1 दे वदत ू ऽरीर जिब्रान द्वाया यचित The Prophet का हहॊदी अनव ु ाद अनव ु ादक वीये न्द्र ऩार ससॊह 2 प्रस्तावना ऽरीर जिब्रान का िन्द्भ 6 िनवयी 1883 को रेफवान के उत्तयी ऩहाड़ी बाग के शहय बफशायी भें हुआ था। उन हदनों रेफनान के फहुत से रोग सुख, शाजन्द्त औय आचथिक स्भद्धृ ि के सरमे अभयीका िाने के स्वप्न दे खते थे। सन ् 1894 भें ऽरीर जिब्रान ने अऩनी भाॉ, बाई औय दो फहनों के साथ अभेयीका के सरमे प्रस्थान कय हदमा औय फोस्टन शहय भें यहने रगे। सन ् 1897 भें ऽरीर जिब्रान अयफी औय फ्रेंि बाषा का अध्ममन कयने के सरमे रेफनान वाद्धऩस आमे। सन ् 1902 भें करा का अध्ममन कयने के सरए वे ऩेरयस गमे। ऩेरयस भें अध्ममन के फाद जिब्रान वाद्धऩस अभेयीका आमे औय अऩना ऩूया सभम रेखन औय चित्रकायी भें रगामा। उनभें अयफी औय अॊग्रेिी दोनों बाषाओॊ भें सरखने की ऺभता थी औय अनेकों ऩस् ु तके सरखी हैं। इनभें ‘‘आॉसू औय भस् ु कान’’ ‘‘टूटे ऩॊख’’ ‘‘ये त औय झाग’’ आहद यिनामें सजमभसरत हैं। उनकी सविप्रससि ऩस् ु तक ‘‘दी प्रोपेट’’ मा ‘दे वदत ू ’ सन ् 1923 भें अॊग्रेिी भें प्रकासशत हुई। अभेरयका भें ऽरीर जिब्रान कबी फोस्टन भें औय कबी न्द्मूमाकि भें यहे । 10 अप्रैर सन ् 1931 को न्द्मूमाकि भें सेन्द्ट द्धवन्द्सेन्द्ट अस्ऩतार भें उनका दे हान्द्त हो गमा। उनका शव समभान के साथ रेफनान रामा गमा औय िन्द्भ स्थर के िनकट दपना हदमा गमा। ऽरीर जिब्रान भें रेखों, कद्धवताओॊ औय चित्रों तीन भाध्मभों द्वाया अऩने आऩ को असबव्मक्त कयने की अद्भत ु प्रितबा थी। इन भाध्मभों द्वाया उन्द्होंने अऩने द्धविायों, कल्ऩनाओॊ औय अनुबिू तमों को ‘दे वदत ू ’ ऩस् ु तक भें फड़ी िनऩुणता के साथ व्मक्त ककमा है । इस ऩस् ु तक का द्धवषम भानव का भानव के साथ समफन्द्ध है । उन्द्होंने दस ू यी ऩुस्तक ‘‘दे वदत ू का उद्यान ’’ सरखी जिसभें भानव का प्रकृित के साथ सॊफन्द्ध का वणिन ककमा है । वे तीसयी ऩुस्तक ‘‘दे वदत ू की भत्ृ मु’’ सरखना िाहते थे जिसभें भानव का ईश्वय के साथ सॊफध का वणिन होता, रेककन उसके सरखने के ऩहरे ही उनका दे हान्द्त हो गमा। 3 ‘दे वदत ू ’ ऩुस्तक की रूऩये खा इस प्रकाय है । अरभुस्तपा (दे वदत ू } ककसी दयू छोटे टाऩू के दे श से ओयपारीस शहय भें आमा औय वहाॊ 12 वषि तक यहा। वह एक ऻानी ऩुरूष था औय रोगों के िीवन, व्मवहाय, कामि कराऩों तथा सभस्माओॊ को अच्छी तयह सभझता था। शहय के सबी रोग उसका आदय कयते थे। उस शहय भें एक साध्वी, जिसका नाभ अरसभत्रा था, उसके समऩकि भें सफसे ऩहरे आमी औय उसकी प्रितभा को ऩहिाना। 12 वषि फाद वाद्धऩस उसे अऩने दे श वाद्धऩस रे िाने के सरमे एक ज़हाज़ आमा, औय वह रौटने के सरमे तैमाय हुआ। िफ रोगों को मह भारूभ हुआ कक वह ज़हाज़ द्वाया अऩने दे श को वाद्धऩस िा यहा है तो वे अऩने साये काभ छोड़कय उसके ऩास आमे। वे फहुत उदास थे औय वह बी उदास था, रेककन भज़फूयन उसे वाद्धऩस िाना ही था। वे सफ ऩास के एक भजन्द्दय के साभने िौक भें इकट्डा हुमे। उन्द्होंने आग्रह ककमा कक िाने से ऩहरे वह उनको कुछ ऻान की फातें फतरामे क्मोंकक उसने 12 वषो से उनके साथ यहकय उनके सुख, द्ु ख तथा सबी कभों को दे खा है । इस आग्रह ऩय उनसे िाने से ऩहरे िो प्रविन हदमा, वही इस ऩस् ु तक का द्धवषम है । सविप्रथभ अरसभत्रा ने उससे प्रेभ के फाये भें कुछ कहने के सरमे िनवेदन ककमा। इसके फाद अन्द्म रोगों ने बी सबन्द्न द्धवषमों ऩय उससे कुछ कहने के सरमे कहा। कुर 26 द्धवषमों ऩय उसने रोगों के साभने अऩने द्धविाय प्रस्तुत ककमे। मे सफ द्धवषम रोगों के सभाजिक समफन्द्धों, व्मवहायों, सभस्माओॊ, औय अनब ु ूितमों से समफचधत है । मे द्धवषम हैं: प्रेभ, शादी, फच्िे, दे ना, खाना-ऩीना, कामि, सख ु औय द्ु ख, भकान, वस्त्र, क्रम-द्धवक्रम, अऩयाध औय दण्ड, कानून, स्वतन्द्त्रता, तकि औय बवुकता, ददि , आत्भ-ऻान, अध्माऩन, सभत्रता, वातािराऩ, सभम, अच्छा-फुया, प्राथिना, आनन्द्द, सौन्द्दमि, धभि, औय भत्ृ मु। सबन्द्न द्धवषमों ऩय अऩने द्धविाय प्रस्तुत कयने के ऩश्चात अरभुस्तका ने द्धवदाई के सभम िो अजन्द्तभ शब्द कहे वे फहुत भहत्वऩूणि हैं । उसने स्ऩष्ट फतरामा कक उसने िो कुछ कहा वह कोई द्धवशेष फात नहीॊ है फजल्क सबी रोगों के अन्द्दय िो द्धवशार आत्भा का स्वरूऩ है उसी का वणिन ककमा है । मह द्धवशार आत्भा सबी प्राणणमों को एक दस ू ये से, प्रकृित से, औय ईश्वय से फाॉधती है । इसी के कायण 4 प्रत्मेक व्मक्तक्त के अन्द्दय फहुत फड़ी ऺभता है । प्रत्मेक व्मक्तक्त दै वी प्रवद्धृ त्त यखता है औय वह अऩनी द्धवशार आत्भा को सभझ कय ऩयभेश्वय को प्राप्त कय सकता है । मही आत्भा औय ऩयभात्भा का यहस्म है जिसे सभझ कय वास्तद्धवकता की गहयाइमों को िाना िा सकता है । इससे िीवन भें सुधाय राकय उसे अचधक स्वस्थ, सख ु ी, शाजन्द्तभम औय अथिऩूणि फनामा िा सकता है । उसने स्ऩष्ट शब्दों भें कहा है : हो। “तुभ अऩने शयीय भें फन्द्द नहीॊ हो औय न अऩने घयों मा खेतों तक सीसभत िो तुमहाये अन्द्दय है , वह ऩहाड़ों के ऊऩय िनवास कयता है औय हवा भें भ्रभण कयता है । मह एसी वस्तु नहीॊ िो गभी के सरमे यें ग कय धऩ ू तक ऩहुॉिे मा फिाव के सरमे अॉधेये भें गड्ढे खोदे ; रेककन मह स्वतॊत्र वस्तु है ; एक आत्भा है िो सायी ऩथ् ृ वी को रऩेटे हुमे है औय शून्द्मता भें द्धवियण कयती है ।’’ अन्द्त भें दे वदत ू ने कहा है कक महद मह आवश्मकता हुई कक रोगों को अऩनी फातें सुनाने के सरमे उसे कपय आना िाहहए, तो वह दोफाया िन्द्भ रेगा औय उनके फीि आकय ऻान की फातें कपय फतरामेगा। उसके मे शब्द उल्रेखनीम है : “मह भत बूरो कक भैं तुमहाये ऩास कपय आऊॉगा। कुछ ऺण, औय भेयी रारसा दस ू या शयीय ऩाने के सरमे धूर औय झाग इकट्ठा कये गी। कुछ ऺण, एक ऩर वामु ऩय द्धवश्राभ, औय दस ू यी नायी भुझे ग्रहण कये गी।“ इससे स्ऩष्ट है कक खरीर जिब्रान ऩुनििन्द्भ भें द्धवश्वास कयते थे। ‘‘दे वदत ू ’’ ऽरीर जिब्रान के िीवन को दशािने वारी ऩस् ु तक बी कही िा सकती है । शामद उन्द्होंने स्वमॊ अऩने आऩ को दे वदत ू के रूऩ भें प्रदसशित ककमा है । ओयपासरस का शहय न्द्मूमाकि हो सकता है िहाॉ वह 12 वषि यहे । साध्वी अरसभत्रा 5 उनकी सभत्र भेयी हे स्कर हो सकती है जिसने अभयीका आने के तुयन्द्त फाद ही ऽरीर जिब्रान की प्रितबा को ऩहिाना औय उनकी हय तयह से सहामता की। उनको तीन वषि ऩेरयस करा का अध्ममन के सरमे बेिा औय उसका ऩूया खिि उठामा। ऽरीर जिब्रान की अॊग्रेिी यिनाओॊ भें सध ु ाय कय के उन्द्हें छऩवाने तथा अभयीका भें साहहत्म औय करा के ऺेत्रों भें उचित रोगों औय सॊस्थाओॊ से सॊऩकि स्थाद्धऩत कयाने भें उनका भहत्वऩण ू ि सहमोग यहा। ‘दे वदत ू ’ को सॊसाय की प्रभुख आध्माजत्भक ऩुस्तकों भें चगना िाता है । इसे ऩढ़कय ऽरीर जिब्रान के सायगसबित औय ऻानऩूणि द्धविायों का ऩता िरता है । इसके भाध्मभ द्वाया आत्भ-सध ु ाय, आत्भ-ऻान औय आत्भ-फोध कयने भें फहुत सहामता सभर सकती है । आत्भा-शाजन्द्त के सरमे मह ऩुस्तक एक भहत्वऩूणि वयदान है । ‘‘दी प्रोपेट’’ का हहन्द्दी अनुवाद ‘दे वदत ू ’ ऩाठकों के साभने प्रस्तुत है । आशा है हहन्द्दी बाषी रोगों को मह ऩसन्द्द आमेगा। वीये न्द्र ऩार ससॊह ऋद्धषकेश (उत्तयाखण्ड) 6 ज़हाि का आना सविश्रे्ठ औय सविद्धप्रम अरभस् ु तपा (दे वदत ू ), िो अऩने सभम का अगव ु ा था, वाहय वषों से अऩने िहाज़ की प्रतीऺा कय यहा था िो उसे उसकी भातब ृ सू भ वाद्धऩस रे िामे। फायहवें वषि खसरहान के भहीने (फैसाख) के सातवें हदन, नगयी की िाय दीवायी के फाहय वह ऩहाड़ी ऩय िढ़ा औय सभुर की ओय दे खने रगा। दयू धुॉधरेऩन भें उसने अऩना िहाज़ आता हुआ दे खा। उसका रृदम बय आमा औय उसका आनन्द्द सभुर के ऊऩय बफखयने रगा। उसने आॉखें फॊद कीॊ औय आत्भ-शाॊित के सरए प्राथिना की। रेककन िैसे ही वह ऩहाड़ी से उतया उसके ऊऩय भरीनता छा गई औय उसने हदर भें सोिा: “भैं कैसे शाजन्द्त औय सुख के साथ महाॉ से िा सकॉू गा? नहीॊ, भैं इस नगयी को बफना अऩनी आत्भा घामर ककमे नहीॊ छोड़ सकता। भेये इस नगयी भें बफतामे गमे द्ु ख बये हदन औय अकेरी सुनसान यातें फहुत रमफी थीॊ। ऐसा कौन है िो अऩने द्ु ख औय अकेरेऩन को आसानी से अरग कय सके? इन गसरमों भें भेयी आत्भा के अनेकों टुकड़े बफखये ऩड़े है औय भेयी काभनाओॊ के अनेक फच्िे इन ऩहाक्तड़मों भें नॊगे घभ ू ते हैं । भैं बफना बायीऩन औय ददि भहसूस ककमे इनसे अरग नहीॊ हो सकता। आि के हदन भैं शयीय से अऩने वस्त्र नहीॊ उताय यहा हूॉ फजल्क अऩने ही हाथों अऩनी खार िीय यहा हूॉ। अऩने ऩीछे भैं अऩने द्धविायों को नहीॊ फजल्क बूख औय प्मास से भीठा ककमा गमा रृदम महाॉ छोड़ यहा हूॉ। कपय बी भुझे अचधक दे य नहीॊ कयनी। सागय, जिसभें सफ कुछ सभा िाता है , भुझे बी अऩने ऩास फुरा यहा है औय भुझे अवश्म ही प्रस्थान कयना है । मद्यद्धऩ याबत्र भें सभम िरता है कपय बी जस्थयता भनष्ु म को िभाकय सभट्टी फना दे ती है औय एक साॊिे भें फन्द्द कय दे ती है । 7 काश भैं महाॉ से सफ कुछ रे िाता। रेककन मह कैसे हो सकता है ? ध्विन उन होठों औय जिभ्माओॊ को नहीॊ रे िा सकती जिन्द्होंने उसे ऩॊख हदमे, वह केवर शून्द्मता ही साथ रे िा सकती है । प्रकाश भें िायों ओय िक्कय रगाने वारी चिक्तड़मा बी अकेरी औय बफना घोंसरे के होती है ।“ अरभुस्तपा ऩहाड़ी की सतह तक ऩहुॉिा तो कपय वह सभुर की ओय भुड़ा औय उसने अऩना ज़हाज़ फन्द्दयगाह के िनकट ऩहुॉिते हुमे दे खा औय उसके ऩव ि ाग ू ब ऩय उसे अऩने ही दे श के नाद्धवक हदखाई हदमे। उसकी आत्भा उनके सरमे िीख उठी औय उसने कहा: भेयी भातब ू ो! रहयों ऩय िढ़ने वारो! ृ सू भ के सऩत तुभ ककतनी फाय भेये स्वप्नों भें तैये हो औय अफ भेये िागने ऩय भेये साभने आमे हो। मह औय बी गहया स्वप्न है । भैं िाने को तै माय हूॉ औय भेयी तत्ऩयता खुरे ऩतवायों के साथ वामु की प्रतीऺा कय यही है । भैं इस जस्थय वामु भें केवर एक साॉस औय रॉ ूगा औय केवर एक प्रेभऩूणि दृद्धष्ट से ऩीछे की ओय दे खूॊगा। औय तफ तुमहाये फीि वैसे ही खड़ा होऊॉगा िैसे नाद्धवकों के फीि एक नाद्धवक। द्धवशार सागय! तू सोती हुई भाॉ की तयह है िो कक नहदमों औय दरयमाओॊ को अऩनी गोद भें शाॊित प्रदान कयती है । दरयमा फस एक औय भोड़ रेगा औय इस वनभागि भें ससर्फि एक औय फुदफुदाहट कये गा। तुयन्द्त भैं तेये ऩास आऊॉगा, एक अनन्द्त सागय भें एक अनन्द्त फॉूद । िैसे ही वह िरने रगा, उसने दे खा कक दयू से स्त्री औय ऩरू ु ष अऩने खेतों औय फगीिों को छोड़ कय नगय द्वाय की ओय िल्दी-िल्दी ऩैय फढ़ामे िरे आ यहे हैं। 8 उसने सुना कक उनकी आवािें उसका नाभ ऩुकाय यहीॊ थीॊ, चिल्रा-चिल्राकय एक खेत से दस ू ये खेत भें िहाि के आ िाने की खफय पैरा यही थीॊ। उसने स्वॊम से कहा: “क्मा द्धवदा का हदन सफके इकट्ठे होने का सभम होगा? औय क्मा मह कहा िाएगा कक भेयी सन्द्ध्मा असर भें भेयी सुफह है ? ककसी ने अऩना हर फीि हराई भें छोड़ा है औय ककसीने अऩनी िक्की का ऩहहमा फन्द्द कय हदमा है । उनको भैं क्मा दे सकूॉगा? क्मा भेया रृदम रूऩी ऩेड़ परों से रदा है जिनको सभेट कय भैं उनको बें ट दे सकूॉ। औय क्मा भेयी असबराषामें श्रोते की तयह फह सकेंगी जिससे भैं उनके प्मारे बय सकूॉ? क्मा भैं एक वीणा हूॉ जिसके तायों को ऩयभ ् शक्तक्त के हाथ छू सकें मा भयु री हूॉ जिसभें होकय उसकी साॊस िनकर सके? भैंने सदै व भौन की खोि की है , औय भौन भें एसी कौनसी िनचध ऩाई है जिसे भैं द्धवश्वास के साथ दे सकॉू ? महद मह भेया खसरहान का सभम है तो भैंने ककन खेतों भें औय ककन बूरे हुमे भौसभ भें फीि फोमा था? महद वास्तव भें इसी ऺण भैं अऩना दीऩक उठाऊॉ तो क्मा भेयी ज्मोित ही उसभें नहीॊ िर िाएगी? भैं अऩना दीऩक बफना तेर औय बफना प्रकाश के ही उठाऊॊगा औय याबत्र का ऩहये दाय उसभें तेर बय दे गा औय उसे प्रकासशत बी कय दे गा।“ मह सफ कुछ उसने शब्दों भें कहा रेककन इससे बी अचधक उसके हदर भें अनकहा शेष यहा क्मोंकक वह स्वॊम अऩना गप्त ु यहस्म प्रगट नहीॊ कय सकता था। औय िफ वह नगयी भें घुसा तो सफ रोग उससे सभरने के सरए आमे औय सबी एक ध्विन से उसे िोय-िो यो़ से ऩुकाय यहे थे। ो़ 9 शहय के फड़े-फूढ़ों ने आगे फढ़कय कहा: “अबी हभसे अरग होकय दयू भत िाओ। हभायी सॊध्मा के धॊुुधरेऩन भें तुभ दोऩहय के प्रकाश की बाॊित हो औय तुमहाये मौवन ने हभें दे खने के सरए स्वप्न हदए है । तुभ हभाये फीि न तो एक अिनबी हो, औय न एक भेहभान फजल्क हभाये ऩुत्र औय िनकट द्धप्रम हो। अबी हभायी बख ू ी आॊखों को अऩने िेहये के सरए भत तयसाओ।“ ऩुिारयमों औय ऩुिारयनों ने उससे कहा: “सभुर की रहयों द्वाया अऩने आऩ को हभसे अरग भत होने दो जिससे कक वे वषि िो तुभने हभाये साथ बफतामे है फस स्भिृ त भात्र यह िामें। तुभ हभाये फीि आत्भा का रूऩ फन कय घूभे हो औय तुमहायी छामा द्वाया हभाये िेहये प्रकासशत हुमे है । हभने तुभको फहुत ही प्माय ककमा है ककन्द्तु हभाया प्रेभ भूक यहा है औय वह अनेक ऩदो से ढका हुआ है । कपय बी अफ वह तुभको ज़ोय से िीख कय ऩुकायता है औय तुमहाये समभुख प्रगट होने को तै माय है । ऐसा सदै व ही हुआ है कक प्रेभ ने अऩनी गहयाई को द्धवदा के सभम तक नहीॊ िाना है ।“ औयों ने बी उससे अनयु ोध ककमा रेककन उसने कोई उत्तय नहीॊ हदमा; उसने फस अऩना ससय झुका सरमा औय उसके सभीऩ खड़े रोगों ने उसकी छाती ऩय आॉसू चगयते हुए दे खे। कपय सफ रोगों के साथ वह भॊहदय के साभने फड़े िौक की ओय िर हदमा। उस भॊहदय भें से एक भहहरा, जिसका नाभ अरसभत्रा था, िनकरकय आई। वह साध्वी थी। 10 दे वदत ू ने अत्मन्द्त उदायता के साथ उसको दे खा क्मोंकक इसी भहहरा ने उसके शहय भें आने के केवर एक हदन फाद ही उसको ऩहिान सरमा था औय उसभें द्धवश्वास कयने रगी थी। अरसभत्रा ने मह कहकय उसका असबवादन ककमा: ऩयभ ् अरौककक की खोि कयने वारे ईश्वयीम दत ू , तुभने फहुत सभम से अऩने ज़हाज़ की दरू यमों को खोिा है । अफ तुमहाया ज़हाज़ आ गमा है , औय तुमहें िाना बी है । तुमहें अऩनी स्भिृ तमों की भहान असबराषाओॊ के िनवास स्थान की गहन उत्कॊठा है । तुभको न तो हभाया प्रेभ ही फाॉध सकता है औय न हभायी इच्छामें ही योक सकती है । कपय बी हभ िाहते है कक हभें छोड़ने से ऩहरे तुभ हभसे कुछ कहो औय अऩने सत्म भें से हभको कुछ दो। इसे हभ अऩनी सन्द्तानों को दे गें औय वे अऩनी सन्द्तानों को। इस प्रकाय मह नष्ट नहीॊ होगा। अऩने अकेरेऩन भें तुभने हभाये हदनों को िनहाया है औय यात भें िागकय तुभने हभायी नीॊद के योने औय हॉ सने को सुना है । इससरए तुभ हभाया रूऩ स्वमॊ हभाये साभने प्रगट कयो औय िो कुछ तुभको िीवन औय भत्ृ मु के फीि हदखाई हदमा है उसको हभ से कहो। दे वदत ू ने उत्तय हदमा: “ओयपारी नगयी के िनवाससमो, िो कुछ तुमहायी आत्भाओॊ भें अफ बी कक्रमाशीर है उसके अरावा भैं तुभसे क्मा कह सकता हूॉ?” 11 12 प्रेभ अरसभत्रा फोरी, “हभसे प्रेभ के फाये भें कुछ कहो।“ उसने अऩना ससय उठाकय रोगों ऩय दृद्धष्ट दौड़ाई औय वहाॊ ऩय स्तब्धता छा गईं। बायी आवाज़ भें उसने कहा: िफ प्रेभ तुभको ऩुकाये , उसके ऩीछे िरो मद्यद्धऩ उसके यास्ते द्धवषभ औय कहठन हैं। औय िफ उसके ऩॊख तुमहाये ऊऩय उड़ने रगें , आत्भ सभऩिण कय दो, मद्यद्धऩ उसकी ऩॊखड़ी भें िछऩी कटाय तुमहें घामर कय सकती है । िफ वह तुभसे वातािराऩ कये , तुभ उसभें द्धवश्वास कयो मद्यद्धऩ उसकी आवाज़ तुमहाये स्वप्नों को ऐसे ही नष्ट कय सकती है िैसे आॉधी फगीिे को उज़ाड़ दे ती है । क्मोंकक िैसे प्रेभ तुमहें भुकुट ऩहनाता है वैसे ही तुमहाया फध बी कये गा; िैसे वह तुमहाये द्धवकास भें सहमोगी है वैसे ही तुमहाये सरए फाधक बी। जिस प्रकाय वह ऊऩय िढ़कय धूऩ भें रहयाती तुमहायी कोभरतय शाखाओॊ को िूभता है , उसी प्रकाय नीिे उतय कय धयती भें सरऩटी तुमहायी िड़ों को झकझोयता है । अनाि की गयायी की तयह वह तुमहें अऩने आऩ भें सभेटता है । तुमहाया आवयण हटाने के सरए वह तुमहें ऩीटता है । बूसी से अरग कयने के सरए वह तुमहें छानता है । तुभको फायीक ऩीसता है । फहुत रोिदाय होने तक तुमहें गॉूथता है , औय कपय अऩनी ऩुनीत अजनन को बें ट दे दे ता है जिससे तुभ ईश्वय के ऩुनीत बोिन की ऩुनीत योटी फन सको। 13 मह सफ कुछ प्रेभ तुमहाये सरमे इससरए कये गा कक तुभ अऩने रृदम के यहस्मों को िान सको औय उस ऻान द्वाया ऩयभ िीव के रृदम की गॊध का अॊश फन सको। रेककन बम से महद तुभने केवर प्रेभ की शाॊित औय सुख की खोि की, तो उचित मह है कक तुभ अऩनी नननता को ढक रो औय प्रेभ की कहठन तऩस्मा से अरग हो कय उस ऋतुहीन सॊसाय भें ऩहुॉि िाओ िहाॉ तुभ न तो ऩूणि रूऩ से हॉ स सकोगे औय न ऩूणि रूऩ से यो सकोगे। प्रेभ िो कुछ दे ता है वह अऩने आऩ से ही दे ता है औय िो कुछ रेता है वह बी अऩने आऩ से ही रेता है । न तो प्रेभ का ककसी ऩय अचधऩत्म है औय न वह ककसी के अचधकाय भें है । क्मोंकक प्रेभ प्रेभ के सरए ऩमािप्त है । िफ तुभ प्रेभ कयते हो तो तुमहें मह नहीॊ कहना िाहहमे “ईश्वय भेये रृदम भें है ” फजल्क मह कहो ‘‘भैं ईश्वय के रृदम भें हूॉ।’’ औय मह भत सोिो कक तुभ प्रेभ के सॊिारन को िनमॊबत्रत कय सकते हो क्मोंकक प्रेभ महद तुमहें अऩने मोनम सभझेगा तो वह तुमहाये सॊिारन को िनमॊबत्रत कये गा। स्वॊम की ऩरयऩिू ति के अितरयक्त प्रेभ की कोई इच्छा नहीॊ है । कपय बी महद प्रेभ कयने के साथ काभनामें बी यखना िाहते हो तो मे काभनामें यखो: द्धऩघर कय उस फहते स्त्रोत के सभान होना िो अऩना भधुय गीत याबत्र को सुनामा कयता है ; अचधकतभ कोभरता की ऩीड़ा को िानना; स्वॊम अऩने प्रेभ की िानकायी से घामर होना औय स्वेच्छा से प्रसन्द्नता ऩूवक ि यक्त फहाना; 14 उड़ान बयते हुमे रृदम के साथ प्रात् िागना औय प्रेभ से ऩूयी तयह बयऩूय फीते हदनों के सरए धन्द्मवाद दे ना; दोऩहय को द्धवश्राभ कयना औय प्रेभ के हषोन्द्भाद ऩय भनन कयना; सॊध्मा सभम कृतऻता ऩव ि घय रौटना औय कपय अऩने प्रेभी/प्रेसभका के सरए ू क रृदम भें प्राथिना कयना औय होठों ऩय प्रशॊसा का गीत राकय सो िाना। 15 शादी अरसभत्रा कपय फोरी औय कहा – “शादी के फाये भें क्मा कहते हो, भासरक!” उसने उत्तय हदमा: तुभ एक साथ ऩैदा हुमे थे औय हभेशा के सरए एक साथ यहोगे। यहोगे। िफ भौत के सपेद ऩॊख तुमहाये अजस्तत्व को उड़ा दें गे, तो बी तुभ एक साथ हाॉ, ईश्वय की भौन स्भिृ त भें बी तुभ एक साथ ही यहोगे। रेककन अऩने एक साथ होने भें बी कुछ दयू ी यहने दो। स्विग की वामु को अऩने दोनों के फीि नत्ृ म कयने दो। एक दस ू ये को प्रेभ कयो, रेककन प्रेभ का फॊधन भत फाॊधो, फजल्क इसे अऩनी आत्भाओॊ के ककनायों के फीि एक फहता हुआ सागय फनकय यहने दो। एक दस ू ये के प्मारे को बयो रेककन एक ही प्मारे से भत द्धऩमो। एक दस ू ये को अऩनी योटी दो रेककन एक ही योटी से भत खाओ। एक साथ गाओ औय नािो औय उल्रास कयो, रेककन हय एक का अरग अजस्तत्व यहने दो; वैसे ही िैसे वीणा के ताय अकेरे होते हैं , रेककन सफ सभरकय सॊगीत की एक ही ध्विन दे ते है । एक दस ू ये को अऩना हदर दो रेककन उससे एक दस ू ये को शाससत भत कयो, क्मोंकक केवर ऩयभ िीव के हाथों ही तुमहाये हदर शाससत हो सकते है । एक दस ू ये के िनकट खड़े हो रेककन फहुत िनकट नहीॊ क्मोंकक भॊहदयों के स्तमब अरग-अरग ही खड़े होते है । औय फरूत व साइप्रस वऺ ू ये की छामा भें पर पूर नहीॊ सकते। ृ एक दस 16 फच्िे एक औयत, िो अऩनी छाती से अऩने फच्िे को रगाए थी, फोरी: फच्िों के फाये भें हभसे कुछ कहो। दे वदत ू ने कहा: तुमहाये फच्िे तुमहाये नहीॊ है , वे तो ऩयभ ् िीव द्वाया अऩने ही सरमे की गई काभना के ऩुत्र औय ऩुत्री हैं। तुभ उनके आने का साधन हो रेककन वे तुभभें से नहीॊ आते। मद्यद्धऩ वे तुमहाये साथ हैं, कपय बी वे तमहाये अऩने नहीॊ। तुभ उन्द्हें अऩना प्रेभ दे सकते हो रेककन अऩने द्धविाय नहीॊ; क्मोंकक वे स्वमॊ अऩने द्धविाय यखते हैं। तुभ उनके शयीयों को शयण दे सकते हो रेककन उनकी आत्भाओॊ को नहीॊ; क्मोंकक उनकी आत्भा बद्धवष्म भें िनवास कयती है , जिस तक तुभ नहीॊ ऩहुॉि सकते, अऩने स्वप्नों भें बी नहीॊ। तुभ उनके िैसा होने का प्रमत्न बरे ही कयो रेककन उन्द्हें अऩने साॊिे भें ढारने का प्रमत्न भत कयो। क्मोंकक िीवन ऩीछे नहीॊ रौटना औय न फीते सभम ऩय ठहयता है । तुभ वह धनुष हो जिससे तुमहाये फच्िे िीद्धवत फाण के सभान िनकरते है । ऩयभ ् धनुधाियी अनाहद ही यात भें िनशाना रगाता है औय एक ऩयभ शक्तक्त का प्रबाव तुमहें झुका दे ता है जिससे उसी शक्तक्त का फाण तीव्रता से दयू िा सके। इस ऩयभ धनध ु ाियी के हाथों द्वाया अऩना झुकाव प्रसन्द्नता के सरए होने दो। क्मोंकक िैसे वह ऩयभ ऩुरूष उड़ने वारे फाण से प्रेभ कयता है वैसे ही वह उस धनुष से बी प्रेभ कयता है िो जस्थय है । 17 18 दे ना तफ एक धनी ऩरू ु ष ने कहा, दे ने को फाये भें हभसे कुछ कहो। औय उसने उत्तय हदमा: िफ तुभ अऩनी समऩद्धत्त भें से कुछ दे ते हो तो फहुत थोड़ा दे ते हो। मथाथि भें दे ना तफ है िफ तुभ स्वमॊ को बी दे दो। क्मोंकक तुमहायी समऩद्धत्त क्मा केवर वे वस्तुएॊ नहीॊ जिनको तुभ इस डय से सुयक्षऺत यखते हो कक बद्धवष्म भें तुमहें उनकी आवश्मकता होगी? बद्धवष्म उस िाराक कुत्ते के सरए क्मा दे सकता है िो तीथि कयने वारे माबत्रमों के ऩीछे -ऩीछे िा यहा है औय भागि यहहत ये त भें हड्क्तडमाॊ गाड़ यहा है ? आवश्मकता का बम क्मा है ? क्मा वह आवश्मकता नहीॊ है ? न फुझने वारी प्मास क्मा तफ बी बमानक नहीॊ होती िफ कक तुमहाया कुआॉ रफारफ बया हो? कुछ रोग हैं िो अऩनी घनी सॊऩद्धत्त भें से थोड़ा सा दान इससरए दे ते है कक उन्द्हें भान्द्मता सभरे औय उनकी िछऩी रारसा उनकी बें ट को िनकृष्ट फना दे ती है । कुछ रोग ऐसे हैं जिनकी समऩित थोड़ी सी यही है औय सफ कुछ दान भें दे दे ते है । ऐसे रोग िीवन भें औय िीवन की िनचधमों भें द्धवश्वास कयते है । उनकी ितिोयी कबी खारी नहीॊ होती । कुछ रोग हषिऩूविक दान दे ते है औय वह हषि उनके सरए ऩुयस्काय है । है । कुछ रोग द्ु ख के साथ दान दे ते है औय वह द्ु ख उनका शुद्धिकयण सॊस्काय कुछ रोग दान दे ने ऩय ककसी प्रकाय की ऩीड़ा अनुबव नहीॊ कयते औय न ककसी सुख की असबराषा यखते है औय न दे ते सभम ऩुन्द्म का आबास कयते हैं। 19 उनका दान वैसे ही है िैसे साभने घाटी के पूर का शून्द्म भें अऩनी गॊध बफखेयना। ऐसे दािनमों भें ईश्वय द्धवयािता है औय उनकी आॊखों के ऩीछे से धयती की ओय भुस्कयाता है । भाॊगने ऩय दे ना उत्तभ है , रेककन बफना भाॊगे, सभझदायी से, दे ना उससे बी अचधक उत्तभ है । खुरे हाथों दान दे ने वारे के सरए दान रेने वारे की खोि दान दे ने की अऩेऺा अचधक आनन्द्ददामक है । क्मा तुभ कोई वस्तु दे ने से इन्द्काय कय सकते हो? एक हदन तुभको सफ कुछ दे ना ऩड़ेगा, इससरए आि ही क्मों न दो जिससे उसका श्रेम तुभको ही सभरे औय तुमहाये उत्तयाचधकारयमों को नहीॊ। फहुधा तुभ कहते हो: ‘‘भैं केवर मोनम ऩात्र को ही दान दॉ ग ू ा।’’ तुमहाये फगीिे के वऺ ृ तो मह नहीॊ कहते; औय न तुमहाये िायागाह भें ऩशुओॊ के झुॊड ही मह कहते है । वे दे ते हैं इससरए कक वे िीद्धवत यहें क्मोंकक न दे ने भें उनका द्धवनाश है । जिसे हदन औय यात हदए गमे हैं वह अवश्म ही तुभसे औय बी सफ कुछ प्राप्त कयने का मोनम ऩात्र है । जिस व्मक्तक्त को िीवन सागय भें से ऩान कयने की मोनमता सभरी है वह इस मोनम बी है कक अऩने ऩात्र को तुमहाये नन्द्हे दरयमा से बी बय सके। साहस औय द्धवश्वास ही नहीॊ फजल्क उदायता से रेने भें िो ऩुन्द्म है इससे फड़ा ऩुन्द्म औय क्मा हो सकता है ? 20 तुभ कौन हो िो तुमहाये साभने रोग अऩना करेिा िीय कय अऩना स्वासबभान प्रगट कयें जिससे तुभ उनके भहत्व को नॊगा औय स्वासबभान को िनरिज्ि दे ख सको? ऩहरे दे खो कक तुभ स्वॊम दान दे ने के मोनम हो बी औय क्मा उसके साधन फन सकते हो? क्मोंकक सि तो मह है कक िीवन ही िीवन को दान दे ता है औय तुभ, िो स्वॊम को दानी सभझते हो, केवर भात्र एक साऺी हो? दान रेने वारो- तुभ सबी दान रेने वारे हो; अऩने ऊऩय कृतऻता का बाय भत रे फैठो क्मोंकक मह तुमहाये औय दे ने वारे दोनों के ऊऩय फोझ राद दे गा। अच्छा है कक दानी के साथ-साथ उसके दान के सहाये वैसे ही उठो िैसे ऩॊख रगाकय कोई ऊऩय उड़ता है । क्मोंकक अऩने ऋण के फाये भें अित सिेत होना उसकी उदायता ऩय सन्द्दे ह कयना है जिस की भाता खुरे रृदम वारी धयती है औय जिसका द्धऩता ईश्वय है । 21 खाना-ऩीना कहो । एक सयाम के वि ृ भासरक ने ऩूछा् खाने औय ऩीने के फाये भें हभसे कुछ दे वदत ू फोरा: काश! तुभ धयती की सुगन्द्ध ऩय िीद्धवत यह सकते औय अभयफेर की बाॊित प्रकाश द्वाया ही िीवन िनवािह कय सकते । ककन्द्तु महद तुमहें बख ू सभटाने के सरए हत्मा कयनी ही है औय नन्द्हें िीव को उसकी भाॉ के दध ू से अरग कयना ही है तो मह सफ कामि ऩूिा की तयह कयो, औय अऩने बोिन को भॊहदय की वेदी ऩय अद्धऩित कयो िहाॊ िॊगर औय भैदान के ऩद्धवत्र औय िनदोष िीव उसके सरए फसर हदए िाते हैं िो भनुष्मों से अचधक ऩद्धवत्र तथा अचधक िनदोष हैं । िफ तुभ एक ऩशु की हत्मा कयो तो उससे अऩने हदर भें कहो: जिस शक्तक्त से तेया फध होता है , भेया बी उसी शक्तक्त द्वाया फध होगा औय भेया बी बऺण ककमा िामेगा। क्मोंकक जिस द्धवधान द्वाया तुझे भेये हाथों भें सौंऩा गमा है , वही भुझे बी अचधक शक्तक्तशारी हाथों को सौंऩ दे गा। तेया औय भेया दोनों का यक्त केवर भात्र वह यस है िो स्वगि के वऺ ृ को सीॊिता है । िफ तुभ सेव को अऩने दातों द्वाया िफाओ तो उससे अऩने हदर भें कहो; ‘‘तेया फीि भेये शयीय भें यहे गा, तेयी कर आने वारी ऩॊखुक्तड़माॉ भेये रृदम भें पूरें गी। तेयी सुगन्द्ध भेयी साॉस फनेगी। औय हभ दोनों साथ-साथ सबी ऋतुओॊ भें आनजन्द्दत होंगे। ’’ 22 शयद ऋतु भें िफ तुभ अऩने फगीिे से अॊगूय रेकय उसका यस िनकारने के सरए भशीन भें इकट्ठा कयो तो अऩने रृदम भें कहो: ‘‘भैं बी अॊगूय की फेर हूॉ औय भुझको बी इसी प्रकाय एक हदन इकट्ठा ककमा िाएगा। ‘‘औय भधु की तयह भुझे बी अनन्द्त घड़ों भें यखा िाएगा।’’ िाड़े भें िफ तुभ भधु िनकारो तो अऩने रृदम भें प्रत्मेक प्मारी के सरए एक गीत यहने दो। जिससे उस गीत भें सशसशय के हदन अॊगूय की फचगमा औय यस की भशीन तीनों की माद फनी यहे । 23 24 कामि एक ककसान ने ऩछ ू ा: हभसे कामि के फाये भें कुछ कहो। दे वदत ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा: तुभ धयती औय इसकी आत्भा के साथ-साथ िरने औय सॊतुरन फनामे यखने के सरए कामि कयते हो। क्मोंकक िनजष्क्रम होना सभम से अऩना तायतमम तोड़ दे ना है औय िीवन के उस द्धवहान से फाहय िनकर िाना है िो कक प्रित्ठ ा औय गविऩण ू ि आसक्तक्त के साथ अनाहद की ओय अग्रसय होता िाता है । कामि कयते सभम तुभ वह भुयरी हो जिसके सुय रूऩी रृदम के सभम की पॉू क एक सॊगीत भें ऩरयवितित हो िाती है । तुभभें से कौन ऐसा है िो गॉूगे औय भौन फाॉस की तयह यहना िाहे गा िफकक औय सफ रोग एक होकय गीत गा यहे हैं ? तुभसे सदै व मह कहा गमा है कक कामि एक असबशाऩ है औय ऩरयश्रभ एक दब ु ािनम। रेककन भैं तभुसे कहता हूॉ कक कामि कयते सभम तुभ धयती के ऩयभ स्वप्न के उस अॊश की ऩूिति कयते हो िो तुमहें स्वप्न की उत्ऩद्धत्त होने ऩय हदमा गमा था। श्रभ से िीवन िनवािह कयने ऩय मथाथि भें तुभ िीवन से प्रेभ कय यहे हो। औय श्रभ कयके िीवन से प्रेभ कयना िीवन के अन्द्तयतभ यहस्म से आत्भीमता स्थाद्धऩत कय रेना है । रेककन महद द्ु खी होकय तुभने िन्द्भ को द्धवऩदा औय िीवन िनवािह को बानम भें सरखा असबशाऩ कहा, तो भैं कहता हूॉ कक तुमहाये भाथे का ऩसीना ही उस सरखे हुए को धो सकता हैं। तुभसे मह बी कहा गमा है कक िीवन अॊधकाय है औय श्रान्द्त होकय ऩरयश्रन्द्त रोगों की फातों को तुभ बी दोहयाते हो। 25 भैं कहता हूॉ कक मथाथि भें महद उत्साह नहीॊ है तो िीवन अॊधकाय है । ऻान के अबाव भें साया उत्साह अॊधा है । महद ऻान का अबाव है , तो कामि के बफना साया ऻान िनस्थिक है । प्रेभ बफना सफ कामि शून्द्म है । िफ तुभ प्रेभऩव ि कामि कयते हो तो अऩने को अऩने आऩ से, अऩने साचथमों ू क से औय ईश्वय से फाॊधते हो। प्रेभऩूवक ि कामि कयना क्मा है ? मह तुमहाये रृदमों से णखॊिे धागों द्वाया कऩड़ा फुनना है इससरए कक तुमहायी द्धप्रमतभा इस कऩड़े को ऩहहनेगी। मह रगनऩव ू िक एक भकान फनाना है इससरए कक तुमहायी द्धप्रमतभा इस भकान भें िनवास कये गी। मह कोभरता के साथ फीि फोना औय प्रपुल्रता के साथ पसर काटना है , इससरए कक तुमहायी द्धप्रमतभा इसके पर खामेगी। मह तुमहायी िनसभित की गई सबी िीज़ों को तुमहायी अऩनी ही आत्भा की साॊस द्वाया उत्तेजित कयना हैं। औय मह िानना है कक सबी धन्द्मवान कभि तुमहाये िनकट खड़े हैं औय तुमहें िनहाय यहे है । फहुधा भैंने तुभको मह कहते हुए सन ु ा है , भानो नीॊद भें फोर यहे हो, ‘‘िो व्मक्तक्त सॊगभयभय ऩत्थय ऩय कामि कयके उस ऩत्थय भें िनिी आत्भा की ऩिू ति प्राप्त कयता है वह उस व्मक्तक्त से अचधक कुरीन है िो हर द्वाया धयती िोतता है । औय िो व्मक्तक्त इन्द्र धनष ु ी यॊ गों द्वाया कऩड़ो ऩय भनष्ु मों की ऩसन्द्द के आकाय फनाता है उस व्मक्तक्त से फढ़कय है िो हभाये ऩैयों के ित ू े फनाता है । ’’ 26 रेककन भैं कहता हूॉ, सोते हुमे नहीॊ फजल्क दोऩहय की धूऩ भें िागते हुमे, कक वामु घास के सफसे छोटे ितनके से उसी भीठे ऩन से फात कयती है जिस भीठे ऩन से फतून (Oak) के द्धवशार वऺ ृ से। वही भहान ् है िो वामु के स्वय को अऩने प्माय द्वाया औय अचधक भीठे गान भें ऩरयवितित कयता है । प्रेभ का दृद्धष्टगोिय होना ही कामि है । महद तुभ प्रेभऩूवक ि कामि कयने भें असभमि हो औय कामि भें अरूचि यखते हो तो उत्तभ है कक तुभ अऩना कामि छोड़ दो औय भॊहदय के दयवािे ऩय फैठ कय प्रेभऩव ि कामि कयने वारों से बीख भाॊगो। ू क क्मोंकक महद तुभने उदासीन बाव द्वाया योटी ऩकाई तो वह कड़वी योटी फनेगी िो भनुष्म की केवर आधी बूख तप्त ृ कय सकेगी। औय महद तुभने अॊगूयों से यस िनकारने भें द्वे षबाव हदखामा तो तुमहाया द्वे षबाव इस के साथ द्धवष बी िनिोड़ दे गा। औय िाहे तुभ दे वताओॊ की तयह क्मों न गाओ रेककन गाने से प्रेभ न कयो तो तुभ भनुष्मों के कानों को हदन औय यात की आवािों के सरए गॉूगा कय दोगे। 27 सुख औय द्ु ख तफ एक औयत ने ऩछ ू ा, हभसे सुख औय द्ु ख के फाये भें कुछ कहो। उसने उत्तय हदमा: तुमहाये द्ु ख का आवयण हटना ही तुमहाया सुख है । तुमहाया अऩना बण्डाय, जिसभें से तुमहायी हॊ सी उठती है , फहुधा तुमहाये आॉसुओॊ से बया यहता है । इसके अितरयक्त मह औय कैसे हो सकता है ? तुमहाये अन्द्दय द्ु ख जितना बी अचधक गहया प्रवेश कयता है उतना ही गहया सुख तुभ अऩने भें यख सकते हो। क्मा वह प्मारा जिसभें तुभ भधुऩान कयते हो वही प्मारा नहीॊ िो कुमहाय की बट्टी भें तऩामा गमा था? औय वह भुयरी िो तुमहायी आत्भा को शाजन्द्त प्रदान कयती है , वही रकड़ी नहीॊ िो िाकू द्वाया फीॊधी गई थी? िफ तुभ हषोन्द्भन्द्त हो तो अऩने रृदम की गहयाई भें झाॊको तो तुभ ऩाओगे कक जिसने तुमहें द्ु ख हदमा था वही तुभको प्रसन्द्नता प्रदान कय यहा है । िफ तुभ द्ु खी हो तो कपय अऩने रृदम भें झाॊको औय तुभ दे खोगे कक मथाथि भें तुभ उसी के सरए यो यहे हो िो तुमहाया आनन्द्द यह िुका है । तुभभें से कुछ कहते हैं , सख ु , द्ु ख से फढ़कय है , औय अन्द्म कहते है नहीॊ, द्ु ख फढ़कय है । रेककन भैं तुभसे कहता हूॊ कक वे दोनों अरग नहीॊ ककमे िा सकते वे दोनों साथ-साथ आते है औय िफ एक तुमहाये साथ अकेरा खाने ऩय फैठा होता है तो माद यखो कक दस ू या तुमहाये ऩरॊग ऩय सो यहा है । हो। फहुधा तुभ अऩने सुख औय द्ु ख के फीि दो ऩरड़ों की तयह रटके हुए यहते 28 केवर उसी सभम तुभ सॊतुसरत औय जस्थय यहते हो िफ कक तुभ खारी हो। जिस सभम भहािन अऩना सोना औय िाॊदी नाऩने के सरए तुमहें उठाता है , अवश्म ही तुमहाया सुख मा तुमहाया द्ु ख िढ़ता मा चगयता है । 29 भकान कहो। इसके फाद एक सभस्त्री आगे आमा औय फोरा, हभसे भकानों के फाये भें कुछ दे वदत ू ने उत्तय हदमा: नगय की िायदीवायी के अन्द्दय भकान फनाने की अऩेऺा िनििन स्थान भें अऩनी कल्ऩना की कोठयी फनाओ क्मोंकक जिस प्रकाय तुभ साॊझ ढरे घय को रौटते हो उसी प्रकाय तुमहाये अन्द्दय का िरामभान, सदै व दयू यहने वारा औय अकेरा िीव बी रौटता है । तुमहाया घय तुमहाया द्धवस्ताय ककमा गमा शयीय है । मह धूऩ भें फढ़ता है औय याबत्र की जस्थयता भें सोता है , औय मह स्वप्न यहहत नहीॊ है । क्मा तुमहाया घय स्वप्न नहीॊ दे खता? औय स्वप्न भें नगयी छोड़ कय िॊगर मा ऩहाड़ी की िोटी ऩय नहीॊ िरा िाता? काश! भैं तुमहाये घयों को अऩने हाथ भें इकट्ठा कय सकता औय फीि फोने वारे की तयह िॊगर औय िायागाह भें बफखेय सकता। काश कक घाहटमाॉ तुमहायी सड़कें होतीॊ औय हये -बये यास्ते तुमहायी गसरमाॉ होतीॊ जिससे तुभ एक दस ू ये को अॊगूयों के फगीिों भें होकय खोि सकते औय अऩने कऩड़ों भें धयती की सुगॊध रेकय आ सकते। ककन्द्तु मे फातें अबी होने वारी नहीॊ है । बम से तुमहाये ऩव ू ििों ने तुभको एक दस ू ये के फहुत सभीऩ इकट्ठा कय हदमा औय वह बम अबी कुछ सभम औय यहे गा। अबी कुछ औय सभम तक तुमहाये नगय की दीवायें तुमहाये िूल्हे औय खेतों को ऩथ ृ क यखें गी। ओयपारी के िनवाससमो, फतराओ कक तुमहाये इन घयों भें क्मा यखा है ? औय तुभ फन्द्द दयवािों द्वाया ककस वस्तु की आयऺा कयते हो? 30 क्मा तुभको शाजन्द्त सभरती है ? क्मा ऐसी शाॊितऩूणि उत्तेिना प्राप्त होती है िो तुमहायी शक्तक्त को प्रगट कयती हो? क्मा तुमहें स्भिृ तमाॉ हैं िो िभिभाते हुमे भेहयाव की तयह भन की िोहटमों तक ऩहुॉिती हैं ? क्मा तुमहाये ऩास वो सौन्द्दमि है , िो रृदम को रकड़ी औय ऩत्थय द्वाया सस ु जज्ित िीिों से रेकय ऩद्धवत्र ऩवित की ओय ऩहुॉिाता है ? फतराओ, क्मा मह सफ कुछ तुमहाये घयों भें है ? मा, तुमहाये ऩास केवर आयाभ औय आयाभ की रारसा है िो ऐसी िीज़ है िो िोयी से भेहभान फन कय घय भें घुसती है औय कपय गहृ स्वाभी फनती है औय कपय भासरक फन िाती है । औय हाॉ, मह एक िनमॊत्रक फन िाती है तथा काॊटे औय कोड़े द्वाया तुमहायी वह ृ त इच्छाओॊ को कठऩुतरी फना दे ती है । मद्यद्धऩ इसके हाथ ये शभी हैं , इसका रृदम रोहे का फना है । मह तुमहें दर ु ाय कय सुरा दे ती है इससरए कक तुमहाये बफस्तय के ऩास खड़ी होकय शयीय की प्रित्ठ ा ऩय उऩहास कये । मह तुमहायी स्वस्थ इजन्द्रमों का ऩरयहास कयती है औय इनको कच्िे फतिनों की तयह गोखरू के ऩेड़ भें यख दे ती है । सिभि ु ही द्धवरास की रारसा आत्भा के उत्साह की हत्मा कय दे ती है औय कपय भत्ृ मु सॊस्काय के सभम दाॊत िनकारती घभ ू ती है । रेककन तुभ, अन्द्तरयऺ की सन्द्तानो, तुभ िो द्धवश्राभ भें अशान्द्त यहते हो, तुभ न तो बुरावे भें ऩड़ोगे औय न िनमॊबत्रत होगे। तुमहाया घय एक रॊगय नहीॊ फजल्क एक ऩतवाय होगा। वह घाव को ढकने वारी िभकदाय ऩट्टी नहीॊ, फजल्क आॊखों की यऺा कयने वारी ऩरकें होगा। 31 तुभ अऩने ऩॊखों को इससरए नहीॊ सभेट रोगे कक दयवािे भें घुस सको औय न अऩने सय इससरमे झुका दोगे कक छत से टकया िाने से फि िाओ औय न साॉस रेने से इससरए डयोगे कक दीवायें िटख कय चगय ऩड़े। तुभ उन भ़फयों भें िनवास नहीॊ कयोगे जिनको भुदों ने िीद्धवतों के सरए फनामा है । ऐश्वमिशारी औय सुशोसबत होते हुए बी तुमहाया घय न तो तुमहाये यहस्मों को िछऩा सकेगा औय न तुमहायी उत्कॊठाओॊ को आश्रम दे सकेगा। क्मोंकक तुमहाये अन्द्दय िो असीभ है वह आकाश के उस भहर भें िनवास कयता है जिसका द्वाय प्रात् कारीन धॊध ु है तथा गित व याबत्र की भौनतामें जिसकी णखड़ककमाॉ हैं। 32 33 वस्त्र एक िुराहे ने वस्त्रों के द्धवषम ऩय फोरने के सरए कहा। दे वदत ू ने कहा: तुमहाये वस्त्र ऩमािप्त भात्रा भें तुमहायें सौन्द्दमि को ढकते हैं कपय बी वे तुमहायी कुरूऩता ऩय आवयण नहीॊ डारते। मद्यद्धऩ वस्त्रों भें तुभ अकेरेऩन की स्वतन्द्त्रता खोिते हो ककन्द्तु सॊबव है तुभको उनभें फॊधन औय फेक्तड़माॉ ही सभरें । काश! तुभ धूऩ औय वामु से अऩनी त्विा का अचधक औय कऩड़ो से कभ सॊऩकि कया सकते, क्मोंकक िीवन की साॉस धूऩ द्वाया औय िीवन के हाथ वामु द्वाया सॊिासरत होते हैं। तुभभें से कुछ कहते हो, ‘‘जिन कऩड़ों को हभ ऩहहनते हैं उन्द्हें उत्तयी (सदी की) वामु ने फुना है ।’’ भै बी भानता हूॉ, हाॉ, मे उत्तयीम वामु द्वाया फुने गमे हैं। थी। रेककन शभि उसका कयघा थी औय ऩेशी (sinew) की भुरामभी उसका धागा औय िफ उसका कामि सभाप्त हो गमा, वह िॊगर भें रौटकय णखरणखराई। मह भत बूरो कक रज्िा अऩद्धवत्र आॊखों से फिने के सरए ढार के सभान है । औय िफ अऩद्धवत्र रोग नहीॊ यहें गे, तो रज्िा केवर भात्र एक फेड़ी औय भन की दष ू क फनकय यह िाएगी। औय भत बर ू ो कक धयती तुमहाये नॊगे ऩैयों के स्ऩशि से उल्रससत होती है औय वामु तुमहाये केशों से खेरने की उत्कॊठा यखती है । 34 क्रम औय द्धवक्रम एक व्माऩायी फोरा: हभसे क्रम औय द्धवक्रम के फाये भे कहो। दे वदत ू ने उत्तय हदमा औय कहा: ऩथ् ृ वी तुभको अऩने पर दे ती है औय महद तुभ अऩने हाथों से उन परों को फटोयना िानो तो वही ऩमािप्त है । ऩथ् ृ वी की दे नों के आदान-प्रदान भें ही तुभको बयऩयू ता सभरेगी औय तुभ सॊतुष्ट होगे। कपय बी महद आदान-प्रदान प्रेभ ऩूविक औय दमाऩूणि न्द्माम के साथ न हुआ तो उससे कुछ रोग रारिी हो िाएॊ गे औय अन्द्म बूखे यह िाएॊगे। िफ फाज़ाय भें तुभ सभुरों, खेतों औय फगीिों भें काभ कयने वारे रोग िुराहों, कुमहायों औय भसारे इकट्ठा कयने वारे रोगों से सभरो; तो धयती की ऩयभ आत्भा की स्तुित कयो जिससे वह तुमहाये फीि आकय भाऩ दण्ड औय भूल्माॊकन कयने वारी गणना को ऩद्धवत्र कय दे । अऩने व्मवहाय भें उस खारी हाथों वारे को बाग भत रेने दो िो तुमहाये ऩरयश्रभ के फदरे शब्द सॊिना िाहते हैं। तुमहें एसे रोगों से कहना िाहहए: ‘‘हभाये साथ खेत भें आओ मा हभाये बाईमों के साथ सभुर भें िाकय अऩना िार पेंको; क्मोंकक धयती औय सभर ु तुमहाये सरए बी उतने ही दानशीर होंगे जितने कक हभाये सरए’’। महद वहाॉ गामक, नतिक औय भयु री वादक आमे तो उनकी प्रितभाओॊ का बी क्रम कय रो। 35 क्मोंकक वे बी परों औय रोहवान को इकट्ठा कयने वारे हैं औय िो कुछ बी राते है , वह मद्यद्धऩ स्वप्नों भें सॊिोमा हुआ होता है , कपय बी, तुमहायी आत्भा के सरमे वस्त्र औय बोिन के सभान है । फािायो़ छोड़ने से ऩहरे मह दे ख रो कक कोई बी व्मक्तक्त वहाॉ से खारी हाथों तो नहीॊ िरा गमा। क्मोंकक धयती की हदव्म आत्भा वामु के ऊऩय तफ तक शाजन्द्त से नहीॊ सोमेगी िफ तक कक तुभ भें से सफ से िनमन व्मक्तक्त की सॊतुद्धष्ट न हो गई हो। 36 अऩयाध औय दण्ड नगयी के एक न्द्मामाधीश ने आगे खड़े होकय कहा: अऩयाध औय दण्ड के द्धवषम ऩय कुछ कहो। दे वदत ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा: जिस सभम तुमहायी आत्भा वामुभण्डर भें घूभने के सरए िरी िाती है तबी तुभ, अकेरे औय असुयक्षऺत होकय, दस ू यों के प्रितकूर ारती कयते हो, इसीसरए स्वॊम के प्रितकूर बी, औय उस ारती के कयने के कायण तुभ अवश्म ही धन्द्मात्भा के द्वाय खटखटाओगे औय वहाॊ ऩय कुछ सभम प्रतीऺा कयोगे। तुमहायी दै वी आत्भा सागय के सभान है ; मह सदै व अदद्धू षत यहती है । औय शून्द्म की तयह मह केवर ऩॊख वारों को ही उठाती है । तुमहायी दै वी आत्भा सूमि की तयह बी है , मह न तो छॊ छूॉदे के यास्ते िानती है औय न साॉऩ के बफर खोिती है । रेककन तुमहायी दै वी आत्भा केवर तुमहाये अजस्तत्व भें िनवास नहीॊ कयती। तुमहाये अन्द्दय फहुत कुछ अबी भानवीम है औय फहुत कुछ अबी भानवीम नहीॊ है । वह (िो भानव नहीॊ) एक आकाय यहहत फौना है िो धुॊधरेऩन भें स्वमॊ के िागत ृ होने की खोि भें सोमा हुआ घूभता है । औय, तुमहाये अन्द्दय िो भानव है , अफ उसके फाये भें कुछ कहूॉगा; क्मोंकक मह केवर भानव रूऩ है न कक तुमहाया दै वी स्वरूऩ औय न धॊध ु रेऩन का फौना रूऩ िो अऩयाध के दण्ड को िानता है । 37 फहुधा भैने तुभको ककसी व्मक्तक्त के फाये भें मह कहते हुए सुना है कक वह ारती कयता है िैसे कक वह तुभभें से एक न हो कय कोई अिनफी है औय उसने तुमहायी दिु नमा भें अनाचधकाय प्रवेश ककमा है । रेककन भैं कहता हूॉ कक जिस प्रकाय कोई बी ऩद्धवत्र औय न्द्मामशीर ऩुरूष अऩने आऩ को उससे अचधक ऊॉिा नहीॊ उठा सकता िो तुमहाये सफ के अन्द्दय उच्ितभ है , उसी प्रकाय दष्ट ु औय िनफिर व्मक्तक्त अऩने आऩको उससे अचधक नीिा नहीॊ चगया सकता िो तुमहाये सफके अन्द्दय िनमनतभ है । जिस प्रकाय समऩूणि वऺ ृ ो़ की भौन िानकायी के बफना कोई अकेरी ऩत्ती ऩीरी नहीॊ ऩड़ िाती, उसी प्रकाय तुमहायी सफकी गुप्त इच्छा के बफना ारती कयने वारा ारती नहीॊ कय सकता। तुभ ऩथ बी हो औय ऩचथक बी। िफ तुभ भें से कोई चगय िाता है तो वह अऩने से ऩीछे वारों के हहत भें चगयता है ; उन्द्हें यास्ते के ऩत्थय से िौकन्द्ना कयने के सरए। हाॉ, वह अऩने से आगे वारों के हहत भें बी चगयता है िो कक अचधक तीव्रगाभी औय अऩने ऩैयों भें द्धवश्वासी होते हुए बी ठोकय दे ने वारा ऩत्थय नहीॊ हठा सके। औय मह बी सुनो, मद्यद्धऩ शब्द तुमहाये रृदमों ऩय बायी ऩड़ते हैं ; जिसकी हत्मा हुई है वह बी अऩनी िनिी हत्मा के सरए उत्तयदामी है ; औय जिसे रट ू ा गमा है वह बी अऩने रुटने के सरए दोषी है ; औय श्वेत ऩॊखों वारा (कफूतय) फाि की कयतूतों भें अछूता नहीॊ है । हाॉ, दोषी बी कबी-कबी उस व्मक्तक्त का सशकाय होता है जिसे िोट ऩॊहुिी है । 38 औय इससे बी अचधक, फहुधा जिसे दण्ड हदमा िाता है , उसे अऩयाध यहहत औय दोष यहहत होने का फोझा ढोना ऩड़ता है । सकते। तुभ न्द्मामद्धप्रम को अन्द्मामद्धप्रम से औय अच्छे को फुये से अरग नहीॊ कय क्मोंकक सम ू ि के प्रकाश भें वे उसी तयह साथ-साथ खड़े होते है जिस तयह कारे औय सर्फेद धागे साथ-साथ फुने होते है । औय िफ कारा धागा टूट िामेगा तो फुनने वारा साये कऩड़े को दे खेगा औय कयघे का बी ऩयीऺण कये गा। महद तुभभें से कोई द्धवश्वासघाती ऩत्नी को न्द्मामऩूणि िनणिम के सरए रावे; तो उसे िाहहए कक वह ऩित के रृदम को बी तयािू भें तोरे औय उसकी आत्भा को ऩैभाने द्वाया नाऩे। िो व्मक्तक्त अऩयाधी को कोड़े रगाना िाहता है , उसे िोट खाने वारे की आत्भा को बी दे खना िाहहए। औय महद तुभसे से कोई बी न्द्मामोचितता के नाभ ऩय दण्ड दे ना िाहे औय दष्ट ु ऩेड़ ऩय कुल्हाड़ा िराना िाहे तो उसे िाहहए कक वह उसकी िड़ों को दे खे। सिभुि वह ऩामेगा कक अच्छे औय फुये, उऩमोगी औय अनुऩमोगी, दोनों की िड़ें साभूहहक रूऩ से धयती के भूक रृदम भें सरऩटी ऩड़ी है । तुभ न्द्माम िाहने वारे न्द्मामाधीशो, क्मा िनणिम उस व्मक्तक्त ऩय सन ु ाओगे िो शयीय से ईभानदाय होते हुए बी आत्भा भें िोय है ? तुभ उस व्मक्तक्त को कौनसा दण्ड दोगे िो शयीय के सरए घातक हो रेककन जिसकी स्वॊम की आत्भा को आधात ऩहुॉिा है ? औय ककस प्रकाय तुभ उस व्मक्तक्त ऩय भुकदभा रगाओगे िो कभों भें धोखेफाि औय िुल्भी है ; कपय बी िो दणु खमा ो़ औय आॊतककत है ? 39 ककस प्रकाय तुभ उन्द्हें दजण्डत कयोगे जिनकी आत्भनरािन ऩहरे ही उनके कुकभों से फढ़कय है ? क्मा आत्भनरािन वह न्द्माम नहीॊ है िो उसी कानून द्वाया प्रशाससत होता है जिसका तुभ ऩारन कयना िाहते हो? कपय बी तुभ आत्भनरािन को न तो िनदोषी के ऊऩय थोऩ सकते हो औय न दोषी के रृदम से हटा सकते हो। वह तो बफना आगाह ककमे याबत्र भें उतये गी जिससे कक रोग िग िाएॉ औय अऩने आऩ को ध्मान ऩव ू िक िनहाय सकें। तुभ न्द्माम सभझने वारो, कैसे उसे सभझ सकते हो महद तुभ सबी कामों को ऩूणि प्रकाश भें न दे खो? तबी तुभ िानोगे कक सीधा खड़ा हुआ औय नीिे चगया हुआ दोनों एक ही व्मक्तक्त है िो अऩने फौने स्वरूऩ की याबत्र औय अऩने दै वी स्वरूऩ के हदन के फीि धुॊधरे प्रकाश भें खड़ा है । एक भॊहदय के कोने का ऩत्थय उस भजन्द्दय की नीॊव के ककसी बी िनमनतय ऩत्थय से अचधक ऊॉिा नहीॊ हो सकता । 40 41 ़ानून तफ एक वकीर फोरा: भासरक हभाये ़ानूनों के फाये भें क्मा कहते हो? औय उसने उत्तय हदमा: तुभ ़ानन ू ों को फनाने भें आनन्द्द रेते हो ; औय उन्द्हें तोड़ने भें तुभ औय बी अचधक प्रसन्द्न होते हो। मह ऐसे ही है िैसे सागय के ककनाये खेरते हुए फच्िे रगाताय फारू से घयोंदे फनाते हैं औय कपय प्रसन्द्नताऩूविक उन्द्हें नष्ट कय दे ते है । ऩयन्द्तु िफ तुभ फारू के घयोंदे फनाते हो तो सागय ककनाये ऩय औय अचधक फारू राता है । औय िफ तुभ उन्द्हें नष्ट कय दे ते हो तो सागय तुमहाये साथ हॉ सता है । सिभुि सागय सदै व भासूभ के साथ हॉ सता है । रेककन उनका क्मा जिनके सरए िीवन एक सागय नहीॊ औय भनष्ु म द्वाया िनसभित ़ानून फारू की भीनाय नहीॊ, ऩयन्द्तु जिनके सरए िीवन एक िट्टान है औय ़ानून एक छे नी है जिसके द्वाया वे िीवन को अऩने अनुरूऩ तयाशेंगे । उस रॊगड़े-रूरे व्मक्तक्त का क्मा िो नत ृ कों से घण ृ ा कयता है ? उस फैर का क्मा िो अऩने िए ू से प्रेभ कयता है औय वन के फायहससॊगों व हहयणों को िॊगरी औय आवाया सभझता है ? उस फूढ़े साॉऩ का क्मा िो अऩनी केंिुरी तो उताय नहीॊ सकता ऩयन्द्तु दस ू यों को नॊगा व िनरिज्ि कहता है ? औय उसका क्मा िो द्धववाह के बोि भें िल्दी ऩहुॉिता है औय अत्मचधक खा रेने व ऩूणत ि मा थक िाने के फाद मह कहते हुए रौटता है कक साये बोि िनमभों के प्रितकूर हैं औय बोि कयने वारे िनमभ बॊग कयने वारे हैं ? 42 भैं इनके फाये भें क्मा कहूॉ, ससवाम इसके कक वे बी सूमि के प्रकाश भें खड़े तो होते है रेककन प्रकाश की तयप ऩीठ कयके ; हैं। है ? वे केवर अऩनी ऩयछाईमाॊ दे खते है औय उनकी ऩयछाईमाॉ ही उनके ़ानून उनके सरए सूमि केवर भात्र एक ऩयछाईमाॊ पेंकने वारे के अितरयक्त औय क्मा औय मह क्मा है कक ़ानूनों को स्वीकाय कयो औय ऩथ् ृ वी ऩय उनकी छामाओॊ की तस्वीयें फनाने के सरए झक ु ो? रेककन तुभ िो सूमि का साभना कयते हुए िरते हो, ऩथ् ृ वी ऩय कौन सी तस्वीयें तुमहें ़ैद कय सकती हैं ? तुभ िो वामु के साथ मात्रा कयते हो, कौन सा वामुदशिक तुमहाया ऩथप्रदि शन कय सकता है ? कौनसा भानवीम िनमभ तुभको फाॊध सकेगा महद तुभ अऩना फॊधन तोड़ दो रेककन ककसी भनष्ु म के कायावास के द्वाय ऩय नहीॊ? कौन सा ़ानून तुमहें बमबीत कय सकेगा महद तुभ नािो रेककन ककसी बी भनुष्म की रौह श्रॊख ृ राओॊ के साभने नहीॊ रड़खडाओ? औय वह कौन है िो तुमहें न्द्माम के सरए राएगा, महद तुभ अऩने वस्त्रों को पाड़ तो दो रेककन उन्द्हें ककसी बी भनुष्म के यास्ते भें नहीॊ छोड़ो? ओयपारी नगयी के िनवाससमो, तुभ ढोर की आवाज़ यौंध सकते हो औय तुभ वीणा के तायों को ढीरा कय सकते हो ऩयन्द्तु फुरफुर को गाने से कौन योक सकता है ? 43 स्वतन्द्त्रता एक वक्ता ने कहा: हभसे स्वतन्द्त्रता के द्धवषम ऩय कुछ कहो । दे वदत ू ने उत्तय हदमा: नगयी के द्वाय ऩय औय अराव के िनकट भैंने तुभको ऩयाजित ऩामा है औय स्वॊम की स्वतत्रॊता की ऩूिा कयते दे खा है , वैसे ही िैसे दास एक िनयॊ कुश शासक के साभने चगड़चगड़ाते हैं औय उसकी प्रशॊसा कयते हैं मद्यद्धऩ वह उनकी हत्मा कयता है । हाॉ, भजन्द्दय के फगीिे औय दग ु ि की छामा भें भैंने दे खा है कक तुभभें से अचधकतभ स्वतॊत्र बी अऩनी स्वतॊत्रता को एक िूआ औय हथकड़ी के सभान ऩहने हुए है । औय भेये रृदम भें यक्त फहता है , क्मोंकक तुभ बी स्वतॊत्र हो सकते हो िफ कक स्वतॊत्र होने की इच्छा बी तुमहाये सरए कवि फन िाए औय िफ तुभ स्वतॊ त्रता को एक उद्येश्म औय काभना ऩूिति सभझना फन्द्द कय दो। वास्तव भें तुभ तबी स्वतॊत्र होगे िफ तुमहें हदन भें कोई चिन्द्ता न यहे औय यात भें कोई इच्छा औय द्ु ख न यहे । अद्धऩतु, िफ मे िीिें तुमहाये िीवन को व्माप्त कय रें , कपय बी तुभ ननन वेष औय फॊधन यहहत उनके ऊऩय उठे यहो। कैसे तुभ अऩने हदन औय यात से ऊऩय उठ सकते हो महद तुभ उन िॊिीयों को न तोड़ डारो जिन्द्हें तुभने अऩनी सभझ की कच्िाई भें अऩने ऩूणि प्रकाश के िायों ओय फाॊधा है । सि तो मह है कक जिसे तुभ स्वतॊ त्रता कहते हो वह इन िॊिीयों भें सफसे शक्तक्तशारी है , मद्यद्धऩ इसकी कक्तड़माॉ धूऩ भें िभिभाती हैं औय तुमहायी आॉखों को िकािौंध कयती हैं। 44 स्वतॊत्र होने के सरए तुमहें केवर भात्र अऩने आऩ का एक अॊश ही तो छोड़ना ऩड़ेगा? महद तुभ एक अन्द्मामी िनमभ को सभटाना िाहते हो तो माद यखो कक वह िनमभ तुमहाये ही हाथों द्वाया तुमहाये भाथे ऩय सरखा गमा था। तुभ इसको ़ानून की ककताफों को िराकय नहीॊ सभटा सकते औय न अऩने न्द्मामाधीशों के भस्तकों को धोकय ही, िाहे तुभ साया सभुर उनके ऊऩय उड़ेर दो। महद तुभ एक अत्मािायी शासक को तख़्त से उतायना िाहते हो तो ऩहरे मह दे खो कक उसने िो तख़्त तुमहाये अन्द्दय फनामा है , वह नष्ट हो िामे। क्मोंकक एक िनयकुॊश शासक ककसी स्वतॊत्र औय गवीरे को कैसे शाससत कय सकता है ससवाम इसके कक उनकी अऩनी ही स्वतॊिता भें िनयॊ कुशता औय उनके अऩने गवि भें शभि िनहहत हो। महद तुभ सॊयऺण को हटाना िाहते हो, तो वह सयॊ ऺण तुभने स्वॊम ही िुना है न कक वह तुभ ऩय थोऩा गमा है । औय, महद तुभ बम को बगाना िाहते हो तो उस बम का िनवास तुमहाये रृदम भें है न कक डयाने वारे के हाथों भें । तुभ जिसे िाहते हो औय जिससे बमबीत होते हो, जिससे घण ृ ा कयते हो औय जिसकी आकाॊऺा कयते हो, जिसके ऩीछे बागते हो औय जिससे फिते हो, सिभि ु मे सबी िीिें तुमहाये अन्द्दय सदै व अचधकाॊश भें फॊधी घूभती हैं। हैं। वे तुमहाये अन्द्दय प्रकाश औय ऩयछाॉई के चिऩकते हुए िोड़ों की तयह घूभती िफ ऩयछाॉई भरीन होकय नष्ट हो िाती है , तो िो प्रकाश यह िाता है वह अन्द्म प्रकाश की ऩयछाॉई फन िाती है । इसी प्रकाय िफ तुमहायी स्वतॊत्रता अऩने फॊधन तोड़ दे ती है , स्वॊम अऩने से फड़ी स्वतत्रता का फॊधन फन िाती है । 45 तकि औय बावुकता कहो। ऩि ु ारयन कपय फोरी औय कहा: हभसे तकि औय बावुकता के द्धवषम ऩय कुछ औय उसने मह कहते हुए उत्तय हदमा: तुमहायी आत्भा फहुधा एक यणबूसभ होती है जिस ऩय तुमहाया तकि औय तुमहायी फुद्धिभत्ता तुमहाये बावावेश औय तुमहायी बूख के द्धवरुि मुि कयते हैं। काश! भैं तुमहायी आत्भा भें शाजन्द्त स्थाऩना कयने वारा फन सकता, भैं तुमहाये तत्वों के असॊतुरन औय द्धवयोध को एकता औय रम भें ऩरयवितित कय सकता। रेककन मह भैं कैसे कय सकता हूॉ िफ तक कक तुभ स्वमॊ बी शाजन्द्त ही स्थाद्धऩत नहीॊ कयो फजल्क अऩने सबी तत्वों के प्रेभी बी न फनो। तुमहाया तकि औय तुमहायी बावुकता तुमहायी सभुर भें तैयती हुई आत्भा के ऩतवाय औय ऩोत हैं । महद तुमहाये ऩोत अथवा ऩतवाय टूट िामें, तुभ केवर झटक औय बटक सकते हो, अन्द्मथा फीि सभुर भें जस्थय ऩड़े यह सकते हो। क्मोंकक तकि िफ अकेरा शासन कयता है तो वह सीसभत कयने वारी शक्तक्त है , औय बावुकता िफ सॊयक्षऺत नहीॊ होती तो वह एक रऩट के सभान है िो कक िरकय स्वॊम को बी नष्ट कय दे ती है । इससरए अऩनी आत्भा द्वाया अऩने तकि को बावुकता की ऊॉिाई तक उठने दो जिससे कक वह गा सके। औय उसी के द्वाया तुमहाये बावावेश को तकि द्वाया िनदे सशत होने दो जिससे कक तुमहायी बावुकता अऩने स्वॊम के दै िनक ऩुनििन्द्भ द्वाया िीद्धवत यह सके औय पोिनक्स की तयह अऩनी याख से ऊऩय उठ सके। भैं िाहूॉगा कक तुभ अऩनी फुद्धिभत्ता औय अऩनी बूख को उसी प्रकाय सभझो जिस प्रकाय तुभ अऩने घय भें आमे दो द्धप्रम अितचथमों को। 46 अवश्म तुभ एक अितचथ को दस ू ये से अचधक समभािनत नहीॊ कयोगे क्मोंकक िो व्मक्तक्त एक ऩय द्धवशेष ध्मान दे ता है वह दोनों का प्रेभ औय द्धवश्वास खो दे ता है । ऩहाक्तड़मों भें िफ तुभ श्वेत चिनाय की ठॊ डी छामा भें फैठे हो औय दयू के खेतों भें औय ियागाहों की शाजन्द्त औय गमबीयता भें भस्त हो, तो अऩने रृदम भें भौन ही भौन मह कहो, ‘‘ईश्वय तकि भें िनवास कयता है ।’’ औय िफ तूपान आमे ओय प्रिॊड वामु िॊगर को झकझोय दे , कपय गििन औय बफिरी आकाश की भहत्ता को घोद्धषत कय दे , तफ तुभ अऩने रृदम को बमबीत होकय कहने दो, ‘‘ईश्वय बावुकता भें द्धवियता है ।’’ क्मोंकक तुभ ईश्वयीम भॊडर भें एक साॊस हो औय ईश्वयीम िॊगर भें एक ऩत्ता हो, तुभ बी तकि भें िनवास कयो औय बावना भें द्धवियो। 47 48 ददि एक औयत मह कहते हुए फोरी: ददि के द्धवषम भें कुछ कहो। दे वदत ू ने कहा: तुमहाया ददि उस सीऩी का पटना है िो तुमहायी सभझ को ढके होती है । जिस प्रकाय पर का िछरका अवश्म टूटता है जिससे कक इसका रृदम प्रकाश भें खड़ा हो सके, उसी प्रकाय तुमहें बी ददि िानना आवश्मक है । महद तुभ अऩने रृदम को अऩने िीवन के दै िनक िभत्कायों से आश्चमििककत कय सकते होते तो तुभको अऩना ददि अऩने उल्रास से कभ िभत्कायऩूणि न रगता। औय, तुभ अऩने रृदम की ऋतुओॊ को उसी प्रकाय अऩना रेते जिस प्रकाय सदै व तुभने उन ऋतुओॊ को अऩनामा है िो तुमहाये खेतों ऩय होकय गुियती है । अऩनी ऩीड़ा की सदि कटुता भें होकय बी तुभ शान्द्त स्वबाव से िनहायोगे। तुमहाया फहुत सा द्ु ख तुमहाये द्वाया ही िुना गमा है । मह वह कड़वी औषचध है जिसके द्वाया तुमहाये अन्द्दय का वैद्य तुमहाये फीभाय आत्भन का उऩिाय कयता है । इससरए इस वैद्य ऩय द्धवश्वास यखो औय इसकी औषचध को भौन औय शान्द्त होकय द्धऩमो। क्मोंकक इसके हाथ मद्यद्धऩ बायी औय कठोय हैं, कपय बी अरौककक शक्तक्त के कोभर हाथों द्वाया ऩथ प्रदसशित है । वह प्मारा, जिसे वह (ददि ) राता है , मद्यद्धऩ तुमहाये होठों को िराता है , वह उस सभट्टी का फना है जिसको ऩयभ ् कुमबकाय ने स्वॊम अऩने ही आॉसओ ु ॊ से सबगोमा है । 49 आत्भ-ऻान एक आदभी फोरा: हभसे आत्भ-ऻान के फाये भें कुछ कहो। दे वदत ू ने उत्तय हदमा: भौनता भें तुमहाये रृदम हदन औय यात के यहस्मों को िानते है ; रेककन तुमहाये कान तुमहाये रृदम के ऻान की आवाि सुनने को तयसते हैं। शब्दों भें तुभ उसी को िानोगे जिसे तुभने सदै व द्धविायों भें िाना है । तुभ अऩनी ही अॉगुसरमों द्वाया अऩने स्वप्नों के ननन आकाय को छू सकोगे। मह तुमहाये सरए अच्छा ही है । तुमहाये आत्भा के िछऩे श्रोत को अवश्म उठना है औय, भयभय कयते हुए, सभुर की ओय दौड़ना है । तुमहायी अनन्द्त गहयाई का कोष तुमहाये साभने प्रगट हो िाएगा; रेककन तुमहाये अगमम कोष को तोरने के सरए कोई तयािू नहीॊ होनी िाहहए। अऩने ऻान की गहयाई को ककसी फाॊस मा यस्सी की सहामता से भत खोिो। क्मोंकक आत्भन एक ऐसा सभुर है िो सीभा औय भाऩ से ऩये है । मह भत कहो, ‘‘भैंने सत्म को ऩा सरमा’’ फजल्क मह कहो, ‘‘भैंने एक सत्म को ऩा सरमा’’। मह भत कहो, ‘‘भैंने आत्भा के यास्ते को िान सरमा’’, फजल्क मह कहो, अऩने यास्ते ऩय िरते हुमे भझ ु को आत्भा सभरी’’; क्मोंकक आत्भा सबी यास्तों ऩय िरती है । आत्भा ककसी एक रकीय ऩय नहीॊ िरती औय न वह नयसर (reed) की तयह उगती है । 50 आत्भा अऩने आऩ को अनचगनत ऩॊखुक्तडमों वारे कभर की तयह खोर कय प्रगट कयती है । 51 अध्माऩन तफ एक अध्माऩक फोरा: हभसे अध्माऩन के फाये भें कहो । दे वदत ू ने कहा: िो कुछ बी कोई व्मक्तक्त तुमहें ससखा सकता है वह ऩहरे से ही तुमहाये ऻान के अभ्मुदम भें अधि-िनहरत अवस्था भें ऩड़ा होता है । सशऺक, िो भॊहदय की छामा भें अऩने अनुमािममों के साथ घूभता है , अऩना ऻान नहीॊ दे ता फजल्क अऩना द्धवश्वास औय अऩना प्रेभ दे ता है । महद वह वास्तव भें ऻानी है तो वह तुभसे अऩने ऻान के बण्डाय भें प्रवेश नहीॊ कयाएगा फजल्क तुमहें तुमहाये ही भन के ककनाये तक ऩहुॊिा एगा। नऺत्र ऻानी अऩनी िानकायी के फाये भें तुभसे कह सकता है , रेककन वह उस िानकायी को तुमहें दे नहीॊ सकता । सॊगीतकाय अऩने व्मोभव्माऩी राबऩूणि तयानों को तुमहाये सरए गा सकता है ; रेककन न तो तुमहें वह कान दे सकता है िो उन रमों को ग्रहण कय सके औय न वह आवाज़ दे सकता है जिसके द्वाया वे गॉूिते हैं। गणणत शास्त्री नाऩ-तोर के ऺेत्र की व्माख्मा कय सकता है , रेककन तुमहें वहाॊ तक ऩहुॊिा नहीॊ सकता । क्मोंकक एक व्मक्तक्त की दृद्धष्ट अऩनी शक्तक्त ककसी दस ू ये व्मक्तक्त को नहीॊ दे सकती। जिस प्रकाय तुभभें से प्रत्मेक व्मक्तक्त ईश्वय की िानकायी भें एक अरग द्धवशेषता यखता हैं , उसी प्रकाय तुभभें से प्रत्मेक व्मक्तक्त को िाहहए कक वह ईश्वय के ऻान के सरए औय ऩथ् ृ वी के यहस्मों को सभझने के सरए अकेरा ही यहे । 52 सभत्रता एक मव ु क ने ऩछ ू ा: हभसे सभत्रता के फाये भें कहो। दे वदत ू ने मह कहते हुए उत्तय हदमा: तुमहाया सभत्र तुमहायी आवश्मकताओॊ का उत्तय है । वह तुमहाया खेत है , जिसभें तुभ प्रेभ रूऩी फीि फोकय धन्द्मवाद के आबाय की पसर को काटते हो। वह तुमहाया बोिन औय तुमहाया आयाभ बी है ; क्मोंकक अऩनी बूख के सभम तुभ उसके ऩास आते हो औय शाजन्द्त के सरए उसे खोिते हो। िफ तुमहाया सभत्र अऩने द्धविाय तुमहाये साभने यखे तो न तो तुभ अऩने भन की ‘ना’ से डयो औय न ‘हाॉ’ कहने से इन्द्काय कयो। िफ वह िुऩ होता है , तफ बी तुमहाया रृदम उसके रृदम की ध्विन सुन यहा होता है । क्मोंकक सभत्रता भें शब्दों के बफना ही सबी द्धविाय, सबी इच्छाऐॊ , सबी आशाऐॊ , उऩिती हैं औय ऐसे हषि भें फाॊटी िाती हैं जिसका वणिन नहीॊ ककमा िा सकता। िफ तुभ अऩने सभत्र से द्धवदाई रो तो शोक भत कयो। क्मोंकक तुमहें उसके अन्द्दय िो सविद्धप्रम रगता है वह उसकी अनुऩजस्थित भें अचधक स्ऩष्ट हो सकता है िैसे कक ऩवित ऩवितायोही को भैदान से दे खने भें अचधक स्ऩष्ट रगता है । सभत्रता का उद्देश्म आत्भाओॊ को औय अचधक गहया कयने के अितरयक्त औय कुछ भत होने दो। 53 क्मोंकक प्रेभ िो स्वमॊ के यहस्म को प्रगट कयने के अितरयक्त कुछ औय िाहता है वह प्रेभ नहीॊ फजल्क एक िार है जिसभें पॊसना राबप्रद नहीॊ है । िो कुछ बी तुमहें सफसे अचधक द्धप्रम हो, उसे अऩने सभत्र के सरए यखो। उसे तुमहाये िीवन के ज्वाय-बाटे की नीिाई औय ऊॊिाई दोनों के फाये भें फयाफय भारूभ होना िाहहए। कपय ऐसा सभत्र बी क्मा जिसे तुभ केवर सभम नष्ट कयने के सरए ही खोिो। उसको सदै व सभम के आनन्द्दऩूणि सदऩ ु मोग के सरए खोिो। क्मोंकक उसके द्वाया तुमहायी आवश्मकताओॊ की ऩूिति होनी िाहहए, न कक तुमहाये खारीऩन की। सभत्रता की भधुयता भें हास औय सुख का आदान-प्रदान होना िाहहए;क्मोंकक छोटी वस्तुओॊ की ओस भें ही रृदम को अऩनी सुफह औय ताज़गी प्राप्त होती है । 54 55 वातािराऩ इसके फाद एक द्धवद्वान ने ऩूछा: वातािराऩ के द्धवषम ऩय कुछ कहो। दे वदत ू ने उत्तय हदमा: तुभ तबी फोरते हो िफ तुमहाये द्धविायों के फीि शाजन्द्त नहीॊ यह ऩाती। िफ तुभ अऩने रृदम के एकान्द्तवास भें नहीॊ यह ऩाते तो तुभ अऩने होठों ऩय िीवन िनवािह कयते हो औय ध्विन केवर भात्र ध्मान फॉ टाने औय आभोद-प्रभोद का साधन होती है । अचधकतय तुमहाये वातािराऩ द्वाया द्धविायने की आधी ऺभता नष्ट हो िाती है । क्मोंकक द्धविाय शून्द्म का ऩऺी है िो शब्दों के द्धऩॊिड़े भें अऩने ऩॊख पैरा तो सकता है रेककन उड़ नहीॊ सकता। तुभभें कुछ ऐसे हैं िो अऩने अकेरेऩन के कायण फातूिनमों को खोिते है । अकेरेऩन की भौनता उनकी ही आॉखों के साभने उनके ननन आत्भन को प्रगट कय दे ती है , औय वे इससे फिना िाहते हैं। कुछ रोग फात कयते सभम बफना ऻान मा ऩूवि द्धविाय के एक एसी सच्िाई प्रगट कय दे ते हैं जिसे वे स्वॊम बी नहीॊ सभझते। औय, कुछ रोग अऩने अन्द्दय सच्िाई िछऩाए यखते हैं रेककन उसे शब्दों द्वाया प्रगट नहीॊ कय ऩाते। ऐसे रोगों के रृदम के अन्द्दय आत्भा एक रमऩूणि भौनता के रूऩ भें िनवास कयती है । िफ तुभ सड़क ऩय मा फाज़ाय भें अऩने सभत्र से सभरो तो अऩनी आत्भा द्वाया अऩने होठों औय अऩनी ज़फ ु ान को सॊिासरत कयो। अऩनी अन्द्दरूनी आवाि को उसके अन्द्दरूनी कानों तक ऩहुॊिाओ। 56 इससे उसकी आत्भा तुमहाये रृदम के सत्म को उसी प्रकाय स्भिृ त भें यखेगी जिस प्रकाय (बोिन कयने के फाद) यॊ ग-रूऩ औय फतिन कुछ बी न यह िाने ऩय बी भीठे बोि का स्वाद माद ककमा िाता है । 57 सभम तफ एक नऺत्र ऻानी ने ऩूछा: भासरक, सभम के फाये भें क्मा कहते हो? दे वदत ू ने उत्तय हदमा: तुभ सभम को भाऩते हो िफकक सभम असीसभत औय भाऩ के ऩये है । घक्तड़मों औय ऋतुओॊ के अनुसाय तुभ अऩना व्मवहाय िनमसभत कयते हो औय अऩनी आत्भा के िरन को िनॊमबत्रत कयते हो । सभम को तुभ एक दरयमा का रूऩ दे ते हो जिसके ककनाये ऩय फैठकय उसके प्रवाह को िनहायते हो। कपय बी तुमहाये अन्द्दय िो सनातन है वह िीवन की सभमहीनता से ऩरयचित है ; औय िानता है कक फीता हुआ कर आि की माद है औय आने वारा कर आि का स्वप्न है । औय, तुमहाये अन्द्दय िो सॊगीत औय भन को प्रेरयत कयता है वह अबी बी उसी प्रथभ ऺण की सीभाओॊ भें यह यहा है जिस ऺण शून्द्म भें ससताये बफखेये गमे थे। है ? तुभभें से कौन मह अनुबव नहीॊ कयता कक उसकी प्रेभ कयने की शक्तक्त असीभ कपय बी कौन मह अनुबव नहीॊ कयता कक वही प्रेभ असीभ होते हुए बी भनुष्म के अजस्तत्व के केन्द्र भें सीसभत है औय एक प्रेभ द्धविाय से दस ू ये प्रेभ द्धविाय मा एक प्रेभ कामि से दस ू ये प्रेभ कामि की ओय नहीॊ िरता? औय क्मा सभम बी प्रेभ की तयह अद्धवबाजित ओय प्रगितहीन नहीॊ है ? रेककन, महद अऩने द्धविायों भें तुभ सभम को भौसभों भें भाऩो, तो प्रत्मेक भौसभ से अन्द्म सबी भौसभों को रऩेट रो; 58 औय वतिभान द्वाया बूत को स्भिृ त औय बद्धवष्म को आशा के साथ आरॊचगत होने दो। 59 अच्छा औय फुया शहय के फि ु ुगों भें एक ने कहा: हभें अच्छे औय फयु े के फाये भें फतराओ । उसने उत्तय हदमा: नहीॊ। है । तुमहाये अन्द्दय अच्छाई के फाये भें फतरा सकता हूॉ, रेककन फयु ाई के फाये भें क्मोंकक फुयाई केवर अच्छाई का अऩनी बूख औय प्मास से ऩीक्तड़त हो िाना वास्तव भें अच्छाई को िफ बूख रगती है तफ वह अॊधेयी गुपा तक बोिन खोिती है औय िफ उसे प्मास रगती हैं , तो भये (गन्द्दे ) ऩानी तक को ऩीती है ; िफ तक आऩ अऩने साथ हैं , आऩ अच्छे है ; कपय बी िफ आऩ अऩने साथ नहीॊ हैं तो फुये नहीॊ हैं । एक द्धवबाजित घय िोयों का अड्डा नहीॊ होता; वह केवर एक द्धवबाजित घय है । औय, एक बफन ऩतवाय का ज़हाज़ िाहे ऽतयनाक दरू यमों भैं बटकता यहे रेककन डूफेगा नहीॊ। िफ अऩने आऩ को दे ने का प्रमास कयते हैं , आऩ अच्छे हैं। कपय बी महद आऩ अऩने सरमे प्रािप्त का प्रमास कयते है तो आऩ फुये नहीॊ हैं । क्मोंकक िफ आऩ अऩने सरमे प्रािप्त का प्रमास कयते हैं तो उस िड़ की तयह हो िाते हैं िो ऩथ् ृ वी को ऩकड़ रेती है औय उसके स्तन को िूसती है । िनश्चम ही पर िड़ से मह नहीॊ कह सकता, ‘‘भेयी तयह फनो, ऩक्का औय ऩण ू ि िो अऩनी फहुतामतता को सदै व दे ता यहता है ।’’ क्मोंकक पर के सरमे दे ना एक आवश्मकता है ; औय िड़ के सरमे रेना एक आवश्मकता है । िफ आऩ अऩने फोरने भें ऩूयी तयह सिग हैं, आऩ अच्छे हैं। 60 कपय बी िफ आऩ अऩनी िीब के उद्देश्म बफना रड़खड़ाते सभम सो िाते हैं तो आऩ फुये नहीॊ हैं। रड़खड़ा कय फोरना एक कभज़ोय िीब को भज़फूत फना सकता है । आऩ िफ अऩने रक्ष्म की ओय दृढ़ता से साहससक ़दभ उठा कय िरते है तो आऩ अच्छे हैं। कपय बी िफ आऩ रॊगड़ा कय बटक िाते है तो फुये नहीॊ हैं। रॊगड़ाने वारे बी ऩीछे की ओय नहीॊ िाते। रेककन आऩ भें िो भज़फूत औय तेज़ गित वारे हैं , उनको िाहहमे कक वे रॊगड़ों के साभने न रड़खड़ामें, केवर दमारुता के नाते। िाते; आऩ अनेकों प्रकाय से अच्छे हैं औय िफ आऩ अच्छे नहीॊ हैं तो फयु े नहीॊ हो आऩ केवर टहर यहे है औय आरसी हैं। अपसोस है कक हहयन कछुमों को तीव्र गित से िरना नहीॊ ससखा सकते। अऩने द्धवशार आत्भन के सरमे रारसा कयने भें आऩकी अच्छाई है ; औय वह रारसा आऩ सफ भैं हैं। रेककन आऩ भें कुछ रोगों भें वह रारसा ऐसी तीव्र धाया की तयह है िो ऩहाक्तड़मों के यहस्मों औय िॊगर के गानों को सभुर की ओय फहा रे िाती है । अन्द्म रोगों भें वह (रारसा) एक सभतर धाया है िो ककनाये तक ऩहुॊिने से ऩहरे कोनों औय भोड़ों भें खोई यहती है । रेककन िो अचधक िरता है उसे थोड़ा िरने वारे से मह नहीॊ कहना िाहहए, तुभ धीभे औय रुक-रुककय िरने वारे क्मों हो? क्मोंकक सिभि ु अच्छे रोग नॊगे व्मक्तक्त से मह प्रन न नहीॊ कयते , ‘‘तुमहाये वस्त्र कहाॉ हैं ’’? औय, फेघय रोगों से मह नहीॊ ऩूछते, ‘‘तुमहाये घय ऩय क्मा द्धवऩद्धत्त आ ऩड़ी हैं? 61 प्राथिना एक ऩि ु ारयन ने कहा: हभको प्राथिना के फाये भें फतराओ। उसने मह कहते उत्तय हदमा: तुभ सॊकट भें औय ज़रूयत ऩड़ने ऩय प्राथिना कयते हो; काश, तुभ अऩनी खुशी की ऩूणत ि ा औय फहुतामतता के हदनों भें बी प्राथिना कयते ! है ? क्मा प्राथिना केवर तुमहाया स्वमॊ का िीद्धवत आकाश भें द्धवस्ताय कयना नहीॊ औय महद तुमहाया अऩने अॊधेयेऩन को आकाश भें डारना आयाभदामक है , तो ो़ अऩने रृदम के प्रकाश को उडेरना बी तुमहें उल्रससत कये गा। िफ तुमहायी आत्भा तुमहें प्राथिना के सरमे ऩुकायती है तो तुभ केवर योने रगते हो। उसे तुभको तफ तक िाफुक से भायते यहना िाहहमे िफ तफ तुभ हॉ सने न रगो। िफ तुभ प्राथिना कयते हो तो वामु भें उन रोगों से सभरते हो िो उसी ऺण प्राथिना कय यहे हैं औय जिनसे तुभ प्राथिना सभम के अरावा औय कबी नहीॊ सभर सकते। इससरमे तुमहाया अरश्म भॊहदय को िाना केवर ऩयभानन्द्द औय भीठे सभरन के सरमे होना िाहहमे। महद तुभ भजन्द्दय भें केवर भाॉगने के सरमे ही प्रवेश कयते हो तो तुभको प्रािप्त नहीॊ होगी ; महद तुभ अऩने को नीिा कयने के सरमे प्रवेश कयते हो तो ऊऩय नहीॊ उठ ऩाओगें ; 62 महद तुभ औयों की बराई के सरमे बीख भाॉगने के सरमे प्रवेश कयते हो तो तुमहायी सुनवाई नहीॊ होगी। मह ऩमािप्त है कक तुभ उस भजन्द्दय भें अद्दष्ट होकय प्रवेश कयो। शब्दों द्वाया प्राथिना कैसे कयें , मह भैं तुभको नहीॊ ससखा सकता। ईश्वय तुमहाये शब्दों को तबी सुनता है िफ वह उन शब्दों को तुमहाये होठों द्वाया स्वमॊ फोरता है । भैं तुभको सभुर की, िॊगर की, औय ऩवित की प्राथिना नहीॊ ससखा सकता। रेककन तुभ िो ऩवित ऩय, िॊगर भें , औय सभुर भें ऩैदा हुमे हो, उनकी प्राथिना को अऩने रृदमों भें खोि सकते हो। महद तुभ यात के सन्द्नाटे भें कान रगाकय सुनो तो उनको भौन रूऩ से मह कहता ऩाओगे: ’’हे ईश्वय! तुभ हभायी ऩॊख वारी आत्भा हो, तुमहायी इच्छा ही हभाये अन्द्दय इच्छा है । ’’तुमहायी काभना ही हभाये अन्द्दय काभना है । ‘‘तुमहाया आग्रह ही हभाये अन्द्दय याबत्रमों को, िो तुमहायी ही हैं , हदन भें फदर दे ता है ; औय, वे हदन बी तुमहाये ही हैं। ’’हभ तुभ से कुछ बी नहीॊ भाॉग सकते क्मोंकक तुभ हभायी ज़रूयतों को उनके ऩैदा होने से ऩहरे ही िानते हो। हो।’’ ‘‘तुभ ही हभायी ज़रूयत हो औय तुभ अऩने आऩको हभें दे कय सफ कुछ दे दे ते 63 आनन्द्द एक सन्द्मासी, िो शहय भें प्रित वषि आता था, आगे आमा औय फोरा: हभको आनन्द्द के फाये भें फतराओ। दे वदत ू ने कहा: आनन्द्द एक स्वतॊत्रता का गान है , रेककन मह स्वतॊत्रता नहीॊ है । मह तुमहायी इच्छाओॊ का णखर िाना है , रेककन मह उनका पर नहीॊ है । मह गहयाई की ऊॉिाई के सरमे ऩुकाय है , रेककन मह न गहयाई है औय न ऊॉिाई। मह एक द्धऩॊिड़े का ऩॊख रगाकय उड़ने के सभान है , रेककन मह आकाश को सीसभत कयना नहीॊ है । मथाथि भें आनन्द्द एक स्वतॊत्रता का गान है । भैं िाहूॉगा कक तुभ इसे बयऩूय हदर से गाओ, रेककन भैं नहीॊ िाहता कक गाने भें तुभ अऩने हदर को खो फैठो। तुभभें कुछ मव ु क आनन्द्द खोिते हैं िैसे आनन्द्द हो सफ कुछ है औय उनको अदारत भें ऩेश ककमा िाता है औय ताड़ना दी िाती है । भैं न तो उनको अदारत भें राऊॉगा औय न कोई ताड़ना दॉ ग ू ा; क्मोंकक वे आनन्द्द प्राप्त कयें गे, औय केवर आनन्द्द ही नहीॊ; उसके साथ सात फहनें हैं औय उनभें सफसे कभ सन्द् ु दय बी आनन्द्द से अचधक सन्द् ु दय है । 64 क्मा तुभने उस भनुष्म के फाये भें नहीॊ सुना हो िड़ों के सरमे ज़भीन खोदता था औय उसे ऽिाना सभर गमा। तुभभें कुछ फुज़ुगि, आनन्द्द को, (ऩश्चाताऩ कयके) ऐसे माद कयते हैं िैसे उन्द्होंने नशे भें कोई ारितमाॉ की हों। है । रेककन ऩश्चाताऩ तो भन को धॉध ु रेऩन से रऩेट दे ता है , वह उसकी सज़ा नहीॊ वे आबाय के साथ अऩने आनन्द्द को माद यखें क्मोंकक वे गसभिमों भें पसर के रूऩ भें काट सकेगें । कपय बी महद उन्द्हें ऩश्चाताऩ अच्छा रगे, तो उनको ऩश्चाताऩ कयने दो। तुमहाये फीि वे बी हैं िो न तो मव ु ाओॊ की तयह खोि कय सकते हैं औय न फुिगों ु ो़ की तयह माद कय सकते है । औय अऩने खोिने औय माद कयने के बम से वे सबी आनन्द्दों को त्माग दे ते है जिससे उनकी आत्भा की उऩेऺा न हो मा उसे कोई आघात न ऩहुॉिे। कपय बी उनका त्मागना एक आनन्द्द है । इस प्रकाय वे बी एक ऽज़ाना प्राप्त कयते हैं, मद्यद्धऩ वे िड़ों को कॉऩते हाथों से खोदते हैं। रेककन भझ ु े फतराओ वह कौन है िो आत्भा को आघात ऩहॉ ुुिा सके? क्मा फुरफुर याबत्र को आघात ऩहुॉिा सकेगी? क्मा खद्योत ससतायों को आघात ऩहुॉिा सकेगा? क्मा तुमहायी रऩट मा धुॉआ वामु ऩय बाय फनेगा? क्मा सोिते हो कक आत्भा ऐसा शान्द्त ताराफ है जिसे एक रकड़ी से द्धविसरत ककमा िा सके? अक़्सय अऩने आऩ को आनन्द्द से वॊचित कयके तुभ उसकी रारसा अऩने अन्द्दय ककसी कोने भें फनामे यखते हो। 65 ककसे भारूभ है कक जिससे तुभ आि फिते हो, वह कर के सरमे इन्द्तज़ाय कय यहा है । तुमहाया शयीय बी इसकी द्धवयासत औय इसकी सही िरूयत िानता है औय धोखा नहीॊ खा सकता । तुमहाया शयीय तुमहायी आत्भा की वीणा है । औय, मह तुभ ऩय िनबिय कयता है कक इससे भधुय सॊगीत िनकारो मा फेसुयी आवािें। तुभ अऩने हदर भें सोिो, ‘‘हभ कैसे िानें गे कक आनन्द्द भें क्मा अच्छा है औय क्मा अच्छा नहीॊ है ? ‘‘ अऩने खेतों औय फाीिों भें िाओ औय तुभ सीखोगे कक पूरों से शहद इकट्ठा कयना भधुभजक्खमों का आनन्द्द है ; रेककन अऩने शहद को भधुभजक्खमों को दे ना बी पूरों का आनन्द्द है । भधुभजक्खमों के सरमे पूर िीवन का स्रोत है ; औय पूर के सरमे भधुभक्खी प्रेभ का सॊदेश वाहक है । भधुभक्खी औय पूर दोनों के सरमे दे ने औय रेने का आनन्द्द ऩाना एक आवश्मकता तथा उन्द्भाद है । िाओ। ओयपारीस के रोगो, अऩने आनन्द्द भें पूरों औय भधुभजक्खमों की तयह हो 66 67 सौन्द्दमि एक कद्धव ने कहा, सौन्द्दमि के फाये भें फतराओ। उसने उत्तय हदमा: तुभ सौन्द्दमि को कहाॉ खोिोगे औय उसको कैसे प्राप्त कय सकोगे , िफ तक वह स्वमॊ तुमहाया भागि औय भागिदशिक न फने? कैसे तुभ उसके फाये भें फोर सकोगे िफ तक कक वह तुमहायी फोरी का ताना-फाना न फनामे। व्मचथत औय घामर रोग कहते हैं, ’’सौन्द्दमि दमारु औय द्धवनम्र होता है , िैसे एक मुवा भाॉ िो अऩनी प्रितबा से आधी शभीरी होकय हभाये फीि द्धवियती है ।‘‘ बावक ु रोग कहते है , ‘‘नहीॊ, सौन्द्दमि एक फरवान औय बमानक िीज़ है , िैसे एक तूपान िो हभाये नीिे की ऩथ् ृ वी औय ऊऩय के आकाश को झकझोय दे ता है ।‘‘ थके हुमे औय ऩये शान रोग कहते हैं , ‘‘सुन्द्दयता नभि पुसपुसाहटों से फनी है , वह हभायी आत्भा भें फोरती है ; उसकी आवाज़ हभायी भौनता के आगे ऩस्त हो िाती है ; िैसे धीभी योशनी छामा के बम से काॉऩ िाती है । ’’ फेिैन रोग कहते हैं , ‘‘हभने उसे ऩहाड़ों ो़ भें िीख भायते हुमे सुना है , औय उसकी िीख के साथ टाऩों की आवाि, ऩॊखों की पड़पड़ाहट औय शेयों की दहाड़ सन ु ाई दे ती है ।’’ याबत्र भें शहय के ऩहये दाय कहते हैं , ‘‘सौन्द्दमि प्रात् कार के साथ ऩूवि से उहदत होगा।‘‘ दोऩहय भें श्रसभक औय नाद्धवक कहते हैं, ‘‘हभने उसे सॊध्मा की णखड़की से ऩथ् ृ वी ऩय झुकते हुमे दे खा है । ’’ 68 वपि से ढके रोग सदी भें कहते हैं , ‘‘वह (सुन्द्दयता) ऩहाक्तड़मों से कूदती हुई वसन्द्त ऋतु भें आमेगी।’’ गभी की तऩन भें खसरमान भें काभ कयने वारे रोग कहते हैं , ‘‘हभने उसे शयद ऋतु की ऩद्धत्तमों के साथ नािते हुमे दे खा है । औय उसकी रटों भें कुछ वपि की झरक बी दे खी है ।’’ मे सफ फातें तुभने सौन्द्दमि के फाये भें कही हैं। ककन्द्तु, मथामि भें तुभने उसके फाये भें नहीॊ फजल्क असॊतुष्ट इच्छाओॊ के फाये भें कहा है । सौन्द्दमि एक ज़रूयत नहीॊ, फजल्क एक उन्द्भाद है । तयह; मह न तो एक प्मासे भह ॉु की तयह है औय न पैरामे हुमे खारी हाथ की फजल्क, मह एक प्रज्िवसरत रृदम औय उन्द्भत्त आत्भा है । न तो मह कोई चित्र है जिसे तुभ दे ख सकोगे, औय न कोई गीत है जिसे तुभ सुन सकोगे; मह एक चित्र है जिसे तुभ आॉखें फॊद कयके बी दे ख सकोगे औय एक गीत है जिसे तुभ कान फन्द्द कयके बी सुन सकोगे। मह ककसी खयु दयी छार के अन्द्दय का यस नहीॊ है औय न मह ककसी ऩॊिे से िड़ ु ा हुआ ऩॊख है ; मह एक फगीिा है िो हभेशा परों से रदा यहता है , औय एक स्वगिवाससमों का झुण्ड है िो हभेशा उड़ान बयता यहता है । ओयपारीस के रोगो, सौन्द्दमि िीवन है ; वह िीवन िो अऩने ऩद्धवत्र िेहये से ऩदाि उठा दे ता है । ककन्द्तु तुभ ही िीवन हो औय तुभ ही ऩदाि हो। सुन्द्दयता वह असीभता है िो स्वमॊ को दऩिण भें िनहाय यही है ; 69 ककन्द्तु तुभ ही असीभता हो औय तुभ ही दऩिण हो। 70 धभि एक वि ृ ऩुिायी ने कहा: हभको धभि के फाये भें फताओ। उसने कहा् क्मा भैंने आि के हदन कुछ औय फतरामा है ? क्मा धभि साये कभि औय साये द्धविाय नहीॊ हैं ? वह न कभि है औय न द्धविाय है , ककन्द्तु एक आश्चमििनक औय िौंकाने वारी िीज़ है िो आत्भा से िनकरती है , िाहे हभ हाथ से कुल्हाड़ी भाय कय ऩत्थय तोड़ें मा कयधे ऩय काभ कयें । कौन अऩने द्धवश्वास को अऩने कभों से अरग कय सकता है ? कौन अऩनी धायणा को अऩने व्मवसाम से अरग कय सकता है ? कौन अऩने सभम के घॊटों को अऩने साभने पैरा कय मह कह सकता है , ‘‘मह ईश्वय के सरमे है औय मह भेये सरमे ; मह भेयी आत्भा के सरमे है औय मह भेये शयीय के सरमे?’’ तुमहाये सभम के घॊटे ऐसे ऩॊख हैं िो आकाश भें एक आत्भ-रूऩ से दस ू ये आत्भ-रूऩ तक पडपड़ा कय गुज़यते हैं। िो अऩनी नैितकता को अऩनी सविश्रे्ठ ऩोशाक की तयह ऩहनता है , उसे नॊगा यहना फहतय है । वामु औय सूमि उसकी त्विा भें सूयाख नहीॊ छे दें गे। िो अऩने आिायों को नीित द्वाया ऩरयबाद्धषत कयता है , वह अऩनी गामक चिक्तड़मा को द्धऩॊिड़े भें फन्द्द कयता है । सवािचधक स्वतॊ त्र गीत सराखों औय तायों के भाध्मभ से नहीॊ आते । जिस व्मक्तक्त के सरमे बक्तक्त एक णखड़की है , जिसे वह कबी बी खोर औय फन्द्द कय सके, उसने अऩनी आत्भा का घय नहीॊ दे खा जिसकी णखड़ककमाॉ एक सुफह से दस ू यी सुफह तक खुरा यहने के सरमे हैं। 71 तुमहाया दै िनक िीवन ही तुमहाया भजन्द्दय औय धभि है । िफ कबी इसभें प्रवेश कयो, अऩना सफ कुछ साथ रे िाओ- अऩना हर, अऩनी रकड़ी, अऩना हथौड़ा औय अऩनी वीणा। वे सबी िीिें रे िाओ जिन्द्हें तुभने अऩनी ज़रूयत के सरमे मा अऩनी प्रसन्द्नता के सरमे सॊमोजित ककमा है । अऩने हदवा स्वप्न भें तुभ अऩनी उऩरजब्धमों से ऊॉिे नहीॊ उठ सकते औय अऩनी असपरताओॊ से नीिे नहीॊ चगय सकते। अऩने साथ सबी व्मक्तक्तमों को रे िाओ। क्मोंकक आयाधना भें तुभ न तो उनकी आशाओॊ से ऊॉिे उड़ सकते हो औय न उनकी िनयाशाओॊ से नीिे उतय सकते हो। फनो। महद तुभ ईश्वय को िानना िाहते हो तो ऩहे सरमों को सुरझाने वारे भत अऩने िायों ओय दे खो तुभ उसे अऩने फच्िों के फीि खेरता ऩाओगे। औय, आकाश भें दे खो, तुभ उसे फादरों भैं घभ ू ता ऩाओगे; उसके हाथ बफिरी की िभक भें दे खोगे औय उसे फारयश द्वाया नीिे उतयता दे खोगे। उसे पूरों भैं भुस्कयाता दे खोगे; उसके हाथ ऩेड़ों भें उठते औय तयॊ चगत होते दे खोगे। 72 भत्ृ मु तफ अरसभत्रा फोरी: अफ हभें भत्ृ मु के फाये भें फतराओ। उसने उत्तय हदमा: एक हदन आमेगा िफ तुभ भत्ृ मु के यहस्म को िानोगे। ककन्द्तु बफना िीवन के रृदम भें खोिे उसे कैसे प्राप्त कयोगे? एक उल्रू, जिसकी याबत्र तक सीसभत आॉखें हदन के सरमे अन्द्धी हैं , प्रकाश के यहस्म का ऩदाि नहीॊ हटा सकता। महद वास्तव भें तुभ भत्ृ मु की आत्भा दे खना िाहते हो तो अऩना रृदम िीवन के शयीय के सरमे ऩूयी तयह खोर दो। क्मोंकक िीवन औय भत्ृ मु एक हैं , उसी प्रकाय िैसे नदी औय सभुर एक हैं। तुमहायी आशाओॊ औय आकाॊऺाओॊ की गहयाई भें ऩये की दिु नमा का भौन ऻान िछऩा हुआ है । िैसे फीि फपि के नीिे स्ऩप्न दे खता है उसी प्रकाय तुमहाया रृदम वसन्द्त का स्वप्न दे खता है । स्वप्नों ऩय द्धवश्वास कयो क्मोंकक उनभें शाश्वतत्व का द्वाय िछऩा हुआ है । तुमहाया भत्ृ मु का डय एक गयक्तड़मे के काॉऩने के सभान है िो यािा के साभने खड़ा हुआ है औय यािा के हाथ उसे समभािनत कयने के सरमे उसकी ओय आते हैं । क्मा काॉऩने के नीिे गयक्तड़मा प्रसन्द्न नहीॊ है क्मोंकक उसे यािा द्वाया समभान सभरेगा? कपय बी क्मा वो अऩने काॉऩने ऩय अचधक सिेत नहीॊ है ? भयना केवर नॊगा खड़ा होना औय सूमि की धऩ ू भें द्धऩघर िाना है । साॉस का फन्द्द होना, साॉस को उसकी अशान्द्त गित से भुक्त कयाना है जिससे कक वह उठकय पैर सके औय ईश्वय को बफना ककसी फन्द्धन के खोि सके। िफ तुभ भौनता की नदी से ऩीमोगे, तबी तुभ गीत गा सकोगें । 73 िफ तुभ ऩवित के सशखय ऩय ऩहुॊ ि िाओगे तफ तुभ िढ़ना प्रायमब कयोगे। िफ ऩथ् ु नाि सकोगे। ृ वी ने तुमहाये हाथ ऩैय रे सरमे होंगे तबी तुभ सिभि 74 75 अरद्धवदा अफ सन्द्ध्मा हो गई थी। साध्वी अरसभत्रा ने कहा: धन्द्म है आि का हदन, मह स्थर, औय आऩकी आत्भा िो फोरी है । उसने उत्तय हदमा: क्मा भैं फोर यहा था? क्मा भैं बी श्रोता नहीॊ था? तफ वह भजन्द्दय की सीहढ़मों से नीिे उतया औय सफ रोग उसके ऩीछे हो सरमे। वह अऩने ज़हाज़ ऩय ऩहुॊिा औय डेक ऩय खड़ा हो गमा। रोगों का साभना कयते हुमे उसने अऩनी आवाज़ ऊॉिी की औय कहा: ओयपारीस के रोगो, हवा कह यही है कक भैं तुभसे द्धवदा रॉ ू । भैं हवा से कभ िल्दफाज़ हूॉ, कपय बी भुझे िाना है । हभ भुसाकर्फय, सदै व अकेरे यास्ते खोिने वारे , अऩना नमा हदन द्धऩछरे हदन के सभाप्त होने से ऩहरे ही प्रायमब कय दे ते हैं औय सूमािस्त होने के साथ ही सूमोदम हो िाता है । िफ ऩथ् ृ वी सोई होती है , तफ बी हभ मात्रा कयते हैं। हभ एक दृढ़ ऩौधे के फीि हैं , हभाये ऩक्केऩन औय रृदम की ऩूणत ि ा के कायण हभ हवा को सोंऩ हदमे िाते हैं औय उसी भें बफखय िाते हैं । तुमहाये फीि भेये हदन फहुत कभ थे; औय उनसे बी कभ वे शब्द हैं िो भैंने फोरे हैं। रेककन महद भेयी आवाज़ तुमहाये कानों भें धीभी ऩड़ िामे औय भेया प्रेभ तुमहायी स्भिृ त भें सभट िामे, तो भैं कपय आऊॉगा। उस सभम िफ भैं फोरॉ ूगा तफ भेये ऩास औय अचधक धनी रृदम होगा औय भेये होंठ आत्भा के औय बी ़यीफ होगे। 76 हाॉ, भैं ज्वाय के साथ कपय वाद्धऩस आऊॉगा। िाहें भत्ृ मु भझ ु े अदृश्म कय दे , औय फड़ी भौनता भुझे अऩने भें रऩेट रे, कपय बी भैं तुमहायी सभझ को खोिूॊगा। औय वह खोि व्मथि नहीॊ होगी। महद भैंने कुछ सि कहा है तो वह सि औय बी स्ऩष्ट होकय प्रगट होगा औय उसके शब्द तुमहाये द्धविायों के औय बी िनकट होंगे। ओयपारीस भें रोगो, भैं वामु के साथ िा यहा हूॉ, रेककन खारीऩन भें नहीॊ। महद मह हदन तुमहायी आवश्मकताओॊ औय भेये प्रेभ के ऩूया होने का हदन नहीॊ हो तो इसे औय हदन के सरमे वामदा फन िाने दो। भनुष्म की ज़रूयतें फदरती है रेककन उसका प्रेभ नहीॊ फदरता औय न उसकी मह इच्छा कक उसका प्रेभ ज़रूयतों को सॊतुष्ट कये । इससरमे मह िान रो कक एक औय अचधक गहयी भौनता के साथ भैं वाऩस आऊॉगा। धॊध ु , िो प्रात् कार भें हटती है औय खेतों भें केवर ओस छोड़ िाती है , कपय से उठे गी औय फादर फनकय फयसेगी। भै बी धुॊध से सबन्द्न नहीॊ था। याबत्र की िन्स्तधता भें भैं तुमहायी गसरमों भें घूभा हूॉ औय भेयी आत्भा ने तुमहाये घयों भें प्रवेश ककमा है । तुमहाये रृदमों की धड़कनें भेये रृदम भें थीॊ औय तुमहायी साॊसें भेये िेहये ऩय थीॊ औय भैं तुभ सफ को िानता था। भैं तुमहाये सुखों को िानता था औय तुमहाये दख ु ों को बी । सोते सभम तुभ िो स्वप्न दे खते थे वे भेये बी स्वप्न थे। फहुत फाय भैं तुमहाये फीि ऩहाड़ों भें झीर की तयह था। 77 भैंने तुमहाये सशखय, झुकते हुमे ढराव औय तुमहाये द्धविायों औय इच्छाओॊ के गुज़यते झुॊडों के प्रितबफमफ बी दे खे। औय भेयी भौनता भें स्रोतों ऩय तुमहाये फच्िों की हॉ सी औय नहदमों ऩय तुमहाये मुवकों की आकाॊऺामें आईं। भेये अन्द्तयतभ भें ऩहुॊि कय बी स्रोतों औय नहदमों का गामन फन्द्द नहीॊ हुआ। िो भुझे प्राप्त हुआ, वह हॉ सी से बी अचधक भीठा औय आकाॊऺाओॊ से बी अचधक फड़ा था। वह था तुमहाये अन्द्दय जस्थत असीभ; वह था एक द्धवशार ऩरू ु ष जिसभें तुभ केवर िीवाणु औय नसें भात्र हो; उसके गामन के साभने तुमहाये गाने ध्विन-यहहत धड़कनें भात्र हैं ; उस द्धवशार ऩुरूष के अन्द्दय ही तुभ द्धवशार हो। उसे दे खने भें ही तुभको दे खा औय तुभ से प्रेभ ककमा। प्रेभ कौनसी दरू यमों तक ऩहुॊि सकता है िो उस द्धवशार गोराकाय भें नही हैं ; कौन से रृदम, कौन सी आकाॊऺामें औय कौन सी भान्द्मतामें हैं , िो उस उड़ान से ऊॉिी हो सकती हैं ? तुमहाये अन्द्दय वह द्धवशार ऩुरूष एक द्धवशार ओक वऺ ृ के सभान है िो सेव के पूरों से रदा है । उसकी शक्तक्त तुभको ऩथ् ृ वी से फाॉधती है ; उसकी भहक तुभको व्मोभ की ओय उठाती है ; औय उसके स्थािमत्व भें तुभ अभय हो। तुभसे कहा गमा है कक िॊिीय की तयह तुभ उतने कभज़ोय हो जितनी उस िॊिीय की सफसे कभज़ोय कड़ी । मह केवर आधा सत्म है । तुभ उतने ही शक्तक्तशारी हो जितनी उस िॊिीय की सफसे शक्तक्तशारी कड़ी । 78 तुमहाये सफसे कभज़ोय कभि से तुभको नाऩना वैसा ही है िैसा कभिोयो़ झाग से सभुर की शक्तक्त को भाऩना। तुभको तुमहायी असपरताओॊ से नाऩना वैसा ही है िैसा ऋतुओॊ की अिनमसभतता के कायण उन्द्हें दोषी ठहयाना। हाॉ, तुभ एक भहासागय की तयह हो। हाराॉकक बायी आधाय वारा ज़हाज़ तुमहाये ककनाये ऩय प्रतीऺा कयता है ककन्द्तु , सागय की तयह, तुभ अऩने ज्वाय को तीव्र नहीॊ कय सकते। तुभ बी भौसभों की तयह हो। मद्यद्धऩ अऩनी शीत ऋतु भें तुभ अऩनी वसन्द्त ऋतु को नकायते हो कपय बी वसन्द्त ऋतु, िो तुमहाये अन्द्दय द्धवश्राभ कय यही है , अऩने आरसीऩन भें तुभ ऩय भुस्कयाती है औय फुया नहीॊ भानती। मह भत सोिो कक इन फातों को भैं इससरमे कह यहा हूॉ कक तुभ उनको एक दस ू ये से कहो, ‘‘उसने हभायी फड़ी तायीर्फ की। उसने हभाये अन्द्दय अच्छाई के अरावा कुछ नहीॊ दे खा।’’ भैं तुभसे वही शब्द फोरता हूॉ िो तुभ अऩने द्धविायों भें िानते हो। शब्द द्धवद्या एक शब्दयहहत द्धवद्या की ऩयछाई के अरावा औय कुछ नहीॊ। तुमहाये द्धविाय औय भेये शब्द उस सीरफन्द्द माद से िनकरते है िो तुमहाये फीते कर का रेखा यखती है । उन प्रािीन हदनों का रेखा, िफ कक ऩथ् ृ वी हभको औय स्वॊम अऩने आऩ को नहीॊ िानती थी। उन याबत्रमों का रेखा िफ ऩथ् ृ वी अस्तव्मस्तता से उत्तेजित थी। ऻानी ऩरू ु ष तुमहाये ऩास ऻान दे ने के सरमे आमे हैं। भैं तुभ से ऻान रेने के सरमे आमा हूॉ । औय, दे खो, भैंने ऻान से बी फड़ी िीज़ ऩाई। 79 80 तुमहाये अन्द्दय प्रज्िवसरत आत्भा है िो उसने आऩ का औय अचधक द्धवस्तत ृ रूऩ इकट्ठा कय यही है । िफकक तुभ, इसके द्धवस्ताय से राऩयवाह, अऩने हदनों के भुयझाने ऩय शोक कयते हो। मह शयीयों भें िीवन की खोि भें िीवन है िो ़ब्र से बमबीत है । महाॉ कोई ़ब्र नहीॊ है । मे ऩवित औय भैदान ऩारना औय सीढ़ी हैं । िफ बी तुभ उस भैदान से गुज़यो िहाॉ तुमहाये ऩूवि ि दपन हैं , वहाॉ गौय से दे खो, तुभ अऩने आऩ को औय अऩने फच्िों को हाथ भें हाथ सरमे नािता दे खोगे । मथाथि भें तुभ फहुधा बफना िाने उल्रससत होते हो। अन्द्म रोग तुमहाये ऩास आमे हैं जिन्द्होंने तुमहाये द्धवश्वास ऩय सुनहयी वामदे ककमे हैं औय तुभने उनको धन, शक्तक्त औय कीिति हदमे हैं । भैंने वामदे से बी कभ तुभको हदमा; कपय बी तुभ भुझ ऩय फहुत अचधक उदाय यहे । तुभने भुझे िीवन के सरमे गहयी प्मास दी। अवश्म ही एक व्मक्तक्त के सरमे इससे फड़ी कोई बें ट नहीॊ िो उसके इयादों को सूखे होंट भें औय िीवन को एक झयने भें फदर दे । इसी भें भेया आदय औय भेया ऩयु स्काय है । िफ बी भैं झयने ऩय ऩीने के सरमे आता हूॉ, भैं िीद्धवत ऩानी को बी प्मासा ऩाता हूॉ। िफ भैं उसे ऩीता हूॉ, वह भुझे ऩीता है | है । तुभभें कुछ रोगों ने भझ ु े बें ट रेने के सरमे गवीरा औय फहुत शभीरा सभझा 81 भैं भिदयू ी रेने के सरमे अत्मन्द्त गवीरा हूॉ, रेककन बें ट रेने के सरमे नहीॊ। भैंने ऩहाक्तड़मों ऩय फेय खामे है , िफकक तुभ िाहते थे कक तुमहाये साथ फैठकय बोिन करूॉ। भैं भजन्द्दय के द्वाय ऩय सोमा हूॉ, िफकक तुभ भझ ु े प्रसन्द्नता से शयण दे ना िाहते थे। कपय बी भेये हदन औय दे यी यात के सरमे मह तुमहायी सतकिता थी जिसने भेये बोिन को भुॉह भें भीठा फनामा औय भेयी याबत्र को दृश्मों द्वाया रऩेट हदमा। इसके सरमे भैं तुभको शुबकाभनामें दे ता हूॉ। तुभ फहुत कुछ दे ते हो औय मह बी नहीॊ िानते कक कुछ हदमा है । है । वास्तव भें दमारुता, िो अऩने को दऩिण भें दे खती है , एक ऩत्थय हो िाती एक अच्छा कभि, िो अऩने को कोभर नाभों से ऩुकायता है , वह श्राऩ का िनने वारा फन िाता है । तुभभें से कुछ ने भझ ु े अरग यहने वारा औय अऩने अकेरेऩन के नशे भें ियू फतरामा है । तुभने कहा है , ‘‘ वह िॊगर के ऩेड़ों से वातािराम कयता है , भनुष्मों से नहीॊ। वह ऩहाड़ी के ऊऩय अकेरा फैठता है औय हभाये शहय को नीिे दे खता है । ’’ मह सत्म है कक भैं ऩहाड़ी ऩय िढ़ा हूॉ, औय, दयू की िगहों भें घूभा हूॉ। था? बफना ऊॉिी िगह िढ़े मा बफना फड़ी दयू ी ऩय गमे भैं तुभको कैसे दे ख सकता कोई बी िनकट कैसे आ सकता है , िफ तक वो दयू न हो? अन्द्म रोग भेये ऩास आमे औय बफना शब्द फोरे उन्द्होंने भुझसे कहा: 82 ‘‘अिनफी ! अिनफी ! न छुई िाने वारी ऊॉिाइमों से प्रेभ कयने वारे! तुभ उन ऊॉिाइमों ऩय क्मों यहते हो िहाॉ िीर अऩने घोंसरे फनाती हैं ? ‘‘तुभ अप्राप्म को क्मों खोिते हो? ‘‘तुभ अऩने िार भैं कौन से तूपान को ऩकड़ सकोगे? ‘‘तुभ कौनसी अद्दश्म चिक्तड़मा का आकाश भें सशकाय कयते हो? ‘‘आओ औय हभ िैसा हो िाओ। ‘‘नीिे उतयो औय हभायी योटी से अऩनी बूख सभटाओ औय हभाये यस से अऩनी प्मास सभटाओ।’’ अऩनी आत्भाओॊ के अकेरेऩन भें उन्द्होंने मे फातें कहीॊ। रेककन महद उनका अकेराऩन औय अचधक गहया होता तो उनको भारूभ हो िाता कक भैं तुमहाये ही सुख औय तुमहाये ही द्ु ख के यहस्म को खोि यहा था। हैं। भैं तुमहाये ही द्धवशार स्वरूऩों का सशकाय कय यहा था िो आकाश भें द्धवियते रेककन सशकायी एक सशकाय बी था; भेये फहुत से तीय भेयी कभान से िनकर कय भेये ही सीने भें आ रगे। उड़ान बयने वारा ज़भीन ऩय यें गने वारा बी था। थी। िफ भेये ऩॊख धऩ ू भें पैरते थे तफ उनकी छामा ज़भीन ऩय कछुमे के रूऩ भें भैं द्धवश्वास यखने वारा शक कयने वारा बी था। क्मोंकक फहुधा भैंने अऩनी ही उॉ गरी से अऩना घाव कुये दा है जिससे कक भै तुमहाये ऊऩय अचधक द्धवश्वास कय सकूॉ औय तुमहाये फाये भें अचधक िान सकूॉ। इसी द्धवश्वास औय इसी िानकायी के आधाय ऩय भैं कहता हूॉ, 83 हो। तुभ अऩने शयीय भें फन्द्द नहीॊ हो औय न अऩने घयों मा खेतों तक सीसभत िो तुमहाये अन्द्दय है , वह ऩहाड़ों के ऊऩय िनवास कयता है औय हवा भें भ्रभण कयता है । मह एसी वस्तु नहीॊ िो धऩ ू भें गभी के सरमे यॊ ग कय ऩहुॊिे मा फिाव के सरमे अॉधेये भें गड्ढ़े खोदे ; रेककन मह स्वतॊत्र वस्तु है , एक आत्भा है िो सायी ऩथ् ृ वी को रऩेटे हुमे है औय शून्द्मता भें द्धवियण कयती है । महद मे शब्द अस्ऩष्ट हैं तो इनको स्ऩष्ट कयने की कोसशश भत कयो। अस्ऩष्टता औय नीहारयकता सबी वस्तुओॊ के प्रायमब भें होती है रेककन अन्द्त भें नहीॊ। भैं िाहूॉगा कक तुभ भुझे प्रायमब के रूऩ भें माद कयो। िीवन औय सबी िीद्धवत रूऩ कोहये भें ऩैदा होते हैं न कक स्पहटक भें ; रेककन कौन िानता हैं कक स्पहटक कोहये का ऺम हो िाना है । भैं िाहूॊगा कक भुझे स्भयण कयने ऩय मह माद यखें : तुमहाये अन्द्दय िो सफसे अचधक ऺीण औय बटकता हुआ रगता है , वह सफसे ज़्मादा भिफूत औय सफसे ज़्मादा दृढ़ िनन नाम वारा है क्मा तुमहायी हड्क्तडमों के ढाॊिे को खड़ा कयने औय कठोय फनाने वारी तुमहायी साॉस नहीॊ है ? क्मा तुमहाये शहय को फनाने वारा औय उसभें सफ कुछ सॊमोजित कयने वारा एक स्वप्न नहीॊ है िो तुभभें ककसी को बी माद नहीॊ है ? दोगे। महद तुभ उस साॊस के ज्वाय को दे ख सको तो सफ कुछ दे खना फन्द्द कय 84 महद तुभ स्वप्न की पुसपुसाहट सुन सको तो अन्द्म सबी ध्विनमों को बूर िाओेगे। रेककन तुभ न तो दे खते हो औय न सुनते हो; औय मह ठीक है । था। तुमहायी आॉखों के ओग िो ऩदाि है उन्द्हीॊ हाथों द्वाया हटे गा जिन्द्होंने इसे फुना िो सभट्टी तुमहाये कानों भें बयी है उन्द्हीॊ उॊ गसरमों द्वाया बेदी िामेगी जिन्द्होंने उसे गॉूथा था। तफ तुभ दे ख ऩाओगे। तफ तुभ सुन ऩाओॊगे। कपय बी तुभ अॊधेऩन की िानकायी ऩय खेद प्रगट नहीॊ कयोगे औय न फहये ऩन ऩय ऩछतावा कयोगे। क्मोंकक उस हदन तुभको सबी िीिों का छुऩा उद्देश्म भारूभ हो िामेगा, औय, तुभ अॊधकाय को उसी प्रकाय धन्द्म कहोगे जिस प्रकाय प्रकाश को। इन फातों को कहकय उसने (दे वदत ू ने) अऩने िायों ओय िनहाया औय दे खा कक उसके ज़हाज़ का िारक ऩतवाय ऩय खड़ो़ा है । वह कबी ऩूये ऩारों को दे खता है औय कबी दयू ी ऩय दृद्धष्ट डारता है । दे वदत ू ने कहा भेये ज़हाज़ का कप्तान फहुत सफ कयने वारा है । हवा िर यही है , औय ऩार वेिैन हैं। ऩतवाय बी िनदे श िाहते है । कपय बी भेया कप्तान िुऩिाऩ भेये भौन होने की प्रतीऺा कय यहा है ; औय, भेये मे नाद्धवक जिन्द्होंने भहान सभर ु के गामन सुने हैं , इन्द्होंने बी भझ ु े धैमि के साथ सुना है । अफ मे अचधक इन्द्तज़ाय नहीॊ कयें गे। 85 भैं तैमाय हूॉ। नदी सभर ु तक ऩहुॊि गई है औय एक फाय कपय द्धवशार भाॉ ने अऩने फेटे को अऩनी छाती से रगा सरमा है । ओयपारीस के रोगो, अराद्धवदा! मह हदन सभाप्त हुआ। मह वैसे ही फन्द्द हो यहा है िैसे ऩानी का सररी पूर िो अऩने कर के सरमे फन्द्द होता है । आि महाॉ हभको िो सभरा है , उसे हभ अऩने ऩास यखें गे, महद मह ऩमािप्त नहीॊ है तो हभें कपय एक फाय सभरना िाहहमे औय एक साथ दाता के साभने हाथ पैराना िाहहमे। मह भत बूरो कक भैं तुमहाये ऩास कपय आऊॉगा। कुछ ऺण, औय भेयी रारसा दस ू या शयीय ऩाने के सरमे धूर औय झाग इकट्ठा कये गी। कुछ ऺण, एक ऩर वामु ऩय द्धवश्राभ, औय दस ू यी नायी भुझे ग्रहण कये गी। तुभको औय भेये मौवन को िो भैने महाॉ व्मतीत ककमा है , अरद्धवदा! रगता है , कर ही हभ स्वप्न भें सभरे थे। तुभने भेये अकेरेऩन भें भेये सरमे गीत गामे हैं औय भैंने तुमहायी आकाॊऺाओॊ की भीनाय आकाश भें खड़ी कय दी है । ककन्द्तु आि हभायी नीॊद टूट गई है औय हभाया स्वप्न ऩयू ा हो गमा। रेककन अबी प्रात् कार नहीॊ आमा है । दोऩहय हभ ऩय है औय हभायी अधि-िाग्रत अवस्था ऩण ू ि हदवस फन गई है औय हभको िद ु ा होना है । 86 महद अऩनी मादों के धुॊधरेऩन भें हभ एक फाय कपय सभरे तो हभ सभरकय कपय फातें कयें गे औय तुभ भेये सरमे औय बी गहये गीत गाओगे। महद हभाये हाथ ककसी औय स्वप्न भें कपय सभरे, तो हभ आकाश भें दस ू यी भीनाय फनामेंगे। मह कहकय उसने नाद्धवकों की औय इशाया ककमा औय उन्द्होंने तुयन्द्त रॊगय उठामा औय ज़हाि के फन्द्धनों को ढीरा ककमा। वे ऩव ू ि की ओय िर हदमे। रोगों की ओय से एक िीख आई िैसे कक वह एक ही रृदम से िनकरी हो औय उठकय सॊध्मा से सभरी औय सभर ु के ऊऩय बाॉऩू की तयह फि गई। केवर अरसभत्रा ही शान्द्त थी; वह तफ तक िहाज़ को दे खती यही िफ तक वह कोहये भें रुप्त नहीॊ हो गमा। िफ सफ रोग िरे गमे, वह (अरसभत्रा) कपय बी अकेरी सभुर की दीवाय ऩय खड़ी यही औय अऩने रृदम भें दे वदत ू का मह कथन स्भयण कय यही थी: ‘‘एक ऺण, हवा भें कुछ ऩर का आयाभ, औय दस ू यी नायी भझ ु े धायण कये गी।’’ 87