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परिवार नियोजन पर निबंध (1)

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प रवै नयो ज पयायवाची
तावना
वा धी ता ा त के नदे शकभाई त ववकास के पथ प तजेई सेदौर म हा। यह सबके साथ दे श क ज सखं या भी ॉटग नत से बढ़ रहा है।
अब हम एक अ अ ब प
ीस कयू ओड़ सेअ धधक मेरी व श तत वाला म आ
ब चक ए ह। बढ़ते ई जनसखं या का संक ट
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् धदो गण एक दो के यूगण ◌ा मक शा यूा त प होती हैज बक उ पा द के सा ध
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् ध एक ध एक के योग
के स ा त सेहोती है अथा जब आव यकता क व तए इस त ह ववकास के सभी उपाय तजे ई सेबढ़ती ई जी सखंया के सामी दादापड़
जाते ह और एक सेदो होती ह तब तक उपभोतता ज
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क सखं या दो सेचाई हो जाती है।
बढ़ती ही जाती अवर और आवास क कमी
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है। यही बढ़ती ई ई
का अभाव होता है। भोजी समाज म व तो
जी सखंया का संकं है।
जनसखं या का दबाव भाई त
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ेर म ववकास है। या है प अंतउ उस प जी सखंया वृधध का भीषण दबाव
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ा त ह सम या उई है खा पदाथ क वजह से हैक ा त क क भी भख का हल म ही हो जाता है। एक ब त बड़े सखंया म लोग
को छोटा पेट या खाली पेट ह ए
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है। इ त इवोसाल दे श म जगह का अभाव है। ल म वेश ह समलता
अनुसू चत जा त
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बीमा होई एपी अ
म सीट ह समलती।
ताल मबडै इन ह समलता इन एल और बस
येक काय म अभाव है। मांगते ही जा रहे ह हैक तु आप म ही बढ़ते ही
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जनसखं या
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ज सखं या वद्◌ृधध प न य ण हमै ई ाथसमकता हो ह ई चाहए। अ य दे श म यह काया म लता पाई जाती
है। जापई का यास अउ क णीय है। ची म
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भी अ प ज सखंया व ध को कठोइ ता से न य ं रत क कया है। भाई त म ज सखंया प न य ण नी होइ एके एक का ण ह। यहां
पर वै न यो ज प चीज क ए उधचत ह माई आ जाती है। बालक के ज म को ई री क दे ई मेरी जाती है। प का ज म परी के लए
आव यक है और गौई वपण एक माई जाता है। बटा पदै होइ एक आशा म बेह य को बाई बाई
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ज म हदया जाता है। ग ईब परी वै म ब
को भी कसी काम म लग जाता है क कछ म कछ कमाई होती है। भाई तयू म अ एक यूधमा
और जानतय के लोग हतेह।
कछ समझदाई लोग को छोड़ क ह जानत धमा के लोग अ प ई सखं या बढ़े ए एकेयू वचाई सेप र वै न यो ज का व व ओध क तेह।
नवारण
परी वै न यो ज प खल क वचाई हो आव यक है। कवव लेख क धसमका प ष आजी नै तक म लेख क के पास मीडडया
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के लोग को इस प खल
यूके आंडो ल चल न ए
चाहाए। धमा जानत का भेदभाव छोड़ क जी सखंया वधध प ओके के साले एक समाई कै उई बाई ए चाहे इसके साथ ही स बडी आहद
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प म सम ल एवाली सी काई सहायता भी लोग को सम ल ई चाहे जो प र वा न यो ज को अ प आएँ। उपसहं आर खे म गण क
बढ़ती ई सखंया परी वै न यो ज क नजर ख त एक होगी। दे श म ववकास को लगेगा क होश। भय क क अशा तत
भी भीषण सकं ट आयेगा। सब कछ उलटा पल
और हहसना भी होगा। महामाई
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यू ट हो जाएगा सी काई यो ज आय ध ईछ क एक
अत उस ववसय प क ह ए तो पड़ रहा है क तो एक वशं व ृऐसा बनेगा व हो जाएगा और
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हो जाएगा।
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भी पड़ जाएगा। ह क ढ म ह जाएंगे।
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