Uploaded by Ekta Patel

ESSAY IN HINDI

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IMPORTANT ESSAYS IN HINDI
1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
2. मिहला सश
3. आतंकवाद
4.
करण
भारत अिभयान
5. रा ीय एकीकरण
6.
7.
8. व
ाचार
ोबल वािमग
ु एवं सेवा कर(GST)
Fb.com/SSc FoRUm (R.K. PATEL & RoSHAN)
बेटी बचाओ बे टी पढ़ाओ (300 श
)
भारतीय समाज म छोटी ब यों के खलाफ भेदभाव और लिगक असमानता की ओर ान िदलाने के िलये बेटी बचाओबेटी पढ़ाओ नाम से धान मं ी ी नरे मोदी ारा एक सरकारी सामािजक योजना की शु आत की गयी है । ह रयाणा के
पानीपत म 22 जनवरी 2015, बुधवार को धानमं ी के ारा इस योजना की शु आत यी। ये योजना समाज म लड़िकयों के
मह के बारे लोगों को जाग क करने के िलये है । क ा ू ण ह ा को पू री तरह समा करने के ारा लड़िकयों के जीवन
को बचाने के िलये आम लोगों के बीच ये जाग कता बढ़ाने का काय करे गी तथा इसम एक लड़के की भाँ ित ही एक लड़की
के ज पर खुशी मनाने और उसे पूरी िज ेदारी से िशि त करने के िलये कहा गया है ।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (इसका अथ है लड़िकयों को बचाना और िशि त करना) योजना
की शु आत भारतीय सरकार ारा 2015 के जनवरी महीने म ई। इस योजना का मकसद भारतीय समाज म लड़िकयों
और मिहलाओं के िलये क ाणकारी काय की कुशलता को बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के बीच जाग कता उ
करने के
िलये भी है । इस योजना के िलये 100 करोड़ की शु आती पूँजी की आव कता थी। इस योजना की शु आत की ज रत
2001 के ससस के आँ कड़ों के अनुसार ई, िजसके तहत हमारे दे श म 0 से 6 साल के बीच का िलंगानु पात हर 1000 लड़कों
पर 927 लड़िकयों का था। इसके बाद इसम 2011 म और िगरावट दे खी गयी तथा अब आँ कड़ा 1000 लड़कों पर 918
लड़िकयों तक प ँ च चुका था। 2012 म यूिनसेफ ारा पूरे िव भर म 195 दे शों म भारत का थान 41वाँ था इसी वजह से
भारत म मिहलाओं और लड़िकयों की सुर ा के ित लोगों की जाग कता ज री हो गयी। ये योजना क ा ू ण ह ा को
जड़ से िमटाने के िलये लोगों से आ न भी करती है ।
दे श म छोटी ब यों को सश करने के साथ-साथ समाज म लड़िकयों की िगरती सं ा
के अनुपात के मु े को बताने के िलये एक उ े पूण ढं ग से एकरा
ापी योजना की शु आत ई िजसका नाम बेटी
बचाओ-बेटी पढ़ाओ है । ह रयाणा के पानीपत म 22 जनवरी 2015 को भारतीय धानमं ी नरे मोदी ारा सफलतापू वक
इस योजना का आरं भ आ। लड़िकयों के ित लोगों की िवचारधारा म सकारा क बदलाव लाने के साथ ही ये योजना
भारतीय समाज म लड़िकयों की मह ा की ओर भी इं िगत करता है । भारतीय समाज म लड़िकयों के ित लोगों की
मानिसकता ब त ू र हो चुकी है । ऐसे लोगों का मानना है िक लड़िकयाँ पहले प रवार के िलये बोझ होती है और िफर पित
के िलये तथा ये िसफ लेने के िलये होती है दे ने के िलये नही।ं
हालाँ िक ये सच नही ं है , दु िनया की आधी जनसं ा लगभग मिहलाओं की है इसिलये
वो धरती पर जीवन के अ
के िलये आधी िज ेदार होती है । लड़िकयों या मिहलाओं को कम मह ा दे ने से धरती पर
मानव समाज खतरे म पड़ सकता है ोंिक अगर मिहलाएँ नही ं तो ज नही।ं लगातार ित लड़कों पर िगरते लड़िकयों का
अनुपात इस मु े की िचंता को साफतौर पर िदखाता है । इसिलये , उ गुणव ापू ण िश ा दान कराने के साथ, छोटी ब ी
की सुर ा को प ा करना ,लड़िकयों को बचाना, क ा ूण ह ा रोकने के िलये इस योजना की शु आत की गयी है ।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है िजसे भारत के धानमं ी ने
जनवरी 2015 म शु िकया है । लड़िकयों की सामािजक थित म भारतीय समाज म कुछ सकारा क बदलाव लाने के िलये
इस योजना का आरं भ िकया गया है । भारतीय समाज म छोटी लड़िकयों पर ब त सारे ितबंध िकये जाते है जो उनकी
उिचत वृ और िवकास म रोड़ा बना आ है । ये योजना छोटी लड़िकयों के खलाफ होने वाले अ चार, असुर ा, लिगक
भेदभाव आिद को रोकेगा। 18वी ं सदी के लोगों की बजाय आधुिनक म समय मिहलाओं के ित लोगों की मानिसकता ादा
घिटया होती जा रही है । इस काय म की शु आत करते समय धनमं ी ने कहा िक, भारतीय लोगों की ये सामा धारणा
है िक लड़िकयाँ अपने माता-िपता के बजाय पराया धन होती है । अिभवावक सोचते है िक लड़के तो उनके अपने होते है जो
बुढ़ापे म उनकी दे खभाल करगे जबिक लड़िकयाँ तो दू सरे घर जाकर अपने ससु राल वालों की से वा करती ह।
लड़िकयों के बारे म 21वी ं सदी म लोगों की ऐसी मानिसकता वाकई शमनाक है और
ज से लड़िकयों को पूरे अिधकार दे ने के िलये लोगों के िदमाग से इसे जड़ से िमटाने की ज रत है ।छोटी लड़िकयों की
थित अंितम दशक म ब त खराब हो चुकी थी
ोंिक क ा ू ण ह ा एक बड़े पैमाने पर अपना पै र पसार रही थी।
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उ तकनीक के ारा िलंग का पता लगाकर ज से पहले ही लड़िकयों को उनके माँ के गभ म ही मार िदया जाता था।
लड़िकयों की सं ा को कम करने के िलये ये था चलन म थी साथ ही साथ प रवार एक लड़की की िज े दारी तु
समझता है । योजना की शु आत करने के िलये सबसे बेहतर जगह के प म ह रयाणा को चुना गया था ोंिक दे श म (775
लड़िकयाँ /1000 लड़के) लड़िकयों के िलंगानु पात ह रयाणा के महे गण िजला म सबसे खराब है ।
ह रयाणा के पानीपत म 22 जनवरी 2015 को पीएम नरे मोदी के ारा बेटी बचाओबेटी पढ़ाओ के नाम से एक सरकारी योजना की शु आत ई। भारतीय समाज म लड़िकयों की दयनीय दशा को दे खते ए
इस काय म की शु आत की गयी। आँ कड़ों के अनुसार, 1991 म (0-6 वष के उ के) हर 1000 लड़कों पर 945 लड़िकयाँ
है , जबिक 2001 म लड़िकयों की सं ा 927 पर और दु बारा 2011 म इसम िगरावट होते ए ये 1000 लड़कों पर 918 पर
आकर िसमट गयी। अगर हम ससस के आँ कड़ों पर गौर कर तो पाएँ गे िक हर दशक म लड़िकयों की सं ा म लगातार
िगरावट दज ई है । ये धरती पर जीवन की सं भावनाओं के िलये भी खतरे का िनशान है । अगर ज ही लड़िकयों से जु ड़े
ऐसे मु ों को सुलझाया नही ं गया तो आने वाले िदनों म धरती िबना ना रयों की हो जायेगी और तथा कोई नया ज नही ं
होगा।
दे श म लड़िकयों के बुरे आँ कड़ों को ान म रखते ए, धानमं ी नरे मोदी ने बेटी
बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना की शु आत की। ये बेहद भावकारी योजना है िजसके तहत लड़िकयों की सं ा म सु धार,
इनकी सुर ा, िश ा, क ा ू ण ह ा का उ ू लन,
गत और पेशेवर िवकास आिद का ल पूरे दे श भर म है । इसे
सभी रा
और के
शािसत दे शों म लागू करने के िलये एक रा ीय अिभयान के ारा दे श (के ीय मानव सं साधन
मं ालय, ा
तथा मिहला एवं बाल िवकास मं ालय) के 100 चुिनंदा शहरों म इस योजना को लागू िकया गया है । इसम
कुछ सकारा क पहलू ये है िक ये योजना लड़िकयों के खलाफ होने वाले अपराध और गलत थाओं को हटाने के िलये
एक बड़े कदम के प म सािबत होगा। हम ये आशा करते ह िक आने वाले िदनों म सामािजक-आिथक कारणों की वजह से
िकसी भी लड़की को गभ म नही ं मारा जाये गा, अिशि त नही ं रहगी, असुरि त नही ं रहगी, बला ार नही ं होगा आिद। अत:
पू रे दे श म लिगक भे दभाव को िमटाने के ारा बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना का ल
लड़िकयों को आिथक और
सामािजक दोनों तरह से तं बनाने का है ।
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मिहला सश
करण (300 श
)
अपनी िनजी तं ता और यं के फैसले लेने के िलये मिहलाओं को अिधकार दे ना ही मिहला सश करण है । प रवार
और समाज की हदों को पीछे छोड़ने के ारा फैसले, अिधकार, िवचार, िदमाग आिद सभी पहलुओं से मिहलाओं को
अिधकार दे ना उ
तं बनाने के िलये है । समाज म सभी े ों म पु ष और मिहला दोनों को िलये बराबरी म लाना होगा ।
दे श, समाज और प रवार के उ वल भिव के िलये मिहला सश करण बेहद ज री है । मिहलाओं को
और
उपयु
पयावरण की ज रत है िजससे िक वो हर े म अपना खु द का फैसला ले सक चाहे वो यं, दे श, प रवार या
समाज िकसी के िलये भी हो। दे श को पूरी तरह से िवकिसत बनाने तथा िवकास के ल को पाने के िलये एक ज री
हिथयार के प म है मिहला सश करण।
भारतीय संिवधान के ावधान के अनुसार, पु षों की तरह सभी े ों म मिहलाओं को
बराबर अिधकार दे ने के िलये कानूनी थित है । भारत म ब ों और मिहलाओं के उिचत िवकास के िलये इस े म मिहला
और बाल िवकास िवभाग अ े से काय कर रहा है । ाचीन समय से ही भारत म मिहलाएँ अ णी भूिमका म थी हालाँ िक
उ हर े म ह
ेप की इज़ाजत नही ं थी। अपने िवकास और वृ के िलये उ हर पल मजबूत, जाग क और चौक ा
रहने की ज रत है । िवकास का मु
उ े
मिहलाओं को समथ बनाना है
ोंिक एक सश मिहला अपने ब ों के
भिव को बनाने के साथ ही दे श का भिव का सुिनि त करती है ।
िवकास की मु धारा म मिहलाओं को लाने के िलये भारतीय सरकार के ारा कई
योजनाओं को िन िपत िकया िकया गया है । पूरे दे श की जनसं ा म मिहलाओं की भागीदारी आधे की है और मिहलाओं
और ब ों के सवागीण िवकास के िलये हर े म इ
तं ता की ज रत है ।
भारत एक िस दे श है जो ाचीन समय से ही अपनी स ता, सं ृ ित, सां ृ ितक
िवरासत, परं परा, धम और भौगोिलक िवशेषताओं के िलये जाना जाता है । जबिक दू सरी ओर, ये अपने पु षवादी रा के प
म भी जाना जाता है । भारत म मिहलाओं को पहली ाथिमकता दी जाती है हालाँ िक समाज और प रवार म उनके साथ बुरा
वहार भी िकया जाता है । वो घरों की चारदीवारी तक ही सीिमत रहती है और उनको िसफ पा रवा रक िज ेदारीयों के
िलये समझा जाता है । उ े अपने अिधकारों और िवकास से िब ु ल अनिभ रखा जाता है । भारत के लोग इस दे श को माँ
का दजा दे ते है लेिकन माँ के असली अथ को कोई नही ं समझता ये हम सभी भारतीयों की माँ है और हम इसकी र ा और
ान रखना चािहये।
इस दे श म आधी आबादी मिहलाओं की है इसिलये दे श को पूरी तरह से श शाली
बनाने के िलये मिहला सश करण ब त ज री है । उनके उिचत वृ
और िवकास के िलये हर े म तं होने के
उनके अिधकार को समझाना मिहलाओं को अिधकार दे ना है । मिहलाएँ रा के भिव के प म एक ब े को ज दे ती है
इसिलये ब ों के िवकास और वृ के ारा रा के उ वल भिव को बनाने म वो सबसे बेहतर तरीके से योगदान दे
सकती है । मिहला िवरोधी पु ष की मजबूर पीिड़त होने के बजाय उ सश होने की ज रत है ।
नारी सश करण के नारे के साथ एक
उठता है िक “ ा मिहलाएँ सचमुच म
मजबूत बनी है ” और “ ा उसका लंबे समय का संघष ख हो चुका है ”। रा के िवकास म मिहलाओं की स ी मह ा
और अिधकार के बारे म समाज म जाग कता लाने के िलये मातृ िदवस, अं तररा ीय मिहला िदवस आिद जै से कई सारे
काय म सरकार ारा चलाये जा रहे और लागू िकये गये है । मिहलाओं को कई े म िवकास की ज रत है । अपने दे श म
उ
र की लिगक असमानता है जहाँ मिहलाएँ अपने प रवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बताव से पीिड़त है ।
भारत म अनपढ़ो की सं ा म मिहलाएँ सबसे अ ल है । नारी सश करण का असली अथ तब समझ म आये गा जब
भारत म उ अ ी िश ा दी जाएगी और उ इस कािबल बनाया जाएगा िक वो हर े म तं होकर फैसले कर सक।
भारत म मिहलाएँ हमेशा प रवार म कलंक से बचाने हे तु िकये गये वध के िवषय के प म होती है और उिचत िश ा और
आजादी के िलये उनको कभी भी मूल अिधकार नही ं िदये गये। ये पीिड़त है िज ोंने पु षवादी दे श म िहं सा और दु वहार
को झे ला है । भारतीय सरकार के ारा शु आत की गयी मिहलाओं के सश करण के िलये रा ीय िमशन के अनु सार
2011 गणना म इस कदम की वजह से कुछ सु धार आया। इससे मिहला िलगां नुपात और मिहला िश ा दोनों म बढ़ौतरी ई।
वै ि क िलंग गैप सूचकां क के अनु सार, आिथक भागीदारी, उ िश ा और अ े ा
के ारा समाज म मिहलाओं की
थित म सुधार लाने के िलये भारत म कुछ ठोस कदम की ज रत है । ज रत है िक इसे आर क थित से िनकालते ए
सही िदशा म तेज गित से आगे बढ़ाया जाये ।
पं िडत जवाहर लाल नेह
ारा कहा गया मश र वा “लोगों को जगाने के िलये ”,
मिहलाओं का जागृत होना ज री है । एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है , प रवार आगे बढ़ता है , गाँ व आगे बढ़ता है
और रा िवकास की ओर उ ु ख होता है । भारत म, मिहलाओं को सश बनाने के िलये सबसे पहले समाज म उनके
अिधकारों और मू ों को मारने वाले उन सभी रा सी सोच को मारना ज री है जैसे दहे ज था, अिश ा, यौन िहं सा,
असमानता, ूण ह ा, मिहलाओं के ित घरे लू िहं सा, बला ार, वै ावृित, मानव त री और ऐसे ही दू सरे िवषय। लिगक
भे दभाव रा म सां ृ ितक, सामािजक, आिथक और शैि क अंतर ले आता है जो दे श को पीछे की ओर ढ़केलता है । भारत
के सं िवधान म उ
खत समानता के अिधकार को सुिनि त करने के िलए मिहलाओं को सश बनाना सबसे भावशाली
उपाय है इस तरह की बुराईयों को िमटाने के िलये ।
लिगक समानता को ाथिमकता दे ने से पूरे भारत म मिहला सश करण को
बढ़ावा िमला है । मिहला सश करण के उ ल को ा करने के िलये इसे हर एक प रवार म बचपन से चा रत व
सा रतकरना चािहये । ये ज री है िक मिहलाएँ शारी रक, मानिसक और सामािजक प से मजबूत हो। चूंिक एक बेहतर
िश ा की शु आत बचपन से घर पर हो सकती है , मिहलाओं के उ ान के िलये एक
थ प रवार की ज रत है जो रा के
सवागीण िवकास के िलये आव क है । आज भी कई िपछड़े े ों म माता-िपता की अिश ा, असुर ा और गरीबी की वजह
से कम उ म िववाह और ब े पै दा करने का चलन है । मिहलाओं को मजबूत बनाने के िलये मिहलाओं के खलाफ होने
वाले दु वहार, लिगक भे दभाव, सामािजक अलगाव तथा िहं सा आिद को रोकने के िलये सरकार कई सारे कदम उठा रही
है ।
मिहलाओं की सम ाओं का उिचत समाधान करने के िलये मिहला आर ण िबल-108वाँ
सं िवधान संशोधन का पास होना ब त ज री है ये संसद म मिहलाओं की 33% िह ेदारी को सुिनि त करता है । दू सरे े ों
म भी मिहलाओं को सि य प से भागीदार बनाने के िलये कुछ ितशत सीटों को आरि त िकया गया है । सरकार को
मिहलाओं के वा िवक िवकास के िलये िपछड़े ामीण े ों म जाना होगा और वहाँ की मिहलाओं को सरकार की तरफ से
िमलने वाली सुिवधाओं और उनके अिधकारों से अवगत कराना होगा िजससे उनका भिव बेहतर हो सके। मिहला
सश करण के सपने को सच करने के िलये लिड़कयों के मह और उनकी िश ा को चा रत करने की ज रत है ।
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आतंकवाद (300 श
)
आतंकवाद िहं सा का एक गैर-कानूनी तरीका है जो लोगों को डराने के िलये आतंकवािदयों ारा योग िकया जाता है । आज,
आतंकवाद एक सामािजक मु ा बन चुका है । इसका इ ेमाल आम लोगों और सरकार को डराने-धमकाने के िलये हो रहा
है । ब त आसानी से अपने ल को ा करने के िलये िविभ सामािजक संगठन, राजनीित और ापा रक उ ोगों के
ारा आतंकवाद का इ ेमाल िकया जा रहा है । लोगों का समूह जो आतंकवाद का समथन करते ह उ आतं कवादी कहते
ह। आतंकवाद को प रभािषत करना ब त आसान नही ं है
ोंिक इसने अपनी जड़ ब त गहराई तक जमायी यी है ।
आतंकवािदयों के पास कोई िनयम और कानून नही ं है ; ये समाज और दे श म आतं क के
र को बढ़ाने और उ
करने के
िलये केवल िहं सा क गितिविधयों का सहारा लेते ह।
पूरे िव के िलये आतं कवाद एक रा ीय और अंतररा ीय सम ा बन चु का है । ये एक
वैि क सम ा है िजसने लगभग सभी रा ों को
और अ
प से भािवत िकया आ है । हालाँ िक ब त सारे दे शों
के ारा आतंकवाद का सामना करने की कोिशश की जा रही है ; लेिकन कुछ लोगों के ारा इसे आज भी समथन िदया जा
रहा है । आम लोगों को िकसी भी समय ख़ौफनाक तरीके से डराने का एक िहं सा क कुकृ
है आतंकवाद। आतंकवािदयों
के ब त सारे उ े
होते ह जैसे िक समाज म िहं सा के डर को फैलाना, राजनीितक उ े ों की ा आिद। इनके िनशाने
पर हर व दे श का आम नाग रक होता है ।
एक खास दे शों की सरकार से अपनी माँ गों को पूरा करवाना ही आतं कवािदयों का
मु
ल होता है । लोगों और सरकार तक अपनी आवाज को प ँ चाने के िलये वो ऑनलाइन सोशल मीिडया, समाचारप
या पि काओं से संपक करते ह। कई बार आतंकवादी हमले अपने वै चा रक और धािमक ल ों को पूरा करने के िलये होते
है ।
भारत एक िवकिसत दे श है िजसने पू व और वतमान म ब त सारी चु नौितयों का
सामना िकया है , आतंकवाद उनम से एक बड़ी रा ीय सम ा है । भारत ने भूखमरी से होने वाली मृ ु , अिश ा, गरीबी,
असमानता, जनसं ा िव ोट और आतंकवाद जैसी चु नौितयों का सामना िकया है िजसने इसकी िवकास और वृ को
बुरी तरह भािवत िकया है । आतंकवािदयों के धम, मातृ भूिम और दू सरे गैर-तािकक भावनाओं के उ े ों के िलये आम
लोगों और सरकार से लड़ रहा आतंकवाद एक बड़ा खतरा है । आतं कवादी अपने आप को एक बहादु र सै िनक बताते ह
हालाँ िक, वो वा िवक सैिनक नही ं होते ह। स े सै िनक कभी-भी आम लोगों को नु कसान नही ं प ं चाते ह और वो केवल
दु नों से अपने दे श को बचाने के िलये ही लड़ते ह। वा व म असली सैिनक वो होते ह जो रा िहत के िलये लड़ते ह।
जबिक आतंकवादी अपने खुद के गलत उ े ों के िलये लड़ते ह।
एक रा ीय सै िनक अपनी सभी िज ेदा रयों को समझता है जबिक एक
आतंकवादी कभी-भी ऐसा नही ं करता। आतंकवािदयों को उनका नाम आतं क श से िमला है । पू व म, आतं कवाद केवल
कुछ े ों तक ही सीिमत था जैसे ज ू- क ीर हालाँ िक; आज के िदनों म, ये लगभग सभी े ों म फैल चुका है खासतौर से
भारत के उ रपूव इलाकों म। हाल ही म, भारत म आतंकवादी हमला मु ई म नरीमन हउस और ताज होटल म आ था।
उस हमले ने भारत म कई िज िगयों को लील िलया था और ब त आिथक हािन प ँ चायी थी।
आतंकवाद एक बड़ा रा ीय मु ा है जो पू री जीत के िलये मानव िदमाग का
इ ेमाल कर रहा है । लोगों को कमजोर बनाने के िलये उ डरा रहा है िजससे वो दु बारा से रा पर राज कर सक। इसको
अंतररा ीय र पर सुलझाने की ज रत है । हम इसे जड़ से ख करने के बारे म सोचना होगा। मानव म
से
असाधारण आतंक को हटाने के साथ ही इसके सा ा को पूरी तरह से ने ानाबूद करने के िलये हम एक मजबूत नीित
बनानी चािहये। आतंकवाद अपने सकारा क प रणामों को पाने के िलये िहसां क तरीका अपनाता है ।
आतं कवाद एक िहं सा क कुकृ
है िजसको अंजाम दे ने वाले समूह को
आतंकवादी कहते ह। वो ब त साधारण लोग होते ह और दू सरों के ारा उनके साथ घिटत ये कुछ गलत घटनाओं और या
कुछ ाकृितक आपदाओं के कारण वो िकसी तरह अपने िदमाग पर से अपना िनयं ण खो दे ते ह जो उनकी इ ाओं को
सामा या ीकृत तरीके से पू रा करने के म अ म बना दे ता है । धीरे -धीरे वो समाज के कुछ बुरे लोगों के भाव म आ जाते
ह जहाँ उनकी सभी इ ाओं को पू रा करने का वादा िकया जाता है । वो सभी एक साथ िमलते ह और एक आतं कवादी समूह
बनाते ह जो िक अपने ही रा , समाज और समुदाय से लड़ता है । आतंकवाद, दे श के सभी युवाओं के िवकास और वृ को
भािवत करता है ।
ये रा को उिचत िवकास से कई वष पीछे ढकेल दे ता है । आतंकवाद दे श पर
अं ेजों की तरह राज कर रहा है , िजससे हम िफर से आजाद होने की ज रत है । हालाँ िक, ऐसा तीत होता है िक
आतं कवाद हमेशा अपने जड़ को गहराई से फैलाता रहे गा ोंिक अपने अनैितक उ े ों की ा
के िलये रा के कुछ
अमीर लोग अभी-भी इसको समथन दे रह ह।
भारत ढ़े र सारी चुनौितयों का सामना कर रहा है जैसे गरीबी, जनसं ा वृ ,
िनर रता, असमानता आिद ब त कुछ, िफर भी आतंकवाद इन सबसे ादा खतरनाक है जो पूरी मानव जाित को भािवत
कर रहा है । ये ब त ही डरावनी बीमारी है जो लोगों को मानिसक और बौ क र पर भािवत कर रही है । चाहे ये छोटे
दे शों म होता हो (आयरलड, इज़रायल आिद) या बड़े दे शों (यूएसए, स आिद) म; ये दोनों ही जगह चुनौती के प म है ।
अपने कुछ राजनीितक, धािमक या
गत ल की ा
के िलये आतंकवादी अथात् परे शान लोगों के समूह के ारा
िहं सा क तरीकों का योग आतं कवाद है । आज ये िदनों-िदन बढ़ता ही जा रहा है ।
आतं कवाद का कोई िनयम कानून नही ं होता वो केवल अपनी माँ गों को पू रा
करने के िलये सरकार के ऊपर दबाव बनाने के साथ ही आतंक को हर जगह फैलाने के िलये िनद ष लोगों के समूह या
समाज पर हमला करते ह। उनकी माँ गे बेहद खास होती हो, जो वो चाहते ह केवल उसी को पूरा कराते ह। ये मानव जाित
के िलये एक बड़ा खतरा है । वो कभी-भी अपने दो , प रवार, ब े, मिहला या बूढ़े लोगों के िलये समझौता नही ं करते ह। वो
केवल लोगों की भीड़ पर बम िगराना चाहते ह। वो लोगों पर गोिलयाँ चलाते ह, िवमानों का अपहरण करते ह और दू सरी
आतं की गितिविधयों को अं जाम दे ते ह।
कम से कम समय म अपने मु
े ों या दे शों म आतंक फैलाने के िलये
आतं कवादी ल बनाते ह। पू व म, ऐसा माना जाता है िक आतंकवादी गितिविधयाँ केवल ज ू और क ीर तक ही सीिमत
थी लेिकन अब ये अपनी जड़ दे श के दू सरे े ों म भी फैला रहा है । दे श म अलग-अलग नामों के साथ कई सारे आतं कवादी
समूह सि य ह। अपने काय के अनु सार राजनीितक और आपरािधक आतंकवाद के दो मु
कार ह। कुछ खास ल ों
को पू रा करने के िलये िशि त लोगों का समूह है आतं कवाद। िविभ उ े ों को पूरा करने के िलये एक से ादा आतं की
समूह िशि त िकये जाते ह। ये एक बीमारी की तरह है जो िनयिमत तौर पर फैल रही है और अब इसके िलये कुछ
असरदार उपचार की ज रत है ।
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भारत अिभयान (300 श
)
भारत अिभयान को
भारत िमशन और
ता अिभयान भी कहा जाता है | यह एक रा ीय र का अिभयान है
और भारत सरकार ारा चलायी जा रही है जो की शहरों और गाओं की सफाई के िलए आर की गयी है | इस अिभयान म
शौचालयों का िनमाण, ामीण े ों म
ता काय मों को बढ़ावा दे ना, गिलयों व सड़कों की सफाई, दे श के बुिनयादी
ढां चे को बदलना आिद शािमल है । इस अिभयान को आिधका रक तौर पर राजघाट, नई िद ी म 2 अ ू बर 2014 को
महा ा गां धी की 145 वी ं जयं ती पर धानमं ी नर मोदी ारा शु िकया गया था।
भारत अिभयान भारत सरकार ारा चलायी गयी एक
ता िमशन है ।
यह अिभयान 2 अ ू बर 2014 को महा ा गां धी की 145 व ज िदन के अवसर पर भारत सरकार की ओर से आिधका रक
तौर पर शु िकया गया था| यह राजघाट, नई िद ी जो की महा ा गां धी का अंितम सं ार का थान है , म शु िकया
गया था। भारत सरकार २ अ ू बर 2019 तक भारत को
भारत बनाने का उ े रखी है जो की महा ा गां धी की 150
वी ं जयंती होगी|
यह एक राजनीित मु अिभयान है और दे शभ
से े रत है । यह
ेक
के िलए एक िज ेदारी है और इस दे श को
दे श बनाने के िलए हर भारतीय नाग रक की भागीदारी की आव कता
है | इस अिभयान को सफल बनाने के िलए िव
र पर लोगों ने पहल की है । िश क और ू ल के छा इसम पू ण उ ाह
और उ ास के साथ शािमल हो रहे है और '
भारत अिभयान' को सफल बनाने का यास कर रहे है |
भारत अिभयान के एक रा
ापी सफाई अिभयान के
प म धानमं ी
नर मोदी ारा शु की गई एक
ता अिभयान है । यह एक
भारत की क ना की ि से लागू िकया गया है ।
भारत को एक
दे श बनाना महा ा गां धी का एक सपना था इसीिलए इसे महा ा गां धी की जयंती पर भारत सरकार
ारा शु िकया गया। महा ा गां धी ने अपने व म नारो ारा और लोगो को े रत करके
भारत की कोिशश की थी
िक ु वो लोगो की कम िच के कारण असफल रहे |
लेिकन कुछ वष बाद इस
भारत िमशन को सफल बनाने के िलए भारत
सरकार ारा पुनः आर िकया गया जो की महा ा गां धी के 150 वी ं जयंती तक समा होने का अनुमान है | यह महा ा
गां धी की 145 वी ं जयंती पर 2 अ ू बर 2014 म शु िकया गया। यह भारत के सभी नाग रकों के िलए एक बड़ी चु नौती है ।
यह तभी संभव है जबिक भारत म रहने वाला हर
इस अिभयान के िलए अपनी िज ेदारी को समझे ह और इसे एक
सफल िमशन बनाने के िलए एक साथ होकर पू रा करने की कोिशश करे । िस भारतीय ह यों ने इसकी पहल की और
पू रे भारत से एक जाग कता काय म के
प म इसका सार िकया|
भारत िमशन या
भारत अिभयान भारत सरकार ारा चलाया गया एक
िवशाल जन आं दोलन है जोिक पु रे भारत म सफाई को बढ़ावा दे ता है । इस अिभयान को 2019 तक एक
भारत का
ल रखते ए 2 अ ू बर 2014 को महा ा गां धी की 150 वी ं ज िदन के सुबह अवसर पर शु िकया गया था। रा िपता
महा ा गां धी ने भारत को एक
भारत बनाने का सपना दे खा और इसके िलए हमेशा किठन यास िकये । रा िपता के
सपने को साकार करने के िलए भारत सरकार ने इस अिभयान को शु करने का फैसला िकया।
इस िमशन का उ े
सभी ामीण और शहरी े ों को कवर करना है तािक
दु िनया के सामने हम एक आदश दे श का उदाहरण
ुत कर सके। िमशन के उ े ो म से कुछ उ े
है , खु ले म शौच
समा करना, अ ा कर शौचालयों को
श शौचालय म प रवितत करना, हाथ से मल की सफाई को रोकना, ठोस
और तरल कचरे का पु न: उपयोग, लोगों को सफाई के ित जाग क करना, अ ी आदतो के िलए े रत करना, शहरी
और ामीण े ों म सफाई व था अनु कूल बनाना, व भारत म िनवेश के िलए िच रखने वाले सभी िनजी े ों के िलए
अनु कूल वातावरण दान करना आिद है |
इस अिभयान म ब त ही िच पू ण तरीका इ े माल हो रहा है िजसमे
ेक
9 लोगो को इससे जु ड़ने के िलए
आमंि त करे गा और िफर वह
ेक
अगले 9 लोगो को जुड़ने के िलए आमंि त करगे और ये ंखला तब तक चलती
रहे गी जब तक की भारत का
े क नाग रक इससे जुड़ न जाए|
भारत अिभयान भारत सरकार ारा चलाये जाने वाला एक रा
ापी सफाई
अिभयान है िजसकी शु वात धानमं ी नर मोदी ारा महा ा गां धी के 145 व ज िदन के अवसर पर 2 अ ू बर २०१४
को की गयी थी| यह अिभयान पू रे भारत म सफाई के उ े
को पूरा करने के िलए शु िकया गया है । धानमं ी ने लोगो
से अपील की है की वो
भारत िमशन से जु ड़े और अ लोगो को भी इससे जुड़ने की े रत करे तािक हमारा दे श
दु िनया का सबसे अ ा और
दे श बन सके| इस अिभयान की शु वात यं नर मोदी ने सड़क की सफाई कर के
की थी|
भारत अिभयान भारत की सबसे बड़ी कभी सफाई अिभयान है िजसके
शु भार पर लगभग 30 लाख ू लों और कॉलेजों के छा ों और सरकारी कमचा रयों ने भाग िलया। शुभारं भ के िदन
धानमं ी ने नौ ह यों के नामो की घोषणा की और उनसे अपने े म सफाई अिभयान को बढाने और आम जनता को
उससे जुड़ने के िलए े रत करने को कहा| उ ोंने यह भी कहा िक इन ह यों को अगले ९ लोगो को इससे जु ड़ने के िलए
े रत करना है और ये ं खला तब तक चलेगी जब तक की पुरे भारत तक इसका स े श न प ं च जाये |
उ ोंने यह भी कहा िक हर भारतीय इसे एक चुनौती के
प म ले और इसे सफल
अिभयान बनाने के िलए अपना पू रा यास करे । नौ लोगों की ृंखला पेड़ की एक शाखाओं की तरह है । उ ोंने आम जनता
को इससे जुड़ने के िलए अनु रोध िकया और कहा की वे सफाई की त ीर सोशल मीिडया जैसे की फेसबुक, ि टर व अ
वे बसाइट पर डाल और अ लोगो को भी इससे जुड़ने के िलए े रत करे । इस तरह भारत एक
दे श हो सकता है ।
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रा ीय एकीकरण (300 श
)
रा ीय एकीकरण को रा ीय एकता िदवस भी कहा जाता है । दे श के लोगों के बीच असमानता के साथ ही समािजक सं ृ ित
और अथशा के भेदभाव को घटाना इसका एक सकारा क पहलू है । दे श म रा ीय एकता लाने के िलये िकसी समूह,
समाज, समुदाय और पूरे दे श के लोगों के बीच एकता को मजबूती दे ने के िलये ये बढ़ावा दे ता है । िकसी स ा के ारा ये
कोई एक दबाव नही ं है ब
भारत को एक िवकिसत दे श बनाने के िलये ये लोगों से आ ह करता है । ये केवल लोगों की
एकता और सौहाद के ारा ही संभव होगा। अपने भावना क संबंध को बढ़ाने के िलये उ अपने िवचार, मू और दू सरे
मु ों को बाँ टना चािहये। लोगों को िविवधता के अंदर एकता को जीना और महसूस करना चािहये और अपने रा की पहचान
एक सुि म श
के प म बनानी चािहये।
इस दे श म
गत र के िवकास को बढ़ाने के िलये भारत म रा ीय एकीकरण
का ब त मह है और ये इसे एक मजबूत दे श बनाता है । पूरी तरह से लोगों को इसके ित जाग क बनाने के िलये , 19
नवंबर से 25 नवंबर तक रा ीय एकता िदवस और रा ीय एकीकरण स ाह (अथात् कौमी एकता स ाह)के प म 19
नवंबर (भारत की पहली मिहला धानमं ी इं िदरा गाँ धी का ज िदवस) को हर वष एक काय म के प म मनाया जाता
है । एकीकरण का वा िवक अथ है अलग-अलग भागों को एक बनाने के िलये जोड़ना।
भारत एक ऐसा दे श है जहाँ लोग िविभ धम, े , सं ृ ित, परं परा, न , जाित,
रं ग और पंथ के लोग एक साथ रहते ह। इसिलये , रा ीय एकीकरण बनाने के िलये भारत म लोगों का एकीकरण ज री है ।
अगर एकता के ारा अलग-अलग धम और सं ृ ित के लोग एक साथ रहते ह, वहाँ पर कोई भी सामािजक या
िवकासा क सम ा नही ं होगी। भारत म इसे िविवधता म एकता के प म जाना जाता है हालाँ िक ये सही नही ं है लेिकन
हम (दे श के युवाओं को) इसे मुमिकन बनाना है ।
भारत म, हर साल 19 नवं बर को एक ब त ज री सामािजक काय म के प म
रा ीय एकीकरण िदवस को दे खा जाता है । रा ीय एकीकरण के बारे म लोगों के बीच अिधक जाग कता फैलाने के िलये,
19 से 25 नवंबर तक रा ीय एकीकरण स ाह के प म वािषक तौर पर दे खे जाने के िलये भारतीय सरकार ारा एक पूरे
स ाह का काय म भी लागू िकया गया है । भारत एक ऐसा दे श है जो अपने िविभ सं ृ ितयों, परं पराओं, न , धम ,
जाित और पंथ के जाना जाता है लेिकन इसे अनदे खा नही ं िकया जा सकता है िक यहाँ िनवास कर रहे लोगों की सोच म
िविवधता के कारण ये अभी भी िवकासशील दे शों म आता है । यहाँ रह रहे लोग अपनी सं ृ ित और धम के अनु सार अलगअलग सोचते ह जो
गत और दे श के िवकास को रोकने का एक बड़ा कारण ह।
भारत अपनी िविवधता म एकता के िलये िस है लेिकन ये सही नही ं है
ोंिक
िवकास के िलये दू सरे के िवचार को ीकार करने के िलये लोग तै यार नही ं है । यहाँ सभी मानते ह िक उनका धम ही सबसे
बेहतर है और जो भी वो करते ह वही सबसे ठीक है । अपने खु द के फायदे के िलये केवल खुद को अ ा सािबत करने के
िलये यहाँ रह रहे िविभ न ों के लोग आपस म शारी रक, भावना क, बहस और चचा आिद के ारा लड़ते ह। अपने दे श
के बारे म एक साथ होकर वो कभी नही ं सोचते ह। वो कभी नही ं सोचते िक हमारे दे श का िवकास केवल
गत वृ
और िवकास के साथ ही संभव है ।
“लोगों की एकता” के प म भारत की एक पहचान बनाने के िलये अलग धम के
लोगों के बीच एकता को लाने के िलये रा ीय एकीकरण एक ि या है । सम य और एकता की मजबूती के साथ ही समाज
म असमानता और दू सरे सामािजक मु े जैसे िविवधता, न ीय भेद-भाव आिद को हटाने के िलये ये एक और एकमा रा ा
है । भारत एक ब -जाितय और ब -भाषायी दे श है जहाँ िविभ जाित के लोग एक साथ रहते ह और अलग-अलग भाषाएँ
बोलते ह। वो अपनी था और परं परा अपने धम के अनु सार िनभाते ह। भारत म लोगों के बीच केवल धम, जाित, पं थ, रं ग
और सं ृ ित से ही िविवधता नही ं है ब
सोच म भी िविवधता िदखाई दे ती है जो भारत म अनु िचत िवकास का एक बड़ा
िवषय है ।भारतीय लोगों के बीच अलगाव की एक उ
थित है जो सां दाियक और दू सरी सम ाओं के साथ यहाँ एक बुरा
पर
बनाती है । भारत म अलगाव के कारण, हम लोगों ने ढ़े र सारी सामािजक सम ाओं का सामना िकया जै से 1947 म
भारत का बँटवारा, 1992 म बाबरी म द का िव ंस, िह दू और मु मों के बीच दं गे आिद। अ ृ ता की बाधा, भाषा
की बाधा, सामािजक थित की बाधा और दू सरी सामािजक बाधाएँ हम पीछे ले जा रही ं ह। िविवधता म एकता लाने के िलये
भारतीय सरकार ारा ब त सारे िनयम-कानू न लागू िकये गये ह हालां िक ये केवल मानव िदमाग है जो लोगों के बीच
िविवधता म ाभािवक एकता ला सकता है ।रा ीय एकीकरण म कमी के कारण यहाँ सभी सामािजक सम ाओं का उदय
हो रहा है । हम सभी को इस रा ीय एकीकरण के वा िवक अथ, उ े
और ज रत को समझना चािहये। अपने दे श के
मु
िवकास के िलये भारतीय सरकार ारा सभी िनयम-कानूनों को मानने के साथ ही हम एक साथ रहना और सोचना
चािहये।
भारत एक ऐसी भूिम है जहाँ अपनी अनोखी सं ृ ित और िविवध जीवनशै ली
को मानने वाले िवरोधी लोग रहते ह। ये ब त ही साफ है िक हम हमारे जीवन म रा ीय एकीकरण के अथ को समझने की
ज रत है और अपने दे श को एक पहचान दे ने के िलये सबकुछ मानना होगा। भारत म लोग िविभ धम, जाित, समुदाय,
न और सां ृ ितक समूह से सं बंध रखते ह और वष से एक साथ रह रह ह। भारत की सां ृ ितक िवरासत को िविवध
धम, जाित और पंथ ने समृ बनाया आ है िजसने यहाँ पर एक िमि त सं ृ ित को सामने रखा है हालाँ िक ये ब त ही
साफ है िक भारत म हमेशा राजनीितक एकता की कमी रही है ।
भारत म केवल एक बार राजनीितक एकता िदखाई दी थी जब सभी ने िमलकर
1947 म अं ेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर िकया गया था। अं ेजों ने यहाँ कई कार से बाँ टो और राज करो की नीित
अपनाई थी हालाँ िक, इसम वो बाद म असफल हो गये थे। कुछ िबंदु जैसे सां ृ ितक एकता, र ा क िनरं तरता, सं िवधान,
कला, सािह , सामा आिथक सम ाएँ रा ीय ज़, रा गान, रा ीय उ व और रा ीय तीक के ारा भारत म रा ीय
एकीकरण को बढ़ावा िदया जाता है ।
अलग धम और जाित होने के बावजूद हम पहचाना चािहये िक एक मजबूत और
समृ रा का िनमाण करने के िलये हम सब एक ह। हम भारत म िविवधता म एकता का वा िवक मतलब समझना
चािहये। इसका ये कतई मतलब नही ं है िक अखं डता की कृित यहाँ पर न ीय और सां ृ ितक समानता के कारण होनी
चािहये। ब
इसका मतलब है िक इतने अं तर के बावजूद भी एका कता है । पूरे िव भर म दू सरी सबसे बड़ी जनसं खया
वाले दे श के प म भारत को िगना जाता है , जहाँ पर 1652 भाषाएँ बोली जाती ह और िव के सभी मु
धम के लोग यहाँ
एक साथ रहते ह। सभी मतभे दों के बावजू द भी हम िबना िकसी राजनीितक और सामािजक िवरोधाभास के शां ित से एकदू सरे के साथ रहना चािहये । हम इस महान दे श म एकता का आन उठाना चािहये जहाँ रा ीय एकीकरण के उ े
को
पू रा करने के िलये सबकुछ िविवधता है ।
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ाचार (300 श
)
ाचार एक जहर है जो दे श, सं दाय, और समाज के गलत लोगों के िदमाग म फैला होता है । इसम केवल छोटी सी इ ा
और अनुिचत लाभ के िलये सामा जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है । इसका संबंध िकसी के ारा अपनी ताकत
और पद का गैरज री और गलत इ ेमाल करना है , िफर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी सं था हो। इसका भाव
के िवकास के साथ ही रा पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण है । साथ ही
ये राजनीितक, आिथक और सामािजक प से रा के गित और िवकास म बाधा भी है ।
ाचार से
सावजिनक सं पि , श
और स ा का गलत इ े माल अपनी आ
संतुि और िनजी ाथ की ा
के िलये करता है । इसम सरकारी िनयम-कानू नों की ध याँ उड़ाकर फायदा पाने की
कोिशश होती है ।
ाचार की जड़े समाज म गहराई से ा हो चुकी है और लगातार फैल रही है । ये कसर जैसी बीमारी
की तरह है जो िबना इलाज के ख नही ं होगी। इसका एक सामा
प पै सा और उपहार लेकर काम करना िदखाई दे ता
है । कुछ लोग अपने फायदे के िलये दू सरों के पैसों का गलत इ े माल करते ह। सरकारी और गैर-सरकारी कायालयों म
काम करने वाले
ाचार म िल होते है और साथ ही अपनी छोटी सी की पू ित के िलये िकसी भी हद तक जा सकते है ।
हम सभी
ाचार से अ े तरह वािकफ है और ये अपने दे श म नई बात नही ं है । इसने
अपनी जड़ गहराई से लोगों के िदमाग म बना ली है । ये एक धीमे जहर के प म ाचीन काल से ही समाज म रहा है । ये
मुगल सा ा के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर प ँ च रहा है साथ ही बड़े पै माने पर लोगों के
िदमाग पर हावी हो रहा है । समाज म सामा होता
ाचार एक ऐसा लालच है जो इं सान के िदमाग को
कर रहा है और
लोगों के िदलों से इं सािनयत और ाभािवकता को ख कर रहा है ।
ाचार कई कार का होता है िजससे अब कोई भी े छु टा नही ं है चाहे वो िश ा,
खेल, या राजनीित कुछ भी हो। इसकी वजह से लोग अपनी िज े दा रयों को नही ं समझते । चोरी, बेईमानी, सावजिनक
संपि यों की बरबादी, शोषण, घोटाला, और अनैितक आचरण आिद सभी
ाचार की ही ईकाई है । इसकी जड़े िवकिसत
और िवकासशील दोनों तरह के दे शों म ा है । समाज म समानता के िलये अपने दे श से
ाचार को पू री तरह से िमटाने
की ज रत है । हम अपनी िज ेदा रयों के ित िन ावान होना चािहये और िकसी भी कार के लालच म नही ं पड़ना चािहये ।
वतमान म ‘ ाचार’ फैलने वाली बीमारी की तरह हो चु का है जो समाज म हर तरफ
िदखाई दे ता है । भारत के वो महान नेता िज ोंने अपना पू रा जीवन
ाचार और सामािजक बुराईयों को िमटाने म लगा
िदया, लेिकन ये शम की बात है िक आज उनके िदखाये रा ों की अनदे खी कर हम अपनी िज ेदा रयों से भागते है । धीरे धीरे इसकी पैठ राजनीित, ापार, सरकार और आमजनों के जीवन पर बढ़ती जा रही है । लोगों की लगातार पैसा, ताकत,
पद और आलीशान जीवनशैली की भूख की वजह से ये घटने के बजाय िदनों-िदन बढ़ता ही जा रहा है ।
पैसों की खाितर हमलोग अपनी वा िवक िज ेदारी को भूल चुके है । हमलोग को
ये समझना होगा िक पैसा ही सबकुछ नही ं होता साथ ही ये एक जगह िटकता भी नही ं है । हम इसे जीवनभर के िलये साथ
नही ं रख सकते, ये केवल हम लालच और
ाचार दे गा। हम अपने जीवन म मू ों पर आधा रत जीवन को मह दे ना
चािहये ना िक पैसों पर आधा रत। ये सही है िक सामा जीवन जीने के िलये ढ़े र सारे पै सों की आव ता होती है जबिक
िसफ अपने ाथ और लालच के िलये ये सही नही ं है ।जैसा िक हम सभी जानते है िक
ाचार ब त बुरी सम ा है । इससे
के साथ-साथ दे श का भी िवकास और गित क जाता है । ये एक सामािजक बुराई है जो इं सान की सामािजक,
आिथक और बौ क मता के साथ खेल रहा है । पद, पै सा और ताकत के लालच की वजह से ये लगातार अपनी जड़े गहरी
करते जा रहा है । अपनी
गत संतुि के िलये श , स ा, पद, और सावजिनक संसाधनों का दु पयोग है
ाचार।
सू ों के मुतािबक, पूरी दु िनया म
ाचार के मामले म भारत का थान 85वाँ है ।
ाचार सबसे अिधक िसिवल से वा, राजनीित, ापार और दू सरे गैर कानूनी े ों
म फैला है । भारत िव म अपने लोकतां ि क व था के िलये िस है लेिकन
ाचार की वजह से इसको ित प ँ च रही
है । इसके िलये सबसे
ादा िज ेदार हमारे यहाँ के राजनीित है िजनको हम अपनी ढ़े रों उ ीदों के साथ वोट दे ते है ,
चुनाव के दौरान ये भी हम बड़े -बड़े सपने िदखाते है लेिकन चु नाव बीतते ही ये अपने असली रं ग म आ जाते है । हमे यकीन है
िक िजस िदन ये राजनीित अपने लालच को छोड़ दगे उसी िदन से हमारा दे श
ाचार मु हो जाएगा।हम अपने दे श के
िलये पटे ल और शा ी जै से ईमानदार और भरोसे मंद नेता को चुनना चािहए ोंिक केवल उ ी ं जैसे नेताओं ने ही भारत म
ाचार को ख करने का काम िकया। हमारे दे श के युवाओं को भी
ाचार से लड़ने के िलये आगे आना चािहये साथ ही
बढ़ते
ाचार पर लगाम लगाने के िलये िकसी ठोस कदम की आव कता है ।
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ोबल वािमग (300 श
)
ोबल वािमग पूरे िव म एक मु
वायुम लीय मु ा है । सू रज की रोशनी को लगातार हण करते ए हमारी पृ ी िदनोंिदन गम होती जा रही है िजससे वातावरण म कॉबनडाई ऑ ाइड का र बढ़ रहा है । इसके लगातार बढ़ते दु भावों से
इं सानों के िलये बड़ी सम ाएं हो रही है । िजसके िलये बड़े र पर सामािजक जाग कता की ज रत है । इस सम ा से
िनपटने के िलये लोगों को इसका अथ, कारण और भाव पता होना चािहये िजससे ज से ज इसके समाधान तक प ँ चा
जा सके। इससे मुकाबला करने के िलये हम सभी को एक साथ आगे आना चािहये और धरती पर जीवन को बचाने के िलये
इसका समाधान करना चािहए।
आज धरती पर वायु म ल के बड़े िवषय के प म ोबल वािमग है िजसकी वजह से
धरती के सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है । ऐसा आकलन िकया गया है िक अगले 50 या 100 वष म धरती का
तापमान इतना बढ़ जायेगा िक जीवन के िलये इस धरती पर कई सारी मु
ल खड़ी हो जाएँ गी। धरती पर तापमान के बढ़ने
पर जो सबसे मु
और जाना आ कारण है , वो है वायुमंडल म बढ़ती कॉबनडाई आ ाइड की मा ा का र।
धरती पर इस िवनाशक गैस के बढ़ने की मु
वजह जीवा ईंधनों जैसे-कोयला और
तेल का अ िधक इ ेमाल और जंगलों की कटाई है । धरती पर घटती पे ड़ों की सं ा की वजह से कॉबनडाई आ ाइड
का र बढ़ता है , इस हािनकारक गैसों को इ ेमाल करने के िलये पे ड़-पौध ही मु
ोत होते तथा इं सानों ारा इसे कई
पों (साँ स लेने की ि या ारा आिद) म छोड़ा जाता है । बढ़ते तापमान की वजह से समु जल र बढ़ना, बाढ़, तू फान,
खा पदाथ की कमी, तमाम तरह की बीमारीयाँ आिद का खतरा बढ़ जाता है ।
धरती के लगातार बढ़ते तापमान र को ोबल वािमग कहते है । पू रे िव म इं सानों
की न ान दे ने वाली गलत आदतों की वजह से हमारी धरती की सतह िदनों-िदन गम होती जा रही है । धरती के वातावरण
के िलये ये सबसे िचंताजनक पहलू है
ोंिक इससे लगातार धरती पर जीवन की सं भावानाएँ कम होती जाएँ गी। इसके
समाधान तक प चने से पहले, हम वातावरण पर इसके कारण और पड़ने वाले भाव के बारे म ज र सोचना चािहए िजससे
हम आ
हो सके िक हम इससे राहत पाने की सही िदशा म आगे बढ़ रहे है । धरती के लगातार गम होने का मतलब
पयावरण म CO2 गैस का बढ़ना है । जबिक, CO2 के बढ़ते र के कई कारण है जै से पे ड़ों की कटाई, कोयले का
इ ेमाल, जीवा ईंधनों का इ ेमाल, प रवहन के िलये गैसोिलन का इ े माल, िबजली का गैर-ज री इ ेमाल आिद से
धरती का तापमान बढ़ता है । इससे ओजोन परत म रण, समु जल र म वृ , मौसम के
भाव म बदलाव, बाढ़,
तूफान, महामारी, खा पदाथ की कमी, मौंते आिद म बढ़ौतरी होगी जो धरती पर जीवन के सं भावानाओं को कम करता
जाएगा। ोबल वािमग के बढ़ते खतरे िलये िकसी एक को दोष नही ं िदया जा सकता ब
पूरी मानव जाित इसके िलये
िज ेदार है िजसका समाधान वैि क जाग कता और हर एक के उदार यास से ही संभव होगा।
धरती के तापमान म लगातार बढ़ते र को ोबल वािमग कहते है । वतमान म ये पूरे
िव के सम बड़ी सम ा के प म उभर रहा है । ऐसा माना जा रहा है िक धरती के वातावरण के गम होने का मु
कारण का ीनहाउस गैसों के
र म वृ है । अगर इसे नजरअं दाज िकया गया और इससे िनजात पाने के िलये पू रे िव के
दे शों ारा तुरंत कोई कदम नही ं उठाया गया तो वो िदन दू र नही ं जब धरती अपने अंत की ओर अ सर हो जाएगी।
िदनों-िदन बढ़ते इसके खतरनाक भाव से सं पूण िव के िलये खतरा उ
हो रहा
है । इससे समु जल र म वृ , बाढ़, तूफान, च वात, मौसम के
पों म प रवतन, सं ामक बीमारीयाँ , खा कमी,
मौत आिद आने वाले समय म िदखाई दगी। इससे िनजात पाने का एक ही तरीका है
गत र पर जन-जाग कता।
लोगों को इसका अथ, कारण, और भाव की समझ होनी चािहये िजससे इसको जड़ से िमटाया जा सके और धरती पर
जीवन की संभावानाएँ सदा के िलये मुमिकन हो।लोगों को उनकी बुरी आदतों जैसे ते ल, कोयला और गैस के अ िधक
इ ेमाल, पेड़ों की कटाई( ोंिक ये काबनडाई ऑ ाइड को सोखने का मु
ोत है ) को रोक कर, कम िबजली का
इ े माल कर आिद से CO2 को फैलने से रोकना चािहए। पूरी दु िनया के लोगों म थोड़े से बदलाव से, एक िदन हम लोग
इसके भावों को घटाकर वातावरण म ए नकारा क प रवतन को रोक सकते है ।
पयावरण म कॉबनडाई ऑ ाइड के बढ़ते र के कारण धरती के सतह का
तापमान लगातार बढ़ना ोबल वािमग है । ये िव समुदाय के िलये एक बड़ा और गंभीर मु ा बनता जा रहा है । ज रत है
िक िव समाज के सभी दे श इसके समाधान के िलये सकारा क कदम उठाये। िनयिमत बढ़ते धरती के तापमान से कई
सारे खतरों का ज होगा जो इस ह पर जीवन के अ
को किठन बना दे गा। ये धरती के आबोहवा म िनयिमत और
थायी प रवतन को बढ़ा दे गा और इससे कृित का संतुलन िबगड़ने लगेगा।
धरती पर CO2 के बढ़ने से इं सानी जीवन पर इसका बड़ा भाव दे खने को
िमलेगा इससे लगातार गम हवाएँ , अचानक से आया तूफान, अ ािशत च वात, ओजोन परत म रण, बाढ़, भारी
बरसात, सूखा, खा पदाथ की कमी, महामारी, और मौंते आिद म बढ़ौतरी होगी। ऐसा शोध म पाया गया है िक CO2 के
अिधक उ जन का कारण जीवा ईंधनों के योग, खाद का इ ाल, पेड़ों की कटाई, ि ज और एसी से िनकलने वाली
गैस, अ िधक िबजली के इ े माल आिद है । ये ान दे ने यो है िक अगर इसको नही ं रोका गया तो 2020 तक ोबल
वािमग से धरती पर बुरा भाव पड़ सकता है ोंिक CO2 का उ जन लगातार बढ़ रहा है ।
धरती पर ीनहाउस गैसों के भाव बढ़ने का कारण CO2 के
र म बढ़ना है ,
सभी ीनहाउस गैस (जलवा , CO2, मीथे न, आिद) गम िकरणों की पात को सोखता है िजसके बाद सभी िदशाओं म
दु बारा से िवकीकरण होता है और धरती पर वापस आकर तापमान म वृ
करता है जो हम ोबल वािमग के प म
िदखाई दे ता है । ोबल वािमग के जीवन से सं बंिधत दु भावों को रोकने के िलये, हम CO2 और ीनहाउस गैसों के भावों
को बढ़ाने वाले सभी कारकों को हमेशा के िलये ागना पड़े गा िजससे हमारी पृ ी का तापमान गम न हो। हम पे ड़ों की
कटाई नही ं करनी चािहए, िबजली का सही इ े माल करना चािहए, लकड़ी को नही ं जलाना चािहए आिद।
Fb.com/SSc FoRUm (R.K. PATEL & RoSHAN)
व
जीएसटी GST जीएसटी यानी व
ु एवं सेवा कर(GST)
ु एवं सेवा कर (Goods & Services Tax) एक ऐसी दवा का नाम है जो भारत की
Tax वाली बीमारी का इलाज एक बार म कर दे गी। रा
सभा ने कल GST के िलए सं िवधान सं शोधन िबल पर बहस की
और वोिटं ग ई। ये संिवधान म 122वां संशोधन िवधेयक है । इसे भारत म Tax सु धारों को लेकर आज़ादी के बाद से अब
तक का सबसे मह पूण संवैधािनक संशोधन माना जा रहा है िजसे रा
सभा ने पास कर िदया है । रा
सभा म GST को
लेकर संिवधान संशोधन को मंजूरी िमल जाने के बाद पू रे दे श म GST को 1 अ ैल 2017 से लागू िकया जा सकता है ।
इससे भारत एक Single टै
व
ुओं और सेवाओं पर लगने वाले अलग अलग तरह के Tax ख
के करीब 132 करोड़ लोग सेवाओं और व
अभी िकसी भी सामान पर क और रा
एक जैसा टै
मौजूदा
अ
लगाया जाएगा। सिवस टै
वाली अथ
हो जाएं गे और िफर एक नये आं कड़े के मुतािबक दे श
ुओं पर िसफ एक तरह का Tax दगे िजसे GST के नाम से जाना जाएगा।
कई तरीके के टै
, सटल से
टै
लगाते ह। लेिकन GST आने से सभी तरह के सामानों पर
,
े ट से
टै
थित ये है िक हम िकसी भी सामान पर करीब 30 से 35% टै
तरीके से लगाया जाने वाला टै
िजसम कोई In-direct टै
व था बन जाएगा यानी दे श म
और VAT जै से तमाम टै
दे ना पड़ता है ।कुछ चीज़ों पर तो
50 फीसदी तक प ं च जाता है ।GST आने के बाद ये टै
नही ं होगा। GST के आने से टै
ख़
होंगे।
या
18% हो जाएगा,
का ढां चा सरल हो जाएगा और इससे manufacturing
sector का पै सा और समय दोनो बचगे। िवशेष ों की राय है िक अगर दे श म GST लागू हो जाएगा तो GDP growth 1
से 2 फीसदी तक बढ़ सकती है । GST के ज़ रए दे श म एक टै
रा
अथ
की
सरकारों ारा लगाए जाने वाले 20 तरह Indirect Taxes यानी अ
व था को एक दे श, एक टै
20 अलग अलग तरह के टै
वाली अथ
ख़
चुकाते ह जबिक GST लागू होने के बाद िसफ एक तरह का टै
हो जाएं गे। GST भारत की
ुओं और से वाओं के िलए
ही चुकाना होगा
GST लागू होने के बाद घर और कार खरीदना काफी स
की वजह से ये कार 45 हज़ार
पये तक स
ा हो जाएगा ऐसा इसिलए होगा
ोंिक अभी अलग-अलग रा
ा हो जाएगा।
लगता है लेिकन िसफ 18 ितशत GST लगने
ी हो सकती ह। अभी घर खरीदने पर आपको सिवस टै
चुकाने पड़ते ह लेिकन GST लागू होने पर आपको िसफ एक तरह का टै
Service टै
टै
व था बना दे गा। िफलहाल भारत के लोग व
छोटी कारों और Compact SUVs पर अभी 30 से 44 ितशत तक टै
खाना भी स
व था लागू हो जाएगी। इसी के साथ क और
और Vat दोनों
दे ना होगा। इसी तरह Restaurant म खाना
ो म Vat की दर अलग-अलग है और आपको
भी चुकाना होता है ..लेिकन GST लागू होने पर आपको िसफ एक ही तरह का Tax दे ना होगा। अभी
एयरकंडीशनर, माइ ोवेव ओवन और वॉिशंग मशीन जै से घरे लू ऊपकरण खरीदने पर आपको 12.5 ितशत ए
और 14.5 VAT दे ना पड़ता है ..लेिकन GST के तहत िसफ 18 ितशत टै
ाइज़
दे ने से ये सामान आप काफी कम दामों पर
घर ला पाएं गे। दे शभर म माल ढु लाई करीब 20 ितशत तक स
ी हो जाएगी िजससे महं गाई घट सकती है । उ ोगों को
बचगे। GST के बाद ए
ूटी ऑफ क म, Vat, से
अभी करीब अलग-अलग तरह के 18 Tax भरने होते ह लेिकन GST लागू होने पर उ ोगों का व
मनोरं जन टै
ाइज़
और Luxury टै
ूटी, सिवस टै
जैसे कर ख
, एिडशनल
हो जाएं गे।
होने के बाद आपको िड
ितशत
, सटल से
टै
,
Some apprehension (सं देह ) लेिकन GST लागू होने के कुछ वष
तक आपको महं गाई वाले िदन भी दे खने पड़ सकते ह। packaged food Products पर
ूटी नही ं लगती है जहां इन Products पर
टै
और पैसा दोनों
ादातर रा
ों म अभी कोई
ूटी लगती है वहां भी इसकी दर 4 से 6 ितशत तक है लेिकन GST लागू
ाबंद खाने पर भी 18 ितशत तक का टै
ूटी और रे डीमेड Garments पर 4 से 5 ितशत
दे ना होगा। इसी तरह Jewellery पर अभी 3
े ट Vat लगता है लेिकन 18 ितशत GST लगने के बाद
गहने और कपड़े महं गे हो सकते ह। GST लागू होने के बाद Discount भी महं गा हो जाएगा। अभी िड
ाउं ट के बाद
बची बाकी की कीमत पर टै
की से वाएं महं गी हो जाएं गी,
लगता है लेिकन GST लागू होने के बाद MRP पर टै
लगेगा। इसके अलावा सभी तरह
ोंिक अभी मोबाइल फोन और े िडट काड जैसी सेवाओं पर 15 ितशत का Tax लगता है
जो बढ़कर 18 ितशत हो जाएगा यानी आपको इन सेवाओं पर अभी के मुकाबले 3 ितशत
पड़े गी।
ादा रकम खच करनी
TAX structure under GST GST म तीन तरह के टै
िजनम पहला होगा CGST यानी central goods And Services tax, िजसे क
SGST यानी State goods And Services tax िजसे रा
goods And Services tax जो दो रा
शािमल होंगे
सरकार वसूलेगी। दू सरा Tax होगा
सरकार वसूलगी। तीसरा होगा IGST यानी Integrated
ों के बीच होने वाले कारोबार पर लगेगा और इसे दोनों रा
ों को बराबर अनु पात
म बां टा जाएगा। Other details सरकार GST का एक पोटल बनाएगी िजसपर Pan नंबर दज करके आप अपना
रिज े शन करवा सकते ह। रिज े शन के बाद आपको Unique Identification Number िमलेगा और इस नं बर का
इ
े माल करके आप एक बार म ही Tax की online Payment कर पाएं गे। Path Ahead GST िबल को लोकसभा ने 6
मई 2015 को मंजूरी दे दी थी..लेिकन रा
सभा म इस िबल को पास करवाने के िलए क सरकार को इसम कई सं शोधन
करवाने म काफी व
ोंिक दे श के सभी रा
करने पड़े । दे श के
ादातर रा
GST के समथन म ह लेिकन रा
लग सकता है
सभा से पास हो जाने के बाद भी GST को लागू
ों को अपनी अपनी िवधानसभाओं म इसे पास कराना
होगा। आपको बता द िक सं िवधान म सं शोधन के िलए दे श के आधे से
रा
ादा रा
ों को इस िबल को मंज़ूरी दे नी होगी।
ों म GST िबल पास हो जाने के बाद GST काउं िसल की थापना की जाएगी िजसम क और रा
शािमल होंगे जो िबल को अं ितम
के ितिनिध
प दगे। सरकार की कोिशश है िक इस िबल को 1 अ ैल 2017 से लागू कर िदया जाए
लेिकन िवशेष ों के मुतािबक कानू नी िद
तों की वजह से GST अगले वष अ ू बर या नवंबर तक लॉ
हो पाएगा।
History of GST GST की नीवं आज से 16 वष पहले अटल िबहारी वाजपेयी की सरकार म रखी गई थी। इसके बाद वष
2007 म यूपीए की सरकार के दौरान िव
सै ां ितक
िबल को रा
मं ी पी. िचदं बरम ने बजट म 2010 से GST लागू करने का
ाव िदया था।
प से बीजे पी और कां ेस दोनों GST का समथन करते रहे ह लेिकन कुछ िबंदु ऐसे थे, िजनकी वजह से इस
सभा म कां े स का समथन नही ं िमल रहा था। कां ेस क
ारा सभी सेवाओं और व
ुओं पर 1 ितशत
ादा कर लगाए जाने के फैसले के िवरोध म थी िजसे सरकार ने िबल से हटा िदया। कां ेस की मां ग थी िक सरकार एक
dispute settlement authority का िनमाण करे ..तािक दो रा
ों या िफर क और रा
के बीच होने वाले िववादों को
सु लझाया जा सके। कां ेस चाहती थी िक सरकार GST पर 18 ितशत का Cap तय करे यानी GST के तहत टै
दर हमेशा के िलए 18 ितशत ही हो..िजसे आगे चलकर सरकार अपनी मज से ना बढ़ा पाए।
गया था जब से
टै
GST से पहले भारत के Tax िस म म सबसे बड़ा बदलाव 2005 म िकया
को VAT से बदल िदया गया था। VAT की मदद से अलग अलग चरणों म लगने वाले Taxes को
कम करने की कोिशश की गई थी लेिकन VAT भी टै
व
ु ओं पर भी लगता है ..िजनके िलए Exise
भारत म Tax की वतमान
पर टै
लगाने वाली
व था के तहत दे श म िनिमत होने वाली व
से वाओं पर लोगों से सिवस टै
ुओं की Manufacturing पर ए
टै
ाइज़
ू टी
और VAT लग जाता है । इसी तरह
वसू ला जाता है लेिकन GST लागू होने पर सामान या सिवस पर िसफ एक ही Tax दे ना
होगा। GST के तहत सरकार रा
सरकारों को नुकसान की थित म पूरे 5 वष तक मुआवज़ा दे गी। GST world over
आपको बता द िक दु िनया के करीब 165 दे शों म GST की
और सेवाओं पर अलग अलग तरह के Tax नही ं दे ने पड़ते।
ितशत, जमनी म 19
व था का अंत नही ं कर पाया। VAT उन
ूटी चुका दी गई है , यानी आम लोगों को Tax पर भी Tax दे ना पड़ता है ।
दे नी पड़ती है ..जबिक ये सामान जब िब ी के िलए जाता है तो इस पर से
19.6
की
ितशत,
ितशत की दर से GST लागू है ।
व था लागू है , यानी इन दे शों म भारत की तरह व
ूजीलड म 15 ितशत, ऑ े िलया म 10 ितशत,
ीडन और डे नमाक म 25
Fb.com/SSc FoRUm (R.K. PATEL & RoSHAN)
ितशत और यहां तक िक पािक
ु ओं
ां स म
ान म भी 18
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