलंकार के समान चमकता है. (६)
कृतं च
मा सने म े षोऽ न इनो ष मतात्. इ था यजमाना तावः.. (७)
हे स ययु अ न! यजमान
के पाप को न करते हो. (७)
ारा उ प होने पर भी चरंतन तुम न य ही यजमान
शवा नः स या स तु ा ा ने दे वेषु यु मे. सा नो ना भः सदने स म ूधन्.. (८)
हे ोतमान अ न! तु हारे त हमारी म ता एवं बंधु व भाव क याणकारी हो. यह
भावना दे व थान एवं सम त य म हमारा आधार हो. (८)
सू -११
दे वता—अ न
भ ं ते अ ने सह स नीकमुपाक आ रोचते सूय य.
शद् शे द शे न या चद
तं श आ पे अ म्.. (१)
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हे श शाली अ न! तु हारा य तेज दन के समय चार ओर का शत होता है.
तु हारा काशयु एवं दशनीय तेज रात म भी दखाई दे ता है. हे पवान् अ न! ऋ वज्
आ द तुम म चकना एवं सुंदर अ डालते ह. (१)
व षा ने गृणते मनीषां खं वेपसा तु वजात तवानः.
व े भय ावनः शु दे वै त ो रा व सुमहो भू र म म.. (२)
हे अनेक बार ज म लेने वाले एवं ऋ वज ारा तुत अ न! य कम के ारा तु त
करने वाले यजमान के लए तुम पु यलोक के ार खोलो. हे द यमान एवं शोभन तेज वाले
अ न! दे व के साथ मलकर तुम यजमान को जो धन दे ते हो, वही अ धक एवं उ म धन
हम दो. (२)
वद ने का ा व मनीषा व था जाय ते रा या न.
वदे त वणं वीरपेशा इ था धये दाशुषे म याय.. (३)
हे अ न! ह वहन और दे व को बुलाने का काम, तु त पी वचन एवं पूजा करने
यो य उ थ तुम ही से उ प होते ह. स यकम वाले एवं ह दान करने वाले यजमान के
लए व ांत प एवं धन तुमसे ही नकलता है. (३)
व ाजी वाज भरो वहाया अ भ कृ जायते स यशु मः.
व यदवजूतो मयोभु वदाशुजूजुवाँ अ ने अवा.. (४)
हे अ न! तुमसे बलवान्, ह अ वहन करने वाला, महान् य क ा एवं स ची श
से यु पु उ प होता है. दे व ारा े रत एवं सुख दे ने वाला धन एवं शी गामी तथा
वेगशाली अ भी तु ह से उ प होता है. (४)
वाम ने थमं दे वय तो दे वं मता अमृत म ज म्.
े षोयुतमा ववास त धी भदमूनसं गृहप तममूरम्.. (५)
हे मरणर हत दे व म थम, काशयु , दे व को स करने वाली ज ा वाले, पाप
र करने वाले, रा सदमनकारी मन से यु , गृहप त एवं ग भ अ न! दे व क कामना
करने वाले यजमान तु तय ारा तु हारी भली कार सेवा करते ह. (५)
आरे अ मदम तमारे अंह आरे व ां म त य पा स.
दोषा शवः सहसः सूनो अ ने यं दे व आ च सचसे व त.. (६)
हे बलपु , रा म क याणकारी एवं ोतमान अ न! तुम क याण करने के लए
हमारी सेवा करते हो. तुम अम त, पाप और म त को हमारे पास से र करो. (६)
सू —१२
दे वता—अ न
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य वाम न इ धते यत ु
ते अ ं कृणव स म हन्.
स सु ु नैर य तु स व वा जातवेद क वान्.. (१)
हे अ न! जो यजमान ुच उठाकर तु ह व लत करता है एवं दन म तीन बार तु ह
ह अ दे ता है, हे जातवेद! वह तु ह संतु करने वाले धन आ द से बढ़ते ए तु हारे तेज
को जानता आ धन ारा श ु को पूरी तरह हरावे. (१)
इ मं य ते जभर छ माणो महो अ ने अनीकमा सपयन्.
स इधानः त दोषामुषासं पु य य सचते न म ान्.. (२)
हे महान् अ न! जो
तु हारे लए धन लाता है तथा लकड़ी ढोने से थककर
महान् तेज क सेवा करता आ रात और दन के समय तु ह व लत करता है, वह संतान
एवं पशु से पु होकर श ु का नाश करता आ धन ा त करता है. (२)
अ नरीशे बृहतः
य या नवाज य परम य रायः.
दधा त र नं वधते य व ो ानुषङ् म याय वधावान्.. (३)
अ न महान् बल, उ कृ अ एवं पशु आ द धन के वामी ह. अ तशय युवा एवं
अ यु अ न अपनी सेवा करने वाले यजमान को रमणीय धन दे ते ह. (३)
य च ते पु ष ा य व ा च भ कृमा क चदागः.
कृधी व१ माँ अ दतेरनागा ेनां स श थो व वग ने.. (४)
हे अ तशय युवा अ न! य प हम अ ान के कारण तु हारी सेवा करने वाल के त
कुछ पाप करते ह, फर भी तुम हम धरती पर पापर हत बनाओ. चार ओर फैले ए हमारे
पाप को ढ ला करो. (४)
मह द न एनसो अभीक ऊवा े वानामुत म यानाम्.
मा ते सखायः सद म षाम य छा तोकाय तनयाय शं योः.. (५)
हे अ न! तु हारे सखा प हमने दे व अथवा मनु य के त जो महान् एवं व तृत पाप
कया है, उससे हम कभी पी ड़त न ह . तुम हमारे पु और पौ के लए शां त एवं सुख दो.
(५)
यथा ह य सवो गौय च प द षताममु चता यज ाः.
एवो व१ म मु चता ंहः ताय ने तरं न आयुः.. (६)
हे पूजा के यो य एवं नवास दे ने वाले अ न! जस कार तुमने बंधे ए पैर वाली गौरी
नामक गाय को छु ड़ाया था, उसी कार हम पाप से छु ड़ा लो. हे अ न! अपने ारा बढ़ाई ई
हमारी आयु को और अ धक बढ़ाओ. (६)
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सू —१३
दे वता—अ न
य न षसाम म य भातीनां सुमना र नधेयम्.
यातम ना सुकृतो रोणमु सूय यो तषा दे व ए त.. (१)
शोभन मन वाले अ न अंधकार- वना शनी उषा का मनोहर काश फैलने के समय से
पहले ही बढ़ने लगते ह. हे अ नीकुमारो! तुम यजमान के घर जाओ. सूय दे व काश के
साथ आ रहे ह. (१)
ऊ व भानुं स वता दे वो अ ेद ् सं द व वद्ग वषो न स वा.
अनु तं व णो य त म ो य सूय द ारोहय त.. (२)
स वता दे व ऊपर जाने वाली करण का सहारा लेते ह. करण जब सूय को आकाश
पर चढ़ाती ह, तब व ण, म एवं अ य दे व अपने कम इस कार ारंभ करते ह, जैसे धूल
उड़ाता आ बैल गाय के पीछे चलता है. (२)
यं सीमकृ व तमसे वपृचे ुव म
े ा अनव य तो अथम्.
तं सूय ह रतः स त य ः पशं व य जगतो वह त.. (३)
सृ करने वाले दे व ने संसार का काय न याग कर अंधकार को सभी कार से र
करने के न म जस सूय को बनाया, ह र नामक सात महान् घोड़े सम त ा णय को
जानने वाले उस सूय को ढोते ह. (३)
व ह े भ वहर या स त तुमव य सतं दे व व म.
द व वतो र मयः सूय य चमवावाधु तमो अ व१ तः.. (४)
हे सूय दे व! तुम व का नवाह करने वाला रस हण करने के लए अपनी करण
फैलाते ए एवं काले रंग क रात को न करते ए अपने अ यंत वेगवान् घोड़ के सहारे
चलते हो. सूय क कांपती ई करण आकाश के म य चमड़े के समान फैले ए अंधकार को
न करती ह. (४)
अनायतो अ नब ः कथायं यङ् ङु ानोऽव प ते न.
कया या त वधया को ददश दवः क भः समृतः पा त नाकम्.. (५)
पास म रहने वाले, बंधनर हत एवं अधोमुख सूय को कोई बाधा नह प ंचा सकता.
ऊ वमुख सूय कस श से चलते ह? आकाश म खंभे के समान सूय वग का पालन करते
ह, इसे कसने दे खा है? (५)
सू —१४
दे वता—अ न आ द
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य न षसो जातवेदा अ य े वो रोचमाना महो भः.
आ नास यो गाया रथेनेमं य मुप नो यातम छ.. (१)
जातवेद अ न दे व तेज से द त उषा को ल य करके बढ़ते ह. हे परम ग तशाली
अ नीकुमारो! तुम रथ ारा हमारे य के सामने आओ. (१)
ऊ व केतुं स वता दे वो अ े यो त व मै भुवनाय कृ वन्.
आ ा ावापृ थवी अ त र ं व सूय र म भ े कतानः.. (२)
सारे संसार के लए काश दे ते ए स वता दे व ऊ वमुखी करण का सहारा लेते ह.
सूय ने सबको वशेष प से दे खते ए करण से धरती, आकाश और अंत र को ा त
कया है. (२)
आवह य णी य तषागा मही च ा र म भ े कताना.
बोधय ती सु वताय दे ु१षा ईयते सुयुजा रथेन.. (३)
धन को धारण करने वाली, लाल रंग यु , तेजधा रणी, महान्, करण के कारण रंगबरंगी एवं जानने वाली उषा आई थ . उषादे वी सोए ए ा णय को जगाती ई भली कार
जोते गए रथ ारा सुख पाने के लए आती ह. (३)
आ वां व ह ा इह ते वह तु रथा अ ास उषसो ु ौ.
इमे ह वां मधुपेयाय सोमा अ म य े वृषणा मादयेथाम्.. (४)
हे अ नीकुमारो! उषाकाल होने पर अ धक बोझा ढोने वाले एवं ग तशील घोड़े तु ह
इस य म सब ओर से लाव. हे कामव षयो! यह सोमरस तु हारे पीने के लए है. य म
सोमपान से स बनो. (४)
अनायतो अ नब ः कथायं यङ् ङु ानोऽव प ते न.
कया या त वधया को ददश दवः क भः समृतः पा त नाकम्.. (५)
पास म रहने वाले, बंधनर हत एवं ऊ वमुख-सूय को कोई बाधा नह प ंचा सकता.
ऊ वमुख-सूय कस श से चलते ह? आकाश के खंभे के समान सूय वग का पालन करते
ह, इसे कसने दे खा है? (५)
सू —१५
दे वता—अ न, सोम आ द
अ नह ता नो अ वरे वाजी स प र णीयते. दे वो दे वेषु य यः.. (१)
दे व को बुलाने वाले, इं ा द दे व के म य तेज वी एवं य के यो य अ न शी गामी
अ के समान हमारे य म चार ओर से लाए जाते ह. (१)
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पर
व
वरं या य नी रथी रव. आ दे वेषु यो दधत्.. (२)
यजमान ारा इं ा द दे व को दया गया ह धारण करते ए अ न दन म तीन बार
रथ म बैठे पु ष के समान चार ओर से य म जाते ह. (२)
प र वाजप तः क वर नह ा य मीत्. दध ना न दाशुषे.. (३)
अ का पालन करने वाले एवं मेधावी अ न ह
धन दे ते ए ह को चार ओर से घेरते ह. (३)
अयं यः सृ
दे ने वाले यजमान के लए रमणीय
ये पुरो दै ववाते स म यते. ुमाँ अ म द भनः.. (४)
जो अ न दे व वात के पु सृजव के लए पूव दशा म
अ न द त धारण करते ह. (४)
अ य घा वीर ईवतोऽ नेरीशीत म यः. त मज भ य मी
व लत होते ह, वे श ुनाशक
षः.. (५)
तु त करने म कुशल मनु य तीखे तेज वाले, अ भल षत फल दे ने वाले एवं ग तशीलअ न को वश म कर ल. (५)
तमव तं न सान सम षं न दवः शशुम्. ममृ य ते दवे दवे.. (६)
यजमान घोड़े के समान ह
अ न क त दन सेवा कर. (६)
बोध
ढोने म समथ व आकाश के पु सूय के समान तेज वी
मा ह र यां कुमारः साहदे ः. अ छा न त उदरम्.. (७)
राजा सहदे व के पु कुमार ने जब हमसे दोन घोड़ को दे ने क बात कही थी, तब हम
उ ह ले आए थे. (७)
उत या यजता हरी कुमारा साहदे ात्. यता स आ ददे .. (८)
(८)
सहदे व के पु कुमार से हमने पूजनीय एवं ग तशील घोड़ को उसी दन ले लया था.
एष वां दे वाव ना कुमारः साहदे ः द घायुर तु सोमकः.. (९)
हे तेज वी अ नीकुमारो! तु ह तृ त करने वाला सहदे व का पु कुमार सोमक राजा
अ धक अव था वाला हो. (९)
तं युवं दे वाव ना कुमारं साहदे म्. द घायुषं कृणोतन.. (१०)
हे तेज वी अ नीकुमारो! तुम सहदे व के पु कुमार को द घ आयु वाला बनाओ. (१०)
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सू —१६
दे वता—इं
आ स यो यातु मघवाँ ऋजीषी व व य हरय उप नः.
त मा इद धः सुषुमा सु महा भ प वं करते गृणानः.. (१)
सोम एवं स य को धारण करने वाले इं हमारे पास आव. उनके घोड़े हमारी ओर दौड़.
हम यजमान उन इं के लए इस य म सारयु सोम नचोड़ रहे ह. हमारे ारा तुत इं
हमारी इ छा पूरी कर. (१)
अव य शूरा वनो ना तेऽ म ो अ सवने म द यै.
शंसा यु थमुशनेव वेधा कतुषे असुयाय म म.. (२)
हे शूर इं ! जैसे माग समा त होने पर लोग घोड़े को छोड़ दे ते ह, उसी कार मा यं दन
सवन के समय तुम हम छु टकारा दे दो, जससे हम तु ह स कर सक. हे सव एवं
असुर वनाशक इं ! हम यजमान उशना के समान तु हारे त सुंदर तु त बोलते ह. (२)
क वन न यं वदथा न साध वृषा य सेकं व पपानो अचात्.
दव इ था जीजन स त का न ा च च ु वयुना गृण तः.. (३)
क व के समान गूढ़ काय का साधन करते ए कामवष इं जब सोमरस को अ धक
मा ा म पीकर उसके त आदर कट करते ह, तब वग से सात करण वा तव म उ प
करते ह. तु त क जाती ई सूय करण दन म भी मनु य को ान कराती ह. (३)
व१ य े द सु शीकमकम ह योती चुय व तोः.
अ धा तमां स धता वच े नृ य कार नृतमो अ भ ौ.. (४)
जब महान् एवं तेज प वग करण से भली कार दखाई दे ने लगता है, तब दे वगण
उस वग म रहने के लए द तयु होते ह. उ म नेता सूय ने आकर मनु य के ठ क से
दे खने के लए घने अंधकार को न कर दया है. (४)
वव इ ो अ मतमृजी यु१ भे आ प ौ रोदसी म ह वा.
अत द य म हमा व रे य भ यो व ा भुवना बभूव.. (५)
सोम वाले इं असी मत म हमा धारण करते ह एवं अपनी म हमा से धरती-आकाश को
भर दे ते ह. इं ने सारे संसार को परा जत कर दया है, इस लए इनक म हमा सबसे अ धक
है. (५)
व ा न श ो नया ण व ानपो ररेच स ख भ नकामैः.
अ मानं च े ब भ वचो भ जं गोम तमु शजो व व ुः.. (६)
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सम त मानव- हतकारी काय को जानते ए इं ने अ भलाषापूण एवं म प म त
क सहायता से जल बरसाया था. जन म त ने अपने श द से पवत को भेद दया था,
उ ह ने इं को स करने के लए गोशाला को ढक दया था. (६)
अपो वृ ं व वांसं पराह ाव े व ं पृ थवी सचेताः.
ाणा स समु या यैनोः प तभव छवसा शूर धृ णो.. (७)
हे इं ! अ धक मा ा म लोक का पालन करने वाले तु हारे व ने जल को रोकने वाले
मेघ को ेरणा द थी एवं चेतना वाली धरती तुमसे मली थी. हे शूर एवं पराभवकारी इं !
तुम बल के कारण लोकपालक बनकर सागर एवं आकाश के जल को ेरणा दो. (७)
अपो यद पु त ददरा वभुव सरमा पू ते.
स नो नेता वाजमा द ष भू र गो ा ज
रो भगृणानः.. (८)
हे ब त ारा बुलाए गए इं ! जब तुमने वषा के जल के उ े य से मेघ को वद ण
कया था, उससे पहले ही सरमा ने तु ह प णय ारा चुराई गई गाएं बता द थ .
अं गरागो ीय ऋ षय ारा तुत होकर मेघ को वद ण करते ए तुमने हमको ब त सा अ
दया एवं हमारा आदर कया. (८)
अ छा क व नृमणो गा अ भ ौ वषाता मघव ाधमानम्.
ऊ त भ त मषणो ु न तौ न मायावान ा द युरत.. (९)
हे धन के वामी एवं मनु य ारा मा य इं ! तुम कु स ऋ ष के समीप धन दे ने क
अ भलाषा से गए. कु स ने तुमसे ाथना क क उसके श ु से यु करो. तुमने उसे श ु के
आ मण से बचाया एवं कपट तथा वेदो कम से हीन जानकर तुमने कु स के श ु को यु
म मारा. (९)
आ द यु ना मनसा या तं भुव े कु सः स ये नकामः.
वे योनौ न षदतं स पा व वां च क स त च नारी.. (१०)
हे इं ! श ु को न करने क भावना से तुम कु स के घर गए. कु स ने तु हारी
म ता पाने क अ तशय अ भलाषा क . इसके बाद तुम दोन इं -भवन म बैठे. स यद शनी
तु हारी प नी शची तुम दोन का समान प दे खकर संशय म पड़ गई. (१०)
या स कु सेन सरथमव यु तोदो वात य हय रीशानः.
ऋ ा वाजं न ग यं युयूष क वयदह पायाय भूषात्.. (११)
हे इं ! बु मान् कु स हण करने यो य अ के समान सरलग त घोड़ को अपने रथ
म जोड़कर जस दन आप य से पार आ, हे श ुनाशक एवं वायु स श वेगशाली अ
के वामी इं ! उस दन तुम कु स क र ा क इ छा करते ए उसके साथ एक रथ म गए थे.
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(११)
कु साय शु णमशुषं न बह ः प ये अ ः कुयवं सह ा.
स ो द यू मृण कु येन सूर ं वृहतादभीके.. (१२)
हे इं ! तुमने कु स के न म
ःखदाता शु ण असुर को मारा. दवस के पूव भाग म
तुमने कुयव असुर को मारने के साथ ही हजार रा स का अपने व से नाश कया एवं
सं ाम म सूय का च नामक आयुध तोड़ डाला. (१२)
वं प ुं मृगयं शूशुवांसमृ ज ने वैद थनाय र धीः.
प चाश कृ णा न वपः सह ा कं न पुरो ज रमा व ददः.. (१३)
हे इं ! तुमने प ु एवं उ त ा त मृगय असुर को मारा था. वद थ के पु ऋ ज ा को
तुमने कैद कया एवं काले रंग वाले पचास हजार रा स को मारा. बुढ़ापा जस कार स दय
को न करता है, उसी कार तुमने शंबर रा स के नगर को वद ण कया. (१३)
सूर उपाके त वं१ दधानो व य े चे यमृत य वपः.
मृगो न ह ती त वषीमुषाणः सहो न भीम आयुधा न ब त्.. (१४)
हे मरणर हत इं ! जब तुम सूय के समीप शरीर धारण करते हो, तब तु हारा प
सुशो भत होता है. तुम हाथी के समान श ु क सेना जलाते ए आयुध धारण करते हो
एवं शेर के समान भयंकर हो. (१४)
इ ं कामा वसूय तो अ म वम हे न सवने चकानाः.
व यवः शशमानास उ थैरोको न र वा सु शीव पु ः.. (१५)
इं क कामना एवं धन क अ भलाषा करने वाले, यु के समान य म इं से याचना
करने वाले, अ के इ छु क एवं तो
ारा इं क तु त करते ए यजमान इं के समीप
जाते ह. उस समय इं नवास थान के समान सुंदर एवं ल मी के समान रमणीय होते ह.
(१५)
त म इ ं सुहवं वेम य ता चकार नया पु ण.
यो मावते ज र े ग यं च म ू वाजं भर त पाहराधाः.. (१६)
हे यजमानो! तुम हमारे क याण के न म मानव हतकारी स कम करने वाले,
चाहने यो य धन के वामी एवं मेरे समान तोता को शी सं ह यो य अ दे ने वाले इं का
सुंदर आ ान करते हो. (१६)
त मा यद तरश नः पता त क म च छू र मु के जनानाम्.
घोरा यदय समृ तभवा यध मा न त वो बो ध गोपाः.. (१७)
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हे शूर इं ! मनु य के कसी यु म य द हमारे म य तेज व गरे अथवा हे वामी!
हमारा श ु के साथ भयानक यु हो रहा हो, उस समय तुम हमारे शरीर के र क बनना.
(१७)
भुवोऽ वता वामदे व य धीनां भुवः सखावृको वाजसातौ.
वामनु म तमा जग मो शंसो ज र े व ध याः.. (१८)
हे इं ! वामदे व के य के र क बनो. हे हसार हत! यु म मेरे म बनो. हे बु
हम तु हारी ओर आते ह. तुम तु तक ा क सदा शंसा करो. (१८)
मान्!
ए भनृ भ र वायु भ ् वा मघव मघव व आजौ.
ावो न ु नैर भ स तो अयः पो मदे म शरद पूव ः.. (१९)
हे धन के वामी इं ! हम सभी यु म धन से पूण हो. ुलोक के समान ओज से यु
अपने सहायक म त के साथ मलकर आप श ु को हराव. हम कई साल तक रा दवस आपको मु दत करते रह. (१९)
एवे द ाय वृषभाय वृ णे
ाकम भृगवो न रथम्.
नू च था नः स या वयोषदस उ ोऽ वता तनूपाः.. (२०)
बढ़ई जस कार रथ बनाते ह, उसी कार हम कामवष एवं न य त ण इं के लए
तो क रचना करते ह. हम ऐसा आचरण करगे, जससे इं के साथ हम लोग क मै ी
बनी रहे व तेज वी तथा शरीरपालक इं हम लोग के र क ह . (२०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (२१)
हे इं ! जस कार जल नद को पूण कर दे ता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय तथा
हमारी तु तय को वीकार करके हमारी अ वृ करो. हे ह र नामक घोड़ के वामी इं !
हमने तु हारे लए नई तु तयां क ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे सेवक बन. (२१)
सू —१७
दे वता—इं
वं महाँ इ तु यं ह ा अनु
ं मंहना म यत ौः.
वं वृ ं शवसा जघ वा सृजः स धूँर हना ज सानान्.. (१)
हे महान् इं ! व तृत धरती और आकाश ने तु हारे बल को वीकार कया था. तुमने
अपने बल से वृ को मारा एवं उसके ारा सत न दय को वतं कया. (१)
तव वसो ज नम ेजत ौ रेज म भयसा व य म योः.
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ऋघाय त सु व१: पवतास आद ध वा न सरय त आपः.. (२)
हे द तशाली इं ! तु हारे ज म के समय भय से धरती-आकाश कांप उठे थे, महान्
मेघ ने तु हारे अधीन होकर ा णय क यास मटाई थी एवं जलहीन म दे श म जल
बहाया था. (२)
भनद् ग र शवसा व म ण ा व कृ वानः सहसान ओजः.
वधीद्वृ ं व ेण म दसानः सर ापो जवसा हतवृ णीः.. (३)
श ु को हराने वाले इं ने अपना तेज का शत करते ए व चलाकर श
ारा
पवत का भेदन कया. इं ने सोमपान से स होकर व
ारा वृ रा स का वध कया.
वृ के वध के बाद जल वेग से बहने लगा. (३)
सुवीर ते ज नता म यत ौ र य कता वप तमो भूत्.
य जजान वय सुव मनप युतं सदसो न भूम.. (४)
हे तु त यो य, उ म व से यु , वग से युत न होने वाले एवं मह वशाली इं ! तु ह
ज म दे ने वाले जाप त ने वयं उ म पु वाला माना. इं को ज म दे ने वाले जाप त का
यह कम अ यंत उ म आ. (४)
य एक इ यावय त भूमा राजा कृ ीनां पु त इ ः.
स यमेनमनु व े मद त रा त दे व य गृणतो मघोनः.. (५)
सम त जा के राजा, अनेक लोग ारा बुलाए गए एवं दे व म मुख इं श ु का
भय न करते ह. सभी यजमान धन के वामी एवं तु त करने वाले बंधु सहसा इं दे व को
ल य करके तु त करते ह. (५)
स ा सोमा अभव य व े स ा मदासो बृहतो म द ाः.
स ाभवो वसुप तवसूनां द े व ा अ धथा इ कृ ीः.. (६)
यह स य है क सभी सोम इं के ह. यह भी स य है क नशा करने वाले सोम महान् इं
को ब त स करते ह. यह भी स य है क इं न केवल धन के अ पतु पशु आ द सम त
संप य के वामी ह. हे इं ! तुम धन के लए सम त जा को धारण करते हो. (६)
वमध थमं जायमानोऽमे व ा अ धथा इ कृ ीः.
वं त वत आशयानम ह व ण
े मघव व वृ ः.. (७)
हे इं ! तुमने पूवकाल म उ प होकर वृ के भय से सभी जा क र ा क थी.
तुमने थल को जलपूण करने के उ े य से जल नरोधक वृ को व से काट दया था. (७)
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स ाहणं दाधृ ष तु म ं महामपारं वृषां सुव म्.
ह ता यो वृ ं स नतोत वाजं दाता मघा न मघवा सुराधाः.. (८)
हम तु तक ा ब त से श ु के हंता, धषक, रे क, महान्, वनाशर हत, कामवष
एवं शोभन व धारण करने वाले इं क तु त करते ह. वे वृ असुर को मारने वाले, अ
दे ने वाले, शोभन धनयु एवं धनदानक ा ह. (८)
अयं वृत ातयते समीचीय आ जषु मघवा शृ व एकः.
अयं वाजं भर त यं सनो य य यासः स ये याम.. (९)
धन के वामी इं सं ाम म अ तीय सुने जाते ह. वे एक श ु सेना को न कर
दे ते ह एवं यजमान को दे ने यो य अ को धारण करते ह. हम इं के म बनकर य ह .
(९)
अयं शृ वे अध जय ुत न यमुत
यदा स यं कृणुते म यु म ो व ं
कृणुते युधा गाः.
हं भयत एजद मात्.. (१०)
यह सुना जाता है क इं श ु के वजेता एवं वनाशक ह. यह यु के ारा श ु
को मारते ए गाएं छ न लेते ह. इं जब वा तव म ोध धारण करते ह, तब सम त थावर
एवं जंगम डर जाता है. (१०)
स म ो गा अजय सं हर या सम या मघवा यो ह पूव ः.
ए भनृ भनृतमो अ य शाकै रायो वभ ा स भर व वः.. (११)
धन वामी इं ने असुर को जीता. उनके रमणीय धन, अ समूह एवं सेना क जीता.
इं अपनी श य ारा सभी मनु य म े , तोता क तु त सुनकर धन को बांटने वाले
एवं धन धारणक ा ह. (११)
कय व द ो अ ये त मातुः कय पतुज नतुय जजान.
यो अ य शु मं मु कै रय त वातो न जूतः तनय र ैः.. (१२)
इं अपने माता एवं पता के पास से कतना अ धक बल ा त करते ह? इं ने अपने
पता जाप त के पास से इस संसार को उ प कया है एवं उनके पास से बार-बार संसार
का बल ा त करते ह. तोता ह व दे ने के लए इं को इस कार बुलाते ह, जैसे हवा बादल
को े रत करती है. (१२)
य तं वम य तं कृणोतीय त रेणुं मघवा समोहम्.
वभ नुरश नमाँ इव ौ त तोतारं मघवा वसौ धात्.. (१३)
हे धन वामी इं ! तुम नधन को धनवान् बनाते हो. व धारी, आकाश के समान व
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श ुनाशक ा इं सम त पाप का नाश करते एवं अपने तु तक ा को धन दे ते ह. (१३)
अयं च मषण सूय य येतशं रीरम ससृमाणम्.
आ कृ ण जु राणो जघ त वचो बु ने रजसो अ य योनौ.. (१४)
इं ने सूय के च नामक आयुध को रोका एवं तु त करने वाले एतश ऋ ष क र ा
क . काले रंग व टे ढ़ चाल वाले बादल ने तेज के मूल एवं जल के उ प
थान आकाश म
वराजमान इं को भगोया. (१४)
अ स यां यजमानो न होता.. (१५)
जस कार यजमान रात म भी इं को ह
ऐ य दान करता है. (१५)
दे ता है, उसी कार इं भी उसे धन एवं
ग त इ ं स याय व ा अ ाय तो वृषणं वाजय तः.
जनीय तो ज नदाम तो तमा यावयामोऽवते न कोशम्.. (१६)
हम मेधासंप तोतागण गाय , घोड़ , अ एवं ी क अ भलाषा करते ह. कुएं से
पानी नकालने के लए लोग जस कार पा को नीचा करते ह, उसी कार हम कामवष ,
प नी दे ने वाले एवं अ मट र ा करने वाले क म ता पाने के लए झुकते ह. (१६)
ाता नो बो ध द शान आ पर भ याता म डता सो यानाम्.
सखा पता पतृतमः पतॄणां कतमु लोकमुशते वयोधाः.. (१७)
हे व ास यो य, र क, सवदश , उपदे शक ा एवं सोमयाजी लोग को सुख दे ने वाले
इं ! तुम म , पता, बाबा, पतर को बनाने वाले एवं वग क अ भलाषा करने वाले
यजमान को अ दे ते हो. (१७)
सखीयताम वता बो ध सखा गृणान इ तुवते वयो धाः.
वयं ा ते चकृमा सबाध आ भः शमी भमहय त इ .. (१८)
हे इं ! हम तु हारी म ता के इ छु क ह. हमारी र ा करो. हमारी तु त सुनकर तुम
हमारे म बनो तथा तोता को अ दो. हे इं ! हम बाधा उप थत होने पर भी तु हारी
तु त करते ह एवं तु हारी पूजा करते ह. (१८)
तुत इ ो मघवा य वृ ा भूरी येको अ ती न ह त.
अ य यो ज रता य य शम कदवा वारय ते न मताः.. (१९)
यु म हमारी तु त सुनकर इं अकेले ही ब त से श ु को मार डालते ह. इं
तु तक ा को ेम करते ह. तु तक ा के क याण को कोई भी दे व या मानव नह रोक
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सकता. (१९)
एवा न इ ो मघवा वर शी कर स या चषणीधृदनवा.
वं राजा जनुषां धे मे अ ध वो मा हनं य ज र े.. (२०)
हे धन के वामी, जा को धारण करने वाले, श ुर हत एवं भां त-भां त के श द से
यु इं ! तुम हमारी तु त को स य करो. तुम सभी ज मधा रय के राजा हो. तुम तोता को
जो यश दे ते हो, वह अ धक मा ा म हम दो. (२०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (२१)
हे इं ! जस कार जल नद को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय को
तथा हमारी तु तय को वीकार करके हमारी अ वृ करो. हे ह र नामक घोड़ के वामी
इं ! हमने तु हारे न म नई तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे सेवक बन.
(२१)
सू —१८
दे वता—इं
अयं प था अनु व ः पुराणो यतो दे वा उदजाय त व े.
अत दा ज नषी वृ ो मा मातरममुया प वे कः.. (१)
इं बोले—“यो न से ज म लेने का माग परंपरागत एवं सनातन है. सम त दे व एवं
मनु य उसी माग से नकले ह. गभ म वृ
ा त करने वाले तुम भी इसी माग से ज म लो.
सरा माग अपना कर माता क मृ यु का काम मत करो.” (१)
नाहमतो नरया गहैत र ता पा ा गमा ण.
ब न मे अकृता क वा न यु यै वेन सं वेन पृ छै .. (२)
वामदे व ने कहा—“हम इस गम यो न-माग से ज म नह लगे. हम तरछे होकर बगल
से नकलगे. हम ब त से बना कए ए काम करने ह— कसी के साथ यु एवं कसी के
साथ वाद ववाद.” (२)
परायत मातरम वच न नानु गा यनु नू गमा न.
व ु गृहे अ पब सोम म ः शतध यं च वोः सुत य.. (३)
इं बोले—“य द हम पुरातन यो न-माग से नह नकलगे तो हमारी माता मर जाएगी.
इस कार हम शी बाहर नकलगे.”
वामदे व कहने लगे—“इं ने व ा के घर म प थर ारा नचोड़े गए एवं सैकड़ र न
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के मू य वाले सोमरस को पया.” (३)
क स ऋध कृणव ं सह ं मासो जभार शरद पूव ः.
नही व य तमानम य तजातेषूत ये ज न वाः.. (४)
“अ द त इं को सैकड़ मास और वष तक गभ म रखे रही. इं ने यह नयम के
तकूल काय य कया?”
इसे सुनकर अ द त ने उ र दया—“हे वामदे व! जो लोग उ प हो चुके ह अथवा
भ व य म ह गे, उन म से कसी के भी साथ इं क समानता नह हो सकती.” (४)
अव मव म यमाना गुहाक र ं माता वीयणा यृ म्.
अथोद था वयम कं वसान आ रोदसी अपृणा जायमानः.. (५)
अंधेरे सू तका घर म पैदा होने वाले इं को नदा के यो य समझकर माता अ द त ने
परम श शाली बना दया. इं अपने तेज को धारण करके उठ खड़े ए और ज म लेते ही
उ ह ने धरती-आकाश को घेर लया. (५)
एता अष यललाभव तीऋतावरी रव सङ् ोशमानाः.
एता व पृ छ क मदं भन त कमापो अ प र ध ज त.. (६)
पानी से भरी ई न दयां इस कार गजन करती ई बह रही ह, जैसे इं क मह ा का
घोष कर रही ह. उनसे पूछो क ये या कहती ह? इं ने जल को रोकने वाले मेघ को भेदा
था. या वे न दयां उसी का वणन कर रही ह? (६)
कमु वद मै न वदो भन ते याव ं द धष त आपः.
ममैता पु ो महता वधेन वृ ं जघ वाँ असृज स धून्.. (७)
इं को जो
ह या का पाप लगा है, उस संबंध म व ान का या कहना है? यह
पाप जल म फेन प से उप थत है. मेरे पु इं ने बलपूवक व चलाकर वृ को मारा.
इसके बाद न दय को बहाया. (७)
मम चन वा युव तः परास मम चन वा कुषवा जगार.
मम चदापः शशवे ममृड्युमम च द ः सहसोद त त्.. (८)
वामदे व कहने लगे—“हे इं ! मतवाली युवती माता अ द त ने तु ह ज म दया. इसी
समय कुषवा नाम क रा सी ने मतवाली बनकर तु ह नगल लया. जल से म त होकर
तु ह सुख प ंचाया. इं स होकर सू तकागृह म ही उस रा सी को मारने लगे.” (८)
मम चन ते मघव ंसो न व व वाँ अप हनू जघान.
अधा न व उ रो बभूवा छरो दास य सं पण वधेन.. (९)
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हे धन के वामी इं ! ंस नामक रा स ने मतवाला बनकर तुम पर आ मण कया
एवं तु हारी नाक और ठोड़ी पर चोट क . इसके बाद तुम अ धक श शाली बन गए एवं
तुमने अपने व से उसका सर काट दया. (९)
गृ ः ससूव थ वरं तवागामनाधृ यं वृषभं तु म म्.
अरी हं व सं चरथाय माता वयं गातुं त व इ छमानम्.. (१०)
एक बार याई ई गाय जस कार बछड़े को ज म दे ती है, उसी कार अ द त ने
अपनी इ छा से कामवष एवं अजेय इं को ज म दया. वे अ धक अव था वाले, बलसंप ,
ेरणा करने वाले एवं चलने के लए शरीर के इ छु क ह. (१०)
उत माता म हषम ववेनदमी वा जह त पु दे वाः.
अथा वीद्वृ म ो ह न य सखे व णो वतरं व
म व.. (११)
माता अ द त अपने महान् पु इं से पूछने लगी—“हे पु ! ये दे वगण तु हारा याग
कर रहे ह.” इसे सुनकर इं ने व णु से कहा—“हे म व णु! तुम परा म करके वृ को
मारो.” (११)
क ते मातरं वधवामच छयुं क वाम जघांस चर तम्.
क ते दे वो अ ध माड क आसी
ा णाः पतरं पादगृ .. (१२)
हे इं ! तु हारी माता को वधवा कसने बनाया? तु हारे सोते समय तु ह कसने मारने
क इ छा क थी? तु हारी अपे ा सुख दे ने वाला दे व कौन सा है? कसने तु हारे पता के पैर
पकड़कर उनक ह या क ? (१२)
अव या शुन आ ा ण पेचे न दे वेषु व वदे म डतारम्.
अप यं जायाममहीयमानामधा मे येनो म वा जभार.. (१३)
हमने खाने यो य व तु के न होने पर कु े क आंत को पकाया था. उस समय कोई
दे व हमारी र ा करने वाला नह मला. हम अपनी प नी को अपमा नत होता दे खते रहे. हम
केवल इं ने ही आनं दत कया. (१३)
सू —१९
दे वता—इं
एवा वा म व
व े दे वासः सुहवास ऊमाः.
महामुभे रोदसी वृ मृ वं नरेक मद्वृणते वृ ह ये.. (१)
हे व धारी इं ! इस य म आए ए सम त दे वगण भली कार बुलाए गए एवं र ा
करने म समथ ह. वे आकाश एवं पृ वी के साथ वृ नाश के लए तु ह ही बुलाते ह. तुम
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तु तपा , परम गुणशाली एवं सुंदर हो. (१)
अवासृज त ज यो न दे वा भुवः स ा ळ स ययो नः.
अह ह प रशयानमणः वतनीररदो व धेनाः.. (२)
हे वक सत स य के समान एवं सारे संसार के राजा इं ! दे व ने तु ह उसी कार वृ वध के लए े रत कया, जस कार कोई वय क पता अपने पु को कसी काम के लए
उ सा हत करता है. तुमने पानी को रोककर सोए ए वृ को मारा एवं सबको सुख दे ने वाली
स रता को गहरा बनाया. (२)
अतृ णुव तं वयतमबु यमबु यमानं सुषुपाण म .
स त त वत आशयानम ह व ेण व रणा अपवन्.. (३)
हे इं ! तुमने पूणमासी वाले दन अपने व क सहायता से तृ तर हत, श हीन,
नबु , बुरे वचार वाले, सोए ए एवं शांत जल को रोकने वाले वृ का वध कया. (३)
अ ोदय छवसा ाम बु नं वाण वात त वषी भ र ः.
हा यौ ना शमान ओजोऽवा भन ककुभः पवतानाम्.. (४)
जस तरह वायु श
ारा जल को ु ध कर दे ता है, उसी कार श शाली इं
अपनी श
ारा आकाश को अपने तेज से पूण करके जल को छ - भ कर दे ते ह.
श क इ छा करने वाले इं पवत के पंख काट डालते ह. (४)
अ भ द जनयो न गभ रथाइव ययुः साकम यः.
अतपयो वसृत उ ज ऊम वं वृताँ अ रणा इ स धून्.. (५)
हे इं ! म द्गण एवं रथ वृ वध के समय तु हारे पास इस कार प ंचे थे, जस कार
माता पु के पास जाती है. तुमने स रता को जलपूण कया, मेघ को वद ण कया एवं
का आ जल वा हत कया. (५)
वं महीमव न व धेनां तुव तये व याय र तीम्.
अरमयो नमसैजदणः सुतरणाँ अकृणो र स धून्.. (६)
हे इं ! तुमने वशाल, सबक अ भलाषा पूण करने वाली एवं तुव त और व य राजा
को मनोवां छत फल दे ने वाली धरती को जल एवं अ से यु कर दया था. तुमने जल को
ऐसा कर दया था क उसे सरलता से पार कया जा सके. (६)
ा ुवो नभ वो३ व वा व ा अप व ुवत ऋत ाः.
ध वा य ाँ अपृण ृ षाणाँ अधो ग ः तय ३ दं सुप नीः.. (७)
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इं जस कार अपनी श ुनाशक सेना को पूण करते ह, उसी कार इ ह ने कनार
को तोड़ने वाली, जल से भरी ई एवं अ पैदा करने म सहायक न दय को पूण कया था
एवं यासे लोग क यास बुझाई थी, इं ने ऐसी गाय का ध काढ़ा, जन पर रा स ने
अ धकार कर लया था तथा जो बछड़ा पैदा कर चुक थ . (७)
पूव षसः शरद गूता वृ ं जघ वाँ असृज स धून्.
प र ता अतृण धानाः सीरा इ ः वतवे पृ थ ा.. (८)
इं ने वृ रा स को मारकर अंधकार ारा लपट ई अनेक उषा एवं संव सर को
उसके बंधन से छु ड़ाया था. इसके साथ ही वृ ारा रोके ए जल को वा हत कया था. इं
ने मेघ के चार ओर थत एवं वृ रा स ारा रोक गई न दय को धरती के ऊपर बहने
यो य बनाया. (८)
व ी भः पु म ुवो अदानं नवेशना रव आ जभथ.
१ धो अ यद हमाददानो नभू ख छ समर त पव.. (९)
हे ह र नामक घोड़ के वामी इं ! तुमने उप ज का नामक वशेष क ड़ ारा खाए
ए अ पु को व मीक से बाहर नकाला था. अंधे अ पु ने सांप के समान भली कार
दे खा, य क उसके उप ज का ारा खाए ए अंग को इं ने पूववत् कर दया था. (९)
ते पूवा ण करणा न व ा व ाँ आह व षे करां स.
यथायथा वृ या न वगूतापां स राज या ववेषीः.. (१०)
हे बु मान् राजन् एवं सब कुछ जानने वाले इं ! तुमने जस कार वषण काय कए
एवं मनु य को संप करने वाली वषा करने म संपक काय कए, वामदे व ने उनका य का
य वणन कर दया है. (१०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल नद को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां वीकार करके हमारी अ वृ करो. हे ह र नामक घोड़ के वामी इं !
हमने तु हारे न म नई तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे सेवक बन. (११)
सू —२०
दे वता—इं
आ न इ ो रादा न आसाद भ कृदवसे यास ः.
ओ ज े भनृप तव बा ः स े सम सु तुव णः पृत यून्.. (१)
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अ भलाषाएं पूण करने वाले, श शाली, यु थल म श ु का नाश करने वाले, हाथ
म व धारणक ा, जा के पालक एवं तेज वी म त से घरे ए इं हम आ य दे ने के
लए पास अथवा र से आव. (१)
आ न इ ो ह र भया व छावाचीनोऽवसे राधसे च.
त ा त व ी मघवा वर शीमं य मनु नो वाजसातौ.. (२)
इं हमारी र ा करने एवं धन दान करने के लए ह र नामक घोड़ क सहायता से
हमारे सामने आव. व धारी, धन के वामी एवं महान् इं यु म उप थत होने के बाद
हमारे इस य म आव. (२)
इमं य ं वम माक म पुरो दध स न य स तुं नः.
नीव व
सनये धनानां वया वयमय आ ज येम.. (३)
हे इं ! हमारे इस य म सामने उप थत होकर तुम इसे पूण करो. हे व धारी इं !
शकारी जस कार हरण का शकार करता है, उसी कार हम भी धन पाने के लए
तु हारी श के ारा सं ाम म वजय ा त कर. (३)
उश ु षु णः सुमना उपाके सोम य नु सुषुत य वधावः.
पा इ
तभृत य म वः सम धसा ममदः पृ
ेन.. (४)
हे अ के वामी इं ! तुम स मन से हमारे पास आओ एवं हमारी कामना करते ए
भली कार नचोड़े गए नशीले सोमरस को पओ. तुम मा यं दन सवन म बोली जाती ई
तु तयां सुनते ए सोमरस पओ एवं स बनो. (४)
व यो रर श ऋ ष भनवे भवृ ो न प वः सृ यो न जेता.
मय न योषाम भम यमानोऽ छा वव म पु त म म्.. (५)
पके ए फल वाले वृ एवं आयुधसंचालन म कुशल यु वजेता वीर के समान, नए
ऋ षय ारा अनेक कार से तुत एवं ब त से यजमान ारा बुलाए गए इं क हम उसी
कार शंसा करते ह, जैसे कामी पु ष सुंदर नारी क शंसा करता है. (५)
ग रन यः वतवाँ ऋ व इ ः सनादे व सहसे जात उ ः.
आदता व ं थ वरं न भीम उद्नेव कोशं वसुना यृ म्.. (६)
पवत के समान वशाल, तेज वी, श ु को परा जत करने वाले एवं ाचीन काल म
उ प इं पानी से भरे ए पा के समान पूण ओज वी एवं व को धारण करने वाले ह.
(६)
न य य वता जनुषा व त न राधस आमरीता मघ य.
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उ ावृषाण त वषीव उ ा म यं द
पु
त रायः.. (७)
हे इं ! जब से तुम उ प ए हो, तभी से न तो कोई तु ह रोकने वाला है और न तु हारे
ारा य के न म दए ए धन को कोई न कर सकता है. हे कामवष , श शाली,
तेज वी एवं ब त से यजमान ारा बुलाए गए इं ! हम धन दो. (७)
ई े रायः य य चषणीनामुत जमपवता स गोनाम्.
श ानरः स मथेषु हावा व वो रा शम भनेता स भू रम्.. (८)
हे इं ! तुम लोग क संप एवं घर को दे खने के अ त र रा स ारा रोक
गाय को छु ड़ाते हो. हे इं ! तुम नेता के समान जा का शासन करते हो एवं यु
हारक ा हो. हम वपुल धनरा श दो. (८)
ई
म
कया त छृ वे श या श च ो यया कृणो त मु का च वः.
पु दाशुषे वच य ो अंहोऽथा दधा त वणं ज र े.. (९)
अ तशय बु मान् इं कस जा-श से यु ह? महान् इं अपने बु बल से ही
बड़े-बड़े काम को पूरा करते ह. वे यजमान के बड़े-बड़े पाप को न करने के साथ-साथ
तु तक ा को धन दे ते ह. (९)
मा नो मध रा भरा द त ः दाशुषे दातवे भू र य े.
न े दे णे श ते अ म त उ थे
वाम वय म तुव तः.. (१०)
हे इं ! हमारी हसा मत करो, हमारा पोषण करो. जो वपुल धनरा श ह दाता को दे ने
के लए है, वह हम दो, य क हम तु हारी तु त करते ह. इस दानयो य एवं शंसनीय य
म हम तु हारी भली कार तु त करगे. (१०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल स रता को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां सुनकर उ ह वीकार करो एवं हमारा अ बढ़ाओ. हे ह र नामक घोड़
के वामी इं ! हमने तु हारे न म नवीन तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे
सेवक बन. (११)
सू —२१
दे वता—इं
आ या व ोऽवस उप न इह तुतः सधमाद तु शूरः.
वावृधान त वषीय य पूव ौन
म भभू त पु यात्.. (१)
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हमारे साथ स होने वाले, शूर, वृ को ा त, भूत-बलसंप एवं सूय के समान
श ुपराभवकारी व श को बढ़ाने वाले इं हमारी तु तयां सुनकर हमारी र ा के लए यहां
य म पधार. (१)
त ये दह तवथ वृ या न तु व ु न य तु वराधसो नॄन्.
य य तु वद यो३ न स ाट् सा ा त ो अ य त कृ ीः.. (२)
हे तोताओ! तुम इस य म नेता म त क तु त करो, जो इं के बल व प ह.
अ तशय यश वी एवं असी मत धनसंप इं का श ु को हराने वाला एवं भ क र ा
करने वाला कम श ु क जा को उसी कार पराभूत कर दे ता है, जस कार य क
यो यता रखने वाला राजा सबको हराता है. (२)
आ या व ो दव आ पृ थ ा म ू सम ा त वा पुरीषात्.
वणरादवसे नो म वान् परावतो वा सदना त य.. (३)
हम लोग क र ा के न म इं म त के साथ वग, धरती, अंत र , जल, आ द य
मंडल, रवत थान अथवा जल के थान मेघ से यहां आव. (३)
थूर य रायो बृहतो य ईशे तमु वाम वथे व म्.
यो वायुना जय त गोमतीषु धृ णुया नय त व यो अ छ.. (४)
हम थूल एवं वशाल धन के वामी, ाणवायु प बल ारा श ु सेना को वजय करने
वाले, ग भ एवं तु तक ा को उ म धन दान करने वाले इं को ल य करके तु त
करते ह. (४)
उप यो नमो नम स तभाय य त वाचं जनय यज यै.
ऋ सानः पु वार उ थैरे ं कृ वीत सदनेषु होता.. (५)
सम त लोक का तंभन करके, य के न म गजन पी व न करने वाले, ह
हण
करके वषा ारा लोग को अ दे ने वाले एवं उ म तो
ारा तु त करने यो य इं को हम
बुलाते ह. (५)
धषा य द धष य तः सर या सद तो अ मौ शज य गोहे.
आ रोषाः पा य य होता यो नो महा संवरणेषु व ः.. (६)
इं क तु त के इ छु क एवं यजमान के घर म रहने वाले तोता के तु त करते ए
समीप उप थत होते ही इं आव एवं यु म हम लोग के सहायक ह . इं यजमान के होता
एवं असहनीय ोध वाले ह. (६)
स ा यद भावर य वृ णः सष
शु मः तुवते भराय.
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गुहा यद मौ शज य गोहे
य
ये ायसे मदाय.. (७)
व का भरणपोषण करने वाले, जाप त के पु एवं कामवष इं क श
तु त
करने वाले यजमान क सेवा करती है, वा त वक प से यजमान का पालन करने के लए
गुफा पी दय म उ प होती है, यजमान के गृह व य कम म थत रहती है, यजमान क
अ भलाषापू त एवं स ता के लए उ प होती है तथा यजमान का पालन करती है. (७)
व य रां स पवत य वृ वे पयो भ ज वे अपां जवां स.
वदद्गौर य गवय य गो यद वाजाय सु यो३ वह त.. (८)
इं ने मेघ पी ार को खोलकर जलसमूह ारा जल को वेग के साथ वा हत कया.
जब शोभन-य कम करने वाला यजमान इं के लए सुंदर ह धारण करता है, तो उसे धन
और गौर एवं गवय नामक पशु क ा त होती है. (८)
भ ा ते ह ता सुकृतोत पाणी य तारा तुवते राध इ .
का ते नष ः कमु नो मम स क नो हषसे दातवा उ.. (९)
हे इं ! तु हारे क याण करने वाले हाथ उ म कम के अनु ान के साथ यजमान को धन
दान करते ह. तु हारी थ त या है? तुम हम स य नह बनाते? हम धन दे ने के लए
दया य नह करते? (९)
एवा व व इ ः स यः स ाड् ढ ता वृ ं व रवः पूरवे कः.
पु ु त वा नः श ध रायो भ ीय तेऽवसो दै य.. (१०)
स ययु , धन के वामी एवं वृ रा स का नाश करने वाले इं तु त सुनकर यजमान
को धन दे ते ह. हे ब त ारा तुत इं ! हमारी तु त के बदले हम धन दो. उससे हम द
अ का भोग करगे. (१०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल स रता को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां सुनकर उ ह वीकार करो एवं हमारा अ बढ़ाओ. हे ह र नामक घोड़
के वामी इं ! हमने तु हारे न म नवीन तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे
सेवक बन. (११)
सू —२२
य इ ो जुजुषे य च व
दे वता—इं
त ो महा कर त शु या चत्.
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तोमं मघवा सोममु था यो अ मानं शवसा ब दे त.. (१)
जो महान् एवं श शाली इं हमारे ह अ का सेवन करते ह एवं उसक अ भलाषा
करते ह, वे धन के वामी ह. बलपूवक व को धारण करके आने वाले इं ह , अ ,
तु तसमूह, सोमरस एवं उ थ को वीकार करते ह. (१)
वृषा वृष धं चतुर म य ु ो बा यां नृतमः शचीवान्.
ये प णीमुषणाम ऊणा य याः पवा ण स याय व े.. (२)
कामवष , उ , नेता म े एवं कम करने वाले इं दोन हाथ से चार धार वाले एवं
वषाकारक व को श ु के ऊपर फकते ह. वे आ छादन करने वाली उस प णी नद का
आ य पाने के लए सेवा करते ह जो मै ी काय के लए भ - भ दे श को घेरती है. (२)
यो दे वो दे वतमो जायमानो महो वाजे भमह
शु मैः.
दधानो व ं बा ो श तं ाममेन रेजय भूम.. (३)
दाता म े एवं द तशाली जो इं उ प होते ही महान् अ एवं बल से यु
ए
थे, वे दोन भुजा म अपने अ भल षत व को धारण करके अपनी श से धरती एवं
आकाश को कं पत करते थे. (३)
व ा रोधां स वत पूव ऋ वा ज नम ेजत ा.
आ मातरा भर त शु या गोनृव प र म ोनुव त वाताः.. (४)
इं के ज म के समय ही सम त उ त दे श, पवत, अनेक सागर, धरती और आकाश
उनके भय से कांपने लगे थे. बलशाली इं ग तशील सूय के माता- पता प धरती-आकाश
को धारण करते ह. इं क ेरणा से वायु मनु य के समान श द करती है. (४)
ता तू त इ महतो महा न व े व सवनेषु वा या.
य छू र धृ णो धृषता दधृ वान ह व ेण शवसा ववेषीः.. (५)
हे महान् इं ! तुम महान् हो और तुम हमारे तीन सवन म तु त करने यो य हो. हे
ग भ, शूर एवं सम त लोक को धारण करने वाले इं ! तुमने श ु को परा जत करने
वाले व
ारा बलपूवक अ ह रा स को न कया था. (५)
ता तू ते स या तु वनृ ण व ा धेनवः स ते वृ ण ऊ नः.
अधा ह वद्वृषमणो भयानाः स धवो जवसा च म त.. (६)
हे अ धक बलशाली इं ! तु हारे वे सारे काम न त प से स य ह. हे कामवष इं !
तु हारे डर से सभी गाएं अपने थन से अ धक मा ा म ध टपकाती ह. हे कामवष दय
वाले इं ! तु हारे डर से न दयां अ धक वेग से बहती ह. (६)
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अ ाह ते ह रव ता उ दे वीरवो भ र तव त वसारः.
य सीमनु मुचो बद्बधाना द घामनु स त य दय यै.. (७)
हे ह र नामक घोड़ के वामी इं ! तुमने जब वृ रा स ारा रोक ई न दय को
द घका लक बंधन के प ात् इ छानुसार बहने के लए वतं कया था, तभी उन द
स रता ने तु हारे ारा होने वाली र ा के कारण तु हारी तु त क थी. (७)
पपीळे अंशुम ो न स धुरा वा शमी शशमान य श ः.
अम य
् शुशुचान य य या आशुन र मं तु ोजसं गोः.. (८)
मदकारक नचोड़ा आ सोमरस तु हारे समीप प ंचे. तेज चलने वाला सवार जस
कार घोड़े क लगाम पकड़कर उसे आगे बढ़ाता है, उसी कार तुम भी तेज वी तोता क
तु तय को हमारे पास आने के लए े रत करो. (८)
अ मे व ष ा कृणु ह ये ा नृ णा न स ा स रे सहां स.
अ म यं वृ ा सुहना न र ध ज ह वधवनुषो म य य.. (९)
हे सहनशील इं ! तुम श ु को हराने वाला, े एवं उ त बल हम सदा दान करो,
मारने यो य श ु को हमारे वश म लाओ एवं हसक लोग के आयुध का नाश करो. (९)
अ माक म सु शृणु ह व म ा म यं च ाँ उप मा ह वाजान्.
अ म यं व ा इषणः पुर धीर माकं सु मघव बो ध गोदाः.. (१०)
हे इं ! तुम हमारी तु तयां सुनो, हम व वध कार का अ
दान करो तथा हमारे लए गाय दे ने वाले बनो. (१०)
दो, सभी बु
यां हम
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल स रता को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां सुनकर उ ह वीकार करो एवं हमारा अ बढ़ाओ. हे ह र नामक घोड़
के वामी इं हमने तु हारे न म नवीन तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे
सेवक बन. (११)
सू —२३
दे वता—इं
कथा महामवृध क य होतुय ं जुषाणो अ भ सोममूधः.
पब ुशानो जुषमाणो अ धो वव ऋ वः शुचते धनाय.. (१)
हमारी तु त इं को कस कार बढ़ावे? इं स होकर कस होता के य म जाव?
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महान् इं सोमरस पीते ए एवं ह
प अ क अ भलाषा करते ए कस यजमान को दे ने
के लए उ वल वण आ द धारण करते ह? (१)
को अ य वीरः सधमादमाप समानंश सुम त भः को अ य.
कद य च ं च कते क ती वृधे भुव छशमान य य योः.. (२)
कौन वीर
इं के साथ सं ाम म जाता है एवं कौन इं क कृपा
ा त करता
है? पता नह इं का व च धन कब वत रत होगा? इं तु त करते ए यजमान क वृ
और र ा के लए कब वृ ह गे? (२)
कथा शृणो त यमान म ः कथा शृ व वसाम य वेद.
का अ य पूव पमातयो ह कथैनमा ः पपु र ज र े.. (३)
इं न जाने कस कार तु तक ा क तु तयां सुनते ह एवं तु त करने वाले क र ा
के उपाय को जानते ह. इं के स दान कौन से ह? (३)
कथा सबाधः शशमानो अ य नशद भ वणं द यानः.
दे वो भुव वेदा म ऋतानां नमो जगृ वाँ अ भय जुजोषत्.. (४)
श ु
ारा पी ड़त होने पर इं क तु त करने वाले एवं य कम करके स होने
वाले यजमान इं ारा द ई संप
कस कार ा त करते ह? ह
प अ को हण
करके इं जब स होते ह तभी हमारी तु तय को वशेष प से जानते ह. (४)
कथा कद या उषसो ु ौ दे वो मत य स यं जुजोष.
कथा कद य स यं स ख यो ये अ म कामं सुयुजं तत े.. (५)
इं उषाकाल आरंभ होने पर कब और कस कार मनु य क मै ी वीकार करते ह?
जो तोता इं के त शोभन ह व एवं तो दान करते ह, उनके त इं अपनी म ता
कस कार कट करते ह? (५)
कमादम ं स यं स ख यः कदा नु ते ा ं
वाम.
ये सु शो वपुर य सगाः व१ण च तम मष आ गोः.. (६)
हे इं ! हम यजमान श ु का पराभव करने वाले तु हारी मै ी एवं ातृ ेम को अपने
म तोता से कब कहगे? इं के सभी उ ोग तोता के क याण के लए होते ह. सूय
के समान ग तशील इं के सुंदर शरीर को सभी चाहते ह. (६)
हं जघांस वरसम न ां ते त े त मा तुजसे अनीका.
ऋणा च ऋणया न उ ो रे अ ाता उषसो बबाधे.. (७)
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इं ोह करने वाले, हसाका रय एवं इं को न जानने वाली रा सी को मारने क
इ छा से अपने तेज आयुध को अ धक तेज बनाते ह. उषाकाल म हम ऋण बाधा प ंचाते
ह. ऋणहंता इं हमारे अनजाने ही र से इन उषा को पी ड़त करते ह. (७)
ऋत य ह शु धः स त पूव ऋत य धी तवृ जना न ह त.
ऋत य ोको ब धरा ततद कणा बुधानः शुचमान आयोः.. (८)
ऋतदे व भूत जल के वामी ह. उनक तु त पाप को न करती है. ऋतदे व क
ानजनक एवं द त तु त वचन बहरे आदमी के कान म भी वेश करता है. (८)
ऋत य हा ध णा न स त पु ण च ा वपुषे वपूं ष.
ऋतेन द घ मषण त पृ ऋतेन गाव ऋतमा ववेशुः.. (९)
शरीरधारी ऋतदे व के अनेक ढ़ धारक एवं आनंदकारक प ह. तोता ऋतदे व से
अ धक अ क अ भलाषा करते ह. ऋतदे व के कारण ही गाएं य म वेश करती ह. (९)
ऋतं येमान ऋत म नो यृत य शु म तुरया उ ग ुः.
ऋताय पृ वी ब ले गभीरे ऋताय धेनू परमे हाते.. (१०)
तोता अपनी तु तय ारा ऋतदे व को वश म करने के लए ऋतदे व क सेवा करते ह.
ऋतदे व का बल जल क कामना करता है. व तीण एवं अग य धरती-आकाश पर ऋतदे व
का ही अ धकार है. धरती-आकाश गाय के समान उ ह ध दे ते ह. (१०)
नू ु त इ नू गृणानं इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल स रता को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां सुनकर उ ह वीकार करो एवं हमारा अ बढ़ाओ. हे ह र नामक घोड़
के वामी इं ! हमने तु हारे न म नवीन तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे
सेवक बन. (११)
सू —२४
दे वता—इं
का सु ु तः शवसः सूनु म मवाचीनं राधस आ ववतत्.
द द ह वीरो गृणते वसू न स गोप त न षधां नो जनासः.. (१)
कस कार क शोभन तु त परम बलशाली एवं हमारे सामने वतमान इं को हम धन
दे ने के लए े रत कर सकती है? हे यजमानो! वीर एवं पशु आ द धन के वामी इं हम
तु तक ा को हमारे श ु क संप द. (१)
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स वृ ह ये ह ः स ई ः स सु ु त इ ः स यराधाः.
स याम ा मघवा म याय
यते सु वये व रवो धात्.. (२)
तु त यो य इं श ु का नाश करने के लए बुलाए जाते ह. वे भली कार से तु त
सुनकर यजमान के लए धन दे ते ह. धन के वामी इं तु त क कामना करने वाले यजमान
को भली कार से धन दे ते ह. (२)
त म रो व य ते समीके र र वांस त वः कृ वत ाम्.
मथो य यागमुभयासो अ म र तोक य तनय य सातौ.. (३)
मनु य यु म इं को ही बुलाते ह. यजमान तप या ारा अपने शरीर को ीण
बनाकर इं को ही अपना र क नयु करते ह. यजमान और तु तक ा मलकर पु और
पौ पाने के लए उ ह दाता इं का सहारा लेते ह. (३)
तूय त तयो योग उ ाशुषाणासो मथो अणसातौ.
सं य शोऽववृ त यु मा आ द ेम इ य ते अभीके.. (४)
हे परम श शाली इं ! सभी जगह फैले ए मनु य जल ा त करने के लए एक
होकर य करते ह. यु क इ छा से जब लोग सं ाम म एक होते ह तो कुछ भा यशाली
लोग ही इं का मरण कर पाते ह. (४)
आ द नेम इ यं यज त आ द प ः पुरोळाशं र र यात्.
आ द सोमो व पपृ यादसु वीना द जुजोष वृषभं यज यै.. (५)
यु काल म कुछ यो ा श शाली इं क पूजा करते ह, कुछ यो ा पुरोडाश पकाकर
इं को दे ते ह. उस समय सोम नचोड़ने वाले यजमान सोमरस न नचोड़ने वाले यजमान को
धन का भाग नह दे ते. कुछ लोग कामवष इं के न म य करने का संक प करते ह. (५)
कृणो य मै व रवो य इ थे ाय सोममुशते सुनो त.
स ीचीनेन मनसा ववेन त म सखायं कृणुते सम सु.. (६)
सोमरस क अ भलाषा करने वाले इं के न म जो सोम नचोड़ता है, इं उस
यजमान को धनी बनाते ह. जो आनंदभाव से इं को चाहते एवं सोमरस नचोड़ते ह, उ ह इं
म बनाते ह. (६)
य इ ाय सुनव सोमम पचा प
त भृ जा त धानाः.
त मनायो चथा न हय त म दधद्वृषणं शु म म ः.. (७)
जो इं के लए सोम नचोड़ते ह, पुरोडाश पकाते ह एवं जौ भूनते ह, उ ह तोता
क तु तयां वीकार करके इं यजमान के न म इ छा पूरी करने वाला बल धारण करते
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ह. (७)
यदा समय चे घावा द घ यदा जम य यदयः.
अ च दद् वृषणं प य छा रोण आ न शतं सोमसु
ः.. (८)
श ु को मारने वाले महान् इं सं ाम म जब श ु को जानकर द घ काल तक
संल न रहते ह, उस समय इं क प नी य शाला म ऐसे इं को बुलाती है जो ऋ वज् ारा
नचोड़े गए सोमरस को पीकर उ े जत हो जाते ह एवं मनोकामनाएं पूरी करते ह. (८)
भूयसा व नमचर कनीयोऽ व तो अका नषं पुनयन्.
स भूयसा कनीयो ना ररेची ना द ा व ह त वाणम्.. (९)
कसी
को अ धक
का थोड़ा मू य मला. वह खरीदार से बोला—“म ने यह
व तु नह बेची. अभी मुझे और मू य दो.” खरीदने वाले ने मू य नह बढ़ाया और कहा—“म
ब त दे ख चुका ं. समथ या असमथ कैसा भी
हो, बेचते समय जो मू य न त हो
जाता है, उसी पर जमा रहता है.” (९)
क इमं दश भममे ं णा त धेनु भः.
यदा वृ ा ण जंघनदथैनं मे पुनददत्.. (१०)
मेरे इस इं को दस गाय के बदले कौन मोल लेता है? शत यह है क जब इं तु हारे
श ु का वध कर चुके ह तो इ ह लौटा दे ना. (१०)
नू ु त इ नू गृणान इषं ज र े न ो३ न पीपेः.
अका र ते ह रवो
न ं धया याम र यः सदासाः.. (११)
हे इं ! जस कार जल स रता को पूण करता है, उसी कार तुम पूववत ऋ षय क
तथा हमारी तु तयां सुनकर उ ह वीकार करो एवं हमारा अ बढ़ाओ. हे ह र नामक घोड़
के वामी इं ! हमने तु हारे न म नवीन तु तयां बनाई ह. हम रथ के वामी एवं तु हारे
सेवक बन. (११)
सू —२५
दे वता—इं
को अ नय दे वकाम उश
य स यं जुजोष.
को वा महेऽवसे पायाय स म े अ नौ सुतसोम ई े .. (१)
आज कौन मानव हतैषी, दे वा भलाषी एवं कामनापूण मनु य इं के साथ म ता करना
चाहता है? सोमरस नचोड़ने वाला कौन सा यजमान अ न व लत होने पर महान् तथा
पार प ंचाने वाले आ य के लए इं क तु त करता है? (१)
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को नानाम वचसा सो याय मनायुवा भव त व त उ ाः.
क इ य यु यं कः स ख वं को ा ं व कवये क ऊती.. (२)
कौन यजमान सोमरस के पा इं को तु त पी वचन से नम कार करता है? कौन
इं क तु त क कामना करता है? इं ारा द ई गाय को कौन रखता है? कौन इं क
सहायता चाहता है? कौन इं के साथ म ता अथवा भाईचारा रखने का इ छु क है? कौन
ांतदश इं से र ा क ाथना करता है? (२)
को दे वानामवो अ ा वृणीते क आ द याँ अ द त यो तरी े .
क या ना व ो अ नः सुत यांशोः पब त मनसा ववेनम्.. (३)
आज कौन यजमान इं आ द दे व से र ा क ाथना करता है? कौन आ द य, अ द त
एवं जल से ाथना करता है? अ नीकुमार, इं एवं अ न कस यजमान क तु त से स
होकर उसके ारा नचोड़े ए सोमरस को पीते ह? (३)
त मा अ नभारतः शम यंस यो प या सूयमु चर तम्.
य इ ाय सुनवामे याह नरे नयाय नृतमाय नृणाम्.. (४)
ह व के वामी अ न उस यजमान के लए सुख द एवं वह ब त काल तक उदय होते
ए सूय को दे खे जो कहता है क म नेता, मानव के हतैषी एवं मानव म े इं के लए
सोमरस नचोडंगा. (४)
न तं जन त बहवो न द ा उव मा अ द तः शम यंसत्.
यः सुकृ य इ े मनायुः यः सु ावीः यो अ य सोमी.. (५)
जो यजमान इं के न म सोमरस नचोड़ने का संक प करते ह, उ ह न थोड़े और न
ब त श ु जीत सक. अ द त उ ह सुख द. शोभन एवं तु त क कामना करने वाले यजमान
इं के य ह. भली-भां त समीप जाने वाले एवं सोमरस नचोड़ने वाले यजमान इं के य
ह . (५)
सु ा ः ाशुषाळे ष वीरः सु वेः प कृणुते केवले ः.
नासु वेरा पन सखा न जा म ा ोऽवह तेदवाचः.. (६)
श ु
को शी हराने वाले तथा वीर इं अपने समीप आने वाले तथा सोमरस
नचोड़ने वाले यजमान के पुराडोश को तुरंत वीकार कर लेते ह. इं सोमरस न नचोड़ने
वाले यजमान के न म
ा त, सखा अथवा बंधु नह बनते. इं तु तहीन क हसा करते
ह. (६)
न रेवता प णना स य म ोऽसु वता सुतपाः सं गृणीते.
आ य वेदः खद त ह त न नं व सु वये प ये केवलो भूत्.. (७)
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सोमरस पीने वाले इं धनवान्, लोभी एवं सोमरस न नचोड़ने वाले यजमान से म ता
नह रखते. वे ऐसे लोग के थ धन को प करके न कर दे ते ह. इं सोमरस नचोड़ने
वाले एवं ह पकाने वाले यजमान के ही घ न म बनते ह. (७)
इ ं परेऽवरे म यमास इ ं या तोऽव सतास इ म्.
इ ं य त उत यु यमाना इ ं नरो वाजय तो हव ते.. (८)
उ कृ , नकृ अथवा म यम चलते ए अथवा बैठे ए, घर म रहने वाले अथवा यु
करते ए एवं अ क इ छा करने वाले लोग इं को पुकारते ह. (८)
सू —२६
दे वता—इं
अहं मनुरभवं सूय ाहं क ीवाँ ऋ षर म व ः.
अहं कु समाजुनेयं यृ ेऽहं क व शना प यता मा.. (१)
म ही मनु था. म ही स वता ं. मेधावी क ीवान् ऋ ष भी म ही ं. मने अजुनी के पु
कु स को अलंकृत कया था. म ही उशना क व ं. हे मनु यो! मुझे दे खो. (१)
अहं भू ममददामायायाहं वृ दाशुषे म याय.
अहमपो अनयं वावशाना मम दे वासो अनु केतमायन्.. (२)
मने आय मनु के लए धरती द थी. ह दे ने वाले लोग को वषा पी जल म ही दे ता
ं. म कलकल श द करते ए जल को सभी थान पर लाया था. दे वगण मेरे ही संक प का
अनुगमन करते ह. (२)
अहं पुरो म दसानो ैरं नव साकं नवतीः श बर य.
शततमं वे यं सवताता दवोदासम त थ वं यदावम्.. (३)
मने सोमरस पीने से मतवाला होकर शंबर असुर के न यानवे नगर को एक ही साथ
न कर दया है. मने य म अ त थय का वागत-स कार करने वाले दवोदास को सौ सागर
दए थे. (३)
सु ष व यो म तो वर तु येनः येने य आशुप वा.
अच या य वधया सुपण ह ं भर मनवे दे वजु म्.. (४)
हे म द्गण! येन प ी अ य प य क अपे ा उ म हो. येन प य म भी सबसे
तेज चलने वाला येन धान हो, य क वही बना प हय वाले रथ ारा दे व से से वत
सोम प ह को मनु जाप त के न म वग से लाया था. (४)
भर द वरतो वे वजानः पथो णा मनोजवा अस ज.
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तूयं ययौ मधुना सो येनोत वो व वदे येनो अ .. (५)
येन प ी जब बाधक को डराता आ सोम लाया था, तब व तीण माग म वह मन के
समान ती ग त से उड़ा था. वह येन सोम प अ के साथ शी उड़ा था, इस लए उसने इस
संसार म स पाई थी. (५)
ऋजीपी येनो ददमानो अंशुं परावतः शकुनो म ं मदम्.
सोमं भर ा हाणो दे वावा दवो अमु मा रादादाय.. (६)
सीधा उड़ने वाला येन प ी र या ा से सोम लाते समय दे व के साथ आ एवं नशा
करने वाले स सोम को ढ़तापूवक लाया था. (६)
आदाय येनो अभर सोमं सह ं सवाँ अयुतं च साकम्.
अ ा पुर धरजहादरातीमदे सोम य मूरा अमूरः.. (७)
येन प ी हजार एवं अयुत (दस हजार) य के साथ सोम पी अ को लाया था.
सोम लाने पर ब एवं ा इं ने सोम के नशे के कारण श ु का नाश कया. (७)
सू —२७
दे वता— येन
गभ नु स वेषामवेदमहं दे वानां ज नमा न व ा.
शतं मा पुर आयसीरर ध येनो जवसा नरद यम्.. (१)
मने गभ म रहते ए ही इं ा द दे व के सभी ज म को जाना था. इससे पहले सैकड़
लौह शरीर ने हमारी र ा क थी एवं हम येन प ी के समान आ मा के प म शरीर से
नकाला था. (१)
न घा स मामप जोषं जभाराभीमास व सा वीयण.
ईमा पुर धरजहादराती त वाताँ अतर छू शुवानः.. (२)
वह गभ पूण प से मेरे ान का अपहरण नह कर सका. मने गभ थत ःख को
ान पी ती ण बल ारा हराया. सबके ेरक परमा मा ने गभ थत श ु का नाश कया.
उसने पूण प धारण करके क प ंचाने वाले वायु को र कया. (२)
अव य
ेनो अ वनीदध ो व य द वात ऊ ः पुर धम्.
सृज द मा अव ह प यां कृशानुर ता मनसा भुर यन्.. (३)
सोम लाते समय येन प ी ने वग से नीचे क ओर मुंह करके श द कया. सोम के
रखवाल ने उससे सोम छ न लया. बाण छोड़ने वाले कृशानु नामक सोमर क ने धनुष पर
डोरी चढ़ाई, तब येन प ी मन के समान ती ग त से सोम ले आया. (३)
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ऋ ज य ई म ावतो न भु युं येनो जभार बृहतो अ ध णोः.
अ तः पत पत य य पणमध याम न सत य त े ः.. (४)
अ नीकुमार जस कार श शाली र क वाले थान से भु यु नामक राजा को
उठाकर ले गए थे, उसी कार इं ारा र त महान् वगलोक से सीधा चलने वाला येन
प ी सोम ले आया था. उस समय यु म कृशानु के बाण से घायल प ी का एक पंख गर
गया था. (४)
अध ेतं कलशं गो भर मा प यानं मघवा शु म धः.
अ वयु भः यतं म वो अ म ो मदाय त ध पब यै शूरो मदाय
(५)
यु
त ध पब यै..
इस समय शूर इं
ेत, घड़े म भरे ए, गाय के ध से मले ए, तृ तकारक सार से
एवं अ वयुगण ारा दए अ तथा मधुर सोम का पान कर. (५)
सू —२८
दे वता—इं और सोम
वा युजा तव त सोम स य इ ो अपो मनवे स ुत कः.
अह हम रणा स त स धूनपावृणोद प हतेव खा न.. (१)
हे सोम! इं ने तु हारी म ता पाकर उसक सहायता से मनु य के लए जल को
वा हत कया. उसने वृ को मारा, बहने वाले जल को ेरणा द एवं जलधारा को रोकने
वाले ार खोले. (१)
वा युजा न खद सूय ये
ं सहसा स इ दो.
अ ध णुना बृहता वतमानं महो हो अप व ायु धा य.. (२)
हे सोम! इं ने तु हारा सहारा लेकर तुरंत ेरक सूय के दो प हय वाले रथ के एक
प हए को महान् बल से तोड़ डाला. वह रथ महान् अंत र म ऊपर वतमान था. इं ने अपने
परम श ु सूय के सव गामी रथ का प हया न कर दया. (२)
अह ो अदहद न र दो पुरा द यू म य दनादभीके.
ग रोणे वा न यातां पु सह ा शवा न बह त्.. (३)
हे सोम! यु म तु ह पाकर श ु श शाली बने. इं और अ न ने दोपहर से पहले ही
श ु को समा त कर दया. जैसे चोर र ार हत एवं जनशू य थान से जाने वाले धनी लोग
को मार डालता है, उसी कार इं ने हजार क सं या वाली सेनाएं समा त कर द . (३)
व
मा सीमधमाँ इ
द यू वशो दासीरकृणोर श ताः.
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अबाधेथाममृणतं न श ून व दे थामप च त वध ैः.. (४)
हे इं ! तुमने इन द युजन को सब गुण से हीन कया एवं य कमर हत दास को
न दत बनाया. हे इं एवं सोम! तुम दोन श ु को बाधा प ंचाओ, उ ह मारो और उनक
ह या के बदले म यजमान से पूजा वीकार करो. (४)
एवा स यं मघवाना युवं त द
सोमोवम ं गोः.
आद तम प हता य ा र रचथुः ा
तृदाना.. (५)
हे सोम! तुम और इं —दोन ने अ एवं गाय का समूह दान कया. तुमने प णय
ारा रोक गई गाय को एवं उन प णय क भू मय को बल ारा मु कया था. हे इं एवं
सोम! तुम दोन श ुनाशका रय ने जो कया, वह स य है. (५)
सू —२९
दे वता—इं
आ नः तुत उप वाजे भ ती इ या ह ह र भम दसानः.
तर दयः सवना पु याङ् गूषे भगृणानः स यराधाः.. (१)
हे स , वामी, तु तय ारा पू जत एवं स य-धन वाले इं ! तुम हमारी तु तयां
सुनकर हमारी र ा के न म अपने अ क सहायता से हमारे अ पूण य म आओ. (१)
आ ह मा या त नय क वा यमानः सोतृ भ प य म्.
व ो यो अभी म यमानः सु वाणे भमद त सं ह वीरैः.. (२)
मानव के हतैषी एवं सव इं सोम नचोड़ने वाले ऋ वज ारा बुलाए जाने पर
हमारे य के न म आव. इं सुंदर घोड़ वाले, भयर हत, सोमरस नचोड़ने वाल ारा
बुलाए गए एवं वीर म त के साथ स रहते ह. (२)
ावयेद य कणा वाजय यै जु ामनु दशं म दय यै.
उ ावृषाणो राधसे तु व मा कर इ ः सुतीथाभयं च.. (३)
हे तोताओ! तुम इं के कान को तु तयां सुनाओ, जससे इं श शाली एवं सभी
दशा म परम स बन सक. सोमरस पान से श शाली बने इं धन ा त के लए मुझ
ाथ को भयर हत कर. (३)
अ छा यो ग ता नाधमानमूती इ था व ं हवमानं गृण तम्.
उप म न दधानो धुया३ शू सह ा ण शता न व बा ः.. (४)
हाथ म व धारण करने वाले इं अपने वश म रहने वाले हजार और सैकड़ घोड़ को
रथ के जुए म जोड़ते ह एवं र ा क याचना करने वाले, मेधावी एवं स ता भरी तु तयां
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करने वाले यजमान के समीप जाते ह. (४)
वोतासो मघव
व ा वयं ते याम सूरयो गृण तः.
भेजानासो बृह व य राय आका य य दावने पु ोः.. (५)
हे तु त-यो य, महान् द त वाले एवं अ धक अ वाले इं ! तु हारे
तु हारी तु त करने वाले हम मेधावी लोग तु हारे धन के पा बने ह. (५)
दे वता—इं
सू —३०
नकर
ारा र त,
व
रो न यायाँ अ त वृ हन्. न करेवा यथा वम्.. (१)
हे वृ हंता इं ! संसार म कोई भी तु हारी अपे ा उ म एवं शंसनीय नह है. हे इं !
तु हारे समान कोई स नह है. (१)
स ा ते अनु कृ यो व ा च े व वावृतुः. स ा महाँ अ स ुतः.. (२)
हे इं ! जाएं तु हारे पीछे उसी कार चल, जस कार गाड़ी सभी जगह प हए के
पीछे जाती है. हे इं ! तुम वा तव म महान् एवं स हो. (२)
व े चनेदना वा दे वास इ
युयुधुः. यदहा न मा तरः.. (३)
हे इं ! असुर को जीतने क इ छा से दे व ने तु हारी सहायता से बल ा त करके
असुर के साथ यु कया. इसी हेतु तुमने रात- दन श ु का नाश कया. (३)
य ोत बा धते य
कु साय यु यते. मुषाय इ
हे इं ! उस सं ाम म तुमने यु
रथ का प हया चुराया था. (४)
सूयम्.. (४)
करने वाले कु स एवं उसके सहायक के लए सूय के
य दे वाँ ऋघायतो व ाँ अयु य एक इत्. व म
वनूँरहन्.. (५)
हे इं ! तुम अकेले ने दे व को बाधा प ंचाने वाले सभी रा स के साथ यु
उन हसक को मारा. (५)
य ोत म याय कम रणा इ
कया एवं
सूयम्. ावः शची भरेतशम्.. (६)
हे इं ! उस सं ाम म तुमने एतश ऋ ष क र ा के लए सूय क हसा क एवं एतश
ऋ ष को बचाया. (६)
कमा ता स वृ ह मघव म युम मः. अ ाह दानुमा तरः.. (७)
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हे वृ नाशक एवं धन वामी इं ! उसके प ात् तुम
आकाश म दनुपु वृ का नाश कया. (७)
एतद्घे त वीय१ म
चकथ प यम्.
ो धत ए एवं दन के समय
यं य हणायुवं वधी हतरं दवः.. (८)
हे इं ! तुमने अपनी श को साम यपूण बनाया और वग क पु ी उस उषा का वध
कया जो तु ह मारना चाहती थी. (८)
दव द्घा
हतरं महा महीयमानाम्. उषास म
सं पणक्.. (९)
हे इं ! तुमने वग क पु ी तथा पूजा के यो य उषादे वी को पीस डाला. (९)
अपोषा अनसः सर सं प ादह ब युषी. न य स श थद्वृषा.. (१०)
कामवष इं ने जब उषा क गाड़ी तोड़ डाली तो डरी ई उषा टू ट
उतरी. (१०)
ई गाड़ी से नीचे
एतद या अनः शये सुस प ं वपा या. ससार स परावतः.. (११)
इं ारा तोड़ी गई उषा क गाड़ी वपाशा नद के कनारे गरी. उषा उससे र चली
गई. (११)
उत स धुं वबा यं वत थानाम ध
हे इं ! तुमने अपने बु
जगह था पत कया. (१२)
उत शु ण य धृ णुया
म. प र ा इ
बल से जलपूण एवं
मायया.. (१२)
थत न दय को धरती के ऊपर सभी
मृ ो अ भ वेदनम्. पुरो यद य सं पणक्.. (१३)
हे पराजयकारी इं ! जब तुमने शु ण असुर के नगर को भली कार न
तभी उसका धन भी छ न लया था. (१३)
उत दासं कौ लतरं बृहतः पवताद ध. अवाह
कया था,
श बरम्.. (१४)
हे इं ! तुमने कुलतर के पु शंबर नामक दास को बृहत् पवत पर अधोमुख कर मारा
था. (१४)
उत दास य व चनः सह ा ण शतावधीः. अ ध प च ध रव.. (१५)
हे इं ! जस कार प हए के चार ओर शंकु होते ह, उसी कार व च नामक दास के
चार ओर हजार-पांच सौ सेवक थे. तुमने उनका वध कया. (१५)
उत यं पु म ुवः परावृ ं शत तुः. उ थे व आभजत्.. (१६)
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शत तु इं ने अ ु के पु परावृ
को तो
का भागी बनाया. (१६)
उत या तुवशाय अ नातारा शचीप तः. इ ो व ाँ अपारयत्.. (१७)
शचीप त एवं व ान् इं ने यया त के शाप के कारण अ भषेकहीन तुवश एवं य
नामक राजा को अ भषेक यो य बनाया. (१७)
उत या स आया सरयो र
पारतः. अणा च रथावधीः.. (१८)
हे इं ! सरयू के पार रहने वाले राजा औव और च रथ वयं को आय कहते थे. तुमने
उनका वध तुरंत कया. (१८)
अनु ा ज हता नयोऽ धं ोणं च वृ हन्. न त े सु नम वे.. (१९)
हे वृ नाशक इं ! तुमने सभी संबं धय ारा यागे गए अंधे और लूले पर कृपा क थी.
तु हारे ारा दए ए सुख को कोई न नह कर सकता. (१९)
शतम म मयीनां पुरा म ो
ा यत्. दवोदासाय दाशुषे.. (२०)
इं ने प थर के बने ए सौ नगर ह
अ वापय भीतये सह ा
दे ने वाले दवोदास को दए. (२०)
शतं हथैः. दासाना म ो मायया.. (२१)
इं ने दभी त के क याण के लए अपनी श
आयुध से मार डाला था. (२१)
स घे ता स वृ ह समान इ
ारा तीस हजार रा स को अपने
गोप तः. य ता व ा न च युषे.. (२२)
हे श ुनाशक, गाय के पालक एवं सभी यजमान को समान समझने वाले इं ! तुमने
इन सभी श ु को हराया था. (२२)
उत नूनं य द
यं क र या इ
हे इं ! तुमने अपनी श
तु ह नह हरा पाया है. (२३)
प यम्. अ ा न क दा मनत्.. (२३)
को साम यपूण बना लया है, इस लए आज तक कोई भी
वामंवामं त आ रे दे वो ददा वयमा.
वामं पूषा वामं भगो वामं दे वः क ळती.. (२४)
हे श ु वदारक इं ! पूषा दे व तु ह उ म धन द. बना दांत वाले पूषा एवं भग तु ह
उ म धन द. (२४)
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सू —३१
कया न
दे वता—इं
आ भुव ती सदावृधः सखा. कया श च या वृता.. (१)
सदा बढ़ते ए, पूजनीय एवं म प इं कस तपण के कारण हमारे सामने आएंगे? वे
कस वचारपूण कम के कारण हमारे अ भमुख ह गे? (१)
क वा स यो मदानां मं ह ो म सद धसः.
हा चद जे वसु.. (२)
हे इं ! पूजनीय, स य एवं अ तशय मदकारक कौन सा सोमरस तु ह श ु
न करने के लए मु दत करेगा? (२)
का धन
अभी षु णः सखीनाम वता ज रतॄणाम्. शतं भवा यू त भः.. (३)
हे इं ! तुम म प तोता
लोग के सामने आओ. (३)
के र क बनकर अनेक कार से र ा करते ए हम
अभी न आ ववृ व च ं न वृ मवतः नयु
षणीनाम्.. (४)
हे इं ! तुम हम सेवक लोग क तु त से स होकर हमारे चार ओर गोल च कर के
प म थत रहो. (४)
वता ह
तूनामा हा पदे व ग छ स. अभ
सूय सचा.. (५)
हे इं ! तुम य कम के थान म अपना थल जानकर ही आते हो. हम सूय के साथ
तु ह मरण करते ह. (५)
सं य इ
म यवः सं च ा ण दध वरे. अध वे अध सूय.. (६)
हे इं ! तु हारे लए बनाई ई तु तयां एवं प र माएं जब हमारे ारा धारण क जाती
ह, तब वे सबसे पहले तु हारे त और बाद म सूय के त होती ह. (६)
उत मा ह वामा र मघवानं शचीपते. दातारम वद धयुम्.. (७)
हे शचीप त इं ! लोग तु ह धन का वामी, तोता
द तशाली कहते ह. (७)
उत मा स इ प र शशमानाय सु वते. पु
को मनोवां छत फल दे ने वाला व
च मंहसे वसु.. (८)
हे इं ! तुम तु तकारी और सोमा भषवकारी यजमान को पल भर म ब त सा धन दे ने
वाले हो. (८)
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न ह मा ते शतं चन राधो वर त आमुरः. न यौ ना न क र यतः.. (९)
हे इं ! बाधक रा स तु हारी सैकड़ संप य को न
श ुनाशक बल को भी नह रोक सकते. (९)
नह कर सकते. वे तु हारे
अ माँ अव तु ते शतम मा सह मूतयः. अ मा व ा अ भ यः.. (१०)
हे इं ! तु हारे सैकड़ -हजार र ासाधन हमारी र ा कर. तु हारे सभी यास हमारी
र ा कर. (१०)
अ माँ इहा वृणी व स याय व तये. महो राये द व मते.. (११)
हे इं ! तुम इस य म हम यजमान को म ता, अ वनाशी भाव एवं द तशाली महान्
धन का भागी बनाओ. (११)
अ माँ अ वड् ढ व हे
राया परीणसा. अ मा व ा भ
हे इं ! तुम महान् धन के ारा हमारी
से हमारी र ा करो. (१२)
त भः.. (१२)
त दन र ा करो. तुम अपने सभी र ासाधन
अ म यं ताँ अपा वृ ध जाँ अ तेव गोमतः. नवाभ र ो त भः.. (१३)
हे इं ! तुम र ा के नवीन उपाय
खोलो, जनम गाएं रहती ह . (१३)
ारा शूर के समान हमारे लए उन गोशाला
के ार
अ माकं धृ णुया रथो ुमाँ इ ानप युतः. ग ुर युरीयते.. (१४)
हे इं ! हमारा श ु वनाशकारी, द तशाली, वनाशर हत, बैल और घोड़ से यु
सभी जगह जावे. उस रथ के साथ-साथ हमारी भी र ा करो. (१४)
रथ
अ माकमु मं कृ ध वो दे वेषु सूय. व ष ं ा मवोप र.. (१५)
हे सव ेरक इं ! दे व म हमारा यश उसी कार उ कृ बनाओ, जस कार तुमने वषा
करने म स म आकाश को सभी लोग के ऊपर धारण कया है. (१५)
दे वता—इं
सू —३२
आ तू न इ
वृ ह
माकमधमा ग ह. महा मही भ
त भः.. (१)
हे श ुहंता एवं महान् इं ! तुम अपने महान् र ासाधन को लेकर शी ही हम लोग के
समीप आओ. (१)
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भृ म द्घा स तूतु जरा च
च णी वा. च ं कृणो यूतये.. (२)
हे पूजनीय इं ! तुम मणशील होते ए भी हमारे अभी दाता हो. तुम व च कम
वाली जा क र ा-हेतु धन दे ते हो. (२)
द ेभ
छशीयांसं हं स ाध तमोजसा. स ख भय वे सचा.. (३)
हे इं ! जो यजमान तु हारे साथ मल जाते ह, तुम उनके ऐसे महान् श ु
अपनी श से समा त कर दे ते हो जो घोड़े के समान उछलते ह. (३)
वय म
को भी
वे सचा वयं वा भ नोनुमः. अ माँअ माँ इ दव.. (४)
हे इं ! हम यजमान तु हारे साथ संगत ह. हम तु हारी पया त तु त करते ह. तुम हमारी
भली कार र ा करो. (४)
सन
ा भर वोऽनव ा भ
त भः. अनाधृ ा भरा ग ह.. (५)
हे व धारी इं ! तुम मनोहर, अ न दत एवं सर
लेकर हमारे सामने आओ. (५)
भूयामो षु वावतः सखाय इ
ारा आ मणर हत र ासाधन को
गोमतः. युजो वाजाय घृ वये.. (६)
हे इं ! हम तुम जैसे गो वामी के म ह. हम पया त अ पाने के लए तु हारे साथ
मलते ह. (६)
वं
(७)
ेक ई शष इ
वाज य गोमतः. स नो य ध मही मषम्.. (७)
हे इं ! एकमा तु ह गाय से यु
न वा वर ते अ यथा य
धन के वामी हो. तुम हम अ धक मा ा म अ दो.
स स तुतो मघम्. तोतृ य इ
गवणः.. (८)
हे तु त यो य इं ! जब तोता क तु तयां सुनकर तुम उ ह धन दे ना चाहते हो, तब
तु हारी अ भलाषा को कोई भी बदल नह सकता. (८)
अ भ वा गोतमा गरानूषत
दावने. इ
वाजाय घृ वये.. (९)
हे इं ! गौतम नामक ऋ ष ने धन एवं अ धक मा ा वाले अ को पाने के लए वाणी
ारा तु हारी तु त क . (९)
ते वोचाम वीया३ या म दसान आ जः. पुरो दासीरभी य.. (१०)
हे इं ! तुमने सोमरस पीने के कारण स होकर आ मणकारी असुर के नगर म
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जाकर उ ह भ न कर डाला. हम तु हारी उसी श
का बार-बार वणन करते ह. (१०)
ता ते गृण त वेधसो या न चकथ प या. सुते व
गवणः.. (११)
हे तु तपा इं ! तुमने पूवकाल म जन कठोरतापूण काय का दशन कया था, सोम
नचोड़ने के प ात् व ान् लोग उ ह का वणन करते ह. (११)
अवीवृध त गोतमा इ
वे तोमवाहसः. ऐषु धा वीरव शः.. (१२)
हे इं ! तो को वहन करने वाले गौतमवंशीय ऋ षय ने तु ह अपनी तु तय
बढ़ाया है. तुम इ ह पु -पौ वाला अ दो. (१२)
य च
(१३)
श तामसी
ारा
साधारण वम्. तं वा वयं हवामहे.. (१३)
हे इं ! य प तुम ब त से यजमान के साधारण दे व हो, फर भी हम तु ह बुलाते ह.
अवाचीनो वसो भवा मे सु म वा धसः. सोमाना म
सोमपाः.. (१४)
हे य म नवास करने वाले इं ! तुम इन यजमान के सामने आओ. हे सोम पीने वाले
इं ! तुम सोमप पी अ से स बनो. (१४)
अ माकं वा मतीनामा तोम इ
य छतु. अवागा वतया हरी.. (१५)
हम तु तक ा क तु तयां तु ह हमारे पास लाव. अपने ह र नामक दोन घोड़ को
हमारे सामने लाओ. (१५)
पुरोळाशं च नो घसो जोषयासे गर नः. वधूयु रव योषणाम्.. (१६)
हे इं ! तुम हमारे ारा पकाए गए पुरोडाश का भ ण करो. कामी लोग जस कार
नारी क बात पूरी करते ह, उसी कार तुम हमारी तु त साथक करो. (१६)
सह ं
तीनां यु ाना म मीमहे. शतं सोम य खायः.. (१७)
हम तु तक ा इं से हजार सीखे ए तेज ग त वाले घोड़े तथा सोमरस के सैकड़
कलश मांगते ह. (१७)
सह ा ते शता वयं गवामा यावयाम स. अ म ा राध एतु ते.. (१८)
हे इं ! हम तु हारी हजार और सैकड़ गाय को अपनी ओर आक षत करते ह. हमारा
धन तु हारे समीप प ंचे. (१८)
दश ते कलशानां हर यानामधीम ह. भू रदा अ स वृ हन्.. (१९)
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हे इं ! हम तुमसे दस घड़े भर कर वण मांगते ह. तुम हम इससे अ धक दे ते हो. (१९)
भू रदा भू र दे ह नो मा द ं भूया भर. भू र घे द
द स स.. (२०)
हे अ धक दान करने वाले इं ! हम ब त सा धन दो. थोड़ा मत दो. तुम हम ब त धन
दे ना चाहते हो. (२०)
भू रदा
स ुतः पु
ा शूर वृ हन्. आ नो भज व राध स.. (२१)
हे वृ नाशक एवं शूर इं ! तुम ब त से यजमान म अ धक दे ने वाले के
हो. तुम हम धन का भागी बनाओ. (२१)
पम
स
ते ब ू वच ण शंसा म गोषणो नपात्. मा यां गा अनु श थः.. (२२)
हे बु मान् इं ! हम तु हारे पीले रंग वाले दोन घोड़ क शंसा करते ह. हे गाय दे ने
वाले इं ! तुम तोता का नाश नह करते. इन दो घोड़ ारा तुम हमारी गाय को न मत
करना. (२२)
कनीनकेव व धे नवे पदे अभके. ब ू यामेषु शोभेते.. (२३)
हे इं ! तु हारे पीले रंग के घोड़े य म इस कार सुशो भत होते ह, जस कार ढ़,
नए एवं छोटे से वृ म सुंदर कठपुतली छपे प म शोभा पाती ह. (२३)
अरं म उ या णेऽरमनु या णे. ब ू यामे व धा.. (२४)
हे इं ! हम चाहे बैल जुड़े ए रथ म बैठकर चल अथवा बना उसके पैदल चल, तु हारे
हसा न करने वाले पीले घोड़े हमारी या ा म क याण कर. (२४)
सू —३३
दे वता—ऋभुगण
ऋभु यो त मव वाच म य उप तरे ैतर धेनुमीळे .
ये वातजूता तर ण भरेवैः प र ां स ो अपसो बभूवुः.. (१)
हम ऋभु के समीप अपनी तु तय को त के समान भेजते ह. हम सोमरस तैयार
करने के लए ऋभु से धा गाय मांगते ह. ऋभुगण वायु के समान ती ग तशील तथा
संसार के उपकारक कम करने वाले ह एवं वेगशाली घोड़ क सहायता से तुरंत आकाश को
सभी ओर से घेर लेते ह. (१)
यदारम ृभवः पतृ यां प र व ी वेषणा दं सना भः.
आ द े वानामुप स यमाय धीरासः पु मवह मनायै.. (२)
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जस समय ऋभु ने अपने माता- पता को प रचया ारा वृ से युवा बनाया एवं
अ य उ म काय ारा शोभा ा त क , उसी समय इं आ द दे व क म ता उ ह ा त ई.
धीर ऋभुगण यजमान के लए गौ आ द संप य ारा पु धारण करते ह. (२)
पुनय च ु ः पतरा युवाना सना यूपेव जरणा शयाना.
ते वाजो व वाँ ऋतु र व तो मधु सरसो नोऽव तु य म्.. (३)
ऋभु ने कटे ए काठ के समान जीण एवं पड़े रहने वाले अपने माता- पता को न य
त ण बना दया. वे वाज, वभु और ऋभु इं के साथ मलकर सोमरस का पान कर एवं
हमारे य क र ा कर. (३)
य संव समृभवो गामर य संव समृभवो मा अ पशन्.
य संव समभर भासो अ या ता भः शमी भरमृत वमाशुः.. (४)
ऋभु ने एक वष तक मरी ई गाय क र ा क . वे एक वष तक उसके शरीर क
भा को सुर त रखे रहे. एक वष ऋभु ने गाय के अवयव को रखा था. इन काय से
ऋभु को अमर पद ा त आ. (४)
ये आह चमसा ा करे त कनीया ी कृणवामे याह.
क न आह चतुर करे त व ऋभव त पनय चो वः.. (५)
बड़े ऋभु ने कहा—“हम चमस को दो बनावगे.” उससे छोटे ऋभु ने कहा—“हम एक
चमस के तीन करगे.” सबसे छोटा ऋभु बोला—“हम चमस के चार भाग करगे.” हे
ऋभुओ! तु हारे गु व ा ने चमस के चार भाग करने वाली बात मान ली. (५)
स यमूचुनर एवा ह च ु रनु वधामृभवो ज मुरेताम्.
व ाजमानां मसाँ अहेवावेन व ा चतुरो द ान्.. (६)
मानव पधारी ऋभु ने स ची बात कही थी. उ ह ने जैसा कहा था, वैसा कया.
चमस के चार भाग करने के तुरंत बाद ऋभुगण तृतीय सवन म वधा के भागी बने. दवस के
समान तेज वी चार चमस को दे खकर व ा ने उ ह लेने क अ भलाषा कट क . (६)
ादश ू यदगो या त ये रण ृभवः सस तः.
सु े ाकृ व नय त स धू ध वा त ोषधी न नमापः.. (७)
जसे छपाया नह जा सकता, ऐसे सूय के घर म ऋभुगण अ त थ के प म स कार
पाते ए बारह दन तक सुखपूवक रहते ह. जब वे सूने खेत को वषा ारा फसल से भरापूरा एवं न दय को वाहशील बनाते ह, उस समय जलर हत थान म ओष धयां उ प होती
ह एवं नचले थान म पानी भर जाता है. (७)
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रथं ये च ु ः सुवृतं नरे ां ये धेनुं व जुवं व पाम्.
त आ त वृभवो र य नः ववसः वपसः सुह ताः.. (८)
ज ह ने सुंदर प हय वाला रथ बनाया था एवं सबको ेरणा दे ने वाली व पा गौ का
नमाण कया था, वे शोभन-कम वाले, शोभन-अ के वामी एवं सुंदर हाथ से यु
ऋभुगण हम धन दान कर. (८)
अपो ेषामजुष त दे वा अ भ वा मनसा द यानाः.
वाजो दे वानामभव सुकम य ऋभु ा व ण य व वा.. (९)
इं ा द दे व ने ऋभु के कम को वीकार कया. वे दे वगण अनु हयु मन से ऋभु
को वर दे ने के कारण द तशाली थे. शोभनकम वाले वाज (सबसे छोटे ऋभु) दे व के संबंधी
थे, सबसे बड़े ऋभु इं के संबंधी एवं म यम ऋभु अथात् वभु व ण से संबं धत ए. (९)
ये हरी मेधयो था मद त इ ाय च ु ः सुयुजा ये अ ा.
ते राय पोषं वणा य मे ध ऋभवः ेमय तो न म म्.. (१०)
जन ऋभु ने अपनी बु एवं तु तय ारा ह र नामक घोड़ को ह षत कया,
ज ह ने उन सुंदर घोड़ को इं के लए भली कार से यु कया, वे ही ऋभुगण म के
समान हमारी मंगल कामना करते ए हम पु , अ एवं धन दान कर. (१०)
इदा ः पी तमुत वो मदं धुन ऋते ा त य स याय दे वाः.
ते नूनम मे ऋभवो वसू न तृतीये अ म सवने दधात.. (११)
चमस बनाने के प ात् दे व ने तीसरे सवन म तुम ऋभु को सोमरस एवं उससे उ प
स ता द . तप वी
के अ त र दे वगण कसी के म नह बनते. हे महान् ऋभुओ!
तृतीय सवन म तुम हम न त प से धन दो. (११)
सू —३४
दे वता—ऋभुगण
ऋभु व वा वाज इ ो नो अ छे मं य ं र नधेयोप यात.
इदा ह वो धषणा दे
ामधा पी त सं मदा अ मता वः.. (१)
हे ऋभु, वभु, वाज एवं इं ! तुम लोग हम र न दान करने के लए इस य म आओ.
इस समय वाणी- पी दे वी ने तु हारे लए सोमपान क स ता धारण क है. सोमरस पीने से
उ प स ता तु ह ा त हो. (१)
वदानासो ज मनो वाजर ना उत ऋतु भऋभवो मादय वम्.
सं वो मदा अ मत सं पुर धः सुवीराम मे र यमेरय वम्.. (२)
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हे सोम पी अ से सुशो भत ऋभुओ! तुम दे व ेणी म अपना ज म जानकर दे व के
साथ आनं दत बनो. सोमपान से उ प मद एवं तु त तु ह ा त ई है. तुम हम पु एवं
पौ से यु धन दो. (२)
अयं वो य ऋभवोऽका र यमा मनु व दवो द ध वे.
वोऽ छा जुजुषाणासो अ थुरभूत व े अ योत वाजाः.. (३)
हे ऋभुओ! यह य तुम लोग के उ े य से कया गया है. तुम द तसंप होकर
मनु य के समान उसे अपने उदर म धारण करो. तु हारी सेवा करने वाला सोमरस तु हारे
समीप रहता है. हे ऋभुओ! तुम सब अ ेणी म गने जाते हो. (३)
अभू वो वधते र नधेय मदा नरो दाशुषे म याय.
पबत वाजा ऋभवो ददे वो म ह तृतीयं सवनं मदाय.. (४)
हे नेता ऋभुओ! तु हारी कृपा से तु त ारा सेवा करने वाले एवं ह दे ने वाले
यजमान को तृतीय सवन म र न पी द णा दे ना संभव हो. हे वाजगण एवं ऋभुओ! तीसरे
सवन म हम तु हारी स ता के लए पया त मा ा म सोमरस दे ते ह. तुम उसे पओ. (४)
आ वाजा यातोप न ऋभु ा महो नरो वणसो गृणानाः.
आ वः पीतयोऽ भ प वे अ ा ममा अ तं नव व इव मन्.. (५)
हे नेता प वाजगण एवं ऋभुगण! तुम लोग महान् धन क तु त करते ए हमारे
समीप आओ. दन के अंत अथात् तीसरे सवन के समय पानयो य सोमरस उसी कार
तु हारे नकट आता है, जस कार बछड़ वाली गाएं अपने घर क ओर आती ह. (५)
आ नपातः शवसो यातनोपेमं य ं नमसा यमानाः.
सजोषसः सूरयो य य च थ म वः पात र नधा इ व तः.. (६)
हे बल के पु ऋभुओ! हमारी तु तय से बुलाए ए तुम य के समीप आओ. इं के
संबंधी होने के कारण तुम उ ह के साथ स रहते हो एवं मेधावी हो. तुम इं के साथ
आकर मधुर सोम पओ एवं र नदान करो. (६)
सजोषा इ व णेन सोमं सजोषाः पा ह गवणो म
ः.
अ ेपा भऋतुपा भः सजोषा ना प नीभी र नधा भः सजोषाः.. (७)
हे इं ! तुम व ण के साथ स होकर सोम पओ. हे तु तयो य इं तुम म त के
साथ स होकर सोम पओ. सबसे पहले सोमरस पीने वाले ऋतुपालक दे व , दे वप नय
एवं र न दे ने वाले दे व के साथ तुम सोम पओ. (७)
सजोषस आ द यैमादय वं सजोषस ऋभवः पवते भः.
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सजोषसो दै ेना स व ा सजोषसः स धुभी र नधे भः.. (८)
हे ऋभुओ! तुम आ द य , पव के समय पूजे जाने वाले दे व एवं र नदान करने वाली
न दय के साथ मलकर स बनो. (८)
ये अ ना ये पतरा य ऊती धेनुं तत ुऋभवो ये अ ा.
ये अंस ा य ऋध ोदसी ये व वो नरः वप या न च ु ः.. (९)
जन ऋभु ने रथ नमाण पी सेवा से अ नीकुमार को स कया, माता- पता को
बुढ़ापे क जीणता से युवा बनाकर स कया, ज ह ने धेनु और घोड़े को बनाया, दे व के
लए कवच का नमाण कया, धरती व आकाश को अलग-अलग कया, वे ापक, नेता एवं
शोभन संतान ा त के लए काय करने वाले ह. (९)
ये गोम तं वाजव तं सुवीरं र य ध थ वसुम तं पु ुम्.
ते अ ेपा ऋभवो म दसाना अ मे ध ये च रा त गृण त.. (१०)
जो ऋभुगण गाय , अ , पु -पौ , नवास थान यु तथा अ धक अ वाले धन के
वामी ह, वे सबसे पहले सोमरस पीने वाले, स एवं दान क शंसा करने वाले ह. वे हम
धन द. (१०)
नापाभूत न वोऽतीतृषामा नःश ता ऋभवो य े अ मन्.
स म े ण मदथ सं म
ः सं राजभी र नधेयाय दे वाः.. (११)
हे ऋभुओ! तुम यहां से चले मत जाना. हम तु ह अ धक यासा नह रखगे. हे दे व प
ऋभुओ! तुम अ न दत प म धन दे ने के लए इं , म द्गण एवं द तशाली दे व के साथ
स बनो. (११)
सू —३५
दे वता—ऋभुगण
इहोप यात शवसो नपातः सौध वना ऋभवो माप भूत.
अ म ह वः सवने र नधेयं गम व मनु वो मदासः.. (१)
हे बल के पु एवं सुध वा क संतान ऋभुओ! तुम इस य म आओ. तुम यहां से र
मत जाओ. हमारे पास य म र न दे ने वाले इं के बाद मदकारक सोमरस तु हारे पास जावे.
(१)
आग ृभूणा मह र नधेयमभू सोम य सुषुत य पी तः.
सुकृ यया य वप यया चँ एकं वच चमसं चतुधा.. (२)
इस तृतीय-सवन नामक य म ऋभु का र नदान मेरे पास आवे. तुम लोग ने
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नचोड़ा आ सोम पया था. तुमने अपनी कुशलता एवं कम क इ छा ारा एक चमस के
चार भाग कर दए थे. (२)
कृणोत चमसं चतुधा सखे व श े य वीत.
अथैत वाजा अमृत य प थां गणं दे वानामृभवः सुह ताः.. (३)
हे ऋभुओ! तुमने चमस के चार टु कड़े करके कहा था—“हे म अ न! कृपा करो.”
अ न ने उ र दया—“हे वाजगण एवं ऋभुओ! तुम कुशल लोग वग के माग से जाओ.”
(३)
कमयः व चमस एष आस यं का ेन चतुरो वच .
अथा सुनु वं सवनं मदाय पात ऋभवो मधुनः सो य य.. (४)
वह चमस कैसा था, जसे तुमने कुशलता से चार भाग म वभ
कया था? हे
ऋ वजो! ऋभु क स ता के लए सोम नचोड़ो. हे ऋभुओ! तुम मधुर सोमरस पओ.
(४)
श याकत पतरा युवाना श याकत चमसं दे वपानम्.
श या हरी धनुतरावत े वाहावृभवो वाजर नाः.. (५)
हे रमणीय सोम वाले ऋभुओ! तुमने अपने कम से माता- पता को युवा बनाया था.
तुमने कमकौशल से ही चमस को चार भाग म बांटकर दे व के पीने यो य बनाया था. अपनी
कुशलता से ही तुमने इं को ढोने वाले दो शी गामी घोड़ को बनाया था. (५)
यो वः सुनो य भ प वे अ ां ती ं वाजासः सवनं मदाय.
त मै र यमृभवः सववीरमा त त वृषणे म दसानाः.. (६)
हे अ के वामी एवं कामवष ऋभुओ! दन क समा त पर जो यजमान तु हारी
स ता के लए तेज नशे वाला सोम नचोड़ता है, तुम स होकर उसे पु -पौ से यु
संप दे ते हो. (६)
ातः सुतम पबो हय मा य दनं सवनं केवलं ते.
समृभु भः पब व र नधे भः सख या इ चकृषे सुकृ या.. (७)
हे ह र नामक अ के वामी इं ! तुम ातःकाल नचोड़े गए सोम को पओ. दोपहर
का य तु हारा ही है. हे इं ! तुमने उ म कम ारा जन ऋभु को अपना म बनाया है
उन र नदाता ऋभु के साथ तुम सोमपान करो. (७)
ये दे वासो अभवता सुकृ या येना इवेद ध द व नषेद.
ते र नं धात शवसो नपातः सौध वना अभवतामृतासः.. (८)
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हे ऋभुओ! तुम शोभन कम ारा दे व बने थे एवं ग के समान वगलोक म बैठे थे.
तुम बल, पु एवं र नदान करो. हे सुध वा के पु ो! तुम मरणर हत ए थे. (८)
य ृतीयं सवनं र नधेयमकृणु वं वप या सुह ताः.
त भवः प र ष ं व एत सं मदे भ र ये भः पब वम्.. (९)
हे शोभन हाथ वाले ऋभुओ! तुमने रमणीय कम क इ छा से तीसरे सवन को रमणीय
सोमरस के दान से यु बनाया था, इस लए तुम मु दत इं य से भली कार नचोड़ा आ
सोमरस पओ. (९)
सू —३६
दे वता—ऋभुगण
अन ो जातो अनभीशु
यो३ रथ च ः प र वतते रजः.
मह ो दे य वाचनं ामृभवः पृ थव य च पु यथ.. (१)
हे ऋभुओ! तु हारे ारा अ नीकुमार को दया आ तीन प हय वाला रथ घोड़ और
र सय के अभाव म भी आकाश म घूमता है. तु हारा यह काम शंसा के यो य है. यह कम
तु हारे दे व व को स करता है. इसके ारा तुम धरती और आकाश का पोषण करते हो.
(१)
रथं ये च ु ः सुवृतं सुचेतसोऽ व र तं मनस प र यया.
ताँ ऊ व१ य सवन य पीतय आ वो वाजा ऋभवो वेदयाम स.. (२)
सुंदर अंतःकरण वाले ऋभु ने मन के यान से भली कार चलने वाले प हय से
यु एवं कु टलताहीन रथ बनाया. हे वाजगण एवं ऋभुओ! इस तीसरे सवन म सोमरस पीने
के लए हम तु ह बुलाते ह. (२)
त ो वाजा ऋभवः सु वाचनं दे वेषु व वो अभव म ह वनम्.
ज ी य स ता पतरा सनाजुरा पुनयुवाना चरथाय त थ.. (३)
हे वाजगण, ऋभुगण एवं वभुगण! तु हारी यह वशेषता दे व म स
अपने वृ माता- पता को दोबारा युवा एवं चलने- फरने यो य बनाया. (३)
है क तुमने
एकं व च चमसं चतुवयं न मणो गाम रणीत धी त भः.
अथा दे वे वमृत वमानश ु ी वाजा ऋभव त उ यम्.. (४)
हे ऋभुओ! तुमने एक चमस को चार भाग म बांटा एवं अपनी कुशलता से बना चमड़े
वाली गाय को चमड़े से ढक दया. यही तुम म अमरता पाई जाती है. हे वाजगण एवं
ऋभुओ! तु हारा यह काम शंसा करने यो य है. (४)
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ऋभुतो र यः थम व तमो वाज ुतासो यमजीजन रः.
व वत ो वदथेषु वा यो यं दे वासोऽवथा स वचष णः.. (५)
वह मुख एवं अ यु धन ऋभु के पास से हमारे पास आवे, जसे स नेता
ऋभु ने वाजगण के साथ मलकर उ प कया था. वभु
ारा अ नीकुमार के लए
बनाया रथ य म वशेष शंसनीय है. हे दे वो! तुम जसक र ा करते हो, वह वशेष प से
शंसनीय बन जाता है. (५)
स वा यवा य ऋ षवच यया स शूरो अ ता पृतनासु रः.
स राय पोषं स सुवीय दधे यं वाजो व वाँ ऋभवो यमा वषुः.. (६)
वाजगण, ऋभु एवं वभु जस मनु य क र ा करते ह, वह बलवान्, रणकुशल, ऋ ष,
तु तयो य, शूर, श ु को हराने वाला, यु म अपराजेय तथा धन, पु एवं पु -पौ ा द
धारण करने वाला होता है. (६)
े ं वः पेशो अ ध धा य दशतं तोमो वाजा ऋभव तं जुजु न.
धीरासो ह ा कवयो वप त ता व एना
णा वेदयाम स.. (७)
हे वाजगण एवं ऋभुगण! तु हारे ारा धारण कया आ प दशनीय होता है. हमने
तु हारे यो य यह तो बनाया है, तुम इसे वीकार करो. हम तो ारा तुम बु मान् क व
और ानी दे व को अपनी ाथना सुनाते ह. (७)
यूयम म यं धषणा य प र व ांसो व ा नया ण भोजना.
ुम तं वाजं वृषशु ममु ममा नो र यमृभव त ता वयः.. (८)
हे ऋभुओ! हमारी तु त के बदले तुम मानव- हत करने वाली सभी उपभोग क
व तु को जानकर बनाओ. हमारे न म द तसंप , श उ प करने वाला एवं बली
श ु का नाश करने वाला अ उ प करो. (८)
इह जा मह र य रराणा इह वो वीरव ता नः.
येन वयं चतयेमा य या तं वाजं च मृभवो ददा नः.. (९)
हे ऋभुओ! तुम हमारे इस य म स होकर पु -पौ ा द, धन एवं भृ य से यु यश
संपादन करो. हम ऐसा सुंदर अ दो, जसे खाकर हम अ य लोग से े बन सक. (९)
सू —३७
दे वता—ऋभुगण
उप नो वाजा अ वरमृभु ा दे वा यात प थ भदवयानैः.
यथा य ं मनुषो व वा३ सु द ध वे र वाः सु दने व ाम्.. (१)
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हे सुंदर ऋभुओ एवं वाजगण! जस कार तुम दवस को शोभन बनाने के लए
मनु य का य धारण करते हो, उसी कार दे वमाग ारा हमारे य म आओ. (१)
ते वो दे मनसे स तु य ा जु ासो अ घृत न णजो गुः.
वः सुतासो हरय त पूणाः वे द ाय हषय त पीताः.. (२)
आज हमारे वे सभी य तु हारे मन को स करने वाले बन एवं घी से मला आ
सोमरस तु ह ा त हो. चमस म भरा आ सोमरस तु हारी इ छा करता है. वह पीने के
प ात् तु ह य कम के लए े रत करे. (२)
युदायं दे व हतं यथा वः तोमो वाजा ऋभु णो ददे वः.
जु े मनु व परासु व ु यु मे सचा बृह वेषु सोमम्.. (३)
हे वाजगण एवं ऋभुगण! तीन सवन म पीने यो य एवं दे व हतकारी सोम को जो लोग
तु ह दे ते ह, इसी कार के लोग के बीच एक होकर एवं परम द
काशयु दे व के
म य मनु के समान बनकर हम तु हारे उ े य से सोम धारण करते ह. (३)
पीवोअ ाः शुच था ह भूतायः श ा वा जनः सु न काः.
इ य सूनो शवसो नपातोऽनु व े य यं मदाय.. (४)
हे ऋभुओ! तुम व थ घोड़ एवं द तयु रथ वाले हो. तु हारी ठो ड़यां लोहे के
समान ह. तुम अ के वामी एवं उ म दानशील हो. हे इं के पु ो एवं बल क संतानो! यह
ातःकाल का य तु हारी स ता के लए कया गया है. (४)
ऋभुमृभु णो र य वाजे वा ज तमं युजम्. इ
(५)
व तं हवामहे सदासातमम नम्..
हे ऋभुओ! हम अ यंत प से बढ़ने वाले धन, सं ाम म परम श शाली र क तथा
सदा दानशील, अ से यु एवं इं से संबं धत तु हारे गण को पुकारते ह. (५)
से भवो यमवथ यूय म
म यम्. स धी भर तु स नता मेधसाता सो अवता.. (६)
हे ऋभुओ! तुम एवं इं जस
य म अ यु बनता है. (६)
क र ा करते हो, वही
े बु
य से यु
एवं
व नो वाजा ऋभु णः पथ तन य वे.
अ म यं सूरयः तुता व ा आशा तरीष ण.. (७)
हे वाजगण एवं ऋभुओ! हम य का माग बताओ. हे मेधा वयो! हम अपनी तु त के
बदले सारी दशा को जीतने वाला बल दो. (७)
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तं नो वाजा ऋभु ण इ नास या र यम्.
सम ं चष ण य आ पु श त मघ ये.. (८)
हे वाजगण, ऋभुओ, इं एवं अ नीकुमारो! तुम हम तु तक ा लोग को दे ने के
न म अ धक मा ा म धन एवं अ का वचन दो. (८)
सू —३८
दे वता— ावा-पृ वी आ द
उतो ह वां दा ा स त पूवा या पू य सद यु नतोशे.
े ासां ददथु वरासां घनं द यु यो अ भभू तमु म्.. (१)
हे ावा-पृ वी! ाचीन काल म सद यु नामक राजा ने धन पाकर मांगने वाले लोग
को दया था. तुमने उसे घोड़ा, पु एवं द युजन को न करने यो य बल दया था. (१)
उत वा जनं पु न ष वानं द ध ामु ददथु व कृ म्.
ऋ ज यं येनं ु षत सुमाशुं चकृ यमय नृप त न शूरम्.. (२)
हे ावा-पृ वी! तुम दोन गमनशील, ब त से श ु को रोकने वाली, सम त जा
क र ा करने वाली, शोभन-ग त वाली, द तशा लनी, तेज चलने वाली एवं राजा के समान
शूर द ध ा को धारण करते हो. (२)
यं सीमनु वतेव व तं व ः पू मद त हषमाणः.
पड् भगृ य तं मेधयुं न शूरं रथतुरं वात मव ज तम्.. (३)
धरती-आकाश उस द ध ा को धारण करते ह, जसक तु त स तापूवक सभी
मनु य कया करते ह. जस तरह जल नीचे बहता है, वे उसी तरह ग तशील, यु क इ छा
करने वाले, वीर के समान दशा को लांघने हेतु त पर, रथ पर बैठकर चलने वाले एवं हवा
क तरह तेज चलने वाले ह. (३)
यः मा धानो ग या सम सु सनुतर र त गोषु ग छन्.
आ वऋजीको वदथा न च य रो अर त पयाप आयोः.. (४)
जो दे व मले ए पदाथ को सं ाम म पृथक्-पृथक् करता आ उपभोग करने के लए
सभी दशा म जाता है, जसक श
कट है, जो जानने यो य बात को जानता है एवं
तु त करने वाले यजमान के श ु का तर कार करता है. (४)
उत मैनं व म थ न तायुमनु ोश त तयो भरेषु.
नीचायमानं जसु र न येनं व ा छा पशुम च यूथम्.. (५)
लोग सं ाम म द ध ा दे व को दे खकर उसी कार चीखते- च लाते ह, जस कार
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कोई मनु य व चुराने वाले चोर को दे खकर च लाता है. जस कार नीचे क ओर उतरते
ए भूखे बाज को दे खकर प ी भाग जाते ह, उसी कार अ एवं पशु समूह को न करने
के वचार से चलने वाले द ध ा को दे खकर लोग भाग उठते ह. (५)
उत मासु थमः स र य वेवे त े णभी रथानाम्.
जं कृ वानो ज यो न शु वा रेणुं रे रह करणं दद ान्.. (६)
द ध ा दे व असुर क सेना म जाने के इ छु क होकर उन म े थान पाते ए रथ
क पं य के साथ चलते ह. वे मानव- हतकारी घोड़े के समान अलंकृत ह, धूल उड़ाते ह
एवं लगाम को बार-बार चबाते ह. (६)
उत य वाजी स रऋतावा शु ूषमाण त वा समय.
तुरं यतीषु तुरय ृ ज योऽ ध ुवोः करते रेणुमृ न्.. (७)
द ध ा दे व इस कार के घोड़ के समान यु म सहनशील, श ु के अ पर
अ धकार करने वाले, अपने अंग से ही अपनी सेवा करने वाले, सीधे चलने वाले, असुर
सेना म वेगपूण, धूल उड़ाने वाले एवं उस धूल को अपनी ही भ ह पर गराने वाले ह. (७)
उत मा य त यतो रव ोऋघायतो अ भयुजो भय ते.
यदा सह म भ षीमयोधी वतुः मा भव त भीम ऋ न्.. (८)
असुर द ध ा दे व से इस कार डरते ह, जस कार लड़ने वाले लोग श द करते ए
व से डरते ह. वे चार ओर हजार लोग से यु करते ए उ े जत अव था म अ यंत
भयंकर लगते ह. कोई भी उ ह रोकने का साहस नह कर पाता. (८)
उत मा य पनय त जना जू त कृ
ो अ भभू तमाशोः.
उतैनमा ः स मथे वय तः परा द ध ा असर सह ैः.. (९)
मनु य इन द ध ा दे व क सवा धक ग त क तु त करते ह. वे मनु य क अ भलाषा
पूरी करने वाले एवं ा त ह. वे इनसे कहते ह क जब आप हजार सै नक के साथ चलगे
तो श ु हार जाएंगे. (९)
आ द ध ाः शवसा प च कृ ीः सूय इव यो तषाप ततान.
सह साः शतसा वा यवा पृण ु म वा स ममा वचां स.. (१०)
सूय जस कार अपनी यो त से जल का व तार करते ह, उसी कार द ध ा दे व
अपने बल से पांच कार क जा क वृ करते ह. सैकड़ और हजार धन दे ने वाले
वेगशाली द ध ा दे व हमारी तु तयां सुनकर मधुर फल द. (१०)
सू —३९
दे वता—द ध ा
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आशुं द ध ां तमु नु वाम दव पृ थ ा उत च कराम.
उ छ तीमामुषसः सूदय व त व ा न रता न पषन्.. (१)
हम शी ग त वाले द ध ा दे व क ज द -ज द तु त करगे. हम धरती और आकाश
से उनके सामने घास फकगे. अंधकार नाश करने वाली उषाएं हमारी र ा कर एवं सब सुख
से हम पार लगाव. (१)
मह क यवतः तु ा द ध ा णः पु वार य वृ णः.
यं पू यो द दवांसं ना नं ददथु म ाव णा ततु रम्.. (२)
य कम करने वाला म महान्, ब त ारा इ छत एवं कामवष द ध ा दे व क तु त
करता ं. हे म व व ण! तुम दोन र ा करने वाले एवं अ न क तरह काशयु द ध ा
दे व को मानव के क याण के लए धारण करते हो. (२)
यो अ य द ध ा णो अकारी स म े अ ना उषसो ु ौ.
अनागसं तम द तः कृणोतु स म ेण व णेना सजोषाः.. (३)
जो यजमान उषा के फैलने एवं य ा न के
व लत होने पर अ पधारी द ध ा दे व
क तु त करते ह, द ध ा दे व अ द त, म और व ण के साथ मलकर उसे पापर हत
बनाते ह. (३)
द ध ा ण इष ऊज महो यदम म ह म तां नाम भ म्.
व तये व णं म म नं हवामह इ ं व बा म्.. (४)
हम अ एवं बल के साधक, महान् एवं तु तक ा के क याणक ा द ध ा दे व क
तु त करगे. हम व ण, म , अ न एवं व धारी इं को अपने क याण के लए बुलाते ह.
(४)
इ मवे भये व य त उद राणा य मुप य तः.
द ध ामु सूदनं म याय ददथु म ाव णा नो अ म्.. (५)
यु के लए उ ोग करने वाले एवं य क तैयारी करने वाले, ये दोन लोग इं के
समान ही द ध ा दे व को भी बुलाते ह. हे म व ण! तुम मनु य को ेरणा दे ने वाले
अ पी द ध ा दे व को धारण करते हो. (५)
द ध ा णो अका रषं ज णोर य वा जनः.
सुर भ नो मुखा कर ण आयूं ष ता रषत्.. (६)
हम जयशील, ापक एवं वेगशाली द ध ा दे व क तु त करते ह. वे हमारी च ु आ द
इं य को आनं दत एवं हमारी आयु को अ धक कर. (६)
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सू —४०
दे वता—द ध ा
द ध ा ण इ न च कराम व ा इ मामुषसः सूदय तु.
अपाम ने षसः सूय य बृह पतेरा रस य ज णोः.. (१)
हम द ध ा दे व क शी तु त करते ह. सम त उषाएं हम य कम क
जल, अ न, उषा, सूय, बृह प त एवं अं गरापु ज णु क तु त करगे. (१)
ेरणा द. हम
स वा भ रषो ग वषो व यस व या दष उषस तुर यसत्.
स यो वो वरः पत रो द ध ावेषमूज वजनत्.. (२)
चलने वाले, भरणकुशल, गाय को े रत करने वाले एवं सेवा के इ छु क म रहने वाले
द ध ा दे व इ छत उषाकाल म अ क कामना कर. शी ता से चलने वाले, स य प से
चलने वाले, वेगशाली एवं उछल-उछल कर चलने वाले द ध ा दे व अ , बल एवं वग को
उ प कर. (२)
उत मा य वत तुर यतः पण न वेरनु वा त ग धनः.
येन येव जतो अङ् कसं प र द ध ा णः सहोजा त र तः.. (३)
जस कार प ीसमूह प य के पीछे -पीछे उड़ता है, उसी कार वेगवान् लोग शी
चलने वाले एवं अ धक अ भलाषायु द ध ा दे व का अनुगमन कर. वे येन प ी के समान
तेज उड़ने वाले एवं र क ह. सब लोग अ क इ छा से इनके साथ चलते ह. (३)
उत य वाजी प ण तुर य त ीवायां ब ो अ पक आस न.
तुं द ध ा अनु संतवी व पथामङ् कां य वापनीफणत्.. (४)
अ पी द ध ा दे व ीवा, क ा एवं मुख म बंधे होकर भी चलने के लए शी ता
करते ह. ये अ धक बलशाली होकर य क ओर जाने वाले टे ढ़े रा त पर सब जगह शी
चलते ह. (४)
हंसः शु चष सुर त र स ोता वे दषद त थ रोणसत्.
नृष रस तसद् ोमसद जा गोजा ऋतजा अ जा ऋतम्.. (५)
सूय द तशाली आकाश म रहते ह. वायु अंत र म नवास करते ह. होता वेद पर
थत रहते ह. अ त थ घर म नवास करते ह. ऋत मनु य म, उ म थान म, य म एवं
आकाश म नवास करते ह तथा जल, सूय करण , स य एवं पवत म उ प ए ह. (५)
सू —४१
दे वता—इं एवं व ण
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इ ा को वां व णा सु नमाप तोमो ह व माँअमृतो न होता.
यो वां द तुमाँ अ म ः प पश द ाव णा नम वान्.. (१)
हे इं एवं व ण! अमर होता अ न जस कार तु ह ा त होता है, उसी कार कौन
सी ह स हत तु त तु हारी कृपा करेगी? हे इं एवं व ण! हमारे ारा कही गई तु तयां य
एवं ह से यु तुम दोन को पसंद आव. (१)
इ ा ह यो व णा च आपी दे वौ मतः स याय य वान्.
स ह त वृ ा स मथेषु श ूनवो भवा मह ः स शृ वे.. (२)
हे इं एवं व ण! जो
ह
प म अ लेकर म ता के लए तुम दोन को भाई
बनाता है, वह अपने पाप का नाश करता है. वह यु म श ु को न करके महान्
र ासाधन के कारण स होता है. (२)
इ ा ह र नं व णा धे े था नृ यः शशमाने य ता.
यद सखाया स याय सोमैः सुते भः सु यसा मादयैते.. (३)
हे इं एवं व ण! तुम इस कार तु त करने वाले हम मनु य के लए रमणीय धन दे ने
वाले बनो. य द तुम दोन म यजमान के सखा हो एवं उसके ारा नचोड़े ए सोमरस से
स हो तो हम धन दो. (३)
इ ा युवं व णा द ुम म ो ज मु ा न व ध ं व म्.
यो नो रेवो वृक तदभी त त म ममाथाम भभू योजः.. (४)
हे उ इं एवं व ण! तुम अपना तेज वी एवं द त व नामक आयुध श ु पर
चलाओ. जो श ु हमारे ारा दमन नह कया जा सकता, दान नह दे ता एवं हसा करने
वाला है, उसके त तुम अपना श ुपराजयकारी बल योग करो. (४)
इ ा युवं व णा भूतम या धयः ेतारा वृषभेव धेनोः.
सा नो हीय वसेव ग वी सह धारा पयसा मही गौः.. (५)
हे इं एवं व ण! बैल जस कार गाय को स करता है, उसी कार तुम तु त को
स करो. जस कार गाय घास खाकर हजार धार के प म ध दे ती ह, उसी कार
तु त पी गाय हमारी इ छा पूरी करे. (५)
तोके हते तनय उवरासु सूरो शीके वृषण प ये.
इ ा नो अ व णा यातामवो भद मा प रत यायाम्.. (६)
हे इं एवं व ण! हम पु -पौ के साथ-साथ उपजाऊ भू म क ा त कराने, ब त
समय तक सूय के दशन कराने एवं संतान उ प क श
दान करने के लए अंधेरी रात
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म र ासाधन लेकर तुम श ु
के नाश को तैयार हो जाओ. (६)
युवा म वसे पू ाय प र भूती ग वषः वापी.
वृणीमहे स याय याय शूरा मं ह ा पतरेव श भू.. (७)
हे इं एवं व ण! हम गाय पाने क इ छा से तु हारे पास स र ा क ाथना लेकर
आए ह. तुम श शाली, बंधुतु य, शूर एवं अ तशय पू य दे व से हम उसी कार म एवं
ेम मांगते ह, जस कार पु पता से याचना करता है. (७)
ता वां धयोऽवसे वाजय तीरा ज न ज मुयुवयूः सुदानू.
ये न गाव उप सोमम थु र ं गरो व णं मे मनीषाः.. (८)
हे शोभन फल दे ने वाले दोन दे वो! र न क अ भलाषा करती ई हमारी तु तयां र ा
के न म उसी कार तु हारे पास जाती ह, जस कार वीर पु ष सं ाम क अ भलाषा
करता है. जस कार गाएं सोमरस क शोभा बढ़ाने के हेतु उसके समीप रहती ह, उसी
कार हमारी तु तयां इं और व ण के समीप जाती ह. (८)
इमा इ ं व णं मे मनीषा अ म ुप वण म छमानाः.
उपेम थुज ार इव व वो र वी रव वसो भ माणाः.. (९)
जस कार धन पाने क इ छा से लोग धनी के पास जाते ह, उसी कार हमारी
तु तयां धन पाने क अ भलाषा से इं और व ण के पास जाती ह. लोग भखा रणी य
के समान अ को मांगते ए इं के पास जाते ह. (९)
अ
य मना र य य पु े न य य रायः पतयः याम.
ता च ाणा ऊ त भन सी भर म ा रायो नयुतः सच ताम्.. (१०)
हम लोग अपने-आप घोड़ , रथ , पु एवं थायी संप के वामी बन. वे दोन
ग तशील दे व र ा के नवीन साधन के साथ हमारे सामने घोड़े और धन उप थत कर. (१०)
आ नो बृह ता बृहती भ ती इ यातं व ण वाजसातौ.
य वः पृतनासु
ळा त य वां याम स नतार आजेः.. (११)
हे महान् इं एवं व ण! तुम दोन वशाल र ा साधन के साथ आओ. अ ा त के
हेतु होने वाले जस यु म श ु के आयुध चमकते ह, हम उस यु म तु हारी कृपा से
वजयी ह . (११)
सू —४२
दे वता— सद यु आ द
मम ता रा ं
य य व ायो व े अमृता यथा नः.
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तुं सच ते व ण य दे वा राजा म कृ े पम य व ेः.. (१)
य जा त म उ प एवं सम त जा के वामी हम लोग का रा य दो कार का
है. सम त दे व हमारे ह, जैसे क सारी जा हमारी है. पवान् एवं सम त जा के
धारणक ा हम लोग के य क सेवा दे व करते ह. हम सबसे े ह. (१)
अहं राजा व णो म ं ता यसुया ण थमा धारय त.
तुं सच ते व ण य दे वा राजा म कृ े पम य व ेः.. (२)
हम ही राजा व ण ह. दे वगण असुरनाशकारी े -बल हमारे लए ही धारण करते ह.
पवान् एवं सम त जा के धारणक ा हम लोग के य क सेवा दे व करते ह. हम
सबसे े ह. (२)
अह म ो व ण ते म ह वोव गभीरे रजसी सुमेके.
व ेव व ा भुवना न व ा समैरयं रोदसी धारयं च.. (३)
हम ही इं और व ण ह. मह ा के कारण व तृत, गंभीर एवं सुंदर प वाले धरतीआकाश भी हम ह. व ान् हम व ा के समान सम त ा णय को ेरणा दे ते ह एवं धरतीआकाश को धारण करते ह. (३)
अहमपो अ प वमु माणा धारयं दवं सदन ऋत य.
ऋतेन पु ो अ दतेऋतावोत धातु थय भूम.. (४)
स चने वाले जल को हमने ही बरसाया था एवं जल के थान आकाश को धारण कया
था. जल के कारण ही हम अ द त-पु अथात् य के वामी बने थे. हमने ही ा त आकाश
को तीन भाग म बांटा था. (४)
मां नरः व ा वाजय तो मां वृताः समरणे हव ते.
कृणो या ज मघवाह म इय म रेणुम भभू योजाः.. (५)
सुंदर घोड़ के वामी एवं यु के अ भलाषी नेता हमारे ही पीछे चलते ह एवं यु थल
म एक होकर हम ही पुकारते ह. हम ही इं बनकर यु करते ह एवं श ुपराभवकारी बल
से यु होकर धूल उड़ाते ह. (५)
अहं ता व ा चकरं न कमा दै ं सहो वरते अ तीतम्.
य मा सोमासो ममद य थोभे भयेते रजसी अपारे.. (६)
सब स काम हमने ही कए ह. दे व के न हारने वाले बल से यु होने के कारण
हम कोई नह रोक सकता. जब सोमरस एवं तु तयां हम मतवाला कर दे ती ह, तब व तृत
धरती-आकाश भी डर जाते ह. (६)
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व े व ा भुवना न त य ता
वी ष व णाय वेधः.
वं वृ ा ण शृ वषे जघ वा वं वृताँ अ रणा इ स धून्.. (७)
हे व ण! तु हारे काम को सारा संसार जानता है. हे तोता! व ण के न म तु त
बोलो. हे इं ! ऐसा सुना जाता है क तुमने बै रय का वध कया था. तुमने ढक ई न दय
को वा हत कया था. (७)
अ माकम पतर त आस स त ऋषयो दौगहे ब यमाने.
त आयज त सद युम या इ ं न वृ तुरमधदे वम्.. (८)
गह के पु पु कु स जब कैद कर लए गए तो स तऋ ष हमारे इस रा य के
पालनक ा बने थे. उ ह ने पु कु स क प नी के क याण के लए य करके सद यु को
पाया था. वह इं के समान श ुनाशक एवं आधा दे व था. (८)
पु कु सानी ह वामदाश
े भ र ाव णा नमो भः.
अथा राजानं सद युम या वृ हणं दथुरधदे वम्.. (९)
हे इं एवं व ण! स तऋ षय क ेरणा से पु कु स क प नी ने ह एवं तु तय
ारा तु ह स कया था. इसके बाद तुमने उसे श ुनाशकारी एवं आधे दे व सद यु को
दान कया था. (९)
राया वयं ससवांसो मदे म ह ेन दे वा यवसेन गावः.
तां धेनु म ाव णा युवं नो व ाहा ध मनप फुर तीम्.. (१०)
हम तुम दोन क तु त करके धन ारा स ह . दे वगण ह
ारा एवं गाएं घास से
संतु ह . हे इं एवं व ण! व का नाश करने वाले तुम दोन हम हसार हत धन दो. (१०)
सू —४३
दे वता—अ नीकुमार
क उ व कतमो य यानां व दा दे वः कतमो जुषाते.
क येमां दे वीममृतेषु े ां द ेषाम सु ु त सुह ाम्.. (१)
य के यो य दे व म कौन दे व इस तु त को सुनेगा? कौन वंदनशील दे व इसे वीकार
करेगा? हम इस अ तशय य, ु तयु , शोभन-अ से यु , इस उ म तु त को कस दे व
के दय म थान दलाएं? (१)
को मृळा त कतम आग म ो दे वानामु कतमः श भ व ः.
रथं कमा वद माशुं यं सूय य हतावृणीत.. (२)
हम कौन सा दे वता सुखी करेगा? कौन दे वता हमारे य म सबसे पहले आएगा? दे व
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के म य कौन सा दे व हमारा अ धक क याण करेगा? शी दौड़ने वाला रथ कौन सा है,
जसने सूय क पु ी का वरण पाया है? ता पय यह है क उ गुण केवल अ नीकुमार म
ही ह. (२)
म ू ह मा ग छथ ईवतो ू न ो न श प रत यायाम्.
दव आजाता द ा सुपणा कया शचीनां भवथः श च ा.. (३)
रा बीतने पर इं अपनी श का दशन करते ह. हे अ नीकुमारो! तुम दोन उसी
कार ग तशील होकर सोम नचोड़ने वाले दवस म शी आओ. वग से आए ए, द
गुणयु एवं शोभन ग त वाले तुम दोन के कम म कौन सा कम े है? (३)
का वां भू पमा तः कया न आ ना गमथो यमाना.
को वां मह यजसो अभीक उ यतं मा वी द ा न ऊती.. (४)
कौन सी तु त तुम दोन के गुण क सीमा हो सकती है? हे अ नीकुमारो! कस
तु त ारा बुलाए जाने पर तुम दोन हमारे पास आओगे? तु हारे महान् ोध को समीप म
कौन सह सकता है? हे जल नमाता एवं श ुनाशकारी अ नीकुमारो! हमारी र ा करो. (४)
उ वां रथः प र न त ामा य समु ाद भ वतते वाम्.
म वा मा वी मधु वां ुषाय य स वां पृ ो भुरज त प वाः.. (५)
हे अ नीकुमारो! तुम दोन का रथ वगलोक के चार ओर भली कार चलता है एवं
समु से तु हारे पास आता है. हे जल- नमाता एवं श ु वनाशक अ नीकुमारो! अ वयु लोग
मधुर ध के साथ सोमरस मलाते ए भुने ए जौ लेकर उप थत ह. (५)
स धुह वां रसया स चद ा घृणा वयोऽ षासः प र मन्.
त षु वाम जरं चे त यानं येन पती भवथः सूयायाः.. (६)
बादल ने अपने जल से तुम दोन के घोड़ को भगोया था. तु हारे द तयु घोड़े
प य के समान तेज चलते ह. तु हारा वह रथ भली कार स है, जस पर तुम सूयपु ी
को बैठाकर लाए थे. (६)
इहेह य ां समना पपृ े सेयम मे सुम तवाजर ना.
उ यतं ज रतारं युवं ह तः कामो नास या युव क्.. (७)
हे समान मन वाले अ नीकुमारो! हम जो तु त तु हारे समीप भेजते ह, वह हमारे
लए फल दे ने वाली हो. हे सुंदर अ वाले अ नीकुमारो! तुम तु त करने वाले क र ा
करो. हे नास यो! हमारी कामना तु हारे ही आ त है. (७)
सू —४४
दे वता—अ नीकुमार
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तं वां रथं वयम ा वेम पृथु यम ना स त गोः.
यः सूया वह त व धुरायु गवाहसं पु तमं वसूयुम्.. (१)
हे अ नीकुमारो! हम तु हारे शी चलने वाले एवं गाय से मलाने वाले रथ को
पुकारते ह. वह रथ सूयक या को धारण करने वाला, बैठने के न म का आसन से यु ,
तु तयां ा त करने वाला एवं अ धक संप यु है. (१)
युवं यम ना दे वता तां दवो नपाता वनथः शची भः.
युवोवपुर भ पृ ः सच ते वह त य ककुहासो रथे वाम्.. (२)
हे वगपु अ नीकुमारो! तुम दोन दे व अपने कम ारा स शोभा ा त करते
हो. जब महान् अ तु ह रथ म ढोते ह, तब सोमरस तु हारे शरीर को ा त करता है. (२)
को वाम ा करते रातह ऊतये वा सुतपेयाय वाकः.
ऋत य वा वनुषे पू ाय नमो येमानो अ ना ववतत्.. (३)
आज सोम दे ने वाला कौन सा यजमान अपनी र ा, सोमरसपान अथवा य क पू त
के लए तु तय ारा शंसा करता है? हे अ नीकुमारो! नम कार करने वाला कौन
तु ह अपने य क ओर ख चता है? (३)
हर ययेन पु भू रथेनेमं य ं नास योप यातम्.
पबाथ इ मधुनः सो य य दधथो र नं वधते जनाय.. (४)
हे अनेक पधारी अ नीकुमारो! तुम दोन अपने वण न मत रथ ारा इस य
आओ, मधुर सोमरस पओ एवं सेवा करने वाले यजमान को रमणीय धन दो. (४)
म
आ नो यातं दवो अ छा पृ थ ा हर ययेन सुवृता रथेन.
मा वाम ये न यम दे वय तः सं य दे ना भः पू ा वाम्.. (५)
तुम दोन वण न मत एवं भली कार घूमने वाले रथ ारा वग से हमारे पास आते हो.
तु हारी अ भलाषा करने वाले अ य यजमान तु ह रोक न ल, इसी लए हमने पहले तु हारी
तु त कर ली है. (५)
नू नो र य पु वीरं बृह तं द ा ममाथामुभये व मे.
नरो य ाम ना तोममाव सध तु तमाजमी हासो अ मन्.. (६)
हे अ नीकुमारो! तुम अनेक पु -पौ से यु महान् धन शी दो. पु मीढ के
ऋ वज ने तु हारी तु त क है और अजमीढ के ऋ वज ने उसका साथ दया है. (६)
इहेह य ां समना पपृ े सेयम मे सुम तवाजर ना.
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उ यतं ज रतारं युवं ह
तः कामो नास या युव क्.. (७)
हे समान मन वाले अ नीकुमारो! हम जो तु त तु हारे समीप भेजते ह, वह हमारे
लए फल दे ने वाली हो. हे सुंदर अ वाले अ नीकुमारो! तुम तु त करने वाले क र ा
करो. हे नास यो! हमारी कामना तु हारे ही आ त है. (७)
सू —४५
दे वता—अ नीकुमार
एष य भानु दय त यु यते रथः प र मा दवो अ य सान व.
पृ ासो अ म मथुना अ ध यो त तुरीयो मधुनो व र शते.. (१)
यह सूय उदय होता है. तुम दोन का रथ सभी ओर चलता है एवं चमकते ए सूय के
साथ ऊंचे थान म प ंचता है. इस रथ के ऊपरी भाग म तीन कार का अ मला आ है
तथा चौथी सं या सोमरस से भरे ए चमड़े के पा क है. (१)
उ ां पृ ासो मधुम त ईरते रथा अ ास उषसो ु षु.
अपोणुव त तम आ परीवृतं व१ण शु ं त व त आ रजः.. (२)
तीन कार के अ से यु , सोमरस-स हत एवं घोड़ वाला तु हारा रथ उषा के
आरंभकाल म ही चार ओर फैले ए अंधकार को न करता आ एवं सूय के समान तेज
को फैलाता आ सामने क ओर जाता है. (२)
म वः पबतं मधुपे भरास भ त यं मधुने यु ाथां रथम्.
आ वत न मधुना ज वथ पथो त वहेथे मधुम तम ना.. (३)
तुम सोम पीने वाले मुख से सोम पओ. सोम पाने के लए तुम अपना य रथ
अ यु करके यजमान के घर तक लाओ. हे अ नीकुमारो! तुम सोमरसपूण चमड़े का
पा धारण करके अपने माग सोमरस ारा स तापूण बनाओ. (३)
हंसासो ये वां मधुम तो अ धो हर यपणा उ व उषबुधः.
उद ुतो म दनो म द न पृशो म वो न म ः सवना न ग छथः.. (४)
तु हारे पास माग म शी चलने वाले, माधुययु , ोह न करने वाले, सुनहरे रंग के
पंख से यु , ढोने वाले, ातःकाल म जागने वाले, जल फैलाने वाले, स तादाता एवं सोम
का पश करने वाले घोड़े ह. उन घोड़ ारा तुम हमारे य म उसी कार आओ, जस
कार शहद क म खी शहद के पास जाती है. (४)
व वरासो मधुम तो अ नय उ ा जर ते त व तोर ना.
य
ह त तर ण वच णः सोमं सुषाव मधुम तम भः.. (५)
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मं यु जल से हाथ धोने वाले, य कम के पूरक एवं सभी बात को दे खने वाले
अ वयु प थर क सहायता से जब सोमरस नचोड़ते ह, तब उ म य के साधन एवं
सोमयु गाहप य आ द अ न एक साथ रहने वाले अ नीकुमार क त दन तु त करते
ह. (५)
आके नपासो अह भद व वतः व१ण शु ं त वतः आ रजः.
सूर द ा युयुजान ईयते व ाँ अनु वधया चेतथ पथः.. (६)
करण दवस के ारा अंधकार को न करती ई सूय के समान उ वल तेज का
व तार करती ह. हे अ नीकुमारो! सूय अपने रथ म घोड़े जोड़कर चलते ह. तुम दोन
सोमरस लेकर चलते ए उनका रा ता बताओ. (६)
वामवोचम ना धय धा रथः व ो अजरो यो अ त.
येन स ः प र रजां स याथो ह व म तं त रणं भोजम छ.. (७)
हे अ नीकुमारो! य कम करने वाले हम तु हारी तु त करते ह. तु हारा रथ शोभन
अ वाला एवं न य त ण है. उसके ारा तुम तुरंत तीन लोक म घूम आते हो. उसीसे तुम
हमारे ह यु , शी गामी एवं भोजयु य म आओ. (७)
सू —४६
दे वता—वायु एवं इं
अ ं पबा मधूनां सुतं वायो द व षु. वं ह पूवपा अ स.. (१)
हे वायु! वग ा त कराने वाले य म तुम सबसे पहले नचोड़े ए सोमरस को पओ.
तुम सबसे पहले सोम पीने वाले हो. (१)
शतेना नो अ भ
भ नयु वाँ इ सार थः. वायो सुत य तृ पतम्.. (२)
हे वायु! तुम नयुत अथात् लोकक याण वाले हो एवं इं तु हारे सार थ ह. तुम
अग णत अ भलाषाएं पूण करने हेतु आओ एवं नचोड़ा आ सोमरस पओ. (२)
आ वां सह ं हरय इ वायू अ भ यः. वह तु सोमपीतये.. (३)
हे इं एवं वायु! सोमरस पीने के लए हजार घोड़े तु ह यहां लाव. (३)
रथं हर यव धुर म वायू व वरम्. आ ह थाथो द व पृशम्.. (४)
हे इं एवं वायु! तुम वण न मत आसन वाले, शोभन-य -यु
रथ पर बैठो. (४)
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एवं वग को छू ने वाले
रथेन पृथुपाजसा दा ांसमुप ग छतम्. इ वायू इहा गतम्.. (५)
हे इं एवं वायु! तुम अ धक श
प ंचने के लए इस य म आओ. (५)
शाली रथ
ारा ह
दे ने वाले यजमान के समीप
इ वायू अयं सुत तं दे वे भः सजोषसा. पबतं दाशुषो गृहे.. (६)
हे इं और वायु! तुम दोन अ य दे व के साथ मै ीपूण बनकर ह
के घर म इस सोम को पओ. (६)
दे ने वाले यजमान
इह याणम तु वा म वायू वमोचनम्. इह वां सोमपीतये.. (७)
हे इं और वायु! तुम यहां आओ और सोमरस पीने के लए यहां अपने घोड़े रथ से
अलग करो. (७)
सू —४७
दे वता—इं , वायु
वायो शु ो अया म ते म वो अ ं द व षु.
आ या ह सोमपीतये पाह दे व नयु वता.. (१)
हे वायु! म तचया द ारा प व होकर सबसे पहले तु हारे न म मधुर सोमरस लाता
,ं य क म वग म जाना चाहता ं. हे अ भषवणीय दे व! तुम अपने अ
ारा सोमपान
के लए यहां आओ. (१)
इ
वायवेषां सोमानां पी तमहथः.
युवां ह य ती दवो न नमापो न स यक्.. (२)
हे वायु! तुम और इं इन सोम को पीने क यो यता रखते हो. इस तरह सोम तुम दोन
के पास जाते ह, जैसे जल नीचे थान क ओर चलता है. (२)
वाय व
शु मणा सरथं शवस पती.
नयु व ता न ऊतय आ यातं सोमपीतये.. (३)
हे वायु! तुम और इं बल के वामी हो एवं घोड़ से यु
लोग क र ा एवं सोमपान करने के लए यहां आओ. (३)
एक ही रथ पर चढ़ते हो. हम
या वां स त पु पृहो नयुतो दाशुषे नरा.
अ मे ता य वाहसे वायू न य छतम्.. (४)
हे नेता एवं य पूणक ा इं व वायु! तु हारे पास ब त
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ारा अ भल षत अ ह, उ ह
हम ह दाता
को दे दो. (४)
दे वता—वायु
सू —४८
व ह हो ा अवीता वपो न रायो अयः.
वायवा च े ण रथेन या ह सुत य पीतये.. (१)
हे वायु! तुम श ु को भयकं पत करने वाले राजा के समान सर ारा बना
पया आ सोम सबसे पहले पओ एवं तु तक ा को धनसंप करो. हे वायु! तुम सोमरस
पीने के लए स तादायक रथ ारा आओ. (१)
नयुवाणो अश ती नयु वाँ इ सार थः.
वायवा च े ण रथेन या ह सुत य पीतये.. (२)
हे वायु! तुम सभी शंसा से यु , घोड़ के वामी एवं इं के सहायक बनकर अपने
अ दाता रथ ारा सोम पीने हेतु आओ. (२)
अनु कृ णे वसु धती येमाते व पेशसा.
वायवा च े ण रथेन या ह सुत य पीतये.. (३)
हे वायु! काले रंग वाले, धन को धारण करने वाले एवं व यु
पीछे चलते ह. तुम आनंददायक रथ ारा सोम पीने हेतु आओ. (३)
धरती-आकाश तु हारे
वह तु वा मनोयुजो यु ासो नव तनव.
वायवा च े ण रथेन या ह सुत य पीतये.. (४)
हे वायु! मन के समान ती ग त वाले एवं एक- सरे से मलकर चलने वाले न यानवे
घोड़े तु ह लाते ह. हे वायु! तुम अपने आनंद द रथ ारा सोम पीने के लए आओ. (४)
वायो शतं हरीणां युव व पो याणाम्.
उत वा ते सह णो रथ आ यातु पाजसा.. (५)
हे वायु! तुम सौ व थ अ
तु हारा रथ शी ता से आवे. (५)
सू —४९
इदं वामा ये ह वः
को अपने रथ म जोड़ो अथवा हजार को. उनसे यु
दे वता—इं , बृह प त
य म ाबृह पती. उ थं मद श यते.. (१)
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हे इं एवं बृह प त! तुम दोन के मुख म सोम
आनंद दे ने वाली तु तयां भी बोली जा रही ह. (१)
प ह व डालने के साथ-साथ तु ह
अयं वां प र ष यते सोम इ ाबृह पती. चा मदाय पीतये.. (२)
हे इं एवं बृह प त! यह सोमरस पीने के न म
तु हारे मुंह म डाला जाता है. (२)
आ न इ ाबृह पती गृह म
(३)
एवं तु ह स ता दे ने के ल य से
ग छतम्. सोमपा सोमपीतये.. (३)
हे सोमपानक ा इं एवं बृह प त! तुम दोन सोमरस पीने के लए हमारे घर आओ.
अ मे इ ाबृह पती र य ध ं शत वनम्. अ ाव तं सह णम्.. (४)
हे इं एवं बृह प त! हम सौ गाय एवं हजार घोड़ से यु
धन दान करो. (४)
इ ाबृह पती वयं सुते गी भहवामहे. अ य सोम य पीतये.. (५)
हे इं एवं बृह प त! हम सोम नचुड़ जाने पर सोमरस पीने के लए तु तय
दोन को बुलाते ह. (५)
ारा तुम
सोम म ाबृह पती पबतं दाशुषो गृहे. मादयेथां तदोकसा.. (६)
हे इं एवं बृह प त! तुम ह
करके स बनो. (६)
सू —५०
दे ने वाले यजमान के घर म सोम पओ एवं वह नवास
दे वता—बृह प त आ द
य त त भ सहसा व मो अ ता बृह प त षध थो रवेण.
तं नास ऋषयो द यानाः पुरो व ा द धरे म ज म्.. (१)
य का पालन करने वाले एवं श द के ारा तीन थान म वतमान बृह प त ने अपनी
श
ारा दस दशा को थर कया है. स तादायक जीभ वाले बृह प तय को
ाचीन ऋ षय एवं मेधा वय ने सबसे आगे था पत कया था. (१)
धुनेतयः सु केतं मद तो बृह पते अ भ ये न तत े.
पृष तं सृ मद धमूव बृह पते र ताद य यो नम्.. (२)
हे शोभन बु वाले बृह प त! तुम उन ऋ वज के लए फलदाता, उ त करने वाले
एवं अ हसक बनकर उनके वशाल य क र ा करते हो जो तु ह स करते ह, तु हारी
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तु त करते ह एवं जनके चलने से श ु कांप उठते ह. (२)
बृह पते या परमा परावदत आ ऋत पृशो न षे ः.
तु यं खाता अवता अ
धा म वः ोत य भतो वर शम्.. (३)
हे बृह प त! तु हारे य म आने वाले अ परम उ च थान वग से आते ह. जस
कार खोदे ए कुएं म चार ओर से धाराएं नकलती ह, उसी कार प थर क सहायता से
नचोड़े गए सोमरस तु तय के साथ तु ह गीला बनाव. (३)
बृह प तः थमं जायमानो महो यो तषः परमे ोमन्.
स ता य तु वजातो रवेण व स तर मरधम मां स.. (४)
बृह प त महान् द तशाली सूय के वशाल आकाश म जब पहली बार उ प ए थे,
तब उ ह ने सात मुख वाला, अनेक कार का प धारण करके, श दयु एवं ग तशील तेज
से एकाकार होकर अंधकार का नाश कया था. (४)
स सु ु भा स ऋ वता गणेन वलं रोज फ लगं रवेण.
बृह प त
या ह सूदः क न द ावशती दाजत्.. (५)
बृह प त ने शोभन तु त करने वाले एवं द तसंप अं गरा के साथ मलकर श द
करते ए बल नामक असुर को न कया था एवं श द करते ए ही ह क ेरणा करने
वाली रंभाती ई गाय को बाहर नकाला था. (५)
एवा प े व दे वाय वृ णे य ै वधेम नमसा ह व भः.
बृह पते सु जा वीरव तो यं याम पतयो रयीणाम्.. (६)
हम लोग इसी तरह पालक, सब दे व के त न ध एवं कामवष बृह प त क सेवा
ह , य एवं तु तय ारा करगे. हे बृह प त! इस कार हम उ म संतान एवं वीर सै नक
स हत धन के वामी हो सकगे. (६)
स इ ाजा तज या न व ा शु मेण त थाव भ वीयण.
बृह प त यः सुभृतं बभ त व गूय त व दते पूवभाजम्.. (७)
वही राजा अपनी श
के ारा सभी श ु के बल को हराता है जो बृह प त का
भली कार भरण-पोषण करता है और सव थम भाग पाने वाले के प म उनक तु त
करता है. (७)
स इ े त सु धत ओक स वे त मा इळा प वते व दानीम्.
त मै वशः वयमेवा नम ते य म
ा राज न पूव ए त.. (८)
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वही राजा भली कार तृ त होकर अपने घर म रहता है, धरती उसे सभी काल म फल
से बढ़ाती है एवं जाएं अपने आप उसके सामने झुक रहती ह, जस राजा के समीप
ा
सबसे पहले जाते ह. (८)
अ तीतो जय त सं धना न तज या युत या सज या.
अव यवे यो व रवः कृणो त
णे राजा तमव त दे वाः.. (९)
वह राजा बाधा के बना श ु एवं अपनी जा के धन पर अ धकार करके महान्
बनता है एवं दे व उसी क र ा करते ह, जो धनहीन एवं र ा के इ छु क ा ण को धन दे ता
है. (९)
इ
सोमं पबतं बृह पतेऽ म य े म दसाना वृष वसू.
आ वां वश व दवः वाभुवोऽ मे र य सववीरं न य छतम्.. (१०)
हे बृह प त! तुम और इं इस य म स होकर यजमान को धन दो एवं सोमरस
पओ. संपूण शरीर को ा त करने म समथ सोम तु हारे शरीर म वेश करे. तुम हम पु पौ यु धन दान करो. (१०)
बृह पत इ वधतं नः सचा सा वां सुम तभू व मे.
अ व ं धयो जगृतं पुर धीजज तमय वनुषामरातीः.. (११)
हे बृह प त और इं ! तुम हम बढ़ाओ. हमारे त तु हारी दया भावना एक ही साथ हो.
तुम हमारे य कम क र ा करो, हमारी बु य को जगाओ एवं हम यजमान के श ु से
यु करो. (११)
सू —५१
दे वता—उषा
इदमु य पु तमं पुर ता यो त तमसो वयुनावद थात्.
नूनं दवो हतरो वभातीगातुं कृणव ुषसो जनाय.. (१)
यह हमारे ारा तु त कया गया, सव स , परम व तृत एवं कां तयु तेज पूव
दशा म अंधकार से उ दत आ था. न य ही सूय क पु ी प एवं द तशा लनी उषाएं
यजमान को ग तशील बनाने क साम य रखती थ . (१)
अ थु च ा उषसः पुर ता मता इव वरवोऽ वरेषु.
ू ज य तमसो ारो छ तीर छु चयः पावकाः.. (२)
य म गाड़े गए खंभ के समान सुंदर एवं रंग- बरंगी उषाएं पूव दशा को घेरकर थत
होती ह. उषाएं बाधा डालने वाले अंधकार का ार खोलती ई द तयु एवं प व बनकर
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चमकती ह. (३)
उ छ तीर चतय त भोजा ाधोदे यायोषसो मघोनीः.
अ च े अ तः पणयः सस वबु यमाना तमसो वम ये.. (३)
आज अंधकार का नाश करती
एवं धन क वा मनी उषाएं भोजन दे ने वाले
यजमान को सोमरस आ द दान करने के हेतु उ सा हत करती ह. चेतनार हत गाढ़े अंधकार
म दान न दे ने वाले प ण लोग चेतनार हत होकर पड़े रहे. (३)
कु व स दे वीः सनयो नवो वा यामो बभूया षसो वो अ .
येना नव वे अ रे दश वे स ता ये रेवती रेव ष.. (४)
हे काशयु एवं धनशा लनी उषाओ! तु हारा वही पुराना या नया रथ आज य म
अनेक बार आवे, जस रथ के ारा तुमने सात छं द प मुख वाले, नौ गाय अथवा दस गाय
वाले अं गरावंशीय ऋ षय को द त कया था. (४)
यूयं ह दे वीऋतयु भर ैः प र याथ भुवना न स ः.
बोधय ती षसः सस तं पा चतु पा चरथाय जीवम्.. (५)
दे द तयु उषाओ! तुम सोते ए मनु य एवं पशु प जीव को गमन के लए जगाती
ई य म जाने वाले घोड़ क सहायता से सारे व का तुरंत मण कर लो. (५)
व वदासां कतमा पुराणी यया वधाना वदधुऋभूणाम्.
शुभं य छु ा उषस र त न व ाय ते स शीरजुयाः.. (६)
वे ाचीन उषाएं कहां ह, जनके लए ऋभु ने चमस बनाने का काम कया था? जब
तेजो व श उषाएं काश फैलाती ह, तब एक समान होने के कारण वे नई या पुरानी नह
जान पड़त . (६)
ता घा ता भ ा उषसः पुरासुर भ
ु ना ऋजजातस याः.
या वीजानः शशमान उ थैः तुव छं स वणं स आप.. (७)
अपने आगमन मा से धन दे ने वाली, य के न म एवं स व फल दे ने वाली उषाएं
क याणकारी प म पहले उ प ई थ । य करने वाले मं
ारा उन उषा क तु तयां
करके एवं छं द ारा शंसा करके तुरंत धन लाभ करते थे. (७)
ता आ चर त समना पुर ता समानतः समना प थानाः.
ऋत य दे वीः सदसो बुधाना गवां न सगा उषसो जर ते.. (८)
सव समान एवं
स
उषाएं पूव दशा म केवल आकाश से सब जगह घूमती ह एवं
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य शाला को ान का वषय बनाती
बनती ह. (८)
जल उ प करने वाली करण के सामन शंसापा
ता इ वे३व समना समानीरमीतवणा उषस र त.
गूह तीर वम सतं श ः शु ा तनू भः शुचयो चानाः.. (९)
वे एक प वाली, समान व अन गनत रंग से यु उषाएं अपने द तशाली शरीर ारा
काश फैलाती ई एवं अपनी करण से महान् अंधकार का नाश करती ई वचरण करती
ह. (९)
र य दवो हतरो वभातीः जाव तं य छता मासु दे वीः.
योनादा वः तबु यमानाः सुवीय य पतयः याम.. (१०)
हे तेज वी सूय क पु यो एवं द तशाली उषाओ! तुम हम पु -पौ ा द से यु धन
दो. हम सुख ा त के कारण तु ह जगा रहे ह. इस कार हम पु -पौ यु धन के वामी
ह गे. (१०)
त ो दवो हतरो वभाती प ुव उषसो य केतुः.
वयं याम यशसो जनेषु तद् ौ ध ां पृ थवी च दे वी.. (११)
हे तेज वी सूय क पु ी पी उषाओ! हम य के ापक प म तुमसे ाथना कर रहे
ह क हम सब लोग के म य म यश और अ के वामी बन. वग एवं द तपूण धरती
हमारा वह यश धारण करे. (११)
सू —५२
त या सूनरी जनी
दे वता—उषा
ु छ ती प र वसुः. दवो अद श
हता.. (१)
भली कार तुत, ा णय क कुशल ने ी एवं उ म फल को ज म दे ने वाली सूयपु ी
उषा दखाई दे ती है एवं रात बीतने पर अंधेरे का नाश करती है. (१)
अ ेव च ा षी माता गवामृतावरी. सखाभूद नो षाः.. (२)
घोड़े के समान सुंदर, द तशा लनी, करण क माता एवं य
अ नीकुमार के साथ तुत हो. (२)
क
वा मनी उषा
उत सखा य नो त माता गवाम स. उतोषो व व ई शषे.. (३)
हे उषा! तुम अ नीकुमार क सखा, करण क माता एवं धन क वा मनी हो. (३)
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यावयद् े षसं वा च क व सूनृताव र.
हे स य वचन वाली एवं श ु
कराने वाली को जगाते ह. (४)
तभ ाअ
त तोमैरभु म ह.. (४)
को र भगाने वाली उषा! हम तु तय
त गवां सगा न र मयः. ओषा अ ा उ
ारा तुझ ान
यः.. (५)
शंसा के यो य करण दखाई दे ती ह. उषा ने संसार को वषा क धारा के समान तेज
से भर दया है. (५)
आप ुषी वभाव र
ाव य तषा तमः. उषो अनु वधामव.. (६)
हे कां तशा लनी उषा! तुम जगत् को तेज से पूण करती ई अंधकार को र भगाओ.
इसके प ात् ह व पी अ क र ा करो. (६)
आ ां तनो ष र म भरा त र नमु
हे उषा! तुम द त आकाश से यु
ा त करो. (७)
सू —५३
यम्. उषः शु े ण शो चषा.. (७)
होकर करण
ारा वग एवं
य अंत र
को
दे वता—स वता
त े व य स वतुवाय महद्वृणीमहे असुर य चेतसः.
छ दयन दाशुषे य छ त मना त ो महाँ उदया दे वो अ ु भः.. (१)
हम बलशाली एवं उ म बु
ाथना करते ह, जस धन को वे ह
वह धन हम दान कर. (१)
वाले स वता दे व के उस वरणीय एवं पू य धन क
दे ने वाले यजमान को अपने आप दे ते ह. महान् स वता
दवो ध ा भुवन य जाप तः पश ं ा प त मु चते क वः.
वच णः थय ापृण ुवजीजन स वता सु नमु यम्.. (२)
वग एवं अ य सब लोक को धारण करने वाले, जा का पालन करने वाले एवं
क व स वता दे व पीले रंग का कवच पहनते ह. अनेक कार से दे खने वाले स वता स
होकर भी जगत् को तेज से भरते ए चलते ह एवं शंसा के यो य सुख उ प करते ह. (२)
आ ा रजां स द ा न पा थवा ोकं दे वः कृणुते वाय धमणे.
बा अ ा स वता सवीम न नवेशय सुव ु भजगत्.. (३)
स वता दे व अपने तेज ारा पृ वीलोक एवं वगलोक को पूण करते ए अपने धारण
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कम क शंसा करते ह. वे अनु ा प म भुजाएं फैलाते ह एवं अपने काश से
जगत् को अपने काम म लगाते ह. (३)
त दन
अदा यो भुवना न चाकशद् ता न दे वः स वता भ र ते.
ा ा बा भुवन य जा यो धृत तो महो अ म य राज त.. (४)
स वता दे व अ य ा णय से परा जत न होते ए सब लोक को का शत करते ह एवं
सभी ा णय के त क र ा करते ह. वे व क जा के क याण के न म अपनी
भुजा को फैलाते ह एवं त धारण करने वाले इस महान् व के वामी ह. (४)
र त र ं स वता म ह वना ी रजां स प रभू ी ण रोचना.
त ो दवः पृ थवी त इ व त भ तैर भ नो र त मना.. (५)
स वता दे व अपने मह व ारा सबको परा जत करते ए तीन अंत र , तीन लोक
एवं तीन तेज वी त व —अ न, वायु और आ द य, तीन वग एवं तीन पृ वय को ा त
करते ह. वे तीन त ारा वयं हम सबका पालन कर. (५)
बृह सु नः सवीता नवेशनो जगतः थातु भय य यो वशी.
स नो दे वः
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