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जनसंचार माध्यम-अनुपम

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जनसंचार माध्यम
(प्रंट माध्यम : समाचार और संपादकीय)
‘जनसंचार' को समझने के लिए 'संचार' के स्वरूप को समझना आवश्यक है।
संचार ककसे कहते हैं?
‘संचार' के मूि में ‘चर' धातु है। 'चर' का अर्थ है- लवचरण करना, एक जगह से
दूसरी जगह पहंचना। यह पहंचना मनुष्य का भी हो सकता है, अन्य रालणयों का
भी, ध्वलन का भी, लचत्र का भी और रकाश का भी। परं तु हम लजस संचार की बात
कर रहे हैं, उसका अर्थ है मानव के संदश
े ों का पहंचना। ‘पहंचना' का तात्पयथ हैसंदश
े भेजना और राप्त करना। इसके लिए दो िक्षण अलनवायथ हैं1. दो या दो से अलधक व्यलि
2. उनके बीच ककसी संदश
े का संरेषण या ग्रहण है
इसीलिए संचारशास्त्री लवल्बर श्रैम ने कहा है- “संचार अनुभवों की साझेदारी है।“
यह संचार मुख से बोि कर भी हो सकता है, लिख कर भी हो सकता है तर्ा
दृश्य-श्रव्य माध्यमों के सहारे भी हो सकता है। इसलिए संचार की पररभाषा इस
रकार की जा सकती है- सूचनाओं, लवचारों और भावनाओं को लिलखत, मौलखक या
दृश्य-श्रव्य माध्यमों के जररए सफितापूवथक एक जगह से दूसरी जगह पहंचाना ही
संचार है।
संचार-माध्यम से आप क्या समझते हैं?
संचार माध्यमों से आशय है- वे उपकरण या साधन जो हमारे संदश
े को पहंचाते हैं।
जैसे- समाचार-पत्र, कफल्म, टेिीफोन, रे लियो, दूरदशथन, इं टरनेट आकद।
संचार के मूि तत्वों पर लवचार कीलजए।
संचार के मूि तत्व लनम्नलिलखत हैं1. संचारक या स्त्रोत (संदश
े देने के बारे में सोचना)
2. संदश
े का कू टीकरण (एनकोप्िंग या भाषाबद्ध करना)
3. संदश
े का कू टवाचन (िीकोप्िंग या भाषा-ग्रहण करना)
4. राप्तकताथ (संदश
े को समझना तर्ा रलतकिया करना)
संचारक की भूलमका पर रकाश िालिए।
ककसी संदश
े को भेजने वािा संचारक या स्रोत कहिाता है। उसका रर्म गुण हैसंदश
े की स्पष्टता। दूसरा गुण है- संदश
े को राप्तकताथ के अनुकूि कू टीकृ त करने की
क्षमता।
कू टीकरण या एनकोप्िंग का क्या तात्पयथ है?
संदश
े को भेजने के लिए शब्दों, संकेतों या ध्वलन-लचत्रों का उपयोग ककया जाता है।
भाषा भी एक रकार का कू ट-लचह्न या कोि है। अतः राप्तकताथ को समझाने योग्य
कू टों में संदश
े को बांधना कू टीकरण या एनकोप्िंग कहिाती है। सफि कू टीकरण उसे
कहेंगे लजसमें संरेषण लबल्कु ि स्पष्ट हो। संचारक जो कहना चाहता हो, राप्तकताथ संदश
े
को उसी रूप में ग्रहण करें ।
कू टवाचन या लिकोप्िंग से आप क्या समझते हैं?
कू टीकरण की उिटी रकिया कू टवाचन कहिाती है। इसके माध्यम से संदश
े का
राप्तकताथ कू ट-लचन्हों में बंधे संदश
े समझता है। इसके लिए आवश्यक है कक राप्तकताथ
भी कोि का वही अर्थ समझता हो जो कक संचारक समझता है।
संदश
े -रलतकिया या ‘फीिबैक' ककसे कहते हैं? उसका महत्व स्पष्ट कीलजए।
कू टीकृ त संदश
े के पहंचने पर राप्तकताथ अपनी रलतकिया रकट करता है। यह
आवश्यक है। इसी से पता चिता है कक संचारक का संदश
े राप्तकताथ तक पहंच गया
है और ठीक-ठीक पहंच गया है।
‘'शोर’ से क्या आशय है?
में ककसी रकार की भी बाधा आ जाए तो उसे ‘शोर' (नॉयज) कहते
हैं। यह बाधा संचारक की मानलसक अस्पष्टता या अलनच्छा को िेकर भी हो सकती
है। ठीक कू टीकृ त न कर पाने के कारण भी हो सकती है। गित कू टवाचन के कारण
भी हो सकती है और राप्तकताथ की अक्षमता, तकनीकी खराबी या आसपास के शोर
के कारण भी हो सकती है।
संचार-रकिया
संचार के रकार1. सांकेलतक संचार
2.
3.
4.
5.
6.
मौलखक संचार
अमौलखक संचार
अंतर वैयलिक संचार
समूह संचार
जनसंचार
सांकेलतक संचार से क्या तात्पयथ है?
सांकेलतक संचार का अर्थ है- संकेतों द्वारा संदश
े पहंचाना। मनुष्य का हार् जोड़ना,
पांव छू ना, हार् लमिाना, मुट्ठी कहना, लसग्नि देना, िाि बत्ती होना, हरी बत्ती आकद
सांकेलतक संचार हैं। इनमें मनुष्य अपने अंगों का या अन्य उपकरणों का रयोग करता
है।
आकदम युग में यह साधन ही सबसे महत्वपूणथ रहे होंगें। आज इनका महत्व सहायक
या गौण संचार के रूप में सीलमत हो गया है।
मौलखक संचार का क्या आशय है?
मुख द्वारा व्यि ध्वलनयों के माध्यम से जो संदश
े पहंचाया जाता है, उसे मौलखक
संचार कहते हैं। आपसी बातचीत, टेिीफोन, भाषण देना आकद मौलखक संचार के ही
रूप हैं।
अमौलखक संचार से क्या आशय है?
मौलखक संचार के अलतररि अन्य सभी रकार के संचार-साधन अमौलखक संचार
कहिाते हैं। जैस-े सांकेलतक संचार, लिलखत संचार, लचत्र-कफल्म आकद द्वारा संचार।
अंत: वैयलिक संचार का क्या आशय है?
अंत: वैयलिक (intra-personal) संचार का आशय है- एक व्यलि का अपने-आप से
बातचीत करना। रायः मनुष्य अके िा होने पर भी अपने-से बातचीत करता रहता है।
वह भाषा या स्मृलतयों, गीतों आकद के माध्यम से स्वयं को व्यि करता है। ऐसा
संसार वैयलिक होता है। ‘िायरी िेखन,’ ‘आत्मपरक वैयलिक कलवताएं' भी अंत:
वैयलिक संचार के अंग कहे जा सकते हैं।
अंतर-वैयलिक संचार (inter-personal communication) से क्या आशय है?
अंतर-वैयलिक संचार दो व्यलियों के मध्य होता है। दो लमत्रों की बातचीत, लपतापुत्र, मां-बेटी या अन्य ककसी पररलचत-अपररलचत से बातचीत इसी कोरट के अंतगथत
आती है। नौकरी के लिए कदया गया साक्षात्कार भी अंतर वैयलिक संचार का
उदाहरण है।
समूह-संचार का क्या आशय है?
जब व्यलि ककसी एक व्यलि से नहीं, बलल्क एक से अलधक व्यलियों से बात करता
है या ककसी समूह के सदस्य आपस में लवचार-लवमशथ करते हैं तो उसे समूह-संचार
कहते हैं। उदाहरणतया, कक्षा में पढ़ना या पढ़ाना, ककसी संस्र्ा की बैठक, चचाथ या
भाषण, जिसा-जुिूस समूह-संचार के उदाहरण है।
जनसंचार (Mass-Communication) से आप क्या समझते हैं?
जनसंचार नई सभ्यता का शब्द
रसारण-यंत्र आकद लवकलसत हए
हम ककसी समूह के सार् रत्यक्ष
संवाद स्र्ालपत करते हैं तो उसे
है। जब से संसार के नए तकनीकी साधन- मुद्रण,
हैं, तब से यह शब्द रयोग में आने िगा है। जब
संवाद करने की बजाय ककसी यांलत्रक माध्यम से
जनसंचार कहते हैं।
उदाहरणतया, रत्यक्ष कक्षा पढ़ाना जनसंचार नहीं है, ककं तु दूरदशथन पर पढ़ाया गया
पाठ्यिम जनसंचार कहिाएगा। इसी रकार समाचार-पत्र, पलत्रका, रे लियो, कफल्म,
दूरदशथन, इं टरनेट आकद जनसंचार के माध्यम है।
जनसंचार अन्य समाचारों की तुिना में ककस कारण महत्वपूणथ है?
वैयलिक या समूह संचार का दायरा सीलमत होता है। बड़ी-बड़ी रै लियों, मेिों,
चुनावी-सभाओं, धार्मथक आयोजनों की बात करें तो भी उसका व्याप अलधकतम
िाखों तक हो सकता है, ककं तु रे लियो, समाचार पत्र, इं टरनेट, दूरदशथन आकद माध्यमों
का फै िाव करोड़ों श्रोताओं या दशथकों तक हो सकता है। इसकी महत्ता सवोपरर है।
जनसंचार की लवशेषताओं का उल्िेख कीलजए।
1. सावथजलनकता
2. अत्यलधक व्यापकता
3. औपचाररक संगठन
4. द्वारपािों का लनयंत्रण
5. (फफफफफफ( फफफफफफफफफफफ का अभाव
जनसंचार के कायथ1.
2.
3.
4.
5.
6.
सूचना देना
लशलक्षत करना
मनोरं जन करना
लनगरानी करना
एजेंिा तय करना
लवचार-लवमशथ करना
जनसंचार के रमुख माध्यम कौन-कौन से हैं?
1.
2.
3.
4.
5.
समाचार पत्र-पलत्रकाएं (प्रंट मीलिया)
रे लियो
दूरदशथन
लसनेमा
इं टरनेट
प्रंट माध्यम : समाचार और संपादकीय
प्रंट-मीलिया से क्या आशय है? उसके लवलभन्न रकारों का उल्िेख कीलजए।
प्रंट-मीलिया का आशय है- छपाई वािे संचार माध्यम। इसे मुद्रण माध्यम भी कह
सकते हैं। इसके कु छ रूप लनम्नलिलखत हैं1.
2.
3.
4.
समाचार पत्र
पलत्रकाएं
पुस्तकें
इलश्तहार आकद।
जनसंचार का सबसे पहिा, महत्वपूणथ तर्ा सवाथलधक लवस्तृत माध्यम कौन-सा है?
समाचार-पत्र और पलत्रका
समाचार-पत्र के कायथ को ककतने और कौन-कौन से भागों में बांटा जा सकता है?
1. समाचारों को संकलित करना।
2. संपादन करना
3. मुद्रण तर्ा रसारण करना
प्हंदी का पहिा समाचार-पत्र कब, कहां से और ककसके द्वारा रकालशत ककया गया?
प्हंदी का पहिा समाचार-पत्र सन् 1826 ई. में पंलित जुगि ककशोर शुक्ि द्वारा
कोिकाता से रकालशत ककया गया।
आजादी से पहिे कौन-कौन रमुख पत्रकार हए?
रमुख पत्रकार- भारतेंदु हररश्चंद्र, महात्मा गांधी, िोकमान्य लतिक, मदन मोहन मािवीय।
कु छ अन्य पत्रकार- गणेशशंकर लवद्यार्ी, माखनिाि चतुवेदी, महावीर रसाद लद्ववेदी,
रताप नारायण लमश्र, लशवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, बािमुकुंद गुप्त।
आजादी से पूवथ के रमुख समाचार-पत्रों और पलत्रकाओं के नाम लिलखए।
के सरी, प्हंदस्ु तान, सरस्वती, हंस, कमथवीर, आज, रताप, रदीप, लवशाि भारत
आकद।
आजादी के दौरान और बाद में पत्रकाररता का िक्ष्य क्या रहा?
आजादी के आंदोिन के दौरान भारतीय पत्रकाररता का एक ही िक्ष्य र्ा- स्वाधीनतारालप्त और राष्ट्र-लनमाथण। यह िक्ष्य आजादी पाने के दो दशकों तक भी बना रहा।
उसके पश्चात पत्रकाररता का िक्ष्य व्यावसालयकता हो गया।
आजादी के बाद की रमुख पत्र-पलत्रकाओं और पत्रकारों के नाम लिलखए।
रमुख पत्र- नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, नई दुलनया, प्हंदस्ु तान, राजस्र्ान पलत्रका, दैलनक
भास्कर, अमर उजािा, दैलनक जागरण।
रमुख पलत्रकाएं- धमथयग
ु , साप्तालहक प्हंदस्ु तान, कदनमान, रलववार, इं लिया टु ि,े आउटिुक
आकद।
रमुख पत्रकार- सलिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय', रघुवीर सहाय, धमथवीर
भारती, मनोहर श्याम जोशी, राजेंद्र मार्ुर, रभाष जोशी, सवेश्वर दयाि सक्सेना, सुरेंद्र
रताप प्संह।
पत्रकाररता
पत्रकाररता से आप क्या समझते हैं?
देश-लवदेश में घटने वािी घटनाओं को संकलित करके उन्हें समाचार के रूप में
संपाकदत करने की लवधा को पत्रकाररता कहते हैं।
पत्रकाररता के लवलवध आयामों पर रकाश िालिए।
1.
2.
3.
4.
संपादकीय
फोटो पत्रकाररता
काटूथन कोना
रे खांकन और काटोग्राफ
पत्रकाररता के लवलवध रकारों का उल्िेख कीलजए।
1. फफफफफफफफफ पत्रकाररता
 संसदीय पत्रकाररता
 न्यायािय पत्रकाररता
 आर्र्थक पत्रकाररता
 खेि पत्रकाररता
 लवज्ञान और लवकास पत्रकाररता
2.
3.
4.
5.
 अपराध पत्रकाररता
 फै शन और कफल्म पत्रकाररता
वॉचिॉग पत्रकाररता
एिवोके सी पत्रकाररता
वैकलल्पक पत्रकाररता
पीत-पत्रकाररता या पेज-थ्री पत्रकाररता
समाचार-िेखन
समाचार की पररभाषा दीलजए।
समाचार ककसी भी ऐसी ताजा घटना, लवचार या समस्या की ररपोटथ है लजसमेंअलधक-से अलधक िोगों की रूलच हो और लजसका अलधक-से-अलधक िोगों पर रभाव
पड़ रहा हो।
समाचार के तत्वों पर रकाश िालिए।
1. नवीनता
2. लनकटता
3. रभाव-क्षेत्र
4. जनरुलच
5. टकराव या संघषथ
6. महत्वपूणथ िोग
7. उपयोगी जानकाररयां
8. अनोखापन
9. पाठक वगथ
10.नीलतगत ढांचा
समाचार के लिए नवीनता का क्या महत्व है?
समाचार के लिए नया या ‘न्यू’ होना बहत आवश्यक है। राय: हर समाचार-पत्र
के लिए लपछिे चौबीस घंटों में घटी घटना ही समाचार बनती है। 24 घंटे से
अलधक बासी होते ही वह समाचार पुराना हो जाता है। इस रकार हम 24 घंटों
की अवलध को समाचार की िेििाइन कह सकते हैं।
संपादक-मंिि की नीलतयां समाचारों को ककस रकार रभालवत करती हैं?
आजकि समाचार-पत्र ककसी-न-ककसी समाचार संगठन द्वारा चिाए जाते हैं। वह
अपनी संपादकीय नीलत के बि पर ही समाचारों का चयन करते हैं। जो समाचार
उनकी नीलतयों के अनुकूि होते हैं, उन्हें रमुखता से छापते हैं। शेष समाचारों को
नजरअंदाज ककया जाता है।
समाचार िेखन में ककन-ककन की भूलमका मुख्य होती है?
समाचार-िेखन में समाचार एकत्र करने वािे संवाददाताओं तर्ा उन्हें छपने योग्य
बनाने वािे संपादक-मंिि की भूलमका मुख्य होती है।
समाचार-माध्यमों में काम करने वािे पत्रकार ककतने रकार के होते हैं?
1. पूणथकालिक पत्रकार
2. अंशकालिक पत्रकार (प्स्रंगर)
3. फ्रीिांसर पत्रकार (स्वतंत्र)
समाचार-िेखन की शैिी पर रकाश िालिए। अर्वा समाचार कै से लिखे जाते हैं?
स्पष्ट कीलजए।
समाचार लिखने की शैिी उिटा-लपरालमि शैिी कहिाती है। इसके अंतगथत सबसे
महत्वपूणथ बात सबसे पहिे लिखी जाती है, कम महत्वपूणथ बाद में, तर्ा सबसे कम
महत्व की बात सबसे अंत में लिखी जाती है।
समाचार छह ककारों का क्या महत्व है?
क्या, कब, कहां, कौन, कै से, क्यों
ककसी भी समाचार में पूणथ संतुलष्ट तभी लमिती है जब इन छहों ककारों का उत्तर
कदया जाए।
समाचार-िेखन के ककतने अंग (अवयव) होते हैं?
1. शीषथक
2. मुखड़ा (इं रो)
3. लनकाय (बॉिी)
समाचार के मुखड़े (इं रो) में कौन-कौन सी सूचनाएं आती हैं?
ककसी भी समाचार के पहिे अनुच्छेद या आरं लभक दो-तीन पंलियों को उसका
मुखड़ा या इं रो कहते हैं। इसके अंतगथत सामान्यतया क्या, कब, कहां, और कौन
की सूचनाएं होती हैं। इनका संबंध तथ्यात्मक जानकारी या सूचना से होता है,
लवश्लेषण या लववरण से नहीं।
समाचारों के लवलभन्न माध्यमों की लवशेषताएं
समाचार-पत्र या मुद्रण माध्यमों की लवलशष्टता क्या है?
 इनमें स्र्ालयत्व होता है।
 इन्हें धीरे -धीरे सुलवधानुसार पढ़ा जा सकता है।
 एक ही समाचार को अनेक बार, ककसी भी िम से, कहीं से भी पढ़ा जा
सकता है।
 इसे सुरलक्षत रखकर संदभथ की तरह रयुि ककया जा सकता है।
 इसकी भाषा अनुशालसत तर्ा शुद्ध होती है।
 इसमें गूढ़-गंभीर लवचार या लवषय का भी समावेश हो सकता है
समाचार-पत्र या मुद्रण माध्यमों की कमजोरी क्या है?
समाचार-पत्र या मुद्रण माध्यम पठन-पाठन से संबंलधत है। लनरक्षर िोगों के लिए यह
बेकार माध्यम है।
रे लियो द्वारा रसाररत समाचारों की तुिना मुद्रण माध्यमों से कीलजए।
मुकद्रत समाचार की लवशेषता




यह स्र्ायी होता है।
इसमें िलमकता की आवश्यकता नहीं होती।
इसके लिए पढ़ना आना चालहए।
इसमें व्याकरण और वतथनी शुद्ध चालहए।
इसका माध्यम शब्द है।
रे लियो द्वारा रसाररत समाचार की लवशेषता




यह सुनते ही लविीन हो जाता है।
यह अपनी िम में ही सुना जा सकता है।
यह सुनने से ही समझ आ जाता है।
इसमें सुने जाने की स्पष्टता ही पयाथप्त है।
इसका माध्यम शब्द और आवाज है।
रे लियो द्वारा रसाररत समाचारों के तीन रमुख भाग कौन-कौन से होते हैं?
1. इं रो (मुखड़ा या िीि)
2. बॉिी
3. समापन
रे लियो-समाचार की कॉपी की क्या लवशेषता होती है?
रे लियो-समाचार की कॉपी साफ सुर्री तर्ा टंककत (टाइप्ि) होनी चालहए। ताकक
समाचार-वाचक को उसे पढ़ने में कोई करठनाई न हो। इसमें संलक्षप्त अक्षरों का
रयोग नहीं होना चालहए। उिारण की दृलष्ट से करठन शब्दों को नहीं आने देना
चालहए। 5 अंकों से अलधक वािी ककसी भी संख्या को शब्दों में लिखना चालहए।
टेिीलवजन पर रसाररत समाचारों की लवलशष्टता बताइए।
टेिीलवजन पर रसाररत समाचारों में शब्द, ध्वलन और दृश्य तीनों का मेि होता है।
इन्हें लनलश्चत समय पर, लनलश्चत िम से सुनना पड़ता है।
टेिीलवजन पर रसाररत समाचारों के लवलभन्न रूपों पर रकाश िालिए।







फफफफफफ फफ फफफफफफफफ न्यूज़
ड्राई एंकर
फोन-इन
एंकर लवजुअि
एंकर-बाइट
िाइव
एंकर-पैकेज
‘फ्िैश' या 'ब्रेककं ग' न्यूज़ से क्या आशय है?
इसके अंतगथत कोई भी बड़ी खबर कम-से-कम शब्दों में दशथकों तक तत्काि पहंचाई
जाती हैं। जैसे- भारत 66 रन से जीता। *इं कदरा गांधी की बम धमाके में मृत्यु।
‘ड्राई-एंकर' से क्या आशय है?
इसमें एंकर खबर के बारे में दशथकों को शब्दों द्वारा बताता है कक कहां, कब, क्या
और कै से हआ। यह दृश्यों के उपिब्ध होने से पहिे की लस्र्लत है।
‘फोन-इन’ का क्या आशय है?
इस लस्र्लत में एंकर ररपोटथर से फोन पर बात करके दशथकों तक सूचनाएं पहंचाता
है। ररपोटथर घटना स्र्ि पर उपलस्र्त होता है और वहां से ताजा सूचनाएं भेजता
रहता है।
‘एंकर-लवजुअि' ककसे कहते हैं, स्पष्ट कीलजए।
ककसी घटना के दृश्य उपिब्ध होने पर जब समाचार लिखा जाता है और उसे एंकर
पढ़ता है तो उसे ‘एंकर’लवजुअि' कहते हैं। इस समाचार का आरं भ सूचना से
होता है। बाद में समाचारों के सार्-सार् दृश्य भी कदखाई जाते हैं।
‘एंकर-बाइट’ से क्या आशय है?
‘बाइट’ का अर्थ है- कर्न। जब एंकर सूचना के सार्-सार् ककसी रत्यक्षदशी या
संबंलधत व्यलि का कर्न या बातचीत भी कदखिाता है तो उसे ‘एंकर-बाइट' कहते
हैं। इससे समाचारों की रामालणकता बढ़ती है।
‘िाइव' से क्या आशय है?
जब ककसी समाचार या घटना का सीधे घटना स्र्ि से ही रसारण ककया जाता है,
तो उसे 'िाइव' समाचार कहते हैं।
‘एंकर-पैकेज' से क्या आशय है?
‘एंकर-पैकेज' मी टी. वी. पत्रकाररता के सभी आयाम और गुण मौजूद होते हैं।
इसमें एंकर द्वारा रस्तुत सूचनाएं, संबंलधत घटना के दृश्य, बाइट, ग्राकफक़ आकद द्वारा
सभी सूचनाएं व्यवलस्र्त ढंग से कदखाई जाती है।
इं टरनेट
इं टरनेट पत्रकाररता से क्या आशय है?
आज कं प्यूटर की सहायता से इं टरनेट यानी लवश्व-व्यापी अंतजाथि पर समाचार
रकालशत ककए जाते हैं। पत्रकाररता के अंतगथत जो-जो कायथ ककए जाते हैं वह सब
इं टरनेट के माध्यम से भी ककए जाते हैं। इसी को इं टरनेट पत्रकाररता, ऑनिाइन
पत्रकाररता, साइबर पत्रकाररता या वेब पत्रकाररता कहते हैं।
इं टरनेट पत्रकाररता अन्य रकार की पत्रकाररता से ककस रकार लभन्न है?
इं टरनेट पत्रकाररता में मुद्रण पत्रकाररता, रे लियो पत्रकाररता तर्ा टी.वी. पत्रकाररतातीनों का संगम है। इसमें शब्द, ध्वलन और दृश्य तीनों का रयोग होता है। इसकी
सबसे लवलशष्ट योग्यता यह है कक इस पर रसाररत समाचार हर दो घंटे बाद
संशोलधत-संवर्धथत (अपिेट) होते रहते हैं।
भारत में कौन-कौन से समाचार-पत्र इं टरनेट पर उपिब्ध हैं?
टाइम्स ऑफ इं लिया, प्हंदस्ु तान टाइम्स, इं लियन एक्सरेस, द प्हंद,ू ररब्यून, स्टेट्समैन,
पॉयलनयर, एन.िी.टी.वी, आई.बी.एन, ज़ी न्यूज़, आजतक और आउटिुक।
भारत की कौन-सी नेट साइट भुगतान देकर देखी जा सकती है?
‘इं लिया टु ि'
े
भारत की कौन-कौन सी साइटें लनयलमत रूप से अपिेट होती हैं?
प्हंद,ू टाइम्स ऑफ इं लिया, आउटिुक, इं लियन एक्सरेस, एन.िी.टीवी., आई बी एन,
आजतक, ज़ी न्यूज़।
भारत की पहिी साइट कौन-सी है जो इं टरनेट पत्रकाररता कर रही है?
रीलिफ़
वेबसाइट पर लवशुद्ध पत्रकाररता ककसने शुरू की?
तहिका िॉटकॉम ने।
प्हंदी वेबजगत में कौन-कौन सी सालहलत्यक पलत्रकाएं चि रही हैं?
अनुभूलत, अलभव्यलि, प्हंदी नेस्ट, सराय।
लवशेष-िेखन
लवशेष-िेखन से क्या आशय है?
सामान्य िेखन से हटकर ककसी लवशेष लवषय पर ककया गया िेखन लवशेष-िेखन
कहिाता है। पत्रकाररता की भाषा में इसे बीट-िेखन कहते हैं। उदाहरणतया, खेि,
कफल्म, लवज्ञान, व्यापार आकद लवशेष क्षेत्रों से संबंलधत िेखन लवशेष-िेखन के अंतगथत
आते हैं।
िेस्क से क्या तात्पयथ है?
समाचार-पत्र, टी.वी. और रे लियो के लिए ककए जाने वािे लवशेष िेखन के लिए
एक अिग स्र्ान होता है। उसे िेस्क कहते हैं। यहां ककसी खास लवषय के लवशेषज्ञ
लमि-बैठकर लवशेष लवषय का िेखन करते हैं।
लवशेषीकृ त ररपोर्टिंग से क्या आशय है?
लवशेषीकृ त ररपोर्टिंग के लिए आवश्यक है कक िेखक को संबंलधत लवषय की गहरी
जानकारी होनी चालहए। इस ररपोर्टिंग में के वि तथ्यों से काम नहीं चिता। उसके
लिए गहन लवश्लेषण भी जरूरी होता है। लवशेषीकृ त ररपोर्टिंग के िेखक को संबंलधत
भाषा-शैिी पर भी पूरा अलधकार होना चालहए।
बीट से क्या आशय है?
बीट का अर्थ है- िेखन और ररपोर्टिंग का लवशेष क्षेत्र। उदाहरणतया, अपराध,
कफल्म, कृ लष, अर्थ आकद अिग-अिग बीट कहिाते हैं।
खेि,
बीट ररपोर्टिंग तर्ा लवशेषीकृ त ररपोर्टिंग का अंतर स्पष्ट कीलजए।
बीट ररपोर्टिंग में ककसी लवशेष लवषय से संबंलधत तथ्यों की जानकारी होती है।
लवशेषीकृ त ररपोर्टिंग में लवषय से संबंलधत गहन लवश्लेषण भी होता है। इसमें घटनाओं
के घरटत होने के मूिभूत कारणों और पररणामों पर भी रकाश िािा जाता है।
संवाददाता और लवशेष संवाददाता में क्या अंतर होता है?
ककसी भी बीट के लिए तथ्यात्मक संकिन और िेखन करने वािे पत्रकार को
संवाददाता कहते हैं। ककसी लवशेष लवषय के लवशेषज्ञ और लवश्लेषक को लवशेष
संवाददाता कहा जाता है।
लवशेष िेखन की भाषा-शैिी ककस रकार पृर्क होती है?
लवशेष िेखन की भाषा-शैिी भी लवशेष होती है। उदाहरणतया, खेि से संबंलधत बीट
की भाषा में पीटा, जीता, हारा, रौंदा, घुटने टेके, धुआंदार आकद शब्दों का रयोग
रचुरता से होता है।
उदाहरणतया- भारत ने पाककस्तान को 9 लवके टों से रौंदा।
न्यूजीिैंि ने आस्रेलिया के सामने घुटने टेके।
व्यापार की भाषा की लवशेष शब्दाविी लिलखए।
व्यापार में बैंक, शेयर-बाज़ार, प्जंस, धातु आकद के िेन-देन तर्ा उतारचढ़ाव से संबंलधत समाचार होते हैं। इसलिए इसमें लबकवािी, व्यापार-घाटा, एफ.
िी. आई., आवक, लनवेश, आयात, लनयाथत, सोने में भारी उछाि, चांदी िुढ़की, ररकॉिथ
तोड़े, आसमान पर, आकद शब्दों और कियाओं का रचार रयोग देखने को लमिता है।
उदाहरण- (1) सेंसेक्स आसमान पर।
(2) जीरा औंधे मुह
ं लगरा।
संपादन
संपादन का क्या तात्पयथ है?
संपादन का तात्पयथ है- ककसी लिलखत सामग्री को त्रुरटलवहीन करके उसे पढ़ने योग्य
बनाना।
संपादन का काम कौन करते हैं?
संपादन का काम संपादक, सहायक संपादक, समाचार संपादक, मुख्य उप संपादक, तर्ा
उप संपादक करते हैं।
संपादक संपादन-कायथ में क्या-क्या करते हैं?
संपादक संवाददाताओं तर्ा ररपोटथरों द्वारा राप्त लिलखत सामग्री की अशुलद्धयों को
शुद्ध करते हैं। उन्हें रस्तुलत-योग्य बनाते हैं। सारी ररपोटथ में से महत्वपूणथ बातों को
आगे िे आते हैं। महत्वहीन बातों को त्याग देते हैं तर्ा गौण सूचनाओं को बाद में
छापते हैं। वे समाचार-पत्र की नीलत, आचार-संलहता (Code of Conduct) तर्ा जन
कल्याण का भी ध्यान रखते हैं।
संपादन के लसद्धांतों पर रकाश िालिए।
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तथ्यों की शुद्धता
वस्तुपरकता
लनष्पक्षता
संतुिन
स्रोत की रामालणकता एवं लवलवधता
संपादन-कमथ में तथ्यों की शुद्धता का आशय तर्ा महत्व स्पष्ट कीलजए?
संपादन करते समय संपादक-मंिि का यह कतथव्य बनता है कक वह के वि शुद्ध तर्ा
रामालणक तथ्यों के आधार पर ही समाचार लिखे। न तो तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा
जाए, न ही उन्हें एकांगी रूप से रस्तुत ककया जाए। समाचार में रकट सभी तथ्य
सही और सटीक होने चालहए। इससे समाचार लवश्वसनीय बनते हैं।
समाचार-संपादन में वस्तुपरकता का क्या आशय है?
वस्तुपरकता का आशय है- समाचार, घटनाएं तर्ा तथ्य उसी रूप में ही रस्तुत ककए
जाएं, लजस रूप में वे घरटत हए हों। पत्रकार के लवशेष झुकाव के कारण उनका
स्वरूप नहीं बदिना चालहए। लवरोध, समर्थन या अन्य ककसी आग्रह के कारण
समाचार की मूि भावना में बदिाव नहीं आना चालहए।
समाचार-संपादन में लनष्पक्षता का क्या आशय है?
‘लनष्पक्षता’ का आशय है- ककसी एक के पक्ष में न झुकना। इसका तात्पयथ है कक
पत्रकार घटनाओं और सूचनाओं को न्यायसंगत रूप से रस्तुत करे । वह झुके तो
न्याय के पक्ष में झुके, ककसी मत, जालत, पाटी या लवचारधारा के पक्ष में न झुके।
समाचार-संपादन में संति
ु न से क्या आशय है?
लजन समाचारों और घटनाओं में अनेक पक्ष भागीदार होते हैं, वहां संतुिन की बहत
अलधक आवश्यकता होती है। रायः पत्रकारों पर यह आरोप होता है कक वह ककसी
भी घटना की एकतरफा ररपोटथ रस्तुत करते हैं।
रस्तुलतअनुपम भारद्वाज,स्नातकोत्तर लशक्षक(लहन्दी)
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